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1.

मैं प्रत्ये क जप सत्र में पवित्र नाम का प्रसन्नता और उत्साह पूर्वक स्वागत करता हंू
अपने ह्रदय में पवित्र नाम हरे कृष्ण महा-मं तर् का स्वागत करने के लिए सकारात्मक मनोदशा
बनाइये , ठीक उसी तरह जै से आप अपने घर में किसी विशे ष अतिथि का स्वागत करें गे । यह जप माला
पर महा-मं तर् का जप करने से पहले , शास्त्रों को पढ़ने , प्रार्थना करने या आप जो लक्ष्य प्राप्त
करना चाहते हैं उस पर ध्यान लगाकर प्राप्त किया जा सकता है । इस तरह, मन की सही स्थिति में
आने से , नामजप एक नीरस क्रिया के बजाय, भगवान के साथ व्यक्तिगत रूप से जु ड़ने का एक
रोमांचक अवसर बन जाता है ।

2. मैं अपना निर्धारित संख्या - एकाग्रचित्त और ध्यान पूर्वक आसानी से जप करता हंू
चाहे आप एक माला जाप कर रहे हों, या सोलह माला या अधिक महा-मं तर् का जाप कर रहे हों,
ध्यान पूर्वक पवित्र नाम करने के लिए स्वाभाविक इच्छा और झुकाव के साथ जप करना शु रू करें ।
दसू रे शब्दों में , जप करने से पहले , विश्वास करें कि आप पवित्र नाम पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम
होंगे । मन में कई विचार और इधर-उधर डगमगाते हैं , ले किन अपने मन को पकड़कर पवित्र नाम पर
वापस ले आएं । जब आप पवित्र नाम जप को अपने आध्यात्मिक जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण
मानते हैं , तो ध्यान और एकाग्रता के साथ नामजप करना आसान हो जाएगा।

3. जब मैं जप करता हूँ, मैं केवल जप ही करता हूँ


एक शांत पवित्र स्थान बनाएं जहां आप बिना किसी रुकावट या विक्षे प के महा-मं तर् का जाप कर
सकें। जब आप जप करें तो कुछ और न करें , केवल जप करें । अपनी आं तरिक दुनिया को भी ताक पर
रख दें और केवल अपने और कृष्ण पर ध्यान केंद्रित करें ।

4. मु झे नामजप करने मिल रहा है , मु झे नामजप करना है और मै नामजप को बहुत प्रेम


करता हूँ
अपने आप को याद दिलाएं कि आप हरे कृष्ण महा-मं तर् के जाप की सराहना करते हैं और यह कि आप
नामजप को एक कठिन कार्य के बजाय एक विशे ष आशीर्वाद के रूप में दे खते हैं । मानव जन्म प्राप्त
करने और जप के माध्यम से कृष्ण के प्रति प्रेम जगाने का यह एक विशे ष अवसर है । अपने आप से
पूछें कि यदि आपको पवित्र नाम का जप करने से रोका जाए तो आपको कैसा लगे गा। हमारे दिलों की
गहराई में , हम हरे कृष्ण महा-मं तर् के जाप के शक्तिशाली प्रभावों की सराहना करते हैं ।

5. मैं महा-मंतर् को राधा और कृष्ण के रूप में मानता हंू, जो पूरी तरह से ध्वनि में मौजूद हैं
पवित्र नाम, हरे कृष्ण महा-मं तर् को राधा-कृष्ण का विग्रह ही दिव्य शब्द ध्वनि के रूप में है ऐसा
मानें । जब आप महा-मं तर् का जाप करते हैं , तो यह साक्षात् श्री विग्रहों के दर्शन करने के समान
होता है । इस तरह, पवित्र नाम को नमन करें जै से आप श्री विग्रहों को करते हैं , क्योंकि कृष्ण पूरी
तरह से पवित्र नाम में मौजूद हैं ।

6. मैं कृष्ण की उपस्थिति, कृपा और प्रेम को उनके पवित्र नाम में स्वीकार और महसूस
करता हंू
पवित्र नाम से अमृ त निकालने की कोशिश करने के बजाय, पवित्र नाम के माध्यम से कृपा, प्रेम
और आशीर्वाद को स्वाभाविक रूप से आपके पास आने दें । दस ू रे शब्दों में , नामजप करते समय कृपा
और प्रेम पै दा करने के लिए सं घर्ष न करें , बल्कि अपने आप को नाम में स्नान करने या निम्मजित होने
दें और उस पवित्र नाम में पहले से ही मौजूद, कृपा और प्रेम की सराहना करें ।

7. मैं इस पूरी जागरूकता के साथ जाप करता हूँ कि पवित्र नाम ही मेरा सबसे बड़ा खजाना है
पवित्र नाम को अपना ह्रदय दो। हालां कि कृष्ण के पास सब कुछ है , ले किन उनके पास आपका ह्रदय
नहीं है और वे इसके लिए सदा लालायित हैं । कृष्ण आपके साथ सं बंध बनाना चाहते हैं और हरे कृष्ण
महा-मं तर् का जाप उनके साथ आपके सम्बन्ध को पु नर्जीवित करे गा। इसलिए, पवित्र नाम का जप
भगवान के खजाने में सबसे बड़ा गहना है क्योंकि उसके द्वारा उन्हें वह मिलता है जो वो चाहते है -
आपका ह्रदय ।

8. मैं राधा और कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए जप करता हंू, कुछ भी भौतिक प्राप्त करने के लिए
नहीं
कल्पना कीजिए कि कृष्ण अपने पवित्र नाम में आपके साथ हैं और वे आपको जप करते हुए सु नकर
प्रसन्न हैं । भले ही पवित्र नाम का आस्वादन कभी-कभी मु श्किल हो सकता है , कृष्ण आपके नामजप
और शु द्ध होने के दृढ़ सं कल्प को दे खकर आनं द ले रहे हैं । इस प्रकार कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए
और स्वयं को भी प्रसन्नता का अनु भव कराने के लिए महामं तर् का जाप करें ।

9. जब मैं जप करता हंू तो मैं अपने दिमाग और अपने दिल से पूरी तरह से पवित्र नाम के सामने
उपस्थित होता हूँ
जीभ से महामं तर् का जाप करें और कान से सु नें। जप के सार को महसूस करना आपको वर्तमान में
लाएगा। सु नना ही ध्यानपूर्वक जप है - यदि आप स्वयं को जप करते हुए सु नेंगे , तो आप ध्यान से जप
करें गे । जब आप जप करते हैं , तो कृष्ण पहले जीभ पर, फिर कान पर, फिर हृदय पर नृ त्य करते हैं ।

10. मैं पवित्र नाम के साथ अपने पवित्र संबंध का जप के दौरान पूर्ण सम्मान करता हूँ
इस बात का ध्यान रखें कि हरे कृष्ण महा-मं तर् का जाप करते समय, आप उपस्थित होते हैं , कृष्ण
उपस्थित होते हैं और इस प्रकार, आपके और कृष्ण के बीच एक सं बंध भी मौजूद होता है । इसलिए,
जप को एक यां त्रिक प्रक्रिया के रूप में न दे खें जिसे आपको प्रतिदिन पूरा करना है , बल्कि कृष्ण के
साथ अपने सं बंधों को गहरा करने के तरीके के रूप में दे खें।

पवित्र नाम कह रहा है , "मैं यहाँ उपस्थित हँ ,ू मे री कृपा यहाँ है , मे रा प्रेम यहाँ हैं । कृपया इसे प्राप्त
करें , कृपया इसे स्वीकार करें , कृपया इसे महसूस करें "। कृष्ण के लिए कुछ भी असं भव नहीं है और इस
प्रकार, जो पवित्र नाम की शरण ले ता है , उसके लिए कुछ भी असं भव नहीं है । कृष्ण हमारे हृदय में हैं
और वे सभी जीवों के सच्चे मित्र हैं । कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दौर से गु जर रहे हैं , वह
हमे शा मौजूद है । आप कृष्ण के शाश्वत से वक हैं और वे हमे शा पूर्ण पु रुषोत्तम भगवान बने रहें गे ।
इसलिए, अपने आध्यात्मिक जीवन को प्राथमिकता दें - जब आप वास्तविक आध्यात्मिक सु ख का
अनु भव करें गे तो आपको खालीपन महसूस नहीं होगा। बस अपना ह्रदय पवित्र नाम को दे दो और
कृष्ण आदान प्रदान करें गे । पवित्र नाम के प्यार में पड़ना ! हरे कृष्ण का जाप करें और हमे शा खु श
रहें ।

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