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भाग 1 भूगोल भारत विश्व करंट अफेयर्स min
भाग 1 भूगोल भारत विश्व करंट अफेयर्स min
ly/rsmssb-vdo-notes 1
1. समय - सामाययक विषय -
1. सामान्य पदरचय
2. भौततक विभाजन
3. नदियाँ एिं झीलें
4. जलिायु
5. कृवष एिं पिुपालन
6. मृिा / ममट्टी
7. प्राकृततक िनस्पततयाँ
राज्य पदरदृश्य
असम
असम के मुख्यमन्त्री दहमन्त तब्ा सरमा ने 6 जून, 2021 को जानकारी िी दक, कोकराझार
सजले में रायमोना आरक्षित िन को असम के छठे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड दकया
गया है।
यह िन िेत्र भूटान की सीमा के पार बोडोलैण्ड प्रािे र्िक िेत्र (BTR) के अन्तगात आता है।
असम में पाँच राष्ट्रीय उद्यान हैं – काजीरं गा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, नामेरी
छत्तीसगढ़
में स्थायी उत्पािन प्रर्ाली विकससत करना है , जो राज्य के िरू िराज के िेत्रों में आदििासी
बोडा के पास एक िासी यनकाय होगा, सजसकी अध्यिता र्ििा मन्त्री करें गे और इसमें एक
करे गा। िोनों यनकायों में पेिेिर उद्योगों, र्ििा िेत्र, सरकारी और यनजी स्कूलों के प्राचायों
औरनौकरिाहों के वििेषज्ञ होंगे।
पश्चिम बंगाल पदरिहन यनगम ने 26 जनिरी, 2021 को हेदरटे ज बुक स्टोर के सहयोग से
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /
केन्द्रीय र्ििा मन्त्री रमेि पोखदरयाल “यनिंक'ने 23 माचा, 2021 को नई दिल्ली में
िहीिभगत ससिं ह स्मारक का उद्घाटन दकया।िहीि भगत ससिं ह, सुखिे ि और र्ििरामराजगुरु
की िहाित के 90 िषों को श्रद्धांजसलिे ने के सलए िहीि दििस' पर दिल्लीविश्वविद्यालय द्वारा
आयोसजत एक कायाक्रम केअिसर पर उद्घाटन हुआ। भगत ससिं ह स्मारकमें ्तन्त्रता
सेनायनयों पर दकताबों के मौजूिासंग्रह को “िहीि स्मृतत पुस्तकला' में पदरिततितकरने की
घोषर्ा की गई है।
प्रधानमन्त्री नरे न्द्र मोिी ने विश्व जल दििस के अिसर पर 22 माचा, 2021 को जल संरिर्
के सलए “जल िक्तक्त अमभयान: कैच ि रे न' की िुरुआत की। “कैच ि रे न' अमभयान िेि
भर में 22 माचा से 30 निम्बर तक (मानसून पूिा और मानसून अियध) लागू दकया जाएगा।
यूरोपीय िे ि इटली ने 17 माचा 2021 को भारत के साथ अंतरााष्टीय सौर गठबंधन के संिोयधत
फ्रेमिका समझोता पर हस्तािर दकए / isa फ्रेम िका समझोता के संिोधन संयुक्त राष्ट्र के
सभी सिस्यों को isa समूह में िाममल होने की अनुमतत िे ते है/
एक्सप्रेस कागों टममि नल िुरू दकया गया, जो वििेष रूप से अन्तरााष्ट्रीय कोदरयर के यनयाात
और आयात के सलए है। बंगलौर इण्टरनेिनल एयरपोटा सलममटे ड (bial द्वारा 2 लाख िगा
फीट पर विकससत यह तबल्ट-टू -सूट फैसससलटी DHL, एक्सप्रेस और फेडएक्स एक्सप्रेस जैसे
िैष्टश्वक एक्सप्रेस कोदरयर संगठनों का नेतृत्व करे ग
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यनततन गडकरी ने 10 माचा, 2021 को आंध्र प्रिे ि के
वििाखापट्टनम और मध्यप्रिे ि के भोपाल में िो प्रौद्योयगकी केन्द्रों का उद्घाटन दकया।
प्रधानमन्त्री नरे न्द्र मोिी ने 9 माचा, 2021 एक िीदडयो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से भारत और
बांग्लािे ि के बीच और वििेष रूप से भारत के उत्तर-पूिी िेत्र के साथ सम्पका को मज़बूत
करने के सलए िोनों िेिों के बीच मैत्री सेतु पुल का उद्घाटन दकया। 7.9 दकमी लम्बा यह
मैत्री' सेतु तब्रज फेनी निी पर बनाया
अंतरााष्ट्रीय पदरदृश्य
स्ट्रेसलया -
स्ट्रेसलया में विश्व की पहली प्लैवटपस सैंक्चअ
ु री का यनमाार्
इटली -
यूरोपीय सेंरल बैंक के पूिा प्रमुख मादरयो ड्राघी ने 12 फरिरी 2021 को इटली के नए प्रधानमंत्री
के रूप में िपथ ली /
ियु नया का सबसे बड़ा तैरता हुआ सोलर फामा बना रहा है। यह 60 मेगािाट-पीक फ्लोवटिंग
सोलर ससस्टम
ससिं गापुर पब्लिक यूवटसलटीज बोडा' के सहयोग से सेम्बकॉपा इण्डस्ट्रीज द्वारा तांगेह जलािय
में बनाया जा रहा है। एक बार पूरा हो जाने के बाि, 122000 पैनल िाला सौर फामा िक्षिर्-
पूिा एर्िया में सबसे बड़े िेत्र में से एक होगा, जो 45 फुटबॉल दपचों के आकार को किर
करे गा।
एस्टोयनया -
काजा कालास बनी एस्टोयनया कीपहली मदहला प्रधानमन्त्रीदरफॉमा पाटी (रीन्यू यूरोप) की
काजा कालास24 जनिरी, 2021 को एस्टोयनया की पहलीमदहला प्रधानमन्त्री बन
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /
माचा
1. भरतपुर की नीततिा अग्रिाल (9 िषा) नॉनस्टॉप डांस में एर्िया बुक फ दरकॉडा में
नाम िजा कराने िाली भारत की पहली बच्ची बनी है। उन्होंने एर्िया बुक फ दरकॉडा
में ग्रांड मास्टर का टाइटल प्राप्त दकया।
2. 1 माचा को राज्य कोविड-19 टीकाकरर् कोविन 2.0 िुरू हो गया।
इस चरर् में 60 िषा से अयधक और 45 से 60 िषा के बीच की आयु िाले गंभीर बीमारी के
र्िकार लोगों को टीका लगाया जा रहा है।
जल िक्तक्त मंत्रालय के पेयजल और ्च्छता विभाग ने ्च्छ मिहूर स्थलों के चौथे चरर्
के तहत िे ि के 12 स्थानों को चुना है। इनमें राजस्थान के कुंभलगढ़, जैसलमेर दकला और
रामिे िरा को चुना गया है।
4. मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने 24 फरिरी को बजट में अनाथ, उपेक्षित बच्चों के पुनिाास
के सलए गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर संचालन की योजना रखी।
यह योजना पूरे 33 सजलों में िुरू की जाएं ।
5. पाली के जैतारर् तहसील के खेड़ा रामगढ़ गांि की मोयनका पटे ल का इं दडया की िनडे
और टी-20 टीम में चयन हुआ है।
6. ड्राइवििं ग लाइसेंस पर गान डोनेिन की इच्छा अंदकत करने िाला राजस्थान िे ि का
पहला राज्य है।
7. राजस्थान में 5 अगस्त 2011 को फूड सेफ्टी एक्ट लागू हुआ। लागू होने के 10 साल में
एक भी ममलािटखोर को सजा नहीं ममली है।
मौजूिा प्रािधान में ममलािवटओं को जमानत पर छोड़ने की व्यिस्था है।
हाल ही मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने ममलािट और नकली ििाओं पर रोक लगाने
के सलए क्षक्रममनल लॉ (राजस्थान संिोधन) एक्ट 2021 को विधानसभा में पेि दकया
है।
राष्ट्रपतत से मंजूरी ममलने के बाि यह कानून लागू हो जाएगा।
जून
(1) डॉ रमेि गाँधी तम्बाकू यनयंत्रर् के सलए "दरसचा एक्सीलेंस अिाडा 2021 से सम्मायनत।
डॉ रमेि गाँधी को तम्बाकू यनयंत्रर् के सलए दरसचा एक्सीलेंस आिडा 2021 ममला है। हाल ही
में भारत में तम्बाकू यनयंत्रर् मॉडल विकससत करने के सलए राजस्थान के डॉ रमेि गाँधी को
दरसचा एक्सीलेंस अिाडा 2021 दिया गया है। डॉ रमेि गाँधी राजस्थान में गाँधी फाउं डेिन के
अध्यि है।
राजस्थान के भीलिाड़ा के बनेसा राजघराने के राजायधराज ि पूिा संसि हरें द्र ससिं ह बनेड़ा का
75 िषा की आयु में कोरोना से यनधन हो गया है। हरें द्र ससिं ह ने 25 िषा की आयु में भीलिाड़ा
(3) राजस्थान राज्य तम्बाकू और पान मसाला पर बैन लगाने िाला भारत का तीसरा राज्य।
31 माचा 2021 को राजस्थान में विश्व तम्बाकू यनयंत्रर् दििस मनाया गया है। इस दििस के
अिसर पर मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने नलाइन कायाक्रम आयोसजत दकया है। राजस्थान
िषा 2019 में गांधी जयंती पर तम्बाकू और पान मसाला पर रोक
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
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करें गे , धन्यिाि /
अगस्त
(1) मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने 1 अगस्त को 'घर-घर औषयध योजना' एिं 72िें िन
महोत्सि का िुभारम्भ दकया।
(3)आईआईटी जोधपुर में राजस्थान का पहला डू सेन मस्कुलर दडस्ट्रॉफी सेंटर स्थादपत
दकया गया है।
(4)कन्या भ्रूर् हत्या रोकने के सलए मुखतबर योजना के तहत प्रोत्साहन रार्ि ढाई लाख
रूपये से तीन लाख रुपए बढा िी गई है।
(5)र्चदकत्सा मंत्री रघु िमाा ने अली कैंसर दडटे क्शन िैन का िुभारं भ दकया है। इस िैन
द्वारा कैंसर से संबंयधत महत्वपूर्ा जांचें मौके पर ही की
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
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लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
मुख्यमंत्री अिोक गहलोत ने ओलंदपक, एर्ियाई तथा राष्ट्रमंडल जैसे अंतरााष्ट्रीय खेलों
में पिक जीतने पर प्रिेि के ष्टखलादड़यों को िी जाने िाली इनामी रार्ि में 3 से 4 गुना
तक बढ़ोतरी करने का फैसला दकया है।
राजस्थान में 18 जनिरी 2021 से बाल आयोग आपके द्वार अमभयान िुरू दकया जाएगा।
इस अमभयान की िुरुआत अलिर सजले से
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
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लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
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● स्थल मंडल पृथ्वी की िह परत है, जो िैलीय पिाथों द्वारा यनममि तहै और महाद्वीपों तथा
महासागरों की द्रोदहयों (अधस्थल ) तक विस्तृत है।
● स्थलमंडल की औसत मोटाई लगभग 100 दकलोमीटर है।
● स्थलमंडल, सससलका तथा एलुममयनयम िैलो से समृद्ध ससयाल नामक परत से बना होता
है,जो महाद्वीपो पर पाए जाते हैं।
● महासागरीय अधस्थल में पाए जाने िाले िैल मुखत्या सससलका और मैग्नीर्ियम युक्त
होते हैं , सजन्हें सीमा कहा जाता है।
● स्थल मंडल िह मंडल है, जो हमें रहने के सलए भूमम तथा पौधों के सलए मृिा प्रिान करता
है और खयनज संपत्ती का स्त्रोत है।
चट्टान Rock
● पृथ्वी की क्रस्ट में ममलने िाले पिाथा चाहे िह ग्रेनाइट तथा बालूका पत्थर की भांतत कठोर
प्रकृतत के हो या र्चका (Clay ) या रे त की भांतत कोमल चाक (Chalk ) एिं लाइमस्टोन
की भांतत प्रिेस्य हो या स्लेट की भांतत अप्रिेश्य चट्टान कहे जाते हैं।
● प्रत्येक चट्टान की संरचना एक से अयधक प्रकार के खयनजों का संयोग होता है।
पृथ्वी की क्रस्ट में 100 से अयधक तत्व पाए जाते हैं, दकिंतु उसके अलािा 98.8% भाग की
संरचना में 8 तत्वों ( क्सीजन -46.80%, सससलकॉन -27-72% एलुममयनयम- 8-13%
लोहा- 5.00%, कैल्ल्ियम - 3.63% सोदडयम- 2.83%, पोटे र्ियम - 2.59%, तथा
मैग्नीर्ियम -2.09%=98.79%) का ही प्रमुख योगिान रहता है, 1.2% भाग में ही अन्य तत्व
सम्मम्मसलत होते हैं। इसके अलािा पृथ्वी की क्रस्ट में
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जलसंयध वििेषताएं
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के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
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नाम वििेषताएँ
(मससफ)
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इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
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● ऐसा उच्च प्रिे ि सजसमें विमभन्न काल विमभन्न रीततयों से बनी पिातमालाएँ विघिान हो,
पिात -समूह ( Cordillera ) कहलाता है; जैसे -तब्रवटि कोलंतबया का कॉदडि लेरा।
● जब एक ही प्रकार और एक ही आयु के कई पिात लंबी एिं िंकरी पट्टी में फैले होते हैं, तो
उसे पिात- श्रेर्ी (Mountain Range )कहा जाता है ; जैसे - दहमालय पिात- श्रेर्ी।
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
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स्टस्टन)
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पृथ्वी के लगभग 70.8% भाग पर जलमण्डल का विस्तार है। उत्तरी गोलाद्धा के लगभग 40%
तथा िक्षिर्ी गोलाद्धा के 81% भाग पर जलमण्डल का विस्तार है।
जलमण्डल के अंतगात प्रमुख रूप से चार महासागर हैं --प्रिांत महासागर, अटलांवटक
महासागर, दहन्द महासागर, आकावटक महासागर ।
प्रिांत महासागर -
यह पृथ्वी का सबसे बड़ा एिं गहरा महासागर है , जो लगभग 1,65,246,200 िगा दकमी िेत्र
में फैला हुआ है।
प्रिांत महासागर की आकृतत लगभग तत्रभुजाकार है , सजसका िीषा उत्तर में बेदरिं ग के मुहाने
पर है।
प्रिांत महासागर के पश्चिम में एर्िया तथा स्ट्रेसलया महाद्वीप, पूिा में उत्तरी तथा िक्षिर्ी
अमेदरका और िक्षिर् में अंटाकावटका महाद्वीप है।
प्रिांत महासागर के बेससन के अयधकांि भागों की गहराई लगभग 7,300 मीटर तक है।
8. जलमण्डल
प्रिांत महासागर में 20,000 से भी अयधक द्वीप हैं। प्रिांत महासागर का उत्तरी भाग सबसे
अयधक गहरा है सजसकी औसत गहराई 5,000 से 6,000 मीटर है।
प्रिांत महासागर में ममिं डनाओ गता की गहराई 10,000 मीटर से भी अयधक है। अटाकामा
तथा टोंगा गता क्रमि: लगभग 8,000 और 9,000 मीटर गहरे हैं। अल्युर्ियन, क्युराइल,
जापान तथा बेयनन महत्त्वपूर्ा गता हैं सजनकी गहराइयाँ 7,000 से 10,000 मीटर तक हैं।
अटलांवटक महासागर
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 26
अटलांवटक महासागर आकार में प्रिांत महासागर के लगभग आधा है। यहसम्पूर्ा संसार
के लगभग छठे भाग में विस्तृत है।
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
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1. महासागर Oceans
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
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संपका करें - 8233195718
अध्याय – 1
सामान्य पदरचय
वप्रय छात्रों , भूगोल इसके अन्तगात पृथ्वी और उस पर दिखाई िे ने िाली सभी बातों या
तथ्यों का अध्ययन दकया जाता है।
ितामान समय में भूगोल को अनेक प्रकार से विभासजत करने का प्रयास दकया गया हैऔर
इन्ही प्रकारों में से एक प्रकार है भौततक भूगोल।
भौततक भूगोल के अन्तगात सामान्यतिः पृथ्वी से संबंयधत स्थल मण्डल (Lithosphere), जल
मण्डल (Hydrosphere), िायु मण्डल (Atmosphere) तथा पयाािरर् भूगोल
(Environmental Geography) का क्रमबद्ध अध्ययन तथा इनके मध्य पारस्पदरक
क्षक्रयाओं अध्ययन दकया जाता है।
भारत एर्िया महाद्वीप का एक िे ि है, जो एर्िया के िक्षिर्ी भाग में दहन्द महासागर के
िीषा पर तीन ओर समुद्रों से यघरा हुआ है। पूरा भारत उत्तरी गोलाद्धा में पड़ता है।
भारत का अिांिीय विस्तार 8°4' उत्तरी अिांि से 37°6'उत्तरी अिांि तक है।
भारत का िे िान्तर विस्तार 68°7' पूिी िे िान्तर से 97025’ पूिी िे िान्तर तक है।
भारत का िेत्रफल 32,87,263 िगा दकमी. है।
िेत्रफल की दृष्टष्ट से संसार में भारत का सातिा स्थान है। यह रूस के िेत्रफल का लगभग
1/5,संयुक्त राज्य अमेदरका के िेत्रफल का 1/3 तथा स्ट्रेसलया के िेत्रफल का 2/5 हैं।
जनसंख्या की दृष्टष्ट से संसार में भारत का चीन के बाि िस
ू रा स्थान है।
विश्व का 2.4% भूमम भारत के पास है जबदक विश्व की लगभग 17.5% जनसंख्या भारत में
रहती है।
भारत के उत्तर में नेपाल, भूटान ि चीन, िक्षिर् में श्रीलंका एिं दहन्द महासागर, पूिा में
बांग्लािे ि, म्ांमार एिं बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में पादकस्तान एिं अरब सागर है।
मुख्य तबन्दु
कका रे खा (Tropic of Cancer) भारत के बीचो -बीच से गुजरती है।
भारत को पाँच प्राकृततक भागों में बाँटा जा सकता है ।
उत्तर का पिातीय प्रिे ि
उत्तर का वििाल मैिान
िक्षिर् का प्रायद्वीपीय पठार
समुद्र तटीय मैिान
थार मरुस्थल
भारत का मानक समय (Indian Standard Time) इलाहाबाि के पास नैनी से
● तरक ⇒ ममत्र अतरा मुझसे कहता है मैं अपने छ बागों में पकी आम उगाउँ ,
► तरक का वििलेषर्
፠ मम ⇒ ममज़ोरम,
፠ त्र ⇒ तत्रपुरा,
፠अ ⇒ असम,
፠त ⇒ तममलनाडु ,
፠ रा ⇒ राजस्थान,
፠ मु ⇒ मर्र्पुर,
፠झ ⇒ झारखण्ड,
፠ से ⇒ ससन्तक्कम,
፠क ⇒ केरल,
፠ह ⇒ हदरयार्ा,
፠ ता ⇒ तेलंगाना,
፠ है ⇒ दहमाचल प्रिे ि,
፠ मैं ⇒ मेघालय,
፠अ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,
፠प ⇒ पश्चिम बंगाल,
፠ ने ⇒ नागालैण्ड,
፠छ ⇒ छत्तीसगढ़,
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 33
፠ बा ⇒ तबहार,
፠ गों ⇒ गोिा,
፠आ ⇒ आंध्र प्रिे ि,
፠म ⇒ महाराष्ट्र,
፠प ⇒ पंजाब,
፠ की ⇒ कनााटक,
፠ गा ⇒ गुजरात,
፠ उँ ⇒ उत्तराखण्ड,
► तरक का वििलेषर्
፠च ⇒ चंडीगड,
፠ज ⇒ जम्मू और कश्मीर,
፠ ला ⇒ लद्दाख,
፠ दिल ⇒ दिल्ली,
፠प ⇒ पांदडचेरी,
भारत के 7 sister state
► तरक का वििलेषर्
፠A ⇒ असम,
፠T ⇒ तत्रपुरा,
፠M ⇒ मेघालय,
፠आ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,
፠ ना ⇒ नागालैंड,
፠म ⇒ मर्ीपुर,
፠ मी ⇒ ममजोरम,
भारत की स्थल सीमा पर पड़ोसी िे ि
► तरक का वििलेषर्
፠ब ⇒ बंग्लािे ि (4,096KM),
፠च ⇒ चीन (3,917KM),
፠न ⇒ नेपाल (1,752KM),
፠ मेँ ⇒ silent,
፠M ⇒ म्ांमार (1,458KM),
፠B ⇒ भूटान (587KM),
፠A ⇒ अफगायनस्तान (80KM),
፠ दकया ⇒ Silent,
भारत की स्थल सीमा पर पड़ोसी िे ि
► तरक का वििलेषर्
፠ब ⇒ बंग्लािे ि (4,096KM),
፠च ⇒ चीन (3,917KM),
፠प ⇒ पादकस्तान (3,310KM),
፠न ⇒ नेपाल (1,752KM),
፠ मेँ ⇒ silent,
፠M ⇒ म्ांमार (1,458KM),
፠B ⇒ भूटान (587KM),
፠A ⇒ अफगायनस्तान (80KM),
፠ दकया ⇒ Silent,
भारत के समुद्री ससमा िाले राज्य
► तरक का वििलेषर्
፠K ⇒ Karnatak,
፠G ⇒ Gujarata,
፠G ⇒ Goa,
፠ का ⇒ Silent,
፠A ⇒ Andhra pradesh,
፠T ⇒ Tamilnadu,
፠M ⇒ Maharashtra,
፠O ⇒ Odisaa,
፠P ⇒ Paschim Bengal,
፠ में ⇒ Silent,
፠ है ⇒ Silent,
भारत की तटीय रे खा
► तरक का वििलेषर्
● तरक ⇒ BOAT,
या
ताऊ आप,
፠O ⇒ Odisha (उङीसा),
፠ ता ⇒ तममलनाडु ,
፠ऊ ⇒ उङीसा,
፠आ ⇒ आन्ध्र प्रिे ि,
፠प ⇒ पश्चिम बंगाल,
भारत के पश्चिम तटीय राज्य
► तरक का वििलेषर्
፠म ⇒ महाराष्ट्र,
፠ गो ⇒ गोआ,
፠ गु ⇒ गुजरात,
፠ के ⇒ केरल,
፠क ⇒ कनााटक,
अफगायनस्तान से सटे भारत के पड़ोसी राज्य
► तरक का वििलेषर्
● तरक ⇒ SAAB,
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► तरक का वििलेषर्
፠S ⇒ ससन्तक्कम ( 32 दकमी०),
► तरक का वििलेषर्
፠म ⇒ मर्ीपुर,
፠ मी ⇒ ममजोरम,
፠आ ⇒ अरुर्ाचल प्रिे ि,
፠ ना ⇒ नागालैंड,
या
नदियाँ
अपिाह तंत्र से तात्पया दकसी िेत्र की जल प्रिाह प्रर्ाली से हैं अथाात् दकसी िेत्र के जल को
कौन सी नदियॉं बहाकर ले जाती हैं ।
भारत के अपिाह तंत्र का यनयंत्रर् मुख्यतिः भौगोसलक ्रूप के द्वारा होता हैं ।
यिादप इस विभाजन योजना में चंबल, बेतिा, सोन आदि नदियों के िगीकरर् में समस्या
उत्पन्न होती हं । क्योंदक उत्पसत्त ि आयु में ये दहमालय से यनकलने िाली नदियों से पुरानी हैं
। दफर भी यह अपिाह तंत्र के िगीकरर् का सिामान्य आधार हैं ।
उत्तर भारत के अपिाह तंत्र में दहमालय का अयधक महत्त्व हैं । ये नदियॉं तीव्र गतत से अपनी
घावटयों को गहरा कर रही हैं । उत्तरी भारत की नदियॉं अपरिन से प्राप्त ममट्टी को बहाकर ले
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जाती हैं तथा मैिानी भागों में जल प्रिाह की गतत मंि पड़ने पर मैिानों और समुद्रों में जमा
कर िे ती हैं । इन्ही नदियों द्वारा लायी गई ममट्टी से उत्तर भारत के वििाल मैिान का यनमाार्
हुआ है।
इस िेत्र की नदियॉं बारहमासी Prennial हैं क्योंदक ये िषार् एिं बफा दपघलने िोनों क्षक्रयाओं
से जल प्राप्त करती हैं । ये नदियॉं गहरे महाखड़ोंड़ों से गुजरती हैं । जो दहमालय के उत्थान के
साथ-साथ होने िाली अपरिन क्षक्रया द्वारा यनममि त हैं ।
इं ड़ो ब्रह्रा निी:- भू-िैज्ञायनक मानते है। दक, मायोसीन कल्प में लगभग 2.4 करोड़ से 50
लाखों िषा पहले एक वििाल निी थी । सजसे र्ििासलक या इं ड़ो - ब्रह्राा निी कहा गया हैं ।
3.पूिा में ब्रह्मपुत्र का भाग ि दहमालय से यनकलने िाली इसकी सहायक नदियॉं
तीन पूिी नदियों - व्यास, रािी, सतलज का यनयंत्रर् भारत तथा 3 पश्चिमी नदियों ससन्धु,
झेलम, चेनाब का यनयंत्रर् पादकस्तान को दिया गया -
यह विश्व की सबसे बड़ी निी श्रेर्र्यों में से एक हैं, सजसका िेत्रफल 11 लाख, 65 हजार िगा
km हैं । भारत में इसका िेत्रफल 3,21,289 िगा दकमी हैं ।
ससन्धु निी की कुल लंबाई 2,880 दकमी. है। परं तु भारत में इसकी ल. केिल 1,114 km
हैं । भारत में यह दहमालय की नदियें में सबसे पश्चिम निी हैं ।
ससन्धु निी का उद्गम ततब्बती िेत्र में कैलाि पिात श्रेर्ी ( मानसरोिर झील ) में
बोखर-चू के यनकट एक दहमनि से होता हैं, जो 4,164 मीटर उँ चाई पर स्थस्थत हैं ।
ततब्बत में इसे िेर मुख कहते हैं ।
सतलज निी -
यह ससन्धु की एक अन्य महत्त्वपूर्ा सहायक निी हैं । रोहतांग िरे के यनकट व्यास कुंड़
से यनकलती हैं ।
यह निी कुल्ली घाटी से गुजरती हैं । तथा धौलाधर श्रेर्ी में काटी और लारजी में महाखड़ोंड़
का यनमाार्
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /
मृिा के प्रकार
मृिा िब्द की उत्पतत लैवटन भाषा के िब्द ‘‘सोलम’’ से हुई, सजसका अथा हैं - फिा ।
मूल चट्टानों, जलिायु, भूममगत उच्चािच, जीिों के व्यिहार तथा समय से मृिा अपने मूल
्रूप में आती हैं अथिा प्रभावित होती हैं ।
मृिा में सबसे अयधक मात्रा में क्वाटा ज खयनज पाया जाता हैं ।
ऐपेटाइट नामक खयनज से मृिा को सबसे अयधक मात्रा में फास्फोरस प्राप्त होता हैं ।
जलिायु ममट्टी में लिर्ीकरर्, िारीयकरर्, कैल्सीकरर्, पाइजोलीकरर् में सबसे महत्त्वपूर्ा
कारक हैं ।
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मृिा को जीिीत तंत्र की उपमा प्रिान की गई हैं ।
1.जलोढ़ ममट्टी –
यह भारत में लगभग 15 लाख िगा दक.मी. (43.4%) िेत्र पर विस्तृत हैं ।
इस मृिा का यनमाार् नदियों द्वारा लाए गए तलछट के यनिेपर् से हुआ है / इस प्रकार यह
एक अिेत्रीय मृिा है
इस मृिा के िो प्रमुख िेत्र है –
1.तराई मृिा
इस मृिा में महीन कंकड़, रे त, र्चकनी मृिा, छोटे – छोटे पत्थर आदि पाएँ जाते है
इस मृिा में चट्टानी कर्ों के होने से जल ग्रहर् की िमता अयधक होती है
इस मृिा में चूने की मात्रा अयधक होती हैं
यह गन्ने की कृवष के सलए उपयुक्त होता है
2.बांगर मृिा
यह पुरानी जलोढ़ मृिा है यह मृिा सतलज एिं गंगा के मैिान के उपरी भाग तथा नदियों
के मध्यिती भाग में पाई जाती है
यहाँ बाढ़ का पानी नही पहुचं पाता है
इस मृिा में चीका एिं बालू की मात्रा लगभग बराबर होता है
यह मृिा रबी के फसल के सलए उपयुक्त होता है
3.खािर मृिा
2.लाल-पीली ममट्टी –
यह ममट्टी आंर्िक रूप से अम्लीय प्रकार ही होती हैं । इसमें लोहा, एल्युममयनयम तथा चूने
का अंि कम होता हैं तथा जीिांि, नाइरोजन तथा फास्फोरस की कमी पाई जाती
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे जो आपको ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक)
के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को ममलेगा / यदि आपको हमारे नोट्स के सैंपल अच्छे
लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीिने के सलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें , हमें पूर्ा विश्वास
है दक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अयधकारी (ग्राम सेिक) की परीिा में पूर्ा संभि मिि
करें गे , धन्यिाि /
5. केरल मेखला : केरल राज्य में विस्तृत इस मेखला में इल्मेनाइट, सजरकन, मोनोजाइट
आदि अर्ुिक्तक्त के खयनज, र्चकनी ममट्टी, गानेट आदि बहुलता से पाये जाते है।
मैग्नट
े ाइट : यह सिोच्च दकस्म का लौह अयस्क होता है , सजसमें िुद्ध धातु का अंि 72
प्रततित तक होता है । इसका रं ग काला होता है । इसमें चुम्बकीय लोहे के क्साइड होते
हैं । मैग्नेटाइट अयस्क के भण्डार कनााटक, आन्ध्रप्रिे ि, तममलनाडु , गोिा, झारखण्ड आदि
राज्यों में पाये जाते हैं । 2. हेमेटाइट : यह लाल या भूरे रं ग का होता है । इसमें िुद्ध धातु की
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मात्रा 60-70 प्रततित तक होती है । यह मुख्यत: झारखण्ड, मध्यप्रिे ि, उड़ीसा, महाराष्ट्र,
कनााटक ि गोिा राज्यों में ममलता है। 3. सलमोनाइट : इसका रं ग पीला या हल्का भूरा होता
है । इसमें 40 से 60 प्रततित तक िुद्ध धातु का अंि होता है । पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड,
दहमाचल प्रिे ि आदि राज्यों में इस दकस्म का लौहा पाया जाता है ।। 4. ससडेराइट ; इस
दकस्म के लौहे का रं ग हल्का भूरा होता है । इसमें धातु का अंि 40 से 48 प्रततित तक होता
है तथा अिुर्द्धयां अयधक होती है ।
कनााटक :
यह राज्य भारत के लौह अयस्क उत्पािक राज्यों में अग्रर्ीय राज्य हैं । जो िे ि के कुल लौह
अयस्क का लगभग एक चौथाई भाग उत्पन्न करता है ।
उड़ीसा :
यहाँ िे ि का लगभग 22 प्रततित लौह अयस्क प्राप्त होता हैं । यहाँ लौह अयस्क उत्पािन
की दृष्टष्ट से मयूरभंज सजले में गोरुमा दहसानी बािाम पहाड़, सुलेपट मुख्य हैं जहां लौहांि की
मात्रा 60 प्रततित से अयधक हैं ।
यह राज्य िे ि के कुल लौह अयस्क का लगभग 20 प्रततित उत्पािन करता हैं । यहाँ उत्तम
दकस्म का मैग्नेटाइट ि हेमेटाइट लौह अयस्क पाया जाता
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राजस्थान : यहाँ का अयधकांि मैंगनीज बांसिाड़ा सजले से प्राप्त होता हैं । इसके अततदरक्त
डू ं गरपुर, उियपुर ससरोही, पाली सजलों में मैंगनीज पाया जाता हैं । उियपुर सजले में नाथद्वारा,
िे बारी तथा सागरिाड़ा िेत्रों में भी मैंगनीज उत्पादित होता हैं । पाली सजले में हीरापुर िेत्र से
मैंगनीज पाया जाता है
महत्त्व
तांबा एक ऐसी धातु है सजसका मानि द्वारा उपयोग सभ्यता के आदि काल से होता रहा हैं ।
यह धातु तबजली का सुचालक तथा अघातितानीय आदि अपने वििेष गुर्ों के कारर् तबजली
के तार, मोटर इं जन, तबजली के बल्व, डायनमों, रे दडयों, िरू भाष ि अन्य विद्युत उपकरर्ों में
इसका प्रयोग होता हैं ।
झारखण्ड : तांबा संरक्षित भण्डार ि उत्पािन की दृष्टष्ट से इस राज्य का भारत में प्रथम स्थान
हैं । िे ि के कुल तांबा उत्पािन का लगभग आधा भाग यहाँ से प्राप्त होता हैं । यहां के मुख्य
तांबा उत्पािक सजलों में ससिं हभूमम, मानभूमम, हजारीबाग, लोहरडागा, कोडरमा, यगरडीह, पलामू
आदि हैं ।
राजस्थान : भारत का िस
ू रा बड़ा तांबा उत्पािक राज्य कहलाता हैं। भारत के कुल तांबा
उत्पािन का लगभग 40 प्रततित यहाँ से प्राप्त होता हैं । राज्य में तांबे के 13 करोड़ टन से
अयधक भण्डारों का अनुमान हैं । राज्य में तांबा उत्पािक मुख्य सजलों में झुन्झुन,ू अलिर,
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उियपुर, भीलिाड़ा, चुरू, झालािाड़ ि िौसा आदि है । इनमें सिाायधक झुन्झुनू सजला
महत्त्वपूर्ा हैं ।
यहां हाल ही जयपुर, िौसा ि बांसिाड़ा सजलों में भी तांबे के नये भण्डार ममले हैं ।
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पादरस्थस्थततकी और िन्यजीि
पादरस्थस्थततकी -
पादरन्तस्पततकी विज्ञान विज्ञान की िह िाखा है सजसके अन्तगात जीि- विज्ञान तथा भूगोल
के मौसलक ससद्धात की पारस्पदरक व्याख्या की जाती है अथाात दकसी कालखण्ड वििेष मे,
दकसी स्थान पर जीिों का उसके पयाािरर् के साथ पारस्पदरक सम्बन्धो का अध्ययन
पादरस्थस्थततकी हलाता है।
Ecology लैवटन भाषा के 2 िब्दो से ममलकर बना हुआ - OIKOS ओर LOGOS जहाँ OIKOS
से आिय है यनिास स्थान जबदक LOGOS अध्ययन िब्द को प्रतततबन्तम्बत करता है अथाात्
दकसी जीि के यनिास स्थान या आिास के अध्ययन को पादरस्थस्थततकी कहा जाता है।
1. जनसख्या (Population)
2. समस्ती (Cummunity)
3. पादरतन्त्र (Eco-System)
4. बायोम (जीबोम)
5. जैिमण्डल (Bio-sphere)
1. जनसंख्या:- दकसी यनश्चित कालखण्ड में स्थान वििेष पर समान प्रजातत मे पाये जाने िाले
जीिों की कुल संख्या को पदरस्थस्थततक जनसंख्या कहते है।
पादरस्थस्थतत तन्त्र िब्द के जन्मिाता आथार टान्सले महािय हैं परन्तु इसकी सैधान्तन्तक
व्याख्या E.P. Odem महोिय ने अपनी पुस्तक Fundamental of Ecology मे की है इससलए
Father of Ecosystem Odem महोिय को कहा जाता हैं।
1. प्राकृततक पादरतन्त्र- पादरतन्त्र का िह अंग हैं सजसमें मानिीय हस्तािेप नहीं होता इसके
2 महत्वपूर्ा अंग हैं-
स्थायी जल का पादरतन्त्र विमभन्न प्राक्रततक पादरतन्त्र में सिाायधक स्थस्थर पाया जाता हैं। सागदरय
पादरतन्त्र जलीय पादरतन्त्रों में सिाायधक स्थस्थर हैं।
पादरतन्त्र के घटक- क्षक्रयात्मक पादरतन्त्र मे मुख्य रूप से 2 प्रकार के घटक पाये जाते हैं
जादक एक-िस ू रे से ऊजाा प्रिाह द्वारा जूडे होते हैं।
(1) अजैविक घटक- पादरतन्त्र के अजैविक घटक तीन िगो में विभक्त दकये जा सकते हैं -
(2) भौततक घटक- इन्हे जलिायुविक घटाकों की भी श्रेर्ी में रखते हैंजैसे तापमान, आद्रता,
िायुमण्डसलय िाब, पिन पदरसंचरर् आदि के साथ-साथ उँ चाई।
(3) खयनज घटक- अजैविक घटकों में पादरतन्त्र में खयनजों का महत्वपूर्ा योगिान हैं जोदक
विमभन्न पोषर् स्तरों में चक्रीय प्रिाह के रूप में प्राप्त होते हैं। जैसे- कैल्ल्ियम, सोदडयम,
पोटे र्ियम, P, fe, Cu, O 2 आदि।
(2) जैविक ्पोवष- िह जैि समुिाय जोदक भौततक तत्वों से अपने सलए ्यं भोज्य ऊजाा
उत्पन्न करता हैंउन्हे ्पोवष कहा जाता हैं। इनके 2 महत्वपूर्ा िगा हैं-
1. प्राकाि संश्लेषीत जीि- जोदक सूया से प्राप्त उजाा द्वारा अपना भोजन यनममि त करता हैं
इसके अन्तगात मुख्य रूप से पािप समूह आते हैं।
2. रासाययनक संश्लेषीत जीि- िह सूक्ष्म जीि जोदक सूया प्रकाि की अनुपस्थस्थतत में जैि-
रासाययनक प्रक्षक्रया द्वारा
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जैि विविधता िब्द पहली बार 1986 में रोसेन महोिय ने Forum of Bio-Divercity में दिया
था परन्तु इसकी संकल्पनात्मक व्याख्या 0. तबल्सन महोिय द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
जैि-विविधता से आिय है विश्व मे पायी जाने िाली कुल प्रजाततयों की मात्रा या जीिन की
विविधता को ही जैि-विविधता कहा जाता हैं। प्रजाततयों की प्रचुरता दकसी भी पादरतन्त्र के
सन्तुलन में महत्वपूर्ा भूममका अिा करती हैं। इसी आधार पर जैि-विविधता के कुल तीन
प्रकार माने जाते हैं-
(1) पादरतन्त्र विविधता- दकसी एक बायोम प्रिे ि या जैि-मण्डलीय िेत्र में पाये जाने िाले
कुल पादरतन्त्र की प्रचुरता ही पादरतन्त्र विविधता कहलाती हैं जैसे- विषुितीय िषाा िन प्रिाल
मभसत्तयाँ तथा मैंग्रोि िनों में पादरतन्त्र की विविधता उच्च पायी जाती हैं।
(2) प्रजातत विविधता- दकसी एक विर्िष्ट पादरतन्त्र में पाये जाने िाले कुल प्रजाततयों की
संख्या ही प्रजातत विविधता कहलाती हैं। चूँदक पादरतन्त्र के प्रत्येक जैविक घटक एक-िस
ू रे से
खाद्य उजाा के रूप में अन्तासम्बयधिं त रहते हैं इससलए सजस पादरतन्त्र में प्रजातत विविधता उच्च
पायी जाती हैं िह अयधक स्थायी माना जाता हैं।
(3) अनुिांर्िक विविधता- दकसी एक प्रजातत वििेष में पायी जाने िाली कुल अनुिांर्िक
प्रचुरता संख्या को अनुिांर्िक विविधता कहते हैं जैसे छत्तीसगढ बेससन में चािल की
सिाायधक अनुिांर्िक विविधता पायी जाने के कारर्
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प्राकृततक आिास में रहने िाले जीि-जंतुओ ं को िन्य जीिन के रूप में जाना जाता है। िनों
और िन्य जीिन में तीव्र गतत से हो रहे ह्रास के कारर् इनका संरिर् आिश्यक हो गया है।
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