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ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:
हाथ धोने के बाद पवित्री धारण करें , पवित्री के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और
पूजन सामग्री पर छिड़क ले।
ु ातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पन
ॐ पुण्डरीकाक्ष पन ु ातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पन
ु ातु बोलकर गणेश जी एवं अम्बिका (सुपारी में
मौली लपेटकर) को स्थापित करें निम्न मंत्र बोलकर आवाहन करें ।
ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:!!
फिर कामना-विशेष का नाम लेकर संकल्प ले लें, अर्थात दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल एवं चावल
लेकर जिस निमित्त पूजन कर रहे है उसका मन में उच्चारण करके थाली या गणेश जी के सामने छोड़ दें ।
अब हाथ में चावल लेकर गणेश अम्बिका का ध्यान करें ।
फिर दध
ू चढ़ाएं
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पय:स्नानं समर्पयामि!
ू व:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,घत
ॐ भर्भु ृ स्नानं समर्पयामि!
फिर पंचामत
ृ चढ़ाएं। (दध
ू , दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर)
ू व:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पंचामत
ॐ भर्भु ृ स्नानं समर्पयामि!
ू व:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शध्
ॐ भर्भु ु दोदकस्नानं समर्पयामि!
फिर दर्वा
ू चढ़ाएं।
फिर अबीर, गल
ु ाल, हल्दी आदि चढ़ाएं।
नवग्रह पज
ू न विधि का वर्णन ग्रंथ-परु ाणों में मिलता है और ग्रंथ-परु ाणों के अनस
ु ार
भगवान शिव की पज
ू ा के साथ ही नवग्रह पूजन किया जाता है । नवग्रह पूजन विधि के
अनुसार सबसे पहले एक चौकी पर लाल रं ग का साफ वस्त्र बिछाया जाता है । उसके बाद
ग्रहों का आह्वान कर उनकी स्थापना चौकी पर की जाती है । स्थापना करते समय हर ग्रह
से जड़
ु े मंत्र बोले जाते है और इन मंत्रों को बोलते समय अक्षत अर्पित किए जाते हैं।
नवग्रह पज
ू न विधि तालिका
चौकी पर किस ग्रह का कौन सा स्थान होना चाहिए वो इस प्रकार है -
बह
ृ स्पति सूर्य मंगल
केतु यम राहु
सूर्य
मंत्र
सूर्य ग्रह का आह्वान करने के बाद चंद्र ग्रह को याद किया जाता है और बाएं हाथ में सफेद
अक्षत और फूल लेकर उन्हें चौकी पर छोड़ते हुए निम्न मंत्र बोला जाता है ।
मंत्र
तीसरे नंबर पर मंगल ग्रह का आह्वान किया जाता है और इस ग्रह का आह्वान करते
समय हाथ में लाल पुष्प और लाल अक्षत लिए जाते हैं और नीचे बताए गए मंत्र को पढ़ते
हुए इन्हें छोड़ा जाता है ।
मंत्र
बुध
बुध ग्रह का आह्वान करते समय हल्दी वाले अक्षत और फूल अर्पित करते हुए नीचे बताए
गए मंत्र को बोला जाता है –
मंत्र
मंत्र
मंत्र
शनि का आह्वान करने के लिए काले रं ग से रं गे अक्षत का प्रयोग किया जाता है और नीचे
बताए गए मंत्र को बोला जाता है ।
मंत्र
राहु
राहु ग्रह का आह्वान करते हुए काले रं ग के अक्षत और फूलों को बाएं हाथ में रखा जाता है
और नीचे बताए गए मंत्र का जाप करते हुए इन्हें चौकी पर छोड़ा जाता है ।
मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भव
ु दत
ू ी सदावधः सखा ।
कया शचिष्ठया वत
ृ ा॥
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम ्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं राहुमावाहयाम्यहम ्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः राठिनपुरोद्धव पैठीनसगोत्र कृष्णवर्ण भो राहो! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ राहवे
नमः, राहुमावाहयामि स्थापयामि च ।
केतु
नवग्रह पज
ू न विधि के अनस
ु ार केतु ग्रह का आह्वान करने के लिए धमि
ू ल अक्षत और फूल
लेकर नीचे बताए गए मंत्र का उच्चारण किया जाता है ।
मंत्र
ॐ मनो जूर्तिर्ज्षतामाज्यस्य बह
ृ स्पतिर्यज्ञमिमं ततनोत्वरिष्टं यज्ञ(गँु)सममं दधातु।
विश्वे दे वास इह मादयन्तामो3 म्प्रतिष्ठा ॥
अस्मिन नवग्रहमंडले आवाहिताः सर्या
ू दिनवग्रहादे वाः सप्र
ु तिष्ठिता वरदा भवन्तु ।
सूर्यः शौर्यमथेन्दरु
ु च्चपदवीं सन्मंगलं मंगलः सद्बुद्धि ं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शक्र
ु सुखं शं
शनिः ।
राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतुः कुलस्यो नतिं
नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनकूला ग्रहाः ॥