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तावना
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अ ययन क आव यकता
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लघु यवसाय का अथ
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लघु यवसाय का मह व
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ामीण भारत म लघु यवसाय क भू मका
सा ह य समी ा
लघु उ योग के उ े य
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न कष]भारत के मु य लघु उ योग क सू ची
संदभ
5
तावना
6
अ ययन क आव यकता
7
लघु यवसाय का अथ
8
उ पादन म यं ीकरण क मा ा, मजदू र पर लगाये गये िमक एवं प रवा रक
िमक के अनुपात, बाजार का भौगोिलक आकार, विनयो जत पूंजी इ या द ।
लघु उ ोग का काय े
9
एसे उ ोग जनका िनवेश 10 करोड़ से अिधक एवं 20 करोड़ से कम हो
और उसका टनओवर 50 करोड़ से अिधक एवं 100 करोड़ से कम हो
म यम उ ोग क ेणी म आएंगे
1. सू म उ ोग
2. लघु उ ोग
3. म यम उ ोग।
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जहाँ उपकरण म िनवेश 2 करोड़ पये से अिधक ले कन 5 करोड़ पये से कम न
हो।
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लघु यवसाय क वशेषताएँ
जाना जाता है ।
जनश पर िनभर ह।
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अ य मु य वशेषता
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ये यवसाय एकािधकार क वृ को रोकने म सहायक होते ह।
इनम संचार विधय काफ सं होती है ।
इ ह के य सरकार तथा रा य सरकार ारा सु वधाएं तथा
ो साहन ा होता है ।
लघु यवसाय का मह व
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1. सबसे यादा रोजगार के अवसर
2. समझ क सम या का हल –
3. रा ीय आय का समान वतरण –
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श का के यकरण नह ं हो पाता है । इसके साथ ह साथ इसके
उ पादन का पैमाना छोटा होने के कारण इन उ ोग म िमक के
शोषण क स भावना कम होती है । इस कार रा ीय आय के समान
वतरण क स भावना बनी रहती है ।
4. भारतीय अथ यव था के अनुकूल –
5. औ ोिगक वक करण –
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यह कहना गलत न होगा क इन उ ोग के वकास से सम त
दे शवािसय को लाभ होता है । यह इसक वशेषता है ।
6. कृ ष पर कम भार
7. वदे शी मु ा क ाि म सहायक –
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का वकास कया जाना हमार अथ यव था के िलए उपयोगी माना जाता
है ।
8. तकनीक ान क कम आव यकता
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गर बी उ मूलन म लघु यवसाय क भूिमका
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4. थानीय संसाधन का उपयोग: थानीय समुदाय क ज रत और मांग
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7. कर राज व म वृ ः उ ोग को सरकार िनकाय को कर क आव यक रािश
का भुगतान करने क आव यकता होती है , जसका उपयोग ामीण े के
वकास और शहर क मांग को पूरा करने के िलए कया जाता है । जब
यवसाय संचािलत होते ह, तो वे लाभ क तलाश करते ह। और जब अिधक
मुनाफा आता है , तो अिधक कर दे श क सरकार को सम पत होते ह।
इसिलए उ प न कर को वा य सेवा, िश ा, र ा े और कई अ य
सेवाओं जैसे उ थान सेवाओं म योगदान दया जाता है ।
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*भारत म लघु यवसाय क भूिमका*
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तथा पारं प रक ामीण उ ोग के अ य उ पाद िनयात क से वशेष
थान रखते ह।
(घ) लघु उ ोग का योगदान, हमारे दे श के संतुिलत े ीय वकास के संदभ
म, यान दे ने यो य है तथा सराहनीय है । लघु उ ोग सरल व तुओं के
उ पादन म थानीय संसाधन व किमय का तथा थानीय उपल ध
साम ी एवं सरल तकनीक का योग करती ह, अतः दे श म कह ं भी
था पत क जा सकती ह, य क इनक कोई थापना सीमा नह ं है ।
इनका व तार बना कसी थापना बाधा के संभव है तथा इसके
औ ोिगक करण के लाभ सभी े ारा उठाए जा सकते ह। यह कारण
है क ये दे श के संतुिलत वकास म एक मह वपूण योगदान दे ते ह।
(ङ) लघु उ ोग उ मशीलता के िलए व तृ त े दान करते ह।
अ य /िन हत कौशल तथा लोग क ितभा को यवसाय का एक
उिचत मा यम िमलता है तथा एक यावसाियक क पना को वा त वक
प िमलता है - कम पूँजी िनवेश के साथ तथा बना कसी खास
औपचा रकता के लघु यवसाय ारं भ कए जा सकते ह। अमर, अकबर
तथा एंथनी हमार कहानी के पा भी यह मा णत करते ह। य द य
सफलता के िलए ढ़संक प हो, तो वह लघु यवसाय ारं भ कर सकता
है ।
(च) कम लागत पर उ पादन का लाभ भी लघु उ ोग को उपल ध है ।
थानीय संसाधन क क मत कम होती है । उप र यय कम होने के कारण
ित ान लागत तथा प रचालन लागत भी कम होती है । वा तव म, लघु
उ ोग कम लागत पर उ पादन का लाभ उठाते ह, यह उनक
ित पिधत श है ।
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(छ) बड़ संगठन क तु लना म छोटा आकार होने के कारण ये शी तथा
समय पर, बना अिधक लोग से परामश कए. िनणय लेने म समथ ह।
नए यवसाय के सुअवसर भी सह समय पर उठाए जा सकते है ।
(ज) उपभो ा िलए लघु उ ोग सबसे अिधक उपयु ह अथात वैय क
उपभो ा क िच,पसंद एवं आव यकताओं के अनुसार उ पादन को
अिभक पत कया जा सकता है , उदाहरण व प दज ारा बनाया गया
कुता या पट/पतलून। बाज़ार म ऐसे उपभो ा आधा रत उ पाद चलन
म ह। यहाँ तक क अपारं प रक उ पाद जैसे कं यूटर तथा अ य उ पाद
भी। वे उपभो ाओं क आव यकता के अनुसार उ पादन कर सकते ह,
य क वे सरल तथा लचीले उ पादन तकनीक का योग करते ह।
(झ) अंत म, परं तु कम मह वपूण नह ं, लघु उ ोग म िन हत
अनुकूलनशीलता, य गत पश के कारण ह ये किमय तथा
उपभो ाओं दोन से ह अ छे य गत संबंध बनाए रखने म समथ ह।
सरकार को लघु तर य इकाइय क यापा रक याओं म ह त ेप
करने क आव यकता नह ं पड़ती। संगठन का छोटा आकार होने के
कारण समय पर तथा शी िनणय, बना अिधक लोग से परामश कए,
जैसा क बड़े संगठन म होता है , िलए जा सकते ह। नए यवसाय के
सुअवसर भी सह समय पर उठाए जा सकते ह जो बड़े यवसाय के
िलए व थ ित पधा उ प न करते ह, जो अथ यव था के िलए अ छ
बात है ।
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ामीण भारत म लघु यवसाय क भूिमका
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वा त वकता म भारत सरकार दो उ े य क पूित के िलए लघु तर य उ ोग का
वकास तथा ामीण औ ोगीकरण को एक श शाली मानती है जो इस कार ह-
ती यवसाय औ ोिगक वकास के उ े य क पूित के िलए तथा ामीण तथा
पछड़े े म अित र उ पादक रोजगार मताओं के सृ जन के िलए। फर भी
बहु त सार आकार संबंिधत सम याओं के कारण लघु उ ोग क मता पूर तरह
योग म नह ं हो पाती।
थम पंचवष य योजना म-
लघु एवं कुट र उ ोग के वकास पर 43 करोड़ पये यय कये गये। जून 1955
म कव सिमित ग ठत क गयी जसने उ ोग के वका हे तु सुझाव तुत कये।
इसम कुट र एवं लघु उ ोग के वकास पर लगभग 180 करोड पये यय कये
गये। इस अविध म 66 औ ोिगक ब तय का िनमाण कया गया। 1959-60 म
औ ोिगक सहका रताओं क सं या 29000 हो गयी जसम 11. 200 बुनकर
सिमितयां थी। गाव म चलाये जाने वाले उ ोग को वशेष सह 9/25 गयी। इनम
उ ोग के ती वकास तथा सुधार का काय म िनधा रत कया गया।
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तीसर योजना-
पांचवी योजना-
छठ ं पंचवष य योजना-
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सातवीं पंचवष य योजना-
इसम ाम एवं लघु उ ोग के वकास पर कुल 6334.2 करोड़ पये कये गये।
इस योजना म ाम रोजगार तथा ामीण औ ोिगकरण पर वशेष गया। नौवीं
पंचवष य योजना*
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लघु उ ोग क सम याएँ
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सामा यतः लघु यवसाय एक छोटे पूँजी आधार से यवसाय ारं भ करते
ह। बहु त सार लघु े क इकाइयाँ अपनी साख सृ जनशीलता के अभाव
के कारण पूँजी बाजार से पूँजी उठाने म स म नह ं है । ये थानीय व
संसाधन पर िनभर करती ह और उ ह बार-बार ऋणदाताओं के ारा
शोषण का िशकार होना पड़ता है । दे र से भुगतान के कारण अथवा बचे
हु ए बना ब के माल म लगी पूँजी के कारण इन इकाइय को बार-बार
पया कायशील पूंजी के अभाव को झेलना पड़ता है । पया समानांतर
ितभूित अथवा जमानत तथा सोमात पूँजी के अभाव म बक भी इ ह
ऋण नह ं दे ती, जो बहु त सी इकाइयाँ इस थित म नह ं ह क वे इ ह
दखा सके।
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कौशल होना एक यवसाय को चलाने के िलए आव यक है । बहु त सारे लघु
यावसाियक उ म के पास भावी तकनीक ान होता है परं तु वे
उ पादन का वपणन करने म कम ह सफल होते ह। इसके अित र
यापार याओं के िलए वे अिधक समय भी नह ं िनकाल पाते। साथ ह
साथ, वे इस थित म नह ं है क एक पेशेवर बंधक बन सक।
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आधारभूत संरचनाओं के अभाव म य वपणन लघु यावसाियक फम
के िलए उपयु नह ं है ।
(च) गुणव ा बहु त सारे लघु यावसाियक संगठन वांिछत गुणव ा के मानक
का अनुसरण नह ं कर पाते। इसके थान पर उनका यान लागत को कम
कर क मत को कम रखने पर होता है । उनके पास पया संसाधन नह ं होते
क वे गुणव ा अनुसंधान म विनयोग कर सक तथा उ ोग के मानक का
साधारण कर पाएँ, न ह उनके पास ऐसे वशेष होते ह जो ौ ोिगक को
उ नत कर सक। वा तव म, व बाजार क ित पधा म गुणव ा को
बनाए रखना इनक सबसे बड़ कमजोर है ।संसाधन नह ं होते क वे
गुणव ा अनुसंधान म विनयोग कर सक तथा उ ोग के मानक का
साधारण कर पाएँ, न ह उनके पास ऐसे वशेष होते ह जो ौ ोिगक को
उ नत कर सक। वा तव म, व बाजार क ित पधा म गुणव ा को
बनाए रखना इनक सबसे बड़ कमजोर है ।
(छ) मता का उपयोग वपणन कौशल अथवा माँग के अभाव म बहु त सार
लघु यावसाियक फम को अपनी पूर मता से भी कम म काम करना
पड़ता है जसके कारण प रचालन लागत बढ़ने लगती है । धीरे -धीरे यह इन
इकाइय के बीमार होने का कारण बन जाता है ।
(ज) ौ ोिगक (टे नालॉजी) =लघु उ ोग के प रपे य म अ सर पुरानी
तकनीक का योग एक गंभीर कमी माना जाता है जो प रमाण व प कम
उ पादकता तथा खच ल उ पादन के प म प रल त होते ह।
(झ) बीमार (िसकनेस) =लघु उ ोग म बीमार इकाइय का होना, नीित
िनधारक तथा उ म दोन के िलए ह एक िच ता का क ठन है । कारण
है । बीमार के कारण आंत रक तथा बा दोन हो है आंत रक सम याओं
म है - कुशल तथा िश त किमय का अभाव, बंधन, तथा वपणन
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कौशल। कुछ बा सम याओं के अंतगत, दे र से भुगतान, कायशील पूँजी
क कमी, अपया ऋण तथा उ पाद क माँग का अभाव इ या द आते ह।
(ञ) वै क ित पधा सम याओं के अित र जनका उ लेख ऊपर कया
गया है , लघु यवसाय बना डर के नह ं ह वशेषतः उदार करण, िनजीकरण
तथा वै ीकरण (एल.पी.जी.) क नीितयाँ जनका अनुसरण संसार के
अिधकतर दे श कर रहे ह। यह मरणीय है क भारत ने भी एल.पी.जी. का
अनुसरण 1991 से करना ारं भ कया है । व ित पधा क होड़ म ऐसे
कौन-से े है जहाँ लघु यवसाय जो खम / संकट का अनुभव करते ह-
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लघु उ ोग के वकास हे तु सरकार यास-
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इ पो रयम था पत इनके मा यम से दे शी एवं वदे शी बाजार म माल
बेचे जाते ह।
4. तकनीक सहायता- सरकार ारा लघु उ ोग को या तकनीक
सहायता दान क जाती है । इसके िलए लघु उ ोग वकास संगठन क
थापना क गयी ह जसके अ तगत 28 लघु उ ोग सेवा सं थान 30
शाखा सं थान तथा 4 े ीय िश ण के था पत कये गये ह।
सरकार ारा वदे श म िश ण हे तु उ िमय को भेजा जाता है तथा
वदे शी वशेष को भी भारत म िश ण दे ने के िलए आमं त कया
जाता है ।
5. कर म रयायत- सरकार ारा लघु एवं कुट र उ ोग को कर म छूट
दान क जाती है । इन उ ोग ारा उ पा दत व तुओं पर उ पादन या
इसी तरह के अ य कर नह ं लगाये जाते ह य द कह ं लगाये भी जाते ह
तो इनक दर अ यिधक कम रहती है ।
6,औ ोिगक सहकार सिमितयाँ- सरकार और आयोग इस बात को प
प से वीकार करते ह क लघु एवं कुट र उ ोग के व प एवं ती
वकास म औ ोिगक सहकार सिमितयाँ िस हो सकती है और
मु यतया इ ह ं के मा यम से ये उ ोग सहकार सहायता से लाभ उठा
सकते ह।
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8. बड़े उ ोग क ितयोिगता से बचाव – लघु एवं कुट र उ ोग के
वकास के संबंध म सरकार ने एक और मह वपूण कदम उठाते हु ए इन
उ ोग को बड़े उ ोग क अनुिचत ितयोिगता से बचाने का यास कया
है । इस संबंध म सरकार ने कुछ े को लघु उ ोग के िलए सुर त
रखा है ।
9. भारतीय लघु उ ोग वकास बक क थापना- अ ल
ै 1990 को
भारतीय औ ोिगक वकास बक क सहायक सं था के प म भारतीय
लघु उ ोग वकास बक क थापना क गयी है । इसका मु य काय लघु
उ ोग को व ीय सहायता दान करना है । इस बक क 30 शाखाएं
विभ न रा य म था पत क गयी है ।
10 लघु उ ोग बोड- जून 1992 म धानमं ी क अ य ता म एक लघु
उ ोग बोड का गठन कया गया है । इस बोड के 130 सद य ह जो
विभ न मं ालय व संगठन से िलए गये ह। इस बोड का मु य काय
लघु उ ोग के वकास के िलए सरकार को सलाह दे ना है ।
11. रा ीय समता कोष क थापना- लघु एवं कुट र उ ोग के वकास
क से के सरकार ने रा ीय समता कोष क थापना क है । इस
कोष के िलए 5 करोड़ पये के सरकार ने तथा 5 करोड़ पये
भारतीय औ ोिगक वकास बक ने दान कये ह। इस कोष का बंध
भारतीय औ ोिगक वकास बैक करता है ।
12. ामीण औ ोिगक प रयोजनाएं- यह योजना के य सरकार ारा
1961-62 म ार भ व 21/25 क उ े य ामीण वातावरण म लाभदायक
इकाइय क थापना करन नीक का वकास करना एवं विभ न े
म वकास तर पर रहने वाली असमानताओं को कम करना है ।
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सा ह य समी ा
यूरोपीय संघ (ईयू) माइ ो, मॉल एंड मी डयम एंटर ाइजेज (एमएसएमई) को
िन निल खत तर के से प रभा षत करता है : माइ ो केल बजनेस (एमएसबी)
ऐसे यवसाय ह जनम 0-9 कमचार ह। लघु उ ोग उ म (एसएसई) वे उ म ह
जनम 10-99 कमचार होते ह। म यम तर के उ म वे उ म ह जो 100-499
कमचा रय को रोजगार दे रहे ह
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लघु उ ोग के उ े य
लघु उ ोग का मु य उ े य रोजगार के अवसर म वृ करते हु ए
बेरोजगार एवं अध बेरोजगार क सम या का समाधान करना है य क
लघु उ म के म धान होने के कारण उनम विनयु पूंजी क इकाई
अपे ाकृ त अिधक रोजगार कायम रखती है ।
दू सरा मु य उ े य आिथक श का समान वतरण करना है ।
लघु उ ोग के मा यम से औ ोिगक व े यकरण स भव है । ससे दे श का
आिथक वकास ौ ोिगक स तुलन एवं े ीय ौ ोिगक वषमता को कम
करते हु ए स भव होता है ।
म धान तकनीक के कारण िमक क बहु तायत रहती है । अतः
आव यक है क वे औ ोिगक शांित क थापना कर।
लघु उ ोग के मा यम से दे श क स यता एवं सं कृ ित सुर त रहती है ।
अिधकाशतः लधु उ ोग ारा कला मक एवं पर परागत व तुओं का िनमाण
कया जाता है एवं अिधकांशतः ये उ ोग म धान तकनीक पर आधा रत
होते है जससे उ ोग म पार प रक स ावना सहका रता, समानता एवं
ातृ व क भावना को बल िमलता है ।
लघु उ ोग का मु य उ े य है क वे ाकृ ितक साधान का अनुकूलतम
उपयोग कर।
मानवीय मू य क से ‘सादा जीवन उ च वचार’ क भावना का सृ जन
कर।
यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन को अनुकूल बनाने हे तु आव यक है क
ये अ यािधक वदे शी मु ा का अजन कर।
आम जनता को े व तुएं उपल ध कराना इनका मु य उ े य है ।
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भारतीय अथ यव था म मह वपूण भूिमका िनभाते हु ए इनका उ े य अिधक
से अिधक े उ पादन करना है ।
39
4. ांसिमशन क ए सेस: ांस शन स वस कम िनवेश और अिधक
आय के साथ छोटे तर पर यवसाय शु करने के अवसर दान
करती है । कई अंतरा ीय कंपिनयां भारत म अपने कारोबार को
बढ़ाने क उ मीद कर रह ह, जसके िलए उ ह भारत म े ीय
आकाशगंगा म अपने काम को बढ़ाने के िलए व सनीय अनुवाद
सेवाओं क आव यकता है । कुछ े ीय भारतीय आकाशगंगाओं के
साथ एक वशेष अंतरा ीय भाषा/भाषाओं पर एक ठोस पकड़
बनाने क आव यकता है ।
5. मेकअप आ ट ट: इन दन मेकअप आ ट ट के बजनेस म काफ
तेजी आ रह है । जन लोग क इस समुदाय म अिधक दलच पी
है , वे अपने यापार को बढ़ावा दे ने के िलए सोशल मी डया का
उपयोग कर रहे ह। यह एक छोटा सा यवसाय है जो वशेष प
से साझेदार के दौरान अिधक आय क संभावना है । आप या तो
अपना मेकअप टू डयो खोल सकते ह या अपनी सु वधा के आधार
पर एक लांसर ( व छं द कायकता) के प म काम कर सकते
ह।
6. पो ट पो ट: भारत म एक छोटा उ ोग शु करने के िलए पो ट
सबसे अ छा वक प है । क रयर के िलए कई वक प होने के
कारण माता- पता और ब चे अ सर अपने क रयर को लेकर
भटकते रहते ह और पेशेवर मानव से सलाह लेना चाहते ह। आप
अनुभवी सलाहकार और पेशेवर का नेटवक बना सकते ह। माता-
40
पता और ब च को दान क जाने वाली सु वधाओं के िलए आप
मामूली शु क ले सकते ह।
7. साम ी लेखन और लॉिगंग: राइ टंग क अ छ राइ टं ग के साथ,
आप साम ी लेखन (कंटट राइ टं ग) और लॉिगंग का यवसाय
खोल सकते ह जससे आप आय और स मान दोन ा कर
सकते ह। यह लोग और द तावेज ारा ऑनलाइन साम ी लेखन
और पो ट के प म ान और राय साझा करने और उसे बढ़ाने
का एक अ छा तर का है ।
8. रसोई सेवा सेवाएँ: य द आपका खाना बनाने म िच है , तो यह
भारत म शु करने के िलए िन त प से एक अ ु त लघु- तर य
यावसाियक वचार है । भारत के भोजन के शौक न लोग क भूिम
है । जैसा क दे श ड जटल हो रहा है यादातर लोग अपना खाना
ऑनलाइन ऑडर करके मंगवाते ह। आपको वगी या फूडपांडा
जैसे ह परपंजीकृ त करना होगा, जो आपके िलए काफ हद तक
सा बत होगा।
9. साइबर सुर ा और आईट सुर ा: य द आपके पास आईट सुर ा
सेवाओं का अ छा ान है , तो आप अपनी इस कुशल को पूण
वकिसत यापार के वचार म बदल सकते ह। ऐसी कई कंपिनयाँ
ह जनके िलए उपयु और कुशल य य क आव यकता होती
है जो ऑनलाइन चोर और है कंग जैसे साइबर खुलासे पर रोक
लगा सकते ह। आप कुशल आईट पेशेवर क एक ट म बना
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सकते ह और समय-समय पर अिधकृ त को साइबर सुर ा कंपिनयां
दान कर सकते ह।
जनश संसाधन: स ा को वरासत के समय जनश संसाधन
दान करने का यवसाय एक अ छा वचार होगा। जन ािधकरण
के पास यो य कमचा रय को रखने ( कराए पर) के िलए पया
समय नह ं है , वो आम तौर पर जनश क भत या से
नौकर ा करते ह। इस तरह के यवसाय को खोलकर, आप
कंपनी को सव े कमचा रय का चयन कर र पद को भरने म
मदद कर सकते ह। इससे यवसाय से अ छ आय ा कर सकते
ह।
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िन कष
हमारे भारत दे श क उ ोग को मजबूत करने म लघु उ ोग क काफ मह वपूण
वशेषताएं ह। वतमान के समय म शहर मानव लघु उ ोग म नौकर करके
रोजगार ा कर रहे ह और अपनी नौकर को दू र कर रहे ह। हमारे भारत दे श म
ऐसे कई युवा ह जो काफ कम उ म ह लघु उ ोग शु कर चुके ह और आज
वह सफलता के िशखर को छू रहे ह।
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सकता है और लघु उ ोग टाट करने के िलए लोन के तौर पर पैसे ा कर
सकता है ।
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उ ोग से हम आज उन छोटे ह से म काम कर रहे ह जनम कुछ लोग कम पूंजी
के साथ शु कर सकते ह। जैसे आपके घर पर साबुन, अगरब ी, लाइट, कूलर,
गु डा आ द बनाना इसके अलावा पार प रक काय जैसे सुनार , लोहार , कु हार ,
बढ़ई, पशु पालन, साड़ व कृ ष कम को भी लघु चौ कय क ेणी म शािमल कर
सकते ह।
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भारत के मु य लघु उ ोग क सूची
भारत के मुख उ ोग लौह-इ पात, जलयान िनमाण, मोटर वाहन, साइ कल,
दबाव , ऊनी व , रे शमी व , वायुयान, आव यकताएं, दवा एवं औषिधयां,
रे लवे इं जन, रे ल इं जन, रे ल के िलए मजबूर, जूट, कागज़, चीनी, सीमे ट,
म ययान, व उ ोग, शीशा, भार एवं आसान रसायन उ ोग तथा रबर
उ ोग ह।
1. पापड़
2. अगरब यां
3. मसाले
4. फनाइल या लोर लीनर
5. िच स और नै स
6. डे यर उ पाद
7. हडलूम उ ोग
8. सैिनटर नैप कन
9. ना रयल का तेल
10. योग िश क
11. गेम पालर
12. क टमाइ ड िग स
13. ऑनलाइन व ापन सेवा यवसाय
14. फ़ूड पालर
15. आइस म और जूस पालर
16. टू र एंड ै वल एजसी
17. बेकर क दु कान
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18. मे डकल टोर
19. कपड़ा बुट क
20. मोबाइल क दु कान
21. खलौन क दु कान
22. मेकअप सैलून
23. फोटो ाफ
24. वे डं ग लानर
25. रयल ए टे ट एजसी
26. फ़ूड स लाई
27. मै रज यूरो
28. जै वक खेती
29. बीमा एजट
30. साबुन बनाना
31. चमड़े के बैग िनमाता
32. कपड़ा िनमाता
33. अचार बनाना
34. आटा उ पादन
35. फन चर बनाना
36. घर म इ ते माल कया जाने वाला कूलर बनाना
37. ए यूमीिनयम से बने हु ए साम ी बनाना
38. हॉ पटल म उपयोग कए जाने वाला े चर बनाना
39. करं ट मापने वाला मीटर या वो ट मीटर बनाना
40. गाड़ म लगने वाली हे डलाइट बनाना
41. कपड़े या चमडे का बैग बनाना
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42. कांटेदार तार बनाना
43. टोकर बनाना इ या द
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50
संदभ
1. http://ncert.nic.in>khbs109
2. https://ideashubs.blogspot.com/
3. https://liveinhindi.com/laghu-udyog/
4. https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%98%E
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7. https://www.researchgate.net/publication/27398284_A_Revie
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8. https://www.ipl.org/essay/Small-Scale-Business-Literature-
Review-PCJJJZ5Z2R
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