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कर्ज, ऋण मुक्ति हेतु ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
कर्ज, ऋण मुक्ति हेतु ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
भंगरो बूमभऩत्र
ु श्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थियतभनो भहतकतम: सर्ाकभावर्योधक:।।
ऩत्र
ु तंदेहह धनं दे हह त्र्तभस्थभ शयणं गर्:।
ऋणदतरयद्रमं द:ु खेन शत्रण
ु तं च बमतत्र्र्:।।