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पद-परिचय (विकारी शब्द)

पद-परिचय की परिभाषा - वाक्य में आए प्रत्येक पद अथवा किसी एक पद का पूर्ण


व्याकरणिक परिचय दे ना पद-परिचय कहलाता है ।



विर

ंज्ञ

शस
वि
ेष

ब्
श ा
क्रि
न ा
र्व
स ा

1. संज्ञा पद-परिचय

i. संज्ञा के भेद - जातिवाचक, व्यक्तिवाचक एवं भाववाचक ।


ii. लिंग - स्त्रीलिंग एवं पल्लि
ु ंग

iii. वचन - एकवचन एवं बहुवचन


iv. कारक - कर्ता , कर्म , कारण , संप्रदान , अधिकरण , संबंध व सम्बोधन ।
उदाहरण
i. पिताजी पत्र लिख रहे है ।
पिताजी - जातिवाचक संज्ञा , पल्लि
ु गं , एकवचन , कर्ता कारक
ii. हमें सोच-समझकर मित्रता करनी चाहिए ।
मित्रता - भाववाचक संज्ञा , स्त्रीलिंग , एकवचन , कर्म कारक
iii. पेड़ों पर आम लगे हैं ।
पेड़ों पर - जातिवाचक संज्ञा , बहुवचन , पुल्लिंग , अधिकरण कारक
अभ्यास- कार्य

रे खांकित शब्दों का पद-परिचय दीजिए-

i. लड़कियाँ गीत गा रही हैं ।


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ii. पेड़ पर चिड़िया बैठी है ।
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iii. हिमालय से गंगा नदी निकलती है ।
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iv. सरु े श पढ़ रहा है ।
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v. बच्चे शोर मचा रहे हैं ।
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vi. नीतिशा गड़ि
ु या से खेल रही है ।
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vii. आज मुझे बहुत थकान हो रही है ।
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viii. मेरे पास नीली गाड़ी है ।
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