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Bihar Board 10th Social Science Political Science Subjective Answers

Chapter 1 लोकतं म स ा क साझेदारी

1.
‘हर सामा जक व भ ता सामा जक वभाजन का प नह लेती’। कैसे?
उ र-
ेक समाज म सामा जक व भ ता पायी जाती है । समाज म व भ धम, जा त, भाषा, समुदाय, लग इ ा द के
लोग रहते ह जो सामा जक व भ ता का सूचक है । यह आव क नह है क ये राजनी तक व भ ता सामा जक
वभाजन का आधार हो, क भ समुदाय के वचार भ हो सकते ह, ले कन हत समान होगा। उदाहरण के
लए मु ई म मरा ठय क हसा का शकार य क जा तयाँ भ थ , धम भ थे और लग भी भ हो
सकता है, पर ु उनका े एक ही था। वे सभी एक ही े वशेष के उ र भारतीय थे। उनका हत समान था। वे
सभी अपने वसाय और पेशा म संल थे। उपयु कथन के अ यन करने के प ात् यह हो जायेगा क हर
सामा जक व भ ता सामा जक वभाजन का प नह ले पाती है।

2.
सामा जक अ र कब और कैसे सामा जक वभाजन का प ले लेते ह?
उ र-
सामा जक अ र एवं सामा जक वभाजन म ब त बड़ा अ र पाया जाता है । सामा जक वभाजन तब होता है जब
कुछ सामा जक अ र दूसरी अनेक व भ ताओं से ऊपर और बड़े हो जाते ह। सवण और द लत का अ र एक
सामा जक वभाजन है, क द लत स ूण देश म आमतौर पर गरीब, वं चत एवं बेघर ह और भेदभाव के शकार
ह जब क सवण आमतौर पर स एवं सु वधायु ह। अथात् द लत को महसूस होने लगता है क वे दूसरे समुदाय
के ह। अतः हम कह सकते ह क जब एक तरह का सामा जक अ र अ अ र से ादा मह पूण बन जाता है
और लोग को यह महसूस होने लगता है क वे दूसरे समुदाय के ह तो इससे सामा जक वभाजन क त पैदा
होती है । जैसे- अमे रका म ेत और अ ेत का अ र सामा जक वभाजन है। वा व म उपयु कथन के अ यन
के बाद यह होता है क सामा जक अ र उस समय सामा जक वभाजन बन जाता है जब अ अ र से
ादा मह पूण बन जाता है ।

3.
‘सामा जक वभाजन क राजनी त के प रणाम प ही लोकतं के वहार म प रवतन होता है । भारतीय लोकतं
के संदभ म इसे कर।
उ र-
सामा जक वभाजन दु नया के अ धकतर देश म कसी-न- कसी प म मौजूद है और यह वभाजन राजनी तक प
अ यार करती ही है । लोकतं म राजनी तक दल के लए सामा जक वभाजन क बात करना और व भ समूह
से अलग-अलग वायदे करना ाभा वक बात है । हमारे देश भारत म लोकतां क शासन- व ा पायी जाती है।
जनता अपने त न धय को मतदान के मा म से चुनकर देश क संसद या रा क वधानसभाओं म भेजती है।

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भारतीय लोकतं म सामा जक वभाजन का असर देश क राजनी त पर ब त हद तक पड़ता है। साथ ही सरकार क
नी तयाँ भी भा वत होती ह। अगर भारत म पछड़ एवं द लत के त ाय क मांग को सरकार शु से खा रज
करती रहती है तो आज भारत वखंडन के कगार पर होता। लोकतं म सामा जक वभाजन क राजनी तक
अभ एक सामा बात है और यह एक राजनी तक का ल ण भी है। राजनी त म व भ तरह के
सामा जक वभाजन क अ भ ऐसे वभाजन क बीच संतुलन पैदा करने का भी काम रहती है। प रणामतः
कोई भी सामा जक वभाजन एक हद से ादा उ नह हो पाता और यह वृ लोकतं को मजबूत करने म
सहायक भी होता है। लोग शां तपूण और संवैधा नक तरीक से अपनी मांग को उठाते ह और चुनाव के मा म से
उनके लए दबाव बनाते ह। उनका समाधान पाने का यास करते ह। इस कार यह होता है क सामा जक
वभाजन क राजनी त के फल प भारतीय लोकतं के वहार म प रवतन होता है ।

4.
स र के दशक से आधु नक दशक के बीच भारतीय लोकतं का सफर (सामा जक ाय के संदभ म) का सं
वणन कर।
उ र-
स र के दशक के पहले भारत क राजनी त सवण सु वधापर हत समूह के हाथ म थी। अथात् 1967 तक
भारतीय राजनी त म सवण जा तय का वच रहना। स र से न े तक के दशक के बीच सवण और म म पछड़े
के उपरा पछड़ी जा तय का वच तथा तथा द लत क जागृ त क अवधारणाएँ राजनी तक ग लयार म
उप त दज कराती रह और नी तय को भा वत करती रह । भारतीय राजनी त के इस महामंथन म पछड़े और
द लत का संघष भावी रहा। आधु नक दशक के वष म राजनी त का पलड़ा द लत और महाद लत ( बहार के
संदभ म) के प म झकता दखाई दे रहा है । सरकार क नी तय के सभी प र म द लत ाय क पहचान
सबके के - ब ु का वषय बन गया है।

5.
सामा जक वभाजन क राजनी त का प रणाम कन- कन चीज पर नभर करता है?
उ र-
सामा जक वभाजन क राजनी त तीन त पर नभर करती है जो न ल खत ह

1. लोग अपनी पहचान अ तक ही सी मत रखना चाहते ह, क ेक मनु म रा ीय चेतना के


अलावा उप-रा ीय या ानीय चेतना भी होती है। कोई एक घटना बाक चेतनाओं क क मत पर उ होने लगती है
तो समाज म असंतुलन पैदा हो जाता है। भारत के संदभ म कहा जा सकता है क जबतक बंगाल बंगा लय का,
त मलनाडु त मल का, महारा मरा ठय का, आसाम अस मय का, गुजरात गुजरा तय क भावना का दमन नह
होगा तबतक भारत क अख ता, एकता तथा सामंज खतरा म रहेगा। अतएव उ चत यही है क पहचान के लए
सभी चेतनाएँ अपनी-अपनी मयादा म रह और एक दूसरे क सीमा म दखल न द. सरे श म यह कह सकते ह क
अगर लोग अपने ब - रीय पहचान को रा ीय पहचान का ह ा मानते ह तो कोई सम ा नह हो सकती।
उदाहरण प-बे यम के अ धकतर लोग खुद को बे याई (Belgian) ही मानते ह, भले ही वे डच और जमन
बोलते ह। हमारे देश म भी ादातर लोग अपनी पहचान को लेकर ऐसा ही नज रया रखते ह। भारत व भ ताओं का
देश है, फर भी सभी नाग रक सव थम अपने को भारतीय मानते ह। तभी तो हमारा देश अख ता और एकता का
तीक है।

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2. कसी समुदाय या े वशेष क मांग को राजनी तक दल कैसे उठा रहे ह। सं वधान के दायरे म आने वाली
और दूसरे समुदाय को नुकसान न प ँचाने वाली माँग को मान लेना आसान है । स र के दशक के पूव के
राजनी तक प तथा अ ी एवं न े के दशक म राजनी त प र म बदलाव आ और भारतीय समाज म
सामंज अभी तक बरकरार है । इसके वपरीत युगो ा वया म व भ समुदाय के नेताओं ने अपने जातीय समूह
क तरफ से ऐसी माँग रख क ज एक देश क सीमा के अ र पूरा करना संभव न था। इसी के प रणाम प
युगो ा वया कई टु कड़ म बँट गया।

3. सामा जक वभाजन के राजनी त का प रणाम सरकार के खच पर भी नभर करता है । यह भी मह पूण है क


सरकार इन मांग पर ा त याएं करती ह। अगर भारत म पछड़ एवं द लत के त ाय क माँग को
सरकार शु से ही खा रज रहती तो आज भारत बखराव के कगार पर होता। ले कन सरकार ने इनके सामा जक
ाय को च मानते ए स ा म साझेदार बनाया और उनको देश क मु धारा म जोड़ने का ईमानदारी से यास
कया। फलतः छोटे संघष के बावजूद भी भारतीय समाज म समरस ा और सामंज ा पत है। पुनः बे यम म
भी सभी समुदाय के हत को सामुदा यक सरकार म उ चत तनध दया गया। पर ु . ीलंका म रा ीय
एकता के नाम पर त मल के ायपूण माँग को दबाया जा रहा है। ताकत के दम पर एकता बनाये रखने क
को शश अकसर वभाजन क ओर ले जाती है।

6.
सामा जक वभाजन को संभालने के संदभ म इनम से कौन-सा बयान लोकतां क व ा पर लागू नह होता?
(क) लोकतं राजनी तक त ं ता के चलते सामा जक वभाजन क छाया (reflection) राजनी त पर भी
पड़ता है।
(ख) लोकतं म व भ समुदाय के लए शां तपूण ढं ग से अपनी शकायत जा हर करना संभव है।
(ग) लोकतं सामा जक वभाजन को हल (accomodate) करने का सबसे अ ा तरीका है ।
(घ) लोकतं सामा जक वभाजन के आधार पर (on the basis of social division) समाज वख न
(disintegration) क ओर ले जाता है।
उ र-
(क) लोकतं राजनी तक त ं ता के चलते सामा जक वभाजन क छाया (reflection) राजनी त पर भी
पड़ता है।

7.
न ल खत तीन बयान पर वचार कर
(क) जहाँ सामा जक अ र एक दूसरे से टकराते ह (Social differences overlaps), वहाँ सामा जक
वभाजन होता है।
(ख) यह संभव है एक क कई पहचान (multiple indentities) हो।
(ग) सफ भारत जैसे बड़े देश म ही सामा जक वभाजन होते ह।

इन बयान म स कौन-कौन से बयान सही ह?


(अ) क, ख और ग
(ब) के और ख

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(स) ख और ग
(द) सफ ग
उ र-
(ब) के और ख

8.
न ल खत य म कौन लोकतं म रं गभेद के वरोधी नह थे?
(क) कग मा टन लूथर
(ख) महा ा गांधी
(ग) ओलं पक धावक टोमी थ एवं जॉन काल स
(घ) जेड गुडी
उ र-
(ग) ओलं पक धावक टोमी थ एवं जॉन काल स

9.
न ल खत का मलान कर
(क) पा क ान (अ) धम नरपे
(ख) ह ु ान (ब) इ ाम
(ग) इं ड (स) ो ट
उ र-
(क) (ब), (ख) (अ), (ग) (स)।

10.
भावी समाज म लोकतं क ज ेवारी और उ े पर एक सं ट णी लख।
उ र-
वतमान म लोकतां क शासन व ा संसार के अ धकतर देश अपना रहे ह, क लोकतं म लोग के क ाण
क बात को मुखता दी जाती है आज लोकतं अपनी जड़ जमा चुका है और यह धीरे-धीरे प रप ता क ओर आगे
बढ़ रहा है।

लोकतां क शासन- व ा एक ऐसी शासन- व ा है जसके अ गत लोग अपने त न धय को चुनकर


संसद या वधानसभा म भेजते ह। यह लोग के क ाण, सामा जक समानता, आ थक समानता तथा धा मक
समानता इ ा द का प धर है । इसी शासनतं के अ गत लोक-क ाणकारी रा बनाया जा सकता है । इस
शासन- व ा म जनता अपने त न धय को चुनती है और वे त न ध जनता क भलाई के लए काय करते ह।

वतमान समय म लोकतं का मक वकास इस बात का सूचक है क यह शासन- व ा और से अ ी है


लोकतं एक ऐसा आधार ुत करती है जसम लोग के क ाण के साथ-साथ समाज का वकास भी संभव है ।
यह भावी समय के लए एक ऐसा आधार ुत करती है जसम लोग के क ाण क भावना छु पी है। लोकतं का
दीघकालीन उ े है -एक क ाणकारी रा क ापना करना जसम आम लोग का वकास, आ थक समानता,

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धा मक. समानता एवं सामा जक समानता न हत होती है । इस कार लोकतं भावी समाज के लए ज ेवारीपूण
काय करता है ।

11.
भारत म कस तरह जा तगत असमानताएँ जारी ह ?
उ र-
भारत म भ जा त के लोग रहते ह, चाहे वे कसी धम से संबंध रखते ह । यहाँ जा तगत वशेषताएँ पायी जाती ह,
क भारत व वधताओं का देश है ।
दु नया भर के सभी समाज म सामा जक असमानताएँ और म वभाजन पर आधा रत समुदाय व मान है। भारत
इससे अछूता नह है । भारत क तरह दूसरे देश म भी पेशा का आधार वंशानुगत है। पेशा एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी म
यं ही चला आता है । पेशे पर आधा रत सामुदा यक व ा ही जा त कहलाती है । यह व ा जब ायी हो
जाती है तो म वभाजन का अ तवादी प कहलाता है जसे हम जा त के नाम से पुकारने लगते ह। यह एक खास
अथ म समाज म दूसरे समुदाय से भ हो जाता है । इस कार के वंशानुगत पेशा पर आधा रत समुदाय जसे हम
जा त कहते ह, उसक ीकृ त री त- रवाज से भी हो जाती है। इनक पहचान एक अलग समुदाय के प म होती है
और इस समुदाय के सभी य क एक या मलता जुलता पेशा होता है। इनके बेटे-बे टय को शादी-आपस के
समुदाय म ही होती है और खान-पान भी समान समुदाय म ही होता है। अ समुदाय म इनके संतान क शादी न
तो हो सकती है, और न ही करने क को शश करते ह। मह पूण प रवा रक आयोजन और सामुदा यक आयोजन म
अपने समुदाय के साथ एक पांत म बैठकर भोजन करते ह। कह -कह तो ऐसा देखा गया है क अगर एक समुदाय
के बेटा या बेटी दूसरे समुदाय के बेटा या बेटी से शादी कर लेते ह तो उसे पांत से काट दया जाता है । अपने समुदाय
से हटकर दूसरे समुदाय म वैवा हक संबंध बनाने वाले प रवार को समुदाय से न ा सत भी कर दया जाता है।

12.
सफ जा त के आधार पर भारत म चुनावी नतीजे तय नह हो सकते? इसके दो कारण बताव। .
उ र-
(i) कसी भी नवाचन े का गठन इस कार नह कया गया है क उसम मा एक जा त के मतदाता रह। ऐसा हो
सकता है क एक जा त के मतदाता क सं ा अ धक हो सकती है, पर ु दूसरे जा त के मतदाता भी नणायक
भू मका नभाते ह। अतएव हर पाट एक या एक से अ धक जा त के लोग का भरोसा करना चाहता है।
(ii) अगर जातीय भावना ायी और अटू ट होती तो जातीय गोलबंदी पर स ा म आनेवाली पाट क कभी हार नह
होती है । यह माना जा सकता है क े ीय पा टयाँ जातीय गुट से संबंध बनाकर.स ा म आ जाये, पर ु अ खल
भारतीय चेहरा पाने के लए जा त वहीन, सा दा यकता के परे वचार रखना आव क होगा।

13.
व भ तरह क सा दा यक राजनी त का ोरा द और सबके साथ एक-एक उदाहरण द।
उ र-
जब हम यह कहना आरं भ करते ह क धम ही समुदाय का नमाण करता है तो सा दा यक राजनी त का ज होता
है और इस अवधारणा पर आधा रत सोच ही सा दा यकता कहलाती है। हम ेक दन सा दा यकता क
अभ देखते ह, महसूस करते ह, यथा धा मक पूवा ह, पर रागत धा मक अवधारणाय एवं एक धम को दूसरे
धम से े मानने क मा ताएँ।

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सा दा यकता क सोच ायः अपने धा मक समुदाय क मुख राजनी त म बरकरार रखना चाहती है । जो लोग
ब सं क समुदाय के होते ह उनक यह को शश ब सं कवाद का प ले लेती है, उदाहरणाथ ीलंका म
सह लय का ब सं कवाद। यहाँ लोकतां क प से नवा चत सरकार ने भी सहली समुदाय क भुता कायम
करने के लए अपने ब सं कपर ी के तहत कई कदम उठाये। यथा–1956 म सहली को एकमा रा भाषा के
प म घो षत करना, व व ालय और सरकारी नौक रय म सह लय को ाथ मकता देना, बौ धम के संर ण
हे तु कई कदम उठाना आ द। सा दा यकता के आधार पर राजनी त गोलबंदी सा दा यकता का दूसरा प है। इस
हे तु प व तीक , धमगु ओं और भावना क अपील आ द का सहारा लया जाता है । नवाचन के व हम अ र
ऐसा देखते ह। कसी खास धम के अनुया यय से कसी पाट वशेष के प म मतदान करने क अपील करायी
जाती है और अ म सा दा यकता का भयावह प तब हम देखते ह, जब स दाय के आधार पर हसा, दंगा और
नरसंहार होता है। वभाजन के समय हमने इस ासदी को झेला है । आजादी के बाद भी कई जगह पर बड़े पैमाने
पर सा दा यक हसा ई है । उदाहरण-नोआखली म भयावह सा दा यक दं गे ए।

14.
जीवन के व भ पहलुओं का ज कर जसम भारत म य के साथ भेदभाव है या वे कमजोर तमह?
उ र-
भारत एक वकासशील देश है । यहाँ य क त उतनी बेहतर नह है जतना एक वक सत देश म होती है ।
भारत म तं ता ा से पहले य क त ब त ही वकट थी और आजादी के बाद य क तमब त
थोड़ा बदलाव आया ले कन वह काफ नह था। अगर वतमान प र म देखा जाय तो भारत म य क तम
सुधार आ है, पर ु उनके सुधार के लए ब त कुछ कया जाना शेष है ।

भारत म समय-समय पर म हलाओं ने अपनी त को सुधारने के लए या जागृ त लाने के लए समय-समय पर


आंदोलन कया। पु ष के बराबर दजा पाने के लए गोलबंद होना आरं भ कया। सावज नक उप म के व भ े
पु ष के क े म है । य प मनु जा त क आबादी म म हलाओं का ह ा आधा है। आज म हलाएं वै ा नक,
डॉ र, इं जी नयर, बंधक, कॉलेज और व व ालय श क इ ा द पेशे म दखाई पड़ती ह, पर ु हमारे देश म
म हलाओं क त अभी भी उतनी संतोषजनक नह है, अभी भी म हलाओं के साथ कई तरह के भेदभाव होते ह।
इस बात का संकेत न ल खत त से हम ा होता है

 म हलाओं म सा रता क दर अब भी मा 54% है जब क पु ष 76%। य प ू ली श ा म कई जगह


लड़ कयाँ अ ल रही ह, फर भी उ श ा ा करनेवाली लड़ कय का तशत ब त ही कम है। इस
संदभ के लए माता- पता के नज रये म भी फक है । माता- पता क मान सकता बेट पर अ धक खच करने
क होती है । यही कारण है क उ श ा म लड़ कय क सं ा सी मत है ।
 श ा म लड़ कय के इसी पछड़ेपन के कारण अब भी ऊँ ची तन ाह वाली और ऊँ चे पद पर प ँचनेवाली
म हलाओं क सं ा ब त ही कम है ।
 य प एक सव ण के अनुसार एक औरत औसतन रोजना साढ़े सात घंटे से ादा काम करती है, जब क
एक पु ष औसतन रोज छ: घंटे ही काम करता है। फर भी पु ष ारा कया गया काम ही ादा दखाई
पड़ता है क उससे आमदनी होती है। हालां क औरत भी ढेर सारे ऐसे काम करती ह जनसे प
से आमदनी होती है। ले कन इनका ादातर काम घर क चहारदीवारी के अ र होती है। इसके लए उ
पैसे नह मलते। इस लए औरत का काम दखलाई नह देता।

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 ल गक पूवा ह का काला प बड़ा दुखदायी है, जब भारत के अनेक ह े म माँ-बाप को सफ लड़के क
चाह होती है । लड़क के ज लेने से पहले ह ा कर देने क वृ त इसी मान सकता का प रणाम है ।
उपयु त के अ यन से यह होता है क भारत म य क त कमजोर है, उनके साथ भेदभाव कया
जाता है।

15.
भारत क वधा यकाओं म म हलाओं के तनध क त ा है ?
उ र-
भारत म म हला आ ोलन क मु मांग म स ा म भागीदारी क मांग सव प र रही। औरत ने यह सोचना ारं भ
कर दया क जबतक औरत का स ा पर नयं ण नह होगा, तबतक इस सम ा का नपटारा नह होगा।
प रणाम प राजनी तक ग लयचार के इस बात क बहस शु हो गयी क इस ल को ा करने का सबसे
बेहतर तरीका यह होगा क चुने ए त न धय क ह ेदारी बढ़ायी जाये। य प भारत के लोकसभा म म हला
त न धय क सं ा 59 हो गयी है , फर भी यह 11 तशत के नीचे है। पछले लोकसभा चुनाव म 40%
म हलाओं क पा रवा रक पृ भू म आपरा धक थी, पर ु इस बार 15व लोकसभा चुनाव म मतदाताओं ने
अपरा धय को नकार दया। 90% म हला सांसद ातक ह। म हलाओं का तनध बढ़ना लोकतं के लए
शुभ है। अतः भारत क वधा यकाओं म म हलाओं का तनध पु ष क तुलना म ब त कम है।

16.
क दो ावधान का ज कर जो भारत को धम नरपे देश बनाते ह
उ र-
हमारे सं वधान म धम नरपे समाज क ापना के लए अनेक ावधान कये गये ह जनम दो इस कार ह

 हमारे देश म कसी भी धम को राजक य धम के प म ीकार नह कया गया है । . ीलंका म बौ धम,


पा क ान म इ ाम और इं गलै म ईसाई धम को जो दजा दया गया है, उसके वपरीत भारत का
सं वधान कसी धम को वशेष दजा नह देता।
 हमारे सं वधान के अनुसार धम के आधार पर कसी कार का भेदभाव असंवैधा नक घो षत है।
17.
जब हम ल गक वभाजन क बात करते ह तो हमारा अ भ ाय होता है
(क) ी और पु ष के बीच जै वक अ र।
(ख) समाज ारा य और पु ष को दी गयी असमान भू मकाएँ।
(ग) बालक और बा लकाओं क सं ा का अनुपात।
(घ) लोकतां क व ा म म हलाओं को मतदान अ धकार न मलना।
उ र-
(क) ी और पु ष के बीच जै वक अ र।

18.
भारत म यहाँ औरत के लए आर ण क व ा है -
(क) लोकसभा

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(ख) वधानसभा
(ग) मं ीम ल
(घ) पंचायती रा सं ाएँ
उ र-
(घ) पंचायती रा सं ाएँ

19.
सा दा यक राजनी तक के अथ संबंधी न कथन पर गौर कर। सा दा यक राजनी त कस पर आधा रत है ?
(क) एक धम दूसरे धम से े है ।
(ख) व भ धम के लोग समान नाग रक के प म खुशी-खुशी साथ रहते ह।
(ग) एक धम के अनुयायी एक समुदाय बनाते ह।
(घ) एक धा मक समूह का भु बाक सभी धम पर कायम रहने म शासन क श का योग नह कया जा
सकता है।
उ र-
(घ) एक धा मक समूह का भु बाक सभी धम पर कायम रहने म शासन क श का योग नह कया जा
सकता है।

20.
भारतीय सं वधान के बारे म इनम से कौन-सा कथन सही है ?
(क) यह धम के आधार पर भेदभाव क मनाही करता है ।
(ख) यह एक धम को राजक य धम बनाता है ।
(ग) सभी लोग को कोई भी धम मानने क आजादी देता है।
(घ) कसी धा मक समुदाय म सभी नाग रक को बराबरी का अ धकार देता है।
उ र-
(क) यह धम के आधार पर भेदभाव क मनाही करता है ।

21.……….पर आधा रत वभाजन सफ भारत म है।


उ र-जा त, धम और लग

22.
सूची I और सूची II का मेल कराएं

उ र-
1. (ख), 2. (क), 3. (ग), 4. (ग)

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Bihar Board Class 10 Pol Science लोकतं म स ा क साझेदारी Additional Important
Questions and Answers
व ुन ो र

1.
सं वधान के कस अनु द म नाग रक को तं ता का अ धकार दया गया है ?
(क) अनु े द 15
(ख) अनु े द 19
(ग) अनु े द 18
(घ) अनु े द 14
उ र-
(ख) अनु े द 19

2.
मै को ओलं पक क घटना एक
(क) रं गभेद का
(ख) सां दा यकता
(ग) जा तवाद का
(घ) आतंकवाद
उ र-
(क) रं गभेद का

3.
देश को सामा जक वभेद के कारण वखंडन का सामना करना पड़ा?
(क) ीलंका
(ख) बा यम
(ग) यूगो ा वया
(घ) भारत
उ र-
(ग) यूगो ा वया

4.
न ल खत म एक गलत बयान कौन-सा है ?
(क) लोकतं म सामा जक वभेद का राजनी त पर अव भाव पड़ता है।
(ख) लोकतं सामा जक वभेद के आधार पर देश को वखं डत करने म सहायक होता है।
(ग) लोकतं को सामा जक वभेद से उ सम ाओं को हल ढू ँ ढने का सबसे अ ा तरीका माना जाता है ।
(घ) लोकतं म व भ समुदाय अपनी मांग को शां तपूण तरीके से शासन के सामने उप त कर सकते ह।

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उ र-
(ख) लोकतं सामा जक वभेद के आधार पर देश को वखं डत करने म सहायक होता है।

5.
न ल खत म एक सही बयान, कौन-सा है?
(क) बड़े लोकतां क देश म ही सामा जक वभेद उ होते ह।
(ख) सामा जक वभेद का राजनी त पर कोई भाव नह पड़ता है।
(ग) एक लोकतां क व ा म एक क कई पहचान होती है।
(घ) सामा जक वभेद हमेशा लोकतं के लए घातक स होते ह।
उ र-
(ख) सामा जक वभेद का राजनी त पर कोई भाव नह पड़ता है।

अ तलघु उ रीय ो र (20 श म उ र द)

1.
सामा जक वभेद क उ का एक कारण बताएं ?
उतर-
सामा जक वभेद क उ को एक मुख कारण ज है ।।

2.
व वधता रा के लए कब घातक बन जाती है ?
उ र-
जब धम, , भाषा, जा त, सं दाय के नाम पर लोग आपस म उलझ पड़ते ह, तो यह लोकतां क व ा को
कमजोर बना देता है। व वधताएँ जब सीमा का उ ंघन करने लगती है तब सामा जक वभाजन अव ंभावी हो
जाता है तथा रा के लए घातक बन जाते ह।

3.
भारत म सवधम सम य का एक उदाहरण त कर।
उ र-
भारत के शहर वाराणसी म नाजनीन नामक एक मु म लड़क ने हनुमान-भ क प व पु क हनुमान चालीसा
को उदू म ल पब कर सवधम सम य का एक उ ृ उदाहरण पेश कया।

4.
उ री आयरलड म एक ही धम के दो समूह के तनध करनेवाली दो राजनी तक पा टय के नाम बताएँ। .
उ र-
उ री आयरलड म एक ही धम को दो समूह ोटे टो और कैथो लक को तनध करनेवाली दो राजनी तक
पा टयाँ थी-नेशन ल पा टयाँ तथा यू नय न पा टयाँ।

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5.
सामा जक वभे क राजनी त का एक अ ा प रणाम बताएं।
उ र-
सामा जक वभेद क राजनी त का एक अ ा प रणाम यह है क अ धकांश लोकतां क व ाओं म सामा जक
वभेद और राजनी त म अटू ट संबध
ं देखने को मलता है ।

लघु उ रीय ो र (60 श म उ र द)

1.
सामा जक वभाजन राजनी तक वभाजन म कैसे बदल जाता है?
उ र-
लोकतं म व भ राजनी तक पा टय के बीच त ता का माहोल होता है। इस त ता के कारण कोई भी
समाज फूट का शकार बन सकता है। अगर राजनी तक दल समाज म मौजूद वभाजन को हसाब से राजनी तक
होड़ करने लगे तो इससे सामा जक वभाजन राजनी तक वभाजन म बदल सकता है और ऐसे म देश वखंडन क
तरफ जा सकता है। ऐसा कई देश म हो चुका है ।

2.
‘ व वधता म एकता’ का अथ बताएँ।
उ र-
व वधता म एकता भारत क लोकतां क व ा क अपनी वशेषता रही है। भारत एक धम नरपे रा है ।
भारत म व वधता धा मक तथा सां ृ तक आधार पर है । ह ू मु म, स तथा ईसाई व भ धम के मानने
वाले लोग भारत म ह तथा उनक सां ृ तक पहचान भी अलग-अलग है। ले कन एक-दूसरे के पव- ोहार म वे
शरीक होते ह तथा वे अलग-अलग होते ए पहले वे भारतवासी ह। इस लए कहा जाता है क भारत म व वधता ये
भी एकता व मान है ।

3.
सामा जक वभेद कस कार सामा जक वभाजन के लए उ रदायी है ?
उ र-
समाज म के बीच कई कार के सामा जक वभेद देखने को मलते ह जैसे जा त के आधार पर वभेद, आ थक
र पर वभेद धम के आधार पर तथा भाषाई आधार पर वभेद। ये सामा जक वभेद तब सामा जक वभाजन का
प ले लेती ह. जब इनम से कोई एक सामा जक वभेद दूसरी अनेक व भ ताओं से ऊपर और अ धक श शाली
हो जाते ह। जब कसी एक समूह को यह महसूस होने लगता है क वे समाज म ब ु ल अलग ह तो उसी समय
सामा जक वभाजन ारं भ हो जाता है ।

4.
सामा जक वभेद एवं सामा जक वभाजन का अंतर कर।
उ र-
जब हम े म रहनेवाले व भ जा त, धम, भाषा, सं दाय के ारा लोग के बीच व भ ताएं पाई जाती ह तो वे
सामा जक वभेद का प धारण कर लेते ह। वह दूसरी तरफ – धन, रं ग, े के आधार पर वभेद सामा जक

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वभाजन का प ले लेता है । ेत का अ ेत के त, अमीर का गरीब के त वहार सामा जक वभाजन का
कारण बन जाता है। भारत म सवण और द लत का अंतर ने सामा जक वभाजन का प ले रखा है।

5.
सामा जक वभेद म तालमेल कस कार ा पत कया जाता है ?
उ र-
लोकतं म व वधता ाभा वक होता है परं तु ‘ व वधता म एकता’ भी लोकतं का ही एक गुण है । अ धकांश
लोकतां क रा म धम नरपे ता के स ांत को गले लगाया जाता है । एक धम नरपे ये व भ धम, भाषा तथा
सं ृ त के लोग एक साथ मलजुल कर रहते ह। उनम यही धारणा वक सत हो जाती है क उनके धम, भाषा री त-
रवाज अलग-अलग तो अव है परं तु उनका रा एक है । बे यम क लोकतां क व ा म व भ भाषा-
भाषी एवं े के लोग के बीच अ ा तालमेल है।

दीघ उ रीय (लगभग 150 श म उ र द)

1.
हर सामा जक व भ ता सामा जक वभाजन का प नह लेती। कैसे?
उ र-
यह आव क नह है क हर सामा जक व भ ता सामा जक वभाजन का प ले ले। सामा जक व भ ता के
कारण लोग म वभेद क वचारधारा अव बनती है, पर ु यही व भ ता कह -कह पर समान उ े के कारण
मूल का काम भी करती है । सामा जक वभाजन एवं व भ ता म ब त बड़ा अंतर है ।

सामा जक वभाजन तब होता है जब कुछ सामा जक अंतर दूसरी अनेक व भ ताओं से ऊपर और बड़े हो जाते ह।
सवण एवं द लत के बीच अंतर एक सामा जक वभाजन है, क द लत संपूण देश म आमतौर पर गरीब वं चत,
सु वधा वहीन एवं भेदभाव के शकार ह, जब क सवण आमतौर पर स एवं सु वधायु ह। द लत को यह
महसूस होने लगता है क वे दूसरे समुदाय के ह।

परं तु इन सबके बावजूद जब े अथवा रा क बात होती है तो सभी एक हो जाते ह। इस कार हम कह सकते ह
क हर सामा जक व भ ता सामा जक वभाजन का प नह लेती।

2.
सामा जक वभेद क उ के कारण पर काश डाल।
उ र-
कसी भी समाज म सामा जक वभेद क उ के अनेक कारण होते ह। ेक समाज म व भ भाषा, धम,
जा त सं दाय एवं े के लोग रहते ह। इन सब के आधार पर उनम वभेद बना रहता है। सामा जक वभेद का
सबसे मु कारण ज को माना जाता है। कसी का ज कसी प रवार वशेष म होता है। उस प रवार का
संबंध कसी न कसी जा त, समुदाय, धम, भाषा े से होता है। इस तरह उस वशेष का संबंध भी उसी
जा त, समुदाय, धम, भाषा तथा े से हो जाता है । इस कार जा त, समुदाय, धम, भाषा, े के नाम पर
सामा जक वभेद क उ होती है।

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कुछ अ कार से भी सामा जक वभेद उ होते ह जनका ज से कोई संबंध नह । होता है। जैसे लग, रं ग,
न ; धन आ द भी वभेद लोग म पाया जाता है जो कालांतर म सामा जक वभेद का प ले लेते ह। ी-पु ष;
काला-गोरा लंबा-नाटा, गरीब-अमीर, श शाली और कमजोर का वभेद भी सामा जक वभेद क उ का
कारण होते ह। गत पसंद से भी सामा जक वभेद क उ होती है । कई धम प रवतन करके एक
अलग समुदाय बना लेते ह। कुछ लोग अंतरजातीय ववाह संबंध ा पत कर अपनी अलग पहचान बना लेते ह।
कुछ लोग अपने प रवार क परं पराओं से हटकर अलग वषय का अ यन करने, पेश,े खेल, उ ोग-धंधे तथा
सां ृ तक ग त व धय का चयन कर अलग सामा जक समूह के सद बन जाते ह और इस तरीके से भी
सामा जक वभेद उ होते ह।

3.
सामा जक वभेद म तालमेल और संघष पर काश डाल।
उ र-
लोकतं म व वधता ाभा वक है । परं तु व वधता म एकता भी लोकतं का ही एक गुण है। अ धकांश लोकतां क
रा म धम नरपे ता के स ांत को अपनाया जाता है। धम नरपे रा म व भ धम के माननेवाले लोग
मल-जुलकर साथ रहते ह। उनम यह धारणा वक सत हो जाती है क उनके धम अलग-अलग अव ह, परं तु
उनका रा एक है । एक से सामा जक असमानताएँ कई समूह म मौजूद ह तो फर एक समूह के लोग के लए
दूसरे समूह से अलग पहचान बनाना मु ल हो जाता है। इसका अथ यह है क कसी एक मु े पर कई समूह के
हत एक जैसे हो जाते ह। व भ ताओं के बावजूद लोग म सामंज का भाव पैदा होता है । उ री आयरलड और
नीदरलड दोन ही ईसाई ब ल देश ह। उ री आयरलड म वग और धम के बीच गहरी समानता है ।

सामा जक वभाजन तब होता है जब कुछ सामा जक अंतर दूसरी अनेक व भ ताओं से ऊपर और बड़े हो जाते ह।
अमरीका म ेत और अ ेत का अंतर एक सामा जक वभाजन भी बन जाता है क अ ेत लोग आमतौर पर
गरीब ह, बेघर ह तथा भेदभाव का शकार ह। हमारे देश म भी द लत आमतौर पर गरीब और भू महीन ह। उ भी
अ र भेदभाव और अ ाय का शकार होना पड़ता है । जब एक तरह का सामा जक अंतर अ अंतर से ादा
मह पूण बन जाता है और लोग को यह महसूस होने लगता है क वे दूसरे समुदाय के ह तो इससे एक सामा जक
वभाजन क त पैदा होती है। व भ ताओं म टकराव क त कसी भी लोकतां क व ा के लए
लाभदायक नह हो सकती।

Bihar Board Class 10 Pol Science लोकतं म स ा क साझेदारी Notes


 लोकतां क रा म केवल भाषा और े क व वधता ही नह होती है, वरन ग धम जा त सं दाय लग
जैसे वभेद भी अव देखने को मलते ह।
 लोकतां क रा म जनता के बीच व भ ताओं असमानताओं तथा वभेद के रहते ए भी उनके बीच
तालमेल ा पत कया जाता है ।
 लोकतं सै ां तक प से समानता पर आधृत शासन-प त है।
 व भ लोकतां क प तय म वरोधाभास के उदाहरण भी मलते ह जसे व ान ने लोकतं म इं क भी
सं ा दी है।
 लोकतं म व वधता तथा व भ ताओं के कारण सामा जक वभाजन क संभावना बनी रहती है।

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 सामा जक वभेद क उ के कारण म ज सबसे बड़ा कारण होता है। ज के अ त र गत
वभेद तथा गत पसंद के कारण भी सामा जक वभेद क उ होती है।
 सामा जक वभेद ही सामा जक वभाजन और सामा जक संघष के लए मूल प से उ रदायी है।
 व वधता कभी-कभी सामा जक एकता को बनाए रखने म भी सहायक होता है।
 सामा जक वभेद हमेशा सामा जक वभाजन का कारण बने, यह आव क नह है।
 भ - भ जा त के लोग भी समान धम म आ ा रखते ए सामा जक वभेद को मटाने म सहायक होते ह।
 लोकतं म व वधता ाम है, परं तु व वधता म एकता भी लोकतं का ही एक गुण है।
 सामा जक वभेद लोकतां क व ा के लए घातक भी है । धम धन े भाषा जा त सं दाय के नाम पर
आपस म उलझना लोकतां क व ा को कमजोर बना डालता है। इससे लोकतां क व ा क सुर ा
खतरे म पड़ जाती है ।
 जब तक व वधताएँ एक सीमा म रहती है तब तक कोई परेशानी नह होती है, परं तु जब व वधताएँ सीमा
का उ ंघन करने लगती है तब सामा जक वभाजन अव भावी हो जाता है और आपसी संघष म वृ हो
जाती है ।
 जब सामा जक वभेद अ वभेद से अ धक मह पूण हो जाता है तब ाभा वक प से सामा जक
वभाजन क तउ हो जाती है।
 व भ ताओं म टकराव क त लोकता नक व ा के लए घातक है।
 सामा जक वभेद का लोकतां क राजनी त पर भाव पड़े बना नह रहता है। व भ राजनी तक दल का
गठन भी सामा जक वभेद के आधार पर होता है। उ री आयरलड म नेशन ल पा टयाँ तथा यु नयन न
पा टय का गठन ोटे टो और कैथो लको का तनध करने के लए आ है । व भ राजनी तक दल
अपनी त दता का आधार भासामा जक वभेद को बना लेते ह।
 जब सामा जक वभेद सजनी तक वभेद म प रव तत हो जाता है तब देश का वखंडन अव भावी हो जाता
है। यूगो ा वया इसका सव े उदाहरण है।
 सामा जक वभेद क राजनी त के अ े प रणाम भी देखने को मलते ह। अ धकांश लोकतां क
व ाओं म सामा जक वभेद और राजनी तक म अटू ट संबंध देखने को मलता है ।
 सामा जक वभेद क राजनी त के प रणाम तीन बात पर नभर करते ह- यं क पहचान क चेतना,
समाज के व भ समुदाय क मांग को राजनी तक दल ारा उप त करने का तरीका तथा सरकार क
मांग के त सोच।
 सामा जक वभेद क राजनी त का हमेशा गलत प रणाम होगा, इसे ीकार नह कया जा सकता। सच तो
यह है क सामा जक वभेद क राजनी त लोकतं को सश करने म सहायक होता है।
 सामा जक वभेद क राजनी त से लोकतां क व ा म संघष और हसा क त भी उ हो जाती
है , परं तु इसपर काबू करने का यास भी होता रहता है ।
 सामा जक वभेद क राजनी त का प रणाम अ ा ही हो, इसके लए शासन को कुछ सावधा नयां बरतने
क आव कता है ।

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