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Prosecution Hindi Moot
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राज्य………………………………………..(अभियोजनकर्ता)
बनाम
गुल है दर और अन्य……………………………….(अभियुक्त)
अभियक्
ु त की तरफ से मेमोरियल
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
विचाय सूचि
संक्षिप्त शब्दों की सच
ू ी
प्रधिकारी की सच
ू ी
क्षेत्राधिकारी का कथन
तथ्य विलेशव
मद्द
ु े
तर्कों का सार
लिखित तर्क
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
प्रधिकारी की सच
ू ी
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
क्षेत्राधिकारी का कथन
The Hon’ble Court has jurisdiction to try the instant matter under Section 177 read with Section
Section 177: ‘
177. Ordinary place of inquiry and trial: Every offence shall ordinarily be inquired into and
209. Commitment of case to Court of Session when offence is triable exclusively by it:
When in a case instituted on a police report or otherwise, the accused appears or is brought
before the Magistrate and it appears to the Magistrate that the offence is triable exclusively by
the Court of Session, he shall- (a) commit the case to the Court of Session; (b) subject to the
provisions of this Code relating to bail, remand the accused to custody during, and until the
conclusion of, the trial; (c) send to that Court the record of the case and the documents and
articles, if any, which are to be produced in evidence; (d) notify the Public Prosecutor of the
STATEMENT OF JURISDICTION
THE PROSECUTION HAS APPROACHED THIS HON’BLE SESSIONS COURT UNDER SECTION
26 R/W SECTION 28 R/W SECTION 177 R/W SCHEDULE I OF THE CODE OF CRIMINAL
PROCEDURE, 1973, WHICH READS AS HEREUNDER:
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
was committed.
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
तथ्य विलेशव
पष्ृ ठभूमि
रामपाल एक ३५ वर्षीय माधियंम वर्गी निवेश बैंकर है और हे मंत कुमार ४५ वर्षीय उच्च स्तरीय
नगद धनराशि निवेश बाजार में लगाने के लिए दी। दो वर्ष के दौरान रामपाल ने अपना घर
पक्का कर I लिए किन्तु जब हे मंत कुमार ने दी हुई धनराशि वापस मांगी तोह रामपाल ने
उसको आक्रोश में आकर यह धमकी दी की वह उसका पारिवारिक जीवन नष्ट कर दे गा यदि
घटना
रिंकी १५ वर्षीय और प्रिया १७ वर्षीय को शाम के ८:०० बजे टूशन से लौटते दौरान एक पिली
गाडी आई और कुछ लड़के ज़बरदस्ती उनको उठा कर ले गए। किन्तु वह गाडी का नंबर पढ़ने
में असमर्थ रहे । जब इसकी खबर उन्होंने रामपाल को दे ना चाही तोह रामपाल घर पर मौजूद
पलि
ु स द्वारा जांच पड़ताल
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
पलि
ु स की पड़ताल पर रामपाल ने बताया की उसके ग्राहक हे मंत कुमार के पास भी एक पिली
वर्षीय) ने पलि
ु स को सूचना दी की दो लड़किया मर्छि
ू त अवस्था में मिली हैं। पलि
ु स के पहचने
चिकत्सा रिपोर्ट
अस्पताल लेजाने पर पता चला की प्रिय की मत्ृ यु हो चुकी है और रिंकी की हालत थोड़ी गंभीर
है । रिपोर्ट में ये आया की दोनों लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया है किन्तु पानी में
ज़्यादा दे र रहने के कारण लड़कियों के शरीर में वीर्य की प्राप्ति नहीं हुई। उनके हाथ पेअर
किसी मज़बूत चीज़ से बांधे हुए थे तथा उनके रक्त में रोहिपनॉल नामक ड्रग काफी मात्रा में
था। प्रिय के शरीर पर संघर्ष के निशान हैं और उसकी मत्ृ यु का कारण रक्त की हानि था।
पीड़िता का बयान
रिंकी ने बताया की जब वह घर लौट रही थी तभी एक पिली गाड़ी में कुछ नकाबपोश लड़के
उन्हें बेहोश करके उठा लेगये। होश आने पर उसने यह दे खा की उसकी आँखों पे पट्टी व हाथ
पेअर बंधे हुए थे और शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही थी तथा उसकी बेहेन की चीखों की
करते हुए सुना किन्तु तभी किसीने उसके सर पर तीव्र प्रहार कर दिया जिसके पश्चात उसे कुछ
याद नहीं।
पलि
ु स द्वारा जांच पड़ताल
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
हे मंत कुमार से पछ
ू ताछ करने पर पता लगा की २४/०६/२०१५ से ०४/०७/२०१५ तक वह विदे श
यात्रा पर था तथा सी सी टी वि फुटे ज एवं मोबाइल ट्रै क भी उब्लब्ध था। उसके घर से हवाई
अड्डे की दरू ी १:३० घंटे की थी। ११ बजे की हवाई यात्रा के लिए वह १० बजे ही पहच गया था।
पुलिस की जांच में यह पाया गया की उसकी गाडी की पिछली गद्दी सिलवाई गयी थी।
आरोपी का बयान
पुलिस की पूछताछ करने पर हे मंत ने यह बताय की उसने वो धमकी आक्रोश में आकर दी थी
परन्तु उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था जिसका फ़ायदा उठा कर रामपाल उससे फसा रहा है ।
है । उसने अपनी दोनों बेटियों का दाखिला एक अच्छे अंग्रेजी विद्यालय से हटवा कर पास के ही
सरकारी कन्या विद्यालय में करवलिया सिर्फ इस वजह से की उसकी बेटी प्रिय के किसी लड़के
के साथ प्रेम सम्बन्ध हैं। उससे आशंका हुई की वह अब भी उस लड़के के साथ सम्बन्ध में हैं
जिसके कारण वह अपनी बेटियों को मारता पीटता था। अपने सम्मान के लिए वह किसी भी
परिणामस्वरूप
रामपाल के शक्ति मिज़ाज़ के बारे में पाशा, कुबेर और सुरेंद्र जी ने भी बताया है और वह अपनी
मुद्दे
लिए पर्याप्त है ?
o मद्द
ु ा 3- हे मंत कुमार के अनस
ु ार हत्या रामपाल ने करवाई है । हां या न
तर्कों का सार
मुद्दा 2 क्या गाडी की गद्दी फटी मिलना परिस्तिथिजन्य साक्ष्य गिरफ्तारी के लिए
पर्याप्त है ?
मद्द
ु ा 3- हे मंत कुमार के अनस
ु ार हत्या रामपाल ने करवाई है । हां या न दोनों ही
लिखित तर्क
Numerous Judges have observed, that in India the rule generally is in favour of the
admission of evidence, though the weight to be attached to it will, of
course, be a matter for the Court's consideration.1
किसी भी साक्ष्य के स्वीकार्य होने के लिए मुद्दे में एक तथ्य के लिए प्रासंगिक होना चाहिए या
मामले की पष्ृ ठभूमि की व्याख्या के लिए योगदान करना चाहिए। इस मामले में गवाह का बयान
की कसौटी पर खरा उतरता है । इसके अलावा पीड़िता की गवाही द्वारा भी उसके बयान की पष्टि
ु
की जा सकती है |
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118, 1872 गवाहों की
योग्यता की बात करती है । एक सामान्य नियम के रूप में हर गवाह एक सक्षम गवाह है ।
1
Govind Balvant Laghate v. Emperor, AIR 1916 Bom 229
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
के अनम
ु ान के साथ शरू
ु करने का कोई कारण नहीं है । समझ क्षमता का एकमात्र परीक्षण है |
2
उनके लिए लगाए गए प्रश्नों को समझने में असमर्थ हैं, या (2) निम्नलिखित कारणों से उन
सवालों के तर्क संगत उत्तर दे ने में असमर्थ हैं। कारण: (i) कोमल आयु, (ii) अति वद्ध
ृ ावस्था, (iii)
“बौद्धिक क्षमता साक्षी की क्षमता का प्रमुख परीक्षण है । उम्र की सीमा, या ज्ञान और बुद्धि की
डिक्री के रूप में कोई निश्चित नियम निर्धारित नहीं किया जा सकता है , जो बहिष्कार का आधार
होगा। वास्तव में बोलना, उनकी योग्यता उम्र पर निर्भर नहीं करती है , क्योंकि एक ही उम्र के
व्यक्ति मानसिक क्षमता में भिन्न होते हैं। समझने की क्षमता, और नाकि उम्र , इस न्यायालय
की राय में योग्यता का निर्धारण कारक है । गवाह के साक्ष्य के मूल्यांकन में अविश्वास की
2
Ram Jolaha v. Emperor, AIR 1927 Pat 406.
3
2013 - 2 – L.W 958
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
राज्य बनाम एलन में यह दे खा गया कि गवाह के विरोध करने वाले पक्ष पर गवाह की अक्षमता
4
साबित करने का बोझ है । न्यायालय किसी भी गवाह की योग्यता का निर्धारण करते समय 5
(२) उस घटना के समय की मानसिक क्षमता जिसके विषय में वह गवाही दे ना है , ताकि उसकी
An eye witness, who has no motive to lie is a powerful form of evidence for
सक्षम थे और इसलिए उन्होंने रामपाल को सूचित करने और उनकी अनुपस्थिति में तुरंत पुलिस
थाने पहुंचकर तर्क संगत तरीके से कार्य किया। इसलिए घटना के समय गवाह के कार्यों से,
सुसग
ं तता के साथ-साथ गवाह के विचार की स्पष्टता पर्याप्त साबित होती है ।
4
70 Wn.2d 690, 424 P.2d 1021 (1967)
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
कि क़ानन
ू द्वारा आवश्यक नहीं है , केवल सबत
ू का वजन और मल्
ू य दे ता है ।
5
वह वास्तव में अपराध का शिकार है । साक्ष्य अधिनियम में कहीं नहीं कहा गया है कि उसके
निस्संदेह S.118 के तहत एक सक्षम गवाह है और उसके साक्ष्य को वैसा ही वजन प्राप्त करना
चाहिए जैसा कि शारीरिक हिंसा के मामलों में किसी घायल को दिया जाता है |
6
बनाता है ।और मामले में आरोपियों की भागीदारी स्थापित करने के लिए आवश्यक वजन है ।
मुद्दा 2 क्या गाडी की गद्दी फटी मिलना परिस्तिथिजन्य साक्ष्य गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त है ?
5
Namdeo vs State Of Maharashtra
6
Ganga Singh vs State of Madhya Pradesh AIR 2013 SC 3008
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
CRIMINAL INTIMIDATION***
यह विनम्रतापर्व
ू क इस माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तत
ु किया गया है कि इस मामले में
i. जिन परिस्थितियों से अपराधबोध का निष्कर्ष निकालना है , उन्हें पूरी तरह से सिद्ध किया
ii. स्थापित किए गए तथ्य केवल आरोपियों के अपराध की परिकल्पना के अनुरूप होना
चाहिए, अर्थात ् उन्हें किसी अन्य परिकल्पना पर समझाया नहीं जाना चाहिए सिवाय
iv. इसे सिद्ध किए जाने वाले परिकल्पना के अलावा हर संभव परिकल्पना को बाहर करना
चाहिए;
7
Mohan Lal v. State of Uttar Pradesh AIR 1974 SC 1144
8
Sharad Bircichand Sarda v State of Maharashtra, AIR 1984 SC 1622
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
v. आरोपियों की बेगन
ु ाही के अनरू
ु प निष्कर्ष के लिए कोई उचित आधार नहीं छोड़ने के लिए
सबूतों की एक श्रंख
ृ ला इतनी पूरी और सक्षम होनी चाहिए और उससे यह साबित होना
सकता है
का गठन करते हैं। निष्कर्ष निकालने में , कानून का असली नियम वह नियम है जिसके लिए
हो, जो मामले की परिस्थितियों से स्पष्ट होता है और कोई अन्य असत्य निष्कर्ष नहीं निकाला
जा सकता है |
बख्शीश सिंह बनाम पंजाब राज्य में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि “परिस्थितिजन्य
9
आरोपियों की बेगुनाही के अनुरूप निष्कर्ष के लिए किसी भी उचित आधार को न छोड़ने के लिए
सबत
ू ों की एक श्रंख
ृ ला इतनी परू ी होनी चाहिए और उससे यह साबित होना चाहिए कि सभी
मधु बनाम कर्नाटक राज्य में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य ही
9
AIR 1971 SC 2016:1971 CriLJ 1452:(1971) 3 SCC 182
10
State of Uttar Pradesh v Satish, (2005) 3 SCC 114:AIR 2005 SC 1000
11
AIR 2014 SC 394
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
अभियक्
ु तो का कृत्य इस तरीके से किया गया है की वह एक साथ बना जा सके ताकि
परिस्तिथियों का नेटवर्क बनाया जा सके जो केवल उनके अपराध की ओर इशारा करता यह| यह
संयोग भी उनके खिलाफ कई परिस्तिथियों को समझा नहीं सकता था, और उनकी निर्दोषता की
इसे माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है इस वर्तमान मामले में :
प्रतिवादी के पैसे वापस करने में अभियोजन की विफलता के कारण, प्रतिवादी अभियोजन पक्ष को
यह स्पष्ट रूप से अभियुक्त की ओर से अपराध करने के इरादे को दर्शाता है | उसके उपरांत घंटा
के वक़्त पिली गाड़ी का शामिल होना और घंटा घटित होने के तुरंत बाद हे मंत कुमार का विदे श
भाग जाना तथा लड़कियों के मिलने से एक दिन पहले वापस आना साडी परिस्तिथियों की
परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर मामलों में , अपराध को सही ठहराने के लिए, सभी तथ्यों और
परिस्थितियों को आरोपी की निर्दोषता या किसी अन्य व्यक्ति के अपराध के विपरीत होना चाहिए
और उसके अपराध की तुलना में किसी अन्य उचित परिकल्पना पर स्पष्टीकरण दे ने में असमर्थ
होना चाहिए|
13
इंसान झूट बोल सकते हैं झूट छुपा सकते हैं पर परिस्तिथिया नहीं| सारी
12
Anant chintamani vs state of Bombay
13
Hukam v State, AIR 1977 SC 1063, C. Chenga Reddy v State of A.P, (1996) 10 SCC 193
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
हे मंत का रामपाल को उसका पारिवारिक जीवन नष्ट करने की धमकी दे ना उसका इरादा दर्शाता
है |
ब्लाक लॉ डिक्शनरी
14
के अनस
ु ार इरादा, उद्देश्य को दर्शाता है जिसके लिए कृत्य किया गया है
धरा 8
16
के अनुसार कोई भी तथ्य प्रासंगिक है जो दिखता है या मुद्दा या प्रासंगिक तात्या में
किसी भी तात्या के लिए एक मकसद या तैयारी का गठन करता है , या प्रासंगिक तथ्य में किसी
राममुन बनाम। सम्राट , यह माना गया था कि मकसद और कार्य के बीच संबंध कारण और
17
प्रभाव के बीच संबंध के समान है , और एक कार्य किसी मकसद के बिना वैसे ही अधूरा है जैसे
एक प्रभाव किसी कारण के बिना अधूरा है | यदि किसी व्यक्ति पर अपराध किया जाता है , तो
यह तथ्य कि उसके पास ऐसा करने का कोई मकसद नहीं था, यह उसके पक्ष में एक परिस्थिति
परिस्थितिजन्य है ।
पार्श्वनाथ बनाम कर्नाटक राज्य , इस मामले में यह आयोजित किया गया था कि जब मामला
18
14
१०वी संस्करण २०१४
15
इस रघुबीर सिंह संथालिया बनाम आयकर आयुक्त, पंजाब PUN 1957 SCC ONLINE P and H 138
16
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872
17
7 L 84
18
AIR 2010 SC 2914
19
ILR 1959 Kerala 319
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
श्रंख
ृ ला में मकसद एक अनिवार्य लिंक नहीं है , फिर भी यह एक महत्वपर्ण
ू भमि
ू का निभाता है
और एक पूर्ण श्रंख
ृ ला बनाने में मदद करता है ।
अपराध परीहश्य में हे मंत कुमार की पिली गाड़ी ही उसकी उपस्तिथि दर्शाती है और यह की वह
रे ह दे वा श्याम
20
में , माननीय मदर्स उच्चय न्यायालय में यह कहा की "आरोपी के आपराधिक
जैसा की वाद समाया में स्पष्ट रूप से ये बताया गया है की अभियोजन पक्ष की पैसे लौटाने की
विफलता के कारन बचाव पक्ष का स्पष्ट इरादा था कि अभियोजन पक्ष को पैसे वापस करने के
लिए मजबूर किया जा सके| मकसद वह भावना है जो एक आदमी को एक विशेष कार्य करने के
लिए प्रेरित करती है और इस तरह की प्रेरणा के कारन ज़रूरी नहीं की अपराध को करने के लिए
का इरादा दिखाती है । इसलिए मामले में मकसद और इरादा दोनों स्पष्ट रूप से स्थापित हैं|
इस मामले में आपराधिक मानिस्तिथि साबित करने के लिए ज्ञान होना आवश्यक है |
22
जैसा कि ववाद समस्या में स्पष्ट रूप से सिद्ध है कि रामपाल और हे मंत कुमार दोनों ने घटना
से पहले एक सौहार्दपूर्ण संबंध साझा किया था। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसे प्रिय
और रिंकी के टूशन के आने जाने के वक़्त का भान न हो| इसलिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा
अभियक्
ु त का अपराधबोध पर्याप्त रूप से स्थापित हो चक
ू ा है |
20
1962 1 MLJ
21
Nathuni Yadav v State of Bihar AIR 1997 SC 1808
22
ऐ आर राष्ट्रीय आई पि सी वॉल्यम ू ३ २६६७ (इस के सावरिया) १०वी संस्करण 2008
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
मद्द
ु ा 3- हे मंत कुमार के अनस
ु ार हत्या रामपाल ने करवाई है । हां या न दोनों ही परिस्थतियों में
न्यायालय के समक्ष यह दलील दी जाती है की हे मंत कुमार भारतीय दं ड संहिता की धरा ३०२ के
तहत दोषी है । धरा ३०० के अनुसार, ये ज़रूरी नहीं की धरा ३०० में दी हुई सभी शर्तें, किसी
हत्या के साबित करने के लिए पूरी की जाए, अगर धरा ३०० में रे खांकित शर्तों में से कोई भी
शर्त पूरी होती है तोह हत्या का दोष साबित किया जा सकता है ( सलीम बनाम राज्य राजस्थान
शारीरिक क्षति इरादे से की गयी हो जिसका परिणाम मत्ृ यु हो। (२००७ (३) राज २०७७)
सी सी ७१) धरा ३०० भारतीय दं ड संहिता, ऐसा आपराधिक कृत्य जिसका परिणाम मत्ृ यु व ऐसी
चोट जो मत्ृ यु का कारण बने उसे किसी उचित संदेह से अलग स्पष्ट करना होगा जर्म
ु को
निर्मित करने के लिए कृत्य और मकसद का मिलना आवश्यक है । ( लक्ष्मी सिंह बनाम बिहार
मकसद वह होता है जो किसी व्यक्ति को विशेष रूप से कोई कार्य करने के लिए उत्तेज्जित करे ।
वीरसा सिंह बनाम पंजाब राज्य ( १९५८ इस आयी आर ४६५) में न्यायालय ने यह उर्जित किया
की किसी गुनाह को धरा ३०० के अधीन गठित करने के लिए चार मुभूत आधारों का स्थापित
होना आवश्यक है :-
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
२) क्षति की प्रवत्ति
ृ
करतार सिंह बनाम पंजाब राज्य (१९९४ ईए सी सी (३) ५६९) में , माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह
पाया था की यह अपराध साबित करने के लिए, अपराध किया गया है और उसका उद्देश्य स्पष्ट
रूप से स्थापित होना चाइये। यह साबित करने के लिए की अपराध, धरा ३०० के दायरे के
अंतर्गत आता है । हमें अपराधियों के इरादे और साथ ही उनके कारण और अपराध के आयोग के
समय अपराध के ज्ञान को साबित करना होगा (लक्ष्मी सिंह बनाम बिहार राज्य १९७६ (४) इस
सी सी ३९४)
माननीय सर्वोच्च न्यायाया ने तीन चरणों को स्थापित करदिया था ताकि यह पता लगाया जा
सके की अपराध ३०० की धरा के तहत था। पहला चरण यह है की अभियुक्त के ऐसा करने से
दं ड सहित धरा ३०० के तहत निर्दिष्ट हत्या की परिभाषा के चार में से किसी एक के अंतर्गत
आए।
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
यदि अभियक्
ु त द्वारा मत
ृ क का अपहरण साबित हो जाता है और अपहरण के तरु ं त बाद मत
ृ क
द्वारा अपहरण किए गए पीड़ित के साथ कैसे निपटा गया। इस तरह के किसी भी मामले की
धारा 120 बी की प्रयोज्यता को आकर्षित करने के लिए यह साबित करना होगा कि सभी
अभियुक्तों के पास सामान्य इरादा था और वे अपराध करने के लिए सहमत हो गए। इसमें कोई
शक नहीं है कि साजिश निजी तरह से और गोपनीयता में रची जाती है जिनके लिए प्रत्यक्ष
प्रमाण शायद ही कभी उपलब्ध होंगे। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि आरोपी
आपराधिक साजिश के लिए उत्तरदायी है , यह साबित करना होगा की अभियुक्त एक ऐसा कार्य
में , साजिशों को परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा साबित किया जाता है , क्योंकि साजिश शायद ही
कभी खुले तौर पर रची जाती है । साजिश और उसके लक्ष्य का अस्तित्व आमतौर पर की
23
(2001) 1 SCC 652
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
साजिश के सबत
ू ों की सराहना करते हुए, यह प्रसिद्ध नियम को ध्यान में रखने के लिए अदालत
योगेश सचिन जगदीश जोशी बनाम महाराष्ट्र राज्य , में , सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला
24
कार्य गैरकानूनी तरीकों से करने के लिए, आपराधिक साजिश की अनिवार्य शर्त है लेकिन प्रत्यक्ष
प्रमाण द्वारा उनके बीच समझौते को साबित करना कई बार संभव नहीं होता है । फिर भी,
से अनम
ु ान लगाया जा सकता है ।
गैरकानन
ू ी कृत्य करने के लिए मन की बैठक साजिश के अपराध की अनिवार्य शर्त है ।
नहीं है कि प्रत्येक साजिशकर्ता हर षड्यंत्रकारी कार्य के कमीशन में सक्रिय भाग लेता है , न ही
24
(2008) 10 SCC 39
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 के अनुसार, एक बार उचित आधार दिखा दिया जाता है यह
फिर, उनमें से किसी एक द्वारा अपने सामान्य इरादे के संदर्भ में किया गया कुछ भी, दस
ू रों के
खिलाफ स्वीकार्य है ।
जैसा कि महाराष्ट्र राज्य बनाम दमू और अन्य , के मामले में आयोजित किया गया है की
26
साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 में नियम की इकलौती शर्त यह है कि उचित आधार होनी
दोनों मकसद और इरादा था अपराध करने के लिए| हे मंत कुमार राजनेताओं के बीच में काफी
स्पष्ट रूप से स्थापित करती है कि हत्या के इरादे से अपहरण का अपराध अभियुक्तों द्वारा
25
(1962) 2 SCR 195
26
(2000) 6 SCC 269
अभियुक्त की तरफ से मेमोरियल
अपहरण तब होता है जब किसी व्यक्ति को बल द्वारा मजबरू किया जाता है (या ऐसा व्यक्ति
¶- धारा 364 आईपीसी की सावधानीपूर्वक व्याख्या यह दर्शाती है कि धारा 364 के तहत किसी
लिया गया था जैसा कि सुरेंद्र जी की गवाही के साथ-साथ रिंकी ने भी साबित किया। इसके
अलावा गाड़ी की गद्दी फटी मिलना साफ़ रूप से संघर्ष के संकेत दे ता है । इसलिए आरोपी भारतीय
27
पश्चिम बंगाल राज्य बनाम मीर मोहम्मद उमर एंड ओआरएस (2000) 8 एससीसी 382
28
Chakra Pal Singh & Another vs State Of U.P. on 27 August, 2019