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Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
प्रश्न-अभ्यास
Question 1:
Question 2:
पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, ले ख, ककिद, पात , किट्ठ इत्याकद कहा जाता है । इन
शब्ों से संबंकधत भाषाओं के नाम बताइए।
Solution:
खत – उदू ू
कागद – कन्नड़
उत्तरम् – ते लूगु
जाबू – ते लूगु
ले ख – ते लूगु
ककिद – तकमल
पात – कहन्द
किट्ठ – कहन्द
पत्र – संस्कृत
Question 3:
पत्र ले खन क कला को कवककसत करने के कलए दु कनया के सभ दे शों द्वारा पाठयक्रमों में
पत्र ले खन का कवषय शाकमल ककया गया। कवश्व िाक संघ क ओर से 16 वषू से कम
आयुवगू के बच्ों के कलए पत्र ले खन प्रकतयोकगताएँ आयोकजत करने का कायूक्रम सन्
1972 से शु रू ककया गया।
Question 4:
पत्र धरोहर हो सकते हैं ले ककन एसएमएस क्ों नह ं? तकू सकहत अपना कविार कलखखए।
Solution:
पत्र व्यखक्त क स्वयं क हस्तकलकप में होते हैं , जो कक कप्रयजन को अकधक संवेकदत करते हैं ।
हम कजतने िाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं जबकक
एसएमएस को मोबाइल में सहे ज कर रखने क िमता ज़्यादा समय तक नह ं होत है ।
एसएमएस को जल्द ह भुला कदया जाता है । पत्र दे श, काल, समाज को जानने का साधन
रहा है । दु कनया के तमाम संग्रहालयों में जान -मान हखस्तयों के पत्रों का अनूठा संकलन भ
है ।
Question 5:
क्ा किकट्ठयों क जगह कभ फैक्स, ई-मेल, टे ल फोन तथा मोबाइल ले सकते हैं ?
Solution:
ककस के कलए कबना कटकट सादे कलफ़ाफ़े पर सह पता कलखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-
स ककठनाई आ सकत है ? पता क कजए।
Solution:
कबना कटकट सादे कलफ़ाफ़े पर सह पता कलखकर पत्र बैरंग भेजने पर पत्र को पाने वाले
व्यखक्त को कटकट क धनराकश जु माू ने के रूप में दे न होग ।
Question 7:
Question 8:
ऐसा क्ों होता था कक महात्मा गां ध को दु कनया भर से पत्र ‘महात्मा गां ध -इं किया’ पता
कलखकर आते थे ?
Solution:
महात्मा गां ध को दु कनया भर से पत्र ‘महात्मा गां ध -इं किया’ पता कलखकर आते थे क्ोंकक
महात्मा गां ध अपने समय के सवाू कधक लोककप्रय व प्रकसद्ध व्यखक्त थे । वे भारत गौरव थे ।
गाँ ध ज दे श के ककस भाग में रह रहे हैं यह दे शवाकसयो को पता रहता था। अत: उनको
पत्र अवश्य कमल जाता था।
Chapter 10 कामि र
प्रश्न-अभ्यास
Question 1. कहान में मोटे -मोटे ककस काम के हैं ? ककन के बारे में और क्ों कहा
गया? Solution: कहान में ‘मोटे -मोटे ककस काम के हैं ’ बच्ों के बारे में कहा गया है
क्ोंकक वे घर के कामकाज में जरा स भ मदद नह ं करते थे तथा कदन भर उधम मिाते
रहते थे । इस तरह से ये कामिोर हो गए थे ।
Question 6. घर के सामान्य काम हों या अपना कनज काम, प्रत्येक व्यखक्त को अपन
िमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्ों है ?
Solution: अपन िमता के अनुसार काम करना इसकलए जरूर है क्ोंकक िमता के
अनुरूप ककया गया कायू सह और सुिारु रूप से होता है । यकद हम अपने घर का काम
या अपना कनज काम, नह ं करें गे तो हम कामिोर बन जाएँ गे। हमें अपने कामों के कलए
आत्मकनभूर रहना िाकहए।
Question 8. बड़े होते बच्े ककस प्रकार माता-कपता के सहयोग हो सकते हैं और ककस
प्रकार भार? कामिोर कहान के आधार पर अपने कविार व्यक्त क कजए।
Solution: बिे होते बच्े यकद माता-कपता को छोटे -मोटे कायों में मदद करें तो वे उनके
सहयोग हो सकते हैं जैसे अपना कायू स्वयं, अपने-आप स्कूल के कलए तै यार हो जाएँ ,
अपने खाने के बतू न यथा सम्भव स्थान पर रख आएँ , अपने कमरे को सहज कर रखें।
यकद हम बच्ों को उनका कायू करने क स ख नह ं दे ते तो वह सहयोग के स्थान पर
माता-कपता के कलए भार ह साकबत होंगे। उनके बड़ा होने पर उनसे कोई कायू कराया
जाएगा तो वह उस कायू को भल -भां कत करने के स्थान पर तहस-नहस ह कर दें गे, जै से
क कामिोर ले ख पर बच्ों ने सारे घर का हाल कर कदया था। इसकलए माता-कपता को
बच्ों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूकि ध्यान में रखते हुए काम कराना
िाकहए। कजससे बिपन से ह उनमें काम के प्रकत लगन तथा रूकि उत्पन्न हो न कक ऊब।
और उनके सहयोग हो सके।
भाषा की बात
Question 1. “धुल -बेधुल बालट ले कर आठ हाथ िार थनों पर कपल पड़े ।” धुल शब्
से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुल बना है । कजसका अथू है ‘कबना धुल ’ ‘बे’ एक उपसगू है ।
‘बे’ उपसगू से बननेवाले कुछ और शब् हैं –
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेिैन, बेहोश आकद। आप भ न िे कलखे उपसगों से बननेवाले
शब् खोकजए –
1. प्र ……………….
2. आ ……………….
3. भर ……………….
4. बद ……………….
Solution:
1. प्र – प्रबल, प्रभाव, प्रयोग, प्रिलन, प्रविन
2. आ – आमरण, आभार, आजन्म, आगत
3. भर – भरपेट, भरपूर, भरमार, भरसक
4. बद – बदसूरत, बदकमज़ाज, बदनाम, बदतर
Question 2:
दोषों का पदाू फ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है ?
Solution:
दोषों का पदाू फ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब हम ककस के आिरण के
गलत पि को उद् घाकटत करके उसमें रस ले ते है या जब हमारे ऐसा करने से वे लोग
उग्र रूप धारण कर ककस को हाकन पहुँ िाए।
Question 3:
आजकल के बहुत से समािार पत्र या समािार िैनल ‘दोषों का पदाू फ़ाश’ कर रहे हैं ।
इस प्रकार के समािारों और कायूक्रमों क साथू कता पर तकू सकहत कविार कलखखए?
Solution:
इस प्रकार के पदाू फाश से समाज में व्याप्त बुराईयों से, अपने आस-पास के वातावरण
तथा लोगों से अवगत हो जाते हैं और इसके कारण समाज में जागरूकता भ आत है
साथ ह समाज समय रहते ह सिेत और सावधान हो जाता हैं ।
Question 4:
कनम्नकलखखत के संभाकवत पररणाम क्ा-क्ा हो सकते हैं ? आपस में ििाू क कजए, जै से –
”ईमानदार को मूखूता का पयाू य समझा जाने लगा है । ”पररणाम-भ्रष्टािार बढ़े गा।
Solution:
Question 6:
यकद ‘क्ा कनराश हुआ जाए’ के बाद कोई कवराम किहन लगाने के कलए कहा जाए तो
आप कदए गए किह्ों में से कौन-सा किहन लगाएँ गे? अपने िुनाव का कारण भ बताइए
– , । . । ? ; – , …. ।
Solution:
‘क्ा कनराश हुआ जाए’ के बाद मैं प्रश्न किन्ह ‘क्ा कनराश हुआ जाए?’ लगाना उकित
समझता हँ । समाज में व्याप्त बुराइयों के ब ि रहते हुए भ ज वन ज ने के कलए
सकारात्मक दृकष्ट जरूर है ।
Question 7:
”आदशों क बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर िलना बहुत ककठन है ।” क्ा
आप इस बात से सहमत हैं ? तकू सकहत उत्तर द कजए।
Solution:
”आदशों क बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर िलना बहुत ककठन है ।” – मैं
इस कथन से सहमत हँ क्ोंकक व्यखक्त जब आदशो क राह पर िलता है तब उसे कई
ककठनाइयों का सामना करना पड़ता है । असामाकजक तत्वों का अकेले सामना करना
पड़ता है ।
भाषा की बात
Question 1:
दो शब्ों के कमलने से समास बनता है । समास का एक प्रकार है – द्वं द्व समास।
इसमें दोनों शब् प्रधान होते हैं । जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दू सरे में द्वं द्व (स्पधाू ,
होड़) क संभावना होत है । कोई ककस से प छे रहना नह ं िाहता,
जै से – िरम और परम = िरम-परम, भ रु और बेबस = भ रू-बेबस। कदन और रात =
कदन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्ों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक किह् भ लगाया जाता
है । कभ -कभ एक साथ भ कलखा जाता है ।
द्वं द्व समास के बारह उदाहरण ढू ँ ढ़कर कलखखए।
Solution:
सुख और दु ख सुख-दु ख
राम और स ता राम-स ता
Question 2:
पाठ से त नों प्रकार क संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर कलखखए।
Solution:
जाकतवािक संज्ञा : बस, यात्र , मनुष्य, िराइवर, कंिक्टर,
कहन्दू , मुखिम, आयू, द्रकवड़, पकत, पत्न आकद।
भाववािक संज्ञा : ईमानदार , सच्ाई, झूठ, िोर, िकैत आकद।
Question 2:
किकड़या िोंि में कतनका दबाकर उड़ने क तै यार में क्ों है ? वह कतनकों का क्ा करत
होग ? कलखखए।
Solution:
किकड़या अपन िोंि में कतनका दबाकर उड़ने क तै यार में है क्ोंकक सूरज िूबने का
समय हो िुका है उसके िूबने से पहले किकड़या अपने कलए घोंसला बनाना िाहत है ।
वह कतनके से अपने कलए घोंसला तै यार कर उसमें अपने बच्ों के साथ रहे ग । घोंसला
उसके पररवार को सुरिा प्रदान करता है ।
Question 3:
ककवता में कई बार ‘अभ भ ’ का प्रयोग करके बातें रख गई है । अभ भ का प्रयोग
करते हुए त न वाक् बनाइए और दे खखए उसमे लगातार, कनरं तर, कबना रुके िलनेवाले
ककस कायू का भाव कनकल रहा है या नह ?ं
Solution:
1. मुझे अभ भ कसरददू है ।
2. अभ भ गाँ व में बच्े कई म ल पैदल िलकर स्कूल जाते हैं ।
3. हम अभ भ अंग्रेज स ख रहे हैं ।
Question 4:
”नह ं” और ”अभ भ ” को एक साथ प्रयोग करके त न वाक् कलखखए और दे खखए ‘नह ं’
‘अभ भ ’ के प छे कौन-कौन से भाव कछपे हो सकते हैं ?
Solution:
1. नह ं, अभ भ मेर पर िा क तै यार कम है ।
2. नह ं, अभ भ इमारत का कनमाू ण नह ं हुआ है ।
3. नह ं, अभ भ मेहमान के आने में दे र हैं ।
Question 5:
आप जब भ घर से स्कूल जाते हैं कोई आपक प्रत िा कर रहा होता है । सूरज िूबने
का समय भ आपको खेल के मैदान से घर लौट िलने क सूिना दे ता है कक घर में कोई
आपक प्रत िा कर रहा है – प्रत िा करनेवाले व्यखक्त के कवषय में आप क्ा सोिते हैं ?
अपने कविार कलखखए।
Solution:
प्रत िा करनेवाले व्यखक्त हमारे कप्रयजन ह हो सकते हैं । मेरे तो कदन क शु रुआत और
अंत माँ के प्यार से ह होता है । सुबह में प्यार से माथा िूमकर जगाने में माँ का प्यार,
नाश्ते में बन पसंद क ि ज़ों में माँ का प्यार, भले-बुरे क िाँ ट में माँ का प्यार, सूरज
िूबने के साथ खेल के मैदान से घर लौट िलने क सूिना दे ता माँ का प्यार तथा ज ने
का सल का कसखाता माँ का प्यार।
Question 2:
कभखमंगों क दु कनया में बेरोक प्यार लु टानेवाला ककव ऐसा क्ों कहता है कक वह अपने
हृदय पर असफलता का एक कनशान भार क तरह ले कर जा रहा है ? क्ा वह कनराश है
या प्रसन्न है ?
Solution:
यहाँ कभखमंगों क दु कनया से ककव का आशय है कक यह दु कनया केवल ले ना जानत है
दे ना नह ं। ककव ने भ इस दु कनया को प्यार कदया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नह ं
कमला कजसक वह आशा करता है । ककव कनराश है , वह समझता है कक प्यार और
खुकशयाँ लोगों के ज वन में भरने में असफल रहा। दु कनया अभ भ सां साररक कवषयों में
उलझ हुई है ।
Question 3:
ककवता में ऐस कौन-स बात है जो आपको सबसे अच्छ लग ?
Solution:
ककवता में ककव का ज वन के प्रकत दृकष्टकोण अच्छा लगा। ककव कहते है कक हम सबके
सुख-दु ः ख एक है तथा हमें एक साथ ह इन सुखों और दु खों को भोगना पड़ता है । हमें
दोनों पररखस्थकतयों का सामना समान भाव से करना िाकहए। ऐस दृकष्टकोण रखनेवाला
व्यखक्त ह सुख रह सकता है ।
भाषा की बात
Question 1:
संतुकष्ट के कलए ककव ने ‘छककर’ ‘ज भरकर’ और ‘खुलकर’ जै से शब्ों का प्रयोग ककया
है । इस भाव को व्यक्त करनेवाले कुछ और शब् सोिकर कलखखए, जैसे – हँ सकर,
गाकर।
Solution:
1. ख ंिकर
2. प कर
3. मुस्कराकर
4. दे कर
5. मस्त होकर
6. सराबोर होकर
Question 2:
पि और बादल द्वारा लाई गई किकट्ठयों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं ? सोि कर कलखखए।
Solution:
पि और बादल द्वारा लाय गई किकट्ठयों को पेड़-पौधे , पान और पहाड़ पढ़ पाते हैं ।
Question 3:
ककन पंखक्तयों का भाव है :
(क) पि और बादल प्रे म, सद्भाव और एकता का संदेश एक दे श से दू सरे दे श को
भेजते हैं ।
(ख) प्रकृकत दे श-दे श में भेद भाव नह ं करत । एक दे श से उठा बादल दू सरे दे श में
बरस जाता है ।
Solution:
(क) पि और बादल,
ये भगवान के िाककए हैं ,
जो एक महादे श से
दू सरे महादे श को जाते हैं ।
हम तो समझ नह ं पाते हैं
मगर उनक लाई किकट्ठयाँ
पेड़, पौधें, पान और पहाड़
बाँ िते हैं ।
(ख) और एक दे श का भाप
दू सरे दे श में पान
बनकर कगरता है ।
Question 4:
पि और बादल क किकट्ठयों में पेड़-पौधे, पान और पहाड़ क्ा पढ़ पाते हैं ?
Solution:
ककव का कहना है कक पि और बादल भगवान के िाककए हैं । कजस प्रकार िाककए
संदेश लाने का काम करते हैं , उस प्रकार पि और बादल भगवान का संदेश लाने का
काम करते हैं । पि और बादल क किकट्ठयों में पेड़-पौधे, पान और पहाड़ भगवान के
भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं । इसपर अमल करते नकदयाँ समान
भाव से सभ लोगों में अपने पान को बाँ टत है । पहाड़ भ समान रूप से सबके साथ
खड़ा होता है । पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँ टते हैं , कभ
भेदभाव नह ं करते ।
Question 5:
”एक दे श क धरत दू सरे दे श को सुगंध भेजत है ” – कथन का भाव स्पष्ट क कजए।
Solution:
एक दे श क धरत अपने सुगंध व प्यार को पकियों के माध्यम से दू सरे दे श को भेजकर
सद्भावना का संदेश भेजत है । धरत अपन भूकम में उगने वाले फूलों क सुगंध को हवा
से, पान को बादलों के रूप में भेजत है । हवा में उड़ते हुए पकियों के पंखों पर प्रेम-
प्यार क सुगंध तै रकर दू सरे दे श तक पहुँ ि जात है । इस प्रकार एक दे श क धरत
दू सरे दे श को सुगंध भेजत है ।
Question 6:
पकियों और बादल क किकट्ठयों के आदान-प्रदान को आप ककस दृकष्ट से दे ख सकते हैं ?
Solution:
पि और बादल क किकट्ठयों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, सौहादू और आपस सद्भाव
क दृकष्ट से दे ख सकते हैं । यह हमें यह ं संदेश दे ते हैं ।
Question 7:
आज कवश्व में कह ं भ संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इं टरनेट है । पि और
बादल क किकट्ठयों क तु लना इं टरनेट से करते हुए दस पंखक्तयाँ कलखखए।
Solution:
पि और बादल प्रकृकत के अनुसार काम करते हैं ककंतु, इं टरनेट मनुष्य के अनुसार
काम करते है । बादल का कायू प्रकृकत-प्रेम को प्रभाकवत करत है ककंतु, इं टरनेट कवज्ञानं
प्रेम को प्रभाकवत करत है । पि और बादल का कायू ध म गकत से होता है ककंतु,
इं टरनेट का कायू त व्र गकत से होता है । इं टरनेट एक व्यखक्त से दू सरे व्यखक्त तक बात
पहुँ िाने का ह सरल तथा ते ज माध्यम है । इसके द्वारा हम ककस व्यखक्तगत रायों को
जान सकते हैं ककन्तु पि और बादल क किकट्ठयाँ हमें भगवान का सन्दे श दे ते हैं । वे
कबना भेदभाव के सार दु कनया में प्रेम और एकता का संदेश दे ते हैं । हमें भ इं टरनेट के
माध्यम से प्रेम और एकता और भाईिारा का संदेश कवश्व में फैलाना िाकहए।
Question 8:
‘हमारे ज वन में िाककए क भूकमका’ क्ा है ? इस कवषय पर दस वाक् कलखखए।
Solution:
िाककया’ भारत य सामाकजक ज वन क एक आधारभूत कड़ है । िाककया द्वारा िाक
लाना, पत्रों का बेसब्र से इं तज़ार, िाककया से ह पत्र पढ़वाकर उसका जवाब कलखवाना
इत्याकद तमाम महत्त्वपूणू पहलू हैं , कजन्हें नज़रअंदाज नह ं ककया जा सकता। उसके
पररकित सभ तबके के लोग हैं । हमारे ज वन में िाककए क भूकमका अत्यन्त
महत्त्वपूणू है । भले ह अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है पर, िाककया का
महत्त्व अभ भ उतना ह बना हुआ है कजतना पहले था।
कई अन्य दे शों ने होम-टू -होम किल वर को खत्म करने क तरफ कदम बढ़ाये हैं , या
इसे सुकवधा-शुल्क से जोड़ कदया है , वह ं भारत य िाककया आज भ सुबह से शाम तक
िलता ह रहता है । िाककया कम वेतन पाकर भ अपना काम अत्यन्त पररश्रम और
लगन के साथ संपन्न करता है । गमी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह
समाज क सेवा करता है । भारत य िाक प्रणाल क गुिकवल बनाने में उनका सवाू कधक
योगदान माना जाता है ।