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नर् नति जतप :- ॐ नमो आदट श गु रूजी को आदट श ! ॐ गु रूजी ॐ कतरट आमदनति , उदयनति पतर्ा र्ी, सत्यनति ब्रम्हत ,
सं र्ोषनति मर्ष्णु , अचल अचम्भट नति , गजबट ली गजकन्थमड नति , ज्ञतन पतरखी मसद्ध चौरं गीनति , मतयतस्वरुपी दतदत
मत्स्यटन्द्रनति घटट मपं डट मनरं र्र सत्य श्री शम्भु जमर् गु रु गोरक्षनति जी को आदट श आदट श ! नति जी आदट श-आदट श ! नर् नति
चौरतसी मसद्धों को आदट श - आदट श !!
सतधन-मर्मध एर्ं प्रयोगः-पूणामतसी सट जप प्रतरम्भ करट । जप कट पूर्ा चतर्ल की नौ ढट ररयताँ बनतकर उन पर ९ सु पतररयताँ मौली
बताँ धकर नर्नतिों कट प्रर्ीक-रुप में रखकर उनकत षोडशोपचतर-पूजन करट । र्ब गु रु, गणट श और इष् कत िरण कर आह्वतन
करट । मफर मन्त्र-जप करट । प्रमर्मदन मनयर् समय और मनमश्चर् सं ख्यत में जप करट । ब्रह्मचया सट रहट , अन्य कट हतिों कत भोजन यत
अन्य खतद्य-र्स्तु एाँ ग्रहण न करट । स्वपतकी रहट । इस सतधनत सट नर्नतिों की कृपत सट सतधक धमा-अिा-कतम-मोक्ष को प्रतप्त करनट
में समिा हो जतर्त है । उनकी कृपत सट ऐमहक और पतरलौमकक-सभी कतया मसद्ध होर्ट हैं । गु रु गोरक्ष नति जी मक कृपत प्रतप्त हो
जतर्ी है । मंत्र अनुभूर् है ।