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एक मज़बूत और सुर￸ त साइबर णाली : वतमान क अप रहाय

आव यकता!
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the-present

सरकारी तर पर भले ही आज "￸ड■जटल इं￸डया" जैसे काय म क बदौलत इंटरनेट क


तथा इससे जुड़े लाभ क चचा छयादा हो रही हो, कतु भारत जैसे देश म भी बड़ी आबादी
दशक भर से भी अ￸धक समय से इस णाली को अपने दैिनक जीवन का अ￱भ िह सा
बनाए हुए ह। बात चाहे ईमेल के मा यम से संदेश आदान- दान करने क हो या अपने िबल
के भुगतान क , ऑनलाइन खरीदारी क हो या नौक रय के लये आवेदन क , ब कग
सुिवधाओं का लाभ उठाने क हो अथवा रेलवे या हवाई जहाज़ के िटकट बुक करने क , सब
चीज म इंटरनेट का इ तेमाल भारत म लंबे अरसे से हो रहा है। इसके अ￸त र , सोशल
मी￸डया व माट फोन (िवशेषकर कम क मत वाले) के आने ने इस े म एक िक म का
समाजवाद सा ला िदया है तथा यह सुिवधा िनपट आम लोग तक भी पैठ बनाने म सफल रही
है।

कहना मु कल है िक यिद मा एक िदन के लये भी फेसबुक अथवा हा सएप क सुिवधा बंद


कर दी जाए तो अ￸धक सम या िकस आयु वग के लोग को पेश आएगी, य िक लगभग सभी
आयुवग के लोग सरलता और कुशलता से इसका खासा इ तेमाल कर रहे ह। कई मामल म
तो वे ब े ■ज ह ने बमु कल अपनी टीनएज म जीवन म इस हद तक पैठ बना लेने के चलते
असली संसार के साथ-साथ एक आभासी संसार ने भी आकार ले लया है, ■जसे इंटरनेट क
भाषा म "वचुअल व ड" क सं ा दी गई है।

अब चूँिक आमजन के सरोकार तथा िनभरता इस णाली पर संवेदनशीलता के तर तक बढ़


गई है, इसका मज़बूत और सुर￸ त होना भी उसी हद तक ज़ री हो गया है। आज एक ऐसा
समय आ गया है जब साइबर णाली म कुछ देर क गड़बड़ी भी अरब -खरब के नुकसान
और अनेक अ य जिटलताओं का कारण बन सकती है।

अपने आरं￱भक दौर म िवला■सत लगने वाली कोई चीज़ एक अरसे के बाद िकसी भी अ य
सामा य ज़ रत क भाँ￸त हमारे जीवन क आव यकता बन जाती है। ऐसा ही इंटरनेट और
अ य साइबर सुिवधाओं के साथ भी है। हालाँिक भारत इस मामले म कुछ हद तक अभी भी
सं मण काल से गुज़र रहा है, य िक हमारे यहाँ अनेक सुिवधाओं का कुछ ￸तशत भाग ही
￸ड■जटल हो पाया है तथा एक बड़ा तबका आज भी उन काय को करने के लये परंपरागत
(अथात् ऑफलाइन) तरीक का ही इ तेमाल करता है। इसका एक कारण यह है िक एक बड़े

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तबके तक कं यूटर अथवा इंटरनेट तो छोिड़ये, िबजली जैसी आधारभूत चीज़ भी हम अब
तक नह पहुँचा पाए ह। खैर, आज नह तो कल ऐसा कर दगे तथा तब यह और भी छयादा
आव यक हो जाएगा िक हमारी साइबर णाली मज़बूत के साथ-साथ सुर￸ त भी हो।

कोई चीज हमारे लये मह वपूण बन चुक है, यह जानने के लये ज़ री है िक एक बार उसके
िबना जीवन क एक क ी सी क पना क जाए। ऐसी ही एक क पना म तुत कर रही हूँ:

यिद हमारी साइबर णाली िकसी वजह से काम करना बंद कर दे तो-

हमारी ब कग यव था चरमरा जाएगी।


हमारा शेयर बाज़ार पूरी तरह ठप हो जाएगा।
हमारी संचार यव था (मोबाइल, टेलीफोन), सारण यव था (रे￸डयो, टीवी,
■सनेमा) काम करना बंद कर देगी।
नौवहन णाली के िबना हमारा रेल, वायु यातायात आिद संचा लत नह हो पाएगा।
कंपिनय ारा ऑनलाइन टे￵डग संभव नह होगी।
इस पर िनभर अनुसंधान के हमारे काय (िवशेषकर अंत र अनुसंधान से जुड़े) क
जाएं गे।

उपरो बदओ ु ं से साइबर णाली के द ु त रहने के मह व का एक सामा य अनुमान सहज


ही लगाया जा सकता है। हालाँिक ये अनुमान साइबर णाली के काय करना बंद कर देने से
संब￸ं धत थे, जबिक इसका एक अ य पहलू है- िकसी खराबी या अ य गड़बड़ी के चलते
इसका गलत ढंग से काय करने लगना, ऐसा होने पर प रणाम िकतने भयानक हो सकते ह
इसका तो अनुमान भी क पना से परे लगता है।

साइबर णाली म गड़बड़ी िकसी तकनीक खराबी का प रणाम भी हो सकती है तथा िकसी
बाहरी ह त ेप का भी, ■जसे कं यूटर क भाषा म साइबर हमला कहा जाता है।

अपने समय के मुख र ा ￵चतक , जैसे मैिकयावेली, ए.टी. माहन तथा डु हेट आिद ने मशः
थल, जल तथा गगन से होने वाले आ मण से िनपटने क रणनी￸तयाँ तो गढ़ , कतु इस
आभासी संसार म होने वाले यु क तो उ ह ने अपने समय म क पना भी नह क होगी।

एक िनयो■जत तरीके से अंजाम िदया गया साइबर हमला िबना आवाज़ िकये श ु को प त
करने क ताकत रखता है। इस तरीके से अपनी लेशमा क जनहािन के िबना हम श ु का
एक बड़ा नुकसान करके "ह ग लगे न िफटकरी, रंग चोखा का चोखा" वाली कहावत को
च रताथ कर सकते ह।

ईरान के यूरिे नयम संव न तथा परमाणु काय म से जुड़े 5 संगठन पर वष 2010 (या उससे
कुछ पहले) म ‘ ट सनेट’ वायरस से िकये हमले का उदाहरण यहाँ लया जा सकता है ■जसने
ईरान के सटी यूज़ को िनयं ण से बाहर कर उसके परमाणु काय म को वष पीछे धकेल
िदया था। यहाँ श ु देश (संभवतः इज़राइल अथवा संयु रा य अमे रका) को न तो कोई
सेना भेजनी पड़ी और न ही कोई बम िगराना पड़ा। इसी कार "डु कु" नामक वायरस को
ईरान के परमाणु काय म क परेखा क नकल करने के लये बनाया गया था।

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हा लया िदन म ‘वाना ाई’ नामक मालवेयर का हमला काफ च￷चत रहा जो आपके कं यूटर
क ज़ री सूचनाओं को ए ट कर देता था तथा वापस उन तक पहुँच बनाने के बदले
आपसे िफरौती मांगता था (■जसके चलते इसे ‘रैनसमवेयर’ क ेणी म रखा गया)। इस तरह
का साइबर हमला यापक तर पर हािन पहुँचाने क मता रखता है।

ये हमले यिद केवल आ￰थक हािन पहुँचाते ह तो एक दफा इ ह सहन भी िकया जा सकता है,
कतु आजकल साइबर जासूसी क अवधारणा ने लोग क िनजता और देश क रा ीय
सुर ा तक को खतरे म डाल िदया है। वष 2006 से जारी "ऑपरेशन शेडी रैट" तथा भारत
को ल￸ त िकया गया तथा वष 2009 म पकड़ म आया ‘घो टनेट’ का हमला ■जसने भारतीय
सुर ा अ￱भकरण क सूचनाओं तक पहुँच बना ली थी आिद इस ेणी म आते ह।

साइबर संसार क चुनौ￸तय म एक और चुनौती सोशल मी￸डया साइट के बाद से पैदा हुई है,
वह है झूठी अथवा तेज़ी से माहौल िबगाड़ने म स म संवेदनशील खबर का शी ता से सार।
िकतनी ही बार सोशल मी￸डया पर वायरल हुई इन संवेदनशील खबर के चलते देश का
सां दा￸यक माहौल िबगड़ने का खतरा पैदा हो चुका है। 2012 म ऐसी ही कुछ खबर के
चलते बंगलू म रह रहे पूव र भारत के लोग का बड़ी सं या म वहाँ से पलायन हुआ था।

अब बात करते ह इन चुनौ￸तय से िनपटने क ■जसके लये हम साइबर सुर ा िवशेष क


ज़ रत होगी। यहाँ भी हालात कुछ संतोषजनक िदखाई नह देते। िव म भले ही भारत को
एक आईटी सुपरपावर के तौर पर देखा जाता हो िक तु वष 2013 म रा ीय समाचार-प म
छपी एक खबर के मुतािबक भारत के पास कुल िमलाकर मा 556 साइबर सुर ा िवशेष ह
जबिक हम ऐसे लाख िवशेष क आव यकता है।

हम समझना होगा िक ■जस कार हम अपने र ा बजट म िकसी कार क कोई कसर नह
छोड़ते, उसी कार सुर ा के लहाज़ से इसे भी एक ऐसा मोचा मानना होगा ■जसे अनदेखा
छोड़ने के प रणाम घातक हो सकते ह।

इस मोच पर वीरता के थान पर तकनीक क समझ हम बचाएगी और हम इस तकनीक


समझ वाले लोग क एक फौज उसी से तरह तैयार करने क ज़ रत है जैसे चीन, अमे रका
अथवा स जैसे देश ने तैयार क है, तभी हम चहुँओर से अपने सुर￸ त होने का दावा कर
सकगे। हालाँिक ऐसा भी नह है िक भारत ने इस चुनौती को पूणतया अनदेखा छोड़ िदया हो।
वष 2004 म ही हमने साइबर सुर ा संबधं ी चुनौ￸तय से िनपटने के लये "इं￸डयन कं यूटर
एमरजसी र पॉ स टीम" (■जसे च लत प से आईआरटी-इन के नाम से जाना जाता है)
नाम के एक सम पत अ￱भकरण का गठन कर लया था जो समय-समय पर साइबर सुर ा से
जुड़े िव￱भ उपाय को लागू करता रहता है। ऐसी ही एक पहल इस सं था ने इस साल
फरवरी म ‘साइबर व छता क ’ क शु आत करके क । ‘साइबर व छता क ’ का काय
डे कटॉप और मोबाइल के लये ■स यो रटी सॉ यूशन दान करना है। इस सं था व अ य
अ￱भकरण के संयु यास का ही फल था िक हाल म हुए ‘वना ाई’ नामक मालवेयर के
हमले का भारत पर छयादा असर नह हुआ। इसके अलावा, एक ेणी ए￱थकल हैकस क भी
है जो अपने तकनीक ान व ￸तभा का इ तेमाल ऐसे हमल को नाकाम करने म करते ह।
हालाँिक, ऐसे ए￱थकल हैकस क पहचान करना मु कल है कतु भारत म इनक एक मज़बूत

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उप थ￸त अव य है। अ य सजग देश क भाँ￸त भारत को भी संभािवत साइबर हमल व
इनसे जुड़ी अ य गड़बिड़य से िनपटने के लये और अ￸धक सं थागत यास क ज़ रत है
तभी हम भरोसे के साथ ￸ड■जटलीकरण के लाभ को यापक जनसमूह तक पहुँचा पाएं गे।

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