You are on page 1of 7

Page 1 of 12

(Easy To Learn : With Hindi Meaning) Dated : 10-02-2020.

॥ श्री महावामके श्वर-तन्त्रे कालके यहहरण्यपुरहवजये


रावणकृ तं कामकलाकाली-भजु ङ्ग-प्रयात-स्तोत्रराजं ॥
॥ कामकला-काली-स्तोत्रम् ॥
श्री गणेशाय नमः ।
महाकाल उवाच ।
अथ वक्ष्ये महेशानन देवयाः स्तोत्रमनुत्तमम*् । *स्तोत्रम-अन
् ुत्तमम्
यस्य स्मरण-मात्रेण नवघ्ना यानतत पराङ्मु खाः* ॥१॥ *पराङ्-मुखाः
श्री महाकाल ने कहा , हे महेशाहन, अब मैं देवी के सवोत्तम स्तोर तुम्हें बताता ह,ूँ
हजसके स्मरण मार से हवघ्न वापस हो जाते हैं ।१।

नवजेतुं प्रतस्थे यदा कालकस्या-असरु ान् रावणो मञ्ु जमानल-प्रवहाान् ।


तदा कामकालीं स तुष्टाव, वानभभनजागीषुमाधृ े बाहु-वीर्य्येण सवाान् ॥२॥
*वानभभर-नजगीष
् रु -मृ
् धे = वानभभःनजगीषुःमृधे
रावन ने जब मुञ्जमाली आहद कालके य असुरों को जीतने के हलये प्रस्थान हकया,
तब युद्ध में भुजाओ ं के बल से सबको जीत लेने की इच्छा वाले शब्दों से,
उसने कामकला काली की स्तहु त की ।२।

महावत्ताभीमासृगब्ध्यत्ु थवीची-पररक्षानलता श्राततकतथश्मशाने ।


नचनतप्रज्वलद्वनिकीलाजटाले,नशवाकारशावासने सनतनषण्णाम् ॥३॥
महावत्ता-भीमा-असृग-ब्ध्युत्थ-वीची-परर-क्षानलता श्रातत-कतथ-श्मशाने ।
नचनत-प्रज्वलद-वनि-कीला-जटाले
् ,
नशवा-आकार-शाव(?शव)-आसने सन्-ननषण्णाम् ॥३॥
महा आवतत से भयंकर, रक्तसमद्रु से उठने वाली लहरों से पररक्षाहलत, श्रान्त्तकन्त्थ
नामक शमशान में, हिता की जलती हुई अहनन की हशखा के समान जटा वाले
हशवाकार शव के आसन पर बैठी हुई, कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।३।

Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh


Page 2 of 12

महाभैरवीयोनगनीडानकनीनभः,करालानभरापादलम्बत्कचानभः ।
भ्रमततीनभरापीय मद्यानमषास्रातयजस्रं, समं सञ्चरततीं हसततीम् ॥४॥
*महा-भैरवी-योनगनी-डानकनीनभः,करालानभरा-पाद-लम्बत्-कचानभः ।
भ्रमतती-नभरापीय मद्य-आनमषास्रा-अतय-जस्रं समं सञ्चरततीं हसततीम् ॥४॥
भयक ं र आकृ हत , पैर तक लटकते हुए लंबे बालों वाली, मद्य, मांस, रक्त का पान कर
हनरंतर नृत्य करने वाली महाभैरहवयों , योहिहनयों एवं डाहकहनयों के साथ संिरण करने वाली,
सदा हसं ती हुई, (कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।४।

महाकल्पकालाततकादनम्बनी-नत्वट्पररस्पनधादेहद्यनु तं घोरनादाम् ।
स्फुरदद्व् ादशानदत्यकालानभनरुद्र-ज्वलनद्वद्यदु ोघप्रभादनु नारीक्ष्याम् ॥५॥
* महा-कल्प-कालातत-कादनम्बनी-नत्वट्-परर-स्पनधा-देहद-य ् ुनतं घोर-नादाम् ।
स्फुरद-द्वादश-आनदत्य-कालानभन-रुद्र-ज्वलद
् -नवद्य
् दु ोघ-प्रभा-दनु नारीक्ष्याम् ॥५॥
महाप्रलय के समय , कालान्त्तक, मेघमाला की काहं त की प्रहतस्पर्धी, देहद्यहु त वाली, घोर नाद
करने वाली, िमकते हुए द्वादश आहदत्य (=१२ सूयत) तथा कालाहनन-रुद्र की जलती हुई हवद्युत्प्रभा
के समान, दहु नतरीक्ष्य, (कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।५।

लसतनीलपाषाणननमााणवेनद-प्रभश्रोनणनबम्बां चलत्पीवरोरुम् ।
समुत्तुङ्गपीनायतोरोजकुम्भां,कनटग्रनतथतद्वीनपकृ त्त्युत्तरीयाम् ॥६॥
* लसन्-नील-पाषाण-ननमााण-वेनद-प्रभश्रोनण-नबम्बां चलत्-पीवरोरुम् ।
समतु ्-तङु ् ग-पीनायत-उरोज-कुम्भां, कनट-ग्रनतथ-तद्वीनप-कृ त्त्य-उत्तरीयाम
् ् ॥६॥

िमकते हुए नीलमहण पत्थर से हनहमतत वेदी के सदृश हनतम्ब, हबम्ब वाली,
ििं ल पीवर, जघन वाली, उंिे, िौड़े, हवशाल स्तनों वाली तथा कहट(=कमर)-
प्रदेश में िैंडा का िमड़ा बार्धं ी हुई, कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।६।

स्रवद्रक्तवल्गतनृमुण्डावनधा-सृगाबधनक्षत्रमालैकहाराम् ।
मृतब्रह्मकुल्योपक्लृप्ताङ्गभषू ां,महाट्टाट्टहासैजगा त् त्रासयततीम् ॥७॥
*स्रवद-रक्त-वल्गन
् -नृ
् मण्ु ड-अव-नधा-असृग-आबध-नक्षत्र-मालैक-हाराम् ।
मृत-ब्रह्म-कुल्योप-क्लृप्ताङ्ग-भषू ां, महा-अट्टाट्टहासै-जागत् त्रासयततीम् ॥७॥
Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh
Page 3 of 12

हिरते हुए रक्त वाले नरमुण्ड से बंर्धे, रक्तोपहलप्त मोहतयों का हार पहनी हुई, मरे हुए ब्राह्मण की
हड्डी से बने आभूषण को र्धारण करने वाली, एवं महा अट्टहास(जोड़-जोड़ से हूँसना) से संसार
को भयभीत करने वाली, (कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।७।

ननपीताननाततानमतोधत्तृ रक्तो-च्छलधारया स्नानपतोरोजयुभमाम् ।


महादीघादष्ट्ं रायगु तयञ्चदञ्च-ल्ललल्लेनलहानोग्रनजह्वाग्रभागाम् ॥८॥
* ननपीत-आनना-अततानमत-उद-धृ ् त्त-रक्तो-च-छलद
् -धारया
् स्नानपत-उरोज-युभमाम् ।
महा-दीघा-दंष्ट्रा-युगन्-यञ्च-दञ्च-ल्ल-लल-ले ् नलहाना-उग्र-नजह्वा-अग्र-भागाम् ॥८॥
मखु तक हपये िये, और उसके बाद उिले िये रक्त की र्धारा से,
उपहलप्त दोनो स्तनों वाली, अत्यन्त्त दीघत(=लंबा) दो दांतों के बीि लपलपाती हुई,
उग्र हजह्वाभाि वाली ,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।८।

चलत्पादपद्मद्वयालनम्बमक्त
ु -प्रकम्पानलसुनस्नभधसम्भभु नके शाम् ।
पदतयाससम्भारभीतानहराजा-ननोद्गच्छदात्मस्तनु तवयस्तकणााम् ॥९॥
* चलत्-पाद-पद्म-द्वया-लनम्बमुक्त- प्रकम्पानल-सुनस्नभध-सम्भभु न-के शाम् ।
पद-तयास-सम्भार-भीता-अनहराजा-ननोद-गच्छद ् -आत्म-स्त
् ुनत-वयस्त-कणााम् ॥९॥
िलते हुए, दोनो िरण कमलों तक लटकने वाले, खुले हुए, भ्रमर के समान, िमकीले, हिकने
घुंघराले बालों वाली, पैरों को रखने के भार से भीत?, शेषनाि के मुख से , हनकलने वाली
आत्मस्तहु त, को सनु ने में व्यस्त कानों वाली,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।९।

महाभीषणां घोरनवंशाधावक्त्रै-स्तथासप्तनवंशानतवतैलोचनैश्च ।
परु ोदक्षवामे नद्वनेत्रोज्ज्वलाभयां, तथातयानने नत्रनत्रनेत्रानभरामाम् ॥१०॥
* महा-भीषणां घोर-नवंशाधा-वक्त्रै- स्तथा-सप्त-नवंशानतवतै-लोचनैश्-च ।
परु ो-दक्ष-वामे नद्वनेत्रा-उज्ज्वलाभयां, तथातय-आनने नत्र-नत्रनेत्रा-अनभरामाम् ॥१०॥
महाभय-काररणी, घोर, दशमुखों तथा २७-लोिनों (२७-आूँख) से अहन्त्वत(=युक्त) इनमें से,
सामने,दायें, बायें दो नेरो से उज्जज्जवल तथा अन्त्य सात मुखों में, तीन-तीन नेरों, इस प्रकार २७-नेरों
से सुन्त्दर ,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।१०।

Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh


Page 4 of 12

लसद्वीनपहर्य्यक्ष
ा फे रुप्लवङ्ग-क्रमेलक्षाताक्षानद्वपग्राहवाहैः ।
मुखैरीदृशाकाररतैभ्रााजमानां ,महानपङ्गलोद्यज्जटाजूटभाराम् ॥११॥
*लसद्वीनप-हर्य्याक्ष-फे रुप्लवङ्ग-क्रमेलक्षा-ताक्षा-नद्वप-ग्राहवाहैः ।
मख
ु ैरी-दृशाकाररतै-भ्रााजमाना,ं महा-नपङ्गल-उद-यज ् -जटा-ज
् टू -भाराम् ॥११॥
नपङ्गल = लाल भरू ा रंग, उद-यज ् ् = नहलना / Causing Tremble)
िैंडा, हसंह, सांप, हसयार, बन्त्दर,ऊूँ ट, भालू, िरूड, हाथी और मिर के मुखों जैसे मुखों से
शोभायमान, महाहपिं ल, उठी हुई जटा जटू वाली,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ
।११।

भजु ैः सप्तनवंशाङ्नकतैवाामभागे , युतां दनक्षणे चानप तावनिरेव ।


क्रमाद्रत्नमालां कपालं च शुष्ट्कं, ततश्चमापाशं सुदीघं दधानाम् ॥१२॥
* भजु ैः सप्त-नवशं ाङ्नकतै (=नवश ं -अङ्नकतै)-वाामभागे
युतां दनक्षणे चानप(=च-अनप) तावद-नभरे ् व।
क्रमाद-रत्न-माला
् ं कपालं च शुष्ट्कं, ततश-चमा
् -पाशं सदु ीघं दधानाम् ॥१२॥
वाम भाि में २७-भुजाओ ं और दहक्षण भाि में भी उतनी ही भुजाओ ं मे क्रमशः रत्नमाला, शुष्क
कपाल, दीघत िमत पाश ,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।१२।

ततः शनक्तखट्वाङ्गमण्ु डं भशु ण्ु डीं, धनश्चु क्रघण्टानशशप्रु ेतशैलान् ।


ततो नारकङ्कालबभ्ररू गोतमाद-वंशीं तथा मुद्गरं वनिकुण्डम् ॥१३॥
* ततः शनक्त-खट्वाङ्ग-मुण्डं भश ु ुण्डीं, धनश ु ्-चक्र-घण्टा-नशशुप्रेत-शैलान् ।
ततो नार(नर)-कङ्काल-बभ्ररू गोतमाद-वश ं ीं तथा मद्गु रं वनि-कुण्डम् ॥१३॥
पनु ः शहक्त, खट्वािं , मण्ु ड, भश
ु ण्ु डी, र्धनषु , िक्र, घण्टा, हशश,ु प्रेत, पवतत, नरकंकाल, बभ्र,ु सापं ,
उन्त्माद, वंशी, मुद्गर, अहननकुण्ड ,(कामकला काली का) सदा स्मरण करता हूँ ।१३।

अधो डम्मरुं पाररघं नभनतदपालं, तथा मौशलं परट्टशं प्राशमेवम् ।


शतघ्नीं नशवापोतकं चाथ दक्षे, महारत्नमालां तथा कत्तुाखड्गौ ॥१४॥
*अधो डम्मरुं पाररघं नभनतदपालं, तथा मौशलं परट्टशं प्राशम्-एवम् ।
शतघ्नीं नशवापोतकं चाथ दक्षे, महारत्न-मालां तथा कत्त-ुा खड्गौ ॥१४॥
अर्धो डमरू, पररघ, हभहन्त्दपाल, मुशल, परट्टश, प्राश, शतघ्नी, हसयार का बच्िा तथा
Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh
Page 5 of 12

दायीं ओर महारत्न माला, कैं िी, खड्ि , कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।१४।

चलत्तज्जानीमङ्कुशं दण्डमग्रु ं ,लसद्रत्नकुम्भं नत्रशलू ं तथैव ।


शरान् पाशुपत्यांस्तथा पञ्च कुततं,पुनः पाररजातं छुरीं तोमरं च ॥१५॥
* चलत-तज्जा
् नीम्-अङ्कुशं दण्डम-उग्र् ,ं लसद-रत्न-क
् ु म्भं नत्रशूलं तथैव ।
शरान् पाशपु त्यासं ्-तथा पञ्च कुततं, पनु ः पाररजातं छुरीं तोमरं च ॥१५॥
ििं ल, तजतनी, अक
ं ु श, उग्रदण्ड, सन्त्ु दर, रत्नकुम्भ, हरशल
ू , पाूँि पाशपु त, बाण,
भाला, पारीजात, छुरी, तोमर , कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।१५।

प्रसूनस्रजं नडनण्डमं गृध्रराजं, ततः कोरकं मासं खण्डं श्रुवं च ।


फलं बीजपूराह्वयं चैव सूचीं, तथा पशमुा ेवं गदां यनष्टमग्रु ाम् ॥१६॥
*प्रसनू -स्रजं नडनण्डमं गृध्रराजं, ततः कोरकं मासं -खण्डं श्रवु ं च ।
फलं बीजपूराह्वयं चैव सूचीं, तथा पशुाम-एव ् ं गदां यनष्टमग्रु ाम*् ॥१६॥
*?यनष्टम्-उग्राम्
फूल-माला, हडहण्डम, िृघराज, कोरक, मांस-खन्त्ड, श्रुवा, जम्भीरी नींबू, सूई, पशु,
िदा, उग्रयहि, कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।१६।

ततो वज्रमनु ष्टं कुणप्पं सघु ोरं, तथा लालनं धारयततीं भजु ैस्तैः ।
जवापुष्ट्परोनचष्ट्फणीतद्रोपक्लृप्त-क्वणतनूपुरद्वतद्वसक्ताङ्निपद्माम् ॥१७॥
* ततो वज्र-मुनष्टं कुणप्पं सुघोरं, तथा लालनं धारयततीं भजु ैस्तैः ।
जवा-पष्ट्ु प-रोनचष्-फणीतद्रोप-क्लृप्त-क्वणन-न ् पू रु -द्वतद्व-सक्ताङ्नि-पद्माम् ॥१७॥
हफर वज्रमहु ि, घोर शव तथा , अपनी भजु ाओ ं मे लालन र्धारण की हुई, एवं जवापष्ु प
(िुड़हल फूल) की काहन्त्त वाले (सुखत लाल रंि वाले) सपत से उप्कलृप्त दो नुपुरों
(नुपुर=पायल ) से युक्त पादपद्म वाली , कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।१७।

महापीतकुम्भीनसावधनध ,स्फुरत्सवाहस्तोज्ज्वलत्कङ्कणां च ।
महापाटलद्योनतदवीकरे तद्रा-वसक्ताङ्गदवयूहसंशोभमानाम् ॥१८॥
* महापीत-कुम्भी-नस-आवध-नध, स्फुरत-सवा ् -हस्तोज्ज्वलत्-कङ्कणां च ।
महापाट-लद-योनत-दवीकरे
् तद्रा- वसक्ताङ्गद-वयहू -सश
ं ोभ-मानाम् ॥१८॥
Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh
Page 6 of 12

अत्यन्त्त पीत, कुम्भीनस से आबद्ध, कङ्कण को समस्त हाथों मे पहनी हुई, महापाटल
के समान िमकने वाले दवीकरे न्त्द्र के द्वारा रिे िये अङ्िदों से शोभमान,
कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।१८।

महाधसू रनत्त्वड्भजु ङ्गेतद्रक्लृप्त-स्फुरच्चारुकाटेयसत्रू ानभरामाम् ।


चलत्पाण्डुराहीतद्रयज्ञोपवीत-नत्वडुिानसवक्षःस्थलोद्यत्कपाटाम् ॥१९॥
* महा-धसू रत्-नत्वड्-भजु ङ्गेतद्र-क्लृप्त-स्फुरच्चारु-काटेय-सूत्रानभरामाम् ।
चलत्-पाण्डुराहीतद्र (=पाण्डुर-अहीतद्र)-यज्ञोपवीत-
नत्वडुद-भानस-वक्षःस्थलोद
् -यत
् -कपाटाम
् ् ॥१९॥
या ** - नत्वड्-(उद-भानस)-वक्षःस्थल-(उद
् -यत
् )-कपाटाम
् ् ॥१९॥
महार्धसू र कांहतवाले हवशाल नाि से बने हुए, िमकीले कहटसूर से सुन्त्दर, िञ्िल
पाण्डुर सपेन्त्द्र के यज्ञोपवीत की काहन्त्त से उद्भाहसत वक्षःस्थल रूप , कपाट वाली...।१९।

नपषङ्गोरगेतद्रावनधावशोभा-महामोहबीजाङ्गसंशोनभदेहाम् ।
महानचनत्रताशीनवषेतद्रोपक्लृप्त-स्फुरच्चारुताटङ्कनवद्योनतकणााम् ॥२०॥
* नपषङ्ग-उरगेतद्रा-अवनध-अवशोभा-महा-मोह-बीजाङ्ग-संशोनभ-देहाम् ।
महा-नचनत्रताशी-नवषेतद्रोप-क्लृप्त- स्फुरच-चारु-ताटङ
् ् क-नवद्योनत-कणााम् ॥२०॥
हपषङ्ि वणत के उरिेन्त्द्र से अवनद्ध, अवशोभा वाले महामोह बीजाङ्ि से संशोहभत
देह वाली, महाहिहरत सपतराज से रहित, िमकते हुए ताटक से हवद्योहदत कान वाली,
कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।२०।

वलक्षानहराजावनधो्वाभानस-स्फुरनत्पङ्गलोद्यज्जटाजटू भाराम् ।
महाशोणभोगीतद्रननस्यतू मण्ू डो-ल्लसनत्कङ्कणीजालसश
ं ोनभम्याम् ॥२१॥
(वलक्षा-अनह-राजा-अवनध-उ्वा-भानस-स्फुरत्-नपङ्गल-(उद-यज ् ्)-जटाजूट-भाराम् ।
महाशोण-भोगीतद्र-ननस्यूत-मूण्डो- ल्लसत-नकङ
् ् कणी-जाल-संशोनभ-म्याम् ॥२१॥
वलक्ष अहहराज से अवनद्ध, उर्धवतभासी स्फुरहतत होती हुई हपङ्िल एवं उठी हुई
जटजूट के भार वाली, महारक्तवणत के भोहिन्त्द्र से हसले िये मुण्ड से उल्लहसत, हकङ्हकणी
जाल से शोहभत मर्धय भाि वाली, कामकला काली का सदा स्मरण करता हूँ ।२१।

Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh


Page 7 of 12

सदा सस्ं मरामीदृशों कामकालीं, जयेयं सरु ाणां नहरण्योिवानाम् ।


स्मरे युनहा येऽतयेऽनप ते वै जयेय-ु नवापक्षातमृधे नात्र सतदेहलेशः ॥२२॥
* सदा संस्मरामी-दृशों कामकालीं, जयेयं सुराणां नहरण्योद-भवानाम ् ्।
स्मरे यनु हा येऽतयेऽनप ते वै जयेय-ु नवापक्षान-मृ
् धे नात्र सतदेह-लेशः ॥२२॥
मैं इस प्रकार की कामकला काली का सदा सस्ं मरण करता हूँ , ताहक हहरण्याक्ष एवं
हहरण्यकहशपु से उत्पन्त्न राक्षसों पर हवजय प्राप्त कर सकंू । अन्त्य जो भी लोि, इस तरह से
इनकों स्मरण करें िे, वे युद्ध में शरुओ ं को जीत लेंिे, इसमे लेशमार भी संदेह नही है ।२२।

पनिष्ट्यनतत ये मत्कृ तं स्तोत्रराजं , मदु ा पजू नयत्वा सदा कामकालीम् ।


न शोको न पापं न वा दःु खदैतय,ं न मृत्युना रोगो न भीनतना चापत् ॥२३॥
* पनिष्ट्यनतत ये मत-कृ ् तं स्तोत्र-राजं, मुदा पूजनयत्वा सदा काम-कालीम् ।
न शोको, न पापं, न वा दःु खदैतयं, न मृत्यनु ा रोगो, न भीनतना चापत् ॥२३॥
**न मृत्युः, न रोगो, न भीनतः, न च-आपत् ॥२३॥
कामकला काली की पूजा करके , जो भी सदा प्रेम से, मेरे द्वारा (रावण द्वारा) रहित
इस स्तोर-राज का पाठ करें िे, उनको न शोक, न पाप, न दखु , न दैन्त्य (िरीबी)
न मृत्यु (अकाल), न रोि, न भय होिा ।२३।

धनं दीघामायुः सुखं बुनधरोजो, यशः शमाभोगाः नियः सूनवश्च ।


नश्रयो मङ्गलं बुनधरुत्साह आज्ञा, लयः शमा सवा नवद्या भवेतमुनक्तरतते ॥२४॥
* धनं दीघाम-आयःु सख ु ं बनु धर-ओजो,
् यशः शमाभोगाः नियः सनू वश्-च ।
नश्रयो मङ्गलं बनु धर(ब
् नु धः)-उत्साह आज्ञा,
लयः शमा सवा नवद्या भवेन्-मनु क्तर-अतते
् ॥२४॥
उनको र्धन, दीघातयु, सुख, बुहद्ध, ओज (िेहरे पर तेज), यश, शमत, भोि (नाना प्रकार का सुख),
स्त्री, पुर, लक्ष्मी, मंिल, उत्साह (उजात), आज्ञा, लय , सवतहवद्या, और
अंत मे मुहक्त (मोक्ष) हमलती है ।२४।
॥ इनतश्रीमहावामके श्वरततत्रे कालके यनहरण्यपरु नवजये
रावणकृ तं कामकलाकालीभजु ङ्गप्रयातस्तोत्रराजं सम्पूणाम् ॥
॥ इनत श्री महा-वामके श्वर-ततत्रे कालके य-नहरण्यपरु -नवजये
रावण-कृ तं कामकला-काली-भजु ङ्ग-प्रयात-स्तोत्र-राजं सम्पूणमा ् ॥॥ ॐ नमः हशवाय ॥
Kamakala-kali-Bhujang (Meaning)- e2Learn By VRakesh

You might also like