भारत की नौकरशाही किसके साथ

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=> भारत की नौकरसही अपनी सरकार के साथ या विपक्ष के साथ <=

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=> कहते है देश की नौकरशाही जितनी ताकतवर उतना देश आगे लेकिन भारत में नौकरशाही भी लाचार और ढीलीढाली या फिर बैमान हो चुकी है ???
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1) प्रवासी मजदूरों के नाम पर अब घृणित राजनीति करने उतरा है 'माइनो गिरोह'!

प्रवासी मजदूरों के रेल टिकट का 85% खर्च रेल मंत्रालय वहन करेगा और 15% खर्च राज्य सरकारें उठाएंगी। प्रवासी मजदूरों को अपनी जेब से एक पैसा
नहीं देना है। टिकट बिक्री का कोई प्रावधान नहीं है।

पहले सोनिया गांधी के देवर के 'तक' चैनल सहित 'माईनो गैंग' के अन्य मीडिया हाउस व पत्रकारों ने फर्जी खबर चलाई कि प्रवासी मजदूरों से किराया
वसूला जा रहा है। यह सब गिरोह के मालकिन के नये आइडिया को 'लांच' करनी की सोची समझी साज़िश थी।

खबर चलते ही मालकिन का पदार्पण मंच पर हुआ और उन्होंने घोषणा की, 'प्रवासी मजदूरों के टिकट का सारा खर्च कांग्रेस उठाएगी।' गिरोह ने प्रोपोगंडा
को तेजी से फै लाना शुरू कर दिया, 'कांग्रेस चुकाएगी मजदूरों के टिकट का पैसा!'

किसी चमचे ने यह नहीं पूछा कि 'मैडम जब टिकट यात्रियों को बेची ही नहीं जा रही है तो आप कै से पे करेंगी? क्या आपने कें द्र या राज्य सरकार को
कोई प्रस्ताव भेजा है?' लेकिन पेटीकोट पत्रकार मालकिन से प्रश्न पूछते कब थे कि आज पूछेंगे?

बस छाप-छाप और दिखा-दिखा कर यह झूठ फै लाने में जुटे हैं कि "अरे मजदूरों सोनिया माता तुम्हारी अन्नदाता हैं। तुम्हारे टिकट का खर्च उठा रही हैं।
अगले बिहार व अन्य चुनाव में वोट सोनिया-माता की पार्टी को ही देना!" नीचे गिरने की अब कोई हद नहीं रही! #संदीपदेव

2) #Covid19 के इस संकट काल में सरकारी एजेंसी कै से काम कर रही है, इस उदाहरण से समझिए।

१) यह USA से रिटर्न #JNU के Molecular Medicine के प्रोफे सर गोवर्धन दास जी हैं। पक्के वाले देशभक्त, मोदी समर्थक और लेफ्ट
की आंखों के कांटे हैं प्रोफे सर साहब।

२) Covid19 के वैक्सिन बनाने का आइडिया इन्होंने सरकारी एजेंसी को दी। सरकार एजेंसी ने आइडिया नकार दिया, और इनका आइडिया लेकर
आधा-अधूरा ट्रायल आरंभ कर दिया।

३) उनका यह आइडिया इतना धांसू था कि भारतीय एजेंसी द्वारा ठु कराए जाने के 24 घंटे के भीतर एक विदेशी एजेंसी ने तत्काल
‌ 7 लाख अमेरिका
डॉलर का ग्रांट पास कर इनको इस पर काम करने को कह दिया।

४) जिसमें भारत को अगुआ होना था, उसमें भी 'लंगड़ी नौकरशाही' आड़े आ गयी।

जब मानवता खतरे में है, भारत को वैक्सीन बनाने में सबसे आगे रहना चाहिए तो यहां की सरकारी एजेंसी और नौकरशाही उसे बर्बाद करने पर तुली है!
भारत ऐसे थोड़े न हारता रहा है? देश प्रेम की धारा सूखी चुकी है

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