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बाजीराव पेशवा
बाजीराव पेशवा
"फाजी जाि फद
ॉु े र की, याखो फाजी आज"
"अगय भुझे ऩहुॉचने भें दे य हो गई िो इनिहास लरखेगा कक एक याजऩूि ने भदद भाॊगी औय ब्राह्भण बोजन कयिा यहा "
ऐसा कहिे हुए बोजन की थार छोड़कय फाजीयाव अऩनी सेना के साथ याजा छत्रसार की भदद को बफजर की गनि से दौड़ ऩड़े
।
छत्रऩनि लशवाजी भहायाज का दहन्दवी स्वयाज का सऩना जजसे ऩूया कय ददखामा िो लसपष - फाजीयाव फल्रार बट्ट जी ने ।
अटक से कटक िक , कन्माकुभाय से सागयभाथा िक केसरयमा रहयाने का औय दहॊद ू स्वयाज राने के सऩने को ऩूया ककमा
ब्राह्भण ऩेशवाओॊ ने ,खासकय ऩेशवा 'फाजीयाव प्रथभ' ने
इनिहास भें शुभाय अहभ घटनाओॊ भें एक मह बी है कक दस ददन की दयू फाजीयाव ने केवर ऩाॊच सौ घोड़ों के साथ 48 घॊटे भें
ऩयू की, बफना रुके, बफना थके !!
दे श के इनिहास भें मे अफ िक दो आक्रभण ह सफसे िेज भाने गए हैं । एक अकफय का पिेहऩुय से गुजयाि के ववद्रोह को
दफाने के लरए नौ ददन के अॊदय वाऩस गुजयाि जाकय हभरा कयना औय दस
ू या फाजीयाव का ददल्र ऩय हभरा ।
फाजीयाव ददल्र िक चढ़ आए थे । आज जहाॊ िारकटोया स्टे डिमभ है । वहाॊ फाजीयाव ने िेया िार ददमा । उन्नीस-फीस सार के
उस मव
ु ा ने भग
ु र िाकि को ददल्र औय उसके आसऩास िक सभेट ददमा था ।
िीन ददन िक ददल्र को फॊधक फनाकय यखा । भुगर फादशाह की रार ककरे से फाहय ननकरने की दहम्भि ह नह ॊ हुई । महाॊ
िक कक 12वाॊ भुगर फादशाह औय औयॊ गजेफ का नािी ददल्र से फाहय बागने ह वारा था कक उसके रोगों ने फिामा कक जान से
भाय ददए गए िो सल्िनि खत्भ हो जाएगी । वह रार ककरे के अॊदय ह ककसी अनि गुप्ि िहखाने भें नछऩ गमा ।
फाजीयाव भुगरों को अऩनी िाकि ददखाकय वाऩस रौट गए ।
दहॊदस्
ु िान के इनिहास के फाजीयाव फल्रार अकेरे ऐसे मोद्धा थे जजन्होंने अऩनी भात्र 40 वषष की आमु भें 42 फड़े मद्ध
ु रड़े औय एक
बी नह ॊ हाये । अऩयाजेम , अद्वविीम ।
फाजीयाव ऩहरे ऐसा मोद्धा थे जजसके सभम भें 70 से 80 % बायि ऩय उनका लसतका चरिा था । मानन उनका बायि के 70 से 80
% बू बाग ऩय याज था ।
फाजीयाव बफजर की गनि से िेज आक्रभण शैर की करा भें ननऩुण थे जजसे दे खकय दश्ु भनों के हौसरे ऩस्ि हो जािे थे ।
फाजीयाव हय दहॊद ू याजा के लरए आधी याि भदद कयने को बी सदै व िैमाय यहिे थे ।
ऩूये दे श का फादशाह एक दहॊद ू हो, मे उनके जीवन का रक्ष्म था । औय जनिा ककसी बी धभष को भानिी हो, फाजीयाव उनके साथ
न्माम कयिे थे ।
आऩ रोग कबी वायाणसी जाएॊगे िो उनके नाभ का एक घाट ऩाएॊगे, जो खुद फाजीयाव ने सन 1735 भें फनवामा था । ददल्र के
बफयरा भॊददय भें जाएॊगे िो उनकी एक भूनिष ऩाएॊगे । कच्छ भें जाएॊगे िो उनका फनामा 'आइना भहर' ऩाएॊगे , ऩूना भें 'भस्िानी
भहर' औय 'शननवाय फाड़ा' ऩाएॊगे
अगय फाजीयाव फल्रार , रू रगने के कायण कभ उम्र भें ना चर फसिे , िो , ना िो अहभद शाह अब्दार मा नाददय शाह हावी
हो ऩािे औय ना ह अॊग्रेज औय ऩुिग
ष ालरमों जैसी ऩजश्चभी िाकिें बायि ऩय याज कय ऩािी..!!
28अप्रैर सन ् 1740 को उस ऩयाक्रभी "अऩयाजेम" मोद्धा ने भध्मप्रदे श भें सनावद के ऩास यावेयखेड़ी भें प्राणोत्सगष ककमा . आज
उनकी ऩुण्मनिथथ है .. उन्हें शि शि नभन, वॊदन ऩहुॉचे����
#ऐनिहालसक_ददन_ववशेष_066 ©�अभ्मुदम
साबाय ~ भक
ु ॊु द हम्फिे जी