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UN BROKAN DREAM

AKHAND BHARAT

SAIL PATEL [जनोक्ति]

03-30-12

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अक्सर भारत के वामपंथी बुक्तिजीवी और राष्ट्रद्रोही मममिया दे श के राष्ट्रवादी आन्दोलन की


तुलना फामिस्ट और नाजीवामदयों िे करते हैं . "नाजीवाद " एक ऐिा शब्द है , मजिे मबना
मकिी बहि के एक गाली का दजाा दे मदया गया है . लेमकन जरा उन क्तथथमतयों पर नजर
िामलए, मजनके बीच नाजी आन्दोलन पनपा और महटलर का उदय हुआ. महटलर की आत्मकथा
"मीन केम्फ" के अंग्रेजी अनुवादक जेम्स मफी ने अपने अनुवाद की प्रस्तावना में कुछ ये
जानकाररयां दी हैं ....अगर आप को इिे पढ़कर आज के भारत की याद आये तो यह
गलती मेरी नहीं है .

महटलर की आत्मकथा का पहला भाग तब मलखा गया जब वह बावेररया के मकले में बंदी
था. वह वहां क्यूँ और कैिे पहुं चा???

1923 में फ़्ां ि ने जमानी पर आक्रमण करके रुर प्रदे श और राइनलैंि के कई जमान शहरों
पर कब्जा कर मलया. जमान अपना बचाव नहीं कर िके क्यंमक वािाा ई की िंमि के अनुिार
जमानी का मनिः शस्त्रीकरण कर मदया गया था. िाथ ही फ़्ां ि ने राइनलैंि को जमानी िे अलग
एक स्वतंत्र राज्य बनाने के मलए प्रचार अमभयान चलाया. आन्दोलनकाररयों को यह आन्दोलन
चलाने और जमानी को तोड़ने के मलए बेमहिाब पैिे मदए गए. िाथ ही बावेररया में भी फ़्ां ि
के उपमनवेश के रूप में अलग कैथोमलक राज्य बनाने के मलए आन्दोलन चलाया गया. ये
आन्दोलन अगर िफल हो जाते तो जमानी िे अलग हुए ये भाग कैथोमलक ऑक्तस्टरया िे ममल
जाते और एक कैथोमलक ब्लाक तैयार हो जाता जो फ़्ां ि के िैन्य और राजनैमयक प्रभाव में
रहता और वस्तुत: जमानी छोटे - छोटे टु कड़ों में बूँट जाता.

1923 में बावेररया का अलगाववादी आन्दोलन िफलता के कगार पर था. बावेररयन जनरल
वॉन लािोव, बमलान िे आदे श नहीं लेते थे . जमान राष्ट्रीय ध्वज कहीं मदखाई नहीं दे ता था. यहाूँ
तक की बवेररयन प्रिानमंत्री ने बवेररया की स्वतं त्रता की घोषणा करने का मनणाय ले मलया.
तभी महटलर ने वापि प्रहार मकया.

काफी िमय िे महटलर म्ययमनख के आि पाि के इलाके में िमथान जुटा रहा था और एक
राष्ट्रीय प्रदशान करने की तैयारी कर रहा था. उिे प्रथम मवश्वयुि के जमान कमां िर
लुदेनदोर्फा का िमथान प्राप्त था और आशा थी की जमान िेनाएं अलगाववामदयों के मवरुि
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उिका िाथ दें गी. 8 नवम्बर की रात को बवेररयन अलगाववामदयों की एक िभा बुलाई गई ,
मजिमें बवेररयन प्रिानमंत्री िॉ. वॉन कारा बवेररया की स्वतंत्रता की घोषणा पढ़ने वाले थे . जैिे
ही प्रिानमंत्री ने अपना भाषण पढ़ना आरं भ मकया महटलर और जनरल लुदेन्दोफा ने हॉल में
प्रवेश मकया और िभा भंग कर दी गई.

अगले मदन नाजी िमथाकों ने रामष्ट्रय एकता के पक्ष में िड़कों पर एक मवशाल प्रदशान मकया.
महटलर और लुदेनदोर्फा ने इिका नेतृत्व मकया. जैिे ही प्रदशान शहर के मुख्य चौक पर
पहुं चा, िेना ने गोमलयां चला दी. 16 प्रदशानकारी मारे गए, 2 लोगों ने बाद में िैमनक बैरकों में
दम तोड़ मदया.

महटलर स्वयं घायल हो गया. जनरल लुदेनदोर्फा गोमलयों के बीच चलते हुए िीिे िैमनकों तक
पहुं चे, और मकिी भी िैमनक को अपने पयवा कमां िर पर गोली चलने का िाहि नहीं हुआ.
महटलर और उिके कई िामथयों को मगरफ्तार कर मलया गया और लंद्बेगा के मकले में बंदी
बनाया गया . 20 फरवरी 1924 को महटलर पर "राष्ट्रद्रोह " का मुकदमा चलाया गया, और
पां च िाल के कैद की िजा िुनाई गई.

महटलर को कुल 13 महीने तक कैद में रखा गया. यहीं जेल में महटलर की "मीन केम्फ"
मलखी गई. महटलर ने अपनी यह आत्मकथा उन िोलह प्रदशानकारी शहीदों को श्रिां जमल में
िममपात की है , मजन्ोंने अपने दे श की एकता के मलए िंघषा करते हुए अपने ही दे श के िैमनकों
की गोमलयों का िामना मकया.

आज जब हमारे दे श में आतंकवामदयों को मेहमान बना कर रखा जा रहा है , अलगाववामदयों


को िर पर मबठाया जा रहा है , दे शद्रोमहयों को पद्म पुरस्कार मदए जा रहे हैं और दे शभिों को
आतंकी बता कर जे लों में िाला जा रहा है ...तब दे श के िामने यह प्रश्न खड़ा है की हमारे
राजनीमतक मवकल्प क्ा हैं ?
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सेक्यूलर मंगोल राज्य का इतिहास .... और भारि का भतिष्य!

मयमताभंजक इस्लाममक िमाज का एक बहुत बड़ा मवरोिाभाि है - ईरान में तेरहवीं शताब्दी के
एक यहूदी मवद्वान् रामशद-उद-मदन की एक मवशालकाय मयमता . रामशद-उद -मदन ने मंगोल
िभ्यता का इमतहाि मलखा, और उनका अपना जीवन काल िमकालीन इमतहाि की एक कहानी
बताता है जो भारत के मलए एक बहुत जरुरी िबक है .

मंगोलों ने चंगेज़ खान के िमय पयरे एमशया िे लेकर ययरोप तक अपना दबदबा बनाया, और
मध्य पयवा एमशया में अपना शािन कायम मकया. मंगोल मुख्यतिः तां मत्रक िमा (मंत्रायण) का
पालन करते थे जो मयलतिः भारत िे मनकल कर मतब्बत, चीन, जापान और पयरे मध्य एमशया में
फैला था. मगोलों ने मवश्व का पहला िच्चा िमा मनरपेक्ष राज्य बनाया (भारत के
Pseudo Secular राजनीमतक तंत्र जैिा नहीं), जहाूँ िभी िमों के लोगों को न मिफा अपना िमा
मानने की आज़ादी थी, बक्ति िबके बीच स्वथथ िं वाद थथामपत करने का प्रयत्न मकया गया.
मंगोलों की इि िाममाक उदारता का िनातन िममायों, मंगोल-तु का के अमद िभ्यता के लोगों और
यहूमदयों ने स्वागत मकया. इिाई इिके बारे में ममला जुला भाव रखते थे , जबमक मध्य-पयवा के
मुक्तस्लम इनिे बहुत घृणा करते थे .

इि दौरान चंगेज़ खान के वंशज (परपोते ) आरगुन खान ने एक यहूदी िॉक्टर शाद-उद-दौला
को अपना वजीर बनाया. शाद-उद-दौला बहुत कुशल और प्रमतभावान था. उिके िमय में
आरगुन खान ने बगदाद और मतबररज़ में कई मंमदर बनवाए और मक्का पर कब्जा करने की
योजना बनायीं. उिी िमय आरगुन खान बुरी तरह बीमार पड़ा, और मौका दे ख कर मुक्तस्लमों
ने शाद-उद-दौला की हत्या कर दी. शाद-उद-दौला ने अपने िमय में अन्य कई यहूमदयों
को प्रशािन में थथान मदया था, उन्ी में िे एक थे रातशद-उद-दीन, जो बाद में आरगुन खान
के उत्तरामिकारी महमूद गजान के वजीर बने .

आरगुन की मृत्यु के बाद मुक्तस्लम और मंगोलों के बीच लगातार िंघषा चला, और मुक्तस्लमों ने
मंगोल अथाव्यवथथा को कमजोर करने के मलए बाज़ार को नकली नोटों और मिक्कों िे भर
मदया - यह तरकीब जो आज भी भारत के मवरुि प्रयोग की जा रही है .

गजान खान के िमय रामशद-उद-दीन ने क्तथथमत को अंततिः मनयंत्रण में मलया, अथाव्यवथथा को
वापि पटरी पर लाया, टै क्स-िुिार मकये , और िमृक्ति वापि लौटी. लेमकन मुक्तस्लमों िे िंघषा
चलता रहा और और मुिलमान लगातार गजान खान पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव
बनाये रहे . अन्तिः में क्तथथमत को शां त करने के मलए गजान खान और रामशद-उद-दीन
ने ऊपरी तौर पर इस्लाम स्वीकार कर मलया, और गजान को अमीर-उल-मोममन घोमषत मकया
गया. अब मुिलमान गजान खान पर दबाव बनाने लगे की वह मंमदरों, चचों, और मिनागोग
(यहूमद िमा थथल) को तोड़े और दय िरे लोगों को भी इस्लाम स्वीकार करने को बाध्य करे .
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रामशद-उद-दीन के वजीर रहते गजान खान, और उिके भाई ओल्जििु का शािन लगभग शां मत
और क्तथथरता िे गुजर गया. रामशद स्वयं को अरस्तु और गजान को अपना Alexander कहता
था. रामशद ने दु मनया के कोने कोने िे िमा-गुरुओं और मवद्वानों को बगदाद के दरबार में
जगह दी. हालाूँ मक इस्लाममक गुट ने रामशद-उद-दीन पर लगातार आरोप लगाया मक
उिने अपना मयल यहूदी िमा अभी भी नहीं छोड़ा था.

मफर इल्खानेत वंश के तेरहवें राजा ओक्तितु (िमा पररवतान के बाद मोहम्मद खुदाबन्द) की
मृत्यु के बाद इस्लाममक गुट का पयरा मनयंत्रण हो गया. रामशद-उद-दीन पर ओक्तितु की हत्या
का आरोप लगाया गया और छु प कर अन्दर ही अन्दर यहूदी िमा िे िहानुभयमत रखने का
आरोप लगाया गया. उिे कैद कर मलया गया, उिकी आूँ खों के िामने उिके बेटे का िर
काट मदया गया. मफर रामशद का िर काट कर उिके कटे िर को मतबररज़ की ििकों पर
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घुमाया गया. इतने िे ही रामशद-उद-दीन के प्रमत उनकी घृणा ख़त्म नहीं हुई. पंद्रहवीं
शताब्दी में तैमुर-लंग के बेटे ममरान शाह ने रामशद-उद-दीन की कब्र खु दवा कर उिकी िर
कटी लाश पाि के यहूदी कमब्रस्तान में मफंकवा दी.

यह था िेक्ुलररज्म का अंत और इस्लाम के प्रमत नरम रवैया रखने का पररणाम.

हमारे मलए इि कहानी िे यही मशक्षा है की एक िमा मनरपेक्ष राज्य इस्लाम का िामना नहीं
कर िकता है . अगर एक िेक्ुलर राज्य की िीमाओं के बीच बड़ी मुक्तस्लम िंख्या रहे गी तो
िीरे -िीरे ये लोग शािन तंत्र पर हावी हो ही जायेंगे. आज हमारे जो नेता इफ्तार पामटा यों
में हरी पगड़ी और गोल टोपी लगाये घयम रहे हैं , कल उन्ें कलमा पढना होगा और िुन्नत
करवानी होगी. मफर उन्ें अपने भाई बंिुओं पर तलवार उठाने को कहा जायेगा, और अंत में
उनका और उनके बच्चों का वही हाल होगा जो रामशद-उद-दीन का हुआ.

क्ा मुलायम मिंह यादव की आूँ ख के आगे यही मुल्ले एक मदन अक्तखलेश मिंह का िर नहीं
काटें गे? पर इन महन्दु ओं को यह कौन िमझाये .....

साइप्रस का इतिहास.... और भारि का भतिष्य!


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िाइप्रि नाम के इि छोटे िे दे श की कहानी को ध्यान िे पढ़ें ....कुछ जानी पहचानी


लगेगी.

िाइप्रि एक छोटा िा द्वीप है जो टकी िे 40 मील दमक्षण और ग्रीि िे 480 मील दमक्षणपयवा पर
क्तथथत है । एक िमय इि द्वीप पर 720,000 ग्रीक रहते थे ।पर 1571 में टकी ने इि पर
आक्रमण कर मदया और इिके उत्तरी भाग पर इस्ताम्बुल का कब्जा हो गया। 1878 में मब्रमटश
ने इिे लीज पर मलया। लीज प्रथम मवश्व युि के बाद िमाप्त हो गया और 1925 में यह द्वीप
मब्रमटश राज की colony बन गई। 1960 में मब्रमटश ने इिे आज़ाद कर मदया और िाइप्रि
गणतंत्र बना जहाूँ 80 % ग्रीक थे और 20 % तुका थे ।

जल्द ही तुका मुक्तस्लम को ग्रीक ईिाई के िाथ रहने में परे शानी महियि होने लगी. अब
मुिलमानों के मलए ये कोई नई बात नहीं है . 1878 में ओटोमन तुका िाम्राज्य का शािन िमाप्त
होने िे िाइप्रि 'दार-उल -इस्लाम ' नहीं रह गया बक्ति यह यह िाइप्रि के तुका मुक्तस्लमों के
मलए 'दार-उल -हब्र' (land of conflict ) बन गया। शक्तिशाली मब्रमटश िाम्राज्य के िामने वे कुछ
कर नहीं िकते थे ,पर मब्रमटश के जाते ही क्तथथमत बदल गई .

िाइप्रि के तुका मुक्तस्लम अब भी कुछ करने की क्तथथमत में नहीं थे क्यंमक उनकी िंख्या कुल
जनिूँख्या का २०% थी। इिमलए 1974 में तुका मुक्तस्लम ने टकी को िाइप्रि पर आक्रमण करने
को बुलाया। िाइप्रि की िरकार इि आक्रमण को रोक नहीं पाई। 1975 में तुका मुक्तस्लमों
ने मवभाजन की मां ग की। अलग हुए भाग ने अपने आप को 1983 में आज़ाद घोमषत कर मदया
और नाम रखा 'Turkish Republic of northern cyprus 'और टकी ने उिे एक नए दे श का दजाा
दे मदया । गौर करने वाली बात यह है मक पहले 16 वी ं िदी तक इि दे श में मिफा ग्रीक
ईिाई रहते थे . 1571 में तुका आयें एवं उत्तरी िाइप्रि में ग्रीक ईिाई के िाथ रहने लगे। िबिे
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दु खद बात यह है मक 1974 में जुलाई अगस्त की घुिपैठ में तुकी आक्रमणकाररयों ने बबारता
पयवाक ग्रीक ईिाईयों को वहां िे भगा मदया । 200 ,000 ग्रीक ईिाई को बलपयवाक मनकाल मदया
।वे लोग अपना घर बार छोड़कर दमक्षण भाग में आ गए जहाूँ ग्रीक ईिाई रहते थे ।वे लोग
अपने ही घर में शरणाथी बन गए और ये िब मकया गया ठीक मवभाजन मक मां ग िे पहले
और उिके बाद 1983 में िाइप्रि का एकतरर्फा मवभाजन हो गया । Ethnic cleansing के बाद
भी उत्तरी भाग में 12 ,000 ग्रीक रह गए। 20 वषों के बाद वहां मिफा 715 ग्रीक रह गए और
अब शयन्य । कहाूँ गए ये लोग ???

मैंने यह िब क्यूँ मलखा? क्यंमक कश्मीर,पामकस्तान और बंगलादे श में यही हुआ और आज भी


हो रहा है । बंगाल ,अिम, केरल में यही िब हो रहा है । क्ा हमलोग िाइप्रि दे श या कश्मीर
िे कुछ िीखेगे ???? क्ा अभी भी हमें यह दु मविा होनी चामहए मक इस्लाम क्ा करता है और
आगे क्ा करे गा ????

तहन्दू कहााँ जाये ?


जब िे पमकस्तान बना है वहाूँ महन्दु ओ के िाथ िाममाक आिार पर भेदभाव िमाां तरण अपहरण
हप्तावाशुली हत्याए हो रही है ,

महन्दय औरतो और लड़मकयों के िाथ बलात्कार और उिके बाद मुक्तस्लम लिको के िाथ
जबरदस्ती शादी भी करवाया जा रहा है

पामकस्तान में महन्दय का जीना दय भर हो गया है , अभी कुछ मदन पहले महन् िमाचार पत्रों िे
जानकारी ममली की ,कुछ महन्दय के मक्तिद में लगी नल

िे पानी मपने के बाद मक्तिद के पानी के टं की को न केवल शुिी करण मकया गया बक्ति
उन महन्दु ओ को मपट-मपट कर बुरा हाल कर मदया गया !

पमकस्तान के महन्दय इतना िरे िहमे है की अपहरण के िर िे अपने बच्चो को स्कयल नहीं भेज
रही है ,जब पामकस्तान बना था तो वहां महन्दु ओ की कुल आबादी

२२ % थी जो आज १.७% रह गई है , महन्दय मवहीन पामकस्तान होने में अब ज्यादा िमय नहीं


बचा है , भारत िरकार इि मामले में पमकस्तान िरकार िे न कुछ

बात करने की इच्छु क है और न महन् पमकस्तान िे िबकुछ अपना छोड़ कर आये हुए
महन्दु ओ को बिाने के मलए कोई तरीका !

अब तो अपना दे श भी पराया लगने लगा है ,महन्दय मकिके भरोशे और कहाूँ जाये जब अपना
महन् नहीं अपनाना चाहता ..तो क्ा पामकस्तान में ही घु ट घुट कर मरने के अलावा उिका
कोई दय िरा चारा नहीं है , जब की एक ररपोटा के मुतामबक ७५०० पामकस्तानी अवैि रूप िे
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और कई हज़ार बंग्लामदशी अवैि रूप िे महन्दु थथान में रह रही है , मजिको कुछ राजनेताओ ने
तो उनको भारतीय नागररकता दे ने की भी मां ग कर चुके है ,मफर महन्दु ओ के िाथ भेदभाव
क्ों ? क्ों की वह महन्दय है !

आज भी पामकस्तान िे आये महन्दय मदल्ली में िदमे में है की उिे वापि पामकस्तान न भेज
मदया जाए ,गृह मंत्रालय ने आदे श भी दे मदया लेमकन कुछ महन्दय िं गठनों के

उच्च न्यालय में दायर एक यामचका के वजह िे मफलहाल उनको पमकस्तान भेजने पर रोक लग
गई है ..आगे दे खते है उन महन्दु ओ के भाग्य में क्ा मलखा है
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भारि सरकार तहन्दु ओ ं की हत्या पर चुप्पी क्यों साधे है ?

भारत िरकार महन्दु ओं की हत्या पर चुप्पी क्ों िािे है ?

उल्लेखनीय है मक ईद-उल-जुहा (7 नवम्बर) के मदन कराची िे 400 मील दय र चक किबे में


कट्टरवादी मुक्तस्लमों ने तीन महन्दु ओं (िा. अजीत कुमार, िा. नरे श कुमार और िा. अशोक
कुमार) की हत्या कर दी थी, जबमक िा. िेमतया पाल को बुरी तरह घायल कर मदया था।
अभी इनका इलाज चल ही रहा है । इि हत्या के क्तखलाफ पामकस्तानी महन्दु ओं ने हड़ताल की,
मवरोि प्रदशान मकया और दोमषयों को कड़ी िे कड़ी िजा दे ने की मां ग की। अमरीकी मवदे श
मवभाग ने भी महन्दु ओं की हत्या की मनन्दा की और कहा मक अल्पिंख्यकों को मनशाना बनाया
जाना जायज नहीं है । पामकस्तान िरकार को हत्यारोंके क्तखलाफ कारा वाई करनी चामहए। मकन्तु
भारत िरकार ने महन्दु ओं की हत्या पर चुप्पी िािे रखी।

पामकस्तान में महन्दु ओं के िाथ जो व्यवहार हो रहा है , वह रोंगटे खड़े दे ने वाला है । होली,
मदवाली, दशहरा जैिे प्रमुख त्योहारों पर भी पामकस्तान में िावाजमनक छु ट्टी नहीं होती है ।
महन्दु ओं को मक्तन्दर जाने िे रोका जाता है । कोई महन्दय मर जाता है तो उिको दफनाने को
कहा जाता है ।… इिमलए बड़ी िंख्या में पामकस्तानी महन्दय भारत आ रहे हैं , और यहां मरना
पिन्द करते हैं , पर पामकस्तानलौटना नहीं। ऐिे ही एक पामकस्तानी महन्दय ने बताया मक
कट्टरवादी कभी भी मकिी महन्दय के घर आ जाते हैं और बहू-बेटी मां गने लगते हैं । नहीं दे ने पर
घरों में आग लगा दे ते हैं , पुरुषों को मारते -पीटते हैं और हमारे िामने ही महन्दय ममहलाओं के
िाथ दु ष्कमा करते हैं । अब आप ही बताओ कोई महन्दय पामकस्तान में कैिे रह िकता है ?

महन्दु ओं का यही हाल बंगलादे श में भी है । शायद ही ऐिा कोई मदन बीतता होगा, जब मकिी
महन्दय ममहला के िाथ कट्टरवादी बदतमीजी न करते होंगे। कोई ममहला कट्टरवामदयों का मवरोि
करती है तो उिे मौत के घाट उतार मदया जाता है । 1 अियबर, 2011 की एक घटना है , जो
बगंलादे श में कट्टरवामदयों की करतयत को बताती है । इि घटना की मवस्तृ त जानकारी ‘बंगलादे श
माइनोररटी वॉच’ द्वारा दु मनयाभर में भेजी गई। उिी जानकारी के अनुिार उपयुाि घटना गां व-
वोलावो, थाना-रूपगंज, मजला-नारायणगंज (बंगलादे श) की है ।
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1 अियबर को दोपहर बाद रूमा रानी दाि (15) घर पर अकेली थी। तभी मो. दलीम (22),
मो. रफीकुल इस्लाम (23) और मो. शमीम ममयां उिके घर में दाक्तखल हो गए। इन तीनों ने
पहले उिके िाथ दु ष्कमा मकया और बाद में फां िी लगाकर हत्या कर दी। कुछ दे र बाद घर
वालों को इि घटना की जानकारी ममली। वे लोग पुमलि थाने जाने को तैयार हुए तो
अपरामियों ने उन्ें मुकदमा दजा नकरने की चेतावनी दी। इि कारण दो मदन तक रूमा रानी
दाि का शव घर पर पड़ा रहा। तीिरे मदन यानी 3 अियबर, 2011 को रूपगंज थाने में ‘नारी
ओ मशशु मनरजतन दमन अीन, 2000 (िंशोमित-2003) की िारा 9 (1)’ के तहत आरोमपयों के
क्तखलाफ मामला दजा हुआ। मकन्तु मकिी दबाव की वजह िे पुमलि आरोमपयों को बचाने में
लगी है ।

15 वषीया रूमा रानी दाि अपने मपता पयणो रोबी दाि एवं माता मालती रानी दाि की
इकलौती िन्तान थी। कुछ िमय िे आरोपी उिके पीछे लगे थे और मनकाह के मलए दबाव
िाल रहे थे। इन बदमाशों िे अपनी बेटी को बचाने के मलए दाि दम्पमत ने अपना घर भी
बदल मलया। मकन्तु वे गुण्डे वहां भी पहुं च गए।

चाहे पामकस्तान हो या बंगलादे श दोनों दे शों में महन्दय ममहलाओं को मवशे ष रूप िे मनशाने पर
रखा जा रहा है । राह चलती मकिी लड़की को िरे आम उठाकर कहा जाता है मक उिने
इस्लाम कबयल कर मलया है और उिका मनकाह मकिी मुक्तस्लम िे कर मदया जाता है । ऐिी
घटनाएं मदनोंमदन बढ़ती जा रही हैं । इिमलए दोनों दे शों के महन्दय भारत आना चाहते हैं । यही
वजह है मक कुछ लोग िवाल उठाने लगे हैं मक क्ा कुछ िाल बाद पामकस्तान और
बंगलादे श महन्दय -मवहीन हो जाएं गे?

पामकस्तान और बंगलादे श की ये घटनाएं क्ा उन मानवामिकाररयों तक नहीं पहुं चती हैं , जो


कश्मीर में िेना पर मानवामिकार के उल्लंघन का आरोप लगाकर हो-हल्ला मचाते हैं ? क्ा
महन्दु ओं के उत्पीड़न की खबरें उन भारतीय िेकुलर नेताओं तक नहीं पहुं चती हैं , जो हमाि के
मकिी आतंकी को मारने पर इस्रायल को पानी पी-पीकर कोिते हैं ? भारत में कुछ लोग अक्सर
यह भी कहते हैं मक पामकस्तान और भारत के राजनेता अपने स्वाथा के मलए दोनों दे शों के
बीच खटाि पैदा करते हैं , जबमक दोनों दे शों के लोग अमन चाहते हैं , एक-दय िरे िे मुहब्बत
करते हैं । ऐिे लोग अपने पामकस्तानी ममत्रों िे यह क्ों नहीं पयछते मक पामकस्तान में महन्दय 1
प्रमतशत िे भी कम क्ों रह गए हैं ? यमद पामकस्तानी मुक्तस्लम अपने यहां के महन्दु ओं िे
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मुहब्बत करते तो वे लुट-पीटकर भारत नहीं आते ? पामकस्तान में महन्दु ओं की आबादी कम होने
की िबिे बड़ी वजह है मतान्तरण। महन्दु ओं कोजबदा स्ती इस्लाम कबयलवाया जाता है । इि पर
भारतीय िेकुलर कभी कुछ क्ों नहीं बोलते हैं ? पामकस्तान व बंगलादे श में महन्दु ओं के िाथ
हाल में घटी ये नृशंि घटनाएं क्ा उनकी िंवेदनाएं झकझोर पाएं गी?

वहां महन्दु ओं के मलए बनाई जा रहीं अमानवीय क्तथथमतयों पर भारत िरकार क्ों चुप्पी िािे
रहती है ?
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अरब की प्राचीन समृद्ध िैतदक सं स्कृति और भारि

अरब की प्राचीन समृद्ध िैतदक संस्कृति और भारि

अरब दे श का भारत, भृगु के पुत्र शु क्राचाया तथा उनके पोत्र औवा िे ऐमतहामिक िंबंि प्रमामणत
है , यहाूँ तक मक "महस्टर ी ऑफ पमशाया" के लेखक िाइक्स का मत है मक अरब का नाम औवा
के ही नाम पर पड़ा, जो मवकृत होकर "अरब" हो गया। भारत के उत्तर-पमिम में इलावता था,
जहाूँ दै त्य और दानव बिते थे , इि इलावता में एमशयाई रूि का दमक्षणी-पमिमी भाग, ईरान का
पयवी भाग तथा मगलमगत का मनकटवती क्षेत्र िक्तम्ममलत था। आमदत्यों का आवाि थथान-दे वलोक
भारत के उत्तर-पयवा में क्तथथत महमालयी क्षे त्रों में रहा था। बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में
पुराताक्तिक खोज में जो मभमत्त मचत्र ममले है , उनमें मवष्णु को महरण्यकमशपु के भाई महरण्याक्ष िे
यु ि करते हुए उत्कीणा मकया गया है ।

उि युग में अरब एक बड़ा व्यापाररक केन्द्र रहा था, इिी कारण दे वों, दानवों और दै त्यों में
इलावता के मवभाजन को लेकर 12 बार युि 'दे वािुर िंग्राम' हुए। दे वताओं के राजा इन्द्र ने
अपनी पुत्री ज्यन्ती का मववाह शुक्र के िाथ इिी मवचार िे मकया था मक शुक्र उनके (दे वों के)
पक्षिर बन जायें , मकन्तु शुक्र दै त्यों के ही गुरू बने रहे । यहाूँ तक मक जब दै त्यराज बमल ने
शुक्राचाया का कहना न माना, तो वे उिे त्याग कर अपने पौत्र औवा के पाि अरब में आ गये
और वहाूँ 10 वषा रहे । िाइक्स ने अपने इमतहाि ग्रन्थ "महस्टर ी ऑफ पमशाया" में मलखा है मक
'शु क्राचाया मलव्ि टे न इयिा इन अरब'। अरब में शुक्राचाया का इतना मान-िम्मान हुआ मक आज
मजिे 'काबा' कहते है , वह वस्तुतिः 'काव्य शुक्र' (शु क्राचाया ) के िम्मान में मनममात उनके आराध्य
भगवान मशव का ही मक्तन्दर है । कालां तर में 'काव्य' नाम मवकृत होकर 'काबा' प्रचमलत हुआ। अरबी
भाषा में 'शुक्र' का अथा 'बड़ा' अथाा त 'जुम्मा' इिी कारण मकया गया और इिी िे 'जुम्मा'
(शुक्रवार) को मुिलमान पमवत्र मदन मानते है ।

"बृहस्पमत दे वानां पुरोमहत आिीत्, उशना काव्योऽिुराणाम्"-जैमममनय ब्रा.(01-125)

अथाा त बृहस्पमत दे वों के पुरोमहत थे और उशना काव्य (शुक्राचाया ) अिुरों के।

प्राचीन अरबी काव्य िंग्रह गंथ 'िेअरूल-ओकुल' के 257वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद िे 2300 वषा
पयवा एवं ईिा मिीह िे 1800 वषा पयवा पैदा हुए लबी-मबन-ए-अरव्तब-मबन-ए-तुरफा ने अपनी
िुप्रमिि कमवता में भारत भयमम एवं वेदों को जो िम्मान मदया है , वह इि प्रकार है -

"अया मुबारे कल अरज मुशैये नोंहा ममनार महं दे।

व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे मजकरतुन।1।


13

वह लवज्जलीयतुन ऐनाने िहबी अरवे अतुन मजकरा।

वहाजेही योनज्जेलुरारियल ममनल महं दतुन।2।

यकयलयनल्लाहिः या अहलल अरज आलमीन फुल्लहुम।

फत्तेबेऊ मजकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतु न।3।

वहोबा आलमुस्साम वल यजुरममनल्लाहे तनजीलन।

फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअन योविीरीयोनजातुन।4।

जइिनैन हुमाररक अतर नािेहीन का-अ-खुबातुन।

व अिनात अलाऊढ़न व होवा मश-ए-रतुन।5।"

अथाा त-(1) हे भारत की पुण्यभयमम (ममनार महं दे) तय िन्य है , क्ोंमक ईश्वर ने अपने ज्ञान के मलए
तुझको चुना। (2) वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश, जो चार प्रकाश स्तम्ों के िदृश्य िम्पयणा जगत् को
प्रकामशत करता है , यह भारतवषा (महं द तुन) में ऋमषयों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ। (3) और
परमात्मा िमस्त िंिार के मनुष्ों को आज्ञा दे ता है मक वेद, जो मेरे ज्ञान है , इनके अनुिार
आचरण करो।(4) वह ज्ञान के भण्डार िाम और यजुर है , जो ईश्वर ने प्रदान मकये। इिमलए, हे
मेरे भाइयों! इनको मानो, क्ोंमक ये हमें मोक्ष का मागा बताते है ।(5) और दो उनमें िे ररक्,
अतर (ऋग्वेद, अथवावेद) जो हमें भ्रातृत्व की मशक्षा दे ते है , और जो इनकी शरण में आ गया,
वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता।

इस्लाम मजहब के प्रवता क मोहम्मद स्वयं भी वैमदक पररवार में महन्दय के रूप में जन्में थे , और
जब उन्ोंने अपने महन्दय पररवार की परम्परा और वंश िे िंबंि तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर
घोमषत करना मनमित मकया, तब िंयुि महन्दय पररवार मछन्न-मभन्न हो गया और काबा में क्तथथत
महाकाय मशवमलंग (िंगे अस्वद) के रक्षाथा हुए यु ि में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-मबन-ए-
हश्शाम को भी अपने प्राण गंवाने पड़े । उमर-मबन-ए-हश्शाम का अरब में एवं केन्द्र काबा
(मक्का) में इतना अमिक िम्मान होता था मक िम्पयणा अरबी िमाज, जो मक भगवान मशव के
भि थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा महन्दय दे वी-दे वताओं के अनन्य उपािक थे , उन्ें अबुल
हाकम अथाा त 'ज्ञान का मपता' कहते थे। बाद में मोहम्मद के नये िम्प्रदाय ने उन्ें ईष्ावश
अबुल मजहाल 'अज्ञान का मपता' कहकर उनकी मनन्दा की।

जब मोहम्मद ने मक्का पर आक्रमण मकया, उि िमय वहाूँ बृहस्पमत, मंगल, अमश्वनी कुमार, गरूड़,
नृमिंह की मयमतायाूँ प्रमतमष्ठत थी। िाथ ही एक मयमता वहाूँ मवश्वमवजेता महाराजा बमल की भी थी,
और दानी होने की प्रमिक्ति िे उिका एक हाथ िोने का बना था। 'Holul' के नाम िे अमभमहत
यह मयमता वहाूँ इब्राहम और इस्माइल की मयमत्तायो के बराबर रखी थी। मोहम्मद ने उन िब
मयमत्तायों को तोड़कर वहाूँ बने कुएूँ में फेंक मदया, मकन्तु तोड़े गये मशवमलंग का एक टु किा आज
14

भी काबा में िम्मानपयवाक न केवल प्रमतमष्ठत है , वरन् हज करने जाने वाले मुिलमान उि काले
(अश्वेत) प्रस्तर खण्ड अथाा त 'िंगे अस्वद' को आदर मान दे ते हुए चयमते है ।

प्राचीन अरबों ने मिन्ध को मिन्ध ही कहा तथा भारतवषा के अन्य प्रदे शों को महन्द मनमित मकया।
मिन्ध िे महन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञामनक है । इस्लाम मत के प्रवताक मोहम्मद के पैदा
होने िे 2300 वषा पयवा यामन लगभग 1800 ईश्वी पयवा भी अरब में महं द एवं महं दय शब्द का व्यवहार
ज्यों का त्यों आज ही के अथा में प्रयुि होता था।

अरब की प्राचीन िमृि िंस्कृमत वैमदक थी तथा उि िमय ज्ञान-मवज्ञान, कला-कौशल, िमा-
िंस्कृमत आमद में भारत (महं द) के िाथ उिके प्रगाढ़ िंबंि थे। महं द नाम अरबों को इतना
प्यारा लगा मक उन्ोंने उि दे श के नाम पर अपनी क्तस्त्रयों एवं बच्चों के नाम भी महं द पर रखे।

अरबी काव्य िंग्रह ग्रंथ ' िेअरूल-ओकुल' के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-
मबन-ए-हश्शाम की कमवता है मजिमें उन्ोंने महन्दे यौमन एवं गबुल महन्दय का प्रयोग बड़े आदर
िे मकया है । 'उमर-मबन-ए-हश्शाम' की कमवता नयी मदल्ली क्तथथत मक्तन्दर मागा पर श्री
लक्ष्मीनारायण मक्तन्दर (मबड़ला मक्तन्दर) की वामटका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम् (खम्बे)
पर काली स्याही िे मलखी हुई है , जो इि प्रकार है -

" कफमवनक मजकरा ममन उलुममन तब अिेक ।

कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।1।

न तज खेरोहा उड़न एललवदए मललवरा ।

वलुकएने जातल्लाहे औम अिेरू ।2।

व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादे व ओ ।

मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व ियत्तरू ।3।

व िहबी वे याम फीम काममल महन्दे यौमन ।

व यकुलयन न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।4।

मअस्सयरे अरव्लाकन हिनन कुल्लहूम ।

नजुमुन अजा अत िुम्मा गबुल महन्दय ।5।

अथाा त् - (1) वह मनुष्, मजिने िारा जीवन पाप व अिमा में मबताया हो, काम, क्रोि में अपने
यौवन को नष्ट् मकया हो। (2) अमद अन्त में उिको पिाताप हो और भलाई की ओर लौटना
चाहे , तो क्ा उिका कल्याण हो िकता है ? (3) एक बार भी िच्चे हृदय िे वह महादे व जी की
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पयजा करे , तो िमा-मागा में उच्च िे उच्च पद को पा िकता है । (4) हे प्रभु ! मेरा िमस्त
जीवन लेकर केवल एक मदन भारत (महं द) के मनवाि का दे दो, क्ोंमक वहाूँ पहुूँ चकर मनुष्
जीवन-मुि हो जाता है । (5) वहाूँ की यात्रा िे िारे शुभ कमो की प्राक्तप्त होती है , और आदशा
गुरूजनों (गबुल महन्दय ) का ित्संग ममलता है ।
16

!!जातिप्रथा ने हमें तसर्फ बबाफ द ही तकया है .!!

जबिे हमारे भारत दे श ने इि जात-पात को गंभीरता िे लेना शुरू मकया है तबिे हमारा दे श
दु मनया को राह मदखाने वाले दजे िे मनकलकर मिफा दु मनया का िबिे बड़ा कजादार और
मभखारी दे श बनकर रह गया है . और पमिमी दु मनया के दे श इिीमलए इतनी तरक्की कर पाए
क्ोंमक उन्ोंने अपनी बहुत िी कममयों के बावजय द िभी आदममयों को मिफा उनकी पैदाइश को
पैमाना न बनाकर और पैदाइश की परवाह मकये बगैर इं िान की इज्जज़त के मामले में बराबरी
का हक़/दजाा मदया. इिी शैतानी जात-पात के चलते न मिफा हमने िमदयों तक क़त्ल-ए-आम
और बलात्कार को िहा है पर मातृभयमम के खयनी और ददा नाक बंटवारे को भी िहा है . अब
कोई हमिे ये पयछने की गुस्ताखी हमगाज न करे की इि शैतानी जात-पात के फायदे और
नुकिान क्ा हैं ?

हाूँ ये जरूर है मक मपछले कुछ िमय में जबिे इि शैतानी जात-पात की पकड़ काफी कम हुई है
तो हमने राहत की एक िां ि ली है . आप एक बात और िमझ लें मक जहाूँ भी इि शैतानी
जात-पात का िरददा बना हुआ है उिकी एक बहुत बड़ी वज़ह है इि जात-पात का
राजनीमतकरण. और इि राजनीमतकरण के गोरखिंिे और मक्कारी वाली दु कानदारी के बंद न
होने मलए हम िब मजम्मे वार इिीमलए हैं मक हम िब खुद िे आगे बढ़कर उन िब रस्मों,
मकताबों और रीमत-ररवाजों, जो जन्म आिाररत जामत-पामत को मानते हैं , को कयड़ा करकट जैिी
गंदगी िमझकर कयड़े दान में नहीं िालते बक्ति इि गन्दगी को अपने िमाज रुपी मजस्म पर
लपेटे हुए हैं . लानत है उन िब लोगों पर जो इि शैतानी जात-पात को ख़त्म करने के मलए
आगे नहीं आते......

दे खा जाये तो जामत व्यवथथा कमजोर होने के बाद िे मह भारत गुलाम बना और िमस्या बढा ।हजार
िाल पहले मक महन्दु व्यबथथा मे ूँ भारत प्रगमत पर मह था ।मफर भी जामतबामदता दे श के मलए खराब है
खत्म करने मक पहल होनी चामहए ।
17

िन मेन आमी-ििफमान मे दे श को सख्त जरुरि

तप्रय तमत्ों आज सिाफतधक चचाफ मे है िन मेन आमी जनिा पार्टी के अध्यक्ष डॉ


सुब्रमतियम स्वामी एिं नरें द्र मोदी | उनके तिगि के बारे में कई िरहे की बािें की जािी
है| अर्टल जी को छोड़ कर इन २५ िर्षों में कोई भी इिना पररिाम जनक राजनायक
जनिा के बीच नही ं आया |

दू सरी और बाबा रामदे ि एिं अन्य धमाफचायों ने इनको अपना मागफदशफन दे ने के तलए
अपना सिफस्व न्यौछािर करने का तनिफय कर तलया है | जब राजनेिा राजनीति अपने
भौतिक सुखो के तलए करने लगे और राजधमफ भूल जाये िो उसी समय धमफ को ले
धमाफचायों को आगे आना होिा है | िही पहल बाबा रामदे ि ने की | उसको सिफप्रथम
अंगीकार करने िाले राजनेिा है डॉ स्वामी |उन्ोंने राजधमफ स्वीकार तकया है न राज-
महजब | धमफ और मजहब में िही अंिर है जो धरिी और आसमान में है |

कुछ उल्लेखनीय सराहनीय पररिाम है जो डॉ स्वामी को सब से अलग करिे है |

१) आपािकाल में सतिय भूतमका

२)एतिहातसक जनिा पार्टी को तजंदा रखे हुए है

३) इलेक्ट्रोतनक िोतर्टं ग मशीन पर केस तकया,तजसके पररिाम स्वरुप पूरी प्रिाली को


सुधारा जा रहा है

४)सोतनया गााँधी नामक तिदे शी र्षड्यंत् को प्रारं भ से ही अंकुश में रखना

५) सोतनया को प्रधानमंत्ी बनने से रोका

६) सोतनया के ल्जखलार् चुनाि लड़ने पर यातचकाए लगाना

७)रामसेिु पर सुप्रीम कोर्टफ में बहस कर रामसेिु पर स्थगनादे श प्राप्त कराना


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८)२ जी स्पेक्ट्रम पर कई मंतत्यों को तिहाड़ जे ल तभजिाकर भ्रष्टाचार पर प्रत्यक्ष प्रहार


तकया

९)साम्प्रदातयकिा लतक्षि तिधेयक की तनमाफत्ी सोतनया गााँधी के तिरुद्ध भारिीय समाज


को तिखंतडि कर दे ने पर एर् आई आर दजफ कर, सामतजक संिुलन बनाया

१०) सुप्रीम कोर्टफ ने डॉ स्वामी के भ्रष्टाचार के प्रति अत्यतधक सजग रहने पर उनको
सैल्यूर्ट तकया

अब आप स्वयं तनिफय करे

१) क्या आप उन लोगो का साथ दे िे रहेंगे जो आपके साथ और दे श के साथ छल


करिे रहे है

२)रं गे तसयारो का साथ दोगें या ?

३)कब िक तमतडया के सिेक्षिों में भरमाओगें

४)ििफमान दे श का संतिधान ही कार्ी है , जरुरि है केिल िीक्षि दृतष्ट िाले राजनेिा


की है न?

५)दे श का अतधसंख्य युिा डॉ स्वामी-मोदी को अपना मानिा है , दे खे सोशल साइर्ट् स


पर पररिाम लाखो में संख्या है राष्टरभक्ों की

यतद आप उक् तििरि से सहमि है िो आये हमारे साथ यातन ऐक्शन कमेर्टी एगेंस्ट
करे प्शन इन इल्जिया( ACACI) से जुड़े

हमसे संपकफ करने के तलए हमारे ग्रुप के सदस्य बने

हमारे ग्रुप है

१) डॉ सुब्रमतियम स्वामी(चिव्यूह तिजेिा) र्ेसबुक

२)SUBRMANIAN SWAMI

३)अल्जखल भारिीय सातहत्य पररर्षद्


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"इस्तीर्ा क्यों िै यार था"

" मचदं बरम का कल बेदाग िामबत होना दे श का िौभाग्य या दु भाा ग्य "

कल मदनां क 04-02-2012 को मनचली अदालत पमटयाला कोटा के माननीय न्यायािीश श्री ओ.पी.
िैनी द्वारा हमारे माननीय गृहमंत्री को टय जी मामले में क्लीन मचट दे दी गई । ये मचदं बरम जी
के मलये बहुत ही खुशी की बात होगी और उन्ोंने राहत की िां ि ली होगी । मनमित रूप में
गृहमंत्री और कां ग्रेि पाटी इिक्रे मलये बिाई के पात्र हैं ।पर मेरा यह मानना है मक उनिे भी
ज्यादा इि दे श और उिकी अवाम के मलये यह ियचना राहत भरी और खुशी की है मक हमारे
गृहमंत्री कानयनी रूप िे बेदाग िामबत हुए । क्ोंमक मजि िरकार पर भरोिा कर अवाम जी
रही है अगर वो ही भ्रष्ट् मनकलता तो शायद अवाम का भरोिा इि लोकतंत्र और िरकार िे
और भी ज्यादा टय ट जाता और लोकतंत्र के के मलये इिके बहुत ही घातक पररणाम मनकलते ।
वैिे कां ग्रेि और श्री मचंदबरम के मलये इि बात पर भय क्ों था ? और खुशी क्ों मनाई गई
यह बात मेरी िमझ िे परे है ? क्ोंमक फैिले पर खुशी जामहर करते िमय श्री मचदं बरम का
यह बयान मक " उन्ोंने इस्तीफा तैयार रखा था " कहीं न कहीं यह िवाल अभी भी पैदा
करता है मक जब श्री मचदं बरम दोषी नहीं थे तो मफर उन्ें इस्तीफा तै यार रखने की क्ा
जरुरत थी । इि बयान के दो मायने मनकाले जा िकते हैं पमहला " यह मक शायद गृहमंत्री
िमझते है मक कहीं न कहीं वो दोषी हैं "इिमलये उन्ोंने इस्तीफा तैयार रखा था या दय िरा "
उन्ें न्यायपामलका पर ये भरोिा नहीं था मक वो िही फैिले भी कर िकती है । " इिके
अलावा खुशी मनाने का उन्ें इिमलये हक और जरुरत नहीं है मक - जरुरत इिमलए नहीं मक
जब वो दोषी ही नहीं थे तो उन्ें मकि बात की खुशी बक्ति उन्ें इि बात पर अफिोि और
आक्रोश जताना चामहये मक उन्ें बेवजह परे शान मकया गया ।

और हक इिमलये नहीं मक उनके द्वारा राजा पर लगाम न लगाने की वजह िे इतना बिाा़
स्कैम हो गया और अवाम का भरोिा िरकार िे उठ गया और अदालतों का इि काया में
कहीं बहुत ज्यादा िमय बबाा द हुआ । जो बहुमयल्य िमय अदालतों को दय िरे प्रकरणौ को
मनपटाने में जाना था वो िरकार के क्तखलाफ लगे मुकदमों को मनपटाने में चला गया ।ये बिा
ही दु भाा ग्यपयणा है मक िरकार िे मदद की अपेक्षा अदालतों को उनके क्तखलाफ लगे मुकदमों
को भी मनपटाना पिता है ।कल का फैिला भले ही कुछ भी रहा हो पर इिके अलावा भी
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कहीं न कहीं 122 लाइिें ि का रद्द होना भले ही कानयनी रुप में िरकार (मवत्तमंत्री और
प्रिानमंत्री ) को दोषी न ठहराता हो पर नैमतक रूप िे िरकार की जवाबदे ही तय करता है
,वो इिमलये मक इि अभी तक िरकार का कानयनी रुप में भ्रष्ट्ाचार में िक्तम्ममलत होना न मिि
होता हो परन्तु इि बात िे इं कार नहीं मकया जा िकता मक वो इतने बिे भ्रष्ट्ाचार को रोकने
में अिमाथ रही । हां चयंमक लोअर कोटा ने फैिला मदया है इिमलये कोटा और जज पर िंदेह
करना शायद गलत ही नहीं कोटा की अवमानना भी होगा ।पर इिके मवपरीत अगर इि फैिले
को उच्च या उिके आगे उच्चत्तम न्यायालय में चु नौती दी जाती है और जैिा मक िुब्रहमन्यम
स्वामी का भरोिा कह रहा हैं मक मचदं बरम इिमें दोषी हैं और अगर वो उच्च / उच्चत्तम
न्यायालय द्वारा दोषी पाये जाते है तो मफर दो बातें खिीा़ होंगी पमहले ये मक क्ा 1) मनचली
अदालत इतनी िक्षम नहीं है मक वो िही या गलत का फैिला ले िके या 2) क्ा मनचली
अदालत मनष्पक्ष फैिले िुनाने में अिमथा है । और अगर नतीजा गृहमंत्री के क्तखलाफ आता है
तो उि िमय उिे जो भी िजा हो वो दय िरी बात होगी पर तब तक दे श को और मकतना
नुकिान पहुं च चुका होगा वो कल्पना िे परे है । और वो इि दे श का बहुत बिाा़ "
"दु भाा ग्य" होगा पर अगर मचंदबरम अंमतम रूप िे भी मनरापरािी िामबत होते हैं तो ये दे श के
मलये बहुत ही "िौभाग्य" की बात होगी ।दे श को इं तजार रहे गा उि पररणाम का । हां इन
िब मुकदमों के दौरान मन:िंदेह िाा़.िुब्रहमन्यम स्वामी एक हीरो िामबत हुए हैं और वो
भ्रष्ट्ाचाररयों की िारणा बदलने और उनको यह िंकेत दे ने में िफल हुए हैं मक वो िुिर जायें
अन्यथा जेल के दरवाजे उनके मलये भी उतने ही खुले हुए हैं मजतने के एक आम अपरािी के
मलये ।

जय महन्द ।
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तदल्जिजय तसं ह से ले कर उनके गद्दार पुखोका काला तचर्टठा.. कुल चररत् कहो
या तदल्जिजय चररत्..कलंक से पररपूिफ!!-

तदल्जिजय तसंह गद्दारों का िंशज :ह्त्या का आरोपी !!

मनुष्य को जैसे संस्कार अपने पुरखों से तमलिे हैं ,उसके अनुरूप ही उसका स्वभाि ,चररत्
और तिचार बन जािे हैं .यह एक तनतिफिाद सत्य है .और तदल्जिजय के ऊपर पूरी िरह
से लागू होिी है .तदल्जिजय खुद को प्रथ्वी राज चौहान का िंशज बिािा है .लेतकन
इसका कोई प्रमाि नही ं तमलिा है .तदल्जिजय क्षतत्ओं की एक उपजाति "खीची "से
सम्बंतधि है .इसका तििरि "खीची इतिहास संग्रह... "में तमलिा है .इसके लेखक A .H
.Nizami और G .S .Khichi है .पुस्तक का संपादन R .P .Purohit ने तकया है .तकिाब "ल्जखची
शोध संस्थान जोधपुर "से प्रकातशि हुई थी .एक और पुस्तक "Survay of khichii History
"में खीतचयों के बारे में जानकारी तमलिी है .ल्जखची धन लेकर तकसी राजा के तलए युद्ध
करिे थे .आज तदल्जिजय खुद को मध्य प्रदे श में गुना तजला के एक छोर्टी सी ररयासि
"राघोगढ़ "का राजा कहिा है .उसके चमचे उसे तदग्गी राजा पुकारिे है .

1 -तदल्जिजय का पू िफज कौन था

पु स्तक के अनु सार तदल्जिजय के हाथों जो ररयासि तमली एक "गरीब दास "नामके सैतनक को
अकबर ने दी थी .जब राजपु िाना और मालिा के सभी क्षतत्य रािा प्रिाप के साथ हो रहे थे
.गरीब दास अकबर के पास चला गया .अकबर ने उसकी सेिा से प्रसन्न होकर मालिा के
सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यातन पांच गााँि दे तदए जाएाँ . गरीब
दास की मौि के बाद उसके पु त् "बलिं ि तसंह (1770 -1797 ) ने इसिी 1777 में बसंि पं चमी के
तदन एक गढ़ी की नी ंि रखी और उसका नाम अपने कुल दे ििा "राघोजी "के नाम पर
"राघोगढ़ "रख तदया था .

कनफ ल र्टाड के इतिहास के अनु सार बलिं ि तसंह ने 1797 िक राज तकया .और अंगरे जों से दोस्ती
बढ़ाई.जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ िो बलिं ि तसंह ने अंगरे जी फौज की मदद की थी

इसका उल्ले ख जनरल Gadred ने "Section from State Papers .Maratha Volume I Page 204 में तकया
है .बलिं ि तसंह की इस सेिा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की िरर् से बलदे ि
तसंह को पत् भेजा ,तजसमे तलखा था कंपनी बहादु र की िरर् से यह परगना जो बालामेर्टमें है
22

उसका तकला राघोगढ़ िुम्हें प्रदान तकया जािा है और उसके साथ के गािों को अपना राज्य
समझो .यतद तसंतधया सरकार तकसी प्रकार का दखल करे िो इसकी सूचना मुझे दो.

बाद में जब 1818 में बलिंि तसंह का नािी अजीि तसंह (1818 -1857 )गद्दी पर बै ठा िो अं गरे जों
के प्रति तिद्रोह होने लगे था ,अजीि तसंह ने िातलयर के रे तजडें र्ट को पत् भेजा तक,आजकल
महाराज तसंतधया बगािि की िय्यारी कर रहे हैं .उनके साथ झााँसी और दू सरी ररयासि के राजा
भी बगािि का झं डा खड़ा कर रहे हैं .इसतलए इन बातगयों को सजा दे ने के तलए जल्दी से
अं गरे जी फौज भेतजए ,उस पत् का जिाब गिातलयर के रे तजडें र्ट A .Sepoyrs ने इस िरह तदया "आप
कंपनी की फौज की मदद करो और बातगयों साथ नही ं दो .आप हमारे दोस्त हो ,अगर तसंतधया
फौज येिो उस से युद्ध करो .कंपनी की फौज तनकल चुकी है . लेतकन सन 1856 में एक दु घफर्टना
में अजीि तसघ की मौि हो गयी .उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल तसंह "(1857 -
1900 )गद्दी पर बै ठा इसके बाद "तििमजीि तसंह राजा बना (1900 -1902 (.लेतकन अंग्रेज तकसी
कारि से उस से नाराज हो गए .और उसे गद्दी से उिार तसरोंज पररिार के एक युिक
"मदरूप तसंह "को राजा बना तदया तजसका नाम "बहादु र तसंह "रख तदया गया ( 1902 -1945
)अंगरे जों की इस मेहरबानी के तलए बहादु र तसंह ने अंगरे जी सरकार का धन्यिाद तदया और
कहा मैं िाइसराय का आभारी हाँ .मैं िादा करिा हाँ तक सरकार का िर्ादार रहाँ गा .मेरी यही
इच्छा है तक अंगरे जी सरकार के तलए लड़िे हुए ही मेरी जान तनकल जाये .

इसी अं गरे ज भक् गद्दार का लड़का "बलभद्र तसंह "हुआ जो तदल्जिजय का बाप है .बलभद्र का
जन्म 1914 में हुआ था और इसके बे र्टे तदल्जिजय का जन्म 28 र्रिरी 1947 को इन्दौर में हुआ था .

बलभद्र तसंह ने मध्य भारि (पू िफ मध्य प्रदे श )की तिधान सभा का चुनाि तहन्दू महा सभा की
तसर्ट से लड़ा था .और कांग्रेस के उम्मीदिार जादि को हराया था .सन 1969 में तदल्जिजय ने भी
नगर पातलका चुनाि कांग्रेस के तिरुद्ध लड़ा था .और जीि कर अध्यक्ष बन गया था . लेतकन
इमरजेंसी के दौरान तगरफ्तारी से बचने तलए जब तदल्जिजय अपने समाधी "अजुफन तसघ "के पास
गया िो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी .और कहा यतद जागीर बचाना है िो कांग्रेस में आ
जाओ .

इस िरह तदल्जिजय का पू रा िं श अिसरिाद ,खुशामद खोरी .और अंगरे जों सेिा करने लगा है
इसी कारि से जब तदल्जिजय उज्जैन गया था िो िहां के भाजयुमो के अध्यक्ष "धनञ्जय शमाफ "ने
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सबके सामने गद्दार करार तदया था .ओर सबू ि के तलए एक सी डी बी पत्कारों को बांर्टी थी
(पतत्का शुििार 22 जुलाई 2011 भोपाल )

2 -तदल्जिजय ने कांग्रेसी नेत्ी की हत्या करिायी !

अभी िक अतधकांश लोग इस बाि का रहस्य नही ं समझ पा रहे थे तक तदल्जिजय R .S .S और


तहदु ओ ं से क्यों तचढ़िा है .अभी अभी इसका कारि पिा चला है .यद्यतप यह घर्टना पुरानी है
.इसके अनु सार 14 र्रिरी 1997 को रि के करीब 11 बजे तदल्जिजय उसके भाई लक्ष्मि तसंह और
कुछ दु सरे लोगों ने "सरला तमश्रा "नामकी एक कांग्रेसी ने त्ी की कोई ज्वलन शील पदाथफ डाल
कर हत्या कर दी थी .और मतहला को उसी हालि में जलिा छोड़कर भाग गए थे .इिने समय
के बाद यह मामला समाज सेिी और बी जे पी के पू िफ पार्षफद महे श गगफ ने तर्र अदालि में
पहुं चा तदया है और सी .जे .एम् श्री आर .जी तसंह के समक्ष ,तदल्जिजय तसंह ,उसके भाई लक्षमि
तसंह ,ित्कालीन र्टी आई एस.एम् जैदी ,नायब िहसीलदार आर .के.िोमर ,िहसीलदार डी.के.
सत्पथी ,डा .योगीराज शमाफ .ऍफ.एस.एल के यूतनर्ट प्रभारी हर्षफ शमाफ और नौकर सुभार्ष के
ल्जखलार् भारिीय दं ड संतहिा की धारा 302 ,201 .212 ,218 ,120 बी ,और 461 अधीन मामला दजफ
करने के आदे श दे ने के तलए आिे दन कर तदया है .र्ररयादी महे श गगफ ने धारा 156 .3 यह भी
तनिे दन भी तकया है तक उक् सभी आरोतपयों के तिरुद्ध जल्दी कायफिाही तक जाये .इसपर सी.
जे. एम् महोदय ने सुनिाई की िारीख 28 जुलाई िय कर दी है .यही कारि है तक तदल्जिजय
सभी तहन्दु ओ ं का गातलयााँ दे िा है (दै तनक जागरि 23 जुलाई 2011 भोपाल ) हम सब जानिे है तक
आपसी तििाह सम्बन्ध करिे समय पररिार का खानदान दे खा जािा है .तनयोजक तकसी को
नौकरी दे िे समय आिे दक की पाररिाररक पृ ष्ठभूतम दे ख लेिे है .यहांिक जानिरों की भी नस्ल
दे खी जािी है .

तर्र गद्दारों की संिान गद्दार दे श भक् कैसे हो सकिे हैं .तिदे शी अं गरे जों के चमचे तिदे शी
सोतनया चमचातगरी क्यों न करे गा .ऐसा व्यल्जक् कुत्ते से भी बदिर है ,कुत्ता अपनो को नही ं
कार्टिा है .इसने िो कां ग्रेसी मतहला ने त्ी की तनदफ यिा पू िफक हत्या करा दी .

अजब गजब के दे खो तमाशे


खु शी के है मिफा यह प्यािे
महन्दय मु क्तस्लम को गले लगा कर
मफर पीछे िे अंगयठा मदखा कर
बात न मानो इनकी यार
मगरा दो यह गद्दारों की िरकार !
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यशिंिराि होलकर यह उस महान िीरयोद्धा का नाम है, तजसकी िुलना तिख्याि


इतिहास शास्त्री एन एस इनामदार ने 'नेपोतलयन' से की है।
by Raj Buranpuri on Saturday, February 25, 2012 at 8:42pm ·

एक ऐसा शासक, तजसके सामने अंग्रेजों ने हरबार र्टे क तदए घुर्टने.

एक ऐसा भारिीय शासक तजसने अकेले दम पर अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पर मजबूर
कर तदया था। इकलौिा ऐसा शासक, तजसका खौर् अंग्रेजों में सार्-सार् तदखिा था।
एकमात् ऐसा शासक तजसके साथ अंग्रेज हर हाल में तबना शिफ समझौिा करने को िैयार
थे। एक ऐसा शासक, तजसे अपनों ने ही बार-बार धोखा तदया, तर्र भी जंग के मैदान में
कभी तहम्मि नही ं हारी। इिना महान था िो भारिीय शासक, तर्र भी इतिहास के पन्नों में
िो कही ं खोया हुआ है। उसके बारे में आज भी बहुि लोगों को जानकारी नही ं है ।
उसका नाम आज भी लोगों के तलए अनजान है। उस महान शासक का नाम है -
यशिंिराि होलकर। यह उस महान िीरयोद्धा का नाम है , तजसकी िुलना तिख्याि
इतिहास शास्त्री एन एस इनामदार ने 'नेपोतलयन' से की है। पतिम मध्यप्रदे श की मालिा
ररयासि के महाराज यशिंिराि होलकर का भारि की आजादी के तलए तकया गया
योगदान महारािा प्रिाप और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से कही ं कम नही ं है। यशििंराि
होलकर का जन्म 1776 ई. में हुआ। इनके तपिा थे - िुकोजीराि होलकर। होलकर
साम्राज्य के बढ़िे प्रभाि के कारि िातलयर के शासक दौलिराि तसंतधया ने यशिंिराि
के बड़े भाई मल्हारराि को मौि की नी ंद सुला तदया। इस घर्टना ने यशिंिराि को पूरी
िरह से िोड़ तदया था। उनका अपनों पर से तिश्वास उठ गया। इसके बाद उन्ोंने खुद
को मजबूि करना शुरू कर तदया। ये अपने काम में कार्ी होतशयार और बहादु र थे।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकिा है तक 1802 ई. में इन्ोंने पुिे के पेशिा
बाजीराि तििीय ि तसंतधया की तमलीजुली सेना को माि दी और इं दौर िापस आ
गए। इस दौरान अंग्रेज भारि में िेजी से अपने पांि पसार रहे थे। यशिंि राि के सामने
एक नई चुनौिी सामने आ चुकी थी। भारि को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराना।
इसके तलए उन्ें अन्य भारिीय शासकों की सहायिा की जरूरि थी। िे अंग्रेजों के बढ़िे
साम्राज्य को रोक दे ना चाहिे थे। इसके तलए उन्ोंने नागपुर के भोंसले और िातलयर के
तसंतधया से एकबार तर्र हाथ तमलाया और अंग्रेजों को खदे ड़ने की ठानी। लेतकन पुरानी
दु श्मनी के कारि भोंसले और तसंतधया ने उन्ें तर्र धोखा तदया और यशिंिराि एक
बार तर्र अकेले पड़ गए। उन्ोंने अन्य शासकों से एकबार तर्र एकजुर्ट होकर अंग्रेजों के
ल्जखलार् लड़ने का आग्रह तकया, लेतकन तकसी ने उनकी बाि नही ं मानी। इसके बाद
उन्ोंने अकेले दम पर अंग्रेजों को छठी का दू ध याद तदलाने की ठानी। 8 जून 1804 ई.
को उन्ोंने अंग्रेजों की सेना को धूल चर्टाई। तर्र 8 जुलाई, 1804 ई. में कोर्टा से उन्ोंने
अंग्रेजों को खदे ड़ तदया। 11 तसिंबर, 1804 ई. को अंग्रेज जनरल िेलेस्ले ने लॉडफ ल्युक को
तलखा तक यतद यशिंिराि पर जल्दी काबू नही ं पाया गया िो िे अन्य शासकों के साथ
तमलकर अंग्रेजों को भारि से खदे ड़ दें गे। इसी मद्दे नजर निंबर, 1804 ई. में अंग्रेजों ने
तदग पर हमला कर तदया। इस युद्ध में भरिपुर के महाराज रं तजि तसंह के साथ तमलकर
उन्ोंने अंग्रेजों को उनकी नानी याद तदलाई। यही नही ं इतिहास के मुिातबक उन्ोंने 300
अंग्रेजों की नाक ही कार्ट डाली थी। अचानक रं तजि तसंह ने भी यशिंिराि का साथ छोड़
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तदया और अंग्रजों से हाथ तमला तलया। इसके बाद तसंतधया ने यशिंिराि की बहादु री
दे खिे हुए उनसे हाथ तमलाया। अंग्रेजों की तचंिा बढ़ गई। लॉडफ ल्युक ने तलखा तक
यशिंिराि की सेना अंग्रेजों को मारने में बहुि आनंद लेिी है । इसके बाद अंग्रेजों ने यह
र्ैसला तकया तक यशिंिराि के साथ संतध से ही बाि संभल सकिी है। इसतलए उनके
साथ तबना शिफ संतध की जाए। उन्ें जो चातहए, दे तदया जाए। उनका तजिना साम्राज्य है ,
सब लौर्टा तदया जाए। इसके बािजूद यशिंिराि ने संतध से इं कार कर तदया। िे सभी
शासकों को एकजुर्ट करने में जुर्टे हुए थे। अंि में जब उन्ें सर्लिा नही ं तमली िो
उन्ोंने दू सरी चाल से अंग्रेजों को माि दे ने की सोची। इस मद्दे नजर उन्ोंने 1805 ई. में
अंग्रेजों के साथ संतध कर ली। अंग्रेजों ने उन्ें स्विंत् शासक माना और उनके सारे क्षेत्
लौर्टा तदए। इसके बाद उन्ोंने तसंतधया के साथ तमलकर अंग्रेजों को खदे ड़ने का एक
और प्लान बनाया। उन्ोंने तसंतधया को खि
तलखा, लेतकन तसंतधया दगेबाज तनकले और िह
खि अंग्रेजों को तदखा तदया। इसके बाद पूरा
मामला तर्र से तबगड़ गया। यशिंिराि ने हल्ला
बोल तदया और अंग्रेजों को अकेले दम पर माि
दे ने की पूरी िैयारी में जुर्ट गए। इसके तलए
उन्ोंने भानपुर में गोला बारूद का कारखाना
खोला। इसबार उन्ोंने अंग्रेजों को खदे ड़ने की
ठान ली थी। इसतलए तदन-राि मेहनि करने में
जुर्ट गए थे। लगािार मेहनि करने के कारि
उनका स्वास्थ्य भी तगरने लगा। लेतकन उन्ोंने इस
ओर ध्यान नही ं तदया और 28 अक्ट्ू बर 1806 ई.
में तसर्फ 30 साल की उम्र में िे स्वगफ तसधार गए। इस िरह से एक महान शासक का अंि
हो गया। एक ऐसे शासक का तजसपर अंग्रेज कभी अतधकार नही ं जमा सके। एक ऐसे
शासक का तजन्ोंने अपनी छोर्टी उम्र को जंग के मैदान में झोंक तदया। यतद भारिीय
शासकों ने उनका साथ तदया होिा िो शायद िस्वीर कुछ और होिी, लेतकन ऐसा नही ं
हुआ और एक महान शासक यशिंिराि होलकर इतिहास के पन्नों में कही ं खो गया और
खो गई उनकी बहादु री, जो आज अनजान बनी हुई है।
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अब िक करीब सोतनया गााँधी के तिर्षय मे चालीस आर र्टी आई के िारा


जानकारी मां गी गयी है, तजसे सरकारने उखाड़ र्ैका है..क्या यह कानून की ल

एक तरफ भोंदय युवराज और िोमनया गाूँ िी अपनी पीठ थपथपाते है मक कां ग्रेि ने इि दे श को
आरटीआई जैिा कानयन मदया ..लेमकन िरकार ने िोमनया गाूँ िी के मवषय मे िाले जाने वाले
आर टी आई को उठाकर फेक मदया ..क्ा यह कानयन की लाचारी का नमयना है या हमारी
बेपरवाही का...?

अब तक करीब िोमनया गाूँ िी के मवषय मे चालीि आर टी आई के द्वारा जानकारी मां गी गयी


है .. ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

१- िोमनया गाूँ िी मपछले १० िालो मे कहा कहा गयी ?

करीब पां च िाल तक िक्के खाने के बाद जब अरजदार ने िुप्रीम कोटा का रुख मकया तब
िरकार ने कहा मक िरकार को इि बारे मे कोई जानकरी नहीं है ..वाह रे कां ग्रेि .. कोई
भी मवदे श जाता है तो पािपोटा पर हवाई अड्डे पर इम्मीग्रेशन का मुहर लगता है और उिके
पािपोटा मे पयरी जानकारी दजा की जाती है .. और िबको मालयम है मक पािपोटा मकिी भी
व्यक्ति की मनजी िम्पमत नहीं होता बक्ति िरकार की िमाक्तप्त है .और ये िरकार के मलए
एक ममनट का काम है की वोिोमनया गाूँ िी के पयरे मवदे श यात्रा का ब्यौरा दे ..

अभी भी केि िुप्रीम कोटा मे चल रहा है , लेमकन ना जाने क्ों िोमनया गाूँ िी के तरफ िे इि
छोटे मामले मे भारत के बड़े वकीलों मे िे एक अमभषेक मनु मिंघवी लड़ रहे है
..~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

२- िोमनया गाूँ िी के ईलाज का खचा क्ा भारत िरकार ने उठाया था ? यमद हा तो मकतना
भुगतान हुआ?

कई महीनों तक कई मंत्रालयों मे ये अजी गुजरी ..मकिी ने जबाब नहीं मदया ..जब अरजदार
ने िुचना आयोग मे केि मकया तब इिे िां िदों का मवशेषामिकार का मामला बताकर इि
अजी पर कोई जबाब दे ने िे िरकार ने मना कर मदया
.~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

~३-िोमनया और राहुल गाूँ िी िरकारी फाइलों मे अपना अमिकाररक िमा क्ा मलखते है और
हकीकत मे वो मकि िमा का पालन करते है ?
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पां च िालो तक मवमभन्न मंत्रालयों मे ये फाइल भटकती रही .. बाद मे िु प्रीम कोटा मे जाने पर
िरकार का जबाब आया मक चयूँमक िरकार जनगणना के िमय लोगो के मनजी जानकारी इकट्ठा
करती है इिमलए कानयन के मुतामबक िरकार इि जानकारी को िावाजमनक नहीं कर िकती
..~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

४- िोमनया गाूँ िी को वोटर कािा जारी करने के िमय िोमनया गाूँ िी ने कौन कौन िे
दस्तावेज मनवाा चन आयोग को मदए ?

कहने को तो भारत का मनवाा चन आयोग एक स्वत्रंत िंवैिामनक िंथथा है लेमकन िोमनया गाूँ िी
के मामले पर वो भी एक गुलाम जैिे व्यहार करने लगता है .. यिुचना िीिे िीिे मनवाा चन
आयोग के अमिकार छे त्र मे आता है मफर भी मनवाा चन आयोग ने नौ मवभागों मे इि फाइल
को िालो तक घुमाया .. और आज भी कोईजबाब नही
मदया ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

~५- भारत पाक युि के िमय िोमनया गाूँ िी कहा थी ?

आज तक मकिी भी मवभाग ने इिका खुलािा आमिकाररक रूप िे नहीं मकया है .जबमक


मवदे श मंत्रलय एक ममनट के इिका जबाब दे िकता है .. हकीकत मे भारत पाक युद् के
िमय अफवाह उिी थी मक पामकस्तानी लड़ाकय मवमान मदल्ली पर बमबारी कर िकते है ..
मफर िोमनया गाूँ िी अपने बच्चो और राजीव गाूँ िी को अकेले छोिकर अपनी जान बचाने के
मलए इटली रहने चली गयी थी .~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

६- िोमनया गाूँ िी का जन्म प्रमाण पत्र

आज तक िरकार ने अरजदार को नहीं मदया .. ईिाई िमाज मे जन्म प्रमाण पत्र दे ने का


अमिकार केवल चचा के पादरी को है .. और िोमनया गाूँ िी के पाि भी इटली के तुररन
कबे के पादरी का जन्म प्रमाण पत्र होना चामहए , लेमकन िोमनया गाूँ िी भारत मे एमफिे मवद
करके बनाया हुआ दय िरा जन्म प्रमाण पत्र िरकारी मवभागों मे दी है ..

इि बारे मे कहा जाता है मक िोमनया गाूँ िी ने अपनी जन्ममतमथ मे फेरफार की है क्ोमक


िुब्रमण्यम स्वामी ने जो तुररन के चचािे उनका जन्ममतमथ हामिल मकये है उिके अनुिार तो
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िोमनया गाूँ िी के मपता चार िालो िे जेल मे थे .मफर इनका जन्म


!!!!!!!!!!!!!!!~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

७-राबटा वढे रा का मपछले पन्द्रह िालो का आईटी ररटना

आयकर मवभाग नहीं दे रहा है . क्ोमक कहा जाता है की मप्रयंका िे शादी के पहले राबटा के
पाि पैन कािा तक नहीं था और वो आयकर नहीं दे ते थे क्ोमक उनकी आमदनी इतनी भी
नहीं थी की वो आयकर के दायरे मे आये .. इि जानकारी िे िरकार को िर है की राष्ट्रीय
दामाद जनता के िामने बेनकाब हों जायेगा
..~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

८-राबटा वढे रा को मकि कानयन के तहत हवाई अड्डों पर जाूँ च िे छयट ममली है ?

ये फाइल कई मवभागों के चक्कर काट रही है ..और आज तक िरकार ने नहीं बताया की


आक्तखर राबटा वढे रा को हवाई अड्डे पर िुरछा जाूँ च िे छयट क्ों ममली है
? ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

९- राहुल गाूँ िी ने अपनी एममफल की मिग्री नाम बदल कर ली है और वो मैकेंजी मे भी नाम


बदलकर एक िाल तक नौकरी मकये .. राहुल गाूँ िी के पािपोटा पर अलग नाम है और
उनके िंिंद मे मदये फामा और मनवाा चन मे अलग है .. क्ा भारत िरकार इिे फ्रोि नहीं
मानती ?

आज तक इिका जबाब नहीं आया .. मफर जब राहुल गाूँ िी के आमफि मे अरजदार ने पयछा
तो राहुल गाूँ िी का मिफा एक लाईन का जबाब आया की मलट्टे िे मेरे जान को खतरा था ..

लेमकन ये कानयन की पररमि मे एक फ्राि मना जायेगा

ममत्रों ये है दावा जो राहुल गाूँ िी यय पी मे अपने कुते की आस्तीन चढाकर कहते है मक हमने
इि दे श को आर टी आई जैिा शशि कानयन मदया ..लेमकन ये कानयन इि नकली गाूँ िी
पररवार के आगे मकतना ताकतवर है उिका नमयना आप खुद दे ख लीमजए
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तदल्जिजय तसं ह से ले कर उनके गद्दार पुखोका काला तचर्टठा.. कुल चररत् कहो
या तदल्जिजय चररत्..कलंक से पररपूिफ!!-

तदल्जिजय तसंह गद्दारों का िंशज :ह्त्या का आरोपी !!

मनुष्य को जैसे संस्कार अपने पुरखों से तमलिे हैं ,उसके अनुरूप ही उसका स्वभाि ,चररत्
और तिचार बन जािे हैं .यह एक तनतिफिाद सत्य है .और तदल्जिजय के ऊपर पूरी िरह
से लागू होिी है .तदल्जिजय खुद को प्रथ्वी राज चौहान का िंशज बिािा है .लेतकन
इसका कोई प्रमाि नही ं तमलिा है .तदल्जिजय क्षतत्ओं की एक उपजाति "खीची "से
सम्बंतधि है .इसका तििरि "खीची इतिहास संग्रह... "में तमलिा है .इसके लेखक A .H
.Nizami और G .S .Khichi है .पुस्तक का संपादन R .P .Purohit ने तकया है .तकिाब "ल्जखची
शोध संस्थान जोधपुर "से प्रकातशि हुई थी .एक और पुस्तक "Survay of khichii History
"में खीतचयों के बारे में जानकारी तमलिी है .ल्जखची धन लेकर तकसी राजा के तलए युद्ध
करिे थे .आज तदल्जिजय खुद को मध्य प्रदे श में गुना तजला के एक छोर्टी सी ररयासि
"राघोगढ़ "का राजा कहिा है .उसके चमचे उसे तदग्गी राजा पुकारिे है .

1 -तदल्जिजय का पू िफज कौन था

पु स्तक के अनु सार तदल्जिजय के हाथों जो ररयासि तमली एक "गरीब दास "नामके सैतनक को
अकबर ने दी थी .जब राजपु िाना और मालिा के सभी क्षतत्य रािा प्रिाप के साथ हो रहे थे
.गरीब दास अकबर के पास चला गया .अकबर ने उसकी सेिा से प्रसन्न होकर मालिा के
सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यातन पांच गााँि दे तदए जाएाँ . गरीब
दास की मौि के बाद उसके पु त् "बलिं ि तसंह (1770 -1797 ) ने इसिी 1777 में बसंि पं चमी के
तदन एक गढ़ी की नी ंि रखी और उसका नाम अपने कुल दे ििा "राघोजी "के नाम पर
"राघोगढ़ "रख तदया था .

कनफ ल र्टाड के इतिहास के अनु सार बलिं ि तसंह ने 1797 िक राज तकया .और अंगरे जों से दोस्ती
बढ़ाई.जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ िो बलिं ि तसंह ने अंगरे जी फौज की मदद की थी

इसका उल्ले ख जनरल Gadred ने "Section from State Papers .Maratha Volume I Page 204 में तकया
है .बलिं ि तसंह की इस सेिा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की िरर् से बलदे ि
तसंह को पत् भेजा ,तजसमे तलखा था कंपनी बहादु र की िरर् से यह परगना जो बालामेर्टमें है
31

उसका तकला राघोगढ़ िुम्हें प्रदान तकया जािा है और उसके साथ के गािों को अपना राज्य
समझो .यतद तसंतधया सरकार तकसी प्रकार का दखल करे िो इसकी सूचना मुझे दो.

बाद में जब 1818 में बलिंि तसंह का नािी अजीि तसंह (1818 -1857 )गद्दी पर बै ठा िो अं गरे जों
के प्रति तिद्रोह होने लगे था ,अजीि तसंह ने िातलयर के रे तजडें र्ट को पत् भेजा तक,आजकल
महाराज तसंतधया बगािि की िय्यारी कर रहे हैं .उनके साथ झााँसी और दू सरी ररयासि के राजा
भी बगािि का झं डा खड़ा कर रहे हैं .इसतलए इन बातगयों को सजा दे ने के तलए जल्दी से
अं गरे जी फौज भेतजए ,उस पत् का जिाब गिातलयर के रे तजडें र्ट A .Sepoyrs ने इस िरह तदया "आप
कंपनी की फौज की मदद करो और बातगयों साथ नही ं दो .आप हमारे दोस्त हो ,अगर तसंतधया
फौज येिो उस से युद्ध करो .कंपनी की फौज तनकल चुकी है . लेतकन सन 1856 में एक दु घफर्टना
में अजीि तसघ की मौि हो गयी .उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल तसंह "(1857 -
1900 )गद्दी पर बै ठा इसके बाद "तििमजीि तसंह राजा बना (1900 -1902 (.लेतकन अंग्रेज तकसी
कारि से उस से नाराज हो गए .और उसे गद्दी से उिार तसरोंज पररिार के एक युिक
"मदरूप तसंह "को राजा बना तदया तजसका नाम "बहादु र तसंह "रख तदया गया ( 1902 -1945
)अंगरे जों की इस मेहरबानी के तलए बहादु र तसंह ने अंगरे जी सरकार का धन्यिाद तदया और
कहा मैं िाइसराय का आभारी हाँ .मैं िादा करिा हाँ तक सरकार का िर्ादार रहाँ गा .मेरी यही
इच्छा है तक अंगरे जी सरकार के तलए लड़िे हुए ही मेरी जान तनकल जाये .

इसी अं गरे ज भक् गद्दार का लड़का "बलभद्र तसंह "हुआ जो तदल्जिजय का बाप है .बलभद्र का
जन्म 1914 में हुआ था और इसके बे र्टे तदल्जिजय का जन्म 28 र्रिरी 1947 को इन्दौर में हुआ था .

बलभद्र तसंह ने मध्य भारि (पू िफ मध्य प्रदे श )की तिधान सभा का चुनाि तहन्दू महा सभा की
तसर्ट से लड़ा था .और कांग्रेस के उम्मीदिार जादि को हराया था .सन 1969 में तदल्जिजय ने भी
नगर पातलका चुनाि कांग्रेस के तिरुद्ध लड़ा था .और जीि कर अध्यक्ष बन गया था . लेतकन
इमरजेंसी के दौरान तगरफ्तारी से बचने तलए जब तदल्जिजय अपने समाधी "अजुफन तसघ "के पास
गया िो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी .और कहा यतद जागीर बचाना है िो कांग्रेस में आ
जाओ .

इस िरह तदल्जिजय का पू रा िं श अिसरिाद ,खुशामद खोरी .और अंगरे जों सेिा करने लगा है
इसी कारि से जब तदल्जिजय उज्जैन गया था िो िहां के भाजयुमो के अध्यक्ष "धनञ्जय शमाफ "ने
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सबके सामने गद्दार करार तदया था .ओर सबू ि के तलए एक सी डी बी पत्कारों को बांर्टी थी
(पतत्का शुििार 22 जुलाई 2011 भोपाल )

2 -तदल्जिजय ने कांग्रेसी नेत्ी की हत्या करिायी !

अभी िक अतधकांश लोग इस बाि का रहस्य नही ं समझ पा रहे थे तक तदल्जिजय R .S .S और


तहदु ओ ं से क्यों तचढ़िा है .अभी अभी इसका कारि पिा चला है .यद्यतप यह घर्टना पुरानी है
.इसके अनु सार 14 र्रिरी 1997 को रि के करीब 11 बजे तदल्जिजय उसके भाई लक्ष्मि तसंह और
कुछ दु सरे लोगों ने "सरला तमश्रा "नामकी एक कांग्रेसी ने त्ी की कोई ज्वलन शील पदाथफ डाल
कर हत्या कर दी थी .और मतहला को उसी हालि में जलिा छोड़कर भाग गए थे .इिने समय
के बाद यह मामला समाज सेिी और बी जे पी के पू िफ पार्षफद महे श गगफ ने तर्र अदालि में
पहुं चा तदया है और सी .जे .एम् श्री आर .जी तसंह के समक्ष ,तदल्जिजय तसंह ,उसके भाई लक्षमि
तसंह ,ित्कालीन र्टी आई एस.एम् जैदी ,नायब िहसीलदार आर .के.िोमर ,िहसीलदार डी.के.
सत्पथी ,डा .योगीराज शमाफ .ऍफ.एस.एल के यूतनर्ट प्रभारी हर्षफ शमाफ और नौकर सुभार्ष के
ल्जखलार् भारिीय दं ड संतहिा की धारा 302 ,201 .212 ,218 ,120 बी ,और 461 अधीन मामला दजफ
करने के आदे श दे ने के तलए आिे दन कर तदया है .र्ररयादी महे श गगफ ने धारा 156 .3 यह भी
तनिे दन भी तकया है तक उक् सभी आरोतपयों के तिरुद्ध जल्दी कायफिाही तक जाये .इसपर सी.
जे. एम् महोदय ने सुनिाई की िारीख 28 जुलाई िय कर दी है .यही कारि है तक तदल्जिजय
सभी तहन्दु ओ ं का गातलयााँ दे िा है (दै तनक जागरि 23 जुलाई 2011 भोपाल ) हम सब जानिे है तक
आपसी तििाह सम्बन्ध करिे समय पररिार का खानदान दे खा जािा है .तनयोजक तकसी को
नौकरी दे िे समय आिे दक की पाररिाररक पृ ष्ठभूतम दे ख लेिे है .यहांिक जानिरों की भी नस्ल
दे खी जािी है .

तर्र गद्दारों की संिान गद्दार दे श भक् कैसे हो सकिे हैं .तिदे शी अं गरे जों के चमचे तिदे शी
सोतनया चमचातगरी क्यों न करे गा .ऐसा व्यल्जक् कुत्ते से भी बदिर है ,कुत्ता अपनो को नही ं
कार्टिा है .इसने िो कां ग्रेसी मतहला ने त्ी की तनदफ यिा पू िफक हत्या करा दी .
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आजादी के बाद भारिीय सेना की यह सबसे शमफनाक परीक्षा है,तजसमें थल


सेनाध्यक्ष के पद को सरकार दाग़दार कर रही है!!

Read in ENGLISH & HINDI .आजादी के बाद भारिीय सेना की यह सबसे शमफनाक
परीक्षा है, तजसमें थल सेनाध्यक्ष के पद को सरकार दाग़दार कर रही है !! English:

In our country the army has always been in an exalted position. It is the army that protects our
country. However, corruption has gripped the army. Several complaints and issues have come to
the fore, including that of low quality rations. Those alleged in the misappropriation and deceit
have been caught and punished too. Obtrusively, politicians were involved in most of the cases.
The recent controversy swirls around Army Chief General V.K. Singh’s date of birth (DoB).

Shri Kamal Tawri is a retired IAS officer. He is vice president of National Thinkers Forum
which is an NGO.

When he noticed ina newspaper, controversy regarding General V.K. Singh’s DoB, he
immediately filed an RTI on October 28, 2010. The RTI was sent to CPIO, Indian
Army integrated headquarter of Ministry of Defence Room no G-6, D-1 wing Sena Bhawan,
New Delhi.

He asked information about the present chief of Army General Vijay Kumar Singh and age of all
Lieutenant Generals who could appointed in place of General V.K. Singh as he is going to retire.
In its response a list was sent.

According to the list, General V.K. Singh, PVSM, AVSM, YSM, ADS birth date is February 7,
1951.

HIGH SCHOOL VERSUS NDA

General V.K Singh was born on 10th of May , 1951 in Fafoda village of Haryana. While
studying in Birla school Pilani General VK Singh decided to join army. It was the year of 1965
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and he was 15 years of age. The forms of NDA were filled. Several boys sat together and were
filling the forms a teacher was helping them to do so. It was a UPSC form .He mentioned birth
date as 10th May 1950 by mistake. Indeed, the form was sent. It was a provisional form. When
he received the high school certificate it was sent to UPSC. UPSC asked him that in his high
school certificate birth date is mentioned as 10th of May 1951. VK Singh sent clarification that
date mentioned in certificate is 10 May 1951. Indeed his clarification was accepted by UPSC. He
received a receipt of it.

VK Singh was selected in NDA and he passed out in the year 1970. IMA provided him an
Identity Card on which the date of birth was mentioned as 10 May 1951. General VK Singh
started his new life in army.

DISCLOSED ISSUE

With advent of year 2006 Major General V.K Singh received a letter which was signed by the
then Military Secretary Richard Khare in which he wrote that we have found that your birth date
has been mentioned in two ways . There is difference in record of Adjutant General Branch and
Military Secretary Branch. Adjutant General Branch is custodian branch in which it is mentioned
as 10 May 1951 and in Military Secretary Branch it is mentioned as 10th of May 1950.

General V.K Singh clarified that his birth date is 10th of May 1951. He sent his high school
certificate also for clarification. Military secretary branch wrote that it will take clarification
from Adjutant General Branch. Adjutant General Branch wrote to military secretary branch that
the date of birth of General V.K Singh is 10th of May 1951.

GENERAL J.J SINGH’s CONSPIRACY

During that time General J.J Singh was chief of Army staff. Files were sent to him for correction.
He passed an order that if you want to change birth date then it could be done within two years.

General J .J Singh played a trick here. He estimated no matter whether his birth year is 1950 or
1951 he will certainly be chief of Army staff. However if his birth date would be considered as
10 May 1951 then Leftinent General Bikram Singh could not be chief of Army staff. It is
coincidence that General J.J Singh is from Sikh community. And leftinent Genral Bikram Singh
is also from Sikh community.

PRESSURE OF GENERAL DEEPAK KAPOOR

After General J.J Singh, General Deepak Kapoor became chief of Army. He called VK Singh
and informed that due to his letter all files have been stopped due to your letter. I have seen all
the papers. I want to send it to law ministry I am your chief I am telling you not to stop
movement of files

Opinion of three Former Chief Justice of India


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General VK Singh is known as an honest officer. Till now there is no allegation on him except
that his date of birth mentioned in army and defense ministry is not same.

Justice JS verma wrote in his conclusion, “I therefore fail to appreciate how the MS branch or
anyone else can raise a controversy in this behalf or question the correctness of DoB of General
VK Singh recorded throughout by the AG branch as 10th of May 1951.”

On the other hand G.V Patnaik said , “it transpires that the Ministry of law which the appropriate
authority for giving legal opinion to other departments, has already opened to this effect that
Date of birth of the querist can only be 10th of May 1951 . I do not know on what basis the
learned Attorney Genral has given contrary opinion.”

Justice V.N Khare said , “ In view of the above it is my opinion that at this stage the correct
course of action would be to accept the DOB of the querist as found in the records of the AG
branch to be 10th May 1951 and make necessary changes where required.”

The fourth retired chief justice said that he agree to the opinions of all three former chief justice
and considers the opinion of Attorney General published in newspaper.

SOLUTION

Attorney General Vahanavati is already in web of suspicion in case of 2G spectrum case. He


forced to give altogether different opinion from law ministry. It is a conspiracy played by
politicians and IAS officials. Whether General VK Singh will fight against it or not is not
certain but in order to prove himself right he must move to the president where she can ask the
opinion of chief justice. Chief justice could himself look into this matter under section 143
permits and in the end general VK Singh could move to Supreme Court. If the decision of
Supreme Court would be in favour of General VK Singh then the only option left for Defence
Minister and Prime Minister would be to resign. It is a catch 22 situation for the government.

तहंदी :

दे श के िवोच्च न्यायालय में िेना और िरकार आमने -िामने हैं . आज़ादी के बाद भारतीय िेना
की यह िबिे शमानाक परीक्षा है , मजिमें थल िेनाध्यक्ष की िंथथा को िरकार दाग़दार कर रही
है . पहली बार िेनाध्यक्ष और िरकार के बीच मववाद का फैिला अदालत में होगा. मववाद भी
ऐिा, मजिे िुनकर दु मनया भर में भारत की हं िी उड़ रही है . यह मामला थल िेनाध्यक्ष
जनरल मवजय कुमार मिंह की जन्ममतमथ का है . इि मामले में एक पीआईएल िुप्रीम कोटा के
िामने है . वहां क्ा होगा, यह पता नहीं, लेमकन इि मववाद को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा
है , उिे िमझना ज़रूरी है . चौथी दु मनया ने इि मववाद पर तहक़ीक़ात की. क़रीब छह महीने
पहले हमने इि मववाद िे जुड़े िारे तथ्ों को िामने रखा, िारे दस्तावेज़ पेश मकए. िारे तथ्
और िबयत इि बात को िामबत करते हैं मक जनरल वी के मिंह की जन्ममतमथ 10 मई, 1951 है ,
लेमकन िरकार ने इि तथ् को ठु करा मदया और उनकी जन्ममतमथ 10 मई, 1950 मान ली.
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िरकार की इि मज़द का राज़ क्ा है . िरकार क्ों दे श के िवोच्च िेनामिकारी को बेइज़्ज़त


करने पर तुली है , जबमक यह बात मदन के उजाले की तरह िाा़फ है मक जनरल वी के मिंह
की जन्ममतमथ 10 मई, 1951 है . िाक्ष्य इतने पक्के हैं मक िुप्रीम कोटा के तीन-तीन भयतपयवा चीफ
जक्तस्टि ने अपनी राय जनरल वी के मिंह के पक्ष में दी है . इिके बावजय द अगर मववाद जारी
है तो इिका मतलब है मक दाल में कुछ काला है .

एक भ्रम फैलाया जा रहा है मक जनरल वी के मिंह ने ही अपनी जन्ममतमथ का मववाद उठाया


है . मीमिया झयठी ख़बर मदखा रहा है मक जनरल वी के मिंह अपनी जन्ममतमथ को बदलना
चाहते थे. यह मववाद जनरल वी के मिंह ने नहीं उठाया. हक़ीक़त यह है मक जनरल वी के
मिंह की जन्ममतमथ को लेकर कभी कोई मववाद ही नहीं था. जबिे वह िेना में आए, तबिे 36
िाल तक िेना के आमिकाररक दस्तावेज़ों, प्रोमोशन और हर जगह उनकी जन्ममतमथ 10 मई,
1951 ही है . जब जनरल वी के मिंह थल िेनाध्यक्ष बने , उि िमय ऐिी ख़बरें आम थीं मक दे श
भर में िेना की ज़मीन की लयट हो रही है . दे श के अलग-अलग इलाक़ों िे िेना की ज़मीनों
पर अवैि मनमाा ण या उनके मबक जाने की ख़बरें टीवी चैनलों और मप्रंट मीमिया में लगातार
आती थीं. िेना के अमिकारी और भय-माा़म फया ममलजुल कर इि काम को अंजाम दे रहे थे.
िुकना ज़मीन घोटाला िामने आया. इि घोटाले में पयवा मममलटर ी िे क्रेटरी लेक्तिनेंट जनरल
अविेश प्रकाश का नाम आया. उि वा़ि वह तत्कालीन िेना प्रमुख जनरल दीपक कपयर के
प्रमुख िलाहकारों में थे. िुकना ज़मीन घोटाले पर जनरल वी के मिंह ने अपनी ररपोटा दी.
लगा मक िेना की ज़मीन का िौदा करने वाले अमिकाररयों को िज़ा ममलेगी, लेमकन जनरल
कपयर ने ख़ुद िे कोई एक्शन नहीं मलया. हक़ीक़त यह है मक चंद िैन्य अमिकारी भय -
माा़म फयाओं के िाथ ममलकर िेना की ज़मीनों का बंदरबां ट कर रहे थे . वी के मिंह के आते
ही यह गोरखिंिा बंद हो गया. जनरल वी के मिं ह ने िेना की प्रमतष्ठा वापि मदलाई और
भ्रष्ट्ाचार को रोका. ऐिी क्ा बात है मक जनरल वी के मिंह की जन्ममतमथ का मववाद तब
उठाया गया, जब अविेश प्रकाश का नाम िु कना ज़मीन घोटाले में उजागर हुआ.

यह मववाद जनरल वी के मिंह ने नहीं, बक्ति मममलटर ी के िेक्रेटरी ब्रां च ने शुरू मकया है . वह
भी तब, जबमक जनरल वी के मिंह 36 िालों तक िेना को अपनी िेवाएं दे चुके थे . पयरे 36
िालों तक उनकी जन्ममतमथ 10 मई, 1951 ही रही. िवाल यह उठता है मक मकिी भी िैमनक
की जन्ममतमथ के ररकॉिा को रखने की मज़म्मेदारी मकिकी है और कौन िा ररकॉिा आमिकाररक
रूप िे मान्य है . क़ानयन के मुतामबक़, यह काम मममलटर ी की एिजयटैंट ब्रां च का है . िरकार को
दे श की जनता को यह बताना चामहए मक उिने एिजयटैंट ब्रां च के ररकॉिा को तरजीह क्ों नहीं
दी, जबमक यही आमिकाररक रूप िे मान्य है . िरकार की ऐिी क्ा मजबयरी है मक वह इि
मववाद में िेक्रेटरी ब्रां च की बात को िच मान रही है , मजिका काम अमिकाररयों का ररकॉिा
रखना नहीं है .
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कुछ लोग दलील दे रहे हैं मक उन्ोंने एनिीए के फॉमा में अपनी जन्ममतमथ 10 मई, 1950 दजा
कराई थी, इिीमलए उनकी जन्ममतमथ यह बताई जा रही है . हक़ीक़त यह है मक जब वह
एनिीए में शाममल हुए, तब उनकी उम्र 15 िाल थी. मतलब यह मक वह नाबामलग थे. मकिी
नाबामलग द्वारा भरे गए फॉमा का क़ानयन में कोई थथान नहीं है . क़ानयन के मुतामबक़, जब कोई
नाबामलग मकिी दस्तावेज़ को पेश करता है तो उिे पयाा प्त िबयत पेश करना पड़ता है . क़ानयन
की नज़र में जन्ममतमथ का िबिे बड़ा िबयत दिवी ं क्लाि का िमटा मफकेट माना जाता है .
जनरल वी के मिंह के हाईस्कयल िमटा मफकेट में उनकी जन्ममतमथ 10 मई, 1951 दजा है . जनरल वी
के मिंह का िमटा मफकेट दो-तीन िालों के बाद एनिीए में जमा मकया गया, क्ोंमक उि ज़माने
में स्कयल और कॉलेज के िमटा मफकेट बनने में इतना िमय लग जाता था. इिके बाद िे उनकी
जन्ममतमथ 10 मई, 1951 हो गई. 1997 में एिजयटैंट जनरल ब्रां च ने मलखकर मदया मक जनरल वी
के मिंह की जन्ममतमथ 10 मई, 1951 है . 2007 में भी एिजयटैंट जनरल ब्रां च ने मफर यह बताया
मक उनकी िही जन्ममतमथ 10 मई, 1951 है .

मीमिया में एक ख़बर फैलाई जा रही है मक जनरल वी के मिंह ने 24 जनवरी, 2008 को यह


मान मलया था मक उनकी जन्ममतमथ 10 मई, 1950 है . जबमक यह मामला कुछ और ही है . चौथी
दु मनया इि मववाद के पहले ही यह जानकारी दे चुका है मक तत्कालीन थल िेनाध्यक्ष दीपक
कपय र ने वी के मिंह पर यह दबाव िाला था मक वह एक िहममत पत्र मलखकर दें , नहीं तो
उनके मख़लाा़फ एक्शन मलया जा िकता है और जनरल वी के मिंह ने यह मलखकर दे मदया था
मक ऐज िायरे क्टे ि बाई चीफ ऑफ आमी स्टाफ, आई एक्सेप्ट. जनरल वी के मिंह का अंबाला
िे कलकत्ता टर ां िफर हो गया. उन्ोंने मफर चीफ ऑफ आमी स्टाफ को पत्र मलखा मक आपने
मुझे बुलाया, आपने मुझिे कहा मक आप मेरे मामले को क़ानयन मंत्रालय भे ज रहे हैं . आप पर
चीफ के नाते मेरा पयरा मवश्वाि है , लेमकन आपने वायदे के महिाब िे जो कहा था, वह नहीं
मकया. एमथकली और लॉमजकली यह िही नहीं है . चीफ ऑफ आमी स्टाफ ने वह पत्र रख
मलया, जवाब नहीं मदया. जब जनरल वी के मिंह ममलने गए तो जनरल दीपक कपयर ने कहा, मैं
कुछ नहीं करू ं गा, तुम चीफ बनना तो ख़ुद ठीक करा लेना अपनी जन्ममतमथ. जनरल वी के
मिंह चुपचाप वापि चले

आए. अब िरकार उिी पत्र को एक िबयत के रूप में पेश कर रही है .

िरकार की नाराज़गी की कई वजहें हैं . भारतीय िेना एक टर क का इस्ते माल करती है , मजिका
नाम है टे टरा टर क. भारतीय थलिेना टे टरा टर क का इस्तेमाल ममिाइल लां चर की तैनाती और
भारी-भरकम चीजों के टर ां िपोटे शन में इस्तेमाल करती है . इन टर कों का मपछला ऑिा र फरवरी,
2010 में मदया गया था, लेमकन ख़रीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की मशकायतें िामने आईं तो
आमी चीफ वी के मिंह ने इि िौदे पर मुहर लगाने िे इं कार कर मदया. भारत अथा मयविा
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मलममटे ि यानी बीईएमएल मलममटे ि को मजि वा़ि इन टर कों की आपयमता का ठे का ममला, तब


भारतीय िेना की कमान जनरल दीपक कपयर के हाथ में थी. मनयमों के मुतामबक़, हर िाल
आमी चीफ को इि िील पर िाइन करने होते हैं , लेमकन ररश्वतखोरी िे लेकर मानकों के
उल्लंघन तक की मशकायतों की वजह िे जनरल वी के मिंह ने िाइन नहीं मकए. क़ानयन के
मुतामबक़, टे टरा टर कों की ख़रीददारी िीिे कंपनी िे होनी चामहए, लेमकन बीईएमएल ने यह
ख़रीददारी टे टरा मिपॉक्स (ययके) मलममटे ि िे की, जो नतो स्वयं उपकरण बनाती है और न
उपकरण बनाने वाली कंपनी की िक्तिमियरी है . उपकरण बनाने वाली मयल कंपनी का नाम है
टे टरा मिपॉक्स एएि, जो स्लोवामकया की कंपनी है .

दरअिल, बीईएमएल द्वारा टे टरा टर कों की ख़रीद का पयरा मामला िंदेह के घेरे में है . एक अं ग्रेजी
अख़बार िीएनए के मुतामबक़, रक्षा मंत्रालय की ओर िे अभी तक मदए गए कुल ठे कों में भारी
िनरामश बतौर ररश्वत दी गई है . िीएनए के मुतामबक़, यह पयरा रै केट 1997 िे चल रहा है .
बीईएमएल में उच्च पद पर रह चुके एक पयवा अमिकारी के हवाले िे यह भी ख़बर आई मक
अभी तक कंपनी टे टरा टर कों की िील िे जुड़ा कुल 5,000 करोड़ रुपये तक का कारोबार कर
चुकी है . यह कारोबार टे टरा मिपॉक्स (ययके) मलममटे ि के िाथ मकया गया है . इिे स्लोवामकया
की टे टरा मिपॉक्स एएि की िक्तिमियरी बताया जाता रहा है . बीईएमएल के इि पयवा अमिकारी
के मुतामबक़, 5,000 करोड़ रुपये के इि कारोबार में 750 करोड़ रुपये बीईएमएल एवं रक्षा
मंत्रालय के अमिकाररयों को बतौर ररश्वत मदए गए. बात यहीं ख़त्म नहीं होती है . बीईएमएल
के एक शेयरिारक एवं वररष्ठ अमिविा के एि पे ररयास्वामी राष्ट्रपमत के हस्तक्षेप और िीबीआई
जां च की मां ग कर चुके हैं . वह कहते हैं , ख़रीद के मलए मजतनी रकम की मंजयरी दी जाती है ,
उिका कम िे कम 15 फीिदी महस्सा कमीशन में चला जाता है . ऊपर िे नीचे तक िबको
महस्सा ममलता है . मैंने 2002 में कंपनी की एजीएम में यह मुद्दा उठाया था, लेमकन इि पर चचाा
नहीं की गई. एक प्रमतमष्ठत मबजनेि अख़बार ने यहां तक मलखा मक बीईएमएल की टे टरा टर कों
की िील को कारगर बनाने में जुटी हमथयार मवक्रेताओं की लॉबी ने आमी चीफ को आठ
करोड़ रुपये की ररश्वत की पेशकश भी की थी, मजिे जनरल वी के मिंह ने ठु करा मदया.

टर कों की िंदेहास्पद िील को लेकर 8 मई, 2005 को मीमिया में ख़बर आई थी. िीएनए अख़बार
ने एक और ख़ुलािा मकया मक टे टरा मिपॉक्स (यय के) मलममटे ि की थथापना 1994 में मब्रटे न में
हुई थी. जोजफ ममजस्की और वीनि प्रोजेक्ट्ि मलममटे ि इिके शेयर होल्डर थे . स्लोवामकया
के न्याय मंत्रालय की आमिकाररक वेबिाइट के मुतामबक़, टे टरा मिपॉक्स एएि 1998 में अक्तस्तत्व
में आई. इिका मतलब यह हुआ मक 1997 में बीईएमएल ने ऐिी कंपनी की िक्तिमियरी के
िाथ िमझौता मकया, जो उि िमय अक्तस्तत्व में ही नहीं थी. टे टरा मिपॉक्स (ययके) की शेयर
होक्तल्डंग में कई बार बदलाव हुआ, लेमकन स्लोवाक कंपनी के पाि कभी इिका एक शेयर भी
नहीं रहा. बीईएमएल के चेयरमैन वी आर एि नटराजन के मुतामबक़, इं ग्लैंि के वेक्टरा ग्रुप के
पाि टे टरा कंपमनयों का स्वाममत्व है . वेक्टरा ग्रुप के चेयरमैन रमवंदर ऋमष हैं . वेक्टरा ग्रुप के
पाि ही टे टरा मिपॉक्स (यय के) का भी मामलकाना हक़ है . टे टरा चेक कंपनी के भी बहुमत शे यर
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वेक्टरा ग्रुप के पाि हैं . अब िवाल यह उठता है मक क्ा आमी चीफ पर इिमलए पद छोड़ने
का दबाव है , क्ोंमक उन्ोंने टे टरा िील पर दस्तख़त नहीं मकए थे? क्ा बीईएमएल िेकेंि हैं ि
टर कों का आयात कर रही है और क्ा स्लोवामकया में मैन्युफैक्चररं ग प्ां ट बंद हो गया है ? क्ा
पुराने टर कों की मरम्मत को घरे लय उत्पादन के तौर पर मदखाया जा रहा है ? रमवंदर ऋमष कौन
है , उिे इतने रक्षा िौदों का ठे का क्ों मदया जा रहा है ? इि लॉबी के मलए िरकार में काम
करने वाले लोग कौन हैं ? अगर िरकार इन िवालों का जवाब नहीं दे ती है तो इिका मतलब
यही है मक आमी चीफ को मठकाने लगाने के मलए माा़म फया और अमिकाररयों ने ममलजुल कर
जन्ममतमथ का बहाना बनाया है .

इिके अलावा जनरल वी के मिंह ने िेना के आिुमनकीकरण के मलए एक प्ान तैयार मकया, यह
प्ान मिफेंि मममनस्टर ी में लटका हुआ है . उन्ोंने इि बीच कई ऐिे काम मकए, मजनिे आम्सा
िीलरों और मबचौमलयों की नींद उड़ गई. मिंगापुर टे क्नोलॉजी िे एक िील हुई थी. इि कंपनी
की राइफल को टे स्ट मकया गया, उिके बाद जनरल वी के मिंह ने ररपोटा दी मक यह राइफल
भारत के मलए उपयु ु ि नहीं है . भारतीय िेना को नए और आिुमनक हमथयारों की ज़रूरत
है . इि ज़रूरत को दे खते हुए वह अगले एक-दो िालों में भारी मात्रा में िैन्य शस्त्र और नए
उपकरण ख़रीदने वाली है . ख़ािकर, भारत इि िाल भारी मात्रा में मॉिना अिॉल्ट राइफलें
ख़रीदने वाला है . भारत का िैन्य इमतहाि यही बताता है मक आम्सा िील के दौरान जमकर
घयिखोरी और घपलेबाज़ी होती है . जनरल वी के मिंह िेना के अस्त्र-शस्त्रों की ख़रीददारी में
पारदमशाता लाना चाहते हैं . वह एक ऐिा मिस्टम बनाना चाहते हैं , मजिमें िैमनकों को दु मनया
के िबिे आिुमनकतम हमथयार ममलें, लेमकन कोई मबचौमलया न हो और न कहीं मकिी को
दलाली खाने का अविर ममले. जबिे वह िेनाध्यक्ष बने हैं , तबिे भारतीय िेना पर कोई घोटाले
या भ्रष्ट्ाचार का आरोप नहीं लगा. भ्रष्ट्ाचार के जो पुराने मामले थे , उन्ें न मिा़फा मनपटाया गया,
बक्ति उन्ोंने आदशा जै िे घोटाले की जां च में एजेंमियों की मदद की. आदशा हाउमिं ग
िोिाइटी के ज़मीन घोटाले में जनरल वी के मिंह ने मुस्तैदी मदखाई. िेना की कोटा ऑफ
इनक्वायरी का गठन मकया, मजिमें दो पयवा िेनाध्यक्षों-जनरल दीपक कपयर और जनरल एन िी
मवज िमहत कई टॉप अमिकाररयों को मज़म्मेदार ठहराया गया. इन िबका नतीजा यह हुआ मक
आम्सा िीलरों की लॉबी, अमिकारी, ज़मीन माा़म फया और ऐिे कई िारे लोग जनरल वी के मिंह
के मख़लाा़फ लामबंद हो गए और उनकी जन्ममतमथ के मववाद को हवा दी.

जनरल वी के मिंह ने एक और काम मकया, मजिकी वजह िे अमिकाररयों को परे शानी हुई. यह
मामला जवानों की ययमनफॉमा यानी कपड़ों िे जु ड़ा है . पहले जो ययमनफॉमा िप्ाई होती थी, वह
आिे िे ज़्यादा लोगों को मफट नहीं होती थी. जवानों को उनकी माप के मुतामबक़ कपड़े नहीं
ममलते थे . उन कपड़ों को मफर िे मिलवाने की ज़रूरत पड़ती थी. जनरल वी के मिंह ने इिे
रोका. उन्ोंने फैिला मलया मक जवानों को ममलने वाले कपड़े अच्छी कंपनी के हों और हर
िैमनक की माप लेकर मिलाई हो. जनरल वी के मिंह ने एक और फैिला मलया, जो
अमिकाररयों को चुभ गया. उन्ोंने िेना में मीट की िप्ाई करने वाले मीट कारटे ल का
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िा़फाया कर मदया, वे लोग जो मीट िप्ाई करते थे , वह ठीक नहीं था. जनरल वी के मिंह ने
इिके मलए ग्लोबल टें िर की शुरुआत की, तामक दु मनया का िबिे बेहतर मीट िेना के जवानों
को ममले. जब जनरल वी के मिंह ने थल िेनाध्यक्ष का पद िंभाला, उि वा़ि भारतीय िेना
की िाख दां व पर लगी थी. िेना के कई घोटाले उजागर हो चुके थे. अब तक ईमानदार
िमझे जाने वाले इि महकमे को लोग शक की मनगाह िे दे खने लगे थे . िेना के लोग भी
दबी ज़ुबान में कहने लगे थे मक कुव्यवथथा की वजह िे उनकी क्तथथमत ख़राब होती जा रही है .
ऊपर िे पामकस्तान की तऱफ िे घुिपैमठयों का भारत में आना मनरं तर जारी था. दे श में
नक्सली हमले हो रहे थे. िरकार नक्समलयों के मवरुि िैन्य कारा वाई करने का मन बना रही
थी. मतलब यह मक जनरल वी के मिंह के िामने कई चुनौमतयां थीं. िेनाध्यक्ष बनते ही उन्ोंने
िेना में मौजयद भ्रष्ट्ाचार और माा़म फया तं त्र को ख़त्म करना शुरू कर मदया. लगता है , यह बात
नॉथा ब्लॉक और िाउथ ब्लॉक में बैठे अमिकाररयों को ख़राब लगी. दे श में िरकारी तंत्र कैिे
चल रहा है , यह एक स्कयली बच्चे को भी पता है . लगता है , दे श में जो ईमानदार और
आदशावादी लोग हैं , उनके मलए िरकारी तंत्र में कोई जगह नहीं रह गई है . उन्ें ईनाम ममलने
की जगह िज़ा दी जाती है और जलील मकया जाता है .

क्ा इि दे श में अलग-अलग नागररकों के मलए अलग-अलग क़ानयन हैं या मफर यह मान मलया
जाए मक इि दे श को माा़म फया िरगना और िरकार में बैठे उनके दलाल चला रहे हैं . पयरे
दे श की जनता एक ऐिे मघनौने वाक्े िे रूबरू हो रही है , मजिे दे खते हुए यह कहा जा
िकता है मक मपछले िात िालों में मजि तरह दे श में िंवैिामनक और राजनीमतक िंथथानों की
बबाा दी हुई है , वैिी पहले कभी नहीं हुई. है रानी की बात यह है मक िरकार एक तऱफ यह
कह रही है मक थल िेनाध्यक्ष झयठ बोल रहे हैं और दय िरी तऱफ वह उनिे िील भी करती है
मक उन्ें मकिी दे श का राजदय त या मकिी राज्य का गवनार बना मदया जाएगा. यही नहीं, यह
िमकी भी दी जा रही है मक अगर वह कोटा गए तो उन्ें िेनाध्यक्ष के पद िे बा़खाा स्त कर
मदया जाएगा. जनरल वी के मिंह को कोटा जाने का पयरा अमिकार है , क्ोंमक यह मामला मिा़फा
जनरल वी के मिंह का नहीं है , यह उनकी जन्ममतमथ के मववाद का मामला नहीं है , यह मामला
दे श के िवोच्च थलिेना अमिकारी नामक िंथथा िे जुड़ा है . िरकार मजि तरह इि िंथथा पर
कीचड़ उछाल रही है , वह इि दे श के नागररक-िैन्य ररश्ते , प्रजातंत्र और भमवष् के मलए
घातक है . एक िच्चे िैमनक को हर हाल में लड़ने के मलए तैयार रहना चामहए. इिमलए
जनरल वी के मिंह को ख़ुद के मलए नहीं, बक्ति इि िंथथा की गररमा बचाने के मलए कोटा में
जाना चामहए. अगर वह नहीं गए तो इिका मतलब यही है मक दे श के मामफया, अमिकारी
और नेता जब चाहें , मगरोह बनाकर भमवष् के िेनाध्यक्षों को नीचा मदखा िकते हैं , उन्ें मनचाहा
काम कराने के मलए मजबयर कर िकते हैं . जनरल वी के मिंह लड़ रहे हैं , यह अच्छी बात है .
हो िकता है , भमवष् में मकिी दय िरे ईमानदार िेनाध्यक्ष के िाथ मफर ऐिा हो, लेमकन वह
जनरल वी के मिंह की तरह लड़ भी न िके.
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श्री रामसेिु ध्वस्त प्रोजेक्ट् के पीछे की भयानक गहराई (िुस्टीकरि मूल हेिु नही ं
िो िो तसर्फ आड़पे दाश है ) - राज बु रानपुरी.

श्री रामसेिु ध्वस्त प्रोजेक्ट् के पीछे छु पी भयानक गहराई (िुस्टीकरि मूल हेिु नही ं िो िो तसर्फ
आड़पेदाश है ) - राज बुरानपुरी.

क्ा आप जानते है रामिेतु तोड़ने के इरादों के पीछे मिफा तुस्टीकरण नहीं था जी हा पर


उिका िाइि एफ्फेक्ट जरुर था वो भी मुफ्त में.. हकीकत क्ा है इिके पीछे आइये
जाननेकी कोमशश करे : पयरा मवश्व आज उजाा की बढती मां ग की मार जेल रहा है ,एिेमें
वाजपयी िरकारने दो बोम्ब ब्लास्ट मकये और जवाब में अमेररका ने हमारी कंपमनयो के उनके
बाज़ार में एक्सपोटा पर पाबंिी लगादी रे मियो एक्तक्टव युरेमनयम पर तो इं मदरा िरकार के िमय
िे पाबंिी थी. मफर अचानक अमेररका इतना दररयामदल केिे हुआ दोस्ती के नामिे की हमारे
दे श में अणुउजाा के मलए अग्रीमेंट पेश मकया उिके दु िरे
हजारो कारन आप जानते होगे पर जो िबिे अहम्
है वो है "रामिेतु ", अब आप कहोगे क्ा बकवाि
है रामिेतु मबचमे कहा िे आया ??? तो दोस्तों ये
१७,५०,००० िालो िे भारत श्रीलंका के मबचमे
मवध्यमान है ही ..! और उजाा के िन्दभा में केिे
मबच में आया तो येभी रोचक जानकारी है .अंग्रेजी
पालामेंट के ररपोटा अनुिार िन १४८० के िाल में
एक भयानक िुनामी आया था मजिमे ये श्री रामिेतु
िमंदर के मनचे चला गया.उिके पहले तक मजिका
व्यापाररक उपयोग ३००० िाल तक दोनों तरफ के लोगो
ने मकया भारत िे कपिा जाता था और श्रीलंका िे काली ममचा और पत्ता आता था.

अब इन सबके पीछे बाि कुछ गहरी है , हमारे मवज्ञानी मपछले कई िालो िे ये खोजनेमे लगे है
की युरेमनयम के अमतररि और कोनिा हमारे पाि रे मियो एक्तक्टवे इं िन है मजििे बम्ब और
मबजली बना िके.और आप जानते होगे की हमारा जो "एर्टोतमक एनेजी कतमसन" है उिमे
६००० मवज्ञानी इिी काम में मपछले चालीि िालो िे लगे हुए है ;उन तिज्ञातनयो को पिा चला
की भारि में ितमलनाडु के समुद्री प्रदे श में एक एसा रे तडयो एल्जक्ट्ि इं धन है तजससे अगले १५०
सालिक लगािार तबजली बनायी ं जा सकिी है और िो रे तडयो एल्जक्ट्ि इं धन का हम उपयोग करना
सुरु कर दे िो तकसीभी दे श के सामने हाथ फैलाने की जरुरि नही ं है .
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हमारे पयवा राष्ट्रपमत अब्दु ल कलामजी एिी िोच रखते थे की अमेररका िे युरेमनयम की भीख
मां गने िे अच्छा है की भारत िे उपलब्ध इं िन का उपयोग मकया जाये और हमारे पाि एिे
कुछ एिे रे मियो एक्तक्टव इं िन है . कम िे कम पां च एिे तत्वों का पता चला है और उिमे
एक तत्व तो एिा पाया गया है की १५० साल िक ४ लाख मेगािोर्ट तबजली हर घंर्टे बनायी ं जा
सकिी है ये बात पयवा राष्ट्रपमत अब्दु ल कलामजीने व्यक्तिगत तौर पर श्री राजीव दीमक्षत को मदल्ली
में कही थी तो िामने राजीव जी ने अपने स्वभाव के अनुिार कहा की ये बात खुल के जनता
में कहे ते क्ों नहीं तो जवाब ममला ररटायर होने के बाद कहुगा जब तक ित्ता में हु तबतक
नहीं कह िकता क्ुकी प्रिानमंत्री नहीं चाहते और उन्ोंने ररटायर होने के बाद अपना पहला
इं र्टरव्यू इं तडयन एक्सप्रेस को तदया तजसमे शेखर गुप्ता से ढाई घंर्टेके इं र्टरव्यू में कहा हमें अमेररका
से १ ग्राम भी युरेतनयम लेनेकी जरुरि नही ं है अगर हम इं धन बनाये िो अगले १५० साल चल सकिा
है.

अब अमेररका की नजर हमारे उि इं िन पर पड़ी है वो चाहता है भारत िरकार उनको


हमारा ये इं िन दे और बदलेमे अमेररकी िरकार उनको थोिा बहोत युरेमनयम दे गी ये है खेल
.अब जामनए इि खेल को पयरा करने के मलए वो इं िन कहा है तो वो वही जगह है मजिे
आप श्री रामिेतु कहते है जो िाढ़े मतन ममल चौढा और पेंमतश ममल लम्बा है . अब िैज्ञातनको
ने जो पिा लगाया है की ये जो श्री रामसेिु जहा पर है समुद्र की िलेर्टी में िही पर सबसे ज्यादा
रे तडयो एल्जक्ट्ि इं धन है ,तो अब ये रे मियो एक्तक्टव इं िन चामहए मकिको ? अमेररका को.. और
ये तभी िंभव है जब ये श्री रामिेतु तोिा जाये .और हमारी मनमोहन िरकार इिके मलए
बहोत बेताब है इिे तोड़कर बेचने के मलए अब बताईये ये कहना गलत है की मनमोहन
अमेररकी एजेंट है जो हमारी िरकार में बेठा है जबिे इिने वल्डा बैंक में काम मकया है और
उनके ित्ता में आने की आगाही वल्डा बैंक/आई.ऍम.ऍर्फ. ने १ िाल पहले की थी.और ये
एजेंट चाहता है की वो गद्दी िे उतरे उिके पहले ये श्री रामिेतु टय ट जाये और तभी वहा िे
रे मियो एक्तक्टव मटे ररअल मनकलेगा जो इिे अमेररका मभजवाना है और बदले में अमेररका थोिा
बहोत युरेमनयम दे गा एिा अग्रीमेंट है .

आपको शायद मालयम होगा की जो िनुषकोमट एररया है वहा पर िात प्रकार के रे मियो
एक्तक्टव तत्व है एिा मवज्ञामनयों का कहना है जो १५० िाल तक मनकले जाने पर भी ख़तम
होने वाला नहीं है . अब इसको लुंर्टनेमें मनमोहन तसंह को एक सहयोगी तमल गया तजसका नाम है
"करुनातनतध" तजन्ोंने राम के होने न होने और राम कोनसी इं जीतनयररं ग कॉलेज में गए थे जेसी
बकिास करिे रहिे थे घौर कीतजयेगा ये तसर्फ हमारे दे श में ही संभि है जहा के तहन्दु ओ का खून
पानी है .

अब पयरा खेल यह है की िाढ़े ित्रह लाख िाल पुराना यह रामिेतु पु ल तोड़ कर रमियो
एक्तक्टव इं िन अमेररका को बेचा जाये और इिके मलए कंपनी भी बनायीं गयी है मजिमे पाटा नर
है करूणामनमि और टी.आर.बालय. र्टी.आर.बालू जो उस िक् तशतपंग तमतनस्टर(२००४-२००९)
थे . तो जब इनकी ये कंपनी कहती है पु ल तोड़ कर जो कचरा मनकलेगा उिको इकठ्ठा कर
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कर कही कही भेज दें गे तो आपको जयठ बताया जाता है की ये कचरा है ये रे मियो एक्तक्टव
मटे ररअल को कचरा बता कर भेजना नहीं बेचना चाहते है और इिका िौदा ये िब ममलके
खाना चाहते है .अब ये खेल को हम महन्दु स्तानी िमज जाये और कभी श्री रामिेतु टय टने न
मदया जाये. क्ा रामिेतु,हर रोज होने वाले स्कैम ,और हमिे , इि दे श िे ताल्लुक रखने वाली
हर बात का मजम्मा मिफा माननीय िुब्रमण्यम स्वामी पर है ?? और कुछ नहीं तो उनको खुल्ला
िहयोग तो दे मह िकते हो !! - by Raj Buranpuri.

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FYI : The sea separating India and Sri Lanka is called Sethusamudram meaning "Sea of the
Bridge". Maps prepared by a Dutch cartographer in 1747, available at the Tanjore Saraswathi
Mahal Library show this area as Ramancoil, a colloquial form of the Tamil Raman Kovil (or
Rama's Temple).[9] Another map of Mughal India prepared by J. Rennel in 1788 retrieved from
the same library called this area as "the area of the Rama Temple", referring to the temple
dedicated to Lord Rama at Rameswaram. Many other maps in Schwartzberg's historical atlas and
other sources such as travel texts by Marco Polo call this area by various names such as
Sethubandha and Sethubandha Rameswaram.

The western world first encountered it in "historical works in the 9th century" by Ibn
Khordadbeh in his Book of Roads and Kingdoms (ca. 850 CE), referring to it is Set Bandhai or
"Bridge of the Sea". Later, Alberuni described it. The earliest map that calls this area by the
name Adam's bridge was prepared by a British cartographer in 1804.

Geological Survey of India (GSI) carried out a special programme called “Project
Rameswaram” that concluded that age data of corals indicate that the Rameswaram island
has evolved since 125,000 years ago.

The government of India constituted nine committees before independence, and five committees
since then to suggest alignments for a Sethusamudram canal project. Most of them suggested
land-based passages across Rameswaram island and none suggested alignment across Adam's
bridge. The Sethusamudram project committee in 1956 also strongly recommended to the Union
government to use land passages instead of cutting Adam's bridge because of the several
advantages of land passage.

Here i quote translation of one chant :

"Then the gods, Gandharvas, Siddhas (living beings superior to humans) and supreme Rishis
(great sages) assembled in the sky, eager to see that masterpiece, and the gods and Gandharvas
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gazed on that causeway, so difficult of construction, that was ten leagues* in width and a
hundred in length built by Nala.

*leagues = An obsolete unit of distance of variable length (usually 3 miles) !!

Questions to Government

1. Why was the route of Metro passing 'close' Qutub Minar in New Delhi was abandoned and
later reworked fearing prospective damages to this 815 years man made monument?
2. Why the project of Taj corridor (which would have made lot of dollars to our money minded
govt) was put off after the hue and cry of environmentalists as the construction near Taj 'may'
cause bad effect on this 359 years old man made monument. Please give attention here that
these monuments were not going to be destroyed but were 'feared' to get damaged.
3. Will any government in China would destroy or even alter The great wall of China(2695 years
old) for the sake of any amount of money?
4. Will any one allow pulling down 4507 years old Pyramids of Egypt in lieu of any uncountable
amount of money?

If the answer is NO, then why this 17,25,000 years old man made monument is being destroyed
for the sake of some coins?

Ram Setu (Sethu) Destruction Status {this destruction info. from Official Setusamudram
Project Government Website}

Date Destruction Status

Sept 17, 2007 24.76%

Sept 11, 2007 24.47%

Sept 5, 2007 23.65%

Aug 31, 2007 23.11%

Aug 27, 2007 22.53%

Aug 2, 2007 19.46%

July 28, 2007 17.57%


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*** भारि के कानून ****::: Indian Education Act * @ ये है तहं दुस्तान मेरी
जान

Indian Education Act * - 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इिकी िराक्तिंग लोिा
मैकोले ने की थी। लेमकन उिके पहले उिने यहाूँ (भारत) के मशक्षा व्यवथथा का िवेक्षण
कराया था, उिके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के मशक्षा व्यवथथा के बारे में अपनी ररपोटा दी
थी। अंग्रेजों का एक अमिकारी था G.W.Litnar और दय िरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग
अलग इलाकों का अलग-अलग िमय िवे मकया था। 1823 के आिपाि की बात है ये Litnar ,
मजिने उत्तर भारत का िवे मकया था, उिने मलखा है मक यहाूँ 97% िाक्षरता है और Munro,
मजिने दमक्षण भारत का िवे मकया था, उिने मलखा मक यहाूँ तो 100 % िाक्षरता है , और उि
िमय जब भारत में इतनी िाक्षरता है और मैकोले का स्पष्ट् कहना था मक भारत को हमेशा-
हमेशा के मलए अगर गुलाम बनाना है तो इिकी दे शी और िां स्कृमतक मशक्षा व्यवथथा को पयरी
तरह िे ध्वस्त करना होगा और उिकी जगह अं ग्रेजी मशक्षा व्यवथथा लानी होगी और तभी इि
दे श में शरीर िे महन्दु स्तानी लेमकन मदमाग िे अं ग्रेज पैदा होंगे और जब इि दे श की
ययमनवमिाटी िे मनकलेंगे तो हमारे महत में काम करें गे और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर
रहा है "मक जैिे मकिी खेत में कोई फिल लगाने के पहले पयरी तरह जोत मदया जाता है
वैिे ही इिे जोतना होगा और अंग्रेजी मशक्षा व्यवथथा लानी होगी।" इिमलए उिने िबिे पहले
गुरुकुलों को गैरकानयनी घोमषत मकया, जब गुरुकुल गैरकानयनी हो गए तो उनको ममलने वाली
िहायता जो िमाज के तरफ िे होती थी वो गैरकानयनी हो गयी, मफर िं स्कृत को गैरकानयनी
घोमषत मकया और इि दे श के गुरुकुलों को घय म घयम कर ख़त्म कर मदया उनमे आग लगा दी,
उिमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उिने मारा-पीटा, जे ल में िाला। 1850 तक इि दे श में 7 लाख
32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उि िमय इि दे श में गाूँ व थे 7 लाख 50 हजार, मतलब
हर गाूँ व में औितन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो िब के िब आज की भाषा
में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन िबमे 18 मवषय पढाया जाता था, और ये गुरुकुल
िमाज के लोग ममल के चलाते थे न मक राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में मशक्षा मनिःशुि
दी जाती थी। इि तरह िे िारे गुरुकुलों को ख़त्म मकया गया और मफर अंग्रेजी मशक्षा को
कानयनी घोमषत मकया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कयल खोला गया, उि िमय इिे फ्री
स्कयल कहा जाता था, इिी कानयन के तहत भारत में कलकत्ता ययमनवमिाटी बनाई गयी, बम्बई
ययमनवमिाटी बनाई गयी, मद्राि ययमनवमिाटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के
ययमनवमिाटी आज भी इि दे श में हैं और मैकोले ने अपने मपता को एक मचट्ठी मलखी थी बहुत
मशहूर मचट्ठी है वो, उिमें वो मलखता है मक "इन कॉन्वेंट स्कयलों िे ऐिे बच्चे मनकलेंगे जो
दे खने में तो भारतीय होंगे लेमकन मदमाग िे अंग्रेज होंगे और इन्ें अपने दे श के बारे में कुछ
पता नहीं होगा, इनको अपने िंस्कृमत के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के
बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालयम होंगे, जब ऐिे बच्चे होंगे इि दे श
में तो अंग्रेज भले ही चले जाएूँ इि दे श िे अंग्रेमजयत नहीं जाएगी" और उि िमय मलखी
मचट्ठी की िच्चाई इि दे श में अब िार्फ-िार्फ मदखाई दे रही है । और उि एक्ट की ममहमा
दे क्तखये मक हमें अपनी भाषा बोलने में शमा आती है , अंग्रेजी में बोलते हैं मक दय िरों पर रोब
पड़े गा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं मजिे अपनी भाषा बोलने में शमा आ रही है , दय िरों
पर रोब क्ा पड़े गा।
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लोगों का तका है मक अं ग्रेजी अं तराा ष्ट्रीय भाषा है , दु मनया में 204 दे श हैं और अंग्रेजी मिफा 11
दे शों में बोली, पढ़ी और िमझी जाती है , मफर ये कैिे अंतराा ष्ट्रीय भाषा है । शब्दों के मामले में
भी अंग्रेजी िमृि नहीं दररद्र भाषा है । इन अंग्रेजों की जो बाइमबल है वो भी अंग्रेजी में नहीं
थी और ईशा मिीह
अंग्रेजी नहीं बोलते थे।
ईशा मिीह की भाषा
और बाइमबल की भाषा
अरमेक थी। अरमेक
भाषा की मलमप जो थी
वो हमारे बंगला भाषा
िे ममलती जुलती थी,
िमय के कालचक्र में
वो भाषा मवलुप्त हो
गयी। िंयुि राष्ट् िंघ
जो अमेररका में है वहां
की भाषा अंग्रेजी नहीं
है , वहां का िारा काम
फ्रेंच में होता है । जो
िमाज अपनी मातृभाषा िे कट जाता है उिका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की
रणनीमत थी।
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ये सच्चाई भी बहोि कड़िी होिी है दोस्तो...क्या तर्र से गलिी का आं कलन


पचास साल बाद होना है ? जैसे आजादी के पचास साल बाद हुआ।

नहीं-नहीं अन्ना (&कम्पनी) तुम ग…….. नहीं हो िकते

आज िे एक िाल पहले तक हमें नहीं पता था ! मक जन लोकपाल मबल क्ा है ? एक िाल


भी पयरा नहीं; कुछ ही महीने कहो। हम केवल इतना जानते थे कोई अन्ना हजारे हैं जो महाराष्ट्र
में िमाज िेवी हैं । और िरकार िे टकराते रहते हैं । अन्ना(& कंपनी) में िे एकाि को
िीररयल के कारण या ियचना के अमिकार के कारण केवल नाम िे जानते थे। बामकयों का तो
कभी नाम भी नहीं िुना था।

हमें प...ता लगा ; बाबा रामदे व जंतर-मंतर मदल्ली में भ्रष्ट्ाचार के मवरुि एक प्रदशान कर रहे
हैं , अचानक पता लगा मक इिमें “अन्ना हजारे (& कंपनी)” भी भाग लेंगे। ये दो-तीन नाम ऐिे
थे मजन पर दे श के लोगों को मवश्वाि था, इििे बड़ी ख़ुशी हुयी। तभी हमें पता लगा मक जन
लोकपाल मबल क्ा है । आपके "अप्रेल के अनशन" में "भारत स्वामभमान" के कायाकताा ओं ने
बढ़-चढ़ कर महस्सा मलया क्ोंमक इन्ें बाबा रामदे व मपछले पां च िाल िे अपने योग मशमवरों के
माध्यम िे दे शभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे और व्यवथथा पररवतान के आन्दोलन की जड़ें मजबयत
कर रहे थे; मजििे नई आजादी आिानी िे ममल िके। लेमकन ! जब आपके तेवर वहां बदल
गए; और भारत स्वामभमान के कायाकताा ओं को कोई महि नहीं मदया गया, उििे भी बड़ी बात;
अनशन तोड़ने के बाद जो नए नाम जनता को और िुनाई मदए ! तो माथा ठनका ! और
दाल में काला नजर आने लगा ।

हम भारत स्वामभमान वालों का आन्दोलन है ; िम्पयणा व्यवथथा पररवतान का। मजिमे अंग्रेजों के
द्वारा "िशता" दी गयी आजादी, उनके द्वारा लागय 34735 कानयन, उनके द्वारा लागय शैमक्षक कोिा
और व्यवथथा,उनकी बनायीं न्याय और कानयन व्यवथथा,उनका बनाया तंत्र, और भी जो कुछ
उन्ोंने भारतीयों का "स्वामभमान" िमाप्त करने के मलए मकया था; वह िब बदलना। अन्ना !
(&कंपनी) आपने शायद न दे खा हो; हम तो 2003 िे बाबा रामदे व जी को आथथा चैनल पर
दे ख रहे हैं और जब िे "भारत स्वामभमान टर स्ट" बना है उिके िदस्य भी हैं । दे श के जो
लोग िंस्कार हीन हो गए थे उनके िंस्कार जगाने का काम बाबा जी ने मकया है ; लोग अस्वथथ
रहने के और दवा- दारू के आमद हो चुके थे उन्ें स्वास्थ्य का महि बाबा जी ने ही बताया
और स्वथथ रहने का तरीका बताया। और िबिे बड़ी बात ये बताई और अहिाि कराया मक
आजादी के 60 वषों के बाद भी भारत गुलामी िे उबरा नहीं है ;अमपतु और बुरी क्तथथमत में है ।
उन्ोंने ही बताया मक "भारत के भ्रष्ट्ों का 300 लाख करोड़" रुपया मवदे शी बैंकों में जमा है ।
100 लाख करोड़ तो यहीं भारत में ही जमा है । बाबा जी ने ही िमझाया है मक ये इतना
रुपया है मक एक-एक गाूँ व को 100 करोड़ रुपया ममल िकता है । उन्ोंने ही बड़े नोट(
करें िी) बंद करने की मां ग की, और इिके मलए लोगों को िमझाया। स्वदे शी का महि और
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मवदे शी की लयट उन्ोंने ही िमझाई। िमझाई ही नहीं अमपतु मवदे शी कम्पमनयों िे मुकाबले के
मलए स्वदे शी िामान भी उपलब्ध कराया । आयुवेद का महि तो दु मनया भयल ही चुकी थी उिे
भी बाबा जी और बालकृष्ण जी ने ही प्रमतष्ठामपत मकया और अन्ना (&कंपनी) ! जन लोकपाल
मबल को भी बाबा ने अपने मुद्दों में शाममल मकया, ये जानते हुए भी; मक "इि व्यवथथा में कोई
भी कानयन बन जाये िफल नहीं होगा"। केवल इिमलए; मक आन्दोलन दो मदशाओं में न भटके,
जैिा मक िरकार चाहती थी।

पर बड़ा आिया है अन्ना(&कंपनी) ! आपने एक बार भी व्यवथथा पररवतान की बात नहीं की।
कभी मवदे शी कम्पमनयों के मवरोि की बात नहीं की,कभी भी मवदे शों में जमा िन की बात नहीं
की, कभी भी कु व्यवथथाओं की बात नहीं की, कु िंस्कारों की बात नहीं की; क्ों ? इििे हमारे
मन में भ्रम पैदा हो रहा है । मक ये उिी तरह तो नहीं हो रहा जैिे क्राक्तन्तकाररयो के िाथ
कां ग्रेि(अंग्रेजों की ममलीभगत िे) ने मकया। नहीं-नहीं अन्ना (&कम्पनी) तुम गलत नहीं हो
िकते । इतने बड़े व्यवथथा पररवतान के आन्दोलन को 'केवल एक जन लोकपाल मबल "कानयन
मात्र" के मलए' भटकाने का कलंक आपने माथे नहीं ले िकते। तु म उन शक्तियों के हाथों में
मोहरे नहीं बन िकते जो भारत का स्वामभमान जागना नहीं दे ख िकते। तुम मवदे शी कम्पमनयों
के षड्यंत्रों में शाममल नहीं हो िकते। तु म िरकार(भ्रष्ट्ों) की इच्छा पयमता नहीं कर िकते ?अन्ना
(&कंपनी) तु म आज के भ्रष्ट् मीमिया का मोहरा नहीं बन िकते ; मजन पर मवदे शी कम्पमनयों
और पािात्य मानमिकता के लोगों का कब्जा है ।

पर ; न जाने क्ों ? मवश्वाि नहीं होता । न तुम्हारे मवचार ही हमने ऐिे िुने, न कोई गमतमवमि
हमने ऐिी दे खी मक आपने कभी "नई आजादी नई व्यवथथा" का जो आन्दोलन बाबा रामदे व
ने चलाया है उिका िमथान मकया हो। शायद ही आप में िे मकिी ने भी आज तक आथथा
चैनल पर भारत स्वामभमान का जनजागरण (योग मशमवरों को) दे खने के मलए िुबह जल्द
उठने की ज़हमत उठाई हो ।

लेमकन क्ा करें ? आप और कोई भी स्वतन्त्र है कुछ भी करने को । िही का पता तो तभी
चल जाता है ; लेमकन गलती का आं कलन पचाि िाल बाद होता है । जैिे आजादी के पचाि
िाल बाद हुआ। तब भी जनता की जागरूकता को भ्रामक आजादी की ओर मोड़ मदया गया
था और व्यवथथा कुछ लोगों ने अपने और खानदानो के राज करने के मलए बनवा ली थी
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माले गांि बमकां ड के संदेह में तगरफ्तार साध्वी प्रज्ञा तसं ह ठाकुर िारा नातसक
कोर्टफ में तदये गये शपथपत् पर आधाररि.

||बहन प्रज्ञा की माममाक दशा : एक िाध्वी को महन्दय होने की िजा और मकतनी दे र तक||
बहन प्रज्ञा की िचाई अवश्य पढ़े |

मैं िाध्वी प्रज्ञा चंद्रपाल मिंह ठाकुर, उम्र-38 िाल, पेशा-कुछ नहीं, 7 गंगा िागर ...अपाटा मेन्ट,
कटोदरा, ियरत,गुजरात राज्य की मनवािी हूं जबमक मैं मयलतिः मध्य प्रदे श की मनवामिनी हूं . कुछ
िाल पहले हमारे अमभभावक ियरत आकर बि गये . मपछले कुछ िालों िे मैं अनुभव कर रही
हूं मक भौमतक जगत िे मेरा कटाव होता जा रहा है . आध्याक्तत्मक जगत लगातार मुझे अपनी
ओर आकमषात कर रहा था. इिके कारण मैंने भौमतक जगत को अलमवदा करने का मनिय
कर मलया और 30-01-2007 को िंन्यामिन हो गयी.

जब िे िन्यामिन हुई हूं मैं अपने जबलपुर वाले आश्रम िे मनवाि कर रही हूं . आश्रम में मेरा
अमिकां श िमय ध्यान-िािना, योग, प्राणायम और आध्याक्तत्मक अध्ययन में ही बीतता था. आश्रम
में टीवी इत्यामद दे खने की मेरी कोई आदत नहीं है , यहां तक मक आश्रम में अखबार की कोई
िमुमचत व्यवथथा भी नहीं है . आश्रम में रहने के मदनों को छोड़ दें तो बाकी िमय मैं उत्तर
भारत के ज्यादातर महस्सों में िाममाक प्रवचन और अन्य िाममाक कायों को िंपन्न कराने के मलए
उत्तर भारत में यात्राएं करती हूं . 23-9-2008 िे 4-10-2008 के दौरान मैं इं दौर में थी और यहां
मैं अपने एक मशष् अण्णाजी के घर रूकी थी. 4 अक्टय बर की शाम को मैं अपने आश्रम
जबलपुर वापि आ गयी.

7-10-2008 को जब मैं अपने जबलपुर के आश्रम में थी तो शाम को महाराष्ट्र िे एटीएि के


एक पुमलि अमिकारी का फोन मेरे पाि आया मजन्ोंने अपना नाम िावंत बताया. वे मेरी
एलएमएल फ्रीिम बाईक के बारे में जानना चाहते थे . मैंने उनिे कहा मक वह बाईक तो मैंने
बहुत पहले बेच दी है . अब मेरा उि बाईक िे कोई नाता नहीं है . मफर भी उन्ोंने मुझे
कहा मक अगर मैं ियरत आ जाऊं तो वे मुझिे कुछ पयछताछ करना चाहते हैं . मेरे मलए तुरंत
आश्रम छोड़कर ियरत जाना िंभव नहीं था इिमलए मैंने उन्ें कहा मक हो िके तो आप ही
जबलपुर आश्रम आ जाईये , आपको जो कुछ पयछताछ करनी है कर लीमजए. लेमकन उन्ोंने
जबलपुर आने िे मना कर मदया और कहा मक मजतनी जल्दी हो आप ियरत आ जाईये . मफर
मैंने ही ियरत जाने का मनिय मकया और टर े न िे उज्जैन के रास्ते 10-10-2008 को िुबह ियरत
पहुं च गयी. रे लवे स्टे शन पर भीमाभाई पिरीचा मुझे लेने आये थे . उनके िाथ मैं उनके
मनवािथथान एटाप नगर चली गयी.

यहीं पर िुबह के कोई 10 बजे मेरी िावंत िे मुलाकात हुई जो एलएमएल बाईक की खोज
करते हुए पहले िे ही ियरत में थे . िावंत िे मैंने पयछा मक मेरी बाईक के िाथ क्ा हुआ
और उि बाईक के बारे में आप पिताल क्ों कर रहे हैं ? श्रीमान िावंत ने मुझे बताया मक
मपछले िप्ताह मितंबर में मालेगां व में जो मवस्फोट हुआ है उिमें वही बाईक इस्तेमाल की गयी
है . यह मेरे मलए भी मबिुल नयी जानकारी थी मक मेरी बाईक का इस्ते माल मालेगां व िमाकों
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में मकया गया है . यह िु नकर मैं िन्न रह गयी. मैंने िावंत को कहा मक आप मजि
एलएमएल फ्रीिम बाईक की बात कर रहे हैं उिका रं ग और नंबर वही है मजिे मैंने कुछ
िाल पहले बेच मदया था.

ियरत में िावंत िे बातचीत में ही मैंने उन्ें बता मदया था मक वह एलएमएल फ्रीिम बाईक
मैंने अक्टय बर 2004 में ही मध्यप्रदे श के श्रीमान जोशी को 24 हजार में बेच दी थी. उिी महीने
में मैंने आरटीओ के तहत जरूरी कागजात (टीटी फामा) पर हस्ताक्षर करके बाईक की लेन-
दे न पयरी कर दी थी. मैंने िाफ तौर पर िावंत को कह मदया था मक अक्टय बर 2004 के बाद
िे मेरा उि बाईक पर कोई अमिकार नहीं रह गया था. उिका कौन इस्तेमाल कर रहा है
इििे भी मेरा कोई मतलब नहीं था. लेमकन िावंत ने कहा मक वे मेरी बात पर मवश्वाि नहीं
कर िकते. इिमलए मुझे उनके िाथ मुंबई जाना पड़े गा तामक वे और एटीएि के उनके अन्य
िाथी इि बारे में और पयछताछ कर िकें. पय छताछ के बाद मैं आश्रम आने के मलए आजाद
हूं .

यहां यह ध्यान दे ने की बात है मक िीिे तौर पर मुझे 10-10-2008 को मगरफ्तार नहीं मकया
गया. मुंबई में पय छताछ के मलए ले जाने की बाबत मुझे कोई िम्मन भी नहीं मदया गया.
जबमक मैं चाहती तो मैं िावंत को अपने आश्रम ही आकर पयछताछ करने के मलए मजबयर कर
िकती थी क्ोंमक एक नागररक के नाते यह मेरा अमिकार है . लेमकन मैंने िावंत पर मवश्वाि
मकया और उनके िाथ बातचीत के दौरान मैंने कुछ नहीं मछपाया. मैं िावंत के िाथ मुंबई
जाने के मलए तैयार हो गयी. िावंत ने कहा मक मैं अपने मपता िे भी कहूं मक वे मेरे िाथ
मुंबई चलें. मैंने िावंत िे कहा मक उनकी बढ़ती उम्र को दे खते हुए उनको िाथ लेकर चलना
ठीक नहीं होगा. इिकी बजाय मैंने भीमाभाई को िाथ लेकर चलने के मलए कहा मजनके घर
में एटीएि मुझिे पयछताछ कर रही थी.

शाम को 5.15 ममनट पर मैं, िावंत और भीमाभाई ियरत िे मुंबई के मलए चल पड़े . 10
अक्टय बर को ही दे र रात हम लोग मुंबई पहुं च गये . मुझे िीिे कालाचौकी क्तथथत एटीएि के
आमफि ले जाया गया था. इिके बाद अगले दो मदनों तक एटीएि की टीम मुझिे पयछताछ
करती रही. उनके िारे िवाल 29-9-2008 को मालेगां व में हुए मवस्फोट के इदा -मगदा ही घय म
रहे थे . मैं उनके हर िवाल का िही और िीिा जवाब दे रही थी.

अक्टय बर को एटीएि ने अपनी पयछताछ का रास्ता बदल मदया. अब उिने उग्र होकर पयछताछ
करना शुरू मकया. पहले उन्ोंने मेरे मशष् भीमाभाई पिरीचा (मजन्ें मैं ियरत िे अपने िाथ
लाई थी) िे कहा मक वह मुझे बेल्ट और िं िे िे मेरी हथेमलयों, माथे और तलुओं पर प्रहार
करे . जब पिरीचा ने ऐिा करने िे मना मकया तो एटीएि ने पहले उिको मारा-पीटा.
आक्तखरकार वह एटीएि के कहने पर मेरे ऊपर प्रहार करने लगा. कुछ भी हो, वह मेरा मशष्
है और कोई मशष् अपने गुरू को चोट नहीं पहुं चा िकता. इिमलए प्रहार करते वि भी वह
इि बात का ध्यान रख रहा था मक मुझे कोई चोट न लग जाए. इिके बाद खानमवलकर ने
उिको मकनारे िकेल मदया और बेल्ट िे खुद मेरे हाथों, हथेमलयों, पैरों, तलुओं पर प्रहार करने
लगा. मेरे शरीर के महस्सों में अभी भी ियजन मौजयद है .
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13 तारीख तक मेरे िाथ िुबह, दोपहर और रात में भी मारपीट की गयी. दो बार ऐिा हुआ
मक भोर में चार बजे मुझे जगाकर मालेगां व मवस्फोट के बारे में मुझिे पयछताछ की गयी. भोर
में पयछताछ के दौरान एक मयछवाले आदमी ने मेरे िाथ मारपीट की मजिे मैं अभी भी पहचान
िकती हूं . इि दौरान एटीएि के लोगों ने मेरे िाथ बातचीत में बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल
करना शुरू कर मदया. मेरे गुरू का अपमान मकया गया और मेरी पमवत्रता पर िवाल मकये
गये . मुझे इतना परे शान मकया गया मक मुझे लगा मक मेरे िामने आत्महत्या करने के अलावा
अब कोई रास्ता नहीं बचा है .

14 अक्टय बर को िुबह मुझे कुछ जां च के मलए एटीएि कायाा लय िे काफी दय र ले जाया गया
जहां िे दोपहर में मेरी वापिी हुई. उि मदन मेरी पिरीचा िे कोई मुलाकात नहीं हुई. मुझे
यह भी पता नहीं था मक वे (पिरीचा) कहां है . 15 अक्टय बर को दोपहर बाद मुझे और
पिरीचा को एटीएि के वाहनों में नागपाड़ा क्तथथत राजदय त होटल ले जाया गया जहां कमरा
नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशिः बंद कर मदया गया. यहां होटल में हमने कोई पैिा जमा
नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के मलए कोई खानापयमता की. िारा काम एटीएि के लोगों
ने ही मकया.

मुझे होटल में रखने के बाद एटीएि के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन मदया. एटीएि ने
मुझे इिी फोन िे अपने कुछ ररश्तेदारों और मशष्ों (मजिमें मेरी एक ममहला मशष् भी
शाममल थी) को फोन करने के मलए कहा और कहा मक मैं फोन करके लोगों को बताऊं मक
मैं एक होटल में रूकी हूं और िकुशल हूं . मैंने उनिे पहली बार यह पयछा मक आप मुझिे
यह िब क्ों कहलाना चाह रहे हैं . िमय आनेपर मैं उि ममहला मशष् का नाम भी
िावाजमनक कर दय ं गी.

एटीएि की इि प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और मकिनी में ददा शुरू हो गया. मुझे भयख लगनी
बंद हो गयी. मेरी हालत मबगड़ रही थी. होटल राजदय त में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे
एक अस्पताल में भती करा मदया गया मजिका नाम िुश्रुिा हाक्तस्पटल था. मुझे आईिीयय में
रखा गया. इिके आिे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पिरीचा भी अस्पताल में लाये गये और
मेरे मलए जो कुछ जरूरी कागजी कायावाही थी वह एटीएि ने भीमाभाई िे पयरी करवाई. जैिा
मक भीमाभाई ने मुझे बताया मक श्रीमान खानमवलकर ने हाक्तस्पटल में पैिे जमा करवाये . इिके
बाद पिरीचा को एटीएि वहां िे लेकर चली गयी मजिके बाद िे मेरा उनिे मकिी प्रकार का
कोई िंपका नहीं हो पाया है .

इि अस्पताल में कोई 3-4 मदन मेरा इलाज मकया गया. यहां मेरी क्तथथमत में कोई िुिार नहीं
हो रहा था तो मुझे यहां िे एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया मजिका नाम मुझे याद नहीं
है . यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन मदन मेरा ईलाज मकया गया. इि
दौरान मेरे िाथ कोई ममहला पुमलिकमी नहीं रखी गयी. न ही होटल राजदय त में और न ही
इन दोनो अस्पतालों में. होटल राजदय त और दोनों अस्पताल में मुझे स्टर े चर पर लाया गया, इि
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दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े िे ढं ककर रखा गया. दय िरे अस्पताल िे छु ट्टी ममलने
के बाद मुझे मफर एटीएि के आमफि कालाचौकी लाया गया.

इिके बाद 23-10-2008 को मुझे मगरफ्तार मकया गया. मगरफ्तारी के अगले मदन 24-10-2008 को
मुझे मुख्य न्यामयक ममजस्टर े ट, नामिक की कोटा में प्रस्तुत मकया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक
पुमलि कस्टिी में रखने का आदे श हुआ. 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोमड़ये अपने
पररवारवालों िे भी ममलने की इजाजत नहीं दी गयी. मुझे मबना कानयनी रूप िे मगरफ्तार मकये
ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैमफक टे स्ट मकया गया. इिके बाद 1-11-2008 को दय िरा
पामलग्रामफक टे स्ट मकया गया. इिी के िाथ मेरा नाको टे स्ट भी मकया गया.

मैं कहना चाहती हूं मक मेरा लाई मिटे क्टर टे स्ट और नाको एनेक्तिि टे स्ट मबना मेरी अनुममत
के मकये गये. िभी परीक्षणों के बाद भी मालेगां व मवस्फोट में मेरे शाममल होने का कोई िबयत
नहीं ममल रहा था. आक्तखरकार 2 नवंबर को मुझे मेरी बहन प्रमतभा भगवान झा िे ममलने की
इजाजत दी गयी. मेरी बहन अपने िाथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उिने और उिके
पमत ने वकील गणेश िोवानी िे तैयार करवाया था. हम लोग कोई मनजी बातचीत नहीं कर
पाये क्ोंमक एटीएि को लोग मेरी बातचीत िुन रहे थे . आक्तखरकार 3 नवंबर को ही
िम्माननीय अदालत के कोटा रूम में मैं चार-पां च ममनट के मलए अपने वकील गणेश िोवानी
िे ममल पायी.

10 अक्टय बर के बाद िे लगातार मेरे िाथ जो कुछ मकया गया उिे अपने वकील को मैं चार-
पां च ममनट में ही कैिे बता पाती? इिमलए हाथ िे मलखकर माननीय अदालत को मेरा जो
बयान मदया था उिमें मवस्तार िे पयरी बात नहीं आ िकी. इिके बाद 11 नवंबर को भायखला
जेल में एक ममहला कां स्टेबल की मौजयदगी में मुझे अपने वकील गणेश िोवानी िे एक बार
मफर 4-5 ममनट के मलए ममलने का मौका मदया गया. इिके अगले मदन 13 नवंबर को मुझे
मफर िे 8-10 ममनट के मलए वकील िे ममलने की इजाजत दी गयी. इिके बाद शुक्रवार 14
नवंबर को शाम 4.30 ममनट पर मुझे मेरे वकील िे बात करने के मलए 20 ममनट का वि
मदया गया मजिमें मैंने अपने िाथ हुई िारी घटनाएं मिलमिलेवार उन्ें बताई, मजिे यहां प्रस्तुत
मकया गया है .

(मालेगां व बमकां ि के िं देह में मगरफ्तार िाध्वी प्रज्ञा मिंह ठाकुर द्वारा नामिक कोटा में मदये
गये शपथपत्र पर आिाररत.
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Burning issue,intentionally ignored..can u ignore this as a indian citizen????

Burning issue, intentionally ignored..can u ignore this as a citizen of india???????????????

भारत िे मनकला हुआ एक और इस्लामी राष्ट्र बां ग्लादे श मवश्व के उन िबिे बड़े दे शों में है जो
लगातार शरणामथायों को पैदा कर रहे हैं । इ*** ा खाममयाजा भारत को भुगतना पड़ रहा है ।
भारत में बां ग्लादे शी मुिलमानों का आिानी िे लगातार घुिपैठ होते रहने का मुख्य कारण
भारत-बां ग्लादे श की 4096 की.मी. लम्बी िाझी िीमा है , राज्यवार क्तथथमत कुछ इि प्रकार पमिम
बंगाल-2217 मक.मी., अिम-262 मक.मी., मेघालय 443, मक.मी., मत्रपुरा-858 मक.मी., ममजोरम-
318 मक.मी.। अिम के पयवा राज्यपाल ले. जनरल अजय मिंह ने कहा था मक 6000 बां ग्लादे शी
अवैि रूप िे प्रमतमदन िीमा पार कर भारत में प्रवेश करते हैं । यह अवैि घुिपैठ प्रमतवषा
लगभग 22 लाख होती है । बां ग्लादे श की ओर िे जारी अमनयंमत्रत और अवैि घुिपैठ ने मपछले
कुछ दशकों िे भारत के क्तखलाफ जनिां क्तख्यकीय हमले का रूप िारण कर मलया है । यह
भारत की अथाव्यवथथा और िुरक्षा दोनों के मलए एक बड़ा खतरा है । इन घुिपैमठयों में मुक्तस्लम
और महन्दु ओं का अनुपात 4 1 का है । मपछले दि वषों में भारत बां ग्लादे श िीमा के दोनो और
करीब 3000 िे ज्यादा मक्तिदें और मदरिे उग आए हैं । यहां कट्टरपंथी े मुिलमानों के बीच
इस्लाममक मवचारिारा का खुलेआम प्रचार मकया जा रहा है । खुमफया एजेंमियों के मुतामबक
िमय आने पर पामकस्तानी एजेंमियां इन कट्टरपंमथयों का इस्तेमाल पयवोत्तर को काटने के मलए
कर ***ती हैं । आज दे श के िभी राज्य इनकी की मगरफ्त में हैं । मुक्तस्लम घुिपैमठयों की
वजह िे इन राज्यों में इस्लामीकरण का खतरा उत्पन्न हो गया है । आल अिम स्टय िे न्ट्ि ययमनयन
(आिय) जैिे िशि क्षेत्रीय िंगठनों के द्वारा िमय-िमय पर मकए गए मवरोि के बावजयद
इ*** ा अब तक पयाा प्त िमािान होना शेष ही है । घुिपैठ िे मनपटने के मलए एक
अमिमनयम बनाया गया, अवैि प्रवािी (अमिकरणों द्वारा अविारणा) अमिमनयम,
(आई.एम.िी.टी.) 1983 मजिे केंद्र तथा अिम के िशि िंगठन आिय के मध्य हुए अिम
िमझौता 1984 के तहत पाररत मकया गया। अिम को छोड़कर दे श के बाकी राज्यों में मवदे शी
नागररकों की पहचान कर दे श मनकाला दे ने का प्राविान है । अवैि प्रवािी अमिमनयम के
अंतगात नागररकता िामबत करने का भार मशकायतकताा पर होता है जबमक मवदे शी मवषयक
अमिमनयम के अंतगात यह भार खुद उि व्यक्ति के ऊपर होता है मज*** े ऊपर िंदेह दजा
है । यह अमिमनयम 25 माचा 1971 या उ*** े बाद आए बां ग्लादे शी नागररकों पर लागय होता है ।
मवदे शी नागररकों के पहचान तथा मनष्कािन के िंदभा में उि कानयन अत्यमिक लचीला तथा
कमजोर होने के कारण अवैि घुिपैठ रोकने की बजाय उि में मददगार ही िामबत हुआ है ।
फलस्वरूप अिम के कई मजलों की जनिंख्या का स्वरूप ही बदल गया है । जहां मयल अिमी
नागररक बहूतायत में थे, वे अल्प िंख्यक बन कर रह गए। अमिमनयम अपने मयल उद्दे श्य को
प्राप्त करने में अक्षम िामबत हुआ। िन् 2003 में राज्य की अिम गण पररषद िरकार ने केंद्र
िे इि अमिमनयम को मनरस्त करने की मिफाररश भी की थी लेमकन केंद्र ने राज्य िभा में
अल्प मत का हवाला दे कर ऐिा कर ***ने में अक्षमता जामहर की। जब मक केंद्र िरकार
यमद चाहती तो दोनों िदनों का िंयुि अमिवेशन बुलाकर इि अमिमनयम को मनरस्त कर
***ती थी। जैिा मक पोटा मामले में मकया गया था। ज्ञातव्य है मक कां ग्रेिी मुख्यमंत्री महतेश्वर
िैमकया ने स्वयं यह बयान मदया था मक अिम में 30 लाख िे अमिक अवैि बां ग्लादे शी मवदे शी
नागररक रहते हैं । मकन्तु कुछ मदनों बाद ही अल्पिंख्यकों के भड़क उठने के िर िे उन्ें
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िफाई दे नी पड़ी मक उि आं कड़ा केंद्र द्वारा प्रयोमजत ररपोटा पर आिाररत था। अिम गण
पररषद िे लोक िभा के मनवाा मचत िदस्य श्री िवाानंद िोनोवाल द्वारा दायर की गई जनमहत
यामचका पर िुनवाई करते हुए िवोच्च न्यायालय ने इि अमिमनयम को रद्द कर मदया। िवोच्च
न्यायलय की तीन िदस्यीय खंिपीठ मजिमें मुख्य न्यायािीश श्री आर.िी. लाहोटी, जी.पी.
माथुर तथा श्री पी.के. बाल िुब्रमण्यम शाममल थे , ने जनमहत यामचका पर िुनवाई करते हुए
अपने फैिले में कहा, ”अवैि प्रवािी बां ग्लादे शी घुिपैमठयों की पहचान कर अिम िे बाहर
मनकालने में उि अमिमनयम बहुत बड़ी बािा है । िन् 2001 की जनगणना के मुतामबक पमिम
बंगाल के दि, अिम के तीन, मेघालय के तीन और मत्रपुरा के दो मजलों में मुक्तस्लम जनिंख्या
में 50 प्रमतशत िे ज्यादा वृक्ति हुई है । कुछ क्षेत्र और मजले तो ऐिे हैं जहां दि वषों में
जनिंख्या की वृक्तदद की दर 200 प्रमतशत रही है । जबमक दे श में मुिलमानों की जनिंख्या वृक्ति
32.6 प्रमतशत ही रही है । मुक्तस्लम आबादी में अप्रत्यामशत वृक्ति के कारण इन मजलों में रहने
वाले मयल मनवामियों को पलायन के मलए मजबयर होना पड़ा है । पलायन कर चुके इन पररवारों
के आं कड़े केंद्र और राज्य िरकार दोनों के पाि हैं । लेमकन इनको जारी नहीं मकया गया है ।
मिलीगुड़ी कॉरीिोर में इनका जबदा स्त जमावड़ा है । यहां ऐिा नहीं है मक इन घुिपैमठयों का
इस्तेमाल मिफा बाहरी ताकतें ही कर रही हैं । भारत के अंदर कुछ राजनीमतक दल इनका लाभ
उठाते हैं । इन घुिपैमठयों के मलए िबिे बड़ा आकषाण भारत के िीपीएम शामित राज्य हैं । इन
राज्यों में घुिपैमठयों का स्वागत राजनैमतक लाभ के मलए खुले हाथों िे मकया जाता है । यह
दररयामदली चुनावों के िाथ और जोर पकड़ती है । कम्युमनस्टों को मजन क्षेत्रों में हार की आशं का
होती है , उन क्षेत्रों में स्वतरू घुिपैठ बढ़ जाती है । पहचान पत्र तुरंत तै यार हो जाते हैं ।
राजनीमतक पामटा यां इनका खयब इस्ते माल करती हैं । यही वजह है मक राष्ट्रीय स्तर पर इन
घुिपैमठयों को बाहर मनकालने की कोमशश नहीं होती है और अगर कभी कोमशश की भी गई
तो उ*** ा मवरोि मकया जाता है । पमिम बंगाल का करीब 2,200 मक.मी. लंबा क्षेत्र
बां ग्लादे शी िीमा िे लगा है । यहां 282 मविानिभा िीटों में 52 मविानिभा िीटों पर हार-जीत
का फैिला पयरी तरह िे बां ग्लादे शी घुिपैमठए करते हैं । जबमक अन्य 100 िीटों पर हार-जीत में
ये मनणाा क भयममका अदा करते हैं । आज दे श के बड़े शहरों में इन घुिपैमठयों की बक्तस्तयां हैं ।
मदल्ली पुमलि के अनुिार, अकेले मदल्ली में 13 लाख बां ग्लादे शी हैं । मदल्ली में िीलमपुर, जामा
मक्तिद और यमुना बाजार आमद इनके गढ़ बन चुके हैं । मबहार के पयमणा यां , अरररया, मकशनगंज,
कमटहार आमद मजलों में इनकी जनिंख्या काफी ज्यादा है । यानी ये दे श के भीतर तक फैले
हैं । जहाूँ गीर खाूँ के मुगलस्तान ररिचा इन्स्टीट्ययट, बां ग्लादे श ने एक नक्शा प्रकामशत मकया है ,
मज*** े अनुिार पयमवा और पमिमी पामकस्तान के बीच भारत क्षेत्र में घु िपैठ आमद के द्वारा
एवं मुस्लीम जन्संख्या बढाकर इिे एक नया इस्लामी राज्य बना दे ना है । इिमें पमिम बंगाल,
अिम, मबहार, उत्तर प्रदे श, कश्मीर, उत्तराखण्ड, मदल्ली, हररयाणा और मध्य प्रदे श के क्षेत्र को
िक्तम्ममलत करने मक योजना है । इिमलये इन उपयुाि क्षेत्रो में बां ग्लादे शी मुिलमानों का घुिपैठ
प्रमुखता िे है । इनकी बक्तस्तयां भारतीय िीमाओं के भीतर बनी पामकस्तानी िैन्य छावमनयों के
िमान हैं । ये घुिपैठी िीमा पार िे खतरनाक हमथयारों के िाथ दे श में आतंक फैलाने के
उद्दे श्य िे आते हैं । ये अपने िाथ भारतीय अथाव्यवथथा को कमजोर करने के मलए बड़ी मात्रा
में नकली नोट भी लाते हैं । इनका प्रयोग आई***आई जैिी एजेंमियां मनबाा ि रूप िे कर रही
हैं । िमा और राजनीमत इस्लाम रुपी मिक्के के दो पहलय हैं । यह कथन आज भी उतना ही िही
है मजतना पहले था। यमद बां ग्लादे शी मुिलमान अपने िमाप्रेररत राजनैमतक उद्दे श्यों के मलये
भारत में घुिपैठ करते हैं , तो इिमें कोई आिया की बात नहीं है क्ोंमक इस्लाम वस्तुतरू
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प्रारम् िे ही एक राजनैमतक आन्दोलन रहा है । लेमकन वोट बैंक बनाने के चक्कर में कां ग्रेि
िमहत तथाकमथत िममनरपेक्ष राजनीमतक दल एवं थथानीय नेताओें ने अवैि बां ग्लादे मशयों को
भारत में खा***र अिम, पमिम बंगाल, मत्रपुरा एवं मबहार आमद राज्यों में उन्ें राशन कािा
बनवाने व मतदाता ियची में शाममल करवाते हुए उन्ें वैिता प्रदान करने का काया मकया है ।
वहीं थथानीय लोगों ने िस्ते मजदय र और नौकर के मोह में पड़कर इन घु िपैमठयों को अपने
यहां रखकर स्वयं गंभीर िंकट का दावत दे रहें है । 1971 के बाद िे अब तक मजि तरह
हमारे दे श में बां ग्लादे शी घुिपैठ हुई है उििे अमद्वतीय राष्ट्रीय पहचान पत्र को लेकर एक शंका
उत्पन्न होती है । क्ोंमक यमद जनिंख्या रमजस्टर भरते िमय बां ग्लादे शी घुिपैठी प्रश्न 11 का
उत्तर दे ते िमय अपनी राष्ट्रीयता ‘भारतीय’ घोमषत करता है तो उििे राष्ट्रीयता के बाबत कोई
प्रश्न नहीं मकया जाएगा और ना ही कोई िबयत मां गा जाएगा। राष्ट्रीय जनिंख्या रमजस्टर बनाते
िमय बां ग्लादे शी घुिपैमठयों की पहचान को लेकर िरकार के पाि न कोई स्पष्ट् नीमत है और
ना ही राजनीमतक इच्छाशक्ति। ऐिे में वैिे बां ग्लादे शी जो भारत में अवैि रूप िे रह रहे हैं ,
राष्ट्रीय जनिंख्या रमजस्टर में भारत का नागररक हो जायेगे। इन मदनों पयरे भारत में जनगणना
का काम बड़ी तेजी िे चल रहा है । 2011 की इि जनगणना के िाथ राष्ट्रीय जनिंख्या रमजस्टर
(एनपीआर) भी तैयार मकया जा रहा है । बताते चलें मक इि राष्ट्रीय जनिंख्या रमजस्टर के
आिार पर ही प्रत्येक व्यक्ति को एक अनयठी पहचान िंख्या ‘ययआईिी’ जारी मकया जाएगा।
उ*** े बाद इिे राष्ट्रीय जनिंख्या रमजस्टर के िाटाबेि में जोड़ा जाएगा। ित्तापक्ष ययपीए
(कां ग्रेि) िरकार की मंशा इि बात िे भी उजागर होती है मक महाममहम राष्ट्रपमत ने भी
अपने अमभभाषण में राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की चचाा की लेमकन बां ग्लादे शी घुिपैठ पर
चुप्पी िाि गईं। वहीं दय िरी तरफ मवत्ता मंत्री प्रणव मुखजी ने भी अपने बजट भाषण में राष्ट्रीय
पहचान पत्र के मलए 1900 करोड़ रुपए का बजट मवत्ताीय वषा 2010-11 के मलए आवंमटत कर
मदया। मकतनी मविम्बना की बात है मक एक तरफ िरकार दे श की जनता को बुमनयादी
िुमविाएं उपलब्ध कराने में अक्षम है , वहीं दय िरी तरफ अमद्वतीय पहचान पत्र के मलए िरकार
इतनी बड़ी रामश खचा कर रही है । एनपीआर के िाटा का मिफा िरकारी उपयोग ही नहीं
होगा बक्ति उ*** ा बैंमकंग, बीमा और एि कंपमनयां भी उपयोग करें गी। बंगाल के गवनार
टी.वी. राजेश्वर (18.3.96) एवं अिम के गवनार ***. के. मिन्ा (1998) और अजय मिंह
(15.5.2005) अपनी ररपोटां में घुिपैठ िे उत्पन्न राजनैमतक िमस्याओं एवं भारत की िुरक्षा की
ओर ध्यान आकमषात मकया था मगर मुक्तस्लम वोट बैंक ने इन दे शद्रोही गमतमवमियों को भी
उपेमक्षत कर मदया। जबमक वास्तव में बां ग्लादे शी घुिपैठ को, पाटी महत िे उपर उठकर, राष्ट्र
की िुरक्षा एवं अखण्डता की् दृमष्ट् िे िोचना होगा और इि दे शद्रोही गमतमवमियों को िमाप्त
करने में मह भारत का महत है । पामकस्तान में मवदे मशयों को घुिपैठ की 2 िे 10 िाल की िजा
है । िऊदी अरे मबया ने 1994-1995 में एक लाख घुिपैमठयों को मनकाला मजिमें 27588 बां ग्लादे शी
मुस्लमान थे स्वयं बां ग्लादे श ने 1,92,274 रोमहं गा वमी को अपने दे श िे मनकाल बाहर मकया
चुका मफर भारत में रह रहे बां ग्लादे शी को क्ों नही मनकाला जा ***ता। क्ा मुस्लीम वोट
बैंक राष्ट्रीय िुरक्षा िे भी अमिक आवश्यक और महिपयणा है ? यमद हाूँ ! तो दे शद्रोमहयों का
वचास्व एवं राजनैमतक अक्तस्तत्व ममटाना ही दे श महत में होगा। इ*** े मलए जागों और बता दो
िरकार को की हम िोये नही है ॥
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"रे मेतनसेन्सेस ऑफ थे नेहरू एज"- (अब भारि सरकार िारा प्रतिबल्जन्धि)


जातनए इस पुस्तक मे तछपे राज...

"रे मेतनसेन्सेस ऑफ थे नेहरू एज"- (अब भारि सरकार िारा प्रतिबल्जन्धि) जातनए इस
पुस्तक मे तछपे राज...मे राज बूरानपुरी आप को तिनंिी करिा हु की इसे पतढ़ये और
ईमेल कीतजये खूब र्ैलाये (यहा तहन्दी और english मे उपलब्ध)...-जनतहि मे जारी ।

अपनी पुस्तक "द नेहरू िायनेस्टी" में लेखक के.एन.राव (यहाूँ उपलब्ध है ) मलखते
हैं ....ऐिा माना जाता है मक जवाहरला...ल, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे और मोतीलाल के
मपता का नाम था गंगािर । यह तो हम जानते ही हैं मक जवाहरलाल की एक पुत्री थी इक्तन्दरा
मप्रयदमशानी नेहरू । क...मला नेहरू उनकी माता का नाम था, मजनकी मृत्यु क्तस्वटजरलैण्ड में
टीबी िे हुई थी । कमला शुरु िे ही इक्तन्दरा के मर्फरोज िे मववाह के क्तखलार्फ थीं... क्ों ?
यह हमें नहीं बताया जाता...लेमकन यह मर्फरोज गाूँ िी कौन थे ? मर्फरोज उि व्यापारी के बेटे
थे , जो "आनन्द भवन" में घरे लय िामान और शराब पहुूँ चाने का काम करता था...नाम...
बताता हूूँ .... पहले आनन्द भवन के बारे में थोिा िा... आनन्द भवन का अिली नाम था
"इशरत मंमजल" और उिके मामलक थे मुबारक अली... मोतीलाल नेहरू पहले इन्ीं मुबारक
अली के यहाूँ काम करते थे...खैर...हममें िे िभी जानते हैं मक राजीव गाूँ िी के नाना का
नाम था जवाहरलाल नेहरू, लेमकन प्रत्येक व्यक्ति के नाना के िाथ ही दादा भी तो होते हैं ...
और अमिकतर पररवारों में दादा और मपता का नाम ज्यादा महत्वपयणा होता है , बजाय नाना या
मामा के... तो मर्फर राजीव गाूँ िी के दादाजी का नाम क्ा था.... मकिी को मालयम है ?
नहीं ना... ऐिा इिमलये है , क्ोंमक राजीव गाूँ िी के दादा थे नवाब खान, एक मुक्तस्लम व्यापारी
जो आनन्द भवन में िामान िप्ाय करता था और मजिका मयल मनवाि था जयनागढ गुजरात
में... नवाब खान ने एक पारिी ममहला िे शादी की और उिे मुक्तस्लम बनाया... मर्फरोज
इिी ममहला की िन्तान थे और उनकी माूँ का उपनाम था "घां दी" (गाूँ िी नहीं)... घां दी
नाम पारमियों में अक्सर पाया जाता था...मववाह िे पहले मर्फरोज गाूँ िी ना होकर मर्फरोज
खान थे और कमला नेहरू के मवरोि का अिली कारण भी यही था...हमें बताया जाता है
मक राजीव गाूँ िी पहले पारिी थे... यह मात्र एक भ्रम पैदा मकया गया है । इक्तन्दरा गाूँ िी
अकेलेपन और अविाद का मशकार थीं । शां मत मनकेतन में पढते वि ही रमवन्द्रनाथ टै गोर ने
उन्ें अनुमचत व्यवहार के मलये मनकाल बाहर मकया था... अब आप खुद ही िोमचये ... एक
तन्ा जवान लिकी मजिके मपता राजनीमत में पयरी तरह िे व्यस्त और माूँ लगभग मृत्यु शैया
पर पिीा़ हुई हों... थोिी िी िहानुभयमत मात्र िे क्ों ना मपघलेगी, और मवपरीत मलंग की ओर
क्ों ना आकमषात होगी ? इिी बात का र्फायदा मर्फरोज खान ने उठाया और इक्तन्दरा को
बहला-र्फुिलाकर उिका िमा पररवतान करवाकर लन्दन की एक मक्तिद में उििे शादी रचा
ली (नाम रखा"मैमयना बेगम") नेहरू को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए, लेमकन अब
क्ा मकया जा िकता था...जब यह खबर मोहनदाि करमचन्द गाूँ िी को ममली तो उन्ोंने
ताबितोि नेहरू को बुलाकर िमझाया, राजनै मतक छमव की खामतर मर्फरोज को मनाया मक वह
अपना नाम गाूँ िी रख ले.. यह एक आिान काम था मक एक शपथ पत्र के जररये , बजाय िमा
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बदलने के मिर्फा नाम बदला जाये ... तो मर्फरोज खान (घां दी) बन गये मर्फरोज गाूँ िी । और
मविम्बना यह है मक ित्य-ित्य का जाप करने वाले और "ित्य के िाथ मेरे प्रयोग" मलखने
वाले गाूँ िी ने इि बात का उल्लेख आज तक कहीं नहीं मकया, और वे महात्मा भी
कहलाये...खैर... उन दोनों (मर्फरोज और इक्तन्दरा) को भारत बुलाकर जनता के िामने
मदखावे के मलये एक बार पुनिः वैमदक रीमत िे उनका मववाह करवाया गया, तामक उनके खानदान
की ऊूँची नाक (?) का भ्रम बना रहे । इि बारे में नेहरू के िेक्रेटरी एम.ओ.मथाई अपनी
पुस्तक "रे मेमनिेन्सेि ऑर्फ थे नेहरू एज" (पृष्ट् ९४ पैरा २) (अब भारत िरकार द्वारा
प्रमतबक्तन्धत) में मलखते हैं मक "पता नहीं क्ों नेहरू ने िन १९४२ में एक अन्तजाा तीय और
अन्तिाा ममाक मववाह को वै मदक रीमतररवाजों िे मकये जाने को अनुममत दी, जबमक उि िमय यह
अवैिामनक था, कानयनी रूप िे उिे "मिमवल मैररज" होना चामहये था" । यह तो एक थथामपत
तथ् है मक राजीव गाूँ िी के जन्म के कुछ िमय बाद इक्तन्दरा और मर्फरोज अलग हो गये थे,
हालाूँ मक तलाक नहीं हुआ था । मर्फरोज गाूँ िी अक्सर नेहरू पररवार को पैिे माूँ गते हुए परे शान
मकया करते थे , और नेहरू की राजनैमतक गमतमवमियों में हस्तक्षेप तक करने लगे थे । तंग
आकर नेहरू ने मर्फरोज का "तीन मयमता भवन" मे आने -जाने पर प्रमतबन्ध लगा मदया था । मथाई
मलखते हैं मर्फरोज की मृत्यु िे नेहरू और इक्तन्दरा को बिीा़ राहत ममली थी । १९६० में मर्फरोज
गाूँ िी की मृत्यु भी रहस्यमय हालात में हुई थी, जबमक वह दय िरी शादी रचाने की योजना बना
चुके थे । अपुष्ट् ियत्रों, कुछ खोजी पत्रकारों और इक्तन्दरा गाूँ िी के मर्फरोज िे अलगाव के कारण
यह तथ् भी थथामपत हुआ मक श्रीमती इक्तन्दरा गाूँ िी (या श्रीमती मर्फरोज खान) का दय िरा बेटा
अथाा त िंजय गाूँ िी, मर्फरोज की िन्तान नहीं था, िंजय गाूँ िी एक और मुक्तस्लम मोहम्मद ययनुि का
बेटा था । िंजय गाूँ िी का अिली नाम दरअिल िंजीव गाूँ िी था, अपने बिे भाई राजीव गाूँ िी
िे ममलता जुलता । लेमकन िंजय नाम रखने की नौबत इिमलये आई क्ोंमक उिे लन्दन पुमलि
ने इं ग्लैण्ड में कार चोरी के आरोप में पकड़ मलया था और उिका पािपोटा जब्त कर मलया था
। मब्रटे न में तत्कालीन भारतीय उच्चायुि कृष्ण मेनन ने तब मदद करके िंजीव गाूँ िी का नाम
बदलकर नया पािपोटा िं जय गाूँ िी के नाम िे बनवाया था (इन्ीं कृष्ण मेनन िाहब को
भ्रष्ट्ाचार के एक मामले में नेहरू और इक्तन्दरा ने बचाया था) । अब िंयोग पर िंयोग
दे क्तखये ... िंजय गाूँ िी का मववाह "मेनका आनन्द" िे हुआ... कहाूँ ... मोहम्मद ययनुि के
घर पर (है ना आिया की बात)... मोहम्मद ययनुि की पुस्तक "पिान्स, पैशन्स एण्ड
पोमलमटक्स" में बालक िं जय का इस्लामी रीमतररवाजों के मुतामबक खतना बताया गया है , हालां मक
उिे "मर्फमोमिि" नामक बीमारी के कारण मकया गया कृत्य बताया गया है , तामक हम लोग
(आम जनता) गामर्फल रहें .... मेनका जो मक एक मिख लिकी थी, िंजय की रं गरे मलयों की
वजह िे गभावती हो गईं थीं और मर्फर मेनका के मपता कनाल आनन्द ने िंजय को जान िे
मारने की िमकी दी थी, मर्फर उनकी शादी हुई और मेनका का नाम बदलकर "मानेका" मकया
गया, क्ोंमक इक्तन्दरा गाूँ िी को "मेनका" नाम पिन्द नहीं था (यह इन्द्रिभा की नृत्यां गना टाईप
का नाम लगता था), पिन्द तो मेनका, मोहम्मद ययनुि को भी नहीं थी क्ोंमक उन्ोंने एक
मुक्तस्लम लिकी िंजय के मलये दे ख रखी थी मर्फर भी मेनका कोई िािारण लिकी नहीं थीं,
क्ोंमक उि जमाने में उन्ोंने बॉम्बे िाईंग के मलये मिर्फा एक तौमलये में मवज्ञापन मकया था।
आमतौर पर ऐिा माना जाता है मक िंजय गाूँ िी अपनी माूँ को ब्लैकमेल करते थे और मजिके
कारण उनके िभी बुरे कृत्यों पर इक्तन्दरा ने हमेशा परदा िाला और उिे अपनी मनमानी करने
की छयट दी । ऐिा प्रतीत होता है मक शायद िंजय गाूँ िी को उिके अिली मपता का नाम
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मालयम हो गया था और यही इक्तन्दरा की कमजोर नि थी, वरना क्ा कारण था मक िंजय के
मवशेष निबन्दी अमभयान (मजिका मुिलमानों ने भारी मवरोि मकया था) के दौरान उन्ोंने चुप्पी
िािे रखी, और िंजय की मौत के तत्काल बाद कार्फी िमय तक वे एक चामभयों का गुच्छा
खोजती रहीं थी, जबमक मोहम्मद ययनुि िंजय की लाश पर दहािें मार कर रोने वाले एकमात्र
बाहरी व्यक्ति थे...। (िंजय गाूँ िी के तीन अन्य ममत्र कमलनाथ, अकबर अहमद िम्पी और
मवद्याचरण शुक्ल, ये चारों उन मदनों "चाण्डाल चौकिी" कहलाते थे... इनकी रं गरे मलयों के
मकस्से तो बहुत मशहूर हो चुके हैं जैिे मक अंमबका िोनी और रुखिाना िुलताना [अमभनेत्री
अमृता मिंह की माूँ ] के िाथ इन लोगों की मवशेष नजदीमकयाूँ ....)एम.ओ.मथाई अपनी
पुस्तक के पृ ष्ठ २०६ पर मलखते हैं - "१९४८ में वाराणिी िे एक िन्यामिन मदल्ली आई मजिका
काल्पमनक नाम श्रिा माता था । वह िंस्कृत की मवद्वान थी और कई िां िद उिके व्याख्यान
िुनने को बेताब रहते थे । वह भारतीय पुरालेखों और िनातन िंस्कृमत की अच्छी जानकार थी
। नेहरू के पुराने कमाचारी एि.िी.उपाध्याय ने एक महन्दी का पत्र नेहरू को िौंपा मजिके
कारण नेहरू उि िन्यामिन को एक इं टरव्यय दे ने को राजी हुए । चयूँमक दे श तब आजाद हुआ
ही था और काम बहुत था, नेहरू ने अमिकतर बार इं टरव्यय आिी रात के िमय ही मदये ।
मथाई के शब्दों में - एक रात मैने उिे पीएम हाऊि िे मनकलते दे खा, वह बहुत ही जवान,
खयबियरत और मदलकश थी - । एक बार नेहरू के लखनऊ दौरे के िमय श्रददामाता उनिे
ममली और उपाध्याय जी हमेशा की तरह एक पत्र लेकर नेहरू के पाि आये , नेहरू ने भी
उिे उत्तर मदया, और अचानक एक मदन श्रिा माता गायब हो गईं, मकिी के ढयूँढे िे नहीं ममलीं
। नवम्बर १९४९ में बेंगलयर के एक कॉन्वेंट िे एक िुदशान िा आदमी पत्रों का एक बंिल
लेकर आया । उिने कहा मक उत्तर भारत िे एक युवती उि कॉन्वेंट में कुछ महीने पहले
आई थी और उिने एक बच्चे को जन्म मदया । उि युवती ने अपना नाम पता नहीं बताया
और बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद ही उि बच्चे को वहाूँ छोिकर गायब हो गई थी । उिकी
मनजी वस्तुओं में महन्दी में मलखे कुछ पत्र बरामद हुए जो प्रिानमन्त्री द्वारा मलखे गये हैं , पत्रों का
वह बंिल उि आदमी ने अमिकाररयों के िुपुदा कर मदया । मथाई मलखते हैं - मैने उि बच्चे
और उिकी माूँ की खोजबीन की कार्फी कोमशश की, लेमकन कॉन्वेंट की मुख्य ममस्टर े ि, जो मक
एक मवदे शी ममहला थी, बहुत कठोर अनुशािन वाली थी और उिने इि मामले में एक शब्द भी
मकिी िे नहीं कहा.....लेमकन मेरी इच्छा थी मक उि बच्चे का पालन-पोषण मैं करुूँ और
उिे रोमन कैथोमलक िं स्कारों में बिा करू ूँ , चाहे उिे अपने मपता का नाम कभी भी मालयम ना
हो.... लेमकन मविाता को यह मंजयर नहीं था.... खैर... हम बात कर रहे थे राजीव
गाूँ िी की...जैिा मक हमें मालयम है राजीव गाूँ िी ने, तयररन (इटली) की ममहला िामनया माईनो
िे मववाह करने के मलये अपना तथाकमथत पारिी िमा छोिकर कैथोमलक ईिाई िमा अपना
मलया था । राजीव गाूँ िी बन गये थे रोबेतो और उनके दो बच्चे हुए मजिमें िे लिकी का नाम
था "मबयेन्का" और लिके का "रॉल" । बिी ही चालाकी िे भारतीय जनता को बेवकयर्फ
बनाने के मलये राजीव-िोमनया का महन्दय रीमतररवाजों िे पुनमवावाह करवाया गया और बच्चों का
नाम "मबयेन्का" िे बदलकर मप्रयंका और "रॉल" िे बदलकर राहुल कर मदया गया... बेचारी
भोली-भाली आम जनता ! प्रिानमन्त्री बनने के बाद राजीव गाूँ िी ने लन्दन की एक प्रेि
कॉन्फ़्ेन्स में अपने -आप को पारिी की िन्तान बताया था, जबमक पारमियों िे उनका कोई
लेना-दे ना ही नहीं था, क्ोंमक वे तो एक मुक्तस्लम की िन्तान थे मजिने नाम बदलकर पारिी
उपनाम रख मलया था। हमें बताया गया है मक राजीव गाूँ िी केक्तिज मवश्वमवद्यालय के स्नातक थे ,
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यह अिाित्य है ... ये तो िच है मक राजीव केक्तिज ययमनवमिाटी में मेकेमनकल इं जीमनयररं ग के


छात्र थे, लेमकन उन्ें वहाूँ िे मबना मकिी मिग्री के मनकलना पिा था, क्ोंमक वे लगातार तीन
िाल र्फेल हो गये थे ... लगभग यही हाल िामनया माईनो का था...हमें यही बताया गया है
मक वे भी केक्तिज ययमनवमिाटी की स्नातक हैं ... जबमक िच्चाई यह है मक िोमनया स्नातक हैं
ही नहीं,वे केक्तिज में पढने जरूर गईं थीं लेमकन केक्तिज ययमनवमिाटी में नहीं । िोमनया गाूँ िी
केक्तिज में अंग्रेजी िीखने का एक कोिा करने गई थी, ना मक मवश्वमवद्यालय में (यह बात हाल
ही में लोकिभा िमचवालय द्वारा माूँ गी गई जानकारी के तहत खुद िोमनया गाूँ िी ने मुहैया कराई
है , उन्ोंने बिे ही माियम अन्दाज में कहा मक उन्ोंने कब यह दावा मकया था मक वे केक्तिज की
स्नातक हैं , अथाा त उनके चमचों ने यह बेपर की उिाई थी)। क्रयरता की हद तो यह थी मक
राजीव का अक्तन्तम िंस्कार महन्दय रीमतररवाजों के तहत मकया गया, ना ही पारिी तरीके िे ना ही
मुक्तस्लम तरीके िे । इिी नेहरू खानदान की भारत की जनता पयजा करती है , एक इटामलयन
ममहला मजिकी एकमात्र योग्यता यह है मक वह इि खानदान की बहू है आज दे श की िबिे
बिी पाटी की कताा िताा है और "रॉल" को भारत का भमवष् बताया जा रहा है । मेनका गाूँ िी
को मवपक्षी पामटा यों द्वारा हाथोंहाथ इिीमलये मलया था मक वे नेहरू खानदान की बहू हैं , इिमलये
नहीं मक वे कोई िमाजिेवी या प्रामणयों पर दया रखने वाली हैं ....और यमद कोई िामनया
माइनो की तुलना मदर टे रेिा या एनीबेिेण्ट िे करता है तो उिकी बुक्ति पर तरि खाया जा
िकता है और महन्दु स्तान की बदमकस्मती पर मिर िुनना ही होगा... –

- ---- Nehru Dynasty Harmohan Singh Walia At the very beginning of his book, "The Nehru
Dynasty", astrologer K. N. Rao mentions the names ofJawahar Lal's father and grandfather.
Jawahar Lal's father was believed to be Moti Lal and Moti Lal's father was one Gangadhar
Nehru. And we all know that Jawahar Lal's only daughter was Indira Priyadarshini Nehru;
Kamala Nehru was her mother, who died in Switzerland of tuberculosis. She was totally against
Indira's proposed marriage with Feroze. Why? No one tells us that! Now, who is this Feroze? We
are told, by many that he was the son of the family grocer. The grocer supplied wines, etc. to
Anand Bhavan, previously known as Ishrat Manzil, which once belonged to a Muslim lawyer
named Mobarak Ali. Moti Lal was earlier an employee of Mobarak Ali. What was the family
grocer's name? One frequently hears that Rajiv Gandhi's grandfather was Pandit Nehru. But then
we all know that everyone has two grandfathers, the paternal and the maternal grandfathers. In
fact, the paternal grandfather is deemed to be the more important grandfather in most societies.
Why is it then nowhere we find Rajiv Gandhi's paternal grandfather's name? It appears that the
reason is simply this. Rajiv Gandhi's paternal grandfather was a Muslim gentleman from the
Junagadh area of Gujarat. This Muslim grocer by the name of Nawab Khan had married a Parsi
woman after converting her to Islam. This is the source where from the myth of Rajiv being a
Parsi was derived. Rajiv's father Feroze was Feroze Khan before he married Indira, against
Kamala Nehru's wishes. Feroze's mother's family name was Ghandy, often associated with Parsis
and this was changed to Gandhi, sometime before his wedding with Indira, by an affidavit. The
fact of the matter is that (and this fact can be found in many writings) Indira was very lonely.
Chased out of the Shantiniketan University by Guru Dev Rabindranath himself for misdemeanor,
the lonely girl was all by herself, while father Jawahar was busy with politics, pretty women and
illicit sex; the mother was in hospital. Feroze Khan, the grocer's son was then in England and he
was quite sympathetic to Indira and soon enough she changed her religion, became a Muslim
woman and married Feroze Khan in a London mosque. Nehru was not happy; Kamala was dead
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already or dying. The news of this marriage eventually reached Mohandas Karamchand Gandhi.
Gandhi urgently called Nehru and practically ordered him to ask the young man to change his
name from Khan to Gandhi. It had nothing to do with change of religion, from Islam to
Hinduism for instance. It was just a case of a change of name by an affidavit. And so Feroze
Khan became Feroze Gandhi. The surprising thing is that the apostle of truth, the old man soon
to be declared India's Mahatma and the 'Father of the Nation' didn't mention this game of his in
the famous book, 'My Experiments with Truth'. Why? When they returned to India, a mock
'Vedic marriage' was instituted for public consumption. On this subject, writes M. O. Mathai (a
longtime private secretary of Nehru) in his renowned (but now suppressed by the GOI)
'Reminiscences of the Nehru Age' on page 94, second paragraph: "For some inexplicable reason,
Nehru allowed the marriage to be performed according to Vedic rites in 1942. An inter-religious
and inter-caste marriage under Vedic rites at that time was not valid in law. To be legal, it had to
be a civil marriage. It's a known fact that after Rajiv's birth Indira and Feroze lived separately,
but they were not divorced. Feroze used to harass Nehru frequently for money and also interfere
in Nehru's political activities. Nehru got fed up and left instructions not to allow him into the
Prime Minister's residence Trimurthi Bhavan. Mathai writes that the death of Feroze came as a
relief to Nehru and Indira. The death of Feroze in 1960 before he could consolidate his own
political forces is itself a mystery. Feroze had even planned to remarry. Those who try to keep
tabs on our leaders in spite of all the suppressions and deliberate misinformation are aware of the
fact that the second son of Indira (or Mrs. Feroze Khan) known as Sanjay Gandhi was not the
son of Feroze. He was the son of another Moslem gentleman, Mohammad Yunus. Here, in
passing, we might mention that the second son was originally named Sanjiv. It rhymed with
Rajiv, the elder brother's name. When he was arrested by the British police in England and his
passport impounded for having stolen a car it was changed to Sanjay. Krishna Menon was then
India's High Commissioner in London. He offered to issue another passport to the felon who
changed his name to Sanjay. Incidentally, Sanjay's marriage with the Sikh girl Menaka (now
they call her Maneka for Indira Gandhi found the name of Lord Indra's court dancer rather
offensive!) took place quite surprisingly in Mohammad Yunus' house in New Delhi. And the
marriage with Menaka who was a model (She had modeled for Bombay Dyeing wearing just a
towel) was not so ordinary either. Sanjay was notorious in getting unwed young women
pregnant. Menaka too was rendered pregnant by Sanjay. It was then that her father, Colonel
Anand, threatened Sanjay with dire consequences if he did not marry her daughter. And that did
the trick. Sanjay married Menaka. It was widely reported in Delhi at the time that Mohammad
Yunus was unhappy at the marriage of Sanjay with Menaka; apparently he had wanted to get him
married with a Muslim girl of his choice. It was Mohammad Yunus who cried the most when
Sanjay died in the plane accident. In Yunus' book, 'Persons, Passions & Politics' one discovers
that baby Sanjay had been circumcised following Islamic custom, although the reason stated was
phimosis. It was always believed that Sanjay used to blackmail Indira Gandhi and due to this she
used to turn a blind eye when Sanjay Gandhi started to run the country as though it were his
personal fiefdom. Was he black mailing her with the secret of who his real father was? When the
news of Sanjay's death reached Indira Gandhi, the first thing she wanted to know was about the
bunch of keys which Sanjay had with him. Nehru was no less a player in producing bastards.
Atleast one case is very graphically described by M. O. Mathai in his "Reminiscences of the
Nehru Age", page 206. Mathai writes: "In the autumn of 1948 (India became free in 1947 and a
great deal of work needed to be done) a young woman from Benares arrived in New Delhi as a
sanyasin named Shraddha Mata (an assumed and not a real name). She was a Sanskrit scholar
62

well versed in the ancient Indian scriptures and mythology. People, including MPs, thronged to
her to hear her discourses. One day S. D. Upadhyaya, Nehru's old employee, brought a letter in
Hindi from Shraddha Mata. Nehru gave her an interview in the PM's house. As she departed, I
noticed (Mathai is speaking here) that she was young, shapely and beautiful. Meetings with her
became rather frequent, mostly after Nehru finished his work at night. During one of Nehru's
visits to Lucknow, Shraddha Mata turned up there, and Upadhyaya brought a letter from her as
usual. Nehru sent her the reply; and she visited Nehru at midnight. "Suddenly Shraddha Mata
disappeared. In November 1949 a convent in Bangalore sent a decent looking person to Delhi
with a bundle of letters. He said that a young woman from northern India arrived at the convent a
few months ago and gave birth to a baby boy. She refused to divulge her name or give any
particulars about herself. She left the convent as soon as she was well enough to move out but
left the child behind. She however forgot to take with her a small
cloth bundle in which, among other things, several letters in
Hindi were found. The Mother Superior, who was a foreigner,
had the letters examined, and was told they were from the Prime
Minister. The person who brought the letters surrendered them. "I
(Mathai) made discreet inquiries repeatedly about the boy but
failed to get a clue about his whereabouts. Convents in such
matters are extremely tightlipped and secretive. Had I succeeded
in locating the boy, I would have adopted him. He must have
grown up as a Catholic Christian blissfully ignorant of who his
father was." Coming back to Rajiv Gandhi, we all know now that
he changed his so called Parsi religion to become a Catholic to
marry Sania Maino of Turin, Italy. Rajiv became Roberto. His
daughter's name is Bianca and son's name is Raul. Quite cleverly the same names are presented
to the people of India as Priyanka and Rahul. What is amazing is the extent of our people's
ignorance in such matters. The press conference that Rajiv Gandhi gave in London after taking
over as prime minister of India was very informative. In this press conference, Rajiv boasted that
he was NOT a Hindu but a Parsi. Mind you, speaking of the Parsi religion, he had no Parsi
ancestor at all. His grandmother (father's mother) had turned Muslim after having abandoned the
Parsi religion to marry Nawab Khan. It is the western press that waged a blitz of misinformation
on behalf of Rajiv. From the New York Times to the Los Angeles Times and the Washington
Post, the big guns raised Rajiv to heaven. The children's encyclopedias recorded that Rajiv was a
qualified Mechanical Engineer from the revered University of Cambridge. No doubt US kids are
among the most misinformed in the world today! The reality is that in all three years of his
tenure at that University Rajiv had not passed a single examination. He had therefore to leave
Cambridge without a certificate. Sonia too had the same benevolent treatment. She was stated to
be a student in Cambridge. Such a description is calculated to mislead Indians. She was a student
in Cambridge all right but not of the University of Cambridge but of one of those fly by night
language schools where foreign students come to learn English. Sonia was working as an 'au
pair' girl in Cambridge and trying to learn English at the same time. And surprise of surprises,
Rajiv was even cremated as per vedic rites in full view of India's public. This is the Nehru
dynasty that India worships and now an Italian leads a prestigious national party because of just
one qualification - being married into the Nehru family. Maneka Gandhi itself is being accepted
by the non-Congress parties not because she was a former model or an animal lover, but for her
links to the Nehru family. Saying that an Italian should not lead India will amount to narrow
63

mindedness, but if Sania Maino (Sonia) had served India like say Mother Teresa or Annie
Besant, i.e. in anyway on her own rights, then all Indians should be proud of her just as how
proud we are of Mother Teresa.

"लक्ष्मी नारायण' - जो भारत में मुगल दरबार में जो ईस्ट इं मिया कंपनी का वकील था . उिका
बेटा - 'गंगािर उर्फा गयािुद्दीन '- जो मुग़ल शिन में मदल्ली का कोतवाल था . उिका बेटा-
'मोतीलाल नेहरु' - जो अं ग्रेजों िे दोस्ती रख कर िभी लाभ लेता था िाथ ही दे शभिों के
...िाथ िम्बन्ध रखने का दावा भी करता था. उि का बेटा - 'जवाहर लाल नेहरु' - भारत के
मबभाजन और कश्मीर िमस्या का मजम्मेदार, िुभाष-भगत-आज़ाद-पटे ल ... आमद को हामिये
पर दाल दे ने वाला. उिकी बेटी- 'इं मदरा गाूँ िी' - लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने वाली, ब्लय
स्टार , आिाम िमस्या की मजम्मेदार. उिका बेटा - 'राजीव गाूँ िी' - िेना के मलए हमथयार
खरीदने में दलाली खाने वाला , भ्रष्ट्ाचार को मान्यता दे ने की शुरुआत करने वाला . उिकी
पत्नी - 'िायना मबंची उर्फा िोमनया गाूँ िी ' - दे श को अपनी जागीर िझने वाली . उि का बेटा
- 'रौल मबंची उर्फा राहुल गाूँ िी' - जो अभी तक भारत को ढयंढ़ नहीं पाया है , भारत को खोजने
में लगा है उि पररवार के लोगों िे और मकया उम्मीद कर िकते हैं
64

सांप्रदातयक एिं लतक्षि तहंसा तनिारि तिधेयक-2011 तहन्दी मे पतढ़ये ..कमसेकम


हरे क भारिीय इसे पढे और जिाबदार बने हमारे अल्जस्तत्वके तलए

'िां प्रदामयक एवं लमक्षत महं िा मनवारण मविेयक-2011'- SICKULAR और McCauley पुत्रों द्वारा
... शमा-मनरपेक्षता और िां प्रदामयक-िापेक्षता का ममला जु ला िंगम 1- 'बहुिंख्यक' हत्यारे ,
महं िक और दं गाई प्रवृमत के होते हैं । (मवकीलीक्स के खुलािे में िामने आया... था मक दे श
के बहुिंख्यकों को लेकर िोमनया गां िी और राहुल गां िी की इि तरह की मानमिकता है ।)
जबमक 'अल्पिंख्यक' तो दय ि के दु ले हैं । वे तो करुणा के िागर होते हैं । अल्पिंख्यक िमुदायक
के तो िब लोग अब तक िंत ही मनकले हैं । 2- दं गो और िां प्रदामयक महं िा के दौरान नारी
बलात्कार अपरािों को तभी दं िनीय मानने की बात कही गई है अगर वह अल्पिंख्यक िमुदाय
के व्यक्तियों के िाथ हो। यानी अगर मकिी बहुिं ख्यक िमुदाय की ममहला के िाथ दं गे के दौरान
अल्पिंख्यक िमुदाय का व्यक्ति बलात्कार करता है तो ये दं िनीय नहीं होगा। 3- यमद दं गे में
कोई अल्पिंख्यक घृणा व वैमनस्य फैलता है तो यह अपराि नहीं माना जायेगा, लेमकन अगर
कोई बहुिंख्यक ऐिा करता है तो उिे कठोर िजा दी जायेगी। (बहुिं ख्यकों को इि तरह के
झयठे आरोपों में फंिाना आिान होगा। यानी उनका मरना तय है ।) 4- इि अमिमनयम में केवल
अल्पिंख्यक िमयहों की रक्षा की ही बात की गई है । िां प्रदामयक महं िा में बहुिंख्यक मपटते हैं
तो मपटते रहें , मरते हैं तो मरते रहें । क्ा यह माना जा िकता है मक िां प्रदामयक महं िा में मिफा
अल्पिंख्यक ही मरते हैं ? 5- इि दे श तोड़क कानयन के तहत मिफा और मिफा बहुिंख्यकों के
ही क्तखलाफ मुकदमा चलाया जा िकता है । अप्ल्िंख्यक कानयन के दायरे िे बाहर होंगे। 6-
िां प्रदामयक दं गो की िमस्त जवाबदारी बहुिं ख्यकों की ही होगी, क्ोंमक बहुिंख्यकों की प्रवृमत
हमेशा िे दं गे भिकाने की होती है । वे आक्रामक प्रवृमत के होते हैं । 7- दं गो के दौरान होने
वाले जान और माल के नुकिान पर मुआवजे के हक़दार मिफा अल्पिं ख्यक ही होंगे। मकिी
बहुिंख्यक का भले ही दं गों में पयरा पररवार और िंपमत्त नष्ट् हो जाए उिे मकिी तरह का
मुआवजा नहीं ममलेगा। वह भीख मां ग कर जीवन काट िकता है । हो िकता है िां प्रदामयक
महं िा भड़काने का दोषी मिि कर उिके मलए जेल की कोठरी में व्यवथथा कर दी जाए। 8-
कां ग्रेि की चालाकी और भी हैं । इि कानयन के तहत अगर मकिी भी राज्य में दं गा भड़कता है
(चाहे वह कां ग्रेि के मनदे श पर भड़का हो।) और अल्पिंख्यकों को कोई नुकिान होता है तो
केंद्र िरकार उि राज्य के िरकार को तुरंत बखाा स्त कर िकती है । मतलब कां ग्रेि को अब
चुनाव जीतने की भी जरूरत नहीं है । बि कोई छोटा िा दं गा कराओ और वहां की भाजपा या
अन्य िरकार को बखाा स्त कर स्वयं कब्जा कर लो। िोमनया गां िी और अहमद पटे ल के नेतृत्व
में इन 'दे शप्रेममयों' ने 'िां प्रदामयक एवं लमक्षत महं िा मनवारण मविेयक-2011' को तैयार मकया
है । आइये जानें इन तथाकमथत िां प्रदामयक दे शप्रेममयों के बारे में ..... 1. िैयद
शहबुदीन (Former Member of Parliament ) Syed Shahabuddin is a well known in the political
and academic circles as well as in the mass media and does not need an introduction. In his many
incarnations he has been a university teacher, a diplomat, who served as an ambassador and a
government official who was at the time of his seeking pre-mature retirement, the Joint Secretary
in charge of South East Asia, the Indian Ocean and the Pacific in the Ministry of External
Affairs. He was a MP for three terms between 1979 and 1996 and made a mark as a
Parliamentarian. He has edited Muslim India, the monthly journal of research, documentation
and reference from 1983 to 2002 and again from July 2006. He has been a regular contributor on
65

current affairs in the media and a familiar participant in seminars and TV discussions. 2. हषा
मंदर Born 1956 is an Indian social activist and writer. He came into prominence after 2002
Gujarat riots and heads "Aman Biradari" which work for communal harmony. He became
member of National Advisory Council of the UPA government in 2010 and special
commissioner to the Supreme Court. 3. अनु आगा Born 1942) is an Indian
businesswoman and social worker, who led Thermax Ltd., the Rs 3246-crore energy and
environment engineering major, as its chairperson 1996-2004. She had figured among the eight
richest Indian women, and in 2007 was part of 40 Richest Indians by net worth according to
Forbes magazine. After retiring from Thermax, she took to social work, and 2010 was awarded
the Padma Shri (Social Work) by Govt. of India 4. माजा दारूवाला Maja Daruwala
"is currently executive director of the Commonwealth Human Rights Initiative, a New Delhi-
based nongovernmental organization that promotes the practical realization of human rights in
the Commonwealth states, particularly through police and promoting the right to information.
Ms. Daruwala was until 2005 also the chair of the London-based Minority Rights Group
International and is founder and Chair of the People's Watch Tamil Nadu, a human rights
advocacy and monitoring organization based in South India. She sits on several governing boards
and advisory councils, including the Justice Initiative at the New York-based Open Society
Institute and the New Delhi-based Voluntary Action Network, an umbrella organization aimed at
strengthening civil society in India. From 1992 to 1996 Ms. Daruwala was a program officer for
human rights, women's rights, and social justice at the Ford Foundation in India, Nepal, and Sri
Lanka. A barrister by training, Ms. Daruwala, has conceptualized and edited reports for the
Commonwealth Heads of Government on poverty and the status of the right to information and
is currently editing one on police accountability. She continues to produce a body of journalistic
work, including a television documentary on prisoners and syndicated articles on rights and
governance issues in the region." 5. अबु िलेह शरीफ Abusaleh Shariff is from National
Council of Applied Economic Research, New Delhi. He is author of many studies and reports on
Indian Muslims. 6. अिगर अली इं मजमनयर Asghar Ali Engineer, an Indian Muslim,
is an Islamic scholar, reformist-writer and activist. Internationally known for his work on
liberation theology in Islam, he leads the Progressive Dawoodi Bohra movement. The focus of
his work is on (and action against) communalism and communal and ethnic violence in India and
South Asia. He is an advocate of a culture of peace, non-violence and communal harmony, and
has lectured all over world. He is presently the head of the 'Institute of Islamic Studies' and the
'Centre for Study of Society and Secularism', both of which he founded in 1980 and 1993
respectively. 7. शबनम हाश्मी Shabnam Hashmi, sister of the activist Safdar Hashmi and
founder of SAHMAT, Marxian historian Prof. K N Panikkar and social activist Harsh Mander
are the founding members of ANHAD. Based in Delhi, ANHAD works in the field of
sickularism, human rights and communal harmony. ANHAD (Act Now for Harmony and
Democracy) is an Indian socio-cultural organization established in March 2003, as a response to
2002 Gujarat riots. ANHAD’s activities include sickular mobilization, sensitizing people about
their democratic rights as enshrined in Indian Constitution, research and publication of books and
reports, welfare programs for marginalised sections of society, launching creative mass
mobilization campaigns. ANHAD is registered as a trust and has six trustees. They are Shabnam
Hashmi, K N Panikkar, Harsh Mander, Shubha Mudgal, Kamla Bhasin, Saeed Akhtar
Mirza. 8. िुखदे व थोरात Sukhadeo Thorat born at Mahimapur, Amravati district,
Maharashtra, India, is an economist and chairman of the University Grants Commission, U.G.C.
66

Thorat graduated with a B.A from Milind College of Arts, Aurangabad,


Maharashtra. He obtained an M.A. in Economics from Dr. Babasaheb
Ambedkar Marathwada University, M.Phil/Ph.D in Economics from
Jawaharlal Nehru University, and Diploma in Economic Planning, Main
School of Planning, Warsaw, Poland. From February 1989 to 1991,
Thorat was visiting faculty at Iowa State University, USA and a
consultant with the International Food Policy Research Institute,
Washington, DC. Thorat was Lecturer at Vasantrao Naik College,
Aurangabad from 1973 to 1980. He was Faculty Member at Jawaharlal
Nehru University, New Delhi from 1980 onwards and visiting faculty at
Department of Economics, Iowa State University, AMES, USA during
1989-1991. He has been a Research Associate of the International Food Policy Research
Institute, Washington DC since 1992. He was Director, Indian Institute of Dalit Studies, New
Delhi from January 2003 to February 2006. He has been Chairman, UGC since February
2006. 9. तीस्ता जावेद िेतलवाि Grand Daughter of Motilal Chimanlal Setalvad was
became the first and longest serving Attorney General of India 1950-1963 ... due to his
devotedness to the Britishers. Co-editor of Communalism Combat magazine (along with husband
Javed Anand). Teesta's husband Javed Anand runs Sabrang Communications which claims itself
as fighting for human rights. Teesta is the official spokesperson of this organization. Teesta is
General Secretary of People's Union for Human Rights” (PUHR). Member of the Pakistan India
People's Forum for Peace and Democracy.[29] When it comes to defending terrorists, there is
nobody like Teesta Setalvad. She will lie, shriek, give false deposition, do anything to damn
Hindus under the banner of Communalism Combat. She also strikes the right pose by lighting
candle along with other pseudos against Hindu fundamentalism only. The Apex Court rightly
censured her for sensationalising Gujarat riots through stupid stories — lapped up media goons
— who are anyway might lazy to check the source. 10. जॉन दयाल Born on Oct. 2, 1948 ;-
) On just next birthday of gandhi, after gandhi's death. Indian fanatic Christian bigot and a self
proclaimed campaigner for Dalit rights. Formerly a journalist with the Delhi edition of the Indian
tabloid newspaper, the Mid-Day, he has gone on to found and preside over the ecumenical All
India Christian Council and United Christian Forum for Human Rights. Dayal, born of Christian
parents from Central India, is married and resides normally in New Delhi. He describes himself
as a "human rights activist" who is "fighting for the rights of Muslim, Christian and Dalit
minorities" in India. He is associated with numerous Christian evangelical groups, such as Dalit
Freedom Network 11. जक्तस्टि होबेट िुरेश Justice Suresh Hosbet : M.A. L.L.M.: Born on
20th July, 1929. Enrolled as an Advocate of the Bombay High Court on 30th November, 1953,
and practised both on the Original and Appellate Sides of the High Court. Was a part-time
Professor of Law at the Government Law College, Bombay from 1960 to 1965 and at K.C. Law
College, Bombay from 1965 to 1968. Was also the Assistant Government Pleader in the
Bombay City Civil & Sessions Court at Bombay from 1967 to 1968. Appointed as a Judge of
the Bombay City Court and Additional Sessions Judge, Greater Bombay on 29th November,
1968. Promoted as the 2nd Additional Principal Judge, Bombay City Civil & Sessions Court, in
October, 1979. Resigned his post on 23rd June, 1980 and resumed practice in the High Court at
Bombay. Was designated as Senior Advocate of the High Court at Bombay in 1982. Appointed
Additional Judge of the Bombay High Court with effect from 21-11-1986. Appointed permanent
Judge of the Bombay High Court from 12-6-1987. Retired on 19-7-1991. 12. राम पुमनयानी
Ram Puniyani was born on 25th August 1945. He was a professor in biomedical engineering at
67

the Indian Institute of Technology Bombay, and took voluntary retirement in December 2004 to
work full time for communal harmony in India. He is involved with human rights activities from
last two decades. He is working for communal harmony and initiatives to oppose the rising tide
of Fundamentalism-Fascism in India. He is associated with various sickular and democratic
initiatives like All India Sickular Forum, Center for Study of Society and Sickularism and
ANHAD 13. रूपरे खा वमाा Dr. Roop Rekha Verma, Ph.D, formerly, the Vice-chancellor,
Professor & Head of the Philosophy Department and Dean, Faculty of Arts Lucknow University
has taught there from 1964–2003. She has also been a recipient of the Commonwealth Academic
Staff Fellowship for Oxford and has had the honor to be invited to deliver lectures and present
research papers in various conferences/international seminars at many Indian and foreign
Universities. 14. फराह नकवी Farah Naqvi is an Indian writer, consultant and
activist. She works on gender rights and minority rights from both a justice and development
perspective. She is a member of the National Advisory Council. 15. एच .एि
फुिा (Senior Advocate of Delhi High Court, Human Rights Activist, Victim 1984
Riots) 16. कमल फारुखी Sh. Nazmi Waziri, Member of Standing Counsel (Delhi
Govt.) 17. पी आई जोिे 18. नाजमी वजीरी 19. मंज़यर आलम 20.
मौलाना मनयाज़ फारुखी 21. मिस्टर मारी स्काररया 22. िमर मिंह 23. िौमया उमा
Independent Consultant - Gender, Law & Human Rights उपरोि िमस्त शमा-मनपेमक्षयों ने
िमा-मनरपेक्षता की िमस्त ग़लतर्फहममयाूँ दय र कर दी हैं ... कृपया यह नोट अपने िमस्त
SICKUALR शत्रुओं को मदखायें l जय श्री राम जय भारत जय हो

It may passed by Andha Kanoon!


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हमारी जनिा के पास इिने साधन नही ं है की िह अपनी


खुद की स्विंत् ररसचफ कर के सभी िथ्ों का खुद
तिश्लेर्षि कर सके, साधन और समयाभाि द
मप्रंट एवं मवजुयल मीमिया का पक्षपात पयणा रवैया , जन िािारण के महतों में आवाज़ उठाने वाले
गैर िरकारी व्यक्तियों पर कीचड़ उछालना, िेकुलररज्म की आइ में हमेशा भारत के मयल्यों का
मतरस्कार करना और कभी भी िही और िच्ची बात को जनता तक नहीं पहुूँ चाना. यमद
पहुूँ चाना भी पड़े तो उिे पररवमतात रूप में पेश करना की उििे जनता को कभी िच्चाई का
पता ही ना चले, मवगत कुछ मदनों में जनता के िामने कुछ अमिक तेजी के िाथ उभर कर
िामने आया है .

यह एक भयानक षड्यंत्र है , जो की िीरे िीरे जनता के िामने आ रहा है . इि दे श के कुछ


खाि और अपने आप को िेकुलर कहलाने में गवा महियि करने वाले न्ययि चैनि के
मामलकाना हक के बारे मैं इं मियन लीक्स(http://indialeaks.blogspot.com/) मैं मवस्तृत तरीके िे
पदाा फाि मकया है . इि मामले मैं मवमकलीक्स िे भी मनवेदन मकया गया है की वह भी कुछ
और अज्ञात तथ्ों को जामहर करें .

जनता को इन िब तथ्ों िे कोई परे शानी नहीं होती है यमद ये िब अपने कताव्यों का मनष्ठा
पयवाक पालन करते रहे तथा जनता को मिफा िरकारी एजेंट की तरह खबर ना िुना कर, उनके
क़रीबी मुद्दों िे जुड़े मनष्पक्ष और िेवा भाव िे ओत प्रोत नेताओं जैिे की "िॉ. िुब्रह्मण्यम
स्वामी" , और "स्वामी रामदे व जी" के जनता को मदए गए िंदेशों को पहुूँ चाने में कोई व्यविान
ना करे या उिको तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत ना करें . परन्तु ये न्ययज़ चैनि तो उििे भी आगे
मनकल गए है ये तो अब मनष्पक्ष न्ययज़ को ना मदखा कर, इनके कां ग्रेिी आका क्ा चाह रहे है , वह
मदखाते है . अभी अभी मैंने एक नेवि चैनल की न्ययज़ को फेिबुक पर दे खा तो एक बार मफर
िे स्तब्ध रह गया - बाबा रामदे व के िमथान में उतारे िंत िमाज को भी इन्ोने प्रदय मषत करना
आरम् कर मदया है - आिाराम के आवाहन पर मक िोमनया गाूँ िी को दे श छोड़ कर चले
जाना चामहए पर इनकी न्ययज़ थी - “आशाराम के जहरीले बोल"

और खबर (http://khabar.ibnlive.in.com/news/55691/1) भी कुछ कम रोचक नहीं मलखी गयी


थी -- “मजि वि आिाराम अपने प्रवचन में िोमनया के क्तखलाफ जहर उगल रहे थे . उनके
पंिाल में छत्तीिगढ़ के मुख्यमंत्री रमन मिंह भी अपनी पत्नी के िाथ मौजयद थे .”
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हमारी जनता के पाि इतने िािन नहीं है की वह अपनी खुद की स्वतंत्र ररिचा कर के िभी
तथ्ों का खुद मवश्लेषण कर िके, िािन और िमयाभाव दोनों ही इिके मलए मजम्मेदार है ,
हां लामक तथ्ों िे मभज्ञ रहने की िंकल्पों की कमी को भी मैं इिके मलये कुछ हद तक
मजम्मेदार मानता हूूँ . लेमकन मयल कारण िािना भाव ही है . जनता तो जो मप्रंट मीमिया या
टी.वी या एफ. एम् चेनि पर जो बाते िुनती है , बार बार िुनती है तो उिको िच मान ही
लेती है या मफर उिके मन के एक शंका घर कर जाती है की कही ऐिा ही तो नहीं जो ये
कह रहा है की क्ोमक जनता के मन ये यह बात अच्छी तरह िे भर दी गयी है की वो
िािारण इं िान है , उन्ें ित्ता तंत्र मैं बारे मैं कुछ जानकारी नहीं है और ना ही उन्ें जो कुछ
िरकारी नुमायंदे कह रहे है , उििे ज्यादा कुछ जाने की उम्मीद करना चामहए.

तब प्रश्न यह उठता है की तो क्ा हम िब इि िरकारी , वेस्टना , कैथोमलक और बैपमटस्ट


चचों के द्वारा पोमषत तथा भारतीयों मुलभुत मवचारों पर आघात करते हुए और िंस्कारों की
कब्र बनाते हुए न्ययज़ चेनि का दु ष्प्रचार िहते रहे या मफर मिफा िोिल मीमिया जैिे की
फेिबुक और ब्लोग्स मलख कर अपने आप को शां त कर ले या मफर या इि दु ष्प्रचार तथा
इिी के जैिे िरकारी तथा चचा के द्वारा प्रायोमजत िंस्कार हनन कायाक्रमों के दय रगामी
पररणामों जो की बहुत है - एक तो मुझे अभी यह ब्लॉग मलखते िमय स्पष्ट् तोर पर िमझ में
आ रहा है - महं दी मैं यह ब्लॉग मलखने मैं तथा उमचत शब्द को मफर िे याद करने मैं, इं क्तग्लश
मैं मलखने की जगह मकतना अमिक िमय मुझे लग रहा है जब की स्वयं ही एक महं दी भाषी
प्रदे श िे हूूँ , महं दी मेरा पढाई का माध्यम रहा है . जब महं दी मैं यह हाल है तो िंस्कृत मैं क्ा
होगा. जो पाठक यह िोच रहे होगे की होम ऐिे मकिी व्यक्ति िे मकन भारमतयों िंस्कारों की
बातों को िुने और िमझे ,मैं उन िब िे मिफा एक बात कह रहा हूूँ की यह िमय आत्म मंथन
का है , हमको जो िीरे िीरे करके िब तरह िे अपां ग बना मदया जा रहा है , िां स्कृमतक
वैशाक्तखयों लगा दी गयी है , तो क्ा हम िंस्कृमत की दौड़ मैं जीत जायेंगे या मफर वो मजन्ोंने हमें
वैशाखी पह्न्याई है .

हम को अब िमझ मैं िार्फ िार्फ आने लगा है , भारत बषा के नागररकों के ऊपर लगाईये गए
वैशाक्तखयों को बाबा जी के वषों की मनरं तर मनस्वाथा भाव िे की गयी िेवा और योग मचमकत्सा
ने हटा मदया है . अब हम अपनी िंस्कृमत को और अमिक अपमवत्र नहीं होने दें गे. हमारा
दृमष्ट् भ्रम भी अब योग िे चला गया है , अब हमें हमारे िन को लेकर भागने वाले तस्करों (
िॉ. िुब्रमण्यमस्वामी के लेख पढ़ें - िमझ जगाए मक मैं इन्ैं तस्करों मक उपामि िे क्ों
िम्मामनत कर रहा हूूँ ) ने हमारी िम्पमत को क्तस्वि बैंक्स के मकन अज्ञात खातों में मछपा रखा
है . हालामक अज्ञात खाते कहना जबमक िमस्त दे श वामशयों को ज्ञात है कुछ ज्ञात खातों के बारे
में, अभी उमचत िमझता हूूँ मक क्ोमक जब बड़े बड़े नाम उजागर होंगे, मकतना पैिा दे श मैं
बामपि आएगा, मकतने लोगो के राजमनमतक कररयिा तवाह हो जायेंगे और कुछ तो अपने दु िरे
70

दे श मक नागररकता और पािपोटा मलए होने के कारण दे श िे बच मनकल भाग ने कोमशश में


इि बार जनता के द्वारा दबोच मलए जायंगे, यह मिफा िोच कर मक अत्यंत हषा मक अनुभयमत
होती है .

हालामक, इि हषाा नुभयमत को भमवष् में अनुभयत करने के मलए, हमें पुनिः अपने वत्ता मान मैं लौटना
होगा और उिको कायाा क्तन्वत करने के मलए यह अत्यंत जरूरी है मक हमारे महान ज्ञानी पुरुषों
बाबा जी रामदे व महाराज तथा दे श महत मैं तत्पर तामकाक, तथ्ों के ऊपर आिाररत जनमहत मैं
लड़ने वाले िॉ. िुब्रमण्यम स्वामी जी जैिे लोगो मक वाणी, मवचारों को दे श के िमस्त नागररको
मैं पहुचाया जाए.

इि मलए मेरा बाबा जी, स्वामी जी िे तथा भारत स्वामभमान टर स्ट िे मनवेदन है

एक टी.वी न्ययज चैनल मक थथापना करके जो मक इन दे शद्रोमहयों मक वातों को जन िािारण


के िामने उजागर कर िके. उि टी.वी न्ययज चैनल पर महान िच्चे तथा दे श महत मैं तत्पर
व्यक्तियों का िाक्षात्कार हो तथा ज्वलंत मुद्दों पर वाद मववाद दे श के मुख्य िारा िे जुड़े तथा
दे श मक कुछ जाने माने गणमान्य नागररको के वीच मैं.

यह चैनल मकिी स्टॉक एक्स्चेंज िे नहीं जुिा हो अन्यथा इिे भी खरीदने मक मलए वेस्टना
मीमिया तथा चचा अपने हाथ पैर मारने लगेगी.

एक एफ. एम्. चैनल मक भी इिी तरह िे थथापना मक जाए

एक RTI (आर टी आई )िेल मक भी थथापना की जाए मजिका मिफा िरकार के माध्यम िे


दे श महत और मनमि मक दलाली करने वालों मक काली करतयतों मक भी जानकारी जनता के
िामने लाने का काया हो

हम दे श भि तथा भारत के पुन गौरव शाली होने का िपना मलए हुए , इि काया मैं तन
मन िन िे तत्पर रहें गे.

एक शुरुआत मक अपेक्षा है .
71

मे अनिन को कोई पयाा प्त उपाय नहीं मानता और खाि कर की आज के दौर मे जब भारत
के नागररक िोये हुए हो और मिफा मीमिया ही जागके िबको खरीदा हुआ द्रस्य मदखा रही हो
... हमे शेर बनने की आवस्यिा है और िुभाि चन्द्र बोज की भां मत पर थोड़ा हट के गुप्त
तौर पर बहोत ऊंचे दरज्जे की ब्लेक कोमण्डो और इिराएल की भां मत गुप्तचर प्रमिक्षण की
आवस्यकता है ,भयतकाल मे अटलजी के िमय दौरान इिराएल ने ये ऑफर मदया हुआ था की
किमीर िमस्या को एक ही महीने मे िुलजा दें गे पर आरा ब दे शो िे िंबंि भी तो बनाए रखने
थे हमे....एिी फोिा हो मजिका एक एक बंदा िो के बराबर हो . ..भले ही वतामान मे
गामलया ममले पर भमवस्य मे िम्मान अवस्य ममलेगा ना मभ ममला तो कोई गम नहीं हमारा
आपका िबका एक अभीन्नव भारत तो
बनेगा ....उतना िब िम्मान िे ज्यादा
मायने रखता है ......मफर िे दौहरता
हु की मां गने िे कुछ नहीं ममलता और
ममले तो उिका महत्व ही क्ा रहे गा ?
याद करो हमारे पयवाजो को हम गीिड़ नहीं
मिंह के बच्चे है हमारा हक मछनना ही
िमा है ॥ गां िीजी का अमहं िा वाद मनजी
जीवन मे उपयुि है पर दे श के मलए
भयावह है कतै स्वीकार नहीं कर िकते
इिे ....िब लोग जगेगे ये िोचना
िमय का अपमान होगा इिमलए जागे हुए
लोगो को ही आगे आना होगा और
आपका एक जीवन हाम्मे शा के मलए भयल
कर उिकी दे श महट मे आहुती दे ना होगा ...इिका नेतृत्व एक िवाल है मजिका मकमिकों
जवाब दे ना होगा क्यकी मबना नेतृत्व और एकता के ये मुमहम रं ग नहीं ल पाएगी ....आशा
रखता हु कोई तो मुजे जवाब कीमजएगा .
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नये भारि की अाँधकार भतिष्य ,तहन्दू ससस्त्र युद्ध प्रारं भ नही ं तकया िो पराजय
तनतिि है !

नये भारि की अाँधकार भतिष्य ,तहन्दू ससस्त्र युद्ध प्रारं भ नही ं तकया िो पराजय तनतिि
है !

मुल्लो और ईिाईयों ने तो छु पे और कहीं कहीं खुले तौर पर युि छे ड़ रखा है ,

महन्दय और महन्दु थथान के मवरुि !

अन्ना हजारे और अन्नाटीम िे आश लगाये बैठे लोगो को क्ा पता था की ये नामचीन

होते ही इनके दोगली शं करी खयन उबाल खाने लगेगा , अन्ना और उनका टीम दे श िे बड़ा हो
गया ?

अमिवेश ने पहले अमरनाथ यात्रा को पाखंि बताया ,मफर हरामखोर प्रशां त भयषण ने कश्मीर
की आज़ादी की

बात की लेमकन अन्ना और दे श खामोश लेमकन जब कुछ दे शभिों ने हरामजादो की िुनाई


की तो उनकी राय

मनजी हो गई !

अब एक मछन्दाल मेिा पाटकर कश्मीरी आतंकवामदयों की रखैल िेना के मवरुि मोचाा खोल
रखी है !

ये हरामजादी को कश्मीरी महन्दु ओ का रोना चीखना िुनाई नहीं दे ता ,और अन्ना के ये


अनमोल रतन है ,

अन्ना को महाराष्ट्र में उत्तर भारमतयों की मपटाई नहीं मदखती ,दे श मवरोिी ब्यान िुनाई नहीं दे ता
है ,

कुछ जयचंदों और मान मिंह -के भां जो ने महन्दय िमागुरूओ को नीचा मदखने की कोई अविर
नहीं छोड़ रहे हैं ,

झयठा ,ढोंगी , ठग , भगेिय ,चोर , ड़ोगऔर न जाने क्ा क्ा िावाजमनक रूप िे कहते हैं !
73

लेमकन महन्दय खामोश , कभी कोई पादरी या मौलाना इमाम को ऐिा बोल कर मदखाए आग लग
जाती है , दं गे शुरू हो जाते है ,

अब कुछ अकबर बाबर के औलादों ने दे ल्ली यय मनवमिाटी में रामायण को ही गलत बताया है
राम िीता को भाई बहन

और रावन को िीता का मपता और हनुमान जी को रमिया बताया है ....एक पैगम्बर का


काटय ा न बना था मब्रटे न में

कुत्ते के औलाद मुल्लो को ममची लगी महन्दु थथान में मकतना कोहराम मचाया लेमकन क्ा करें
हम महन्दय है !

अपमान सहने की शल्जक् को नापूंसकिा कहिे हैं ,शांति और अतहन्र्षा मानििा की बाि
करिे करिे हम कायर हो गए है !

अब हम नही ं उठ खड़े हुए िो पातकस्तान में जैसे १२-१३ साल के तहन्दू लड़तकयों का
बलात्कार और तहं दुस्तान आये तहन्दू

िापस पातकस्तान जाने से पहले कहिे है मुझे गोली मार दो लेतकन पातकस्तान नही ं
जाऊंगा ! िही हालि हमारी होने िाली है

कश्मीरी तहन्दू ने मुल्लो पर भरोर्षा तकया था आज भुगि रहे है ! पातकस्तान -बंगलादे श


-आफ्गातनस्तान के तहन्दू िो भारि

में रहि महशुश करने आ जािे हैं भारि का तहन्दू कहााँ जायेगा ..........सोचो भाई
लोग जागो और जगाओ तहन्दू राष्टर बनाओ !
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मुसलमान और ईसाई का सम्पूिफ आतथफक ितहसकार

मुसलमान ईसाई और इनके िारा र्ैलाया जा रहा आिंकिाद से आप लड़ नही ं सकिे!
िो कम से कम इनका सम्पूिफ आतथफक ितहसकार कर के
उन्ें तमर्टाया या कमजोर िो जरूर तकया जा सकिा है !!
मुसलमान और ईसाई आप के से ही ं कमाया गया मुनार्ा में
से अपना धातमफक चंदा ( जकाि ) दे कर,आप के िबाही
का सामान लायेंगे और आप के साथ और आप के बच्चो के
साथ खून की होली खेलेंगे ! सािधान ! आइये तमल कर
आज से तह संकल्प ले की कैसी भी प्रल्जस्थति हो लेतकन हम
अपना १ भी पैसा मुसलमानों या ईसाईयों के हाथ में नही ं
दें गे .जागो तहन्दू जागो

मुिलमान ईिाई और इनके द्वारा फैलाया जा रहा आतंकवाद िे


आप लड़ नहीं िकते! तो कम िे कम इनका िम्पयणा आमथाक वमहिकार कर के उन्ें ममटाया
या कमजोर तो जरूर मकया जा िकता है !! मुिलमान और ईिाई आप के िे हीं कमाया
गया मुनाफा में िे अपना िाममाक चंदा ( जकात ) दे कर,आप के तबाही का िामान लायें गे
और आप के िाथ और आप के बच्चो के िाथ खयन की होली खेलेंगे ! िाविान ! आइये
ममल कर आज िे मह िं कल्प ले की कैिी भी प्रक्तथथमत हो लेमकन हम अपना १ भी पैिा
मुिलमानों या ईिाईयों के हाथ में नहीं दें गे .जागो महन्दय जागो
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सेक्‍यूलरिादी इतिहासकारों के छलािे

िमय शायद बीता गया जब हमारे दे श में, अं ग्रेजों के शािन के बावजयद भी, इमतहाि भी
इमतहाि को उि प्रेरणा-श्रोत की तरह पढ़ाया जाता था, जहां उिके पीले, पुराने पन्नों में भी हम
दे श की अपनी मवराित के प्रेरक – तत्वों को ढयंढ़ ही लेते थे। स्वतं त्रता िंग्राम के िमय भी
मतलक, रानािे , िुभाषचंद्र बोि आमद दजा नों राष्ट्रीय प्रमतभाओं ने दे श के इमतहाि के घटनाक्रमों िे
ही बहुिा राष्ट्रप्रेम की पयंजी प्राप्त की थी।

मफर मपछले दशकों में वह िमय आया जब हमारे दे श के कमथत बुक्तददजीमवयों ने इमतहाि को
अपने राजनीमतक पयवाा ग्रहों व आयामतत मवचारिाराओं के मलए एक हमथयार की तरह प्रयुि
करना शुरू कर मदया। पु राने घटनाक्रमों का वही मवश्लेषण स्वीकार मकया गया मजि पर
िाम्यवादी रजामंद थे। उनकी मयल थथापनाएं ही मवकृत मंतव्यों िे भरी पयरी थी जैिे प्राचीन
भारत में ऐमतहामिक कालक्रमों को व्यवक्तथथत रूप िे रखनें में कोई रूमच नहीं थी। वे
दं तकथाओं और िुने-िुनाए आख्यानों या चरणों की प्रशक्तस्तयों या मवरूदावली को इमतहाि मानने
लगे थे। इिीमलए ऐिे इमतहािकार चाहे वे रोममला थापर हों या इरफान हबीब या रामशरण
शमाा या उनके जैिे अने क वामपंथी मवचारक प्राचीन इमतहाि के श्रोता े ं की मवश्विनीयता का
मखौल उड़ाने िे कभी नहीं चयकते थे।

इि रूझान का एक कुक्तत्सत रूप हाल में उच्च न्यायालय के आदे श पर अयोध्या में राम
जन्मभयमम के थथान पर उत्खनन के बाद भारतीय पुरातत्व मवभाग की िवेक्षण ररपोटा के िंबंि में
दे खने को ममला है । हर छोटा बड़ा पत्रकार या राजनेता एक इमतहािकार या पुरातत्वमवद में
रूपां तररत हो गया और मववादास्पद मबंदुओं के नाम पर मवदय षकों की पैरोमियों जैिी मटप्पणी
करने लगा। मजन्ें उत्खनन या पुरातत्व की मक्रयामवमि की ितही िमझ भी नहीं थी वे
राजनीमतक कारणों िे मीमिया में छाए रहे । 10 वी ं शताब्दी के मवशाल मंमदरों के भयममगत िाक्ष्यों
के बावजयद, अनगाल प्रलाप की बानगी िामने है – पुरातत्व मवभाग का मदल मंगवाई है , यह
पुराताक्तत्वक िोखािड़ी है , यही होगा यह पहले िे पता था, प्राचीन अवशेष मक्तिद के है , वहां
राम की प्रमतमा क्ों नही मनकली? वहां हमि् ियां क्ों नहीं मनकली?

मनलाज्जता के िाथ-िाथ बेवकयमफयों की भी एक िीमा होती है पर हमारे अंग्रेजी मीमिया के


एक वगा की िामजश भी एक िारे प्रकरण के उजागर हो गई। चार तलों के उत्खनन के बाद
और एक मवशाल मंमदर के ढां चे के प्रचुर प्रमाण ममलने के बाद भी जो 50-30 मीटर क्रमशिः
उत्तर दमक्षण एवं पयवा पमिम तक मवस्ताररत था हमारे दे श के अनेक मवद्वानों की आं खों में पट्टी
बंिी रही। मदल्ली के एक प्रमतमष्ठत महं दी िाप्तामहक िमाचार ने महं दय-मवरोिी इमतहािकार इरफान
हबीब के मलए पयरे दो पृ ष्ठों के ऊपर मोटे अक्षरों के शीषाक के िाथ दररयामदल होकर कालॅम
दे मदए थे। शीषका था- ‘खोदा िमािान, मनकला घमािान!’ मंमदर के उत्खनन में 50 स्तंभ-
आिारों का ममलना, महं दय आथथा के अनेक कलात्मक प्रतीकों की उपलक्तब्ध इन िबिे उन्ें जैिे
कोई िरोकार नहीं था क्ोंमक उनका अज्ञान व दु राग्रह उनकी मान्यताओं की िक्तज्जयां उड़ा रहा
था।
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हमारे दे श का इमतहाि हजारों िाल पुराना है और आज की राजनीमतक िीमाओं के पर वह


एक बृहत्तर भारत का घटनाक्रम था। दे श के अमिकां श वामपंथी इमतहािकारो ं की मान्यतायें या
व्याख्याएं िदै व पक्षपातपयणा होने के िाथ हास्यास्पद भी लगती है । कहीं इरफान हबीब कहते हैं
मक मध्ययुग के िंतों ने ऐकेश्वर इस्लाम िे िीखा। कहीं मलखा मक मुक्तस्लम आक्रां ताओं का
उद्दे श्य मिफा लयट-खिोट था, िमाां तरण या मंमदरों का मवध्वंि नहीं। नोबल पुरस्कार मवजेता वी.
एि. नयपाल ने कुछ मदनों पहले लंदन के एक पत्र को मदए िाक्षात्कार में कहा था मक भारत
में मुक्तस्लम आक्रमणकाररयों ने क्ा मकया यह जानने के मलए हर महं दय को एक बार हम्पी के
ध्वंिाशेषों को जरूर दे खना चामहए। उनका हृदय मवदीणा हुए मबना नहीं रह िकता। क्तथथमत की
गंभीरता इि बात िे िमझी जा िकती हैं मक वी. एि. नयपाल ने लंदन-क्तथथत एक पत्रकार
फारूख ढोंिी को यहां तक कहा मक प्रमिदद वामपंथी इमतहािकार रोममला थापर एक ‘फ्रॉि’ है ।

आज अनेक पत्रकार जो अपने को इमतहािकार के रूप में छापते हैं वे अपने कुंमठत एवं
मवषाि तकों िे महं दय अतीत पर आघात कर रहे हैं । उनमें ‘एमशयन एज’ में मनयममत रूप िे
मलखने वाले अक्तखलेश ममत्तल शायद िबिे आगे हैं । उनके तकों में मवमक्षप्तता अमिक है और
उन्ें एक लेख ने ‘नीम हकीम’ – शालाटन – इमतहािकार भी कहा है । ‘इमतहाि’ शीषाक
िाप्तामहक स्तंभ में भाषायी अभद्रता, महं दय िंगठनों व िामान्य महं दयओं पर मवषवमन करना ही
इिका अकेला उद्दे श्य है । उदाहरण के मलए 2 नवंबर, 2003 के ‘एमशयन एज’ के रमववारीय
पररमशष्ट् में िन् 1192 ई. में शहाबुद्दीन गोरी की तराईन की मैदान में मवजय का मजक्र करते
हुए ममत्तल का कहना है मक ”महं दय िां प्रदामयक” लेखक मिफा मंमदरों व महलों के मवनाश की बात
करते हैं पर वे भयलते हैं मक 13 वी ं िदी के बाद िे ही तुकी या पाश्तों-भाषी मवजेताओं ने
थथापत्य के िाथ-िाथ ‘तराना’ कव्वाली या िामहत्य की दय िरी मवद्याओं के क्षेत्र में अभयत पयवा
योगदान मदया। इिी तरह 26 अक्टय बर, 2003 ‘एमशयन एज’ के अंक में ‘महं दय िमाां िों एवं िंघ के
नेताओं’ की भत्साना करते हुए वे मंमदर के मवध्वंि पर महं दुओं को ‘राक्षिाज वेयर महं दयज’ शीषाक
मलखते हैं मक राजपयतों की वीरता की कहामनयां भी मनगढ़ं त है और िोमनाथ के मंमदर के
मवध्वंि पर महं दुओं ने िुमविाजनक बातें मलखी हैं । कनाल टॉि का 1839 में मलखा ‘द एनाि
एं ि एं टीक्तक्वटीज ऑफ राजपयताना’ की आलोचना करते हुए मक वह मब्रमटश िरकार के िमय
महं दय-मुक्तस्लम तनाव बढ़ाने और महं दुओं को शह दे ने मलए चरणों के प्राचीन यशोगान पर
आिाररत थी और इिका ऐमतहामिक मयल्य नहीं है । वह अंग्रेज अमिकारी अवश्य था िारे जीवन
राजपयत जामत का िच्चा ममत्र रहा और राजथथान के ‘इमतहाि का मपता’ कहा जाता है । वह 17
वषा भी अवमि में ईस्ट इं मिया कंपनी में बंगाल में आया और िारा जीवन राजथथान के इमतहाि
िामग्री एकत्र करने में मबता मदया। उिका जन्म 1782 में हुआ था और 1835 में मात्र 53 वषा में
उिकी मृत्यु हो गई। इिी तरह 14 मितंबर, 2003 को ममत्तल द्वारा ‘द-एं ग्लो-आर. एि. एि.
नेक्सि’ शीषाक लेख में उन्ोंने कहामनयां गढ़ी हैं मक स्वतंत्रता िं ग्राम के दौरान िंघ ने मकि तरह
अंग्रेजों का िाथ मदया था। ‘एमशयन एज’ के ही 28 मितंबर, 2003 के अंक में ‘महं दुत्व एट आगरा
फोटा ’ में उन्ोंने छत्रपमत मशवाजी के शौया पर आपमत्तजनक व भड़ाकाऊ मटप्पणी की है जैिे
उनका आगरा मकले िे मनकलना कोई महत्वपयणा घटना नहीं थी क्ोंमक वे वहां मुगलों को वचास्व
स्वीकार करने गए थे।

इि तरह के इमतहािकारों को हम कब तक िहें गे जो कहते हैं मक छत्रपमत मशवाजी की


मवजयगाथा के पीछे क्षेत्रीय मराठा दृमष्ट्कोण था। गुरू ते ग बहादु र एक लुटेरे थे , उनकी फां िी के
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पीछे उनके पररवार के लोगों की िामजश थी। जै न तीथांकरों की ऐमतहामिकता िंदेहजनक है ।


मदल्ली के मुगल शािकों की नाक में दम करने वाले मवद्रोही जाट राजा लुटेरे थे।

इन िबिे अमिक खतरनाक मवचारों के प्रचार में उनका यह कहना मक आया आक्रमणकाररयों
के रूप में मध्य एमशया उत्तरी ध्रुव आमद दे शों िे भारत आए थे और उन्ोंने मिंिु घाटी की
िभ्यता िे जुड़े द्रमवड़ों को अपदथथ मकया और दमक्षण की ओर खदे ड़ मदया। कोट
दीजी(मिंि), काली बंगन(राजथथान), रोपड़(पंजाब) और लोथल (गुजरात) के नए पुराताक्तत्वक
िाक्ष्यों द्वारा यह पयवाा ग्रह ध्वस्त मकया जा चुका है पर उनकी यह रट अभी भी जारी है । िॉ.
पी. वी. वताक ने अपने खगोलशास्त्र िाक्ष्यों व महाभारत के कालक्रमों को वैज्ञामनक ढं ग िे
मनिाा ररत करने की कोमशश की है । पर आज भी कुछ भ्रममत इमतहािकार राम िे जुड़ी
अयोध्या कहां हैं पर िं शय प्रकट कर रहे हैं । हाल में एक दय िरे वामपं थी इमतहािकार ने
रामायण शब्द के गलत उच्चारण के आिार पर िमा के िमयचे मिददां त को एक काल्पमनक
पृष्ठभयमम पर थथामपत कर मदया। रामायण का उच्चारण ‘रम्याण’ मान कर क्रौंच-बि िे िंबंमित
प्रमिदद श्लोक का नया अथा खोज मनकाला और इि श्लोक को कमवता न मानकर िाममाक िय त्र
घोमषत कर मदया। अयोध्या को बौदद – िमा का पमवत्र नगर कहना भी एक घृमणत राजनीमत-प्रेररत
िामजश लगती है । यह एक माममाक पीड़ा का मवषय है मक यह िब मलखनेवाले अंग्रेजी मीमिया
में और िरकारी िंथथानों में अपना वचास्व बनाए हुए हैं ।

दे श की प्राचीन इमतहाि की माक्सावादी प्रचमलत शब्दावली द्वारा हर तरह िे छीछालेदर करने


का अिफल प्रयाि मकया गया है मक वह क्रोि िे अमिक हं िी का मवषय लगता है । कुछ
उदाहरण दे खने योग्य हैं । मनु ‘मानवद्रोही’ थे, पौरामणक रचनाएं ‘काल्पमनक आख्यानों के मनरथाक
कालाकमा का थोक का काम था, मवदु र नीमत महन्दु ओं की िामंती-िंस्कृमत की एक महत्वपयणा
आचार-िंमहता है , श्रीमद्भगवदगीता युदद और महं िा को वैचाररक आिार दे ने वाला ग्रंथ है , आमद-
आमद!

एक दय िरे इमतहािकार ने तो 20 वी ं शताब्दी की ‘बृहत परं परा’ व लघुपरं परा के ियत्र ‘ॠृग्वेद’ के
आख्यानो के रूप में वेदों में थथान पा गए हैं ? इि मवकृत मक्तस्तष्क के बुक्तददजीवी को शायद यह
याद नहीं रहा मक पुराणों की रचना ‘ॠृग्वेद’ के बहुत बाद हुई है । इि आशय का प्रश्न उठाने
पर ऐिे मवद्वानों का एक ही जवाब रहता है – भारत में रचनाओं का काल मनिाा रण अत्यंत
दु ष्कर काया है ।

भारतीय इमतहाि के रातों-रात बने जानकारों िे मनलाज्ज िाम्यवादी नेता भी हैं मजन्ें हमारे दे श
के अंग्रेजी मीमिया के िाथ-िाथ मवदे शों में भी, यमद उनकी मटप्पमणयां महन्दय -मवरोिी हैं , तो आज
खुल कर उददृत मकया जाता है । उदाहरण के मलए अमेररकी मीमिया आज भी िाम्यवामदयों को
अस्पृश्य मानता है । पर जब हमारे दे श के ऐिे लोग जो माक्सावादी तथा िाम्यवादी दल िे जुड़े
हैं , महं दय मवरोिी मटप्पणी करते हैं , तब उनकी राजनीमतक पहचान मदए मबना, वे खुलकर उददृत
मकए जाते हैं । उन्ें मात्र एक भारतीय बुददजीवी या मवचारक का मवशेषण दे कर उददृत मकया
जाता है । महं दयओं के मवरूदद मवषवमन करनेवालों में चाहे वे कुख्यात िाम्यवादी ही क्ों न हो
वहां स्वीकाया हैं । कमथत पयंजीपमतयों व मुि बाजार का झंिा उठानेवालों को िाम्यवादी प्रविा
भी स्वीकार हैं क्ोंमक महं दय-मवरोि ही उिके प्रकाशन की एक बड़ी शता है ।
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सेकुलरिादी तिमशफ की आड़ में : परि-दर-परि खुलिा राष्टरद्रोही चेहरा -


हररकृष्ण तनगम

आज के राजनीमतक मवमशा में हमारे कुछ बुक्तददजीमवयों ने एक अजीब तरह की अराजकता को


प्रश्रय दे कर अंग्रेजी मीमिया के एक बड़े वगा में, जहां तक महं दय की व्याख्या का प्रश्न है , एक
मवकृत दृमष्ट् व हठिममाता को मात्र महं दय आथथा का ही अमहत कर राजनीमतक पक्ष मदखता है
और कभी भी लगता है मक िेमममटक िमों की प्रच्छन्न वकालत के मलए इि दु ष्प्रचार में जी
जान िे वे िब लगे हुए हैं । उन्ें इतर िमों की भारत िमहत मवश्व भर में चल रही गलाकट
प्रमतद्वं मदता और उनके अपनी श्रेष्ठता का लगातार दावा करने की प्रवृमत्त में कुछ भी अटपटा नहीं
मदखता है । हमारे दे श के मवकृत, मदशाहीन और महं दय-मवरोिी राजनीमतक दलों की अपनी
मानमिकता का लाभ उठाते हुए आज िहिा ऐिे प्रकाशनों की बाढ़ आ गई है मजिमें लगता है
अमभव्यक्ति की स्वतंत्रता की जगह अनेक बड़े लेखकों ने राजनीमत अथवा अनेक लॉमबयों की
गुलामी स्वे च्छा िे स्वीकार की है । मविं बना यह है मक नवउदारवाद और नेहरूवादी पारं पररक
िामामजक मवचारिारा या दशान के िमथान के बहाने अंग्रेजी दै मनकों का एक प्रभावी वगा और
व्यवथथा मवरोिी छमव का ढोंग करता है दय िरी ओर घोर-महं दय मवरोि द्वारा वामपंमथयों एवं
अंतराा ष्ट्रीय लॉमबयों का स्वेच्छा िे मोहरा बनने को राजी हो जाता है ।

हाल के कुछ प्रकाशनों और मीमिया में उनके प्रचार के स्तर को दे खते हुए यह िंदेश एक
कटु यथाथा बन चुका है । हाल में मवनय लाल द्वारा िंपामदत 287 पृष्ठों का ऑक्सफोिा ययनीवमिाटी
प्रेि द्वारा प्रकामशत ग्रंथ मजिका शीषाक है ‘पोमलटकल महन्दु इज्म िः मद ररमलमजयि इमेमजनेशन
इन पक्तब्लक क्तस्फयिा ’ यह मिदद करने में कुलां चे भर रहा है मक 19 वी ं शाताब्दी के उत्तरािा की
राष्ट्रवाद की अविारणा ने स्वतंत्रता के बाद महं दय िमा का पयणा रूप िे राजनीमतक रूपां तरण कर
मदया। बहुिंख्यकों के दमक्षणपंथी रूझानों का हव्वा खड़ा कर लेखक कहता है मक महन्दु त्व की
अविारणा िे भी एक कदम आगे राजनीमतक महं दुत्व है जो दे श के दय रगामी महत में नहीं है ।
स्पष्ट् है मक महं दय िंगठनों की हर उि गमतमवमि या रणनीमत को मजिके द्वारा वे राष्ट्रमवरोिी,
अवां छनीय, िंकीणा और मवजातीय तत्वों के प्रवेश पर अंकुश लगाना चाहते हैं , वे चाहते हैं मक वे
चाहे दे श के वामपंथी या िेक्यलर मवचारक हो या मजनकी िमा मनरपेक्षता की व्याख्या मात्र
अल्पिंख्यकों के तुष्ट्ीकरण तक िीममत है , उन्ें बौखला दे ती है । यह कड़वा िच है मक इि
दे श के कमथत प्रगमतशील कहलाने वाले लेखक उदार, मनरं तर िंवाद को प्रोत्साहन दे ने वाले,
िमीक्षा एवं मनत्य नए तकों को, मवचारों को आत्मिात् करने वाले महं दय दशान को िां प्रादामयक,
अिमहष्णु और वगाशस्त्रु मानते है । वे अंिे बन जाते हैं या न दे खने को ढा े ं ग करते हैं जब
इतर िमों की आक्रामकता या अनुयाईयों को बढ़ाने की अंिी मजद िे पाला पड़ता है । क्ा इिे
पढ़े मलखों की आज की मवचारिारा का आतंकवाद नहीं कहा जा िकता है ।

बहुिंख्यकों के मवरूदद हाल में मवषवमन करने वाले लेखकों में ज्योमतमाय शमाा की वाइमकंग
नामक प्रकाशन – गृह द्वारा छापी पुस्तक ‘टे रीफाइं ग मवजन’ शायद िबिे आगे हैं मजन्ोंने महं दय
राष्ट्रवाद की अविारणा की मनंदा करते हुए मचरपररमचत माक्सावाद शब्दावली प्रयुि की है । िंघ
के मद्वतीय िरिंघचालक श्री मािवराव िदामशवराव गोलवलकर पर उं गली उठाने के िाथ-िाथ
इि लेखक ने तथ्ों व िाक्ष्यों के मवद्रयपीकरण, ममथ्ाकरण और िंदभों को िुमविानुिार कुमटलता
के िाथ तोड़ा-मरोड़ा है । इिी लेखक की जब िन् 2003 में पेंगुइन द्वारा प्रकामशत पुस्तक
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‘महं दुत्व एक्स्प्लोररं ग द आईमिया ऑफ महं दय नेशनमलज्म’ िामने आ गई थी दे श के अंग्रेजी प्रेि ने


इिे आवश्यकता िे अमिक महत्व मदया था। हाल की उनकी पुस्तक का शीषाक ‘टे रीफाइं ग
मवजन’ तो इतनी मनंदात्मक है जैिे महं दय िंगठनों की मवचारिारा ही दे श को आतंमकत या
भयभीत करनेवाली हो। हम मवस्मृत नहीं कर िकते हैं मक दे श की बड़ी अंग्रेजी पमत्रका ‘इं मिया
टय िे ’ ने इिकी िमीक्षा को ही ‘बोगीमैन इन िैफ्रॉन’ शीषाक िे छापी थी। हममें िे कदामचत
बहुत िे लोगों को यह ज्ञात नहीं होगा मक अंग्रेजी में बोगीमैन का अथा होता है – प्रेतात्मा,
शैतान, भयत, हौवा। वामपंथी मृगमरीमचकाओं में मलप्त, महं दय मवरोमियों का स्वाभामवक ममत्र यह
लेखक जो कोई भी माक्सावादी व्याख्या या नेहरुवादी मवचारिारा की वैिता पर प्रश्नमचह्म लगाने
का प्रयाि करता है उि पर पुनरूत्थानवादी, िां प्रदामयक और तत्ववादी या दमक्षणपंथी होने का
लेबल जड़ता है । महं दुत्व की स्वभामवक अमभव्यक्ति िवािमावेशक है – यह ऐिे लोग भयल जाते
हैं । यही हमारी पहचान का मुख्य गुण पहले भी था और आज भी है , इिे नकारा नहीं जा
िकता है ।
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क्‍या तहन्दु स्तान में तहन्दू होना गुनाह है? - 1

क्‍या तहन्दु स्तान में तहन्दू होना गुनाह है ? इस सिाल का जिाब अतधकांश लोग हां में दे िे
हैं। आल्जखर ऐसी सोच क्‍यों पैदा हुई?

भारि तिश्व के दृश्यपर्टल पर सबसे बड़ा धमफतनरपेक्ष दे श है। यह ऐसा धमफतनरपेक्ष है , जैसी
धमफतनरपेक्षिा होनी बड़ी मुल्जिल है। जो नई नस्लें हैं, उन्ें क्‍या मालूम तक हम क्‍या चीज
हैं। भारि आजाद हुआ, इसके तलए बाकायदा इं तडयन इं डीपैंडैंस एक्‍र्ट बना, पातकस्तान
िजूद में आ गया। अंग्रेजों ने उन्ें कश्मीर नही ं तदया था। उसे हमारे साथ महाराजा हरर
तसंह ने तिलय तकया था। ऐसा तिलय 542 ररयासिों ने पहले ही कर तदया था। सबकी
बाि हमने सुनी, मानी परन्तु कश्मीर में घुंडी अड़ गई। यह अनोखी धमफतनरपेक्षिा थी।
शेख और महाराजा के अच्छे संबंध नही ं थे। महाराजा ने उन्ें राजद्रोह के आरोप में कैद
कर रखा था जबतक पंतडि नेहरू और महाराजा के संबंध भी अच्छे नही ं थे। महाराजा
की नजरों में नेहरू की चाररतत्क समग्रिा संतदग्ध थी। शेख अब्‍दु ल्ला तिलतमला उठे । िह
बाहर आए, नेहरू से तमले और शेख ने चाल चल दी। 27 अक्ूबर, 1947 को पातकस्तान ने
आिमि कर तदया। यह एक पूिफ रूप से सुतनयोतजि र्षड्यंत् था। भयंकर मारकार्ट हुई।
महाराजा ने अपनी ररयासि को भारि के हक में तिलयन के सहमति पत् पर हस्ताक्षर
कर तदए। श्रीनगर िो बच गया, परन्तु हमारा 2/5 भाग पातकस्तान ने जबरदस्ती हतथया
तलया। पातकस्तान की बलात्कारी र्ौज को जिाब दे ने के तलए हमारी सेना पहुंच चुकी
थी। घनसारा तसंह और तब्रगेतडयर परांजपे मौजूद थे। छह घंर्टे के अन्दर हमारा भूभाग
िापस आ सकिा था, परन्तु सेना का तनयंत्ि और उसे आगे बढऩे का अतधकार केिल
शेख के हाथ में तिशेर्ष आदे श के िारा नेहरू ने दे रखा था।

कारि था- हमारी धमफतनरपेक्षिा। सिाल भारिीयिा का नही ं धमफतनरपेक्षिा का था।


महाराजा हरर तसंह रोिे रहे, हमने अपना भू -भाग गंिा तदया और मामला संयुक् राष्टर िक
जा पहुंचा। हम अपनी सरजमी ं से तिशाल सेना होिे हुए भी दु श्मन को खदे ड़ नही ं सके
हमारी धमफतनरपेक्षिा आड़े आ गई। मामला संयुक् राष्टर में लर्टक गया। पातकस्तान ने
हमारे भू-भाग का 13 हजार िगफ तकलोमीर्टर 2 माचफ , 1963 को चीन को दान कर तदया।
सीमा तनधाफरि के बहाने तकये गए इस कुकृत्य पर बिौर तिदे श मंत्ी भुट्टो ने हस्ताक्षर
कर तदए और उधर चीन के ित्कालीन तिदे श मंत्ी चेन यी ने दस्तखि तकए। इसी को
कहिे हैं 'माल महाराज का तमजाफ खेले खोली।' माल तकसी का था और कमाल कौन कर
रहा था।

जब पंतडि नेहरू पर दबाि पड़ा िो उन्ोंने मगरमच्छी आं सुओ ं से भरा एक भार्षि


लोकसभा में 5 माचफ , 1963 को तदया था। यह एक 'धमफतनरपेक्ष और ढोंगी' प्रधानमंत्ी की
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िकरीर थी। रो रहे थे तक हम क्‍या करें , अभी समय तिपरीि है , हमने अपना 'प्रोर्टै स्ट' कर
तदया है।

कांग्रेसी बंधु इसे पढ़ें और अपना तसर पीर्टें । नेहरू रोिे क्‍यों न? 1962 के युद्ध में उन्ोंने
हमारी दु गफति करिा दी। चीन के नाम से रूह कांप रही थी। इसकी सारी दास्तां िब
ले . जनरल िी.एम. कौल ने अपनी तकिाब “Untold Story” में बयान कर दी। उसे भी
आज पढ़ा जाना चातहए लेतकन तकसे तर्ि है जो इन दस्तािेजों में जाए? नेहरू का 1964
में तनधन हो गया। 1965 में पातकस्तान ने हम पर आिमि कर तदया। िब िक लाल
बहादु र शास्त्री की कृपा से हम में बड़ा गुिात्मक र्कफ आ गया था। हमने पातकस्तान को
तदन में िारे तदखिा तदए। हमारी सेनाएं लाहौर िक जा पहुंची ं। उन्ोंने कच्छ के रि में
हमारा एक तहस्सा कब्‍जे में ले तलया। पातकस्तान ने चाल चली। हमारे परमतमत् कोसीतजन
से तमलकर अयूब ने िाशकंद में समझौिा तकया। हमने उनका सारा भूभाग छोड़ तदया,
उन्ोंने कच्छ में आज िक हमारी जमीन न छोड़ी। क्‍यों? हमने धमफतनरपेक्ष िरीके से
इसका प्रौर्टे स्ट तकया। 1971 में तर्र िही िारीख दु हराई गई।

हम चाहिे िो तशमला समझौिा में अपना कश्मीर िापस ले सकिे थे, पर इं तदरा जी की
धमफतनरपेक्षिा आड़े आ गई। िब से लेकर आज िक कश्मीर जल रहा है। आज एक
धमफतनरपेक्ष सरकार हमारे दे श में िजूद में आ गई है लेतकन इन 30-32 िर्षों में कश्मीर
में क्‍या हुआ इसका हाल सुनें। कश्मीर घार्टी से 2.14 गुना क्षेत्र्ल जम्‍मू का है। कश्मीर
घार्टी से 4.35 गुना क्षेत्र्ल लद्दाख का है। उस राज्य की 90 प्रतिशि आय जम्‍मू और
लद्दाख से है। 10 प्रतिशि घार्टी से है। सम्‍पूिफ आय का 90 प्रतिशि तहस्सा घार्टी में खचफ
तकया जािा है। कारि क्‍या है ? हमें इस बाि का मलाल नही ं तक 3 लाख तहन्दू क्‍यों
तनकाल तदए गए। हमें यह मलाल नही ं तक बौद्धों के साथ क्‍या हो रहा है। पर हमें इस
बाि की सबसे ज्यादा तर्ि है तक -

िहां दो नागररकिाएं कायम रहें ।

अनुच्छेद 370 कभी न हर्टे ।

भारि का संतिधान लागू न हो।

िहां कोई जमीन न खरीद सके।

भारि का कानू न लागू न हो।

िहां की बे र्टी भारि में कही ं शादी करे िो नागररकिा खो बै ठे, और पातकस्तान में करे िो िह
यहां का नागररक हो जाए।
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जम्‍मू-कश्मीर की स्वायत्तिा प्रस्ताि हमारी सरकार के पास है । अगर हमारी सरकार की


धमफतनरपेक्षिा ने तर्र जोर मारा, िो हम तसर्फ 'अतभन्न अंग' रह जाएं गे , और हमारा प्यारा
कश्मीर De-Facto पातकस्तान हो जाएगा और हमारे पास De-Jure कश्मीर ही रहेगा। हम
िब इस अतभन्न अंग को गाएं गे , गुनगुनाएं गे , ओढ़ें गे, तबछाएं गे और चरखे के गुि गाएं गे।
जय बापू की-जय गांधी की। अर्सोस! एक अरब 25 लाख लोगों का यह मुल्क इिना
मोहिाज हो गया तक प्राचीन गौरि और परम्‍पराएं भूल गया। तधक्कार है इस राष्टर के
धरिी पुत्ों पर। मानतसक रूप से इस राष्टर को 'तनिाफयक जंग' के तलए िैयार करना
होगा। ''जब तकसी जाति का अहं चोर्ट खािा है।पािक प्रचंड होकर, बाहर आिा है।यह िही
चोर्ट खाए स्वदे श का बल है।आहि भुजंग है , सुलगा हुआ अनल है।

क्‍या तहन्दु स्तान में तहन्दू होना गुनाह है? - 2

जीवन में कभी-कभी अतीत की गहराई में झां कना बड़ा ही अच्छा लगता है और िुखप्रद भी।
यहां यह बात मैं राष्ट्रों के अतीत के िंदभा में कह रहा हूं । भारििर्षफ के तजस िंत् में हम रह
रहे हैं और मूखफिािश तजसे 'प्रजािंत्' कहिे हैं िह आजादी के पांच दशकों बाद कैसा
तसद्ध हुआ है , इस पर यहां मैं तर्टप्पिी नही ं करना चाहिा।

मैं त्रेतायु ग के काल िे इि राष्ट्र की मवमभन्न शािन प्रणामलयों का अध्ययन मपछले मदनों कर रहा
था। इिी क्रम में कुछ ऐिे तथ्ों की जानकारी ममली मजन्ें न केवल मैं पाठकों के िाथ िां झा
करना चाहता हूं , अमपतु मेरी मंशा है मक हम कुछ बातों की प्रािंमगकता आज के युग में भी
जानें। यह बात ित्य है मक श्रीराम को पररक्तथथमतवश बनवाि जाना पड़ा, मफर भी ज्येष्ठ
दशरथनंदन होने के नाते महाराज दशरथ यह दे खकर मचंमतत थे मक श्रीराम मचंता में हैं । कुछ
प्रश्र उनके मन में उमड़-घुमड़ कर आते हैं और उन्ें व्यमथत कर जाते हैं । यथािम््‍भव उन्ोंने
स्वयं भी उनका मनराकरण मकया और बाद में महमषा वमशष्ठ को मवस्तार िे िारी बात बताई।
श्रीराम और महमषा वमशष्ठ में एक लम््‍बा वाताा लाप हुआ। आज परम िौभाग्य की बात यह है
मक इन िभी वाताा लापों िम््‍पयणा वृतां त 'योग वमशष्ठ' मयलत: िंस्कृत में उपलब्‍ि ग्रंथ तो है ही,
उिके कुछ अच्छे भाष् भी उपलब्‍ि हैं । आज इिे िाममाक ग्रंथ की िं ज्ञा दी जाती है । योगशास्त्र
का अद् भुत ग्रंथ भी माना जाता है , वैराग्य की भी बहुत िी बातें इिमें हैं परन्तु एक राजा का
क्‍या कर््‍त ा व्य होना चामहए, उिमें ऐिा िब कुछ मनमहत है । 'योग वमशष्ठ' अनु पम है मकिी अन्य
कृमत िे इिकी तुलना नहीं की जा िकती।

ठीक इिी प्रकार महाभारतकाल में एक अंिे राजा ने जब यह दे खा मक उिकी मवदु षी पत्नी ने
भी आं खों पर पट्टी बां ि ली और िारे के िारे राजकुमार नालायक मनकल गए तो उि राजा ने
मवदु र जी को मनमंत्रण मदया।
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एक छोटा परन्तु बड़ा िारगमभात ग्रंथ प्रकट हुआ। हम उिे कहते हैं -मवदु र नीमत। भावी घटनाएं
कुछ और थीं, वरना िृतराष्ट्र का यह प्रयाि स्तुत्य था।

अब मशवाजी राजे की बात।

भारतवषा में महन्द-पद-पादशाही का स्वप्न पयरा हुआ। मशवाजी महाराज को मदव्य मनदे श तो ममले,
परन्तु उििे पहले एक अद् भुत कृमत का प्राकट्य हुआ। उिका नाम है - दाि बोि। मनुष्
को स्वयं को अपनी पयणाता में िमझ पाने की वह अद् भुत कृमत है । उिका आशय क्‍या है , क्‍या
आप जानना चाहें गे। आशय है : 'इक बहाना था जुस्तजु तेरी दरअिल थी, मुझे खुद अपनी
तलाश।' दाि बोि अद् भु त है । िमथा गुरु रामदाि जी ने अपने मप्रय मशष् मशवा की झोली में
'दाि बोि' िाला और मशवाजी ने िमस्त राजपाट उन्ें िममपात कर मदया और 'राजध्वज' को
भगवे में रं ग मदया और नारा लगा 'जय-जय-जय रघुवीर िमथा।

इि श्रृंखला में कौमटल्य को कैिे भयलें। अथाशास्त्र का एक-एक वचन चीख-चीख कर कह रहा है
मक इििे उत्कृष्ट् रचना मपछले हजारों वषों में नहीं रची गई। योग वमशष्ठ, मवदु र नीमत, दाि बोि
और अथाशास्त्र, िब कुछ हमारे पाि था, मफर भी हम िमदयों गुलाम रहे क्‍योंमक हम अपनी
जड़ों िे कट गए। आज इमतहाि अपने आपको दोहरा रहा है । मजि राह पर हम चल रहे हैं
वह मिवाय 'मवध्वंि' के हमें कहां ले जाएगी?

कारण क्‍या है ? कारण एक ही है मक 'गोरे अं ग्रेजों' के हाथ िे मनकल कर राष्ट्र काले अंग्रेजों के
हाथ में चला गया। यह िारे के िारे 'मैकाले ' के मानिपुत्र थे। इन्ोंने भारत को इिकी जड़ों िे
काट मदया।

'धमफतनरपेक्षिा' नामक शब्‍द भारि के माथे पर कोढ़ बनकर उभरा। यह आज भी इस राष्टर


के तलए कलंक है। धमफ के प्रति न िो आज िक कोई तनरपेक्ष हो सका है और न ही
भतिष्य में होगा क्‍योंतक धमफ चेिना का तिज्ञान है , अि: यह हमेशा एक ही रहिा है , दो
नही ं हो सकिा। क्षमा, दया, शील, िच्चररत्रता यह िारण करने योग्य हैं , अत: जो इन्ें िारण
करता है वही िाममाक है , जो मनरपेक्ष है , वह बेईमान है । अपने िंस्कारों को अक्षुण्ण रखते हुए
िाममाक रहा जा िकता है ।

भगिान कृष्ण ने गीिा में कहा- 'स्वधमे तनधनं श्रेयम्।' इसका एक ही आशय है , अपनी
तनजिा न खोओ।
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अपने िमा में मृत्यु भी श्रे यस्कर है । ढोंगी न बनो। ढोंगी को तो नरक में भी जगह नहीं ममलती।
भारत में िवािमा िमभाव के प्रणेता प्रकट हो गए। राजनीमत ने ऐिा कलुष पैदा मकया। भगवान
कृष्ण ने कहा- अपना िमा श्रेष्ठ, परन्तु मकिी की मवचारिारा का अनादर न करो। इन बेइमान
पाखंमियों को दे खो, जो िवेरे मजारों पर चादर चढ़ाते हैं , दोपहर को मंमदरों में जाते हैं , शाम को
चचों में जाकर भाषण दे ते हैं तथा रात में गुरुद्वारे जाकर मिरोपा लेते हैं । ऐिा लगता है , इन्ें
बुित्व प्राप्त हो गया? िाविान! ये पहले दजे के पाखंिी हैं । यह ढोंग कर रहे हैं , जो राजनेता
परमहं िों जैिा आचरण करे उिे क्‍या कहें गे? भारत के एक राज्य कश्मीर िे चुन-चुन कर
'महन्दु ओ'ं को खदे ड़ मदया गया था। यह राष्ट्र का बहुिंख्‍यक िमाज है , यह अपने अमभन्न अंग में
नहीं रह िकता। इनकी रक्षा का प्रबंि यह िरकार नहीं कर िकी क्‍योंमक िारी की िारी
िरकारें 'िमामनरपेक्ष' हैं और पंमितों के मलए न्याय मां गने वाले िाम््‍प्रदामयक करार मदए जाते रहे ।

अगर िच कहना बगावत है , तो िमझो हम भी बागी हैं ।'

इस सम्‍पादकीय में मैं बहुि सारे सिाल उठाऊंगा। इतिहास के कुछ पन्नों का सहारा
लेकर अपनी बाि को स्पष्ट करू ं गा तक इस तहन्दु स्तान में तहन्दु ओ ं से कैसा व्यिहार होिा
रहा है। तसर्फ आज िोर्ट बैंक की राजनीति की जा रही है। िोर्टों की खातिर
अल्पसंख्‍यकों के िुष्टीकरि की नीतियां जारी हैं। आज मनमोहन सरकार कठघरे में खड़ी
है और इतिहास का काल पुरुर्ष सरकार से पूछिा है - क्‍या तहन्दु स्तान में तहन्दू होना
गुनाह है ?.

क्या तहन्दु स्तान में तहं दू होना गुनाह है - ३

इि दे श में हमेशा षड्यंत्र के तहत महन्दु ओं की आथथा पर करारी चोट की जाती रही है ।
महन्दु ओं के आथथा थथलों की पहचान और महन्दु ओं के आराध्य दे वों का अपमान मकया जाता रहा
है । पहले िो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में इतिहास से छे ड़छाड़ की और तहन्दु ओ ं को
तपछड़े , भ्रष्ट, कायर और दतकयानूसी, पाखंडी िथा जातििादी तसद्ध करने का प्रयास तकया।
मुल्जस्लम आिांिाओं के काले कारनामों पर पदाफ डाला गया। स्वतंत्रता प्राक्तप्त के बाद भी
कां ग्रेि के अनेक तथाकमथत िमामनरपेक्ष नेताओं और वामपंमथयों ने इमतहाि को मवकृत करने का
प्रयाि मकया। श्रीमिी इं तदरा गांधी ने िामपंथी तिचारधारा के डा. नुरुल हसन को केन्द्रीय
तशक्षा राज्य मंत्ी का पद सौप ं ा। डा. हसन ने िुरन्त इतिहास िथा पाठ्य पुस्तकों के
तिकृतिकरि का काम शुरू तकया। िामपंथी इतिहासकारों और लेखकों को एकतत्ि कर
इस काम को अंजाम दे ना शुरू तकया।

भारतीय इमतहाि अनुिंिान पररषद का गठन मकया गया और पाठ्य पु स्तकों में महन्दु ओं के बारे
में अनगाल बातें मलखी गईं। गोरक्षा के मलए भारतीयों ने अनेक बमलदान मदए। इिके बावजयद
छात्रों को यह पढ़ाया गया मक आया गोमां ि का भक्षण करते थे। तहन्दू धमफ की रक्षा के तलए
अपना बतलदान दे ने िाले गुरु िेग बहादु र जी के बतलदान को भ्रामक ढं ग से ितिफि
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तकया गया। प्रो. ितीश चन्द्र द्वारा मलक्तखत एनिीईआरटी की कक्षा 11वी ं की पुस्तक
'मध्यकालीन भारत' में मलखा गया - ''गुरु िेग बहादु र ने असम से लौर्टने के बाद शेख
अहमद सरतहन्द के एक अनुयायी हातर्ज आतमद से तमलकर पूरे पंजाब प्रदे श में लूर्टमार
मचा रखी थी और सारे प्रांि को उजाड़ तदया था।'' ''गुरु को र्ांसी उनके पररिार के
कुछ लोगों की सातजश का निीजा थी, तजसमें और लोग भी शातमल थे , जो गुरु के
उत्तरातधकार के तिरुद्ध थे। तकन्तु यह भी कहा जािा है तक औरं गजेब गुरु िेग बहादु र से
इसतलए नाराज था, क्‍योंतक उन्ोंने कुछ मुसलमानों को तसख बना तलया
था।'' धमफतनरपेक्षिा के नाम पर गुरु िेग बहादु र जैसी तदव्य तिभूति को लुर्टेरा बिाना और
औरं गजेब के अत्याचारों की घर्टना पर पदाफ डालने का प्रयास करना अक्षम्‍य अपराध ही
है। छद्म धमफ तनरपेक्षिा के ठे केदारों ने तहन्दू समाज की गलि िस्वीर पेश की। जब केन्द्र
में अर्टल तबहारी िाजपेयी की सरकार बनी िो केन्द्रीय मानि संसाधन मंत्ी डा. मुरली
मनोहर जोशी ने पाठ्य पुस्तकों से गु रु िेग बहादु र, भगिान महािीर और अन्य महापुरुर्षों
पर आरोप लगाने िाले अंश हर्टिाने का प्रयास तकया िो धमफतनरपेक्ष नेिाओं ने बिाल
मचाना शुरू कर तदया और आरोप लगाया गया तक भाजपा सरकार तशक्षा का
भगिाकरि कर रही है।

इि बवाल के बीच कट्टरपंथी कभी िरस्वती वंदना को इस्लाम मवरोिी बताकर स्कयलों का
बमहष्कार करते रहे तो कभी वे अपने बच्चों को 'ग' िे गणेश पढ़ाने की बजाय 'ग' िे गिा पढ़ाने
की िीख दे ते रहे । िमामनरपेक्षता के नाम पर मशवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोमवन्द मिंह जी और
वीर िावरकर आमद के प्रेरक जीवन चररत्रों िे छात्रों को वंमचत मकया जाता रहा। प्रफुल्ल
मबदवई जैिे लेखकों ने अपने आलेख Fight Hindutva Head on में Poisonous Hindutva का
इस्तेमाल मकया था यानी जहरीला महन्दु त्व।

मैंने तब भी िवाल मकया था - उन्माद और नृशंिता की राजनीमत की झीनी चादर दे कर मकिने


ऐिा बना मदया मक भारत में महन्दु त्व को जहरीला कहा जा रहा है ? तथाकमथत कुछ अंग्रेजीदां
बुक्तिजीमवयों ने इि राष्ट्र के महन्दु त्व को घृणा, मवद्वे ष, क्रयरता का पयाा य न केवल स्वीकार मकया
बक्ति बार-बार ऐिा मलखा भी।

क्या तहन्दु स्तान में तहं दू होना गुनाह है - ४

मैंने एक बार नहीं अनेक बार मलखा है मक उन्माद की महन्दु त्व में कोई जगह नहीं। उन्माद की
भाषा मत बोलो, लाखों वषा की कालजयी मवराित पर कलंक मत लगाओ। मैंने बार-बार इि
बात को दोहराया मक चाहे महन्दय का जुनयन हो चाहे मुक्तस्लम का जुनयन हो, जब भी मारे जाते हैं
मनदोष ही मारे जाते हैं , जो गलत है । इस्लामी आतंकवाद पर भी मेरा यही कहना है मक प्रेम
और करुणा के मागा पर चलने वाले इस्लाम के अनुयामययों को यह शोभा नहीं दे ता। मकिी भी
लेखक ने 'जहरीला इस्लाम' कभी नहीं मलखा, ऐिे में कुछ उन्मामदयों को जहरीला महन्दु त्व कहने
की अनुममत कैिे दी जा िकती है । वह अपने भीतर झां कें और खुद का मवश्लेषण करें ।
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मैं छद्म बुक्तिजीमवयों िे कहना चाहूं गा मक महन्दु त्व को िमझना है तो वेद की ऋचाओं िे िमझें,
उपमनषदों के मंत्रों में झां क कर दे खें, मयाा दा पुरुषोत्तम भगवान राम के पावन चररत्र िे जानें ,
श्रीकृष्ण की गीता में इि दशान को पहचानें , मशवाजी और बंदा बहादु र का चररत्र पढ़ें , लेमकन
अफिोि इि राष्ट्र में भगवान राम को भी अपमामनत मकया गया। भारत और श्रीलंका को जोिऩे
वाले पुल श्रीराम िेतु को तोिऩे का प्रयाि मकया गया और हद तो तब हो गई जब िरकार ने
िुप्रीम कोटा में भगवान राम के अक्तस्तत्व को ही नकारने जैिी जघन्य राजनीमत शुरू कर दी।
जब प्रबल मवरोि हुआ तो िरकार को हलफनामा वापि लेना पड़ा। मदल्ली मवश्वमवद्यालय की
पाठ्य पुस्तकों में भी भगवान राम के बारे में अनगाल मटप्पमणयां की गईं जो महन्दय िमाज के
मलए अिहनीय हैं ।

मशक्षा बचाओ आं दोलन िमममत ने दे श के उच्चतम न्यायालय में एक यामचका दाक्तखल की थी


मजिमें यह मनवेदन मकया गया था मक बी.ए. (आनिा ) इमतहाि के मद्वतीय वषा में एक मनबंि
पढ़ाया जा रहा है मजिका शीषाक है 'थ्री हण्डरेि रामायणा वीथ फाइव एक्‍जाम््‍पल'। मनबंि के
लेखक हैं ए.के. रामानु जन। इि मनबंि में रामायण के िम््‍मामनत चररत्रों जैिे राम, िीता, लक्ष्मण,
हनुमान, अमहल्या आमद के मवषय में अत्यंत आपमत्तजनक मटप्पणी की गई है । इिी मनबंि में अन्य
िामग्री के अमतररि मनम्रमलक्तखत बातें पढ़ाई जा रही थीं-

रावण और मं दोदरी की कोई िंतान नहीं थी। दोनों ने मशवजी की पयजा की। मशवजी ने उन्ें आम खाने
को मदया। गलती िे िारा आम रावण ने खा मलया और उिे गभा ठहर गया। दु :ख िे बेचैन रावण ने
छींक मारी और िीता का जन्म हुआ। िीता रावण की पुत्री थी। उिने उिे जनकपुरी के खे त में त्याग
मदया।

हनु मान छु टभै या एक छोटा िा बंदर था एवं कामु क व्यक्ति था। वह लं का के शयनकक्षों में क्तस्त्रयों और
पुरुषों को आमोद-प्रमोद करते बेशमी िे दे खता मफरता था।

रावण का वि राम िे नहीं लक्ष्मण िे हुआ।

रावण और लक्ष्मण ने िीता के िाथ व्यमभचार मकया।

माता अमहल्या को यौन की एक मय मता बताया गया है , मजिका इन्द्र के िाथ लज्जापयणा ढं ग िे यौन
व्यमभचार दशाा या गया है ।

ए.के. रामानुजन द्वारा मलक्तखत मनबंि 'थ्री हण्डरेि रामायणा' एक पुस्तक में िक्तम्ममलत था मजिका
नाम था 'मैनी रामायण।' यह पुस्तक पौला ररचमेन (आक्‍िफोिा ययमनवमिाटी) द्वारा िम््‍पामदत की
गई थी। िम््‍पादक ने अपनी पुस्तक में पु स्तक के उद्दे श्य स्पष्ट् मकए थे। उनका कहना था मक
88

यह पुस्तक रामानंद िागर द्वारा प्रदमशात 'रामायण' टी.वी. िीररयल के अत्यमिक िकारात्मक
प्रभाव को मनरस्त करने के मलए मलखी गई है ।

मशक्षा बचाओ आं दोलन िमममत ने िन् २००८ में पुस्तक के प्रकाशक आक्‍िफोिा ययमनवमिाटी प्रैि,
लंदन िे िम््‍पका मकया तथा मनबंि के मवषय में अपनी आपमत्ता बताई और कहा मक पुस्तक में
महन्दय दे वी-दे वताओं का अपमान मकया गया है । आक्‍िफोिा ययमनवमिाटी प्रेि ने खेद प्रकट मकया,
माफी मां गी तथा आश्वािन मदया मक उनका उद्दे श्य महन्दु ओं की भावनाओं को ठे ि पहुं चाना
नहीं है । उन्ोंने पुस्तक को वापि लेना स्वीकार मकया। इिकी ियचना उन्ोंने मदल्ली मवश्वमवद्यालय
के इमतहाि मवभाग तथा मदल्ली मवश्वमवद्यालय को भी दी मकन्तु इमतहाि मवभाग ने इिका िंज्ञान
नहीं मलया तथा अनमिकृत रूप िे मनबंि को अपने पाठ्यक्रम में पढ़ाना जारी रखा।

िमममत ने न्यायालय िे प्राथाना की थी मक इि मनबंि को पाठ्यक्रम िे हटा मदया जाए।


न्यायालय ने अपने आदे श में कहा मक इि िंबंि में कुछ मवद्वानों की राय ली जाए। मवद्वानों की
राय मवश्वमवद्यालय की एकेिे ममक कौंमिल के िामने प्रस्तुत की जाए। कौंमिल के मनणाय के
अनुिार उपकुलपमत अमग्रम कायावाही करें । मदल्ली मवश्वमवद्यालय के उपकुलपमत ने न्यायालय के
आदे श के अनुिार काया वाही करके पयरे तथ् एकेिे ममक कौंमिल की बैठक में प्रस्तुत मकए।
िदस्यों ने भी अपने -अपने मवचार व्यि मकए। कौंमिल ने इन मवचारों का गम््‍भीरता िे अध्ययन
मकया। कौंमिल के िमक्ष यह तथ् भी लाया गया मक उि मनबंि केवल 2001 तक के मलए
पाठ्यक्रम के मलए स्वीकृत था और िन् 2009 के पिात् उिे अनमिकृत रूप िे पढ़ाया जाता
रहा है । मवषय के िभी पहलुओं पर मवचार करने के बाद एकेिे ममक कौंमिल ने मववामदत मनबंि
को पाठ्यक्रम िे हटाने का मनणाय मलया।

प्रख्‍यात मवद्वान हृदय नारायण दीमक्षत मलखते हैं मक जीवंत इमतहाि बोि में ही राष्ट्र का अमरत्व
है और मवकृत इमतहाि में राष्ट्र की मृत्यु। श्रीराम भारत के मन का रि और छं द हैं ।
रामानुजन के मववामदत मनबंि को मदल्ली मवश्वमवद्यालय के पाठ्यक्रम में शाममल करने की मां ग
महन्दय िमा के क्तखलाफ कुक्तत्सत षड्यंत्र है ।

इतने वषों िे बच्चों को इमतहाि की कक्षा में अश्लील कथा पढ़ाई जाती रही और भगवान
राम का अपमान मकया जाता रहा, तहन्दु ओ ं की सहनशीलिा को दाद िो दे नी ही पड़े गी।
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औरं गजेब की मृत्यु .....

14वी ं और 15वी ं शताब्दी में गद्दारों के कारण कई युिों में हार के बाद महन्दय महािभा द्वारा
िंतों की अगुवाई में यह मनणाय मलया गया की अब प्रमुख िािय िंतों द्वारा व्यक्ति मनमाा ण का
काया अपने हाथों में मलए जाए l

इि पुनीत काया हे तु बहुत िे िं तों ने अपना अपना राष्ट्रीय एवं िाममाक कताव्य मनभाते हुए
िमय िमय पर शयरवीरों का मनमाा ण मकया l

िमथा गुरु रामदाि जी भी इिी श्रेणी में आते हैं मजन्ोंने मशवाजी का मनमाा ण मकया l
प्राण नाथ महाप्रभु जी ने बुन्देलखण्ड िे छत्रिाल का मनमाा ण मकया l
ओहम नरे श को श्री राम महाप्रभु द्वारा तैयार मकया गया l

मशवाजी का स्वगावाि हो चयका था l


िम्ाजी के अंग अंग काट कर उिकी नृशंि हत्या औरं गजेब के िामने ही कर दी गई थी l

उिके बाद छापामार यु ि प्रणाली िे ही िमस्त भारत में चारों और िे औरं गजेब के मवरुि
एक िामयमहक प्रयाि महन्दय महािभा द्वारा आरम् मकया गया मजिमे की बहुत िे िमा-गुरुओं
और िािय िंतों द्वारा िमय िमय पर नीमतयाूँ और परामशा भी मदए जाते रहे l

यह भी एक इमतहाि ही है की औरं गजेब की िे ना इमतहाि में िबिे बड़ी िेना मानी जाती
है , िन िे भी और व्यक्तियों िे भी l

छोटे छोटे प्रयाि हमेशा ही मकये जाते थे औरं गजे ब को मारने के परन्तु वो मकस्मत का भी
िनी था... और भारत के गद्दारों मनष्ठा का भी l

मराठा नेता िंताजी और िनाजी द्वारा एक बार औरं गजेब के तम्बय की िारी रक्तस्सयाूँ ही काट
कर तम्बय ही मगरा मदया गया था, परन्तु औरं गजेब उि रात अपनी बेटी के तम्बय में था मजि
कारण वो तो बच गया पर बाकी िभी मर गए l
इि अचानक हमले के बाद िंता जी और िनाजी की ख्यामत भी बहुत बढ़ गयी थी, हालत
यह हो गयी थी की यतद कोई घोड़ा पानी नही ं पीिा था िो उसे मुसलमान कहिे थे की
.. िूने क्या संिा जी और धना जी को दे ख तलया है .... ??
बुन्देलखण्ड के वीर छत्रिाल ने िौगंि की हुई थी की औरं गजेब को व्यक्तिगत युि में अपनी
तलवार िे हराएगा ..... छत्रिाल द्वारा ऐिे कई प्रयाि भी मकये गए परन्तु अथक प्रयािों
के बावजयद वीर छत्रिाल िफल न हो पाए l

अंतत: प्राण नाथ महाप्रभु जी ने कहा की एक एक मदन भारी पड़ रहा है महन्दु ओं पर, क्ोंमक
औरं गजेब रोज ढाई मन जनेऊ न जला लेता था तब तक उिे नींद नहीं आती थी l
आप इिी बात िे अंदाजा लगा िकते हैं की ढाई मन जनेऊ एक मदन में जलाने िे मकतने
महन्दु ओं को मारा िताया जाता होगा और मकतने बड़े स्तर पर िमा पररवतान मकया जाता होगा,
मकतनी ही औरतों का शारीररक मान मदा न मकया जाता होगा और मकतने ही मक्तन्दरों तथा
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प्रमतमाओं का मवध्वंि मकया जाता होगा l

प्राण नाथ महाप्रभु जी की यह बातें िुन कर छत्रिाल जी ने अपनी िौगंि वामपि लेकर कहा
की आप जो कहें गे मैं वो करूूँ गा आप दु खी न हों...आदे श दें l

प्राणनाथ महाप्रभु जी ने एक ख़ाि प्रकार के जहर िे युि एक खंजर मदया बुन्देलखण्ड को


और िारी योजना िमझाते हुए कहा की यह खंजर पयरा नहीं मारना है , नहीं तो वो तत्काल
प्रभाव िे मर जायेगा ..... अतिः ये खंजर केवल उिको एक इं च िे भी कम गहराई का
घाव दे ते हुए लम्बा िा एक चीर ही मारना था l

मजििे की िीरे िीरे उि जहर का अिर फैलेगा और औरं गजेब तिप तिप कर मरे गा l

बुन्देला वीर छत्रिाल ने इि काया को िफलता पय वाक अंजाम मदया और जैिा प्राण नाथ
महाप्रभु जी ने कहा था उिी प्रकार उिके शरीर पर एक चीर मदया.... औरं गजेब 3 महीने
तक तिप तिप कर मरा और एक मदन उिके पापों का का अंत हुआ l

औरं गशाही में औरं गजेब ने स्वयम तलखा है की मुझे प्राि नाथ महाप्रभु ने और छत्साल
ने धोखे और छल से मारा है l
आप सबसे तिनम्र अनुरोश है की अपने इतिहास को जानें, जो की आिश्यक है की अपने
पूिफजों के इतिहास जो जानें और समझने का प्रयास करें .... उनके िारा स्थातपि तकये
गए तसद्धांिों को जीतिि रखें l
तजस सनािन संस्कृति को जीतिि रखने के तलए और अखंड भारि की सीमाओं की
सीमाओं की रक्षा हेिु हमारे असंख्य पूिफजों ने अपने शौयफ और परािम से अनेकों बार
अपने प्रािों िक की आहुति दी गयी हो, उसे हम तकस प्रकार आसानी से भुलािे जा रहे
हैं l
सीमाएं उसी राष्टर की तिकतसि और सुरतक्षि रहेंगी ..... जो सदै ि संघर्षफरि रहेंगे l
जो लड़ना ही भूल जाएाँ िो न स्वयं सुरतक्षि रहेंगे न ही अपने राष्टर को सुरतक्षि बना
पाएं गे l
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इस्लामी शासन काल में र्षड्यंतत्क TAX ..... और सनािन संस्कारों की हातन
इस्लामी आक्रमणों के 1200 वषों के इमतहाि में िमा की बहुत हामन हुई, िती प्रथा, बाल मववाह, जात
पात, आमद जाने मकतनी ही िामामजक बुराइयां िनातन िमा को छय गयीं, और काने मकतनी ही मवकृमतयाूँ
िनातन िमा को चोमटल करती रहीं l ऐिी ही कुछ बुराइयों के बारे में भारत वषा की इमतहाि की
पुस्तकों में पढ़ाया जाता है परन्तु उन्ें पढ़ कर लगता है की वो केवल उपरी ज्ञान हैं , और ज्यादातर
बुराइयों को िनातन िमा िे जोड़ कर ही मदखा मदया जाता है , परन्तु ये नहीं बताया जाता की उन
बुराइयों के अिली कारण क्ा थे , और मकन कारणों िे उन बुराइयों का उदय हुआ और मवस्तार हुआ ?

िनातन िंस्कृमत के शास्त्रों के अनु िार में मनु ष्ों को 16 िंस्कारों के िाथ अपना जीवन व्यतीत करने का
आदे श मदया गया है , मजनके मनयम और उद्दे श्य अलग अलग हैं l इस्लामी आक्रमणों िे पहले तक िंस्कार
प्रथा अपने मनयमो के अनु िार मनरं तर आगे बढ़ रही थी, परन्तु इस्लामी आक्रमणों के बाद और िफलतम
अंग्रेजी स्वप्ल्न्कार Lord McCauley ने िंस्कार पिमतयों को िनातन िंस्कृमत िे पृथक िा ही कर मदया l
यमद िही शब्दों में कहूं तो शायाद िंस्कार प्रथा लु प्तप्राय िी ही हो चुकी है l इस्लामी शािनों के
कायाकालों में मकि प्रकार िंस्कारों में कमी हुई इिके बारे में आप िबको कुछ बताना चाहता हूूँ , कृपया
ध्यान िे पढ़ें और िबको पढ़ा कर जागरूक करें .... आप िबने इस्लामी शािन कालों में जमजया
और महियल के बारे में ही िुना होगा ....

परन्तु िोचने वाली बात है की क्ा इस्लामी मानमिकता के अनु िार महन्दु ओं पर िमाां तरण के मलए दबाव
बनाने हे तु ये दो ही कर (TAX) काफी थे ... ये िोचना ही हास्यापद होगा l इस्लामी शािन कालों में
िमस्त 16 िंस्कारों पर TAX लगाया जाता था, मजिको की ने हरु, प्रथम मशक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम
आज़ाद और अलीगढ मु क्तस्लम मवश्वमवद्यालय के इमतहािकारों ने भारतीय मशक्षा पिमत की इमतहाि की
पुस्तकों में जगह नहीं दी l ऐिे और भी बहुत िे मवषय हैं मजन पर यह बहि की जा िकती है , परन्तु
वो मकिी और मदन करें गे l

अरब िे जब इस्लामी आक्रमण प्रारम् हुए तो अपनी क्रयरता, वेह्शीपन, आक्रामकता, दररं दगी, इरान, ममस्र,
तुकी, इराक, आमद िब मवजय करते हुए िनातन िंस्कृमत को िमाप्त करने मले च्छों द्वारा ऋमष भय मम दे व
तुल्य अखं ि भारत पर आक्रमण मकये गए l लक्ष्य केवल एक था.... दारुल हबा को ... दारुल इस्लाम
बनाने का

और इि लक्ष्य के मलए मजि नीचता पर उतरा जाए वो िब उमचत थीं इस्लामी मानमिकता के अनु िार
ऐिी ही नीच मानमिकता के अनु िार जमजया और महियल जै िे TAXES के बाद िनातन िंस्कृमत के 16
िंस्कारों पर भी TAX लगाया गया l
िंस्कारों पर TAX लगाने का मु ख्य कारण यह था की िनातन िमा के अनु यायी TAX के बोझ के कारण
अपने िंस्कारों िे दय र हो जाएूँ l िीरे िीरे इि प्रकार के षड्यंत्रों के कारण इस्लामी कट्टरपंथीयों द्वारा
अपनाई गयी इि िोच का यह लक्ष्य मिि होता गया l

िीरे िीरे िमय ऐिा भी आया की कुछ लोग केवल आवश्यक िंस्कारों को ही करवाने लगे, और कुछ
लोग िंस्कारों िे पयणातया कट िे गए l
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सबसे पहले आिा है गभाफधान संस्कार .....


मकिी िनातन िमा की स्त्री द्वारा जब गभा िारण मकया जाता था तो एक मनमित TAX इलाके के मौलवी
या इमाम के पाि जमा मकया जाता था और उिकी एक रिीद भी ममलती थी l यमद उि TAX को मदए
मबना मकिी भी िनातन िमा के अनु िायी के घर में कोई िन्तान उत्पन्न होती थी तो उिे इस्लामी िैमनक
उठा कर ले जाते थे और उिकी इस्लामी मनयमो के अनु िार िुन्नत करके उिे मु िलमान बना मदया
जाता था l

नामकरि संस्कार
नामकरि संस्कार का र्षड्यंत् यतद दे खा जाए िो सबसे महत्वपू िफ है ...इस र्षड्यंत् को समझने
में

नामकरण िंस्कार में जब मकिी बच्चे का नाम रखा जाता था तो उन पर मवमभन्न प्रकार के के TAX
मनिाा ररत मकये गए थे ...
उदाहरण के मलए .... कंु िर व्यापक तसंह ...
इिमें "कंु िर" शब्द एक िम्माननीय उपामि को दशाा ता है , जो की मकिी राजघराने िे िम्बन्ध रखता
हो,
उिके बाद "व्यापक" शब्द िनातन िंस्कृमत के शब्दकोश का एक ऐिा शब्द है जो जब तक चलन में
रहे गा तब तक िनातन िंस्कृमत जीमवत रहे गी l
उिके बाद "तसंह" शब्द आता है .... जो की एक वणा व्यवथथा या एक वंशावली का ियचक है l

कुंवर..... पर TAX 10000 रुपये


व्यापक ...पर TAX 1000 रुपये
मिंह ...... पर TAX 1000 रुपये

अब जो TAX चुकाने में िक्षम लोग थे वो अपने अपने बजट के अनु िार अपने बाचों के मलए शु भ नाम
मनकाल ले ते थे l

िमस्या वहां उत्पन्न हुई मजनके पाि पैिे न हों....


अब आप िोचेंगे की ऐिे बच्चों का कोई नाम नहीं होता होगा .... ?
परन्तु ऐिा नही था ... ऐिे गरीब पररवारों के बच्चों के मलए भी नाम रखे जाने का प्राविान था l
परन्तु ऐिे नाम उि इलाके के मौलवी या इमाम द्वारा मु फ्त में मदया जाता था और यह किा मनयम था
की जो नाम इमाम या मौलवी दें गे वही रखा जायेगा .. अन्यथा दं ि का प्राविान भी होता था l

अब ज़रा िोमचये की मकि प्रकार के नाम मदए जाते होंगे इलाके के मौलवी या इमाम द्वारा...

लल्लय राम, कयड़े मिंह, घिीटा राम, फुग्ग्ि मिंह,


झंिय राम, घािी राम, फां िी राम, राम कटोरी,
1

लल्लय मिंह, रोंदय मिंह, रोंदय मल, खचेिय मल,


फुद् दय राम, रोंदय राम, खचेिय राम, लं गिा मिंह,

इि प्रकार के नाम इलाके के मौलवी और इमामो द्वारा मुफ्त में मदए जाते थे l

क्ा आप ऐिे नाम अपने बच्चों के रख िकते हैं ... कभी ?? शायद नहीं ?

तििाह संस्कार के तलए इलाके के मौलिी से स्वीकृति लेनी पडिी थी, बराि तनकालने , ढोल नगाड़े
बजाने पर भी TAX होिा था, और बराि तकस तकस मागफ से जाएगी यह भी मौलिी या इमाम ही
िय करिे थे l
और इस्लातमक केन्द्रों के सामने ढोल नगाड़े नही ं बजाये जायेंगे, िहां पर से सर झुका कर जाना
पड़े गा l

ििफमान समय में असम और पतिम बंगाल के मुल्जस्लम बहुसंख्यक क्षेत्ों में िो यह आम बाि है l

अं तिम संस्कार पर िो भारी TAX लगाया जािा था, तजसके कारि यह िक कहा जािा था तक यतद
TAX दे ने का पै सा नही ं है िो इस्लाम स्वीकार करो और कतब्रस्तान में दर्ना दो l

वतामान िमय में उत्तर प्रदे श के मु जफ्फरनगर, िहारनपुर, आजमगढ़, आमद क्षे त्रों में यह आम बात है l
केरल, बंगाल, अिम के मु क्तस्लम बहुिंख्यक क्षे त्रों में खु ल्लम खु ल्ला यह फरमान िुनाया जाता है , जहां पर
प्रशािन और पुमलि द्वारा कोई िहायता नहीं उपलब्ध करवाई जाती l

इस्लाममक शािन काल में िनातन गुरुकुल मशक्षा पिमत को भी िीरे िीरे नष्ट् मकया जाने लगा, औरं गजे ब
के शािनकाल में तो यह खु ल्लम खु ल्ला फरमान िुनाया गया था मक ...

मकि प्रकार महन्दु ओं को मुिलमान बनाना है ?


मकि मकि प्रकार की यातनाएं दे नी हैं ? मकि प्रकार औरतों का शारीररक मान मदा न करना है ?
मकि प्रकार मक्तन्दरों को ध्वस्त करना है ?
मकि प्रकार मय मतायों का मवध्वं ि करना है ?
मय मतायों को तोड़ कर उन पर मल मयत्र का त्याग करके उनको मक्तन्दर के नीचे ही दबा दे ना, खािकर
मं मदरों की िीमढयों के नीचे, और मफर उिी के ऊपर मक्तिद का मनमाा ण कर मदया जाए l
मक्तन्दरों के पुजाररयों को कटक कर मदया जाए, यमद वे इस्लाम कबयल करें तो छोड़ मदया जाए l
मजतने भी गुरुकुल हैं उनको ध्वस्त कर मदया जाए और आचायों को तत्काल प्रभाव िे मौत के घाट
उतार मदया जाए l
गौशालाओं को अपने मनयन्त्रण में ले मलया जाए l

कई मक्तन्दरों को ध्वस्त करते हुए तो वहां पर गाय काटी जाती थी l

वतामान िमय में औरं गजे ब के खु द के हाथों िे मलखे ऐिे हस्तले ख हैं ..मजन पर उिके दस्तखत भी
1

हैं l

ऐसे अत्याचारों और दमन के कारि उपनयन जैसा अति महत्वपू िफ संस्कार भी तिलुल्जप्त तक
कगार पर पहुाँ चने लगा l

िीरे िीरे िंस्कारों का यह मिलमिला ख़त्म िा होता चला गया, वानप्रथथ और िन्याि िंस्कारों को तो लोग
भय ल ही गए क्ोंमक उनका अथा ही नहीं ज्ञात हो पाया आने वाली कई पीमढ़यों को l
छत्पति तशिाजी महाराज िारा एक बार पं जाब क्षेत् में Survey करिाया गया था तजसके अनु सार
पं जाब के कई क्षे त् ऐसे थे जहां पर लोग गायत्ी महामंत् भी भूल चुके थे, उन्ें उसका उच्चारि िो
क्या इसके बारे में पिा ही नही ं था l

िीरे िीरे पंजाब और अन्य क्षे त्रों में छत्रपमत मशवाजी महाराज द्वारा उध्वस्त मक्तन्दरों का मनमाा ण करवाया
गया और कई जगहों पर आचायों को भे जा गया मजन्ोंने िमा प्रचार एवं प्रिार के काया मकये l

एक महत्वपयणा बात िामने आती है ....


कृपया ध्यान िे पढ़ें और िमझें एक अनोखी कहानी जो भु ला दी गयी SICKULAR भारतीय इमतहािकारों
द्वारा और ने हरु की kangres द्वारा

औरं गजे ब की मृ त्यु के 10 वषा के अंदर अंदर ही मु गमलया िल्तनत ममटटी में ममल चुकी थी, रं गीले शाह
अपनी रं गीमलयों के मलए प्रमिि था और मदन प्रमतमदन मु गमलया िल्तनत कजों में ियब रही थी l
रं गीले शाह को कजा दे ने में िबिे आगे जयपुर के महाराजा था l
एक बार मौका पाकर जयपुर के महाराजा ने अपना कजाा मां ग मलया l
रं गीले शाह ने बुरे िमय पर जयपुर के महाराजा िे िम्बन्ध खराब करना उमचत न िमझा, क्ोंमक आगे
के मलए कजा ममलना बंद हो िकता था जयपुर के महाराज िे.. परन्तु रं गीले शाह ने जयपुर के
महाराजा की ररयाितों को बढ़ा कर बहुत ही ज्यादा मवस्तृ त कर मदया और कहा की जो नए क्षे त्र
आपको मदए गए हैं आप वहां िे अपना कर वियलें मजििे की कजा उतर जाए l

जयपुर के महाराज के प्रभाव क्षे त्र में अब गंगा मकनारे मब्रजघाट, आगरा, मबजनौर, िहारनपुर, पानीपत,
िोनीपत आमद बहुत िे क्षे त्र भी िक्तम्ममलत हो गए l
इन क्षे त्रों में िंस्कारों के ऊपर लगने वाले TAX .. जमजया और महियल आमद िाममा क TAXES के कारण
जनता त्रामह त्रामह कर रही थी, और जयपुर के महाराजा के प्रभाव क्षेत्र में आने के कारण िनातन िमी
अपनी आशाएं लगा कर बैठे थे की अब यह पैशामचक TAXES का मिलमिला बंद होगा l
परन्तु जयपुर के महाराजा ने TAXES वामपि नहीं मलए l

मराठा िाम्राज्य के पेशवा के राजदय त दीना नाथ शमाा उन मदनों जयपुर में मनयुि थे , उन्ोंने भरतपुर के
जाट ने ता बदनमिंह की मदद की और जाटों की अपनी ही एक िेना बनवा िाली, मजनको पेशवा द्वारा
2

मान्यता भी मदलवा दी गयी और 5000 की मनिबदारी भी मदलवा दी गयी l


िीरे िीरे बदनमिंह ने अपना प्रभाव क्षे त्र बढ़ाया और दीना नाथ शमाा के कहने पर िमस्त जगहों िे
मु क्तस्लम TAXES िे पाबंदी हटवाने लगे l
जयपुर के महाराजा मनिहाय हो गए क्ोंमक पेशवा िे िीिे टकराव उनके मलए िम्व नहीं था l

इन्ी ं तदनों तब्रजघार्ट िक का क्षे त् जार्टों िारा मुक् करिा तलया गया ..तजसका नाम रखा
गया गढ़मुक्ेश्वर
बदन मिंह और राजा ियरजमल ने बहुत िे क्षे त्रों पर अपना प्रभाव थथामपत मकया और मु क्तस्लम
अत्याचारों िे मु क्ति मदलवाने का काया मकया l

मफर भी ऐिी िमस्याएं यदा किा िामने आ ही जाती थीं, की कई कई जगहों पर मु क्तस्लम लोग महन्दु ओं
को घेरकर उनिे TAX ले ते थे या मफर िंस्कारों के कायों में मवघ्न पैदा करते थे l
इि िमस्या िे मनपटने के मलए आगे चल कर बदनमिंह के बाद राजा ियरजमल ने गंगा-महायज्ञ का
आयोजन मकया, मजिमे गंगोत्री िे 11000 कलश मं गवाए गए गंगा जल के और उन्ें भरतपुर के पाि ही
िुजान गंगा के नाम िे थथामपत करवाया और िभी दे वी दे वताओं को थथामपत करवाया गया और बहुत
िे मक्तन्दरों का मनमाा ण करवाया गया l

िुजान गंगा पर आने वाले कई वषों तक िंस्कारों के काया होते रहे l

1947 के बाद ने हरु और SICKULAR जमात ने ममल कर िुजान गंगा का अक्तस्तत्व िमाप्त कर मदया, उिमे
आिपाि के िारे गंदे नाले ममलवा मदए और आिपाि की फेक्टररयों का गंदा पानी आमद उिमे मगरवा
मदया l
आिपाि के लोग मल-मयत्र त्याग करने लगे l
इिी वषा हुए एक िवे के अनु िार िुजान गंगा के चारों और 650 िे ज्यादा लोगों द्वारा प्रमतमदन मल-
मय त्र त्याग मकया जाता है l

आप सबसे तिनम्र अनु रोश है की अपने इतिहास को जानें , जो की आिश्यक है की अपने पूिफजों
के इतिहास जो जानें और समझने का प्रयास करें .... उनके िारा स्थातपि तकये गए तसद्धांिों को
जीतिि रखें l

तजस सनािन संस्कृति को जीतिि रखने के तलए और अखंड भारि की सीमाओं की सीमाओं की
रक्षा हे िु हमारे असंख्य पूिफजों ने अपने शौयफ और परािम से अने कों बार अपने प्रािों िक की
आहुति दी गयी हो, उसे हम तकस प्रकार आसानी से भुलािे जा रहे हैं l
3

सीमाएं उसी राष्टर की तिकतसि और सुरतक्षि रहेंगी ..... जो सदै ि संघर्षफरि रहें गे l

जो लड़ना ही भूल जाएाँ िो न स्वयं सुरतक्षि रहेंगे न ही अपने राष्टर को सुरतक्षि बना पाएं गे l
4

राष्टरीय मीतडया या राष्टरीय दे शद्रोही या राष्टरीय दलाल


कांग्रेस और चचफ िथा अरब दे शो के र्ेके हुए र्टु कड़े पर पलने िाली मीतडया के हे डलाइन का
तिरोधाभास :::::
आक्तखर नीचता और लालच की एक हद होती है >>

जरा आपलोग हमारे दे श की नीच और कुत्ती मीमिया की हे िलाइन का मवरोिाभाि िुमनए :

1- मशव िेना या बीजे पी अगर पुणे मे मारे गए मकिानो के पक्ष मे कोंग्रेिी िरकार की बमख़याूँ उिेड़ते
है
तो मीमिया मे हे िलाइन होती है “अब इि मु द्दे पर राजनीमत शुरू हो गई है “

वही जब Raul Feroze Khan Roberto Vinci GAYandhi भट्टा पारिौल मे नौटं की करने जाता है तो उिे बार
बार केक्तन्द्रत मकया जाता है और हे िलाइन होती है

“आज राहुल गां िी ने पीमड़त मकिानो का हाल चाल पयछा और मृ तको के प्रमत िंवेदना व्यि की…
और माया िरकार पर जमकर बरिे” ऐिी महा हरामखोर मीमिया है हमारी .

िभी चचा द्वारा पोमषत और दे श द्रोहीयों कश्मीरी अलगाववामदयों के िममथा त इन चेनलों का यही हाल है
भाई …. बीजे पी के ने ताओ को राजनीमत िे प्रेररत करना, अपने मिबेट कायाक्रमों मे बीजे पी का एक ने ता
और मु क़ाबले मे 2-3 कोंग्रेिी + उनके िहयोगी वामपंमथ कुत्तो िे लिवाकर मुद्दो को गुमराह करना,
लक्ष्य होता है बीजे पी को अराष्ट्र पाटी के रूप मे मचमत्रत करना, तामक हर युवा के मु ख िे यही मनकले
बीजे पी एक नकारा पाटी है िां प्रदामयक पाटी है ।
और जब उन्ें करार जवाब मकिी BJP प्रविा द्वारा दे मदया जाता है , जहां पर जवाब दे ना भारी पड़
जाता है Cristian Communist Chuslim जमात के मलए.. उिी िमय या तो ब्रेक कर दे ते हैं , या मफर मु द्दे
को राजमनमतक रं ग दे ने के नाम पर खत्म कर दे ते हैं

इनके मलए कॉंग्रेि ने अगर 10 मकलो का भ्रष्ट्ाचार मकया तो उिके िामने बीजे पी का 30 ग्राम का
भ्रष्ट्ाचार 20 मकलो का हो जाएगा ….

2- अगर 10 महीने िे मिययटी िे अनु पक्तथथत और महराित मे दो मौत के अमभयुि तथा जबरन फजी
एमफिे मवट बनाने के आरोपी िंजीव भट्ट को पुमलि मगरफ्तार करती है तो नीच मममिया की हे िलाईन
होती है " मोदी का बदला " या " यही है मोदी की अिली िद्भावना "

ले मकन अगर कां ग्रेि शामित राज्यों मे मकरण बेदी का प्रोमोशन िरकार रोक दे या बाबा रामदे व और
आचाया बक्तरक्रशन के पीछे बदले के मलए पयरी िीबीआई लगा दे या महाराष्ट्र मे पां च पुमलि अमिकाररयो
को मगरफ्तार कार मलया जाये या केन्द्र िरकार "नोट फार वोट " मे उल्टे बीजेपी के िां िदों को
मगरफ्तार कर ले तो मफर इि नीच मीमिया की िनिनी खे ज हेिलाईन क्ों नहीं होती ?
5

3- आज बाबा रामदे व के िम्पमत के पीछे पयरी मीमिया पड़ी है जो उन्ोंने योग या दवाओ िे अमजा त
की है .. इिमें कोई अपराि नहीं है ..

ले मकन आज की नीच मीमिया राबटा वढे रा के िाम्राज्य के पीछे क्ों नहीं पड़ती ? उिने मिफा १० िाल
मे खरबो की िम्पमत कैिे बनाई ? उिने कौन िा जादय मकया ?

मीमिया िोमनया िे क्ों िरती है ? क्ा उिे अपनी बोटी और हड्डी खोने का िर है ?

4- यदु रप्पा के पीछे पयरी मीमिया कई महीनो तक जै िे एक िोचा िमझा आन्दोलन चलाया .. वो िार
और वो मीमिया का पैनापन शीला मदमछत और अशोक गहलोत के भ्रष्ट्ाचार पर खामोश क्ों हों जाता
है ??

5- गुजरात दं गो के 10 िाल बीत जाने के बाद भी मीमिया जामकया जाफरी , जामहरा शे ख , और दय िरे
मु क्तस्लम पीमितो के मलए बहुत िद्भावना मदखाती है .. वो िद्भावना राजबाला के मलए क्ों नहीं ???

6- गुजरात दं गो के मलए आज मममिया मोदी के मलए मजन शब्दों का उपयोग करती है वही शब्द और
वही िार वो कां ग्रेि के मलए मिख्ख मवरोिी दं गे और भागलपुर दं गे और मुं बई दं गे के मलए क्ों नहीं
इस्ते माल करती ?

7- दे गंगा में हुए मनरं तर दं गो के बारे में राष्ट्रीय मीमिया द्वारा कुछ भी प्रिाररत नहीं मकया गया l 8- दे श
में तेजी िे पनप रहे आतंकवादी िन्गठन PFI (Popular Front of India) की गमतमवमियों के बारे में कोई
िमाचार नहीं मदखाया जाता, जबमक यही PFI आज मदल्ली NCR में तेजी िे र्फैल रहा है और अपनी जिें
मजबयत कर रहा है l इिी PFI में SIMI और IM के आतंकवामदयों को प्रवेश मदया जा रहा है l और कोई
शं का नहीं की आने वाले िमय में भारत के अंदर ही अंदर अल-कायदा और तामलबान िे भी बड़ा
आतंकवादी िन्गठन बन कर उभर जायेगा l

9 -अभी भरतपुर दं गे के मलए गहलोत को मममिया "मु िलमानों का कामतल " क्ों नहीं कहती ?

10- जब अगस्त 2011 में मुरादाबाद में दं गे हो रहे थे तो हमारा राष्ट्रीय मीमिया इं ग्लैण्ड में हो रहे दं गो
की कवरे ज मदखाने में व्यस्त थे , मकतना जान माल का नु क्सान हुआ ये मीमिया ने नहीं मदखा क्ोंमक
मु िलमानों का बुरा, महं िक, मजहादी, नीच, बलात्कारी पक्ष दे ख कर कहीं महन्दय जाग न जाएूँ l

आज की इि मीमिया के प्रमु ख काया है :

1. आरएिएि को मिम्मी के कतार मे खड़ा करना

2. भगवा मे आतंकवाद ढय ूँ ढना, मिग्गी के बयानो को जानबयझकर हवा दे ना तामक महं दुओं की वाणी उिी
मे बहकर महन हो जाये….
6

3. महन्दय िंस्कृमत मे दोष ढय ूँ ढना, अमरनाथ यात्रा को ढोंघ करार दे ना – फजी मवज्ञानी को बुलाकर के
अमरनाथ यात्रा का वैज्ञामनक मबन्दु दे खना तामक महन्दय यह िमझे की यह एक ढोंग है .

4. लं दन मे 4 लोग मारे तो उिे रोज दवाई की तरह दशा कों को मपलानाऔर ठीक उिी िमय मे
मु रादाबाद मे भगवान मशव की यात्रा मे शाममल 4-5 महन्दय मरे दं गो मे तो उिे मबलकुल भी नहीं बताना

5. केरल मे ित्तािारी पाटी के मजहादी युवक पामकस्तानी पचे बां टे तो बड़ी बात नहीं है , ले मकन
िुब्रमण्यम स्वामी के बयान बड़ी बात है …..

6. मु हम्मद के िे न्माका मे बने काटय ा न का गुस्सा यहाूँ के मु क्तस्लम कोल्हापुर और हुबली मे िरकारी िंपमत्त
और मु दे महं दुओं पर हाथ िाफ करें तो इि मीमिया की हे िलाइन होती है“इनका गुस्सा जायज है
मकिी के िमा की भावनाओ के िाथ क्तखलवाड़ उमचत नहीं है “वही एक िां स्कृमतक आतंकवादी एम
एफ हुिेन बहुिंख्यक (?) महं दुओं के दे वी दे वताओ के नि मचत्र बनाए और उिके प्रमतकृया मे
बहुिंख्यक महं दुओं के दे श मे मु ट्ठी भर िंगठन मवरोि करें तोमीमिया उन पर तोगमड़या टे ग लगाकर
हुिेन के प्रमत अपनी हमददी बताती है ….

7. गोवा मे मं मदर की मय मतायों पर पैशाब करके “ईिा की ताकत बताना” और मय मतायाूँ ईिाई तोड़े तो
कोई बात नहीं….

केरल के मु क्तस्लम बहुल इलाकों मे ममशनरी के गुजरने मात्र िे मौत ममले तो मीमिया मे कोई हे िलाइन
/ बात नहीं …..क्ोंमक दोनों “ममत्र िमुं ह″ का टकराव है

8. ले मकन एक मदा महन्दय उड़ीिा मे ईिाई ममशनररयों को उनके कुकृत्य पर मजं दा जलाए …..तो इि
मीमिया की हे िलाइन होती है ”दे श मे महन्दय कट्टरपंथ बढ़ रहा है “

9. हमे शा इन्े व्यवथथा पररवतान करने मनकले स्वामी रामदे व मे एक चोर, पाखं िी नजर आता है

10. हर रोज कम िे कम 4-5 खबरे ऐिी होती है जहां कोई पुजारी मकिी मंमदर मे बलात्कार करता है ,
कोई महन्दय िंत ढोंगी मनकलता है , आिाराम हत्यारा मनकलता है आरएिएि के क्तखलाफ क्तस्टंग ऑपरे शन
होता है , ऐिी मीमिया मजिे मिफा महन्दय के अंदर ही बलात्कारी, पाखं िी, चोर नजर आता हो वो कैिे
लोगो को जगाएगी ? जब कोई दे श की मीमिया मकिी मनजी िंथथानो के हाथो मे हो तो उििे मकिी
भी तरह की आशा रखना व्यथा है ….. वह तो मिफा अपने आकाओ के कहने पर अपने स्वाथा मिक्ति के
मलए बहुिंख्यकों को बरगलाएगी…. तामक महन्दय ये खबरे पढ़ पढ़ कर के अपने आप को हीन िमझने
लगे और ममशनररयों के मलए िमा पररवतान के मलए पहली िीढी तैयार हो जाये ….

11- यमद कोई मु क्तस्लम या ईिाई कोई महं दय मवरोिी मकताब मलखे तो वो "अमभव्यक्ति की स्वतंत्रता" और
यमद कोई महं दय मलखे तो अपराि
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महानगरो मे “महन्दय नाक्तस्तको” (नपुंिको) की तादात बढ़ रही है गले मे क्रॉि शोभायमान है…. वाणी मे
आिुमनक कंपनी तंत्र िे प्रेररत िेकुलरवाद- -

अब तो यह कहने मे भी शमा आती है की जागो महंदुओं जागो । क्ोंमक एक भाषण मात्र िे ही यदा
किा मिफा एक महन्दय की आूँ ख खु लती है ले मकन बाकी जागते हुए भी अंदर िोये रहते है … जयचंदी
का मजन कहीं न कहीं उनमे महलोरे ले ता है ….

इि बात का आप कभी घमं ि न करें की आपकी िंख्या 70 % हैं….. इिमे िे आिे तो िेकुलर
"SICKULARS" की औलादे है बाकी वे जो मौन मवरोि करतेहै ले मकन वोट नहीं दे ते है क्ोंमक उन्े
अपना व्यापाररक िमय प्यारा है ….

और मजि तरह िे इि दे श मे मु क्तस्लम जनिंख्या तेजी िे बढ़ रही है उि महिाब िे 2060 तक महं दय
इि दे श मे अल्पिंख्यक हों जायेंगे ..

जागो महं दय जागो अपने वोट की कीमत िमझो !! अपने जामत और क्षेत्र को भयल कर एक नई िुबह
के मलए तैयार हों जाओ

'तिनाशकाले Intellectual बु ल्जद्ध' .... एक उत्तर ... धमफ-तनरपे क्षी SICKULARS के तलए .... जो
दोगली मानििा की बाि करिे हैं l
आजकल Sickular लोगों की बाढ़ िी आ गई है ... मजिे दे खो िनातन िमा पर आये हुए िंकटों को
अनदे खा कर ... मानवता का उपदे श दे ने में लगा हुआ है ,
ये वो लोग हैं ... मजन्ें विुिैव कुटु म्बकम और िवा िमा िमभाव के आगे कुछ भी कहना नहीं
आता,
इन दो श्लोकों में ही इनका मानवता का ज्ञान पयरा हो जाता है l

मजनिे कभी गीता के ज्ञान की बात करो तो ... भी केवल दो ही श्लोक याद आएं गे,
1. आत्मा अजर है , अमर है ....
2. कमा कर... फल की मचंता मत कर
बि.... हो गया पयरा गीता का ज्ञान, हो गया जीवन िफल

गीता के ज्ञान की बात करते हुए अज्ञानी लोग यह क्ों भय ल जाते हैं की भगवन श्री कृष्ण ने ही एक
और उपदे श मदया था मक "हे पाथा ! जब शत्रु िामने खिा हो, जो घातक अस्त्रों - शस्त्रों के िाथ हो,
उििे दया मक आशा नहीं करनी चामहए,
इििे पहले मक वो तुम पर आक्रमण करे और कोई घातक प्रहार करे ... आगे बढ़ कर उिका
िंहार करो l "

िमा रक्षा हे तु िमय िमय पर शस्त्र उठाने की मशक्षा भी भगवान श्री कृष्ण ने ही दी l
पर मानवता की बात करने वाले मु िलमान - ईिाईयों के द्वारा ममलने वाले पाररश्रममक पर जीने वाले
8

.... नकली महन्दु ओं को यह ज्ञान िमझ में नहीं आते ..... क्ोंमक .... मवनाशकाले INTELLECTUAL
बुक्ति ...
अतिः ऐिे िमस्त Sickulars के मलए एक छोटा िा उत्तर है , जो अपने आप में िमस्त पापी जीव्हाओं को
तत्काल प्रभाव िे काट िकता है l

प्रिंग महाभारत का है ...


कणा कौरवों का िेनापमत था और अजुा न के िाथ उिका घनघोर युि जारी था l
कणा के रथ का एक चक्का जमीन में फंि गया l
उिे बाहर मनकलने के मलए कणा रथ के नीचे उतरा और अजुा न को उपदे श दे ने लगा - "कायर पुरुष
जै िे व्यवहार मत करो, शयरवीर मनहत्थों पर प्रहार नहीं मकया करते l िमा के युि मनयम तो तुम जानते ही
हो l तुम पराक्रमी भी हो l
बि मु झे रथ का यह चक्का बाहर मनकलने का िमय दो l मैं तुमिे या श्री कृष्ण िे भयभीत नहीं हूूँ ,
ले मकन तुमने क्षत्रीय कुल में जन्म मलया है , श्रे ष्ठ वंश के पुत्र हो l हे अजुा न ..... थोड़ी दे र ठहरो "

परन्तु भगवन श्री कृष्ण ने अजुा न को ठहरने नहीं मदया, उन्ोंने कणा को जो उत्तर मदया वो मनत्य
स्मरणीय है ....
उन्ोंने कहा " नीच व्यक्तियों को िंकट के िमय ही िमा की याद आती है l
द्रौपदी का चीर हरण करते हुए,
जु ए के कपटी खे ल के िमय,
द्रौपदी को भरी िभा में अपनी जां घ पर बैठने का आदे श दे ते िमय,
भीम को िपा दं श करवाते िमय,
बारह वषा के वनवाि और एक वषा के अज्ञातवाि के बाद लौटे पां िवों को उनका राज्य वामपि न
करते िमय,
16 वषा की आयु के अकेले अमभमन्यु को अने क महारमथयों द्वारा घेरकर उिे मृत्यु मु ख में िालते िमय
.... तुम्हारा िमा कहाूँ गया था ?

श्री कृष्ण के प्रत्येक प्रश्न के अंत में माममा क प्रश्न "क्व ते िमा स्तदा गतिः " ... पयछा गया है l

इि प्रश्न िे कणा का मन मवक्तच्छन्न हो गया l


श्री कृष्ण ने अजुा न िे कहा "वत्स, दे खते क्ा हो, चलाओ बाण l इि व्यक्ति को िमा की चचाा करने का
कोई अमिकार नहीं है "

िनातन इमतहाि िाक्षी है की िमस्त शय रवीरों ने ऐिा ही मकया है l

मशवाजी को मजन्दा या मु दाा दरबार में लाने की प्रमतज्ञा ले कर मनकले अफजल खान ने मबना मकिी कारण
के तुलजापुर और पंढरपुर के मक्तन्दरों को नष्ट् मकया था, उिकी यह रणनीमत थी की मशवाजी क्तखमियाकर
रणभय मम में में आ जाएूँ l परन्तु मशवाजी की रणनीमत यह रही की अफ्ज्लज्जल्खान को जावली के जं गलों में
खींच लाया जाए, अंततिः मशवाजी की रणनीमत और रणकौशल िफल हुआ, अफजल खान प्रतापगढ़ पहुं चा
9

और मशवाजी ने उिे यम-िदन भे ज कर मवजय प्राप्त की l मशवाजी की इि रणनीमत को कपट नीमत


कहने वाले 'ममशनरी-महन्दय -इमतहािकारों' और 'मु क्तस्लम-महन्दय -इमतहािकारों' को मवजय का महि नहीं पता
l
िनातन इमतहाि में शयरवीरों का आदमी िाहि, पराक्रम, बमलदान, योगदान आमद िब अतुलनीय है ...
परन्तु इि बमलदान, योगदान, पराक्रम, शयरवीरता और िाहि को मवजय का जो फल ममलना चामहए वह
िम्व नहीं हुआ .... यह िचमु च दु भाा ग्य की बात है l

यह िचमु च दु भाा ग्य की बात है की िनातन भारत के नागररकों को उनका गौरवशाली इमतहाि न पढ़ा
कर पैशामचक मु गलकालीन इमतहाि को अत्यंत महि मदया जाता है और िनातन पीढ़ी अपने गौरवशाली
इमतहाि िे दय र जाकर पैशामचक चकाचौंि िे मं त्रमु ग्ध होती जा रही है l
पैशामचक िमों के षड्यं त्रों िे अनजान ये पीढ़ी .... खोखली मानवता की बात करती है तो उनिे यह
पयछने की मजज्ञािा होती है मक अपने िाममा क ग्रन्थों की उनको मकतनी िमझ है l

मपता की आज्ञा को मशरोिाया क्र राजपद का त्याग करने वाले भगवन मयाा दापुरुषोत्तम श्री राम,
अिली उत्तरामिकारी के वनों में रहने तक विल वस्त्र िारण करते हुए घाि फयि मक शै य्या पर
िोने वाले ब्रह्म-अवतार भरत,
िमस्त मवश्व को श्रीमद्भागवद्गीता का ज्ञान दे ने वाले िक्तच्चदानन्द ित्यनारायन भगवान श्री कृष्ण,
स्वप्न में मदया वचन पयणा करने वाला ित्यवादी हररिन्द्र,
शरण में आये कबयतर के प्राण बचने हे तु बाज के भार िामान अपना मां ि दे ने वाले रजा मशवी,
दे वताओं की मवजय के मलए अपनी अक्तथथयाूँ दे ने वाले महमषा दिीची,
ह्रदय िे पमत माने व्यक्ति का एक वषा बाद होने वाले मनिन को जानते हुए भी उििे ही मववाह करने
वाली और िाक्षात् यमराज िे मववाद करने और अपने पमत को प्राप्त करने वाली िामवत्री,
िारी िम्पती ठु करा कर आत्मज्ञान के मागा का अनुिरण करने वाली मै त्रेयी,
मपता मक ख़ु शी के मलए आजीवन अमववामहत रहने मक 'भीषण' प्रमतज्ञा लेने वाले दे वव्रत ... मपतामह
भीष्म,
स्वतंत्रता के मलए मलए भटकते मफरते महाराणा प्रताप,
राजपुत्र के मलए अपने पुत्र का बमलदान दे ने वाली पन्ना िाय,
राजा द्वारा अन्यायपयवाक मपता को हाथी के पैरों तले कुचलवाने के बाद भी अपनी िारी िम्पमत्त राजा
के मलए दान करने वाला खं िो बल्लाल,
स्वतंत्रता के मलए फां िी के फंदे को गलहार िमझकर उिे चयमकर परम-वीरगमत को प्राप्त होने वाले
हमरे शय रवीर स्वतंत्र िेनानी - क्रक्तन्तकारी,

उपरोि िभी हमारे आदशा हैं ,

ित्य, शील, स्वामममनष्ठा, िमा मनष्ठा, त्याग, बमलदान, आदमी िाहि, पराक्रम, मवजय आमद मयल्यों को प्रमतष्ठामपत
करने के मलए मजन शय रवीरों ने अपना अपना अपना त्याग मकया वे िब हमारे आदशा हैं l
इन िारे आदशों ने मजन मय ल्यों मक थथापना मक उन मय ल्यों मक रचना .... यानी ... िंस्कृमत l
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िंस्कृमत और कुछ नहीं होती ...िंस्कृमत माने जीवन मय ल्यों मक मामलका l


मजनके मलए हमें जीमवत रहने में आनन्द हो और मृत्यु में भी गौरव ममले , ऐिे मय ल्यों की परं परा ही
िंस्कृमत होती है l
इन मय ल्यों की रक्षा का अथा ही िंस्कृमत की रक्षा करना होता है l
ऐिे मय ल्यों की परम्परा ही िंस्कृमत का घ्योतक है l

िमय के िाथ अने क पररवतान होते हैं , पोशाकों में बदलाव आयेगा, घरों की रचना में बदलाव आयेगा,
खानपान के तरीके भी बदलें गे.....
परन्तु जीवन मयल्य तथा आदशा जब तक कायम रहें गे तब तक िंस्कृमत भी कायम कहे गी l यही
िंस्कृमत राष्ट्रीयता का आिार होती है ....
राष्ट्रीयता का पोषण यामन िंस्कृमत का पोषण होता है .... इिे ही िां स्कृमतक राष्ट्रवाद कहा जाता है
l

ॐ िवोपरर िवागुण िंपन्न िनातन वैमदक िनातन िमां....

|| िनातनिमा िः महत्मो मवश्वव्िमा िः ||

"मवश्व महाशक्ति बनना हमारा पौरामणक जन्ममिि अमिकार है , और हम इि पद को ले कर रहें गे ।"

हम मवश्व िमा हैं , हम िनातन हैं ,


हम मवश्व राष्ट्र हैं , हम मवश्वगुरु हैं ,
हम मवश्व प्राणी हैं , हम मवश्वशक्ति हैं .
हम मवश्वात्मा हैं ,
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मााँसाहार अथाफि शैिान का प्रसाद .... िै तश्वक अशाल्जन्त का घर


मााँसाहार अथाफि शैिान का प्रसाद .... िै तश्वक अशाल्जन्त का घर

माूँ िाहार को यमद "शै तान का प्रिाद" या "अशाक्तन्त का घर" कहा जाये, तो शायद कुछ गलत नहीं
होगा. िा. राजे न्द्र प्रिाद जी नें एक बार कहा था मक "अगर संसार में शाल्जन्त कायम करनी है िो
उसके तलए दु तनया से मााँसाहार को समाप्त करना होगा. तबना मााँसाहार पर अं कुश लगाये ये
संसार सदै ि अशाल्जन्त का घर ही बना रहेगा".

िा. राजे न्द्र प्रिाद जी नें मकतनी िही बात कही है . ये कहना मबिुल दु रुस्त है मक माूँ िाहार के चलते
दु मनया में शाक्तन्त कायम नहीं रह िकती. शाकाहारी नीमत का अनु िरण करने िे ही पृथ्वी पर शाक्तन्त, प्रेम,
और आनन्द को मचरकाल तक बनाये रखा जा िकता है , अन्यथा नहीं.
पमिमी मवद्वान मोररि िी. मकघली का भी कुछ ऎिा ही मानना है . उनके शब्दों में कहा जाए, तो " यमद
पृथ्वी पर स्वगा का िाम्राज्य थथामपत करना है तो पहले कदम के रूप में माूँ ि भोजन को िवाथा वजा नीय
करना होगा, क्ोंमक माूँ िाहार अमहूँ िक िमाज की रचना में िबिे बिी बािा है ".

आज जहाूँ शाकाहार की महत्ता को स्वीकार करते हुए माूँ िाहार के जनक पमिमी राष्ट्रों तक में शाकाहार
को अंगीकार मकया जाने लगा है , उिके पक्ष में आन्दोलन छे िे जा रहे हैं , मजिके मलए न जाने मकतनी
िंथथायें कायारत हैं . पर अफिोि! भगवान राम और कृष्ण के भि, शाकाहारी हनु मान जी के आरािक,
भगवान महावीर के 'मजतेक्तन्द्रय', महमषा दयानन्द जी के अमहूँ िक आया िमाजी और रामकृष्ण परमहूँ ि के 'मचत्त
पररष्कार रे खे ' दे खने वाले इि दे श भारत की पावन भयमी पर "पयणात: शुि शाकाहारी होटलों" को खोजने
तक की आवश्यकता आन पिी है . आज िे िैकिों वषा पहले महान दाशामनक िुकरात नें मबिुल ठीक ही
कहा था, मक-----"इन्सान द्वारा जै िे ही अपनी आवश्यकताओं की िीमाओं का उल्लं घन मकया जाता है , वो
िबिे पहले माूँ ि को पथ् बनाता है .". लगता है जै िे िीमाओं का उल्लं घन कर मनु ष् 'मववेक' को नोटों
की मतजोरी में बन्द कर, दय िरों के माूँ ि के जररये अपना माूँ ि बढाने के चक्कर में लक्ष्यहीन हो, मकिी
अंजान मदशा में घयम रहा हो.......

आईये हम माूँ िाहार का पररहार करें -----"जीवो जीवस्य भोजनं " अथाा त जीव ही जीव का भोजन है जै िे
फालतय के कपोलकक्तल्पत मवचार का पररत्याग कर "मा महूँ िात िवा भय तामन" अथाा त मकिी भी जीव के प्रमत
महूँ िा न करें ----इि मवचार को अपनायें.

मााँस एक प्रिीक है ---िूरिा का, क्योंतक तहाँ सा की िे दी पर ही िो तनतमफि होिा है मााँस. मााँस एक
पररिाम है "हत्या" का, क्योंतक तससकिे प्रातियों के प्रति तनमफम होने से ही िो प्राप्त होिा है --मााँस.
मााँस एक तपं ड है िोडे हुए श्वासों का, क्योंतक प्राि घोर्टकर ही िो प्राप्त तकया जािा है --मााँस. मााँस
एक प्रदशफन है तिचारहीन पिन का, क्योंतक जीिों के प्रति आदर( Reverence of Life) गाँिाकर ही िो
प्राप्त तकया जािा है --मााँस.
इिके मवपरीत शाकाहार मनमामता के मवपरीत दयालु ता, गन्दगी के मवपरीत स्वच्छता, कुरूपता के मवरोि में
िौन्दया, कठोरता के मवपरीत िंवेदनशीलता, कष्ट् दे ने के मवपरीत क्षमादान, जीने का तका एवं मानमिक शाक्तन्त
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का मय लािार है .

मांसाहार बीमाररयों की जड़ हैं . इससे तदल के रोग, गोउर्ट, कैंसर जैसे अने को रोगों की िृ ल्जद्ध दे खी
गयी हैं और एक तमथक यह हैं की मांसाहार खाने से ज्यादा िाकि तमलिी हैं इसका प्रबल प्रमाि
पहलिान सुशील कुमार हैं जो तिश्व के नंबर एक पहलिान हैं और पू िफ रूप से शाकाहारी हैं .
आपसे ही पूछिे हैं की क्या आप अपना मांस तकसी को खाने दें गे. नही ं ना िो तर्र आप कैसे
तकसी का मांस खा सकिे हैं .

जो स्वयं अंिे हैं वे दय िरो को क्ा रास्ता दीखायेंगे. महन्दय जो पशु बमल में मवश्वाि रखते हैं खु द ही वेदों
के मवरुि काया कर रहे हैं . पशु बमल दे ने िे केवल और केवल पाप लगता हैं , भला मकिी को मारकर
आपको िुख कैिे ममल िकता हैं . जहाूँ तक वेदों का िवाल हैं मध्यकाल में कुछ अज्ञानी लोगो ने हवन
आमद में पशु बमल दे ना आरं भ कर मदया था और उिे वेद िंगत मदखाने के मलए महीिर, िायण आमद ने
वेदों के कमा कां िी अथा कर मदयें मजििे पशु बमल का मविान वेदों िे मिि मकया जा िके. बाद में
माक्स्मुलर , मग्रफीथ आमद पािात्य लोगो ने उिका अंग्रेजी में अनु वाद कर मदया मजििे पयरा मवश्व यह िमझे
की वेदों में पशु बमल का मविान हैं . आिुमनक काल में ऋमष दयानं द ने जब दे खा की वेदों के नाम पर
मकि प्रकार िे घोर प्रपंच मकया गया हैं तो उन्ोंने वेदों का एक नया भाष् मकया मजििे फैलाई गयी
भ्रां मतयों को ममटाया जा िके. दे खो वेदों में पशु आमद के बारे में मकतनी िुंदर बात कहीं गयी हैं -

ऋगवेद ५/५१/१२ में अमिहोत्र को अध्वर यामन मजिमे महं िा की अनु ममत नहीं हैं कहा गया हैं .
यजु वेद १२/३२ में मकिी को भी मारने िे मनाही हैं
यजु वेद १६/३ में महं िा न करने को कहा गया हैं
अथवावेद १९/४८/५ में पशुओ की रक्षा करने को कहा गया हैं
अथवावेद ८/३/१६ में महं िा करने वाले को मारने का आदे श हैं
ऋगवेद ८/१०१/१५ में महं िा करने वाले को राज्य िे मनष्कामषत करने का आदे श हैं

इस प्रकार चारो िे दों में अने को प्रमाि हैं तजनसे यह तसद्ध होिा हैं की िे दों में पशु बतल अथिा
मांसाहार का कोई ििफन नही ं हैं .

रामायण , महाभारत आमद पुस्तकों में उन्ीं लोगो ने ममलावट कर दी हैं जो हवन में पशु बमल एवं
मां िाहार आमद मानते थे .
िे द स्मृति परं परा से सुरतक्षि हैं इसतलए िे दों में कोई तमलािर्ट नही ं हो सकिी उसमे से एक शब्द
अथिा एक मात्ा िक को बदला नही ं जा सकिा.
रामायि में सुंदर कांड स्कन्द ३६ श्लोक ४१ में स्पष्ट कहााँ गया हैं की श्री राम जी मांस नही ं लेिे
िे िो केिल र्ल अथिा चािल लेिे हैं .
महाभारत अनु शािन पवा ११५/४० में रां मतदे व को शाकाहारी बताया गाय हैं .
शां मत पवा २६२/४७ में गाय और बैल को मारने वाले को पापी कहाूँ गाय हैं .इि प्रकार के अन्य प्रमाण
भी ममलते हैं मजनिे यह भी मिि होता हैं की रामायण एवं महाभारत में मां ि खाने की अनु ममत नहीं हैं
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और जो भी प्रमाण ममलते हैं वे िब ममलावट हैं .

और सबसे महत्वपू िफ बाि ....

आज प्रत्येक होटल, रे स्तरां , ढाबे आमद पर जो मां िाहार ममलता है वो इस्लाम के हलाल मििां त के अनु िार
काट कर परोिा जाता है ... झटका नही ल हलाल यानी शै तान के नाम पर चढ़ाया गया प्रिाद ...
क्ा आप ये प्रिाद ग्रहण करना चाहें गे ?
और यमद कर रहे हैं तो आप िीिे िीिे ... इस्लामी शै तान में आथथा प्रकट कर रहे हैं ...

अब ये आप को िोचना है मक क्ा आप अब भी माूँ ि जै िे इि जि युगीन अवशे ष िे अपनी क्षु िा एवं


मजव्हा लोलु पता को शान्त करते रहना चाहें गें....................
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धमफ तनरपे क्ष िो पशु भी नही ं होिे ...

िंिार में कोई भी नीच िे नीच मनु ष् भी िमा -मनरपेक्ष हो ही नहीं िकता, क्ोंमक कोई भी मनु ष्
मानवीय गुणों िे हीं नहीं है l
िमा यानी िारण करने योग्य मानवीय गुण मजिके मुख्य लक्ष्ण होते हैं ...
1. िैया
2. क्षमा
3. मन पर काबय
4. चोरी न करना
5. मन व् शरीर की पमवत्रता
6. इक्तन्द्रयों पर मनयन्त्रण रखना
7. बुक्ति को स्वाध्याय ित्सं ग िे बढ़ाना
8. मवद्वान होना व् ज्ञान को स्वाध्याय ित्सं ग िे बढ़ाना
9. ित्य बोलना
10. क्रोि न करना
11. अमहं िा पर कायरता नहीं
12. परोपकार
13. मोक्ष प्राप्त करने हे तु ित कमा करना
14. मानवता यानी चररत्रवान होना
15. दया

बहन, भाई, मपता, पुत्री, माूँ , बेटा एक कमरे में िोये हैं , वे कुकमा नही करते, इिके पीछे कौन है जो कुकमा
िे रोक रहा है ?

पिोिी के घर में कोई नहीं है और आप उिके घर में चोरी नहीं करते, कौन है जो आपको रोक रहा
है ? इि कुकमा िे ...
उत्तर है ..धमफ

इन लक्षणों के मबना क्ा मकिी को इं िान या मानव मनु ष् कह िकते हैं ?


मजििे इन गुणों की अपेक्षा न की जा िके उिे िमा मनरपेक्ष कह िकते हैं ... पशु ओं में भी इनमे
िे कुछ गुण होते हैं l
िमा मनरपेक्ष तो पशु िे मगरे हुए को कहते हैं l अगर कोई ने ता आपको पागल बनाये की िमा -मनरपेक्ष
का अथा िवा िमा िामान होता है तो मफर िमा मनरपेक्ष न कह कर िवा िमा िमभाव ही कहना चामहए
l

िमा मनरपेक्ष तो िबिे बड़ी गाली है शायद िबिे भयंकर गाली है ,


िारे ने ता, जज, िरकारी अमिकारी, MP - MLA - Mayor आमद िब िमा मनरपेक्ष होने ही शोथ ले ते हैं तथा
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चुनाव का नामां कन पात्र भरते हैं l


यह अिहनीय है ,,, इिकी चचाा करें .. प्रचार करें तथा यथािम्व मवरोि करें l
दे श के प्रमत कताव्य मनभाएं ... भारत भय मम पुन्य भय मम है , ऋमष भय मम है , दे व भय मम है ... वेद (ज्ञान)
भय मम है ... यह कदामप िमा मनरपेक्ष दे श नहीं है l

भारत माता को िमा मनरपेक्ष घोमषत करने का पाप अज्ञानी कां ग्रेि ने मकया था और आज भी कर रहे
हैं l

बीजे पी - मशविेना - RSS - BSP - SP आमद िभी िह रहे हैं ... यह महान भारि मािा का अपमान
है ..... र्षड्यंत् है

धमफ - तनरपे क्ष का अथफ होिा है धमफ तिरुद्ध, धमफ - तिहीन यानी मानििाहीन अथाफि तजससे धमफ
की अपे क्षा न की जा सके ... जो धमफ के प्रति तनरपेक्ष हो l

और अब बाि करिे हैं सिफ धमफ समान की ...

िब िातुओं के गहने िामान नहीं होते. िोने की कीमत अलग होती है और अलु मममनयम, चां दी, पीतल
लोहे आमद की कीमत अलग होती है l
िब िरकारी नौकर िामान नहीं होते ... चपरािी, क्लका, कले क्टर और मं मत्रयों को अलग अलग श्रे णी के
नौकर माने जाते हैं l िब राजमनमतक पामटा यां िामान हैं ... ऐिा कोई कहे तो .. राजने ता नाराज हो
जायेंगे l अपनी पाटी को श्रे ष्ठ और अन्य पामटा यों को कमनष्ठ बताते हैं .... पर िमा के मवषय में िब िमा
िामान कहने में उनको लज्जा नही आती l
वास्तव में जै िे मवज्ञान के जगत में मकिी एक वैज्ञामनक की बात तब तक िच्ची नहीं मानी जाती जब
तक की उिे िम्पय णा मवश्व के वैज्ञामनक तका-िंगत और प्रायोमगक स्टार पर िच्ची नहीं मानते l ऐिे ही
िमा के मवषय पर भी मकिी एक व्यक्ति के कहने िे उिकी बात िच्ची नहीं मान िकते l क्ोंमक उिमे
अपने िमा के प्रमत राग और अन्य िमो के प्रमत द्वे ष होने की िम्ावना है l िनातन िमा के मिवा अन्य
िमा अपने िमा को ही िच्चा मानते हैं , दु िरे िमो की मनं दा करते हैं l केवल िनातन िमा ही अन्य िमों के
प्रमत उदारता और िमहष्णु ता का भाव मिखाता है l इिका अथा यह कदामप नहीं हो िकता की िब िमा
िमान हैं l

गं गा का जल और ये िालाबों, कुएं या नाली का पानी समान कैसे हो सकिा है l


यमद िमस्त मवश्व के िभी िमो को मानने वाले िभी िमों का अध्ययन करके तटथथ अमभप्राय बताने वाले
मवद्वानों ने मकिी िमा को तका िंगत और श्रे ष्ठ घोमषत मकया हो तो उिकी महानता को िबको स्वीकार
करना पड़े गा l िम्पय णा मवश्व में यमद मकिी िमा को ऐिी व्यापक प्रशक्तस्त प्राप्त हुई है तो वह है ... िनातन
िमा l
मजतनी व्यापक प्रशक्तस्त िनातन िमा को ममली है उतनी ही व्यापक आलोचना ईिाईयत और इस्लाम की
अंतराा ष्ट्रीय मवद्वानों और मफलाक्तस्फस्तों ने की है ....
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िनातन िमा की ममहमा और िच्चाई को भारत के िंत और महापुरुष तो िमदयों िे िैिां मतक और
प्रायोमगक प्रमाणों के द्वारा प्रकट करते आये हैं , मफर भी पािात्य मवद्वानों िे प्रमामणत होने पर ही मकिी
की बात को स्वीकार करने वाले पािात्य बोक्तिकों के गुलाम ऐिे भारतीय बुक्तिजीवी लोग इि ले ख को
पढ़कर भी िनातन िमा की श्रे ष्ठता को स्वीअक्र करें गे तो हमे प्रिन्नता होगी और यमद वो िनातन िमा के
महान ग्रन्थों का अध्ययन करें गे तो उनको इिकी श्रे ष्ठता के अने क िैिां मतक प्रमाण ममलें गे और मकिी
अनु भवी पुरुष के मागादशान में िािना करें गे तो उनको इिके ित्य के प्रायोमगक प्रमाण भी ममलें गे l आशा
है िनातन िमाा वलम्बी इि ले ख को पढने के बाद स्वयम को िनातन िमी कहलाने पर गवा का अनु भव
करें गे l मनम्नमलक्तखत मवश्व-प्रमिि मवद्वानों के वचन िवा-िमा िामान कहने वालों के मयं ह पर करारे तमाचे
मारते हैं और िनातन िमा की महत्ता प्रमतपामदत करते हैं ... जै िे चपरािी, िमचव, कले क्टर आमद िब
अमिकारी िमान नहीं होते .. गंगा यमुना गोदािरी कािे री आतद नतदयों का जल .. और कुएं तथा नाली
का जल िामान नहीं होता ऐिे ही िब िमा िमान नहीं होते .... िबके प्रमत स्नेह िदभाव रखना
भारत वषा की मवशे षता है लेमकन िवा-िमा िामान का भाषण करने वाले भोले भले भारत वामियों के
मदलो मदमाग में तुमष्ट्करण की कयटनीमतक मशक्षा-मनमत के और मवदे शी गुलामी के िंस्कार भरते हैं l

सिफ धमफ सामान कह कर अपनी ही संस्कृति का गला घोंर्टने के अपराध से उन सज्जनों को ये लेख
बचाएगा आप स्वयं पढ़ें और औरों िक यह पहुाँ चाने की पािन सेिा करें l

संस्कारों को नकारो नही ं ... अगली पीढ़ी का उतचि चररत् तनमाफि करें
बदलते पररवेश, बदलते वातावरण, बदली मशक्षावृमत्त के कारण हमारे बच्चों का रहन -िहन एकदम बदल
गया है l
पािात्य िंस्कृमत के बढ़ते प्रभाव के कारण "Mom - Dad" वाले िंस्कार बच्चों में तेजी िे पनप रहे हैं ,
रही िही किार टे लीमवजन िारावामहकों ने पयरी कर दी है l

आज के दादा-दादी, नाना -नानी के िाथ िाथ माता मपता को भी िोचना चामहए की जो िंस्कार उन्ें
पयवाजों ममले थे , क्ा वे इन िंस्कारों को भावी पीढी तक पंहुचा पा रहे हैं ?
हर िमाज में कुछ नीमतगत बातें, कुछ परम्पराएं एवं कुछ िाममा क मान्यताएं होती हैं मजन्ें हम िंस्कार
कहते हैं , इन िंस्कारों को यमद भावी पीढ़ी तक न पहुचाया जाए तो ये नष्ट् हो जाते हैं l

यह भी ित्य है की काल, दय री तथा बदलते पररवेश में िंस्कारों में पररवतान होता रहता है , नई बातें जुड़
जाती हैं और कुछ पुरानी बातें छयट जाती हैं ... कुछ िुिार हो जाता है l
जै िे... प्राचीन काल में बहू ििुराल पक्ष के बड़े लोगों के िामने घयूँघट मनकला करती थीं, ले मकन आज
के जागरूक िमाज ने इिे बदल मदया है ... शमा तो आूँ खों में होनी चामहए l
घयूँघट बहू के मलए परे शानी पैदा करता है .. ये तका उमचत हो भी िकता है ... परन्तु संस्कारों का
मूलस्वरूप नही ं बदलिा .. और न ही बदलना चातहए l

मजि तरह कुछ बातें बच्चों के िामने नही की जा िकतीं, वैिे ही कुछ िंकोच बड़े के िामने भी रखा
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जाना चामहए, बड़ों के िामने छोटों को िंयममत व्यवहार घर के दु िरे छोटों को भी ऐिा करने की
मशक्षा दे ता है l
िंस्कार हमारी अक्तस्मता, हमारी िंस्कृमत और अपने पन की पहचान है l घर के शालीन और िौम्य
वातावरण का आमद व्यक्ति िमाज में उिी शालीनता को ले कर पहुचता है और उिकी अपेक्षाएं भी
उिी रूप में ढल जारी हैं l सौम्यिा की इसी तमर्टर्टी में संस्कार र्लिे र्ूलिे हैं ....

दे खा जाए तो भावी पीढ़ी को िंस्कृत बनाना इतना कमठन नही है , मजतना कमठन हम िोचते हैं l मजन
पररवारों में बचपन िे ही बच्चों को नमस्कार, चरण-स्पशा , मक्तन्दर जाना, िाममा क पवों पर भागीदारी करने
तथा पाररवाररक आयोजनों में स्मीमलत होने का अविर ममलता है , वहां बच्चे स्वतिः ही दीमक्षत और
मशमक्षत होते चले जाते हैं , लेमकन मजन पररवारों में बच्चों पर पयरा ध्यान नही मदया जाता वे िंस्कार िारण
में मपछड़ जाते हैं l
ऐिे माता - मपता अपने बच्चों को िंस्कार शय न्य बना दे ते हैं , हालां मक अमभभावक थोड़ी मे हनत करके ये
काम कर िकते हैं , ये काम लम्बी छु मट्टयों में करना चामहए l
पररवार में प्रमत माह एकाि बार पाठ, हवन, पयजा, कथा आमद जै िे आयोजन अवश्य करवाए जाएूँ
...खािकर तब अवश्य हों जब बच्चे होस्टल आमद में रहते हों और वे घर वामपि आये हों... उनके
मन में िमा -कमा के प्रमत श्रिा भाव उपजें गे और बढ़ें गे l

अपने बच्चों को िमा , ित्य और नै मतकता के िाथ िाथ कमा , योग और भक्ति के मििां त को िमय िमय
पर िमझाने का प्रयाि करें , यह मविम्बना है की भारत का िंमविान िनातन िंस्कृमत के अनु रूप नही
है , मजिके कारण मवद्यालयों में तो िमा कमा की मशक्षा िे वंमचत ही रखा जायेगा, और वतामान में
वामपंथी, मले च्छों और यवनों द्वारा मकि प्रकार िनातन िंस्कृमत के इमतहाि को तोड़ मोड़ कर पढ़ाया
जाता है ये हम िभी जानते हैं l

आवश्यक है की अपने बच्चों के उमचत चररत्र मनमाा ण की प्रमक्रया का आरम् हम स्वयं घर िे ही


करें ... उन्ें अपने िमा के मय ल्य, मििां त, मशक्षाओं, परम्पराओं, आमद का अमिक िे अमिक ज्ञान दें l

िनातन िंस्कृमत के मजतने भी आराध्य हैं , िमा -ग्रन्थ हैं , ऋमष - आचाया - गुरु आमद हैं उन िबके बारे
में घर पर ही बताएं l
भारतीय भय मम पर जन्म ले ने वाले अिंख्य शय रवीरों की मवजय गाथाएं बताएं , राष्ट्रप्रेम हे तु अने कों बमलदान
दे ने वालों की आहुमतयों के बारे में बताएं ... मजििे की राष्ट्र-प्रेम की भावनाएं उनमे बचपन िे ही
कयट कयट कर भर जाएूँ और अखं ि भारत के िुनहरे भमवष् में वे अपना शत-प्रमतशत योगदान दे पाएं
l
मपछले 2500 वषों में ... 1400 वषों में ... मजतने भी आक्रमण िनातन िंस्कृमत और ऋमष भय मम दे व
तुल्य अखं ि भारत पर हुए हैं , उन िबका इमतहाि अमिक िे अमिक बताया जाए मजििे की उन्ें
मवदे शी लोगों के आचरण की भली भाूँ ती परख हो जाए l
तिशेर्षकर मलेच्छों और यिनों िारा तकये गए आिमिों, लूर्टमार, तहन्दू नाररयों का शारीररक मान
मदफ न, मल्जन्दरों का तिध्वं स, मूतिफयों का अपमान ...और सबसे महत्वपू िफ धमाांिरि आतद के बारे में
भी बिाएं l
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ििफमान समय में सबसे आिश्यक तिर्षय है लि तजहाद इसके बारे में तिशेर्ष कर अपने घर की
लड़तकयों को अिश्य जागरूक करें l

स्वयं का आचरि ऐसा बनाएं की बच्चे उनका अनुसरि करें जो तपिा रोज घर में शराब पीिा हो
िो बच्चे को शराब से दू र रहने की सीख कैसे दे सकिा है ?
जो मााँ स्वयं मयाफतदि कपडे न पहनिी हो ..िो भला अपने बच्चों की क्या संस्कार दे पायेगी ?

जो बीज आज बोयेंगे उिके फल आने वाली तीन पीढीयों में मदखाई दें गे l परम्पराओं को आगे पहुचना
िमाज को िुरमक्षत आिार दे ने का काया कताव्य है ...
और बच्चों को संस्कार दे ना ििफमान और बु जुगफ पीढी का नै तिक किफव्य भी बनिा है l

अंत में एक आवश्यक प्रश्न आप िबिे ...


क्या हम अपने बच्चों को और आने िाली पीतढ़यों को पु नः 16 संस्कार दे ने की प्राचीन व्यिस्था
को पु नजीतिि कर सकिे हैं ?
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महाराजा सुहेलदे ि के परािम की कथा

महमूद गजनिी के उत्तरी भारि को १७ बार लूर्टने ि बबाफद करने के कुछ समय बाद उसका भांजा
सलार गाजी भारि को दारूल इस्लाम बनाने के उद्दे श्य से भारि पर चढ़ आया । िह पं जाब
,तसंध, आज के उत्तर प्रदे श को रोंद्िा हुआ बहराइच िक जा पं हुचा। रास्ते में उसने लाखों तहन्दु ओ ं
का कत्ले आम कराया,लाखों तहं दू औरिों के बलात्कार हुए, हजारों मल्जन्दर िोड़ डाले। राह में उसे एक
भी ऐसातहन्दू िीर नही तमला जो उसका मान मदफ न कर सके।
इस्लाम की जेहाद की आं धी को रोक सके। बहराइच अयोध्या के पास है
के राजा सुहेल दे ि पासी अपनी सेना के साथ सलार गाजी के हत्याकांड
को रोकने के तलए जा पहुं चे । महाराजा ि तहन्दू िीरों ने सलार
गाजी ि उसकी दानिी सेना को मूली गाजर की िरह कार्ट डाला ।
सलार गाजी मारा गया। उसकी भागिी सेना के एक एक हत्यारे
को कार्ट डाला गया। तहं दू ह्रदय राजा सुहेल दे ि पासी ने अपने धमफ का
पालन करिे हुए, सलार गाजी को इस्लाम के अनु सार कब्र में दफन
करा तदया। कुछ समय पिाि् िुगलक िंश के आने पर र्ीरोज
िुगलक ने सलारगाजी को इस्लाम का सच्चा संि तसपाही घोतर्षि करिे
हुए उसकी मजार बनिा दी।आज उसी तहन्दु ओ ं के हत्यारे , तहं दू औरिों के बलािकारी ,मूिी भंजन
दानि को तहं दू समाज एक दे ििा की िरह पू जिा है । आज िहा बहराइच में उसकी मजार पर
हर साल उसफ लगिा हाँ और उस तहन्दु ओ के हत्यारे की मजार पर सबसे ज्यादा तहन्दू ही जािे हाँ

क्या कहा जाए ऐसे तहन्दु ओ को............?

सलार गाजी तहन्दु ओ ं का गाजी बाबा हो गया है । तहं दू िीर तशरोमति सुहेल दे ि पासी तसफफ पासी
समाज का हीरो बनकर रह गएाँ है । और सलार गाजी तहन्दु ओ ं का भगिन बनकर तहन्दू समाज
का पू जनीय हो गया है ।

महाराजा सुहेलदे ि के परािम की कथा कुछ इस प्रकार से है -

1001 ई0 से लेकर 1025 ई0 िक महमूद गजनिी ने भारििर्षफ को लूर्टने की दृतष्ट से 17 बार आिमि
तकया िथा मथुरा, थाने सर, कन्नौज ि सोमनाथ के अति समृद्ध मंतदरों को लूर्टने में सर्ल रहा।
सोमनाथ की लड़ाई में उसके साथ उसके भान्जे सै यद सालार मसूद गाजी ने भी भाग तलया था।
1030 ई. में महमूद गजनबी की मृत्यु के बाद उत्तर भारि में इस्लाम का तिस्तार करने की
तजम्मे दारी मसूद ने अपने कंधो पर ली लेतकन 10 जून, 1034 ई0 को बहराइच की लड़ाई में िहां के
शासक महाराजा सुहेलदे ि के हाथों िह डे ढ़ लाख जेहादी सेना के साथ मारा गया। इस्लामी सेना
की इस पराजय के बाद भारिीय शूरिीरों का ऐसा आिंक तिश्व में व्याप्त हो गया तक उसके बाद
आने िाले 150 िर्षों िक तकसी भी आिमिकारी को भारििर्षफ पर आिमि करने का साहस ही
नही ं हुआ।
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ऐतिहातसक सूत्ों के अनु सार श्रािस्ती नरे श राजा प्रसेनतजि ने बहराइच राज्य की स्थापना की थी
तजसका प्रारं तभक नाम भरिाइच था। इसी कारि इन्े बहराइच नरे श के नाम से भी संबोतधि
तकया जािा था। इन्ी ं महाराजा प्रसेनतजि को माघ मांह की बसंि पं चमी के तदन 990 ई. को एक
पु त् रत्न की प्राल्जप्त हुई तजसका नाम सुहेलदे ि रखा गया। अिध गजेर्टीयर के अनु सार इनका
शासन काल 1027 ई. से 1077 िक स्वीकार तकया गया है । िे जाति के पासी थे, राजभर अथिा
जैन, इस पर सभी एकमि नही हैं ।

महाराजा सुहेलदे ि का साम्राज्य पूिफ में गोरखपु र िथा पतिम में सीिापु र िक र्ैला हुआ था। गोंडा
बहराइच, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाि ि लखीमपु र इस राज्य की सीमा के अं िगफ ि समातहि थे। इन
सभी तजलों में राजा सुहेल दे ि के सहयोगी पासी राजा राज्य करिे थे तजनकी संख्या 21 थी। ये थे
-1. रायसायब 2. रायरायब 3. अजुफन 4. भग्गन 5. गंग 6. मकरन 7. शंकर 8. करन 9. बीरबल 10.
जयपाल 11. श्रीपाल 12. हरपाल 13. हरकरन 14. हरखू 15. नरहर 16. भल्लर 17. जुधारी 18. नारायि
19. भल्ला 20. नरतसंह िथा 21. कल्याि ये सभी िीर राजा महाराजा सुहेल दे ि के आदे श पर धमफ
एिं राष्टररक्षा हे िु सदै ि आत्मबतलदान दे ने के तलए ित्पर रहिे थे। इनके अतिररक् राजा सुहेल दे ि
के दो भाई बहरदे ि ि मल्लदे ि भी थे जो अपने भाई के ही समान िीर थे। िथा तपिा की भांति
उनका सम्मान करिे थे।

महमूद गजनिी की मृत्य के पिाि् तपिा सैयद सालार साह गाजी के साथ एक बड़ी जेहादी सेना
लेकर सैयद सालार मसूद गाजी भारि की ओर बढ़ा। उसने तदल्ली पर आिमि तकया। एक माह
िक चले इस युि ने सालार मसूद के मनोबल को िोड़कर रख तदया िह हारने ही िाला था तक
गजनी से बल्जख्तयार साह, सालार सैर्ुद्दीन, अमीर सैयद एजाजुिीन, मतलक दौलि तमया, रजि सालार
और अमीर सैयद नसरूल्लाह आतद एक बड़ी धु ड़सिार सेना के साथ मसूद की सहायिा को आ
गए। पु नः भयंकर युि प्रारं भ हो गया तजसमें दोनों ही पक्षों के अने क योद्धा हिाहि हुए। इस लड़ाई
के दौरान राय महीपाल ि राय हरगोपाल ने अपने धोड़े दौड़ाकर मसूद पर गदे से प्रहार तकया
तजससे उसकी आं ख पर गं भीर चोर्ट आई िथा उसके दो दााँि र्टूर्ट गए। हालांतक ये दोनों ही िीर
इस युद्ध में लड़िे हुए शहीद हो गए लेतकन उनकी िीरिा ि असीम साहस अतििीय थी। मेरठ
का राजा हररदत्त मुसलमान हो गया िथा उसने मसूद से संतध कर ली यही ल्जस्थति बु लंदशहर ि
बदायूं के शासकों की भी हुई। कन्नौज का शासक भी मसूद का साथी बन गया। अिः सालार
मसूद ने कन्नौज को अपना केंद्र बनाकर तहं दुओ ं के िीथफ स्थलों को नष्ट करने हे िु अपनी सेनाएं
भेजना प्रारं भ तकया। इसी िम में मतलक र्ैसल को िारािसी भेजा गया िथा स्वयं सालार मसूद
सप्तॠतर्ष (सिररख) की ओर बढ़ा। तमरआिे मसूदी के तििरि के अनु सार सिररख (बाराबं की)
तहं दुओ ं का एक बहुि बड़ा िीथफ स्थल था। एक तकिदं िी के अनु सार इस स्थान पर भगिान राम ि
लक्ष्मि ने तशक्षा प्राप्त की थी। यह साि ॠतर्षयों का स्थान था, इसीतलए इस स्थान का सप्तऋतर्षफ
पड़ा था, जो धीरे -धीरे सिररख हो गया। सालार मसूद तिलग्राम, मल्लािा, हरदोई, संडीला, मतलहाबाद,
अमेठी ि लखनऊ होिे हुए सिररख पहुं चा। उसने अपने गुरू सैयद इब्राहीम बारा हजारी को
धुं धगढ़ भेजा क्योंतक धुं धगढ के तकले में उसके तमत् दोस्त मोहम्मद सरदार को राजा रायदीन दयाल
ि अजय पाल ने घेर रखा था। इब्रातहम बाराहजारी तजधर से गु जरिे गैर मुसलमानों का बचना
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मुल्जस्कल था। बचिा िही था जो इस्लाम स्वीकार कर लेिा था।

आइन - ए - मसूदी के अनु सार – तनशान सिररख से लहरािा हुआ बाराहजारी का। चला है
धुं धगढ़ को कातकला बाराहजारी का तमला जो राह में मुनतकर उसे दे उसे दोजख में पहुचाया।
बचा िह तजसने कलमा पढ़ तलया बारा हजारी का। इस लड़ाई में राजा दीनदयाल ि िेजतसंह बड़ी
ही बीरिा से लड़े लेतकन िीरगति को प्राप्त हुए। परं िु दीनदयाल के भाई राय करनपाल के हाथों
इब्राहीम बाराहजारी मारा गया। कडे के राजा दे ि नारायन और मातनकपुर के राजा भोजपात् ने
एक नाई को सैयद सालार मसूद के पास भेजा तक िह तिर्ष से बु झी नहन्नी से उसके नाखून
कार्टे , िातक सैयद सालार मसूद की इहलीला समाप्त हो जायें लेतकन इलाज से िह बच गया। इस
सदमें से उसकी मााँ खुिुर मुअल्ला चल बसी। इस प्रयास के असर्ल होने के बाद कडे मातनकपु र
के राजाओं ने बहराइच के राजाओं को संदेश भेजा तक हम अपनी ओर से इस्लामी सेना पर
आिमि करें और िुम अपनी ओर से।

इस प्रकार हम इस्लामी सेना का सर्ाया कर दे गें। परं िु संदेशिाहक सैयद सालार के गु प्तचरों
िारा बं दी बना तलए गए। इन संदेशिाहकों में दो ब्राह्मि और एक नाई थे। ब्राह्मिों को िो छोड़
तदया गया लेतकन नाई को र्ांसी दे दी गई इस भेद के खुल जाने पर मसूद के तपिा सालार साहु
ने एक बडी सेना के साथ कड़े मातनकपुर पर धािा बोल तदया। दोनों राजा दे िनारायि ि भोजपत्
बडी िीरिा से लड़ें लेतकन परास्त हुए। इन राजाओं को बं दी बनाकर सिररख भेज तदया गया।
िहॉ से सैयद सालार मसू द के आदे श पर इन राजाओं को सालार सैर्ुद्दीन के पास बहराइच भेज
तदया गया। जब बहराइज के राजाओं को इस बाि का पिा चला िो उन लोगो ने सैर्ुद्दीन को
धे र तलया। इस पर सालार मसूद उसकी सहायिा हे िु बहराइच की ओर आगें बढे । इसी बीच
अनके तपिा सालार साह का तनधन हो गया।

बहराइच के पासी राजा भगिान सूयफ के उपासक थे। बहराइच में सूयफकंु ड पर ल्जस्थि भगिान सूयफ
के मूतिफ की िे पू जा करिे थे। उस स्थान पर प्रत्येक िर्षफ ज्ये ष्ठ मास मे प्रथम रतििार को, जो
बृ हस्पतििार के बाद पड़िा था एक बड़ा मेला लगिा था यह मेला सूयफग्रहि, चन्द्रग्रहि िथा प्रत्येक
रतििार को भी लगिा था। िहां यह परं परा कार्ी प्राचीन थी। बालाकफ ऋतर्ष ि भगिान सूयफ के
प्रिाप से इस कंु ड मे स्नान करने िाले कुष्ठ रोग से मुक् हो जाया करिे थे। बहराइच को पहले
ब्रह्माइच के नाम से जाना जािा था। सालार मसूद के बहराइच आने के समाचार पािे ही बहराइच
के राजा गि – राजा रायब, राजा सायब, अजुफन भीखन गंग, शंकर, करन, बीरबर, जयपाल, श्रीपाल,
हरपाल, हरख्, जोधारी ि नरतसंह महाराजा सुहेलदे ि के ने िृत्व में लामबं द हो गये। ये राजा गि
बहराइच शहर के उत्तर की ओर लगभग आठ मील की दू री पर भकला नदी के तकनारे अपनी
सेना सतहि उपल्जस्थि हुए। अभी ये युि की िैयारी कर ही रहे थे तक सालार मसूद ने उन पर
रातत् आिमि (शबखून) कर तदया। मगररब की नमाज के बाद अपनी तिशाल सेना के साथ िह
भकला नदी की ओर बढ़ा और उसने सोिी हुई तहं दु सेना पर आिमि कर तदया। इस
अप्रत्यातशि आिमि में दोनों ओर के अने क सैतनक मारे गए लेतकन बहराइच की इस पहली
लड़ाई मे सालार मसूद तबजयी रहा। पहली लड़ार्फ मे परास्त होने के पिाि पु नः अगली लडार्फ
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हे िु तहं दू सेना संगतठि होने लगी उन्ोने रातत् आिमि की संभािना पर ध्यान नही तदया। उन्ोने
राजा सुहेलदे ि के परामशफ पर आिमि के मागफ में हजारो तिर्षबुझी कीले अिश्य धरिी में तछपा
कर गाड़ दी। ऐसा रािों राि तकया गया। इसका पररिाम यह हुआ तक जब मसूद की धु डसिार
सेना ने पुनः रातत् आिमि तकया िो िे इनकी चपे र्ट मे आ गए। हालातक तहं दू सेना इस युि मे
भी परास्त हो गई लेतकन इस्लामी सेना के एक तिहायी सैतनक इस युल्जक् प्रधान युद्ध मे मारे गए।

भारिीय इतिहास मे इस प्रकार युल्जक्पूिफक लड़ी गई यह एक अनू ठी लड़ाई थी। दो बार धोखे का
तशकार होने के बाद तहं दू सेना सचेि हो गई िथा महाराजा सुहेलदे ि के नेिृत्व में तनिाफयक
लड़ार्फ हे िु िैयार हो गई। कहिे है इस युद्ध में प्रत्येक तहं दू पररिार से युिा तहं दू इस लड़ार्फ मे
सल्जम्मतलि हुए। महाराजा सुहेलदे ि के शातमल होने से तहं दूओं का मनोबल बढ़ा हुआ था। लड़ाई
का क्षे त् तचंिौरा झील से हठीला और अनारकली झील िक र्ैला हुआ था।

जून, 1034 ई. को हुई इस लड़ाई में सालार मसूद ने दातहने पाश्वफ (मैमना) की कमान
मीरनसरूल्ला को िथा बाये पाश्वफ (मैसरा) की कमान सालार रज्जब को सौपा िथा स्वयं केंद्र
(कल्ब) की कमान संभाली िथा भारिीय सेना पर आिमि करने का आदे श तदया। इससे पहले
इस्लामी सेना के सामने हजारो गायों ि बै लो को छोड़ा गया िातक तहं दू सेना प्रभािी आिमि न
कर सके लेतकन महाराजा सुहेलदे ि की सेना पर इसका कोई भी प्रभाि न पड़ा। िे भूखे तसंहों
की भाति इस्लामी सेना पर र्टूर्ट पडे मीर नसरूल्लाह बहराइच के उत्तर बारह मील की दू री पर
ल्जस्थि ग्राम तदकोली के पास मारे गए। सैयर सालार समूद के भांजे सालार तमया रज्जब बहराइच
के पू िफ िीन तक. मी. की दू री पर ल्जस्थि ग्राम शाहपु र जोि यूसुर् के पास मार तदये गए। इनकी
मृत्य 8 जून, 1034 ई 0 को हुई। अब भारिीय सेना ने राजा करि के ने िृत्व में इस्लामी सेना के
केंद्र पर आिमि तकया तजसका ने िृत्व सालार मसूद स्वं य कर कहा था। उसने सालार मसूद को
धे र तलया। इस पर सालार सैर्ुद्दीन अपनी सेना के साथ उनकी सहायिा को आगे बढे भयकर युि
हुआ तजसमें हजारों लोग मारे गए। स्वयं सालार सैर्ुद्दीन भी मारा गया उसकी समातध बहराइच-
नानपारा रे लिे लाइन के उत्तर बहराइच शहर के पास ही है । शाम हो जाने के कारि युि बं द हो
गया और सेनाएं अपने तशतिरों में लौर्ट गई।

10 जून, 1034 को महाराजा सुहेलदे ि के ने िृत्व में तहं दू सेना ने सालार मसूद गाजी की र्ौज पर
िूर्ानी गति से आिमि तकया। इस युद्ध में सालार मसूद अपनी धोड़ी पर सिार होकर बड़ी
िीरिा के साथ लड़ा लेतकन अतधक दे र िक ठहर न सका। राजा सुहेलदे ि ने शीध्र ही उसे अपने
बाि का तनशाना बना तलया और उनके धनु र्ष िारा छोड़ा गया एक तिर्ष बुझा बाि सालार मसूद
के गले में आ लगा तजससे उसका प्रािांि हो गया। इसके दू सरे ही ं तदन तशतिर की दे खभाल
करने िाला सालार इब्राहीम भी बचे हुए सैतनको के साथ मारा गया। सैयद सालार मसूद गाजी को
उसकी डे ढ़ लाख इस्लामी सेना के साथ समाप्त करने के बाद महाराजा सुहेल दे ि ने तिजय पिफ
मनाया और इस महान तिजय के उपलक्ष्य में कई पोखरे भी खुदिाए। िे तिशाल ”तिजय स्तंभ” का
भी तनमाफि कराना चाहिे थे लेतकन िे इसे पू रा न कर सके। संभििः यह िही स्थान है तजसे एक
र्टीले के रूप मे श्रािस्ती से कुछ दू री पर इकोना-बलरामपु र राजमागफ पर दे खा जा सकिा है ।
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शल्जक्-पूजा का तिस्मरि – शंकर शरि


by मवभु शमाा on Friday, October 21, 2011 at 11:50am ·

कश्मीर के तिस्थातपि डॉक्ट्र कति कुन्दनलाल चौधरी ने अपने कतििा संग्रह ‘ऑर् गॉड,
मेन एं ड तमतलर्टें र्ट्स’ की भूतमका में प्रश्न रखा थाः “क्या हमारे दे ििाओं ने हमें तनराश
तकया या हम ने अपने दे ििाओं को?” इसे उन्ोंने कश्मीरी पंतडिों में चल रहे मंथन के
रूप में रखा था। सच पूछें, िो यह प्रश्न संपूिफ भारि के तलए है। इस का एक ही उत्तर है
तक हम ने दे ििाओं को तनराश तकया। उन्ोंने िो हरे क दे िी-दे ििा को, यहााँ िक तक
तिद्या की दे िी सरस्विी को भी शस्त्र-सल्जज्जि रखा था। और हमने शल्जक् की दे िी को भी
तमट्टी की मूरि में बदल कर रख तदया। चीख-चीख कर रिजगा करना शेरााँ िाली दे िी
की पूजा नही ं। पूजा है तकसी संकल्प के साथ शल्जक्-आराधन करना। सम्मान से जीने के
तलए मृत्यु का िरि करने के तलए भी ित्पर होना। तकसी िरह िरह चमड़ी बचाकर नही ं,
बल्जल्क दु ष्टिा की आाँ खों में आाँ खें डालकर जीने की रीति बनाना। यही िह शल्जक्-पूजा है
तजसे भारि के लोग लंबे समय से तिस्मृि कर चुके हैं।

श्रीअरतिंद ने अपनी रचना भिानी मंतदर (1905) में क्लातसक स्पष्टिा से यह कहा था।
उनकी बाि हमारे तलए तनत्य-स्मरिीय हैः “हमने शल्जक् को छोड़ तदया है और इसतलए
शल्जक् ने भी हमें छोड़ तदया है। … तकिने प्रयास तकए जा चुके हैं। तकिने धातमफक,
सामातजक और राजनैतिक आं दोलन शुरू तकए जा चुके हैं। लेतकन सबका एक ही
पररिाम रहा या होने को है। थोड़ी दे र के तलए िे चमक उठिे हैं , तर्र प्रे रिा मंद पड़
जािी है , आग बुझ जािी है और अगर िे बचे भी रहें िो खाली सीतपयों या तछलकों के
रूप में रहिे हैं , तजन में से ब्रह्म तनकल गया है।”

शल्जक् की कमी के कारि ही हमें तिदे तशयों की पराधीनिा में रहना पड़ा था। अंग्रेजों ने
सन् 1857 के अनुभि के बाद सचेि रूप से भारि को तनरस्त्र तकया। गहराई से अध्ययन
करके िे इस तनष्कर्षफ पर पहुाँचे थे , तक इसके तबना उनका शासन असुरतक्षि रहेगा। िब
भारिीयों को तनःशस्त्र करने िाला ‘आर्म्फ एक्ट्’ (1878) बनाया। गााँधीजी ने अपनी पुस्तक
‘तहन्द स्वराज’ में गलि बाि तलखी तक अंग्रेजों ने हमें हतथयार बल से गुलाम नही ं बना
रखा है। िास्ततिकिा अंग्रेज जानिे थे। कांग्रेस भी जानिी थी। इसीतलए िह सालाना
अपने अतधिेशनों में उस एक्ट् को हर्टाने की मााँग रखिी थी। कांग्रेस ने सन् 1930 के
ऐतिहातसक लाहौर अतधिेशन में भी प्रस्ताि पास करके कहा था तक अंग्रेजों ने “हमें
तनःशस्त्र करके हमें नपुंसक बनाया है।”

मगर इसी कांग्रेस ने सत्ता पाने के बाद दे श को उसी नपुंसकिा में रहने तदया! यतद
स्विंत् होिे ही अंग्रेजों का थोपा हुआ आर्म्फ एक्ट् खत्म कर तदया गया होिा, िो भारि का
इतिहास कुछ और होिा। हर सभ्यिा में आत्मरक्षा के तलए अस्त्र-शस्त्र रखना प्रत्येक
व्यल्जक् का जन्मतसद्ध अतधकार रहा है। इसे यहााँ अंग्रेजों ने अपना राज बचाने को
प्रतिबंतधि तकया, और कांग्रेस के शब्दों में हमें ‘नपुंसक’ बनाया! हम सामूतहक रूप में
तनबफल, आत्मसम्मान तिहीन हो गए। पीतढ़यों से ऐसे रहिे अब यह हमारी तनयति बन गयी
है।
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आज हर तहन्दू को घर और स्कूल, सब जगह यही सीख तमलिी है। तक पढ़ो-तलखो,


लड़ाई-झगड़े न करो। यतद कोई झगड़ा हो रहा हो, िो आाँ खें र्ेर लो। तकसी दु बफल बच्चे
को कोई उद्दं ड सिािा हो, िो बीच में न पड़ो। िुम्हें भी कोई अपमातनि करे , िो चुप रहो।
क्योंतक िुम अच्छे बच्चे हो, तजसे पढ़-तलख कर डॉक्ट्र, इं जीतनयर या व्यिसायी बनना है।
इसतलए बदमाश लड़कों से मि उलझना। समय नष्ट होगा। इस प्रकार, तकिाबी जानकारी
और सामातजक कायरिा का पाठ बचपन से ही तसखाया जािा है। बच्चे दु गाफ -पूजा करके
भी नही ं करिे! उन्ें कभी नही ं बिाया जािा तक दै िी अििारों िक को अस्त्र-शस्त्र की
तशक्षा लेनी पड़िी थी। क्योंतक दु ष्टों से रक्षा के तलए शल्जक्-संधान अतनिायफ मानिीय ल्जस्थति
है। अपररहायफ किफव्य है।

ििफमान भारि में तहन्दू बच्चों को िास्ततिक शल्जक्-पूजा से प्लेग की िरह बचा कर रखा
जािा है ! तर्र क्या होिा है , यह पंजाब, बंगाल और कश्मीर के हश्र से दे ख सकिे हैं।
सत्तर साल पहले इन प्रदे शों में तिििा, िकालि, अर्सरी, बैंतकंग, पत्काररिा, डॉक्ट्री,
इं जीतनयरी, आतद िमाम सम्मातनि पदों पर प्रायः तहन्दू ही आसीन थे। तर्र एक तदन
आया जब कुछ बदमाश बच्चों ने इन्ें सामूतहक रूप से मार, लिाड़ और कान पकड़ कर
बाहर भगा तदया। अन्य अत्याचारों की कथा इिनी लज्जाजनक है तक तहन्दु ओ ं से भरा
हुआ मीतडया उसे प्रकातशि करने में भी अच्छे बच्चों सा व्यिहार करिा है। या गााँधीजी
का बंदर बन जािा है।

िब अपने ही दे श में अपमातनि, बलात्कृि, तिस्थातपि, एकाकी तहन्दू को समझ नही ं आिा
तक कहााँ गड़बड़ी हुई? उस ने िो तकसी का बुरा नही ं चाहा। उसने िो गााँधी की सीख
मानकर दु ष्टों, पातपयों के प्रति भी प्रेम तदखाया। कुछ तिशेर्ष प्रकार के दगाबाजों, हत्यारों
को भी ‘भाई’ समझा, जैसे गााँधीजी करिे थे। िब क्या हुआ, तक उसे न दु तनया के मंच पर
न्याय तमलिा है , न अपने दे श में ? उलर्टे , दु ष्ट दं बग बच्चे ही अदबो-इज्जि पािे हैं। प्रश्न मन
में उठिा है , तकन्तु अच्छे बच्चे की िरह िह इस प्रश्न को भी खुल कर सामने नही ं
रखिा। उसे आभास है तक इससे तबगड़ै ल बच्चे नाराज हो सकिे हैं। तक ऐसा सिाल ही
क्यों रखा? िब िह मन ही मन प्राथफना करिा हुआ तकसी अििार की प्रिीक्षा करने लगिा
है।

तहन्दू मन की यह पूरी प्रतिया तबगड़ै ल बच्चे जानिे हैं। यशपाल की एक कहानी हैः र्ूलो
का कुिाफ। र्ूलो पााँच िर्षफ की एक अबोध बातलका है। उसके शरीर पर एक मात् िस्त्र
उसकी फ्रॉक है। तकसी प्रसंग में लज्जा बचाने के तलए िह िही फ्रॉक उठाकर अपनी
आाँ ख ढाँ क लेिी है। कहना चातहए तक दु तनया के सामने भारि अपनी लज्जा उसी बातलका
समान ढाँ किा है , जब िह खूाँखार आिंकिातदयों को पकड़ के भी सजा नही ं दे पािा।
बल्जल्क उन्ें आदर पूिफक घर पहुाँचा आिा है ! जब िह पड़ोसी तबगड़ै ल दे शों के हाथों
तनरं िर अपमातनि होिा है , और उन्ी ं के नेिाओं के सामने भारिीय किफधार हाँसिे र्ोर्टो
ल्जखंचािे हैं। इस िरह ‘ऑल इज िेल’ की भंतगमा अपना कर लज्जा तछपािे हैं। स्वयं दे श
के अंदर पूरी तहन्दू जनिा िही िम दु हरािी है , जब कश्मीरी मुसलमान ठसक से तहंन्दु ओ ं
को मार भगािे हैं , और उलर्टे नई तदल्ली पर तशकायि पर तशकायि ठोकिे हैं। तर्र
भारि से ही से अरबों रूपए सालाना र्ीस िसूल कर दु तनया को यह बिािे हैं तक िे
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भारि से अलग और ऊाँची चीज हैं। पातकस्तान अतधकृि कश्मीर ‘आजाद कश्मीर’ है , यह
बयान श्रीनगर की गद्दी पर बैठे कश्मीरी मुसलमान दे िे है !

दू सरे प्रदे शों में भी कई मुल्जस्लम नेिा खुले आम संतिधान को अाँगूठा तदखािे हैं , उग्रिातदयों,
दं गाइयों की सामातजक, कानूनी मदद करिे हैं। तजस तकसी को मार डालने के आह्वान
करिे हैं। जब चाहे तिदे शी मुद्दों पर उपद्रि करिे हैं , पड़ोसी तहन्दु ओ ं को सिािे-मारिे हैं।
तर्र भी हर दल के तहन्दू नेिा उनकी चौकठ पर नाक रगड़िे नजर आिे हैं। िे हर
तहन्दू नेिा को इस्लामी र्टोपी पहनने को तििश करिे हैं , मगर क्या मजाल कभी खुद भी
रामनामी ओढ़ लें! उनके रोजे इफ्तार में हर तहन्दू नेिा की हातजरी जरूरी है, मगर िही
मुल्जस्लम रहनुमा कभी होली, दीिाली मनािे नही ं दे खे जा सकिे। यह एकिरर्ा सदभािना
और एकिरर्ा सेक्यूलररज्म भी बातलका र्ूलो की िरह तहन्दू भारि की लज्जा तछपािी है।

यह पूरी ल्जस्थति दे श के अंदर और बाहर िाले तबगड़ै ल बखूबी जानिे हैं। जबतक अच्छा
बच्चा समझिा है तक उसने चुप रहकर, या मीठी बािें दु हराकर, एिं उद्योग, व्यापार,
कमप्यूर्टर और तसनेमा में पदक हातसल कर दु तनया के सामने अपनी लज्जा बचा ली है।
उसे लगिा है तकसी ने नही ं दे खा तक िह अपने ही पररिार, अपने ही स्वधमी दे शिासी
को गुंडों, उग्रिातदयों के हाथों अपमातनि, उत्पीतड़ि होने से नही ं बचा पािा। सामूतहक और
व्यल्जक्गि दोनों रूपों में। अपनी मािृभूतम का अतििमि नही ं रोक पािा। उसकी सारी
कायफकुशलिा और अच्छा बच्चापन इस दु ःसह िेदना का उपाय नही ं जानिा। यह लज्जा
तछपिी नही ं, बल्जल्क और उजागर होिी है , जब सेक्यूलर बच्चे मौन रखकर हर बाि आयी-
गयी करने की दयनीय कोतशश करिे हैं। डॉ. भीमराि अंबेदकर की ऐतिहातसक पुस्तक
‘पातकस्तान या भारि का तिभाजन’ (1940) में अच्छे और तबगड़ै ल बच्चे , दोनों की संपूिफ
मनःल्जस्थति और परस्पर नीति अच्छी िरह प्रकातशि है।

मगर अच्छे बच्चे ऐसी पुस्तकों से भी बचिे हैं। िे केिल गााँधी की मनोहर पोथी ‘तहन्द
स्वराज’ पढ़िे हैं, तजसमें तलखा है तक आत्मबल िोपबल से भी बड़ी चीज है। इसतलए िे
हर कट्टे और िमंचे के सामने कोई मंत् पढ़िे हुए आत्मबल तदखाने लगिे हैं। तर्र कोई
सुर्ल न पाकर कतलयुग को रोिे हैं। स्वयं को कभी दोर्ष नही ं दे िे, तक अच्छे बच्चे की
उन की समझ ही गलि है। तक उन्ोंने अच्छे बच्चे को दब्बू बच्चे का पयाफय बना तदया,
तजस से तबगड़ै ल और शह पािे हैं। तक यह प्रतकया सिा सौ साल से अहतनफश चल रही
है। शल्जक्-पूजा भुलाई जा चुकी है। यही अनेक समस्याओं की जड़ है।

आज नही ं कल, यह तशक्षा लेनी पड़े गी तक अच्छे बच्चे को बलिान और चररत्िान भी होना
चातहए। तक आत्मरक्षा के तलए परमुखापेक्षी होना गलि है। मामूली धौस ं -पट्टी या बदमाशों
िक से तनपर्टने हेिु सदै ि पुतलस प्रशासन के भरोसे रहना न व्यिहाररक, न सम्मानजनक,
न शास्त्रीय परं परा है। अपमातनि जीना मरने से बदिर है। दु ष्टिा सहना या आाँ खें चुराना
दु ष्टिा को खुला प्रोत्साहन है। रामायि और महाभारि ही नही ं, यूरोपीय तचंिन में भी यही
सीख है। हाल िक यूरोप में िं ि-युद्ध की परं परा थी। इसमें तकसी से अपमातनि होने पर
हर व्यल्जक् से आशा की जािी थी तक िह उसे िं ि की चुनौिी दे गा। चाहे उसमें उसकी
मृत्यु ही क्यों न हो जाए।
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इसतलए, कहने को प्रत्येक शरद ऋिु में करोड़ों तहन्दू दु गाफ -पूजा मनािे है। इसे शल्जक्-पूजन
भी कहिे हैं। तकन्तु यह िह शल्जक्-पूजा नही ं, जो स्वयं भगिान राम को राक्षसों पर तिजय
पाने के तलए आिश्यक प्रिीि हुई थी। तजसे कति तनराला ने अपनी अदभुि रचना ‘राम
की शल्जक्पूजा’ में पूिफिः जीिन्त कर तदया है। आइए, उसे एक बार ध्यान से हृदयंगम
करें !
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मैक्स्मूलर िारा िे दों का तिकृतिकरि - क्या, क्यों और कैसे - २

एक मैक्समूलर की खोज क्यों?

उन्नीसिी ं सदी में ईस्ट इं तडया कम्पनी के सामने ऐसी कौन सी तििश्ताएं थी ं जो उन्ें
अंग्रेजी और संस्कृि दोनों ही भार्षाओं के ज्ञान में अधकचरे , अनुभिहीन, चौबीस िर्षीय,
तिदे शी जमफन तनिासी मैक्समूलर को िेद भाष्य के तलए चुनना पड़ा? क्या िे १७५७ में
स्थातपि तब्रतर्टश शासन को तहन्दू धमफशास्त्रों का गहन अध्ययन कर यहााँ तहन्दू धमफ
शास्त्रानुसार शासन चलाना चाहिे थे ? या इसके तिपरीि क्या िे तहन्दू धमफ शास्त्रों को तिकृि
और तहन्दू संस्कृति को हेय तसद्ध करके तहन्दु ओ ं को ईसाईयि में धमाफन्तररि करना चाहिे
थे ? िातक भारि सदै ि के तलए एक ईसाई राज्य हो सके।

भारि में ईसाईयों की गतितितधयााँ

ईसाईयि एक धमफ आधाररि साम्राज्यिादी आन्दोलन हैा, और प्रारम्भ से ही भारि ईसाई


तमशनररयों के तनशाने पर रहा है। ईसाईयि छल, कपर्ट, धोखा, जालसाजी और प्रलोभन
आतद के िारा गैर-ईसाईयों के धमाफन्तरि के तलए तिखयाि रही है। भारि में ऐसा आज
भी सैक्यूलररज्म की आड़ में और िेज गति से हो रहा है ; और लगभग १०००
तहन्दू प्रतितदन धमाफन्तररि हो रहे हैं। भारि में तब्रतर्टश शासन की स्थापना के पहले भी
पुिफगाल से सत्हिी ं सदी में, सेन्ट जोतियर, और इर्टली से रोबर्टफ डी नोबली (१५७७-१६५६)
यहााँ आए थे तजन्ोंने छल-कपर्ट से अनेक तहन्दू ओं का धमाफन्तरि तकया।

ईसाई तमशनररयों ने 'गोिा इन्वीजीशन' के दौरान (१५८०-१८१२), हजारों तहन्दु ओ ं को तजन्दा


जलाया, कत्ल तकया और उन्ें अनेक प्रकार से प्रिातड़ि तकया (तप्रयोलकर)। नोबली ने
अपने को इर्टली का रोमन ब्राह्मि बिाया और १५७८ में , 'एजुरिेदम्' के नाम से एक
नकली िेद की रचना की। लेतकन रोबर्टफ नोबली के छल-कपर्ट की कलई १८४० में पूरी
िरह खुल गई। िब िक, उसके धोखे से, अनेक तहन्दू ईसाई बन चुके थे।

इसी प्रकार एक दू सरा जैसुआइर्ट तमशनरी अब्बे डु बोइस भी अठाहरिी ं सदी में भारि
आया। लेतकन कनाफर्टक के तहन्दु ओ ं ने उसकी एक न सुनी क्योंतक डु बोइस एक धोखेबाज
था। (नर्टराजन, पृ ग्ग्ग्ग्ग्ग्र्टप्प् )। इसके बाद, १७९३ में, इं गलैंड से बेपतर्टस्ट चचफ का एक दल रे ि.
तितलयम कैरी के नेिृत्व में भारि आया तजसने कलकत्ता के पास, १७९९ में सीरमपुर
तमशन स्थातपि तकया। कैरी और उसके साथी माशफमैन ने भी तहन्दु ओ ं के धमाफन्तरि के
19

तलएधोखाधड़ी का सहारा तलया। लेतकन ित्कालीन बंगाल के सुप्रतसद्ध समाज सुधारक एिं
प्रकाण्ड तििान राजा राममोहन रॉय (१७७२-१८३३) की तिििा, िकफ शैली और अकार्ट् य
प्रमािों के सामने ईसाईयों की एक दाल न गली। १८१५ से १८३३ िक कलकत्ता में , जहााँ
तक उस समय ईस्ट इं तडया कम्पनी का मुखय कायाफलय था, श्री रॉय का यहााँ के बौल्जद्धक
िगफ में अच्छा खासा प्रभाि था।

पादरी एडम िारा तहन्दू धमफ स्वीकारने की प्रतितिया

१८२१ में, कलकत्ता में एक ऐसी अतिश्वसनीय और सनसनीखेज घर्टना घर्टी तजसकी
प्रतितिया के कारि तब्रतर्टश साम्राज्य और ईसाईयि की भारि में तहन्दू धमफ सम्बन्धी
कायफिमों, योजनाओं और युद्ध नीतियों पर व्यापक प्रभाि पड़ा।

हुआ यह तक १९ माचफ १८१८ को तमशन सोसाइर्टी, लंदन का रे ि. तितलयम एडम नामक


एक ईसाई तमशनरी सीरमपुर केन्द्र से सल्जम्मतलि हुआ और उसे राजा राम मोहन रॉय को
ईसाईयि में धमाफन्तररि करने का उत्तरदातयत्व सौप ं ा गया। इस कायफ भार को पूरा करने
के तलए पादरी एडम श्री रॉय के अतधक सम्पकफ में आने लगा और अनेकों बार िे आपस
में धातमफक िाद-तििाद में भी उलझने लगे। एक बाद पादरी एडम ने बाइतबल के 'तर्टरतनर्टी
तसद्धान्त यानी 'िीन दै िीशल्जक्यााँ '- तपिा, पुत् और पतित् आत्मा', िीनों एक ही हैं और एक
में ही िीनों हैं , इस तिर्षय पर चचाफ की। जबतक श्री रॉय ने िेदों और उपतनर्षदों के आधार
पर प्रमाि दे िे हुए तहन्दु ओ ं के एकेश्वरिाद के पक्ष में िकफ तदए िथा िेदों की श्रेष्ठिा और
उनकी िकफसंगति को स्थातपि तकया। रॉय के तिचार से सहमति जिािे हुए एडम ने ७
मई १८२१ को अपने तमत् एन. ब्राइर्ट को अपने पत् में इस प्रकार तलखाः-

"It is several months since I began to entertain some doubts respecting the deity of Jesus
Christ, suggested by frequent discussions with Ram Mohan Roy, whom I was trying to
bring over to the belief of that doctrine, and in which I was joined by Mr. Yates, who also
professed to experience difficulties on the subject…..I do not hesitate to confess that I am
unable to remove the weighty objections which present themselves against the
doctrine……the objections against it, compared with the arguments for it, appear to me
like a mountain compared with a mole hill."

(Life and Letters of Ram Mohan Roy, p.68; Bharti, p.3).

अथाफ ि् ''मैंनेराजा मोहन रॉय से कई महीनों िक उनके जीजस संबंधी संदेहों को दू र करने
के उद् दे श्य से अनेक बार बािचीि की तजसमें मैं जीजस िाइस्ट के तसद्धान्त को
मनिाने के तलए प्रयत्नशील था। इस कायफ में मेरा साथ श्री येर्ट्स भी दे रहे थे। परन्तु इन्ें
20

भी जीजस के तसद्धान्तों की पुतष्ट करने में कतठनाई अनुभि हुई है। मैं यह स्वीकारने में
नही ं तहचक रहा हाँ तक मैं रॉय के जीजस के तसद्धान्तों को स्वीकारने के तिरोध में दी
गई िकों ि आपतत्तयों को दू र करने में असर्ल रहा हाँ , जो तक मुझे ईसाई तसद्धान्तों को
न मानने की आपतत्तयों और उनके समथफन में तदए गए िकफ पहाड़ के सामने तिल समान
प्रिीि हो रहे हैं।''

(लाइर् एण्ड लैर्टसफ ऑर् राममोहन रॉय, पृ.


६८; भारिी, पृ. ३)।

िह श्री रॉय से इिना प्रभातिि हुआ तक उसने ईसाई मि त्याग कर तहन्दू धमफ स्वीकार कर
तलया। इस प्रकार एक ईसाई पादरी के िीन साल के भीिर बाईतबलीय 'तर्टरतनर्टी' को
त्यागने और िैतदक एकेश्वरिाद में आस्था लाने की घर्टना ने लंदन ईसाई तमशनों में
यकायक एक अप्रत्यातशि भूचाल ला तदया। अमरीका के तमशन क्षेत्ों में भी अभूिपूिफ
प्रतितिया हुई और हड़कम्प आ गया। रे िरे ण्ड एडम के ईसाईयि कोत्यागने और तहन्दू धमफ
को स्वीकारने से ईसाई तमशनों और तमशनररयों को जबरदस्त धक्का पहुाँचा तजससे
उनकी भारि में नी ंि तहल गई। इसीतलए आज भी चचफ 'तर्टरतनर्टी' पर अतधक बल नही ं दे िा
है।

इसकी प्रतितिया में तमशन सोसायर्टी लंदन ने अपनी, २० जून १८२२ की िातर्षफक ररपोर्टफ में
रे ि. तितलयम एडम के बारे में यह घोर्षिा कीः

"We mention with deep regret that Mr. Adam, late one of their member had embraced
opinions derogatory to the honour of the Saviour, denying the proper divinity of 'Our god
Jesus Christ' in consequence of which the connection between him and the society has been
dissolved."

(Bharti, p. 4)

'हम अत्यन्त दु ःख के साथ सूतचि करिे हैं तक अपने एक पूिफ सदस्य तम. एडम ने
उद्धारक जीजस के तिरुद्ध अपमानजनक तिचार व्यक् तकए हैं और हमारे 'दे ि जीजस
िाइस्ट' के समुतचि दे ित्व को नकारा है। इसके पररिामस्वरूप उसके और लंदन
सोसायर्टी के बीच सभी प्रकार के संबंध समाप्त कर तदए गए हैं।''

(भारिी, प्र.4)

रे ि. तितलयम एडछम, तजसे चचफ ने अतिश्वासी घोतर्षि कर, तनष्कातसि कर तदया, िही
सोतसतनयम पादरी अब राम मोहन रॉय के साथ िैतदक धमफ के एकेश्वरिाद का प्रचारक हो
गया।
21

उपरोक् घर्टनािम के आघाि के पररिामस्वरूप तब्रतर्टश कूर्टनीतिाों और तमशनररयों को


अपनी मूल योजनाओं और युद्ध नीतियों को बदलने के तलए तििश होना पड़ा। अब
तमशनरी जगि ने ईसाइयि के मुखय तसद्धान्तों और समस्याओं पर तिचार करना प्रारं भ
तकया और िे सब इस निीजे पर पहुाँचे तक रॉय को 'तर्टरतनर्टी' संबंधी आपतत्तयों का केिल
इसी आधार पर उत्तर तदया जा सकिा है तक िे कोई ऐसा व्यल्जक् ढू ं ढ सकें जो संसार के
सामने यह तसद्ध कर दे तक िेदों में भी बहुदे ििािाद है और िे भी अनेक दे ििाओं की
उपासना की तशक्षा दे िे हैं। अिः इन घर्टनाओं ने तब्रतर्टश शासकों को एक ऐसे व्यल्जक् को
खोजने के तलए तििश कर तदया जो तहन्दू धमफशास्त्रों की ऐसी भ्रामक ि तिरूतपि
व्याखया कर सके तजसके पररिामस्वरूप तमशनरी तहन्दू धमफ की तनदां कर सकें और िे
तहन्दु ओ ं को ईसाइयि में आसानी से धमाफन्तरि करने, िथा ईसाईयों की तहन्दू धमफ में
िातपसी को रोकने में समथफ हो सके।
22

मैक्स्मूलर िारा िे दों का तिकृतिकरि - क्या, क्यों और कैसे

भारि के लोगों को फ्रेडररक मैक्समूलर का पररचय कराने की आिश्यकिा नही ं हैं क्योंतक
तब्रतर्टश शासनकाल में तब्रतर्टश राजनीतिज्ञों, प्रशासकों और कूर्टनीतिज्ञों ने उसे एक सदी
(१८४६-१९४७) िक लगािार तहन्दु ओ ं का एक अतभन्न तमत् और िेदों के महान तििान
के रूप में प्रस्तुि तकया है , परन्तु सत्य इसके तिपरीि है। िास्ति में िह तहन्दु ओ ं और
तहन्दू धमफशास्त्रों का एक महान शखु था। लेतकन दु भाफ ग्य से , उस समय के ही नही ं, बल्जल्क
आज के तहन्दू भी उसके उद् दे श्य ि कायफ के दू रगामी प्रभाि को समझने में असर्ल रहे
हैं क्योंतक मैक्समूलर ने अपनी लेखनी की चिुराई िाराअपने िास्ततिक स्वरूप और िेद
भाष्य के तिकृिीकरि के उद् दे श्य को बड़े योजनाबद्ध िरीके से तछपाए रखा, यहााँ िक
तक उसके तनधन के बाद सन् १९०१ में प्रकातशि स्वतलल्जखि जीिनी में भी उसे उजागर
नही ं तकया।

इस सन्दभफ में श्री ब्रह्मदत्त भारिी ने अपनी पुस्तक 'मैक्समूलर-ए लाइर् लौग
ं मास्करे ड'
में इस प्रकार तलखा हैः

"Max Muller's effectiveness as the arch enemy of Hinduism lay dangerously hidden in his
subtle equivocations and in his ability, which seemed congenital, successfully to pass a
counterfeit coin without being caught while performing the feat. His capacity to look honest
and sound sincere on surface was prodigious. the Hindus, of the nineteenth century failed
to discover and understand Max Muller and his Max Mullerism, because, by and large,
being, too gullible, they believed whatever max Muller wrote and said. "Since he had been,
in addition, convertly supported and encouraged by the Englishmen who then ruled
Hindustan, he was able to mount his veiled attacks on Hinduism again and again from
behind the convenient cover of philological
research."

(p. 194)

अथाफि् ''मैक्समूलर की तहन्दू धमफ के प्रति कर्ट् र्टर शत्ुिा का प्रभािीपन उसकी लेखनी की
बहुअथी शैली में भयंकर रूप से तछपा हुआ है। इस सर्लिा का रहस्य उसकी इस
योग्यिा से भी आसानी से समझा जा सकिा है , जैसे कोई चालाक व्यल्जक् खोर्टे तसक्के
को चला दे ने पर भी पकड़ा नही ं जािा है। उसका ऊपर से तहन्दू धमफ शास्त्रों- िेदों
आतद के प्रति सच्चा और तनष्ठािान तदखलाई दे ना उसकी आियफजनक रहस्यमयी
लेखनशैली की क्षमिा का पररचायक है। उन्नीसिी सदी के तहन्दू मैक्समूलर और उसके
मैक्समूलरिाद को पहचानने और समझने में पूरी िरह असर्ल रहे हैं क्योंतक तहन्दु ओ ं के
आमिौर पर अत्यंि सीधे-सादे होने के कारि उन्ोंने उसे ही सच मान तलया जो तक
मैक्समूलर ने कहा और तलखा। इसके अतिररक् उसे आजीिन अप्रत्यक्ष रूप् से अंग्रेजों
23

का पूिफ समथफन और सहयोग तमलिा रहा जो तक उस समय भारि के शासक थे। इसी
कारि िह भार्षा तिज्ञान-शोध की आड़ में तछपकर लगािार तहन्दू धमफ एिं िेदों पर प्रहार
करिा रहा।''

(पृ. १९४)

इसी के साथ-साथ अंग्रेज शासक लगािार यही प्रचार करिे रहे तक मैक्समूलर िो िेदों
का महान तििान और तहन्दू धमफ िथातहन्दु आअें का शुभतचंिक है। िे इस कथन की पुतष्ट
इस बाि से करिे हैं तक उसने ऑक्सर्ोडफ यूतनितसफर्टी में १८४६ से १९०० िक िेदों और
तहन्दू धमफशास्त्रों पर एक तिशाल सातहत्य स्वंय तलखा िथा अपने जैसे सहयोगी लेखकों
िारा तलखिाकर उसे स्वयं संपातदि तकया।

मैक्समूलर ने अपनी बहुअथी लेखनी की आड़ में आजीिन िेदों को तिरूतपि तकया, तर्र
भी िह अपने को तहन्दू धमफ का तहिैर्षी होने का ढोंग रचिा रहा। इस बाि के इिने पक्के,
सच्चे और आियफजनक प्रमाि हैं तक कोई भी िकफ उसे िेदों के तिकृिीकरि के दोर्ष से
बचा नही ं सकिा।

मैक्समूलर की दू सरी जीिनी में असली स्वरूप

इसके तलए हमें बाहर के तकसी दू सरे प्रमािों की आिश्यकिा नहीेे ें है क्योंतक मैक्समूलर
िारा तलल्जखि सातहत्य और अपने तमत्ों, पररिारीजनों आतद को तलखे उसके पत्ों में ही
प्याफप्त सामग्री तमलिी है। हालांतक मैक्समूलर की स्वतलल्जखि जीिनी १९०१ में ही प्रकातशि
हुई थी, परन्तु उसकी पत्नी जोतजफना मैक्समूलर ने उसके र्ौरन बाद १९०२, में उसकी एक
और जीिनी ''दी लाइर् एण्ड लैर्टसफ ऑर् दी आनरे तबल फ्रेडररक मैक्समूलर'' के नाम से
प्रकातशि की। इसमें अन्य तििरिों के सतहि मैक्समूलर िारा तलखें पत्ोंका संकलन भी
है। उसके प्रकाशन का उद् दे श्य स्पष्ट करिे हुए श्रीमिी जोतजफना नपे पुस्तक की भूतमका
में तलखाः

"It may be thought that the publication of these volumes is superfluous after two works
'Auld Lang Syne' and the 'Autobiography (2 Vols.) written by Max Muller himself. But it
seemed that something more wanted to show the innermost character of the real man….
The plan pursued throughout these volumes has been to let Max Muller's letters and the
testimony of friends to his mind and character speak for themselves, whilst the whole is
connected by a slight thread of necessary narrative. The selection from the letters has been
made with a view to bring the man rather the scholar before the world."

(preface to November,1902, New York Edition; Bharti, p. IX).

अथाफि् ''ऐसा सोचा जा सकिा है तकस्वयं मैक्समूलर िारा तलल्जखि ''औल्ड लैंग सायने''
और ''आत्मजीिनी'' (२ खंडों में ) प्रकातशि हो जाने के बाद, इन खंडों के प्रकाशन की
कोई आिश्यकिा नही ं है। लेतकन मुझे ऐसा प्रिीि हुआ तक उस मनुष्य के आन्तररक
चररत् की िास्ततिकिाको तदखाने के तजए कुछ और अतधक करने की आिश्यकिा है।
24

इन खंडों में जो योजन लगािार अपनाई गई है िह मैक्समूलर के पत्ों और उसके तमत्ों


के प्रमािस्वरूप् तदए गए कथन, उस मनुष्य की सोच और चररत् को स्वयं उजागर करिे
हैं, जबतक समस्त सामग्री आिश्यक आत्मकथा के धागे से बांेी हुई हैं। यहााँ उद्धि पत्ों
का चुनाि इस उद् दे श्य से तकया गया है िातक तिश्व के सामने एक तििान की अपेक्षा
उस मनुष्य का सही स्वरूप प्रस्तुि तकया जा सके।''

(न्यूयाकफ संस्करि, १९०२, प्राक्कथन पृ . प्ग्)

इसतलए यहााँ हमारा उद् दे श्य यह समझने का है तक क्या िह िास्ति में िेदों और तहन्दू
धमफ शास्त्रों का प्रशंसक और भारि का तमत् था? क्या िह िेदों, उपतनर्षदों, दशफनों आतद
के उदात्त, प्रेरिादायक और आध्याल्जत्मक तचंिन से प्रभातिि था, और उन्ें िह अंग्रेजी
माध्यम से तिश्वभर में र्ैलाना चाहिा था? क्या िह भारिीय धमफशास्त्रों का तजज्ञासु था?
क्या उसने ऋिेद का भाष्य भारिीय प्राचनी यास्कीय-पातिनीय पद्धति के अनुसार तकया
था? उसने सायि-भाष्य को ही आधार क्यों माना? क्या उसने सायि के सभी मापदण्डों
को अपनाया? यतद नही ं, िो क्यो? आल्जखर उसे िेदों में क्या तमला?

क्या िह िुलनात्मकभार्षा तिज्ञान और गाथािाद के शोध की आड़ में एक पक्षपािी,


पूिाफग्रही और छद् मिेशी सैक्यूलर ईसाई तमशनरी था? जो िेदों और तहन्दू धमफ शास्त्रों के
भ्रामक अथफ करके तहन्दू धमफ को समूल नष्ट करना चाहिा था। कया िह िेदों को
बाईतबल से तनचले स्तर का तदखाकर भारिीयों को ईसाईयि में धमाफन्तररि करना और
भारि में तब्रतर्टश राज को सुदृढ़ करना चाहिा था? आल्जखर उसने िेदों और भारि के
प्राचीन इतिहास के बारे में अनेक कपोल-कल्जल्पि मान्यिाएं क्यों स्थातपि की ं? इसके
अलािा ईस्ट इं तडया कंपनी ने भी अंग्रेजी और संस्कृि दोनों ही भार्षाओं के ज्ञान में
अधकचरे , चौबीस िर्षीय, अनुभिहीन गैर-तब्रतर्टश, जमफन युिक मैक्समूलर को ही िेदभाष्य के
तलए क्यों चुना?

उसने िेदों का तिकृिीकरि क्या, क्यों और कैसे तकया? इन्ी ं कुछ प्रश्नों को यहााँ संक्षेप में
तिश्लेर्षि तकया जाएगा िातक अधकचरे ज्ञानी तहन्दू और सैक्यूलरिादी, जो उसके तिकृि
सातहत्य के आधार पर समय-समय पर तहन्दू धमफ की तनंदा करिे रहिे हैं , उसकी
िास्ततिकिा िथा उसके तनतहि उद् दे श्य को समझ सकें। इसके तलए हमें ित्कालीन
तब्रतर्टश शातसि भारि की धातमफक ि राजनैतिक ल्जस्थतियों कोसमझना होगा, तजनके कारि
उन्ें एक मैक्समूलर की िलाश करनी पड़ी।
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भागना.. कायरिा की तनशानी नही ं .. अतपिु अगले अिसर का प्रयास - लिी


भारिाज जी

लोग कहिे हैं की बाबा रामदे ि भाग गया....

पर भाई .. जब भगाओगे िो... भागना िो पड़े गा ही ?

मर कर लड़ाई नही ं जीिी जािी ..

...

ये गंधासुर की जो कहातनयां हैं न, इसने पूरी पीढ़ी का सत्यानाश मार तदया....

अतहंसा.... अनशन...

भगि तसंह ने भी तकया था सत्याग्रह .. लट्ठ खा कर तसद्धा हो गया था ... तर्र


बन्दू क ही उठाई l

अब आिा हाँ मुद्दे पर....

1. भगिान् श्री कृष्ण भागे थे .... मथुरा से ... िाररका गए..

नाम पडा रिछोड़...

परन्तु नाम की तचंिा नही ं की उन्ोंने...

क्योंतक िो जानिे थे की िो तकस कायफ के तलए धरिी पर आये हैं ... और जरासंध के
साथ होने िाले युद्धों में समय नष्ट होगा और जान माल की हातन अलग....
26

2. ... चन्द्रगुप्त मौयफ ...

जाने तकिनी बार धननंद के राज्य में बीचों बीच घुस कर आिमि करिा था....

तर्र हार कर िातपस भाग कर आिा था...

क्यों.... क्योंतक अगली बार तर्र कोतशश करू


ाँ गा....

आयफ चािक्य ने समझाया की बेर्टा अंदर से नही ं बाहर से जीि .. उसकी समझ में नही ं
आया...

तर्र दोनों चािल खाने बैठे...

चन्द्रगुप्त ने चािलों में बीचो बीच हाथ डाला...

चािल गमफ थे ... हाथ जल गया .. िो हाथ पीछे खी ंच...

तर्र आयफ चािक्य ने कहा...

िेरे से चािल खाए नही ं जा रहे.. िू धननंद को कैसे जीिेगा ?

तर्र समझाया .. बेर्टा... कोने कोने से खाओ...

ठं डे करके खाओ...

3. पृथ्वी राज चौहान भी लेके ही भागा था .. संयोतगिा को ...

नही ं भागिा .. िो जयचंद उसे िही ं खत्म कर दे िा...

4. तशिाजी .. र्लों के र्टोकरे में छु प कर भागे थे...


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5. दशम गुरु गोतबंद जी को भी कई मोकों पर भागना ही पडा था .. नांदेड भी


गए... हजूर सातहब

6. महारािा प्रिाप की आयु िो भागिे भागिे.. तछपिे तछपिे .. जंगलों में ही गुजरी
...

7. बुन्देलखण्ड का महान शूरिीर छत्साल.... िो भाग भाग कर ही तिजयी हुआ...

8. िांत्या र्टोपे ... नाना साहब .... ये भी भागिे ही थे न...

9. ... और सनािन सं स्कृति की सबसे शूरिीर नाररयों में अपना नाम रखने िाली ..
ब्राह्मिी रानी लक्ष्मी बाई ...

उसको भी अंि समय में भागना ही पडा....

अपने पुत् को पीठ पर बााँध कर भागी थी िो ...

10. भगि तसंह.... भागे थे सांडसफ को मार कर...

केश कर्टिा तलए थे....

11. चन्द्रशेखर सीिाराम तििारी आजाद....

भगिा िस्त्र पहन कर ही भागे थे ....

12. सुखदे ि .. राजगुरु जी ... सब भागे ही थे ...


28

13. हुिात्मा गोडसे जी खड़े रह गए....

और इस ऋतर्ष भूतम दे ि िुली अखंड भारि के ित्कालीन समस्त जनमानस ने


दे खा..... की तकस प्रकार...

हरामखोर को .. हे -राम बना कर पेश तकया गया...

नेहरु िारा....

************************

भाग जाना..... कायरिा नही ं होिी...

भाग जाना.... एक दू सरा मोका ढू ाँ ढने का अिसर भी दे िा है ..

इसतलए आिश्यक है .. की ििफमान पीढ़ी की मानतसकिा बदली जाए....

और.... हम सब स्वयम अपनी मानतसक् अभी बदलें ..

तनरथफक CONgrASSi पुस्तकों की shikshaon को padh कर अपनी सनािन संस्कृति के


गौरिशाली इतिहास को जातनये ...

हम लोग कभी ऐसे नपुंसक नही ं थे ... इस बाि पर तिचार करना आिश्यक है l
29

भारिीय सं स्कृति में राष्टरधमफ और तिधान का राज्य:-

भारतीय िंस्कृमत में िामामजक व्यवथथा का िंचालन िरकारी कानयन िे नहीं बक्ति प्रचमलत
मनयमों मजिे ‘िमा’ के नाम िे जाना जाता था, के द्वारा होता था। िमा ही वह आिार था जो
िमाज को िंयुि एवं एक करता था तथा मवमभन्न वगों में िामंजस्य एवं एकता के मलए
कताव््‍य-िंमहता का मनिाा रण करता था।

राष्ट्रिमा के बारे में प्रचमलत शास्त्रोि कहावत् -’ जननी जन्मभयममि स्वगाा दमप गरीयिी” के अं तागत
जननी और जन्मभयमम को स्वगा िे भी बढकर बताया गया है । मातृभयमम को स्वािीन रखने का
ऋग्वेद में स्पष्ट् आहवन है - यतेममह स्वराज्ये। भारतवषा में ऋग्वेद में ‘गणां ना त्वां गणपमत’ आया
है । गण और जन ऋग्वेद में हैं । महाभारत में िमाराज युमिमष्ठर ने भीष्म िे आदशा गणतं त्र की
पररभाषा पयछी। भीष्म ने (शामतपवा 107.14) बताया मक भेदभाव िे गण नष्ट् होते हैं ।अथवावेद
(6.64.2) में िमानो मंत्र: िमममत: – - िमानं चेतो अमभिं मवशध्वम्॥ मनुष्ों के मवचार तथा िभा
िबके मलए िमान हो कहा गया है । एक मवचार एवं िबको िमान मौमलक शक्ति ममलने की
बात कही है । मविान के राज्य की िंमक्षप्त पररभाषा भी यही है । गण के मलए आं तररक िंकट
बड़ा होता है - आभ्यंतर रक्ष्यमिा बाह्यतो भयम्, बाह्य उतना बड़ा नहीं। गणतंत्र के मयल शब्द गण
की अविारणा अथाशास्त्र के रचमयता कौमटल्य और आचाया पामणनी के जमाने में भी वमणात है ।
उि काल में िमाज के प्रमतमनमियों के दलों को गण कहा जाता था और यही ममलकर िभा
और िमममतयां बनाते थे।

मकिी ऐिे काक्तल्पनक छोटी शािन व्यवथथा में भी, िभी फैिले बहुिंख्यक वोट िे हो, ऐिा िंभव
नहीं। जनता का शािन तभी िंभव है जब बहुिंख्यक िमाज अपने मत द्वारा ऐिा मविान बनाए
मजिका पालन प्रत्येक व्यक्ति के उपर, पुमलि और न्यायालय द्वारा कराया जाए अलोकतां मत्रक
तानाशाह अपने मजी को िंमविान और कानयन द्वारा जनता पर थोप िकते हैं । जो िमाज राष्ट्रों
के मनमाा ण के पयवा मकिी प्राकृमतक मनयम या मयाा दा को तरजीह दे ती हैं और मानवामिकारों के
प्रमत िंवेदनशील है वे मविान के द्वारा मनममात राज्य का िमाथन करती हैं ।एक मनरं कुश तानाशाह
कानयन के मनयमों िे लैि होकर मानवामिकारों की अवहे लना करता है ।। मकिी श्रेष्ठ कानयन की
िंरचना के मलए मवमि के मविान की आवश्यकता होती है । मविान के राज्य के मबना क्तथथर बिे
लोकतां मत्रक िरकार की कल्पना नहीं की जा िकती। थथामयत्व और मनरन्तरता की खयमबयाूँ और
राष्ट्र को अक्षुण्ण रखने की चाह के कारण ही मविान के राज्य को भेदभाव फैलाने वाले
राजनेताओं के शािन पर प्राथममकता ममलती है । गलती िे या जानबयझकर कोई भी व्यक्ति
मनयंत्रण के अभाव में कानयन का अनुपालन नहीं करना चाहता है । इिी प्रकार शािनाध्यक्ष या
िां िद िंमविान को अंगीकृत और आत्मामपात करने की शपथ लेने के बावजयद, अपने स्वाथावश
या राजनैमतक कारणों िे उिका गलत अथा मनकालते हैं या उिकी अवहे लना करते हैं ।

मवमि का मविान िरकारों में वैद्यता थथामपत कर क्तथथरता लाती है । मानवामिकार, व्यक्तिगत
स्वतंत्रता और प्रजातं त्र ये तीन मुख्य कारण/उद्दे श्य हैं मजिके मलए जनता शािकों के शािन को
िहन एवं िहयोग करती है । एक िरकार जो मवमि बनाने में मविान के मनयमों को नजरअंदाज
करती है , वह न केवल इन तीन मयल्यों में कटौती करती है बक्ति अपने अक्तस्तत्व के मलए भी
खतरा उत्पन्न करती है । जब मविान राज्य करता है तो कोई मवमशष्ट् आज्ञा दामयत्व मनवाा हन के
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बीच नहीं आती। क्यमकं हमे जनता की मचंता है इिमलए हम मविान के मनयमों को प्रभावी
तरीके िे लागय और कायाा क्तन्वत होते दे खना चाहते हैं । कानयन और कताव्य का ररश्ता यहाूँ
उत्तारदामयत्व का होता है ।

िमान्य पररभाषा में मविान राज्य या िमाराज्य एक ऐिा तंत्र है जहाूँ कानयन जनता में िवामान्य
हो; मजिका अमभप्राय(अथा ) स्पष्ट् हो; तथा िभी व्यक्तियों पर िमान रुप िे लागय हो। ये
राजनैमतक और नागररक स्वतंत्रता को आदशा मानते हुए उिका िमथान करते है , मजििे मक
मानवामिकार की रक्षा में मवश्व में अहम् भयममका मनभाई गई है । मविान के राज्य एवं उदार
प्रजातंत्र में अमतगम्ीर िम्बन्ध है । मविान का राज्य व्यक्तिगत अमिकार एवं स्वतत्रंता को बल
दे ता है , जो प्रजातां मत्रक िरकार का आिार है । िरकारें मविान के राज्य की श्रेष्ठता स्वीकार करते
हुए जनता के अमिकारों के प्रमत िचेत रहती हैं , वहीं एक िंमविान,जनता में कानयन की स्वीकृमत
पर मनभार करता है । मवमि एवं मविान के राज्य में कुछ खाि अन्तर हैं - जो िरकारें प्राकृमतक
मनयम, मयाा दा, व्यवहार मवमि को आदा श मानते हुए, मकिी प्रकार के पक्षपात नहीं करती तथा
न्याय के िंथथानों को प्राथममकता दे ती हैं ,वे मविान द्वारा थथामपत होती हैं ।

भाग -2

भारतवषा के स्वतंत्रता िंग्राम के िंघषा में स्वदे शी मवचारिारा, राष्ट्र के िंस्कृमतक गौरव और
उिकी भावना की अहम् भयममका रही है । स्वािीनता का अथा राष्ट्रमपता के मनगाह में राष्ट्र के
िमामजक जीवन जो प्रशािमनक व्यवथथा, आमथाक मवकाि और तत्कालीन िाममाक झुकाव को
दषाा ती है , िभी को महन्दय स्तानी मवचारों और जीवन के िवाां गीण मवकाि िे िुशोमभत करना था।
इं ग्लैण्ड मे पढ़े और दमक्षण और दमक्षण अफ्रीका में कानयन तथा राजनीमत में कायारत राष्ट्रमपता
महात्मा गाूँ िी ने राष्ट्र के स्वतंत्रता िंग्राम के िंघषा आम आवाम का पररिान स्वदे शी िोती को
अपनाया। गाूँ िीजी का दे हान्त 30 जनवरी 1948 को हुआ। िंमविान पर मवचार – मवमिा 5 नवम्बर
1948 िे शुरू हुआ। 26 जनवरी 1950 को उिका भारतीय गणराज्य के रूप में लागु कर मदया
गया।

मकिी राष्ट्र के जीवन में दे खने के मलए एक वातायन होता है िामहत्य, जो उि राष्ट्र के िमा, कला,
िंस्कृमत और मानवीय मयल्यो का भी िजाक होता है । िंमविान का थथान इिमें प्रथम है ।िंमविान
केवल एक मलखीत दस्तावेज नहीं वह राष्ट्र के िां स्कृमतक, िामामजक, राजनीमतक और आमथाक
लक्ष्यों का मागादशाक भी होता है । स्वदे शी आं दोलन िे ममली स्वतंत्रता के बाद मनममात भारतीय
िंमविान के ज्यादातर तत्व मवदे शी स्त्रोतों िे है । बहुत कम ही बातें हैं जो भारतीय िंस्कृमतक
मयल्यों पर आिाररत हैं मजिे िंमविान में शाममल मकया गया है । जबमक यह एक ऐमतहामिक
िच्चाई है , मवश्व की िबिे पुरानी गणराज्य मबहार के मलच्छवी( वैशाली) में कायारत थी। िंमविान
की िंरचना के ढाूँ चे का अमिकतर अंश औपमनवेमशक दािता के मदनों में पाररत, भारत िरकार
अमिमनयम 1935 िे बना है , मजिे दु भाा ग्ग््‍यवश मनरन्तरता और क्तथथरता के आिार पर अपनाना
जरूरी िमझा गया। िंमविान का भाग 3 में अंमकत दाशामनक भाग जो मौमलक अमिकारों िे
िंबमित है का कुछ भाग, िंघात्मक शािन प्रणाली, न्यायपामलका, अमेररकन िंमविान िे शाममल
मकया गया है । भाग 4 में अंमकत राज्य के नीमत मनदे शक तत्व आयरलैंि िे , 4अ में वण्ा 0मश्नर्
ात मयल कताव््‍य िोमवयत िंघ िे, राजनैमतक भाग मजिमे मविामयका और कायापामलका के िंबन्ध
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और मंत्रीमंिल के उत्तारदामयत्व, प्रमक्रया एवं मवशे षामिकार हैं मब्रटे न िे ,गणतंत्रात्मक शािन व्यवथथा
फ्रां ि िे, िंघ और राज्यो का शक्तिमवभाजन कनािा िे , जमानी िे आपात उपबंि, आस्टे् रमलया िे
िमवती ियची। इन िबके बावजुद मब्रटे न, ययरोपीय िंघ तथा अन्य राष्ट्र मे मौजयद मविान के राज्य
के मििां न्त भारतीय िंमविान में पुणा रुप िे लागय नहीं हैं , इिमें िमता का मििां न्त प्रमुख है ।
कायापामलका और नौकरशाह के अमिकार आम जनता िे अमिक हैं ।

कहने को तो हम गणतं त्र है , पर इि गणतं त्र िे गण गायब है , जनतं त्र िे जन गायब है तथा तंत्र
की तानाशाही है । जन और गण की भयममका केवल मत दे ने तक रह गयी आज भी भारतीय
गणराज्य की िफलता भारतीय एकता और िंप्रभु ता के िमक्ष चुनौमतयां अपनी जमटलता के िाथ
पयरी तरह मौजयद है । भारतीय गणतंत्र को भारत के अंदरूनी शक्तियों ने ही खोखला मकया है ।
कानयन व्यवथथा रस्म आदायगी ही रह गयी है । न्यायपामलका जो िंमविान की मजम्मेवार िंरक्षक
है , के न्यायालयों में लक्तम्बत लाखों मुकदमों में ‘न्याय में दे री के कारण अन्याय है ।’ आज की
राजनीमतक िोच मवमभन्न क्षेत्रों, जामतयों,वगो को अलग पहचान की ओर ले जा रही है । मजहबी
तथा क्षेत्रीय अलगावाद दे शतोड़क हैं तो भी तुष्ट्ीकरण और वोटबैंक की रणनीमत के तहत िेकुलर
हैं । िमान नागररक िमहता राष्ट्र के नीमत मनदे शक िंवैिामनक तत्व हैं । जम्मय कश्मीर मवषयक
िंवैिामनक िुिार अनुियची 370 अथथाई था, लेमकन थथाई है । अलकायदा, लश्कर-ए-तै यबा और
आईएिआई आमद मवदे शी आं तकवामदयों का घुिपै ठ आज भी जारी है , जबमक िवोच्च न्यायालय
ने इिे राष्ट्र के मवरूि युि बताया है । अिम, अरूणाचल, मेघालय, ममजोरम, मण् 0मश्नापुर, मत्रपुरा,
नगालैण्डड़, मिक्तक्कम पर चीन अपनी काक दृमष्ट् लगाए हुए है ।अरूणाचल को तो वह अपने राष्ट्र
का महस्सा ही मानता है । इिपर चीनी रणनीमतकार झान लुई का स्वप्न -भारत को 25-30 भागों
में करने का है । आज भी इन पयवोत्तार राज्यों में स्वतंत्रता या गणतंत्र मदवि जनता के बीच नहीं
मनाई जाती। अल्पिंख्यकवाद राष्ट्रीय एकता के मलए घातक है पर वोटबैक है । जो राजनीमतक
दल राज्यों में भाषा,जामत और क्षेत्र का लगाकर बने हैं वे अक्तखल भारतीय िोच कहाूँ िे लाएगें।

कश्मीर के कल्हण राजतं रमगणी में भारत की िनातन िंस्कृमत का इमतहाि है । िमाा तरण के
शताक्तब्दयों बाद वही िमाज आज स्वायत्ताता के राष्ट्र मवरोिी बात कर रहा है , यह स्वायत्तता
जम्मय, लद्दाख को नहीं चामहए। इििे तो मजहबी िंगठन के तका, मक िमाा तरण राष्ट्रातरण है को
ही बल ममलता है । आजादी के बाद तथाकमथत राजनेता ने मुिलमान िमाज को जोड़ने का नहीं
मजहबी खौफ मदखाकर तोड़ने और वोटबैंक बनाने का काम मकया है । जो आज स्वायत्तता की
बात करते हैं वह कल का अलगावादी है । कश्मीरी िंगठन हुररा यत और पयवोत्तार राज्यों के
उल्फा का इि मामले में िमान एजेड़ा है । आज िोमवयत ययमनयन का हश्र हमारे िामने है , जहाूँ
राजनीमतक महत्वाकां क्षा मक लड़ाई में राष्ट्र को ही खंमित कर मदया गया। आमथाक तंगी झेल रहे
िोमवयत ययमनयन को िुिारवादी गोबाच्योव के मानवीय मयल्यों पर आिाररत व्यवथथा दे ना प्रारं भ
मकया, लेमकन येल्तमिन के रुि के राष्ट्रपमत बनने और गोबाच्योव के नीचा दे खनेमक लालिा ने
िोमवयत ययमनयन को ही मवभामजत कर मदया।

अल्पिंख्यकवाद, आरक्षणवाद, क्षेत्रवाद, जामतवाद और िाम्प्रदामयकतावाद के कारण उत्पन्न भेदभाव


िे गण नष्ट् हो रहे हैं ।

िंमविान के मनमाा ता भी िां स्कृमतक क्षमता िे पररमचत थे। 221 पन्नों के िंमविान के कुल 22 भाग
थे , तथा इिके हस्तमलखीत प्रमत में भारतीय िंस्कृमत के प्रमतक राष्ट्रभाव वाले 23 मचत्र थे। मुखपृष्ठ
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पर राम और कृष्ण तथा भाग एक में मिन्धु घाटी िभ्यता की स्मृमत अंमकत थी। नागररकता के
मैमलक अमिकार वाले पृ ष्ट् पर श्री राम की लंका मवजय, राज्य के नीमत मनदे शक तत्वों वाले पन्ने
पर कृष्ण अजुान उपदे श वाले मचत्र थे। वास्तव मे यह भारतीय िंस्कृमत के मवकाि का इमतहाि
है । अपने आक्तखरी भाषण में िा. अम्बेड़कर ने प्राचीन भारतीय परं परा की याद मदलाते हुए
कहा था – एक िमय था जब भारत गणराज्यों िे िुिक्तज्जत था यह बात नहीं मक भारत पहले
िंिदीय प्रमकया िे अपररमचत था। यहाूँ वैमदक काल िे ही एक पररपयणा गणव्यवथथा थी।

महन्दु िमाज प्राचीन काल िे ही अपनी प्रजा या िमाज को मषमक्षत करना अपना मौमलक कताव्य
िमझती थी। यही वह आिार था मजिपर ‘महन्दु िंस्कृमत’ थथामपत थी। मशक्षा का अथा मनुष् की
आन्तररक, रचनात्मक मानमिक मवकाि और आक्तत्मक इच्छापयमता के मलए उपयुि प्रणाली मनयम,
मवमि और व्यवथथा मवकमित करना था। मशक्षा को िंमविान में उमचत थथान नहीं मदया गया और
इिे मौमलक अमिकारों में भी नहीं शाममल मकया गया। ऋग और अथवावेद एवं महाभारत में
राज्यों और गणराज्यों के मििां न्तों को िंमविान में यथोचीत थथान नहीं ममला है ।

आिुमनक भारत में मविान के राज्य के अभाव में महत्वपयणा आमथाक एवं गैर आमथाक िंथथानों
यथा – मनगम, बैंक, श्रम िं गठनों, कर प्रणाली, प्रबन्धक िंथथायें में अपारदमशाता, अक्षमता और
स्वाथापरक शक्तियाूँ िर उठाने लगी हैं । मजिके फलस्वरूप लोकतंत्र के चारों स्तंम्ों –
मविामयका,न्यायपामलका, कायापामलका, मीमिया भी खोखली होती जा रही हैं ।

जामत, मजहब, राजनीमत और क्षेत्रीय आग्रह िमाज को तोड़ते हैं िंस्कृमत ही इन्ें जोड़ती है ।
महाभारत में िमाराज युमिमष्ठर ने भीष्म को जो उपदे श गणतंत्र के बारे में मदया था उि उपदे श
को आज के राजनेताओं को गंभीरता िे लेते हुए राष्ट्र की एकता और अखंड़ता िुमनमित करने
के मलए मविान के राज्य के मििां न्तों को पयणरूपेण लागु कर दे ना चामहए। एक नई व्यवथथा
और कानयन जो भारतीय िंस्कृमत पर मनममात हो, मविान का राज्य, स्वतंत्रता, मानवामिकार,
लोकतां मत्रक मयल्यों िे िु िक्तज्जत हो आज के भारत की आवश्यकता है ।
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मीतडया और मोमबत्ती तबग्रेड :

कहा जाता है मक आवश्कता ही अमवष्कार की जननी है । और जहालत की मतरगी में इल्म और


तालीम की कंदील ही रास्ता रोशन करती है । आदमी अपनी जरुररयात के मलए हर तरह के
प्रयोग व प्रयाि करता है और आिपाि की चीजों िे ही अपने ऐशोआराम का िामान जुटा
लेता है । कंदील या मोमवत्ती की कहानी भी कुछ इिी तरह शुरू होती है । पाषाण युग िे ही
मोमवत्ती के प्रयोग का मकस्सा िामने आता है ममश्र ऐिा पहला दे श था मजिमें कंदील का
प्रयोग ईशा पयवा 400 िाल पहले िे ही शुरू हो गया था। उिके बाद चीन तथा जापान में
कीड़ों और कुछ फिलों के बीज िे मोम मनकाल कर उिको कागज के ट्ययब में िालकर
मोमबत्ती बनाया जाता था। भारत में मोमबत्ती की शुरुआत पहली िदी के आगाज़ िे मंमदर में
दीप जलाने के मलए दालचीनी के पेड़ िे उिकी छाल मपघलाकर मनकाले गए मोम िे हुई थी।

अमेररका में लोगों ने एक खाि प्रजामत की मछली की चबी िे पहली बार मोमबत्ती बनाई।
उिमें लकड़ी का एक टु कड़ा घुिेड़ मदया जाता था तामक वो िीिी तरह खड़ी रह िके। उिके
बाद पहली िदी के अंत में िेररओ नामक वृक्ष की छाल को मपघलाकर और उिमें िे मोम
मनकाल कर मोमबत्ती बनाने की प्रथा शुरू हो गई।

कालान्तर में इं ग्लैि में बिे लोगों ने बेबेररज नामक पेड़ िे मोमबत्ती बनाना शुरु कर मदया।
लेमकन ये थोड़ा महं गा िामबत हुआ। ये दीगर बात है मक आज की तारीख में भी इि पेड़ की
छाल िे इं ग्लैंि में मोमबत्ती बनाई जाती है । लेमकन उिकी मुक्तश्कल ये है मक 8 इं च की
मोमबत्ती के मलए एक पय रे पेड़ का छाल मपघलाना पड़ता है ।

कुछ िमय बाद जानवरों की चबी िे भी मोमबत्ती बनाने की प्रथा शुरू हुई लेमकन उिकी
दु गांि लोगों को पिं द नहीं आई।

बड़े पैमाने पर मोमबत्ती बनाने की प्रथा 14वी ं िदी के आिपाि शुरू हुई मजिमें मिुमक्खी के
छत्ते िे मनकाले गए मोम का प्रयोग हुआ। फ्रां ि के पेररि में इिका आमवभाा व हुआ और 18वी ं
िदी के आगाज में मोमबत्ती बनाने की कला दु मनया के कई दे शों में मवकमित हो गई।

मोमबत्ती बनाने की मशीन का मनमाा ण पहली बार िन 1825 में हुआ। मोमबत्ती में पारामफन का
प्रयोग 1830 में शुरू हुआ। टै लो पदाथा िे बनाई गई मोमबत्ती भी काफी िमय तक लोकमप्रय
रही।

आज की तारीख में घरों िे राजमहलों तक, झाड़-फानयि को िजाने में मोमबत्ती का बड़ा ही
अहम रोल रहा है । मबजली आने के बाद भी कई दे शों में और खािकर कुछ मवशेष मौकों पर
िुगंमित और रं ग मबरं गी मोमबमत्तयां अपनी अलग ही छटा मबखेरती हैं ।

मोमबत्ती के इमतहाि के िंदभा में ये भी जानना उमचत होगा मक चीन में मोमबत्ती बनाने की
अलग ही तकनीक थी। िन 265 िे 420 ईबी तक मजंन िाम्राज्य में इिका प्रचलन काफी बड़े
पैमाने पर रहा। इि पिमत के तहत कागज के पन्ने पर मिुमक्खी के छत्ते िे मनकाले गए मोम
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को मचपका कर मोमबत्ती बनाई जाती थी।बाद में ियंग िाम्राज्य के िमय मोमबत्ती में िागा
िाला जाने लगा था।

भारत के िमीप मतब्बत दे श में याक जानवर के मख्खन िे मोमबत्ती बनाई जाती थी।

1448 में मनममात दु मनया की िबिे प्रचीन मोमबत्ती बनाने वाली मशीन आज भी दमक्षण अफ्रीका
के िबमलन शहर में मौजयद है । िाथ ही गाय या भैंि की चबी िे मनममात मोमबत्ती के कुछ
कारखाने ययरोमपय दे शों में दे खे जा िकते हैं ।

16वी ं िदी में ययरोप के कई दे शों में महलों और मकानों में रौशनी के अलावा िड़क पर
प्रकाश िालने के क्रम में मोमबत्ती का प्रयोग होता था। मगर िन 1830 के बाद िे मोमबत्ती
बनाने की तकनीक तथा उिके मयल पदाथों के चयन में भी काफी बदलाव आया।

अमेररका के जोिेफ िै मिन को िन 1830 में नये तरीके िे मोमबत्ती बनाने का पेटेंट मदया
गया था। िन 1934 में इि कंपनी ने प्रमत घंटे 1500 मोमबत्ती की रफ्तार िे मोमबत्ती मनमाा ण
का काया शुरू मकया जो पयरे दे श में बहुत मशहूर हुआ।

िन 1829 में मप्रंि मविन नामक एक शखि ने श्रीलंका के एक 1400 एकड़ वाले नाररयल के
पेड़ों का जखीरा खरीदा मजिका मयल उद्दे श्य नाररयल के पेड़ की छाल की मदद िे मोमबत्ती
बनाना था। मगर उिके बदले वहां ताड़ के पेड़ की छाल िे मोमबत्ती बनने लगी।

िन 1879 में थामि एमििन द्वारा मबजली बल्ब के अमवष्कार के बाद िे भले ही मोमबत्ती की
महत्ता में थोड़ी कमी आई हो। मगर जन्ममदन िे लेकर मगरजाघरों में खाि मदन पर मोमबत्ती
जलाने का चलन आज भी बदस्तयर जारी है ।

िोयाबीन िे लेकर पेटरोमलयम पदाथों िे भी मोमबत्ती बनाई जाती है और आज की तारीख में


पयरी दु मनया में 178 पदाथों िे अलग-अलग मकस्म की मोमबमत्तयां बनाई जाती रही हैं ।

आप िोच रहे होंगे मक हम मोमबत्ती का बखान क्ों कर रहे हैं ? दरअिल आजकल मोमबत्ती
का इस्तेमाल एक खाि मानमिकता के लोग खाि मौकों पर करने लगे हैं और तो और इि
खाि मानमिकता के लोगों की एक मबग्रेि िहज ही तैयार हो गई है मजिे आप मोमबत्ती मबग्रेि
कह िकते हैं । मकिी खाि मौके पर मोमबत्ती मबग्रेि की मचल्ल पौ का उतना ही महत्व होता
है मजतना राजनीमत की भाषा में आश्वािन का।

मोमबत्ती मबग्रेि का वैभव आपको मिफा वैभावशाली मदल्ली, मुंबई जैिे रे शमी महानगरों में ही
मदखाई दे गा। कुछ लोग मिफा हाईप्रोफाइल केि (अमीर पररवार िे जुड़ी घटना) में न्याय मां गने
के मलए एक खाि जगह पर इकट्ठा होकर मोमबत्ती जलाते हैं । अगर मकिी अमीर पररवार की
बेटी की हत्या हो गई या मकिी नामी मॉिना पररवार के िाथ अन्याय हो गया तो मोमबत्ती
मबग्रेि के लोग मोमबत्ती जलाकर, िुंदर-िुंदर रं ग मबरं गे पोस्टर बनाकर, लेटेस्ट फैशन की पोशाक
पहन कर, अंग्रेजी में नारे लगाते हैं और अं ग्रेजी में बयान जारी करते हैं । महं दी बोलने िे उन्ें
थोड़ा परहे ज होता है । शायद िर हो मक महं दी बोलने िे कई मवरोि करने की क्वामलटी न मिग्रेि
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हो जाए इि मलए स्टाइमलश इं क्तग्लश में अपनी बात कहते हैं । आप इि ग़फलत में मत रमहएगा
की मोमबत्ती मबग्रेि कोई िंगठन है और मोमबत्ती जलाने पहुं चने वाले िभी लोग एक दय िरे को
जानते हैं । मोमबत्ती मब्रगेि के लोग कुछ ऐिे ही इकट्ठा होते हैं जैिे कस्तय री की तलाश में
महरन भटकते-भटकते इकट्ठे हो जाते हैं ।

मवरोि करने के मलए एकत्र हुए मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों के चेहरे पर मवरोि का भाव ढयंढना
ऐिे ही है जैिे िमुद्र में मोती खोजना। हिी मुस्कान के िाथ अपनी बात ऐिे कहते हैं जैिे
मकिी गेट टय गेदर पाटी में आए हो। मजे की बात ये है मक हमारी मीमिया मोमबत्ती मबग्रेि को
खयब अहममयत दे ती है । जैिे ही मीमिया को भनक लगती है मक आज मोमबत्ती मबग्रेि का
खाि शो हो होने जा रहा है तो न्ययज चैनलों की ओबी वैन िीिे मोमबत्ती मबग्रेि की लाइव
कवरे ज के मलए तैनात कर दी जाती है ।

कैमरा, लाइट , और पयरे एक्शन के िाथ मोमबत्ती जलाई जाती है और ये अद् भुत मवरोि आप
घर बैठे टीवी पर दे ख िकते हैं । या िीिे कहें तो इं ज्वाय कर िकते हैं । क्ोंमक आपको दु ख
और मवरोि का भाव कहीं भी दे खने को नहीं ममलेगा। ये अजीब मवरोिाभाि और यमद आप
मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों में मवरोि और दु ख का भाव दे खना चाहते हैं तो मफर आप मािना
मोमबत्ती मबग्रेि में शाममल होने मक योग्यता नहीं रखते।

मोमबत्ती मबग्रेि के िाथ मीमिया की कदम ताल मनराली हैं । मोमबत्ती मबग्रेि की पल-पल की
खबर दे ने के मलए न्ययज चैनल लाखों रुपये खचा करने में नहीं मझझकते। न्ययज चैनलों की ररपोटा र
मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों की मोमबत्ती िे मोमबत्ती जलाकर बोलतीं है जै िे वो खुद ररपोटा र कम
मोमबत्ती मबग्रेि की मेम्बर ज्यादा हों। और ररपोटा र महोदया को इिके मलए खयब शाबाशी भी दी
जाती हैं उनके इि हुनर की तारीफ िीमनयर खयब चटकारा लेकर करते हैं ।

मोमबत्ती मबग्रेि का चलन अभी नया है । इिमलए मदल्ली, मुंबई जैिे महानगरों में ज्यादा नजर
आता है । पर आपको परे शान होने की जरूरत नहीं। मॉिना कहलाने का शौंक बड़ी गजब की
चीज़ है । इिमलए मजिे भी खुद को मॉिना िामबत करना होगा वो जल्द िे जल्द मोमबत्ती मबग्रेि
में शाममल होगा और वो मदन दय र नहीं जब आपको छोटे शहरों में भी मोमबत्ती मबग्रेि के लोग
नजर आने लगेंगे।

आप ये िोच कर परे शान हो िकते हैं की दां तेवाड़ा में नक्सली महं िा में मारे गए जवानों के
मलए मोमबत्ती मबग्रेि ने मोमबमत्तयां क्ों नहीं जलाई? आए मदन पमिम बंगाल में हो रहे नक्सली
हमले का मवरोि ये मोमबत्ती मबग्रेि क्ों नहीं करता? मकिी गरीब की बेटी की बलात्कार हो
जाने पर मोमबत्ती मबग्रेि का मोम जैि मदल क्ों नहीं मपघलता ? मवदभा में आत्महत्या कर रहे
मकिानों का दु ख मुंबई के मोमबत्ती मबग्रेि को दु खी क्ों नहीं करता ? दे श में हो रहे अरबों
के घोटलों पर मोमबत्ती मबग्रेि की ज्वाला क्ों नहीं जलती ? महं गाई िे मपि रही आम जनता
की पीड़ा मोमबत्ती मबग्रेि को क्ों नहीं मदखाई दे ती?

दरअिल मोमबत्ती मबग्रेि में शाममल पढ़े -मलखे मोटा पैिा कमाने वाले लोगों का ये मानमिक
मदवामलयापन हैं । ये लोग खुद को बाकी दु मनया िे अलग िमझते हैं पमिमी िभ्यता की नकल
करने के मलए मपज्जा हट में बैठकर हजार रुपये का मपज्जा खा कर और पानी की जगह
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“कोल्ड मिरंक” िे प्याि बुझा कर ये लोग खुद को मािना िमझते हैं और पमिमी िभ्यता की
आं ख, कान, मदमाग बंद कर अनुिरण करते हैं । इन्ें लगता है ये ही वल्डा क्लाि जीवन है ।

मोमबत्ती मबग्रेि के लोग क्ा ये नहीं जानते की उनके दे श भारत ने िमदयों िे दु मनया को
शां मत का पाठ पढ़ाया हैं । शां मत का अमिष्ठाता रहे भारत के महापुरुष दु मनया को शां मत और
अमहं िा का मागा मदखाते रहे हैं । महात्मा बुि िे लेकर महात्मा गां िी तक ये परं परा मनरं तर
चली आ रही है ।

‘दे दी हमे आजादी मबना खि् ग मबना ढाल

िाबरमती के िंत तयने कर मदया कमाल’

आज भी हमारे दे श के स्कयलों में छात्र ये गीत गाते हैं । िारी दु मनया महात्मा गां िी के ित्य
और अमहं िा के मागा का लोहा मानती है । महात्मा गां िी मबना मोमबत्ती जलाए, िादगी और
अमहं िात्मक तरीके िे मवरोि करते थे और अंग्रेजों को िोचने पर मजबयर कर दे ते थे। पर
मोमबत्ती मबग्रेि को मोमबत्ती ज्यादा भाती है चाहे मकिी को श्रिां जमल दे ना हो, या मवरोि प्रगट
करना हो। महात्मा गां िी को िंिािनों के दु रुपयोग पर बहुत दु ख होता था और वो हमेशा
कम िे कम चीज़ों का इस्तेमाल कर जीवन जीने की लोगों को िलाह दे ते थे। एक बार
महात्मा गां िी के जन्म मदन पर उनकी पत्नी ने आश्रम में घी का दीपक जलाया था जब गां िी
जी ने घी दीपक जलते दे खा तो काफी दु खी हुए और कहा मक मजि दे श में लाखों लोगों को
घी खाने के मलए नहीं ममलता वहां घी का दीपक चलाना िंिािनों का दु रुपयोग करना है । और
गां िी जी ने इिके मलए प्रायमित मकया था।

अगर गां िीजी मोमबत्ती मबग्रेि के फैशनेबल मोमबत्ती शो को दे खते तो दे श के इन महा


शुभमचतंकों िे शायद हाथ जोड़कर यही मनवेदन करते की... हे ! मोमबत्ती मबग्रेि के
महानुभावों। जो िन आप मोमबत्ती खरीदने में खचा करते हैं वहीं िन आप शहीदों के
पररवारवालों को दे तो उनकी बड़ी मदद होती।...

मगर ये बात मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों के जेहन में न कभी आई और न लगता है कभी
आएगी? क्ोंमक मोमबत्ती मबग्रेि के ज्यादातर लोग अमीरी और वैभव के उि खेमे िे तालुक
रखते हैं जहां गरीबी और अभाव का िाया कभी रहा ही नहीं। िंपन्न पररवार के इन लोगों को
पां च रुपये की मोमबत्ती जलाने में मजा आता है , िां िनों का दु रुपयोग करके इनकों आनंद
ममलता है । भोग-मवलाि और आनंद में मदहोश मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों िे उम्मीद करना मक
मोमबत्ती में पैिा खचा करने की जगह ये दे श के मलए शहीद हुए शयरवीरों के अिहाय पररवार
की मदद करें गे ऐिे ही है जैिे पत्थर िे मपघलने की उम्मीद करना।

मोम तो मपछल जाएगा, मोमबत्ती की बाती जल जाएगी पर मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों में
ईमानदारी, ित्यमनष्ठा और िादगी की बाती कब जलेगी ? कब मोमबत्ती मबग्रेि दे श की आम
जनता की भावनाओं का प्रमतमनमित्व करे गा ? मोमबत्ती मबग्रेि जमीन िे जु ड़े मुद्दे उठाएगा ? कब
मोमबत्ती मबग्रेि का मदखावे का चोला वास्तमवक ईमानदारी का चोला िारण करे गा ? कब
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मोमबत्ती मबग्रेि में फैशन की जगह दे शभक्ति का भाव मदखेगा ? कब मोमबत्ती जलाने वाला युवा
मबग्रेि िही मायने में दे श की का शुभमचतंक मबग्रेि बनेगा ?

ऐिे िैकड़ों िवाल है जो मजन पर िोचने के मलए िमाज के महा ममहम मोमबत्ती मबग्रेि के
लोगों के पाि शायद िमय नहीं है । पमिमी दे शों को जब हम अपना आदशा मान लेते हैं और
उनके बनाए ढरे पर लगातार आं ख, कान, मदमाग बंद कर चलते चले जाते हैं तो ऐिे ही मोमबत्ती
मबग्रेि पैदा होते हैं । मजनकी भावनाएं मिफा मोमबत्ती जलाने तक िीममत होती हैं । दे श की
जमीन िे जुड़ी िमस्याओं के बारे में िोचने िमझने के मलए इनके पाि वि नहीं होता और
गरीबों पर होने वाले अन्याय के क्तखलाफ आवाज उठाने के मलए मलए इनके पाि मोमबत्ती नहीं
होती।

कुछ खाि घटनाओं पर ही मोमबत्ती मबग्रेि का हुजयम नज़र आता है जो इनकी िंकीणा
मानमिकता और भेदभाव पयणा भावनाओं को मदखाता है । 26/11 मुंबई हमले के बाद मुंबई के
गेटवे ऑफ इं मिया के िामने मोमबमत्तयां लेकर इकट्ठा हुए मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों ने अंग्रेजी
में अपना रोना रोया। भले ये भाई लोग घरों में महं दी या मुंबईय्या भाषा बोलते हो लेमकन
मोमबत्ती मबग्रेि के शो में अंग्रेज बने मबना इनके पेट का मपज्जा कैिे पचता ? कैिे लोगों को ये
पता चलता की ये महान लोग हाईक्लाि के हैं और मॉिा न फैशन की दु मनया के आदशा मानुष
हैं ?

हमारे दे श का मीमिया मॉिा न मानु षों का बड़ा कदरदान हैं हर न्ययज चैनल इनकी कवरे ज पर
अपनी पयरी ताकत झोंकने में कोई किर नहीं छोड़ता है । न्ययज चैनलों को इि बात िे कोई
लेना-दे ना नहीं है मक मोमबत्ती मबग्रेि के लोगों की भावनाएं ईमानदार भावुकता िे भरी हैं या
मदखावटी घमड़याली भावनाओं िे ? गुि मवजुअल के भयखे खबररया चैनल, खबर मदखाने के नाम
पर, न्ययज चैनल में िुंदर-िुंदर चेहरे मदखाने पर ज्यादा भरोिा रखते हैं । मबल्ली के भाग िे टय टा
छींका और न्ययज चैनलों की मुराद हुई पयरी। मोमबत्ती मबग्रेि के लोग न्यय ज चलनों की मां ग पर
खरे उतरते हैं । मबल्ली की तरह न्ययज चैनल वाले तक लगाए बैठ रहते हैं मक कब कई
मोमबत्ती मबग्रेि के लोग इकट्ठा हों और भाई लोग ओबी वैन तान दें और मफर कहना ही
क्ा....? चले राग तोरी में ख्याल जौनपुरी और कुछ तो मोहरा म में भी गाएं होरी।

मोमबत्ती मबग्रेि को पापु लर बनाने में मीमिया की अहम भयममका हैं । खबररया चैनल मिाला,
तड़का और भावनाओं के रं ग भरकर दे श की जनता के िामने मोमबत्ती मबग्रेि के शो को ऐिे
पेश करते हैं जैिे दे श मोमबत्ती मबग्रेि के शो में दे शभर का दु ख मपघल कर बह चला हो और
उिे बां िने का िारा ठे का खबररया चैनलों को दे मदया गया हो।

ऐिा लगता है मोमबत्ती मबग्रेि वालों की महा अिली, महा दु खी भावनाओं की भाषा मिफा हमारे
खबररया चैनल ही िमझते हैं और मजतने दु खी और मोम की तरह मपघलने वाले दयालु
मोमबत्ती मबग्रेि के लोग हैं उतने ही दु खी और उतने ही दयालु हमारे खबररया चैनल के भाई
लोग हैं । तभी तो पयरी भक्ति भावना िे मीमिया मबग्रेि के शो अपने न्ययज चैनल पर मदखाते हैं ।

महादे वी वमाा की कमवता के ये पंक्तियां


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“गीत कहीं कोई गाता है ,

गयंज मकिी मदल में उठती है ”

खबररया चैनलों और मोमबत्ती मबग्रेि की जुगलबंदी में ये पंक्तियां मफट बैठती है गीत मोमबत्ती
मबग्रेि के लोग गाते है और उिकी अिली गयंज खबररया चैनलों के िंपादकों के मदल में गयंजती
हैं और मफर घंटों खबररया चैनलों में मोमबत्ती मबग्रेि की लीला छाई रहती है ।

खबररया चैनलों के मलए शायद मोमबत्ती मबग्रेि वाले गुन-गुनाते होंगे

जब शाम ढले आना..

जब मोमबत्ती जले आना...

और ये गीत िुनते ही लोकतंत्र के चौथे खंभे के पहरे दार खबररया चैनल, खबरों की िारी मयाा दा
को छोड़कर मोमबत्ती मबग्रेि के शो की तरफ ऐिे भागते हैं जैिे िकाि दे खने के मलए युवाओं
की टोली गां व िे कबों की तरफ भागती है ।
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ऐतिहातसक तििादों का स्रोि : िै चाररक कुतर्टलिा से कैसे जू झें?-हररकृष्ण तनगम

अभी अमिक मदन नहीं हुए जब िवोच्च न्यायालय ने मदल्ली मवश्वमवद्यालय को आदे श मदया था मक
वह मवशेषज्ञों की एक िमममत का गठन कर इि बात की जां च करे मक मद्वतीय वषा स्नातक के
मलए इमतहाि की पाठयपुस्तक के एक अध्याय में महन्दु ओं के आराध्य हनुमान के मलए अपशब्द
क्ों प्रयुि मकए गए और उन्ें पाठ्यक्रम िे क्ों न मनकाला जाए।

दमक्षण एमशयाई आख्यात परं पराओं की मवमविता व रामायण िे िंबंमित पाला ररचमैन द्वारा
िंपामदत ग्रंथ में हनुमानजी को एक कामुक चररत्र के रूप में दशाा या गया है और िीता
पमतभि नहीं थी और यह भी कहा गया है मक रावण और लक्ष्मण ने िीता को पथभ्रष्ट् मकया
था।

मुख्य न्यायिीश के. जी. बालकृष्णन, न्यायमयमता वी. िदामशवम और जे . एम. पां चाल की बेंच
ने उपकुलपमत दीपक पें टल िे जां च करने के मलए कहा मक इमतहाि आनिा पाठ्यक्रम में यह
शाममल कैिे मकया गया? िन् 2005 िे ही यह आपमत्तजनक िामग्री पढ़ाई जा रही थी और पहले
यह प्रकरण मदल्ली उच्च न्यायालय में उठाया गया था, बाद में उिे िवोच्च न्यायालय में लाया
गया।

काफी अरिे िे वामपंथी मवचारिारावाले इमतहािकरों ने दे श के कुछ प्रमुख मशक्षण िंथथानों,


मजनमें जे.एन.यय. अपनी एं टी-स्टै बमलशमेंट छमव बनाने में शुरू िे ही कुख्यात रही है , ने अनेक
दे श मवरोिी रुझानो के वचास्व को बनाए रखने के मलए अकादममक स्वतं त्रता व स्वायत्तता के
नाम पर एक फैशन िा ही बना िाला। इन िंथथानों तथा एन.िी.इ.आर.टी. की
पाठयपुस्तकों में इमतहाि का मवकृत स्वरूप प्रस्तु त मकया गया मजििे मवद्यामथायों के िामने
िकारात्मक पक्ष तो दय र की बात है , अपने अतीत िे ही मवतृष्णा होने लगे।िाथ ही हर थथान पर
उन्ें पढ़ाया जा रहा है मक जो भी प्राचीन ज्ञान-मवज्ञान है , वह अमिकां श कपोलकक्तल्पत है और
उिमें गवा करने योग्य कोई बात भी उपलब्ध नहीं है ।

जब िे िंप्रग िरकार ित्तारूढ़ हुई है , उन्ोने मफर राजनीमत प्रेररत पाठयक्रमों का िृजन मकया
और िबको मनलाज्जतापयवाक िमाप्त मकया। मजनको िवोच्च न्यायालय तक ने स्वीकृमत प्रदान की
थी। मफर िे इमतहाि का मवदय षीकरण कर पुस्तकों के िाथ छे ड़छाड़ की गई और मवकृमतयों व
िेकुलरवादी दु राग्रहों को दोहराया गया। तथ्ों का ममथ्ाकरण करने के िाथ-िाथ न्यायालयों के
मनणायों तक को नकारा गया।

यमद हम मुड़ कर दे खें तो िबिे पहले मदल्ली मवश्वमवद्यालय के मुि अध्ययन मवद्यालय की
बी.ए. के इमतहाि के मद्वतीय प्रश्नपत्र की आिुमनक भारत िे िंबंि अध्ययन िामग्री में जहूर
मिद्यीकी का ‘िम्प्रदामयकता’ शीषाक लेख मववादों का केन्द्र बना क्ोंमक इिमें राष्ट्रवाद की भावना
की भत्साना की गई थी और िाथ ही िरदार पटे ल पर आरोप लगाया गया मक वे िाम्प्रदामयकता
को बढ़ावा दे ते थे। इिी तरह इक्तन्दरा गां िी राष्ट्रीय मुि अध्ययन मवश्वमवद्यालय िामामजक मवज्ञान
मवद्यापीठ के द्वारा ‘भारत में िाममाक मचंतन और आथथा’ मवषय पर जो िामग्री मवद्यामथायों को
पढ़ाई जा रही थी उिमें महन्दु ओं के आराध्य दे वी दे वताओं का घोर अपमान मकया गया था।
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इि पाठ्यक्रम के िं योजक प्रो. ए. आर. खान और प्रो. स्वराज बिु थे। जब मशक्षा िंस्कृमत
उत्थान न्याि व दय िरे िंगठनों द्वारा प्रमतरोि मकया गया तब मानव िंिािन मंत्री अजुान मिंह ने
वापि मलया।

पर मयल प्रश्न मवकृत मानमिकता का है । मदल्ली मवश्वमवद्यालय में कुछ मदनों पहले इमतहाि की
बी. ए. (आनिा ) मद्वतीय वषा की पुस्तक ‘करचर इन एक्तन्शयंट इक्तण्डया’ ने अशालीन मटप्पमणयों
की िारी िीमाएं लां घ दी और जब मवस्मय इि बात पर हुआ मक इन लेखों की िंकलनकताा
िा. अमपन्द्रा मिंह हमारे प्रिानमंत्री की पुत्री हैं । ए. के. रामानुजम के इि लेख में क्ा पढ़ाया
जा रहा है इिकी कल्पना भी नहीं की जा िकती है । रावण, मंदोदरी, लक्ष्मण और हनुमान
िबके िाथ बचकानी हास्यास्पद बातें जोड़ दी गई हैं । स्वच्छं दता और मवकृमत की पराकाष्ठा मात्र
इि मटप्पणी िे ममलती है मक रावण और लक्ष्मण ने िीता िे व्यमभचार मकया। दीनानाथ बत्रा
और दय िरे मशक्षामवदों ने जब एक यामचका दायर की तब मदल्ली मवश्वमवद्यालय के कुलपमत तथा
एकेिममक क ाउं मिल को नोमटि जारी मकए गए।

झयठ के पुमलंदे एन. िी. ई. आर. टी. की अन्य पुस्तकों में भी िवात्र मवद्यमान हैं । तीथांकरों
की ऐमतहामिकता पर प्रश्न उठाना और मलखना मक महावीर स्वामी मबना कपड़े बदले या स्नान
मकए 12 वषा तक जंगलों में भटकते रहे आमद अनगाल बातों को दबाव िालने पर मनकाला गया।
हमारे पयवाज गौ मां ि खाते थे, मशवाजी िोखेबाज थे, औरं गजेब मजन्दा पीर था- यह िब
िामामजक िमरिता भंग करने के मंतव्य िे प्रचाररत मकया गया था। दयानंद इिाई चचों के
चहे ते थे और िहायता लेते थे। मतलक, अरमवन्द, लाला लाजपत राय, मवमपन चन्द्रापाल उग्रवादी और
आतंकवादी थे। दे श के िम्मामनत नेताओं और अतीत के महापुरुषों के मवरुदद मवषवमन अक्षम्य
अपराि है , पर वामपंथी व िेकुलरवादी इमतहािकारों की यही मवकृमत उनके लेखन की शता बनी
है मजििे जयझना िरल नहीं है क्ोंमक प्रमतकार का अपेमक्षत मनोबल नदारद दीखता है ।

हमें भयलना नहीं चामहए मक माक्सावादी राजनीमत व मवद्वता और मवश्लेषण के कु छ मवमशष्ट् पहलय
है मजन्ें जानना अत्यंत आवश्यक है । उनका इमतहाि लेखन कम राजनीमत लेखन ज्यादा है ।
इमतहाि के अनुशािन या िच्चाई िे उन्ें कुछ लेना-दे ना नहीं है । उनके दृमष्ट्कोण के तीन
मबन्दु रहे हैं – मब्रमटश िाम्राज्यवाद, महन्दय मवरोि, मुक्तस्लम तत्ववाद और वगा िंघषा इन तीनों को
नई दृमष्ट् दे ता है । वे राष्ट्र की अविारणा में भी मवश्वाि नहीं करते हैं । उन्ें िदै व यह कहने में
आनंद आता है मक यह दे श अनेक राष्ट्रीयताओं का जमघट है । वे यह भी कह रहे हैं मक
भारतीय कालक्रमों के बारे में िदै व अिाविान रहे हैं और दं तकथाओं का इमतहाि बनाने में
मामहर रहे हैं । उनकी हठिममाता का तो यह आलम रहा है मक वे तैमयर लंग या महमयद गजनवी
को आक्रां ता कहने को तै यार नहीं हैं । ममथ्ाकरण के दौर में वे अकबर की अपेक्षा औरं गजेब
की प्रशंिा के पु ल बां िते नहीं थकते हैं । िमाजशास्त्रों की हर पुस्तक में मनु को कोिना और
ॠग्वेद में क्तस्त्रयों के मनम्न थथान की चचाा करना आज भी उनके मवमशा में प्रमुख थथान पाता है ।
इि मवकृमत िे िंघषा मात्र बौक्तददक स्तर पर नहीं बक्ति एक प्रभावी, आन्दोलनात्मक रूप द्वारा
िंभव है जो मशक्षा के मयल स्वरूप को बचाने के अमभयान द्वारा ही िंभव है ।
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हमारे इमतहाि के ममथ्ाकरण की दीघाकालीन मोचेबंदी में कां ग्रेिी व वामपंथी शुरू िे ही
येनकेन प्रकारे ण एक अिीरता िे जुड़े रहे हैं और इि िामजश का पदाा फाश करना आज के
िमय की बड़ी मां ग है तभी यह दु रमभिंमि जनता को भलीभां मत िमझ में आ िकेगी।
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केन्द्र सरकार का तहन्दु ओ ं के प्रति घोर अन्याय

1. तहन्दु ओ ं की जनसंख्या का प्रतिशि कम करने के तलए मुसलमानों को चार-चार शादीयां


और अतधक बच्चे , जबतक माननीय उच्चिम न्यायालय कई बार दे श के सभी नागररकों के
तलये Common Civil Code (समान नागररक संतहिा) बनाने का आदे श दे चुका है।

2. तशक्षा संस्थाओं में तहन्दु ओ ं को धातमफक तशक्षा दे ने पर पाबंदी तकन्तु गैर तहन्दु ओ ं को
स्विंत्िा, तजसकी व्यिस्था भारि के संतिधान की धारा 28, 29 और 30 में ही कर दी गई
और इिना ही नही ं सोतनया गांधी की यूपीए सरकार िो इस्लामी तशक्षा को अत्यातधक
प्रसाररि करने के तलए अलीगढ़ मुल्जस्लम यूतनितसफर्टी जैसे कट्टर इस्लामी तशक्षा संस्थान के
भारि के अनेक भागों में चालू कर रही है जैसे केरल में मल्लापुरम, पतिम बंगाल में
मुशीदाबाद, तबहार में तकशनगंज, मध्य प्रदे श में भोपाल आतद तजसके पररिामस्वरूप
इस्लामी आिंकिाद की ही बढ़ोिरी होगी। ये सब तहन्दू करदािाओं की गाढ़ी कमाई के
पैसे से हो रहा है। गैर तहन्दू अथाफि् ईसाई, मुसलमानों आतद की तशक्षा संस्थाओं में
अध्यापकों की तनयुल्जक् एिं तिद्याथी के प्रिेश आतद तिर्षयों में उनके तिशेर्ष अतधकार और
स्वायत्तिा तदये जाने पर भी इसके अतिररक् इस्लामी कट्टरिाद के कारखाने इस्लामी
मदरसों को अत्यातधक धन का आिंर्टन भारि सरकार िारा तकया जािा है।

3. गैर तहन्दु ओ ं के तलए अल्पसंख्यक आयोग (Minority Commission), जो अनेक


संिेदनशील मामलों पर तहन्दू तिरोधी और अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपाि करिा हुआ
अनेक प्रकार से काम करिा है।

4. भारि में तहन्दु ओ ं को नकारिे हुए गै रतहन्दु ओ ं (मुसलमान, ईसाई आतद) की आतथफक
शल्जक् को अतधक बढ़ाने के तलए सरकारी खजाने से मुफ्त सब्सीडी और बहुि कम
ब्याज दर 3 प्रतिशि पर ऋि तदया जािा है। इस प्रकार गै रतहन्दु ओ ं के मुकाबले में तहन्दू
उद्यमी उद्योग और व्यिसाय में तपछड़ जािे है। गै रतहन्दु ओ ं की आतथफ क सहायिा और
उन्नति के तलए National Minorities Development & Finance Corporation (NMDFC) का
तनमािफ तकया गया।

5. संप्रग सरकार िारा केिल गैरतहन्दु ओ ं के तहि साधने के तलए एक अलग अल्पसंख्यक
मंत्ालय (Ministry of Minority Affairs) भी बना तदया गया है , तजसने अनेक प्रकार से
मात् गैर तहन्दु ओ ं को आतथफक सहायिा दे ने की योजना बनाई है। परन्तु पिा नही ं तहन्दु ओ ं
ने क्या पाप तकया है जो उन्ें इन सभी योजनाओं से िंतचि रखा जािा है।

6. दतक्षि भारि के सभी तिशाल तहन्दू मंतदरों का प्रबन्धन सरकार िारा अपने हाथों में
तलया जा चुका है और इन मंतदरों की आय का लगभग आधा धन ईसाई और मुल्जस्लम
संस्थाओं में बांर्टा जा रहा है , जोतक तहन्दू धमफ के प्रसार में लगाये जाने की बजाय तहन्दू
धमफ के तिरूध्द ही काम आ रहा है।

7. भारि सरकार िारा मुसलमानों को हज यात्ा के तलये करोड़ों रूपये सरकारी कोर्ष से
तदये जािे है जबतक संसार का अन्य कोई भी दे श यहां िक की सऊदी अरब या
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पातकस्तान भी हज यात्ा के तलये धन नही ं दे िा भारि में यह तहन्दू करदािा पर एक


प्रकार से दं ड ही है।

8. अल्पसंख्यक मंत्ालय एिं प्रधानमंत्ी की 15 सूत्ी योजनाओं िारा गैर तहन्दू अथाफि् ईसाई,
मुसलमान आतद के बच्चों को लाखों छात्िृतत्तयां दी जािी हैं , तकन्तु तहन्दू बच्चों िारा उनसे
अतधक अंक लाने पर भी उन्ें इनसे िंतचि रखा जािा है , इस प्रकार के भेदभाि से बच्चों
की मनोदशा पर तकिना घािक प्रभाि पड़िा होगा इसकी िो मात् कल्पना ही की जा
सकिी है।

9. यह सब इसीतलए हो रहा है तक तहन्दू अपने ऊपर हो रहे अन्याय और अत्याचार के


तिरूध्द आिाज नही ं उठािे। जबतक भारि सरकार को जो र्टै क्स प्राप्त होिा है उसमें से
95 प्रतिशि र्टै क्स िो तहन्दु ओ ं िारा ही तदया जािा है। तर्र भी श्रीमिी सोतनया गांधी की
अध्यक्षिा में चलने िाली संप्रग सरकार (UPA) तहन्दु ओ ं को ही कमजोर करने पर िुली
हुई है।

यतद तहन्दु ओ ं के प्रति हो रहा अन्याय बंद नही ं तकया गया िो तहन्दू ऐसे नेिाओं को िोर्ट
दे ना बंद कर दे गें।
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बेचो और खाओ

भारििर्षफ एक पुरािन, बहुभार्षी और सांस्कृतिक तितभन्निा िाला राष्टर है। यहां लोकिंत् भी
अखण्डिा, एकिा और सम्प्रभुिा के तचन्तन पर आधाररि है। दे श के बंर्टिारे के साथ
तहन्दू -मुल्जस्लम एक तिरोधाभासी सम्प्रदाय के रूप में उभरने लगे। राजनेिाओं ने इस
तिचारधारा को खूब हिा दी। गंगा-जमुनी संस्कृति को आमने-सामने खड़ा कर तदया। दे श
र्टूर्टने लगा और नर्रि की बढ़िी आग में नेिा रोतर्टयां सेकने लगे। जब इससे भी पेर्ट
नही ं भरा, िब अल्पसंख्यक शब्द का अतिष्कार कर डाला। अच्छे भले मुख्य धारा में जीिे
लोगों को मुख्य धारा से बाहर कर तदया। अपने ही दे श में लोग तििीय श्रेिी के
नागररक बन गए। उनके "कोर्टे " तनघाफररि हो गए। जन प्रतितनतधयों की िूरिा की यह
पराकाष्ठा ही है तक संतिधान में तबना "बहुसंख्यक" की व्याख्या तकए "अल्पसंख्यक"
शब्द को थोप तदया गया। आप अल्पसंख्यकों को पूछें तक क्या उत्थान का चेहरा दे खा?

राजनीति में संिेदना नही ं होिी। अब िो लोकिंत् में भी कांग्रेस/ भाजपा के प्रधानमंत्ी/
मुख्यमंत्ी होने लग गए। राष्टर और राज्यों का प्रतितनतध कोई भी तदखाई नही ं दे िा। कोई
तकसी का रहा ही नही ं। कोई तकसी को र्लिा-र्ूलिा सुहािा ही नही ं। बस सत्ता-धन
लोलुपिा रह गई। इनका भी अपराधीकरि नेिाओं ने ही तकया। दे श के सीने पर तर्र
आरक्षि के घाि तकए गए। तिर्ष उगलने लगे , अपने ही गांि िाले , पड़ोसी। घर बंर्ट गए,
कायाफलय बंर्ट गए। एकिा और अखण्डिा को मेरे ही प्रतितनतधयों ने िार-िार कर तदया।
नेिाओं ने खूब जश्न मनाया। अब इन नासूरों से मिाद आने लगा है। आम आदमी कराह
रहा है। आरक्षि के अनुपाि (प्रतिशि) की सूची दे खें िो सभी अल्पसंख्यक नजर आएं गे।
राष्टरीय सलाहकार पररर्षद तजस "साम्प्रदातयक एिं लतक्षि तहंसा तनरोधक तबल-2011" को
कानूनी जामा पहनाना चाहिी है , बहुसंख्यकों के तिरूद्ध, उसे पहले पररभातर्षि िो करे ।
तकसको बहुसंख्यक के दायरे में रखना चाहेगी?

हाल ही में राष्टरीय सलाहकार पररर्षद की ओर से जारी इस तबल के मसौदे को पढ़कर


लगिा है तक हमने क्यों आजादी के तलए संघर्षफ तकया था। क्यों हमने जन प्रतितनतधयों को
दे श बेचने की छूर्ट दे दी। क्यों हमने समान नागररकिा के अतधकार को लागू नही ं तकया?
क्यों हमने कश्मीर को अल्पसंख्यकों के हिाले कर तदया और िोर्ट की खातिर िीन करोड़
(लगभग) बां ग्लादे शी अल्पसंख्यकों को भारि में अनातधकृि रूप से बसने की छूर्ट दे दी।

इस नए तबल को दे खकर िो लगिा है तक हमारे नीति तनमाफिा पूरे दे श को ही थाली में


सजाकर पातकस्तान के हिाले कर दे ना चाहिे हैं। आियफ है तक पररर्षद के साथ-साथ
उसके अध्यक्ष ने भी तबल िैयार करके सरकार के पास भेज तदया। ऎसा तघनौना तबल
आजादी के बाद पढ़ने-सुनने में भी नही ं आया। तधक्कारने लायक है। राष्टरीय स्तर के
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कानून बनाने के तलए संसद, संतिधान एिं राष्टरीय एकिा पररर्षद के होिे हुए तकसी
नागररक पररर्षद की आिश्यकिा ही क्या है ? क्यों बना रखी है सर्ेद हाथी जैसी राष्टरीय
सलाहकार पररर्षद?

तबल कहिा है तक जब साम्प्रदातयक दं गे हों िो इसका दोर्ष केिल बहुसंख्यकों के माथे ही


मढ़ा जाए। अल्पसंख्यकों को मुक् ही रखा जाए। िब अल्पसंख्यक अपरातधयों के मन में
भय कहां रहेगा? िे कभी भी बहुसंख्यकों के तिरूद्ध कुछ भी उत्पाि खड़ा कर सकिे हैं।
िब कश्मीर के अल्पसंख्यक कभी भी सेना के जिानों के तिरूद्ध कोई भी तशकायि कर
सकिे हैं। जांच में उनको िो दोर्षी माना ही नही ं जाएगा। आज तजस आम्र्ड र्ोसेज
स्पेशल प्रोर्टे क्शन एक्ट् ने सेना को कश्मीर और उत्तर पूिफ में सुरतक्षि रखा हुआ है , िह
भी बेअसर हो जाएगा। बांग्लादे शी भी अल्पसंख्यकों के साथ जुड़े ही हैं।

दोनों तमलकर आबादी का 20 प्रतिशि तहस्सा हैं। क्या अपराध भाि तकसी के ललार्ट पर
तलखा होिा है ? क्या अर्गातनस्तान, पातकस्तान जैसे दे शों में यही अल्पसंख्यक आिंकिाद
के सूत्धार नही ं है और यहां तकसी िरह की साम्प्रदातयक तहंसा में तलप्त नही ं होने की
कसम खाकर पैदा होिे हैं। आपरातधक प्रिृतत्त व्यल्जक्गि होिी है। इसे तकसी समूह पर
लागू नही ं तकया जा सकिा जैसा तक यह प्रस्तातिि तबल कह रहा है। इसी प्रकार नेकी
या उदारिा भी सामूतहक रूप से लागू नही ं की जा सकिी।

एक अन्य घोर्ष्ेािा भी आियफजनक है। दं गों की अथिा अल्पसंख्यक की तशकायि पर


होने िाली जांच में जो बयान अल्पसंख्यक दे िा है , उस बयान के आधार पर अल्पसंख्यक
के तिरूद्ध तकसी प्रकार की कानूनी कारफ िाई नही ं होगी या कारफ िाई का आधार नही ं
बनेगा। याद है न, जब दहेज तिरोधी कानून बना था, िब तकस प्रकार लड़के िालों की
दु दफशा करिे थे पुतलस िाले। झठ ू ी तशकायिों पर? तकस प्रकार अनुसूतचि जाति-जनजाति
अत्याचार तनिारि अतधतनयम के हिाले से तबना जांच तकए सजा दे िे हैं। अपने ही
दे शिासी कानून के पदे में दे श को िोड़ने का तनतमत्त बन रहे हैं। अब यतद यह तबल
पास हो गया, िब िैसे ही जुल्म होंगे, जैसे कुछ अफ्रीकी दे शों
में होिे हैं। सबकी आं खें और कान बंद होंगे।

एक मुद्दा और भी है तजसका अिलोकन भी यहां कर लेना


चातहए। िह है आरक्षि कानून। इसमें अंतकि सभी जातियां
तकस श्रेिी में आएं गी? तहन्दु त्व कोई धमफ या सम्प्रदाय नही ं है।
क्या इन सभी जातियों को भी अल्प संख्यक माना जाएगा।
क्या तसख, ईसाई, मुल्जस्लम आतद सम्प्रदायों के बीच आपसी
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तहंसा होने पर साम्प्रदातयक तहंसा के आरोप से सभी मुक् रहेंगे? िब क्या यह सच नही ं है
तक इस कानून का उपयोग येन-केन प्रकारे ि बहुसंख्यकों को आिंतकि करने के तलए
तकया जायेगा। इसकी अन्य कोई भूतमका तदखाई ही नही ं दे िी। आज जो कानून हमारे
संतिधान में हैं, िे हर पररल्जस्थति से तनपर्टने के तलए सक्षम हैं। जरूरि है उन्ें ईमानदारी
और तबना भेदभाि लागू करने की। जो साठ साल में िो संभि नही ं हो पाया। राष्टरीय
एकिा पररर्षद भी यही कायफ दे खिी है। सजा का अतधकार नई सतमति को भी नही ं
होगा। तनतिि ही है तक इसका राजनीतिक दु रूपयोग ही होगा। इसके पास स्विंत् पुतलस
भी होगी। मध्यप्रदे श में लोकायुक् पुतलस जो कर रही है , उसे कौन नही ं जानिा।
सरकारें , राजनेिाओं िथा अपने चहेिों को मंत् दे कर तबठािी जाएं गी।

मजे की बाि यह है तक अल्पसंख्यक समूह की व्याख्या में एसर्टी/एससी को भी शातमल


तकया गया है। अथाफि उन्ें बहुसंख्यकों के समूह से बाहर तनकाल तदया। िब अन्य
आरतक्षि िगो को कैसे साथ रखा जा सकेगा? यतद उनको भी अल्पसंख्यक मान तलया
जाए िो, बहुसंख्यक कोई बचेगा ही नही ं। ब्राह्मि एिं राजपूि भी आं दोलन करिे रहिे हैं
आरक्षि के तलए। उनको भी दे दो। िब आज के अल्पसंख्यक ही कल बहुसंख्यक भी
हो जाएं गे।

क्या होगा, क्या नही ं होगा यह अलग बाि है। प्रश्न यह है तक मोहल्ले के कोई दो घर
तमलकर नही ं रह पाएं गे। बल्जल्क दु श्मन की िरह एक-दू सरे को िबाह करने के सपने
दे खने लग जाएं गे। अल्पसंख्यक पड़ोतसयों को पूरी छूर्ट होगी तक दे श में आएं , कानून से
मुक् रहकर अपराध करें और समय के साथ दे श को हतथया लें। धन्य-धन्य मेरा लोकिंत्
एिं उसके प्रहरी!!!

अण्डे का सच और रहस्य तजसे पढ़ कर सारा भारि दे श अंडा खाना छोड दे गा


!

आजकल मुझे यह दे ख कर अत्यंत खेद और आिया होता है की अंिा शाकाहार का पयाा य बन


चुका है ,ब्राह्मणों िे लेकर जैमनयों तक िभी ने खुल्लमखुल्ला अंिा खाना शुरू कर मदया है
...खैर मै ज्यादा भयममका और प्रकथन में न जाता हुआ िीिे तथ् पर आ रहा हूूँ

मादा स्तनपाईयों (बन्दर मबल्ली गाय मनुष्) में एक मनमित िमय के बाद अंिोत्सजान एक
चक्र के रूप में होता है उदारहरणतिः मनुष्ों में यह महीने में
एक बार,.. चार मदन तक होता है मजिे माहवारी या मामिक िमा
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कहते है ..उन मदनों में क्तस्त्रयों को पयजा पाठ चय ल्हा रिोईघर आमद िे दय र रखा जाता है
..यहाूँ तक की स्नान िे पहले मकिी को छयना भी वमजात है कई पररवारों में ...शास्त्रों में भी
इन मनयमों का वणान है

इिका वैज्ञामनक मवश्लेषण करना चाहूूँ गा ..मामिक स्राव के दौरान क्तस्त्रयों में मादा हामोन
(estrogen) की अत्यमिक मात्रा उत्समजात होती है और िारे शारीर िे यह मनकलता रहता है ..

इिकी पुमष्ट् के मलए एक छोटा िा प्रयोग कररये ..एक गमले में फयल या कोई भी पौिा है
तो उि पर रजस्वला स्त्री िे दो चार मदन तक पानी िे मिंचाई कराइये ..वह पौिा ियख
जाएगा ,

अब आते है मुगी के अण्डे की ओर

१) पमक्षयों (मुमगायों) में भी अंिोत्सजान एक चक्र के रूप में होता है अं तर केवल इतना है की
वह तरल रूप में ना हो कर ठोि (अण्डे ) के रूप में बाहर आता है ,

२) सीधे िौर पर कहा जाए िो अंडा मुगी की माहिारी या मातसक धमफ है और मादा
हामोन (estrogen) िे भरपयर है और बहुत ही हामनकारक है

३) ज्यादा पैिे कमाने के मलए आिुमनक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुमगायों को भारत में
मनषेमित िरग ओक्तक्सटोमिन(oxytocin) का इं जेक्शन लगाया जाता है मजििे के मुमगायाूँ लगातार
अमनषेमचत (unfertilized) अण्डे दे ती है

४) इन भ्रयणों (अन्डो) को खाने िे पुरुषों में (estrogen) हामोन के बढ़ने के कारण कई रोग
उत्पन्न हो रहे है जैिे के वीया में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) ,
नपुंिकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हामोन अिंतुलन के कारण मिप्रेशन आमद
...

वही ूँ क्तस्त्रयों में अमनयममत मामिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गभाा शय कैंिर आमद रोग
हो रहे है

५) अिो में पोर्षक पदाथो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है
.

६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्टरोल है जो की ह्रदय रोग (heart


attack) का मुख्य कारण है

7) पमक्षयों की माहवारी (अन्डो) को खाना िमा और शास्त्रों के मवरुि , अप्राकृमतक , और


अपमवत्र और चंिाल कमा है

इिकी जगह पर आप दय ि पीमजए जो के पोषक , पमवत्र और शास्त्र िम्मत भी है


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बहुसं ख्यक बं र्टे हुए हैं इसतलए अब भु गिो

भारििर्षफ एक पुरािन, बहुभार्षी और सांस्कृतिक तितभन्निा िाला राष्टर है। यहां लोकतंत्र भी
अखण्डता, एकता और िम्प्रभुता के मचन्तन पर आिाररत है । दे श के बंटवारे के िाथ महन्दय -
मुक्तस्लम एक मवरोिाभािी िम्प्रदाय के रूप में उभरने लगे। राजनेताओं ने इि मवचारिारा को
खयब हवा दी। गंगा-जमुनी िंस्कृमत को आमने -िामने खड़ा कर मदया।

दे श टय टने लगा और नफरत की बढ़ती आग में नेता रोमटयां िेकने लगे। जब इििे भी पेट
नहीं भरा, िब अल्पसंख्यक शब्द का अतिष्कार कर डाला। अच्छे भले मुख्य िारा में जीते
लोगों को मुख्य िारा िे बाहर कर मदया। अपने ही दे श में लोग तििीय श्रेिी के नागररक
बन गए। उनके ‘कोटे ’ मनघाा ररत हो गए। जन प्रमतमनमघयों की क्रयरता की यह पराकाष्ठा ही है मक
िंमविान में मबना ‘बहुिं ख्यक’ की व्याख्या मकए ‘अल्पिंख्यक’ शब्द को थोप मदया गया। आप
अल्पसंख्यकों को पूछें तक क्या उत्थान का चेहरा दे खा?

राजनीमत में िंवेदना नहीं होती। अब तो लोकतंत्र में भी कां ग्रेि/ भाजपा के प्रिानमंत्री/
मुख्यमंत्री होने लग गए। राष्ट्र और राज्यों का प्रमतमनमघ कोई भी मदखाई नहीं दे ता। कोई मकिी
का रहा ही नहीं। कोई मकिी को फलता-फयलता िुहाता ही नहीं। बस सत्ता-धन लोलुपिा रह
गई। इनका भी अपरािीकरण नेताओं ने ही मकया। दे श के सीने पर तर्र आरक्षि के घाि
तकए गए। तिर्ष उगलने लगे , अपने ही गांि िाले , पड़ोसी। घर बंर्ट गए, कायाफलय बंर्ट गए।

एकता और अखण्डता को मेरे ही प्रमतमनमघयों ने तार-तार कर मदया। नेताओं ने खयब जश्न


मनाया। अब इन नाियरों िे मवाद आने लगा है । आम आदमी कराह रहा है । आरक्षण के
अनुपात (प्रमतशत) की ियची दे खें तो िभी अल्पिंख्यक नजर आएं गे। राष्ट्रीय िलाहकार पररषद
मजि ‘साम्प्रदातयक एिं लतक्षि तहंसा तनरोधक तबल-2011′ को कानूनी जामा पहनाना चाहिी
है, बहुसंख्यकों के तिरूद्ध, उसे पहले पररभातर्षि िो करे । तकसको बहुसंख्यक के दायरे में
रखना चाहेगी?

हाल ही में राष्ट्रीय िलाहकार पररषद की ओर िे जारी इि मबल के मिौदे को पढ़कर लगता
है मक हमने क्ों आजादी के मलए िंघषा मकया था। क्ों हमने जन प्रमतमनमघयों को दे श बेचने
की छयट दे दी। क्ों हमने िमान नागररकता के अमघकार को लागय नहीं मकया? क्ों हमने
कश्मीर को अल्पिंख्यकों के हवाले कर मदया और वोट की खामतर तीन करोड़ (लगभग)
बां ग्लादे शी अल्पिंख्यकों को भारत में अनामघकृत रूप िे बिने की छयट दे दी।
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इि नए मबल को दे खकर तो लगता है मक हमारे नीमत मनमाा ता पयरे दे श को ही थाली में


िजाकर पामकस्तान के हवाले कर दे ना चाहते हैं । आिया है मक पररषद के िाथ-िाथ उिके
अध्यक्ष ने भी मबल तैयार करके िरकार के पाि भेज मदया। ऎसा तघनौना तबल आजादी के
बाद पढ़ने-सुनने में भी नही ं आया। तघक्कारने लायक है। राष्टरीय स्तर के कानून बनाने के
तलए संसद, संतिधान एिं राष्टरीय एकिा पररर्षद के होिे हुए तकसी नागररक पररर्षद की
आिश्यकिा ही क्या है ? क्ों बना रखी है िफेद हाथी जैिी राष्ट्रीय िलाहकार पररषद?

मबल कहता है मक जब िाम्प्रदामयक दं गे हों तो इिका दोष केवल बहुिं ख्यकों के माथे ही
मढ़ा जाए। अल्पसंख्यकों को मुक् ही रखा जाए। तब अल्पिंख्यक अपरामघयों के मन में भय
कहां रहे गा? िे कभी भी बहुसंख्यकों के तिरूद्ध कुछ भी उत्पाि खड़ा कर सकिे हैं। तब
कश्मीर के अल्पिंख्यक कभी भी िेना के जवानों के मवरूि कोई भी मशकायत कर िकते हैं ।
जां च में उनको तो दोषी माना ही नहीं जाएगा। आज मजि आम्र्ि फोिेज स्पेशल प्रोटे क्शन
एक्ट ने िेना को कश्मीर और उत्तर पयवा में िुरमक्षत रखा हुआ है , वह भी बेअिर हो जाएगा।
बांग्लादे शी भी अल्पसंख्यकों के साथ जुड़े ही हैं।

दोनों ममलकर आबादी का 20 प्रमतशत महस्सा हैं । क्ा अपराि भाव मकिी के ललाट पर
मलखा होता है ? क्या अर्गातनस्तान, पातकस्तान जैसे दे शों में यही अल्पसंख्यक आिंकिाद
के सूत्धार नही ं है और यहां मकिी तरह की िाम्प्रदामयक महं िा में मलप्त नहीं होने की किम
खाकर पैदा होते हैं । आपरामघक प्रवृमत्त व्यक्तिगत होती है । इिे मकिी िमयह पर लागय नहीं
मकया जा िकता जैिा मक यह प्रस्तामवत मबल कह रहा है । इिी प्रकार नेकी या उदारता भी
िामयमहक रूप िे लागय नहीं की जा िकती।

एक अन्य घोषणा भी आियाजनक है । दं गों की अथवा अल्पिंख्यक की मशकायत पर होने वाली


जां च में जो बयान अल्पिंख्यक दे ता है , उि बयान के आिार पर अल्पिंख्यक के मवरूि
मकिी प्रकार की कानयनी कारा वाई नहीं होगी या कारा वाई का आिार नहीं बनेगा। याद है न,
जब दहे ज मवरोिी कानयन बना था, तब मकि प्रकार लड़के वालों की दु दाशा करते थे पुमलि
वाले। झयठी मशकायतों पर? मकि प्रकार अनुियमचत जामत-जनजामत अत्याचार मनवारण अमघमनयम
के हवाले िे मबना जां च मकए िजा दे ते हैं । अपने ही दे शवािी कानयन के पदे में दे श को
तोड़ने का मनममत्त बन रहे हैं । अब यमद यह मबल पाि हो गया, तब वैिे ही जुल्म होंगे, जैिे
कुछ अफ्रीकी दे शों में होते हैं । िबकी आं खें और कान बंद होंगे।

एक मुद्दा और भी है मजिका अवलोकन भी यहां कर लेना चामहए। वह है आरक्षण कानयन।


इिमें अंमकत िभी जामतयां मकि श्रेणी में आएं गी?
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महन्दु त्व कोई िमा या िम्प्रदाय नहीं है । क्ा मिख, ईिाई, मुक्तस्लम आमद िम्प्रदायों के बीच आपिी
महं िा होने पर िाम्प्रदामयक महं िा के आरोप िे िभी मुि रहें गे? िब क्या यह सच नही ं है
तक इस कानून का उपयोग येन-केन प्रकारे ि बहुसंख्यकों को आिंतकि करने के तलए
तकया जायेगा।

इिकी अन्य कोई भयममका मदखाई ही नहीं दे ती। आज जो कानयन हमारे िंमविान में हैं , वे हर
पररक्तथथमत िे मनपटने के मलए िक्षम हैं । जरूरत है उन्ें ईमानदारी और मबना भेदभाव लागय
करने की। जो िाठ िाल में तो िंभव नहीं हो पाया। राष्ट्रीय एकता पररषद भी यही काया
दे खती है । िजा का अमघकार नई िमममत को भी नहीं होगा। मनमित ही है मक इिका
राजनीमतक दु रूपयोग ही होगा। इिके पाि स्वतं त्र पुमलि भी होगी। मध्यप्रदे श में लोकायुि
पुमलि जो कर रही है , उिे कौन नहीं जानता। िरकारें , राजनेताओं तथा अपने चहे तों को मंत्र
दे कर मबठाती जाएं गी।

मजे की बाि यह है तक अल्पसंख्यक समूह की व्याख्या में एसर्टी/एससी को भी शातमल


तकया गया है । अथाा त उन्ें बहुिंख्यकों के िमयह िे बाहर मनकाल मदया। तब अन्य आरमक्षत
वगो को कैिे िाथ रखा जा िकेगा? यमद उनको भी अल्पिंख्यक मान मलया जाए तो,
बहुिंख्यक कोई बचेगा ही नहीं। ब्राह्मण एवं राजपयत भी आं दोलन करते रहते हैं आरक्षण के
मलए। उनको भी दे दो। िब आज के अल्पसंख्यक ही कल बहुसंख्यक भी हो जाएं गे।

क्ा होगा, क्ा नहीं होगा यह अलग बात है । प्रश्न यह है मक मोहल्ले के कोई दो घर ममलकर
नहीं रह पाएं गे। बक्ति दु श्मन की तरह एक-दय िरे को तबाह करने के िपने दे खने लग
जाएं गे। अल्पसंख्यक पड़ोतसयों को पूरी छूर्ट होगी तक दे श में आएं , कानून से मुक् रहकर
अपराध करें और समय के साथ दे श को हतथया लें। िन्य-िन्य मेरा लोकतंत्र एवं उिके
प्रहरी!!!
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पुराना जातििाद बेशक गलि था, पर क्या आज का जातििाद सही या न्यायपरक


है?

लेखक जीके चेस्टरटन ने कहा था मक मशक्षा के माध्यम िे पुरानी पीढ़ी अगली पीढ़ी में अपनी
आत्मा का प्रवेश कराती है । अपनी परं परा भी मानती है मक िमय आने पर अजर-अमर
आत्मा एक जीणा उतरन की तरह पुरानी काया त्यागकर नई काया िारण करती है । लेमकन दे श
की मौजयदा उच्च मशक्षा प्रणाली के माफात नई पीढ़ी में पुरानी पीढ़ी की आत्मा का िहज
अवतरण लगभग अिंभव है ।

राजनीमतक वजहों िे बार-बार आमयलचयल बदली गई नीमतयों ने मवश्वमवद्यालयीन पररिरों को


प्रमतभा और शोि को बढ़ावा दे ने के बजाय परीक्षा और दाक्तखला प्रणामलयों के चक्रव्ययह िे मघरे
दु गो में बदल मदया है । उनके प्रवेश द्वार पर फंिे अनेक मेिावी छात्र और शोिाथी तो अक्सर
उबर नहीं पाते , लेमकन कोर्टा प्रिाली के िहि लर्टकाई गई कमंदों से मंझोले स्तर के कई
छात् मजे से भीिर खी ंच तलए जािे हैं । नतीजा यह मक पररिरों में कुंठा और मीमियामक्रटी
बढ़ रही है , ज्ञान का स्तर नहीं।

इि िाल मदल्ली के कुछ जाने -माने कॉलेजों में गमणत, कॉमिा और अथा शास्त्र िरीखे चहे ते
मवषयों में दाल्जखला पाने की अहफिा (कर्ट ऑर्) दर सौ र्ीसदी िक जा पहुंची है । मफर
भी बताया गया है मक दाक्तखला खुलने के हफ्तेभर के भीतर वहां उपलब्ध सामान्य श्रेिी की
सब सीर्टें भर गईं।

नतीजतन नब्बे प्रमतशत तक अंक पाकर भी मनचाहे मवषय िे वंमचत रहने जा रहे छात्रों की
तादाद बहुत अमिक है । कुछ र्टॉपर भी मनचाहे तिर्षयों में दाल्जखला नही ं पा सके। कॉलेज
मजबयर हैं , िािन या क्षमता िे अमिक िीटों पर दाक्तखले वे कहां तक करें ?

उनकी टीमचंग फैकल्टी में अनेक महत्वपयणा मवषयों की आरतक्षि सीर्टें तिज्ञापन दे कर भी
समुतचि आिेदक न तमल पाने से खाली पड़ी हैं। यह सीर्टें गैर कोर्टा श्रेिी के तशक्षकों
से भरना मना है , इिमलए वे अपने यहां तदथावादी आिार पर लेक्चररों की मनयुक्ति को मववश
हैं । मति पर अब मां ग हो रही है मक कॉलेजों में लेक्चररों की मनयुक्ति ही नहीं, प्रोफेिर या
िीन िरीखे िीमनयर पदों पर उनकी प्रोन्नमत भी कोटा प्रणाली के ही आिार पर ही हो, ज्ञान या
शोि काया की गुणवत्ता के तहत नहीं।
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पुरानी जामतवादी व्यवथथा में उच्च मशक्षा िवणो की ही बपौती रही। उिे चुनौती दे ने को
जातीय कोटा प्रणाली बनी, पर आज हम दे ख रहे हैं तक उच्च तशक्षा के नामी केंद्रों में गुरु-
तशष्यों का चयन और उनके बीच ज्ञान के आदान-प्रदान का आधार ज्ञान और अनुभि
के बजाय दोबारा एक जाति-धमफ आधाररि प्रिाली पर ही आ तर्टका है और पररिरों में नई
तरह की िवणा व्यवथथा बन रही है , जो उच्च मशमक्षत युवाओं को िमतामुखी और िमाजोपयोगी
बनाने के बजाय नई तरह का मवभेदकारी िवणा बना रही है ।

उिर छात्रों की तादाद, महत्वाकां क्षा के िाथ िमाज में पैिे का स्तर बढ़ने िे मोटी फीि के
आिार पर दाक्तखला दे ने वाले (अक्सर मववामदत गुणवत्ता वाले) मनजी कॉलेजों की बाढ़ आ गई
है , मजन तक पहुं च पैिे वालों की ही है । अचरज क्ा मक इन कॉलेजों िे मनकले अमिकतर
छात्रों का दे श के िामान्य जीवन िे कोई ररश्ता नहीं बनता।

यह िही है मक िरकारी मनगरानी में बने आईआईटी, आईआईएम, एम्स या पीजीआई जैिे और
कई कॉलेजों ने दु मनया में िाख बनाई है , पर अब उन पर भी िीटें बढ़ाने और फीि की दर
घटाने को लेकर नािमझ िमझौते करने को उत्कट दबाव पड़ रहे हैं ।

हमारे मवपरीत चीन ने उच्च तशक्षा के क्षेत् में र्ैकल्टी की गुिित्ता राजनीतिक या
जातििादी आग्रहों के बजाय शैतक्षक मानदं डों पर सुतनतिि करने और शोधपरक काम का
दायरा तनरं िर बढ़ाने की तदशा में इक्कीसिी ं सदी की चुनौतियां सही िरह से पकड़कर
हमको मीलों पीछे छोड़ तदया है। वहां उच्च मशक्षा लगातार व्यापक, बहुभाषा-भाषी और
मवश्वस्तरीय बन रही है , जबमक हमारे यहां पररिरों में पुराने मशक्षक मकि तरह अपने ज्ञान की
पररमि बढ़ाएं ?

नए मशक्षक मकि तरह उनकी मनगरानी में लगातार तैयार हों और ऊंची तालीम कैिे व्यापक व
लोकतां मत्रक बने , तामक िभी पररिरों में प्रमतभावान छात्रों को मनचाहा मवषय पढ़ने की गारं टी
हो? इन जरूरी िवालों को दरमकनार कर हर िरकार ने इि तरह के मनयम-उपमनयम बनाए
हैं मक िमा-जामत मनरपेक्ष िंमविान के बावजयद हमारी उच्च मशक्षा जामतवाद की जकड़न िे मुि
होने के बजाय दय िरी तरह के जामतवाद की जंजीरों िे मफर जकड़ गई है ।

पुराना जामतवाद बेशक गलत था, पर क्ा आज का जामतवाद िही या न्यायपरक है ?


तिर्षमिामय जातििाद को पोसिे रहने की िजह से उच्च तशक्षा पाकर भी हमारे युिा
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कैसे संकीिफ और सामंिी तिचारों िाले ही बने हुए हैं , इिका प्रमाण टीवी बहिों िे
बॉलीवुि की मफल्मों तक में दे खा जा िकता है ।

मबना झेंपे बहुचमचात ‘जेन एक्स’ के प्रमतमनमि छोटे -बड़े पदे पर िे बताते रहते हैं मक शुि ज्ञान,
शोि या पठन-पाठन मकतने उबाऊ हैं । वे बीवी या जॉब का चयन भी शैमक्षक क्षमता नहीं,
बक्ति टोटल पै केज के आिार पर करते हैं या गलाफै्रं ि को प्रभामवत करने के मलए चोरी या
झपटमारी करना मजामकया शरारत भर मानते हैं । दामयत्वबोि का हाल यह है मक इि िाल
आईआईटी प्रवेश परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र ने कहा मक इं जीमनयरी कोिा उिके कॅररयर
की एक िीढ़ी भर होगा, क्ोंमक वह अंतत: मिमवल िेवा में जाएगा।

इि क्तथथमत को स्वागतयोग्य कहें या मदल तोड़ने वाली? या उिे मिफा स्वीकार कर लें? स्वीकार
करने का मतलब हुआ मक हम मान लें मक उच्च मशक्षा की दु मनया में प्रवे श कर रही हमारी
नई पीढ़ी के मलए पढ़ाई का मतलब होगा जामत, नौकरी व िन। मबना जरूरत भी िीट हमथयाने
या ज्ञान की परं परा को लगातार आगे न बढ़ा पाने को लेकर उनमें कोई अपराि बोि नहीं
होगा।

महत स्वाथा जो भी हों, यह तो मानना ही होगा मक यह नया जातििाद न तसर्फ तिर्षमिा को


स्थायी बनाकर ज्ञान का सहज तिकास कंु तठि कर रहा है , साथ ही िह चोर दरिाजों से
र्जी तडतग्रयां बांर्टने िाले कॉलेजों, नकली जाति सतर्टफ तर्केर्ट बनिाने िाले बाबुओ ं और
ट्यूर्टोररयल के मार्फि दे श में भ्रष्टाचार करने की लाखों नई राहें भी बना रहा है।

िवाल इि या उि जामतवाद की तुलनात्मक मववेचना का नहीं, िवाल यह है मक उच्चमशक्षा को


अगर मनरुद्दे श्य या मकिी कमथत अच्छे उद्दे श्य िे भी कमजोर मकया जा रहा हो तो क्ा उिे
कमजोर होने मदया जाए?
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WHO IS A HINDU

In a meeting of the Sanatana Dharma Sabha, Lokamanya Tilak said: “A Hindu is he who
believes that the Vedas contain self-evident and axiomatic truths.”

The Hindu Maha Sabha has given another definition: “A Hindu is one who believes in a religion
which has originated in India.”

HINDU RELIGION

“Those who burn the dead are Hindus.” This is another definition given by some.

“He who protects the cows and the Brahmins is a Hindu.”


This is another definition given by some.

Some define: “A Hindu is one who regards India as his


motherland and the most sacred spot on earth.”

Some others define: “He who calls and considers himself a Hindu is a Hindu.”

Some define: “He who accepts the Vedas, the Smritis, the Puranas and the Tantras as the basis of
religion and of the rule of conduct, and believes in one Supreme God (Brahman), in the Law of
Karma or retributive justice, and in reincarnation (Punarjanma), is a Hindu.”

“He who follows the Vedic or Sanatana-Dharma is a Hindu.” This is the definition by some.

“He who is a follower of the Vedanta is a Hindu.” This is another definition given by some
others.
56

“He who has perfect faith in the Law of Karma, the law of reincarnation Avatara,
ancestor worship, Varnashrama Dharma, Vedas and existence of God, he who practises
the instructions given in the Vedas with faith and earnestness, he who does Sandhya,
Sraaddha, Pitri-Tarpana and the Pancha-Maha-Yajnas, he who follows the Varnashrama
Dharmas, he who worships the Avataras and studies the Vedas, is a Hindu.” This is the
definition given by some highly cultured men. This is the only correct and complete definition. -
SRI SWAMI SIVANANDA (The Divine Life Society)

वीर िावरकर महं दय की पररभाषा इि प्रकार करते थे :-

यो वणाा श्रममनष्ठावान् गोभि: श्रुमतमातृक: |

मयमतां च नावजानामत िवािमािमादर: ||

उत्प्रेक्षते पुनजान्म तस्मान्मोक्षणमीहते |

भयतानुकुल्यं भजते ि वै महन्दु ररमत स्मृत: ||

महं िया दय यते मचत्तं ि वै महन्दु ररतीररत: ||

जो वणा ओर आश्रम की व्यवथथा में मनष्ठा रखने वाला, गो भि, श्रुमतयों को माता की भां मत पयज्य
मानने वाला, दे वमयमता की जो अवज्ञा नहीं करता तथा िभी िमो का आदर करने वाला
है , पुनजान्म को मानने वाला है ओर उििे मुि (मोक्ष) होने की चेष्ठा करता है तथा जो िदा
िब जीवों के अनुकयल बताा व को अपनाता है वही महं दय माना गया है महं िा िे उिका मचत्त दु िःखी
होता है , इिमलए उिे महं दय कहा गया है !
57

कहानी

एक कहानी िुना रहा हूूँ ,"माूँ कैिी होती है " एक माूँ थी मजिका एक लड़का था, बाप मर
चुका था, माूँ घरो में बता न मां जती थी बेटे को अपना पेट काटकर एक अच्छे अंग्रेजी स्कयल में
पढ़ाती थी,एक मदन स्कयल में मकिी बच्चे ने उिके लड़के के आूँ ख में पेंमिल मार दी ,लड़के
की आूँ ख चली गई ,िाक्टर ने कहा ये आूँ ख नहीं बचेगी दय िरी लगेगी ,तो माूँ ने अपने कलेजे
के टु कड़े के मलए अपनी एक आूँ ख दे दी ,अब वो दे खने में भी अच्छी नहीं थ... ी ,बेटा
उिको स्कयल आने को मना करता था क्ोंमक वो दे खने में अच्छी और पढ़ी मलखी नहीं थी
ऊपर िे एक आूँ ख भी नहीं रही, उिे अपनी माूँ पर शमा आती थी, कभी लंच बॉक्स दे ने आती
भी थी तो मुह छु पा कर और अपने को नौकरानी बताती थी ,अपने बच्चे की ख्वाइश पयरी
करने को वो मदन रात काम करती लेमकन बेटे को कमी महियि नहीं होने दे ती , बेटा जवान
हुआ एक िरकारी अमिकारी बना उिने लव मैररज की, उिने अपनी माूँ को भी नहीं बुलाया
,और अलग घर ले बीबी के िाथ रहने लगा माूँ बयढी हो रही थी बीमार भी रहने लगी ,लेमकन
लड़का अपनी पत्नी और हाई िोिाइटी में व्यस्त रहने लगा उिे माूँ की याद भी नहीं आती
थी, माूँ बीमार रहती लेमकन मदन रात अपने पुत्र की िम्रक्ति और उन्नमत के मलए भगवान् िे
दु आ मां गती रहती कुछ पिोिी माूँ का ख्याल रखते ,एक बार वो बहुत बीमार पड़ी तो उिने
अपने बेटे को दे खने की इच्छा जामहर की लोग लड़के को बुलाने गए तो,वो अपनी बीबी के
िाथ कहीं टय र पे घुमने जा रहा था वो नहीं आया उिने कुछ पैिे इलाज़ के मलए भेज मदए
,लेमकन माूँ का इलाज़ तो उिका बेटा था मजिको मरने िे पहले दे खना चाहती थी उिे प्यार
दे ना चाहती थी, वो मफर भी बेटे का इन्तेजार करती रही ,उिके कलेजे का टु कड़ा उिके
आशाओं के टु कड़े कर रहा था ,वो आया लेमकन तब तक माूँ मर चुकी थी उिके हाथ में
एक फोटो था लड़के का वही बचपन की स्कयल िरेि बाला फोटो िुन्दला गन्दा िा मजिे हर
वि िीने िे लगाये रहती थी, आज भी िीने िे लगाये थी ,लेमकन मरते दम तक वो अपने
कलेजे के टु कड़े को कलेजे िे न लगा िकी मदन बीते वि बदला लड़के का कार िे
एक्तक्सिें ट हुआ इि एक्तक्सिें ट में उिकी दोनों आूँ ख चली गई चेहरे पर चोट लगने िे कुरूप
लगने लगा दोनों पैर बेकार हो गए चलने में लचार हो गया ,पत्नी अमीर घर की लड़की थी
,वो मदनों मदन पमत िे दय र होने लगी क्ोंमक पमत अब कुरूप और मवकलां ग था ,और एक मदन
वो पमत को छोड़ कर चली गई ,तब बेटे को माूँ की याद आयी ,की कैिे उिने अपने बेटे के
मलए अपनी एक आूँ ख दे दी जीवन के आखरी िमय तक वो उिकी फोटो को िीने िे लगाये
रही,और वो उिको अपनी पत्नी और हाई िोिाइटी के मलए माूँ को याद भी नहीं करता था
आज ईश्वर ने उिे बता मदया जनवा मदया की माूँ का प्यार अिीम होता है , मनस्वाथा होता है ,
दु मनया में उििे ज्यादा प्यार करने बाला कोई नहीं ,वो लेटे लेटे यही िोंच रहा था और रो
रहा था की ईश्वर ने शायद माूँ के प्यार की क़द्र न करने की िजा दी-----------लेमकन
शायद माूँ स्वगा में भी उिकी इि हालत को दे ख तड़प उठी होगी " "माूँ जीवन का अनमोल
और मनस्वाथा प्यार है मकिी और के प्यार के मलए उिे मत ठु कराना
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क्या सचमुच तहन्दू बहुसंख्यक हैं ?

िाममाक वगा अनुयामययों की िंख्या मुख्य क्षेत्र शाममल

(मममलयन में)

ईसाईयि 2,000-2,200 पमिमी दु मनया में प्रमुख (ययरोप, अमेररका,


ओमशमनया), उप िहारा अफ्रीका,

मफलीपींि और दमक्षण कोररया

इस्लाम 1,570-1,650 मध्य पयवा, उत्तरी अफ्रीका, मध्य एमशया, दमक्षण


एमशया, पमिमी अफ्रीका, द्वीपिमयह

के िाथ मलय बड़ी आबादी चीन और रूि के


मौजयदा केन्द्रों में पयवी अफ्रीका, बािन

प्रायद्वीप

बौद्ध धमफ 400-1,500 दमक्षण एमशया, पयवा एमशया, दमक्षण पयवा एमशया,
ऑस्टर े मलया और रूि के क्षेत्रों में कुछ.

लोक धमफ 600-3,000 अफ्रीका, एमशया, अमेररका

चीनी लोक धमफ 400-1,000 पय वा एमशया, मवयतनाम, मिंगापुर और


(कन्ययशीवाद तामवस्म और िमहत)मलेमशया.

तहंदुत्व 828-1,000 भारतीय उपमहाद्वीप,दमक्षण एमशया, बाली, मॉररशि,


मफजी, गुयाना, मत्रमनदाद और

टोबैगो, ियरीनाम, और िमुदायों के बीच प्रवािी


भारतीय.

तशंर्टो 27-65 जापान

तसख धमफ 24-28 भारतीय उपमहाद्वीप, आस्टर े मलया, उत्तरी अमेररका,


दमक्षण पयवा एमशया,मब्रटे न और

पमिमी ययरोप.

यहदी धमफ 14 इिराइल और दु मनया भर में यहूदी प्रवािी


(अमिकतर उत्तरी अमेररका,
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दमक्षणी अमेररका, ययरोप और एमशया).

जैन धमफ 8-12 भारत और पयवी अफ्रीका.

बहाई धमफ 7.6-7.9 दु मनया भर में प्रमख रूप िे फैला लेमकन शीषा
दि आबादी (अनुयामययों मवश्वाि बहाई

मवश्व की रामश के बारे में 60%) रहे हैं (िमुदाय


के आकार के क्रम में) भारत, िंयुि

राज्य अमेररका,मवयतनाम, केन्या, िॉ कां गो,


मफलीपींि, जाक्तम्बया, दमक्षण अफ्रीका,

ईरान, बोलीमवया

काओ दाई 1/15 मवयतनाम

चेनोडो मि 3 कोररया

िेनररक्यो 2 जापान, ब्राजील.

तिक्का 1 नया िाममाक आं दोलन ( िंयुि राज्य अमेररका,


ऑस्टर े मलया, ययरोप, कनािा.

दु तनया की मेल्जस्सअतनर्टी चचफ 1 जापान, ब्राज़ील

तसचो -नो- ले 0.8 जापान, ब्राजील.

रस्तार्री धातमफक आं दोलन 0.7 नया िाममाक आं दोलन है , अब्रहममक िमों


जमैका, कैररमबयन, अफ्रीका.

एकजुर्ट सािफभौतमकिा 0.63 नया िाममाक आं दोलन िंयुि राज्य अमेररका,


कनािा, ययरोप.

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इनके अतिररक् जातियों में बंर्टे हैं सो अलग ! और अब िो कोढ़ में खाज नई जािी
राज नीति ने भी समाज में खाई खोद दी है !
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चाणक् के 15 ियक्ति वाक् ----


1) "दय िरो की गलमतयों िे िीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके िीखने को तुम्हारी आयुकम पड़े गी."
2)"मकिी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चामहए ---िीिे बृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते
हैं ."
3)"अगर कोई िपा जहरीला नहीं है तब भी उिे जहरीला मदखना चामहए वैिे दं श भले ही न दो पर
दं श दे िकने की क्षमता का दय िरों को अहिाि करवाते रहना चामहए. "
4)"हर ममत्रता के पीछे कोई स्वाथा जरूर होता है --यह किु आ िच है ."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन िवाल अपने आपिे पयछो ---मैं ऐिा क्ों करने जा रहा हूूँ
? इिका क्ा पररणाम होगा ? क्ा मैं िफलरहूूँ गा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगरयह नजदीक आये इि पर हमला करदो यानी भय िे भागो मत
इिका िामना करो ."
7)"दु मनया की िबिे बड़ी ताकत पुरुष का मववेक और ममहला की िुन्दरता है ."
8)"काम का मनष्पादन करो , पररणाम िे मत िरो."
9)"िुगंि का प्रिार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई िभी मदशाओं में फैलती है ."
10)"ईस्वर मचत्र में नहीं चररत्र में बिता है अपनी आत्मा को मं मदर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण िे महान होता है जन्म िे नहीं."
12) "ऐिे व्यक्ति जो आपके स्तर िे ऊपर या नीचे के हैं उन्ें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट् का
कारण बने गे. िामान स्तर के ममत्र ही िुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पां च िाल तक खय ब प्यार करो. छिः िाल िे पंद्रह िाल तक कठोर
अनु शािन और िंस्कार दो.िोलह िाल िे उनके िाथ ममत्रवत व्यवहार करो.आपकी िंतमत ही आपकी
िबिे अच्छी ममत्र है ."
14) "अज्ञानी के मलए मकताबें और अंिे के मलए दपाण एक िामान उपयोगी है ."
15) "मशक्षा िबिे अच्छी ममत्र है . मशमक्षत व्यक्ति िदै व िम्मान पाता है . मशक्षा की शक्ति के आगे युवा
शक्ति और िौंदया दोनों ही कमजोर हैं ."
61

जो लोग चार्टा मारने का तिरोध कर रहे हैं. िो आम आदमी की पीड़ा को नही


समझ पा रहे हैं...

कल िे कई लोग मुझिे शरद पावर को चाटा मारे जाने वाले िुंदरकां ि पर मेरे मवचार या राय
पयछ चुके हैं .कम शब्दों में कहूूँ तो यह गलत नहीं हुआ हैं . मैं इि तरह मक प्रमतमक्रया का
िमथान करता हूूँ . आप एक बुिजीवी मक तरह नहीं. बक्ति एक आम आदमी के आयाम िे
िोमचये . एक आम आदमी को आक्तखर इि 60 िाल के लोकतंत्र ने मदया ही क्ा हैं ? एक
िड़ी - गली व्यवथथा िे ज्यादा कुछ नहीं.

चाहे वो कां ग्रेि हो या भाजपा. बि एक को अर्फिोि इि बात का हैं मक वो ज्यादा लयट न


िका. मकिी ने मंमदर के नाम पर लयटा तो मकिी ने मकिी और नाम पर.आम आदमी शािन
िे िंवाद थथामपत नहीं कर िकता. इि िंवाद हीनता के मलए िीिे िीिे शािन दोषी हैं .

कभी बुिजीवी या िामहत्यकार आम जनता मक आवाज़ हुआ करते थे . मदनकर मक कमवताओ


ने लोगो में राष्ट्र भक्ति मक भावना भरी थी. लेमकन आज का िामहत्यकार इन भ्रष्ट् नेताओ के
हाथो िम्मामनत होने में ही गौरव महियि करता हैं . और मममिया मक बात तो कहना ही क्ा
एक रखैल को भी शमा आ जायें मममिया का चररत्र दे खकर. ऐिे में आम आदमी जायें तो
कहा जायें ?

उिके पाि दो ही मवकल्प हैं या तो वो आत्म हत्या कर लें या मफर पीढी दर पीढी गुलामी के
मलए तैयार रहें . कल गोरे अंग्रेज थे आज भयरे हैं . उिके मलए तो कुछ भी नहीं बदला.

कल को मकिी उिम मिं ह ने िायर मक गोली मार कर हत्या की थी. तो आज तो कोई मिफा
चाटा ही मार रहा हैं . मैं ऐिा कृत्य नहीं कर िकता. मेरी लड़ाई वैचाररक हैं . लेमकन मैं पयरा
िमथान भी करता हूूँ . क्ोमक िमाज को जरूरत दोनों की हैं .

लगे रहो बहादु रों युवा तु म्हारे िाथ हैं . अिली मज़ा तो तब आएगा जब इि मौनी बाबा को
कोई िबक मिखाएगा...
62

कॉरपोरे र्ट घराने के एजेंर्ट बन गए


नक्‍सली.....................................

कॉरपोरे र्ट घराने के एजेंर्ट बन गए


नक्‍सली............................................

छत्तीिगढ़ में बड़ी-बड़ी कंपमनयों के नक्सली िंगठनों िे ररश्तों के उजागर होने के बाद अब
पुनिः िरकार और जनता को िलवा जुियम की प्रािंमगकता याद आ रही है । अवैि ढं ग िे िन
दे कर नक्सली बहुल क्षेत्रों में खनन और ऊजाा कंपमनयाूँ भोले-भाले आमदवामियों और अन्य वगों
का शोषण करती हैं । िवाहारा वगा का कमथत िंरक्षण का दं भ भरने वाले नक्सली इनका दोहरा
शोषण करते हैं । ऐश करने का माध्यम बनाकर नक्सली वीरप्पन शैली में खुशहाल मजंदगी जीते
हैं । महं िा का ताण्डव कर पुमलि व प्रशािन और जनप्रमतमनमियों को वहाूँ जाने िे रोकते हैं ।
अकयत वन िंपदा का दोहन करने पहुूँ चे उद्योगपमतयों िे लाखों रूपये की वियली के बदले वे
उन्ें अवैि तरीके िे करोड़ों रूपये का लाभ पहुूँ चाते हैं । िवाहारा और पयं जीवाद के मवकृत
घालमेल िे उत्पन्न मवद्रयप तस्वीर अत्यंत भयावह है । कमीशनखोरी के कारण िरकार के
प्रमतमनमि भी अमत प्रिन्न हैं । मवकाि के नाम पर रामश में वृक्तदद ही उनकी िंपन्नता को बढ़ाता
है । छत्तीिगढ़ िरकार की एि.आई.टी. द्वारा जारी ररपोटा के मुतामबक, दं िकारण्य कमेटी की
वामषाक आय पां च करोड़ है , मजिमें तीन करोड़ हर िाल खचा हो जाते हैं । दो करोड़ रूपये
प्रमतवषा िेंटरल कमेटी को भेजा जाता है । िलवा जुियम की वजह िे आय का स्त्रोत घटा है ।
िरकारी उत्सव िे लेकर आयोजनों को मवफल करने की नक्सली रणनीमत अपने िाम्राज्य के
क्षेत्र को बढ़ाना और मनरं कुश शािन व्यवथथा को कायम रखने का है । उद्योगपमतयों िे अकयत
िनरामश दे ने के एक मामले का भंिाफोड़ िे िरकार और जनता िभी चमकत हैं । अभी तो
एस्सार कम्पनी के जीएम ही मगरत में आया है । बस्तर में एनजीओ जय जोहार िेवा िंथथान के
दतर िे कई आपमत्तजनक दस्तावेज बरामद मकये गये। इिका अध्यक्ष कां ग्रेि नेता पवन दु बे
फरार है । जां च ररपोटा में खुलािा हुआ है मक एस्सार कम्पनी ने जान-बयझकर ठे केदारों को
अमतररि भुगतान मकया, जो नक्समलयों को दे ने के मलये थी। इिकी िीबीआई जां च की मां ग
उठने के िाथ मियािी राजनीमत गमाा गई है । स्टील क्षेत्र में बड़े मनवेश कर रही मववादास्पद
कंपनी एस्सार की 267 मकलोमीटर लंबी मेटल पाइपलाइन दं तेवाड़ा (छत्तीिगढ़) िे आरं भ
होकर मलकानमगरर (उड़ीिा) िे गुजरते हुए मवशाखापत्तनम (आं ध्रप्रदे श) में िमाप्त होती है ।
एनएमिीिी के िाथ अनुबंि के बाद एस्सार ने पाइपलाइन मबछाई मजििे प्रमतटन 550 रूपये
की जगह अब उिे 80 रूपये व्यय करने पड़ते हैं । इि काया को पयरा करने में बािक न बनने
के मलये नक्समलयों को करोड़ों रूपये मदये गये। वषा 2005 और 2009 के बीच 15 बार
नक्समलयों ने पाइपलाइन को ध्वस्त मकया। उग्रवामदयों ने मचत्राकोंिा (मलकानगरी) में मई, 2009
में िंयंत्र पर भीषण बमबारी की। पाइपलाइन को बन्द रखने िे कंपनी को 1800 करोड़ की
क्षमत हुई। नक्समलयों के ताण्डव को रोकने में मवफल िरकार िे एस्सार की गुहार बेकार जाती
रही तभी तो करोड़ों की थैली पहुूँ चाने का काम मफर शुरू हो गई। इन क्षेत्रों में िंिा करने के
मलये यह आवश्यक हो गया है ।

पयवा गृह िमचव जी.के. मपल्लई ने स्वीकार मकया मक अनेक उद्योगपमतयों िे ‘शां मत’ के एवज में
वाम उग्रवादी िन वियलते हैं । कंपमनयों की िुरक्षा के मलये राज्य औद्योमगक िुरक्षा बलों के
63

गठन की बात शुरू हुई और यह भी कहा गया मक इिका वहन उद्योग करें गे। इिके बावजयद
िरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। उल्लेखनीय है मक 60 के अंमतम दशक में एनएमिीिी ने
बेलामिला (दं तेवाड़ा) में बड़े पैमाने पर खनन काया शुरू मकया। िुरक्षा के मलये
िी.आई.एि.एफ. की तैनाती हुई। इिके बावजयद वषा 2006 में नक्सली 20 टन मवस्फोटक
पदाथा उठा ले गए।

अकयत िन-िंपदा के बावजयद दं तेवाड़ा में प्रमत व्यक्ति आय काफी कम है । यय .एन.िी.पी.


ररपोटा में इि मजले की दयनीय क्तथथमत दशाा यी गई है । गत वषा एन.एम.िी.िी. को 2600
करोड़ की आय हुई, मकन्तु उिने मजले के मवमभन्न मवकाि पररयोजनाओं में िात करोड़ 26 लाख
रूपये ही खचा मकये। दं तेवाड़ा के मजलामिकारी ओ.पी. चौिरी ने इिे मचंताजनक बताया। िे ढ़
िौ ग्रामों में न मबजली है और न िड़कें। गत वषा िौ व्यक्तियों की िायररया िे मौत हो गई
थी। उिी प्रकार मचत्राकोण्डा में एस्सार ने ट्ययबवेल लगाने का वायदा मकया, मकन्तु उड़ीिा
िरकार ने ही इिे पयरा मकया।

वन क्षेत्र छत्तीिगढ़-44 प्रमतशत, झारखण्ड-30 प्रमतशत, उड़ीिा-37 प्रमतशत,खनन क्षेत्र 17प्रमतशत,


(दे श के कुल कोयले का) 40 प्रमतशत,(दे श के कुल खमनज िम्पदा का) 70प्रमतशत, (दे श के
कुल बॉक्साइट का) महं िा का तां िव शहीद जवान वषा 2007-124 वषा 2008-64 वषा 2009-101
वषा 2010-153 वषा 2011-37 मारे गये नक्सली 67 66 113 79 28 ( जयन तक )

उिर नक्समलयों की जनजामतयों के अमतररि, पुमलि, न्याय व्यवथथा, जनप्रमतमनमियों और मीमिया


में अच्छी पकड़ बन गई है । जब कभी पुमलि मुखमबर, दलाल आमद को मगरफ्तार करती है तो
नक्समलयों के पे -रोल पर काम करने वाले मिमवल िोिायटी, एनजीओ के िदस्य मानवामिकार
हनन की गुहार लगाकर अदालत को गुमराह करने में िफल हो जाते हैं । इिी वषा 9 मितम्बर
को एि.पी.ओ. मलंगाराम जब एस्सार और नक्समलयों के बीच मबचौमलये की भयममका में िरा
गया तो कई राज खुले। इि ित्य को स्वीकारने के बजाय नक्सली अपने कमथत मानवामिकार
हनन के नेटवका के जररये स्वामी अमिवेश और प्रशां त भयषण िे प्रेि कान्फ्रेंि कराकर प्रशािन
को दागी बनाने का कुचक्र मकया। महमां शु ने बयान मदया मक मलंगाराम ने नोयिा क्तथथत
इं टरनेशनल मीमिया इं स्टीट्ययट ऑफ इक्तण्डया में पढ़ाई की और उिकी िंमलप्तता नहीं है ।
मवगत एक दशक िे छत्तीिगढ़ में रह रहा महमां शु वनवािी चेतना आश्रम के बैनर तले
नक्समलयों की मदद करता है । उिकी पैदल यात्रा का वनवामियों ने काफी मवरोि भी मकया
था। पुमलि के मुतामबक, ऐिे कई लोग नक्समलयों के पे -रोल पर काम करते हैं ।
पी.यय.िी.एल. लंबे अिे िे मानवामिकार की रक्षा के नाम पर वाम उग्रवामदयों की मदद
करता है । इिके महािमचव कमवता श्रीवास्तव के मनवाि पर छापेमारी में कई आपमत्तजनक
िामहत्य, िाममग्रयाूँ बरामद की गई। इि गंदे ‘खेल’ को जारी रखने में राइट टय फयि कैम्पेन के
अरूण राय, मजयन िरेजे, मवनायक िेन, कोमलन गोनिालवेि ने तो िंयुि बयान में अच्छा बताया।
कमवता को मनदोष ठहराया। दं तेवाड़ा के एि.पी. अंमकत गगा ने बताया मक दु दाां त ममहला
उग्रवादी िोनी िोरी के कमवता के घर मछपने के पयाा प्त िबयत हैं । पुमलि ने मलंगा और िोनी
िे कई िच उगलवाये। दं तेवाड़ा मजले में नक्सवामदयों और िीआरपीएफ दोनों के मठकाने हैं
जहाूँ हत्या व प्रमतहत्या िंक्रामक रोग की तरह फैली है । यहाूँ यमद कोई उग्रवादी के पक्ष में है
तो हत्या और पुमलि के पक्ष में तो भी हत्या। केन्द्रीय गृहमंत्री मचदं बरम ने कहा मक नक्सल
64

हमलों में आतंकी हमलों की अपेक्षा अमिक लोगों की जान जा रही है , लेमकन मजन लोगों की
जान इिमें नहीं जा रही है उनका जीवन दे श में चल रहे िीमी तीव्रता के युदद की मवभीमषका
की जीती-जागती तस्वीर बन चुका है । इन इलाकों में न्याय, मवश्वाि, स्वतंत्रता, नैमतकता, िबयत, िही
और गलत की िािारण िमझदारी जैिी चीजें भी िीरे -िीरे िमाप्त हो रही हैं । िुरक्षा बलों
और नक्समलयों के बीच ग्रामीण और आमदवािी फंिे हुए हैं । इन इलाकों के 90 फीिदी
आमदवािी माओवामदयों के िंपका में हैं । वे उन्ें राशन दे ते हैं और उनकी बैठकों में जाते हैं ।
वे मजबयरन ऐिा करते हैं , अन्यथा वे इन इलाकों में मजंदा ही नहीं बचेंगे।

हकीकत में माओवादी आमदवामियों की रक्षा के बजाय अपनी रक्षा के मलये कवच के रूप में
उनका इस्तेमाल करते हैं और कॉरपोरे ट घरानों का एजेंट बनकर वे रह गये हैं ।
65

मैंने इं सातनयि को मरिे दे खा है ।

आज मुझे एक गहरी जानकारी एवं अनुभव िे रूबरू होना पड़ा और यह ज्ञात हुआ की
‘इं सान जन्म नही ं लेिा है बल्जल्क इं सान िो बनना पड़िा हैं ’।

बात आज शाम की है यामन की ४ नवम्बर २०११ की। शाम के करीब ७ बज रहें होंगे, मैं जरा
एटीएम जा रहा था, अचानक दे खता हूूँ की कुछ मुक्तस्लम लड़के एक गाय को घेर कर खड़े थे
जो की एक पेड़ मे बंिी हुई थी। मुझे िमझते दे र न लगी की ये लोग क्ा कर रहे हैं , क्यंकी
दो मदन बाद बकरीद है और हफ्ते भर पहले िे ही गायों को गामड़यों में भर भर कर मंमजल
(बयचड़-खाना) तक पहुचाना शुरू हो गया था। मैं िहिा ही रुक गया और उन लोगो के
पाि जाकर पयछा की आप लोग ये क्ा कर रहे हो ?

इि पर पहले तो वो लोग मुझे ऊपर िे नीचे तक घयरने लगे, मफर उनमे िे िे एक बोला की
पीछे हट जाओ ये गाय मारती है । मैंने कहा वो तो ठीक है पर ये गाय है मकिकी और क्यूँ
इिे बां िे रक्खा है ? मफर उनमे िे ही एक बोला की गाय हमारी है और हम इिे मचतपुर
बाज़ार मक्तिद में ले जा रहे हैं , परिो नीलामी है और यह गाय कुबाा नी के मलए जा रही है ।

बि इतना िुनना था की मेरा खयन खौल उठा, मैंने उन्े चेतावनी दे ते हुये कहा की गाय को
तुरंत छोड़ दो। उिके बाद मैंने गाय को छु ड़ाने का प्रयत्न शुरू कर मदया, वो लोग ७ – ८
लड़के थे और मैं अकेला, मैंने ममत्रो और िामथयों को तुरंत फोन करके बुलाया और इिर वो
लोग भी मौके के नजाकत को िमझते हुये उि गाय को गाड़ी (Tata ace) में चढ़ाने लगे।

इतना िब होते होते वहाूँ काफी लोग इकट्ठे हो गए जो िभी बंगाली थे , मैं उन िभी लोगो िे
अनुरोि करने लगा की कृपया करके इन कामतलो िे अपनी माता को बचाओ पर उन लोगो
पर जैिे कोई अिर ही नहीं हो रहा था। वो लोग बि उि ममता रूपी गाय को तड़पते और
उछलते दे खकर आनंद ले रहे थे। और उिर उन कामतलों ने गाय को गाड़ी मे चढ़ा कर बां ि
मदया। मैं बि मचल्लाता रह गया, इिर जब तक मेरे िाथी पहुचते तब तक वे कामतल गाड़ी को
लेकर फरार हो गए।मैं सोचने लगा की क्या यही इं सातनयि है ? कहााँ गयी िो दया, करुिा
जो एक इं सान को इं सान बनािी है। आज प्रायिः प्रायिः लोगों में इं िामनयत लुप्त हो चुकी हैं ,
उनके अंदर न प्रामणयों के प्रमत दया है और न ही रहम। मैं बि खुद को कोिता और
मिक्काताा हुआ रह गया। पर इि पयरे घटनाक्रम के पीछे एक बहुत बड़ा प्रश्न रह गया और
वह यह की क्या इं सातनयि मर चुकी है ?

इिका उत्तर जो भी हो पर हाूँ आज‘मैंने इं सातनयि को मरिे हुये दे खा है ’।

जन गि मन की कहानी ...............................

िन 1911 तक भारत की राजिानी बंगाल हुआ करता था। िन 1905 में जब बंगाल मवभाजन को
लेकर अंग्रेजो के क्तखलाफ बंग-भंग आन्दोलन के मवरोि में बंगाल के लोग उठ खड़े हुए तो
अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के मलए के कलकत्ता िे हटाकर राजिानी को मदल्ली ले गए
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और 1911 में मदल्ली को राजिानी घोमषत कर ...मदया। पयरे भारत में ...उि िमय लोग
मवद्रोह िे भरे हुए थे तो अंग्रेजो ने अपने इं ग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंमत्रत मकया तामक
लोग शां त हो जाये । इं ग्लैंि का राजा जोजा पंचम 1911 में भारत में आया। रमवंद्रनाथ टै गोर पर
दबाव बनाया गया मक तु म्हे एक गीत जोजा पंचम के स्वागत में मलखना ही होगा।

उि िमय टै गोर का पररवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था, उनके पररवार के बहुत
िे लोग ईस्ट इं मिया कंपनी के मलए काम मकया करते थे , उनके बड़े भाई अवनींद्र नाथ टै गोर
बहुत मदनों तक ईस्ट इं मिया कंपनी के कलकत्ता मिमवजन के मनदे शक (Director) रहे । उनके
पररवार का बहुत पैिा ईस्ट इं मिया कंपनी में लगा हुआ था। और खुद रमवन्द्र नाथ टै गोर की
बहुत िहानुभयमत थी अंग्रेजों के मलए। रमवंद्रनाथ टै गोर ने मन िे या बेमन िे जो गीत मलखा
उिके बोल है "जन गण मन अमिनायक जय हे भारत भाग्य मविाता"। इि गीत के िारे के
िारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जोजा पंचम का गुणगान है , मजिका अथा िमझने पर पता लगेगा मक
ये तो हकीक़त में ही अं ग्रेजो की खुशामद में मलखा गया था।

इि राष्ट्रगान का अथा कुछ इि तरह िे होता है "भारत के नागररक, भारत की जनता अपने
मन िे आपको भारत का भाग्य मविाता िमझती है और मानती है । हे अमिनायक (Superhero)
तुम्ही भारत के भाग्य मविाता हो। तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने
िे िभी प्रान्त पंजाब, मिंि, गुजरात, मराठा मतलब महारास्त्र, द्रमवड़ मतलब दमक्षण भारत, उत्कल
मतलब उड़ीिा, बंगाल आमद और मजतनी भी नमदया जैिे यमुना और गंगा ये िभी हमषात है ,
खुश है , प्रिन्न है , तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीवाा द चाहते
है । तुम्हारी ही हम गाथा गाते है । हे भारत के भाग्य मविाता (िुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय
हो जय हो। "

जोजा पंचम भारत आया 1911 में और उिके स्वागत में ये गीत गाया गया। जब वो इं ग्लैंि चला
गया तो उिने उि जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया। क्ोंमक जब भारत में उिका
इि गीत िे स्वागत हुआ था तब उिके िमझ में नहीं आया था मक ये गीत क्ों गाया गया
और इिका अथा क्ा है । जब अंग्रेजी अनुवाद उिने िुना तो वह बोला मक इतना िम्मान और
इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इं ग्लॅण्ड में भी मकिी ने नहीं की। वह बहुत खुश हुआ।
उिने आदे श मदया मक मजिने भी ये गीत उिके (जोजा पं चम के) मलए मलखा है उिे इं ग्लैंि
बुलाया जाये। रमवन्द्र नाथ टै गोर इं ग्लैंि गए। जोजा पंचम उि िमय नोबल पुरस्कार िमममत का
अध्यक्ष भी था।

उिने रमवन्द्र नाथ टै गोर को नोबल पुरस्कार िे िम्मामनत करने का फैिला मकया। तो रमवन्द्र
नाथ टै गोर ने इि नोबल पुरस्कार को लेने िे मना कर मदया। क्ों मक गाूँ िी जी ने बहुत बुरी
तरह िे रमवन्द्रनाथ टे गोर को उनके इि गीत के मलए खयब िां टा था। टै गोर ने कहा की आप
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मुझे नोबल पुरस्कार दे ना ही चाहते हैं तो मैंने एक गीतां जमल नामक रचना मलखी है उि पर
मुझे दे दो लेमकन इि गीत के नाम पर मत दो और यही प्रचाररत मकया जाये मक़ मुझे जो
नोबेल पुरस्कार मदया गया है वो गीतां जमल नामक रचना के ऊपर मदया गया है । जोजा पंचम
मान गया और रमवन्द्र नाथ टै गोर को िन 1913 में गीतां जमल नामक रचना के ऊपर नोबल
पुरस्कार मदया गया।

रमवन्द्र नाथ टै गोर की ये िहानुभयमत ख़त्म हुई 1919 में जब जमलया वाला कां ि हुआ और गाूँ िी
जी ने लगभग गाली की भाषा में उनको पत्र मलखा और कहा मक़ अभी भी तुम्हारी आूँ खों िे
अंग्रेमजयत का पदाा नहीं उतरे गा तो कब उतरे गा, तुम अंग्रेजों के इतने चाटु कार कैिे हो गए, तु म
इनके इतने िमथाक कैिे हो गए ? मफर गाूँ िी जी स्वयं रमवन्द्र नाथ टै गोर िे ममलने गए और
बहुत जोर िे िाटा मक अभी तक तुम अंग्रेजो की अंि भक्ति में ियबे हुए हो ? तब जाकर
रमवंद्रनाथ टै गोर की नीद खुली। इि काण्ड का टै गोर ने मवरोि मकया और नोबल पुरस्कार
अंग्रेजी हुकयमत को लौटा मदया। िन 1919 िे पहले मजतना कुछ भी रमवन्द्र नाथ टै गोर ने मलखा
वो अंग्रेजी िरकार के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के क्तखलाफ
होने लगे थे।

रमवन्द्र नाथ टे गोर के बहनोई, िुरेन्द्र नाथ बनजी लन्दन में रहते थे और ICS ऑमफिर थे। अपने
बहनोई को उन्ोंने एक पत्र मलखा था (ये 1919 के बाद की घटना है ) । इिमें उन्ोंने मलखा
है मक ये गीत 'जन गण मन' अं ग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव िलवाकर मलखवाया गया है ।
इिके शब्दों का अथा अच्छा नहीं है । इि गीत को नहीं गाया जाये तो अच्छा है । लेमकन अंत
में उन्ोंने मलख मदया मक इि मचठ्ठी को मकिी को नहीं मदखाए क्ोंमक मैं इिे मिफा आप तक
िीममत रखना चाहता हूूँ लेमकन जब कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो िबको बता दे । 7 अगस्त
1941 को रमबन्द्र नाथ टै गोर की मृत्यु के बाद इि पत्र को िुरेन्द्र नाथ बनजी ने ये पत्र
िावाजमनक मकया, और िारे दे श को ये कहा मक़ ये जन गन मन गीत न गाया जाये।

1941 तक कां ग्रेि पाटी थोड़ी उभर चुकी थी। लेमकन वह दो खेमो में बट गई। मजिमे एक
खेमे के िमथाक बाल गंगािर मतलक थे और दु िरे खेमे में मोती लाल नेहरु थे। मतभेद था
िरकार बनाने को लेकर। मोती लाल नेहरु चाहते थे मक स्वतंत्र भारत की िरकार अंग्रेजो के
िाथ कोई िंयोजक िरकार (Coalition Government) बने। जबमक गंगािर मतलक कहते थे मक
अंग्रेजो के िाथ ममलकर िरकार बनाना तो भारत के लोगों को िोखा दे ना है । इि मतभेद के
कारण लोकमान्य मतलक कां ग्रेि िे मनकल गए और उन्ोंने गरम दल बनाया। कोंग्रेि के दो
महस्से हो गए। एक नरम दल और एक गरम दल।
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गरम दल के नेता थे लोकमान्य मतलक जैिे क्रक्तन्तकारी। वे हर जगह वन्दे मातरम गाया करते
थे। और नरम दल के ने ता थे मोती लाल नेहरु (यहाूँ मैं स्पष्ट् कर दय ूँ मक गां िीजी उि िमय
तक कां ग्रेि की आजीवन िदस्यता िे इस्तीफा दे चुके थे , वो मकिी तरफ नहीं थे, लेमकन गाूँ िी
जी दोनों पक्ष के मलए आदरणीय थे क्ोंमक गाूँ िी जी दे श के लोगों के आदरणीय थे )। लेमकन
नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के िाथ रहते थे। उनके िाथ रहना, उनको िुनना, उनकी
बैठकों में शाममल होना। हर िमय अंग्रेजो िे िमझौते में रहते थे। वन्दे मातरम िे अं ग्रेजो को
बहुत मचढ होती थी। नरम दल वाले गरम दल को मचढाने के मलए 1911 में मलखा गया गीत
"जन गण मन" गाया करते थे और गरम दल वाले "वन्दे मातरम"।

नरम दल वाले अंग्रेजों के िमथाक थे और अंग्रेजों को ये गीत पिंद नहीं था तो अंग्रेजों के


कहने पर नरम दल वालों ने उि िमय एक हवा उड़ा दी मक मुिलमानों को वन्दे मातरम
नहीं गाना चामहए क्ों मक इिमें बुतपरस्ती (मयमता पयजा) है । और आप जानते है मक मुिलमान
मयमता पयजा के कट्टर मवरोिी है । उि िमय मुक्तस्लम लीग भी बन गई थी मजिके प्रमुख मोहम्मद
अली मजन्ना थे। उन्ोंने भी इिका मवरोि करना शुरू कर मदया क्ोंमक मजन्ना भी दे खने भर को
(उि िमय तक) भारतीय थे मन,कमा और वचन िे अंग्रेज ही थे उन्ोंने भी अंग्रेजों के इशारे
पर ये कहना शुरू मकया और मुिलमानों को वन्दे मातरम गाने िे मना कर मदया। जब भारत
िन 1947 में स्वतंत्र हो गया तो जवाहर लाल नेहरु ने इिमें राजनीमत कर िाली। िंमविान िभा
की बहि चली। िंमविान िभा के 319 में िे 318 िां िद ऐिे थे मजन्ोंने बंमकम बाबु द्वारा
मलक्तखत वन्दे मातरम को राष्ट्र गान स्वीकार करने पर िहममत जताई।

बि एक िां िद ने इि प्रस्ताव को नहीं माना। और उि एक िां िद का नाम था पंमित जवाहर


लाल नेहरु। उनका तका था मक वन्दे मातरम गीत िे मुिलमानों के मदल को चोट पहुचती है
इिमलए इिे नहीं गाना चामहए (दरअिल इि गीत िे मुिलमानों को नहीं अंग्रेजों के मदल को
चोट पहुं चती थी)। अब इि झगिे का फैिला कौन करे , तो वे पहुचे गाूँ िी जी के पाि। गाूँ िी
जी ने कहा मक जन गन मन के पक्ष में तो मैं भी नहीं हूूँ और तुम (नेहरु ) वन्दे मातरम के
पक्ष में नहीं हो तो कोई तीिरा गीत तैयार मकया जाये। तो महात्मा गाूँ िी ने तीिरा मवकल्प
झंिा गान के रूप में मदया "मवजयी मवश्व मतरं गा प्यारा झंिा ऊूँचा रहे हमारा"। लेमकन नेहरु
जी उि पर भी तैयार नहीं हुए।

नेहरु जी का तका था मक झंिा गान ओकेस्टर ा पर नहीं बज िकता और जन गन मन ओकेस्टर ा


पर बज िकता है । उि िमय बात नहीं बनी तो नेहरु जी ने इि मुद्दे को गाूँ िी जी की मृत्यु
तक टाले रखा और उनकी मृत्यु के बाद नेहरु जी ने जन गण मन को राष्ट्र गान घोमषत कर
मदया और जबरदस्ती भारतीयों पर इिे थोप मदया गया जबमक इिके जो बोल है उनका अथा
कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है , और दय िरा पक्ष नाराज न हो इिमलए वन्दे मातरम को
राष्ट्रगीत बना मदया गया लेमकन कभी गया नहीं गया। नेहरु जी कोई ऐिा काम नहीं करना
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चाहते थे मजििे मक अंग्रेजों के मदल को चोट पहुं चे, मुिलमानों के वो इतने महमायती कैिे हो
िकते थे मजि आदमी ने पामकस्तान बनवा मदया जब मक इि दे श के मुिलमान पामकस्तान
नहीं चाहते थे, जन गण मन को इि मलए तरजीह दी गयी क्ोंमक वो अंग्रेजों की भक्ति में
गाया गया गीत था और वन्दे मातरम इिमलए पीछे रह गया क्ोंमक इि गीत िे अंगेजों को ददा
होता था।

बीबीिी ने एक िवे मकया था। उिने पयरे िंिार में मजतने भी भारत के लोग रहते थे, उनिे
पुछा मक आपको दोनों में िे कौन िा गीत ज्यादा पिंद है तो 99 % लोगों ने कहा
वन्दे मातरम। बीबीिी के इि िवे िे एक बात और िार्फ हुई मक दु मनया के िबिे लोकमप्रय
गीतों में दु िरे नंबर पर वन्दे मातरम है । कई दे श है मजनके लोगों को इिके बोल िमझ में
नहीं आते है लेमकन वो कहते है मक इिमें जो लय है उििे एक जज्बा पैदा होता है ।

तो ये इमतहाि है वन्दे मातरम का और जन गण मन का। अब ये आप को तय करना है


मक आपको क्ा गाना है ?

Where Muslims are Happy and Muslims are not Happy

Paradox!

Countires where the Muslims aren't happy!

***********

* They're not happy in Gaza.

* They're not happy in Egypt.

* They're not happy in Libya.

* They're not happy in Morocco.

* They're not happy in Iran.

* They're not happy in Iraq.

* They're not happy in Yemen.

* They're not happy in Afghanistan.

* They're not happy in Pakistan.


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* They're not happy in Syria.

* They're not happy in Lebanon.

************************************

And where are they happy?

***

They're happy in England.

They're happy in France.

They're happy in Italy.

They're happy in Germany.

They're happy in Sweden.

They're happy in the USA.

They're happy in Norway.

They're happy in India

They're happy in Australia

They're happy in Canada

They're happy in every country that is not Muslim!

And who do they blame?

* Not Islam.

* Not their leadership.

* Not themselves.

THEY BLAME THE COUNTRIES THEY ARE HAPPY IN!!


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एक जानकारी जो पूरे दे श से छु पा ली गई________,


एक जानकारी जो पयरे दे श िे छु पा ली गई________,

अगस्त 2010 में िीबीआई की टीम ने ररजवा बैंक ऑफ इं मिया के वाल्ट में छापा मारा.
िीबीआई के अमिकाररयों का मदमाग़ उि िमय िन्न रह गया, जब उन्ें पता चला मक ररज़वा
बैंक ऑफ इं मिया के ख़ज़ाने में नक़ली नोट हैं . ररज़वा बैंक िे ममले नक़ली नोट वही नोट थे,
मजिे पामकस्तान की खुा़ मफया एजेंिी नेपाल के रास्ते भारत भेज रही है . िवाल यह है मक
भारत के ररजवा बैंक में नक़ली नोट कहां िे आए? क्ा आईएिआई की पहुं च ररज़वा बैंक की
मतजोरी तक है या मफर कोई बहुत ही भयंकर िामज़श है , जो महं दुस्तान की अथाव्यवथथा को
खोखला कर चुकी है . िीबीआई इि िनिनीखेज मामले की तहक़ीक़ात कर रही है . छह बैंक
कमाचाररयों िे िीबीआई ने पयछताछ भी की है . इतने महीने बीत जाने के बावजयद मकिी को
यह पता नहीं है मक जां च में क्ा मनकला? िीबीआई और मवत्त मंत्रालय को दे श को बताना
चामहए मक बैंक अमिकाररयों ने जां च के दौरान क्ा कहा? नक़ली नोटों के इि ख़तरनाक खेल
पर िरकार, िंिद और जां च एजेंमियां क्ों चुप है तथा िंिद अंिेरे में क्ों है ????
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४ जून से हम अपने महान दे श का नाम हर जगह “भारि” तलखेंगे चाहे िह तलतप


दे िनागरी हो या की अंग्रेजी या कोई और !!!!!!!!!.

*मप्रय दोस्तों, *** *४ जयन िे हम अपने महान दे श का नाम हर जगह “भारत” मलखेंगे चाहे वह
मलमप दे वनागरी हो या की अंग्रेजी या कोई और !!!!!!!!!................,,,,,,,,,,,,,, *** *हमारे महान
दे श भारत का नाम इं मिया होना हम... ारे मलये गुलामी की एक शमानाक मनश... ानी है ,
मजिे हमें ममटाना ही चामहए. हम इि दे श का गौरव टु कड़ों टु किो में ला रहे हैं जैिे हमने
बम्बई का नाम मुंबई मकया, कलकत्ता का नाम कोलकाता मकया, मुंबई को लुटेरे मवदे शी बाम्बे
कहकर चले गए थे .*** *हमारे दे श का नाम भारत के अलावा महदु स्तान होना तो पयरी तरह
िे िमझ में आता है परन्तु मिफा एक लुटेरे अंग्रेज के कहने पर हमने अपना गौरवशाली
इमतहाि भुला मदया और बड़े ही फक्र के अपने को इमियन कहलाना गौरव पयणा िमझते है .
यमद मकिी का नाम चोर महोदय रख मदया जाय तो क्ा पहली ही नजर में वह हं िी का पात्र
नहीं बन जायेगा?*** *जब मकिी महूँ दे श का नाम दो नहीं है तो मफर हमारे ही दे श का दो
नाम क्ों है , हमारे िभी िमा ग्रन्थों में इिे भारत मलखा जाता है तो मफर िभी िरकारी
व्यवथथाओं में इिे भारत मलखे में मकिे हजा है . हमने इिके बारे में कभी िोचा क्ों नहीं, अब
तो अंग्रेज हमारा कुछ नहीं मबगाड़ िकते, हम तो अब तथाकमथत स्वतन्त्र भी हो गए है वह भी
६३ िाल पहले. *** *हमारी शक्तियां ** : हमारी िबिे बड़ी शक्ति है हमारी िहनशीलता,
हमारी िमहष्णुता, हमारा दयावान होना, आध्यात्म को महि दे ना, ज्ञान और िािना, भारत ही ऐिा
दे श है जहां पर पाूँ व छु आ जाता है , पेड़ों को पय जा जाता हैं गाय को पय जा जाता है , पमत को
परमेश्वर और नारी को दे वी की िंज्ञा दी जाती है परन्तु इन्ी म्लेच्छ अंग्रेजों ने भारत का पहला
वेश्यालय, भारत का पहला शराबघर और भारत का पहला गौ विशाला अपनी अय्याशी के मलए
कोलकाता में खोला और मफर पयरे भारत में खुलवाते ही चले गए. उन्ोंने हमारे िम्पयणा ज्ञान
ग्रन्थ चुरा मलए, जो उनके मलए आगे के शोि का आिार बना. उन्ोंने हमें गरीबी के महाजाल
में फंिाया और आज ६३ िाल बाद भी बड़े बेशमी िे अपने को मवकािशील दे श मगनाते है , १
िालर में हमारा ५० रुपया ममलता है . हमारे कुछ बहुत ही बेशमा लुटेरे नेता मवदे मशयों के
िाथ ममलकर अब भी इि दे श को लयट रहे है और लुटवा रहे हैं .अब हम इि लयट को और
िहन नहीं करें गे. ** * *इिकी शुरुआत हम आज ही िे करें गे. िबिे पहले हम अपने
इि महान दे श का नाम हर जगह मिफा भारत मलखेंगे; मकिी भी जगह इक्तण्डया या इं मियन
नहीं मलखेंगे. ४ जयन तक इि िन्दे श को हमें हर भारतवािी तक प्रभावी तरीके िे पहुचा दे ना
है , क्ोंमक यह ४ जयन भी है कुछ ज्यादा ही खाि.....*** *अगर आपको अपने इि महान
दे श पर गवा है तो इिे अपने िभी जानने वालों के पाि अग्रेमषत करें . भारत स्वामभमानी
बमनए.*** *वंदे मातरम***

History of destruction

वेदों में जामत-व्यवथथा नहीं........


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अभाग्यवश दमलत कहे जाने वाले लोग खुद को िमाज की मुख्य िारा िे कटा हुआ महियि
करते हैं , फलतिः हम िमृि और िुरमक्षत िामामजक िंगठन में नाकाम रहे हैं | इि का केवल
मात्र िमािान यही है मक हमें अपने मयल, वेदों की ओर लौटना होगा और हमारी पारस्पररक
(एक-दय िरे के प्रमत) िमझ को पुनिः थथामपत करना होगा |

वेदों में मयलतिः ब्राहमण, क्षमत्रय,वैश्य और शयद्र पुरुष या स्त्री के मलए कहीं कोई बैरभाव या
भेदभाव का थथान नहीं है |

जामत (caste) की अविारणा यमद दे खा जाए तो कार्फी नई है | जामत (caste) के पयाा य के रूप
में स्वीकार मकया जा िके या अपनाया जा िके ऐिा एक भी शब्द वेदों में नहीं है | जामत
(caste) के नाम पर िािारणतया स्वीकृत दो शब्द हैं — जामत और वणा | मकन्तु िच यह है
मक दोनों ही पयणातया मभन्न अथा रखते हैं |

1).....जामत – जामत का अथा है उद्भव के आिार पर मकया गया वगीकरण | न्याय िय त्र यही
कहता है “िमानप्रिवाक्तत्मका जामत:” अथवा मजनके जन्म का मयल स्त्रोत िामान हो (उत्पमत्त का
प्रकार एक जैिा हो) वह एक जामत बनाते हैं | ऋमषयों द्वारा प्राथममक तौर पर जन्म-जामतयों
को चार थथयल मवभागों में बां टा गया है – उक्तद्भज(िरती में िे उगने वाले जैिे पेड़, पौिे,लता
आमद), अंिज(अंिे िे मनकलने वाले जैिे पक्षी, िरीिृप आमद), मपंिज (स्तनिारी- मनुष् और
पशु आमद), उष्मज (तापमान तथा पररवेशीय क्तथथमतयों की अनुकयलता के योग िे उत्त्पन्न होने
वाले – जैिे ियक्ष्म मजवाणय वायरि, बैक्टेररया आमद) |

हर जामत मवशेष के प्रामणयों में शारीररक अंगों की िमानता पाई जाती है | एक जन्म-जामत
दय िरी जामत में कभी भी पररवमतात नहीं हो िकती है और न ही मभन्न जामतयां आपि में िंतान
उत्त्पन्न कर िकती हैं | अतिः जामत ईश्वर मनममात है |

जैिे मवमवि प्राणी हाथी, मिंह, खरगोश इत्यामद मभन्न-मभन्न जामतयां हैं | इिी प्रकार िंपयणा मानव
िमाज एक जामत है | ब्राह्मण, क्षमत्रय, वैश्य और शय द्र मकिी भी तरह मभन्न जामतयां नहीं हो
िकती हैं क्ोंमक न तो उनमें परस्पर शारीररक बनावट (इक्तन्द्रयादी) का भेद है और न ही
उनके जन्म स्त्रोत में मभन्नता पाई जाती है |

बहुत िमय बाद जामत शब्द का प्रयोग मकिी भी प्रकार के वगीकरण के मलए प्रयुि होने
लगा | और इिीमलए हम िामान्यतया मवमभन्न िमुदायों को ही अलग जामत कहने लगे | जबमक
यह मात्र व्यवहार में िहूमलयत के मलए हो िकता है | िनातन ित्य यह है मक िभी मनुष्
एक ही जामत के हैं |

वणा – ब्राह्मण, क्षमत्रय, वैश्य और शयद्र के मलए प्रयु ि मकया गया िही शब्द – वणा है – जामत नहीं
| मिफा यह चारों ही नहीं बक्ति आया और दस्यु भी वणा कहे गए हैं | वणा का मतलब है मजिे
वरण मकया जाए (चुना जाए) | अतिः जामत ईश्वर प्रदत्त है जबमक वणा अपनी रूमच िे अपनाया
जाता है | मजन्ोंने आयात्व को अपनाया वे आया वणा कहलाए और मजन लोगों ने दस्यु कमा को
स्वीकारा वे दस्यु वणा कहलाए | इिी प्रकार ब्राह्मण, क्षमत्रय, वैश्य और शयद्र वणा कहे जाते हैं |
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इिी कारण वैमदक िमा ’वणाा श्रम िमा’ कहलाता है | वणा शब्द का तात्पया ही यह है मक वह
चयन की पयणा स्वतंत्रता व गुणवत्ता पर आिाररत है |

३. बौक्तिक कायों में िंलि व्यक्तियों ने ब्राहमण वणा को अपनाया है | िमाज में रक्षा काया व
युिशास्त्र में रूमच योग्यता रखने वाले क्षमत्रय वणा के हैं | व्यापार-वामणज्य और पशु -पालन
आमद का काया करने वाले वैश्य तथा मजन्ोंने इतर िहयोगात्मक कायों का चयन मकया है वे
शयद्र वणा कहलाते हैं | ये मात्र आजीमवका के मलए अपनाये जाने वाले व्यविायों को दशाा ते हैं ,
इनका जामत या जन्म िे कोई िम्बन्ध नहीं है |

४. वणों को जन्म आिाररत बताने के मलए ब्राह्मण का जन्म ईश्वर के मुख िे हुआ, क्षमत्रय ईश्वर
की भुजाओं िे जन्में, वैश्य जं घा िे तथा शयद्र ईश्वर के पैरों िे उत्पन्न हुए यह मिि करने के
मलए पुरुष ियि के मंत्र प्रस्तुत मकये जाते हैं | इि िे बड़ा छल नहीं हो िकता, क्ोंमक -

(a) वेद ईश्वर को मनराकार और अपररवतानीय वमणात करते हैं | जब परमात्मा मनराकार है तो
इतने महाकाय व्यक्ति का आकार कैिे ले िकता है ? (दे खें यजुवेद ४०.८)

(b) यमद इिे िच मान भी लें तो इििे वेदों के कमा मििां त की अवमानना होती है | मजिके
अनुिार शयद्र पररवार का व्यक्ति भी अपने कमों िे अगला जन्म मकिी राजपररवार में पा
िकता है | परन्तु यमद शय द्रों को पैरों िे जन्मा माना जाए तो वही शयद्र पुनिः ईश्वर के हाथों िे
कैिे उत्त्पन्न होगा?

(c) आत्मा अजन्मा है और िमय िे बि नहीं (मनत्य है ) इिमलए आत्मा का कोई वणा नहीं
होता | यह तो आत्मा द्वारा मनुष् शरीर िारण मकये जाने पर ही वणा चुनने का अविर ममलता
है | तो क्ा वणा ईश्वर के शरीर के मकिी महस्से िे आता है ? आत्मा कभी ईश्वर के शरीर िे
जन्म तो लेता नहीं तो क्ा ऐिा कहा जा िकता है मक आत्मा का शरीर ईश्वर के शरीर के
महस्सों िे बनाया गया? मकन्तु वेदों की िाक्षी िे प्रकृमत भी शाश्वत है और कुछ अणु पुनिः
मवमभन्न मानव शरीरों में प्रवामहत होते हैं | अतिः यमद परमात्मा िशरीर मान ही लें तो भी यह
अिंभव है मकिी भी व्यक्ति के मलए की वह परमात्मा के शरीर िे जन्म ले |

(d) मजि पुरुष ियि का हवाला मदया जाता है वह यजुवेद के ३१ वें अध्याय में है िाथ ही
कुछ भेद िे ऋग्वेद और अथवावेद में भी उपक्तथथत है | यजुवेद में यह ३१ वें अध्याय का ११ वां
मंत्र है | इिका वास्तमवक अथा जानने के मलए इििे पहले मंत्र ३१.१० पर गौर करना जरूरी
है | वहां िवाल पयछा गया है – मुख कौन है ?, हाथ कौन है ?, जंघा कौन है? और पाूँ व कौन है ?
तुरंत बाद का मंत्र जवाब दे ता है – ब्राहमण मुख है , क्षमत्रय हाथ हैं , वैश्य जंघा हैं तथा शयद्र पैर
हैं |

यह ध्यान रखें की मंत्र यह नहीं कहता की ब्राह्मण मुख िे “जन्म लेता” है … मंत्र यह कह रहा
है की ब्राह्मण ही मुख है | क्ोंमक अगर मंत्र में “जन्म लेता” यह भाव अमभप्रेत होता तो “मुख
कौन है ?” इत्यामद प्रश्नों का उत्तर दे ने की आवश्यकता ही नहीं थी |
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उदाहरणतिः यह पयछा जाए, “दशरथ कौन हैं ?” और जवाब ममले “राम ने दशरथ िे जन्म मलया”,
तो यह मनरथाक जवाब है |

इिका ित्य अथा है – िमाज में ब्राह्मण या बुक्तिजीवी लोग िमाज का मक्तस्तष्क, मिर या मुख
बनाते हैं जो िोचने का और बोलने का काम करे | बाहुओं के तुल्य रक्षा करने वाले क्षमत्रय हैं ,
वैश्य या उत्पादक और व्यापारीगण जंघा के िामान हैं जो िमाज में िहयोग और पोषण प्रदान
करते हैं (ध्यान दें ऊरू अक्तथथ या मफमर हड्डी शरीर में रिकोमशकाओं का मनमाा ण करती हैं
और िबिे िुदृढ़ हड्डी होती है ) | अथवावेद में ऊरू या जंघा के थथान पर ‘मध्य’ शब्द का
प्रयोग हुआ है | जो शरीर के मध्य भाग और उदर का द्योतक है | मजि तरह पैर शरीर के
आिार हैं मजन पर शरीर मटक िके और दौड़ िके उिी तरह शय द्र या श्रममक बल िमाज को
आिार दे कर गमत प्रदान करते हैं |

इििे अगले मंत्र इि शरीर के अन्य भागों जैिे मन, आं खें इत्यामद का वणान करते हैं | पुरुष
ियि में मानव िमाज की उत्पमत्त और िंतुमलत िमाज के मलए आवश्यक मयल तत्वों का वणान
है |

यह अत्यंत खेदजनक है मक िामामजक रचना के इतने अप्रमतम अलंकाररक वणान का गलत


अथा लगाकर वैमदक पररपाटी िे िवाथा मवरुि मवकृत स्वरुप में प्रस्तु त मकया गया है |

ब्राह्मण ग्रंथ, मनुस्मृमत, महाभारत, रामायण और भागवत में भी कहीं परमात्मा ने ब्राह्मणों को
अपने मुख िे मां ि नोंचकर पैदा मकया और क्षमत्रयों को हाथ के मां ि िे इत्यामद ऊलजयलयल
कल्पना नहीं पाई जाती है |

५. जैिा मक आिुमनक युग में मवद्वान और मवशेषज्ञ िम्पयणा मानवता के मलए मागादशाक होने के
कारण हम िे िम्मान पाते हैं इिीमलए यह िीिी िी बात है मक क्ों ब्राह्मणों को वेदों में उच्च
िम्मान मदया गया है | अपने पयवा लेखों में हम दे ख चुके हैं मक वेदों में श्रम का भी िमान
रूप िे महत्वपयणा थथान है | अतिः मकिी प्रकार के (वणा व्यवथथा में) भेदभाव के तत्वों की
गुंजाइश नहीं है |

६. वैमदक िंस्कृमत में प्रत्येक व्यक्ति जन्मतिः शयद्र ही माना जाता है | उिके द्वारा प्राप्त मशक्षा के
आिार पर ही ब्राह्मण, क्षमत्रय व वैश्य वणा मनिाा ररत मकया जाता है | मशक्षा पयणा करके योग्य
बनने को दय िरा जन्म माना जाता है | ये तीनों वणा ‘मद्वज’ कहलाते हैं क्ोंमक इनका दय िरा
जन्म (मवद्या जन्म) होता है | मकिी भी कारणवश अमशमक्षत रहे मनुष् शयद्र ही रहते हुए अन्य
वणों के िहयोगात्मक कायों को अपनाकर िमाज का महस्सा बने रहते हैं |

७. यमद ब्राह्मण का पु त्र मवद्या प्राक्तप्त में अिफल रह जाए तो शयद्र बन जाता है | इिी तरह
शयद्र या दस्यु का पु त्र भी मवद्या प्राक्तप्त के उपरां त ब्राह्मण, क्षमत्रय या वैश्य वणा को प्राप्त कर
िकता है |यह िम्पयणा व्यवथथा मवशुि रूप िे गुणवत्ता पर आिाररत है | मजि प्रकार मशक्षा पयरी
करने के बाद आज उपामियाूँ दी जाती हैं उिी प्रकार वैमदक व्यवथथा में यज्ञोपवीत मदया जाता
था | प्रत्येक वणा के मलए मनिाा ररत कताव्यकमा का पालन व मनवाहन न करने पर यज्ञोपवीत
वापि लेने का भी प्राविान था
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ब्राह्मण शब्द में प्रयुि हुए शब्द ब्रह्म का अथा यमद हम जाने तो इिका मतलब होता है जो
बढे या मवकाि करे | आज का एटम बम पहले ब्रह्मास्त्र इिीमलए कहलाता था क्ोंमक वो ऐिा
अस्त्र था जो मिफा एक ही जगह पर अिर नहीं िालता था बक्ति उिके द्वारा मकया गया
मवनाश का अिर व्यापक होता था | ऐिे ही ब्रह्मा को भी िृमष्ट् का रचमयता इिीमलए बुलाया
जाता है क्ोंमक ब्रह्मा का अथा ही है जो बढाए या रचनाओं के द्वारा वृक्ति करे | इिी प्रकार िे
ब्राह्मण वो व्यक्ति होता था जो िमाज को मवकाि की मदशा दे ने में िहायता करे | चयंमक िही
मशक्षा िे ही िमाज का मवकाि होता है इिीमलए गुरु या मशक्षक जो की वेदों की िही मशक्षा
दे उिे ही ब्राह्मण माना गया | आज के िमय में जो लोग खुद को ब्राह्मण वणा का मानते है
और अपने आगे पुरोमहत या पंमित शब्द का प्रयोग करते है वो ऐिा अज्ञानता वश करते है |
पंमित वो जो मकिी मवषयमे पां मित्य हामिल करे और पुरोमहत वो जो कमाकां ि िे िमाज के
लोगो को िमा की और अग्रिर करे | कमाकां ि और िमा में भी अंतर है | िमा िभी मनुष्ों के
मलए एक ही है और िमा के दि लक्षण है जैिे चोरी न करना, अित्य न बोलना , दीन दु क्तखयों
की िहायता करना, जीवो पर दया करना, क्रोि न करना , महं िा न करना आमद | कमाकां ि की
रचना हमारे ऋमष मुमनयों द्वारा हमें िमा िे जोड़े रखने के मलए की गयी | वेद तो यही कहते
है की इि ब्रह्माण्ड या मफर और भी मकिी दय िरे ब्रह्मां िो में कोई भी जीव जंतु यमद है तो
िबका भगवान एक ही है | वेद शब्द का अथा ही है ज्ञान | मजि मदन हमें िही ज्ञान हो जाएगा
उि मदन िे हम िही वणा व्यवथथा की और लौट जायेंगे और हमारा भारतीय िमाज िही
मदशा पायेगा और िारी दु मनया को िही मदशा दे गा क्ोंमक भारत का अथा ही है ज्ञान में रत
और भारतीय का अथा है मवद्वान |

शयद्र का अथा होता है िे वा करने वाला | कोई भी व्यक्ति जो दय िरो की िेवा करे वो कभी
मनरादर का पात्र हो ही नहीं िकता | हम जब तक िंस्कृत भाषा और अपने वेदों िे दय र है
तभी तक हमारे िमाज में कुरीमतयाूँ है | मजि मदन हमें अपना िंपका िंस्कृत और वेदों िे मबठा
मलया उिी मदन िे भारतवषा प्रगमत की राह पकड़ लेगा |
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क्यों मुझे गााँधी पसंद नही ं है ?

क्ों मुझे गाूँ िी पिं द नहीं है ?

1. अमृतिर के जमलयाूँ वाला बाग़ गोली काण्ड (1919) िे िमस्त दे शवािी आक्रोश में

थे तथा चाहते थे मक इि नरिंहार के खलनायक जनरल िायर पर अमभयोग चलाया जाए।

गान्धी ने भारतवामियों के इि आग्रह को िमथान दे ने िे मना कर मदया।

2. भगत मिंह व उिके िामथयों के मृत्युदण्ड के मनणाय िे िारा दे श क्षुब्ध था व

गान्धी की ओर दे ख रहा था मक वह हस्तक्षेप कर इन दे शभिों को मृत्यु िे बचाएं ,

मकन्तु गान्धी ने भगत मिंह की महं िा को अनुमचत ठहराते हुए जनिामान्य की इि माूँ ग

को अस्वीकार कर मदया। क्ा आिया मक आज भी भगत मिंह वे अन्य क्राक्तन्तकाररयों

को आतंकवादी कहा जाता है ।

3. 6 मई 1946 को िमाजवादी कायाकताा ओं को अपने िम्बोिन में गान्धी ने मुक्तस्लम

लीग की महं िा के िमक्ष अपनी आहुमत दे ने की प्रेरणा दी।

4.मोहम्मद अली मजन्ना आमद राष्ट्रवादी मुक्तस्लम नेताओं के मवरोि को अनदे खा करते

हुए 1921 में गान्धी ने क्तखलार्फत आन्दोलन को िमथान दे ने की घोषणा की। तो भी

केरल के मोपला में मुिलमानों द्वारा वहाूँ के महन्दु ओं की मारकाट की मजिमें लगभग

1500 महन्दु मारे गए व 2000 िे अमिक को मुिलमान बना मलया गया। गान्धी ने इि

महं िा का मवरोि नहीं मकया, वरन् खुदा के बहादु र बन्दों की बहादु री के रूप में

वणान मकया।
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5.1926 में आया िमाज द्वारा चलाए गए शुक्ति आन्दोलन में लगे स्वामी

श्रिानन्द जी की हत्या अब्दु ल रशीद नामक एक मुक्तस्लम युवक ने कर दी, इिकी

प्रमतमक्रयास्वरूप गान्धी ने अब्दु ल रशीद को अपना भाई कह कर उिके इि कृत्य को

उमचत ठहराया व शुक्ति आन्दोलन को अनगाल राष्ट्र-मवरोिी तथा महन्दु -मुक्तस्लम

एकता के मलए अमहतकारी घोमषत मकया।

6.गान्धी ने अनेक अविरों पर छत्रपमत मशवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोमवन्द

मिंह जी को पथभ्रष्ट् दे शभि कहा।

7.गान्धी ने जहाूँ एक ओर काश्मीर के महन्दु राजा हरर मिंह को काश्मीर मुक्तस्लम

बहुल होने िे शािन छोड़ने व काशी जाकर प्रायमित करने का परामशा मदया, वहीं

दय िरी ओर है दराबाद के मनज़ाम के शािन का महन्दु बहुल है दराबाद में िमथान मकया।

8. यह गान्धी ही था मजिने मोहम्मद अली मजन्ना को कायदे -आज़म की उपामि दी।

9. कॉंग्रेि के ध्वज मनिाा रण के मलए बनी िमममत (1931) ने िवािम्ममत िे चरखा

अंमकत भगवा वस्त्र पर मनणाय मलया मकन्तु गाूँ िी मक मजद के कारण उिे मतरं गा कर

मदया गया।

10. कॉंग्रेि के मत्रपुरा अमिवे शन में नेताजी िुभाष चन्द्र बोि को बहुमत िे

कॉंग्रेि अध्यक्ष चुन मलया गया मकन्तु गान्धी पट्टमभ िीतारमय्या का िमथान कर
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रहा था, अत: िुभाष बाबय ने मनरन्तर मवरोि व अिहयोग के कारण पदत्याग कर मदया।

11. लाहोर कॉंग्रेि में वल्लभभाई पटे ल का बहुमत िे चु नाव िम्पन्न हुआ मकन्तु

गान्धी की मजद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को मदया गया।

12. 14-15 जयन, 1947 को मदल्ली में आयोमजत अक्तखल भारतीय कॉंग्रेि िमममत की बैठक

में भारत मवभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, मकन्तु गान्धी ने वहाूँ

पहुं च प्रस्ताव का िमथान करवाया। यह भी तब जबमक उन्ोंने स्वयं ही यह कहा था

मक दे श का मवभाजन उनकी लाश पर होगा।

13. मोहम्मद अली मजन्ना ने गान्धी िे मवभाजन के िमय महन्दु मुक्तस्लम जनिूँख्या की

िम्पयणा अदला बदली का आग्रह मकया था मजिे गान्धी ने अस्वीकार कर मदया।

14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने िोमनाथ मक्तन्दर का िरकारी व्यय

पर पुनमनामाा ण का प्रस्ताव पाररत मकया, मकन्तु गान्धी जो मक मन्त्रीमण्डल के

िदस्य भी नहीं थे ने िोमनाथ मक्तन्दर पर िरकारी व्यय के प्रस्ताव को मनरस्त

करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम िे िरकार पर मदल्ली की

मक्तिदों का िरकारी खचे िे पुनमनामाा ण कराने के मलए दबाव िाला।

15. पामकस्तान िे आए मवथथामपत महन्दु ओं ने मदल्ली की खाली मक्तिदों में जब

अथथाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े महन्दु ओं को मजनमें वृि, क्तस्त्रयाूँ व

बालक अमिक थे मक्तिदों िे िे खदे ड़ बाहर मठठु रते शीत में रात मबताने पर मजबयर
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मकया गया।

16. 22 अियबर 1947 को पामकस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर मदया, उििे पयवा

माउूँ टबैटन ने भारत िरकार िे पामकस्तान िरकार को 55 करोड़ रुपए की रामश दे ने का

परामशा मदया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृमष्ट्गत यह रामश दे ने

को टालने का मनणाय मलया मकन्तु गान्धी ने उिी िमय यह रामश तुरन्त मदलवाने के

मलए आमरण अनशन मकया- फलस्वरूप यह रामश पामकस्तान को भारत के महतों के मवपरीत दे

दी गयी।

17.गाूँ िी ने गौ हत्या पर पमता बंि लगाने का मवरोि मकया

18. मद्वतीया मवश्वा युि मे गाूँ िी ने भारतीय िैमनको को मब्रटे न का मलए हमथयार

उठा कर लड़ने के मलए प्रेररत मकया , जबमक वो हमेशा अमहं िा की पीपनी बजाते है

.19. क्ा ५०००० महं दय की जान िे बढ़ कर थी मुिलमान की ५ टाइम की नमाज़ ?????

मवभाजन के बाद मदल्ली की जमा मक्तिद मे पानी और ठं ि िे बचने के मलए ५००० महं दय

ने जामा मक्तिद मे पनाह ले रखी थी...मुिलमानो ने इिका मवरोि मकया पर महं दय को ५

टाइम नमाज़ िे ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इिमलए उि ने माना कर मदया. .. उि

िमय गाूँ िी नाम का वो शैतान बरिते पानी मे बैठ गया िरने पर की जब तक महं दय को

मक्तिद िे भगाया नही जाता तब तक गाूँ िी यहा िे नही जाएगा....मफर पुमलि ने मजबयर

हो कर उन महं दय को मार मार कर बरिते पानी मे भगाया.... और वो महं दय--- गाूँ िी

मरता है तो मरने दो ---- के नारे लगा कर वाहा िे भीगते हुए गये थे ...,,,
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ररपोटा --- जक्तस्टि कपयर.. िु प्रीम कोटा ..... फॉर गाूँ िी वि क्ो ?

२०. भगत मिंह, राजगुरु और िुखदे व को 24 माचा 1931 को फां िी लगाई जानी थी, िुबह

करीब 8 बजे। लेमकन 23 माचा 1931 को ही इन तीनों को दे र शाम करीब िात बजे फां िी

लगा दी गई और शव ररश्ते दारों को न दे कर रातोंरात ले जाकर ब्याि नदी के मकनारे

जला मदए गए। अिल में मुकदमे की पयरी कायावाही के दौरान भगत मिंह ने मजि तरह

अपने मवचार िबके िामने रखे थे और अखबारों ने मजि तरह इन मवचारों को तवज्जो दी

थी, उििे ये तीनों, खािकर भगत मिंह महं दुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी

लोकमप्रयता िे राजनीमतक लोमभयों को िमस्या होने लगी थी।

उनकी लोकमप्रयता महात्मा गां िी को मात दे नी लगी थी। कां ग्रेि तक में अंदरूनी

दबाव था मक इनकी फां िी की िज़ा कम िे कम कुछ मदन बाद होने वाले पाटी के

िम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेमकन अमड़यल महात्मा ने ऐिा नहीं होने मदया। चंद

मदनों के भीतर ही ऐमतहामिक गां िी-इरमवन िमझौता हुआ मजिमें मब्रमटश िरकार िभी

राजनीमतक कैमदयों को ररहा करने पर राज़ी हो गई। िोमचए, अगर गां िी ने दबाव बनाया

होता तो भगत मिंह भी ररहा हो िकते थे क्ोंमक महं दुस्तानी जनता िड़कों पर उतरकर

उन्ें ज़रूर राजनीमतक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेमकन गां िी मदल िे ऐिा

नहीं चाहते थे क्ोंमक तब भगत मिंह के आगे इन्ें मकनारे होना पड़ता |
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तिराम -5 बैनर , आयोजन ,तनयम ,व्यिस्था

िुप्रभात ,

क्ा आप िभी [ नकारात्मकता को] मवचारशीलता को राजनैमतक रूप िे थथामपत करने के मलए
इि मंच के द्वारा अपनी अमभव्यक्ति मवराम -५ के रूप में स्वीकार करने को तैयार है
,मवचारशील राजनैमतक मंच के िदस्य ,इिके मलए कुछ बाते आपिे -

१-इिके मलए केवल ५ रूपये ,५ व्यक्ति ,५ ममनट [अमिकतम चचाा ,भाषण में ] ५ िुझाव
,मवरोि मबंदु /मुद्दे ,५ बैठके ,५ राज्यों [जहाूँ मविानिभा चुनाव होने है ] िे जन -मां ग [पिंद
का प्रदशान ] घरो पर बैनर लगा कर करे िभी मतदाता ,चाहे कोई मकिी भी दल िे आथथा
रखता हो . |

२ -इि मंच का उपयोग आयोजक मंच की मां गो में थथानीय मां ग को भी इन्ी मनम्न मलक्तखत
पां च मबन्दु ओ में जोड़ कर कर िकता है .उदहारण के मलए -

[१- एक ही बार चुनाव लिे प्रत्याशी ,में जोड़ा जा िकता है मक-३० -५५ वषा के प्रत्याशी जो
एक ही बार चुनाव लड़कर कुछ िाथाक काया /अदभुत काया करना चाहते है ] .

३- इि मंच पर मवचारशील लोगो का िम्मान उन्ें िामने बैठाकर या मनणाा यक मंिल के रूप
में रहे गा ,अध्यक्षता नहीं जो पहले आये हस्ताक्षर या अंगयठा लगा कर,िमय मलखते हुए[ घंटा
अमिकतम ] जाचाहे जा िके ,बैठक का िमय १ घंटे िे ज्यादा रखने का अथा यही लगाया
जाएगा मक आयोजक को अभी चुस्त ,ितका ,राष्ट्र ,िमय ,उजाा ,िंिािनों का िही उपयोग करने
वाले प्रत्याशी नेता ,िरं क्षक ,या मतदाता नागररको िे िंपका िंवाद नहीं हो पाया है ,जैिा भी
उपलब्ध हो काम मकया जाये आयोजक ही करे मनयमो मक मचंता ये िोचकर मक ये ईश्वरीय
इच्छा ,प्रेरणा है और हमारा कताव्य है |

४-दै मनक मववरमणका [रमजस्टर ]बना कर हर ५ व्यक्ति िे की गयी िंवाद यात्रा को मलखता रहे
,कोई भी व्यक्ति आयोजक हो िकता है , उिे ५ ईमानदारो का पता हो बि ,अमशमक्षत व्यक्ति
भी आयोजक बने और नाम पते मकिी भी अक्षर ज्ञानी िे मलखवा िकता है या इतना मलखना
िीख िकता है |

५-इि मंच पर िभी ,जामत,िमा ,वगा ,मलंग को िामने लाने का िंकल्प है ,जो ज्ञान प्रेमी ,
राष्ट्रप्रेमी ,मानवप्रेमी ,चेतना प्रेमी व्यक्ति [जो व्यि हो ]उन िभी को आमंमत्रत मकया जाये |कोई
आ नहीं पाए इिकी कोई मचंता न करते हुए ,५ दै मनक िमाचार पत्रों में चाहे वो छोटा िा
अख़बार ही क्यूँ न हो ,५-िाप्तामहक ,५- मामिक पमत्रका ,५ ई मेल ,फेि बुक पर भी ५ ही
िमयह में पोस्ट मकया जाये ,५-ही अन्य ममत्रो को ५-राज्यों के मलए जो भी ५-पररमचत हो उन्ें
भी मोबाइल िन्दे श या ई मेल िे ,जानकारी /अमंतन /मवज्ञक्तप्त /या काया क्रम के फोटो भेजो |
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[आप िबकी जानकारी के मलए -जब िलि बैनर बन रहा था तो मकिी प्रत्याशी ने १० बैनर
और ऐिे ही बनवाने और अपने क्षेत्र में लगवाने की अनुममत मां गी और बैनर बनवाए ]

कुछ बैठको और आम चचाा में मनम्न मबन्दु ओ पर भी मवरोि prakat करने पर ध्यान केक्तन्द्रत
मकया गया इनमे िे जो भी चाहे आप भी अपने ५ मबन्दु ओ में िम्ममलत कर िकते है |

१- िभी वोट दे िके ,िरकारी कमाचारी जो चुनाव ड्ययटी में लगते है ,/ऐ टी म की तरह
िुमविा जनक बनाया जाये चुनाव को |वोट न करने वालो की नागररक िुमविाए जब्त हो |

२ पाटी के चुनाव मचन् की जगह मनवाा चन योग िबको एक ही िमय पर दे मचन् ,और
उिके िाथ लगे प्रत्याशी का प्रमामणत फोटो -पररचय |

३ मनशुि मशक्षा ,िमान मशक्षा कमजोरो को आवश्यक कोमचंग िुमविा की मां ग पयरी करने के
मलए प्रयािरत प्रत्याशी जो व्यक्तिगत मबल दे कर िहि िे आगे आये अथाा त ' अिमान मशक्षा
पद्दमत पर रोक लगे /मवराम लगे |-जो प्रत्याशी इि बात को पयरी ईमानदारी िे स्वीकार करें गे |

४-जो िुरक्षा घेरे में चले वो आम आदमी का महते षी नहीं ,िुरक्षा पर मवराम लगे /रोक लगे
,जो िुरक्षा लेने को मजबयर है वो अपने खचे िे करे |

५- केवल गरीब ईमानदार िभािद ,मविायक ,िां िद को ही िरकारी िुमविाए प्राप्त हो अमीरी
रे खा वालो को नहीं |
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कौन से दे ििा और है कहा ,जरा एक हो जाओ दे िी शल्जक् अििरि को

पतन परम्पराओ और पमतत पत्रकाररता का मात्र पे ट के कारण नहीं , बक्ति पापी ,पशुत्व वाला
दोपाया जीव [जो मानव का छद्म रूप िर] िमाज के बीच आ घुिा है कौन है जो पहचान
िकता है या जो बचने बचाने के उपाय प्राथाना -प्रयाि परम शक्ति की प्रेरणा िे करने के
मलए ,अपने को मवमक्षप्त होने िे बचा पा रहे है । उमा खुराना के िाथ हुए अन्याय को
नारीशक्ति / ममता स्वरूपी का अक्तस्तत्व ममटाने का हर युग के प्रयाि की तरह प्रतीत हो रहा
है ,बि दे खना है की मकतने शेष है जो माूँ को स्वीकारते है अन्यथा नारीशक्ति को अब
िंगमठत हो ही जाना चामहए ,आज िे नव रात्रे प्रारं भ है िंज्ञा शयन्य िवेदनाओ िे परे कीतान
कर प्राथाना करने पर कौन िी दे वी प्रकट होगी ,दे वताओ ने अपने अस्त्र मदये आरािना की
,या दे वी ने अस्त्र मदये उनकी तपस्या के उपरां त ,और राक्षिो [मजनको दे वता नहीं हारा पाये
थे उनके मलए िब एक हुए तब जाके शक्ति प्रकट हुए इि बात को िमझ कर आज का
दे वतत्व कौन िारण कर रहा है ।यमद कम िे कम 6 दे वता -अपने अस्त्र 1-चक्र 2-शंख 3-
तलवार 4- मत्रशय ल 5-गदा 6-िनुष 7- आशीवाद दे ता हाथ 8- कमल का फयल बाए हाथ मे

खुले मुह वाले शेर की िवारी करती दे वी का अथा िमझकर इि युग मे कौन है जो
मवचारशील है और मनणाय करने का मववेक बचा पा रहे है और अपने मामयली कामो को भी
उिी भाव िे जी पा रहे है ऐिे िािना मे प्रयािरतो को मेरा शत शत नमन ,वंदन वही तो
दे वता है जो दे वी की शक्ति अवतरण का माध्यम बनेंगे । हम िभी को अपनी पहचान करने
के नौ मदन प्राप्त हुए है आइये पयरे एकाग्र होकर दु मनया िे मवरि हो अपनी ऊजाा को
मबखराव [बीमाररयो ,अनावश्यक िंपको- िंवाद िे िरं मक्षत व िुरमक्षत करे ।

कौन िे दे वता और है कहा ,जरा एक हो जाओ दे वी शक्ति अवतरण को,ये पुकार रही माूँ -
मानवता ,मवमक्षप्तता द्वार पर आने को तैयार खड़ी है ,

कम िे कम ६ दे वता तो िाथ आओ -

१-चक्र [अष्ट् चेतना चक्र को चलवाने के िंििािन िंपका प्रदान करे जो िंथथाए ,िंगठन
,मशक्षण -प्रमशक्षण क्षेत्र ]

२-तलवार -तको की तलवार िे कुतको को ममटाने वाले [आज का प्रचार तंत्र -मीमिया
,पुस्तके ,मनोरं जन िािन ,िामहत्यकार ,कलाकार ]

३- गदा - गृहथथ दान कर जो ब्रहचया द्वारा शक्ति िमजात अमजात कर ने वाले दे वता तुल्य
अपनी चाररमत्रक शक्ति के अस्त्र िममपात करे .|

४- शंख -आह्वाहन करने वाले अपने अस्त्र [िंिािन ] िममपात करे |

५- मत्रशयल -जो तीन ऐिे राक्षि मजन्ें [यान द्वारा ] हवाओ में अद्रश्य हो भ्रममत करने की
शक्ति प्राप्त हो जाती है ,उन तीनो को एक िाथ ही िमाप्त करने के मलए क्ोमक उनमे िे
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एक को मारने िे लाभ नहीं वो कौन है आज के युग में पहचामनए और बताये आज का वो


मत्रशयल कौन दे वता दें गे |

६--िनुष वो दे वता प्रदान करे -जो ध्यान को बनाये रखे और एक लक्ष्य पर ही केक्तन्द्रत हो
मनशाना भेदन में िक्षम हो |

[िमय की मां ग के अनुिार कभी दे वी शक्ति दामयनी दे वताओ के तपस्या करने पर अस्त्र
वरदान स्वरुप प्रदान करती है और िमय पड़ने पर जब दे वता हारते है तो वो दे वी को अस्त्र
िममपात कर रक्षा के मलए स्तुमत भी करते है | दे खे कौन दे वता कहा है जो दे वी का आह्वाहन
करने में िफल होते
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मवचारशील राजनैमतक मंच का पां च ियत्रीय पररचय -

१-यह मंच गरीब अमशमक्षत मतदाता को भी मवचारशील बनाने के उद्दे श्य के िाथ आगे आया
है और उन्ें मनणाा यक की भयममका मनभाने की ओर उत्सामहत करना है . |

२-यह मंच उन िभी िाहिी आजन्म ईमानदारो को आत्ममवश्वाि िे अपना पररचय दे ने के मलए
आमंमत्रत करता है उन्ें ही राष्ट्रिमा की पररभाषा की व्याख्या और थथापना करनी है |

३-िभी दलों िे अपील करनी है मक हमारे बच्चे जो १८ िाल के मतामिकारी है ,उन्ें छात्र
िंघ के चुनाव करने मदए जाए परन्तु उनकी राजनीमत में दलों मक कोई भी भयममका न रहे और
उनका स्वथथ राजनीमतक व्यक्तित्व उभरने का अविर ममले |

४-नारी का िम्मान करने वाले ही प्रत्याशी उतारे जाए ,इिके मलए उनके क्षेत्र की गैर दलीय
जागरूक ममहलाओं एवं आम गरीब ,बीमार ,अमशमक्षत ममहला की भी िंस्तुमत ली जाए . |

५-िभी दलों और िंभामवत प्रत्यामशयो िे अपील है मक मवराम -५ के पररचय कायाक्रम में मकिी
जामत,िमा ,व्यक्ति ,मक चचाा ,भाषण न करके अमिकतम -५ ममनट में ५ मबंदु रखे .|

जो लोग खुद को ईमानदार कहने में िंकोच कर रहे है वो चाहे तो अपने आि पाि के
मकिी ईमानदार का नाम बताकर अपना नाम भी इि ईमानदारी में दजा करा िकते है .|

प्रत्येक शाममल होने वाले िदस्य के ५- कताव्य जो उिे अपनी स्वयं मक ईमानदारी िे पयरा
करना है -

१-प्रथम कताव्य -अपने मोबाइल में ३० रूपये का msg कािा िलवाकर मवराम -५ अमभयान के
िंदेशो को महीने में ३००० लोगो को अग्रिाररत करना है |

२-दय िरा कताव्य - अपने कायाक्षेत्र और दै मनक मक्रया कलापों के िाथ िाथ ही जो िम्ावनाये
बन पड़े ,१०० पचे अवश्य बां टे -िुबह टहलने वालो में ,बच्चो के िाथ शाम को पाका या
stadium या स्कयल के बाहर,टर े न बि स्टे शन रे लवे प्ेटफामा ,िब्जी मंिी,अस्पताल ,खरीददारी
करते वक़्त ,अपने क्षे त्र के पुस्तकालय ,आवाि िमममत की बैठक इत्यामद में |

३- तीिरा कताव्य -अपने आि पाि की पमत्रका ,अख़बार दै मनक िाप्तामहक मामिक ,में मवज्ञक्तप्त
तथा अपने क्षेत्र के केमबल पर १ महीने प्रिाररत होने की व्यवथथा जो उिी क्षेत्र के मवराम -५
िरं क्षको द्वारा उिी क्षेत्र के लोगो द्वारा अमिकतम ५ रूपये के िहयोग िे मकया जाएगा . |

४- चतुथा कताव्य -कम िे कम ५ िदस्यों केनाम हस्ताक्षर के मबना कोई ियचना अग्रिाररत नहीं
होगी| इिके मलए िभी िदस्य अपनी बात फेि बुक पर मलखे ,पयछे ,बताये . |
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५-अपने क्षेत्र के अि पाि की िमस्याओ के बारे में ,और िबिे कमजोर मानमिकता और
िबिे मवद्वान व्यक्तित्व का पररचय िंपका ियत्र अवश्य अपने पाि रखे ,ऐिे लोगो को मोहल्ला
मवराम -५ की िभाओ में जज [मनणाा यक मंिल में शाममल मकया जाएगा |

जो लोग मनम्न मवचार मे मवश्वाश रखते है वो आगे आए -

व्यक्ति माध्यम है मवचार का ,बाहर िे मलए उिार का ,मजिे वो लौटा ही दे ता है ,अपने मयल
और ब्याज को ममलाकर वो उिकी बपौती नहीं होता ,पर मनममत्त की िं ख्या कम होना घातक
हुआ अक्सर ,व्यक्ति और मवचार मे यमद चयन करना हो तो आप मकिे चुनेंगे और मवचार या
व्यक्ति के मलए आपकी क्ा मनरं तर पोषण योजना होगी ।

क्ा आपने जानने का प्रयाि मकया मक भ्रष्ट्ाचार का कारण -मक्रया कहाूँ िे प्रारं भ होती है
मेरी अल्पबुक्ति ने मुझे कुछ ययं बताया --

भ्रष्ट्ाचार =बेईमानी िे =अन्याय िे =अव्यवथथा िे =अिंतुमलत मानमिकता िे = चररत्र की


दु बालता िे =मवचारहीनता िे =अित्यता िे

अित्यता िे बचने का िंकल्प लेने वाला िंस्कार दे ने की व्यवथथा करना भी अप्रत्यश रूप िे
[कई पदो के पीछे ,या कई स्तर-चरणों िे गुजरते हुए ] भ्रष्ट् मानमिकता पर मवराम लगाने मे
िफल होगा ।

जो लोग आज तक इि िोच व िंकल्प के िाथ जी रहे थे उनके मजबयत मवचार ही आने वाले
िमय मे अविरवादी मानमिकता को मनयंमत्रत करने के मलए उपयोगी होंगे कृपया ऐिे लोगो को
पहचान कर उनको िम्मामनत करे या हमे ियमचत करे ।

मवचार कभी मदखाई नही दे ता वह केवल िुनकर मनन कर जाना जाता है ले मकन मवचार िदै व अमर है
ले मकन मनुष् का मृ त्यु अटल ित्य है इि मलए मैं मवचार को ज्यादा महत्व दे ता हू ॅ न मक इि निवर
शरीर को इि शरीर का उपयोग मात्र मवचार को िंचामलत करने के मलए मकया जाता है ।

एक मजज्ञािा बहुत परे शान कर रही है ,एक प्रश्न आं खे मदखा रहा है जरा बचाए मचत्रपट वालों
की घमड़याूँ रुकी है 65 िाल पहले िे , िमस्याओं की िमझ जो आनी चामहए थी आज़ादी के
बाद िे ,जब दे श को मनोरं जक तरीके िे ही कुछ बता दे ते तो अनपद भी िीख ही जाते
मौमलक अमिकारो की भाषा ,वो आज क्यूँ हं िा रहे है क्यूँ रुला रहे है अब हमिे हमारा बचा
खुचा मववेक भी न िोखे िे न छीन ले इनिे बचो इनकी घमड़या हमारी घड़ी को भी रोक
िकती है दे खो मुंबई मे युवाओं के िंघषा को ----क्ा कम थे राजघराने ,पयंजीपमत जो ग्लैमर
भी दु श्मन बन बैठा ,क्ा मदया इिने मदया महिाब लगा कर दे खेंगे तो हमिे इन्ोने अथाह
मलया है भगवान बन गए लोगो के और मदया क्ा है , हॉकी की चक दे इं मिया के हीरो
शाहरुख खान क्ा मदला पाएं गे िमचन की जगह ध्यानचंद जी को भारत- रत्न।
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कल िे टी वी पर मवज्ञापन मे िे ममहला का िायलौग प्रिाररत नहीं हो रहा "an idea मे


अमभषेक िे पहले एक ममहला कहती है की मैंने दे श के मलए वैवामहक जीवन त्याग मदया है "
मकिी बहुत गंभीर मचंतन का पररणाम थे ये शब्द -------- इिी वैचाररक क्रां मत की ही तो
मै बात कर रही हूूँ एक बार िही मदशा मे ऊजाा ने गमत पा ली तो यमराज िे भी वापि ले
आएं गे हम अपने मृतप्राय हो रहे तको को मजनके कारण िमा िंस्कार िब बचेंगे ।

क्ा लाभ होगा प्रकाश झा जी की आरक्षण मफल्म िे क्ा आप बता िकते है ?

मवचारशील राजनै मतक मं च उन प्रत्यामशयों को आमं मत्रत करता है मजन्े मिफा एक बार केअविर मे ही
ऐिे काम करने है मजििे नारी की जागृमत िुरक्षा और िहयोगी नीमतयों के िाथ िभी प्रकार के
भ्रष्ट्ाचार को पहचानकर उन्मय लन करने की क्षमता हो

जो ित्ता हस्तां तरण की मजबयरी इमतहाि मे झेल
चुके है वो पुन: न दे खनी पड़े । उि िमय भी दे शभिो की कोई कमी नहीं थी बि दो नामो की
भय ममका को ही महत्वपयणा बनाने मे मिमट कररह गई थी राजनै मतक पररवतान िे व्यवथथा के िपने ।
अब हमारे िामने चुनौती यह है मक हम इि बार िोखा न खाये । िमय बहुत कम है बहुत िे पुराने
राजनै मतक आिारो को भी राष्ट्र प्रेम िे जोड़ना है । अन्ना जी हो या स्वामी जी दोनों के पाि िज्जन
लोग तो है परं तु तीव्र चतुर और दय रदशी राजनै मतक व्यक्तियों तक उनकी मनगाह शायद पहुच ही न
पाये । ऐिे मे िभी िमय ह के लोगो िे अपील है मक वो अपने िदस्यो के गुणो का आकलन करना
प्रारं भ कर दे तथा िमाज मे ऐिे लोग जो र्फेि बुक पर नहीं है उनका पररचय मकिी भी तरह अवश्य
दे ।
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क्ा आप िमा मनरपेक्ष हैं ? जरा मर्फर िोमचये और स्वयं के मलये इन प्रश्नों के उत्तर खोमजये.....

१. मवश्व में लगभग ५२ मुक्तस्लम दे श हैं , एक मु क्तस्लम दे श का नाम बताईये जो हज के मलये "िक्तििी"
दे ता हो ?

२. एक मु क्तस्लम दे श बताईये जहाूँ महन्दु ओं के मलये मवशे ष कानयन हैं , जै िे मक भारत में मु िलमानों के
मलये हैं ?

३. मकिी एक दे श का नाम बताईये, जहाूँ ८५% बहुिंख्यकों को "याचना" करनी पिती है , १५%
अल्पिंख्यकों को िंतुष्ट् करने के मलये ?

४. एक मु क्तस्लम दे श का नाम बताईये, जहाूँ का राष्ट्रपमत या प्रिानमन्त्री गैर-मु क्तस्लम हो ?

५. मकिी "मु ल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, मजिने आतंकवामदयों के क्तखलार्फ र्फतवा जारी मकया
हो ?

६. महाराष्ट्र, मबहार, केरल जै िे महन्दय बहुल राज्यों में मु क्तस्लम मु ख्यमन्त्री हो चुके हैं , क्ा आप कल्पना कर
िकते हैं मक मु क्तस्लम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई महन्दय मु ख्यमन्त्री हो िकता है ?

७. १९४७ में आजादी के दौरान पामकस्तान में महन्दय जनिंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है ,
उिी िमय तत्कालीन पयवी पामकस्तान (अब आज का अहिानर्फरामोश बां ग्लादे श) में महन्दय जनिंख्या
30% थी जो अब 7% िे भी कम हो गई है । क्ा हुआ गुमशु दा महन्दु ओं का ? क्ा वहाूँ (और यहाूँ
भी) महन्दु ओं के कोई मानवामिकार हैं ?

८. जबमक इि दौरान भारत में मु क्तस्लम जनिंख्या 10.4% िे बढकर 14.2% हो गई है , क्ा वाकई महन्दय
कट्टरवादी हैं ?

९. यमद महन्दय अिमहष्णु हैं तो कैिे हमारे यहाूँ मु क्तस्लम ििकों पर नमाज पढते रहते हैं , लाऊिस्पीकर
पर मदन भर मचल्लाते रहते हैं मक "अल्लाह के मिवाय और कोई शक्ति नहीं है " ?

१०. िोमनाथ मक्तन्दर के जीणोिार के मलये दे श के पैिे का दु रुपयोग नहीं होना चामहये ऐिा गाूँ िीजी ने
कहा था, ले मकन 1948 में ही मदल्ली की मक्तिदों को िरकारी मदद िे बनवाने के मलये उन्ोंने ने हरू
और पटे ल पर दबाव बनाया, क्ों ?
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मैं नीचे एक मलस्ट दे रहा हूं उिे चेक करके िच-िच बतायें मक इिके अनु िार आप मकतने
“िामामजक” हैं ?

1) आप अपने मबक्तल्डंग/गली/मोहल्ले /िोिायटी में रहने वाले मकतने व्यक्तियों को चेहरे िे, मकतनों को
नाम िे जानते हैं ? उनमें िे मकतनों के बारे में यह जानते हैं मक वह क्ा काम करता है ?

2) मजन्ें आप व्यक्तिगत रूप िे जानते हैं , उनके घर वषा में मकतनी बार गये हैं?

3) आपकी कालोनी में हुई मकतनी शामदयों / अमथा यों में आप मकतनी बार गये हैं? मकतनी बार आप
होली-दीवाली के अलावा भी पड़ोमियों िे बात करते, ममलते हैं ?

4) आप अपनी कालोनी/िोिायटी की मकिी मीमटं ग अथवा िमममत में मकतनी बार गये है ? क्ा आप
मकिी िामामजक-िां स्कृमतक िंथथा िे जुड़े हुए हैं ? और उिकी गमतमवमियों में माह में मकतनी बार जाते
हैं ?

5) क्ा आप अपने इलाके के पाषा द (Corporator), मविायक, िां िद को व्यक्तिगत रूप िे जानते हैं ?
उनके र्फोन नम्बर या पता आपको मालय म है ? अपने इलाके के राजनैमतक कायाकताा ओ- ं मवामलयों-गुण्डों
को आप पहचानते हैं या नहीं?

6) क्ा आप जानते हैं मक आपके मोहल्ले -गली-वािा का मबजली कनेक्शन मकि टर ां िर्फामा र िे है ? आप
अपने इलाके के मबजली मवभाग के बारे में उनके र्फोन नम्बर के अलावा और क्ा जानते हैं?

7) क्ा आप जानते हैं मक आपके इलाके-मोहल्ले -गली-िड़क को पानी की िप्ाई कहाूँ िे होती है ?
क्ा कभी आपने मोहल्ले की पानी की पाइप लाइन की िंरचना पर ध्यान मदया है ?

8) क्ा आप कॉलोनी की िीवर लाइन के बारे में जानकारी रखते हैं , मक वह कहाूँ िे गई है , कहाूँ -मकि
नाले में जाकर ममलती है , कहाूँ उिके चोक होने की िम्ावना है… आमद-आमद?
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9) आपके मोहल्ले में अमय मन लगातार वषों तक घयमने वाले अखबार हॉकर, ब्रेि वाले , दय ि वाले , टे लीर्फोन
कमी, मबजलीकमी, नलकमी, ऑटो ररक्शा वाले आमद में िे आप मकतनों को चेहरा दे खकर पहचान िकते
हैं ?

10) मजि िड़क-गली-मोहल्ले िे आप रोज़ाना दफ़्तर-बाज़ार आमद के मलये गुजरते हैं क्ा आप उि पर
चल रही मकिी “अिामान्य गमतमवमि” का नोमटि ले ते हैं ? क्ा आपने कभी अवैि मक्तन्दर-दरगाह या
अमतक्रमण करके बनाई गई गुममटयों-ठे लों-दु कानों-मकानों पर ध्यान मदया है?

यह तमाम जानकाररयाूँ “िामामजक जागरुकता” के तहत आती हैं , मजनकी जानकारी िामान्य तौर पर
"थोड़ी या ज्यादा", प्रत्येक व्यक्ति को होनी ही चामहये… क्ोंमक “बुरा िमय” कहकर नहीं आता, कहीं ऐिा
न हो मक खतरा आपके चारों ओर मं िरा रहा हो और आप अपने घर में टीवी ही दे खते रह जायें…।

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अब स्कोर की बारी - यमद ऊपर दी गई 10 प्रश्नावली में िे 7-8 पर आपका उत्तर "हाूँ " है तो आप
मनमित रूप िे "जागरुक" की श्रे णी में आते हैं , यमद आपके उत्तर 4-5 के मलये ही "हाूँ " हैं , तब आपको
और अमिक जानकारी एकमत्रत करने की आवश्यकता है , और यमद आपका जवाब मिर्फा 1 या 2 के मलये
ही "हाूँ " है , तब इिका मतलब है मक आप मनहायत "गैर-िामामजक" और "खुदगज़ा " मकस्म के इं िान
हैं …
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संस्कृि बने गी नासा की भार्षा, पढ़ने से गतिि और तिज्ञान की तशक्षा में आसानी

आगरा [आदशा नं दन गुप्त]। दे वभाषा िंस्कृत की गयंज कुछ िाल बाद अंतररक्ष में िुनाई दे िकती है ।
इिके वैज्ञामनक पहलय का मु रीद हुआ अमे ररका नािा की भाषा बनाने की किरत में जु टा है । इि
प्रोजे क्ट पर भारतीय िंस्कृत मवद्वानों के इन्कार के बाद अमे ररका अपनी नई पीढ़ी को इि भाषा में
पारं गत करने में जु ट गया है ।

गत मदनों आगरा दौरे पर आए अरमवंद फाउं िेशन [इं मियन करचर] पां मिचेरी के मनदे शक िंपदानं द
ममश्रा ने 'जागरण' िे बातचीत में यह रहस्योद् घाटन मकया। उन्ोंने बताया मक नािा के वैज्ञामनक ररक
मब्रग्स ने 1985 में भारत िे िंस्कृत के एक हजार प्रकां ि मवद्वानों को बुलाया था। उन्ें नािा में नौकरी
का प्रस्ताव मदया था। उन्ोंने बताया मक िंस्कृत ऐिी प्राकृमतक भाषा है , मजिमें ियत्र के रूप में कंप्ययटर
के जररए कोई भी िंदेश कम िे कम शब्दों में भेजा जा िकता है । मवदे शी उपयोग में अपनी भाषा
की मदद दे ने िे उन मवद्वानों ने इन्कार कर मदया था।

इिके बाद कई अन्य वैज्ञामनक पहलय िमझते हुए अमे ररका ने वहां निारी क्लाि िे ही बच्चों को
िंस्कृत की मशक्षा शु रू कर दी है । नािा के 'ममशन िंस्कृत' की पुमष्ट् उिकी वेबिाइट भी करती है ।
उिमें स्पष्ट् मलखा है मक 20 िाल िे नािा िंस्कृत पर काफी पैिा और मे हनत कर चुकी है । िाथ ही
इिके कंप्ययटर प्रयोग के मलए िवाश्रेष्ठ भाषा का भी उल्ले ख है ।

स्पीच थैरेपी भी : वैज्ञामनकों का मानना है मक िंस्कृत पढ़ने िे गमणत और मवज्ञान की मशक्षा में आिानी
होती है , क्ोंमक इिके पढ़ने िे मन में एकाग्रता आती है । वणामाला भी वैज्ञामनक है । इिके उच्चारण
मात्र िे ही गले का स्वर स्पष्ट् होता है । रचनात्मक और कल्पना शक्ति को बढ़ावा ममलता है । स्मरण
शक्ति के मलए भी िंस्कृत काफी कारगर है । ममश्रा ने बताया मक कॉल िेंटर में काया करने वाले
युवक-युवती भी िंस्कृत का उच्चारण करके अपनी वाणी को शु ि कर रहे हैं । न्यय ज रीिर, मफल्म और
मथएटर के आमटा स्ट के मलए यह एक उपचार िामबत हो रहा है । अमे ररका में िंस्कृत को स्पीच थेरेपी
के रूप में स्वीकृमत ममल चुकी है ।
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इि दे श की खय मबयाूँ :
.
ये वो दे श है जहाूँ मपज्जा Ambulance और Police िे जल्दी पहुच जाता है .
.
जहाूँ कार लोन मशक्षा के मलए ममलने वाले लोने िे िस्ता है .
.
जहा आटा चावल तेल चीनी गरीब की पहुच िे दय र है ले मकन मिम कािा फ्री है .
.
जहाूँ अरबपमत लोग गरीबो के जीवन स्तर में िुिार हे तु दान दे ने की तुलना में मक्रकेट टीम खरीदते
हैं .
.
जहाूँ हम चाय की दु कान पर खड़े होकर बाल श्रम पर चचाा करते है और यहाूँ तक कह दे ते है की
ऐिे लोगो को गोली मार दे नी चामहए जो बालश्रम करवाते है . और मफर आवाज लगाते है ओये छोटय
िाले कहा मर गया चाय कल लायेगा क्ा……..
.
ये वो दे श है जहाूँ वतन पर मरने वालो को आतंकवादी करार मदया जाता है . ( मु म्बई मई ICSE 6th
क्लाि की Social Science की बुक के पेज ६४-६५ में भगत मिंह, िुखदे व व राजगुरु को आतंकवादी
बताया गया है .) और अफजल गुरु और किाब जैिे लोगो को िरकारी खचे पर पाला जाता है . ये
दे श महान था मकन्तु हमने इि दे श को उि मु काम पर पंहुचा मदया है जहा मु ह िे तो ये गवोक्ति की
जा िकती है की मे रा भारत महान ले मकन ये बात मदल िे नहीं कही जा िकती है . और िबिे
अर्फिोि की बात ये है की युवा वगा भी इि और िे मु ह फेरे है की कैिे इि दे श को इिका खोया
हुआ मु काम मदलाया जाये…
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तकसी भी दे श का इस्लामीकरि कैसे होिा हैं ?

१. मुक्तस्लम आबादी दर हर गै र इस्लाममक दे श में गै र


मुिलमानों की तुलना में दु गनी रफ़्तार िे बच्चे पैदा करते हैं |
मजििे अथा व्यवथथा गड़बड़ा जाती हैं |
२. मुक्तस्लम आबादी पढाई मलखाई में कोई रूमच नहीं रखती |
अंग्रेजी, गमणत, मवज्ञानं आये ना आये कुरान जरुर बच्चों को
पढाई जाती है |
३. मुक्तस्लम जो व्यविाय करते हैं वो भी िमाज महत के नहीं
होते | जैिे बड़े व्यविायी जो टे नरी चलाते हैं उिकी गं दगी
नमदयों में बहाते हैं मजि िे पानी में आिेमनक जैिे जहर की
मात्रा बढती जाती हैं |
४. मुक्तस्लमो की गोस्त की दु काने आिपाि मबमाररयां लाती हैं
| जानवरों की हत्या अन्न-जल िं कट का प्रमुख कारण हैं |
५. जहा मुक्तस्लम अमिक होते हैं वह िंगमठत तरीके िे रहते हैं
और आिपाि मकिी गै र मुक्तस्लम को बिने नहीं दे ते | १००
महन्दु ओ के बीच एक मुक्तस्लम रह िकता हैं पर १०० मुिलमानों
के बीच महं दय नहीं रह िकता |
६. मुक्तस्लम िंगमठत होने की वजह िे गै र मुिलमानों िे
बेवजह झगिा करते हैं , अगर आि पाि उनकी िंपमत्त होती हैं
तो उि पर कब्जा कर लेते हैं जैिा की कश्मीर में हुआ |
७. पररवार में अमिक िदस्य होने िे और अमशमक्षत होने िे
छोटे िंगमठत अपराि करते हैं | जैिे की अनामिकृत कब्जे ,
मबजली चोरी, नशीले पदाथो का िंिा करते हैं |
८. ये छोटे अपरािी जल्द ही बड़े अपरामियों िे जा ममलते हैं
और ये बड़े अपरािी भी कभी ना कभी उन्ी मुक्तस्लम बक्तस्तयों
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िे मनकल कर आये होते हैं | टाइगर मेनन और दाउद इब्राहीम


कािकर और ना जाने मकतने अपरािी ऊपर उठे |
९. बड़े अपरािी दे श की अथा व्यवथथा को मबजली चोरी या
अमतक्रमण की तरह छोटा मोटा नुक्सान नहीं पहुचाते बक्ति
हजारो करोिो का नुक्सान पहुचाते हैं | जैिे स्टाम्प घोटाले व
हवाला कां ि का प्रमुख अब्दु ल करीम तेलगी १०,००० करोड़ व
हिन अली ३६,००० करोड़ इत्यामद रकम कमाते हैं और इिे
इस्लाममक मुिो िे गै र इस्लाममक दे शो में आतंक हत्या के
मलए हमथयार प्रमशक्षण पर प्रयोग मकया जाता हैं |
१०. वे मुक्तस्लम जो कामर्फर दे श में मकये गए अपराि लयट पाट
को िाममाक कृत्य मानते हैं वे और भी तरीको िे मुक्तस्लम लड़के
गै र-इस्लाममक दे श में जंग के मलए तैयार करते हैं | उनमे िे
एक िरलतम रास्ता जेहाद का हैं कामर्फर का क़त्ल हर मुक्तस्लम
पर अमनवाया हैं |
११. कुरान पढ़े बेरोजगार लड़के जेहाद के मलए आिानी िे
तैयार हो जाते हैं बक्ति अपना िौभाग्य िमझते हैं और
इस्लाममक दे शो में मौजयद अपने रहनुमाओ की मदद िे जेहादी
बनते हैं |
१२. ये जेहादी दे श में िमय िमय पर बम मवस्फोट िामयमहक
हत्याए वा दं गे करते हैं | दं गो को कुछ लोगो की शरारत कहा
जाता हैं जबमक बम मवस्फोट पर कहा जाता हैं की इिका
इस्लाम और मुिलमानों िे कोई लेना दे ना नहीं जबमक दोनों
ही जेहाद अथाा त िमां युि का महस्सा हैं |
१३. यमद गै र इस्लामी कौमे िंगमठत होकर िमां युि का जवाब
दे ती हैं तो मुक्तस्लम जोर जोर िे हल्ला करना चालु करते हैं के
96

हम पर जु ल्म और अत्याचार हो रहा हैं , हम िुरमक्षत नहीं इि


मुि में |
१४. मुिलमानों के िंगमठत होने की वजह िे और हमलावर
होने की वजह िे नाक्तस्तक राजनैमतक दल मुिलमानों का पक्ष
लेने में ही अपनी भलाई िमझते हैं जैिे की भारत में कां ग्रेि,
िमाजवादी, कमुमनस्ट दल इत्यामद |
१५. क्ोंमक इन दलों का िमा िे, िंस्कृमत िे कोई लेना दे ना
नहीं होता और मुक्तस्लम िमथा न ममलने पर इन्ें ित्ता का और
लालच आ जाता हैं ये मुक्तस्लम आबादी के बढने में और
िहायता करते हैं उनके हर काम में चाहे वो गलत हो या
िही, िाथ दे ते हैं |
१६. बंगलादे श िे आये ४ करोड़ मुक्तस्लमो को कां ग्रेि ने ना
केवल बिाया अमपतु उनको मजि कानयन (आई. ऍम. टी.
िी. एक्ट) की िहायता िे मनकाला जा िकता था उिे भी
खत्म कर मदया |
१७. आतंकवाद के क्तखलाफ कानयन (पोटा एक्ट) बनाना तो
दय र रहा, जो कानयन था उिको भी खत्म कर मदया |
१८. मुक्तस्लम नाराज ना हो इि मलए जेहामदयों को उच्चतम
न्यायालय िे दी हुयी को िजा को भी रोके रखते हैं | जैिा की
कां ग्रेि ने अफजल गु रु की र्फािी रोक रखी हैं |
१९. गै र मुक्तस्लमो के इि कमथत िेकुलर वगा की इि मयखाता
िे मुक्तस्लम खुश होते हैं और और तेजी िे आबादी बढ़ाने का
उपाए िोचते हैं
२०. इन उपायों में गै र मुक्तस्लम िम्प्रदाये की लड़मकयों को
प्यार के झयठे जाल में फिाना होता हैं और उनिे बच्चे पैदा
करने होते हैं इन्ें लव जेहादी कहते हैं |
97

२१. अगर ये लव जेहादी ३-४ महं दय या ईिाई लिमकयो को


मजन्ें ये वगा ला-फुिला के भगा लाए थे , क्तखला (वहन) नहीं कर
पाते हैं , तो भोग करने के बाद मकिी अिेि उम्र के मुक्तस्लम
को बेच दे ते हैं अमिकतर वह मुक्तस्लम बदियरत ही होते हैं
इिीमलए उन्ें इि उम्र तक औरते नहीं ममल पाती |
२२. मुक्तस्लम आबादी बढ़ने के िाथ-िाथ छोटे -छोटे इस्लाममक
क्षे त्रो का भी मनमाा ण करते हैं | जै िे महं दय इलाके में अमिक दामों
पर कोई एक इमारत खरीद कर लेते हैं और मफर वहा बड़े
मुक्तस्लम पररवार बिा मदए जाते हैं |
२३. ये मुक्तस्लम लोग आिपाि लोगो िे आये मदन झगिा करते
हैं और िीरे िीरे पिोमियो को अपने घर िस्ते दामों पर मकिी
मुक्तस्लम को ही बेचने को मजबय र कर दे ते हैं इि प्रकार इनकी
एक मकान पर खचा की गयी अमतररि रकम िे कही अमिक
मुनाफा मनकल आता हैं |
२४. मुिलमानों की मक्तिद अक्सर शहर के बीचों-बीच होती
हैं तामक मकिी तरह की व्यवथथा मबगिने पर मीनारो की आड़
िे पुमलि को दे ख िके | और जरुरत पड़ने पर खुद पुमलि
व्यवथथा पर हमला कर िके |
२५. छोटी मुक्तस्लम बक्तस्तयाूँ ना केवल िंगमठत होती हैं अमपतु
हमलावर लोगो िे भरी होती हैं | हर घर में दे िी तमंचे ममलना
िामान्य बात होती हैं |
२६. भारत में नव-मनममात मुक्तस्लम बक्तस्तयाूँ अक्सर या तो
राजमागो के मकनारे होती हैं या टर े न लाइनों के मकनारे |
राजमागो के मकनारे बनी मजारो में मजनमे िे अमिकतार कुत्ते
मबक्तल्लयो की या खाली ही होती हैं हमथयार छु पाये रहने की
िंभावनाओ िे इं कार नहीं मकया जाता |
98

२७. यमद गै र-इस्लाममक दे श के अगल-बगल में इस्लाममक


दे श हैं तो िमय-िमय पर इस्लाममक दे श हमला करते रहें गे
जैिा की भारत का पिोिी पामकस्तान करता रहता है |
२८. ऐिे पिोिी इस्लाममक मुि प्रत्यक्ष जीत ना पाने की
क्तथथमत में छदम युि प्रारं भ करते हैं | गै र इस्लाममक मुि में
मौजयद मुक्तस्लमो की मदद लेते हैं इस्लाममक एकता के नाम पर
|
२९. आबादी में ३० प्रमतशत तक पहुचने पर िमय आ जाता
मुक्तस्लमो के मलए के वो कामर्फर दे श पर कब्जा कर ले क्ों
की िंगमठत ३०% मत मकिी भी लोकताक्तन्त्रक दे श में काफी है
िरकार बनाने के मलए या ग्रह युि के माध्यम िे कब्जा करने
के मलए |
३०. इि िम्ावना िे भी इनकार नहीं मकया जा िकता के
मुक्तस्लम पिोिी दे श के िाथ ममल जाये और बाहर िे हमले के
िमय अंदर िे भी हमला कर दे | युि के िमय रे ल लाइन
उखाि दे , तेल पाइपलाइन तोड़ दे राज मागा जाम कर दें
इत्यामद तामक िेना को िमय पर रिद ना ममले और वो हार
जाये |
३१. िेना के हारते ही मवदे शी मुक्तस्लम गै र-इस्लाममक दे श में
आ जायेंगे और योगदान के अनुिार दे िी मुक्तस्लमो को ित्ता में
महस्से दारी दे दें गे क्ों की उनकी जीत में उनका भी बड़ा
योगदान होगा |
३२. दे श को दारुल हरब िे दारुल इस्लाम घोमषत कर मदया
जायेगा | यामन गै र इस्लाममक दे श इस्लाममक दे शो में िे एक हो
जायेगा | गै र इस्लाममक दे श में क्ा क्ा होता हैं ये हमें मलखने
की जरुरत नहीं मफर भी हम आगे के लेख में बताएूँ गे |
99

लेख िमीक्षा : आप उपरोि ले ख पढ़ कर िमझ ही चुके


होंगे की भारत इस्लाममक दे श बनने की कगार पर हैं | िबिे
मयल करण मुक्तस्लम आबादी का महन्दु ओ ईिाइयों और अन्य
िभी िे दोगु नी रफ़्तार िे बढ़ना हैं | इिका दय िरा प्रमुख
कारण है भारत का फजी िेकुलरवाद जो भारत को इस्लाममक
राष्ट्र बनाने की ओर अग्रिर हैं |
आप ये कहे िकते हैं के घोटाले अपराि भ्रष्ट्ाचार में तो महं दय
भी आं गे हैं तो मुक्तस्लमो को दोष क्ों दे ना | हमारा उत्तर हैं के
महं दय भ्रष्ट्ाचार कर के हमथयार नहीं खरीदते, ना ही उन हमथयारों
िे वो पामकस्तान में बम मवस्फोट करते हैं ना ही राष्ट्र का
ख्याल ना कर के आबादी बढ़ाते हैं | मुक्तस्लम हर कदम अपनी
कौम को ध्यान में रख के उठाते हैं और उनका अंमतम लक्ष्य
होता हैं दे श का इस्लामीकरण जबमक भ्रष्ट् महं दय को महं दय राष्ट्र
िे कोई लेना दे ना नहीं होता |
आप ये भी िोच रहे होंगे के मुक्तस्लमो ने दे श में बड़ा योगदान
मकया हैं | जब हम उन मगने चुने लोगो को जानते हैं तो पता
चलता हैं वो मुक्तस्लम हैं ही नहीं | जैिे की अब्दु ल कलाम
अिोक्तस्टक हैं , अज़ीम प्रेमजी का भी यही हाल हैं , अशफाक
उल्ला खान आया िमाजी थे व महं दय राष्ट्र का िमथा न करते थे
|
मुक्तस्लमो ने मजतना योगदान नहीं मकया था, उि िे ज्यादा
बटवारे के तौर पर ले मलया |
बां की आप अपने आि-पाि मुक्तस्लम गमतमवमियाूँ दे ख कर लेख
की ित्यता परख िकते हैं |
100

लि जेहाद: क्यों, कैसे, नुकसान और बचाि

क्यों?
भारि में जब इस्लामी सेनाए हमला करने को िैयार ना
होिी थी क्यों की आयफ भूतम से इस्लातमक सेनाए तजंदा
िापस नही ं जािी थी , उस िक् भारि के मंतदरों से
ज्यादा भारि की औरिो का लालच दे कर जेहादी नेिा
अपनी सेनाओ को मना पािे थे भारि पर हमला करने के
तलए | “औरिो की लूर्ट” नामक एक तकिाब िक तलखी
जा चुकी हैं तजसमे तदल दे हला दे ने िाले आकडे हैं
मुसलमानों िारा तहं दू ल्जस्त्रयों को लूर्ट के सामान की िरह
ले जाने के तलए | उन आकडो से िो तसर्फ यही सातबि
होिा हैं के अर्गातनस्तान और िुकी की ९० फीसदी
आबादी तहं दू औरिो से ही पैदा हैं | समय बदल गया हैं ,
आज औरिो को मुस्लमान एक गैर इस्लातमक दे श में ऐसे
ही उठा के नही ं ले जा सकिे बंगलादे श या पातकस्तान की
बाि अलग हैं | भारि में या यूरोप में इन्ोने अलग िरीके
अपना रखे हैं गैर मुस्लमान औरिो से बच्चे पैदा कर के
इस्लाम को बढ़ाने के | िो यहााँ शुरू होिा हैं लि जेहाद
|

कैसे ?
१. मुल्जस्लम लडको को मौलतियो ि अन्य इस्लातमक
संगठन िारा तहं दू लडतकयो को फसाने को ना केिल
प्रोत्सातहि तकया जािा हैं अतपिु इनाम के िौर पर या कहे
घर बसाने के नाम पर बड़ी रकम भी रखी जािी हैं | ये
101

रकम जेहाद के नाम पर, जकाि के नाम पर, तजज्या के


नाम या आपके िारा पेर्टरोल पर दी हुई रकम से ली जािी
हैं |
२. कम से कम ४-५ लड़के (ज्यादा भी हो सकिे हैं
) आपस में तमल के तहं दू लडतकयो को चुनिे हैं फसाने
के तलए | मुस्लमान हमेशा समूह में रहिे हैं अपने कायर
स्वाभाि की िजह से इसतलए उन तहं दू लडतकयो को
बचाना इिना सरल नही ं होिा |
३. ये लड़के गर्ल्फ कालेज के बाहर, कंप्यूर्टर संसथान
के बाहर या अंदर, या कोतचंग संस्थानों के आसपास रहिे
हैं | कभी-२ लेतडस र्टे लर की दु कान पर ४-५ लड़के लगे
ही रहिे हैं | इन्टरनेर्ट पर सोशल नेर्टिकफ से लेकर याह
चैर्ट रूम िक हर िो जगह जहा इन्ें तहं दू लड़तकया तमल
सकिी हैं िहा ये लगे रहिे हैं घाि में |
४. ज्यादािर मौको पर ये लड़के खुद को तहं दू ही
तदखाने का प्रयास करिे हैं | अच्छा मोबाइल सेर्ट, कपडे ,
िा मोर्टर साइतकल आकर्षफि के िौर पर इनका हतथयार
होिे हैं | तजम में घंर्टो कसरि भी ये लोंग इसी तलए
करिे हैं िातक अतधक से अतधक तहं दू लड़तकया र्सा सके
|
५. दतक्षि भारि में िो मुल्ला मौलिी इन लडको के
तलए पसोनातलर्टी डे िेलोप्मेंर्ट कोसे चलिा दे िे हैं | तकस
िरह बाि की जाए लडतकयो से , उन्ें कैसे िोहर्े तदए
जाए | और तकस प्रकार सेक्युलर बन कर उनसे तसर्फ
प्यार मोहब्बि की बाि कर के खूबसूरि सपने तदखाए
जाए |
102

६. तर्ल्म उद्योग में बढिे खान मेतनया से ये अब और


भी सरल हो गया हैं | ज्यादािर हीरो खान होिे हैं ऐसी
मानतसकिा लड़तकयों में िेजी से बढ़ रही हैं जो की
समाज के तलए बहुि की घािक हैं |
७. अगर तहं दू लड़की तनतिि समय में नही ं र्सिी िो
लि जेहादी अपने तकसी दू सरे तमत् को उसके पीछे लगा
दे िा हैं और खुद तकसी और के पीछे लग जािा हैं | इसे
लड़की र्ॉरिडफ करना कहिे हैं |
८. जल्द ही ये लड़के भोली भाली तहं दू लडतकयो को
अपने प्यार के जाल में र्सा लेिे हैं | उनमे से कई िो
शारीररक सम्बन्ध भी स्थातपि कर लेिे हैं | ज्यादािर
घर्टनाओ में मुल्जस्लम लड़के िाईग्रा का इस्तेमाल करिे हैं
िातक लड़तकया संिुष्ट रहे और उनके खानपान से आई
नापुसकिा छु पी रहे |
९. एक बार लड़की से सम्बन्ध स्थातपि हो गए िो
लड़की को घर से भागने के तलए मनाने में इन्ें दे र नही ं
लगिी | कही बार ये पहले भी मना लेिे हैं पर ऐसा कम
ही होिा हैं |
१०. भगा के लड़का लड़की को शादी से पहले इस्लाम
कुबूल करने पर मजबूर करा लेिा हैं इस्लामी िरीके से
शादी के नाम पर और लड़की र्स जािी हैं जाल में क्यों
की लड़की को िापस जाने की बाि िो तदमाग में आिी
ही नही ं |
११. लड़की को भगा के इस्लातमक शादी कर ले जाने
के बाद लड़की के साथ तनम्न में से एक घर्टना होिी हैं
103

क ) लड़का लड़की का पूरी िरह भोग कर के उसके


शहर से चार पाच सौ तकलोमीर्टर दू र बेच दे िा हैं तकसी
अधेड उम्र के मुस्लमान आदमी को तजसको उसकी
बदसूरिी की िजह से औरि नही ं तमली होिी या उसे
बस औरिो का शौक होिा हैं | यातन लड़की को िैश्या
व्रिी के दल दल में डाल दे िा हैं |
ख ) लड़की को पिा चलिा हैं के लड़का पहले से ही २-
३ शातदया करे बैठा हैं | और उसे भी नकाब में बंद एक
कमरा तमल जािा हैं |
घ ) लड़की की तकस्मि अच्छी होिी हैं और िो उसकी
पहली बीिी ही तनकलिी हैं | इस पाररल्जस्थ में लड़की
नकाब में िो कैद होिी हैं पर उसे अपने २-३ सौिनो का
इन्तेजार करना पड़िा है | और लड़के की गुलाम बन कर
रह जािी हैं क्यों की िो इस्लाम कुबूल कर चुकी होिी हैं
और इस्लाम में औरि को िलाक का कोई अतधकार नही ं
होिा |

नुकसान

१. एक तहं दू लड़की के भागने से कम से कम ८ तहन्दु ओ


की हातन होिी हैं |
२. जो लड़की भागिी हैं िहा एक , तजसके साथ भागिी
हैं उसके तलए कम से कम ४ बच्चे पैदा करिी हैं , अगर
िहा लड़की ना भागिी और तकसी तहं दू के साथ शादी
करिी और िहा समझदार होिा िो कम से कम ३ बच्चे
104

पैदा करिा इस प्रकार १+४+३=८ तहन्दु ओ का


नुकसान होिा हैं |
३. अब जरा अनुमान लगाइए के ८ तहं दू अगले पच्चीस
साल में ३ बच्चे भी पैदा करिे िो २४ और िो अगले
पच्चीस साल में ७२ इस प्रकार सौ साल में ४३२ तहन्दु ओ
का नुकसान होिा तसर्फ एक तहं दू लड़की के जाने से |
४. िही एक मुस्लमान एक तहं दू लड़की भागने पर उस
से ४ बच्चे पैदा करिा हैं िो ४ अगले पचीस साल में १६
बच्चे पैदा करिे हैं िो १६ अगले पचीस साल में ६४ बच्चे
पैदा करिे हैं इस प्रकार ५१२ मुसलमानों की िृतध होिी हैं
|
५. अब जोडीये जरा ४३२ + ५१२ = ९४४ तहन्दु ओ का
नुकसान सौ साल में तबना तकसी िलिार के जोर के
और कहने को इस्लाम दु तनया का सबसे िेजी से बढ़ने
िाला मजहब |
६. इन्टरनेर्ट पर उपलब्ध आकडो के अनुसार हर साल १
लाख से ऊपर तहं दू लड़तकया मुल्जस्लम लडको के साथ भाग
रही हैं िो अब जरा गुना कररये ९४४ * १००००० =
९४४००००० यातन नौ करोड़ चौिालीस लाख का अंिर
बैठेगा तसर्फ एक साल में तहंदू लड़तकयों के भागने के
नुकसान पर अगले सौ सालो में | ये आकड़ा बड़ा जरुर
लगिा होगा पर इसमें मृत्यु दर, नापुसकिा दर , िा अन्य
घर्टी भी लगा ले िो भी ये अकडा करोड़ों में ही रहे गा |
७. इस आकडे के अनुसार अगर तसर्फ २० साल मुल्जस्लम
इसी दर से लि जेहाद का अतभयान चलािे रहे िो उनकी
आबादी में तकिनी िृतध होगी इसका अनुमान आप खुद ही
105

लगाइए यानी आने िाले समय में तहन्दु ओ का सुपडा साफ


हो जाएगा तसर्फ इस छोर्टे से लगाने िाले बड़े हतथयार से
| लड़तकया दोनों समुदायों में कम हैं पर तहंदू आबादी पर
हो रहे इस तिशेर्ष िकतनकी हमले की िजह से तहं दू िृतध
दर को नकारात्मक में जाने में दे र नही ं लगेगी |
८. जो तहं दू ८०० सालो की जबरदस्त मार कार्ट के
बािजूद ८० करोड़ बचा हुआ था िो मात् २० साल के
तनरं िर एक दर के लि जेहाद से अगले सौ सालो में लुप्त
होने की कगार पर पहुच जाएगा | जैसे आज यहतदयो का
हाल हैं |
१. लड़की के पालन,पोर्षि तशक्षा पर तहं दू मा-बाप
तकिना खचफ करिे हैं पर जब तहन्दु ओ को अपनी कौम को
बढ़ाने का िक् आिा हैं िो मुल्जस्लम लड़के तहं दू लडतकयो
को ले उड़िे हैं | ये िरीका मुसलमानों को खुद के बच्चे
पैदा कर के उन्ें पाल पास के बड़ा करने से भी सरल हैं
, पका पकाया खाने का सरलिम िरीका हैं लि जेहाद |

बचाि

१. लड़तकयों को बचपन से ही िैतदक धमफ के मूलभूि


तसद्धांि और इस्लाम की कायफ तनति समझा दीतजए | ये
कायफ आप अपने बच्चो को खाने के र्टे बल पर भी तसखा
सकिे हैं | बच्चो को बाल सत्याथफ प्रकाश और तकशोरों
को सत्याथफ प्रकाश पढ़ने को अिश्य दे |
२. तकसी भी प्रकार से तकसी भी मुल्जस्लम को घर के
अंदर मि घुसने दे |
106

३. अगर कोई मुल्जस्लम लड़का आपकी लड़की के


आसपास र्र्टक रहा हैं िो फौरन कारिाही कररये | यतद
खुद आप समथफ नही ं िो अपने सिफप्रथम अपने क्षेत् के
लोगो की उसके बाद िजरं ग दल , तिश्व तहं दू पररर्षद ,
राष्टरीय स्वं सेिक संघ , आयफ समाज , या अन्य तकसी भी
तहं दू संगठन की मदद ले |
४. पुतलस से सहायिा लेने में भी ना चुके |
५. अपनी लड़की से खुल के बाि करे अगर उसका कोई
तहं दू प्रेमी हैं िो उसे घर पर बुला कर तमले | इस बाि से
तनतिि हो जाए के िो तहं दू हैं | व्यस्त लड़की पर मुल्जस्लम
जेहादी जल्दी सर्लिा नही ं पा पािे |
६. अंिर जािीय शादी को अब मान्यिा दे | ये दे खे के
लड़के का चररत् कैसा हैं और िो करिा क्या हैं ना की
उसका उपनाम | तकसी भी जािी का तहं दू एक मुसलमान
से हजार गुना बहे िर हैं क्यों की उसके पूिफजो ने अपना
शौयफ तदखा के अपने धमां को नही ं छोड़ा |
७. दहे ज ना ले, ना दे और लड़की की जल्द से जल्द
शादी करा दे |
८. मुसलमानो का आतथफक बतहष्कार करे | और अपने
क्षेत् के लडको को उनकी लड़तकयों से शादी करने को
प्रेररि करे | ये बदले की भािना से नही ं बल्जल्क सुरक्षा की
भािना से करे | इस से उस मुल्जस्लम लड़की का भी
उद्धार होगा |
९. मुल्जस्लम लड़का तहं दू होने को भी िैयार हो सकिा हैं
| पर अक्सर ऐसे मामलो पर भरोसा ना करे | इस्लाम में
कातर्रो यातन गैर मुसलमानों से झठ ू बोलना जायज हैं इसे
107

ितकया कहा जािा हैं | लड़का तसर्फ लड़की फसाने के


तलए ऐसा नार्टक कर सकिा हैं इसतलए जोल्जखम मि
उठाये |
१०. अगर कोई मुल्जस्लम इस प्रकार की घर्टना में तहं दू
मुल्जस्लम एकिा का हिाला दे िो उस से पूतछयेगा के क्या
िो अपनी बहन की शादी तकसी तहं दू से करा रहा हैं |
तहं दू मुल्जस्लम एकिा तसर्फ तहं दू लड़तकयों की शादी मुल्जस्लम
लड़को से शादी करने से िो नही ं आयेगी इसमें उन्ें भी
बराबरी का सहयोग दे ना होगा |
११. अगर लड़की भाग भी गई हैं िो उसे िापस लाने में
संकोच ना करे | इसमें कोई शमफ की बाि नही बल्जल्क
लड़की को िापस लाने से आप अपनी गलिी सुधारें गे |
तहं दू संगठनो में िा आयफ समाज के माध्यम से आपको ऐसे
बहुि से राष्टर भक् युिा तमल जाएाँ गे जो उन लडतकयो को
स्वीकार करने को िैयार हो जाएाँ गे |
१२. कम से कम ३ बच्चे अिश्य पैदा करे और ये जान ले
की लडतकया समाज का आधार हैं | उनसे ही कौम आगे
बढ़े गी इसतलए भ्रूि हत्या के ल्जखलार् आन्दोलन में
जागरूक रहे |
108

मुसलमान मोहम्मद के चररत् तचत्ि से क्यों डरिे हैं ?

मोहम्मद का काटय ा न बना तो पयरी दु मनया के मुिलमानों ने अपनी-२ जगहों पर बलवा मकया | दु मनया को
इमतनी बु री तरह िे बदलने वाला व्यक्ति रहस्य बना हुआ हैं | कोई कुछ जानता ही नही ं उिके बारे में | प्रश्न
तो ये उठता हैं के इिाई ईशा मिीह के नाटक मंच पर दोहराते हैं तामक उनके अच्छे गु ण अन्य लोंग जान
िके और ले िके | महं दय राम लीला रचाते हैं तामक राम के अच्छे कृत्यों को मदमाग में रख िके | अच्छाई की
बु राई पर जीत | पर मोहम्मद के नाम पर ऐिा क्ा की उनका कोई मचत्र नही ं हो िकता | मुक्तस्लम कहते हैं
इस्लाम में बु त परस्ती मना हैं इिमलए | बु त परस्ती मना होने िे मचत्रण का क्ा लेना दे ना ? क्ा काबा मंमदर
(उनके मलये मक्तिद) की तस्वीर रखना नही ं गलत हैं पर रखते हैं | तस्वीर रखने िे उिकी बु त परस्ती थोड़े
हो जाती हैं बक्ति अपने आदशा के कृत्यों की याद बनी रहती हैं | जैिे आया िमाजी ऋमष दयानंद की तस्वीर
रखते हैं | दय िरा तका ये दे िकते के इि िे उनका अपमान होगा | मान-अपमान तो जीमवत लोगो का होता
हैं अगर ये भे द नही ं पता उन्ें तो बु त परस्ती भी नही ं पता | इिी मलए वे हजरे अस्वाद को िरमक्षत करे हुए
हैं और बु त परस्ती के मवरोि में होने का ढोंग करते हैं |
वास्तमवक बात तो ये हैं के मोहम्मद का कोई चररत्र ही नही ं था मजिका मचत्रण मकया जाए | क्ा मदखाएं गे
मुिलमान की कैिे मोहम्मद के दादा अबय मक्तत्लब काबा मंमदर का िरक्षण करते थे तीथा यामत्रयों का प्रबं ि करते
थे | मकि प्रकार मोहम्मद को बचपन में ममगी के दौरे पड़ते थे | कैिे उिने अपने िे १५ वषा आयु में बड़ी
और अरब की अमीर बु मिया िे शादी की | उि अमीर बु मिया के मरते ही मकि प्रकार ५१ वषीया मोहम्मद ने
६ वषा की बच्ची िे शादी(मार्फी चाहूूँ गा इि गं दे कृत्य को मुक्तस्लम शादी कहते हैं ) की | मकि प्रकार ९ वषा
की होने पर उि बच्ची िे िम्ोग मकया | अपनी मय बोले बे टे की बीवी िे शादी की और कैिे मभन्न मभन्न ३१
िे ऊपर औरते रखी | कैिे मोहम्मद ने उम् मकफाा की वृ ि नेत्रानी बनय फस्रह के हाथ पावो को २ उटो िे
बं िवा के फड़वा मदया | ऊट की चोरी करने वाले ८ लोगो के हाथ पाूँ व कटवा दीये | वो ऊट जो खुद
मोहम्मद ने चुराए थे | बनय कुइनैका, बनय नामदर, बनय कुरै ज़ा के लोगो पर मकतने अमानुषी अत्याचार मकये |
दमनया का िबिे पहला इस्लामी आतं कवादी मोहम्मद ही तो था जो ये िब दे खने पर िब िमझ जाएगा | जो
मोहम्मद को बचपन िे जानता था उिका चाचा मजिने ना जाने मकतनी बार उिकी जान बचाई पर मरते दम
तक कभी कुरै शो का मजहब नही ं छोड़ा और इस्लाम नही ं स्वीकार क्ों की उिे पता था के उिका भतीजा
पागल हैं | खुद आयशा ने हफ्ज्लिा के िाथ ममल कर मोहम्मद को जेहर दे मदया कहते हैं मोहम्मद मफर एक
बच्ची िे शादी की योजना बना रहा था | मफर लाभ तो आये शा के बाप अबय बक्र को ममला पहला खलीफा
वही हुआ | पर बचा कोई नही ं खानदान में मदया जलने वाला कोई नही ं रहा | आये शा बु री तरह क़त्ल कर दी
गई | मजिने कुरान मलखी उिे खुद मोहम्मद ने मरवा मदया | खैर इतना शैतामनयत जो भी मलखेगा मरे गा तो
हैं ही | पयरी दु मनया आज इस्लामीकरण के खतरे के तले िगमगा रही हैं , बे किय र मारे जा रहे हैं | इन िब
का कारण मोहम्मद था जो कोई भी ये िब दे ख लेगा उिे िमझने में एक पल नही ं लगे गा |
पर मोहम्मद को तो ऐिा हौवा बना रखा हैं के उिके बारे में तो बात करनी ही नही ं | वो इिमलए क्ों की
खुद मोहम्मद ने उन िबको बु री तरह क़त्ल करवा मदया मजिने भी उिके पैगम्बर होने का प्रमाण माूँ गा | खुद
मोहम्मद ने ना जाने मकतनी बार अपनी बात िे पलटा हैं इिका प्रमाण कुरान की मवपरीत बाते हैं | इिी मलए
109

मुिलमान मोहम्मद को छु पा के रखते हैं | मोहम्मद ने ज़न्नत में खुद की मिफाररश का पेच भी फिा रखा हैं
तामक कोई उिके गलत कामो पर ऊूँगली ना उठाए | पर खुद मजनको भी ये बाते पता चलती हैं उनका
मानवीय पक्ष इस्लाम छु िवा दे ता हैं | पर जो वाकई शैतान हैं वो िही जगह हैं क्ों के दु मनया के िारे गलत
काम इस्लाम में जायज हैं अगर वो गै र मुिलमान के िाथ मकये जाए | तो कोई क्ों लयटने, बलात्कार, हत्या,
झयठ बोलने की इजाजत छोड़े गा अगर वह अपरािी परवती का हैं |
एक बात और के मोहम्मद दे खने में बदिय रत था हदीिो की माने तो |मजि व्यक्ति ने उिकी तस्वीर बने
मोहम्मद ने उिे दे श मनकाला दे मदया | औरते उि िे नफरत करती थी | शायद इिी मलए वो औरतो का
बलात्कार करता था | बात मदखने की नही ं हैं बात तो कमो की हैं जो इतने गलत थे की उनको छु पा के रखने
में ही इस्लाम की भलाई हैं |

अब हमारे मुक्तस्लम भाई मुझे गाली दे िकते हैं | तका की उम्मीद तो उनिे करना बे कार हैं | पर उनिे
कहूूँ गा के मेरी कही बातो का प्रमाण आप यहाूँ िे दे ख िकते महं दी में भी उपलब्ध हैं |
110

हमें तहं दू नही ं, कांग्रेसी कतहये

क्ा आप लोगो ने कभी उन िच्चे कां ग्रेमियो का दु िःख िमझा, मजन्ें आप महंदय होने ही दु हाई दे ने
लग जाते हैं | आज इि ले ख में हम उन्ी कोंग्रेमियो का दु िःख प्रदमशा त करें गे, जब आप लोंग उन्ें
महं दय होने की गाली दे ते हैं | उनकी व्यथा को बयान करें गे और उनकी पीड़ा को िमझने के मलए
इि ले ख भर के मलए मैं कां ग्रेिी बन रहा हू | अतिः “हम कां ग्रेिी” शब्द का प्रयोग करू
ूँ गा, मु झे
पयणाकामलक कां ग्रेिी मत िममझयेगा | मु झमे एक कां ग्रेिी बनने मजतनी योग्यता कहा, इतनी योग्यता के
लीये तो मु झे कई जन्मो के पुण्य जोड़ने पड़ें गे | चलीये कोंग्रेिी पीड़ा का व्याख्यान करना प्रारं भ करते
हैं |

स्थापना : वैिे तो कोंग्रेि की थथापना महान महाराज जयचंद्र और उिके िमथा कों ने ८०० वषा पयवा
ही कर दी थी पर आज के भारत के लीये हमें मं च एक महान अग्रेज ए.ओ.ह्ययम ने मदया था िन
१८८५ कां ग्रेि की थथापना कर के |

तिशेर्षिा : हमारी मवशेषता ये हैं के हम मजि िमहष्णु िमाज में पोमषत होते हैं उिी िे घात करते हैं
|

योगदान : हमने दे श को कई बड़े ने ता मदए हैं पर महात्मा गां िी िे बड़ा ने ता नहीं दे पाए |
आदरणीय जवाहरलाल ने हरु जी ने प्रयाि जरुर मकया पर वो महात्मा जी की तरह दे श का मवभाजन
नहीं करा पाए बि दय िरे मवभाजन या भारत के इस्लामीकरण का बीज ही िाल पाए |

इतिहास : आप लोगो को बापय याद तो हैं ना | हां हमारे महात्मा गां िी मजन्ोंने अकेले दम पर
भारत को स्वािीन कराया | मवश्वाि नहीं होता क्ों क्ा आप नहीं गाते दे दी हमें आजादी मबना
खिग मबना ढाल िाबरमती के िंत तुने कर मदया कमाल | वे ही थे जनक हमारे राष्ट्र के, वे थे पुरे
दे श के बाप तभी तो राष्ट्र मपता कहते हैं |

अगर बापय ना होते तो हमें हमारे प्यारे पिोिी भी ना ममलते पामकस्तान और पयवा पामकस्तान (अब
बंगलादे श) और इतने अच्छे पिोमियो के मबना हमारे जवानों को शहादत के अविर भी ना ममलते |
ना ही हम ४ युिो को झेल कर तकमनकी तरक्की करने के लीये िोच पाते | मफर हमारे चाचा ने हरु
भी तो कां ग्रेिी थे , चाचा इिमलए क्ों की ये बच्चो िे बड़ा प्यार करते थे | १६ िाल की बक्तच्चयो िे
तो कुछ ज्यादा ही प्यार करते थे | आज कश्मीर में हमारे जवान इन्ी की वजह िे तो वामदयो का
वहा की ठण्ड का आनं द ले रहे हैं | इमरजें िी जै िी महान चीज़ दे ने वाली नेहरु जी की ियपुत्री
इं मदरा जी भी तो कोंग्रेिी ही थी | और मदल्ली की ििको को मिखों के खय न िे लाल करने वाले
दे श को िबिे युवा प्रिानमं त्री राजीव गाूँ िी कां ग्रेिी ही तो थे | पता नहीं इं मदरा जी और राजीव जी
को मवश्व महं दय पररषद का िदस्य मकिने बना मदया जो आप लोंग मिख महं दय दं गे कहते हैं | अरे
कां ग्रेि-मिख दं गे कमहये महं दय कहे के गाली मत दीमजए हमें |

िरक्की : हमने ना केवल अपने स्तर पर उन्नमत की हैं राष्ट्र को भी आगे बढ़ाया हैं | हमने अपने
चाररमत्रक स्तर प्र तररक्की की हैं | पहले हमारे पुरुष प्रिान मं त्री चाचा जी को कुवारी लिमकयो का
111

शौक था पर उनकी बेटी ने तो आदममयो का शौक कर के मदखाया | उनके लड़के ने तो और भी


कमाल मकया एक कैथोमलक बहु दे श के लीये लाए पर उिको महं दय नहीं मकया खु द कैथोमलक हो गए
| मफर तो ममलीजु ली की जगह शु िता आ गयी हम कां ग्रेमियो के राजवंश में अब हम उिी मागा
पर आगे मजिपर चल कर अंग्रेजो ने हम पर शाशन मकया था | हम पर अब काले अंग्रेजो का िब्बा
नहीं लगेगा अब हमारी भी चमड़ी गोरी हो गई |

मफर यही क्ों इं मदरा गाूँ िी ने तो िंयामियो पर मशीनगन चलवाई थी हमारी महानतम ने ता िोमनया
गाूँ िी जी ने तो िंयामियो के मय में गो मं श ठु िवा मदया | तो तरक्की हुई के नहीं | नाक्सलबाड़ी िे
जो शु रू हुआ उिे हमही कां ग्रेमियो ने दे श के २०० मजलो तक पहुचवाया | पयवोत्तर भारत के छोटे -
छोटे राज्यों में टु कड़े कर राज्य नाम िे चलवाने वाले हम ही तो हैं | भारतीय िेना वरना मनयंत्रण खो
बैठती और वहा भी महं दी और महं दय र्फैल जाते | हम ऐिा कैिे होने दे ते अब तो उन लोगो के पाि
अपनी िरकार हैं अपने नोट हैं हमारी िेना को तो हमने घुिने का अमिकार ही नहीं मदया | ये िब
हमने लोकतंत्र की मजबयती के मलए मकया हैं , वरना अगर िेना मजबयत हो जाती तो लोकतंत्र कमजोर
हो जाता ना |

इतिहास भी बदला : लोगो के मदलो िे राम कृष्ण मनकलने का काम तो हम १९४७ के तुरंत बाद
िे ही तेजी िे करने लग गए थे परन्तु इमतहाि िे राम कृष्ण का नाम ममटा दे ने वाले हम कां ग्रेिी ही
हैं | तो कौन कहता हैं इमतहाि नहीं बदला जा िकता (?) | हम कुछ भी कर िकते हैं हम पर
मकिी का मनयंत्रण नहीं हम इि दे श के रहनु मा इि दे श का मामलक कां ग्रेिी हैं | नाथय राम गोििे
को तुरंत र्फािी दी गई पर कश्मीर के भाइ अफजाल गुरु की हम ११ िाल िे रक्षा कर रहे हैं खु द
हमारे अिली िंथथापक जय चंद्र जी होते तो भी ऐिा नहीं कर पाते | अरे हम तो उि एनकाउं टर
को भी फजी बोल कर आिय बहा िकते हैं मजिमे पुमलिवाले भी मारे गए | पर हमारे कीमती
आिुओ को महं दय नाम वाले पुमलिवालों के लीए मत िमझना | जो गोरे करने की महम्मत ना कर
िके वो हमने महम्मत मदखाई | मकताबो िे गायब राम के नाम के प्रमाण भी तो हमें ही ममटाने थे
इिमलए हमने राम िेतु मजिे रावण भी ना तोड़ िका को तोड़ने का प्रयाि मकया | हा कुछ फि
गया तकमनकी मामला पर मकतने मदन बच पाओगे महन्दु ओ हमिे | जब प्रयाग को अल्लाहबाद ,
अयोध्या को फैजाबाद हमिे पयवा के शािक कर िकते हैं तो क्ा हम ियबे हुए पुल को हमे शा के ली
नहीं ियबा िकते |

हमने भारत में क्रोि वाले मिक्के चलाए | गोरे भी िोच नहीं पाए ईिाइयत के प्रचार का ऐिा तरीका
|

तिश्वतिख्याि : हमने मवदे शो में िन जमा करने का इतना कीमतामान थथामपत मकया के हमारे दे श
भारतवषा जी नहीं वो हमारा दे श नहीं इं मिया का नाम मवदे शो में हो गया के हम कां ग्रेिी मकतने
अमीर हैं जो इि दे श के रहनु मा हैं | और आप महन्दु ओ की औकात ही नहीं हैं के हमें हाथ लगा
िके क्ों की आप ही इतने बेवकयफ हैं के हमें यहाूँ तक पहुचाते हैं | हमारी मै िम जी को आप ही
लोगो ने ४ लाख वोटो िे मजताया ये हैं लोकतंत्र की ताकत |
112

तनष्कर्षफ : यु तो हम तारीफ करते ही जाए पर िमय मकिके पाि हैं | हमें चापलय िी और भ्रष्ट्ाचार
दोनों करना होता हैं इिमलए िीिे िे कुछ बाते बता दे ता हू | हम महं दय नहीं हमारी कौम कां ग्रेिी हैं
महं दय वो होता हैं मजिपर शािन मकया जाए कां ग्रेिी वो होता हैं जो मु खा महन्दु ओ पर शािन करे |
हम जो कहते हैं वो जनता मानती हैं पत्रकार मानते हैं दु मनया मानती हैं | अब इि दे श का भमवष्
मै िम जी के िुपुत्र के हाथ में हैं और ये ऐिे ही चले गा जब तक की हम इि दे श िे यहाूँ की
िंस्कृमत यहाूँ की िभ्यता को ममटा ना दे | एक मदन ये दे श आिा इिाई और आिा इस्लाम के झंिे
के नीचे आ ही जाएगा | क्ों की महन्दु ओ को तो हम िां प्रदामयक कह लाने के िर िे पेशाब छु ट
जाती हैं | और ऐिी घमटया कौम को हक भी क्ा हैं शािन करने का, िंस्कृमत, इमतहाि का नाम
ले ने का | महं दय बि ये कह िकते हैं के िब लोंग एक िामान हैं दय िरों के ग्रंथो में झाकना नहीं
चामहए हाला के ये अपने ग्रंथो में भी नहीं झाकते | खै र छोमिये हमारे महं दी में नाम होने िे हमें महं दय
िमझ कर महं दुए कह के गाली मत दीमजएगा | हमारी कौम ही अलग हैं | हम शािक वगा हैं हम
गुलामी करने वाले महं दय नहीं | महन्दु ओ को हम अपनी पाूँ व के जु ते के नीचे िमझते हैं | िमझे आप
लोंग
113

कृपया जेहाद मि कररये... |

मेरे प्यारे मुक्तस्लम भाइयो, ,


ये लेख आपको अपना िमझ के मलख रहा हू | आप हमारे मबछिे हुए भाई हैं , इिमें कोई
शक नहीं | िमय हालात ने हमे आप िे दय र कर मदया पर आज मफर हमारे एक होने का
िमय आ गया हैं | एक वि था जब आपके पयवाजो को इस्लामी हुकयमत में याूँ तो मजजया
कर ना चयका पाने या गदा न बचाने के मलए मुस्लमान होना पड़ा था | पर आज हालात बदल
चुके हैं , आगे और भी बदलेंगे | आप िभी जानते हैं के महन्दु थथान पर बड़े जेहाद की तयारी
चल रही हैं | मेरा ये लेख उिी िम्बन्ध में हैं | आप इमतहाि उठा के दे ख ले महन्दु थथान में
जेहाद हमेशा नाकामयाब हुआ हैं | और अब अगर भारत में मफर जेहाद का प्रयाि हुआ तो
मनमित तौर पर यह अंमतम मवनाशकारी प्रयाि होगा, मुक्तस्लम और महं दय दोनों िमुदायों के मलए
| पर इि बार मुक्तस्लम भाइयो को अमिक नुक्सान होगा क्ों की आज िे पहले महं दय इतना
ताकतवर कभी नहीं हुआ था | छठी शताब्दी िे बारहवी शताब्दी और बारहवी शताब्दी िे
ित्रहवी शताब्दी तक का िमय अत्यामिक रि रं मजत रहा पर मुक्तस्लम जो मिफा कुछ प्रमतशत
ही थे इि मलए बच पाए क्ों की महं दय अपने मबछिे हुए भाइयो को वापि नहीं लेते थे |
िन् अठारहा िौ के बाद तो हमारी िीमाए वापि अफगामनस्तान तक पहुच गयी थी,
महाराजा रणजीत मिंह और वीर हरी मिंह नलवा के प्रयािों िे | इस्लाम को बमुक्तश्कल
शुरूआती िफलता ममल पाई पैर जमाने के मलए क्ों की यहाूँ के वीर क्षमत्रयों ने शुरू में
इस्लाम को भी एक ईश्वरीय िम्प्रदाय माना | पर आज यहाूँ के क्षमत्रय इस्लाम की एक-एक
बात जानते हैं मुक्तस्लमो की प्रयोग की हुई या की जा िकने वाली हर रणनीमत िे वमकफ हैं
| भारत के महं दय ही क्ों इस्लाम के बारे में पयरा मवश्व अब जान रहा हैं | इस्लाम की उत्पमत्त,
उिके शुरूआती इमतहाि िे वतामान इमतहाि, मान्यताये , रीती ररवाज, कुरान हदीि लोग िब
जान रहे हैं | ियचना क्रां मत के बाद तो लोगो में जागरूकता दर बढ गयी हैं | खुद उन
मुक्तस्लम भाईयो की िख्या में भी इजाफा हुआ हैं मजन्ोंने इस्लाम को जानना चालय मकया
दु मनया के लगाये हुए आक्षेपों को जानकार, उन्ोंने पुमष्ट् करने के बाद और िंतोषप्रद उत्तर ना
ममलने पर या तो इस्लाम छोि मदया या छोड़ने का मन बना मलया | अफ्रीका में बड़े स्तर पर
इिाई ममशनरी िमाा न्तरण करा रही हैं तो इस्लामी दे शो में इन्टरनेट के माध्यम िे इस्लाम की
जड़े महल्ली हुयी हैं | इस्लामी दे शो में तो इस्लाम पर खुली चचाा करने वाली वेबिाइट
प्रमतबंमित कर दी जाती हैं पर गैर-इस्लामी दे शो में तो मुिलमानों तक इस्लामी मकताबो के
आदे शो का कच्चा-मचठा पहुच ही रहा हैं | भारत में भी शुक्ति अमभयान चालय हैं |

पर इस्लाम के स्वाभाव को जानते हुए शां मत को कायम रखने के मलए उन शुक्तियो का प्रचार
नहीं मकया जाता | आया िमाज इन शुक्तियो में प्रमुख योगदान करता हैं | मफर उन मानमिक
शुक्तियो का क्ा जो आया मवद्वानों की वेबिाईटि कर रही हैं |
उिर आप लोगो का मनोबल बढ़ाने के मलए मौलमवयो के प्रयाि चलते रहते हैं की हमने
इतने कन्वटा मकये, उतने कन्वटा मकये पर वास्तमवकता कुछ और ही होती हैं | जब जमान
द्वतीय मवश्व युि में अंग्रेजो को हराते थे तो इं ग्लैंि के अखबार इं ग्लैंि जीत रहा हैं इि प्रकार
झयठ मलख कर मनोबल बढ़ाते थे | वही हाल आज इस्लाम का हैं | इं ग्लैंि युि जीता पर झयठ
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की बदौलत नहीं बक्ति जमांि के मुकाबले बेहतर होने की वजह िे | आप खुद दे क्तखये
इस्लामी मशक्षाओ ने आपको क्ा मदया ? अमिक आबादी बढ़ाने के कारण गरीबी दी | कुरान
िे मचपका के रखने और दीन पर िवाल नहीं की मशक्षा के कारण िामामजक अमशक्षा दी |
गैर-मुिलमानों को कामर्फर मानने के करण खामखा की दु श्मनी दी | अब जब लोग इस्लामी
इमतहाि या रियल के जीवन का इमतहाि उठा कर मुिलमानो िे िवाल करते हैं तो उतर
दे ने के बजाये कुरान या हदीि के िही अनुवाद या वहा ना होने का बहाना ही दे ना पड़ता
हैं | अपने मवश्वाि िे ही मुकरना पड़ता हैं | आक्तखर ऐिे मवश्वाि का क्ा फायदा जो शममांदगी
दे | अगर ज़न्नत आपके निीब में हैं तो वो मकिी भी मागा िे आपको ममलेगी चाहे मकिी
िम्प्रदाये में आप रहे , कैिे भी ईश्वर की उपािना करे | निीब प्रमुख हैं क्ों की इस्लाम की
ही माने तो िब कुछ तय हैं |
मफर भारत पर हम आते हैं | दु मनया में तो इस्लाम तेजी िे उभरा पर भारत में
िबिे बुरी तरह इस्लाम ने मुह की खायी | कई िौ िाल शािन में रहने के बावजयद भी
इस्लाम का भारत में प्रचार ना हो पाया | मकतनी जंगे लड़ी, इस्लामी हुकयमत ने मकतने
अत्याचार मकये पर महन्दु ओ का मवश्वाि ना मिगा | महन्दु ओ ने अपनी गलमतयाूँ िुिारी और
िमुदाय को मजबयत करते गए | ऋमष दयानंद के प्रादु भाा व िे मुक्तस्लम भाइयो को घर वापि
भी मलया जाने लगा | यामन महन्दु ओ की तरफ िे मुिलमानों को भी अपनी गलती िुिारने का
मौका मदया गया | महं दय और मुिलमानों के लड़ने का कोई कारण नहीं | खाितौर पर भारत
में जहा महं दय इतना ज्यादा िशि हैं के मुक्तस्लम भाइयो में िे जेहादी मानमिकता वाले लोगो
िे युि की िम्ावना में वह उन्ें पयरी तरह नष्ट् कर िकता हैं , पर इिमें नुक्सान हमारे
शां मत मप्रय मुक्तस्लम भाइयो का भी हो िकता हैं | बड़ी िमस्या उन मुक्तस्लम भाइयो के मलए हैं
जो जेहाद की तैयारी कर रहे हैं | पर मुक्तश्कलें उनके मलए भी कम नहीं जो उन्ें मौन
िमथान कर रहे हैं | तो मजि प्रकार महन्दु ओ ने अपनी गलती िुिारी हमारे मुक्तस्लम भाई भी
अपनी गलती िुिारे और घर िापस आ जाये , शुल्जद्ध के मागफ पर | मफर ना कमहयेगा हमने
मौका ना मदया |

और हमारे शां मत मप्रय मुक्तस्लम भाई जेहादी भाइयो को िमझाए के मबना यहाूँ के महन्दु ओ का
खुनी खेल याद मकए मफर जेहाद की तैयारी करना भारत िे इस्लाम और मुक्तस्लमो के नाश
करने का प्रयाि हैं | इि िे वो मुक्तस्लम िमुदाये का ही नुक्सान कर रहे हैं |
उनके इि प्रयाि िे दारुल इस्लाम तो बनने िे रहा उल्टा इस्लाम का नाम जरुर ममट जायेगा
|
महं दय मशवा जी महाराज के मराठा िाम्राज्य िे कही ज्यादा ताकतवर हैं और ये बात खुद
मुक्तस्लम भी जानते हैं | गोिरा में जेहाद के नाम पर टर े न की बोगी में ५९ कारिेवको को
जलाने वालो को स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी की महं दय ऐिा प्रमतकार करें गे | अगर उन्ें पता
होता तो शायद वे ऐिी मयखाता कभी ना करते | तो मुक्तस्लम भाइयो जेहाद मत करो ना करने
वालो का िाथ दो क्ों की अगर यु आप लोग बम फोड़ते रहें गे या दं गे करें गे या आबादी
िंतुलन मबगािें गे तो ज्यादा मदन तक महं दय वीरो को, आया वीरो को रोकना मुक्तश्कल होगा |
जेहाद का मागा छोिना ही मवनाश िे बचने का िरलतम उपाय हैं | ताकतवर वो नहीं जो
मारे , ताकतवर वो होता हैं जो मार खा कर उठ खड़ा होता हैं और पलट कर मारता हैं |
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महन्दु ओ को मजतनी मार खानी थे उन्ोंने खा ली और उठ कर वे खड़े भी हो गए अब


बेहिर हैं हम भाई लड़ना बंद करे िरना घर िापस होने को हमारे भाई ही ना होंगे |
आप जेहाद छोड़ने की बात िे शायद मुझिे िहमत ना हो पर महं दय िशक्तिकरण और पयणा
मवनाश की बात िे तो िहमत होंगे ही |
और आप जब जेहाद का मागा या िमथान छोि ही रहे हैं तो पुनिः वैमदक िमा को जामनए
और वापि वैमदक (महं दय) िमां में आ जाइये | कम िे कम आप अपनी िुरक्षा का प्रत्याभयत
तो ले लेंगे इि प्रकार | आपकी शुक्ति के पिात िुरक्षा का मजम्मा हम पर होगा | आप
महन्दु ओ में उि एक ईश्वर की उपािना कर िकते हैं आया िमाज के माध्यम िे | बामक
आपकी मकिी पंथ में रूमच हो तो वो आपकी मनजी होगी और आप उिके मलए स्वतं त्र होंगे
| हर िवाल का जवाब हैं , वैमदक िमां में | इस्लाम को मजतना फैलना था र्फैल चयका अब
मुक्तस्लमो की िबिे बड़ी िमस्या इस्लाम ही बन गया हैं | इि मलए भाइयो वापि अपने भाइयो
िे गले मममलए और आया िमाज के माध्यम िे शुक्ति कर के िमां में वापि आइए | आपकी
िुरक्षा, आपके बच्चो की शादी और उनके रोजगार का मजम्मा हम पर होगा | आइये मफर िे
एक हो कर राष्ट्र का उत्थान करे |

िवे भवन्तु िुक्तखनिः


116

मुसलमान और जातिबाद , छु आछु ि

मुसलमान अक्सर अपनी बढ़िी जनसंख्या की डी ंगें मारिे रहिे है .और घमंड से कहिे
हैं तक आज िो हमारे 53 दे श हैं और सब एक की तगलास में पानी पीिे है कोई जातिबाद
नही ं है सब सामान है .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़े गी .इस्लाम दु तनया भर में
फैल जायेगा .तिश्व ने तजिने भी धमफ स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मि के बढ़ने की
कामना की है .लेतकन मुहम्मद एकमात् व्यल्जक् था तजसने इस्लाम के तिभाजन ,िुकडे हो
जाने और तसमर्ट जाने की पतहले से ही भतिष्यिािी कर दी थी .यह बाि सभी प्रमातिक
हदीसों में मौजूद है .

यतद कोई इन हदीसों को झठ ू कहिा है ,िो उसे मुहम्मद को झठ ू सातबि करना पड़े गा
.क्योंतक यह इस्लाम के भतिष्य के बारे में है .सभी जानिे हैं तक तकसी आदशफ ,या
नैतिकिा के आधार पर नही ं बल्जल्क िलिार के जोर पर और आिंक से र्ैला है .इस्लाम
तक बुतनयाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानिा था .कुरान में सार्
तलखा है आमिौर पर लोग मुसलमानों के दो ही तर्रकों तशया और सुन्नी के बारे में ही
सुनिे रहिे है ,लेतकन इनमे भी कई तर्रके है .इसके आलािा कुछ ऐसे भी तर्रके है
,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के तिचारों और मान्यिाओं में इिना तिरोध है की
यह एक दू सरे को कातफर िक कह दे िे हैं .और इनकी मल्जिदें जला दे िे है .और लोगों
को कत्ल कर दे िे है .तशया लोग िो मुहरफ म के समय सुतन्नयों के खलीर्ाओं ,सहतबयों
,और मुहम्मद की पतत्नयों आयशा और हफ्शा को खुले आम गतलयां दे िे है .इसे िबराफ
कहा जािा है .इसके बारे में अलग से बिाया जायेगा .

सुतन्नयों के तर्रके -हनर्ी ,शार्ई,मतलकी ,हम्बली ,सूर्ी ,िहाबी ,दे िबंदी ,बरे लिी
,सलर्ी,अहले हदीस .आतद -

तशयाओं के तर्रके -इशना अशरी ,जार्री ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज
आतद

अन्य तर्रके -अहमतदया ,कातदयानी ,खारजी ,कुदफ ,और बहाई अतद

इनमे से अहमतदया ,कातदयानी ,खारजी ,कुदफ ,और बहाई को िो मुस्लमान ही नही ं माना
जािा है खास कर अहमतदया यो सबसे ज्यदा है पातकस्तान , भारि में सुन्नी के बाद ...
अहमतदया के नाम पर िो र्िबे भी है की ये मुस्लमान नही ं है क्युकी ये सब को मानिे
है राम ,कृष्ण, ईसा सभी को ........

इन सब में इिना अंिर है की ,यह एक दु सरे की मल्जिदों में नमाज नही ं पढ़िे .और एक
दु सरे की हदीसों को मानिे है .सबके नमाज पढ़ने का िरीका ,अजान ,सब अलग है
.इनमे एकिा असंभि है .संख्या कम होने के से यह शांि रहिे हैं ,लेतकन इन्ें जब भी
मौका तमलािा है यह उत्पाि जरुर करिे हैं मानि एक है पर िो अपने तिचार से ही
मानि या शैिान बनिा है लेतकन कुरान ही उसे शैिान बना दे िी है यतद ये तकिाब और
117

मुहम्मद का नाम ना रहे और ना ही अरब की संस्कृति रहे .. िो मुस्लमान तर्र से तहं दू


जीिन जीने लगे .. बस इस िीन शैिानी चीजों से दू र रहे .. कुरान , मुहम्मद , अरब
की संस्क्रति ...

बाबा साहब के अनुसार

''जाति प्रथा को लीतजए। इस्लाम भ्रािृ-भाि की बाि कहिा है। हर व्यल्जक् यही अनुमान
लगािा है तक इस्लाम दास प्रथा और जाति प्रथा से मुक् होगा। गुलामी के बारे में िो
कहने की आिश्यकिा ही नही ं। अब कानून यह समाप्त हो चुकी है। परन्तु जब यह
तिद्यमान थी, िो ज्यादािर समथफन इसे इस्लाम और इस्लामी दे शों से ही तमलिा था।
कुरान में पैंगबर ने गुलामों के साथ उतचि इस्लाम में ऐसा कुछ भी नही ं है जो इस
अतभर्षाप के उन्मूलन के समथफन में हो। जैसातक सर डब्ल्यू . म्यूर ने स्पष्ट कहा है -

''....गुलाम या दासप्रथा समाप्त हो जाने में मुसलमानों का कोई हाथ नही ं है , क्योंतक जब
इस प्रथा के बंधन ढीले करने का अिसर था, िब मुसलमानों ने उसको मजबूिी से पकड़
तलया..... तकसी मुसलमान पर यह दातयत्व नही ं है तक िह अपने गुलामों को मुक् कर
दें .....''

''परन्तु गुलामी भले तिदा हो गईहो, जाति िो मुसलमानों में कायम है। उदाहरि के तलए
बंगाल के मुसलमानों की ल्जस्थति को तलया जा सकिा है। १९०१ के तलए बंगाल प्रांि के
जनगिना अधीक्षक ने बंगाल के मुसलमानों के बारे में यह रोचक िथ् दजफ तकए हैं :

''मुसलमानों का चार िगों-शेख, सैयद, मुग़ल और पठान-में परम्परागि तिभाजन इस पांि


(बंगाल) में प्रायः लागू नही ं है। मुसलमान दो मुखय सामातजक तिभाग मानिे हैं -१.
अशरर् अथिा शरु और २. अजलर्। अशरर् से िात्पयफ है 'कुलीन', और इसमें तिदे तशयों
के िंशज िथा ऊाँची जाति के अधमाांिररि तहन्दू शातमल हैं। शेर्ष अन्य मुसलमान तजनमें
व्यािसातयक िगफ और तनचली जातियों के धमाांिररि शातमल हैं , उन्ें अजलर् अथाफि् नीचा
अथिा तनकृष्ट व्यल्जक् माना जािा है। उन्ें कमीना अथिा इिर कमीन या रातसल, जो
ररजाल का भ्रष्ट रूप है , 'बेकार' कहा जािा है। कुछ स्थानों पर एक िीसरा िगफ 'अरजल'
भी है, तजसमें आने िाले व्यल्जक् सबसे नीच समझे जािे हैं। उनके साथ कोई भी अन्य
मुसलमान तमलेगा-जुलेगा नही ं और न उन्ें मल्जिद और सािफजतनक कतब्रस्तानों में प्रिेश
करने तदया जािा है।

इन िगों में भी तहन्दु ओ ं में प्रचतलि जैसी सामातजक िरीयिाऔर जातियां हैं।

१. 'अशरर्' अथिा उच्च िगफ के मुसलमान (प) सैयद, (पप) शेख, (पपप) पठान, (पअ)
मुगल, (अ) मतलक और (अप) तमजाफ।

२. 'अजलर्' अथिा तनम्न िगफ के मुसलमान

(i) खेिी करने िाले शेख और अन्य िे लोग जो मूलिः तहन्दू थे , तकन्तु तकसी बुल्जद्धजीिी
118

िगफ से सम्बल्जन्धि नही ं हैं और तजन्ें अशरर् समुदाय, अथाफि् तपराली और ठकराई आतद
में प्रिेश नही ं तमला है।

( ii) दजी, जुलाहा, र्कीर और रं गरे ज।

(iii) बाढ़ी, भतर्टयारा, तचक, चूड़ीहार, दाई, धािा, धुतनया, गड्डी, कलाल, कसाई, कुला, कंु जरा, लहेरी,
माहीर्रोश, मल्लाह, नातलया, तनकारी।

(iv) अब्दाल, बाको, बेतडया, भार्ट, चंबा, डर्ाली, धोबी, हज्जाम, मुचो, नगारची, नर्ट, पनिातड़या,
मदाररया, िुल्जन्तया।

३. 'अरजल' अथिा तनकृष्ट िगफ

भानार, हलालखोदर, तहजड़ा, कसंबी, लालबेगी, मोगिा, मेहिर।

जनगिना अधीक्षक ने मुल्जस्लम सामातजक व्यिस्था के एक और पक्ष का भी उल्लेख


तकया है। िह है 'पंचायि प्रिाली' का प्रचलन। िह बिािे हैं :

''पंचायि का प्रातधकार सामातजक िथा व्यापार सम्बन्धी मामलों िक व्याप्त है


और........अन्य समुदायों के लोगों से तििाह एक ऐसा अपराध है , तजस पर शासी
तनकायकायफिाही करिा है। पररिामि: ये िगफ भी तहन्दू जातियों के समान ही प्रायः कठोर
संगोिी हैं, अंिर-तििाह पर रोक ऊंची जातियों से लेकर नीची जातियों िक लागू है।
उदाहरििः कोई घूमा अपनी ही जाति अथाफि् घूमा में ही तििाह कर सकिा है। यतद इस
तनयम की अिहेलना की जािी है िो ऐसा करने िाले को ित्काल पंचायि के समक्ष पेश
तकया जािा है। एक जाति का कोई भी व्यल्जक् आसानी से तकसी दू सरी जाति में प्रिेश
नही ं ले पािा और उसे अपनी उसी जाति का नाम कायम रखना पड़िा है , तजसमें उसने
जन्म तलया है। यतद िह अपना लेिा है , िब भी उसे उसी समुदाय का माना जािा है ,
तजसमें तक उसने जन्म तलया था..... हजारों जुलाहे कसाई का धंधा अपना चुके हैं ,
तकन्तु िे अब भी जुलाहे ही कहे जािे हैं।''

इसी िरह के िथ् अन्य भारिीय प्रान्तों के बारे में भी िहााँ की जनगिना ररपोर्टों से िे
लोग एकतत्ि कर सकिे हैं , जो उनका उल्लेख करना चाहिे हों। परन्तु बंगाल के ितय ही
यह दशाफने के तलए पयाफप्त हैं तक मुसलमानों में जाति प्रािी ही नही ं, छु आछूि भी प्रचतलि
है।''
अल्लाह के 104 नाम क्या तहन्दू धमफ के भगिान के 108 नामो का नकल नही ं िो और
क्या है ///
119

एक घर्टना जो बौद्ध दशफन के भारि से सर्ाए का कारि बन गयी


भारि में हर इतिहास का जानकर आदमी ये िो जनिा हाँ की आतद जगदगुरु शंकराचायफ
ने भारि से बौद्ध धमफ का सर्ाया तकया लेतकन ये कम लोग ही ये बाि जानिे हाँ की
भौद्धो के ल्जखलार् अतभयान की शुरुआि शंकराचायफ ने नही ं बल्जल्क कुमाररल भट्ट नाम के
एक तििान् ने की थी
तजन तदनों शंकराचायफ बारह िर्षफ की अिस्था में गुरु आज्ञा से िेदांि सूत् पर अपना
तिश्वतिख्याि '' शारीरक भाष्य '' तलखने के तलए तहमालय की गुप्त कंदराओ में जाने पर
तिचार कर रहे थे उन्ी तदनों कुमाररल भट्ट नाम के एक ियोिृद्ध तििान् बौद्धों के
ल्जखलार् तबगुल र्ूंक चुके थे और उन्ें उत्तर भारि से बौद्ध धमफ और जैन दशफन का
सर्ाया कर तदया था ( तिशेर्षकर जेतनयो से हुए उनके शास्त्राथफ िो सिफथा अलोतकक
होिे थे )
उन तदनों एक ऐसी घर्टना घर्ट गयी थी तजसने अनायास ही कुमाररल भट्ट को तहन्दु ओ
का नायक बना तदया था
कुमाररल भट्ट एक बहुि उच्च स्तरीय तििान् थे और बौद्धों के बढ़िे पाखंड से बहुि
तचंतिि थे
बौद्ध धमफ के बढ़िे प्रभाि को रोकने के तलए उन्ोंने बौद्धों से शास्त्राथफ करने की ठानी
लेतकन बौद्ध दशफन के तसद्धांिो से अिगि हुए तबना ये संभि नही ं था उन्ोंने युल्जक् से
काम लेिे हुए एक बौद्ध तभक्षु को शास्त्राथफ के तलए आमंतत्ि तकया और ये शरि राखी
की जो हार जायेगा िो दु सरे का धमफ स्वीकार करे गा तर्र िे जानबूझकर उससे हार गए
, तर्र पहले िय हुई शिफ के मुिातबक उन्ोंने बौद्ध धमफ स्वीकार कर तलया और नालंदा
के बौद्ध तिहार में आकर धरमपाल नाम के एक प्रख्याि बौद्ध आचायफ से बौद्ध न्यायशास्त्र
का अध्यन करने लगे
एक तदन उपदे श दे िे समय आचायफ धरमपाल ने कुमाररल भट्ट आतद तशष्यों के सामने
िेदों की तनंदा की तजसे सुनकर कुमाररल भट्ट को बड़ा दु ःख हुआ
िेह सर झुकाए चुपचाप आं सू बहाने लगे
पास के बौद्ध तभक्षुओ ने कुमाररल को रोिे दे खकर कारि पूछा , कुमाररल ने रोिे हुए
कहा - '' आचायफ िृथा ही िेदों की तनंदा कर रहे हाँ , उससे मुझे बड़ा कष्ट हो रहा हाँ
बौद्ध श्रमिों के िारा आचायफ को ज्ञाि करािे ही उन्ोंने कुमाररल से पूंछा - ''िुम रोिे
क्यों हो ? क्या िुम अभी भी िैद तिश्वासी प्रछन्न तहन्दू हो ? बौद्ध श्रमि बनकर क्या िुम
हमे प्रिातड़ि करने आये हो ?
कुमाररल ने तिनीि भाि से कहा - '' आप तबना िैद को समझे अकारि ही िेदों की
तनंदा कर रहे हाँ ''
बौद्ध आचायफ ने उत्तेतजि कंठ से कहा - '' िो िुम मेरे कथन की असत्यिा प्रमातिि
करो ''

िब आचायफ और कुमाररल में शास्त्राथफ प्रारं भ हुआ ! कुमाररल एक अत्यंि तििान पुरुर्ष
थे , उन्ोंने िैद के प्राधान्य के प्रतिपादन में कतर्टबद्ध होकर जतर्टल िकफजाल से आचायफ को
जजफररि करिे हुए कहा - ''सिफज्ञ की कृपा के तबना जीि सिफज्ञ नही ं हो सकिा , महात्मा
बुद्ध ने ज्ञान प्राल्जप्त के तलए िैतदक धमफ मागफ का ही आश्रय तलया , तर्र िेद ज्ञान से ही
ज्ञानी होकर िेद को ही अस्वीकार कर तदया, यह चोरी नही ं िो और क्या हाँ ? '''
120

कुमाररल के कठोर मंिव्य से क्षुब्ध होकर बौद्ध आचायफ ने कहा -'' िुम भगिान् बुद्ध की
तनंदा करिे हो ? इस अत्यंि ऊंचे महल से तगराकर िुम्हारा प्राि संहार करना ही इस
पाप का एकमात् प्रायतिि हाँ
आचायफ का इशारा पाकर अतहंसा ही तजसकी बुतनयाद हाँ , ऐसे उस बौद्ध धमफ के मानने
िालो बौद्ध तभक्षुओ ने जो की इस समय कार्ी उत्तेतजि थे, कुमाररल को पकड़ तलया
और छि से नीचे र्ेंक तदया
कुमाररल िैद तितहि सभी साधनाए पूिफ कर चुके थे और कई तसल्जद्धयों के स्वामी थे , िे
योग मागफ में कार्ी आगे िक पहुचे हुए थे उन्ोंने पहले ही अपनी आत्मा को अपने
ब्रह्मस्वरूप में आरुढ़ तकया िो जोर से कहा -'' अगर िेद सत्य हाँ िो मेरी भी मृत्यु नही ं
होगी ''
कुमाररल इिनी ऊाँचाई से तगरकर भी सुरतक्षि बच गए , ये दे खकर बौद्ध तभक्षुओ को
बड़ा आियफ हुआ
उधर तहन्दू लोग इस समाचार को सुनकर जोरदार कोलाहल करिे हुए बौद्ध तिहार में
घुस गए और अत्यंि जोर से कोलाहल करिे हुए कुमाररल को बौद्ध तिहार से बहार ले
आये
यद्यतप इिनी ऊंचाई से तगराए जाने पर भी कुमाररल के जीतिि बचे रहने को तहन्दु ओ ने
अपनी जय मान ली
लेतकन इस एक घर्टना से तहन्दु ओ और बौद्धों के बीच में एक महान तिरोध का सूत्पाि
हुआ
और इसी एक घर्टना ने आगे चलकर भारि से बौद्ध दशफन के सर्ाए को सुतनतिि
तकया
इससे तहन्दु ओ और बौद्धों के मध्य कार्ी िनाि र्ेल गया था और उनके मध्य सशस्त्र
संघर्षफ के हालि पैदा हो गए थे
इस एक घर्टना ने जजफर और तशतथल पड़े तहन्दू धमफ में तर्र से प्रािों का संचार कर
तदया और तहन्दू धमफ ने िापसी के तलए तर्र से अंगडाई ली
लेतकन उन तदनों भारि बहुि से छोर्टे छोर्टे राज्यों में बंर्टा हुआ था और अतधकांश
राजसत्ता बौद्धों के ही पास थी
िब तहन्दु ओ ने बहुि गहन तिचार तिमशफ के बाद कुमाररल भट्ट को सामने कर एक
तिशाल तिचारसभा में शास्त्राथफ करने के तलए धरमपाल को बुलाया ! प्रि यह रहा की
जो हारे गा िो जीिने िाले का धमफ स्वीकार करे गा या तर्र िुर्षानल (भूसे के ढे र में आग
लगाकर) में प्रिेशपूिफक प्राि त्याग करे गा
भारि के सभी प्रान्तों से बौद्ध तभक्षु और तहन्दू तििान् इस तिचारसभा के तलए प्रस्तुि हो
मगध में समिेि होने लगे
कुमाररल भट्ट की प्रतिभा के सामने बौद्धतििान हीनप्रभ हो गए, तिशेर्ष प्रयत्न करने पर
भी आचायफ धमफपाल ही परातजि हुए
कुमाररल ने अकाट्य िकफ दे कर तहन्दू शास्त्रों से बौद्ध शास्त्रों को गलि सातबि कर तदया
और बौद्ध को एक चोर, नकलची और असत्य भार्षि करने िाला सातबि कर तदया
आचायफ धमफपाल हार गए थे लेतकन तर्र भी उन्ोंने तहन्दू धमफ ग्रहि नही ं तकया, कहा -
''मेरी पराजय का कारि कुमाररल की प्रतिभा हाँ , तकन्तु बौद्ध धमफ में मेरी श्रद्धा नष्ट
नही ं हुई हाँ ,में बुद्ध धमफ की शरिागति से तिचतलि नही ं हुआ हु , में तहन्दू धमफ में आने
121

की बजाय प्राि त्यागना पसंद करू ाँ गा


धमफपाल पहले से िय हुई शिफ के अनुसार िुर्षानल में प्रतिष्ट हुए
कुमाररल की इस तिजय से तहन्दु ओ के हर्षफ का तठकाना नही ं था तहन्दु ओ ने कुमाररल को
कंधे पर उठाकर जय घोर्ष करना शुरू कर तदया और संध्या काल में कुमाररल को रथ
में तबठाकर बड़ी धूमधाम से बड़े जोर शोर से तहन्दू धमफ की जय जय कार करिे हुए
सारे नगर में रथ से चक्कर लगाया
कुमाररल की इस तिजय ने समस्त भारि के लोगो में िैतदक धमफ के नि जागरि की
सृतष्ट की
उस समय के मगधराज ( ििफमान में तबहार ) आतदत्यसेन ने बौद्धों पर तहन्दु ओ की
तिजय को गौरिाल्जिि करने के तलए एक तिशेर्ष ठाठबार्ट से कुमाररल भट्ट को प्रधान
पुरोतहि रख तलया
गोड दे श ( ििफमान में बंगाल ) के तहन्दू राजा शशां क नरे न्द्र िधफन ने तहन्दु ओ के
उत्साह को और बढािे हुए बौद्ध गया में आकर , तजस बोतधिृक्ष के नीचे बैठकर महात्मा
बुद्ध ने तसल्जद्ध प्राप्त की थी उस बोतधद्रुम को कार्ट डाला और बोद्ध मंतदर पर अतधकार
स्थातपि करिे हुए महात्मा बुद्ध की मूतिफ के चारो और दीिाल खड़ी करिे हुए बंद कर
तदया , इिना ही नही ं उन्ोंने िीन बार उस िृक्ष के मूल को खोदकर उसे समूल नष्ट
कर तदया था
कुमाररल भट्ट ने भी अनेक शास्त्राथो में अकाट्य िकों से उत्तर भारि में बौद्ध और जैन
धमफ के प्राधान्य को नष्ट कर तदया था
बौद्ध आचायफ धरमपाल की पराजय और उनके हश्र के अनंिर और कोई कुमाररल भट्ट
से शास्त्राथफ करने नही ं आिे थे
लेतकन बाद में बौद्धों ने राजशल्जक् की मदद से तर्र से उत्तर भारि में अपनी स्थति
मजबूि कर ली थी तजसे कालांिर में महान अिे िाचायफ आतद जगदगुरु शंकराचायफ ने जड़
से नष्ट कर तदया था
शंकराचायफ ने 16 बरस की उम्र से तहन्दू धमफ की पुनस्थाफपना की शुरुआि की थी और
तहमालय से आकर उन्ोंने सबसे पहला काम ये ही तकया था की कुमाररल भट्ट को
शास्त्राथफ में परास्त करके उन्ें अिे त्वादी बनाकर अपने साथ भारि भ्रमि के तलए उन्ें
लेने प्रयाग आये थे
अपनी ३२ िर्षफ की आयु िक उन्ोंने बौद्ध दशफन का पूरी िरह तिध्वंश कर तदया था
हलातक बौद्ध धमफ को भारि से जड़ से समाप्त करने का श्रेय भले ही शंकर की
अलोतकक प्रतिभा को जािा हो लेतकन बौद्धों के ल्जखलार् अतभयान शुरू करने का श्रेय
कुमाररल भट्ट को ही जािा हाँ
122

भारि के आिंकिादी - अलगाििादी गुर्टों की सूची - List


of Saperatist Groups in Bharat
परन्तु यह मानना पड़े गा की इि दे श की बहुिंख्यक जनता िे बड़ी मयखा, स्वाथी, ित्तालोलु भ, राष्ट्रद्रोही,
अिमी, अनै मतक जनिूँख्या मवश्व के मकिी भी कोने में नहीं ममले गी .....

यमद मैं कहूं की मपछले िैकड़ों वषों में िनातन िमा और िनातन भयमम की िीमाओं के िंकुचन का
प्रत्यक्ष दोषी इि दे श के नागररक ही हैं .... तो मैं गलत नहीं हूूँ l
यमद यह बात कहने में मु झे कोई िजा िुनाई जाए तो मैं िजा स्वीकार करने के मलए भी तैयार हूूँ

शस्त्र और शास्त्र के अिुंतलन िे गुलामी ममली वो षड्यं त्रों के चलते चररत्र हनन में तब्दील हो
गयी...आजादी ममलने पर एक मौका ममला था, मगर हम िब जानते है गाूँ िी और ने हरु ने आजादी
नाम का लॉलीपॉप थमा कर पयरा दे श को गलत मदशा में बहका मदया गया...नतीजा िामने है ,

This is a List of separatists groups active in our country..........................Making our country a


hell ..........

1. National Democratic Front of Bodoland (NDFB)

2. United People's Democratic Solidarity (UPDS)

3. Kamtapur Liberation Organisation (KLO)

4. Bodo Liberation Tiger Force (BLTF)

5. Dima Halim Daogah (DHD)

6. Karbi National Volunteers (KNV)

7. Rabha National Security Force (RNSF)


123

8. Koch-Rajbongshi Liberation Organisation (KRLO)

9. Hmar People's Convention- Democracy (HPC-D)

10. Karbi People's Front (KPF)

11. Tiwa National Revolutionary Force (TNRF)

12. Bircha Commando Force (BCF)

13. Bengali Tiger Force (BTF)

14. Adivasi Security Force (ASF)

15. All Assam Adivasi Suraksha Samiti (AAASS)

16. Gorkha Tiger Force (GTF)

17. Barak Valley Youth Liberation Front (BVYLF)

18. United Liberation Front of Barak Valley


124

19. United National Liberation Front (UNLF)

20. People's Liberation Army (PLA)

21. People's Revolutionary Party of Kangleipak (PREPAK)

22. The above mentioned three groups now operate from a unified platform,

23. the Manipur People's Liberation Front (MPLF)

24. Kangleipak Communist Party (KCP)

25. Kanglei Yawol Kanna Lup (KYKL)

26. Manipur Liberation Tiger Army (MLTA)

27. Iripak Kanba Lup (IKL)

28. People's Republican Army (PRA)

29. Kangleipak Kanba Kanglup (KKK)

30. Kangleipak Liberation Organisation (KLO)


125

31. Revolutionary Joint Committee (RJC)

32. National Socialist Council of Nagaland -- Isak-Muivah (NSCN-IM)

33. People's United Liberation Front (PULF)

34. Kuki National Army (KNA)

35. Kuki Revolutionary Army (KRA)

36. Kuki National Organisation (KNO)

37. Kuki Independent Army (KIA)

38. Kuki Defence Force (KDF)

39. Kuki International Force (KIF)

40. Kuki National Volunteers (KNV)

41. Kuki Liberation Front (KLF)


126

42. Kuki Security Force (KSF)

43. Kuki Liberation Army (KLA)

44. Kuki Revolutionary Front (KRF)

45. United Kuki Liberation Front (UKLF)

46. Hmar People's Convention (HPC)

47. Hmar People's Convention- Democracy (HPC-D)

48. Hmar Revolutionary Front (HRF)

49. Zomi Revolutionary Army (ZRA)

50. Zomi Revolutionary Volunteers (ZRV)

51. Indigenous People's Revolutionary Alliance(IRPA)

52. Kom Rem People's Convention (KRPC)

53. Chin Kuki Revolutionary Front (CKRF)


127

54. Hynniewtrep National Liberation Council (HNLC)

55. Achik National Volunteer Council (ANVC)

56. People's Liberation Front of Meghalaya (PLF-M)

57. Hajong United Liberation Army (HULA)

58. National Socialist Council of Nagaland (Isak-Muivah) – NSCN(IM)

59. National Socialist Council of Nagaland (Khaplang) – NSCN (K)

60. Naga National Council (Adino) – NNC (Adino)

61. Babbar Khalsa International (BKI)

62. Khalistan Zindabad Force (KZF)

63. International Sikh Youth Federation (ISYF)

64. Khalistan Commando Force (KCF)


128

65. All-India Sikh Students Federation (AISSF)

66. Bhindrawala Tigers Force of Khalistan (BTFK)

67. Khalistan Liberation Army (KLA)

68. Khalistan Liberation Front (KLF)

69. Khalistan Armed Force (KAF)

70. Dashmesh Regiment

71. Khalistan Liberation Organisation (KLO)

72. Khalistan National Army (KNA)

73. National Liberation Front of Tripura (NLFT)

74. All Tripura Tiger Force (ATTF)

75. Tripura Liberation Organisation Front (TLOF)

76. United Bengali Liberation Front (UBLF)


129

77. Tripura Tribal Volunteer Force (TTVF)

78. Tripura Armed Tribal Commando Force (TATCF)

79. Tripura Tribal Democratic Force (TTDF)

80. Tripura Tribal Youth Force (TTYF)

81. Tripura Liberation Force (TLF)

82. Tripura Defence Force (TDF)

83. All Tripura Volunteer Force (ATVF)

84. Tribal Commando Force (TCF)

85. Tripura Tribal Youth Force (TTYF)

86. All Tripura Bharat Suraksha Force (ATBSF)

87. Tripura Tribal Action Committee Force (TTACF) Socialist Democratic


130

88. Front of Tripura (SDFT)

89. All Tripura National Force (ATNF)

90. Tripura Tribal Sengkrak Force (TTSF)

91. Tiger Commando Force (TCF)

92. Tripura Mukti Police (TMP)

93. Tripura Rajya Raksha Bahini (TRRB)

94. Tripura State Volunteers (TSV)

95. Tripura National Democratic Tribal Force (TNDTF)

96. National Militia of Tripura (NMT)

97. All Tripura Bengali Regiment (ATBR)

98. Bangla Mukti Sena (BMS)

99. All Tripura Liberation Organisation (ATLO)


131

100. Tripura National Army (TNA)

101. Tripura State Volunteers (TSV)

102. Borok National Council of Tripura (BNCT)

103. Mizoram

104. Bru National Liberation Front

105. Hmar People's Convention- Democracy (HPC-D)

106. Arunachal Pradesh

107. Arunachal Dragon Force (ADF)

108. Left-wing Extremist groups

109. People's Guerrilla Army

110. People's War Group


132

111. Maoist Communist Centre

112. Communist Party of India-Maoist (CPI-Maoist)

113. Communist Party of India (Marxist Leninist) Janashakti

114. Tamil National Retrieval Troops (TNRT)


133

तिभाजन की पीड़ा.. गााँधी िध की िास्ततिकिा और ... हुिात्मा गोडसे ...


कैसे उिरे गा भारिीय जनमानस गोडसे जी का कजफ

क्ा थी मवभाजन की पीड़ा ?

मवभाजन के िमय हुआ क्ा क्ा ?

मवभाजन के मलए क्ा था मवमभन्न राजनैमतक पामटा यों दृमष्ट्कोण ?

क्ा थी पीड़ा पामकस्तान िे आये महन्दय शरणामथा यों की ... मदन लाल पाहवा और मवष्णु
करकरे की?

क्ा थी गोििे की मववशता ?

क्ा गोििे नही जानते थे की आम आदमी को मरने में और एक राष्ट्रमपता को मरने में क्ा
अंतर है ?

क्ा होगा पररवार का ?

कैिे कैिे कष्ट् िहने पड़ें गे पररवार और िम्बक्तन्धयों को और ममत्रों को ?

क्ा था गां िी वि का वास्तमवक कारण ?

क्ा हुआ 30 जनवरी की रात्री को ... पुणे के ब्राह्मणों के िाथ ?

क्ा था िावरकर और महन्दय महािभा का मचन्तन ?

क्ा हुआ गोििे के बाद नारायण राव आप्टे का .. कैिी नृशंि फां िी दी गयी उन्ें l
134

यह लेख पढने के बाद कृपया बिाएं कैसे उिारे गा भारिीय जनमानस हुिात्मा पंतडि
नाथूराम गोडसे जी का कजफ ....

आइये इन सब सिालों के उत्तर खोजें ....

पामकस्तान िे मदल्ली की तरफ जो रे लगामड़या आ रही थी, उनमे महन्दय इि प्रकार बैठे थे जैिे
माल की बोररया एक के ऊपर एक रची जाती हैं .अन्दर ज्यादातर मरे हुए ही थे , गला कटे हुए
lरे लगाड़ी के छप्पर पर बहुत िे लोग बैठे हुए थे , मिब्बों के अन्दर मिफा िां ि लेने भर की
जगह बाकी थी l बैलगामड़या टर क्स महन्दु ओं िे भरे हुए थे , रे लगामड़यों पर मलखा हुआ था,,"
आज़ादी का तोहफा " रे लगाड़ी में जो लाशें भरी हुई

थी उनकी हालत कुछ ऐिी थी की उनको उठाना मुक्तश्कल था, मदल्ली पुमलि को फावड़ें में उन
लाशों को भरकर उठाना पड़ा l टर क में भरकर मकिी मनजान थथान पर ले जाकर, उन पर
पेटरोल के फवारे मारकर उन लाशों को जलाना पड़ा इतनी मवकट हालत थी उन मृतदे हों
की... भयानक बदबय......

मियालकोट िे खबरे आ रही थी की वहां िे महन्दु ओं को मनकाला जा रहा हैं , उनके घर, उनकी
खेती, पैिा-अिका, िोना-चाूँ दी, बतान िब मुिलमानों ने अपने कब्जे में ले मलए थे l मुक्तस्लम लीग
ने मिवाय कपड़ों के कुछ भी ले जाने पर रोक लगा दी थी. मकिी भी गािी पर हल्ला करके
हाथ को लगे उतनी ममहलाओं- बक्तच्चयों को भगाया गया.बलात्कार मकये मबना एक भी महन्दय
स्त्री वहां िे वापि नहीं आ िकती थी ... बलात्कार मकये मबना.....?

जो क्तस्त्रयाूँ वहां िे मजन्दा वापि आई वो अपनी वैद्यकीय जां च करवाने िे िर रही थी....

िॉक्टर ने पयछा क्ों ???

उन ममहलाओं ने जवाब मदया... हम आपको क्ा बताये हमें क्ा हुआ हैं ?

हमपर मकतने लोगों ने बलात्कार मकये हैं हमें भी पता नहीं हैं ...उनके िारे शारीर पर
चाकुओं के घाव थे.

"आजादी का िोहर्ा"
135

मजन थथानों िे लोगों ने जाने िे मना कर मदया, उन थथानों पर महन्दय क्तस्त्रयों की नि यात्राएं
(मिंि) मनकाली गयीं, बाज़ार िजाकर उनकी बोमलयाूँ लगायी गयीं और उनको दामियों की तरह
खरीदा बेचा गया l

1947 के बाद मदल्ली में 400000 महन्दय मनवाा मित आये , और इन महन्दु ओं को मजि हाल में यहाूँ
आना पड़ा था, उिके बावजयद पामकस्तान को पचपन करोड़ रुपये दे ने ही चामहए ऐिा महात्मा
जी का आग्रह था...क्ोमक एक मतहाई भारत के तुकिे हुए हैं तो भारत के खजाने का एक
मतहाई महस्सा पामकस्तान को ममलना चामहए था l

मवमि मंिल ने मवरोि मकया, पैिा नहीं दे गे....और मफर मबरला भवन के पटां गन में महात्मा जी
अनशन पर बैठ गए.....पैिे दो, नहीं तो मैं मर जाउगा....एक तरफ अपने मुहूँ िे ये
कहने वाले महात्मा जी, की महं िा उनको पिं द नहीं हैं l

दय िरी तरफ जो महं िा कर रहे थे उनके मलए अनशन पर बैठ गए... क्ा यह महं िा नहीं थी
.. अतहंसक आिंकिाद की आड़ में

मदल्ली में महन्दय मनवाा मितों के रहने की कोई व्यवथथा नहीं थी, इििे ज्यादा बुरी बात ये थी की
मदल्ली में खाली पड़ी मक्तिदों में महन्दु ओं ने शरण ली तब मबरला भवन िे महात्मा जी ने
भाषण में कहा की मदल्ली पुमलि को मेरा आदे श हैं मक्तिद जैिी चीजों पर महन्दु ओं का कोई

ताबा नहीं रहना चामहए l मनवाा मितों को बाहर मनकालकर मक्तिदे खाली करे ..क्ोंमक महात्मा
जी की दृष्ट्ी में जान मिफा मुिलमानों में थी महन्दु ओं में नहीं...

जनवरी की किकिाती ठं िी में महन्दय ममहलाओं और छोटे छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर
पुमलि ने मक्तिद के बाहर मनकाला, गटर के मकनारे

रहो लेमकन छत के मनचे नहीं l क्योतक... िुम तहन्दू हो....

4000000 महन्दय भारत में आये थे ,ये िोचकर की ये भारत हमारा हैं ....ये िब मनवाा मित
गां िीजी िे ममलाने मबरला भवन जाते थे तब

गांधीजी माइक पर से कहिे थे क्यों आये यहााँ अपने घर जायदाद बेचकर, िही ाँ पर
अतहंसात्मक प्रतिकार करके क्यों नही ं रहे ??
136

यही अपराि हुआ तु मिे अभी भी वही वापि जाओ..और ये महात्मा मकि आशा पर
पामकस्तान को पचपन करोड़ रुपये दे ने मनकले थे ?

कैिा होगा वो मोहनदाि करमचन्द गाजी उर्फा गंिािुर ... मकतना महान ...

मजिने मबना तलवार उठाये ... 35 लाख महन्दु ओं का नरिंहार करवाया

2 करोड़ िे ज्यादा महन्दु ओं का इस्लाम में िमाां तरण हुआऔर उिके बाद यह िंख्या 10 करोड़
भी पहुं ची l

10 लाख िे ज्यादा महन्दय नाररयों को खरीदा बेचा गया l

20 लाख िे ज्यादा महन्दय नाररयों को जबरन मुक्तस्लम बना कर अपने घरों में रखा गया, तरह
तरह की शारीररक और मानमिक यातनाओं के बाद

ऐिे बहुत िे प्रश्न, वास्तमवकताएं और ित्य तथा तथ् हैं जो की 1947 के िमकालीन लोगों ने
अपनी आने वाली पीमढ़यों िे छु पाये , महन्दय कहते हैं की जो हो गया उिे भयल जाओ, नए कल
की शुरुआत करो ...

परन्तु इस्लाम के मलए तो कोई कल नहीं .. कोई आज नहीं ...वहां तो दार-उल-हबा को


दार-उल-इस्लाम में बदलने का ही लक्ष्य है पल.. प्रमत पल

तिभाजन के बाद एक और तिभाजन का र्षड्यंत् ...

=========================

आपने बहुत िे दे शों में िे नए दे शों का मनमाा ण दे खा होगा, U S S R टय टने के बाद बहुत िे नए
दे श बने, जैिे तामजमकस्तान, कजामकस्तान आमद ... परन्तु यह िब दे श जो बने वो एक
पररभामषत अमवभामजत िीमा के अंदर बने l
137

और जब भारत का मवभाजन हुआ .. तो क्ा कारण थे की पयवी पामकस्तान और पमिमी


पामकस्तान बनाए गए... क्ों नही एक ही पामकस्तान बनाया गया... या तो पमिम में बना
लेते या मफर पयवा में l

परन्तु ऐिा नही हुआ .... यहाूँ पर उल्लेखनीय है की मोहनदाि करमचन्द ने तो यहाूँ तक
कहा था की पयरा पंजाब पामकस्तान में जाना चामहए, बहुत कम लोगों को ज्ञात है की 1947 के
िमय में पंजाब की िीमा मदल्ली के नजफगढ़ क्षे त्र तक होती थी ...

यानी की पातकस्तान का बोडफ र तदल्ली के साथ होना िय था ... मोहनदास करमचन्द


के अनुसार l

नवम्बर 1968 में पंजाब में िे दो नये राज्यों का उदय हुआ .. महमाचल प्रदे श और हररयाणा
l

पामकस्तान जैिा मुक्तस्लम राष्ट्र पाने के बाद भी मजन्ना और मुक्तस्लम लीग चै न िे नहीं बैठे ...

उन्ोंने मफर िे मां ग की ... की हमको पमिमी पामकस्तान िे पयवी पामकस्तान जाने में बहुत
िमस्याएं उत्पन्न हो रही हैं l

1. पानी के रास्ते बहुत लम्बा िफर हो जाता है क्ोंमक श्री लंका के रस्ते िे घयम कर जाना
पड़ता है l

2. और हवाई जहाज िे यात्राएं करने में अभी पामकस्तान के मुिलमान िक्षम नही हैं l इिमलए
.... कुछ मां गें रखी गयीं 1. इिमलए हमको भारत के बीचो बीच एक Corridor बना कर
मदया जाए....

2. जो लाहोर िे ढाका तक जाता हो ... (NH - 1)

3. जो मदल्ली के पाि िे जाता हो ...

4. मजिकी चौड़ाई कम िे कम 10 मील की हो ... (10 Miles = 16 KM)

5. इि पयरे Corridor में केवल मुक्तस्लम लोग ही रहें गे l


138

30 जनवरी को गां िी वि यमद न होता, तो तत्कालीन पररक्तथथमतयों में बच्चा बच्चा यह जानता था
की यमद मोहनदाि करमचन्द 3 फरवरी, 1948 को पामकस्तान पहुूँ च गया तो इि मां ग को भी
...मान मलया जायेगा l

तात्कामलक पररक्तथथमतयों के अनुिार तो मोहनदाि करमचन्द मकिी की बात िुनने की क्तथथमत में
था न ही िमझने में ...और िमय भी नहीं था मजिके कारण हुतात्मा नाथयराम गोििे जी को
गां िी वि जैिा अत्यमिक िाहिी और शौयातापयणा मनणाय लेना पिा l

हुिात्मा का अथफ होिा है तजस आत्मा ने अपने प्रािों की आहुति दी हो .... तजसको
की िीरगति को प्राप्त होना भी कहा जािा है l

यहाूँ यह िाथाक चचाा का मवषय होना चामहए की हुतात्मा पंमित नाथयराम गोििे जीने क्ा एक
बार भी नहीं िोचा होगा की वो क्ा करने जा रहे हैं ?

मकिके मलए ये िब कुछ कर रहे हैं ?

उनके इस तनिफय से उनके घर, पररिार, सम्बल्जन्धयों, उनकी जािी और उनसे जुड़े संगठनो
पर क्या असर पड़े गा ?

घर पररवार का तो जो हुआ िो हुआ .... जाने मकतने जघन्य प्रकारों िे िमस्त पररवार
और िम्बक्तन्धयों को प्रतामड़त मकया गया l

परन्तु ..... अमहं िा का पाठ पढ़ाने वाले मोहनदाि करमचन्द के कुछ अमहं िक
आतंकवामदयों ने 30 जनवरी, 1948 की रात को ही पुणे में 6000 ब्राह्मिों को चुन चुन कर घर
से तनकाल तनकाल कर तजन्दा जलाया l

10000 से ज्यादा ब्राह्मिों के घर और दु कानें जलाए गए l


139

िोचने का मवषय यह है की उि िमय िंचार माध्यम इतने उच्च कोमट के नहीं थे , मवकमित
नही थे ... मफर कैिे 3 घंटे के अंदर अंदर इतना िुमनयोमजत तरीके िे इतना बड़ा नरिंहार
कर मदया गया ....

िवाल उठता है की ... क्ा उन अमहं िक आतंकवामदयों को पहले िे यह ज्ञात था की


गां िी वि होने वाला है ?

जक्तस्टि खोिला मजन्ोंने गां िी वि िे िम्बक्तन्धत केि की पयरी िुनवाई की... 35 तारीखें पिीं
l

अदालत ने मनरीक्षण करवाया और पाया हुतात्मा पनमदर नाथयराम गोििे जी की मानमिक दशा
को तत्कालीन मचमकत्सकों ने एक दम िामान्य घोमषत मकया l पंमित जी ने अपना अपराि
स्वीकार मकया पहली ही िुनवाई में और अगली 34 िुनवाइयों में कुछ नहीं बोले ... िबिे
आक्तखरी िुनवाई में पंमित जी ने अपने शब्द कहे ""

गाूँ िी वि के िमय न्यायमयमता खोिला िे नाथयराम ने अपना विव्य स्वयं पढ़ कर िुनाने की
अनुममत मां गी थी और उिे यह अनुममत ममली थी | नाथयराम गोििे का यह न्यायालयीन विव्य
भारत िरकार द्वारा प्रमतबंमित कर मदया गया था |इि प्रमतबन्ध के मवरुि नाथयराम गोििे के
भाई तथा गाूँ िी वि के िह अमभयुि गोपाल गोििे ने ६० वषों तक वैिामनक लिाई लड़ी और
उिके फलस्वरूप िवोच्च न्यायलय ने इि प्रमतबन्ध को हटा मलया तथा उि विव्य के प्रकाशन
की अनुममत दे दी। नाथयराम गोििे ने न्यायलय के िमक्ष गाूँ िी वि के जो १५० कारण बताये थे
उनमें िे प्रमुख कारण मनम्नमलक्तखत हैं -

1. अमृतिर के जमलयाूँ वाला बाग़ गोली काण्ड (1919) िे िमस्त दे शवािी आक्रोश में थे तथा
चाहते थे मक इि नरिंहार के खलनायक जनरल िायर पर अमभयोग चलाया जाए। गान्धी ने
भारतवामियों के इि आग्रह को िमथान दे ने िे मना कर मदया।

2. भगत मिंह व उिके िामथयों के मृत्युदण्ड के मनणाय िे िारा दे श क्षुब्ध था व गान्धी की ओर


दे ख रहा था मक वह हस्तक्षेप कर इन दे शभिों को मृत्यु िे बचाएं , मकन्तु गान्धी ने भगत मिंह
की महं िा को अनुमचत ठहराते हुए जनिामान्य की इि माूँ ग को अस्वीकार कर मदया। क्ा
आिया मक आज भी भगत मिंह वे अन्य क्राक्तन्तकाररयों को आतंकवादी कहा जाता है ।
140

3. 6 मई 1946 को िमाजवादी कायाकताा ओं को अपने िम्बोिन में गान्धी ने मुक्तस्लम लीग की


महं िा के िमक्ष अपनी आहुमत दे ने की प्रेरणा दी।

4.मोहम्मद अली मजन्ना आमद राष्ट्रवादी मुक्तस्लम नेताओं के मवरोि को अनदे खा करते हुए 1921 में
गान्धी ने क्तखलार्फत आन्दोलन को िमथान दे ने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला
में मुिलमानों द्वारा वहाूँ के महन्दु ओं की मारकाट की मजिमें लगभग 1500 महन्दु मारे गए व
2000 िे अमिक को मुिलमान बना मलया गया। गान्धी ने इि महं िा का मवरोि नहीं मकया, वरन्
खुदा के बहादु र बन्दों की बहादु री के रूप में वणान मकया।

5.1926 में आया िमाज द्वारा चलाए गए शुक्ति आन्दोलन में लगे स्वामी श्रिानन्द जी की
हत्या अब्दु ल रशीद नामक एक मुक्तस्लम युवक ने कर दी, इिकी प्रमतमक्रयास्वरूप गान्धी ने अब्दु ल
रशीद को अपना भाई कह कर उिके इि कृत्य को उमचत ठहराया व शुक्ति आन्दोलन को
अनगाल राष्ट्र-मवरोिी तथा महन्दु -मुक्तस्लम एकता के मलए अमहतकारी घोमषत मकया।

6.गान्धी ने अनेक अविरों पर छत्रपमत मशवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोमवन्द मिंह जी को
पथभ्रष्ट् दे शभि कहा।

7.गान्धी ने जहाूँ एक ओर काश्मीर के महन्दु राजा हरर मिंह को काश्मीर मुक्तस्लम बहुल होने िे
शािन छोड़ने व काशी जाकर प्रायमित करने का परामशा मदया, वहीं दय िरी ओर है दराबाद के
मनज़ाम के शािन का महन्दु बहुल है दराबाद में िमथान मकया।

8. यह गान्धी ही था मजिने मोहम्मद अली मजन्ना को कायदे -आज़म की उपामि दी।

9. कॉंग्रेि के ध्वज मनिाा रण के मलए बनी िमममत (1931) ने िवािम्ममत िे चरखा अंमकत भगवा
वस्त्र पर मनणाय मलया मकन्तु गाूँ िी मक मजद के कारण उिे मतरं गा कर मदया गया।

10. कॉंग्रेि के मत्रपुरा अमिवेशन में नेताजी िुभाष चन्द्र बोि को बहुमत िे कॉंग्रेि अध्यक्ष चुन
मलया गया मकन्तु गान्धी पट्टमभ िीतारमय्या का िमथान कर रहा था, अत: िुभाष बाबय ने मनरन्तर
मवरोि व अिहयोग के कारण पदत्याग कर मदया।
141

11. लाहोर कॉंग्रेि में वल्लभभाई पटे ल का बहुमत िे चुनाव िम्पन्न हुआ मकन्तु गान्धी की मजद के
कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को मदया गया।

12. 14-15 जयन, 1947 को मदल्ली में आयोमजत अक्तखल भारतीय कॉंग्रेि िमममत की बैठक में भारत
मवभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, मकन्तु गान्धी ने वहाूँ पहुं च प्रस्ताव का िमथान
करवाया। यह भी तब जबमक उन्ोंने स्वयं ही यह कहा था मक दे श का मवभाजन उनकी लाश
पर होगा।

13. मोहम्मद अली मजन्ना ने गान्धी िे मवभाजन के िमय महन्दु मुक्तस्लम जनिूँख्या की िम्पयणा
अदला बदली का आग्रह मकया था मजिे गान्धी ने अस्वीकार कर मदया।

14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने िोमनाथ मक्तन्दर का िरकारी व्यय पर पुनमनामाा ण
का प्रस्ताव पाररत मकया, मकन्तु गान्धी जो मक मन्त्रीमण्डल के िदस्य भी नहीं थे ने
िोमनाथ मक्तन्दर पर िरकारी व्यय के प्रस्ताव को मनरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को
आमरण अनशन के माध्यम िे िरकार पर मदल्ली की मक्तिदों का िरकारी खचे िे पुनमनामाा ण
कराने के मलए दबाव िाला।

15. पामकस्तान िे आए मवथथामपत महन्दु ओं ने मदल्ली की खाली मक्तिदों में जब अथथाई शरण ली
तो गान्धी ने उन उजड़े महन्दु ओं को मजनमें वृि, क्तस्त्रयाूँ व बालक अमिक थे मक्तिदों िे िे
खदे ड़ बाहर मठठु रते शीत में रात मबताने पर मजबयर मकया गया।

16. 22 अियबर 1947 को पामकस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर मदया, उििे पयवा माउूँ टबैटन ने
भारत िरकार िे पामकस्तान िरकार को 55 करोड़ रुपए की रामश दे ने का परामशा मदया था।
केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृमष्ट्गत यह रामश दे ने को टालने का मनणाय मलया मकन्तु
गान्धी ने उिी िमय यह रामश तुरन्त मदलवाने के मलए आमरण अनशन मकया- फलस्वरूप यह
रामश पामकस्तान को भारत के महतों के मवपरीत दे दी गयी।

उपरोि पररक्तथथमतयों में नथयराम गोििे नामक एक दे शभि िच्चे भारतीय युवक ने गान्धी का
वि कर मदया।
142

न्ययालय में चले अमभयोग के पररणामस्वरूप गोििे को मृत्युदण्ड ममला मकन्तु गोििे ने न्यायालय
में अपने कृत्य का जो स्पष्ट्ीकरण मदया उििे प्रभामवत होकर उि अमभयोग के न्यायिीश श्री
जे. िी. खोिला ने अपनी एक पुस्तक में मलखा-

"नथयराम का अमभभाषण दशाकों के मलए एक आकषाक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना
भावाकुल हुआ मक लोगों की आहें और मििमकयाूँ िुनने में आती थींऔर उनके गीले ने त्र और
मगरने वाले आूँ िय दृमष्ट्गोचर होते थे। न्यायालय में उपक्तथथत उन प्रेक्षकों को यमद न्यायदान का
काया िौंपा जाता तो मुझे तमनक भी िंदेह नहीं मक उन्ोंने अमिकामिक िूँख्या में यह घोमषत
मकया होता मक नथयराम मनदोष है ।"

तो भी नथयराम ने भारतीय न्यायव्यवथथा के अनुिार एक व्यक्ति की हत्या के अपराि का दण्ड


मृत्युदण्ड के रूप में िहज ही स्वीकार मकया। परन्तु भारतमाता के मवरुि जो अपराि गान्धी ने
मकए, उनका दण्ड भारतमाता व उिकी िन्तानों को भुगतना पड़ रहा है । यह क्तथथमत कब
बदलेगी?

प्रश्न यह भी उठिा है की पंतडि नाथूराम गोडसे जी ने िो गााँधी िध तकया उन्ें पैशातचक


कानूनों के िारा मृत्यु दं ड तदया गया परन्तु नाना जी आप्टे ने िो गोली नही ं मारी थी
... उन्ें क्यों मृत्युदंड तदया गया ?

नाथयराम गोििे को िह अमभयुि नाना आप्टे के िाथ १५ नवम्बर १९४९ को पंजाब के अम्बाला
की जेल में मृत्यु दं ि दे मदया गया। उन्ोंने अपने अंमतम शब्दों में कहा था...

यतद अपने दे श के प्रति भल्जक्भाि रखना कोई पाप है िो मैंने िो पाप तकया है और यतद
यह पुन्य तहया िो उसके िारा अतजफि पुन्य पद पर मैं अपना नम्र अतधकार व्यक् करिा
हाँ

– हुिात्मा पंतडि नाथूराम गोडसे

न्यायलय में हुतात्मा पंमित नाथयराम गोििे जी के पयरे शब्दों को पढने हे तु यह link visit करें
..
143

https://www.facebook.com/note.php?note_id=418093166525

गाूँ िी वि के बाद मुक्तस्लम लीग का भारत के रक और मवभाजन का एजेंिा कुछ िमय के


मलए थम गया परन्तु 16 मदिम्बर 1971 को बंगलादे श के मनमाा ण के बाद मुक्तग्लस्तान - 2025 के
षड्यंत्र के िाथ इिे मफर िे कायाा क्तन्वत करना का मनणाय मुक्तस्लम लीग ने मलया
144

बंगलादे श को भारिीय भूतम दे ने का सत्य .... और


तिदे श नीतियों का इस्लामीकरि
बंगलादे श को कुछ मववादों के चलते भयमम दी जा रही है , मजिके बारे में अनजान रखा जा
रहा है िबको l

कोई िमाचार पत्र छाप रहा है की केवल 60 एकड़ भयमम ही दी गई है ?

मकिी का छापना है की 600 एकड़ .... 140 एकड़ ....

क्ा है ित्य ... ?

ये बात है तब की जब Jessore के महन्दय राजा और मुमशादाबाद के नवाब जुए में गाूँ व के गाूँ व
हार जीत पर लगाया करते थे l

1947 के बंटवारे के बाद मुमशादाबाद भारत में आ गया और महन्दय शहर जाशोर बंगलादे श में
चला गया l

कुछ द्वीपों का भी इमतहाि ऐिा है की भारत और तत्कालीन porkistan के िाथ िीमा मववाद
चलता ही रहा मनरं तर l

माशफल र्टीर्टो समझौिा

बंगलादे श और Porkistan के िाथ कोई प्राकृमतक िीमा नहीं है , जैिे की चीन और श्री लंका के
िाथ पाई जाती है , अतिः िीमा मववाद भी होना आवश्यक था और वो भी ... इस्लामी
मानमिकता के िाथ l

बंगलादे श की िीमा भारतीय राज्यों िे लगती है ...पमिम बंगाल, अिम और मेघालय


145

UNO ने एक कमेटी बना कर भारत Porkistan िीमा मववाद का हल करवाना चाह मजिकी
अध्यक्षता कर रहे थे युक्रेन के मनवािी माशाल टीटो l

1962 के भारत-चीन युि के बाद नेहरु और तत्कालीन Porkistan शािक ने भी स्वीकृमत दी


और आगे जाकर याह्या खान आमद ने यह मनणाय मलया की माशाल टीटो जो परामशा दे गा उिे
हम मान लेंगे l

माशाल टीटो ने भी बड़ी कुशलता िे षड्यंत्र रचते हुए यह परामशा िुझा मदया की तत्कालीन
तीस्ता नदी को ही िीमा मान मलया जाए, मजिको की उि िमय तो मान मलया गया l

परन्तु उि िमय तीस्ता नदी में बाढ़ आई हुई थी मजि कारण िे तीस्ता नदी ने कई जगहों
िे रास्ता बदला भी हुआ था और पानी भी भरा हुआ था l

इस्लामी मानमिकताओं के लालच का तो कोई अंत स्वाभामवक रूप िे है ही नहीं

हजरत महामयत के Easy Money के मििां त को तो अपने खयन में बिा चुके हैं , ये िब इस्लामी
कीड़े l

तत्कालीन पोमकास्तान (बंगलादे श) की नीयत खराब हुई और उिने तत्कालीन बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों पर
भी अपना कब्जा लेने को बार बार भारत पर दबाव बनाया, सीर िीक का मववाद भी आप
िब पढ़ िकते हैं इि मवषय पर l

ििफमान समझौिा
146

वतामान िमझौते के तहत ऐिे प्रतीत होता है की जैिे भारत ने ...अमेररका जैिे दे श के आगे
घुटने टे क मदए हों क्ोंमक Uncle Sam तो मफर भी दादामगरी के मलए मशहूर हैं , अपने एजेंटों िे
परमाणु िंमि के मलए भारत के िंिद तक खरीद लेते हैं वो तो ....

परन्तु बंगलादे श जैिे भय खे नंगे दो कौड़ी की औकात न रखने वाले दे श के आगे घुटने टे क
दे ना भारतीय मवदे श नीमत के इस्लामीकरण की मानमिकता को दशाा ता है l

ऐिा प्रतीत होता है जैिे भारत की मवदे श नीमत इस्लामी मानमिकता के लोगों द्वारा मनिाा ररत
की जाती है l

इि भयमम मववाद के मववामदत िमझौते के अंतगात एक बहुत बड़ा जनिूँख्या पररवतान भी होने
जा रहा है मजिके बारे में भारतीय जनमानि को इमतहाि की तरह आज भी .... अूँिेरे में ही
रखा जा रहा है l

बंगलादे श के 1,70,000 मुसलमानों को भारि में शरि दी जाएगी तजनकी कुल भूतम है
5400 एकड़ l

और भारि के 30000 तहन्दु ओ ं की 17500 एकड़ भूतम बंगलादे श को दी जा रही है l

12000 एकड़ भूतम दु सरे दे श को दी जा रही है ... इससे बड़ा धोखा या दे शद्रोह नही ं
हो सकिा भारिीय जनमानस के साथ l

और साथ में भारि के तहन्दु ओ ं के ऊपर एक शिफ भी थोपी गयी है की यतद आप भारि
सरकार से अपनी भूतम पर कोई Claim नही ं करिे हैं िो आप भारि में कही ं भी रह
सकिे हैं l
147

और यह भी प्रत्यक्ष है , साक्षी है , प्रमातिि है की ... जब ये तहन्दू लोग बंगलादे श के


अधीन आएं गे िो अगले कुछ िर्षों में ही अतधकिर का धमफ -पररििफन भी करिा तदया
जायेगा, और जाने तकिनी मतहलाओं को यौन-उत्पीडन के दौर से गुजरना होगा ?

क्ा यह ... महटलर शाही का दे श है ?

या मफर इस्लामी दे श ?

प्रश्न मफर वही आता है की क्ा यह िरकार और नीमतयाूँ .... भारतीय हैं ?

मकि लोकतं त्र और िमा-मनरपेक्षता की पक्षिर है ये लोकतं त्र के अंदर व्याप्त राजशाही ...?

ये दे श हमारा है ,

इि भयमम पर िनातनी आयों का पहला अमिकार है ... था और िदै व रहे गा l

क्ा आप लोग इिका मवरोि कर िकते हैं ?

यतद आज नही ं कर सकिे िो िैयार रतहये आप भी तकसी भी समय तकसी भी इस्लामी


दे श के अधीन हो सकिे हैं तबना तकसी चल अचल सम्पतत्त के l

यहाूँ कुछ बातें उल्लेकनीय है ...

न ही वेमटकन, चीन और िलीमशाही जयमतयाूँ चाटने वाली मीमिया द्वारा इि मवषय पर कुछ
मवशेष मदखाया या छापा जा रहा है ?

मवपक्ष द्वारा या मकिी भी महं दयवादी िन्गठन द्वारा कोई बड़ा आन्दोलन नहीं मकया जा रहा ?

मवपक्ष भी चुप ..... ? जाने कौन िी दवाई मपलाई हुई है आजकल मवपक्ष को िरकार ने ?
148

भारतीय जनमानि तो पुरे मवश्व में इतना महामयखा है की


उिे न तो कुछ पढने की अब आदत है और न ही कुछ
िमझने की ... एक पैशातचक मानतसकिा खून में रच
बस चुकी है ... "हमको क्या ?? "

महत्वपूिफ ये है की इं तदरा गांधी ने 1980 में इस तििाद


पर बंगलादे श को तमलेगी ... उिनी ही भूतम बंगलादे श
यतद भारि को दे िा है .. उसी तदशा में यह समझौिा
पूिफ हो सकिा है अन्यथा नही ं l

हालांतक बंगलादे श सरकार ने इस मांग को अस्वीकार


कर तदया था l

परन्तु भारत की ऐिी कौन िी नब्ज है .... जो इस्लामी मानमिकता के मंमत्रयों की


उूँ गमलयों के मनयन्त्रण में है ?

क्या भारि में पैदा होने िाले तहन्दु ओ ं पर जयचंदी श्राप अनंि काल के तलए लग चुका है
?

िब मबके हुए ही पैदा हो रहे हैं ?

भला तकस प्रकार कुछ भारिीयों को इस्लामी दे श की नागररकिा लेने पर तििश तकया
जा सकिा है ?

और 12000 एकड़ भारिीय भूतम दु सरे दे श को कैसे दी जा सकिी है ?

कृपया आप िब िुझाएूँ .... क्ा हो रहा है ?

और आप िब क्ा क्ा कर िकते हैं ?

बंगलादे श मनमाा ण िे पहले पयवी पामकस्तान में महन्दय -नरिंहार का एक मचत्र ... इि मचत्र में
पामकस्तान आमी का एक मजहादी ये पहचान कर रहा है की ये महन्दय है या मुिलमान ...

अनीमत ही वस्तु तिः महं िा है ..... |


(अनीमत के कारण ही अिंतोष और आक्रोश का जन्म होता है .... )
.
149

.
उिका प्रमतकार करने के मलए .....
... .......
जब अमहं िा िमथा न हो .....
.
तो महं िा भी अपनाई जा िकती है ..... |
.
.

{ { ऋमष--ियत्र }
.
{ तेजस्वी -- ब्राह्मण -- क्षमत्रय -- प्रमशक्षण }
.
{ राष्ट्र - शत्रु ओं के ..... तीव्र - मवनाश के मलए }
150

सांप्रदातयक एिं लतक्षि तहं सा रोकथाम कानून - 2011 के


र्षड्यंत् को तनल्जिय करने हे िु सुझाि :
सांप्रदातयक एिं लतक्षि तहंसा रोकथाम कानून - 2011 के र्षड्यंत् को तनल्जिय करने हेिु
सुझाि :

बहुि से तहन्दू संगठनो को इस और कायफ करिे दे खा है , परन्तु Positive Approach तकसी


में तदखाई नही ं दे िी ... ऐसा लगिा है की जैसे सब राजनीति ही करना चाहिे हैं l

प्रत्यंचा की योजना ये है की हम लोग पहले इस बारे में भारिीय जनमानस को


जागरूक करें l

...उन्ें इस काले तहन्दू तिरोधी कानून के बारे में बिाएं l

इसके दु ष्प्रभािों के बारे में बिाएं l

यतद जनिा जागरूक होगी.. िभी कुछ हो सकिा है ... अन्यथा इस कानून को पास
होने से कोई नही ं रोक सकिा .. क्योंतक ऊपर से तनचे िक अतधकााँश राजशाही,
अर्सरशाही और नौकर शाही .... िेतर्टकन के इशारों पर नाच कर इसाई बन चुकी
है ...

ऐसे ही एक Bureaucrat है ... हर्षफ मंदर .. जो की इसायी बन गया और सबके साथ mil
कर इस कानून को बनाने में मुख्य भूतमका तबभाई

पचे बंर्टिा दें ...

पहले इस तिर्षय पर अपने आस पास के मल्जन्दर के पंतडि से बाि कर ली जाए...

यतद सम्भि हो िो अपने Block के RWA के लोगों से बाि करें यतद िो तहंदूिादी हो िो
लाभ तमल सकिा है l

1000 रुपये में 10000 पचे छप सकिे हैं ...


151

और प्रत्येक मल्जन्दर में कम से कम 1000 पचे रखिा तदए जाएाँ ....

आपके 10 मंतदर आसानी से किर हो सकिे हैं l

यतद मल्जन्दर में श्रद्धालु गन ज्यादा संख्या में आिे हैं िो उसी अनुसार पचे बढाए भी जा
सकिे हैं l

यतद आप 4 लोग भी जुर्टा सकें िो आप 5 हो जािे हैं ...

और प्रत्येक व्यल्जक् 200 रुपये का सहयोग करे ....

तर्र यतद कोई तप्रंतर्टं ग करने िाला भी तहंदूिादी हो िो Extra सहायिा तमल सकिी है
...

ये याद रहे की .... ज्यादािर पचे प्रादे तशक भार्षाओ ाँ में छपे जाएाँ तजससे की जमीनी
स्तर के व्यल्जक् इस काले तहन्दू तिरोधी कानून को अछे प्रकार से समझ सकें l

और यतद अपने आसपास के और तमत्ों से बाि की जाए.. िो तमल जुल कर FUNDS


जुर्टा कर भी ये कायफ तकया जा सकिा है .. और व्यापक स्तर पर क्षेत्ीय मल्जन्दरों को
किर तकया जा सकिा है ...

कोई कथा समारोह ...

कोई प्रिचन आतद चल रहे हों... िो उनसे तमला भी जा सकिा है प्रमुख लोगों से ...
और अन्य प्रकार से िहां पर बांर्टे भी जा सकिे हैं l

इसमें ऐसा भी नही ं है की तकसी को मल्जन्दर में बैठना ही पड़े गा....


152

प्रत्येक मल्जन्दर के पुजारी से कह कर तकसी प्रमुख जगह पर ये पचे रखे जा सकिे हैं
...

मल्जन्दरों में नाररयां आिी हैं ...ज्यादािर उन्ें पुजारी जी कहिे रहेंगे की एक पचाफ अपने
घर ले जाकर सबको पढाये l

परन्तु उससे पहले आिश्यक है की पुजारी का ब्रेनिाश ठीक से करना पड़े गा....

पहले पुजारी के साथ एक बैठक कर लेतकन, उन्ें एक Pumphlet तदखायें , उन्ें पढ़ाएं ..
समझायें और तर्र उपाय सुझाएाँ l

इस कायफ को सभी अपने आप कायाफल्जिि कर सकिे हैं , चाहें िो अपने आस पास के


तमत्ों के साथ इस कायफ हेिु एक र्टीम बना कर भी कायफ कर सकिे हैं l

बाकी आप सब इस योजना को और अच्छे िरीके से तकस प्रकार कायाफल्जिि कर सकिे


हैं ये आप भी बेहिर समझिे हैं l

बस .. जुर्ट जाइये अब.. एक हो जाइये ...

धमफ तहिाथफ इस कायफ में संकोच न करें .. िथा अतिलम्ब इस कायफ में जुर्ट जाएाँ l

पचे छपिाने हेिु इस कानून के बारे में उतचि जानकारी नीचे तिस्तार से दी जा रही
है :

और यतद आपसे इस तिर्षय में कोई अनगफल बहस आतद करे िो उसे सरकारी website
के दशफन करिा दें ...
153

साम्प्रदातयक और लतक्षि तहंसा अतधतनयम, 2011

(21िी ं शिाब्दी का काला कानून)

सोतनया गांधी की अध्यक्षिा िाली राष्टरीय सलाहकार पररर्षद िारा प्रस्तातिि इस तिधेयक को
केन्द्रीय सरकार ने स्वीकार कर तलया है। इस तिधेयक का उद्दे श्य बिाया गया है तक यह
दे श में साम्प्रदातयक तहंसा को रोकने में सहायक तसद्ध होगा। इसको अध्ययन करने पर
ध्यान में आिा है तक यतद दु भाफग्य से यह पाररि हो जािा है िो इसके पररिाम केिल
तिपरीि ही नही ं होंगे अतपिु दे श में साम्प्रदातयक तििे र्ष की खाई इिनी चौडी हो जायेगी
तजसको पार्टना असम्भि हो जायेगा।यहां िक तक एक प्रमुख सैक्युलररस्ट पत्कार,शेखर
गुप्रा ने भी स्वीकार तकया है तक,”इस तबल से समाज का साम्प्रदातयक आधार पर
ध्रुिीकरि होगा। इसका लक्ष्य अल्पसंख्यकों के िोर्ट बैंक को मजबूि करने के अलािा
तहन्दू संगठनों और तहं दू नेिाओं का दमन करना है।

तजस प्रकार सरकार की रुतच भ्रष्टाचार को समाप्त करने की जगह भ्रष्टाचार को संरक्षि
दे कर उसके तिरुद्ध आिाज उठाने िालों के दमन में है,उसी प्रकार यह सरकार
साम्प्रदातयक तहंसा को रोकने की जगह तहंसा करने िालों को संरक्षि और उनके तिरुद्ध
आिाज उठाने िाले तहंदू संगठनों और उनके नेिाओं को इसके माध्यम से कुचलना चाहिी
है। इस अतधतनयम के माध्यम से केन्द्र राज्य सरकारों के कायों में हस्तक्षेप कर दे श के
संघीय ढांचे को ध्वस्त कर दे गा। यह भारिीय संतिधान की मूल भािना को िहस-नहस
करिा हुआ भी तदखाई दे रहा है। यह अतधतनयम एक नई िानाशाही को िो जन्म दे गा
ही, यह तहन्दू समाज की भािनाओं और उनको िािी दे ने िाले तहन्दू संगठनों को भी
कुचल दे गा।

तजस राष्टरीय सलाहकार पररर्षद की अनुशंसा(आदे श) पर इस तिधेयक को लाया जा रहा है,


िह एक समानांिर सरकार की िरह काम कर रही है। यह न िो एक चुनी हुई संस्था है
और न ही इसके सभी सदस्य जनिा के िारा चुने गये प्रतितनधी हैं। सरकार जो िकफ
“तसतिल सोसाईर्टी” या अन्य जन संगठनों के तिरुद्ध प्रयोग करिी है , िह स्वयं उस के
तिपरीि आचरि कर रही है।
154

राष्टरीय सलाहकार पररर्षद एक असंिैधातनक महाशल्जक् है जो तबना तकसी जिाबदे ही के


सलाह की आड में आदे श दे िी है। केन्द्र सरकार दासत्व भाि से उनके आदे शों को लागू
करने के तलये हमेशा ही ित्पर रहिी है। तजस डराफ्ट कमेर्टी ने इस तिधेयक को बनाया है ,
उसके सदस्यों के चररत् का तिचार करिे ही उनकी नीयि के बारे में तकसी संदेह की
गुंजाइश नही ं रहिी है। इस सतमिी में ९ सद् स्य और उनके ४ सलाहकार हैं । इन सब
में समानिा के यही तबंदू है तक ये सभी तहंदू संगठनों के घोर तिरोधी हैं , हमेशा गुजराि
के तहन्दू समाज को कर्टघरे में खडा करने के तलये ित्पर रहिे हैं और अल्पसंख्यकों के
तहिों का एकमात् संरक्षक तदखने के तलये दे श को भी बदनाम करने में संकोच नही ं
करिे।

हर्षफ मंडेर रामजन्मभूतम आन्दोलन और तहन्दू सं गठनों के घोर तिरोधी हैं। अनु आगा जो तक
एक सर्ल व्यिसातयक मतहला हैं , गुजराि में मुल्जस्लम समाज को उकसाने के कारि ही
एक सामातजक कायफकिाफ के रूप में पहचानी जािी । िीस्ता सीिलिाड और र्राह नकिी
की गुजराि में भूतमका सिफतितदि है। उन्ोंने न केिल झठ ू े गिाह िैय्यार तकये हैं अतपिु
दे श तिरोतधयों से अकूि धनराशी प्राप्त कर झठ ू े मुकदमे दायर तकये हैं और जांच प्रतिया
को प्रभातिि करने का संतिधान तिरोधी दु ष्कृत्य तकया है। आज इनके र्षडयंत्ों का
पदाफर्ाश हो चुका है , ये स्वयं न्याय के कर्टघरे में कभी भी खडे हो सकिे हैं। ये लोग
अपनी खीज तमर्टाने के तलये तकसी भी सीमा िक जा सकिे हैं।

जो काम िे न्यायपातलका के माध्यम से नही ं कर सके ,ऐसा लगिा है िे इस तिधेयक के


माध्यम से करना चाहिे हैं। एक प्रकार से इन्ोनें अपने कुल्जत्सि इरादों को पूरा करने के
तलये चोर दरिाजे का प्रयोग तकया है। इनके घोतर्षि-अघोतर्षि सलाहकारों के नाम इनका
भंडार्ोड करने के तलये पयाफप्त हैं।” मुल्जस्लम इल्जिया” चलाने िाले सैय्यद शहाबुद्दीन,
धमाफन्तरि करने के तलये तिदे शों में भारि को बदनाम करने िाले जोन दयाल , तहन्दू
दे िी-दे ििाओं का खुला अपमान करने िाली शबनम हाशमी और तनयाज र्ारुखी तजस
सतमिी के सलाहकार हों , िह कैसा तिधेयक बना सकिे हैं इसका अनुमान आसानी से
लगाया जा सकिा है।

भारि के बडबोले मंत्ी, कतपल तसब्बल िारा इस अतधतनयम को सािफजतनक करिे हुए
गुजराि के दं गों और उनमें सरकार की कतथि भूतमका का उल्लेख करना सरकार की
नीयि को स्पष्ट करिा है। ऐसा लगिा है तक सारी सैक्युलर तब्रगेड तमलकर जो काम नही ं
कर सकी, उसे सोतनया इस तिधेयक के माध्यम से पूरा करना चाहिी हैं। गुजराि के संदभफ
में सभी कसरिें व्यथफ जा रही हैं। आरोप लगाने िाले स्वयं आरोतपि बनिे जा रहे हैं।
155

कानून के तशकंजे में र्ंसने की दहशि से िे मरे जा रहे हैं। इस अतधतनयम का प्रारूप
दे खने से ऐसा लगिा है मानो उन्ी ं चोर्ट खाये इन िथाकतथि मानिातधकारिादी ने इसको
बनाने के तलये अपनी कलम चलाई है।

इस तिधेयक को सािफजतनक करने का समय बहुि महत्वपूिफ है। कुछ तदन पूिफ ही
अमेररका के ईसाईयि के प्रचार के तलये बदनाम “अं िराफ ष्टरीय धमफ स्वािंत्र्य आयोग” ने भारि
को अपनी तनगरानी सूची में रखा है। उन्ोंनें भी गुजराि और ओडीसा के उदाहरि तदये
हैं।मानाितधकार का दलाल अमेररका मानिातधकारों के सम्बंध में अमेररका का दोगलापन
जगजातहर है। इस आयोग को तचंिा है ओतडसा और गुजराि की घर्टनाओं की, परन्तु
उसको कश्मीर के तहन्दु ओ ं या मतिपुर और तत्पुरा में ईसाई संगठनों िारा तहन्दु ओ ं के
नरसंहारों की तचंिा क्यों नही ं होिी? इससे भी बडे दु भाफ ग्य का तिर्षय यह है तक भारि के
तकसी सैक्युलर नेिा नें अमेररका को धमकाकर यह नही ं कहा तक उसको भारि के
आन्तररक मामलों में दखल दे ने का अतधकार नही ं है। भारि के मुल्जस्लम और ईसाई
संगठनों नें इसका स्वागि तकया है। इससे उनकी भारिबाह्य तनष्ठा स्पष्ट होिी है। इस
बदनाम आयोग की ररपोर्टफ के िुरन्त बाद इस तिधेयक को सािफजतनक करना, ऐसा लगिा
मानों ये दोनों एक ही जंजीर की दो कतडया हैं। राष्टरीय सलाहकार पररर्षद के गलि इरादों
का पिा इसी बाि से लगिा है तक इन्ोंनें साम्प्रदातयक दं गों के कारिों का तिश्लेर्षि भी
नही ं तकया। डराफ्ट सतमति की स्दस्य अनु आगा ने अप्रैल , 2002 में कहा था,” यतद
अल्पसंख्यकों को पहले से ही िुष्टीकरि और अनािश्यक छूर्टें दी गई हैं िो उस पर
पुनतिफचार करना चातहये। यतद ये सब बािें बहुसंख्यकों के ल्जखलार् गई हैं िो उनको िापस
लेने का साहस होना चातहये। इस तिर्षय पर सािफजतनक बहस होनी चातहये।’(इल्जियन
एक्स., 8 अप्रैल, 2002) इन नौ िर्षों में अनु आगा ने इस तिर्षय में कुछ नही ं तकया। शायद
उन्ें मालूम चल गया था तक यतद सत्य सामने आ गया िो ऐसा अतधतनयम बनाना पडे गा
जो प्रस्तातिि अतधतनयम के तबल्कुल तिपरीि होगा।

यह अतधतनयम तिदे शी शल्जक्यों के इशारे पर ही लाया गया है। ऐसा लगिा है तक एक


अन्तराफ ष्टरीय र्षडयंत् के आधार पर तहन्दू समाज, तहन्दू संगठनों और तहन्दू नेिाओं को तशकंजे
में कसने का प्रयास तकया जा रहा है।

इस तिधेयक के कुछ खिरनाक प्रािधान तनम्नतलल्जखि हैंः

1१. यह तिधेयक साम्प्रदातयक तहंसा के अपरातधयों को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार


पर बांर्टने का अपराध करिा है। तकसी भी सभ्य समाज या सभी राष्टर में यह िगीकरि
स्वीकायफ नही ं होिा। अभी िक यही लोग कहिे थे तक अपराधी का कोई धमफ नही ं होिा।
156

अब इस तिधेयक में क्यों साम्प्रदातयक तहंसा के अल्पसंख्यक अपरातधयों को दं ड से मुक्


रखा गया है? प्रस्तातिि तिधेयक का अनुच्छेद ८ अल्प्संख्यकों के तिरुद्ध घृिा का प्रचार
अपराध मानिा है। परन्तु तहन्दु ओ ं के तिरुद्ध इनके नेिा और संगठन खुले आम दु ष्प्रचार
करिे हैं। इस तिधेयक में उनको अपराधी नही ं माना गया है। इनका मानना है तक
अल्पसंख्यक समाज का कोई भी व्यल्जक् साम्प्रदातयक िनाि या तहंसा के तलये दोर्षी नही ं
है। िास्ततिकिा ठीक इसके तिपरीि है। भारि ही नही ं सम्पूिफ तिश्व में इनके धातमफक
नेिाओं के भार्षि ि लेखन अन्य धमाफिलल्जम्बयों के तिरुद्ध तिर्षिमन करिे हैं। भारि में भी
कई न्यातयक तनिफयों और आयोगों की ररपोर्टों में इनके भार्षिों और कृत्यों को ही
साम्प्रदातयक िनाि के मूल में बिाया गया है। ओडीसा और गुजराि की तजन घर्टनाओं
का ये बार-बार प्रलाप करिे हैं , उनके मूल में भी आयोगों और न्यायालयों नें अल्पसंख्यकों
की तहंसा को पाया है। मूल अपराध को छोडकर प्रतितिया िाले को ही दं तडि करना न
केिल दे श के कानून के तिपरीि है अतपिु तकसी भी सभ्य समाज की मान्यिाओं के
ल्जखलार् है।

स्विंत् भारि के इतिहास में कतथि अल्पसंख्यक समाज िारा तहंदू समाज पर 1,50,000 से
अतधक हमले हुए हैं िथा तहन्दु ओ ं के मंतदरों पर लगभग 500 बार हमले हुए हैं। 2010 में
बंगाल के दे गंगा में तहं दुओ ं पर तकये गये अत्याचारों को दे खकर यह नही ं लगिा तक यह
भारि का कोई भाग है। बरे ली और अलीगढ में तहन्दू समाज पर हुऍ हमले ज्यादा पुराने
नही ं हुए हैं। एक तिदे शी पत्कार िारा तिदे श में ही पैगम्बर साहब के कार्टूफन बनाने पर
भारि में कई स्थानों पर तहन्दु ओ ं पर हमले तकसी से तछपे नही ं हैं। अपराधी को छोडना
और पीतडि को ही तजम्मेदार मानना क्या तकसी भी प्रकार से उतचि माना जा सकिा है ?
एक अन्य सैक्युलर नेिा,सैम राजप्पा ने तलखा है ,” आज जबतक दे श साम्प्रदातयक तहंसा से
मुल्जक् चाहिा है , यह अतधतनयम मानकर चलिा है तक साम्प्रदातयक दं गे बहुसंख्यक के िारा
होिे हैं और उनको ही सजा तमलनी चातहये। यह बहुि भेदभािपूिफ है।”(दी स्टे र्ट्समैन, 6 जून,
2011)

2. इस कानून के अनुच्छेद -7 के अनुसार यतद एक मुल्जस्लम मतहला के साथ दु व्यफिहार


होिा है िो िह अपराध है , परन्तु तहन्दू मतहला के साथ तकया गया बलात्कार अपराध नही ं
है जबतक अतधकांश दं गों में तहन्दू मतहला की इज्जि ही तनशाने पर रहिी है।

3. तजस समुदाय की रक्षा के बहाने से इस शैिानी तिधेयक को लाया गया है , उसको इस


तिधेयक में” समूह” का नाम तदया है। इस समूह में कतथि अल्पसंख्यकों के अतिररक्
अनुसूतचि जातियों और जनजातियों को भी शातमल तकया गया है। क्या इन िगों में परस्पर
संघर्षफ नही ं होिा? तशया-सुन्नी के परस्पर खूनी संघर्षफ जगजातहर हैं। इसमें तकसकी तजम्मेदारी
िय करें गे ? अनुसूतचि जातियों के कई उपिगों में कई बार संघर्षफ होिे हैं ,हालांतक इन संघर्षों
157

के तलये अतधकांशिः ये सैक्युलर तबरादरी के लोग ही तजम्मेदार होिे हैं । इन सबका यह


मानना है तक उनकी समस्याओं का समाधान तहंदू समाज का अतिभाज्य अंग बने रहने में
ही हो सकिा है। यह दे श की अखण्डिा और तहन्दू समाज को भी तिभक् करने का
र्षडयंत् है। इन दं गों की रोकथाम क्या इस अतधतनयम से हो पायेगी? इन संघर्षों को रोकने
के तलये तजस सदभाि की आिश्यक्ा होिी है, इस कानून के बाद िो उसकी धल्जज्जयां ही
उधडने िाली हैं।

4. इस तिधेयक में बहुसंख्यक तहन्दू समाज को कर्ट् घरे में खडा तकया गया है। सोतनया को
ध्यान रखना चातहये तक तहन्दू समाज की सतहष्णुिा की इन्ोनें कई बार िारीर् की है।
कांग्रेस के एक अतधिेशन में इन्ोनें कहा था तक भारि में तहन्दू समाज के कारि ही
सैक्युलररज्म तजंदा है और जब िक तहन्दू रहे गा भारि सैक्युलर रहेगा। तिश्व में तजसको भी
प्रिातडि तकया गया, उसको तहं दू नें शरि दी है। जब यहतदयों, पारतसयों और सीररयन
ईसाइयों को अपनी ही जन्मभूतम में प्रिातडि तकया गया था िब तहन्दू ने ही इनको शरि
दी थी। अब उसी तहन्दू को तनशाना बनाने की जगह साम्प्रदातयक िनािों के मूल को
समझना चातहये। सोतनया को िोर्ट बैंक की तचंिा छोडकर दे शतहि का तिचार करना
चातहये। यतद ये सतहष्णु तहन्दू समाज को एक नरभक्षी दानि के रूप में तदखायेंगे िो
साम्प्रदातयक िैमनस्य की खाई और चौडी हो जायेगी तजसे कोई नही ं पार्ट सकेगा।
सलाहकार पररर्षद के ही एक सदस्य, एन.सी. सक्सेना ने कहा था ,” यतद अल्पसंख्यक
समुदाय के तकसी व्यल्जक् िारा बहुसंख्यक समाज के तकसी व्यल्जक् पर अत्याचार होिा है
िो यह तिर्षय भारिीय दं ड संतहिा के अंिगफि आयेगा, प्रस्तातिि अतधतनयम में नही ं।” (दी
पायनीयर, 23 जून, 2011) इस कानून का संरक्षि केिल बहुसंख्यक समाज के तलये नही ं ,
अल्पसंख्यक समाज के तलये भी है। तर्र इस अतधतनयम की आिश्यक्ा ही क्या है ? क्या
इससे उनके इरादों का पदाफर्ाश नही ं हो जािा?

5. इस तिधेयक में साम्प्रदातयक तहंसा की पररभार्षा दी है ,” िह कृत्य जो भारि के सैक्युलर


िाने बाने को िोडे गा।” भारि में सैक्युलररज्म की पररभार्षा अलग-अलग है। भारिीय
संतिधान में या इस तिधेयक में कही ं भी इसे पररभातर्षि नही ं तकया गया। क्या अर्जल
गुरू को र्ांसी की सजा से बचाना,आजमगढ जाकर आिंतकयों के हौ ंसले बढाना, बर्टला
हाउस में पुतलस िालों के बतलदान को अपमातनि कर आिंतकयों की तहम्मि बढाना,मुम्बई
हमले में बतलदान हुए लोगों के बतलदान पर प्रश्नतचंह लगाना, मदरसों में आिंकिाद के
प्रतशक्षि को बढािा दे ना, बंग्लादे शी घुसपैतठयों को बढािा दे ना सोतनया की तनगाहों में
सैक्युलररज्म है और इनके तिरुद्ध आिाज उठाना सैक्युलर िाने-बाने को िोडना? ये लोग
सैक्युलररज्म की मनमानी पररभार्षा दे कर क्या दे शभक्ों को प्रिातडि करना चाहिे हैं ?
158

6. तिधेयक के उपबंध -74 के अनुसार यतद तकसी व्यल्जक् के ऊपर घृिा सम्बन्धी प्रचार या
साम्प्रदातयक तहंसा का आरोप है िो उसे िब िक दोर्षी माना जायेगा जब िक तक िह
तनदोर्ष तसद्ध न हो जाये। यह उपबंध संतिधान की मूल भािना के तिपरीि है। भारि का
संतिधान कहिा है तक जब िक अपराध तसद्ध न हो जाये िब िक आरोपी तनदोर्ष माना
जाये। यतद यह तिधेयक पास हो जािा है िो तकसी को भी जेल में भेजने के तलये उस
पर केिल आरोप लगाना पयाफप्त रहेगा। उसके तलये अपने आप को तनदोर्ष तसद्ध करना
कतठन ही नही ं असम्भि हो जायेगा। इस तिधेयक में यह भी प्रािधान है तक अगर तकसी
तहन्दू के तकसी व्यिहार से उसे मानतसक कष्ट हुआ है िो िह भी प्रिाडना की श्रेिी में
आयेगा। इसका अथफ है तक अब तकसी अल्पसंख्यक नेिा के कुकृत्य या दे श तिरोधी काम
के बारे में नही ं कहा जा सकिा।

7. यतद तकसी राज्य के कमफचारी के तिरुद्ध इस प्रकार का आरोप है िो उसके तलये उस


राज्य का मुख्यमंत्ी भी तजम्मेदार ठहराया जा सकिा है क्योंतक िह उसे नही ं रोक सका
है। इसका अथफ है तक अब झठ ू ी गिाही के आधार पर तकसी भी तिरोधी पक्ष के मुख्यमंत्ी
को र्ंसाना अब ज्यादा आसान हो जायेगा। जो मुख्यमंत्ी अब िक इनके जाल में नही ं
र्ंस पा रहे थे , अब उनके तलये जाल तबछाना ज्यादा आसान हो जायेगा।

8. यतद तकसी संगठन का कोई कायफकिाफ आरोतपि है िो उस संगठन का मुल्जखया भी


तजम्मेदार होगा क्योंतक िह भी इस अपराध में शातमल माना जायेगा। अब ये लोग तकसी
भी तहंदू संगठन ि उनके नेिाओं को आसानी से जकड सकेंगे। कसर अब भी नही ं छोड
रहे परन्तु अब िे अतधक मजबूिी से इन पर रोक लगा कर मनमानी कर सकेंगे।

9. यतद दु भाफ ग्य से यह तिधेयक पास हो जािा है िो राज्य सरकार के अतधकारों को केन्द्र
सरकार आसानी के साथ हडप सकिी है। कानून व्यिस्था राज्य सरकार का तिर्षय होिी
है। केन्द्र सरकार ऐसे तिर्षयों पर सलाह दे सकिी है या “एड् िाइजरी” जारी कर सकिी
है। इससे भारि का संघीय ढांचा सुरतक्षि रहिा है। परन्तु अब संगतठि साम्प्रदातयक और
तकसी सम्प्रदाय को लक्ष्य बनाकर की जाने िाली तहंसा राज्य के भीिर आं िररक उपद्रि
के रूप में दे खी जायेगी। पहले केन्द्र सरकार की मंशा अनुच्छेद ३५५ का उपयोग कर
राज्य में राष्टरपति शासन लगाने की थी। परन्तु अब इस कदम को िापस लेकर िे
राजनीतिक दलों के तिरोध की धार को कंु द करना चाहिे हैं। परन्तु इनके राज्य सरकारों
को कुचलने के इरादों में कोई कमी नही ं आयी है।

10. प्रस्तातिि अतधतनयम में तनगरानी ि तनिफय लेने के तलये तजस प्रातधकरि का प्रािधान है
उसमें 7 सदस्य होंगे। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेि इन 7 में से 4 सदस्य अल्पसंख्यक िगफ के
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होंगे। क्या इससे परस्पर अतिश्वास नही ं बढे गा? इसका मिलब यह स्पष्ट है तक हर व्यल्जक्
,चाहे तकसी भी पद पर हो, केिल अपने समुदाय की तचंिा करिा है। इस तचंिन का
पररिाम क्या होगा इस पर दे श को अिश्य तिचार करना होगा। तकसी न्यातयक प्रातधकरि
का सामप्तदातयक आधार पर तिभाजन दे श को तकस ओर ले जायेगा?

11. इस प्रातधकरि को असीतमि अतधकार तदये गये हैं। ये न केिल पुतलस ि सशस्त्र बलों
को सीधे तनदे श दे सकिे हैं अतपिु इनके सामने दी गई गिाही न्यायालय के सामने दी
गई गिाही मानी जायेगी। इसका अथफ है तक िीस्ता जैसी झठ ू े गिाह िैय्यार करने िाली
अब अतधक खुल कर अपने र्षडयंत्ों को अन्जाम दे सकेंगी।

12. अनुच्छेद -13 सरकारी कमफचाररयों पर इस प्रकार तशकन्जा कसिा है तक िे मजबूरन


अल्पसंख्यकों का साथ दे ने के तलये मजबूर होंगे चाहे िे ही अपराधी क्यों न हों।

13.यतद यह तिधेयक लागू हो जािा है िो तकसी भी अल्पसंख्यक व्यल्जक् के तलये तकसी


भी बहुसंख्यक को र्ंसाना बहुि आसान हो जायेगा। िह केिल पुतलस में तशकायि दजफ
करायेगा और पुतलस अतधकारी को उस तहन्दु को तबना तकसी आधार के भी तगरफ्तार
करना पडे गा। िह तहन्दू तकसी सबूि की मांग नही ं कर सकिा क्योंतक अब उसे ही अपने
को तनरपराध तसद्ध करना है। िह तशकायिकिाफ का नाम भी नही ं पूछ सकिा। अब
पुतलस अतधकारी को ही इस मामले की प्रगति की जानकारी तशकायिकिाफ को दे नी है
जैसे तक िह उसका अतधकारी हो। तशकायिकिाफ अगर यह कहिा है तक आरोपी के तकसी
व्यिहार, कायफ या इशारे से िह मानतसक रूप से पीतडि हुआ है िो भी आरोपी दोर्षी
माना जायेगा। इसका अथफ है तक अब कोई भी तकसी मौलिी या तकसी पादरी के िारा
तकये गये तकसी दु ष्प्रचार की तशकायि भी नतहं कर सकेगा न ही िह उनके तकसी
घृिास्पद सातहत्य का तिरोध कर सकेगा।

14. इस तिधेयक के अनुसार अब पुतलस अतधकारी के पास असीतमि अतधकार होंगे। िह


जब चाहे आरोपी तहन्दू के घर की िलाशी ले सकिा है। यह अन्ग्रेजों के िारा लाये गये
कुख्याि रोलेर्ट एक्ट् से भी खिरनाक तसद्ध हो सकिा है।

15.इस तिधेयक की धारा ८१ में कहा गया है तक ऐसे मामलों तनयुक् तिशेर्ष न्यायाधीश
तकसी अतभयुक् के र्टरायल के तलये उसके समक्ष प्रस्तुि तकये तबना भी उसका संज्ञान ले
सकेगा और उसकी संपतत्त को भी जब्त कर सकेगा।
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16.तकसी अल्पसंख्यक के व्यापार में बाधा डालना भी इसमें अपराध है। यतद कोई
मुसलमान तकसी तहं दू की सम्पतत्त को खरीदना चाहिा है या तकराए पर लेना चाहिा है
और िह तहंदू मना करिा है िो इसमें िह अपराध बन जायेगा।

17.अब तहन्दू को इस अतधतनयम में इस कदर कस तदया जायेगा तक उसको अपने बचाि
का एक ही रास्ता तदखाई दे गा तक िह धमाांिरि को मजबूर हो जायेगा। इसके कारि
धमाांिरि की गतितितधयों में
जबदफ स्त िेजी आयेगी।

18. यतद कोई अल्पसंखक आपसे


रोजगार मांगिा है और आप
उसको मना कर दे िे हैं िो यह
भी आपके तिरुद्ध एक तशकायि
बन सकिी है और आपको
आरोपों के कर्टघरे में शातमल
कर सकिा है।

19. इस तिधेयक के अनुसार सभी मुआिजे केिल अल्पसंख्यक गुर्ट के तलए ही स्वीकायफ
होंगे।

इस तिधेयक के कुछ महत्वपूिफ िथ्ों का ही तिश्लेर्षि तकया जा सका है। जैसा तचत् अभी
िक सामने आया है यतद यह पास हो जािा है िो पररल्जस्थिी और भी भयािह होगी।
आपाि काल में तकये गये मनमानीपूिफ तनिफय भी र्ीके पड जायेंगे। तहन्दू का तहन्दू के
रूप में रहना और भी मुल्जिल हो जायेगा। मनमोहन तसंह ने पहले ही कहा था तक दे श
के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अतधकार है। यह तिधेयक इस कथन का नया
संस्करि है। इस तिधेयक के तिरोध में एक सशक् आं दोलन खडा करना पडे गा िभी
इस िानाशाहीपूिफ कदम पर रोक लगाई जा सकिी है।
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जामा मल्जिद, तजहाद और 1857 का स्विन्त्रिा संग्राम

गातजयों में बू रहेगी जब िलक ईमान की,

िख्ते लन्दन िक चलेगी िेग तहन्दु स्तान की

गाजी उस मुस्लमान को कहिे हैं जो इस्लाम की और से तजहाद करिा है और कातर्रों


को मरिा है , और जो तजहाद में मारा जािा है .. उसे शहीद कहा जािा है l

शहीदों और गातजयों के तलए जन्नि में 72 हरों और 27 लोंडों से पुरस्कृि करने का


प्रािधान "कुरआन बदमाश" में तलखा गया है l

ये पंक्तियाूँ बहादु र शाह जफर ने 1857 के स्वतन्त्रता िंग्राम के िमय मलखी थीं, या मफर मकिके
िम्बोिन में कही थीं ये आप स्वयम िमझ िकते हैं l मुगल िल्तनत को खत्म हुए काफी
िमय बीत चुका था, महाराणा प्रताप, छत्रपमत मशवाजी, बुन्देलखण्ड वीर छत्रिाल और दशम गुरु
गोमबंद मिंह जी के िं घषों ने औरं गजेब का 90 % खजाना खाली करवा मदया था l इिके बाद में
रं गीले एय्याशों जैिे बादशाहों ने मुगामलयाूँ िल्तनत की रही िही कमर भी तोड़ ही दी थी l

बहादु र शाह जफर भी कुछ ऐिे ही ममजाज के थे .... अपनी एय्यामशयों के चलते वो
करदार हो चुके थे l पुरानी मदल्ली के जाने मकतने ही व्यापाररयों िे कजा ले लेकर बहादु र शाह
जर्फर अपनी िल्तनत चला रहे थे l

बहादु र शाह जफर के बारे में तो यहाूँ तक कहा है इमतहािकारों ने की 75-80 वषा कीआयु में
भी बहादु र शाह जफर की एय्यामशयाूँ खत्म नहीं हुई थीं, एक िाहूकार िे कजा लेकर बहमदर
शाह जफर ने अपना अंमतम मनकाह की रस्म पूरी की िो भी एक 12 िर्षफ की लड़की के
साथ l

खैर िातपस लौर्टिे हैं स्विन्त्रिा संग्राम की और ... बहादु र शाह जर्फर और अन्य इस्लामी
शािकों को यह िं देश बाहरी इस्लामी शािकों िे ममलने लगे थे की दारुल-इस्लाम को दारुल
हबा बने अब बहुत िमय बीत चुका है इिे अमवलम्ब दारुल इस्लाम बनाने का काया प्रारम्
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मकया जाये l इिी षड्यंत्र के अंतगात 1857 के स्वतन्त्रता िंग्राम की बुमनयाद रखी गयी थी l महन्दय
राजाओं और राष्ट्रवादी शक्तियों ने अपना भरपयर जोर लगाया इि और परन्तु मुगलों की ही
िेनाओं ने अंग्रेजी िेना में व्याप्त मुक्तस्लम िैमनकों के ऊपर शस्त्र न चलाते हुए महन्दय िैमनकों
पर ही प्रहार करने लगे और िीरे िीरे इि महान स्वतन्त्रता िंग्राम का मवफल होना इमतहाि
बन गया l

अनेक इमतहािकारों ने उि िमय अपनी पुस्तकों में यह भी मलखा की केवल महन्दय लोगों ने ही
स्वतन्त्रता िंग्राम के युि को स्वतन्त्रता िं ग्राम की भाूँ ती लड़ा .... इस्लामी मानतसकिा के
लोगों ने.... इस युद्ध का प्रयोग एक तजहाद की भााँिी ही तकया l

उपरोि पंक्तियों का अथा अब शायद आप िबकी िमझ में आ गया होगा l

दारुल इस्लाम ... दारुल कब्जा ही रह गया ... दारुल हबफ भी न बना l

महं दुत्व के मलए भी यह कुछ कारणों िे लाभकारी ही मिि हुआ, क्ोंमक उि िमय तक
अमिकाूँ श महन्दय जनता अपने शास्त्रों िे कट चुकी थी .. उिके बाद के पतन िे आप िब
भली भाूँ ती अवगत हैं l

जामा मल्जिद का तििय....

अंग्रेजों के मलए 1857 का युि एक बहुत खचीला युि िामबत हुआ, मजिके कारण अंग्रेजों की
आमथाक क्तथथमत बहुत खराब हो गयी थी, मजिकी भरपाई के मलए उन्ोंने लाल मकले की दीवारों
में जड़े रत्नों को भी मनकलवाया परन्तु उििे कोई ज्यादा फका नहीं पिा ... अंततिः अंग्रेजों
ने जामा मक्तिद को बेचने का ही मनणाय मलया l जामा मक्तिद की नीलामी की गयी ... उि
िमय अंग्रेजों का भी इतना था की मकिी मुिलमान का ईमान नहीं जागा की आगे बढ़ कर
अपनी मक्तिद को बचा ले ... नीलामी के अं त में एक महन्दय िाहूकार ने ही जामा मक्तिद
को खरीद मलया l उि िाहूकार िे कई महन्दय लोगों ने एक बड़ा अस्पताल खुलवाने का िुझाव
और मवनती की परन्तु उि SICKULAR िाहूकार ने वो मक्तिद वामपि मुिलमानों को यह कह
कर दे दी की .. इबादत के थथान पर इबादत ही हो तो अच्छा है l
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महं दय की चादर

गुरु तेगबहादु र जी मिखों के नौवें गुरु हैं । औरं गज़े ब के शािन काल की बात है । औरं गज़े ब के दरबार
में एक मवद्वान पंमित आकर रोज़ गीता के श्लोक पढ़ता और उिका अथा िुनाता था, पर वह पंमित
गीता में िे कुछ श्लोक छोड़ मदया करता था।

एक मदन पंमित बीमार हो गया और औरं गज़े ब को गीता िुनाने के मलए उिने अपने बेटे को भे ज मदया
परन्तु उिे बताना भयल गया मक उिे मकन मकन श्लोकों का अथा राजा िे िामने नहीं करना था। पंमित
के बेटे ने जाकर औरं गज़े ब को पयरी गीता का अथा िुना मदया। गीता का पयरा अथा िुनकर औरं गज़े ब को
यह ज्ञान हो गया मक प्रत्येक िमा अपने आपमें महान है मकन्तु औरं गजे ब की हठिममा ता थी मक वह
अपने के िमा के अमतररि मकिी दय िरे िमा की प्रशं िा िहन नहीं थी।

औरं गज़े ब ने िबको इस्लाम िमा अपनाने का आदे श दे मदया और िंबंमित अमिकारी को यह काया िौंप
मदया। औरं गज़े ब ने कहा -'िबिे कह दो या तो इस्लाम िमा कबयल करें या मौत को गले लगा लें ।' इि
प्रकार की ज़बदा स्ती शु रू हो जाने िे अन्य िमा के लोगों का जीवन कमठन हो गया।

जु ल्म िे ग्रस्त कश्मीर के पंमित गुरु तेगबहादु र के पाि आए और उन्ें बताया मक मकि प्रकार इस्लाम
को स्वीकार करने के मलए अत्याचार मकया जा रहा है , यातनाएूँ दी जा रही हैं। हमें मारा जा रहा है ।
कृपया आप हमारे िमा को बचाइए। गुरु तेगबहादु र जब लोगों की व्यथा िुन रहे थे , उनके 9 वषीय पुत्र
बाला प्रीतम (गुरु गोमवंदमिंह) वहाूँ आए और उन्ोंने मपताजी िे पयछा-
'मपताजी, ये िब इतने उदाि क्ों हैं ? आप क्ा िोच रहे हैं ?'
गुरु तेगबहादु र ने कश्मीरी पंमितों की िारी िमस्याएं बाला प्रीतम को बताईं तो उन्ोंने पयछा- 'इिका
हल कैिे होगा?'
गुरु िामहब ने कहा- 'इिके मलए बमलदान दे ना होगा।'
बाला प्रीतम ने कहा-' आपिे महान पुरुष कोई नहीं है । बमलदान दे कर आप इन िबके िमा को
बचाइए।'
उि बच्चे की बातें िुनकर वहाूँ उपक्तथथत लोगों ने पयछा- 'यमद आपके मपता बमलदान दें गे तो आप
यतीम हो जाएूँ गे। आपकी माूँ मविवा हो जाएगीं।'

बाला प्रीतम ने उत्तर मदया- 'यमद मे रे अकेले के यतीम होने िे लाखों बच्चे यतीम होने िे बच िकते हैं
या अकेले मे री माता के मविवा होने जाने िे लाखों माताएूँ मविवा होने िे बच िकती है तो मु झे यह
स्वीकार है ।'

तत्पिात गुरु तेगबहादु र जी ने पंमितों िे कहा मक आप जाकर औरं गज़े ब िे कह दें मक यमद गुरु
तेगबहादु र ने इस्लाम िमा ग्रहण कर मलया तो उनके बाद हम भी इस्लाम िमा ग्रहण कर लें गे और यमद
आप गुरु तेगबहादु र जी िे इस्लाम िारण नहीं करवा पाए तो हम भी इस्लाम िमा िारण नहीं करें गे'।
औरं गज़े ब ने यह स्वीकार कर मलया।
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गुरु तेगबहादु र मदल्ली में औरं गज़े ब के दरबार में स्वयं गए। औरं गज़े ब ने उन्ें बहुत िे लालच मदए, पर
गुरु तेगबहादु र जी नहीं माने तो उन पर ज़ुल्म मकए गये, उन्ें कैद कर मलया गया, दो मशष्ों को मारकर
गुरु तेगबहादु र जी को ड़राने की कोमशश की गयी, पर वे नहीं माने। उन्ोंने औरं गजे ब िे कहा- 'यमद
तुम ज़बदा स्ती लोगों िे इस्लाम िमा ग्रहण करवाओगे तो तुम िच्चे मु िलमान नहीं हो क्ोंमक इस्लाम
िमा यह मशक्षा नहीं दे ता मक मकिी पर जु ल्म करके मु क्तस्लम बनाया जाए।'

गुरुद्वारा शीश गंज िामहब

औरं गजे ब यह िुनकर आगबबयला हो गया। उिने मदल्ली के चाूँ दनी चौक पर गुरु तेगबहादु र जी का
शीश काटने का हुक्म ज़ारी कर मदया और गुरु जी ने हूँ िते-हूँ िते बमलदान दे मदया। गुरु तेगबहादु रजी
की याद में उनके 'शहीदी थथल' पर गुरुद्वारा बना है , मजिका नाम गुरुद्वारा 'शीश गंज िामहब' है ।.
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इस्लाम इस तचतड़या का नाम है ( Do You Know Pisslam


Really ?)
१. मुक्तस्लम आबादी दर हर गैर इस्लाममक दे श में गैर मुिलमानों की तुलना में दु गनी रफ़्तार िे
बच्चे पैदा करते हैं | मजििे अथाव्यवथथा गड़बड़ा जाती हैं |

२. मुक्तस्लम आबादी पढाई मलखाई में कोई रूमच नहीं रखती | अंग्रेजी, गमणत, मवज्ञानं आये ना
आये कुरान जरुर बच्चों को पढाई जाती है |

३. मुक्तस्लम जो व्यविाय करते हैं वो भी िमाज महत के नहीं होते | जैिे बड़े व्यविायी जो
टे नरी चलाते हैं उिकी गंदगी नमदयों में बहाते हैं मजि िे पानी में आिेमनक जैिे जहर की
मात्रा बढती जाती हैं |

४. मुक्तस्लमो की गोस्त की दु काने आिपाि मबमाररयां लाती हैं | जानवरों की हत्या अन्न-जल
िंकट का प्रमुख कारण हैं |

५. जहा मुक्तस्लम अमिक होते हैं वह िंगमठत तरीके िे रहते हैं और आिपाि मकिी गैर
मुक्तस्लम को बिने नहीं दे ते | १०० महन्दु ओ के बीच एक मुक्तस्लम रह िकता हैं पर १००
मुिलमानों के बीच महं दय नहीं रह िकता |

६. मुक्तस्लम िंगमठत होने की वजह िे गैर मुिलमानों िे बेवजह झगिा करते हैं , अगर आि
पाि उनकी िंपमत्त होती हैं तो उि पर कब्जा कर लेते हैं जैिा की कश्मीर में हुआ |

७. पररवार में अमिक िदस्य होने िे और अमशमक्षत होने िे छोटे िंगमठत अपराि करते हैं |
जैिे की अनामिकृत कब्जे, मबजली चोरी, नशीले पदाथो का िंिा करते हैं |

८. ये छोटे अपरािी जल्द ही बड़े अपरामियों िे जा ममलते हैं और ये बड़े अपरािी भी कभी
ना कभी उन्ी मुक्तस्लम बक्तस्तयों िे मनकल कर आये होते हैं | टाइगर मेनन और दाउद इब्राहीम
कािकर और ना जाने मकतने अपरािी ऊपर उठे |

९. बड़े अपरािी दे श की अथा व्यवथथा को मबजली चोरी या अमतक्रमण की तरह छोटा मोटा
नुक्सान नहीं पहुचाते बक्ति हजारो करोिो का नुक्सान पहुचाते हैं | जैिे स्टाम्प घोटाले व हवाला
कां ि का प्रमुख अब्दु ल करीम तेलगी १०,००० करोड़ व हिन अली ३६,००० करोड़ इत्यामद
रकम कमाते हैं और इिे इस्लाममक मुिो िे गैर इस्लाममक दे शो में आतंक हत्या के मलए
हमथयार प्रमशक्षण पर प्रयोग मकया जाता हैं |

१०. वे मुक्तस्लम जो कामर्फर दे श में मकये गए अपराि लयट पाट को िाममाक कृत्य मानते हैं वे
और भी तरीको िे मुक्तस्लम लड़के गैर-इस्लाममक दे श में जंग के मलए तै यार करते हैं | उनमे िे
एक िरलतम रास्ता जेहाद का हैं कामर्फर का क़त्ल हर मुक्तस्लम पर अमनवाया हैं |
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११. कुरान पढ़े बेरोजगार लड़के जेहाद के मलए आिानी िे तैयार हो जाते हैं बक्ति अपना
िौभाग्य िमझते हैं और इस्लाममक दे शो में मौजयद अपने रहनुमाओ की मदद िे जेहादी बनते हैं
|

१२. ये जेहादी दे श में िमय िमय पर बम मवस्फोट िामयमहक हत्याए वा दं गे करते हैं | दं गो को
कुछ लोगो की शरारत कहा जाता हैं जबमक बम मवस्फोट पर कहा जाता हैं की इिका इस्लाम
और मुिलमानों िे कोई लेना दे ना नहीं जबमक दोनों ही जेहाद अथाा त िमां युि का महस्सा हैं |

१३. यमद गैर इस्लामी कौमे िंगमठत होकर िमां यु ि का जवाब दे ती हैं तो मुक्तस्लम जोर जोर िे
हल्ला करना चालु करते हैं के हम पर जुल्म और अत्याचार हो रहा हैं , हम िुरमक्षत नहीं इि
मुि में |

१४. मुिलमानों के िं गमठत होने की वजह िे और हमलावर होने की वजह िे नाक्तस्तक


राजनैमतक दल मुिलमानों का पक्ष लेने में ही अपनी भलाई िमझते हैं जैिे की भारत में कां ग्रेि,
िमाजवादी, कमुमनस्ट दल इत्यामद |

१५. क्ोंमक इन दलों का िमा िे, िंस्कृमत िे कोई लेना दे ना नहीं होता और मुक्तस्लम िमथान
ममलने पर इन्ें ित्ता का और लालच आ जाता हैं ये मुक्तस्लम आबादी के बढने में और िहायता
करते हैं उनके हर काम में चाहे वो गलत हो या िही, िाथ दे ते हैं |

१६. बंगलादे श िे आये ४ करोड़ मुक्तस्लमो को कां ग्रेि ने ना केवल बिाया अमपतु उनको मजि
कानयन (आई. ऍम. टी. िी. एक्ट) की िहायता िे मनकाला जा िकता था उिे भी खत्म कर
मदया |

१७. आतंकवाद के क्तखलाफ कानयन (पोटा एक्ट) बनाना तो दय र रहा, जो कानयन था उिको भी
खत्म कर मदया |

१८. मुक्तस्लम नाराज ना हो इि मलए जेहामदयों को उच्चतम न्यायालय िे दी हुयी को िजा को


भी रोके रखते हैं | जैिा की कां ग्रेि ने अफजल गुरु की र्फािी रोक रखी हैं |

१९. गैर मुक्तस्लमो के इि कमथत िेकुलर वगा की इि मयखाता िे मुक्तस्लम खुश होते हैं और
और तेजी िे आबादी बढ़ाने का उपाए िोचते हैं

२०. इन उपायों में गैर मुक्तस्लम िम्प्रदाये की लड़मकयों को प्यार के झयठे जाल में फिाना होता
हैं और उनिे बच्चे पैदा करने होते हैं इन्ें लव जेहादी कहते हैं |

२१. अगर ये लव जेहादी ३-४ महं दय या ईिाई लिमकयो को मजन्ें ये वगाला-फुिला के भगा
लाए थे, क्तखला (वहन) नहीं कर पाते हैं , तो भोग करने के बाद मकिी अिेि उम्र के मुक्तस्लम
को बेच दे ते हैं अमिकतर वह मुक्तस्लम बदियरत ही होते हैं इिीमलए उन्ें इि उम्र तक औरते
नहीं ममल पाती |
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२२. मुक्तस्लम आबादी बढ़ने के िाथ-िाथ छोटे -छोटे इस्लाममक क्षेत्रो का भी मनमाा ण करते हैं |
जैिे महं दय इलाके में अमिक दामों पर कोई एक इमारत खरीद कर लेते हैं और मफर वहा बड़े
मुक्तस्लम पररवार बिा मदए जाते हैं |

२३. ये मुक्तस्लम लोग आिपाि लोगो िे आये मदन झगिा करते हैं और िीरे िीरे पिोमियो को
अपने घर िस्ते दामों पर मकिी मुक्तस्लम को ही बेचने को मजबयर कर दे ते हैं इि प्रकार इनकी
एक मकान पर खचा की गयी अमतररि रकम िे कही अमिक मुनाफा मनकल आता हैं |

२४. मुिलमानों की मक्तिद अक्सर शहर के बीचों-बीच होती हैं तामक मकिी तरह की व्यवथथा
मबगिने पर मीनारो की आड़ िे पुमलि को दे ख िके | और जरुरत पड़ने पर खुद पुमलि
व्यवथथा पर हमला कर िके |

२५. छोटी मुक्तस्लम बक्तस्तयाूँ ना केवल िंगमठत होती हैं अमपतु हमलावर लोगो िे भरी होती हैं | हर
घर में दे िी तमंचे ममलना िामान्य बात होती हैं |

२६. भारत में नव-मनममात मुक्तस्लम बक्तस्तयाूँ अक्सर या तो राजमागो के मकनारे होती हैं या टर े न
लाइनों के मकनारे | राजमागो के मकनारे बनी मजारो में मजनमे िे अमिकतार कुत्ते मबक्तल्लयो की
या खाली ही होती हैं हमथयार छु पाये रहने की िं भावनाओ िे इं कार नहीं मकया जाता |

२७. यमद गैर-इस्लाममक दे श के अगल-बगल में इस्लाममक दे श हैं तो िमय-िमय पर इस्लाममक


दे श हमला करते रहें गे जै िा की भारत का पिोिी पामकस्तान करता रहता है |

२८. ऐिे पिोिी इस्लाममक मुि प्रत्यक्ष जीत ना पाने की क्तथथमत में छदम युि प्रारं भ करते हैं |
गैर इस्लाममक मुि में मौजयद मुक्तस्लमो की मदद लेते हैं इस्लाममक एकता के नाम पर |

२९. आबादी में ३० प्रमतशत तक पहुचने पर िमय आ जाता मुक्तस्लमो के मलए के वो कामर्फर
दे श पर कब्जा कर ले क्ों की
िंगमठत ३०% मत मकिी भी
लोकताक्तन्त्रक दे श में काफी है
िरकार बनाने के मलए या ग्रह
युि के माध्यम िे कब्जा करने
के मलए |

३०. इि िम्ावना िे भी इनकार


नहीं मकया जा िकता के
मुक्तस्लम पिोिी दे श के िाथ
ममल जाये और बाहर िे हमले
के िमय अंदर िे भी हमला
कर दे | युि के िमय रे ल
लाइन उखाि दे , तेल पाइपलाइन
तोड़ दे राज मागा जाम कर दें
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इत्यामद तामक िेना को िमय पर रिद ना ममले और वो हार जाये |

३१. िेना के हारते ही मवदे शी मुक्तस्लम गैर-इस्लाममक दे श में आ जायेंगे और योगदान के


अनुिार दे िी मुक्तस्लमो को ित्ता में महस्सेदारी दे दें गे क्ों की उनकी जीत में उनका भी बड़ा
योगदान होगा |

३२. दे श को दारुल हरब िे दारुल इस्लाम घोमषत कर मदया जायेगा | यामन गैर इस्लाममक दे श
इस्लाममक दे शो में िे एक हो जायेगा | गैर इस्लाममक दे श में क्ा क्ा होता हैं ये हमें मलखने
की जरुरत नहीं मफर भी हम आगे के लेख में बताएूँ गे |

लेख िमीक्षा : आप उपरोि लेख पढ़ कर िमझ ही चुके होंगे की भारत इस्लाममक दे श बनने
की कगार पर हैं | िबिे मयल करण मुक्तस्लम आबादी का महन्दु ओ ईिाइयों और अन्य िभी िे
दोगुनी रफ़्तार िे बढ़ना हैं | इिका दय िरा प्रमुख कारण है भारत का फजी िेकुलरवाद जो भारत
को इस्लाममक राष्ट्र बनाने की ओर अग्रिर हैं |

आप ये कहे िकते हैं के घोटाले अपराि भ्रष्ट्ाचार में तो महं दय भी आं गे हैं तो मुक्तस्लमो को दोष
क्ों दे ना | हमारा उत्तर हैं के महं दय भ्रष्ट्ाचार कर के हमथयार नहीं खरीदते , ना ही उन हमथयारों िे
वो पामकस्तान में बम मवस्फोट करते हैं ना ही राष्ट्र का ख्याल ना कर के आबादी बढ़ाते हैं |
मुक्तस्लम हर कदम अपनी कौम को ध्यान में रख के उठाते हैं और उनका अंमतम लक्ष्य होता हैं
दे श का इस्लामीकरण जबमक भ्रष्ट् महं दय को महं दय राष्ट्र िे कोई लेना दे ना नहीं होता |

आप ये भी िोच रहे होंगे के मुक्तस्लमो ने दे श में बड़ा योगदान मकया हैं | जब हम उन मगने चुने
लोगो को जानते हैं तो पता चलता हैं वो मुक्तस्लम हैं ही नहीं | जैिे की अब्दु ल कलाम अिोक्तस्टक
हैं , अज़ीम प्रेमजी का भी यही हाल हैं , अशफाक उल्ला खान आया िमाजी थे व महं दय राष्ट्र का
िमथान करते थे |

मुक्तस्लमो ने मजतना योगदान नहीं मकया था, उि िे ज्यादा बटवारे के तौर पर ले मलया |

बां की आप अपने आि-पाि मुक्तस्लम गमतमवमियाूँ दे ख कर लेख की ित्यता परख िकते हैं

कोई उत्तर दे सकिा है ... इस S I C K U LA R I S M ... का .. इस भाईचारे का

कोई उत्तर दे सकिा है ... इस S I C K U LA R I S M ... का

केरल में मविायक, िंिद और मंत्री अल्लाह,यीशु के नाम िे िपथ लेते है | अगर महं दय राम या
कृष्ण के नाम िे ले तो िंमबिान के क्तखलाफ है ?

...अरबी भाषा को प्रमोट करने के मलए िरकार पै िे खचा कर रही है | लेमकन िंस्कृत पर क्ों
नही ? क्ा अरबी भाषा, िंस्कृत के तुलना में अमिक राष्ट्रीय है ?
170

IMTD Act क़ानयनी अमिकार िे अिम में बंगलादे मशयो को भारत में बिने और नागररक बनने
का अमिकार दे ता है | तो जम्मय और कश्मीर में शेष भारतीय को बिने का अमशकर क्ों नही
? यह दोगली मनमत क्ा है ?

जब योगा िंयुि राज्य अमेररका में एक करोड़ों िॉलर का उद्योग है , हमारी िरकार क्ों अंिी
बन गयी है इि तकनीक मानवमवकाि के मलए ? क्ा इिमलए मक यह महं दय िंस्कृमत का एक
महस्सा है ?

िंमविान के अनुच्छेद 30 (A) के अनुिार गीता रामायण की मशक्षाएं मवद्यालयों में पढ़ाना
प्रमतबंमित है , जबमक मदरिों में कुरान और चचों में बाइबल की मशक्षाएं दी जाती हैं l और इिी
का कारण है की 99.99% मुक्तस्लम उदय ा , अरबी, फारिी में कुरान पढ़ते हैं ... परन्तु 99.99%
महन्दु ओं ने कभी अपने िमा-ग्रन्थ छु ए भी नहीं होते l

पयजा में 'िं कल्प' "भारत वषे , भारत कंिे ......... के िाथ शुरू होता है ...". ये क्ा हैं ? क्ा
आप को अभी भी लगता है मक अध्यात्मवाद और राष्ट्रवाद अलग कर रहे हैं ? ये राष्ट्र की दो
आं खें है ?

अध्यात्मवाद और राष्ट्रवाद भारत में अमवभाज्य हैं .क्ा आपको नहीं लगता मक अध्यात्मवाद के
मबना भारत मबना आत्मा के एक शरीर की तरह हो जाएगा?

महं दय िमा में आप को िु िारको मक िंख्या बहुत ममल जायेगी | अन्य िमो में क्ों नही पाई जाती
है ? क्ा इन्ें िुिारने मक जरुरत नही है मक िुिारे हुए है ?

िमझौता ब्लास्ट केि में SIMI के प्रमुख िफदर नागौरी और उिके िमथयों द्वारा जो जुमा कबयला
गया, उिी जुमा को अिीमंन्द जी द्वारा बुलवाया गया, अब ये कैिे ित्य हो िकता है की एक ही
टर े न में एक बम ब्लास्ट मकया लेमकन 2 गुट उिकी मजम्मेदार लेते हैं ?
171

मपछले वषा हज यात्रा पर 3000 करोड़ खचा मकये गए, क्ा आज तक िरकार ने आं कड़े पेश
मकये हैं की अमरनाथ यात्रा पर िे मकतना चंदा बटोरा गया है और उनको मकन कायों में
लगाया गया है ?

वो प्रत्येक मक्तन्दर केंद्र िकाा र या राज्य िरकार द्वारा अमिग्रमहत कर मलया जाता है मजिमे चढ़ाव
बहुत ज्यादा चढ़ता है , और मफर िुरक्षा के नाम पर उनको shrine बोिा बनवा कर उनका
अमिग्रहण मकया जाता है l क्ा िनातन िमा की आथथा पर ही िुरक्षा का खतरा है ...
गुरुद्वारों, मक्तिदों और चचों में कोई खतरा नहीं लगता िरकारों को ?

िमाा न्तरण का कायाक्रम आज के िमय में मकिी Corporate World की कायाशैली िे कमतर नहीं
चलाया जा रहा l िमाां तरण में कायारत प्रत्येक इिाई को भी मकिी MNC कम्पनी की भाूँ ती
TARGET मदए जाते हैं ... 1 िप्ताह में कम िे कम 10 महन्दु ओं को इिाई बनाना l

ये Targets पयरे भी होते हैं .. चाहे मकतना भी पैिा बहाना पड़े , इिाई बना ही मदया जाता है l
अकेले है दराबाद में ही प्रमत रमववार 150 िे ज्यादा िमाा न्तरण की Workshops आयोमजत की
जाती हैं , मजनमे िुरक्षा चक्र 12 level तक मकया जाता है की कोई व्यक्ति केमरा तक न लेकर
जाए अंदर l

30 मितम्बर 2010 को आये लखनऊ उच्च न्यायलय के मनणाय के बाद जब िुन्नी वक्फ बोिा के
प्रमुख हामशम अंिारी ने दे श को 50 टु कड़ों में बां टने की िमकी दी तो उिको नजर अंदाज
क्ों कर मदया गया ?

आज भी वोही फारुक अब्दु ल्ला िंिद में बैठ कर भाषण दे ता है जो कश्मीर में Loud Speaker
पर कहता था की इन महन्दु ओं के माथे पर गोली मारो... जहां पर ये टीका मतलक लगते हैं l

जम्मय और कश्मीर मक जनिंख्या लगभग एक करोि है मजन्ें 24000 करोि रुपये मक िहायता
दी गयी है | यानी मक पर हे ि 24000 रुपये | जबमक शेष राज्यों को इनिे 5% कम मक
िहायता दी जाती है | क्ा यह राष्ट्र मवरोमशयो के मलए इनाम नही है ?
172

यमद पेंमटं ग करना गैर- इस्लाममक है तो मुिलमानों ने एम् एफ हुिैन के क्तखलाफ मकतने फतवे
जारी मकये गए थे ? क्ा वो गैर- इस्लाममक काया नही मकया था ?

यमद इस्लाम में गायन, िंगीत और नृत्य गैर- इस्लाममक है ( क्ोमक इस्लाम एक गंभीर िमा है
) तो बहुत “खान” मफल्म में अमभनय करते है | इनके क्तखलाफ फतवा क्ों नही जारी मकया
गया ?

क्ा आप को लगता है मक भारत एक िमामनरपे क्ष और लोकतां मत्रक दे श रहे गा यमद मुिलमानों
का बहुमत हो जाय तो ?

हॉउि आफ कामंि, आस्टर े मलया िंिद और ह्वाईट हॉउि आमद में जब दीपावली और जन्माष्ट्मी
मनाया जाता है तो भारत के िंिद में क्ों नही मनाया जाता है ? क्ा हम िंयुि राष्ट्र,
अमेररका, मब्रटे न और आस्टर े मलया मक तुलना में अमिक िमामनरपेक्ष है ?

यमद िां प्रदामयक दं गे भारत में आर एि एि, मवमहप, बजरं ग दल आमद के कारन होता है तो “
पामकस्तान, तुकी, अफगामनस्तान, इं िोनेमशया, चेचन्या, चीन, रूि, मब्रटे न, स्पेन, िाईप्रि आमद में मकिकी
अजह िे दं गे होते है ?” जब मक वहाूँ पर आर एि एि / मवमहप नही है |

एक पयवा राष्ट्रपमत, दो पयवा प्रिानमंमत्रयों, िािुओ,और िंतो द्वारा कां ची के िंकराचाया मक मगरफ्तारी
के क्तखलाफ प्रदशान मकया है | लेमकन मममिया का कहना है मक “वहाूँ मबलकुल कोई मवरोि
नही हुआ है ”| क्ा आप को लगता है मक केवल महन् =महं िा ही लोगो की [पीड़ा मापने का
पैमाना है ?

क्ा आप को मवश्वाि है मक इस्लाम और ईिाईयत को िवािमा िमभाव में मवश्वाि है ? यमद


हाूँ , तो िमा रूपां तरण में मवश्वाि क्ों करते है ?

ईश्वर अल्लाह तेरे नाम – आप मुझे एक मुिलमान मदखाए जो इििे िहमत हो ?


173

क्ा आप को नही लगता है मक “ िेक्ुलर मुक्तस्लम एक ममथ्ा नाम है ? एक व्यक्ति या तो


िेक्ुलर या मुिलमान हो िकता है , दोनों नही ? एक मुक्तस्लम ( जो केवल अल्लाह में मवश्वाि
करता है ) िमा-मनरपेक्ष(कई परमेश्वर में मवश्वाि) नही हो िकता है |

क्ा आप जानते है मक “ तथाकमथत िमामनरपेक्ष मौलाना वहीदु द्दीन, जब भारतीय िैमनक कारमगल
में लड़ रहे थे तो, उनिे िैमनको के मलए प्राथाना करने को कहा गया तो इं कार कर मदया ?
क्ोमक भारतीय िैमनक मुिलमानों िे लड़ रहे थे ?” ( बाद में िोमनया और मप्रयंका ने उिके
अंमतम िंस्कार में भाग ली थी )

िंयुि राष्ट्र चाटा र का कहना है मक “ अल्पिंख्यक का मतलब पयरी आबादी का अमिक िे


अमिक 10% होता है | मुिलमान, जो लगाभाग 18% िे ऊपर है को एक अल्पिंख्यक कैिे
कहा जा िकता है ?

क्ा आप को मवश्वाि है मक “कम्युमनस्टों को भारत िे प्यार है ?”, जब मक वे स्वीकार करने िे


मना करते है मक 1962 में चीन भारत पर हमलावर था ? और भारतीय िरकार द्वारा िेना की
तैनाती की आलोचना भी की थी ?

ये कैिे होता है मक “ एक मुक्तस्लम पररवार मुख्य रूप िे महं दय इलाके में शां मत िे रहता है ,
जबमक एक मुक्तस्लम बस्ती में एक महं दय पररवार ऐिा करने में िक्षम नही है ?

मुक्तस्लम बहुत क्षेत्रो में ईिाई मममशनाररज क्ों नही िामामजक िेवाए शु रू कराती है ? क्ोमक
वहाूँ मनवेश पर पयाा प्त फल नहीं ममलेगा |

क्ा आप जानते है मक “ भारत एक मात्र दे श है जो खुले तौर पर बंगलादे श के घुिपैमठयों को


आमंमत्रत मकया है | मबहार, उत्तर प्रदे श और पमिम बंगाल के िरकारों ने तत्काल उन्ें रािन
कािा उपलब्ध कराके मतदाता बना मदया |”

दं गे शुक्रवार की नमाज के बाद ही ज्यादातर हुए है ( जैिे मरद, केरल) | क्ा यह इमामों
के ज्वलंत उपदे शो की वजह िे नही है ?
174

िभी महं दय बहुल क्षेत्र शां मतपयणा है , लेमकन िभी महं दय अल्पिंख्यक क्षेत्र िमस्याग्रस्त है – जम्मय और
कश्मीर, उत्तर – पयवी भारत आमद | क्ा आप इिकी व्याख्या कर िकते है मक ऐिा क्ों ?

एक मविायक, िी. पी. शाजी ने केरल मविानिभा में कहा मक “ वो हाथ काट मदया जायेगा,
जो शररयत के एक अक्षर को छु येगा” | क्ा आप इििे िहमत है ?

क्ा आप जानते है मक “भारत में अवैि रूप िे आये मुक्तस्लम अप्रवाशी 25 लोकिभा और 120
मविानिभा िीटों के चुनाव में एक मनणाा यक कारक बन गए है ? और वे एक मवशेष पाटी के
मलए एकजुट हो के मतदान करते है – कंग्रि, राजद, िपा, एमएल, या िाम्यवादी |”

एक पामकस्तानी भारतीय हो िकता है ? जब वह जम्मय और कश्मीर के मकिी एक लिकी िे


शादी कर ले, लेमकन इिके मवपरीत जब वही लड़की भारत के मकिी भी महस्से के एक महं दय िे
शादी करे तो वह जम्मय और कश्मीर की नागररक नहीं हो िकते है , जम्मय और कश्मीर मक
नागररकाता खो दे ती है ? यह मकि तरह का कानयन है ?

अयोध्या मामले में, िुप्रीम कोटा ने मवश्व महं दय पररषद पयछताछ की लेमकन बाबरी मक्तिद एक्शन
कमेटी या आल इं मिया मुक्तस्लम पिानल ला बोिा िे िवाल नही की? क्ा यह िुप्रीम कोटा का
दु हरा मापदं ि नही है ?

जब आप नरे न्द्र मोदी जैिे लोगो िे तुच्छ आिार पर मुख्यमंत्री पद िे इस्तीफा मां ग रहे है तो
आप क्ों नही जम्मय और कश्मीर के मुख्यमंत्री िे इस्तीफा माूँ गते है ? जहां पर हजारों िैमनक
आतंकवामदयों द्वारा मार मदए गए है और तो और ४ लाख महन्दु ओ का िफाया कर मदया गया
है |

जम्मय और कश्मीर का पयवा मुख्यमंत्री फारुख अब्दु ल्ला एक ईिाई िे शादी मकया और वतामान
मुख्यमंत्री उमर अब्दु ल्ला एक महं दय लिकी िे शादी करके आनंमदत थे , लेमकन जब उिकी बेटी
एक महं दय लड़के िे शादी कर ली तो उिका पररत्याग कर मदया गया | क्ा यही िमामनरपेक्षता
का पहचान है ?
175

कानयन के अनुिार “ मानव अंगों को मकिी भी पाटी के चुनाव मचन् के रूप में नही मलया जा
िकता है ” तो कैिे कां ग्रेि पाटी को ‘हाथ’ का प्रमतक आवंमटत मकया गया है ? यह कानयन के
क्तखलाफ नही है ?

मदल्ली इमाम िैयद बुखारी के घोषणा थी मक तामलबान िभी मुिलमानों के मलए आदशा है और
ओिामा मबन लादे न नायक ? क्ा आप इि िमामनरपेक्षता पर मवचार करें गे ?

जम्मय और कश्मीर के िं िदीय चुनाव के मलए 2 लाख महं दय वयस्क मतदाता है | लेमकन
मविानिभा के मलए नही ? क्ों ?

जम्मय और कश्मीर मविानिभा की अवमि 6 िाल और अन्य राज्यों की 5 िाल .... क्ों ?

बंगलादे श में महं दय लड़मकया पीटी जाती है , उनके िाथ गैंग रै प मकया जाता है | प्रमतमदन मंमदरों
को जलने या नष्ट् करने मक खबरे पढ़ते होंगे | क्ा हमारे िमामनरपेक्षतावादी और मानवामिकारी
कायाकताा ओ को इनके मलए आवाज़ नही उठानी चामहए ? क्ा मिफा मुिलमानों के मलए ही
मानवामिकार है ?

क्ा आप जानते है मक “ इस्लाम राष्ट्रवाद और रामष्ट्रय िीमाओ में मवश्वाि नही करता है | यह
पयरी दु मनया को इस्लाम के तहत दारुल हरब िे दारुल इस्लाम तक लाना चाहते है ?”

क्ों मुक्तस्लम मक्तिद और मदरिे में जाते है न मक स्कयल और कालेज में ? क्ा मदरिा भी
वैज्ञामनक और इं मजमनयर तैयार करता है ? ( िेक्ुलर नेताओ द्वारा मुिलमानों को अलग िे
आरक्षण के मलए अपना िर मपटने के िन्दभा में )

मुहरा म जुलयि महं दय बाहुल्य क्षेत्रो िे लाया जारहा है लेमकन महं दय िाममाक जुलयि मुक्तस्लम इलाको
िे अनुममत नही है क्ों ? क्ा यह िम्रदामयक बटवारे को थथायी नही करता है ?
176

क्ा आपको लगता है मक नेहरू पररवार ही एक पररवार है जो आजादी के मलए लड़े या अन्य
स्वतंत्रता िेनामनयों क भी थे? जैिे भगत मिंह, चंद्रशेखर आजाद, मदनलाल िींगरा ,वक्तन्शनाथान,
चापेकर ब्रदिा , वीर िावरकर, राज गुरु, िुभाष चंद्र बोि, उिम मिंह आमद |

मल्लापुरम ( केरल) में , एक िाक्टर ने पाया मक मुक्तस्लम ममहलाओ मक तीन पीमढयां बेटी-13,
माूँ -26 और दादी – 39 िभी गभावती है तथा प्रिव के मलए भारती कराया | क्ा आप को भी
लगता है मक मुिलमानों के मलए पररवार मनयोजन अनावश्यक है ?

रामायण के लेखक ऋमष वाल्मीमक एक िाकय थे, उिी तरह महाभारत के लेखक वेि व्याि एक
मछु वारे थे | दोनों महाकाव्यो और लेखक महन्दु ओ द्वारा प्रमतमष्ठत है | क्ा अब भी लगता है मक
महं दय िमा जामतवाद का िमथान करता है ?

2002 में कनाा टक िरकार मंमदरों द्वारा प्राप्त 72 करोि रुपयों में िे 50 करोि मदरिों को, 10
करोि चचा को, 10 करोि मंमदरों को मदया गया | मदरिो (आतंकवादी कारखाना ) और चचो
के मवकाि के मलए महन्दु ओ का पैिा क्ा दे ना चामहए ?

जब अफगामनस्तान में तामलबान, बुि प्रमतमा को ध्वस्त कर मदया, तो टाइम्स ऑफ इं मिया ने


मलखा है मक यह बाबरी मक्तिदके मवध्वंि की प्रमतमक्रया में था. क्ा आप टाइम्स ऑफ इं मिया
द्वारा के इि औमचत्य िे िहमत? जैिे को तैिा के मलए ठीक है ? तो मफर तुम क्ों गोिरा कां ि
की प्रमतमक्रया में गुजरात दं गों की आलोचना करते हो ?

पां मिचेरी में एक मुक्तस्लम को दफनाने िे इनकार कर मदया गया था क्ोंमक वह प्रभु मुरुगा के
मलए एक मंमदर का मनमाा ण मकया था क्ा आप को भी लगता है मक "िमा एक दय िरे िे
नफरत नहीं मिखाते हैं "?

1989 में कां ग्रेि के चुनावी घोषणापत्र में राजीव गाूँ िी ने घोषणा की मक “ अगर ममजोरम में
कां ग्रेि ित्ता में आई तो यहाूँ बाईबल के अिर पर मशक्षाए दी जायेगी (?)” यमद यह
िां प्रदामयक नही है तो क्ा है ?
177

वल्डा मुक्तस्लम अल्पिंख्य िमुदाय के अध्यक्ष, कुवैत के शेख अल िईद यु ियफ ियेद हामिम
ररफाई को केरल में मबना वीजा के आने मक अनुममत दी गयी थी और उन्ें मगमगाराफ्तर नही
मकया गया बक्ति केरल िकाा र के िरकारी दामाद की तरह खामतरदारी मक गयी और लेजाने
लाने के मलए िरकारी कार मक व्यवथथा मक गयी थी | क्ा यह राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे ने वाला
काया है ?

यमद मब्रटे न और अमेररका( एक िमा मनरपेक्ष दे श) में एक िे अमिक ममहला िे शादी करने
मक अनुममत नही है तो क्ा भारत में एक िे अमिक औरतो िे शादी करने मक अनुममत दे नी
चामहए ?

पोप को भारत मक यात्रा को आमंमत्रत मकया गया था लेमकन नेपाल के राजा महें द्र को नागपुर
में 1965 में मकरिं क्रां मत िमारोह में भाग लेने के मलए अनुममत नही दी गयी थी | क्ा यही िमा
मनरपेक्षता है ?

अशोक और कमनष्क अफगामनस्तान पर शािन मकया. कंिारी जो की दु योिन की माूँ , कंिार िे


आया है ( अब अफगामनस्तान में )| क्ा आप मानते हैं मक अफगामनस्तान एकबार भारत का
अमभन्न महस्सा था?

मत्रपुरा में बैमप्टस्ट चचा को न्ययजीलैंि िे 60 िाल पहले ममशनररयों द्वारा थथामपत मकया गया था|
क्ा आपको लगता है मक चचा राष्ट्रवाद को बढ़ावा दें गे?

पामकस्तान में छात्रों को शुरू िे ही मिखाया जाता है मक महं दु हमारे दु श्मन हैं , महं दय िे ममत्रता
कभी नहीं मकया जा िकता है कामफरो (महं दुओ) ं को मार दे ना चामहए. क्ा आप को अब
भी लगता है मक दोस्ती पामकस्तान के िाथ िंभव है ?

पामकस्तान इस्लामी दे श है ,बायीं-पाि िजारी या कैंिर के इलाज के मलए भारत आते है |


पामकस्तान कैिा एक दे श है मजिके पाि परमाणु मवकमशत करने की क्षमता है लेमकन एक
अच्छे अस्पताल मक नही ?इिका मतलब है मक पामकस्तानी मिफा मटर गर िे खुश है मवकाि
और स्वास्थ्य िीवाओ की कीमत पर |
178

कम्युमनस्ट नेता स्टामलन की बेटी, स्वेतलाना, मदनेश मिंह के भाई िे शादी करने के मलए और
भारत में बिने की कामना की| हमारे िाम्यवामदयों और इं मदरा गां िी ने इि का मवरोि मकया |
वे अब कैिे एक इतालवी ममहला का िमथान करे ?

क्ा मकिी के पाि इन िवालों का जवाब है ....


179

कांग्रेस की पोल ... नाई के हाथ

िरकारी नाई ने बाल काटते िमय कमपल मिब्बल िे पयछा..

िाहब यह क्तस्वि बैंक वाला क्ा लफड़ा है ...

मिब्बल मचल्लाये अबे तय बाल काट रहा है या इन्क्वारी कर रहा है ..

...

...

नाई बोला िॉरी अब नहीं पयछयूँगा...

अगली बार नाई ने मचदम्बरम िाहब िे पय छा यह काला िन क्ा होता है ..

मचदम्बरम मचल्लाये और बोले तुम हमिे ये िावल क्यूँ पयछता है ..

अगले मदन नाई िे िी बी आई की टीम ने पयछताछ की...

क्ा तुम बाबा या अन्ना के एजेंट हो...

नाई बोला नहीं िाबजी..

तो मफर तुम बाल काटते वक़्त काग्रेि के नेताओं फालतय के िवाल क्यूँ करते हो.....

नाई बोला "िाहब ना जाने क्यूँ क्तस्वि बैंक और काले िन के नाम पर इन कां ग्रेमियों के बाल
खड़े हो जाते है और मुझे बाल काटने में आिानी हो जाती है ....इिमलए पयछता रहता
180

अंग्रेजों के र्षड्यंत् और भारिीय कुरूतियों का भ्रमजाल -1

अंग्रेजो ने हमारी मवद्या, िं स्कृमत और िभ्यता को इतना नुकिान पहुचाया है की अब हमें िही
बात भी गलत या आिया जनक लगती है . और ऐिा करने में उन्ें केवल 140 िाल लगे. हमारी
िनातन िभ्यता में ममहला शीषा थथान पर थी. ममहला लगभग 100% िाक्षर हुआ करती थी.तब
पररवार और िमाज में पुरुष का दजाा आजकल के गवनार जैिा तथा ममहला का प्रिान मंत्री
जैिा था. (आप आज भी कोई टीवी प्रोग्राम दे खो जहा बच्चो िे उनके माूँ -मपता के बारे में
quiz मकया जाता है .बच्चे स्वाभामवक रूप िे मपता में गलमतयाूँ दे ख लेते है और माूँ की
उपलक्तब्धयों पर ज्यादा गौराक्तन्वत होते है . ऐिा शायद इिमलए है की िनातन िभ्यता- िंस्कृमत
मकतनी भी तोड़ फोड़ दी जाये पर उिके हजारो िाल पुराने प्रभाव हमारे jeans में आ कर
थथायी रूप िे बि गए है .)

िैसे भी तजस तशक्षा में संस्कृति और सभ्यिा का अभाि हो िो तिकास का नही ं पिन
का कारि बनिी है l

तशक्षा में संस्कृति और सभ्यिा के अभाि के चलिे ही आज धमफ , सत्य और नैतिकिा नाम
के शब्द ही तिलुप्त हो गए हैं .... यतद आप धमफ की बाि करोगे िो आपको सबसे
पहले सांप्रदातयक कह कर सम्बोतधि तकया जायेगा l आजकल हम िमा में जो मविंगमतया
दे ख रहे है वो मवद्या की कमी के कारण है . मशक्षा तो खयब है पर मवद्या नहीं क्ोमक मवद्याजान
का िही तरीका तक्षमशला-नालंदा के पुस्तकालय के िमान मवलुप्त हो गया है .

इिको पुनजीमवत करने के मलए कोई प्रयाि नहीं हुआ. शरीर, ह्रदय,मन तथा आत्मा को एक
िाथ जोड़ना/syncronise करना ही मवद्या थी. पर कैिे ? यह आजकल एक रहस्य बना हुआ है .
मोिा न िाइं ि ररिचा कर रही है पर मकिी मनयत मििां त िे कोिो दय र है . hypothesis छोमिये
अभी तक स्पष्ट् speculation भी नहीं दे पाए है .

इिकी कुंजी ममहला में और उिको मदए जाने वाले िम्मान-आदर-ित्कार में या ऐिी ही मकिी
व्यवथथा में छु पी है . िनातन िमा भी आमद शक्ति और उिके मक्रयान्वन के मलए ममहला (दे वी)
को ही थथान दे ता है .

जो लोग ममशनरी ममशन मे लगे रहते है वे अक्सर लोगो को बरगलाने / िामामजक रूप िे
हीन बनाने के मलए "मेकोले पाठ्यक्रम" का ही उपयोग करते है जैिे भारतीय िमाज जामहल-
गंवार था, अंग्रेज़ो ने इिमे बहुत िी कुप्रथाओं को दय र मकया, भारतीय क्तस्त्रयाूँ पदे मे रहती थी, पमत
181

के िाथ जबरन जलायी जाती थी, क्तस्त्रयाूँ अनपढ़ होती थी वगेरह मघनौने आरोप भारतीय िमाज
को तोड़नेवाले षियंत्रकाररयों ने जाती, पंथ, भाषा वगा, शहरी- ग्रामीण के िाथ – िाथ स्त्री – पुरुष
के नाम पर भी िमाज को तोड़ा, इमतहाि का मवकृमतकरण मकया, तामक हम आपि मे बंट
जाये, जामत, भाषा, क्षेत्रवाद के नाम पर (यहाूँ दे खें:
http://www.shreshthbharat.in/literature/sanatan-bharat-india/perversion-of-indian-hinstory/)

भारतीय िमाज पर आरोप लगाया की यह िमाज पुरुष प्रिान िमाज है यहाूँ क्तस्त्रयाूँ दय िरे दजे
की है हमारे शास्त्रो पर भी आरोप लगे की उन्ोने स्त्री को या तो पुजा की दे वी बना मदया या
नका का द्वार कह मदया उिे मनुष् का दजाा नहीं मदया ।

आज के टीवी बहि मे तथाकमथत बुक्तिजीवी औरते भारत की िंस्कृमत पर यह आरोप लगती है


की यह िमाज पुरुष प्रिान िमाज है । अगर पुरुष प्रिान िमाज होता तो कोई भयमम को
भारत माता नहीं कहता, क्ा मकिी दे श मे ऐिा उदाहरण मदखता है ?

आजकल लोग स्त्री की नग्निा को नारी स्वािंत्र्य का नाम दे रहे है इसी को आधार बनािे
हुए िे भारिीय संस्कृति पर आरोप लगिे तर्रिे है। अन्य समाज की िरह भारिीय समाज
ना िो पुरुर्ष प्रधान रहा और ना स्त्री प्रधान रहा, भारिीय समाज हमेशा ऋतर्ष प्रधान रहा ।
ऋतर्ष अथाफि तजसने ऋि (परम सत्य) का दशफन तकया ।

यहाूँ जो मजतना कामनाओं िे मुि रहा, उिे उतना ही ऊंचा थथान मदया गया । पुरुष प्रायिः तीन
कामनाओ के अिीन होते है लोकेषणा, मवत्तेषणा और पुत्रेषणा । िमान्यतिः ऋमष इन िां िाररक
कामनाओं िे मुि होते है जबमक क्तस्त्रयॉं में पुरुषों िे आं ठ गुना कामनाए होती है (नीचे दे खें)

“यत् नायफस्तु पूजयन्ते रमन्ते ित् दे ििा:” जहां नारी की पुजा होिी है िहााँ दे ििा समान
करिे हैं और ये प्रमिि कथन मकिी शेक्समपयर के नाटक या मकिी बाइबल मे नहीं मलखा है
..... िती प्रथा: ितीत्व भारतीय पररवारों का आिार था ।

इिमलए मेकोले के िां स्कृमतक मिपामहयो को इि शब्द को मवकृत करना ही था ।

सिी शब्द का अथफ पति के साथ जलने िाली कर तदया ।


182

सीिा, दमयंिी, अरुंधति, अनुसूया, कंु िी, गांधारी आतद महान दे तियााँ अपने पति के साथ
जली नही ं थी, लेतकन इन्ें सिी कहा जािा हैं ।

लाख मे एकाध स्त्री के पति संग जल जाना प्रथा नही ं हो सकिी ।

हर परं परा और मवश्वाि, इमतहाि को अंग्रेज़ो - मेकोले चस्मे िे दे खने वाले काले “इं मियन” को ये
बाते शायद ही िमझ आए । प्रथा तो तब होती जब 2-4% क्तस्त्रयाूँ ऐिा करती ।

अंग्रेज़ो ने खुद ही िती प्रथा का ममथक रचा औरखुद ही उि पर प्रमतबंि लगाने का नाटक
मकया तामक वे स्वयं को ज्ञानी एवं स्वयं के िंप्रदाय को दे श का तारणहार घोमषत कर िके
कामना िे ग्रस्त व्यक्ति हो या िमाज िभी अस्वथथ होते हैं इिमलए हमारे ऋमषयों का प्रयाि
हमेशा उन्ें कामना िे मुि करने का रहा ।

जब अंग्रेजो के समय में मंतदर को दान दे ने से मना कर तदया गया, िब धन के अभाि में
धमफ कमजोर हो गया और सनािन संस्कृति अपना स्वरुप बदलने लगी. इस समय सिी
प्रथा अपने मूल स्वरुप में रहिे हुए भी धमफ दोतर्षि हो गयी. सिी अतग्न में जलिी नही ं
थी. अपने प...ति की शि-अतग्न की पररिमा कर के अपनी दे खभाल का िचन समाज,
ररश्तेदार, पंतडि, राजा, सेठ आतद से मांगिी थी. एक पररिमा पर कोई िचन नही ं दे िा था
िो दू सरी पररिमा करिी थी. साि पररिमा िक कोई िचन नही ं दे िा था िो िो सब
त्याग कर गााँि की पररतध पर बने मंतदर में चली जािी थी और िह प्रभु की सेिा अपनी
स्वाभातिक मृत्यु िक करिी थी.

िब मंतदर सनािन सं स्कृति की अथफव्यिस्था के केंद्र में थे और ऐसी तकसी भी सिी को


आश्रय-प्रश्रय दे सकिे थे . जब अंग्रेजो ने दान पर रोक लगा कर और दान दे ने िालो
को दल्जण्डि करके मंतदर की सम्रल्जद्ध को कमजोर कर तदया. िब सिी के पास साििी
पररकृमा करके मंतदर जाने का रास्ता बंद हो गया और िो िही अपने पति के शि के
साथ जल जािी थी. तजससे इसे एक कुप्रथा का नाम दे तदया गया. तजसे राजा राम
मोहन ने अंग्रेजो के साथ तमल कर दू र तकया, पर समस्या का मूल तक मंतदर दु बारा
संस्कृति का केंद्र बने ( उन्ें दु बारा दान तमलना शुरू हो और दान दे ने िालो को कोई
दं ड न तदया जाये ) के तलए उन्ोंने भी कुछ नही ं तकया.

अंग्रेजो ने हमारी मवद्या, िं स्कृमत और िभ्यता को इतना नुकिान पहुचाया है की अब हमें िही
बात भी गलत या आिया जनक लगती है . और ऐिा करने में उन्ें केवल 140 िाल लगे. हमारी
िनातन िभ्यता में ममहला शीषा थथान पर थी. ममहला लगभग 100% िाक्षर हुआ करती थी.तब
पररवार और िमाज में पुरुष का दजाा आजकल के गवनार जैिा तथा ममहला का प्रिान मंत्री
183

जैिा था. (आप आज भी कोई टीवी प्रोग्राम दे खो जहा बच्चो िे उनके माूँ -मपता के बारे में
quiz मकया जाता है .बच्चे स्वाभामवक रूप िे मपता में गलमतयां दे ख लेते है और माूँ की
उपलक्तब्धयों पर ज्यादा गौराक्तन्वत होते है .

ऐिा शायद इिमलए है की िनातन िभ्यता- िंस्कृमत मकतनी भी तोड़ फोड़ दी जाये पर उिके
हजारो िाल पुराने प्रभाव हमारे jeans में आ कर थथायी रूप िे बि गए है .)

अज कल हम धमफ में जो तिसंगतिया दे ख रहे है िो तिद्या की कमी के कारि है . तशक्षा


िो खूब है पर तिद्या नही ं क्योतक तिद्याजफन का सही िरीका िक्षतशला-नालंदा के
पुस्तकालय के समान तिलुप्त हो गया है .

इिको पुनजीमवत करने के मलए कोई प्रयाि नहीं हुआ. शरीर, ह्रदय,मन तथा आत्मा को एक
िाथ जोड़ना/syncronise करना ही मवद्या थी. पर कैिे ? यह आजकल एक रहस्य बना हुआ है .
मोिा न िाइं ि ररिचा कर रही है पर मकिी मनयत मििां त िे कोिो दय र है . hypothesis छोमिये
अभी तक स्पष्ट् speculation भी नहीं दे पाए है .

इिकी कुंजी ममहला में और उिको मदए जाने वाले िम्मान-आदर-ित्कार में या ऐिी ही मकिी
व्यवथथा में छु पी है . िनातन िमा भी आमद शक्ति और उिके मक्रयान्वन के मलए ममहला (दे वी)
को ही थथान दे ता है .

पयरा लेख पढे (http://www.swadeshi.shreshthbharat.in/society/woman-ancient-india/) --- मेकोले


ने मब्रमटश िंिद को क्ा िंबोमित मकया : http://goo.gl/Mut1O

अंग्रेजों ने भारिीय तशक्षा पद्धति के भी आं कड़े एकतत्ि तकये थे , अंग्रेजों ने जब तकसी भी


तिर्षय पर आं कड़े एकतत्ि तकये िो िो तकये िो एक दम उतचि रूप से, परन्तु उनको
तदखाया तिकृि करके, जैसे की तशक्षा प्रिाली में उस समय 50 % के आसपास दतलि
जािी के भारिीय थे , बाकी 50 % में ब्राह्मि, िेश्य और क्षत्ीय थे ... परन्तु इसको उन्ोंने
तदखाया इसका एक दम उलर्ट कर के .. की दतलि िगफ 20 % से भी कमिर है l

मजिके कारण अनेकोनेक भ्रां मतयां फैलीं l


184

प्रमिि गाूँ िी वादी श्री िमापाल जी ने अपने जीवन काल में अं ग्रेजों के ऐिे कई षड्यंत्रों को
उजागर मकया l िमापाल जी ने जो पुस्तकें मलखीं उनमे उन्ोंने िब मवस्तार िे वणान मकया है l

http://www.samanvaya.com/dharampal/

आज अमिकाूँ श भारतीओं का यह पयवाा ग्रह है की गुरुकुलों में बच्चों की मशक्षा होगी तो वो केवल
पां मित्य ही करने लायक बनेंगे, जबमक ऐिा नहीं है ... एक और उल्लेखनीय बात यह है की
अंग्रेजों का जो मवस्तार हुआ वो मुख्यतिः 1800 के बाद िे ही हुआ, उििे पहले वो मकिी मकिी
प्रदे श में पैर जमा पाए थे l

1749 में केिल मद्रास में ही संस्कृि आधाररि इं जीतनयररं ग के 119 महातिद्यालय थे ....

कलेंिर पर दो श्लोक पढ़ लेने िे... गीता ज्ञान पयरा नहीं हो िकता l

आत्मा अजर है , अमर है l

कमा कर फल की चाइना मत कर l

इमत गीता .... 18 अध्याय मििम ...


185

सांप्रदातयक एिं लतक्षि तहं सा तनिारि तिधेयक-2011

SICKULAR और McCauley पुत्ों िारा ... शमफ -तनरपेक्षिा और सांप्रदातयक-सापेक्षिा का


तमला जुला संगम

1- 'बहुिंख्यक' हत्यारे , महं िक और दं गाई प्रवृमत के होते हैं । (मवकीलीक्स के खुलािे में िामने
आया था मक दे श के बहुिंख्यकों को लेकर िोमनया गां िी और राहुल गां िी की इि तरह की
मानमिकता है ।) जबमक 'अल्पिंख्यक' तो दय ि के दु ले हैं । वे तो करुणा के िागर होते हैं ।
अल्पिंख्यक िमुदायक के तो िब लोग अब तक िंत ही मनकले हैं ।

2- दं गो और िां प्रदामयक महं िा के दौरान नारी बलात्कार अपरािों को तभी दं िनीय मानने की
बात कही गई है अगर वह अल्पिंख्यक िमुदाय के व्यक्तियों के िाथ हो। यानी अगर मकिी
बहुिंख्यक िमुदाय की ममहला के िाथ दं गे के दौरान अल्पिंख्यक िमुदाय का व्यक्ति
बलात्कार करता है तो ये दं िनीय नहीं होगा।

3- यमद दं गे में कोई अल्पिंख्यक घृणा व वैमनस्य फैलता है तो यह अपराि नहीं माना जायेगा,
लेमकन अगर कोई बहुिं ख्यक ऐिा करता है तो उिे कठोर िजा दी जायेगी। (बहुिं ख्यकों को
इि तरह के झयठे आरोपों में फंिाना आिान होगा। यानी उनका मरना तय है ।)

4- इि अमिमनयम में केवल अल्पिंख्यक िमयहों की रक्षा की ही बात की गई है । िां प्रदामयक


महं िा में बहुिंख्यक मपटते हैं तो मपटते रहें , मरते हैं तो मरते रहें । क्ा यह माना जा िकता है
मक िां प्रदामयक महं िा में मिफा अल्पिंख्यक ही मरते हैं ?

5- इि दे श तोड़क कानय न के तहत मिफा और मिफा बहुिंख्यकों के ही क्तखलाफ मुकदमा चलाया


जा िकता है । अप्ल्िंख्यक कानयन के दायरे िे बाहर होंगे।

6- िां प्रदामयक दं गो की िमस्त जवाबदारी बहुिं ख्यकों की ही होगी, क्ोंमक बहुिंख्यकों की प्रवृमत
हमेशा िे दं गे भिकाने की होती है । वे आक्रामक प्रवृमत के होते हैं ।
186

7- दं गो के दौरान होने वाले जान और माल के नुकिान पर मुआवजे के हक़दार मिफा


अल्पिंख्यक ही होंगे। मकिी बहुिंख्यक का भले ही दं गों में पयरा पररवार और िंपमत्त नष्ट् हो
जाए उिे मकिी तरह का मुआवजा नहीं ममलेगा। वह भीख मां ग कर जीवन काट िकता है ।
हो िकता है िां प्रदामयक महं िा भड़काने का दोषी मिि कर उिके मलए जे ल की कोठरी में
व्यवथथा कर दी जाए।

8- कां ग्रेि की चालाकी और भी हैं । इि कानयन के तहत अगर मकिी भी राज्य में दं गा भड़कता
है (चाहे वह कां ग्रेि के मनदे श पर भड़का हो।) और अल्पिंख्यकों को कोई नुकिान होता है
तो केंद्र िरकार उि राज्य के िरकार को तुरंत बखाा स्त कर िकती है । मतलब कां ग्रेि को
अब चुनाव जीतने की भी जरूरत नहीं है । बि कोई छोटा िा दं गा कराओ और वहां की
भाजपा या अन्य िरकार को बखाा स्त कर स्वयं कब्जा कर लो।

िोमनया गां िी और अहमद पटे ल के नेतृत्व में इन 'दे शप्रेममयों' ने 'िां प्रदामयक एवं लमक्षत महं िा
मनवारण मविेयक-2011' को तैयार मकया है ।

आइये जानें इन तथाकमथत िां प्रदामयक दे शप्रेममयों के बारे में .....

1. सैयद शहबुदीन (Former Member of Parliament )

Syed Shahabuddin is a well known in the political and academic


circles as well as in the mass media and does not need an
introduction.

In his many incarnations he has been a university teacher, a


diplomat, who served as an ambassador and a government official who was at the time of his
seeking pre-mature retirement, the Joint Secretary in charge of South East Asia, the Indian Ocean
and the Pacific in the Ministry of External Affairs. He was a MP for three terms between 1979
and 1996 and made a mark as a Parliamentarian. He has edited Muslim India, the monthly
journal of research, documentation and reference from 1983 to 2002 and again from July 2006.
He has been a regular contributor on current affairs in the media and a familiar participant in
seminars and TV discussions.
187

2. हर्षफ मंदर

Born 1956 is an Indian social activist and writer. He came into


prominence after 2002 Gujarat riots and heads "Aman Biradari"
which work for communal harmony. He became member of
National Advisory Council of the UPA government in 2010 and
special commissioner to the Supreme Court.

CII_Study_Release Anu Aga, Chairperson, CII National Committee on Women Empowerment


and Director, Thermax Limited, releasing the Study" Understanding the Levels of Women
Empowerment in the Workplace", watched by Rumjum Chaterjee, MD, Feedback Ventures P
Ltd., in New Delhi on Wednesday, (14/12/2005) Digital Image. The Hindu,Chennai

3. अनु आगा

Born 1942) is an Indian businesswoman and social worker, who led Thermax Ltd., the Rs 3246-
crore energy and environment engineering major, as its chairperson 1996-2004.

She had figured among the eight richest Indian women, and in 2007 was part of 40 Richest
Indians by net worth according to Forbes magazine.

After retiring from Thermax, she took to social work, and 2010 was awarded the Padma Shri
(Social Work) by Govt. of India
188

4. माजा दारूिाला

Maja Daruwala "is currently executive director of the


Commonwealth Human Rights Initiative, a New Delhi-based
nongovernmental organization that promotes the practical
realization of human rights in the Commonwealth states,
particularly through police and promoting the right to information.

Ms. Daruwala was until 2005 also the chair of the London-based
Minority Rights Group International and is founder and Chair of
the People's Watch Tamil Nadu, a human rights advocacy and
monitoring organization based in South India.

She sits on several governing boards and advisory councils,


including the Justice Initiative at the New York-based Open Society Institute and the New Delhi-
based Voluntary Action Network, an umbrella organization aimed at strengthening civil society
in India.

From 1992 to 1996 Ms. Daruwala was a program officer for human rights, women's rights, and
social justice at the Ford Foundation in India, Nepal, and Sri Lanka.

A barrister by training, Ms. Daruwala, has conceptualized and edited reports for the
Commonwealth Heads of Government on poverty and the status of the right to information and
is currently editing one on police accountability.

She continues to produce a body of journalistic work, including a television documentary on


prisoners and syndicated articles on rights and governance issues in the region."
189

5. अबु सलेह शरीर्

Abusaleh Shariff is from National Council of Applied Economic


Research, New Delhi. He is author of many studies and reports on
Indian Muslims.

6. असगर अली इं तजतनयर

Asghar Ali Engineer, an Indian Muslim, is an Islamic scholar, reformist-writer and activist.
Internationally known for his work on liberation theology in Islam, he leads the Progressive
Dawoodi Bohra movement.

The focus of his work is on (and action against) communalism and communal and ethnic
violence in India and South Asia.

He is an advocate of a culture of peace, non-violence and communal harmony, and has lectured
all over world.

He is presently the head of the 'Institute of Islamic Studies' and the 'Centre for Study of Society
and Secularism', both of which he founded in 1980 and 1993 respectively.
190

7. शबनम हाश्मी

Shabnam Hashmi, sister of the activist Safdar Hashmi and founder


of SAHMAT, Marxian historian Prof. K N Panikkar and social
activist Harsh Mander are the founding members of ANHAD.

Based in Delhi, ANHAD works in the field of sickularism, human


rights and communal harmony.

ANHAD (Act Now for Harmony and Democracy) is an Indian socio-cultural organization
established in March 2003, as a response to 2002 Gujarat riots. ANHAD’s activities include
sickular mobilization, sensitizing people about their democratic rights as enshrined in Indian
Constitution, research and publication of books and reports, welfare programs for marginalised
sections of society, launching creative mass mobilization campaigns.

ANHAD is registered as a trust and has six trustees. They are Shabnam Hashmi, K N Panikkar,
Harsh Mander, Shubha Mudgal, Kamla Bhasin, Saeed Akhtar Mirza.
191

8. सुखदे ि थोराि

Sukhadeo Thorat born at Mahimapur, Amravati district,


Maharashtra, India, is an economist and chairman of the
University Grants Commission, U.G.C.
192

Thorat graduated with a B.A from Milind College of Arts, Aurangabad, Maharashtra. He
obtained an M.A. in Economics from Dr. Babasaheb Ambedkar Marathwada University,
M.Phil/Ph.D in Economics from Jawaharlal Nehru University, and Diploma in Economic
Planning, Main School of Planning, Warsaw, Poland.

From February 1989 to 1991, Thorat was visiting faculty at Iowa State University, USA and a
consultant with the International Food Policy Research Institute, Washington, DC.

Thorat was Lecturer at Vasantrao Naik College, Aurangabad from 1973 to 1980. He was Faculty
Member at Jawaharlal Nehru University, New Delhi from 1980 onwards and visiting faculty at
Department of Economics, Iowa State University, AMES, USA during 1989-1991.

He has been a Research Associate of the International Food Policy Research Institute,
Washington DC since 1992. He was Director, Indian Institute of Dalit Studies, New Delhi from
January 2003 to February 2006. He has been Chairman, UGC since February 2006.

9. िीस्ता जािेद सेिलिाड

Grand Daughter of Motilal Chimanlal Setalvad was became the


first and longest serving Attorney General of India 1950-1963 ...
due to his devotedness to the Britishers.

Co-editor of Communalism Combat magazine (along with husband Javed Anand).

Teesta's husband Javed Anand runs Sabrang Communications which claims itself as fighting for
human rights. Teesta is the official spokesperson of this organization.

Teesta is General Secretary of People's Union for Human Rights” (PUHR).

Member of the Pakistan India People's Forum for Peace and Democracy.[29]

When it comes to defending terrorists, there is nobody like Teesta Setalvad. She will lie,
shriek, give false deposition, do anything to damn Hindus under the banner of
Communalism Combat.

She also strikes the right pose by lighting candle along with other pseudos against Hindu
fundamentalism only.
193

The Apex Court rightly censured her for sensationalising Gujarat riots through stupid stories —
lapped up media goons — who are anyway might lazy to check the source.

10. जॉन दयाल

Born on Oct. 2, 1948 ;- ) On just next birthday of gandhi, after


gandhi's death.

Indian fanatic Christian bigot and a self proclaimed campaigner for


Dalit rights.

Formerly a journalist with the Delhi edition of the Indian tabloid


newspaper, the Mid-Day,

he has gone on to found and preside over the ecumenical All India
Christian Council and United Christian Forum for Human Rights.

Dayal, born of Christian parents from Central India, is married and resides normally in New
Delhi. He describes himself as a "human rights activist" who is "fighting for the rights of
Muslim, Christian and Dalit minorities" in India.

He is associated with numerous Christian evangelical groups, such as Dalit Freedom Network

11. जल्जस्टस होस्बेर्ट सुरेश

Justice Suresh Hosbet : M.A. L.L.M.: Born on 20th July,


1929. Enrolled as an Advocate of the Bombay High Court on 30th
November, 1953, and practised both on the Original and Appellate
Sides of the High Court. Was a part-time Professor of Law at the
Government Law College, Bombay from 1960 to 1965 and at K.C.
Law College, Bombay from 1965 to 1968. Was also the Assistant Government Pleader in the
Bombay City Civil & Sessions Court at Bombay from 1967 to 1968. Appointed as a Judge of
the Bombay City Court and Additional Sessions Judge, Greater Bombay on 29th November,
1968. Promoted as the 2nd Additional Principal Judge, Bombay City Civil & Sessions Court, in
194

October, 1979. Resigned his post on 23rd June, 1980 and resumed practice in the High Court at
Bombay. Was designated as Senior Advocate of the High Court at Bombay in 1982. Appointed
Additional Judge of the Bombay High Court with effect from 21-11-1986. Appointed permanent
Judge of the Bombay High Court from 12-6-1987. Retired on 19-7-1991.

12. राम पुतनयानी

Ram Puniyani was born on 25th August 1945.

He was a professor in biomedical engineering at the Indian Institute of Technology Bombay, and
took voluntary retirement in December 2004 to work full time for communal harmony in India.

He is involved with human rights activities from last two decades. He is working for communal
harmony and initiatives to oppose the rising tide of Fundamentalism-Fascism in India.

He is associated with various sickular and democratic initiatives like All India Sickular Forum,
Center for Study of Society and Sickularism and ANHAD

13. रूपरे खा िमाफ

Dr. Roop Rekha Verma, Ph.D, formerly, the Vice-chancellor,


Professor & Head of the Philosophy Department and Dean, Faculty
of Arts Lucknow University has taught there from 1964–2003. She
has also been a recipient of the Commonwealth Academic Staff
Fellowship for Oxford and has had the honor to be invited to
deliver lectures and present research papers in various
conferences/international seminars at many Indian and foreign
Universities.
195

14. र्राह नकिी

Farah Naqvi is an Indian writer, consultant and activist. She works on gender
rights and minority rights from both a justice and development perspective.
She is a member of the National Advisory Council.

15. एच .एस र्ुल्का

(Senior Advocate of Delhi High Court, Human Rights Activist,


Victim 1984 Riots)

16. कमल र्ारुखी

Sh. Nazmi Waziri, Member of Standing Counsel (Delhi Govt.)


196

17. अरुिा रॉय

Aruna Roy (born 26 June 1946) is an Indian political and social


activist who founded and heads the Mazdoor Kisan Shakti
Sangathana ("Workers and Peasants Strength Union"). She is best
known as a prominent leader of the Right to Information
movement, which led to the enactment of the Right to Information
Act in 2005. She has also remained a member of the National
Advisory Council.

In 2000, she received the Ramon Magsaysay Award for Community Leadership. In 2010 she
received the prestigious Lal Bahadur Shastri National Award for Excellence in Public
Administration, Academia and Management.

Aruna served as a civil servant in the Indian Administrative Service between 1968 and 1974. She
then resigned to devote her time to social and political campaigns. She joined the Social Work
and Research Center (SWRC) in Tilonia, Rajasthan, founded by her husband, Sanjit Roy. In
1983 Aruna dissociated herself from the SWRC.
197

18. नाजमी िजीरी

19. मंजूर आलम

20. मौलाना तनयाज र्ारुखी

21. तसस्टर मारी स्काररया

22. समर तसंह

23. सौमया उमा

Independent Consultant - Gender, Law & Human Rights24. पी आई जोसे

उपरोि िमस्त शमा-मनपेमक्षयों ने िमा-मनरपेक्षता की िमस्त ग़लतर्फहममयाूँ दय र कर दी हैं ...


198

15 अगस्त 1947 .... आजादी नही ं धोखा है, दे श का समझौिा है

15 अगस्त 1947 .... आजादी नहीं िोखा है , दे श का िमझौता है

आजादी नहीं िोखा है , दे श का िमझौता है


शािन नहीं शािक बदला है , गोरा नहीं अब काला है

15 अगस्त 1947 को दे श आजाद नहीं हुआ तो हर वषा क्ों ख़ुशी मनाई जाती है ?
क्ों भारतवामियों के िाथ भद्दा मजाक मकया जा रहा है l इि िन्दभा में मनम्नमलक्तखत तथ्ों को
जानें .... :

1. भारत को ित्ता हस्तां तरण 14-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक
प्रकाश में नहीं आने थे (50 वषों तक ) l

2. भारत िरकार का िंमविान के महत्वपयणा अनु च्छेदों में िंशोिन करने का अमिकार नहीं है l

3. िंमविान के अनुच्छेद 348 के अंतगात उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा िंिद की कायावाही
अपनी राष्ट्रभाषा महं दी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l

4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपमनवेश दे श के प्रिानमंत्री अथवा अमिकारी उपक्तथथत हुए, यहाूँ के
घोषणा पात्र के खंि 3 में भारत वषा की इि इच्छा को मनियात्मक रूप में बताया है की वह
...
क ) ज्यों का त्यों मब्रमटश का राज िमयह िदस्य बना रहे गा तथा
ख ) मब्रमटश राष्ट्र िमयह के दे शों के स्वे च्छापयणा ममलाप का मब्रमटश िम्राट को मचन् (प्रतीक)
िमझेगा, मजनमे शाममल हैं .....
(इं ग्लैंि, कनािा, ऑस्टर े मलया, न्ययज़ीलैण्ड, दमक्षण अफ्रीका, पामकस्तान, श्री लंका) ... तथा
ग ) िम्राट को मब्रमटश िमयह का अध्यक्ष स्वीकार करे गा l

5. भारत की मवदे श नीमत तथा अथा नीमत, भारत के मब्रमटश का उपमनवेश होने के कारण स्वतंत्र
नहीं है अथाा त उन्ीं के अिीन है l

6. नौ-िेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकमथत भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं है l

7. जन गन मन अमिनायक जय हे ... हमारा राष्ट्र-गान नहीं है , अमपतु जाजा पंचम के भारत


आगमन पर उिके स्वागत में गाया गया गान है , उपमनवेमशक प्रथाओं के कारण दबाव में इिी
गीत को राष्ट्र-गान बना मदया गया ... जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l

8. िन 1948 में बने बताा मनया कानयन के अंतगात भाग 1 (1) 1948 के बताा मनया के कानयन के
अनुिार हर भारतवािी बताा मनया की ररयाया है और यह कानयन भारत के गणराज्य प्राप्त कर
लेने के पिात भी लागय है l
199

9. यमद 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवनार जनरल माउन्ट-बेटन को क्ों
बनाया गया ??

10. 22 जयन 1948 को भारत के दु िरे गवनार के रूप में चक्रवती राजगोपालचारी ने मनम्न शपथ
ली l
"मैं चक्रवती राजगोपालचारी यथामवमि यह शपथ लेता हूूँ की मैं िम्राट जाजा षष्ठ और उनके
वंशिर और उत्तरामिकारी के प्रमत कानयन के मुतामबक मवश्वाि के िाथ वफादारी मनभाऊंगा, एवं
मैं चक्रवती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूूँ की मैं गवनार जनरल के पद पर होते हुए िम्राट
जाजा षष्ठ और उनके वंशिर और उत्तरामिकारी की यथावत िव्वा करू ूँ गा l "

11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता मवमि िे भारत के दो उपमनवे श बनाए गए मजन्ें
मब्रमटश Common-Wealth की ...
िारा नं. 9 (1) - (2) - (3) तथा
िारा नं. 8 (1) - (2)
िारा नं. 339 (1)
िारा नं. 362 (1) - (3) - (5)
G - 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतगात ....

इन उपरोि कानयनों को तोिना या भंग करना भारत िरकार की िीमाशक्ति िे बाहर की बात
है तथा प्रत्येक भारतीय नागररक इन िाराओं के अनुिार मब्रमटश नागररक अथाा त गोरी िन्तान है
l

12. भारतीय िंमविान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुिार गवनामेंट ऑर्फ इं मिया एक्ट 1935
तथा indian independence act 1947 के अिीन ही की जा िकती है ... यह एक्ट मब्रमटश
िरकार ने लागय मकये l

13. भारत िरकार के िंमविान के अनुच्छेद नं . 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द
करने की क्षमता भारत िरकार को नहीं है l

14. भारत िरकार के पाि ऐिे ठोि प्रमाण अभी तक नहीं हैं , मजनिे नेताजी की वायुयान
दु घाटना में मृत्यु िामबत होती है l
इिके उपरान्त मोहनदाि गां िी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली मजन्ना और मौलाना अबुल
कलाम आजाद ने मब्रमटश न्यायािीश के िाथ यह िमझौता मकया मक अगर नेताजी ने भारत में
प्रवेश मकया, तो वह मगरफ्तार ककर मब्रमटश हुकयमत को िौंप मदया जाएगाl
बाद में मब्रमटश िरकार के कायाकाल के दौरान उन िभी राष्ट्रभिों की मगरफ्तारी और िुपुदागी
पर मुहर लगाईं गई मजनको मब्रमटश िरकार पकड़ नहीं पाई थी l

15. िं कल व् गैट, िाम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों िे लाने का िुलभ रास्ता बनाया
है तामक भारत की ित्ता मफर िे इनके हाथों में आिानी िे िौंपी जा िके l
200

उपरोि तथ्ों िे यह स्पष्ट् होता है की िम्पयणा भारतीय जनमानि को आज तक एक िोखे में


ही रखा गया है , तथाकमथत नेहरु गाूँ िी पररवार इि िच्चाई िे पयणा रूप िे अवगत थे परन्तु
ित्तालोलुभ पृवृमत्त के चलते आज तक उन्ोंने भारत की जनता को अूँिेरे में रखा और
मवश्वािघात करने में पयणा रूप िे िफल हुए l

िवाल उठता है मक ... यह भारतीय थे या .... काले अंग्रेज ?

नहीं स्वतंत्र अब तक हम, हमे स्वतं त्र होना है


कुछ झयठे दे शभिों ने , मकये जो पाप, िोना है
l

राजीव दीमक्षत मक शहादत भी षड्यंत्रकारी प्रतीत होती है , SEZ , परमाणु िंमि, मवदे शी बाजारों के
षड्यंत्र ... आमद योजनाओं एवं कानयनी मकिजाल में फंिे भारत को जागृत करने तथा
नवयुवकों को इन कायों के मलए आगे लाने के कारण l

यमद राजीव दीमक्षत और िमय तक जीमवत रहते तो पररवतान और रहस्यों मक परत और खुल
िकती थी l

भारत इतना गरीब दे श है मक 100000,0000000 (1 लाख करोड़) के रोज रोज नए नए घोटाले


होते हैं .... ?
क्ा गरीब दे श भारत िे िाड़ी दु मनया के लुटेरे व्यापार के नाम पर 20 लाख करोड़ रूपये
प्रमतवषा ले जा िकते हैं ?
मवदे शी बेंकों में जमा िन मकतना हो िकता है ? एक अनुमान के तहत 280 लाख करोड़ कहा
जाता है ?
पर यह मिफा SWISS बेंकों के कुछ बेंकों मक ही report है ... िमस्त बेंकों मक नहीं, इिके
अलावा दु मनया भर के और भी दे शों में काला िन जमा करके रखा हुआ है ?

भारत के युवकों, अपनी िंस्कृमत को पहचानो, मजिमे शास्त्र और शस्त्र दोनों मक मशक्षा दी जाती
थी l आज तुम्हारे पाि न शास्त्र हैं न शस्त्र हैं .. क्ों ?? क्ा कारण हो िकते हैं ??
भारत गरीब नहीं है ... भारत िोने मक मचमड़या था ... है ... और िदै व रहे गा l तुम्हें
तुम्हारे नेता, पत्रकार और प्रशािक झयठ पढ़ाते रहे हैं l
वो इमतहाि पढ़ा है तुमने जो नेहरु के प्रिानमंत्री मनवाि में 75 मदनों तक अलीगढ मुक्तस्लम
मवश्वमवद्यालय और अंग्रेजों के मनदे शों पर बनाया गया l
मजिमे प्राचीन मशव मक्तन्दर तेजो महालय को ताज महल, ध्रुव स्तम् को क़ुतु ब मीनार और मशव
मक्तन्दर को जामा मक्तिद ही पढ़ाया जाता है l

िारे ययरोप - अमेररका के मलए लयट का केंद्र बने भारत को गुलामी मक जंजीरों िे मुि
करवाने हे तु आगे आओ l
उठो.... ित्य और िमा की िंथथापना मक हुं कार तो भरो एक बार, मवश्व के िभी दे शों मक
बोक्तिक िंपदा बने भारत l
201
202

सिफ धमफ समान - एक बकिास


by Lovy Bhardwaj on Tuesday, May 31, 2011 at 10:57pm ·

सिफ धमफ समान - एक बकिास

मब्रमटश शािन द्वारा गुलाम भारत में िनातन िमा के प्रमत महन्दु ओं की आथथा नष्ट् करने के मलए
McCauley ने जो मशक्षा प्रणाली प्रारम् की थी उिके प्रभाव िे आज भी मशमक्षत िमाज के
प्रमतमष्ठत लोग िनातन िमा की ममहमा िे अनमभज्ञ होने के कारण अपने िमा का गौरव भयल कर
पािात्य काल्पमनक िभ्यता िे प्रभामवत हो रहे हैं l क्ोंमक आज भी भारत के मवद्यालयों -
मवमश्वद्यालयों में वही झयठा इमतहाि पढ़ाया जा रहा है जो अंग्रेज कयटनीमतज्ञों ने मलखा था, भारत
की छद्म स्वतं त्रता ममलने के बाद भी राजमनमतक पामटा यों ने अपने अपने वोट बैंक बनाने के
उद्दे श्य िे िब िमा िामान हैं ... ऐिा प्रचार प्रारम् मकया l उन िबका उद्दे श्य केवल ित्ता
प्राप्त करना ही था, उनमे िे मकिी ने भी िब िमो का अध्ययन मकया होता तो वो ऐिी बात
नहीं कह िकते l

बाजार में तमलने िाले सब उपकरि समान नही ं होिे, सब िस्त्र समान नही ं होिे,

उनका मयल्य उनके गुण-दोषों के आिार पर मभन्न मभन्न मनिाा रमत मकया जाता है l

िब िातुओं के गहने िामान नहीं होते . िोने की कीमत अलग होती है और अलुमममनयम,
चां दी, पीतल लोहे आमद की कीमत अलग होती है l

िब िरकारी नौकर िामान नहीं होते ... चपरािी, क्लका, कलेक्टर और मंमत्रयों को अलग अलग
श्रेणी के नौकर माने जाते हैं l िब राजमनमतक पामटा यां िामान हैं ... ऐिा कोई कहे तो ..
राजनेता नाराज हो जायेंगे l अपनी पाटी को श्रेष्ठ और अन्य पामटा यों को कमनष्ठ बताते हैं ....
पर िमा के मवषय में िब िमा िामान कहने में उनको लज्जा नही आती l

वास्तव में जैिे मवज्ञान के जगत में मकिी एक वैज्ञामनक की बात तब तक िच्ची नहीं मानी
जाती जब तक की उिे िम्पयणा मवश्व के वैज्ञामनक तका-िंगत और प्रायोमगक स्टार पर िच्ची नहीं
मानते l ऐिे ही िमा के मवषय पर भी मकिी एक व्यक्ति के कहने िे उिकी बात िच्ची नहीं
मान िकते l क्ोंमक उिमे अपने िमा के प्रमत राग और अन्य िमो के प्रमत द्वे ष होने की
िम्ावना है l िनातन िमा के मिवा अन्य िमा अपने िमा को ही िच्चा मानते हैं , दु िरे िमो की
मनंदा करते हैं l केवल िनातन िमा ही अन्य िमों के प्रमत उदारता और िमहष्णुता का भाव
मिखाता है l इिका अथा यह कदामप नहीं हो िकता की िब िमा िमान हैं l
203

गंगा का जल और ये िालाबों, कुएं या नाली का पानी समान कैसे हो सकिा है l

यमद िमस्त मवश्व के िभी िमो को मानने वाले िभी िमों का अध्ययन करके तटथथ अमभप्राय
बताने वाले मवद्वानों ने मकिी िमा को तका िंगत और श्रेष्ठ घोमषत मकया हो तो उिकी महानता
को िबको स्वीकार करना पड़े गा l िम्पयणा मवश्व में यमद मकिी िमा को ऐिी व्यापक प्रशक्तस्त
प्राप्त हुई है तो वह है ... िनातन िमा l

मजतनी व्यापक प्रशक्तस्त िनातन िमा को ममली है उतनी ही व्यापक आलोचना ईिाईयत और
इस्लाम की अं तराा ष्ट्रीय मवद्वानों और मफलाक्तस्फस्तों ने की है ....

िनातन िमा की ममहमा और िच्चाई को भारत के िंत और महापुरुष तो िमदयों िे िैिां मतक
और प्रायोमगक प्रमाणों के द्वारा प्रकट करते आये हैं , मफर भी पािात्य मवद्वानों िे प्रमामणत होने
पर ही मकिी की बात को स्वीकार करने वाले पािात्य बोक्तिकों के गुलाम ऐिे भारतीय
बुक्तिजीवी लोग इि लेख को पढ़कर भी िनातन िमा की श्रेष्ठता को स्वीअक्र करें गे तो हमे
प्रिन्नता होगी और यमद वो िनातन िमा के महान ग्रन्थों का अध्ययन करें गे तो उनको इिकी
श्रेष्ठता के अनेक िैिां मतक प्रमाण ममलेंगे और मकिी अनुभवी पुरुष के मागादशान में िािना
करें गे तो उनको इिके ित्य के प्रायोमगक प्रमाण भी ममलेंगे l आशा है िनातन िमाा वलम्बी इि
लेख को पढने के बाद स्वयम को िनातन िमी कहलाने पर गवा का अनुभव करें गे l
मनम्नमलक्तखत मवश्व-प्रमिि मवद्वानों के वचन िवा -िमा िामान कहने वालों के मयंह पर करारे तमाचे
मारते हैं और िनातन िमा की महत्ता प्रमतपामदत करते हैं ... जैिे चपरािी, िमचव, कलेक्टर
आमद िब अमिकारी िमान नहीं होते .. गंगा यमुना गोदावरी कावेरी आमद नमदयों का जल ..
और कुएं तथा नाली का जल िामान नहीं होता ऐिे ही िब िमा िमान नहीं होते .... िबके
प्रमत स्नेह िदभाव रखना भारत वषा की मवशेषता है लेमकन िवा -िमा िामान का भाषण करने
वाले भोले भले भारत वामियों के मदलो मदमाग में McCauley की कयटनीमतक मशक्षा-मनमत के और
मवदे शी गुलामी के िंस्कार भरते हैं l िवािमा िामान कह कर अपनी ही िं स्कृमत का गला घोंटने
के अपराि िे उन िज्जनों को ये लेख बचाएगा आप स्वयं पढ़ें और औरों तक यह पहुूँ चाने की
पावन िेवा करें l

और मबना पयछे आप इि लेख को SHARE कर िकते हैं ....

1. रोम्या रोलां फ़्ांतससी तििान्


204

मैंने ययरोप और एमशया के िभी िमो का अध्ययन मकया है परन्तु मुझे उन िब में िनातन िमा
ही िवा-श्रेष्ठ मदखाई दे ता है , मेरा मवश्वाि है की िनातन िमा के िामने एक मदन िबको अपना
मस्तक झुकाना पड़े गा l

मानव जाती के अक्तस्तत्व के प्रारम् के मदनों िे लेकर पृथ्वी पर जहां मजन्दा मनुष्ों के िब स्वप्न
िाकार हुए हैं तो वह एकमात्र थथान है ..... भारत l

2 . डाक्ट्र एनीबेसेंर्ट

मैंने 40 वषों तक मवश्व के िभी बड़े िमो का अध्ययन करके पाया है की िनातन िमा के िमान
पयणा, महान और वैज्ञामनक िमा और कोई नहीं है , यमद आप िनातन िमा छोड़ते हैं तो आप
अपनी भारत माता के ह्रदय में छु रा भोंकते हैं l

यमद महन्दय ही .. िनातन िमा को न बचा िके तो और कौन बचाएगा ?

यमद भारत की िन्तान अपने िमा पर दृढ न रही तो कौन िनातन िमा की रक्षा करे गा ?

यमद हम पक्षपात रमहत होकर भली भां मत परीक्षा करें तो हमें स्वीकार करना होगा की िारे
िंिार में िामहत्य, िमा, िभ्य, मवज्ञान, आयुवेद, मचमकत्सा, खगोल, गमणत आमद का प्रिार िनातन िमा
ने ही मकया

3.तिक्ट्र कोसीि

जब हम पयवा की और उिमे भी मशरोमणी स्वरूप भारत की िामहक्तत्यक एवं दाशामनक महान


कृमतयों का अवलोकन करते हैं तब हमें ऐिे अनेक गंभीर ित्यों का पता चलता है मजनको उन
मनष्कषों िे तुलना करने पर की जहां पहुं चकर ययरोपीय प्रमतभा कभी कभी रुक गई है ...
हमें पयवा के आगे घुटने टे क दे ना पड़ता है l

4. शोपनहार
205

िम्पयणा मवश्व में उपमनषदों के िमान जीवन को ऊंचा जीवन को ऊंचा उठाने वाला कोई दय िरा
अध्ययन का मवषय नहीं है l इनिे मेरे जीवन को शां मत ममली है इन्ीं िे मुझे मृत्यु में भी शां मत
ममलेगी l

शोपनहार के इन िचनों पर मेक्समूलर ने कहा की "शोपनहार के इन शब्दों के तलए


तकसी समथफन की आिश्यकिा हो िो अपने जीिनभर के अध्ययन के आधार पर मैं
प्रसन्निापूिफक उनका समथफन करू
ाँ गा"

यहाूँ यह भी उल्लेखनीय है की ये वही मेक्समयलर है मजिको अंग्रेजों द्वारा प्रमतमाह 1 लाख


रूपये वेतन मदया जाता था िनातन िमा के ग्रन्थों को दय मषत करने के मलए .... और उनमे
जामतवाद, छु आछयत आमद जैिी मनगढ़ं त बातें योजनाबि रूप िे भारी गईं ... आज के िमय
में ज्यादातर लोग मेक्समयलर के ही दय मषत ग्रन्थों को पढ़ कर जामतवाद और छु आछयत के षड्यंत्रों
िे बाहर नहीं मनकल पा रहे हैं l मनु स्मृमत को िबिे ज्यादा मेक्समयलर ने ही दय मषत मकया l

5. फ्रेडररक स्लेगल

उपमनषदों में वमणात पयवीय आदशावाद के प्रचुर प्रकाशपयंज की तु लना में ययरोपवामियों का उच्छ्तम
तत्वज्ञान ऐिा ही लगता है , ऐिा लगता है जैिे मध्यां त ियया के व्योम प्याली प्रताप की पयणा
प्रखरता में मटममटमाती हुई अनलमशखा की कोई मचंगारी मजिकी अक्तथथर और मनस्तेज ज्योमत
ऐिी हो रही हो मनो अब बयढी की तब बुझी l

6. पाल डायसन

उपमनषदों की दाशामनक िाराएं न केवल भारत में अमपतु िम्पयणा मवश्व में अतुलनीय है l

7. मोतनयर तितलयर्म्

ययरोप के प्रथम दाशामनक प्ेटो और पाइथागोरि दोनों ने दशानशास्त्र का ज्ञान भारतीय गुरुओं
िे प्राप्त मकया l

8. प्रतसद्ध इतिहासकार लेयतब्रज


206

पािात्य दशानशास्त्र के आमदगुरू आया महमषा हैं , इिमें िंदेश नहीं है l

9. थोरो

प्राचीन युग की िभी स्मरणीय वस्तुओं में भगवदगीता िे श्रेष्ठ कोई भी वस्तु नहीं है l गीता के
िाथ तुलना करने पर जगत का आिुमनक िमस्त ज्ञान मुझे तुच्छ लगता है l मैं मनत्य प्रातिः काल
अपने ह्रदय और बुक्ति को गीतारूपी पमवत्र जल में स्नान कराता हूूँ l

10. डाक्ट्र मेकतनकल

भारत वषा में गीता बुक्ति की प्रखरता, आचार की उत्कृष्ट्ता एवं िाममाक उत्साह का एक अपयवा
ममश्रण उपक्तथथत करती है l

11. के. ब्राउतनंग

गीता का उपदे श इतना अलौमकक पुण्य और ऐिा मवलक्षण है की जीवन पथ पर चलते चलते
अनेक मनराश और श्रां त पमथकों को इिने शां मत, आशा और आश्वािन मदया है और उन्ें िदा के
मलए चयर चयर होकर ममट जाने िे बचा मलया है , जैिे इिने अजुान को बचाया l

12. रे िरं ड आथफर

जगदगुरु श्रीकृष्ण ने भगवदगीता के रूप में जगत को एक अमत उत्तम दें दी है l ज्ञान, भक्ति,
कमा ये शाश्वत आदशा एज दु िरे को िाथ मलए हुए चलते हैं , इनमे िे प्रत्येक अन्य दोनों के मलए
आवश्यक है l

13. िीलडु रान्त

भारत हमारी जाती की मातृभयमम है और िंस्कृत ययरोप की भाषाओूँ की माता (जननी) है और


वह हमारी मफलोिोफी की भी माता है l

अरबों के द्वारा (अरब के मनवामियों के द्वारा ) भारत िे हमारा गमणत शास्त्र आयात मकया
गया है l
207

इिाई िमा के मयमतामत आदशा मयलतिः बुि के द्वारा ममले हैं इि अथा में भी भारत हमारी माता
है l

गाूँ व के लोगों द्वारा स्वराज्य और प्रजातंत्र (लोकतंत्र) की जननी भारत है l

कई प्रकार िे भारत हमारी िबकी माता है l

ईसाईयि तिर्षयक

1. इतिहासकार तचिररस सोरोकी ं

मपछली कुछ शताक्तब्दयों में िबिे अमिक आक्रामक, लड़ाकय, लालची, ित्ता लोलुप और ित्ता के मद
में चयर यमद मानव िमाज में कोई अंग हैं तो वो हैं पािात्य ईिाई ममशनररयां l

इन िैकड़ों वषों में पािात्य ईिाई दे शों ने िब महाद्वीपों और व्यापाररयों ने अमिकतर अन्य
िमोव्रम्बी दे शों को अपना गुलाम बना कर लयटा l

अमेररका, आस्टर े मलया, एमशया. अफ्रीका आमद के करोड़ों भोले आमदवामियों को इि मवमचत्र ब्रां ि
ईिाई मानवप्रेम के अिीन बनाकर उनका अत्यंत मनदा यता िे खत्म मकया गया, उनकी िंस्कृमत,
चररत्र, जीवनपिती, जीवन मयल्यों और िंथथाएं नष्ट् भ्रष्ट् कर दी गयीं तामक उन्ें ईिाई बनाया जा
िके l

2. तर्लोसोर्र तनत्शे

मैं ईिाई िमा को एक अमभशाप मानता हूूँ , उिमे आं तररक मवकृमत की पराकाष्ठ है l
208

ईिाईयत गुलाम, फरयाद और चंिाल का पंथ है , ईिाईयत द्वे षभाव िे भरपयर वृमत्त है l

इि भयंकर मवष का कोई मारण है तो वो केवल िनातन िमा ही हो िकता है l

इिीमलए ईिाईयत ने िनातन िमा की मशक्षा-पिती और जीवनशैली को नष्ट् करके ईिाईयत


आिाररत मशक्षा पिमत और जीवनशैली को प्रारम् मकया और मजिके फलस्वरूप गुरुकुलों, गौ-
शालाओं, िां स्कृमतक िं थथाओं, िभ्यताओं, मान्यताओं का दय मषत करके उन्ें मवकृत करके मदखाया
गया और नष्ट् मकया गया l

ईिाई यह भली-भाूँ ती जानते हैं की यमद भारत के लोग अपने अध्यात्म और िंस्कृमत िे दोबारा
जुड़ गए तो मवश्व में ईिाईयत को कोई नहीं पयछेगा l

3. र्टोलस्टोय

मवश्व के मकिी भी िमा ने इतनी वामहयात अवैज्ञामनक, आपि में मवरोिी और अनैमतक बातों का
उपदे श नहीं मदया, मजतना चचों ने मदया है l

4. ज्याजफ बनाफडफ शा

बाइबल पुराने और दमकयानयिी अंि-मवश्वािों का एक बंिल है l

5. एच. जी. िेर्ल्

दु मनया की िबिे बड़ी बुराई है रोमन कैथोमलक चचा

6. पंतडि श्री राम शमाफ आचायफ

भारत में पादररयों का िमा प्रचार िनातन िमा को ममटाने का खुला षड्यंत्र है जो की एक लंबे
अरिे िे चला आ रहा है l महन्दु ओं का यह िाममाक कताव्य है की वे ईिाईयों के षड्यंत्र िे
209

आत्मरक्षा में अपना तन,मन,िन लगा कर और आज के महन्दु ओं को लपेटती हुई ईिाईयत की


लापत परोक्ष रूप िे उनकी और बढ़ रही है उिे वहीं बुझा दे l

ऐिा करने िे ही भारत में िमा-मनरपेक्षता, िाममाक-बंिुत्व तथा िच्चे लोकतं त्र की रक्षा हो िकेगी
अन्यथा पुनिः आजादी को खतरे की िंभावना हो िकती है l

7. महात्मा गांधी

हमें गौ-मां ि भक्षण और शराब पीने वाला ईिाई िमा नहीं चामहए, िमा पररवतान वो जहर है जो
ित्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर दे ता है l

ममशनररयों के प्रभाव िे महन्दय पररवार का मवदे शी भाषा, वेशभयषा, रीमतररवाज के द्वारा मवघटन
हुआ है l

यमद मुझे कानयन बनाने का अमिकार होता तो मैं िमा पररवतान बंद करवा दे ता इिे तो
ममशनररयों ने एक व्यापार बना मलया है l

परिमा आत्मा की उन्नमत का मवषय है इिे रोटी, कपड़ा या दवाइयों के बदले में बेचा या
बदला नहीं जा िकता l

8. स्वामी तििेकानन्द जी

महन्दय िमाज में िे एक व्यक्ति मुक्तस्लयम या ईिाई बने इिका मतलब यह नहीं की एक महन्दय
कम हुआ, मकन्तु महन्दय िमाज का एक दु श्मन बढ़ा l

मवश्व के महान िमो में महन्दय िमा के िमान और कोई िवाग्राही और वैमवहय्पयणा िमा नहीं है

अन्य इतिहासकार िथा र्ोलोसोर्र


210

उजल्यु िुक

कन्फेशन्स िे लेकर अंमतम रचना तक ऐिी एक भी टोलस्टोय की िामहक्तत्यक रचना नहीं है जो


महन्दय मवचार िे प्रेरणा लेकर न मलखी गई हो l

माकोिीच

बीज-गमणत, ज्याममतीय और आकाश मवज्ञान में उनके उपयोग करने की खोज िनातन िमा ने
ही की है l

सर मैनर तितलयम

भारत की आध्याक्तत्मकता िमस्त मवश्व में िबिे अमिक बहु-आयामी है इि बात में िंदेह नहीं
l

ज्याजफ फ्युरेसर्टीन

उपमनषदों का िंदेश मकिी दे शातीत और कालातीत थथान िे आता है l मौन िे उिकी वाणी
प्रकट हुई है उिका उद्दे श्य मनुष् को अपने मयल स्वरूप में जगाना है l

बेनेतडफर्टीन र्ाघर

िमारे िम्पयणा शुभ गुणों का आिार ईश्वर ऐिा नहीं है जैिा OLD TESTAMENT में बताया है है
की वह हमारा मवरोिी और हमिे अलग है लेमकन वह अपनी मदव्य आत्मा है l

यह बात आयर एनी बहुत िी बातें हम उपमनषदों िे िीखते हैं l ईिाई चेतना को अंमतम रूप
दे ने के मलए हमे यह पाठ पढ़ना होगा तभी वह िब इि और ि िुिंगत और पयणा होगी l

पोल ड्यूसन

भारत ने मवश्व को एक ऐिा िमा मदया है जो िबिे प्राचीन है और तकािंगत भी है l भारत के


मवषय में वणान करते हुए वोल्टे यर ने मलखा है की मवश्व के िभी दे शों को भारत का आश्रय लेना
पड़ता था l जबमक भारत को मकिी भी दे श का आश्रय नहीं लेना पड़ा, उिने एमशया के महान
211

िम्राट फ्रोमिरक को आश्वस्त मकया की "हमारा पमवत्र ईिाई िमा केवल ब्रह्म के प्राचीन िनातन
िमा पर आिाररत है l"

रामस्वरूप

िमा के क्षेत्र में िब राष्ट्र दररद्र हैं , लेमकन भारत इि क्षेत्र में अरबोंपमत है l

माकफ ट्वे इन (अमेररकन तििान्)

इस्लाम और ईिाईयत एक ही मिक्के के दो पहलु हैं , िनातन िमा की मशक्षाओं के बाद मकिी
और िमा की आवश्यकता नहीं पड़ती l

मेरी िमझ में यह नहीं आता की क्ों ईिाईयत और इस्लाम को प्रारम् मकया गया जबमक िबिे
पररपयणा, वैज्ञामनक, प्रायोमगक िनातन िमा अक्तस्तत्व में तब भी था और आज भी है l

संपि भूपालम

जैिे कोई इजीप्ट या बेमबलोमनया या अिीररया के इमतहाि का िमापन कर िकता है ऐिे भारत
के इमतहाि का िमापन नहीं कर िकता क्ोंमक यह इमतहाि अब भी बनाया जा रहा है l

यह िंस्कृमत अभी भी िृजनशील है l

िील ड्यूश

जब जब भी मैं वेदों के मकिी भाग का पठान मकया है तब मुझे अलौमकक और मदव्य प्रकाश
ने आलोमकत मकया है l

वेदों के महान उपदे शों में िाम्प्रदामयकता की गंि भी नहीं है l

यह महान िनातन िमा िवा -युगों के मलए, थथानों के मलए और राष्ट्रों के मलए महान ज्ञान प्राक्तप्त
का राजमागा है l
212

हेनरी डे तिड

िब प्रामणयों के श्रीदे में बिने वाले िवा -व्यापक ईश्वर का उपदे श दे ने की अद् भुत ियक्ष्मता के
कारण ही वास्तव में महन्दय िमा िे अत्यंत प्रभामवत हुआ हूूँ l

सर तितलयर्म् जोन्स

जब हम वेदान्त और उि पर आिाररत िुन्दर ित्सामहत्य को पढ़ते हैं तब यह माने मबना नहीं रह


िकते की पायथागोरि और प्ेटो ने उनके िय क्ष्म मििां त भारतीय ऋमषयों के मयल स्रोत िे ही
प्रान्त मकये हैं l

यह है िास्ततिकिा ईसाई तमशनररयों िारा संचातलि कािेंर्ट स्कूलों की

गुजरात के प्रमिि दै मनक गुजरात िमाचार में छपी खबर के अनुिार अहमदाबाद के ओढव
मवस्तार के ईिाई ममशनरी िंचामलत होिन्ना ममशनरी स्कयल के िंचालकों ने माला पहनने पर,
मतलक लगाने पर, कंगन पहनने पर, पायल पहनने पर, एवं राष्ट्रगीत गाने पर प्रमतबन्ध लगाया है l

कुछ ख़ाि वस्त्र पहनकर आने का िख्त आदे श मदया है , क्ोंमक वे जानते हैं की इन चीजों के
रहते महन्दय बालकों में िनातन िमा के िंस्कार बने रहें गे और उनको िमाा न्तरण कराने में
मुक्तश्कल होगी l इििे ऐिे गैर-कानयनी आदे शों का उल्लंघन करने वाले पर मवद्यामथायों को िख्त
िजा दे कर उनकी मपटाई की जाती है l

हाल ही में एक छात्र िलवार एवं पायल पहनकर तथा मतलक लगाकर स्कयल में आई तो
मशमक्षका ने उिे लकड़ी िे मारा l

इि दु ष्कृत्य का दय िरी मशमक्षका ने मवरोि मकया तो उि मशमक्षका को पाठशाला िे तुरंत ही


मनकाल मदया गया l
213

हालां मक ऐिी अन्यायपय णा नीमत का मवरोि करने के मलए िैकड़ों मवद्याथी एवं उनके माता-मपता
एकमत्रत हो गए एवं िंचालकों के मवरोि में नारे लगाने लगे l इिके बाद पुमलि एवं गुजरात
मशक्षामिकारी के काया काल में भी िंचालकों के मवरोि में मशकायत दजा करवाई l

स्पष्ट् दे खा जाता है की ममशनररयों द्वारा मशक्षा की आड़ में बालकों में महन्दय िंस्कृमत के मवरोिी
कु-िंस्कारों का िींचन करके उनका िमाा न्तरण करवाने का षड्यंत्र हमारे दे श में तीव्र गमत िे
बढ़ रहा है l माता मपता िोचते हैं की हमारे बच्चे ममशनरी स्कयलों में पढ़ कर जीवन में ज्यादा
आगे बढ़ें गे लेमकन उनको यह पता नहीं की िमाा न्तरण के अड्डे बन चुकी ये कु-पाठशालाएं
बालकों के मक्तस्तष्क में िनातन िंस्कृमत, उनके रीमत ररवाज़ एवं दे वी-दे वताओं के मवरोि में
मनगढ़ं त बातें भर कर उनको गुमराह करके ईिाई िमा अपनाने के मलए प्रेररत कर रही है l

और इि कु-पष्ठ्शालाओं में पढ़ कर ज्यादातर बच्चे इतना आगे बढ़ जाते हैं की एक मदन
नैमतकता में मगर ही जाते हैं अपने माता मपता को भी छोड़ दते हैं l

क्ा हम अपने ही दे श में पराये होना चाहते हैं ??

क्ा हम मफर िे गुलामी की जंजीरों में जकड़ना चाहते हैं ?

यमद नहीं तो आइये ममशनररयों के ऐिे षड्यंत्रों का िख्त मवरोि करें एवं अपने बच्चों को ऐिे
ममशनरी िंचामलत कु-पाठशालाओं में पढने भेज कर उनके भमवष् को अन्धकार में न िालें,
और दे श की स्वतं त्रता को खतरे में न दे लीं l

िमा पररवतान के ऐिे षड्यंत्रों िे स्वयं िाविान रहें और िम्पका में आने वालों को भी िाविान
करें l

मफर ये इिाई और इस्लाम वाले िमाां तरण के मलए इतना हाय तौबा क्यूँ मचाये मफरते हैं ?
मिफा िमाां तरण करने के मलए मवदे शी रुपयों और मजहाद के नाम पर आतंकी हमलों की बाढ़ क्यूँ
लगी है दे श में ?
िभी िमों को िमान मानने वाले िेकुलरों की औलादों के इि रवैये िे... बहुत नु क्सान होने वाला है
बन्धुओ.
ं ..
214
215

िैतदक काल में अस्त्रशस्त्रों का िगीकरि

(1) अमुिा - वे शस्त्र जो फेंके नहीं जाते थे।

(2) मुिा - वे शस्त्र जो फेंके जाते थे। इनके भी दो प्रकार थे -

 पामणमुिा, अथाा त् हाथ िे फेंके जानेवाले, और

 यंत्रमुिा, अथाा त् यंत्र द्वारा फेंके जानेवाले।

(3) मुिामुि - वह शस्त्र जो फेंककर या मबना फेंके दोनों प्रकार िे प्रयोग मकए जाते थे।

(4) मुििंमनवृत्ती - वे शस्त्र जो फेंककर लौटाए जा िकते थे।

प्राचीन आयाा वता के आयापुरुष अस्त्र-शस्त्र मवद्या में मनपुण थे। उन्ोंने अध्यात्म-ज्ञान के िाथ-िाथ
आतमतयों और दु ष्ट्ों के दमन के मलये िभी अस्त्र-शस्त्रों की भी िृमष्ट् की थी। आयों की यह
शक्ति िमा-थथापना में िहायक होती थी। प्राचीन काल में मजन अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग होता
था, उनका वणान इि प्रकार है -

 अस्त्र उिे कहते हैं , मजिे मन्त्रों के द्वारा दय री िे फेंकते हैं । वे अमि, गैि और मवद् युत
तथा याक्तन्त्रक उपायों िे चलते हैं ।
 शस्त्र ख़तरनाक हमथयार हैं , मजनके प्रहार िे चोट पहुूँ चती है और मृत्यु होती है । ये
हमथयार अमिक उपयोग मकये जाते हैं ।

1. अस्त्रों के तिभाग

अस्त्रों को दो मवभागों में बाूँ टा गया है - (1)वे आयुि जो मन्त्रों िे चलाये जाते हैं - ये दै वी हैं ।
प्रत्येक शस्त्र पर मभन्न-मभन्न दे व या दे वी का अमिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उिका
िंचालन होता है । वस्तुत: इन्ें मदव्य तथा माक्तन्त्रक-अस्त्र कहते हैं । इन बाणों के कुछ रूप
इि प्रकार हैं —

 आग्नेय यह मवस्फोटक बाण है । यह जल के िमान अमि बरिाकर िब कुछ भस्मीभयत


कर दे ता है । इिका प्रमतकार पजान्य है ।
 पजफन्य यह मवस्फोटक बाण है । यह जल के िमान अमि बरिाकर िब कुछ भस्मीभयत
कर दे ता है । इिका प्रमतकार पजान्य है ।
 िायव्य इि बाण िे भयंकर तयफान आता है और अन्धकार छा जाता है ।
 पन्नग इििे िपा पैदा होते हैं । इिके प्रमतकार स्वरूप गरुड़ बाण छोड़ा जाता है ।
 गरुड़ इि बाण के चलते ही गरुड़ उत्पन्न होते है , जो िपों को खा जाते हैं ।
216

 ब्रह्मास्त्र यह अचयक मवकराल अस्त्र है । शत्रु का नाश करके छोड़ता है । इिका प्रमतकार
दय िरे ब्रह्मास्त्र िे ही हो िकता है , अन्यथा नहीं।
 पाशुपि इििे मवश्व नाश हो जाता हैं यह बाण महाभारतकाल में केवल अजुान के पाि
था।
 िैष्णि—नारायिास्त्र यह भी पाशुपत के िमान मवकराल अस्त्र है । इि नारायण-अस्त्र
का कोई प्रमतकार ही नहीं है । यह बाण चलाने पर अक्तखल मवश्व में कोई शक्ति इिका
मुक़ाबला नहीं कर िकती। इिका केवल एक ही प्रमतकार है और वह यह है मक शत्रु
अस्त्र छोड़कर नम्रतापयवाक अपने को अमपात कर दे । कहीं भी हो, यह बाण वहाूँ जाकर ही
भेद करता है । इि बाण के िामने झुक जाने पर यह अपना प्रभाव नहीं करता।

इन दै वी बाणों के अमतररि ब्रह्ममशरा और एकामि आमद बाण है । आज यह िब बाण-मवद्या इि


दे श के मलये अतीत की घटना बन गयीं महाराज पृथ्वीराज के बाद बाण-मवद्या का िवाथा लोप
हो गया। (2) वे शस्त्र हैं , जो याक्तन्त्रक उपाय िे फेंके जाते हैं ; ये अस्त्रनमलका आमद हैं नाना
प्रकार के अस्त्र इिके अन्तगात आते हैं । अमि, गैि, मवद् युत िे भी ये अस्त्र छोिे जाते हैं ।
प्रमाणों की ज़रूरत नहीं है मक प्राचीन आया गोला-बारूद और भारी तोपें , टैं क बनाने में भी
कुशल थे। इन अस्त्रों के मलये दे वी और दे वताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये भयकंर
अस्त्र हैं और स्वयं ही अमि, गैि या मवद् युत आमद िे चलते हैं । यहाूँ हम कुछ अस्त्र-शस्त्रों का
वणान करते हैं , मजनका प्राचीन िंस्कृत-ग्रन्थों में उल्लेख है ।

 शल्जक् यह लंबाई में गजभर होती है , उिका हें िल बड़ा होता है , उिका मुूँह मिंह के
िमान होता है और उिमें बड़ी तेज जीभ और पंजे होते हैं । उिका रं ग नीला होता है
और उिमें छोटी-छोटी घंमटयाूँ लगी होती हैं । यह बड़ी भारी होती है और दोनों हाथों
िे फेंकी जाती है ।
 िोमर यह लोहे का बना होता है । यह बाण की शकल में होता है और इिमें लोहे का
मुूँह बना होता है िाूँ प की तरह इिका रूप होता है । इिका िड़ लकड़ी का होता है ।
नीचे की तरफ पंख लगाये जाते हैं , मजििे वह आिानी िे उड़ िके। यह प्राय: िे ढ़
गज लंबा होता है । इिका रं ग लाल होता है ।
 पाश ये दो प्रकार के होते हैं , वरुणपाश और िािारण पाश; इस्पात के महीन तारों को
बटकर ये बनाये जाते हैं । एक मिर मत्रकोणवत होता है । नीचे जस्ते की गोमलयाूँ लगी
होती हैं । कहीं-कहीं इिका दय िरा वणान भी है । वहाूँ मलखा है मक वह पाूँ च गज का
होता है और िन, रूई, घाि या चमड़े के तार िे बनता है । इन तारों को बटकर इिे
बनाते हैं ।
 ऋतष्ट यह िवािािारण का शस्त्र है , पर यह बहुत प्राचीन है । कोई-कोई उिे तलवार का
भी रूप बताते हैं ।
 गदा इिका हाथ पतला और नीचे का महस्सा वजनदार होता है । इिकी लंबाई ज़मीन िे
छाती तक होती है । इिका वजन बीि मन तक होता है । एक-एक हाथ िे दो-दो
गदाएूँ उठायी जाती थीं।
217

 मुद्गर इिे िािारणतया एक हाथ िे उठाते हैं । कहीं यह बताया है मक वह हथौड़े के


िमान भी होता है ।
 चि दय र िे फेंका जाता है ।
 िज्र कुमलश तथा अशामन-इिके ऊपर के तीन भाग मतरछे -टे ढ़े बने होते हैं । बीच का
महस्सा पतला होता है । पर हाथ बड़ा वजनदार होता है ।
 तत्शूल इिके तीन मिर होते हैं । इिके दो रूप होते है ।
 शूल इिका एक मिर नुकीला, तेज होता है । शरीर में भेद करते ही प्राण उड़ जाते हैं ।
 अतस तलवार को कहते हैं । यह शस्त्र मकिी रूप में मपछले काल तक उपयोग होता
रहा। पर मवमान, बम और तोपों के आगे उिका भी आज उपयोग नहीं रहा। पर हम
इि चमकने वाले हमथयार को भी भयल गये। लकड़ी भी हमारे पाि नहीं, तब तलवार
कहाूँ िे हो।
 खड् ग बमलदान का शस्त्र है । दु गाा चण्डी के िामने मवराजमान रहता है ।
 चन्द्रहास टे ढ़ी तलवार के िमान वक्र कृपाण है ।
 र्रसा यह कुल्हाड़ा है । पर यह युि का आयुि है । इिकी दो शक्लें हैं ।
 मुशल यह गदा के िदृश होता है , जो दय र िे फेंका जाता है ।
 धनुर्ष इिका उपयोग बाण चलाने के मलये होता है ।
 बाि िायक, शर और तीर आमद मभन्न-मभन्न नाम हैं ये बाण मभन्न-मभन्न प्रकार के होते
हैं । हमने ऊपर कई बाणों का वणान मकया है । उनके गुण और कमा मभन्न-मभन्न हैं ।
 पररघ में एक लोहे की मयठ है । दय िरे रूप में यह लोहे की छड़ी भी होती है और
तीिरे रूप के मिरे पर बजनदार मुूँह बना होता है ।
 तभल्जन्दपाल लोहे का बना होता है । इिे हाथ िे फेंकते हैं । इिके भीतर िे भी बाण
फेंकते हैं ।
 नाराच एक प्रकार का बाण हैं ।
 परशु यह छु रे के िमान होता है । भगवान परशुराम के पाि अक्सर रहता था। इिके
नीचे लोहे का एक चौकोर मुूँह लगा होता है । यह दो गज लंबा होता है ।
 कुण्टा इिका ऊपरी महस्सा हल के िमान होता है । इिके बीच की लंबाई पाूँ च गज
की होती है ।
 शंकु बछी भाला है ।
 पतट्टश एक प्रकार का कुल्हाड़ा है ।
 इिके मिवा वमश तलवार या कुल्हाड़ा के रूप में होती है ।

इन अस्त्रों के अमतररि अन्य अनेक अस्त्र हैं , मजनका हम यहाूँ वणान नहीं कर िके। भुशुण्डी
आमद अनेक शस्त्रों का वणान पुराणों में है । इनमें मजतना स्वल्प ज्ञान है , उिके आिार पर उन
िबका रूप प्रकट करना िम्व नहीं।[१]

आज हम इन िभी अस्त्र-शस्त्रों को भयल गये । हम भगवान श्री राम के हाथ में िनुष-बाण और
भगवान श्री कृष्ण के हाथ में िुदशान चक्र, महादे व के हाथ में मत्रशय ल और दु गाा के हाथ में
खड़ग दे खकर भी उनके भि बनते हैं । पर मनबाल, कायर और भीरू पुरुष क्ा भगवान
श्रीराम, श्रीकृष्ण और दु गाा के भि बन िकते हैं ? क्ा रामायण, गीता और दु गाा िप्तशती केवल
पाठ करने के ही ग्रन्थ हैं ? महाभारत में, जहाूँ उन्ोंने अजुान को गीतामृत के द्वारा रण में जयझने
218

के मलये उद्यत मकया था। आवश्यकता है मक रण में कभी पीठ न मदखाने वाले भगवान
श्रीरामचन्द्र, िुदशानचक्रिारी योगेश्वर श्रीकृष्ण और महामाया दु गाा को हम कभी न भयलें।
219

क्या गां धी राष्टरतपिा है ाँ !

क्या गांधी राष्टरतपिा है ाँ !

गां िी के कट्टर भि, भारत की केक्तन्द्रय िरकार और कुछ हमारे अपने भारतवािी जो भारत की
िंस्कृमत और इमतहाि िे अनमभज्ञ है ूँ गां िी जी को राष्ट्रमपता कहते है ूँ । गां िी भी अपने आपकोूँ
राष्ट्रमपता कहलाने मे ूँ गवा का अनुभव करते थे । भारि एक सनािन राष्टर है ाँ और यहााँ की
संस्कृति अरबो ाँ िर्षफ पुरानी है ाँ । इससे पुराना राष्टर तिश्व मे ाँ कोई दू सरा नही ाँ है ,ाँ िो तर्र
इसका तपिा अट्ठारहिी ाँ - उन्नीसिी ाँ ईसाई सदी मे ाँ कैसे पैदा हो सकिा है ाँ ! यह महान
आियफ की बाि है तक अरबो ाँ िर्षो से यह राष्टर तबना तपिा के कैसे चल रहा था ?

राष्ट्रमपता की अविारणा पािात्य मैकालेवाद की दे न है ूँ । भारत की िंस्कृमत तो पृथ्वी को, जन्म


भयमम को माता के रूप मे ूँ दे खती है ूँ और अपने आपकोूँ उिका पुत्र मानती है ूँ । यमद हम
पािात्य अविारणा पर ही मवचार करे ूँ , तो जो अन्न, मवद्या और िुमशक्षा आमद का दान दे कर
पालन - पोषण और रक्षण करता है ,ूँ वही ूँ मपता कहलाता है ूँ । तो क्ा गां िी ने शास्त्र की
आज्ञानुिार इि राष्ट्र का पोषण और रक्षण मकया था जो वह राष्ट्रमपता हुये ? जबमक वास्तव मे ूँ
गां िी एक ऐिे अमहूँ िक हत्यारे थे मजन्ोूँने अपने मनजी स्वाथा के मलये स्वतं त्र अखण्ड भारत के
उपािक िच्चे दे शभिो ूँ को नष्ट् कराया और बाद मे ूँ भारत माता को भी टु किोूँ मे ूँ मवभामजत
करा मदया । यमद गां िी चाहते तो पामकस्तान नही ूँ बनता ।

गां िी इि राष्ट्र के मपता है ,ूँ तो यह राष्ट्र उनका पु त्र हुआ और जो अपने पुत्र के टु किे करा दे ूँ,
वह पुत्र का रक्षक हुआ या भक्षक ? वास्तव मे ूँ गां िी इि राष्ट्र के मपता तो क्ा पुत्र कहलाने के
लायक भी नही ूँ थे, क्ोूँमक पुत्र वह होता है ूँ जो अपने मपता को दु गामत िे बचाता है ूँ । आधुतनक
भारि राष्टर की दु गफति करने िाले ही तसर्फ गांधी थे, इसतलए िे इस राष्टर के तपिा िो क्या,
पुत् भी कहलाने के अतधकारी नही ाँ है ाँ ।
220

राष्टरिाद और आिंकिाद - कांग्रेस का सां प्रदातयक चेहरा

वतामान पररक्तथथमतयों में राजनीमत एक छल है कपट है िोखा है फरे ब है ... िब ममल कर


क्तथथमतयं पैशामचक बन चु की हैं l

राजनीमत के कपत्पयनौर आिम्बरयुि वातावरण िे दे श की जनता अब ऊब चुकी है l राष्ट्र


मचन्तन कर रहा है की आज वह इन िब पैशामचक पररक्तथथमतयों िे कैिे बाहर मनकले l आज
राजनीमत का पैशामचक और अमानवीय रूप हमारे िामने मदनों मदन नए नए उदाहरन लेकर
िामने आ रहा है l एक के बाद एक राष्ट्र-भि िनातन िमीयों को आतं कवादी कह कह कर
मनशाना बनाया जा रहा है वह हमारे िामने है l

िन 2010 के दौरान कां ग्रेि के नेताओं चाहे वह पीं पीं मछ-दम्बरम हों, मयरख जी हों, मबगड़ जी
हों, DogVijay हों, GayAndhi हों या कां ग्रेि के अन्य िलीमशाही जयमतयाूँ चाटने वाले मजतने भी
छु टभैय्ये नेता हों, िभी ने एक के बाद एक िनातन िमा को बदनाम करने का एक िोचा
िमझा ममशन प्रारम् कर मदया है गया है l ये ममशन घयम मफर कर अरब और वेमटकन की
िुरी पर ही जाकर खत्म होते प्रतीत होते हैं l

इि मवषय पर िबिे पहले ग्रहमंत्री पी-मचदं बरम ने भगवा आतंकवाद का ममथक खिा करने
का प्रयाि मकया l

उिके बाद मदग्गी रं क ने भगवा और आतंकवाद को जोड़ मदया l

मफर Raul Vinci ने तो िातवीं कक्षा के अनपढ़ वाली बात कह दी और िं घ की तुलना


प्रमतबंमित आतं कवादी िं गठन मिमी और इं मियन मुजामहद्दीन िे कर िाली l

इििे पहले अब्दु ल रहमान अंतुले ने भी हे मंत करकरे की शहादत का मजाक उड़ाते हुए
उिकी हत्या के मलए िनातन िमा के िंगठनों की और इशारा मकया l

हद तो तब हो गई जब Raul Vinci ने अमरीकी राजदय त मटमोथी रोमर िे भारत की आं तररक


िुरक्षा पर बात करते हुए भगवा आतंकवाद को लश्कर-ए-तयेबा िे भी ज्यादा खतरनाक
बताया l

WikiLeaks ने भी खुलािा कर िाला की कां ग्रेि ने मुंबई हमलों के बाद मजहबी राजनीमत का
लाभ उठाया l
221

इस्लाममक आतंकवाद की एमतहामिक गाथाओं में कभी भी हरा आतंकवाद की पररभाषा नही
दी गई l

न ही वेमटकन िममथात िफेद या नीले को कभी पररभामषत मकया गया l

नहीं चीन िममथात लाल झंिों को .... क्तय्ददी होती तो शायद आज बंगाल और केवल की
क्तथथमत इतनी दयनीय और पैशामचक न होती l

कां ग्रेि के पाि जो कुछ था उिने दे मदया ....

िैचाररक दृतष्ट से कांग्रेस पूिफिया ख़त्म हो चुकी, अब स्विंत्िा पिाि से अब िक की


उसकी नीतियों के पीछे का सांप्रदातयक चेहरा सामने आ चुका है ल इतिहास अपने
आपको दोहरािा अिश्य है ये कई जगह पढ़ा था और तिश्वास था की दोहराया जायेगा
और अब ..... शायद इसकी शुरुआि की जा चुकी है l

भारि में िांतिकाररयों से सदै ि छल तकया गया .... अतहंसा हमारा परम धमफ रहा है
परन्तु राष्टर-तनमाफि और धमफ-तिकास हेिु शांिी के पौधों को भी रक् से सी ंचना पड़िा है
l

भगवा पर आतंकवाद का ठप्पा लगाने की मुहीम िबिे पहले गंिािुर नेहरु जैिे िलीमशाही
जयमतयाूँ चाटने वालों ने ही प्रारं भ मकया था, और मफर कुछ और िलीमशाही जयमतयाूँ चाटने वाले
बुक्तिजीमवयों को लाल झंिे, हरे झंिे ...िफेद झंिे के तहत मबकवा कर उनिे कदम कदम
कर िनातन िमा के शौया के प्रतीकों पर ठप्पा लगाया गया l

िन 1926 की एक घटना आपके िामने रख रहा हूूँ :

परमवीरगमत को प्राप्त शय रवीर चन्द्रशेखर मतवारी 'आज़ाद' अन्ग्रेजों की नजरों िे बचकर दु रात्मा
गंिािुर 'गाूँ िी' िे ममले, और उन्ोंने केवल इतना ही कहा :
222

"बापू आपके प्रति हमारे तदलों में बड़ा सम्मान है और सारा राष्टर आपका सम्मान करिा
है, आप कृपया हम पर एक उपकार कर दें ... अपने व्यल्जक्गि सम्बोधनों में हमे
"आिंकिादी" न कहा करें , इससे हमे दु ःख होिा है l"

गंिािुर ने कहा " तुम्हारा मागा महं िा का है , और महं िा का अवलम्बन लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति
मेरी नजर में आतंकवादी है l "

चन्द्रशेखर मतवारी 'आज़ाद' वामपि आ गए l चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत मिंह, िुखदे व, राजगुरु, राम
प्रिाद मबक्तस्मल आमद िब दु रात्मा गंिािुर की नजरों में आतंकवादी थे , मजन्ें अक्सर मागा िे
भटका हुआ कहा जाता था गंिािुर के द्वारा , और इिी श्रेणी में छत्रपमत मशवाजी, महाराणा
प्रताप, वीर दु गाा दाि, दशम गुरु गोमबंद मिंह जी को भी रखा गया l

जो गंिािुर के अनुयायी थे वो गंिािुर और नेहरु के प्रभाव में क्रां मतकाररयों को तो हे दृमष्ट् िे


दे खते थे, परन्तु जब येही अमहं िक मकिी घटनाकमा में मब्रमटश पुमलि प्रशािन की क्रयरता का
कोपभाजन बनती थी तो यही मब्रमटश पुमलि उनको पीत पीत कर बेहाल कर दे ती थी ...
मजनका िाथ दे ने वालों में कुछ तथाकमथत िलीमशाही जयमतयाूँ चाटने वाले अभारतीय हवलदार
'ठु ल्ले ' भी शाममल होते थे l

इन अत्याचारों का क्रां मतकाररयों पर मवपरीत प्रभाव पड़ता था .... हैं तो भारतीय ही ...
भले ही अंिे िही l

उि िमय के लाखों वैचाररक अंिे कहीं न कहीं कायर परन्तु मकिी न मकिी दृमष्ट्कोण िे
नपुंिक भी हो चुके थे l

ऐिी ही एक घटना है चन्द्रशेखर मतवारी 'आज़ाद' जी की ... घटना वाराणिी िे है :

वाराणिी में ऐिे एक अमहं िक को जो ित्याग्रह पर बैठा था, उिे कुछ मब्रमटश पुमलि के
िलीमशाही ठु ल्ले बबारता िे पीट रहे थे , उिे मपटते दे ख कर आज़ाद जी की आत्मा मवद्रोह कर
गई l

पहले तो िलीमशाही ठु ल्लों की दे शद्रोही ताकत िे मब्रमटश पुमलि ने उि ित्याग्रही को पीता,


मफर उिे अनमगनत गामलयाूँ दीं और मफर उिे नंगा कर मदया गया .... उल्लेखपयणा है की
223

मजिमे िबिे िुंदर गाली भी दी गई थीं.... "You Indian" जो की आज िम्मान का और गवा


का वश्य बन चयका है .. जैिे की कुछ लोग आज बहुत शान िे कहते हैं ... I AM PROUD
TO BE AN INDIAN ....

जब उस सत्याग्रही की मााँ और बाप से से ररश्ते जोड़िे अंग्रेज और सलीमशाही ठु ल्ले


गंधासुर 'बापू ' को भी गातलयााँ दे ने लगे िो चन्द्रशेखर तििारी 'आजाद' ने एक बड़ा पत्थर
लेकर एक दमनकारी का सर र्ोड़ तदया, अंग्रेजों ने उन्ें तगरफ्तार तकया, उन पर
सलीमशाही ठु ल्लों ने कोड़ों की बाररश की.... और हर कौड़े पर आजाद तजय्ही कहिे
थे की ... "तजल्लि की तजन्दगी से िो मौि बेहिर है "

मैं भारत के युवा लिके - लड़मकयों और मदों - ममहलों िे एक ही प्रश्न करना चाहता हूूँ :

अंग्रेजों और िलीमशाही जयमतयाूँ चाटने वाले दे शद्रोही ठु ल्लों की लामठयां खाना, उनके लात जयते
खाना, उनकी मनहायत ही गन्दी गन्दी गामलयाूँ खाकर, उनके कौड़े खाकर, मयंह नीचा मकये
...हाय हाय कह कर मचल्लाते हुए मर जाना बेहतर था या ... पैशामचक अत्याचार के
मवरोि में खिा होना उमचत था l अपने दे श को गुलामी िे आज़ाद करवाने के मलए ....
उनकी भावनाएं क्ा इतनी बुरी थीं की आज की पीढी उन्ें आतंकवादी पढ़ कर भी कुछ नहीं
कहती l

भगत मिंह और बटु केश्वर दत्त अिेम्बली के बाहर चरखा लेकर नहीं गए थे , और ना ही उन्ोंने
अिेम्बली के बाहर "वैष्णव जन तेने कमहये " जैिी कोई गुहार लगाईं थी l उन्ोंने मकिी की
हत्या भी नही की थी और न ही करना चाहते थे, उनके हाथ में बम था मजिकी गयूँज उि मदन
लाहौर िे लन्दन तक गयंजी थी ... जो बम फौड़ा गया था उििे केवल िमाका मकया गया
था... केवल िमाका l

उिमे न कां च के टु कड़े थे, न कीलें, न ब्लेि के टु कड़े .... कुछ भी नही था l

िारा जीवन लड़े पर शयरवीरों की भां मत l

भगत मिंह, राजगुरु, िुखदे व, आज़ाद जी, नेताजी, राम प्रिाद मबक्तस्मल आमद िब परमवीरगमत को
प्राप्त हो गए और माूँ भारती का आशीवाा द पा गए ... पर भारत की उबलती जवानी को
एक िंदेश दे गये

"मर कर भी न जाएगी, मदल िे वफा की उल्फत

मेरी ममटटी िे भी खुशबय -ए-वतन आयेगी "


224

मेरा रं ग दे बिं ती चोला की गयूँज कश्मीर िे कन्या कुमारी तक गयंजी और िनातन इमतहाि में
िदै व गयंजती रहे गी l

आप 1930 से लेकर 1947 िक का ही स्विन्त्रिा संग्राम का इतिहास तकसी ऐसे लेखक या


लेखनी का पढ़ें जो लाल, सर्ेद हरे झंडे के पैसों के आगे तबका न हो .... िो आपकी
आत्मा िांतिकाररयों के साथ हुए अन्याय से चीत्कार उठे गी ..... आप घबरा जायेंगे l

क्योंतक सलीमशाही जूतियााँ चार्टने िाले बुल्जद्धजीतियों ने िो इतिहास का बलात्कार ही


तकया है हर कदम पर l तजन्ें बदले में तिदे शी नागररकिा, बे-तहसाबी पैसा और तिश्व
प्रतसद्ध इतिहासकारों का प्रमािपत् िक भी तदया गया .... ऐसे िथा कतथि पोप और
सलीम शाही जूतियों को चार्टने िालों मे रोतमला थापर और अरुंधिी रॉय का नाम सबसे
ऊपर आयेगा l

कौन कौन जानता है की भारत की स्वतंत्रता के मलए अपनी अलग र्फौज बनाने वाले नेताजी के
नाम पर गंिािुर और नेहरु ने ममल कर एक वारं ट जारी मकया था जो आज भी वामपि नहीं
मलया गया है आज भी वै द्य है l स्वतन्त्रता िे पहले मजतने भी अंग्रेजी िाम्राज्य के अपरािी थे
उन्ें मगरफ्तार कर मब्रटे न को िौंपने की शता रखी गई थी ... जो की मान ली गई
ित्तालोलुपों नेहरु-गां िी के द्वारा l

कौन कौन जानता है की भगत मिंह,िुखदे व राजगुरु की फंिी की िजा 24 माचा 1931 के मदन
तय की गई थी, परन्तु उन्ें 23 माचा को ही फंिी दे दी गई थी ... और बाद में उनके शव
को मनमामता और नृशंि रूप िे काट काट के टु कड़े टु कड़े टु कड़े कर के ... रावी नदी में
बहा मदया गया था l

गंधासुर नेहरु आतद के साथ क्या हुआ... ये सबने अपने अपने स्कूलों में पढ़ा होगा
... परन्तु िांतिकाररयों के साथ क्या क्या हुआ, उनके शौयफ का कहााँ कहााँ एतिहातसक
बलात्कार तकया गया .. सलीमशाही जूिीयां चार्टने िाले बुल्जद्धजीतियों िारा... कोई नही ं
जनिा l
225

इन िलीमशाही दे शद्रोमहयों द्वारा जो व्यवथथा बनाई गई उिके अंतगात राष्ट्रवादी शौया के प्रतीकों
और उनके पररवारों को मकन मकन कमठनाइयों का िामना करना पिा, उनकी आमथाक क्तथथमत
क्ा रही ये कोई नहीं जानता l मुफ्त की आजादी ने आज की पीढी को इि कदर िंस्कृमत िे
काट मदया है की उनमे िे अच्छे बुरे में अंतर करने की िमझ भी ख़त्म हो चुकी है l

वतामान पररक्तथथमतयों में ऐिे राजनीमतज्ञों द्वारा बनाई गई व्यवथथा को पैशामचक ही कहा जा
िकता है ....

और सनािन संस्कृति के अनुसार तशतक्षि दीतक्षि आयफ चािक्य, महात्मा तिदु र, की


राजनीति का लोहा भी दु तनया ने माना है , तजनमे राष्टर-प्रेम के प्रति प्रेम कूर्ट कूर्ट कर
भरा हुआ था
226

'INDIAN' शब्द का अथफ ! - Do You Really Proud ...to be an 'INDIAN' ?


by Lovy Bhardwaj on Friday, April 1, 2011 at 3:27am ·

' इं मिया ' और INDIAN शब्द का अथा --

कई लोग इिे मिंिु - महं दु - इं िय - इं मिया का मववतान मानते हैं , जो मबिुल भ्रामक है ।

अमेररका के मूल तनिातसयों को इं तडयन कहा जािा है(ज्ञािव्य हो तक गोरों ने उन्ें गुलाम
बनाकर अमेररका बसाया था) -िहााँ तसंधु का क्या काम?

इं डोचीन, इं डोनेतशया, िेस्टइं डीज, ईस्टइं डीज आतद शब्दों में तसंधु क्या कर रहा है ?

इं तडयन शब्द शिप्रतिशि गुलामी का प्रिीक है नर्रि भरा शब्द है -ईसाइयों में जो लोग
चचफकी मान्यिाओं के

अनुसार तििाह नही ं करिे उन्ें 'इं तडयन' कहा जािा है ।

इिके िमानाथाक गैरइिाई , मविमी और कामफर शब्द हैं , पर 'इं मियन' शब्द में इन शब्दों िे
मभन्न घृणा और मतरस्कार का

कुमटल भाव है । मजन लोगों को अंग्रेजों ने गुलाम बनाया वे िबके िब एमशया, अमेररका और
अफ्रीका के काले लोग थे मजनको गोरे महकारत की नज़र िे दे खते थे । यह बाि सोलह
आने सही है क्योंतक पराधीन भारि में गोरे हमें और अन्य काले गुलामों को 'ब्लडी
इं तडयन डॉग्स ' की गाली दे िे थे और गाली खानेिाले ईसाई नही ं थे । इिमलए 'इं िो '
उपिगा वाले शब्द उन कई दे शों में ही पाये जाते हैं जो अंग्रेजों के उपमनवेश थे ।
227

मुिलमानों के मलए ईिाइयों को इि शब्द का प्रयोग करने की महम्मत नहीं हुई क्ोंमक मकिी
िमय ययरोप में इस्लाम की तयती बोलती थी और वहाूँ उनका खौफ था ।

इिमलए 'इं मियन' शब्द में कहीं कोई गवा करने वाली बात नहीं है , बक्ति यह तो एक भद्दी
गाली है मजिे (हमारा दु भाा ग्य है ! ) हम अपनी शान िमझते हैं ।

प्रमाण के मलए ममत्रगण ऑक्सफोिा का प्राचीनतम शब्द कोष दे ख िकते हैं ।

ये वो शब्दकोश है जो पय री दु मनया में िबिे ज्यादा मबकता है , और शायद दे व-भयमम भारत पर


ही ये िबिे ज्यादा घिीटा जाता है , मगर इिकी िच्चाई आजाप दे क्तखये की आपके लाखों वषा
पुराने इमतहाि को ये मकि प्रकार मछन्न मभन्न कर रहा है l िनातन भाषा िंस्कृत - मजि
िंस्कृत िे िमस्त मवश्व की भाषों का मनमाा ण हुआ =, उिी िनातन िमा की भाषा िंस्कृत िे ही
English - अंग्रेजी का भी जन्म हुआ, मगर आज मविं बना दे क्तखये की न तो उि अंग्रेजी भाषा के
शब्द कोष में कहीं "भारत" नाम को जगह ममलती है और नहीं "िनातन" को .......

आज अगर मुझिे मकिी के नाम का उच्चारण ठीक िे नहीं हो पाता ... तो क्ा मैं उिका
नाम बदल दय ं ?

अंग्रेज - ह्न्ग्रेज

गाूँ िी - गंिािुर

England - Dogland

बां ग्लादे श - अखंि बंगाल - अमवभाज्य बंगाल

अमरीका - काला टीका

Britain - Pigtale
228

Pakistan - Porkistan या .... पूिफ उत्तर पतिमी भारिीय भू-खंड

यह िब भी मान्य हो िकता है , यमद आप िब आज िे ही बदलाव लाना प्रारम् करें , आज िे


कुछ िमय बाद एि हो िकता है l

आप क्ा कहते हैं ? क्ा आप इिे बदलना पिं द करें गे ? ..................... कैिे ?
229

मुहम्मद पै गम्बर खुद जन्मजाि तहं दु था और काबा एक तहन्दू मल्जन्दर

मुिलमान कहते हैं मक कुराण ईश्वरीय वाणी है तथा यह िमा अनामद काल िे चली आ रही
है ,परं तु इनकी एक-एक बात आिारहीन तथा तकाहीन हैं -िबिे पहले तो ये पृथ्वी पर मानव
की उत्पमत्त का जो मििान्त दे ते हैं वो महं दु िमा-मििान्त का ही छाया प्रमत है .हमारे ग्रंथ के
अनुिार ईश्वर ने मनु तथा ितरूपा को पृथ्वी पर िवा -प्रथम भेजा था..इिी मििान्त के अनुिार
ये भी कहते हैं मक अल्लाह ने िबिे पहले आदम और हौआ को भेजा.ठीक है ...पर आदम
शब्द िंस्कृत शब्द "आमद" िे बना है मजिका अथा होता है -िबिे पहले.यमन पृथ्वी पर िवाप्रथम
िंस्कृत भाषा अक्तस्तत्व में थी..िब भाषाओं की जननी िंस्कृत है ये बात तो कट्टर मुक्तस्लम भी
स्वीकार करते हैं ..इि प्रकार आमद िमा-ग्रंथ िं स्कृत में होनी चामहए अरबी या फारिी में नहीं.

इनका अल्लाह शब्द भी िंस्कृत शब्द अल्ला िे बना है मजिका अथा दे वी होता है .एक
उपमनषद भी है "अल्लोपमनषद". चण्डी,भवानी,दु गाा ,अम्बा,पावाती आमद दे वी को आल्ला िे
िम्बोमित मकया जाता है .मजि प्रकार हमलोग मंत्रों में "या" शब्द का प्रयोग करते हैं दे मवयों
को पुकारने में जैिे "या दे वी िवाभयतेषु....", "या वीणा वर ...." वैिे ही मुिलमान भी
पुकारते हैं "या अल्लाह"..इििे मिि होता है मक ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह
गया बि अथा बदल मदया गया.

चयूँमक िवाप्रथम मवश्व में मिफा िंस्कृत ही बोली जाती थी इिमलए िमा भी एक ही था-वैमदक
िमा.बाद में लोगों ने अपना अलग मत और पंथ बनाना शुरु कर मदया और अपने िमा(जो
वास्तव में मिफा मत हैं ) को आमद िमा मिि करने के मलए अपने मििान्त को वैमदक मििान्तों
िे मबिुल मभन्न कर मलया तामक लोगों को ये शक ना हो मक ये वैमदक िमा िे ही मनकला
नया िमा है और लोग वैमदक िमा के बजाय उि नए िमा को ही अमद िमा मान ले..चयूँमक
मुक्तस्लम िमा के प्रवत्ताक बहुत ज्यादा गम्ीर थे अपने िमा को फैलाने के मलए और ज्यादा िरे
हुए थे इिमलए उिने हरे क मििान्त को ही महं दु िमा िे अलग कर मलया तामक िब यही िमझें
मक मुिलमान िमा ही आमद िमा है ,महं दु िमा नहीं..पर एक पुत्र मकतना भी अपनेआप को अपने
मपता िे अलग करना चाहे वो अलग नहीं कर िकता..अगर उिका िी.एन.ए. टे स्ट मकया
जाएगा तो पकड़ा ही जाएगा..इतने ज्यादा मदनों तक अरमबयों का वैमदक िंस्कृमत के प्रभाव में
रहने के कारण लाख कोमशशों के बाद भी वे िारे प्रमाण नहीं ममटा पाए और ममटा भी नही
िकते ....

भाषा की दृमष्ट् िे तो अनमगणत प्रमाण हैं यह मिि करने के मलए मक अरब इस्लाम िे पहले
वैमदक िंस्कृमत के प्रभाव में थे .जैिे कुछ उदाहरण-मक्का-मदीना,मक्का िंस्कृत शब्द मखिः िे
बना है मजिका अथा अमि है तथा मदीना मेमदनी िे बना है मजिका अथा भयमम है ..मक्का
मदीना का तात्पया यज्य की भयमम है .,ईद िंस्कृत शब्द ईि िे बना है मजिका अथा पयजा होता
है .नबी जो नभ िे बना है ..नभी अथाा त आकाशी व्यक्ति.पैगम्बर "प्र-गत-अम्बर" का अपभ्रंश
है मजिका अथा है आकाश िे चल पड़ा व्यक्ति..
230

चमलए अब शब्दों को छोड़कर इनके कुछ रीमत-ररवाजों पर ध्यान दे ते हैं जो वैमदक िंस्कृमत
के हैं --

ये बकरीद(बकर+ईद) मनाते हैं ..बकर को अरबी में गाय कहते हैं यमन बकरीद गाय-पयजा का
मदन है .भले ही मुिलमान इिे गाय को काटकर और खाकर मनाने लगे..

मजि तरह महं दु अपने मपतरों को श्रिा-पयवाक उन्ें अन्न-जल चढ़ाते हैं वो परम्परा अब तक
मुिलमानों में है मजिे वो ईद-उल-मफतर कहते हैं ..मफतर शब्द मपतर िे बना है .वैमदक
िमाज एकादशी को शुभ मदन मानते हैं तथा बहुत िे लोग उि मदन उपवाि भी रखते हैं ,ये
प्रथा अब भी है इनलोगों में.ये इि मदन को ग्यारहवीं शरीफ(पमवत्र ग्यारहवाूँ मदन) कहते
हैं ,मशव-व्रत जो आगे चलकर शेबे-बरात बन गया,रामध्यान जो रमझान बन गया...इि तरह िे
अनेक प्रमाण ममल जाएूँ गे ..आइए अब कुछ महिपयणा मबंदुओं पर नजर िालते हैं ...

अरब हमेशा िे रे मगस्तानी भयमम नहीं रहा है ..कभी वहाूँ भी हरे -भरे पेड़-पौिे लहलाते थे,लेमकन
इस्लाम की ऐिी आूँ िी चली मक इिने हरे -भरे रे मगस्तान को मरुथथल में बदल मदया.इि बात
का िबयत ये है मक अरबी घोड़े प्राचीन काल में बहुत प्रमिि थे..भारतीय इिी दे श िे घोड़े
खरीद कर भारत लाया करते थे और भारतीयों का इतना प्रभाव था इि दे श पर मक उन्ोंने
इिका नामकरण भी कर मदया था-अबा-थथान अथाा त घोड़े का दे श.अबा िं स्कृत शब्द है
मजिका अथा घोड़ा होता है . {वैिे ज्यादातर दे शों का नामकरण भारतीयों ने ही मकया है जैिे
मिंगापुर,क्वालालामपुर,मलेमशया,ईरान,ईराक,कजामकथथान

,तजामकथथान,आमद..} घोड़े हरे -भरे थथानों पर ही पल-बढ़कर हृष्ट्-पुष्ट् हो िकते हैं बालय वाले
जगहों पर नहीं..

इस्लाम की आूँ िी चलनी शुरु हुई और मुहम्मद के अनुयामययों ने िमा पररवत्तान ना करने वाले
महं दुओं का मनदा यता-पयवाक काटना शुरु कर मदया..पर उन महं दुओं की परोपकाररता और
अपनों के प्रमत प्यार तो दे क्तखए मक मरने के बाद भी पेटरोमलयम पदाथों में रुपां तररत होकर
इनका अबतक भरण-पोषण कर रहे हैं वनाा ना जाने क्ा होता इनका..!अल्लाह जाने ..!

चयूँमक पयरे अरब में मिफा महं दु िंस्कृमत ही थी इिमलए पयरा अरब मंमदरों िे भरा पड़ा था मजिे
बाद में लयट-लयट कर मक्तिद बना मलया गया मजिमें मुख्य मंमदर काबा है .इि बात का ये एक
प्रमाण है मक दु मनया में मजतने भी मक्तिद हैं उन िबका द्वार काबा की तरफ खुलना चामहए
पर ऐिा नहीं है .ये इि बात का िबयत है मक िारे मंमदर लयटे हुए हैं ..इन मंमदरों में िबिे
प्रमुख मंमदर काबा का है क्ोंमक ये बहुत बड़ा मंमदर था.ये वही जगह है जहाूँ भगवान मवष्णु
का एक पग पड़ा था तीन पग जमीन नापते िमय..चयूँमक ये मंमदर बहुत बड़ा आथथा का केंद्र
था जहाूँ भारत िे भी काफी मात्रा में लोग जाया करते थे ..इिमलए इिमें मुहम्मद जी का
िनाजान का स्वाथा था या भगवान मशव का प्रभाव मक अभी भी उि मंमदर में िारे महं दु-रीमत
ररवाजों का पालन होता है तथा मशवमलंग अभी तक मवराजमान है वहाूँ ..यहाूँ आने वाले
231

मुिलमान महं दु ब्राह्मण की तरह मिर के बाल मुड़वाकर मबना मिलाई मकया हुआ एक कपड़ा
को शरीर पर लपेट कर काबा के प्रां गण में प्रवे श करते हैं और इिकी िात पररक्रमा करते
हैं .यहाूँ थोड़ा िा मभन्नता मदखाने के मलए ये लोग वैमदक िंस्कृमत के मवपरीत मदशा में पररक्रमा
करते हैं अथाा त महं दु अगर घड़ी की मदशा में करते हैं तो ये उिके उल्टी मदशा में..पर वैमदक
िंस्कृमत के अनुिार िात ही क्ों.? और ये िब मनयम-कानयन मिफा इिी मक्तिद में क्ों?ना तो
िर का मुण्डन करवाना इनके िंस्कार में है और ना ही मबना मिलाई के कपड़े पहनना पर ये
दोनो मनयम महं दु के अमनवाया मनयम जरुर हैं .

चयूँमक ये मक्तिद महं दुओं िे लयटकर बनाई गई है इिमलए इनके मन में हमेशा ये िर बना रहता
है मक कहीं ये िच्चाई प्रकट ना हो जाय और ये मंमदर उनके हाथ िे मनकल ना जाय इि
कारण आवश्यकता िे अमिक गुप्तता रखी जाती है इि मक्तिद को लेकर..अगर दे खा जाय तो
मुिलमान हर जगह हमेशा िर-िर कर ही जीते हैं और ये स्वभामवक भी है क्ोंमक इतने
ज्यादा गलत काम करने के बाद िर तो मन में आएगा ही...अगर दे खा जाय तो मुिलमान
िमा का अिार ही िर पर मटका होता है .हमेशा इन्ें छोटी-छोटी बातों के मलए भयानक नका
की यातनाओं िे िराया जाता है ..अगर कुरान की बातों को ईश्वरीय बातें ना माने तो
नरक,अगर तका-मवतका मकए तो नका अगर श्रिा और आदरपयवाक मकिी के िामने िर झुका
मदए तो नका.पल-पल इन्ें िरा कर रखा जाता है क्ोंमक इि िमा को बनाने वाला खुद िरा
हुआ था मक लोग इिे अपनायेंगे या नहीं और अपना भी लेंगे तो मटकेंगे या नहीं इिमलए लोगों
को िरा-िरा कर इि िमा में लाया जाता है और िरा-िरा कर मटकाकर रखा जाता है ..जैिे
अगर आप मुिलमान नहीं हो तो नका जाओगे,अगर मयमत्ता -पयजा कर मलया तो नका चल
जाओगे,मुहम्मद को पैगम्बर ना माने तो नका;इन िब बातों िे िराकर ये लोगों को अपने िमा
में खींचने का प्रयत्न करते हैं .पहली बार मैंने जब कुरान के मििान्तों को और स्वगा-नरक की
बातों को िुना था तो मेरी आत्मा काूँ प गई थी..उि िमय मैं दिवी ं कक्षा में था और अपनी
स्वेच्छा िे ही अपने एक मवज्यान के मशक्षक िे कुरान के बारे में जानने की इच्छा व्यि की
थी..उि मदन तक मैं इि िमा को महं दु िमा के िमान या थोड़ा उपर ही िमझता था पर वो
िब िुनने के बाद मेरी िारी भ्रां मत दय र हुई और भगवान को लाख-लाख िन्यवाद मदया मक मुझे
उन्ोंने महं दु पररवार में जन्म मदया है नहीं पता नहीं मेरे जैिे हरे क बात पर तका-मवतका करने
वालों की क्ा गमत होती...!

एक तो इि मंमदर को बाहर िे एक मगलाफ िे पयरी तरह ढककर रखा जाता है ही(बालय की


आूँ िी िे बचाने के मलए) दय िरा अंदर में भी पदाा लगा मदया गया है .मुिलमान में पदाा प्रथा
मकि हद तक हावी है ये दे ख मलमजए.औरतों को तो पदे में रखते ही हैं एकमात्र प्रमुख और
मवशाल मक्तिद को भी पदे में रखते हैं .क्ा आप कल्पना कर िकते हैं मक अगर ये मक्तिद
मंमदर के रुप में इि जगह पर होता जहाूँ महं दु पयजा करते तो उिे इि तरह िे काले-बुके में
ढक कर रखा जाता रे त की आूँ िी िे बचाने के मलए..!! अंदर के दीवार तो ढके हैं ही उपर
छत भी कीमती वस्त्रों िे ढके हुए हैं .स्पष्ट् है िारे गलत काया पदे के आढ़ में ही होते हैं
क्ोंमक खुले में नहीं हो िकते ..अब इनके िरने की िीमा दे क्तखए मक काबा के ३५ मील के
घेरे में गैर-मुिलमान को प्रवेश नहीं करने मदया जाता है ,हरे क हज यात्री को ये िौगन्ध मदलवाई
जाती है मक वो हज यात्रा में दे खी गई बातों का मकिी िे उल्लेख नहीं करे गा.वैिे तो िारे
232

यामत्रयों को चारदीवारी के बाहर िे ही मशवमलंग को छयना तथा चयमना पड़ता है पर अगर मकिी
कारणवश कुछ मगने-चुने मुिलमानों को अं दर जाने की अनुममत ममल भी जाती है तो उिे
िौगन्ध मदलवाई जाती है मक अंदर वो जो कुछ भी दे खेंगे उिकी जानकारी अन्य को नहीं
दें गे..

कुछ लोग जो जानकारी प्राप्त करने के उद्दे श्य िे मकिी प्रकार अंदर चले गए हैं ,उनके अनुिार
काबा के प्रवेश-द्वार पर काूँ च का एक भव्य द्वीपिमयह लगा है मजिके उपर भगवत गीता के
श्लोक अंमकत हैं .अंदर दीवार पर एक बहुत बड़ा यशोदा तथा बाल-कृष्ण का मचत्र बना हुआ
है मजिे वे ईिा और उिकी माता िमझते हैं .अंदर गाय के घी का एक पमवत्र दीप िदा जलता
रहता है .ये दोनों मुिलमान िमा के मवपरीत काया (मचत्र और गाय के घी का मदया) यहाूँ होते
हैं ..एक अष्ट्िातु िे बना मदया का मचत्र में यहाूँ लगा रहा हूूँ जो मब्रमटश िंग्रहालय में अब तक
रखी हुई है ..ये दीप अरब िे प्राप्त हुआ है जो इस्लाम-पयवा है .इिी तरह का दीप काबा के
अंदर भी अखण्ड दीप्तमान रहता है .

ये िारे प्रमाण ये बताने के मलए हैं मक क्ों मुक्तस्लम इतना िरे रहते हैं इि मंमदर को
लेकर..इि मक्तिद के रहस्य को जानने के मलए कुछ महं दुओं ने प्रयाि मकया तो वे क्रयर
मुिलमानों के हाथों मार िाले गए और जो कुछ बच कर लौट आए वे भी पदे के कारण
ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं कर पाए.अंदर के अगर मशलालेख पढ़ने में िफलता ममल जाती तो
ज्यादा स्पष्ट् हो जाता.इिकी दीवारें हमेशा ढकी रहने के कारण पता नहीं चल पाता है मक ये
मकि पत्थर का बना हुआ है पर प्रां गण में जो कुछ इस्लाम-पयवा अवशेष रहे हैं वो बादामी या
केिररया रं ग के हैं ..िंभव है काबा भी केिररया रं ग के पत्थर िे बना हो..एक बात और
ध्यान दे ने वाली है मक पत्थर िे मंमदर बनते हैं मक्तिद नहीं..भारत में पत्थर के बने हुए
प्राचीन-कालीन हजारों मंमदर ममल जाएूँ गे...

ये तो मिफा मक्तिद की बात है पर मुहम्मद िाहब खुद एक जन्मजात महं दु थे ये मकिी भी


तरह मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा है मक अगर वो पैगम्बर अथाा त अल्लाह के भेजे हुए दय त थे तो
मकिी मुिलमान पररवार में जन्म लेते एक कामफर महं दु पररवार में क्ों जन्मे वो..?जो अल्लाह
मयमत्ता -पयजक महं दुओं को अपना दु श्मन िमझकर खुले आम कत्ल करने की िमकी दे ता है वो
अपने िबिे प्यारे पुत्र को मकिी मुिलमान घर में जन्म दे ने के बजाय एक बड़े मशवभि के
पररवार में कैिे भेज मदए..? इि काबा मंमदर के पुजारी के घर में ही मुहम्मद का जन्म हुआ
था..इिी थोड़े िे जन्मजात अमिकार और शक्ति का प्रयोग कर इन्ोंने इतना बड़ा काम कर
मदया.मुहम्मद के माता-मपता तो इिे जन्म दे ते ही चल बिे थे (इतना बड़ा पाप कर लेने के
बाद वो जीमवत भी कैिे रहते )..मुहम्मद के चाचा ने उिे पाल-पोषकर बड़ा मकया परं तु उि
चाचा को मार मदया इन्ोंने अपना िमा-पररवत्तान ना करने के कारण..अगर इनके माता-मपता
मजंदा होते तो उनका भी यही हश्र हुआ होता..मुहम्मद के चाचा का नाम उमर-मबन-ए-ह्ज्जाम
था.ये एक मवद्वान कमव तो थे ही िाथ ही िाथ बहुत बड़े मशवभि भी थे .इनकी कमवता िैर-
उल-ओकुल ग्रंथ में है .इि ग्रंथ में इस्लाम पयवा कमवयों की महिपय णा तथा पुरस्कृत रचनाएूँ
िंकमलत हैं .ये कमवता मदल्ली में मदल्ली मागा पर बने मवशाल लक्ष्मी-नारायण मंमदर की मपछली
उद्यानवामटका में यज्यशाला की दीवारों पर उत्त्कीणा हैं .ये कमवता मयलतिः अरबी में है .इि कमवता
233

िे कमव का भारत के प्रमत श्रिा तथा मशव के प्रमत भक्ति का पता चलता है .इि कमवता में वे
कहते हैं कोई व्यक्ति मकतना भी पापी हो अगर वो अपना प्रायमित कर ले और मशवभक्ति में
तल्लीन हो जाय तो उिका उिार हो जाएगा और भगवान मशव िे वो अपने िारे जीवन के
बदले मिफा एक मदन भारत में मनवाि करने का अविर माूँ ग रहे हैं मजििे उन्ें मुक्ति प्राप्त हो
िके क्ोंमक भारत ही एकमात्र जगह है जहाूँ की यात्रा करने िे पुण्य की प्राक्तप्त होती है तथा
िंतों िे ममलने का अविर प्राप्त होता है ..

दे क्तखए प्राचीन काल में मकतनी श्रिा थी मवदे मशयों के मन में भारत के प्रमत और आज भारत के
मुिलमान भारत िे नफरत करते हैं .उन्ें तो ये बात िुनकर भी मचढ़ हो जाएगी मक आदम
स्वगा िे भारत में ही उतरा था और यहीं पर उिे परमात्मा का मदव्य िंदेश ममला था तथा
आदम का ज्येष्ठ पुत्र "मशथ" भी भारत में अयोध्या में दफनाया हुआ है .ये िब बातें मुिलमानों
के द्वारा ही कही गई है ,मैं नहीं कह रहा हूूँ ..

और ये "लबी मबन-ए-अख्तब-मबन-ए-तुफाा " इि तरह का लम्बा-लम्बा नाम भी वैमदक िंस्कृमत


ही है जो दमक्षणी भारत में अभी भी प्रचमलत है मजिमें अपने मपता और मपतामह का नाम जोड़ा
जाता है ..

कुछ और प्राचीन-कालीन वैमदक अवशेष दे क्तखए... ये हं िवामहनी िरस्वती माूँ की मयमत्ता है जो


अभी लंदन िंग्रहालय में है .यह िऊदी अबाथथान िे ही प्राप्त हुआ था..

प्रमाण तो और भी हैं बि लेख को बड़ा होने िे बचाने के मलए और िब का उल्लेख नहीं कर


रहा हूूँ ..पर क्ा इतने िारे प्रमाण पयाा प्त नहीं हैं यह मिि करने के मलए मक अभी जो भी
मुिलमान हैं वो िब महं दु ही थे जो जबरन या स्वाथावश मुिलमान बन गए..कुरान में इि बात
का वणान होना मक "मयमत्ता पयजक कामफर हैं उनका कत्ल करो" ये ही मिि करता है मक महं दु
िमा मुिलमान िे पहले अक्तस्तत्व में थे ..महं दु िमा में आध्याक्तत्मक उन्नमत के मलए पयजा का कोई
महि नहीं है ,ईश्वर के िामने झुकना तो बहुत छोटी िी बात है ..प्रभु -भक्ति की शुरुआत भर है
ये ..पर मुिलमान िमा में अल्लाह के िामने झुक जाना ही ईश्वर की अरािना का अंत है ..यही
िबिे बड़ी बात है .इिमलए ये लोग अल्लाह के अलावे मकिी और के आगे झुकते ही नहीं,अगर
झुक गए तो नरक जाना पड़े गा..क्ा इतनी मनम्न स्तर की बातें ईश्वरीय वाणी हो िकती
है ..!.? इनके मुहम्मद िाहब मयखा थे मजन्ें मलखना-पढ़ना भी नहीं आता था..अगर अल्लाह
ने इन्ें िमा की थथापना के मलए भेजा था तो इिे इतनी कम शक्ति के िाथ क्ों भेजा मजिे
मलखना-पढ़ना भी नहीं आता था..या अगर भेज भी मदए थे तो िमय आने पर रातों-रात
ज्यानी बना दे ते जैिे हमारे काली दाि जी रातों-रात मवद्वान बन गए थे (यहाूँ तो मिि हो गया
मक हमारी काली माूँ इनके अल्लाह िे ज्यादा शक्तिशाली हैं )..एक बात और मक अल्लाह और
इनके बीच भी मजब्राइल नाम का फररश्ता िम्पका-ियत्र के रुप में था.इतने शमीले हैं इनके
अल्लाह या मफर इनकी तरह ही िरे हुए.!.? वो कोई ईश्वर थे या भयत-मपशाच.?? िबिे
महिपयणा बात ये मक अगर अल्लाह को मानव के महत के मलए कोई पैगाम दे ना ही था तो
िीिे एक ग्रंथ ही मभजवा दे ते मजब्राइल के हाथों जैिे हमें हमारे वेद प्राप्त हुए थे..!ये रुक-
रुक कर िोच-िोच कर एक-एक आयत भेजने का क्ा अथा है ..!.? अल्लाह को पता है मक
उनके इि मंदबुक्ति के कारण मकतना घोटाला हो गया..! आने वाले कट्टर मुक्तस्लम शािक
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अपने स्वाथा के मलए एक-िे -एक कट्टर बात िालते चले गए कुरान में..एक िमानता दे क्तखए
हमारे चार वेद की तरह ही इनके भी कुरान में चार िमा-ग्रंथों का वणान है जो अल्लाह ने
इनके रियलों को मदए हैं ..कभी ये कहते हैं मक िमा अपररवतानीय है वो बदल ही नहीं िकता
तो मफर ये िमय-िमय पर िमाग्रंथ भेजने का क्ा मतलब है ??अगर उन िब में एक जैिी ही
बातें मलखी हैं तो वे िमाग्रंथ हो ही नहीं िकते ...जरा मवचार कररए मक पहले मनुष्ों की आयु
हजारों िाल हुआ करती थी वो वत्तामान मनुष् िे हर चीज में बढ़कर थे,युग बदलता गया और
लोगों के मवचार,पररक्तथथमत,शक्ति-िामथ्ा िब कुछ बदलता गया तो ऐिे में भक्ति का तरीका भी
बदलना स्वभामवक ही है ..राम के युग में लोग राम को जपना शुरु कर मदए,द्वापर युग में

कृष्ण जी के आने के बाद कृष्ण-भक्ति भी शुरु हो गई.अब कलयु ग में चयूँ मक लोगों की आयु
तथा शक्ति कम है तो ईश्वर भी जो पहले हजारों वषा की तपस्या िे खुश होते थे अब कुछ वषों
की तपस्या में ही दशान दे ने लगे..

िमा में बदलाव िंभव है अगर कोई ये कहे मक ये िंभव नहीं है तो वो िमा हो ही नहीं
िकता..

यहाूँ मैं यही कहूूँ गा मक अगर महं दु िमा िजीव है जो हर पररक्तथथमत में िामंजस्य थथामपत कर
िकता है (पलंग पर पाूँ व फैलाकर लेट भी िकता है और जमीन पर पाल्थी मारकर बैठ भी
िकता है ) तो मुक्तस्लम िमा उि अकड़े हुए मुदे की तरह मजिका शरीर महल-िु ल भी नहीं
िकता...महं दु िमा िं स्कृमत में छोटी िे छोटी पयजा में भी मवश्व-शां मत की कमना की जाती है
तो दय िरी तरफ मुिलमान ये कामना करते हैं मक पयरी दु मनया में मार-काट मचाकर अशां मत
फैलानी है और पयरी दु मनया को मुिलमान बनाना है ...

महं दु अगर मवष में भी अमृत मनकालकर उिका उपयोग कर लेते हैं तो मुिलमान अमृत को
भी मवष बना दे ते हैं ..

मैं लेख का अंत कर रहा हूूँ और इन िब बातों को पढ़ने के बाद बताइए मक क्ा कुरान
ईश्वरीय वाणी हो िकती है और क्ा इस्लाम िमा आमद िमा हो िकता है ...?? ये अफिोि की
बात है मक कट्टर मुिलमान भी इि बात को जानते तथा मानते हैं मक मुहम्मद के चाचा महं दु
थे मफर भी वो बाूँ की बातों िे इन्कार करते हैं ..

इि लेख में मैंने अपना िारा ध्यान अरब पर ही केंमद्रत रखा इिमलए मिफा अरब में वैमदक
िंस्कृमत के प्रमाण मदए यथाथातिः वैमदक िंस्कृमत पयरे मवश्व में ही फैली हुई थी..इिके प्रमाण के
मलए कुछ मचत्र जोड़ रहा हूूँ ...

-ये राम-िीता और लक्षमण के मचत्र हैं जो इटली िे ममले हैं .इिमें इन्ें वन जाते हुए मदखाया
जा रहा है .िीता माूँ के हाथ में शायद तु लिी का पौिा है क्ोंमक महं दु इि पौिे को अपने घर
में लगाना बहुत ही शुभ मानते हैं .....
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यह मचत्र ग्रीि दे श के काररं थ नगर के िंग्रहालय में प्रदमशात है .काररं थ नगर एथेंि िे ६०
मक.मी. दय र है .प्राचीनकाल िे ही काररं थ कृष्ण-भक्ति का केंद्र रहा है .यह भव्य मभमत्तमचत्र उिी
नगर के एक मंमदर िे प्राप्त हुआ है .इि नगर का नाम काररं थ भी कृष्ण का अपभ्रंश शब्द
ही लग रहा है ..अफिोि की बात ये मक इि मचत्र को एक दे हाती दृश्य का नाम मदया है
ययरोमपय इमतहािकारों ने..ऐिे अनेक प्रमाण अभी भी मबखरे पड़े हैं िंिार में जो ययरोपीय
इमतहािकारों की मयखाता,द्वे शभावपयणा नीमत और हमारे हुक्मरानों की लापरवाही के कारण नष्ट् हो
रहे हैं .जरुरत है हमें जगने की और पयरे मवश्व में वैमदक िंस्कृमत को पुनथथाा मपत करने की
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राष्टरीय पुनतनमाफि में संघ की भू तमका

राष्ट्रीय स्वयंिेवक िंघ आज अपररमचत नाम नहीं है । भारत में ही नहीं,मवश्वभर में िंघ के
स्वयंिेवक फैले हुए हैं । भारत में लद्दाख िे लेकर अंिमान मनकोबार तक मनयममत शाखायें हैं
तथा वषा भर मवमभन्न तरह केकायाक्रम चलते रहते हैं । पयरे दे श में आज 35,000 थथानों (नगर व
ग्रामों) में 50,000 शाखायें हैं तथा 9500 िाप्तामहक ममलन व 8500 मामिक ममलन चलते हैं ।
स्वयंिेवकों द्वारा िमाज के उपेमक्षत वगा के उत्थान के मलए, उनमें आत्ममवश्वाि व राष्ट्रीय भाव
मनमाा ण करने हे तु िे ढ़ लाख िे अमिक िेवा काया चल रहे हैं । िंघ के अनेक स्वयंिेवक िमाज
जीवन के मवमभन्न क्षेत्रों में िमाज के मवमभन्न बंिुओं िे िहयोग िे अनेक िं गठन चला रहे हैं ।
राष्ट्र व िमाज पर आने वाली हर मवपदा में स्वयं िेवकों द्वारा िेवा के कीमतामान ख$िे मकये गये
हैं । िंघ िे बाहर के लोगों यहां तक मक मवरोि करने वालों ने भी िमय-िमय पर इन िेवा
कायों की भयरर-भयरर प्रशंिा की है । मनत्य राष्ट्र िािना (प्रमतमदन की शाखा) व िमय-िमय पर
मकये गये कायों व व्यि मवचारों के कारण ही दु मनया की नजर में िंघ राष्ट्रशक्ति बनकर उभरा
है । ऐिे िंगठन के बारे में तथ्पयणा िही जानकारी होना आवश्यक है । रा. स्व. िंघ का जन्म
िं. 1962 मवक्रमी (िन 1925) की मवजयादशमी को हुआ। िंघ के िं थथापक िॉ. केशवराव
बमलराम हे िगेवार थे।

िॉ. हे िगेवार के बारे में कहा जा िकता है मक वे जन्मजात दे शभि थे। छोटी आयु में ही
रानी मवक्टोररया के जन्ममदन पर स्कयल िे ममलने वाला ममठाई का दोना उन्ोंने कयिे में फेंक
मदया था। भाई द्वारा पयछने पर उत्तर मदया-‘‘हम पर जबदा स्ती राज्य करने वाली रानी का
जन्ममदन हम क्ों मनायें ?’’ ऐिी अनेक घटनाओं िे उनका जीवन भरा पड़ा है । इि वृमत्त के
कारण जैिे-जैिे वे बड़े हुए राष्ट्रीय आं दोलन िे जु ड़ते गये। वंदे मातरम् कहने पर स्कयल िे
मनकाल मदये गये। बाद में कलकत्ता मेमिकल कॉलेज में इिमलए प$ढने गये मक उन मदनों
कलकत्ता क्रां मतकारी गमतमवमियों का प्रमुख केन्द्र था। व

हां रहकर अनेक प्रमुख क्रां मतकाररयों के िाथ काम मकया। लौटकर उि िमय के प्रमुख नेताओं
के िाथ आजादी के आं दोलन िे जुड़े रहे । 1920 के नागपुर अमिवेशन की िंपयणा व्यवथथायें
िंभालते हुए पयणा स्वराज्य की मां ग का आग्रह िॉ. िाहब ने कां ग्रेि नेताओं िे मकया। उनकी
बात तब अस्वीकार कर दी गयी। बाद में1929 के लाहौर अमिवेशन में जब कां ग्रेि ने पयणा
स्वराज्य का प्रस्ताव पाररत मकया तो िॉ. हे िगेवार ने उि िमय चलने वाली िभी िंघ शाखाओं
िे िन्यवाद का पत्र मलखवाया, क्ोंमक उनके मन में आजादी की कल्पना पयणा स्वराज्य के रूप में
ही थी।
237

आजादी के आं दोलन में िॉ. हे िगेवार स्वयं दो बार जेल गये। उनके िाथ और भी अनेकों
स्वयंिेवक जेल गये । मफर भी आज तक यह झयठा प्रश्न उपक्तथथत मकया जाता है मक आजादी के
आं दोलन में िंघ कहां था? िॉ. हे िगेवार को दे श की परतंत्रता अत्यंत पी$िा दे ती थी। इिीमलए
उि िमय स्वयं िेवकों द्वारा ली जाने वाली प्रमतज्ञा में यह शब्द बोले जाते थे‘‘………………दे श
को आजाद कराने के मलए मै िंघ का स्वयंिेवक बना हूं ………’’ िॉ. िाहब को दय िरी िबिे
ब$िी पी$िा यह थी मक इि दे श क िबिे प्रचीन िमाज यामन महन्दय िमाज राष्ट्रीय स्वामभमान
िे शयन्य प्राय: आत्म मवस्मृमत में ियबा हुआ है , उिको ‘‘मैं अकेला क्ा कर िकता हूं ’’ की
भावना ने ग्रमित कर मलया है । इि दे श का बहुिंख्यक िमाज यमद इि दशा में रहा तो कैिे
यह दे श ख$िा होगा? इमतहाि गवाह है मक जब-जब यह मबखरा रहा तब-तब दे श परामजत
हुआ है । इिी िोच में िे जन्मा राष्ट्रीय स्वयंिेवक िंघ। इिी पररप्रेक्ष्य में िंघ का उद्दे श्य महन्दय
िंगठन यामन इि दे श के प्राचीन िमाज में राष्ट्रीया स्वामभमान, मन:स्वाथा भावना व एकजुटता का
भाव मनमाा ण करना बना। यहां यह स्पष्ट् कर दे ना उमचत ही है मक िॉ. हे िगेवार का यह
मवचार िकारात्मक िोच का पररणाम था। मकिी के मवरोि में या मकिी क्षमणक मवषय की
प्रमतमक्रया में िे यह काया नहीं ख$िा हुआ। अत: इि काया को मुक्तस्लम मवरोिी या ईिाई
मवरोिी कहना िंगठन की मयल भावना के ही मवरूद् घ हो जायेगा।

महन्दय िंगठन शब्द िुनकर मजनके मन में इि प्रकार के पयवाा ग्रह बन गये हैं उन्ें िंघ िमझना
कमठन ही होगा। तब उनके द्वारा िंघ जैिे प्रखर राष्ट्रवादी िंगठन को, राष्ट्र के मलए िममपात
िंगठन को िंकुमचत, िां प्रदामयक आमद शब्द प्रयोग आियाजनक नहीं है । महन्दय के मयल स्वभाव
उदारता व िमहष्णुता के कारण दु मनयां के िभी मत-पंथों को भारत में प्रवे श व प्रश्रय ममला। वे
यहां आये, बिे। कुछ मत यहां की िंस्कृमत में रच-बि गये तथा कुछ अपने स्वतंत्र अक्तस्तत्व के
िाथ रहे । महन्दय ने यह भी स्वीकार कर मलया क्ोंमक उिके मन में बैठाया गया है - रुचीनां
वैमचत्र्याद् जुकुमटलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वममि पयिामपणाव इव।। अथा -जैिे मवमभन्न
नमदयां मभन्न-मभन्न स्रोतों िे मनकलकर िमुदा्र में ममल जाती है , उिी प्रकार हे प्रभो! मभन्न-मभन्न
रुमच के अनुिार मवमभन्न टे ढ़े-मेढ़े अथवा िीिे रास्ते िे जाने वाले लोग अन्त में तुझमें
(परममपता परमेश्वर) आकर ममलते है । -मशव ममहमा स्त्रोत्तम, इि तरह भारत में अनेक मत-
पंथों के लोग रहने लगे। इिी क्तथथमत को कुछ लोग बहुलतावादी िंस्कृमत की िंज्ञा दे ते हैं तथा
केवल महन्दय की बात को छोटा व िंकीणा मानते हैं । वे यह भयल जाते हैं मक भारत में िभी
पंथों का िहज रहना यहां के प्राचीन िमाज (महन्दय ) के स्वभाव के कारण है ।

उि महन्दु त्व के कारण है मजिे दे श केिवोज्जच न्यायालय ने भी जीवन पद् घमत कहा है , केवल
पयजा पद् घमत नहीं।महन्दय के इि स्वभाव के कारण ही दे श बहुलतावादी है । यहां मवचार करने का
मवषय है मक बहुलतावाद महत्वपयणा है या महन्दु त्व महत्वपयणा है मजिके कारण बहुलतावाद चल
रहा है । अत: दे श में जो लोग बहुलतावाद के िमथाक हैं उन्ें भी महन्दु त्व के मवचार को प्रबल
बनाने की िोचना होगा। यहां महन्दु त्व के अमतररि कुछ भी प्रबल हुआ तो न तो भारत ‘भारत’
रह िकेगा न ही बहुलतावाद जैिे मिद् घां त रह िकेंगे। क्ा पामकस्तान में बहुलतावाद की
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कल्पना की जा िकती है ? इि पररप्रे क्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंिेवक िंघ इि दे श की राष्ट्रीय


आवश्यकता है । महन्दय िं गठन को नकारना, उिे िं कुमचत आमद कहना राष्ट्रीय आवश्यकता की
अवहे लना करना ही है ।

िंघ के स्वयंिेवक महन्दय िंगठन करके अपने राष्ट्रीय कताव्य का पालन कर रहे हैं । िंघ की
प्रमतमदन लगने वाली शाखा व्यक्ति के शरीर, मन, बुद्मघ, आत्मा के मवकाि की व्यवथथा तथा
उिका राष्ट्रीय मन बनाने का प्रयाि होता है । ऐिे काया को अनगाल बातें करके मकिी भी तरह
लां मक्षत करना उमचत नहीं। िंघ की प्राथाना, प्रमतज्ञा, एकात्मता स्त्रोत, एकात्मता मंत्र मजनको
स्वयंिेवक प्रमतमदन ही दोहराते हैं , उन्ें पढऩे के पिात िंघ का मवचार, िंघ में क्ा मिखाया जाता
है , स्वयंिेवकों का मानि कैिा है यह िमझा जा िकता है । प्राथाना में मातृ भयमम की वंदना, प्रभु
का आशीवाा द, िंगठन के काया के मलए गुण, राष्ट्र के परं वैभव (िुख, शां मत, िमृद्मघ) की कल्पना
की गई है । प्राथाना में महन्दु ओं का परं वैभव नहीं कहा है , राष्ट्र का परं वैभव कहा है । स्वाभामवक
ही िभी की िुख शां मत की कामना की है । िभी के अंत में भारतमाता माता की जय कहा है ।
स्वाभामवक ही हर स्वयंिेवक के मन का एक ही भाव बनता है । हम भारत की जय के मलए
काया कर रहे हैं । एकात्मता स्त्रोत व मंत्र में भी भारत की िभी पमवत्र नमदयों, पवातों, पुररयों
िमहत दे श व िमाज के मलए काया करने वाले प्रमुख व्यक्तियों (महमषा वाल्मीमक, बुद्घ, महावीर,
गुरूनानक, गां िी, रिखान, मीरा, अंबेिकर, महात्मा फुले िमहत ऋमष, बमलदानी, िमाज िुिारक
वैज्ञामनक आमद) का वणान है तथा अंत में भारत माता की जय। इि िबका ही पररणाम है मक
िंघ के स्वयंिेवक के मन में जामत-मबरादरी, प्रां त-क्षेत्रवाद, ऊंच-नीच, छयआछयत आमद क्षुद्रा मवचार
नहीं आ पाते। जब भी कभी ऐिे अविर आये जहां िेवा की आवश्यकता पड़ी वहां स्वयंिेवक
कथनी-करनी में खरे उतरे हैं ।

जब िुनामी लहरों का कहर आया तब वहां स्वयं िेवकों ने जो िेवा काया मकया उिकी प्रशंिा
वहां के ईिाई व कम्युमनष्ट् बंिुओं ने भी की है । अमेररका के कैटरीना के भयंकर तयफान में भी
वहां स्वयंिेवकों ने प्रशंिनीय िेवा की है । कुछ वषा पयवा चरखी दादरी (हररयाणा) में दो हवाई
जहाजों के टकरा जाने के पररणाम स्वरूप ३०० िे अमिक लोगों की मृत्यु हुई। दु भाा ग्य िे ये
िभी मुक्तस्लम िमाज के थे उनकी िहायता करने ‘िेक्यलररस्ट’ नहीं गये । िभी के मलए कफन,
ताबयत आमद की व्यवथथा, उनके पररजनों को ियचना दे ने का काम, शव लेने आने वालों की
भोजन, आवाि आमद की व्यवथथा वहां के स्वयंिेवकों ने की। इि कारण वहां की मक्तिद में
स्वयंिेवकों का अमभनंदन हुआ, मुक्तस्लम पमत्रका ‘रे मिएं ि’ ने ‘शाबाि ….’ शीषाक िे लेख छापा।
ऐिी अनेक घटनाओं िे िंघ का इमतहािभरा-पिा है । गुजरात, उ$िीिा, आं ध्र प्रदे श, तममलनािु ,
अंिमान-मनकोबार आमद भयंकर तयफानों में िेवा करने हे तु पयरे दे श िे स्वयंिेवक गये , मबना
मकिी भेद िे िेवा, पयरे दे श िे राहत िामग्री व िन एकमत्रत करके भेजा, मकान बनवाये। वहां
peedit लोग स्वयंिेवकों के ररश्तेदार या जामत-मबरादरी के थे क्ा? बि मन में एक ही भाव-
िभी भारत माता के पुत्र हैं इिमलए िभी भाई-भाई है । अमेररका, मॅरीशि आमद की िेवा में
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भी एक ही भाव ‘विुिैव कुटु म्बकम्।’ शाखा पर जो िंस्कार िीखे उिी का प्रकटीकरण है ।


प्रख्यात िवोदयी एि. एन. िुब्बाराव ने कहा आर एि एि मीन्स रे िी फॉर िेल्फलेि

िमवाि। दय िरा दृश्य भी दे खें-जब राजनीमतज्ञों व तथाकमथत िमाज मवरोिी तत्वों द्वारा मवशेषकर
महन्दय िमाज को मवभामजत करने के प्रयाि हो रहे हैं तब स्वयंिेवक िमाज में िामामजक
िमरिता मनमाा ण करने का प्रयाि कर रहे हैं । महापुरूष पयरे िमाज के मलए होते हैं -उनका
मागा दशान भी पयरे िमाज के मलए होता है तब उनकी जयंती आमद भी जामत या वगा मवशेष ही
क्ों मनायें? पयरे िमाज की ही िहभामगता उिमें होनी चामहये। िमरिता मंच केमाध्यम िे
स्वयंिेवकों ने ऐिा प्रयाि प्रारम् मकया है तथा िमाज के िभी वगाा को जोिने , मनकट लाने में
िफलता ममल रही है , वै मनस्यता कम हो रही है । मदखने में छोटा काया है मकन्तु कुछ िमय
पिात् यही बिे पररणाम लाने वाला काया मिद् घ होगा। मुक्तस्लम, ईिाई, मतावलक्तम्बयों के िाथ भी
िंघ अमिकाररयों की बैठकें हुई हैं मकन्तु कुछ लोगों को ऐिा बैठना राि नहीं आता। अत:
पररणाम मनकलने िे पयवा ही ऐिे प्रयािों में मवघ्निंतोषी मवघ्न िालने के प्रयाि करते रहते हैं ।
गरीबी की रे खा िे नीचे रहने वाले लोग, वनवािी, मगररवािी, झुग्गी-झोपमियों व ममलन बक्तस्तयों में
रहने वाले लोगों का दु :ख-ददा बां टने , उनमें आत्ममवश्वाि मनमाा ण करने , उनके शैमक्षक व
आमथाक स्तर को िुिारने के मलए भी िेवा भारती, िेवा प्रकल्प िंथथान,वनवािी कल्याण आश्रम
व अन्य मवमभन्न टर स्ट व िंथथायें गमठत करके जुट गये हैं हजारों स्वयंिेवक। इनके प्रयािों का
ब$िा ही अज्जछा पररणाम भी आ रहा है । इि पररणाम को दे खकर एक मवद्वान व्यक्ति कह उठे
आर एि एि यामनररबोल्ययिन इन िोशल िमवाि। राष्ट्रीय िुरक्षा के मोचे पर भी स्वयंिेवक खरे
उतरे हैं । िन 1947-48, 1965, 1971 और 1999 कारमगल के युद्घ के िमय िेना को हर, प्रकार
िे नागररक िहयोग प्रदान करने वालों की अंमग्रम पंक्ति में थे स्वयंिेवक। भोजन, दवा, रि जैिी
भी आवश्यकता िेना को पड़ी तो स्वयंिेवकों ने उिकी पयमता की। यही क्तथथमत गत करमगल के
युि के िमय हुई। इन मोचों पर कई स्वयंिेवक बमलदान भी हुए हैं । अने कों घायल हुए हैं ।
इन्ोंने न िरकार िे मुआवजा मलया न ही मैिल। यही है मन:स्वाथा दे श िेवा। िंघ का इमतहाि
त्याग, तपस्या, बमलदान, िेवा व िमपाण का इमतहाि है , अन्य कुछ नहीं। िेना के एक अमिकारी ने
कहा-‘‘राष्ट्रीय स्वयंिेवक िंघ भारत का रक्षक भुजदं ि है ।’’ राष्ट्रीय िुरक्षा का मोचाा हो, दै वीय
आपदा हो, दु घाटना हो, िमाज िुिार का काया हो, रू$म ढ-कुरीमत िे मुि िमाज के मनमाा ण का
काया हो, मवमभन्न राष्ट्रीय व िामामजक मवषयों पर िमाज के िकारात्मक प्रबोिन का मवषय
हो…..और भी ऐिे अनेक मोचों पर िंघ स्वयंिेवक जान की परवाह मकये मबना महम्मत और
उत्साह के िाथ िटे हैं तथा पररवतान लाने का प्रयाि कर रहे हैं , पररवतान आ भी रहा है । इि
अथा में मवचार करें गे तो स्वयंिेवक राष्ट्र की महत्वपयणा पयंजी है । काश! इि पयंजी का िदु पयोग,
राष्ट्र के पुनमनामाा ण में ठीक िे मकया जाता तो अब तक शक्तिशाली व िमृद्घ भारत का स्वरूप
उभारने में अच्छी और िफलता ममल
240

िकती थी। अभी भी दे र नहीं हुई है । मवमभन्न दलों के राजनैमतक नेता, िमाजशास्त्री, मवचारक,
ङ्क्षचतक पयवाा ग्रहों िे मुि होकर ‘स्वयंिेवक’रूपी लगनशील, कमाठ, अनु शामित, दे शभक्ति व
िमाज िेवा की भावना िे ओत -प्रोत इि राष्ट्र शक्ति को पहचान कर राष्ट्रीय पुनमनामाा ण में
इिका िंविान व िहयोग करें तो मनमित ही दु मनया में भारत शीघ्र िमथा , स्वावलम्बी व
िम्मामनत राष्ट्र बन िकेगा। मपछले 85 वषों िे स्वयं िेवकोंका एक ही स्वप्न है -भारतमाता की जय।
241

लोकिंत् और धमफतनरपेक्षिा की आड़ में इस्लामी तजहाद का एतिहातसक एिं


पैशातचक सच

लोकिंत् और धमफतनरपेक्षिा की आड़ में इस्लामी तजहाद का एतिहातसक एिं पैशातचक


सच

मवश्व का शायद ही कोई ऐिा दे श होगा जो ,इस्लामी मजहादी आतंकवाद िे प्रभामवत और पीमड़त
नहीं हो .लेमकन भारत एकमात्र दे श है जो ,लगभग मपछले एक हजार िालों िे मुिलमानों के
हर प्रकार के अन्याय और अत्याचारों को बदाा श्त कर रहा है .और उनके कारण अनेकों
िमस्यायों का िामना कर रहा है .जबमक यह बात अच्छी तरह िे िामबत हो चुकी है मक, दे श
की हरे क िमस्या की जड़ मुिलमान ही हैं .लेमकन जब इन अराष्ट्रीय मुिलमानों के िाथ क्षद्म
िेकुलर भी शाममल हो जाते हैं तो ,िमस्याएं और भी मवकराल रूप िारण कर लेती हैं .

कुछ िमय पयवा कुछ ऐिे ही िेकुलर लोगों ने मुझ िे िवाल मकया था मक,क्ा आपको इस्लाम
के आलावा कोई दय िरा मवषय नहीं ममला ?,जो आप केवल इस्लाम की आलोचना करते रहते हैं
.आप भ्रष्ट्ाचार ,गरीबी ,और भाईचारे के बारे में क्ों नहीं मलखते ?.दे श में पचािों मवषय हैं
,मजनपर िैकड़ों ब्लागर अपने मवचार प्रकट कर रहे है .

मेरा उन िेकुलर ममत्रों िे मनवेदन है की वह जरा गंभीरता िे मवचार करें तो पता चलेगा की
दे श की मजतनी िमस्याएं है ,वह एक पेड़ की शाखाओं की तरह हैं .जो दे खने में अलग
अलग प्रतीत होती हैं .लेमकन उिकी जड़ इस्लाम और मुिलमान ही हैं .क्ा यह िेकुलर लोग
बता िकते हैं मक जब भी महन्दय अपने मकिी िाममाक काया ,या उत्सव का आयोजन करते हैं तो
पुमलि बंदोबस्त की जरुरत क्ों पड़ती है .क्ा चीन ,जापान और रूि िे महन्दु ओं को कोई
खतरा है .िेकुलर लोग जबतक इि िच्चाई को स्वीकार नहीं करते मक हमें इिी दे श के
मुिलमानों िे ही खतरा है ,तबतक दे श िे भ्रष्ट्ाचार ,गरीबी और आतंकवाद का मनमयालन िंभव
नहीं है .यमद मवश्लेषण मकया जाये तो पता चलेगा मक इन िमस्यायों के पीछे मुिलमान ही हैं
.
242

एक िमय था जब दे शप्रे म को अपना िमा मानते थे .और दे श के मलए िबकुछ त्याग करने को
अपना िौभाग्य िमझते थे .लेमकन जब कुछ स्वाथी नेताओं ने मुिलमानों के वोटों की खामतर
दे शभक्ति के थथान पर िेकुलररज्म को िंमविान में अमनवाया कर मदया तो ,तो लोगों की दे शप्रेम
िे अनाथथा होने लगी .और लोग लालची और स्वाथी हो गए .आप दे खेंगे मक मजतने भी
भ्रष्ट्ाचारी हैं ,उनमे अमिकाूँ श खुद को िेकुलर कहते हैं .और मजतने भी िेकुलर हैं ,िब
वणािंकर हैं .और िब में मुिलमानों का खयन जरुर होगा .इिी मलए बाबा रामदे व ने कहा था
मक इन िभी भ्रष्ट् नेताओं का NDA टे स्ट मकया जाना चामहए .भ्रष्ट्ाचार और मुिलमानों का चोली
दामन का िाथ है .चाहे वह हिन अली हो ,चाहे िभी खान नामके अमभनेता हों .

गरीबी का कारण भी मुिलमान ही हैं .इन्ी के कारण िुरक्षा के मलए अरबों रूपया प्रमत वषा
खचा मकया जाता है .कश्मीर के हरे क व्यक्ति पर दि हजार रूपया ििीिी दी जाती है .हज
,मदरिा ,और वक्फ बोिा के मलए महन्दु ओं के टे क्स िे रूपया मदया जाता है .

मुिलमान और अंगरे ज भारत को लयटने के मलए आये थे .लेमकन अंगरे जों ने दे श के मलए रे ल
,टे लीफोन ,रोि ,पुल ,जै िी कई िुमविाएूँ दी थी .मफर भी उनको मवदे शी होने के कारण दे श
िे मनकाल मदया गया .परन्तु मुिलमानों ने दे श को मजारों ,दरगाहों ,कब्रों और मक्तिदों के
आलावा क्ा मदया है .मजनके कारण अक्सर फिाद होते रहते हैं .जो लोग कहते है मक दे श
मक आजादी में मुिलमानों ने योगदान मदया था ,वह नादान है .बड़ी मुक्तश्कल िे ऐिे तीि लोगों
के नाम ममलेंगे मजन्ोंनेदेश की आजादी के मलए योगदान मदया हो .िब क्तखलाफत आन्दोलन िे
जुड़े थे .मफर भी मुिलमान दे श की िंपमत्त पर अपना महस्सा मंगाते है .पामकस्तान लेकर भी
इनका पेट नहीं भरा है .

मुिलमान अपने मलए पां च प्रमतशत आरक्षण चाहते हैं ,लेमकन यह बात नहीं बताते मक मकतने
प्रमतशत मुिलमान अपरािों में िंलि है .

मुिलमान इि दे श पर नहीं ,बक्ति मवश्व के ऊपर एक बोझ है ,हमें यह बोझ जल्द ही उतरना
होगा .नहीं तो इि बोझ के नीचे हम दबकर मर जायेंगे .इिके मलए हमें यह उपाय करना
होंगे -
243

1 -धमफ तनरपेक्ष नही ं धातमफ क बनें

यमद िमामनरपेक्षता का तात्पया भारत में उत्पन्न िभी मतों ,िम्प्रदायों और िमों का िामान रूप
िे आदर करना है ,तो महन्दय ,जैन ,बौि और मिख िवाभामवक रूप िे िमामनरपेक्ष हैं .उनको
कानयन बना कर िमामनरपेक्ष बनाना तोते को हरे रं ग िे रं गने के िमान है .और यमद बहार िे
आये लुटेरों के मजहादी मवचारों को िमामनरपेक्षता के नाम पर जबरन थोपा जाये तो ,हमें ऐिी
िमामनरपेक्षता की जगह िाममाक होना अमिक पिं द है .हमारे मकिी भी िमाग्रंथ में िमामनरपेक्ष
शब्द का कहीं भी उल्ले ख नहीं है .यह कृमत्रम शब्द है ,मजिे मुक्तस्लम तुमष्ट्करण के मलए
बनाया गया है .

2 -तजहादी तिचारों का खंडन करें

हमें इि कटु ित्य को स्वीकार करना ही होगा मक,हरे क मुिलमान कैिा भी हो ,कहीं भी हो
,वह गैर मुक्तस्लमों को मुिलमान बनाने के मलए प्रयाि करता रहता है .और जो भी यह काया
करते हैं उनिे िहानुभयमत रखता है .चाहे वह आतंकवादी क्ों नहीं हों .अकिर मुिलमान
अपना आतंकी रूप छु पकर भाईचारा ,आपिी िौहादा ,और गंगाजमुनी तहजीब के बहाने
महन्दु ओं को गुमराह करते है ,और अपने मलए रास्ता बनाते है ,और इिके मलए हर प्रकार के
िािनों प् उपयोग करके इस्लाम का दु ष्प्रचार लरते है .इिमलए इनके झयठे प्रचार का मुंह तोड़
जवाब दे ना जरुरी है .और उनका तकापयणा खंिन मकया जाना चामहए .महन्दु ओं को चामहए मक
.वह मकिी मजार,दरगाह ,और औमलया फकीरों के पाि नहीं जाएूँ .औरन उनपर आथथा
प्रकट करें .इििे िमा पररवतान को बढ़ावा ममलता है .याद रक्तखये इिी या मुिलमान बनने
जामतवाद तो ममटता नहीं है ,उलटे महन्दय अराष्ट्रीय बन जाते है .जैिा मक बाबा िाहे ब
अम्बेिकर ने कहा है .इिमलए हरे क प्रकार िे िमा पररवतान का मवरोि करें .और महन्दय
लड़मकयों को मुिलमानों के जाल में र्फिाने िे बचाएं .मुल्ले मुक्तस्लम लड़कों को महन्दय लड़मकयों
को र्फिाने के मलए उत्सामहत करते है .
244

3 -सशक् और संगतठि बनें

मुक्तस्लम मजहादी अक्सर महन्दय िमा थथानों और महन्दु ओं को इिमलए अपना मनशाना बनाते हैं
,क्ोंमक वह िमझते हैं मक महन्दय अपने बचाव के मलए िरकार िे गुहार करें गे .और िरकार
महन्दय मवरोिी है .और वोटों मक खामतर मुिलमानों का ही पक्ष लेगी .यही कारण है मक
मजहामदयों के हौिले बढे हुए है .यमद महन्दय शक्तिशाली ,मनिर और िशस्त्र हो जाएूँ तो
मजहामदयों को कुछ करने िे पयवा िौ बार िोचना पड़े गा .इिमलए हरे क मोहल्ले में मंमदरों के
िाथ िाथ व्यायाम शालाये बनवाई जाएूँ .मजि िे प्रमशमक्षत युवा मंमदरों और मोहल्ले मक रक्षा
कर िकें हरे क महन्दय घर िायुि और िन्नि होना चामहए .

4 -जातिभेद तमर्टायें सभी तहन्दू श्रेष्ठ हैं

यद्यमप भारत में कई िंप्रदाय ,िमा और जामतयां मौजयद हैं ,लेमकन जब भी मुिलमान दं गा करते
है ,तो वह मबना मकिी जामत या गोत्र का भेद मकये िभी को महन्दय मानकर उनकी हत्याएं कर
दे ते है ,चाहे वह जैन हो या बौि हो .और चाहे उिका कोई भी गोत्र हो .इिमलए हमें इि
भेदभाव को भयलकर एकजुट हो जाना चामहए .भारत में वणा व्यवथथा जरुर है ,लेमकन वणा मवद्वे ष
के मलए कोई थथान नहीं है .हारे अवतार राम ,कृष्ण ,बुि महावीर ब्राह्मण नहीं थे .और न
वाल्मीमक ,व्याि ही ब्राह्मण थे .भारत में उत्पन िभी िमों के लोग ही इि दे श के वास्तमवक
उत्तरामिकारी हैं .और यही लोग मवश्व की िवाश्रेष्ठ जामत है .जो बहार आये हुए हमलावरों की
िंतानें हैं उनका इि दे श पर कोई अमिकार नहीं होना चामहए .लुटेरा मिफा लुटेरा होता है
.चाहे वह दि िाल िे इि दे श में रहता हो ,चाहे हजार िाल िे रहता हो .
245

इिमलए महन्दु ओं को चामहए मक मकिी भी दशा में अपनी जमीने ,खेत ,मकान,दु कान आमद नतो
मविमी लोगों को बेचें और न मकराये पर दें .तामक उि जगह पर मज़ार,कब्र ,दरगाह और
मक्तिद न बन िके .क्ोंमक यही झगड़े का कारण होते हैं .और यही आतंकवामदयों के शरण
थथल होते हैं .अक्सर इन्ीं जगहों में हमथयार छु पाये जाते हैं .यहीं िे भिकाऊ भाषण मदए
जाते हैं .महन्दय अपने मोहल्ले की मजारों ,दरगाहों आमद की गमतमवमियों पर नजर रखें .जो लोग
उदय ा जानते हैं तो वह इि थथानों पर मचपकाए गए और मवतररत मकये गए पचों को जरुर पढ़ें
.क्ोंमक उन पचों के द्वारा मुिलमानों को गुप्त मनदे श मदए जाते हैं .यमद आप मकिी खबर को
पामहले महं दी या अंगरे जी अखबार में पढ़ें ,मफर उिे उदय ा अखबार में पढ़ें आपको िच्चाई का
पता चल जाएगा .

5 -धमफ प्रचार का िरीका बदलें

दे श भर में िालभर कहीं न कहीं िाममाक आयोजन होते रहते हैं ,मजनमे कई मवद्वान् िंत महात्मा
,रामायण ,भागवत की कथाये िंगीत के िाथ िुनाते रहते हैं .मजिको िुनने के मलए लाखों लोग
जमा हो जाते है .और कई लोग िंगीत की िुन पर नाचने भी लगते हैं .ऐिे प्रवचनकार मिफा
लोगों का मनोरं जन ही कर िकते है .और लोगों का परलोक िु िार िकते हैं .लेमकन अपने
भिों को इस्लामी आतंक िे लड़ने की प्रेरणा नहीं दे िकते .और न महन्दु ओं को मिक्खों की
तरह योिा बना िकते हैं .

इिीमलए जब भी कोई िंथथा या व्यक्ति कहीं पर िाममाक आयोजन कराये ,तो ऐिे ओजस्वी और
प्रखर विा को जरुर बुलाये जो अपने तेजस्वी व्याख्यानों िे िाममाक कथाओं के िाथ महन्दु ओं
पर मकये गए अत्याचारों लोगों का ध्यान खींचे .मजििे लोगों का िमा के प्रमत रुझान बढे और
इस्लामी आतंक िे नर्फरत पैदा हो .यमद ऐिा नहीं हुआ तो एकमदन िीमे िीमे यह िमा की
दु कानें बंद हो जाएूँ गी .और इन तथाकमथत िंतों के मिफा वृि लोग ही अनुयायी रह जायेंगे
.युवा पीढ़ी या तो िमा मवमुख हो जाएगी या िेकुलर बन जाएगी .हमें िमझ लेना चामहए मक
िेकुलर होना ईिाई या मुिलमान होने की पमहली िीढ़ी होती है .िेकुलर का अथा है महन्दय िमा
िे अनाथथा .इिमलए जरुरी है मक महन्दु ओं को िेकुलर बनने के हर तरह के उपाय मकये जाएूँ
.
246

6 -दान का साथफक उपयोग करें

कुछ लोग यह िमझते हैं मक ,मंमदरों ,और दे व प्रमतमाओं पर क्तक्वंटलों िोना चां दी और हीरे
मोती चढ़ा दे ने िे ईश्वर उनिे अमिक प्रिन्न होगा .और उनको िबिे बड़ा िाममाक होने का
प्रमाणपत्र दे दे गा .यह उन दान दे ने वालों की भयल है .इि तरह िे लोग आतंकवामदयों और
लुटेरों को न्योता दे ते हैं .मजिका भगवान अरबपमत और भि मनिान हों वह मंमदर या दे वता
कभी िुरमक्षत नहीं रह िकता .यह इमतहाि िे िामबत होता है .इन दान दाताओं को चामहए
की वह उन िंथथाओं ,िमयहों और व्यक्तियों को दान दें जो इस्लामी आतंक के मवरुि काम
कर रहे हों .दे श िमा की रक्षा के मलए िममपात हो .यमद ऐिे लोगों को आमथाक िहायता दी
जाये तो यही लोग इतने िमथा और शक्तिशाली हो जायेगे मक इिी भी मविमी की मंमदरों की
तरफ कुद्रमष्ट् िालने की महम्मत नहीं होगी .

7 -प्रचार क्षेत् बढायें

आजकल कम्प्ययटर लोगों िे िंपका बढाने और अपना िन्दे श लोगों तक पूँ हुचाने का िशि
माध्यम है .िभी महन्दय ब्लागरों को चामहए मक वह आपि में अपने मवचारों का आदान प्रदान
करते रहें .मुक्तस्लम ब्लागरों के दु ष्प्रचार का तका पयणा खंिन करते रहें .और अपने क्षेत्र में
मजहादी मवचारों को फैलने िे रोकें .और अपने लेखों िे महन्दु ओं को िचेत करते रहें .यमद
मकिी के मोहल्ले में कोई मजहादी प्रचार कर रहा हो तो ,उिकी जानकारी अपने िभी ममत्रों
को जरुर दें .िभी महन्दय ब्लागर आपि में िं पका बनाये रखें और एक दु िरे के लेखों को पढ़ते
रहें .

8 -तहन्दू लड़तकयों को सािधान करें


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मुिलमान लिके अपने नाम बदल कर महन्दय लड़मकयों को अपने जाल में फंिा लेते हैं .और
यातो उनको रखेल बना कर रख लेते हैं ,या उनका आतंकी कामों में इस्तेमाल करते हैं .बाद
में यह मयखा लड़मकयाूँ न घर की रहती हैं न घाट की .अक्सर जो महन्दय लड़की मकिी
मुिलमान अमभनेता को अपना आदशा मानती है ,वह मुिलमानों के जाल में जल्दी फि जाती
है .महन्दय लड़मकयों को बताया जाये मक मुल्लों ने महन्दय लड़मकयों को र्फिाने के मलए लव
मजहाद के नामिे बाकायदा एक अमभयान चला रखा है .यमद कोई मुक्तस्लम लड़का महन्दय लड़की
को फिा लेता है तो .उिे मुल्ले इनाम दे ते हैं .यह मजतने भी खान नामके अमभनेता हैं िब
पामकस्तान के एजेंट हैं .महन्दय लड़मकयों को चामहए मक इन अमभनेताओं न तो अपना आदशा
मानें और न इनकी प्रिंशा करें .महन्दय माता मपता अपनी लड़मकयों को मुिलमानों के जाल में
नहीं फिने दें .महन्दु ओं को चामहए मक मुक्तस्लम लड़को को ऐिा िबक मिखाये मक वह मकिी
महन्दय लड़की पर नजर भी नहीं उठा िके .

9 -अज्ञान का तनमूफलन करें

आज हमारी युवा शक्ति में अपने िमा ग्रंथों ,अपने गौरवशाली इमतहाि और अपने पयवाजों द्वारा
मकये गए महान कायों के बारे में जानकारी का आभाव होता जा रहा है .कई ऐिे महन्दय हैं
मजन्ें अपने िमा ग्रंथों के नाम भी पता नहीं है .शायद ही मकिी के घर में वेद .उपमनषद्
मौजयद हों .लोग जब मरने लगते हैं तब गीता िु नाई जाती है .यह दु भाा ग्य मक बात है .इिके
कारण नयी पीढ़ी के युवा िमा िे मवमुख होते जा रहे है .और ईिाइयों और मुिलमानों के
प्रभाव में आ जाते है .और िमा पररवतान कर लेते है .िमा ग्रंथों की िही जानकारी न होने िे
महदय ढोंगी .पाखंिी .ियता ,चालाक बाबा तां मत्रक लोगों के चक्कर में पड़ जाते हैं .और पाखण्ड
को ही िमा िमझते हैं

हमें चामहए मक हरे क महन्दय पररवार के घर प्रमामणक िदग्रंथ मौजयद हो .मजिका मनयममत अथा
िमहत पठन होता रहे .और लोग अपने बच्चों को भी अथा बता मदया करें .यमद िंभव हो तो
कुछ लोग ममलकर मकिी जगह महन्दय ,जैन ,बौि और मिख िमों की पु स्तकों को रखाव दें
मजि िे लोगों का ज्ञान विान होता रहे .ज्ञान के मबना हम पाखण्ड को नहीं ममटा िकते .और
न ईिाई और मुिलमानों का तकापयणा जवाब दे िकते हैं
248

10 -केिल दे शतहि को लक्ष्य बनायें

हमारा एकमात्र लक्ष्य अपने दे श और िमा की रक्षा करना होना चामहए .और इि पमवत्र दे श में
लुटेरों की औलाद को अपनी जड़ें ज़माने और भारत को इस्लामी दे श बनाने रोकना होना
चामहए .और इिके मलए हर िािन का प्रयोग करना चामहए .हमें मकिी भी दशा में अपने
उद्दे श्यों िे नहीं हटना चामहए .इिीमलए हमें उिी दल या िंगठन का िहयोग करना चामहए
,मजिने िावाजमनक रूप िे दे श और महन्दय िमा के प्रमत मनष्ठां और प्रमतबिता घोमषत कर रखी
हो.हमें क्षद्म िेकुलर और मुक्तस्लम तुमष्ट्करण के िमथाक वणािंकर लोगों िे दय र रहना चामहए .

11 - लि तजहाद

लव मजहाद आज के िमय में इस्लाम के प्रचारों का प्रचमलत िबिे भयंकर खतरा है , इिाई,
जैन, बोि, मिक्ख और महन्दय लड़मकयों को मुिलमान लड़कों द्वारा झयठे प्यार के जाल में फंिा
कर उनिे मनकाह मकया जाता है , कुछ िमय बाद उनिे मुक्तस्लम बच्चे पै दा करने के बाद उन्ें
छोड़ मदया जाता है ... पर केवल तभी अगर वो िुंदर नहीं हैं , अगर लड़की िुंदर है तो उिे
इस्लामी दे शों में भेज मदया जाता है ..वेश्यावृमत्त के िंिे में झोंकने के मलए l

लव मजहाद के बारे में INTERNET पर बहुत िे जागरूकता अमभयान चलाये जाते हैं तथा
बहुत िी लड़मकयों द्वारा अपने जीवन के भयावह अनुभव भी बताये जाते हैं , उन्ें पढ़ें तथा
अपनी लड़मकयों को िमय िमय पर जागरूक करके उनको इन िबके बारे में बताते रहे l

सबसे आिश्यक है की अपनी लड़तकयों को कहा जाए की अपना मोबाइल recharge


करिािे समय तकसी को अपना नम्बर न दें , जहां िक सम्भि हो कोउपंलेकर ही
recharge करिाएं , तजससे की तकसी अनजान व्यल्जक् के पास आपकी लड़तकयों के नम्बर
न पहुंचें l
249

अमिक जानकारी के मलए मनम्नमलक्तखत Website को जहां तक िम्व हो .... पढ़ें और पढ़ाएं
l

http://keralahinduhelpline.org/

http://www.scribd.com/doc/36553282/Love-Jehad

मेरा मवश्वाि है मक उपरोि मदए गए िुझावों िे हमारे ममत्र और पाठक िहमत होंगे l

हो िकता है मेरे मवचारों के प्रस्तुत करने का ढं ग मकिी को ठीक न लगे ,लेमकन मेरे उद्दे श्य
में मकिी को शं का नहीं करना चामहए l

और अंि में एक तिशेर्ष आग्रह है सबसे की िमस्त प्रकार की जागरूकता के िमाचार


मवमभन्न मवमभन्न WEBSITES और BLOG SITES आमद पर प्रकामशत होते रहते हैं मजनमे िमस्त
प्रकार के मजहादों और अन्य प्रकार के इस्लामी कु-प्रचारों आमद के बारे में बताया जाता रहता
है उन्ें पढ़ कर अपना ज्ञान बढाते रहे और िब को जागरूक करने की अपनी अपनी नीमतक
मजम्मेदारी को िमझ कर अपना अपना भारतीय होने का कताव्य पयरा करें .... और आने वाली
पीढ़ी को एक बेहतर जीवन दे ने में िबकी िहायता करें l

यही दे मह आज्ञा तुरक को खपाऊं,गौऊ घात को पाप जग िें ममटाऊूँ


250

रसूल सू अर और पैशातचक मुहम्मद का पै शातचक इस्लाम

मुहम्मद िाहब खुद महं दु थे ,उनका पयरा खान्दान भी महं दु था इिमलए उन्ोंने जब अपना नया
मुिलमान िमा बनाया तो अपने िारे मनयम-कानयन महं दु-िमा के मवपरीत कर मदया उन्ोंने,भले
ही वो मानवता के अमहत में ही क्ों ना हो.कुछ तो उन्ोंने मकया और कुछ तो अपने -आप हो
गए.कुछ मनयम तो काफी हास्यास्पद भी हैं लेमकन उनपर ईस्लाम को महं दु िे श्रेष्ठ िामबत
करने का इतना जुनयन िवार था मक िारी िीमाएूँ ही तोड़ते चले गए वो..इिमलए मिफा
मयाा दाओं को तोड़ना ही इस्लाम िमा का उद्दे श्य बनकर रह गया.मनयम को उल्टा करने का
एक प्रमुख कारण उनका िर भी था.चयूँमक वो जन्मजात महं दु थे इिमलए अपने आप को महं दु िे
अलग िामबत करने के मलए पयर मनयम ही उल्टा कर मदया.

अब कुछ मबन्दु ओं पर दृमष्ट्पाद कररए और अंदाज लगाईए मक मकतने मवपरीत है दोनों िमा.-

{{क}} पुराण और कुराण -िबिे पहले िमा-ग्रंथों के नाम ही मबिुल उल्टे हैं और यहीं िे
िब कुछ उल्टा होना शु रु हुआ..अब स्पष्ट् है मक अच्छा का उल्टा करना हो तो बुरा ही
करना पड़े गा कुछ और तो कर नहीं िकते .इि कारण जो थोड़ी बहुत बुराईयाूँ थीं महं दु िमा में
वो तो अच्छाई बनकर इनके िमा में आ गई पर महं दु िमा अच्छाईयों िे भरी पड़ी थीं इिमलए
उिको उल्टा करने के चक्कर में बुराईयों िे भर मलया इन्ोंने अपने िमा -ग्रंथों को..ध्यान
दीमजए मक "कु" उपिगा हमेशा मकिी िातु को बुरा बनाने के मलए लगया जाता है जैिे रुप
का कुरुप,कुकमा,िमय का कुिमय,इिी प्रकार कुलंगार,कुलक्तच्छणी,कुिं गत आमद.

{ख} मवचार तो उल्टे हैं ही इनके िारे रीमत-ररवाज और मक्रया-कलाप भी उल्टे --

महं दु लोग अपने बच्चे का जन्म के ३ िाल पिात मुण्डन िं स्कार करवाते हैं मजिमें िर के
अशुि बाल को छीलकर उिे िाफ कर दे ते हैं लेमकन ये अपने तीन िाल के बच्चे का मलंग
छीलकर मछलन-िंस्कार करते हैं मजिमें स्वच्छ त्वचा को हटा मदया जाता है जो बच्चे के कोमल
मलंग की रक्षा करने के मलए होता है वहाूँ पर,और मलंग को खुला छोड़ मदया जाता है गंदा होते
रहने के मलए.यहीं िे मुक्तस्लम बच्चों के अंदर मार-काट और कुंठा की भावना का जन्म होता
है ..ये बात इतनी छोटी नहीं है मजतने प्रतीत होती है .ध्यान दे ने वाली बात ये है मक महं दुओं का
ध्यान शरीर के मक्तस्तष्क यामन िबिे उपरी भाग पर केंमद्रत होता है मजिके कारण वो उन्नमत के
मागा पर अग्रिर रहते हैं जबमक मुक्तस्लमों का ध्यान शरीर के िबिे मनचले भाग मलंग पर
केंमद्रत होती है मजि कारण ये अवनमत के पथ पर अग्रिर रहते हैं ..महं दु अपने मन को
शुि-पमवत्र कर अपने ध्यान को एक मबंदु पर केंमद्रत करने लायक बनाते हैं तामक वो आत्म-
िाक्षात्कार कर िके पर हमारे मुिलमान भाई अपना िारा ध्यान िंभोग पर ही केंमद्रत रखते हैं
और िारा जीवन िंभोग करते -करते और बच्चे पै दा करते -करते ही मबता दे ते हैं ..िुना है
इनके पैगम्बर िाहब भी िंभोग करते -करते ही मर गए थे ..और इन्ें मजि स्वगा का लालच
251

दे कर आत्म-घाती बम तक बनने के मलए मजबयर कर मदया जाता है उि स्वगा में भी इन्ें


िंभोग और मां ि-भक्षण का ही लालच मदया जाता है ..

मकतना मवशाल अंतर है दोनों िमों में -जहाूँ महं दु िमा में शारीररक िुख त्याज्य,घृणा और िबिे
मनचले स्तर का िुख है वहीं मुिलमान भाईयों के मलए यह परम और अंमतम िुख है .महं दुओं
की बातें स्वगा और नका िे शुरु होती हैं पर मुक्तस्लम भाईयों की बातें यहीं आकर खत्म हो
जाती हैं ...

महं दु अगर ियक्ष्म बातों पर ध्यान केक्तन्द्रत करते हैं तो ये थथयल बातों पर..महं दु अगर मानमिक
और आक्तत्मक िुख की बात करते हैं तो ये शारीररक िुख की...

चमलए ियक्ष्म बातें बहुत हो गई अब कुछ थथय ल बातें करते हैं ......

{{ग}}महं दु मदा मयूँछों को अपनी शान िमझते हैं इिमलए उिे बढ़ाते हैं तथा दाढ़ी को िाफ
कर दे ते हैं पर हमारे मुिलमान भाई मयूँछों को ही िाफ कर दे ते हैं तथा दाढ़ी को शान
िमझकर रख लेते हैं ..यहाूँ भी मैं यही कहूूँ गा मक इन्ोंने मनचले भाग को प्राथममकता दी..

{{घ}}महं दु गौ-पयजा करते हैं पर ये गायों को हत्या करते हैं वो भी बकरीद के मदन..क्ोंमक
बकरीद अथाा त बकर+ईद.अरबी में गाय को बकर कहा जाता है और ईद का अथा पयजा होता
है .ईद िंस्कृत शब्द ईि िे बना है मजिका अथा पयजा होता है ..अब बताइए मजि मदन इन्ें
गाय की िेवा करके पु ण्य प्राप्त करना चामहए उि मदन ये गाय की हत्या करते हैं ..

{{ङ}}महं दुओं के मलए स्वच्छता का अथा जहाूँ पयरे शरीर की शुक्ति के िाथ-िाथ मन की शुक्ति
होती है वहीं इनके मलए शुिता का अथा मिफा मलंग को पे शाब करने के बाद ममट्टी के ढे ले या
ईंट के टु कड़े िे मघि लेने भर िे है और ध्यान दे ने वाली बात ये है मक ये ममट्टी के ढे ले या
ईंट के टु कड़े बहुत ही गंदे होते हैं क्ोंमक ये पे शाब करने के जगह के आि-पाि िे ही
उठाए जाते हैं ...जैिा मक मैं पहले ही कह चुका हूूँ मक इनका पयरा ध्यान जीवन भर मिफा
मलंग पर ही केंमद्रत होता है इि बात का ये बहुत ही हास्यास्पद और दु िःखद उदाहरण है मक
इनकी नजर में महं दु नापाक और मुिलमान पाक होते हैं मिफा इिमलए मक मुिलमान पे शाब के
बाद मलंग को ममट्टी िे मघि लेते हैं और महं दु नहीं मघिते इिमलए..बाूँ की ये पखाने के बाद
अपने गुदा को ना भी िोयें तो कोई बात नहीं,गुदा अगर िो भी मलया है तो हाथ को ममट्टी या
िाबुन िे नहीं भी िोयें तो कोई बात नहीं,िप्ताह भर ना भी नहायें तो कोई बात नहीं--ये पाक
हैं क्ोंमक अपने मलंग को ममट्टी िे मघिते हैं पर महं दु बाूँ की कोई भी स्वच्छता अपना ले वह
नापाक है मिफा इिमलए मक उिने पेशाब के बाद अपना मलंग नहीं मघिा...मकतनी मयखाताभरी
बातें हैं ये ..
252

एक और बातें मुझे एक व्यक्ति ने बताई थी जो भौमतकी के बहुत ही मवद्वान मशक्षक तो थे ही


एक बहुत ही अच्छे तथा िमझदार इं िान थे..वो वजय के बारे में बता रहे थे मक शुि होने के
मलए ठे हुने िे नीचे पैर को िोना चामहए,केहुनी िे नीचे के हाथ वाले भाग को और गदा न िे
उपर वाले भाग को.बि हो गए तैयार नवाज पढ़ने के मलए..यहाूँ तक तो ठीक है लेमकन
इिके बाद जो उन्ोंने कहा उि बात पर मैं अपने आपको हूँ िने िे नहीं रोक िका..आगे
उन्ोंने कहा मक अगर अपानवायु छयट जाय तो वजय टय ट जाता है और उिके बाद मफर िे ये
उपर बताई गई मवमि अपनानी होगी..अब बताईए हवा अगर कमर के नीचे िे मनकले तो
उििे ठे हुना के नीचे पैर वाला महस्सा और केहुनी के नीचे का हाथ वाला महस्सा िोने का क्ा
तुक बनता है .....

अफिोि मक ऐिी बेतुकी बातें ईश्वरीय वाणी कहलाती हैं ..

{{च}} मुिलमान िमा अज्यानता के आिार पर ही मटका हुआ है जबमक जबमक महं दु िमा का
अिार मिफा ज्यान है ..एक उल्लेखनीय बात ये है मक मुिलमान लोग इिमलए कुरान और
पैगम्बर पर इतनी श्रिा रखते हैं क्ोंमक वे अज्यान हैं उन इमतहाि िे जो इस्लाम के शुरुआत
िे ठीक पहले का है यमन मुहम्मद के पहले का इमतहाि..अगर िच्चा इमतहाि पता चल जाय
इन्ें तो नफरत हो जाएगी मुहम्मद िे....ये क्ा कल्पना कर मलया मैंने.! अब तक तो
मुहम्मद जी ने िारे मुिलमानों का इि तरह ब्रेन-वाश कर मदया है मक खुद खुदा भी पृथ्वी पर
आकर कहे मक मुहम्मद मेरा भेजा हुआ पैगम्बर नहीं था तो ये उि खुदा को ही मा-बहन
करना शुरु कर दें गे..अब तो शायद खुदा को भी महम्मत नहीं होती होगी इन्ें िही रास्ते पर
लाने की..

{{छ}} योग और मवयोग..महं दु का ध्यान योग पर केंमद्रत होता है यामन जोड़ने में जबमक इनका
ध्यान तोड़ने में केंमद्रत होता है ..महं दु भगवान की पयजा करने के िमय अपने दोनों हाथों को
जोड़ लेते हैं जबमक ये दोनों हाथों को फैला लेते हैं ..यहाूँ भी लालच..भगवान के पाि मिफा
माूँ गने के मलए ही जाते हैं ..

{{ज}} महं दु त्याग और तपस्या की बातें करते हैं तो मुिलमान लयटने -हमथयाने की और मजे
लयटने की..महं दु नाररयों की हमेशा इज्जत करते हैं और युि में भी ये उन्ें अलग ही रखते हैं
जबमक युि में इनका मुख्य हमला क्तस्त्रयों पर ही होता है और उनका इज्जत लयटना इन्ें स्वगा
का मागा ले जाने वाला बतलाया गया है .
253

{{झ}} महं दु के अनुिार िभी जीवों{मानव तथा जंतु} में परमात्मा का अंश होता है अतिः िबिे
प्यार करना चामहए पर इनके अनुिार गैर-मुिलमान बि मारने -काटने और िताने के भागी
हैं ..

{{ञ}} महं दु के अनुिार िभी बुरे कमों का फल भोगना होगा पर बाईमबल और कुरान के
अनुिार जो इन दोनों ग्रंथों पर मवश्वाि करे गा बि वही स्वगा का राही है मजिने अमवश्वाि मकया
वो नका का..इन िमों में आ जाने िे िब पापों िे मुक्ति..यमन करना िरना कुछ नहीं बि
इन पुस्तकों को ईश्वरीय पुस्तक मान लो और प्राप्त कर लो कुकमा करने का लाइिेंि...

एक तरफ ये भगवान को िवाशक्तिमान तो मानते हैं लेमकन ये भी मानते हैं मक भगवान को


िाकार रुप िारण करने की शक्ति नहीं है यमन जो हमेशा अदृश्य रहे वही िवा -शक्तिमान ईश्वर
हो िकते हैं अगर उन्ोंने िाकार रुप िर मलया तो वे भगवान हो ही नहीं िकते ...एक और
बड़ा अंतर....

{{ट}} महं दुओं के भगवान खुद मानवों के बीच आते हैं अवतार लेकर तामक मानवों को जीने का
िही मागा िीखा िकें उनके िामने एक आदशा रख िकें तथा मानवों का भगवान पर श्रिा-
मवश्वाि और प्रेम बढ़ िके पर इनके अल्लाह को खुद इनके बीच आने की महम्मत नहीं है
इिमलए एक दलाल को भेज दे ते हैं ..या तो इनके अल्लाह बहुत िरपोक हैं या मफर इनिे प्रेम
करते ही नहीं...

{{ठ}} महं दुओं के अनुिार स्वगा-नरक को भोग लेने के बाद मफर इि िंिार में आना ही होगा
जबतक मक आत्म-ज्यान प्राप्त नहीं हो जाता लेमकन इनके अनुिार अगर एक बार स्वगा पहुूँ च
गए(चाहे आत्म-घाती हमलावर बनकर िैकड़ों लोगों की जान लेकर ही िही))तो बि िारी
मचंता खत्म,अनन्त काल के मलए िुख भोगते रहो और अगर ना पहुूँ च िके तो नका में जाकर
अनन्त काल के मलए दु िःख भोगते रहो...

अब यहाूँ थोड़ी दे र रुक कर मवचार कररए मक इि तरह अनन्त काल तक का स्वगा-नरक


वाला मििान्त जो इतना िरावना है तो क्ों ना स्वगा जाने के मलए लोग कुछ भी करने के मलए
तैयार हो जाएूँ गे और उिपर भी स्वगा जाने के मलए काम तो दे क्तखए इनका जो मुिलमान नहीं
हैं उिे अपना शत्रु िमझो और उिकी हत्या करो भले ही वो तुम्हारे मा-मपता ही क्ों ना
हों..तो बताइए मक इि तरह की मशक्षा महं िा और अशां मत फैलाये गी मक नहीं और इिके बाद
भी इि तरह के मजतने ज्यादा कमा तुम करोगे उतनी ज्यादा िुख अथाा त उतनी ज्यादा हूरें
ममलेंगी स्वगा में यमन मिफा लिमकयों के मलए इतनी महं िा...अगर मैं मुिलमान होता तो नका
जाना पिंद करता लेमकन इि तरह के काम करके स्वगा जाना पिंद नहीं करता...
254

{{ि}} महं दु िमा िोचने -िमझने की पयरी स्वतंत्रता दे ता है जबमक मुिलमान िमा ये िारी आजादी
छीन लेता है ..कुराण के मकिी बात पर अमवश्वाि कर लेने या मुहम्मद पर अमवश्वाि कर लेने
भर िे नरक....बताईए इतनी छोटी िी बात के मलए इतनी बड़ी िजा..

मलखते तो उल्टा हैं ही िुना है मक ये िंभोग भी उल्टा ही करते हैं यमन आगे के बजाय पीछे
िे.जानवरों की तरह..िारे जानवर तो पीछे िे करते ही हैं पर ये उनकी मववशता है ..भगवान
ने मनुष् को जानवरों िे अलग बनाया और मलंग को आगे रखा तामक दोनों एक-दय िरे के
िामने रह िके लेमकन उल्टा करने के चक्कर में.........

महं दु बाूँ यें िे दाूँ यें बढ़ते हैं .चयूँमक बाूँ या भाग दामहने भाग की तुलना में कमजोर होता है और
बाूँ यें तरफ मदल होता है इिमलए जो भी मलखा जाता है वो मदल िे और बाूँ यें िे दाूँ यें जाने का
अथा होता है मवकाि की ओर अग्रिर परं तु मुिलमान दाूँ यें िे बाूँ ए की ओर चलते हैं यमन
उन्नमत िे अवनमत की ओर..

चयूँमक मलखना एक कला है और कलाकारी को नाजुक हाथों िे प्यार िे की जाती है इिमलए


कागज पर लकीरों को खींचा जाता है (ऐिा कभी नहीं कहा जाता मक रे खा ढकेलो,हमेशा मशक्षक
बच्चों को यही कहते हैं मक रे खा खींचो),ढकेला नहीं जाता क्ोंमक ढकेलने में शक्ति का प्रयोग
करना पड़ता है और शक्ति का प्रयोग कला को मबगाड़ िकता है बना नहीं िकता..इिमलए
तो इनके िमा में कलाकारी करना गुनाह है ...उदय ा -फारिी मलखते भी हैं तो ढकेल-
ढकेलकर..इिमलए दे खने में भी ऐिा लगता है जैिे २-३ िाल के बच्चे के हाथों में कागज-
कलम पड़ गया हो और उिने कौआ-मैना उड़ने का खेल खेल मलया हो...

मुिलमान िमा की आिार-शीला ही दु श्मनी पर रखी गई थी इिमलए दु श्मनी मनकालने के मलए


हरे क चीज को ही उल्टा कर मदया इन्ोंने..पयरब को पमिम कर मदया.लोग बत्तानों को अंदर िे
कलई करवाते हैं तो ये बाहर िे ,टोपी की मिलाई भी इनकी उल्टी होती है ,चयल्हे पर तवा भी
उल्टा रखते हैं ,पररक्रमा भी उल्टी मदशा में करते हैं ,महं दु माला की मोती को उपर िे नीचे
िरकाते हैं तो ये नीचे िे उपर..यमन यहाूँ भी ढीठता...लोग हाथ-पाूँ व िोते िमय पानी को
उपर िे नीचे की ओर मगराते हैं तो ये नीचे िे उपर की ओर यमन ये तलहस्त को उपर कर
पानी को बहाते हैं .महं दु या तो भयखे रहकर उपवाि रखते हैं या फल खाकर पर ये पेट भरकर
उपवाि करते हैं वो भी मां ि खाकर..हमलोग मशवमलंग को नीचे रखते हैं तो इन्ोंने दीवार में
मचनवा मदया है ..शुक्र है मक उपर छत में लटका नहीं मदया है ..अगर िम्व होता तो वो भी
कर लेते ये..चयूँमक उिे छयना और चयमना पड़ता है इिमलए इिे छत िे लटकाने के बजाय
दीवार में मचनवा मदया नहीं तो........
255

इस्लाम का िीिा-िािा मनयम ये है मक अन्य िे अपना अलग अक्तस्तत्व,मवरोि,मचढ़ और शत्रुता


कायम रखने के मलए आम लोग जो करते हैं उिका उल्टा करना..चयूँमक ईिा और ईस्लाम के
पयवा पयरे मवश्व में वैमदक यमन महं दु िंस्कृमत ही व्याप्त थी इिमलए इनकी िारी दु श्मनी महं दुओं िे
ही थी..इिका एक उदाहरण है मक एक बार एक इस्लामी िम्पादक को एक मुिलमान का
पत्र ममला मजिमें उनिे पय छा गया था मक महं दु अगरबत्ती जलाते हैं तो मुिलमान को जलाना
चामहए या नहीं तो उि िम्पादक ने भी यही उत्तर मदया मक उिे इिका उत्तर िमझ में नहीं
आ रहा है लेमकन चयूँमक महं दु जलाते हैं इिमलए मुिलमान को नहीं जलाना चामहए..

महं दु और मुिलमान के बीच िबिे बड़ा अंतर यही है मक महं दु का अथा भारतीय होता है
जबमक मुिलमान का अथा भारतद्रोही..

चयूँमक भारत एक महं दु बहुिंख्यक दे श है इिमलए इनकी प्रीमत भारत के प्रमत कभी हो ही नहीं
िकती..इनकी प्रीमत हमेशा अरब या मुक्तस्लम दे शों के प्रमत होती है ....इक्का-दु क्का
मुिलमान को छोड़ मदया जाय तो भारत के िारे मुिलमान दे श-द्रोही हैं मजनके मदल में भारत
के मलए नहीं पामकस्तान के मलए प्यार बिता है ..यही है इनका िमा जो अपने दे श के िाथ
गद्दारी करने की िीख दे ता है ..दु िःख होता है कहते हुए लेमकन भारत में ही भारत के लाखों
दु श्मन पल रहे हैं ...महं दु और मुिलमान में एक अंतर ये भी है मक महं दु मिंह की तरह
मनिर और िाहिी होते हैं इिमलए अकेले बि अपने पररवार के िाथ रहना पिंद करते हैं
जबमक मुिलमान िरपोक होते हैं जो लाखों करोड़ों के झुण्ड बनाकर रहते हैं मफर भी उनका
िर खत्म नहीं होता और झुण्ड बढ़ाने में लगे रहते हैं और बच्चे पैदा करते रहते हैं क्ोंमक
उन्ें पता होता है मक एक अकेला शेर ही भारी पड़ जाएगा उि झुण्ड पर...

कौरव िौ भाई ही िही पर उनपर पाूँ च पाण्डव ही भारी थे.कौरवों के पाि कृष्ण की लाखों
की िेना ही िही पर एक मनहत्था कृष्ण ही भारी थे ..

पयरा मवश्व मुिलमानों िे भरा ही क्ों ना हो अकेला भारत ही काफी है पयरी दु मनया के
मलए...

एक महाभारत हुआ था दो भाईयों के बीच और उिके बाद कमलयु ग की शुरुआत हुई थी,
उिीप्रकार एक और महामहन्दु स्तान होने की िंभावना मदख रही है मजिके बाद अंत होगा
कलयुग का और ितयुग आएगा..
256

SICKULARS : सेकुलर सरकार की पैशातचक हज और यरूशलम सल्जब्सडी

िेकुलर िरकार की हज िक्तििी

कुरआन ए पाक में िच्चे मुिलमान के मलए हज यात्रा का मवशेष महत्तव वमणात है . हज यात्रा
केवल अपनी कमाई में िे या मफर मनकट िम्बन्धी िे प्राप्त िन राशी िे ही हलाल मानी जाती
है . इिी मलए मकिी भी मुक्तस्लम दे श में हज यामत्रयों के मलए िरकारी िक्तििी नहीं दी जाती
क्ोंमक यह शररयत की महदायतों के क्तखलाफ है . बहुत िे इस्लाममक मवद्वान िरकारी िक्तििी
पर हज यात्रा को ‘हराम’ मानते हैं . मफर भी हमारे िेकुलर हुक्मरान 180 मममलयन मुक्तस्लम
मबरादरी को खुश करने के मलए हज यात्रा के मलए िक्तििी मनरं तर बढाते चले जा रहे हैं .
इि वषा केंद्र ने हज िक्तििी के मलए मफर िे 800 करोड़ की भारी भरकम रामश मंजयर की
है . 1994 में यह राशी 10.57 करोड़ रूपए थी जो 2008 आते आते ८२६ करोड़ हो गई.

प्रमत हज यात्री खचा भी 1200 रूपए िे , 2001 आते आते बढ़ कर 59,610 रूपए हो गया. हर
वषा लगभग 1.64 लाख मुिलमान हज यात्रा को जाते हैं मजनमें िे 1.15 लाख िरकारी िक्तििी पर
यात्रा करते हैं मजनका चयन हज कमेटी कुरा ह -अथाा त लाटरी िे करती है . 2002 में हज कमेटी
ने 70,298 यात्री भेजे थे और 2008 आते आते यह िंख्या 92,695 हो गई.

ऐिे ही केरल और आं ध्र प्रदे श में ईिाई यामत्रओं को भी िरकारी िक्तििी दी जाती है . हमारे
िेकुलर हुक्मरानों को शायद खुद को िेकुलर मदखाने के मलए या मफर अल्पिंख्यक वोट बैंक
को मजबयत करने के मलए ‘भारतीय जनता के खयन पिीने की कमाई के ‘कर’ को लुटाने में
मज़ा आता है .

िेकुलर छमव बनाए रखने के मलए यह भी जरूरी है मक यह िुमविा बहुिं ख्यक ‘महन्दु ओ’ं को
हरमगज़ न दी जाए. हर िाल 960 महन्दय यात्री पमवत्र मानिरोवर यात्रा को जाते हैं . इि यात्रा के
मलए उन्ें कुमाऊ मंिल मवकाि मनगम को 24,500 रूपए अदा करने पड़ते हैं मजिमें 5000/-
मिक्ोटी जो वामपि नहीं होती, भी शाममल है .इिके अमतररि 2950/- और 700 िालर (31500/-)
अलग िे दे ने होते हैं जो चीन िरकार को जाते हैं l यात्रा पर होने वाले अन्य खचे अलग िे.
इि प्रकार प्रतीयेक महन्दय यात्री को 58.150/- तो यात्रा शुि और कर के रूप में ही िरकार
को दे ने होते हैं . इि प्रकार हर वषा कैलाश मानिरोवर यात्रा पर महन्दय यात्री अपनी िेब िे
५.५६२४ करोड़ रूपए खचा करते हैं और हमारी िेकुलर िरकार अपने महन्दय यामत्रयों को 1%
भी िरकारी िक्तििी दे ना मुनामिफ नहीं िमझती.
257

आज़ादी के 64 बरि बाद भी हम अपनी जनता को स्वच्छ पीने का पानी तक मुहैय्या नहीं कर
पाए . हर 15 िैकंि के बाद एक बच्चा जल जमनत रोग िे मर जाता है . हमारे बंगाली बाबय
ने इि िाल नमदयों के जल को िार्फ करने के मलए, महज़ 200 करोड़ रूपए अपने बज़ट में
अलग िे रख छोड़े हैं . वोट बैंक िक्तििी का चौथा महस्सा ! ठीक ही है भई बच्चे कब वोट
िालते हैं .

मनरं तर अल्पिंख्यक तुमष्ट्करं और आिमान छयती हज िक्तििी को दे खते हुए एक प्रशन हर


भारतीय के मन में अपने आप ‘मवमकलीक के खुलािों की मामफक उजागर हो उठता है . क्ा
गाूँ िी नेहरु का भारत आज भी मुग़ल कालीन ‘इस्लाममक राज्य ‘ तो नहीं ?
258

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 1

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 1

भारत में इस्लामी मजहाद-इमतहाि के पन्नों िे

मुहम्मद मबन कामिम (712-715)

मुहम्मद मबन कामिम द्वारा भारत के पमिमी भागों में चलाये गये मजहाद का मववरण, एक मुक्तस्लम
इमतहािज्ञ अल क्रयफी द्वारा अरबी के 'चच नामा' इमतहाि प्रलेख में मलखा गया है । इि प्रलेख
का अंग्रेजी में अनुवाद एमलयट और िाउिन ने मकया था।

मिन्ध में मजहाद

मिन्ध के कुछ मकलों को जीत लेने के बाद मबन कामिम ने ईराक के गवानर अपने चाचा हज्जाज
को मलखा था- 'मिवस्तान और िीिाम के मकले पहले ही जीत मलये गये हैं । गैर-मुिलमानों का
िमाा न्तरण कर मदया गया है या मफर उनका वि कर मदया गया है । मयमता वाले मक्तन्दरों के थथान
पर मक्तिदें खड़ी कर दी गई हैं , बना दी गई हैं ।

(चच नामा अल कुफी : एमलयट और िाउिन खण्ड 1 पृष्ठ 164)


259

जब मबन कामिम ने मिन्ध मवजय की, वह जहाूँ भी गया कैमदयों को अपने िाथ ले गया और बहुत
िे कैमदयों को, मवशेषकर ममहला कैमदयों को, उिने अपने दे श भेज मदया। राजा दामहर की दो
पुमत्रयाूँ - पररमल दे वी और ियरज दे वी-मजन्ें खलीफा के हरम को िम्पन्न करने के मलए हज्जाज
को भेजा गया था वे महन्दय ममहलाओं के उि िमयह का भाग थीं, जो युि के लयट के माल के
पाूँ चवे भाग के रूप में इस्लामी शाही खजाने के भाग के रूप् में भेजा गया था। चच नामा का
मववरण इि प्रकार है - हज्जाज की मबन कामिम को थथाई आदे श थे मक महन्दु ओं के प्रमत कोई
कृपा नहीं की जाए, उनकी गदा नें काट दी जाएूँ और ममहलाओं को और बच्चों को कैदी बना मलया
जाए'

मुहम्मद मबन कामिम 17000 महन्दय ममहलाओं को अपने िाथ लेकर गया था, और जगह जगह
उनको मनवास्त्र करके घुमा कर अपमामनत मकया गया और जगह जगह बेचा गया l

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ 173)

हज्जाज की ये शतें और ियचनाएूँ कुरान के आदे शों के पालन के मलए पयणातिः अनुरूप ही थीं। इि
मवषय में कुरान का आदे श है -'जब कभी तुम्हें ममलें, मयमता पयजकों का वि कर दो। उन्ें बन्दी बना
(मगरफ्तार कर) लो, घेर लो, रोक लो, घात के हर थथान पर उनकी प्रतीक्षा करो' (ियरा 9 आयत
5) और 'उनमें िे मजि मकिी को तुम्हारा हाथ पकड़ ले उन िब को अल्लाह ने तुम्हें लयट के
माल के रूप मदया है ।'

(ियरा 33 आयत 58)

रे वार की मवजय के बाद कामिम वहाूँ तीन मदन रुका। तब उिने छिः हजार आदममयों का वि
मकया। उनके अनुयायी, आमश्रत, ममहलायें और बच्चे िभी मगरफ्तार कर मलये गये। जब कैमदयों की
मगनती की गई तो वे तीि हजार व्यक्ति मनकले मजनमें तीि िरदारों की पुमत्रयाूँ थीं, उन्ें हज्जाज
के पाि भेज मदया गया।
260

(वही पुस्तक पृ ष्ठ 172-173)

कराची का शील भंग, लयट पाट एवम् मवनाश

'कामिम की िेनायें जैिे ही दे वालयपुर (कराची) के मकले में पहुूँ चीं, उन्ोंने कत्लेआम, शील भंग,
लयटपाट का मदनोत्सव मनाया। यह िब तीन मदन तक चला। िारा मकला एक जेल खाना बन
गया जहाूँ शरण में आये िभी 'कामफरों' - िैमनकों और नागररकों - का कत्ल और अंग भंग
कर मदया गया। िभी कामफर ममहलाओं को मगरफ्तार कर मलया गया और उन्ें मुक्तस्लम योिाओं
के मध्य बाूँ ट मदया गया। मुखय मक्तन्दर को मक्तिद बना मदया गया और उिी िुरी पर जहाूँ
भगवा ध्वज फहराता था, वहाूँ इस्लाम का हरा झंिा फहराने लगा। 'कामफरों' की तीि हजार
औरतों को बग़दाद भेज मदया गया।'

(अल-मबदौरी की फुतुह-उल-बुल्दनिः अनु. एमलयट और िाउिन खण्ड 1)

ब्राहम्नाबाद में कत्लेआम और लयट

'मुहम्मद मबन कामिम ने िभी कामफर िैमनकों का वि कर मदया और उनके अनुयामययों और


आमश्रतों को बन्दी बना मलया। िभी बक्तन्दयों को दाि बना मदया और प्रत्येक के मयल्य तय कर
मदये गये। एक लाख िे भी अमिक 'कामफरों' को दाि बनाया गया।'

(चचनामा अलकुफी : एमलयट और िाउिन खण्ड १ पृष्ठ १७९)


261

िुबुिगीन (९७७-९९७)

'

कामफर द्वारा इस्लाम अस्वीकार दे ने, और अपमवत्रता िे पमवत्र करने के मलए, जयपाल की राजिानी
पर आक्रमण करने के उद्दे श्य िे , िुल्तान ने अपनी नीयत की तलवार तेज की। अमीर लम्घन
नामक शहर, जो अपनी महान् शक्ति और भरपयर दौलत के मलए मवखयात था, की ओर अग्रिर
हुआ। उिने उिे जीत मलया, और मनकट के थथानों, मजनमें कामर्फर बिते थे , में आग लगी दी,
मयमतािारी मक्तन्दरों को ध्वंि कर मदया और उनमें इस्लाम थथामपत कर मदया। वह आगे की ओर
बढ़ा और उिने दय िरे शहरों को जीता और नींच महन्दु ओं का वि मकया; मयमता पयजकों का मवध्वंि
मकया और मुिलमानों की ममहमा बढ़ाई। िमस्त िीमाओं का उल्लंघन कर महन्दु ओं को घायल
करने और कत्ल करने के बाद लयटी हुई िम्पमत्त के मयल्य को मगनते मगनते उिके हाथ ठण्डे
पड़ गये। अपनी बलात मवजय को पयरा कर वह लौटा और इस्लाम के मलए प्राप्त मवजयों के
मववरण की उिने घोषणा की। हर मकिी ने मवजय के पररणामों के प्रमत िहममत मदखाई और
आनन्द मनाया और अल्लाह को िन्यवाद मदया।'

(तारीख-ई-याममनीिः महमयद का मंत्री अल-उर्बी अनु . एमलयट और िाउिन खण्ड २ पृष्ठ २२,
और तारीख-ई-िुबुि गीन स्वाजा बैहागी अनु . एमलयट और िाउिन खण्ड २)

गज़नी का महमयद (९७७-१०३०)

भारत के मवरुि िुल्तान महमयद के मजहाद का वणान उिके प्रिानमंत्री अल-उर्बी द्वारा बड़ी
ियक्ष्म ियचनाओं के िाथ भी मकया गया है और बाद में एमलयट और िाउिन द्वारा अंग्रेजी में
अनुवाद करके अपने ग्रन्थ, 'दी स्टोरी ऑफ इक्तण्डया एज़ टोल्ड बाइ इट् ि ओन महस्टोररयन्स, के
खण्ड २ में उपलब्ध कराया गया है ।'

पुरुद्गापुर (पेशावर) में मजहाद

अल-उर्बी ने मलखा- 'अभी मध्याह भी नहीं हुआ था मक मुिलमानों ने 'अल्लाह के शत्रु ', महन्दु ओं
के मवरुि बदला मलया और उनमें िे पन्द्रह हजार को काट कर कालीन की भाूँ मत भयमम पर
मबछा मदया तामक मशकारी जंगली जानवर और पक्षी उन्ें अपने भोजन के रूप् मेंखा िकें।
अल्लाह ने कृपा कर हमें लयट का इतना माल मदलाया है मक वह मगनती की िभी िीमाओं िे
262

परे है यामन मक अनमगनत है मजिमें पाूँ च लाख दाि, िुन्दर पुरुष और ममहलायें हैं । यह 'महान'
और 'शोभनीय' काया वृहस्पमतवार मुहरा म की आठवी ३९२ महजरी (२७.११.१००१) को हुआ'

(अल-उर्बी-की तारीख-ई-याममनी, एमलयट और िाउिन खण्ड पृष्ठ २७)

नन्दना की लयट

अल-उर्बी ने मलखा- 'जब िुल्तान ने महन्द को मयमता पयजा िे मुि कर मदया था, और उनके
थथान पर मक्तिदें खड़ी कर दी थीं, उिके बाद उिने उन लोगों को, मजनके पाि मयमतायाूँ थीं,
दण्ड दे ने का मनिय मकया। अिंखय, अिीममत व अतुल लयट के माल और दािों के िाथ
िुल्तान लौटा। ये िब इतने अमिक थे मक इनका मयल्य बहुत घट गया और वे बहुत िस्ते हो
गये ; और अपने मयल मनवाि थथान में इन अमत िम्माननीय व्यक्तियों को, अपमामनत मकया गया मक
वे मामयली दय कानदारों के दाि बना मदये गये । मकन्तु यह अल्लाह की कृपा ही है उिका उपकार
ही है मक वह अपने पन्थ को िम्मान दे ता है और गैर-मुिलमानों को अपमान दे ता है ।'

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ ३९)

थानेश्वर में (कत्लेआम) नरिंहार

अल-उर्बी मलमप बि करता है - 'इि कारण िे थानेश्वर का िरदार अपने अमवश्वाि में-अल्लाह
की अस्वीकृमत में-उित था। अतिः िुल्तान उिके मवरुि अग्रिर हुआ तामक वह इस्लाम की
वास्तमवकता का माप दण्ड थथामपत कर िके और मयमता पयजा का मयलोच्छे दन कर िके। गैर-
मुिलमानों (महन्दु बौि आमद) का रि इि प्रचुरता, आमिक् व बहुलता िे बहा मक नदी के
पानी का रं ग पररवमतात हो गया और लोग उिे पी न िके। यमद रामत्र न हुई होती और प्राण
बचाकर भागने वाले महन्दु ओं के भागने के मचह्न भी गायब न हो गये होते तो न जाने मकतने और
शत्रुओं का वि हो गया होता। अल्लाह की कृपा िे मवजय प्राप्त हुई मजिने िवाश्रेष्ठ पन्थ,
इस्लाम, की िदै व के मलए थथापना की

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ ४०-४१)

फररश्ता के मतानुिार, 'मुहम्मद की िेना, गजनी में, दो लाख बन्दी लाई थी मजिके कारण गजनी
एक भारतीय शहर की भाूँ मत लगता था क्ोंमक हर एक िैमनक अपने िाथ अनेकों दाि व
दामियाूँ लाया था।
263

(फररश्ता : एमलयट और िाउिन - खण्ड I पृ ष्ठ २८)

मिरािवा में नर िंहार

अल-उर्बी आगे मलखता है - 'िुल्तान ने अपने िैमनकों को तुरन्त आक्रमण करने का आदे श्
मदया। पररणामस्वरूप अनेकों गैर-मुिलमान बन्दी बना मलये गये और मुिलमानों ने लयट के
मालकी तब तक कोई मचन्ता नहीं की जब तक उन्ोंने अमवश्वामियों, (महन्दु ओ) ं ियया व अमि के
उपािकों का अनन्त वि करके अपनी भयख पयरी तरह न बुझा ली। लयट का माल खोजने के मलए
अल्लाह के ममत्रों ने पयरे तीन मदनों तक वि मकये हुए अमवश्वामियों (महन्दु ओ)
ं के शवों की
तलाशी ली...बन्दी बनाये गये व्यक्तियों की िंखया का अनुमान इिी तथ् िे लगाया जा िकता
है मक प्रत्येक दाि दो िे लेकर दि मदरहम तक में मबका था। बाद में इन्ें गजनी ले जाया
गया और बड़ी दय र-दय र के शहरों िे व्यापारी इन्ें खरीदने आये थे।...गोरे और काले, िनी और
मनिान, दािता के एक िमान बन्धन में, िभी को मममश्रत कर मदया गया।'

(अल-उर्बी : एमलयट और िाउिन - खण्ड ii पृष्ठ ४९-५०)

अल-बरूनी ने मलखा था- 'महमयद ने भारती की िम्पन्नता को पयरी तरह मवध्वि कर मदया।
इतना आियाजनक शोषण व मवध्वंि मकया था मक महन्दय ियल के कणों की भाूँ मत चारों ओर
मबखर गये थे। उनके मबखरे हुए अवशेष मनिय ही मुिलमानों की मचरकालीन प्राणलेवा,
अमिकतम घृ णा को पोमषत कर रहे थे।'

(अलबरूनी-तारीख-ई-महन्द अनु . अल्बरुनीज़ इक्तण्डया, बाई ऐिविा िचाउ, लन्दन, १९१०)

िोमनाथ की लयट

'िुल्तान ने मक्तन्दर में मवजयपयवाक प्रवेश मकया, मशवमलंग को टु कड़े -टु कड़े कर तोड़ मदया, मजतने में
िमािान हुआ उतनी िम्पमत्त को आमिपत्य में कर मलया। वह िम्पमत्त अनुमानतिः दो करोड़
मदरहम थी। बाद में मक्तन्दर का पयणा मवध्वंि कर, चयरा कर, भयमम में ममला मदया, मशवमलंग के
टु कड़ों को गजनी ले गया, मजन्ें जामी मक्तिद की िीमढ़यों के मलए प्रयोग मकया'

(तारीख-ई-जैम-उल-मािीर, दी स्टर मगल फौर ऐम्पायर-भारतीय मवद्या भवन पृष्ठ २०-२१)


264

मुहम्मद गौरी (११७३-१२०६)

हिन मनज़ामी ने अपने ऐमतहामिक लेख, 'ताज-उल-मािीर', में मुहम्मद गौरी के व्यक्तितव और
उिके द्वारा भारत के बलात् मवजय का मवस्तृत वणान मकया है ।

युिों की आवश्यकता और लाभ के वणान, मजिके मबना मुहम्मद का रे वड़ अियरा रह जाता है
अथाा त् उिका अहं कार पयरा नहीं होता, के बाद हिन मनज़ामी ने कहा 'मक पन्थ के दामयत्वों के
मनवाा ह के मलए जैिा वीर पुरुष चामहए वह, िुल्तानों के िुल्तान, अमवश्वामियों और बहु दे वता
पयजकों के मवध्वंिक, मुहम्मद गौरी के शािन में उपलब्ध हुआ; और उिे अल्लाह ने उि िमय
के राजाओं और शहं शाहों में िे छां टा था, 'क्ोंमक उिने अपने आपको पन्थ के शत्रुओं के
मयलोच्छदन एवं िवंश् मवनाश के मलए मनयुि मकया था। उनके हदयों के रि िे भारत भयमम
को इतना भर मदया था, मक कयामत के मदन तक यामत्रयों को नाव में बैठकर उि गाढ़े खयन की
भरपयर नदी को पार करना पड़े गा। उिने मजि मकले पर आक्रमण मकया उिे जीत मलया, ममट्टी
में ममला मदया और उि (मकले) की नींव व खम्मों को हामथयों के पैरों के नीचे रोंद कर
भस्मिात कर मदया; और मयमता पयजकों के िारे मवश्व को अपनी अच्छी िार वाली तलवार िे काट
कर नका की अमि में झोंक मदया; मक्तन्दरों, मयमतायों व आकृमतयों के थथान पर मक्तिदें बना दी।'

(ताज-उल-मािीर : हिन मनजामी, अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड II पृष्ठ २०९)

अजमेर पर इस्लाम की बलात् थथापना

हिन मनजामी ने मलखा था- 'इस्लाम की िेना पयरी तरह मवजयी हुई और एक लाख महन्दय तेजी
के िाथ नरक की अमि में चले गये...इि मवजय के बाद इस्लाम की िेना आगे अजमेर की
ओर चल दी जहाूँ हमें लयट में इतना माल व िम्पमत्त ममले मक िमुद्र के रहस्यमयी कोषागार
और पहाड़ एकाकार हो गये।

'जब तक िुल्तान अजमेर में रहा उिने मक्तन्दरों का मवध्वंि मकया और उनके थथानों पर
मक्तिदें बनवाईं।'

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ २१५)

दे हली में मक्तन्दरों का ध्वंि


265

हिन मनजामी ने आगे मलखा-'मवजेता ने मदल्ली में प्रवेश मकया जो िन िम्पमत्त का केन्द्र है और
आशीवाा दों की नींव है । शहर और उिके आिपाि के क्षेत्रों को मक्तन्दरों और मयमतायों िे तथा
मयमता पयजकों िे रमहत वा मुि बना मदया यामन मक िभी का पयणा मवध्वंि कर मदया। एक
अल्लाह के पयजकों (मुिलमानों) ने मक्तन्दरों के थथानों पर मक्तिदें खड़ी करवा दीं, बनवादीं।'

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २२२)

वाराणिी का मवध्वंि (शीलभंग)

'उि थथान िे आगे शाही िेना बनारि की ओर चली जो भारत की आत्मा है और यहाूँ उन्ोंने
एक हजार मक्तन्दरों का ध्वंि मकया तथा उनकी नीवों के थथानों पर मक्तिदें बनवा दीं; इस्लामी
पंथ के केन्द्र की नींव रखी।'

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २२३)

महन्दु ओं के िामयमहक वि के मवषय में हिन मनजामी आगे मलखता है , 'तलवार की िार िे
महन्दु ओं को नका की आग में झोंक मदया गया। उनके मिरों िे आिमान तक ऊंचे तीन बुजा
बनाये गये, और उनके शवों को जंगली पशुओं और पमक्षयों के भोजन के मलए छोड़ मदया गया।'

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २९८)

इि िम्बन्ध में ममन्ाज़-उज़-मिराज़ ने मलखा था-'दु गारक्षकों में िे जो बुक्तिमान एवं कुशाग्र बुक्ति
के थे, उन्ें िमाा न्तरण कर मुिलमान बना मलया मकन्तु जो अपने पयवा िमा पर आरूढ़ रहे , उन्ें
वि कर मदया गया।'

(तबाकत-ई-निीरी-ममन्ाज़, अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड II पृष्ठ २२८)

गुजरात में गाज़ी लोग (११९७)

गुज़रात की मवजय के मवषय में हिन मनजामी ने मलखा- 'अमिकां श महन्दु ओं को बन्दी बना मलया
गया और लगभग पचाि हजार को तलवार द्वारा वि कर नका भेज मदया गया, और कटे हुए शव
इतने थे मक मैदान और पहामड़याूँ एकाकार हो गईं। बीि हजार िे अमिक महन्दय , मजनमें
अमिकां श ममहलायें ही थीं, मवजेताओं के हाथ दाि बन गये।

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २३०)


266

दे हली का पमवत्रीकरण वा इस्लामीकरण

'तब िुल्तान दे हली वामपि लौटा उिे महन्दु ओं ने अपनी हार के बाद पुनिः जीत मलया था। उिके
आगमन के बाद मयमता यु ि मक्तन्दर का कोई अवशेष व नाम न बचा। अमवश्वाि के अन्धकार के
थथान पर पंथ (इस्लाम) का प्रकाश जगमगाने लगा।'

इस्लाम का तजहादी इतिहास और धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 2

कुतुबुद्दीन ऐबक (१२०६-१२१०)

हिन मनजामी ने अपने ऐमतहामिक लेख ताज-उल-मािीर में मलखा था, 'कुतुबुद्दीन इस्लाम का
शीषा है और गैर-मुिलमानों का मवध्वंिक है ...उिने अपने आपको शत्रुओ- ं महन्दु ओ-
ं के िमा के
मयलोच्छे दन यानी मक पयणा मवनाश के मलए मनयुि मकया था, और उिने महन्दु ओं के रि िे
भारत भयमम को भर मदया...उिने मयमता पयजकों के िम्पयणा मवश्व को नका की अमि में झोंक मदया
था...और मक्तन्दरों और मयमतायों के थथान पर मक्तिदें बनवादी थीं।'

(ताज-उल-मािीर हिन मनजामी अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड २ पृष्ठ २०९)

'

कुतुबुद्दीन ने जामा मक्तिद दे हली बनवाई और मजन मक्तन्दरों को हामथयों िे तुड़वाया था, उनके
िोने और पत्थरों को इि मक्तिद में लगाकर इिे िजा मदया।'

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २२२)

इस्लाम का कामलंजर में प्रवेश


267

'मक्तन्दरों को तोड़कर, भलाई के आगार, मक्तिदों में रूपान्तररत कर मदया गया और मयमता पयजा का
नामो मनशान ममटा मदया गया....पचार हजार व्यक्तियों को घेरकर बन्दी बना मलया गया और
महन्दु ओं को तड़ातड़ मार (यन्त्रणा) के कारण मैदान काला हो गया।

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ २३१)

'अपनी तलवार िे महन्दु ओं का भीषण मवध्वंि कर भारत भयमम को पमवत्र इस्लामी बना मदया, और
मयमता पयजा की गन्दगी और बुराई को िमाप्त कर मदया, और िम्पयणा दे श को बहुदे वतावाद और
मयमतापयजा िे मुि कर मदया, और अपने शाही उत्साह, मनिरता और शक्ति द्वारा मकिी भी मक्तन्दर
को खड़ा नहीं रहने मदया।'

(वही पुस्तक पृ ष्ठ २१६-१७)

ग्वामलयर में इस्लाम

ग्वामलयर में कुतुबुद्दीन के मजहाद के मवषय में ममन्ाज़ ने मलखा था- 'पमवत्र िमा युि के मलए
अल्लाह के, दै वी, यानी मक कुरान के आदे शानुिार िमा शत्रुओ- ं महन्दु ओ-
ं के मवरुि उन्ोंने रि
की प्यािी तलवारें बाहर मनकाल लीं।'

(टबाकत-ई-नामिरी, ममन्ाज़-उज़-मिराज, अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड II पृष्ठ २२७)

मुहम्मद बक्तखतयार क्तखलजी (१२०४-१२०६)

मुहम्मद बक्तखतयार क्तखलजी को महन्दय /बुि मशक्षा केन्द्रों को खोजने और नष्ट् करने की मवशेष रुमच
थी। नालन्दा की लयट के मवषय में ममन्ाज़ ने मलखा था-

'बक्तखतयार बेहर मकले के द्वार पर पहुूँ चा और महन्दु ओं के िाथ युि करने लगा। बड़े िाहि
और अहं कार के िाथ द्वार की ओर झपटा और थथान को अपने अमिकार में कर मलया।
मवजेताओं के हाथ लयट का अपार माल हाथ लगा। मनवामियों में अमिकां श नंगे-मुड़े हुए मिर
वाले ब्राहम्ण थे। उनका, िभी का, वि कर मदया गया। वहाूँ अिंखय पुस्तकें ममलीं और
मुिलमानों ने उन्ें दे खा और मकिी को बुलाकर जानना चाहा मक उनमें क्ा मलखा है तो पाया
मक वहाूँ तो िभी का वि हो चुका है । उनकी िमझ में आया मक वह िारा, एक मशक्षा का
थथान है तो िारे थथल को जलाकर भस्म कर मदया।
268

(तबाकत-ई-नामिरी, ममन्ाज़-उज़-मिराज, अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड II पृष्ठ ३०६)

अलाउद्दीन क्तखलजी (१२९६-१३१६)

िोमनाथ का मवध्वंि

क्तखलजी दरबार के िाममयक मुक्तस्लम इमतहाि लेखक, मजयाउद्दीन बरानी ने अपने प्रमिि प्रलेख-
तारीख-ई-शाही-में मलखा था, 'िारा गुजरात अलाउद्दीन की िेना का मशकार हो गया और
िोमनाथ की मयमता , जो मुहम्मद गौरी के गज़नी चले जाने के बाद पुनिः थथामपत कर दी गई थी,
को हटाकर मदल्ली ले आया गया और लोगों के पैरों तले कुचले जाने , अपमामनत मकये जाने , के
मलए िाल दी गई।'

(तारीख-ई-फीरोजशाही : मजयाउद्दीन बारानी, अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ १६३)

अमिक दाि, िमाा न्तररत और महन्दय ममहलायें

'अलाउद्दीन की िेनायें िम्पयणा दे श के एक क्षेत्र के बाद दय िरे क्षेत्रों में गईं और मवनाश मकया। वे
अपने िाथ अमिकामिक दाि, िमाा न्तररत लोग और महन्दय ममहलाओं को लाये ।

तलवार थथामपत करती है इस्लाम

बरानी ने अपने उिी प्रलेख में मलखा था, स्पष्ट् मकया था, मक उल्लाउद्दीन शोखी में क्ा मचल्लाया
करता था, 'अल्लाह ने पै गम्बर को आशीवाा द स्वरूप चार ममत्र मदये ...मैं उन चारों के िहयोग िे
अल्लाह के िच्चे पन्थ और कौम को थथामपत कर दय ं गा और मेरी तलवार, उि पन्थ को स्वीकार
करने के मलए मववश कर दे गी।'

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ १६९)


269

गाजी लोग पुनिः गुजरात गये

अब्दु ल्ला वस्साफ ने अपने इमतहाि प्रलेख-तारीख-ई-वस्साफ-में मलखा था-'उन्ोंने कम्बायत को


घेर मलया और मयमता पयजक अपनी मनद्रा जैिी लापरवाही की दशा िे जगा मदये गये और
आियाचमकत हो गये। मुिलमानों ने इस्लाम के मलए पयणा मनदा यतापयवाक चारों ओर-दायी ओर बाईं
ओर-िारी अपमवत्र भयमम पर वि और कत्ल शुरू कर मदये और रि मयिलािार वषाा के रूप में
बहा।'

(तारीख-ई-वस्साफ अब्दु ल्ला वस्साफ अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ४२-४३)

लयट और मयमता भन्जन

मजयाउद्दीन बरानी की भाूँ मत अब्दु ला वस्साफ ने भी अल्लाउद्दीन द्वारा िोमनाथ की लयट का मवस्तृत
िजीव मववरण मलखा था। अपने प्रलेख में वस्साफ ने मलखा था-

'उन्ोंने लगभग बीि हजार िुन्दर िभ्य महन्दय ममहलाओं को बन्दी बना मलया और दोनों ही मलंगों
के अनमगनत बच्चों को, मजनकी िंखया लेखनी मलख भी न िके, भी बन्दी बना मलया....िंक्षेप में
मुहम्मद की िेना ने िम्पयणा दे श का मवकराल मवनाश मकया, मनवामियों के जीवनों को नष्ट् मकया,
शहरों को लयटा; और उनके बच्चों को बन्दी बनाया, मजिके कारण बहुत िे मक्तन्दरों को त्याग मदया
गया, मयमतायाूँ तोड़ दी गईं और पैरों के नीचे रौंदी गईं; उनमें िबिे बड़ी मयमता िोमनाथ की थी-मयमता
खण्डों को दे हली भेज मदया गया और जामा मक्तिद के प्रवेश मागा को उनिे ढक मदया, भर
मदया, तामक लोग इि मवजय को स्मरण करें , बातचीत करें ।'

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ ४४)

'

प्रमिि ियफी कमव अमीर खुिरु ने मलखा था-'हमारे पमवत्र िैमनकों की तलवारों के कारण िारा
दे श एक दावा अमि के कारण काूँ टों रमहत जंगल जैिा हो गया है । हमारे िैमनकों की तलवारों
के वारों के कारण महन्दय अमवश्वािी भाप की तरह िमाप्त कर मदये गये हैं । महन्दु ओं में
शक्तिशाली लोगों को पाूँ वों तले रोंद मदया गया है । इस्लाम जीत गया है , मयमता पयजा हार गई है ,
दबा दी गई है ।'

(तारीख-ई-अलाई अनु. एमलयट और िाउिन, खण्ड III )


270

अल्लाह दमक्षण-भारत में प्रकट हुआ

मनजामुद्दीन औमलया जो दय र-दय र तक दे हली के िय फी मचश्ती के रूप में मवखयात है , के कमव


मशष्, अमीर खुिरु, ने अपने प्रलेख-तारीख-ई-अलाई-में अलाउद्दीन द्वारा दमक्षण भारत में मजहाद
का बड़े आनन्द के िाथ मववरण मकया है -

'उि िमय के खलीफा की तलवार की जीभ, जो मक इस्लाम की ज्वाला की भी जीभ है , ने िारे


महन्दु स्तान के िम्पयणा अूँिेरे को अपने मागादशान द्वारा प्रकाश मदया है ...दय िरी ओर तोड़े गये
िोमनाथ मक्तन्दर िे इतनी ियल उड़ी मजिे िमुद्र भी, भयमम पर नीचें थथामपत नहीं कर िका; दायीं
ओर बायीं ओर, िमुद्र िे लेकर िमुद्र तक महन्दु ओं के दे वताओं की अनेकों राजिामनयों को, जहाूँ
मजन्न के िमय िे ही शैतानी बिती थी, िेना ने जीत मलया है और िभी कुछ मवध्वंि कर मदया
गया है । दे वमगरी (अब दौलता बाद) में अपने प्रथम आक्रमण के प्रारम् द्वारा, िुल्तान ने, मयमता
वाले मक्तन्दरों के ध्वंि द्वारा, गैर-मुिलमानों की िारी अपमवत्रताओं को िमाप्त कर मदया है ।
तामक अल्लाह के कानयन के प्रकाश की मकरणें , लपटें , इन अपमवत्र दे शों को पमवत्र व प्रकामशत
करें , मक्तिदों में नमाज़ें हों और अल्लाह की प्रशंिा हो।'

(तारीख-ई-अलाई अमीर खुिरु - अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ८५)

इस्लामी कानयन के अन्तगत महन्दय

बनी ने अपने प्रलेख में आगे मलखा मक- 'िुल्तान ने काजी िे पयछा मक इस्लामी कानयन में
महन्दु ओं की क्ा क्तथथमत है ? काज़ी ने उत्तर मदया, 'ये भेंट (टै क्स) दे ने वाले लोग हैं और जब
आय अमिकारी इनिे चाूँ दी मां गें तो इन्ें मबना मकिी, कैिे भी प्रद्गन के, पय णा मवनम्रता, व आदर
िे िोना दे ना चामहए। यमद अफिर इनके मुूँह में ियल फेंकें तो इन्ें उिे लेने के मलए अपने मुूँह
खोल दे ने चामहए। इस्लाम की ममहमा गाना इनका कताव्य है ...अल्लाह इन पर घृणा करता है ,
इिीमलए वह कहता है , 'इन्ें दाि बना कर रखो।' महन्दु ओं को नींचा मदखाकर रखना एक िाममाक
कताव्य है क्ोंमक महन्दय पै गम्बर के िबिे बड़े शत्रु हैं (कु. ८ : ५५) और चयंमक पैगम्बर ने
हमें आदे श मदया है मक हम इनका वि करें , इनको लयट लें, इनको बन्दी बना लें, इस्लाम में
िमाा न्तररत कर लें या हत्या कर दें (कु. ९ : ५)। इि पर अलाउद्दीन ने कहा, 'अरे काजी!
तुम तो बड़े मवद्वान आदमी हो मक यह पयरी तरह इस्लामी कानयन के अनुिार ही है , मक महन्दु ओं
को मनकृष्ट्तम दािता और आज्ञाकाररता के मलए मववश मकया जाए...महन्दय तब तक मवनम्र और
दाि नहीं बनेंगे जब तक इन्ें अमिकतम मनिान न बना मदया जाए।'
271

(तारीख-ई-फीरोजशाही-बारानी अनु . एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ १८४-८५)

बारानी की तारीख-ई-फीरोजशाही के िंदभा में मोरलैण्ड ने अपने प्रमिि शोि, 'अग्रेररयन मिस्टम
इन मुक्तस्लम इक्तण्डया' में मलखा है - 'िुल्तान ने इस्लामी मवद्वानों िे उन मनयमों और कानयनों को
पयंछा, माूँ गा, तामक महन्दु ओं को पीिा जा िके, िताया जा िके, और िम्पमत्त और अमिकार, मजनके
कारण घृणा और मवद्रोह होते हैं , उनके घरों में न रहें ।'

(मोरलैण्ड-दी ऐग्रेररयान मिस्टम इन मुक्तस्लम इक्तण्डया एण्ड दी दे हली िुल्तनेट, भारतीय मवद्या
भवन मद्वतीय आवृमत्त पृष्ठ २४)

'

इि िन्दभा में बारानी ने बताया मक अलाउद्दीन ने महन्दु ओं की दशा इतनी हीन, पमतत और कष्ट्
युि बना दी थी, और उन्ें इतनी दयनीय दशा में पहुूँ चा मदया था, मक महन्दय ममहलाएं और बच्चे
वे मुिलमानों के घर भीख माूँ गने के मलए मववश थे।'

(तारीख-ई-फीरोजशाही और र्फतवा-ई-जहानदारी : एमलयट और िाउिन, खण्ड III)

महन्दय दािों का बाजार

मबन कामिम की बलात मवजय के पिात् िभी मुक्तस्लम शािकों के मलए दाि महन्दु ओं की
क्रय-मवक्रय िरकारी आय का एक

महत्वपयणा स्त्रोत था। मकन्तु क्तखलमजयों और तुगलकों के काल में महन्दु ओं पर इन यातनाओं का
स्वरूप गगन चुम्बी एवं अमिकतम हो गया था। अमीर खुिरु ने बताया- 'तुका जब चाहते थे
महन्दु ओं को पकड़ लेते, क्रय कर लेते अथवा बेच दे ते थे।'

(अमीर खुिरु : नयर मिफर : एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृ ष्ठ ५६१)

बरनी ने आगे मलखा मक 'घर में काम अने वाली वस्तुएूँ जैिे गेहूूँ, चावल, घोड़ा और पशु आमद
के मयल्य मजि प्रकार मनमित मकये जाते हैं , अलाउद्दीन ने बाजार में ऐिे दािों के मयल्य भी
मनमित कर मदये। एक लड़के का मवक्रय मयल्य २०-३० तन्काह तय मकया गया था; मकन्तु उनमें िे
अभागों को मात्र ७-८ तन्काह में ही खरीदा जा िकता था। दाि लड़कों का उनके िौन्दया
और कायाक्षमता के आिार पर वगीकरण मकया जाता था। काम करने वाली लड़मकयों का मानक
मयल्य ५-१२ तन्काह, अच्छी मदखने वाली लड़की का मयल्य २०-४० तन्काह, और िुन्दर उच्च
पररवार की लड़की का मयल्य एक हजार िे लेकर दो हजार तन्काह होता था।'

(बरानी, एमलयट और िाउिन, खण्ड III ,महस्टर ी ऑफ क्तखलजीज़, के. एि. लाल, पृष्ठ ३१३-१५)
272

ियिान के इस्लामी राज्य में अब भी ईिाइयों को दाि बनाया जाता है और बेचा जाता है । इिी
कारण िे १९९९ में यय .एन. की जनरल एिैम्बली में अनेकों ईिाई दे शों ने िंगमठत होकर
ियड़ान के यय. एन. एिैम्बली िे मनष्कािन के मलए प्रस्ताव रखा था।

मुहम्मद मबन तु गलक (१३२६-१३५१)

'माक्तक्सास्ट जामत के भारतीय इमतहािज्ञों ने , मबन तुगलक का, एक िदभावना युि, उदार और कुछ
मवमक्षप्त िुिारक के रूप में बहुत लम्बे काल िे, स्वागत मकया है , प्रशंिा की है । नेहरूवादी
प्रमतष्ठान ने तो दे हली की एक प्रमिि िड़क का नाम भी उिकी स्मृमत में तुगलक रोि रख
मदया। मकन्तु एक प्रमिि, मवश्व भ्रमणकताा , अफ्रीकी यात्री, इब्न बतयता, मजिने तु गलक के दरबार को
दे खा था, के शब्दानुिार उिके (तुगलक के) राज्य के कुछ दृश्य मनम्नां मकत हैं ।

िुल्तान िे अपनी पहली भेंट के िंदभा में, बतयता ने मलखा था, ५००० दीनार के मयल्य के गाूँ व, एक
घोड़ा, दि महन्दय ममहला दामियाूँ और ५०० दीनार मुझे अनुदान स्वरूप ममले। (इब्न बतयता :
एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ५८६)

महन्दु ओं को दाि बनाने के काम के कारण मबन तुगलक इतना बदनाम हो गया था मक उिकी
खयामत दय र-दय र चारों ओर फैल गई थी मक इमतहाि अमभलेखक मशहाबुद्दीन अल-उमरी ने अपने
अमभलेख, 'मिामलक-उल-अिर में उिके (मबन तुगलक)मवषय में इि प्रकार मलखा था-'िुल्तान
गैर-मुिलमानों पर युि करने के अपने िवाा मिक उत्साह में कभी भी, कोई, कैिी भी कमी नहीं
करता था...महन्दय बक्तन्दयों की िंखया इतनी अमिक थी मक प्रमतमदन अने कों हजार महन्दय दाि
बेच मदये जाते थे।'

(मिामलक-उल-अिार : एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ५८०)

मुक्तस्लम हाथों में महन्दय ममहलाओं का उपयोग या तो काम तृक्तप्त के मलए था या मवद्रोह कर िन
कमाना था। अल-उमरी आगे और कहता है । 'दािों के मयल्यों में कमी होने पर भी युवा महन्दय
लड़मकयों के मयल्य में २,००,००० तनकाह मदये जाते थे। मैंने इिका कारण पयछा...ये लड़मकयाूँ
अपने िौन्दया , आकषाण, ममहमा और ढं गों में आिया जनक हैं ।'

(उिी पुस्तक में पृद्गठ ५८०-८१)

इि िन्दभा में िुल्तान द्वारा महन्दु ओं को दाि बनाये जाने का इब्नबतयता का प्रत्यक्ष दशी वणान इि
प्रकार है - 'िवाप्रथम युि के मध्य बन्दी बनाये गये, कामफर राजाओं की पुमत्रयों को अमीरों और
273

महत्वपयणा मवदे मशयों को उपहार में भेंट कर मदया जाता था। इिके पिात् अन्य कामफरों की पुमत्रयों
को...िुल्तान दे दे ता था अपने भाइयों व िम्बक्तन्धयों को।'

(तुगलक कालीन भारत, एि. ए.ररज़वी, भाग १, पृष्ठ १८९)

महन्दय मिरों का मशकार

अन्य राजाओं की भाूँ मत मबन तुगलक भी मशकार को जाया करता था मकन्तु यह मशकार पयणातिः
अिािारण रूप में मभन्न ही हुआ करती थी। वह मशकार होती थी महन्दय मिरों की। इि मवषय में
इब्न बतयता ने मलखा था- 'तब िुल्तान मशकार के अमभयान के मलए बारान गया जहाूँ उिके
आदे शानुिार िारे महन्दय दे श को लयट मलया गया और मवनष्ट् कर मदया गया। महन्दय मिरों को
एकत्र कर लाया गया और बारान के मकले की चहार दीवारी पर टाूँ ग मदया गया।'

(इब्न बतयता : एमलयट और िाउिन, खण्ड II पृ ष्ठ २४२)

मफरोज़ शाह तुग़लक (१३५७-१३८८)

मफरोजशाह तुगलक के शािन का वणान चार मभन्न-मभन्न ऐमतहामिक अमभलेखों में मलखा गया है ।
वे अमभलेख हैं - १. तारीख-ई-मफरोजशाही, मजआउद्दीन बारानी, २. तारीख-ई-मफरोजशाही, मिराज
अफीफ, ३. मिरात-ई-मफरोजशाही, फररश्ता, ४. फुतयहत-ई-मफरोजशाही, फीरोजशाह तुगलक
स्वयं।

महन्दय ममहलाओं का हरम या ज़नानखाना

काम तृक्तप्त के मलए महन्दय ममहलाओं के दािी बनाये जाने के मवद्गाय में बारानी ने मलखा था-
'मफरोजशाह के मलए, व्यापक एवम् मवमवि वगों की भगाई गई महन्दय ममहलाओं के जनानखानों में
मनयममत रूप में जाना, एकदम अत्याज्य था।'

(तारीख-ई-मफरोजशाही, मजआउद्दीन बारानी, एमलयट और िाउिन, खण्ड III)


274

ताजरीयत-अल-अिर के अनुिार 'मुक्तस्लम आक्रमणकताा ओं द्वारा भगाई हुई महन्दय ममहलाओं के


िाथ मात्र शील भंग ही नहीं मकया जाता था वरन् उनके िाथ अनुपम, अवणानीय यातनायें भी दी
जाती थीं यथा लाल गमा लोहे की शलाखों को महन्दय ममहलाओं की योमनयों में बलात घु िेड़ दे ना,
उनकी योमनयों को मिल दे ना, और उनके स्तनों को काट दे ना।'

बंगाल में नर िंहार

'बंगाल में हार के बदले के मलए, फीरोजशाह ने आदे श मदया मक अिुरमक्षत बंगाली महन्दु ओं का
अंग भंग कर वि कर मदया जाए। अंग भंग मकये गये प्रत्येक महन्दय के ऊपर इनाम स्वरूप एक
चाूँ दी को टं का मदया जाता था। महन्दय मृतकों के मिरों की मगनती की गई जो १,८०,००० मनकले'

(बारानी, उिी पुस्तक में)

ज्वालामुखी मंमदर का मवनाश

फररद्गता ने आगे मलखा- 'िुल्तान ने ज्वालामुखी मक्तन्दर की मयमतायों को तोड़ मदया, उिके टु कड़ों
को वि की गई गउओं के मां ि में ममला मदया और ममश्रण को तोबड़ों में भरवा कर ब्राहम्णों
की गदा नों में बूँिवा मदया, और प्रमुख मयमता को मदीना भेज मदया।'

(उिी पुस्तक में)

उड़ीिा का मवध्वंि

मिरात-ई-फीरोजशाही में फररश्ता ने मलखा-

'मफरोज़शाह, पुरी के जगन्नाथ मक्तन्दर में, घुिा, मयमता को उखाड़ा और अपमान कारक थथान पर
रखने के मलए दे हली ले गया। पुरी के पिात् फीरोजशाह िमुद्रतट के मनकट मचल्ला झील की
ओर गया। िुल्तान ने टापय को अमवश्वामियों के वि द्वारा उत्पन्न रि िे रि हौज बना मदया।
महन्दय ममहलाओं को काम तृक्तप्त के मलए भगा ले जाया गया, गममाणी ममहलाओं का शील भंग
मकया गया, उनकी आूँ ते मनकाल ली गईं और जंजीरों में बाूँ ि मदया गया।'
275

(िीरात-ई-मफरोजशाही फररद्गता, एमलयट और िाउिन, खण्ड प्ल्प्प्)

इि िंदभा में यह मलखने योग्य है मक एक अन्य महत्वपयणा िड़क और दे हली के मक्रकेट


स्टे मियम का नाम इि उपरोि गाजी मफरोज़शाह के नाम पर है ।

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 3

मतमयर (१३९८-१३९९)

मतमयर ने अपनी जीवनी मुलफुजात-ई-मतमयरी (तुजुख-ई-मतमयरी) में अपनी महत्वाकां क्षाओं को


बलपयवाक मलखा- 'लगभग उिी िमय मेरे मन में एक अमभलाषा आयी मक मैं गैर-मुिलमानों
के मवरुि एक अमभयान प्रारम् करू ं और 'गाजी' बन जाऊूँ; क्ोंमक मेरे कानों में यह बात
पहुूँ ची थी मक अमवश्वामियों का कामतल 'गाज़ी' हो जाता है और यमद वह स्वयं मर जाता है तो
'शहीद' हो जाता है (ियरा ३ आयत १६९, १७०, १७१) इिी कारण मैंने एक मनिय मकया मकन्तु मैं
अपने मन में अमनमित अमनणीत था मक मैं चीन के अमवश्वामियों की ओर अमभयान प्रारम् करू ूँ
अथवा भारत के अमवश्वामियों और मयमता पयजकों व बहु ईश्वर वामदयों की ओर। इि उद्दे श्य के
मलए मैंने कुरान िे शकुन (शुभ ियचना) खोजना चाही और जो आयत मनकली वह इि प्रकार
थी, 'ए! पैगम्बर अमवश्वामियों और मवश्वािहीनों के मवरुि युि करो, और उनके प्रमत कठोरता का
व्यवहार करो (ियरा ६६ आयत ९ दी कुरान)। मेरे महान अफिरों ने बताया मक महन्दु स्तान के
मनवािी, अमवश्वािी और मवश्वािहीन हैं । िवाशक्तिमान अल्लाह के आदे शानुिार आज्ञापालन करते
हुए मैंने उनके मवरुि अमभयान की आज्ञा दे दी।'

(मतमयर की जीवनी-मुलफुजात-ई-मतमयर : एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ३९४-९५)

उलेमा और ियमर्फयों द्वारा मजहाद का अनुमोदन

'इस्लाम के मवद्वान लोग मेरे िामने आये और अमवश्वामियों तथा बहुत्ववामदयों के मवरुि िंघषा /युद्व
के मवषय में वाताा लाप प्रारम् हुआ;उन्ोंने अपनी िम्ममत दी मक इस्लाम के िुल्तान का और
276

उन िभी लोगों का, जो मानते हैं , 'मक अल्लाह के मिवाय अन्य कोई ईश्वर नहीं है और मुहम्मद
अल्लाह का पैगम्बर है ', यह परम कताव्य है मक वे इि उद्दे श्य की पयमता के मलए युि करें मक
उनका पन्थ िुरमक्षत रह िके, और उनकी मवमि व्यवथथा िशि रही आवे और वे अमिकामिक
पररश्रम कर अपने पन्थ के शत्रुओं का दमन कर िकें। मवद्वान लोगों के ये आनन्ददायक शब्द
जैिे ही िरदारों के कानों में पहुूँ चे उनके हदय, महन्दु स्तान में िमा युि करने के मलए, क्तथथर हो
गये और अपने घुटनों पर झुक कर, उन्ोंने इि मवजय वाले अध्याय को दु हराया।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ३९७)

भाटमनर में नरिंहार (किाई पन)

मतमयर की यह जीवनी, भाटमनर (जो आजकल राजथथान के गंगानगर मजले का हनुमान गढ़ है ) को
मयमता पयजा िे िुरमक्षत करने के मवषय में एक अमत मवस्तृत मववरण प्रस्तुत करती है ।

'इस्लाम के योिाओं ने महन्दु ओं पर चारों ओर िे आक्रमण कर मदया और तब तक युि करते


रहे जब तक अल्लाह की कृपा िे मेरे िैमनकों के प्रयािों को मवजय की मकरण नहीं दीख गई।
बहुत थोड़े िमय में ही मकले के िभी व्यक्ति तलवार द्वारा काट मदये गये और िमय की बहुत
छोटी अवमि में ही दि हजार महन्दय लोगों के मिर काट मदये गये । अमवश्वामियों के रि िे
इस्लाम की तलवार अच्छी तरह िुल गई और िारा खजाना िैमनकों की लयट का माल हो गया।'

(वही पुस्तक, पृ ष्ठ ४२१-२२)

मिरिा में नरिंहार

'मतमयर ने आगे मलखा- जब मैंने िरस्वती नदी के मवषय में पयछा, मुझे बताया गया मक उि थथान
के लोग इस्लाम के पंथ िे अनमभज्ञ थे। मैंने अपनी िैमनक टु कड़ी उनका पीछा करने भेजी और
एक महान युि हुआ। िभी महन्दु ओं का वि कर मदया गया उनकी ममहलाओं और बच्चों को
बन्दी बना मलया गया और उनकी िम्पमत्तयाूँ व वस्तुएूँ मुिलमानों के मलए लयट का माल हो गईं।
िैमनक अपने िाथ कई हजार महन्दय ममहलाओं और बच्चों को िाथ ले वामपि लौट आये। इन
महन्दय ममहलाओं और बच्चों को मुिलमान बना मलया गया।'

(वही पुस्तक, पृ ष्ठ ४२७-२८)


277

जाटों का नरिंहार

मतमयर ने अपनी जीवनी में मलखा था- 'मेरे ध्यान में लाया गया था मक ये उत्पाती जाट चींटी की
भाूँ मत अिंखय हैं । महन्दु स्तान पर आक्रमण करने का मेरा महान् उद्दे श्य अमवश्वािी महन्दु ओं के
मवरुि िमा युि करना था। मुझे लगने लगा मक इन जाटों का पराभव (वि) कर दे ना मेरे
मलएआवश्यक है । मैं जं गलों और बीहड़ों में घुि गया, और दै त्याकार, दो हजार जाटों का मैंने वि
कर मदया...उिी मदन िैय्यदों, मवश्वामियों, का एक दल, जो वहीं मनकट ही रहता था, बड़ी
मवनम्रता व शालीनता िे मुझिे भेंट करने आया और उनका बड़ी शान िे स्वागत मकया गया।
मैंने उनके िरदार का बड़े िम्मान िे स्वागत मकया।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४२९)

िैक्यलररस्टों, जो अपने महन्दय मुक्तस्लम भाई-भाई के उन्माद युि मििां त िे बुरी तरह पगलाये
रहते हैं , के मलए यह पाठ बहुत अमिक महत्व का है । यहाूँ िै य्यद मुिलमान, अपने पड़ौिी जाटों
के िाथ न तो तमनक भी िहयोगी हुए, और न उन्ोंने उनके िाथ कोई कैिी भी िहानुभयमत ही
मदखाई; वरन् अपने पन्थ के आक्रमणकाररयों, द्वारा जाटों के नरिंहार पर खयब प्रिन्न हुए।

मुिलमान िैय्यदों का यह व्यवहार िभ्यता के माप दण्डों िे बेमेल भले ही हो मकन्तु वह कुरान
के आदे शों के िवाथा, पय णारूपेण, अनुकयल ही था यथा-

'मवश्वामियो! मुिलमानों को छोड़ गैर-मुिलमानों को अपना ममत्र मत बनाओ। उन्ें ममत्रता के मलए
मत चुनो। क्ा तुम अल्लाह को अपने मवरुि एक िच्चा िाक्ष्य प्रस्तुत करोगे?

(ियरा ४ आयत १४४)

लोनी में चुन चुन कर कत्लेआम

जमुना के उि पार दे हली के मनकट शहर, लोनी, की बलात मवजय का वणान करते हुए मतमयर
मलखता है मक उिने मकि प्रकार मुिलमानों की जान बचाते हुए, चुन चुन कर महन्दु ओं का वि
मकया था।
278

'उन्तीि तारीख को मैं पु निः अग्रिर हुआ और जमुना नदी पर पहुूँ च गया। नदी के दय िरे मकनारे
पर लोनी का दु गा था। दु गा को तुरन्त मवजय कर लेने का मैंने मनणाय मकया। अनेकों राजपयतों ने
अपनी पमत्नयों और बच्चों को में घरों में बन्द कर आग लगा दी; और तब वे युि क्षेत्र में आ
गये , शैतान की भाूँ मत लड़े , और अन्त में मार मदये गये। दु गा रक्षक दल के अन्य लोग भी लड़े ,
और कत्ल कर मदये गये और बहुत िे बन्दी बना मलये गये। दय िरे मदन मैंने आदे श मदया मक
मुिलमान-बक्तन्दयों को पृ थक् कर मदया जाए, और बचा मलया जाए मकन्तु गैर-मुिलमानों को
िमाा न्तरणकारी तलवार द्वारा कत्ल कर मदया जाए। मैंने यह आदे श भी मदया मक मुिलमानों के
घरों को िुरमक्षत रखा जाए, मकन्तु अन्य िभी घरों को लयट मलया जाए, और मवनष्ट् कर मदया जाए।'

(मुलफुज़ात-ई-मतमयरी, एमलयट और िाउिन, खण्ड III पृष्ठ ४३२-३३)

एक लाख अिहाय महन्दु ओं का एक ही मदन में कत्ल

महन्दु ओं के वि एवम् रि पात में उिे कैिा व मकतना आनन्द आता है , इिके मवषय में मतमयर
ने मलखा था- 'अमीर जहानशाह और अमीर िुलेमान शाह और अन्य अनुभवी अमीरों ने मेरे
ध्यान में लाया, यानी मक मुझिे कहा, मक जब िे हम महन्दु स्तान में घुिे हैं तब िे अब तक
हमने १००००० महन्दय बन्दी बनाये हैं और वे िभी मेरे िे रे में हैं । मैंने बक्तन्दयों के मवषय में
उनका परामशा माूँ गा, और उन्ोंने कहा, मक बड़े यु ि के मदन इन बक्तन्दयों को लयट के िामान के
िाथ नहीं छोड़ा जा िकता; और इस्लामी युि नीमत व मनयमों के िवाथा मवरुि ही होगा मक
इन बक्तन्दयों को मुि कर मदया जाए। वास्तव में उन्ें तलवार द्वारा कत्ल कर दे ने के
अमतररि मवकल्प ही नहीं था। जैिे ही मैंने इन शब्दों को िुना, मैंने पाया मक वे इस्लामी युि
के मनयमों के अनुरूप् ही थे, और मैंने िीिे ही िभी िे रों में आदे श दे मदया, मक प्रत्येक व्यक्ति
मजिके पाि युि बन्दी हैं , उन्ें मृत्यु को िौंप दें , यामन मक उनका वि कर दें । इस्लाम के
गामजयों को जैिे ही आदे शों का ज्ञान हुआ, उन्ोंने बक्तन्दयों को मौत के घाट उतार मदया।
१००००० 'अमवश्वािी', 'अपमवत्र मयमता पयजक', (महन्दय ) उि मदन कत्लकर मदये गये। मौलाना निीरुद्दीन
उमर, एक परामशा दाता और मवद्वान, मजिने अपने िारे जीवन में जहाूँ एक मचमड़या भी नहीं मारी
थी, मेरे आदे श के पालन में, उिने अपने पन्द्रह महन्दय बक्तन्दयों का वि कर मदया।

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४३५-३६) (ियरा ८ आयत ६७ कुरान)

मदल्ली में चुन चुनकर कत्ल

'महीने की छिः तारीख को मैंने दे हली को लयट मलया, ध्वंि कर मदया। महन्दु ओं ने अपने ही हाथों
अपने घरों में आग लगा दी, और अपनी पमत्नयों और बच्चों को उन घरों के भीतर जला मदया,
279

और युि में दै त्यों की भाूँ मत कयद पड़े , और मार मदये गये ...उि मदन बृहस्पमतवार को और
शुक्रवार की पयरी रामत्र को लगभग पन्द्रह हजार तुका, वि करने , लयटने और मवनाश काया में मलप्त
थे ...अगले मदन शमनवार को भी पयरे मदन उिी प्रकार का मक्रया कलाप चलता रहा और
बबाा दी व लयट इतनी अमिक थी मक प्रत्येक व्यक्ति के भाग पचाि िे लेकर िौ तक बन्दी-
पुरुष, ममहला व बच्चे-आये। कोई व्यक्ति ऐिा नहीं था मजिके पाि बीि बन्दी न हों। और दय िरे
प्रकार की लयट भी मामणक, मोती, हीरों के रूप में अथाह व अिीममत थी। औरतें तो इतनी
अमिक मात्रा में उपलब्ध थीं, मक गणना िे भी परे थीं। उलेमाओं और दय िरे मुिलमानों को छोड़,
िभी का वि कर मदया गया और िारे शहर को मवध्वंि का मदया।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४४५-४६)

मोहम्मद हबीब और ए. के. मनजामी ने , ए कम्प्रीहै क्तन्सव महस्टर ी ऑफ इक्तण्डया, खण्ड ५ दी


'िुल्तानेट्ि', (पृष्ठ १२२) पीपुि पक्तब्लमशंग हाउि ऑफ इक्तण्डया, नई मदल्ली, पुस्तक में िे बन्दी व
वि हुए महन्दय पुरुष ममहला बच्चों िम्बन्धी इि लेख में िे 'महन्दय ' शब्द को जानबयझ कर हटा मदया
गया है । यह है उदाहरण हमारे िैक्यलरवादी इमतहािज्ञों की बुक्तिवादी ईमानदारी का!

यमुना के मकनारे -मकनारे मजहाद

मतमयर ने मलखा था- 'जुमादा-ई-अव्वाल के पहले मदन मैंने अपनी िेना की बाईं ओर के भाग, को
अमीर जहाूँ शाह के नेतृत्व में िौंप मदया और आदे श दे मदया मक यमुना के मकनारे -मकनारे ऊपर
की ओर अग्रिर हुआ जाए और मागा में आने वाले प्रत्येक दु गा, शहर व गाूँ व को मवजय मकया
जाए और दे श के िभी गैर-मुिलमानों को तलवार िे काट मदया जाए...मेरे वीर अनुयामययों ने
आज्ञा पालन मकया और शत्रुओं का पीछा मकया और उनमें िे बहुतों को मार मदया और उनकी
पमत्नयों और बच्चों को बन्दी बना मलया। जब अल्लाह की कृपा िे मैंने मवजय प्राप्त कर ली। मैं
अपने घोड़ों िे उतर आया और अल्लाह को िन्यवाद दे ने के मलए भयमम पर लेट गया और
िाष्ट्ां ग प्रणाम मकया।

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४५१-५४)

हररद्वार के कुम् मेले में रिपात

मतमयर ने आगे मलखा था-' मेरे वीर आदममयों ने बड़े िाहि और चुनौती का प्रदशान मकया; उन्ोंने
अपनी तलवारों को िैमनक ध्वज बनाया और गंगा स्नान के पवा के अविर पर महन्दु ओं के वि में
280

पररश्रम मकया, उन्ोंने अमवश्वामियों में िे बहुतों को वि कर मदया और उनका पीछा मकया जो
पवातों की ओर भागे। उनमें िे इतनों का वि मकया गया मक उनका रि पवातों और मैदानों में
बहने लगा। इि प्रकार िभी को नका की अमि में झोंक मदया गया।

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४५९)

मशवामलक में इस्लाम का प्रवेश

मशवामलक पहाड़ी में लयट पाट व नर िंहार के मवषय में अपनी जीवनी में मतमयर ने मलखा-
'जुमादा-ई-अव्वाल के दिवें मदन मशवामलक के अमवश्वामियों िे युि करने व उन का वि करने
के मनिय के िाथ मैं अपने घोड़े पर चढ़ा और अपनी तलवार खींच ली। वीर-योिाओं ने , वि
हुए (कट मरे ) महन्दु ओं के, अनेकों ढे र बना मदये। पहाड़ी की िभी ममहलायें व बच्चे बन्दी बना
मलये गये। अगले मदन मैंने यमुना नदी पार कर ली और मशवामलक पहाड़ी की दय िरी ओर िे रा
लगा मदया। मेरे मवजयी िैमनकों ने अपनी तलवारों को लहराते हुए पीछा मकया और भगोड़ों के
िमयहों का वि मकया और उन्ें नका को भेज मदया। जब िैमनकों ने मयमता पयजकों का वि करना
त्यागा तो उन्ें व्यापक लयट में अिीममत वस्तुएं और बहुमयल्य पदाथा , बन्दी, और पशु प्राप्त हुए।
उनमें िे मकिी के पाि एक या दो िौ गायों और दि या बीि दािों िे कम न थे।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ४६२-४६४)

कां गड़ा में मजहाद

'मशवामलक के उि पार घाटी में मैं जैिे ही घुिा तो महन्दु ओं के एक मवशाल शहर, नगर कोट, के
मवषय में मुझे ियचना दी गई, तो तुरन्त ही मैंने अमीर जहाूँ शाह को शत्रु पर आक्रमण करने के
मलए आदे श मदया। इस्लाम के पमवत्र योिाओं ने हाथों में तलवारें लेकर भगोड़ों के मध्य घुि
जाने का िाहि मदखाया और महन्दु ओं की लाशों के ढे र लगा मदये। बहुतां श िंखया में, वि कर
मदये गये, और मवजेताओं के हाथ में एक महान लयट के रूप में मवशाल िंखया में, वस्तुएं,
बहुमयल्य पदाथा व बन्दी आये।'

(वही पुस्तक, पृ ष्ठ ४६५-६६)

मुिलमानों के मलए लयट का माल माूँ के दय ि के िमान


281

महन्दु स्तान पर आक्रमण करने के मलए प्रोत्साहक तत्वों, के िन्दभा में मतमयर ने अपनी जीवनी में
मलखा था- 'महन्दु स्तान आने और इतना िारा पररश्रम करने तथा कष्ट् उठाने का हे तु, दो उद्दे श्यों
की मिक्ति थी। प्रथम इस्लाम के शत्रुओ,ं अमवश्वामियों (महन्दु ओ)
ं िे युि करना; और इि िमा
युि के द्वारा भावी जीवन के मलए मकिी इनाम के मलए अमिकार प्राप्त कर लेना था। दय िरा
एक िां िाररक उद्दे श्य था; मक इस्लाम की िेना, अमवश्वामियों की कुछ गणना योग्य िन िम्पमत्तयों,
और बहुमयल्य पदाथों को लयट िके। मुिलमानों के मलए युि में लयट का माल उतना ही मवमि
िंगत है मजतना उनके मलए माूँ का दय ि, मुिलमान, जो दीन के मलए युि करते हैं उनके मलए
लयट का माल, जो इस्लामी मवमि के अनुिार िवाथा उमचत व मान्य है , उिका उपभोग ममहमा
कारक है , बड़प्पन का स्त्रोत है ।

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ-४६१)

ियरा ४९ आयत १५, ियरा ४ आयत १००, कुरान

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 4

बाबर (१५१९-१५३०)

भारत में इस्लामी आक्रमणकताा ओं के मुगल िाम्राज्य के िंथथापक, बाबर, ने 'मुजामहद' की पदवी
उि िमय प्राप्त की जब उिने उत्तरपमिम िीमा प्रान्त के, एक छोटे िे राज्य, मबजनौर, में अपनी
भारतमवजय के प्रारक्तम्क काल १५१९ में आक्रमण मकया। उिने अपनी जीवनी, बाबरनामा, में इि
घटना का बड़े आनन्द व हषोल्लाि, के िाथ वणान मकया था।

महन्दय शवों के मिरों िे मुक्तस्लम आक्रान्ता बाबर द्वारा बनवाई गई मीनारें

'चयंमक मबजौरीवािी इस्लाम के शत्रु व मवद्रोही थे , और चयंमक उनके मध्य मविमी और मवरोिी रीमत
ररवाज व परम्परायें प्रचमलत थीं, उनका िामान्य, यानी मक िवा िमावेशी, नर िंहार मकया गया।
उनकी पमत्नयों और बच्चों को बन्दी बना मलया गया। एक अनुमान के अनुिार तीन हजार व्यक्ति
मौत के घाट उतारे गये , नका पहुूँ चाये गये। दु गा को मवजयकर, हमने उिमें प्रवेश मकया और
उिका मनरीक्षण मकया। दीवालों के िहारे , घरों में, गमलयों में, गमलयारों में, अनमगत िंखया में महन्दय
मृतक पड़े हुए थे। आने वाले व जाने वाली िभी को शवों के ऊपर िे ही जाना पड़ा
था...मुहरा म के नौवें मदन मैंने आदे श मदया मक मैदान में महन्दय मृतक मशरो की एक मीनार
बनाई जाए।'
282

(बाबरनाम अनु . ए. एि. बैवररज, नई मदल्ली पुनिः छापी १९७९, पृष्ठ ३७०-७१)

महन्दय व्यक्तियों के मशरों िे मशकार खेलने की अपने पयवाज मतमयर की अमभरुमच में बाबर भागीदार
था। दोनों हीगामज़यों को, कटे हुए महन्दय मशरों की मीनारें खड़ी करने की एक अिािारण लगन
थी।

बाबर गाज़ी हो गया

जवाहर लाल नेहरू िे लेकर जवाहर लाल नेहरू मवश्व मवद्यालय एवम् अलीगढ़ मुक्तस्लम
मवश्वमवद्यालय के िैक्यलरवामदयों तक िभी ने बाबर को एक दक्ष, चतुर, भावुक कमव मचमत्रत
मकया है । हमें लगा मक बाबर के काव्य का एक नमयना प्रस्तुत कर दे ना उपयोगी और आनन्द
कर होगा। मनम्नमलक्तखत, उित, काव्य िे पयणातिः स्पष्ट् है , उिका अथा करना मनरथाक है , क्ोंमक
उिका पाठ स्वयं ही िवाा मिक अथापयणा व स्पष्ट् है । यथा-

'इस्लाम के मनममत्त मैं जं गलों में भटका।

मयमता पयजकों व महन्दु ओं के मवरुि प्रस्तुत हुआ।

शहीद की मृत्यु स्वयं पाने का मनिय मकया,

अल्लाह का िन्यवाद मक मैं गाजी हो गया।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ-५७४-७५)

बाबरी मक्तिद

१५२८-२९ में, बाबर के आदे शानुिार, मुगल िैन्य िंचालक, मीर बकी ने , भगवान राम की जन्मभयमम
की स्मृमत में बने , अयोध्या मक्तन्दर, का मवध्वंि कर मदया और उिके थथान पर एक मक्तिद बनवा
दी।'

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ ६५६, और मुक्तस्लम स्टे ट इन इक्तण्डया, के. एि. लाल)

बाबरी मक्तिद पर एक मशला लेख : 'शहं शाह बाबर के आदे शानुिार, उदार हदय मीरबकी ने
फररश्तों के उतरने का यह थथान बनवाया।'
283

गुरु नानक दे व द्वारा बाबर की मनन्दा

भारत के महानतम िन्तों में िे एक महान िन्त गुरु नानक दे व बाबर के िमकालीन ऋमष थे।
महन्दु ओं की अवणानीय यातनाओं का ध्यान कर वे (गुरु नानक दे व) इतने द्रमवत हुए मक उन्ोंने
िंिार के उत्पमत्त कताा , परममपता परमेश्वर िे , महन्दु ओं की घोर पीड़ा िे द्रमवत हो, प्रश्न मकया मक
हे प्रभो! आप ऐिे नर िंहार, ऐिी यातनाओं और ऐिी पीड़ाओं को मकि प्रकार िहन कर पाते
हैं । उन्ोंने कहा- 'ईश्वर ने अपने पंखों के नीचे खुरािन लगा रखा है यानी मक िममिथथ हो गये
हैं और भारत को बाबर के अत्याचारों के मलए खुला छोड़ मदया है ।'

'हे जीवन दाता! आप अपने ऊपर कोई कैिा भी दोष नहीं लपेटते अथाा त् िदै व ही मनमलाप्त रहे
आते हो। क्ा यह मृत्यु ही थी जो मुगल के रूप् में हमिे युि करने आई? जब इतना भीषण
नर िंहार हो रहा था, इतनी भीषण कराहें मनकल रही थीं, क्ा तुम्हें पीड़ा नहीं हुई?

(गुरु नानक, पृष्ठ १२५, प्रकाशन मवभाग, भारत िरकार)

कैक्तिज महस्टर ी ऑफ इक्तण्डया नामक ग्रन्थ में आचाया जदु नाथ िरकार ने मलखा था- 'अपने
िमकालीन मुिलमानों की, गुरुनानक ने भत्साना की थी और उन्ें नीच, पमतत व पथ भृष्ट् कहा
था।'

(खण्ड ४, अध्याय VIII, पृ ष्ठ २४४)

मवजयानगरम् का मवनाश (१५६५)

इस्लामी आतंकवाद व गुण्डगदी के इमतहाि में दमक्षण भारत में मवजया नगरम् राजिानी का
मवध्वंि िम्वतिः िवाा मिक महत्वपयणा थथानों के मवध्वंिों में िे एक है । काक्तम्पल के राजा के पुत्रों,
हररहर और बुक्का, ने इि राजिानी मवजया नगरम् को थथामपत मकया था मजिे मुहम्मद मबन
तुगलक ने िमाा न्तररत कर इस्लामी बना मदया था। बाद में स्वामी मवद्यारण्य के प्रोत्साहन व मागा
दशान में उन्ोंने तुगलक राज्य को, उलट मदया, दरबार वालों को भगा मदया, िमाप्त कर मदया
और महन्दय िमा में पुनिः िमाा न्तररत कर मदया और दमक्षण में मुक्तस्लम शक्ति व िाम्राज्य के
मवस्तार को रोकने के मलए, मवजया नगर राज्य की थथापना की। यह राजिानी अपने िमय की
मवश्व भर में िवाा मिक िम्पन्न राजिामनयों में िे एक थी-जो स्वयं में िौन्दयाकला का एक आिया
ही है । इि महन्दय राज्य में िन, िम्पदा, िंस्कृमत अिािारण रूप िे प्रजातां मत्रक और उदार मानव
284

िमाज, का प्रभु का आशीवाा द था। यह महन्दय िमाज, ययनाइटे ि नेशन्स द्वारा मवश्व व्यापी
मानवामिकारों की घोषणा केचार िौ वषा पहले िे ही मानव मयल्यों व मानवामिकारों को स्वीकार
करता था, आदर करता था, और पोषण करता था। िम िाममयक भारत में भ्रमणाथा आये यात्री,
दु आते बारबोिा के शब्दों में,

''मवजया नगर के राजाओं ने आज्ञा दे रखी थी मक कोई भी व्यक्ति, कभी भी, कहीं भी आये या
जाये; और मबना मकिी कैिी भी रुकावट, अिुमविा, व यातना के, स्वेच्छानुिार अपने मतानुिार
अपना जीवन यापन करे । उिे यह पयछने या बताने की आवश्यकता नहीं थी मक वह ईिाई,
ययहूदी, मयर वा मविमी है । वह जो भी है िुख िे स्वेच्छानुिार रहे । िवात्र िभी द्वारा िमता, न्याय
और आत्मीयता ही दे खने को थी।''

(दु आते बारबोिा की पु स्तक, खण्ड १, पृष्ठ २०२)

उदाहरणाथा, ''(१४१९-१४४९) में दे व राय ने आदे श मनकाला मक मुिलमानों को िेवाओं में रखा
जाए, उन्ें िम्पमत्तयाूँ आवक्तण्टत कीं, और मवजया नगर में एक मक्तिद बनावाईं। राम राजा के
शािनकाल में जब एक बार मुिलमानों ने तुका वाड़ा क्षेत्र की एक मक्तिद में एक गाय का वि
मकया और राजा के भाई मतरुमल के ही नेतृत्व में, उत्तेमजत अफिर और िरदारों ने , राजा िे
प्रमतवदे न कर राजा िे मशकायत की, तो भी राजा अपनेमवचारों व मनिय िे मिगे नहीं, और
प्रमतवेदन कताा ओं के िामने झुके नहीं, और उत्तर मदया मक वह मकिी की िाममा मान्यताओं में
हस्तक्षेप नहीं करे गा, और घोमषत मकया मक वह अपने िैमनकों के शरीरों का स्वामी है , उनकी
आत्माओं का स्वामी नहीं।''

(रौयल एमशयामटक िोिायटी के बम्बई शाखा का जनाल, खण्ड XXII, पृ ष्ठ २८)

अमवश्वामियों के िोखा दे ने के मलए इस्लाम की अनुममत

एक िे अमिक युिों में भी उिे हराकर राम राजा ने मवजयनगर के मनकट के मुक्तस्लम शािक,
िुल्तान अली आमदल शाह के िाथ शां मत थथामपत कर ली। मकन्तु िुल्तान ने मयमता पयजकों
अमवश्वामियों (गैर-मुिलमानों) के िाथ िोखािड़ी कर दे ने िम्बन्धी कुरानी (३ िः११८) आज्ञा का
पालन करते हुए दमक्षण भारत की मुक्तस्लम ररयाितों का एक िंघ बनाकर, इि वस्तुतिः पन्थ
मनरपेक्ष राज्य के मवरुि मजहाद कर मदया। मकन्तु कहानी का अन्त यहाूँ ही नहीं हो जाता है ।
तेईि जनवरी पन्द्रह िौं पैंिठ को ताली कोट के यृ ि के अक्तन्तम मदन मवजय नगर की िेना ने
उपयुि अविर पर त्वररत गमत िे आक्रमण कर मदया। पररणामस्वरूप मुिलमानों की िंघीय
िेना के बायें और दायें भाग की िेनाएं बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गईं औरिेनानायक िमपाण
285

करने को, और वामपि जाने को, प्रस्तुत हो गये। तभी हुिेन ने क्तथथमत बचा ली। तब युि पुनिः
प्रारम् हो गया और दोनों ही पक्षों की भीषण क्षमत हुई। युि अमिक दे र नहीं चला, कयोंमक
राम राम राजा के दो मुिलमान िेना नायकों द्वारा िोखा दे कर पक्ष त्याग दे ने के कारण युि
के अन्त का भमवष् मनमित हो गया। कैिर फ्रैिररक, मजिने उि िमय मवजय नगर को दे खा था,
ने कहा था मक इन दोनों िेना नायकों के नेतृत्व में प्रत्येक के अिीन ित्तर िे अस्सी हजार
योिा थे , इनके पक्ष तयाग व िोखा िड़ी के कारण ही मवजया नगर की हार हुई। राम राजा
शत्रुओं के हाथ लग गया और हिन के आदे शानुिार उिका मशरच्छे दन कर मदया गया।''

(आर. िी. मजयमदार िं . महस्टर ी एण्ड करचर ऑफ दी इक्तण्डयन पीपु ल, बी वी बी, खण्ड VII
पृष्ठ ४२५)

नरिंहार, लयटपाठ, िकैती और मवध्वंि

अब्बाि खान शेरवानी ने अपने ऐमतहामिक अमभलेख तारीख-ई-फररश्ता में मलखा- ''मुक्तस्लम ममत्रों
ने महन्दु ओं का पीछा मकया और िुल्ता के िाथ इतनी मात्रा में कत्ल मकया मक रि बहने लगा
और नदी का पानी रि रं मजत हो गया। िवा श्रेष्ठ अमिकाररयों ने गणना की थी मक पीछा करने
और विकाया में एक लाख िे भी िे अमिक अमवश्वािी, महन्दय व्यक्तियों का वि मकया गया था।
लयटपाट इतनी व्यापक और अमिक थी मक िंघीय िेना का प्रत्येक अिैमनक व्यक्ति िोने,
जवाहरात, आयुि, घोड़े और दाि िभी िे बेहद िनी हो गया, उन्ोंने लयटपाट की, प्रत्येक प्रमुख
भवन को मगराकर भयमम िात कर मदया, और हर िम्व प्रकार का अत्याचार मका।''

(तारीख-ई-फररश्ता, अब्बाि खान शेरवानी, एमलयट और िाउिन, खण्ड IV, पृष्ठ ४०७-०९)

युि की िमाक्तप्त के उपरान्त मुिलमानों ने कुरान के वायदे के अनुिार जन्नत में थथाई थथान
पाने और बहत्तर हूरें प्राप्त कर लेने के उद्दे श्य िे , मनरपराि, महन्दु ओं का नरिंहार मकया। कुरान
की प्रमतज्ञा इि प्रकार है मनिय ही पमवत्र लोग िफल होंगे दय िरे शब्दों में जहाूँ तक पमवत्र
लोगों का प्रश्न है , वे मनिय ही िफल होंगे, वहाूँ बाग होंगे और अंगयरों के बगीचे , और उऊचे उठे
हुए उरोजों वाली हूरें िाथी के रूप में९ एक ित्य रूप में भरा हुआ प्याला।''

(ियरा ७८ आयत ३१-३४)

दार-उल-हरब का मवनाश
286

''तीिरे मदन, अन्त का प्रारम् हुआ। मवजयी मुिलमानों ने पयणा मनमामतापयवाक महन्दय लोगों को काटा,
कत्ल मकया, मक्तन्दरों और पयजा घरों को तोड़ िाला, और राजाओं के आवािों (राजमहलों) का
इतनी अिभ्यता, बबारता पय णा बदले की भावना प्रदमशात करते हुए, मवनाश मकया मक जहाूँ शाही
भवन हुआ करते थे उन थथानों की पहचान के मलए वहाूँ अवशेषों के ढे र मात्र रह गये। उन्ोंने
प्रमतमाओं का ध्वंि कर मदया, और एक मवशाल मशला िे ही मनममात, नरमिं ह, के अंगों को भी तोड़
दे ने में िफल हो गये। ऐिा नहीं लगता था मक उनिे कुछ भी बच पया हो। नदी के मनकट
मवट्ठल स्वामी मक्तन्दर के अंश रूप में बने, आकषा क, ममहमा पय णा ढं ग िे िजे भवनों को मवनष्ट्
करने के मलए उन्ोंने व्यापक व मवशालकाय आग लगा दी, और उनके अनुपम रूप में िुन्दर
पत्थर की भवन मनमाा ण कला का ध्वंि कर मदया। अमि और तलवारों, िब्बलों और कुल्हामड़यों
द्वारा एक मदन के बाद दय िरे मदन इिी प्रकार वे अपने अभीष्ट् मवनाश का काम करते रहे । मवश्व
के इमतहाि में िम्वत कभी भी ऐिे मवनाश का काम नहीं मकया गया है और मवनाश काया
इतनी आकक्तस्मकता के िाथ वही भी इतने िुन्दर व ऐश्वयावान शहर पर; जो एक मदन िनी और
िम्पन्न, जनिंखया िे पररपयणा था, और जो एक मदन िम्पन्नता के मशखर पर था, और दय िरे ही
मदन, अमिकार मेंले मलया गया, पयणातिः अिभ्यता पय णा नरिंहार के िाथ नष्ट् कर मदया गया,
खण्डहरों में बदल मदया गया, और ऐिे अिभ्य, बबार, आतंकपयणा व यातनापयणा वातावरण के मध्य
मक उिका वणान भी न मकया जा िके।''

(रौबटा स्वैल : ऐ फौरगौमटन ऐम्पायर, पृष्ठ १९९-२००, न्यय दे हली, पुनिः मुमद्रत १९६६)

शेर शाह ियरी (१५४०-१५४५)

शेरशहह ियरी एक अफगान था मजिने दे हली में एक छोटी अवमि, पाूँ च वषा राज्य मकया। हमारे
िैक्यलररस्ट इमतहािज्ञ उिकी अपार प्रशंिा करते हैं मात्र इिमलए ही नहीं मक उिने छतीि िौं
मील लम्बी ग्राण्ड टर ं क रोि बनाई वरन् इिमलए भी मक वह उनके मतानुिार िैक्यलर, परोपकारी,
दयालु और कोमल हृदय का शािक था। यहाूँ हम यह मववेचना नहीं कर रहे मक पाूँ च िाल के
इतने अल्पकाल में, मवशेषकर जब वह अनेकों युिों में भी मलप्त रहा आया था, इतनी लम्बी छत्तीि
िौ मील लम्बी िड़क वह भी पयवी बंगाल िे लेकर पेशावर तक, के लम्बे क्षेत्र में िड़क मनमाा ण
काया कैिे िम्व हो िकता था, मवशेषकर जब, उिके आिे क्षेत्र में भी उिका शािन नहीं था,
वह कैिे बनवा िकता था। और कमथत िड़क के मनमाा ण का मकिी भी िाममयक ऐमतहामिक
अमभलेख में कोई कैिा भी वणानउपलब्ध नहीं है । यहाूँ मववेचन का हमारा िम्बन्ध, इन
िैक्यलररस्ट इमतहािज्ञों द्वारा प्रमतपामदत तथ्, शेरशाह के िैक्यलर होने के मवषय में है ।

अब्बाि खान ररमजवी ने अपने इमतहाि अमभलेख तारीख-ई-शेरशाही में बड़ी यथाथाता और
मवस्तार िे शेरशाह के िंमक्षप्तकालीन शािन का मववरण मलखा था। इि इमतहाि अमभलेख का
एच. एम. ऐमलयट और िाउिन ने अंग्रेजी में अनुवाद मकया था जो आज के तामलबानों के
मपता के द्वारा व्यवहार में लाई गई, तथाकमथत िैक्यलररज्म, का एक अमत मवलक्षण वणान प्रस्तुत
करता है ।
287

१५४३ में शेरहशाह ने रायिीन के महन्दय दु गा पर आक्रमण मकया। छिः महीने के घोर िंघषा के
उपरान्त रायिनी का राजा पयरन मल हार गया। शेर शाह द्वारा मदये गये िुरक्षा और िम्मान के
वचन एवम् आश्वािन का, महन्दु ओं ने मवश्वाि कर मलया, और िमपाण कर मदया। मकन्तु अगले मदन
प्रातिः काल महन्दय , जैिे ही मकले िे बाहर आये , शेरशाह की िेना ने उन पर आकक्तस्मक आक्रमण
कर मदया। अब्बार खान शेरवानी ने मलखा था-

''अफगानों ने चारों ओर िे आक्रमण कर मदया, और महन्दु ओं का वि प्रारम् कर मदया। पयरन


मल और उिके िाथी, घबराई हुई भेड़ों व ियअरों कीभाूँ मत, वीरता और युि कौशल मदखाने में
िवाथा अिफल रहें , और एक आूँ ख के इशारे मात्र िमय में ही, िबके िब वि हो गये। उनकी
पमत्नयाूँ और पररवार बन्दी बना मलये गये। पयरन मल की एक पु त्री और उिके बड़े भाई के तीन
पुत्रों को जीमवत ले जाया गया और शेष को मार मदया गया। शेरशाह ने पयरन मल की पु त्री को
मकिी घुम्मकड़ बाजीगर को दे मदया जो उिे बाजार में नचा िके, और लड़कों को बमिया, िस्सी,
करवा मदया तामक महन्दु ओं का वंश न बढ़े ।''

(तारीख-ई-शेरशाही : अब्बाि खान शेरवानी, एमलएट और िाउिन, खण्ड IV, पृष्ठ ४०३)

अब्बाि खान ने शेर शाह की िैक्यलररज्म के अनेकों और उदाहरण प्रस्तु त मकये हैं । उनमें िे
एक इि प्रकार है - ''उिने अपने अश्विावकों को आदे श मदया मक महन्दय गाूँ वों की जाूँ च पड़ताल
करें , उन्ें मागा में जो पु रुष ममलें, उन्ें वि कर दें , औरतों और बच्चों को बन्दी बना लें, पशुओं
को भगा दें , मकिी को भी खेती ने करने दें , पहले िे बोई फिलों को नष्ट् कर दें , और मकिी
को भी पड़ौि के भागों िे कुछ भी न लाने दें ।''

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ ३१६)

अकबर 'महान' (१५५६-१६०५)

जवाहर लाल नेहरु द्वारा मलक्तखत, बहुत प्रशंमित, ऐमतहामिक ममथ्ा कथा, ''मिस्कवरी ऑफ इक्तण्डया''
में मजिे अकबर 'महान' कहकर स्वागत व प्रशां मित मकया गया, एक िुरीय, व्यक्तित्व है , जो
माक्तक्साटस्ट ब्राण्ड के िैक्यलररस्टों के मलए, आनन्द व उल्लाि का स्रोत हैं इन मैकौलेवादी व
माक्तक्सास्टों की जामत के, इमतहािकारों, द्वारा इि (अकबर) को एक िवाा मिक परोपकारी उदार,
दयालु, िैक्यलर और ज जाने मकन-मकन गुणों िे िम्पन्न शहं शाह के रूप में मचमत्रत मकया गया
है । अतिः इि लेख के द्वारा, अकबर के स्वंय के, व उिके प्रिानमंत्री द्वारा मलक्तखत, मववरणों के ही
आिार पर लोगों के िमक्ष मवशेषकर िैक्यलरवादी इमतहािज्ञों के िमक्ष प्रगट, एवम् प्रमामणत, करने
का प्रयाि मकया जा रहाा है , मक अकबर वास्तव में मकतना महान था।
288

अकबर एक ग़ाजी हो गया

एक मनहत्थे , अिुरमक्षत और बुरी तह घायल, महन्दय , है मय या राजा हे मचन्द्र का मशरोच्छे दन या वि


कर अकबर, मकशोरावथथा में ही, गाजी हो गया था।

अकबर के िम िामममयक इमतहाि अमभलेख लेखक अहमद यादगार ने , मलखा था- ''बैरम खाूँ ने
महमयूँ के हाथ पैर बाूँ ि मदये और उिे , नव जवान, भाग्यवान शहजादे के पाि ले गया और बोला,
चयंमक यह हमारी प्रथम िफलता है ,अतिः आप श्रीमान, अपने ही पमवत्र कर कमलों िे तलवार
द्वारा इि अमवश्वािी का कत्ल कर दें , और उिी के अनुिार शहजादे ने , उि पर आक्रमण मकया
और उिका मिर उिके अपमवत्र शरीर, िड़ िे अलग कर मदया।'' (नवम्बर, ५ AD १५५६)

(तारीख-ई-अफगान, अहमद यादगार, एमलयट और िाउिन, खण्ड VI, पृष्ठ ६५-६६)

''बादशाह ने तलवार िे महमय पर आक्रमण मकया और उिने गाजी की उपामि प्राप्त कर ली।''

(तारीख-ई-अकबर, पृष्ठ ७४ अनु . तानिेन अहमद)

अबुल फजल ने मलखा था- ''अकबर को बताया गया मक महमय का मपता और पत्नी और उिकी
िम्पमत्त व िन अलवर में हैं , अतिः बादशाह ने नामिर-उल-ममलक को चुने हुए योिाओं के िाथ
आक्रमण के मलए भेज मदया। महमय के मपता को जीमवत ले आया गया और नामिर-उल-ममलक
के िामने प्रस्तुत मकया गया मजिने उिे (महमय के मपता को) इस्लाम में िमाा न्तररत करने का
प्रयाि मकया, मकन्तु वृि पुरुष ने उत्तर मदया, ''मैंने अस्सी वषा तक ईश्वर की पयजा अपने
मतानुिार की है ; मै। अपने मत को कैिे त्याग िकता हूूँ ? क्ा मैं तुम्हारे मत को मबना िमझे
हुए, भय के कारण, स्वीकार कर लयूँ, मौलाना परी मोहम्मद ने उिके उत्तर को अनिुना कर मदया,
मकन्तु उिका उत्तर, अपनी तलवार की जीभ या तलवार के आघात िे मदया।''

(अकबर नामा, अबुल फजल : एमलयट और िाउिन, खण्ड टप् , पृष्ठ २१)

मचत्तौड़ में मजहाद

अकबर की मचत्तौड़ मवजय के मवषय में अबुल फजल ने मलखा था, ''अकबर के आदे शानुिार
प्रथम आठ हजार राजपयत यौिाओं को हमथयार मवहीन कर मदया गया, और बाद में उनका वि
कर मदया गया। उनके िाथ-िाथ अन्य चालीि हजार कृषकों का भी वि कर मदया गया।''
289

(अकबरनामा, अबुल फजल, अनु . एच. बैबररज)

'युि बक्तन्दयों के िाथ इस्लामी व्यवहार का ढं ग इिी पुस्तक में ियरा ८ आयत ६७ कुरान में
दे खें।

र्फतहनामा-ई-मचत्तौड़ (माचा १५६८)

मचत्तौड़ की मवजयोपरान्त प्रिाररत फतह नामा को िक्तम्ममलत कर अकबर ने मवमभन्न अविरों पर


फतहनामें प्रिाररत मकये थे। यह ऐमतहामिक पत्र अकबर ने मजहाद की पय णातम भावना के
वशीभयत हो, मलखा था और इि प्रकार महन्दु ओं के प्रमत उिकी गहन, आन्तररक घृणा, िम्पयणा
रूप में इि पत्र द्वारा प्रकामशत हो गई थी।

फतह नामा का मयल पाठ इि प्रकार था, ''अल्लाह की खयामत बढ़े मजिने वचन को पयरा मकया,
अकेले ही िंयुि शक्ति को हरा मदया और मजिके पिात कहीं भी कुछ भी नहीं है .....
िवाशक्तिमान, मजिने कताव्य परायण मुजामहदों को बदमाश अमवश्वामियों को अपनी मबजली की
तरह चमकीली कड़कड़ाती तलवारों द्वारा वघ कर दे ने की आज्ञादी थी, उिने (अल्लाहने ) बताया
था, उनिे युि करो! अल्लाह उन्ें तुम्हारे हाथों के द्वारा दण्ड दे गा और वह उन्ें नीचे मगरा
दे गा। वि कर िराशायी कर दे गा। और तुम्हें उनके ऊपर मवजय मदला दे गा (कुरान ियरा ९
आयत १४) ''हमने अपना बहुमयल्य िमय अपनी शक्ति िे , िवोत्तम ढं ग िे मजहाद, (मघज़ा) युि
में ही लगा मदया है और अमर अल्लाह के िहयोग िे, जो हमारे िदै व बढ़ते जाने वाले िाम्राज्य
का िहायक है , अमवश्वामियों के अिीन बक्तस्तयों मनवामियों, दु गों, शहरों को मवजय कर अपने अिीन
करने में मलप्त हैं , कृपालु अल्लाह उन्ें त्याग दे और तलवार के प्रयोग द्वारा इस्लाम के स्तर को
िवात्र बढ़ाते हुए, और बहुत्ववाद के अन्धकार और महं िक पापों को िमाप्त करते हुए, उन िभी
का मवनाश कर दे । हमने पयजा थथलों को उन थथानों में मयमतायों को और भारत के अन्य भागों
को मवध्वंि कर मदया है । अल्लाह की खयामत बढ़े मजिने , हमें इि उद्दे श्य के मलए, मागा मदखाया
और यमद अल्लाह ने मागा न मदखाया होता तो हमें इि उद्दे श्य की पयमता के मलए मागा ही न
ममला होता....।.''

(फतहनामा-ई-मचत्तौड़ : अकबर ॥नई मदल्ली, १९७२ इमतहाि कां ग्रेि की काया मवमि॥ अनु .
मटप्पणी : इक्तश्तआक अहमद मजज्जली पृष्ठ ३५०-६१)

अकबर का शादी के मनममत्त मजहाद


290

अपने हरम को िम्पन्न व िमृि करने के मलए अकबर ने अनेकों महन्दय राजकुमाररयों के िाथ
बलात शामदयाूँ की; और बज्रमयखा, कुमटल एवम् ियता िैक्यलररस्टों ने इिे , अकबर की महन्दु ओं के
प्रमत स्नेह, आत्मीयता और िमहष्णुता के रूप में मचमत्रत मकया हैं मकन्तु इि प्रकार के प्रदशान
िदै व एक मागीय ही थे। अकबर ने कभी भी, मकिी भी मुगल ममहला को, मकिी भी महन्दय को
शादी में नहीं मदया।

''रणथम्ौर की िक्तन्ध के अन्तगात शाही हरम में दु क्तल्हन-भेजने की, राजपयतों के स्तर को मगराने
वाली, रीमत िे बयंदी के िरदार को मुक्ति दे दी गई थी।''

उपरोि िक्तन्ध िे स्पष्ट् हो जाता है मक अकबर ने , युि में हारे हुए महन्दय िरदारों को अपने
पररवार की िवाा मिक िु न्दर ममहला को मां गने व प्राप्त कर लेने की एक पररपाटी बना रखी थीं
और बयंदी ही इि क्रयर पररपाटी का एक मात्र, िौभाग्यशाली, अपवाद था।

''अकबर ने अपनी काम वािना की शां मत के मलए गौंिवाना की मविवा रानी दु गाा वती पर
आक्रमण कर मदया मकन्तु एक अमत वीरतापयणा िंघषा के उपरान्त यह दे ख कर मक हार मनमित
है , रानी ने आत्म हत्या कर ली। मकन्तु उिकी बमहन को बन्दी बना मलया गया। और उिे
अकबर के हरम में भेज मदया गया।'' (

आर. िी. मजयमदार, दी मुगल ऐम्पायर, खण्ड VII, पृष्ठ बी. वी. बी.)

हल्दी घाटी के गाज़ी

राणाप्रताप के मवरुि अकबर के अमभयानों के मलए िबिे बड़ा, िबिे अमिक, िशि प्रेरक तत्व
था इस्लामी मजहाद की भावना, मजिकी व्याखया व स्पष्ट्ीकरण कुरान की अनेकों आयतों ओर
अन्य इस्लामी िमा ग्रंथों में मकया गया है । ''उनिे युि करो, जो अल्लाह और कयामत के मदन
(अक्तन्तम मदन) में मवश्वाि नहीं रखते , जो कुछ अल्लाह और उिके पै गम्बर ने मनषेि कर रखा
है उिका मनषेि नहीं करते ; जो उि पन्थ पर नहीं चलते हैं यानी मक उि पन्थ को स्वीकार
नहीं करते हैं जो िच का पन्थ है , और जो उन लोगों को है मजन्ें मकताब (कुरान) दी गई है ;
(और तब तक युि करो) जब तक वे उपहार न दे दें और दीन हीन न बना मदये जाएूँ , पयणातिः
झुका न मदये जाएूँ ।''

(कुरान ियरा ९ आयत २५)


291

अतिः तकापयवाक मनष्कषा मनकाला जा िकता है मक राजपयत िरदारों और भील आमदवामियों द्वारा
िंगमठत रूप में हल्दी घाटी में मुगलों के मवरुि लड़ा गया युि मात्र एक शक्ति िंघषा नहीं
था। इस्लामी आतंकवाद व आतताईपन के मवरुि महन्दय प्रमतरोि ही था।

अकबर के एक दरबारी इमाम अब्दु ल कामदर बदाउनी ने अपने इमतहाि अमभलेख, 'मुन्तखाव-
उत-तवारीख' में मलखा था मक १५७६ में जब शाही फौंजे राणाप्रताप के मवरुि युि के मलए
अग्रिर हो रहीं थीं तो उिने (बदाउनीने ) ''युि अमभयान में िक्तम्ममलत होकर महन्दय रि िे
अपनी इस्लामी दाड़ी को मभगों लेने के मवमद्गाष्ट् अमिकार के प्रयोग के मलए इि अविर पर
उपक्तथथत रहे आने में अपनी अिमथाता के मलए आदे श प्रापत करने के मलए शाहन्शाह िे भेंट
की अनुममत के मलए प्राथाना की।'' अपने व्यक्तित्व के प्रत इतने िम्मन और मनष्ठा, और मजहाद
िम्बन्धी इस्लामी भावना के प्रमत मनष्ठा िे अकबर इतना प्रिन्न हुआ मक अपनी प्रिन्नता के प्रतीक
स्वरूप् मुठ्ठी भर िोने की मुहरें उिने बदाउनी को दे िालीं।

(मुन्तखाब-उत-तवारीख : अब्दु ल कामदर बदाउनी, खण्ड II, पृष्ठ ३८३, वी. क्तस्मथ, अकबर दी
ग्रेट मुगल, पृष्ठ १०८)

कामफर होना, मृत्यु का कारण

हल्दी घाटी के युि में एक मनोरं जक घटना हुई। वह मवशेषकर अपने िैक्यलररस्ट बन्धुओं के
मनममत्त ही यहाूँ उित है ।

बदाउनी ने मलखा था- ''हल्दी घाटी में जब युि चल रहा था और अकबर िे िंलि राजपयत, और
राणा प्रताप के मनममत्त राजपयत परस्पर युि रत थे और उनमें कौन मकि ओर है , भेद कर पाना
अिम्व हो रहा था, तब अकबर की ओर िे यु ि कर रहे बदाउनी ने, अपने िेना नायकिे पयछा
मक वह मकि पर गोली चलाये तामक शत्रु को ही आघात हो, और वह ही मरे । कमाण्डर आिफ
खाूँ ने उत्तर मदया था मक यह बहुत अमिक महत्व की बात नहीं मक गोली मकि को लगती है
क्ोंमक िभी (दोनों ओर िे) युि करने वाले कामर्फर हैं , गोली मजिे भी लगेगी कामफर ही मरे गा,
मजििे लाभ इिलाम को ही होगा।''

(मुन्तखान-उत-तवारीख : अब्दु ल कामदर बदाउनी, खण्ड II, अकबर दी ग्रेट मुगल : वी. क्तस्मथ
पुनिः मुमद्रत १९६२; महस्टर ी एण्ड करचर ऑफ दी इक्तण्डयन पीपुल, दी मुगल ऐम्पायर : िं . आर.
िी. मजयमदार, खण्ड VII, पृष्ठ १३२ तृतीय िंस्करण, बी. वी. बी.)
292

इिी िन्दभा में एक और ऐिी ही िमान स्वभाव् की घटना वणान योग्य है । प्रथम मवश्व व्यापी
महायुि में जब मब्रमटश भारत की िेनायें क्रीममयाूँ में मनयुि थीं तब मब्रमटश भारत की िेना के
मुक्तस्लम िैमनकों के पीछे क्तथथत थे , महन्दय िैमनकों पर पीदे िे गोमलयाूँ चला दीं, फलस्वरूप बहुत िे
महन्दय िैमनक मारे गये। मुक्तस्लम िैमनकों की मशकायत थी मक जमानी के पक्षिर, और जो क्रीममयाूँ
पर अमिकार मकये हुए थे , उन तुकों के मवरुि वे युि नहीं करना चाहते थे। इि घटना के बाद
मब्रमटशों ने मब्रमटश भारत की िेना के महन्दय और मुस्लमान िैमनकों को युि थथल पर कभी भी
एक ही पक्ष में, एक िाथ, मनयुि नहीं मकया। इि घटना का वणान उि मब्रमटश अफिर ने स्वयं
ही मलखा था जो इि अमत अद् युत, और मवमशष्ट्, तथा इस्लामी, घटना का स्वंय प्रत्यक्ष दशी था।

(दी इक्तण्डया ऑमफि लाइब्रेरी, लण्डन, एम. एि. एि. २३९७)

मकन्तु महन्दु ओं ने अपने इमतहाि िे कुछ भी नहीं िीखा है , अतिः ऐिी घटना की पुनरावृमत्त
अत्याज्य है । घटना तुलनात्मक रूप में मनकट भयत की ही है मजिमें िाम्य वामदयों की बहुत
अमिक कटु भागीदारी है । एक भली भां मत मििान्त मवशारद िाम्यवादी, मवखयात नेता, स्वगीय प्रो.
कल्यान दत्त (िी. पी. आई) ने अपनी जीवनी ''आमार कम्युमनष्ट् जीवन'' में मलखा था। मुस्लमानों
ने अपनी पामकस्तान की मां ग को िम्पन्न कराने के मलए १६ अगस्ट १९४६ को 'प्रत्यक्ष कायावाही'
प्रारम् कर दी। इिे बाद में ''कलकत्ता का महान नरिंहार, महान कत्लेआम, कहा गया।'' (दी ग्रेट
कैलकट्टा मकमलंगि)। 'मजहाद' मजिे प्रत्यक्ष कायावाही (िायरे क्ट एक्शन) नाम मदया गया, क्तखदर पुर
िौकयािा के मुक्तस्लम मजदय रों ने महन्दय मजदय रों पर आक्रमण कर मदया। आियाचमकत महन्दु ओं ने
वामपंथी टे् रि ययमनयन्स की िदस्यता के, मजनकेमहन्दय मुिलमान दोनों ही मजदय र थे कािा
मदखाकर प्राणरक्षा की भीख मां गी, और कहा मक ''अरे कौमरै िो (िामथयों) तुम हमारा वि क्ों
कर रहे हो? हम िभी एक ययमनयन में हैं । ''मकन्तु चयूँमक इन मुजामहदों को इस्लाम का राज्य
(दारूल इस्लाम) मजदय रों के राज्य िे कहीं अमिक मप्रय है , ''िभी महन्दु ओं का वि कर मदया
गया।''

(कल्यान दत्त, 'आमार कम्ययमनष्ट् जीवन' (बंगाली) पला पक्तब्लशिा , पृष्ठ १० प्रथम आवृमत्त कलकत्ता
१९९९)

इि मवशेष घटना के यहाूँ वणान करने का मेरा उद्दे श्य और आशा है , मक वामपंथी िेना, ''जो
व्यावहाररक ज्ञान की अपेक्षा मििान्त बनाने में अमिक मिि हस्त हैं , ''उनके मक्तस्तष्कों में
वास्तमवकता, िच्चाई और िामान्य ज्ञान का कुछ उदय हो जाए।

अकबर महन्दु ओं का वमिक


293

जहाूँ गीर ने, अपनी जीवनी, ''तारीख-ई-िलीमशाही'' में मलखा था मक ''अकबर और जहाूँ गीर के
आमिपत्य में पाूँ च िे छिः लाख की

िंखया में महन्दु ओं का वि हुआ था।''

(तारीख-ई-िलीम शाही, अनु . प्राइि, पृष्ठ २२५-२६)

गणना करने की मचंता मकये मबना, मानवों के वि एवम् रिपात िम्बन्धी अकबर की मानमिक
अमभलाषा के उदय का कारण, इस्लाम के मजहाद िम्बन्धीमििां त, व्यवहार और भावना में थीं,
मजनका पोषण इस्लामी िमा ग्रन्थ और प्रशािकीय मवमि मवज्ञान के मनयमों द्वारा होता है ।

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 5

शाहजहाूँ (१६२८ -१६५८)

शाहजहाूँ शेखी मारा करता था मक ''वह मतमयर का वंशज है जो भारत में तलवार और अमि
लाया था। उि उज्रबैंक के, जंगली जानवर, (मतमयर) िे, उिकी महन्दु ओं के रिपात की उपक्तब्ध
िे, इतना प्रभामवत था मक ''उिने अपना नाम मतमयर मद्वतीय रख मलया''

(दी लीगेिी ऑफ मुक्तस्लम रूल इन इक्तण्डया- िॉ. के. एि. लाल, १९९२ पृष्ठ- १३२).

बहुत प्रारक्तम्क अवथथा िे ही शाहजहाूँ ने अमवश्वामियों के प्रमत युि के मलए िाहि व रुमच
मदखाई। पृथक-पृथक ने मलखा था मक, ''शहजादे के रूप में ही शाहजहाूँ ने फतहपुर िीकरी पर
अमिकार कर मलया था और आगरे का शहर मवध्वंि कर मदया था जहाूँ , भारत यात्रा पर आये
दे ला वैले, इटली के एक िनी व्यक्ति के अुनिार, उिकी (शाहजहाूँ की) िे ना ने भयानक
बबारता का पररचय कराया था। महन्दय नागररकों को घोर यातनाओं द्वारा अपने िंमचत िन को दे
दे ने के मलए मववश मकया गया, और अनेकों उच्च कुल की कुलीन महन्दय ममहलाओं का शील
भंग, और उनका अंग भंग मकया गया।''

(कीन्स है ण्ड बुक फौर मवमजटिा टय आगरा एण्ड इट् ि नेबरहुि, पृष्ठ २५)
294

अनेकों इमतहािज्ञ, मवशेषकर िैक्यलररिटों ने , शाहजहाूँ को एक महान् मनमाा ता के रूप में मचमत्रत
मकया है । उिकी, िौन्दया शास्त्र की अमभरुमच वाले, के रूप में प्रशं िा की गई है । मकन्तु इि
तथाकमथत िौन्दया शास्त्र के प्रमत अमभरुमच रखने वाले मुजामहद ने अनेकों महनदय मक्तन्दरों, और
अनेकों महन्दय भवन मनमाा ण कला के केन्द्रों, का बड़ी अिािारण लगन और जोश िे मवध्वंि मकया
था।

अब्दु ल हमीद ने अपने इमतहाि अमभलेख, 'बादशाह नामा' में मलखा था, ''महाममहम शहन्शाह
महोदयय की ियचना में लाया गया मक अमवश्वामियों (महन्दु ओ) ं के एक िशि केन्द्र, बनारि, में
उनके मपताजी के शािनकाल में अनेकों मक्तन्दरों के पुनिः मनमाा ण का काम प्रारम् हुआ था मकन्तु
वे अपयणा रह गये थे और अमवश्वािी (महन्दय ) अब उन्ें पयणा कर दे ने के इच्छु क हैं । इस्लाम पंथ
के रक्षक, महाममहम, ने आदे श मदया मक बनारि में और उनके िारे राज्य में अन्यत्र िभी थथानों
पर मजन मक्तन्दरों का मनमाा ण प्रारम् हो गया है , उन्ें मवध्वंि कर मदया जाए। इलाहाबाद प्रदे श िे
ियचना प्राप्त हो गई मक मजला बनारि के मछयत्तर मक्तन्दरों का ध्वंि कर मदया गया था।''

(बादशाहनामा : अब्दु ल हमीद लाहौरो, एमलयट और िाउिन, खण्ड VII, पृष्ठ ३६)

''कश्मीर िे लौटते िमय १६३२ में शाहजहाूँ को बताया गया मक अनेकों ममहलायें महन्दय हो गईं
और उन्ोंने महन्दय पररवारों में शादी कर ली थी। शहं शाह के आदे श पर इन िभी महन्दु ओं को
बन्दी बना मलया गया। प्रथम उन िभी पर इतना आमथाक दण्ड थोपा गया मक उनमें िे कोई
भुगतान नहीं कर िका। तब इस्लमाम स्वीकार कर लेने और मृत्यु में िे एक को चुन लेने का
मवकल्प मदया गया। चयंमक मकिी ने िमाा न्तरण स्वीकार नहीं मकया, उन्ें वि कर मदया गया।
लगभग चार हजार पाूँ च िौं ममहलाओं को बलात् मुिलमान बना मलया गया।''

(महस्टर ी एण्ड करचर ऑफ दी इक्तण्डयन पीपु ल : आर. िी. मजयमदार, भारतीय मवद्या भवन,
खण्ड टप्प्, पृष्ठ ३१२)

''मनुष् के रूप में शाहजहाूँ एक नीच और पथभ्रष्ट् व्यक्ति था। उिके बाबा अकबर के हरम में
पाूँ च हजार ममहलाऐं, अमिकां शतिः महन्दय थीं। अकबर की मृत्यु के पिात् जहाूँ गीर को हरम,
उत्तरामिकार में ममला और उिने रखैलों की िंखया बढ़ाकर छिः हजार कर ली। और वही हरम
जब शाहजहाूँ को प्राप्त हुआ, उिने उिे और भीबढ़ा मदया। उिने महन्दय ममहलाओं की व्यापक
छाूँ ट द्वारा हरम को और िम्पन्न मकया। बुमढ़याओं को भगा कर और अन्य महन्दय पररवारों िे
बलात लाकर हरम को बढ़ाता ही रहा।''

(अकबर दी ग्रेट मुगल : वी क्तस्मथ, पृष्ठ ३५९)


295

िारा मवश्व इि िोखे में है मक खयबियरत इमारत ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहाूँ ने
बनवाया था.....

प्रो.ओक कहते हैं मक...... ताजमहल प्रारम् िे ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर,
एक महं दय प्राचीन मशव मक्तन्दर है मजिे तब तेजो महालय कहा जाता था.

अपने अनुिंिान के दौरान प्रो.ओक ने खोजा मक इि मशव मक्तन्दर को शाहजहाूँ ने जयपुर के


महाराज जयमिंह िे अवैि तरीके िे छीन मलया था और इि पर अपना कब्जा कर मलया था.

शाहजहाूँ के दरबारी लेखक "मुल्ला अब्दु ल हमीद लाहौरी " ने अपने "बादशाहनामा" में मुग़ल
शािक बादशाह का िम्पयणा वृतां त 1000 िे ज़्यादा पृष्ठों मे मलखा है ,,मजिके खंि एक के
पृष्ठ 402 और 403 पर इि बात का उल्लेख है मक, शाहजहाूँ की बेगम मुमताज-उल-ज़मानी मजिे
मृत्यु के बाद, बुरहानपुर मध्य प्रदे श में अथथाई तौर पर दफना मदया गया था और इिके 6 माह
बाद, तारीख़15 ज़मदी-उल- अउवल मदन शुक्रवार,को अकबराबाद आगरा लाया गया मर्फर उिे
महाराजा जयमिंह िे मलए गए, आगरा में क्तथथत एक अिािारण रूप िे िुंदर और शानदार
भवन (इमारते आलीशान) मे पुनिः दफनाया गया, लाहौरी के अनुिार राजा जयमिंह अपने पुरखों
मक इि आली मंमजल िे बेहद प्यार करते थे , पर बादशाह के दबाव मे वह इिे दे ने के मलए
तैयार हो गए थे.

इि बात मक पुमष्ट् के मलए यहाूँ ये बताना अत्यन्त आवश्यक है मक जयपु र के पयवा महाराज के
गुप्त िंग्रह में वे दोनो आदे श अभी तक रक्खे हुए हैं जो शाहजहाूँ द्वारा ताज भवन िममपात
करने के मलए राजा जयमिं ह को मदए गए थे l

यह िभी जानते हैं मक मुक्तस्लम शािकों के िमय प्रायिः मृत दरबाररयों और राजघरानों के लोगों
को दफनाने के मलए, छीनकर कब्जे में मलए गए मंमदरों और भवनों का प्रयोग मकया जाता था ,

उदाहरनाथा हुमाययूँ, अकबर, एतमाउददौला और िफदर जंग ऐिे ही भवनों मे दफनाये गए हैं
...

महन्दय ममहलाओं िे यौन िम्बन्धों के मलए दािवृमत्त


296

भगाई हुई महन्दय ममहलाओं की यौन दािता और यौन व्यापार को शाहजहाूँ प्रश्रय दे ता था, और
अक्सर अपने मंमत्रयों और िम्बक्तन्धयों को पुरस्कार िवरूप अनेकों महन्दय ममहलाओं को मदया
करता था। यह व्यमभचारी, नर पशु, यौनाचार के प्रमत इतना आकमषात और उत्साही था, मक महन्दय
ममहलाओं के बाजार (मीना बाजार) लगाया करता था, यहाूँ तक मक अपने महल में भी। िुप्रमिि
ययरोपीय यात्री फ्रां कोइि बमनायर ने इि मवषय में मटप्पणी की थी मक, ''महल में बार-बार लगने वाले
मीना बाजार, जहाूँ भगा कर लाई हुई िैकड़ों महन्दय ममहलाओं का, क्रय-मवक्रय हुआ करता था,
राज्य द्वारा बड़ी िंखया में नाचने वाली लड़मकयों की व्यवथथा, और नपुिंक बनाये गये िैकड़ों
लड़कों की हरमों में उपक्तथथत, शाहजहाूँ के लम्पटपन व काम मलप्सा के िमािान के मलए ही
थी।

(टे् रमवि इन दी मुगल ऐम्पायर- फ्रान्कोइि बमनायर :पुन मलक्तखत पुनिः मलक्तखत वी. क्तस्मथ,
औक्स फोिा १९३४)

औरं गजेब (१६५८ - १७०७)

अपने पयवाजों िे पयणातिः मभन्न, औरं गजब, कम िे कम अपने मयल वास्तमवक स्वरूप, स्वभाव और
भावनानुिार ही, लोगों के ज्ञान में है । इरफान हबीब, और उिे अनय टोली के िामथयों के,
औरं गजेब के मजहादी कुकृत्यों को न्यायोमचत ठहराने के अथक प्रयािों की उपक्तथथमत में भी,
उिके मजहादी, कुकृत्य : उदाहरणाथा बलात् िमाा न्तरण, मक्तन्दर मवध्वंि और मिख गुरुओं और
ित्पुरुषों के वि, इि मुजामहद को पन्थ मनरपेक्ष (िैक्यलर) प्रथथामपत करने की मदशा में, तमकन
भी िहयोगी, नहीं हो िके हैं । चयंमक इि लेख के अमत िीममत आकार के कारण, औरं गजेब की
िाममाक कट्टरता और उन्माद का िंमक्षप्ततम मववरण भी िमामवष्ट् नहीं मकया जा िकता है तो
भी हम उिके द्वारा महन्दु स्तान के मयमता पयजकों के मवरुि मजहादी कुकृत्यों की, एक झलक मात्र
दे ने का प्रयाि कर रहे हैं ।

गुरु तेग बहादु र का वि

घाटी के ब्राह्मणों का एक प्रमतमनमि मण्डल गुरु जी के पाि गया, और अपने गवानर इक्तफ्तकार खाूँ
के माध्यम िे औरं गजेब के द्वारा, उन पर मकये जाने वाले अत्याचारों, और यातनाओं की,मशकायतें
को, उन्ोंने गुरु जी को बताया मक उनके िामने दो मागों : मृत्यु और इस्लाम- में िे एक को
चुन लेने का आग्रह मकया जा रहा है । उन्ोंने गुरु जी िे कहा, ''इि अन्धकार भरे काल में, आप
ही हमारे एक मात्र स्वामी एवम् िवास्व हैं । अब आप पर ही हमारी जामत और िमा की रक्षा का
297

भार मनभार करता है । अन्यथा हम िम्मान के िाथ अपने जीवन, और पीमढ़यों पुराने िमा के
पालन में िवाथा अिमथा हैं । हमारे मलए यह िब अिम्व हो चला है ।''

जब उिके पन्थ और पन्थानुयाइयों पर पयणातिः अनाश्वयक रूप में आक्रमण हो रहा हो, तब योिा
िन्त, उपेक्षा भाव मदखा पाने में िवाथा अिमथा था। उिने (गुरुजी ने ) उन्ें िान्तवना दी और
प्रोत्सामहत मकया। और महन्दु ओं द्वारा कश्मीर में बलात िमा पररवतान के प्रमतरोि का नेतृत्व मकया,
इििे औरं गजेब क्रुि हो गया और उिने गुरु जी को बन्दी बनाये जाने के मलए आदे श दे मदये।
जब गुरु जी को औरं गजे ब के िम्मुख प्रस्तुत मकया गया तब उिने गुरु जी के िामने मृत्यु और
इस्लाम में िे एक को चुन लेने का मवकल्प प्रस्तु त मकया। गुरु जी ने िमा तयाग दे ने (इस्लाम
स्वीकार कर लेने) को मना कर मदया और शहं शाह के आदे शानुिार,पाूँ च मदन तक अमानवीय
यंत्रणायें दे ने के उपरान्त, गुरु जी का मिर काट मदया गया। इि पर गुरु गोमवन्द मिंह ने कहा
था, ''मक उन्ोंने (गुरु जी ने) अपना रि (बमल) दे कर मतलक और महन्दु ओं के यज्ञोपवीत की
रक्षा की।''

(मवमचत्र नाटक-गुरु गोमवन्द मिंहिः ग्रन्थ ियरज प्रकाश-भाई िन्तोख मिंह : इवौल्ययशन ऑफ
खालिा, प्रोफैिर आई बनजी, १९६२)

औरं गजेब द्वारा मक्तन्दरों का मवनाश

महस्टर ी ऑफ औरं गजेब- िर जदु नाथ िरकार, खण्ड III, अपेक्तण्डक्स V िे

राज्यारोहण िे पमहले

''िीतादाि जौहरी द्वारा िरशपुर के मनकट बनवाये गये मचन्तामन मक्तन्दर का मवध्वंि कर, उिके
थथान पर शहजादे औरं गजेब के आदे शानुिार १६४५ में क्वातुल-इस्लाम नामक मक्तिद बनावा दी
ग्ई।'' (मीरात-ई-अहमदी, २३२)। दी बौम्बे गजऋमटयर खण्ड I भाग I पृ ष्ठ २८० ''आगे गहता है
मक मक्तन्दर में एक गाय का वि भी मकया गया।''

''मेरे ओदशानुिार, मेरे प्रवे श िे पयवा के मदनों में, अहमदाबार और गुजरात के अन्य परगनों में
अनेकों मक्तन्दरों का मवध्वंि कर मदया गया था। उनकी मरम्मत कर दी गई और उनमें पुनिः मयमता
पयजा आरम् हो गई थी। मेरे पहले के आदे श मदनां क २० नवम्बर १६६५(फमाा न) को व्यवहार में
लाओ''

(मीरात पृ. २७५)


298

''औरं गाबाद के मनकट ितारा गाूँ व मेरा मशकार थथल था। पहाड़ी के मशखर पर यहाूँ खाण्डे राय
का मयमता युि एक मक्तन्दर था। अल्लाह की ममहमा िे (कृपा िे ) मैंने उिे ध्वंि कर मदया।''

(कालीमात-ई-अहमदी, पृ ष्ठ ३७२)

१९ मदिम्बर १६६१ को मीर जुम्ला ने, वहाूँ के जारा औरलोगों द्वारा खाली मकये कयच मवहार शहर
में प्रवेश मकया और, ''िै य्यद मोहम्मद िामदक को मुखय न्यायािीश मनयुि कर मदया और आदे श
मकया मक िभी महन्दय मक्तन्दरों को ध्वंि कर मदया जाए और उनके थथन पर मक्तिदें बनवा दी
जाएूँ । (िेनानायक ने) जनरल ने स्वयं, युि की कुल्हाड़ी नेकर, नारायण की मयमता का ध्वंि कर
मदया।''

(स्टीययअट्ा ि बंगाल)

''जैिे ही शहं शाह ने िुना मक दाराशुकोह ने मथुरा के केशवराय मक्तन्दर में पत्थरों की एक बाड़
को पुनिः थथामपत करा मदया है , उिने कटाक्ष मकया, मक इस्लामी पंथ में तो मक्तन्दर की ओर दे खना
भी पाप है और इि रादा ने मक्तन्दर की बाड़ को पुनिः थथामपत करा मदया है । मुहम्ममदयों के
मलए वह आचरण जनक नहीं है । बाड़ को हटा दो। उिके आदे शानुिार मथुरा के फौजदार
अब्दु लनबी खान ने बाड़को हटा मदया।''

(अखबारातिः ९वाूँ वषा , बीत ७, १४ अक्टय बर १६६६)

२० नवम्बर १६६५ ''चयूँमक महाममहम शहं शाह के ध्यान में लाया गया है मक गुजरात प्रान्त के
मनकट के क्षेत्रों के लोगों ने शहं शाह के प्रवेश िे पयवा के शाही आदे शाकें के अन्तगात ध्वंि मकये
गये मक्तन्दरों को पुनिः बना मलया है ... अतिः महाममहल आदे श दे ते हैं मक... पयवा में ध्वंि मकये
गये और आल ही में पुनिः थथामपत मक्तन्दरों को ध्वंि कर मदया जाए''

(फरमान जो मीरात २७३ में मदया गया)

९ अप्रैल १६६९ ''िभी प्रान्तों के गवनारों को शहं शाह ने आदे श मदया मक अमवश्वामियों के िभी
स्कयलों और मक्तन्दरों का मवध्वंि कर मदया जाए और उनकी मशक्षा और िाममाक मक्रयाओं को
पयरी शक्ति के िाथ िमाप्त कर मदया जाए-

''मामिर-ई-आलमगीरी, (िी ग्राफ, १६७० में जब वह हुगली में था आदे श िुना ओरमें का फ्रोग,
२५०)
299

मई १६६९ ''गदा िारी िलील बहादु र को मालारान के मक्तन्दर को तोड़ने के मलए भेजा गया।''
(मािीर-ई-आलम गीरी ८४)

२ मितम्बर १६६९ ''न्यायालय में िमाचार आया मक शाही आदे शानुिार उिके अफिरों ने बनारि
के मवश्वनाथ मक्तन्दर का ध्वंि कर मदया था (उिी पुस्तक में, ८८)जनवरी १६७० ''रमजान के
इि महीने में िाममाक मन वाले शहं शाह ने मथुरा के केशव का दे हरा नामक मक्तन्दर के ध्वंि
का आदे श मकया। अल्पकाल में उिके अफिरों ने आज्ञा पालन कर दी। बहुत बड़े व्यय के
िाथ उि मक्तन्छर के थथान पर एक मक्तिद बना दी गई। उि मक्तन्दर का मनमाा ण बीर मिंह
बुन्देला द्वारा तेतीि लाख रुपयों के व्यय िे कराया गया था। महान पन्थ इस्लाम के अल्लाह की
खयामत बढ़े मक, अमवश्वाि और अशां मत मवनाशक, इि पमवत्र शािन में, इतना महान, आियाजनक,
और दे खने में अिम्व, काया िम्पन्न हो गया। शहं शाह के पन्थ की शक्ति और उिकी अल्लाह
के प्रमत भक्ति की ममहमा के इि उदाहरण को दे खकर राजा लोग आियाचमकत, और श्वाि रुके,
अनुभव करने लगे और भौचक्के हो ऐिे दे ख रहे थे जैिे एक मयमता दीवाल को रदे खती है ।
मक्तन्दर में थथामपत छोटी बड़ी िारी मयमतायाूँ , मजनमें बहुमयल्य जवाहरात जड़े हुए थे , आगरा नगर में
लाई गईं, और जहाूँ नारा मक्तिद की िीमढ़यों में लगा दी गईं तामक, उन्ें मनरन्तर पैरों तले रौंदी जा
िकें।''

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ ९५-९६)

''िैनोन के िीता राम जी मक्तन्दर का उिने आं मशक ध्वंि मकया; उिके अफिरों में िे एक ने
पुजारी कोकाट िाला, मयमता को तोड़ मदया, और गोंड़ा की दे वीपाटन के पयजाग्रह (मक्तन्दर) को
अपमवत्र कर मदया।''

(क्रुक का एन. िब्ल्यय . पी. ११२)

''कटक िे लेकर उड़ीिा की िीमा पर मेमदनीपुर तक के िभी थानों के फौजदारों, प्रशािन


अमिकाररयों (मुतिमद्दिों), जागीरदारों के प्रमतमनमियों, कोररयों, औ अमल कताा िेवकों के मलए
आदे श प्रिाररत मकये गये मक; उड़ीिा प्रान्त के एक िमाचार पत्र िे िमाचार पाकर मक
मेमदनीपुर के एक गाूँ व मतलकुटी में एक नया मक्तन्दर बनाया गया है , शहं शाह के आदे शानुिार
शाही भुगतान के स्वामी अिद खाूँ न ने पत्र मलखा और पमवत्र आदे श मदया मक उि मक्तन्दर का
और महत्वहीन अमवश्वामियों द्वारा प्रदे श भर, में जहाूँ कहीं, कोई मक्तन्दर बनाया गया हो, िभी का
मवनाश कर मदया जाए। अतिः अमिकतम तीव्रता िे, आपको आदे श मदया जाता है , मक इि पत्र
की प्राक्तप्त के तुरन्त बाद, आप उपमलाक्तखत मक्तन्दरों को अमवलम्ब ध्वंि कर दें । मवगत दि बारह
िालों में, जो भी मयमताघर बना हो, भले को वह ईंटों िे बनाया गया हो, या ममट्टी िे , प्रत्येक को
300

अमवलम्ब नष्ट् कर मदया जाए। घृमणत अमवश्वामियों को, उनके प्राचीन मक्तन्दरों की मरमत भी, नहीं
करनी दे नी चामहए। काजीकी िील के अन्तगात, और पमवत्र शेखों द्वारा प्रमामणत मक्तन्दरों के मवनाश
की ियचना न्यायालय में भे ज दी जानी चामहए।

[मराकात-ई-अबुल हिन, (१६७० में पयणा की गई) पृष्ठ २०२]

''हर एक परगने में थानों के अर्फिर मयमता भंजन के आदे शों के िाथ आते हैं ।'' (२७ जयन १६७२
को मलक्तखत और जे . एम. रे . के बंगाली महस्टर ी ऑफ ढाका आई, ३८९ में प्रकामशत ढाका के
िमाा ररया थथान के याशो मािव मक्तन्दर में िुरमक्षत रखे , पत्र के अनुिार)

''खण्डे ला के राजपयतों को दण्ड दे ने, और उि थथान के बड़े मक्तन्दरों के ध्वंि करने के मलए दराब
खाूँ को भेजा गया था।'' (मािीर-ई-आलमगीरी १७१)। ''उिने ८ माचा १६७९ को खण्डे ला और
शानुला के मक्तन्दरों का ध्वंि कर मदया और आिपाि, अड़ौि पड़ौि, अन्य के मक्तन्दरों को भी
ध्वंि कर मदया।''

(मािीर-ई-आलमगीरी १७३)

२५ मई १६७९, ''जोिपुर में मक्तन्दरों का ध्वंि करके और खक्तण्डत मयमतायों की कई गामड़या भर


कर खान-ठा -जहान बहादु र लौटा। शहं शाह ने आदे श मदया मक मयमतायों, मजनमें अमिकां श िोने ,
चाूँ दी, पीतल, ताूँ बा या पत्थर की थीं, को दरबार के चौकोर मैदान में मबखे र मदया जाए और
जामामक्तिद की िीमढ़यों में लगा मदया जाए तामक उनकों पैरों तले रौंदा जा िके।''

(मािीर-ई-आलमगीरी पृ ष्ठ १७५)

१७ जनवरी १९८० ''उदयपुर के महाराणा के महल के िामने क्तथथत, एक मवशाल मक्तन्दर, जो अपने
युग के महान भवनों में िे एक था, और अमवश्वामियों ने मजिके मनमाा ण के ऊपर अपार िन
व्यय मकया था, उिे मवध्वंि कर मदया गया, और उिकी मयमतायाूँ खक्तण्डत कर दी गईं।''

(मािीर-ई- आलमगीरी १६८)


301

''२४ जनवरी को शहं शाह उदय िागर झील को दे खने गया और उिके मकनारे क्तथथत तीनों
मक्तन्दरों के ध्वंि का आदे श दे आया।''

(पृष्ठ १८८, उिी पुस्तक में)।

''२९ जनवरी को हिन अली खाूँ ने ियमचत मकया मक उदयपुर के चारों ओर के अन्य १७२
मक्तन्दर ध्वंि कर मदये गये हैं ''

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ १८९)

''१० अगस्त १६८० आबय टु राब दरबार में लौटा और उिने ियमचत मकया मक उिने आम्बेर में
६६ मक्तन्दर तोड़ मदये हैं ''

(पृष्ठ १९४)।

२ अगस्त १६८० को पमिमी मेवाड़ में िोमेश्वर मक्तन्दर को तोड़ दे ने का आदे श मदया गया।

(ऐिु ब २८७a और २९०a)

मितम्बर १६८७ गोल कुण्डा की मवजय के पिात् शहं शाह ने 'अब्दु ल रहीम खाूँ को है दराबाद
शहर का आचरणमनराोक मनयुि मकया और आदे श मदया मक गैर-मुिलमानों (महन्दु ओ) ं के रीमत
ररवाजों व परम्पराओं तथा इस्लाम िमा मवरुि नवीन मवचारों को िमाप्त कर दें और मक्तन्दरों को
ध्वंि कर उनके थथानों पर मक्तिदें बनवा दें ।''

(खर्फी खान ii ३५८-३५९)

''१६९३ में शहं शाह ने वाद नगर के मक्तन्दर हाटे श्वर, जो नागर ब्राह्मणों का िंरक्षक था, को ध्वंि
करने का आदे श मकया''

- (मीरात ३४६)
302

१६९८ के मध्य में ''हमीदु द्दीन खाूँ न बहादु र, मजिे बीजापुर के मक्तन्दरों को ध्वंि करने और उि
थथान पर मक्तिद बनाने के मलए मनयुि मकया था, आदे शों का पालन कर दरबार में वामपि
आया था। शहं शाह ने उिकी प्रशंिा की थी।''

(मीरात ३९६)

''मक्तन्दर का ध्वंि मकिी भी िमय िम्व है क्ोंमक वह अपने िाम न िे भाग कर नहीं जा
िकता''

-(औरं गजेब िे जुक्तल्फ कार खान और मुगल खान को पत्र (कलीमत-ई-तय्यीबात ३९ ं )

''महाराष्ट्र के नगरों के मकान बहुत अमिक मजबयत हैं क्ोंमक वे पत्थरों और लोहें के द्वारा
बनवाये गये हैं । अमभयानों के मध्य कुल्हामड़याूँ ले जाने वाले िरकारी आदममयों के पाि पयाा प्त
शक्ति िामथ्ा व अविर नहीं रहता मक मागा में दृमष्ट्गत हो जाने वाले,गैर-मुिलमानों के मक्तन्दरों
को, तोड़ कर चयराकर, भयममिार कर िकें। तु म्हें एक परम्परा मनष्ठ मनरीक्षक (दरोगा) मनयुि कर
दे ना चामहए जो बाद में िुमविानुिार मक्तन्दरों को ध्वंि करा के उनकी नीवों को खुदवा मदया
करे ।''

(औरं गजेब िे, रुहुल्ला खान को कां लीमत-ई-औरं गजेब में पृष्ठ ३४ रामपुर M.S. और ३५a
I.0.L.M.S. ३३०१)

१ जनवरी १७०५ ''कुल्हाड़ीिारी आदममयों के दरोगा, मुहम्मद खलील को शहं शाह ने बुलाया...
ओदश मदया मक पण्ढरपु र के मक्तन्दरों को ध्वंि कर मदया जाए और िे रे के किाइयों को ले
जाकर, मक्तन्दरों में गायों का वि कराया जाए... आज्ञा पालन हुई''

(अखबारात ४९-७)

इस्लाम का तजहादी इतिहास और छद्म-धमफतनरपेक्षिा का सत्य - 6

तसक्ख दशम गुरु गोतबंद तसंह जी की मृत्यु


303

मुक्तस्लम आक्रान्ताओं का बड़े स्तर पर मवरोि और दमन हुआ मिक्खों के दशम गुरु गोमबंद मिंह
जी के नेतृत्व में, मजिमे दशम गुरूजी के बेटों को भी इस्लामी दररं दों ने मलेर कोटला
(पंजाब) में दीवारों में चुनवा मदया, चमकौर गढ़ी की लड़ाई के बाद दशम गुरु जी नां देि की
और प्रथथान कर गए l

27 तदसंबर 1704 में र्ििे अनुसार बच्चों को दीिारों में तचना जाने लगा। जब दीिार घुर्टनों
िक पहुंची िो घुर्टनों की चपतनयों को िेसी से कार्टा गया िातक दीिार र्टे ड़ी न हो। जुल्म
की हद हो गई। तसर िक दीिार के पहुंचने पर शाशल बेग ि िाशल बेग जलादों ने
िलिार में शीश कर सातहब जादों को शहीद कर तदया। लाशों को खेिों में र्ेंक तदया
गया।

िरमहं द के एक महं दु िाहूकार रोिरमल जी को जब इिका पता चला तो उिने िंस्कार करने
की िोची। उिको कहा गया मक मजतनी जमीन िंस्कार के मलए चामहए उतनी जगह पर िोने
की मोहरे मबछानी पड़े गी। कहते हैं मक उिने घर के िब जेवर व िोने की मोहरें मबछा करके
िामहबजादों व दशम गुरु जी की माता गुजरी जी का दाह िंस्कार मकया।

चमकौर की गढ़ी िे जाने के बाद गुरु जी माछी वािे िे होते हुए मालवा प्रदे श में पहुं चे जहां
पर मिखों ने उनका स्वागत मकया। कां गड़ गां व में गुरु जी ने औरं गजेब को मचठी मलखी जो मक
जफरनामा (फतेहनामा) िे मशहूर है मजिमें गुरु जी ने एक पत्र भेजकर औरं गजेब को
फटकार लगाई और "कहा मक तयने औरं गजेब नाम को कलंमकत मकया है । तय िच्चा मुिलमान
भी नहीं है क्ोंमक कुरान जुल्म के क्तखलाफ है । तयने यमद मेरे चार माियम बच्चे मरवा मदए तो क्ा
हुआ अभी मैं मजंदा हूं और तेरे राज का खात्मा अब अवश्य है ।"

इमतहाि गवाह है मक औरं गजेब ने जब यह मचठी पढ़ी तो वह बहुत ही भयभीत हो गया और


उिने एक शािनादे श जारी मकया मक गुरु गोमबंद मिंह की जायदाद वामपि की जाए और वह
महं दुस्तान में कहीं भी जाए उिको कोई तंग न करे । लेमकन औरं गजेब इतना भयभीत था मक
उिने कुछ मदनों में ही शरीर छोड़ मदया। उिका बड़ा लिक़ा मुअजम गुरु जी की िहायता िे
राजगद्दी पर बैठा। मिखों ने उिके राज में ही िामहबजादो का बदला ले मलया व मुगल िल्तनत
अमत कमजोर हो गई।

ज्यादातर प्रमिि इमतहािकारों के अनुिार भारत केप्रथम प्रिानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के एक
पुरखे मगयािुद्दीन शाह ग़ाज़ी, जो मक एक अफगानी मुिलमान था मजिे 17 वषा की आयु में ही
ग़ाज़ी की उपामि दे दी गई थी औरं गजेब के छोटे बेटे बहादु र शाह - 1 द्वारा मजिकी िेना में
यह मगयािुद्दीन शाह ग़ाज़ी मदल्ली के चां दनी चौक इलाके का मकलेदार था, चमकौर गढ़ी के
युि के बाद इि मगयािु द्दीन ग़ाज़ी ने मुखमबरी की थी की मिक्ख दशम गुरु नां देि क्तथथमत
गुरूद्वारे में हैं और उिी मुखमबरी के अनुिार िरमहं द के नवाब वजीर खान ने अपने दो
पठान हमलावरों (Sharp - Shooter) वामिल बेग और जमशेद खान को भेज कर उन पर हमला
304

करवाया, इि हमले में गुरूजी के ह्रदय पर गहरा प्रहार हुआ था मजिके पररणामस्वरूप
अियबर 1708 में दशम गुरूजी (नां देि - महाराष्ट्र) में ज्योमत जोत िमा गए l

अहमद शाह अब्दाली (१७५७ और १७६१)

मथुरा और िृन्दािन में तजहाद (१७५७)

''मकिान जाटों ने मनिय कर मलया था मक मवध्वंिक, ब्रज भयमम की पमवत्र राजिानी में, उनकी
लाशों पर होकर ही जा िकेंगे... मथुरा के आठ मील उत्तर में। २८ फरवरी १७५७ को
जवाहर मिंह ने दि हजार िे भी कम आदममयों के िाथ आक्रमणकाररयों का िटकर, जीवन
मरण की बाजी लगाकर, प्रमतरोि मकया। िय योदया के बाद युि नौ घण्टे तक चला और उिके
अन्त में दोनोंओर के दि बारह हजार पैदल योिा मर गये , घायलों की मगनती तो अगणनीय
थी।''

''महन्दय प्रमतरोिक अब आक्रमणकाररयों के िामने अब बुरी तरह िराशायी हो गये। प्रथम माचा के
मदन मनकलने के बहुत प्रारक्तम्क काल में अफगान अश्वारोही फौज, मबना दीवाल या रोक वाले
और मबना मकिी प्रकार का िंदेह करने वाले, मथु रा शहर में फट पड़ी। और न अपने स्वाममयों
के आदे शों िे, और न मपछले मदन प्राप्त कठोरतम िंघषा वा प्रमतरोि के कारण, अथाा त दोनों ही
कारणों िे, वे कोई मकिी प्रकार की भी दया मदखाने की मनक्तथथमत में नहीं थे। पयरे चार घण्टे
तक, महन्दय जनिंखया का मबना मकिी पक्षपात के, भरपयर मात्रा में, मदलखोलकर, नरिंहार व
मवध्वंि मकया गया। िभी के िभी मनहत्थे अिुरमक्षत व अिैमनक ही थे। उनमें िे कुछ पुजारी
थे ... ''मयमता याूँ तोड़ दी गईं और इस्लामी वीरों द्वारा, पोलों की गेदों की भाूँ मत, ठु कराई गईं'',
(हुिैनशाही पृष्ठ ३९)''

''नरिंहार के पिात ज्योंही अहमद शाह की िेनायें मथुरा िे आगे चलीं गई तो नजीब व उिकी
िेना, वहाूँ पीछे तीन मदन तक रही आई। अिंखय िन लयटा और बहुत िी िुन्दर महन्दय ममहलाओं
को बन्दी बनाकरले गया।'' (नयर १५ b ) यमुना की नीली लहरों ने उन िभी अपनी पुमत्रयों को
शाश्वत शां मत दी मजतनी उिकी गोद में, उिी फैली बाहों को दौड़कर पकड़ िकीं। कुछ अन्यों
ने , अपने िम्मान िुरक्षा और अपमान िे बचाव के अविर के रूप में, मनकटथथ, अपने घरों के
कयओं में, कयदकर मृत्यु का आमलंगन कर मलया। मकन्तु उनकी उन बमहनों के मलए, जो जीमवत तो
305

रही आईं, उनके िामने मृत्यु िे भी कहीं अमिक बुरे भाग्य िे, कहीं कैिी भी, िुरक्षा नहीं थी।
घटना के पन्द्रह मदन बाद एक मुक्तस्लम प्रत्यक्षदशी ने मवध्वंि हुए शहर के दृश्य का वणान मकया
है । ''गमलयों और बाजारों में िवात्र वि मकये हुए व्यक्तियों के मश्र रमहत, िड़, मबखरे पड़े थे। िारे
शहर में आग लगी हुई थी। बहुत िे भवनों को तोड़ मदया गया था। जमुना में बहने वाला पानी,
पीले जैिे रं ग का था मानो मक रि िे दय मषत हो गया हो।''

''मथुरा के मवनाश िे मुक्ति पा, जहान खान आदे शों के अनुिार दे श में लयटपाट करता हुआ घयमता
मफरा। मथुरा िे िात मील उत्तर में, वृन्दावन भी नहीं बच िका... पयणातिः शां त स्वभाव वाले,
आक्रामकताहीन, िन्त मवष्णु भिों पर, वृन्दावन में िामान्यजनों के नरिंहार का अभ्याि मकया
गया (६ माचा ) उिी मुिलमान िाइरी लेखक ने वृन्दावन का भ्रमण कर मलखा था; ''जहाूँ कहीं
तुम दे खोगे शवों के ढे र दे खने को ममलेंगे। तु म अपना मागा बड़ी कमठनाई िे ही मनकाल िकते
थे क्ोंमक शवों की िंखया के आमिक् और मबखराव तथा रि के बहाव के कारण मागा पयरी
तरह रुक गया था। एक थथान पर जहाूँ हम पहुूँ चे तो दे खा मक.... दु गान्ध और िड़ान्ध हवा में
इतनी अमिक थी मक मुूँह खोलने और िाूँ ि लेना भी कष्ट् कर था''

(फॉल ऑफ दी मुगल ऐम्पायर-िर जदु नाथ िरकार खण्ड प्ट नई मदल्ली १९९९ पृष्ठ ६९-७०)

अब्दाली का गोकुल पर आक्रमण

''अपन िे रे की एक टु कड़ी को गोकुल मवजय के मलए भेजा गया। मकन्तु यहाूँ पर राजपयताना
और उत्तर भारत के नागा िन्यािी िैमनक रूप के थे। राख लपेटे नि शरीर चार हजार
िन्यािी िैमनक, बाहर खड़े थे और तब तक लड़ते रहे जब तक उनमें िे आिे मर न गये , और
उतने ही शत्रु पक्ष के िै मनकों की भी मृत्यु हुई। िारे वैरागी तो मर गये , मकन्तु शहर के दे वता
गोकुल नाथ बचे रहे , जैिा मक एक मराठा िमाचार पत्र ने मलखा।''

(राजवाड़े प ६३, उिी पु स्तक में, पृ ष्ठ ७०-७१)

पानीपत में मजहाद (१७६१)

''युि के प्रमुख थथल पर कत्ल हुए शवों के इकत्तीि, पृथक-पृथक, ढे र मगने गये थे। प्रत्येक ढे र में
शवों की िंखया, पाूँ च िौं िे लेकर एक जाहर तक, और चार ढे रों में पन्द्रह िौं तक शव थे , कुल
ममलाकर अट्ठाईि हजार शव थे।
306

इनके अमतररि मराठा िे रे के चारों ओर की रवाई शवों िे पयरी तरह भरी हुई थी। लम्बी
घेराबन्दी के कारण, इनमें िे कुछ रोगों, और आकल के मशकार थे , तो कुछ घायल आदमी थे, जो
युि थथल िे बचकर, रें ग रें ग कर, वहाूँ मरने आ पहुूँ चे थे। भयख और थकान के कारण, मरने
वालों और दु राा नी की मनरन्तर मबना रुके पीछा करने वाली िेना के िामने प्रमतरोि न करने
वालों, के मर कर मगर जाने वाले शवों िे , पानीपत के पमित और दमक्षण में, मराठों की पीछे
लौटती हुई िेना की मदशा में, जंगल और िड़क भरे पड़े थे। उनकी िंखया- तीन चौथाई
अिैमनक और एक चौथाई िैमनक- युि में मरने वालों की िंखया िे बहुत कम थी। जो घायल
पड़े थे शीत की मवकरालता के कारण मर गये।''

''िंघषामय महामवनाश के पिात पयणा मनदा यतापयवाक, नर िंहार प्रारम् हुआ। मयखाता अथवा हताश
वश कई लाख मराठे जो मवरोिी वातावरण वाले शहर पानीपत में मछप गये थे , उन्ें अगले मदन
खोज मलया गया, और तलवार िे वि कर मदया गया। एक अमत अमवश्विनीय मववरण के अनुिार
अब्दु ि िमद खान के पुत्रों और ममयाूँ कुर्ब को अपने मपता की मृत्यु का बदला ले लेने के मलए
पयरे एक मदन भर मराठों के लाइन लगाकर (मबना भेद के ) वि करे न की दु राा नी की, शाही,
अनुममत ममल गई थी'', और इिमें लगभग नौ हजार लोगों का वि मकया गया था खभाऊ बखर
१२३,; वे िभी प्रत्यक्षतिः, अिैमनक व मनहत्थे ही थे। प्रत्यक्षदशी काशीराज पक्तण्डत ने इि दृश्य का
वणान इि प्रकार मकया है - ''दु राा नी के प्रत्येक िैमनक ने , अपने -अपने िे रों िे , िौ या दो िौ, बन्दी
बाहर मनकाले, और यह चीखते हुए, मचल्लाते हुए मक, वह अपने दे श िे जब चला था तब उिकी
माूँ , बाप, बमहन और पत्नी ने उििे कहा था मक पमवत्र िमा युि में मवजय पा लेने के बाद वह
उनके प्रत्येक के नाम िे इतने कामफरों का वि करे मक उि काम के कारण', अमवश्वामियों के
वि के कारण, उन्ें उमचत पुरस्कार के मलए िाममाक श्रेष्ठता की मान्यता ममल जाए', और उन्ें िे रों
के बाहरी क्षेत्रों में तलवारों िे वि कर मदया। ( ' िुरा ८ आयत ५९-६०)''इि प्रकार हजारों
िैमनक और अन्य नागररक पयणा मनमामता पयवाक कत्ल कर मदये गये । शाह के िे रे में उिके
िरदारों के आवािों को छोड़कर, प्रत्येक िे रे में उिके िामने कटे हुए मशरों के ढे र पड़े हुए
थे।''

(उिी पुस्तक में, पृ ष्ठ २१०-११)

अमृतिर के श्री गुरु हरममंदर िामहब मजिको अब स्वणा मक्तन्दर के नाम िे जाना जाता है वहां
पर भी खयन की होली खेली गई अफगानी िेनाओं द्वारा, उि युि में मिक्खों के के नेता बाबा
दीप मिंह जी और बन्दा बैरागी जी की हत्या कर दी गई और इतना कत्लेआम मचाया गया की
पयरा िरोवर खयन के लाल रं ग िे िराबोर हो गया था l

मिक्खों में भयंकर आक्रोश व्याप्त हु मजिके पररणाम स्वरूप पंजाब के ही होमशयारपुर
में ब्रह्मण लड़ाकों की एक टु कड़ी के िाथ के िाथ ममल कर राम्गमढ़ये और अहलुवामलया
मिक्खों ने स्वणा मक्तन्दर िे वामपि लौट रहे अफगामनयों का िमयल मवनाश मकया मदया l
307

टीपय िुल्तान (१७८६-१७९९)

तथाकमथत अकबर महान के पिात हमारे मामकािस्ट इमतहािज्ञों की दु मष्ट् में िैक्यलरवाद, प्रजातं त्र,
उपमनवेशवाद मवरोिी व िमहष्णुता का मनष्कषा मनकालने के मलए टीपय िु ल्तान एक जीता जागता,
िशरीर िुमविाजनक उदाहरण या नमयना हैं मकन्तु िाममयक प्रलेखों (िुरा ९ आयत ७३) िे
पयणातिः स्पष्ट् है मक िाममाक आदे शों िे प्रोत्सामहत कुगा और मलाबार के महन्दु ओं पर टीपय के
अत्याचार और यातानाएं उन क्षेत्रों के इमतहाि में अनुपम एवम् अमद्वतीय ही थे। उपमलाक्तखत
इमतहािज्ञों (मामकािस्टों) की, नस्ल ने, टीपय को, उिके द्वारा मकये गये बबार अतयाचारों को पयणातिः
दबा, मछपा कर, आतताई को िैक्यलरवादी, राष्ट्रवादी, दे वतातुल्य, प्रमामणत व प्रस्तुत करने में कोई
भी, कैिी भी, कमी नहीं रखी है , तामक हम, मयमता पयजकों की पृथक-पृथक मयखा जामत, जो छद्म
दे वताओं की भी पयजा कर लेते हैं ,उिे वैिा ही मान लें। और ित्य तो यह है मक बहुतां श में ये
इमतहािकार अपने इि कुमटल उद्दे श्य में, भले को पयरी तरह नहीं, िफल भी हो गये हैं , मकन्तु
महा ममहम टीपय िुल्तान बड़े , कृपालु और उदार थे मक उन्ोंने अपने द्वारा महन्दु ओं पर मकय गये
अत्याचारों का वणान, और अन्य िाममयक प्रलेखों में दमक्षण भारत के इि मुजामहद का वास्तमवक
स्वरूप, पयणातिः प्रकामशत हो जाता है ।

टीपय के पत्र

टीपय द्वारा मलक्तखत कुछ पत्रों, िंदेशों, और ियचनाओं, के कुछ अंश मनम्नां मकत हैं । मवखयात इमतहािज्ञ,
िरदार पामणक्कर, ने लन्दन के इक्तण्डया ऑमफि लाइब्रेरी िे इन िन्दे शों, ियचनाओं व पत्रों के
मयलों को खोजा था।

(i) अब्दु ल खादर को मलक्तखत पत्र २२ माचा १७८८

"बारह हजार िे अमिक, महन्दु ओं को इरस्लाम िे िम्मामनत मकया गया (िमाा न्तररत मकया गया)।
इनमें अनेकों नम्बयमदरी थे। इि उपलक्तब्ध का महन्दु ओं के मध्य व्यापक प्रचार मकया जाए। थथानीय
महन्दु ओं को आपके पाि लाया जाए, और उन्ें इस्लाम में िमाा न्तररत मकया जाए। मकिी भी
नम्बयमदरी को छोड़ा न जाए।''

(भाषा पोशनी-मलयालम जनाल, अगस्त १९२३)


308

(ii) कालीकट के अपने िेना नायकको मलक्तखत पत्र मदनां क १४ मदिम्बर १७८८

''मैं तुम्हारे पाि मीर हुिै न अली के िाथ अपने दो अनुयायी भेज रहा हूूँ । उनके िाथ तुम िभी
महन्दु ओं को बन्दी बना लेना और वि कर दे ना...''। मेरे आदे श हैं मक बीि वषा िे कम उम्र
वालों को काराग्रह में रख लेना और शेष में िे पाूँ च हजार का पेड़ पर लटकाकार वि कर
दे ना।''

(उिी पुस्तक में)

(iii) बदरुज़ िमाूँ खान को मलक्तखत पत्र (मदनां क १९ जनवरी १७९०)

''क्ा तुम्हें ज्ञात नहीं है मनकट िमय में मैंने मलाबार में एक बड़ी मवजय प्राप्त की है चार लाख
िे अमिक महन्दु ओं को मयिलमान बना मलया गया था। मेरा अब अमत शीघ्र ही उि पानी रमन
नायर की ओर अग्रिर होने का मनिय हैं यह मवचार कर मक कालान्तर में वह और उिकी
प्रजा इस्लाम में िमाा न्तररत कर मलए जाएूँ गे, मैंने श्री रं गापटनम वापि जाने का मवचार त्याग
मदया है ।''

(उिी पुस्तक में)

टीपय ने महन्दु ओं के प्रमत यातनाआं के मलए मलाबार के मवमभन्न क्षेत्रों के अपने िेना नायकों को
अनेकों पत्र मलखे थे।

''मजले के प्रत्येक महन्दय का इस्लाम में आदर (िमाा न्तरण) मकया जाना चामहए; उन्ें उनके मछपने
के थथान में खोजा जाना चामहए; उनके इस्लाममें िवाव्यापी िमाा न्तरण के मलए िभी मागा व
युक्तियाूँ - ित्य और अित्य, कपट और बल-िभी का प्रयोग मकया जाना चामहए।''

(महस्टौरीकल स्कैचैज ऑफ दी िाउथ ऑफ इक्तण्डया इन एन अटे म्पट टय टर े ि दी महस्टर ी ऑफ


मैियर- माका मवरक्स, खण्ड २ पृष्ठ १२०)
309

मैियर के तृतीय युि (१७९२) के पयवा िे लेकर मनरन्तर १७९८ तक अफगामनस्तान के शािक,
अहमदशाह अब्दाली के प्रपौत्र, जमनशाह, के िाथ टीपय ने पत्र व्यवहार थथामपत कर मलया था।
कबीर कौिर द्वारा मलक्तखत, 'महस्टर ी ऑफ टीपय िुल्तान' (पृ ' १४१-१४७) में इि पत्र व्यवहार का
अनुवाद हुआ है । उि पत्र व्यवहार के कुछ अंग्रेजश नीचे मदये गये हैं ।

टीपय के ज़मन शाह के मलए पत्र

(i) ''महाममहल आपको िय मचत मकया गया होगा मक, मेरी महान अमभलाषा का उद्दे श्य मजहाद (िमा
युि) है । इि युक्ति का इि भयमम पर पररणाम यह है मक अल्लाह, इि भयमम के मध्य,
मुहम्मदीय उपमनवेश के मचह्न की रक्षा करता रहता है , 'नोआ के आका' की भाूँ मत रक्षा करता है
और त्यागे हुए अमवश्वामियों की बढ़ी हुई भुजाओं को काटता रहता है ।''

(ii) ''टीपय िे जमनशाह को, पत्र मदनां क शहबान का िातवाूँ १२११ महजरी (तदनुिार ५ फरवरी
१७९७): ''....इन पररक्तथथमतयों में जो, पयवा िे लेकर पमित तक, ियया के स्वगा के केन्द्र में होने के
कारण, िभी को ज्ञात हैं । मैं मवचार करता हूूँ मक अल्लाह और उिके पै गम्बर के आदे शों िे एक
मत हो हमें अपने िमा के शत्रुओं के मवरुि िमा युि मक्रयाक्तन्वत करने के मलए, िंगमठत हो जाना
चामहए। इि क्षेत्र के पन्थ के अनुयाई, शुक्रवार के मदन एक मनमित मकये हुए थथान पर िदै व
एकत्र होकर इन शब्दों में प्राथाना करते हैं । ''हे अल्लाह! उन लोगों को, मजन्ोंने पन्थ का मागा
रोक रखा है , कत्ल कर दो। उनके पापों को मलए, उनके मनमित दण्ड द्वारा, उनके मशरों को दण्ड
दो।''

मेरा पयरा मवश्वाि है मक िवाशक्तिमान अल्लाह अपने मप्रयजनों के महत के मलए उनकी प्राथानाएं
स्वीकार कर लेगा और पमवत्र उद्दे श्य की गुणवत्ता के कारण हमारे िामयमहक प्रयािों को उि
उद्दे श्य के मलए फलीभयत कर दे गा। और इन शब्दों के, ''तेरी (अल्लाह की) िेनायें ही मवजयी
होगी'', तेरे प्रभाव िे हम मवजयी और िफल होंगे।

लेख

टीपय की बहुचमचात तलवार' पर फारिी भाषा में मनम्नां मकत शब्द मलखे थे- ''मेरी चमकती तलवार
अमवश्वामियों के मवनाश के मलए आकाश की कड़कड़ाती मबजली है । तय हमारा मामलक है ,
हमारीमदद कर उन लोगों के मवरुि जो अमवश्वािी हैं । हे मामलक ! जो मुहम्मद के मत को
मवकमित करता है उिे मवजयी बना। जो मुहम्मद के मत को नहीं मानता उिकी बुक्ति को भृष्ट्
310

कर; और जो ऐिी मनोवृमत्त रखते हैं , हमें उनिे दय र रख। अल्लाह मामलक बड़ी मवजय में तेरी
मदद करे , हे मुहम्मद!''

(महस्टर ी ऑफ मैियर िी.एच. राउ खण्ड ३, पृष्ठ १०७३)

*मब्रमटश म्ययमजयम लण्डल का जनाल

हमारे िैक्यलररस्ट इमतहािज्ञों की रुमच, प्रिन्नता व ज्ञान के मलए श्री रं ग पटनम दु गा में प्राप्त टीपय
का एक मशला लेख पयाा प्त महत्वपयणा है । मशलालेख के शब्द इि प्रकार हैं - ''हे िवाशक्तिमान
अल्लाह! गैर-मुिलमानों के िमस्त िमुदाय को िमाप्त कर दे । उनकी िारी जामत को मबखरा
दो, उनके पैरों को लड़खड़ा दो अक्तथथर कर दो! और उनकी बुक्तियों को फेर दो! मृत्यु को
उनके मनकट ला दो (उन्ें शीघ्र ही मार दो), उनके पोषण के िािनों को िमाप्त कर दो।
उनकी मजन्दगी के मदनों को कम कर दो। उनके शरीर िदै व उनकी मचं ता के मवषय बने रहें ,
उनके नेत्रों की दृमष्ट् छी लो, उनके मुूँह (चेहरे ) काले कर दो, उनकी वाणी को (जीभ को),
बोलने के अंग को, नष्ट् कर दो! उन्ें मशदौद की भाूँ मत कत्ल करदो जैिे र्फरोहा को िु बोया था,
उन्ें भी िु बो दो, और भयंकरतम क्रोि के िाथ उनिे ममलो यानी मक उन पर अपार क्रोि
करो। हे बदला लेने वाले ! हे िंिार के मामलक मपता! मैं उदाि हूूँ ! हारा हुआ हूूँ ,! मुझे अपनी
मदद दो।''

(उिी पुस्तक में पृ ष्ठ १०७४)

टीपय का जीवन चररत्र

टीपय की फारिी में मलखी, 'िुल्तान-उत-तवारीख' और 'तारीख-ई-खुदादादी' नाम वाली दो जीवनमयाूँ


हैं । बाद वाली पहली जीवनी का लगभग यथावत (हू बय हू) प्रमतरूप नकल है । ये दोनों ही
जीवमनयाूँ लन्दन की इक्तण्डया ऑमफि लाइब्रेरी में एम.एि. एि. क्र. ५२१ और २९९
क्रमानुिार रखी हुई हैं । इन दोनों जीवनमयों में महन्दु ओं पर उिके द्वारा ढाये अत्याचारों, और दी
गई यातनाओं, का मवस्तृत वणान टीपय ने मकया है । यहाूँ तक मक मोमहब्बुल हिन, मजिने अपनी
पुस्तक, महस्टर ी ऑफ टीपय िुल्तान, टीपय को एक िमझदार, उदार, और िै क्यलर शािक मचमत्रत व
प्रस्तुत करने में कोई कैिी भी कमी नहीं रखी थी, को भी स्वीकार करना पड़ा था मक ''तारीख
यानी मक टीपय की जीवमनयों के पढ़ने के बाद टीपय का जो मचत्र उभरता है वह एक ऐिे िमाा न्ध,
पन्थ के मलए मतवाले, या पागल, का है जो मुक्तस्लमेतर लोगों के वि और उनके इस्लाम में बलात
पररवतान करान में ही िदै व मलप्त रहा आया।''
311

(महस्टर ी ऑफ टीपय िुल्तान, मोमहब्बुल हिन, पृष्ठ ३५७)

प्रत्यक्ष दमशायों के वणान

इस्लाम के प्रोत्साहन के मलए टीपय द्वारा व्यवहार में लाये अत्याचारों और यातनाओं के प्रत्यक्ष
दमशायों में िे एक पुतागाली यात्री और इमतहािकार, फ्रा बारटोलोमाको है । उिने जो कुछ
मलाबार में, १७९० में, दे खा उिे अपनी पुस्तक, 'वौयेज टय ईस्ट इण्डीज' में मलख मदया था-
''कालीकट में अमिकां श आदममयों और औरतों को फाूँ िी पर लटका मदया जाता था। पहले
माताओं को उनके बच्चों को उनकी गदा नों िे बाूँ िकर लटकाकर फाूँ िी दी जाती थी। उि बबार
टीपय द्वारा नंगे (वस्त्रहीन) महन्दु ओं और ईिाई लोगों को हामथयों की टां गों िे बूँिवा मदया जाता
था और हामथयों को तब तक घुमाया जाता था दौड़ाया जाता था जब तक मक उन िवाथा
अिहाय मनरीह मवपमत्तग्रस्त प्रामणयों के शरीरों के मचथड़े -मचथड़े नहीं हो जाते थे। मक्तन्दरों और
मगररजों में आग लगाने , खक्तण्डत करने , और ध्वंि करने के आदे श मदये जाते थे। यातनाओं का
उपमलाक्तखत रूपान्तर टीपय की िेना िे बच भागने वालेऔर वाराप्पुझा पहुूँ च पाने वाले अभागे
मवपमत्तग्रस्त व्यक्तियों िे िुन वृत्तों के आिार पर था... मैंने स्वंय अनेकों ऐिे मवपमत्त ग्रस्त
व्यक्तियों को वाराप्पुझा नहीं को नाव द्वारा पार कर जोने के मलए िहयोग मकया था।''

(वौयेज टय ईस्ट इण्डीजिः फ्रा बारटोलोमाको पृष्ठ १४१-१४२)

टीपय द्वारा मक्तन्दरों का मवध्वंि

दी मैियर गज़मटयर बताता है मक ''टीपय ने दमक्षण भारत में आठ िौं िे अमिक मक्तन्दर नष्ट्
मकये थे।''

के.पी. पद्मानाभ मैनन द्वारा मलक्तखत, 'महस्टर ी ऑफ कोचीन और श्रीिरन मैनन द्वारा मलक्तखत, महस्टर ी
ऑफ केरल' उन भि, नष्ट् मकये गये, मक्तन्दरों में िे कुछ का वणान करते हैं - ''मचन्गम महीना ९५२
मलयालम ऐरा तदु निार अगस्त १७८६ में टीपय की फौज ने प्रमिि पेरुमनम मक्तन्दर की मयमतायों
का ध्वंि मकया और मत्रचयर ओर करवन्नयर नदी के मध्य के िभी मक्तन्दरों का ध्वंि कर मदया।
इररनेजालाकुिा और मथरुवां चीकुलम मक्तन्दरों को भी टीपय की िेना द्वारा खक्तण्डत मकया गया और
नष्ट् मकया गया।'' ''अन्य प्रमिि मक्तन्दरों में िे कुछ, मजन्ें लयटा गया, और नष्ट् मकया गया, था, वे
थे - मत्रप्रंगोट, मथ्रचैम्बरम्, मथरुमवाया, मथरवन्नयर, कालीकट थाली, हे मक्तम्बका मक्तन्दरपालघाट का जैन
312

मक्तन्दर, माक्तम्मययर, परम्बाताली, पेम्मायान्दु , मथरवनजीकुलम, मत्रचयर का बिक्खुमन्नाथन मक्तन्दर, बैलयर


मशवा मक्तन्दर आमद।''

''टीपय की व्यक्तिगत िायरी के अनुिार मचराकुल राजा ने टीपय िेना द्वारा थथानीय मक्तन्दरों को
मवनाश िे बचाने के मलए, टीपय िुल्तान को चार लाख रुपये का िोना चाूँ दी दे ने का प्रस्ताव रखा
था। मकन्तु टीपय ने उत्तर मदया था, ''यमद िारी दु मनया भी मुझे दे दी जाए तो भी मैं महन्दय मक्तन्दरों
को ध्वंि करने िे नहीं रुकयूँगा''

(फ्रीिम स्टर मगल इन केरल : िरदार के.एम. पामणक्कर)

टीपय द्वारा केरल की मवजय के प्रलयं कारी भयावह पररणामों का िमवस्तार िजीव वणान, 'गजैमटयर
ऑफ केरल के िम्पादक और मवखयात इमतहािकार ए. श्रीिर मैनन द्वारा मकया गया है ।
उिके अनुिार, ''महन्दय लोग, मवशेष कर नायर लोग और िरदार लोग मजन्ोंने इस्लामी
आक्रमणकाररयों का प्रमतरोि मकया था, टीपय के क्रोि के प्रमुखा भाजन बन गये थे। िैकड़ों
नायर ममहलाओं और बच्चों को भगा मलया गया और श्री रं ग पटनम ले जाया गया या िचों के
हाथ दाि के रूप में बेच मदया गया था। हजारों ब्राह्मणों, क्षमत्रयों और महन्दु ओं के अन्य
िम्माननीय वगों के लोगों को बलात इस्लाम में िमाा न्तररत कर मदया गया था या उनके पैतृक
घरों िे भगा मदया गया था।''

िुल्तान और भारतीय राष्ट्रवाद

हमारे माक्तक्सास्ट इमतहािकारों द्वारा टीपय िुल्तान जैिे हृदय हीन, अत्याचारी, को वीर पुरुष के
रूप में स्वागत मकया गया है । मकन्तु महत्वपयणा प्रश्न है मक टीपय का मकि राष्ट्रीयता िे िम्बन्ध था
और उिके जीवन की प्रे रणा स्रोत-कौन-िी राष्ट्रीयता थी? एक राष्ट्र का जन्म िभ्यता िे होता है ।
राष्ट्रीयता मकिी िभ्यता मवशेश की मानवीय महत्वाकां क्षा होती है मजिका उदय एक मवचार प्रवाह
िे होता है , जो ऐिी उदीय मानता की प्रमतरुप िां स्कृमतक लक्षण िे मदशा पाती है । टीपय का
िम्बन्ध उि राष्ट्र िे कभी भी नहीं रहा मजिके गृह थथान का, उिके पन्थ के िह मतावलक्तम्बयों
ने , एक हजार वषा तक मवध्वंि मकया, और लयटा, वह महन्दय भयमम का एक मुक्तस्लम शािक था। जैिा
उिने स्वंय कहा, उिके जीवन का उद्दे श्य अपने राज्य को दारुल इस्लाम (इस्लामी दे श) बनाना
था। केवल मब्रमटशों के मवरुि युि करने और उनके द्वारा मारे जाने मात्र िे कोई राष्ट्रवादी नहीं
बन जाता। टीपय मब्रमटशों िे अपने ताज की िुरक्षा के मलए लड़ा था न मक दे श को मवदे शी
गुलामी िे मुि कराने केमलए। उिने तो स्वं य ने , भारत पर आक्रमण करने , और राज्य करने के
मलए अफगामनस्तान के जहनशाह को आमंमत्रत मकया था।
313

(जहनशाह को मलखे पत्रों को पमढ़ये)

िैक्यलररस्ट जैिा कहना पिन्द करते हैं , इक्तण्डयन नेशनमलज्म अपने प्रादु भाा व के िमय िे ही महन्दय
राष्ट्रीयता के अमतररि अन्य कुछ भी नहीं रही है । हमारे दे शवामियों के हृदयों में, अलैक्जैण्डर िे
लेकर हूण, और मबन कामिम िे लेकर मब्रमटश िभी आक्रमणकाररयों के मवरुि, अपने न रुकने
वाले िंघषा वा प्रमतरोि के मलए, अभीष्ट् प्रेरणा इिी राष्ट्रीयता की भावना िे प्राप्त होती रही है ।
टीपय जैिा एक मुजामहद, हमारे राष्ट्रीय गवा और मान्यताओं के मलए, केवल अनपयुि एवम् बेमेल
ही नही है , घातक भी है । भारत के िैक्यलररस्टों की िमझ में आ जाना चामहए मक इन मुक्तस्लम
अत्याचाररयों और आतताइयों के, महन्दु ओं पर मकये गये अत्याचारों, को दबा मछपाकर, तथा उन्ें
िैक्यलररज्म का लबादा पहनाने िे, कोई कैिा भी लाभ नहीं हो िकेगा। इििे और अमिक मात्रा
में गजनबी, गौरी, मुगल, बाबर और टीपय पैदा होंगे जो िैक्यलररज्म के जनाजे , कफन, को दे श में
ढोते रहें गे।

िामान्य महन्दु ओं को भी िमझ लेनाचामहए मक, अपने दे श के इमतहाि का पयणा ज्ञान, और अपने
पयवाजों के भाग्य, दु भाा ग्य, िे पाठ िीख लेना अमनवाया है ; क्ोंमक इमतहाि की पुनरावृमत्त होती है , उन
मयखों के मलए, जो अपने इमतहाि िे अभीष्ट् पाठ नहीं लेते, और चेतावमनयों को नहीं िमझ पाते,
या िमझना नहीं चाहते।
314

हरम :हरामकारी और हरामखोरी !

सारे मुल्जस्लम हमलािर जब भारि में आये िो अपने साथ इस्लामी िहजीब के यह
सद् गुि भी लेिे आये .कुछ हलावर तो लयट मार करके और मंमदरों को तोड़कर चले गए
.लेमकन बाबर के बाद मजतने उिके वंशज थे िब भारत में बि गए .यह तजिने भी
बादशाह थे सब अपने को इस्लाम का सच्चा अनुयायी और मुहम्मद को अपना आदशफ
मानिे थे .और कुरआन के आदे शानुसार जेहाद को धातमफक किफव्य मानिे थे .क्योंतक
कुरआन में कहा गया है तक-

"ईमान िालों का तजहाद करना अल्लाह की नजर में सबसे प्यारा काम होिा है .सूरा
अि िौबा -9 :24

"जो तजहाद करिा है अल्लाह उसका मरिबा उं चा कर दे िा है .सूरा अि िौबा -9 :22

यही कारि है तक इन सभी जेहातदओं के नाम में "उद्दीन "और मुहम्मद शब्द जरूर है
.इसका अथफ होिा है मुहम्मद का दीन या धमफ .उदाहरि -

1 -मुहम्मद कातसम :इमामुद्दीन 2 -बाबर :जहीरुदीन 3 हुमायूं :नसीरुद्दीन 4 -अकबर


:जलालुद्दीन 5 -जहांगीर :नूरुद्दीन 6 -शाहजहााँ :तशहाबुद्दीन और इसी िरह से 7 -औरगाजेब
:मुहीउद्दीन नाम है .बाद में यह लोग तजिने तहन्दु ओ ं को मुसलमान बनािे ,या कत्ल
करिे ,और तजिने जादा मंतदर िोड़िे थे िो अपने नाम के आगे "गाजी "शब्द भी जोड़
लेिे थे .इसका अथफ है कातर्रों को नष्ट करने िाला .

चूंतक कुरआन में जेहातदओं के तलए जन्नि में बड़े बड़े लालच तदए गए हैं .और इस दु तनया
में भी सुख भोग का िादा तकया है .इन जेहातदओं का लूर्ट में मुख्य तनशाना औरिें होिी
थी .क्योंतक जन्नि में औरिों की कोई कमी नही ं होगी .
315

इसतलए मुल्जस्लम बादशाह राजा सुलेमान से जादा औरिें रखना चाहिे थे .सुलेमान की एक
हजार औरिे और रखें थी ं .मुसलमान सलमान को नबी भी मानिे है .कुरआन में भी
इसका तजि है ,और बेबी में भी -बाइतबल -राजा 1 अध्याय 11 आयि 1 से 3 सलमान
की 700 पतत्नया और िीन सौ रखेलें थीं .िैसे िो इस्लाम में तसर्फ चार औरिे रकने का
हुक्म है .लेतकन पकड़ी गयी ,और लूर्टी गयी ,और खरीदी गयी दातसओं पर संख्या का
कोई प्रतिबन्ध नही है ऎसी औरिों को कनीजें या लौतं डयााँ कहा जिा था .इनसे सहिास
करना हलाल है -दे ल्जखये कुरआन का आदे श -

1 -अपनी पतत्नयों के आलािा जो औरिें िुम्हारे तमल्जल्कि में हैं ,उनसे सहिास तनंदनीय
नही ं .सूरा अल मोतमनीन -23 :5 -6

2 -जो लोंतडया िुम्हारी तमल्कि है ,उस से सहिास करो .सूरा अल माररज 70 :29

3 -िुमने जो लोंडीयां माले गनीमि में लूर्टी हैं अल्लाह ने िम्हारे तलए हलाल कर तदया
है.सूरा अल अहजाब -33 :52

4 -इसके बाद भी अगर और औरिें लाओ िो िुम्हारे तलए जायज और हलाल हैं .जो
पसंद नही ं उन्ें बदल लो .सूर अल अहजाब 33 :52

कुरआन से यह आजादी तमल जाने से बादशाह बड़ी संख्या में औरिें जमा करके हरम में
कैद कर लेिे थे .जो युद्ध में पकड़ी या उठािाई जािी थी ं .अकबर जब 26 साल का था
,उसके हरम में 5000 रखेलें थी और जहांगीर की 6600 रखेलें थी .शाह जहां के हरम का
खचाफ प्रति िर्षफ एक करोड़ था .मालिा के शासक तगयासुदीन के हरम में 15 हजार औरिें
थी .तजनका बंदोबस्त के तलए हब्शी और िुकी औरिों के आलािा तहजड़ों की िीन
र्टु कतड़यां थी .हरे क में 500 रक्षक थे

इिने बड़े हरम का खचाफ उठाने के तलए अक्सर गैर तहन्दु ओ ं से िरह िरह से रुपया
िसू ला जािा था .जो रूपया दे ने में असमथफ होिे थे ,उनकी जिान सुन्दर लड़तकयां जनान
खाने के कम में लगा दी जािी थी ं.
316

बादशाह उन औरतों िे जो बच्चे पैदा करते थे वे महजड़े बना मदए जाते थे या बेच मदए जाते
थे .

अपनी काम िासना को बढाने के तलए बादशाह कई िरह के माजून और कुश्ते खािे थे
.खाने के तलए कबूिर ,मुगे ,और िीिर के मास के अलािा तहरन के बच्चे का गोश्त
पकाया जािा था .

वैिे इस्लाम में शराब हराम है ,पर कई बादशाह शराब पीते थे .जहां गीर भरे दरबार में नूर
जहां से जाम लेकर शराब पीिाथा.कुछ शाहोंको अर्ीम की लि थी ..

सारे बादशाह अपने हरम को जन्नि का नमूना बनाना चाहिे थे जैसा कुरान में जन्नि
का ििफन है .दरबार में आये मदन नाच होता रहता था जो औरि नाच अच्छा करिी थी उसे
इनाम के साथ एक ख़ास नाम दे तदया जािा था जैसे अनारकली .गुलनार,बादाम चश्म
.नाजुक बदन ,और सुखचैन आतद ऎसी एक ििायर् लालकंु िर को जहांदार शाह ने
तदल्ली तक गद्दी पर तबठाया था .और हाथी पर तबठा कर सारी तदल्ली में घुमाया था.

मुसलमान औरं गजेब कोएक नमाजी और धातमफक बिािे हैं .लेतकन जब दाल्जिन के सफर
पर बुरहानपुर गया था िो उसे हीराबाई नामकी िार्याफ पसंद आगयी .जो बुरहानपुर के
सूबेदार सैर्खान की रखेल थी .सैर्खान औरगाजेब की मौसी का लड़का था .उसने
हीरा बाई अरं गाजेब के हिाले कर दी .तजसे औरं गजेब आगरा लाया और उसका नाम
छिरबाई रख तदया

कई मुल्जस्लम समलैंतगक सेक्स के शौकीन थे .क्योंतक कुरआन में तलखा है तक जानि में
सुदर लड़के भी तमलेंगे तजन्ें "तगलमा"कहा जािा है इसतलए कुरआन के हुक्म का पालन
करने के तलए अकबर के समय तसंध का सूबेदार "तमजाफ गाजीबेग "छोर्टे लड़कों को
उठािा लेिा था .

मुग़ल तहन्दु ओ ं से इसतलए शादी करिे थे तक िे जानिे थे राजपूि दहेज में कार्ी धन दे िे
हैं.जब राजा भगिान तसंह ने अपनी लड़की सलीम से व्याही थी दो सलीम दे दो करोड़
317

सोने की अशतर्फयााँ दहेज में ली थी .इसी िरह राजा अजीि तसंह ने अपनी बेर्टी की शादी
में भी दो करोड़ तदए थे

ये सारे मुग़ल कट्टर सुन्नी और धमाांध थे .अकबर को लोग अकबर महान कहिे है
,लेतकन िह औरं गजेब से भी तहन्दू द्रोही और िूर था
318

ऐसे बनी जामा मल्जिद

" बा अदब बा मुलाहजा होमशयार ! मदल्ली-िुल्तान, िुल्तानुल हामलम अलाद् दु न्याबाउद्दीन क्तखलजी
तशरीर्फ फरमा रहे हैं ......!"

ियचना पाते ही िमस्त दरबारी-गण िुल्तान के िम्मान में मिर झुकाकर खड़े हो गए. िुल्तान ने
अपने अंगरक्षकों के िाथ दरबार में प्रवेश मकया और तख़्त पर बैठते हुए अन्य िभी को बैठने
का िंकेत मदया. कुछ दे र बाद मिपहिालार उलुघ खां अपने थथान उठा, और िुल्तान के आगे
िम्मान-पयणा मुद्रा में झुककर िुल्तान को आदाब बजाया. िुल्तान के क्रयर और कठोर चहरे पर
एक प्रश्न-ियचक रे खा उभर आयी. उिने एक भौं ऊपर चढ़ाते हुए मिपहिालार उलुघ खां को
घयरा. िुल्तान का आशय िमझते हुए उलुघ खां बोला,

" हुजयर, बन्दा कुछ अजा करना चाहता है .."

" इजाजत है . कहो, क्ा कहना चाहते हो? "

" िुल्तान, हम्मीर दे व ने हमारी मकिी भी बात को मानने िे िार्फ इं कार कर मदया है . इतना
ही नहीं, उिने महन्दय राजाओं को जगह-जगह पर इकट्ठा करके उन्ें हुजयर के क्तखलार्फ भड़काना
भी शुरू कर मदया है . "

'हूूँ उ'....! लगता है उिकी मजन्दगी के मदन पयरे हो चुके हैं ... मरे गा, जल्दी ही मरे गा....उलुघ
खां ...! "

" हुक्म िु लतान.."

" हमें कल की मुनादी का हाल बताओ "

" उिमें हमें एक बड़ी कामयाबी हामिल हुई है िुलतान, अबतक करीबन पैंतीि हजार लोग
हमारे मजहादी-झंिे के नीचे आ खड़े हुए हैं हुजयर...."

" बहुत खयब ! इनमें महन्दु ओं की तादाद बता िकते हो? "

" इनमें आठ-दि हजार के करीब महन्दय हैं िुल्तान...."

िुल्तान मारे ख़ुशी के झयम उठा, " माशाअल्लाह ! ....."

वह आगे कुछ बोलता इििे पयवा ही एक दरबान ने िुलतान को आदाब बजाते हुए मकिी
मिपाही द्वारा एक ख़ाि खबर लाये जाने की बात कही. िुलतान ने उिे अपने आगे पेश मकये
जाने का आदे श मदया. मिपाही पेश मकया गया मजिके चेहरे िे नाक गायव थी और कटी नाक
319

के थथान िे खयन की बयूँदें टपक-टपक कर उिके कपड़ों पर मगर रहीं थीं. िुल्तान ने कारण
जानने के आशय िे नकटे को घयरा इिपर वह हलाल होती हुई बकरी की भां मत ममममयाया, " मैं
मशव-मंमदर पर पहरे का मिपाही हूूँ हुजयर...महन्दु ओं ने मंमदर पर कब्जा कर मलया है ... पहरे
के बहुत िे मुिलमान मिपाही जान िे मार िाले गए िरकार.."

िुलतान कुछ गंम्ीर हो गया. उिने मिपाही िे पय छा, " तेरी नाक को क्ा हुआ ? "

" यह भी उन्ीं बागी महन्दु ओं का काम है िरकार, जब उन्ें मालयम हुआ मक मैं महन्दय िे
मुिलमान हो गया हूूँ तो उन्ोंने मुझे बहुत मारा और मेरी नाक काट ली. मैं मकिी तरह
अपनी जान बचाकर यहाूँ तक पहुं चा हूूँ िरकार..."

"और तय नाक कटवा कर यहाूँ चला आया ! "िु लतान जोरों िे गरजा. उिकी गरज़ना िे
दरबार की दीवारें तक काूँ प उठीं. आूँ खों के क्रोि को भी मुंह की फुंकार िे उगलता हुआ
मकिी जंगली मबलाव की भां मत फनफनाया, "उलुघखां !"

"हुक्म िु लतान..."

" कातर्रों के इस मंतदर को अभी और इसी िक् मल्जिद का जामा पहना दो ! उसे
जामा मल्जिद बना दो ! कल हम अपने सिा लाख तजहादी-तसपातहयों के साथ जुमे की
नमाज िही ाँ पढ़ें गे. "

िुलतान का हुक्म पाते ही उलुघ खां का हाथ तलवार की मयंठ पर जा पहुं चा. वह अपने थथान
पर िुलतान के अगले आदे श की प्रतीक्षा और भी अकड़ कर खड़ा हो गया.

" ख़याल रहे ! " यह सुलिान का कठोर आदे श था. " कल सुबह िक हमारी हुकूमि में
एक भी बुिखाना न रहने पाए ! सारे बुिों को िोड़ कर खाक में तमला
दो....जाओ.ओ.ओ.ओ." उलुघ खां अभी मुड़ा ही था मक िुलतान ने रहा-िहा हुक्म भी
िुना मदया, " ...और बागी महन्दु ओं के िरों को काट कर उि रास्ते पर दय रों तक मबछा मदया
जाए मजि रास्ते िे हमारी फौजें कल मजहाद के मलए रवाना होंगीं ! "

िुलतान के इि अंमतम आदे श को िुनकर मकतने ही फौजी मिपाही ख़ुशी िे उछल पड़े , मानो
उन्ें मुंह मां गी मुराद ममल गयी हो.
320

एक उत्तर ... धमफ-तनरपेक्षी SICKULARS के तलए .... जो दोगली मानििा की


बाि करिे हैं - 'तिनाशकाले Intellectual बुल्जद्ध'

आजकल Sickular लोगों की बाढ़ िी आ गई है ... मजिे दे खो िनातन िमा पर आये हुए
िंकटों को अनदे खा कर ... मानवता का उपदे श दे ने में लगा हुआ है ,

ये वो लोग हैं ... मजन्ें विुिैव कुटु म्बकम और िवा िमा िमभाव के आगे कुछ भी कहना
नहीं आता,

इन दो श्लोकों में ही इनका मानवता का ज्ञान पयरा हो जाता है l

मजनिे कभी गीता के ज्ञान की बात करो तो ... भी केवल दो ही श्लोक याद आएं गे,

1. आत्मा अजर है , अमर है ....

2. कमा कर... फल की मचंता मत कर

बि.... हो गया पयरा गीता का ज्ञान, हो गया जीवन िफल

गीता के ज्ञान की बात करते हुए अज्ञानी लोग यह क्ों भयल जाते हैं की भगवन श्री कृष्ण ने
ही एक और उपदे श मदया था मक "हे पाथा ! जब शत्रु िामने खिा हो, जो घातक अस्त्रों -
शस्त्रों के िाथ हो, उििे दया मक आशा नहीं करनी चामहए,

इििे पहले मक वो तुम पर आक्रमण करे और कोई घातक प्रहार करे ... आगे बढ़ कर
उिका िंहार करो l "

िमा रक्षा हे तु िमय िमय पर शस्त्र उठाने की मशक्षा भी भगवान श्री कृष्ण ने ही दी l

पर मानवता की बात करने वाले मुिलमान - ईिाईयों के द्वारा ममलने वाले पाररश्रममक पर जीने
वाले .... नकली महन्दु ओं को यह ज्ञान िमझ में नहीं आते ..... क्ोंमक .... मवनाशकाले
INTELLECTUAL बुक्ति ...

अतिः ऐिे िमस्त Sickulars के मलए एक छोटा िा उत्तर है , जो अपने आप में िमस्त पापी
जीव्हाओं को तत्काल प्रभाव िे काट िकता है l
321

प्रिंग महाभारत का है ...

कणा कौरवों का िेनापमत था और अजुान के िाथ उिका घनघोर युि जारी था l

कणा के रथ का एक चक्का जमीन में फंि गया l

उिे बाहर मनकलने के मलए कणा रथ के नीचे उतरा और अजुान को उपदे श दे ने लगा -
"कायर पुरुष जैिे व्यवहार मत करो, शयरवीर मनहत्थों पर प्रहार नहीं मकया करते l िमा के युि
मनयम तो तुम जानते ही हो l तुम पराक्रमी भी हो l

बि मुझे रथ का यह चक्का बाहर मनकलने का िमय दो l मैं तु मिे या श्री कृष्ण िे भयभीत
नहीं हूूँ , लेमकन तुमने क्षत्रीय कुल में जन्म मलया है , श्रेष्ठ वंश के पु त्र हो l हे अजुान ..... थोड़ी
दे र ठहरो "

परन्तु भगवन श्री कृष्ण ने अजुान को ठहरने नहीं मदया, उन्ोंने कणा को जो उत्तर मदया वो
मनत्य स्मरणीय है ....

उन्ोंने कहा " नीच व्यक्तियों को िंकट के िमय ही िमा की याद आती है l

द्रौपदी का चीर हरण करते हुए,

जुए के कपटी खेल के िमय,

द्रौपदी को भरी िभा में अपनी जां घ पर बैठने का आदे श दे ते िमय,

भीम को िपा दं श करवाते िमय,

बारह वषा के वनवाि और एक वषा के अज्ञातवाि के बाद लौटे पां िवों को उनका राज्य
वामपि न करते िमय,

16 वषा की आयु के अकेले अमभमन्यु को अनेक महारमथयों द्वारा घेरकर उिे मृत्यु मुख में
िालते िमय .... तुम्हारा िमा कहाूँ गया था ?

श्री कृष्ण के प्रत्येक प्रश्न के अंत में माममाक प्रश्न "क्व ते िमास्तदा गतिः " ... पयछा गया है l

इि प्रश्न िे कणा का मन मवक्तच्छन्न हो गया l


322

श्री कृष्ण ने अजुान िे कहा "वत्स, दे खते क्ा हो, चलाओ बाण l इि व्यक्ति को िमा की चचाा
करने का कोई अमिकार नहीं है "

िनातन इमतहाि िाक्षी है की िमस्त शयरवीरों ने ऐिा ही मकया है l

मशवाजी को मजन्दा या मुदाा दरबार में लाने की प्रमतज्ञा लेकर मनकले अफजल खान ने मबना
मकिी कारण के तु लजापु र और पंढरपुर के मक्तन्दरों को नष्ट् मकया था, उिकी यह रणनीमत थी
की मशवाजी क्तखमियाकर रणभयमम में में आ जाएूँ l परन्तु मशवाजी की रणनीमत यह रही की
अफ्ज्लज्जल्खान को जावली के जंगलों में खींच लाया जाए, अंततिः मशवाजी की रणनीमत और
रणकौशल िफल हुआ, अफजल खान प्रतापगढ़ पहुं चा और मशवाजी ने उिे यम-िदन भेज कर
मवजय प्राप्त की l मशवाजी की इि रणनीमत को कपट नीमत कहने वाले 'ममशनरी-महन्दय -
इमतहािकारों' और 'मुक्तस्लम-महन्दय -इमतहािकारों' को मवजय का महि नहीं पता l

िनातन इमतहाि में शयरवीरों का आदमी िाहि, पराक्रम, बमलदान, योगदान आमद िब अतुलनीय
है ... परन्तु इि बमलदान, योगदान, पराक्रम, शयरवीरता और िाहि को मवजय का जो फल
ममलना चामहए वह िम्व नहीं हुआ .... यह िचमुच दु भाा ग्य की बात है l

यह िचमुच दु भाा ग्य की बात है की िनातन भारत के नागररकों को उनका गौरवशाली इमतहाि
न पढ़ा कर पैशामचक मुगलकालीन इमतहाि को अत्यंत महि मदया जाता है और िनातन पीढ़ी
अपने गौरवशाली इमतहाि िे दय र जाकर पैशामचक चकाचौंि िे मंत्रमुग्ध होती जा रही है l

पैशामचक िमों के षड्यंत्रों िे अनजान ये पीढ़ी .... खोखली मानवता की बात करती है तो
उनिे यह पयछने की मजज्ञािा होती है मक अपने िाममाक ग्रन्थों की उनको मकतनी िमझ है l

मपता की आज्ञा को मशरोिाया क्र राजपद का त्याग करनेवाले भगवन मयाा दापुरुषोत्तम श्री राम,

अिली उत्तरामिकारी के वनों में रहने तक विल वस्त्र िारण करते हुए घाि फयि मक शै य्या
पर िोनेवाले ब्रह्म-अवतार भरत,

िमस्त मवश्व को श्रीमद्भागवद्गीता का ज्ञान दे ने वाले िक्तच्चदानन्द ित्यनारायन भगवान श्री कृष्ण,

स्वप्न में मदया वचन पयणा करने वाला ित्यवादी हररिन्द्र,


323

शरण में आये कबयतर के प्राण बचने हे तु बाज के भार िामान अपना मां ि दे ने वाले रजा
मशवी,

दे वताओं की मवजय के मलए अपनी अक्तथथयाूँ दे ने वाले महमषा दिीची,

ह्रदय िे पमत माने व्यक्ति का एक वषा बाद होने वाले मनिन को जानते हुए भी उििे ही
मववाह करने वाली और िाक्षात् यमराज िे मववाद करने और अपने पमत को प्राप्त करने वाली
िामवत्री,

िारी िम्पती ठु करा कर आत्मज्ञान के मागा का अनुिरण करने वाली मैत्रेयी,

मपता मक ख़ुशी के मलए आजीवन अमववामहत रहने मक 'भीषण' प्रमतज्ञा लेने वाले दे वव्रत ...
मपतामह भीष्म,

स्वतंत्रता के मलए मलए भटकते मफरते महाराणा प्रताप,

राजपुत्र के मलए अपने पु त्र का बमलदान दे ने वाली पन्ना िाय,

राजा द्वारा अन्यायपयवाक मपता को हाथी के पैरों तले कुचलवाने के बाद भी अपनी िारी िम्पमत्त
राजा के मलए दान करने वाला खंिो बल्लाल,

स्वतंत्रता के मलए फां िी के फंदे को गलहार िमझकर उिे चयमकर परम-वीरगमत को प्राप्त होने
वाले हमरे शय रवीर स्वतंत्र िेनानी - क्रक्तन्तकारी,

उपरोि िभी हमारे आदशा हैं ,

ित्य, शील, स्वामममनष्ठा, िमामनष्ठा, त्याग, बमलदान, आदमी िाहि, पराक्रम, मवजय आमद मयल्यों को
प्रमतष्ठामपत करने के मलए मजन शयरवीरों ने अपना अपना अपना त्याग मकया वे िब हमारे
आदशा हैं l

इन िारे आदशों ने मजन मयल्यों मक थथापना मक उन मयल्यों मक रचना .... यानी ...
िंस्कृमत l

िंस्कृमत और कुछ नहीं होती ...िंस्कृमत माने जीवन मयल्यों मक मामलका l


324

मजनके मलए हमें जीमवत रहने में आनन्द हो और मृत्यु में भी गौरव ममले, ऐिे मयल्यों की परं परा
ही िंस्कृमत होती है l

इन मयल्यों की रक्षा का अथा ही िंस्कृमत की रक्षा करना होता है l

ऐिे मयल्यों की परम्परा ही िंस्कृमत का घ्योतक है l

िमय के िाथ अनेक पररवतान होते हैं , पोशाकों में बदलाव आये गा, घरों की रचना में बदलाव
आयेगा, खानपान के तरीके भी बदलेंगे.....

परन्तु जीवन मयल्य तथा आदशा जब तक कायम रहें गे तब तक िंस्कृमत भी कायम कहे गी l
यही िंस्कृमत राष्ट्रीयता का आिार होती है ....

राष्ट्रीयता का पोषण यामन िंस्कृमत का पोषण होता है .... इिे ही िां स्कृमतक राष्ट्रवाद कहा
जाता है l
325

यतद कोर्टफ का तनिफय चचफ के ल्जखलाफ है…… िो नही ं माना जाये गा ...

आप िोच रहे होंगे मक मबनायक िेन तो नक्सलवामदयों के िमथाक हैं , उनका चचा िे क्ा लेना-
दे ना? यहीं आकर “भोला-भारतीय मन” िोखा खा जाता है , वह “ममशनरी” और “चचा ” के िर्फेद
कपड़ों को “िेवा और त्याग” का पयाा य मान बैठा है , उिके पीछे की चालबामजयाूँ , षियन्त्र एवं
चुपके िे मकये जा रहे िमाा न्तरण को वह तवज्जो नहीं दे ता। जो इिके क्तखलार्फ पोल खोलना
चाहता है , उिे “िेकुलररज़्म” एवं “गंगा-जमनी तहजीब” के र्फजी नारों के तहत हूँ िी में उड़ा
मदया जाता है । अिल में इि िमय भारत मजन दो प्रमुख खतरों िे जयझ रहा है वह हैं
“िामने” िे वार करने वाले मजहादी और पीठ में छु रा मारने वाले ममशनरी पोमषत NGOs व
िंगठन। िामने िे वार करने वाले िंगठनों िे मनपटना थोड़ा आिान है , लेमकन मीठी-मीठी बातें
करके, िेवा का ढोंग रचाकर, पीठ पीछे छु रा घोंपने वाले िे मनपटना बहुत मुक्तश्कल है , खािकर
जब उिे दे श में “उच्च स्तर” पर “िभी प्रकार का” (Article about Sonia Gandhi) िमथान ममल
रहा हो…

खैर, बात हो रही थी मबनायक िेन की… ध्यान दीमजये मक कैिे उनके पक्ष में अन्तराा ष्ट्रीय स्तर
पर माहौल बनाया गया, तमाम मानवामिकार िं गठन और NGOs रातोंरात मीमिया में एक लोअर
कोटा के मनणाय को लेकर रोना-पीटना मचाने लगे, यह िब ऐिे ही नहीं हो जाता है , इिके मलये
चचा की जोरदार “नेटवमकांग” और “र्फक्तण्डंग” चामहये । उल्लेखनीय है मक मबनायक िेन के इं मियन
िोशल इं स्टीट्ययट अथाा त “ISI” िे भी िम्बन्ध हैं । इि “भारतीय ISI” (Indian ISI) के बोिा ऑर्फ
िायरे क्टरों की ियची, इिका इमतहाि, इिके कामों को दे खकर शंका गहराना स्वाभामवक है … इि
िंथथा की थथापना िन 1951 में र्फादर जेरोम मििय जा द्वारा नेहरु के िहयोग िे की गई थी, वह
वेमटकन एवं नेहरु के बीच की कड़ी थे। पुतागाल िरकार द्वारा भारतीय चचों के कब्जे िे मुक्ति
मदलाने हे तु उि िमय र्फादर जेरोम, नेहरु एवं वेमटकन ममलजुलकर काम मकया।

यह जाूँ च का मवषय है मक मबनायक िेन के इि भारतीय ISI िे मकतने गहरे िम्बन्ध हैं ?

िॉ िेन, जंगलों में गरीब आमदवामियों की िेवा करने जाते थे या मकिी और काम िे ?

इि िंथथा की पयरी गम्ीरता िे जाूँ च की जाना चामहये …

1) मक इि िंथथा के जो मवमभन्न केन्द्र दे श भर में र्फैले हुए हैं ,

2) उन्ें (यमद अिा-िरकारी है तो) भारत िरकार की तरर्फ िे मकतना अनुदान ममलता है ,

3) (यमद गैर-िरकारी है तो) मवदे शों िे मकतना पैिा ममलता है ,


326

4) 1951 में इिका “स्टे टि” क्ा था और इि िंथथा का वतामान “स्टे टि” क्ा है , िरकारी, अिा-
िरकारी या गैर-िरकारी?,

5) यमद िरकारी है , तो इिके बोिा िदस्यों में 95% ईिाई ही क्ों हैं ?

िुदयर ग्रामीण क्षेत्रों में इि िंथथा द्वारा मकये जा रहे काया , गरीबों की िेवा के नाम पर खड़े मकये
गये िैकड़ों NGOs की पड़ताल, इि िंथथा का िमाा न्तरण के मलये “कुख्यात” World Vision
Conspiracy of Conversion नामक िंथथा िे क्ा िम्बन्ध है ? जैिे कई प्रश्न मुूँह बाये खड़े हैं …

लेमकन जैिा मक मैंने कहा ित्ता-पैिे-नेटवका का यह गठजोड़ इतना मजबयत है , और मबकाऊ


मीमिया को इन्ोंने ऐिा खरीद रखा है मक “चचा ” के क्तखलार्फ न तो कोई खबर छपती है , न ही
इिके काररन्दों-र्फादरों-ननों (Indian Church Sex Scandals) आमद के काले कारनामों (Sister
Abhaya Rape/Murder Case) पर मीमिया में कोई चचाा होती है … और अब तो ये भारत की
न्यामयक व्यवथथा को भी आूँ खें मदखाने लगे हैं … इनका िाथ दे ने के मलये वामपंथी, िेकुलिा एवं
कमथत मानवामिकारवादी भी िदै व तत्पर रहते हैं , क्ोंमक ये िभी ममलकर एक-दय िरे की पीठ
खुजाते हैं …।

तीस्ता िीतलवाि को र्फजी गवाहों और कागज़ातों के मलये कोटा लताड़ लगाता है , तब मीमिया
चुप…, तीस्ता “न्याय”(?) के मलये मवदे शी िंथथाओं को मनमंत्रण दे ती है , िुप्रीम कोटा नाराज़ होकर
जयते लगाता है … तब मीमिया चुप…, शाहबानो मामले में खुल्लमखुल्ला िुप्रीम कोटा को लमतयाकर
राजीव गाूँ िी मुक्तस्लमों को खुश करते हैं … तब भी मीमिया चुप…, ए राजा के मामले में, आदशा
िोिायटी मामले में, कॉमनवेल्थ मामले में, और अब CVC थॉमि की मनयुक्ति के मामले में िुप्रीम
कोटा आये-मदन लताड़ पर लताड़ लगाये जा रहा है , कोई और प्रिानमंत्री होता तो अब तक
शमा के मारे इस्तीर्फा दे कर घर चला गया होता, लेमकन मनमोहन मिंह को यह काम भी तो
“पयछकर ही” करना पड़े गा, िो नहीं हो पा रहा…। मीमिया या तो चुप है अथवा मदक्तग्वजय मिंह
को “कवरे ज” दे रहा है …

जेहामदयों के मुकाबले “चचा ” अमिक शामतर है , मदमाग िे गेम खेल रहा है … महन्दु ओं को
िमाा न्तररत करके उनके नाम नहीं बदलता, बि उनकी आथथा बदल जाती है … आपको पता भी
नहीं चलता मक आपके पड़ोि में बैठा हुआ “महन्दय नामिारी” व्यक्ति अपनी आथथा बदल चुका
है और अब वह चचा के मलये काम करता है …। स्वगीय (Rajshekhar Reddy) राजशेखर रे ड्डी
इिका िाक्षात उदाहरण है … इिी प्रकार स्वामी लक्ष्मणानन्द िरस्वती की हत्या का प्रमुख
आरोपी एवं षियन्त्रकारी उड़ीिा िे कां ग्रेि का राज्यिभा िदस्य रािाकान्त नायक (Radhakant
Nayak) (क्ा िुन्दर महन्दय नाम है ) भी “र्फुल” ईिाई है , World Vision का प्रमुख पदामिकारी भी
है । पहले तो चचा ने बहला-र्फुिलाकर दमलतों-आमदवामियों को ईिाई बना मलया, नाम वही रहने
327

मदया तामक “आरक्षण” का लाभ ममलता रहे , और अब “दमलत-ईिाई” नामक अविारणा को भी


आरक्षण की माूँ ग हो रही है … यानी “ओररमजनल दमलतों-मपछड़ों” के हक को मारा जायेगा…और
आमदवािी इलाकों में मबनायक िेन जैिे "मोहरे " मर्फट कर रखे हैं … इिीमलये मैंने कहा मक
िामने िे वार करने वाले मजहादी िे तो मनपट िकते हो, लेमकन चुपके िे षियन्त्र करके, पीठ
पीछे मारने वाले िे कैिे लड़ोगे?

तात्पया यह मक “कानयन अपना काम करे गा…”, “न्यायालयीन मामलों में राजनीमत को दखल नहीं
दे ना चामहये…”, जैिी मकताबी निीहतें मिर्फा महन्दु ओं के मलये आरमक्षत हैं , जब मनणाय चचा या
िमाा न्तरण के क्तखलार्फ जायेगा तो तुरन्त “अपने ” मीमियाई भाण्डों को जोर-जोर िे गाने के मलये
आगे कर मदया जायेगा। “नागालैण्ड र्फॉर क्राइस्ट” (Nagaland for Christ) तो हो ही चुका, उत्तर-
पयवा के एक-दो अन्य राज्य भी लगभग 60-70% ईिाई आबादी वाले हो चुके, िो वहाूँ अब वे
“खुल्लमखुल्ला” चुनौती दे रहे हैं … जबमक शेष भारत में “घोमषत रूप” िे 3 िे 5% ईिाई हैं
लेमकन “अघोमषत” (रे ड्डी, नायक, महे श भयपमत, प्रभाकरन जैिे) न जाने मकतने होंगे…(एक और
"कुख्यात शक्तखियत" नवीन चावला (Navin Chawla) को भी तमाम आपमत्तयाूँ दरमकनार करते
हुए चुनाव आयुि बनाया गया था, चावला भी "अचानक" मदर टे रेिा िे बहुत प्रभामवत हुए
और उनकी "बायोग्रार्फी" भी मलख मारी, एक र्फजी टर स्ट बनाकर "इटली" िरकार िे एक
पुरस्कार भी जुगाड़ लाये थे, चुनाव आयुि रहते वोमटं ग मशीनों का गुल क्तखलाया… क्ा कोई
गारण्टी िे कह िकता है मक नवीन चावला ईिाई नहीं है ? ऐिे बहुत िे "दबे-मछपे" ईिाई
भारत में ममल जाएं गे जो महन्दु ओं की जड़ें खोदने में लगे पड़े हैं )… मतलब मक, ईिाई जनिंख्या
का यह िही आूँ कड़ा तभी िामने आयेगा, जब वे भारत की ित्ता को “आूँ खें मदखाने ” लायक
पयाा प्त िंख्या में हो जायें गे, मर्फलहाल तो मीमिया को अपने कब्जे में लेकर, बड़ी-बड़ी िंथथाओं
और NGOs का जाल मबछाकर, िेवा का ढोंग करके चुपचाप अन्दरखाने , गरीबों और आमदवामियों
को “अपनी तरर्फ” कर रहे हैं … जैिा मक मैंने पहले कहा “भोला भारतीय मन” बड़ी जल्दी
“त्याग-बमलदान-िेवा” के झाूँ िे में आ ही जाता है , और कभी भी इिे “िामजश” नहीं मानता…
परन्तु जब िुप्रीम कोटा या कोई आयोग इिकी पोल खोलने वाला मवरोिी मनणाय िुनाता है तो
“गरीबों की िेवा करने वालों” को ममची लग जाती है …।

चलते-चलते :-

1) भारत में ईिाईयों का प्रमतशत और केन्द्रीय मंमत्रमण्डल में ईिाई मंमत्रयों की िंख्या के
अनुपात के बारे में पता कीमजये …

2) केन्द्र के िभी प्रमुख मंत्रालयों के प्रमुख िमचवों, (मवदे श-रक्षा-गृह-आमथाक इत्यामद) में पदथथ
केरल व तममलनािु के IAS अमिकाररयों की ियची बनाईये …। यह दे क्तखये मक उिमें िे मकतने
अिली ईिाई हैं और मकतने “नकली” (रािाकान्त नायक टाइप के)

3) िोमनया गाूँ िी ने थॉमि और नवीन चावला की मनयुक्ति में इतना “इं टरे स्ट” क्ों मलया? और
अब िुप्रीम कोटा की लताड़ खाने के बावजयद थॉमि को हटाने को तैयार क्ों नहीं हैं ?
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(थोड़ा गहराई िे मवचार करें , और ऊपर के तीनों िवालों के जवाब खोजने की कोमशश करें गे
तो आपकी आूँ खें र्फटी की र्फटी रह जाएं गी…, मदमाग महल जायेगा)

4) कां ची के शंकराचाया (Kanchi Seer) को हत्या के आरोप में, मनत्यानन्द (Nityanand Sex
Scandal) को िेक्स स्कैण्डल में, अिीमानन्द को मालेगाूँ व मामले में… र्फूँिाया और बदनाम मकया
गया जबमक लक्ष्मणानन्द िरस्वती (Laxmanand Saraswati Assanination by Church) को
माओवामदयों के जररये मरवा मदया गया… क्ा यह मिर्फा िंयोग है मक चारों महानुभाव
तममलनािु , कनाा टक, गुजरात और उड़ीिा के आमदवािी क्षेत्रों में ममशनरी के िमाा न्तरण के
क्तखलार्फ बहुत प्रभावशाली काम कर रहे थे।

िंकेत तो स्पष्ट् रूप िे ममल रहे हैं । हम ठहरे चौकीदार, िीटी बजाकर “जागते रहो-जागते रहो”
मचल्लाते रहना हमारा काम है … आगे आपकी मजी…

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