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जीवन म खेल का मह व

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“मने वाटरलू के यु म जो सफलता ा त की उसका िश ण ईटन के मै दान म िमला।”

ने पोिलयन को परािजत करने वाले एडवड ने सन की यह पं ि त खे ल के मह व को बयां करने के िलये पया त है ।


खे ल न केवल हम व थ रहने म योगदान दे कर स म बनाते ह वरन◌् वतमान यु ग की सं कीणतावादी सोच के
िव हम िन प , सिह णु तथा िवनम बनाकर एक बे हतर मानव सं साधन के प म बदलते ह। खे ल की मह ा
को दुिनया के ये क समाज व स यता म वीकृित िमली है। रामायण, महाभारत से लेकर गीको-रोमन दंत-कथाओं
म होने वाले खे ल का िज इस बात का माण है । पु नः ओलं िपक की ारं िभक शु आत यह प ट करती है िक
खे ल को सं थािनक मह व िमलता रहा है ।

वतमान पिरवे श व जीवनशै ली म आज मनु य जब अने क रोग से ग त हो रहा है । ऐसे समय म खे ल का मह व


वयमे व प ट हो जाता है । खे ल ारा न केवल हमारी िदनचया िनयिमत रहती है बि क ये उ च र तचाप, लड
शु गर, मोटापा, दय रोग जै सी बीमािरय की सं भावनाओं को भी यून करते ह। इसके अलावा खे ल ारा हम
वयं को चु त-दु त रखने म भी मदद िमलती है , िजससे हम अपने दािय व का िनवहन सि यतापूवक कर पाते
ह।

एक अ छा जीवन जीने हेतु अ छे वा य का होना बहुत ज री है । िजस कार शरीर को अ छा और व थ


रखने के िलये यायाम की आव यकता होती है उसी कार खे लकू द का भी व थ जीवन हे तु अ यिधक मह व
है । खे ल ब च और यु वाओं के मानिसक तथा शारीिरक िवकास दोन ही के िलये अित आव यक है । नई पीढ़ी को
िकताबी ान के साथ-साथ खे ल म भी िच बढ़ाने की ज रत है ।

परं परगत प से भारत के म यम वग की धारणा रोजगारपरकता के िलहाज से खे ल के ित नकारा मक रही है ।


खे लकू द को मनु य के बौि क िवकास व रोजगार ाि त म बाधक मानते हुए कहा जाता था िक “पढ़ोगे-िलखोगे
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तो बनोगे नवाब, खेलोगे -कू दोगे तो होगे खराब।” परं तु बदलते समय के साथ यह सािबत हो गया िक खे ल मनु य
के िवकास म बाधक नहीं वरन् सहायक ह। बगै र शै िणक उपलि ध के भी सिचन तदुलकर ारा अिजत यश,
स मान, धन लोकि यता आिद इस बात के सुं दर उदाहरण ह। सिचन तदुलकर ारा दे श का सवो च स मान
‘भारत र न’ ा त करना, वतमान पिरदृ य म खे ल की मह ा को दशाता है । आज सिचन ही नहीं वरन् सु शील
कुमार, सािनया िमजा, अिभनव िब दा, साइना ने हवाल, मै री कॉम व महद िसंह धोनी जै से नाम ने सफलता व
समृ ि एवं श के जो आयाम गढ़े ह, उसके सम सं थागत िश ा का न गौण हो जाता है ।

सरकार खे ल म याित ा त िखलािड़य को अने क पु र कार से स मािनत करती है, अजु न एवं दोणाचाय जै से
पु र कार इसी े णी के खे ल र न पु र कार है जो भारत म खे ल म सव े ठ दशन हे तु सरकार ारा िखलािड़य
और गु ओं को दान िकये जाते ह। हमारे दे श की कई मिहलाओं यथा- पी.टी. उषा, मे री कॉम, सायना ने हवाल
एवं सािनया िमजा ने दुिनया भर म खे ल म काफी नाम कमाया है और दे श को गौरवाि वत िकया है । खे ल को
भारतीय सं कृित एवं एकता का तीक भी माना जाता है । खे ल हमारी गित को सु िनि चत कर जीवन म
सफलता दान करते ह।

आज सरकारी व िनजी दोन े म िखलािड़य के िलये नौकिरयाँ पाने के कई अवसर है । रे लवे , एअर इं िडया,
भारत पेटोिलयम, ओ.एन.जी.सी., आई-ओ-सी- जैसी सरकारी सं थाओं के साथ-साथ टाटा अकादमी, िजंदल गु प
जै से िनजी समूह भी खे ल व िखलािड़य के िवकास व ो साहन हेतु ितब है । इसके अलावा आई.पी.एल.,
आई.बी.एल., एच.सी.एल., जै सी लीग तथा थानीय लब के तर पर भारी िनवे श ने िखलािड़य के िवक प
को बढ़ाने के साथ-साथ उ ह बे हतर मं च व अवसर उपल ध कराया है । इसे दे खते हुए अब कहा जा सकता है िक
खेलोगे -“कू दोगे तो होगे नवाब।”

इससे यह प ट होता है िक खे ल से न िसफ वा य बि क रोजगार एवं यश तथा स मान भी ा त होता है। खेल
ारा राजनै ितक ल य भी ा त िकया जा सकता है। कई दे श म यह दे खने म आया है िक खे ल का अ य प
से सं बंध दे श के िवकास से भी होता है । वतमान समय म लोग के खे ल के ित नजिरये म काफी बदलाव आया
है । खे ल हम िविभ न कार से िशि त भी करते ह। इससे मानवीय मू य का िवकास होता है साथ ही खे ल ारा
सामूिहक चे तना का भी िवकास होता है य िक खे ल की मूल भावना यही होती है िक अकेले नहीं बि क समूह म
खे लना, खे ल ारा ने तृ व करने की कला का भी िवकास होता है । खे ल से रचना मकता को भी बढ़ावा िमलता है ।
आजकल खे ल म कई नई ौ ोिगिकय का उपयोग िकया जा रहा है िजससे खे ल म सटीकता और उसके
अनु सार नीित-िनमाण म भी सहायता िमल रही है ।

खे ल के सं दभ म अगर नकारा मक पहलू की बात की जाए तो वह यह है िक मनोरं जन के नए साधन और


कॅिरयर की भाग-दौड़ ने खे ल के मै दान म होने वाली भाग-दौड़ को कम कर िदया है । ब चे ह या यु वा, लगातार
मोबाइल पर गे म या वीिडयो गे म खे लना आज लोग की आदत बनती जा रही है । इसके पिरणाम व प यु वा और
छा आबादी का एक बड़ा िह सा खेल के मैदान से गायब रहता है ।

इस कार तमाम वजह से खे ल अपनी उ च भावना और उ े य के साथ लोग के बीच पहुँच ही नहीं पा रहे ह।
वहीं वतमान यु ग के नए खे ल व मनोरं जन के तरीके अपनी कृित के अनु प लोग म एकाकीपन तथा मानिसक
िवकृितय को ज म दे रहे ह।

उपरो त वणन से यह प ट होता है िक जीवन म खे ल का मह व िनिववाद है । ये न केवल जीवन म गित व


लय का सं चार करते ह, वरन् हम जीवन का मह वपूण पाठ भी पढ़ाते ह।

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