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सुरक्षा
क्रम ऄध्याय पृष्ठ संख्या
संख्या

1. संचार नेटवकक के माध्यम से अंतररक सुरक्षा को चुनौती 1-14

2. मनी लॉन्ड्रिंग 15-30

3. साआबर सुरक्षा 31-57

4. अंतररक सुरक्षा चुनौततयों में मीतडया और सामातजक नेटवर्ककग साआटों


58-75
की भूतमका

5. सुरक्षा चुनौततयां और सीमा क्षेत्रों में ईनका प्रबंधन 76-104

6. तवकास और फै लते ईग्रवाद के बीच संबध


ं 105-141

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संचार नेटवकक के माध्यम से अंतररक सुरक्षा को चुनौती

तवषय सूची
1. पररचय ____________________________________________________________________________________ 3

2. संचार नेटवकक क्या है___________________________________________________________________________ 3

3. अधुतनक जगत में संचार नेटवकक की भूतमका __________________________________________________________ 3

3.1. तवशेष तवषय - स्माटक शहर में संचार नेटवकक ________________________________________________________ 4

4. संचार नेटवकक के तलए खतरे ______________________________________________________________________ 4

4.1. प्राकृ ततक खतरे (Natural Threats) ____________________________________________________________ 4

4.2. मानव-प्रेररत खतरे (Human induced threats) __________________________________________________ 5

5. संचार नेटवकक सुरक्षा का महत्व____________________________________________________________________ 6

6. संचार नेटवकक की सुरक्षा सुतनतित करने में चुनौततयााँ ____________________________________________________ 8

7. हाल की घटनाएाँ (Recent Developments) ________________________________________________________ 9

8. अगे की राह (Way Forward) __________________________________________________________________ 10

9. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 10

10. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न ________________________________________ 14

11. सरदभक (References)_______________________________________________________________________ 14


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1. पररचय
संचार नेटवकक महत्वपूणक सूचना ऄवसंरचना (Critical Information Infrastructure:CII) का तहस्सा
हैं और यह ऄरय महत्वपूणक ऄवसरंचनाओं जैसे उजाक; पररवहन; बैंककग एवं तवत्त; दूरसंचार; रक्षा;
ऄंतररक्ष; कानून प्रवतकन, सुरक्षा और असूचना; संवेदनशील सरकारी संगठन; सावकजतनक स्वास््य;
जलापूर्तत; महत्वपूणक तवतनमाकण; इ-शासन अदद के कनेतक्टतवटी के तलए ऄत्यंत महत्वपूणक हैं। संचार
नेटवकक के प्रतत जोतखम, नेटवकक के माध्यम से होने के साथ-साथ नेटवकक के तलए भी हो सकते हैं।
दूरस्थ स्थानों से संचातलत या समतरवत साआबर-हमलों में आन महत्वपूणक संचार नेटवकों को जोतखम में
डालने का और आन पर तनभकर महत्वपूणक ऄवसंरचनाओं को बातधत करने का साम्यक होता है। भारत में,
जहााँ अतंकवाद, ईग्रवाद, नक्सलवाद, शत्रु राष्ट्र द्वारा दकये गए कतथत साआबर हमलें अदद के रूप में
तवतभन्न जोतखम पहले से तवद्यमान हैं, वहां संचार नेटवकक की सुरक्षा अंतररक सुरक्षा के तलए महत्वपूणक
चुनौततयां प्रस्तुत करता है।

2. संचार नेट वकक क्या है


(What is Communication Network)
संचार नेटवकक आलेक्रॉतनक यंत्रों और ईपकरणों का ऄंतःसंयोजन है जो ईरहें डाटा, वाआस और वीतडयो
के रूप में सूचना को संचाररत करने में सक्षम बनाता है। नेटवकक ऄवसंरचना में हाडकवेयर और सॉफ्टवेयर
संसाधन जैसे मोबाआल, लैपटॉप, संवेदक सेंसर, सवकर, वेब एप्लीके शन, ईपग्रह, SCADA, LAN,
WAN और ऑतप्टक फाआबर नेटवकक आत्यादद सतममतलत हैं। यह ईपयोगकताकओं, प्रदक्रयाओं, ऄनुप्रयोगों,
सेवाओं और बाहरी नेटवकों/आंटरनेट के बीच संचार मागक और सेवाएं प्रदान करता है।
महत्वपूणक ऄवसंरचना या दक्ररटकल आं फ्रास्रक्चर (CI) - IT ऄतधतनयम 2000 की धारा 70 के तहत,
महत्वपूणक सूचना ऄवसंरचना (CII) को आस प्रकार पररभातषत दकया गया है: "ऐसा कं प्यूटर संसाधन,
तजसकी ऄक्षमता या तवनाश, राष्ट्रीय सुरक्षा, ऄथकव्यवस्था, सावकजतनक स्वास््य या सुरक्षा पर दुष्प्प्रभाव
डालेगी।"
भारत में संचार प्रौद्योतगदकयों और सूचना प्रणातलयों के बढ़ते ऄतभसरण के साथ, महत्वपूणक क्षेत्रक
ऄपने CII पर तेजी से तनभकर हो रहे हैं। ये CII तवतभन्न भौगोतलक स्थानों पर परस्पर संबद्ध, परस्पर
तनभकर, जरटल और तवतररत होते हैं। अतंकवादी हमलों से लेकर संगरठत ऄपराध, जासूसी,
दुभाकवनापूणक साआबर गतततवतधयों अदद से CII को होने वाले जोतखम तनरंतर बढ़ रहे हैं। आन CII की
दक्रयाशीलता में होने वाले दकसी भी प्रकार के तवलंब, तवरूपण या व्यवधान में ऄरय CII को भी
सोपानी रूप से प्रभातवत कर राजनीततक, अर्तथक, सामातजक या राष्ट्रीय ऄतस्थरता पैदा करने की
क्षमता है। आस प्रकार CII और राष्ट्र की महत्वपूणक ऄवसंरचनाओं की सुरक्षा सरकार की सवोच्च च न्ड्चताओं
में से एक है।

3. अधुतनक जगत में संचार नेट वकक की भूतमका


(Role of Communication Network in Today’s World)
 महत्वपूणक ऄवसंरचना क्षेत्रकों द्वारा, संचार नेटवकक का ईपयोग के वल सहायक कायों के तलए ही
नहीं ऄतपतु प्रत्येक महत्वपूणक कायक के तलए दकया जाता है, चाहे वह कायक मानव संसाधन प्रबंधन,
ईत्पादन, पररयोजना प्रबंधन या व्यावसातयक तवश्लेषण से संबतरधत हो।
 यह वाआस और डाटा संचार को सक्षम बनाता है।

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 तवत्तीय क्षेत्र तेजी से तडतजटल प्रौद्योतगदकयों जैसे नेट बैंककग, एटीएम नेटवकक आत्यादद का ईपयोग
कर रहा है और ये संचार नेटवकक पर तनभकर हैं। बैंककग क्षेत्रक की संचार ऄवसंरचना पर कोइ भी
ऄततक्रमण भारत की तवत्तीय तस्थरता के तलए खतरा पैदा कर सकता है।
 यह ऄवसंरचना प्रणातलयों, ईपप्रणाली और घटकों को आस प्रकार संयोतजत करता है दक वे बाद में
ऄत्यतधक परस्पर संबद्ध और परस्पर तनभकर हो जाते हैं। ईदाहरण के तलए, संचार नेटवर्ककग
प्रौद्योतगदकयों का ईपयोग करके तवद्युत क्षेत्र, स्माटक तग्रड में बदल रहा है।
 आसी प्रकार, स्माटक तसटी, स्माटक कृ तष अदद परस्पर संबद्ध प्रणातलयों पर बहुत ऄतधक तनभकर हैं।
 बडी-बडी औद्योतगक और तवतनमाकण सुतवधाएं भी स्वचालन (ऑटोमेशनक का ईपयोग करती हैं
और आस प्रकार सूचना ऄवसंरचना पर तनभकर करती हैं|
 आसके ऄततररक्त, सरकार, राष्ट्रीय इ-गवनकमेंट प्लान, तडतजटल आंतडया, इ-क्रांतत अदद जैसे तवतभन्न
कायकक्रमों के माध्यम से इ-गवनकमेंट के तनमाकण में ऄत्यतधक संसाधनों का तनवेश कर रही है।
 आस प्रकार, नेटवकक ऄवसंरचना संपूणक महत्वपूणक ऄवसंरचना का अधार बन गइ है और यह हमारे
जीवन में सवकत्र व्याप्त है।

3.1. तवशे ष तवषय - स्माटक शहर में सं चार ने ट वकक

(Special Case-Communication Network in the Smart city)


संचार, स्माटक शहरों में ऄतत महत्वपूणक भूतमका तनभाते हैं। यातायात की तस्थतत को प्रसाररत करने से
लेकर, वायु की गुणवत्ता के अंकडों को प्रदर्तशत करने , और नागररकों को ऐप्स या कं प्यूटरों के माध्यम से
सुदरू सेवाएाँ प्रदान कराने तक संचार, एक स्माटक शहर के प्रत्येक पहलू को संचातलत करता है। संचार
संबंधी ऄवसंरचनात्मक नेटवकक दकसी शहर को भतवष्प्य का शहर बनाते हैं।
भारतीय स्माटक शहरों के तलए संचार नेटवकक में सतममतलत हैं-
 तारयुक्त नेटवकक - ऑतप्टकल फाआबर नेटवकक
 तार-रतहत नेटवकक - 4G, 5G, वाइ-फाइ
 सैटेलाआट नेटवकक
 मशीनों में पारस्पररक कनेतक्टतवटी
 MAN, WAN, PAN, HAN सतहत तवतभन्न नेटवकक
 समर्तपत संसाधन तजरहें महत्वपूणक संचार या अपात तस्थततयों व अपदाओं के दौरान संचार के
तलए अबंरटत दकया जा सकता है।
4. संचार नेट वकक के तलए खतरे
(Threats to Communication Networks)
चूंदक संचार नेटवकक की तवफलता के कारण होने वाली क्षतत बहुत ऄतधक होती है, आसतलए व्यवधान
(भंगक ईत्पन्न करने के तलए ये क्षमतावान सॉफ्ट टारगेट होते हैं। नेटवकक ऄवसंरचना के प्रतत खतरे को
व्यापक रूप से दो श्रेतणयों में वगीकृ त दकया जा सकता है: प्राकृ ततक खतरे और मानव प्रेररत खतरे ।

4.1. प्राकृ ततक खतरे (Natural Threats)

प्राकृ ततक खतरों में बाढ़, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय गतततवतधयां सतममतलत हैं। ये प्राकृ ततक अपदाएं
भौततक रूप से संचार नेटवकक को क्षतत पहुंचा सकती हैं। ईदाहरण के तलए, एक ICT द्वारा संचातलत
स्माटक तसटी में, यदद एक मामूली भूकंप स्थानीय दूरसंचार टावरों को तोड देता है, तो यह ICT पर
तनभकर सभी ईपयोगी सेवाओं को बातधत कर देगा। जैसे , तबजली और जल अपूर्तत अदद। स्थानीय
ATM और बैंककग सेवाएं काम करना बंद कर सकती हैं। आसी प्रकार, सौर तूफान, पृ्वी की पररक्रमा
कर रहे संचार ईपग्रहों को क्षतत पहुंचा सकते हैं और यह ईपग्रह संचार पर तनभकर सभी क्षेत्रों को
प्रभातवत करेगा जैसे मौसम पूवाकनुमान, मोबाआल सेवाएं, DTH, टेली-मेतडतसन अदद।

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4.2. मानव-प्रे ररत खतरे (Human induced threats)

 तवतभन्न कताक संचार नेटवकक के तलए खतरे का काम कर सकते हैं, जैसे -
o ऄसंतुष्ट कमकचाररयों/सोशल आंजीतनयररग द्वारा मनोवैज्ञातनक रूप से भडकाकर फं साए गए
कमकचाररयों के रूप में संगठन के कार्तमक
o अर्तथक, सैरय या तवरोधी राष्ट्र
o अतंकवादी संगठनों से समबद्ध अपरातधक समूह
 खतरों के प्रकार- आसमें दुभाकवनापूणक कताकओं द्वारा हातन या क्षतत के आरादे से तसस्टम तक पहुंच
प्राप्त करने के सभी प्रयास सतममतलत हैं। खतरा पैदा करने वाले कताक नेटवकक में वांतछत स्थान तक
पहुंच प्राप्त करने के तलए एतप्लके शन सॉफ्टवेयर, तनयंत्रण प्रणाली सॉफ्टवेयर, हाडकवेयर या यहां
तक दक संगठनों के व्यतक्तयों के भीतर ऄंतर्तनतहत तवरोधों का लाभ ईठाते हैं।
 एक बार नेटवकक को भंग करने या तनयंतत्रत करने के बाद वे कमांड दे सकते हैं , तडजाआन या

तवरयास (configuration) जैसी संवेदनशील जानकारी चुरा सकते हैं या आंटरफे स में ईपलब्ध
जानकारी को ईपयोगहीन (करप्टक बना सकते हैं।
 सभी कताकओं की ऄलग-ऄलग क्षमताएं तथा योग्यताएं होती हैं। एक राष्ट्र के पास दीघककातलक
पररचालनों को संचातलत करने तथा ईसे संधारणीय बनाए रखने के अवश्यक तकनीकी साधन एवं
ईपाय होते हैं, तजनमें जासूसी, डेटा या प्रत्यायक (क्रेडेंश््सक की चोरी तथा हमलों का तनष्प्पादन
एवं तनगरानी सतममतलत हैं।
 अतंकवादी संगठनों पर बाजार में ईपलब्ध पेशेवर कौशल तक सरल पहुंच के कारण CII पर
हमला करने के ऄपराध में सक्षम होने का भी अरोप है।
नेटवकक ऑपरेशन आंफ्रास्रक्चर में संभातवत लक्ष्य तनम्नतलतखत होते हैं-
 राईटर, तस्वच, फायरवॉल, मोबाआल फोन, डेटाबेस, डोमेन नेम तसस्टम (DNS) सवकर के रूप में

तडवाआस या ईपकरण;

 वेब पोटकल, प्रोटोकॉल, पोटक तथा संचार चैनल;

 सैटेलाआट नेटवकक संचार प्रणाली;

 क्लाईड-अधाररत सेवाओं जैसे नेटवकक ऄनुप्रयोग;

 SCADA
अंतकी हमलों के ईदाहरण और ईनके प्रभाव
 व्डक रेड सेटंर पर 9/11 के अक्रमण ने बैंककग, तवत्त, दूरसंचार, अपातकालीन सेवाओं, हवाइ और
रेल यातायात के साथसाथ उजाक एवं जलापूर्तत को सीधे -सीधे प्रभातवत दकया।
 मुंबइ और लंदन के शहरी यायायात व्यवस्था पर अक्रमण ने अम जनजीवन को प्रभातवत दकया।
मानव जतनत खतरों के कताकओं का वगीकरण
यद्यतप, मानव जतनत खतरे के कताकओं के बीच कोइ स्पष्ट भेद नहीं है, परंतु आरहें व्यापक रूप से
तनम्नतलतखत के रूप में वगीकृ त दकया जा सकता है -
 अतंकवादी संगठन एवं गैर-राज्य कताक
अमतौर पर एक अतंकवादी संगठन का प्राथतमक ईद्देश्य पीतडतों के साथ-साथ सामारय जनों को भी
करना होता है। संचार नेटवकक पर हमला (भौततक या साआबरक पीतडतों व जन सामारय के मनोतवज्ञान
पर प्रभावी तथा दूरगामी प्रभाव डालता है। आस प्रकार, अतंकवाददयों का ईद्देश्य पूरा होता है।

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तशतक्षत युवाओं के बीच बढ़ते कट्टरपंथीकरण या ईग्रवाद के साथ ही, आन अतंकवादी संगठनों के पास
कं प्यूटर, नेटवकक व प्रोग्रान्ड्मग के ऄच्छे कामकाजी ज्ञान रखने वाले मानव संसाधनों तक सरल पहुंच हो
गइ है। वास्तव में, आस्लातमक स्टेट ऑफ आराक एंड सीररया (ISIS) एवं लश्कर-ए-तैयबा जैसे कु छ समूह
स्माटकफोन के तलए ऄपने स्वयं के सुरतक्षत संचार ऄनुप्रयोग तवकतसत करने के तलए जाने जाते हैं।

साआबर क्षमताओं को प्राप्त करने वाले राज्य


कइ देशों ने अक्रामक साआबर क्षमताओं को तवकतसत करने के तलए संस्थानों की स्थापना की है। संयुक्त
राज्य ऄमेररका ने अक्रामक क्षमताओं के तलए यूएस साआबर कमांड (USCYBERCOMM) का गठन
दकया है। पररणामस्वरूप, दतक्षण कोररया ने 2009 में साआबर वारफे यर कमांड बनाया, यह ईत्तर
कोररया की साआबर युद्ध आकाआयों के तनमाकण का भी प्रत्युत्तर था। तिरटश सरकार संचार मुख्यालय
(GCHQ) तथा फ्रांस ने भी साआबर बल की तैयारी अरं भ कर ददया है। रूस सदक्रय रूप से साआबर युद्ध
की तैयारी कर रहा है। 2010 में चीन ने USCYBERCOMM के तनमाकण के प्रत्युत्तर में रक्षात्मक
साआबर युद्ध व सूचना सुरक्षा को समर्तपत ऄपना पहला तवभाग अरंभ दकया। आस प्रकार, यह होड पूरे
तवश्व में है।

तवरोधी राज्यों के समथकन के साथ ही, अतंकवादी समूह ऄतधक प्रामातणक खतरे बन गए हैं क्योंदक
पयाकप्त तवत्तीय संसाधनों तथा प्रौद्योतगकी व कौशल तक ईनकी सरल पहुंच है।
अतंकवादी संगठनों के ऄततररक्त, साआबर ऄपराधी भी महत्वपूणक समझे जाने वाली सूचना
ऄवसंरचनाओं के तलए सीधा खतरा हैं। ईनका मुख्य ईद्देश्य मौदिक लाभ है, तजसका दकसी भी तवरोधी
(अतंकवादी समूह या राष्ट्रक द्वारा सरलता से लाभ ईठाया जा सकता है।
 राज्य प्रायोतजत कताक
संसाधनों पर ईनके तनयंत्रण के कारण राष्ट्र सूचना ऄवसंरचना के तलए सबसे शतक्तशाली खतरा हैं।
दकसी भी पररतस्थतत में एक-दूसरे के CII को लतक्षत करने से राष्ट्रों को रोकने के तलए तवश्व स्तर पर
सवकसममत मानदंडों या कानूनी ईपायों की ऄनुपतस्थतत में CII एक अकषकक लक्ष्य बना हुअ है। आन
पररतस्थततयों में, साआबर-अधाररत हमलों में युद्ध जैसा प्रभाव ईत्पन्न करने की क्षमता है, क्योंदक ईनका
ईपयोग राष्ट्रों को ऄतस्थर करने के तलए दकया जा सकता है।
हाल ही में, एडवांस्ड परतसस्टेंट थ्रेट्स (APT) ने खतरे के पररदृश्य को पूणकरूपेण बदल ददया है। ये
राज्य प्रायोतजत ऄतभयान हैं और महत्वपूणक सूचना ऄवसंरचना, तवशेष रूप से संचार नेटवकक पर लतक्षत
हैं। APT, SQL आंजेक्शन, मैलवेयर, स्पाआवेयर, दफन्ड्शग तथा स्पैम सतहत तवतभन्न प्रकार की तकनीकों
का ईपयोग करके घुसपैठ तथा सूचना चोरी के पररष्प्कृत, लतक्षत तथा लंबे समय के प्रयास हैं। APT के
हमले संवेदनशील सवकरों में घुसपैठ करते हैं, जैसे इमेल सवकर। वे आस प्रकार से तडजाआन दकए गए होते हैं
दक प्रशासकों से कभी-कभी वषों तक तछपे रहते हैं। चूंदक APT बेहद ईन्नत व तनयोतजत रूप से तथा
सतकक तापूवकक तनष्प्पाददत होते हैं, वे शायद ही कभी कोइ संकेत छोडते हैं। आसतलए सुरक्षा एवं फोरेंतसक
के पारंपररक साधनों को वे ऄक्षम कर देते हैं। APT का ईपयोग औद्योतगक संचालन में व्यवधान या
यहां तक दक औद्योतगक ईपकरणों के तवनाश के तलए भी दकया जा सकता है।

5. संचार नेट वकक सुर क्षा का महत्व


(Importance of Securing Communication Networks)
 संचार नेटवकक , तडतजटल पररवेश का अधार तनर्तमत करते हैं। समग्र साआबर सुरक्षा सुतनतित करने
के तलए, सभी प्रकार के संभातवत खतरों (मानव व प्राकृ ततकक से संचार नेटवकक को सुरतक्षत करना
अवश्यक है।

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एस्टोतनया का मामला
संचार नेटवकक की तवफलता के प्रभाव की प्रबलता को 2007 के एस्टोतनयन मामले से समझा जा सकता

है। यह संचार नेटवकक से सबसे सघनतापूवकक जुडे देशों में से एक है तथा इ-सरकार, आंटरनेट वोरटग तथा

ऑनलाआन बैंककग लेनदेन (98 प्रततशतक जैसी सुतवधाओं में ऄग्रणी है। भारत भी ईसी मागक का पालन
करने का आच्छु क है।
2007 में, एस्टोतनया ने आंटरनेट रैदफक में बडे पैमाने पर वृतद्ध देखी गयी, तजससे ईसके बैंकों,

प्रसारणकताकओं, पुतलस, संसद और मंत्रालयों के नेटवकक धराशायी हो गए। आस हमले के लक्ष्य पर आसका
बुतनयादी सूचना ढांचा था। आस हमले ने एस्टोतनया को व्यावहाररक रूप से ठहराव की तस्थतत में पहुंचा
ददया था।

 राष्ट्रीय सुरक्षाः संचार नेटवकक में व्यवधान देश की तस्थरता को प्रभातवत कर सकता है, तवशेष रूप
से यदद महत्वपूणक क्षेत्रकों वाले संचार नेटवकक लतक्षत हों। संचार नेटवकक की तवफलता सुरक्षा
एजेंतसयों को ऄप्रभावी करने की क्षमता रखती है। आसे तनम्नतलतखत द्वारा समझा जा सकता है -
o सुरक्षा एजेंतसयां पदानुक्रम का पालन करती हैं तथा कमांड की कु छ श्रृंखलाएं होती हैं।
जानकारी (क्षैततज तथा लंबवतक के अदान-प्रदान के तलए सुरक्षा बल व एजेंतसयां वायरलेस
हैंडसेट जैसी संचार तकनीकों का ईपयोग करती हैं। आन ईपकरणों के तलए सुदढ़ृ संचार नेटवकक
ऄवसंरचना की अवश्यकता होती है। आस प्रकार के संचार नेटवकक ऄवसंरचना पर हमले का
सुरक्षा एजेंतसयों की कायक क्षमताओं पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है।
o ऐसी तवफलताओं के कारण स्थानीय खुदफया ऄतधकारी द्वारा एकत्र खुदफया सूचनाएं तनणकय
लेने वाले सक्षम ऄतधकाररयों तक नहीं पहुंचाइ जा सकती हैं। पररणामस्वरूप तनणकय लेने में
देरी से सेनाओं तथा ऄतधकाररयों को समय पर सुधारात्मक कारक वाइ में बाधाओं का सामना
करना पड सकता है।
 बढ़ती परस्पर तनभकरताः पररवहन, संचार तथा सरकारी सेवाओं जैसे सभी महत्वपूणक क्षेत्रक तवद्युत

अपूर्तत की ऄपनी मूल अवश्यकता के तलए तवद्युत/उजाक क्षेत्रक पर तनभकर करते हैं। रेलवे, हवाइ
ऄड्डे तथा संचार प्रणातलयों जैसे तस्वन्ड्चग सेंटर या टेलीफोन एक्सचेंज को उजाक आरहीं से प्राप्त होता
है। एक परस्पर तनभकर कायक प्रणाली में तवद्युत क्षेत्र स्वयं ईंधन की अपूर्तत के तलए पररवहन पर
तनभकर रहता है तथा ऄपने डेटा के प्रसारण के तलए या संचरण/ तवतरण नेटवकक को बनाए रखने के
तलए संचार पर तनभकर रहता है। आसी प्रकार, सरकार सभी मौदिक अवश्यकताओं के तलए बैंककग
व तवत्तीय सेवाओं पर तनभकर रहती है। बैंककग क्षेत्र प्रौद्योतगकी द्वारा संचातलत है तथा संचार क्षेत्रक
बैंककग के तनबाकध पररचालनों में महत्वपूणक भूतमका तनभाता है।
 तडतजटल संप्रभुता की रक्षाः व्यतक्तगत पररप्रेक्ष्य में तडतजटल संप्रभुता, कौन-सा डेटा एकत्र,

तवतररत, ईपयोग या सहेजा जा सकता है, आसके तवषय में आंटरनेट ईपयोगकताकओं द्वारा स्वतंत्र
रूप से तनणकय लेने के तनयंत्रण एवं ऄतधकार से संबंतधत है। चूंदक ये सभी डेटा संचार नेटवकक पर
ईपलब्ध हैं, आसतलए संचार नेटवकक के ऄसुरतक्षत होने पर लोगों की तडतजटल संप्रभुता प्रभातवत
होगी।
 तडतजटल प्रौद्योतगकी को तवश्वासनीय बनानाः आंटरनेट हमारे जीवन के सभी पहलुओं में प्रवेश कर
रहा है तथा सरकार भी ऄपने लोगों को तडतजटल सेवाओं, जैसे महत्वपूणक दस्तावेजों को संग्रतहत

करने के तलए तडजी-लॉकर, का ईपयोग करने के तलए प्रोत्सातहत कर रही है। लोगों द्वारा आन
सेवाओं का ईपयोग करने तथा ऐसी पहल में भाग लेने के तलए तडतजटल संचार पर लोगों के
तवश्वास को बनाए रखने के तलए आन संचार नेटवकक को सुरतक्षत करना अवश्यक है।

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6. संचार नेट वकक की सुर क्षा सु तनतित करने में चुनौततयााँ


(Challenges in Securing Communication Network)

संचार नेटवकक सुतनतित करने की प्रदक्रया में कइ चुनौततयााँ है; ईनमे से कु छ पर नीचे चचाक की गइ है:
 ईपकरणों और प्रौद्योतगकी का तवदेशी स्रोतों पर तनभकर रहन: संचार प्रणाली के ऄतधकांश
सॉफ्टवेयर और हाडकवेयर ऄरय देशों से अयात दकये जाते हैं (कु ल दूरसंचार ईपकरणों के अयात में
चीनी ईपकरणों का 60% भाग हैक। हाल ही में, भारतीय तवद्युत् और आलेक्रॉतनक तनमाकता

एसोतसएशन (IEEMA) ने तवद्युत् तग्रड के संचालन और प्रबरधन में तवदेशी स्वचालन और संचार

व्यवस्था के बढ़ते ईपयोग से महत्त्वपूणक तवद्युत् सरंचना में “सुरक्षा संबंधी खतरे ” पर प्रकाश डाला
था। आन संचार ईपकरणों में तवद्यमान दकसी मैलवेयर और स्पाइवेयर को दकसी भी समय ररमोट
द्वारा सदक्रय दकया जा सकता है।
 पररवर्ततत होती तकनीकी: प्रौद्योतगकी तवकास की गतत का ऄथक है सुरक्षा प्रणातलयों के तलए
तनरंतर खतरों का तवकतसत होना। आसके कारण तनरंतर ऐसी सुरक्षा प्रणातलयों को तवकतसत दकया
जाता है जो आन हमलों को तनष्प्फल कर सकें । लेदकन यह एक करठन कायक बन जाता है क्योंदक
हमलावर के पास ऄनाम बने रहने की सुतवधा है और प्रणाली को लतक्षत करने के तलए व्यापक
तवक्प ईपलब्ध हो सकते हैं।
 राज्य और गैर-राज्य कताकओं की संतलप्तता: अजकल के खतरे और ईनकी पहचान और लक्ष्यों के
सरदभक ऄस्पष्ट, ऄतनतित और ऄव्यक्त हैं। जहााँ राष्ट्रों के पास व्यापक राजनीततक और सुरक्षा संबंधी

प्रेरण हो सकते है, लेदकन गैर-राज्य कताकओं के पीछे तनतहत प्रेरणों को समझना करठन है और यह
मौदिक लाभ से प्रेररत अतंकवाद या संकीणक राजनीततक एजेंडा भी हो सकता है।
 परस्पर तनभकरताओं की ऄपयाकप्त समझ: महत्त्वपूणक ऄवसंरचना के जरटल होने के कारणों में से यह
एक है। ऄंतरक्षेत्रक और ऄंतराक्षेत्रक तनभकरताओं को समझने के तलए वैज्ञातनक तवश्लेषण और
ईपकरणों की कमी प्राथतमक कारण है, आसीतलए हमारी सुरक्षा एजेंतसयां परस्पर तनभकरताओं को
समझ नहीं पायी हैं।
 सरंचनात्मक चुनौततयााँ: भारत को सरंचनात्मक चुनौततयों का भी सामना करना पडता है। यहां
संघ और राज्यों के बीच शतक्तयों का सीमांकन है और सुरक्षा एजेंतसयों की बहुतायत है।
o संघवाद – साआबरस्पेस भौगोतलक सीमाओं से परे होता है। साआबर सुरक्षा 7वीं ऄनुसूची की

तीनों सूतचयों में कहीं भी तवतशष्ट रूप से दकसी एक में भी सूचीबद्ध नहीं है। आस कारण से , कइ
बार कें ि सरकार को ऄपनी तवतभन्न पहलों के तवरोध में राज्य सरकारों से चुनौती का सामना
करना पडता है। राज्य सरकारों की प्रमुख न्ड्चता भारत की संघीय राजनीतत को सरंतक्षत रखने
की होती है। ईदाहरण के तलए जब सुरक्षा एजेंतसयों के बीच असूचना समरवय के तलए
NATGRID की स्थापना की गयी थी तो राज्य सरकारों ने आसका तवरोध दकया था।
o सुरक्षा एजेंतसयों के बीच समरवय: सरकारी क्षेत्रक के तवतभन्न तवभागों और मंत्रालयों के साथ-
साथ तनजी तवतभन्न संगठनों ने साआबर सुरक्षा एजेंतसयों की स्थापना की है, जो स्वयं ऄपने
ऄतधदेश और तहतों की सेवा के तलए ऄतधक संरेतखत हैं। आस प्रकार का खंतडत दृतष्टकोण बहुत
बडी चुनौती बनता है, क्योंदक ये सब एजेंतसयां ऄपनी-ऄपनी सीमा में कायक करती हैं और
ऄपने तहतधारकों के छोटे समूहों के ऄनुरूप ही नीततयााँ तैयार करती हैं।
o साआबर खतरों का अकलन कर सकने और ईसके प्रतत प्रभावी ऄनुदक्रया दे सकने वाले राष्ट्रीय
सुरक्षा अर्ककटेक्चर का भी ऄभाव है।

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 सूचना ऄवसरंचना का एक महत्त्वपूणक भाग का स्वातमत्व और संचालन तनजी क्षेत्रक के पास है,
जैसे दूरसंचार क्षेत्रक (ऄतधकााँश तनजी क्षेत्रक का हैक , बैंककग क्षेत्रक (बडी संख्या में तनजी बैंक हैंक,
स्टाक एक्सचेंज, उजाक ईपयोतगताएं अदद। ईरहें सुरक्षा ऑतडट, ऄरय तवतनयमन और ऄरय फ्रेमवकक
ईनकी ऄपनी लागत में वृतद्ध के रूप में ददखाइ देती है।
o सरकार ऄपने CII को सुरतक्षत करने का कायक ऄके ले तनजी क्षेत्रों के हाथों में नहीं छोड सकती।
ईदाहरण के तलए यदद दकसी तनजी स्वातमत्व के CII पर साआबर हमला होता है तो ईसके
दुष्प्प्रभाव पूरे देश पर होगा, ईसका प्रभाव तनजी स्वातमत्व की CII तक ही सीतमत नहीं
रहेगा। ईदाहरण के तलए यदद दकसी राष्ट्रीय स्टाक एक्सचेंज पर साआबर हमला होता है तो
ईससे समभवतः सभी व्यवसातयक संचालन ठप्प हो सकते हैं। यह ऄथकव्यवस्था को प्रभातवत
करेगा और तनवेशकों के बीच अतंक व्याप्त हो जाएगा।
o साआबर सुरक्षा बेहतर बनाने हेतु प्रोत्साहनों का ऄभाव: प्रततस्पधी बाजारों की तुलना में
ऄसंगत बाजारों में तनजी फमों द्वारा साआबर सुरक्षा में पयाकप्त तनवेश की ऄत्यंत कम समभावना
होती है। ईदाहरण के तलए तबजली कमपतनयों और ऄरय प्रदाताओं के समक्ष बहुत कम
प्रततस्पधाक होती है; दकसी भी ग्राहक को अमतौर पर एक ही तबजली कमपनी द्वारा सेवा दी
जाएगी। लाभप्रद बाजार शतक्तयों की यह ऄनुपतस्थतत आस बात की व्याख्या करती है दक
सावकजतनक ईपयोतगताएं प्रायः तबना लागत के सुरक्षा ईपायों को कायाकतरवत करने में क्यों
तवफल रहती हैं।
o तवतनयमों का खराब प्रवतकन –तनजी क्षेत्रक सरकारी तवतनयामकों को ऄपने संगठनात्मक
ईद्देश्यों के मागक में बाधा के रूप में देखते हैं क्योंदक ईनका संगठनात्मक ईद्देश्य मु ख्यतः ऄपने
तहतधारकों को लाभ प्रदान करने का ही होता है। आसतलए, महत्त्वपूणक ऄवसरंचनाओं को
पररचातलत करने वाली कइ फमों की साआबर सुरक्षा में बहुत कम तनवेश करने की भावना
रहती है। वे जान बूझकर तनयमों के कतमयों को ढू ंढते हैं और पररचालन की लागत में कमी
करने के तलए ईनसे बच कर तनकलते हैं। आसके ऄततररक्त सरकारी एजेंतसयों के पास परीक्षण
क्षमता की कमी नेटवकक संचालकों को सस्ता, पररतु सुभेद्य संचार ईपकरण खरीदने में
सहायता करती है।

7. हाल की घटनाएाँ (Recent Developments)


भारत ने हाल के वषों में ऄपनी संचार ऄवसरंचना की सुरक्षा हेतु ऄपनी ऄनुदक्रया में वृतद्ध की है:
 साआबरस्पेस से, तवशेषकर साआबर अतंकवाद से ईत्पन्न होने वाले खतरों को समबोतधत करने के
तलए IT ऄतधतनयम 2000 में 2008 में दकये गये संशोधन से एक तवतधक ढांचा तवकतसत दकया
गया था।
 सरकार ने 2012 में राष्ट्रीय दूरसंचार नीतत प्रारमभ की थी, तजसमें ईसने 2020 तक 60 से 80
प्रततशत की सीमा तक भारतीय दूरसंचार क्षेत्रक की मांग पूरी करने के तलए दूरसंचार ईपकरणों
का घरेलू ईत्पादन करने का लक्ष्य तनधाकररत दकया है।
 अयाततत संचार ईपकरण सुभेद्यताओं से मुक्त हैं, यह सुतनतित करने के तलए स्थानीय
प्रमाणीकरण जैसे कइ ईपायों की घोषणा की गयी है। आनमें ईपकरण परीक्षण प्रयोगशाला की
स्थापना करना भी सममतलत है।
 सरकार ने राष्ट्रीय तकनीकी ऄनुसरधान संगठन के तत्वाधान में राष्ट्रीय महत्त्वपूणक सूचना
ऄवसरंचना सरंक्षण कें ि (NCIIPC) की स्थापना महत्त्वपूणक सूचना ऄवसरंचना सरंक्षण के समबरध
में एक नोडल एजेंसी के रूप में की है। NCIIPC का लक्ष्य साआबर अतंकवाद, और ऄरय खतरों के
तवरुद्ध CII की सुभेद्यता को कम करना है। आसे तनम्नतलतखत कायक सौंपे गये हैं:
o सभी CII तत्वों की पहचान करना;
o सरकारों में सामररक नेतृत्व और समरवय प्रदान करना; और
o नीतत मागकदशकन, तवशेषज्ञता साझाकरण और पररतस्थततयों की जागरूकता के तलए CII को
राष्ट्रीय स्तर के खतरों में समरवय, साझाकरण, तनगरानी, तवश्लेषण और पूवाकनुमान लगाना।

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8. अगे की राह (Way Forward)


देश की महत्त्वपूणक ऄवसरंचना का मूल संचार नेटवकक हैं। नेटवकक में दकसी भी प्रकार के व्यवधान का
भारत की तस्थरता पर भारी प्रभाव पड सकता है और आसतलए भारत की अंतररक सुरक्षा हेतु ईनकी
सुरक्षा ऄतत अवश्यक है। ऄपने आस महत्त्व के कारण स्वयं संचार को ऄब एक महत्त्वपूणक ऄवसरंचना
माना जाता है। संचार नेटवकक की सुरक्षा के तलए रणनीतत तैयार करते समय कु छ तबरदुओं को ध्यान में
रखना अवश्यक है:
 वतकमान में, महत्त्वपूणक ऄवसरंचना और CII के बहुत बडे भाग का तवकास, संचालन और ऄनुरक्षण
तनजी क्षेत्रक द्वारा दकया जाता है। तनजी कमपतनयों को अमतौर पर ऄपने तसस्टम अर्ककटेक्चर का
ऄतधक ज्ञान होता है तथा वे कौशल भी रखते हैं। दूसरी ओर, सरकार की ऄत्यतधक कु शल
असूचना एजेंतसयों के पास प्रायः तवदेशी सरकारों द्वारा ईपयोग में लाये जाने मैलवेयर और ईसके
प्रततरोध की जानकारी ऄतधक होती है। आससे पता चलता है दक सवाकतधक संवेदनशील प्रणातलयों
की पररष्प्कृत प्रततद्वतरदयों से रक्षा करने का ईत्तरदातयत्व साझा दकया जाना चातहए।
 आसतलए सरकार को तवतनयामक की ऄपनी पारमपररक भूतमकाओं से अगे बढ़ना होगा और तनजी
क्षेत्रक से भागीदारी करनी होगी।
 तनजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रकों को तवश्वास और अत्मतवश्वास को पोतषत करना है, जो
महत्त्वपूणक ऄवसरंचना की सुरक्षा के तलए ऄपनाइ गयी दकसी भी नीततगत ईपाय की जानकारी
साझा करने और ईसकी सफलता हेतु महत्त्वपूणक है।
 अगे बढ़ते हुए, CII और महत्त्वपूणक ऄवसरंचनाओं की सुरक्षा रणनीतत के तकनीकी, नीततगत और
कानूनी अयामों को समबोतधत करना चातहए।
 वैतश्वक पररप्रेक्ष्य में , साआबरस्पेस शासन में भारत एक महत्त्वपूणक तहतधारक है। एक प्रगततशील

ऄथकव्यवस्था के रूप में ऄपने CII पर तनभकर है और आसे ऄपने राष्ट्रीय तहतों के सरंक्षण हेतु तवतभन्न
बहुपक्षीय मंचों से ऄपनी अवाज को ईठाना है।

9. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. संचार संजालों द्वारा भारत की अरतररक सुरक्षा को ईत्पन्न होने वाले खतरे कौन से हैं?
दृतष्टकोण :
देश के तलए संचार संजाल के महत्व और ईसकी प्रासंतगकता से ईत्तर की शुरूअत करनी
चातहए। आसके पिात् ऄपने ईत्तर को को संचार संजाल में व्याप्त ईन कतमयों पर कें दित करना
चातहए जो दक राष्ट्रीय सुरक्षा के तलए एक खतरा ईत्पन्न करती हैं।
ईत्तरः
 संचार संजाल ऄरय महत्वपूणक बुतनयादी ढांचों से समबद्धता के तलए महत्वपूणक हैं, ऄथाकत्

नागर तवमानन, नौवहन, रेलवे, तबजली, परमातववक, तेल और गैस, तवत्त, बैंककग, संचार,
सूचना प्रौद्योतगकी, कानून प्रवतकन, खुदफया एजेंतसयों, ऄंतररक्ष, रक्षा अदद । आसतलए, खतरा

संजाल के माध्यम से और साथ ही संजाल के तलए, दोनों ही प्रकार का हो सकता है।


 संजालों की सुरक्षा कइ कारकों की दृतष्ट से जरटल है। ईदाहरण के तलए, ऄतधकांश हाडकवेयर
और सॉफ्टवेयर जो दक संचार तंत्र का तनमाकण करते हैं वह बाह्य स्रोतों से अते हैं। चीनी

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तनमाकणकताकओं जैसे हुअवै और ZTE ने लगभग 20 प्रततशत दूरसंचार ईपकरणों की अपूर्तत


की है, जबदक भारतीय तनमाकताओं की बाजार में 3 प्रततशत से भी कम तहस्सेदारी है।
 हाल की घटनाओं से पता चला है दक तवदेशी सरकारें घुसपैठ और दूरसंचार नेटवकक से
समझौता करने के तलए बाजार में ईनकी कं पतनयों के प्रवेश और प्रभुत्व का लाभ लेने में पीछे
नहीं हैं।
 व्यतक्तगत कं प्यूटर और नेटवकक (संजालक के तलए वायरलेस कनेतक्टतवटी के तवस्तार ने ईनकों
हमलों के तलए और ऄतधक ऄनावृत और जोतखमपूणक कर ददया है। सीमाओं की रक्षा का
परंपरागत दृतष्टकोण आस सरदभक में प्रभावी नहीं है।
 संचार संजाल के तवकास ने संचार प्रणाली को ईपयोगकताक के और ऄतधक ऄनुकूल और सुलभ
बना ददया है। आसने समाज में ऄसामातजक तत्वों को ऄपने लाभ के तलए आन ईपकरणों का
ईपयोग करना संभव बना ददया है।
 VOIP सेवाओं और तवतभन्न ऄरय सेवाओं के माध्यम से एक संदेश को रैक करना वास्तव में
मुतश्कल हो गया है।
 वह समय दूर नहीं है, जब प्रमुख शतक्तयााँ सामूतहक तवनाश ऄस्त्रों के ऄतधक मात्रा में तनमाकण ,
अतंकवाद, नशीले पदाथों और संगरठत ऄपराध अदद तवषयों पर पारंपररक सशस्त्र संघषक की
तुलना में ऄतधक ध्यान कें दित करेंगी। सूचना युद्ध, साआबर स्पेस और एयरोस्पेस से ईत्पन्न
खतरे, पहले से कहीं ऄतधक राष्ट्रीय संसाधनों की खपत करेंगे।
 देश की सुरक्षा को प्रभातवत कर रहे कु छ ऄरय तरीके , सामररक स्थलों का ज्ञान, महत्वपूणक
स्थान, लोगों की तनजी पहचान और भ्रामक-दस्तावेजों में ईनका ईपयोग, सामररक बुतनयादी
सुतवधाओं दकए जा रहे साआबर हमले अदद हैं।

2. ICT क्रांतत छोटे राज्यों के तलए न के वल एक महान समकारक है, बत्क यह गैर राज्यकताकओं,
व्यतक्तयों और अतंकवादी संगठनों को शतक्त प्रदान करता है। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की
चुनौततयों के संदभक में आस कथन की जांच कीतजए।
दृतष्टकोण :
सबसे पहले, तवतभन्न ईदाहरणों के हवाले से प्रथम कथन पर प्रकाश डातलए। तब साआबर स्पेस
के दायरे में संबंतधत चुनौततयों को ईजागर कीतजए जो दक भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के तलए
खतरा हो सकती हैं और ईनसेतनपटने के तलए ईपाय सुझाआए।
ईत्तरः
सूचना एवं संचार क्रातरत (ICT) राज्य के अंतररक सुरक्षा तंत्र के तलए नइ चुनौततयों प्रस्तुत
करती है। ICT पर न के वल राज्य के महत्वपूणक बुतनयादी ढांचे की तनभकरता वरन् सैरय,
प्रशासतनक और अर्तथक तंत्र को समातवष्ट करने वाली समपूणक प्रणाली की तनभकरता ने पूरी
व्यवस्था का जोतखम न के वल राज्यों के बीच वरन् गैर राज्यकताकओं के बीच भी बढ़ा ददया है।
जो दक ऄत्यंत तीव्रता के साथ पूरी व्यवस्था को ऄतस्थर कर सकते हैं।
युद्ध पर ICT का प्रभाव नइ तनगरानी और संचार प्रौद्योतगकी में और साआबर संचालन में ,
तनदेश और तनयंत्रण में स्पष्ट है।
राज्यों के बीच, सूचना प्रौद्योतगकी और ईनके प्रभावों ने ऄसमतमत रणनीततयों को ऄतधक
प्रभावी और अकषकक बना ददया है। राज्यों के बीच पारंपररक ऄसंतुलन की तस्थततयों में हम
देखते हैं दक ऄसमतमत रणनीततयां तेजी से सामारय होती जा रही हैं। एक कमजोर राज्य द्वारा
साआबर युद्ध और एंटी-सेटेलाआट क्षमतायें, प्रौद्योतगकी का वह ईपयोग है, तजसे वह एक
मजबूत देश के अक्रमण को बेऄसर करने या लागत बढ़ाकर ईसे ऄपनी सैरय ताकत का
ईपयोग करने से रोकता है। वतकमान में, रक्षा के नाम पर सभी प्रमुख शतक्तयााँ अक्रामक

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साआबर क्षमताओं को तवकतसत करने के साथ ही साआबर जासूसी का ईपयोग कर रही हैं और
ऄपेक्षाकृ त छोटी शतक्तयााँ भी ICT को एक तु्यकारक के रूप में देखती हैं।
आन प्रौद्योतगदकयों ने व्यतक्तयों और छोटे समूहों को भी ऄपने ही ईद्देश्यों के तलए साआबर स्पेस
का ईपयोग करने के तलए सक्षम दकया है। ICT क्रांतत ने गैर राज्यकताकओं और व्यतक्तयों को
भी शतक्त प्रदान कर दी है, छोटे समूहों जैसे दक अतंकवाददयों को। ICT अतंकी संगठनों को
प्रचार, तवत्त पोषण, प्रतशक्षण, योजना और ईनके एजेंडा (कायकसूचीक के तनष्प्पादन में मदद
करती है।
आस प्रकार आसने छोटे समूहों और व्यतक्तयों को ऄतधक बडे, ऄतधक जरटल और शतक्तशाली
समूहों को धमकी देन,े अतंदकत करने और ईनके तखलाफ कायक करने के तलए साधन प्रदान
दकये हैं। चूाँदक प्रौद्योतगकी ऄब व्यापक रूप से ईपलब्ध या सुलभ है, और ज्यादातर तनजी
हाथों में अधाररत है, ICT ने राज्यों के भीतर शतक्त को पुनः तवतररत कर ददया है।
भारत की अंतररक सुरक्षा के तलए चुनौततयााँ
प्रौद्योतगकी ने गैर राज्य कारकों को एक तीव्र घातक शतक्त प्रदान कर दी है। ये तसफक कानून
और व्यवस्था की समस्यायें नहीं हैं, और वे ईन परंपरागत प्रततदक्रयाओं द्वारा वश में अने
वाली नहीं हैं तजनके दक राज्य अदी रहे हैं।
जो आसको और ऄतधक जरटल बना देता है वह त्य यह है दक ये प्रौद्योतगदकयााँ के वल राज्य
को ही ईपलब्ध नहीं हैं, जहााँ दक कानून और नीततयााँ ईरहें तनयंतत्रत कर सकते और ईनके
ईपयोग सीतमत कर सकते हैं। वे सावकजतनक डोमेन में व्यापक रूप से ईपलब्ध हैं जहां
व्यावसातयक और व्यतक्तगत ईद्देश्य असानी से ईनके दुरुपयोग हेतु ऄग्रसर हो सकते हैं,तजरहें
दक यदद हमने पुनर्तवचार न दकया और ऄपने कानूनी और ऄरय दृतष्टकोणों को ऄद्यततत नहीं
दकया तो, आतनी असानी से तवतनयतमत नहीं दकया जा सकता।
व्यतक्तगत कं प्यूटर और नेटवकक (संजालक के तलए वायरलेस कनेतक्टतवटी के तवस्तार ने ईनकों
हमलों के तलए और ऄतधक खोलकर और जोतखमपूणक कर ददया है। सीमाओं की रक्षा का
परंपरागत दृतष्टकोण आस सरदभक में प्रभावी नहीं है।
संचार संजाल के तवकास ने संचार प्रणाली को और ऄतधक ईपयोगकताक के ऄनुकूल और सुलभ
बना ददया है। आसने समाज में ऄसामातजक तत्वों को ऄपने लाभ के तलए आन ईपकरणों का
ईपयोग करना संभव बना ददया है। VOIP सेवाओं और तवतभन्न ऄरय सेवाओं के माध्यम से
एक संदश
े को रैक करना वास्तव में मुतश्कल हो गया है।
अवश्यकता आस बात की है दक ऐसा पररवेश तनर्तमत दकया जाए तजसके ऄरतगकत साआबर और
संचार कायकपद्धततयों को और ऄतधक सुरतक्षत बनाया जाये। और, सबसे महत्वपूणक है दक
सरकार को देश में ही, साआबर सुरक्षा को बनाए रखने के तलए अवश्यक मानव शतक्त,
प्रौद्योतगकी और ईपकरणों का ईत्पादन करने का प्रयास करना चातहए।
3. सोशल नेटवर्ककग साआट्स की तनगरानी, फोन टैन्ड्पग आत्यादद तनजता का ऄततक्रमण है, पररतु
हातलया घरेलू पररदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह समय की अवश्यकता है। परीक्षण कीतजए।
दृतष्टकोण:
कु छ तनगरानी कायकक्रमों के लाभ और हातन का परीक्षण कीतजए तथा बताआए की आन न्ड्चताओं
का समाधान कै से दकया जा सकता है आस समबरध में कु छ व्यावहाररक सुझाव दीतजए।
ईत्तर :
 अतंकवाद की घटनाओं तथा सुरक्षा खतरों में वृतद्ध को देखते हुए समपूणक तवश्व के देशों द्वारा
ऄपनी संप्रभुता, ऄखंडता तथा सुरक्षा के ईद्देश्य हेतु आलेक्रॉतनक संचार तंत्र की तनगरानी की
जा रही है।

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 ऄपरातधयों, अतंकवाददयों तथा संगरठत ऄपराध न्ड्सतडके ट्स द्वारा राष्ट्र तवरोधी गतततवतधयों
हेतु प्रौद्योतगकी के प्रयोग को देखते हुए आस प्रकार की तनगरानी ऄपररहायक हो गयी है।
 भारत की के रिीय तनगरानी प्रणाली (Central Monitoring System: CMS) तथा संयुक्त
राज्य ऄमेररका का तप्रज्म प्रोग्राम तवश्व भर के देशों द्वारा दकए जाने वाले तनगरानी कायकक्रमों
के ईदाहरण हैं।
 यह तकक ददया जाता है दक राष्ट्रीय तहत और व्यतक्तगत स्वतंत्रता के मध्य संघषक के प्रसंग में
राष्ट्रीय तहत प्रबल होगा। ज्ञातव्य है दक तनजता का ऄतधकार तवतभन्न अधारों पर युतक्तयुक्त
प्रततबंधों के ऄधीन है।
 सरकारी तनगरानी के प्रस्तावक तकक देते हैं दक ऄंततः ऐसी पररयोजनाएाँ देश में सुरक्षा पररवेश
को सुदढ़ृ करेंगी।
 आसके समथकक यह तकक भी देते हैं दक तवतभन्न स्तरों पर पारमपररक तनगरानी व्यवस्था में
व्यतक्तगत हस्तक्षेपों के कारण गोपनीयता पर संकट ईत्पन्न हो सकता है आसे CMS जैसी नइ

व्यवस्था में रयूनतम करना होगा। क्योंदक CMS में कायक एक सुरतक्षत आलेक्रॉतनक न्ड्लक में
तनष्प्पाददत दकए जायेंगे तथा व्यतक्तगत हस्तक्षेप भी कम होगा।
 हालंदक अलोचक ऐसी पररयोजनाओं में सावकजतनक सूचना के पूणकतया ऄभाव पर न्ड्चता व्यक्त
करते हैं। आस संबंध में दक कौन से सरकारी तनकाय या एजेंतसयां डेटा तक पहुाँचने में सक्षम
होंगी, वे आस सूचना का कै से प्रयोग करेंगे , जनसंख्या का दकतना प्रततशत तनगरानी के ऄधीन
होगा या नागररकों के डेटा को ररकॉडक में कब तक रखा जाएगा सरकार के पास मुतश्कल से ही
कोइ ऄतधकाररक जवाब है।
 आसके पररणामस्वरूप नागररकों के तलए यह अकलन करना करठन होगा दक क्या तनगरानी
एकमात्र या सवोत्तम तरीका है तजसके तहत ऄतभव्यक्त लक्ष्य प्राप्त दकया जा सकता है। आसके
साथ ही नागररक यह अकलन नहीं कर सकते दक क्या ये ईपाय यथोतचत हैं ऄथाकत् ये आस
लक्ष्य की प्रातप्त हेतु ये ऄत्यतधक प्रभावशाली साधन हैं।
 ऐसी पररयोजनाओं में प्राय: एक नागररक हेतु कोइ वैधातनक अश्रय भी नहीं होता तजनकी
तनजी जानकारी का के रिीय या क्षेत्रीय डेटाबेस से दुरुपयोग हुअ है।
 CMS जैसी साधारण तनगरानी तकनीकें ऑनलाआन व्यापार के समक्ष खतरा ईत्पन्न करती हैं।
साथ ही समपूणक डेटा एक ही के रिीय पूल में चला जाता है तजसके पररणामस्वरूप एक
प्रततस्पधी या एक साआबर ऄपराधी प्रततद्वंद्वी सवकर में हैककग के द्वारा तनजी और संवेदनशील
जानकारी का सरलता से पता लगा सकता है।
 यह संभावना भी है दक तनगरानी को सक्षम करने हेतु आरटरनेट ऄवसंरचना में सुभेद्यताओं का
पता लगाया जाएगा। तथा ये ऑनलाआन लेनदेनों की सुरक्षा को कम कर देंगी।
 ये पररयोजनाएं बौतद्धक संपदा तवशेष रूप से पूवक-ऄनुदान पेटेंट्स और व्यापार भेदों की
गोपनीयता को भी कम कर सकते हैं। ऄतधकार-धारक तनन्ड्ित नहीं हो सकते यदद ईनका
बौतद्धक संपदा ऄतधकार राष्ट्रीय ऄतभकताकओं को सहायता देने में सरकार द्वारा चुराया जा
रहा है।
 नागररक ऄतधकार समूह यह भी तकक देते हैं दक तवशेष रूप से भारत जैसे देश में सुरक्षा को
तनजता पर व्यापक पैमाने के हमलों द्वारा प्राथतमकता नहीं दी जा सकती जहााँ ऄ्प
ईत्तरदातयत्व एवं पारदर्तशता है।
 आन तकक -तवतकों के प्रकाश में तनजता के ऄतधकार के दृढ वैधातनक संरक्षण की, दकसी भी
तनगरानी के रयातयक तनरीक्षण तथा तनगरानी करने वाली एजेंतसयों के संसदीय या रयातयक
तनरीक्षण की ऄत्यंत अवश्यकता है।

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 यद्यतप तनजता और सुरक्षा के मध्य संतुलन स्थातपत करने का प्रयास दकया जाना चातहए- एक
व्यवस्था जो राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू का ध्यान रखती हो तथा नागररकों के तवश्वास पर भी
खरी ईतरती हो। ऐसी पररयोजनाओं में गोपनीयता ऄवतध तीन से चार वषों हेतु प्रततबंतधत
रखी जा सकती है। तत्पिात आस समय ऄंतराल के बाद ईन सभी की तजनकी कब, क्यों, दकन
पररतस्थततयों तथा दकसके तनदेशन में जासूसी की गइ थी एक वेबसाआट के माध्यम से
सावकजतनक दकया जाना चातहए।

10. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे
गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)
1. सरकारी व्यवसायों के तलए आन-हाउस मशीन-अधाररत होन्ड्स्टग बनाम सवकर की क्लाउड
होन्ड्स्टग के लाभ और सुरक्षा ईपायों पर चचाक कीतजए।

11. सरदभक (References)


 Securing Critical Information Infrastructure – IDSA report
 India’s cyber security challenges – IDSA task force report

 Supply Chain integrity 2015 report by ENISA


 Communication networks challenges in utility industry – report by FUJITSU

 https://www.polyas.de/blog/en/digital-democracy/digital-sovereignty
 http://www.in4com.de/8-digital-rights/28-digital-sovereignty-what-is-it
 http://www.thehindu.com/news/national/testing-of-telecom-equipment-in-

india-mandatory-from-next-year/article6304138.ece
 http://energy.economictimes.indiatimes.com/news/power/foreign-power-

equipment-should-the-domestic-industry-lobby-be-worried-on-grid-

security/57548903
 http://csrc.nist.gov/scrm/documents/briefings/Workshop-Brief-on-Cyber-
Supply-Chain-Best-Practices.pdf

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मनी लॉन्ड्रिंग
विषय सूची
1. पररचय ___________________________________________________________________________________ 16

1.1. मनी लॉन्ड्रिंग क्यों होती है? (Why is Money Laundered?) ________________________________________ 16

1.2. मनी लॉन्ड्रिंग कै से होती है? (How is Money Laundered?) ________________________________________ 16

1.3. मनी लॉन्ड्रिंग के वलए ईपयोग की जाने िाली विवभन्न विवधयााँ __________________________________________ 17

1.4. हिाला और मनी लॉन्ड्रिंग ___________________________________________________________________ 18


1.4.1. क्रिप्टोकरेंसी: नया हिाला _______________________________________________________________ 19

2. राष्ट्र पर मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाि _________________________________________________________________ 19

3. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम ______________________________________________________________________ 20

3.1. मनी लॉन्ड्रिंग रोकने हेतु भारतीय प्रयास _________________________________________________________ 20


3.1.1. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम ऄवधवनयम (PMLA), 2002 ____________________________________________ 20
3.1.2. वित्तीय असूचना आकाइ - भारत (FIU-IND) _________________________________________________ 20
3.1.3. प्रिततन वनदेशालय (Enforcement Directorate) _____________________________________________ 21

3.2. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम हेतु िैविक तंत्र ________________________________________________________ 21


3.2.1. वियना ऄवभसमय (Vienna convention) __________________________________________________ 21
3.2.2. यूरोप ऄवभसमय पररषद ________________________________________________________________ 21
3.2.3. बेसल सवमवत का वसद्ांतों का िक्तव्य ______________________________________________________ 21
3.2.4. वित्तीय कायतिाही कायतबल (FATF) ________________________________________________________ 22
3.2.5. मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् संयुक्त राष्ट्र का िैविक कायतिम (GPML) ___________________________________ 22
3.2.6 एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) हेतु ऄरय संगठन और पहलें____________________________________________ 22

4. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम में चुनौवतयां_____________________________________________________________ 23

5. अगे की राह (Way forward) __________________________________________________________________ 24

6. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 25

7. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न__________________________________________ 30

8. सरदभत (References) ________________________________________________________________________ 30

15
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1. पररचय
अर्थथक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के ऄनुसार, “मनी लॉन्ड्रिंग अपरावधक गवतविवधयों से
ईत्पन्न ऄिैध प्रावियों को छु पाने की प्रक्रिया है”। मनी-लॉन्ड्रिंग वनिारण ऄवधवनयम, 2002 ‘मनी
लॉन्ड्रिंग’ के ऄपराध को आस प्रकार पररभावषत करता है, “जो भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऄपराध से
हुइ अय से संबद् क्रकसी भी प्रक्रिया या गवतविवध एिं ईसे वनष्कलंक पररसम्पवत्त के रूप में प्रस्तुत करने
में संवलप्त होने का प्रयास करता है या जानबूझकर सहयोग करता है या जानबूझकर भागीदारी करता
है या िास्ति में संवलि है, िह मनी-लॉन्ड्रिंग के ऄपराध का दोषी होगा”।
सरल शब्दों में, मनी लॉन्ड्रिंग नशीले पदाथों की तस्करी या कर ऄपंिचन जैसी ऄिैध गवतविवधयों से
ऄर्थजत धन लेने एिं धन को कानूनी व्यािसावयक गवतविवधयों से हुइ अय के रूप में प्रस्तुत करने की
प्रक्रिया है।

1.1. मनी लॉन्ड्रिंग क्यों होती है ? (Why is Money Laundered?)

ऄिैध हवथयारों की वबिी, तस्करी, और नशीले पदाथों की तस्करी तथा िेश्यािृवत्त जैसे ऄरय संगरठत
ऄपराध भारी मात्रा में धन ईत्परन कर सकते ह।। ्रष्ाचार, गबन, आनसाआडर ट्रेन्ड्डग, ररितखोरी और
साआबर धोखाधडी द्वारा भी भारी मात्रा में ऄिैध धन ऄर्थजत क्रकया जा सकता ह।। ऐसी ऄिैध
गवतविवधयों से ईत्पन्न धन को ‘काला धन’ माना जाता है और आसे ‘शुद्’ बनाने के वलए आसका शोधन
करने की अिश्यकता होती है। ऄपरावधयों को वित्तीय संस्थां में धन जमा करने के वलए मागत की
अिश्यकता होती है। लेक्रकन िे ऐसा तभी कर सकते ह। जब धन िैध ्ोतों से अया प्रतीत होता है। अय
का सफलतापूितक शोधन करके , अय को ‘शुद्’ प्रतीत होता बनाया जा सकता है और ऄिैध लाभों से
ईनके जब्त क्रकए जाने और या दंवडत क्रकए जाने के भय के वबना ईपयोग क्रकया जा सकता है।

1.2. मनी लॉन्ड्रिंग कै से होती है ? (How is Money Laundered?)

वचत्र : मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया


परंपरागत रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की व्याख्याया ऐसी प्रक्रिया के रूप में की जाती रही है जो तीन वभन्न
चरणों में घरटत होती है।
स्थापन चरण (Placement Stage) – आस चरण में अपरावधक रूप से व्युत्परन धनरावशयों को
वित्तीय प्रणाली में प्रविष्ट क्रकया जाता है। यह सबसे ऄवधक जोवखम भरा चरण है क्योंक्रक आसमें
धनरावशयों की विशाल मात्रा संवलि होती है जो प्रिततन एजेंवसयों की दृव् की पकड में अ सकती है।
आसवलए धनशोधन करने िाले नकद धनरावश की विशाल मात्रां को कम विवश् छोटी रकम में
विभावजत कर देते ह। वजसे तब ब।क खाते में सीधे जमा कर क्रदया जाता है, या वित्तीय साधनों जैसे क्रक
चैक, मनीअडतर आत्याक्रद खरीदने के वलए ईपयोग क्रकया जाता है।

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परत वनमातण चरण (Layering Stage) - यह िह चरण है वजसमें ऄिैध ्ोत को छद्मािरण प्रदान
करने के वलए जरटल वित्तीय लेन-देन संपन्न क्रकए जाते ह।। शब्दों में धन को विविध वित्तीय लेन देनों के
माध्यम से भेजा जाता है ताक्रक आसका रूप बदल जाए और आसकी जााँच करना करठन बन जाए। परत
वनमातण (लेयररग) नीचे ईल्लेख क्रकए गए प्रकारों से क्रकया जा सकता है:
 ऄनेक ब।क से ब।क ऄंतरण जो छोटी मात्रां में हो सकते ह।।
 विवभरन खातों के बीच विवभन्न नामों में विवभन्न देशों में ऄंतरण।
 खातों में जमा धनरावश वनरंतर पररिर्थतत करने के वलए जमा और वनकासी करते रहना।
 धनरावश की करेंसी को पररिर्थतत करना।
 धन का रूप बदलने के वलए ईच्च मूल्य की िस्तुं जैसे मकानों, हीरे और कारों की खरीदारी
करना।
 प्रदान की गइ िस्तुं या सेिां के भुगतान के रूप में ऄंतरणों का रूप पररिततन करना।
एकीकरण चरण (Integration stage) – यह ऄंवतम चरण है वजसमें शोवधत पररसंपवत्त को िैध धन
के रूप में वित्तीय प्रणाली में पुनः प्रवि् क्रकया जाता है। आस चरण में शोधन करने िाला वनवधयों को
स्थािर पररसंपवत्तयों, विलावसता पररसंपवत्तयों, या व्यापार ईद्यमों में वनिेश करने का चयन कर सकता
है। आस न्ड्बदु पर शोधन करने िाला वबना पकडे गए धन का ईपयोग कर सकता है। यक्रद पूितिती चरणों
के दौरान क्रकसी भी प्रकार का दस्तािेजीकरण नहीं क्रकया गया है तो एकीकरण चरण के दौरान
धनशोधन को करने िाले को पकडना बहुत करठन होता है।

1.3. मनी लॉन्ड्रिंग के वलए ईपयोग की जाने िाली विवभन्न विवधयााँ

(Various Techniques Used for Money Laundering)


1. धन वनक्षेपों की रूपरेखा तैयार करना (Structuring Deposits): यह स्थापन की ऐसी विवध है
वजसमें नकद धन को छोटे -छोटे वनक्षेपों में विभावजत कर क्रदया जाता है वजरहें तब मनी लॉन्ड्रिंग
विरोधी गवतविवधयों की सूचना देने की अिश्यकतां से बचने के वलए कइ व्यवक्तयों (वजरहें स्मफत
कहा जाता है) द्वारा लेन-देन क्रकया जाता है। आसे स्मर्फिंफग के रूप में भी जाना जाता है क्योंक्रक
आसमें ऄनेक व्यवक्त “स्मफत ” के रूप में समाविष्ट होते ह।।
2. शेल कम्पवनयााँ (Shell companies): ये ऐसी कम्पवनयााँ होती ह। वजनके कोइ सक्रिय संचालन
नहीं होते ह।। िे ऄिैध धन को कवल्पत िस्तुं या सेिां के वलए “भुगतान” के रूप में लेती ह।,
लेक्रकन िास्ति में कोइ िस्तु या सेिा प्रदान नहीं करतीं, िे सहज रुप से नकली रसीदों और तुलन
पत्रों के माध्यम से लेनदेन को िैध दशातती ह।।
3. थडत पाटी चेक (Third-Party Cheques): विवभन्न संस्थां के पक्ष में वलखे गए काईं टर चैक या
ब।कर िंाफ्ट का ईपयोग क्रकया जाता है और और विवभन्न तृतीय-पक्ष खातों के माध्यम से ईनका
समाशोधन क्रकया जाता है। चूंक्रक ये कइ देशों में विवनमेय होते ह।, आसवलए ्ोत धन के साथ आसकी
पहचान का वनणतय करना करठन होता है।
4. ऄत्यवधक मात्रा में नकदी की तस्करी (Bulk cash smuggling): आसमें नकद को भौवतक रूप से
एक ऄवधकार क्षेत्र से दूसरे ऄवधकार क्षेत्र में तस्करी करने और ईसे वित्तीय संस्थानों, जैसे क्रक
ऄवधकावधक ब।क गोपनीयता एिं मनी लॉन्ड्रिंग के कम कठोर वनयमों के प्रिततन िाले विदेशी ब।क
में वनक्षेवपत करने की प्रक्रिया समावि् होती है।
5. िे वडट काडत (Credit Cards): िे वडट िे वडट का समाशोधन करना एिं काडत शेषों को विवभन्न ब।कों
के काईं टरों पर प्रभाररत करना। आस प्रकार के काडों के कइ प्रकार के ईपयोग होते ह। और ईनका
ईपयोग ऄंतरराष्ट्रीय सीमां के अर-पार क्रकया जा सकता है। ईदाहरण के वलए पररसंपवत्त
खरीदने के वलए, प्राि सेिां या िस्तुं के भुगतान के वलए या नकद प्रदान करने िाली मशीनों
के िैविक नेटिकत में।

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1.4. हिाला और मनी लॉन्ड्रिंग

“हिाला” शब्द का ऄथत है वििास। हिाला धन और संपवत्त को पारंपररक ब।ककग प्रणाली का ईपयोग
क्रकए वबना ऄंतररत करने का तंत्र है। यह मनी लॉन्ड्रिंग की साधारण विवध है और भारत में प्रवतबंवधत
है।

यह कै से कायत करता है?

हिाला लेनदेन में, नकद का कोइ भौवतक


अिागमन नहीं होता है। हिाला प्रणाली
संचालकों के एक नेटिकत के माध्यम से कायत
करती है वजरहें हिालादार या हिाला डीलर
कहा जाता है। धन ऄंतररत करने का आच्छु क
व्यवक्त, हिाला संचालक (वचत्र में ‘A’) से

्ोत स्थान पर संपकत करता है, जो ईस व्यवक्त


से धन ले लेता है। हिाला संचालक ईसके
बाद ऄपने प्रवतपक्षी (‘B’) को गंतव्य स्थान

पर फोन करता है, जो ईस व्यवक्त को नकद


धनरावश दे देता है वजसे ऄंतरण क्रकया जाना
होता है, आस प्रकार लेन देन पूरा हो जाता है।

भारत में हिाला की वस्थवत (Status of Hawala in India)

 भारत में हिाला कारोबार ऄिैध है, क्योंक्रक आसे मनी लॉन्ड्रिंग के एक प्रकार के रूप में देखा जाता
है।
 चूाँक्रक हिाला लेनदेन ब।कों के माध्यम से नहीं होते ह।, आसवलए यह सरकारी एजेंवसयों और भारतीय
ररजित ब।क के विवनयमन क्षेत्रावधकार के बाहर है।
 भारत में, विदेशी मुद्रा प्रबंधन ऄवधवनयम (FEMA) 2000 एिं मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम

ऄवधवनयम (PMLA) 2002 दो प्रमुख विधान है जो आस आस प्रकार के लेनदेन को ऄिैध घोवषत


करते ह।।
विि भर में काले धन का संचरण करने और अतंकिाद, नशीले पदाथों की तस्करी ि ऄरय ऄिैध
गवतविवधयां को वनवधयां प्रदान करने के वलए के वलए हिाला नेटिकत का ईपयोग ईपयोग व्यापक रूप
से क्रकया जा रहा है। हिाला लेनदेन ऄिैध होने के बाद भी, लोग वनम्नवलवखत वनम्नवलवखत कारणों से
आस विवध का ईपयोग करते ह।:
 हिाला के माध्यम से धन ऄंतररत करने की कमीशन दरें बहुत कम होती ह।।
 आसमें पहचान का प्रमाण क्रदखाने या अय का ्ोत प्रकट करने की कोइ अिश्यकता नहीं होती है।
 यह विप्रेषण की वििसनीय और कु शल प्रणाली के रूप में ईभरा है ।
 क्योंक्रक आसमें भौवतक रूप से नकद धनरावश का कोइ अिागमन नहीं होता है, आसवलए हिाला
संचालक अवधकाररक विवनमय दरों की तुलना में बेहतर विवनमय दर प्रदान करते ह।।
 ब।कों द्वारा व्यापक रूप से क्रकए जाने िाले दस्तािेजीकरण की तुलना में यह एक सरल और झंझट
रवहत प्रक्रिया है।
 यह बेवहसाब अय ऄंतरण की एकमात्र विवध है।

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1.4.1. क्रिप्टोकरें सी: नया हिाला

 वबटकॉआन जैसी क्रिप्टोकरेंसी वनरपेक्ष ऄनावमकता की सुविधा प्रदान करती है और अतंक के


वित्तपोषण को सुविधाजनक बना देती है जो 2015 के पेररस अतंकिादी हमलों में स्प् था।
 2015 में पेररस में वित्तीय कारतिाइ कायत बल (FATF) ने यह सूचना दी क्रक कु छ अतंकिादी
िेबसाआटों ने ऄपने समथतकों को वबटकॉआन में दान देने के वलए प्रोत्सावहत क्रकया था।
 भारत सरकार द्वारा िषत 2016 में विमुद्रीकरण की कारतिाइ के बाद, आस प्रकार के वडवजटल
लेनदेन की बाढ़ सी देखी गइ थी।
 आस नइ हिाला प्रणाली में अतंकिाक्रदयों और ऄरय ऄिैध गवतविवधयों के वलए धन प्रदान करने
का सहज माध्यम बनने की क्षमता विद्यमान है।
 आसवलए ऄथतव्यिस्था और देश की सुरक्षा के वहत में वबटकॉआन के उपर ईवचत वनयंत्रण होने की
अिश्यकता है।

2. राष्ट्र पर मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाि


(Impact of Money Laundering on Nation)
 सामावजक प्रभाि: यह वनम्नवलवखत प्रकारों से सामावजक संस्थानों को क्षवत पहुंचाती है:
o अर्थथक शवक्त का सही लोगों से गलत लोगों के हाथों में ऄंतरण।
o अय ऄसमानता को बढ़ाती है।
o नैवतकता और अचार संबंधी मानकों की क्षवत वजससे सामावजक संस्थान कमजोर होते ह।।
o बेरोजगारी में िृवद् होना क्योंक्रक िैद्य व्यापाररक कं पवनयां ऄिैध धन के माध्यम से संचावलत
होने िाले संचालकों के साथ प्रवतस्पधात करने में विफल हो जाती ह।।
o ऄपराध और ्रष्ाचार का बढ़ जाना जो मानि विकास की गवत को बंद कर देता है और आस
प्रकार सामावजक प्रगवत को प्रभावित करता है।
 अर्थथक प्रभाि : मनी लॉन्ड्रिंग के व्यव् ऄथतशास्त्रीय प्रभाि वनम्नवलवखत ह।:

o वित्तीय संस्थानों और बाजार की प्रवतष्ठा को संभावित क्षवत।


o वित्तीय संकट ईत्पन्न कर देश की ऄथतव्यिस्था को ऄवस्थर करती है।
o अपरावधक गवतविवधयों को प्रोत्साहन प्रदान करती है।
o मापन संबंधी त्रुरटयों के कारण नीवतगत विरूपण ईत्पन्न होता है।
o िैद्य व्यापारों को प्रवतस्पधात करते समय हावन होती है, क्योंक्रक आसमें वनष्पक्ष प्रवतस्पधात का
समािेश नहीं होता है।
o स्थानीय स्तर पर संगरठत ऄपराध फल-फू ल सकता है।
o आसे व्यापार करने की लागत भी बहुत ऄवधक हो जाती है।

मनी लॉन्ड्रिंग के समव् ऄथतशास्त्रीय प्रभाि वनम्नवलवखत ह।:

 आसमें वनवधयों के ऄप्रत्यावशत ऄंतरणों के कारण विवनमय दरों और ब्याज दरों में ऄवस्थरता का
समािेश होता है।
 शोवधत वनवधयों के वनक्षेप के कारण पररसंपवत्तयों के मूल्य में वगरािट।
 मनी लॉन्ड्रिंग गवतविवधयों से ईत्परन सापेक्ष पररसंपवत्त िस्तु मूल्यों में संसाधनों का त्रुरटपूणत
अबंटन।
 आनसाआडर ट्रेन्ड्डग, धोखाधडी और गबन के कारण बाजारों में वििास की कमी।
 विदेशी वनिेशकों को हतोत्सावहत करती है।
 ऄरय ऄप्रत्यक्ष अर्थथक प्रभाि ये ह। क्रक ऄिैध व्यापार में वलि नहीं होने िालों के वलए ईच्चतर बीमा
प्रीवमयम एिं व्यिसायों के वलए ईच्च लागतें वजससे लाभ कम ईत्परन होता है फलस्िरूप
हावनरवहत व्यापार करना करठन हो जाता है।

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 ऐसे नकारात्मक प्रभाि के कारण, नीवत वनमाततां को मौक्रद्रक खतरों के प्रवत प्रभािी प्रवतक्रियां
का पता लगाने में करठनाइ का सामना करना पडता है और आससे अर्थथक रणनीवत के प्रबंधन के
वलए सरकार के प्रयासों में करठनाआयााँ ईत्परन होती ह।।
ईपरोक्त सभी न्ड्बदु कृ वत्रम मुद्रास्फीवत, रोजगार रवहत विकास, अय ऄसमानता, वनधतनता अक्रद की
वस्थवत ईत्परन करेंगे जो ऄंतत: समाज को सुरक्षा चुनौवतयां प्रस्तुत करने में पररणत होती है।
राजनीवतक प्रभाि
 विकास योजनां पर व्यय करने की सरकार की क्षमता को प्रभावित करती है और आस प्रकार
जनसंख्याया के एक ऐसे बडे भाग को प्रभावित करती है जो आस प्रकार के व्यय से लाभावरित हुअ
होता।
अर्थथक विकास पर मनी लॉन्ड्रिंग के नकारात्मक अर्थथक प्रभािों के पररणाम और तस्करी, अतंकिाद
जैसे ऄरय ऄपराधों के साथ आसके संबंध को ज्ञात करना विधायी वनकायों के वलए करठन हो जाता है।
3. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम
(Prevention of Money Laundering)
मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी गवतविवधयों में ऄपरावधयों को ऄिैध गवतविवधयों के माध्यम से अय ईत्परन
करने से रोकने के वलए ऄवभकवल्पत कानून और विवनयमन समाविष्ट होते ह।। सरकार मनी लॉन्ड्रिंग
विरोधी विवनयमन पाररत कर मनी लॉन्ड्रिंग पर ऄंकुश लगाने के ऄपने प्रयास में तेजी से सजग हो गइ
है। ये विवनयमन यह ऄवनिायतता वनयत करते ह। क्रक वित्तीय संस्थानों द्वारा संक्रदग्ध मनी लॉन्ड्रिंग
गवतविवधयों का पता लगाने और ईनकी सूचना देने की प्रणाली स्थावपत की जाए।

3.1. मनी लॉन्ड्रिंग रोकने हे तु भारतीय प्रयास

3.1.1. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम ऄवधवनयम (PMLA), 2002

 यह भारत की संसद द्वारा मनी-लॉन्ड्रिंग की रोकथाम करने और मनी लॉन्ड्रिंग से व्युत्परन सम्पवत्त
को जब्त करने के प्रािधान हेतु ऄवधवनयवमत एक व्यापक कानून है।
 आसमें ऄवधसूवचत ऄवधवनयम और वनयम, ब।ककग कं पवनयों, वित्तीय संस्थानों अक्रद पर ग्राहकों की
पहचान सत्यावपत करने, ररकॉडत बनाए रखने और वित्तीय असूचना आकाइ- भारत को
(Financial Intelligence Unit-India: FIU-IND) वनधातररत प्रपत्र में जानकारी प्रदान करने
का दावयत्ि ऄवधरोवपत करते ह।।
 यह कवतपय वित्तीय संस्थां जैसे क्रक संपूणत मुद्रा पररिततकों, धन ऄंतरण सेिा और मास्टर काडत
को ऄवधवनयम की ररपोर्टटग व्यिस्था के ऄंतगतत लाने का प्रयास करता है।
 यह मनी-लॉन्ड्रिंग के प्रयोजन से ऄवधवनयम की ऄनुसूची के भाग A और भाग B में विवभन्न
विधानों के ऄंतगतत कइ ऄपराधों को सवम्मवलत करता है।
 सीमा पार मनी-लॉन्ड्रिंग के मामलों में यह ्रष्ाचार के विरुद् संयुक्त राष्ट्र करिेंशन के प्रािधानों
को लागू करने के िम में कें द्र सरकार को जब्त की गइ संपवत्त, ऄनुरोध करने िाले देश को लौटाने
में सक्षम करता है।
 यह ऄवधवनयम, ऄवधवनयम के ऄंतगतत सम्पवत्त की कु की एिं जब्ती से संबंवधत मामलों से वनपटने
के वलए तीन सदस्यीय वनणातयक प्रावधकरण के गठन का वनधातरण करता है।

3.1.2. वित्तीय असू च ना आकाइ - भारत (FIU-IND)

(Financial Intelligence Unit - India (FIU-IND))


 FIU-IND की स्थापना संक्रदग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंवधत जानकारी प्राि करने , प्रसंस्करण करने,
विश्लेषण और प्रसार करने के वलए वजम्मेदार कें द्रीय राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में भारत सरकार द्वारा
की गइ थी।

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 FIU-IND मनी लॉन्ड्रिंग और संबंवधत ऄपराधों के विरूद् िैविक प्रयासों को सम्पन्न करने हेतु
राष्ट्रीय और ऄंतरातष्ट्रीय असूचना, जांच और प्रिततन एजेंवसयों के प्रयासों का समरिय करने और
सुदढ़ृ करने के वलए भी वजम्मेदार है।
 यह वित्त मंत्री की ऄध्यक्षता में संचावलत होने िाली अर्थथक असूचना पररषद (EIC) को सीधे
ररपोर्टटग करने िाला स्ितंत्र वनकाय है।

3.1.3. प्रितत न वनदे शालय (Enforcement Directorate)

 प्रिततन वनदेशालय विदेशी मुद्रा प्रबंधन ऄवधवनयम, 1999 (FEMA) और मनी लॉन्ड्रिंग
ऄवधवनयम (PML) के ऄंतगतत कु छ प्रािधानों के प्रिततन के वलए ईत्तरदायी सरकारी एजेंसी है।
 पररचालन संबंधी प्रयोजनों के वलए प्रिततन वनदेशालय राजस्ि विभाग के प्रशासवनक
वनयंत्रणाधीन है; FEMA के नीवतगत पहलु, आसका विधायन और आसमें संशोधन अर्थथक मामलों
के विभाग के दायरे के भीतर अते ह।।

3.2. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम हे तु िै विक तं त्र

(Global mechanisms to Combat Money Laundering)


चूक्राँ क मनी लॉन्ड्रिंग ऄंतरराष्ट्रीय पररघटना है, आसवलए आस खतरे के विरूद् लडाइ में ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग
ऄवत महत्िपूणत है। ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर आस समस्या से वनपटने के वलए कइ पहलें की गइ ह।। मनी
लॉन्ड्रिंग से वनपटने िाले प्रमुख ऄंतरातष्ट्रीय समझौते आस प्रकार ह।:

3.2.1. वियना ऄवभसमय (Vienna convention)

क्रदसम्बर 1988 में अयोवजत यह मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम में पहली बडी पहल थी। आस ऄवभसमय ने
सदस्य देशों को मादक औषवधयों की तस्करी से होने िाले मनी लॉन्ड्रिंग को ऄपरावधक बनाने के वलए
बाध्य बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने हेतु अधार स्थावपत क्रकया था। जााँच में यह ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग
को बढ़ािा देता है और सदस्य राज्यों के बीच मनी लॉन्ड्रिंग के वलए प्रत्यपतण लागू करता है।

3.2.2. यू रोप ऄवभसमय पररषद

(The Council of Europe Convention)


1990 में अयोवजत यह ऄवभसमय सभी प्रकार की अपरावधकता, विशेष रूप से गंभीर ऄपराधों जैसे
क्रक मादक औषवध ऄपराध, हवथयारों का व्यापार, अतंकिादी ऄपराध आत्याक्रद और बडा मुनाफा
कमाने िाले ऄरय ऄपराधों के संबंध में ऄरिेषण सहायता, तलाशी, जब्ती तथा ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग की
सुविधा प्रदान करने के वलए मनी लॉन्ड्रिंग पर साझी नीवत स्थावपत करता है। यह मनी लॉन्ड्रिंग की
सामारय पररभाषा और ईससे वनपटने के वलए सामारय ईपाय वनधातररत करता है।

3.2.3. बे स ल सवमवत का वसद्ां तों का िक्त व्य

(Basel Committee’s Statement of Principles)


क्रदसंबर 1988 में, ब।ककग विवनयमों और पयतिेक्षी प्रथां पर बेसल सवमवत ने वसद्ांतों का िक्तव्य
जारी क्रकया था। आसका ईद्देश्य यह सुवनवित करने के वलए क्रक ब।कों का अपरावधक गवतविवधयों के
माध्यम से प्राि धन को वछपाने या लॉरडर करने के वलए ईपयोग न क्रकया जाए, ब।ककग क्षेत्र को
सितवनष्ठ दृव्कोण ऄपनाने के वलए प्रोत्सावहत करना है।

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3.2.4. वित्तीय कायत िाही कायत ब ल (FATF)

(The Financial Action Task Force)


1989 में पेररस में G7 के वशखर सम्मेलन में स्थावपत FATF ऄंतर सरकारी वनकाय है। आसका ईद्देश्य
मानक वनधातररत करना और मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिाद के वित्तपोषण और ऄंतरराष्ट्रीय वित्तीय
प्रणाली की ऄखंडता के वलए ऄरय संबंवधत जोवखमों से वनपटने के वलए कानूनी, वनयामकीय और
पररचालन संबंधी ईपायों के प्रभािी कायातरियन को बढ़ािा देना है।
आसने ऄनुशंसां की एक श्ृंखला विकवसत की है। आरहें मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिाद के वित्तपोषण का
मुकाबला करने के वलए ऄंतरराष्ट्रीय मानकों के रूप में मारयता प्रदान की गइ है। ये मानक वित्तीय
प्रणाली की ऄखंडता के वलए आन खतरों के प्रवत समवरित ऄनुक्रिया का अधार वनर्थमत करते ह। और
समान स्तर सुवनवित करने में सहायता करते ह।।

3.2.5. मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् सं यु क्त राष्ट्र का िै विक कायत ि म ( GPML)

United Nations Global Programme Against Money Laundering (GPML)


GPML की स्थापना 1997 में हुइ थी। आसका ईद्देश्य सरकारों को प्रदान क्रकए गए व्यापक तकनीकी
सहयोग सेिां के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् ऄंतरराष्ट्रीय कारतिाइ की प्रभािशीलता बढ़ाना
था। यह कायतिम मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभािी ढंग से मुकाबला करने के ऄपने प्रयासों में राज्यों और
संस्थानों को विवभन्न साधन प्रदान करते हुए गवतविवधयों के वनम्नवलवखत 3 क्षेत्रों को सवम्मवलत करता
है। मनी लॉन्ड्रिंग से संबंवधत ऄपराधों के वलए तीन और ऄवभसमय ऄपनाए गए ह।:
1. अतंकिाद के वित्तपोषण के दमन के वलए ऄंतरातष्ट्रीय ऄवभसमय (1999)
2. ऄंतरातष्ट्रीय संगरठत ऄपराध के विरूद् संयुक्त राष्ट्र ऄवभसमय (2000)
3. ्रष्ाचार के विरूद् संयुक्त राष्ट्र ऄवभसमय (2003)

3.2.6 एं टी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) हे तु ऄरय सं ग ठन और पहलें

Other Organization and Initiatives for Anti-Money-Laundering


 ऄंतरातष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग सूचना नेटिकत (IMoLIN)
 IMoLIN मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् लडाइ में सरकारों, संगठनों और व्यवक्तयों की सहायता
करने िाला आंटरनेट अधाररत नेटिकत है और मादक औषवधयों और ऄपराध पर संयुक्त राष्ट्र
कायातलय द्वारा प्रशावसत है।
 यह मनी लॉन्ड्रिंग रोधी ऄंतरातष्टीय डेटाबेस (AMLID) नामक ऄंतरराष्ट्रीय डेटाबेस ईपलब्ध
कराता है जो रयायक्षेत्रों के राष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानूनों का विश्लेषण करता है।
 िुल्फ्सबगत AML वसद्ांत (Wolfsberg AML Principles)
 यह मनी लॉन्ड्रिंग, ्रष्ाचार और ऄरय संबंवधत गंभीर ऄपराधों के विरूद् लडाइ में महत्िपूणत
कदम के रूप में ग्यारह वसद्ांत प्रस्तुत है।
 स्टेनली मॉररस और प्रोफे सर माकत पाआथ की विशेषज्ञतापूणत भागीदारी के ऄंतगतत 11
ऄंतरातष्ट्रीय वनजी ब।कों के सहयोग से बर्थलन वस्थत NGO, ट्रांसपेरेंसी आंटरनेशनल (TI)
ऄंतरराष्ट्रीय वनजी ब।क्रकग में मजबूत व्यापार अचरण के वलए महत्िपूणत िैविक मागतदशतन के
रूप में आन वसद्ांतों के साथ ऄवस्तत्ि में अया था।
 आन वसद्ांतों का महत्ि आस तथ्य के कारण है क्रक ये वनजी क्षेत्र की पहल ह।।
 िुल्फ्सबगत वसद्ांत वनजी ब।करों और ग्राहकों के बीच संबंधों की स्थापना और ऄनुरक्षण को
वनयंवत्रत करने िाले सिोत्तम कायतप्रणाली क्रदशावनदेशों का गैर-बाध्यकारी समुच्च्य ह।।

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 वित्तीय असूचना आकाआयों का एग्मोंट समूह (Egmont Group of Financial Intelligence

Units)
 एग्मोंट समूह एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और प्रवत-अतंकिाद वित्तपोषण में ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग को
बढ़ािा देने और संिर्थधत करने के वलए 1995 में गरठत वित्तीय असूचना आकाआयों (FIU) के
ऄंतरातष्ट्रीय समूह का समरियकारी वनकाय है।
 एग्मोंट समूह में विश्ि भर से 108 वित्तीय असूचना आकाआयां (FIU) सवम्मवलत ह।। वित्तीय
असूचना आकाआयां मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के वलए
ईत्तरदायी ह।।
 एग्मोंट समूह में प्रवतभागी वित्तीय असूचना आकाआयां FIU का विकास और मनी लॉन्ड्रिंग का
मुकाबला करने के वहत में और अतंकिाद के वित्तपोषण के विरूद् िैविक योगदान में
सहायता को प्रोत्सावहत करने के वलए ऄपनी प्रवतबद्ता की पुव् करती ह।।
 मनी लॉन्ड्रिंग पर एवशया-प्रशांत समूह (Asia-Pacific Group on Money Laundering:

APG)

 मनी लॉन्ड्रिंग पर एवशया / प्रशांत समूह (APG) एक ऄंतरराष्ट्रीय संगठन है। आसमें 38 सदस्य

देश और संयुक्त राष्ट्र, IMF और विि ब।क सवहत कइ ऄंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय पयतिेक्षक
सवम्मवलत ह।।
 सभी APG सदस्य मनी लॉन्ड्रिंग रोधन के वलए FATF के ऄंतरातष्ट्रीय मानकों को प्रभािी ढंग

से कायातवरित करने और 40 + 9 ऄनुशस


ं ां के रूप में संदर्थभत अतंकिाद के वित्तपोषण का

मुकाबला करने के वलए प्रवतबद् ह।। आस प्रवतबद्ता में "1267 समेक्रकत सूची" में संयुक्त राष्ट्र
द्वारा सूचीबद् अतंकिाक्रदयों के विरूद् ईपायों को कायातवरित करना सवम्मवलत है।

4. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम में चु नौवतयां


(Challenges in Prevention of Money Laundering )
भारत द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् ईठाए गए विवभन्न कदम पूरी तरह से सफल नहीं रहे ह।। यह आस
तथ्य से भी स्प् है क्रक PMLA ऄवधवनयम के ऄंतगतत 2002 में आसके ऄवधवनयमन के बाद से के िल एक
ही दोषवसवद् देखी गइ है। मनी लॉन्ड्रिंग रोधी प्रयासों के प्रभािी कायातरियन में सामने अने िाली
विवभन्न चुनौवतयां वनम्नानुसार ह।-
 साआबर प्रौद्योवगक्रकयों सवहत प्रौद्योवगकी में पररिततन की तीव्र गवत धनशोधकों पर दृव् रखने में
समस्याएं पैदा करती है। प्रिततन एजेंवसयां विकास की आतनी ईच्च दर से तालमेल वबठाने में विफल
रही ह।।
 अम लोगों में मनी लॉन्ड्रिंग की गंभीरता के संबध
ं में जागरूकता की कमी है, वजसके चलते ईरहोंने
कम जरटलतां और औपचाररकतां िाली हिाला प्रणाली का ईपयोग करना जारी रखा है।
 RBI द्वारा यथा वनधातररत KYC मानदंडों को प्रभािी ढंग से कायातवरित करने में ब।कों की
विफलता
 कइ काला बाजार चैनल अयावतत तस्करी िाली िस्तुएं बेचते ह। और नकद लेनदेन में सौदे करते ह।
और सीमा शुल्कों से बच जाते ह। आस प्रकार काला धन पैदा करते ह।।
 धनशोधन, साआबर ऄपराध, अतंकिादी ऄपराध, अर्थथक ऄपराध आत्याक्रद से वनपटने िाली
एजेंवसयों की बहुतायत अक्रद। ऐसी एजेंवसयों में आनके बीच ऄवभसरण की कमी है। यह मनी
लॉन्ड्रिंग की बहु-विध और िैविक प्रकृ वत से वनपटने के वलए अिश्यक है।

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 कइ टैक्स हैिन देश ह।। ये देश विदेशी कर ऄवधकाररयों को वित्तीय जानकारी का प्रकटीकरण
प्रवतबंवधत करने िाले कठोर वित्तीय गोपनीयता कानूनों के साथ ऄनाम खाता सृजन की ऄनुमवत
देते ह।।
 ऄरय देशों में वित्तीय गोपनीयता का प्रािधान जो आस गोपनीयता के साथ समझौता करने के वलए
ऄवनच्छु क ह।।

5. अगे की राह (Way forward)


 मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम ऄवधवनयम, 2002 के ऄंतगतत यथा पररकवल्पत मनी लॉन्ड्रिंग रोधी
प्रािधानों के वलए प्रक्रियां को कायातवरित करना। ऐसी प्रक्रियां में ऄरय बातों के साथ-साथ
वनम्नवलवखत तीन विवश् मापदंड सवम्मवलत क्रकए जाने चावहए जो समग्र 'ग्राहक ईवचत कर्थमष्ठता
प्रक्रिया’ से संबंवधत ह।:
o ग्राहकों की स्िीकायतता के वलए नीवत।
o ग्राहकों की पहचान करने के वलए प्रक्रिया।
o लेनदेन की वनगरानी और ररपोर्टटग विशेष रूप से संक्रदग्ध लेनदेन की
 ब।करों की भी महत्िपूणत भूवमका है और ईनकी भागीदारी के वबना, यह ऄवभयान सफल नहीं हो
सकता है।
 मनी लॉन्ड्रिंग की िैविक प्रकृ वत के वलए ऄंतरराष्ट्रीय कानून प्रिततन सहयोग की अिश्यकता है
ताक्रक आन जरटल अपरावधक संगठनों को अरंभ करने िाले लोगों की प्रभािी ढंग से जााँच की जा
सके और ईनको अरोवपत बनाया जा सके ।
 मुख्याय रूप से दावडडक तरीकों से और रयावयक और कानून प्रिततन प्रावधकरणों के बीच ऄंतरातष्ट्रीय
सहयोग के ढांचे के भीतर मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला क्रकया जाना चावहए।
 विवभन्न वित्तीय संस्थानों में वित्तीय गोपनीयता वनयमों और आन संस्थान के मनी लॉन्ड्रिंग स्िगत
बनने के बीच रेखा खींचने की अिश्यकता है।
 प्रभािी मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कदम ईठाने के वलए कें द्र और राज्यों के बीच ईवचत समरिय अिश्यक
है। FATF की ऄनुशस
ं ाएं ईपायों का व्यापक और सुसंगत ढांचा वनधातररत करती ह।, वजरहें देशों को
मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिाद के वित्तपोषण के साथ-साथ सामूवहक विनाश के हवथयारों के प्रसार
के वित्त पोषण का मुकाबला करने के वलए कायातवरित करना चावहए। ईनमें से कु छ आस प्रकार ह।:
o जोवखमों की पहचान करना, और नीवतयां और घरेलू समरिय विकवसत करना।
o देशों को वियना ऄवभसमय और पालेमो ऄवभसमय के अधार पर मनी लॉन्ड्रिंग को
ऄपरावधक बनाना चावहए। देशों को पूिातनम ु ान ऄपराधों की सिातवधक विस्तृत श्ृंखला
सवम्मवलत करने के ईद्देश्य से सभी गंभीर ऄपराधों के वलए मनी लॉन्ड्रिंग का ऄपराध लागू
करना चावहए।
o देशों को अतंकिाद और अतंकिाद के वित्त पोषण की रोकथाम और दमन से संबंवधत संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा पररषद के प्रस्तािों का ऄनुपालन करने के वलए लवक्षत वित्तीय प्रवतबंध
व्यिस्थां को कायातवरित करना चावहए।
o देशों को गैर-लाभकारी संगठनों से संबंवधत कानूनों और विवनयमों की पयातिता की समीक्षा
करनी चावहए वजनकी देशों ने अतंकिाद के वित्तपोषण के दुरुपयोग के वलए सुभेद्य के रूप में
पहचान की है।
o वित्तीय क्षेत्रक और ऄरय वनर्ददष्ट क्षेत्रकों के वलए वनिारक ईपाय लागू करना।
o देशों को सुवनवित करना चावहए क्रक वित्तीय संस्थान गोपनीयता कानून FATF की
ऄनुशंसां का कायातरियन बावधत न करें।
o वित्तीय संस्थानों के वलए सक्षम ऄवधकाररयों से वमले सूचना ऄनुरोधों का द्रुत ऄनुपालन करने
में ऄपने अपको सक्षम बनाने के वलए, कम से कम पांच िषों तक, घरेलू और ऄंतरराष्ट्रीय
दोनों लेनदेनों के संबंध में सभी अिश्यक ररकॉडत बनाए रखना अिश्यक होना चावहए।

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o सक्षम प्रावधकरणों (ईदाहरण के वलए, ऄरिेषक, कानून प्रिततन और पयतिेक्षी प्रावधकरण) और


ऄरय संस्थागत ईपायों के वलए शवक्तयों और ईत्तरदावयत्िों की स्थापना करना।
o कानूनी व्यवक्तयों और व्यिस्थां की लाभकारी स्िावमत्ि सूचना की पारदर्थशता और
ईपलब्धता में िृवद् करना।
o यह सुवनवित करने के वलए ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करना क्रक ईनके सक्षम
प्रावधकारी तेजी से, रचनात्मक और प्रभािी ढंग से मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिाद के
वित्तपोषण के संबंध में ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग का व्यापकतम परास प्रदान कर सकें ।
आसवलए, प्रभािी मनी लॉन्ड्रिंग रोधी व्यिस्था बनाने के वलए, देशों को आससे जुडे अंतररक सुरक्षा खतरे

कम करने के वलए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और िैविक स्तर पर विचार करने की अिश्यकता है।

6. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. कोइ भी अतंकिाद विरोधी रणनीवत के िल तभी सफल हो सकती है जब अतंकिाक्रदयों के


वित्त पोषण के ्ोतों को कु शल वित्तीय विवनयमन द्वारा ऄिरुद् कर क्रदया जाए। आस कथन के
अलोक में भारत में अतंक के वित्तपोषण को रोकने हेतु कु शल विवधक ढांचे की अिश्यकता
और आस संबध
ं में सरकार द्वारा ईठाए गए कदमों पर चचात करें।
दृव्कोण :
प्रश्न का ईत्तर दो भागों में क्रदया जाना चावहए -
 अतंकिाक्रदयों के वित्तपोषण से वनपटने के वलए विवधक ढांचे की अिश्यकता पर बल दें।
 वित्तपोषण को मागों को ऄिरुद् करने हेतु सरकार द्वारा ईठाए गए कदमों को वगनाएं।
ईत्तर :
अतंकिाद के वित्तपोषण (TF) को अतंकिाद की जीिनरेखा, भीतर से और बाहर से आसका
सतत खतरा बनाए रखने िाले सबसे महत्िपूणत कारकों में से एक के रूप में वनरूवपत क्रकया
जाता है।
अतंकिाक्रदयों के वित्तपोषण को रोकने के वलए विवधक ढांचे की अिश्यकता :
 रोकथाम और शीघ्र संसूचन सरकार के जोवखम शमन प्रयासों के मूल में है। आस प्रयास का
मूल अतंकिाक्रदयों को वित्त की प्रावि, आसके स्थानांतरण, रखने और धन का ईपयोग
करने से रोकना है।
 सरकार को अतंकिादी समूहों को और ईनके बीच वित्तीय संसाधनों का प्रिाह ऄिरुद्
करने की ओर लवक्षत प्रयासों का विस्तार करना चावहए। साथ ही अतंकिाक्रदयों को
ईनके समथतनकारी साधनों (वजसमें वित्तीय सहायता सवम्मवलत है) से िंवचत करना और
आसके वलये विवध प्रिततन एजेंवसयों को पयाति ऄवधकार संपन्न बनाने की अिश्यकता है,
वजससे अतंकी समथतनकारी गवतविवधयों को बावधत क्रकया जा सके ।
 कायतक्षम विवधक ढांचा नशीले पदाथों की तस्करी, मानि तस्करी, हवथयारों की तस्करी
और आसी प्रकार की अतंकिादी गवतविवधयों हेतु वित्तयन को रोकने में सहायता प्रदान
करता है। भारत में आन ्ोतों को ऄिरुद् करने के वलए कइ विवधक साधन ह।। वप्रिेंशन
ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA), नारकोरटक्स िंग्स एंड साइकोट्रौक्रफक
सब्सटांस एक्ट, 1985 (NDPS एक्ट) और गैरकानूनी गवतविवधयां (वनिारण) कानून,

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1967 (UAPA) अतंकिाक्रदयों गवतविवधयों हेतु धन संग्रहण करने िाली गवतविवधयों


को ऄिरुद् करने िाले कु छ कानून ह।।
 हालांक्रक, आन विधानों में सिोत्तम ऄंतरातष्ट्रीय प्रयासों के प्रकाश में पररिततन की

अिश्यकता है। PMLA में पररिततन की अिश्यकता है। आसे संिीक्षा सूची के ऄंतगतत
वित्तीय संस्थानों की सूची का विस्तार करना होगा, गैर-व्यािसावयक संस्थान PMLA
की वनगरानी के ऄंततगत होने चावहए और प्रकरणों की जांच करने का कायत करने िाले
ऄवभकरणों को प्रभािी कायातरियन के वलए जानकारी तक पहुाँच वमलनी चावहए।
PMLA के वनयमों का ऄनुपालन सुवनवित करने हेतु आस कानून के ऄंततगत ऄपिंचन की
रोकथाम के वलए प्रवतबंध कठोर होने चावहए।
 फाआनेंवसयल आंटेवलजेंस यूवनट- आंवडया (FIU-IND), एक स्ितंत्र वनकाय के रूप में मनी
लॉन्ड्िंग, अतंकिाक्रदयों के वित्तपोषण और संबंवधत ऄपराधों के विरुद् िैविक प्रयासों

को अगे बढ़ाने में राष्ट्रीय और ऄंतरातष्ट्रीय असूचना, जांच और प्रिततन एजेंवसयों के


प्रयासों का समरिय और सुदढ़ृ ीकरण करने के वलए ईत्तरदायी है। जांच के दौरान
प्रवतबंधों के ईल्लंघन और सूचनां के प्रकटीकरण के वलए आरहें अपरावधक और दीिानी
कायतिावहयों से संरक्षण की अिश्यकता है।
सरकार द्वारा ईठाए गए कदम:
 फाआनेंवसयल एक्शन टास्क फ़ोसत (FATF) के 34 िें सदस्य के रूप में भारत आसमें
सवम्मवलत हो गया है। FATF की सदस्यता महत्िपूणत है क्योंक्रक यह अतंकिाद से लडने

हेतु क्षमता वनमातण और अतंकिाद के वित्तपोषण का पता लगाने , मनी लॉन्ड्रिंग और


अतंकिाक्रदयों के वित्तपोषण संबंधी ऄपराधों की सफलतापूितक जांच करने और ईनके
ऄवभयोजन में भारत की सहायता करेगा।
 PMLA को आसके कायातरियन में सामने अ रही करठनाआयों को दूर करने के वलए और

ऄंतरराष्ट्रीय मानकों के ऄनुरूप बनाने के वलए 2013 में संशोधन क्रकया गया था। मनी
लॉन्ड्रिंग की पररभाषा का विस्तार क्रकया गया है, गैर-वित्तीय व्यिसायों का समािेश
करने के वलए निीन श्ेणी की संस्थां का सृजन क्रकया गया है। ऄथत दड
ं पर उपरी सीमा
को हटाने के साथ-साथ संशोवधत ऄवधवनयम में प्रवतबंधों को काफी हद तक बढ़ा क्रदया
गया है।
 संशोवधत ऄवधवनयम प्रकरणों की जांच के दौरान PMLA के ऄनुपालन और ऄवधक से
ऄवधक संरक्षण की मांग के वलए FIU के सशवक्तकरण का प्रािधान करता है।

 2013 में संशोवधत UAPA ऄवधवनयम विद्यमान ढांचे की कायतदक्षता में योगदान करता

है और FATF द्वारा वनधातररत मानकों को पूरा करता है। संशोवधत ऄवधवनयम जाली
मुद्रा के वनमातण, तस्करी और संचलन को अतंकी कारतिाइ के रूप में वनरूवपत करता है।

कं पवनयों, धमातथत रयासों और सोसायरटयों का समािेश करके यह जांच हेतु आस


ऄवधवनयम के दायरे का विस्तार करता है।
अतंकिाद का ईसके सभी रूपों में प्रवतकार करने की भारत की गंभीर प्रवतबद्ता को
ऄंतरातष्ट्रीय स्तर पर स्िीकार क्रकया गया है। कानून के प्रिततन के दृव्कोण से यह प्रवतबद्ता
अतंकिाद के वित्तीय पहलुं के सक्रिय ऄनुगमन में पररलवक्षत हुइ है।

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2. भारत ने काले धन को िैध बनाने की समस्या से वनपटने हेतु कठोर वनयम बना रखे ह।। मनी
लॉन्ड्रिंग रोधी विधानों का ऄनुपालन एक बढ़ती चुनौती है। कानूनों के ऄनुपालन में विवभन्न
बाधाएं क्या ह।?
दृव्कोण :
 संक्षेप में भारत में एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) ढांचे के बारे में समझाएं।

 क्रदए गए ढांचे में मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने में अडे अने िाली बाधां पर प्रकाश डालें।
ईत्तर :
मनी लॉन्ड्रिंग, मादक पदाथों, हवथयारों, मानि तस्करी, अतंकिाद और जबरन िसूली,
तस्करी, वित्तीय धोखाधडी, ्रष्ाचार अक्रद जैसी अपरावधक गवतविवधयों को वछपाने के वलए
पूरे विश्ि में ईपयोग में लायी जाने िाली एक िैविक पररघटना है।
 फाआनेंवसयल आंटेवलजेंस यूवनट - आंवडया (FIU-India) एंटी मनी लॉन्ड्रिंग तंत्र का प्रबंधन
करने के वलए भारत में नोडल एजेंसी है और मनी लॉन्ड्रिंग तथा संबंवधत ऄपराधों के
विरुद् िैविक प्रयासों को अगे बढ़ाने में राष्ट्रीय एिं ऄंतरराष्ट्रीय असूचना, ऄरिेषण तथा
प्रिततन एजेंवसयों के प्रयासों के समरिय ि सुदढ़ृ ीकरण में आसने यथेष्ट सहायता प्रदान की
है; जबक्रक वप्रिेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) देश में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के
वलए मूल ढांचे का वनमातण करता है।
भारत में प्रभािी AML व्यिस्था लागू करने में अडे अने िाली कइ प्रमुख आस प्रकार ह।:
 भारतीय AML विवनयमों को वित्तीय सेिा समुदाय द्वारा जोवखम प्रबंधन ईपकरण की
तुलना में ऄनुपालन ईपकरण के रूप में देखा जा रहा है। आसवलए जोवखम प्रबंधन
व्यिहार के रूप में प्रयोग करने के बजाय आसका ईद्देश्य ऄनुपालन का रहा है।
 कु शल और प्रमावणत AML कमतचाररयों की पयाति संख्याया की कमी भी एक बडी
पररचालनात्मक चुनौती है। अम लोगों और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों से वनपटने िाले
कमतचाररयों के बीच आस गंभीर समस्या के बारे में जागरूकता का न होना भी ईवचत
AML व्यिस्था बनाने में एक व्यिधान है।
 AML का ऄनुपालन वित्तीय संस्थानों पर भारी वित्तीय बोझ डालता है। विवनयामकीय

िातािरण के साथ बने रहने के वलए ग्राहकोवचत पररश्म, ग्राहक की पहचान और


स्िीकृ वत प्रक्रिया, संक्रदग्ध लेन-देन और संबंवधत AML प्रिमों और प्रक्रियां की
वनगरानी में भारी वनिेश की अिश्यकता होती ह।।
 मनी लॉन्ड्रिंग के विवश् प्रकरणों से वनपटने हेतु व्यापक प्रिततन एजेंसी की ऄनुपवस्थवत
भी एक प्रमुख बाधा है। विवभन्न कानून प्रिततन एजेंवसयों की ऄलग-ऄलग शाखाएं
वडवजटल ऄपराध, मनी लॉन्ड्रिंग, अर्थथक ऄपराधों और अतंकिादी ऄपराधों से वनपट
रही ह।। आन एजेंवसयों में मनी लॉन्ड्रिंग के विषयों पर एकीकृ त दृव्कोण की कमी है। काले
धन पर विशेष जांच दल (SIT) ने काले धन की जांच के वलए एक एकीकृ त प्रणाली की
ऄनुशंसा की है।
 धन शोधन और अतंकिाक्रदयों के वित्तपोषण के ऄपराधीकरण एिं जब्ती ि ऄंतररम
ईपायों के घरेलू ढांचे में तकनीकी कवमयां ह।।
 सरकारी वनकायों के माध्यम से सभी ईपलब्ध ऄिसंरचनां के होते हुए भी AML के
कायातरियन की वजम्मेदारी ऄवधकांशतया वित्तीय संस्थानों में वनवहत है। ऄवधकांश
संस्थान आसे एक वित्तीय और पररचालनात्मक बोझ के रूप में देखते ह।। क्रदए गए वित्तीय

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संस्थान के व्यिसाय के अकार और विवभन्न क्षेत्रों के अधार पर क्रदए गए AML कायतिम


का दायरा यथे् रूप से वभन्न हो सकता है। ऄनुपालन में स्प्ता और कठोर समय-सीमा
की कमी का पररणाम AML प्रक्रियां के दीघतकावलक रणनीवतक समाधान की बजाय
तदथत कायातरियन के रूप में सामने अ सकता है।
 एक और बडी समस्या प्रिततन का ऄभाि है। मनी लॉन्ड्रिंग का ऄपराधीकरण करने और
पररसंपवत्तयों को जब्त करने के वलए ऄवधकाररयों को सशक्त बनाने िाले कानूनों के होते
हुए भी ऄवभयोजन और दोषवसवद् के मामले में ऄवधक प्रगवत नहीं हुइ है और जब्ती की
दर कम है। आन वनष्कषों के अधार पर SIT ने सरकार से कर कानूनों के कठोर प्रिततन
और लंवबत मुकदमों में तेजी लाने की ऄनुशंसा की है। सरकारी ररकॉडत दशात ते ह। क्रक
प्रत्यक्ष कर कानूनों से संबंवधत 8,000 से ऄवधक ऄवभयोजन वपछले कइ िषों से लंवबत
पडे ह।। लगभग 5,000 ऄरय मामले ऄके ले मुंबइ में ही एक दशक से भी ऄवधक समय तक
वनचली ऄदालतों में ही लंवबत पडे हुए थे।
AML के क्षेत्र में विकवसत देशों के प्रयासों की भारत द्वारा बराबरी हेतु आसे लंबा सफर तय
करना है। आसके वलए सरकार को और ऄवधक प्रभािी कारतिाइ करने की अिश्यकता है।
विधायी और कायतकारी वनकायों से समथतन के वबना मनी लॉन्ड्रिंग की गवतविवधयों पर
वनयंत्रण करना करठन है।

3. वपछले कइ िषों से, मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने िाले कानून ऄल्प प्रभािी वसद् हुए ह।। मनी
लॉन्ड्रिंग को एक पृथक ऄपराध बनाने के सरकार के प्रस्ताि के संदभत में आस कथन की संक्षप
े में
चचात कीवजए। साथ ही, मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने के वलए FATF द्वारा की गइ
ऄनुशस ं ां को सूचीबद् कीवजए।
दृव्कोण:
 प्रारंभ में संक्षेप में मनी लान्ड्िंग की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने
हेतु वनर्थमत कानूनों की रूपरेखा प्रस्तुत कीवजए।
 संक्षेप में ईन तकों पर चचात कीवजए वजनके ऄनुसार ये ऄप्रभािी ह।।
 एक पृथक फौजदारी ऄपराध के रूप में मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने के नए प्रस्ताि को ईपरोक्त
चचात से संबद् कीवजए।
 ऄंत में, FATF की ऄनुशंसां का ईल्ले्ख कीवजए।
 मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने में भारत के प्रयासों की प्रगवत पर प्रकाश डालते हुए ईत्तर का
समापन कीवजए।
ईत्तर:
मनी लॉन्ड्रिंग ऄिैध तरीके से ऄर्थजत धन ऄथिा अपरावधक कृ त्यों से प्राि धन को िैध धन
और पररसंपवत्तयों में पररिर्थतत करने की प्रक्रिया है। मनी लॉन्ड्रिंग संगरठत ऄपराध को पनपने
में सहायता करता है तथा क्रकसी देश की ऄथतव्यिस्था और समाज को नकारात्मक रूप से
प्रभावित करती है। आस खतरे को रोकने के वलए, भारत सरकार ने बीते िषों के दौरान कइ
कानून बनाए ह।, यथा:
 विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी वनिारण ऄवधवनयम 1974 (COFEPOSA)
 तस्कर ि विदेशी मुद्रा विरूपणकतात ऄवधवनयम, 1976 (SAFEMA)
 विदेशी मुद्रा विवनयमन ऄवधवनयम, 1973 (FERA)
 वप्रिेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA)
PMLA 2002 एक व्यापक कानून है वजसका ईद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम करना और
आससे प्राि संपवत्त की जब्ती के वलए प्रािधान करना है। हालांक्रक, भारत से मनी लॉन्ड्रिंग की

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रोकथाम में यह कानून प्रभािी नहीं रहा है। आसके 15 िषों के आवतहास के दौरान के िल एक
ही व्यवक्त दोषी वसद् क्रकया गया है। यही कारण है क्रक मनी लॉन्ड्रिंग ईपायों को ऄवधक
प्रभािी बनाने के वलए, कें द्र सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग को एक ऄलग क्रिवमनल ऄपराध घोवषत
करने का प्रस्ताि रखा है।
आस घोषणा के साथ ही, ऄरय एजेंवसयों द्वारा जांच के बािजूद, प्रिततन वनदेशालय द्वारा भी
मनी लॉन्ड्रिंग सम्बरधी ऄपराधों की जांच की जाएगी। आससे त्िररत कारतिाइ में सुविधा
होगी।
भारत में िततमान व्यिस्था के ऄंतगतत, मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का पररणाम प्राथवमक
एजेंवसयों द्वारा की गयी प्रेडीके ट ऄपराधों की जांच और ऄवभयोजन पर वनभतर करता है। कइ
बार मनी लॉन्ड्रिंग की जांच पर लगे आन प्रवतबंधो ने मामलों की जांच को ईनके तार्दकक
वनष्कषत पर ले जाने में बाधा ईत्पन्न की है।
आसके द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के विरूद् भारत के द्वारा सिोत्तम िैविक परम्परां के ऄनुरूप
कदम ईठाये जा सकें गे । यूनाआटेड ककगडम जैसे कइ देशों ने आसे एक ऄलग क्रिवमनल ऄपराध
के रूप में पररभावषत क्रकया है।
हालांक्रक, आस प्रक्रिया में सरकार को PMLA में कइ संशोधन करने होंगे, वजसमें "ऄपराध के
मूल्य (proceeds of crime)" की िततमान पररभाषा भी सवम्मवलत है। यह िततमान में
ऄवधवनयम की ऄनुसूची में सूचीबद् प्रेडीके ट ऄपराधों पर वनभतर करता है।
FATF की महत्िपूणत ऄनुशंसाएं
 मनी-लॉन्ड्रिंग तथा अतंकिाद के वित्तपोषण को वनयंवत्रत करने के वलए
पहचान(Identify), अकलन(assess ) और प्रभािी कारतिाइ करना।
 विवभन्न राष्ट्रों के पास एक मनी-लॉन्ड्रिंग नीवत होनी चावहए। नीवत द्वारा ऐसे प्रावधकारी
को वनर्दद् क्रकया जाना चावहए जो ऐसी नीवतयों के वलए ईत्तरदायी हो।
 वियना करिेंशन और पालेमो करिेंशन के अधार पर आसे क्रिवमनल ऄपराध घोवषत
करना।
 मनी लॉन्ड्रिंग द्वारा ऄर्थजत की गयी संपवत्त और अय जब्त करने के वलए ऄवधकाररयों
को समथत बनाना।
 सुवनवित करना क्रक वित्तीय संस्थानों के गोपनीयता कानून आन ईपायों के कायातरियन में
अडे न अएं।
 वित्तीय संस्थानों को बेनामी खाते खोलने से रोकना।
 वित्तीय संस्थानों के वलए सभी लेनदेनों के ऄवभलेखीकरण को अिश्यक बनाना।
 धन हस्तांतरण करनेिाले सेिा प्रदातां को लाआसेंस क्रदया जाना चावहए या ईनका
पंजीकरण क्रकया जाना चावहए।
 ईन जोवखमों की पहचान करना जो नइ प्रौद्योवगक्रकयों के विकास से ईत्पन्न हो सकते ह।।
 यह सुवनवित करना क्रक वित्तीय संस्थान िायर ट्रांसफ़र की वनगरानी करें।
 यह सुवनवित करना क्रक विदेशी वनिेशकों की विदेशी शाखाएं और सहायक कं पवनयां आन
ईपायों को लागू करें।
 FATF द्वारा मांग क्रकये जाने पर ईवचत कदम ईठाना।
 वित्तीय खुक्रफया आकाइ (FIU) की स्थापना करना।
 वित्तीय संस्थानों को संक्रदग्ध लेनदेन की सूचना FIU को देनी चावहए।
 सुवनवित करना क्रक एक वनर्दद् कानून प्रिततन प्रावधकारी हो जो मनी लॉन्ड्रिंग और
अतंकिादी वित्तपोषण गवतविवधयों की जांच के वलए ईत्तरदायी हो।

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 मनी लॉन्ड्रिंग से वनपटने के वलए तैयार क्रकए गए महत्िपूणत िैविक ऄवभसमयों का


वहस्सा बनने के वलए तत्काल कदम ईठाना।
 मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में पारस्पररक कानूनी सहायता प्रदान करना।
 मनी लॉन्ड्रिंग और अतंकिादी वित्तपोषण गवतविवधयों के संबंध में प्रत्यपतण ऄनुरोध
प्रभािी ढंग से वनष्पाक्रदत करना।

7. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे


गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)

1. ऄिैध धन स्थांतरण देश की अर्थथक प्रभुसत्ता के वलए एक गंभीर सुरक्षा जोवखम होता है।
भारत के वलए आसका क्या महत्ि है और आस खतरे से बचने के वलये क्या कदम ईठाये जाने
चावहए। (2013)

8. सरदभत (References)
 http://www.nja.nic.in/4.1.%20Paper-
%20Money%20Laundering_1_%20Paridhi%20Saxena.pdf
 http://www.fatf-gafi.org/publications/methodsandtrends/documents/role-
hawalas-in-ml-tf.html
 http://www.business-standard.com/article/current-affairs/why-no-one-has-
gone-to-jail-for-money-laundering-116061100602_1.html
 http://blogs.economictimes.indiatimes.com/et-commentary/bitcoin-the-new-
hawala/
 http://www.igidr.ac.in/conf/money/mfc-11/Singh_Vijay.pdf
 http://www.thehindu.com/news/national/money-laundering-may-be-made-
criminal-offence/article18279241.ece
 http://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/first-money-
laundering-conviction-ex-min-jailed-for-7-yrs/articleshow/56890458.cms
 http://www.fatf-
gafi.org/media/fatf/documents/recommendations/pdfs/FATF_Recommendatio
ns.pdf

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साआबर सुरक्षा
विषय सूची
1. साआबर सुरक्षा का पररचय ___________________________________________________________________ 33

1.1. साआबरस्पेस (Cyberspace) _____________________________________________________________ 33

1.2. साआबर खतरे (Cyberthreats) ____________________________________________________________ 33


1.2.1. साआबर ऄपराध / साआबर हमले ___________________________________________________________ 33
1.2.2. साआबर अतंकिाद (Cyber Terrorism) ____________________________________________________ 33
1.2.3. साआबर युद्ध (Cyberwarfare) ___________________________________________________________ 34
1.2.4. साआबर जासूसी (Cyber Espionage) _____________________________________________________ 34

1.3. साआबरस्पेस का महत्ि (Importance of Cyberspace)___________________________________________ 34

1.4. साआबर स्पेस की रक्षा करने में चुनौवतयााँ _______________________________________________________ 34

2. भारत में साआबर सुरक्षा (Cybersecurity in India) _________________________________________________ 35

2.1. िततमान वस्थवत (Current situation) ________________________________________________________ 35

2.2. साआबर सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा ईठाए गए कदम _________________________________________________ 36

2.3 विवधक फ्रेमिकत (Legal Framework) _______________________________________________________ 36


2.3.1. राष्ट्रीय साआबर सुरक्षा नीवत 2013 _________________________________________________________ 36
2.3.2. सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 (2008 में संशोधन के पश्चात्) _________________________________ 37
2.3.3. सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम की अलोचनाएाँ _________________________________________________ 38
2.3.4. राष्ट्रीय दूरसंचार नीवत 2012 ____________________________________________________________ 38

2.4. संस्थागत फ्रेमिकत (Institutional Framework) ________________________________________________ 38


2.4.1. राष्ट्रीय साआबर सुरक्षा समन्िय कें द्र _________________________________________________________ 38
2.4.2. भारत का कम्पूटर अपातकालीन प्रवतक्रिया दल ________________________________________________ 39
2.4.3. राष्ट्रीय महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना संरक्षण कें द्र _______________________________________________ 39
2.4.4. भारतीय साआबर ऄपराध समन्िय कें द्र (I4C) और साआबर योद्धा पुवलस बल ____________________________ 39
2.4.5. साआबर स्िच्छता कें द्र __________________________________________________________________ 40

2.5. ऄन्य ईपाय (Other Measures) __________________________________________________________ 40


2.5.1. वडवजटल सेना कायतिम (Digital Army Programme) _________________________________________ 40
2.5.2. ऄन्य देशों के साथ सहयोग _______________________________________________________________ 40

2.6. चुनौवतयााँ – भारत में साआबर सुरक्षा__________________________________________________________ 40


2.6.1. सरंचनात्मक (Structural) ______________________________________________________________ 40
2.6.2. प्रशासवनक (Administrative) ___________________________________________________________ 41
2.6.3. मानि संसाधन संबंधी (Human Resource Related) _________________________________________ 41
2.6.4. प्रक्रियात्मक (Procedural) _____________________________________________________________ 41

2.7. अगे की राह (Way forward) _____________________________________________________________ 41

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3. ऄन्य विविध शब्दािली _____________________________________________________________________ 42

3.1. मॉलिेयर (Malwares) _________________________________________________________________ 42

3.2. िैविक साआबर रणनीवत (Global Cyber Strategy) _____________________________________________ 43

3.3. िैविक रणनीवत की अिश्यकता ____________________________________________________________ 43

3.4. ऐसी िैविक साआबर सुरक्षा रणनीवत के घटकों में वनम्नवलवखत बबदु शावमल होने चावहए ________________________ 44

3.5. भारत को आन िैविक प्रयासों में क्यों सम्मवलत नहीं होना चावहए? ______________________________________ 44

3.6. भारत को आन िैविक प्रयासों के क्यों सवम्मवलत होना चावहए? ________________________________________ 44

3.7. िैविक पहलें (Global initiatives) _________________________________________________________ 45


3.7.1. बुडापेस्ट ऄवभसमय (Budapest Convention)_______________________________________________ 45
3.7.2. ग्राउंड जीरो वशखर सम्मेलन _____________________________________________________________ 45
3.7.3. ICANN ___________________________________________________________________________ 45

4. विविध (Miscellaneous) __________________________________________________________________ 46

4.1. रैनसमिेयर साआबर हमले ________________________________________________________________ 46

4.2. भारत में एवन्िप्शन का मुद्दा _______________________________________________________________ 46

5. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 48

6. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 56

7. संदभत (References)______________________________________________________________________ 57

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1. साआबर सुर क्षा का पररचय


(Introduction to Cyber Security)
सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 के ऄनुसार, "साआबर सुरक्षा का ऄथत सूचना, ईपकरण, कं प्यूटर
वडिाआस, कं प्यूटर संसाधन, संचार ईपकरण और ईनमें संग्रहीत जानकारी की ऄनवधकृ त पहंच,
ईपयोग, प्रकटीकरण, व्यिधान, संशोधन या विनाश से संरवक्षत करना है। "

1.1. साआबरस्पे स (Cyberspace)

भारत की साआबर सुरक्षा नीवत 2013 के ऄनुसार “साआबर स्पेस लोगों, सॉफ्टिेयर और सेिाओं के बीच
ऄंतःक्रियाओं का एक जरटल पररिेश है वजसे सूचना और संचार प्रौद्योवगकी युवियों और नेटिकों के
वििव्यापी वितरण से समथतन वमलता है।

1.2. साआबर खतरे (Cyberthreats)


ऄपरावधयों और ईनके ईद्देश्यों के अधार पर साआबर खतरों को चार िगों में विभावजत क्रकया जा
सकता है - साआबर जासूसी, साआबर ऄपराध, साआबर अतंकिाद, साआबर युद्ध।

1.2.1. साआबर ऄपराध / साआबर हमले

(Cyber Crime/ Cyber Attacks)


साआबर हमला “व्यवि या पूरे संगठन द्वारा वनयोवजत की गइ क्रकसी भी प्रकार की अपविजनक
गवतविवध है जो लवक्षत कं प्यूटर नेटिकत या तंत्र को हावन पहाँचाने या नष्ट करने के ईद्देश्य से कं प्यूटर
सूचना प्रणावलयााँ, ऄिसंरचनाओं तथा कं प्यूटर नेटिकत को लक्ष्य बनाती है।”
आन हमलों को आनके संदभत , पैमाने और गंभीरता के अधार पर साआबर-ऄवभयान, साआबर-युद्ध या
साआबर-अतंकिाद का नाम क्रदया जा सकता है। साआबर-हमले व्यविगत कम्प्यूटर (PC) पर स्पाआिेयर
आन्स्टाल करने से लेकर संपूणत राष्ट्रों के महत्िपूणत ऄिसंरचना का विनाश करने तक हो सकते ह।

1.2.2. साआबर अतं क िाद (Cyber Terrorism)

साआबर स्पेस से संबंवधत अतंकिाद की कारतिाआयों या साआबर प्रौद्योवगक्रकयों का ईपयोग करके


वनष्पाक्रदत अतंकिाद की कारतिाइ को 'साआबर अतंकिाद' के रूप में जाना जाता है।
“साआबर अतंकिाद, अतंकिाद और साआबर स्पेस का वमला जुला रूप है। आसे अमतौर पर राजनीवतक
या सामावजक ईद्देश्यों को प्राप्त करने के वलए सरकार या ईसके लोगों को धमकाने या वििश करने हेतु
कं प्यूटरों, नेटिको और ईसमें संग्रवहत जानकारी के विरूद्ध ईत्पन्न क्रकए जाने िाले गैरकानूनी हमलों
और खतरों के रूप में माना जाता है। साथ ही साआबर अतंकिाद के रूप में ऄहतता प्राप्त करने के वलए
िह हमला व्यवियों या संपवि के विरूद्ध बहसा के रूप में पररणावमत होना चावहए या कम से कम
ईसके द्वारा भय ईत्पन्न करने के वलए पयातप्त हावन ईत्पन्न की जानी चावहए। ऄपने प्रभाि के अधार पर
महत्िपूणत ऄिसंरचना के विरूद्ध गंभीर हमले साआबर अतंकिाद के कृ त्य हो सकते ह।
यहााँ यह ध्यान क्रदया जाना चावहए क्रक यक्रद िे महत्िपूणत प्रणावलयों/ऄिसंरचनाओं पर हमला करके
अतंक पैदा करते ह तो ईनके द्वारा बहसा क्रकए जाने की कोइ अिश्यकता नहीं है। िास्ति में ऐसे हमले
ऄवधक खतरनाक हो सकते ह।
आसके ऄवतररक्त, अतंकिाक्रदयों द्वारा अतंकिादी हमलों की योजना बनाने, सहानुभूवत रखने िाले
समथतक जुटाने, संचार प्रयोजनों, अदेशों और वनयंत्रण, ब्रेन िॉश करने के वलए ऑनलाआन दुभातिनापूणत
सामग्री के रूप में प्रचार-प्रसार करने, ऄनुदान प्रयोजनों अक्रद के वलए भी साआबर स्पेस का भी ईपयोग
क्रकया जाता है। आसका ईपयोग अतंकिाक्रदयों द्वारा ऄपने राजनीवतक और सामावजक ईद्देश्यों को प्राप्त
करने के नए क्षेत्र के रूप में भी क्रकया जाता है।

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1.2.3. साआबर यु द्ध (Cyberwarfare)

ऑक्सफोडत शब्दकोश साआबर युद्ध को “विशेष रूप से रणनीवतक या सैन्य ईद्देश्यों के वलए जान-बूझकर
हमला कर क्रकसी राज्य या संगठन की गवतविवधयों को बावधत करने के वलए कं प्यूटर प्रौद्योवगकी का
ईपयोग के रूप में पररभावषत करता है।" कं प्यूटर प्रणाली या नेटिकत के विरुद्ध ये शत्रुतापूणत कायत कोइ
भी रूप में ले सकते ह। एक ओर, यह िांवछत जानकारी को वनष्कर्षषत करने के वलए क्रकसी कं प्यूटर
प्रणाली या नेटिकत के सामान्य संचालन को ऄस्त-व्यस्त क्रकए वबना सबसे छोटे संभावित हस्तक्षेप के
वलए अयोवजत क्रकया जा सकता है। आस प्रकार के हस्तक्षेप पर ईपयोगकतात का ध्यान कभी नहीं जा
पता और िह जारी रहता है। िहीं दूसरे प्रकार के हस्तक्षेप की प्रकृ वत विनाशकारी हो सकती है जो
विरोधी की कं प्यूटर प्रणावलयों में पररिततन, व्यिधान या खराबी ईत्पन्न कर देता या ईन्हें नष्ट कर
देता है।

1.2.4. साआबर जासू सी (Cyber Espionage)

ऑक्सफोडत शब्दकोश के ऄनुसार, साआबर जासूसी "गोपनीय जानकारी तक ऄिैध पहंच प्राप्त करने के
वलए कं प्यूटर नेटिकत का ईपयोग है जो अमतौर पर सरकार या ऄन्य संगठन द्वारा अयोवजत की जाती
है।" यह अमतौर पर खूक्रफया जानकारी एकवत्रत करने , डेटा चोरी करने और हाल ही में , फे सबुक और
वविटर जैसे सोशल नेटिर्ककग साआटों पर साितजवनक गवतविवध के विश्लेषण से संबद्ध है। ये गवतविवधयााँ
ऄपरावधयों, अतंकिाक्रदयों या राष्ट्रों द्वारा सामान्य सूचना एकत्रण या सुरक्षा वनगरानी के रूप में की जा
सकती ह।
साआबर जासूसी के ईदाहरणों में सवम्मवलत ह - िषत 2014 में चीनी ऄवधकाररयों द्वारा व्यापार रहस्यों
को चुराने के वलए प्रमुख ऄमेररकी कं पवनयों की हैककग; टाआटन रेन; मूनलाआट मेज़; संयुक्त राज्य
ऄमेररका में एडिडत स्नोडेन द्वारा खुलासा क्रकया गया राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) का वनगरानी
कायतिम।

1.3. साआबरस्पे स का महत्ि (Importance of Cyberspace)

साआबर सुरक्षा ने वनम्नवलवखत कारणों से रणनीवतक और ऄहम महत्ि प्राप्त कर वलया है


 साआबर स्पेस साितजवनक नीवतयों के वनमातण और वनष्पादन में महत्िपूणत ऄियि बन गया है।
 सरकार द्वारा आसका ईपयोग संिद े नशील और महत्िपूणत डेटा को संसावधत करने और भण्डाररत
करने के वलए क्रकया जाता है, वजसके संकटग्रस्त हो जाने पर विनाशकारी प्रभाि हो सकते ह।
 साआबरस्पेस की कायतप्रणाली ऄस्त-व्यस्त होने से कइ महत्िपूणत साितजवनक सेिाओं में व्यिधान
ईत्पन्न होगा जैसे- रेलिे, प्रवतरक्षा प्रणाली, संचार प्रणाली, बककग और ऄन्य वििीय प्रणाली।
 कइ राष्ट्रों द्वारा साआबर हमलों के क्षेत्र में क्षमताओं का विकास क्रकया जा रहा है जो युद्ध क्षेत्र में
पररणामों को पररिर्षतत कर सकती ह।
 व्यवि बहत तेजी से आंटरनेट अधाररत सेिाओं के ईपयोग की तरफ बढ़ रहे ह जो ईन्हें कइ प्रकार
के साआबर ऄपराधों के प्रवत सुभेद्य बना रहा है जैसे- ऑनलाआन बक धोखाधडी, वनगरानी,
प्रोफाआबलग, गोपनीयता का ईल्लंघन अक्रद।

1.4. साआबर स्पे स की रक्षा करने में चु नौवतयााँ

(Challenges in defending cyberspace)


साआबर हमलों से वनपटने का कायत वनम्नवलवखत कारणों से पारंपररक खतरों की तुलना में ऄवधक करठन
है
 स्पष्ट ऄपराधकतात की ऄनुपवस्थवत में विसररत और ऄस्पष्ट (ऄप्रत्यक्ष) खतरे के साथ हमला करने
की कम लागतें पयातप्त ऄनुक्रिया के ईपाय करना करठन बना देती ह।

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 हमलािर को ढू ंढना करठन होता है वजससे लक्ष्य को यह सोचने के वलए ्रमवमत क्रकया जा सकता है
क्रक हमला कहीं और से हअ है।
 क्रकसी भी प्रकार की भौगोवलक बाधाओं की ऄनुपवस्थवत हमलािरों को विश्ि भर में कहीं से भी
हमला करने में सक्षम बनाती है।
 ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग की अिश्यकता - साआबर स्पेस राष्ट्रीय वहत के दृवष्टकोण से भी मूल रूप से
ऄंतरातष्ट्रीय ह। यक्रद क्रकसी भी देश को ऄपने नागररकों के वलए प्रासंवगक साआबर स्पेस की
कायतक्षमता की रक्षा करनी हो तो ईसके वलए आस स्पेस के क्रकसी भी भाग में घरटत होने िाली
घटनाओं की ईपेक्षा करना संभि नहीं है।
 तेजी से विकवसत होती प्रौद्योवगकी को िैविक विकास, विकवसत होते प्रवतद्वंवद्वयों और प्रवतस्पधात
में अगे रहने के वलए वनिेश, श्रमशवि और पाररवस्थवतकी तंत्र की अिश्यकता है।
 क्रकसी भी प्रणाली में बग विद्यमान होने की संभािना के साथ हमलािरों द्वारा हमला करने हेतु
कम संसाधनों की अिश्यकता के कारण संभावित वििसनीय सुरक्षा संरचना का ऄभाि।
 साआबर सुरक्षा में मानिीय तत्ि – लवक्षत ईपयोगकतात स्ियं गलवतयााँ करते ह और साआबर हमले
का वशकार बनते ह। सबसे पररष्कृ त साआबर हमलों में सभी मानिीय तत्ि सवम्मवलत ह Stuxnet
नामक मॉलिेयर को फै लाने के वलए इरान के परमाणु संस्थानों में संिवमत यूएसबी (USB)
वडिाआसों के भौवतक प्रयोग की अिश्यकता हइ; बांग्लादेश से िषत 2016 की 950 वमवलयन डॉलर
की साआबर-सेंधमारी में सीधे-सादे (या धूतत) बकरों ने हैकसत को SWIFT कोड सौंप क्रदए।

2. भारत में साआबर सुर क्षा (Cybersecurity in India)


क्रदसंबर 2017 के ऄंत तक, भारत में 481 वमवलयन ईपयोगकतात थे। आनकी संख्या िषत 2016 की
तुलना में 2017 तक 11.34% बढ़ गइ। आंटरनेट ईपयोग के विकास की गवत हमें वडवजटल समाज की
ओर ऄग्रसर कर रही है और स्ियं सरकार ने भारत के वडवजटलीकरण के वलए विवभन्न कायतिम अरम्भ
क्रकए ह। ईदाहरण के वलए- वडवजटल भारत कायतिम।

2.1. ितत मान वस्थवत (Current situation)

2016 में राष्ट्रीय ऄपराध ररकॉर्डसत ब्यूरो (National Crime Records Bureau: NCRB) ने
12,317 साआबर िाआम के मामलों की सूचना दी, जो 2015 की तुलना में 6% ऄवधक है। साआबर
सुरक्षा से संबंवधत कु छ अंकडे वनम्नवलवखत ह
 प्राआस िाटरहाईस कू पसत (PwC) और एसोचैम (ASSOCHAM) के संयुि ऄध्ययन के ऄुनसार
2011 से 2014 तक की तीन िषत की ऄिवध में , भारत में पंजीकृ त साआबर ऄपराध के मामलों की
संख्या में 350 प्रवतशत की िृवद्ध हइ है।
 ऄवधकतर हमले संयुक्त राज्य ऄमेररका, तुकी, चीन, ब्राजील, पाक्रकस्तान, ऄल्जीररया, यूरोप और
संयुि ऄरब ऄमीरात जैसे देशों से क्रकया गया।
साआबर हमलों के कारण भारत के सुरक्षा वनवहताथों को वनम्नवलवखत ईदाहरणों से समझा जा सकता है
 2012 में, एक ईच्च प्रोफाआल साआबर हमले ने लगभग 12,000 व्यवियों के इमेल खातों में
सेंधमारी की, आन व्यवियों में विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रक्षा ऄनुसंधान एिं विकास संगठन
(DRDO) और भारत-वतब्बती सीमा पुवलस (ITBP) के ऄवधकारी भी सवम्मवलत थे।
 2013 में, परमाणु उजात वनगम (NPCIL) के कायतकारी वनदेशक ने कहा क्रक ऄके ले ईनकी कं पनी
को एक क्रदन में दस लवक्षत हमलों को ऄिरुद्ध करने के वलए वििश होना पडा था।
 2016 में 32 लाख डेवबट काडत खतरे में अ गए थे।

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 ऄपने अप को 'Legion' बताने िाले हैकसत के एक समूह द्वारा इमेल और वविटर खातों की हैककग।
आस समूह ने भारत में "40,000 से ऄवधक सितर", कु छ भारतीय बकों द्वारा ईपयोग की जाने िाली
"एवन्िप्शन की और प्रमाणपत्रों" तथा "वनजी ऄस्पताल श्रृंखलाओं के सितर" में विद्यमान गोपनीय
वचक्रकत्सा डेटा तक पहंच होने का भी दािा क्रकया।

2.2. साआबर सु र क्षा हे तु सरकार द्वारा ईठाए गए कदम

(Steps taken by Government in Cybersecurity)


सरकार ने साआबर सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता प्राप्त करने और आस क्षमता को बढ़ाने हेतु कइ कदम ईठाए
ह। ईनमें से कु छ की चचात नीचे की गइ है।

2.3 विवधक फ्रे मिकत (Legal Framework)

2.3.1. राष्ट्रीय साआबर सु र क्षा नीवत 2013

(National Cybersecurity Policy 2013)


आसे एडिडत स्नोडेन द्वारा बहत बडे स्तर पर NSA वनगरानी कायतिम के खुलासे की पृष्ठभूवम में लाया
गया था। आसके मुख्य प्रािधानों में वनम्नवलवखत सवम्मवलत ह-
 देश की महत्िपूणत ऄिसंरचनाओं की रक्षा हेतु चौबीस घंटे सातों क्रदन (24×7) के वलए राष्ट्रीय
महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना संरक्षण कें द्र (National Critical Information Infrastructure
Protection Centre: NCIIPC) की स्थापना करना।
 ऄगले पांच िषों में 5,00,000 साआबर सुरक्षा पेशेिरों के कायतबल का वनमातण करना।
 मानक सुरक्षा प्रथाओं और प्रक्रियाओं को ऄपनाने के वलए व्यिसायों को वििीय योजनाएं तथा
लाभ प्रदान करना।
 साआबर सुरक्षा मामलों से संबंवधत मुद्दों के समन्िय के वलए CERT-In (Indian Computer
Emergency Response Team: CERT-In) को राष्ट्रीय नोडल एजेंसी नावमत क्रकया जाना
तथा संबंवधत स्तरों पर समन्िय के वलए स्थानीय (राज्य स्तर पर) CERT वनकायों का गठन।
 साआबर सुरक्षा के वलए मुि मानकों का प्रयोग।
 साआबर सुरक्षा चुनौवतयों से वनपटने के वलए एक गवतशील विवधक फ्रेमिकत का विकास।
 सरकारी सेिाओं के वलए विशेष साितजवनक ऄिसंरचना के व्यापक प्रयोग को बढ़ािा देना।
 आस नीवत में ईवल्लवखत सभी पहलों में व्याप्त एक समान विचार – PPP के माध्यम से जागरुकता
तथा कौशल विकास हेतु आन्फोसेक के पेशेिर कमतचाररयों/ संगठनों को इ-शासन संबंधी पहलों,
ईत्कृ ष्टता के न्द्रों, साआबर सुरक्षा ऄिधारणा संबंधी प्रयोगशालाओं के वनमातण में सहायता के वलए
वनयुि करना।
मुख्य बचताएं (Key concerns)
 राष्ट्रीय साआबर सुरक्षा नीवत 2013 में मुख्यतः रक्षात्मक एिं ऄनुक्रिया संबंधी ईपायों की व्यिस्था
है तथा आसमें अिामक क्षमता के विकास की अिश्यकता की कहीं भी चचात नहीं की गयी है।
 साआबर सुरक्षा नीवत में 5 लाख पेशेिरों की वनयुवि अक्रद जैसे प्रािधानों के ईवचत कयातन्ियन का
ऄभाि है।
 भारतीयों के गोपनीयता संबंधी ऄवधकार सवहत सभी नागररक स्ितंत्रता की सुरक्षा संबंधी
अिश्यकताओं के साथ साआबर सुरक्षा अिश्यकताओं को संतुवलत करने के प्रयास ऄपयातप्त ह।

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2.3.2. सू च ना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 (2008 में सं शोधन के पश्चात् )

(Information Technology Act 2000 (As Amended in 2008))


सूचना ऄप्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 कं प्यूटर प्रणावलयों, कं प्यूटर नेटिकों एिं ईनके डेटा के प्रयोग
को वनयंवत्रत करती है। यह ऄवधवनयम आलेक्रॉवनक प्रमाणीकरण, वडवजटल हस्ताक्षर, साआबर ऄपराध,
नेटिकत सेिा प्रदाताओं के दावयत्ि के वनधातरण के द्वारा आलेक्रॉवनक ऄनुबंधों तथा समझौतों को
िैधावनक पहचान प्रदान करता है।

वडवजटल हस्ताक्षर, हस्ताक्षर का एक आलेक्रॉवनक रूप है। जैसे हस्तवलवखत हस्ताक्षर द्वारा क्रकसी
दस्तािेज़ को प्रमावणत क्रकया जाता है, ठीक िैसे ही वडवजटल हस्ताक्षर आलेक्रॉवनक दस्तािेजों को
प्रमावणत करता है।
वडवजटल वसग्नेचर सर्टटक्रफके शन (DSC) को पहचान को प्रमावणत करने, आंटरनेट पर सेिाओं तक पहाँचने
या कु छ दस्तािेजों पर वडवजटल रूप में हस्ताक्षर करने हेतु आलेक्रॉवनक रूप से प्रस्तुत क्रकया जा सकता है।
सूचनाओं के विवनमय की पूणत गोपनीयता सुवनवश्चत कर DSC द्वारा ऑनलाआन लेनदेन हेतु ईच्च स्तरीय
सुरक्षा प्रदान की जाती है।
आस प्रमाणपत्र के ऄंतगतत ईपयोगकतातओं की पहचान (नाम, वपन कोड, देश, इमेल एड्रेस, प्रमाणपत्र जारी
करने का क्रदनांक और प्रमाणन प्रावधकारी का नाम) सम्बंधी सूचनाएं शावमल होती ह। एक लाआसेंस प्राप्त
प्रमाणन प्रावधकारी (certifying authority : CA) वडवजटल हस्ताक्षर जारी करता है। CA से अशय
एक ऐसे व्यवि से है वजसे सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 की धारा 24 के तहत वडवजटल हस्ताक्षर
प्रमाणपत्र जारी करने का लाआसेंस प्रदान क्रकया गया हो। प्रमाणन प्रावधकाररयों द्वारा DSC जारी करने
हेतु वलया गया समय ऄवधकतम एक सप्ताह तक हो सकता है।

अपरावधक कृ त्य (criminal offences) ईपधाराएं


(subsection)

संसूचना सेिा अक्रद द्वारा अिामक सन्देश भेजने हेतु दंड। 66A

चुराए गए कं प्यूटर संसाधन या संचार युवि को बेइमानी से प्राप्त करने के वलए 66B
दंड।

पहचान चोरी के वलए दंड। 66C

कं प्यूटर संसाधन का ईपयोग करके प्रवतरूपण द्वारा छल करने के वलए दंड। 66D

एकांतता के ऄवतिमण के वलए दंड। 66E

साआबर अतंकिाद के वलए दंड। 66F

कामुकता व्यि करने िाले कायत अक्रद सामग्री के आलेक्रॉवनक रूप से प्रकाशन के 67A
वलए दंड।

कामुकता व्यि करने िाले कायत में बालकों को वचवत्रत करने िाली सामग्री के 67B
आलेक्रॉवनक रूप से प्रकाशन के वलए दंड।

मध्यिर्षतयों द्वारा सूचना का परररक्षण और प्रवतधारण, मध्यिती ऐसी सूचना का 67C


जो विवनर्ददष्ट की जाए, ऐसी ऄिवध के वलए और ऐसी रीवत रूप में के न्द्रीय
सरकार विवहत करे , परररक्षण और प्रवतधारण करेगा

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2.3.3. सू च ना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम की अलोचनाएाँ

(Criticisms of the Information Technology Act)


 कॉपोरेट जगत की गोपनीय सूचनाओं और डेटा तथा ईनकी पयातप्त सुरक्षा से संबंवधत मुद्दों का पूणत
रूप से समाधान नहीं क्रकया गया है।
 साआबर क़ानून संशोधन द्वारा वनधातररत क्षवत-पूर्षत के वलए ऄवधकतम रावश 5 करोड रूपए है। यह
ऄत्यंत छोटी रावश है तथा आससे कॉपोरेट जगत को शायद ही कोइ राहत वमल पाती है।
 स्पैम से संबंवधत मुद्दे पर व्यापक रूप से काम नहीं हो पाया है। िस्तुतः, ‘स्पैम’ शब्द की चचात तक
IT संशोधन ऄवधवनयम में कहीं नहीं की गयी है। ध्यान देने की बात है क्रक U.S.A., ऑस्रेवलया
तथा न्यूज़ीलड जैसे देश समर्षपत स्पैम-विरोधी कानूनों के माध्यम से स्पैम के विरुद्ध लडाइ के वलए
गंभीर संकल्प प्रदर्षशत कर चुके ह। आस कारण जहां तक स्पैम की बात है तो भारत आसके वलए एक
स्िगत ही वसद्ध हअ है।
 आसमें न्यायावधकार क्षेत्र से संबंवधत मुद्दे पर कोइ समाधान प्रस्तुत नहीं क्रकया गया है। ऄलग-ऄलग
न्यायावधकार क्षेत्रों में ऄसंख्य आंटरनेट गवतविवधयााँ होती ह, आसवलए आस बात की अिश्यकता है
क्रक िततमान क़ानून में ऄस्पष्ट रूप से प्रािधानों की ऄपेक्षा भारतीय ऄवधकाररयों को भारत को
प्रभावित करने िाले डेटा तथा सूचना पर ऄवधक व्यापक तथा सक्षम क्षे त्रावधकार प्रदान क्रकया
जाए।

2.3.4. राष्ट्रीय दूर सं चार नीवत 2012

(National Telecom Policy 2012)


2012 में ऄपनाइ गयी दूरसंचार नीवत में संचार तथा नेटिकत संबंधी सुरक्षा से संबंवधत बचताओं से
वनपटने िाले प्रािधान भी समावहत क्रकए गए ह। सुरक्षा ईपायों को कायातवन्ित करने के वलए स्िीकृ त
नीवत वनम्नवलवखत है
 दूरसंचार सेिा प्रदाताओं को ऄपने नेटिकों के माध्यम से भेजी और प्राप्त की गयी सूचनाओं की
सुरक्षा सुवनवश्चत करने के वलए पयातप्त व्यिस्था करनी चावहए।
 दूरसंचार सेिा प्रदाताओं को क़ानूनी फ्रेमिकत के भीतर तथा व्यविगत गोपनीयता को ध्यान में
रखते हए एिं ऄंतरातष्ट्रीय कायत-पद्धवतयों का पालन करते हए राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी अिश्यकताओं
की पूर्षत हेतु क़ानून का प्रिततन करने िाली एजेंवसयों की सहायता करनी चावहए।
 नेटिकत पर सुरवक्षत रूप से जुडने हेतु सेफ टू कनेक्ट वडिाआस के प्रयोग को सुवनवश्चत करने के वलए
विवनयामक ईपाय क्रकए जाने चावहए। सुरक्षा मानकों, सुरक्षा परीक्षण, ऄिरोधन तथा वनगरानी
क्षमता से संबंवधत राष्ट्रीय क्षमता का वनमातण क्रकया जाना चावहए।

2.4. सं स्थागत फ्रे मिकत (Institutional Framework)

2.4.1. राष्ट्रीय साआबर सु र क्षा समन्िय कें द्र

(National Cybersecurity Coordination Centre: NCCC)


यह भारत की साआबरस्पेस खुक्रफया एजेंसी है जो सुरक्षा तथा आलेक्रॉवनक वनगरानी का संचालन करेगी।
आसका ईद्देश्य विवभन्न विवध प्रिततन एजेंवसयों से समन्िय कर असूचना (आंटेवलजेंस) सूचनाएं आकट्ठा
करने के वलए संचार से संबंवधत मेटाडेटा की जांच करना है। IT मंत्रालय के ऄधीन काम करने िाला यह
वनकाय देश की साआबर सुरक्षा संबंधी वस्थवत को सुदढ़ृ बनाएगा। देश में स्पष्ट गोपनीयता क़ानून का
ऄभाि होने के कारण कु छ लोगों ने यह बचता व्यि की है क्रक यह वनकाय नागररकों की गोपनीयता
संबंधी ऄवधकार तथा नागररक-स्ितंत्रता संबंधी ऄवधकारों में हस्तक्षेप करेगा।

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2.4.2. भारत का कम्पू ट र अपातकालीन प्रवतक्रिया दल

(India’s Computer Emergency Respose Team: CERT-In)

CERT-In का गठन भारत में साआबर हमले को विफल करने हेतु क्रकया गया है। आसे साआबर सुरक्षा के

वलए ईिरदायी राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में कायत करने के वलए IT संशोधन ऄवधवनयम, 2000 के ऄंतगतत

ऄवधदेवशत क्रकया गया है।


 चाटतर- "CERT-In का ईद्देश्य भारतीय समुदाय के वलए कं प्यूटर सुरक्षा से संबंवधत कभी घटने या

घट सकने िाले मामलों के संबंध में प्रवतक्रिया करने हेतु देश का सिातवधक वििसनीय रेफरल
एजेंसी बनना है।”

 वमशन- “सक्रिय कारतिाइ तथा प्रभािकारी सहयोग के माध्यम से भारत की दूरसंचार तथा सूचना

ऄिसंरचना की सुरक्षा व्यिस्था को ईन्नत करना। "

 कायत क्षेत्र - CERT-In का कायत क्षेत्र भारतीय साआबर समुदाय है।

महत्िपूणत ऄिसंरचना या क्रिरटकल आंफ्रास्रक्चर (CI) - IT ऄवधवनयम 2000 की धारा 70 के तहत,

महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना (CII) को आस प्रकार पररभावषत क्रकया गया है "ऐसा कं प्यूटर संसाधन,

वजसकी ऄक्षमता या विनाश, राष्ट्रीय सुरक्षा, ऄथतव्यिस्था, साितजवनक स्िास््य या सुरक्षा पर दुष्प्रभाि

डालेगी।"

CERT-Fin का गठन भी वििीय वस्थरता तथा विकास पररषद् (Financial Stability and

Development Council: FSDC) की एक ईप-सवमवत की ऄनुशंसाओं के अधार पर वििीय क्षेत्र से

सम्बंवधत खतरों से वनपटने के वलए एक विशेषज्ञ एजेंसी के रूप में क्रकया गया है।

2.4.3. राष्ट्रीय महत्िपू णत सू च ना ऄिसं र चना सं र क्षण कें द्र

(National critical information infrastructure protection centre: NCIIPC)

आसे महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना संरक्षण हेतु एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नावमत क्रकया गया
है। आसके कायत तथा कततव्य वनम्नवलवखत ह
 देश के महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना की सुरक्षा।
 सभी महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना संबंधी घटकों की पहचान।
 महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना की सुरक्षा हेतु राष्ट्रीय तथा ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग संबंधी रणनीवत का
विकास तथा कायातन्ियन।

2.4.4. भारतीय साआबर ऄपराध समन्िय कें द्र ( I4C) और साआबर योद्धा पु वलस बल

(Indian cyber-crime coordination centre (I4C) and Cyber Warrior Police force)

आन्हें साआबर खतरों, बाल-ऄश्लीलता और ऑनलाआन स्टॉककग (पीछा करना) जैसे आंटरनेट ऄपराधों से

वनबटने के वलए नि-वनर्षमत साआबर और सूचना सुरक्षा (CIS) विभाग (गृह मन्त्रालय के अधीन) के

ऄंतगतत स्थावपत क्रकया गया है।

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2.4.5. साआबर स्िच्छता कें द्र

(Cyber Swachchta Kendra: CSK)


आलेक्रॉवनकी और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय ने नेटिकत और वसस्टम को प्रभावित करने िाले मालिेयर
और बॉटनेट के विश्लेषण के वलए साआबर स्िच्छता कें द्र (बोटनेट क्लीबनग और मालिेयर विश्लेषण कें द्र)
का शुभारम्भ क्रकया है। यह वडवजटल आवण्डया पहल का एक वहस्सा है। यह कें द्र, आंटरनेट सेिा प्रदाताओं
(ISP) और ईद्योग के समन्िय से कायत करेगा और बॉटनेट तथा मालिेयर संिमण के सम्बन्ध में
नागररकों के बीच जागरूकता बढ़ाएगा।
CSK साआबर हमलों को रोकने के वलए विवभन्न टूल्स प्रदान करता है, जैसे -
M-किच (M Kavach): स्माटत फोन और टेबलेट के वलए यह विशेष एंटी-िायरस ईपकरण है।
USB प्रवतरोध (USB Pratirodh): यह एक USB रक्षक है, जो USB (s), मेमोरी काडत, बाहरी हाडत
वडस्क अक्रद जैसे विवभन्न बाह्य स्टोरेज ईपकरणों की सफाइ करने में सहायता करता है।
एप संविद (AppSamvid): यह डेस्कटॉप के वलए व्हाइटवलस्ट ईपकरण है।
ब्राउजर JS गाडत यह िेब को ब्राउज करते समय दुभातिनापूणत जािावस्िप्ट और HTML फाआलों को
ऄिरुद्ध (ब्लाक) करने में सहायता करता है।
वनःशुल्क बॉट (Bot) वनिारण ईपकरण यह क्रिक-हील का सहभागी ईपकरण है।

2.5. ऄन्य ईपाय (Other Measures)

2.5.1. वडवजटल से ना कायत ि म (Digital Army Programme)

वडवजटल आंवडया के एक भाग के रूप में भारतीय सेना की प्रक्रियाओं, कायतविवधयों और सेिाओं के
वडवजरटवलकरण और स्िचालन के वलए प्रारम्भ क्रकया गया एक समर्षपत क्लाउड है। यह राष्ट्रीय
क्लाईड पहल (national cloud initiative) मेघराज के ही समान है।

2.5.2. ऄन्य दे शों के साथ सहयोग

(Cooperation with other countries)


भारत ऄन्य देशों के साथ भी सूचनाओं और सिोिम प्रथाओं का परस्पर साझाकरण कर रहा है। ये
दोनों ही महत्िपूणत साआबर घटनाओं के विरुद्ध सुदढ़ृ ऄनुक्रिया देने के वलए महत्िपूणत ह। ईदाहरण के
वलए, भारत, UK, USA, चीन, मलेवशया, बसगापुर, जापान और कइ ऄन्य देशों के साथ विविध मुद्दों
जैसे- साआबर सुरक्षा पेशेिरों का संयुि प्रवशक्षण, सूचना विवनमय, कानून प्रिततन तथा साआबर ऄपराध
जैसी गवतविवधयों से वनपटने के वलए तकनीकी क्षमता के वनमातण पर कायत कर रहा है।

2.6. चु नौवतयााँ – भारत में साआबर सु र क्षा

(Challenges – Cybersecurity in India)

2.6.1. सरं चनात्मक (Structural)

 साआबर-सुरक्षा के क्षेत्र और ऄथत, दोनों के विकास की तीव्र गवत।


 आंटरनेट ऄपने वडजाआन से ही खुलप
े न और कनेवक्टविटी के वलए बनाया गया है, न क्रक
ऄनवधकाररक पहंच से सुरक्षा और सरंक्षण के वलए।

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2.6.2. प्रशासवनक (Administrative)

 सिोिम कायतप्रणाली और ईनके वलए िैधावनक समथतन का ऄभाि, ईदाहरण के वलए भारत में
प्रकटीकरण (वडस्क्लोजर) के मानदंड ही नहीं ह।
 सरकार ने “महत्त्िपूणत सूचना ऄिसरंचना” के सरंक्षण हेतु ईपायों की न तो ऄभी तक पहचान की है
और न ही आसका कायातन्ियन क्रकया है।
 2014 में राष्ट्रीय साआबर सुरक्षा समन्ियक की वनयुवि के ऄनुपूरक के रूप में राज्यों में समन्िय
ऄवधकाररयों की वनयुवि ऄभी तक नहीं की गइ है।

2.6.3. मानि सं साधन सं बं धी (Human Resource Related)

 Cert-In में स्टाफ की ऄत्यवधक कमी है।


 साआबर सुरक्षा के मुद्दों पर ईपयोगकतातओं की सोच में ईदासीनता है।

2.6.4. प्रक्रियात्मक (Procedural)

 IT ऄवधवनयम, 2000 के विवभन्न प्रािधानों तथा साआबर ऄपराधों से सम्बवन्धत IPC की विवभन्न
धाराओं के बारे में स्थानीय पुवलस के ऄन्दर जागरूकता की कमी।
 विमुद्रीकरण के पश्चात सरकार ने वबना क्रकसी क्षमता वनमातण के और ईपकरणों की सुरक्षा या
लेनदेन के प्रवत जागरूकता पैदा क्रकए वबना ही नागररक िगत को ‘नकद रवहत (कै शलेस)’ हो जाने
के वलए प्रेररत क्रकया, वजससे ईनकी सुभेद्यता बढ़ी है।
 आसके ऄवतररि, एक स्माटत वसटी, शहरी गवतशीलता, जल और वबजली की अपूर्षत, स्िच्छता,
अिास, इ-शासन, स्िास््य और वशक्षा, सुरक्षा और संधारणीयता के मूलभूत तत्ि सभी सूचना
प्रौद्योवगकी (IT) की शवि से ही बंधे ह और आसके द्वारा ही संचावलत होते ह। कोर आंफ्रास्रक्चर
सेिाओं के वितरण और प्रबंधन में अइटी (IT) के बडे पैमाने पर ईपयोग को देखते हए, स्माटत शहर
में ईत्पन्न नागररक डेटा की मात्रा समय के साथ तेजी से बढ़ने की ईम्मीद है। िततमान IT
ऄवधवनयम स्माटत वसटी से ईत्पन्न होने िाले वसविल डेटा के वलए पयातप्त सुरक्षा नहीं प्रदान कर
सकता है।

2.7. अगे की राह (Way forward)

साआबर युद्ध में साितजवनक और वनजी क्षेत्र दोनों ही शावमल होते ह। वनजी क्षेत्र द्वारा अन्तररक
भागीदारी की अिश्यकता है, क्योंक्रक यक्रद िे बडे नहीं तो बराबर के भागीदार ह। वनयवमत बैठकें
अयोवजत की जानी चावहए और यक्रद अिश्यक हो, तो कायतकारी समूह बनाए जाने चावहए। िततमान
संगठन वजन्हें साआबर युद्ध का सामना करने के वलए ईिरदायी बनाया जा सकता है, ईनमें NTRO,
DRDO, RAW और IB, CERT, NASSCOM के प्रवतवनवध सवम्मवलत ह। भारत सरकार द्वारा
क्रकए जाने िाले विवभन्न ईपाय आस प्रकार ह
 भारत साआबर युद्ध का मुकाबला करने के ईिरदावयत्ि के साथ एक साआबर कमांड की स्थापना
कर सकता है, वजसमें DRDO और ऄन्य विशेषज्ञों के साथ सशस्त्र बल भी होने चावहए।
 धारणा प्रबन्धन (Perception management) और सोशल नेटिकत को सािधानी से सम्भाला
जाना चावहए, क्योंक्रक “सूचना की तत्काल ईपलब्धता” मनोिैज्ञावनक और सम्पकत -रवहत युद्ध के
वलए सम्भावित ईपकरण प्रदान करता है। आसे क्रकसी अिामक या रक्षात्मक कायतिाही का भाग
बनना चावहए।

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 आस क्षेत्र में अिश्यक वनिेश और R&D के द्वारा पयातप्त क्षमता वनमातण क्रकया जाना चावहए क्योंक्रक

यह क्षेत्र सुरक्षा की दृवष्ट से महत्िपूणत होने के साथ ही भविष्य में लाखों नौकररयााँ भी ईत्पन्न करेगा,
वजसका भारत लाभ ईठा सकता है।
 क्षमताओं को विकवसत करने के कानूनी पक्षों, साआबर स्पेस को “सैन्य बल” के रूप में प्रयोग करना

सीखने, संयुि राष्ट्र चाटतर प्रभािी बनाने, ऄंतरातष्टीय कानूनों और संवधयों पर िातातओं के वलए
प्रवशवक्षत कर्षमयों की अिश्यकता है। आन सभी पर विशेष ध्यान देने की अिश्यकता है।
 चूंक्रक वनजी क्षेत्रक महत्िपूणत सूचना ऄिसरंचना प्रदान करने में समान रूप से महत्ि रखता है
(ईदाहरण के वलए–दूरसंचार क्षेत्र ऄवधकतर वनजी क्षेत्र द्वारा संचावलत है) ऄतः सितजवनक-वनजी
भागीदारी मॉडल का ईपयोग करके वनजी क्षेत्र के साथ कायत करने की अिश्यकता है।
 CERT-in जैसे सरकारी क्षेत्र और वनजी क्षेत्र के मध्य सुरक्षा सूचना साझाकरण और विश्लेषण
के न्द्रों के माध्यम से सूचना साझाकरण और समन्िय हेतु एक तन्त्र स्थावपत क्रकया जाना चावहए।
 सरकार वनजी क्षेत्र की महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना की सुरक्षा सुवनवश्चत करने के वलए वनयामक
तन्त्र स्थावपत कर सकती है और ऐसे मानदंडों का पालन करने के वलए प्रोत्साहन भी प्रदान करना
चावहए।
 भारत सरकार को NASSCOM के साथ वडवजटल सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने िाले स्टाटत-ऄप्स
को बढ़ािा देना चावहए।
 भारत टैवलन मैनुऄल (Tallinn Manual) जैसी सिोिम ऄंतरातष्ट्रीय प्रथाओं का पालन कर सकता

है। यह साआबर ऄपराधों पर लागू होने िाले कानूनों से सबंवधत शैक्षवणक कायत (academic

work) है, वजसका संयुि राज्य ऄमेररका जैसे विकवसत राष्ट्र पालन कर रहे ह।

3. ऄन्य विविध शब्दािली

3.1. मॉलिे य र (Malwares)

शब्द ‘मॉलिेयर ’मवलशस सॉफ्टिेयर” (Malicious Software) का संक्षेपण है और यह सॉफ्टिेयर का

कोइ िह ऄंश होता है, जो डेटा, वडिाआस या लोगों को क्षवत पहंचा सकता है।
मॉलिेयर की कायतविवध
 क्रकसी मॉलिेयर को विवशष्ट वनदेश क्रदए जाते ह, जो आसे जहां तक संभि हो सके , आंटरनेट से जुडे
ईपकरणों पर कब्ज़ा करने के वलए वनदेवशत करते ह।
 प्रोग्राबमग के ऄनुसार मॉलिेयर आंटरनेट से जुडी वडिाआस को ‘bots’’ में पररिर्षतत कर देता है और
एक बोटनेट का वनमातण प्रारम्भ कर देता है।
 रीपर (Reaper) और सैपोशी (Saposhi) जैसे मॉलिेयर ईपकरणों में ईपवस्थत कमजोररयों की
पहचान करने और ईपकरणों को बोवस में पररिर्षतत करने में सक्षम ह।
 एक बार पयातप्त बोवनेट का वनमातण हो जाने पर एक ही सितर पर एक साथ ऄत्यवधक मात्रा में
बपग्स भेजे जाते ह वजसके पररणामस्िरुप सितर ठप हो जाता है। आसे वडवस्रब्यूटेड वडनायल ऑफ
सर्षिस (DDOS) हमला कहा जाता है।

 बोटनेट के अकार के अधार पर मॉलिेयर एक ही समय में, या एक समयािवध में कइ DDOS


हमले कर सकते ह।

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विवभन्न प्रकार के मालिेयर वनम्नवलवखत ह


 िायरस (Virus): िे स्ियं को साफ फाआलों से जोडते ह और वसस्टम की मुख्य कायत क्षमता को
डैमेज करते हए तथा फाआलों को वडलीट या करप्ट करते हए ऄवनयंवत्रत रूप से फै लते ह। ये प्रायः
वनष्पाद्य फाआल (executable file) के रूप में प्रदर्षशत होते ह।
 रोजन (Trojans): ये स्ियं एक िास्तविक सॉफ्टिेयर का छद्म रूप ले लेते ह और गुप्त रूप से कायत
करते ह तथा ऄन्य मॉलिेयर को प्रिेश कराने हेतु सुरक्षा में सेंध लगा लेते ह।
 स्पाइिेयर (Spyware): यह पृष्ठभूवम में वछप जाता है और ईपयोगकतात की गवतविवधयों जैसे
पासिडत, िे वडटकाडत नम्बर, सर्कफग की अदतों तथा ऄन्य को नोट करता रहता है।
 िम्सत (Worms): िम्सत, नेटिकत आंटरफे स के ईपयोग द्वारा लोकल या आंटरनेट ईपकरणों के पूरे
नेटिकत को संिवमत करते ह। यह संिमण को फै लाने के वलए प्रत्येक िमागत संिवमत मशीन का
ईपयोग करता है।
 रैनसमिेयर (Ransomware): आन्हें स्के यरिेयर भी कहा जाता है, आस प्रकार का मॉलिेयर
कम्प्यूटर को लॉक कर देता है और सब कु छ वमटाने की धमकी देता है – जब तक ईसे कं प्यूटर के
मावलक द्वारा क्रफरौती नहीं दी जाती है।
 एडिेयर (Adware): ये सुरक्षा में सेंध लगाते ह और कइ ऄन्य मालिेयर को वसस्टम में प्रिे श करा
सकते ह।
 बोटनेवस (Botnets): बोटनेट संिवमत कं प्यूटरों का नेटिकत है वजन्हें हमलािर के वनयन्त्रण में एक
साथ काम करने के वलए बनाया जाता है।

3.2. िै विक साआबर रणनीवत (Global Cyber Strategy)


संयुि राष्ट्र महासभा ने वनयवमत रूप से सूचना सुरक्षा पर प्रस्ताि पाररत क्रकये ह। साआबर ऄपराध पर
यूरोपीय ऄवभसमय (European Convention on Cybercrime) जैसी कइ क्षेत्रीय पहलें दशकों से
विद्यमान ह। आन प्रयासों को िैविक साआबर स्पेस ऄवभसमय के रूप में समेक्रकत क्रकया जा सकता है।

3.3. िै विक रणनीवत की अिश्यकता

(Need of a global strategy)


 साआबरस्पेस में जोवखम ऄंतरातष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा को ऄवस्थर कर सकते ह।
 सोशल मीवडया (वविटर, फे सबुक अक्रद) के विकास ने रणनीवतक संचार के वलए एक नया माध्यम
वनर्षमत क्रकया है जो राष्ट्रीय सीमाओं और राष्ट्रीय प्रावधकरणों की ईपेक्षा करते ह।
 िैविक डेटा संचरण ऄिसरंचना भी समुद्र तल में वबछी के बल्स के नेटिकत पर गम्भीर रूप से वनभतर
करती है और ये दुघतटनाओं और प्रायोवजत बाधाओं के वलए सुभेद्य ह।

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3.4. ऐसी िै विक साआबर सु र क्षा रणनीवत के घटकों में वन म्नवलवखत बबदु शावमल होने
चावहए
 महत्िपूणत राष्ट्रीय ऄिसंरचना को क्षवत नहीं पहंचनी चावहए।
 आंटरनेट की सुरवक्षत, वस्थर और वििसनीय कायतप्रणाली सुवनवश्चत की जानी चावहए।

 आंटरनेट सुरक्षा के मुद्दों पर एक सामान्य समझ विकवसत की जानी चावहए।


 राष्ट्रीय सरकारों को ऄंतरातष्ट्रीय मानदंडों के ऄनुरूप ICT (सूचना और संचार प्रौद्योवगकी) पर

राष्ट्रीय नीवतयााँ बनाने का साितभौम ऄवधकार होना चावहए।


 वििास और सुरक्षा के अधार पर साआबर सुरक्षा की िैविक संस् कृ वत को प्रोत्सावहत क्रकया जाना
चावहए।
 वडवजटल ऄंतराल को कम क्रकया जाना चावहए।
 ऄंतरातष्ट्रीय सहयोग को सुदढ़ृ क्रकया जाना चावहए।
 PPP को प्रोत्सावहत क्रकया जाना चावहए।

 सूचना प्रणाली के CIA (गोपनीयता-इमानदारी-ईपलब्धता) को सुवनवश्चत क्रकया जाना चावहए।

 कानून-व्यिस्था को बनाये रखने की अिश्यकता और मौवलक मानिावधकारों के मध्य संतुलन


बनाए रखा जाना चावहए।
 यह राज्यों का दावयत्ि होगा क्रक िे क्रकसी भी ऄवतव्यापी या गुप्त ईपायों को नहीं ऄपनाएंग,े वजसके

पररणामस्िरूप साआबरयुद्ध हो।


 आसे यह भी पररभावषत करना चावहए क्रक साआबरस्पेस में बल का ईपयोग क्या है और क्रकन
पररवस्थवतयों में ऐसे बल का ईपयोग क्रकया जा सकता है।
 यक्रद राज्य पर क्रकसी राज्य या गैर-राज्य कतात, या दोनों के संयोजन से साआबर हमला होता है तो

राज्य कै से प्रवतक्रिया करेगा?

3.5. भारत को आन िै विक प्रयासों में क्यों सम्मवलत नहीं होना चावहए?

 चूाँक्रक ऄन्तररक्ष, वमसाआल अक्रद जैसे ऄन्य क्षेत्रों में प्रौद्योवगकी वनयन्त्रण व्यिस्थाओं का ऄवस्तत्ि है

ऄतः िैसी ही प्रौद्योवगकी वनयन्त्रण व्यिस्था आस क्षेत्र में भी विकवसत हो सकती है , जो भारत के
सम्प्रभु वहतों को हावन पहंचा सकती है।
 साआबर ऄपराध पर यूरोपीय ऄवभसमय (European Convention on Cybercrime) जैसी

सवन्धयााँ प्रमुख ऄंतरातष्ट्रीय शवियों के वहतों के वलए पक्षपातपूणत ह।


 भारत को पहले ऄपनी आन साआबर क्षमताओं को ऐसे स्तर तक विकवसत करना चावहए क्रक िह आन
वनयन्त्रण व्यिस्थाओं के दायरे से बाहर हो जाये।

3.6. भारत को आन िै विक प्रयासों के क्यों सवम्मवलत होना चावहए ?

 आन संवधयों और सम्मेलनों से जुड कर प्राप्त होने िाले लाभों और ऄिसरों की तुलना में
ऄलगाििादी दृवष्टकोण से नगण्य या शून्य लाभ प्राप्त होगा।
 ये सब सवन्धयााँ और ऄवभसमय शैशिािस्था में ह और ऄभी विकवसत हो रहे ह। भारत सक्रिय रूप
से ईनके मसौदे अक्रद तैयार करने में सवम्मवलत हो सकता है और ईन्हें ऄपने सम्प्रभु वहतों के
ऄनुरूप गरठत कर सकता है।

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3.7. िै विक पहलें (Global initiatives)

3.7.1. बु डापे स्ट ऄवभसमय (Budapest Convention)

 साआबर सुरक्षा पर यह एकमात्र बहपक्षीय संवध है जो आंटरनेट और कम्प्युटर ऄपराध को सम्बोवधत


करती है।
 आसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय कानूनों को सुसंगत बनाने, जांच तकनीकों के वलए कानूनी प्रावधकरणों में
सुधार और राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
 भारत सवहत विकासशील देशों ने आस पर यह कह कर हस्ताक्षर नहीं क्रकए ह क्रक ऄमेररका के
नेतृत्ि में विकवसत देशों ने विकासशील देशों से परामशत के वबना ही आस मसौदे को तैयार क्रकया है।

3.7.2. ग्राउं ड जीरो वशखर सम्मे ल न

(Ground Zero Summit)


ग्राउंड जीरो वशखर सम्मेलन साआबर सुरक्षा विशेषज्ञों और शोधकतातओं के वलए ईभरती साआबर सुरक्षा
चुनौवतयों का समाधान करने और ऄत्याधुवनक प्रौद्योवगक्रकयों का प्रदशतन करने के वलए एवशया में सबसे
बडा सहयोगी मंच है। यह कापोरेट , साितजवनक क्षेत्र के ईपिमों (PSU), सरकारी विभागों, सुरक्षा और
रक्षा प्रवतष्ठानों के बीच सम्बन्ध स्थावपत करने और ईन्हें सुदढ़ृ करने के ऄिसर प्रदान करने िाला
एवशया क्षेत्र का विवशष्ट मंच है।
 वशखर सम्मेलन के नाम का भारतीय आवतहास से संबंध है। भारत ही िह भूवम है जहााँ शून्य (जीरो)
की खोज की गयी थी और शून्य वडवजटल प्रणाली का ऄवभन्न ऄंग है।
 आसका संघटन आंवडयन आन्फोसेक कं सोर्टटयम (IIC-Indian Infosec Consortium) द्वारा क्रकया
जा रहा है। यह ऄग्रणी साआबर विशेषज्ञों द्वारा गरठत एक स्ितंत्र और गैर-लाभकारी संगठन है।
 वशखर सम्मेलन का ईद्देश्य: आस सम्मेलन का अयोजन निीनतम तकनीकी विकास के कारण
ईभरती साआबर सुरक्षा चुनौवतयों से सम्बवन्धत विवभन्न मुद्दों पर विचार-विमशत के वलए क्रकया गया
था।
 वशखर सम्मेलन का विषय – वडवजटल आवण्डया – ‘वसक्योररग वडवजटल आंवडया’ है

3.7.3. ICANN

 ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) एक

ऄलाभकारी साितजवनक वहत को समर्षपत वनगम है और यह एक िैविक बह-वहतधारक संगठन है,


वजसे ऄमेररकी सरकार द्वारा बनाया गया है।
 यह आंटरनेट डोमेन नेम सितर, IP एड्रेस और ऑटोनॉमस वसस्टम नंबसत का समन्िय करता है,
वजसमें आन विकवसत प्रणावलयों और आनके बुवनयादी प्रोटोकाल का वनरंतर प्रबन्धन शावमल है।
 ICANN, का प्रारम्भ ऄमेररकी सरकार के भीतर (आसके ईपयोग के वलए) हअ, लेक्रकन ऄब यह
एक ऄंतरातष्ट्रीय और समुदाय संचावलत संगठन है। यह क्रकसी भी सरकार से स्ितंत्र है।
 ICANN आंटरनेट की वनरंतर सफलता सुवनवश्चत करने के वलए कम्पवनयों, व्यवियों और सरकारों
सवहत विवभन्न वहतधारकों के साथ सहयोग करता है। यह िषत में तीन बार बैठकें अयोवजत करता
है, प्रत्येक बैठक के वलए ऄंतरातष्ट्रीय स्थान पररिर्षतत होता रहता है।

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4. विविध (Miscellaneous)
4.1. रै नसमिे य र साआबर हमले

(Ransomware Cyber Attacks)

हाल ही में, िानािाइ नामक एक रैनसमिेयर ने विि भर में 100,000 से ऄवधक कं प्यूटरों को संिवमत

कर क्रदया था। कम्प्यूटर को प्रभावित करने िाले मालिेयर कइ प्रकार के होते ह , आनमें जानकारी की
चोरी करने से लेकर वडिाआस पर विद्यमान सभी डेटा को समाप्त कर देने िाले मालिेयर सवम्मवलत
होते ह। िानािाइ से सिातवधक प्रभावित देश यूनाआटेड ककगडम था, जहां राष्ट्रीय स्िास््य सुविधा

संगठन (National Health Service trusts) प्रभावित हए थे वजससे स्िास््य सेिाओं में व्यापक स्तर
पर व्यिधान ईत्पन्न हअ था।
रैनसमिेयर सामान्यतया डेटा को बलपूितक एवन्िप्ट कर ईपयोगकतातओं को ऄपने ही वसस्टम से लॉग
अईट कर देता है औ, यक्रद िे एंक्रिप्टेड डेटा का ईपयोग करना चाहते है तो ईनसे क्रफरौती का भुगतान

करने के वलए कहता है (िानािाइ के मामले में, वबटकॉआन में क्रफरौती के भुगतान की मांग की गइ थी)।
संिवमत कम्प्यूटर ऄवधकतर पुरानी वडिाआसेज़ थीं या कु छ मामलों में विवनमातण या ऄस्पताल के कायों
में ईपयोग की जाने िाली मशीनें थीं वजन्हें महत्िपूणत कायों को रोके वबना सही करना ऄत्यंत करठन
वसद्ध हअ।
भारत पर प्रभाि
 भारत की सुभेद्यता बहत ईच्च थी क्योंक्रक ऄवधकतर अवधकाररक कम्प्यूटर बिडोज़ (Windows)
पर चलते थे और ईन्हें वनयवमत रूप से रूप से ऄपडेट नहीं क्रकया गया था।
 बडी मात्रा में ईपलब्ध ऑनलाआन व्यविगत डेटा ऄब अधार डेटा से भी जुडा हअ है आसवलए
भविष्य में होने िाले ऐसे हमले कइ वमवलयन भारतीयों की वनजता को सुभेद्य बना सकते ह।
पेट्या नामक एक और रैनसमिेयर की पुवष्ट की गयी वजस पर CERT-In ने एक परामशत जारी क्रकया।

4.2. भारत में एवन्िप्शन का मु द्दा

(Issue of Encryption in India)

एवन्िप्शन क्या है?


एवन्िप्शन संदश
े या सूचना एनकोबडग की ऐसी प्रक्रिया है वजससे आसे के िल ऄवधकृ त पक्ष ही पढ़ सकें ।
ईदाहरण के वलए "IAS" एंक्रिप्टेड रूप में "JBT" बन सकता है यक्रद िणतमाला के प्रत्येक िणत को ईसके
ऄगले िणत से प्रवतस्थावपत कर क्रदया जाए। ऐसी वस्थवत में के िल िे लोग जो यह जानते ह क्रक आसकी
आनकोबडग कै से की गइ है िे ही "IAS" को सही ढंग से पढ़ सकते ह।

सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम, 2000 की धारा 84A के ऄंतगतत एवन्िप्शन के वलए विधाएाँ या विवधयााँ

वनधातररत करने के वलए वनयमों का गठन क्रकया जाना है। आस संबंध में , सरकार द्वारा स्थावपत एक

विशेषज्ञ समूह द्वारा राष्ट्रीय एवन्िप्शन नीवत का प्रारूप तैयार क्रकया गया था। हालांक्रक, बाद में नीवत के
प्रारूप को िापस ले वलया गया। आसका ईद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर महत्िपूणत सूचना प्रणाली और नेटिकत
समेत साआबरस्पेस में व्यवियों, व्यिसायों, सरकार के वलए सूचना सुरक्षा पररिेश एिं सुरवक्षत लेनदेन
को सक्षम करना था।

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नीवत की मुख्य विशेषताओं में सवम्मवलत थीं


 सभी नागररकों द्वारा एंक्रिप्टेड संदश
े ों के प्लेन टेक्स्ट (Plain Text) का संग्रहण 90 क्रदनों के वलए
करना एिं कभी भी क्रकसी भी प्रकार की अिश्यकता पडने पर आसे कानून प्रिततन एजेंवसयों को
ईपलब्ध कराना।
 एवन्िप्शन ईत्पादों के सभी वििे ताओं द्वारा ऄपने ईत्पादों का पंजीकरण सरकार द्वारा वनर्ददष्ट
एजेंसी में क्रकये जाने की अिश्यकता।
 भारत में ईपयोग की जाने िाली सारी एवन्िप्शन प्रौद्योवगकी की ऄनुमवत सरकार द्वारा दी जाएगी
और के िल ईन्हीं एवन्िप्शन प्रौद्योवगक्रकयों का ईपयोग क्रकया जा सके गा जो सरकार की वनधातररत
सूची में होंगी। आसका ऄथत है क्रक सरकार को भारत में ईपयोग की जाने िाली प्रत्येक एवन्िप्शन
प्रौद्योवगकी के बारे में जानकारी होगी।
प्रमुख बचताएाँ (Key concerns)
 आस नीवत ने लगभग सभी आंटरनेट ईपयोगकतातओं को प्रभावित क्रकया - ईनमें से ऄवधकतर को आस
बात का पता भी नहीं था क्रक िे एवन्िप्शन प्रौद्योवगक्रकयों का ईपयोग कर रहे थे।
 सभी नागररकों द्वारा एंक्रिप्टेड संदश
े ों के सादे पाठ का संग्रहण 90 क्रदनों के वलए करना एिं कभी
भी क्रकसी भी प्रकार की अिश्यकता पडने पर आसे कानून प्रिततन एजेंवसयों को ईपलब्ध कराने से
ऄग्रवलवखत समस्याएं ईत्पन्न हो सकती ह - भारत में ऄवधकतर ईपयोगकतात सादे पाठ (प्लेन
टेक्स्ट) का ऄथत नहीं जानते और ऐसे मामले में ऄपने डेटा का भंडारण सादे पाठ स्िरूप (प्लेन
टेक्स्ट) में न करने के वलए ईन्हें वजम्मेदार ठहराया जा सकता है।
 आसके ऄवतररि, भारत में क्रकसी भी प्रकार की सेिाएं प्रदान करने के वलए एवन्िप् शन प्रौद्योवगकी

का ईपयोग करने िाले, भारत के भीतर और बाहर वस्थत सेिा प्रदाताओं को सरकार के साथ एक
ऄनुबंध करने की अिश्यकता होगी। यह व्यिहाररक नहीं है क्योंक्रक विश्ि भर में ऐसे सेिा
प्रदाताओं की संख्या बहत ऄवधक है जो एवन्िप्शन का ईपयोग करते ह। आन सभी के वलए भारत
सरकार के साथ ऄनुबंध करना ऄत्यवधक ऄयथाथतिादी होगा।
 डेटा की एक प्रवतवलवप रखने के वलए विशाल भंडारण की अिश्यकता होगी और ईसकी लागत
ऄत्यवधक अएगी।
 ऐसी अशंका है क्रक आस नीवत से एक नया 'रवजस्रेशन राज' अरम्भ हो जाएगा, क्योंक्रक ऄब भारत
में ईपयोग की जा सकने िाली सभी एवन्िप्शन प्रौद्योवगक्रकयों को संबंवधत एजेंवसयों द्वारा
प्रमावणत और सूचीबद्ध करने की अिश्यकता होगी।
हालांक्रक, भारत को वनम्नवलवखत कारणों से आनक्रिप्शन नीवत की अिश्यकता है
 आंटरनेट संचार और लेन-देनों की सुरक्षा/गोपनीयता सुवनवश्चत करने के वलए एवन्िप्शन के ईपयोग
को बढ़ािा देने हेतु।
 पररष्कृ त एवन्िप्शन प्रौद्योवगकी के युग में ऄपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों की जांच की
सुविधा के वलए।
 एवन्िप्शन प्रौद्योवगकी में ऄनुसंधान को बढ़ािा देने के वलए क्योंक्रक यह प्रवतबंवधत है और िासेनार
ऄनुबंध के ऄंतगतत भारत को ईपलब्ध नहीं है।
 ऄवधकावधक भारतीयों को ऑनलाआन सुविधाओं का ईपयोग करने हेतु प्रोत्सावहत करने के वलए,
देश के ऄविकवसत साआबर सुरक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के वलए और ररटेल एिं इ-गिनेंस में
ईपभोिा वििास का वनमातण करने के वलए।
 एवन्िप्शन के दुरुपयोग पर ऄंकुश लगाने के वलए।
ईदाहरण के वलए - अतंकिादी ऄबू दुजाना के iPhone 7 का मामला। सुरवक्षत ईपकरणों से वनपटने के
दौरान स्ियं कानून प्रिततन एजेंवसयों को एवन्िप्शन के बढ़ते ईपयोग के कारण होने िाली समस्याओं का
सामना करना पडता है। आसवलए ऄब तक, भारतीय खुक्रफया एजेंवसयााँ एंक्रिप्टेड ईपकरणों की सुरक्षा

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को तोडकर ईनमें प्रिेश करने के वलए 'जीरो डेज’ पर विश्िास करती रही ह - ये ऐसे सुरक्षावछद्र ह जो
क्रकसी सॉफ्टिेयर के मूल वडजाआन में विद्यमान होते ह , लेक्रकन आंटरनेट कं पवनयााँ ऄब तत्परतापूिकत
ऄपनी खावमयों की मरम्मत कर देती ह वजससे ऐसे साधनों की ईपयोवगता कम होती जा रही है।
िास्तविकता यह है क्रक अज बहत बडी मात्रा में ऑनलाआन सामग्री कानून प्रिततन ऄवधकाररयों की
पहाँच से बाहर है। व्हावसएप्प और टेलीग्राम जैसे प्लेटफामत 'एंड टु एंड' एवन्िप्टेड ह, वजससे राज्य और
स्थानीय स्तर की पुवलस – वजसे ‘जीरो डेज’ प्रौद्योवगकी की ईपलब्धता नहीं होती, के वलए ईनमें
वनवहत जानकारी के अधार पर मामले दजत करना करठन बन जाता है। एवन्िप्शन को ऄवधकावधक
ऄपनाए जाने की क्रदशा में यह विवशष्ट प्रिृवि, भारतीय नीवत वनधातरकों के वलए दुविधा की वस्थवत
प्रस्तुत करती है। मजबूत एवन्िप्शन प्रोटोकॉल की ईपवस्थवत वडवजटल ऄथतव्यिस्था में ईपभोिा के
वििास को बढ़ाते ह, लेक्रकन भारत सरकार को ऐसे पररदृश्य का ऄंदश
े ा है वजसमें ऄपराधी या
अतंकिादी सुरवक्षत चैनलों के पीछे असानी से "वछपे" रह सकते ह।
नइ नीवत के वलए अगे की राह
आस नीवत को एवन्िप्शन प्रौद्योवगकी के क्षेत्र में निप्रिततन के वलए संभािनाएाँ प्रदान करनी चावहए
ताक्रक आस ईद्योग के विशेषज्ञों को निप्रिततन हेतु प्रोत्साहन प्राप्त हो और िे ईपभोिाओं को ऄवधक
सुरवक्षत सूचना सेिाएाँ प्रदान कर सकें । भविष्य में ऄप्रचवलत हो जाने िाले मानकों के ईपयोग का
वनदेश देकर सूचनाओं को ऄसुरवक्षत करने के स्थान पर नीवत को न्यूनतम मानकों द्वारा सूचनाओं को
सुरवक्षत बनाने के ईपाय ऄपनाने पर विचार करना चावहए।
भारत में साआबर सुरक्षा ऄनुसंधान को बढ़ािा देने की अिश्यकता के वलए नीवत को संिेदनशील होना
चावहए। एवन्िप्टेड डेटा को पुनप्रातप्त करने की प्रक्रिया ऄवनिायतत पारदशी होनी चावहए और एक खुली
न्यावयक सुनिाइ के माध्यम से वसविल न्यायालय से प्राप्त न्यायालयी ऄनुज्ञा-पत्र (court warrant) से
समर्षथत होनी चावहए। नीवत द्वारा देश के भीतर सूचना/डेटा के विवनयवमत ईपयोग पर वनदेश प्रदान
क्रकया जाना चावहए और यह सुवनवश्चत क्रकया जाना चावहए क्रक हमारी सरकारी एजेंवसयााँ अतंकिाद,
राष्ट्रीय सुरक्षा और महत्िपूणत ऄिसंरचना से संबंवधत गंभीर मुद्दों की जांच के वलए आन्हें प्राप्त करने में
समथत हों।
नइ नीवत में इ-कॉमसत कं पवनयों जैसे ईद्यमों पर ध्यान देने की अिश्यकता होगी ताक्रक ग्राहक के वििीय
और व्यविगत डेटा को सुरवक्षत रखने के वलए ईनके एवन्िप्शन की गुणित्ता को सुवनवित क्रकया जा
सके । नीवत को विश्ि भर में स्िीकृ त प्रौद्योवगक्रकयों के ईपयोग की व्यिस्था करनी चावहए। आसे समय-
समय पर ईनका पुनरीक्षण करने पर भी विचार-विमशत करना चावहए जो आस क्षेत्र की गवतशीलता को
देखते हए बहत महत्िपूणत है।

5. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)
1. यह तकत क्रदया गया है क्रक वडवजटल आंवडया की सफलता प्रमुखतः हमारी साआबर सुरक्षा के
प्रबंधन के तरीकों पर वनभतर है। परीक्षण कीवजए।
दृवष्टकोण
 वडवजटल आंवडया कायतिम पर संक्षेप में चचात कीवजए।
 साआबर-हमलों के प्रवत आसकी सुभेद्यता पर चचात कीवजए।
 हमारे साआबर सुरक्षा तंत्र की ईन कवमयों के संबंध में बताआए जो वडवजटल आंवडया कायतिम
को सुरक्षा खतरों के प्रवत सुभेद्य बनाते ह और आसकी सफलता के वलए ईनका वनिारण क्रकतना
जरूरी है, यह भी बताआए।

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ईिर
सूचना प्रौद्योवगकी का ईपयोग करके साितजवनक सेिाओं के सम्पूणत पररिेश को रूपांतररत
करने के वलए, सरकार ने भारत को वडवजटल तौर पर सशि समाज और ज्ञान ऄथतव्यिस्था में
रूपांतररत करने का सपना लेकर वडवजटल आंवडया कायतिम अरंभ क्रकया है।
ऑनलाआन साआबरस्पेस िस्तुतः ब्रॉडबड नेटिकों, िायरलेस वसग्नलों और मोबाआल नेटिकों के
माध्यम से हमारे दैवनक जीिन के लगभग प्रत्येक भाग को प्रभावित करता है। वडवजटल
आंवडया अगे चलकर सरकार और नागररकों के सभी डेटा और लेनदेनों को साआबरस्पेस के
ऄंतगतत लाएगा और लोक प्रशासन में पारदर्षशता, कायतकुशलता और नागररकों की भागीदारी
को बढ़ाएगा।
हालााँक्रक, साआबर स्पेस वनम्नवलवखत कारणों से वनरंतर खतरे में है
 भारत में ईपयोग होने िाले हाडतिेयर के साथ-साथ आंटरनेट पर प्रसाररत सूचनाओं पर
भारत का बहत कम वनयंत्रण है।
 भारत का बुवनयादी ढांचा जासूसी के प्रवत ऄवतसंिेदनशील है वजसमें सामररक या
िावणवज्यक महत्ि िाली जानकाररयााँ चुराने के वलए वसस्टम में घुसपैठ करना;
आलेक्रॉवनक धोखाधडी या गंभीर अपरावधक पररणामों के ऄन्य कृ त्यों से संबंवधत
साआबर ऄपराध; कु छ समय के वलए सेिाओं या वसस्टमों में रूकािट ईत्पन्न करने के
आरादे से क्रकए गए हमले और भारत के महत्िपूणत प्रवतष्ठानों पर बडे पैमाने पर और
व्यिवस्थत तरीके से वडवजटल हमले के कारण होने िाला युद्ध शावमल है।
 बककग क्षेत्र, सोशल मीवडया ऄकाईं ट और यहााँ तक क्रक सरकारी िेबसाआटों में लगातार
होने िाले साआबर हमले मजबूत बुवनयादी ढााँचे िाले साआबर सुरक्षा की जरूरत की एक
जीती जागती वमसाल है।
 ऐसी कोइ राष्ट्रीय सुरक्षा ऄिसंरचना नहीं है जो साआबर खतरों की प्रकृ वत का अकलन
कर सके और प्रभािशाली ढंग से ईनका जिाब दे सकें ।
 ओपन सोसत सॉफ्टिेयर का ईपयोग करने से जुडे सुरक्षा जोवखम।
 नेशनल साआबर वसक्यूररटी पॉवलसी (NCSP) द्वारा ऄवनिायत क्रकए जाने के बािजूद,
साआबर सुरक्षा में प्रवशवक्षत कर्षमयों का ऄभाि।
साआबर स्पेस में आन सुभेद्यताओं के कारण वडवजटल आंवडया कायतिम की सफलता िास्ति में
खतरे में पड जाती है। यक्रद साआबर सुरक्षा पयातप्त न हो तो आसकी िजह से लाभ से ज्यादा
नुकसान हो सकता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा, नागररकों की गोपनीयता ि वििीय सुरक्षा को
खतरे में डाल सकता है और गरीब नागररकों को धोखाधडी और धोखेबाजी के चंगुल में फं सा
सकता है। आसवलए, आष्टतम लाभ पाने हेतु साआबर सुरक्षा ऄिसंरचना को सशि करना ऄवत
अिश्यक है
 साआबर बुवनयादी ढााँचे और डेटा की सुरक्षा पर जोर देने के साथ व्यापक साआबर सुरक्षा
नीवत तैयार करना।
 NCSP की कवमयों पर ध्यान देना और ईसे सािधानीपूितक लागू करना।
 भारत की साआबर रणनीवत (काफी हद तक आसके परमाणु वसद्धांत की भांवत) की
रूपरेखा िाले एक दस्तािेज के मागतदशतन में नैशनल साआबर वसक्यूररटी एजेंसी
(NCSA) की स्थापना करना।
 साआबर सुरक्षा में कर्षमयों का प्रवशक्षण और ऄत्यंत कु शल अइटी कायतबल का दोहन
करना। आस मामले में चीन से सीखा जा सकता है, वजसने सुदढ़ृ साआबर सुरक्षा बुवनयादी
ढांचा विकवसत क्रकया है।
 भारत को लगातार बढ़ते जरटल साआबर ऄपराधों से वनपटने के वलए कानूनी ऄिसंरचना
विकवसत करनी चावहए।

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आस प्रकार, भारत में सरकार और वनजी ईद्यम, दोनों द्वारा देश में प्रदान की जाने िाली
आलेक्रॉवनक सेिाओं और इ-प्रशासन पहलों की सफलता के वलए ऄपने साआबर सुरक्षा तंत्र को
कारगर बनाया जाना महत्िपूणत है। आस मामले में वनजी क्षेत्र की सहायता लेना महत्िपूणत
होगा क्योंक्रक वनजी क्षेत्र ने आस प्रयोजन हेतु देश में विि स्तरीय IT और ITES ईद्योग का
विकास क्रकया है।

2. NATGRID को एक ऐसे विचार के रूप में प्रस्तुत क्रकया गया है वजससे भारत के बाहर
ईभरने िाले अतंकिाद का सामना करने में प्रयाप्त सहायता वमलेगी। आस संदभत में,
NATGRID से भारतीय सुरक्षा अर्दकटेक्चर सुदढृ होगा, परीक्षण करें।
दृवष्टकोण
 NATGRID के विचार की ईत्पवि और ईद्देश्य के बारे में संवक्षप्त पृष्ठभूवम प्रदान करने के साथ
ईत्तर अरम्भ कीवजए।
 ईसके बाद यह प्रदर्षशत कीवजए क्रक यह क्रकस प्रकार भारत की सुरक्षा अर्दकटेक्चर को मजबूत
बनाने और अतंकिाद से संघषत में एक महत्िपूणत ईपकरण वसद्ध होगा।
 ईसके बाद आस पररयोजना के बारे में कु छ अशंकाओं पर भी प्रकाश डावलए।
 तत्पश्चात दुरुपयोग के विरुद्ध सुरक्षा सुझाि देते हए सकारात्मक रटप्पणी के साथ ईिर समाप्त
कीवजए।
ईिर
NATGRID की पृष्ठभूवम
 NATGRID या राष्ट्रीय खुक्रफया वग्रड की स्थापना का विचार 26/11 के मुब
ं इ
अतंकिादी हमले के बाद अया। आस विचार के पीछे व्यवियों के सभी डेटाबेसों को एक
ही डेटाबेस में विलय करने की ऄिधारणा है, वजस तक विवभन्न ऄवधकरणों द्वारा पहाँच
स्थावपत की जा सके ।
NATGRID खुक्रफया और प्रिततन एजेंवसयों हेतु िांवछत जानकारी की त्िररत, सहज और
सुरवक्षत पहाँच प्राप्त करने के वलए डेटाबेस के 21 सेट का नेटिकत वनर्षमत करने तथा ईनको
अपस में वमलाने की कल्पना करता है।
लाभ और महत्ि
 समन्िय और सहयोग - सुरक्षा एजेंवसयााँ आंवगत करती ह क्रक यद्यवप भारत के सभी राज्यों
में एक सक्षम पुवलस विभाग है, क्रकन्तु िे डेटा के ऄभाि में ऄसमथत रहते ह। ईदाहरण के
वलए यक्रद गुजरात मूल का एक अतंकिादी राजस्थान में वगरफ्तार कर वलया जाता है,
तो दोनों राज्यों की पुवलस टीमों को समन्िय करने की अिश्यकता होगी। ऄतीत में
हमने देखा है क्रक समन्िय की कमी के कारण और राज्यों के पुवलस विभागों के बीच ऄहं
के टकराि के कारण जानकारी को साझा नहीं क्रकया जाता। NATGRID से यह समस्या
हल हो जाएगी तथा संबंवधत विभाग एक-दूसरे के साथ वबना क्रकसी समन्िय के डाटाबेस
का ईपयोग कर सकें गे।
 NATGRID पुवलस और खुक्रफया ब्यूरो को संक्रदग्ध पृष्ठभूवम के व्यवियों पर नजर रखने
में भी सहयोग करेगा। पुवलस ईसके सारे डेटा तक पहंच बना सके गी और आस डेटाबेस की
सहायता से ऐसे व्यवि द्वारा क्रकसी प्रकार की गवतविवध की जानकारी का पता भी
लगाया जा सके गा। ईदाहरण के वलए, एक संचावलत NATGRID द्वारा मुंबइ हमलों में
महत्िपूणत भूवमका वनभाने िाले पाक्रकस्तानी-ऄमेररकी डेविड कोलमैन हेडली को
िारदात से पूित ईस समय ही पकड वलया गया होता जब ईसने 2006 और 2009 के
बीच भारत की नौ बार यात्रा की थी।

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 समय पर सूचना तक पहाँच – जब क्रकसी विवशष्ट व्यवि के साथ कोइ समस्या ईत्पन्न
होती है तो पुवलस एक बटन के वक्लक पर ईस व्यवि तक पहाँच स् थावपत कर लेगी। आससे
पहले, एक राज्य विशेष की पुवलस को दूसरे राज्य में ऄपने सहयोगी को फोन करना
होता था और ऄत्यवधक नौकरशाही प्रक्रियाओं के बाद, डेटा साझा क्रकया जाता था। आस
प्रक्रिया में सामान्य रूप से एक से दो सप्ताह का समय लगता था, जो बदले में पूछताछ
क्रकये जाने िाले व्यवि को बच वनकलने के वलए समय दे देता था।
चुनौवतयां:
 लेक्रकन वनजी डेटा की सुरक्षा और ऄवत ईत्साही ऄवधकाररयों द्वारा ईसके संभावित
दुरुपयोग से संबंवधत अशंकाएाँ आस नए सुरक्षा ईपकरण के बारे में अशंकाएं ईत्पन्न कर
रही ह।
 स्थानीय पुवलस स्टेशन द्वारा डेटा ऄपडेट करने की भी अिश्यकता होगी और यह एक
सरल कायत नहीं है क्योंक्रक हमारी पुवलस ईतनी ऄवधक इ-साक्षर नहीं है।
 ईन ऄवभकरणों से संबंवधत मुद्दे भी ह, जो डेटाबेस तक पहाँच बना सकते ह।
यद्यवप अतंकिादी हमलों से भारत की सुरक्षा के ईद्देश्य से एक एकीकृ त डेटाबेस की
अिश्यकता पर ऄत्यवधक बल नहीं क्रदया जा सकता, क्रकन्तु कु छ मुद्दे एिं चुनौवतयााँ शेष
ह, वजन पर विचार क्रकया जा रहा है। मात्र ईनका सम्पूणत रूप से समाधान करने के बाद,
भारत NATGRID से ऄवधकतम लाभ प्राप्त कर सकता है।

3. साआबरस्पेस, बाह्य ऄंतररक्ष की भांवत, ऄसीम और सभी के वलए समान रूप से सुलभ है। आस
संदभत में, आसे शावसत करने हेतु संयि
ु राष्ट्र की भांवत एक वनकाय के गुणों और दोषों का
मूल्यांकन करें। आसके ऄवतररि, आं टरनेट शासन संरचनाओं में सुधार लाने में भारत द्वारा ऄब
तक वनभाइ गइ भूवमका पर रटप्पणी करें।
दृवष्टकोण
पररचय में िततमान शासन संरचना की स्पष्ट समझ प्रवतबबवबत होनी चावहए। बहपक्षीय
दृवष्टकोण के विषयों-लोकतंत्रीकरण बनाम कें द्रीकरण और कइ सरकारों द्वारा वनयंत्रण पर
चचात करें। ऄनेक वहतधारकों की भागीदारी िाले बहपक्षीय दृवष्टकोण के संबंध में भारत द्वारा
स्िीकार की गइ स्ितंत्र वस्थवत का ईल्लेख करें।
ईिर
साआबरस्पेस िैविक स्तर पर डेटा स्तर पर जुडी सभी अइ.टी. प्रणावलयों का अभासी
ऄंतररक्ष है। साितभौवमक और साितजवनक रूप से सुलभ कनेक्शन और पररिहन नेटिकत के रूप
में आंटरनेट, साआबर स्पेस का अधार है। िततमान में, आंटरनेट प्रमुख रूप से तीन गैर -लाभकारी
संस्थाओं- ICANN (International Commission for Assigned Names and
Numbers), IETF (Internet Engineering Task Force) और आंटरनेट सोसायटी
द्वारा वनयंवत्रत क्रकया जाता है। ICANN िह वनकाय है जो महत्िपूणत आंटरनेट संसाधनों
(CIR), जैसे क्रक डोमेन नेम सितर (DNS), को प्रबंवधत करता है। आन्हें, डॉट कॉम (.com)
तथा डॉट नेट (.net) डोमेन के स्िावमत्ि िाली िेरीसाआन (Verisign) जैसी वनजी कम्पवनयों
के साथ कै वलफोर्षनया के कानूनों के ऄंतगतत वनगवमत क्रकया गया है तथा जो भी संपादन िे
करते ह, ईनकी लेखा परीक्षा और ईनका ऄनुमोदन ऄमेररकी िावणज्य विभाग (US-DoC)
द्वारा क्रकया जाता है। ऄमेररका द्वारा यह राजनीवतक वनरीक्षण ईसे आंटरनेट के वनयंत्रण पर
एकपक्षीय शवि देता है। चूंक्रक आंटरनेट विकवसत हो चुका है तथा सम्पू णत भूमण्डल में विस्तृत
हो चुका है, आसवलए कइ देश आन्टरनेट के संचालन के तौर-तरीकों पर ऄमेररका के ऄत्यवधक
प्रभाि के संबंध में प्रश्न ईठाते ह क्रक आस पर ऄमेररका का एकावधकार समाप्त होना चावहए।

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साआबरस्पेस का शासन दोनों मुद्दों- साितजवनक नीवत पक्ष ऄथातत् स्ितंत्रता, वनजता, ऄवभगम
तथा मानि ऄवधकारों के साथ-साथ तकनीकी पक्षों ऄथातत CIR का प्रबंधन भी सवम्मवलत
करता है। यद्यवप पूितिती के विषय में राज्यों में वनयम ह। आनका कायातन्ियन आस बात पर
वनभतर करेगा क्रक क्या राज्यों के पास CIR को प्रबंवधत करने तक पहंच है। आस संबंध में ,
विवभन्न देशों द्वारा CIR के प्रबंधन के ऄनेक प्रवतदशत , या और ऄवधक विवशष्ट रूप से
ICANN का वनरीक्षण प्रस्तुत क्रकया गया है। ऄमेररका द्वारा वस्थवत के दुरुपयोग के कारण यह
प्रक्रिया िततमान में एडिडत स्नोडेन द्वारा ईजागर क्रकए जाने के कारण लोक प्रवसद्ध हो गयी है।
घरेलू आंटरनेट ईपयोग पर ऄत्यवधक मात्रा में वनयंत्रण लगाने िाले रूस और चीन जैसे देशों ने
संयुक्त राष्र के ऄंतरातष्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के माध्यम से बहपक्षीय वनरीक्षण का
प्रस्ताि क्रदया है।
लाभ
 विवभन्न सरकारों के प्रवतवनवधत्ि से वनरीक्षण तंत्र का लोकतंत्रीकरण।
 राष्ट्रों-राज्यों को आंटरनेट संबंधी साितजवनक नीवत तैयार करने तथा ईसे लागू करने की शवि
हेत,ु जेनेिा घोषणा के ऄनुसार ईनके संप्रभु ऄवधकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाना।
 तकनीकी शासन के माध्यम से साितजवनक नीवत वनणतय लेने की गैर-राज्यकतातओं की क्षमता
को कम करना।
 ICANN का ईत्तरदावयत्ि वनधातररत करने हेतु, िततमान में यह ऄमेररका के वजन विवशष्ट
कानूनों के अधीन है, ईनके स्थान पर ऄंतरराष्ट्रीय कानून का ईपयोग करना।
दोष
 बॉटम-ऄप प्रक्रियाओं का क्षरण- राज्य ऄपने लाभों को राज्यों के लाभों (जैसे सुरक्षा तथा
रक्षा) के रूप मे प्रवतदर्षशत करते ह, न क्रक ईनके नागररकों के लाभ के रूप में। एक बहध्रुिीय
विश्ि में भू-राजनीवतक दखल से आंटरनेट के विखंडन को बढ़ािा वमलेगा।
 ऄंतर-सरकारी वनरीक्षण ईन्नवत और वनणतय लेने की प्रक्रिया को धीमी कर देगा। आंटरनेट की
संरचना तथा अिश्यकताओं की सीवमत समझ एिं िीटो शवियों के खतरे के कारण,
तकनीकी समुदाय की कडी मेहनत के विफल होने की संभािनाएं प्रबल हो जाएंगी।
 ITU में दूरसंचार सेिा प्रदाताओं का प्रभुत्ि होने के कारण, यक्रद स्ियं आंटरनेट की संिृ्वद्ध नहीं
होगी तो नेट-वनरपेक्षता, गंभीर संकट से ग्रवसत हो जाएगी।
 ऄंतरातष्रीय कानूनों को लागू करने िाले संस्थानों तक पहंच काफी कम है, साथ ही यह धीमी
तथा ऄप्रभािी है। ऄनेक देशों के वनरीक्षण में ICANN का कायत करना आसे व्यविगत
ईपयोगकतातओं के वलए और कम ईत्तरदायी बनाएगा।
यह देखा जा सकता है क्रक संयुक्त राष्र जैसे बहपक्षीय वनकाय के दोष, गुणों की ऄपेक्षा काफी
ऄवधक ह। बहपक्षीय प्रवतदशत के मूल वसद्धांतो को ईलट देने से आं टरनेट गुटबाजी का वशकार
हो जाएगा और आसका विकास रुक जाएगा।
आंटरनेट शासन संरचना के सुधार में भारत द्वारा वनभायी गयी भूवमका
 भारत का रुख संयुि राज्य ऄमेररका द्वारा एकपक्षीय वनयंत्रण के विषय में
अलोचनात्मक रहा है तथा आसने आस माध्यम के संचालन हेतु लोकतांवत्रक, पारदशी
और समािेशी व्यिस्था हेतु िकालत की है। पहले, भारत बहपक्षीय दृवष्टकोण का मत
रखता था, लेक्रकन बाद में भारत का मत पररिर्षतत होकर नागररक समुदायों और वनजी
संगठनों को सवम्मवलत करने िाले बह-वहतधारक दृवष्टकोण पर वस्थत हो गया, वजससे
ऄन्य वहतधारकों हेतु राष्ट्रीय सरकारों को ईत्तरदायी बनाया जा सके ।

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 आंटरनेट से संबंवधत नीवतयों (UN-CIRP) हेतु एक संयुि राष्ट्र सवमवत के प्रस्ताि के

साथ-साथ, एक और मांग यह रही है क्रक विदेशी न्यायक्षेत्रों में वस्थत सितरों से


मागतवनदेवशत क्रकए जाने के स्थान पर, एक ही देश में ईत्पन्न तथा समाप्त होने िाले

अंकडों के यातायात को ईसी देश के भीतर ही रहना चावहए। यद्यवप ICANN द्वारा IP

पते अिंटन की मौजूदा प्रणाली को 'शुद्ध, वनष्पक्ष और न्यायोवचत' बनाने के वलए िाद-
वििाद हए ह, CIRP के साथ आसके (ICANN) संबंध, स्पष्ट पररभाषाओं का ऄभाि,
शासन वनकाय की संरचना तथा वहतधारकों की सटीक भूवमका ऄभी भी संशयग्रस्त है।

4. डीप िेब की अिश्यकता तथा हाल ही में सामना की गइ चुनौवतयों का िणतन कीवजए।
दृवष्टकोण
 अिश्यकता एिं चुनौवतयों का िणतन करने हेतु ख़ुक्रफया एजेंवसयों के वनगरानी ऄभ्यासों तथा
वसल्क रोड के ईदाहरणों का प्रयोग कीवजए।
ईिर
 डीप िेब आन्टरनेट का एक भाग है जहााँ तक सचत आंजन नहीं पहंचते। डीप िेब में िेबसाआवस के
रूप में ऄनेक सूचनाएं वछपी हइ रहती ह वजन्हें मानक सचत आंजन खोज नहीं पाते क्योंक्रक
ईनके पृष्ठ तब तक मौजूद नहीं होते जब तक क्रक ईन्हें एक वनर्ददष्ट सचत के माध्यम से गवतशील
रूप से वनर्षमत नहीं क्रकया जाता।
 यह एक गुमनाम नेटिकत का प्रयोग करता है वजसे ‘टोर’ (Tor) कहा जाता है जो डेटा को कू ट

रूप प्रदान करता है और तब विि भर के प्रयोिाओं द्वारा स्थावपत विविध रीले (relays) में
डेटा के छोटे पैकेवस को वितररत करता है।
 िततमान में डीप िेब की अिश्यकता है। यह खुक्रफया एजेंवसयों के वनगरानी ऄभ्यासों की
खबरों के साथ वििेचनात्मक तथा महत्िपूणत दस्तािेजों को गुप्त रखने हेतु यह ऄत्यंत
महत्िपूणत हो गया है। यह संिेदनशील विषयों के ऄनुसंधान हेतु समाधान तथा गुप्त सैन्य
संचार और सरकारों, पुवलस आत्याक्रद को संिेदनशील दस्तािेजों के सुरवक्षत प्रस्तुवतकरण के
वलए सुविधाकारक भी हो सकता है। पत्रकार समुदाय को डीप िेब का ऄवधकतम प्रयोग
करना चावहए क्योंक्रक यह क्रकसी भी ऄन्य गोपनीय साधनों की तुलना में ऄवधक सुरवक्षत है।
 परन्तु आसने कु छ चुनौवतयों को भी ईत्पन्न क्रकया है। डीप िेब ईन व्यवियों तथा संगठनों को
भी सेिा प्रदान करता है, वजन्हें वबना क्रकसी भय के सूचना जारी करने या संिाद करने के वलए
ऄनावमता की अिश्यकता होती है। यह कु छ समस्याओं का कारण बन सकता है। चूाँक्रक डीप
िेब ऐसे संचार को सुरवक्षत पररिेश प्रदान करते ह, साथ ही ऐसे संचार का पता लगाकर
ईसके विरुद्ध कारतिाही करना विवध प्रिततन ऄवभकरणों के वलये लगभग ऄसंभि हो जाता है।
टोर ब्राईज़र प्रयोिाओं को ऄज्ञात रूप से िेबसाआटों तक पहंचने और यहां तक क्रक होस्ट
करने, वबटकॉआन में भुगतान की ऄनुमवत प्रदान करने की सुविधा प्रदान करता है। हाल ही में

FBI ने ‘वसल्क रोड’ नामक एक ऄज्ञात ऑनलाआन मादक पदाथों के बाजार संचालक को
वगरफ्तार क्रकया था।डीप िेब के माध्यम से मादक द्रव्यों के ऄवतररि ऄनेक ऐसे ऄिैध ऄज्ञात
व्यिसाय जैसे क्रक हवथयारों का सौदा, ऄनुबंध हत्या (contract killing) अक्रद भी संचावलत
ह। आसवलए डीप िेब का वनरंतर प्रयोग करने से पहले एक बेहतर साआबर सुरक्षा ऄिसंरचना
ऄपनाइ जानी चावहए।

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5. भारतीय साआबर कानून के पास डेटा हैकसत को वनयंवत्रत करने हेतु साधनों का ऄभाि है।
विश्लेषण कीवजए।
दृवष्टकोण
 िणतन कीवजए क्रक सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम द्वारा साआबर ऄपरावधयों को प्रदि ईदार
व्यिहार पररिेश को ऐसा बनाता है जहााँ िे आलेक्रोवनक साक्ष्यों में हस्तक्षेप तथा ईन्हें विनष्ट
कर सकते ह।
 साथ ही आस त्य पर भी प्रकाश डावलए क्रक ये क्रियाएं कानूनी प्रक्रियाओं का ईपहास करेंगी
तथा कानून प्रिततन एजेंवसयों को ऄत्यंत दबाि की वस्थवत में ला देंगी।
ईिर
भारत में प्रचवलत साआबर कानून डेटा हैककग से वनपटने में सक्षम नहीं ह। हैकरों से वनपटने
हेतु भारतीय साआबर सुरक्षा कानून के तहत बहत कु छ करने की अिश्यकता है
 भारतीय सूचना प्रौद्योवगकी (IT) कानून हैककग दृष्टान्तों से वनपटने हेतु पयातप्त
प्रभािशाली नहीं है। ऐसे मामलों में यक्रद क्रकसी विविद्यालय या संस्थान का नेटिकत
क्रकसी व्यवि द्वारा हैक क्रकया जाता है तो ईसे सूचना प्रौद्योवगकी की धारा 66 के तहत
ऄवधकतम तीन िषत तक के कारािास और पांच लाख रूपए तक के जुमातने से दवण्डत
क्रकया जाता है।
 जबक्रक भारत में आंटरनेट के िावणवज्यक रूप से ईपयोग करते हए 14 िषों से ऄवधक
समय हो गया है, तथा ऄभी भी हमारे यहााँ साआबर ऄपराध ऄपराधों में दोषवसवद्ध की
दर ऄत्यंत कम ह।
 भारत में हैककग एक जमानती ऄपराध है जबक्रक संयुि राज्य ऄमेररका में यह एक गैर-
जमानती ऄपराध है।
 मानि स्िभाि तथा मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हए यह ऄपेक्षा करना स्िाभाविक
होगा क्रक यक्रद संबंवधत साआबर ऄपराधी को एक बार जमानत पर ररहा कर क्रदया गया
तो िह तुरंत सभी आलेक्रोवनक साक्ष्यों और ईसके द्वारा क्रकए गए क्रकसी भी साआबर
ऄपराध के वचन्ह को लुप्त, विनष्ट एिं हटा देगा। आस प्रकार कानून प्रिततन एजेंवसयों द्वारा
क्रकसी साआबर ऄपराध में वलप्त व्यवि को ऄपराधी ठहराना लगभग ऄसंभि हो जाएगा।
 एक व्यिस्था में ऄवधवनयम के ऄवतिमण के पश्चात् मौजूदा विवधयों का प्रयोग करते हए
क्रकसी को ऄपराधी ठहराना प्राय करठन होता है। आसके ऄवतररि अभासी डेटा के साथ
छेडछाड भी कानून में स्पष्ट रूप से पररभावषत नहीं है।
 ऄमेररका और यूरोप में सम्पूणत विधान डेटा सुरक्षा के प्रवत समर्षपत है। यद्यवप भारतीय
कानून के तहत आससे संबंवधत के िल दो प्रािधान ह। आसके ऄवतररि आन प्रािधानों में भी
स्पष्टता नहीं है।
 जबक्रक हैककग हमले साआबर कानूनों के क्षेत्रावधकार में बने रहेंगे। यह भारत में वनजता
कानूनों का ऄभाि ही है जो साआबर ऄपरावधयों को सोशल नेटिकत पर प्रयोिाओं के डेटा
का दुरुपयोग करने की ऄनुमवत प्रदान करता है।
 साआबर ऄपराधी साआबर कानूनों में कवमयों को पहचानते ह तथा ईनका ईपयोग बच
वनकलने के वलये कर रहे ह। सोशल नेटिक्सत पर ऄत्यवधक साआबर हमलों में यह प्रयोिा
ही है जो विद्वेषपूणत बलक्स पर वक्लक करता है और ऄज्ञानतािश िायरस या स्पैम को
ऄपने संपकों से गुजरने देता है। आस प्रकार के खतरों से वनपटने हेतु भारतीय साआबर
कानून में कोइ विवशष्ट प्रािधान नहीं है।
 ऄमेररका में जब सोनी प्लेस्टेशन के नेटिकत को हैक कर वलया गया था तो प्रयोिाओं ने
कं पनी के विरुद्ध िाद दायर करिाया था। जबक्रक भारत में िे प्रयोिा वजनका डेटा लुप्त
हो जाता है िे कं पनी के विरुद्ध कोइ भी कदम नहीं ईठाते।

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 भारत में डेटा हैककग जैसे साआबर ऄपराधों की जांच एक वनम्न स्तरीय पुवलस वनरीक्षक
द्वारा की जाती है। वनरीक्षक स्तर के पुवलस ऄवधकारी के साआबर ऄपराधों, ईनके
ऄन्िेषण, जााँच और ऄवभयोजन हेतु िततमान ऄल्प-ज्ञान और प्रवशक्षण के ऄभाि को
देखते हए आस प्रकार के ईपागम समय की परीक्षा का सामना करने में ऄसमथत ह।
भारत के ऄत्यंत ईदार सूचना प्रौद्योवगकी (IT)ऄवधवनयमों के साआबर ऄपराधों हेतु ईनकी
नाजुक प्रवस्थवत और असवि को देखते हए साआबर ऄपराधों से प्रभािी रूप से वनपटने तथा
साआबर ऄपरावधयों को कठोरतापूितक दंवडत करने की राष्ट्र की ऄपेक्षाओं को आन ऄवधवनयमों
द्वारा वनराशा की वस्थवत में ला क्रदया गया है। कु ल वमलाकर ईपरोि िर्षणत सुस्पष्ट कवमयों
को देखते हए कं प्यूटर, कं प्यूटर वसस्टम एिं कं प्यूटर नेटिकत के सभी ईपयोगकतातओं और
आलेक्रॉवनक रूप में डेटा और जानकारी के द्वारा IT ऄवधवनयम पर प्रवतकू ल प्रभाि पडने की
संभािना है।

6. महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना में साआबर हमलों हेतु संकट प्रबंधन योजना साितजवनक वनजी
भागीदारी (PPP) के वबना ऄपयातप्त है। परीक्षण कीवजए।
दृवष्टकोण
 महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना में वनजी ऄवभकतातओं की भूवमका का िणतन कीवजए।
 क्यों आसकी सुरक्षा के िल वनजी हाथों में ही सकें क्रद्रत नहीं की जा सकती।
ईिर
भारत सरकार के सूचना प्रौद्योवगकी विभाग ने महत्िपूणत सूचना प्रौद्योवगकी पर वनभतर
ऄिसंरचना नामतः रक्षा, विि, उजात, पररिहन तथा दूरसंचार की पहचान की है। आनमें से
कु छ क्षेत्रों का वनम्नवलवखत विश्लेषण दशातता है क्रक भारत में महत्िपूणत सूचना ऄिसंरचना
(CII) का एक विवशष्ट भाग वनजी क्षेत्रक के स्िावमत्ि एिं संचालन में है।
 दूरसंचार क्षेत्र ऄवधकांशत (ऄपिादस्िरूप MTNL तथा BSNL) वनजी ऄवभकतातओं
द्वारा शावसत ह। िैविक समुद्रतलीय के बल संचार ऄिसंरचना (GUCCI) व्यापक रूप से
वनजी स्िावमत्ि के ऄधीन है।
 बककग क्षेत्र जहााँ 30% से ऄवधक लेनदेन ऑनलाआन होते ह तथा आन लेनदेनों का कु ल
मूल्य कु ल लेनदेन मूल्य के 80% से ऄवधक है। आसमें बडी संख्या में विदेशी और वनजी
बक सवम्मवलत ह।
 स्टॉक एक्सचेंज- प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज जैसे क्रक BSE तथा NSE वनजी क्षेत्र के ह वजसमें
ऄवधकांश लेनदेन आलेक्रोवनक माध्यमों द्वारा सम्पाक्रदत होते ह।
 एयरलाआन ईद्योग भी वनजी स्िावमत्ि के ऄधीन है, के िल एयर आंवडया ही साितजवनक
क्षेत्र का ईपिम है।
 उजात और ईपयोवगताएाँ- यद्यवप यह क्षेत्र काफी सीमा तक साितजवनक ऄवभकतातओं के
प्रभुत्ि में है, परन्तु प्रमुख शहरों में वितरण ऄवधकांशत वनजी भागीदारों के
वनयंत्रणाधीन है।
आस प्रकार वनजी क्षेत्र भी राष्ट्र के साआबरस्पेस की सुरक्षा करने में समान रूप से महत्िपूणत है।
हालााँक्रक सरकार ऄपने CII की सुरक्षा हेतु आसे पूणत रूप से वनजी क्षेत्र को सुपुदत नहीं कर
सकती। ऐसा आसीवलए है यक्रद क्रकसी वनजी कं पनी के स्िावमत्िाधीन CII पर कोइ साआबर
हमला होता है, तो आस प्रकार के हमले के पररणाम सम्पूणत देश पर प्रवतकू ल प्रभाि डाल सकते
ह तथा के िल ईस कं पनी तक ही सीवमत नहीं होते। ईदाहरणाथत यक्रद क्रकसी एक राष्ट्रीय स्टॉक
एक्सचेंज पर साआबर हमला होता है तो यह संभितः सम्पूणत व्यापार पररचालनों को प्रभावित
कर सकता है, यह सम्पूणत ऄथतव्यिस्था को प्रभावित कर सकता है तथा वनिेशकों के मध्य भय
भी ईत्पन्न कर सकता है।

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आसीवलए CII को सुरवक्षत रखने हेतु सरकार और वनजी क्षेत्र के मध्य ईपयुि सहयोग की
ऄत्यवधक अिश्यकता है। आसके साथ ही वनजी क्षेत्र को विवभन्न प्रणावलयों के माध्यम से
सरकार की साआबर सुरक्षा पहलों में प्रमुख रूप से शावमल होने की अिश्यकता है, जो
वनम्नवलवखत क्षेत्रों में PPP को शावमल कर सकता है
 सुरक्षा सूचना सहभाजन और विश्लेषण;
 विवनयामकीय दृवष्टकोण में निाचार;
 सुरक्षा कायतिमों में निाचार;
 ऄग्र-सक्रिय जोवखम और सुभेद्यता प्रबंधन;
 CII में सिोिम व्यिहारों को प्रोत्सावहत करना;
 सुरक्षा तत्परताओं का मूल्यांकन एिं वनगरानी;
 सूचना प्रौद्योवगकी अपूर्षत श्रृंखला;
 वििीय कायतिाही कायत बल (FATF) जैसे ऄंतरातष्ट्रीय प्रयासों में नेतृत्ि और भागीदारी करना;
तथा
 ऄनुसंधान एिं विकास, क्षमता वनमातण, सामान्य जन में जागरूकता का सृजन तथा विवशष्ट क्षेत्रों में
सहयोग जैसे क्रक रक्षा अक्रद ऄन्य मुख्य क्षेत्र ह जो CII में PPP की मांग करते ह।

6. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे
गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)
1. साआबर हमले के संभावित खतरों एिं आसे रोकने के वलए सुरक्षा ढांचे पर चचात कीवजए। (2017)
2. गैर-राजकीय कतातओं द्वारा विध्िंसक गवतविवधयों के वलए आंटरनेट और सोशल मीवडया का
ईपयोग बडी बचता का विषय है। हाल ही के विगत ऄतीत में आसका दुरुपयोग कै से क्रकया गया है?
ईपयुति खतरे पर ऄंकुश लगाने के वलए प्रभािी क्रदशावनदेशों का सुझाि दें। (2016)
3. सरकारी कामकाजों के वलए सितर की क्लाईड होबस्टग बनाम आन-हाईस मशीन अधाररत होबस्टग
के लाभ एिं सुरक्षा वनवहताथों की चचात कीवजए। (2015)
4. देश के वलए साआबरस्पेस द्वारा प्रस्तुत क्रकए जाने िाले खतरों को देखते हए, ऄपराधों को रोकने के
वलए भारत को 'वडवजटल सशस्त्र बल' की अिश्यकता है। राष्ट्रीय साआबर सुरक्षा नीवत, 2013 के
प्रभािी कायातन्ियन में ऄनुभि की जाने िाली चुनौवतयों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हए आसका
अलोचनात्मक मूल्यांकन कीवजए। (2015)
5. सोशल नेटिर्ककग साआट क्या ह और ये साआट कौन-से सुरक्षा वनवहताथत प्रस्तुत करती ह? (2013)
6. वडवजटल हस्ताक्षर क्या है? आसके प्रमाणीकरण का क्या ऄथत है? वडवजटल हस्ताक्षर की विवभन्न
ऄन्तवनर्षहत सुविधाएाँ बताआए। (2013)
7. कु छ रक्षा विश्लेषकों द्वारा साआबर युद्ध को ऄल-कायदा या अतंकिाद से भी ऄवधक बडा खतरा
माना जाता है। साआबर युद्ध से अप क्या समझते ह? ऐसे साआबर खतरों की रूपरेखा प्रदान
कीवजए वजनके प्रवत भारत सुभेद्य है और आससे वनपटने के वलए देश की तैयाररयों की वस्थवत को
स्पष्ट कीवजए। (2013)

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7. संद भत (References)
1. http://www.idsa.in/system/files/book/Transcriptcybersecurity.pdf

2. http://www.idsa.in/idsacomments/NationalCyberSecurityPolicy2013_stomar_2

60813
3. http://indianexpress.com/article/explained/soon-the-net-will-be-free-of-us-
control-have-new-governors-in-new-icann-who-can/

4. https://niccs.us-cert.gov/glossary
5. https://www.enisa.europa.eu/topics/csirts-in-europe/glossary?tab=articles

6. http://fortune.com/2015/09/01/why-israel-dominates-in-cyber-security/
7. http://www.thehindu.com/opinion/op-ed/Vulnerable-in-

cyberspace/article16835147.ece

8. http://nciipc.gov.in/
9. http://www.cyberswachhtakendra.gov.in/

10. https://www.icann.org/

11. http://www.idsa.in/backgrounder/china-first-cyber-security-
law_apsingh_231216
12. http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=93289

13. http://indianexpress.com/article/opinion/columns/but-what-about-section-69a/
14. https://www.youtube.com/watch?v=ddMpugGIHVE&t=308s

15. https://www.youtube.com/watch?v=2OzbwH-9oZA
16. http://indianexpress.com/article/technology/tech-news-technology/digital-
signature-electronic-documents-digital-signature-certificate-online-
transactions-2844290/

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अंतररक सुरक्षा चुनौततयों में मीतडया और सामातजक


नेटवर्ककग साआटों की भूतमका

तवषय सूची
1. मीतडया (Media) ___________________________________________________________________________ 59

1.1. भूतमका (Introduction) ___________________________________________________________________ 59

1.2. भारत में मीतडया की भूतमका (Role of Media in India) ____________________________________________ 59

1.3. राष्ट्रीय सुरक्षा और मीतडया (National Security & Media) _________________________________________ 60

1.4. मीतडया कै से भ्रम फै लाती है? - अंतररक सुरक्षा के तलए खतरा __________________________________________ 60

1.5. मौजूदा तवतनयम और प्रततबंध (Existing Regulations and Restrictions)______________________________ 61

1.6. खतरे से तनपटने के ईपाय (Measures to tackle the threat) ________________________________________ 62

2. सोशल मीतडया (Social Media) ________________________________________________________________ 65

2.1. भूतमका (Introduction) ___________________________________________________________________ 65

2.2. सोशल मीतडया बनाम सोशल नेटवकक (Social Media vs Social Network) ______________________________ 66

2.3. सोशल मीतडया के प्रकार (Types of Social Media) ______________________________________________ 66

2.4. राष्ट्रीय सुरक्षा और सोशल मीतडया (National Security & Social Media) ______________________________ 67

2.5. अंतररक सुरक्षा के तलए खतरा (Threat to Internal Security) _______________________________________ 68

2.6. मौजूदा तनयंत्रण और संतुलन: तवतनयमन _________________________________________________________ 69

2.7. खतरे से तनपटने के ईपाय (Measures to Tackle the Threat) _______________________________________ 70

3. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 71

4. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न__________________________________________________ 75

58
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"समाचार पत्र की शति सभ्यता में सबसे बडी शति है। ररपतललकन सरकार के ऄनुसार, समाचार पत्र
सावकजतनक राय बनाते हैं और आसे व्यि करते हैं। ये तवधान का सु झाव देते हैं और ईनका तनयंत्रण करते
हैं। ये युद्ध के बारे में स्पष्ट तौर पर बताते हैं। ये ऄपरातधयों को दंतडत करने का सुझाव देते हैं , तवशेषरूप
से शतिशाली को। ये प्रत्येक जगह नागररकों के ऄच्छे कमों को प्रचाररत करने के साथ ही ईन्हें पुरस्कृ त
करते हैं। समाचार पत्र देश को तनयंतत्रत करते हैं क्योंकक वे लोगों का प्रतततनतधत्व करते हैं।"

तवतलयम रैंडोल्फ हस्टक

1. मीतडया (Media)
1.1. भू तमका (Introduction)

कोइ भी ऐसा संचार माध्यम तजसके द्वारा ककसी भी प्रकार की जानकारी, समाचार, मनोरंजन, तशक्षा,

डेटा, संदश
े आत्याकद प्रसाररत ककया जा सकता है, ईसे मीतडया कहा जाता है।

मास मीतडया का तात्पयक वैसे संचार ईपकरणों से हैं, तजनका ईपयोग तवतभन्न भाषाओं में बडी संख्या में
दशककों के साथ संवाद करने और बातचीत करने के तलए ककया जा सकता है। चाहे प्रारतभभक युग के
तचत्रमय संदश
े रहे हों, या अज ईपललध ईच्च तकनीक वाले मीतडया, मास मीतडया हमारे जीवन का
एक ऄतवभाज्य ऄंग बन गया है। मीतडया को व्यापक रूप से तनम्नतलतखत प्रकार से वगीकृ त ककया जा
सकता है:
 प्रप्रट मीतडया (समाचार पत्र, पतत्रकाएं, ककताबें और ब्रोशर, तबलबोडक, आत्याकद।)

 आलेक्रॉतनक मीतडया (समाचार वेबसाआट, सोशल नेटवर्ककग साआट्स, मास MMS स्कीम,

टेलीतवजन, आंटरनेट, रेतडयो, तसनेमा आत्याकद।)

 अधुतनक युगीन मीतडया (New Age Media) (मोबाआल णोन, कं प्यूटर, आंटरनेट, आलेक्रॉतनक
पुस्तकें आत्याकद।)

1.2. भारत में मीतडया की भू तमका (Role of Media in India)

भारत जैसे देश में , लोकतंत्र के प्रहरी और राष्ट्रीय तहतों के रक्षक सूचना और ऄतभव्यति तक पहंच

असान बनाते हैं। यह नागररकों को ईत्तरदायी बनाने और ईद्देश्यपूणक तवकल्प चुनने, ऄतधकाररयों द्वारा

ईत्तरदातयत्व को बढावा देने, संघषक समाधान के ईपाय प्रस्तुत करने और तवतवध लोगों के तवतवध
तवचारों को प्रोत्सातहत करने में सहायता करता है। सूचना की आस पहंच ने भारतीय मीतडया को
वॉचडॉग की भूतमका तनभाने की ऄनुमतत दी है, जो सरकार को ऄपनी सभी गतततवतधयों को तनभाने के
तलए तजभमेदार बनाती है और लोगों के तलए ऄतभव्यति के समग्र तरीके के रूप में कायक करती है।
आसतलए भारत जैसे लोकतंत्र में मीतडया की भूतमका को तनम्नतलतखत प्रकार से सारांतशत ककया जा
सकता है:
 सुरक्षा खतरों और चुनौततयों के बारे में वस्तुतनष्ठ, तनष्पक्ष और ऄपक्षपाती तरीके से लोगों को
सूतचत और तशतक्षत करना।
 कठोर अत्म तनयमन के साथ तनष्पक्ष ररपोर्टटग करना।
 स्वस्थ लोकतंत्र के तसद्धांतों का प्रचार करना।
 संवैधातनक प्रावधानों का सभमान करना।
 राष्ट्रीय स्तर पर लोगों और सरकारों के मध्य एक संपकक स्थातपत करना।

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 तनष्पक्षता, न्याय, राष्ट्रीय एकता और ऄंतराकष्ट्रीय सहयोग को बनाए रखना।


 सूचना प्रदान करना, तशक्षा, मनोरंजन प्रदान करना, प्रचार और सबसे महत्वपूणक यह कक ककसी भी
समाज में ऄततसंवेदनशीलता को सुधारने का प्रयास करना।
 समाज के लोगों के कष्टों ऄथवा तशकायतों को ईजागर करना और ईन्हें समाप्त करने हेतु ईपयुि
तंत्र तैयार करने के तलए सरकार और जनता पर दबाव बनाना।
 सरकार की धारणाओं को अकार देना, जनता की राय को प्रभातवत करना, लोकतंत्र को बढावा
दना, सुशासन के साथ-साथ लोगों के व्यवहार को प्रभातवत करना और लोगों की ओर ईन्मुख
नीततयों का समथकन करना, अकद।
वैश्वीकरण के वतकमान दौर में मीतडया की तजभमेदाररयां और भी बढ गईं हैं। आसे देश के राष्ट्रीय तहतों को
संरतक्षत करने और आसे अगे बढाने तथा वैतश्वक मुद्दों के प्रतत राष्ट्र के दृतष्टकोण को सामने रखने हेतु एक
प्रमुख भूतमका तनभानी है। वैतश्वक सुरक्षा हेतु वैतश्वक स्तर पर संकटग्रस्त मुद्दों को ईजागर करने के तलए
आसे ऄंतराकष्ट्रीय संबंधों के संचालन का तनरीक्षण भी करना है।

1.3. राष्ट्रीय सु र क्षा और मीतडया (National Security & Media)

 समकालीन पररतस्थततयों में मीतडया और ककसी राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतत के मध्य एक मजबूत
संबंध है। भारत में टेलीतवजन समाचार हेतु बहत सारे चैनल हैं और ये दशककों की संख्या को बढाने
के तलए 24x7 प्रततस्पधाक करते हैं। ये 'ब्रेककग न्यूज' सनसनी पैदा करने में व्यस्त रहते हैं तजसके
कारण प्रप्रट मीतडया का महत्व बढ जाता है। टेलीतवजन समाचार चैनलों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों,
तवचारों और पररकल्पनाओं के मध्य भेद आतने धुंधलें हो गए हैं कक ये ऄप्रासंतगक लगने लगे हैं।
 मीतडया और राष्ट्रीय सुरक्षा नीतत के बीच प्रत्यक्ष और ऄप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के संबंध हैं। एक
मजबूत प्रशासन के मामले में यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कक समाचार वास्तव में समाचार
होते हैं और नीतत वस्तुतः नीतत होती है। ऄस्पष्ट प्रशासन के ऄंतगकत जहााँ स्वीकृ तत रेटटग तनम्न
होती है तथा वैसे स्पष्ट प्रशासन के ऄंतगकत तजनकी नीततयां ऄतवकतसत हैं या तजनके नीततगत
संचालन का ठोस दाशकतनक अधार नहीं है; नाटकीय ररपोर्टटग द्वारा ऄतधक प्रभाव ईत्पन्न करने का
प्रयास ककया जाता है।

1.4. मीतडया कै से भ्रम फै लाती है ? - अं त ररक सु र क्षा के तलए खतरा

(Where Media is Misleading? – Threat to Internal Security)


 भारतीय मीतडया के पास भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों के संबंध में एक व्यापक दृतष्टकोण का
ऄभाव है।
 भारतीय मीतडया स्वयं पर एक युतियुि प्रततबंध अरोतपत करने या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर
ऄपने स्वच्छंद और ऄसंवेदनशील व्यवहार के संबंध में अत्म-संयम के तनयमों के ऄनुपालन करने
की तस्थतत में नहीं है।
 कु छ मुट्ठीभर पूवक राजनतयकों, जनरलों और ऄकादतमक रणनीततकारों के समूहों के माध्यम से
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारतीय मीतडया (तवशेष रूप से आलेक्रॉतनक मीतडया) द्वारा ककया जाने
वाला तवश्लेषण या ऄतत-तवश्लेषण ऄक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा के दृतष्टकोण को तवकृ त करते हैं। आनमें से
ऄतधकांश सज्जन के वल ऄपने पुराने ऄनुभवों को साझा करते हैं तथा आनमें से शायद हीं कोइ
नवीनतम आनपुट से सभबंतधत गूढ बातों को सामने रख पाता है। आसके ऄततररि बहत से मामलों
में, सेवातनवृतत्त के ईपरांत ऐसे तवशेषज्ञों में वाक् संयम का ऄभाव होता है।
 राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चचाक करने वाले भारतीय टीवी एंकरों में प्रायः पयाकप्त राजनीततक और
सामररक पररपक्वता कदखाइ नहीं देती है जैसाकक ईनके पतिमी समकक्षों में होती है।
 राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारतीय टीवी चैनलों द्वारा अयोतजत बहस के दौरान ऄक्सर
वातणतज्यक ब्रेक लगाकर तवरोधी तवचारों और दृतष्टकोणों को सामने नहीं अने कदया जाता है, या
कइ बार वे स्वयं प्रततभातगयों को धमकाने भी लगते हैं।

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1.5. मौजू दा तवतनयम और प्रततबं ध (Existing Regulations and Restrictions)

 मीतडया के ऄतधकार एवं ईत्तरदातयत्व तलतखत संतवधान में प्रत्यक्ष रूप से प्रततष्ठातपत नहीं हैं;

हालांकक, वाक् एवं ऄतभव्यति की स्वतंत्रता के रूप में भारतीय संतवधान के ऄनुच्छेद 19 में

व्यापक रूप से सूचना के स्रोत के रूप में मीतडया की शतियों और कायों पर प्रकाश डाला गया है।
 ऄनुच्छेद 105 (2) और 194 (2) भारतीय प्रेस को संसद और राज्य तवधातयकाओं की कायकवाही

को प्रकातशत करने या ररपोटक करने की ऄनुमतत देते हैं।


 भारत में कइ सारे प्रेस कानून तवद्यमान हैं, जैसे- 1978 का प्रेस काईं तसल एक्ट जो भारत में प्रेस

की कायक पद्धतत को तनयंतत्रत करने के तलए तनकायों को नामांककत करती है और 1980 का राष्ट्रीय

सुरक्षा ऄतधतनयम ईन मुद्दों पर ररपोटक करते समय भारतीय प्रेस पर प्रततबंध लगाता है, तजनके

तलए गोपनीयता की अवश्यकता हो और तजनके खुलासे से राष्ट्र की तस्थरता को खतरा हो सकता


है।
 सरकार अपातकाल के दौरान मीतडया को प्रततबंतधत करने में सक्षम रही है और ईसने ऐसे कानूनों
को लागू ककया है जो मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंतधत मुद्दों से तनपटने के तलए सीतमत रूप से
आनकी स्वतंत्रता को कम करते हैं। आसके कु छ ईदाहरण तनम्नतलतखत हैं:
o भारत रक्षा ऄतधतनयम, 1962 (Defence of India Act, 1962): 1962 में भारत-चीन
युद्ध के समय घोतषत अपातकाल के दौरान आसे लागू ककया गया। आस ऄतधतनयम का ईद्देश्य
प्रेस की स्वतंत्रता को काफी हद तक सीतमत करना था। आसके माध्यम से कें द्र सरकार को
नागररक सुरक्षा/सैन्य पररचालन को खतरे में डालने वाले प्रकाशन या संचार के तनषेध के
संबंध में तनयम जारी करने के ऄतधकार प्राप्त हए। साथ ही आसमें सुरक्षा/सैन्य पररचालन को
खतरे में डालने वाली ककसी सामग्री के होने के संदह
े के अधार पर भी ईनकी ररपोर्टटग ऄथवा
ईनके छपने या प्रकातशत होने से रोकने का भी प्रावधान है।
o नागररक सुरक्षा ऄतधतनयम, 1968 (Civil Defence Act, 1968): यह देश और आसके

नागररकों की सुरक्षा को हातन पहाँचाने वाले ककसी भी पुस्तक, समाचार पत्र या ऄन्य
दस्तावेज के मुद्रण और प्रकाशन के तनषेध के तलए तनयम बनाने की ऄनुमतत देता है।
o प्रसारण संतहता (The Broadcasting Code): आसे 1962 में चौथे एतशयाइ प्रसारण

सभमेलन (Asian Broadcasting Conference) द्वारा ऄपनाया गया था, तजसमें


आलेक्रॉतनक मीतडया द्वारा ऄनुसरण ककए जाने वाले प्रमुख तसद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है।
ऑल आंतडया रेतडयो (AIR) को प्रशातसत करने के तलए प्रसारण संतहता को तैयार ककया गया

था, लेककन सभी भारतीय प्रसारण संगठनों द्वारा तनम्नतलतखत प्रमुख तसद्धांतों का ऄनुपालन

ककया जाना है। आन तसद्धांतों में शातमल हैं:


 तशक्षा और संस्कृ तत की प्रगतत को बढावा देने के तलए समाचारों की वस्तुतनष्ठ प्रस्तुतत
और न्यायसंगत तथा ऄपक्षपातपूणक रटप्पणी सुतनतित करना।
 सभी कायकक्रमों में भद्र-व्यवहार और तशष्टता के ईच्च मानकों को बढावा देना और आसे
बनाए रखना।
 युवाओं के तलए कायकक्रम अयोतजत करना, तजससे ईनमें तवतवध और संतोषप्रद
नागररकता के तसद्धांतों का समावेश हो पाए।

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 सांप्रदातयक सद्भाव, धार्ममक सतहष्णुता और ऄंतराकष्ट्रीय समझ को बढावा देना।

 तववादास्पद सावकजतनक मुद्दों के प्रतत तनष्पक्ष और संयमशील ढंग से व्यवहार करना।


 मानवातधकार और गररमा का सभमान करना।
 समाचार प्रसारण मानक प्रातधकरण (News Broadcasting Standards Authority:

NBSA): यह न्यूज ब्रॉडकास्टसक एसोतसएशन द्वारा स्थातपत एक स्वतंत्र तनकाय है। आसका कायक

प्रसारण के बारे में तशकायतों पर तवचार करना और तनणकय लेना है।


 भारतीय प्रसारण फाईं डेशन (Indian Broadcasting Foundation: IBF) ने 2008 में मुंबइ

अतंकवादी हमलों के प्रसारण के बाद 'गैर-समाचार और समसामतयक मामलों के टेलीतवजन

चैनलों के तलए स्व-तनयामक सामग्री कदशातनदेश' जारी ककए हैं, तजसने मीतडया कवरेज और

भारतीय मीतडया की सामग्री की समीक्षा करने के तलए मीतडया तवशेषज्ञों और पत्रकारों को


तजभमेदारी सौंपा है।

सुप्रीम कोटक ने 2012 में यह रटप्पणी की कक "मुख्यधारा के आलेक्रॉतनक मीतडया द्वारा मुब
ं इ

अतंकवादी हमले के कवरेज ने आस तकक को काफी क्षतत पहंचाइ है कक मीतडया के तलए स्व-तनयामक
तंत्र होने चातहएं।"

 26/11 के बाद ऄपने फै सले में सुप्रीम कोटक ने मुंबइ अतंकी हमले के लाआव कवरेज के तलए टीवी

चैनलों को फटकार लगाइ। "वाक् एवं ऄतभव्यति की स्वतंत्रता” के ऄतधकार का हवाला देते हए

टीवी चैनलों के अचरण को न्यायसंगत सातबत करने का कोइ भी प्रयास आस तरह की तस्थतत में
पूरी तरह से गलत और ऄस्वीकायक होगा। वाक् एवं ऄतभव्यति की स्वतंत्रता, ऄनुच्छेद 19 के

ऄंतगकत ऄन्य सभी स्वतंत्रताओं की तरह, युतियुि तनबकन्धन के ऄंतगकत है।

 ऄनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृ त ककसी भी व्यति के जीवन के ऄतधकार का ईल्लंघन करना या

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास करना जैसी ककसी भी कारकवाइ को वाक् एवं
ऄतभव्यति की स्वतंत्रता के तकक द्वारा कभी भी ईतचत नहीं ठहराया जा सकता है।

1.6. खतरे से तनपटने के ईपाय (Measures to tackle the threat)

राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र की तस्थतत को नुकसान पहंचा सकने वाले मीतडया की संभाव्यता को ध्यान में
रखते हए, राष्ट्र को खतरे से बचाने के तलए तनम्नतलतखत ईपाय ककए जाएंगे:

 ररपोर्टटग में पररशुद्धता (Accuracy in reporting):

o यह टीवी समाचार चैनलों की त़िभमेदारी है कक वे पररशुद्धता और संतुलन को बनाए रखें।


ईल्लेखनीय है कक स्पीड की ऄपेक्षा आन बातों को प्राथतमकता दी जाती है।
o यकद आसके बावजूद भी त्रुरटयां रह जाती हैं, तो यह चैनलों की तजभमेदारी है कक वे पारदशी

बने रहें। त्रुरटयों को तत्काल और स्पष्ट रूप से सही ककया जाना चातहए।
o चैनलों को ऐसे समाचारों को प्रसाररत करने का प्रयास नहीं करना चातहए जो ऄपमानजनक
या तनन्दात्मक हों।

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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे और भारतीय मीतडया का ररकॉडक

 भारत का नातभकीय शस्त्र परीक्षण-1998: भारतीय मीतडया आस मुद्दे को राजनीततक बनाने के


तलए ईन्मत हो गइ। ईन्होंने एक स्वर में यह कहा कक आससे राष्ट्रीय सुरक्षा को कोइ खतरा नहीं था।
हालांकक, आसके सात महीने के भीतर ही कारतगल युद्ध हअ।
 जभमू और कश्मीर में पाककस्तानी छद्म युद्ध: आस मुद्दे पर मीतडया पूरी तरह से गैर तजभमेदार रही
है। भारत की सामररक संवेदनाओं की लगातार ऄनदेखी की गइ है और चरम ईदारवादी तवचारों
को ऄपनाने के तलए एक प्रततस्पधाक देखने को तमली है। कश्मीरी ऄलगाववाद के तवषय पर प्रायः
जोर कदया जाता है। ऄगर ऐसा होता तो पाककस्तान ने ऄब तक भारत पर एक बांग्लादेश थोप
कदया होता।
 कारतगल युद्ध: देश को जोडने वाले एक बल में बााँधने की बजाए, भारतीय मीतडया युद्ध की
पराकाष्ठा पर पक्षपातपूणक राजनीततक भूतमका तनभा रही थी और तववादों को ईकसाने में व्यस्त
थी कक यह कै से हअ।
 अगरा सभमेलन: राजनीततक कू टनीतत की तुलना में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के तहतों के तलए आस
तशखर सभमेलन का ऄतधक महत्व था। परन्तु भारतीय मीतडया भारत के तहतों को अगे बढाने की
बजाए जनरल मुशरकफ के दृतष्टकोण पर ध्यान कें कद्रत करने और ईसे व्यि करने में व्यस्त रही।
आसकी तुलना में पाककस्तानी पत्रकारों ने भारत के आलेक्रॉतनक मीतडया का ईपयोग ऄपने देश के
तहतों की रक्षा करने और आसकी ईन्नतत के तलए ककया।
 भारत की सैन्य लामबंदी, कदसभबर 2001: यहााँ कदलचस्प बात यह है कक जब भारत ऐसा कर रहा
था तब पाककस्तान ने भारत के लामबंदी प्रयासों और आसकी रणनीततक सं रचनाओं की गतततवतध
पर जासूसी करने के तलए ISI का ईपयोग नहीं ककया। भारतीय मीतडया की ररपोर्टटग ने ईसका
काम असान कर कदया था।

 तटस्थता, तनष्पक्षता और वस्तुतनष्ठता (Neutrality, Impartiality and Objectivity)


o मीतडया को ककसी भी तववाद या संघषक की तस्थतत में सभी प्रभातवत पक्षों और भागीदारों के
बारे में ईनके दृतष्टकोण को प्रस्तुत करते वक़्त समान रूख ऄपनाते हए तटस्थता कदखानी
चातहए।
o हालांकक तटस्थता का तात्पयक यह नहीं है कक सभी पक्षों को सामान स्थान देने के तलए आससे
समझौता ककया जाए। समाचार चैनलों को यह सुतनतित करने का प्रयास करना चातहए कक
अरोपों को तथ्यों के रूप में तचतत्रत नहीं ककया गया है और अरोपों को ऄपराध बोध के कृ त्य
के रूप में नहीं बताया गया है।
 यह सुतनतित करना कक ऄपराध और प्रहसा की मतहमा न हो (To ensure crime and

violence are not glorified)


o समाचार चैनलों को यह सुतनतित करने के तलए संयम का प्रयोग करना चातहए कक
तवचारधारा या संदभक के बावजूद प्रसाररत ककसी भी ररपोटक या दृश्यों ने प्रहसा और आसके
कताकओं को प्रेररत, मतहमामंतडत, ईत्तेतजत या सकारात्मक रूप से तचतत्रत नहीं ककया है।
o ऐसे दृश्यों को प्रसाररत न करने के तलए तवतशष्ट रूप से ध्यान कदया जाना चातहए जो पूवाकग्रह
या भडकाउ हो सकती हैं। समान रूप से, प्रहसा की ररपोर्टटग करते समय प्रहसा के कायक को

अकषकक (ग्लैमरराआ़ि) नहीं बनाया जाना चातहए, क्योंकक यह दशककों पर भ्रामक या


ऄसंवेदनशील प्रभाव डाल सकता है।

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o समाचार चैनलों को यह सुतनतित करना चातहए कक यौन प्रहसा, अक्रामकता ऄथवा

मानतसक पीडा के तशकार या आसके गवाह ककसी भी मतहला या ककशोर के पहचान को


तछपाया जाए तथा ऐसे प्रयासों के तबना ईन्हें टेलीतवजन में न कदखाया जाए।
o यौन हमले के सभी मामलों की ररपोर्टटग करते समय या ऐसे ईदाहरणों में जहां मतहलाओं के
व्यतिगत चररत्र या गोपनीयता का मामला जुडा है, ईनके नाम, छतवतचत्रों और ऄन्य

तववरणों को प्रसाररत या प्रकट नहीं ककया जाएगा।


 तनजता (Privacy)

o तनयमानुसार ककसी चैनल को ककसी भी व्यति के तनजी जीवन या व्यतिगत मामलों में
हस्तक्षेप नहीं करना चातहए तथा यथा तसद्ध व्यापक सावकजतनक तहत में ही आसकी ऄनुमतत
होनी चातहए।

o हालांकक, यह भी स्पष्ट है कक पूवक ऄनुमतत के पूवकतनधाकररत तसद्धांत के माध्यम से सत्य और

समाचारों का ऄनुसरण करना संभव नहीं है; कफर भी समाचार एकतत्रत करने के ईद्देश्य से

व्यतियों या ऄतधकाररयों के तनजी जीवन के वल व्यापक सावकजतनक तहत के मामलों में ही


दस्तक कदया जा सकता है।
o आसके ऄततररि, नाबातलगों के मामले में ककए जाने वाले ककसी भी प्रसारण में जो ईनकी

गोपनीयता में हस्तक्षेप करते हों, जहां तक संभव हो चैनल को माता-तपता या कानूनी

ऄतभभावक की सहमतत लेने का प्रयास करना चातहए।

 राष्ट्रीय सुरक्षा (National security)

o सभी समाचार चैनल भारत और भारतीय रणनीततक तहतों का प्रतततनतधत्व करने वाली

ककसी भी शलदावली (terminology) या मानतचत्र के ईपयोग में कानून और भारत सरकार

द्वारा प्रस्तुत ऄतनवायक तवतशष्ट शलदावली और मानतचत्र का ईपयोग करेंगे।


o समाचार चैनल ईन प्रसारणों को ऄनुमतत देने से भी बचेंगे जो ऄलगाववादी समूहों और तहतों
को प्रोत्सातहत करते हैं, या ऐसी जानकारी प्रकट करते हैं जो जीवन और राष्ट्रीय सुरक्षा को

खतरे में डालता हो।


o हालांकक, यकद राष्ट्रीय सुरक्षा के ऄततक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के यथा

तसद्ध प्रकरण मौजूद हैं तो ईन्हें सावकजतनक तहत में प्रसाररत ककया जा सकता है तथा ऐसी
ररपोर्टटग को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला करार नहीं कदया जा सकता है।
 ऄंधतवश्वास और गूढता (Superstition and occultism)

o समाचार चैनल ऐसी ककसी भी सामग्री को प्रसाररत नहीं करेंगे जो ककसी भी तरह से
ऄंधतवश्वास और जादू-टोना को मतहमामंतडत करता है।
o आस तरह की शैली से सभबतन्धत ककसी भी समाचार को प्रसाररत करने से पूवक समाचार चैनल
यह सुतनतित करने के तलए सावकजतनक घोषणा जारी करेंगे, तजससे दशकक आस तरह के

तवश्वासों और गतततवतधयों को मानने या ऄनुकरण करने के तलए गुमराह न हों।

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o आसतलए समाचार चैनल "ऄलौककक" कृ त्यों, तपशाच और भूत , व्यतिगत या सामातजक

तवचलन या तवपथगामी व्यवहार और आनके बारे में "तथ्य के रूप में" तमथकों को प्रसाररत

नहीं करेंगे।

 प्रस्टग ऑपरेशन (Sting operations)


o एक मागकदशकक तसद्धांत के रूप में , दशककों को ककसी भी समाचार का व्यापक कवरेज देने के
प्रयास में प्रस्टग और ऄंडर-कवर ऑपरेशंस समाचार चैनलों का ऄंततम ईपाय होना चातहए।
o न्यू़ि चैनल प्रस्टग ऑपरेशंस करने के साधन के रूप में सेक्स और ऄनैततक व्यवहार को
ऄनुमतत नहीं देंग।े न्यूज चैनल ककसी भी प्रस्टग ऑपरेशंस की ररकॉर्डडग में मादक पदाथों और
नशीले तत्वों का ईपयोग या ककसी भी प्रस्टग ऑपरेशन की ररकॉर्डडग में न्यायसंगत साधनों के
रूप में प्रहसा, धमकी, या भेदभाव के ककसी भी कायक को करने के साधन के रूप में प्रयोग करने
की ऄनुमतत नहीं देंगे।
o न्यू़ि चैनल ऄतभतनधाकररत तसद्धांत के तौर पर यह सुतनतित करेंगे कक प्रस्टग ऑपरेशंस के वल
गलत काम या अपरातधक कृ त्यों के मामलों में के वल तनणाकयक सबूत प्राप्त करने के तलए एक
ईपकरण के रूप में ककया जाता है। ईन्हें यह सुतनतित करना चातहए कक दृश्यों के
प्रस्तुततकरण, या एतडटटग, या आंटरपोप्ऱिग के दौरान मूल फु टेज के साथ ककसी भी प्रकार की
छेडछाड न हो जो वास्ततवकता/सत्य को बदलता है, या सत्य का गलत वणकन करता है या
के वल सत्य का एक तहस्सा प्रस्तुत करता है।

"आंटरनेट आततहास में ऄराजकता का सबसे बडा प्रयोग है। (...) यह जबरदस्त, ऄच्छी और संभातवत रूप
से भयानक बुराइ का स्रोत है, और हम के वल तवश्व स्तर पर आसके प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं। "

एररक तश्मट, कायककारी ऄध्यक्ष, गूगल एंड जेरेड कोहेन,


तनदेशक, गूगल अआतडयाज

2. सोशल मीतडया (Social Media)


2.1. भू तमका (Introduction)

सोशल मीतडया को एक नए प्रकार के ऑनलाआन मीतडया समूह के रूप में सबसे ऄच्छी तरह से समझा
जा सकता है, तजसमें तनम्नतलतखत में से सभी या कु छ तवशेषताएाँ शातमल होती हैं:
 सहभातगता (Participation): सोशल मीतडया प्रत्येक आच्छु क व्यति के योगदान और ईसकी
प्रततकक्रया को प्रोत्सातहत करता है। यह मीतडया और दशककों/ईपयोगकताकओं के मध्य की रेखा को
धुंधला करता है।
 खुलापन (Openness): ऄतधकांश सोशल मीतडया सेवाएं प्रततपुतष्ट (फीडबैक) और सबकी
भागीदारी के तलए ईपललध हैं। वे ककसी भी सूचना पर वोटटग करने, ईस पर रटप्पणी करने और
ईसे साझा करने को प्रोत्सातहत करती हैं। पासवडक द्वारा सुरतक्षत सामग्री के ऄततररि सोशल
मीतडया पर ईपललध ककसी भी सामग्री के ईपयोग और ईस तक पहाँच पर शायद ही कोइ ऄवरोध
है।
 संवाद (Conversation): जहााँ पारंपररक मीतडया "प्रसारण" (दशकक को प्रसाररत या तवतररत
सामग्री) से सभबंतधत है, वहीं सोशल मीतडया को तद्वपक्षीय/पारस्पररक संवाद के रूप में देखा जाता
है।

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 समुदाय (Community): सोशल मीतडया शीघ्रता से समुदायों (communities) को बनाने,


सामान्य तहतों को साझा करने और प्रभावी ढंग से संवाद करने की ऄनुमतत देता है।
 संयि
ु ता (Connectedness): ऄतधकांश सोशल मीतडया संयुिता (संबद्धता) के अधार पर

फलते-फू लते हैं तथा ऄन्य साआटों के प्रलक्स, संसाधनों अकद का ईपयोग करते हैं।

2.2. सोशल मीतडया बनाम सोशल ने ट वकक (Social Media vs Social Network)

 सोशल मीतडया और सोशल नेटवक्सक वास्ततवक शलदों में तभन्न होते हैं, क्योंकक सोशल मीतडया एक
संचार चैनल (माध्यम) है जो दशककों के एक तवस्तृत समूह को जानकारी प्रसाररत करता है और
अम तौर पर यह एक तरफा माध्यम है, जबकक सोशल नेटवक्सक समान तवचारधारा के लोगों,
समूहों या कभयुतनटी के बीच जुडाव के कायक को सुतवधाजनक बनाता है।

2.3. सोशल मीतडया के प्रकार (Types of Social Media)

सोशल मीतडया के कइ प्रकार हैं:


 सोशल नेटवकक (Social networks): ये साआटें लोगों को व्यतिगत वेब पेज बनाने और कफर
सामग्री साझा करने तथा संचार के तलए दोस्तों से जुडने की ऄनुमतत देती हैं। माआ स्पेस
(MySpace) तथा फे सबुक सबसे बडी सोशल नेटवर्ककग साआट्स हैं।

 ललॉग (Blogs): ललॉग एक ऑनलाआन जनकल है जहां प्रतवतष्टयां व्यतिगत व बातचीत वाली शैली
में तलखी जाती हैं। वे अम तौर पर ककसी प्रतसद्ध लेखक या लेखकों के समूह की रचनाएाँ/लेख होती
हैं।
 तवकी (Wikis): ये वेबसाआटें लोगों को तवषय-वस्तु जोडने या आन पर ईपललध सामग्री को
संपाकदत करने की ऄनुमतत देती हैं। ये वेबसाआटें वस्तुतः समुदातयक दस्तावे़ि या डेटाबेस के रूप में
कायक करती हैं। ईदाहरण- तवककपीतडया।
 णोरम (Forums): यह एक प्रकार से ऑनलाआन चचाक/तवचार-तवमशक करने का एक स्थल होता है।
यहााँ सामान्यतः तवतशष्ट तवषयों और रुतचयों से संबंतधत तवषयों पर तवचार-तवमशक होता है। णोरम
में प्रत्येक चचाक को 'थ्रेड (thread)' के रूप में जाना जाता है और कइ ऄलग-ऄलग थ्रेड्स एक साथ
सकक्रय हो सकते हैं। णोरम की यही तवतशष्टता आसे तवतभन्न प्रकार की तवस्तृत चचाकओं को जानने
और ईनमें संलग्न होने के तलए ईपयुि स्थान बनाती है।
णोरभस और ललॉग्स के मध्य एक बडा ऄंतर यह है कक ललॉग्स ककसी स्पष्ट स्वातमत्व के ऄधीन होते
हैं, जबकक ककसी फोरम के थ्रेड्स आसके सदस्यों द्वारा शुरू ककए जाते हैं।

 कं टेंट कभयुतनटी़ि (Content communities): ये एक तवशेष प्रकार की सामग्री को सृतजत करती


हैं और ईन्हें साझा करती हैं। यहााँ ककसी व्यति को सवकप्रथम ऄपना पंजीकरण करना पडता है
तत्पिात ईसे एक होमपेज तमलता है और कफर वह ऄपने दोस्तों के साथ संपकक स्थातपत करता है।
सबसे लोकतप्रय कं टेंट कभयुतनटी़ि णोटो (Flickr), बुकमाकक प्रलक (del.icio.us) और वीतडयो
(यूट्डूब) से सभबंतधत हैं।
 माआक्रो-ललॉप्रगग (Micro-blogging): यह एक ऐसी सोशल नेटवर्ककग साआट है जहां सामग्री
(ऄपडेट) की थोडी मात्रा (बहत कम शलदों में) ऑनलाआन तवतररत/जारी/साझा की जाती हैं और
आसमें सामान्यतः मोबाआल फोन नेटवकक का प्रयोग ककया जाता है, ईदाहरण- तट्वटर।

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2.4. राष्ट्रीय सु र क्षा और सोशल मीतडया (National Security & Social Media)

यकद नागररक संस्थानों द्वारा और तवशेष रूप से रक्षा सेवाओं तथा/या सूचना सुरक्षा सेवाओं द्वारा
सोशल मीतडया का ईतचत ईपयोग ककया जाए तब सोशल मीतडया ककसी राष्ट्र के रणनीततक तहत को
प्राप्त करने या/और राष्ट्रीय सुरक्षा को संरतक्षत करने में प्रभावी भूतमका तनभा सकता है। आसके ऄततररि,
जहााँ एक तरफ सरकारों द्वारा आन साधनों का ईपयोग कं टेंट तनमाकण, बाह्य सहयोग, समुदाय तनमाकण,
और ऄन्य प्रयोजनों में ककया जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ, आन साधनों को ऄंगीकार करने में हइ चूक
समय के साथ संगठनों की सापेतक्षक क्षमता में कमी ला सकती है।
सुरक्षा और कानून प्रवतकन एजेंतसयां अंतररक सुरक्षा के तलए तनम्नतलतखत तरीकों से सोशल मीतडया
प्लेटफॉमक का ईपयोग कर सकती हैं:
 तवतभन्न मुद्दों पर नागररकों के तवचार जानने, ऄशांतत के संभातवत मुख्य कें द्रों और पैटन्सक का
पूवाकनुमान करने, साआबर ऄपराध को रोकने और आस पर प्रततकक्रया करने में सोशल मीतडया पर
ईपललध मुि डाटा का ईपयोग करने;
 कायकवाही हेतु गुप्त समाचार आकट्ढा करने में आसका ईपयोग ककया जा सकता है, जो मानवीय
खुकफया प्रयासों में सहायक हो सकती हैं तथा तजसे अगे एजेंतसयों से साझा ककया जा सकता है।
हालांकक, यहााँ यह सुतनतित ककया जाना चातहए कक नागररकों की तनजता पर कोइ ऄततक्रमण
नहीं हो पाए।
 चेतावनी और रुझान पूवाकनम
ु ान ईपकरण (Warning and Trend Prevision Tool):
o ऄप्रत्यातशत खतरों में पडने की संभावनाओं को कम करने और ईनके प्रतत लोचशीलता बढाने
के क्रम में भतवष्य की रणनीततयों और सामररक पररतस्थततयों का पूवाकनुमान ऄतत महत्वपूणक
हैं।
 संस्थागत संचार ईपकरण (Institutional Communication Tool):
o तवतभन्न प्रकार की सूचनाओं तक राज्य की ईत्कृ ष्ट पहंच होनी चातहए। आससे IT और तनणकय
तनमाकण में तवरोध की तस्थतत में लाभ तमलता है। हालांकक ऐसा तभी होना चातहए जब वे
वास्तव में ईच्च प्रततस्पधाकत्मकता और दक्षता मानकों की गारंटी देने में सक्षम हों तथा ऄपने
रणनीततक तहतों की रक्षा और प्रभावी रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के तलए खतरे का सामना करना
चाहते हों।
o सोशल मीतडया आस प्रकार के प्रततस्पधी लाभ तक पहंचने में मदद कर सकता है क्योंकक वे
सूचना साझा करने की प्रकक्रयाओं की दक्षता और लचीलापन बढाते हैं तथा तनणकय लेने की
प्रकक्रया में तीव्रता लाते हैं।
o सूचना साझा करने वाले सुरतक्षत समुदायों का तनमाकण कर नागररकों को सूतचत करना और
ईन्हें संलग्न करना।
o अंतररक सुरक्षा और कानून व्यवस्था के तलए समस्याएं ईत्पन्न कर सकने वाली दुभाकवनापूणक
ऄफवाहें फै लाने के तलए सोशल प्लेटफामों के दुरुपयोग का मुकाबला करने हेतु ईपतस्थतत
सुतनतित करना और अपातकालीन समय के तलए मानक पररचालन प्रकक्रया तैयार करना।
 प्रभाव, प्रचार और कलात्मकता ईपकरण (Influence, Propaganda and Deception Tool)
o सोशल मीतडया का ईपयोग न के वल संवाद करने, सूचनाओं को साझा या ग्रहण करने,
सामातजक-राजनीततक गततशीलता का तवश्लेषण करने और अर्मथक-तवत्तीय प्रवृतत्त का
पूवाकनुमान करने की ऄनुमतत देता है, बतल्क घटनाओं का तववरण, वास्ततवकता को परखने,
ककसी तवशेष घटना या पररतस्थतत, व्यति या मुद्दे से संबंतधत धारणा को प्रभातवत करने और
तवकल्पों एवं व्यवहारों को प्रभातवत करने की भी ऄनुमतत देता है।

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2.5. अं त ररक सु र क्षा के तलए खतरा (Threat to Internal Security)

सोशल मीतडया लोकतंत्र के समक्ष चुनौती ईत्पन्न करता है क्योंकक सोशल नेटवकक और ललॉग जैसे
माध्यम जनता तक सूचना पहंचाने के शतिशाली ईपकरण होते हैं। यहााँ याद रखने योग्य कु छ ईदाहरण
हैं- मॉल्डोवा का तट्वटर दंगा, लंदन के दंगे, इरान चुनाव, तवकीलीक्स के खुलासे या ऄरब स्वतंत्रता
अंदोलन (ऄरब प्रस्प्रग)। नवीन मीतडया द्वारा प्रदान ककए गए ईपकरणों का कु शल ईपयोग एक प्रकार
की नइ सैन्य शति है क्योंकक आलेक्रॉतनक मीतडया और सोशल मीतडया सामूतहक ऄतभप्रेरणा के सबसे
प्रभावी और शतिशाली साधन हैं।
भारत सरकार के तलए आंटरनेट वस्तुतः सामातजक-अर्मथक सशतिकरण योजनाओं के तलए चुना गया
एक मंच है, जो आसके तवकास के तलए आंटरनेट प्लेटफामों पर भारत की तनभकरता में वृतद्ध करता है, साथ

ही, यह भारत की सुभेद्यता के जोतखम को भी बढाता है।


 अतंकवाद (Terrorism):

o अतंकवादी संगठनों द्वारा कट्टरपंथी तवचारधारा को फै लाने, भती करने, सन्देश प्रेतषत करने
और प्रतशक्षण के तलए सोशल मीतडया का ऄत्यतधक ईपयोग ककया जाता है।
o सोशल मीतडया के तीव्र तवस्तार और तवकास का ईपयोग कु छ तवतशष्ट तवचारधाराओं को
फै लाने, लोगों को संगरठत करने और ईनकी लामबन्दी करने के द्वारा समस्याएं ईत्पन्न करने में
ककया जा सकता है।
 तवरोध प्रदशकन और क्रांतत (Protest Movements and Revolution):
o सोशल मीतडया तवरोध प्रदशकनों और क्रांततयों दोनों के तलए महत्वपूणक कारक का गठन करता
है। तवद्रोही और क्रांततकारी समूह ऐसे साधनों का प्रयोग कर मनचाहा प्रततकक्रया प्राप्त करने

हेतु जनसमुदाय को ईकसाने और संगरठत करने, तवरोध या संघषक गतततवतधयों को प्रबंतधत


करने और ऄपने सामररक और पररचालनात्मक पहलुओं का प्रबंधन करने के तलए करते हैं।
o या तो ऄनजाने में ऄफवाहों के ऄतनयंतत्रत प्रसार के माध्यम से, या समूहों के बीच शत्रुता पैदा
करने के आरादे से जानबूझकर गलत जानकारी के प्रसार के माध्यम से आसमें लोक व्यवस्था को
नुकसान पहाँचाने की संभावना है।
 ऄपरातधता (Criminality):
o अपरातधक संगठन सोशल मीतडया का ईपयोग ऄपनी ऄवैध गतततवतधयों के संचालन,

समथकन, संपकक और समन्वय ईपकरण के रूप में करते हैं।

o आस तरह की ऄवैध गतततवतधयां या तो पूरी तरह से संसूचना अधाररत {ऄथाकत् शुल्क के साथ
बाल ऄश्लीलता (child pornography) फै लाना, "वचुकऄल" पहचान की चोरी, कणप्रशग,

वायरस, रोजन, वॉभसक अकद का प्रसार अकद) हो सकती हैं, या "पारंपररक" (ऄथाकत् नशीले

पदाथक की तस्करी, मानव तस्करी, मनी लॉन्डटरग, औद्योतगक जासूसी से संबंतधत दस्तावेजों
का हस्तांतरण अकद) हो सकती हैं।
 मोबाआल फोन प्रौद्योतगकी असान एवं तत्काल तडतजटल कै मरा और वीतडयो सुतवधाएं प्रदान
करती है और आसका ईपयोग दुभाकवनापूणक ईद्देश्यों हेतु ककया जा सकता है।
 साआबर धमकी, व्यतिगत सूचना का दुरुपयोग, तृतीय पक्ष द्वारा ककसी व्यति के बारे में

ऄतधकांशतः दुभाकवनापूणक प्रकृ तत वाली सामग्री पोस्ट करना, ककसी व्यति की ऄनुमतत के तबना ईस
व्यति से संबंतधत ऄपमानजनक या ईससे भी बदतर सामग्री प्रसाररत करने जैसे मामले।

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 युद्ध (War):
o नाटो के एक हातलया ऄध्ययन के ऄनुसार, भतवष्य के युद्ध ऄत्यतधक संयोतजत पररवेश में
होंगे, तजनकी तवशेषता सोशल मीतडया समेत संचार और नवीन सूचना प्रौद्यतगककयों का
प्रयोग होगी।
o झूठी सूचना फै लाने और गोपनीय डेटा ररकवर (पुनः प्राप्त) करने के तलए दुश्मन देश मीतडया
नेटवक्सक को तनयतमत रूप से हैक करते रहते हैं। सीररयाइ एजेंतसयों द्वारा हाल ही में न्यूयॉकक
टाआभस और तट्वटर सवकरों की हैककग सुर्मियों में थी। आसी प्रकार, ऄमेररका और चीन एक
दुसरे के उपर हैककग का अरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं।

साआलेंट सकक ल का ऄनुप्रयोग: एक खतरा (Silent circle's applications: A threat)


 साआलेंट फोन (Silent Phone): मोबाआल ईपकरणों पर एतन्क्रप्टेड वॉआस और वीतडयो कॉल।
आसका ईपयोग दुतनया में कहीं भी वाइ-फाइ, EDGE, 3G या 4G सेलुलर नेटवकक के साथ ककया
जा सकता है।
 साआलेंट पाठ (Silent Text): तडवाआस रतजस्री से संदश
े ों को स्थायी रूप से हटाने के तलए 'बनक
नोरटस' के साथ एतन्क्रप्टेड टेक्स्ट मैसेप्रजग।

2.6. मौजू दा तनयं त्र ण और सं तु ल न: तवतनयमन

(Available Checks and Balances: Regulations)


 तजस तरह से आंटरनेट डेटा को ईत्पाकदत, एकतत्रत, संयुि, साझा, संग्रहीत और तवश्लेषण करने की
ऄनुमतत देता है, वह लगातार बदल रहा है। सोशल मीतडया लैलस जैसी पुतलस युति पूरी तरह से
सावकजतनक प्लेटफामों पर ईपललध जानकारी पर तनभकर करती हैं, ऄतः प्रातधकाररयों में यह होड
होनी चातहए कक वे समय रहते अवश्यक सावकजतनक डेटा एकत्र कर पाएं।\
 सरकार एक नीतत (सोशल मीतडया और ऑनलाआन सामग्री के तलए एक तनयामकीय ढांचा) पर
काम कर रही है तजसका ईद्देश्य सोशल मीतडया पर तनगरानी रखना है ताकक यह जांच की जा सके
कक कहीं भारत के तखलाफ षड्यंत्र करने और राष्ट्र तवरोधी प्रचार करने के तलए आसका "दुरुपयोग"
तो नहीं ककया जा रहा है। वतकमान में, सोशल मीतडया के तलए मात्र "करने योग्य और न करने
योग्य (do's and don'ts)" जैसे तनदेश ईपललध हैं तजन्हें पूणक कदशातनदेशों में पररवर्मतत करने की
अवश्यकता है तथा आन्हें आन नेटवक्सक पर ऄपनाया जाना चातहए।
 सुप्रीम कोटक ने न्यायाधीशों के बारे में और न्यातयक कायकवातहयों समेत लगभग हर मुद्दे पर सोशल
मीतडया प्लेटफॉमक पर की जाने वाली ऄपररहायक रटप्पतणयों, रोल और अक्रामक प्रततकक्रयाओं के
तलए ऄपनी प्रचता व्यि की है। जांच और कानून प्रवतकन एजेंतसयों के तलए जैसे -जैसे सोशल
मीतडया का ईपयोग बढता जाएगा, वैसे-वैसे आस तरह के डेटा की 'प्रासंतगकता' और आसकी
'स्वीकायकता' अकद के संबंध में प्रश्न ईठाए जाएंगे।
 मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत, IT ऄतधतनयम, 2000 की धारा 69 और 69 (A) भारत सरकार को
तनम्नतलतखत ऄतधकार प्रदान करती है:
o लोक व्यवस्था, रक्षा, सुरक्षा, भारत की संप्रभुता या ऄखंडता, तवदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूणक
संबंधों ऄथवा आनसे सभबंतधत ककसी संज्ञेय ऄपराध के ककये जाने में ईद्दीपन के तनवारण या
ककसी ऄपराध के ऄन्वेषण के तलए ककसी कं प्यूटर संसाधन में जतनत, प्राप्त या भंडाररत ककसी
सूचना को ऄवरुद्ध करने, ईसके तवकोडन या मॉतनटर करने के तलए कदशा तनदेश जारी करना।

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o IT ऄतधतनयम, 2000 का ऄनुच्छेद 69 (B) साआबर वारदात और ऄततक्रमणों के तलए भारत


सरकार की एजेंतसयों {आस मामले में आलेक्रॉतनक्स और सूचना प्रौद्योतगकी तवभाग (Deity)}
को “साआबर सुरक्षा के तलए ककसी भी कं प्यूटर संसाधन में जतनत, पारेतषत, प्राप्त या भंडाररत
रैकफक डेटा या सूचना को मॉतनटर या एकत्र करने के तलए” ऄतधकार देता है।
 सुरक्षोपाय: IT ऄतधतनयम, 2000 (तनयम 7) की धारा 69 (a); Deity के प्रातधकृ त ऄतधकारी,
गृह मंत्रालय, तवतध और न्याय मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा ICERT के संयुि
सतचवों से गरठत सतमतत द्वारा ईनके परीक्षण के ईपरांत प्राप्त तसफाररशों के पिात् जनसामान्य
तक सूचनाओं की पहाँच को प्रततबंतधत करने हेतु कदशातनदेश जारी करने के तलए Deity के सतचव
को प्रातधकृ त करता है।

2.7. खतरे से तनपटने के ईपाय (Measures to Tackle the Threat)

सोशल मीतडया की प्रकृ तत जरटल है तथा आसने ऐसे वैध प्रश्न ईठाए हैं जहााँ यह बहस होना स्वभातवक है
कक वाक् एवं तनजता की स्वतंत्रता से संबंतधत नागररकों के मौतलक ऄतधकारों का ईल्लंघन ककए तबना
आसका तवतनयमन संभव है या नहीं। सोशल मीतडया की तवशेषताओं, घटकों, सामतग्रयों और आसकी
तवकतसत शति के कारण आसे तनयंतत्रत, सेंसर या बंद नहीं ककया जा सकता है। सोशल मीतडया को
समझना और ऄपनाया जाना चातहए।
 ऄफवाहों को पल्लतवत होने से पहले ही ईन्हें दबाने के तलए और दोष-रतहत सूचना ईपललध कराने
के तलए प्रातधकारी समान माध्यम का प्रयोग कर सकते हैं। मौजूदा प्रौद्योतगककयााँ और कानून
ऄतधकाररयों को वास्ततवक समय में सोशल मीतडया सतहत आंटरनेट रैकफक की प्रभावी तनगरानी
करने के तलए पयाकप्त छू ट प्रदान करते हैं, लेककन ईतचत समन्वय की कमी समेत तवतभन्न कारणों से
आसका ईपयोग कम ककया गया है।
 सोशल मीतडया के तवश्लेषण से जतनत खुकफया सूचना या SOCMINT को कइ देशों में एक अदशक
मॉडल के रूप में तवकतसत ककया जा रहा है तजसे वॉयरल होने वाले हॉटस्पॉट या तवषयों को ऄलग
करने और भतवष्यवाणी ईपकरण के रूप में ईपयोग ककया जाता है। भारत भी आन मॉडलों की
तरफ देख रहा है, लेककन यह ऄभी भी यहााँ प्रयोग, परीक्षण और त्रुरट-सुधार के चरण में है।
 मुंबइ पुतलस ने देश में ऄपनी तरह का पहला "सोशल मीतडया लैब" नामक एक प्रोजेक्ट लॉन्च
ककया है। यह लैब फे सबुक, यूट्डूब, तट्वटर के साथ ही सावकजतनक डोमेन के ऄन्य सभी ओपन
सोसेज की प्रासंतगक जानकारी की तनगरानी करेगी। संभवतः तवशेष रूप से प्रतशतक्षत लगभग 20
ऄतधकारी तवतभन्न चरणों में काम करेंगे।
 वास्तव में तवश्वसनीय डेटा बेस तवकतसत करने के तलए हमें देश भर में ऐसी कइ पायलट
पररयोजनाओं की अवश्यकता है और आसके तलए बुतनयादी ढांचे और मानव संसाधन दोनों के
संदभक में भारी तनवेश की अवश्यकता होगी। हमें आस नए माध्यम के संदभक में नेटवकक ईपललधता
बाधाओं, भाषा सभबन्धी बाधाओं और सबसे महत्वपूणक रूप से संगठनात्मक ऄनुकूलता पर भी काम
करने की अवश्यकता है।
 हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कक आंटरनेट वास्तव में एक तनजी स्थान नहीं है। सोशल
नेटवर्ककग साआटों के फायदे और जोतखमों के सभबन्ध में नागररकों का मागकदशकन ककया जाना
चातहए, तवशेष रूप से युवा एवं सुभेद्य वगों को कक वे ऄपनी ऑनलाआन गतततवतधयों के संबंध में
सावधान रहें। पुनः समग्र जागरूकता प्रदान की जानी चातहए।
 कॉपोरेट पररप्रेक्ष्य से, सभपूणक सोशल नेटवक्सक पर साझा की जाने वाली सूचनाओं की सुरक्षा के
तलए एक पररवर्मधत सुरक्षा तंत्र की अवश्यकता है। सोशल नेटवर्ककग सॉफ्टवेयर के ईपयोग में
जोतखम हैं, लेककन आन्हें ऄक्सर ऄच्छी तरह से पहचाना नहीं जाता है।
 व्यतिगत जानकारी की रक्षा के तलए तैयार कानून को सुदढृ बनाना।

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 वेब-अधाररत वातावरण में डेटा स्वातमत्व ऄतधकारों को पररभातषत करने और कफर ईन्हें सुरतक्षत
करने के तलए कायक करना।

साआबर सुरक्षा चुनौततयों की मैररक्स के साथ, सोशल मीतडया ऄन्य चुनौततयों की तुलना में कम
महत्वपूणक है, ऄथाकत् कक्ररटकल आंफ्रास्रक्चर को सुरतक्षत करना और साआबर जासूसी का मुकाबला करना
जैसी ऄन्य महत्वपूणक चुनौततयां जो ऄतधक प्रभावी हैं और तजनके ऄतधक नकारात्मक पररणाम हो सकते
हैं।
ईपयोगकताक के ऄनुभव के प्रत्युत्तर में ऄनोखे ढंग से लगातार सुधार कर रहा आंटरनेट जगत ऄभूतपूवक
पैमाने पर नवाचार को प्रेररत कर रहा है। संवाद करने के नए तरीकों और ऑनलाआन होने के बढते
लचीले तरीकों के प्रत्युत्तर में सोशल मीतडया तवकतसत हो रहा है। भतवष्य में आसकी कदशा की
भतवष्यवाणी करना ऄसंभव है। यह बात संदह े से परे है कक सोशल मीतडया - हालांकक आसे भतवष्य में
जैसे भी संदर्मभत ककया जाए - एक तजन्न है जो ऄपनी बोतल में वापस गायब नहीं होगा।

3. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. भारत के ईच्चतम न्यायालय ने 26/11 हमले के गैर-तजभमेदार मीतडया कवरेज पर ईल्लेख


करते हए कहा कक- “हमले का लाआव प्रसारण कर भारतीय टीवी चैनल ककसी राष्ट्रीय तहत
ऄथवा सामतजक कायक में सेवारत नहीं थे, आसके तवपरीत वे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में
डालकर ऄपने वातणतज्यक तहतों के तलए कायक कर रहे थे।” ईपयुि
क ऄवलोकन के प्रकाश में ईन
तसद्धांतों और तचन्ताओं का ईल्लेख कीतजए तजनका ध्यान मीतडया को संवद
े नशील और
संकटमय मुद्दों की ररपोर्टटग के समय रखना चातहए।
दृतष्टकोण:
 व्यि की गयी प्रचताओं को व्यापक तौर पर ईत्तर में शातमल ककया जाना चातहए तथा
तनष्पक्षता, वस्तुतनष्ठता, संवेदनशीलता, तनजता और राष्ट्रीय सुरक्षा के सारे पहलुओं को
ईत्तर में शातमल करना चातहए।
 मुंबइ अतंकवादी हमले के संदभक में मीतडया की अलोचना में शातमल होने की कोइ
अवश्यकता नहीं है।
 ईपयुकि कथन का ईद्द्द्येश्य तसफक मीतडया ररपोर्टटग में संवेदनशीलता के महत्व को
ईजागर करना है।
ईत्तर:
दूसरे के तनणकय को प्रभातवत करने की ऄपनी क्षमता तथा सूचना तशक्षा और संवाद की ऄपनी
भूतमका के कारण मीतडया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ समझा जाता है। आसतलए यह
अवश्यक हो जाता है कक मीतडया स्व-तनयमन के कु छ तनतित तसद्धांतों का पालन करे ताकक
यह जान-बूझ कर या ऄनजाने में ही राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के तलए समस्या न
ईत्पन्न कर बैठे। मीतडया के द्वारा ऄनुपालन करने योग्य कु छ महत्वपूणक तसद्धांत तनम्नतलतखत
हैः
 ररपोर्टटग में तनष्पक्षता और वस्तुतनष्ठताः 24 घंटे चलने वाले समाचार चैनलों के दशककों
को तीव्र रफ्तार की अवश्यकता होती है ककन्तु यह सटीकता और संतुतलत ररपोर्टटग की
कीमत पर नहीं होनी चातहए। यकद ररपोर्टटग में कहीं कोइ गलती होती है तो ईन्हें तुरत
स्वीकार कर ईनमें सुधार ककया जाना चातहए।

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 तटस्थता सुतनतित करनाः सभी पक्षों और कताकओं को ऄपना दृतष्टकोण प्रकट करने के
तलए समान ऄवसर कदया जाना चातहए। तटस्थता का ऄथक सभी पक्षों को समान स्थान
देना नहीं है, ककन्तु आस बात को सुतनतित ककया जाना चातहए कक अरोपों को तथ्य बना
कर न प्रस्तुत ककया जाए।
 ऄपराध और प्रहसा का मतहमामंडन नहींःः मीतडया को यह सुतनतित करने के तलए
संयम से काम लेना चातहए कक कोइ भी ररपोटक या दृश्य का प्रसारण प्रहसा को प्रेररत एवं
ईसका मतहमा-मंडन न करे। भडकाउ दृश्यों का प्रसारण नहीं ककया जाए आसका तवशेष
खयाल रखा जाना चातहए।
 मतहलाओं और बच्चों से जुडे मामलों में तवशेष ख्याल रखने की अवश्यकताः यौन हमले
या मतहलाओं की तनजता से जुडे ऄन्य मामलों की ररपोर्टटग में, ईनके व्यतिगत तववरणों
को ईजागर नहीं ककया जाना चातहए। बाल-ईत्पीडन के तशकार बच्चों या बाल-
ऄपरातधयों की पहचान को गुप्त रखा जाना चातहए।
 ऄश्लीलता से दूर रहना: समाचार चैनलों को आस बात को ऄवश्य सुतनतित करना चातहए
कक वे नग्नता को न कदखाएाँ तथा ऄश्लील भाषा का प्रयोग न करें।
 व्यति के तनजता का सभमान करना: जब तक कक स्पष्ट रूप से स्थातपत बृहत्तर और
ऄतभज्ञेय लोक तहत का प्रश्न व्युत्पन्न न हो, चैनलों को लोगों के तनजी मामलों में दखल
नहीं देना चातहए।
 राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना चातहएः समाचार चैनलों को ऐसे प्रसारणों की
ऄनुमतत नहीं देनी चातहए तजनसे ऄलगाववादी गुटों और तहतों को बढावा तमले। ईन्हें
ऐसी सूचनाओं को ईजागर नहीं करना चातहए तजनसे जीवन और राष्ट्रीय सुरक्षा को
खतरा ईत्पन्न हो।
 खबरों को सनसनीखेज बनाने से बचना: मीतडया को आस बात का खयाल रखना चातहए
कक वे और ऄतधक TRP के चक्कर में समाचार को सनसनीखेज बनाने से बचें। पक्षपातपूणक
और नुकसानदेह ररपोर्टटग न की जाए आसके तलए साभप्रदातयक प्रहसा और नस्लीय झगडों
के मामलों में खास सावधानी बरतने की अवश्यकता है।

सवोच्च न्यायालय की रटप्पणी को मीतडया के तलए पूवक-चेतावनी के रूप में तलया जाना
चातहए जो और ऄतधक दशकक पाने तथा TRP के चक्कर में ऄंधी हो चुकी है। स्व-तनयमन सबसे
ऄच्छे ककस्म का तनयमन है, खास तौर से मीतडया के मामलों में। आसतलए मीतडया को ईपयुकि
तसद्धांतों का कडाइ से पालन करना चातहए ताकक आसकी स्वतन्त्रता सुतनतित रह सके ।

2. जहां सोशल नेटवर्ककग साआटों ने संचार का एक समेककत और परस्पर संबद्ध मंच तैयार ककया
है, वहीं ईनके कारण हमारी अतंररक सुरक्षा के तलए बहत सी चुनौततयां भी ईत्पन्न हइ हैं।
रटप्पणी कीतजए।
दृतष्टकोणः
 संक्षेप में ईदाहरण देते हए प्रश्न में कदए गए कथन का औतचत्य तसद्ध करें कक सोशल
मीतडया ने अधुतनक युग में संचार की बाधाओं को ककस प्रकार तोडा है।
 आसके ईपरांत सोशल मीतडया के दुरुपयोग द्वारा अंतररक सुरक्षा के तलए पैदा की गइ
कु छ चुनौततयों को ईजागर करना चातहए।
 आस समस्या के संबंध में चुनौततयों और सरकार द्वारा ईठाए जाने वाले कदमों के संतक्षप्त
तववरण के साथ ईत्तर समाप्त कीतजए।
ईत्तर:
सोशल नेटवर्ककग साआटों का सवाकतधक सकारात्मक पक्ष यह है कक कोइ भी ईन पर मुि रूप से
पहाँच स्थातपत कर सकता है और ऄपनी ऄतभव्यति के तलए ईनका ईपयोग कर सकता है।
सोशल नेटवर्ककग साआटों ने लोगों के मध्य संचार की बाधाओं को न्यून कर कदया है। ऄनेक

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संगठन ग्राहकों और सहकर्ममयों तक पहाँच बनाने के तलए सोशल मीतडया रणनीतत के ऄतत
सफलतम ईपयोग हेतु जाने जाते हैं। यहााँ तक कक सरकारें भी ज्यादा प्रभावी रूप से सोशल
मीतडया का ईपयोग योजनाओं और कायकक्रमों के बारे में सूचना प्रसाररत करने के तलए कर
रही हैं।
हालांकक आसके साथ ही सवाकतधक खतरा सीमा के ऄन्दर या बाहर, ककसी के भी द्वारा
व्यतिगत रूप से या संगरठत रूप से आन साआटों के दुरुपयोग की संभावना में तनतहत है। ये
साआटें व्यतिगत जानकारी का भण्डार और ईनके सामूतहक प्रसार का स्थान, दोनों ही हैं।
ऄतः आनका दुरुपयोग बडी सुरक्षा चुनौती प्रस्तुत कर सकता है।

सोशल नेटवर्ककग साआटों ने पूवक में भारी अंतररक सुरक्षा चुनौततयां प्रस्तुत की हैं:

 साभप्रदातयक ईत्तेजना भडकाने के तलए सोशल नेटवर्ककग साआटों का प्रयोगः


मुजफ्फरनगर में साभप्रदातयक प्रहसा को भडकाने के तलए प्रसाररत एक वीतडयो का
ईदाहरण देते हए IB के पुवक प्रमुख अतसफ आब्रातहम ने 2013 में आंतगत ककया था कक
सोशल मीतडया का दुरुपयोग सांप्रदातयक तनाव को हवा देने के तलए ककया जाना
अंतररक सुरक्षा के तलए सबसे बडा खतरा था। आसमें आंतडयन मुजातहकदन का हाथ होने
की अशंका व्यि की गइ थी।
 यह बडेऺ पैमाने पर खलबली, भ्रम, और गलत सूचना के कारण त्वररत प्रततकक्रया ईत्पन्न
कर सकता हैः पूवोत्तर के लोगों के प्रतत शुरू ऄभूतवूवक साआबर अतंक ने देश के भीतर
एक बडे पलायन को हवा दे दी, तजससे कनाकटक, ततमलनाडु और महाराष्ट्र के प्रमुख क्षेत्रों
से पूवोत्तर के लोग पलायन करने लगे। सभी साआटें पूवोत्तर के लोगों के तवरुद्ध भडकाउ
और घृणा फै लाने वाली सामग्री से लैस, ईनके तवरुद्ध प्रहसा भडकाती पाइ गईं।

ये साआटें अंतररक सुरक्षा के तलए एक चुनौती प्रस्तुत करने में क्यों सक्षम हो सकीं? समस्यायें
ये हैं:

 प्रॉक्सी सवकर और वचुऄलक प्राआवेट नेटवकक सेवाएं जो कइ देशों से संचातलत होती हैं,
ईपयोगकताक के पहचान को छु पाती हैं, वे ईत्तेजना भडकाने और गलत सूचना के प्रसारण
के तलए प्रयुि हइ प्रतीत होती हैं।
 गूगल, यू-ट्डूब, तट्वटर और ललॉगस्पॉट डॉट कॉम साआबर अतंकवाद में संलग्न
ईपयोगकताकओं के IP एड्रेस और ईनके बारे में सूचनाओं को सीधे साझा करने की आच्छा
नहीं रखती हैं। वे सरकारों को ऄमेररकी सरकार के माफक त पहाँचने का तनवेदन करती हैं
क्योंकक वे ऄमेररकी सूचना प्रौद्योतगकी कानूनों के तहत कायक करती हैं, यद्यतप भारत के
साथ ईनका पारस्पररक वैधातनक सहयोग ऄनुबंध है।
 गूगल ऄतधक सहयोगात्मक था और कोइ भी सामग्री, जो प्रहसा फै ला सकती थी, ईसे आस
पर पहले ही प्रततबंतधत कर कदया गया था। ककन्तु ऄरन्य साआटें , जैसे- तट्वटर ने यह
हवाला देते हए कक भडकाउ सामग्री देश के न्यायातधकार से बाहर है, भडकाउ सामग्री
के बडे भाग को हटाने से मना कर कदया।

सरकार ऄपने अपको एक नवीन सूचना युद्ध क्षेत्र में पा रही है जहां आस समय ईसके पास
कोइ प्रासंतगक योजना नहीं है। अवेगशील प्रततकक्रया एक तात्कातलक कायकवाही थी ककन्तु ,
भारत फे सबुक का दूसरा सबसे बडा ईपयोगकताक बन गया है। आसके ईपयोगकताक एक ऐसे वगक
का सृजन करते हैं तजन तक सरकार को पहाँचना चातहए। साथ ही, यह भी ध्यान रखना
चातहए कक अबादी का कोइ भी तहस्सा साआबर हमलों का तशकार न बने।

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3. जहााँ सांप्रदातयक दंगे भडकाने और समाज में तनाव पैदा करने हेतु सोशल मीतडया का
ऄतधकातधक प्रयोग ककया जा रहा है वहीं आसका दुरुपयोग रोकने वाले प्रभावी रणनीतत को
सुरक्षा प्रचताओं और व्यतिगत ऄतधकारों के मध्य संतल
ु न स्थातपत करना होगा। भारत में
हाल के घटनाक्रम के संदभक में चचाक कीतजए।
दृतष्टकोण:
 समाज में तनाव पैदा करने हेतु सोशल मीतडया के ईपयोग पर रटप्पणी के साथ ऄपना
ईत्तर प्रारभभ कीतजए।
 सरकार द्वारा लगाये गए प्रततबंधों की चचाक कीतजए।
 IT ऄतधतनयम की धारा 66A पर ईच्चतम न्यायालय के तनणकय पर रटप्पणी प्रस्तुत
कीतजए।
 व्यतिगत ऄतधकार और लोक व्यवस्था के बीच संतुलन बनाये रखने के तलए ईपायों का
सुझाव दीतजए।
ईत्तर:
हाल के वषों में भारत में सांप्रदातयक और सामातजक तनाव बढाने हेतु सोशल मीतडया के
ईपयोग में वृतद्ध हइ है। कानून-व्यवस्था को बनाये रखने वाली संस्थाओं को तपछले कु छ वषों
में प्रचताजनक प्रवृतत्तयां कदखाइ दी हैं, तजसमें सोशल मीतडया नेटवकक पर एतडट की हईं श्रव्य-
दृश्य सामग्री डाली गयी हैं और ईसके प्रसारण से साभप्रदातयक घटनाएाँ बढी हैं।
 मुजफ्फरनगर के दंगे, दतक्षणी राज्यों से ईत्तर-पूवक के लोगों का पलायन कु छ ऐसी घटनाएाँ
हैं जो सोशल नेटवर्ककग साइटों से होने वाले संकट को अलोककत करती हैं। भडकाउ
दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रसारण आन घटनाओं के पीछे मुख्य कारण था।
 आसके प्रततईत्तर में कानून व्यवस्था बनाये रखने वाली संस्थाओं द्वारा सोशल मीतडया पर
जो कु छ कहा और प्रसाररत ककया जा रहा था, ईस पर और ऄतधक प्रततबंध लगाने की
प्रवृतत्त सामने अइ है। सोशल नेटवर्ककग साइटों के दुरुपयोग से होने वाले संकट को रोकने
हेतु जो भी रणनीतत बनाइ जाती है, ईससे संतवधान दारा प्रदत्त मौतलक ऄतधकारों में
कांट छांट हो सकती है। भारत सरकार ने वषक 2009 में ITऄतधतनयम, 2000 में एक
संशोधन के द्वारा आस प्रकार के दुरुपयोग को रोकने के ईद्देश्य से धारा 66A को सभमतलत
ककया।
 परन्तु आसके स्पष्ट दुरुपयोग से स्वस्थ लोकतंत्र के तलए अवश्यक व्यतिगत ऄतधकारों का
हनन हअ। भारत के ईच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक अदेश पाररत ककया, तजसके
ऄंतगकत आस धारा को ऄसंवैधातनक घोतषत ककया गया। आस प्रकरण में नागररक स्वतंत्रता,
व्यतिगत मानव ऄतधकार और कानून व्यवस्था बनाये रखने के तलए राज्य के
ईत्तरदातयत्व में ईपयुि संतुलन बनाये रखने के महत्व को ईजागर ककया गया है।
 यह कानून के दुरूपयोग का साधारण प्रकरण नहीं है। वास्तव में यह कानून तववेक का
ईपयोग न होने की तस्थतत में व्यातध ग्रस्त रहा। आस धारा को पढने मात्र से पता चल
जाता है कक आसकी भाषा को ककतने ऄस्पष्ट रूप से गढा गया था। आसके ऄंतगकत ऐसी
जानकारी/सूचना जो “ऄत्यंत ऄपमानजनक” या तजसकी “धमकी भरी शैली” हो और
ऐसी इ-मेल भेजना जो प्राप्तकताक के तलए “कष्टदायक” या “ऄसुतवधाजनक” हो, ईसके
तलए ऄतधकतम तीन वषक के कारागार और तवत्तीय दंड का प्रावधान था।
 परन्तु आस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कक सूचना प्रौद्योतगकी का ईपयोग
लोगों को परेशान करने और जनता में ऄव्यवस्था को णै लाने के तलए ककया गया है। आससे
तनबटने के तलए धारा 66A बहत लाभप्रद ईपचार प्रमातणत हअ, तवशेषकर ईन
तस्ततथयों में जो धार्ममक और साभप्रदातयक भावनाओं की संवेदनशीलता से सभबतधत थी,
ईदाहरण के तलए बंगलुरु से ईत्तर-पूवी छात्रों के पलायन की घटनाएाँ, जहां पुतलस

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ऄतधकारीयों को ईत्तर-पूवक समुदाय के लोगों के तवरुद्ध ऄफवाहों के द्वारा प्रहसा को


भडकने से रोकने के तलए आस धारा का सहारा लेने के तलए तववश होना पडा था।
 ऐसी घटनाएाँ जहााँ धार्ममक और सामातजक सद्भाव को टेक्स्ट, मेल, प्रसारण अकद रूप में
भडकाउ सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण को तनसंदह
े “पूणकतया ऄपमानजनक” माना
गया।
 भारत जैसे एक बह-जातीय और बह-सांस्कृ ततक देश में जहााँ वाक् की स्वतंत्रता का
साभप्रदातयक, राजनैततक और धार्ममक पूवाकग्रहों के कारण दुरुपयोग होने की पूरी
सभभावना रहती है, वहां आस प्रकार के दुरूपयोग को रोकने के तलए तकक संगत तनबंधन
करने की अवश्यकता है। आस प्रचता के समाधान के तलए सवोत्तम ईपाय यह है कक आस
धारा को हटाने के तलए ऐसा संशोधन लाया जाए ताकक कायककारी ऄतधकाररयों की
स्वच्छंद कायक स्वाधीनता पर ऄंकुश लगाया जा सके ।

अज सरकार, मीतडया, तवद्यालयों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, धार्ममक और जातीय संगठनों


तथा ऄन्य ऄनतगतनत समूहों द्वारा कानून से परे पहल करने की अवश्यकता है जो आंटरनेट
ईपभोिाओं को नेट पर आस प्रकार के दुरुपयोग और घृणा भरे भाषणों के तवरुद्ध संघषक करने
के तलए एक सशि प्लेटणॉमक ईपललध करा सके ।

4. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)

(i) ‘सामातजक संजाल स्थल’ (Social Networking Sites) क्या होती हैं और आन स्थलों से क्या
सुरक्षा ईलझनें प्रस्तुत होती हैं? (2013)
(ii) “बहधार्ममक व बहजातीय समाज के रूप में भारत की तवतवध प्रकृ तत, पडोस में कदख रहे ऄततवाद
के संघात के प्रतत तनरापद नहीं है। ” ऐसे वातावरण के प्रततकार के तलए ऄपनाए जाने वाली
रणनीततयों के साथ तववेचना कीतजए। (2014)
(iii) तडतजटल मीतडया के माध्यम से धार्ममक मतारोपण का पररणाम भारतीय युवकों का अइ.एस.अइ.
एस. (ISIS) में शातमल हो जाना रहा है। अइ.एस.अइ.एस. क्या है और ईसका ध्येय (लक्ष्य) क्या
है? अइ.एस.अइ.एस. हमारे की सुरक्षा के तलए ककस प्रकार खतरनाक हो सकता है। (2015)
(iv) गैर-राज्य ऄतभकताकओं द्वारा आंटरनेट एवं सोशल मीतडया का तवध्वंशकारी गतततवतधयों हेतु प्रयोग
सुरक्षा के तलए एक वृहद् प्रचता का तवषय है। हाल ही में आनका दुष्प्रयोग ककस प्रकार हअ? ईपयुकि
खतरे को तनयंतत्रत करने के तलए प्रभावकारी सुझाव सुझाआए। (2016)
(v) भारत में भीड प्रहसा एक गंभीर कानून और व्यवस्था समस्या के रूप में ईभर रही है। ईपयुि
ईदाहरण देते हए, आस प्रकार की प्रहसा के कारणों एवं पररणामों का तवश्लेषण कीतजए। (2017)

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सुरक्षा चुनौततयाां और सीमा क्षेत्रों में ाईनका प्रबांधन


तिषय सूची
1. पररचय________________________________________________________________________________ 78

1.1. सीमा प्रबांधन क्या है (What is Border Management) __________________________________________ 78

2. भारत-चीन सीमा (Indo-China Border) _______________________________________________________ 79

2.1. चीन सीमा पर चुनौततयाां _________________________________________________________________ 79

2.2. प्रभािी सीमा प्रबांधन के तिए ाईठाए गए कदम ___________________________________________________ 80

2.3. ाअगे की राह (Way Forward) ____________________________________________________________ 81

3. भारत-पाककस्तान (Indo-Pakistan) ___________________________________________________________ 81

3.1. सीमा पर चुनौततयाां (Challenges Along the Border) __________________________________________ 82

3.2. सरकार द्वारा ाईठाए गए कदम ______________________________________________________________ 85

4. भारत-नेपाि (Indo-Nepal) _________________________________________________________________ 86

4.1. सीमा के साथ जुड़ी चुनौततयाां (Challenges Along the Border) ____________________________________ 86

4.2. प्रभािी सीमा प्रबांधन के तिए ाईठाए गए कदम ___________________________________________________ 87

4.3. ाअगे की राह (Way Forward) ____________________________________________________________ 87

5. भारत-भूटान (Indo-Bhutan) ________________________________________________________________ 87

5.1. सीमा पर चुनौततयाां (Challenges Along the Border) __________________________________________ 87


5.1.1. सीमा तििाद (Border Dispute) _________________________________________________________ 87
5.1.1.1. डोकिाम तििाद (Doklam Issue) ____________________________________________________ 87
5.1.2. ाऄन्य मुद्दे (Other Issues) ______________________________________________________________ 88

5.2. ाईठाए गए कदम (Initiatives Taken) _______________________________________________________ 88

6. भारत-बाांग्िादेश (Indo-Bangladesh) _________________________________________________________ 88

6.1. ाईठाए गए कदम (Initiatives Taken) _______________________________________________________ 89

7. भारत-मयाांमार (Indo-Myanmar) _____________________________________________________________ 90

7.1. भारत-मयाांमार सीमा पर चुनौततयाां __________________________________________________________ 90


7.1.1. हातिया तििाद: मोरेह में BP सांख्या 79 और 81 के मध्य सीमा बाड़ िगाना____________________________ 91

7.2. सरकार द्वारा ाईठाए गए कदम ______________________________________________________________ 91

7.3. ाअगे की राह (Way Ahead) ______________________________________________________________ 92

8. भारत-श्रीिांका (Indo-Sri Lanka) _____________________________________________________________ 92

8.1.सीमा के साथ चुनौततयाां (Challenges along the border) ________________________________________ 92

76
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8.1.1. कच्चातीिु द्वीप (Katchatheevu Island) ___________________________________________________ 92


8.1.2. मछु ाअरों से सांबांतधत मुद्दा (Fishermen Issue) _______________________________________________ 92

8.2. प्रारमभ की गईं पहिें (Initiatives Taken) ____________________________________________________ 92

8.3. ाअगे की राह (Way ahead) ______________________________________________________________ 93

9. बेहतर सीमा प्रबांधन के तिए प्रमुख तसफाररशें ______________________________________________________ 93

10. सीमा प्रबांधन के तिए सामान्य सरकारी पहि _____________________________________________________ 94

10.1. सीमा क्षेत्र तिकास काययक्रम ______________________________________________________________ 94

(Border Area Development Programme) ___________________________________________________ 94

10.2. एकीकृ त चेक पोस्ट (ICP) का तिकास _______________________________________________________ 94

11. तटीय सुरक्षा (Coastal Security) ___________________________________________________________ 95

11.1. चुनौततयााँ (Challenges)_______________________________________________________________ 95

11.2. समुद्री सुरक्षा और खतरे (Maritime Security & Threats)________________________________________ 96

11.3. तटीय सुरक्षा तांत्र (The Coastal Security Architecture) _______________________________________ 96


11.3.1. समुद्री सीमा शुल्क सांगठन ______________________________________________________________ 97
11.3.2. भारतीय तट रक्षक (ICG)______________________________________________________________ 97
11.3.3. समुद्री पुतिस बि (The Marine Police Force) ____________________________________________ 97
11.3.4. ितयमान तटीय सुरक्षा प्रणािी ___________________________________________________________ 97

11.4. तटीय सुरक्षा तांत्र में ाईठाए गए कदम_________________________________________________________ 97

11.5. ाअगे की राह (Way forward) ____________________________________________________________ 99

12. तनष्कषय (Conclusion) __________________________________________________________________ 100

13. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _______________________________________ 100

77
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1. पररचय
भारत की स्थिीय सीमा 15,106.7 ककमी िांबी है और द्वीपीय क्षेत्रों सतहत ाआसकी तटीय सीमा रेखा
7,516.6 ककमी. िांबी है। देश के प्रतत शत्रुतापूणय तहतों के तिरुद्ध देश की सीमाओं को सुरतक्षत करना
तथा िैध व्यापार और िातणज्य की सुतिधा प्रदान करते हुए तिरोधी तहतों को प्रततबांतधत करने िािी
सक्षम प्रणािी की स्थापना करना सीमा प्रबांधन के प्रमुख ाईद्देश्यों में सतममतित है। सीमाओं का ाईतचत
प्रबांधन, जो कक राष्ट्रीय सुरक्षा के तिए बेहद महत्िपूणय है, काइ चुनौततयों को प्रस्तुत करता है तथा सीमा-
सीमाांतों की सुरक्षा तथा ाऄपने सिोत्तम तहतों को ाअगे बढ़ाने के तिए देश की प्रशासतनक, राजनतयक,
सुरक्षा, खुकफया, कानूनी, तनयामक और ाअर्थथक एजेंतसयों द्वारा समतन्ित और समेककत कारयिााइ की
मााँग करता है।

1.1. सीमा प्रबां ध न क्या है (What is Border Management)


जहााँ सीमा सुरक्षा का दृतिकोण के िि सीमाओं की सुरक्षा से सांबांतधत है िहीं सीमा प्रबांधन एक व्यापक
शब्द है जो न के िि सीमाओं की सुरक्षा बतल्क सीमाओं से सांबद्ध देश के तहतों की सुरक्षा को भी
सतममतित करता है।
गृह मांत्रािय में सीमा प्रबांधन तिभाग ाऄांतरायष्ट्रीय भूतम और तटीय सीमाओं के प्रबांधन; सीमा पुतिस
व्यिस्था और तनगरानी को मजबूत करना ; सड़कों, बाड़ िगाने और सीमाओं की प्रकाश व्यिस्था जैसी
ाऄिसांरचनाओं के तनमायण और सीमािती क्षेत्र तिकास काययक्रम (Border Area Development
Programme: BADP) के प्रबांधन पर फोकस करता है।
ितयमान में समुद्री सीमाओं सतहत हमारी सीमाओं के प्रबांधन को प्रभातित करने िािी कु छ समस्याएाँ
तनम्नतितखत हैं:
 तिरोधी तत्िों के पास निीनतम तकनीक तक पहुांच है, धन की शति का ाऄभूतपूिय ाईपयोग,
सांगठनात्मक ताकत, गततशीिता, ाऄप्रत्यातशत हमिों के तिए कारयिााइ के क्षेत्र का चयन करने हेतु
व्यापक तिकल्प और ाऄन्य समान-तिचारधारा समूहों के साथ रणनीततक गठजोड़ ाईपिब्ध है।
 काइ स्थानों पर समुद्री और स्थिीय सीमाओं का ाईतचत सीमाांकन न होने के कारण सांघषय की तस्थतत
ाईत्पन्न होती है।
 रेतगस्तान, दिदिी कच्छ-भूतम ाअकद जैसे करठन भू-भाग िािी कृ तत्रम सीमाएां जो प्राकृ ततक
तिशेषताओं पर ाअधाररत नहीं होती हैं, ाआस प्रकार िे ाईन्हें ाऄत्यतधक तछकद्रत और घुसपैठ करने में
ाअसान बना देती हैं।
 समान सीमाओं पर बिों की बहुतायत से समन्िय, कमाांड और तनयांत्रण की समस्या ाईत्पन्न होती
है।
 सीमा सुरक्षा बि ाअकद जैसे सीमा सतकय ता बिों के पास बुतनयादी ढाांचे की कमी है। ाईन्हें सैन्य
साज़-सामान और जनशति दोनों ही दृति से समुतचत रूप से सुदढ़ृ करने की ाअिश्यकता है।
 ाअतांकिाद-रोधी (anti-terrorism) और तिप्िि-रोधी (anti-insurgency) ाऄतभयानों के दौरान
ाईठाये गए कठोर कदमों से स्थानीय िोगों द्वारा सामना की गयी समस्याओं के कारण ाईनमें
ाऄसांतोष ाईत्पन्न होता है, तजन्हें तििेकपूणय ढ़ांग से सांबोतधत ककया जाना चातहए ाऄन्यथा तिरोधी
तत्ि (शत्रु) ाऄपने ाईद्देश्यों के तिए ाआस ाऄसांतोष का िाभ ाईठाने का प्रयास करते हैं।
 भारत को ाऄतस्थर करने के तिए ितक्षत सीमा-पार ाअतांकिाद।
 पूिी क्षेत्र में ाऄिैध प्रिासन सामातजक-ाअर्थथक तनाि के साथ-साथ जनसाांतख्यकीय पररितयन भी
ाईत्पन्न करता है।
 चीन सीमा पर होने िािी तछट-पुट ाअक्रामकता।
 ाईत्तर-पूिी पड़ोसी देशों में तिद्रोतहयों के तिए सीमा पार सुरतक्षत ाअश्रय।
 हतथयार और तिस्फोटक, नशीिे पदाथों और नकिी मुद्रा की तस्करी।
 तस्करी, समुद्री डकै ती, तटीय सुरक्षा के ाईल्िांघन के मामिों में िृतद्ध।

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ाईपयुयि समस्याओं के ाअिोक में , सीमाओं पर ाऄत्यतधक सतकय ता बरतने और सीमा सुरक्षा बिों को

मजबूत करने की ाअिश्यकता है। हािाांकक, ाआस बात का भी ध्यान रखा जाना चातहए कक सीमाओं की
सुरक्षा सीमा पार पारस्पररक ाऄांतर्क्रक्रयाओं में बाधा न डािे और पारस्पररक ाअर्थथक और साांस्कृ ततक
सांबांधों के तिए िाभकारी हो। तनम्नतितखत के साथ सीमा-प्रबांधन पर एक तिस्तृत चचाय:

2. भारत-चीन सीमा (Indo-China Border)


भारत और चीन 3,488 ककमी िांबी सीमा साझा करते हैं जो जममू-कश्मीर, तहमाचि प्रदेश, ाईत्तराखांड,

तसकिम और ाऄरुणाचि प्रदेश राज्यों को स्पशय करती है। दुभायग्यिश, मैकमोहन रेखा नामक यह पूरी

सीमा तििाकदत है। भारत-ततब्बत सीमा पुतिस बि (ITBP) भारत-चीन सीमा की रक्षा करता है।
1950 में चीन द्वारा ततब्बत को "मुि" या ाईस पर कब्जा ककए जाने तक भारत और चीन ने कभी भी
ाईभयतनष्ठ सीमा नहीं साझा की थी। ाआसके बाद से तत्कािीन भारत-ततब्बत सीमा भारत-चीन सीमा में
पररिर्थतत हो गाइ। 1954 से, चीन ने जममू-कश्मीर में ाऄक्सााइ तचन, ाईत्तराखांड के कु छ ाआिाकों और पूरे
ाऄरुणाचि प्रदेश में सीमा के साथ िगे क्षेत्र के बड़े ाआिाकों पर दािा करना शुरू कर कदया।

2.1. चीन सीमा पर चु नौततयाां

(Challenges Along the China Border)


 तस्करी: चीन द्वारा ाईत्पाकदत ाआिेक्रॉतनक एिां ाऄन्य ाईपभोिा िस्तुओं की बड़े पैमाने पर तस्करी
ाआन सीमा स्थिों के माध्यम से होती है।
 ाऄपयायप्त बुतनयादी ढाांचा: ाऄत्यतधक ाउांचााइ िािे ाआिाके और पयायप्त ाअबादी ाआस क्षेत्र की तिशेषता
है। जहााँ एक ओर चीन ने ाऄपनी तरफ तिशाि रेि रोड लिक बनाया है, सीमा के भारतीय भू-भाग
क्षेत्र में िगभग कोाइ बुतनयादी ढाांचा नहीं है।
 सीमा तििाद:
o पतिमी क्षेत्र - ाऄक्सााइ तचन
1865 में, जॉनसन की काल्पतनक रेखा ने ाऄक्सााइ तचन को जममू -कश्मीर के ाऄांतगयत रखा था

िेककन ाईस समय चीन का लझतजयाांग पर तनयांत्रण नहीं था, ाआसतिए ाआसे ाईन्हें प्रस्तुत नहीं

ककया गया था। 1890 तक, चीन ने लझतजयाांग पर पुनाः तनयांत्रण स्थातपत ककया और ाऄक्सााइ
तचन पर दािा ककया। कफर, चीनी सरकार के प्रस्ताि पर तिरटश सरकार द्वारा मैकटयनी-

मैकडोनाल्ड िााआन पर सहमतत बनी। हािाांकक, चीनी सरकार ने 1899 में ाआसको प्रभाि में
िाने से सांबांतधत नोट का जिाब नहीं कदया और ाऄांग्रेजों ने ाआसे चीन की सहमतत मान तिया।
1947 के बाद, भारत ने जॉनसन िााआन को ाऄपनी ाअतधकाररक सीमा के ाअधार के रूप में

ाईपयोग ककया िेककन 1950 के दशक में चीन ने ाऄक्सााइ तचन क्षेत्र में ाआस रेखा के दतक्षण में
एक सड़क का तनमायण ककया। सीमा के साथ तनरांतर चिने िािा सांघषय 1962 में भारत-चीन

युद्ध में पररणत हुाअ, तजसके पररणामस्िरूप तनधायररत ितयमान सीमा रेखा ाऄतस्तत्ि में ाअाइ

तजसे िास्ततिक तनयांत्रण रेखा (Line of Actual Control: LAC) कहा गया। ाआस क्षेत्र में
2013 में दौित बेग ओल्डी सेक्टर में भारत और चीन के बीच गततरोध भी ाईत्पन्न हुाअ था।
o पूिी क्षेत्र - ाऄरुणाचि प्रदेश
तशमिा समझौते (1913-14) में, ततब्बत और तिरटश भारत के बीच की सीमा तिरटश भारत,
चीन और ततब्बत के बीच समझौते द्वारा पररभातषत की गाइ थी। मैकमोहन रेखा के रूप में

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नातमत ाआस सीमा को चीन द्वारा तििाकदत ककया गया है। हािाांकक, कदिचस्प बात यह है कक
चीन ने ाईसी समझौते द्वारा तनधायररत की गाइ मैकमोहन रेखा को मयाांमार के साथ ाऄपनी
सीमा के रूप में स्िीकार ककया है।
 सीमा के भारत की ओर तस्थत भू-भाग की रक्षा तितभन्न एजेंतसयों द्वारा की जा रही है तजसमें
ITBP, स्पेशि फ्रांरटयर फोसय, ाऄसम रााआफल्स, भारतीय सेना और प्रस्तातित तसकिम स्कााईट्स
शातमि हैं। तितभन्न एजेंतसयों की ाईपतस्थतत ाआन एजेंतसयों के बीच समन्िय की कमी का कारण
बनती है। दूसरी ओर, ततब्बत के ओर के सांपूणय LAC को ततब्बत स्िायत्त क्षेत्र के एक PLA कमाांडर
के ाऄधीन चीनी पीपुल्स तिबरेशन ाअमी (People’s Liberation Army: PLA) के सीमा गाडय
तडिीजनों द्वारा प्रबांतधत ककया जाता है।
 चीन पाककस्तान ाअर्थथक गतियारा (China Pakistan Economic Corridor : CPEC): चीन
का CPEC ाऄिैध रूप से पाककस्तान द्वारा कब्जा ककए गए जममू-कश्मीर के तहस्से से गुजरता है।
सांघषय की तस्थतत में चीन ाऄपने सैतनकों को युद्ध के तिए एकतत्रत करने हेतु CPEC का ाईपयोग कर
सकता है। CPEC सांघषय के मामिे में भारत द्वारा मििा जिडमरूमध्य (Strait of Malacca)
की नाके बांदी के तिरुद्ध चीन को कु छ सहूतियत भी प्रदान करेगा।
जि तििाद: चीन ने हाि ही में ततब्बत में एक प्रमुख जितिद्युत पररयोजना के तहस्से के रूप में एक
बाांध बनाने के तिए बाांग्िादेश और ाईत्तरी भारत की जीिन रेखा कही जाने िािी िह्मपुत्र नदी की एक
सहायक नदी का प्रिाह बांद कर कदया। चीन कृ तत्रम झीिों की एक श्रृांखिा के तनमायण के ाईद्देश्य से
िह्मपुत्र नदी की एक और सहायक नदी पर बाांध बनाने की कदशा में कायय कर रहा है।
चीन ने मेकाांग नदी पर छह बड़े-बाांध (mega-dams) भी बनाए हैं। मेकाांग नदी दतक्षण-पूिय एतशया में
बहती है, जहाां ाआन बाांधों का डााईनस्रीम प्रभाि पहिे से ही कदखााइ दे रहा है। कफर भी, ाआसके बाांध-
तनमायण को रोकने के बजाय, चीन मेकाांग नदी में काइ और बाांध बना रहा है।

2.2. प्रभािी सीमा प्रबां ध न के तिए ाईठाए गए कदम

(Challenges Along the China Border)


 सीमा िाताय:
o 1962 के युद्ध के बाद 1976 में दोनों देशों के पुनाः तनकट ाअने के कारण 1981 में ाईच्च स्तर
की सीमा िाताय शुरू हुाइ जो 1987 में तिफि हो गाइ।
o 1988 में, प्रधानमांत्री राजीि गाांधी की चीन यात्रा के पिात्, सीमा की समस्या को देखने के
तिए सांयुि कायय-दि (Joint Working Group: JWG) की स्थापना की गाइ।
o 1993 में, िास्ततिक तनयांत्रण रेखा (LAC) के साथ शाांतत और सुरक्षा के ाऄनुरक्षण के समझौते
पर हस्ताक्षर ककए गए थे और JWG की सहायता के तिए भारत-चीन राजनतयक और सैन्य
ाऄतधकाररयों के तिशेषज्ञ दि की स्थापना की गयी थी।
o 1996 में, LAC के साथ सैन्य क्षेत्र में तिश्वास बहािी के ाईपाय (Confidence Building
Measures: CBM) समझौते पर हस्ताक्षर ककए गए थे।
o 2003 में, सीमा तििाद हेतु राजनीततक समाधान खोजने के तिए दो तिशेष प्रतततनतधयों
(भारत और चीन प्रत्येक से एक-एक) को तनयुि ककया गया था।
o 2009 तक, ाआन दो तिशेष प्रतततनतधयों के मध्य िातायओं के 17 दौर का ाअयोजन हुाअ, िेककन
ऐसा िगता है कक ाआस कदशा में बहुत प्रगतत नहीं हुाइ है।
o हाि ही में, राष्ट्रीय सुरक्षा सिाहकार ाऄजीत डोभाि को िाताय के तिए तिशेष प्रतततनतध
तनयुि ककया गया था।

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दुभायग्यिश, िाताय के काइ दौरों के बािजूद, िास्ततिक सीमा पर ाऄसहमतत ाऄभी भी बनी हुाइ है और
दोनों पक्ष तनयतमत रूप से LAC पर ाऄपनी-ाऄपनी धारणा के ाऄनुसार गश्ती-दि भेजते हैं और क्षेत्र में
ाऄपना दािा प्रस्तुत करने के तिए बुर्थजस (पत्थरों के ढेर), तबस्कु ट, तसगरेट पैकेट ाआत्याकद के रूप में
तचह्नक (markers) छोड़ देते हैं। सैन्य दि द्वारा ाआस प्रकार की गश्ती प्रायाः भौततक रूप से टकराि का
कारण बनती है।

तिश्वास बहािी ाईपाय (Confidence Building Measures)


 सेना मुख्यािय और दोनों पक्षों के फील्ड कमाांड के बीच तनयतमत बातचीत
 ाऄततररि सीमा कर्थमयों की बैठक स्थि
 ाईनकी फॉरिडय पोस्ट और पारस्पररक रूप से सहमत रठकानों के बीच ाऄतधक दूरसांचार लिके ज।
 भारत-चीन सीमा के साथ सड़कों का तनमायण
खराब सड़क कनेतक्टतिटी ने भारत-चीन सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बिों की पररचािन क्षमता
को बातधत ककया है, ाआससे ाईत्पन्न तस्थततयों को हि करने के तिए सरकार ने जममू -कश्मीर,
तहमाचि प्रदेश, ाईत्तराखांड, तसकिम और ाऄरुणाचि प्रदेश के सीमािती क्षेत्रों में 804 ककमी िांबी
27 सड़कों के चरणबद्ध तनमायण का तनणयय तिया है। 30-04-2017 की ितयमान तस्थतत के ाऄनुसार
672.46 ककमी का तनमायण कायय और 409.53 ककमी सड़क में सरफे लसग का कायय पूणय हो चुका है।
 स्पााइ कै म प्रोजेक्ट (Spy Cam Project) - 2013 में िद्दाख क्षेत्र में देपसांग घाटी में 21 कदनों तक
चीन की पीपुल्स तिबरेशन ाअमी (PLA) के साथ ाअमना-सामना होने के पिात् तहमाचि प्रदेश ,
जममू-कश्मीर, तसकिम और ाऄरुणाचि प्रदेश में तिाांग में 50 स्थानों पर 20-25 ककमी की दूरी पर
कै मरे िगाए गए। िेककन मौसम ाऄनुकूि नहीं होने के कारण यह पररयोजना तिफि रही क्योंकक
तेज पिनें और तुषार तचत्र (ाआमेज) को धुांधिा कर देती हैं।

2.3. ाअगे की राह (Way Forward)

तनकट भतिष्य में भारत-चीन सीमा तििाद के समाधान की कोाइ सांभािना नहीं कदखती है। ाऄताः, हमें
तनम्नतितखत को सुतनतित करना चातहए:
 हमारी सेनाओं को युद्ध के तिए तैयार रहना चातहए जो स्थानीय स्तर पर सुरक्षा ाअिश्यकता के
ाऄनुसार कम से कम समय में बड़े पैमाने पर गोिा-बारूद फायर करने में सक्षम हो।
 एक सु-स्थातपत िॉतजतस्टक सांगठन होना चातहए जो मौजूदा तैनात सैन्य दिों और क्षेत्र में ककसी
भी प्रकार के ाअिश्यक सामररक सांचािन को प्रभािी ढांग से समथयन प्रदान कर सके ।
 ाऄांतरायष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और तनगरानी और भारत-चीन सीमा की पूरी िांबााइ के साथ सीमा
क्षेत्र की रक्षा की तज़ममेदारी रक्षा मांत्रािय को हस्ताांतररत ककए जाने की ाअिश्यकता है। रक्षा
मांत्रािय को 'नोडि एजेंसी' के रूप में नातमत ककया जाना चातहए और कफर यहााँ से ाआस क्षेत्र की
तजममेदाररयों को सेना द्वारा सांभािा जाना चातहए।
 गृह मांत्रािय द्वारा भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के सांबांध में तिशेष रूप से प्रतशतक्षत ITBP का
ाअांध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखांड और ाईड़ीसा के नक्सिी प्रभातित क्षेत्रों में ाअांतररक सुरक्षा ाईद्देश्यों
के तिए ाईपयोग नहीं ककया जाना चातहए। यह डायिजयन हमारी सैन्य-तैनाततयों में सांतुिन और
सुसांगतता को बातधत करता है।

3. भारत-पाककस्तान (Indo-Pakistan)
भारत, पाककस्तान के साथ 3323 ककमी िांबी सीमा साझा करता है। भारत-पाककस्तान सीमा चरम
जििायुिीय पररतस्थततयों में फै िी हुाइ है क्योंकक यह सीमा राजस्थान में ाउष्ण थार मरुस्थि से िेकर
जममू-कश्मीर में ठां डे तहमािय तक तिस्तृत है। ाआस प्रकार, भारत-पाककस्तान सीमा को तीन ाऄिग-ाऄिग
तहस्सों में िगीकृ त ककया जा सकता है:

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 पहिा - सीमा रेखा का 2308 ककमी िांबा यह भाग गुजरात से जममू-कश्मीर में जममू तजिे के कु छ
तहस्सों तक तिस्तृत है। ाआसे 'रैडतक्िफ रेखा' के रूप में जाना जाता है।
 दूसरा - यह 776 ककमी िांबा है, और जममू (कु छ तहस्सों), राजौरी, पुांछ, बारामूिा, कु पिाड़ा,
कारतगि और िेह के कु छ तहस्सों तक तिस्तृत है। यह तनयांत्रण रेखा (line of control: LoC), या
युद्ध तिराम रेखा है, जो भारत और पाककस्तान के बीच 1948 और 1971 के युद्धों के बाद
ाऄतस्तत्ि में ाअाइ।
 तीसरा - यह 110 ककमी िांबा भाग है और NJ 9842 से ाईत्तर में ाआांकदरा कोि (तसयातचन
ग्िेतशयर) तक तिस्तृत है। यह िास्ततिक जमीनी तस्थतत रेखा (actual ground position line:
AGPL) है।

3.1. सीमा पर चु नौततयाां (Challenges Along the Border)

सीमा तििाद
 सर क्रीक (Sir Creek)
सर क्रीक भारत और पककस्तान की सीमा पर तस्थत 96 ककमी िमबा ज्िारनदमुख है। ाआसका मुहाना
ाऄरब सागर में खुिता है और यह भारत के गुजरात राज्य को पाककस्तान के लसध प्राांत से पृथक करता
है। सर क्रीक का नामकारण ाईस तिरटश प्रतततनतध के नाम पर हुाअ है तजसने स्थानीय राजाओं के बीच
मूि तििाद के सांबांध में मध्यस्थता की थी।
सर क्रीक तििाद का कािानुक्रम:
 1908: कच्छ के राि (शासक) और लसध सरकार के बीच कच्छ क्षेत्र में जिााउ िकड़ी के सांग्रहण
को िेकर तििाद ाईत्पन्न हुाअ।
 1914: बमबाइ प्राांत की सरकार ने एक प्रस्ताि पाररत ककया और ाआसके माध्यम से तनणयय कदया।
1914 के प्रस्ताि के पैरा 9 के ाऄनुसार क्रीक (खाड़ी) के पूिी तट पर ाऄितस्थत हररत पट्टी (ग्रीन
बैंड) सर क्रीक सीमा होगी।

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 हािाांकक, ाईसी प्रस्ताि के पैरा 10 में नौगमय चैनि के मध्य भाग को सीमा तनर्क्रदि ककया गया है,
सांयोग से यह ाऄांतरायष्ट्रीय स्तर पर स्िीकृ त 'थाििेग तसद्धाांत' के ाऄनुरूप है।
 1925: 67 खमभों की स्थापना के माध्यम से 1924-25 में लसध और कच्छ के द्वारा क्षैततज क्षेत्र में
भूतम सीमा को तनधायररत ककया गया।
 1968: कच्छ सीमा तििाद पर गरठत भारत-पाककस्तान ररब्यूनि ने ाऄपने तनणयय में भारत के
दािों का 90% समथयन ककया ककन्तु ाआसमें सर क्रीक शातमि नहीं है। ररब्यूनि का तनणयय सर क्रीक
के पूिय में तस्थत क्षेत्र से सांबांतधत है।
सर क्रीक का महत्ि (Significance of Sir Creek)
 EEZ : ग्रीन िााआन के ाअधार पर पाककस्तान के दािों को स्िीकार करने से भारत के ाऄनन्य
ाअर्थथक क्षेत्र (EEZ) का तकरीबन 250 िगय मीि क्षेत्र कम हो जाएगा।
 ाउजाय सांसाधन :ाऄतधकाांश क्षेत्र समुद्र की सतह के नीचे तेि और गैस में समृद्ध है।
 मछु ाअरों की समस्या : सर क्रीक क्षेत्र भारत और पाककस्तान दोनों देशों के सैकड़ों मछु ाअरों के तिए
मछिी पकड़ने का भी एक महत्िपूणय स्थि है।
 ड्रग लसतडके ट / तस्करी: तिगत िषों में यह क्षेत्र नशीिी दिाओं, हतथयारों एिां पेरोतियम ाईत्पादों
के ाऄिैध व्यापार से ग्रस्त रहा है।
 ाअतांकिादी गतततितधयााँ: ाअतांकिाकदयों द्वारा तििाकदत क्षेत्र का ाआस्तेमाि ाऄिैध तरीके से भारत
में घुसने के तिए ककया जा रहा है। 26/11 के ाअतांकिादी हमिे में ाअतांकिाकदयों ने (सर क्रीक में)
मछिी पकड़ने के ाईपयोग में िााइ जाने िािी एक भारतीय नौका ‘कु बेर’ पर कब्जा कर मुांबाइ में
प्रिेश करने के तिए ाआसका ाईपयोग ककया।
ाअगे की राह (Way Forward)
ाआसे कारयिााइ मुि क्षेत्र या सांयुि रूप से प्रशातसत समुद्री पाकय के रूप में नातमत ककया जा सकता है।
िैकतल्पक रूप से, क्रीक की पाररतस्थततकीय सांिेदनशीिता को देखते हुए दोनों देश ाआस क्षेत्र को एक
समुद्री सांिेदनशीि क्षेत्र (maritime sensitive zone) तनर्क्रदि कर सकते हैं।
तसयातचन तििाद (Siachen Dispute)
तसयातचन, पाककस्तान ाऄतधकृ त कश्मीर और पाककस्तान द्वारा चीन को हस्ताांतररत भूतम के बीच तस्थत
एक तत्रकोणीय भूतम क्षेत्र है।
तििाद का कारण: (Reason of Conflict)
तसयातचन तििाद 1947-48 युद्ध के बाद 1949 के कराांची युद्धतिराम समझौते में व्याप्त ाऄस्पिता का
एक प्रत्यक्ष पररणाम था। ाआस समझौते के तहत तग्रड सांदभय NJ 9842 (जो कक तसयातचन ग्िेतशयर के
दतक्षण की ओर तस्थत है) से ाअगे की सीमा को तनरुतपत नहीं ककया गया और यह ाआांतगत ककया कक NJ
9842 से ाअगे की सीमा ग्िेतशयरों के ाईत्तर में तस्थत है।
पाककस्तान ाआसका ाऄथय यह बताता है कक यह रेखा NJ 9842 से सीधी भारत-चीन सीमा पर
काराकोरम दरे की ओर जानी चातहए। हािाांकक, भारत ाआस बात पर जोर देता है यह रेखा चीन के साथ
िगने िािी साल्टोरो पियत श्रृांखिा के साथ NJ 9842 से ाईत्तर की ओर ाअगे बढ़नी चातहए।
तसयातचन का महत्ि (Significance of Siachen)
तसयातचन एक ऐसे रणनीततक स्थान पर ाऄितस्थत है तजसके बायीं ओर पाककस्तान और दातहनी ओर
चीन है। ाऄताः पाककस्तान ने सीज़फायर समझौते की पुनव्यायख्या की तजससे िह साल्टोरो ररज एिां
तसयातचन से ाअगे के स्थान को ाऄपना बताकर दािा प्रस्तुत कर सके । ाआससे पककस्तान को चीन के साथ
सीधा सांपकय प्राप्त होने के साथ ही साथ िद्दाख क्षेत्र एिां महत्िपूणय िेह -श्रीनगर राजमागय पर रणनीततक
तनगरानी रखना सांभि होगा, तजससे भारत के तिए गांभीर खतरा ाईत्पन्न हो सकता है।

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ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot)

 1983 में, पाककस्तान ने तसयातचन पर दािा प्रस्तुत करने के तिए ाऄपने सैतनकों का ाईपयोग करने
की कोतशश की।
 पाककस्तान को रोकने के तिए भारत ने ाऄप्रैि 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ ाअरांभ ककया और
ग्िेतशयर के ाउाँचााइ पर तस्थत तबन्दुओं पर कब्जा कर तिया।
 ितयमान में पूरे ग्िेतशयर और साल्टोरो ररज के सभी तीन मुख्य दरों- तसाअ िा, तबिाफोंड िा और
तगयॉन्ड िा पर भारत का तनयांत्रण है।

नदी तििाद (River dispute)


ककशनगांगा जितिद्युत सांयत्र
ां (Kishanganga Hydroelectric Plant)

ककशनगांगा हााआड्रोाआिेतक्रक प्िाांट एक रन-ऑफ-द-ररिर पररयोजना है, तजसे ककशनगांगा नदी से जि के


प्रिाह को मोड़कर झेिम नदी बेतसन में तस्थत एक तबजिी सांयांत्र तक पहुाँचाने के तिए तडज़ााआन ककया
गया है। 2010 में, पाककस्तान ने लसधु जि सांतध के तहत ाआस पररयोजना के तिरुद्ध हेग तस्थत परमानेंट

कोटय ऑफ ाअर्थबरेशन (Court of Arbitration: CoA) में ाऄपीि की थी।


2013 में ाऄपने "ाऄांततम तनणयय" में ाऄांतरायष्ट्रीय कोटय ऑफ ाअर्थबरेशन ने भारत को ककशनगांगा बाांध के
तनमायण को पूरा करने की ाऄनुमतत दी थी। ाआस तनणयय में एक शतय यह भी रखी गयी थी कक डााईनस्रीम
पयायिरण को बनाए रखने के तिए ककशनगांगा नदी में हर समय 9 m3/s के प्राकृ ततक जि प्रिाह स्तर
को ाऄतनिायय रूप से बनाए रखा जाएगा।

लसधु जि सांतध- 1960 के बारे में (About Indus Water Treaty -1960)
लसधु जि सांतध भारत और पाककस्तान के बीच जि तितरण से सांबांतधत एक सांतध है, जो तिश्व बैंक द्वारा
मध्यस्थता के माध्यम से सांपन्न की गाइ थी। भारतीय प्रधानमांत्री जिाहरिाि नेहरु और पककस्तान के
राष्ट्रपतत द्वारा 19 तसतांबर, 1960 को कराची में ाआस सांतध पर हस्ताक्षर ककए गए थे। ाआसके ाऄनुसार:
 तीन "पूिी" नकदयों- ब्यास, रािी और सतिज पर भारत को और तीन "पतिमी" नकदयों- लसधु,
तचनाब और झेिम पर पाककस्तान को तनयांत्रण कदया गया था।
 ाआस सांतध के ाऄांतगयत सांतध के प्रािधानों से सांबांतधत मामिों में ाअाँकड़ों और सहयोग के ाअदान-प्रदान
का प्रािधान है। ाआसके तिए, यह एक स्थायी लसधु ाअयोग का गठन करती है, तजसमें प्रत्येक देश से
एक ाअयुि होगा।
लसधु जि सांतध की समीक्षा (Review of Indus Water Treaty)
ाईड़ी हमिे के चिते, काइ तिशेषज्ञों ने माांग की है कक भारत को लसधु जि सांतध से हट जाना चातहए,
तजसकी शतों को पाककस्तान के तिए ाईदार माना जाता है। हािाांकक, ाऄतधकाररयों ने यह स्पि कर कदया
कक कम से कम ितयमान में लसधु जि सांतध प्रभािी बनी रहेगी। ाआसके बजाए, कें द्र ने लसधु जि के ाईपयोग
को ाआिम करने के ाईपायों की एक सूची तैयार की तजसे भारत ाऄब तक करने में ाऄसफि रहा है। ाआस
प्रकार, सरकार द्वारा तनम्नतितखत तनणयय तिए गए हैं:
 भारत के ाअगे के तिकल्पों का ाऄध्ययन करने के तिए एक ाऄांतर-मांत्राियी सतमतत की स्थापना।
 18,600 मेगािाट की पूरी क्षमता का ाईपयोग करने के तिए पतिमी नकदयों पर ाऄतधक रन-ऑफ-
कद-ररिर जितिद्युत पररयोजनाओं का तनमायण (ितयमान पररयोजनाओं की क्षमता िगभग
11,406 मेगािाट है)।
 1987 में पाककस्तान के ाअपतत्तयों के बाद भारत द्वारा स्थतगत कर दी गाइ तुिबुि नेतिगेशन
पररयोजना को कफर से प्रारांभ करने के तिए समीक्षा।

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तसन्धु जि सांतध को रद्द करना सही कदम नहीं है क्योंकक ाआससे क्षेत्रीय तस्थरता को खतरा और िैतश्वक
स्तर पर भारत की तिश्वसनीयता के समक्ष सांकट ाईत्पन्न हो सकता है। लसधु नदी के जि को रोकना भी
प्रततकू ि हो सकता है। भारत के ाऄन्य पड़ोसी देशों के साथ नदी जि बांटिारे से सांबांतधत समझौते हैं, ऐसे
में लसधु सांतध का सममान नहीं करने से िे ाऄसहज हो सकते हैं और ाईनमें भारत के प्रतत सांदह
े ाईत्पन्न हो
सकता है। यकद चीन भी ाआसी तरह के कदम ाईठाने का तनणयय करता है तो भारत ाईसके तिरुद्ध ाअिाज
नहीं ाईठा पायेगा।

सीमा पर ाऄन्य मुद्दे (Other issues along the border)


 सीमा-पार फायररग, सीमा पर मुठभेड़ और तनरांतर तनाि
 छद्म (प्रॉक्सी) युद्ध के रूप में पाककस्तान समर्थथत ाअतांकिाकदयों द्वारा बार-बार भारत में घुसपैठ
 तस्करी, नशीिी दिाओं और हतथयारों की तस्करी जैसी ाऄिैध गतततितधयाां, तछकद्रि सीमाओं के
कारण घुसपैठ। ये तछकद्रि सीमाएां रेतगस्तान, दिदिों, मैदानी ाआिाकों, बफय से ढके पहाड़ों समेत
तितभन्न भू-क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं और गाांिों, घरों और कृ तष भूतम से होते हुए ाऄपना मागय
बनाती है।
सीमाओं पर जनसांख्या द्वारा सामना की जाने िािी चुनौततयाां
 नौकररयों की कमी।
 ाईतचत स्िास््य देखभाि सेिाओं का ाऄभाि।
 जि-भराि के कारण बड़े ाआिाकों में फसिों को नुकसान।
 कभी-कभी सीमा ाऄिसांरचना गोपनीयता का ाईल्िांघन करती है या ाईनके सामान्य जीिन को
प्रभातित करती है।
 सुरक्षा सांबांधी ाऄिसांरचना की स्थापना करते समय भूतम ाऄतधग्रहण के कानूनी और मुकदमेबाजी
सांबांधी मुद्दे।

3.2. सरकार द्वारा ाईठाए गए कदम

(Initiatives Taken by Government)


 बाड़ िगाना - 2011 तक, जममू-कश्मीर, पांजाब, राजस्थान और गुजरात के साथ िगभग पूरी
सीमा के साथ LoC पर दोहरी बाड़ें थीं।
 प्रौद्योतगकी का ाईपयोग - जनिरी 2016 में, कें द्र ने पाककस्तान के साथ िगी 2,900 ककमी की
पतिमी सीमा पर घुसपैठ रोकने के तिए पाांच स्तरीय तिस्तृत योजना को मांजूरी दी। सीमा के
दूसरी तरफ की सभी गतततितधयों को रैक करने के तिए सीमा पर क्िोज सर्क्रकट टेिीतिजन कै मरे ,
थमयि ाआमेजसय और NVDs, BFSRs, भूतमगत तनगरानी सेंसर और िेजर बैररयर की स्थापना की
जाएगी। एकीकृ त सेटाऄप यह सुतनतित करेगा कक सीमा ाईल्िांघन के ककसी भी मामिे में यकद कोाइ
एक ाईपकरण कायय नहीं करता है तो दूसरे ाईपकरणों द्वारा तनयांत्रण कक्ष को सतकय ककया जा सके ।
िेजर बैररयर जममू -कश्मीर से िेकर गुजरात तक के नदीय और पियतीय ाआिाकों समेत 130 बाड़-
रतहत खण्डों को किर करेगा, तजसका प्रयोग प्रायाः घुसपैरठयों द्वारा ककया जाता है। सीमा को
तिद्युतीकृ त ककया गया है, सेंसर की एक श्रृांखिा से जुड़ा हुाअ है और यहााँ िैंडमााआन तबखरी हुाइ है।
50,000 से ाऄतधक खांभों पर स्थातपत फ्िड-िााआट के द्वारा पूरी सीमा को प्रकाशमान ककया गया
है। ाआसके पररणामस्िरूप, भारत-पाक सीमा को िस्तुताः रात में ाऄांतररक्ष से भी देखा जा सकता है।
 चौककयााँ (Outposts) - िगभग 700 सीमािती चौककयााँ हैं; ाऄमृतसर में ाऄटारी में एक एकीकृ त
चेक पोस्ट है।
 लसधु नदी प्रणािी की पूिी नकदयों के जि के ाआितम ाईपयोग के तिए एक काययक्रम भी शुरू ककया
गया है।

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ाअगे की राह (Way Forward)


 स्थानीय िोगों के बीच ाऄसांतोष को रोकने के तिए सीमािती जनसांख्या को शीघ्र और ाईतचत
मुाअिजा प्रदान करना।
 मनी िॉन्डररग जैसी ाऄिैध गतततितधयों के पैटनय का ाऄध्ययन करना और ाईन्हें तनयांतत्रत करना
 सरकार ने माधि गोडबोिे की ाऄध्यक्षता में सीमा प्रबांधन पर एक टास्क फोसय की भी स्थापना की
है। ररपोटय में कहा गया है कक सीमाओं की तििाकदत तस्थतत, कृ तत्रमता, तछकद्रि प्रकृ तत ाआत्याकद कु छ
ाऄांतर्थनतहत समस्याओं के कारण देश की सीमाओं को प्रभािी रूप से प्रबांतधत नहीं ककया जा सकता।
सीमाओं पर ाआन समस्याओं के चिते ाऄिैध प्रिासन, तस्करी, नशीिी दिाओं की तस्करी और
ाऄांतर-सीमा ाअिागमन सतहत काइ ाऄन्य समस्याएाँ ाईत्पन्न होती हैं।
ाआस सतमतत की तसफाररशें हैं:
 पड़ोसी देशों के साथ िांतबत सीमा तििादों का समाधान ककया जाना चातहए।
 सीमा की तनगरानी करने िािे बिों को ाऄन्य ाअांतररक सुरक्षा ाईद्देश्यों के तिए तैनात नहीं ककया
जाना चातहए।
 भारतीय तट रक्षक को मजबूत बनाने के साथ एक समुद्री पुतिस बि की स्थापना की जानी
चातहए। ाआसके साथ ही तितभन्न समुद्री मुद्दों के समन्िय के तिए एक शीषय सांस्था की स्थापना की
जानी चातहए।
 सीमा पर ाऄिसांरचना के त्िररत तिकास की कदशा में कदम ाईठाया जाना चातहए, तिशेष रूप से
सीमािती जनसांख्या को ाऄिैध गतततितधयों से दूर रखने के तिए ऐसा ककया जाना ाऄतत ाअिश्यक
है।

4. भारत-नेपाि (Indo-Nepal)
भारत नेपाि के साथ 1751 ककमी िांबी सीमा साझा करता है। ाईत्तराखांड, ाईत्तर प्रदेश, तबहार, पतिम
बांगाि और तसकिम राज्य नेपाि के साथ सीमा साझा करते हैं। तबहार नेपाि के साथ सबसे िांबी और
तसकिम सबसे छोटी सीमा साझा करता है।
नेपाि के साथ सीमा एक खुिी सीमा है और तपछिे कु छ समय तक ाआस पर िगभग ककसी भी प्रकार की
तनगरानी नहीं थी क्योंकक दोनों देशों के बीच 1950 की सांतध के तहत नेपािी नागररकों के पास भारत
में रहने और काम करने की स्ितांत्र पहुांच थी। नेपाि एक स्थि रुद्ध देश है तथा ाआसकी समुद्र तक
तनकटतम पहुांच भारत के माध्यम से है। पररणामस्िरूप, ाआसके ाऄतधकाांश ाअयात भारत से होकर गुजरते

हैं। ाआसे ध्यान में रखते हुए, भारत ने सीमा के साथ नेपाि को 15 पारगमन (transit) और 22 व्यापार
लबदु प्रदान ककए हैं।

4.1. सीमा के साथ जु ड़ी चु नौततयाां (Challenges Along the Border)

 पाककस्तान ाअतांकिाकदयों और नकिी भारतीय मुद्रा को प्रिेश कराकर भारत तिरोधी गतततितधयों
को ाऄांजाम देने के तिए खुिी सीमाओं का ाईपयोग कर रहा है।

 माओिादी तिद्रोह और भारत में माओिादी समूहों के साथ सांबांधों के तिस्तार का भय।

 भूतम हतथयाने का मुद्दा - तििाकदत सीमा के दोनों ओर धमकी देकर और जबरन भूतम हतथयाने
जैसी ज्यादती के ाअरोप भी समय-समय पर सामने ाअते हैं।
 ाअसानी से बच तनकिना और ाऄिैध गतततितधयाां - भारतीय और नेपािी सुरक्षा बिों द्वारा पीछा
ककए जाने िािे तिद्रोही, ाअतांकिादी, काइ दुदाांत ाऄपराधी खुिी सीमा से बचकर भाग जाते हैं।

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4.2. प्रभािी सीमा प्रबां ध न के तिए ाईठाए गए कदम

(Initiatives Taken for Effective Border Management)


 गृह मांत्रािय के तहत सशस्त्र सीमा बि की 25 बटातियन तैनात की गयी हैं।
 तद्वपक्षीय िाताय - गृह सतचि स्तर की िाताय और सांयुि सतचि स्तर पर युि काययकारी दि के रूप
में दोनों देशों के बीच तद्वपक्षीय तांत्र मौजूद हैं।
 सीमा तजिा समन्िय सतमतत - दोनों देशों के तजिा स्तर के ाऄतधकाररयों के बीच ाअपसी लचता के
मुद्दों पर चचाय के तिए प्िेटफॉमय के रूप में स्थातपत की गाइ है।
 भारत-नेपाि सीमा सड़कों का तनमायण - भारत सरकार ने ाईत्तराखांड, ाईत्तर प्रदेश और तबहार
राज्यों में नेपाि सीमा के साथ 1377 ककमी की सड़कों के तनमायण को मांजूरी दी है।

4.3. ाअगे की राह (Way Forward)

दोनों देशों की सुरक्षा एजेंतसयों को सीमा की बेहतर तनगरानी के तिए ाऄतधक बारीकी से और प्रभािी
ढांग से समन्िय करना चातहए। सीमा पर गतततितधयों की तनगरानी के तिए प्रौद्योतगकी का और ाऄतधक
ाईपयोग भी खुिी सीमा को सुरतक्षत करने में मदद कर सकता है।

5. भारत-भूटान (Indo-Bhutan)
चीन के साथ रााइ-जांक्शन के ाऄिािा भारत-भूटान सीमा का सीमाांकन ककया गया है। भारत-भूटान
सीमा की सीमाांकन की प्रकक्रया 1961 में शुरू हुाइ थी और 2006 में पूरी हुाइ। नेपाि और बाांग्िादेश के
साथ भारत की सीमा सघन िन, नकदयों और ाअबादी की जरटि भौगोतिक तस्थतत द्वारा पररभातषत है,
ाआसके तिपरीत भारत-भूटान सीमा पियतपाद द्वारा पररभातषत है।
भूटान के साथ भारत की एक मैत्री सांतध है, तजस पर 2007 में पुन:समझौता हुाअ था। तजसके तहत
भूटान के तहतों की रक्षा में भारत की बड़ी तहस्सेदारी है।
दोनों देश तनकट तद्वपक्षीय सांबांध और मजबूत सीमा समन्िय साझा करते हैं। क्षेत्र के भीतर जितिद्युत
और व्यापार के मुद्दे भूटान के तिए सीमा सहयोग के सिायतधक महत्िपूणय पहिू हैं। सीमा के दोनों ओर
रुपया व्यापार और बैंककग सुतिधाओं जैसे ाऄन्य मुद्दे भी महत्िपूणय हैं।

5.1. सीमा पर चु नौततयाां (Challenges Along the Border)

5.1.1. सीमा तििाद (Border Dispute)

रााइ-जांक्शन क्षेत्र में सीमा का तनधायरण नहीं ककया गया है। ाआसतिए, यहााँ तििाद ाईत्पन्न होते हैं, जैसे
हाि ही का डोकिाम तििाद।

5.1.1.1. डोकिाम तििाद (Doklam Issue)

डोकिाम पठार चीन द्वारा तििाकदत भूटान का एक तहस्सा है, जो भारत के "तचकन नेक" को ाऄिरुद्ध
करने के तिए चीन को िाभ प्रदान कर सकता है। सांकीणय तसिीगुड़ी गतियारे को "तचकन नेक” के नाम
से जाना जाता है जो ाईत्तर-पूिय को भारत के शेष तहस्सों से जोड़ता है। 2017 में, भारत ने चीन द्वारा
डोकिाम में एक सड़क बनाने के तिरोध में ाऄपने सैतनकों को तैनात ककया था। चीन के द्वारा सड़क
तनमायण से भारत की सुरक्षा पर गांभीर प्रभाि पड़ सकता था और ाआससे भूटान को भी यह सांकेत तमिा
कक भारत ाऄब दीघय काि तक ाआसके तहतों की रक्षा नहीं कर सकता। ाआसतिए, भारतीय सैतनकों ने ाआस
पठार पर सड़क-तनमायण के तनमायण में सांिग्न चीनी पीपुल्स तिबरेशन ाअमी के सैतनकों के मागय को
ाऄिरुद्ध करने के तिए हस्तक्षेप ककया। यह पहिी बार है कक भारत ने भूटान के क्षेत्रीय तहतों की रक्षा के
तिए ाऄपने सैतनकों का ाआस्तेमाि ककया था।

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5.1.2. ाऄन्य मु द्दे (Other Issues)

 कु छ िषय पहिे रॉयि भूटानी सेना ने 'ऑपरेशन ऑि तक्ियर' के तहत ाऄपने क्षेत्र से बोडो और
ाईल्फा तिद्रोतहयों को बाहर खदेड़ कदया था। भारत-भूटान सीमा ाऄपेक्षाकृ त शाांत रही है। परन्तु
ाऄभी भी ाअपरातधक और ाअतांकिादी गतततितधयों को िेकर ाअशांकाएां तिद्यमान हैं।
 तस्करी - भूटान से भारत में तस्करी की जाने िािी िस्तुएाँ चीन तनर्थमत िस्तुए,ां भूटानी भाांग,
शराब और िन ाईत्पाद ाआत्याकद हैं। भारत से भूटान में पशुधन, ककराने की िस्तुओं और फिों की
तस्करी की जाती है।
 व्यतियों एिां िाहनों का मुि ाअिागमन - भूटान चाहता है कक भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रिेश के
बाद ाईनके नागररकों और िाहनों को मुि ाअिागमन की सुतिधा प्राप्त हो। पतिम बांगाि में
गोरखािैंड ाअांदोिन के दौरान भूटानी नागररकों के िाहनों को क्षततग्रस्त कर कदया गया था।
 प्रिासन- भूटान के सीमािती क्षेत्र बहुत हद तक ाऄतिकतसत हैं, काइ भारतीय भूटान में तनमायण
गतततितधयों में श्रतमक के रूप में काम करते हैं, जहाां िे ाऄतधक बेहतर मजदूरी ाऄर्थजत करते हैं। ाआस
प्रिास ने दोनों देशों में जनसाांतख्यकीय बदिाि सांबांधी लचताएां ाईत्पन्न की हैं।
 पयायिरण सांबध
ां ी लचताएां - प्रिातसयों और घुसपैरठयों पर िनोन्मूिन, तशकार और िन्यजीि
तस्करी का भी ाअरोप िगाया जाता है।

5.2. ाईठाए गए कदम (Initiatives Taken)

 सैन्य बिों की तैनाती - भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा हेतु सशस्त्र सीमा बि (SSB) मुख्य सीमा
सुरक्षा बि है, तजसकी BSF द्वारा भी कु छ सहायता की जाती है।
 तद्वपक्षीय सहयोग - सीमा प्रबांधन और सुरक्षा पर भारत-भूटान समूह के रूप में एक सतचि स्तरीय
तद्वपक्षीय तांत्र ाऄतस्तत्ि में है। यह तांत्र खुिी सीमा का िाभ ाईठाने िािे समूहों से दोनों देशों के तिए
ाईत्पन्न होने िािे खतरे का ाअकिन करने तथा सीमािती क्षेत्रों में सुरतक्षत िातािरण में सुधार के
तरीकों पर चचाय करने में बहुत ाईपयोगी तसद्ध हुाअ है।
 सड़क तनमायण - भारत सरकार ने ाऄसम में भारत-भूटान सीमा के साथ 313 ककमी िांबी सड़क के
तनमायण को स्िीकृ तत प्रदान की है।
6. भारत-बाांग्िादे श (Indo-Bangladesh)
भारत-बाांग्िादेश सीमा का भारतीय तहस्सा 5 भारतीय राज्यों- पतिम बांगाि, ाऄसम, मेघािय, तत्रपुरा
और तमजोरम से होकर गुज़रता है। ाआस पूरे तिस्तार में मैदान, नकदयााँ, पहातड़यााँ और जांगि हैं। यह क्षेत्र
बहुत ाऄतधक ाअबादी िािा है और यहााँ सीमा-क्षेत्र तक कृ तष की जाती है। भारत और बाांग्िादेश 54
सीमा पारीय नकदयों को साझा करते हैं।
भारत और बाांग्िादेश बातचीत के माध्यम से कु छ तििादास्पद मुद्दों को हि करने में सफि हुए हैं, तजसे
तिशेषज्ञ सीमा प्रबांधन के सिोत्तम ाईदाहरण के रूप में मानते हैं, जैसे कक:
 भारत और बाांग्िादेश ने ाअपसी समझौते के माध्यम से एन्क्िेि (enclaves) के मुद्दे को
सफितापूियक हि ककया और भारत ने ाआसे प्रभाि में िाने के तिए 100िें सांिैधातनक सांशोधन
ाऄतधतनयम को ाऄतधतनयतमत ककया।
 दोनों देशों के मध्य 1996 के समझौते के माध्यम से गांगा नदी जि को साझा करना। हािाांकक,
बाांग्िादेश ने गांगा नदी के जि को हुगिी नदी में मोड़ने िािे फरिा बैराज के सांबांध में लचता व्यि
की है। बाांग्िादेश का कहना है कक ाईसे शुष्क मौसम में जि का ाईतचत तहस्सा नहीं तमिता है और
जब भारत जि छोड़ता है तो िहााँ बाढ़ ाअ जाती है।
 समुद्री तििाद: 2009 में, बाांग्िादेश ने UNCLOS के तहत भारत के साथ समुद्री सीमा के
सीमाांकन के तिए मध्यस्थता काययिाही शुरू की थी, ाआसके फै सिे ने 2014 में तििाद सुिझा कदया
था।

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दोनों पड़ोतसयों के मध्य ाऄतनर्थणत मुद्दे (Outstanding Issues between the two neighbours)
 तीस्ता नदी जि तििाद (Teesta River Water Dispute) - िांबे समय के बाद, 2011 में दोनों
पक्ष नदी के जि को 50:50 के ाऄनुपात में साझा करने के तिए सहमत हुए थे क्योंकक नदी भारत
और बाांग्िादेश दोनों के कृ तष ाईपयोग के तिए महत्िपूणय है। हािाांकक, पतिम बांगाि की मुख्यमांत्री
के तिरोध के कारण ाआस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके थे।
 बराक नदी पर ततपााइमुख पनतबजिी तिद्युत पररयोजना (Tipaimukh Hydro-Electric
Power Project on the Barak River) - बाांग्िादेश ाआस पररयोजना का तिरोध कर रहा है
क्योंकक ाईसका कहना है कक ाआस तिशाि बााँध के कारण नदी के मौसमी प्रिाह में बाधा ाअएगी
तजसका तनचिे क्षेत्रों में कृ तष, मत्स्य पािन और पाररतस्थततकी तांत्र पर प्रततकू ि प्रभाि पड़ेगा।
भारत सरकार ने बाांग्िादेश को ाअश्वासन कदया है कक िह ाआस पररयोजना पर ऐसा कोाइ भी
एकपक्षीय तनणयय नहीं िेगा जो बाांग्िादेश के तहतों को प्रततकू ि रूप से प्रभातित करता हो।
 भारत-बाांग्िादेश सीमा की ाऄत्यतधक तछकद्रि प्रकृ तत के कारण िाखों बाांग्िादेशी प्रिातसयों ने
भारत में प्रिेश ककया है, तजनमें से ज्यादातर ाऄिैध प्रिासी हैं।
 सीमा बाड़ िगाने की समस्या (Border fencing issue) - ाआस सीमा पर कु छ तहस्सों में
तनम्नतितखत कारणों से बाड़ िगाने में कु छ समस्याएां ाईत्पन्न हुाइ हैं:
o नदी / तनचिे क्षेत्र,
o सीमा से के िि 150 गज की दूरी पर जनसांख्या की बसािट,
o भूतम ाऄतधग्रहण के िांतबत मामिे और
o सीमािती ाअबादी द्वारा तिरोध, तजसने पररयोजना को तििांतबत ककया है।
 सख्त व्यापार तनयमों और बाधाओं की ाईपतस्थतत के बािजूद जामदानी साड़ी, चािि, नमक और
डीजि जैसी िस्तुओं का ाऄनतधकृ त सीमा पार व्यापार बढ़ा है। यद्यतप भारत और बाांग्िादेश
ाअतधकाररक तौर पर 7 तबतियन डॉिर की िस्तुओं का व्यापार करते हैं, कफर भी दोनों देशों के
बीच ाऄिैध व्यापार ाअांकड़ा ाआससे दोगुना होने का ाऄनुमान है।
 मिेशी तस्करी और तस्करों की हत्या (Unauthorised cross-border trade in goods) -
ाऄके िे सीमा पर जब्त ककए गए मिेतशयों की सांख्या िगभग एक िाख िार्थषक है, ाआस प्रकार ाआससे
सरकार के तिए िार्थषक ाअधार पर िगभग 10000 करोड़ रुपये के राजस्ि की हातन होती है।
सीमा पार मिेतशयों की तस्करी के सांबांध में पकडे जाने िािे बाांग्िादेशी नागररक बड़ी सांख्या में
मारे जाते थे। BSF द्वारा के िि गैर-घातक हतथयार प्रयोग करने की नाइ नीतत की शुरुाअत के बाद
से दजय की गाइ मौतों की सांख्या में काफी कमी ाअाइ है, िेककन ाआस ाईपाय ने ाऄपरातधयों को
प्रोत्सातहत ककया है और BSF कर्थमयों पर हमिों में िृतद्ध हुाइ है।

6.1. ाईठाए गए कदम (Initiatives Taken)

 बि की तैनाती (Deployment of force) - भारत-बाांग्िादेश सीमा की रक्षा BSF द्वारा की


जाती है।
 बाड़ िगाना (Fencing) - भारत ने ाऄिैध ाऄप्रिासन और ाऄन्य राष्ट्र-तिरोधी गतततितधयों को
रोकने के तिए सीमा पर काांटेदार तार िािी बाड़ का तनमायण ककया है और प्रकाश व्यिस्था में
सुधार ककया है।
 सड़क तनमायण (Road construction) - ाआसके ाऄिािा, स्िीकृ त 4,407.11 ककमी िांबी
सीमािती गश्ती सड़कों में से 3,585.53 ककमी का तनमायण ककया जा चुका है। सीमािती क्षेत्रों में
तिकास कायों की तनगरानी और प्रमुख प्रिेश और तनकास लबदुओं पर ाईन्नत ाऄिसांरचना की
तनगरानी के तिए एक सीमा प्रबांधन तिभाग भी स्थातपत ककया गया है।

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 सतकय ता और तितनयमन को सुदढ़ृ बनाना (Strengthening vigilance and regulation) -


बॉडयर गार्डसय की सांख्या बढ़ाकर सीमा पर चौकसी को सुदढ़ृ करने के तिए कदम ाईठाए गए हैं।
भारत ाऄपनी स्थिीय सीमाओं पर एकीकृ त चेक पोस्ट (ICP) भी स्थातपत कर रहा है, जो एक ही

स्थान पर, सभी तनयामक गतततितधयों जैसे ाऄप्रिासन, सुरक्षा और सीमा शुल्क की सुतिधा प्रदान
करेगा।
 तद्वपक्षीय सहयोग (Bilateral cooperation) - भारत और बाांग्िादेश दोनों ने एक सीमा प्रबांधन
योजना पर हस्ताक्षर ककए हैं जो सांयुि गश्ती और सूचना साझा करने की पररकल्पना करती है।
भारत और बाांग्िादेश ने ाऄिैध या ाऄनतधकृ त व्यापार से तनपटने के तिए सीमािती हाट भी
स्थातपत ककए हैं। दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर ककए गए हैं - ाआनमें से एक मानि तस्करी,
तस्करी और नकिी करेंसी के प्रसार को रोकने के तिए तद्वपक्षीय सहयोग पर और दूसरा समुद्री
ाऄपराधों को रोकने के तिए भारत और बाांग्िादेश के तट रक्षकों के बीच सहयोग पर है। दोनों देशों
के सीमा बि सांयुि सैन्य ाऄभ्यास भी करते हैं जैसे कक सुांदरबन मोाआत्री (सुांदरबन गठबांधन)।

7. भारत-मयाां मार (Indo-Myanmar)


भारत, मयाांमार के साथ 1,643 कक.मी. िांबी सीमा साझा करता है। ाऄरुणाचि प्रदेश, नागािैंड,
मतणपुर और तमजोरम चार ऐसे राज्य हैं जो मयाांमार के साथ सीमा साझा करते हैं। भारत और मयाांमार
ाऄपनी सीमा के ककनारे तनिास करने िािी जनजाततयों को सीमा के ाअर-पार 16 कक.मी. तक यात्रा

करने के तिए एक मुि ाअिागमन व्यिस्था (Free Movement Regime: FMR) की ाऄनुमतत देते
हैं।
जहााँ FMR ने जनजाततयों को ाऄपने पुराने सांबांधों को बनाए रखने में मदद की है, िहीं यह सुरक्षा

सांस्थानों के तिए एक लचता का कारण भी बना हुाअ है। तिप्ििकाररयों ने FMR का िाभ ाईठाया है। िे

FMR के माध्यम से मयाांमार में पहुाँच कर हतथयारों का प्रतशक्षण प्राप्त करते हैं, सुरतक्षत शरण स्थतियों
को स्थातपत करते हैं और तिद्रोही हमिों को ाऄांजाम देने के तिए भारत में पुनाः प्रिेश करते हैं।

7.1. भारत-मयाां मार सीमा पर चु नौततयाां

(Challenges at Indo-Myanmar border)

हािाांकक सीमा का तनधायरण ठीक ढांग से ककया गया है, तथातप कु छ ऐसे स्थि खांड हैं जो तििाकदत हैं।
सीमा के साथ कु छ प्रमुख मुद्दे हैं जो तनम्नतितखत हैं:
 ाउबड़ खाबड़ भू-भाग - यह ाअिागमन और ाआस क्षेत्र के समग्र तिकास को करठन बनाता है।

 कमजोर तनगरानी - कड़ी तनगरानी सुतनतित करने के तिए बाड़ या सीमा चौककयों और सड़कों के

रूप में सीमा के साथ व्यािहाररक रूप से कोाइ भौततक बाधा (barrier) नहीं है।

 तिप्िि - भारतीय सुरक्षा बिों द्वारा जब तिप्ििकाररयों को खदेड़ा जाता है तो िह खराब सुरक्षा

िािी सीमाओं को भागने हेतु प्रयोग करते हैं । सीमािती क्षेत्रों में रहने िािी नागा, कु ककस, तचन

ाआत्याकद जैसे जनजाततयों के मध्य स्थातपत नजदीकी नृजातीय सांबध


ां , ाआन तिद्रोतहयों को मयाांमार में
सुरतक्षत ाअश्रय खोजने में मदद करते हैं। ाआन सीमा पार नृजातीय सांबांधों ने मयाांमार के तितभन्न
पूिोत्तर तिद्रोही समूहों के तिए सुरतक्षत ाअश्रय के तनमायण में मदद की है।

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 ड्रग्स मेनस- "ड्रग्स गोल्डन रायांगि" के ककनारे पर सीमा की ाईपतस्थतत भारतीय क्षेत्र में ड्रग्स के
ाऄप्रततबांतधत ाऄिैध प्रिाह की सुतिधा प्रदान करती है। हेरोाआन नशीिी ड्रग तस्करी का मुख्य
सामान है। मतणपुर में सीमािती कस्बे मोरेह के माध्यम से हेरोाआन का बड़ा तहस्सा भारत में प्रिेश
करता है। यह बताया गया है कक स्थानीय तिप्ििकारी (तिद्रोही) समूह ड्रग्स और हतथयार तस्करी
में सकक्रय रूप से शातमि हैं। ाआफे तड्रन और छद्म-ाआफे तड्रन की तस्करी तथा मतहिाओं और बच्चों की
तस्करी पूिोत्तर से मयाांमार तक एिां ाअगे दतक्षण-पूिय एतशया की सीमा के साथ भी प्रचतित है।
 सीमा तििाद - 1967 के सीमा समझौते का ाऄनुसरण कर भिे ही दोनों देशों के बीच ाऄांतरायष्ट्रीय
सीमा औपचाररक रूप से तनधायररत एिां सीमाांककत की गाइ थी, कफर भी दो सांप्रभु राष्ट्रों को पृथक
करने िािी रेखाओं के रूप में सीमा रेखा जमीनी रूप में पररणतत नहीं हुाइ है।
 ध्यान न कदया जाना - कदल्िी में नीतत तनमायताओं ने भारत-मयाांमार सीमा पर पयायप्त रूप से ध्यान
नहीं कदया है और पररणामताः ाआसका खराब प्रबांधन जारी है।
 मयाांमार में सैन्य जुटां ा सरकार से समथयन की कमी: मयाांमार में सैन्य जुांटा सरकार के साथ भारत के
खराब सांबांध और ाईस देश में िोकताांतत्रक ाअांदोिन के तिए ाआसका प्रारांतभक समथयन मयाांमार का
भारत के साथ सहयोग करने की ाऄतनच्छा हेतु काफी हद तक तजममेदार रहा है।

7.1.1. हातिया तििाद: मोरे ह में BP सां ख्या 79 और 81 के मध्य सीमा बाड़ िगाना

(Recent Dispute: Border Fencing between BP No.79 and 81 in Moreh)

भारत-मयाांमार सीमा क्षेत्र में बढ़ती ाअतांकिादी गतततितधयों की समस्या की जाांच के तिए, भारत

सरकार ने 2013 के ाअरांभ में भारत-मयाांमार सीमा (िगभग 10 ककमी) पर BP सांख्या 79 से 81 के


बीच क्षेत्र को बातधत करने के तिए एक कारयिााइ को मांजूरी दी। हाि ही में, ाआस पहि के कारण मतणपुर
में काइ तिरोध प्रदशयन हुए हैं, क्योंकक प्रदशयनकाररयों का दािा है कक मयाांमार की ाअपतत्तयों के कारण 10
ककिोमीटर की बाड़ का तनमायण भारतीय क्षेत्र में काइ मीटर ाऄन्दर तक ककया जा रहा है और ाआसके
पररणामस्िरूप मतणपुर के एक बड़े तहस्से का मयाांमार में चिे जाने की सांभािना है। ाईन्होंने माांग की है
कक कें द्र सरकार को पहिे मयाांमार के साथ सीमा तििाद को हि करना चातहए और बाड़-तनमायण से पूिय
सीमा का सांयुि सिेक्षण करना चातहए।
हािाांकक, तिरोध प्रदशयनों के बािजूद, कें द्र सरकार ने बाड़-तनमायण के तनणयय के साथ ाअगे बढ़ने का
फै सिा तिया है क्योंकक भारत-पाककस्तान और भारत-बाांग्िादेश सीमाओं के साथ यह प्रयोग घुसपैठ
और ाऄिैध प्रिासन को रोकने में बहुत हद तक सफि रहा है।

7.2. सरकार द्वारा ाईठाए गए कदम

(Initiatives taken by the government)

 सैन्य बि की तैनाती - ाऄसम रााआफल्स 2002 से भारतीय सेना की मदद से ाआस सीमा पर प्रततबांध
िगाती है। हािाांकक, ाऄसम रााआफल्स ने ाऄपने 46 बटातियनों में से 31 को तिद्रोहों का मुकाबिा
(प्रतत-तिप्िि) करने के तिए तैनात ककया है और के िि 15 बटातियनों को सीमा सुरक्षा बि के
रूप में तैनात ककया है। ाऄताः सीमा सुरक्षा बि की बजाय यह प्रतत तिप्िि बि (कााईां टर ाआन्सजयन्सी
फ़ोसय) के रूप में ाऄतधक तैनात है।
 मुि ाअिागमन व्यिस्था के ाऄध्ययन हेतु पैनि - NSCN-K जैसे तिद्रोतहयों को हतथयारों के
प्रतशक्षण प्राप्त करने , सुरतक्षत ाअश्रय स्थातपत करने और तिध्िांसकारी हमिों के तिए भारत में

पुनाः प्रिेश करने हेतु FMR के दुरुपयोग से रोकने के तिए।

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7.3. ाअगे की राह (Way Ahead)

यह देखते हुए कक भारत-मयाांमार सीमा की भेद्यता देश की ाअांतररक सुरक्षा को गांभीर चुनौती दे रही है,
भारत सरकार को ाआस सीमा को प्रभािी ढांग से प्रबांतधत करने के तिए तत्काि ध्यान देना चातहए।
 ाआसे सियप्रथम सीमा की सुरक्षा को मजबूत करना चातहए तजसे या तो ाऄसम रााआफल्स को सीमा की
तनगरानी का एकि ाऄतधदेश देना चातहए या सीमा सुरक्षा बि (BSF) जैसी दूसरी सीमा
तनगरानी बि को तैनात करना चातहए।
 ाआसे FMR में सांशोधन की शुरूाअत करनी चातहए और ाऄप्रततबांतधत यात्रा की ाऄनुमत दूरी को कम
करना चातहए।
 ाऄन्य बुतनयादी ढाांचे के साथ ICP का तनमायण तेजी से ककया जाना चातहए।
 ाऄांत में, भारत को मयाांमार के साथ साथयक रूप से सांिग्न होने का प्रयास करना चातहए और सभी
ाऄतनणीत मुद्दों को हि करने और ाऄपनी पारस्पररक सीमा को बेहतर ढांग से प्रबांतधत करने में ाआसके
सहयोग की माांग करनी चातहए।

8. भारत-श्रीिांका (Indo-Sri Lanka)


श्रीिांका, भारत के साथ समुद्री सीमा साझा करता है और भारत की सुरक्षा की दृति से तहन्द महासागर
में रणनीततक रूप से ाऄितस्थत यह एक बहुत ही महत्िपूणय देश है।

8.1.सीमा के साथ चु नौततयाां (Challenges along the border)

8.1.1. कच्चातीिु द्वीप (Katchatheevu Island)

भारत ने 1974 में एक सशतय समझौते के तहत तनिायतसत द्वीप को ाऄपने दतक्षणी पड़ोसी देश को सपप
कदया। हािाांकक, भारतीय मछु ाअरे ाआसे ाऄपने मछिी पकड़ने का पारांपररक क्षेत्र मानते हैं। ाआस प्रकार, िे
चाहते हैं कक कच्चातीिु का भारत के तिए भी मत्स्यन स्थि के रूप में ाआस्तेमाि ककया जाए।

8.1.2. मछु ाअरों से सां बां तधत मु द्दा ( Fishermen Issue)

भारतीय मछु ाअरों द्वारा श्रीिांका के जिीय सीमा में ाऄनतधकार प्रिेश तनयतमत रूप से होता है। यहाां ,
मुद्दा एक ाऄतनतित समुद्री सीमा का नहीं है, बतल्क भारतीय मछु ाअरों के द्वारा भारत और श्रीिांका के
बीच समुद्री सीमा को ाऄस्िीकार करने से है, तिशेष रूप से पाक खाड़ी (Palk Bay) में। पाक खाड़ी
पारांपररक रूप से दोनों पक्षों के मछु ाअरों के तिए मछिी पकड़ने का एक साझा क्षेत्र रहा है। हािाांकक,
समुद्री सीमा के पररसीमन ने पाक खाड़ी को तिभातजत कर कदया है और यह पररसीमन तनधायररत
करता है कक भारतीय मछु ाअरे ाआस ाऄांतरराष्ट्रीय सीमा से परे मछिी नहीं पकड़ सकते हैं।
भारत और श्रीिांका के मछु ाअरों द्वारा एक-दूसरे के जिीय क्षेत्र में मत्स्यन ने तद्वपक्षीय सांबांधों को
तनािपूणय बना कदया है। हर बार जब ककसी भारतीय मछु ाअरे को श्रीिांकााइ ाऄतधकाररयों द्वारा
तगरफ्तार ककया जाता है, तब ततमिनाडु के द्वारा भारत सरकार पर श्रीिांका सरकार के साथ
औपचाररक तिरोध दजय कराने का दबाि डािा जाता है।

8.2. प्रारमभ की गईं पहिें (Initiatives Taken)

मछु ाअरों के मुद्दे से समबांतधत (Regarding fishermen issue)


तटीय जि में मत्स्यन नौकाओं के ाऄज्ञात प्रिेश को रोकने और मछु ाअरों की सुरक्षा सुतनतित करने के
तिए कदम ाईठाए गए हैं। ाआस ाईद्देश्य के तिए, सभी बड़े मत्स्यन नौकाओं (20 मीटर और ाआससे ाउपर)
पर AIS राांसपोंडर स्थातपत ककए जा रहे हैं। छोटे मत्स्यन जहाजों में रेतडयो फ्रीक्वेंसी ाअाआडेंरटकफके शन

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तडिााआस (Radio Frequency Identification Device: RIFD) कफट करने का प्रस्ताि तिचाराधीन
है। ाआसके ाऄततररि, मछिी पकड़ने के सभी जहाजों को भी एक समान पांजीकरण प्रणािी के तहत
पांजीकृ त ककया जा रहा है और डेटा ऑनिााआन ाऄपडेट ककया जा रहा है। समुद्र में ाअसानी से पहचान के
तिए ाईस पर किर कोड तनर्क्रदि ककया जा रहा है। तितभन्न तटीय राज्यों के तिए किर कोड भी तभन्न-
तभन्न हैं। ाआसके ाऄततररि, मछु ाअरों को तिपतत्त चेतािनी राांसमीटर (Distress Alert Transmitters:
DATs) प्रदान ककए जा रहे हैं, तजससे कक िे समुद्र में ककसी भी प्रकार की तिपतत्त में हों तो िे ICG को
सतकय कर सकते हैं। समुद्र में मछु ाअरों की सुरक्षा के तिए, सरकार ने मछु ाअरों को सतब्सडीयुि ककट
प्रदान करने की एक योजना िागू की है, तजसमें ग्िोबि पोतजशलनग तसस्टम (GPS), सांचार ाईपकरण,
ाआको-सााईां डर और एक खोज एिां बचाि दीप-सांकेत (rescue beacon) शातमि है। मछु ाअरों के तिए
ाआन एजेंतसयों को ककसी भी प्रकार की जानकारी के तिए तटीय सुरक्षा हेल्पिााआन नांबर 1554 (IGC)
और 1093 (समुद्री पुतिस) को पररचातित ककया गया है।

8.3. ाअगे की राह (Way ahead)

दोनों देशों के मध्य तििादों और चुनौततयों को हि करने के तिए तनम्नतितखत कदमों पर तिचार ककया
जा सकता है:

 सांधारणीय मत्स्यन और िैकतल्पक ाअजीतिका - यह ाऄांतर्थनतहत कारण को सांबोतधत करेगी। भारत


सरकार द्वारा भारतीय जिीय क्षेत्र में मत्स्यन के सांस्थागतकरण की एक सुस्पि ाअिश्यकता है,
तजससे कक ाअजीतिका के िैकतल्पक साधन प्रदान ककए जाएाँ। ततमिनाडु (भारत) से बॉटम रैििरों
के ाईपयोग और पाक खाड़ी में भारतीय मछु ाअरों की तनभयरता को कम करने के तिए सरकार को
एक व्यापक योजना को तचतह्नत करने की ाअिश्यकता है। ाआसके तिए गहन समुद्री मत्स्यन और
ाऄांतदेशीय तिकल्पों को बढ़ािा देने की जरूरत है, ाऄन्यथा भारत के मछु ाअरों को श्रीिांकााइ
समकक्षों के साथ-साथ प्रततरोधी श्रीिांकााइ नौसेना के साथ सांघषयरत कर कदया जाएगा।
 सांस्थागत तांत्र - तपछिे िषय, दोनों देश तििाद को हि करने, भारत और श्रीिांका के तट रक्षकों के
बीच एक हॉटिााआन स्थातपत करने के तिए मत्स्यपािन पर एक सांयुि कायय समूह (Joint
Working Group: JWG) स्थातपत करने पर सहमत हुए। ाआस प्रकक्रया के घटकों में तीन माह में
एक बार JWG का ाअयोजन और प्रत्येक छाः माह पर मत्स्यपािन मांतत्रयों की बैठक शातमि थी।
 भारतीय नौसेना या तटरक्षक बि को श्रीिांकााइ नौसेना के साथ ाऄपराध को रोकने के तिए सांयुि
रूप से ाऄांतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त िगाने में शातमि होना चातहए।

9. बेह तर सीमा प्रबांध न के तिए प्रमुख तसफाररशें


(General Recommendations for Better Border Management )
सीमाओं की रक्षा करने िािे काइ ाऄद्धय-सैन्य बिों के बािजूद, सीमा प्रबांधन के तिए सेना की प्रततबद्धता
LAC, LoC और जममू-कश्मीर में AGPL और LAC के साथ छाः तडिीजन और पूिी क्षेत्र में मयाांमार
सीमा के साथ पाांच तडिीजनों की है। यह एक बड़ी प्रततबद्धता है, जो मानि शति के साथ-साथ धन के
मामिे में भी बहुमूल्य है। ाअधुतनकीकरण हेतु धन की ाईपिब्धता के ाऄनुसार, तनम्नतितखत कदमों पर
तिचार ककया जा सकता है:
 तनगरानी के तिए ाईन्नत प्रौद्योतगकी तिशेष रूप से ाईपग्रह और हिााइ तचत्रण का ाईपयोग, LAC
पर तनरांतर सतकय ता बनाए रखने में मदद कर सकता है और िास्ततिक तैनाती में कमी को सांभि
बना सकता है।

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 बड़ी सांख्या में हेिीकॉप्टर यूतनट्स के माध्यम से हिााइ तनगरानी, तनगरानी की गुणित्ता में िृतद्ध
करेगी और ाअिश्यकता पड़ने पर रक्षात्मक तस्थततयों पर कब्जा करने के तिए एक स्थान से दूसरे
स्थान तक सैतनकों के ाअिागमन की क्षमता में िृतद्ध करेगा।

सीमा प्रबांधन के तिए ाऄन्य प्रमुख तसफाररशें तनम्नतितखत हैं:

 BSF को सभी तस्थर और शाांत सीमाओं के तिए तज़ममेदार होना चातहए, जबकक ाऄतस्थर और
तििाकदत सीमाओं जैसे जममू-कश्मीर में LOC और भारत-ततब्बत सीमा पर LAC की तज़ममेदारी
भारतीय सेना पर होनी चातहए।
 प्रभािी तनयांत्रण (Effective control) - 'एकि लबदु तनयांत्रण' का तसद्धाांत या एक बि-एक-सीमा
तसद्धाांत का ाऄक्षरशाः पािन ककया जाना चातहए।
 कें द्रीय पुतिस सांगठनों (CPO) की तैनाती के तिए व्यापक दीघयकातिक योजना होनी चातहए,
तजसकी ितयमान तिशेषता ाईभरते खतरों और चुनौततयों से तनपटने के तिए ाऄनौपचाररक तनणयय
और तबना सोचे समझे की गयी प्रततकक्रयाएाँ हैं। सुरक्षा रणनीततयों को 'ाऄतग्न शमन' दृतिकोण की
बजाए 'ाऄतग्न रोधी' या ाऄग्रसकक्रय दृतिकोण के तिए तडजााआन ककया जाना चातहए।
 सेना के प्रत्यक्ष तनयांत्रण में रहते हुए सभी ाऄद्धय-सैन्य बिों को ाऄतस्थर सीमाओं के प्रबांधन की
तजममेदारी सपपकर पररचािन प्रभािशीिता में िृतद्ध करना।
10. सीमा प्रबांध न के तिए सामान्य सरकारी पहि
(General Government Initiatives for Border Management)

10.1. सीमा क्षे त्र तिकास कायय क्र म

(Border Area Development Programme)


सीमा प्रबांधन तिभाग, गृह मांत्रािय, सीमा प्रबांधन के व्यापक दृतिकोण के एक भाग के रूप में राज्य
सरकारों के माध्यम से सीमा क्षेत्र तिकास काययक्रम (BADP) िागू कर रहा है। ाआसका िक्ष्य ाऄांतरायष्ट्रीय
सीमा के तनकट तस्थत दूरस्थ और दुगयम क्षेत्रों में तनिास करने िािी जनसांख्या की तिकास सांबांधी तिशेष
ाअिश्यकताओं की पूर्थत करना है और कें द्रीय / राज्य / BADP / स्थानीय योजनाओं के ाऄतभसरण और
सहभातगता दृतिकोण के माध्यम से ाअिश्यक बुतनयादी ढाांचे के साथ सीमािती क्षेत्रों को पररपूणय करना
है। सीमा पर बसी जनसांख्या में सुरक्षा और कल्याण की भािना को बढ़ािा देना है।
 BADP ाऄांतरराष्ट्रीय सीमा के 0-10 ककिोमीटर के भीतर तस्थत सभी गाांिों को शातमि करता है।
 बुतनयादी ढाांचे, ाअजीतिका, तशक्षा, स्िास््य, कृ तष और सांबद्ध क्षेत्रों से सांबांतधत पररयोजनाओं के
तनष्पादन के तिए राज्यों को गैर-व्यपगत तिशेष कें द्रीय सहायता (MCA) के रूप में तनतध प्रदान
की जाती है।
o BADP में तितशि योजनाबद्ध सामातजक ाअर्थथक और बुतनयादी ढाांचा तिकास जैसे क्षेत्र
शातमि हैं: सड़क कनेतक्टतिटी, जि और तबजिी की ाअपूर्थत, स्िास््य और तशक्षा सतहत
सामातजक बुतनयादी ढाांचा, खेि गतततितधयााँ, कृ तष और सांबद्ध क्षेत्रक, कौशि तिकास
ाआत्याकद।

10.2. एकीकृ त चे क पोस्ट (ICP) का तिकास

(Development of Integrated Check Posts: ICPs)


सीमािती चौककयों (BOP) को देश की ाऄांतरराष्ट्रीय सीमा पर प्रिेश और तनकास लबदु तनर्क्रदि ककए
जाते हैं तजसके माध्यम से व्यतियों, िस्तुओं और यातायात का सीमा-पारीय ाअिागमन होता है। ाऄन्य

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बातों के साथ, BOP सीमा-पारीय ाऄपरातधयों, घुसपैरठयों और शत्रुतापूणय तत्िों को घुसपैठ /


ाऄततक्रमण और सीमा ाईल्िांघनों की गतततितधयों में शातमि होने से रोकने के तिए ाईपयुि बि प्रदान
करने के तिए है। प्रत्येक BOP को ाअिास, रसद समथयन और िड़ाकू कायों के तिए ाअिश्यक बुतनयादी
ढाांचा प्रदान ककया जाता है। यह व्यापार और िातणज्य की सुतिधा भी प्रदान करता है।
हमारी स्थिीय सीमाओं पर तस्थत ाआन लबदुओं पर सीमा शुल्क, ाऄप्रिासन और ाऄन्य तनयामक एजेंतसयों
के साथ ाईपिब्ध मौजूदा ाअधारभूत सांरचना को ाईन्नत करने की ाअिश्यकता है। गोदामों, पार्ककग
स्थिों, बैंकों, होटिों ाअकद जैसी सहायक सुतिधाओं की सांख्या में िृतद्ध की जरूरत है।
ICPs के तनमायण, प्रबांधन और रखरखाि की तनगरानी एिां तितनयमन के तिए 'िैंड पोट्सय ाऄथॉररटी
ऑफ ाआांतडया' (LPAI) नामक एक िैधातनक प्रातधकरण की स्थापना की गाइ है।
व्यतियों और िस्तुओं के सीमा-पारीय ाअिागमन को बेहतर प्रशासन और एकजुट प्रबांधन प्रदान करने
के ाईद्देश्य से LPAI को एक दुबयि, तनगरानी तनकाय के रूप में पररकतल्पत ककया गया है। ाआसे भारतीय
तिमानपत्तन प्रातधकरण जैसे तनकायों की तजय पर शतियों से सांपन्न ककया जाएगा।
11. तटीय सुर क्षा (Coastal Security)
भारत की तटरेखा नौ राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोिा, कनायटक, के रि, ततमिनाडु , ाअांध्र प्रदेश,
ओतडशा और पतिम बांगाि और चार कें द्र शातसत प्रदेशों दमन और दीि, िक्षद्वीप, पुडुचेरी और
ाऄांडमान और तनकोबार द्वीप समूह से होकर गुजरती है।
भारत की 7516 ककमी िांबी तट रेखा तितभन्न सुरक्षा लचताएाँ ाईत्पन्न करती है तजसमें तट पर ाऄिग-
ाऄिग स्थानों पर हतथयारों और तिस्फोटकों के ाईतरने, राष्ट्र-तिरोधी तत्िों की घुसपैठ / तनकासी,
ाअपरातधक गतततितधयों के तिए समुद्र और ाऄपतटीय द्वीपों का ाईपयोग, समुद्री मागों के माध्यम से
ाईपभोिा और मध्यिती िस्तुओं की तस्करी ाआत्याकद शातमि है। तट पर भौततक बाधाओं की
ाऄनुपतस्थतत और तट के तनकट महत्िपूणय औद्योतगक और रक्षा प्रततष्ठानों की ाईपतस्थतत भी सीमाओं की
ाऄसुरक्षा को ाऄिैध सीमा-पारीय गतततितधयों के तिए सुभेद्य बना देती है। देश में तटों की सुभेद्यता का
िाभ ाईठाने के कु छ ाईदाहरण तनम्न हैं:
 महाराष्ट्र में रायगढ़ तट के माध्यम से तिस्फोटकों की तस्करी और मुांबाइ में 1993 के सीररयि बम
धमाकों में ाईनका ाईपयोग, और
 दस पाककस्तानी ाअतांकिाकदयों के समुद्री मागय के माध्यम से घुसपैठ ने 26 निांबर 2008 को मुांबाइ
में काइ समतन्ित हमिे ककए,
 व्यापक रूप से, तटीय सुरक्षा को समुद्री सुरक्षा के एक ाईप-समूह के रूप में समझा जाता है। तजसमें
समुद्र से ाईत्पन्न ककसी भी खतरे या चुनौती के तिरुद्ध समुद्री दृतिकोणों की रक्षा करके देश के तटों
को सुरतक्षत करना शातमि है।

11.1. चु नौततयााँ (Challenges)

 भारत की तटीय स्थिाकृ ततक तितिधता की एक तिस्तृत रेंज जैसे कक क्रीक, छोटी खातड़यााँ, पि
जि (बैक िाटर), ररव्यूिेट्स, िैगून, ज्िारनदमुख, दिदि, मडफ्िैट्स, के साथ ही पहातड़यों,
चट्टानी बतहिायह, सैंडबार, समुद्र तट और छोटे द्वीप (ाअबाद और तनजयन) से ाअच्छाकदत है।
 राजनीततक रूप से ाऄतस्थर, ाअर्थथक रूप से ाऄधोमुख और ाऄतमत्रित देशों जैसे श्रीिांका, बाांग्िादेश,
पाककस्तान और खाड़ी देशों से भारत के तटों की भौततक तनकटता ाआसकी सुभेद्यता में िृतद्ध करता
है।
 ाऄतनतित समुद्री सीमाओं पर न के िि गांभीर सुरक्षा चुनौततयों का सामना ककया जाता है बतल्क
ाऄपतटीय तिकास में बाधा भी ाईत्पन्न होती है जैसे कक पाककस्तान (सर क्रीक) और बाांग्िादेश के
साथ भारत की समुद्री सीमाओं पर ाआन देशों द्वारा ाऄततव्यापी दािों के कारण सीमाांककत नहीं ककया
गया है।

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11.2. समु द्री सु र क्षा और खतरे (Maritime Security & Threats)

भारत को समुद्र से ाईत्पन्न होने िािे काइ खतरों और चुनौततयों का सामना करना पड़ता है और जो
मुख्य रूप से प्रकृ तत में ाईप-परांपरागत हैं। ाआन खतरों और चुनौततयों को पाांच व्यापक श्रेतणयों के तहत
िगीकृ त ककया जा सकता है:

1. समुद्री ाअतांकिाद (Maritime terrorism): ाआसे समुद्री पयायिरण के भीतर, समुद्र या बांदरगाह पर
जहाजों से या ाआसके तिरुद्ध या तनतित प्िेटफॉमय का ाईपयोग कर, या ाआसके ककसी भी यात्री या
कर्थमयों के तखिाफ, पययटक ररसॉट्सय, बांदरगाह क्षेत्रों और बांदरगाहों या शहरों सतहत तटीय
सुतिधाओं या बतस्तयों के तखिाफ ाअतांकिादी कृ त्यों और गतततितधयों के रूप में पररभातषत ककया
जाता है।
2. समुद्री डकै ती या सशस्त्र डकै ती (Piracy and armed robbery): पररभाषा के ाऄनुसार समुद्री
डकै ती की घटना ाईच्च समुद्रों में घरटत होती है, ाआसतिए, यह तटीय सुरक्षा के दायरे में नहीं ाअती
है। हािाांकक, भारत के मामिे में, सुांदरबन का ाईथिा जि ाऄपराधी तगरोहों द्वारा समुद्री डकै ती के

समान 'लहसा और ाऄिरोध' का साक्षी है।


3. तस्करी एिां गैर-क़ानूनी व्यापार (Smuggling and trafficking): भारतीय तट तस्करी और गैर-
क़ानूनी व्यापार के तिए ाऄततसांिेदनशीि है। समुद्र के माध्यम से िांबे समय से सोना, ाआिेक्रॉतनक

सामान, नशीिे पदाथय और हतथयारों की तस्करी की जाती रही है।


4. घुसपैठ, ाऄिैध प्रिासन और शरणाथी ाऄांताः प्रिाह (Infiltration, illegal migration and

refugee influx) : ाअतांकिाकदयों / िड़ाकों और बड़े पैमाने पर ाऄिैध प्रिासन के माध्यम से


घुसपैठ के तिए भारत की स्थि सीमाएां हमेशा से तछकद्रि रही हैं। ाआन बड़े पैमाने पर ाऄांताः प्रिाह के
कारण दशकों से सीमािती राज्यों में व्यापक राजनीततक ाईथि-पुथि हुाइ है। घुसपैठ और बड़े
पैमाने पर ाऄिैध प्रिासन को रोकने के तिए, भारत सरकार ने व्यापक सुरक्षा ाईपायों को िागू

ककया है, तजसमें सीमाओं पर सख्त तनगरानी, बाड़ का तनमायण और ाऄप्रिातसयों की समग्र जाांच
शातमि है। भूतम पर तिस्तृत सुरक्षा व्यिस्था के कारण ाअतांकिादी और ाऄिैध प्रिासी समुद्र के
माध्यम से प्रिेश कर रहे हैं जहाां सुरक्षा ाईपाय तुिनात्मक रूप से कमजोर होते हैं, जो ाईन्हें

सापेतक्षक रूप से ाअसानी से 'स्थान पररितयन, तछपने और हमिा' करने में सक्षम बनाता है।

5. समुद्री सीमा से परे मछु ाअरों का रास्ता भटकना (The straying of fishermen beyond the
maritime boundary): पड़ोसी देश के जिीय क्षेत्र में मछु ाअरों के तनरांतर भटकने से न के िि
मछु ाअरों की सुरक्षा को खतरा ाईत्पन्न होता है बतल्क राष्ट्रीय सुरक्षा लचताओं को भी बढािा तमिता
है। (जैसा कक भारत-श्रीिांका में चचाय की गयी है)

11.3. तटीय सु र क्षा तां त्र (The Coastal Security Architecture)

समुद्री मागय से होने िािी तस्करी भारत की तटीय सुरक्षा से सांबांतधत प्रारांतभक चुनौततयों में से एक थी।
समुद्री कानून प्रितयन एजेंतसयों के समक्ष ाअने िािी ाऄक्षमताओं तथा समुद्री तस्करी के बढ़ते ग्राफ को
देखते हुए भारत सरकार ने कु छ िषों के समयाांतराि पर दो तिशेष बािों का गठन ककया- समुद्री सीमा
शुल्क सांगठन (Customs Marine Organisation) तथा भारतीय तट रक्षक (Indian Coast
Guard:ICG)।

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11.3.1. समु द्री सीमा शु ल्क सां ग ठन

(The Customs Marine Organisation: CMO)


नाग चौधरी सतमतत की तसफाररशों के पिात CMO का गठन ककया गया। ाआस सतमतत का ाईद्देश्य
तस्करी रोधी काययिातहयों के तिए ाअिश्यक ाआितम साधनों के साथ-साथ समुद्री तस्करी को रोकने के
तरीकों की ाऄनुशांसा करना था। 1977 में भारतीय तट रक्षक के गठन के पिात CMO का ाआसमें तििय
कर कदया गया।

11.3.2. भारतीय तट रक्षक (ICG)

ICG की स्थापना 1 फरिरी 1977 को रक्षा मांत्रािय (MoD) के ाऄधीन नौसेना मुख्यािय में हुाइ थी।
18 ाऄगस्त, 1978 को, तट रक्षक ाऄतधतनयम के ाऄतधतनयमन के साथ ही यह सांगठन औपचाररक रूप से
भारत की चौथी सशस्त्र सेना के रूप में ाऄतस्तत्ि में ाअया। ाऄतधतनयम के ाऄनुसार, एक सशस्त्र बि के
रूप में ICG भारत के समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा सुतनतित करेगा और ाआस तरह के क्षेत्रों में भारत के समुद्री
और राष्ट्रीय तहतों की रक्षा करेगा।

11.3.3. समु द्री पु तिस बि (The Marine Police Force)

2005 में शुरू की गयी तटीय सुरक्षा योजना (Coastal Security Scheme: CSS) के तहत समुद्री
पुतिस बि का गठन ककया गया। CSS का ाईद्देश्य गश्त के तिए बुतनयादी ढाांचे को मजबूत करना और
तटीय क्षेत्रों तिशेष रूप से तट के तनकट ाईथिे क्षेत्रों की तनगरानी करना था।
समुद्री पुतिस बि को 'हब-एांड-स्पोक' ाऄिधारणा के तहत ICG के साथ तमिकर काम करना था,
तजसमें 'हब' ICG स्टेशन और 'स्पोक' तटीय पुतिस स्टेशन हैं। समुद्री पुतिस को तनर्क्रदि ाऄतधतनयमों के
ाऄनुसार क्षेत्रीय जि (समुद्र में 12 नॉरटकि मीि) में गश्त िगाने और ाईनके ाईत्तरदातयत्ि िािे क्षेत्रों से
सांबांतधत कानूनी मामिों का ाऄनुसरण करने का ाऄतधदेश प्रदान ककया गया था।

11.3.4. ितय मान तटीय सु र क्षा प्रणािी

(Present Coastal Security System)


ितयमान में देश की सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा के तिए भारतीय नौसेना, तट रक्षक और तटीय राज्यों और
कें द्र शातसत प्रदेशों की समुद्री पुतिस की सहभातगता िािी एक बहु-स्तरीय व्यिस्था है।
 तिशेष ाअर्थथक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone: EEZ) की सीमाओं तक ाईच्च सागर पर
नौसेना और तट रक्षक द्वारा तनगरानी की जाती है।
 क्षेत्रीय जि में, तट रक्षक भारतीय तहतों की सुरक्षा पोतों और हिााइ तनगरानी के माध्यम से
सुरतक्षत करते हैं।
 तट के तनकट समुद्री गश्त राज्य समुद्री पुतिस द्वारा ककया जाता है।
राज्य का ाऄतधकार क्षेत्र ाईथिे क्षेत्रीय जि में 12 नॉरटकि मीि तक तिस्तृत है।

11.4. तटीय सु र क्षा तां त्र में ाईठाए गए कदम

(Initiatives in Coastal Security Architecture)


यह ाऄिधारणा कक तटीय सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक ाअिश्यक घटक नहीं है, ाऄांतताः 26 निांबर,
2008 को मुांबाइ में 26/11 के ाअतांकिादी हमिे की घटना के बाद बदि गाइ।

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2008 से, सभी समुद्री सुरक्षा एजेंतसयों द्वारा तकनीकी, सांगठनात्मक और प्रकक्रयात्मक पहिों के सफि
कायायन्ियन के द्वारा तटीय एिां समुद्री सुरक्षा को काफी हद तक मजबूत ककया गया है। ाऄिरोधों की
पहचान करके , सतत प्रकक्रया द्वारा ाईनका समाधान ककया जा रहा है। ाआस सांबांध में भारतीय नौसेना
ाऄग्रणी एजेंसी रही है और ाआस कायय में भारतीय तट रक्षक, समुद्री पुतिस और ाऄन्य कें द्रीय और राज्य
एजेंतसयों द्वारा ाआसकी सहायता की जाती है। ाआस कदशा में ाईठाए गए कदम तनम्नतितखत हैं:
 तटीय राज्यों / कें द्रशातसत प्रदेशों में समुद्री पुतिस बि के सुरक्षा बुतनयादी ढाांचे को मजबूत करने
के तिए तटीय सुरक्षा योजना (CSS) िागू की जा रही है। CSS सभी तटीय क्षेत्रों में तटीय
पुतिस स्टेशनों, तटीय जाांच चौककयों, नौकाओं, पोतों, चार-पतहया और दोपतहया िाहनों की
तैनाती के माध्यम से तटीय क्षेत्रों के गश्त को मजबूत करने का प्रयास करता है। ाआसका ाईद्देश्य
स्ित: पहचान प्रणािी (Automatic Identification System: AIS) ररसीिरों और तटीय रडार
ओिरिैलपग की एक श्रृांखिा के माध्यम से समपूणय तट पर ाऄांतराि रतहत तनगरानी को मजबूत
करना है।
 समन्िय- शीषय स्तर पर कै तबनेट सतचि की ाऄध्यक्षता में राष्रीय समुद्री और तटीय सुरक्षा सतमतत
(National Committee for Strengthening Maritime and Coastal
Security:NCSMCS), समुद्री और तटीय सुरक्षा से सांबांतधत सभी मामिों का समन्िय करती है।
के िि तटीय राज्यों में नौसेना द्वारा ाअयोतजत तनयतमत "ाऄभ्यास" के कारण िगभग 15 राष्ट्रीय
और राज्य एजेंतसयों के बीच ाऄांतर-एजेंसी समन्िय में नाटकीय रूप से सुधार हुाअ है।
 सांयि
ु सांचािन कें द्र (Joint Operations Centres:JOCs) - नौसेना द्वारा मुांबाइ,
तिशाखापत्तनम, कोतच्च और पोटय ब्िेयर में स्थातपत तटीय सुरक्षा के तिए कमाांड और कां रोि हब
पूरी तरह से पररचातित हैं। ाआन JOCs का पररचािन 24×7 ककया जाता है और ाआसके कर्थमयों
की तनयुति भारतीय नौसेना, भारतीय तट रक्षक और समुद्री पुतिस द्वारा सांयुि रूप से की जाती
है।
 तनरांतर तनगरानी (Continuous surveillance)- नौसेना, तटरक्षक और समुद्री पुतिस द्वारा की
जाने िािी तटीय गश्त में तपछिे कु छ िषों में तेजी ाअयी है। ककसी भी समय, सांपूणय पतिमी तट
नौसेना और तट रक्षक पोतों और तिमानों की तनरांतर तनगरानी में रहता है।
 ाअधुतनक तकनीकी ाईपाय (Modern technical measures)- समपूणय तटीय क्षेत्र में 74
स्िचातित पहचान प्रणािी (AIS) ररसीिर की एक श्रृांखिा और ाआसके पूरक के रूप में ओिरिैप
करने िािे 46 तटीय रडारों की एक श्रृांखिा स्थातपत है। कु छ स्थानों पर िघु ाऄांतरािों को भरने के
तिए तटीय रडार का दूसरा चरण भी िागू ककया जा रहा है।
 नेशनि कमाांड कां रोि कमयुतनके शन एांड ाआांटेतिजेंस नेटिकय (National Command Control
Communication and Intelligence Network: NC3I) - समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने के
तिए NC3I। यह एक ाऄतत-महत्िपूणय तटीय सुरक्षा नेटिकय है जो AIS और रडार श्रृांखिा समेत
काइ तकनीकी स्रोतों से , हमारे तट के पास चि रहे सभी जहाजों, ढो (dhows), मत्स्यन नौकाओं
और ाऄन्य जहाजों के बारे में डेटा एकत्र करता है। ाआन ाआनपुटों को गुड़गाांि में सूचना प्रबांधन और
तिश्लेषण कें द्र (Information Management and Analysis Centre: IMAC) में एकतत्रत और
तिश्लेतषत ककया जाता है, जो भारत के समपूणय तट पर फै िे नौसेना और तट रक्षक के सभी 51 कें द्रों
को यह कां पााआि कॉमन ऑपरेरटग तपक्चर फॉर कोस्टि तसक्योररटी प्रसाररत करता है।
 मछु ाअरों का सहयोग (Fishermen cooperation)- एक ही कें द्रीकृ त डेटाबेस के साथ सभी
मछु ाअरों को ाअाइडी काडय जारी करना, पोतों की पहचान और रैककग की सुतिधा के तिए भारतीय

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तट पर चिने िािे 2 िाख से ाऄतधक मछिी पकड़ने िािे पोतों का पांजीकरण और मछिी पकड़ने
िािी नौकाओं को ाईतचत ाईपकरणों से िैस करने जैसे कु छ ाऄन्य कदम ाईठाए गए हैं। ाईनका
सहयोग भारत की समुद्री सुरक्षा के तिए ाऄतनिायय है।
 प्रतशक्षण (Training)- नौसेना और तट रक्षक ने सभी तटीय राज्यों में समुद्री पुतिस को ाअितधक
समुद्री प्रतशक्षण भी प्रदान ककया है। स्थायी पुतिस प्रतशक्षण सुतिधा के तिए, ततमिनाडु और
गुजरात में समुद्री पुतिस प्रतशक्षण सांस्थानों को सरकार द्वारा ाऄनुमोकदत ककया गया है।
 ाऄपने नौसेना ाऄड्डों और सांिग्न सुभेद्य क्षेत्रों तथा सुभेद्य लबदुओं की रक्षा के तिए भारतीय नौसेना
को सागर प्रहरी बि नामक एक तिशेषज्ञता प्राप्त बि की ाअिश्यकता है। ाआस बि के पूणय गठन के
पिात, ाआसमें नौसेना कें द्रों और ाऄन्य रणनीततक प्रततष्ठानों के ाअस-पास के क्षेत्रों की तनगरानी
करने हेतु 80 ाआांटरसेप्टर नौकाओं से सुसतित 1000 नौसेना कर्थमयों को शातमि ककया जाएगा।
 1993 के मुांबाइ सीररयि बम तिस्फोटों के पिात् - मछु ाअरा समुदाय की सहायता से तनर्थमत
ाऄनौपचाररक तनगरानी स्तर - को सभी तटीय राज्यों में भी तनर्थमत और सकक्रय ककया गया है।
तनगरानी और खुकफया सूचनाओं को एकत्र करने में ाईनकी भूतमका के ाअधार पर मछु ाअरा
समुदायों को तटीय सुरक्षा के 'कान और ाअांख' के रूप में तनर्क्रदि ककया जाता है। सागर सुरक्षा दि
के नाम से जाने जाने िािे मछु ाअरों के ये समूह 49 प्रतशतक्षत स्ियांसेिकों की सहायता से तनर्थमत
हैं। ये समुद्र और तटीय जि की तनगरानी करते हैं।
 समपूणय तटरेखा की ाऄांतराि रतहत तनगरानी करने और ाऄज्ञात पोतों की घुसपैठ रोकने के तिए
कोस्टि सर्थििाांस नेटिकय प्रोजेक्ट के तहत ाआिेक्रॉतनक तनगरानी। ाआस नेटिकय में तटीय रडार
श्रृांखिा (Coastal Radar Chain), स्िचातित पहचान प्रणािी (AIS), और VTMS शातमि हैं।
 बांदरगाह रक्षा और तनगरानी प्रणािी (Harbour Defense And Surveillance System) -
भारतीय नौसेना ने मुांबाइ और तिशाखापत्तनम नौसेना बांदरगाह पर ाआांटीग्रेटेड ाऄांडरिाटर हाबयर
तडफें स एांड सर्थििाांस (IUHDSS) स्थातपत ककया है। ाआसे ELTA नामक ाआज़रााआिी एयरोस्पेस
ाईद्योग द्वारा तडजााआन ककया गया है तथा ाआसमें तटीय तनगरानी रडार, हााइ पािर ाऄांडरिाटर सेंसर
और डााआिर तडटेक्शन सोनार शातमि हैं। यह बन्दरगाह सुरक्षा के तिए सभी प्रकार के सतही और
ाईप-सतही खतरों का पता िगाने, ाईन्हें पहचानने, ाईनकी रैककग करने और चेतािनी जारी करने में
सक्षम है। यह एकीकृ त प्रणािी (कोतच्च और तिशाखापत्तनम में पहिे से स्थातपत है) तनगरानी और
तिश्लेषण के तिए व्यापक ररयि टााआम ाआमेज (comprehensive real-time images) प्रदान कर
मुांबाइ के नौसेना डॉकयाडय की सुरक्षा को बढ़ाएगी।

11.5. ाअगे की राह (Way forward)

एक तटीय राष्ट्र होने के नाते, भारत ाऄपने तटों और ाअस-पास के सागरों में होने िािी समुद्री
गतततितधयों को काफी समय से देखता रहा है। हािाांकक, कीमती धातुओं और िस्तुओं की तस्करी,
हतथयार और नशीिी दिाओं की तस्करी और ाअतांकिाकदयों की घुसपैठ जैसी गतततितधयों ने देश की
ाऄथयव्यिस्था के साथ-साथ ाआसकी सुरक्षा पर भी प्रततकू ि प्रभाि डािा है।
 ICG को तटीय सुरक्षा के तिए तजममेदार एकि प्रातधकरण के रूप में नातमत ककया जाना चातहए।
तदनुसार, ICG के चाटयर को तितधित सांशोतधत ककया जाना चातहए और बि को मजबूत तथा
प्रतशतक्षत ककया जाना चातहए। भारतीय नौसेना को तटीय सुरक्षा तजममेदाररयों से दूर ककया जाना
चातहए और युद्ध के दौरान देश की रक्षा करने और ाआसकी ब्िू िॉटर क्षमताओं (गहन समुद्री
गतततितधयों) के तिकास पर ध्यान कें कद्रत करने की ाऄनुमतत दी जानी चातहए।
 ICG को सीमा सुरक्षा बि के रूप में माना जाना चातहए और गृह मांत्रािय (MHA) के तहत िाया
जाना चातहए। यह ICG को एक स्ितांत्र ाआकााइ के रूप में तिकतसत होने के तिए प्रशासतनक
एकजुटता और राजस्ि प्रिाह सुतनतित करेगा।

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 MHA को ाआसके ाऄगिे चरण के रूप में समुद्री पुतिस को प्रतशक्षण प्रदान करने के मुद्दे पर ध्यान
देना चातहए। ाआसे देश में तिशेष समुद्री प्रतशक्षण सांस्थान स्थातपत करना चातहए, जो जहाजरानी ,
समुद्री-पुतिलसग, समुद्री-नेतिगेशन के साथ-साथ समुद्री ाऄपराधों से सांबांतधत कानूनों और
तितनयमों पर एक व्यापक एिां एक-समान पाठ्यक्रम ाईपिब्ध कराए।
12. तनष्कषय (Conclusion)
सीमाओं का ाईतचत प्रबांधन, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के तिए ाऄत्यतधक महत्िपूणय है, काइ चुनौततयों को प्रस्तुत
करता है और सीमाओं की सुरक्षा और ाआसके सिोच्च तहतों की पूर्थत के तिए देश की प्रशासतनक,
राजनतयक, सुरक्षा, खुकफया, तितधक, तनयामकीय और ाअर्थथक एजेंतसयों द्वारा समन्िय और समेककत
कारयिााइ की माांग करता है।
काइ तिकतसत देशों की तजय पर, भारत को भी एक सहभागी और बहुराष्ट्रीय एकीकृ त सीमा प्रबांधन
प्रणािी ाऄपनाने की ाअिश्यकता है। तनम्नतितखत जन-ाईन्मुख ाईपायों (शेयरधारकों की भागीदारी) को
ाऄपनाया जाना चातहए-
 तितभन्न सांस्कृ ततयों के प्रतत सांिद
े नशीि सामुदातयक प्रततभागी सीमा प्रबांधन। ाआसके तिए सीमा पर
तस्थत ाअबादी में ाऄिगाि की भािना को रोकने की ाअिश्यकता होगी। सामुदातयक पुतिस और
ग्राम रक्षा तथा तिकास सतमततयााँ भी सुरतक्षत सीमाओं को प्राप्त करने में महत्िपूणय मागय प्रशस्त
करेंगी।
 सीमा रक्षक बिों (Border Guarding Forces:BGF) द्वारा सामुदातयक तिकास। ाआससे िोगों
की सद्भािना प्राप्त करने में मदद तमिेगी।
 िोगों के िाभ के तिए पड़ोसी देशों के साथ सीमा व्यापार में िृतद्ध। समृद्ध सीमा व्यापार सीमाओं
पर दीघयकािीन शाांतत को बढ़ािा देगा।
 स्थानीय स्तर पर रोजगार के ाऄिसर: यह ड्रग या हतथयारों की तस्करी जैसी ाऄिैध गतततितधयों
की तरफ ाअकषयण को रोके गा।
भारत-पाककस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा को मजबूत करने हेतु मधुकर गुप्ता सतमतत की तसफाररशों पर
भी तिचार ककया जाना चातहए। यह "रैतखक सुरक्षा" को "तग्रड सीमा सुरक्षा" द्वारा प्रततस्थातपत करने,
खुकफया सूचनाओं में स्थानीय पुतिस और BGF के मध्य बेहतर समन्िय जैसे ाईपायों का सुझाि देती है।
सीमा प्रबांधन में सहायता करने िािे ग्राम स्ियांसेिी बि (VVF) की ाऄिधारणा सराहनीय है और ाऄब
तक ाआसने ाईन क्षेत्रों में ाऄच्छी सफिता दर के साथ कायय ककया है जहाां ाआसे ाअजमाने का प्रयास ककया
गया। भारत को ाआसे और ाऄतधक प्रोत्साहन प्रदान करना चातहए।

13. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पूछे
गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. भारत में समुद्री सुरक्षा की समस्याओं और ाआससे तनपटने के तिए बहु-स्तरीय समुद्री सुरक्षा
सांरचना की काययप्रणािी की चचाय कीतजए।
दृतिकोण:
यह एक सीधा प्रश्न था। भारत में समुद्री सुरक्षा से सांबांतधत मुद्दों, खतरों एिां चुनौततयों तथा
समुद्री सुरक्षा की तत्र-स्तरीय सांरचना पर चचाय कीतजए।
ाईत्तर:
भारत की समुद्री सुरक्षा की ाऄिधारणा "समुद्र का ाईपयोग करने की स्ितांत्रता" से ाईत्पन्न होती
है। समुद्री सुरक्षा से समबांतधत मुद्दे जरटि हैं जबकक ाआसके खतरे और चुनौततयाां तिशाि एिां
तितिध हैं।

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 भारत को 7516 ककमी की िांबी तटरेखा; ाआसके दोनों ओर के द्वीपों; तटीय क्षेत्रों में
राज्यों और महानगरों; और ाऄपने बड़े और छोटे बांदरगाहों की रक्षा करनी है।
 भू-राजनीतत: लहद महासागर क्षेत्र में 56 राष्ट्र हैं और तिश्व की िगभग एक ततहााइ
जनसांख्या ाआस क्षेत्र में तनिास करती है। तितभन्न राज्यों की ाऄथयव्यिस्थाओं और गिनस में
ाऄांतर के कारण क्षेत्र ाऄसांतुिन ाईत्पन्न हुाअ है तजसके पररणामस्िरूप तितभन्न सांघषय और
परमाणु मुद्दों का प्रसार हुाअ है। ाआस प्रकार भारत को ाऄपने राष्ट्रीय तहतों और तशलपग की
सुरक्षा को सुतनतित करने के तिए ाआस क्षेत्र में ाऄपनी ाईपतस्थतत को सुदढ़ ृ करना ाऄतनिायय
है।
 ाउजाय, व्यापार और िातणज्य: लहद महासागर क्षेत्र में तिस्तृत तेि और गैस भण्डार
िैतश्वक ाऄथयव्यिस्था के तिए बहुत महत्िपूणय है। िगभग 55 प्रततशत ज्ञात तेि भांडार
और 40 प्रततशत गैस भांडार लहद महासागर क्षेत्र में तिद्यमान हैं। यह रणनीततक कच्चे
माि के 65% भण्डार के तिए भी ाईत्तरदायी है। लहद महासागर में तस्थत बांदरगाह
िैतश्वक व्यापार के िगभग 30 प्रततशत को सांचातित करते हैं और तिश्व के कां टेनर
यातायात का ाअधा भाग ाआस महासागर से होकर गुजरता है। लहद महासागर में तिश्व के
कु छ सबसे महत्िपूणय चोक पॉाआांट ाऄितस्थत हैं, तिशेष रूप से स्रेट ऑफ़ होरमुज़, मििा
और बाब ाऄि-मन्देब हैं। चूांकक ये चोक पॉाआांट िैतश्वक व्यापार और ाउजाय प्रिाह के तिए
रणनीततक रूप से महत्िपूणय हैं, ाआसतिए तितभन्न बाह्य-क्षेत्रीय राष्ट्र लहद महासागर में
ाऄपनी नौसेना की ाईपतस्थतत को बनाए रखते हैं।
 सांचार: सांचार की समुद्री िााआनों (SLOCs) की सुरक्षा, एतशया, यूरोप और सांयुि राज्य
ाऄमेररका के मध्य िॉडबैंड सांचार कनेक्शन की सुरक्षा सुतनतित करने के महत्ि को बढ़ाने
के सदृश है जो कक लहद महासागर के ाअर-पार ाऄांडर सी के बल्स से जुड़े हुए हैं।
 समुद्री डकै ती और ाअतांकिाद: लहद महासागर में समुद्री डकै ती एक प्रमुख चुनौती है,
ाआसके ाऄांतगयत कफरौती के तिए ाऄपहरण, िूट और ाअपरातधक लहसा की गतततितधयााँ
शातमि हैं। हॉनय ऑफ ाऄफ्रीका के ाअस-पास समुद्री डकै ती खतरनाक रूप से बढ़ गाइ है।
यह न के िि िातणज्य के तिए खतरा है बतल्क शाांतत और क्षेत्रीय तस्थरता, ाऄांतरायष्ट्रीय
व्यापार और ाउजाय प्रिाह के तिए भी खतरा है। िैतश्वक ाअतांकिाद, समुद्री डकै ती और
ाऄांतरायष्ट्रीय ाऄपराध का एक साथ तमि जाना एक स्िाभातिक खतरा है। मुब ां ाइ हमिा
समुद्री ाअतांकिाद का एक प्रमुख ाईदाहरण है तजसने भारत की सुरक्षा को गांभीर रूप से
प्रभातित ककया था।
 हतथयारों की तस्करी, मानि और नशीिी दिाओं का दुव्यायपर भी ऐसे मुद्दे हैं जो समुद्री
सुरक्षा पररिेश को प्रभातित करते हैं।
 गैर-परांपरागत खतरे: मत्स्यन और ाअजीतिका सुरक्षा, पयायिरणीय सुरक्षा, खोज और
बचाि, समुद्री प्रदूषण।

26/11 के बाद, तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा को सुदढ़ृ करने के तिए सरकार द्वारा तितभन्न पहिें की
गाइ हैं। नए तटीय सुरक्षा तांत्र में तितभन्न राज्य और कें द्रीय एजेंतसयों सतहत सभी समुद्री
तहतधारकों का एकीकरण, सबसे महत्िपूणय ाईपितब्धयों में से एक है। ाआस प्रकार, एक बहु-
स्तरीय सुरक्षा तांत्र स्थातपत ककया गया है।

 क्षेत्रीय समुद्र में तट से तीन समुद्री मीि (नॉरटकि मीि) तक का जि क्षेत्र मैरीन पुतिस,
तट रक्षक और सीमा शुल्क तिभाग के सामूतहक प्रभार के ाऄधीन ाअता है।
 ाऄनन्य ाअर्थथक क्षेत्र (EEZ) की देखभाि पूणय रूप से तट रक्षक के द्वारा की जाती है।

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 नौसेना खुिे समुद्रों की तनगरानी और गश्त के तिए ाईत्तरदायी है। ाआसके ाऄततररि,
नौसेना समग्र समुद्री सुरक्षा के तिए भी ाईत्तरदायी है। नौसेना ने समुद्री सांपतत्तयों की
रक्षा के तिए मुांबाइ, तिशाखापत्तनम, कोतच्च और पोटय ब्िेयर में चार सांयुि ऑपरेशन
सेंटर और एक तितशि 'सागर प्रहरी बि' भी स्थातपत ककया है।

2. ाऄिैध प्रव्रजन भारत के तिए सरददय के रूप में ाईभर रहा है और पूिोत्तर की जनसाांतख्यकीय
सांरचना के तिए खतरा है। यह न के िि राज्य के सांसाधनों पर एक बोझ है, बतल्क ाऄांतरायष्ट्रीय
स्तर पर प्रायोतजत ाअतांकिाद के तिए एक प्रजनन भूतम भी है। रटप्पणी कीतजए।
दृतिकोण :
ाआस प्रश्न के ाऄांतगयत कु छ महत्िपूणय मुद्दों पर फोकस करना ाअिश्यक है: ाऄिैध प्रव्रजन का
पूिोत्तर भारत की जनसाांतख्यकीय सांरचना में बदिाि के साथ समबन्ध, राज्य के सांसाधनों पर
ाआसका प्रभाि तथा ाआसके पररणामस्िरूप स्थानीय तनिातसयों के बीच ाऄसांतोष का ाईत्पन्न
होना और ाआसका ाअतांकिाद के ाअधार के रूप में कायय करना। ाऄभ्यर्थथयों को ाआनमें से प्रत्येक
थीम पर तिश्लेषणात्मक तरीके तिस्तृत चचाय करनी चातहए।
ाईत्तर :

हािाांकक भारत में ाआसके पूिी तथा पतिमी सीमाओं से ाऄिैध प्रव्रजन िां बे समय से जारी है,
यह भारत के तिए और ाऄतधक समस्या बनता जा रहा है, क्योंकक जैसे-जैसे हम तिकतसत होते
जाते हैं हम ाऄपने गरीब नागररकों को तनधयनता से बाहर तनकािना चाहते हैं। ककन्तु, ाऄिैध
प्रव्रजन, तिशेष रूप से पूिोत्तर में, ने सामातजक-राजनीततक तनाि ाईत्पन्न ककया है जो छात्र
ाअन्दोिनों, ाऄिगाििाद, नस्िीय सांघषय, दांगों ाआत्याकद के रूप में प्रकट होते रहते हैं।
पररणामस्िरूप, हमें ाऄपने ध्यान और सांसाधनों को तिकास से हटा कर कानून -व्यिस्था की
ओर मोड़ना पड़ता है।

दशकों से तछकद्रि सीमाओं के कारण ाऄिैध प्रव्रजन ने पूिोत्तर भारत की जनसाांतख्यकीय


सांरचना में व्यापक बदिाि ककए हैं। ाआससे पूिोत्तर के िोगों में ाऄसुरक्षा की भािना ाईत्पन्न हुाइ
है और ाईन्हें ाआस बात का भय है कक ाईनकी पहचान को खतरा हो सकता है तथा िे
ाऄल्पसांख्यक बन कर रह जाएांगे।

प्रव्रजन से राज्य के सांसाधनों पर ाऄत्यतधक बोझ भी पड़ा है। ाऄपयायप्त सांसाधनों िािे देश में
कल्याण सांबांधी िाभों, जैसे- खाद्य पदाथय, ईंधन सतब्सडी, मुफ्त तशक्षा, स्िास््य ाआत्याकद को
िोगों की बढ़ती हुाइ सांख्या के साथ साझा करना पड़ सकता है। ाआससे दबाि बढ़ता है तथा
भूतम, रोजगार ाआत्याकद जैसे तितिध ाअर्थथक सांसाधनों और ाऄिसरों के तिए प्रततस्पधाय की
तस्थतत ाईत्पन्न होती है।
ाईपयुयि कारक सामातजक-राजनीततक तनाि ाईत्पन्न करते हैं तथा ाऄसांतोष का भी कारण
बनते हैं तजसका िाभ समाज-तिरोधी तत्िों द्वारा ाईठाया जा सकता है। ाआसके ाऄिािा,
ाअतांकी प्रिातसयों के रूप में देश में घुस कर हमिों को ाऄांजाम दे सकते हैं।

समाधान

 बाांग्िादेश के साथ भूतम सीमा समझौते (LBA) को ाऄांततम रूप देना।


 बाांग्िादेश और मयाांमार दोनों के साथ सीमाओं को बन्द करना।
 के न्द्र एिां सीमािती राज्यों तथा तितभन्न सुरक्षा/खुकफया एजेंतसयों द्वारा ाअतांकिाकदयों के
तिरुद्ध समतन्ित काययिाही की जानी चातहए।

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3. ाऄप्रबांतधत सीमा गैर-परमपरागत स्रोतों से ाईत्पन्न होने िािे खतरों में िृतद्ध कर देती है, क्योंकक
यह प्रिेश तथा तनगयमन के तिए सरि मागय ाईपिब्ध कराती है। भारत के पूिोत्तर राज्यों से
िगने िािी ाऄांतरायष्ट्रीय सीमा के सदभय में चचाय करें।
दृतिकोण:
 ाईत्तर-पूिी क्षेत्र की गैर-परमपरागत खतरों के प्रतत सुभेद्यता के सांबांध में ाऄत्यतधक सांक्षेप में
बतााआए।
 दूसरे भाग में ाईत्तर-पूिी क्षेत्र में सीमा प्रबांधन पर तिस्तारपूियक चचाय कीतजए।
ाईत्तर:
भारत का ाईत्तर-पूिी क्षेत्र तनमनतितखत कारणों से सुभेद्य है-
 तितशष्ट भू-रणनीततक ाऄितस्थतत,
 क्षेत्र में तनिास करने िािे तिरोधी तत्ि, और
 पड़ोसी देशों के साथ तछकद्रि सीमाएाँ।
िन, नकदयों और पियतों के करठन भू -भाग से गुजरने िािी ाआन सीमाओं की तछकद्रि प्रकृ तत
ाआनकी सुरक्षा को ाऄतधक चुनौतीपूणय बना देती है।
ाईत्तर-पूिी सीमाएाँ, पड़ोसी देशों के साथ हमारे ाईतार-चढ़ाि भरे सांबांधों के कारण तितभन्न
प्रकार की चुनौततयाां प्रस्तुत करती हैं। तनरांतर ाऄांतरसांबांतधत होते तिश्ि में गैर-परमपरागत
स्रोत ाऄतधक खतरा प्रस्तुत करते हैं। ये खतरें है:
 ाईग्रिाद: पूिोत्तर राज्यों के ाऄतधकाांश भाग में ाईग्रिादी गुटों की ाईपतस्थतत और सीमा
पार ाअक्रमण करके बच तनकिने की ाईनकी क्षमता देश की ाअन्तररक तस्थतत और पड़ोसी
देशों के बीच सांबध, दोनों के तिए हातनकारक है।
 नशीिी दिाओं का ाऄिैध व्यापार: 'स्िर्थणम तत्रकोण' (दतक्षण-पूिय एतशया में मादक द्रव्यों
की ाअश्रय स्थिी) से तनकटता के कारण, पूिोत्तर के राज्यों में मादक द्रव्यों के सेिन और
नशीिी दिाओं की तस्करी की घटनाएां तनरांतर बढ़ रही हैं।
 तस्करी: यद्यतप मानि तस्करी, पशु तस्करी और जािी मुद्रा भारत-बाांग्िादेश सीमा पर
मुख्य खतरे हैं, तथातप ाऄिैध हतथयार और नशीिे पदाथय भारत-मयाांमार की तछकद्रि
सीमा से पार जाने िािे ऐसे घटक हैं जो पूरे क्षेत्र को ाऄतस्थर बनाते हैं।
 ाऄिैध प्रिास और मानि तस्करी: ाऄनुतचत ढांग से प्रबांतधत सीमाएाँ पड़ोसी देशों से हुए
तनबायध प्रिासन के तिए ाईत्तरदायी रही हैं और ाआससे क्षेत्र की जनसाांतख्यकी गांभीर रूप से
प्रभातित हुाइ है। ाआसके ाऄततररक्त, सीमा पार से मानि तस्करी के मामिे भी पाए गए हैं।
भारत सरकार ने ाऄिैध प्रिास पर ाऄांकुश िगाने के तिए 1985 के बाद बाांग्िादेश सीमा पर
बाड़ िगाना ाअरमभ ककया। ाआसके साथ ही, मयाांमार सरकार के सहयोग से सुरतक्षत ाअश्रय
स्थिों और ाईग्रिादी प्रतशक्षण तशतिरों को नि करने के तिए सांयुि ाऄतभयान सांचातित करने
के प्रयास ककए गए हैं।

सरकार ने तनम्नतितखत ाईपाय ककए हैं:

 कु छ पड़ोसी देशों के साथ सहयोग में िृतद्ध: ाईदाहरण के तिए, 2003 में भूटानी सेना
द्वारा चिाए गए "ऑपरेशन ऑि क्िीयर" ने ाईल्फा कै डर को बाहर खदेड़ कदया था और
ितयमान में भूटान के साथ भारत की सीमाएाँ िगभग सुरतक्षत हैं। बाांग्िादेश के साथ भूतम
सीमा समझौता एक और ाईदाहरण है।
 सीमा प्रबांधन तिभाग का सुदढ़ृ ीकरण: तिभाग को प्राथतमकता के ाअधार पर पूिोत्तर क्षेत्र
में सीमाओं पर बाड़ िगाने का कायय सपपा गया है। सीमा क्षेत्र तिकास काययक्रम को 8
ाईत्तर-पूिी राज्यों के सीमािती खण्डों को भी किर करने के तिए तिस्ताररत ककया गया
है।

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 एकीकृ त सीमा जाांच चौककयों की स्थापना: भारत और बाांग्िादेश क्षेत्रीय ाऄथयव्यिस्था के


तिकास के साथ-साथ, एकीकृ त जाांच चौककयों की स्थापना करने की प्रकक्रया में हैं। ाआससे
भारत-तिरोधी गतततितधयों में कमी होने की ाअशा है।

प्रभािी सीमा प्रबांधन के समक्ष चुनौततयाां

 भौगोतिक कारण– दुगयम भूभाग, दिदि, नकदयाां, ाअकद।


 पूिी क्षेत्र में ाऄिसांरचना सांबांधी ाऄांतराि।
 पड़ोतसयों के साथ सांबांधों में तस्थरता, सत्ता पररितयन और तनकटिती राज्यों में तस्थरता
से प्रभातित होती है। ाईदाहरण के तिए, बाांग्िादेश में सरकार के पररितयन और मयाांमार
में सैतनक शासन का हमारे सांबांधों पर महत्िपूणय प्रभाि पड़ा है और ाआसके
पररणामस्िरूप सीमा प्रबांधन भी प्रभातित हुाअ है।
 मानिशति और तित्तपोषण।
 भूतम ाऄतधग्रहण (मेघािय और तत्रपुरा में) और पयायिरणीय मांजूरी (तमजोरम) में
तििमब।
 शेष देश के साथ ाअर्थथक रूप से एकीकृ त न होना।
 सीमा रेखा का तनधायरण, तिशेष रूप से चीन के साथ सीमा पर।
सुझाि
 बाड़ के साथ-साथ फ्िड िााआट िगाना। नकदयों की धाराओं के ाअर-पार तैरती हुाइ बाड़ें।
 रक्षा की तद्वतीय पांति के रूप में, बाड़ों के ककनारे तमत्रतापूणय जनसांख्या बसाए जाने की
ाअिश्यकता है।
 जहाां तक ाईतचत सीमा प्रबांधन का सांबांध है, पड़ोसी देशों के साथ तमत्रतापूणय सांबांधों का
प्रयासपूियक ाऄनुकरण ककया जाना चातहए।

चूांकक ाईत्तर-पूिय में भारत की ाऄांतरराष्ट्रीय सीमाएाँ तमत्र और शत्रु दोनों प्रकार के पड़ोतसयों का
एक रोचक तमश्रण प्रस्तुत करती हैं, ाआसतिए सीमा प्रबांधन की सांपूणय रणनीतत में और ाऄतधक
प्रयास करने की ाअिश्यकता है। यद्यतप भारत का ाईत्तर-पूिी भाग क्षेत्र में सहकारी ढाांचे से
िाभ प्राप्त करने के तिए तैयार है, तथातप सुरक्षा और तिकास के महत्िपूणय मुद्दों का समाधान
के िि प्रभािी सीमा प्रबांधन के माध्यम से ही ककया जा सकता है।

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विकास और फै लते ईग्रिाद के बीच संबध



विषय सूची
1. ऄिधारणाएं तथा पररभाषाएं ________________________________________________________________ 106
1.1. अतंकिाद (Terrorism) __________________________________________________________________ 106
1.2. ईग्रिाद (Extermism) ___________________________________________________________________ 106
1.3. चरमपंथिाद (Radicalisation) _____________________________________________________________ 107
2. भारत की अंतररक सुरक्षा की वथथवत ___________________________________________________________ 107
3. भारत में िामपंथी ईग्रिाद (नक्सलिाद) _________________________________________________________ 107
3.1. ईत्पवि और विकास (Origin and Evolution) __________________________________________________ 107
3.2. िामपंथी ईग्रिाद (LWE) के विवभन्न चरण (Different Phases of LWE) _______________________________ 108
3.3. भारत में िामपंथी चरमपंथ के ईद्देश्य (Objective of LWE in India) __________________________________ 112
3.4. नक्सल अंदोलन की रणनीवत (Strategy of the Naxal Movement) _________________________________ 112
3.5. िामपंथी चरमपंथ के विथतार के कारण _________________________________________________________ 112
3.6. अंदोलन को जारी रखने में सहायक कारक _______________________________________________________ 113
3.7. भारत सरकार का दृविकोण (The Government of India’s Approach)_______________________________ 114
3.8. समीक्षा एिं वनगरानी तंत्र (Review and Monitoring Mechanisms) ________________________________ 115
3.9. LWE प्रभावित राज्यों के वलए महत्िपूणण योजनाएं _________________________________________________ 116
3.10. क्या ककये जाने की अिश्यकता है? (What needs to be done?) ___________________________________ 118
4. पूिोिर क्षेत्र में ईग्रिाद (North-East Insurgency)________________________________________________ 120
4.1. पूिोिर में ईग्रिाद के कारण (Causes for North-East Insurgency) _________________________________ 121
4.2. सशस्त्र नृजातीय समूहों के ऄवथतत्ि हेतु ईिरदायी कारण _____________________________________________ 122
4.3. पूिोिर के विद्रोह से वनपटने हेतु सरकार द्वारा ऄपनाइ गयी पहलें _______________________________________ 124
4.4. आस सन्दभण में कौन से ईपाय ककए जाने चावहए? ___________________________________________________ 127
5. जम्मू और कश्मीर में ईग्रिाद_________________________________________________________________ 129
5.1. कश्मीर समथया के दो अयाम ______________________________________________________________ 130
5.2. जम्मू और कश्मीर विद्रोह के कारण (Reasons for J&K Insurgency) ________________________________ 131
5.3. जम्मू और कश्मीर में विद्रोह के प्रवत सरकार का दृविकोण ___________________________________________ 132
5.4. राज्य द्वारा सामना की जाने िाली चुनौवतयां_____________________________________________________ 133
5.5. कश्मीर में अतंकिाद विफल क्यों? ___________________________________________________________ 134
5.6. आस सन्दभण में कौन से ईपाय ककए जाने चावहए?___________________________________________________ 134
6. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेथट सीरीज में पूछे गए प्रश्न ________________________________________ 135
7. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न _______________________________________________ 141

105
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1. ऄिधारणाएं तथा पररभाषाएं


(Concepts and Definitions)
'जब यह वनणणय वलया जाता है कक भय, अतंक और हहसा ; विचारधारात्मक, राजनीवतक या सामावजक
पररितणन को प्राप्त करने के ईवचत साधन हैं, तब ईस वथथवत में कट्टरपंथ तथा हहसक ईग्रिाद का ईदय
होता है।
अतंकिाद, चरमपंथिाद तथा ईग्रिाद व्यविवनष्ठ ऄिधारणाएं हैं, वजन्हें ऄलग-ऄलग व्यवियों द्वारा

वभन्न-वभन्न ऄथों में पररभावषत ककया जाता है। आसके ऄवतररि, आनके ऄथण वनरंतर पररिर्ततत हो रहे हैं,
क्योंकक ईन्होंने नि सुभेद्यताओं, प्रौद्योवगककयों तथा ईपागमों का ईपयोग करते हुए विश्व के विवभन्न
भागों में थियं को वभन्न थिरूपों में प्रदर्तशत ककया है।

1.1. अतं क िाद (Terrorism)

‘अतंकिाद एक जरटल और वििादाथपद मुद्दा है, जो ईग्रिाद, हहसक ईग्रिाद तथा चरमपंथिाद जैसी
ऄिधारणाओं से संबंवधत हैं।’
अतंकिाद की सािणभौवमक रूप से थिीकायण कोइ वनवित पररभाषा प्रचवलत नहीं है, क्योंकक अतंकिाद
की ऄिधारणा वनरपिाद रूप से राजनीवतक है तथा आसे ऐसी रीवत से पररभावषत नहीं ककया जा
सकता वजसमें राज्य शावमल न हो। अतंकिाद को समझने हेतु सिाणवधक थिीकायण पररभाषा- ‘लोगों को

गंभीर रूप से भयभीत करने, ककसी देश या ऄंतराणष्ट्रीय संगठन की संरचनाओं को ऄवथथर या विनि
करने ऄथिा ककसी सरकार को कायों के वनष्पादन से वनिृि करने के ईद्देश्य से प्रवतबद्ध कृ त्य' हैं।

1.2. ईग्रिाद (Extermism)

‘हहसक ईग्रिादी विचारधाराओं को ऄल्प विकवसत सुभेद्य समुदायों में विकवसत होने के वलए बेहतर
ऄिसर प्राप्त हुए हैं।’
ईग्रिाद को सामान्यत: बहुसंख्यक समुदाय से वभन्न विचार के रूप में समझा जाता है। आस प्रकार, एक

पररभाषा ईग्रिाद को ‘सामान्य से वभन्न गवतविवधयों (मान्यताएं, दृविकोण, भािनाएं, रणनीवतयां

अकद)’ के रूप में पररभावषत करती है। यद्यवप थपि रूप से यह एक सापेवक्षक पद है जो प्रचवलत
मानदंडों के संदभण में ऄसहमवत को प्रदर्तशत करता है, परन्तु यह भी व्यापक रूप से थिीकार ककया जाता
है कक ईग्रिादी विचार ऄवनिायण रूप से ऄिैध नहीं होते तथा थित: हहसा या क्षवत का कारण नहीं
बनते। िाथति में, ईग्रिादी विचारधारा िाले लोगों, जो ऄन्य नागररकों की नागररक थितंत्रताओं को
प्रभावित न करने िाली ईग्र पद्धवतयों के ऄनुसरण करने का भी चयन कर सकते हैं, ईन्हें मौवलक
ऄवधकारों तथा मानिावधकार मानदंडों के तहत ईवचत रूप से संरक्षण प्रदान ककया गया है।
ईग्रिाद तब एक हचता का कारण बनता है जब यह लोकतांवत्रक और सवहष्णु सामावजक वसद्धांतों के
समक्ष खतरा ईत्पन्न करता है ऄथिा ऄपने ऄनुयावययों को बाध्य करने या ऄपने ईद्देश्यों की प्रावप्त हेतु
हहसा के प्रयोग को प्रोत्सावहत करता है। ईग्रिाद को हहसक ईग्रिाद के रूप में िर्तणत ककया जाता है।
हालााँकक यह एक वििाकदत पद है, परन्तु आसे सामान्यत: विचारधारात्मक रूप से प्रेररत ऄथिा
न्यायोवचत हहसा को ईत्पन्न करने और ऐसे हहसात्मक कृ त्यों का समथणन करने के रूप में संदर्तभत ककया
जाता है।

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1.3. चरमपं थ िाद (Radicalisation)

‘चरमपंथिादी ऄपने ऄनुयावययों के प्रवत हुए सामावजक, राजनीवतक तथा अर्तथक ऄन्याय की ओर
संकेत करते हुए कायण करते हैं।’
अतंकिाद और ईग्रिाद की भांवत चरमपंथिाद भी विवभन्न पररभाषाओं िाला एक वििादाथपद पद है।
हालााँकक आसे सामान्यतः ईग्रिादी राजनीवतक और धार्तमक विचारधाराओं हेतु िृवद्धशील ऄवभज्ञ
प्रवतबद्धता की सामावजक एिं मनोिैज्ञावनक प्रकिया के रूप में समझा जाता है। आसका ऄथण , ऄवनिायण
रूप से यह नहीं होता कक प्रभावित होने िाले व्यवि हहसक हो जाएंगे। हालांकक 'जब यह वनणणय वलया
जाता है कक भय, अतंक और हहसा विचारधारात्मक, राजनीवतक या सामावजक पररितणन को प्राप्त
करने के ईवचत साधन हैं, तब ईस वथथवत में चरमपंथिाद से हहसक ईग्रिाद ईत्पन्न होता है।’

2. भारत की अंत ररक सुर क्षा की वथथवत


(India’s Internal Security Situation)
नीवत वनमाणण और कायाणन्ियन के क्षेत्र में, राज्य की नीवत से संबंवधत एक दीघणकावलक दृविकोण की
ऄत्यल्प सम्भािना होती है चाहे िह अंतररक हो या बाह्य, क्योंकक नीवत-वनमाणता ितणमान
िाथतविकताओं के ऄनुसार कायण करने हेतु बाध्य होते हैं। आस संदभण में , भारत की गवतशीलता ऄत्यंत
गहन है। भारत जैसे विविधतापूणण और सांथकृ वतक विवभन्नता िाले देश में प्रशासन का संचालन करना
असान कायण नहीं है। भारतीय शासन से सामान्य जन की अकांक्षाएं एिं ऄपेक्षाएं ऄत्यवधक वभन्न और
ईच्च हैं। भारत में वनधणनता तथा बेरोजगारी राज्य की सुरक्षा को प्रभावित करने िाली प्रमुख अंतररक
सुरक्षा से संबंवधत चुनौवतयााँ हैं। ऄसमानता, वनधणनता और बेरोजगारी के पररणाम नक्सलिाद तथा
ईिर-पूिी राज्यों में ईपद्रिों जैसी सशस्त्र अंतररक चुनौवतयों के रूप में प्रकट हुए हैं। विकास और
ईग्रिाद के मध्य प्रायः संघषण की वथथवत देखने को वमलती है।
विकास और ईग्रिादी घटकों के मध्य कारण-प्रभाि का संबंध होता है, वजसकी ईपवथथवत सिाांगीण
विकास का कारण बनती है जबकक आसकी ऄनुपवथथवत में समाज में ईग्रिाद के विकास हेतु अधार
वनर्तमत होता है, जो देश की अंतररक सुरक्षा के समक्ष खतरा ईत्पन्न करता है।
देश में अंतररक सुरक्षा वथथवत को व्यापक रूप से वनम्नानुसार िगीकृ त ककया जा सकता है:
 देश के अंतररक क्षेत्रों में अतंकिाद।
 जम्मू और कश्मीर राज्य में सीमा पार अतंकिाद।
 ईिर-पूिी राज्यों में ईपद्रि।
 भारत में िामपंथी ईग्रिाद।
यद्यवप सशस्त्र हहसा के ऄनेक कारण हो सकते हैं, परन्तु िाथतविकता यह है कक युिा भारतीय नागररक
राज्य के विरुद्ध हहसात्मक मागण को ऄपनाकर थियं के जीिन को जोवखम में डालते हैं। एक यथाथणिादी
दृविकोण और विवधयों के साथ ऐसे नकारात्मक पररणामों से वनपटने की अिश्यकता है।

3. भारत में िामपं थी ईग्रिाद (नक्सलिाद)


(Left Wing Extremism (Naxalism) in India)

3.1. ईत्पवि और विकास (Origin and Evolution)

भारत में िामपंथी ईग्रिाद (LWE) का मूल भारत में औपवनिेवशक शासन के विवभन्न चरणों के दौरान
प्रथफु रटत विविध िामपंथी/साम्यिादी राजनीवतक अंदोलनों, श्रवमक एिं कृ षक ऄसंतोष, िांवतकारी
समाजों तथा जनजातीय विद्रोहों में वनवहत है।

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ऄन्यायपूणण विदेशी शासन से भारत की थितंत्रता ने देश में भूवमहीनों, जनजावतयों तथा ऄन्य पददवलत
िगों की ऄपररवमत ऄपेक्षाओं को जागृत ककया। जनसामान्य को यह अभास होने में ऄवधक समय नहीं
लगा कक थितंत्रता प्रावप्त से ईनकी वथथवत में ऄवधक सुधार नहीं हुअ तथा पररवथथवतयां लगभग पहले
जैसी ही विद्यमान थी। लोगों को भविष्य में ककसी भी प्रकार के पररितणन की कोइ संभािना कदखाइ
नहीं दे रही थी। चुनािी राजनीवत पर भू-थिावमयों का प्रभुत्ि था तथा वजन भूवम सुधारों का िायदा
ककया गया था ईन्हें ऄपेवक्षत भािनाओं से लागू नहीं ककया गया। पुरानी शोषणकारी संरचना वभन्न
थिरूप में वनरंतर बनी रही। आसने जनता में ऄत्यवधक वनराशा और कुं ठा को ईत्पन्न ककया। ईन्हें
प्रारंवभक िामपंथी नेताओं और िांवतकाररयों की आन भविष्यिावणयों का थमरण कराया गया कक
‘विरटश शासन से भारत की राजनीवतक थितंत्रता िथतुतः शोषणकाररयों के पररितणन का साधन मात्र
होगी और सामावजक-अर्तथक संरचना पूिणिती ही बनी रहेगी तथा शोषण का ऄंत करने हेतु एक सशस्त्र
िांवत की अिश्यकता होगी’।
आस वनराशा को के रल में दूसरे अम चुनाि में िाम दलों के पक्ष में बढ़ते समथणन से ऄवभव्यवि प्राप्त हुइ।
ईसी दौरान, बंगाल में कम्युवनथट पाटी ऑफ़ आंवडया (CPI) की वथथवत भी सुदढ़ृ होती जा रही थी तथा
संयुि मोचाण (वजसमें CPI एक प्रमुख दल था) मुख्य विपक्षी दल के रूप में थथावपत हुअ। दल के
ईग्रिादी सदथयों ने दलीय नेतृत्ि पर संसदीय लोकतंत्र के विकल्प का चयन करने के कारण
‘संशोधनिादी’ होने का अरोप लगाया। दल के भीतर मतभेद बढ़ते गए जो ऄंततः CPI के विभाजन का
कारण बने। निगरठत दल ऄथाणत् कम्युवनथट पाटी ऑफ़ आंवडया (माक्सणिादी) [CPI (M)] ने िषण 1967
में बंगाल और के रल में संयुि मोचाण सरकार में भागीदारी भी दजण कराइ। परन्तु िे जमीनी थतर पर कु छ
विशेष ईपलवधध प्राप्त करने में ऄवधक सफल नहीं हुए।
आस वथथवत में, ऄसंतोष में िृवद्ध हो रही थी तथा CPI(M) के भीतर ईग्रिाकदयों ने दलीय नेतृत्ि के
िांवतकारी ईत्साह पर संदह
े प्रकट करना प्रारम्भ कर कदया था। ईन्हें यह दृढ़ विश्वास हो गया था कक
एक सशस्त्र िांवत ही एकमात्र तरीका है। चीन में माओ की सफलता से ऄत्यवधक प्रेररत होने के कारण िे
भारत में भी समान प्रकियाओं को दोहराने के पक्षधर थे। ईनका धैयण क्षीण होता जा रहा था तथा
ईन्होंने जनजावतयों, भूवमहीनों और बटाइदारों (share-cultivators) को संगरठत करना अरम्भ कर
कदया। साथ ही आनके द्वारा बंगाल के कु छ क्षेत्रों में िांवतकारी “सशस्त्र संघषण” प्रारंभ कर कदया। 25 मइ
1967 में दार्तजहलग वजले (पविम बंगाल) के नक्सलबाडी गााँि में एक पुवलस फायररग की घटना के
पिात् यह अन्दोलन एक संगरठत सशस्त्र अन्दोलन में पररिर्ततत हो गया।

3.2. िामपं थी ईग्रिाद (LWE) के विवभन्न चरण (Different Phases of LWE)

नक्सलबाडी चरण (1967-1972)


नक्सलबाडी घटना को मूल रूप में राजनीवतक और सामावजक-अर्तथक कृ षक अंदोलन को एक सशस्त्र
संघषण में पररिर्ततत करने िाले प्रितणक कारक (trigger) के रूप में देखा जा सकता है। यह घटना चारू

मजूमदार, जंगल संथाल तथा कानू सान्याल जैसे ईग्र चरमपंथी साम्यिादी नेताओं द्वारा ककए गए
भूवमगत प्रयासों का पररणाम थी। ये नेता जमीदारों (वजन्हें िे “िगण शत्रु (class enemies) कहते थे)
से संबंवधत भूवमयों के बलपूिणक ऄवधग्रहण हेतु भूवमहीन ककसानों को प्रेररत और संगरठत करने में सक्षम
थे।
चीन में माओ के प्रभाि के तहत देश के विवभन्न भागों से ईग्र साम्यिाकदयों ने चारू मजूमदार के नेतृत्ि
में रैली अयोवजत की। िषण 1967 में, CPI (M) में मतभेदों के समाधान हेतु ऑल आंवडया कोऑर्तडनेशन
कमेटी ऑफ़ कम्युवनथट ररिोल्यूशनरी (AICCCR) का गठन ककया गया। यह प्रयास ऄसफल रहा तथा

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आन ईग्रिादी नेताओं को पाटी से वनष्कावसत कर कदया गया। तत्पिात, ईन्होंने 22 ऄप्रैल 1969 को

एक नइ पाटी भारतीय कम्युवनथट पाटी (माक्सणिादी-लेवननिादी) ऄथाणत् CPI (ML) का गठन ककया।
िांवत के प्रारंभ हेतु पाटी माओिादी विचारधारा का ऄनुसरण करती थी।
िषण 1969-72 के दौरान CPI (ML) और सरकारी प्रावधकरणों के मध्य भीषण संघषण हुए वजसके
पररणामथिरूप बडे पैमाने पर हहसा और रिपात हुअ। सरकार द्वारा गंभीरता से भूवम सुधार लागू
ककए गए। बंगाल में िषण 1971 में कांग्रेस समर्तथत सरकार के सिा में अने के साथ ही नक्सल प्रभावित
क्षेत्रों में “थटीपल चेज़” नामक एक प्रमुख ऄवभयान प्रारम्भ ककया गया। वजसमें सेना, सशस्त्र बलों तथा
राज्य पुवलस बलों ने संयुि रूप से भाग वलया। ईग्रिादी अंदोलन पर दो माह के भीतर वनयंत्रण
थथावपत कर वलया गया। ऄंततः जुलाइ 1972 में, चारू मजूमदार की वगरफ्तारी और मृत्यु के पिात्
यह अंदोलन समाप्त हो गया। आस ऄिवध में यह अंदोलन देश के विवभन्न भागों में भी लगभग समाप्त हो
गया तथा लगभग एक दशक तक शांवत व्याप्त रही।
यद्यवप “नक्सलबाडी विद्रोह” ऄसफल हो गया, परन्तु आसने भारत में हहसक िामपंथी ईग्रिाद (LWE)

के अरंभ को वचवन्हत ककया तथा एक नए पद “नक्सलिाद” और “नक्सल” का ईद्भि हुअ। ककसी नेता
के नाम पर नहीं बवल्क ककसी गााँि के नाम पर िांवतकारी राजनीवत को पहचान प्रदान करना आवतहास
में एक ऄवद्वतीय ईदाहरण है।
आस चरण के दौरान, यह अंदोलन िृहद थतर पर वनधणन ककसानों, फसल बटाइदारों, कृ वष श्रवमकों,

नगरीय मध्यम िगों और श्रवमकों का समथणन प्राप्त नहीं कर सका, क्योंकक ये िगण अंदोलन को ऄपने
वहतों से संबद्ध नहीं मानते थे। आसके ऄवतररि, जनसाधारण एक “सशस्त्र संघषण” हेतु मानवसक रूप से
तैयार नहीं था। चीन के साथ ऄत्यवधक जुडाि ने ईग्रिाकदयों की राष्ट्रिादी छवि को क्षवत पहुंचाइ। यह
कारक भी सामान्य जनता से ईनके ऄलगाि हेतु काफी हद तक ईिरदायी था। यह अंदोलन शीघ्रता से
अगे बढ़ने की संभाव्यता के ऄवत-अशािादी मूल्यांकन तथा राज्य के सामर्थयण के त्रुरटपूणण अकलन पर
अधाररत था। व्यापक जन समथणन विहीन यह अंदोलन कायणकताणओं और प्रमुख व्यवियों के साहस,
बवलदान और प्रेरणा के होते हुए भी धीरे-धीरे मंद पड गया।
हालांकक नेतृत्ि ईदीयमान माक्सणिादी-लेवननिादी अंदोलनों को एक विचारधारात्मक मुखािरण तथा
अधुवनक ईग्रिादी विचाराधारा दोनों प्रदान करने में सफल हो गए। साथ ही, ये देश के अदशणिादी
युिा िगों में से सिोिम बुवद्धजीवियों को अकर्तषत करने में भी सफल हुए।
चारु मजूमदार के बाद का चरण: 1970 के दशक के पूिाणधण से 2004 तक (Post-CharuPhase:
Early 1970s-2004)
चारू मजूमदार की मृत्यु संपूणण देश के नक्सवलयों के वलए एक बहुत बडा अघात थी। तत्पिात CPI

(ML) ऄसंख्य छोटे समूहों तथा ईप-समूहों में विभावजत हो गया। आन समूहों के सदथय अपसी संघषों,
एक-दूसरे पर विश्वासघात के अरोप-प्रत्यारोपों तथा दोषपूणण विचार और कायणिावहयों में संलग्न थे।
1970 और 1980 के दशक में, आन समूहों को विभावजत करने हेतु ईिरदायी द्वेषपूणण वििाद भी ईत्पन्न
हुए, लेककन साथ ही आस ऄिवध में, माओिादी अंदोलन को संपूणण रूप से पुनः संगरठत करने के प्रयास
भी ककए गए थे।
िषण 1971 में, सत्यनारायण हसह ने चारू मजूमदार की “विध्िंस” की नीवत के विरुद्ध विद्रोह करते हुए
CPI (ML) सत्यनारायण हसह समूह (SNS) नामक ऄपना एक पृथक समूह गरठत ककया। आसी प्रकार
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, चारू मजूमदार द्वारा भारत सरकार की वथथवत का विरोध करने
के कारण ऄशीम चटजी और संतोष राणा ने भी CPI (ML) से त्याग-पत्र दे कदया था। चारू मजूमदार

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की मृत्योपरांत महादेि मुखजी और बी.एन.शमाण ने CPI (ML) को नेतृत्ि प्राप्त ककया। महादेि मुखजी

के समूह में एक-वद्वतीय विभाजन तब हुअ जब CPI (ML) वलन वबअई-समथणक तथा वलन वबअई-
विरोधी समूहों में विभावजत गइ।
1970 के दशक के ईिराधण के पिात्, नक्सलिाद के मुख्य कें द्र िमशः पविम बंगाल से वबहार और
अंध्र प्रदेश की ओर थथानांतररत हो गया। वबहार में “वलबरेशन” ग्रुप तथा अंध्र प्रदेश में पीपल्स िार

ग्रुप (PWG) का दो ऄत्यंत महत्िपूणण िामपंथी समूहों (LGEs) के रूप में ईदय हुअ। िषण 1974 में

सुिता दिा (जुहार) द्वारा माओ-समथणक, चारू मजूमदार-समथणक तथा CPI (ML) का वलन वबअई-
विरोधी गुट को पुनसांगरठत कर एक निगरठत समूह CPI (ML) “वलबरेशन” के रूप में पररिर्ततत कर
कदया गया। यह गुट सभी नक्सल संगठनों के सिाणवधक शविशाली संगठनों में से एक था तथा आसने
चारू मजूमदार के CPI (ML) का िाथतविक ईिरावधकारी होने का दािा प्रथतुत ककया।
िषण 1975 में विनोद वमश्रा को “वलबरेशन” का महासवचि वनयुि ककया गया। यद्यवप ईसने चारू
मजूमदार के विचारों का ऄनुकरण करने का दािा ककया लेककन िह भारत सरकार के विरुद्ध सशस्त्र
विद्रोह की वनरथणकता को थिीकृ वत प्रदान करने िाला प्रथम नक्सलिादी नेता था। चारू मजूमदार की
पद्धवतयों को थपितया ऄथिीकार ककए वबना ईसने एक “सुधारिादी अंदोलन” का सूत्रपात ककया। आस
अंदोलन का ईद्देश्य सशस्त्र विद्रोवहयों में व्याप्त कवमयों और दोषों में सुधार करना था। आस निीन
विचारधारा के एक भाग के रूप में "वलबरेशन" जन समथणन प्राप्त कर िषण 1982 में भारतीय पीपुल्स
फ्रंट (IPF) नामक एक संगठन के माध्यम से चुनािी राजनीवत में शावमल हो गया। IPF को कांग्रेस

पाटी के राष्ट्रव्यापी विकल्प के रूप में पररकल्पना की गइ थी। िषण 1989 में संसदीय चुनािों में IPF को
एक सीट पर विजय प्राप्त हुइ तथा प्रथम नक्सलिादी सदथय ने भारतीय ससंद में प्रिेश ककया था।
आसके ऄवतररि, िषण 1969 में कन्हाइ चटजी तथा ऄमूल्य सेन द्वारा वबहार में एक ऄन्य समूह “दवक्षण
देश” थथावपत ककया गया। आस समूह में मुख्यत: वनम्न जातीय और भूवमहीन लोग शावमल थे तथा ये
लोग भू-थिावमयों की हत्या करने में ऄत्यवधक बबणर थे। ईच्च एिं मध्य जावत से संबंवधत भू-थिावमयों ने
आस समूह को ऄपने प्रभुत्ि के समक्ष खतरे के रूप में देखा तथा ईन्होंने ऄपनी वनजी सेना का गठन
ककया। रणिीर सेना जैसे वगरोह ने नक्सवलयों तथा ईनसे सहानूभूवत रखने िाले लोगों की
वनदणयतापूिणक हत्या करना प्रारंभ कर कदया। िषण 2003 में, माओिादी कम्युवनथट सेंटर (MCC) का

रेिलूशनेरी कम्युवनथट सेंटर, आंवडया (माओआथट) में विलय कर कदया गया तथा एक नए संगठन

माओिादी कम्युवनथट सेंटर (आंवडया) ऄथिा MCC (I) का गठन ककया गया।
कम्युवनथट पाटी ऑफ़ आंवडया (माओआथट) [CPI (M)] का ईदय: िषण 2004 से ितणमान तक

(Emergence of the CPI (Maoist): 2004-Present)

माओिादी विद्रोह का वसद्धांत, जैसा कक ऄनेक छापों और मुठभेडों के दौरान नक्सवलयों के वछपने के
थथानों से ऄत्यवधक मात्रा में प्राप्त हुए दथतािेजों से प्रकट होता है, कक यह चरम िामपंथी विचारधारा
के मवहमा मण्डन पर अधाररत है। यह ितणमान सामावजक - अर्तथक और राजनीवतक संरचना को
विनि करने हेतु हहसा के प्रयोग को िैधता प्रदान करता है। आस विचारधारा पर अधाररत CPI (M) के
एक सशस्त्र घटक के रूप में पीपल्स वलबरेशन गुररल्ला अमी का वनमाणण ककया गया था। यह अंदोलन
िषण 2004 में, अंध्रप्रदेश के ऄत्यवधक प्रभािशाली समूह पीपल्स िार ग्रुप, मध्य भारत के प्रभािशाली
समूह माओिादी कम्युवनथट सेंटर (आंवडया) ऄथिा MCC (I) तथा CPI (M) के विलय के साथ और भी
ऄवधक शविशाली हो गया। आस विलय ने LWE की लडाकू क्षमताओं को एक साथ ऄत्यवधक ईन्नत
ककया।

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विगत कु छ दशकों से LWE अंदोलन ने भारत के 40% क्षेत्र तथा 35% जनसंख्या को प्रभावित ककया
है। गृह मंत्रालय के ऄनुसार, िषण 2016 में 10 राज्यों यथा अंध्र प्रदेश, तेलंगाना, वबहार, छिीसगढ़,
झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओवडशा, ईिर प्रदेश और पविम बंगाल के 106 वजले LWE अंदोलन
से ऄत्यवधक प्रभावित थे।
विद्रोह की प्रबलता के अधार पर, ईपरोि 10 राज्यों के 106 में से 35 वजलों को ऄत्यवधक प्रभावित
LWE वजलों के रूप में िगीकृ त ककया गया है।
 छिीसगढ़, झारखंड, ओवडशा और वबहार राज्यों को गंभीर रूप से प्रभावित माना गया है।
 पविम बंगाल, महाराष्ट्र, अंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों को कम प्रभावित माना गया है।
ितणमान में भारत के 10 राज्यों में एक जरटल संजाल की थथापना करते हुए LWE अंदोलन की
अिामकता में कइ गुणा िृवद्ध हुइ है। यह ऄनुमान लगाया गया है कक ितणमान में आन ईग्रिादी संगठनों
के पास लगभग 6,500 बन्दूकों के साथ-साथ लगभग 9000-10,000 लडाके हैं। आसके ऄवतररि
लगभग 40,000 पूणणकावलक कै डरों का भी ऄनुमान लगाया गया है (भारत सरकार 2017)।
ितणमान वथथवत
िषण 2010 से 2017 तक नक्सली अंदोलन की प्रिृवि के विश्लेषण से ज्ञात होता है कक माओिादी कवथत
'राज्य हहसा' के विरुद्ध और ‘ऄपने लोकतांवत्रक ऄवधकारों की सुरक्षा' हेतु कायणिम संचावलत करने के
वलए ऄपने पैतृक संगठन CPI-M और ऄन्य समान विचारधारा िाले संगठनों के समवन्ित प्रयासों को
सुदढ़ृ कर रहे हैं। ईदाहरणाथण थथानीय समुदाय के विथथापन का मुद्दा ईनके ऄवग्रम संगठनों के द्वारा
लोगों की लामबंदी का मुख्य एजेंडा बना हुअ है। वनयमावगरर सुरक्षा सवमवत वनयमावगरर पहाडी क्षेत्रों
में सकिय रूप से अंदोलन का संचालन कर रही है तथा झारखण्ड विथथापन विरोधी जन विकास
अन्दोलन (CPI (M) का एक मोचाण) छोटानागपुर (1908) और संथाल परगना काश्तकारी ऄवधवनयम
(1949) में संशोधनों का विरोध कर रहा है। ये संशोधन ऄवधिास नीवत में पररितणनों से संबंवधत हैं।
माओिाद से संबद्ध लोगों ने भी सुरक्षा बलों द्वारा कवथत ऄत्याचारों के मुद्दे पर विरोध प्रदशणन ककया
तथा सरकार विरोधी प्रचार ऄवभयानों का अश्रय वलया। ईन्होंने कश्मीर मुद्दे पर समानांतर बैठकें
अयोवजत की तथा राज्य में एक जनमत संग्रह करिाए जाने की भी मांग की है (गृह मंत्रालय भारत
सरकार, अंतररक सुरक्षा 2017)।

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3.3. भारत में िामपं थी चरमपं थ के ईद्दे श्य (Objective of LWE in India)

िामपंथी चरमपंथ (LWE) अंदोलन का मुख्य ईद्देश्य पीपुल्स रेिोल्यूशनरी थटेट की थथापना करना है,

वजसे नेपाल सीमा से मध्य भारत होते हुए दवक्षण में कनाणटक तक विथताररत 'रेड कॉररडोर' की थथापना
के माध्यम से प्राप्त ककया जाना है।
आस ईद्देश्य की प्रावप्त, सशस्त्र संघषण का मुख्य साधन के रूप में ईपयोग करके पीवडत और शोवषत लोगों
का समथणन प्राप्त करके की जानी है। ऄतः हहसक दीघणकावलक संघषण द्वारा अंदोलन को सशि करने और
गवलयारे के विथतार में सहायता ककए जाने की संभािना है। नक्सल नेताओं द्वारा जल, जंगल और

जमीन (JJJ) संबंधी लोगों के ऄवधकारों की रक्षा जैसे विवभन्न मुद्दों का समथणन ककया गया।
ये मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में लोगों की प्रमुख हचता का विषय हैं क्योंकक ऄवधकांश लोग ऄपनी
अजीविका के वलए कृ वष और िनों पर वनभणर होते हैं। आस प्रकार, आन तीन तत्िों के प्रवत ककसी भी खतरे
को ईनकी अजीविका के वलए खतरा माना जाता है और यह ईन लोगों में ऄत्यवधक हचताएं ईत्पन्न
करता है। अतंक के प्रसार हेतु सशस्त्र गवतविवधयों के एक प्रभािी नेटिकण के वनमाणण के ऄवतररि,
नक्सवलयों द्वारा छिीसगढ़ के सघन िनों और भारत के पूिी राज्यों जैसे दूरथथ क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों
पर ऄपना मजबूत प्रभाि बनाए रखने के वलए प्रभािशाली थथानीय जनजातीय नेताओं की भती भी की
जाती है। आनके अंतररक नीवत पत्रों सवहत माओिादी अंदोलन पर ईपलधध सभी सावहत्य, ईपयणि
मूल्यांकन की पुवि करते हैं।

3.4. नक्सल अं दोलन की रणनीवत (Strategy of the Naxal Movement)

आन िांवतकारी युद्ध के वसद्धांत और पद्धवत के तीन विवशि चरण हैं। ये वनम्नवलवखत हैं:
 प्रथम, एकाकी एिं दुगणम क्षेत्रों में वथथत क्षेत्रीय अधार िाले क्षेत्रों का गठन, समेकन और संरक्षण;
 वद्वतीय, प्रगवतशील विथतार, आसके ऄंतगणत पुवलस थटेशनों पर हमलें, तोड-फोड, अतंकिादी

गवतविवधयााँ, वभन्न विचार रखने िाले व्यवियों की हत्या तथा शत्रुओं से हवथयार और गोला
बारूद की खरीद शावमल है,
 तीसरा, वनरंतर युद्ध, दीघणकावलक संघषण, िाताण और एकीकृ त कमांड एिं वनयंत्रण संरचनाओं सवहत
पारंपररक युद्धों तकनीकों के माध्यम से शत्रु का विनाश।
व्यािहाररक रूप से, आन तीन चरणों के मध्य की संिमण ऄिथथा के वलए िषों या दशकों का समय लग
सकता है। गुररल्ला रणनीवत का ईद्देश्य ईस क्षेत्र पर ईिरोिर वनयंत्रण करना और विद्रोही विचारधारा
की थथानीय िैधता में िृवद्ध करना है। ऐसी वथथवत में राज्य के सैन्यबलों की िैधता सापेवक्षक रूप से कम
हो जाती है।

3.5. िामपं थी चरमपं थ के विथतार के कारण

(Causes for Spread of Left Extremism)


िामपंथी चरमपंवथयों का लक्ष्य 'िांवत' के माध्यम से थियं के राज्य की थथापना करना था, आस ईद्देश्य

की प्रावप्त हेतु ईन्होंने समाज के िंवचत एिं शोवषत िगों (विशेष रूप से ईन क्षेत्रों में, जहााँ आन िगों की
जनसंख्या ऄवधक है) के समथणन को प्राप्त करने के माध्यम से आस िांवत के संचालन का वनणणय वलया।
आनकी गवतविवधयों के मुख्य कें द्र जनजातीय बहुल िन क्षेत्र होते हैं, आस प्रकार जो िामपंथी चरमपंथी
हहसा के मुख्य साधन और पीवडत दोनों बन जाते हैं। जन सामान्य को आस ओर प्रेररत करने िाले कु छ
कारण वनम्नवलवखत हैं:

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भूवम संबवं धत कारक


 भूवम हदबंदी कानूनों का ऄपिंचन।
 विशेष भू-थिावमत्ि का बना रहना (हदबंदी कानूनों के तहत ररयायत प्राप्त करना)।
 समाज के शविशाली िगों द्वारा सरकारी और सामुदावयक भूवम (यहां तक कक जल वनकायों पर
भी) पर ऄवतिमण और ऄवधपत्य थथावपत करना।
 भूवमहीन वनधणनों द्वारा जोती गइ सािणजवनक भूवम पर थिावमत्ि का ऄभाि।
 पांचिीं ऄनुसूची क्षेत्रों में गैर-जनजावतयों को जनजातीय भूवम के हथतांतरण को प्रवतबंवधत करने
िाले कानूनों का वनम्न थतरीय कायाणन्ियन।
 पारंपररक भूवम ऄवधकारों का वनयवमतीकरण न ककया जाना।
विथथापन एिं बलपूिक
ण वनष्कासन
 पारंपररक रूप से जनजावतयों द्वारा ईपयोग की जाने िाली भूवम से ईनकी बेदखली।
 पुनिाणस हेतु पयाणप्त व्यिथथा ककए वबना हसचाइ और विद्युत पररयोजनाओं के कारण होने िाला
विथथापन।
 ईवचत मुअिजे ऄथिा पुनिाणस के वबना 'सािणजवनक ईद्देश्यों' के वलए बडे पैमाने पर भूवम
ऄवधग्रहण।
अजीविका संबध
ं ी कारण
 खाद्य सुरक्षा का ऄभाि - सािणजवनक वितरण प्रणाली में भ्रिाचार (जो प्रायः कियाशील नहीं होती
हैं) ।
 पारंपररक व्यिसायों में व्यिधान ईत्पन्न होना तथा िैकवल्पक कायण ऄिसरों की कमी।
 साझा संपवि संसाधनों में पारंपररक ऄवधकारों से िंवचत होना।
सामावजक बवहष्कार
 ईनकी गररमा का ईल्लंघन करना।
 कु छ क्षेत्रों में ऄथपृश्यता का विवभन्न रूपों में वनरंतर बने रहना।
 ऄत्याचारों के वनिारण, नागररक ऄवधकारों की सुरक्षा और बंधुअ मजदूरी अकद की समावप्त हेतु
वनर्तमत विशेष कानूनों का वनम्न थतरीय कायाणन्ियन।
शासन संबध
ं ी कारक
प्राथवमक थिाथर्थय सेिा और वशक्षा सवहत ऄवनिायण सािणजवनक सेिाओं में भ्रिाचार और वनम्न थतरीय
प्रािधान/ तथा ईनकी ऄनुपलधधता।
 ऄयोग्य, वनम्न थतरीय प्रवशक्षण प्राप्त और ऄवभप्रेरणा रवहत सािणजवनक कमणचारी, जो ऄवधकांशत:
ऄपने कायण थथल पर ऄनुपवथथत रहते हैं।
 पुवलस द्वारा शवियों का दुरुपयोग और कानून के मानदंडों का ईल्लंघन।
 चुनािी राजनीवत का विकृ त होना और थथानीय सरकारी संथथानों की ऄसंतोषजनक कायणप्रणाली।

3.6. अं दोलन को जारी रखने में सहायक कारक

(Factors that Sustain the Movement)


एक प्रेरक विचारधारा
यह अंदोलन ऄंतरराष्ट्रीय कम्युवनथट अंदोलन की मुख्य प्रेरणा से शवि प्राप्त करता है। नक्सल
विचारधारा की एक थथायी विशेषता यह रही है कक आसके द्वारा सदैि यह कवल्पत एिं प्रचाररत ककया
जाता है कक साम्राज्यिाद पूणण पतन की ओर बढ़ रहा है। यह विश्वास ही अंदोलन के वलए प्रेरक बल का
कायण करता है। आसके साथ ही यह विश्वास ईन्हें पूंजीिादी अर्तथक संरचना की ितणमान त्रुरटयों की हनदा
करने में सक्षम बनाता है।

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चरमपंथी समूहों की संगठनात्मक शवि


िामपंथी चरमपंथ (LEGs) के विवभन्न गुटों के समेकन के वलए ईन संगरठत, संथथागत और योजनाबद्ध
तरीकों को ईिरदायी ठहराया जाता है, वजसके ऄनुसार नक्सल कायण करते हैं। विचारधारात्मक

समपणण, कै डर अधाररत संगठनात्मक व्यिथथा और भारत के विवभन्न क्षेत्रों में सूक्ष्म सामावजक-अर्तथक
वथथवत की समझ चरमपंवथयों को ईनकी रणनीवतक योजना के वनमाणण, संचालन एिं कियान्ियन को
कु शलतापूिणक संपन्न करने में सहायता करती है।
वििीयन के स्रोत
नक्सल ऄपने प्रभाि क्षेत्रों में धन सृजन के प्रत्येक स्रोत को रणनीवतक रूप से लवक्षत करने में सक्षम होते
हैं क्योंकक ईनके थियं के वनिाणह हेतु धन की अिश्यकता होती है। ऄपनी गवतविवधयों के वििपोषण के
वलए, नक्सली "कर और लेिी" के रूप में अर्तथक योगदान थिीकार करते हैं, "सरकारी खजाने और बैंकों
में लूटपाट करते हैं” तथा व्यिसाय, ईद्योग, राजनीवतक नेताओं, सरकारी ऄवधकाररयों, समृद्ध भू-
थिावमयों और पेशेिर व्यवियों से बडी मात्रा में जबरन िसूली अकद के रूप में धन प्राप्त करते हैं। आसके
ऄवतररि नक्सली ऄपने प्रभुत्ि िाले क्षेत्रों में िनीय ईत्पादों एिं सरकारी ऄनुबंधों पर एकावधकारिादी
वनयंत्रण थथावपत करते हैं।
वनरंतर नए सदथयों का जुडना
चरमपंथी देश के िंवचत क्षेत्रों के युिाओं को वििीय एिं सामावजक सुरक्षा, दोनों ही प्रदान करने में
सक्षम हैं। आसवलए युिाओं के वलए रोजगार के ऄिसरों की कमी ईन्हें नक्सवलयों की ओर अकर्तषत
करती है। अर्तथक सुरक्षा के ऄवतररि, आससे ईन्हें सशविकरण और गररमा की भािना का भी ऄनुभि
होता है। विद्यमान सुरक्षा पररदृश्य भी ईन्हें सुरक्षा कारणों से नक्सवलयों में शावमल होने का विकल्प
चुनने के वलए वििश करता है।
सरकार की ओर से पयाणप्त मूल्यांकन और समन्िवयत प्रवतकिया का ऄभाि
ककसी भी समथया का ईवचत मूल्यांकन आसके समाधान हेतु ईवचत रणनीवतयों की योजना, विकास और
कायाणन्ियन हेतु महत्िपूणण होता है। यह पाया गया है कक LWE द्वारा ईत्पन्न खतरे की प्रकृ वत और
भयािहता के संबंध में कोइ थपि समझ नहीं है। आसके पररणामथिरूप विवभन्न राज्यों और कें द्र सरकार
द्वारा वभन्न-वभन्न दृविकोण ऄपनाए जा रहे हैं और ईनके प्रयास अम तौर पर ऄसमवन्ित ही रह जाते हैं।
ितणमान समय तक, "रेड कॉररडोर" के गठन की धारणा (जो क्षेत्रीय ऄखंडता हेतु खतरा हो सकती है)
को नक्सवलयों की समथया सम्बन्धी मुद्दे को "कानून और व्यिथथा की समथया" का मामला माने जाने के

बजाय "अंतररक सुरक्षा के वलए सबसे बडे खतरे " के रूप में पररिर्ततत करने हेतु ईपयोग ककया गया है।
नक्सल अंदोलन की बहु-अयामी चुनौती के विरुद्ध प्रवतकिया करने के तरीकों और साधनों को तय
करने को लेकर सरकार ऄसमंजस की वथथवत में है और आसे वछपाने के वलए राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी व्यापक
संकल्पना का ईपयोग ककया जा रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की घुसपैठ और
ऄसंिद
े नशील कारणिाइ भी ईन क्षेत्रों के सामावजक-राजनीवतक और अर्तथक ढांचे के वलए खतरा ईत्पन्न
करती है। नक्सली अंदोलन के वलए राज्य की प्रवतकिया, ऄसमवन्ित, प्रवतकियाशील और ऄपयाणप्त रही
है।

3.7. भारत सरकार का दृ विकोण (The Government of India’s Approach)

सरकार का दृविकोण सुरक्षा, विकास, थथानीय समुदायों के ऄवधकारों और हक़दाररयों को सुवनवित

करने, शासन प्रणाली में सुधार और जन ऄिबोधन प्रबंधन (public perception management) के
क्षेत्रों में समग्र रूप से िामपंथी चरमपंथी समथया से वनपटने का है। आस दशकों पुरानी समथया से
वनपटने के वलए संबंवधत राज्य सरकारों के साथ विवभन्न ईच्च थतरीय विचार-विमशण और िाताण के बाद

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यह ईपयुि समझा गया है कक तुलनात्मक रूप से ऄवधक प्रभावित क्षेत्रों में समाधान हेतु एकीकृ त
दृविकोण ऄपनाया जाना ईपयुि है। आसे ध्यान में रखते हुए िामपंथी चरमपंथ हहसा के संबंध में
विथतार और प्रिृवियों का एक विथतृत विश्लेषण ककया गया है और दस राज्यों में 106 सिाणवधक

प्रभावित वजलों के सन्दभण में योजना के वनमाणण, कायाणन्ियन एिं वनगरानी के संबंध में विशेष ध्यान
कदया गया है।
हालांकक, 'पुवलस' और 'लोक व्यिथथा' राज्य के विषय हैं, ऄतः कानून एिं व्यिथथा को बनाए रखने का
मुख्य दावयत्ि राज्य सरकारों के ऄवधकार क्षेत्र के ऄंतगणत अता है। कें द्र सरकार वथथवत की ध्यानपूिणक
वनगरानी करती है तथा विवभन्न तरीकों से राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता और समन्िय करती है।
आन तरीकों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
 कें द्रीय सशस्त्र पुवलस बल (CAPF) और कमांडो बटावलयन्स फॉर ररजोल्यूट एक्शन (CoBRA)

ईपलधध करना;

 आंवडया ररजिण (IR) बटावलयन की मंज़ूरी, ‘काईं टर आंसजेन्सी एन्ड एंटी टेरररज़्म थकू लों (CIAT)

की थथापना;

 राज्य पुवलस बल अधुवनकीकरण योजना (MPF योजना) के तहत राज्य पुवलस और ईनके खुकफया

तंत्र का अधुवनकीकरण एिं ईन्नयन;

 सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना के तहत सुरक्षा संबंधी व्यय की प्रवतपूर्तत;

 नक्सलरोधी ऄवभयानों के वलए हेलीकॉप्टर ईपलधध कराना, रक्षा मंत्रालय, कें द्रीय पुवलस संगठनों

और पुवलस ऄनुसंधान एिं विकास धयूरो के माध्यम से राज्य पुवलस के प्रवशक्षण में सहायता करना;

 खुकफया जानकारी साझा करना; ऄंतर-राज्य समन्िय को सुविधाजनक बनाना; तथा


 सामुदावयक पुवलस व्यिथथा और वसविक एक्शन प्रोग्राम अकद में सहायता करना।
ध्यातव्य है कक आसमें ऄन्तर्तनवहत विचार माओिादी खतरे से सुसंगरठत रूप से वनपटने के वलए राज्य
सरकारों की क्षमता में िृवद्ध करने से संबंवधत है।

3.8. समीक्षा एिं वनगरानी तं त्र (Review and Monitoring Mechanisms)

LWE प्रभावित क्षेत्रों में विकास पर विशेष ध्यान देने के वलए, गृह मंत्रालय (MHA) वनयवमत रूप से

ऄनेक समीक्षा एिं वनगरानी तंत्रों के माध्यम से LWE वथथवत की समीक्षा कर रहा है। आस समीक्षा में
पररचालन और विकास संबंधी मुद्दों (भारत सरकार के ऄन्य मंत्रालयों से सम्बंवधत मुद्दों सवहत) को
किर ककया जाता है। आन तंत्रों में वनम्नवलवखत शावमल हैं: -
 कें द्रीय गृह मंत्री द्वारा LWE प्रभावित राज्यों के मुख्यमंवत्रयों की बैठकें अहूत की जाती हैं। वपछली

दो बैठकें फरिरी, 2015 और मइ, 2017 में अयोवजत की गइ थीं।

 कें द्रीय गृह मंत्री और राज्य मंत्री (गृह) LWE वथथवत की समीक्षा के वलए LWE प्रभावित राज्यों
की यात्रा करते हैं।
 कै वबनेट सवचि की ऄध्यक्षता में सामूवहक समीक्षा बैठकें की जाती हैं।
 कें द्रीय गृह सवचि द्वारा के न्द्रीय गृह सवचिों और LWE प्रभावित राज्यों और कें द्रीय मंत्रालयों के
मुख्य सवचिों के साथ बैठकें की जाती हैं।
 विवभन्न विकास योजनाओं/पररयोजनाओं की प्रगवत की समीक्षा के वलए मइ, 2015 में ऄवतररि
सवचि (LWE) की ऄध्यक्षता में ऄवधकार प्राप्त सवमवत का गठन।

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समाधान (SAMADHAN)

मइ, 2017 में LWE प्रभावित राज्यों के मुख्यमंवत्रयों की समीक्षा बैठक के दौरान कें द्रीय गृह मंत्री ने

एक एकीकृ त रणनीवत प्रवतपाकदत की, वजसके माध्यम से पूरी क्षमता और योग्यता के साथ LWE का

सामना ककया जा सकता है। नइ रणनीवत को SAMADHAN नाम कदया गया तथा यह विवभन्न थतरों
पर गरठत ऄल्पकावलक और दीघणकावलक नीवतयों का संकलन है। गृह मंत्री द्वारा आसके ऄथण को
वनम्नवलवखत रूप में पररभावषत ककया गया था:
S- कु शल नेतृत्ि (Smart Leadership)

A- अिामक रणनीवत (Aggressive Strategy)

M-प्रेरणा और प्रवशक्षण (Motivation and Training)

A- कियाशील खुकफया तन्त्र (Actionable Intelligence)

D-डैशबोडण अधाररत KPIs (की परफोमेंस आंवडके टर) और KRAs (की ररजल्ट एररया)

H- प्रौद्योवगकी का दोहन (Harnessing Technology)

A- प्रत्येक प्रकार के खतरे के वलए एक्शन प्लान (Action plan for each Theatre)

N- विि पोषण तक पहुंच को रोकना (No access to Financing)

3.9. LWE प्रभावित राज्यों के वलए महत्िपू णण योजनाएं

(Important Schemes for LWE Affected States)

 सुरक्षा संबध
ं ी व्यय (SRE) योजना: आसके ऄंतगणत 10 राज्यों में LWE से प्रभावित 106 वजलों को

सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता सुरक्षा बलों की प्रचालन सम्बन्धी अिश्यकताओं, ईनके
प्रवशक्षण एिं बीमा के वलए और साथ ही संबंवधत राज्य सरकार की समपणण एिं पुनिाणस नीवत के
ऄनुरूप समपणण करने िाले िामपंथी चरमपंथी कै डरों; सामुदावयक पुवलस व्यिथथा; ग्राम रक्षा
सवमवतयों से सम्बंवधत सुरक्षा सम्बन्धी ऄिसंरचना एिं प्रचार सामग्री पर होने िाले अिती व्यय
के वलए प्रदान की जाती है।
 सडक अिश्यकता योजना -1 (Road Requirement Plan-I : RRP-1): रोड कनेवक्टविटी में

सुधार के वलए, सरकार ने 8 राज्यों ऄथाणत अंध्र प्रदेश, वबहार, छिीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश,

महाराष्ट्र, ओवडशा और ईिर प्रदेश के LWE से प्रभावित 34 वजलों को शावमल करते हुए 2009 में

सडक अिश्यकता योजना के चरण -1 (RRP-1) को ऄनुमोदन प्रदान ककया। आस योजना में

5,422 ककमी. लम्बी सडकों की पररकल्पना की गइ है वजसमें से 4,290 ककलोमीटर लम्बी सडकों

का वनमाणण पूरा कर वलया गया है। LWE प्रभावित 6 राज्यों में RRP-1 के तहत 8 महत्िपूणण

सेतुओं का भी वनमाणण ककया जा रहा है और कायण प्रगवत की वनयवमत समीक्षा की जा रही है। आन 8

सेतुओं में से 2 (1 तेलंगाना और 1 महाराष्ट्र में) का वनमाणण कायण पूरा हो गया है, जबकक ऄन्य 6

सेतु, वनमाणण की विवभन्न ऄिथथाओं में हैं।

 LWE से प्रभावित क्षेत्रों के वलए सडक संपकण पररयोजना (RRP -II): सरकार ने LWE से

प्रभावित 9 राज्यों के 44 वजलों में रोड कनेवक्टविटी में और ऄवधक सुधार के वलए 2016 में आस

योजना को थिीकृ वत प्रदान की है। आस योजना में 5412 ककमी. लम्बी सडकों और 126 सेतुओं के

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वनमाणण की पररकल्पना की गइ है। आस पररयोजना के वलए ग्रामीण विकास मं त्रालय, नोडल


मंत्रालय है। आस योजना के तहत शावमल सडकों का वनधाणरण गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों
और सुरक्षा एजेंवसयों के परामशण से ककया जाता है।
 LWE मोबाआल टॉिर प्रोजेक्ट: LWE क्षेत्रों में मोबाआल कनेवक्टविटी में सुधार के वलए, सरकार ने

2014 में LWE प्रभावित राज्यों में मोबाआल टािरों की थथापना हेतु थिीकृ वत प्रदान की। आन

राज्यों में अंध्र प्रदेश (227), वबहार (184), छिीसगढ़ (497), झारखंड (782), मध्य प्रदेश (22),

महाराष्ट्र (60) और ओवडशा (253) शावमल हैं। दूरसंचार विभाग, आस योजना को कायाणवन्ित कर

रहा है। ध्यातव्य है कक आसके तहत कु ल 2187 मोबाआल टािर थथावपत ककए जा चुके हैं और ऄब
यह पररयोजना पूरी हो गइ है।
 फोर्टटफाआड पुवलस थानों की योजना: मंत्रालय ने आस योजना के तहत LWE से प्रभावित 10

राज्यों में 400 पुवलस थानों के वलए थिीकृ वत प्रदान की है। आनमें से कु ल 373 पुवलस थानों का

वनमाणण कायण पूरा हो चुका है तथा 27 वनमाणणाधीन हैं।

 नागररक कारणिाइ कायणिम (Civic Action Programme : CAP): LWE से प्रभावित राज्यों में

यह योजना 2010-11 से कायाणवन्ित की जा रही है। आस योजना के तहत LWE प्रभावित क्षेत्रों में

थथानीय वनधणन लोगों के कल्याण के वलए विवभन्न नागररक कारणिाआयों हेतु प्रवत िषण CAPFs

(CRPF, BSF, ITBP और SSB) को 3 लाख रूपए प्रवत कम्पनी के वहसाब से वनवध प्रदान की
जाती है। यह सुरक्षा बलों और थथानीय लोगों के मध्य की दूरी को समाप्त करने के सन्दभण में ऄत्यंत
सफल योजना है। आससे थथानीय लोगों के मन-मवथतष्क में सौहादणपूणण भािों का सृजन करने में भी
सहायता वमली है।
 GIS मैहपग: LWE प्रभाग द्वारा LWE से सिाणवधक प्रभावित 35 वजलों में अिश्यक सेिाओं की

GIS मैहपग का एक नया प्रथताि लाया गया। समय-समय पर वििीय सेिाओं, थकू लों, डाकघरों,

थिाथर्थय सुविधाओं, मोबाआल टािरों, PDS सेिाओं, सडक और सुरक्षा सुविधाओं अकद की
समयबद्ध तरीके से मैहपग करने के वलए एक पररयोजना प्रारंभ की गइ है। आससे वहतधारकों को
विकास और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर थपि वनणणय लेने में सहायता वमलेगी।
 एकीकृ त कमान: छिीसगढ़, झारखंड, ओवडशा और पविम बंगाल राज्यों में एक एकीकृ त कमान
की थथापना की गयी है। आस एकीकृ त कमान में नागररक प्रशासन का प्रवतवनवधत्ि करने के वलए
ऄसैन्य ऄवधकाररयों के साथ ही सुरक्षा प्रवतष्ठानों के ऄवधकारी भी शावमल होते हैं। यह कमान
सािधानीपूिणक वनधाणररत ककये गए चरमपंथ रोधी ईपायों को लागू करेगी।
 PESA का कायाणन्ियन: िामपंथी चरमपंथ से प्रभावित राज्यों को पंचायत (ऄनुसूवचत क्षेत्रों तक

विथतार) ऄवधवनयम, 1996 (PESA, 1996) के प्रािधानों को प्राथवमकता के अधार पर प्रभािी


रूप से लागू करने के वनदेश कदए गए हैं। आस ऄवधवनयम में ग्राम सभाओं को लघु िनोपज पर
ऄवधकार प्रदान ककए गए हैं।
 ‘वक्लयर, होल्ड एंड डेिलप’ रणनीवत का वनमाणण: यह जनजातीय जनसंख्या, (जो ईग्रिाकदयों के
साथ सहानुभूवत रखती है) के समथणन को पुनः प्राप्त करने के वलए विकास का एक ईपकरण के रूप
में ईपयोग करती है।
 'प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना' (PMKVY) के तहत LWE के 34 वजलों में कौशल विकास
कायणिम।

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3.10. क्या ककये जाने की अिश्यकता है ? (What needs to be done?)

भारतीय सशस्त्र बलों में व्याप्त कमजोररयों के कारण जहााँ भारत का सैन्य दृविकोण ऄवधक प्रगवत करने
में ऄसफल रहा है, िहीं विकासात्मक दृविकोण की भी ऄत्यवधक अदशाणत्मक और कायाणन्ियन के वलए
ऄिाथतविक होने के अधार पर अलोचना की गइ है। ऐसे में आन चुनौवतयों से वनपटने के वलए नीवतयों
पर पुनर्तिचार और थपि दृविकोण की अिश्यकता है। िथतुतः आस समथया से वनपटने की नीवत के वलए
वनम्नवलवखत ऄनुशंसाओं पर विचार करना चावहए:
 देश को चरमपंवथयों का सामना करने के वलए एक सुवनवित दृविकोण को लेकर एकमत होना
होगा।
 कें द्र और राज्यों के मध्य ईभरते मतभेदों को समाप्त करने के वलए एक समन्िय कें द्र के रूप में एक
थथायी संथथागत तंत्र की थथापना की जा सकती है।
 माओिादी हहसा के विरुद्ध प्राथवमक बल के रूप में पुवलस की क्षमताओं को बढ़ाना चरमपंवथयों की
सैन्य शवियों को विफल करने का साधन होगा।
 माओिादी चरमपंथ के विरुद्ध विकास एक ईपयोगी ईपकरण है। ककन्तु यह अिश्यक है कक
चरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों में संसाधन प्रदान करने से पूिण िहााँ कानून व्यिथथा की थथापना की जाए।
 विकास कायों को सुरक्षा बलों के साथ समवन्ित रूप से संपन्न ककया जाना चावहए। ककसी क्षेत्र को
सुरक्षाबलों द्वारा ईग्रिाद मुि ककये जाने के साथ ही ईस क्षेत्र में प्रशासवनक गवतविवधयों को तुरंत
बहाल ककया जाना चावहए।
 यह अिश्यक है कक अवधकाररक दृविकोण संचार की प्रभािी नीवत पर अधाररत हो। संचार को न
के िल ईग्रिाकदयों को ऄवनिायण रूप से खराब वसद्ध करने िाला बवल्क ऄपने सम्माननीय आरादों को
इमानदारी से ऄवभव्यि करने िाला भी होना चावहए।
 प्रभावित क्षेत्रों में थथानीय थि-शासन की संथथाओं के वलए चुनाि अयोवजत करना तथा साथ ही
ऄवतररि वििीय सहायता और वनणणय की शवियााँ प्रदान करने के साथ ही आन संथथाओं को सुदढ़ृ
बनाने की भी अिश्यकता है।
 सुरक्षा बलों की कायणिावहयों की सफलता ऐसे न्यायपूणण युद्ध की ऄिधारणा पर अधाररत होनी
चावहए जो संपार्तश्वक क्षवतयों को कम-से-कम करने का प्रयास करता हो।
 सरकार को शीघ्रता से युद्ध जीतने जैसे प्रचारिादी दािों से दूर रहने की अिश्यकता है।
भारत सरकार का यह मानना है कक विकास और सुरक्षा संबंधी पहलों पर ध्यान कें कद्रत करते हुए एक
समग्र दृविकोण से , LWE की समथया से सफलतापूिणक वनपटा जा सकता है। हालांकक, यह थपि है कक
माओिादी वनम्न विकास जैसे अधारभूत कारणों का साथणक तरीके से वनराकरण नहीं करना चाहते हैं
क्योंकक िे थकू ल भिनों, सडकों, रेल, पुलों, थिाथर्थय ऄिसंरचना, संचार सुविधाओं अकद को व्यापक रूप
से लवक्षत करते हैं।
िथतुतः िे ऄपनी पुरानी विचारधारा को कायम रखने के वलए ऄपने प्रभाि िाले क्षेत्रों में लोगों को
हावशये पर रखना चाहते हैं। आसके पररणामथिरूप, LWE के प्रभाि ने देश के ऄनेक भागों में विकास
की प्रकिया को बहुत धीमा कर कदया है। आसे नागररक समाज और मीवडया द्वारा समझे जाने की
अिश्यकता है ताकक माओिाकदयों पर हहसा छोडने, मुख्य धारा में शावमल होने तथा आस तर्थय को

थिीकार करने के वलए दबाि बनाया जा सके कक 21िीं सदी के भारत की सामावजक-अर्तथक और

राजनीवतक सोच एिं अकांक्षाएं माओिादी दृविकोण से पूरी नहीं हो सकती हैं। आसके ऄवतररि, हहसा
और विनाश पर अधाररत कोइ विचारधारा एक ऐसी लोकतांवत्रक व्यिथथा में सफल नहीं हो सकती है
जहााँ वशकायतों के वनिारण के िैध मंचों की व्यिथथा है।

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14-सूत्री नीवत (14-Point Policy)

नक्सलिाद के खतरे से वनपटने के वलए 2006 में कें द्रीय गृह मंत्रालय ने 14-सूत्री नीवत को प्रारंभ
ककया था। आस नीवत के प्रमुख तत्ि वनम्नवलवखत हैं:
1. सरकार हहसा में शावमल नक्सवलयों के साथ कठोरता से वनपटेगी।
2. यह ध्यान में रखते हुए कक नक्सलिाद के िल कानून एिं व्यिथथा की समथया नहीं है, सरकार की
नीवत का ईद्देश्य समग्र रूप से राजनीवतक सुरक्षा, विकास और जन ऄिबोधन प्रबंधन (public
perception management) के मोचों पर आस खतरे को संबोवधत करना है।
3. नक्सलिाद एक ऄंतरराज्यीय समथया है। राज्य सामूवहक दृविकोण ऄपनाएंगे और आसका
मुकाबला करने के वलए समवन्ित प्रवतकिया करेंगे।
4. राज्यों को पुवलस प्रवतकिया में सुधार करने और नक्सवलयों तथा ईनकी ऄिसंरचना के विरुद्ध
एकीकृ त ऄथिा संयुि रूप से प्रभािी एिं सतत पुवलस कारणिाइ को अगे बढ़ाने की अिश्यकता
होगी।
5. प्रभावित राज्यों द्वारा नक्सल समूहों के साथ ककसी भी प्रकार की शांवत िाताण तब तक नहीं की
जाएगी जब तक कक िे हहसा और हवथयार छोडने के वलए सहमत न हों।
6. राजनीवतक दलों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऄपने कै डर अधार को सुदढ़ृ करना चावहए ताकक
सक्षम युिाओं को नक्सल विचारधारा के मागण पर जाने से रोका जा सके ।
7. वजन राज्यों में नक्सल गवतविवधयों या ईसके प्रभाि की जानकारी प्राप्त हुइ हो परन्तु नक्सली
हहसा न हुइ हो, ईन राज्यों में वपछडे क्षेत्रों के त्िररत सामावजक-अर्तथक विकास पर विशेष ध्यान
कदये जाने के एक वभन्न दृविकोण को ऄपनाया जाना चावहए। आसके साथ ही नक्सली विचारधारा
और गवतविवधयों के वलए ज़मीनी थतर पर समथणन को कम करने के वलए गैर -सरकारी संगठनों,
बुवद्धजीवियों और नागररक थितंत्रता समूहों के साथ वनयवमत ऄंतःकिया की जानी चावहए।
8. नक्सवलयों के विरुद्ध थथानीय प्रवतरोध समूहों को बढ़ािा देने के प्रयास जारी रहेंगे , लेककन आसे
आस प्रकार ककया जाना चावहए कक ग्रामीणों को पयाणप्त सुरक्षा किर प्रदान ककया जाये और क्षेत्र में
प्रभािी रूप से सुरक्षा बलों का प्रभुत्ि हो।
9. नक्सली हहसा की व्यथणता और आससे होने िाली जीिन और संपवि की हावन तथा प्रभावित क्षेत्रों
में सरकार की विकास योजनाओं के प्रकटीकरण के वलए मास मीवडया का व्यापक रूप से ईपयोग
ककया जाना चावहए ताकक आससे सरकारी तंत्र के प्रवत लोगों की वनष्ठा एिं विश्वास को बहाल
ककया जा सके ।
10. राज्यों को नक्सल प्रभावित वजलों के वलए ईपयुि थथानांतरण नीवत की घोषणा करनी चावहए।
नक्सल प्रभावित वजलों में कायण हेतु आच्छु क, प्रवतबद्ध और सक्षम ऄवधकाररयों को एक थथायी
कायणकाल के साथ वनयुि ककया जाना चावहए। आन ऄवधकाररयों को आन क्षेत्रों में सरकार की
ईपवथथवत सुवनवित करने तथा आसमें िृवद्ध करने के वलए ऄवधक ऄवधकाररता और लचीलापन
भी प्रदान ककया जाना चावहए।
11. अंध्र प्रदेश सरकार द्वारा नक्सवलयों के वलए एक प्रभािी समपणण और पुनिाणस नीवत ऄपनाइ
गयी है और विगत कु छ िषों में आससे बेहतर पररणाम सामने अए हैं। ऄन्य राज्यों को भी आसी
प्रकार की नीवत ऄपनानी चावहए।
12. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का तीव्र सामावजक-अर्तथक विकास सुवनवित करने के वलए राज्य
सरकारों को ऄपनी िार्तषक योजनाओं में आन्हें ईच्च प्राथवमकता प्रदान करने की अिश्यकता
होगी। आस सन्दभण में फोकस क्षेत्रों में भूवम सुधारों के त्िररत कायाणन्ियन के भाग के रूप में

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भूवमहीन वनधणनों को भूवम वितररत की जानी चावहए, सडकों, संचार ि विद्युत् जैसी भौवतक
अधारभूत संरचना के विकास को सुवनवित ककया जाना चावहए और आन क्षेत्रों में युिाओं को
रोजगार के ऄिसर प्रदान ककये जाने चावहए।
13. एक ऄन्य संबंवधत मुद्दा यह है कक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास गवतविवधयों को मुख्य रूप से
नक्सली कै डरों द्वारा जबरन िसूली (extortion), ईनकी धमकी या ईनके भय के कारण नहीं
संचावलत ककया जा पाता है। आन क्षेत्रों में, ठे केदार भी विकास कायों को लेने के वलए अगे नहीं
अते हैं। ऄतः नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वनरंतर विकास गवतविवधयों को सुविधाजनक बनाने के
वलए पयाणप्त सुरक्षा और ऄन्य ईपायों की अिश्यकता है।
14. कें द्र सरकार प्रभावित राज्यों के प्रयासों और संसाधनों को सुरक्षा एिं विकास; दोनों मोचों पर
पूरक बनाएगी तथा समथयाओं से सफलतापूिणक वनपटने के वलए राज्यों के मध्य ऄवधक समन्िय
लाएगी।

4. पू िोिर क्षेत्र में ईग्रिाद (North-East Insurgency)


थितंत्रता प्रावप्त के समय भारत के पूिोिर भाग का ऄवधकांश क्षेत्र ऄसम राज्य के ऄंतगणत सवम्मवलत
था, जो सांथकृ वतक रूप से पृथक जनसंख्या के एक बडे भाग का प्रवतवनवधत्ि करता था। समय के साथ,
भारत सरकार ने आस क्षेत्र को जातीय और जनजातीय अधार पर छोटे राज्यों में संगरठत ककया, वजससे

पूिोिर के राज्यों का वनमाणण हुअ वजन्हें 'सेिन वसथटसण' का नाम कदया गया। आन नए राज्यों का वनमाणण

आस पृथक क्षेत्र में नृजातीय िगों द्वारा की जाने िाली हहसक गवतविवधयों के प्रत्युिर में ककया गया था,
परंतु आससे वििादों को पूणण रूप से समाप्त करने में सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है।

ऐवतहावसक पृष्ठभूवम
पूिोिर की पारंपररक जनजावतयों का ऐवतहावसक रूप से बडे पैमाने पर वतधबती-बमणन/ मंगोलॉयड
नृजातीयों से सम्बन्ध रहा है तथा ये दवक्षण एवशया की तुलना में दवक्षण-पूिण एवशया के साथ ऄवधक
वनकटता से जुडे हुए हैं। ये क्षेत्र नृजातीय, भाषाइ एिं सांथकृ वतक रूपों में भारत के ऄन्य राज्यों से
वबल्कु ल वभन्न हैं।

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हालााँकक के िल सांथकृ वतक और नृजातीय विविधता ही विद्रोह के कारण नहीं हैं। िाथति में आस क्षेत्र में
प्रमुख समथयाओं में से एक यह है कक पूिोिर क्षेत्र के संगठन की प्रकिया में 1950 के दशक में राज्यों की

सीमाओं के पररसीमन (delineation) के दौरान नृजातीय और सांथकृ वतक विवशिताओं की ऄिहेलना

की गयी थी। आसके पररणामथिरूप आस क्षेत्र में ऄसंतोष का जन्म हुअ तथा िैयविक पहचान संबंधी
दािों का ईद्भि हुअ।
ध्यातव्य है कक औपवनिेवशक शासकों को आस संपूणण क्षेत्र पर अवधपत्य थथावपत करने में लगभग एक
शताधदी का समय लगा था और िे आन पिणतीय क्षेत्रों को ऄव्यिवथथत 'सीमािती क्षेत्र' के रूप में

प्रशावसत करते थे। आस प्रकार ईिर-पूिी पहाडी क्षेत्र का एक बडा भाग भारत की थितंत्रता के पूिण कभी
भी कें द्रीय प्रशासन के वसद्धांत के ऄंतगणत नहीं अ सका था।
यही कारण है कक अरंभ से ही आस क्षेत्र में निगरठत भारतीय राष्ट्र-राज्य के प्रवत वनष्ठा का ऄभाि रहा।
आसके ऄवतररि पूिी पाककथतान (ितणमान बांग्लादेश) के गठन ने वनष्ठा के आस ऄभाि को और प्रोत्साहन
कदया। पूिी पाककथतान के गठन से भारत की मुख्य भूवम और पूिोिर राज्यों के मध्य एक बडे भू-भाग
का लोप हुअ तथा िाथतविक संपकण में भारी कमी अयी। ध्यातव्य है कक पूिोिर भारत की सीमाओं का
99 प्रवतशत भाग ऄंतरराष्ट्रीय सीमा का है।

4.1. पू िोिर में ईग्रिाद के कारण (Causes for North-East Insurgency)

पूिोिर भारत में ईग्रिाद के वलए कु छ कारण प्रमुख रूप से ईिरदायी हैं। आस क्षेत्र में ईग्रिाद को
बढ़ािा देने िाले पांच प्रमुख कारक वनम्नवलवखत हैं -
 प्रिास,

 ऄल्प अर्तथक विकास,

 वनम्न थतरीय पररिहन एिं संचार संपकण ,

 कें द्रीय सरकार द्वारा आस क्षेत्र की ईपेक्षा, और

 ईच्च िगों एिं थथानीय राजनीवतज्ञों के मध्य विद्यमान भ्रिाचार।


ऄन्य कारक जैसे- भाषा/नृजातीयता, जनजातीय प्रवतद्वंकदता, थथानीय संसाधनों पर वनयंत्रण,

प्रशासवनक मुद्दे, शोषण एिं ऄलगाि की व्यापक भािना के पररणामथिरूप हहसा तथा भारतीय

ईग्रिादी समूहों (Indian Insurgent Groups:IIGs) द्वारा की जाने िाली विवभन्न मांगों में िृवद्ध हुइ।

आन समूहों द्वारा की जाने िाली मांगों में भी ऄंतर हैं जैसे-कु छ मामलों में संप्रभु राज्य की मांग तो कु छ
मामलों गृहभूवम की थितंत्रता की मांग ऄथिा के िल ईन नृजातीय समूहों के वलए बेहतर वथथवतयों की
मांग वजनके प्रवतवनवधत्ि का ये दािा करते हैं। भूवमगत संगठन हहसक और अतंकिादी गवतविवधयों में
वलप्त होते हैं तथा ऄपने ईद्देश्यों/मांगों की प्रावप्त हेतु लोगों में हवथयारों के बल पर भय ईत्पन्न करते हैं।
आन समूहों के सीमा पार संबंध भी होते हैं तथा साथ ही ये हवथयार खरीदते हैं , कै डरों की भती करते हैं

एिं ईन्हें प्रवशक्षण देते हैं। आसके ऄवतररि ये ऄन्य गैर-क़ानूनी गवतविवधयों जैसे- सािणजवनक संपवियों
को क्षवत पहुंचाना, बम विथफोट, ईत्पीडन, वनदोष नागररकों एिं सुरक्षा बलों की हत्या, सरकारी

कमणचाररयों, राजनेताओं और व्यिसावययों का ऄपहरण तथा ईन पर हमले आत्याकद को ऄंजाम देते हैं।

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4.2. सशस्त्र नृ जातीय समू हों के ऄवथतत्ि हे तु ईिरदायी कारण

(Reasons for the Existence of the Armed Ethnic Groups)


राजनीवतक ऄवभप्रेरणा
राजनीवत ईग्रिादी समूहों की हहसक रणनीवत के कें द्र में है। ऄवधकांश ईग्रिादी समूह ऄपनी हहसक
गवतविवधयों हेतु जन-समूह का समथणन प्राप्त करने के वलए ककसी राजनीवतक मुद्दे का ही ईदाहरण देते हैं

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जो प्रायः लवक्षत जनसंख्या हेतु महत्िपूणण होता है। माओ त्से तुंग के ऄनुसार िांवत हेतु संगरठत होने की
संभािना ऐसे ककसी भी देश में विद्यमान हो सकती है जहां औपचाररक प्रशासवनक व्यिथथा ऄपने
नागररकों को जीिन थतर के न्यूनतम मानक प्रदान करने के ऄपने मौवलक दावयत्िों की पूर्तत करने में
विफल रही हो। जन समूह के महत्िपूणण समथणन को प्राप्त करने और संघषण को बढ़ािा देने हेतु ईपयुि
पररिेश प्राप्त करने के वलए ककसी भी सशस्त्र अंदोलन में राजनीवतक लामबंदी प्रथम महत्िपूणण चरण है।
हवथयारों की ईपलधधता
दी गयी पररवथथवतयों में सशस्त्र विद्रोह हेतु ऄिसर विद्यमान होने पर विद्रोही ईग्रिादी समूह ऄपने
राजनीवतक ईद्देश्यों की पूर्तत हेतु हहसक साधनों का प्रयोग करते हैं। व्यािहायणता पररकल्पना
(Feasibility Hypothesis) का तकण है कक “जब भी विद्रोह भौवतक रूप से संभि है तभी यह घरटत

होगा"। ककसी भी सशस्त्र विद्रोह के ऄवथतत्ि में रहने हेतु दो मूलभूत शतें हैं- विि पोषण एिं सैन्य

ईपवथथवत। पूिोिर भारत में हवथयारों की सुगम ईपलधधता नेशनल सोशवलथट काईवन्सल ऑफ़
नगालैंड {NSCM(IM)}, यूनाआटेड वलबरेशन फ्रंट ऑफ़ ऄसम (ULFA), यूनाआटेड नेशनल वलबरेशन

फ्रंट (UNLF) तथा पीपल्स वलबरेशन अमी (PLA) को ऄपने सशस्त्र विद्रोहों को जारी रखने में सक्षम

बनाती है।
जन सामान्य द्वारा समथणन
कोइ ईग्रिादी समूह विि पोषण, अधार क्षेत्र (बेस एररया), भती, खाद्य अपूर्तत तथा खुकफया नेटिकण के

ईद्देश्यों की पूर्तत हेतु जनसामान्य के समथणन पर महत्िपूणण रूप से वनभणर करता है। चूंकक ईग्रिादी समूह
थियं को एक विवशि नृजातीय समूह या समुदाय के प्रवतवनवधयों के रूप में गरठत करता है , आसवलए

जनसामान्य के समथणन से आनकी िैधता बढ़ जाती है।


थथान
ककसी भी विवशि थथान का भूगोल और थथलाकृ वत ईग्रिादी गवतविवधयों को जारी रखने में महत्िपूणण
भूवमका वनभाते हैं। सहायक थथलाकृ वत के वबना थोडे बहुत ऄस्त्र-शस्त्रों िाले, ऄत्यवधक गवतशील
ईग्रिादी कै डरों की ऄपने से कहीं ऄवधक प्रबल शवि (ऄथाणत् राज्य) की तकनीकी श्रेष्ठता के सामने रटक
पाने की संभािना ऄत्यवधक कम रह जाती है।
बाह्य समथणन
संभितः ईग्रिादी समूहों के सिाणवधक महत्िपूणण अयामों में से एक बाह्य समथणन है। पडोसी देशों द्वारा
समथणन राजनीवतक, नैवतक, सैन्य, अर्तथक, क्षेत्रीय या सांथकृ वतक और साथ ही नृजातीय संबंधों पर

अधाररत हो सकता है। 2010 में RAND द्वारा विद्रोवहयों पर ककया गया ऄध्ययन यह आंवगत करता है

कक बाह्य समथणन और ईपलधध शरण थथलों के वबना कोइ भी अंतररक विद्रोह 10 िषों की ऄिवध से

ऄवधक ऄवथतत्ि में नहीं रह सकता है।


आन समूहों की रणनीवत एिं प्रकृ वत
NSCM (IM), ULFA, UNLF तथा PLA ने दीघणकावलक सशस्त्र संघषण की एक घोवषत रणनीवत को

ऄपनाया है। रोचक तर्थय यह है कक संघषण-विराम को पुनगणठन, भती, विि पोषण और पुनःसशस्त्रीकरण

के चरणों के रूप में ऄपनाया जाता है। ऐसा ऄवधकांश मामलों में हुअ है। ULFA और NSCM(IM)

द्वारा संघषण-विराम की ऄिवध के दौरान पुनःसशस्त्रीकरण और पुनगणठन ककया गया, जो कक ईन्होंने


पहले से ही तय कर रखा था।

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4.3. पू िोिर के विद्रोह से वनपटने हे तु सरकार द्वारा ऄपनाइ गयी पहलें

(Government Initiatives Towards North East Insurgency)


पूिोिर में सशस्त्र नृजातीय विद्रोहों के प्रवत राज्य की प्रवतकिया को तीन िैचाररक मानकों के तहत
वनधाणररत ककया जा सकता है:
1. बल का अनुपावतक ईपयोग।

2. संिाद एिं िाताणओं का ईपयोग करना।

3. संरचनात्मक पररितणन।
आनके संदभण में विवभन्न अयाम आस प्रकार हैं:

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सशस्त्र बल विशेष शवियां ऄवधवनयम (Armed Forces Special Powers Act: AFSPA)
पूिोिर राज्यों में हहसा जीिन जीने की एक पद्धवत बन चुकी है। राज्य प्रशासन ऄपने यहां व्याप्त
अंतररक ऄशांवत से वनपटने में ऄसमथण हैं। सशस्त्र बल (ऄसम और मवणपुर) विशेष शवियां ऄवधवनयम
को तत्कालीन राष्ट्रपवत द्वारा 22 मइ, 1958 को ऄवधवनयवमत ककया गया था। आसमें ऄसम और

मवणपुर, दोनों राज्यों के ऄशांत क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के सदथयों को कु छ विशेष शवियां प्रदान
की गइ थीं। कु छ समय पिात आस ऄध्यादेश को सशस्त्र सेना विशेष शवि विधेयक द्वारा प्रवतथथावपत
ककया गया।
यह ऄवधवनयम ऄरुणाचल प्रदेश , ऄसम, मवणपुर, मेघालय, वमजोरम, नगालैंड और वत्रपुरा राज्य के
ऄशांत क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के सदथयों को कु छ विशेष शवियां प्रदान करता है। यह ऄवधवनयम
ऄत्यवधक वििादाथपद भी रहा है। ककसी ऄन्य अतंकिाद विरोधी कानून की भांवत यह भी प्रथम दृिया
नागररकों को प्रदि ऄनेक थितंत्रताओं तथा मौवलक ऄवधकारों का ईल्लंघन करता है, क्योंकक आसे ककसी

का ईिरदावयत्ि तय ककये वबना लागू ककया गया है। आन "संघषणग्रथत" या "ऄशांत क्षेत्रों” में सेना को
प्रदि व्यापक शवियों और प्रवतरक्षा के प्रािधान के कारण आस ऄवधवनयम के विरुद्ध विवभन्न
मानिावधकार समूहों द्वारा व्यापक थतर पर विरोध प्रदशणन ककया जाता रहा है। मवणपुर की एक
सामावजक कायणकताण आरोम शर्तमला, निंबर 2000 से ही AFSPA को वनरथत करने की मांग को लेकर

16 िषों तक ऄमरण ऄनशन पर रहीं।


राज्यों के साथ शांवत प्रकिया
सरकार ने ककसी भी विरोधी समूह (जो हहसा को त्यागने और भारत के संविधान के ऄंतगणत ऄपनी मांग
रखने का आच्छु क हो) के साथ िाताण करने की आच्छा व्यि की है। सरकार की ईपयुणि नीवत के पररप्रेक्ष्य
में ऄनेक समूह ऄपनी वशकायतों के वनिारण हेतु सरकार के साथ िाताण करने हेतु तैयार हुए हैं तथा
ऄवधकांश विद्रोही कै डरों ने सशस्त्र अत्मसमपणण भी ककया है।
पूिोिर में ईग्रिाकदयों के समपणण तथा ईनके पुनिाणस हेतु योजना
भटके हुए युिाओं और कट्टर ईग्रिाकदयों (जो अतंकिाद संबंधी गवतविवधयों की िाथतविकताओं को न
जानने के कारण आनमें वलप्त हो जाते हैं और कफर ऄंततः आनके दुष्चि में फं स जाते हैं) को ईग्रिाद के
चंगुल से मुि कराने के ईद्देश्य से गृह मंत्रालय पूिोिर में ईग्रिाकदयों के अत्मसमपणण -सह-पुनिाणस हेतु
एक योजना का कियान्ियन कर रहा है। यह सुवनवित करना भी आस योजना का ईद्देश्य है कक एक बार
अत्मसमपणण करने िाले ईग्रिादी पुनः ईग्रिादी गवतविवधयों की ओर अकर्तषत न हों।
यह योजना वनम्नवलवखत सहायताएाँ प्रदान करती हैं:
 अत्मसमपणण करने िाले प्रत्येक व्यवि को 1.5 लाख रुपये की तत्काल सहायता प्रदान की जाएगी।

 अत्मसमपणण करने िाले प्रत्येक व्यवि को एक िषण तक 3500 रुपये/प्रवत माह की िेतन रावश
प्रदान की जाएगी।
 थि-रोजगार की प्रावप्त हेतु अत्मसमपणण करने िाले व्यवि को व्यािसावयक प्रवशक्षण प्रदान ककया
जाएगा।
सुरक्षा संबध
ं ी व्यय (SRE) की प्रवतपूर्तत

अतंकिाद/विद्रोह द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा संबंधी व्यय (Security Related

Expenditure: SRE) की प्रवतपूर्तत के वलए कें द्र सरकार एक गैर-योजनागत पहल को कियावन्ित कर
रही है। यह योजना वमजोरम और वसकिम को छोडकर प्रभावित क्षेत्र के सभी राज्यों में कियावन्ित की
जाएगी।

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आसके ऄंतगणत, राज्यों द्वारा विवभन्न प्रकार की िथतुओं पर ककए गए व्यय की प्रवतपूर्तत की जाएगी,
वजसमें सवम्मवलत हैं:
 भारतीय ररज़िण बटावलयनों का विकास करना,

 राज्य में तैनात कें द्रीय सशस्त्र पुवलस बल (CAPF)/सेना को लॉवजवथटक्स प्रदान करना,
 चरमपंथी हहसा के पीवडतों को ऄनुग्रह ऄनुदान और वनःशुल्क राहत प्रदान करना,

 ऄवभयानों और मानदेयों में प्रयुि POL (पेट्रोल, अयल और लुविकें ट्स) के 75 प्रवतशत व्यय का
िहन करना।
 सुरक्षा ईद्देश्यों हेतु वनयोवजत ग्राम रक्षकों (विलेज गार्डसण)/ग्राम रक्षा सवमवत/होम गार्डसण को िेतन
प्रदान करना।
 ईन समूहों के वलए वनधाणररत वशविरों के व्यय का िहन करना वजनके साथ कें द्र सरकार / राज्य
सरकारों ने सैन्य कायणिावहयों को समाप्त करने हेतु समझौता ककया हो।
पूिोिर राज्यों में वसविक एक्शन प्रोग्राम
थथानीय लोगों का विश्वास प्राप्त करने और जन सामान्य के मध्य सशस्त्र बलों की छवि को सुधारने के
ईद्देश्य से सेना एिं कें द्रीय सशस्त्र पुवलस बलों द्वारा वसविल एक्शन प्रोग्राम का अयोजन ककया जाता है।
आस कायणिम के ऄंतगणत, विवभन्न कल्याण संबंधी/विकासात्मक गवतविवधयों का संचालन ककया जाता हैं

जैसे- वचककत्सकीय वशविरों का अयोजन, थिच्छता संबंधी कायणिम, खेल समारोह, बच्चों में वशक्षण
संबंधी सामग्री का वितरण, थकू ली आमारतों, सडकों, पुलों की मरम्मत, ियथक वशक्षा के न्द्रों का संचालन
आत्याकद।
विज्ञापन एिं प्रचार
पूिोिर में व्याप्त समथयाओं जैसे- अतंकिाद, घुसपैठ, ऄलगाि की भािना आत्याकद को ध्यान में रखते
हुए गृह मंत्रालय पूिोिर राज्यों में विज्ञापन एिं प्रचार की योजना को कायाणवन्ित कर रहा है। आसके
ऄंतगणत क्षेत्र में सरकार द्वारा “पीस पेज़ (Peace pays)”, ऄथाणत् शावन्त सदैि लाभकारी होती है, की
ऄिधारणा को बढ़ािा देने के साथ शांवत थथावपत करने हेतु ककए गए कायों को रेखांककत ककया जाएगा।
पुवलस बलों का अधुवनकीकरण
गृह मंत्रालय ने राज्य पुवलस बलों के अधुवनकीकरण विशेषतः अंतररक सुरक्षा में मौजूदा चुनौवतयों
जैसे- अतंकिाद और नक्सलिाद आत्याकद से वनपटने हेतु ‘राज्य पुवलस बलों का अधुवनकीकरण
(MPF)’ नामक एक गैर-योजनागत पहल का कियान्ियन ककया है। आस योजना के तहत पुवलस

ऄिसंरचना संबंधी सभी मदों को शावमल ककया गया है, जैसे कक- सुरवक्षत पुवलस थानों का वनमाणण,

बाहरी चौककयों (outposts), पुवलस लाआनों, पुवलस की त्िररत प्रवतकिया, रक्षा बलों को अधुवनक
हवथयारों से सुसवित करना, सुरक्षा, वनगरानी, संचार, फोरेंवसक ईपकरण, प्रवशक्षण ऄिसंरचना का

ईन्नयन, पुवलस अिास, कम्प्यूटरीकरण पर ध्यान के कद्रत करना आत्याकद।


पूिोिर राज्यों में हेलीकॉप्टर सेिाएं
ितणमान में हेलीकॉप्टर सेिाओं का संचालन ऄरुणाचल प्रदेश, वसकिम, मेघालय, नागालैंड और वत्रपुरा
में ककया जा रहा है तथा आनके संचालन में गृह मंत्रालय द्वारा सवधसडी रही है। हेलीकॉप्टर की संचालन
लागत में से यात्री भाडे से होने िाली िसूली को घटाकर, बची हुइ रावश पर 75% सवधसडी दी जाती

है। हेलीकॉप्टर सेिा संचालन की शेष लागत को संबद्ध राज्य सरकारों द्वारा िहन ककया जाता है।
ऄन्य पहलें
कें द्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा ककए जाने प्रयासों को विवभन्न ईपायों द्वारा ऄनुपूररत करने का प्रयास
कर रही है। आनमें ऄवतररि कें द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती और असूचनाओं (आंटेवलजेंस) का प्रसार करने

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के ईपाय भी शावमल हैं ताकक समवन्ित एिं कें कद्रत तरीके से ईग्रिादी गवतविवधयों से वनपटा जा सके ।
कु छ ऄन्य ईपाय हैं:
 सुरक्षा बलों द्वारा सीमा पर सतकण ता और वनगरानी सुवनवित करने हेतु ऄनेक ईपाय ककए गए हैं,
जैसे- भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीमा-बाड और फ्लड लाआट्स लगाना।
 सरकार ईन सभी ईग्रिादी समूहों के साथ िाताण करने के वलए तैयार है जो हहसा त्यागना चाहते हैं
और हवथयारों सवहत समपणण करना चाहते है तथा संविधान के दायरे के ऄंतगणत शांवतपूणण तरीके से
ऄपनी वशकायतों का समाधान करने के वलए आच्छु क हैं।

4.4. आस सन्दभण में कौन से ईपाय ककए जाने चावहए ?

(What Needs to be Done?)


ऄपनी मांगों और पद्धवतयों में विविधता होने के बािजूद पूिोिर में हुए विद्रोहों का एक साझा मुद्दा-
पहचान और विकास है। आसवलए, विवशि क्षेत्रों और समूहों की विवशिताओं से युि कु छ साझा
समाधानों की खोज करना अिश्यक है।
 समूहों को थिायिता प्रदान कर ईनकी राजनीवतक अकांक्षाओं की पूर्तत करना। छठीं ऄनुसूची के
प्रािधानों को आस क्षेत्र में कायाणवन्ित करने से आन्हें िृहत थिायिता प्रदान करने के ऄवतररि आनकी
पहचान एिं संथकृ वत को संरवक्षत करने में सहायता वमलेगी। क्षेत्र में ईवचत ढंग से अर्तथक विकास
करना। क्षेत्र में की जाने िाली ककसी भी विकासात्मक गवतविवध को संधारणीय होना चावहए और
आसमें थथानीय लोगों की थिीकृ वत और भागीदारी होनी चावहए।
 सरकार एिं प्रशासन की गिनेंस और वितरण प्रणाली में सुधार ककया जाना चावहए।
 शांवत िाताणओं के अयोजन हेतु हहसा को पूणण रूप से त्यागने की पूिण शतण दोषपूणण है। यकद हहसा को
त्याग कदया जाता है एिं शांवत थथावपत हो जाती है तो शांवत िाताण की अिश्यकता वनरथणक हो
जाती है। के िल एक समूह को नहीं बवल्क सभी वहतधारकों को शावमल कर ठोस समाधान प्राप्त
करने हेतु वनरंतर संिाद ककया जाना चावहए।
 पडोसी देशों के साथ समवन्ित ऑपरेशन और के िल अिश्यकता होने पर ही बल का ईपयोग ककया
जाना चावहए। AFSPA जैसे कठोर कानूनों को समाप्त कर कदया जाना चावहए क्योंकक यह
पूिोिर में विद्रोह को बढ़ािा देने िाले कारणों में से एक है।
 संकीणण होती नृजातीय एिं भाषाइ पहचानों के अधार पर नए राज्यों एिं क्षेत्रों की मांग करने (जो
कक थिीकार योग्य नहीं है) के बजाय ईग्रिादी समूहों को संिैधावनक संरचना के ऄंतगणत ऄवधक
थिायिता की मांग द्वारा ऄवधक व्यािहाररक समाधान की कदशा में प्रयास करना चावहए।
 वनणणय वनमाणण की प्रकिया में कें द्र एिं राज्यों को एक-दूसरे के साथ समन्िय थथावपत करना
चावहए। हाल ही में, कें द्र और NSCM (IM) के मध्य हुए समझौते में संबद्ध राज्य सरकार एिं ऄन्य
समूहों को शावमल नहीं ककया। आस प्रकार की कायणिावहयों से बचना चावहए।
 राज्य पुवलस और कें द्रीय बलों को अतंिाकदयों के विरुद्ध असूचनाओं को साझा करने, जांच-
पडताल और सैन्य ऄवभयानों आत्याकद में एक-दूसरे के साथ समन्िय करना चावहए। सेना ने अरोप
लगाया है कक जून में हुए हमले के पीछे सबसे बडा कारण यह था कक राज्य पुवलस ने ईनके साथ
हमले संबंधी असूचनाएाँ साझा नहीं की थीं। यह एक दुभाणग्यपूणण एिं प्रवतकू ल वथथवत थी।
 िैकवल्पक संघषण समाधान (Alternative Conflict Resolution)- जब कभी भी कवथत
ऄवतिमण पर रोष ईत्पन्न होता है, तब कोइ भी सामावजक समूह शावन्त थथावपत करने हेतु रोष

को कम करने के वलए मध्यथथ के रूप में कायण नहीं कर सकता। ऐसी पररवथथवतयों में,
ऄनौपचाररक पहलों के माध्यम शांवत थथावपत करने हेतु िैकवल्पक संघषण समाधान एिं क्षमता
वनमाणण महत्िपूणण हो जाते हैं। पीपुल्स फोरम द्वारा ऄपनाइ गइ पहलें 'बडे प्रभाि लाने िाले छोटे

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कदम' सावबत हो सकती हैं और आस प्रकार के छोटे बदलाि अपसी दृविकोण एिं धारणा में
पररितणन ला सकते हैं। ऐसी पहल वनम्नवलवखत मामलों में सहायक हो सकती है: -
o संचार: सिणप्रथम प्राथवमकता विवभन्न युद्धरत नृजातीय समूहों के मध्य एक ऄनौपचाररक
संचार थथावपत करना है। आस प्रकार की पहल ककसी भी नृजातीय समुदाय द्वारा ककए जाने
िाले ऄवतिमण की रोकथाम ऄथिा ईसमें हथतक्षेप कर सकती है। "ककसी भी ऄपराध के होने
की वथथवत में, हमें के िल संकदग्ध ऄपराधी पर ऄपना ध्यान कें कद्रत करना चावहए, न कक संपूणण
िंश पर।"
o मध्यथथता: ितणमान पररवथथवतयों में ककसी भी नृजातीय संघषण के पिात शांवत थथावपत करने
का ईिरदावयत्ि सुरक्षा बलों को कदया जाता है। परंत,ु पीपुल्स फोरम के माध्यम से मध्यथथता
हेतु प्रत्यक्ष संपकण थथावपत करने के वलए लोगों के मध्य विश्वास ईत्पन्न करना भी महत्िपूणण हो
जाता है।
o िाताण: यह भी अिश्यक है की सभी वहतधारकों विशेषतः लोगों को िाताण हेतु एक-साथ लाया
जा सके , वजसका ईदेश्य के िल वििाद समाधान ही नहीं बवल्क वििाद की रोकथाम भी होना
चावहए ताकक संपार्तश्वक क्षवत की रोकथाम की जा सके । मानितािादी अधार पर ऄिरोध की
वथथवत पर िाताण की जा सकती है। "सद्भािना का ईपयोग बल के ईपयोग से कहीं बेहतर है।"

o तटथथ तर्थयान्िेषण: मौजूदा पररवथथवतयों में, नृजातीय समुदायों के मध्य एक-दूसरे के प्रवत
विश्वास का ऄभाि है। प्रत्येक समूह पीवडत होने का कदखािा करता है और प्रवतद्वंद्वी समूह पर
ऄत्याचार का अरोप लगाता है। सरकारी ररपोटण अने में ऄवधकांशतः विलंब होता है या ईन्हें
पक्षपातपूणण माना जाता है। सरकार द्वारा दोषी माना जाने िाला पक्ष थियं को पीवडत महसूस
करता है। पीपुल्स फोरम तटथथ तर्थयान्िेषी के रूप में कायण कर सकता है और ऐसा फोरम
थितः ही आस वनष्कषण पर पहुाँच सकता है कक िाथति में गलती ककसकी है।
o वशकायतों का तटथथ मूल्यांकन करना: सरकार प्रायोवजत िाताण सदैि विफल होती है क्योंकक
सरकार द्वारा वशकायतों का समाधान ईस रूप में नहीं ककया जा सकता वजस रूप में िे समूह
चाहते हैं। पीपुल्स फोरम द्वारा तटथथ मूल्यांकन और संबंवधत थथल का दौरा करने से आस
प्रकार के संदह
े का समाधान ककया जा सकता है।
o विरोध, ऄसहमवत, प्रदशणन एिं चचाण हेतु फोरम थथावपत करना: आस फोरम में कोइ भी

ऄसहमत व्यवि ऄपने ऄसंतोष, वशकायतों और ऄसहमवत को व्यि कर सकता है। परंतु यकद
ऄंत में चचाण करने को लेकर एक अम सहमवत थथावपत हो जाए तो फ़ोरम ऄपने ईद्देश्य की
प्रावप्त में सफल हो जाएगा।
o विभाजन को बढ़ािा देने हेतु मीवडया के दुरुपयोग पर रोक लगाना: मीवडया के माध्यम से
प्रचाररत होने िाली ऄफिाहों और आसके दुरूपयोग को रोकना सरकार के वलए एक करठन
कायण है। आसका सिोिम समाधान यही है कक थथानीय शांवत सवमवतयों द्वारा आस प्रकार की
ऄफिाहों की हनदा की जानी चावहए क्योंकक िे ही आन समाचारों की प्रमावणकता की पुवि कर
सकती हैं।

िैकवल्पक संघषण समाधान (Alternative Conflict Resolution)


यह ऄनौपचाररक समूहों द्वारा ककसी भी वििाद को वनपटाने का एक माध्यम है। िैकवल्पक संघषण
समाधान सवमवत या फोरम की संरचना आस प्रकार है:
 सभी नृजातीय समूहों के सदथय (ऐसे लोग जो शांवतवप्रय हों न कक हहसक प्रिृवत के ),समाज-
विज्ञानी, सभी नृजातीय समूहों के विश्वसनीय व्यवि (जैसे जी. के . वपल्लइ), धार्तमक नेता,
वशक्षाविद एिं सामावजक कायणकताण।

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 समरूप संघटन िाला मवहलाओं का एक वभन्न समूह


 थथानीय थतर पर कु छ ईप-सवमवतयां भी होनी चावहए ताकक संिाद थथावपत ककया जा सके और
विश्वास वनमाणण के ईपायों (Confidence Building Measures: CBM) को प्रारंभ ककया जा
सके ।

5. जम्मू और कश्मीर में ईग्रिाद


(Jammu and Kashmir Insurgency)

प्राचीन समय से ही कश्मीर की ऄत्यंत सुंदर घाटी के सवहष्णु पररिेश में शांवतपूणण हचतन, बौवद्धक
ईन्नवत और धार्तमक विविधता का लम्बे समय तक सह-ऄवथतत्ि रहा है। अधुवनक भू-राजनीवतक युग में
आस राज्य में आथलाम, हहदू धमण, वसख धमण और बौद्ध धमण की विविधता ने ही आसकी सांथकृ वतक ईन्नवत
के थथान पर आसे युद्ध का कें द्र बना कदया है। 1980 के दशक के ईिराद्धण में, घाटी में हुए एक विद्रोह ने न
के िल कश्मीर के ऄलगाि का संकट ईत्पन्न ककया बवल्क शेष विश्व को भी एक खतरनाक युद्ध में
सवम्मवलत कर वलया।

ऐवतहावसक पृष्ठभूवम
थितंत्रता के पिात से ही कश्मीर थितंत्रता अंदोलन के ईद्भि और विकास को थपि रूप से देखा जा
सकता है। 1947 में कश्मीर के भारत में प्रिेश के बािजूद, कश्मीरी लोगों की थितंत्रता के प्रवत अकांक्षा
कम नहीं हुईं है।
जम्मू-कश्मीर में विद्रोह ऄथिा कश्मीरी विद्रोह विवभन्न कश्मीरी ऄलगाििाकदयों और राष्ट्रिाकदयों
(वजन्हें कभी-कभी चरमपंथी भी कहा जाता है) तथा भारत सरकार के मध्य का एक संघषण है। कु छ समूह
कश्मीर को पाककथतान में शावमल करने के पक्ष हैं, जबकक ऄन्य समूह कश्मीर की पूणण थितंत्रता चाहते
हैं। िषण 2002 से थथानीय विद्रोवहयों के साथ झडपों ने कश्मीर क्षेत्र में मुख्य संघषण का रूप ले वलया है।
जम्मू और कश्मीर में ईग्रिाकदयों के मध्य ऄनेक आथलामी तत्ि विद्यमान हैं, वजनमें से कइ "कट्टरपंवथयों

(ऄल्ट्रा)" की पहचान वजहादी अंदोलनों या आसे समथणन करने िालों के रूप में की गइ है।

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कश्मीरी ईग्रिाकदयों और भारत सरकार के मध्य संघषण थथानीय थिायिता को लेकर है। 1970 के दशक

के ऄंत से पहले की समयािवध तक कश्मीर में लोकतांवत्रक विकास सीवमत था। 1988 तक भारत
सरकार द्वारा ककए गए कइ लोकतांवत्रक सुधारों को पलट कदया गया था। ऄसंतोष व्यि करने के वलए
ऄहहसक साधन सीवमत थे। आसके पररणामथिरूप भारत से हहसक ऄलगाि का समथणन करने िाले
विद्रोवहयों के समथणन में नाटकीय रूप से िृवद्ध हुइ। 1987 में हुए एक वििाकदत राज्य चुनाि ने विद्रोह
के वलए ईत्प्रेरक का कायण ककया जब राज्य विधानसभा के कु छ सदथयों ने ही सशस्त्र विद्रोही समूहों का
गठन कर वलया था। जुलाइ 1988 में प्रदशणनों, हडतालों और भारत सरकार पर हमलों की एक श्रृंखला

ने कश्मीर विद्रोह का अरंभ ककया जो 1990 के दशक के दौरान भारत में अंतररक सुरक्षा का सबसे
महत्िपूणण मुद्दा बन गया।

5.1. कश्मीर समथया के दो अयाम

(Two Dimensions of the Kashmir Conundrum)


भारतीय पररप्रेक्ष्य में कश्मीर समथया के दो अयाम देखे जा सकते हैं:
 बाह्य अयाम (पाककथतानी हथतक्षेप तथा जम्मू और कश्मीर राज्य पर आसके दािों के कारण);
 अंतररक अयाम (भारतीय राज्य से जम्मू -कश्मीर के लोगों की सामावजक-राजनीवतक मांगों के
कारण)
बाह्य अयाम के पररणामथिरूप होने िाले चार पारंपररक युद्धों, ऄनेक असन्न युद्धों और भारत तथा
पाककथतान के मध्य परमाणु युद्ध की अशंका ने ऄशांवत को बढ़ा कदया है। कश्मीर के माध्यम से भारत के
विरुद्ध पाककथतान द्वारा चलाये जा रहे छद्म युद्ध (प्रॉक्सी िॉर) के विथतार ने हमारी अंतररक सुरक्षा
वथथवत को वनरंतर तनाि की वथथवत में बनाए रखा है। राष्ट्रीय मुख्यधारा से जम्मू और कश्मीर को पृथक
करने के ऄवतररि यह भारत की विकास प्रकिया में एक गंभीर समथया बना हुअ है। आससे कारण देश
के संसाधनों का वनरंतर ऄपव्यय हो रहा है, वजसके पररणामथिरूप रक्षा व्यय में िृवद्ध हुइ है।
मानिावधकारों के ईल्लंघनों और ऄन्य सामावजक प्रवतबंधों के अरोप भारत के एक महान विश्व शवि
बनने के मागण में बाधक बन गए हैं। यह एक समृवद्धशील लोकतंत्र को भी कमजोर बना रहा है।
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर का अंतररक अयाम धमण और क्षेत्र के साथ-साथ बहु-नृजातीयता/बहु-
सांथकृ वतक और राजनीवतक मुद्दों के मध्य एक जरटल ऄंतःकिया है। भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर
को विशेष राज्य का दजाण प्रदान ककया गया है तथा आसकी एक विवशि पहचान है। आसमें विवभन्न प्रकार
की जरटलताएं विद्यमान हैं। समय-समय पर ऄवधक थिायिता और ऄनन्य ऄवधकारों की मांग के वलए
विरोध, अंदोलन और बंद के चलते राज्य में ऄवथथरता की वथथवत ईत्पन्न हुइ है और आसने राजनीवत की
ऄवनवित प्रकृ वत को रेखांककत ककया है।
कइ ऄंतसांबंवधत मुद्दों के परथपर संबंवधत होने के कारण आस समथया का समाधान करना सरल नहीं है,
ये मुद्दे वनम्नवलवखत हैं-
 भारतीय क्षेत्रीय रक्षा क्षमता;

 पाककथतानी राज्य का तकण ; और

 कश्मीरी राष्ट्रिाद ने आसे ऄनुपयुि रूप से एक जीरो सम गेम (एक ऐसी वथथवत वजसमें एक पक्ष,

दूसरे पक्ष को हावन पहुंचाकर लाभ प्राप्त करता है) में पररिर्ततत कर कदया है;

ईपयुणि मुद्दों के कारण, आसमें शावमल कोइ भी पक्ष पूणण लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहा है।

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1988-2017 के मध्य समग्र सुरक्षा वथथवत (Overall Security Situation 1988-2017):


1999 में प्रधानमंत्री ऄटल वबहारी िाजपेयी द्वारा अरंभ की गइ अंतररक और बाहरी शांवत सम्बन्धी
प्रकियाओं के बाद जम्मू -कश्मीर में हहसक घटनाओं में तीव्रता से वगरािट हुइ थी। आस शांवत प्रकिया के
पिात वनर्तमत अशािादी माहौल को 2007 तक प्रधानमंत्री मनमोहन हसह द्वारा अगे बढ़ाया गया था।
आसके पररणामथिरूप हहसा के थतर, LOC घुसपैठ और युद्ध विराम समझौते के ईल्लंघनो में तीव्र
वगरािट देखी गयी। समग्र हहसा में अइ वगरािट के पररणामथिरूप थथानीय कश्मीरी लोगों द्वारा
अतंकिाकदयों और ऄलगाििाकदयों को थथानीय थतर पर कदए जाने िाले व्यापक समथणन में भी भारी
वगरािट देखी गइ। 2009 के पिात शांवत प्रकिया के बावधत होने के कारण पुनः युद्ध विराम समझौते
का ईल्लंघन होने लगा।
2015 में, नागररकों और सुरक्षा बलों के जिानों की मृत्यु में कमी हुइ थी जबकक बडे पैमाने पर
अतंकिाकदयों का भी सफाया ककया गया था। ककन्तु िषण 2016 में, सुरक्षा बलों के जिानों और
अतंकिाकदयों दोनों की मौतों की संख्या में तीव्र िृवद्ध हुइ। आस प्रकार, जहां अतंकिादी हहसा में कमी
हुइ है, िहीं विगत कु छ िषो (विशेष रूप से 2016 में) से कश्मीरी समाज में ऄलगाििादी भािना में
तीव्र िृवद्ध देखी गइ है।

5.2. जम्मू और कश्मीर विद्रोह के कारण (Reasons for J&K Insurgency)

1987 के विधानसभा चुनािों में गडबडी (Rigging of 1987 Assembly elections)


1987 में हुए राज्य चुनािों में कवथत गडबडी ने विद्रोह को बढ़ा कदया था। आसने सरकार विरोधी
भािनाओं को भी भडकाया। एक सरकारी ररपोटण में पाया गया कक सभी कश्मीर में पंचायत के पदों में
से लगभग अधे पद ररि थे और आसका कारण संघषण का ऄवथथरताकारी प्रभाि था। भारतीय संविधान
के 73िें संशोधन द्वारा गरठत पंचायती राज व्यिथथा ग्रामीण थतर पर वनिाणवचत शासन की एक
प्रणाली है। ररपोटण में यह भी पाया गया कक यह प्रणाली प्रभािी ढंग से शासन थथावपत करने में ऄक्षम
रही है।
हालांकक, विद्रोह के कदनों से विगत 25 िषों के दौरान 2014 के विधानसभा चुनािों में ईच्चतम मतदान
दजण ककया गया था। आसमें लगभग 65% से ऄवधक मतदान दजण ककया गया जो भारत के ऄन्य राज्यों में
सामान्य मतदान से ऄवधक था। आसे भारत की लोकतांवत्रक प्रकिया के प्रवत कश्मीरी लोगों के विश्वास में
िृवद्ध के रूप में देखा जाता है।
आंटर-सर्तिसेज आंटेवलजेंस (ISI) की भूवमका (ISI's role)
कश्मीर में भारतीय शासन की िैधता पर वििाद के कारण पाककथतानी आंटर-सर्तिसेज आंटेवलजेंस द्वारा
कवथत रूप से कश्मीर थितंत्रता अंदोलन को विद्रोह के माध्यम से प्रोत्साहन और सहायता प्रदान की
गइ, क्योंकक विद्रोह भारतीय सैवनकों को विचवलत करने और भारत की ऄंतरराष्ट्रीय हनदा का कारण
बनने का एक असान तरीका है। ऄमेररकी न्यायालय में 2011 में ऄमेररकी सरकार की खुकफया एजेंसी
फे डरल धयूरो ऑफ आन्िेवथटगेशन (FBI) द्वारा ऄपनी खुली थिीकारोवि (ओपन ऐक्नावलज्मेन्ट) में पहली
बार यह कहा गया कक आं टर-सर्तिसेज आंटेवलजेंस (ISI) द्वारा कश्मीर में अतंकिाद को प्रायोवजत ककया
जाता है और यह कश्मीर में अतंकिादी ऄलगाििादी समूहों को सहायता प्रदान करता है।
मुजावहदीन का प्रभाि (Mujahideen influence)
सोवियत संघ द्वारा ऄफगावनथतान पर अिमण के पिात्, पाककथतान की सहायता से मुजावहदीन
लडाकु ओं ने धीरे -धीरे कट्टरपंथी आथलामी विचारधारा को प्रसाररत करने के लक्ष्य के साथ कश्मीर में
घुसपैठ करना अरंभ कर कदया था।

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धमण (Religion)
वहन्दू बहुसंख्यक भारत में जम्मू और कश्मीर ही एकमात्र मुवथलम बहुल राज्य है। जहां भारत थियं एक
धमणवनरपेक्ष राज्य है, िहीं समग्र रूप से भारत में हहदुओं की तुलना में मुवथलम राजनीवतक, सांथकृ वतक
और अर्तथक रूप से हावशए पर वथथत समुदाय हैं। 99 एकड िन भूवम को एक हहदू संगठन (हहदू
तीथणयावत्रयों के वलए ऄथथायी अश्रय और सुविधाओं की थथापना हेतु) को थथानांतररत करने के सरकार
के वनणणय ने आस भािना को और मजबूत ककया है तथा आसके पररणामथिरूप जम्मू-कश्मीर में सबसे
बडी विरोध रैवलयों में से एक का अयोजन ककया गया।
मानिीय दुव्यि
ण हार (Humanitarian abuses)
1980 के दशक के ईिराधण में, ईपयुणि कारणों से कश्मीर घाटी में विद्रोह की शुरूअत के पिात्, आसे
वनयंवत्रत करने के ईद्देश्य से भारतीय सैवनकों ने कश्मीर घाटी में प्रिेश ककया। सैवनकों पर मानिीय
दुव्यणिहार और न्यायेिर हत्याओं (extrajudicial killings) में सवम्मवलत होने का अरोप लगाया गया
है। जम्मू-कश्मीर में सैन्य बल, कें द्र सरकार के द्वारा आनको प्रदि अपातकालीन शवियों के तहत कायण
करते हैं। ये शवियााँ सेना को नागररक थितंत्रता को सीवमत करने की ऄनुमवत प्रदान करती हैं, आससे
विद्रोह को और ऄवधक समथणन प्राप्त होता है। विद्रोवहयों द्वारा भी मानि ऄवधकारों का दुरु पयोग ककया
गया है, आन्होने कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंवडतों को पूरी तरह से नि करने में भूवमका वनभाइ वजसे कु छ
लोगों द्वारा ‘नृजातीय संहार (ethnic cleansing)’ भी कहा गया। सरकार की ऄपनी सेना और
विद्रोही दोनों से लोगों की सुरक्षा में ऄक्षमता ने सरकार के वलए समथणन को और कम ककया है।
ऄन्य कारण (Other reasons)
भारत की राष्ट्रीय जनगणना से ज्ञात होता है कक कश्मीर साक्षरता दर जैसे ऄवधकांश सामावजक-विकास
संकेतकों में ऄन्य राज्यों की तुलना में पीछे है और यहााँ बेरोजगारी का थतर ऄसामान्य रूप से ईच्च है।
यह वथथवत सरकार विरोधी भािनाओं को भडकाने में योगदान करती है।

5.3. जम्मू और कश्मीर में विद्रोह के प्रवत सरकार का दृ विकोण

(Government’s Approach Towards Insurgency in J&K)


विगत दो दशकों से कश्मीर में राजनीवतक विद्रोह से वनपटने में भारत की प्रवतकिया विवभन्न चरणों से
गुजर चुकी है। ऄंवतम पररणाम के रूप में , आन विद्रोह के प्रवत भारत सरकार द्वारा कठोर कायणिाही
दृविकोण के विपरीत ऄवधकांश भाग के वलए िाताणलाप और व्यापक शांवतपूणण हथतक्षेप हेतु ऄहहसक
साधनों को ऄपनाया गया है।
चूंकक, 1980 के दशक की समथयाओं से पूिण की थथायी शांवत से लेकर युद्ध तक पररवथथवतयों में व्यापक
पररितणन हुअ है और पुन:संघषण सवहत संकट और ऄवथथर शांवत की वथथवतयां ईत्पन्न हुइ हैं। ऄत:, सतत
शांवत और सद्भाि के ईद्देश्य से शांवत थथापना संबंधी दृविकोण पर ऄवधक बल कदया जा रहा है। आसके
बािजूद, भारत द्वारा की जा रहीं कायणिावहयां सैन्यिाद से पूणणतया हटी नहीं है, वजसने सामान्य वथथवत
की शीघ्र बहाली को बावधत ककया है।
ईडान योजना (UDAAN Scheme)
ईडान, जम्मू-कश्मीर के वलए विशेष औद्योवगक पहल (Special Industry Initiative :SII) है,
वजसका वििपोषण गृह मंत्रालय द्वारा ककया गया है और आसे राष्ट्रीय कौशल विकास वनगम (NSDC)
द्वारा कायाणवन्ित ककया जा रहा है। यह कायणिम जम्मू-कश्मीर में अर्तथक मुद्दों के समाधान हेतु की जा
रही समग्र पहल का एक वहथसा है। जबकक जम्मू-कश्मीर में अर्तथक गवतविवधयों को पुनजीवित करने के
वलए राज्य और कें द्र सरकार द्वारा कदम ईठाए जा रहे हैं, ऐसे में ईडान कायणिम जम्मू-कश्मीर में
वशवक्षत बेरोजगारों की अिश्यकताओं की पूर्तत करने संबंधी एक विशेष पहल है।

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ईडान कायणिम जम्मू-कश्मीर के युिाओं पर कें कद्रत है, जो स्नातक, स्नातकोिर और तीन िषीय
वडप्लोमा धारक आंजीवनयर हैं। आसका लक्ष्य युिाओं को कौशल और नौकरी के ऄिसर प्रदान करना है।
आसके साथ ही, आसका ईद्देश्य जम्मू-कश्मीर में ईपलधध समृद्ध प्रवतभा पूल तक भारत के कॉपोरेट क्षेत्र
को पहुाँच प्रदान करना भी है। आसका लक्ष्य 5 िषण की ऄिवध में जम्मू-कश्मीर में 40,000 युिाओं तक
ऄपनी पहुंच बनाना था।
यह देखा गया कक जम्मू -कश्मीर के युिा कइ कं पवनयों में रोजगार पाने में ऄसमथण थे क्योंकक या तो िे
कं पवनयों में ऄिसर से ऄनवभज्ञ थे या कं पवनयां जम्मू -कश्मीर में वथथत प्रवतभा पूल से ऄनवभज्ञ थीं।
ईडान कायणिम का मुख्य फोकस एक ऐसे पररिेश का वनमाणण करना है, जो आस ऄन्तराल को समाप्त कर
सके । ईडान कायणिम को ऐसे वडजाआन ककया गया है वजसमें वनगमों को जम्मू -कश्मीर तक पहुाँचने और
िहां के युिाओं से संपकण थथावपत करने तथा आच्छु क युिा जो आन वनगमों के साथ कायण करने का ऄिसर
तलाश रहे हैं, ईन्हें नौकरी प्रदान करने हेतु प्रोत्सावहत ककया जा सके । ईडान युिाओं को यात्रा करने,
कं पवनयों में प्रवशक्षण प्राप्त करने और कायण प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने का एक ढांचा प्रदान
करती है। ईडान के दो ईद्देश्य हैं:
 जम्मू-कश्मीर के स्नातक और स्नातकोिर युिाओं को भारत के सिणश्रेष्ठ कॉपोरेट क्षेत्र तक पहुाँच
प्रदान करना।
 राज्य में ईपलधध समृद्ध प्रवतभा पूल तक भारत के कॉपोरेट क्षेत्र की पहुाँच प्रदान करना।
पुनिाणस नीवत (Rehabilitation Policy)
आस पुनिाणस नीवत का ईद्देश्य ऐसे अतंकिाकदयों को सुविधा प्रदान करना है, जो ह्रदय पररितणन के
कारण हहसा के मागण को त्यागना चाहते हैं, साथ ही जो भारत की ऄखंडता एिं भारतीय संविधान को
थिीकार करते हैं। ऐसे अतंकिाकदयों को मुख्यधारा में शावमल होने के वलए प्रोत्सावहत करना तथा
सामान्य जीिन व्यतीत करने एिं राज्य के साथ-साथ राष्ट्र की समृवद्ध एिं प्रगवत में योगदान करने हेतु
सहायता करना भी आस नीवत का ईद्देश्य है।
अत्मसमपणण नीवत (Surrender Policy)
आस नीवत का ईद्देश्य जम्मू -कश्मीर में िापसी करने िाले ऐसे पूिण-ईग्रिाकदयों को सुविधा प्रदान करना है
वजनका जम्मू-कश्मीर राज्य से संबंध है और िे विद्रोह के वलए प्रवशक्षण प्राप्त करने हेतु पाक ऄवधकृ त
कश्मीर (PoK)/ पाककथतान चले गए थे परन्तु हृदय पररितणन के कारण ईन्होंने विद्रोही गवतविवधयों
को त्याग कदया है एिं राज्य में िापस लौटने के आच्छु क हैं।
ऄन्य पहल (Other Initiatives)
 विशेष पुवलस ऄवधकाररयों की सेिाओं की प्रावप्त हेतु राज्य में ईनकी वनयुवि।
 राज्य में सवधसडीकृ त हेलीकॉप्टर सेिाएं ईपलधध कराना।
 पाक ऄवधकृ त कश्मीर के विथथावपत व्यवियों के पररिारों को वििीय सहायता प्रदान करने की
योजना।
 जम्मू और कश्मीर में CPMFs और सेना द्वारा कारण िाइ के दौरान क्षवतग्रथत चल/ऄचल संपवियों
हेतु कें द्रीय सहायता योजना।

5.4. राज्य द्वारा सामना की जाने िाली चु नौवतयां

(The challenges faced by the state)


 एक मानिीय पक्ष के साथ अतंकिाद विरोधी ऄवभयानों का संचालन।
 अत्मसमपणण करने िाले अतंकिाकदयों का पुनिाणस।
 भारत के विरुद्ध युद्ध छेडने के वलए अतंकिाकदयों के विरुद्ध मामलों का वनथतारण/समाधान।
 कश्मीरी पंवडतों और ऄन्य अंतररक रूप से विथथावपत व्यवियों (IDP) का पुनिाणस।
 राज्य का पुनर्तनमाणण।

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 कट्टरपंथी वजहादी विचारधारा के प्रवतकू ल प्रभाि को कम करने हेतु कश्मीररयत और सूफीिाद का


पुनरुत्थान।
 वििाद समाधान।
 मीवडया की भूवमका।

5.5. कश्मीर में अतं क िाद विफल क्यों?

(Why Militancy has failed in Kashmir?)


कें द्र और राज्य सरकारों द्वारा कश्मीर की वथथवत को नृजातीय और साम्प्रदावयक तनाि में िृवद्ध के
प्रयासों को वनयंवत्रत करके और प्रशासन की गुणििा में सुधार करके काफी हद तक शांत ककया जा
सकता है। कश्मीर में अतंकिाद की विफलता के प्रमुख कारण वनम्नवलवखत हैं:
 कश्मीर मुद्दा भारतीय जनसंख्या के के िल छह प्रवतशत भाग को ही प्रभावित करता है और यह एक
ऄत्यवधक थथानीयकृ त मुद्दा है। कश्मीरी मुसलमानों की हचताओं को भारत के शेष भागों में मुवथलम
अबादी का समथणन प्राप्त नहीं है।
 आसी तरह, कश्मीरी पंवडतों जैसे ऄन्य जातीय समूहों की हचताओं को भी भारतीय जनसंख्या के
ऄवधकांश वहथसे का समथणन प्राप्त नहीं है। आनके द्वारा सीमा-पार अतंकिाद से लडने और ऄन्य
थथानीय मुद्दों को ऄवधक महत्ि कदया जाता है।
 कश्मीर में ईदारिादी नेतृत्ि का ईदय नहीं हो सका है साथ ही मौजूदा नेतृत्ि में कश्मीरी वहतों का
समथणन करने के दृविकोण का ऄभाि रहा है। नइ कदल्ली में भारतीय नेतृत्ि से घवनष्ठता रखने िाले
ककसी भी व्यवि की वनरंतर अलोचना, ईससे थियं को प्रधान वसद्ध करने की भािना और
ऄंतर्तनवहत ऄिहेलना एिं दुव्यणिहार के कारण कश्मीरी नेताओं के महत्ि में काफी हद तक कमी हुइ
है।
 भारत सरकार की प्रावधकाररता में िृवद्ध और संसाधनों के प्रसार के साथ-साथ, अतंकिाकदयों की
घुसपैठ क्षमता और वजहादी प्रचार का महत्ि समाप्त हो गया है। एक सुरवक्षत सरकारी नौकरी के
अकषणण ने सीमा पार जाने और भारत के विरुद्ध हहसक गवतविवधयों में संलग्न होने के िैकवल्पक
प्रलोभन में कमी की है।
 ितणमान में कदग्भ्रवमत कश्मीरी युिा गुररल्ला युद्ध पद्धवत को ऄपनाने के बजाय सोशल मीवडया पर
ऄपना विरोध दजण कराने को ऄवधक महत्ि देते हैं। सोशल मीवडया ने कश्मीररयों को ऄसंतोष और
संतोष की भािनाओं को व्यि करने के वलए एक नया माध्यम प्रदान ककया है।
 विश्व कश्मीर को भारत और पाककथतान के मध्य सीमा वििाद के रूप में देखता है, न कक एक
नृजातीय अतंकिादी संघषण के रूप में।
 भारतीय सॉफ्ट पािर द्वारा घाटी में भारत समर्तथत दृविकोण के वनमाणण और पाककथतानी दुष्प्रचार
को समाप्त करने का प्रयास ककया गया है। साथ ही, भारत की बहुलिादी समाज संरचना को विशेष
रूप से प्रदर्तशत ककया गया है। आसने कश्मीर में जन जागरूकता ईत्पन्न करने और भारत की सॉफ्ट
पािर को बढ़ाने हेतु जन सामान्य के दृविकोण को अकार प्रदान करने में महत्िपूणण भूवमका वनभाइ
है।

5.6. आस सन्दभण में कौन से ईपाय ककए जाने चावहए ?

(What needs to be done?)


प्रोफ़े सर ऄवमताभ मट्टू के द्वारा 4D वसद्धांत को ऄपनाने की ऄनुशस
ं ा की गयी है, वजसे जम्मू और
कश्मीर में मुठभेडों या झडपों के समाधान हेतु कियावन्ित ककया जाएगा।
 िाताण (Dialogue): राज्य और गैर-राज्य ऄवभकताणओं के मध्य वबना शतण वनरंतर िाताण।
 विसैन्यीकरण (Demilitarisation): िाताण और मैत्री प्रकिया की प्रगवत हेतु ऄवनिायण।

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 हथतांतरण (Devolution): शवियों का हथतांतरण तथा जम्मू, लद्दाख तथा कश्मीर तीनों क्षत्रों को
एक साथ लाना। साम्प्रदावयक अधार पर ध्रुिीकरण को रोकने हेतु परथपर मेल-वमलाप
ऄत्यािश्यक है।
 विकास (Development): कश्मीर के लोगों की भागीदारी के माध्यम से राज्य का विकास।
विवभन्न सवमवतयों द्वारा कश्मीर की वथथवतयों से वनपटने हेतु की गइ कु छ महत्िपूणण ऄनुशस
ं ाएं
वनम्नवलवखत हैं:

 एक मानिीय पक्ष के साथ अतंकिाद विरोधी ऄवभयानों का संचालन।


 अबादी िाले क्षेत्रों में सैन्य बलों की ईपवथथवत को कम करना।
 विवशि आंटेवलजेंस अधाररत सर्तजकल ऄवभयानों पर ऄत्यवधक बल।
 तैनाती ऄंतरालों भरने के वलए प्रादेवशक सेना (Home and Hearth) का वनयोजन।
 एक मानिीय पक्ष युि ऄवभयानों के संचालन हेतु के न्द्रीय पुवलस संगठनों (CPOs) का
प्रवशक्षण।
 ऄवभयानों में पारदर्तशता तथा मानिावधकार के दुरुपयोगों के मामलों में शून्य सवहष्णुता नीवत।
 अत्मसमपणण करने िाले अतंकिाकदयों का पुनिाणस तथा अत्मसमपणण हेतु सशि नीवत का
कियान्ियन।
 युिाओं को अतंकिाद के प्रलोभन से बचाने हेतु ईनकी रचनात्मक संलग्नता एिं वनयोजन।
 अतंकिादी गवतविवधयों में संवलप्त लोगों के विरुद्ध जारी मामलों के शीघ्र वनपटान के साथ
दोषवसवद्ध की वनवितता।
 कश्मीरी पंवडतों और सीमाक्षेत्र में वनिास करने िाले प्रिावसयों का पुनिाणस तथा पुनिाणस पिात्
ईनके जीिन एिं सम्पवि की सुरक्षा।
 समािेशी विकास को सुवनवित करने हेतु जम्मू और कश्मीर की पुनगणठन योजना का कियान्ियन
तथा वनगरानी।
 सौहादण पूणण संबंध वनमाणण के प्रवत मीवडया की रचनात्मक भूवमका, जम्मू और कश्मीर का
पुनगणठन एिं विकास तथा पाककथतान के दुष्प्रयोजनों को वनष्फल करने में भारतीय सेना के
योगदान और सुरक्षा बलों द्वारा ककए गए बवलदानों को विवशि रूप से दशाणना।
 सािणजवनक िाद-वििादों और कायणिमों के माध्यम से कश्मीररयत और सूफीिाद का पुनरुत्थान।
 संिैधावनक तंत्र के ऄंतगणत संघषों के समाधान हेतु सभी दलों और समाज के सभी िगों की
भागीदारी।
 पाककथतान के दोगलेपन तथा ईसके द्वारा थिात घाटी और िजीररथतान में अतंकिाद विरोधी
ऄवभयानों के संचालन की नृशंस कायणप्रणाली को ईजागर करने की अिश्यकता।

6. विगत िषों में Vision IAS GS में स टे थट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)
1. िामपंथी ईग्रिाद से प्रभावित क्षेत्रों में संघषण प्रबंधन के वलए सरकार द्वारा ककये गए विकास

सम्बन्धी और संथथागत प्रािधान क्या हैं? आन प्रािधानों के साथ-साथ संघषण समाधान के


पूरक समाधान के वलए क्षमता वनमाणण हेतु ईठाये जा सकने योग्य कदमों का सुझाि दें।
दृविकोण:
 नक्सलिाद की समथया को संक्षेप में समझाने के बाद, नक्सलिाद का मुकाबला करने के
वलए सरकार द्वारा ईठाए गए विकास संबंधी ईपायों के साथ-साथ संथथागत कदमों का
भी ईल्लेख कीवजए। आसके पिात, विकास और संथथागत ईपायों के पूरक के रूप में
संघषण समाधान क्षमता वनमाणण हेतु (सुरक्षा और एकीकरण रणनीवत, दोनों के संबंध में)
ऄपनाये जा सकने िाले ईपायों का िणणन कीवजए।

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ईिर:
 नक्सलिाद या िामपंथी ईग्रिाद (लेफ्ट हिग एक्थट्रेवमज़्म; LWE) भारत के समक्ष
अंतररक सुरक्षा की सबसे बडी चुनौवतयों में से एक है। अवधकाररक ऄनुमान के ऄनुसार
223 वजले LWE द्वारा प्रभावित हैं। सम्बंवधत अंकडे हाल के कदनों में हहसा की घटनाओं
और माओिाकदयों की िजह से होने िाली मौतों में एक थपि िृवद्ध भी दशाणते हैं। हहसा
की आन घटनाओं में िृवद्ध का मुख्य कारण नक्सलिाकदयों द्वारा ऄपनायी जाने िाली
टैवक्टकल काईं टर ऑफे वन्सि रणनीवत है, वजसमें सुरक्षा बलों और ईच्च प्रोफ़ाआल िाले

व्यवियों पर हमले, नरसंहार और लवक्षत हत्याएं सवम्मवलत हैं।


 आस गंभीर सुरक्षा खतरे का सामना करने के वलए, भारत सरकार विवभन्न संथथागत,
विकासात्मक और क्षमता वनमाणण सम्बन्धी कदम ईठा रही है।
संथथागत ईपाय:
 नक्सली अंदोलनों से प्रभावित क्षेत्रों में एक पुवलस अधुवनकीकरण योजना प्रारम्भ की
गयी है। आस योजना के तहत पुवलस ईपकरणों तथा निीनतम संचार ईपकरणों, िाहनों
और बुवनयादी ढांचे की सुविधा सवहत सामररक ईपकरणों का अधुवनकीकरण ककया
जाता है। साथ ही नक्सली हमलों के प्रवत ऄवतसंिेदनशील पुवलस थटेशनों और चौककयों
की पहचान की जाती है ताकक ईनकी सुरक्षा का सुदढ़ृ बंदोबथत ककया जा सके ।
 नक्सवलयों द्वारा IED (आम्प्रोिाआज्ड एक्सप्लोवसि वडिाआस) के बढ़ते ईपयोग और मारे

गए लोगों की बढ़ती संख्या के कारण, सुरक्षा बलों को बारूदी सुरंगों से सुरक्षा िाले

िाहनों (Mine Protected Vehicles) की ईपलधधता सुवनवित की जा रही है।


 नक्सवलयों के वखलाफ लडने में राज्य सरकारों को सहायता करने के वलए कें द्र सरकार
द्वारा दीघण काल के वलए के न्द्रीय ऄधणसैवनक बलों को तैनात ककया गया है।
 युिाओं को अतंकिाद के राथते पर चलने से हतोत्सावहत करने के वलए के न्द्रीय ऄधणसैवनक
बलों में 40% भती नक्सलिाद से प्रभावित क्षेत्रों से की जा रही है।

 राज्यों में सुरक्षा नेटिकण को मजबूत बनाने के वलए सरकार द्वारा भारतीय ररजिण (IR)
बटावलयनों की थथापना की गइ। यह बटावलयन सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ
युिाओं को रोज़गार के ऄिसर भी प्रदान करती है।
 ग्रेहाईं ड (Greyhound) और कोबरा (COBRA) जैसे विशेष सुरक्षा बलों की थथापना
की गयी है।
विकासात्मक ईपाय (Developmental Measures) :
 एकीकृ त कायण योजना (आंटीग्रेटेड एक्शन प्लान; IAP) को निंबर 2010 में ऄवतररि

कें द्रीय सहायता योजना के रूप 100% ऄनुदान के अधार पर प्रारम्भ ककया गया था।
आसके ऄंतगणत फण्ड के वनथतारण का ऄवधकार वजला थतरीय सवमवतयों को कदया गया
तथा ईन्हें ईनके थियं के मूल्यांकन के अधार पर विकास योजनाओं की अिश्यकता के
ऄनुसार रावश खचण करने में पयाणप्त लचीलापन प्रदान ककया गया।
 LWE प्रभावित 33 (ऄब विथताररत) वजलों के विकास के वलए एक विशेष योजना।
 सारंडा कायण योजना (सारंडा एक्शन प्लान) : आसे 2011 में भारत सरकार द्वारा नक्सल

प्रभावित ऄल्प विकवसत क्षेत्रों (सारंडा, झारखण्ड के पूिी हसहभूम वजले में है) के विकास
के वलए ग्रामीण अजीविका विकास योजना के रूप में प्रारम्भ ककया गया था। चूंकक

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विकास और सुरक्षा एक दूसरे के ऄवभन्न ऄंग हैं, आसवलए मुख्य ईद्देश्य वपछडे क्षेत्रों,
विशेषकर जनजातीय और अकदिासी क्षेत्रों में ग्रामीण विकास करना है। यह आन क्षेत्रों से
माओिाद को समाप्त करने की कदशा में कारगर वसद्ध होगा। आसी प्रकार की एक योजना
सरजू क्षेत्र विकास योजना, लतेहार के सरजू कोन क्षेत्र में शुरू की गयी थी।

 सरकार द्वारा 2003-2004 में वपछडा वजला पहल प्रारम्भ की गयी तथा साथ ही

वपछडा क्षेत्र ऄनुदान वनवध (BRGF) भी अरम्भ की गयी वजसके ऄंतगणत राज्यों के
नक्सलिाद की समथया से बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों को धन ईपलधध कराया गया। आन
वजलों में सामावजक-अर्तथक विकास में तेजी लाने के वलए BRGF योजना में लगभग

250 वजलों को सवम्मवलत ककया गया है।


सुरक्षा क्षेत्र में क्षमता वनमाणण के वलए ईठाये गए कदम:
 पुवलस थटेशनों की थिीकृ त संख्या को बढ़ाना और मौजूद ररवियों को भरना। वजला
राज्य सशस्त्र ररजिण बलों को पुवलस थटेशनों में थथानांतररत करके भी पुवलस थटेशनों के
जनबल को सुदढ़ृ ककया जा सकता है।
 नक्सल प्रभावित वजलों में प्राथवमकता के अधार पर समयबद्ध ढंग से अधारभूत
ऄिसंरचना का वनमाणण। आसमें विशेष रूप से पुवलस ऄिसंरचना को सुदढ़ृ बनाने ,
खुकफया और सैन्य क्षमताओं में सुधार के साथ विशेष बलों का वनमाणण करने पर बल
कदया जाना चावहए।
 कइ राज्य क्षमता वनमाणण कायणिम ऄपना रहे हैं, जो माओिाकदयों द्वारा ईपयोग की जाने
िाली त्िररत क्षेत्रीय रणनीवत का ईन्हीं के विरुद्ध ऄनुप्रयोग ककये जाने पर अधाररत है।
आसका अंध्र प्रदेश में ग्रेहाईं र्डस द्वारा सफलतापूिणक ईपयोग ककया गया है। ईदाहरण के
वलए, ऄचानक हमला, गोपनीयता और त्िररत गवत (surprise, secrecy and

speed) का ईपयोग माओिाकदयों की प्रमुख रणनीवत रही है। अंध्र प्रदेश के ग्रेहाईं र्डस ने
आसी रणनीवत का ईपयोग ककया है तथा यह पयाणप्त सफल वसद्ध हुइ है।
नक्सलिाद के प्रसार को रोकने के वलए, नक्सल सम्बन्धी ऄिधारणाओं और विचारधारा का
मुकाबला करने हेतु वसविल सोसाआटी के साथ वमलकर कायण करना सिणश्रेष्ठ रणनीवतक
ऄनुकिया होगी। ऄतः नक्सलिाद का सामना करने की मौवलक रणनीवत के पुनर्तनधाणरण की
अिश्यकता है। आसके विरुद्ध ‘िेन फ़ोसण’ के प्रयोग को ‘बटावलयन फ़ोसण’ के प्रयोग पर िरीयता
कदए जाने के वलए राज्य की ऄनुकिया पद्धवत में अिश्यक बदलाि ककये जाने की अिश्यकता
है। आस सम्बन्ध में एक ऐसी अम सहमवत पर पहुंचने की अिश्यकता है वजससे सुरक्षा बलों
की शवि में िृवद्ध सुवनवित हो सके ।

2. एक ओर जहां ऄत्यवधक ऄसमानताएं तनाि का प्रमुख कारण हैं, िहीं देश में विकास की कमी
के कारण विकासात्मक हथतक्षेप के वलए एक सुसग
ं त समय सीमा के भीतर ितणमान वििादों के
समाधान में कोइ वनधाणरक भूवमका वनभाना ऄत्यंत करठन हो गया है। भारत में िामपंथी
ईग्रिाद से वनपटने में सरकार के दृविकोण के सन्दभण में आस कथन का विश्लेषण कीवजए।
ईिरः
नक्सलिादी, माओिादी और िामपंथी अंदोलनों के िचणथि िाले सभी क्षेत्र ऐसे क्षेत्र हैं जहां
गरीबी और ऄसमानता भयािह थतर पर विद्यमान हैं। आनमें से ऄनेक ऄसमानताएं थितंत्रता

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के ईपरान्त हुए ईस विकास की पररणवत भी रही हैं वजसका कक हमने ऄनुसरण ककया। आनमें
शावमल हैं:
क. पंचिषीय योजना के ऄंतगणत ऄसमान विकासः पंचिषीय योजना के ऄंतगणत अर्तथक
विकास ने विकास ध्रुिों के वनमाणण ऄथाणत् के िल कु छ शहरी के न्द्रों तक ही सीवमत ऄसमान
विकास को जन्म कदया।
ख. िन भूवम को ऄलग-थलग कर देनाः िनों तक पहुाँच के वलए सरकारी विवनयमों को
कियावन्ित करने के दौरान सरकारी ऄवधकारी िन-जनजावतयों के ईत्पीडन में संलग्न हो गए।
ईनकी अजीविका और सामावजक ताने-बाने के महत्िपूणण भाग रहे िन ईत्पादों और िन भूवम
तक ईनकी पहुाँच समाप्त होने से िे ऄत्यवधक िंवचत ऄिथथा एिं गरीबी की वथथवत में पहुाँच
गए तथा और बंधुअ मजदूर बन गए।
ग. कृ वष विकास की नीवतयांःः आन्होंने अर्तथक और सामावजक विषमता को वनयंवत्रत ककये
वबना ईत्पादन की मात्रा में व्यापक रूप से िृवद्ध करने पर ध्यान कदया।
घ. औद्योवगक विकास की नीवतयांःः भूवम ऄवधग्रहण नीवतयों, भूवम-थिावमयों को वनम्न
क्षवतपूर्तत, औद्योवगक थथापनाओं द्वारा पयाणिरण वनम्नीकरण अकद ने वमलकर आस प्रकार के
औद्योवगक विकास का पथ वनधाणररत ककया।
आस प्रकार, विकास पथ के ऄनुसरण ने ऄसंतोष ईत्पन्न ककया। िगण ऄसमानता, क्षेत्रीय

ऄसमानता, जावतगत ऄसमानता के रूप में ऄसमानता तथा जमींदारों एिं साहूकारों द्वारा
कृ वषगत एिं अर्तथक शोषण का पररणाम जमींदारों, थिाथी बुजुणअ िगण, आस विकास के
लाभार्तथयों तथा आन ऄन्यायों पर ध्यान देने में विफल रहे राज्य के विरुद्ध ऄसंतोष के रूप में
प्रकट हुअ।
विकास की कमी िाले आन क्षेत्रों में िामपंथी ईग्रिाद के विकवसत होने के साथ विकास की
कमी का समाधान करने के वलए ईठाये गए अिश्यक कदम वनम्नवलवखत प्रमुख बाधाओं का
सामना कर रहे हैंःः
ऄिसंरचना की कमीः िामपंथी ईग्रिाद से प्रभावित आन दूरथथ क्षेत्रों तक विकास की पहुाँच
सुवनवित करने के वलए अिश्यक मूलभूत ऄिसंरचना का ऄभाि है। आन क्षेत्रों में प्रमुखतः
पररिहन और संचार संबद्धता नहीं है और आनमें अधारभूत ढांचों जैसे पुलों, विद्यालयों,
ऄथपतालों अकद का ऄभाि मौज़ूद है। पहले से विद्यमान ऄिसंरचना भी ईग्रिादी हहसा का
दंश झेलती रहती है।
कु शल मानि संसाधन की कमीः आन क्षेत्रों में विकास के वलए वचककत्सकों, ऄध्यापकों और
ऄवभयंताओं के रूप में अिश्यक कु शल मानि संसाधन आन क्षेत्रों में कायण करने में वनवहत
जोवखम के कारण यहां अना नहीं चाहते।
आन सुदरू थथलों में सरकारी योजनाओं की पहुाँच का न होनाः सरकारी तंत्र की ऄनुपवथथवत
और आन क्षेत्रों में चल रही समानांतर सरकार राज्य प्रायोवजत विकास को आन क्षेत्रों में पहुंचने
से रोकती है।
आन क्षेत्रों में िामपंथी ईग्रिाद का सामना करने हेतु सरकार का दृविकोण
आस समथया का समाधान करने का सरकारी दृविकोण िामपंथी ईग्रिाद को पहले एक सुरक्षा
समथया मानना और आन क्षेत्रों के विकास में अने िाली बाधाओं को दूर करने का रहा है,
ताकक ईग्रिाद को बढ़ािा देने िाले ऄसंतोष को कम ककया जा सके । आसमें वनम्नवलवखत प्रकार
के ईपाय सवम्मवलत हैंःः
कानून और व्यिथथा का दृविकोण
नक्सली अंदोलनों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में पुवलस के अधुवनकीकरण की योजनाएाँ। आस
योजना के तहत के न्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को बडी मात्रा में धनरावशयााँ अिंरटत की

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गयीं ताकक िे पुवलस के ईपकरणों और निीनतम संचार साधनों, िाहनों और ढांचागत


सुविधाओं को सवम्मवलत करने िाले सामररक यंत्रों को अधुवनकीकृ त कर सकें । राज्यों को िैसे
पुवलस थटेशनों और दूरथथ चौककयों को वचवननत करने को भी कहा गया जो नक्सली
अिमणों के प्रवत ऄवतसंिेदनशील हैं और वजनकी सुरक्षा को सुदढ़ृ ककये जाने की अिश्यकता
है।
सामावजक एकीकरण दृविकोण
सरकार ने 2003-2004 में वपछडा वजला पहल अरम्भ की। साथ ही वपछडा क्षेत्र ऄनुदान
वनवध (BRGF) भी अरम्भ की वजसके ऄन्तगणत 9 राज्यों के 55 सिाणवधक प्रभावित क्षेत्रों को

नक्सलिाद की समथया से वनपटने के वलए 2475 करोड की रावश प्रदान की जानी थी।
पुनिाणसन दृविकोण
पुनिाणसन और पुनथथाणपन नीवत, 2007: आस ऄवधवनयम का मुख्य ईद्देश्य लोगों के विथथापन
को न्यूनतम करना तथा विथथापन को रोकने एिं कम करने िाले विकल्पों को प्रोत्साहन देना
है।
िन ऄवधकार ऄवधवनयम, 2006: पयाणिरण और िन मंत्रालय ने भी 1 हेक्टेयर भूवम गैर-
िावनकी ईद्देश्यों में प्रयोग करने और कच्ची सडकों को पिी सडकों में पररिर्ततत करने की
ऄनुमवत प्रदान कर दी है।
ज़मीनी थतर पर लोकतंत्र के विकास का दृविकोण
पंचायत (ऄनुसूवचत क्षेत्रों पर विथतार) ऄवधवनयम, 1996 या PESA, ग्राम सभाओं को
ऄपने प्राकृ वतक संसाधनों को थि-शावसत करने में सक्षम बनाता है।
समग्र रूप से ये दृविकोण के िल विकास नहीं िरन् समािेशी विकास प्राप्त कर संघषणग्रथत क्षेत्रों
में िामपंथी ईग्रिाद की समथयाओं का समाधान कर सकते हैं।

3. यद्यवप ईग्रिादी समूह कश्मीर और ईिर-पूिण दोनों में विद्यमान हैं, लेककन ईनकी प्रकृ वत और

ईपजीविका का प्रवतमान पूणण रूप से वभन्न है। विश्लेषण कीवजए। आसके ऄवतररक्त, आन दोनों
क्षेत्रों में संगरठत ऄपराध और अतंकिाद के बीच संबध
ं ों की तुलना करें।
दृविकोण :
कश्मीर और ईिर-पूिण दोनों क्षेत्रों में संघषण की पहचान अधाररत प्रकृ वत का ईल्लेख कीवजए
कक यह जनजातीय है या धार्तमक। संगरठत ऄपराध तथा अतंकिाद के मध्य तुलना में,
समानांतर सरकारों की ईपवथथवत (पूिोिर में) तथा ऄनुपवथथवत (कश्मीर में) से लेकर
ऄपहरण तथा बलात् िसूली, सरकारी वनवधयों के अतंकिाकदयों के पास धीरे -धीरे पहुंचने
अकद तक की चचाण की जानी चावहए। बाह्य कारकों की भूवमका की चचाण भी की जानी
चावहए।
ईिर:
ईग्रिाद, ककसी थथावपत सिा के विरुद्ध एक हहसक विद्रोह होता है, वजसमें भागीदारी करने
िालों को योद्धाओं के रूप में मान्यता प्रदान नहीं की जाती। ईग्रिाद की प्रकृ वत में भेद करने के
मानदण्ड ईसके ईत्थान संबंधी कारकों और िांवछत लक्ष्यों से अरम्भ होते हैं। ईपजीविका
(भरण-पोषण) के प्रवतमानों में ऄंतर को (i) ईन्हें समथणन प्रदान करने िाली संरचनाओं, जैसे
बाह्य देशों की या गैर-राज्य तत्िों की सहायता, (ii) थथानीय लोगों की सहानुभूवत
(ऄवधकांशतः वमर्थया प्रचार के द्वारा प्राप्त की गयी), तथा सबसे ऄवधक, (iii) ठोस वििीय
संसाधनों तक पहुाँच को देख कर अंका जा सकता है। जम्मू और कश्मीर तथा पूिोिर राज्यों,

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दोनों ने ही थितंत्रता प्रावप्त के पिात के ऄवधकांश समय में ईग्रिाद का सामना ककया है ;
तथावप, आनकी प्रकृ वत तथा ईपजीविका के प्रवतमानों में कु छ भेद देखने को वमलते हैं।
प्रकृ वत में ऄंतर
 जहां पूिोिर के संघषों का मूल सुथपि जनजातीय पहचानों में वनवहत है, िहीं कश्मीर
का टकराि धार्तमक पहचान पर अधाररत है।
 मुख्य भूवम से थपि ऄलगाि पूिोिर क्षेत्रों के मामले में एक महत्िपूणण कारक रहा है,
ककन्तु कश्मीर के मामले में ऐसा कोइ ऄियि नहीं है।
 पूिोिर के संघषण के कारणों में ऄलगाि के वलए संघषण (नागालैंड में) से लेकर थिायिता
के वलए विद्रोह (काबी- ऐंगलााँग) तक, ‘प्रायोवजत अतंकिाद’ (ULFA, NDFB) से
लेकर नथलीय टकरािों (मेआती बनाम नागा) तथा सीमा पार के साथ-साथ ऄन्य राज्यों
से सतत रूप से हो रहे अप्रिावसयों के अगमन तक के मुद्दे सवम्मवलत हैं। दूसरी ओर,
कश्मीर में होने िाले संघषण को सीमा पार से ईकसाया तथा समथणन प्रदान ककया जा रहा
है, वजसमें प्रत्यक्ष रूप से तो थितन्त्रता की मांग की जा रही है ककन्तु वनवहत रूप से आसमें
पाककथतान के साथ एकीकरण का भाि सवम्मवलत है।
 पूिोिर के अतंकिाकदयों के सन्दभण में गुररल्ला रणनीवतयां महत्िपूणण घटक हैं। जबकक
कश्मीर में हमले ऄवधक प्रत्यक्ष प्रकृ वत के होते हैं वजनका लक्ष्य भारत-विरोधी भािनाओं
को भडका कर ऄलगाििाद को जीवित रखना होता है।
ईपजीविका के प्रवतमानों में ऄंतर
 पूिोिर के राज्यों में ऄत्यंत कमजोर शासन संरचना के कारण (विशेष रूप से नागालैंड
तथा मवणपुर में), ईग्रिादी मुख्यतः जबरन िसूली, ऄपहरण तथा लोगों में वनरंतर भय
बनाए रख कर समानांतर सरकारें चलाते हैं। कश्मीर में , शासन की संरचनाएं बेहतर रूप
से थथावपत हैं फलथिरूप यहााँ समथणन जुटाने के वलए ईग्रिाकदयों को शासन के हाथों
ईत्पीवडत होने का बहाना बनाना पडता है।
 कश्मीर में बाह्य राष्ट्र, ऄथाणत् पाककथतान ISI के माध्यम से प्रत्यक्षतः तथा परोक्ष रूप से
वजहादी अतंकी गुटों के माध्यम से अतंकिादी गवतविवधयों को प्रायोवजत करने में बडे
थतर पर संलग्न है। पूिोिर के बहुत से समूहों को यद्यवप बाहरी देशों से सहायता प्राप्त
होती है, लेककन ईनकी भूवमका सीवमत रही है तथा विि का मुख्य स्रोत ऄिैध व्यापार,
तथकरी और लोगों का वितीय शोषण रहा है।
जम्मू और कश्मीर तथा पूिोिर में संगरठत ऄपराध तथा अतंकिाद के बीच संबध
ं ों की
तुलना:
भारत में संगरठत ऄपराध तथा अतंकिाद के बीच जुडाि का राष्ट्रीय तथा ऄंतराणष्ट्रीय, दोनों
थतरों पर ऄवथतत्ि है।
पूिोिर में:
 संगरठत ऄपराध नेटिकण तथा अतंकिादी लगभग ऄविभाज्य हैं। विि के अपरावधक
स्रोतों के रूप में ऄपहरणों तथा वििीय शोषण के ऄवतररि, सरकारी वनवधयों तथा
खाद्य अपूर्तत का बडा भाग कु शासन के कारण ईनके हाथ में पहुाँच जाता है। सरकारी
सेिकों को अतंकिाकदयों द्वारा संरवक्षत लोगों को ठे के प्रदान करने के वलए या तो
धमकाया जाता है या ईन्हें ररश्वत दे दी जाती है। ये संगरठत ऄपराध तथा अतंकिाद के
बीच जुडाि के थपि ईदाहरण हैं।
 हालााँकक, ये गवतविवधयााँ ईनके घृवणत गवतविवधयों को विि पोवषत करने के वलए पयाणप्त
नहीं होती हैं और यहीं से ऄंतराणष्ट्रीय संपकों (मादक द्रव्यों तथा हवथयारों के हसवडके ट)
की भूवमका अरम्भ होती है। ईग्रिादी समूह , मादक द्रव्यों, ऄस्त्र-शस्त्रों तथा मनुष्यों की

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तथकरी का माध्यम बन कर कोष जुटाते हैं। मवणपुर में मोरेह तथा भारत-बांग्लादेश-
म्यांमार सीमा पर वथथत चटगांि के पहाडी क्षेत्र, थिर्तणम वत्रभुज के महत्िपूणण पारगमन
हबदु हैं। अरम्भ में, आंटरनेशनल िाआम हसवडके ट (ICS) के ऄपने थियं के नेटिकण थे;
ककन्तु पूिोिर के विवभन्न ईग्रिादी समूहों द्वारा आस मागण पर कधज़ा कर लेने के बाद से
ICS ने आन्हें ररश्वत देने के थथान पर आन समूहों का ईपयोग िाहकों के रूप में करना
अरम्भ कर कदया है।
कश्मीर में:
 यहााँ वििीय शोषण तथा ऄन्य साधनों से प्राप्त कोष पर वनभणरता ऄत्यंत कम है। यहााँ
समानान्तर सरकारी संरचनाएं ईपवथथत नहीं हैं तथा सरकारी साधन भले ही भ्रिाचार
के कारण सही ईपयोग में न अ सकें , लेककन िे असानी से अतंकिाकदयों के हाथों में नहीं
पहुाँचते हैं।
 बाहर से प्राप्त वनवध अतंररक संग्रहण की कमी को पूरा कर देती है। ऄवधकांशतः धार्तमक
या लोकोपकारी गवतविवधयों के नाम पर पाककथतान तथा खाडी देशों में संग्रवहत की
गयी वनवधयां हिाला मागण (काले धन के शोधन) से कश्मीर पहुाँच जाती हैं।
 आसके ऄवतररि, यह भी माना जाता है कक गोल्डेन िे सेंट में होने िाले मादक द्रव्यों के
व्यापार से प्राप्त होने िाला धन भी कश्मीर में होने िाली अतंकिादी गवतविवधयों का
विि पोषण करता है। जाली मुद्रा, वजसके प्रवत िषण 300 करोड होने का ऄनुमान है और
जो ऄवधकांशतः पाककथतान से अती है, संगरठत ऄपराध तथा अतंकिाद के मध्य एक
और मुख्य कडी है। आसमें अतंकिादी िाहक तथा ऄंशतः लाभाथी होते हैं।
जब नथलीय पहचान, धार्तमक रूकढ़िाद तथा अतंक का सीमा-पारीय प्रायोजन वमल कर
हहसा तथा ऄव्यिथथा को बढ़ािा देते हैं तो चुनौती विवशितः ऄवधक गंभीर हो जाती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के ऐसे खतरों से तीव्र न्याय व्यिथथा, सक्षम शासन तथा लोकतांवत्रक िैधता की
सहायता के साथ राज्य की समन्ियपूणण तथा सतत कारणिाआयों के माध्यम से वनपटा जाना
चावहए।

7. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न


1. भारत के संविधान की धारा 244, ऄनुसूवचत ि अकदिासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंवधत है।ईसकी
पांचिी सूची के कायाणवन्ित न करने से िामपंथी पक्ष के चरम पंथ पर प्रभाि का विश्लेषण कीवजए।
2. वपछडे क्षेत्रों में बडे ईद्योगों का विकास करने के सरकार के सरकार के लगातार ऄवभयानों का
पररणाम जनजातीय जनता और ककसानों, वजनको ऄनेक विथथापनों का सामना करना पडता है,
का विलगन (ऄलग करना) है। मल्कानवगरर और नक्सलबाडी पर ध्यान के वन्द्रत करते हुए,
िामपंथी ईग्रिाद विचारधारा से प्रभावित नागररकों को समावजक और अर्तथक संिृवद्ध की
मुख्यधारा में कफर से लाने की सुधारक रणनीवतयों पर चचाण कीवजए।
3. भारत का ईिर-पूिीय प्रदेश बहुत लम्बे समय से विद्रोह-ग्रवसत है। आस प्रदेश में सशस्त्र विद्रोह की
ऄवतजीविता के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीवजए।

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