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विदेश नहीं कह सकते कि आने वाला कल बीते
कल के जैसा ही दिखाई देगा
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शशि थरूर, पूर्व कें द्रीय मंत्री और सांसद
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सुनने में भले ही यह घिसी-पिटी बात लगे, लेकिन यह

यूटिलिटी कॉलम पढ़ रहे बहुतेरे पाठकों ने अनुभव किया होगा


कि उनके जीवनकाल में बदलाव की रफ्तार
स्पोर्ट्स आश्चर्यजनक तेजी से बढ़ी है। हमेशा से ही सबकु छ
ऐसा नहीं था। 1960 और 70 के दशक में जिस

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लाइफ &
भारत में मैं बड़ा हुआ, उसमें अमूमन ज्यादा कु छ
साइंस
बदलता नहीं था। चीजें धीरे-धीरे एक प्रक्रिया के तहत
फे क न्यूज़
परिवर्तित होती थीं। वो बदलने में इतना समय लेती
एक्सपोज़
थीं कि अकसर तो कोई उन पर गौर भी नहीं कर पाता
ओपिनियन था।

मधुरिमा मिसाल के तौर पर, वर्ष 1975 में लोग जैसे घरों में
आज का राशिफल मेष
रहते थे, परिवहन के जैसे साधनों में यात्राएं करते थे,
मैगजीन जिन चीज़ों का उपभोग करते थे, जो पढ़ते थे, जिन मेष|Aries
माध्यमों से संवाद करते थे, घर-कार्यालय में जिन
MPTET पॉजिटिव- आप वर्तमान
उपकरणों का इस्तेमाल करते थे, दूरदर्शन या
2020 गतिविधियों के अलावा
आकाशवाणी पर जो देखते या सुनते थे आदि दूसरे क्षेत्रों में भी रुचि लें,
इत्यादि, वह वर्ष 1950 की तुलना में बहुत ज्यादा इससे आपको नई-नई
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अलग नहीं हुआ करता था। लेकिन 1975 और जानकारी मिलेंगी। साथ
ही रचनात्मक कार्यों में भी
2000 के बीच तो जैसे ही दुनिया ही बदल गई थी!
कु छ समय जरूर व्यतीत
और उसके बाद भी बदलाव की लहर और तेज ही हुई
करें, आप सकारात्मक
है।
और पढ़ें

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हमारे देश में बुलेट ट्रेन की गति से बदलाव आए हैं ई-
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और होते ही जा रहे हैं। इनके साथ हम भी बहे चले पेपर
जा रहे हैं। अलबत्ता 1991 का साल भारत के लिए
एक वाटरशेड-मोमेंट था, लेकिन उससे पहले के दस-
पंद्रह सालों में लोग पहले ही अनेक बदलाव देख चुके
थे, जैसे कि रंगीन टीवी का अवतरण, वामपंथियों के
विरोध के बावजूद कम्प्यूटरों की आमद, काम करने
की जगहों पर नई तकनीक का इस्तेमाल जैसे वर्ड
प्रोसेसर्स और फै क्स मशीनें। लेकिन उदारीकरण के
साथ ही विदेशी कारों और कं ज्यूमर-उत्पादों की भीड़ Advertise with Us |
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नए कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, इंटरनेट और ईमेल का
पदार्पण हुआ। बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग और Our Divisions
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इंटरनेशनल कॉल सेंटर चलन में आए। ऐसी फील्ड्स

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में भी कम्पनियां जन्म लेने लगीं, जिनके बारे में लोगों
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को पहले पता ही नहीं था। मेरी पीढ़ी के नौजवानों को MoneyBhaskar.com
पढ़ाई और नौकरी के वैसे अवसर उपलब्ध नहीं थे। HomeOnline.com
इसके बाद बदलावों ने और गति पकड़ी। नए कारोबार BhaskarAd.com

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2005 में जो इंडस्ट्री धूम मचा रही थी- मिसाल के This website follows the DNPA
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तौर पर मेडिकल ट्रांस्क्रिप्शन- वह 2015 आते-आते
(सस्ते और सटीक वॉइस-रेकग्निशन सॉफ्टवेयर की
कृ पा से) विलुप्त हो गई। साक्षरता बढ़ गई, लेकिन
लोगों ने चिटि्ठयां लिखना बंद कर दिया। वे अब
कॉल, टेक्स्ट और ईमेल करते हैं। मनोरंजन का साधन
टेलीविजन नहीं रहा, फोन ने उसकी जगह ले ली।
स्क्रीन पर किताबें पढ़ी जाने लगीं।

अब तो लाइब्रेरियां भी प्रासंगिक बने रहने के लिए


कम्प्यूटर वर्क -स्टेशन इंस्टॉल करने लगी हैं। किसने
सोचा था कि घर से भी काम किया जा सकता है?
लेकिन महामारी के बाद यह ना के वल सम्भव हुआ,
बल्कि बहुतों की पहली पसंद भी बन गया। काम का ई-
होम वीडियो सर्च
स्वरूप भी वीडियो-कॉन्फ्रें सिंग के कारण बदल गया। पेपर
ऑफिस ज्यादा से ज्यादा पेपरलेस होने लगे।
टेलीमेडिसिन्स में नई खोजें की जा रही हैं।

हर हफ्ते आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स और


इन जैसी दूसरी फील्ड्स में महत्वपूर्ण परिवर्तन की
खबरें सामने आती हैं। अब हम भरोसे से नहीं कह
सकते कि आने वाला कल बीते कल के जैसा ही
दिखाई देगा। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के
आरम्भ में जब टेलीफोन की ईजाद की गई थी और
बिजली व ऑटोमोबाइल में नए बदलाव की लहर
आई थी, तो उस समय के लोगों ने भी वैसे ही
नाटकीय परिवर्तनों को अनुभव किया होगा।

विशेषज्ञों का मत है कि इन आविष्कारों के बाद

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दुनिया जिस तरह के उथलपुथल के दौर से गुजरी थी,
वही हमारे युग में भी दोहराया जाएगा। आज पांच
क्षेत्रों में नाटकीय तकनीकी प्रगति देखी जा रही है-
रोबोटिक्स और रिमोट-कं ट्रोल्ड मशीनें, एनर्जी,
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन तकनीक और
डीएनए सीक्वेंसिंग।

ये सभी बदलाव एक साथ हो रहे हैं और आने वाले


समय में हमारे जीवन को बदल देने की क्षमता रखते
हैं। अमेरिकी अन्वेषक रे कु र्जवील कहते हैं- हम 21वीं
सदी में 100 नहीं 20000 सालों की प्रगति देखने जा
रहे हैं। ऐसे में सभी को बदलाव की लहर के साथ
बहना ही है, जो रुके गा पीछे रह जाएगा।

पांच परिवर्तन

आज पांच क्षेत्रों में नाटकीय तकनीकी प्रगति देखी जा


रही है- रोबोटिक्स और रिमोट-कं ट्रोल्ड मशीनें, एनर्जी,
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन तकनीक और
डीएनए सीक्वेंसिंग। ये सभी बदलाव एक साथ हो रहे
हैं और आने वाले समय में हमारे जीवन को बदल देने ई-
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की क्षमता रखते हैं। पेपर

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

खबरें और भी हैं...

हरिवंश का कॉलम: यूरोपीय


देशों में 25 वर्षों में पहली बार
ऐसी महंगाई है, अमेरिका में
यह पीक पर

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पं. विजयशंकर मेहता का


कॉलम: जिन्हें छवि पर काम

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करना हो वे 24 घंटे में कु छ
समय अपनी सांस के प्रति
जागरूक रहें

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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:


अफवाह फै लाने वाले कभी
दंडित नहीं किए जाते क्योंकि
वे अपने पीछे सबूत नहीं
छोड़ते

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साधना शंकर का कॉलम:


समय, परिश्रम और लागत की
बचत करने वाली तकनीक
लोकप्रिय सिद्ध हो सकती है
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संजय कु मार का कॉलम:
जरूरी नहीं कि चुनावों के लिए
उमड़ने वाली मतदाताओं की
भीड़ हवा का रुख भी बतलाए

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एन. रघुरामन का कॉलम:


असल रईस इंसानियत, अच्छे
व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं
और दिखावा करने के बजाय
दूसरों की फिक्र करते हैं

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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:


दोस्त ‘बप्पी’ दा को अलविदा;
दौर कठिन है हम प्रतिभाशाली
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शोर ही हमारे लिए अब संगीत

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संपत्ति नहीं है, यह सट्टेबाजी
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रुक्मिणी बनर्जी
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बच्चों की बुनियाद मजबूत पेपर
करना है तो घर-स्कू ल में अनेक
गतिविधियां करें

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हमला करे न करे, हमें दस
मार्च के बाद महंगे पेट्रोल के
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कॉलम: एकांत में सुख उठाने
की कला और सहन का
मतलब होता है हर स्थिति को
स्वीकार करके चलना

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एन. रघुरामन का कॉलम:


ग्राहकों का मूड भांपने और
चीजों के बदलने का अनुमान
लगाते रहने वाले बिजनेस
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जब जीत हमारे
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है तो कई हारते भी होंगे पेपर

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आपको दुनिया में किसी भी
चीज के साथ अपने
आध्यात्मिक मेल की फिक्र
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अगाथा क्रिस्टी की रचनाओं

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‘फटे हुए वोट’ के साथ दोनों
राज्य बहुमत की सरकारें कै से
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हमें अक्सर अपनी इनर-वॉइस
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यूपी की सियासत में बीजेपी
और सपा के बीच चल रहा है
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डिजिटल टेक्स्ट पढ़ना, उसे
मार्क और शेयर करना एक
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