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१॰ हनुमान रक्षा-शाबर मन्त्र

“ॐ गर्ज न्तां घोरन्तां , इतनी छिन कहताँ लगतई ? सताँझ क वेलत, ल ग ां -सुपतरी-पतन-फूल-
इलतयची-धू प-दीप-रोट॒ लाँगोट-फल-फलतहतर मो पै मताँ गै। अञ्जनी-पुत्र प्रततप-रक्षत-
कतरण वेछग चलो। लोहे की गदत कील, चां चां गटकत चक कील, बतवन भैरो कील, मरी
कील, मसतन कील, प्रेत-ब्रह्म-रतक्षस कील, दतनव कील, नतग कील, सतढ़ बतरह ततप
कील, छतर्तरी कील, िल कील, छिद कील, डतकनी कील, सतकनी कील, दु ष्ट कील, मुष्ट
कील, तन कील, कतल-भैरो कील, मन्त्र कील, कतमरु दे श के दोनोां दरवतर्त कील, बतवन
वीर कील, च स ां ठ र्ोछगनी कील, मतरते क हतथ कील, दे खते क नयन कील, बोलते क
छर्ह्वत कील, स्वगज कील, पतततल कील, पृथ्वी कील, ततरत कील, कील बे कील, नहीां तो
अञ्जनी मतई की दोहतई छफरती रहे । र्ो करै वज्र की घतत, उलटे वज्र उसी पै परै ।
ितत फतर के मरै । ॐ खां-खां -खां र्ां-र्ां -र्ां वां-वां-वां रां -रां -रां लां-लां-लां टां -टां -टां मां-
मां-मां। महत रुद्रतय नमः। अञ्जनी-पुत्रतय नमः। हनु मततय नमः। वतयु-पुत्रतय नमः। रतम-
दू ततय नमः।”

विव िः- अत्यन् लतभ-दतयक अनुभूत मन्त्र है । १००० पतठ करने से छसद्ध होतत है।
अछधक कष्ट हो, तो हनु मतनर्ी कत फोटो टताँगकर, ध्यतन लगतकर लतल फूल और
गुग्गूल की आहुछत दें । लतल लाँगोट, फल, छमठतई, ५ ल ग
ां , ५ इलतयची, १ सुपतरी चढ़त
कर पतठ करें ।

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