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छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण नियम, 1998
छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण नियम, 1998
मध्यप्रदे श शासि
(घ) ''अिस
ु च
ू ी'' से अलभप्रेि है इि नियमों से सांलग्ि अिस
ु च
ू ी,
4. फीस - अधिनियम के उपबांिों के अिीि दे य फीस अिुसूची में ववनिर्दा ष्ट ककए
गए अिुसार होगी और सरकारी ििािे में िमा की िाएगी और ििािा चालाि की एक प्रनि
रजिस्ट्रार को प्रस्ट्िुि की िाएगी। ऐसी फीस रजिस्ट्रार के कायाालय में भी उसकी रसीद अलभप्राप्ि
करके िमा की िा सकेगी।
7. रजिस्ट्टर का रिा िािा - रजिस्ट्रार द्वारा एक रजिस्ट्टर प्ररूप िीि में रिा
िाएगा, जिसमें अधिनियम के अिीि रजिस्ट्रीकृि सोसायर्टयों के िाम होंगे।
9. सोसायटी के ज्ञापि, नियमो िर्ा ववनियमों में सांशोिि और िाम में पररविाि -
िब कभी िारा 10 िर्ा 13 के अिीि ककसी रजिस्ट्रीकृि सोसायटी द्वारा ज्ञापि, नियमों िर्ा
ववनियमों में सांशोिि या उसके िाम में पररविाि करिा प्रस्ट्िाववि हो, वहॉ उसे रजिस्ट्रार को
प्ररूप-चार में अग्रवषि ककया िाएगा और ककसी सोसायटी के िाम में पररविाि की दशा में
सोसायटी अपिा रजिस्ट्रीकरण का प्रमाण पत्र रजिस्ट्रार को प्ररूप- चार के सार् लौटाएगी और
ऐसा प्रमाण पत्र होिे पर रजिस्ट्रार प्ररूप - पॉच में एक प्रमाण-पत्र, उसमें आवयशक पररविाि
सजनिववद्गट करिे हुए िारी करे गा।
11. वावषाकी वववरणी - िारा 27 के अिीि वावषाक वववरणी प्ररूप - साि में प्रस्ट्िुि की
िाएगी।
12. निरसि िर्ा व्याववृ त्त - मध्यप्रदे श सोसायटी रजिस्ट्रीकरण नियम, 1975 एिद् द्वारा
निरस्ट्ि ककए िािे है ,
परनिु इस प्रकार निरलसि नियमों के अिीि ककया गया कोई आदे श पर की गई कोई कायावाही
इि नियमों के ित्स्ट्र्ािी उपबांिों के अिीि की गई समझी िाएगी।
अिुसूची
(1) (2)
7. रूपये 200.00
9. िारा 28 के अिीि सांपरीक्षिि वववरण प्रनिवद्ागा रूपये 20.00 प्रनि पष्ृ ठ सामानय
वववरणी/मूल फाइल
प्ररूप
प्ररूप-एक
(नियम 3 दे खिये)
1. सोसायटी का िाम :-
..................................................................................................................
..................................................................................................................
2. सोसायटी का प्रिाि कायाालय :- मकाििांबर........................, भवि स्ट्वामी का
िाम...............................
ग्राम..........................................पोस्ट्ट.........................................................
िहसील.............................................जिला................................................
3. सोसायटी का उद्दे श्य निम्िललखिि होगें :-
1.....................................................................................................................................
......................................................
2.....................................................................................................................................
......................................................
3.....................................................................................................................................
......................................................
4.....................................................................................................................................
.....................................................
5.....................................................................................................................................
......................................................
6.....................................................................................................................................
....................................................
7.....................................................................................................................................
......................................................
4. सोसायटी के कामकाि का प्रबांि, सोसायटी के ववनियमों द्वारा गविार, पररषद, सांचालकों
सलमनि या शासी-निकाय को सौंपा गया है , जििके िाम, पिे िर्ा उपिीववका िीचे ववनिर्दा ष्ट
की गई है :-
5. छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 की िारा 6 की उपिारा (3) द्वारा यर्ा
अपेक्षिि सोसायटी ववियम की सम्यक् रूप से प्रमाखणि एक प्रनि इस प्रनिष्ठाि ज्ञापि के सार्
फाइल की गई है । हम ववलभनि व्यजति, जििके िाम और पिे िीचे ललिे गए है , उपरोति
प्रनिष्ठाि-ज्ञापि के अिुसरण में सोसायटी बिािे के इच्छुक है और िीचे दशााये गये अिुसार
साक्षियों की उपजस्ट्र्नि में ज्ञापि पर हस्ट्िािर ककए है ।
2.
3.
4.
5.
6.
7.
सािी
िारीि :-
प्रनि, हस्ट्िािर:-.................
सोसायटी के रजिस्ट्रार, िाम:-........................
पूणा पिा :..................
` प्ररूप - दो
(नियम 6 दे णिये)
छत्तीसगढ़ शासि
(मोिो)
क्रमाांक ...........................
मुद्रा ................................
सोसायटी का रजिस्ट्रार
प्ररूप - तीि
(नियम 7 दे णिये)
छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 (क्रमांक 44 सि ् 1973) के
अिीि
प्ररूप - चार
(नियम 9 दे णिये)
छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973
की िारा 10 तथा 13 के अिीि आवेदि
8. ज्ञापि िर्ा नियमों और ववनियम में सांशोिि हे िु ववर्हि फीस रूपये ............................
रसीद क्रमाांक ............. र्दिाांक .................. चालाि क्र. ........................ र्दिाांक
............. द्वारा िमा कर र्दये गये हैं, चालाि की मूल प्रनि सांलग्ि है ।
(अध्यि के हस्ट्िािर)
प्ररूप - पॉच
(नियम 9 दे णिये)
छत्तीसगढ़ शासि
क्रमाांक ...........................
मुद्रा
................................
सोसायटी का रजिस्ट्रार
प्ररूप – छः
(नियम 10 दे णिये)
मुद्रा ................................
सोसायटी का रजिस्ट्रार
प्ररूप - सात
(नियम 11 दे णिये)
रजिस्ट्रार, फमि एवं सोसायटी को छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम,
1973
की िारा 27 के अिीि शासी निकाय सच
ू ी की िािकारी प्रस्ट्तत
ु करिे का निदे षण
पत्र (प्रोफामाि)
1. सोसायटी का िाम िर्ा परू ा ...........................................................................
पिा
2. रजिस्ट्रीकरण क्रमाांक िर्ा ...........................................................................
िारीि
3. उपजस्ट्र्ि कुल सदस्ट्यों की ...........................................................................
सांख्या, उिके िाम िर्ा पिे
सांलग्ि करें ।
4. रजिस्ट्रीकृि नियमों िर्ा ...........................................................................
ववनियमों के अिुसार शासी-
निकाय की अवधि
5. विामाि निवााचि की िारीि ...........................................................................
और उपजस्ट्र्ि सदस्ट्यों की
सांख्या एवां गणपूनिा तया र्ी।
6. ववद्यमाि पदाधिकाररयों से ...........................................................................
पररलशस्ट्ट ''अ''
आदशि नियमावली
सलमनत नियमों का प्ररूप
1.....................................................................................................................................
.............
2.....................................................................................................................................
.............
3.....................................................................................................................................
.............
4.....................................................................................................................................
.............
5.....................................................................................................................................
.............
6.....................................................................................................................................
.............
7.....................................................................................................................................
.............
(अ) सांरिण सदस्ट्य :- सांस्ट्र्ा को जिस व्यजति द्वारा अलभदाि के रूप में
रूपये................................/- एक मश्ु ि िमा जिया िावेगा, वह सलमनि का
सांरिक सदस्ट्य होगा ।
(ब) आिीवि सदस्ट्य :- जिस व्यजति द्वारा सांस्ट्र्ा को अलभदाि के रूप में रूपये
............................/- िमा ककया िावेगा, वह आिीवि सदस्ट्य बिाया िा सकेगा। कोई भी
आिीवि सदस्ट्य अांिर की रालश रूपये..................../- दे कर सांरिक सदस्ट्य बि सकिा है ।
(स) सािारण सदस्ट्य :- जिस व्यजति द्वारा रूपये ......................./- माह रूपये
......................./- प्रनिवषा को अलभदाि के रूप में िमा ककया िावेगा, वह सािारण सदस्ट्य
बिाया िा सकेगा। सािारण सदस्ट्य केवल उसी अवधि के ललये सदस्ट्य होगा जिसके ललए
उसिे अलभदाि र्दया है िो सािारण सदस्ट्य बबिा सांिोषििक कारणों के छः माह
िक अलभदाि िहीां दे गा उसकी सदस्ट्यिा समाप्ि हो िायेगी। ऐसे सदस्ट्य द्वारा सांस्ट्र्ा के
ललये िया आवेदि पत्र दे िे िर्ा अलभदाि की रालश दे िे पर पुिः सदस्ट्य बिाया िा सकिा
है ।
(द) सम्मािीय सदस्ट्य :- सांस्ट्र्ा की प्रबांिकाररणी ककसी व्यजति या व्यजतियों को उस समय
के ललये िो वह उधचि समझे सम्मािीय सदस्ट्य बिा सकिी है , ऐसे सदस्ट्य सािारण सभा
की बैठक में भाग ले सकिे हैं परनिु उसको मि दे िे का अधिकार िहीां होगा ।
7. सदस्ट्यों की योग्यिा :- सांस्ट्र्ा का सदस्ट्य बििे के ललये ककसी व्यजति में निम्िललखिि
योग्यिा होिा आवश्यक है :-
1. भारिीय िागररक हो ।
2. आयु 18 वषा से कम ि हो ।
3. सलमनि के उद्दे श्यों एवां नियमों के पालि की प्रनिज्ञा की हो ।
4. सद्चररत्र हो िर्ा मिपाि ि करिा हो ।
9. सदस्ट्यिा पांिी :- सांस्ट्र्ा कायाालय में सदस्ट्यों की पांिी रिी िावेगी जिसमें निम्ि ब्यौरे
दिा ककये िावेगे :-
10. (अ) सािारण सभा :- सािारण सभा में नियम में 5 (अ) (ब) (स) दशााये अिुसार श्रेणी के
सदस्ट्य समावेलशि होंगे। सािारण सभा की बैठक आवश्यकिािुसार हुआ करे गी परनिु वषा
एक बार बैठक अनिवाया होगी । बैठक का माह.........................िर्ा बैठक का स्ट्र्ाि व
समय कायाकाररणी सलमनि द्वारा निजश्चि कर 15 र्दवस पूवा प्रत्येक सदस्ट्य को सूचिा
दी िावेगी। बैठक का कोरम 3/5 सदस्ट्यों का होगा। सांस्ट्र्ा की प्रर्म आम सभा पांिीयि
र्दिाांक से 3 माह के भीिर बुलाई िावेगी। उसमें सांस्ट्र्ा के पदाधिकाररयों का ववधिवि ्
निवााचि ककया िावेगा।
(ब) प्रबांिकाररणी सभा :- प्रबांिकाररणी सभा की बैठक प्रत्येक माह होगी िर्ा बैठक का
एिेण्डा िर्ा सूचिा बैठक र्दिाांक से साि र्दि पव
ू ा कायाकाररणी के प्रत्येक सदस्ट्य को
भेिा िािा आवश्यक होगा। यर्द बैठक में कोरम 1/2 सदस्ट्यों की होगी। यर्द
बैठक का कोरम पूणा िहीां होिा है िो बैठक एक घांटे के ललये स्ट्र्धगि की िाकर
उसी स्ट्र्ाि पर उसी र्दि पुिः की िा सकेगी, जिसके ललये कोरम की कोई शिा िहीां होगी
।
(स) ववशेष :- सलमनि के कुल सदस्ट्यों की सांिया के 2/3 सदस्ट्यों द्वारा ककसी भी ववषय
पर ववचार करिे के ललए सांस्ट्र्ा के ववशेष बैठक बुलािे हे िु अध्यि/सधचव को सदस्ट्यों
द्वारा अिुरोि पत्र र्दया िावेगा, ऐसे आवेदि पत्र उललेखिि ववषय पर आमसभा
आयोजिि ककया िाकर सांकलप पाररि ककया िावेगा। ववशेष सांकलप पाररि हो िािे हे िु
आवेदि करें िो उिके दशााये ववषय पर सांकलप की प्रनि बैठक पांिीयक को सांकलप
पाररि हो िािे के र्दिाांक से 45 र्दि के भीिर भेिा िावेगा। पांिीयक को इस सांबांि
में आवश्यक निदे श िारी करिे िर्ा सलमनि को परामशा दे िे का अधिकार होगा।
(क) सांस्ट्र्ा के वपछले वषा का वावषाक वववरण प्रगनि प्रनिवेदि स्ट्वीकृि करिा ।
(ि) सांस्ट्र्ा की स्ट्र्ाई निधि व सम्पवत्त की ठीक व्यवस्ट्र्ा करिा ।
(ग) आगामी वषा के ललये लेिा परीिकों की नियुजति करिा ।
(घ) अनय ऐसे ववषयों पर ववचार करिा िो प्रबनिकाररणी द्वारा प्रस्ट्िुि हो ।
(च) सांस्ट्र्ा द्वारा सांचाललि सांस्ट्र्ाओां के आय-व्यय पत्रकों को स्ट्वीकृि करिा ।
(छ) बिट का अिुमोदि करिा ।
12. प्रबनिकाररणी का गठि :- नियम 5 (अ, ब, स) में दशााये गये सदस्ट्यों जििके िाम पांिी
रजिस्ट्टर में दिा हो बैठक में बहुमि के आिार पर निम्िाांककि पदाधिकारीयों िर्ा
प्रबांिकाररणी सलमनि के सदस्ट्यों का निवााचि होगा :-
13. प्रबांि सलमनि का कायाकाल :- प्रबांि सलमनि का कायाकाल िीि वषा होगा। यर्ेष्ट कारण
होिे पर, उस समय िक िब िक कक िई प्रबांिकाररणी सलमनि का निमााण नियमािुसार से
िहीां हो िािा विामाि प्रबांि सलमनि काया करिी रहेगी, ककनिु उति अवधि 6 माह से अधिक
िहीां होगी, जिसका अिुमोदि सािारण सभा से करािा अनिवाया होगा ।
(अ) जिि उद्दे श्यों की प्राजप्ि हे िु सलमनि का गठि हुआ है उसकी पूनिा करिा और इस
आशय की पूनिा हे िु व्यवस्ट्र्ा करिा।
(ब) वपछले वषा का आय-व्यय का लेिा पण
ू ि
ा ः परीक्षिि ककया हुआ प्रगनि प्रनिवेदि के सार्
प्रनि वषा सािारण सभा की बैठक में प्रस्ट्िुि करिा।
(स) सलमनि एवां उसके अिीि सांचाललि सांस्ट्र्ाओां के कमाचाररयों के वेिि िर्ा भत्ते आर्द का
भुगिाि करिा। सांस्ट्र्ा की चल-अचल सम्पवत्त पर लगिे वाले कर आर्द का भुगिाि
करिा ।
(द) कमाचाररयों, लशिकों आर्द की नियुजति करिा ।
(इ) अनय आवश्यक काया करिा िो सािारण सभा द्वारा समय-समय पर सौंपे िाए ।
(च) सांस्ट्र्ा की समस्ट्ि चल-अचल सांजप्त्त, कायाकाररणी सलमनि के िाम रहे गी ।
(छ)सांस्ट्र्ा द्वारा कोई भी स्ट्र्ावर सांपवत्त रजिस्ट्रार की ललखिि अिुज्ञा के बबिा क्रय/ववक्रय
द्वारा या अनयर्ा अजिाि या अनिररि िहीां की िाएगी ।
(ि)ववशेष बैठक आमांबत्रि कर सांस्ट्र्ा के वविाि में सांशोिि ककये िािे के प्रस्ट्िाव पर ववचार
ववमशा कर सािारण सभा की ववशेष बैठक में उसकी स्ट्वीकृनि हे िु प्रस्ट्िुि करे गी।
सािारण सभा में कुल सदस्ट्यों 2/3 मि से सांशोधिि पाररि होिे पर उति प्रस्ट्िाव
पाररि कर पांिीयक को अिुमोदि हे िु भेिा िावेगा।
15. अध्यि के अधिकार :- अध्यि सािारण सभा िर्ा प्रबनिकाररणी सलमनि की समस्ट्ि
बैठकों की अध्यििा करे गा िर्ा सधचव को सािारण सभा में प्रबांिकाररणी की बैठकों का
आयोिि हे िु निदे श िारी करे गा । अध्यि का मि ववचारार्ा ववषयों में निणायात्मक होगा ।
18. सांयुति सधचव के अधिकार :- सधचव की अिुपजस्ट्र्नि में सांयुति सधचव काया करे गा ।
19. कोषाध्यि का अधिकार :- सलमनि की ििरालश का पूणा र्हसाब रििा िर्ा सधचव या
कायाकाररणी द्वारा स्ट्वीकृि व्यय करिा ।
20. बैंक िािा :- प्रत्येक सलमनि द्वारा पांिीकृि सांस्ट्र्ा के िाम से ही िािा सांिाररि ककया
िावेगा।
सांस्ट्र्ा की समस्ट्ि निधि ककसी राष्रीयकृि बैंक या पोस्ट्ट ऑकफस में रहे गी िि का आहरण
अध्यि एवां सधचव के सांयत
ु ि हस्ट्िािरों से होगा । दै निक व्यय हे िु कोषाध्यि के पास
अधिकिम रूपये ......................./- रहें गे ।
21. पांिीयक को भेिी िािे वाली िािकारी :- अधिनिमय की िारा 27 के अनिगाि सांस्ट्र्ा की
वावषाक आमसभा होिे के र्दिाांक से 45 र्दि के भीिर नििााररि प्रारूप में शुलक
सर्हि कायाकाररणी सलमनि की मूल हस्ट्िािररि सूची फाइल की िावेगी िर्ा िारा 28 के
अनिगाि सांस्ट्र्ा का आडडटे ड लेिा नियि शुलक के सार् पांिीयक को प्रस्ट्िुि ककया िावेगा।
22. सांशोिि :- सांस्ट्र्ा के वविाि में सांशोिि सािारण सभा की बैठक के कुल सदस्ट्यों के 2/3
मिों से पाररि होगा। यर्द आवश्यक हुआ िो सांस्ट्र्ा के र्हि में उसके पांिीकृि वविाि में
सांशोिि करिे का अधिकार पांिीयक, फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएां को होगा िो प्रत्येक सदस्ट्य को
मानय होगा । सांस्ट्र्ा के वविाि में सांशोिि हे िु प्रस्ट्िाव मय-नियि प्रारूप में शुलक सर्हि
प्रस्ट्िुि की िायेगी ।
23. ववघटि :- सांस्ट्र्ा का ववघटि सािारण सभा के कुल सदस्ट्यों के 3/5 से पाररि ककया
िावेगा । ववघटि के पश्चाि ् सांस्ट्र्ा की चल िर्ा अचल सम्पवत्त ककसी समाि उद्दश्यों
वाली सांस्ट्र्ा को सौंप दी िावेगी । उति समस्ट्ि कायावाही अधिनियम के प्राविािों के
अिस
ु ार की िावेगी ।
24. सम्पवत्त :- सांस्ट्र्ा की समस्ट्ि चल-अचल सम्पवत्त सांस्ट्र्ा के िाम से रहे गी । सांस्ट्र्ा की
अचल सम्पवत्त (स्ट्र्ावर) रजिस्ट्रार फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएां की ललखिि अिुज्ञा के बबिा ववक्रय
द्वारा, दाि द्वारा या अनयर्ा प्रकार से अजिाि या अांिररि िहीां की िा सकेगी एवां उति
हे िु नियि शुलक सांस्ट्र्ा द्वारा िमा की िायेगी ।
25. पांिीयक द्वारा बैठक बुलािा :- सांस्ट्र्ा की पांिीयक नियमावली के अिुसार पदाधिकाररयों
द्वारा वावषाक बैठक ि बुलाये िािे पर या अनय प्रकार के आवश्यक होिे पर पांिीयक
फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएां को बैठक बुलािे का अधिकार होगा । सार् ही यह बैठक में ववचारार्ा
ववषय निजश्चि कर सकेगा ।
26. वववाद :- सांस्ट्र्ा में ककसी प्रकार के वववाद की जस्ट्र्नि होिे पर अध्यि को सािारण सभा
की अिुमनि से सुलझािे का अधिकार होगा । यर्द इस निजश्चि या निणाय से पिों पर सांिोष ि
हो िो वह रजिस्ट्रार कीओर के निणाय के ललए भेि सकेंगे। रजिस्ट्रार का निणाय अजनिम व
सवामानयहोगा । सांचाललि सभाओां केवववाद अर्वा प्रबांि सलमनि के वववाद उत्पनि होिे पर
अजनिम निणाय दे िे का अधिकार रजिस्ट्रार को होगा ।
शासकीय पररपत्र
मध्यप्रदे श शासि
वाणणज्य एवं उद्योग ववभाग
उपरोति ववषय के आदे शािुसार सूधचि ककया िािा है कक रायकवार समाि भोपाल को
पांिीयि करिे सांबांिी यर्द प्रर्म प्राप्ि आवेदि पत्र नियमािुकूल है , िो िारा 7 के अांिगाि
सांस्ट्र्ा का पांिीयि करिा चार्हए। यर्द उसी समाि के कुछ अनय अर्वा 7 से अधिक व्यजति
बाद में अनय आवेदि द्वारा चाहिे हैं कक उिकी सांस्ट्र्ा उसी िाम से पांिीकृि की िाये और यर्द
आपके मि में िाम मेमोरे ण्डम में रहिे से अधिनियम की िारा 6(2) बी(III) की अपेिािुसार
िि सािारण के मि में भ्रम उत्पनि होिे की सांभाविा हो िो दस
ू रे आवेदि को अधिनियम की
िारा 7 के अांिगाि अस्ट्वीकार ककया िा सकिा है । इस प्रकार समाि के दो या अधिक लभनि
घटकों के बीच आपसी मिभेदों के सांबांि में जििका पांिीयि अभी हुआ ही ि हो, के आांिररक
मामलों में ककसी प्रकार का हस्ट्ििेप करिे की आवヤयकिा ही िहीां रहेगी।
कृपया उपरोतिािुसार कायावाही कर इस ववभाग को अवगि करािे की व्यवस्ट्र्ा करें ।
हस्ट्िािर
(िे.एल. सांकि)
अपर सधचव, मध्यप्रदे श शासि
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मध्यप्रदे श शासि
वाणणज्य एवं उद्योग ववभाग
उपरोतिववषयमें ववधि एवां वविायी काया ववभाग के परामशा अिुसार मागादशाि इस प्रकार
है - िारा 27 के उललांघि के ललये शाजस्ट्ि का प्राविाि िारा 38 में ककया गया है । इसललए यह
आवशयक है कक ऐसी सूची स्ट्वीकार की िाये िाकक निरां िर अपराि का अांि हो। निरां िर अपराि
की कलपिा समाजप्ि से िुड़ी है । इसललए ववलांब से प्राप्ि होिे वाली सूची स्ट्वीकार करिी पड़ेगी।
िारा 27 के उललांघि के कारण यह अपराि घर्टि हुआ है । अिः वह उस िण ही समाप्ि होगा
िब िारा 27 का पालि ककया िावेगा और इस प्रकार िारा 27 के प्राविािों के अिुपालि में
प्रस्ट्िुि सूची स्ट्वीकार करिी होगी। इस प्रकार स्ट्वीकार करिा उसे ववलांब के ललये दां डडि करिे में
बािक िहीां बिेगी।
यर्द िारा 27 का पालि िहीां ककया िािा है िो उधचि यही होगा कक 14 र्दि की
नििााररि अवधि समाप्ि होिे पर ित्काल उसके ववरूद्ि अलभयोग चलाकर दां डडि ककया िाये।
कफर निरां िर अपराि के भयावह दां ड की आशांका से सांभविः िारा 27 द्वारा अग्रेवषि सूची
अववलांब प्रस्ट्िि
ु करे गा।
हस्ट्िािर
अवर सधचव, मध्यप्रदे श शासि,
वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग
कायािलय, रजिस्ट्रार, फम्सि एवं संस्ट्थाऍ, मध्यप्रदे श
परु ािा सधचवालय, भोपाल
हस्ट्िािर
रजिस्ट्रार
फम्सा एवां सांस्ट्र्ाऍ, मध्यप्रदे श
छत्तीसगढ़ शासि
वाणणज्य एवं उद्योग ववभाग
मंत्रालय, दाऊ कल्याण लसंह भवि रायपरु
क्रमाांक/1132/198/वा.उ./2002 र्दिाांक 30-4-2002
ववषय:- पांिीयक फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएां, द्वारा पाररि आदे श के ववरूद्ि की गयी अपील की
सुिवाई के सांबांि में ।
शासि स्ट्िर पर पांिीयक फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएां द्वारा पाररि आदे श के ववरूद्ि की गयी
अपील की सुिवाई एवां उस पर समुधचि आदे श पाररि करिे हे िु माििीय मांत्री िी सिम होंगे
अर्वा िहीां इस सांबांि में स्ट्पष्ट ककया िािा है कक छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम
2000 की िारा 40(1)(क) निम्िािुसार है -
िारा - 40(1)(क) : यर्द आदे शिारा-4 की उपिारा (1) के अिीि नियुति ककये गये रजिस्ट्रार
द्वारा मूल मामले (केस) में या िण्ड (ब) के अिीि अपील में ककया गया है िो राज्य सरकार
को उपरोति जस्ट्र्नि में िब सांबांधिि अपील राज्य सरकार को होिी है िो उस प्रशासकीय ववभाग
का मांत्री छत्तीसगढ़ का कायापालक शासि के काया नियम (Rule of business of executive
government of Chhattisgarh) के भाग पॉच के नियम 5(एक) (क) के अिुसार िब कोई मामला
ककसी मांत्री को प्राप्ि हो िो वह उस पर आदे श दे सकेगा आगे नियम-5 के उप नियम-दो में यह
भी प्राविाि रिा गया है कक मांत्री द्वारा समस्ट्ि मामले सांबांधिि सधचव को अांककि ककये िािे
चार्हए जिसका किाव्य यह होगा कक समस्ट्ि आवश्यक कायावाही की िािी है ।
उपरोति जस्ट्र्नियों में स्ट्पष्ट है कक ववभागीय मांत्री अपिे प्रशासकीय ववभाग की अपील
सि
ु िे हे िु स्ट्वयां सिम है अर्वा चाहे िो अपिे प्रशासकीय ववभाग के सधचव को सांबांधिि मामलों
की सि
ु वाई करिे हे िु उनहें अांककि कर सकिे है ।
(एस.के. निवारी)
सांयुति सधचव, छत्तीसगढ़ शासि
वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग
छत्तीसगढ़ शासि
वाणणज्य उद्योग एवं सावििनिक उपक्रम ववभाग
मंत्रालय, दाऊ कल्याण लसंह भवि, रायपरु
(िी.डी. गुप्िा)
उप सधचव, छत्तीसगढ़ शासि
वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग
हस्ट्िािर
(एस.सी. निवारी)
रजिस्ट्रार
फम्सा एवां सांस्ट्र्ाएांय, मध्यप्रदे श
मध्यप्रदे श शासि
उच्च लशक्षा ववभाग
मंत्रालय
क्रमाांक डी-1248/147/2000/सी-3/38 भोपाल, र्दिाांक 27-03-2000
मर्हला एवां बाल ववकास एवां समाि कलयाण ववभाग द्वारा निम्िललखिि िामों से
सांस्ट्र्ाओां का पांिीयक ववभाग द्वारा लाया िािा -
1. छत्तीसगढ़ राज्य समाि कलयाण पररषद
2. छत्तीसगढ़ बाल कलयाण पररषद अिरु ोि है कक ववभागीय अिम
ु नि पश्चाि ही उति
ववद्गाय में सांबांधिि पांिीयि करिे का कष्ट करें ।
हस्ट्िा.
(व्ही.के. कपूर), सधचव
समाि कलयाण एवां मर्हला बाल ववकास ववभाग
छत्तीसगढ़ शासि, रायपुर
छत्तीसगढ़ शासि
वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग
मांत्रालय, दाऊ कलयाण लसांह भवि, रायपुर
राज्य शासि द्वारा निणाय ललया गया है कक मर्हला स्ट्व-सहायिा समूहों का पांिीयि
शुलक 250/- (रूपये दो सौ पचास मात्र) ललया िावे।
यह स्ट्वीकृनि ववत्त ववभाग की सहमनि से िारी की िा रही है ।
हस्ट्िा.
(आर.के. श्रीवास्ट्िव), उप सधचव
छत्तीसगढ़ शासि, वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग
भारत सरकार
उपभोक्ता मामले, िाद्य और सावििनिक ववतरण मंत्रालय
(उपभोक्ता मामले ववभाग)
ववषय:- ववलभनि राज्यों में शैिखणक सांस्ट्र्ाओां द्वारा 'भारिीय' शब्द का प्रयोग।
महोदय,
इस मांत्रालय को यह सच
ू िा लमली है कक कनिपय सांस्ट्र्ाओां द्वारा अपिे िाम के
पहले 'भारिीय' शब्द लगाया िा रहा है , िो सांप्रिीक ओर िाम (अिुधचि प्रयोग निवारण)
अधिनियम 1950 की िारा 3 के निबांििों के अिुसार अिुमि िहीां है ।
इस सांदभा में निवेदि है कक सांप्रिीक और िाम (अिुधचि प्रयोग निवारण) अधिनियम
1950 की अिुसूची की मद सांिया 7 के सार् पर्ठि िारा 3 के अिुसार कोई भी व्यजति ककसी
भी व्यापार, कारोबार अर्वा व्यवसाय आर्द के प्रयोिि हे िु केनद्र सरकार की पूवा अिुमनि के
बबिा ऐसे ककसी भी िाम का प्रयोग िहीां करे गा या प्रयोग करिा िारी रिेगा जिससे भारि
सरकार अर्वा राज्य सरकार आर्द का सांरिण प्राप्ि होिे का बोि हो अर्वा ऐसे बोि की
सांभाविा हो। िाम के पहले 'भारिीय' शब्द का प्रयोग सांप्रिीक और िाम (अिुधचि प्रयोग
निवारण) अधिनियम, 1950 के उपबांिों का उललांघि है । (प्रनि अिल
ु ग्िक-I पर सांलग्ि)। अिः
आपसे यह सनु िजश्चि करिे का अिरु ोि है कक 'भारिीय' शब्द का ऐसा दरू
ु पयोग आधिकाधिक
सांरिण का आभास दे िा है और इसे ित्काल बांद कर र्दया िाए। सांप्रिीक और िाम (अिधु चि
प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 में निर्हि उपबांिों का अिप
ु ालि करिे हे िु राज्य/सांघ राज्य
िेत्र के सांबांधिि प्राधिकाररयों को आवश्यक निदे श िारी कर र्दए िाएां।
(िी.एस. िेगी)
निदे शक
छत्तीसगढ़ शासि
सामान्य प्रशासिववभाग
मंत्रालय, दाऊ कल्याण लसंह भवि, रायपरु
उपरोति ववषय में सांदलभाि पररपत्र (प्रनि सांलग्ि) का कृपया अवलोकि करें । राज्य
शासि के ध्याि में यह बाि लायी गयी कक महामर्हम राष्रपनि के िाम और उिके फोटोग्राफ्स
का कनिपय सांस्ट्र्ाओां द्वारा ववज्ञापिों में बिौर व्यवसानयक उपयोग ककया िा रहा है , िो सवार्ा
अिुधचि है । इस सांबांि में राद्गरपनि भवि, िई र्दलली िे कड़ी आपवत्त ििाई है ।
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इस अधिसच
ू िा के कारण रजिस्ट्रार को अधिनियम, नियमों व शासि आदे शों के अिीि प्राप्ि
अधिकारों में कोई कमी व पररविाि िहीां होगा।
उति अधिकाररयों के कायों का पयावेिण रजिस्ट्रार द्वारा ककया िावेगा व प्रशासनिक
नियांत्रण भी रजिस्ट्रार का रहे गा।
(वविोद गुप्िा)
ववशेष सधचव
छत्तीसगढ़ शासि
वाखणज्य एवां उद्योग ववभाग