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 तावना

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 अ ययन क आव यकता

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 लघु यवसाय का अथ

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 लघु यवसाय का मह व

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 गर बी उ मू लन म लघु यवसाय क भू मका

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 भारत म लघु यवसाय क भू मका

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 ामीण भारत म लघु यवसाय क भू मका

 लघु उ योग क सम याएँ

 लघु उ योग के वकास हे तु सरकार यास

 सा ह य समी ा

 लघु उ योग के उ े य

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 न कष]भारत के मु य लघु उ योग क सू ची

 संदभ

5
तावना

उ िमय के लघु उ म एवं लघु वकास काय म म आिथक वकास क एक


मह वपूण भूिमका है । सू म, लघु एवं म यम उ ोग मं ालय (एम.एस.एम.ई.)
अिधिनयम 2006 के अ तगत विनमाण े म लघु उ िमय पर िनवेश करता
है । अिधकतम 10 से 25 लाख पये सेवा े म िनवेश कये जा सकते ह।

लघु उ म वकास गर बी रे खा से नीचे रहने वाली ामीण म हला उ िमय को


लाभकार रोजगार दान करने का एक अवसर है और इस कार वे अपनी आय
और जीवन तर म सुधार ला सकती ह। लघु उ म वकास एक उभरती हु ई
या है जो कम पूंजी, कम जो खम और शु आत म कम लाभ के साथ आर भ
होती है ।

लघु उ म वकास से उ िमय क आिथक थित का पोषण गर बी उ मूलन का


एक सश साधन है । ामीण म हला उ िमय क बढ़ती सं या आय उ पादन के
मा यम से यापार था पत करती है और तभी ये उ म आगे बढ़गे और बड़े
था पत उ म बन जायगे। इनम से अनेक उ िमय के िलए खासतौर पर गर ब
ामीण म हलाओं के िलए इनके यापार बहु त छोटे बने रहगे और आमतौर पर
इ ह लघु उ म कहा जाता है । लघु उ म बड़े पैमाने पर आिथक अिनवायता से
फलते -फूलते ह। तकनीक िश ण या कुशलता का उ नयन आमतौर पर
म हलाओं के यापार उ म के आरं िभक चरण क पूव आव यकता है । यहां तक क
था पत यापार के वािमय को भी एक यापार वचार के यावहा रक
काया वयन म शािमल अिनवाय तकनीक क जानकार नह ं होती है जब क ऋण
योजनाओं और उ मशीलता िश ण क उपल धता के िलए अब भी बहु त सीिमत
है ।

6
अ ययन क आव यकता

भारतीय ामीण अथ यव था म सू म, लघु एवं मा यम उ म क बहु त ह


सराहनीय भूिमका है जसको ामीण तर पर मजबूत कर हम भारतीय
अथ यव था को एक नया प दे सकते ह. जसके िलए इस े म कुशल उ िमय
क ज रत महसूस होती है जसम म हला उ िमय को े रत करना बहु त ज र है
जो ामीण तर पर इन उ म का एक अंग बनी हु यी है । क तु आज उनक
थित दयनीय है जससे सू म, लघु एवं म यम उ ोग बमा रय का िशकार हो
रहे ह। जसम मु य तौर से गृ ह उ ोग, खाद उ ोग एवं वयं सहायता समूह
आ द को वकिसत करने के िलए म हला उ िमय को बढ़ावा दे ना बहु त ज र हो
गया है ।

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लघु यवसाय का अथ

यवसाय एक व तृ त श द है । इसके अ तगत, वा ण य, उ ोग तथा सहायक


सेवाओं का समावेश पाया जाता है । यवहार म यावसाियक इकाइय के अनेक
व प यापार पाये जाते ह। कुछ यवसाय का पैमाना बड़ा होता है , तो कुछ का
छोटा या लघु लघु यवसाय भी एक यापक श द है , जसके अंतगत लघु एवं
कुट र उ ोग तथा लघु तर पर संचािलत कये जाने वाले वा ण य उ ोग तथा
यापार को स मिलत कया जाता है । लघु यवसाय से आशय उस यवसाय से
होता है जसका संचालन छोटे पैमाने पर यं तथा मशीन क सहायता से कया
जाता है य द औ ोिगक संगठन म श का योग होता है , तो इसम िमक क
सं या कम होनी चा हये।लघु उ ोग क सफलता मु य प से ऐसे े पर िनभर
करती है जहां पया मा ा म व ुत यव था, जल यव था, प क सड़क,
प रवहन सु वधा, कुशल िमक, वपणन संबंिधत सु वधाएं आ द आधारभूत
सु वधाएं ह औ ोगीकरण को सफल बना सकती है

दे श के विभ न रा य म लघु उ ोग को ो साहन दे ने क कई योजनाएं मौजूद


है और सभी रा य अपने रा य म लघु उ ोग को सु वधाएं भी दान करते हलघु
उ ोग (छोटे पैमाने क औ ोिगक इकाइयाँ ) वे इकाइयां ह जो म यम तर के
विनयोग क सहायता से उ पादन ार भ करती ह। इन इकाइय मे म श क
मा ा भी कम होती है । और सापे क प से व तुओं एवं सेवाओं का उ पादन
कया जाता है । ये बड़े पैमाने के उ ोगो से पूंजी क मा ा, रोजगार, उ पादन एवं
ब ध, आगत एवं िनगतो के वाह इ या द क से िभ न कार क होती है ।
ये कुट र उ ोग से भी इन आधार पर िभ न होती ह-

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उ पादन म यं ीकरण क मा ा, मजदू र पर लगाये गये िमक एवं प रवा रक
िमक के अनुपात, बाजार का भौगोिलक आकार, विनयो जत पूंजी इ या द ।

लघु उ ोग का काय े

31 अ टू बर 1966 म बने िनयम अनुसार लघु उ ोग के अंतगत वे


सभी औ ोिगक इकाइयां आती ह ज मे 10 लाख पए तक क पूंजी
लगाई गई हो, चाहे उसक इकाई म काम करने वाले य य क सं या
कतनी ह य ना हो, इस योजन से पूंजी का अिभ ाय केवल
उ पादक संयं और मशीन व संप म लगी पूंजी से होगा

ले कन 21 मई 2020 म इसम संशोधन हु आ और इस संशोधन के


अनुसार भारत के सभी रा य म था पत सू म, लघु एवं म यम
उ ोग को विनमय एवं सेवा के े म वभा जत नह ं कया गया है
ब क दोन े के िलए िनवेश एवं वा षक टनओवर तय कए गए ह

एक ऐसा उ ोग जसम 1 करोड़ पए या इससे कम का िनवेश हु आ हो


और उसका टनओवर 5 करोड़ पए तक हो सू म उ ोग क े णी म
आएगा

ऐसा उ ोग जसम िनवेश 1 करोड़ पए से अिधक एवं 10 करोड़ पए


से कम हु आ हो और उसका टनओवर 5 करोड़ से अिधक एवं 50 करोड़
से कम हो लघु उ ोग क ेणी म आएंगे

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एसे उ ोग जनका िनवेश 10 करोड़ से अिधक एवं 20 करोड़ से कम हो
और उसका टनओवर 50 करोड़ से अिधक एवं 100 करोड़ से कम हो
म यम उ ोग क ेणी म आएंगे

एमएसएमई मं ालय ने सू म उ ोग के िलए िनवेश क सीमा 10 लाख,


लघु उ ोग म 50 लाख व म यम उ ोग म 5 करोड़ पये तय क है

इस यव था को िन न कार से समझा जा सकता है सू म, लघु एवं


म यम उ ोग मै युफै च रं ग एवं स वस के े म

लघु उ ोग का वग करण तीन कार उ ोग म कया है -

1. सू म उ ोग

2. लघु उ ोग

3. म यम उ ोग।

मु यतया लघु उ ोग को इन म विनयो जत रािश के मापद डो से वग करण


कया जाता है । िनमाण उपाय के अ तगत सू म उ ोग वह है जहाँ ला ट एवं
मशीनर म िनवेश 25 लाख पये से अिधक नह होता है । लघु उ ोग वह है जहाँ
ला ट एवं मशीनर म िनवेश 25 लाख पये से अिधक ले कन 5 करोड़ पये से
कम होता है । म यम उ ोग वह है जसम लांट एवं मशीनर म िनवेश पॉच करोड़
पये से अिधक ले कन 10 करोड़ पये से कम होता हो।

सेवा उ ोग के व प म एक सू म उ ोग वह है जहाँ उपकरण म िनवेश 10


लाख पये से आगे नह ं बढ़ता है और लघु उ ोग, जहाँ उपकरण म िनवेश 10
लाख पये से अिधक ले कन 2 करोड़ पये से अिधक नह है एवं म यम उ ोग

10
जहाँ उपकरण म िनवेश 2 करोड़ पये से अिधक ले कन 5 करोड़ पये से कम न
हो।

भारतीय आिथक वकास म लघु एवं कुट र पैमाने के उ ोग ने मह वपूण भूिमका


अदा क है । लघु पैमाने के उ ोग और कुट र उ ोग भारत के विनमाण े क
संरचना एवं व प के मह वपूण भाग है ।

भाषा क से यह एक आम वृ ित रह है क कुट र उ ोग, ामीण उ ोग तथा


लघु पैमाने के उ ोग का आशय एक साथ ह समान प से लगाया जाता है
जब क इनम आधारभूत अ तर है । कुट र उ ोग तो कसी एक प रवार के सद य
ारा पूण या अंशकािलक तौर पर चलाया जाता है । इनम पूंजी िनवेश नाम मा
का होता है । उ पादन भी ायः हाथ ारा कया जाता है । पर परागत ढं ग से चलने
वाली उ पादन या म वेतन भोगी िमक नह होते ह।

लघु उ ोग म आघुिनक ढं ग से उ पादन काय होता है । सवेतन िमक क


धानता रहती है तथा पूंजी िनवेश भी होता है । कितपय कुट र उ ोग ऐसे भी है ,
जो उ कृ कला मकता के कारण िनयात भी करते है । अतः उ हे लघु े म रखा
गया था, जससे उ ह भी सभी सु वधाएं ा होती रहे ।

10 हजार से कम जनसं या वाले ामीण े म था पत तथा भूिम, भवन,


मशीनर आ द म ित कार गर या कायकता 15 हजार पये से कम थर पूंजी
िनवेश वाले उ ोग ामो ोग के अ तगत आते है । रा य ामो ोग बोड तथा
ामो ोग उ ोग इन इकाइय क थापना संचालन आ द म तकनीक एवं आिथक
सहायता दान करते है ।

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लघु यवसाय क वशेषताएँ

वािम व: उनका एक ह वामी है । इसिलए इसे एकल वािम व के प म भी

जाना जाता है ।

बंधन: सभी बंधन काय को मािलक ारा िनयं त कया जाता है ।

सीिमत पहु ं च: उनके पास संचालन का ितबंिधत े है । तो वे एक थानीय


दु कान या एक े म थत उ ोग हो सकते ह।

म गहन: तकनीक पर उनक िनभरता बहु त कम है य क वे मजदू र और

जनश पर िनभर ह।

लचीलापन: य क वे छोटे ह, वे बड़े उ ोग के वपर त अचानक प रवतन के

िलए खुले और लचीले ह।

संसाधन: वे थानीय और त काल उपल ध संसाधन का उपयोग करते ह। वे

ाकृ ितक संसाधन का बेहतर उपयोग और सीिमत अप यय करते ह।

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अ य मु य वशेषता

 लघु यवसाय का काय े सीिमत तथा लघु होता है ।


 इस यवसाय म विनयो जत पूंजी क सीमा भारत सरकार ारा
समय-समय पर िन त क जाती है ।
 लघु यवसाय का े या बाजार थानीय, रा ीय तथा
अ तररा ीय हो सकता है ।
 यह यवसाय एकाक , साझेदार या पा रवा रक यापार के प म
चलाये जा सकते
 इन यवसाय के मा यम से आम लोग को रोजगार के अवसर
ा होते ह।
 लघु यवसाय का ब ध यव था सरल होता है ।
 इसे कह ं भी आसानी से था पत कया जा सकता है ।
 इनम कमचा रय क सं या सीिमत पायी जाती है ।
 यह लघु उ ोग बड़े उ ोग के सहायक या पूरक के प म काय
करते ह।
 इनके ारा ायः उपभोग क जाने वाली

व तुओं का उ पादन कया जाता है ।

 इसे था पत करने के िलये सरकार क अनुमित क आव यकता


नह ं होती है ।
 ये यवसाय जीवन िनवाह के साधन होते ह।

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 ये यवसाय एकािधकार क वृ को रोकने म सहायक होते ह।
 इनम संचार विधय काफ सं होती है ।
 इ ह के य सरकार तथा रा य सरकार ारा सु वधाएं तथा
ो साहन ा होता है ।

लघु यवसाय का मह व

आज कसी दे श के िलए यह संभव नह ं है क केवल बड़े यावसाियक


इकाइय के आधार पर ह उसका आिथक और सामा जक वकास हो
सके। वकास और न गित क आव यकता है , क लघु और बड़े य
दोन को मह व दया गया है । साथ ह यवसाय और उ ोग के कई ऐसे
े ह, वा त वक संचालन केवल छोटे ारा ह संभव है । यह नह ं आज
लघु यवसाय को बड़ा जुड़ाव का पूरक माना जाता है ।

भारतीय उ ोग म भारतीय उ ोग का वशेष मह व और थान पाया


जाता है । ये उ ोग जगत पर आधा रत है । रा पता महा मा गांधी के
श द म भारत का मो उनका लघु एवं कुट र उ ोग म िन हत है ।

 लघु यवसाय का मह व िन निल खत य से दे श के वकास


के िलए उपयोगी माना जाता है

14
1. सबसे यादा रोजगार के अवसर

लघु काय और काय म उपल ध नौक रय क मता अिधक पायो जातो


है । इन वकास और ो साहन के मा यम से दे श म अनुमान क
सम या क एक सीमा तक समाधान कया जा सकता है । चूं क लघु
और कुट र उ ोग म धान होते ह, इसिलए इन सूिचय का वकास
कम से कम विनयोग ारा अिधक पूंजी ितशत तक पहु ं च सकता है ।
भारत जैसे वकिसत और कृ ष धान दे श के िलए इसका वशेष मह व
पाया जाता है ।

2. समझ क सम या का हल –

कुट र एवं लघु आलेख हमारे दे श म इसिलए भी मह वपूण है क यह


धान उ ोग का एक गहन काय है । इन दोष क थापना म कम पूंजी
क आव यकता होती है । एक रपोट के अनुसार वृ हत पैमाने के उ ोग
म एक करोड़ क पूंजी पर केवल 35 लोग को रोजगार दया जा सकता
है , जब क इन उ ोग म लगभग 3 हजार लोग को रोजगार दया जा
सकता है । यह कारण है क इसे कंपनी उ ोग का आधार कहा जाता है ।

3. रा ीय आय का समान वतरण –

इन उ ोग ारा रा ीय आय या रा ीय लाभांश का समान वतरण कया


जाना संभव होता है । इसका कारण यह है क इन उ ोग का वािम व
अिधक से अिधक य य के हाथ म पाया जाता है । इससे आिथक

15
श का के यकरण नह ं हो पाता है । इसके साथ ह साथ इसके
उ पादन का पैमाना छोटा होने के कारण इन उ ोग म िमक के
शोषण क स भावना कम होती है । इस कार रा ीय आय के समान
वतरण क स भावना बनी रहती है ।

4. भारतीय अथ यव था के अनुकूल –

भारत एक कृ ष धान दे श है , तथा अिधकांश जनसं या गाँव म रहती


है , जसको जी वकोपाजन का मु य साधन कृ ष है , क तु हमारे दे श के
कसान को वष भर काय नह ं िमल पाता है । इस अध बेरोजगार क
सम या का हमारे दे श क अथ यव था पर बुरा भाव पड़ा है , तथा ित
य आय म कमी आयी है । इस सम या को हल करने म भी लघु
यवसाय सहायक िस हु ये है । इस कार इन उ ोग का हमारे दे श म
वकास कया जाना आव यक है ।

5. औ ोिगक वक करण –

लघु उ ोग के वकास से दे श म उ ोग के वक करण म मदद िमली


है । इससे पूंजी का वके करण होता है , तथा आय एवं स प का
वतरण समान बना रहता है । अ य श द म इन उ ोग क थापना से
आिथक स ा का के यकरण नह ं हो पाता है । यह नह ं यह
वके करण सम त औ ोिगक बुराइय को दू र कर दे ता है , इस कार

16
यह कहना गलत न होगा क इन उ ोग के वकास से सम त
दे शवािसय को लाभ होता है । यह इसक वशेषता है ।

6. कृ ष पर कम भार

भारत एक कृ ष धान दे श है , तथा यहाँ क अिधकतर जनसं या अपनी


जी वका के िलये कृ ष पर िनभर होती है । इसका कारण यह है क
भारत गाँव का दे श है , जहाँ हमारे दे श क 75% जनसं या िनवास
करती है । इनका मु य यवसाय कृ ष है । इससे कृ ष पर जनसं या का
दबाव बढ़ गया है । यह भार तभी कम कया जा सकता है , जब क दे श
म लघु एवं कुट र उ ोग का यवसाय का वकास कया जाए। इस
से भी इनका हमार अथ यव था म अ यंत मह व पाया जाता है ।

7. वदे शी मु ा क ाि म सहायक –

इन उ ोग के वकास से आयात ित थापन म मदद िमलती है , तथा


िनयात क से भी इनका मह वपूण योगदान पाया जाता है । इस
कार यह कहना गलत न होगा क लघु यवसाय क थापना से हमारे
दे श के िनयात को ो साहन ा हु आ है । यह नह ं इससे हम वदे शी
मु ा क ाि होती है । एक अनुमान के अनुसार इसके ारा ितवष 15
करोड़ पये क वदे शी मु ा ा होती है । इससे अ य व तुओं का
आयात करके हम आिथक वकास कर सकते ह। इस से इन उ ोग

17
का वकास कया जाना हमार अथ यव था के िलए उपयोगी माना जाता
है ।

8. तकनीक ान क कम आव यकता

हमारे दे श म पूँजी क भाँित तकनीक ान का भी अभाव पाया है । लघु


उ ोग म वृ हत पैमाने के उ ोग क तुलना म कम तकनीक ान क
आव यकता पड़ती है । साथ ह साथ इसके िलये कसी वशेष िश ण
क भी आव यकता नह ं पड़ती है । हमारे दे श म सामा य िश ा, ान
तथा तकनीक िश ा व ान का भी अभाव पाया जाता है । इसी िलये
इन उ ोग क थापना तथा वकास कया जाना आिथक संरचना के
अनुकूल कहा जाता है । अतएव इस कार कम से कम साधन म अिधक
से अिधक वकास करना संभव बनाया जा सकता है ।

18
गर बी उ मूलन म लघु यवसाय क भूिमका

1. औ ोिगक इकाइयाँ: भारत जैसी अथ यव था म, अिधकांश औ ोिगक

इकाइयाँ छोटे यवसाय के कारण ह। यह आज 95% से अिधक इकाइय के


िलए है । लघु उ ोग के कारण कुल औ ोिगक इकाइय का लगभग 40%
योगदान है । छोटे यवसाय भारत से होने वाले कुल िनयात का लगभग
45% ा कर रहे ह।

2. म-उ मुखः छोटे यवसाय बहु त अिधक म उ प न करते ह। वे ामीण

और अध-शहर े म रहने वाल को रोजगार के कई अवसर दे ते ह। छोटे


यवसाय कसी भी अथ यव था म बेरोजगार का भार उठाने म मदद करते
ह। यह एक मह वपूण भूिमका है जो वे भारत जैसे दे श म मु य प से
िनभाते ह। भारत म एक बड़ म श है और भारत सरकार छोटे उ ोग
को भी ो सा हत करती है जो म को िनयो जत और उपयोग करते ह।
सरकार विभ न नीितय का मसौदा तैयार और कम याज दर क पेशकश
करके यवसाय को ो सा हत करती है ।

3. मानव संसाधन: छोटे यवसाय भारतीय अथ यव था म रोजगार के िलए

कृ ष के बाद आते ह। कई बड़ कंपिनय क तुलना म, छोटे यवसाय िनवेश


क गई पूंजी क येक इकाई के िलए रोजगार के अिधकतम अवसर पैदा
करने म स म ह। यह लघु यवसाय को अथ यव था म दू सरा सबसे बड़ा
रोजगार सृ जक बनाता है ।

19
4. थानीय संसाधन का उपयोग: थानीय समुदाय क ज रत और मांग

छोटे यवसाय को अध-शहर और ामीण े म उभरने दे ती ह। छोटे


यवसाय समुदाय आधा रत ह, और ये कुछ े म काम करने और
रोजगार पैदा करने पर क त ह। यह कसी भी यवसाय को थानीय
संसाधन जैसे ितभा, क चे माल, जनसां यक य अवसर और म का
उपयोग करने दे ता है । जब कसी थानीय संसाधन का पया उपयोग और
उपयोग होता है , तो यह कसी वशेष े क आिथक थित म सुधार
करने म मदद करता है ।

5. लचीला और अनुकूलनीयः कोई भी नया यावसाियक अवसर सह समय


पर ा हो जाता है । कसी भी आगामी प रवतन के आलोक म अनुकूलन
और वकास क बात आने पर छोटे यवसाय को बढ़त िमलती है । लघु
यवसाय आमतौर पर िनमाता और वतरक होते ह, और इस कार वे
यवसाय के साथ और अपने ाहक के साथ भी य गत संपक बनाने म
स म होते ह। छोटे यवसाय के मामले म भी कोई सरकार ह त ेप नह ं
है य क ये व और आकार म सीिमत ह।

6. वकास और वकास को बढ़ावा दे ता है : े का वकास दे श के वकास

म योगदान दे ने म मह वपूण भूिमका िनभाता है । कसी भी े या े म


छोटे यवसाय क थापना जीवन शैली, रहने वाले लोग क कमाई को
बढ़ाने म मदद करती है । यवसाय वदे शी बाजार , उ पादन पैमाने और
रा य के सम वकास के साथ-साथ िमक के िलए अिधक जो खम लाते
ह।

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7. कर राज व म वृ ः उ ोग को सरकार िनकाय को कर क आव यक रािश
का भुगतान करने क आव यकता होती है , जसका उपयोग ामीण े के
वकास और शहर क मांग को पूरा करने के िलए कया जाता है । जब
यवसाय संचािलत होते ह, तो वे लाभ क तलाश करते ह। और जब अिधक
मुनाफा आता है , तो अिधक कर दे श क सरकार को सम पत होते ह।
इसिलए उ प न कर को वा य सेवा, िश ा, र ा े और कई अ य
सेवाओं जैसे उ थान सेवाओं म योगदान दया जाता है ।

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*भारत म लघु यवसाय क भूिमका*

दे श के सामा जक-आिथक वकास क संदभ म, लघु उ ोग के योगदान क


से, भारत म लघु तर य उ ोग एक वशेष थान रखते ह। िन निल खत बंद ु
लघु उ ोग क भूिमका दशाते ह:-

(क) भारत म लघु उ ोग औ ोिगक इकाइय के 95 ितशत ह। ये लगभग


40 ितशत तक का सकल औ ोिगक उ पाद मू य म तथा कुल िनयात
का45 ितशत ( य तथा अ य िनयात) योगदान दे ती ह।
(ख) कृ ष के बाद लघु यवसाय तीय सबसे बड़ा े है , जो मानव संसाधन
का योग कर रोजगार सृ जन करता है । ये बड़े उ ोग के िनवेिशत पूँजी
क तुलना म बड़ सं या के रोज़गार के अवसर उ प न करते ह।
इसिलए ये अिधक म धान ह तथा कम पूँजी धान ह। यह भारत
जैसे दे श म, जहाँ म का आिध य है , एक वरदान है ।
(ग) हमारे दे श म लघु उ ोग व वध कार क व तुओं का उ पादन करती ह
जनके अंतगत िन न आते ह- अिधकांश मा ा म उपभो ा व तुओं का
उ पादन, तैयार व , होज़र उ पाद, लेखन साम ी, साबुन तथा ालक
अपमाजक, घरे लू बतन, चमड़ा, ला टक तथा रबड़ उ पाद, संशोिधत
खा पदाथ तथा स जयाँ, लकड़ तथा ट ल फन चर, मेज़-कुस , रं ग-
रोगन र क, मािचस इ या द । आधुिनक व तुओं के उ पादन के अंतगत
आते ह- व ुत तथा व ुत संबंिधत उ पाद जैसे- टे िल वजन, गणक /
ग ण , व वध िच क सा औज़ार, व ुतीय िश ण साम ी जैसे ओवरहै ड,
ोजे टर, वातानुकूिलत संयं , दवाईयाँ एवं औषिध, कृ ष औजार तथा यं
एवं विभ न कार के अ य इं जीिनय रं ग उ पाद || हथकरघा, ह तिश प

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तथा पारं प रक ामीण उ ोग के अ य उ पाद िनयात क से वशेष
थान रखते ह।
(घ) लघु उ ोग का योगदान, हमारे दे श के संतुिलत े ीय वकास के संदभ
म, यान दे ने यो य है तथा सराहनीय है । लघु उ ोग सरल व तुओं के
उ पादन म थानीय संसाधन व किमय का तथा थानीय उपल ध
साम ी एवं सरल तकनीक का योग करती ह, अतः दे श म कह ं भी
था पत क जा सकती ह, य क इनक कोई थापना सीमा नह ं है ।
इनका व तार बना कसी थापना बाधा के संभव है तथा इसके
औ ोिगक करण के लाभ सभी े ारा उठाए जा सकते ह। यह कारण
है क ये दे श के संतुिलत वकास म एक मह वपूण योगदान दे ते ह।
(ङ) लघु उ ोग उ मशीलता के िलए व तृ त े दान करते ह।
अ य /िन हत कौशल तथा लोग क ितभा को यवसाय का एक
उिचत मा यम िमलता है तथा एक यावसाियक क पना को वा त वक
प िमलता है - कम पूँजी िनवेश के साथ तथा बना कसी खास
औपचा रकता के लघु यवसाय ारं भ कए जा सकते ह। अमर, अकबर
तथा एंथनी हमार कहानी के पा भी यह मा णत करते ह। य द य
सफलता के िलए ढ़संक प हो, तो वह लघु यवसाय ारं भ कर सकता
है ।
(च) कम लागत पर उ पादन का लाभ भी लघु उ ोग को उपल ध है ।
थानीय संसाधन क क मत कम होती है । उप र यय कम होने के कारण
ित ान लागत तथा प रचालन लागत भी कम होती है । वा तव म, लघु
उ ोग कम लागत पर उ पादन का लाभ उठाते ह, यह उनक
ित पिधत श है ।

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(छ) बड़ संगठन क तु लना म छोटा आकार होने के कारण ये शी तथा
समय पर, बना अिधक लोग से परामश कए. िनणय लेने म समथ ह।
नए यवसाय के सुअवसर भी सह समय पर उठाए जा सकते है ।
(ज) उपभो ा िलए लघु उ ोग सबसे अिधक उपयु ह अथात वैय क
उपभो ा क िच,पसंद एवं आव यकताओं के अनुसार उ पादन को
अिभक पत कया जा सकता है , उदाहरण व प दज ारा बनाया गया
कुता या पट/पतलून। बाज़ार म ऐसे उपभो ा आधा रत उ पाद चलन
म ह। यहाँ तक क अपारं प रक उ पाद जैसे कं यूटर तथा अ य उ पाद
भी। वे उपभो ाओं क आव यकता के अनुसार उ पादन कर सकते ह,
य क वे सरल तथा लचीले उ पादन तकनीक का योग करते ह।
(झ) अंत म, परं तु कम मह वपूण नह ं, लघु उ ोग म िन हत
अनुकूलनशीलता, य गत पश के कारण ह ये किमय तथा
उपभो ाओं दोन से ह अ छे य गत संबंध बनाए रखने म समथ ह।
सरकार को लघु तर य इकाइय क यापा रक याओं म ह त ेप
करने क आव यकता नह ं पड़ती। संगठन का छोटा आकार होने के
कारण समय पर तथा शी िनणय, बना अिधक लोग से परामश कए,
जैसा क बड़े संगठन म होता है , िलए जा सकते ह। नए यवसाय के
सुअवसर भी सह समय पर उठाए जा सकते ह जो बड़े यवसाय के
िलए व थ ित पधा उ प न करते ह, जो अथ यव था के िलए अ छ
बात है ।

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ामीण भारत म लघु यवसाय क भूिमका

वकासशील दे श म, ऐसा पाया गया है क ामीण प रवार एकमा कृ ष म


संल न ह। ऐसे बहु त से माण ह क इन ामीण प रवार म भी विभ न कार
के आय ोत हो सकते ह। यवसाय अ ययन ामीण प रवार भी विभ न तर
पर अकृ ष याओं म भाग ले सकते ह, जैसे रोजगार वेतन, वरोजगार, जो खेती
एवं म आधा रत पारं प रक कृ ष याकलाप के साथ-साथ क जा सकती ह। बड़े
व तृ त प म इसका ेय. भारत सरकार को, कृ ष आधा रत ामीण उ ोग क
थापना तथा उ नित के िलए सरकार ारा चलाई गई नीितय को दया जा सकता
है । ामीण तथा लघु तर य उ ोग का मह व हमेशा से ह भारत क औ ोिगक
योजनाओं का एक अिभ न अंग रहा है , वशेषतः तीय पंचवष य योजना के
प ात ् ।

ामीण े म कुट र तथा ामीण उ ोग रोजगार का अवसर उपल ध कराने म


एक मह वपूण भूिमका िनभाते ह, वशेषकर समाज के कमजोर वग के लोग के
िलए तथा िश पकार के िलए े ीय तथा ामीण उ ोग का वकास. ामीण े
म रोजगार उपल ध कराने से, ये शहर े म वसन को भी रोकने म सहायता
करते ह। ामीण तथा लघु उ ोग म उपभो ा व तुओं के उ पादन म अिधक
किमय का योग होता है जो गर बी तथा बेरोजगार जैसी सम याओं का सामना
करने म अ यंत कारगर ह। ये उ ोग और भी अ य सामा जक-आिथक े म भी
अपना मह वपूण योगदान दे ते ह जैसे आय वषमता म कमी लाकर, उ ोग का
सभी दू र थ वषम े म वकास एवं अ य अथ यव था के े म संपक
था पत करके इ या द।

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वा त वकता म भारत सरकार दो उ े य क पूित के िलए लघु तर य उ ोग का
वकास तथा ामीण औ ोगीकरण को एक श शाली मानती है जो इस कार ह-
ती यवसाय औ ोिगक वकास के उ े य क पूित के िलए तथा ामीण तथा
पछड़े े म अित र उ पादक रोजगार मताओं के सृ जन के िलए। फर भी
बहु त सार आकार संबंिधत सम याओं के कारण लघु उ ोग क मता पूर तरह
योग म नह ं हो पाती।

योजना काल म लघु उ ोग क थित

पंचवष य योजनाओं म लघु एवं कुट र उ ोग को उनके मह व के अनु प उिचत


थान दान कया गया है । योजनाओं के अंतगत कुट र लघु उ ोग के वकास
काय म तथा गित का ववरण िन न है -

थम पंचवष य योजना म-

लघु एवं कुट र उ ोग के वकास पर 43 करोड़ पये यय कये गये। जून 1955
म कव सिमित ग ठत क गयी जसने उ ोग के वका हे तु सुझाव तुत कये।

तीय पंचवष य योजना-

इसम कुट र एवं लघु उ ोग के वकास पर लगभग 180 करोड पये यय कये
गये। इस अविध म 66 औ ोिगक ब तय का िनमाण कया गया। 1959-60 म
औ ोिगक सहका रताओं क सं या 29000 हो गयी जसम 11. 200 बुनकर
सिमितयां थी। गाव म चलाये जाने वाले उ ोग को वशेष सह 9/25 गयी। इनम
उ ोग के ती वकास तथा सुधार का काय म िनधा रत कया गया।

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तीसर योजना-

इस संदभ म सावजिनक े म 240.75 करोड पये तथा िनजी े म 275


करोड़ पये यय कये गये। योजना अविध म इन उ ोग के वकास हे तु
बहु आयामी काय म िनधा रत कये गये।

चतुथ पंचवष य योजना-

इसम उ ोग के वकास पर 242.5 करोड़ पये यय कये गये। इस काल म इन


उ ोग को और अिधक े म व तार करने का यास कया गया। चतुथ
पंचवष य योजना-

इनम उ ोग के वकास पर 242.6 करोड़ पये यय कये गये। इस काल मं इन


उ ोग को और अिधक े म व तार करने का यास कया गया।

पांचवी योजना-

इसम उ ोग के वकास पर 592.6 करोड़ पये यय कया गया। इस योजना म


हथकरघ के आधुिनक करण तथा पावरलूम आ द पर वशेष यान दया गया।

छठ ं पंचवष य योजना-

इसम कुट र तथा लघु उ ोग को रा ीय वकास नीित के मह वपूण अंग के प म


वीकार कया गया है तथा इसके वकास को उ च ाथिमकता दान क गयी।
इस योजना काल म कुट र तथा लघु उ ोग के वकास हे तु एक वशेष काययोजना
बनायी गयी जसके अंतगत दान क गयी।

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सातवीं पंचवष य योजना-

इसके ारं भ म प म वीकार कया गया क उ पादन रोजगार तथा िनयात क


से ामीण तथा लघु उ ोग को अथ यव था के अ यंत मह वपूण अंग के प
म वशेष थान है । अतः इस े के वकास क नीितय को व ीय एवं कर क
से उदार तथा बंध यव था क से कुशल बनाया जाना चा हए।

आठवीं पंचवष य योजना-

इसम ाम एवं लघु उ ोग के वकास पर कुल 6334.2 करोड़ पये कये गये।
इस योजना म ाम रोजगार तथा ामीण औ ोिगकरण पर वशेष गया। नौवीं
पंचवष य योजना*

इसके ारं िभक वष 1997-98 म इन उ ोग के वकास हे तु 1813.9 करोड़ य


कया गया। इसी तरह 1988-89 म 1776.7 करोड़ पये, 1999-2000 म 1746.6
रोड़ पये तथा 2000-01 म 909.5 करोड़ ० तथा 2001-02 म 1842 करोड़
पये यय कये गये।

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लघु उ ोग क सम याएँ

बहु त से कारक /प के संदभ म, दोघं तर य उ ोग क तु लना म, लघु तर य


उ ोग, एक वशेष ितकूल थित म ह, जनम मु य ह- यापार का तर, व
उपल धता, आधुिनक तकनीक क योग कर पाने का साम य, क चा माल ा
करना इ या द। ये सभी विभ न कार क सम याओं को उ प न करती ह। इनम
से बहु त सी सम याएँ यवसाय के लघु आकार के कारण है , जो उ ह लाभ उठाने
म बाधा उ प न करती ह, जो केवल बड़े तर क यावसाियक संगठन को ह
उपल ध ह। तथा प ये सभी सम याएँ हर ेणी के लघु यवसाय म समान नह ं
ह। उदाहरण के िलए, लघु सहायक इकाइय के संदभ म मु य सम याएँ ह दे र से
भुगतान, मूल इकाई ारा माँग क अिन तता तथा उ पादन या म िनरं तर
प रवतन इ या द है ।

पारं प रक लघु तर य इकाइय क सम याओं म, दू र थ थापना, कम वकिसत


आधारभूत सु वधाएँ ितबंधन ितभाओं का अभाव िन न गुणव ा, पारं प रक
तकनीक तथा अपया व क उपल धता िनयात धान लघु तर य इकाइय क
सम याओं म िन न आते ह- वदे शी बाजार क पया जानकार का अभाव,
वपणन कुशलता का अभाव, विनमय दर म उतार-चढ़ाव, गुणव ा मानक तथा
प रवहन के पहले का व इ या द। सामा य प से लघु यवसाय को िन न
कार क सम याओं का सामना करना पड़ता है -

(क) व लघु यवसाय उ ोग क यह एक सबसे गंभीर सम या है जसका


इ ह सामना करना पड़ता है अपनी याओं के िन पादन के िलए पया
व क उपल धता का अभाव।

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सामा यतः लघु यवसाय एक छोटे पूँजी आधार से यवसाय ारं भ करते
ह। बहु त सार लघु े क इकाइयाँ अपनी साख सृ जनशीलता के अभाव
के कारण पूँजी बाजार से पूँजी उठाने म स म नह ं है । ये थानीय व
संसाधन पर िनभर करती ह और उ ह बार-बार ऋणदाताओं के ारा
शोषण का िशकार होना पड़ता है । दे र से भुगतान के कारण अथवा बचे
हु ए बना ब के माल म लगी पूँजी के कारण इन इकाइय को बार-बार
पया कायशील पूंजी के अभाव को झेलना पड़ता है । पया समानांतर
ितभूित अथवा जमानत तथा सोमात पूँजी के अभाव म बक भी इ ह
ऋण नह ं दे ती, जो बहु त सी इकाइयाँ इस थित म नह ं ह क वे इ ह
दखा सके।

(ख) क चा माल क चा माल ा करना, लघु यवसाय क एक अ य


मु य सम या है । जब इनक आव यकता के अनुसार इ ह क चा माल
नह ं ा होता तो इ ह इनक गुणव ा के साथ समझौता करना पड़ता है ,
अथात अ छ क म के क चे माल के िलए इ ह ऊँची क मत दे नी पड़ती
ह। कम मा ा म कम खर द के कारण इनक सौदा करने क श
अपे ाकृ त कम होती है । माल के भंडारण क सु वधाओं के अभाव म से
थोक म खर दने का जो खम उठाने म समथ नह ं है । अथ यव था म
धातुओं के समा यतः अभाव म रासायिनक तथा क चे माल के कषण के
कारण, लघु तर य उ ोग सबसे अिधक ित त होते ह। अथ यव था के
िलए इसका अथ यह भी िनकलता है क उ पादन मता यथ होती है जो
अ य इकाइय के िलए भी हािन का कारण है ।
(ग) बंधन कौशल- लघु यवसाय सामा यतः एक ह य ारा उ नत तथा
ितचािलत कए जाते ह, जसके पास आव यक नह ं है क वह बंधन

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कौशल होना एक यवसाय को चलाने के िलए आव यक है । बहु त सारे लघु
यावसाियक उ म के पास भावी तकनीक ान होता है परं तु वे
उ पादन का वपणन करने म कम ह सफल होते ह। इसके अित र
यापार याओं के िलए वे अिधक समय भी नह ं िनकाल पाते। साथ ह
साथ, वे इस थित म नह ं है क एक पेशेवर बंधक बन सक।

(घ) म- लघु यावसाियक फम अपने कमचा रय को अिधक वेतन दे ने म


असमथ होती ह जो कमचा रय क अिधक काम करने तथा यादा
उ पादन करने क इ छा को भा वत करती है । इसिलए ित कमचार
उ पादन अपे ाकृ त कम होता है तथा िमक प रवतन सामा यतः अिधक
होती है । कम वेतन के कारण लघु यावसाियक संगठन क मु य सम या
ितभावान लोग को आक षत न कर पाना है । अ िश त कमचार कम
वेतन पर काम करते ह परं तु उनको िश ण दे ना भी समय लेने वाली
या है । बड़े संगठन को तु लना म म वभाजन भी संभव नह ं है
जसके प रणाम एका ता तथा विश ीकरण के अभाव के प म उभरते
ह।

(ङ) वपणन वपणन एक अ यंत मह वपूण या है जो आग उ प न करती


है । व तुओं के भावी वपणन के िलए उपभो ाओं आव यकताओं को
संपूण समझ अ यंत आव यक है । लगभग सभी थितय म वपणन लघु
संगठन का एक कमजोर े है । इसिलए इन संगठन को अिधकतर
म य थ पर िनभर होना पड़ता है जो इ ह कभी-कभी कम भुगतान तथा
दे र से भुगतान कर उनका शोषण करते ह। इसके अित र आव यक

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आधारभूत संरचनाओं के अभाव म य वपणन लघु यावसाियक फम
के िलए उपयु नह ं है ।
(च) गुणव ा बहु त सारे लघु यावसाियक संगठन वांिछत गुणव ा के मानक
का अनुसरण नह ं कर पाते। इसके थान पर उनका यान लागत को कम
कर क मत को कम रखने पर होता है । उनके पास पया संसाधन नह ं होते
क वे गुणव ा अनुसंधान म विनयोग कर सक तथा उ ोग के मानक का
साधारण कर पाएँ, न ह उनके पास ऐसे वशेष होते ह जो ौ ोिगक को
उ नत कर सक। वा तव म, व बाजार क ित पधा म गुणव ा को
बनाए रखना इनक सबसे बड़ कमजोर है ।संसाधन नह ं होते क वे
गुणव ा अनुसंधान म विनयोग कर सक तथा उ ोग के मानक का
साधारण कर पाएँ, न ह उनके पास ऐसे वशेष होते ह जो ौ ोिगक को
उ नत कर सक। वा तव म, व बाजार क ित पधा म गुणव ा को
बनाए रखना इनक सबसे बड़ कमजोर है ।
(छ) मता का उपयोग वपणन कौशल अथवा माँग के अभाव म बहु त सार
लघु यावसाियक फम को अपनी पूर मता से भी कम म काम करना
पड़ता है जसके कारण प रचालन लागत बढ़ने लगती है । धीरे -धीरे यह इन
इकाइय के बीमार होने का कारण बन जाता है ।
(ज) ौ ोिगक (टे नालॉजी) =लघु उ ोग के प रपे य म अ सर पुरानी
तकनीक का योग एक गंभीर कमी माना जाता है जो प रमाण व प कम
उ पादकता तथा खच ल उ पादन के प म प रल त होते ह।
(झ) बीमार (िसकनेस) =लघु उ ोग म बीमार इकाइय का होना, नीित
िनधारक तथा उ म दोन के िलए ह एक िच ता का क ठन है । कारण
है । बीमार के कारण आंत रक तथा बा दोन हो है आंत रक सम याओं
म है - कुशल तथा िश त किमय का अभाव, बंधन, तथा वपणन

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कौशल। कुछ बा सम याओं के अंतगत, दे र से भुगतान, कायशील पूँजी
क कमी, अपया ऋण तथा उ पाद क माँग का अभाव इ या द आते ह।
(ञ) वै क ित पधा सम याओं के अित र जनका उ लेख ऊपर कया
गया है , लघु यवसाय बना डर के नह ं ह वशेषतः उदार करण, िनजीकरण
तथा वै ीकरण (एल.पी.जी.) क नीितयाँ जनका अनुसरण संसार के
अिधकतर दे श कर रहे ह। यह मरणीय है क भारत ने भी एल.पी.जी. का
अनुसरण 1991 से करना ारं भ कया है । व ित पधा क होड़ म ऐसे
कौन-से े है जहाँ लघु यवसाय जो खम / संकट का अनुभव करते ह-

(अ) ितयोिगता केवल म यम तथा बड़े उ ोग से ह नह ं परं तु म ट नेशनल


कंपिनय भी ह जो आकार तथा यावसाियक प रमाण के प रपे य म
भीमकाय / वशाल ह। यवसाय प रणाम के ारं भ म खुलते ह ये लघु
तर य इकाइय के िलए एक कटु ितयोिगता के प रणाम म सामने आती
है ।

(ब) बड़े उ ोग तथा म ट नेशनल क गुणव ा मानक ौ ोिगक कौशल,


व क साख के साम य बंध तथा वपणन मता इ या द का सामना
करना इनके िलए है
(स) गुणव ा मानक जैसे ISO 9000 जैसी कठोर माँगा के कारण
इनक वकिसत दे श के बाजार तक पहु ँ च सीिमत है ।

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लघु उ ोग के वकास हे तु सरकार यास-

वतं ता ाि के प ात कुट र एवं लघु उ ोग के मह व को वीकार करते हु ए


सरकार ने इन उ ोग के वकास हे तु वशेष बल दया। यह महसूस कया गया क
ये उ ोग बेरोजगार और गर बी को दू र करने एवं असमानताओं को कम करने म
मह वपूण योगदान दे सकते ह। 1948 म घो षत दे श क थम औ ोिगक नीित म
लघु एवं कुट र उ ोग के मह व पर काश डाला गया है ।

1. विश सं थाओं क थापना- लघु एवं कुट र उ ोग के वकास क


ज मेवार वहन करते हु ए के य सरकार ने इन उ ोग के वकास के
िलए एक अलग वभाग क थापना क है । इस वभाग के िनदशन और
परामश के िलए एक अ खल भारतीय कुट र उ ोग बोड था पत क है ।
इनम मुख ह- अ खल भारतीय हथकरघा एवं द तकार बोड, अ खल
भारतीय खाद एवं ामो ोग बोड, रा ीय लघु उ ोग िनगम, लघु उ ोग
वकास बोड, जला उ ोग के आद ।
2. व संबंधी सु वधाएँ- लघु एवं कुट र उ ोग क पूँजी को पूंजी तथा
अ य आिथक सहायता दानकरने के े म भी सरकार ने मह वपूण
भूिमका िनभायी है । रा य सरकार ने रा य उ ोग सहायता अिधिनयम
के अ तगत इन उ ोग के िलए ऋण सु वधाओं को काफ बढ़ा दया है ।
अब इन उ ोग को अपे ाकृ त अिधक आसान शत पर सहजता से रा य
सरकार ारा ऋण उपल ध कराया जाने लगा है ।
3. वपणन सु वधाएँ- कुट र एवं उ ोग ारा िनिमत व तुओं के वपणन
म भी सरकार सहायता करती है । के य एवं ांतीय सरकार तथा
विश िनगम ारा िन ब के िलए थान- थान पर शो म अथवा

34
इ पो रयम था पत इनके मा यम से दे शी एवं वदे शी बाजार म माल
बेचे जाते ह।
4. तकनीक सहायता- सरकार ारा लघु उ ोग को या तकनीक
सहायता दान क जाती है । इसके िलए लघु उ ोग वकास संगठन क
थापना क गयी ह जसके अ तगत 28 लघु उ ोग सेवा सं थान 30
शाखा सं थान तथा 4 े ीय िश ण के था पत कये गये ह।
सरकार ारा वदे श म िश ण हे तु उ िमय को भेजा जाता है तथा
वदे शी वशेष को भी भारत म िश ण दे ने के िलए आमं त कया
जाता है ।
5. कर म रयायत- सरकार ारा लघु एवं कुट र उ ोग को कर म छूट
दान क जाती है । इन उ ोग ारा उ पा दत व तुओं पर उ पादन या
इसी तरह के अ य कर नह ं लगाये जाते ह य द कह ं लगाये भी जाते ह
तो इनक दर अ यिधक कम रहती है ।
6,औ ोिगक सहकार सिमितयाँ- सरकार और आयोग इस बात को प
प से वीकार करते ह क लघु एवं कुट र उ ोग के व प एवं ती
वकास म औ ोिगक सहकार सिमितयाँ िस हो सकती है और
मु यतया इ ह ं के मा यम से ये उ ोग सहकार सहायता से लाभ उठा
सकते ह।

7. औ ोिगक ब तय क थापना- कुट र एवं लघु उ ोग को सभी


सु वधाएँ एक थान पर दे ने तथा उनका मब वकास करने के िलए
औ ोिगक ब तय क थापना के िलए के सरकार, रा य सरकार को
ऋण उपल ध कराती है ।

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8. बड़े उ ोग क ितयोिगता से बचाव – लघु एवं कुट र उ ोग के
वकास के संबंध म सरकार ने एक और मह वपूण कदम उठाते हु ए इन
उ ोग को बड़े उ ोग क अनुिचत ितयोिगता से बचाने का यास कया
है । इस संबंध म सरकार ने कुछ े को लघु उ ोग के िलए सुर त
रखा है ।
9. भारतीय लघु उ ोग वकास बक क थापना- अ ल
ै 1990 को
भारतीय औ ोिगक वकास बक क सहायक सं था के प म भारतीय
लघु उ ोग वकास बक क थापना क गयी है । इसका मु य काय लघु
उ ोग को व ीय सहायता दान करना है । इस बक क 30 शाखाएं
विभ न रा य म था पत क गयी है ।
10 लघु उ ोग बोड- जून 1992 म धानमं ी क अ य ता म एक लघु
उ ोग बोड का गठन कया गया है । इस बोड के 130 सद य ह जो
विभ न मं ालय व संगठन से िलए गये ह। इस बोड का मु य काय
लघु उ ोग के वकास के िलए सरकार को सलाह दे ना है ।
11. रा ीय समता कोष क थापना- लघु एवं कुट र उ ोग के वकास
क से के सरकार ने रा ीय समता कोष क थापना क है । इस
कोष के िलए 5 करोड़ पये के सरकार ने तथा 5 करोड़ पये
भारतीय औ ोिगक वकास बक ने दान कये ह। इस कोष का बंध
भारतीय औ ोिगक वकास बैक करता है ।
12. ामीण औ ोिगक प रयोजनाएं- यह योजना के य सरकार ारा
1961-62 म ार भ व 21/25 क उ े य ामीण वातावरण म लाभदायक
इकाइय क थापना करन नीक का वकास करना एवं विभ न े
म वकास तर पर रहने वाली असमानताओं को कम करना है ।

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सा ह य समी ा

रे मेनी (2001) के अनुसार, सा ह य समी ा का मूल उ े य ासंिगक े और


अ ययन के े के िलए मॉडल, मामल और अ य क पहचान जैसे वैचा रक ढांचे
क पहचान करना है

एबोर और वाट (2010) के अनुसार, एक लघु- तर य उ म एक वतं यवसाय


है , जो इसके मािलक ारा मानव-वृ है और इसका एक छोटा बाजार ह सा है ।
उ ह ने यवसाय के ऐसे प क तीन मुख वशेषताएं पेश क ं : छोटे यवसाय
का एक वतं बंधन होता है , छोटे यवसाय क वािम व संरचना म बहु त कम
िनवेशक शािमल होते ह, और छोटे यवसाय के संचालन े थानीय वातावरण
होते ह।

यूरोपीय संघ (ईयू) माइ ो, मॉल एंड मी डयम एंटर ाइजेज (एमएसएमई) को
िन निल खत तर के से प रभा षत करता है : माइ ो केल बजनेस (एमएसबी)
ऐसे यवसाय ह जनम 0-9 कमचार ह। लघु उ ोग उ म (एसएसई) वे उ म ह
जनम 10-99 कमचार होते ह। म यम तर के उ म वे उ म ह जो 100-499
कमचा रय को रोजगार दे रहे ह

इस कार, सू म यवसाय को एसएमई के छोटे प के प म महसूस कया


जाना चा हए जो 9 से कम िमक को काम पर रख सकता है या दू सर ओर
िमक को ब कुल भी नह ं रख सकता है । छोटे यवसाय के संबंध म, वे
यवसाय ह जो आकार, िमक क सं या, संरचना, पूंजी िनवेश और आिथक
योगदान (अयुबा और जुबै , 2015) के मामले म सू म यवसाय से बड़े ह।

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लघु उ ोग के उ े य
 लघु उ ोग का मु य उ े य रोजगार के अवसर म वृ करते हु ए
बेरोजगार एवं अध बेरोजगार क सम या का समाधान करना है य क
लघु उ म के म धान होने के कारण उनम विनयु पूंजी क इकाई
अपे ाकृ त अिधक रोजगार कायम रखती है ।
 दू सरा मु य उ े य आिथक श का समान वतरण करना है ।
 लघु उ ोग के मा यम से औ ोिगक व े यकरण स भव है । ससे दे श का
आिथक वकास ौ ोिगक स तुलन एवं े ीय ौ ोिगक वषमता को कम
करते हु ए स भव होता है ।
 म धान तकनीक के कारण िमक क बहु तायत रहती है । अतः
आव यक है क वे औ ोिगक शांित क थापना कर।
 लघु उ ोग के मा यम से दे श क स यता एवं सं कृ ित सुर त रहती है ।
अिधकाशतः लधु उ ोग ारा कला मक एवं पर परागत व तुओं का िनमाण
कया जाता है एवं अिधकांशतः ये उ ोग म धान तकनीक पर आधा रत
होते है जससे उ ोग म पार प रक स ावना सहका रता, समानता एवं
ातृ व क भावना को बल िमलता है ।
 लघु उ ोग का मु य उ े य है क वे ाकृ ितक साधान का अनुकूलतम
उपयोग कर।
 मानवीय मू य क से ‘सादा जीवन उ च वचार’ क भावना का सृ जन
कर।
 यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन को अनुकूल बनाने हे तु आव यक है क
ये अ यािधक वदे शी मु ा का अजन कर।
 आम जनता को े व तुएं उपल ध कराना इनका मु य उ े य है ।

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 भारतीय अथ यव था म मह वपूण भूिमका िनभाते हु ए इनका उ े य अिधक
से अिधक े उ पादन करना है ।

भारत म लघु उ ोग के िलए सुझाव

1. टे कनाना: भी भारत म ब च को सीखना सबसे अ छा लघु


यवसाय माना जाता है । आप या तो एक कोिचंग सटर खोल
सकते ह या छा को घर पर अित र क सु वधा दान करके
अ छ आय ा कर सकते ह।
2. वेबसाइट डे वलपर: आज कल हर यवसाय को अपनी ब और
प ाचार म खराबी के िलए एक अ छ वेबसाइट क आव यकता
होती है । य द आपके पास वे पेज का अवलोकन और ान है , तो
आप े डमाक जैसे लेटफॉम (मंच) पर वेबसाइट बनाकर एक छोटा
सा यवसाय शु कर सकते ह। आप अित र आय अ जत करने
के िलए टै ग भी बना सकते ह।
3. दए गए परामश: खोज इं जन का अनुकूलन उन सभी के िलए
आव यक है जो वेब पर अिधक स य होना चाहते ह। िनयो जत
सलाहकार के प म एक छोटे तर पर यवसाय क थापना
सफलता होगी य क िनधा रत सलाहकार क आव यकता समय
के साथ बढ़ रह है । येक लॉगर को इं जन म उ च र कंग ा
करने और अपनी वेबसाइट को अनुकूिलत करने के िलए एक
अ छ मंजूर क आव यकता होती है ।

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4. ांसिमशन क ए सेस: ांस शन स वस कम िनवेश और अिधक
आय के साथ छोटे तर पर यवसाय शु करने के अवसर दान
करती है । कई अंतरा ीय कंपिनयां भारत म अपने कारोबार को
बढ़ाने क उ मीद कर रह ह, जसके िलए उ ह भारत म े ीय
आकाशगंगा म अपने काम को बढ़ाने के िलए व सनीय अनुवाद
सेवाओं क आव यकता है । कुछ े ीय भारतीय आकाशगंगाओं के
साथ एक वशेष अंतरा ीय भाषा/भाषाओं पर एक ठोस पकड़
बनाने क आव यकता है ।
5. मेकअप आ ट ट: इन दन मेकअप आ ट ट के बजनेस म काफ
तेजी आ रह है । जन लोग क इस समुदाय म अिधक दलच पी
है , वे अपने यापार को बढ़ावा दे ने के िलए सोशल मी डया का
उपयोग कर रहे ह। यह एक छोटा सा यवसाय है जो वशेष प
से साझेदार के दौरान अिधक आय क संभावना है । आप या तो
अपना मेकअप टू डयो खोल सकते ह या अपनी सु वधा के आधार
पर एक लांसर ( व छं द कायकता) के प म काम कर सकते
ह।
6. पो ट पो ट: भारत म एक छोटा उ ोग शु करने के िलए पो ट
सबसे अ छा वक प है । क रयर के िलए कई वक प होने के
कारण माता- पता और ब चे अ सर अपने क रयर को लेकर
भटकते रहते ह और पेशेवर मानव से सलाह लेना चाहते ह। आप
अनुभवी सलाहकार और पेशेवर का नेटवक बना सकते ह। माता-
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पता और ब च को दान क जाने वाली सु वधाओं के िलए आप
मामूली शु क ले सकते ह।
7. साम ी लेखन और लॉिगंग: राइ टंग क अ छ राइ टं ग के साथ,
आप साम ी लेखन (कंटट राइ टं ग) और लॉिगंग का यवसाय
खोल सकते ह जससे आप आय और स मान दोन ा कर
सकते ह। यह लोग और द तावेज ारा ऑनलाइन साम ी लेखन
और पो ट के प म ान और राय साझा करने और उसे बढ़ाने
का एक अ छा तर का है ।
8. रसोई सेवा सेवाएँ: य द आपका खाना बनाने म िच है , तो यह
भारत म शु करने के िलए िन त प से एक अ ु त लघु- तर य
यावसाियक वचार है । भारत के भोजन के शौक न लोग क भूिम
है । जैसा क दे श ड जटल हो रहा है यादातर लोग अपना खाना
ऑनलाइन ऑडर करके मंगवाते ह। आपको वगी या फूडपांडा
जैसे ह परपंजीकृ त करना होगा, जो आपके िलए काफ हद तक
सा बत होगा।
9. साइबर सुर ा और आईट सुर ा: य द आपके पास आईट सुर ा
सेवाओं का अ छा ान है , तो आप अपनी इस कुशल को पूण
वकिसत यापार के वचार म बदल सकते ह। ऐसी कई कंपिनयाँ
ह जनके िलए उपयु और कुशल य य क आव यकता होती
है जो ऑनलाइन चोर और है कंग जैसे साइबर खुलासे पर रोक
लगा सकते ह। आप कुशल आईट पेशेवर क एक ट म बना
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सकते ह और समय-समय पर अिधकृ त को साइबर सुर ा कंपिनयां
दान कर सकते ह।
जनश संसाधन: स ा को वरासत के समय जनश संसाधन
दान करने का यवसाय एक अ छा वचार होगा। जन ािधकरण
के पास यो य कमचा रय को रखने ( कराए पर) के िलए पया
समय नह ं है , वो आम तौर पर जनश क भत या से
नौकर ा करते ह। इस तरह के यवसाय को खोलकर, आप
कंपनी को सव े कमचा रय का चयन कर र पद को भरने म
मदद कर सकते ह। इससे यवसाय से अ छ आय ा कर सकते
ह।

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िन कष
हमारे भारत दे श क उ ोग को मजबूत करने म लघु उ ोग क काफ मह वपूण
वशेषताएं ह। वतमान के समय म शहर मानव लघु उ ोग म नौकर करके
रोजगार ा कर रहे ह और अपनी नौकर को दू र कर रहे ह। हमारे भारत दे श म
ऐसे कई युवा ह जो काफ कम उ म ह लघु उ ोग शु कर चुके ह और आज
वह सफलता के िशखर को छू रहे ह।

भारत के रा य और क य सरकार के ारा भी लघु थान को बढ़ावा दे ने के िलए


कई कार क अिधसूचना जा रह है , जसका लाभ युवा वग उठा रहे ह। य द
कसी भारतीय य के पास लघु उ ोग को चालू करने के िलए पैसा नह ं है , तो
सरकार क घोषणा करने वाली विभ न योजनाओं म वह लागू कर सकती है और
लघु उ ोग शु करने के िलए अकेले के तौर पर पैसे ा कर सकती है ।

लघु उ ोग, यह एक ऐसी फ ड है जो सबसे अिधक नौकर लोग को दे ती है ।


हमारे भारत दे श क अथ यव था को मजबूत करने म लघु उ ोग का काफ
मह वपूण करदार होता है । वतमान के समय म बेरोजगार युवक लघु उ ोग म
नौकर करके रोजगार ा कर रहे ह और अपनी रोजगार को दू र कर रहे ह।
हमारे भारत दे श म ऐसे कई युवा है जो काफ कम उ म ह लघु उ ोग टाट
कर चुके ह और आज वह सफलता के िशखर को छू रहे ह।

भारत के टे ट और स ल गवनमट के ारा भी लघु उ ोग को बढ़ावा दे ने के िलए


अनेक कार क क म चलाई जा रह है , जसका फायदा युवा वग उठा रहे ह।
अगर कसी भारतीय य के पास लघु उ ोग को टाट करने के िलए पैसे नह ं
है , तो गवनमट के ारा चलाई जाने वाली विभ न योजना म वह अ लाई कर

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सकता है और लघु उ ोग टाट करने के िलए लोन के तौर पर पैसे ा कर
सकता है ।

इं डया म जो लघु उ ोग है , वह अिधकतर कौशल के ऊपर ह डपड होते ह,


जसके अंतगत य को कसी टे नकल चीज के बारे म िसखाया जाता है और
े िनंग द जाती है और उसके बाद उसे नौकर पर रखा जाता है । लघु उ ोग को
करने के िलए यादा अिधक पैसे क भी आव यकता नह ं होती है । इसिलए कसी
य के पास अगर कम पैसे ह तो भी वह उसी पैसे म लघु उ ोग को टाट कर
सकता है । लघु उ ोग को टाट करने के बाद उसम फायदा ा होने पर य
चाहे तो लघु उ ोग के आकार को और भी बडा कर सकता है और अिधक पैसे
कमाने का यास कर सकता है ।

दे श म व य को पूरा करते हु ए इसे संबंिधत म जोड़ दया गया है । सू म लघु


और म यम उ ोग। रोजगार के अवसर पैदा करने क मता के अनुसार लघु
उ ोग सबसे अिधक रोजगार दे ता है । भारत जैसे जहां दे श म रोजगार अिधक है
तथा म क ज टलताएं ह। नामां कत समय के साथ समाज क आव यकताओं के
अनुसार लघु उ ोग क दशा और उ पाद लगातार दे खते ह।

यह उ ोग मूल प से औ ोिगक कौशल पर आधा रत है । इनम से कम पूंजी,


सं से िश ण और िसिमत मा ा म काम के साथ इसे शु कया जा सकता
है । अपने प रवार के सद य क भागीदार से अ छा उ पादन कया जा सकता है ।
लघु उ ोग के े म आने वाले सह े का चुनाव, चाटर माल क आपूित,
तकनीक ान और बाजार क मु य है ।

भारत म िनवेश सीमा को रहने वाली रणनीितय को सू म/कुट र, लघु और


म यम व य क े णय म वभा जत कया जाता है । आम तौर पर लघु

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उ ोग से हम आज उन छोटे ह से म काम कर रहे ह जनम कुछ लोग कम पूंजी
के साथ शु कर सकते ह। जैसे आपके घर पर साबुन, अगरब ी, लाइट, कूलर,
गु डा आ द बनाना इसके अलावा पार प रक काय जैसे सुनार , लोहार , कु हार ,
बढ़ई, पशु पालन, साड़ व कृ ष कम को भी लघु चौ कय क ेणी म शािमल कर
सकते ह।

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भारत के मु य लघु उ ोग क सूची
भारत के मुख उ ोग लौह-इ पात, जलयान िनमाण, मोटर वाहन, साइ कल,
दबाव , ऊनी व , रे शमी व , वायुयान, आव यकताएं, दवा एवं औषिधयां,
रे लवे इं जन, रे ल इं जन, रे ल के िलए मजबूर, जूट, कागज़, चीनी, सीमे ट,
म ययान, व उ ोग, शीशा, भार एवं आसान रसायन उ ोग तथा रबर
उ ोग ह।
1. पापड़
2. अगरब यां
3. मसाले
4. फनाइल या लोर लीनर
5. िच स और नै स
6. डे यर उ पाद
7. हडलूम उ ोग
8. सैिनटर नैप कन
9. ना रयल का तेल
10. योग िश क
11. गेम पालर
12. क टमाइ ड िग स
13. ऑनलाइन व ापन सेवा यवसाय
14. फ़ूड पालर
15. आइस म और जूस पालर
16. टू र एंड ै वल एजसी
17. बेकर क दु कान

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18. मे डकल टोर
19. कपड़ा बुट क
20. मोबाइल क दु कान
21. खलौन क दु कान
22. मेकअप सैलून
23. फोटो ाफ
24. वे डं ग लानर
25. रयल ए टे ट एजसी
26. फ़ूड स लाई
27. मै रज यूरो
28. जै वक खेती
29. बीमा एजट
30. साबुन बनाना
31. चमड़े के बैग िनमाता
32. कपड़ा िनमाता
33. अचार बनाना
34. आटा उ पादन
35. फन चर बनाना
36. घर म इ ते माल कया जाने वाला कूलर बनाना
37. ए यूमीिनयम से बने हु ए साम ी बनाना
38. हॉ पटल म उपयोग कए जाने वाला े चर बनाना
39. करं ट मापने वाला मीटर या वो ट मीटर बनाना
40. गाड़ म लगने वाली हे डलाइट बनाना
41. कपड़े या चमडे का बैग बनाना

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42. कांटेदार तार बनाना
43. टोकर बनाना इ या द

लघु उ योग संबं धत च

48
49
50
संदभ
1. http://ncert.nic.in>khbs109
2. https://ideashubs.blogspot.com/
3. https://liveinhindi.com/laghu-udyog/
4. https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%98%E
0%A5%81_%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A
4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97
5. https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%98%E
0%A5%81_%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A
4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97
6. https://byjus.com/ias-hindi/small-scale-cottage-industries-in-
hindi/
7. https://www.researchgate.net/publication/27398284_A_Revie
w_of_Small_Business_Literature_Part_1_Defining_The_Sma
ll_Business
8. https://www.ipl.org/essay/Small-Scale-Business-Literature-
Review-PCJJJZ5Z2R

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