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1. समय - सामाययक विषय -

1. राज्य, राष्ट्रीय और अंतरााष्ट्रीय स्तरों पर मुख्य सामययक सरकारी


विषय
2. घटनाएँ
3. क्रीडा
4. सम्मलेन एिं बैठक
5. पुरुस्कार एिं सम्मान
6. चर्चित पुस्तकें एिं सूचकांक

7. विविध करं ट अफेयसा इत्यादि


8. राजस्थान करं ट अफेयसा (माससक)

2. भूगोल और प्राकृततक संसाधन –


(अ) विश्व का भूगोल
1. विस्तृत भौततक विर्िष्टताएं

2. महाद्वीप एिं महत्वपूर्ा स्थान


3. पिात एिं पठार
4. महासागर

5. मैिान, ममट्टी एिं विविध

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(ब) भारत की पादरस्थस्थततक और िन्य जीि -

1. सामान्य पदरचय

2. भौततक विभाजन
3. नदियाँ एिं झीलें
4. जलिायु
5. कृवष एिं पिुपालन
6. मृिा / ममट्टी
7. प्राकृततक िनस्पततयाँ

8. प्रमुख खयनज एिं ऊजाा संसाधन


9. भारतीय उधोग
10. पदरिहन तंत्र
11. महत्वपूर्ा िनलाइनर तथ्य
12. पादरस्थस्थततक और िन्य जीि

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समय – सामाययक विषय

राज्य, राष्ट्रीय और अंतरााष्ट्रीय स्तरों पर मुख्य सामययक सरकारी विषय

 राज्य पदरदृश्य
 असम

राज्य का छठा राष्ट्रीय उद्यान घोवषत

असम के मुख्यमन्त्री दहमन्त तब्ा सरमा ने 6 जून, 2021 को जानकारी िी दक, कोकराझार

सजले में रायमोना आरक्षित िन को असम के छठे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड दकया
गया है।

यह िन िेत्र भूटान की सीमा के पार बोडोलैण्ड प्रािे र्िक िेत्र (BTR) के अन्तगात आता है।

असम में पाँच राष्ट्रीय उद्यान हैं – काजीरं गा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, नामेरी

राष्ट्रीय उद्यान, ओरं ग राष्ट्रीय उद्यान और दडब्रू-सैखोिा राष्ट्रीय उद्यान /

 छत्तीसगढ़

विश्व बैंक के साथ CHIRAAG

प्रोजेक्ट के सलए समझौता

भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के साथ संयुक्त रूप से CHIRAAG(CHHATTISGARH


INCLUSIVE RURAL & ACCELERATED AGRICULTURE GROWTH) पदरयोजना के सलए
विश्व बैंक के साथ $ 100

ममसलयन के समझौते पर हस्तािर दकए। CHIRAAGपदरयोजना का लक्ष्य छत्तीसगढ़

में स्थायी उत्पािन प्रर्ाली विकससत करना है , जो राज्य के िरू िराज के िेत्रों में आदििासी

पदरिारों को विविध और पौष्टष्टक भोजन िषा-िर-िषा उत्पािन करने की अनुमतत िे गा।

यह पदरयोजना राज्य के िक्षिर्ी आदििासी बहुल िेत्र में लागू की जाएगी,

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जहाँ एक बड़ी आबािी कुपोवषत और गरीब है।

 दिल्ली सरकार द्वारा अपन र्ििा बोडा की स्थापना की घोषर्ा

मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीिाल के नेतत्व


ृ िाली दिल्ली सरकार ने 16 माचा, 2021 को

दिल्ली बोडा फ स्कूल एजुकेिन (DBSE) के गठन और पंजीकरर् की घोषर्ा को।

बोडा के पास एक िासी यनकाय होगा, सजसकी अध्यिता र्ििा मन्त्री करें गे और इसमें एक

कायाकारी यनकाय भी दिन-प्रततदिन के कायों के सलए होगा और इसकी अध्यिता एक CEO

करे गा। िोनों यनकायों में पेिेिर उद्योगों, र्ििा िेत्र, सरकारी और यनजी स्कूलों के प्राचायों
औरनौकरिाहों के वििेषज्ञ होंगे।

 कोलकाता में बच्चों के सलए बोट लाइब्रेरी की िुरुआत

पश्चिम बंगाल पदरिहन यनगम ने 26 जनिरी, 2021 को हेदरटे ज बुक स्टोर के सहयोग से

बच्चों की पहली बोट लाइब्रेरी िुरू

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /

संपका करें - 8233195718

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 राष्ट्रीय पदरद्रश्य

प्रधानमंत्री मोिी की बांग्लािे ि यात्रा -

नरे न्द्र मोिी ने बांग्लािे ि के राष्ट्रदपता 'िेख मुजीबुराहमान की जन्म िताब्दी और


बांग्लािे िकी मुक्तक्त के 50 िषा के युद्ध कीिताब्दी मनाने के सलए समारोह में भाग लेने के
सलए 26 – 27माचा, 2021 को बांग्लािे ि की यात्रा की |यह covid -19 महामारी के प्रकोप
के बाि मोिी की पहली वििे ि यात्रा थी।उन्होनों िेख मुजीबुराहमान (बांग्लािे ि के राष्ट्रदपता)
को मरर्ोपरान्त गाँधी िान्तन्त पुरस्कार से सम्मायनत दकया। प्रधानमंत्री िेख हसीना के साथ,
प्रधानमन्त्री मोिी ने संयुक्त रूप से बंगबन्धु-बापू प्रििानीउद्घाटन दकया।उन्होनों बांग्लािे ि
के उद्यममयों को भारत आनेका यनमंत्रर् दिया और बांग्लािे ि के युिाओं के्र्ा जयन्ती
छात्रिृसत्त की घोषर्ा की। मोिी ने िेख हसीना को भारतद्वारा उपहार में िी गई 109 एम्बुलन्स
े ों
के सलएएक प्रतीकात्मक चाबी सौंपी, और covid – 19 टीकों की 1.2 ममसलयन खुराक का
भी अनुिान के रूप में िान दकया/

िहीि भगत ससिं ह स्मारक का उद्घाटन -

केन्द्रीय र्ििा मन्त्री रमेि पोखदरयाल “यनिंक'ने 23 माचा, 2021 को नई दिल्ली में
िहीिभगत ससिं ह स्मारक का उद्घाटन दकया।िहीि भगत ससिं ह, सुखिे ि और र्ििरामराजगुरु
की िहाित के 90 िषों को श्रद्धांजसलिे ने के सलए िहीि दििस' पर दिल्लीविश्वविद्यालय द्वारा
आयोसजत एक कायाक्रम केअिसर पर उद्घाटन हुआ। भगत ससिं ह स्मारकमें ्तन्त्रता
सेनायनयों पर दकताबों के मौजूिासंग्रह को “िहीि स्मृतत पुस्तकला' में पदरिततितकरने की
घोषर्ा की गई है।

“कैच ि रे न” अमभयान की िुरुआत -

प्रधानमन्त्री नरे न्द्र मोिी ने विश्व जल दििस के अिसर पर 22 माचा, 2021 को जल संरिर्
के सलए “जल िक्तक्त अमभयान: कैच ि रे न' की िुरुआत की। “कैच ि रे न' अमभयान िेि
भर में 22 माचा से 30 निम्बर तक (मानसून पूिा और मानसून अियध) लागू दकया जाएगा।

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इटली द्वारा isa संिोयधत समझोता पर हस्तािर -

यूरोपीय िे ि इटली ने 17 माचा 2021 को भारत के साथ अंतरााष्टीय सौर गठबंधन के संिोयधत
फ्रेमिका समझोता पर हस्तािर दकए / isa फ्रेम िका समझोता के संिोधन संयुक्त राष्ट्र के
सभी सिस्यों को isa समूह में िाममल होने की अनुमतत िे ते है/

भारत का पहला समदपि त एक्सप्रेस कागो टममि नल -

बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा अंतरााष्ट्रीय हिाई अड्डे पर 12 माचा, 2021 को

एक्सप्रेस कागों टममि नल िुरू दकया गया, जो वििेष रूप से अन्तरााष्ट्रीय कोदरयर के यनयाात

और आयात के सलए है। बंगलौर इण्टरनेिनल एयरपोटा सलममटे ड (bial द्वारा 2 लाख िगा
फीट पर विकससत यह तबल्ट-टू -सूट फैसससलटी DHL, एक्सप्रेस और फेडएक्स एक्सप्रेस जैसे
िैष्टश्वक एक्सप्रेस कोदरयर संगठनों का नेतृत्व करे ग

MSME के प्रौद्योयगकी केन्द्रों और विस्तार केन्द्रों का िुभारम्भ -

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यनततन गडकरी ने 10 माचा, 2021 को आंध्र प्रिे ि के
वििाखापट्टनम और मध्यप्रिे ि के भोपाल में िो प्रौद्योयगकी केन्द्रों का उद्घाटन दकया।

भारत और बांग्लािे ि के बीच मैत्री सेत”ु का उद्घाटन -

प्रधानमन्त्री नरे न्द्र मोिी ने 9 माचा, 2021 एक िीदडयो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से भारत और

बांग्लािे ि के बीच और वििेष रूप से भारत के उत्तर-पूिी िेत्र के साथ सम्पका को मज़बूत

करने के सलए िोनों िेिों के बीच मैत्री सेतु पुल का उद्घाटन दकया। 7.9 दकमी लम्बा यह
मैत्री' सेतु तब्रज फेनी निी पर बनाया

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 अंतरााष्ट्रीय पदरदृश्य

स्ट्रेसलया -
स्ट्रेसलया में विश्व की पहली प्लैवटपस सैंक्चअ
ु री का यनमाार्

स्ट्रेसलयाई संरिर्िादियों ने जलिायु पदरितान के कारर् विलुप्त हो रहे प्लैवटसस के सलए


विश्व के पहले िरर्स्थल का यनमाार् करने की अपनी योजना का खुलासा दकया है ।नई
सुविधा इन प्रततक्षित प्रार्र्यों केप्रजनन और पुनिाास को बढ़ािा िे गी, जो स्ट्रेसलया के मूल
यनिासी हैं। |

इटली -

मादरयो ड्राघी बने प्रधानमंत्री

यूरोपीय सेंरल बैंक के पूिा प्रमुख मादरयो ड्राघी ने 12 फरिरी 2021 को इटली के नए प्रधानमंत्री
के रूप में िपथ ली /

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ससिं गापुर -
ियु नया का सबसे बड़ा फ्लोवटिंग सोलर फामा -
ससिं गापुर जलिायु पदरितान से यनपटने और ग्रीनहाउस गैस उत्सजान को कम करने के सलए

ियु नया का सबसे बड़ा तैरता हुआ सोलर फामा बना रहा है। यह 60 मेगािाट-पीक फ्लोवटिंग
सोलर ससस्टम

ससिं गापुर पब्लिक यूवटसलटीज बोडा' के सहयोग से सेम्बकॉपा इण्डस्ट्रीज द्वारा तांगेह जलािय
में बनाया जा रहा है। एक बार पूरा हो जाने के बाि, 122000 पैनल िाला सौर फामा िक्षिर्-
पूिा एर्िया में सबसे बड़े िेत्र में से एक होगा, जो 45 फुटबॉल दपचों के आकार को किर
करे गा।

एस्टोयनया -

काजा कालास बनी एस्टोयनया कीपहली मदहला प्रधानमन्त्रीदरफॉमा पाटी (रीन्यू यूरोप) की
काजा कालास24 जनिरी, 2021 को एस्टोयनया की पहलीमदहला प्रधानमन्त्री बन

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 प्रकार्ित चर्चित प्रमुख पुस्तकें एिं उनके लेखक ( िषा 2021)
पुस्तक का नाम लेखक

िाहना मास्टरक्लास अल्फ्रेडोकोिेल्ली

एडिांटेज इं दडया – ि स्टोरी फ़ इं दडयन टे यनस अयनिं द्या ित्ता

मनोहर परीकर – फ िदरकॉडा िामनसुभाप्रभु

ि कॉमनिेल्थ फ़ क्षक्रकेट रामचंद्रगुहा

ब्यूटीफुल यथिं ग्स हंटर बाइडेन

कमलास िे डैन मोरे न

ि सलवटल बुक फ़ एनकरे जमेंट िलाई लामा

अनदफनीिेड : अ मेमॉयर वप्रयंका चौपड़ा

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राजस्थान समय सामययकी (C.A.) (माससक)

 माचा

1. भरतपुर की नीततिा अग्रिाल (9 िषा) नॉनस्टॉप डांस में एर्िया बुक फ दरकॉडा में
नाम िजा कराने िाली भारत की पहली बच्ची बनी है। उन्होंने एर्िया बुक फ दरकॉडा
में ग्रांड मास्टर का टाइटल प्राप्त दकया।
2. 1 माचा को राज्य कोविड-19 टीकाकरर् कोविन 2.0 िुरू हो गया।

इस चरर् में 60 िषा से अयधक और 45 से 60 िषा के बीच की आयु िाले गंभीर बीमारी के
र्िकार लोगों को टीका लगाया जा रहा है।

3. ्च्छ मिहूर स्थलों की सूची

जल िक्तक्त मंत्रालय के पेयजल और ्च्छता विभाग ने ्च्छ मिहूर स्थलों के चौथे चरर्
के तहत िे ि के 12 स्थानों को चुना है। इनमें राजस्थान के कुंभलगढ़, जैसलमेर दकला और
रामिे िरा को चुना गया है।

4. मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने 24 फरिरी को बजट में अनाथ, उपेक्षित बच्चों के पुनिाास
के सलए गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर संचालन की योजना रखी।
 यह योजना पूरे 33 सजलों में िुरू की जाएं ।
5. पाली के जैतारर् तहसील के खेड़ा रामगढ़ गांि की मोयनका पटे ल का इं दडया की िनडे
और टी-20 टीम में चयन हुआ है।
6. ड्राइवििं ग लाइसेंस पर गान डोनेिन की इच्छा अंदकत करने िाला राजस्थान िे ि का
पहला राज्य है।
7. राजस्थान में 5 अगस्त 2011 को फूड सेफ्टी एक्ट लागू हुआ। लागू होने के 10 साल में
एक भी ममलािटखोर को सजा नहीं ममली है।
 मौजूिा प्रािधान में ममलािवटओं को जमानत पर छोड़ने की व्यिस्था है।
 हाल ही मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने ममलािट और नकली ििाओं पर रोक लगाने
के सलए क्षक्रममनल लॉ (राजस्थान संिोधन) एक्ट 2021 को विधानसभा में पेि दकया
है।
 राष्ट्रपतत से मंजूरी ममलने के बाि यह कानून लागू हो जाएगा।

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8 माचा को राजस्थान और गुजरात के पूिा राज्यपाल जस्टस्टस अंिम
ु ान ससिं ह का यनधन हो
गया। अंिुमान ससिं ह ने जनिरी 1999 से 2003 तक राजस्थान के राज्यपाल के रूप में

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक


सैंपल मात्र है / इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी
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हमें पूर्ा विश्वास है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा
में पूर्ा संभि मिि करें गे , धन्यिाि /

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 जून

(1) डॉ रमेि गाँधी तम्बाकू यनयंत्रर् के सलए "दरसचा एक्सीलेंस अिाडा 2021 से सम्मायनत।

डॉ रमेि गाँधी को तम्बाकू यनयंत्रर् के सलए दरसचा एक्सीलेंस आिडा 2021 ममला है। हाल ही
में भारत में तम्बाकू यनयंत्रर् मॉडल विकससत करने के सलए राजस्थान के डॉ रमेि गाँधी को
दरसचा एक्सीलेंस अिाडा 2021 दिया गया है। डॉ रमेि गाँधी राजस्थान में गाँधी फाउं डेिन के
अध्यि है।

(2) राजस्थान के पूिा संसि हरें द्र ससिं ह बनेड़ा का यनधन।

राजस्थान के भीलिाड़ा के बनेसा राजघराने के राजायधराज ि पूिा संसि हरें द्र ससिं ह बनेड़ा का
75 िषा की आयु में कोरोना से यनधन हो गया है। हरें द्र ससिं ह ने 25 िषा की आयु में भीलिाड़ा

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लोकसभा सीट से 1971 में पहला चुनाि लड़ा था। यह िे ि के सबसे युिा संसि चुने गए थे।
बनेड़ा फोटा का मेिाड़ के इततहास में विर्िष्ट स्थान रहा है। उियपुर के महारार्ा राजससह के
पुत्र राजा भीमसीह ने बनेडा दरयासत की स्थापना की थी।

(3) राजस्थान राज्य तम्बाकू और पान मसाला पर बैन लगाने िाला भारत का तीसरा राज्य।

31 माचा 2021 को राजस्थान में विश्व तम्बाकू यनयंत्रर् दििस मनाया गया है। इस दििस के
अिसर पर मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने नलाइन कायाक्रम आयोसजत दकया है। राजस्थान
िषा 2019 में गांधी जयंती पर तम्बाकू और पान मसाला पर रोक

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 अगस्त
(1) मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने 1 अगस्त को 'घर-घर औषयध योजना' एिं 72िें िन
महोत्सि का िुभारम्भ दकया।

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 इस योजना के तहत िन विभाग की ओर से आगामी पांच िषों में प्रिे ि के सभी 1 करोड़
26 लाख पदरिारों को तुलसी, यगलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय
पौधे तीन बार यनिःिुल्क उपलब्ध कराए जाएं गे।
 योजना का उद्दे श्य:- प्रिे ि के लोगों की ्ास्थ्य की रिा करना तथा औषधीय पौधों का
संरिर् और संिद्धान करना है।
 िन राज्य मंत्री - सुखराम विश्नोई।
 साथ ही मुख्यमंत्री ने 72िें िन महोत्सि के तहत जयपुर के ग्राम तबलौंची में लगाने के
सलए पीपल का पौधा और अन्य पौधों के िाहन को हरी झण्डी दिखाकर रिाना दकया।
 प्रिे ि में लघु िन उपज उत्पािन िृर्द्ध के सलए राज्य िन विकास यनगम का गठन दकया
गया है। साथ ही ताल छापर अभयारण्य में िन्यजीि प्रबंधन प्रर्ििर् केन्द्र स्थादपत दकया
जा रहा है।

(2)हाल ही राजस्थान सरकार के उद्योग विभाग और राजस्थान राज्य औद्योयगक विकास


और यनिेि यनगम (RIICO) ने राज्य में इच्छु क यनयाातकों को बढ़ािा िे ने के सलए 'यनयाातक
बनो' अमभयान िुरू दकया है।

(3)आईआईटी जोधपुर में राजस्थान का पहला डू सेन मस्कुलर दडस्ट्रॉफी सेंटर स्थादपत
दकया गया है।

(4)कन्या भ्रूर् हत्या रोकने के सलए मुखतबर योजना के तहत प्रोत्साहन रार्ि ढाई लाख
रूपये से तीन लाख रुपए बढा िी गई है।

(5)र्चदकत्सा मंत्री रघु िमाा ने अली कैंसर दडटे क्शन िैन का िुभारं भ दकया है। इस िैन
द्वारा कैंसर से संबंयधत महत्वपूर्ा जांचें मौके पर ही की

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 राजस्थान की प्रमुख योजनाएं 2021

अल्पसंख्यक मामलात मंत्री िाले मोहम्मि के अनुसार नििषा 2021 के आगाज पर


'मुख्यमंत्री मिरसा आधुयनकीकरर् योजना' के तहत 36 मिरसों को वियनमाार् कायों के
सलए 538 लाख रुपये की प्रिासयनक ्ीकृतत जारी की गई है।

 कालीबाई भील मेधािी छात्रा स्कूटी योजना 2021 -


 पहली बार इस योजना में सीबीएसई की छात्राओं को भी िाममल दकया गया है। अब इस
योजना में सीबीएसई की छात्राओं की दहस्सेिारी 25% की रहेगी।
 गौरतलब है, दक इससे पहले इस योजना में केिल राजस्थान बोडा से पास छात्राओं को ही
िाममल दकया जाता था।
 इस बार 10,050 स्कूवटयों का वितरर् होगा।
 मुख्यमंत्री गहलोत ने िषा 2019-20 के बजट में इसकी घोषर्ा की थी।
 कालीबाई भील मेधािी छात्रा स्कूटी योजना 2021 में सभी िगों की 12िीं पास मेधािी
छात्राओं को सरकार मुफ्त स्कूटी िे गी।

ओलंदपक में ्र्ा जीतने पर ममलेंगे 3 करोड़ रुपए -

 मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने ओलंदपक, एर्ियाई तथा राष्ट्रमंडल जैसे अंतरााष्ट्रीय खेलों
में पिक जीतने पर प्रिेि के ष्टखलादड़यों को िी जाने िाली इनामी रार्ि में 3 से 4 गुना
तक बढ़ोतरी करने का फैसला दकया है।

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 अब ओलंदपक में ्र्ा जीतने पर 3 करोड़ रुपए ममलेंगे।
 रजत पिक विजेता को 2 करोड़ रुपए और कांस्य पिक विजेता को 1 करोड़ रुपए की
इनामी रार्ि िी जाएगी।
 एर्ियाई खेलों में ्र्ा पिक विजेता को 1 करोड़ रुपए की इनामी रार्ि िी जाएगी।

राजस्थान में बाल आयोग आपके द्वार अमभयान -

राजस्थान में 18 जनिरी 2021 से बाल आयोग आपके द्वार अमभयान िुरू दकया जाएगा।
इस अमभयान की िुरुआत अलिर सजले से

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विश्व भूगोल
अध्याय – 1
विस्तृत भौततक विर्िष्टताएं
स्थलमंडल

● स्थल मंडल पृथ्वी की िह परत है, जो िैलीय पिाथों द्वारा यनममि तहै और महाद्वीपों तथा
महासागरों की द्रोदहयों (अधस्थल ) तक विस्तृत है।
● स्थलमंडल की औसत मोटाई लगभग 100 दकलोमीटर है।
● स्थलमंडल, सससलका तथा एलुममयनयम िैलो से समृद्ध ससयाल नामक परत से बना होता
है,जो महाद्वीपो पर पाए जाते हैं।
● महासागरीय अधस्थल में पाए जाने िाले िैल मुखत्या सससलका और मैग्नीर्ियम युक्त
होते हैं , सजन्हें सीमा कहा जाता है।
● स्थल मंडल िह मंडल है, जो हमें रहने के सलए भूमम तथा पौधों के सलए मृिा प्रिान करता
है और खयनज संपत्ती का स्त्रोत है।

चट्टान Rock

● पृथ्वी की क्रस्ट में ममलने िाले पिाथा चाहे िह ग्रेनाइट तथा बालूका पत्थर की भांतत कठोर
प्रकृतत के हो या र्चका (Clay ) या रे त की भांतत कोमल चाक (Chalk ) एिं लाइमस्टोन
की भांतत प्रिेस्य हो या स्लेट की भांतत अप्रिेश्य चट्टान कहे जाते हैं।
● प्रत्येक चट्टान की संरचना एक से अयधक प्रकार के खयनजों का संयोग होता है।

पृथ्वी की क्रस्ट में 100 से अयधक तत्व पाए जाते हैं, दकिंतु उसके अलािा 98.8% भाग की
संरचना में 8 तत्वों ( क्सीजन -46.80%, सससलकॉन -27-72% एलुममयनयम- 8-13%
लोहा- 5.00%, कैल्ल्ियम - 3.63% सोदडयम- 2.83%, पोटे र्ियम - 2.59%, तथा
मैग्नीर्ियम -2.09%=98.79%) का ही प्रमुख योगिान रहता है, 1.2% भाग में ही अन्य तत्व
सम्मम्मसलत होते हैं। इसके अलािा पृथ्वी की क्रस्ट में

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अध्याय – 2
महाद्वीप एिं महत्वपूर्ा स्थान

एर्िया की प्रमुख नदियां

नाम संबंयधत िे ि वििेषताएं

आमू • उद्गम स्थान - पामीर पिातीय िेत्र


िदरया अफगायनस्तान,त
• अधा िुष्क िेत्र में बहती है |
जादकस्ता,तुकामेयन
स्तान,
उज़्बेदकस्तान

सीर- कजादकस्तान, • मुहाना-अरल सागर में


िायाा दकयगिस्तान
तजादकस्तान,उज़्बे
दकस्तान

चाओ- थाईलैंड की प्रमुख • मुहाना-थाईलैंड की खाड़ी


फ्राया निी निी
• इसका बेससन चािल उत्पािन हेतु प्रससद्ध है |

• इसके मुहाने पर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक


स्थस्थत है |

वटगदरस तुकी, • उद्गम स्थान-टॉरस पिात (टकी)


निी एिं इराक,सीदरया
• यह बेससन खजूर उत्पािन की दृष्टष्ट से महत्वपूर्ा
यूफ्रेट्स
है |
निी
• इन नदियों को क्रमििः िजला और फरात नाम
से भी जाना जाता है |

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येलो चीन • उद्गम स्थान - कुनलून पिात
दरिर
• मुहाना - पो हाई की खाड़ी (येलो सागर )
( ह्वागहों)
• अपने कटाि ि बाढ़ के सलए प्रससद्ध यह निी 'चीन
का िोक' कहलाती है |

• पीले रं ग के लोयस यनममि त मैिान से प्रिादहत


होती है इसके कारर् यह अत्ययधक मात्रा में ससल्ट
का यनिेप करती है |

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 एर्िया की प्रमुख जल संयधयां

जलसंयध वििेषताएं

बेदरिं ग जलसंयध • अलास्का (अमेदरका ) को रूस से करती है |

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• पूिी चुकची सागर एिं बेदरिं ग सागर को जोड़ती है |

तत्तर जलसंयध • रूसी मुख्यभूमम को रूस के सखासलन द्वीप से अलग करती है |

• जापान सागर को ओखोत्स्स्क सागर से जोड़ती है |

ला-पैराज •जापान के होकड़ो द्वीप को रूस के सखासलन द्वीप से अलग करती


जलसंयध या है |

सोया जलसंयध • जापान सागर को ओखोत्स्स्क सागर से जोड़ती है |

सुगारू जलसंयध •होंकैडो को होंिु द्वीप से अलग करती है |

• जापान सागर को प्रिांत महासागर से जोड़ती है |

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अफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख पिात एिं पठार

नाम वििेषताएँ

एटलस पिात  यह निीन िसलत पिात का उिाहरर् है |


 एटलस पिात प्रमुख श्रेर्र्यों ( है एटलस पिात , एं टी एटलस
पिात , मध्य एटलस पिात सहारा एटलस पिात ) में विभासजत है
|
 यह मोरक्को, अल्जीदरया और ट्यूनीर्िया में विस्तृत पिात श्रेर्ी
है
 एटलस पिात की सबसे ऊँची चोटी ‘ टौब्कल ’ (4,165 मी. ) है
,जो ग्रेट एटलस पिात श्रेर्ी का भाग है |

इयथयोदपया  इसकी सिोच्च चोटी ‘रास-ििन’ ( 4,533 मी.) है


की उच्च भूमम
 िू नील निी का उद्गम िेत्र |

माउन्ट केन्या  यह केन्या उच्चभूमम की सिोच्च चोटी है , सजसकी ऊँचाई


5,199 मी. है a\
 यह अफ्रीका की िस
ू री सबसे ऊँची चोटी है |
माउन्ट एल्गन  यह केन्या ि युगांडा की सीमा पर अिस्थस्थत एक िांत
ज्वालामुखी पिात है
माउन्ट  अफ्रीका की सिोच्च चोटी जो तंजायनया में अिस्थस्थत है |
दकसलमंजरो इसकी ऊँचाई 5,895 मी है
 इसे ‘माउन्ट ’ दकबो के नाम से भी जानते है | इसकी ढाल पर
विश्व प्रससद्ध कहिा की खेती होती है |

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इसकी वििेषता साल भर िफा से ढं के रहना है, जबदक विषुित
रे खा से यह मात्र 322दकमी. िरू अिस्थस्थत है |

माउन्ट डेमोक्रेवटक दरपब्लिक फ़ कांगो ( जायरे ) की अलबटा झील के


राउिेनजोरी समीप स्थस्थत , इसे ‘Mountains of the moon’ के नाम से भी जाना
जाता है |

माउन्ट अफ्रीका का एक सक्रीय ज्वालामुखी पिात ,कैमरून के तटीय िेत्र में


कैमरून अिस्थस्थत |

माउन्ट ससनई  हॉस्टा पिात का उिाहरर्


 एर्िया महाद्वीप का भाग
 ममस्र का मरुभूमीय पिात
ततबेस्ती पठार उत्तरी चाड में स्थस्थत एक मरुभूममय पिात

(मससफ)

कटं गा पिात यह कॉन्गो गर्राज्य िेि के िक्षिर्ी भाग में स्थस्थत है

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अध्याय – 3
पिात (Mountains)

● स्थल का िह भू -भाग जो अपने आसपास के िेत्र से कम से कम 600 मीटर से अयधक


ऊंचा हो और सजसका िीषा चोटीनुमा तथा पृि तीव्र ढाल युक्त हो,पिात
(Mountain)कहलाता है।

● ऐसा उच्च प्रिे ि सजसमें विमभन्न काल विमभन्न रीततयों से बनी पिातमालाएँ विघिान हो,
पिात -समूह ( Cordillera ) कहलाता है; जैसे -तब्रवटि कोलंतबया का कॉदडि लेरा।

● जब एक ही प्रकार और एक ही आयु के कई पिात लंबी एिं िंकरी पट्टी में फैले होते हैं, तो
उसे पिात- श्रेर्ी (Mountain Range )कहा जाता है ; जैसे - दहमालय पिात- श्रेर्ी।

● एक ही काल और एक ही प्रकार से बनी अनेक पिात- श्रेर्र्यों के समूह को पिात - तंत्र


(Mountain System )कहते हैं ; जैसे - अप्लेर्ियन पिात।

उत्पसत्त के आधार पर पिात पांच प्रकार के

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 विश्व के प्रमुख पिात - र्िखर

क्र.सं. नाम िे ि ऊंचाई(मीटरमें)

1. माउन्ट एिरे स्ट नेपाल 8,848

2. के -2(गॉडविन भारत 8,611

स्टस्टन)

3. कंचनजंगा नेपाल -भारत 8,598

4. लहोत्से नेपाल 8,501

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अध्याय – 4
महासागर
पृथ्वी का जल से ढका भाग जलमण्डल कहलाता है।

पृथ्वी के लगभग 70.8% भाग पर जलमण्डल का विस्तार है। उत्तरी गोलाद्धा के लगभग 40%
तथा िक्षिर्ी गोलाद्धा के 81% भाग पर जलमण्डल का विस्तार है।

जलमण्डल को आकार और स्थस्थतत की दृष्टष्ट से महासागर (Ocean), सागर

a), खादड़यों (straits) आदि में विभासजत दकया जाता है।

जलमण्डल के अंतगात प्रमुख रूप से चार महासागर हैं --प्रिांत महासागर, अटलांवटक
महासागर, दहन्द महासागर, आकावटक महासागर ।

प्रिांत महासागर -

यह पृथ्वी का सबसे बड़ा एिं गहरा महासागर है , जो लगभग 1,65,246,200 िगा दकमी िेत्र
में फैला हुआ है।

प्रिांत महासागर की आकृतत लगभग तत्रभुजाकार है , सजसका िीषा उत्तर में बेदरिं ग के मुहाने
पर है।

प्रिांत महासागर के पश्चिम में एर्िया तथा स्ट्रेसलया महाद्वीप, पूिा में उत्तरी तथा िक्षिर्ी
अमेदरका और िक्षिर् में अंटाकावटका महाद्वीप है।

प्रिांत महासागर के बेससन के अयधकांि भागों की गहराई लगभग 7,300 मीटर तक है।

8. जलमण्डल

प्रिांत महासागर में 20,000 से भी अयधक द्वीप हैं। प्रिांत महासागर का उत्तरी भाग सबसे
अयधक गहरा है सजसकी औसत गहराई 5,000 से 6,000 मीटर है।

प्रिांत महासागर में ममिं डनाओ गता की गहराई 10,000 मीटर से भी अयधक है। अटाकामा
तथा टोंगा गता क्रमि: लगभग 8,000 और 9,000 मीटर गहरे हैं। अल्युर्ियन, क्युराइल,
जापान तथा बेयनन महत्त्वपूर्ा गता हैं सजनकी गहराइयाँ 7,000 से 10,000 मीटर तक हैं।

अटलांवटक महासागर
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अटलांवटक महासागर आकार में प्रिांत महासागर के लगभग आधा है। यहसम्पूर्ा संसार
के लगभग छठे भाग में विस्तृत है।

अटलांवटक महासागर की आकृतत अंग्रेजी भाषा के अिर 's’ से ममलती-जुलती है।

अटलांवटक महासागर का िेत्रफल 82,441,500 िगा दकमी है।

अटलांवटक महासागर के पश्चिम में िोनों अमेदरका तथा पूिा में

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विश्व के प्रमुख महासागर और सागर -
नाम िेत्रफल प्रततित

( िगा दकमी में )

1. महासागर Oceans

1. प्रिांत महासागर 1,65,246,200 45.77

2. अटलांवटक महासागर 82,441,500 22.83

3. दहन्द महासागर 73,442,700 20.34

4. आकावटक महासागर 14,090,100 3.9

योग 3,35,220,500 92.85

॥ . अन्तर-महाद्वीपीय सागर inter-continental seas

1. मालय सागर 8,143,100 2.26

2. मध्य अमेदरकन सागर 4,319,500 1.21

3. भू-मध्य सागर 2,965,900 0.82

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भारत की पादरस्थस्थकी और िन्यजीि

अध्याय – 1
सामान्य पदरचय
 वप्रय छात्रों , भूगोल इसके अन्तगात पृथ्वी और उस पर दिखाई िे ने िाली सभी बातों या
तथ्यों का अध्ययन दकया जाता है।
 ितामान समय में भूगोल को अनेक प्रकार से विभासजत करने का प्रयास दकया गया हैऔर
इन्ही प्रकारों में से एक प्रकार है भौततक भूगोल।
 भौततक भूगोल के अन्तगात सामान्यतिः पृथ्वी से संबंयधत स्थल मण्डल (Lithosphere), जल
मण्डल (Hydrosphere), िायु मण्डल (Atmosphere) तथा पयाािरर् भूगोल
(Environmental Geography) का क्रमबद्ध अध्ययन तथा इनके मध्य पारस्पदरक
क्षक्रयाओं अध्ययन दकया जाता है।

 भारत की स्थस्थतत ि सीमाएँ से सम्बंयधत महत्वपूर्ा तबिं िु –

 भारत एर्िया महाद्वीप का एक िे ि है, जो एर्िया के िक्षिर्ी भाग में दहन्द महासागर के
िीषा पर तीन ओर समुद्रों से यघरा हुआ है। पूरा भारत उत्तरी गोलाद्धा में पड़ता है।
 भारत का अिांिीय विस्तार 8°4' उत्तरी अिांि से 37°6'उत्तरी अिांि तक है।
 भारत का िे िान्तर विस्तार 68°7' पूिी िे िान्तर से 97025’ पूिी िे िान्तर तक है।
 भारत का िेत्रफल 32,87,263 िगा दकमी. है।
 िेत्रफल की दृष्टष्ट से संसार में भारत का सातिा स्थान है। यह रूस के िेत्रफल का लगभग
1/5,संयुक्त राज्य अमेदरका के िेत्रफल का 1/3 तथा स्ट्रेसलया के िेत्रफल का 2/5 हैं।
 जनसंख्या की दृष्टष्ट से संसार में भारत का चीन के बाि िस
ू रा स्थान है।
 विश्व का 2.4% भूमम भारत के पास है जबदक विश्व की लगभग 17.5% जनसंख्या भारत में
रहती है।
 भारत के उत्तर में नेपाल, भूटान ि चीन, िक्षिर् में श्रीलंका एिं दहन्द महासागर, पूिा में
बांग्लािे ि, म्ांमार एिं बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में पादकस्तान एिं अरब सागर है।

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भारत को श्रीलंका से अलग करने िाला समुद्री िेत्र मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar)
तथा पाक जलडमरूमध्य(Palk Strait) है।
 प्रायद्वीप भारत का िक्षिर्तम तबन्द-ु कन्याकुमारी है।
 भारत का सुिरू िक्षिर्तम तबन्दु - इक्तन्दरा प्वाइं ट (गेटयनकोबार में है)।
 भारत का उत्तरी अन्तन्तम तबन्द-ु इं दिरा कॉल है।

िे ि की चतुदिि क सीमा तबन्दु

 िक्षिर्तम तबन्द-ु इक्तन्दरा प्वाइं ट (ग्रेट यनकोबार द्वीप)


 उत्तरी तबन्द-ु इक्तन्दरा कॉल (जम्मू-कश्मीर)
 पश्चिमी तबन्द-ु सर क्रीक (गुजरात)
 पूिा तबन्द-ु िालांगू (अरुर्ाचल प्रिे ि)
 मुख्य भूमम की िक्षिर्ी सीमा- कन्याकुमारी (तममलनाडु )

स्थलीय सीमाओं पर स्थस्थत भारतीय राज्य


पादकस्तान (4) गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू और कश्मीर
अफगायनस्तान जम्मू और कश्मीर
(1)
चीन (5) जम्मू और कश्मीर, दहमाचल प्रिे ि, उत्तरांचल,
ससन्तक्कम,अरुर्ाचल प्रिे ि
नेपाल (5) उत्तर प्रिे ि, उत्तरांचल, तबहार,
पश्चिम बंगाल, ससन्तक्कम

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भूटान (4) ससन्तक्कम, पश्चिम बंगाल, असम, अरुर्ाचल प्रिे ि
बांग्लािे ि (5) पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, तत्रपुरा, ममजोरम
म्ांमार (4) अरुर्ाचलप्रिे ि,नागालैण्ड, मर्र्पुर, ममजोरम

पड़ोसी िे िों के मध्य सीमा विस्तार


भारत-बांग्लािे ि सीमा 4098 दकमी.
भारत-चीन 3239दकमी.
भारत-पाक सीमा 3310 दकमी.
भारत-नेपाल सीमा 1761 दकमी.
भारत- म्ांमार सीमा 1643 दकमी.
भारत-भूटान सीमा 587 दकमी.

 मुख्य तबन्दु
 कका रे खा (Tropic of Cancer) भारत के बीचो -बीच से गुजरती है।
 भारत को पाँच प्राकृततक भागों में बाँटा जा सकता है ।
 उत्तर का पिातीय प्रिे ि
 उत्तर का वििाल मैिान
 िक्षिर् का प्रायद्वीपीय पठार
 समुद्र तटीय मैिान
 थार मरुस्थल
 भारत का मानक समय (Indian Standard Time) इलाहाबाि के पास नैनी से

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महत्वपूर्ा िोटा तरक्स -

भारत के राज्यों के नाम

● तरक ⇒ ममत्र अतरा मुझसे कहता है मैं अपने छ बागों में पकी आम उगाउँ ,

» राज्य ⇒ अट्ठाइस (28),

» केन्द्र िाससत प्रिे ि ⇒ नौ (9),

► तरक का वििलेषर्

፠ मम ⇒ ममज़ोरम,

፠ त्र ⇒ तत्रपुरा,

፠अ ⇒ असम,

፠त ⇒ तममलनाडु ,

፠ रा ⇒ राजस्थान,

፠ मु ⇒ मर्र्पुर,

፠झ ⇒ झारखण्ड,

፠ से ⇒ ससन्तक्कम,

፠क ⇒ केरल,

፠ह ⇒ हदरयार्ा,

፠ ता ⇒ तेलंगाना,

፠ है ⇒ दहमाचल प्रिे ि,

፠ मैं ⇒ मेघालय,

፠अ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,

፠प ⇒ पश्चिम बंगाल,

፠ ने ⇒ नागालैण्ड,

፠छ ⇒ छत्तीसगढ़,
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፠ बा ⇒ तबहार,

፠ गों ⇒ गोिा,

፠ में ⇒ मध्य प्रिे ि,

፠आ ⇒ आंध्र प्रिे ि,

፠म ⇒ महाराष्ट्र,

፠प ⇒ पंजाब,

፠ की ⇒ कनााटक,

፠उ ⇒ उत्तर प्रिे ि, उदड़िा,

፠ गा ⇒ गुजरात,

፠ उँ ⇒ उत्तराखण्ड,

Note:- केन्द्र िाससत प्रिे ि ⇒


1. अण्डमान और यनकोबार द्वीपसमूह,
2. चण्डीगढ़,
3. िािरा और नगर हिेली,
4. िमन और िीि,
5. लिद्वीप,
6. राष्ट्रीय राजधानी िेत्र दिल्ली,
7. पुिच्च
ु ेरी,
8. जम्मू और कश्मीर,
9. लद्दाख,
भारत के 9 केंद्र िाससत प्रिे ि

● तरक ⇒ चलो जला दिल िे िो आप,

► तरक का वििलेषर्

፠च ⇒ चंडीगड,

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፠ लो ⇒ लििीप,

፠ज ⇒ जम्मू और कश्मीर,

፠ ला ⇒ लद्दाख,

፠ दिल ⇒ दिल्ली,

፠ िे ⇒ िमन एिं िीप,

፠ िो ⇒ िािर एिं नागर हिेली,

፠आ ⇒ अंडबान ब यनकोबार िीप समूह,

፠प ⇒ पांदडचेरी,
भारत के 7 sister state

● तरक ⇒ ATM आना ममी,

► तरक का वििलेषर्

፠A ⇒ असम,

፠T ⇒ तत्रपुरा,

፠M ⇒ मेघालय,

፠आ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,

፠ ना ⇒ नागालैंड,

፠म ⇒ मर्ीपुर,

፠ मी ⇒ ममजोरम,
भारत की स्थल सीमा पर पड़ोसी िे ि

● तरक ⇒ बचपन मेँ MBA दकया,

► तरक का वििलेषर्

፠ब ⇒ बंग्लािे ि (4,096KM),

፠च ⇒ चीन (3,917KM),

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፠प ⇒ पादकस्तान (3,310KM),

፠न ⇒ नेपाल (1,752KM),

፠ मेँ ⇒ silent,

፠M ⇒ म्ांमार (1,458KM),

፠B ⇒ भूटान (587KM),

፠A ⇒ अफगायनस्तान (80KM),

፠ दकया ⇒ Silent,
भारत की स्थल सीमा पर पड़ोसी िे ि

● तरक ⇒ बचपन मेँ MBA दकया,

► तरक का वििलेषर्

፠ब ⇒ बंग्लािे ि (4,096KM),

፠च ⇒ चीन (3,917KM),

፠प ⇒ पादकस्तान (3,310KM),

፠न ⇒ नेपाल (1,752KM),

፠ मेँ ⇒ silent,

፠M ⇒ म्ांमार (1,458KM),

፠B ⇒ भूटान (587KM),

፠A ⇒ अफगायनस्तान (80KM),

፠ दकया ⇒ Silent,
भारत के समुद्री ससमा िाले राज्य

● तरक ⇒ KK GG का ATM OP में है,

► तरक का वििलेषर्

፠K ⇒ Karnatak,

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፠K ⇒ Kerala,

፠G ⇒ Gujarata,

፠G ⇒ Goa,

፠ का ⇒ Silent,

፠A ⇒ Andhra pradesh,

፠T ⇒ Tamilnadu,

፠M ⇒ Maharashtra,

፠O ⇒ Odisaa,

፠P ⇒ Paschim Bengal,

፠ में ⇒ Silent,

፠ है ⇒ Silent,
भारत की तटीय रे खा

● तरक ⇒ गुजर आत,

► तरक का वििलेषर्

፠ गुजर ⇒ गुजरात (1214 दक. मी.),

፠आ ⇒ आन्ध्र प्रिे ि (973 दक. मी.),

፠त ⇒ तममलनाडु (906 दक. मी.),


Note- केन्द्र िाससत प्रिे ि अंडमान-यनकोबार दद्वप समुह का तटीय रे खा 1962.20 दक. मी.
है,

भारत के पूिी तटीय राज्य

● तरक ⇒ BOAT,
या
ताऊ आप,

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► तरक का वििलेषर्

፠B ⇒ Bengal (पश्चिम बंगाल),

፠O ⇒ Odisha (उङीसा),

፠A ⇒ Andhra pradesh (आन्ध्र प्रिे ि),

፠T ⇒ Tamil Nadu (तममलनाडु ),


या

፠ ता ⇒ तममलनाडु ,

፠ऊ ⇒ उङीसा,

፠आ ⇒ आन्ध्र प्रिे ि,

፠प ⇒ पश्चिम बंगाल,
भारत के पश्चिम तटीय राज्य

● तरक ⇒ मगोगु केक,

► तरक का वििलेषर्

፠म ⇒ महाराष्ट्र,

፠ गो ⇒ गोआ,

፠ गु ⇒ गुजरात,

፠ के ⇒ केरल,

፠क ⇒ कनााटक,
अफगायनस्तान से सटे भारत के पड़ोसी राज्य

● तरक ⇒ पादकस्तान अयधकृत जम्मू - कश्मीर,

► तरक का वििलेषर्

፠ पादकस्तान अयधकृत जम्मू - कश्मीर,


भूटान से सटे भारत के पड़ोसी राज्य

● तरक ⇒ SAAB,
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► तरक का वििलेषर्

፠S ⇒ ससन्तक्कम ( 32 दकमी०),

፠A ⇒ असम (267 दकमी०),

፠A ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि (217 दकमी०),

፠B ⇒ बंगाल (पश्चिम बंगाल 183 दकमी०),


म्ांमार ( बमाा ) से सटे भारत के पड़ोसी राज्य

● तरक ⇒ ममी आना,


या
अरुना ममी

► तरक का वििलेषर्

፠म ⇒ मर्ीपुर,

፠ मी ⇒ ममजोरम,

፠आ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,

፠ ना ⇒ नागालैंड,
या

፠ अरु ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि (520 दकमी०),

፠ ना ⇒ नागालैंड (215 दकमी०),

፠म ⇒ मर्ीपुर (398 दकमी०),

፠ मी ⇒ ममजोरम (502.19 दकमी०),

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अध्याय – 3
प्रमुख नदियाँ एिं झीलें

 नदियाँ

यनश्चित िादहकाओ (Channels) के माध्यम से हो रहे जल प्रिाह को अपिाह (Drainage)


तथा इन िादहकाओं के जाल को अपिाह तंत्र (Drainage System) कहा जाता हैं ।

भारतीय अपिाह तंत्र

अरब सागरीय अपिाह तंत्र बंगाल की खाड़ी का अपिाह तंत्र

अपिाह तंत्र से तात्पया दकसी िेत्र की जल प्रिाह प्रर्ाली से हैं अथाात् दकसी िेत्र के जल को
कौन सी नदियॉं बहाकर ले जाती हैं ।

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भारत में अपिाह तंत्र

भारत के अपिाह तंत्र का यनयंत्रर् मुख्यतिः भौगोसलक ्रूप के द्वारा होता हैं ।

भारतीय नदियाँ का विभाजन

उद्गम एिं प्रकृतत के आधार पर

दहमालयी या उत्तरी भारत का प्रायद्वीपीय या िक्षिर्ी भारत का अपिाह तंत्र


अपिाह तंत्र

यिादप इस विभाजन योजना में चंबल, बेतिा, सोन आदि नदियों के िगीकरर् में समस्या
उत्पन्न होती हं । क्योंदक उत्पसत्त ि आयु में ये दहमालय से यनकलने िाली नदियों से पुरानी हैं
। दफर भी यह अपिाह तंत्र के िगीकरर् का सिामान्य आधार हैं ।

दहमालयी अपिाह तंत्र

उत्तर भारत के अपिाह तंत्र में दहमालय का अयधक महत्त्व हैं । ये नदियॉं तीव्र गतत से अपनी
घावटयों को गहरा कर रही हैं । उत्तरी भारत की नदियॉं अपरिन से प्राप्त ममट्टी को बहाकर ले
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जाती हैं तथा मैिानी भागों में जल प्रिाह की गतत मंि पड़ने पर मैिानों और समुद्रों में जमा
कर िे ती हैं । इन्ही नदियों द्वारा लायी गई ममट्टी से उत्तर भारत के वििाल मैिान का यनमाार्
हुआ है।

इस िेत्र की नदियॉं बारहमासी Prennial हैं क्योंदक ये िषार् एिं बफा दपघलने िोनों क्षक्रयाओं
से जल प्राप्त करती हैं । ये नदियॉं गहरे महाखड़ोंड़ों से गुजरती हैं । जो दहमालय के उत्थान के
साथ-साथ होने िाली अपरिन क्षक्रया द्वारा यनममि त हैं ।

इं ड़ो ब्रह्रा निी:- भू-िैज्ञायनक मानते है। दक, मायोसीन कल्प में लगभग 2.4 करोड़ से 50
लाखों िषा पहले एक वििाल निी थी । सजसे र्ििासलक या इं ड़ो - ब्रह्राा निी कहा गया हैं ।

इं डो ब्रह्र निी के तीन मुख्य अपिाह तंत्र -

1.पश्चिम में ससन्धु और इसकी पॉंच सहायक नदियॉं

2.मध्य में गंगा और दहमालय से यनकलने िाली इसकी सहायक नदियॉं

3.पूिा में ब्रह्मपुत्र का भाग ि दहमालय से यनकलने िाली इसकी सहायक नदियॉं

दहमालयी अपिाह तंत्र की नदियॉं

ससन्धु निी तंत्र गंगा निी तंत्र ब्रह्मपुत्र निी

1. ससन्धु निी तंत्र

ससन्धु जब संयध (1960)

तीन पूिी नदियों - व्यास, रािी, सतलज का यनयंत्रर् भारत तथा 3 पश्चिमी नदियों ससन्धु,
झेलम, चेनाब का यनयंत्रर् पादकस्तान को दिया गया -

1.व्यास, रािी, सतलुज 80% पानी भारत

20% पानी पादकस्तान

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2.ससन्धु, झेलम, र्चनाब 80% पानी पादकस्तान

20% पानी भारत

ससिं धु निी तंत्र -

यह विश्व की सबसे बड़ी निी श्रेर्र्यों में से एक हैं, सजसका िेत्रफल 11 लाख, 65 हजार िगा
km हैं । भारत में इसका िेत्रफल 3,21,289 िगा दकमी हैं ।

 ससन्धु निी की कुल लंबाई 2,880 दकमी. है। परं तु भारत में इसकी ल. केिल 1,114 km
हैं । भारत में यह दहमालय की नदियें में सबसे पश्चिम निी हैं ।
 ससन्धु निी का उद्गम ततब्बती िेत्र में कैलाि पिात श्रेर्ी ( मानसरोिर झील ) में
बोखर-चू के यनकट एक दहमनि से होता हैं, जो 4,164 मीटर उँ चाई पर स्थस्थत हैं ।
ततब्बत में इसे िेर मुख कहते हैं ।

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 ससन्धु, सतलज, व्यास, रािी, र्चनाब और झेलम ससन्धु निी तेल की प्रमुख नदियॉं हैं ।
अन्य सहायक नदियॉं - श्योक, यगलाागत, जास्कर, हुंजा, नुब्रा, र्िगार, गास्टस्टिंग ि द्रास

 अंततिः यह निी अटक (पंजाब प्रांत, पादकस्तान) के यनकट पहादड़यों से बाहर यनकलती
हैं । जहॉं िादहने तट पर काबुल निी इसमें ममलती हैं ।
 यह निी िक्षिर् की ओर बहती हुई ममठनकोट के यनकट पंचनि का जल प्राप्त करती हैं
। पंचनि नाम पंजाब की पॉंच मुख्य नदियों सतलज, व्यास, रािी, र्चनाब, झेलम को
संयुक्त रूप से दिया गया हैं ।
 ससन्धु और ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम स्थल ततब्बत का पठार हैं । ततब्बत के पठार से
यनकलने िाली अन्य नदियॉं - यांग्त्त्सी - क्यांग, सजयांग, हंग-हो, पीत, पीली निी
इराििी, मेकांग एिं सतलज ।
 जास्कर निी का उद्गम दहमाचल प्रिे ि और जम्मू कश्मीर की सीमा पर सरचू के
उच्च अिांिीय पठारी भाग से होता हैं । यह निी जास्कर श्रेर्ी में गहरे गॉजा का
यनमाार् करती है। तथा कठोर चट्टानी भागो से होकर बहती हैं । यह पहले उत्तर दफर
पूिा की ओर बहते हुए नेमू के यनकट ससन्धु निी से ममल जाती हैं ।

ससिं धु की प्रमुख सहायक नदियाँ : -

1. सतलज निी 2. व्यास निी 3. रािी निी


1. र्चनाब निी 5. झेलम निी

सतलज निी -

 यह एक पूिािती निी हैं जो ततब्बत में 4,555 मीटर की ऊँचाई पर मानसरोिर के


यनकट राकस ताल झील से यनकलती हैं । जहॉं इसे लॉंगचेन खंबाब के नाम से जाना
जाता हैं ।
 यह उत्तर - पश्चिम दििा में बहते हुए इं ड़ो - ततब्बत सीमा के समीप र्िपकील िरे के
पास भारत में प्रिेि करने से पहले लगभग 400 km तक ससन्धु निी के समान्तर बहती
हैं ।

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 सतलज, ससन्धु निी की महत्त्वपूर्ा सहायक निी हैं । यह भाखडा नांगल पदरयोजना के
नहर तंत्र का पोषर् करती हैं तथा आगे जाकर व्यास निी में ममल जाती हैं ।
 यह दहमालय की श्रेर्र्यों (महान दहमालय और जास्कर श्रेर्ी) को काटकर महाखड्ड का
यनमाार् करती हैं ।

व्यास निी (विपािा निी)

 यह ससन्धु की एक अन्य महत्त्वपूर्ा सहायक निी हैं । रोहतांग िरे के यनकट व्यास कुंड़
से यनकलती हैं ।

यह निी कुल्ली घाटी से गुजरती हैं । तथा धौलाधर श्रेर्ी में काटी और लारजी में महाखड़ोंड़
का यनमाार्

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /

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अध्याय – 6
मृिा / ममट्टी
भारत के मृिा िगीकरर् के दििा में कही काया दकये गए हैं/ सजनमें भारतीय कृवष अनुसंधान
पदरषद् ( ICAR ) द्वारा 1956 में दकया गया काया अयधक महत्त्वपूर्ा हैं / ICARद्वारा
संरचनात्मक मृिा और खयनज, मृिा के रं ग ि संसधानात्मक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए
भारत के मृिा को 8 भागों में विभासजत दकया हैं/

मृिा के प्रकार

1. जलोड़ मृिा ( तराई मृिा , बांगर मृिा, खािर मृिा )


2. काली मृिा
3. लाल – पीली मृिा
4. लैटेराइट मृिा
5. पिातीय मृिा
6. मरुस्थलीय मृिा
7. लिर्ीय मृिा
8. पीट एिं जैि मृिा

ममट्टी के अध्ययन के विज्ञान को मृिा विज्ञान (पेडोलॉजी) कहा जाता हैं ।

1953 में केन्द्रीय मृिा संरिर् बोडा का गठन दकया गया ।

मृिा िब्द की उत्पतत लैवटन भाषा के िब्द ‘‘सोलम’’ से हुई, सजसका अथा हैं - फिा ।

मूल चट्टानों, जलिायु, भूममगत उच्चािच, जीिों के व्यिहार तथा समय से मृिा अपने मूल
्रूप में आती हैं अथिा प्रभावित होती हैं ।

मृिा में सबसे अयधक मात्रा में क्वाटा ज खयनज पाया जाता हैं ।

ऐपेटाइट नामक खयनज से मृिा को सबसे अयधक मात्रा में फास्फोरस प्राप्त होता हैं ।

िनस्पतत ममट्टी में ह्मुमस की मात्रा यनधाादरत करती हैं ।

मृिा में सामान्यतिः जल 25 प्रततित होता हैं ।

जलिायु ममट्टी में लिर्ीकरर्, िारीयकरर्, कैल्सीकरर्, पाइजोलीकरर् में सबसे महत्त्वपूर्ा
कारक हैं ।
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मृिा को जीिीत तंत्र की उपमा प्रिान की गई हैं ।

1.जलोढ़ ममट्टी –

 यह भारत में लगभग 15 लाख िगा दक.मी. (43.4%) िेत्र पर विस्तृत हैं ।
 इस मृिा का यनमाार् नदियों द्वारा लाए गए तलछट के यनिेपर् से हुआ है / इस प्रकार यह
एक अिेत्रीय मृिा है
 इस मृिा के िो प्रमुख िेत्र है –

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 उत्तर क वििाल मैिान
 तटिती मैिान
 जलोढ़ मृिा नदियों की घावटयों एिं डेल्टाई भाग में भी पाएँ जाते है
 ये नदियों द्वारा यनममि त मैिानी भाग में पंजाब से असम तक तथा नमािा, ताप्ती, महानिी,
गोिािरी, कृष्णा ि कािरी के तटिती भागों में विस्तृत हैं ।
 यह ममट्टी उच्च भागों में अपदरपक्व तथा यनम्न िेत्रों में पदरपक्व हैं ।
 नई जलोढ़ ममट्टी से यनममि त मैिान खािर कहलाते हैं
 पुरानी जलोढ़ ममट्टी के मैिान बांगर कहलाते हैं ।
 इनमें पोटाि ि चुना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जबदक फास्फोरस, नाइरोजन ि जीिांि
का अभाि पाया जाता हैं ।
 यह उपजाऊ मृिा है
 इस मृिा को काँप मृिा या कछारी मृिा भी कहा जाता है

इस मृिा को तीन भागो में बाँटा जाता है -

1.तराई मृिा

 इस मृिा में महीन कंकड़, रे त, र्चकनी मृिा, छोटे – छोटे पत्थर आदि पाएँ जाते है
 इस मृिा में चट्टानी कर्ों के होने से जल ग्रहर् की िमता अयधक होती है
 इस मृिा में चूने की मात्रा अयधक होती हैं
 यह गन्ने की कृवष के सलए उपयुक्त होता है

2.बांगर मृिा

 यह पुरानी जलोढ़ मृिा है यह मृिा सतलज एिं गंगा के मैिान के उपरी भाग तथा नदियों
के मध्यिती भाग में पाई जाती है
 यहाँ बाढ़ का पानी नही पहुचं पाता है
 इस मृिा में चीका एिं बालू की मात्रा लगभग बराबर होता है
 यह मृिा रबी के फसल के सलए उपयुक्त होता है

3.खािर मृिा

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 यह निीन जलोढ़ मृिा है यहाँ प्रत्येक िषा बाढ़ का पानी पहुँचने से निीनीकरर् होता रहता
है
 यह मृिा खरीफ के फसल के सलए उपयुक्त होता है

2.लाल-पीली ममट्टी –

 यह िे ि के लगभग 6.1 लाख िगा दक.मी. (18.6%) भू-भाग में हैं ।


 इस ममट्टी का विकास आदकियन ग्रेनाइट, नीस तथा कुड़प्पा एिं वििं ध्यन बेससनों तथा धारिाड़
िैलों की अिसािी िैलो के उपर हुआ हैं ।
 इनका लाल रं ग लौह क्साइड़ की उपस्थस्थतत के कारर् हुआ है ।

यह ममट्टी आंर्िक रूप से अम्लीय प्रकार ही होती हैं । इसमें लोहा, एल्युममयनयम तथा चूने
का अंि कम होता हैं तथा जीिांि, नाइरोजन तथा फास्फोरस की कमी पाई जाती

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अध्याय – 8
प्रमुख खयनज एिं ऊजाा संसाधन

भारत में खयनजों का वितरर् -

खयनज संसाधनों की मेखलायें (Belts of Mineral Resources)


भारत में खयनजों का वितरर् समान नहीं हैं । भारत में पाये जाने िाले विविध प्रकार के
खयनजों को उनके वितरर् के अनुसार यनम्न मेखलाओं में सीमाबद्ध दकया जा सकता है ।

1. तबहार-झारखण्ड-उड़ीसा-पश्चिम बंगाल मेखला : यह मेखला छोटा नागपुर ि समीपिती


िेत्रों में फैली हुई हैं । यह मेखला लौह अयस्क मैंगनीज, तांबा, अभ्रक, चूना पत्थर,
इल्मेंनाइट, फास्फेट, मॉक्साइट आदि खयनजों की दृष्टष्ट से धनी है । इसमे झारखण्ड
खयनज उत्पािन की दृष्टष्ट से प्रमुख राज्य है ।

2. मध्यप्रिे ि-छत्तीसगढ़-आन्ध्रप्रिे ि-महाराष्ट्र मेखला : इस मेखला में भी लौह अयस्क,


मैंगनीज, बॉक्साइट, चूना पत्थर, ऐस्बेस्टॉस, ग्रेफाइट, अभ्रक, सससलका, हीरा आदि
बहुलता से प्राप्त होते है।

3. कनााटक-तममलनाडु मेखला : यह इखला सोना, सलग्नाइट, लौह अयस्क, तांबा, मैंगनीज,


सजप्सम, नमक, चूना पत्थर के सलए प्रससद्ध है।

4. राजस्थान-गुजरात मेखला : यह मेखला पैरोसलयम, प्राकृततक गैस, यूरेयनयम, तांबा,


जस्ता, घीया पत्थर, सजप्सम, नमक, मुल्तानी ममट्टी आदि खयनजों की दृष्टष्ट से धनी है।

5. केरल मेखला : केरल राज्य में विस्तृत इस मेखला में इल्मेनाइट, सजरकन, मोनोजाइट
आदि अर्ुिक्तक्त के खयनज, र्चकनी ममट्टी, गानेट आदि बहुलता से पाये जाते है।

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भारत में उपलब्ध खयनज संसाधन (Available Mineral Resources in India)
िृहि तौर पर भारत में 125 प्रकार के ज्ञात खयनजों में आयथि क दृष्टष्ट से बड़े पैमाने पर महत्त्वपूर्ा
खयनजों की संख्या 35 हैं। योजना आयोग ने भारत में खयनजों की उपब्धता ि महत्ता के
आधार पर 3 श्रेर्र्यों में विभक्त दकया है1. पयााप्त उत्पािन के साथ आयथि क महत्त्व िाले
खयनज : लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, कोयला, सोना, इल्मेनाइट, बॉक्साइट ि भिन
यनमाार् सामग्री आदि । 2. पयााप्त संरक्षित भण्डार िाले खयनज : औद्योयगक ममदट्टयां,
क्रोमाइट, अर्ु खयनज आदि। 3. औद्योयगक दृष्टष्ट से महत्त्वपूर्ा दकन्तु अल्प उपलब्धता िाले
खयनज : वटन, गन्धक, यनकल, तांबा, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, पारा, खयनज तैल आदि ।
निीन भू-गमभि क सिेिर्ो द्वारा िे ि मे प्राकृततक गैस, खयनज तेल, सीसा, जस्ता, ताि, सोना
पाइराइट, फास्फेट, सजप्सम, सलग्नाइट आदि आयथि क दृष्टष्ट से महत्त्वपूर्ा खयनजों के नये
भण्डार पाएं गये हैं। भारत में खयनज संसाधनों के भण्डार : िे ि मे प्रमुख खयनजों के संरक्षित
भण्डार यनम्नानुसार है।

लौह अयस्क (Iron Ore)


 आधुयनक औद्योयगक सभ्यता का आधारभूत खयनज - लौह अयस्क के भण्डार ि
उत्पािन की दृष्टष्ट से भारत विश्व का एक महत्त्वपूर्ा िे ि हैं।
 भारत में लौह अयस्क मुख्यतिः प्रायद्वीपीय धारिाड़ संरचना में पाया जाता है
 विश्व के कुल लौह अयस्क का लगभग 3 प्रततित भारत में यनकाला जाता है
 कुल उत्पािन का 50 प्रततित से भी अयधक यनयाात कर दिया जाता है
 गोिा में उत्पादित होने िाले संपूर्ा लोह अयस्क को यनयाात कर दिया जाता है

लौह अयस्क के प्रकार (Types of Iron - Ore)


भारत में लौह अयस्क मुख्यत: 4 प्रकार का प्राप्त होता है :
1. मैग्नेटाइट 2. हेमेटाइट 3. लोमोनाइट 4. ससडेराइट

मैग्नट
े ाइट : यह सिोच्च दकस्म का लौह अयस्क होता है , सजसमें िुद्ध धातु का अंि 72
प्रततित तक होता है । इसका रं ग काला होता है । इसमें चुम्बकीय लोहे के क्साइड होते
हैं । मैग्नेटाइट अयस्क के भण्डार कनााटक, आन्ध्रप्रिे ि, तममलनाडु , गोिा, झारखण्ड आदि
राज्यों में पाये जाते हैं । 2. हेमेटाइट : यह लाल या भूरे रं ग का होता है । इसमें िुद्ध धातु की
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मात्रा 60-70 प्रततित तक होती है । यह मुख्यत: झारखण्ड, मध्यप्रिे ि, उड़ीसा, महाराष्ट्र,
कनााटक ि गोिा राज्यों में ममलता है। 3. सलमोनाइट : इसका रं ग पीला या हल्का भूरा होता
है । इसमें 40 से 60 प्रततित तक िुद्ध धातु का अंि होता है । पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड,
दहमाचल प्रिे ि आदि राज्यों में इस दकस्म का लौहा पाया जाता है ।। 4. ससडेराइट ; इस
दकस्म के लौहे का रं ग हल्का भूरा होता है । इसमें धातु का अंि 40 से 48 प्रततित तक होता
है तथा अिुर्द्धयां अयधक होती है ।

लौह अयस्क के संरक्षित भण्डार (Reserves of Iron - ore)


विश्व पदरप्रेक्ष्य में लौह अयस्क के संर्चत भण्डारों की दृष्टष्ट से भारत बहुत धनी िे ि हैं । सिेिर्
के अनुमानों के अनुसार भारत में विश्व के कुल संर्चत भण्डार का एक चौथाई भाग यनदहत
है । कच्चे लौहे की दृष्टष्ट से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है ।

लौह अयस्क के उत्पािन का प्रािे र्िक वितरर्


(Regional Distribution of Iron Production)
विश्व में लौह अयस्क उत्पािक राज्यों में भारत का सातिां स्थान हैं । िे ि में लौह अयस्क
उत्पािन में ्तंत्रता प्राश्चप्त पिात् यनरन्तर िृर्द्ध हुई है । िषा 1950-51 में लौह अयस्क का
उत्पािन जहां 4.1 ममसलयन टन (मूल्य लगभग 3 करोड़ रू.) था, िह 10 िषा पिात् 1960 -
61 में 4 गुना बढ़कर 18.7 ममसलयन टन हो गया ।

कनााटक :
यह राज्य भारत के लौह अयस्क उत्पािक राज्यों में अग्रर्ीय राज्य हैं । जो िे ि के कुल लौह
अयस्क का लगभग एक चौथाई भाग उत्पन्न करता है ।

उड़ीसा :
यहाँ िे ि का लगभग 22 प्रततित लौह अयस्क प्राप्त होता हैं । यहाँ लौह अयस्क उत्पािन
की दृष्टष्ट से मयूरभंज सजले में गोरुमा दहसानी बािाम पहाड़, सुलेपट मुख्य हैं जहां लौहांि की
मात्रा 60 प्रततित से अयधक हैं ।

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छत्तीसगढ़ :

यह राज्य िे ि के कुल लौह अयस्क का लगभग 20 प्रततित उत्पािन करता हैं । यहाँ उत्तम
दकस्म का मैग्नेटाइट ि हेमेटाइट लौह अयस्क पाया जाता

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
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राजस्थान : यहाँ का अयधकांि मैंगनीज बांसिाड़ा सजले से प्राप्त होता हैं । इसके अततदरक्त
डू ं गरपुर, उियपुर ससरोही, पाली सजलों में मैंगनीज पाया जाता हैं । उियपुर सजले में नाथद्वारा,
िे बारी तथा सागरिाड़ा िेत्रों में भी मैंगनीज उत्पादित होता हैं । पाली सजले में हीरापुर िेत्र से
मैंगनीज पाया जाता है

मैंगनीज का व्यापार (Trade of Manganese)


भारत विश्व में मैंगनीज का छठा बड़ा यनयाातक िे ि है । यहां से मैंगनीज को कच्ची धातु के
रूप में ही यनयाात कर दिया जाता हैं । फैरामैंगनीज में पदरिततित करके मैंगनीज यनयाात करना
अयधक लाभकारी हैं ।

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तांबा (Copper)
 िे ि में तांबा सल्फाइड के रूप में ममलता है
 तांबा वटन और सोना आदि के साथ ममक्षश्रत रूप में पाया जाता है
 तांबे को वटन में ममलाने पर कांस्य तथा जस्ता के ममलाने पर पीतल बनता है
 भारत में तांबा की कमी होने के कारर् यह अमेदरका, कनाडा, एिं अफ्रीकी िे िों से
आयात दकया जाता है

महत्त्व
तांबा एक ऐसी धातु है सजसका मानि द्वारा उपयोग सभ्यता के आदि काल से होता रहा हैं ।
यह धातु तबजली का सुचालक तथा अघातितानीय आदि अपने वििेष गुर्ों के कारर् तबजली
के तार, मोटर इं जन, तबजली के बल्व, डायनमों, रे दडयों, िरू भाष ि अन्य विद्युत उपकरर्ों में
इसका प्रयोग होता हैं ।

संर्चत भण्डार (Reserve of Copper)


यह लाल भूरे रं ग की अलौह धातु प्राचीन रिेिार एिं रूपान्तदरत चट्टानों में सल्फाइड,
क्साइड, क्लोराइड एिं काबोनेट के साथ ममक्षश्रत रूप में पाया जाता हैं । यह चांिी, वटन,
सोना आदि धातुओ ं के साथ ममक्षश्रत रूप में भी पाया जाता है ।

तांबा उत्पािन ि प्रािे र्िक वितरर् (Regional Distribution of Copper production)

झारखण्ड : तांबा संरक्षित भण्डार ि उत्पािन की दृष्टष्ट से इस राज्य का भारत में प्रथम स्थान
हैं । िे ि के कुल तांबा उत्पािन का लगभग आधा भाग यहाँ से प्राप्त होता हैं । यहां के मुख्य
तांबा उत्पािक सजलों में ससिं हभूमम, मानभूमम, हजारीबाग, लोहरडागा, कोडरमा, यगरडीह, पलामू
आदि हैं ।

राजस्थान : भारत का िस
ू रा बड़ा तांबा उत्पािक राज्य कहलाता हैं। भारत के कुल तांबा
उत्पािन का लगभग 40 प्रततित यहाँ से प्राप्त होता हैं । राज्य में तांबे के 13 करोड़ टन से
अयधक भण्डारों का अनुमान हैं । राज्य में तांबा उत्पािक मुख्य सजलों में झुन्झुन,ू अलिर,
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उियपुर, भीलिाड़ा, चुरू, झालािाड़ ि िौसा आदि है । इनमें सिाायधक झुन्झुनू सजला
महत्त्वपूर्ा हैं ।

यहां हाल ही जयपुर, िौसा ि बांसिाड़ा सजलों में भी तांबे के नये भण्डार ममले हैं ।

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अध्याय - 11
महत्वपूर्ा िन लाइनर तथ्य

1. भारतीय मानक समय 82.5० E रे खांि पर अपनाया जाता है ।


1
2. भारत का मानक समय ग्रीनविच माध्य समय से 5 घंटे आगे है ।
2
3. भारत के िक्षिर् छोर का नाम यनकोबार द्वीप में स्थस्थत इंदिरा पॉइं ट है ।
4. भारत के िक्षिर्ी छोर को इं दिरा पॉइं ट कहा जाता है ।
5. िेत्रफल की दृष्टष्ट से भारत संसार का सातिां सबसे बड़ा िे ि है ।
6. भारत का िेत्रफल, पादकस्तान से लगभग चार गुना बड़ा है।
7. भारतीय उपमहाद्वीप मूलतिः गोंडिानालैंड का एक अंग था ।
8. िक्षिर् ध्रूि प्रिे ि (अंटाकावटका)में स्थस्थत भारत के स्थायी अनुसंधान केंद्र का नाम िक्षिर्
गंगोत्री है।
9. दहमाचल प्रिे ि के दकन्नौर सजले की सीमा चीन के साथ लगती है।
10. भारत का सबसे बड़ा संघ राज्य िेत्रअंडमान और यनकोबार द्वीपसमूह है।
11. राज्यों अरूर्ाचल प्रिेि, असम और मर्र्पुर समूह के साथ नागालैंड की साझी सीमाएं
हैं।
12. भारत के राजस्थान राज्य का िेत्रफल सबसे अयधक है।
13. आन्ध्र प्रिे ि राज्य की तटरे खा सबसे लंबी है।
14. भारत की तटरे खा7500 दकमी है।
15. लिद्वीप द्वीपसमूह अरब सागर में स्थस्थत है।
16. लिद्वीप में 36 द्वीपसमूह हैं ।
17. अंडमानयनकोबार द्वीप में ‘गद्दीिार चोटी’ (सैदडल पीक)उत्तरी अंडमानमें स्थस्थत है।
18. पश्चिम बंगाल की सीमाएं तीन िे िों के साथ लगती हैं।
19. आन्ध्रप्रिे ि और तममलनाडु के तटीय भू-भाग को कोरोमंडल कहते हैं।
20. केरल के तट को मालाबार तट कहते हैं।
21. भारत की सबसे लंबी सुरंग, जिाहर टनल जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थस्थत है।
22. ‘स्माटा ससटी’ कोचीन में स्थादपत की जा रही है।
23. िीि एक द्वीप गुजरात से हट कर है।
24. “गुजरात तट से िरू सजस वििािास्पि तटीय पट्टी पर भारत और पादकस्तान बातचीत
कर रहे हैं, उसका नाम सर क्रीक है।

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25. प्रस्तावित समुद्र मागा ‘सेतुसमुद्रम’ मन्नार की खाड़ी समुद्री िीयथकाओं (Sea-lanes)
से गुजरने िाली नहर है।
26. भारत का पुडुचेरी संघ िाससत प्रिे ि ऐसा है, सजसमें चार सजले हैं, दकिंतु उसके दकसी
भी सजले की सीमा, उसके दकसी अन्य सजले की सीमा से नहीं ममलती।
27. संघ राज्य िेत्र पुडुचेरी की सीमा कनााटक के साथ नहीं लगती हैं ।
28. झीलों के अध्ययन को सलम्नोलाजी कहते हैं।
29. जोजी-ला िराा श्रीनगर और लेह को जोड़ता है।
30. कुल्लू घाटी धोलाधर और पीर पंजाल के बीच स्थस्थत है।
31. कुल्लू घाटी धोलाधर और पीर पंजाल पिातीय श्रेर्र्यों “पिात मालाओं” के बीच स्थस्थत
है।
32. दहमाचल प्रिे ि में स्थस्थत िराा र्िपदकला है।
33. माउं ट एिरे स्ट को सागरमाथा भी कहते हैं।
34. दहमालय की सबसे पूिी चोटी नमचा बरिा है।
35. गोडविन आस्टस्टन एक र्िखर है ।
36. भारत में सबसे ऊँची चोटी के-2 गोडविन आस्टस्टन है।
37. अरािली पिात दहमालयी श्रंखला का अंग नहीं है।
38. बृहत्तर (ग्रेटर) दहमालय का िस
ू रा नाम दहमादद्र है।
39. नाग तीबा और महाभारत पिात मालाएं यनम्न-दहमालय में िाममल हैं।
40. भारत में सबसे ऊँचा पठार लद्दाख पठार है।
41. प्रायद्वीप भारत में उच्चतम पिात चोटी अनाईमुडी है।
42. अनाईमुडी र्िखर सह्याद्री में स्थस्थत है।
43. पीर पंजाल पिात श्रेर्ी भारत में स्थस्थत है।
44. पंचमढ़ी पिातीय स्थल को ‘सतपुड़ा की रानी’ कहते हैं।
45. लोकटक झील, सजस पर जलविद्युत पदरयोजना का यनमाार् दकया गया था, मर्र्पुर राज्य
में स्थस्थत है।
46. ‘लोकटक’ एक झील है ।
47. लोनार झील महाराष्ट्र में स्थस्थत

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अध्याय - 12

पादरस्थस्थततकी और िन्यजीि
पादरस्थस्थततकी -

पादरन्तस्पततकी विज्ञान विज्ञान की िह िाखा है सजसके अन्तगात जीि- विज्ञान तथा भूगोल
के मौसलक ससद्धात की पारस्पदरक व्याख्या की जाती है अथाात दकसी कालखण्ड वििेष मे,
दकसी स्थान पर जीिों का उसके पयाािरर् के साथ पारस्पदरक सम्बन्धो का अध्ययन
पादरस्थस्थततकी हलाता है।

Ecology लैवटन भाषा के 2 िब्दो से ममलकर बना हुआ - OIKOS ओर LOGOS जहाँ OIKOS
से आिय है यनिास स्थान जबदक LOGOS अध्ययन िब्द को प्रतततबन्तम्बत करता है अथाात्
दकसी जीि के यनिास स्थान या आिास के अध्ययन को पादरस्थस्थततकी कहा जाता है।

इकोलॉजी िब्द के जन्मिाता राइटर महोिय है जबदक इस िब्द की सैहिान्तन्तक व्याख्या


अनैस्ट हैकल ने प्रस्तुत की थी इससलए पादरस्थस्थततक विज्ञान या जन्मिाता हैकल को ही
समझा जाता है।

Leveles of ecological study [पादरस्थस्थततक विज्ञान अध्ययन के विमभन्न स्तर]

1. जनसख्या (Population)

2. समस्ती (Cummunity)

3. पादरतन्त्र (Eco-System)

4. बायोम (जीबोम)

5. जैिमण्डल (Bio-sphere)

1. जनसंख्या:- दकसी यनश्चित कालखण्ड में स्थान वििेष पर समान प्रजातत मे पाये जाने िाले
जीिों की कुल संख्या को पदरस्थस्थततक जनसंख्या कहते है।

यहाँ प्रजातत से आिय है िह जैि-समूह सजसमे ्रूपगत , आनुिार्िक मभन्नता हो तथा


सफल लैयगिं ग एिं अलैयगिं क प्रजनन पाया जाता है। जनसंख्या पादरस्थस्थततकी के अध्ययन की
सबसे छोटी इकाई है।

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2. समुिाय- समुिाय यनधाादरत स्थान - वििेष मे जीिो का िैसा समूह है जो की एक-िस
ू रे
से प्रत्यि या अप्रत्यि रुप से अंतसाम्बम्मन्धत होते है। अथाात् समुिाय की आिश्यक िता है
की इसमे विमभन्न प्रजाततयाँ पादरस्थस्थततक उजाा के सलए एक-िस ू रे पर आक्षश्रत होती है।

3. पादरस्थस्थततक तन्त्र – पादरस्थस्थततकी तन्त्र पादरस्थस्थततकी विज्ञान के अन्तगात सूक्ष्म से लेकर


ब्रह्ि क्षक्रयात्मक इकाई है सजसमे जैविक एिं अजैविक घटको के मध्य अन्तसाम्बन्धो से उत्पन्न
उजाा प्रिाह का अध्ययन दकया जाता हैं।

पादरस्थस्थतत तन्त्र िब्द के जन्मिाता आथार टान्सले महािय हैं परन्तु इसकी सैधान्तन्तक
व्याख्या E.P. Odem महोिय ने अपनी पुस्तक Fundamental of Ecology मे की है इससलए
Father of Ecosystem Odem महोिय को कहा जाता हैं।

Types of Eco-system - क्षक्रयात्मकता के आधार पर पादरतन्त्र 2 प्रकार के होते हैं-

1. प्राकृततक पादरतन्त्र 2. क्रतत्रम पादरतन्त्र

1. प्राकृततक पादरतन्त्र- पादरतन्त्र का िह अंग हैं सजसमें मानिीय हस्तािेप नहीं होता इसके
2 महत्वपूर्ा अंग हैं-

(अ) स्थसलय पादरतन्त्र, घासभूमम पादरतन्त्र, मरूभूमम पादरतन्त्र etc.

(ब) जलीय पादरतन्त्र- जलीय पादरतन्त्र ्भाितिः 2 प्रकार का होता हैं-

(1) प्रिाही जल का पादरतन्त्र

(2) स्थायी जल का पादरतन्त्र

स्थायी जल का पादरतन्त्र विमभन्न प्राक्रततक पादरतन्त्र में सिाायधक स्थस्थर पाया जाता हैं। सागदरय
पादरतन्त्र जलीय पादरतन्त्रों में सिाायधक स्थस्थर हैं।

2 क्रतत्रम पादरतन्त्र- पादरतन्त्र का िह अंग जोदक मानि द्वारा अपनी आिश्यकताओं के


अयनरूप यनममि त दकया जाता है उसे क्रतत्रम पादरतन्त्र कहते हैं जैसे - कृवष भूमम का पादरतन्त्र।

पादरतन्त्र के घटक- क्षक्रयात्मक पादरतन्त्र मे मुख्य रूप से 2 प्रकार के घटक पाये जाते हैं
जादक एक-िस ू रे से ऊजाा प्रिाह द्वारा जूडे होते हैं।

(1) अजैविक घटक- पादरतन्त्र के अजैविक घटक तीन िगो में विभक्त दकये जा सकते हैं -

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(1) काबायनक घटक- काबायनक घटकों का यनमाार् पादरतन्त्र में विमभन्न जैि- रासाययनक
प्रदकृयाओं द्वारा होता हैं इससलए इन्हे रासाययनक घटको के नाम से भी जानते हैं जैसे-
काबोहाइड्रेटस, प्रोवटन, िसा आदि।

(2) भौततक घटक- इन्हे जलिायुविक घटाकों की भी श्रेर्ी में रखते हैंजैसे तापमान, आद्रता,
िायुमण्डसलय िाब, पिन पदरसंचरर् आदि के साथ-साथ उँ चाई।

(3) खयनज घटक- अजैविक घटकों में पादरतन्त्र में खयनजों का महत्वपूर्ा योगिान हैं जोदक
विमभन्न पोषर् स्तरों में चक्रीय प्रिाह के रूप में प्राप्त होते हैं। जैसे- कैल्ल्ियम, सोदडयम,
पोटे र्ियम, P, fe, Cu, O 2 आदि।

(2) जैविक ्पोवष- िह जैि समुिाय जोदक भौततक तत्वों से अपने सलए ्यं भोज्य ऊजाा
उत्पन्न करता हैंउन्हे ्पोवष कहा जाता हैं। इनके 2 महत्वपूर्ा िगा हैं-

1. प्राकाि संश्लेषीत जीि- जोदक सूया से प्राप्त उजाा द्वारा अपना भोजन यनममि त करता हैं
इसके अन्तगात मुख्य रूप से पािप समूह आते हैं।

2. रासाययनक संश्लेषीत जीि- िह सूक्ष्म जीि जोदक सूया प्रकाि की अनुपस्थस्थतत में जैि-
रासाययनक प्रक्षक्रया द्वारा

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िन्य जीि एिं जैि विविधता -

जैि विविधता िब्द पहली बार 1986 में रोसेन महोिय ने Forum of Bio-Divercity में दिया
था परन्तु इसकी संकल्पनात्मक व्याख्या 0. तबल्सन महोिय द्वारा प्रस्तुत की गई थी।

जैि-विविधता से आिय है विश्व मे पायी जाने िाली कुल प्रजाततयों की मात्रा या जीिन की
विविधता को ही जैि-विविधता कहा जाता हैं। प्रजाततयों की प्रचुरता दकसी भी पादरतन्त्र के
सन्तुलन में महत्वपूर्ा भूममका अिा करती हैं। इसी आधार पर जैि-विविधता के कुल तीन
प्रकार माने जाते हैं-

(1) पादरतन्त्र विविधता- दकसी एक बायोम प्रिे ि या जैि-मण्डलीय िेत्र में पाये जाने िाले
कुल पादरतन्त्र की प्रचुरता ही पादरतन्त्र विविधता कहलाती हैं जैसे- विषुितीय िषाा िन प्रिाल
मभसत्तयाँ तथा मैंग्रोि िनों में पादरतन्त्र की विविधता उच्च पायी जाती हैं।

(2) प्रजातत विविधता- दकसी एक विर्िष्ट पादरतन्त्र में पाये जाने िाले कुल प्रजाततयों की
संख्या ही प्रजातत विविधता कहलाती हैं। चूँदक पादरतन्त्र के प्रत्येक जैविक घटक एक-िस
ू रे से
खाद्य उजाा के रूप में अन्तासम्बयधिं त रहते हैं इससलए सजस पादरतन्त्र में प्रजातत विविधता उच्च
पायी जाती हैं िह अयधक स्थायी माना जाता हैं।

(3) अनुिांर्िक विविधता- दकसी एक प्रजातत वििेष में पायी जाने िाली कुल अनुिांर्िक
प्रचुरता संख्या को अनुिांर्िक विविधता कहते हैं जैसे छत्तीसगढ बेससन में चािल की
सिाायधक अनुिांर्िक विविधता पायी जाने के कारर्

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भारत में िन और िन्य जीिन का संरिर् -

प्राकृततक आिास में रहने िाले जीि-जंतुओ ं को िन्य जीिन के रूप में जाना जाता है। िनों
और िन्य जीिन में तीव्र गतत से हो रहे ह्रास के कारर् इनका संरिर् आिश्यक हो गया है।

पेड़-पौधों और िन्य जीिन के संरिर् के प्रमुख उद्दे श्य:-

 पेड़-पौधों एिं िन्यजीिों के प्राकृततक आिास की सुरिा।


 सुरक्षित िेत्रों में जीिों का उर्चत रख-रखाि।
 पेड़-पौधों एिं िन्यजीिों के सलए जैि मंडल दरजिा के स्थापना करना।
 विश्व के सजयो में अनुिांर्िकी पिाथा की ितामान श्रृंखला को बनाए रखना।
 अयधयनयमों एिं कानून लाकर िन्य जीिों एिं पेड़-पौधों की रिा करना।

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