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भारत म&

जनजातीय
िवमशर्

संदभ% छ'ीसगढ़
भारत म/ अनस
ु 4ू चत जनजा7त ( ST )

अनस ु &ू चत जनजा,तय. को 30 रा4य./क67 शा9सत


:दे श. म6 अ&धस&ू चत ?कया गया है

अनसु &ू चत जनजा,त जातीय समह


ू . कD संFया
705 है

2011 कD जनगणना के अनस


ु ार भारत म6 कुल
ST जनसंFया 10,42,81,034 है

जो कुल जनसंFया का 8.63% है


राHI JवरोKधय; Mवारा जनजा>त क<NOत अनेक JवमशQ चलाये जा रहे हS

जनजा>तय; पर 1. म#य भारत और पवू ./र भारत के संवेदनशील 9े:; म< जनजा>त समाज क? बहुलता
इनका इतना 2. Dवभाव से सरल जनजा>त समाज को छलना आसान
ज़ोर Vय;?
छ"ीसगढ़ म( जनजा,त जनसं/या

• छ/ीसगढ़ क? कुल जनसंZया का


30.6% है । ]मख
ु जनजा>तयाँ ग;ड,
कंवर, कमार, हलबा, भतरा आNद

• छ/ीसगढ़ राaय म< 42 जनजा>तय;


को अनस
ु Kू चत bकया गया है ।
जनजा>तय; क? संZया 78 लाख के
लगभग है ।
!ाधीनता पूव* का अकाद.मक .वमश* जो ष4ं6 पूव*क 7ा8पत 9कए गये

इस वग& म( हम तीन प./ पर िवमश& रेखांिकत कर सकते ह8-

स#ं कृित से सबं ंिधत:


समाज से सबं ंिधत:
इितहास और पहचान सबं ंिधतः
4. भारत क) जनजाितयाँ िव0 स3ं कृित क) अगं ह8।
5. यहां के जनजातीय समदु ाय भारतीय धमA से 7. भारतीय जनजाितयाँ न3लीय तौर पर शेष
1. भारतीय जनजाितयN का कोई
िकसी तरह से सबं ंिधत नहC है। भारतीयN से अलग ह8।
इितहास नहC है।
6. िहFदू स3ं कृित (भारत क) Iाचीन स3ं कृित) मL 8. भारतीय जनजाितयाँ भाषाई तौर पर शेष
2. इनक) पहचान (अि3मता) भी नहC है।
जनजातीय स3ं कृित के तMवN का कहC कोई भारतीयN (या िहFदओ
ु )ं से अलग ह8।
3. यिद पहचान है तो भारतीय इितहास
समावेश नहC है। 9. भारत क) मWु य सां3कृितक (िहFद)ू धारा
क) मWु य धारा मL नहC ह8।
क) वण` aयव3था जैसी aयव3था मL
जनजाितयN का कोई 3थान नहC है।

इस $कार औपिनवेिशक (ि0िटश) काल म5 योजनापूव:क उपरो<त िवषय? म5 मोटे तौर पर 09 $Cन खड़े िकये गये और धीरे-धीरे यही हमारा Main Discourse बन गया।
आिदवासी बनाम गैर आिदवासी समाज

§ सरं ि%त %े() म+ रह रहे आिदवासी बनाम वन अिधकारी (वन काननू और सरकार)
§ ;ामीण %े() म+ रह रहे आिदवासी बनाम गैर आिदवासी शोषक (बडे़ िकसान, अिधकारी आिद)
§ िवशेष जनजातीय योजनाओ ं के %े( के आिदवासी बनाम शासकHय तं( का IJाचार
§ िवशेष िपछड़ी जनजातीय %े() कH जनजाितयाँ बनाम िचिकPसा संबंधी समQयाएँ

आिदवासी बनाम िवकास


!तं6 भारत प@रABCथ
बदली तो ष4ं6 का@रयG § िवकास कायA मL आिदवासी िव3थापन का िवरोध
§ िवकास कायA मL आिदवासी िव3थापन तथा गैर
ने नये तरह के अकाद.मक आिदवासी िव3थापन क) सम3याएँ
.वमश* खड़े कर 8दये § िवकास कायA मL आिदवासी मआु वजN क) सम3याएँ

पया/वरण

§ राefीय उhान, बाघ पkरयोजना इMयािद के lेmN मL पया`वरण संरlण और


आिदवासी िहतN का संघष`
§ वनोपजN, िशकार Iितबंध इMयािद तथा आिदवासी िहतN का टकराव
वत*मान अलगाववादी .वमश*

1वमश4 - 1

आRदवा9सय. कD कोई भी :था, परं परा, माWयता एवं दे वी-


दे वताओं का उ\लेख RहWद ू धम^ _Wथ म6 नह`ं है , इस9लए
आRदवासी RहWद ू नह`ं है
आRदवा9सय. जो भी
संवध
ै ा,नक अ&धकार 9मला है
वो RहWद ू होने से नह`ं बि\क
आRदवासी होने से 9मला है
आRदवा9सय. कD संdकृ,त को
आ9दवासी 9हंद ू नह<ं है समाfत ?कया जा रहा है
आRदवा9सय. के दे व dथल को
वैRदक धम^ dथल के gप म6
dथाhपत करने का षjयंk

आज मजबरू ` म6 धम^ कॉलम नह`ं


होने के कारण Rहंद ू 9लखा जा रहा है ,
यह भी तो धमाmतरण है ।
कुछ Kचcताजनक उदाहरण -
जनगणना म( अ9य
Bवमश% - 2 धम4 कॉलम ORPs

उसी दर से घटता 9हंद ू

बढ़ता ORPs
जनगणना म' अ)य धम, कॉलम ORPs
Bवमश% - 2
!ह#द ू जनसं*या म. /गरावट छ5ीसगढ़ अ"य धम& कालम का बढ़ता -.तशत

एवं दे श म.
3.50%
3.00%
100.00% 2.50%
95.00% 2.00%
90.00%
1.50%
85.00%
1.00%
80.00%
75.00% 0.50%
70.00% 0.00%
1991 2011 1991 2011
छ"ीसगढ़ 94.70% 81.53% छ"ीसगढ़ 0.10% 1.94%
दे श 93.20% 79.80% दे श 0.44% 0.92%

छ"ीसगढ़ दे श दे श छ"ीसगढ़

छ"ीसगढ़ म( )ह+द ू जनसं1या म( 4गरावट- -1.04% दे श भर म( )ह+द ू जनसं1या म( 4गरावट -1.73%


छ"ीसगढ़ ORPS म( बढ़ोतर;- +1.02% दे श भर ORPS म( बढ़ोतर;- +0.46%

उपरोVत Jवgलेषण से iात होता है bक जैसे जैसे ORPS क? संZया बढ़ रहj है , उसी ]कार से Nहcद ू जनसंZया कम हो रहj है ।
ORPs

झारखंड म( 32 तहसील ऐसे हG जहां ORPs कुल जनसं1या का 50% से Mयादा है


North East India… A Short Note

§ मेघालय म6 1991 तक ORPs का आंकड़ा तेजी से बढ़ता है


और उसके बाद तेजी से घटने लगता है § wया ORPs पहला dटे प है ?uिdट,नट` ?क तरफ ,
पहले उWह6 अपनी जड़. से काटो
§ और उसी समय जब ORPs घट रहा ता?क उनके पास आपके अलावा कोई और hवक\प ह` न बचे
?uिvचयन कD संFया उसी अनप
ु ात म6 बढ़` § Crypto-Christianity
1वमश4 – 3 आ?दवासी मल
ू ,नवासी

आNदवासी हj भारत के मल
ू >नवासी हS

शेष सभी समाज बाहरj हS


और शोषक हS
बाहरj लोग आये
उcह;ने आNदवाlसय; को
जंगल; म< खदे ड़ Nदया
आयQ – OJवन क? तरह हj
बाहरj और मलू >नवासी

]nयेक वषQ Jवgव आNदवासी Nदवस


9 अगDत को भारत म< बड़े Dतर म<
मल
ू >नवासी Nदवस के pप मनाना
Bवमश% - 4
रावण आ?दवाCसयD का दे वता
म?हषासरु आ?दवासी राजा

रावण आRदवा9सय. के दे वता


आRदवासी रावण के वंशज

आयy के राजा राम ने सोने के लालच म6


कD रावण कD हzया

मRहषासरु आRदवा9सय. के रहे राजा


दग
ु ा^ नामक आय^ मRहला ने छल से कर द` थी
उनकD हzया
राजा रावण का नह`ं राम का हो दहन
दगु ा^ पंडाल. म6 मRहषासरु वध कD :,तमा नह`ं dवीकार
रावण दहन करने पर आRदवासी समाज करे गा कड़ी :,त?uया
OवमशP – 5
पथृ क् आ)दवाVसWतान

कहjं बोडोलSड
कहjं ग;डवाना लSड
कहjं आNदवाlसDतान

आRद कई नाम. से कभी रा4य के gप म6 तो


कभी अलग दे श के gप म6 अलगाव के कई
hवमश^ आRदवासी }ेk. म6 चलाये जा रहे
6वमश9 – 6
Ø भारत म< लगभग 705 जनजातीय समह
ू हS. इनम< लगभग 75 Jवशेष
pप से कमजोर जनजातीय समह
ू हS. आNदवासीयो के अंतगQत सभी

UCC समद ु ायो क? अलग अलग संDकृती है और अलग अलग >नयम है UCC
आने के बाद इनके Jवशेष >नयम संDकृती सब खnम हो जायेगी ।
समान नाग'रक सं+हता Ø समान नागvरक संNहता और डीlलिDटं ग जैसे मM ु दे हमेशा से हj संघ
पvरवार के J]य रहे हS ।
को लेकर Ø इन मM ु द; के बहाने संघ पvरवार आNदवाlसय; क? परं परा, pNढ़-]था एवं
जनजा2त समाज म3 Dवशासी कानन ू ; को खnम करने का ]यास कर रहा है ।
यह ]DताJवत कोड खासी समद ु ाय के रj>त-vरवाज;, परं पराओं, ]थाओं,
चलाये जा रहे 6वमश9
Ø
शादj और धाlमQक Dवतं:ता जैसे मM ु द; को ]भाJवत करे गा ।
Ø यNद कोई Jवशेष ~यिVतगत कानन ू भेदभावपण ू Q है तो उसम< संशोधन
bकया जा सकता है लेbकन परू े दे श के lलए एक यस ू ीसी बनाना उKचत
नहjं है ।
Ø वंशान• ु म और उ/राKधकारj क? मातस ृ /ाnमक और Jपतस ृ /ाnमक दोन;
पMध>तय; का पालन करने वालj जनजा>तयां ]भाJवत ह;गी ।
जनजा7त समाज के बीच रखे जा रहे संवध
ै ा7नक Bवषय :

Ø द9लत, आRदवासी, मRहलाओं, hपछड़े वग^ के साथ अ\पसंFयक. को जो कानन


ू ी अ&धकार Rदये गये थे,वह सब ,न~:भावी हो जाय6गे ।
Ø संhवधान के •वारा द` गई शिwतयां जैसे पांचवी अनस
ु च
ू ी के अंतग^त 244A /B छठ• अनस
ु च
ू ी, पेसा कानन
ू , सीएनट` एwट, एसपीट` एwट
आRद शिwतयां dवत: समाfत हो जाएगी ।
Ø UCC कई जनजातीय :थागत कानन ू . और अ&धकार. को कमजोर कर सकता है ।
Ø यस
ू ीसी संhवधान के अनƒ
ु छे द 371 ए के :ावधान. को कमजोर कर दे गा, िजनम6 कहा गया है ?क नगाओं कD धा9म^क या सामािजक
:थाओं, नगा :थागत कानन ू एवं :?uया से संबं&धत और अWय मामल. म6 संसद का कोई भी अ&ध,नयम रा4य पर लागू नह`ं होगा ।
Ø इं„डयन सकसेशन एwट, Rहंद ू मै…रज एwट सRहत hव9भWन जगह पर आRदवा9सय. को शा9मल नह`ं ?कया गया wय.?क इन कानन
ू . के
9लए आRदवा9सय. को कॉमन मैन के gप म6 दे खा गया ।
Ø भारत का संhवधान बनने के बाद आRट^ कल 13 म6 यह dप~ट वण^न ?कया गया है ?क आRदवा9सय. के gढ़` :था को माWयता द`
जाएगी. वह`ं आRट^ कल 368 म6 भी dप~ट ?कया गया है ?क संसद •वारा ?कया गया संशोधन भी आRट^ कल 13 को :भाhवत नह`ं कर
सकता ।
UCC पर जनजा>त समाज म< फैलाए जा रहे •म और बढ़ाया जा रहा आ•ोश

Involved Organizations
<

• अिखल भारतीय ग?डवाना ग?ड महासभा (छ_ीसगढ़)


• राabीय आिदवासी एकता पdरषद (बामसेफ से सबं g)
• आिदवासी समhवय सिमित (झारखंड)
• सयं ुk आिदवासी सामािजक सगं ठन चांिडल (झारखंड)
• ग?ड समाज महासभा (मnय$देश)
• सव: आिदवासी समाज छ_ीसगढ़
UCC पर जनजा7त समाज म/ फैलाए जा रहे Sम और
बढ़ाया जा रहा आUोश
हम3 सह: 6वषय
जन जन तक
पहुँचाना होगा
JवमशQ – 7
आNदवाlसय; के Nहत म< लगे चचQ एवं ईसाइय; पर Nहcदnु ववादj शिVतयाँ कर रहj हS अnयाचार

o आRदवा9सय. के मन म6 चच^ के 9लए बड़ा आदर है


o ?uिdचय,नट` क‡णा और सेवा का धम^ है
o परWतु Rहदzु ववाद` शिwतयाँ लगातार चच^ और आRदवा9सय.
o यह मानवता और सेवा 9सखाता है के hव‡•ध Rहंसा और षjयंk म6 लगी ह‰
o चच^ वषy से आRदवा9सय. कD सेवा म6 लगा हुआ है o केवल ईसाई धमाmतरण नह`ं Rहंद ू धमाmतरण भी है
उनके जीवन dतर को बेहतर करने म6 लगा हुआ है
o ?uिvचयन और आRदवासी Rहंदओ
ु ं •वारा सताए जा रहे ह‰
मतांतरण का षडयंK – जनजा,तयD के 1वषय म( ग़लत 1वमश4 Mथा1पत करने के
पीछे CमसनरPज़ का बड़ा हाथ
छ"ीसगढ़ राTय ईसाई
जनसं/या कV िMथ,त

जनगणना - 2011
जनगणना - 2001

- कुल जनसं/या 4,01,035 - कुल जनसं/या - 4,90,542

- सबसे अ]धक ईसाई - सबसे अ]धक ईसाई


जनसं/या वाले िजले जनसं/या वाले िजले

जशपरु - 1,69,609 जशपरु - 1,89,588


सरगुजा - 72,380 सरगुजा - 97,432
रायगढ़ - 36,098
दग
रायगढ़ - 47,653
ु P - 22,167
ईसाई @मशन'रयA का जाल
ईसाई जनसंZया एवं b•‚टो b•िgचयन

q छ"ीसगढ़ म) ईसाई ,मशनर0 इतनी बड़ी सं6या म)


मतांतरण कर रहे ह< पर>तु आAचयCजनक तEय यह है
कG जनगणना के आकड़H म) ईसाई जनसं6या म) वैसा
उछाल दे खने को नह0ं ,मलता। कारण कG पड़ताल
करने पर चPकाने वाल0 योजना सामने आती है .

q मतांतRरत ईसाईयH को ,मशनर0 STUटो STिXचयन के


Yप म) रहने को Zनद[ ,शत करते ह<। इस,लए जनगणना
म) सह0 ईसाई आबाद0 कभी पता नह0ं चल पाती और
ये चप
ु चाप अपने षड़यंa म) लगे रहते ह<।
ईसाई @मशन'रयA का जाल
छ/ीसगढ़ म< चचQ

q छŠीसगढ़ म6 चचy का जाल बीछ चक ू ा है ।


- मेनोनाईट चच* का म- य क/0 धमतर4
ु गां
q बड़े - बड़े चच^ के साथ साथ गल` मोह\ल. म6 द र
ू दज^ क े
- 6ब8लवस* चच* भी छ?ीसगढ़ म/ सBCय है
व म6 छोटे छोटे चच^ कD
भरमार हो गई है । यRद आप गूगल इमे-ज मेम6नलाइन
Church BCिLचयन चच*' भी सच^
Gोटे Hट/ टin'दChhattisgarh सBCयकरते
है , ह‰
तो इतनी सार` फोटो आती ह‰ कD आप &गन6बलासपभी नह`ं
रु इसकासकते म- । क/0 है
ु य
- ए8शया का दस
ू रा सबसे बड़ा चच* छ?ीसगढ़ के कुनकुर4 म/ है
रायपरु चचd का महा जाल अं)बकापरु

जशपरु
)बलासपरु
जनजातीय Zे[\ म/ चलाये जा रहे अ]य Bवमश%

आNदवासी हक़ और अKधकार पहा„ड़य; पर एकाKधकार आNदवासी उ…वाNदय; के समथQक हS 5वीं, 6वीं अनस
ु च
ू ी म<
और अपने 9े: म< Jवकास नहjं चाहते ]ा‚त अKधकार के अनस ु ार
…ाम, दे श के क़ानन ू से ऊपर,
पथलगढ़j
§ भारत का जनजातीय समाज ‘िह/द’ू नह3 है।
!ा#पत अलगाववादी ,वमश/ § अनेक जनजाितय8 को ‘असरु ’ कहा गया।
और चुनौ,तयाँ § वनवासी ही यहां के 'आिद' वासी व मल
ू िनवासी हA।
§ पहले पहले के वल आिदवासी यहां के मािलक थे, शेष लोग आयG हA और बाहर से आये
सार – संLेप हA।
§ जनजाितय8 के देवी-देवता, तीज-Kयोहार, अनLु ान सब कुछ िभ/न हA।
§ जनजाित समाज कN माओवादी रPा कर रहे हA, इसिलए वो उनके समथGक हA और अपने
PेT मU जनजाित समाज िवकास नह3 चाहता ।
§ जनजाितयां और अWपYृ य जाितयां एक हA और वे ईसाइयत तथा इWलाम के करीब हA।
§ जनजाितय8 का कोई धमG नह3 है, वे \कृित पजू क हA।
§ कुछ समहू अब रावण कN पजू ा करते हA और मानने लगे हA िक वे रावणवश
ं ी हA।
§ अनेक समदु ाय मिहषासरु कN पजू ा आिद करने लगे हA।
§ यह िवमशG खड़ा िकया गया िक \चिलत परंपराएँ 'aाbण8' 'आयc' dारा थोपा गया है।
असली शTु aाbण ही हA। जो #ा%ण वन) म+ रहता ही नह0 वह असली श5ु बता
िदया गया।
§ ऐसे मनगढ़ंत िवमशA छा5ावास) को माDयम बनाकर लाये गये ।
SC - ST Hostels इसके गढ़ हP, जहां ये सब बात+ अRयिधक चलाई जाती हP।
नये संकट Nा हP नया संकट Nा है
o SC/ ST एक ही )ेकेट म- रखने का 2चलन खतरनाक है।
o जनजाितय; का कोई शोषण हAआ ही नहC है, लेिकन बामसेफ /
अबं ेडकरवादी लोग ऐसा ही झठू 2साRरत कर रहे हS।
o जनजातीय मचं ; पर िबरसा मडंु ा के साथ बाबा साहेब आबं ेडकर
कW भी फोटो लगने लगी है।
o दिलत, िपछड़ा, अ[सं\यक, आिदवासी आिद एक ही अ)ं ल े ा
के नीचे लाने का 2यास हो रहा है।
o बहAजन कW नई पRरभाषाएँ गढ़ी जा रही हS।
o सां_कृितक _मिृ त नbट हो गयी और पीिडत़ भाव जागतृ हो गया।
o बाहर से मिु _लम आकर ब_तर और सरगजु ा eेf म- जनजाित।
समाज कW लड़िकय; के साथ िववाह कर रहे,
और जमीन- ख़रीदने म- और राजनीितक ताक़त पर क़iज़े के
िलए उनका उपयोग कर रहे हS ।
ये कैसे अपने
ये Bवमश% ^थाBपत करने म/
सफल रहे ?
1. लंबे समय से, सतत योजनाबfध gयास hकया उ9हDने

मल
ू ˆोत; पर जाकर गहरा भारतीय समाज को
अ#ययन, Research गहराई से समझा

अपने उMदे gय
वषŠ वषQ लगातार लगे रहना
अनसु ार
JवमशQ तय bकये

पDु तक<,
vरसचQ पेपसQ
आNद ]काशन

वातावरण बनाना
• वनािधकार संघषI सिमित
• सवI आिदवासी समाज
• धमतरीमल
ू वासी बचाओ मचं
• कोया बमू काल €ांित सेना (KBKS)
• आिदवासी एकता महासभा • नेशनल आिदवासी पीप.ु स फे डरे शन • वनािधकार सघं षI सिमित • बAतर सAं कृ ित कला मचं
• आिदवासी यवु ा छा= संगठन • ग3डवाना ग3डमहासभा • जेल बंदी Gरहाई सिमित
• वीर ग@ु डाधरु यथु •लब • कोयतरु सेवासिमित • अिखल भारतीय ह.बा-ह.बी समाज • धमतरीमल
ू वासीबचाओ मचं • संयjु पंचायत संघषI सिमित
• ग3डवाना यथु •लब • ग3डवाना गणतं=पाट? • दडं कार@यपबIतमाला • सवI आिदवासी समाज माड़ बचाओ मचं
• बAतर संAकृ ित कला मचं
• आिदवासीबह‚ƒषे ीय सहकारी सिमित • कोयापनु ेम गो@डवानामहासभा िवकासपGरषद(DPBP) • Women against Sexual Violence
• जेल बंदी Gरहाई सिमित
• ग3डवाना समाज समLवय सिमित • ग3डवाना AटूडCटयिू नयन • आिदमजनजाित बैगा समाज छaीसगढ़ and State Repression (WSS)
• संयjु पंचायत संघषI सिमित
• सवI आिदवासी समाज ग3ड महासभा • कोयतरु यवु ासंगठन • लालगढ़सेवासिमित एवयं वु ाdकोeमैनपरु • नदी घटी मोचाI
• सवI आिदवासी समाज माड़ बचाओ मचं
• • राEFीय आिदवासी िवकास पGरशद
अनसु िू चत जनजाित संघ छaीसगढ़ • आिदवासीसेना छaीसगढ़ • Women against Sexual Violence • भारत जन आLदोलन
• सरगजु ा Aवािभमान मचं • समH ग3डवानानविनमाIण समाज • अिखलभारतीयजंगल आदं ोलन मचं • भमू गादी संघषI सिमित
and State Repression (WSS)
• पारंपGरकआिदवासी महासभा • राEFीय आिदवासी धमI समLवयसिमित • आिदवासी समLवय मचं • आिदवासी महासभा
• नदी घटी मोचाI
• गांव गणरा„य सरकार • आिदवासी उNथान संAथा, छ.ग. • चेरवा समाज सेवा सघं सिमित • छaीसगढ़ बचाओ आLदोलन
• भारत जन आLदोलन
• जंगो रायतारसिमित • राEFीयकोयापनु ेम भमु का सघं • छaीसगढ़ मिु j मोचाI
• भमू गादी संघषI सिमित
• अनसु िू चतजनजाित शासकUय सेवक • छaीसगढ़ वन अिधकार मचं • आिदवासी महासभा
िवकास संघ • हसदेव अर@य बचाओ संघषI सिमित • छaीसगढ़ बचाओ आLदोलन
• राEFीय कोया पनु ेम पGरषद
(Front)
• दिलत आिदवासी मचं , सोनाखान
• छaीसगढ़ मिु j मोचाI

2. आव`यकतानस ु ार रणनीbत से
अनेकानेक संगठन, मंच खड़े gकए

उदाहरण के lलए केवल छ/ीसगढ़ म< हj जनजातीय JवमशQ पर कायQ करने वाले उनके 65 संगठन; को सच
ू ीबMध bकया है
3. दरू गामी योजना से काम 5.नये नये पैतर< और तnपरता
उदाहरण के 9लए ORPs के hवमश^ कD जड़6
1891 से 1911 कD जनगणना म6 9मलती ह‰
6. समयानकु ू ल लोग; तक पहुँचने के
4. Dथान, पvरिDतKथ अनस
ु ार मा#यम चनु ने क? 9मता
रणनी>त अलग अलग उदाहरण के 9लए
कह`ं आय^ – 7ाhवण
तो कह`ं बाहर` – मल
ू ,नवासी

जैसे कोया पन
ु ेम संJवधान ]lश9ण lशJवर
कैसे Mथा1पत
hकए उ9हDने
अपने 1वमश4

9.
आधारहjन और झठ ू भी
7. उcह;ने बड़ी सफ़ाई से 11.
मज़बत ू DथाJपत bकया सेलेिVटव रे ’<स लेने
इकोlसDटम जैसे मनु Dम>ृ त का का उनका तरjक़ा
खड़ा bकया उcह;ने 8. अिDतnव सन ् 1800 से 10. जैसे परू j रामचvरत
टे Vनोलॉजी, पहले नहjं पर वो लेकर एकडेlमक 9े: मानस से एक
„डिजटल मी„डया आए और DथाJपत कर के साथ साथ चौपाई लेकर JवमशQ
आNद का समKु चत Nदया ज़मीन पर भी खड़ा कर Nदया
उपयोग उतनी क?
सb•यता
हमारा जनजातीय Bवमश%

जनजा,त समाज Rहंद ू समाज


ईसाई, कpयZु नqम और इXलाम इन का अ9भWन अंग है और आRदवासी' शŒद भेद ,नमा^ण
तीन fवचारधाराओं ने जनजाZत समाज
म) भेद ZनमाCण करने का कायC Sकया है । ू Rहंद ू करने वाला ह‰, इसी9लए
जनजा,त परं परा ह` मल
परं परा है वनवासी या संhवधान म6
यह तीनH fवचारधाराएं जनजाZत
fवकास के ,लए nमख ु बाधक है । इन ,नद• 9शत जनजा,त शŒद का
fवचारधाराओं का वाXतfवक XवYप :योग योŽय रहे गा
केवल जनजाZत समाज के ,लए ह0 नह0ं
15 नवंबर यह भगवान bबरसा मंड
ु ा का ज>म dदवस
तो संपणू C dहंद ू समाज के ,लए घातक है जनजातीय गौरव dदवस के Yप म) मनाना चाdहए।
िजसे जनजाZत समाज ह0 नह0ं अfपतु संपणू C दे श ने
जनजा,त समाज सस ु ंdकृत, उhसाह के साथ मनाना चाdहए
संdकार`, धम^ र}क, Rहंदस ु ंdकृती,
परं परा का सƒचा संर}क है , ऐसी जनजाZत या वन jेa ह0 भारतीय संXकृZत
सकाराzमक :,तमा हम6 ,नमा^ण का मल
ू Xथान है । fव,भ>न ऋfष-मZु नयH ने
साधना, तपXया के ,लए वन jेa म) ह0
करनी है ।
रहना पसंद Sकया। हमारे nाचीन oंथH कG
रचना भी इ>ह0ं वन jेa म) हुई थी, जहां
!ाम म$ रहने वाला !ामवासी, आज जनजाZत समाज Zनवास कर रहा है
नगर म$ रहने वाला नगरवासी
उसी /कार वन1 म$ रहने वाला भारत म6 रहने वाला
वनवासी ऐसी हमार3 4प6ट
?कसी जात, धम^ -पंथ
धारणा है । इस=लए सभी
भारतवासी एक ह3 माता के
या सं:दाय का हो, वह
सप
इस दे श का मलू
ु B
ु है ऐसी हमार3 माCयता है
,नवासी है
जनजातीय Jवषय पर हमारे अcय प9
जनजाTत UेV ह4 भारत का राWX4य Gवाह है ।

भारत म/ लगभग 700 से wयादा जनजाTत समाज क] उपजाTतयां GकृTत पज


ू ा यह [हंद ू धम* क] Gमख
ु _वशेषता है ।
है इन सभी जनजाTतयj क] अपनी संHकृTत, परं परा, र4Tत kरवाज है इस नाते जनजाTत समाज भी [हंद ू ह4 है ।
उसका सxमान, संरUण एवं संवध*न करने क] आवLयकता है ।
जनजाTत समाज क] सेवा एवं उbथान का काय* [हंद ू समाज और
दे श के उbथान का काय* है ।
_व8भiन जनजाTत UेVj म/ िजन दे वी -दे वताओं क] पजू ा
जनजाTत समाज करता है , वाHत_वक म/ यह सभी दे वताएं
[हंद ू समाज क] ह4 दे वताएं हf। 8सफ* अलग-अलग UेVj म/ 'आय* बाहर से आए हf' यह 8सgधांत भेद Tनमा*ण करने
उनके अलग-अलग नाम है । वाला है । आय* बाहर से आए नह4ं, तो भारत से ह4 संHकृTत
Gचार के 8लए वह _व8भiन Hथानj पर Hथानांतkरत हुए।

भारत क] संGभत ु ा क] रUा के 8लए और भारत को


HवतंV करने के 8लए जनजाTत समाज का बहुत बड़ा
योगदान रहा है । दभु ा*qय से इस योगदान को अंrेजj ने _वLव के _व8भiन दे शj के जनजाTत समाज क] तलु ना
दबा [दया था। इस गौरवशाल4 इTतहास को पन भारत के जनजाTत समाज से करना पण ू त
* ः गलत है ।
ु Hथा*_पत
करना हमारा Gमख ु लtय है ।

9 अगHत यह _वLव मल जनजाTत समाज का _वकास एवं उbथान का दाTयbव केवल


ू Tनवासी [दवस है , िजसका भारत से
कुछ संबंध नह4ं है । oयjBक भारत म/ रहने वाले सभी लोग यहां जनजाTत समाज का नह4ं, अ_पतु यह संपण
ू * [हंद ू समाज का
के मलू Tनवासी है ऐसी हमार4 भ8ू मका है । दाTयbव है ।
जनजाTत समाज के सवाnगीण _वकास के 6बना संपण
ू * दे श का
_वकास अधरू ा है ।
जनजाTत समाज अनपढ़, जंगल4, _पछड़ा हुआ, अंध ygधा के आधीन
ऐसी GTतमा समाज म/ बनी हुई है , उसको सह4 zप म/ समाज के सामने
जनजाTत समाज को सं_वधान के अनस
ु ार [दए गए सभी अ|धकार Bकसी भी क]मत पर उनको 8मलने चा[हए।
Hथा_पत करना है ।
आवLयकता पड़ने पर संपण
ू * [हंद ू समाज ने इन अ|धकार Gाि}त हे तु
आरUण यह जनजाTत समाज क] ऐTतहा8सक आवLयकता है । यह
{यवHथा Tनरं तर रहने क] आवLयकता है । जनजाTत समाज के पीछे संपण
ू * शिoत के साथ खड़ा रहना चा[हए।
OवमशP के वामपं4थयk सह; OवमशP
Oवषय jब+द ु OवमशP
ü जनजातीय समाज और जातीय समाज दोन. ह` :कृ,त पज ू क है ।
ü :कृ,त से संबं&धत तीज-zयौहार :कृ,त से संबं&धत है ।
ü RहWद ू पंचांग अनसु ार ह` zयौहार मनाते है ।
ü दोन. ह` समाज गोk परं परा को मानता है । सगोkीय hववाह विज^त है ।
• आNदवासी ü दोन. ह` समाज म6 बहु दे व उपासना एवं पंच तzव उपासना करते है ।
Nहcद ू नहjं ü शिwत उपासना दँ तvे वर` माता, मावल` माता, शीतला माता आRद सीधे शाwत परं परा का gप है ।
ü 9शव जी को आRद दे व कहा जाता है , अथा^त सबसे :ाचीन या परु ाने दे वता। इसे जनजा,त समाज
है । बढ़ू ादे व के gप म6 पजू ता है , बढ़
ू ा अथा^त बज ु ग
ु ^ या परु ाने अथा^त आRददे व महादे व। महादे व अथा^त जो
Ø जनजा>तय; सबसे बड़े है , अथा^त बड़ा दे व।
का धमQ • ]कृ>त ü बैगा समाज कD उzपhŠ •‘म जी से, ’बरहोर कD सय ू द^ े व, कोरवा कD राम जी, ग.ड कD महादे व, कंवर
कD कौरव से आRद जनजातीय समाज के संबंध म6 इ,तहास ऐसी लोक कथाओं के gप म6 सं_ह`त है ।
पज
ू क है ।
ü hपतर. को मानते है । hपतर पज ू ा करते है ।
ü चैk म6 नवराk, अ}य तत ृ ीया के समय बीजा पंडुम, रथ याkा, हरे ल`, नवाखाई, नाग पंचमी, आठे
कWहै या, दशहरा- दशई करमा, दे वार`, छे र छे रा, संuां,त आRदपव^ मनाते है ।
ü वैRदक संdकार और जनजातीय संdकार म6 जWम संdकार, नामकरण संdकार, hववाह संdकार,मत ृ क
संdकार आRद :मख ु है ।
ü hववाह प•ध,त भी वैRदक काल म6 :च9लत hववाह •‘म hववाह, दे व hववाह, गंधव^ hववाह, असरु
hववाह आRद जनजातीय समाज म6 :च9लत चढ़ hववाह एवं पठौनी hववाह, दध ू लौटावा, सेवा hववाह,
लमसेना hववाह, hवधवा hववाह(,नयोग :था-दे वर के साथ hववाह ऋŽवेद) सेवा या लमसेना hववाह,
पलायन hववाह, भगेल` hववाह, हठ hववाह, अपहरण hववाह, पायसोतरु hववाह आRद वैRदक काल म6
होने वाले hववाह प–दती का ह` gप है ।
OवमशP के Oवषय jब+द ु वामपं4थयk lवारा WथाOपत OवमशP सह; OवमशP
ü जनजातीय समाज और RहWद ू समाज दोन. ह`
Ø वैNदक समाज और जन • जनजातीय समाज ऐ>नlमDट समाज या :कृ,त कD पज ू ा करते है । साथ ह` अWयाञ दे वी
जातीय समाज – आरा#य ]कृ>त पज
ू क मा: है । दे वताओं, दे वताओं, 9शव शिwत और पाँच महाभत ू आRद कD
पज ू ा भी करता है । आzमा और पन ु ज^Wम पर भी
तnव धाlमQक Jवgवास आnमा,पनु जQcम क? माcयताएं इनमे Nहcद ू hवvवास करता है । जीव माk म6 आzमा के
धमQ के ]भाव से आई। जनजातीय समाज अिdतzव को dवीकारता है और उसका समान भाव
म< यi हवं आNद ]चlलत नहjं है । बlल से स˜मान करता है ।
]था JवMयमान है । जा>त ~यवDथा नहjं ü :कृ,त का अzय&धक दोहन अƒछा नह`ं माना
है । जाता। कृhष और पशप ु ालन कD जीवन शै9लयाँ
hवक9सत होने लगी तो :कृ,त को वापस दे ने का
भाव भी य™ और गो पज ू न के gप म6 dथाhपत
हुआ।

Ø वैNदक समाज और जन • वैNदक समाज के दे वता अयाQन Iाइबल के ü सामाWय gप से ?कसी भी जनजातीय समाज म6 8
जातीय दे वी दे वताओं क? दे वता है , िजनम< lम: व•ण इcO आNद हj 10 दे वता ह` दे खे जाते है । वैRदक मंk. म6 पिू जत
संZया ]मखु है । बाद म< कुछ अcय दे वता बाद दे वताओं कD संFया लगभग 150 है । यह संFया
?कसी एक जनजा,त कD सामािजक धा9म^क
म< शाlमल bकए गए।
आवvयकताओं से कई गुणा अ&धक है wय.?क ?क
वdतत ु ः उस काल कD अWयांय जनजा,तय. म6
पिू जत सभी दे व. के :,त ›•धा और कृत™ता
œयwत करने वाले है । ये 9सफ^ ?कसी एक
जनजा,त के _ंथ नह`ं है ।
कैसे Cथा6पत होगा सह: 6वमश9

टे Vनोलॉजी का सहयोग
इकोlसDटम मल
ू ›ोत. पर जाकर रे •6स एकk करना एवं उसके
आधार पर हमारा hवमश^ तय और dप~ट करना
बनाना

अपने hवमश^ कD dप~टता नीचे कD इकाई तक के


समाज क? काय^कता^ को हो
सaजन शिVत
क–य>ु नकेशन नेटवकQ अपने hवमश^ पर ए9सडे9मक …रसच^ एवं अ–ययन से
एवं संगठन क? सरं चना साRहzय,सोशल मी„डया कंट6 žस ,नमा^ण •वारा
>नरं तरता वातावरण बनाना
बनाए रखना
साम…ी >नमाQण Dथानीय जनजातीय }ेk. म6 :च9लत तर`क़. के मा–यम जैसे
भाषा, बोलj म< और दे वगुड़ी जाkा आRद •वारा hवषय पहुँचाना
अलग अलग समह ू ; को
#यान म< रखकर करना
जनजातीय Bवमश% को समझने के bलए पठनीय प^
ु तक/ -

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आभार

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