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ॐ नम शिवाय ॐ नम शिवाय

ॐ श्री हरि
श्री गणेशाय नमः
शंकर शंकर भोले बाबा
हर हर महादे व सिंधु बिंद ु
शिव शिव शंकर नीलकंठ
हे भयंकर हे महाकाल।
कैलाश से निकली ये लय- प्रलय
मझ
ु नदियों से जीवन हुआ अक्षय ।

इस पत्र का आधार तुम ,प्रेरणा तम



हो भाव तुम ,स्वभाव तम

तुमने तम को हर लिया
जीवन कितना श्रेयस किया
मैं नदी हूं ,मैं नारी हूं
मैं कहाँ समुद्र से हारी हूं ....

• सतलुज
हे दे व दे व हे महादे व
जागी में आज, स्वप्न रहा अधरू ा
यह क्षण हुआ तत्क्षण परू ा
कैलाश के यह शाश्वत स्वर
मेरी डगर मेरा नगर
मैं सतलज
ु ,तम
ु प्रकाश पंज

छिपे शत्रओ
ु ं पर प्रहार  करो।
संहार करो ,संहार करो ..।।

• रावी

शिव शिव शिव बोले हर कंठ


हे नीलकंठ हे नीलकंठ

मैं इरावती, मैं रावी हूं


मैं नारी सदानीरा
मुझे वक्त ने सदा चीरा
यह धरा मुझसे वसुंधरा
फिर क्योंकर इसे संतप्त करा
उत्तर दो अब इस घर में
क्यों ना रहे सदा उत्तर में !!

• चिनाब

दे व दे व महादे व
मैं आब  हूं पंजाब हूँ
चंद्रभागा ,चिनाब हूं।
वह घड़ा फूटा था स्मति
ृ का
शिव -शक्ति की यति
ु का।
जो प्रेम पथ पर नहीं चले
नशे की लत में हुए पगले।
उन्हें कौन दे गा नवजीवन दान
वे यव
ु ा ,वे ही हमारा प्राण।।
आप के साथ धर्म हैं.

शारदा ही श्रम शक्ति का संचार हैं

लक्ष्मी का स्वरूप है आत्मा

आत्मा की आवाज़ प्रभु हैं


दर्ग
ु ति नाशिनी दर्गा
ु जय जय
काल विनाशिनी काली जय जय
उमा रमा ब्रह्माणी जय जय
राधा सीता रुक्मणि जय जय
साम्ब सदाशिव साम्ब सदाशिव
साम्ब सदाशिव जय शंकर
हर हर शंकर दख
ु हर सख
ु कर अघ तम हर
हर हर शंकर
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
जय जय दर्गा
ु जय माँ तारा
जय गणेश जय शुभ आगारा
जयति शिवाशिव जानकी राम गौरी शंकर सीता राम
जय रघुनंदन जय सियाराम ब्रज गोपी प्रिय राधेश्याम
  रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम
 

गंगा

हर हर महादे व जटाधारी
वेग संभाला मैं बलिहारी
ब्रह्म तत्व मुझ में रत
विष्णुपदी अमत
ृ सत
धारण किए मैंने सबके प्रण
मैं नदी नहीं मैं हूं जीवन
फिर आज यह धन बीत रहा
काल मझ
ु े डरा जीत रहा
मझ
ु में सब ने विष डाला है
बांधों ने रोकी अविरल धारा है
हे दे व हे अविचल
भागीरथी मैं ,क्यों ना रहूँ अविरल !!
कोसी

भवानी शंकर कृपा निरं तर


वन्दे श्रीहर वन्दे श्रीहर
कैसा क्रोध ये मझ
ु में छाया है
मनमानी ने कहर ढाया है
सावन भादो में जल बरसे
  बरसों का तप्त हृदय तरसे
  मैं रोके से ना रुकूँ
   दे व कैसे जग की पीड़ा हरूँ!!
  

महानदी

  हे दयानिधे हे पशुपति
   हे दीनबंधु जगतपति
   नमस्ते नमस्ते नमस्ते
   बलदे व सुभद्रा जगन्नाथ
   दे व सदा तुम मेरे साथ
   मैं महानदी मैं महानदी
   जीवित मुझसे यह संस्कृति
    दरू सभी संशय कर दो
    उमंगित होने का अक्षय वर दो
 

  
ब्रह्मपत्र

  शिव शंभू शिव शंभू शिव शंभू शिवोहम


   हे अर्धनारीश्वर हे जटाधारी
   मैं नारी मैं ब्रह्मपुत्र
   मुझ में पुरुष स्वर
   मैं शक्ति रूप चाहूं यह वर
    मैं स्वयंसिद्धा ना रहे कोई डर !!

 
https://www.youtube.com/watch?v=JyoLqozsX 1A&authuser=0
कपूर गौरम करुणावतारं संसारसारं भुजगें द्रहारम ् सदा वसंतम हृदयार विंदे भवं भवानी सहितं
नमामि
गुरुर ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु दे वो महे श्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
जय श्री कृष्णा चैतन्य हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम
हरे हरे
ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पष्टि
ु वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनात मत्ृ योर्मुक्षीय मामत
ृ ात ् ॐ

जय शिव ओंकारा शिव ओंकारा विष्णु सदाशिव हर हर हर महादे व ओम जय शिव ओंकारा

व्यास

तेजस्वरूप सर्व समर्थ हे अंतर्यामी


शांतरूप से नीलकंठ सबके स्वामी
पिंगलनेत्र सर्य
ू स्वरूप शरणागत वत्सल
यह जगत और कुछ नहीं तेरा ही है बल
मैं व्यास तेरा ही उजास
झेल रही कितने संत्रास
तझ
ु से परि
ू त मेरा यह जल
समानता है इसका हल
जल के बंटवारे का दख
ु ढोती हूं
मैं नदी हर पल रोती हूं

नर्मदा

हे परम शिव हे अधिपति


मैं पूर्व से पश्चिम की ओर बहती नदी
मैं रे वा मैं नर्मदा
अमरकंटक का अंश सदा
कंकर कंकर शंकर है
कला का आंगन मेरा घर है
कृष्णा

हे दे व है हरिहर
महाबलेश्वर मेरा घर
कलयुग मुझको लील रहा
मेरा अस्तित्व रीत रहा
ये क्रूर समय की बेला है
यहां हर मानव अकेला है

कावेरी

चिदानंद रुपं शिवोहम शिवोहम


शिवोहम शिवोहम शिवोहम शिवोहम
हरी मुझसे धरती
हूं मैं मां कावेरी
मेरे पुत्र सब हैं
वसीयत ना मेरी
मुझे यूं विवादों में ना उलझाना
मेरी यह विरासत तुम्हारा खजाना

गोदावरी

त्रयंबकेश्वर हे त्रिशल
ू धारी
मैं तीर्थों की भमि
ू मैं गोदावरी
मैं गौतमी में गंगा
मैं मर्यादित नारी
शिव आपकी ही लय से
हैं दनि
ु या यह सारी!!
ता थैया ता थैया नाचे भोला
बम बम बम बाजे गाल
डम डम डम डम डम डम डमरु बाजे
दलि
ु छे कपाल माल
गरजे गंगा जटा माझे
उगरे अनल त्रिशल
ू राजे
धक धक धक मौलीबंध
ज्वले शशांक भाल
सबका मंगल करो हे कृपाल
सबका मंगल करो हे कृपाल !!

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