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धनपत राय श्रीवास्तव 

(31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर


1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं,
वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक
लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे।
उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रं गभमि
ू , निर्मला, गबन,
कर्मभमि
ू , गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा
कफन, पस
ू की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बढ़
ू ी
काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक
कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू
दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की
सभी प्रमख
ु उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती,
माधरु ी, मर्यादा, चाँद, सध
ु ा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी
समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हं स का
संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने
सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द
करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मंब
ु ई
आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे । जीवन के अंतिम
दिनों तक वे साहित्य सज
ृ न में लगे रहे । महाजनी
सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य
अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान
अन्तिम पर्ण
ू उपन्यास तथा मंगलसत्र
ू अन्तिम अपर्ण

उपन्यास माना जाता है ।
1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य
इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है ।
इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता
संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों
का स्पष्ट चित्रण है । उनमें दहे ज, अनमेल विवाह,
पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह,
आधनि
ु कता, स्त्री-परु
ु ष समानता, आदि उस दौर की सभी
प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है । आदर्शोन्मुख
यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है । हिन्दी
कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में  1918 से 1936 तक के
कालखण्ड को 'प्रेमचंद यग
ु ' या 'प्रेमचन्द यग
ु ' कहा जाता
है ।
जीवन परिचय
प्रेमचंद का जन्म 31 जल
ु ाई 1880 को वाराणसी जिले
(उत्तर प्रदे श) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में
हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी दे वी तथा पिता
का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे।
उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।
प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई।
प्रेमचंद के माता-पिता के सम्बन्ध में रामविलास शर्मा
लिखते हैं कि- "जब वे सात साल के थे, तभी उनकी माता
का स्वर्गवास हो गया। जब पन्द्रह वर्ष के हुए तब उनका
विवाह कर दिया गया और सोलह वर्ष के होने पर उनके
पिता का भी दे हान्त हो गया।"[1]
इसके कारण उनका प्रारम्भिक जीवन संघर्षमय रहा।
प्रेमचंद के जीवन का साहित्य से क्या संबंध है इस बात
की पष्टि
ु रामविलास शर्मा के इस कथन से होती है कि-
"सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पण्डे-पर
ु ोहित
का कर्मकाण्ड, किसानों और क्लर्कों का दख
ु ी जीवन-यह
सब प्रेमचंद ने सोलह साल की उम्र में ही दे ख लिया था।
इसीलिए उनके ये अनुभव एक जबर्दस्त सचाई लिए हुए
उनके कथा-साहित्य में झलक उठे थे।"[2] उनकी बचपन से
ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। 13 वर्ष की उम्र में ही उन ्‍
होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के
मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा
और मौलाना शरर के उपनय
्‍ ासों से परिचय प्रापत
्‍ कर
लिया[3]। उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में
हुआ। 1906 में उनका दसू रा विवाह शिवरानी दे वी से हुआ
जो बाल-विधवा थीं। वे सशि
ु क्षित महिला थीं जिन्होंने
कुछ कहानियाँ और प्रेमचंद घर में  शीर्षक पुस्तक भी
लिखी। उनकी तीन सन्ताने हुईं-श्रीपत राय, अमत

राय और कमला दे वी श्रीवास्तव। 1898 में मैट्रिक की
परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय
में शिक्षक नियक्
ु त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने
पढ़ाई जारी रखी। उनकी शिक्षा के सन्दर्भ में रामविलास
शर्मा लिखते हैं कि-
"1910 में  अंग्रेज़ी, दर्शन, फ़ारसी और इतिहास लेकर
इण्टर किया और 1919 में अंग्रेजी, फ़ारसी और इतिहास
लेकर बी. ए. किया।"[4] १९१९ में बी.ए.[5] पास करने के बाद
वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियक्
ु त हुए।
1921 ई. में  असहयोग आन्दोलन के दौरान महात्मा
गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल
इंस्पेक्टर पद से 23 जन
ू को त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद
उन्होंने लेखन को अपना व्यवसाय बना लिया। मर्यादा,
माधुरी आदि पत्रिकाओं में वे संपादक पद पर कार्यरत रहे ।
इसी दौरान उन्होंने प्रवासीलाल के साथ मिलकर
सरस्वती प्रेस भी खरीदा तथा हं स और जागरण निकाला।
प्रेस उनके लिए व्यावसायिक रूप से लाभप्रद सिद्ध नहीं
हुआ। 1933 ई. में अपने ऋण को पटाने के लिए उन्होंने
मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कम्पनी में कहानी
लेखक के रूप में काम करने का प्रस्ताव स्वीकार कर
लिया। फिल्म नगरी प्रेमचंद को रास नहीं आई। वे एक
वर्ष का अनुबन्ध भी पूरा नहीं कर सके और दो महीने का
वेतन छोड़कर बनारस लौट आए। उनका स्वास्थ्य
निरन्तर बिगड़ता गया। लम्बी बीमारी के
बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया।[6]

साहित्यिक जीवन
प्रेमचंद (प्रेमचन्द) के साहित्यिक जीवन का आरं भ
(आरम्भ) 1901 से हो चक
ु ा था[7] आरं भ (आरम्भ) में वे
नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे। प्रेमचंद की पहली
रचना के संबंध में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि-"प्रेमचंद
की पहली रचना, जो अप्रकाशित ही रही, शायद उनका वह
नाटक था जो उन्होंने अपने मामा जी के प्रेम और उस
प्रेम के फलस्वरूप चमारों द्वारा उनकी पिटाई पर लिखा
था। इसका जिक्र उन्होंने ‘पहली रचना’ नाम के अपने
लेख में किया है ।"[8] उनका पहला उपलबध
्‍ लेखन उर्दू
उपन्यास 'असरारे मआबिद'[9] है जो धारावाहिक रूप में
प्रकाशित हुआ। इसका हिंदी रूपांतरण दे वस्थान
रहस्य नाम से हुआ। प्रेमचंद का दस
ू रा उपनय
्‍ ास
'हमखुर्मा व हमसवाब' है जिसका हिंदी रूपांतरण 'प्रेमा'
नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ। १९०८ ई. में उनका
पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन प्रकाशित हुआ।
दे शभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस संग्रह को अंग्रेज़
सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया और इसकी सभी प्रतियाँ
जब्त कर लीं और इसके लेखक नवाब राय को भविषय
्‍ में
लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम
बदलकर प्रेमचंद के नाम से लिखना पड़ा। उनका यह नाम
दयानारायन निगम ने रखा था।[10] 'प्रेमचंद' नाम से
उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी ज़माना पत्रिका के
दिसम्बर १९१० के अंक में प्रकाशित हुई।
१९१५ ई. में उस समय की प्रसिद्ध हिंदी मासिक
पत्रिका सरस्वती के दिसम्बर अंक में पहली बार उनकी
कहानी सौत नाम से प्रकाशित हुई।[11] १९१८ ई. में उनका
पहला हिंदी उपन्यास सेवासदन प्रकाशित हुआ। इसकी
अत्यधिक लोकप्रियता ने प्रेमचंद को उर्दू से हिंदी का
कथाकार बना दिया। हालाँकि उनकी लगभग सभी
रचनाएँ हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित होती
रहीं। उन्होंने लगभग ३०० कहानियाँ तथा डेढ़ दर्जन
उपन्यास लिखे।
१९२१ में असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से
त्यागपत्र दे ने के बाद वे पूरी तरह साहित्य सज
ृ न में लग
गए। उन्होंने कुछ महीने मर्यादा नामक पत्रिका
का संपादन किया। इसके बाद उन्होंने लगभग छह वर्षों
तक हिंदी पत्रिका माधरु ी का संपादन किया। १९२२ में
उन्होंने बेदखली की समस्या पर
आधारित प्रेमाश्रम उपन्यास प्रकाशित किया। १९२५ ई. में
उन्होंने रं गभूमि नामक वहृ द उपन्यास लिखा, जिसके
लिए उन्हें मंगलप्रसाद पारितोषिक भी मिला। १९२६-२७
ई. के दौरान उन्होंने महादे वी वर्मा द्वारा संपादित हिंदी
मासिक पत्रिका चाँद के लिए धारावाहिक उपन्यास के रूप
में  निर्मला की रचना की। इसके बाद उन्होंने कायाकल्प,
गबन, कर्मभमि
ू और गोदान की रचना की। उन्होंने १९३०
में बनारस से अपना मासिक पत्रिका हं स का प्रकाशन शरू

किया। १९३२ ई. में उन्होंने हिंदी साप्ताहिक
पत्र जागरण का प्रकाशन आरं भ किया।
उन्होंने लखनऊ में  १९३६ में अखिल भारतीय प्रगतिशील
लेखक संघ के सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने मोहन
दयाराम भवनानी की अजंता सिनेटोन कंपनी में कथा-
लेखक की नौकरी भी की। १९३४ में प्रदर्शित
फिल्म मजदरू  की कहानी उन्होंने ही लिखी थी।
१९२०-३६ तक प्रेमचंद लगभग दस या अधिक कहानी
प्रतिवर्ष लिखते रहे । मरणोपरांत उनकी कहानियाँ
"मानसरोवर" नाम से ८ खंडों में प्रकाशित हुईं। उपन्यास
और कहानी के अतिरिक्त वैचारिक निबंध, संपादकीय,
पत्र के रूप में भी उनका विपल
ु लेखन उपलब्ध है ।

रचनाएँ
उपन्यास

 असरारे मआबिद- उर्दू साप्ताहिक आवाज-ए-


खल्क़ में  8 अक्टूबर 1903 से 1 फरवरी 1905 तक
धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। कालान्तर में यह
हिन्दी में  दे वस्थान रहस्य नाम से प्रकाशित हुआ।
 हमखर्मा
ु व हमसवाब- इसका प्रकाशन 1907 ई. में
हुआ। बाद में इसका हिन्दी रूपान्तरण 'प्रेमा' नाम से
प्रकाशित हुआ।
 किशना- इसके सन्दर्भ में अमत
ृ राय लिखते हैं कि-
"उसकी समालोचना अक्तब
ू र-नवम्बर 1907 के
'ज़माना' में निकली।" इसी आधार पर 'किशना' का
प्रकाशन वर्ष 1907 ही कल्पित किया गया।[12]
 रूठी रानी- इसे सन ् 1907 में अप्रैल से अगस्त महीने
तक ज़माना में प्रकाशित किया गया।
 जलवए ईसार- यह सन ् 1912 में प्रकाशित हुआ था।
 सेवासदन- 1918 ई. में प्रकाशित सेवासदन प्रेमचंद का
हिन्दी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास था। यह
मल
ू रूप से उनह्‍ ोंने 'बाजारे -हुसन
्‍ ' नाम से पहले उर्दू में
लिखा गया लेकिन इसका हिन्दी रूप 'सेवासदन' पहले
प्रकाशित हुआ। यह स्त्री समस्या पर केन्द्रित उपन्यास
है जिसमें दहे ज-प्रथा, अनमेल विवाह, वेश्यावत्ति
ृ , स्त्री-
पराधीनता आदि समस्याओं के कारण और प्रभाव
शामिल हैं। डॉ रामविलास शर्मा 'सेवासदन' की मुखय
्‍
समसय
्‍ ा भारतीय नारी की पराधीनता को मानते हैं।
 प्रेमाश्रम (1922)- यह किसान जीवन पर उनका पहला
उपनय
्‍ ास है । इसका मसौदा भी पहले उर्दू में 'गोशाए-
आफियत' नाम से तैयार हुआ था लेकिन इसे पहले
हिंदी में प्रकाशित कराया। यह अवध के किसान
आन्दोलनों के दौर में लिखा गया। इसके सन्दर्भ में वीर
भारत तलवार किसान राष्ट्रीय आन्दोलन और
प्रेमचन्द:1918-22 पुस्तक में लिखते हैं कि- "1922 में
प्रकाशित 'प्रेमाश्रम' हिंदी में किसानों के सवाल पर
लिखा गया पहला उपन्यास है । इसमें सामंती व्यवस्था
के साथ किसानों के अन्तर्विरोधों को केंद्र में रखकर
उसकी परिधि के अन्दर पड़नेवाले हर सामाजिक तबके
का-ज़मींदार, ताल्लक
ु े दार, उनके नौकर, पलि
ु स,
सरकारी मल
ु ाजिम, शहरी मध्यवर्ग-और उनकी
सामाजिक भमि
ू का का सजीव चित्रण किया गया है ।"[13]
 रं गभमि
ू  (1925)- इसमें प्रेमचंद एक अंधे भिखारी
सरू दास को कथा का नायक बनाकर हिंदी कथा साहित ्‍
य में क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात करते हैं।
 निर्मला (1925)- यह अनमेल विवाह की समस्याओं को
रे खांकित करने वाला उपन्यास है ।
 कायाकल्प (1926)
 अहं कार - इसका प्रकाशन कायाकल्प के साथ ही
सन ् 1926 ई. में हुआ था। अमत
ृ राय के अनुसार यह
"अनातोल फ्रांस के 'थायस' का भारतीय परिवेश में
रूपांतर है ।"[14]
 प्रतिज्ञा (1927)- यह विधवा जीवन तथा उसकी
समस्याओं को रे खांकित करने वाला उपन्यास है ।
 गबन (1928)- उपन्यास की कथा रमानाथ तथा उसकी
पत्नी जालपा के दाम्पत्य जीवन, रमानाथ द्वारा
सरकारी दफ्तर में गबन, जालपा का उभरता व्यक्तित्व
इत्यादि घटनाओं के इर्द -गिर्द घूमती है ।
 कर्मभमि
ू  (1932)-यह अछूत समस्या, उनका मन्दिर में
प्रवेश तथा लगान इत्यादि की समस्या को उजागर
करने वाला उपन्यास है ।
 गोदान (1936)- यह उनका अन्तिम पर्ण
ू उपन्यास है
जो किसान-जीवन पर लिखी अद्वितीय रचना है । इस
पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद 'द गिफ्ट ऑफ़ काओ' नाम
से प्रकाशित हुआ।
 मंगलसत्र
ू  (अपर्ण
ू )- यह प्रेमचंद का अधरू ा उपनय
्‍ ास है
जिसे उनके पुत्र अमत
ृ राय ने पूरा किया। इसके
प्रकाशन के संदर्भ में अमत
ृ राय प्रेमचंद की जीवनी में
लिखते हैं कि इसका-"प्रकाशन लेखक के दे हान्त के
अनेक वर्ष बाद 1948 में हुआ।"[15]
आगरा के दर्शनीय स्थल और आगरा में घ ू म ने की
जगह - Agra tourist places in hindi

मे रे प्रि य पाठक आपका हमारे इस नए ले ख में हृदय


से   प्रे म प ू र्व क नमस्कार |  आगरा के तथा आगरा के
आसपास के सभी पर्यटक स्थल का सं प ू र्ण जानकारी
हम इस ले ख में   वर्णन करें गे |

आगरा का परिचय - Agra Mein Ghumne Ki


Jagah :

 आगरा के बारे में अगर हम घूमने का प्लान करते हैं


तो सबसे पहले हमें आगरा का ताजमहल याद आता
है | आगरा भारत के उत्तर प्रदे श राज्य में यमन
ु ा नदी
के किनारे बसा एक शहर है | आगरा का ताजमहल
विश्व के सात अजूबों में से एक है | आगरा में आगरा
किला के अलावा बहुत सारे आसपास के पर्यटक स्थल
है जहां पर आप एक अच्छा छुट्टियों का प्लान कर
सकते हैं | आगरा में पर्यटक स्थलों के अलावा यहां
खाने-पीने और मनोरं जन के लिए बहुत सारी चीजें हैं
जैसे आगरा का पेठा ,लस्सी ,चार्ट पूरे भारत में
मशहूर है | यह उत्तर प्रदे श का सबसे अधिक आबादी
वाले शहरों में से एक हैं | 
 आगरा मध्यकालीन यग
ु की खब
ू सरू त और
आश्चर्यजनक संरचनाओं की वजह से दे श के सबसे
प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है | यदि
आपको शहर के इतिहास से रूबरू होना है तो आप
एक अद्भत
ु स्मारकों पर जरूर जाएं| यहां पर
ज्यादातर मग
ु लों का शासन रहा है इसलिए यहां पर
मुगलों द्वारा बनवाई गई कई इमारते हैं ,जिसका
जिक्र महाभारत में अग्रवेना के रूप में किया गया है |

आगरा का इतिहास - Agra History in Hindi : 

 आगरा महाभारत के समय से एक प्राचीन शहर था |


दिल्ली सल्तनत के मुस्लिम शासक सुल्तान सिकंदर
लोदी ने 1504 में आगरा की स्थापना की | मग
ु ल
बादशाह बाबर ने सन 1526 में आगरा को अपनी
राजधानी बनाया था | बाबर ने इस युग में भव्य
स्मारक बनवाकर आगरा का गौरव बढ़ाया | उस में
सबसे महत्वपर्ण
ू ताजमहल था, जिसे शाहजहां ने
अपनी पत्नी मम
ु ताज महल के मकबरे के रूप में
बनवाया था और आज इस स्मारक को उनके प्रेम के
रूप में दनि
ु या में जाना जाता है |

आगरा के पर्यटक स्थल - Tourist place in Agra in


Hindi :
आगरा में सबसे ज्यादा पर्यटक यहां पर ताजमहल
दे ख ने के लिए आते हैं उसके बाद लोग मथ ु र ा जाने
का प्लान करते हैं क्योंकि मथ ु र ा यहां से लगभग
60 किलोमीटर की द रू ी पर है जो आसानी से मथ ु र ा
पहु ं च ा जा सकता है | आगरा के आसपास तथा
आगरा में बहु त सारे पर्यटक स्थल है म ु ख् य पर्यटक
स्थल का वर्णन हम ले ख में कर रहे हैं जो इस
प्र कार है -
 आगरा में पर्यटन स्थल ताजमहल
 फतेहपुर सीकरी 
 आगरा का किला
 इत्माद-उद-दौला का मकबरा
 अकबर का मकबरा
 मेहताब बाग
 चीनी का रौजा
 अंगूरी बाग
 ताज संग्रहालय
 जामा मस्जिद
 सिकंदरा 

1. आगरा में पर्यटन स्थल ताजमहल - Tajmahal


Agra in Hindi  :

 ताजमहल आगरा रे लवे कैं ट स्टे शन से लगभग 6


किलोमीटर की दरू ी पर स्थित है | ताजमहल प्रत्येक
शक्र
ु वार को पर्यटकों के लिए बंद रहता है | ताजमहल
को परू ा निर्माण करने में लगभग 17 साल लग गए
और अंत में 1653 में बनकर तैयार हुआ | ताजमहल
60 बीघा से अधिक भूमि को कवर करते हुए
राजस्थान से सफेद संगमरमर का उपयोग करके
निर्माण किया गया था।
 इस मकबरे को एक आयताकार आकार में बनाया
गया है । इस के प्रवेश द्वार पर पानी के चैनल और
फव्वारे हैं जो इस स्मारक को अद्भत ु और भी शानदार
बनाते हैं। इसे “प्रेम का प्रतीक” भी कहा जाता है जिसे
भारत के चौथे मग
ु ल सम्राट जहांगीर के पत्र
ु और
अकबर के पोते शाहजहां ने अपनी तीसरी बीवी
मुमताज महल के स्मारक के रूप में बनवाया था |
ताजमहल को फारसी भाषा में “क्राउन ऑफ पैलेस”
कहा जाता है । इसे मग
ु लों की वास्तक
ु ला का बेहतरीन
उदाहरण माना जाता है | 

 2. फते ह प ु र सीकरी - Fatehpur Sikri in Hindi  :


 

 आगरा कैं ट से लगभग 38 किलोमीटर की दरू ी है


फतेहपरु सिकरी की | इस फतेहपरु सिकरी शहर को
यन
ू ेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है
तथा एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केंद्र भी है ।
सम्राट अकबर द्वारा सन 1569 में स्थापित, यह
शहर सन 1571 से 1585 तक मग
ु लों की राजधानी
था।फतेहपरु सीकरी की संरचना मख्
ु य रूप से लाल
बलुआ पत्थर से बना है |फतेहपुर सिकरी मुस्लिम
वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है |
 फतेहपरु सीकरी में 1 दिन घम
ू कर आसानी से बिताए
जा सकते हैं| यहां पर कई सारे पर्यटक स्थल हैं| हम
आपको वहां के मुख्य पर्यटक स्थल के बारे में बता रहे
हैं जो इस प्रकार हैं-

 बुलंद दरवाजा 
 दीवान ए खास
 दीवान ए आम
 ख्वाब महाल
 हिरन मीनार 
 पंचमहल 
 इबादत खाना
 जामा मस्जिद
 सलीम चिश्ती की दरगाह

3. आगरा का किला - Agra Fort in Hindi :

 आगरा किला यमुना नदी के किनारे बना हुआ है |


किले का निर्माण मग
ु ल सम्राट अकबर द्वारा सन
1565 में शरू
ु किया गया था | यह आगरा का
ताजमहल के बाद दस
ू रा विश्व धरोहर है | इस किले
का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था और
इसकी वास्तक
ु ला दिल्ली के लाल किला से मिलता है |
आगरा किला आगरा कैं ट से लगभग 4.5 किलोमीटर
की दरू ी पर है | आगरा किले में प्रवेश की फीस 40
रूपए है , जबकि विदे शियों के लिए 550 रूपए की
टिकट है । 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए किले
में प्रवेश फीस फ्री है ।
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4. इत्माद - उद - दौला का मकबरा आगरा - Itimad-Ud-


Daulah’s Tomb Agra in Hindi :

 इत्माद-उद-दौला का मकबरा ‘बेबी ताज महल’ के


रूप में जाना जाता है | यह मकबरा एक मुगल
मकबरा है | यह मकबरा परू ी तरह से सफेद संगमरमर
का बना भारत का पहला मकबरा है | इसका निर्माण
काल 1622-1628 तथा इसके निर्माता नूरजहां हैं |
यह इस्लामिक वास्तु कला से बना हुआ है | यह
मकबरा यमनु ा नदी के किनारे लगभग 23 वर्ग मीटर
में फैला हुआ है | यहां की दीवारों पर पेड़ पौधे
,जानवरों और पक्षियों के चित्रों की सुंदर नक्काशी की
गई है | भारतीय पर्यटकों का टिकट शुल्क मात्र 10
रूपये और 15 साल से छोटे बच्चो के लिए टिकट नहीं
है । वही विदे शी पर्यटकों के लिए टिकट शुल्क 110
रूपये है । पूरे स्मारक में फोटोग्राफी मुफ्त है पर
वीडियोग्राफी के लिए 25 रूपये का टिकट शल्
ु क
लगता है ।ताजमहल से इसकी दरू ी लगभग 7
किलोमीटर है तथा आगरा किला से 3.5 किलोमीटर
है |

5. अकबर का मकबरा - Akbar Tomb Agra in


Hindi :

 मुगल साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण स्थापत्य कला


“अकबर का मकबरा” है । यह मकबरा NH-2 पर
मथरु ा रोड पर स्थित है और शहर के केंद्र से लगभग
8.2 किमी दरू स्थित है । यह मक़बरा आगरा के बाहरी
इलाके सिकंदरा में स्थित है तथा लगभग 119 एकड़
भमि
ू में फैला है | यह मकबरा बलआ
ु पत्थर और
सफेद संगमरमर से बना हुआ है | इस मकबरे का
निर्माण अकबर ने खद
ु करवाया था अपने जीवन
काल में अकबर की मत्ृ यु के बाद उसका बेटा जहांगीर
ने इस मकबरे का निर्माण का काम पूरा किया |

6. मे ह ताब बाग - Mehtab Bagh Agra in Hindi :

 मेहताब बाग का अर्थ होता है “चांद की रोशनी” का


बाग, यह बाग यमुना के ताजमहल के विपरीत दस
ू रे
किनारे पर स्थित है | मेहताब बाग लगभग 25 एकड़
में फैला हुआ है इसका निर्माण 1631 से 1635 के
बीच करवाया गया था | इस बाग के बीच में एक बहुत
बड़ा सा अष्टभज
ु ी तालाब है जिसमें ताजमहल का
प्रतिबिंब बनता है | यह बाग प्राकृतिक आनंद लेने के
लिए आगरा के पर्यटक स्थल मे से एक है | यह बाग
सब
ु ह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खल
ु ा रहता
है | भारतीय पर्यटक की प्रवेश शल्
ु क ₹30 है और
विदे शी पर्यटकों का शुल्क ₹200 प्रति व्यक्ति है |
आगरा किला से लगभग 4.5 किलोमीटर की दरू ी पर
है |

7. चीनी का रौजा - Chini Ka Rauza Agra in Hindi


:

 चीनी का रौजा एक अंतिम संस्कार स्मारक है यह


यमन
ु ा नदी के पर्वी
ू तट पर स्थित है | यह 1635 में
निर्मित है | इसका निर्माण आयताकार आकार में
किया गया है तथा इसकी दीवारों को रं गीन टाइल से
सजाया गया है | इस मकबरे की सबसे बड़ी खासियत
इसकी अफगान शैली में बनी गोल गुंबद है जिस पर
पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए हैं | यह आगरा
किला से लगभग 4 किलोमीटर की दरू ी पर है | यह
मकबरा शिराज के अलल
्‍ मा अफजल खल मुलल
्‍ ाह
शुक्रुलल
्‍ ाह को समर्पित है |

8. अं ग ू र ी बाग - Anguri Bagh Agra in Hindi :


 अंगूरी बाग 1637 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा
बनवाया गया था | महल के मुख्य भाग में एक हाल
है जिसमें आसपास के अर्धवत्ृ त आकार पैटर्न में कमरे
हैं और सामने एक विशाल प्रांगण है जिसमें एक
शानदार बगीचा भी है | इस बगीचे को “अंगूरी बाग”
भी कहा जाता है | यहां के आसपास की संरचना
सफेद संगमरमर से बनी है जिसे शरू
ु में चित्रित किया
गया था और सोने में तराशा गया था | यहां आप
आसानी से एक से दो घंटा समय बिता सकते हैं | यहां
का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए ₹40 और
विदे शियों के लिए ₹510 प्रति व्यक्ति है | आगरा
किला से लगभग 900 मीटर की दरू ी पर यह बाग है |

9. ताज सं ग्र हालय - Taj Museum Agra in Hindi :


 इस म्यजि
ू यम की स्थापना 1982 में की गई थी
इसमें सम्राट और उनकी महारानी की कपड़ों के
निर्माण और नियोजन को प्रदर्शित करने वाले चित्र
लगे हैं|ताजमहल के नजदीक है ताज संग्रहालय | यह
संग्रहालय सब
ु ह 10:00 से शाम 7:00 बजे तक खल
ु ा
रहता है | यहां भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क
20 रूपए और विदे शी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क
750 रूपए प्रति व्यक्ति है । ताज संग्रहालय
ताजमहल परिसर के अंदर स्थित है । स्मारक पर
प्रदष
ू ण के प्रभाव को कम करने के लिए, वाहनों को
ताज के आसपास के क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं है
| यह पर्यटकों का सबसे लोकप्रिय स्थान है |

10. जामा मस्जि द - Jama Masjid Agra in Hindi :

 शाहजहां के शासन में निर्मित जामा मस्जिद 1648


में उनकी पसंदीदा बेटी जहांआरा बेगम को समर्पित है
| इसको लाल पत्थर और संगमरमर से बनाया गया
है | यह आगरा किला से लगभग 700 मीटर की दरू ी
पर है | 

11. सिकं दरा आगरा - Sikandra Agra in Hindi :

 सिकंदरा आगरा से लगभग 4 किलोमीटर की दरू ी पर


स्थित है यहां पर सबसे अच्छा अकबर का मकबरा है
| सिकंदरा का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा था
|

आगरा के मशहू र स्ट्र ीट फू ड - Street Food of Agra


in Hindi :
  आगरा में कई प्र कार के मशहू र स्ट्र ीट फू ड हैं जिस
का ल ु फ् त आप उठा सकते हैं जो इस प्र कार हैं -

पे ठ ा -  आगरा में आगरा का पे ठ ा सबसे ज्यादा


मशहू र है | यहां पर कई प्र कार की वै र ाइटी में बै ठ ा
उपलब्ध है जिसे आप अपने साथ बै ठ कर आकर ले
जा सकते हैं यह खास तौर पर सफे द कद्द ू और लौकी
से बनाया जाता है |

पराठा -  आगरा के पराठे जै स ा स्वाद आपको कहीं


और चखने को नहीं मिले ग ा। म ु ग लई पराठे स्थानीय
लोगों के साथ पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रि य
हैं । इसे गे हू ं से तै य ार किया जाता है , जिसमें आल ू ,
फू लगोभी और गाजर मिलाई जाती है । इस पराठे को
यहां हरी चटनी के साथ खाया जाता है ।

दालमोठ -  यदि आप आगरा आगर कु रकु रा खाने की


इच्छा रखते हैं तो आगरा की दालमोठ एक अच्छा
स्नै क हो सकता है । खासतौर पर चाय के साथ इस
कु रकु रे स्नै क का आनं द लिया जाता है । दालमोठ
म ू ं ग फली , मसालों और तली हु ई दालों का एक
मिश्र ण है , जिसे यहां बीयर , व्हि स्की शराब के साथ
भी इस्ते म ाल किया जाता है ।
बे ड़ ई - बे ड़ ई आगरा का महत्वप ू र्ण नाश्ता है । दिनभर
आप यहां की द क
ु ानों पर बे ड़ ई खाने वालों की भीड़
दे ख सकते हैं । यहां की बे ड़ ई जै स ा स्वाद आपको
कहीं और नहीं मिले गा। कई लोग इसे कचौरी भी
कहते हैं । इसे मसाले द ार आल ू की ग्रे व ी के साथ
गर्मा - गर्म परोसा जाता है । इसका स्वाद एकदम
बिल्कु ल गजब का होता है |

आगरा में शॉपि ग


ं - Shopping in Agra Hindi :

यहां खरीदारी करते समय आप सं ग मरमर के शिल्पी


को खरीदना ना भ ू ले | आगरा में चमड़े के ज ू त े ,
बे ल् ट , बै ग , चप्पल और जै के ट के लिए भी काफी
प्र सिद्ध है | आगरा में बहु त अच्छी - अच्छी डिजाइन
की कालीन भी यहां से खरीद सकते हैं |

आगरा किस चीज के लिए ज्यादा मशहू र है - What


is Agra Famous For :
आगरा ताजमहल के कारण ज्यादा मशहू र है ।
आगरा में सं ग मरमर के आइटम और चमड़ें की
चीजों के लिए यहां का सदर बाजार बहु त प्र सिद्ध है ।
यहां बहु त सारे ऐतिहासिक स्मारक भी हैं इसके
अलावा यहां के ज ू त े , कपड़े , बर्तन बहु त सारी
वै र ायटी मिलती है | आगरा का खाने के मामले में
भी सबसे अलग है | यहां पर म ु ग लई व्यं ज न आज ही
मिलते हैं |

आगरा कै से पहु ं च े - How To Reach Agra in


Hindi :
1. सड़क मार्ग से आगरा कै से पहु ं च े - How to reach
Agra by road :

 आगरा NH2, NH3 और NH11 तीन प्रमख


ु राष्ट्रीय
राजमार्गों से दे श के हिस्सों से जड़
ु ा हुआ है । आगरा से
रोडवेज बसें, प्राइवेट बसें और वोल्वो लग्जरी बसें
उपलब्ध हैं। यूपी टूरिज्म डीलक्स बसों पर शहर के
भीतर और भी सिकंदरा और फतेहपुर सीकरी के लिए
निर्देशित टूर आयोजित करता है । नोएडा एक्सप्रेसवे
ने आगरा से कनेक्टिविटी बढ़ा दी है और यात्रा समय
कम कर दिया है । दिल्ली से अब दो घंटे मे आगरा
पहुंचा जा सकता है |

2. ट्रे न से आगरा कै से पहु ं च े - How to reach Agra


by train :

 आगरा कैं ट यह रे लवे लाइन द्वारा अच्छी तरह से


जड़ ु ा हुआ है ।आगरा शहर के अपने सात रे लवे स्टे शन
है । इन सात में से तीन मख् ु य रे लवे स्टे शन आगरा
फोर्ट रे लवे स्टे शन, आगरा कैं ट रे लवे स्टे शन और
राजा-की-मंडी हैं। अधिकांश ट्रे नें आगरा फोर्ट और
आगरा कैं ट रे लवे स्टे शनों से होकर गज
ु रती हैं|

3. फ्लाइट से आगरा कै से पहु ं च े - How to reach


Agra by flight

 आगरा का अपना हवाई अड्डा, खेरिया हवाई अड्डा


है , जो शहर के केंद्र से लगभग 5 किलोमीटर दरू है ।
यहां दे श भर की प्रमख
ु घरे लू एयरलाइंस द्वारा सेवा
दी जाती है । इसके बाद फिर दिल्ली में इंटरनेशनल
एयरपोर्ट है |

  यात्रि यों के लिए टिप्स -

 आगरा घम
ू ने का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से
मार्च तक का होता है | गर्मी में आगरा का तापमान
45 डिग्री के आसपास हो जाता है और सर्दी में
लगभग 1 डिग्री तक ठं ड होती है |
 मेरी प्रिय पाठ आगरा में शॉपिंग करते समय आप जो
भी सामान खरीदें उसकी गण
ु वत्ता अच्छे से दे ख ले
,दक
ु ानदार जल्दबाजी में खराब सामान दे दे ता है |
 यहां पर धोखाधड़ी भी बहुत होता है जो आप
संगमरमर का सामान खरीदते हैं वहां पर नकली
समान दे ते हैं | इसलिए आपको असली मार्बल का
पहचान भी होना चाहिए पहचान करने का तरीका यह
है कि असली मार्बल ट्रांसपेरेंट नहीं होता है | एक और
खास बात यहां के ड्राइवरों और टूरिस्ट गाइड द्वारा
बताई गई दक
ु ानों पर से कोई भी सामान ना खरीदें
क्योंकि इनका दक
ु ानदारों के साथ कमीशन सेट होता
है और आपको समान मंगा मिल सकता है इसलिए
आप अपने मन के मत
ु ाबिक और अपनी बद्धि
ु का
प्रयोग करके खुद से खरीदे हैं |

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