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मार्च 2021

इस अक
ं में
*अनुक्रमणिका*
सस्ं थापक 1.आपके णिए
राजें द्र कुमार शास्त्री"गुरु" (क) रर्ना आमत्रं ण

अक
ं -2, िषष-1, 2.स्तम्भ
(क) सम्पादकीय- विद्या शमाच
मार्ष 2021
(ख) सलाहकार कॉलम- अनपु मा अग्रिाल िंदा
सम्पादक (ग) ज्ञान-विज्ञान- विद्या शमाच
सौरभ प्रभात
3. कथा साणित्य
संपावदका (अ) बाि किाणनयााँ
विद्या शर्ाा (क) तोहफ़े का मोल- मीना मल्लिरपु
(ख) भोला भोलू- पजू ा मवण
सह-संपाददका (ग) बसन्ती- मजं ू वकशोर “रवमम”
अनुपर्ा अग्रिाल “िृंदा”
(ब) बाि िघुकथाएं
काव्य सादहत्य संपाददका (क) विधिा की होली- िदं ना सोलक
ं ी
रूवि गोपाल “रुविर”
4. काव्य साणित्य
तकनीकी दिभागाध्यक्ष (क ) िक्ष (प्ऱेरक कविता कॉलम)- वसवि वम्ा
र्धुसूदन श्रीिास्ति “र्ध”ु (ख) म़ेऱे भगिान- अनभु ि राज
(ग) छू ल़ेना इक वदन आसमान- महेंद्र कुमार िमाच
दिशेष सहयोग (घ) काम हुई ठंडक हिा में- मयाम सदुं र ्ीिास्ति
एल्पा र्ेहता “एहसास” एिृं (ड़) बााँटें जग में प्यार: भिु न वबष्ट
र्ृंजीत कुर्ार “र्न”
5. पेंण ं ग
unmuktbalpatrika@gmail.com
(क) अनन्या पाडं ़ेय
https://sahityahunt.com/ (ख) सिेश पाडं ़ेय
(ग) वशिाय शुक्ला
मार्च 2021
रर्ना आमन्त्रण

रर्ना आमत्रं ण

“ वप्रय सावहवययक वमत्रों!


आप सभी को सूवर्त करत़े हुए अययंत हर्च हो रहा है वक उन्मुक्त बाल पवत्रका क़े
मई 2021 अक ं क़े वलए सभी विधाओ ं की रर्नाएाँ आमवं त्रत की जा रही हैं। ल़ेखक
अब हमें माह की वकसी भी वतवथ को रर्नाएाँ प्ऱेवर्त कर सकत़े हैं, वजनक़े प्रकाशन की
सूर्ना सम्पादन मण्डल की ओर स़े द़े दी जाएगी।
हमारा ईम़ेल है- unmuktbalpatrika@gmail.com )
रर्ना क़े साथ मौवलकता प्रमाण पत्र होना अवनिायच है।
विश़ेर्- कपया रर्नाकार बन्धु रर्ना क़े साथ अपना संवक्षप्त पररर्य और अपना
पासपोटच आकार का छायावर्त्र भी भ़ेजें ।
-सम्पादन मण्डल
ि़ेबसाइट- http://sahityahunt.com

सूचना

पाठक हर्ें इस अृंक की अपनी प्रवतवियाएृं (unmuktbalpatrika@gmail.com ) पर
भे जें।
सम्पादन र्ण्डल

मार्च 2021 3
सम्पादकीय

मस्ती ही नहीं करनी बवल्क उनक़े बाऱे में जानना


भी है । होवलका दहन और होली ख़ेलऩे का बड़ा
विद्या शमाच
ही िैज्ञावनक महयि है तमु सभी इस़े अिमय
संपावदका
उन्मुक्त पवत्रका जानना। पर गगू ल करऩे स़े पहल़े अपऩे वकसी
बड़़े- बुजुगच स़े बैठकर इसक़े बाऱे में जरूर पूछना
और यकीन जानो तुम्हाऱे इस सिाल स़े ि़े बहुत
खशु होंग़े, साथ ही तम्ु हें विस्तार स़े इसक़े बाऱे में
नमस्त़े प्याऱे बच्र्ों ! बताएंग़े भी।
कै स़े हैं आप सब ? अब तो सदी भी जाऩे को ययोहारों क़े इस मौसम में सािधानी बहुत
तैयार है और ययोहारों की खशु बू आऩे लगी है । जरूरी है । होली ख़ेलत़े समय भी तमु सब इस
पहल़े वशिरावत्र, विर होली और विर निरावत्र, बात का ध्यान रखना वक वकसी को कोई
साथ ही कोरोना क़े बीर् बहुत साऱे बच्र्ों क़े नुकसान न पहुाँऱ्े । कई बच्ऱ्े अक्सर पानी िाल़े
स्कूल- कॉल़ेज भी अब खल ु गए हैं और कुछ क़े गजु बाऱे लोगों पर िें कत़े हैं वजसस़े कई बार
खल ु ऩे िाल़े हैं । तो बच्र्ों तैयारी भी थोड़ी तगड़ी दघु चटना हो जाती है और लोगों को र्ोट भी लग
िाली करनी होगी क्योंवक अब भीड़-भाड़ विर जाती है तो इसस़े भी आपको दरू ही रहना होगा ।
बढ़ेगी । एक और जरूरी बात, जो आप सबस़े कहनी है,
माना वक कोरोना की रफ्तार धीमी हुई है और िो य़े वक बहुत साऱे बच्र्ों की परीक्षाएं भी होनी
िैक्सीन तथा दिाई भी आ गई है पर बच्र्ों! हैं तो आप सब अपऩे बऱ्े हुए समय में परू ़े मन स़े
बर्ाि ही सबस़े अच्छी दिाई है। तो मास्क, परीक्षा की तैयारी कीवजए और पूरी तैयारी स़े
सैऩेटाइज़र और शारीररक दरू ी का ख्याल आग़े परीक्षा दीवजए ।
भी रखना होगा, पढाई भी करनी है और कोरोना ल़ेवकन,ल़ेवकन..! बच्र्ों आपको परीक्षा द़ेनी
स़े लड़ाई भी । है ना वक ढ़ेर सारा स्ऱेस ल़ेना है । म़ेहनत करें और
बदलत़े मौसम में आप सबको अपनी खदु पर विश्वास रखें और जब हम खदु पर
प्रवतरोधक क्षमता मजबूत रखनी होगी तावक आप विश्वास रखकर कोई कायच करत़े हैं तो सिलता
रोगों को हरा सकें और इसक़े वलए हरी सवजजयााँ, अिमय वमलती है । एक बात और याद रखना
दधू , मौसमी िल लें, और व्यायाम जरूर करें । वक टॉप तो एक - दो बच्ऱ्े ही करत़े हैं पर इसका
बच्र्ों इस बार आऩे िाल़े ययोहारों में वसिच य़े मतलब तो नहीं हो सकता वक बाकी क़े 98
बच्ऱ्े असिल हैं । आप खदु अपऩे आलोर्क,
मार्च 2021 4
सम्पादकीय

प्रशंसक बनें ,और रर्नायमक सोर् रखें ।


बच्र्ों! आप सबको वशिरावत्र और होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और परीक्षा क़े
वलए ब़ेस्ट ऑि लक !
विलहाल र्लती हाँ, विर वमलेंग़े अगल़े अक
ं में! तब तक आप हाँसत़े रवहए, मस्ु कुरात़े
रवहए ।
आपकी दीदी
विद्या शमाच

मार्च 2021 5
बाल कहानी तोहफ़े का मोल
को इतं ज़ार था वक आंटी कुछ न कुछ तोहिा
देंगी। आज आटं ी ऩे दो छोट़े स़े गमल़े वजनमें
मीना मल्िवरपु
बैंगलोर ,पिू च वशवक्षका सदुं र स़े पौध़े जो बहुत हऱे भऱे तंदुसस्त लग रह ध़े,
भारतीय संस्कवत विद्यापीठ उनक़े हाथ म़े थमाए। शशांक क़े मुाँह स़े वनकल
मवहला कॉल़ेज बेंगलुसु गया-
"इसका मैं क्या करूंगा?"
आंटी, अंकल, पापा सभी र्ौंक़े । वकसी ऩे नहीं
दौड़ती दौड़ती तारा रसोई में आई और अपनी मााँ सोर्ा था वक शशाक ं की ऐसी प्रवतविया हो
स़े वलपट गई! सकती है। िैस़े बच्ऱ्े कभी- कभी सोऱ्े समझ़े
"मम्मा! भैया मझु स़े बात नहीं कर रह़े हैं। मैंऩे बगैर बात कह द़ेत़े हैं पर उस एक वमनट में मम्मी
अपनी र्ॉकल़ेट भी द़ेऩे की कोवशश की पर म़ेरी ऩे बात सभं ाल ली।
तरफ द़ेखा भी नहीं। क्या हो गया है उन्हें ? क्यों "अऱे वकतना प्यारा पौधा है ! शशाक ं यह तम्ु हारी
नाराज़ हैं मझु स़े?" वखड़की में बहुत ही सुन्दर लग़ेगा। सुबह- सुबह
10 साल का शशाक ं और आठ साल की तारा। की धूप में इस़े द़ेखकर,इस़े पानी द़ेकर तुम्हें बड़ा
भाई- बहन में प्यार बहुत था पर तकरार भी कम न मज़ा आएगा।“
थी । दोनों ही मम्मी - पापा क़े दल ु ाऱे । सारा वदन बात सभं ल गई पर मम्मी को अभी लगता है बात
मस्ती करत़े ,ख़ेलत़े कूदत़े , दोस्तों क़े साथ तरह- बढानी थी। शशांक को अलग ल़े जाकर
तरह क़े ख़ेलों में भाग ल़ेत़े।वकताबों का बहुत बोलीं,"शशांक! जब कोई तोहिा द़ेता है हमें उस
शौक था दोनों को पर अपनी वकताबें औरों स़े तोहफ़े का मान रखना र्ावहए। छोटा हो या
साझा भी करत़े। कल घर पर म़ेहमान आए हुए थ़े। बड़ा,कीमती हो या नहीं, तुम्हें उसकी ज़रूरत है
तारा और शशाक ं खशु वक मम्मी पापा का ध्यान या नहीं, तुम्हें अच्छा लगा या नहीं इन सब र्ीज़ो
म़ेहमानों पर रह़ेगा,आज मज़़े ही मज़़े होंग़े। ढ़ेर का कोई मतलब नहीं।
सारा खाना,मनपसन्द व्यंजन होंग़े और तोहफ़े भी
तोहिा वकसी ऩे प्यार स़े जब वदया, तम्ु हें उतनी
वमलेंग।़े वपछली बार जब अक ं ल आंटी आए थ़े
ही खशु ी स़े स्िीकार करना र्ावहए।अब तुम
उन्होाँऩे म़ेकैनो स़ेट वदया था शशांक को और तारा
जाकर आंटी स़े एक सॉरी भी कहोग़े और एक
को प्यारा सा वकर्न स़ेट।
थैंक यू भी ।
म़ेहमान आए, सब गल़े वमल़े,और अब शशाक ं
शशाक ं ऩे पछ ू ा वक मम्मी सॉरी और थैंक्यू एक
मार्च 2021 6 साथ क्यों ?
बाल कहानी
" ब़ेटा तुमऩे तोहफ़े का मोल नहीं समझा इसवलए वसिच अपना नहीं अवपतु दसू रों का भी सोर्ना
सॉरी और सन्ु दर स़े तोहफ़े क़े वलए थैंक य।ू " र्ावहए।
"मम्मा! मैं नहीं जाऊाँगा ..प्लीज़!" “र्लो तारा स़े र्ॉकल़ेट ल़े लो और म़ेरी तरफ
"शशांक ब़ेटा! जाना तो पड़़ेगा।आंटी- अंकल ऩे स़े”
जो कुछ प्यार स़े वदया उसक़े वलए थैंक यू तो बनता "मम्मा आइसिीम", शशाक ं गल़े लगकर बोल
है, और माफी तो मााँगनी ही पड़़ेगी।“ पड़ा।
शशाक ं को मालमू था वक इस पररवस्थवत स़े -मीना मल्िवरपु
वनकलऩे का कोई र्ारा नहीं है,और िैस़े भी उसमें
वढठाई और बदतमीज़ी थी ही नहीं। वहम्मत
की,और विर आटं ी स़े गल़े लगकर माफी भी
मााँगी,और थैंक यू भी कह वदया।
पर उनक़े जाऩे क़े बाद उस़े मम्मी पर गस्ु सा भी
आया और रोना भी। क्या ज़रूरी था मुझस़े सॉरी
कहलिाना?
रोना उसका बदं ही न हो रहा था । सब क़े सामऩे
जैस़े छोटा बना वदया मम्मी ऩे। तब मम्मी ऩे उस़े
बड़़े प्यार स़े गल़े लगया और समझाया-
"शशांक ब़ेट!़े तुम नहीं जानत़े वक आज माफी मााँग
कर तमु ऩे वकतनों क़े मन में जगह बनाई है। आटं ी -
अंकल बहुत खशु थ़े वक तुममें इतनी तमीज़ और
बड़ों क़े वलए सम्मान है। मैं और पापा खशु वक
तुमऩे म़ेरी बात सुनी। वज़ंदगी का यह एक तजुबाच ही
समझो।
हर प्यार स़े वदए तोहफ़े का हम़ेशा मान रखना
र्ावहए। कभी भी उसका वतरस्कार नहीं करना ।
शशांक!यह सोर्ो ज़रा वक अगर मम्मी- पापा नहीं
समझाएगं ़े तम्ु हें तो और कौन समझाएगा ? हमें

मार्च 2021 7
बाल कहानी भोला-भोलू
समय मानऩे स़े इकं ार कर द़ेता ।
वपछल़े कई वदनों स़े उसऩे "पटाख़े वदलाओ "की
रट लगा रखी थी । शोभा भी काम की व्यस्तता
पूजा मणि बता कर बार- बार उस़े पटाख़े वदलाऩे की बात
टाल जाती। अब तो दीिाली क़े बस दो वदन
ही बऱ्े थ़े। आज कुछ भी कर क़े भोलू को मााँ क़े
साथ बाजार जाकर पटाख़े लाऩे ही थ़े ।
र्ारों ओर वदिाली क़े ययोहार की तैयारी जोरों
"मााँ अब तो बस दो वदन ही बऱ्े हैं,आज कोई
पर र्ल रही थी। बच्ऱ्े पहल़े स़े ही गवलयों में
बहाना नहीं र्ल़ेगा । मााँ मझु ़े नए कपड़़े , वमठाइयााँ
पटाख़े जलाऩे लग़े भोलू अपऩे दोस्तों को पटाख़े
और पटाख़े वदला दो ना।"
जलात़े द़ेखकर बहुत खशु होता था ।
इतना कहकर भोलू रोऩे लगा ।
भोल़े-भाल़े भोलू का मन भी पटाख़े जलाऩे को
"रोना बदं करो. ! बस आज बाज़ार का काम ही
खबू करता, ल़ेवकन उसकी मााँ ऩे साि -साि कह
रह गया है"
वदया था वक वदिाली क़े वदन ही पटाख़े जलाऩे को
तुझ़े मैं आज नए कपड़़े ,वमठाइयााँ, और ढ़ेर साऱे
वमलेंग़े िो भी तब, जब घर का कोई बड़ा
पटाखें वदलाऊाँगी.".. मााँ गोद में ल़ेकर भोलू को
उसक़े साथ होगा ।
पुर्कारऩे लगी ।
भोलू उम्र में छोटा जरूर था ल़ेवकन बहुत ही
भोलू झट स़े मााँ की गोद स़े उतर गया और दौड़
समझदार बालक था। अपनी मााँ की हर बात
कर िुती वदखात़े हुए जतू ़े पहन कर बोला "मााँ
मानता था और उसकी मााँ भी उसस़े वकया हुआ
बाज़ार र्लो भोलू तैयार है ।"
िादा कभी नहीं तोड़ती थी । भोलू क़े वपताजी एक
मााँ उस़े द़ेखकर हाँस पड़ी और बोली "र्लो
व्यापारी थ़े, ि़े व्यस्तता क़े कारण भोलू को
र्लो ! बाज़ार स़े साऱे पटाख़े और वमठाइयााँ
समय कम द़े पात़े थ़े। भोलू की पढाई वलखाई और
खयम होऩे स़े पहल़े हम खरीद लायें।"
अच्छ़े संस्कार की नींि रखऩे की वजम्म़ेदारी उसकी
भोलू ताली बजाकर नार्त़े हुए खशु होकर "र्लो
मााँ शोभा क़े कंधों पर थी, इसवलए भोलू वदिाली
-र्लो, जल्दी र्लो मााँ ! " कहत़े हुए मााँ क़े आग़े-
क़े वदनों में पटाख़े जलाऩे स़े होऩे िाल़े नुकसान
आग़े बाज़ार की ओर जाऩे लगा ।
जैस़े - धन की बबाचदी तथा िातािरण दवू र्त होऩे
भोलू की मााँ भोलू को खशु द़ेखकर मन ही मन
आवद अच्छी तरह स़े जानता था ल़ेवकन र्र् ं ल उसकी नज़र उताऱे जा रही थीं ।
मन होऩे क़े कारण इस सीख को , दीिाली क़े
बाज़ार पहुाँर्कर भोलू ऩे द़ेखा बाज़ार तरह -
मार्च 2021 8 तरह क़े बंदनिार, रंगोली, वमठाइयााँ, पटाख़े और
बाल कहानी
दीय़े स़े भऱे हुए थ़े । र्ारों तरि लोग खरीदारी करऩे को वखलौऩे स़े ख़ेलऩे की शतच बता दी ।
में लग़े थ़े । भोलू बाज़ार में र्ारों ओर नज़र दौड़ा "अऱे ! य़े क्या बात हुई ? तमु मझु ़े
ही रहा था वक उसकी नज़र उसक़े ही उम्र क़े एक अपऩे वखलौऩे क्यूाँ नहीं द़े रह़े हो? अब तो हम
बच्ऱ्े पर पड़ी जो एक िटी हुई र्ादर पर कुछ दीय़े दोस्त बन गए हैं" भोलू ऩे बड़ी ही मासूवमयत स़े
ल़ेकर ब़ेर् रहा था और साथ ही कुछ वमट्टी स़े ही बच्ऱ्े की तरि द़ेखत़े हुए कहा।
बऩे सुंदर- सुंदर वखलौऩे भी पास में रख़े हुए थ़े। "अऱे ! हम ग़रीब बच्ऱ्े वकसी क़े दोस्त नहीं होत़े
भोलू की मााँ भी उस तरि भोलू का हाथ थाम़े र्ल ल़ेवकन जब हमें मौका वमल़े तो ग़रीबी स़े पक्की
पड़ी। िाली यारी को छोड़कर अमीरी स़े यारी करऩे की
भोलू की मााँ पास की दक ु ान में कुछ र्ीजें ल़ेऩे में विराक़ म़े े॔ रहत़े है।"े॔
व्यस्त हो गई ं तभी भोलू दीय़े ब़ेर् त़े बच्ऱ्े क़े अपनी ग़रीबी पर हाँसता हुआ,िो अपनी कुसण
पास बैठ गया । भोलू की मााँ उस़े िहीं बैठ़े रहऩे की दशा भोलू स़े कह गया ।
वहदायत द़ेकर खरीदारी करऩे में लग गई ं । "तुम ऐसा क्यूाँ कह रह़े हो?".. भोलू आश्चयच स़े
"य़े वखलौऩे वमट्टी स़े बऩे हैं? बहुत ही सुंदर हैं ,तमु ऩे उसक़े भोल़े स़े ऱ्ेहऱे को द़ेखऩे लगा ।
बनाय़े हैं?" भोलू मुस्कुरात़े हुए बच्ऱ्े स़े बात "म़ेरा नाम वकशन है... मैं पास क़े ही गााँि में रहता
करऩे लगा । हाँ म़ेऱे वपताजी मजदरू ी करत़े हैं म़ेरी मााँ र्वू ड़यााँ
"नहीं ! मैंऩे नहीं बनाय़े ,म़ेऱे बापू ऩे बनाय़े हैं । र्ाक ब़ेर्ती है । म़ेऱे वपताजी वमट्टी क़़े दीय़े , बतचन और
पर बहुत ही सुंदर - सुंदर वखलौऩे बनात़े हैं बापू।“ वखलौऩे भी बनात़े हैं तावक मुझ़े अच्छ़े स़े पढा
दीय़े ब़ेर्ऩे िाल़े बच्ऱ्े ऩे गिच स़े मस्ु कुरात़े हुए कहा सकें । इधर कुछ वदनों स़े वपताजी को डेंगू हो गया
। है , सारी जमा पूाँजी खर्च हो गई । कुछ पैस़े मााँ
"अच्छा! सर् में बहुत सुंदर हैं ।" ऩे कुछ वदनों तक घर खर्च क़़े वलए रख़े हैं
भोलू थोड़ी द़ेर वखलौनों को वनहारत़े हुए अपऩे मन इसवलए म़ेरी वकताबें - कॉपी खरीदऩे क़े पैस़े भी
में सोर्ऩे लगा और थोड़ी द़ेर सोर्त़े हुए बोला- नहीं बऱ्े हैं । इधर म़ेऱे स्कूल की िीस भी नहीं दी
"क्या तुम मुझ़े अपऩे वखलौऩे दोग़े ?" गई है अगर िीस नहीं दी गई तो मुझ़े स्कूल स़े
भोलू ऩे ललर्ाई वनगाहों स़े वखलौनों को द़ेखत़े हुए वनकाल वदया जाय़ेगा ,मैं पढ नहीं पाऊाँगा ।
कहा । वपताजी की मजदरू ी करऩे लायक शवक्त
"मैं तुम्हें य़े द़े तो दूाँगा पर तम्ु हें इसक़े पैस़े द़ेऩे होंग़े नहीं है और मााँ का हम़ेशा उनक़े साथ रहना
तब य़े तुम्हाऱे हो जायेंग़े और विर तुम इनस़े जी ज़रूरी है इसवलए मैं दीय़े और वखलौऩे जो पहल़े
भरक़े ख़ेलत़े रहना।" बच्ऱ्े ऩे साि - साि भोलू स़े वपताजी ऩे बना रख़े थ़े उन्हें ब़ेर्ऩे आया हाँ ।
ल़ेवकन इस बाज़ार में लोगों क़े पास र्मर्माती
मार्च 2021 9
बाल कहानी
झालरें खरीदऩे क़े पैस़े तो हैं पर हमाऱे हाथों स़े बवल-बवल जा रही थी।
बनाय़े सदुं र - सदुं र दीय़े और वखलौऩे खरीदऩे क़े दोनों बच्र्ों को खशु द़ेखकर उनकी आाँखें
वलय़े पैस़े नहीं हैं ।" डबडबा आयीं।
वकशन ऩे अपऩे आाँसू पोंछत़े हुए अपनी मजबूरी तब िो खशु ी स़े बोली - सर् कहा बच्र्ों! सच्र्ी
स़े भरी कहानी बतलाई। वदिाली तो यही है वक वकसी अाँवधयाऱे घर में
वकशन की बातें सुनकर भोलू सोर् में पड़ गया दीया जल सक़े और प्रभु इस लायक बनायें वक
और पास ही अपनी मााँ को र्मर्माती लाइट हर व्यवक्त उस जलत़े दीय़े की रोशनी में वकसी
खरीदत़े हुए द़ेखा तो उनक़े करीब गया और उनका पररिार क़े ऱ्ेहऱे पर सच्र्ी मस्ु कान वबख़ेर सक़े ।
हाथ पकड़ कर खींर्त़े हुए वकशन
क़़े पास लाकर खड़ा कर वदया । -पज
ू ा मणि
"मााँ! इस बार हम घर में वमट्टी क़़े दीय़े
जलायेंग़े और मुझ़े पटाख़े नहीं य़े वखलौऩे वदला
दो।" भोलू ऩे अपनी मााँ स़े आग्रह वकया ।
"ब़ेटा! य़े दीय़े बहुत महंग़े हैं और हम इतऩे साऱे
दीयों का क्या करें ग़े?"... मााँ ऩे भोलू को समझाऩे
की कोवशश की ।
"मााँ! हम दीय़े अपऩे घर क़े र्ारों तरि जलाएंग़े
और अपऩे ररमत़ेदारों और वमत्रो को वदिाली में
उपहार स्िरूप कुछ दीय़े और वखलौऩे भेंट करें ग़े "।
मााँ को भोलू की बात सही लगी और उसकी मााँ ऩे 2x2=4
हाँसत़े हुए साऱे दीय़े और वखलौऩे वकशन स़े उवर्त 2x3=6
मूल्य स़े कुछ ज्यादा ुसपय़े द़ेकर खरीद वलए ।
उस बच्ऱ्े क़े ऱ्ेहऱे की खशु ी द़ेखत़े ही बन रही थी।
भोलू प्रसन्नता स़े उछलकर कहता है - द़ेखो वकसन
! दोस्त , दोस्त होत़े हैं ,.कोई अमीर गरीब नहीं होता
और आज तो म़ेऱे नए दोस्त ऩे वदिाली ययोहार क़े
सच्ऱ्े मायऩे वसखा वदए।
भोलू की समझदारी और सहृदयता पर शोभा

मार्च 2021 10
बाल कहानी बसन्ती
िश आ नहीं पा रही थी। मैंऩे उस़े समझया वक
दोबारा स्कूल में दावखला करिा ल़े तो िो कहऩे
लगी "म़ेऱे साथ क़े सभी संगी कक्षा नौ में र्ल़े गए
मंजू किशोर “रणमम”
अब सब छोट़े हैं कक्षा में मैं ही सबस़े बड़ी रहाँगी।"
िोटा, राजस्थान तब मैनें उस़े समझा-बझु ा कर उसका दावखल
कक्षा 8 में करिा वदया । अब िो स्कूल आती तो
कक्षा में िो सबस़े बड़ी लगती, कोई उसस़े दोस्ती
एक थी लड़की! बहुत सदुं र , सश ु ील ,मासमू सी ।
नहीं करता, पढाई में भी बहुत कमजोर हो गई थी
उसका नाम बसन्ती था िो कक्षा सात में पढती थी।
सब भल ू गई थी । वहदं ी भी अटक- अटक कर पढ
पढाई में बहुत कुशाग्र बुवि तो नहीं थी, पर विर भी
पाती, अंग्ऱेजी तो बहुत दरू की बात हो गई । सभी
रोज
बच्ऱ्े उसका मजाक बनात़े तो िो शवमिंदा महसूस
विद्यालय आती थी। उस़े विद्यालय आना अच्छा
करती और उसऩे विर स़े स्कूल आना छोड़ वदया।
लगता था।
विर मैं उसक़े घर गई, बात की, उस़े समझया वक
मझु स़े िो बहुत ही घल ु वमल गई थी। टीर्र क़े प्रवत पढाई उसक़े वलए वकतनी जरूरी है और तब
उसका स्ऩेह अच्छा था।अर्ानक स़े उसऩे कुछ
उसको पढऩे की लगन लग गई ।
वदनों स़े विद्यालय आना बंद कर वदया ,पता वकया
अब िह सब को वदखा द़ेना र्ाहती थी वक िो भी
तो मालूम हुआ वक ख़ेत पर काम करत़े समय सााँप
पढ सकती है और उसऩे मन म़े ठान वलया वक
क़े काटऩे स़े बसन्ती की मााँ की दुःु खद मौत हो गई
कुछ भी हो , उस़े तो बस पढना है तो अक़े ल़े ही
इस कारण छोट़े भाई- बहनों को सम्भालती है और
ब़ेठी- बैठी पढती रहती। जब सभी बच्ऱ्े आधी
इसीवलए उसऩे विद्यालय छोड़ वदया ।
छुट्टी में ख़ेलत़े िो कुछ न कुछ पढती रहती। िो
मैंऩे घर जाकर बसन्ती को समझाया भी पर एक
अब सब स़े कम बोलती, र्ुपर्ाप पढती रहती।
तो मााँ क़े र्ल़े जाऩे का दुःु ख , दसू रा छोट़े बहन -
बच्ऱ्े र्ाह़े वजतना भी वर्ढात़े, मजाक बनात़े,
भाई की वजम्म़ेदारी , इसवलए िो स्कूल आऩे को
िह कोई प्रवतविया नहीं द़ेती, र्ुपर्ाप बैठी
राजी नहीं हुई ।
अपना काम करती रहती। अब िो पढाई में ठीक
पर समय कहााँ वकसी क़े वलए ुसका है ? ऐस़े ही पूऱे
हो गई थी।
2 िर्च वनकल गय़े । जब छुरट्टयों क़े बाद स्कूल
ऐस़े ही समय बीतता र्ला गया। 8िी की बोडच
खल ु ़े तो बसन्ती म़ेऱे पास आई और उसका मन परीक्षा का समय आ गया था सभी बच्ऱ्े बहुत
दोबारा स्कूल आऩे को झटपटा रहा था पर सक ं ोर्
उयसाह में थ़े मगर बसन्ती बहुत डरी- डरी सी थी ।
मार्च 2021 11 परीक्षाएाँ शुरू हुई ंतो बसन्ती म़ेऱे पास आई और
बाल कहानी
कहऩे लगी, "मैडम! मैं ि़े ल हो गई तो म़ेऱे वपताजी दोबारा नही पढाएंग़े और घर ही
बैठा देंग।़े "कहत़े हुए सबु क- सबु क कर रोऩे लगी।
मैऩे उस़े धैयच बंधाया और समझाया, "कुछ नहीं होगा ब़ेटा! आराम स़े परीक्षा
दो। कभी भी सच्ऱ्े मन स़े की गई म़ेहनत ि लगन ब़ेकार नहीं जाती है ।"
म़ेरी बातों स़े उस़े वहम्मत वमली और िह र्ली गई।परीक्षाएाँ शरू ु हुई ंऔर खयम
भी हो गई ं और जब परीक्षा पररणाम आया तो मैंऩे सबस़े पहल़े बसन्ती का ही
पररणाम द़ेखा और द़ेख कर म़ेरी प्रसन्नता का पारािार ही नहीं रहा। बसन्ती को
सभी विर्यों में 'ए ग्ऱेड' वमला था। वजन दो विर्यों में (अग्रं ़ेजी ि वहदं ी)िह ज्यादा
कमजोर थी उनमें ही 'ए +'वमला था। सुबह स्कूल जात़े ही सबको खशु खबरी
सुनाई ,सभी टीर्र सुन कर प्रसन्न हुए ।
बसन्ती को प्रधानार्ायच सर ऩे बल ु ा कर सभी बच्र्ों क़े सामऩे सम्मावनत वकया
और उसकी लगन और म़ेहनत की वमसाल द़ेत़े हुए माला पहनाई और आग़े इसी
तरह बढत़े रहऩे का आशीर् वदया । जो बच्ऱ्े पहल़े बसन्ती को वर्ढात़े थ़े िो अब
उस पर गिच कर रह़े थ़े ि आग़े आ- आ कर दोस्ती का हाथ बढा रह़े थ़े। सभी
बच्र्ों को बसन्ती स़े सबक वमला वक म़ेहनत ि लगन स़े सब हावसल वकया जा
सकता है।
वशक्षा- र्ेहनत और लगन से कवठन से कवठन लक्ष्य को भी प्राप्त वकया जा
सकता है।

-मंजू णकशोर रणमम"

मार्च 2021 12
प्ऱेरक कविता

िक्ष वसवि वम्ा


स्थाई कॉलम
झल किवयत्री
ू सको वजसकी शाखा पर
ख़ेल सको तमु वजसक़े सगं , (उन्मुक्त)
य़े तो है जीिन का आगं न
िक्ष वबना कै सा बर्पन!

धपू तप़े तो छाया द़ेता


भख ू लग़े तो द़ेता िल,
िक्ष ही ररमवझम िर्ाच करता
वजस कारण हम पीत़े जल,

धरती का ्गं ार िक्ष ही


इनस़े ही िै ली हररयाली,
प्राणिायु भी द़ेन इसी की
इसस़े जीिन की खशु हाली,

यवद प़ेड़ों पर र्ली कुल्हाड़ी


य़े सांस़े हो जाएंगी कम,
रहना हो यवद हरी धरा पर
आओ िक्ष लगाएं हम।

-णसणि णमश्रा

मार्च 2021 13
काव्य सावहयय सम्बन्धो ,उम्मीदों क़े भी
िूल वखल़े हो गलु शन में ।
म़ेऱे भगिन
सपऩे परू ़े करूं सभी क़े
म़ेऱे भगिन ! ऐसी मझु को ऐसी युवक्त, वकस्मत दो,
बल , बुवि और वहम्मत दो । म़ेऱे भगिन ऐसी मुझको
बल , बवु ि और वहम्मत दो।
र्ल न पाऊं पैर स़े तो क्या,
हृदय तरंवगत हो मुझमें -अनभु व राज
वमल़े सभी को मंवज़ल अपनी मुजज्फरपुर ,णबिार
ऐसा रस्ता हो मझु म़े ।

कभी वशवथल न होऩे पाऊं


ऐसी गवत ,कुछ हरकत दो।
म़ेऱे भगिन ! ऐसी मझु को
बल बुवि और वहम्मत दो।

वकसी क़े तीख़े िर्नों को सनु


घणा न मुझम़े आय़े,
अवत प्रशंसा सुनकर अपनी
अहकं ार न छाए ।

वदलों प़े सबक़े राज करूाँ मैं


ऐसी कुसणा बरकत दो,
म़ेऱे भगिन ! ऐसी मझु को
बल बुवि और वहम्मत दो।।

अपनी शतों पर जीऩे की


आज़ादी हो जीिन में,

मार्च 2021 14
काव्य सावहयय
छू ल़ेना इक वदन आकाश

खदु पर रखना तुम विश्वास , करत़े रहना सदा प्रयास,


छू ल़ेना इक वदन आकाश। छू ल़ेना इक वदन आकाश।

जोर शोर स़े म़ेहनत करना, -मिें द्र कुमार वमाा


कवठनाई स़े कभी न डरना, पुिे मिाराष्ट्र
जीिन क़े इस कंटक पथ प़े,
बस वहम्मत स़े र्लत़े रहना।

सदा सजग रहना जीिन में,


कभी न बनना आलस दास।

जब भी जागो तभी सि़ेरा,


शंवकत मन में भय का ड़ेरा,
कमच करो मत िल की सोर्ो,
भाग़ेगा विर दरू अाँध़ेरा।

विजय तुम्हारी होगी हरदम,


बस वहम्मत को रखना पास।

सयय राह प़े र्लत़े रहना,


झठू नदी में कभी न बहना,
ब़ेईमानी स़े करना तौबा,
दीपक जैस़े जलत़े रहना।

मार्च 2021 15
काव्य सावहयय बााँटें जग में प्यार
अ स़े अनार...
कम हुई ठंडक हिा में
आओ बाटं ें जग में प्यार,
कम हुई ठंडक हिा में, आ स़े आम,...
सरू ज भी गरम हुय़े। सदा करें हम अच्छ़े काम,
सदी क़े जो भाि बढ़े थ़े, इ स़े इमली,...
आज वगर कर कम हुय़े । द़ेश की राजधानी है वदल्ली,
ई स़े ईख...
जो दबु क बैठ़े थ़े पंछी, सदा आदशो पर र्लना वसख,
पर सम़ेट़े कोटरों में । उ स़े उल्ल.ू ..
और जो घर में छुप़े थ़े, सच्र्ाई को कभी न भल ू ,
तापत़े थ़े हीटरों में । ऊ स़े ऊन....
अच्छाई की ताकत बनु ,
आज विर स़े जी उठ़े हैं, ऋ स़े ऋवर्,...
जो कभी ब़ेदम हुय़े । सुंदर ख़ेत खवलहान है कवर्,
सदी क़े जो भाि बढ़े थ़े, ए स़े एड़ी...
आज वगर कर कम हुय़े ।। जीिन है संघर्च की सीढी,
ऐ स़े ऐनक...
जो वठठुर कर वसमट वसकुड़़े, म़ेहनत है सिलता की जनक,
कााँपत़े थ़े शीत स़े । ओ स़े ओखली...
गरम कपड़ों में छुप़े थ़े, झठू की राह होती है खोखली,
दीखत़े भयभीत स़े । औ स़े औरत...
म़ेहनत स़े वमलती है महारथ,
आज द़ेखो ताल ठोकें , अं स़े अंगरू ...
जोश भर दम खम हुय़े । पढना वलखना सभी जरूर,
सदी क़े जो भाि बढ़े थ़े, अः है खाली...
आज वगर कर कम हुय़े।। सजायें मानिता की थाली,
बच्र्ों बजाओ वमलकर ताली...
-श्री मयाम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमि‘
वजला-वभण्ड (म०प्र०) -श्री भुवन णबष्ट
मार्च 2021 16 णजिा- अल्मोडा, उत्तराखण्ड
काव्य सावहयय
नन्हीं बया णवधवा की िोिी
नन्हीं बया ऩे, छुः िर्च की नन्हीं पलक को क्या मालूम वक विधिा
घोसला बनाया, वकस़े कहत़े हैं िो तो बस होली क़े वदन अपनी प्यारी
खदु र्ुन -र्ुनकर, र्ार्ी को जबरदस्ती सबक़े बीर् खींर् लाई।
वतनका लगाया! उसक़े र्ार्ा का द़ेहांत हुए दो साल हो गए तब स़े
उसकी जिान र्ार्ी इस रंगोयसि स़े दरू अपऩे कमऱे
वकतना सुंदर, में बदं रहा करती थी पर आज पलक ऩे उसकी एक
घोसला बया का, न सुनी।
धूप ,बयार ,पानी, आाँगन में विराजमान सासू मााँ(जो स्ियं भी विधिा
स़े रक्षक उसका! थीं) ऩे आाँख़े तऱे री और घड़ु क कर दो र्ार गावलयां
वनकाल डाली बह क़े वलए,''अऱे कुलवच्छनी! तुझ़े
कुछ वदनों में बच्ऱ्े, शमच लाज है वक नाय जो होरी ख़ेलन बावहर र्ली
र्ीं र्ीं र्ीं करत़े, आई। जा अदं र अपऩे कमऱे में !विधिाओ ं को ज़े रंग
खाऩे - पीऩे को लाती, को ययौहार नाय शोभत है ।"
बया नरम - नरम! "दादी,य़े विधिा क्या होता है?"
"विधिा! मतलब,वजसका पवत नहीं होता और उस़े
नजर पड़ी एक सपच की, य़े ययौहार द़ेखना या ख़ेलना मना होता है लाडो !
लालर् आया दष्टु मन में, पाप र्ढता है।"
पतली डाली पर घोसला, "ओह! अच्छा दादी , विर तो आपको भी अपऩे
सपच र्ढ रहा हौल़े-हौल़े उसमें! कमऱे में रहना र्ावहए, आप भी तो विधिा हो और
आपक़े तो माथ़े प़े रंग भी लगा हुआ है अब तो
नन्हीं बया ऩे वहम्मत जटु ाया, भगिान जी आपको बहुत पवनश करें ग।़े "
जोर - जोर स़े शोर मर्ाया, दादी अब वनुसत्तर थीं..
पड़ोसी वर्वड़यााँ आई ं िौरन, एक मासूम बच्र्ी ऩे समाज में व्याप्त इस कुप्रथा क़े
र्ोंर् मार मारकर सपच को भगाया! प्रवत अनजाऩे में ही आईना वदखा वदया ।
-सतीश "बब्बा“
णचत्रकू , उत्तर प्रदेश -वंदना सोिक
ं ी
मार्च 2021 17
सलाहकार कॉलम
पढऩे में होवशयार है य़े एक अययंत हर्च का विर्य
है।दसू री बात य़े वक पढाई में अच्छा होत़े हुए भी
अनपु मा अग्रिाल “िं दा” िो कंप्यूटर विज्ञान में वदलर्स्पी रखता है तो य़े तो
सह- संपावदका सोऩे प़े सहु ागा िाली बात हुई,क्योंवक समय की
(उन्मुक्त पवत्रका) रफ्तार क़े साथ भी तो र्लना जरूरी होता है ना !
आज कोरोना काल में हम सभी कंप्यूटर की
उपयोवगता स़े भली भावं त पररवर्त हो र्क ु ़े हैं।ऐस़े
1. नमस्त़े अनपु मा जी, म़ेरा ब़ेटा राघि पढाई क़े में यवद आप लोगों ऩे ब़े ट़े को कोवडंग क्लास़ेज़
साथ-साथ कम्प्यूटर विज्ञान में भी बहुत वदलर्स्पी करिाऩे का विर्ार वकया है तो म़ेऱे विर्ार स़े य़े
रखता है। इस िजह स़े मैंऩे और म़ेऱे पवत ऩे वमलकर एक सही वनणचय होगा।क्योंवक जब अपनी ुसवर् क़े
सोर्ा है वक हम उस़े कोवडगं क्लास़ेज़ जॉइन करिा विर्य में बच्र्ा कुछ भी सीखता है तो िो जल्दी
दें। पर क्या य़े उसक़े वलए सही रह़ेगा? कपया र्ीज़ों को ग्रहण करता है और साथ ही बच्र्ा
विस्तार स़े बताएं! खशु भी रहता है।
सादर: अनवु प्रया अब यवद बात करें कोवडगं क्लास़ेज़ की
वजला-र्ूरू (राजस्थान) उपयोवगता की तो म़ेऱे विर्ार स़े य़े एक अच्छा
उत्तर - विकल्प है।बस आपको क्लास़ेज़ क़े र्यन में
नमस्त़े अनवु प्रया जी! थोड़ी सािधानी बरतनी होगी।क्लास़ेज़ ऐसी हो
आपऩे बहुत ही अच्छा प्रश्न पूछा जहााँ हर बच्ऱ्े की कावबवलयत क़े अनुसार उस पर
है।आमतौर पर अवभभािक बच्र्ों क़े भविष्य को वनजी तौर पर ध्यान द़ेकर उस़े वसखाया
ल़ेकर असमजं स की वस्थवत में रहत़े हैं वक हमाऱे जाय़े।कोवडगं एक ऐसा कोसच है वजसम़े बच्र्ा
बच्ऱ्े क़े वलय़े क्या अच्छा है और क्या नहीं? ख़ेल- ख़ेल में बहुत कुछ सीख ल़े ता है।एक तरह
आज का युग तकनीकी युग है तो एक ओर लगता की नयी दवु नया में बच्ऱ्े का प्रि़ेश होता है।बच्ऱ्े
है वक मशीनी उपकरणों क़े अवधक उपयोग स़े की दवु नया बहुत बड़ी हो जाती है। विविध
बच्ऱ्े क़े स्िास््य पर दष्ु प्रभाि पड़़ेगा तो दसू री भार्ाभार्ी एिं विविध द़ेशों ि प्रातं ों क़े लोगों स़े
ओर लगता है वक कहीं बच्र्ा समय की दौड़ में संपकच बढता है।एक नय़े प्रकार की भार्ा बच्र्ा
वपछड़ न जाय़े। अतुः आपकी वर्ंता वबलकुल सीखता है।छोटी उम्र स़े ही बच्र्ा
जायज़ है। िैबसाइट,विवडयो ग़ेम्स ि ऐप्प आवद बनाना
द़ेवखय़े! सबस़े पहली बात तो आपका बच्र्ा सीख जाता है। पहल़े ख़ेलकूद क़े माध्यम स़े
बच्र्ा सीखता है तयपश्चात् ट़ेक्स्ट कोवडंग क़े
मार्च 2021 18
सलाहकार कॉलम
माध्यम स़े।इसवलए म़ेऱे विर्ार स़े य़े एक अच्छा विकल्प होगा आपक़े ब़ेट़े क़े वलए।
और हााँ! अंत में एक बात और! क्लास़ेज़ ऑनलाइन या ऑिलाइन इसका वनणचय
आपको सोर् विर्ारकर करना होगा क्योंवक कोवडगं में दोनों ही विकल्प उपलजध
हैं।
आशा करती हाँ आपको अपऩे प्रश्न का यथोवर्त उत्तर वमल गया होगा।
-अनपु मा अग्रवाि
मुंबई।

अनन्या पांड़ेय
कक्षा-4
नई वदल्ली

मार्च 2021 19
ज्ञान-विज्ञान बच्र्ों यह वततली भारत क़े ि़ेस्टनच घाट और उत्तर
वततली पूिच क़े जंगलों में पाई जाती है । इस़े 'इवं डयन
ऑक्लीि' या 'ड़ेड लीि' क़े नाम स़े भी जाना
जाता है ।
विद्या शमाच
संपावदका
उन्मुक्त पवत्रका

बच्र्ों! आप सब ऩे कभी न कभी अपनी कक्षा में


वततली पर कविता जरूर सुनी होगी या अपनी
बालकनी क़े बगीऱ्े या विर पाकच में वखल़े िूल पर बच्र्ों इस वततली की सबस़े खास बात यह है
मनमोहक ,रंग - वबरंगी वततली जरूर द़ेखी होगी । वक जब य़े अपऩे पंखों को बंद करती है तो
भारत में इस समय लगभग 1500 प्रजावत की वबल्कुल वकसी सूख़े ,भरू ़े रंग क़े पत्त़े जैसी वदखती
वततवलयां पाई जाती हैं । हालावं क ितचमान में है और इसी कारण ही अपऩे दमु मनों को बड़ी
इनकी संख्या बहुत कम हो गई है और इसीवलए आसानी स़े र्कमा द़े द़ेती है । पर बच्र्ों जब यह
इनक़े सरं क्षण की आिमयकता को द़ेखत़े हुए अपऩे पंख खोलती है तो इसक़े पंख पर तीन रंग
वपछल़े िर्च इनमें स़े प्रमुख ुसप स़े 7 प्रजावतयों की वदखाई द़ेत़े हैं ,सबस़े ऊपर काला , बीर् में नारंगी
वततवलयों में स़े , वकसी एक को राष्रीय वततली और सबस़े नीऱ्े गहरा नीला रंग, जो इस़े ब़ेहद
घोवर्त करऩे क़े वलए एक अवभयान र्लाया गया खबू सूरत बनाता है।
वजसमें भारत क़े नागररकों स़े राष्रीय वततली क़े बच्र्ों वततवलयां इस बसंत ऋतु में अवधक
र्यन को ल़ेकर ऑनलाइन िोट मांग़े गए । और वदखाई द़ेती हैं । य़े िूलों क़े परागण में सहायक
ऑनलाइन िोवटगं क़े आधार पर ही 'ऑरें ज होती हैं और तो और वततवलयां पराबैगनी वकरणों
ऑक्लीि' (कै वलमा इऩेकस ) नामक वततली को को भी द़ेख सकती हैं ।
राष्रीय वततली घोवर्त वकया गया । बच्र्ों य़े वततवलयां यूं ही हमाऱे मन को खशु ी
द़ेती रहें इसक़े वलए हमें बहुत साऱे प़ेड़ - पौध़े लगा
कर इनका संरक्षण करना होगा । तो अब तुम सभी
अपनी-अपनी बालकनी में िूलों क़े पौध़े लगाना ,
क्या पता तुम्हें भी वकसी वदन यह राष्रीय वततली
वदखाई पड़ जाए ।
मार्च 2021 20 -णवद्या शमाा
पेंवटंग

सदं ़ेश पाडें य


कक्षा-7
वदल्ली

वशिाय शक्ु ला
कक्षा नसचरी
लखनऊ

Pdf designed by: Dharmendra Singh “Dharma”


Head of Technical Department (Sahitya Hunt)
Email: dsingh59995@gmail.com

मार्च 2021 21

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