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तुलसी वृक्ष ना
जानिये।
गाय ना जानिये
ढोर।।
गुरू मनुज ना
जानिये।
ये तीनों
नन्दकिशोर।।
अर्थात-
तुलसी को कभी
पेड़ ना समझें
गाय को पशु
समझने की
गलती ना करें
और गुरू को
कोई साधारण
मनुष्य समझने
की भूल ना करें,
क्योंकि ये तीनों
ही साक्षात
भगवान रूप हैं।
!! ॐ
नमः भगवते
वासुदेवाय नमः
।।
से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं.। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुसली अत्यधिक प्रिय है.। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है. । क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बि
जाती है. । क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बिना तुलसी दल के पूर्ण नहीं होता है. । तुलसी की प्रतिदिन का पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है.। मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुल
परा है.। मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है. कभी कोई कमी महसूस नहीं होती.।