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न्याय, विधान, सविंधान का घिनौना नं गा नाच इस वेबसाइट पर दिसम्बर 2007 से अब तक बिगुल के सभी अंक क्रमवार,
उससे पहले के कुछ अंकों की सामग्री तथा राहुल ़फ़ाउण्डेशन से प्रकाशित
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा - कि हम सिर्फ़ काम करने के लिए पैदा हुए चर्बी के बिना चल ही नहीं सकते। सभी बिगुल पुस्तिकाएँ उपलब्ध हैं। बिगुल के प्रवेशांक से लेकर नवम्बर
दिल्ली में मज़दूरों का न्यूनतम वेतन हैं तो हम फिर अपना जीवन कब जीयेंगे। मज़दरू ों के लिए इनकी नज़र में 2007 तक के सभी अंक भी वेबसाइट पर क्रमशः उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
नहीं बढ़ेगा, क्योंकि पड़ोसी राज्यों से जहाँ तक तनख़ा की बात है, तो वो तो सोलह हज़ार सेलरी ज़्यादा है। मज़दूर बिगुल का हर नया अंक प्रकाशित होते ही वेबसाइट पर नि:शुल्क
ज़्यादा तनख़ा है दिल्ली में मज़दूरों महीने की सात से दस के बीच में मिल मज़दरू ों के लिए ये ख़ुशी की बात पढ़ा जा सकता है।
की। जाती है, लेकिन सिर्फ़ पन्द्रह तारीख़ तक होनी चाहिए कि वर्तमान व्यवस्था आप इस फ़ेसबुक पेज के ज़रिेये भी 'मज़दूर बिगुल' से जुड़ सकते हैं :
लेकिन आज मज़दरू ों को ज़रूरत जेब में पैसे होते हैं, जिससे हम अपने के पास मज़दरू ों को देने के लिए कुछ www.facebook.com/MazdoorBigul
है लाखों में तब जाकर वे अपने माता- बच्चों के लिए कुछ ज़रूरी चीज़ें ले पाते भी नहीं है, इसलिए इनके न्यायालय,
पिता, भाई-बहन-बच्चों को पाव-पाव हैं। उसके बाद तो हर एक दिन एक-एक कम्पनियों में आग लगाकर जश्न मनाने 'मज़दूर बिगुल' का स्वरूप, उद्देश्य और ज़िम्मेदारियाँ
दधू , खाने में दाल-सब्ज़ी, पढ़ाई, रहने रुपया सोच-सोचकर ख़र्च करना पड़ता के दिन आ गये हैं। अगर मज़दरू ऐसा 1. 'मज़दूर बिगुल' व्यापक मेहनतकश आबादी के बीच क्रान्तिकारी
के लिए घर नसीब हो सकता है। लेकिन है। महीना ख़त्म होने से पहले ही बचे हुए नहीं करता तो सरकारें एक बहुत बड़ी राजनीतिक शिक्षक और प्रचारक का काम करेगा। यह मज़दूरों के बीच
आज की परिस्थिति आठ बाई आठ के रुपये भी ख़त्म हो जाते हैं। संख्या में बेरोज़गार मज़दरू ों को किसी- क्रान्तिकारी वैज्ञानिक विचारधारा का प्रचार करेगा और सच्ची सर्वहारा सस् ं कृ ति
कमरे में रहना, ना सही से खाने को, ना ये काले कोटधारी सरकारी अफ़सर न-किसी बहाने क़फ़न-दफ़न कर देंगी का प्रचार करेगा। यह दुनिया की क्रान्तियों के इतिहास और शिक्षाओ ं से, अपने
ही जीने का कोई उत्साह। सबु ह जगो तो लाखों में सेलरी लेते हैं, फिर भी इनका और कर रहे हैं। देश के वर्ग सघं र्षों और मज़दूर आन्दोलन के इतिहास और सबक़ से मज़दूर वर्ग
काम के लिए, नहाओ तो काम के लिए, ख़र्चा नहीं चलता। सरकारों में बैठे नेता, को परिचित करायेगा तथा तमाम पूज ँ ीवादी अफ़वाहों-कुप्रचारों का भण्डाफोड़
खाओ तो काम के लिए, रात बारह बजे मन्त्री, विधायक, सांसद, आईएस, मन्नू मज़दूर, ओखला दिल्ली करेगा।
सोओ तो काम के लिए। ऐसा लगता है आईपीएस पढ़े-लिखे जोकर रिश्वत की 2. 'मज़दूर बिगुल' भारतीय क्रान्ति के स्वरूप, रास्ते और समस्याओ ं के बारे
में क्रान्तिकारी कम्युनिस्टों के बीच जारी बहसों को नियमित रूप से छापेगा और
सत्ता के सं रक्षण में जारी बच्चियो ं के यौन शोषण के खि़लाफ़ 'बिगुल' देश और दुनिया की राजनीतिक घटनाओ ं और आर्थिक स्थितियों के
आवाज़ उठाओ!! सही विश्लेषण से मज़दूर वर्ग को शिक्षित करने का काम करेगा।
(पेज 5 से आगे) वेश्यावृत्ति के तमाम अड्डे इस व्यवस्था रे ल राज्य मन्त्री गोंहाई के ख़िलाफ़ 3. 'मज़दूर बिगुल' स्वयं ऐसी बहसें लगातार चलायेगा ताकि मज़दूरों
व्यवस्था की प्रातिनिधिक घटना है। की देन हैं। फिर इन जगहों पर मौजदू बलात्कार का मक़ ु दमा दर्ज हुआ है। की राजनीतिक शिक्षा हो तथा वे सही लाइन की सोच-समझ से लैस होकर
इस घटना ने राजनेताओ,ं प्रशासन, लड़कियों के शरीर को मनु ाफ़ा कमाने 48 सांसद-विधायक ऐसे हैं जिन पर क्रान्तिकारी पार्टी के बनने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें और व्यवहार में सही
नौकरशाही, पत्रकारिता व न्यायपालिका में इस्तेमाल किया जाता है। ख़ुद महिला महिलाओ ं के ख़िलाफ़ अपराध के के स लाइन के सत्यापन का आधार तैयार हो।
सबको कटघरे में खड़ा कर दिया है! एवं बाल विकास मन्त्री राजेन्द्र कुमार का दर्ज हैं। जिसमें भाजपा सबसे आगे है। 4. 'मज़दूर बिगुल' मज़दूर वर्ग के बीच राजनीतिक प्रचार और शिक्षा की
वास्तव में बच्चियों-लड़कियों के कार्रवाई चलाते हुए सर्वहारा क्रान्ति के ऐतिहासिक मिशन से उसे परिचित
बयान है कि तीन साल में 1 लाख बच्चों क्या इनको किसी क़ाननू का डर है?
करायेगा, उसे आर्थिक सघं र्षों के साथ ही राजनीतिक अधिकारों के लिए भी
इस बर्बर उत्पीड़न को हम तब तक नहीं का यौन शोषण हुआ है। हर 24 घण्टे में कुलदीप सिंह सेंगर जैसे अपराधियों
लड़ना सिखायेगा, दुअन्नी-चवन्नीवादी भूजाछोर ''कम्युनिस्टों'' और पूज ँ ीवादी
समझ सकते, जब तक हम पँजू ीवाद 27 बच्चे लापता हुए हैं। 2015-16 में के चेहरे पर ख़ौफ़ का न होना और पार्टियों के दुमछल्ले या व्यक्तिवादी-अराजकतावादी ट्रेडयूनियनों से आगाह
-पितृसत्ता के गँठजोड़ को नहीं समझ इसमें 4।4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। ब्रजेश ठाकुर जैसे बर्बर बलात्कारियों करते हुए उसे हर तरह के अर्थवाद और सध ु ारवाद से लड़ना सिखायेगा तथा उसे
लेते। मौजदू ा व्यवस्था में मट्ु ठी-भर धनिकों, नेताओ,ं अफ़सरों की हवस परू ी की हँसी क्या सब कुछ बयान नहीं कर सच्ची क्रान्तिकारी चेतना से लैस करेगा। यह सर्वहारा की क़तारों से क्रान्तिकारी
पँजू ीपतियों का सारी चीज़ों पर नियन्त्रण करने के लिए इन जगहों से लड़कियों देता? जहाँ थानों तक में बलात्कार होते भर्ती के काम में सहयोगी बनेगा।
है। भारत जैसे देशों में जहाँ एक ओर की सप्लाई होती है। पोर्न फि़ल्मों, बाल हैं, जहाँ लाखों मामले न्यायालयों के 5. 'मज़दूर बिगुल' मज़दूर वर्ग के क्रान्तिकारी शिक्षक, प्रचारक और
स्त्रियों को पैर की जतू ी समझने, 'भोग्या' वेश्यावृत्ति का धन्धा अरबों का है। ये पोथों में दफ़न हो जाते हैं, जहाँ 'भारत आह्वानकर्ता के अतिरिक्त क्रान्तिकारी सगं ठनकर्ता और आन्दोलनकर्ता की भी
समझने की परु ानी मान्यता क़ायम है, धन्धा बिना सरकार व प्रशासन को साथ माता की जय', 'जय श्रीराम' के नारों भूमिका निभायेगा।
वहीं पँजू ीवादी व्यवस्था के क़ायम होने लिए हो ही नहीं सकता है। और तिरंगे की आड़ में बलात्कार व
के बाद आधनि ु कता के नाम पर तर्क की जैसे-जैसे पँजू ी का सक ं ट बढ़ता हत्या जैसे अपराध को जायज़ ठहराया प्रिय पाठको,
जगह नयी विकृ तियाँ भयंकर सड़ान्ध जा रहा है वैसे-वैसे राजनीति का जाता है, वहाँ हम के वल व्यवस्था और बहुत से सदस्यों को 'मज़दू र बिगुल' नियमित भेजा जा रहा है, लेकिन काफ़ी़
पैदा कर रही हैं। एक तरफ़ स्त्रियों को अपराधीकरण बढ़ता जा रहा है। सरकारों के भरोसे नहीं बैठे रह सकते! समय से हमें उनकी ओर से न कोई जवाब नहीं मिला और न ही बकाया राशि।
अपनी पोशाक, पेशा और जीवन साथी जनता के वास्तविक मद्ु दों को उठाने उन तमाम बच्चियों को तब तक इन्साफ़ आपको बताने की ज़रूरत नहीं कि मज़दू रों का यह अख़बार लगातार आर्थिक
चनु ने जैसे मामलों में आज़ादी नहीं व उनका समाधान करने में वर्तमान नहीं मिलेगा, जब तक हम आवाज़ नहीं समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके
है; वहीं दसू री ओर मनु ाफ़े के मद्देनज़र पँजू ीवादी राजनीति अक्षम हो चक सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको 'मज़दू र बिगुल' का प्रकाशन ज़रूरी लगता
ु ी उठायेंगे! हमें हर ऐसी घटना के खि़लाफ़
उनको विज्ञापनों, फि़ल्मों, पोर्न साइटों, है और आप इसके अंक पाते रहना चाहते हैं तो हमारा अनुरोध है कि आप कृ पया
है। दगं ाइयों, अपराधियों को टिकट सड़कों पर उतरना होगा, लेकिन साथ ही जल्द से जल्द अपनी सदस्यता राशि भेज दें। आप हमें मनीआॅर्डर भेज सकते हैं
घटिया गानों आदि के द्वारा बाज़ार के दिया जाता है। बलात्कार के आरोपी इस पँजू ीवादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं।
लिए बाज़ार में 'उपभोग की वस्तु' के ससं द-विधानसभाओ ं में बैठे हैं। इनसे की क़ब्र खोदने के लिए एक लम्बे यद्ध ु मनीआॅर्डर के लिए पता :
रूप में उतार दिया है। मौजदू ा व्यवस्था क्या स्त्रियों के बारे में किसी तरह की का ऐलान करना होगा, जो इन सारे मज़दू र बिगुल, द्वारा जनचेतना
में आर्थिक सक ं ट लगातार अपराध, संवेदनशीलता की उम्मीद की जा सकती अपराधों की जड़ है। डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020
बेरोज़गारी बढ़ा रहा है। नारी संरक्षण गृह, है? अभी हाल ही में मोदी सरकार के बैंक खाते का विवरण : Mazdoor Bigul
खाता सं ख्या : 0762002109003787, IFSC: PUNB0076200
पं जाब नेशनल बैंक, निशातगं ज शाखा, लखनऊ
''बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियो ं के दम पर चलते हैं। मज़दूरो ं के सदस्यता : वार्षिक : 70 रुपये (डाकख़र्च सहित); आजीवन : 2000 रुपये
अख़बार ख़ुद मज़दूरो ं द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।'' - लेनिन मज़दू र बिगुल के बारे में किसी भी सूचना के लिए आप हमसे इन माध्यमों
से सम्पर्क कर सकते हैं ः
'मज़दूर बिगुल' मज़दूरों का अपना अख़बार है। फ़ोन : 0522-4108495, 8853093555, 9936650658
ईमेल : bigulakhbar@gmail.com
यह आपकी नियमित आर्थिक मदद के बिना नहीं चल सकता। फ़े सबुक : www.facebook.com/MazdoorBigul
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मज़दूर बिगुल
सम्पादकीय कार्यालय ः 69 ए-1, बाबा का पुरवा, पेपरमिल
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आजीवन सदस्यता - 2000/- रुपये
मज़दूर बिगुल, अगस्त 2018 3
उत्तर प्रदेश में के न्द्र व राज्य कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए सं घर्ष तेज किया
नयी पेंशन स्कीम के खि़लाफ़ उत्तर ग़ौरतलब है कि 2004 में अटल बिहारी से परु ानी पेंशन की बहाली का वादा कर्मचारी शिक्षक अधिकार 'परु ानी उसके लिए असम्भव है। पँजू ीपतियों
प्रदेश में कर्मचारियों ने नये सिरे से संघर्ष वाजपेयी की सरकार ने कर्मचारियों की किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद पेंशन बहाली' मचं की ओर से 9 अगस्त के मनु ाफ़े की दर को बरक़रार रखने के
का बिगल ु फँू क दिया है। 1 जल ु ाई को पेंशन को नयी पेंशन स्कीम के तहत भाजपा और तेज़ी से पँजू ीपतियों-लटु ेरों को परू े प्रदेश-भर में जि़ला मखु ्यालयों लिए सरकार आम जनता, कर्मचारियों
लखनऊ में विभिन्न कर्मचारी सगं ठनों जआ ु घर (शेयर मार्के ट) के हवाले कर की सेवा में जटु गयी और कर्मचारियों के पर एक दिवसीय प्रदर्शन का आयोजन को मिलने वाले अधिकारों में लगातार
की बैठक करके कर्मचारी शिक्षक दिया था। इसका नतीजा यह है कि बहुत रहे-सहे अधिकारों पर भी डाका डालने किया गया। उत्तर प्रदेश के विभिन्न कटौती कर रही है। ऐसे में अपनी लड़ाई
अधिकार 'परु ानी पेंशन बहाली' मचं जि़लों में बिगल ु मज़दरू दस्ता और दिशा को इस पँजू ीवादी व्यवस्था के खि़लाफ़
का गठन किया गया। परु ानी पेंशन की छात्र सगं ठन के कार्यकर्ताओ ं ने भी के न्द्रित करना होगा।
बहाली, ख़ाली पदों पर भर्ती आदि आन्दोलन के समर्थन में शिरकत की। दिशा छात्र संगठन और बिगल ु
विभिन्न माँगों को लेकर आयोजित की इलाहाबाद में कचहरी पर आयोजित मज़दरू दस्ता के कार्यकर्ताओ ं ने प्रदर्शन
गयी इस बैठक में रे लवे, डाक विभाग, प्रदर्शन में दिशा छात्र संगठन की एक में 'जारी है हड़ताल' गीत प्रस्तुत किया।
आयकर समेत के न्द्रीय सरकार के टोली रे ल कर्मचारियों के जल ु सू के साथ प्रदर्शन के अन्त में संयोजक अजय
विभिन्न विभागों के कर्मचारी नेताओ ं पहुचँ ी। प्रदर्शन में बातचीत रखते हुए भारती ने मखु ्यमन्त्री को जि़लाधिकारी
ने हिस्सा लिया। राज्य कर्मचारी संयक्त ु दिशा छात्र संगठन के प्रसेन ने कहा कि के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया।
परिषद के हरिकिशोर तिवारी को मचं आज के समय में परू े देश में कर्मचारियों कार्यक्रम का संचालन संयक्त ु राज्य
का सयं ोजक चनु ा गया। इस मचं में उप्र की इस एकजटु ता को और व्यापक कर्मचारी परिषद के विनोद पाण्डेय ने
डिप्लोमा इजं ीनियर्स महासंघ, राजकीय बनाना होगा और इसे निरन्तरता देनी किया।
वाहन चालक महासंघ, उप्र चतर्थु श्रेणी होगी। यह भी समझने की बात है कि आन्दोलन के अगले चरण में
कर्मचारी महासंघ, उप्र लेखपाल संघ, उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों पर कर्मचारियों ने 29 से 31 अगस्त तक
उप्र राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी से ऐसे कर्मचारी जो 2004 के बाद से में जटु गयी। इसके तहत 97 विभागों को सारी पार्टियों की एक आम सहमति है। तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार का
सघं , ग्राम पचं ायत अधिकारी सघं , नौकरी में आये उनको रिटायर होने के 34 विभागों में एकीकृ त करने, अनिवार्य पार्टियों के बदल जाने से उदारीकरण- आह्वान किया है। 8 अक्टूबर को नयी
ग्राम विकास अधिकार एसोसिएशन, बाद 500-1000 रुपये तक पेंशन के रूप सेवानिवृत्ति लागू करने, ख़ाली पदों को निजीकरण की इन नीतियों पर कोई फ़र्क़ पेंशन स्कीम के खि़लाफ़ लखनऊ में
मिनि. कर्मचारी महासंघ (स्वास्थ्य में मिल रहे हैं। बाद में घड़ियाली आँसू समाप्त करने जैसे बहुत से कर्मचारी और नहीं पड़ने वाला है। ज़रूरी है कि इन रै ली का भी आयोजन किया जायेगा।
विभाग), उप्र जनि ू यर हाईस्कू ल सघं , बहाते हुए कांग्रेस के शासनकाल में जनविरोधी फ़ै सले लेने का काम किया नीतियों की मार झेल रहे कर्मचारियों, मचं के नेताओ ं ने कहा कि अगर सरकार
उप्र सांख्यिकीय सेवा परिसंघ, उप्र योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई गया। इन फ़ै सलों के खि़लाफ़ कर्मचारी छात्रों और यवु ाओ ं को इन नीतियों के परु ानी पेंशन की बहाली नहीं करती तो
सरकार स्टेनोग्राफ़र महासंघ, वित्त सांसदों ने सरकार को परु ानी पेंशन की कोई एकजटु संघर्ष न कर सकें , इसके खि़लाफ़ एक बड़े संघर्ष में उतर जाना 25 से 27 अक्टूबर तक पर्णू कालिक
विहीन माध्यमिक शिक्षक संघ - उप्र, बहाली के लिए पत्र लिखा था। इतना ही लिए कर्मचारियों द्वारा सरकार की होगा। आज की पँजू ीवादी व्यवस्था हड़ताल करें गे और उसके बाद अनिश्चित
संयक्त
ु पेंशनर्स समन्वय समिति समेत नहीं, 2014 के चनु ाव से पहले राजनाथ आलोचना को भी अपराध के दायरे में वास्तव में मन्दी के एक ऐसे भँवरजाल कालीन हड़ताल की ओर अग्रसर होंगे।
विभिन्न कर्मचारी सगं ठन शामिल हैं। सिहं ने सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों लाने का काम किया गया। में फँ स चक ु ी है, जहाँ से निकल पाना – अमित
मज़दूर बिगुल, अगस्त 2018 7
साल-दर-साल बाढ़ की तबाही : महज़ प्राकृ तिक आपदा नही ं मुनाफ़ाख़ोर पूँजीवादी व्य
वस्था का कहर
(पेज 9 से अागे) था। चीन में जब समाजवादी व्यवस्था को काफ़ी हद तक हल कर दिया था। को मानव मेधा का इस्तेमाल कर उसके होते रहेंगे और अपनी आजीविका के
को नहीं कर रही हैं? क़ायम थी, यानी माओ की मृत्यु तक, चीन में पँजू ीवाद की पनु र्स्थापना के बाद विपरीत यानी एक सकारात्मक शक्ति में साधन गँवाते रहेंगे। इस बरबादी पर नेता,
इसकी वजह साफ़ है। कोई भी तो मज़दरू ों की सत्ता ने ह्वांगहो नदी की एक बार फिर बाढ़ एक समस्या के रूप बदल सकती है। नौकरशाह, पँजू ीपति और ठे केदार अपने
पँजू ीपति घराना और सरकार ऐसे कामों परू ी दिशा मोड़ दी थी और चीन के एक में उभरना शरू ु हो गयी है। लेकिन इतना लेकिन यह सब इस व्यवस्था में मनु ाफ़े का जश्न मनाते रहेंगे और चनु ावी
में पँजू ी निवेश को तैयार नहीं है। लेकिन बहुत बड़े हिस्से को हर साल आने वाली तो चीन के महान समाजवादी प्रयोग ने सम्भव नहीं है। मट्ु ठी-भर मनु ाफ़ाख़ोरों, गोटियाँ लाल करते रहेंगे। आपदा प्रकृ ति
यह मजबरू ी इस पँजू ी के न्द्रित व्यवस्था बाढ़ की विभीषिका से हमेशा के लिए साबित कर ही दिया कि बाढ़ कोई ऐसी मर्दाख़ो
ु रों और कफ़नखसोटों के मनु ाफ़े नहीं है बल्कि आपदा यह मानवद्रोही
की है। एक मानव-के न्द्रित व्यवस्था इस बचा लिया था। नदियों के किनारे बसे प्राकृ तिक आपदा नहीं है जिससे बचा न की ख़ातिर ऐसे तमाम ज़रूरी कामों पँजू ीवादी व्यवस्था है। जब तक मानवता
समस्या का समाधान मानव श्रम को गाँवों-शहरों के लाखों लोग अपने-अपने जा सके । एक मानव-के न्द्रित समाजवादी और योजनाओ ं को ठण्डे बस्ते में डाले इससे निजात नहीं पायेगी, तब तक बाढ़
गोलबन्द और सगं ठित करके आसानी इलाक़े में नदियों से भारी पैमाने पर गाद व्यवस्था के पास इस समस्या का इलाज रखा जायेगा, पर्यावरण को तबाह करते की विभीषिका से भी निजात नहीं मिलने
से कर सकती है। इसकी जीती-जागती निकालते थे और तटबन्ध बनाते थे। इस है और वह इस समस्या को दरू कर रहा जायेगा और हर साल हज़ारों लोग वाली।
मिसाल चीन का समाजवादी प्रयोग तरह बेहद कम ख़र्च में बाढ़ की समस्या सकती है और एक नकारात्मक शक्ति बाढ़ में मरते रहेंगे, करोड़ों लोग बेघर
मज़दूर बिगुल, अगस्त 2018 15