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कथथवसतत

रशशशरथथ कथ अथर हहतथ हह वह वयशकत, शजसकथ रथ रशशश अथथरत ससयर कथ शकरणण कथ हह। इस कथवय शम रशशशरथथ
नथश कणर कथ हह कयणशक उसकथ चशरततर ससयर कक सशथन पतरकथशशथन हह

कणर शहथभथरत शहथकथवय कथ अतयनत यशसवथ पथततर हह । उसकथ जनश पथणडवण कथ शथतथ कतनतथ कक गभर सक उस
सशय हतआ जब कतनतथ अशववथशहतथ थथथ, अतएव, कतनतथ नक लहकलजजथ सक बचनक कक शलए, अपनक नवजथत शशशत कह
एक शथ जषस थ शम बनद करकक नदथ शम बहथ शदयथ। वह शथ जष
स थ अशधरथ नथश कक सत त कह शशलथ। अशधरथ कक कहई सनतथन
नहथथ थथ। इसशलए, उनहणनक इस बचचक कह अपनथ पत ततर शथन शलयथ। उनकथ धशरपतनथ कथ नथश रथधथ थथ। रथधथ सक
पथशलत हहनक कक कथरण हथ कणर कथ एक नथश रथधक य भथ हह ।

ककरव-पथणडव कथ वथ श पशरचय यह हह शक दहनण शहथरथज शथनतनत कक कतल शम उतपनन हतए। शथनतनत सक कई पथढथ ऊपर
शहथरथज कतर हतए थक । इसशलए, ककरव-पथणडव दहनण कतरवथ शथ कहलथतक हह । शथनतनत कथ शववथह गथ गथजथ सक हतआ थथ,
शजनसक कतशथर दक ववतरत उतपनन हतए। यहथ दक ववतरत भथषश कहलथयक , कयणशक चढतथ जवथनथ शम हथ इनहणनक आजथवन
बतरहचथरथ रहनक कथ भथषश अथवथ भयथनक पतरशतजथ कथ थथ। शहथरथज शथनतनत नक शनषथद-कनयथ सतयवतथ सक भथ
शववथह शकयथ थथ, शजससक उनहम शचततरथथ गद और शवशचततरवथयर दह पत तरत हतए। शचततरथथ गद कतशथरथवसथथ शम हथ एक यत द शम
शथरक गयक । शवशचततरवथयर कक अशमबकथ और अमबथशलकथ नथश कथ दह पशतनयथथ थथथ, शकनतत , कय रहग हह जथनक कक कथरण
शवशचततरवथयर भथ शननसथ तथन हथ शरक ।

ऐसथ अवसथथ शम वथ श चलथनक कक शलए सतयवतथ नक वयथसजथ कह आशशनततरत शकयथ। वयथसजथ नक शनयहग-पदतघशत सक
शवशचततरवथयर कथ दहनण शवधवथ पशतनयण सक पत तरत उतपनन शकयक । अशमबकथ सक धध तरथषटत र और अमबथशलकथ सक पथणडत
जनशक । शथतध -दहष सक धध तरथषटत र जनश सक हथ अनधक और पथणडत पथशलयथ कक रहगथ थक । अतएव, अशमबकथ कथ पतरकरणथ सक
वयथसजथ नक उसकथ दथसथ सक तथसरथ पत ततर उतपनन शकयथ शजसकथ नथश शवदतर हतआ।

रथजथ धध तरथषटत र कक सक पत तरत एक हथ पतनथ शहथरथनथ गनधथरथ सक हतए थक । शहथरथज पथणडत कक दह पशतनयथथ थथथ, एक
कतनतथ, दसस रथ शथदतरथ। परनतत , ऋशष सक शशलक शथप कक कथरण वक सततरथ-सशथगश सक शवरत थक । अतएव, कतनतथ नक अपनक
पशत कथ आजथ सक तथन पत तरत तथन दक वतथओथ सक पतरथपत शकयक । जह सक कतशथरथवसथथ शम कतनतथ नक ससयर-सशथगश सक कणर कह
उतपनन शकयथ थथ, उसथ पतरकथर; शववथह हहनक पर उसनक धशररथज सक यत शधशषषर, पवनदक व सक भथश और इनदतर सक अजत रन
कह उतपनन शकयथ। शथदतरथ कक एक हथ गभर सक दह पत ततर हतए, एक नकतल, दस स रक सहदक व- यक दहनण भथई भथ शहथरथज पथणडत
कक अथ श नहथथ, दह अशशवनथकतशथरण कक अथ श सक थक । पथणडत कक शरनक पर शथदतरथ सतथ हह गयथथ और पथपचण पत तरत ण कक पथलन
कथ भथर कतनतथ पर पडथ। शथदतरथ शहथरथज शलय कथ बहन थथथ।

'जय हह' जग मम जलल जहहह भभ, नमन पपुनभत अनल कह,


जजस नर मम भभ बसल, हमहरह नमन तलज कह, बल कह।

जकसभ ववृन्त पर जखिलल जवजपन मम, पर, नमस्य हह फफ ल,

सपुधभ खिहजतल नहह, गपुणण कह आजद, शजक कह मफल।

ऊहच-नभच कह भलद न महनल, वहभ शलष जहनभ हह,

दयह-धमर जजसमम हह, सबसल वहभ पफज्य पहणभ हह।

क्षजत्रिय वहभ, भरभ हह जजसमम जनभरयतह कक आग,

सबसल शलष वहभ बहह्मण हह, हह जजसमम तप-त्यहग।

तलजस्वभ सम्महन खिहजतल नहह गहत्रि बतलह कल ,

पहतल हह जग मम पशजस्त अपनह करतब जदखिलह कल ।

हभन मफल कक ओर दलखि जग गलत कहल यह ठभक,

वभर खिहच कर हभ रहतल हह इजतहहसण मम लभक।

जजसकल जपतह सफयर थल, महतह कपु न्तभ सतभ कपु महरभ,

उसकह पलनह हहआ धहर पर बहतभ हहई जपटहरभ।

सफत-ववंश मम पलह, चखिह भभ नहह जनजन कह क्षभर,

जनकलह कणर सभभ यपुवकण मम तब भभ अददभपुत वभर।

तन सल समरशफर, मन सल भहवपुक, स्वभहव सल दहनभ,

जहजत-गहत्रि कह नहह, शभल कह, पपौरुष कह अजभमहनभ।

जहन-ध्यहन, शसहस, शहस कह कर सम्यकद अभ्यहस,

अपनल गपुण कह जकयह कणर नल आप स्वयवं सपुजवकहस।

Pratham Sarg Bhag 2

अलग नगर कल कहलहहल सल, अलग पपुरभ-पपुरजन सल,


कजठन सहधनह मम उदहगभ लगह हहआ तन-मन सल।

जनज समहजध मम जनरत, सदह जनज कमरठतह मम चफर,

वन्यकपु सपुम-सह जखिलह कणर, जग कक आहखिण सल दफर।

नहह फफ लतल कपु सपुम महत्रि रहजहओवं कल उपवन मम,

अजमत बहर जखिलतल वल पपुर सल दफर कपु ञ-कहनन मम।

समझल कपौन रहस्य ? पकवृ जत कह बडह अनहखिह हहल,

गपुदडभ मम रखितभ चपुन-चपुन कर बडल ककमतभ लहल।

जलद-पटल मम जछिपह, जकन्तपु रजव कब तक रह सकतह हह?

यपुग कक अवहललनह शफरमह कब तक सह सकतह हह?

पहकर समय एक जदन आजखिर उठभ जवहनभ जहग,

फफ ट पडभ सबकल समक्ष पपौरुष कक पहलभ आग।

रवंग-भफजम मम अजपुरन थह जब समहह अनहखिह बहहधल,

बढह भभड-भभतर सल सहसह कणर शरहसन सहधल।

कहतह हहआ, 'तहजलयण सल क्यह रहह गवर मम फफ ल?

अजपुरन! तलरह सपुयश अभभ क्षण मम हहतह हह धफल।'

'तफनल जह-जह जकयह, उसल मह भभ जदखिलह सकतह हहह,

चहहल तह कपु छि नयभ कलहएह भभ जसखिलह सकतह हहह।

आहखि खिहल कर दलखि, कणर कल हहथण कह व्यहपहर,

फफ लल सस्तह सपुयश पहप कर, उस नर कह जधकहर।'

इस पकहर कह लगह जदखिहनल कणर कलहएह रण कक,


सभह स्तब्ध रह गयभ, गयभ रह आहखि टहगभ जन-जन कक।

मन्त्रि-मपुग्ध-सह मपौन चतपुजदरकद जन कह पहरहवहर,

गफहज रहभ थभ महत्रि कणर कक धन्वह कक टवंकहर।

Part 3

जफरह कणर, त्यण 'सहधपु-सहधपु' कह उठल सकल नर-नहरभ,

रहजववंश कल नलतहओवं पर पडभ जवपदद अजत भहरभ।

दहण, भभष्म, अजपुरन, सब फककल , सब हह रहल उदहस,

एक सपुयहधन बढह, बहलतल हहए, 'वभर! शहबहश !'

द्वन्द्व-यपुद कल जलए पहथर कह जफर उसनल ललकहरह,

अजपुरन कह चपुप हभ रहनल कह गपुरु नल जकयह इशहरह।

कवृ पहचहयर नल कहह- 'सपुनह हल वभर यपुवक अनजहन'

भरत-ववंश-अवतवंस पहण्डपु कक अजपुरन हह सवंतहन।

'क्षजत्रिय हह, यह रहजपपुत्रि हह, यण हभ नहह लडलगह,

जजस-जतस सल हहथहपहई मम कह सल कफ द पडलगह?

अजपुरन सल लडनह हह तह मत गहह सभह मम मपौन,

नहम-धहम कपु छि कहह, बतहओ जक तपुम जहजत हह कपौन?'

'जहजत! हहय रभ जहजत !' कणर कह हृदय क्षहभ सल डहलह,

कपु जपत सफयर कक ओर दलखि वह वभर कहध सल बहलह

'जहजत-जहजत रटतल, जजनकक पफहजभ कल वल पहषवंड,

मह क्यह जहनफह जहजत ? जहजत हह यल मलरल भपुजदवंड।

'ऊपर जसर पर कनक-छित्रि, भभतर कहलल-कल -कहलल,

शरमहतल हह नहह जगतद मम जहजत पफछिनलवहलल।


सफत्रिपपुत्रि हहह मह, ललजकन थल जपतह पहथर कल कपौन?

सहहस हह तह कहह, ग्लहजन सल रह जहओ मत मपौन।

'मस्तक ऊहचह जकयल, जहजत कह नहम जलयल चलतल हह,

पर, अधमरमय शहषण कल बल सल सपुखि मम पलतल हह।

अधम जहजतयण सल थर-थर कहहपतल तपुम्हहरल पहण,

छिल सल महहग जलयह करतल हह अवंगफठल कह दहन।

Part 4

'पफछिह मलरभ जहजत , शजक हह तह, मलरल भपुजबल सल'

रजव-समहन दभजपत ललहट सल और कवच-कपु ण्डल सल,

पढह उसल जह झलक रहह हह मपुझमम तलज-प प़कहश,

मलरल रहम-रहम मम अवंजकत हह मलरह इजतहहस।

'अजपुरन बङप़ह वभर क्षजत्रिय हह, तह आगल वह आवल,

क्षजत्रियत्व कह तलज जरह मपुझकह भभ तह जदखिलहवल।

अभभ छिभन इस रहजपपुत्रि कल कर सल तभर-कमहन,

अपनभ महहजहजत कक दफहगह मह तपुमकह पहचहन।'

कवृ पहचहयर नल कहह ' ववृथह तपुम कपु द हहए जहतल हह,

सहधहरण-सभ बहत, उसल भभ समझ नहह पहतल हह।

रहजपपुत्रि सल लडल जबनह हहतह हह अगर अकहज,

अजजरत करनह तपुम्हम चहजहयल पहलल कहई रहज।'

कणर हतपभ हहआ तजनक, मन-हभ-मन कपु छि भरमहयह,

सह न सकह अन्यहय , सपुयहधन बढकर आगल आयह।

बहलह-' बडह पहप हह करनह, इस पकहर, अपमहन,


उस नर कह जह दभप रहह हह सचमपुच, सफयर समहन।

'मफल जहननह बडह कजठन हह नजदयण कह, वभरण कह,

धनपुष छिहड कर और गहत्रि क्यह हहतह रणधभरण कह?

पहतल हह सम्महन तपहबल सल भफतल पर शफर,

'जहजत-जहजत' कह शहर मचहतल कल वल कहयर कफ र।

'जकसनल दलखिह नहह, कणर जब जनकल भभड सल आयह,

अनहयहस आतवंक एक सम्पफणर सभह पर छिहयह।

कणर भलल हभ सफत्रिहपपुत्रि हह, अथवह श्वपच, चमहर,

मजलन, मगर, इसकल आगल हह सहरल रहजकपु महर।

Part 5

'करनह क्यह अपमहन ठभक हह इस अनमहल रतन कह,

महनवतह कक इस जवभफजत कह, धरतभ कल इस धन कह।

जबनह रहज्य यजद नहह वभरतह कह इसकह अजधकहर,

तह मलरभ यह खिपुलभ घहषणह सपुनल सकल सवंसहर।

'अवंगदलश कह मपुकपुट कणर कल मस्तक पर धरतह हहह।

एक रहज्य इस महहवभर कल जहत अजपरत करतह हहह।'

रखिह कणर कल जसर पर उसनल अपनह मपुकपुट उतहर,

गफहजह रवंगभफजम मम दपुयर्योधन कह जय-जयकहर।

कणर चजकत रह गयह सपुयहधन कक इस परम कवृ पह सल,

फफ ट पडह महरल कवृ तजतह कल भर उसल भपुजह सल।

दपुयर्योधन नल हृदय लगह कर कहह-'बन्धपु! हह शहन्त,

मलरल इस क्षपुदहपहहर सल क्यण हहतह उददभहन्त?


'जकयह कपौन-सह त्यहग अनहखिह, जदयह रहज यजद तपुझकह!

अरल, धन्य हह जहयह पहण, तफ ग्रहण करल यजद मपुझकह ।'

कणर और गल गयह,' हहय, मपुझ पर भभ इतनह स्नलह!

वभर बन्धपु! हम हहए आज सल एक पहण, दह दलह।

'भरभ सभह कल बभच आज तफनल जह महन जदयह हह,

पहलल-पहल मपुझल जभवन मम जह उत्थहन जदयह हह।

उऋण भलह हहऊहगह उससल चपुकह कपौन-सह दहम?

कवृ पह करम जदनमहन जक आऊह तलरल कहई कहम।'

घलर खिडल हह गयल कणर कह मपुजदत, मपुग्ध पपुरवहसभ,

हहतल हभ हह लहग शफरतह-पफजन कल अजभलहषभ।

चहहल जह भभ कहल द्वलष, ईष्यहर, जमथ्यह अजभमहन,

जनतह जनज आरहध्य वभर कह, पर ललतभ पहचहन।

Part 6

लगल लहग पफजनल कणर कह कपुवं कपु म और कमल सल,

रवंग-भफजम भर गयभ चतपुजदरकद पपुलकहकपु ल कलकल सल।

जवनयपफणर पजतवन्दन मम ज्यण झपुकह कणर सजवशलष,

जनतह जवकल पपुकहर उठभ, 'जय महहरहज अवंगशल ।

'महहरहज अवंगशल !' तभर-सह लगह हृदय मम जह कल ,

जवफल कहध मम कहह भभम नल और नहह कपु छि पह कल ।

'हय कक झहडल पफहछि, आज तक रहह यहभ तह कहज,

सफत-पपुत्रि जकस तरह चलह पहयलगह कहई रहज?'


दपुयर्योधन नल कहह-'भभम ! झफठल बकबक करतल हह,

कहलहतल धमरज, द्वलष कह जवष मन मम धरतल हह।

बडल ववंश सल क्यह हहतह हह, खिहटल हण यजद कहम?

नर कह गपुण उज्जवल चररत्रि हह, नहह ववंश-धन-धहन।

'सचमपुच हभ तह कहह कणर नल, तपुम्हह कपौन हह, बहलह,

जनमल थल जकस तरह? जहत हह, तह रहस्य यह खिहलह?

अपनह अवगपुण नहह दलखितह, अजब जगतद कह हहल,

जनज आहखिण सल नहह सपुझतह, सच हह अपनह भहल।

कवृ पहचहयर आ पडल बभच मम, बहलल 'जछिछ! यह क्यह हह?

तपुम लहगण मम बचभ नहम कह भभ क्यह नहह हयह हह?

चलह, चलम घर कह, दलखिह; हहनल कह आयभ शहम,

थकल हहए हहगल तपुम सब, चहजहए तपुम्हम आरहम।'

रवंग-भफजम सल चलल सभभ पपुरवहसभ महद मनहतल,

कहई कणर, पहथर कह कहई-गपुण आपस मम गहतल।

सबसल अलग चलल अजपुरन कह जलए हहए गपुरु दहण,

कहतल हहए -'पहथर! पहहहचह यह रहहह नयह जफर कपौन?

Part 7

'जनमल नहह जगतद मम अजपुरन! कहई पजतबल तलरह,

टहगह रहह हह एक इसभ पर ध्यहन आज तक मलरह।

एकलव्य सल जलयह अहगफठह, कढभ न मपुखि सल आह,

रखिह चहहतह हहह जनष्कवंटक बलटह! तलरभ रहह।

'मगर, आज जह कपु छि दलखिह, उससल धभरज जहलतह हह,


मपुझल कणर मम चरम वभरतह कह लक्षण जमलतह हह।

बढतह गयह अगर जनष्कवंटक यह उददभट भट बहवंल,

अजपुरन! तलरल जलयल कभभ यह हह सकतह हह कहल!

'सहच रहह हहह क्यह उपहय, मह इसकल सहथ करहगह,

इस पचवंडतम धफमकल तपु कह कह सल तलज हरहगह?

जशष्य बनहऊहगह न कणर कह, यह जनजश्चत हह बहत;

रखिनह ध्यहन जवकट पजतभट कह, पर तफ भभ हल तहत!'

रवंग-भफजम सल जलयल कणर कह, कपौरव शवंखि बजहतल,

चलल झफमतल हहए खिपुशभ मम गहतल, मपौज मनहतल।

कञ्चन कल यपुग शहल-जशखिर-सम सपुगजठत, सपुघर सपुवणर,

गलबहहहभ दल चलल परस्पर दपुयर्योधन औ' कणर।

बडभ तवृजप कल सहथ सफयर शभतल अस्तहचल पर सल,

चफम रहल थल अवंग पपुत्रि कह जस्नग्ध-सपुकहमल कर सल।

आज न थह जपय उन्हम जदवस कह समय जसद अवसहन,

जवरम गयह क्षण एक जक्षजतज पर गजत कह छिहड जवमहन।

और हहय, रजनवहस चलह वहपस जब रहजभवन कह,

सबकल पभछिल चलभ एक जवकलह मसहसतभ मन कह।

उजड गयल हण स्वप्न जक जहसल हहर गयभ हह दहहव,

नहह उठहयल भभ उठ पहतल थल कपु न्तभ कल पहहव।


Dwitiya Sarg Part 1

शभतल, जवरल एक कहनन शहजभत अजधत्यकह कल ऊपर,

कहह उत्स-पसवण चमकतल, झरतल कहह शपुभ जनझरर।

जहहह भफजम समतल, सपुन्दर हह, नहह दभखितल हह पहहन,

हररयहलभ कल बभच खिडह हह, जवस्तवृत एक उटज पहवन।

आस-पहस कपु छि कटल हहए पभलल धनखिलत सपुहहतल हह,

शशक, मफस, जगलहरभ, कबफतर घफम-घफम कण खिहतल हह।

कपु छि तजन्दल, अलजसत बहठल हह, कपु छि करतल जशशपु कह ललहन,

कपु छि खिहतल शहकल्य, दभखितल बडल तपुष सहरल गहधन।

हवन-अजग बपुझ चपुकक, गन्ध सल वहयपु, अभभ, पर, महतभ हह,

भभनभ-भभनभ महक पहण मम महदकतह पहहहचतभ हह,

धफम-धफम चजचरत लगतल हह तरु कल श्यहम छिदन कह सल?


झपक रहल हण जशशपु कल अलजसत कजरहरल लहचन जहसल।

बहठल हहए सपुखिद आतप मम मवृग रहमन्थन करतल हह,

वन कल जभव जववर सल बहहर हह जवशब्ध जवचरतल हह।

सफखि रहल चभवर, रसहल कक नन्हह झपुकक टहजनयण पर,

नभचल जबखिरल हहए पडल हह इवंगपुद-सल जचकनल पत्थर।

अजजन, दभर, पहलहश, कमवंडलपु-एक ओर तप कल सहधन,

एक ओर हह टहगल धनपुष, तफणभर, तभर, बरझल भभषण।

चमक रहह तवृण-कपु टभ-द्वहर पर एक परशपु आभहशहलभ,

लपौह-दण्ड पर जजडत पडह हह, महनह, अधर अवंशपुमहलभ।

Part 2

शदह बढतभ अजजन-दभर पर, परशपु दलखि मन डरतह हह,

यपुद-जशजवर यह तपहभफजम यह, समझ नहह कपु छि पडतह हह।

हवन-कपु ण्ड जजसकह यह उसकल हभ क्यह हह यल धनपुष-कपु ठहर?

जजस मपुजन कक यह सपुवह, उसभ कक कह सल हह सकतभ तलवहर?

आयभ हह वभरतह तपहवन मम क्यह पपुण्य कमहनल कह?

यह सवंन्यहस सहधनह मम हह दहजहक शजक जगहनल कह?

मन नल तन कह जसद-यन्त्रि अथवह शसण मम पहयह हह?

यह जक वभर कहई यहगभ सल यपुजक सभखिनल आयह हह?

परशपु और तप, यल दहनण वभरण कल हभ हहतल शवृवंगहर,

ककव न तह तप हभ करतह हह, न तह उठह सकतह तलवहर।

तप सल मनपुज जदव्य बनतह हह, षडद जवकहर सल लडतह हह,

तन कक समर-भफजम मम ललजकन, कहम खिड्ग हभ करतह हह।


जकन्तपु, कपौन नर तपहजनष हह यहहह धनपुष धरनलवहलह?

एक सहथ यजहजग और अजस कक पफजह करनलवहलह?

कहतह हह इजतहहस, जगतद मम हहआ एक हभ नर ऐसह,

रण मम कपु जटल कहल-सम कहधभ तप मम महहसफयर-जहसह!

मपुखि मम वलद, पभठ पर तरकस, कर मम कजठन कपु ठहर जवमल,

शहप और शर, दहनण हभ थल, जजस महहनद ऋजष कल सम्बल।

यह कपु टभर हह उसभ महहमपुजन परशपुरहम बलशहलभ कह,

भवृगपु कल परम पपुनभत ववंशधर, व्रतभ, वभर, पणपहलभ कह।

हहह-हहह, वहभ, कणर कक जहहघण पर अपनह मस्तक धरकर,

सहयल हह तरुवर कल नभचल, आशम सल जकजञ्चतद हटकर।

पतण सल छिन-छिन कर मभठभ धफप महघ कक आतभ हह,

पडतभ मपुजन कक थकक दलह पर और थकहन जमटहतभ हह।

Part 3

कणर मपुग्ध हह भजक-भहव मम मग हहआ-सह जहतह हह,

कभभ जटह पर हहथ फल रतह, पभठ कभभ सहलहतह हह,

चढम नहह चभजटयहह बदन पर, पडल नहह तवृण-पहत कहह,

कणर सजग हह, उचट जहय गपुरुवर कक कचभ नहद नहह।

'ववृद दलह, तप सल कवृ श कहयह , उस पर आयपुध-सञ्चहलन,

हहथ, पडह शम-भहर दलव पर असमय यह मलरल कहरण।

जकन्तपु, ववृद हहनल पर भभ अवंगण मम हह क्षमतह जकतनभ,

और रहत-जदन मपुझ पर जदखिलहनल रहतल ममतह जकतनभ।

'कहतल हह , 'ओ वत्स! पपुजषकर भहग न तफ यजद खिहयलगह,


मलरल जशक्षण कक कठहरतह कह कह सल सह पहयलगह?

अनपुगहमभ यजद बनह कहह तफ खिहन-पहन मम भभ मलरह,

सफखि जहयगह लहह , बचलगह हडभ-भर ढहहचह तलरह।

'जरह सहच, जकतनभ कठहरतह सल मह तपुझल चलहतह हहह,

और नहह तह एक पहव जदन भर मम रक जलहतह हहह।

इसकक पफजतर कहहह सल हहगभ, बनह अगर तफ सवंन्यहसभ,

इस पकहर तह चबह जहयगभ तपुझल भफखि सत्यहनहशभ।

'पत्थर-सभ हण महवंस-पलजशयहह, लहहल-सल भपुज-दण्ड अभय,

नस-नस मम हह लहर आग कक, तभभ जवहनभ पहतभ जय।

जवप हहआ तह क्यह, रक्खिलगह रहक अभभ सल खिहनल पर?

कर ललनह घनघहर तपस्यह वय चतपुथर कल आनल पर।

'बहह्मण कह हह धमर त्यहग, पर, क्यह बहलक भभ त्यहगभ हण?

जन्म सहथ , जशलहञ्छिववृजत कल हभ क्यह वल अनपुरहगभ हण?

क्यह जवजचत्रि रचनह समहज कक? जगरह जहन बहह्मण-घर मम,

महतभ बरसह वहश्य-वलश्म मम, पडह खिडद ग क्षजत्रिय-कर मम।

Part 4

खिडद ग बडह उदत हहतह हह, उदत हहतल हह रहजल,

इसभजलए तह सदह बनहतल रहतल वल रण कल बहजल।

और करल जहनभ बहह्मण क्यह? अजस-जवहभन मन डरतह हह,

रहजह दलतह महन, भफप कह वह भभ आदर करतह हह।

'सपुनतह कपौन यहहह बहह्मण कक, करतल सब अपनल मन कक,

डपु बह रहभ शहजणत मम भफ कह भफपण कक जलप्सह रण कक।

औ' रण भभ जकसजलए? नहह जग सल दपुखि-दहन्य भगहनल कह,


परशहषक, पथ-भहन्त मनपुज कह नहह धमर पर लहनल कह।

'रण कल वल इसजलए जक रहजल और सपुखिभ हण, महनभ हण,

और पजहएह जमलम उन्हम, वल और अजधक अजभमहनभ हण।

रण कल वल इसजलए जक वल कजल्पत अभहव सल छिफट सकम ,

बढल रहज्य कक सभमह, जजससल अजधक जनण कह लफट सकम ।

'रण कल वल इसजलए जक सतह बढल, नहह पतह डहलल,

भफपण कल जवपरभत न कहई, कहह, कभभ, कपु छि भभ बहलल।

ज्यण-ज्यण जमलतभ जवजय, अहवं नरपजत कह बढतह जहतह हह,

और जहर सल वह समहज कल जसर पर चढतह जहतह हह।

'अब तह हह यह दशह जक जह कपु छि हह, वह रहजह कह बल हह,

बहह्मण खिडह सहमनल कल वल जलए शवंखि-गवंगहजल हह।

कहहह तलज बहह्मण मम, अजववलकक रहजह कह रहक सकल ,

धरल कपु पथ पर जभभ पहहव वह, तत्क्षण उसकह टहक सकल ।

'और कहल भभ तह बहह्मण कक बहत कपौन सपुन पहतह हह?

यहहह रहज रहजह बहह्मण कह अपमहजनत करवहतह हह।

चलतभ नहह यहहह पवंजडत कक, चलतभ नहह तपस्वभ कक,

जय पपुकहरतभ पजह रहत-जदन रहजह जयभ यशस्वभ कक!

Part 5

'जसर थह जह सहरल समहज कह, वहभ अनहदर पहतह हह।

जह भभ जखिलतह फफ ल, भपुजह कल ऊपर चढतह जहतह हह।

चहरण ओर लहभ कक ज्वहलह, चहरण ओर भहग कक जय;

पहप-भहर सल दबभ-धहसभ जह रहभ धरह पल-पल जनश्चय।


'जब तक भहगभ भफप पजहओवं कल नलतह कहलहयमगल,

जहन, त्यहग, तप नहह शलषतह कह जबतक पद पहयमगल।

अशन-वसन सल हभन, दभनतह मम जभवन धरनलवहलल।

सहकर भभ अपमहन मनपुजतह कक जचन्तह करनलवहलल,

'कजव, कहजवद, जवजहन-जवशहरद, कलहकहर, पजण्डत, जहनभ,

कनक नहह , कल्पनह, जहन, उज्ज्वल चररत्रि कल अजभमहनभ,

इन जवभफजतयण कह जब तक सवंसहर नहह पहचहनलगह,

रहजहओवं सल अजधक पफज्य जब तक न इन्हम वह महनलगह,

'तब तक पडभ आग मम धरतभ, इसभ तरह अकपु लहयलगभ,

चहहल जह भभ करल, दपुखिण सल छिफट नहह वह पहयलगभ।

थकक जभभ समझह कर, गहरभ लगभ ठलस अजभलहषह कह,

भफप समझतह नहह और कपु छि, छिहड खिडद ग कक भहषह कह।

'रहक-टहक सल नहह सपुनलगह, नवृप समहज अजवचहरभ हह,

ग्रभवहहर, जनषह र कपु ठहर कह यह मदहन्ध अजधकहरभ हह।

इसभजलए तह मह कहतह हहह, अरल जहजनयण! खिडद ग धरह,

हर न सकह जजसकह कहई भभ, भफ कह वह तपुम त्रिहस हरह।

'जनत्य कहह करतल हह गपुरुवर, 'खिडद ग महहभयकहरभ हह,

इसल उठहनल कह जग मम हर एक नहह अजधकहरभ हह।

वहभ उठह सकतह हह इसकह, जह कठहर हह, कहमल भभ,

जजसमम हह धभरतह, वभरतह और तपस्यह कह बल भभ।

Part 6

'वभर वहभ हह जह जक शत्रिपु पर जब भभ खिडद ग उठहतह हह,


महनवतह कल महहगपुणण कक सतह भफल न जहतह हह।

सभजमत जह रखि सकल खिडद ग कह, पहस उसभ कह आनल दह,

जवपजहजत कल जसवह जकसभ कह मत तलवहर उठहनल दह।

'जब-जब मह शर-चहप उठह कर करतब कपु छि जदखिलहतह हहह,

सपुनकर आशभवहरद दलव कह, धन्य-धन्य हह जहतह हहह।

'जजयह, जजयह अय वत्स! तभर तपुमनल कह सह यह महरह हह,

दहक उठह वन उधर, इधर फफ टभ जनझरर कक धहरह हह।

'मह शवंजकत थह, बहह्मह वभरतह मलरल सहथ मरलगभ क्यह,

परशपुरहम कक यहद जवप कक जहजत न जपुगह धरलगभ क्यह?

पहकर तपुम्हम जकन्तपु, इस वन मम, मलरह हृदय हहआ शभतल,

तपुम अवश्य ढहओगल उसकह मपुझमम हह जह तलज, अनल।

'जजयह, जजयह बहह्मणकपु महर! तपुम अक्षय ककजतर कमहओगल,

एक बहर तपुम भभ धरतभ कह जनछक्षजत्रिय कर जहओगल।

जनश्चय, तपुम बहह्मणकपु महर हह, कवच और कपु ण्डल-धहरभ,

तप कर सकतल और जपतह-महतह जकसकल इतनह भहरभ?

'जकन्तपु हहय! 'बहह्मणकपु महर' सपुन पण कहहपनल लगतल हह,

मन उठतह जधकहर, हृदय मम भहव ग्लहजन कल जगतल हह।

गपुरु कह पलम जकसभ कह भभ क्यह ऐसल कभभ खिलह हहगह?

और जशष्य नल कभभ जकसभ गपुरु कह इस तरह छिलह हहगह?

'पर मलरह क्यह दहष? हहय! मह और दफसरह क्यह करतह,

पभ सहरह अपमहन, दहण कल मह कह सल पहरण पडतह।

और पहहव पडनल सल भभ क्यह गफढ जहन जसखिलहतल वल,


एकलव्य-सह नहह अहगफठह क्यह मलरह कटवहतल वल?

Part 7

'हहय, कणर, तफ क्यण जन्मह थह? जन्मह तह क्यण वभर हहआ?

कवच और कपु ण्डल-भफजषत भभ तलरह अधम शरभर हहआ?

धहस जहयल वह दलश अतल मम, गपुण कक जहहह नहह पहचहन?

जहजत-गहत्रि कल बल सल हभ आदर पहतल हह जहहह सपुजहन?

'नहह पफछितह हह कहई तपुम व्रतभ , वभर यह दहनभ हह?

सभभ पफछितल महत्रि यहभ, तपुम जकस कपु ल कल अजभमहनभ हह?

मगर, मनपुज क्यह करल? जन्म ललनह तह उसकल हहथ नहह,

चपुननह जहजत और कपु ल अपनल बस कक तह हह बहत नहह।

'मह कहतह हहह, अगर जवधहतह नर कह मपुठभ मम भरकर,

कहह छिहट दम बह्मलहक सल हभ नभचल भफमण्डल पर,

तह भभ जवजवध जहजतयण मम हभ मनपुज यहहह आ सकतह हह;

नभचल हह क्यहररयहह बनह, तह बभज कहहह जह सकतह हह?

'कपौन जन्म ललतह जकस कपु ल मम? आकजस्मक हभ हह यह बहत,

छिहटल कपु ल पर, जकन्तपु यहहह हहतल तब भभ जकतनल आघहत!

हहय, जहजत छिहटभ हह, तह जफर सभभ हमहरल गपुण छिहटल,

जहजत बडभ, तह बडल बनम, वल, रहम लहखि चहहल खिहटल।'

गपुरु कह जलए कणर जचन्तन मम थह जब मग, अचल बहठह,

तभभ एक जवषककट कहह सल आसन कल नभचल पहठह।

वज्रदवंषष वह लगह कणर कल उरु कह कपु तर-कपु तर खिहनल,

और बनहकर जछिद महवंस मम मन्द-मन्द भभतर जहनल।


कणर जवकल हह उठह, दपुष भपौरल पर हहथ धरल कह सल,

जबनह जहलहयल अवंग ककट कह जकसभ तरह पकडल कह सल?

पर भभतर उस धहसल ककट तक हहथ नहह जह सकतह थह,

जबनह उठहयल पहहव शत्रिपु कह कणर नहह पह सकतह थह।

Part 8

जकन्तपु, पहहव कल जहलतल हभ गपुरुवर कक नहद उचट जहतभ,

सहम गयभ यह सहच कणर कक भजकपफणर जवह्वल छिहतभ।

सहचह, उसनल, अतछ, ककट यह जपयल रक, पभनल दफहगह,

गपुरु कक कचभ नहद तहडनल कह, पर पहप नहह लफहगह।

बहठह रहह अचल आसन सल कणर बहहत मन कह महरल,

आह जनकहलल जबनह, जशलह-सभ सहनशभलतह कह धहरल।

जकन्तपु, लहह कक गमर धहर जह सहसह आन लगभ तन मम,

परशपुरहम जग पडल, रक कह दलखि हहए जवजस्मत मन मम।

कणर झपट कर उठह इवंजगतण मम गपुरु सल आजह ललकर,

बहहर जकयह ककट कह उसनल क्षत मम सल उहगलभ दलकर।

परशपुरहम बहलल- 'जशव! जशव! तफनल यह कक मफखिरतह बडभ,

सहतह रहह अचल, जहनल कब सल, ऐसभ वलदनह कडभ।'

तजनक लजहकर कहह कणर नल, 'नहह अजधक पभडह मपुझकह,

महहरहज, क्यह कर सकतह हह यह छिहटह ककडह मपुझकह?

महनल सहचह, जहलह-डपु लह तह ववृथह आप जग जहयमगल,

क्षण भर कह जवशहम जमलह जह नहहक उसल गहवहयमगल।

'जनश्चल बहठह रहह, सहच, यह ककट स्वयवं उड जहयलगह,


छिहटह-सह यह जभव मपुझल जकतनभ पभडह पहहहचहयलगह?

पर, यह तह भभतर धहसतह हभ गयह, मपुझल हहरहन जकयह,

लजज्जत हहह इसभजलए जक सब-कपु छि स्वयवं आपनल दलखि जलयह।'

परशपुरहम गवंभभर हह गयल सहच न जहनल क्यह मन मम,

जफर सहसह कहधहजग भयहनक भभक उठभ उनकल तन मम।

दहहत पभस, आहखिम तरलरकर बहलल- 'कपौन छिलभ हह तफ?

बहह्मण हह यह और जकसभ अजभजन कह पपुत्रि बलभ हह तफ?

Part 9

'सहनशभलतह कह अपनहकर बहह्मण कभभ न जभतह हह,

जकसभ लक्ष्य कल जलए नहह अपमहन-हलहहल पभतह हह।

सह सकतह जह कजठन वलदनह, पभ सकतह अपमहन वहभ,

बपुजद चलहतभ जजसल, तलज कह कर सकतह बजलदहन वहभ।

'तलज-पपुञ बहह्मण जतल-जतल कर जलल, नहह यह हह सकतह,

जकसभ दशह मम भभ स्वभहव अपनह वह कह सल खिह सकतह?

कसक भहगतह हहआ जवप जनश्चल कह सल रह सकतह हह?

इस पकहर कक चपुभन, वलदनह क्षजत्रिय हभ सह सकतह हह।

'तफ अवश्य क्षजत्रिय हह, पहपभ! बतह, न तह, फल पहयलगह,

परशपुरहम कल कजठन शहप सल अभभ भस्म हह जहयलगह।'

'क्षमह, क्षमह हल दलव दयहमय!' जगरह कणर गपुरु कल पद पर,

मपुखि जववणर हह गयह, अवंग कहहपनल लगल भय सल थर-थर!

'सफत-पफत्रि मह शफद कणर हहह, करुणह कह अजभलहषभ हहह,

जह भभ हहह, पर, दलव, आपकह अनपुचर अन्तलवहसभ हहह

छिलभ नहह मह हहय, जकन्तपु छिल कह हभ तह यह कहम हहआ,


आयह थह जवदह-सवंचय कह, जकन्तपु , व्यथर बदनहम हहआ।

'बडह लहभ थह, बनफह जशष्य मह कहतरवभयर कल जलतह कह ,

तपहदभप शफरमह, जवश्व कल नफतन धमर-पणलतह कह।

पर, शवंकह थभ मपुझल, सत्य कह अगर पतह पह जहयमगल,

महहरहज मपुझ सफत-पपुत्रि कह कपु छि भभ नहह जसखिहयमगल।

'बतह सकह मह नहह इसभ सल पभह! जहजत अपनभ छिहटभ,

करम दलव जवश्वहस, भहवनह और न थभ कहई खिहटभ।

पर इतनल सल भभ लज्जह मम हहय, गडह-सह जहतह हहह,

महरल जबनह हृदय मम अपनल-आप मरह-सह जहतह हहह।

Part 10

'छिल सल पहनह महन जगतद मम जकजल्वष हह, मल हभ तह हह,

ऊहचह बनह आपकल आगल, सचमपुच यह छिल हभ तह हह।

पहतह थह सम्महन आज तक दहनभ, व्रतभ, बलभ हहकर,

अब जहऊहगह कहहह स्वयवं गपुरु कल सहमनल छिलभ हहकर?

'करम भस्म हभ मपुझल दलव! सम्मपुखि हह मस्तक नत मलरह,

एक कसक रह गयभ, नहह पफरह जभवन कह व्रत मलरह।

गपुरु कक कवृ पह! शहप सल जलकर अभभ भस्म हह जहऊहगह,

पर, मदहन्ध अजपुरन कह मस्तक दलव! कहहह मह पहऊहगह?

'यह तवृष्णह, यह जवजय-कहमनह, मपुझल छिहड क्यह पहयलगभ?

पभपु, अतवृप वहसनह मरल पर भभ मपुझल कह भरमहयलगभ।

दपुयर्योधन कक हहर दलवतह! कह सल सहन करहगह मह?

अभय दलखि अजपुरन कह मरकर भभ तह रहज मरहगह मह?


'परशपुरहम कह जशष्य कणर, पर, जभवन-दहन न महहगलगह,

बडभ शहजन्त कल सहथ चरण कह पकड पहण जनज त्यहगलगह।

पस्तपुत हहह, दम शहप, जकन्तपु अजन्तम सपुखि तह यह पहनल दम,

इन्हह पहद-पददमण कल ऊपर मपुझकह पहण गहवहनल दम।'

जलपट गयह गपुरु कल चरणण सल जवकल कणर इतनह कहकर,

दह कजणकहएह जगरह अशपु कक गपुरु कक आहखिण सल बह कर।

बहलल- 'हहय, कणर तफ हभ पजतभट अजपुरन कह नहमभ हह?

जनश्चल सखिह धहतररहषष ण कह, जवश्व-जवजय कह कहमभ हह?

'अब समझह, जकसजलए रहत-जदन तफ वहसह शम करतह थह,

मलरल शब्द-शब्द कह मन मम क्यण सभपभ-सह धरतह थह।

दलखिम अगजणत जशष्य, दहण कह भभ करतब कपु छि जसखिलहयह,

पर तपुझ-सह जजजहसपु आज तक कभभ नहह महनल पहयह।

Part 11

'तफ नल जभत जलयह थह मपुझकह जनज पजवत्रितह कल बल सल,

क्यह थह पतह, लफटनल आयह हह कहई मपुझकह छिल सल?

जकसभ और पर नहह जकयह, वहसह सनलह मह करतह थह,

सहनल पर भभ धनपुवर्वेद कह, जहन कहन मम भरतह थह।

'नहह जकयह कहपरण्य, जदयह जह कपु छि थह मलरल पहस रतन,

तपुझमम जनज कह ससौंप शहन्त हह, अभभ-अभभ पमपुजदत थह मन।

पहपभ, बहल अभभ भभ मपुखि सल, तफ न सफत, रथचहलक हह,

परशपुरहम कह जशष्य जवकमभ, जवपववंश कह बहलक हह।

'सफत-ववंश मम जमलह सफयर-सह कह सल तलज पबल तपुझकह?


जकसनल लहकर जदयल, कहहह सल कवच और कपु ण्डल तपुझकह?

सपुत-सह रखिह जजसल, उसकह कह सल कठहर हह महरह मह?

जलतल हहए कहध कक ज्वहलह, ललजकन कहहह उतहरह मह?'

पद पर बहलह कणर, 'जदयह थह जजसकह आहखिण कह पहनभ,

करनह हहगह ग्रहण उसभ कह अनल आज हल गपुरु जहनभ।

बरसहइयल अनल आहखिण सल, जसर पर उसल सहभहलफहगह,

दण्ड भहग जलकर मपुजनसतम! छिल कह पहप छिपुडह लफहगह।'

परशपुरहम नल कहह-'कणर! तफ बलध नहह मपुझकह ऐसल,

तपुझल पतह क्यह सतह रहह हह मपुझकह असमञस कह सल?

पर, तफनल छिल जकयह, दण्ड उसकह, अवश्य हभ पहयलगह,

परशपुरहम कह कहध भयहनक जनष्फल कभभ न जहयलगह।

'महन जलयह थह पपुत्रि, इसभ सल, पहण-दहन तह दलतह हहह,

पर, अपनभ जवदह कह अजन्तम चरम तलज हर ललतह हहह।

जसखिलहयह बह्महस तपुझल जह, कहम नहह वह आयलगह,

हह यह मलरह शहप, समय पर उसल भफल तफ जहयलगह।

Part 12

कणर जवकल हह खिडह हहआ कह, 'हहय! जकयह यह क्यह गपुरुवर?

जदयह शहप अत्यन्त जनदहरुण, जलयह नहह जभवन क्यण हर?

वषर कक सहधनह, सहथ हभ पहण नहह क्यण ललतल हह?

अब जकस सपुखि कल जलए मपुझल धरतभ पर जभनल दलतल हह?'

परशपुरहम नल कहह- 'कणर! यह शहप अटल हह, सहन करह,

जह कपु छि महनल कहह, उसल जसर पर लल सहदर वहन करह।


इस महलन्द-जगरर पर तपुमनल कपु छि थहडह नहह कमहयह हह,

मलरह सवंजचत जनजखिल जहन तफनल मझसल हभ पहयह हह।

'रहह नहह बह्महस एक, इससल क्यह आतह-जहतह हह?

एक शस-बल सल न वभर, कहई सब जदन कहलहतह हह।

नयभ कलह, नफतन रचनहएह, नयभ सफझ नफतन सहधन,

नयल भहव, नफतन उमवंग सल , वभर बनल रहतल नफतन।

'तपुम तह स्वयवं दभप पपौरुष हह, कवच और कपु ण्डल-धहरभ,

इनकल रहतल तपुम्हम जभत पहयलगह कपौन सपुभट भहरभ।

अच्छिह लह वर भभ जक जवश्व मम तपुम महहनद कहलहओगल,

भहरत कह इजतहहस ककजतर सल और धवल कर जहओगल।

'अब जहओ, लह जवदह वत्स, कपु छि कडह करह अपनल मन कह,

रहनल दलतल नहह यहहह पर हम अजभशप जकसभ जन कह।

हहय छिभननह पडह मपुझभ कह, जदयह हहआ अपनह हभ धन,

सहच-सहच यह बहहत जवकल हह रहह, नहह जहनम क्यण मन?

'व्रत कह, पर जनवहरह कभभ ऐसल भभ करनह हहतह हह।

इस कर सल जह जदयह उसल उस कर सल हरनह हहतह हह।

अब जहओ तपुम कणर! कवृ पह करकल मपुझकह जनछसवंग करह।

दलखिह मत यण सजल दृजष सल, व्रत मलरह मत भवंग करह।

Part 13

'आह, बपुजद कहतभ जक ठभक थह, जह कपु छि जकयह, परन्तपु हृदय,

मपुझसल कर जवदहह तपुम्हहरभ मनह रहह, जहनल क्यण, जय?

अनहयहस गपुण-शभल तपुम्हहरल, मन मम उगतल आतल हह,

भभतर जकसभ अशपु-गवंगह मम मपुझल बहर नहलहतल हह।


जहओ, जहओ कणर! मपुझल जबलकपु ल असवंग हह जहनल दह

बहठ जकसभ एकहन्त कपुवं ज मम मन कह स्वस्थ बनहनल दह।

भय हह, तपुम्हम जनरहश दलखिकर छिहतभ कहह न फट जहयल,

जफरह न लफह अजभशहप, जपघलकर वहणभ नहह उलट जहयल।'

इस पकहर कह परशपुरहम नल जफरह जलयह आनन अपनह,

जहहह जमलह थह, वहह कणर कह जबखिर गयह प्यहरह सपनह।

छिफकर उनकह चरण कणर नल अरयर अशपु कह दहन जकयह,

और उन्हम जभ-भर जनहहर कर मवंद-मवंद पस्थहन जकयह।

परशपुधर कल चरण कक धफजल ललकर,

उन्हम, अपनल हृदय कक भजक दलकर,

जनरहशह सलजवकल, टफ टह हहआ-सह,

जकसभ जगरर-शवृवंगह सल छिफटह हहआ-सह,

चलह खिहयह हहआ-सह कणर मन मम,

जक जहसल चहहद चलतह हह गगन मम।

Tritiya Sarg

Part 1

हह गयह पफणर अजहत वहस,

पहडवंव लपौटल वन सल सहहस,

पहवक मम कनक-सदृश तप कर,

वभरत्व जलए कपु छि और पखिर,

नस-नस मम तलज-पवहह जलयल,

कपु छि और नयह उत्सहह जलयल।


सच हह, जवपजत जब आतभ हह,

कहयर कह हभ दहलहतभ हह,

शफरमह नहह जवचजलत हहतल,

क्षण एक नहह धभरज खिहतल,

जवरनण कह गलल लगहतल हह,

कहहटण मम रहह बनहतल हह।

मपुखि सल न कभभ उफ कहतल हह,

सवंकट कह चरण न गहतल हह,

जह आ पडतह सब सहतल हह,

उदहग-जनरत जनत रहतल हह,

शफलण कह मफल नसहनल कह,

बढ खिपुद जवपजत पर छिहनल कह।

हह कपौन जवरन ऐसह जग मम,

जटक सकल वभर नर कल मग मम

खिम ठणक ठललतह हह जब नर,

पवरत कल जहतल पहहव उखिड।

महनव जब जहर लगहतह हह,

पत्थर पहनभ बन जहतह हह।

गपुण बडल एक सल एक पखिर,

हह जछिपल महनवण कल भभतर,

ममहदभ मम जहसल लहलभ हह,

वजतरकह-बभच उजजयहलभ हह।

बतभ जह नहह जलहतह हह


रहशनभ नहह वह पहतह हह।

पभसह जहतह जब इक्षपु-दण्ड,

झरतभ रस कक धहरह अखिण्ड,

ममहदभ जब सहतभ हह पहहर,

बनतभ ललनहओवं कह जसवंगहर।

जब फफ ल जपरहयल जहतल हह,

हम उनकह गलल लगहतल हह।

Part 2

वसपुधह कह नलतह कपौन हहआ?

भफखिण्ड-जवजलतह कपौन हहआ?

अतपुजलत यश कल तह कपौन हहआ?

नव-धमर पणलतह कपौन हहआ?

जजसनल न कभभ आरहम जकयह,

जवरनण मम रहकर नहम जकयह।

जब जवरन सहमनल आतल हह,

सहतल सल हमम जगहतल हह,

मन कह मरहडतल हह पल-पल,

तन कह झहझहरतल हह पल-पल।

सत्पथ कक ओर लगहकर हभ,

जहतल हह हमम जगहकर हभ।

वहजटकह और वन एक नहह,

आरहम और रण एक नहह।

वषहर, अवंधड, आतप अखिवंड,


पपौरुष कल हह सहधन पचण्ड।

वन मम पसफन तह जखिलतल हह,

बहगण मम शहल न जमलतल हह।

कङ्कररयहह जजनकक सलज सपुघर,

छिहयह दलतह कल वल अम्बर,

जवपदहएह दफध जपलहतभ हह,

लहरभ आहजधयहह सपुनहतभ हह।

जह लहक्षह-गवृह मम जलतल हह,

वल हभ शफरमह जनकलतल हह।

बढकर जवपजतयण पर छिह जह,

मलरल जकशहर! मलरल तहजह!

जभवन कह रस छिन जहनल दल,

तन कह पत्थर बन जहनल दल।

तफ स्वयवं तलज भयकहरभ हह,

क्यह कर सकतभ जचनगहरभ हह?

वषर तक वन मम घफम-घफम,

बहधह-जवरनण कह चफम-चफम,

सह धफप-घहम, पहनभ-पत्थर,

पहवंडव आयल कपु छि और जनखिर।

सपौभहग्य न सब जदन सहतह हह,

दलखि,म आगल क्यह हहतह हह।

Part 3

महत्रिभ कक रहह बतहनल कह,


सबकह सपुमहगर पर लहनल कह,

दपुयर्योधन कह समझहनल कह,

भभषण जवध्ववंस बचहनल कह,

भगवहनद हजस्तनहपपुर आयल,

पहवंडव कह सवंदलशह लहयल।

'दह न्यहय अगर तह आधह दह,

पर, इसमम भभ यजद बहधह हह,

तह दल दह कल वल पहहच ग्रहम,

रक्खिह अपनभ धरतभ तमहम।

हम वहह खिपुशभ सल खिहयमगल,

पररजन पर अजस न उठहयमगल!

दपुयर्योधन वह भभ दल नह सकह,

आजशष समहज कक लल न सकह,

उलटल, हरर कह बहहधनल चलह,

जह थह असहध्य, सहधनल चलह।

जब नहश मनपुज पर छिहतह हह,

पहलल जववलक मर जहतह हह।

हरर नल भभषण हहवंकहर जकयह,

अपनह स्वरप-जवस्तहर जकयह,

डगमग-डगमग जदग्गज डहलल,

भगवहनद कपु जपत हहकर बहलल-

'जवंजभर बढह कर सहध मपुझल,

हहह, हहह दपुयर्योधन! बहहध मपुझल।


यह दलखि, गगन मपुझमम लय हह,

यह दलखि, पवन मपुझमम लय हह,

मपुझमम जवलभन झवंकहर सकल,

मपुझमम लय हह सवंसहर सकल।

अमरत्व फफ लतह हह मपुझमम,

सवंहहर झफलतह हह मपुझमम।

'उदयहचल मलरह दभप भहल,

भफमवंडल वक्षस्थल जवशहल,

भपुज पररजध-बन्ध कह घलरल हह,

महनहक-मलरु पग मलरल हह।

जदपतल जह ग्रह नक्षत्रि जनकर,

सब हह मलरल मपुखि कल अन्दर।

'दृग हण तह दृश्य अकहण्ड दलखि,

मपुझमम सहरह बह्महण्ड दलखि,

चर-अचर जभव, जग, क्षर-अक्षर,

नश्वर मनपुष्य सपुरजहजत अमर।

शत कहजट सफयर, शत कहजट चन्द,

शत कहजट सररत, सर, जसन्धपु मन्द।

Part 4

महत्रिभ कक रहह बतहनल कह,

सबकह सपुमहगर पर लहनल कह,

दपुयर्योधन कह समझहनल कह,

भभषण जवध्ववंस बचहनल कह,


भगवहनद हजस्तनहपपुर आयल,

पहवंडव कह सवंदलशह लहयल।

'दह न्यहय अगर तह आधह दह,

पर, इसमम भभ यजद बहधह हह,

तह दल दह कल वल पहहच ग्रहम,

रक्खिह अपनभ धरतभ तमहम।

हम वहह खिपुशभ सल खिहयमगल,

पररजन पर अजस न उठहयमगल!

दपुयर्योधन वह भभ दल नह सकह,

आजशष समहज कक लल न सकह,

उलटल, हरर कह बहहधनल चलह,

जह थह असहध्य, सहधनल चलह।

जब नहश मनपुज पर छिहतह हह,

पहलल जववलक मर जहतह हह।

हरर नल भभषण हहवंकहर जकयह,

अपनह स्वरप-जवस्तहर जकयह,

डगमग-डगमग जदग्गज डहलल,

भगवहनद कपु जपत हहकर बहलल-

'जवंजभर बढह कर सहध मपुझल,

हहह, हहह दपुयर्योधन! बहहध मपुझल।

यह दलखि, गगन मपुझमम लय हह,

यह दलखि, पवन मपुझमम लय हह,

मपुझमम जवलभन झवंकहर सकल,


मपुझमम लय हह सवंसहर सकल।

अमरत्व फफ लतह हह मपुझमम,

सवंहहर झफलतह हह मपुझमम।

'उदयहचल मलरह दभप भहल,

भफमवंडल वक्षस्थल जवशहल,

भपुज पररजध-बन्ध कह घलरल हह,

महनहक-मलरु पग मलरल हह।

जदपतल जह ग्रह नक्षत्रि जनकर,

सब हह मलरल मपुखि कल अन्दर।

'दृग हण तह दृश्य अकहण्ड दलखि,

मपुझमम सहरह बह्महण्ड दलखि,

चर-अचर जभव, जग, क्षर-अक्षर,

नश्वर मनपुष्य सपुरजहजत अमर।

शत कहजट सफयर, शत कहजट चन्द,

शत कहजट सररत, सर, जसन्धपु मन्द।

Part 5

भगवहन सभह कह छिहड चलल,

करकल रण गजरन घहर चलल

सहमनल कणर सकपु चहयह सह,

आ जमलह चजकत भरमहयह सह

हरर बडल पलम सल कर धर कर,

लल चढल उसल अपनल रथ पर

रथ चलह परस्पर बहत चलभ,


शम-दम कक टलढभ घहत चलभ,

शभतल हह हरर नल कहह, "हहय,

अब शलष नहभ कहई उपहय

हह जववश हमम धनपु धरनह हह,

क्षजत्रिय समफह कह मरनह हह

"महनल जकतनह कपु छि कहह नहह?

जवष-व्यवंग कहहह तक सहह नहह?

पर, दपुयर्योधन मतवहलह हह,

कपु छि नहह समझनल वहलह हह

चहजहए उसल बस रण कल वल,

सहरभ धरतभ जक मरण कल वल

"हल वभर ! तपुम्हह बहलह अकहम,

क्यह वस्तपु बडभ थभ पहहच ग्रहम?

वह भभ कपौरव कह भहरभ हह,

मजत गई मफढ कक मरभ हह

दपुयर्योधन कह बहधफवं कह सल?

इस रण कह अवरहधफवं कह सल?

"सहचह क्यह दृश्य जवकट हहगह,

रण मम जब कहल पकट हहगह?

बहहर शहजणत कक तप धहर,

भभतर जवधवहओवं कक पपुकहर

जनरशन, जवषण्ण जबलहयमगल,

बचल अनहथ जचलहयमगल


"जचवंतह हह, मह क्यह और करवं?

शहजन्त कह जछिपह जकस ओट धरह?

सब रहह बवंद मलरल जहनल,

हहह एक बहत यजद तफ महनल,

तह शहजन्त नहह जल सकतभ हह,

समरहजग अभभ तल सकतभ हह

"पह तपुझल धन्य हह दपुयर्योधन,

तफ एकमहत्रि उसकह जभवन

तलरल बल कक हह आस उसल,

तपुझसल जय कह जवश्वहस उसल

तफ सवंग न उसकह छिहडलगह,

वह क्यण रण सल मपुखि महडलगह?

"क्यह अघटनभय घटनह करहल?

तफ पवृथह-कपु क्षभ कह पथम लहल,

बन सफत अनहदर सहतह हह,

कपौरव कल दल मम रहतह हह,

शर-चहप उठहयल आठ पहहर,

पहवंडव सल लडनल हह तत्पर

"महह कह सनलह पहयह न कभभ,

सहमनल सत्य आयह न कभभ,

जकस्मत कल फल रल मम पड कर,

पह पलम बसह दपुश्मन कल घर

जनज बवंधफ महनतह हह पर कह,


कहतह हह शत्रिपु सहहदर कह

"पर कपौन दहष इसमम तलरह?

अब कहह महन इतनह मलरह

चल हहकर सवंग अभभ मलरल,

हह जहहह पहहच भहतह तलरल

जबछिपुडल भहई जमल जहयमगल,

हम जमलकर महद मनहएवंगल

"कपु न्तभ कह तफ हभ तनय ज्यलष,

बल बपुजद, शभल मम परम शलष

मस्तक पर मपुकपुट धरमगल हम,

तलरह अजभषलक करमगल हम

आरतभ समहद उतहरमगल,

सब जमलकर पहहव पखिहरमगल

"पद-त्रिहण भभम पहनहयलगह,

धमहरजचप चवंवर डपु लहयलगह

पहरल पर पहथर पवर हणगल,

सहदलव-नकपु ल अनपुचर हणगल

भहजन उतरह बनहयलगभ,

पहवंचहलभ पहन जखिलहयलगभ

"आहह ! क्यह दृश्य सपुभग हहगह !

आनवंद-चमत्कवृ त जग हहगह

सब लहग तपुझल पहचहनमगल,

असलभ स्वरप मम जहनमगल


खिहयभ मजण कह जब पहयलगभ,

कपु न्तभ फफ लभ न समहयलगभ

"रण अनहयहस रुक जहयलगह,

कपु रुरहज स्वयवं झपुक जहयलगह

सवंसहर बडल सपुखि मम हहगह,

कहई न कहह दपुछखि मम हहगह

सब गभत खिपुशभ कल गहयमगल,

तलरह सपौभहग्य मनहएवंगल

"कपु रुरहज्य समपरण करतह हहह,

सहमहज्य समपरण करतह हहह

यश मपुकपुट महन जसवंहहसन लल,

बस एक भभखि मपुझकह दल दल

कपौरव कह तज रण रहक सखिल,

भफ कह हर भहवभ शहक सखिल

सपुन-सपुन कर कणर अधभर हहआ,

क्षण एक तजनक गवंभभर हहआ,

जफर कहह "बडभ यह महयह हह,

जह कपु छि आपनल बतहयह हह

जदनमजण सल सपुनकर वहभ कथह

मह भहग चपुकह हहह ग्लहजन व्यथह

"मह ध्यहन जन्म कह धरतह हहह,

उन्मन यह सहचह करतह हहह,

कह सभ हहगभ वह महह करहल,


जनज तन सल जह जशशपु कह जनकहल

धहरहओवं मम धर आतभ हह,

अथवह जभजवत दफनहतभ हह?

"सलवतभ महस दस तक जजसकह,

पहलतभ उदर मम रखि जजसकह,

जभवन कह अवंश जखिलहतभ हह,

अन्तर कह रुजधर जपलहतभ हह

आतभ जफर उसकह फम क कहह,

नहजगन हहगभ वह नहरर नहह

"हल कवृ ष्ण आप चपुप हभ रजहयल,

इस पर न अजधक कपु छि भभ कजहयल

सपुननह न चहहतल तजनक शवण,

जजस महह नल मलरह जकयह जनन

वह नहह नहरर कपु ल्पहलभ थभ,

सजपरणभ परम जवकरहलभ थभ

"पत्थर समहन उसकह जहय थह,

सपुत सल समहज बढ कर जपय थह

गहदभ मम आग लगह कर कल ,

मलरह कपु ल-ववंश जछिपह कर कल

दपुश्मन कह उसनल कहम जकयह,

महतहओवं कह बदनहम जकयह

"महह कह पय भभ न पभयह महनल,

उलटल अजभशहप जलयह महनल


वह तह यशजस्वनभ बनभ रहभ,

सबकक भपौ मपुझ पर तनभ रहभ

कन्यह वह रहभ अपररणभतह,

जह कपु छि बभतह, मपुझ पर बभतह

"मह जहतभ गहत्रि सल दभन, हभन,

रहजहओवं कल सम्मपुखि मलभन,

जब रहज अनहदर पहतह थह,

कह 'शफद' पपुकहरह जहतह थह

पत्थर कक छिहतभ फटभ नहभ,

कपु न्तभ तब भभ तह कटभ नहह

"मह सफत-ववंश मम पलतह थह,

अपमहन अनल मम जलतह थह,

सब दलखि रहभ थभ दृश्य पवृथह,

महह कक ममतह पर हहई ववृथह

जछिप कर भभ तह सपुजध लल न सकक

छिहयह अवंचल कक दल न सकक

"पह पहहच तनय फफ लभ फफ लभ,

जदन-रहत बडल सपुखि मम भफलभ

कपु न्तभ गपौरव मम चफर रहभ,

मपुझ पजतत पपुत्रि सल दफर रहभ

क्यह हहआ कक अब अकपु लहतभ हह?

जकस कहरण मपुझल बपुलहतभ हह?

"क्यह पहहच पपुत्रि हह जहनल पर,


सपुत कल धन धहम गवंवहनल पर

यह महहनहश कल छिहनल पर,

अथवह मन कल घबरहनल पर

नहररयहह सदय हह जहतभ हह

जबछिपुडहह कह गलल लगहतभ हह?

"कपु न्तभ जजस भय सल भरभ रहभ,

तज मपुझल दफर हट खिडभ रहभ

वह पहप अभभ भभ हह मपुझमम,

वह शहप अभभ भभ हह मपुझमम

क्यह हहआ कक वह डर जहयलगह?

कपु न्तभ कह कहट न खिहयलगह?

"सहसह क्यह हहल जवजचत्रि हहआ,

मह कह सल पपुण्य-चररत्रि हहआ?

कपु न्तभ कह क्यह चहहतह ह्रदय,

मलरह सपुखि यह पहवंडव कक जय?

यह अजभनन्दन नफतन क्यह हह?

कल शव! यह पररवतरन क्यह हह?

"मह हहआ धनपुधरर जब नहमभ,

सब लहग हहए जहत कल कहमभ

पर ऐसह भभ थह एक समय,

जब यह समहज जनषह र जनदरय

जकवंजचत न स्नलह दशहरतह थह,

जवष-व्यवंग सदह बरसहतह थह


"उस समय सपुअवंक लगह कर कल ,

अवंचल कल तलल जछिपह कर कल

चपुम्बन सल कपौन मपुझल भर कर,

तहडनह-तहप ललतभ थभ हर?

रहधह कह छिहड भजफवं जकसकह,

जननभ हह वहभ, तजफवं जकसकह?

"हल कवृ ष्ण ! ज़रह यह भभ सपुजनए,

सच हह कक झफठ मन मम गपुजनयल

धफलण मम मह थह पडह हहआ,

जकसकह सनलह पह बडह हहआ?

जकसनल मपुझकह सम्महन जदयह,

नवृपतह दल मजहमहवहन जकयह?

"अपनह जवकहस अवरुद दलखि,

सहरल समहज कह कपु द दलखि

भभतर जब टफ ट चपुकह थह मन,

आ गयह अचहनक दपुयर्योधन

जनश्छिल पजवत्रि अनपुरहग जलए,

मलरह समस्त सपौभहग्य जलए

"कपु न्तभ नल कल वल जन्म जदयह,

रहधह नल महह कह कमर जकयह

पर कहतल जजसल असल जभवन,

दलनल आयह वह दपुयर्योधन

वह नहह जभन महतह सल हह


बढ कर सहदर भहतह सल हह

"रहजह रवंक सल बनह कर कल ,

यश, महन, मपुकपुट पहनह कर कल

बहवंहण मम मपुझल उठह कर कल ,

सहमनल जगत कल लह करकल

करतब क्यह क्यह न जकयह उसनल

मपुझकह नव-जन्म जदयह उसनल

"हह ऋणभ कणर कह रहम-रहम,

जहनतल सत्य यह सफयर-सहम

तन मन धन दपुयर्योधन कह हह,

यह जभवन दपुयर्योधन कह हह

सपुर पपुर सल भभ मपुखि महडफ हगह,

कल शव ! मह उसल न छिहडफ वंगह

"सच हह मलरभ हह आस उसल,

मपुझ पर अटफ ट जवश्वहस उसल

हहह सच हह मलरल हभ बल पर,

ठहनह हह उसनल महहसमर

पर मह कह सह पहपभ हहहगह?

दपुयर्योधन कह धहखिह दफहगह?

"रह सहथ सदह खिललह खिहयह,

सपौभहग्य-सपुयश उससल पहयह

अब जब जवपजत आनल कह हह,

घनघहर पलय छिहनल कह हह


तज उसल भहग यजद जहऊवंगह

कहयर, कवृ तरन कहलहऊहगह

"कपु न्तभ कह मह भभ एक तनय,

जजसकह हहगह इसकह पत्यय

सवंसहर मपुझल जधकहरलगह,

मन मम वह यहभ जवचहरलगह

जफर गयह तपुरत जब रहज्य जमलह,

यह कणर बडह पहपभ जनकलह

"मह हभ न सहहवंगह जवषम डवंक,

अजपुरन पर भभ हहगह कलवंक

सब लहग कहमगल डर कर हभ,

अजपुरन नल अदपुत नभजत गहभ

चल चहल कणर कह फहड जलयह

सम्बन्ध अनहखिह जहड जलयह

"कहई भभ कहह न चफकलगह,

सहरह जग मपुझ पर थफकलगह

तप त्यहग शभल, जप यहग दहन,

मलरल हणगल जमटभ समहन

लहभभ लहलचभ कहहऊहगह

जकसकह क्यह मपुखि जदखिलहऊहगह?

"जह आज आप कह रहल आयर,

कपु न्तभ कल मपुखि सल कवृ पहचहयर

सपुन वहभ हहए लजज्जत हहतल,


हम क्यण रण कह सजज्जत हहतल

जमलतह न कणर दपुयर्योधन कह,

पहवंडव न कभभ जहतल वन कह

"ललजकन नपौकह तट छिहड चलभ,

कपु छि पतह नहह जकस ओर चलभ

यह बभच नदभ कक धहरह हह,

सफझतह न कफ ल-जकनहरह हह

लल लभल भलल यह धहर मपुझल,

लपौटनह नहह स्वभकहर मपुझल

"धमहरजधरहज कह ज्यलष बनफह,

भहरत मम सबसल शलष बनफह?

कपु ल कक पहशहक पहन कर कल ,

जसर उठह चलफह कपु छि तन कर कल ?

इस झफठ-मफठ मम रस क्यह हह?

कल शव ! यह सपुयश - सपुयश क्यह हह?

"जसर पर कपु लभनतह कह टभकह,

भभतर जभवन कह रस फककह

अपनह न नहम जह लल सकतल,

पररचय न तलज सल दल सकतल

ऐसल भभ कपु छि नर हहतल हह

कपु ल कह खिहतल औ' खिहतल हह

Part 6
"जवकमभ पपुरुष ललजकन जसर पर,

चलतह नह छित्रि पपुरखिण कह धर.

अपनह बल-तलज जगहतह हह,

सम्महन जगत सल पहतह हह.

सब दलखि उसल ललचहतल हह,

कर जवजवध यत्न अपनहतल हह

"कपु ल-गहत्रि नहभ सहधन मलरह,

पपुरुषहथर एक बस धन मलरह.

कपु ल नल तह मपुझकह फम क जदयह,

महनल जहम्मत सल कहम जलयह

अब ववंश चजकत भरमहयह हह,

खिपुद मपुझल ढफ डह नल आयह हह.

"ललजकन मह लपौट चलफहगह क्यह?

अपनल पण सल जवचरहगह क्यह?

रण मल कपु रपजत कह जवजय वरण,

यह पहथर हहथ कणर कह मरण,

हल कवृ ष्ण यहभ मजत मलरभ हह,

तभसरभ नहभ गजत मलरभ हह.

"महत्रिभ कक बडभ सपुखिद छिहयह,

शभतल हह जहतभ हह कहयह,

जधकहर-यहग्य हहगह वह नर,

जह पहकर भभ ऐसह तरुवर,

हह अलग खिडह कटवहतह हह


खिपुद आप नहह कट जहतह हह.

"जजस नर कक बहह गहभ महनल,

जजस तरु कक छिहहह गजह महनल,

उस पर न वहर चलनल दफहगह,

कह सल कपु ठहर चलनल दफहगह,

जभतल जभ उसल बचहऊहगह,

यह आप स्वयवं कट जहऊहगह,

"जमत्रितह बडह अनमहल रतन,

कब उसल तहल सकतह हह धन?

धरतभ कक तह हह क्यह जबसहत?

आ जहय अगर बहकवंपु ठ हहथ.

उसकह भभ न्यहछिहवर कर दफह,

कपु रपजत कल चरणण मम धर दफह.

"जसर जलए स्कवंध पर चलतह हहह,

उस जदन कल जलए मचलतह हहह,

यजद चलल वज्र दपुयर्योधन पर,

लल लफह बढकर अपनल ऊपर.

कटवह दफह उसकल जलए गलह,

चहजहए मपुझल क्यह और भलह?

"समहट बनमगल धमररहज,

यह पहएगह कपु ररज तहज,

लडनह भर मलरह कम रहह,

दपुयर्योधन कह सवंग्रहम रहह,


मपुझकह न कहह कपु छि पहनह हह,

कल वल ऋण महत्रि चपुकहनह हह.

"कपु ररहज्य चहहतह मह कब हहह?

सहमहज्य चहहतह मह कब हहह?

क्यह नहह आपनल भभ जहनह?

मपुझकह न आज तक पहचहनह?

जभवन कह मफल्य समझतह हहह,

धन कह मह धफल समझतह हहह.

"धनरहजश जहगनह लक्ष्य नहह,

सहमहज्य भहगनह लक्ष्य नहह.

भपुजबल सल कर सवंसहर जवजय,

अगजणत समवृजदयण कह सन्चय,

दल जदयह जमत्रि दपुयर्योधन कह,

तवृष्णह छिफ भभ नह सकक मन कह.

"वहभव जवलहस कक चहह नहह,

अपनभ कहई परवहह नहह,

बस यहभ चहहतह हहह कल वल,

दहन कक दलव सररतह जनमरल,

करतल सल झरतभ रहल सदह,

जनधरन कह भरतभ रहल सदह.

Part 7

"तपुच्छि हह रहज्य क्यह हह कल शव?

पहतह क्यह नर कर पहप जवभव?


जचवंतह पभफत, अत्यल्प हहस,
कपु छि चहकजचक्य, कपु छि पल जवलहस,
पर वह भभ यहह गवहनह हह,
कपु छि सहथ नहभ लल जहनह हह.

"मपुझसल मनपुष्य जह हहतल हह,


कवंचन कह भहर न ढहतल हह,
पहतल हह धन जबखिरहनल कह,
लहतल हह रतन लपुटहनल कह,
जग सल न कभभ कपु छि ललतल हह,
दहन हभ हृदय कह दलतल हह.

"पहसहदण कल कनकहभ जशखिर,

हहतल कबफतरण कल हभ घर,


महलण मम गरुड नह हहतह हह,
कवंचन पर कभभ न सहतह हह.
रहतह वह कहह पहहडण मम,
शहलण कक फटभ दरहरण मम.

"हहकर सपुखि-समवृजद कल अधभन,

महनव हहतह जनज तप क्षभण,


सतह जकरभट मजणमय आसन,
करतल मनपुष्य कह तलज हरण.
नर जवभव हलतपु लहलचहतह हह,
पर वहभ मनपुज कह खिहतह हह.

"चहहदनभ पपुष्प-छिहयह मल पल,

नर भलल बनल सपुमधपुर कहमल,


पर अमवृत कल श कह जपए जबनह,
आतहप अवंधड मम जजए जबनह,
वह पपुरुष नहभ कहलह सकतह,
जवरनण कह नहभ जहलह सकतह.

"उडतल जह झवंझहवतण मम,


पभतल सह वहरभ पपहतह मम,
सहरह आकहश अयन जजनकह,
जवषधर भपुजवंग भहजन जजनकह,
वल हभ फहजनबवंध छिपुडहतल हह,
धरतभ कह हृदय जपुडहतल हह.

"मह गरुड कवृ ष्ण मह पजक्षरहज,


जसर पर नह चहजहए मपुझल तहज.
दपुयर्योधन पर हह जवपद घहर,
सकतह न जकसभ जवजध उसल छिहड,
रण-खिलत पहटनह हह मपुझकह,
अजहपहश कहटनह हह मपुझकह.
"सवंग्रहम जसवंधपु लहरहतह हह,
सहमनल पलय घहरहतह हह,
रह रह कर भपुजह फडकतभ हह,
जबजलभ-सभ नसम कडकतह हह,
चहहतह तपुरत मह कफ द पडफ ,
जभतफवं कक समर मल डफ ब मरवं.

"अब दलर नहभ ककजह कल शव,


अवसलर नहभ ककजह कल शव.
धनपु कक डहरभ तन जहनल दम,
सवंग्रहम तपुरत ठन जहनल दम,
तहवंडवभ तलज लहरहएगह,
सवंसहर ज्यहजत कपु छि पहएगह.

"हहह, एक जवनय हह मधपुसफदन,


मलरभ यह जन्मकथह गहपन,
मत कभभ यपुजधजषर सल कजहए,
जहसल हह इसल जछिपह रजहए,
वल इसल जहन यजद पहएहगल,

जसवंहहसन कह ठपु करहएहगल.


"सहमहज्य न कभभ स्वयवं लमगल,
सहरभ सवंपजत मपुझल दमगल.
मह भभ नह उसल रखि पहऊहगह,

दपुयर्योधन कह दल जहऊहगह.
पहवंडव ववंजचत रह जहएहगल,
दपुखि सल न छिफट वल पहएहगल.
"अच्छिह अब चलह पमहण आयर,

हह जसद समर कल शभघ कहयर.


रण मल हभ अब दशरन हणगल,
शहर सल चरण:स्पशरन हणगल.
जय हह जदनलश नभ मम जवहरम,
भफतल मल जदव्य पकहश भरम."

रथ सल रधलय उतहर आयह,

हरर कल मन मल जवस्मय छिहयह,


बहलल जक "वभर शत बहर धन्य,
तपुझसह न जमत्रि कहई अनन्य,
तफ कपु रपजत कह हभ नहभ पहण,
नरतह कह हह भफषण महहन."

Chaturth Sarg
Part 1

पलमयज अजत कजठन, कपु ण्ड मम कपौन वभर बजल दलगह?

तन, मन, धन, सवरस्व हहम कर अतपुलनभय यश ललगह?

हरर कल सम्मपुखि भभ न हहर जजसकक जनषह नल महनभ,

धन्य धन्य रहधलय! बवंधपुतह कल अदपुत अजभमहनभ।

पर, जहनल क्यण, जनयम एक अदपुत जग मम चलतह हह,

भहगभ सपुखि भहगतह, तपस्वभ और अजधक जलतह हह।

हररयहलभ हह जहहवं, जलद भभ उसभ खिण्ड कल वहसभ,

मरु कक भफजम मगर,रह जहतभ हह प्यहसभ कक प्यहसभ।

और, वभर जह जकसभ पजतजह पर आकर अडतह हह,

सचमपुच, उसकल जलए उसल सब कपु छि दलनह पडतह हह।

नहह सदह भभजषकह दपौडतभ द्वहर पहप कह पहकर,

दपुछखि भहगतह कभभ पपुण्य कह भभ मनपुष्य अपनहकर।

पर, तब भभ रलखिह पकहश कक जहहवं कहह हहसतभ हह,

वहहह जकसभ पज्वजलत वभर नर कक आभह बस्तभ हह।

जजसनल छिहडभ नहह लभक जवपदहओवं सल घबरह कर,

दभ जग कह रपौशनभ टलक पर अपनभ जहन गवंवहकर।

नरतह कह आदशर तपस्यह कल भभतर पलतह हह,

दलतह वहभ पकहश, आग मम जह अभभत जलतह हह।

आजभवन झललतल दहह कह दवंश वभर-व्रतधहरभ,

हह पहतल तब कहह अमरतह कल पद कल अजधकहरभ।

पण करनह हह सहज, कजठन हह ललजकन, उसल जनभहनह,


सबसल बडभ जहवंच हह व्रत कह अवंजतम महल चपुकहनह।

अवंजतम मफल्य न जदयह अगर, तह और मफल्य दलनह क्यह?

करनल लगल महह पहणण कह - तह जफर पण ललनह क्यह?

सस्तभ ककमत पर जबकतभ रहतभ जब तक कपु बहरनभ ,

तब तक सभभ बनल रह सकतल हह त्यहगभ, बजलदहनभ।

पर, महवंगभ मम महल तपस्यह कह दलनह दपुष्कर हह,

हवंस कर दल यह मफल्य, न जमलतह वह मनपुष्य घर घर हह।

जभवन कह अजभयहन दहन-बल सल अजस चलतह हह,

उतनभ बढतभ ज्यहजत, स्नलह जजतनह अनल्प जलतह हह|

और दहन मल रहकर यह हहसकर हम जह दलतल हह,

अहवंकहर-वश उसल स्वत्व कह त्यहग महन ललतल हह|

यह न स्वत्व कह त्यहग, दहन तह जभवन कह झरनह हह,

रखिनह उसकह रहक मवृत्यपु कल पहलल हभ मरनह हह।

जकस पर करतल कवृ पह ववृक्ष यजद अपनह फल दलतल हह?

जगरनल सल उसकह सवंभहल क्यण रहक नहह ललतल हह?

ऋतपु कल बहद फलण कह रुकनह डहलण कह सडनह हह,

महह जदखिहनह दलय वहस्तपु पर आत्मघहत करनह हह।

दलतल तरु इसजलए जक रलशण मम मत ककट समहयम

रहल डहजलयहह स्वस्थ और जफर नए नए फल आयम।

सररतह दलतभ वहरर जक पहकर उसल सपुपफररत घन हह,

बरसल मलघ, भरल जफर सररतह, उजदत नयह जभवन हह।

आत्मदहन कल सहथ जगज्जभवन कह ऋजपु नहतह हह,


जह दलतह जजतनह बदलल मम उतनह हभ पहतह हह।

जदखिलहनह कहपरण्य आप, अपनल धहखिह खिहनह हह,

रखिनह दहन अपफणर, ररजक जनज कह हभ रह जहनह हह।

व्रत कह अवंजतम महल चपुकहतल हहए न जह रहतल हह,

पफणर-कहम जभवन सल एकहकहर वहभ हहतल हह।

जह नर आत्म-दहन सल अपनह जभवन-घट भरतह हह,

वहभ मवृत्यपु कल मपुखि मल भभ पडकर न कभभ मरतह हह।

जहहह कहह हह ज्यहजत जगत मम, जहहह कहह उजजयहलह,

वहहह खिडह हह कहई अवंजतम महल चपुकहनलवहलह।

व्रत कह अवंजतम महल रहम नल जदयह, त्यहग सभतह कह,

जभवन कक सवंजगनभ, पहण कक मजण कह, सपुपपुनभतह कह।

जदयह अजस्थ दलकर दधभजच नम, जशजव नल अवंग कतर कर,

हररश्चन्द नल कफन महहगतल हहए सत्य पर अड कर।

ईसह नल सवंसहर-हलतपु शफलभ पर पहण गहवह कर,

अवंजतम मफल्य जदयह गहहधभ नल तभन गहजलयहह खिहकर।

सपुन अवंजतम ललकहर महल महहगतल हहए जभवन कक,

सरमद नल हहसकर उतहर दभ त्वचह समफचल तन कक।

हहसकर जलयह मरण ओठण पर, जभवन कह व्रत पहलह,

अमर हहआ सपुकरहत जगत मल पभकर जवष कह प्यहलह।

महरकर भभ मनसफर जनयजत कक सह पहयह नह जठठहलभ,

उतर मल सपौ बहर चभखिकर बहटभ-बहटभ बहलभ।

दहन जगत कह पकवृ त धमर हह, मनपुज व्यथर डरतह हह,


एक रहज तह हमम स्वयवं सब-कपु छि दलनह पडतह हह।

बचतल वहभ, समय पर जह सवरस्व दहन करतल हह,

ऋतपु कह जहन नहभ जजनकह, वल दलकर भभ मरतल हह।

Part 2

वभर कणर, जवकमभ, दहन कह अजत अमहघ व्रतधहरभ,

पहल रहह थह बहहत कहल सल एक पपुण्य-पण भहरभ.

रजव-पफजन कल समय सहमनल जह यहचक आतह थह,

मपुहह-महहगह वह दहन कणर सल अनहयहस पहतह थह

पहर रहभ थभ मपुक चतपुजदरक यश कक जवमल पतहकह,

कणर नहम पड गयह दहन कक अतपुलनभय मजहमह कह.

शदह-सजहत नमन करतल सपुन नहम दलश कल जहनभ,

अपनह भहग्य समझ भजतल थल उसल भहग्यहत पहणभ.

तब कहतल हह, एक बहर हटकर पत्यक्ष समर सल,

जकयह जनयजत नल वहर कणर पर, जछिपकर पपुण्य-जववर सल.

व्रत कह जनकष दहन थह, अबकक चढभ जनकष पर कहयह,

कजठन मफल्य महहगनल सहमनल भहग्य दलह धर आयह.

एक जदवहस जब छिहड रहल थल जदनमजण मध्य गगन कह,

कणर जहह्नवभ-तभर खिडह थह मपुजदत जकए नयन कह.

कजट तक डफ बह हहआ सजलल मम जकसभ ध्यहन मल रत-सह,

अम्बपुजध मल आकटक जनमजज्जत कनक-खिजचत पवरत-सह.

हहसतभ थह रजश्मयहह रजत सल भर कर वहरर जवमल कह,

हह उठतभ थह स्वयवं स्वणर छिफ कवच और कपुवं डल कह.

जकरण-सपुधह पभ स्वयवं महद मम भरकर दमक रहह थह,


कदलभ मम जचकनल पहतह पर पहरद चमक रहह थह.

जवहग लतह-वभरध-जवतहन मम तट पर चहक रहल थल,

धफप, दभप, कपफरर, फफ ल, सब जमलकर महक रहल थल.

पफरभ कर पफजह-उपहसनह ध्यहन कणर नल खिहलह,

इतनल मम ऊपर तट पर खिर-पहत कहह कपु छि डहलह.

कहह कणर नल, "कपौन उधर हह? बवंधपु सहमनल आओ,

मह पस्तपुत हह चपुकह, स्वस्थ हह, जनज आदलश सफनहओ.

अपनभ पभडह कहह, कणर सबकह जवनभत अनपुचर हह,

यह जवपन कह सखिह तपुम्हहरभ सलवह मल तत्पर हह.

'महहगह महहगह दहन, अन यह वसन, धहम यह धन दफह?

अपनह छिहटह रहज्य यह कक यह क्षजणक, क्षपुद जभवन दफह?

मलघ भलल लपौटल उदहस हह जकसभ रहज सहगर सल,

यहचक जफर सकतल जनरहश पर, नहह कणर कल घर सल.

'पर कह दपुछखि हरण करनल मम हभ अपनह सपुखि महनह,

भग्यहभन महनल जभवन मम और स्वहद क्यह जहनह?

आओ, उऋण बनफह तपुमकह भभ न्यहस तपुम्हहरह दलकर,

उपकवृ त करह मपुझल, अपनभ जसवंजचत जनजध मपुझसल ललकर.

'अरल कपौन हह जभक्षपु यहहह पर और कपौन दहतह हह?

अपनह हभ अजधकहर मनपुज नहनह जवजध सल पहतह हह.

कर पसहर कर जब भभ तपुम मपुझसल कपु छि लल ललतल हह,

तवृप भहव सल हलर मपुझल क्यह चभज नहह दलतल हह?

'दभनण कह सवंतहष, भहग्यहभनण कक गदगद वहणभ,


नयन कहर मल भरह लबहलब कवृ तजतह कह पहनभ,

हह जहनह जफर हरह यपुगण सल मपुरझहए अधरण कह,

पहनह आशभवरचन, पलम, जवश्वहस अनलक नरण कह.

'इससल बढकर और पहजप क्यह जजस पर गवर करह मह?

पर कह जभवन जमलल अगर तह हहस कर क्यण न मरवं मह?

महल-तहल कपु छि नहह, महहग लह जह कपु छि तपुम्हम सपुहहए,

मपुहहमहहगह हभ दहन सभभ कह हम हह दलतल आएह

Part 3

जगरह गहन सपुन चजकत और मन-हभ-मन-कपु छि भरमहयह,

लतह-ओट सल एक जवप सहमनल कणर कल आयह,

कहह जक 'जय हह, हमनल भभ हह सपुनभ सपुककजतर कहहनभ,

नहह आज कहई जत्रिलहक मम कहह आप-सह दहनभ.

'नहह जफरहतल एक बहर जह कपु छि मपुखि सल कहतल हह,

पण पहलन कल जलए आप बहह भहहजत कष सहतल हह.

आश्वहसन सल हभ अभभत हह सपुखि जवपन पहतह हह,

कणर-वचन सवरत्रि कहयरवहचक महनह जहतह हह.

'लहग जदव्य शत-शत पमहण जनषह कल बतलहतल हह,

जशजव-दजधजच-पहहद कहजट मम आप जगनल जहतल हह.

सबकह हह जवश्वहस, मवृत्यपु सल आप न डर सकतल हह,

हहस कर पण कल जलए पहण न्यहछिहवर कर सकतल हह.

'ऐसह हह तह मनपुज-लहक, जनश्चय, आदर पहएगह.

स्वगर जकसभ जदन भभखि महहगनल जमटभ पर आएगह.


जकवंतपु भहग्य हह बलभ, कपौन, जकससल, जकतनह पहतह हह,

यह ललखिह नर कल ललहट मम हभ दलखिह जहतह हह.

'क्षपुद पहत्रि हह मग कफ प मम जजतनह जल ललतह हह,

उससल अजधक वहरर सहगर भभ उसल नहह दलतह हह.

अतछ, व्यथर हह दलखि बडण कह बडभ वहस्तपु कक आशह,

जकस्मत भभ चहजहए, नहह कल वल ऊहचभ अजभलहषह.'

कहह कणर नल, 'ववृथह भहग्य सल आप डरल जहतल हह,

जह हह सम्मपुखि खिडह, उसल पहचहन नहह पहतल हह.

जवजध नल क्यह थह जलखिह भहग्य मम, खिफब जहनतह हहह मह,

बहहण कह, पर, कहह भहग्य सल बलभ महनतह हहह मह.

'महहरहज, उदम सल जवजध कह अवंक उलट जहतह हह,

जकस्मत कह पहशह पपौरुष सल हहर पलट जहतह हह.

और उच अजभलहषहएह तह मनपुज महत्रि कह बल हह,

जगह-जगह कर हमम वहभ तह रखितभ जनज चवंचल हह.

'आगल जजसकक नजर नहह, वह भलह कहहह जहएगह?

अजधक नहह चहहतह, पपुरुष वह जकतनह धन पहएगह?

अच्छिह, अब उपचहर छिहड, बहजलए, आप क्यह लमगल,

सत्य महजनयल, जह महहगगम म आप, वहभ हम दमगल.

'महभ डहलतभ और डहलतह नभ मल दलव-जनलय भभ,

कभभ-कभभ डहलतह समर मम जकवंजचत वभर-हृदय भभ.

डहलल मफल अचल पवरत कह, यह डहलल धपुवतहरह,

सब डहलम पर नहभ डहल सकतह हह वचन हमहरह.'


भलभ-भहहजत कस कर दहतह कह, बहलह नभच जभखिहरभ,

'धन्य-धन्य, रहधलय! दहन कल अजत अमहघ व्रत धहरभ.

ऐसह हह औदहयर, तभभ तह कहतह हर यहचक हह,

महहरहज कह वचन सदह, सवरत्रि जकयहवहचक हह.

'मह सब कपु छि पह गयह पहप कर वचन आपकल मपुखि सल,

अब तह मह कपु छि जलए जबनह भभ जह सकतह हहह सपुखि सल.

क्यणजक महहगनह हह जह कपु छि उसकह कहतल डरतह हहह,

और सहथ हभ, एक जद्वधह कह भभ अनपुभव करतह हहह.

'कहह आप दल सकल नहह, जह कपु छि मह धन महहगफवंगह,

मह तह भलह जकसभ जवजध अपनभ अजभलहषह त्यहगफवंगह.

जकवंतपु आपकक ककजतर-चहहदनभ फककक हह जहएगभ,

जनष्कलवंक जवधपु कहहह दफसरह जफर वसपुधह पहएगभ.

'हह सपुकमर, क्यह सवंकट मल डहलनह मनस्वभ नर कह?

पण सल जडगह आपकह दफहगह क्यह उतर जग भर कह?

सब कहसमगम मपुझल जक महनल पपुण्य महभ कह लफटह,

मलरल हभ कहरण अभवंग पण महहरहज कह टफ टह.

'अतछ जवदह दम मपुझल, खिपुशभ सल मह वहपस जहतह हहह.'

बहल उठह रहधलय, 'आपकह मह अदपुत पहतह हहह.

सपुर हह, यह जक यक्ष हह अथवह हरर कल महयहचर हह,

समझ नहह पहतह जक आप नर हह यह यहजन इतर हह.

'भलह कपौन-सभ वस्तपु आप मपुझ नश्वर सल महहगगम ल,

जजसल नहह पहकर, जनरहश हह, अजभलहषह त्यहगमगल?


गह, धरतभ, धन, धहम वस्तपु जजतनभ चहहल जदलवह दफह,

इच्छिह हह तह शभश कहट कर पद पर यहह चढह दफह.

'यह यजद सहथ जलयह चहहम जभजवत, सदलह मपुझकह हभ,

तह भभ वचन तहडकर हहहगह नहह जवप कह दहहभ.

चजलए सहथ चलफहगह मह सहकल्य आप कह ढहतल,

सहरभ आयपु जबतह दफहगह चरणण कह धहतल-धहतल.

'वचन महहग कर नहह महहगनह दहन बडह अदपुत हह,

कपौन वस्तपु हह, जजसल न दल सकतह रहधह कह सपुत हह?

जवपदलव! ममवंगहइयह छिहड सवंकहच वस्तपु मनचहहभ,

मरवं अयश जक मवृत्यपु, करह यजद एक बहर भभ 'नहहह'

Part 4

सहम गयह सपुन शपथ कणर कक, हृदय जवप कह डहलह,

नयन झपुकहए हहए जभक्षपु सहहस समलट कर बहलह,

'धन कक ललकर भभखि नहह मह घर भरनल आयह हहह,

और नहह नवृप कह अपनह सलवक करनल आयह हहह.

'यह कपु छि मपुझकह नहह चहजहए, दलव धमर कह बल दम,

दलनह हह तह मपुझल कवृ पह कर कवच और कपुवं डल दम.'

'कवच और कपुवं डल!' जवदपुत छिफ गयभ कणर कल तन कह;

पर, कपु छि सहच रहस्य, कहह उसनल गवंभभर कर मन कह.

'समझह, तह यह और न कहई, आप, स्वयवं सपुरपजत हह,

दलनल कह आयल पसन हह तप कह नयभ पगतभ हह.

धन्य हमहरह सपुयश आपकह खिहच महभ पर लहयह,

स्वगर भभखि महहगनल आज, सच हभ, जमटभ पर आयह.


'क्षमह ककजजए, इस रहस्य कह तपुरत न जहन सकह मह,

जछिप कर आयल आप, नहह इससल पहचहन सकह मह.

दभन जवप हभ समझ कहह-धन, धहम, धहरह ललनल कह,

थह क्यह मलरल पहस, अन्यथह, सपुरपजत कह दलनल कह?

'कल वल गन्ध जजन्हल जपय, उनकह स्थफल मनपुज क्यह दलगह?

और व्यहमवहसभ जमटभ सल दहन भलह क्यह ललगह?

जफर भभ, दलवरहज जभक्षपुक बनकर यजद हहथ पसहरल,

जह भभ हह, पर इस सपुयहग कह, हम क्यण अशपुभ जवचरम?

'अतछ आपनल जह महहगह हह दहन वहभ मह दफहगह,

जशजव-दजधजच कक पवंजक छिहडकर जग मम अयश न लफहगह.

पर कहतह हहह, मपुझल बनह जनसहण छिहडतल हह क्यण?

कवच और कपुवं डल लल करकल पहण छिहडतल हह क्यण?

'यह शहयद, इसजलए जक अजपुरन जजए, आप सपुखि लफटल,

व्यथर न उसकल शर अमहघ मपुझसल टकरहकर टफ टल.

उधर करम बहह भहहजत पहथर जक स्वयवं कवृ ष्ण रखिवहलभ,

और इधर मह लडफ जलयल यह दलह कवच सल खिहलभ.

'तजनक सहजचयल, वभरण कह यह यहग्य समर क्यह हहगह?

इस पकहर सल मपुझल महर कर पहथर अमर क्यह हहगह?

एक बहज कह पवंखि तहड कर करनह अभय अपर कह,

सपुर कह शहभल भलल, नभजत यह नहह शहभतभ नर कह.

'यह तह जनहत शरभ पर चढ आखिलटक पद पहनह हह,

जहर पभलह मवृगपजत कह उस पर पपौरुष जदखिलहनह हह.


यह तह सहफ समर सल हहकर भभत जवमपुखि हहनह हह,

जय जनजश्चत हह जहय, तभभ ररपपु कल सम्मपुखि हहनह हह.

'दलवरहज! हम जजसल जभत सकतल न बहहह कल बल सल,

क्यह हह उजचत उसल महरम हम न्यहय छिहडकर छिल सल?

हहर-जभत क्यह चभज? वभरतह कक पहचहन समर हह,

सचहई पर कभभ हहर कर भभ न हहरतह नर हह.

'और पहथर यजद जबनह लडल हभ जय कल जलयल जवकल हह,

तह कहतह हहह, इस जय कह भभ एक उपहय सरल हह.

कजहए उसल, महम कक मलरभ एक मफजतर बनवहए,

और कहट कर उसल, जगत मल कणरजयभ कहलहए.

'जभत सकल गह मपुझल नहह वह और जकसभ जवजध रण मम,

कणर-जवजय कक आश तडप कर रह जहयलगभ मन मम.

जभतल जफझ समर वभरण नल सदह बहहह कल बल सल,

मपुझल छिहड रजक्षत जनमह थह कपौन कवच-कपुवं डल मम?

'मह हभ थह अपवहद, आज वह भभ जवभलद हरतह हहह,

कवच छिहड अपनह शरभर सबकल समहन करतह हहह.

अच्छिह जकयह जक आप मपुझल समतल पर लहनल आयल,

हर तनपुत्रि दहवभय; मनपुज सहमहन्य बनहनल आयल.

'अब नह कहलगह जगत, कणर कह ईश्वरभय भभ बल थह,

जभतह वह इसजलए जक उसकल पहस कवच-कपुवं डल थह.

महहरहज! जकस्मत नल मलरभ कक न कपौन अवहललह?

जकस आपजत-गतर मम उसनल मपुझकह नहभ धकल लह?


Part 5

'जनमह जहनल कहहह, पलह, पद-दजलत सफत कल कपु ल मम,

पररभव सहतह रहह जवफल पहत्सहहन जहत व्यहकपु ल मह,

दहणदलव सल हह जनरहश वन मम भवृगपुपजत तक धहयह

बडभ भजक जक पर, बदलल मम शहप भयहनक पहयह.

'और दहन जजसकल कहरण हभ हहआ ख्यहत मह जहग मम,

आयह हह बन जवरन सहमनल आज जवजय कल मग मल.

बह्मह कल जहत उजचत मपुझल क्यह इस पकहर छिलनह थह?

हवन डहलतल हहए यजह मल मपुझ कह हभ जलनह थह?

'सबकह जमलभ स्नलह कक छिहयह, नयभ-नयभ सपुजवधहएह,

जनयजत भलजतभ रहभ सदह, पर, मलरल जहत जवपदहएह.

मन-हभ-मन सहचतह रहह हहह, यह रहस्य भभ क्यह हह?

खिहज खिहज घलरतभ मपुझभ कह जहनल क्यण जवपदह हह?

'और कहम यजद पफवर जन्म कल पहपण कह यह फल हह.

तह जफर जवजध नल जदयह मपुझल क्यण कवच और कपुवं डल हह?

समझ नहह पडतभ जवरवंजच जक बडभ जजटल हह महयह,

सब-कपु छि पहकर भभ महनल यह भहग्य-दहष क्यण पहयह?

'जजससल जमलतह नहह जसद फल मपुझल जकसभ भभ व्रत कह,

उल्टह हह जहतह पभहव मपुझपर आ धमर सपुगत कह.

गवंगह मम लल जन्म, वहरर गवंगह कह पभ न सकह मह,

जकयल सदह सत्कमर, छिहड जचवंतह पर, जभ न सकह मह.

'जहनल क्यह मलरभ रचनह मम थह उदलश्य पकवृ जत कह?


मपुझल बनह आगहर शफरतह कह, करुणह कह, धवृजत कह,

दलवहपम गपुण सभभ दहन कर, जहनल क्यह करनल कह,

जदयह भलज भफ पर कल वल बहधहओवं सल लडनल कह!

'जफर कहतह हहह, नहह व्यथर रहधलय यहहह आयह हह,

एक नयह सवंदलश जवश्व कल जहत वह भभ लहयह हह.

स्यहत, उसल भभ नयह पहठ मनपुजण कह जसखिलहनह हह,

जभवन-जय कल जलयल कहह कपु छि करतब जदखिलहनह हह.

'वह करतब हह यह जक शफर जह चहहल कर सकतह हह,

जनयजत-भहल पर पपुरुष पहहव जनज बल सल धर सकतह हह.

वह करतब हह यह जक शजक बसतभ न ववंश यह कपु ल मम,

बसतभ हह वह सदह वभर पपुरुषण कल वक्ष पवृथपुल मम.

'वह करतब हह यह जक जवश्व हभ चहहल ररपपु हह जहयल,

दगह धमर दल और पपुण्य चहहल ज्वहलह बरसहयल.

पर, मनपुष्य तब भभ न कभभ सत्पथ सल टल सकतह हह,

बल सल अवंधड कह धकल ल वह आगल चल सकतह हह.

'वह करतब हह यह जक यपुद मल महरह और मरह तपुम,

पर कपु पवंथ मम कभभ जभत कल जलयल न पहहव धरह तपुम.

वह करतब हह यह जक सत्य-पथ पर चहहल कट जहओ,

जवजय-जतलक कल जलए करण मल कहजलखि पर, न लगहओ.

'दलवरहज! छिल, छिद, स्वहथर, कपु छि भभ न सहथ लहयह हहह,

मह कल वल आदशर, एक उनकह बननल आयह हहह,

जजन्हम नहभ अवलम्ब दफसरह, छिहड बहहह कल बल कह,


धमर छिहड भजतल न कभभ जह जकसभ लहभ सल छिल कह.

'मह उनकह आदशर जजन्हम कपु ल कह गपौरव तहडलगह,

'नभचववंशजन्मह' कहकर जजनकह जग जधकहरलगह.

जह समहज कल जवषम वजह्न मम चहरण ओर जलमगल,

पग-पग पर झललतल हहए बहधह जनछसभम चलमगल.

'मह उनकह आदशर, कहह जह व्यथह न खिहल सकम गल,

पफछिलगह जग; जकवंतपु, जपतह कह नहम न बहल सकम गल.

जजनकह जनजखिल जवश्व मम कहई कहह न अपनह हहगह,

मन मम जलए उमवंग जजन्हम जचर-कहल कलपनह हहगह.

'मह उनकह आदशर, जकवंतपु, जह तजनक न घबरहयमगल,

जनज चररत्रि-बल सल समहज मल पद-जवजशष पहयमगल,

जसवंहहसन हभ नहह, स्वगर भभ उन्हम दलखि नत हहगह,

धमर हलतपु धन-धहम लपुटह दलनह जजनकह व्रत हहगह.

'शम सल नहभ जवमपुखि हणगल, जह दपुखि सल नहह डरमगल,

सपुखि क जलए पहप सल जह नर कभभ न सजन्ध करमगल,

कणर-धमर हहगह धरतभ पर बजल सल नहह मपुकरनह,

जभनह जजस अपजतम तलज सल, उसभ शहन सल महरनह

Part 6

'भपुज कह छिहड न मपुझल सहहरह जकसभ और सम्बल कह,

बडह भरहसह थह, ललजकन, इस कवच और कपु ण्डल कह,

पर, उनसल भभ आज दफर सम्बन्ध जकयल ललतह हहह,

दलवरहज! लभजजए खिपुशभ सल महहदहन दलतह हहह.


'यह लभजजए कणर कह जभवन और जभत कपु रपजत कक,

कनक-रजचत जनछशलजण अनफपम जनज सपुत कक उनजत कक.

हलतपु पहवंडवण कल भय कह, पररणहम महहभहरत कह,

अवंजतम मफल्य जकसभ दहनभ जभवन कल दहरुण व्रत कह.

'जभवन दलकर जय खिरभदनह, जग मल यहभ चलन हह,

जवजय दहन करतह न पहण कह रखि कर कहई जन हह.

मगर, पहण रखिकर पण अपनह आज पहलतह हहह मह,

पफणहरहहजत कल जलए जवजय कह हवन डहलतह हहह मह.

'दलवरहज! जभवन मम आगल और ककजतर क्यह लफहगह?

इससल बढकर दहन अनफपम भलह जकसल, क्यह दफहगह?

अब जहकर कजहए जक 'पपुत्रि! मह ववृथह नहह आयह हहह,

अजपुरन! तलरल जलए कणर सल जवजय महहग लहयह हहह.'

'एक जवनय हह और, आप लपौटम जब अमर भपुवन कह,

दम दम यह सफचनह सत्य कल जहत मम, चतपुरहनन कह,

'उद्वलजलत जजसकल जनजमत पवृथ्वभतल कह जन-जन हह,

कपु रुक्षलत्रि मम अभभ शपुर भभ हहआ नहभ वह रण हह.

'दह वभरण नल जकवंतपु, जलयह कर, आपस मम जनपटहरह,

हहआ जयभ रहधलय और अजपुरन इस रण मल हहरह.'

यह कह, उठह कवृ पहण कणर नल त्वचह छिभल क्षण भर मम,

कवच और कपु ण्डल उतहर, धर जदयह इवंद कल कर मम.

चजकत, भभत चहचहह उठल कपुवं जह मम जवहग जबचहरल,

जदशह सन रह गयभ दलखि यह दृश्य भभजत कल महरल.


सह न सकल आघहत, सफयर जछिप गयल सरक कर घन मम,

'सहधपु-सहधपु!' कक जगरह मवंद गफज


ह भ गवंभभर गगन मम.

अपनह कवृ त्य जवचहर, कणर कह करतब दलखि जनरहलह,

दलवरहज कह मपुखिमवंडल पड गयह ग्लहजन सल कहलह.

जकन कवच कह जलए जकसभ जचवंतह मम मगल हहए-सल.

ज्यण-कल -त्यण रह गयल इवंद जडतह मम ठगल हहए-सल.

'पहप हहथ सल जनकल मनपुज कल जसर पर जब छिहतह हह,

तब सत्य हभ, पदहह पहण कह सहह नहभ जहतह हह,

अहवंकहरवश इवंद सरल नर कह छिलनल आए थल,

नहह त्यहग कल महहतलज-सम्मपुखि जलनल आयल थल.

जकन्तपु, जवजशखि जह लगह कणर कक बजल कह आन हृदय मम,

बहहत कहल तक इवंद मपौन रह गयल मग जवस्मय मम.

झपुकह शभश आजख़िर वल बहलल, 'अब क्यह बहत कहहह मह?

करकल ऐसह पहप मफक भभ कह सल, जकन्तपु रहहवं मह?

'पपुत्रि! सत्य तफनल पहचहनह, मह हभ सपुरपजत हहह,

पर सपुरत्व कह भफल जनवलजदत करतह तपुझल पणजत हहह,

दलखि जलयह, जह कपु छि दलखिह थह कभभ न अब तक भफ पर,

आज तपुलह कर भभ नभचल हह महभ, स्वगर हह ऊपर.

'क्यह कह करह पबहध? जभभ कहहपजत, पहण जहलतल हह,

महहगफह क्षमहदहन, ऐसल तह शब्द नहभ जमलतल हह.

दल पहवन पदधफजल कणर! दफसरभ न मलरभ गजत हह,

पहलल भभ थभ भजमत, अभभ भभ फह सभ भवंवर मम मजत हह


'नहह जहनतह थह जक छिद इतनह सवंहहरक हहगह,

दहन कवच-कपु ण्डल कह - ऐसह हृदय-जवदहरक हहगह.

मलरल मन कह पहप मपुझभ पर बन कर धफम जघरलगह,

वज्र भलद कर तपुझल, तपुरत मपुझ पर हभ आन जगरलगह.

'तलरल महहतलज कल आगल मजलन हहआ जहतह हहह,

कणर! सत्य हभ, आज स्वयवं कह बडह क्षपुद पहतह हहह.

आह! खिलभ थभ कभभ नहह मपुझकह यण लघपुतह मलरभ,

दहनभ! कहह जदव्यह हह मपुझसल आज छिहहह भभ तलरभ.

'तवृण-सह जववश डफ बतह, उगतह, बहतह, उतरहतह हहह,

शभल-जसवंधपु कक गहरहई कह पतह नहह पहतह हहह.

घफम रहभ मन-हभ-मन ललजकन, जमलतह नहह जकनहरह,

हहई परभक्षह पफणर, सत्य हभ नर जभतह सपुर हहरह

Part 7

'हहह, पड पपुत्रि-पलम मम आयह थह छिल हभ करनल कह,

जहन-बफझ कर कवच और कपु ण्डल तपुझसल हरनल कह,

वह छिल हहआ पजसद जकसल, क्यह मपुखि अब जदखिलहऊवंगह,

आयह थह बन जवप, चहर बनकर वहपस जहऊहगह.

'ववंदनभय तफ कणर, दलखिकर तलज जतग्म अजत तलरह,

कहहप उठह थह आतल हभ दलवत्वपफणर मन मलरह.

जकन्तपु, अभभ तह तपुझल दलखि मन और डरह जहतह हह,

हृदय जसमटतह हहआ आप-हभ-आप मरह जहतह हह.

'दभखि रहह तफ मपुझल ज्यहजत कल उज्ज्वल शहल अचल-सह,


कहजट-कहजट जन्मण कल सवंजचत महपपुण्य कल फल-सह.

जत्रिभपुवन मम जजन अजमत यहजगयण कह पकहश जगतह हह,

उनकल पफवंजभभफत रप-सह तफ मपुझकह लगतह हह.

'खिडल दभखितल जगजनयतह पभछिल तपुझल गगन मम,

बडल पलम सल जलए तपुझल ज्यहजतमरय आजलवंगन मम.

दहन, धमर, अगजणत व्रत-सहधन, यहग, यज, तप तलरल,

सब पकहश बन खिडल हहए हह तपुझल चतपुजदरक घलरल.

'महभ मग हह तपुझल अवंक मम ललकर इठलहतभ हह,

मस्तक सफवंघ स्वत्व अपनह यह कहकर जतलहतभ हह.

'इसनल मलरल अजमत मजलन पपुत्रिण कह दपुखि मलटह हह,

सफयरपपुत्रि यह नहह, कणर मपुझ दपुजखियह कह बलटह हह.'

'तफ दहनभ, मह कपु जटल पववंचक, तफ पजवत्रि, मह पहपभ,

तफ दलकर भभ सपुखिभ और मह ललकर भभ पररतहपभ.

तफ पहहहचह हह जहहह कणर, दलवत्व न जह सकतह हह,

इस महहन पद कह कहई महनव हभ पह सकतह हह.

'दलखि न सकतह अजधक और मह कणर, रप यह तलरह,

कहट रहह हह मपुझल जहगकर पहप भयहनक मलरह.

तलरल इस पहवन स्वरप मम जजतनह हभ पगतह हहह,

उतनह हभ मह और अजधक बबरर-समहन लगतह हहह.

'अतछ कणर! कर कवृ पह यहहह सल मपुझल तपुरत जहनल दह,

अपनल इस दफदरषर तलज सल त्रिहण मपुझल पहनल दह.

मगर जवदह दलनल कल पहलल एक कवृ पह यह कर दह,


मपुझ जनषह र सल भभ कहई लल महहग सहच कर वर लह.

कहह कणर नल, 'धन्य हहआ मह आज सभभ कपु छि दलकर,

दलवरहज! अब क्यह हहगह वरदहन नयह कपु छि ललकर?

बस, आजशष दभजजए, धमर मल मलरह भहव अचल हह,

वहभ छित्रि हह, वहभ मपुकपुट हह, वहभ कवच-कपु ण्डल हह.

दलवरहज बहलल जक, 'कणर! यजद धमर तपुझल छिहडलगह,

जनज रक्षह कल जलए नयह सम्बन्ध कहहह जहडलगह?

और धमर कह तफ छिहडलगह भलह पपुत्रि! जकस भय सल?

अभभ-अभभ रक्खिह जब इतनह ऊपर उसल जवजय सल.

धमर नहह, महनल तपुझसल सल जह वस्तपु हरण कर लभ हह,

छिल सल कर आघहत तपुझल जह जनस्सहहयतह दभ हह.

उसल दफर यह कम करनल कक हह मपुझकह अजभलहषह,

पर, स्वलच्छिह सल नहह पफजनल दलगह तफ यह आशह.

'तफ महहगम कपु छि नहह, जकन्तपु मपुझकह अवश्य दलनह हह,

मन कह कजठन बहझ थहडह-सह हल्कह कर ललनह हह.

लल अमहघ यह अस, कहल कह भभ यह खिह सकतह हह,

इसकह कहई वहर जकसभ पर जवफल न जह सकतह हह.

'एक बहर हभ मगर, कहम तफ इससल लल पहयलगह,

जफर यह तपुरत लपौट कर मलरल पहस चलह जहयलगह.

अतछ वत्स! मत इसल चलहनह कभभ ववृथह चवंचल हह,

ललनह कहम तभभ जब तपुझकह और न कहई बल हह.

'दहनवभर! जय हह, मजहमह कह गहन सभभ जन गहयल,


दलव और नर, दहनण हभ, तलरह चररत्रि अपनहयल.'

दल अमहघ शर-दहन जसधहरल दलवरहज अम्बर कह,

व्रत कह अवंजतम मफल्य चपुकह कर गयह कणर जनज घर कह

Sansarg 5

Part 1

आ गयह कहल जवकरहल शहजन्त कल क्षय कह,


जनजदरष लग धरतभ पर खिवंड-पलय कह.
हह चपुकक पफणर यहजनह जनयतभ कक सहरभ,
कल हभ हहगह आरम्भ समर अजत भहरभ.

कल जहसल हभ पहलभ मरभजच फफ टलगभ,


रण मम शर पर चढ महहमवृत्यपु छिफटलगभ.
सवंहहर मचलगह, जतजमर घहर छिहयलगह,
सहरह समहज दृगववंजचत हह जहयलगह.

जन-जन स्वजनण कल जलए कपु जटल यम हहगह,


पररजन, पररजन कल जहत कवृ तहन्त-सम हहगह.
कल सल भहई, भहई कल पहण हरमगल,
नर हभ नर कल शहजणत मम स्नहन करमगल.

सपुध-बपुध खिह, बहठभ हहई समर-जचवंतन मम,


कपुवं तभ व्यहकपु ल हह उठभ सहच कपु छि मन मम.
'हल रहम! नहह क्यह यह सवंयहग हटलगह?
सचमपुच हभ क्यह कपुवं तभ कह हृदय फटलगह?

'एक हभ गहद कल लहल, कहखि कल भहई,


सत्य हभ, लडमगल हह, दह ओर लडहई?
सत्य हभ, कणर अनपुजण कल पहण हरलगह,
अथवह, अजपुरन कल हहथण स्वयवं मरलगह?

दह मम जजसकह उर फटल, फटफ हगभ मह हभ,


जजसकक भभ गदरन कटल, कटफ हगभ मह हभ,
पहथर कह कणर, यह पहथर कणर कह महरल,
बरसमगम जकस पर मपुझल छिहड अवंगहरल?

'भगवहन! सपुनलगह कथह कपौन यह मलरभ?


समझलगह जग मम व्यथह कपौन यह मलरभ?
हल रहम! जनरहववृत जकयल जबनह व्रभडह कह,
हह कपौन, हरलगह जह मलरभ पभडह कह?

गहवंधहरभ मजहमहमयभ, भभष्म गपुरुजन हह,


धवृतरहषष जखिन, जग सल हह रहल जवमन हह.
तब भभ उनसल कहहह, करमगल क्यह वल?
मलरभ मजण मलरल हहथ धरमगल क्यह वल?

यजद कहहह यपुजधजषर सल यह मजलन कहहनभ,


गल कर रह जहएगह वह भहवपुक जहनभ.
तह चलफह कणर सल हह जमलकर बहत करह मह
सहमनल उसभ कल अवंतर खिहल धरन मह.

ललजकन कह सल उसकल सम्मपुखि जहऊहगभ?


जकस तरह उसल अपनह मपुखि जदखिलहउवंगभ?
महहगतह जवकल हह वस्तपु आज जह मन हह
बभतह जवरुद उसकल समग्र जभवन हह.

क्यह समहधहन हहगह दपुष्कवृ जत कल कमर कह?


उतर दफवंगभ क्यह, जनज आचरण जवषम कह?
जकस तरह कहहहगभ-पपुत्रि! गहद मम आ तफ,
इस जननभ पहषहणभ कह ह्रदय जपुडह तफ?'

जचवंतहकपु ल उलझभ हहई व्यथह मम, मन सल,


बहहर आई कपुवं तभ, कढ जवदपुर भवन सल.
सहमनल तपन कह दलखि, तजनक घबरह कर,
जसतकल शभ, सवंभममयभ चलभ सकपु चह कर.

उडतभ जवतकर-धहगल पर, चवंग-सरभखिभ,


सपुजधयण कक सहतभ चहट पहण पर तभखिभ.
आशह-अजभलहषह-भहरभ, डरभ, भरमहयभ,
कपुवं तभ ज्यण-त्यण जहह्नवभ-तभर पर आयभ.

जदनमजण पजश्चम कक ओर जक्षजतज कल ऊपर,


थल घट उवंडललतल खिडल कनक कल भफ पर.
लहजलमह बहह अग-अग कह नहलहतल थल,
खिपुद भभ लज्जह सल लहल हहए जहतल थल.

रहधलय सहवंध्य-पफजन मम ध्यहन लगहयल,


थह खिडह जवमल जल मम, यपुग बहहह उठहयल.
तन मम रजव कह अपजतम तलज जगतह थह,
दभपक ललहट अपरहकर-सदृश लगतह थह.

महनह, यपुग-स्वजणरम-जशखिर-मफल मम आकर,


हह बहठ गयह सचमपुच हभ, जसमट जवभहकर.
अथवह मस्तक पर अरुण दलवतह कह लल,
हह खिडह तभर पर गरुड पवंखि जनज खिहलल.

यह दह अजचरयहह जवशहल पपुनभत अनल कक,


हण सजह रहभ आरतभ जवभह-मण्डल कक,
अथवह अगहध कवंचन मम कहह नहह कर,
महनहक-शहल हह खिडह बहहह फह लह कर.

सपुत कक शहभह कह दलखि महद मम फफ लभ,


कपुवं तभ क्षण-भर कह व्यथह-वलदनह भफलभ.
भर कर ममतह-पय सल जनष्पलक नयन कह,
वह खिडभ सहचतभ रहभ पपुत्रि कल तन कह

Part 2

आहट पहकर जब ध्यहन कणर नल खिहलह,


कपु न्तभ कह सम्मपुखि दलखि जवतन हह बहलह,
‘‘पद पर अन्तर कह भजक-भहव धरतह हहह,
रहधह कह सपुत मह, दलजव ! नमन करतह हहह

‘‘हह आप कपौन ? जकसजलए यहहह आयभ हह ?


मलरल जनजमत आदलश कपौन लहयभ हह ?
यह कपु रक्षलत्रि कक भफजम, यपुद कह स्थल हह,
अस्तजमत हहआ चहहतह जवभहमण्डल हह।

‘‘सफनह, औघट यह घहट, महह भयकहरभ,


उस पर भभ पवयह आप अकल लभ नहरभ।
हह कपौन ? दलजव ! कजहयल, क्यह कहम करह मह ?
क्यह भजक-भमट चरणण पर आन धरह मह ?

सपुन जगरह गफढ कपु न्तभ कह धभरज छिफटह,


भभतर कह कल श अपहर अशपु बन फफ टह।
जवगजलत हह उसनल कहह कहहपतल स्वर सल,
‘‘रल कणर ! बलध मत मपुझल जनदहरण शर सल।

‘‘रहधह कह सपुत तफ नहह, तनय मलरह हह,


जह धमररहज कह, वहभ ववंश तलरह हह।
तफ नहह सफत कह पपुत्रि, रहजववंशभ हह,
अजपुरन-समहन कपु रकपु ल कह हभ अवंशभ हह।

‘‘जजस तरह तभन पपुत्रिण कह महनल पहयह,


तफ उसभ तरह थह पथम कपु जक्ष मम आयह।
पह तपुझल धन्य थभ हहई गहद यह मलरभ,
मह हभ अभहजगनभ पवृथह जनजन हहह तलरभ।

‘‘पर, मह कपु महररकह थभ, जब तफ आयह थह,


अनमहल लहल महनल असमय पहयह थह।
अतएव, हहय ! अपनल दपुधमपुहहल तनय सल,
भहगनह पडह मपुझकह समहज कल भय सल

‘‘बलटह, धरतभ पर बडभ दभन हह नहरभ,


अबलह हहतभ, सममपुच, यहजषतह कपु महरभ।
हह कजठन बन्द करनह समहज कल मपुखि कह,
जसर उठह न पह सकतभ पजततह जनज सपुखि कह।

‘‘उस पर भभ बहल अबहध, कहल बचपन कह,


सफझह न शहध मपुझकह कपु छि और पतन कह।
मवंजफषह मम धर तपुझल वज्र कर मन कह,
धहरह मम आयभ छिहड हृदय कल धन कह।

‘‘सवंयहग, सफतपत्नभ नल तपुझकह पहलह,


उन दयहमयभ पर तजनक न मपुझल कसहलह।
लल चल, मह उनकल दहनण पहहव धरहगभ,
अग्रजह महन कर सहदर अवंक भरहगभ।

‘‘पर एक बहत सपुन, जह कहनल आयभ हहह,


आदलश नहह, पहथरनह सहथ लहयभ हहह।
कल कपु रक्षलत्रि मम जह सवंग्रहम जछिडलगह,
क्षजत्रिय-समहज पर कल जह पलय जघरलगह।

‘‘उसमम न पहण्डवण कल जवरद हह लड तफ,


मत उन्हम महर, यह उनकल हहथण मत तफ।
मलरल हभ सपुत मलरल सपुत कह ह महरम;
हह कपु द परस्पर हभ पजतशहध उतहरम।

‘‘यह जवकट दृश्य मपुझसल न सहह जहयलगह,


अब और न मपुझसल मफक रहह जहयलगह।
जह जछिपकर थभ अबतक कपु रलदतभ मन कह,
बतलह दफहगभ वह व्यथह समग्र भपुवन कह।

भहगभ थभ तपुझकह छिहड कभभ जजस भय सल,


जफर कभभ न हलरह तपुझकह जजस सवंशय सल,
उस जड समहज कल जसर पर कदम धरहगभ,
डर चपुकक बहहत, अब और न अजधक डरहगभ।

‘‘थभ चहह पवंक मन कह पक्षहजलत कर लफह,


मरनल कल पहलल तपुझ
ह ल अवंक मम भर लफह।
वह समय आज रण कल जमस सल आयह हह,
अवसर महनल भभ क्यह अदपुत पहयह हह !

बहज़भ तह मह हहर चपुकक कब हह हभ,


ललजकन, जवरवंजच जनकलह जकतनह जनमर्योहभ !
तपुझ तक न आज तक जदयह कभभ भभ आनल,
यह गहपन जन्म-रहस्य तपुझल बतलहनल।

Part 3

‘‘पर पपुत्रि ! सहच अन्यथह न तफ कपु छि मन मम,


यह भभ हहतह हह कभभ-कभभ जभवन मम,
अब दपौड वत्स ! गहदभ मम वहपस आ तफ,
आ गयह जनकट जवध्ववंस, न दलर लगह तफ।

‘‘जह भफल द्वलष कल ज़हर, कहध कल जवष कह,


रल कणर ! समर मम अब महरलगह जकसकह ?
पहहचण पहण्डव हह अनपुज, बडह तफ हभ हह
अग्रज बन रक्षह-हलतपु खिडह तफ हभ हह।

‘‘नलतह बन, कर मम सफत्रि समर कह लल तफ,


अनपुजण पर छित्रि जवशहल बहहह कह दल तफ,
सवंग्रहम जभत, कर पहप जवजय अजत भहरभ।
जयमपुकपुट पहन, जफर भहग सम्पदह सहरभ।

‘‘यह नहह जकसभ भभ छिल कह आयहजन हह,


रल पपुत्रि। सत्य हभ महनल जकयह कथन हह।
जवश्वहस न हह तह शपथ कपौन मह खिहऊह ?
जकसकह पमहण कल जलए यहहह बपुलवहऊह ?

‘‘वह दलखि, पजश्चमभ तट कल पहस गगन मम,


दलवतह दभपतल जह कनकहभ वसन मम,
जजनकल पतहप कक जकरण अजय अदफत हह,
तफ उन्हह अवंशपुधर कह पकहशमय सपुत हह।’’
रक पवृथह पणछिनल लगभ अशपु अवंचल सल,
इतनल मम आयभ जगरह गगन-मण्डल सल,
‘‘कपु न्तभ कह सहरह कथन सत्य कर जहनह,
महह कक आजह बलटह ! अवश्य तपुम महनह।’’

यह कह जदनलश चट उतर गयल अम्बर सल,


हह गयल जतरहजहत जमलकर जकसभ लहर सल।
महनह, कपु न्तभ कह भहर भयहनक पहकर,
वल चलल गयल दहजयत्व छिहड घबरहकर।

डफ बतल सफयर कह नमन जनवलजदत करकल ,


कपु न्तभ कल पद कक धफल शभश पर धरकल ।
रहधलय बहलनल लगह बडल हभ दपुखि सल,
‘‘तपुम मपुझल पपुत्रि कहनल आयह जकस मपुखि सल ?

‘‘क्यह तपुम्हम कणर सल कहम ? सपुत हह वह तह,


महतह कल तन कह मल, अपफत हह वह तह।
तपुम बडल ववंश कक बलटभ, ठकपु रहनभ हह,
अजपुरन कक महतह, कपु रकपु ल कक रहनभ हह।

‘‘मह नहम-गहत्रि सल हभन, दभन, खिहटह हहह


सहरथभपपुत्रि हहह मनपुज बडह छिहटह हहह।
ठकपु रहनभ ! क्यह ललकर तपुम मपुझल करहगभ ?
मल कह पजवत्रि गहदभ मम कहहह धरहगभ ?

‘‘हह कथह जन्म कक जहत, न बहत बढहओ


मन छिलड-छिलड मलरभ पभडह उकसहओ।
हहह खिफब जहनतह, जकसनल मपुझल जनह थह,
जकसकल पहणण पर मह दपुभहरर बनह थह।

‘‘सह जवजवध यहतनह मनपुज जन्म पहतह हह,


धरतभ पर जशशपु भफखिह-प्यहसह आतह हह;
महह सहज स्नलह सल हभ पलररत अकपु लह कर,
पय-पहन करहतभ उर सल लगह कर।

‘‘मपुखि चफम जन्म कक कहजन्त हरण करतभ हह,


दृग सल जनहहर अवंग मम अमवृत भरतभ हह।
पर, मपुझल अवंक मम उठह न लल पहयह तपुम,
पय कह पहलह आहहर न दल पहयह तपुम।

‘‘उल्टल, मपुझकह असहहय छिहड कर जल मम,


तपुम लपौट गयभ इज़्ज़त कल बडल महल मम।
मह बचह अगर तह अपनल आयपुबरल सल,
रक्षह जकसनल कक मलरभ कहल-कवल सल ?

‘‘क्यह कहर-कसर तपुमनल कहई भभ कक थभ ?


जभवन कल बदलल सहफ मवृत्यपु हभ दभ थभ।
पर, तपुमनल जब पत्थर कह जकयह कललजह,
असलभ महतह कल पहस भहग्य नल भलजह।

‘‘अब जब सब-कपु छि हह चपुकह, शलष दह क्षण हह,


आजख़िरभ दहहव पर लगह हहआ जभवन हह,
तब प्यहर बहहध करकल अवंचल कल पट मम,
आयभ हह जनजध खिहजतभ हहई मरघट मम

Part 4

‘‘अपनह खिहयह सवंसहर न तपुम पहओगभ,


रहधह महह कह अजधकहर न तपुम पहओगभ।
छिभननल स्वत्व उसकह तह तपुम आयभ हह,
पर, कभभ बहत यह भभ मन मम लहयभ हह ?

‘‘उसकह सलवह, तपुमकह सपुककजतर प्यहरभ हह,


तपु ठकपु रहनभ हह, वह कल वल नहरभ हह।
तपुमनल तह तन सल मपुझल कहढ कर फम कह,
उसनल अनहथ कह हृदय लगह कर समकह।

‘‘उमडभ न स्नलह कक उज्जवल धहर हृदय सल,


तपुम सपुखि गयह मपुझकह पहतल हभ भय सल।
पर, रहधह नल जजस जदन मपुझकह पहयह थह,
कहतल हह, उसकह दफध उतर आयह थह।

‘‘तपुमनल जनकर भभ नहह पपुत्रि कर जहनह,


उसनल पहकर भभ मपुझल तनय जनज महनह।
अब तपुम्हह कहह, कह सल आत्मह कह महरह ?
महतह कह उसकल बदलम तपुम्हम पपुकहरह ?

‘‘अजपुरन कक जननभ ! मपुझल न कहई दपुखि हह,


ज्यण-त्यण महनल भभ ढफ हढ जलयह जनज सपुखि हह।
जब भभ जपछिल कक ओर दृजष जहतभ हह,
जचन्तन मम भभ यह बहत नहह आतभ हह।

‘‘आचरण तपुम्हहरह उजचत यह जक अनपुजचत थह,


यह असमय मलरह जन्म न शभल-जवजहत थह !
पर एक बहत हह, जजसल सहच कर मन मम,
मह जलतह हभ आयह समग्र जभवन मम,

‘‘अजहतशभलकपु लतह कह जवरन न महनह,


भपुजबल कह महनल सदह भहग्य कर जहनह।
बहधहओवं कल ऊपर चढ धफम मचह कर,
पहयह सब-कपु छि महनल पपौरष कह पहकर।

‘‘जन्मह ललकर अजभशहप, हहआ वरदहनभ,


आयह बनकर कवंगहल, कहहयह दहनभ।
दल जदयल महल जह भभ जभवन नल महहगल,
जसर नहह झपुकहयह कभभ जकसभ कल आगल।

‘‘पर हहय, हहआ ऐसह क्यण वहम जवधहतह ?


मपुझ वभर पपुत्रि कह जमलभ भभर क्यण महतह ?
जह जमकर पत्थर हहई जहजत कल भय सल,
सम्बन्ध तहड भगभ दपुधमपुहहल तनय सल।

‘‘मर गयभ नहह वह स्वयवं, महर सपुत कह हभ,


जभनह चहहह बन कजठन, कपु र, जनमर्योहभ।
क्यह कहहह दलजव ! मह तह ठहरह अनचहहह,
पर तपुमनल महह कह खिफब चररत्रि जनबहहह।

‘‘थह कपौन लहभ, थल अरमहन हृदय मम,


दलखिह तपुमनल जजनकह अवरहध तनय मम ?
शहयद यह छिहटभ बहत-रहजसपुखि पहओ,
वर जकसभ भफप कह तपुम रहनभ कहलहओ।

‘‘सम्महन जमलल, यश बढल वधफमण्डल मम,


कहलहओ सहध्वभ, सतभ वहम भफतल मम।
पहओ सपुत भभ बलवहन, पजवत्रि, पतहपभ,
मपुझ सह अघजन्मह नहह, मजलन, पररतहपभ।

‘‘सह धन्य हहईवं तपुम दलजव ! सभभ कपु छि पह कर,


कपु छि भभ न गहवहयह तपुमनल मपुझल गहवह कर।
पर अम्बर पर जजनकह पदभप जलतह हह,
जजनकल अधभन सवंसहर जनजखिल चलतह हह

‘‘उनकक पहथभ मम भभ कपु छि ललखिह हहगह,


कपु छि कवृ त्य उन्हणनल भभ तह दलखिह हहगह।
धहरह पर सदछजहत पपुत्रि कह बहनह,
महह कह हह वज्र-कठहर दृश्य वह सहनह।

‘‘जफर उसकह हहनह मग अनलक सपुखिण मम,


जहतक असवंग कह जलनह अजमत दपुखिण मम।
हम दहनण जब मर कर वहपस जहयमगल,
यल सभभ दृश्य जफर सल सम्मपुखि आयमगल।

‘‘जग कक आहखिण सल अपनह भलद जछिपहकर,


नर ववृथह तवृप हहतह मन कह समझहकर-
अब रहह न कहई जववर शलष जभवन मम,
हम भलभ-भहहजत रजक्षत हह पटहवरण मम !

‘‘पर, हहसतल कहह अदृश्य जगतद कल स्वहमभ,


दलखितल सभभ कपु छि तब भभ अन्तयहरमभ।
सबकह सहलज कर जनयजत कहह धरतभ हह,
सब-कपु छि अदृश्य पट पर अवंजकत करतभ हह।

‘‘यजद इस पट पर कह जचत्रि नहह उज्जवल हह,


कहजलमह लगभ हह, उसमम कहई मल हह,
तह रह जहतह क्यह मफल्य हमहरभ जय कह,
जग मम सवंजचत कलपुजषत समवृजद-समपुदय कह ?

‘‘पर, हहय, न तपुममम भहव धमर कल जहगल,


तपुम दलखि नहह पहयह जभवन कल आगल।
दलखिह न दभन, कहतर बलटल कल मपुखि कह,
दलखिह कल वल अपनल क्षण-भवंगरपु सपुखि कह।

‘‘जवजध कह पहलह वरदहन जमलह जब तपुमकह,


गहदभ मम नन्हहह दहन जमलह जब तपुमकह,
क्यह नहह वभर-महतह बन आगम आयह ?
सबकल समक्ष जनभरय हहकर जचलहयह ?

‘‘ ‘सपुन लह, समहज कल पमपुखि धमर-ध्वज-धहरभ,


सपुतवतभ हह गयभ मह अनब्यहहभ नहरभ।
अब चहहह तह रहनल दह मपुझल भवन मम
यह जहजतच्यपुत कर मपुझल भलज दह वन मम।

‘‘ ‘पर, मह न पहण कक इस मजण कह छिहडफ हगभ,


महतवृत्व-धमर सल मपुखि न कभभ महडफ हगभ।
यह बडल जदव्य उन्मपुक पलम कह फल हह,
जहसह भभ हह, बलटह महह कह सम्बल हह।’

Part 5

‘‘सहचह, जग हहकर कपु जपत दण्ड क्यह दलतह,


कपु त्सह, कलवंक कल जसवह और क्यह ललतह ?
उड जहतभ रज-सभ ग्लहजन वहयपु मम खिपुल कर,
तपुम हह जहतह पररपफत अनल मम घपुल कर।

‘‘शहयद, समहज टफ टतह वज्र बन तपुम पर,


शहयद, जघरतल दपुखि कल करहल घन तपुम पर।
शहयद, जवयपुक हहनह पडतह पररजन सल,
शहयद, चल दलनह पडतह तपुम्हम भवन सल।

‘‘पर, सह जवपजत कक महर अडभ रहतह तपुम,


जग कल समक्ष जनजभरक खिडभ रहतह तपुम।
पभ सपुधह जहर कह दलखि नहह घबरहतह,
थह जकयह पलम तह बढ कर महल चपुकहतह।

‘‘भहगतह रहजसपुखि रह कर नहह महल मम,


पहलतह खिडभ हह मपुझल कहह तर-तल मम।
लफटतह जगतद मम दलजव ! ककजतर तपुम भहरभ,
सत्य हभ, कहहतह सतभ सपुचररतह नहरभ।

‘‘मह बडल गवर सल चलतह शभश उठहयल,


मन कह समलट कर मन मम नहह चपुरहयल।
पहतह न वस्तपु क्यह कणर पपुरष अवतहरभ,
यजद उसल जमलभ हहतभ शपुजच गहद तपुम्हहरभ ?

‘‘पर, अब सब कपु छि हह चपुकह, व्यथर रहनह हह,


गत पर जवलहप करनह जभवन खिहनह हह।
जह छिफट चपुकह, कह सल उसकह पहऊहगह ?
लपौटफहगह जकतनभ दफर ? कहहह जहऊहगह ?

‘‘छिभनह थह जह सपौभहग्य जनदहरण हहकर,


दलनल आयभ हह उसल आज तपुम रहकर।
गवंगह कह जल हह चपुकह, परन्तपु, गरल हह
ललनह-दलनह उसकह अब, नहह सरल हह।

‘‘खिहलह न गफढ जह भलद कभभ जभवन मम,


क्यण उसल खिहलतभ हह अब चपौथलपन मम ?
आवरण पडह हभ सब कपु छि पर रहनल दह,
बहकक पररभव भभ मपुझकह हभ सहनल दह।

‘‘पय सल ववंजचत, गहदभ सल जनष्कहजसत कर,


पररवहर, गहत्रि, कपु ल सबसल जनवहरजसत कर,
फम कह तपुमनल मपुझ भहग्यहभन कह जहसल,
रहनल तह त्यक, जवषण्ण आज भभ वहसल।

‘‘हह ववृथह यत्न हल दलजव ! मपुझल पहनल कह,


मह नहह ववंश मम जफर वहपस जहनल कह।
दभ जबतह आयपु सहरभ कपु लहभन कहह कर,
क्यह पहऊहगह अब उसल आज अपनह कर ?

‘‘यदजप जभवन कक कथह कलवंकमयभ हह,


मलरल समभप ललजकन, वह नहह नयभ हह
जह कपु छि तपुमनल हह कहह बडल हभ दपुखि सल,
सपुन उसल चपुकह हहह मह कल शव कल मपुखि सल।
‘‘जहनम, सहसह तपुम सबनल क्यह पहयह हह,
जह मपुझ पर इतनह पलम उमड आयह हह।
अब तक न स्नलह सल कभभ जकसभ नल हलरह,
सपौभहग्य जकन्तपु, जग पडह अचहनक मलरह।

‘‘मह खिफब समझतह हहह जक नभजत यह क्यह हह,


असमय मम जन्मभ हहई पभजत यह क्यह हह।
जहडनल नहह जबछिपुडल जवयपुक कपु लजन सल,
फहडनल मपुझल आयभ हह दपुयर्योधन सल।

‘‘जसर पर आकर जब हहआ उपजस्थत रण हह,


जहल उठह सहच पररणहम तपुम्हहरह मन हह।
अवंक मल न तपुम मपुझकह भरनल आयभ हह,
कपु रपजत कह कपु छि दपुबरल करनल आयभ हह।

‘‘अन्यथह, स्नलह कक वलगमयभ यह धहरह,


तट कह मरहड, झकझहर, तहड कर कहरह,
भपुज बढह खिहचनल मपुझल न क्यण आयभ थभ ?
पहलल क्यण यह वरदहन नहह लहयभ थभ ?

‘‘कल शव पर जचन्तह डहल, अभय हह रहनह,


इस पहथर भहग्यशहलभ कह भभ क्यह कहनह !
लल गयल महहग कर, जनक कवच-कपु ण्डल कह,
जननभ कपु जण्ठत करनल आयह ररपपु-बल कह।

‘‘ललजकन, यह हहगह नहह, दलजव ! तपुम जहओ,


जहसल भभ हह, सपुत कह सपौभहग्य मनहओ,
दम छिहडप़ भलल हभ कभभ कवृ ष्ण अजपुरन कह,
मह नहह छिहडनल वहलह दपुयर्योधन कह।

‘‘कपु रपजत कह मलरल रहम-रहम पर ऋण हह,


आसहन न हहनह उससल कभभ उऋण हह।
छिल जकयह अगर, तह क्यह जग मवंमल यश लफहगह ?
पहण हभ नहह, तह उसल और क्यह दफहगह ?

‘‘हह चपुकह धमर कल ऊपर न्यपौछिहवर हहह,


मह चढह हहआ नहवलद दलवतह पर हहह।
अजपरत पसफन कल जलए न यण ललचहओ,
पफजह कक वलदभ पर मत हहथ बढहओ।’’

रहधलय मपौन हह रहह व्यथह जनज कह कल ,


आहखिण सल झरनल लगल अशपु बह-बह कल ।
कपु न्तभ कल मपुखि मम ववृथह जभभ जहलतभ थभ,
कहनल कह कहई बहत नहह जमलतभ थभ।

अम्बर पर महतभ-गपुथल जचकपु र फह लह कर,


अवंजन उहडलल सहरल जग कह नहलह कर,
सहडभ मम टहहकम हहए अनन्त जसतहरल,
थभ घफम रहभ जतजमरहवंचल जनशह पसहरल।

थभ जदशह स्तब्ध, नभरव समस्त अग-जग थह,


कपुवं जण मम अब बहलतह न कहई खिग थह,
जझलभ अपनह स्वर कभभ-कभभ भरतभ थभ,
जल मम जब-तब मछिलभ छिप-छिप करतभ थभ।

Part 6

इस सनहटल मम दह जन सररत-जकनहरल,
थल खिडल जशलहवतद मफक, भहग्य कल महरल।
थह जससक रहह रहधलय सहच यह मन मम,
क्यण उबल पडह असमय जवष कपु जटल वचन मम ?

क्यह कहल और, यह सहच नहह पहतभ थभ,


कपु न्तभ कपु त्सह सल दभन मरभ जहतभ थभ।
आजखिर समलट जनज मन कह कहह पवृथह नल,
‘‘आयभ न वलदभ पर कह मह फफ ल उठहनल।

‘‘पर कल पसफन कह नहह, नहह पर-धन कह,


थभ खिहज रहभ मह तह अपनल हभ तन कह।
पर, समझ गयभ, वह मपुझकह नहह जमललगह,
जबछिपुडभ डहलभ पर कपु सपुम न आन जखिललगह।

‘‘तब जहतभ हहह क्यह और सकफह गभ कर मह ?


दफहगभ आगल क्यह भलह और उतर मह ?
जह जकयह दहष जभवन भर दहरण रहकर,
मलटफहगभ क्षण मम उसल बहत क्यह कहकर ?

बलटह ! सचमपुच हभ, बडभ पहजपनभ हहह मह,


महनवभ-रप मम जवकट सहहजपनभ हहह मह।
मपुझ-सभ पचण्ड अघमयभ, कपु जटल, हत्यहरभ,
धरतभ पर हहगभ कपौन दफसरभ नहरभ ?

‘‘तब भभ महनल तहडनह सपुनभ जह तपुझसल,


मलरह मन पहतह वहभ रहह हह मपुझसल।
यश ओढ जगतद कह तह छिलतभ आयभ हहह
पर, सदह हृदय-तल मम जलतभ आयभ हहह।

‘‘अब भभ मन पर हह जखिवंचभ अजग कक रलखिह,


त्यहगतल समय महनल तपुझकह जब दलखिह,
पलजटकह-बभच मह डहल रहभ थभ तपुझकह
टपु क-टपु क तफ कह सल तहक रहह थह मपुझकह।

‘‘वह टपु कपु र-टपु कपुर कहतर अवलहकन तलरह,


औ’ जशलहभफत सजपरणभ-सदृश मन मलरह,
यल दहनण हभ सहलतल रहल हह मपुझकह,
रल कणर ! सपुनहऊह व्यथह कहहह तक तपुझकह ?
‘‘लजज्जत हहकर तफ ववृथह वत्स ! रहतह हह,
जनघर्योष सत्य कह कब कहमल हहतह हह !
जधकहर नहह तह मह क्यह और सपुनपुहगभ ?
कहहटल बहयल थल, कह सल कपु सपुम चपुनफहगभ ?

‘‘जधकहर, ग्लहजन, कपु त्सह पछितहवल कह हभ,


ललकर तह बभतह हह जभवन जनमर्योहभ।
थल अमभत बहर अरमहन हृदय मम जहगल,
धर दफह उघहर अन्तर मह तलरल आगल।

‘‘पर कदम उठह पहयभ न ग्लहजन मम भरकर,


सहमनल न हह पहयभ कपु त्सह सल डरकर।
ललजकन, जब कपु रकपु ल पर जवनहश छिहयह हह,
आजखिरभ घडभ लल पलय जनकट आयह हह।

‘‘तब जकसभ तरह जहम्मत समलट कर सहरभ,


आयभ मह तलरल पहस भहग्य कक महरभ।
सहचह जक आज भभ अगर चफक जहऊहगभ,
भभषण अनथर जफर रहक नहह पहऊहगभ।

‘‘इसजलए शजकयहह मन कक सभभ सहजह कर,


सब कपु छि सहनल कल जलए समपुदत हहकर,
आयभ थभ मह गहपन रहस्य बतलहनल,
सहदर-वध कल पहतक सल तपुझल बचहनल।

‘‘सह बतह जदयह, बलटह जकस महह कह तफ हह,


तलरल तन मम जकस कपु ल कह जदव्य लहह हह।
अब तफ स्वतन्त्रि हह, जह चहहल वह कर तफ,
जह भफल द्वलष अथवह अनपुजण सल लड तफ।

‘‘कढ गयभ कलक जह कसक रहभ थभ मन मम,


हहह, एक ललक रह गयभ जछिन जभवन मम,
थल जमलल लहल छिह-छिह पर, वहम जवधहतह,
रह गयभ सदह पहहच हभ सपुतण कक महतह।

‘‘अजभलहष जलयल तह बहहत बडभ आयभ थभ,


पर, आस नहह अपनल बल कक लहयभ थभ।
थह एक भरहसह यहभ जक तफ दहनभ हह,
अपनभ अमहघ करणह कह अजभमहनभ हह।

‘‘थभ जवजदत वत्स ! तलरभ ककजतर जनरहलभ,


लपौटतह न कहई कभभ द्वहर सल खिहलभ।
पर, मह अभहजगनभ हभ अवंचल फह लह कर,
जह रहभ ररक, बलटल सल भभखि न पहकर।

‘‘जफर भभ तफ जभतह रहल, न अपयश जहनल,


सवंसहर जकसभ जदन तपुझल पपुत्रि ! पहचहनल।
अब आ, क्षण भर मह तपुझल अवंक मम भर लफह,
आजखिरभ बहर तलरह आजलवंगन कर लफह।

‘‘ममतह जमकर हह गयभ जशलह जह मन मम,


जह क्षरभ फफ ट कर सफखि गयह थह तन मम,
वह लहर रहह जफर उर मम आज उमड कर,
वह रहह हृदय कल कफ ल-जकनहरल भर कर।

‘‘कपु रकपु ल कक रहनभ नहह, कपु महरभ नहरभ-


वह दभन, हभन, असहहय, ग्लहजन कक महरभ !
जसर उठह आज पहणण मम झहहक रहभ हह,
तपुझ पर ममतह कल चपुम्बन मम आहक रहभ हह।

‘‘इस आत्म-दहह पभजडतह जवषण्ण कलभ कह,


मपुझमम भपुज खिहलल हहए दग्ध रमणभ कह,
छिहतभ सल सपुत कह लगह तजनक रहनल दल,
जभवन मम पहलभ बहर धन्य हहनल दल।’’

महह नल बढकर जहसल हभ कण्ठ लगहयह,


हह उठभ कण्टजकत पपुलक कणर कक कहयह।
सवंजभवन-सभ छिफ गयभ चभज कपु छि तन मम,
बह चलह जस्नग्ध पस्वण कहह सल मन मम।

पहलभ वषहर मम महभ भहगतभ जहसल,


भहगतह रहह कपु छि कहल कणर भभ वहसल।
जफर कण्ठ छिहड बहलह चरणण पर आकर,
‘‘मह धन्य हहआ जबछिपुडभ गहदभ कह पहकर।

पर, हहय, स्वत्व मलरह न समय पर लहयह,


महतह, सचमपुच, तपुम बडभ दलर कर आयह।
अतएव, न्यहस अवंचल कह लल नल सकफह गह,
पर, तपुम्हम ररक जहनल भभ दल न सकफह गह।

‘‘कक पफणर सभभ कक, सभभ तरह अजभलहषह,


जहनल दफह कह सल ललकर तपुम्हम जनरहशह ?
ललजकन, पडतह हहह पहहव, जनजन! हठ त्यहगह,
बन कर कठहर मपुझसल मपुझकह मत महहगह।

‘कल वल जनजमत सवंगर कह दपुयर्योधन हह,


सच पफछिह तह यह कणर-पहथर कह रण हह।
छिभनह सपुयहग मत, मपुझल अवंक मम ललकर,
यश, मपुकपुट, महन, कपु ल, जहजत, पजतषह दलकर।

‘‘जवष तरह-तरह कह हहसकर पभतह आयह,


बस, एक ध्यलय कल जहत मह जभतह आयह।
कर जवजजत पहथर कह कभभ ककजतर पहऊहगह,
अपजतम वभर वसपुधह पर कहलहऊहगह।
‘‘आ गयभ घडभ वह पण पफरह करनल कक,
रण मम खिपुलकर महरनल और मरनल कक।
इस समय नहह मपुझमम शहजथल्य भरह तपुम,
जभवन-व्रत सल मत मपुझकह जवमपुखि करह तपुम।

‘‘अजपुरन सल लडनह छिहड ककजतर क्यह लफहगह ?


क्यह स्वयवं आप अपनल कह उतर दफहगह ?
मलरह चररत्रि जफर कपौन समझ पहयलगह ?
सहरह जभवन हभ उलट-पलट जहयलगह।

‘‘तपुम दहन-दहन रट रहह, जकन्तपु, क्यण महतह,


पपुत्रि हभ रहलगह सदह जगतद मम दहतह ?
दपुजनयह तह उससल सदह सभभ कपु छि ललगभ,
पर, क्यह महतह भभ उसल नहह कपु छि दलगभ ?

‘‘मह एक कणर अतएव, महहग ललतह हहह,


बदलल मम तपुमकह चहर कणर दलतह हहह।
छिहडफ हगह मह तह कभभ नहह अजपुरन कह,
तहडफहगह कह सल स्वयवं पपुरहतन पण कह ?

‘‘पर, अन्य पहण्डवण पर मह कवृ पह करहगह,


पहकर भभ उनकह जभवन नहह हरहगह।
अब जहओ हजषरत-हृदय सहच यह मन मम,
पहलफहगह जह कपु छि कहह, उसल मह रण मम।’’

कपु न्तभ बहलभ, ‘‘रल हठभ, जदयह क्यह तफ नल ?


जनज कह ललकर लल नहह जकयह तफ नल ?
बननल आयभ थभ छिह पपुत्रिण कक महतह,
रह गयह वहम कह, पर, वहम हभ जवधहतह।

Part 7

"पहकर न एक कह, और एक कह खिहकर,


मह चलभ चहर पपुत्रिण कक महतह हहकर।’’
कह उठह कणर, ‘‘छिह और चहर कह भफलह,
महतह, यह जनश्चय महन महद मम फफ लह।

‘‘जभतल जभ भभ यह समर झलल दपुखि भहरभ,


ललजकन हहगभ महह ! अजन्तम जवजय तपुम्हहरभ।
रण मम कट मर कर जह भभ हहजन सहमगल,
पहहच कल पहहच हभ पहण्डव जकन्तपु रहमगल।

‘‘कपु रपजत न जभत कर जनकलह अगर समर सल,


यह जमलभ वभरगजत मपुझल पहथर कल कर सल,
तपुम इसभ तरह गहदभ कक धनभ रहहगभ,
पपुजत्रिणभ पहहच पपुत्रिण कक बनभ रहहगभ।
‘‘पर, कहह कहल कह कहप पहथर पर बभतह,
वह मरह और दपुयर्योधन नल रण जभतह,
मह एक खिलल जफर जग कह जदखिलहऊहगह,
जय छिहड तपुम्हहरल पहस चलह आऊहगह।

‘‘जग मम जह भभ जनदरजलत, पतहजडत जन हह,


जह भभ जनहभन हह, जनजन्दत हह, जनधरन हह,
यह कणर उन्हह कह सखिह, बन्धपु, सहचर हह
जवजध कल जवरद हभ उसकह रहह समर हह।

‘‘सच हह जक पहण्डवण कह न रहज्य कह सपुखि हह,


पर, कल शव जजनकल सहथ, उन्हम क्यह दपुखि हह ?
उनसल बढकर मह क्यह उपकहर करहगह ?
हह कपौन त्रिहस, कल वल मह जजसल हरहगह ?

‘‘हहह अगर पहण्डवण कक न चलभ इस रण मम,


वल हहए हतपभ जकसभ तरह जभवन मम,
रहधलय न कपु रपजत कह सह-जलतह हहगह,
वह पपुनछ जनछस्व दजलतण कह नलतह हहगह।

‘‘हह अभभ उदय कह लग, दृश्य सपुन्दर हह,


सब ओर पहण्डपु -पपुत्रिण कक ककजतर पखिर हह।
अनपुकफल ज्यहजत कक घडभ न मलरभ हहगभ,
मह आऊहगह जब रहत अन्धलरभ हहगभ।

‘‘यश, महन, पजतषह, मपुकपुट नहह ललनल कह,


आऊहगह कपु ल कह अभयदहन दलनल कह।
पररभव, पदहह, भम, भय हरनल आऊहगह,
दपुखि मम अनपुजण कह भपुज भरनल आऊहगह।

‘‘भभषण जवपजत मम उन्हम जनजन ! अपनहकर,


बहहटनल दपुछखि आऊहगह हृदय लगहकर।
तम मम नवभन आभह भरनल आऊहगह,
जकस्मत कह जफर तहजह करनल आऊहगह।

‘‘पर नहह, कवृ ष्ण कल कर कक छिहहह जहहह हह,


रजक्षकह स्वयवं अच्यपुत कक बहहह जहहह हह,
उस भहग्यवहन कह भहग्य क्षहर क्यण हहगह ?
सहमनल जकसभ जदन अन्धकहर क्यण हहगह ?

‘‘मह दलखि रहह हहह कपु रक्षलत्रि कल रण कह,


नहचतल हहए, मनपुजह पर, महहमरण कह।
शहजणत सल सहरभ महभ, जकन, लथपथ हह,
जह रहह जकन्तपु, जनबहरध पहथर कह रथ हह।

‘‘हह कहट रहल हरर आप जतजमर कक कहरह,


अजपुरन कल जहत बह रहभ उलट कर धहरह।
शत पहश व्यथर ररपपु कह दल फह लहतह हह,
वह जहल तहड कर हर बहर जनकल जहतह हह।

‘‘मह दलखि रहह हहह जनजन ! जक कल क्यह हहगह,


इस महहसमर कह अजन्तम फल क्यह हहगह ?
ललजकन, तब भभ मन तजनक न घबरहतह हह,
उत्सहह और दपुगपुनह बढतह जहतह हह।

‘‘बज चपुकह कहल कह पटह, भयहनक क्षण हह,


दल रहह जनमन्त्रिण सबकह महहमरण हह।
छिहतभ कल पफरल पपुरष पलय झललमगल,
झवंझह कक उलझभ लटम खिहच खिललमगल।

‘‘कपु छि भभ न बचलगह शलष अन्त मम जहकर,


जवजयभ हहगह सन्तपुष तत्व क्यह पहकर ?
कपौरव जवलभन जजस पथ पर हह जहयमगल,
पहण्डव क्यह उससल जभन रहह पहयमगल ?

‘‘हह एक पन्थ कहई जभत यह हहरल,


खिपुद मरल, यह जक, बढकर दपुश्मन कह महरल।
एक हभ दलश दहनण कह जहनह हहगह,
बचनल कह कहई नहह बहहनह हहगह।

‘‘जनस्सहर दहह कक जकयह, व्यथर यह रण हह,


खिहखिलह हमहरह और पहथर कह पण हह।
जफर भभ जहनम जकसजलए न हम रकतल हह
चहहतह जजधर कह कहल, उधर कह झपुकतम हह।

‘‘जभवन-सररतह कक बडभ अनहखिभ गजत हह,


कपु छि समझ नहह पहतभ महनव कक मजत हह।
बहतभ पचण्डतह सल सबकह अपनहकर,
सहसह खिह जहतभ महहजसन्धपु कह पहकर।

‘‘जफर लहर, धहर, बपुददपु द कक नहह जनशहनभ,


सबकक रह जहतभ कल वल एक कहहनभ।
सब जमल हह जहतल जवलय एक हभ जल मम,
मफजतरयहह जपघल जमल जहतह धहतपु तरल मम।

‘‘सह इसभ पपुण्य-भफ कपु रक्षलत्रि मम कल सल,


लहरम हह एकहकहर जमलमगभ जल सल।
मफजतरयहह खिफब आपस मम टकरहयमगभ,
तहरल्य-बभच जफर गलकर खिह जहयमगभ।

‘‘आपस मम हण हम खिरल यहजक हण खिहटल,


पर, कहल बलभ कल जलए सभभ हह छिहटल,
छिहटल हहकर कल सल सब सहथ मरमगल,
शत्रिपुतह न जहनम कहहह समलट धरमगल ?

‘‘ललजकन, जचन्तह यह ववृथह, बहत जहनल दह,


जहसह भभ हह, कल कल कह पभहव आनल दह
दभखितभ जकसभ भभ तरफ न उजजयहलभ हह,
सत्य हभ, आज कक रहत बडभ कहलभ हह।

‘‘चन्दमह-सफयर तम मम जब जछिप जहतल हह,


जकरणण कल अन्वलषभ जब अकपु लहतल हह,
तब धफमकल तपु, बस, इसभ तरह आतह हह,
रहशनभ जरह मरघट मम फह लहतह हह।’’

हह रहह मपौन रहधलय चरण कह छिफकर,


दह जबन्दफ अशपु कल जगर दृगण सल चफकर।
बलटल कह मस्तक सफहघ, बडल हभ दपुखि सल,
कपु न्तभ लपौटभ कपु छि कहल जबनह हभ मपुखि सल।

Sastha Marg

Part 1

नरतह कहतल हह जजसल, सतव


क्यह वह कल वल लडनल मम हह ?
पपौरष क्यह कल वल उठह खिड्ग
महरनल और मरनल मम हह ?

तब उस गपुण कह क्यह कहम


मनपुज जजससल न मवृत्यपु सल डरतह हह ?
ललजकन, तक भभ महरतह नहह,
वह स्ववंय जवश्व-जहत मरतह हह।

हह वन्दनभय नर कपौन ? जवजय-जहत


जह करतह हह पहण हरण ?
यह सबकक जहन बचहनल कह
दलतह हह जह अपनह जभवन ?

चपुनतह आयह जय-कमल आज तक


जवजयभ सदह कवृ पहणण सल,
पर, आह जनकलतभ हभ आयभ
हर बहर मनपुज कल पहणण सल।

आकपु ल अन्तर कक आह मनपुज कक


इस जचन्तह सल भरभ हहई,
इस तरह रहलगभ महनवतह
कब तक मनपुष्य सल डरभ हहई ?

पहशजवक वलग कक लहर लहह मम


कब तक धफम मचहयलगभ ?
कब तक मनपुष्यतह पशपुतह कल
आगल यण झपुकतभ जहयलगभ ?
यह ज़हर नल छिहडलगह उभहर ?
अगहवंर न क्यह बफझ पहयमगल ?
हम इसभ तरह क्यह हहय, सदह
पशपु कल पशपु हभ रह जहयमगल ?

जकसकह जसवंगहर ? जकसकक सलवह ?


नर कह हभ जब कल्यहण नहह ?
जकसकल जवकहस कक कथह ? जनण कल
हभ रजक्षत जब पहण नहह ?

इस जवस्मय कह क्यह समहधहन ?


रह-रह कर यह क्यह हहतह हह ?
जह हह अग्रणभ वहभ सबसल
आगल बढ धभरज खिहतह हह।

जफर उसकक कहधहकपु ल पपुकहर


सबकह बलचहन बनहतभ हह,
नभचल कर क्षभण मनपुजतह कह
ऊपर पशपुत्व कह लहतभ हह।

हहह, नर कल मन कह सपुधहकपु ण्ड


लघपु हह, अब भभ कपु छि रभतह हह,
वय अजधक आज तक व्यहलण कल
पहलन-पहषण मम बभतह हह।

यल व्यहल नहह चहहतल, मनपुज


भभतर कह सपुधहकपु ण्ड खिहलल,
जब ज़हर सभभ कल मपुखि मम हह
तक वह मभठभ बहलभ बहलल।

Part 2

थहडभ-सभ भभ यह सपुधह मनपुज कह


मन शभतल कर सकतभ हह,
बहहर कक अगर नहह, पभडह
भभतर कक तह हर सकतभ हह।

ललजकन धभरतह जकसल ? अपनल


सचल स्वरप कह ध्यहन करल,
जब ज़हर वहयपु मम उडतह हह
पभयफष-जवन्दफ कह पहन करल।

पहण्डव यजद पहहच ग्रहम


ललकर सपुखि सल रह सकतल थल,
तह जवश्व-शहजन्त कल जलए दपुछखि
कपु छि और न क्यह कह सकतल थल ?
सपुन कपु जटल वचन दपुयर्योधन कह
कल शव न क्यण यह कह नहह-
‘‘हम तह आयल थल शहजन्त हलतपु,
पर, तपुम चहहह जह, वहभ सहभ।

‘‘तपुम भडकहनह चहहतल अनल


धरतभ कह भहग जलहनल कह,
नरतह कल नव्य पसफनण कह
चपुन-चपुन कर क्षहर बनहनल कह।

पर, शहजन्त-सपुन्दरभ कल सपुहहग


पर आग नहह धरनल दफहगह,
जब तक जभजवत हहह, तपुम्हम
बहन्धवण सल न यपुद करनल दफहगह।

‘‘लह सपुखिभ रहह, सहरल पहण्डव


जफर एक बहर वन जहयमगल,
इस बहर, महहगनल कह अपनह
वल स्वतव न वहपस आयमगल।

धरतभ कक शहजन्त बचहनल कह


आजभवन कष सहमगल वल,
नफतन पकहश फह लहनल कह
तप मम जमल जनरत रहमगल वल।

शत लक्ष महनवण कल सम्मपुखि


दस-पहहच जनण कह सपुखि क्यह हह ?
यजद शहजन्त जवश्व कक बचतभ हह,
वन मम बसनल मम दपुखि क्यह हह ?

सच हह जक पहण्डफ नन्दन वन मम
समहटद नहह कहलहयमगल,
पर, कहल-ग्रन्थ मम उससल भभ
वल कहह शलष पद पहयमगल।

‘‘हहकर कवृ तज आनलवहलह यपुग


मस्तक उन्हम झपुकहयलगह,
नवधमर-जवधहयक कक पशजस्त
सवंसहर यपुगण तक गहयलगह।

सभखिलगह जग, हम दलन यपुद कह


कर सकतल, त्यहगभ हहकर,
महनव-समहज कह नयन मनपुज
कर सकतह वहरहगभ हहकर।’’

Part 3
पर, नहह, जवश्व कह अजहत नहह
हहतह क्यह ऐसह कहनल सल ?
पजतकहर अनय कह हह सकतह।
क्यह उसल मपौन हह सहनल सल ?

क्यह वहभ धमर, लपौ जजसकक


दह-एक मनण मम जलतभ हह।
यह वह भभ जह भहवनह सभभ
कल भभतर जछिपभ मचलतभ हह।

सबकक पभडह कल सहथ व्यथह


अपनल मन कक जह जहड सकल ,
मपुड सकल जहहह तक समय, उसल
जनजदरष जदशह मम महड सकल ।

यपुगपपुरष वहभ सहरल समहज कह


जवजहत धमरगपुर हहतह हह,
सबकल मन कह जह अन्धकहर
अपनल पकहश सल धहतह हह।

द्वहपर कक कथह बडभ दहरण,


ललजकन, कजल नल क्यह दहन जदयह ?
नर कल वध कक पजकयह बढभ
कपु छि और उसल आसहन जकयह।

पर, हहह, जह यपुद स्वगरमपुखि थह,


वह आज जनन्द-सह लगतह हह।
बस, इसभ मन्दतह कल जवकहस कह
भहव मनपुज मम जगतह हह।
धभमभ जकतनभ गजत हह ? जवकहस
जकतनह अदृश्य हह चलतह हह ?
इस महहववृक्ष मम एक पत्रि
सजदयण कल बहद जनकलतह हह।

थल जहहह सहसण वषर पफवर,


लगतह हह वहह खिडल हह हम।
हह ववृथह वगर, उन गपुफहवहजसयण सल
कपु छि बहहत बडल हह हम।

अनगढ पत्थर सल लडह, लडह


जकटजकटह नखिण सल, दहहतण सल,
यह लडह ऋक्ष कल रहमगपुच्छि-पफररत
वज्रभकवृ त हहथण सल;
यह चढ जवमहन पर नमर मपुरट्ठियण सल
गहलण कक ववृजष करह,
आ जहय लक्ष्य मम जह कहई,
जनषह र हह सबकल पहण हरह।
यल तह सहधन कल भलद, जकन्तपु
भहवण मम तत्व नयह क्यह हह ?
क्यह खिपुलभ पलम आहखि अजधक ?
भतभर कपु छि बढभ दयह क्यह हह ?

झर गयभ पफहछि, रहमहन्त झरल,


पशपुतह कह झरनह बहकक हह;
बहहर-बहहर तन सहवर चपुकह,
मन अभभ सहवरनह बहकक हह।

दलवत्व अल्प, पशपुतह अथहर,


तमतहम पचपुर, पररजमत आभह,
द्वहपर कल मन पर भभ पसररत
थभ यहभ, आज वहलभ, द्वहभह।

बस, इसभ तरह, तब भभ ऊपर


उठनल कह नर अकपु लहतह थह,
पर पद-पद पर वहसनह-जहल मम
उलझ-उलझ रह जहतह थह।

Part 3

पर, नहह, जवश्व कह अजहत नहह


हहतह क्यह ऐसह कहनल सल ?
पजतकहर अनय कह हह सकतह।
क्यह उसल मपौन हह सहनल सल ?

क्यह वहभ धमर, लपौ जजसकक


दह-एक मनण मम जलतभ हह।
यह वह भभ जह भहवनह सभभ
कल भभतर जछिपभ मचलतभ हह।

सबकक पभडह कल सहथ व्यथह


अपनल मन कक जह जहड सकल ,
मपुड सकल जहहह तक समय, उसल
जनजदरष जदशह मम महड सकल ।

यपुगपपुरष वहभ सहरल समहज कह


जवजहत धमरगपुर हहतह हह,
सबकल मन कह जह अन्धकहर
अपनल पकहश सल धहतह हह।

द्वहपर कक कथह बडभ दहरण,


ललजकन, कजल नल क्यह दहन जदयह ?
नर कल वध कक पजकयह बढभ
कपु छि और उसल आसहन जकयह।

पर, हहह, जह यपुद स्वगरमपुखि थह,


वह आज जनन्द-सह लगतह हह।
बस, इसभ मन्दतह कल जवकहस कह
भहव मनपुज मम जगतह हह।
धभमभ जकतनभ गजत हह ? जवकहस
जकतनह अदृश्य हह चलतह हह ?
इस महहववृक्ष मम एक पत्रि
सजदयण कल बहद जनकलतह हह।

थल जहहह सहसण वषर पफवर,


लगतह हह वहह खिडल हह हम।
हह ववृथह वगर, उन गपुफहवहजसयण सल
कपु छि बहहत बडल हह हम।

अनगढ पत्थर सल लडह, लडह


जकटजकटह नखिण सल, दहहतण सल,
यह लडह ऋक्ष कल रहमगपुच्छि-पफररत
वज्रभकवृ त हहथण सल;
यह चढ जवमहन पर नमर मपुरट्ठियण सल
गहलण कक ववृजष करह,
आ जहय लक्ष्य मम जह कहई,
जनषह र हह सबकल पहण हरह।

यल तह सहधन कल भलद, जकन्तपु


भहवण मम तत्व नयह क्यह हह ?
क्यह खिपुलभ पलम आहखि अजधक ?
भतभर कपु छि बढभ दयह क्यह हह ?

झर गयभ पफहछि, रहमहन्त झरल,


पशपुतह कह झरनह बहकक हह;
बहहर-बहहर तन सहवर चपुकह,
मन अभभ सहवरनह बहकक हह।

दलवत्व अल्प, पशपुतह अथहर,


तमतहम पचपुर, पररजमत आभह,
द्वहपर कल मन पर भभ पसररत
थभ यहभ, आज वहलभ, द्वहभह।

बस, इसभ तरह, तब भभ ऊपर


उठनल कह नर अकपु लहतह थह,
पर पद-पद पर वहसनह-जहल मम
उलझ-उलझ रह जहतह थह।

PART 4

औ’ जजस पकहर हम आज बलल-


बफटण कल बभच खिजचत करकल ,
दलतल हह रण कह रम्य रप
जवप्लवभ उमवंगण मम भरकल ;
कहतल, अनभजतयण कल जवरद
जह यपुद जगत मम हहतह हह,
वह नहह ज़हर कह कहष, अमवृत कह
बडह सलहनह सहतह हह।

बस, इसभ तरह, कहतह हहगह


द्वहभह-शहजसत द्वहपर कह नर,
जनषह रतहएह हण भलल, जकन्तपु,
हह महहमहक्ष कह द्वहर समर।

सत्य हभ, समपुनजत कल पथ पर


चल रहह चतपुर महनव पबपुद,
कहतह हह कहजन्त उसल, जजसकह
पहलल कहतह थह धमरयद पु ।

सह, धमरयदपु जछिड गयह, स्वगर


तक जहनल कल सहपहन लगल,
सद्गजतकहमभ नर-वभर खिड्ग सल
जलपट गहवहनल पहण लगल।

छिह गयह जतजमर कह सघन जहल,


मपुहद गयल मनपुज कल जहन-नलत्रि,
द्वहभह कक जगरह पपुकहर उठभ,
‘‘जय धमरक्षलत्रि ! जय कपु रक्षलत्रि !’’

हहह, धमरक्षलत्रि इसजलए जक बन्धन


पर अबन्ध कक जभत हहई,
कत्र्तव्यजहन पभछिल छिफटह,
आगल महनव कक पभत हहई।

पलमहजतरलक मम कल शव नल
पण भफल चक सन्धहन जकयह,
भभष्म नल शत्रिपु कह बडल पलम सल
अपनह जभवन दहन जदयह।

जगरर कह उदग्र गपौरवहधहर


जगर जहय शवृवंग ज्यण महहकहर,
अथवह सफनह कर आसमहन
ज्यण जगरल टफ ट रजव भहसमहन,
कपौरव-दल कह कर तलज हरण
त्यण जगरल भभष्म आलहकवरण।

कपु रकपु ल कह दभजपत तहज जगरह,


थक कर बफढह जब बहज़ जगरह,
भफलफजठत जपतहमह कह जवलहक,
छिह गयह समर मम महहशहक।
कपु रपजत हभ धहयर न खिहतह थह,
अजपुरन कह मन भभ रहतह थह।
रह-धह कर तलज नयह चमकह,
दफसरह सफयर जसर पर चमकह,
कपौरवभ तलज दपुजर्वेय उठह,
रण करनल कह रहधलय उठह,
सबकल रक्षक गपुर आयर हहए,
सलनह-नहयक आचहयर हहए।

रहधलय, जकन्तपु जजनकल कहरण,


थह अब तक जकयल मपौन धहरण,
उनकह शपुभ आजशष पहनल कह,
अपनह सदमर जनभहनल कह,
वह शर-शय्यह कक ओर चलह,
पग-पग हह जवनय-जवभहर चलह।

छिफ भभष्मदलव कल चरण यपुगल,


बहलह वहणभ रहधलय सरल,
‘‘हल तहत ! आपकह पहत्सहहन,
पह सकह नहह जह लहजन्छित जन,
यह वहभ सहमनल आयह हह,
उपहहर अशपु कह लहयह हह।

Part 5

‘‘आजह हह तह अब धनपुष धरह,


रण मम चलकर कपु छि कहम करह,
दलखिफह, हह कपौन पलय उतरह,
जजससल डगमग हह रहभ धरह।
कपु रपजत कह जवजय जदलहऊह मह,
यह स्वयवं जवरगजत पहऊह मह।

‘‘अनपुचर कल दहष क्षमह कररयल,


मस्तक पर वरद पहजण धररयल,
आजखिरभ जमलन कक वललह हह,
मन लगतह बडह अकल लह हह।
मद-महह त्यहगनल आयह हहह,
पद-धफजल महहगनल आयह हहह।’’

भभष्म नल खिहल जनज सजल नयन,


दलखिल कणर कल आदर लहचन
बढ खिहच पहस मम लह करकल ,
छिहतभ सल उसल लगह करकल ,
बहलल-‘‘क्यह तत्व जवशलष बचह ?
बलटह, आहसफ हभ शलष बचह।

‘‘मह रहह रहकतह हभ क्षण-क्षण,


पर हहय, हठभ यह दपुयर्योधन,
अवंकपुश जववलक कह सह न सकह,
मलरल कहनल मम रह न सकह,
कहधहन्ध, भहन्त, मद मम जवभहर,
लल हभ आयह सवंग्रहम घहर।

‘‘अब कहह, आज क्यह हहतह हह ?


जकसकह समहज यह रहतह हह ?
जकसकह गपौरव, जकसकह जसवंगहर,
जल रहह पवंजक कल आर-पहर ?
जकसकह वन-बहग उजडतह हह?
यह कपौन महरतह-मरतह हह ?

‘‘फफ टतह दहह-दव कह पहवक,


हह जहतह सकल समहज नरक,
सबकह वहभव, सबकह सपुहहग,
जहतभ डकहर यह कपु जटल आग।
जब बन्धपु जवरहधभ हहतल हह,
सहरल कपु लवहसभ रहतल हह।

‘‘इसजलए, पपुत्रि ! अब भभ रककर,


मन मम सहचह, यह महहसमर,
जकस ओर तपुम्हम लल जहयलगह ?
फल अलभ कपौन दल पहयलगह ?
महनवतह हभ जमट जहयलगभ,
जफर जवजय जसजद क्यह लहयलगभ ?

‘‘ओ मलरल पजतद्वन्दभ महनभ !


जनश्छिल, पजवत्रि, गपुणमय, जहनभ !
मलरल मपुखि सल सपुन परष वचन,
तपुम ववृथह मजलन करतल थल मन।
मह नहह जनरह अवशवंसभ थह,
मन-हभ-मन बडह पशवंसभ थह।

‘‘सह भभ इसजलए जक दपुयर्योधन,


पह सदह तपुम्हह सल आश्वहसन,
मपुझकह न महनकर चलतह थह,
पग-पग पर रठ मचलतह थह।
अन्यथह पपुत्रि ! तपुमसल बढकर
मह जकसल महनतह वभर पवर ?

‘‘पहथर्योपम रथभ, धनपुधहररभ,


कल शव-समहन रणभट भहरभ,
धमरज, धभर, पहवन-चररत्रि,
दभनण-दजलतण कल जवजहत जमत्रि,
अजपुरन कह जमलल कवृ ष्ण जहसल,
तपुम जमलल कपौरवण कह वहसल।

Part 6
‘‘पर हहय, वभरतह कह सम्बल,
रह जहयलगह धनपु हभ कल वल ?
यह शहजन्त हलतपु शभतल, शपुजच शम,
भभ कभभ करमगल वभर परम ?
ज्वहलह भभ कभभ बपुझहयमगल ?
यह लडकर हभ मर जहयमगल ?

‘‘चल सकल सपुयहधन पर यजद वश,


बलटह ! लह जग मम नयह सपुयश,
लडनल सल बढ यह कहम करह,
आज हभ बन्द सवंग्रहम करह।
यजद इसल रहक तपुम पहओगल,
जग कल त्रिहतह कहलहओगल।

‘‘जह कहह वभर दपुयर्योधन सल,


कर दफर द्वलष-जवष कह मन सल,
वह जमल पहण्डवण सल जहकर,
मरनल दल मपुझल शहजन्त पहकर।
मलरह अजन्तम बजलदहन रहल,
सपुखि सल सहरभ सन्तहन रहल।’’

‘‘हल पपुरष जसवंह !’’ कणर नल कहह,


‘‘अब और पन्थ क्यह शलष रहह ?
सकवंटहपन जभवन समहन,
हह बभच जसन्धपु मम महहयहन;
इस पहर शहजन्त, उस पहर जवजय
अब क्यह हह भलह नयह जनश्चय ?

‘‘जय जमलल जबनह जवशहम नहह,


इस समय सजन्ध कह नहम नहह,
आजशष दभजजयल, जवजय कर रण,
जफर दलखि सकफह यल भव्य चरण;
जलयहन जसन्धपु सल तहर सकफह ;
सबकह मह पहर उतहर सकफह ।

‘‘कल तक थह पथ शहजन्त कह सपुगम,


पर, हहआ आज वह अजत दपुगरम,
अब उसल दलखि ललचहनह क्यह ?
पभछिल कह पहहव हठहनह क्यह ?
जय कह कर लक्ष्य चलमगल हम,
अरर-दल कह गवर दलमगल हम।

‘‘हल महहभहग, कपु छि जदन जभकर,


दलजखियल और यह महहसमर,
मपुझकह भभ पलय मचहनह हह,
कपु छि खिलल नयह जदखिलहनह हह;
इस दम तह मपुखि महजप़डयल नहह;
मलरभ जहम्मत तहजप़डयल नहह।
करनल दभजजयल स्वव्रत पहलन,
अपनल महहनद पजतभट सल रण,
अजपुरन कह शभश उडहनह हह,
कपु रपजत कह हृदय जपुडहनह हह।
करनल कह जपतह अमर मपुझकह,
हह बपुलह रहह सवंगर मपुझकह।’’

गहवंगयल जनरहशह मम भर कर,


बहलल-‘‘तब हल नरवभर पवर !
जह भलह लगल, वह कहम करह,
जहओ, रण मम लड नहम करह।
भगवहनदमद शजमत जवष तफणर करम;
अपनभ इच्छिहएह पफणर करम।’’

भभष्म कह चरण-वन्दन करकल ,


ऊपर सफयर कह नमन करकल ,
दलवतह वज्र-धनपुधहरभ सह,
कल सरभ अभय मगचहरभ-सह,
रहधलय समर कक ओर चलह,
करतह गजरन घनघहर चलह।

Part 7

पहकर पसन आलहक नयह,


कपौरव-सलनह कह शहक गयह,
आशह कक नवल तरवंग उठभ,
जन-जन मम नयभ उमवंग उठभ,
महनण, बहणण कह छिहड शयन,
आ गयल स्वयवं गवंगहनन्दन।

सलनह समग्र हहकहवंर उठभ,


‘जय-जय रहधलय !’ पपुकहर उठभ,
उलहस मपुक हह छिहर उठह,
रण-जलजध घहष मम घहर उठह,
बज उठभ समर-भलरभ भभषण,
हह गयह शपुर सवंग्रहम गहन।

सहगर-सह गजजरत, क्षपुजभत घहर,


जवकरहल दण्डधर-सह कठहर,
अररदल पर कपु जपत कणर टफ टह,
धनपु पर चढ महहमरण छिफटह।
ऐसभ पहलभ हभ आग चलभ,
पहण्डव कक सलनह भहग चलभ।

झवंझह कक घहर झकहर चलभ,


डहलण कह तहड-मरहड चलभ,
पलडण कक जड टफ टनल लगभ,
जहम्मत सब कक छिफटनल लगभ,
ऐसह पचण्ड तफफहन उठह,
पवरत कह भभ जहल पहण उठह।

प्लहवन कह पह दपुजरय पहहर,


जजस तरह कहहपतभ हह कगहर,
यह चकवहत मम यथह ककणर,
उडनल लगतल पतल जवशभणर,
त्यण उठह कहहप थर-थर अररदल,
मच गयभ बडभ भभषण हलचल।

सब रथभ व्यग्र जबललहतल थल,


कहलहहल रहक न पहतल थल।
सलनह कह यण बलहहल दलखि,
सहमनल उपजस्थत कहल दलखि,
गरजल अधभर हह मधपुसफदन,
बहलल पहथर सल जनगफढ वचन।

‘‘दल अजचर सहन्य कह अभयदहन,


अजपुरन ! अजपुरन ! हह सहवधहन,
तफ नहह जहनतह हह यह क्यह ?
करतह न शत्रिपु पर कणर दयह ?
दहहक पचण्ड इसकह बल हह,
यह मनपुज नहह, कहलहनल हह।

‘‘बडवहनल, यम यह कहलपवन,
करतल जब कभभ कहप भभषण
सहरह सवरस्व न ललतल हह,
उजच्छिष छिहड कपु छि दलतल हह।
पर, इसल कहध जब आतह हह;
कपु छि भभ न शलष रह पहतह हह।

बहणण कह अपजतहत पहहर,


अपजतम तलज, पपौरष अपहर,
त्यण गजरन पर गजरन जनभरय,
आ गयह स्वयवं सहमनल पलय,
तफ इसल रहक भभ पहयलगह ?
यह खिडह मफक रह जहयलगह।

‘य महहमत महनव-कपु ज्जर,


कह सल अशवंक हह रहह जवचर,
कर कह जजस ओर बढहतह हह?
पथ उधर स्वयवं बन जहतह हह।
तफ नहह शरहसन तहनलगह,
अवंकपुश जकसकह यह महनलगह ?

Part 8
‘अजपुरन ! जवलम्ब पहतक हहगह,
शहजथल्य पहण-घहतक हहगह,
उठ जहग वभर ! मफढतह छिहड,
धर धनपुष-बहण अपनह कठहर।
तफ नहह जहश मम आयलगह
आज हभ समर चपुक जहयलगह।’’

कल शव कह जसवंह दहहड उठह,


महनण जचग्घहर पहहड उठह।
बहणण कक जफर लग गयभ झडभ,
भहगतभ फपौज हह गयभ खिडभ।
जफझनल लगल कपौन्तलय-कणर,
ज्यण लडल परस्पर दह सपुपणर।

एक हभ ववृम्त कल कह कपु ड्मल, एक कक कपु जक्ष कल दह कपु महर,


एक हभ ववंश कल दह भफषण, जवभहट, वभर, पवरतहकहर।
बलधनल परस्पर लगल सहज-सहदर शरभर मम पखिर बहण,
दहनण कक जकवंशपुक दलह हहई, दहनण कल पहवक हहए पहण।

अन्धड बन कर उन्महद उठह,


दहनण जदजश जयजयकहर हहई।
दहनण पक्षण कल वभरण पर,
महनह, भहरवभ सवहर हहई।
कट-कट कर जगरनल लगल जक्षप,
रण्डण सल मपुण्ड अलग हहकर,
बह चलभ मनपुज कल शहजणत कक
धहरह पशपुओवं कल पग धहकर।

ललजकन, थह कपौन, हृदय जजसकह,


कपु छि भभ यह दलखि दहलतह थह ?
थह कपौन, नरण कक लहशण पर,
जह नहह पहहव धर चलतह थह ?
तन्वभ करणह कक झलक झभन
जकसकह जदखिलहयभ पडतभ थभ ?
जकसकह कटकर मरनलवहलण कक
चभखि सपुनहयभ पडतभ थभ ?

कल वल अलहत कह घफजणर-चक,
कल वल वज्रहयपुध कह पहहर,
कल वल जवनहशकहरभ नत्र्तन,
कल वल गजरन, कल वल पपुकहर।
हह कथह, दहण कक छिहयह मम
यण पहहच जदनण तक यपुद चलह,
क्यह कहम, धमर पर कपौन रहह,
यह उसकल कपौन जवरद चलह ?

थह जकयह भभष्म पर पहण्डव नल,


जहसल छिल-छि ùमण सल पहहर,
कपु छि उसभ तरह जनषह रतह सल
हत हहआ वभर अजपुरन-कपु महर !
जफर भभ, भहवपुक कपु रववृद भभष्म,
थल यपुग पक्षण कल जलए शरण,
कहतल हह, हहकर जवकल,
मवृत्यपु कह जकयह उन्हणनल स्वयवं वरण।
अजपुरन-कपु महर कक कथह, जकन्तपु
अब तक भभ हृदय जहलहतभ हह,
सभ्यतह नहम ललकर उसकह
अब भभ रहतभ, पछितहतभ हह।
पर, हहय, यपुद अन्तक-स्वरप,
अन्तक-सह हभ दहरण कठहर,
दलखितह नहह ज्यहयहनद-यपुवह,
दलखितह नहह बहलक-जकशहर।

सपुत कल वध कक सपुन कथह पहथर कह,


दहक उठह शहकहत्र्त हृदय,
जफर जकयह कपु द हहकर उसनल,
तब महह लहम-हषरक जनश्चय,
‘कल अस्तकहल कल पफवर जयदथ
कह न महर यजद पहऊह मह,
सपौगन्ध धमर कक मपुझल, आग मम
स्वयवं कफ द जल जहऊह मह।’

Part 9

तब कहतल हह अजपुरन कल जहत,


हह गयह पकवृ जत-कम जवपयरस्त,
महयह कक सहसह शहम हहई,
असमय जदनलश हह गयल अस्त।

ज्यण त्यण करकल इस भहहजत वभर


अजपुरन कह वह पण पफणर हहआ,
जसर कटह जयदथ कह, मस्तक
जनदर्योष जपतह कह चपुणर हहआ।

हहह, यह भभ हहआ जक सहत्यजक सल,


जब जनपट रहह थह भफररशवह,
पहथर नल कहट लभ, अनहहहत,
शर सल उसकक दहजहनभ भपुजह।
औ‘ भफररशवह अनशन करकल ,
जब बहठ गयह ललकर मपुजन-व्रत,
सहत्यजक नल मस्तक कहट जलयह,
जब थह वह जनश्चल, यहग-जनरत।

हह ववृथह धमर कह जकसभ समय,


करनह जवग्रह कल सहथ ग्रथन,
करणह सल कढतह धमर जवमल,
हह मजलन पपुत्रि जहवंसह कह रण।
जभवन कल परम ध्यलय-सपुखि-कह
सहरह समहज अपनहतह हह,
दलखिनह यहभ हह कपौन वहहह
तक जकस पकहर सल जहतह हह ?

हह धमर पहहहचनह नहह, धमर तह


जभवन भर चलनल मम हह।
फह लह कर पथ पर जस्नग्ध ज्यहजत
दभपक समहन जलनल मम हह।
यजद कहम जवजय, तह जवजय पहप
हह जहतभ परतहपभ कह भभ,
सत्य हभ, पपुत्रि, दहरह, धन, जन;
जमल जहतल हह पहपभ कह भभ।

इसजलए, ध्यलय मम नहह, धमर तह


सदह जनजहत, सहधन मम हह,
वह नहह जसकक भभ पधन-कमर,
जहवंसह, जवग्रह यह रण मम हह।
तब भभ जह नर चहहतल, धमर,
समझल मनपुष्य सवंहहरण कह,
गफहथनह चहहतल वल, फफ लण कल
सहथ तप अवंगहरण कह।

हह जजसल धमर सल पलम कभभ


वह कपु जत्सत कमर करलगह क्यह ?
बबरर, करहल, दवंषषभ बन कर
महरलगह और मरलगह क्यह ?
पर, हहय, मनपुज कल भहग्य अभभ
तक भभ खिहटल कल खिहटल हह,
हम बढल बहहत बहहर, भभतर
ललजकन, छिहटल कल छिहटल हह।

सवंग्रहम धमरगपुण कह जवशलष्य


जकस तरह भलह हह सकतह हह ?
कह सल मनपुष्य अवंगहरण सल
अपनह पदहह धह सकतह हह ?
सजपरणभ-उदर सल जह जनकलह,
पभयफष नहह दल पहयलगह,
जनश्छिल हहकर सवंग्रहम धमर कह
सहथ न कभभ जनभहयलगह।

महनलगह यह दवंषषभ करहल


जवषधर भपुजवंग जकसकह यन्त्रिण ?
पल-पल अजत कह कर धमरजसक
नर कभभ जभत पहयह हह रण ?
जह ज़हर हमम बरबस उभहर,
सवंग्रहम-भफजम मम लहतह हह,
सत्पथ सल कर जवचजलत अधमर
कक ओर वहभ लल जहतह हह।

Part 10

सहधनह कह भफल जसजद पर जब


टकटकक हमहरभ लगतभ हह,
जफर जवजय छिहड भहवनह और
कहई न हृदय मम जगतभ हह।
तब जह भभ आतल जवरन रप,
हह धमर, शभल यह सदहचहर,
एक हभ सदृश हम करतल हह
सबकल जसर पर पहद-पहहर।

उतनभ हभ पभडह हमम नहह,


हहतभ हह इन्हम कपु चलनल मम,
जजतनभ हहतभ हह रहज़ कवंकडह
कल ऊपर हह चलनल मम।
सत्य हभ, ऊध्षव-लहचन कह सल
नभचल जमटभ कह जहन करल ?
जब बडह लक्ष्य हह खिहच रहह,
छिहटभ बहतण कह ध्यहन करल ?

चलतह हह अन्ध ऊध्षव-लहचन,


जहनतह नहह, क्यह करतह हह,
नभच पथ मम हह कपौन ? पहहव
जजसकल मस्तक पर धरतह हह।
कहटतह शत्रिपु कह वह ललजकन,
सहथ हभ धमर कट जहतह हह,
फहडतह जवपक्षभ कह अन्तर
महनवतह कह फट जहतह हह।

वहसनह-वजह्न सल जह जनकलह,
कह सल हह वह सवंयगपु कहमल ?
दलखिनल हमम दलगह वह क्यण,
करणह कह पन्थ सपुगम शभतल ?
जब लहभ जसजद कह आहखिण पर,
महहडभ बन कर छिह जहतह हह
तब वह मनपुष्य सल बडल-बडल
दपुजश्चन्त्य कवृ त्य करवहतह हह।

जफर क्यह जवस्मय, कपौरव-पहण्डव


भभ नहह धमर कल सहथ रहल ?
जह रवंग यपुद कह हह, उससल,
उनकल भभ अलग न हहथ रहल।
दहनण नल कहजलखि छिपुई शभश पर,
जय कह जतलक लगहनल कह,
सत्पथ सल दहनण जडगल, दपौडकर,
जवजय-जवन्दपु तक जहनल कह।

इस जवजय-द्वन्द्व कल बभच यपुद कल


दहहक कई जदवस बभतल;
पर, जवजय जकसल जमल सकतभ थभ,
जब तक थल दहण-कणर जभतल ?
थह कपौन सत्य-पथ पर डटकर,
जह उनसल यहग्य समर करतह ?
धमर सल महर कर उन्हम जगतद मम,
अपनह नहम अमर करतह ?

थह कपौन, दलखिकर उन्हम समर मम


जजसकह हृदय न कह पतह थह ?
मन हभ मन जह जनज इष दलव कह
भय सल नहम न जपतह थह ?
कमलण कल वन कह जजस पकहर
जवदजलत करतल मदकल कपु ज्जर,
थल जवचर रहल पहण्डव-दल मम
त्यण मचह ध्ववंस दहनण नरवर।

सवंग्रहम-बपुभपुक्षह सल पभजप़डत,
सहरल जभवन सल छिलह हहआ,
रहधलय पहण्डवण कल ऊपर
दहरण अमषर सल जलह हहआ;
इस तरह शत्रिपुदल पर टफ टह,
जहसल हह दहवहनल अजलय,
यह टफ ट पडल हण स्वयवं स्वगर सल
उतर मनपुज पर कहजत्र्तकल य।

Part 11

सवंघजटत यह जक उनचहस मरत


कणर कल पहण मम छिहयल हण,
यह कपु जपत सफय आकहश छिहड
नभचल भफतल पर आयल हण।
अथवह रण मम हह गरज रहह
धनपु जलयल अचल पहललयवहन,
यह महहकहल बन टफ टह हह
भफ पर ऊपर सल गरत्महन।

बहणण पर बहण सपक्ष उडल,


हह गयह शत्रिपुदल खिण्ड-खिण्ड,
जल उठभ कणर कल पपौरष कक
कहलहनल-सभ ज्वहलह पचण्ड।
जदग्गज-दरहज वभरण कक भभ
छिहतभ पहहर सल उठभ हहर,

सहमनल पलय कह दलखि गयल


गजरहजण कल भभ पहहव उखिड।

जन-जन कल जभवन पर करहल,


दपुमरद कवृ तहन्त जब कणर हहआ,
पहण्डव-सलनह कह हृहस दलखि
कल शव कह वदन जववणर हहआ।
सहचनल लगल, छिफटमगल क्यह
सबकल जवपन आज हभ पहण ?
सत्य हभ, नहह क्यह हह कहई
इस कपु जपत पलय कह समहधहन ?

‘‘हह कहहह पहथर ? हह कहहह पहथर ?’’


रहधलय गरजतह थह क्षण-क्षण।
‘‘करतह क्यण नहभ पकट हहकर,
अपनल करहल पजतभट सल रण ?
क्यह इन्हह मफजलयण सल मलरभ
रणकलह जनबट रह जहयलगभ ?
यह जकसभ वभर पर भभ अपनह,
वह चमत्कहर जदखिलहयलगभ ?

‘‘हह जछिपह जहहह भभ पहथर, सपुनल,


अब हहथ समलटल ललतह हहह,
सबकल समक्ष द्वहरथ-रण कक,
मह उसल चपुनपौतभ दलतह हहह।
जहम्मत हह तह वह बढल,
व्यफह सल जनकल जरह सम्मपुखि आयल,
दल मपुझल जन्म कह लहभ और
सहहस हह तह खिपुद भभ पहयल।’’

पर, चतपुर पहथर-सहरथभ आज,


रथ अलग नचहयल जफरतल थल,
कणर कल सहथ द्वहरथ-रण सल,
जशष्य कह बचहयल जफरतल थल।
जचन्तह थभ, एकरनभ करहल,
यजद जद्वरथ-यपुद मम छिफटलगभ,
पहथर कह जनधन हहगह, जकस्मत,
पहण्डव-समहज कक फफ टलगभ।

नटनहगर नल इसजलए, यपुजक कह


नयह यहग सन्धहन जकयह,
एकजरन-हव्य कल जलए घटहत्कच
कह हरर नल आह्वहन जकयह।
बहलल, ‘‘बलटह ! क्यह दलखि रहह ?
हहथ सल जवजय जहनल पर हह,
अब सबकह भहग्य एक तलरल
कपु छि करतब जदखिलहनल पर हह।

‘‘यह दलखि, कणर कक जवजशखि-ववृजष


कह स करहल झड लहतभ हह ?
गह कल समहन पहण्डव-सलनह
भय-जवकल भहगतभ जहतभ हह।
जतल पर भभ जभफम न कहह खिडल
हण जहहह लहग सपुजस्थर क्षण-भर,
सहरभ रण-भफ पर बरस रहल
एक हभ कणर कल बहण पखिर।

Part 12

‘‘यजद इसभ भहहजत सब लहग


मवृत्यपु कल घहट उतरतल जहयमगल,
कल पहत कपौन सलनह ललकर
पहण्डव सवंगर मम आयमगल ?
हह जवपदद कक घडभ,
कणर कह जनभरय, गहढ, पहहर रहक।
बलटह ! जहसल भभ बनल, पहण्डवभ
सलनह कह सवंहहर रहक।’’

फफ टल ज्यण वजह्नमपुखिभ पवरत,


ज्यण उठल जसन्धपु मम पलय-ज्वहर,
कफ दह रण मम त्यण महहघहर
गजरन कर दहनव जकमहकहर।
सत्य हभ, असपुर कल आतल हभ
रण कह वह कम टफ टनल लगह,
कपौरवभ अनभ भयभभत हहई;
धभरज उसकह छिफटनल लगह।

हह कथह, दहनवण कल कर मम
थल बहहत-बहहत सहधन कठहर,
कपु छि ऐसल भभ, जजनपर, मनपुष्य कह
चल पहतह थह नहह जहर।
उन अगम सहधनण कल महरल
कपौरव सलनह जचग्घहर उठभ,
लल नहम कणर कह बहर-बहर,
व्यहकपु ल कर हहहहकहर उठभ।

ललजकन, अजस-शर-ववृजष-जनरत,
अनवरत-यपुद-रत, धभर कणर,
मन-हभ-मन थह हह रहह स्वयवं,
इस रण सल कपु छि जवजस्मत, जववणर।
बहणण सल जतल-भर भभ अजबद,
थह कहह नहह दहनव कह तन;
पर, हहआ जह रहह थह वह पशपु,
पल-पल कपु छि और अजधक भभषण।

जब जकसभ तरह भभ नहह रद,


हह सकक महहदहनव कक गजत,
सहरभ सलनह कह जवकल दलखि,
बहलह कणर सल स्वयवं कपु रपजत,
‘‘क्यह दलखि रहल हह सखिल ! दस्यपु
ऐसल क्यह कभभ मरलगह यह ?
दह घडभ और जह दलर हहई,
सबकह सवंहहर करलगह यह।

‘‘हल वभर ! जवलपतल हहए सहन्य कह,


अजचर जकसभ जवजध त्रिहण करह।
अब नहह अन्य गजत; आहखि मफहद,
एकरनभ कह सन्धहन करह।
अरर कह मस्तक हह दफर, अभभ
अपनण कल शभश बचहओ तह,
जह मरण-पहश हह पडह, पथम,
उसमम सल हमम छिपुडहओ तह।’’

सपुन सहम उठह रहधलय, जमत्रि कक


ओर फल र जनज चजकत नयन,
झपुक गयह जववशतह मम कपु रपजत कह
अपरहधभ, कहतर आनन।
मन-हभ-मन बहलह कणर, ‘‘पहथर !
तफ वय कह बडह बलभ जनकलह,
यह यह जक आज जफर एक बहर,
मलरह हभ भहग्य छिलभ जनकलह।’’

रहतह आयह थह मपुजदत कणर


जजसकह अजलय सम्बल ललकर,
थह जकयह पहप जजसकह उसनल,
इन्द कह कवच-कपु ण्डल दलकर,
जजसकक करहलतह मम जय कह,
जवश्वहस अभय हह पलतह थह,
कल वल अजपुरन कल जलए उसल,
रहधलय जपुगहयल चलतह थह;

Part 13

वह कहल-सजपरणभ कक जजह्वह,
वह अटल मवृत्यपु कक सगभ स्वसह,
घहतकतह कक वहजहनभ, शजक
यम कक पचण्ड, वह अनल-रसह,
लपलपह आग-सभ एकरनभ
तफणभर छिहड बहहर आयभ,
चहहदनभ मन्द पड गयभ, समर मम
दहहक उज्जवलतह छिहयभ।

कणर नल भहग्य कह ठणक उसल,


आजखिर दहनव पर छिहड जदयह,
जवह हह कपु रपजत कह जवलहक,
जफर जकसभ ओर मपुखि महड जलयह।
उस असपुर-पहण कह बलध, दृजष
सबकक क्षर भर त्रिहजसत करकल ,
एकरनभ ऊपर लभन हहई,
अम्बर कह उदभहजसत करकल ।

पह धमक, धरह धहस उछिल पडभ,


ज्यण जगरह दस्यपु पवरतहकहर,
‘‘हह ! हह !’’ कक चहरण ओर मचभ,
पहण्डव दल मम व्यहकपु ल पपुकहर।
नरवभर यपुजधजषर, नकपु ल, भभम
रह सकल कहह कहई न धभर,
जह जहहह खिडल थल, लगल वहह
करनल कहतर कन्दन गवंभभर।

सहरभ सलनह थभ चभखि रहभ,


सब लहग व्यग्र जबलखिहतल थल;
पर बडभ जवलक्षण बहत !
हहसभ नटनहगर रहक न पहतल थल।
टल गयभ जवपदद कहई जसर सल,
यह जमलभ कहह मन-हभ-मन जय,
क्यह हहई बहत ? क्यह दलखि हहए
कल शव इस तरह जवगत-सवंशय ?

ललजकन समर कह जभत कर,

जनज वहजहनभ कह पभत कर,


वलजयत गहन गपुन्जहर सल,
पफजजत परम जयकहर सल,
रहधलग सवंगर सल चलह, मन मम कहह खिहयह हहआ,
जय-घहष कक झवंकहर सल आगल कहह सहयह हहआ

हहरभ हहई पहण्डव-चमफ मम हहस रहल भगवहनद थल,


पर जभत कर भभ कणर कल हहरल हहए-सल पहण थल

क्यह, सत्य हभ, जय कल जलए कल वल नहह बल चहजहए


कपु छि बपुजद कह भभ घहत; कपु छि छिल-छि ù-कपौशल चहजहए

क्यह भहग्य कह आघहत हह !


कह सभ अनहखिभ बहत हह ?

महतभ जछिपल आतल जकसभ कल आहसपुओवं कल तहर मम,


हहसतह कहह अजभशहप हभ आनन्द कल उचहर मम।

मगर, यह कणर कक जभवन-कथह हह,


जनयजत कह, भहग्य कह इवंजगत ववृथह हह।
मपुसभबत कह नहह जह झलल सकतह,
जनरहशह सल नहह जह खिलल सकतह,

पपुरष क्यह, शवृवंखिलह कह तहड करकल ,


चलल आगल नहह जह जहर करकल ?

Saptam Sarg

Part 1

रथ सजह, भलररयहवं घमक उठह, गहगहह उठह अम्बर जवशहल,


कफ दह स्यन्दन पर गरज कणर ज्यण उठल गरज कहधहन्ध कहल।
बज उठल रहर कर पटह-कम्बपु, उलजसत वभर कर उठल हहह,
उच्छिल सहगर-सह चलह कणर कह जलयल क्षपुब्ध सहजनक समफह।

अङगहर-ववृजष पह धधक उठल जजस तरह शपुष्क कहनन कह तवृण,


सकतह न रहक शसभ कक गजत पपुजञत जहसल नवनभत मसवृण।
यम कल समक्ष जजस तरह नहह चल पहतह बद मनपुज कह वश,
हह गयभ पहण्डवण कक सलनह त्यणहभ बहणण सल जवध्द, जववश।

भहगनल लगल नरवभर छिहड वह जदशह जजधर भभ झपुकह कणर,


भहगल जजस तरह लवह कह दल सहमनल दलखि रहषण सपुपणर !
"रण मम क्यण आयल आज?" लहग मन-हभ-मन मम पछितहतल थल,
दफर सल दलखिकर भभ उसकह, भय सल सहमल सब जहतल थल।

कहटतह हहआ रण-जवजपन क्षपुब्ध, रहधलय गरजतह थह क्षण-क्षण।


सपुन-सपुन जननहद कक धमक शत्रिपु कह, व्यफह लरजतह थह क्षण-क्षण।
अरर कक सलनह कह जवकल दलखि, बढ चलह और कपु छि समपुत्सहह;
कपु छि और समपुद्वलजलत हहकर, उमडह भपुज कह सहगर अथहह।

गरजह अशवंक हह कणर, “शल्य ! दलखिह जक आज क्यह करतह हहवं,


कपौन्तलय-कवृ ष्ण, दहनण कह हभ, जभजवत जकस तरह पकडतह हहवं।
बस, आज शहम तक यहह सपुयहधन कह जय-जतलक सजह करकल ,
लपौटमगल हम, दपुन्दपुजभ अवश्य जय कक, रण-बभच बजह करकल ।

इतनल मम कपु जटल जनयजत-पलररत पड गयल सहमनल धमररहज,


टफ टह कवृ तहन्त-सह कणर, कहक पर पडल टफ ट जजस तरह बहज।
ललजकन, दहनण कह जवषम यपुदद, क्षण भर भभ नहह ठहर पहयह,
सह सकक न गहरभ चहट, यपुजधजषर कक मपुजन-कल्प, मवृदल पु कहयह।

भहगल वल रण कह छिहड, ककणर नल झपट दपौडकर गहह ग्रभव,


कपौतपुक सल बहलह, “महहरहज ! तपुम तह जनकलल कहमल अतभव।
हहवं, भभरु नहह, कहमल कहकर हभ, जहन बचहयल दलतह हहवं।
आगल कक खिहजतर एक यपुजक भभ सरल बतहयल दलतह हहवं।

“हह जवप आप, सलजवयल धमर, तरु-तलल कहह, जनजरन वन मम,


क्यह कहम सहधपुओवं कह, कजहयल, इस महहघहर, घहतक रण मम?
मत कभभ क्षहत्रितह कल धहखिल, रण कह पदहह झललह कररयल,
जहइयल, नहह जफर कभभ गरुड कक झपटण सल खिललह कररयल।“

भहगल जवपन हह समर छिहड ग्लहजन मम जनमजज्जत धमररहज,


सहचतल, “कहलगह क्यह मन मम जहनम, यह शफरण कह समहज?
पहण हभ हरण करकल रहनल क्यण नहह हमहरह महन जदयह?
आमरण ग्लहजन सहनल कह हभ पहपभ नल जभवन-दहन जदयह।“

समझल न हहय, कपौन्तलय ! कणर नल छिहड जदयल, जकसजलए पहण,


गरदन पर आकर लपौट गयभ सहसह, क्यण जवजयभ कक कवृ पहण?
ललजकन, अदृश्य नल जलखिह, कणर नल वचन धमर कह पहल जकयह,
खिड्ग कह छिभन कर ग्रहस, उसल महवं कल अञ्चल मम डहल जदयह।

जकतनह पजवत्रि यह शभल ! कणर जब तक भभ रहह खिडह रण मम,


चलतनहमयभ महवं कक पजतमह घफमतभ रहभ तब तक मन मम।
सहदलव, यपुजधषर, नकपु ल, भभम कह बहर-बहर बस मम लहकर,
कर जदयह मपुक हवंस कर उसनल भभतर सल कपु छि इजङगत पहकर।

दलखितह रहह सब शल्य, जकन्तपु, जब इसभ तरह भहगल पजवतन,


बहलह हहकर वह चजकत, कणर कक ओर दलखि, यह परुष वचन,
“रल सफतपपुत्रि ! जकसजलए जवकट यह कहलपवृष धनपु धरतह हह?
महरनह नहह हह तह जफर क्यण, वभरण कह घलर पकडतह हह?”

सवंग्रहम जवजय तफ इसभ तरह सन्ध्यह तक आज करलगह क्यह?


महरलगह अररयण कह जक उन्हम दल जभवन स्वयवं मरलगह क्यह?
रण कह जवजचत्रि यह खिलल, मपुझल तह समझ नहह कपु छि पडतह हह,
कहयर ! अवश्य कर यहद पहथर कक, तफ मन हभ मन डरतह हह।“

हवंसकर बहलह रहधलय, “शल्य, पहथर कक भभजत उसकह हहगभ,


क्षयमहनद, क्षजणक, भवंगरपु शरभर पर मवृषह पभजत जजसकह हहगभ।
इस चहर जदनण कल जभवन कह, मह तह कपु छि नहह समझतह हहवं,
करतह हहवं वहभ, सदह जजसकह भभतर सल सहभ समझतह हहवं।

पर ग्रहस छिभन अजतशय बपुभपुक्षपु, अपनल इन बहणण कल मपुखि सल,


हहकर पसन हवंस दलतह हहवं, चञ्चल जकस अन्तर कल सपुखि सल;
यह कथह नहह अन्त:पपुर कक, बहहर मपुखि सल कहनल कक हह,
यह व्यथह धमर कल वर-समहन, सपुखि-सजहत, मपौन सहनल कक हह।

सब आवंखि मफवंद कर लडतल हह, जय इसभ लहक मम पहनल कह,


पर, कणर जफझतह हह कहई, ऊवंचह सदमर जनभहनल कह,
सबकल समलत पवंजकल सर मम, मलरल भभ चरण पडमगल क्यह?
यल लहभ मवृजतकहमय जग कल , आत्मह कह तलज हरमगल क्यह?

Part 2

यह दलह टफ टनल वहलभ हह, इस जमटभ कह कब तक पमहण?


मवृजतकह छिहड ऊपर नभ मम भभ तह लल जहनह हह जवमहन।
कपु छि जपुटह रहह सहमहन खिमण्डल मम सहपहन बनहनल कह,
यल चहर फपु ल फम कल महनल, ऊपर कक रहह सजहनल कह

यल चहर फपु ल हह महल जकन्हह कहतर नयनण कल पहनभ कल ,


यल चहर फपु ल पच्छिन दहन हह जकसभ महहबल दहनभ कल ।
यल चहर फपु ल, मलरह अदृष थह हहआ कभभ जजनकह कहमभ,
यल चहर फपु ल पहकर पसन हवंसतल हणगल अन्तयहरमभ। ”

“समझहगल नहह शल्य इसकह, यह करतब नहदहनण कह हह,


यल खिलल जभत सल बडल जक़िसभ मकसद कल दभवहनण कह हह।
जहनतल स्वहद इसकह वल हभ, जह सपुरह स्वप्न कक पभतल हह,
दपुजनयह मम रहकर भभ दपुजनयह सल अलग खिडल ज़ह जभतल हह। ”

समझह न, सत्य हभ, शल्य इसल, बहलह “पलहप यह बन्द करह,


जहम्मत हह तह लह करह समर,बल हह, तह अपनह धनपुष धरह।
लह, वह दलखिह, वहनरभ ध्वजह दफर सल जदखिहयभ पडतभ हह,
पहथर कल महहरथ कक घघरर आवहज सपुनहयभ पडतभ हह। ”

“क्यह वलगवहन हह अश्व ! दलखि जवधपुतद शरमहयभ जहतभ हह,


आगल सलनह छिवंट रहभ, घटह पभछिल सल छिहयभ जहतभ हह।
रहधलय ! कहल यह पहवंमपुच गयह, शहयक सन्धहजनत तफणर करह,
थल जवकल सदह जजसकल जहत, वह लहलसह समर कक पफणर करह। ”

पहथर कह दलखि उच्छिल - उमवंग - पफररत उर - पहरहवहर हहआ,


दम्भहजल-नहद कर कणर कपु जपत अन्तक-सह भभमहकहर हहआ।
वहलह “जवजध नल जजस हलतपु पहथर ! हम दहनण कह जनमहरण जकयह,
जजस जलए पकवृ जत कल अनल-तत्त्व कह हम दहनण नल पहन जकयह।

“जजस जदन कल जलए जकयल आयल, हम दहनण वभर अथक सहधन,


आ गयह भहग्य सल आज जन्म-जन्मण कह जनधहरररत वह क्षण।
आओ, हम दहनण जवजशखि-वजह्न-पफजजत हह जयजयकहर करम,
ममच्छिलदन सल एक दफसरल कह जभ-भर सत्कहर करम। ”

“पर, सहवधहन, इस जमलन-जबन्दपु सल अलग नहह हहनह हहगह,


हम दहनण मम सल जकसभ एक कह आज यहह सहनह हहगह।
हह गयह बडह अजतकहल, आज जनणरय अजन्तम कर ललनह हह,
शत्रिपु कह यह जक अपनह मस्तक, कहट कर यहह धर दलनह हह। ”

कणर कह दलखि यह दपर पहथर कह, दहक उठह रजवकहन्त-हृदय,


बहलह, “रल सहरजथ-पपुत्रि ! जकयह तफ नल, सत्य हभ यहग्य जनश्चय।
पर कपौन रहलगह यहहवं? बहत यह अभभ बतहयल दलतह हहवं,
धड पर सल तलरह सभस मफढ ! लल, अभभ हटहयल दलतह हहवं। ”

यह कह अजपुरन नल तहन कहन तक, धनपुष-बहण सन्धहन जकयह,


अपनल जहनतल जवपक्षभ कह हत हभ उसनल अनपुमहन जकयह।
पर, कणर झलल वह महह जवजशक्ष, कर उठह कहल-सह अटहहस,
रण कल सहरल स्वर डफ ब गयल, छिह गयह जननद सल जदशहकहश।
वहलह, “शहबहश, वभर अजपुरन ! यह खिफब गहन सत्कहर रहह;
पर, बपुरह न महनह, अगर आन कर मपुझ पर वह बलकहर रहह।
मत कवच और कपु ण्डल जवहभन, इस तन कह मवृदल पु कमल समझह,
सहधनह-दभप वक्षस्थल कह, अब भभ दपुभर्वेद अचल समझह। ”

“अब लह मलरह उपहहर, यहभ यमलहक तपुम्हम पहहवंचहयलगह,


जभवन कह सहरह स्वहद तपुम्हम बस, इसभ बहर जमल जहयलगह। ”
कह इस पकहर रहधलय अधर कह दबह, रपौदतह मम भरकल ,
हहङकहर उठह घहजतकह शजक जवकरहल शरहसन पर धरकल । ”

सवंभलम जब तक भगवहनद, नचहयम इधर-उधर जकजञ्चत स्यन्दन,


तब तक रथ मम हभ, जवकल, जवध्द, मफजच्षछित हह जगरह पवृथहनन्दन।
कणर कह दलखि यह समर-शपौयर सङगर मम हहहहकहर हहआ,
सब लगल पफछिनल, “अरल, पहथर कह क्यह सचमपुच सवंहहर हहआ? ”

पर नहह, मरण कह तट छिफकर, हह उठह अजचर अजपुरन पबपुध्द;


कहधहन्ध गरज कर लगह कणर कल सहथ मचहनल जद्वरथ-यपुध्द।
पहववृटद-सल गरज-गरज दहनण, करतल थल पजतभट पर पहहर,
थभ तपुलह-मध्य सन्तपुजलत खिडभ, ललजकन दहनण कक जभत हहर।

इस ओर कणर महरतण्ड-सदृश, उस ओर पहथर अन्तक-समहन,


रण कल जमस, महनह, स्वयवं पलय, हह उठह समर मम मफजतरमहन।
जफझतह एक क्षण छिहड, स्वत:, सहरभ सलनह जवस्मय-जवमपुग्ध,
अपलक हहकर दलखिनल लगभ दह जशजतकण्ठण कह जवकट यपुध्द।

हह कथह, नयन कह लहभ नहह, सवंववृत कर सकल स्वयवं सपुरगण,


भर गयह जवमहनण सल जतल-जतल, कपु रुभफ पर कलकल-नजदत-गगन।
थभ रुकक जदशह कक सहवंस, पकवृ जत कल जनजखिल रुप तन्मय-गभभर,
ऊपर स्तजम्भत जदनमजण कह रथ, नभचल नजदयण कह अचल नभर।

Part 3

इतनल मम शर कल कणर नल दलखिह जह अपनह जनषङग ,


तरकस मम सल फपु ङकहर उठह, कहई पचण्ड जवषधर भफजङग ,
कहतह जक ''कणर! मह अश्वसलन जवशपुत भपुजवंगह कह स्वहमभ हहवं,
जन्म सल पहथर कह शत्रिपु परम, तलरह बहहजवजध जहतकहमभ हहवं .

''बस, एक बहर कर कवृ पह धनपुष पर चढ शरव्य तक जहनल दल ,


इस महहशत्रिपु कह अभभ तपुरत स्यन्दन मम मपुझल सपुलहनल दल .
कर वमन गरल जभवन भर कह सजञ्चत पजतशहध उतहरवंगह ,
तफ मपुझल सहहरह दल, बढक़िर मह अभभ पहथर कह महरवंगह .''

रहधलय जरह हवंसकर बहलह, ''रल कपु जटल! बहत क्यह कहतह हह ?
जय कह समस्त सहधन नर कह अपनभ बहवंहण मम रहतह हह .
उस पर भभ सहवंपण सल जमल कर मह मनपुज, मनपुज सल यपुध्द करवं ?
जभवन भर जह जनषह पहलभ, उससल आचरण जवरुध्द करवं ?''

''तलरभ सहहयतह सल जय तह मह अनहयहस पह जहऊवंगह ,


आनलवहलभ महनवतह कह, ललजकन, क्यह मपुखि जदखिलहऊवंगह ?
सवंसहर कहलगह, जभवन कह सब सपुकवृत कणर नल क्षहर जकयह ;
पजतभट कल वध कल जलए सपर कह पहपभ नल सहहहय्य जलयह .''

''हल अश्वसलन ! तलरल अनलक ववंशज हह जछिपल नरण मम भभ ,


सभजमत वन मम हभ नहह, बहहत बसतल पपुर-ग्रहम-घरण मम भभ .
यल नर-भपुजङग महनवतह कह पथ कजठन बहहत कर दलतल हह ,
पजतबल कल वध कल जलए नभच सहहहय्य सपर कह ललतल हह .''

''ऐसह न हह जक इन सहवंपह मम मलरह भभ उज्ज्वल नहम चढल .


पहकर मलरह आदशर और कपु छि नरतह कह यह पहप बढल .
अजपुरन हह मलरह शत्रिपु, जकन्तपु वह सपर नहह, नर हभ तह हह ,
सवंघषर सनहतन नहह, शत्रिपुतह इस जभवन भर हभ तह हह .''

''अगलह जभवन जकसजलए भलह, तब हह द्वलषहन्ध जबगहडवं मह ?


सहवंपह कक जहकर शरण, सपर बन क्यण मनपुष्य कह महरवं मह ?
जह भहग, मनपुज कह सहज शत्रिपु, जमत्रितह न मलरभ पह सकतह ,
मह जकसभ हलतपु भभ यह कलङक अपनल पर नहह लगह सकतह .''

कहकहदहर कह कर जवदह कणर, जफर बढह समर मम गजरमहन,


अम्बर अनन्त झङकहर उठह, जहल उठल जनजररण कल जवमहन .
तफफहन उठहयल चलह कणर बल सल धकल ल अरर कल दल कह,
जहसल प्लहवन कक धहर बहहयल चलल सहमनल कल जल कह.

पहण्डव-सलनह भयभभत भहगतभ हहई जजधर भभ जहतभ थभ ;


अपनल पभछिल दपौडतल हहए वह आज कणर कह पहतभ थभ .
रह गयभ जकसभ कल भभ मन मम जय कक जकजञ्चत भभ नहह आस ,
आजखिर, बहलल भगवहनद सभभ कह दलखि व्यहकपु ल हतहश .

''अजपुरन ! दलखिह, जकस तरह कणर सहरभ सलनह पर टफ ट रहह ,


जकस तरह पहण्डवण कह पपौरुष हहकर अशङक वह लफट रहह .
दलखिह जजस तरफ, उधर उसकल हभ बहण जदखिहयभ पडतल हह ,
बस, जजधर सपुनह, कल वल उसकल हहङकहर सपुनहयभ पडतल हह .''

''कह सभ करहलतह ! क्यह लहघव ! जकतनह पपौरुष ! कह सह पहहर !


जकस गपौरव सल यह वभर जद्वरद कर रहह समर-वन मम जवहहर !
व्यफहण पर व्यफह फटल जहतल, सवंग्रहम उजडतह जहतह हह ,
ऐसभ तह नहह कमल वन मम भभ कपु ञर धफम मचहतह हह .''

''इस पपुरुष-जसवंह कह समर दलखि मलरल तह हहए जनहहल नयन ,


कपु छि बपुरह न महनह, कहतह हहवं , मह आज एक जचर-गफढ वचन .
कणर कल सहथ तलरह बल भभ मह खिफब जहनतह आयह हहवं ,
मन-हभ-मन तपुझसल बडह वभर, पर इसल महनतह आयह हहवं .''

''औ' दलखि चरम वभरतह आज तह यहभ सहचतह हहवं मन मम ,


हह भभ कहई, जह जभत सकल , इस अतपुल धनपुधरर कह रण मम ?
मह चक सपुदशरन धरवं और गहण्डभव अगर तफ तहनलगह ,
तब भभ, शहयद हभ, आज कणर आतङक हमहरह महनलगह .''
''यह नहह दलह कह बल कल वल, अन्तनरभ कल भभ जववस्वहनद ,
हह जकयल हहए जमलकर इसकह इतनह पचण्ड जहज्वल्यमहन .
सहमहन्य पपुरुष यह नहह, वभर यह तपहजनष व्रतधहरभ हह ;
मवृजतकह-पपुञ यह मनपुज ज्यहजतयण कल जग कह अजधकहरभ हह .''

''कर रहह कहल-सह घहर समर, जय कह अनन्त जवश्वहस जलयल ,


हह घफम रहह जनभरय, जहनम, भभतर क्यह जदव्य पकहश जलयल !
जब भभ दलखिह, तब आवंखि गडभ सहमनल जकसभ अररजन पर हह ,
भफल हभ गयह हह, एक शभश इसकल अपनल भभ तन पर हह .''

''अजपुरन ! तपुम भभ अपनल समस्त जवकम-बल कह आह्वहन करह ,


अजजरत असवंख्य जवदहओवं कह हह सजग हृदय मम ध्यहन करह .
जह भभ हह तपुममम तलज, चरम पर उसल खिहच लहनह हहगह ,
तहयहर रहह, कपु छि चमत्कहर तपुमकह भभ जदखिलहनह हहगह .''

Part 4

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