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1
ASSIGNMENT SOLUTIONS GUIDE (2020-21)

IBO-03
Hkkjr dk fons'kh O;kikj
IBO-03/ TMA/ JAN 2020-21
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mÙkjµ जब �कसी दे श क� अथर्व्यवस्था, �वदे शी मुद्रा, नकद� प्रवाह आ�द का आकलन �कया जाता
है , तो बहुत घटक� पर �वचार �कया जाता है । ऐसा ह� एक घटक भुगतान संतुलन है , जो �कसी
दे श क� अथर्व्यवस्था के आकलन म� महत्वपूणर् भू�मका �नभाता है । इस�लए इस लेख के माध्यम
से हम आपको इसी के बारे म� महत्वपूणर् जानकार� दे ने जा रहे ह�।
भुगतान संतुलन (बैल�स ऑफ पेम�ट) को एक �निश्चत अव�ध के भीतर �कसी दे श के �नवा�सय�
तथा अन्य दे श� के बीच �कए गए सभी मौ�द्रक लेनदे न के �रकॉडर् के रूप म� प�रभा�षत �कया जा
सकता है । कंप�नय�, व्यिक्तय� और सरकार द्वारा �कए गए लेन-दे न का �ववरण भुगतान संतुलन
स्टे टम� ट म� �न�हत �कया जाता है । ये आ�धका�रक �रकॉडर् होते ह�, जो �वश्लेषक� को फंड के प्रवाह
क� �नगरानी करने और आ�थर्क नी�तय� का �वश्लेषण करने म� मदद करते ह�। अथर्व्यवस्था म�
नकद� के अन्तवार्ह और ब�हवार्ह को �नधार्�रत करने म� भुगतान संतुलन महत्वपूणर् भू�मका
�नभाता है । सरल शब्द� म� कहा जाये, तो भुगतान संतुलन �कसी दे श और अन्य दे श� के बीच हुए
�वत्तीय लेन-दे न का �हसाब होता है ।

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भुगतान संतुलन का सूत्र
भुगतान संतुलन क� गणना �नम्न �व�ध का उपयोग करके क� जाती है –
भुगतान संतुलन = चालू खाता शेष + पूंजी खाता शेष + आर��त शेष
भुगतान संतुलन (बीओपी) = (X-M) + (CI – CO) + फॉरे क्स
यहां, X �नयार्त, M आयात, CI पूंजी अन्तवार्ह, CO पूंजी प्रवाह और फॉरे क्स का मतलब �वदे शी
मुद्रा आर��त शेष है ।
भग ु न का महत्व—भग
ु तान संतल ु तान संतल
ु न एक महत्वपण
ू र् डेटा प्रदान करता है । इसम� �कसी
अथर्व्यवस्था के भीतर नकद� क� आवक और जावक के प्रवाह का �रकॉडर् रहता है । यह डेटा
अथर्व्यवस्था के �वकास के �लए फंड के प्रवाह क� �नगरानी म� महत्वपण
ू र् भ�ू मका �नभाता है ।
भग
ु तान संतल
ु न �कसी अथर्व्यवस्था के �लए महत्वपण
ू र् क्य� है , इसके कई कारण ह�, िजनम� से
कुछ �नम्न ह�–
• यह दे श क� �वत्तीय और आ�थर्क िस्थ�त क� तस्वीर दे ता है । इसका उपयोग �व�भन्न दे श�
के आ�थर्क संबंध� को समझने के �लए �कया जाता है । इसी कारण इसे अंतरराष्ट्र�य
�वत्तीय प्रबंधन का एक महत्वपूणर् �हस्सा माना जाता है ।
• भुगतान संतुलन को त्रैमा�सक आधार पर स्टे टम� ट के रूप म� जार� �कया जाता है । इन
स्टे टम� ट्स का उपयोग मुद्रा के प्रदशर्न को �नधार्�रत करने के �लए �कया जाता है । इसके
साथ ह� इससे पता चलता है �क मुद्रा का अवमूल्यन हुआ है, बढ़� है या िस्थर है । इस
प्रकार भुगतान संतुलन से पता चलता है �क अन्य मुद्राओं क� तुलना म� �कसी दे श क� मुद्रा
कैसा प्रदशर्न कर रह� है ।
• सरकार आ�थर्क रुझान� को समझने और कुशल राजकोषीय और व्यापार नी�तय� को
�वक�सत करने के �लए भुगतान संतुलन स्टे टम� ट्स का उपयोग करती है ।
• अथर्शास्त्री और �वश्लेषक इस जानकार� का उपयोग �वदे शी राष्ट्र� के साथ दे श के आ�थर्क
व्यवहार को समझने के �लए करते ह�। यह उन मामल� म� उ�चत कदम उठाने म� मदद
करता है िजनसे दे श क� अथर्व्यवस्था को नक
ु सान होने क� संभावना रहती है या जो
नक
ु सान पहुंचा रहे होते ह�।
• इसके साथ ह� भुगतान संतुलन अच्छे आ�थर्क साझेदार के रूप म� �कसी दे श क� �मता का
मूल्यांकन करने म� मदद करता है । यह �कसी दे श द्वारा अंतरार्ष्ट्र�य आ�थर्क �वकास म�
�कये गये योगदान को भी इं�गत करता है ।
भग ु न के प्रकार—भग
ु तान संतल ु तान संतल
ु न “�नयार्त–आयात” के बीच के अंतर को संद�भर्त
करता है । भग
ु तान संतल
ु न क� गणना करते समय व्यापार संतल
ु न को एक महत्वपण
ू र् �हस्से के
रूप म� शा�मल करना होता है । भुगतान संतुलन को दो श्रे�णय� म� �वभािजत �कया गया है , जो इस
प्रकार ह�–

3
अनुकूल भुगतान संतुलन—अनुकूल भुगतान संतुलन एक ऐसा प�रदृश्य होता है , िजसम� �नयार्त
क� जाने वाल� कुल वस्तओ
ु ं और सेवाओं का मूल्य, आयात क� गई कुल वस्तुएं और सेवाएं के
मूल्य से अ�धक होता है । इस िस्थ�त को दे श के �लए अच्छा माना जाता है ।
प्र�तकूल भुगतान संतुलन—जब �कसी दे श म� आय�तत कुल सेवाओं और वस्तुओं का मूल्य �नयार्त
क� जाने वाल� कुल सेवाओं और वस्तुओं के मूल्य से अ�धक होता है , तो इसे प्र�तकूल भुगतान
संतुलन कहा जाता है । इसे दे श के अथर्व्यवस्था के �लए ठ�क नह�ं माना जाता है ।
भग ु न के घटक—भग
ु तान संतल ु तान संतल
ु न के तीन घटक� क� जानकार� नीचे द� गई है । एक
आदशर् अथर्व्यवस्था म� �वत्तीय और पंज
ू ी खात� क� रा�श को संत�ु लत करने के �लए चालू खाते क�
आवश्यकता होती है । हालां�क ज्यादातर मामल� म� ऐसा नह�ं होता है । भग
ु तान संतल
ु न फंड क�
कमी या अ�धशेष को दशार्ता है ।
चालू खाता—चालू खाता वस्तु और सेवा के व्यापार से हुए धन के अन्तवार्ह और ब�हवार्ह को �रकॉडर्
और मॉ�नटर करता है । इस तरह के खात� म� पयर्टन और सेवा �ेत्र से राजस्व, वस्तओ ु ं के
�नमार्ण, कच्चे माल क� ढुलाई आ�द म� खचर् �कए गए और प्राप्त होने वाले फंड का �रकॉडर् रखा
जाता है । स्टॉक और रॉयल्ट� से उत्पन्न राजस्व और कॉपीराइट भी चालू खाते के तहत दजर् �कए
जाते ह�।
पूंजी खाता—दे श का पूंजी खाता अंतरार्ष्ट्र�य पूंजी लेन-दे न से हुए नकद� प्रवाह का �रकॉडर् रखता है
और इसक� �नगरानी करता है । ये वे लेनदे न होते ह�, जो गैर-�वत्तीय और गैर-उत्पा�दत
प�रसंपित्तय� क� खर�द या �नपटान के माध्यम से होते ह�। उपहार और ऋण माफ होने से प्राप्त
पैसे को भी पूंजी खाते म� दजर् �कया जाता है ।
�वत्तीय खाता—�वत्तीय खाते के तहत व्यवसाय�, �रयल एस्टे ट, शेयर�, सोने और सरकार�
स्वा�मत्व वाल� प�रसंपित्तय� से होने वाले फंड के प्रवाह क� �नगरानी क� जाती है । �वत्तीय खाता
भारत म� �वदे शी नाग�रक� के स्वा�मत्व वाल� संपित्त, �वदे शी �नवेश और �वदे श म� भारतीय
नाग�रक� के स्वा�मत्व वाल� संपित्त का �रकॉडर् भी रखता है ।

mÙkjµ �नयार्तोन्मख
ु इकाईय� के �लए भारत सरकार ने योजनाओं को उदार बनाया है । सरकार ने इसम�
�नयार्त प्रसंस्करण जोन, कृ�ष, बागवानी, कुक्कुट पालन, मछल�पालन और डेयर� को भी शा�मल कर �लया
है । �नयार्तोन्मख
ु पज
ूं ीगत वस्तु योजना (Export promotion capital goods schemes
(EPCGS)) को �रय़ायती आयात शल्
ु क पर पज
ूं ीगत वस्तओ
ु ं के आयात के �लए शरु
ु �कया गया है ।
ईपीसीजीएस योजना के तहत, पज
ंू ीगत वस्तओ
ु ं के ऐसे �नयार्तक� को आगामी पांच वष� म� आयात के चार
गन
ु ा मल्
ू य क� वस्तओ
ु ं का �नयार्त करना होगा। एिग्जम ब�क और सेज क� स्थापना ने दे श से �नयार्त को
बढ़ावा �दया है ।
�नयार्त प्रसंस्करण जोन को व्यापार और स्टार ट्रे �डंग हाउसेस के माध्यम से �नयार्त करने क�
अनम
ु �त द� गई है और ये पट्टे (ल�ज) पर उपकरण भी ले सकते ह�। इन इकाईय� को �वदे शी
कंप�नय� के शेयर� म� शत– प्र�तशत भागीदार� क� अनुम�त द� गई है ।

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संवधर्न योजनाएं (Export Promotion Schemes)—�वदे श व्यापर नी�त 2015-20 और अन्य योजनाएं
भारत के �नयार्त को बढ़ाने के �लए संरचनात्मक अ�मताओं को दरू करने और अन्य प्रशास�नक
बाधाओं को दरू करके दे श म� �नयर्तान्मुख माहौल पैदा करने पर जोर दे ती है I इन उद्येश्य� को प्राप्त
करने के कुछ उपाय इस प्रकार है–
क. भारत योजना से �नयार्त (Exports from India Scheme)—
i. भारत से माल �नयार्त क� योजना (MEIS)—इस योजना के तहत, ह�डबुक ऑफ
प्रोसीजसर् के प�र�शष्ट 3B म� सच
ू ीबद्ध अ�धस�ू चत बाजार� म� अ�धस�ू चत वस्तओ
ु ं/
उत्पाद� का �नयार्त 2% से 5 % क� ड्यट
ू � पर �कया जा सकता है I अ�धसू�चत वस्तओ
ु ं
क� 25,000/– रु. तक के एफओबी मल्
ू य के प्र�त खेप िजसे कू�रयर या �वदे शी डाक
कायार्लय के माध्यम से ई–कॉमसर् का प्रयोग कर �नयार्त �कया जा रहा है , MEIS लाभ
का हकदार होगा।
ii. भारत से सेवा का �नयार्त स्क�म (SEIS)—प�र�शष्ट 3E के अनस
ु ार अ�धस�ू चत सेवाओं
के सेवा प्रदाता शद्ध
ु अिजर्त �वदे शी मद्र
ु ा पर 5% क� दर से स्वतंत्र रूप से हस्तांतरणीय
ड्यूट� क्रे�डट िस्क्रप (freely transferable duty credit scrips) के योग्य ह�।
ख. �नयार्त घर, व्यापार घर और स्टार व्यापार घराने (Export Houses, Trading Houses and
Star Trading Houses)—�नयार्तक� क� �बक्र� द�ता को बढ़ाने के �लए सरकार ने एक्सपोटर्
हाउसेस, ट्रे �डंग हाउसेस और स्टार ट्रे �डंग हाउसेस क� अवधारणा क� शुरुआत क� थी। �पछले
कुछ वष� म� अच्छा प्रदशर्न �दखाने वाले पंजीकृत �नयार्तक� को एक्सपोटर् हाउसेस और ट्रे �डंग
हाउसेस का दजार् �दया जाता है ।
1994 से अब तक, गोल्डन सुपर स्टार ट्रे �डंग हाउस क� एक नई श्रेणी को सरकार ने शा�मल
�कया है । इनके द्वारा अिजर्त औसत सालाना �वदे शी मुद्रा सबसे अ�धक होती है । माचर् 2003
तक भारत म� 3 गोल्डन सुपर स्टार ट्रे �डंग हाउस काम कर रहे थे I
ग. शुल्क म� छूट और छूट योजनाएं (Duty Exemption & Remission Schemes)—ये योजनाय�
�नयार्त दा�यत्व� के साथ �नयार्त उत्पादन के �लए वस्तुओं के शुल्क मुक्त आयात क� सु�वधा
प्रदान करती ह�।
घ. एक्सपोटर् प्रोमोशन कै�पटल गुड्स (ईपीसीजी) स्क�म—
i. जीरो ड्यूट� ईपीसीजी स्क�म—इस योजना के तहत, भारत के �नयार्त प्र�तस्पधार् को
बढ़ावा दे ने के �लए गुणवत्तापूणर् वस्तुओं एवं सेवाओ� के उत्पादन हे तु शून्य सीमा–
शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात क� अनुम�त द� जाती है । पूंजीगत वस्तुओं के
घरे लु �व�नमार्ण को प्रोत्सा�हत करने के �लए EPCG स्क�म के अंतगर्त �नयार्त के
आधार पर आयत करने के अ�धकार के �नयार्त दा�यत्व क� सीमा म� 10% क� कमी क�
गयी है I

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ii. पोस्ट एक्सपोटर् ईपीसीजी ड्यूट� क्रे�डट िस्क्रप स्क�म—वैसे �नयार्तक जो पूंजीगत
वस्तुओं पर लागू कर का पूरा भुगतान नकद म� करने क� इच्छा रखते ह�, के �लए पोस्ट
एक्सपोटर् ईपीसीजी ड्यूट� क्रे�डट िस्क्रप स्क�म है ।
ड. ब्याज म� छूट स्क�म (Interest Subvention Scheme)—यह स्क�म जो अब तक कुछ �वशेष �ेत्र�
जैसे हस्तकला, हस्तकरघा, काल�न रे �डमेड कपडे, खेल के सामान तथा �खलौने तक सी�मत थी,
को �वस्तत
ृ करके इसम� इंजी�न�रंग �ेत्र के 134 �ेत्र� को सिम्म�लत कर �लया गया है I
च. अन्य योजनाएं—
i. टाउन्स ऑफ एक्सपोटर् एक्सील� स (ट�ईई– TEE)—750 करोड़ रुपय� और उससे अ�धक
क� वस्तओ
ु ं का उत्पादन करने वाले चन
ु ींदा शहर� को �नयार्त म� �वकास क� �मता पर
ट�ईई म� अ�धसू�चत �कया गया है और संघ को मान्यता प्रदान करने के �लए एमएआई
योजना के तहत उन्ह� �वत्तीय सहायता प्रदान क� जाती है ।
ii. "�नयार्त वस्तओ
ु ं" और "साम�ग्रय�" को बनाने वाल� वस्तओ
ु ं पर ड्यट
ू � म� छूट—उत्पाद
शल्
ु क योग्य वस्तओ
ु ं के �नयार्त पर �दए गए शल्
ु क या �नयार्त क� ऐसी वस्तओ
ु ं के
�नमार्ण म� इस्तेमाल क� जाने वाल� सामग्री पर भुगतान �कए गए शुल्क म� छूट का
दावा क�द्र�य उत्पाद शुल्क �नयम, 2002 के �नयम 18 के तहत �कया जा सकता है।
iii. बॉन्ड के तहत वस्तुओं का �नयार्त—क�द्र�य उत्पाद शुल्क �नयम, 2002 के �नयम 19
अनुमो�दत कारखाना, वेयरहाउस और अन्य प�रसर� के उत्पाद शुल्क योग्य माल क�
�नकासी, �बना क�द्र�य उत्पाद शुल्क का भुगतान �कए, करने क� अनुम�त दे ता है ।
iv. बाजार पहुंच पहल (माक�ट एक्सेस इ�न�शए�टव– एमएआई) योजना—इस योजना के
तहत, फोकस दे श, ईपीसी, उद्योग एवं व्यापार संघ� आ�द के �लए फोकस उत्पाद
आधार पर �नयार्त संवधर्न ग�त�व�धय� के �लए �वत्तीय सहायता द� जाती है ।
ग�त�व�धय� म� बाजार अध्ययन/ सव��ण, शोरुम/ वेयरहाउस बनाना, अंतरराष्ट्र�य
व्यापार मेल� म� भाग लेना, प्रचार अ�भयान, ब्रांड प्रोमोशन, फामार्स्यु�टकल� के �लए
पंजीकरण शुल्क�, �वदे श� म� इंजी�नय�रंग उत्पाद� के �लए पर��ण शुल्क� क� प्र�तपू�तर्
आ�द शा�मल ह�। योजना का �ववरण www.commerce.nic.in पर उपलब्ध है ।
v. माक��टंग डेवलपम� ट अ�सस्ट� स (एमडीए) स्क�म—िजन �नयार्तक� का व्यापार मेल�,
इपीसी/ व्यापार संवधर्न संगठन� द्वारा आयोिजत खर�ददार–�वक्रेता सम्मेलन� म� 30
करोड़ रुपय� तक का सालाना �नयार्त कारोबार है, के �लए �वत्तीय सहायता उपलब्ध है ।
एमडीए के �दशा�नद� श www.commerce.nic.in पर उपलब्ध ह�।
vi. फोकस माक�ट स्क�म—इस स्क�म के तहत �नयार्त प्रोत्साहन को ध्यान म� रखकर नाव�
को शा�मल �कया गया है तथा बेनजुयेला को स्पेशल फोकस माक�ट स्क�म म� शा�मल
�कया गया है इस प्रकार अब ये दोन� स्क�म क्रमशः 125 तथा 50 दे श� तक पहुँच को
स�ु निश्चत करती ह�।

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vii. फोकस प्रोडक्ट स्क�म—इसके अंतगर्त �बजल� , तकनीक�, रसायन, कपडा तथा
फामार्स्यु�टकल्स के लगभग 126 उत्पाद� को शा�मल �कया गया है I
उपरोक्त योजनाओं के अलावा, �नयार्त क� सु�वधा हे तु 24X7 सीमा शुल्क क्ल�यर� स,
सीमा शुल्क म� एकल �खड़क�, सीमा– शुल्क का आत्म मूल्यांकन, �श�पंग �बल� को
पहले भरने आ�द जैसी सु�वधाएं उपलब्ध ह�।

mÙkjµ अब दे श के �कसान वैिश्वक बाजार म� कृ�ष उत्पाद� के ज�रए प्र�तस्पधार् कर सक�गे. क�द्र�य
मं�त्रमंडल ने कृ�ष �नयार्त नी�त- 2018 को मंजूर� दे द� है . कृ�ष �नयार्त नी�त म� कृ�ष �नयार्त क�
�नगरानी और �क्रयान्वयन के �लए नोडल एज�सी के रूप म� क�द्र�य वा�णज्य और उद्योग मंत्रालय
फ्रेमवकर् तैयार करे गा.
इस फ्रेमवकर् के अंतगर्त �व�भन्न मंत्रालय� के �वभाग और संबं�धत राज्य� के प्र�त�न�ध शा�मल ह�गे.
इस नी�त म� कृ�ष मामल� के �वशेष� �कसान� को बताएंगे �क उन्ह� कहां फायदा हो सकता है .
नई कृ�ष �नयार्त नी�त के ज�रए सरकार 2022 तक �कसान� क� आय दोगुना करने के ल�य को पूरा
कर सकती है . इस नी�त के चलते अब भारतीय �कसान अपने उत्पाद को वैिश्वक मूल्य श्रख
ं ृ ला का
�हस्सा बना अच्छा लाभ अिजर्त कर सकते ह�.
सरकार के अनुसार, 2022 तक इस नी�त के माध्यम से कृ�ष �नयार्त को अभी 30 अरब डॉलर से
बढ़ाकर 60 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा. �नकट भ�वष्य म� इसे 100 अरब डॉलर तक लेने जाने
के आासार ह�. इस नी�त के भरोसे भारत शीषर् 10 कृ�ष उत्पाद �नयार्त करने वाले दे श� क� सूची म�
शा�मल हो जाएगा. वतर्मान म� भारत का वैिश्वक कृ�ष �नयार्त म� 2.2 फ�सद� �हस्सा है .
अभी दे श के सामने �नयार्त घटने और �वदे श व्यापार घाटा बढ़ने का संकट �दख रहा रहा है . ऐसे समय
म� कृ�ष �नयार्त बढ़ाने क� संभावनाओं पर बल दे ना होगा. इसम� नई .कृ�ष �नयार्त नी�त 2018 एक
अहम भू�मका �नभा सकती है .
भारत म� कई बात� कृ�ष �नयार्त के प� म� ह�. इनके कारण प्रस्ता�वत ल�य को प्राप्त �कया जा सकता
है . ऐसा इस�लए क्य��क वषर् 2017-18 म� दे श म� �रकॉडर् कृ�ष उत्पादन हुआ है . भारत द�ु नया का
सबसे बड़ा दग्ु ध उत्पादक दे श है . मोटे अनाज के मामले म� भी भारत बड़ा उत्पादक है. फल� और
सिब्जय� के भी उत्पादन म� भारत एक प्रमुख स्थान रखता है . इन सब मजबूत �बंदओ
ु ं के बावजद
ू भी
कुछ प्रमुख चन
ु ौ�तयां ह� जहां सरकार को काम करना होगा. सकल घरे लू उत्पाद यानी जीडीपी म� कृ�ष
�ेत्र क� भागीदार� को बढ़ाना होगा. �कसान� क� बदहाल� क� प्रमुख वजह कजर् के भार म� दबा होना
जरूर है, पर इसे एकमात्र वजह मानना सह� नह�ं है . जमीनी स्तर पर �कसान �संचाई, बीज, उवर्रक,

7
नई तकनीक� जैसी जरूरत� से भी वं�चत है . �कसान� के उत्पाद� का बाजार के साथ तालमेल का
अभाव है .

mÙkjµ �नयार्त प्रोत्साहन योजनाएं—


• सॉफ्टवेयर टे क्नोलॉजी पाकर् (एसट�पी)
• �वशेष आ�थर्क �ेत्र (स्पेशल इकोनॉ�मक जोन– एसईजेड) योजना
साल 1991-92 के आ�थर्क सुधार� के बाद, भारत सरकार और राज्य सरकार� द्वारा खास तौर पर आईट�
और आईट�ईएस के �लए बाहर� व्यापार म� उदार�करण, सच
ू ना प्रौद्यो�गक� उत्पाद� के आयात पर शल्
ु क
का उन्मल
ू न, दे श के भीतर और बाहर दोन� ह� प्रकार के �नवेश� पर �नयंत्रण म� ढ�ल और �वदे शी मद्र
ु ा
एवं राजकोषीय उपाय� ने भारत म� इस �ेत्र पनपने और दे श को �वश्व के अपतट�य सेवाओं म� प्रमख

स्थान हा�सल कनरे म� स�म बनाने म� महत्वपण
ू र् योगदान �कया है । भारत सरकार द्वारा प्रमख

�वत्तीय प्रोत्साहन �नयार्तोन्मख
ु इकाईय� (ईओय)ू , सॉफ्टवेयर टे क्नोलॉजी पाकर् (एसट�पी) और �वशेष
आ�थर्क �ेत्र (एसईजेड) के �लए �दया गया है ।
सॉफ्टवेयर टे क्नोलॉजी पाकर् (एसट�पी)—दे श से सॉफ्टवेयर �नयार्त को बढ़ावा दे ने के �लए, 1991 म�
इलेक्ट्रॉ�नक्स एवं सूचना प्रौद्यो�गक� �वभाग के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर टे क्नोलॉजी पाकर् क�
स्थापना एक स्वायत्त संस्था के रूप म� क� गई थी। सॉफ्टवेयर �नयार्त समुदाय के �लए एसट�पीआई
द्वारा द� जाने वाल� सेवाएं – सां�व�धक सेवाएं, डाटा कम्यु�नकेशन सवर्र, ऊष्मायान सु�वधाएं
(इनक्यूबेशन फै�स�लट�ज), प्र�श�ण औऱ वैल्यू एडेड सेवाएं, ह�। एसएमई और नई इकाईय� पर �वशेष
फोकस के साथ एसट�पीआई ने सॉफ्टवेयर �नयार्त के प्रोत्साहन म� महत्वपूणर् �वकासात्मक भू�मका
�नभाई है । एसट�पी योजना जो �क 100% �नयार्तोन्मुख योजना है , सॉफ्टवेयर उद्योग के �वकास को
बढ़ावा दे ने म� सफल रहा है । �पछले कुछ वष� म� एसट�पी इकाईय� द्वारा �कए गए �नयार्त म� व�ृ द्ध हुई है ।
एसट�पी योजना सॉफ्टवेयर कंप�नय� को सु�वधाजनक और सस्ते स्थान� पर प�रचालन करने और
व्यापार क� जरूरत के �लहाज से उनक� �नवेश औऱ �वकास क� योजना बनाने क� अनुम�त दे ता है ।
एसट�पी योजना के तहत 4000 से भी ज्यादा इकाई पंजीकृत ह�।
एसट�पी योजना के तहत �मलने वाले लाभ—
• आयात पर सीमा शुल्क म� पूणर् छूट।
• स्वदे शी खर�द पर क�द्र�य उत्पाद शुल्क पर पूणर् छूट।
• C के �खलाफ स्वदे शी खर�द पर क�द्र�य �बक्र� कर क� प्र�तपू�तर्।
• सभी प्रासं�गक उपकरण/ वस्तुएं िजसम� दस
ू रे से �लए गए (सेक�ड ह�ड) उपकरण भी शा�मल ह�,
का आयात �कया जा सकता है ( �न�षद्ध वस्तुओं को छोड़कर)।
• उपकरण� का आयात ऋण/ पट्टे पर भी �कया जा सकता है ।
• ऑटोमे�टक रूट के ज�रए 100% प्रत्य� �वदे शी �नवेश क� अनुम�त है ।

8
• �नयार्त के एफओबी मूल्य का 50% तक डीट�ए म� �बक्र� क� इजाजत है ।
• प्र�श�ण के �लए आया�तत कंप्यूटर का इस्तेमाल कुछ शत� के अधीन है ।
• पांच वष� म� कंप्यूटर पर मूल्यह्रास त्व�रत दर� म� 100% तक क� अनुम�त है ।
�वशेष आ�थर्क �ेत्र (स्पेशल इकोनॉ�मक जोन्स– एसईजेड) योजना—साल 2005 म� , वा�णज्य एवं
उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के वा�णज्य �वभाग ने अंतरराष्ट्र�य प्र�तस्पध� एवं �नयार्त के �लए
बाधा मुक्त वातावरण प्रदान कनरे के उद्देश्य से �वशेष आ�थर्क �ेत्र (एसईजेड) अ�ध�नयम को
अ�नय�मत �कया था।
सेज को इस प्रकार प�रभा�षत �कया गया है, "�वशेष रूप से सीमां�कंत शल्
ु क मक्
ु त प�रवत्ृ त (एन्क्लेव)
और व्यापार संचालन उद्देश्य� और कतर्व्य� एवं शल्
ु क� के प्रयोजन के �लए इसे �वदे शी जमीन समझा
जाएगा (सीमा शल्
ु क अ�धकार �ेत्र से बाहर)"। एसईजेड �नयम� द्वारा सम�थर्त एसईजेड अ�ध�नयम,
2005 10 फरवर� 2006 से प्रभावी हुआ। यह क�द्र और राज्य सरकार� से जड़ ु े मामल� पर बेहद सरल
प्र�क्रया और एक �संगल �वंडो िक्लयर� स नी�त प्रदान करता है । यह योजना बड़े उद्योग� के �लए आदशर्
है और भ�वष्य के �नयार्त� और रोजगार पर इसका महत्वपण
ू र् प्रभाव पड़ेगा।
एसईजेड योजना एसईजेड इकाईय� को अप्रत्य� कर� के संबंध म� एसट�पीआई के तहत आने वाल�
इकाईय� के मुकाबले प�रचालन �ववरण� म� कुछ मामूल� अंतर के साथ वैसी ह� सु�वधाएं प्रदान करता
है । इस�लए यहां आयकर छुट्टी (इनकम टै क्स हॉ�लडे) के संबंध म� महत्वपूणर् अंतर है । एसईजेड योजना
म� प�रचालन शुरु होने क� तार�ख से आगले 15 वष� तक आयकर म� बहुत छूट �मलती है । यहां पहले
पांच वष� म� �नयार्त लाभ� पर आयकर म� 100% क� छूट, अगले पांच वष� म� 50% और �फर अगले पांच
वष� म� 50% क� छूट द� जाती है जो �वशेष भंडार म� मुनाफे के हस्तांतरण के अधीन है ।
एसईजेड नी�त का उद्देश्य वैिश्वक स्तर के व्यवसाय� के �लए �वश्व स्तर�य संरचनात्मक सु�वधाएं,
उपयो�गता और सेवाओं हे तु प्र�तस्पध�, सु�वधाजनक और एक�कृत �ेत्र (जोन) बनाना है । एसईजेड
अ�ध�नयम 2005 म� �नयार्त संवधर्न और संबं�धत बु�नयाद� ढांचे के �नमार्ण म� राज्य सरकार� क�
भू�मका पर गौर �कया गया है । एसईजेड योजना क� मुख्य �वशेषताएं इस प्रकार है ः
• एसईजेड इकाईय� के �वकास, संचालन और रख–रखाव के �लए शुल्क मुक्त �नयार्त/ वस्तुओं
क� घरे लू खर�द।
• एसईजेड इकाईय� के �लए पहले पांच वष� म� �नयार्त लाभ� पर 100% आयकर छूट, अगले पांच
वष� म� 50% और उसके बाद अगले पांच वष� म� वापस जोत लाभ (प्लॉज्ड बैक प्रॉ�फट्स) पर
50%।
• क�द्र�य मह
ु र कर ( स�ट्रल सील टै क्स) से छूट।
• सेवा कर से छूट।
• क�द्र�य और राज्य स्तर क� मंजूर� के �लए एकल �खड़क� मंजूर� (�संगल �वंडो िक्लयर� स)।
इस योजना का भ�वष्य के �नयार्त� और रोजगार पर महत्वपूणर् प्रभाव पड़ा है । कर�ब 235 आईट�–
आईट�ईएस �वशेष एसईजेड को डीओसी ने अ�धसू�चत �कया है ।

9
mÙkjµ राष्ट्रप�त ट्रम्प ने �वश्व व्यापार संगठन सध
ु ार के संबंध म� जार� अपने वक्तव्य म� �वकासशील
दे श� �वशेष रूप से चीन तथा भारत पर �वश्व म� अपे�ाकृत अन्य �वक�सत दे श� के होने के बावजद

�वश्व व्यापार संगठन म� “�वकासशील दे श” प्रावधान� के तहत अनु�चत लाभ प्राप्त करने का आरोप
लगाया है ।1 उनक� राय म� इन दे श�, जो वतर्मान म� �वश्व व्यापार संगठन म� “�वकासशील दे श” क� श्रेणी
म� आते ह�, अब एस एंड डीट� लाभ� के योग्य नह�ं ह�, जो मूल रूप से बहुप�ीय व्यापार �नकाय म�
�वकासशील दे श� क� भागीदार� को प्रोत्सा�हत करने हे तु ह�। �वश्व व्यापार संगठन के �लए अपनी
चेतावनी म� उन्ह�ने एकप�ीय माध्यम से उन प्रावधान� को �नरस्त करने क� घोषणा क�, िजसके तहत
संगठन अपने कुछ सदस्य दे श� को अनुदान दे ता है ।
एक ऐसा दे श जो “�वकासशील” श्रेणी के तहत डब्ल्यूट�ओ म� शा�मल होता है , वह कुछ �वशेष तथा
लचीले प्रावधान� के तहत लाभ प्राप्त करने का हकदार होता है , िजसे एस एंड डीट� उपाय� के रूप म�
जाना जाता है , जो हवाना चाटर् र के अध्याय III म� �न�हत है । यह �वकासशील अथर्व्यवस्थाओं को अपने
�वश्व व्यापार संगठन से संबं�धत प्र�तबद्धताओं को पूरा करने म� मदद करने के �लए प�रग्रहण
प्र�तबद्धता तथा व्यापार समझौत� को लागू करने के �लए अ�धक समय, �वकासशील दे श� के �लए टै �रफ
म� कमी के �लए फेज-डाउन पी�रयड और कुछ �नयार्त म� सिब्सडी, �वश्व व्यापार संगठन �ववाद
�नपटान �नकाय (डीएसबी) म� प्र�क्रयात्मक लाभ और �वक�सत दे श� से तकनीक� सहायता तथा �मता
�नमार्ण क� पेशकश जैसे �वशेष प्रावधान� का अनुदान दे ता है ।2
व्हाइट हाउस द्वारा यूएसट�आर को जार� �ापन के अनुसार, भारत तथा चीन जैसे दे श आ�थर्क रूप से
मजबूत ह� और �वश्व व्यापार संगठन म� हक का उनका दावा �नराधार है । यह �ापन इन दे श� को �मलने
वाले अनु�चत लाभ� क� ओर इशारा करता है , िजसके कारण न केवल �वक�सत दे श लाभह�न क� िस्थ�त
म� रहते ह�, बिल्क ये प्रावधान कम �वक�सत राष्ट्र� क� संभावनाओं को भी अवरुद्ध करते ह�, िजसपर
�वश्व व्यापार संगठन के व्यापार समझौत� म� �वशेष �वचार क� आवश्यकता है ।3
ू ते—�वकासशील दे श के लाभ� से संबं�धत यह मद्द
बाधाओं से जझ ु ा ऐसे समय म� उठाया गया है जब
अमे�रका तथा चीन बाजार पहुंच, प्रौद्यो�गक� हस्तांतरण एवं बौ�द्धक संपदा अ�धकार संर�ण से
संबं�धत मामल� पर आम सहम�त बनाने म� संघषर् कर रहे ह�। दसू र� ओर, भारत ट्रम्प प्रशासन द्वारा
माचर्, 2019 म� सामान्यीकृत वर�यता प्रणाल� (जीएसपी) कायर्क्रम के तहत लाभाथ� दे श के रूप म� नई
�दल्ल� का दजार् वापस लेने के बाद अपने �नयार्त म� आ रह� असफलताओं से उबरने क� को�शश कर रहा
है ।4 वैिश्वक मोच� पर, डब्ल्यट
ू �ओ के कामकाज म� ठहराव आया है और इसका प्रमख
ु भाग डीएसबी
ं टन के साथ अपील�य �नकाय (एबी) म� न्यायाधीश� क� �नयिु क्त को अवरुद्ध करने के साथ
वा�शग
अ�क्रयाशील हो गया है ।5
इस पष्ृ ठभू�म म� , �वकासशील दज� से संबं�धत मुद्दा एक नए प्रस्ताव के रूप म� उभरा है , िजसे �नष्प�
ं टन द्वारा एकतरफा तर�के से लागू �कया गया है ।
तथा समान व्यापार प्रणाल� बनाने के नाम पर वा�शग
यह मुद्दा िजसे इस बार डब्ल्यूट�ओ म� �वक�सत तथा �वकासशील दे श� के बीच समझ का आधार बनाया

10
है , वतर्मान म� पहल� बार �वक�सत दे श�, �वशेष रूप से अमे�रका के आ�ेप के अंतगर्त आया है । इस मुद्दे
ने �वश्व व्यापार संगठन म� मत्स्य पालन सिब्सडी के उन्मूलन पर बहुप�ीय वातार् के नवीनतम दौर के
दौरान राष्ट्रप�त ट्रम्प का ध्यान आक�षर्त �कया। चीन, जो �क सबसे बड़ा मत्स्य पालन करने वाला दे श
है , ने छूट के “ग्रीन बॉक्स” क� श्रेणी म� कुछ प्रकार� को रखते हुए मत्स्य पालन पर द� जाने वाल�
सिब्सडी को पूर� तरह से समाप्त करने से इनकार कर �दया।6 भारत ने खाद्य सुर�ा के कारण� का
हवाला �दया है और केस टू केस के आधार पर सिब्सडी को खत्म करने हे तु लंबी संक्रमण अव�ध क� मांग
क� है । भारत ने नाव�, जाल� और �धन क� खर�द पर सिब्सडी स�ु निश्चत करके छोटे मछल� पालन के
अ�धकार� का संर�ण जार� रखा है ।7
हालां�क, �वश्व व्यापार संगठन म� �वकासशील दे श� का कोई साझा दजार् नह�ं है । कृ�ष से कपास और
मत्स्य-पालन तक �वकासशील दे श �वभािजत हो गए ह� और �वक�सत दे श� के सम� मजबत
ू सौदे बाजी
गठबंधन पेश करने म� अ�धकांश समय असफल रहे ह�। ब्राजील ने अपनी �पछल� िस्थ�त से य-ू टनर् लेते
हुए हाल ह� म� भारत तथा चीन जैसे दे श� के �लए इन �वशेषा�धकार� को समाप्त करने क� ट्रम्प क� मांग
म� �धन को जोड़ते हुए डब्ल्यट
ू �ओ म� “�वकासशील दे श” का दजार् छोड़ने का फैसला �कया है । समस्या
8

का मूल कारण डब्ल्यूट�ओ म� �वकासशील दे श� का वग�करण है , िजनक� �वकासात्मक जरूरत� और


�वकास का स्तर बेहद अलग है ।9 इस�लए �वकासशील दे श� के बीच आम सहम�त बनाना मुिश्कल हो
जाता है , िजनक� एस एंड डीट� क� जरूरत� बदलती रहती ह� और उच्च आय अथर्व्यवस्था का दजर् प्राप्त
करने के �लए �व�भन्न मानदं ड� क� आवश्यकता है ।
राष्ट्रप�त ट्रम्प ने �वश्व व्यापार संगठन क� साख घटाने के �लए कई हमले �कए ह�। एस एंड डीट� वातार्
के इ�तहास से अन�भ�, वह चाहते ह� �क बहुप�ीय �नकाय अमे�रका के �हत� को ध्यान म� रखे।
हालां�क, जो वह यह महसूस नह�ं करते ह� �क हर दे श म� कमजोर और गर�ब लोग� का अपना वगर् है ,
िजन्ह� �कसी न �कसी प्रकार क� सुर�ा क� आवश्यकता है ।10 उदाहरण के �लए, अमे�रका तथा कनाडा म�
�कसान� को �मलने वाल� सिब्सडी न केवल चीन, ब्राजील तथा भारत म� �मलने वाल� सिब्सडी से अ�धक
है , बिल्क इन सिब्सडी से कृ�ष उत्पाद� क� तुलना म� इन �वकासशील दे श� से अंतरार्ष्ट्र�य बाजार म�
अपने उत्पाद� को बहुत अ�धक प्र�तस्पध� लाभ �मला है । दस ू र� ओर, भारत म� कृ�ष से �व�नमार्ण या
सेवा �ेत्र म� प�रवतर्न पूणर् नह�ं हुआ है , और इसक� आबाद� का एक बड़ा �हस्सा अच्छे जीवन यापन के
�लए राज्य सिब्सडी पर �नभर्र है । चीन, अपने 10 �ट्र�लयन के सकल घरे लू उत्पाद (जीडीपी) के बावजूद,
प्र�त व्यिक्त सकल शुद्ध आय (जीएनआई) 8, 690 यूएस डॉलर है , जो �क वल्डर् ब�क पैरामीटर के अनुसार
जीएनआई प्र�त व्यिक्त क� सीमा 12, 055 यूएस डॉलर से कम है , इसे इस ढांचे के तहत दजार् प्राप्त
करने के पात्र बनाता है ।11
एस एंड डीट� �वशेषा�धकार और भारत तथा चीन का मामला—इन �रयायती �वशेषा�धकार� के महत्व
का आकलन करते हुए, यह तकर् �दया जा सकता है �क �वक�सत तथा �वकासशील दे श� के बीच गैर-
व्यावसा�यक व्यापार समझौते आवश्यक रूप से �वकासशील दे श� से �नयार्त को बढ़ावा दे ने का नेतत्ृ व
नह�ं करते ह�। मख्
ु य रूप से �वकास क� �चंताओं को दरू करने के उद्देश्य से, इन �वशेष �वशेषा�धकार� को
आ�थर्क व्यवस्था, व्यापार और �वत्त म� �वक�सत दे श� से बहुत �पछड़े दे श� द्वारा �वकास को पकड़ने

11
क� रणनी�त माना जाता था। हालां�क, व्यवहा�रक रुप से, एस एंड डीट� प्रावधान साथर्क बाजार पहुंच या
उनके उत्पादन तथा �नयार्त आधार के �व�वधीकरण हे तु आवश्यक समथर्न, साथ ह� साथ व्यापार से
संबं�धत तकनीक� सहायता और �मता-�नमार्ण (ट�एसीबी) प्रदान करने म� �वफल रहे ह�।12 यह
ज्यादातर �ववेचन से संबं�धत अस्पष्टताओं तथा �वक�सत दे श� के �हस्से पर बाध्यकार� ट�एसीबी
प्र�तबद्धताओं क� अनुपिस्थ�त के कारण है , जो एस एंड डीट� उपाय� के उद्देश्य से पथ
ृ क हो गए ह�।
13

एस एंड डीट� म� मौजूद बहस मुख्य रूप से इस बात पर ध्यान क��द्रत करती है �क क्या उन्नत
�वकासशील दे श� को बहुप�ीय व्यापार प्रणाल� के साथ स�क्रय जड़ु ाव हे तु एस एंड डीट� म� अपने दावे
छोड़ दे ने चा�हए। बहस के समथर्क� का तकर् है �क चीन तथा भारत जैसी उभरती-बाज़ार अथर्व्यवस्थाएं
�वश्व व्यापार संगठन म� अपने �वकासशील दज� को छोड़ कर बेहतर सेवा प्रदान कर� गी।14 चीन तथा
भारत जैसे दे श� के �लए घरे लू लॉबी व्यापार समझौते क� पिु ष्ट करने या �वश्व व्यापार संगठन क� वातार्
म� आम सहम�त तक पहुंचने म� एक बड़ी बाधा बन जाती है । ये दे श कभी-कभी बहुप�ीय वातार् को
अवरुद्ध करने हे तु अपने एस एंड डीट� दज� का उपयोग करते ह�, खासकर उन मद्द
ु � पर जहां घरे लू लॉबी से
समथर्न प्राप्त करना लगभग असंभव हो। हालां�क, कोई सख्त-सीमा नह�ं है �क ये �वकासशील दे श एस
एंड डीट� के दज� के तहत आते ह�।
उदाहरण के �लए, 2005 म� 6व� �वश्व व्यापार संगठन मं�त्रस्तर�य वातार् के रूप म� चीन ने दोहा दौर क�
वातार् म� सबसे क�ठन पहलू का गठन करने वाले बाजार पहुंच को बढ़ावा दे ने वाले फ्रेमवकर् प्रस्ताव पर
बातचीत करके कृ�ष �ेत्र म� महत्वपूणर् भू�मका �नभाई।15 इस प्रस्ताव का अमे�रका और यूरोपीय संघ
(ईयू) जैसे समद्ध
ृ दे श� ने स्वागत �कया था। जब�क भारत कृ�ष उत्पाद� के बाजार पहुंच के �वचार के �लए
बेपरवाह रहा है , यह स�क्रय रूप से सेवाओं म� व्यापार उदार�करण के �वस्तार क� मांग करता है , जो �क
कई लै�टन अमे�रक� और न्यूजील�ड, कनाडा और ऑस्ट्रे �लया जैसे कुछ �वक�सत दे श� क� िस्थ�त के
समान है ।16 क्य��क, �वकासशील दे श अपनी एस एंड डीट� मांग� म� �भन्न होते ह� और उन्ह�ने अपनी
मांग� को कम करने या डब्ल्यूट�ओ क� कुछ पहल� म� अपने योगदान को बढ़ाते हुए स्वेच्छा से अपनी
मांग� को कम करने हे तु लचीलापन दशार्या है । हालां�क, ये कायर् �कसी भी तरह से भारत तथा चीन जैसे
�वकासशील दे श� को एस एंड डीट� का दजार् दे ने क� इच्छा के संबंध म� सुझाव नह�ं दे ते ह�, ले�कन यह
डब्ल्यूट�ओ सदस्यता क� लचील� प्रकृ�त को इं�गत करता है , चाहे वह िजस दे श क� हो।17
भारतीय प� ने यह स्पष्ट �कया है �क भारतीय अथर्व्यवस्था क� महत्वपूणर् सफलता के बावजूद, दे श
�वक�सत अथर्व्यवस्थाओं से बहुत पीछे है , जो �व�भन्न मानव �वकास संकेतक� म� इसक� र��कंग से
स्पष्ट है । भारतीय वा�णज्य स�चव अनूप वधावन ने कहा �क एस एंड डीट� के प्रावधान� को छोड़ने का
प्रभाव इसक� मौजूदा 600 �म�लयन गर�ब आबाद� को दे खते हुए भारतीय अथर्व्यवस्था के �लए
हा�नकारक होगा, एस एंड डीट� डब्ल्यूट�ओ क� प्रभावशीलता तथा �वश्वसनीयता को बढ़ावा दे ने का एक
महत्वपूणर् और जरूर� उपाय बना हुआ है , जो उनके �वकास क� आवश्यकता वाले दे श� म� बहुप�ीय
संस्था का समथर्न कर रहा है ।18 इसी तरह के मामले म� , चीनी वा�णज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गाओ फ�ग
ने कहा है �क हालां�क चीन अपनी अंतरराष्ट्र�य िजम्मेदा�रय� से पीछे नह�ं हटता है , यह सबसे बड़ा

12
�वकासशील दे श बना हुआ है और इस�लए समकाल�न दौर म� आ�थर्क �वकास और �मताओं के अपने
स्तर के तहत �वश्व व्यापार संगठन के दा�यत्व� को �नष्पा�दत करे गा।
डब्ल्यूट�ओ को स�पे गए एक संयुक्त पत्र म� चार दे श� भारत, चीन, द��ण अफ्र�का और वेनेजुएला ने
�वकासशील तथा �वक�सत अथर्व्यवस्थाओं के बीच मौजूद सकल घरे लू उत्पाद, प्र�त व्यिक्त जीडीपी,
गर�बी के स्तर, अल्पपोषण, कृ�ष �ेत्र म� उत्पादन और रोजगार, सेवाओं म� व्यापार आ�द के स्तर के
बीच मौजूद �वभाजन को दोहराया।19 उन्ह�ने कुछ महत्वपूणर् �वकास के बावजूद कई �वकासशील दे श�
म� जीवन स्तर के �नम्न स्तर क� ओर इशारा �कया। उदाहरण के �लए, चीन क� ग्रामीण आबाद� जमर्नी,
ू ाइटे ड �कंगडम और यए
जापान, यन ू स जैसे �वक�सत सदस्य� क� तल
ु ना म� छह गन
ु ा अ�धक है , और
भारत म� यह लगभग आठ गन
ु ा तक बढ़ गई है । उनका तकर् है �क �वकासशील दे श अभी भी घरे लू
20

आ�थर्क प�रवतर्न से गज
ु र रहे ह�, िजन्ह� नी�तगत स्थान, लचीलेपन और �व�भन्न नी�तगत प्रयोग� को
परू ा करने हे तु समथर्न क� आवश्यकता है । उनके �वचार म� , डब्ल्यट
ू �ओ अंतरार्ष्ट्र�य व्यापार वातार् म�
�नष्प�ता और न्याय को बढ़ावा दे ने वाल� प्रमख
ु संस्था है , इस�लए “�वकास अनक
ु ू ल व्यवस्था” का
�नमार्ण करना चा�हए जो �वकासशील दे श� को समय-समय पर एस एंड डीट� के लाभ� का उपयोग करने
क� अनुम�त दे ता हो।
हालां�क, सवाल उठाए गए ह� �क अमे�रका द्वारा एस एंड डीट� वगर् के तहत उनके �वशेषा�धकार� पर
सवाल उठाने के बाद भारत अपने एस एंड डीट� के दावे पर अपनी डब्ल्यूट�ओ प्र�त�क्रया म� चीन के साथ
क्य� शा�मल हुआ। संशय का तकर् है �क चीन तथा भारत के बीच आ�थर्क मापदं ड� म� बहुत बड़ा अंतराल
मौजूद ह� और भारत अपने िस्थर आ�थर्क �वकास के बावजूद चीन के आ�थर्क स्तर के आसपास भी नह�ं
है । उनके �वचार म� , �वश्व व्यापार संगठन म� �वकासशील दे श के दजार् के �लए चीन के साथ हाथ
�मलाना भारत क� िस्थ�त को कमजोर करे गा। ले�कन भारतीय अ�धका�रय� के साथ-साथ व्यापार
�वशेष�� का तकर् है �क �वश्व व्यापार संगठन जैसे बहुप�ीय ढांचे म� , कोई दे श अकेले नह�ं लड़ सकता है
और इस�लए, �वक�सत दे श� के �खलाफ एक मजबूत मोचार्बंद� करने हे तु गठबंधन आवश्यक है । इस
तरह, दोन� दे श� के बीच आ�थर्क �मता क� �वषमता के बावजूद, चीन के साथ होने से अ�धक
राजनी�तक दबाव बढ़े गा। साथ ह�, यह पहल� बार नह�ं है जब भारत ने चीन के साथ कोई संयुक्त पत्र
प्रस्तुत �कया है । पहला संयुक्त पत्र 17 जुलाई, 2017 को प्रस्तुत �कया गया था, िजसम� उन्ह�ने
�वक�सत दे श� द्वारा प्राप्त ग्रीन बॉक्स सिब्सडी को कम करने क� मांग क� थी, िजसके प�रणामस्वरूप
कृ�ष पर �वश्व व्यापार संगठन के समझौते म� प्रमुख �वषमता आई है ।21
इस प्रकार, �वश्व व्यापार संगठन म� �वकासशील दे श का दजार् खोना न केवल इन दे श� म� आ�थर्क
प�रवतर्न क� प्र�क्रया को बा�धत करे गा, बिल्क उनक� अथर्व्यवस्थाओं म� और अ�धक �वकृ�तयां पैदा
करे गा। यद्य�प "�वक�सत-�वकासशील" का �वरोधाभास डब्ल्यूट�ओ वातार् क� ओर नह�ं झुकता है ,
ले�कन �वकासशील दे श� के �व�शष्ट बातचीत म� दावे को आगे बढ़ाने हे तु लचीला दृिष्टकोण नए
गठबंधन और एज�डा-�नधार्�रत करने क� िस्थ�त बनाता है । इस प्रकार, �वश्व व्यापार संगठन म� अपने
एस एंड डीट� का दजार् छोड़ने वाले दे श� से संबं�धत िस्थ�त के मद्द
ु े को न केवल मात्रात्मक आंकड़� पर
�वचार करना चा�हए, बिल्क �व�भन्न राजनी�तक-आ�थर्क �वचार� को भी ध्यान म� रखना

13
चा�हए।22 क्र�मक व�ृ द्ध को यह सु�निश्चत करना चा�हए �क इन दे श� म� आ�थर्क संक्रमण पूरा हो गया है
और वे अंतरराष्ट्र�य प्र�तस्पधार् के बीच संघषर् नह�ं कर रहे ह�। अन्यथा, वैिश्वक व्यापार प्रशासन के
मध्यस्थ के रूप म� �वश्व व्यापार संगठन के दायरे को सी�मत करने हे तु बहुप�ीय व्यापार प्रणाल� म�
�वक�सत तथा �वकासशील प� के बीच �वभाजन तीव्र होने का जो�खम है ।

mÙkjµ भारत क� वतर्मान �वशेष आ�थर्क �ेत्र (Special Economic Zone-SEZ) नी�त अध ्ययन �रपोटर्
क�द्र�य वा�णज ्य एवं उद्योग और नाग�रक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को स�पी गई। इस नी�त अध ्ययन
�रपोटर् को तैयार करने के �लये दे श के प्र�सद्ध उद्योगप�त भारत फोजर् �ल�मटे ड के चेयरमैन बाबा
कल ्याणी क� अध्य�ता म� स�म�त ग�ठत क� गई थी। इस स�म�त को सेज़ नी�त का आकलन करने
और इसे �वश ्व व ्यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) के मानक� के अनरू
ु प बनाने के
�लये सझ
ु ाव दे ने को कहा गया था।
इसके अलावा सेज़ क� खाल� पड़ी भ�ू म का अ�धकतम उपयोग स�ु नश ्�चत करने के उपाय सझ
ु ाने
और अंतरार्ष ्ट्र�य अनभ
ु व� के आधार पर सेज़ नी�त म� आवश ्यक बदलाव सझ
ु ाने क� िजम्मेदार� भी इस
स�म�त को द� गई थी। इनके साथ ह� तट�य आ�थर्क ज़ोन (Coastal Economic Zone), �दल ्ल�-मंब
ु ई
इकोनॉ�मक कॉर�डोर, राष ्ट्र�य औद्यो�गक �व�नमार्ण ज़ोन और टे क्सटाइल पाक� जैसी अन ्य सरकार�
योजनाओं के साथ सेज़ नी�त का �वलय करने के बारे म� सुझाव दे ने क� िजम ्मेदार� भी इस स�म�त को
स�पी गई थी।
इस �रपोटर् म� कहा गया है �क य�द भारत को वषर् 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर क� अथर्व ्यवस ्था म�
तब ्द�ल होना है तो �व�नमार्ण �ेत्र म� प्र�तस्पध� �मता के साथ-साथ सेवाओं से जुड़े मौजूदा प�रवेश म�
भी बु�नयाद� बदलाव सु�नश ्�चत करने ह�गे। साथ ह� सूचना प्रौद्यो�गक� और इससे जुड़ी सेवाओं के
�ेत्र म� �मल� कामयाबी को स ्वास ्थ ्य सेवाओं, �वत ्तीय सेवाओं, कानूनी, मरम ्मत और �डजाइन
सेवाओं जैसे अन ्य सेवा �ेत्र�/सेक्टर� म� भी सु�नश ्�चत करना होगा।
इसके अलावा, �रपोटर् म� कहा गया है �क �व�नमार्ण �ेत्र म� �वकास क� ग�त तेज करने के �लये मौजूदा
नी�तगत रूपरे खाओं का आकलन करने क� ज़रूरत है । इसके साथ ह� संबं�धत नी�त को WTO के
प्रासं�गक �नयम-कायद� के अनुरूप बनाने क� भी ज़रूरत है ।

mÙkjµ व्यापार, आ�थर्क, वै�ा�नक, तकनीक�, औद्यो�गक और सांस्कृ�तक सहयोग पर ग�ठत


भारत-यूक्रेन अंतर-सरकार� आयोग के अधीनस्थ व्यापार एवं आ�थर्क सहयोग पर भारत-यूक्रेन
कायर् समूह (आईयू-डब्ल्यूजीट�ईसी) क� चौथी बैठक आज नई �दल्ल� म� आयोिजत क� गई।
भारतीय प्र�त�न�धमंडल क� अगुवाई भारत सरकार के वा�णज्य एवं उद्योग मंत्रालय के
वा�णज्य �वभाग म� अपर स�चव, �वदे श व्यापार (सीआईएस) श्री �बद्युत बेहार� स्वेन ने क�।
ऊधर, यक्र
ू े न प्र�त�न�धमंडल का नेतत्ृ व यक्र
ू े न के आ�थर्क �वकास एवं व्यापार मंत्रालय के

14
अंतरार्ष्ट्र�य व्यापार एवं आ�थर्क सहयोग व यूरोपीय एक�करण �नदे शालय के �नदे शक श्री
ओलेक्सी रोझकोव ने �कया।
बैठक क� समािप्त पर एक प्रोटोकॉल पर हस्ता�र �कए गए। यह प्रोटोकॉल व्यापार क�
समी�ा, छोट� एवं मझोल� उद्य�मता के �ेत्र म� सहयोग, तकनीक� �नयमन (मानक�करण,
माप-पद्ध�त, प्रमाणन, अनुरूपता आकलन) के �ेत्र म� सहयोग, सावर्ज�नक-�नजी भागीदार�
(पीपीपी) एवं �नवेश, कृ�ष, भारत के बाजार म� यूक्रेन के खाद्य उत्पाद� क� पहुंच को
स�ु वधाजनक बनाने, ऊजार् �ेत्र, �वत्त, एंट�-डिम्पंग जांच क� रूपरे खा के अंतगर्त यक्र
ू े न को
बाजार अथर्व्यवस्था का दजार् दे ने, ब��कंग और पयर्टन �ेत्र म� सहयोग से संबं�धत है ।
व्यापार क� ताजा िस्थ�त क� समी�ा
दोन� प�� द्वारा �दए गए व्यापार आंकड़� का �ववरण नीचे �दया गया है :
ये आंकड़े भारत सरकार के एक संगठन वा�णिज्यक ख�ु फया एवं सांिख्यक� महा�नदे शालय
(डीजीसीआईएस) द्वारा �दए गए वस्तओ
ु ं के व्यापार से संबं�धत ह� िजनका उल्लेख नीचे
�कया गया है :
(�म�लयन अमे�रक� डॉलर म� )

वषर् भारत से �नयार्त यूक्रेन से कुल


आयात व्यापार
2017-18 330.10 2355.97 2686.07
2018-19 305.73 1921.70 2227.43
• अप्रैल-
फरवर�)
(अनं�तम)

स्रोत : वा�णिज्यक ख�ु फया एवं सांिख्यक� महा�नदे शालय (डीजीसीआईएस) यूक्रेन के व्यापार
आंकड़े (�म�लयन अमे�रक� डॉलर म� )

वषर् यक्र
ू े न से �नयार्त भारत से कुल
(कैल� डर) आयात व्यापार
2017 2 205.7 561.3 2
767.0
2018 2175.9 616.6 2791.6

दोन� ह� प�� ने इस बात पर सहम�त जताई �क द्�वप�ीय व्यापार का स्तर वास्त�वक


�मता से काफ� कम है , अतः व्यापार बास्केट के साथ-साथ द्�वप�ीय व्यापार एवं �नवेश म�
भी व�ृ द्ध करने के �लए आपसी सहयोग बढ़ाने क� जरूरत है । भारतीय प� के �लहाज से

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व्यापार म� घाटा आंका गया है । दोन� प�� ने इसम� और ज्यादा कमी सु�निश्चत करने के
�लए �व�भन्न तौर-तर�के ढूंढने पर सहम�त जताई।
द्�वप�ीय व्यापार बढ़ाने म� सहयोग—भारत और यूक्रेन ने ऐसे संभा�वत �ेत्र� या सेक्टर� क�
पहचान क� है िजनम� दोन� प� द्�वप�ीय व्यापार बढ़ाने के �लए आपस म� सहयोग कर
सकते ह� क्य��क वतर्मान म� दोन� प�� के बीच व्यापार का स्तर शेष �वश्व के साथ हो रहे
कुल व्यापार क� तुलना म� अत्यंत कम है । दोन� प�� ने उन उत्पाद� क� सूची साझा करने
पर सहम�त जताई िजनका व्यापार करने म� उनक� रु�च होगी।
दोन� प�� को �चिन्हत संभा�वत सेक्टर� म� आयोिजत �कए जाने वाले प्रमख
ु मेल�/ प्रदशर्�नय�
म� भाग लेना चा�हए। दोन� प�� ने एक दस
ू रे से मेल� / प्रदशर्�नय� का �ववरण अ�ग्रम तौर
पर साझा करने म� सहम�त जताई, ता�क इनम� भागीदार� स�ु निश्चत हो सके।
दोन� प�� ने अपने यहां एकल �खड़क� प्रकोष्ठ क� पहचान करने से जड़
ु ी आ�धका�रक
सच
ू नाओं को साझा करने पर सहम�त जताई, ता�क �नयार्तक� के सवाल� पर स्पष्ट�करण
�दये जा सक� और उपयक्
ु त खर�दार� / �वक्रेताओ� क� पहचान करने म� उन्ह� सहयोग �दया जा
सके।
छोट� एवं मझोल� उद्य�मता के �ेत्र म� सहयोग—भारतीय प� ने यूक्रेन के प� को राष्ट्र�य
लघु उद्योग �वकास �नगम (एनएसआईसी) से जुड़ी ग�त�व�धय� से अवगत कराया और
यूक्रेन प� से एक ऐसी प्रमुख एज�सी को �चिन्हत करने का अनुरोध �कया जो �नम्न�ल�खत
�ेत्र� म� पारस्प�रक सहम�त के आधार पर छोटे एवं मझोले उद्यम� (एसएमई) के �ेत्र म�
एनएसआईसी के साथ सहयोग कर सके :
• सू�म एवं छोटे उद्यम� के �वकास के �लए यूक्रेन म� टे क्नोलॉजी इन्क्यब
ू ेशन सेन्टर
स्था�पत करना
• उद्यम संबंधी सहयोग बढ़ाने के �लए उद्यम� के सज
ृ न को सु�वधाजनक बनाना
• कारोबार� प्र�त�न�धमंडल� का आदान-प्रदान करना
चमड़ा, तम्बाकू, रत्न एवं जेवरात और चाय �ेत्र� म� सहयोग—
चमड़ा �ेत्र—भारतीय प� ने बताया �क यूक्रेन द्वारा �कए जा रहे चमड़े क� वस्तुओं एवं
फुट�वयर के कुल आयात म� भारत क� बाजार �हस्सेदार� 1 प्र�तशत से भी कम है और यूक्रेन
म� मुख्यतः आयात शुल्क ज्यादा रहने के कारण ह� यह िस्थ�त दे खने को �मल रह� है ।
भारतीय प� ने यूक्रेन प� से फुट�वयर के �लए चमड़े क� वस्तुओं हे तु आयात शुल्क को
घटाकर 5 प्र�तशत के एकसमान स्तर पर लाने पर �वचार करने का अनुरोध �कया।
तम्बाकू �ेत्र—भारतीय प� ने यूक्रेन के प� को यह जानकार� द� �क भारत तम्बाकू एवं
इससे संबं�धत उत्पाद� का एक बड़ा उत्पादक है । भारतीय प� ने यूक्रेन के प� से तम्बाकू
एवं इससे संबं�धत उत्पाद� का आयात करने पर �वचार करने का आग्रह �कया क्य��क यूक्रेन
म� तम्बाकू एवं इससे संबं�धत उत्पाद� का आयात 60,000 से लेकर 79,000 एमट� क� र� ज
म� ह� होता है ।

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रत्न एवं जेवरात का �ेत्र
यूक्रेन म� रत्न एवं जेवरात उत्पाद� पर दे य शुल्क काफ� ज्यादा है िजसम� 20 प्र�तशत वैट भी
शा�मल है । स्वणर् आभूषण� और कटे एवं पॉ�लश �कए हुए ह�र� पर कुल शुल्क लगभग 30
प्र�तशत है । भारतीय प� ने यूक्रेन के प� से स्वणर् आभूषण� और कटे एवं पॉ�लश �कए हुए
ह�र� पर दे य शुल्क को कम करने का अनुरोध �कया।
चाय �ेत्र—भारतीय प� ने बताया �क यूक्रेन चाय के �लए एक महत्वपूणर् बाजार है । भारतीय
प� ने यक्र
ू े न के प� से पैक क� हुई चाय पर 10 प्र�तशत सीआईएफ मल्
ू य क� ड्यट
ू � हटाने
का अनरु ोध �कया।
उद्योग—यक्र
ू े न प� ने �नम्न�ल�खत प्रस्ताव� क� संभावनाओं पर गौर करने का प्रस्ताव
भारतीय प� के सम� रखा—
• औद्यो�गक �ेत्र म� द्�वप�ीय सहयोग को जार� रखना और इसे बढ़ाना।
• भारतीय बाजार को रे लरोड एवं भ�ू मगत रे लवे कैरे ज उत्पाद� क� आप�ू तर् करना।
• भारत म� ऊजार् इकाइय� के �नमार्ण, पन
ु �नर्मार्ण एवं आध�ु नक�करण के �लए ऊजार्
प�रयोजनाओं के कायार्न्वयन म� यूक्रेन के उद्यम� क� भागीदार� सु�निश्चत करना।
तकनीक� �व�नयमन के �ेत्र म� सहयोग (मानक�करण, माप-पद्ध�त, प्रमाणन, अनुरूपता
मूल्यांकन) भारतीय प� ने यूक्रेन प� को सू�चत �कया �क—
• यूकेआरएनडीएनसी द्वारा प्रस्ता�वत समझौते का मसौदा प्र�क्रयाधीन है ;
• भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को यूक्रेनी प� से मानक�करण के �ेत्र म� सहयोग के
�लए समझौता �ापन के मसौदे पर प्राप ्त वैकिल्पक प्रस ्ताव क� जांच क� जा रह� है ।
इसके अलावा भारतीय प� ने यूक्रेन क� राष ्ट्र�य मानक संस ्था के तौर पर
यूकेआरएनडीएनसी क� रूपरे खा तैयार करने के �लए यूक्रेन के मं�त्रमंडल के 26 नवम ्बर,
2014 के �नणर्य के बाद यूक्रेन म� राष ्ट्र�य मानक�करण कायर् म� आ�थर्क �वकास एवं
व ्यापार मंत्रालय क� मौजूदा भू�मका के बारे म� यूक्रेन प� से जानकार� प्रदान करने का
अनुरोध �कया है ।
सावर्ज�नक-�नजी भागीदार� (पीपीपी) और �नवेश के �ेत्र म� सहयोग—यूक्रेन प� ने �पछले एक
दशक म� भारत म� सावर्ज�नक-�नजी भागीदार� (पीपीपी) व ्यवस ्था के तेजी से �वकास का
सं�ान �लया है और पीपीपी के बारे म� अनुभव�, �वशेष रूप से पीपीपी �वधान, पीपीपी
प�रयोजनाओं को लागू करने के अनुभव और पीपीपी व ्यवस ्था के �वकास क� भावी योजनाओं
के बारे म� अनुभव साझा करने म� �दलचस ्पी व्यक्त क� है ।
दोन� दे श� के बीच म� द्�वप�ीय �नवेश संबंध� क� व ्यापक संभावनाएं ह�। रे लवे, �वमान,
फामार्स ्यु�टकल ्स, धातु �व�ान और पयर्टन जैसे �ेत्र� म� त ्व�रत सहयोग के �लए काफ� कुछ
�कया जा सकता है । भारत सरकार ने एफडीआई के बारे म� �नवेशक� के अनुकूल नी�त प्रस ्तुत
क� है , िजसके अंतगर्त अ�धकतर �ेत्र� और ग�त�व�धय� म� स ्वचा�लत रूट से 100 प्र�तशत तक
क� एफडीआई क� अनम
ु �त है । हाल के दौर म� एफडीआई नी�त व ्यवस ्था म� महत ्वपण
ू र् बदलाव

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�कये गये ह�, ता�क भारत �नवेश क� दृिष्ट से आकषर्क और �नवेशक� के अनुकूल बना रहे ।
व ्यापक अवसर� और मेक इन इं�डया, कारोबार क� सुगमता, स ्टाटर् अप इं�डया और उदार
एफडीआई व ्यवस ्था जैसी हाल क� पहल� के मद्देनजर भारत म� यूक्रेन क� ओर से एफडीआई के
�लए पयार्प ्त संभावनाएं मौजूद ह�। भारतीय उद्योग उपयोग म� न लाई गई संभावनाओं का पता
लगाने और आ�थर्क साझेदार� का �वस ्तार करने के �लए प्र�तबद्ध है ।
ऊजार् के �ेत्र म� सहयोग—भारतीय प� ने यक्र
ू े न के प� को बताया �क द्�वप�ीय
सहयोग/ सहायता �नम्म�ल�खत �ेत्र� म� द� जा सकती है -
• �नष्पादन के दौरान �डजाइन और इंजी�नय�रंग म� व्यवहायर्ता �रपोटर् (एफआर),
�वस्तत
ृ प�रयोजना �रपोटर् (डीपीआर), तकनीक� परामशर् तैयार करना
• पन�वद्यत
ु �ेत्र म� यक्र
ू े न के इंजी�नयर� को प्र�श�ण
• परु ाने पन�वद्यत
ु संयंत्र� का कायाकल्प और आध�ु नक�करण
• पन�वद्यत
ु प�रयोजना �वकास के सभी चरण� म� तकनीक� परामशर् सेवाएं उपलब्ध
कराना। भारतीय प� ने यक्र
ू े न के प� से स्थल भ्रमण का अनरु ोध �कया ता�क
सावर्ज�नक �ेत्र उपक्रम एनएचपीसी पन�वद्युत योजनाओं/पुराने पन�वद्युत संयंत्र� के
कायाकल्प और आध�ु नक�करण क� तकनीक� व्यवहायर्रता पर अपनी �टप्पणी उपलब्ध
करा सके बशत� ये कायर् एनएचपीसी को सौप� जाय�।
�वत्त एवं ब��कंग �ेत्र म� सहयोग—भारतीय प� ने यूक्रेन के प� को सू�चत �कया �क भारत
और अन्य दे श� के बीच सीमा पार लेन दे न म� मदद करने के �लए भारतीय �वदे शी मुद्रा
�व�नमय प्रणाल� के प्रावधान� के संबंध म� अनेक संशोधन �कये गये ह�।
पयर्टन म� सहयोग—भारतीय प� ने यूक्रेन प� से दोन� दे श� म� पयर्टन के कायर्क्रम
आयोिजत करने के संबंध म� जानकार� के आदान –प्रदान के बारे म� �वचार करने का अनुरोध
�कया। दोन� प�� ने व्यापार अथर्व्यवस्था एवं सहयोग (आईय-ू डब्ल्यू ट�ईसी) के बारे म� कायर्
समूह क� पांचवी बैठक क�व, यूक्रेन म� आयोिजत करने पर सहम�त व्यक्त क�। इस पांचवी
बैठक क� तार�ख� के बारे म� राजन�यक माध्यम से सहम�त ले ल� जायेगी।

mÙkjµ जापान और भारत के व्यापार समुदाय के साथ उपिस्थत रहना वास्तव म� प्रसन्नता का
�वषय है । और वह भी हमारे एक महान �मत्र : भारत के �मत्र; गुजरात के �मत्र और मेरे अंतरं ग �मत्र
ं ो अबे के ग�रमामयी उपिस्थ�त म� । कृपया इस महान �मत्र और महान नेता का जोरदार
श्री �शज
ता�लय� के साथ स्वागत क�िजए। जापान के नेताओं, सरकार, उद्योग और लोग� के साथ मेरे
व्यिक्तगत संबंध जब एक दशक परु ाने हो चक
ु े ह�। जब म�ने गज
ु रात के मख्
ु यमंत्री के रूप म� जापान
क� यात्रा क� थी तो म�ने कहा था......."म� गजु रात म� भी एक लघु जापान को दे खना चाहता हूं।" आज
वह स्वप्न पण ू र् हो गया है । मझ
ु े यह दे खकर अत्यंत प्रसन्नता होती है �क जापान के हमारे अनेक
�मत्र गज
ु रात म� प्रसन्नतापव
ू क
र् रह रहे ह� और यहां व्यवसाय कर रहे ह�। मझ
ु े यह दे खकर भी खश
ु ी

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होती है �क अनेक सम�पर्त उपनगर�, क्लस्टर� और संस्थाओं का �नमार्ण �कया गया है िजससे
जापानी जीवन और कायर् अनुभव बेहतर हुआ है । आज भी एक अन्य जापानी उपनगर क� घोषणा
क� गई है । गुजरात का उद्योग तथा सरकार अभी तक इस बात को �दल� म� संजोए ह� �क जापान
'गुंजायमान गुजरात' समारोह म� पहला �वदे शी भागीदार दे श बना है । हमार� यह भागीदार� न केवल
�नरं तर जार� रह� है बिल्क हमारे परस्पर संबंध� म� और भी व�ृ द्ध हुई है । इसके प�रणामस्वरूप,
जापान उद्योग और भारतीय अथर्व्यवस्था के बीच संबंध� के और भी उच्च स्तर स्था�पत हुए ह�। म�
इस प्र�क्रया म� हम� सहायता प्रदान करने के �लए केडानरे न, जेईट�आरओ तथा अन्य संगठन� को
धन्यवाद दं ग
ू ा। जापान प्लस के तंत्र ने भी हम� सहायता प्रदान करने क� प्र�क्रया म� सहयोग �दया है ।
�मत्र�!
जापान क� सरकार तथा वहां के लोग� ने हमेशा से ह� मेरे और मेरे दे श के प्र�त अत्यंत स्नेह भाव
दशार्या है । वस्तत
ु : भारत के 1.25 �ब�लयन लोग भी जापान के लोग� के प्र�त समान स्नेह रखते ह�।
म� प्रधानमंत्री अबे द्वारा व्यिक्तगत स्तर पर उनके द्वारा �दए गए सहयोग के �लए उनके प्र�त
�वशेष आभार व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री अबे तथा म�, मल
ु ाकात का कोई अवसर नह�ं गंवाते ह�।
हमार� घ�नष्ठता और समझ के फलस्वरूप हम� हमारे द्�वप�ीय संबंध� म� अनेक खा�मय� को दरू
करने म� मदद �मल� है । �पछले वषर् �कसी भी �वत्त वषर् म� जापान से अ�धकार� �वकास सहायता का
सव�च्च सं�वतरण �कया गया है । इसी प्रकार, भारत म� कायर् करने वाल� जापानी कंप�नय� क� संख्या
भी �पछले कुछ वष� म� �नरं तर बढ़� है । आज प्रारं भ �कए गए �क्रयाकलाप� से, आप दोन� दे श� के
बीच संबंध� क� गहराई को स्वयं दे ख सकते ह�।
इसम� पहल� है मुंबई-अहमदाबाद उच्च ग�त क� रे ल प�रयोजना—हम इस प�रयोजना के �लए
जापानी सरकार द्वारा �कए गए सहयोग के �लए उसके आभार� ह�।
मुझे आशा है �क 500 �कमी लंबी बुलेट ट्रे न के मागर् का �नमार्ण कायर् शीघ्र ह� आरं भ होगा तथा यह
2022-23 तक कायर् करना आरं भ कर दे गी।
उच्च ग�त क� रे ल प�रयोजना के साथ, एक प्र�श�ण संस्थान पर भी कायर् �कया जा रहा है ।
यह नए भारत के �नमार्ता तैयार करे गा-अथार्त ् उच्च ग�त के रे लवे का �नमार्ण, प्रचालन और
अनुर�ण करने के �लए अत्यंत कुशल मानवशिक्त। दस
ू र� प�रयोजना है समूचे दे श म� जापानी
औद्यो�गक उपनगर� का �वकास िजसके �लए चार स्थान� को अं�तम रूप प्रदान �कया गया है ।
गुजरात के अलावा वे राजस्थान, आंध्र प्रदे श और त�मलनाडु म� िस्थत ह�।
तीसर� प�रयोजना हमारा ऑटोमोबाइल म� सहयोग है —मॉडल म� िस्थत सुजुक� संयत्र
ं समच
ू े �वश्व म�
कार� �नयार्त कर रहा है तथा अगल� पीढ़� के हाइ�ब्रड और �वद्युत वाहन� को ऊजार् प्रदान करने के
�लए �ल�थयम-आयन बै�ट्रय� के उत्पादन का �शलान्यास कर �दया गया है ।
चौथी है -जापान-भारत �व�नमार्ण संस्थान� के माध्यम से मानव संसाधन �वकास। उन्ह� जापानी
कंप�नय� द्वारा �वक�सत �कया जा रहा है । गुजरात के अलावा, इन्ह� कनार्टक, राजस्थान और
त�मलनाडु म� �वक�सत �कया जाएगा। आप जानते ह� �क वाराणसी का प्राचीन और प�वत्र शहर मेरा
दस
ू रा घर है ।

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वाराणसी कन्व� शन केन्द्र प�रयोजना जापान के टोक्यो शहर और वाराणसी के बीच सांस्कृ�तक सहयोग
का प्रतीक है । इस संकल्पना प्रधानमंत्री अबे तथा मेरे द्वारा उस समय तैयार क� गई थी जब हमने
2015 म� वाराणसी क� यात्रा क� थी। म�ने इसका नाम 'रूद्रा�' रखा था जो प्रेम का प्रतीक है तथा
मानवता के �लए भगवान �शव का प्रसाद है । यह रुद्रा� वाराणसी के �लए जापा�नओं क� ओर से स्नेह
का प्रतीक होगा। यह सारनाथ म� िस्थत हमार� साझी बौद्ध �वरासत के प्र�त एक सच्ची श्रद्धांज�ल भी
होगा। जापान द्वारा इस प�रयोजना को द� जाने वाल� �वत्तीय सहायता के �लए म� प्रधानमंत्री अबे को
हा�दर् क धन्यवाद दे ना चाहता हूं। आपने जापानी कंप�नय� द्वारा �नवेश क� कुछ अन्य घोषणाएं भी सन
ु ी
ह�गी। राजनी�त और रणनी�तक �ेत्र� म� भी प्रधानमंत्री अबे क� यह यात्रा अत्यंत लाभदायक रह� है ।
हमने अनेक महत्वपूणर् मामल� पर अनेक करार� को अं�तम रूप �दया है । ये सभी बात� हम दोन� दे श� के
बीच �वद्यमान पारस्प�रक समझ, सहयोग और �वश्वास क� गहराई को दशार्ती है ।
�मत्र�!
�पछले तीन वष� म� हमने व्यापार करने म� आसानी लाने के �ेत्र म� कड़ी मेहनत क� है । प्रशास�नक
सध
ु ार� क� एक �वशाल श्रख
ंृ ला ने दे श म� व्यापा�रक भावनाओं म� उल्लेखनीय सध
ु ार �कया है । इन
सभी सुधार� और पहल� का उद्देश्य भारत को 21वीं सद� के �लए तैयार करना है । उनका उद्देश्य दे श
को रूपांत�रत करना तथा एक नए भारत का �नमार्ण करना है । हमारे युवाओं क� ऊजार् से लाभािन्वत
होकर हम भारत को एक वैिश्वक �व�नमार्ण केन्द्र के रूप म� िस्थत कर रहे ह�। इस उद्देश्य के �लए,
हमने 'मेक इन इं�डया' अ�भयान आरं भ �कया है । हम भारत को एक �ान-आधा�रत, कौशल� द्वारा
सम�थर्त और प्रौद्यो�गक�-चा�लत समाज बनाने का प्रयास भी कर रहे ह�। इसक� भव्य शुरुआत
पहले ह� क� जा चक
ु � है । इसी प्रयोजन के �लए, हमने 'स्टाटर् -अप इं�डया' अ�भयान आरं भ �कया है ।
भारत वैिश्वक स्टाटर् -अप ईको-�सस्टम म� तीसरे स्थान पर है तथा हमने �पछले कुछ वष� म� काफ�
प्रग�त क� है । स्टाटर् -अप इं�डया पहल का उद्देश्य भी अ�भनवता के एक सुदृढ़ ईको-�सस्टम का
�नमार्ण करना है । अवसरं चना के �ेत्र म� भी, मेर� सरकार ने अनेक महत्वाकां�ी पहलकदम आरं भ
�कए ह�। ये प�रयोजनाएं �नवेशक� के �लए सुनहरे अवसर सिृ जत और प्रस्तत
ु कर रह� है । इनम�
शा�मल है - 100 स्माटर् �सट�ज़ �मशन, 50 �म�लयन बेघर� के �लए आवास, सड़क�, पुल�, पत्तन�,
रे लवे ट्रै क� तथा स्टे शन� का �नमार्ण।
�मत्र�!
जापान हमार� �मताओं के आकार और प�रमाण से तथा भारत द्वारा प्रदान �कए जा रहे कुशल
कामगार� से पयार्प्त रूप से लाभािन्वत हो सकता है । वस्तुत: भारत का समस्त �वकास एज�डा ह�
जापानी कंप�नय� के �लए प्रासं�गक है । पूंजी और प्रौद्यो�गक� के प्रवेश को अनुम�त दे ने के �लए
हमने अपनी कायर् व्यवस्था को खोलने म� कड़ी मेहनत क� है । प्रत्येक �दन हम भारत म� �नवेश तथा
व्यापार करना सुकर बनाते जा रहे ह�। हमने व्यवसाय� और कंप�नय� क� अनेक �व�नयामक और
नी�तगत चन ु ौ�तय� का पहले ह� समाधान कर �लया है । हम� इन प्रयास� के बहुत अच्छे प�रणाम भी
प्राप्त हुए ह�। म� उन हा�लया वैिश्वक मान्यताओं म� से कुछ का वणर्न कर सकता हूं: भारत �वश्व
ब�क के 'व्यापार करने म� आसानी' सच
ू कांक म� आगे बढ़ा है, हमने �वश्व आ�थर्क फोरम के वैिश्वक

20
प्र�तस्पधार् सूचकांक म� �पछले दो वष� म� 32 स्थान� क� छलांग भी लगाई है जो �कसी अन्य दे श क�
तुलना म� सबसे बड़ी उपलिब्ध है तथा हम दो वष� म� डब्ल्यूआईपीओ (�वश्व बौ�द्धक संपदा संगठन)
के वैिश्वक अ�भनवता सूचकांक म� 21 स्थान ऊपर भी बढ़े ह�। हमने �वश्व ब�क के संभार-तंत्र
�नष्पादन सूचकांक म� 19 स्थान� क� छलांग लगाई है तथा हम यूएनसीट�एडी (संयुक्त राष्ट्र व्यापार
और �वकास कांफ्रेस) द्वारा सूचीबद्ध शीषर् 10 एफडीआई गंतव्य� म� तीसरे स्थान पर ह�। भारत म�
कर सुधार� उल्लेखनीय प्रग�त हुई है तथा हाल ह� म� जीएसट� लागू �कया गया है तथा हम एक
आध�ु नक कर व्यवस्था क� ओर बढ़ रहे ह� जो पारदश�, िस्थर तथा पव
ू ार्नम
ु ानयोग्य है । आज भारत
क� �वश्व म� सवार्�धक उदारवाद� एफडीआई व्यवस्था है । 90 प्र�तशत से अ�धक एफडीआई
अनम
ु ोदन स्वत:चा�लत मागर् पर डाले गए ह�। हमने �वदे शी �नवेश संवधर्न बोडर् क� समािप्त कर द�
है । इस उदार�करण के कारण �पछले �वत्तीय वषर् म� भारत म� एफडीआई 60 �ब�लयन डॉलर तक
पहुंच गया है । जापान से आने वाला एफडीआई प्रवाह भी �पछले तीन वष� म� लगभग तीन गन
ु ा हो
गया है । नई �दवाला और शोधन-अ�मता सं�हता �नवेशक� को �नगर्म करने म� सहायक होगी। हम
व्यावसा�यक मामल� को त्व�रत �नपटान स�ु निश्चत करने के �लए वा�णिज्यक न्यायालय तथा
वा�णिज्यक प्रभाग� क� स्थापना कर रहे ह�। माध्यस्थम �व�ध के संशोधन के साथ ह� मध्यस्थता
कायर्वा�हयां अब तेज हो जाएंगी। हमने एक नई वैिश्वक संपदा अ�धकार नी�त भी घो�षत क� है । ये
केवल उस �दशा के कुछ ह� उदाहरण है िजस ओर आज हम अपना रुख कर चक
ु े ह�। हम और भी
अ�धक कायर् कर� गे, उसे बेहतर से बेहतर ढं ग से पूरा कर� गे तथा तेजी के साथ कर� गे।
�मत्र�!
भारत और जापान प्राचीन सभ्यताएं ह� तथा ये गुंजायमान लोकतंत्र ह�। हम यह जानते ह� �क प्रग�त
और सम�ृ द्ध के लाभ� को आम आदमी तक �कस तरह पहुंचाना है । भारत को ऐसी �कफायती
समाधान और प्र�क्रयाओं क� आवश्यकता है जो इसके नाग�रक� को प्रदान क� जा रह� सरकार�
सेवाओं के �वतरण क� प्र�क्रया को आसान बना सके। जापान को ऐसे अवसर� क� तलाश है जहां यह
अपनी मेहनत से अिजर्त �कए गए �ान तथा प्रौद्यो�गक� को प्रयोग म� ला सके। म� यह कहता रहा हूं
�क 21वीं शताब्द� ए�शया क� शताब्द� होगी। म� यह भी कहता आया हूं �क भारत और जापान
ए�शया के उभरने म� एक प्रमुख भू�मका �नभाएंगे। रणनी�तक और आ�थर्क मुद्द� पर एक भारत और
जापान के मध्य बढ़ती हुई अ�भसा�रता के पास वैिश्वक अथर्व्यवस्था को उत्प्रे�रत करने क� �मता
है । मुझे �वश्वास है �क एक सुदृढ़ भारत और सुदृढ़ जापान ए�शया और �वश्व म� िस्थरता स्था�पत
करने वाले कारक� के रूप म� भी कायर् कर� गे। इस पारस्प�रक और वैिश्वक कायर् म� म� प्रधानमंत्री अबे
तथा जापान को एक सट�क भागीदार बनने के �लए हा�दर् क धन्यवाद दे ता हूं। हमार� �मत्रता तथा
पारस्प�रक भरोसे क� शिक्त पर म� अ�धका�धक जापानी लोग� और कंप�नय� को भारत म� आने,
रहने और काम करने के �लए आमं�त्रत करता हूं। म� भारत के प्रयास� म� आपक� सफलता क�
कामना करता हूं। म� आपको हर उस स्थान पर अपने सहयोग का आश्वासन दे ता हूं, जहां भी
आपको इसक� आवश्यकता महसस
ू होगी।

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