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“वसुधैव कु टुम्बकम्”

अर्थात् यह संपूर्ण पृथ्वी हमारे लिए अपने घर के समान है


चाहे कोई आस्ट्रेलिया में हो,अमेरिका में हो या विश्व के किसी भी कोने में विद्यमान हो वह व्यक्ति
हमारे लिए माता, बहन, बन्धु एवं मित्र के समान है। इस महाप्रकोप से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति की
पीड़ा का अहसास करके मैं “ज्योतिर्विद् वत्स देशराज शर्मा” भारतीय विद्याओं का अध्ययनकर्ता
एवं अनुसन्धाता होने के नाते हमारे ही ऋषि मुनियों के द्वारा प्रदत्त हर समस्या के समाधान हेतु
एवं हर प्रकार की व्याधि के विनाश हेतु दिए गए अनेकों अचूक उपायों में से एक अचूक उपाय
जो कि हमारे अनेकों विद्वानों के द्वारा अनेक अनुसंधान आदि प्रक्रियाओं से गुजरते हुए आज तक
हम सबके बीच अध्यन एवं अनुसंधान का के न्द्र बनकर के हमें दिन प्रतिदिन मार्ग निर्दिष्ट करता है
उसकी मैं चर्चा करना चाहता हूँ। मुझे आशा है कि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसका
अनुसरण करके अपने आप को यथा संभव लाभान्वित कर सके गा। यूँ तो भारतीय विद्यायों में
महामारियों बिमारीयों या बड़ी-बड़ी विपदाओं को दूर करने के लिए अनेको एवं असंख्य उपाय हैं
पर उन में से जो जनसामान्य के लिए भी बहु सरलतम उपाय है उसकी मैं आपसे चर्चा करने जा
रहा हूं जो कि इस प्रकार से है :-
इस महामारी से ग्रस्त रोगी स्वयं हनुमान चालीसा का पाठ करें । उ इसको करने से निश्चित रूप
से इस महामारी से पीड़ित जन-समुदाय अति शीघ्र अपने उपचार एवं समाधान को प्राप्त करेगा ।
यहाँ हमारी परम्परा के द्वारा देखा गया है कि जिस भी व्यक्ति ने इसका सच्चे मन से सौ बार पाठ
किया है वह महामारियों से तो बचता ही है अपितु मृत्यु तक को परास्त करने की योग्यता प्राप्त
कर लेता है। इसके लिए मुझे बहुत अधिक समझाने की कु छ आवश्यकता नहीं है । हमारी
परम्परा, गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस, 18 पुराणों, चारों वेदों अर्थात्
हमारी सम्पूर्ण भरतीय परम्परा में बताये गये अनेक तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं । अतः
प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है । इसके लिए के वल और के वल इसका
अनुकरण करने वाले भक्त और भक्ति की आवश्यकता होती है। जो भी भक्त इस प्रकार के उपायों
को भक्ति के द्वारा करेगा उसका निश्चित तौर पर कल्याण होगा जैसा कि हनुमान चालीसा में
वर्णन मिलता है कि
“जो सत बार पाठ कर कोई।छू टहि बंदि महा सुख होई”
जो भी हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करता है
उसकी बड़ी से बड़ी समस्या, बड़े से बड़ा संकट या बड़ी से बड़ी व्याधि हो उससे उसको मुक्ति
मिलती है ।
तो जो भी इस बीमारी की चपेट में आए हैं वह निश्चित रूप से हनुमान चालीसा का 100 बार
पाठ करें
यहाँ 100 बार करने से अभिप्राय के वल उपलक्षण मात्र है
यदि 100 बार इसके पाठ करने से भी आपको निश्चित लाभ की प्राप्ति ना हो तो इस पाठ की
संख्या बढ़ा देनी चाहिए ।
हमारा विश्वास है आधुनिक विज्ञान इस बात को मानता है
की यदि आप सच्चे हृदय से संपूर्ण विश्वास से यह पाठ करते हैं तो आप में आत्मविश्वास का
प्रादुर्भाव हो जाता है और आपके भीतर बीमारी का एक छोटे से भी छोटा कण नष्ट हो जाता है
और व्यक्ति बिलकु ल स्वस्थ हो जाता है
जैसा कि विश्व के सभी वैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि वायरस को वास्तव में मारा नहीं जा
सकता इसका हम प्रबन्धन कर सकते हैं उसको हम अपने अनुकू ल करने का प्रयास करते हैं
उसी प्रकार से मुझे आशा ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्वास है कि यह हनुमान चालीसा का दिव्य
पाठ इस वायरस से ग्रसित रोगियों को निश्चित ही रोगमुक्त कर देगा । साथ ही एक बात सदा याद
रखें विश्व में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान भारतीय परम्परा एवं विद्याओं में
विद्यमान ना हो, अतः श्रद्धा एवं विश्वास के साथ लक्ष्य तक पहुँचने हेतु हमें पूर्ण मनोयोग से ऋषि
निर्दिष्ट मार्ग का अनुसरण करना होगा ।
अधिक जानकारी एवं दिशा-निर्देश हेतु अवश्य सम्पर्क करें ।

ज्योतिर्विद् वत्स देशराज शर्मा हिमाचल प्रदेश


छोटी काशी मण्डी सम्पर्क सूत्र 8219349706

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