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छ का प चय

अ ण पा य
ण्डे
रु
न्दों
रि

●छ वेद पु ष का पैर है ( छ पादौ तु वेद ) ।


● छ शा के णेता िपङ्गलाचा ।
● छ दो कार के होते १. वा कछ और २.मा कछ ।
● िजन छ गणना व के आधार पर होती है वे वा क
छ कहे जाते । जैसे – अनु भ् , इ व , इ िद ।
● िजन छ गणना मा ( , दी ) के आधार पर होती है
वे मा क छ कहे जाते । जैसे – आ इ िद ।
ष्टु
हैं
हैं
हैं
र्णि
र्य
हैं
र्घ
र्या
र्णि
न्द
न्दः
न्द
न्द
न्द
त्रि
न्दों
न्दों
स्त्र
प्र
रु
की
की
न्द
प्र
र्णों
त्रा
न्दः
ह्र
स्व
न्द्र
न्द

ज्रा
त्या
स्य
त्या

त्रि

न्द

मा क छ


य पादे थमे दशमा था ततृ ीयेऽिप । अ दश
तीये चतु के प दश साऽ ।।
थमपाद -१२ मा , तीयपाद – १८ मा , ततृ ीयपाद – १२ मा , चतु पाद – १५
मा वाला छ आ कहा जाता है ।
उदाहरण
S I I S SI I S , I S I S S I S I SS S
आप तोषा दुषां, न साधु म योगिव नम् ।
I I I I I S I S S, S S S S I S S S
बलवदिप िश तानाम् , आ यं चेतः ।।
र्या
र्थ
र्या
न्ये
र्या
र्थ
द्वि
प्र
स्याः
त्रा
त्रि
रि

द्वि
प्र
क्षि
न्द
न्द
त्रा
द्वा
ञ्च
द्वि
त्रा
त्म
स्त
न्य
प्र
प्र

त्य

ज्ञा
त्रा

त्रा
ष्टा
वा क छ

● वा क छ ३ कार के होते ।
● १ समव ृ – िजनके सभी चर के व समान वे समव ृ कहे जाते ।
जैसे अनु भ् , इ व इ िद ।
● २ अ समव ृ –िजनके थम पाद के समान ततृ ीय पाद तथा तीय पाद
के समान चतु पाद हो ऐसे छ अ समव ृ कहे जाते । जैसे
िवयोिगनी इ िद ।
● ३ िवषमव ृ – िजनके सभी चर के व असमान (अलग-अलग) ऐसे
छ िवषमव ृ कहे जाते । जैसे – चतु इ िद ।
ष्टु
र्णि
र्णि
र्ध
र्थ
हैं
हैं
र्ध
र्ण
र्ण
र्ध्व
हैं
हैं
न्द
त्त
त्त
न्द
त्त
त्या
त्त
न्द
प्र
न्द्र

ज्रा
प्र
त्या
णों
न्द
णों

रू
त्त
त्या
हों
त्त
द्वि
हों
लघु गु िवचार

सानु रो िवस दी यु पर यः।


वा पादा गु यो योऽ मा को लघःु ॥
अनु र से यु ( अं कं खम् इ िद), िवस (अः कः खः इ िद),
दी ( आ ई ऊ का इ िद), िजसके पर संयोग हो (कृ , िव
इ िद) ऐसे व गु । पदा त व ( चाहे वह या दी
कैसा भी हो) िवक से गु माना जाता है । इससे अ जो भी है ऐसा
१ मा वाला लघु माना जाता है ।
गु = S (२ मा ) , लघु = I (१ मा )
र्घ
न्ते
र्ण
र्ज्ञे
र्गा
हैं
ज्ञे
में
में
र्गा
र्ण
र्घ
त्या
रु
स्वा
त्रा
स्वा
रु
क्त
त्रा
रु
ल्प
की
रु
न्तो
त्या
रु
र्घो
न्यो
न्त
त्या
क्त
त्रा

स्थि
त्रि
श्च
न्त

न्य
ह्र
स्व
ष्ण
त्या
ष्णु
गण

सू – य मा ता रा ज भा न स ल गा ।
१- यगणः यमाता ।ऽऽ ५- जगणः जभान ।ऽ।
२- मगणः मातारा ऽऽऽ ६- भगणः भानस ऽ।।
३- तगणः ताराज ऽऽ। ७- नगणः नसल ।।।
४- रगणः राजभा ऽ।ऽ ८- सगणः सलगा ।।ऽ
आिदम वसानेषु भजसा या गौरवम्।
यरता लाघवं या मनौ तु गु लाघवम् ॥
त्र
ध्या
न्ति











न्ति
रु

अनु प् (८)

के ष गु यं, स लघु प मम् । ल ण-


चतु दयो स मं दी म योः ॥
अनु प् छ क चरण ८ व होते । िजन केवल ५,६,७ इन ती
व पर ही िनयम लगता है । ५वां व चा चर लघु तथा ६ठा व गु
होता है । सातवां व तीय तथा चतु चर (लघु) तथा अ
( थम और ततृ ीय) चर दी (गु ) होता है ।
॥ उदाहरण ॥
मा िनषाद ित मगमः शा तीः समाः ।
य िमथुनादेकमवधीः काममोिहतम् ॥
ष्टु
में
र्ह्र
त्ये
र्ण
में
ज्ञे
र्घ
र्घ
में
र्व
र्ण
र्ण
र्थ
हैं
में
में
में
र्ण
द्वि
प्र
र्णों
त्क्रौ
क्ष
ञ्च
ष्पा
श्लो
ष्टु
प्र
न्द

ष्ठां
स्वं
प्र
ष्ठं
त्व
णों
प्त
रु
द्वि
श्व
न्य
त्र
रु
रों

ञ्च

णों
णों

ह्र
स्व
न्य
रु
नों
इ व (११)

ल ण- िद व यिद तौ जगौ गः
त त ज ग ग
ऽऽ। ऽऽ। ।ऽ। ऽ ऽ
॥ उदाहरण ॥
अ िह क पर य एव
ताम स प हीतुः ।
जातो ममायं िवशदः कामं
त स इवा रा
र्पि
म्प्रे
प्र
त्य

न्द्र
र्थो
क्ष

द्य
ज्रा
स्या
न्या

न्या

ष्य

न्द्र
रि

की

ग्र
न्त
ज्रा
प्र
त्मा





उपे व (११)

ल ण - उपे व जतजा तो गौ
ज त ज ग ग
।ऽ। ऽऽ। ।ऽ। ऽ ऽ
॥ उदाहरण ॥
मेव माता च िपता मेव
मेव ब सखा मेव ।
मेव िव िवणं मेव
मेव स मम देव देव ॥
र्वं
त्व
त्व
त्व
त्व
क्ष


न्द्र
द्या

ज्रा

न्द्र
न्धुश्च
द्र

ज्रा


त्व
त्व
त्व


स्त

उपजाित (११)

ल ण - अन रोदी तल भाजौ पादौ यदीयावुपजातय ।


िजस छ का कोई एक, दो या तीन चरण इ व का और कोई एक, दो या तीन चरण
उपे व का हो तो ऐसे िम छ को उपजाित कहते ।
॥ उदाहरण ॥
अ र िदिश देवता
िहमालयो नाम नगािधराजः ।
पू परौ तोयिनधी वगा  
तः पिृ थ इव मानद ॥
नोट – थम व गु हो तो इ व , लघु हो तो उपे व और यिद िम हो तो
उपजाित छ होता है ।
र्वा
र्ण
हैं
स्थि
क्ष
न्द्र
स्त्युत्त
न्द
ज्रा
प्र
स्यां
न्द
व्या
न्त

रि
रु
ह्य
ण्डः
त्मा

क्ष्म
श्र


न्द
न्द्र
ज्रा
न्द्र
ज्रा
न्द्र

स्ताः
ज्रा

श्र
शािलनी (११)

ल ण - शािल तगौ गोऽ लोकै:


मत त ग ग
ऽऽऽ ऽऽ। ऽऽ। ऽ ऽ
॥ उदाहरण ॥
कः कं श र तुं म ृ काले
र दे के घटं धारय ।
एवं लोक ध वनानां
काले काले िछ ते ते च ॥
यित - शािलनी छ अ (४) और लोक (७) व पर यित होती है।
ज्जुच्छे
र्मा
में

क्ष


क्तो


स्तुल्य

द्य
क्षि
न्द

न्युक्ता
रु

ह्य
म्तौ
न्ति
त्यु

ब्धि

ब्धि

र्णों
वंश (१२)

ल ण - जतौ तु वंश मदु ी तं जरौ


ज त ज र
।ऽ। ऽऽ। ।ऽ। ऽ।ऽ
॥ उदाहरण ॥
अधीितबोधाचरण चारणै-
शा त णय पािधिभः ।
चतु श कृतवान् कुत यं
न वे िव सु चतु श यम् ।
र्द
र्द
र्द
क्ष


द्मि
श्च
स्थ
त्वं
स्रः

द्या

प्र

प्र


स्थ
न्नु
स्व
स्स्व

रि

तिवल त (१२)

ल ण - तिवल तमाह नभौ भरौ


न भ भ र
।।। ऽ।। ऽ।। ऽ।ऽ
॥ उदाहरण ॥
िवपिद धै मथा दये मा
सदिस वा टुता युिध िव मः ।
यशिस चािभ िच सनं तौ  
कृितिस िमदं िह महा नाम् ॥
र्य
र्व्य
प्र
द्रु

क्ष



म्बि
द्ध
क्प
द्रु

रु


म्बि

भ्यु
क्ष

त्म
क्र

श्रु



वस ितलका (१४)

ल ण - उ वस ितलका तभजा जगौ गः


त भ ज ज ग ग
ऽऽ। ऽ।। ।ऽ। ।ऽ। ऽ ऽ
॥ उदाहरण ॥
पापा वारयित योजयते िहताय
गु िनगहू ित गुणान् कटीकरोित।
आप तं च न जहाित ददाित काले
स ल णिमदं वद स ।

ह्यं
क्ष
न्मि


द्ग
न्नि
न्त
त्र
क्ता
क्ष


न्त

प्र

प्र
न्ति


न्तः

मािलनी (१५)

ल ण - ननमयययत े ं मािलनी भोिगलोकै:


ु य
नन म य य
।।। ।।। ऽऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
॥ उदाहरण ॥
वयिमह प तु व लै दुकूलैः
सम इह प तोषो िन शेषो िवशेषः ।
स तु भवित द य त ृ िवशाला  
मनिस च प तु कोऽ वान् को द ॥
यित – मािलनी भोगी(८) और लोक(७) व पर यित होती है ।
ष्टे
में
र्वि
र्थ

क्ष



रि
रि

रि

रि

ष्टाः
द्रो


ल्क
स्य

स्त्वं
ष्णा

रि

द्रः


र्णों

िशख णी (१७)

ल ण - रसै यमनसभला ग: िशख णी


यम न स भ ल ग
।ऽऽ ऽऽऽ ।।। ।।ऽ ऽ।। । ऽ
उदाहरण
यदा िक ऽहं प इव मदा समभवं
तदा स ऽ भवदविल मम मनः।
यदा िक त् िक त् बुधजनसकाशादवगतं
तदा मू ित र इव मदो मे पगतः।।
यित – िशख णी रस(६) और (११) व पर यित होती है ।
र्व
द्रै
में

क्ष


र्खोऽ
रि
ञ्चि
ञ्चि
ज्ञो


स्मी
ज्ज्ञो

स्मी
रि
रु
श्छि
त्य
ञ्चि


ज्व
द्वि
न्ना


प्तं
न्धः
रु


व्य
द्र

र्णों

रि

म (१७)

ल ण-म ऽ िधरसनगै भनौ तौ गयु म्


मभ न त त ग ग
ऽऽऽ ऽ॥ ।॥ ऽऽ। ऽऽ। ऽ ऽ
॥ उदाहरण ॥
 क त् का िवरहगु णा िधकारात् म
शापेना गिमतमिहमा व भो ण भ ।
य जनकतनया नपु दकेषु
या त षु वसितं रामिग मेषु ॥
यित – अ िध (४) , रस(६), नग(७) पर यितयां होती ।
क्रे
र्ष
ग्ये
र्या
हैं
स्नि

क्ष
क्ष
न्दा
श्चि


ग्ध
श्च
क्रा
च्छा
स्तं
न्दा


न्ता
न्ता
म्बु

क्रा
रु
न्ता


स्ना
रु

म्बु

स्वा
ण्यो


श्र
र्मो
र्त्तुः

प्र

त्तः

ग्म

ह णी (१७)

ल ण - रसयग ु हयै गो यदा ह णी तदा


नस म र स ल ग
।।। ।।ऽ ऽऽऽ ऽ।ऽ ।।ऽ । ऽ
॥ उदाहरण ॥
कृिमकुलिचतं लाला िवग जुगु तं
िन पमरसं खाद रा िनरािमषम् ।
सुरपितमिप पा िवलो न शङ्कते
न िह गणयित ज प हफ ताम् ॥
यित – रस(६) , युग(४) और हय(७) व पर यितयां होती ।
र्श्व
हैं
रि

क्ष

रु



प्री
श्वा

त्या
क्षुद्रो


र्न्सौ
क्लि
स्थं
न्तुः
न्न
न्नं
म्रौ


रि
स्लौ
स्थि
ग्र
क्य

न्धि

र्णों
ल्गु

प्सि
रि

शा लिव िडत (१९)

ल ण -सू िदमः सजौ सततगाः शा लिव िडतम् 


मस ज स त त ग
ऽऽऽ ।।ऽ ।ऽ। ।।ऽ ऽऽ। ऽऽ। ऽ
॥ उदाहरण ॥
श वारियतुं जलेन तभुक् छ ण सू तपो,
नागे िनिशताङ्कुशेन समदो द न गोग भौ।
िध षजस है िविवधै योगै षं
स षधम शा िविहतं मू ना षधम् ॥
यित- सू (१२) और अ (७) व पर शा लिव िडत यित होती है ।
र्दू
र्व
र्य
र्या
श्वै
र्य
र्म
र्ख
त्रे
ण्डे
र्या
र्वि
र्दू
र्दू
र्द
में
व्या

क्यो
क्ष
स्यौ


न्द्रो
र्भे


क्री
स्ति

ङ्ग्र


श्च
स्त्र
श्व
हु


न्त्र
र्णों
प्र

स्य

स्त्यौ

क्री

क्री

रा (२१)

नां येण मिु नयितयत ु ा रा तेयम् ।


मर भ न य य य
ऽऽऽ ऽ।ऽ ऽ।। ।।। ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
॥ उदाहरण ॥
ज सं तीत: कृितमथ िनजामा त: स वािम,
नो ध ध भवित यिद बली यमायाबलेन।
साधु णाय त लजनहतये ध सं पनाय,
एवं मे िद क जननमिप च यो वे मु : स पा ॥
यित - इस छ मुिन (७,७,७) व पर तीन यितयां तथा कुल २१
व होते ।
र्ण
भ्नै
र्या
हैं
र्म
में
र्म
र्ति
र्थ
स्र
म्र
ग्ला

न्म
ग्ध


त्रा
ध्वं
व्य
र्मोऽ

ह्य
त्र

न्द
प्य

द्व
त्ख
र्मो
त्रि

प्र
त्रि




त्ति

स्र
र्णों
स्वी
स्था
स्थि
ग्ध
क्त


की
म्भ



ध वादः
न्य

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