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ई-कॉमर्स क्या है – What is E-commerce in Hindi?

E-commerce, जिर्े इलेक्रॉनिक कॉमर्स भी कहते है , इंटरिेट तथा अन्य इलेक्रॉनिक माध्यमों र्े उत्पाद,
और र्ेवाएं खररदिा-बेचिा तथा ऑिलाइि मिी रांर्फर करिा एवं डेटा शेयर करिे की प्रक्रिया है . ई-
कॉमर्स में क्रफजिकल प्रोडक् र् के अलावा इलेक्रॉनिक ुस ड् र् तथा र्ेवा ं का यायापार भी होता है .

E-Commerce

अगर और आसान शब्दों में कहें तो ऑिलाइि शॉपपंग करिा ही ई-कॉमर्स कहलाता है . आप फिजिकल
प्रोडक्ट (िनीचर, फकचन आइटम, इंडस्ट्री मशीनरी आदद), डडजिटल गड्
ु स (ई-बक्
ु स, ई-मैगिीन्स, ई-पेपर,
विडडयो कोसस, ग्राफिक्स, पें दटग्स आदद) एिं सेिाएं (कंसल्टें सी, टीचचंग, राइदटंग़, हे ल्थ एडिाइस, ललगल
एडिाइस आदद) ऑनलाइन खरीद-बेच सकते है .

ई-कॉमसस के िररए दक
ु ान और सामान लसिस एक जक्लक की दरू ी पर रह गई है . आप बस सामान सेलेक्ट
कीजिए, भग
ु तान कीजिए और हो गई शॉवपंग. आप ना दक
ु ान गए, ना पैसे चगने, ना दक
ु ानदार से लमले.
इतना ही आसान है ई-कॉमसस द्िारा ऑनलाइन शॉवपंग करना.

अमेिि, जललपकाटस , िॉलमाटस , बबगबास्ट्केट, अललबाबा, पेटीएम मॉल, लमंत्रा, स्ट्नेपडील, शॉपक्लि
ू आदद ई-कॉमसस
खखलाडडयों (ई-कॉमसस माकेटप्लेस) ने ऑनलाइन शॉवपंग को व्यापक स्ट्तर पर पहुुँचा ददया है और अपने
ग्राहकों तक आसान पहुुँच सनु नजचचत भी की है . इससे ग्राहकों के साथ-साथ मचेंट्स को भी लाभ हुआ है .

ई-कॉमर्स वेबर्ाइट तथा मोबाइल एजललकेशि के िररए फकया िाता है . जिसमें पेमेंट गेटिे, SSL Certificates,
Inventories, Taxes, Encrypting Technologies आदद इंटीग्रेटेड कर िाती है ताफक शॉवपंग के दौरान ग्राहक
के साथ कोई धोखाधडी ना हो पाए और उसे सारी सवु िधाएं एक ही िगह पर उपलब्ध कराई िा सके.

मगर, सोशल मीडडया प्लैटिॉर्मसस, ऑनलाइन चैदटंग, कॉललंग आदद इलेक्रॉननक माध्यमों से भी ई-
बबििेर् फकया िा रहा है . लेफकन इन सभी से िेबसाइट और एप साि वििेता साबबत हुए है .

ई-कॉमर्स का इनतहार् – History of E-commerce

11, अगस्ट्त 1994 फक एक दोपहर को ‘क्रफल ब्रेंडिबिसर’ ने अपना कर्मप्यट


ू र शरु
ु फकया और NetMarket (एक
ऑनलाइन स्ट्टोर) से जस्ट्टं ग (Sting) की सीडी को $12.48 में खररदा जिसका भग
ु तान क्रेडडट काडस से फकया
गया. इस सीडी का नाम ‘Ten Summoners’ Tales’ था.

इस घटना ने इनतहास रचा था. और आि भी इसे ही असल ई-कॉमसस रािेंक्शन माना िाता है . क्योंफक
इस ऑनलाइन रािेंक्शन के दौरान पहली बार Encryption Technology का उपयोग ऑनलाइन शॉवपंग मे
हुआ था. िो आि आम बात हो गई है .
मगर, ई-कॉमसस का िन्म भी इंटरनेट के समय ही हो गया था. क्योंफक यनु निलससदटि, शैक्षिक संस्ट्थान,
शोधाथी. िैज्ञाननक अपने ररसचस पेपर तथा शैक्षिक सामग्री का आदान-प्रदान करने लगे थे. यह
प्रोसेस एपासनट
े (ARPANET) के बनने के बाद अपने कदम रख चुकी थी.

1960 के दौरान बबिनेसेस ने अन्य कंपननयों के साथ अपने बबिनेस डॉक्यम


ु ें ट Electronic Data
Interchange (EDI) का उपयोग करते हुए शेयर करने शरु
ु कर ददए. फिर 1979 में American National
Standard Institute ने बबिनेस डॉक्यम
ु ें ट शेयर करने के ललए सािसभौननक मानक तैयार फकए जिन्हे ASC
X12 के नाम से िाना िाता है .

इसके बाद इलेक्रॉननक कंपननयों िैसे eBay, Amazon आदद का िन्म शरु
ु हुआ. और ई-कॉमसस क्रानत की
शरु
ु आत हो गई.

डॉक्यम
ु ें ट शेयररंग से शरु
ु हुई तकनीक आि हमारे हाथ में समा चुफक है . और हम दनु नया के फकसी भी
कोने से ऑनलाइन उपलब्ध िस्ट्तु को एक जक्लक करके खररद सकते है . ई-कॉमसस की असल ताकत यही
है .

लेफकन, इस ऐनतहालसक घटना क्रम के दौरान बहुत सारी घटनाएं हुई और नये प्लेटिॉर्मसस, टूल्स, तकनीक
का इिात हुआ, जिसका संक्षिप्त िर्सन E-commerce Timeline में ददया िा रहा है .

यह E-commerce History Timeline बनाने में विफकपीडडया और बबगकॉमसस पर उपलब्ध िानकारी का सहारा
ललया गया है .

E-commerce History Timeline

1969 – CompuServe की स्ट्थापना हुई

1979 – माइकल एजल्िच ने इलेक्रॉननक शॉवपंग का आविष्कार फकया

1981 – Thomson Holidays UK पहला B2B ऑनलाइन शॉवपंग लसस्ट्टम शरु


ु हुआ

1982 – फ्ांस टे ललकॉम नें Minitel को ऑनलाइन ऑडसर लेने के ललए शरु
ु फकया

1982 – बोस्ट्टन कर्मप्यट


ु र एक्सचें ि ने अपना पहला ई-कॉमसस प्लैटिॉमस लॉच फकया

1990 – दटम बनससस ली ने पहला िेब ब्राउिर का कोड ललखा

1992 – बक
ु स्ट्टै क्स अनलललमटे ड ने फकताबों का पहला माकेटप्लैस शरु
ु फकया जिसकी िेबसाईट
www.books.com थी. अब यह िेबसाईट www.barnesandnoble.com हो गई है .

1994 – नेटस्ट्केप ने नेटस्ट्केप नेविगेटर शरु


ु फकया
1994 – NetMarket से Ten Summoner’s Tales पहली सरु क्षित खरीदारी बनी जिसे क्रेडडट काडस के माध्यम
से खरीदा गया

1995 – eBay तथा Amazon ऑनलाइन शॉवपंग िेबसाईट शरु


ु हुई

1998 – PayPal को ऑनलाइन पेमेंट लसस्ट्टम के रूप में शरु


ु फकया गया

1999 – Alibaba.com की शरु


ु आत

2000 – गग
ू ल ने AdWords शरु
ु की

2005 – एमेिन ने अपने ग्राहकों के ललए Amazon Prime सेिा शरु


ु की

2005 – दस्ट्तकारी तथा परु ाने कीमती सामात (Vintage Goods) ऑनलाइन बेचने-खररदने के ललए Esty
माकेटप्लेस शरु
ु हुआ

2009 – ऑनलाइन स्ट्टोरफ्ंट प्लैटिॉमस BigCommerce शरु


ु हुआ

2009 – Square, Inc. की शरु


ु आत हुई

2011 – Google Wallet को ऑनलाइन पेमेंट लसस्ट्टम के ललए शरु


ु फकया गया

2011 – िेसबक
ु ने Sponsored Stories नाम से विज्ञापन शरु
ु फकया

2011 – Stripe की शरु


ु आत

2014 – Apple Pay को मोबाइल पेमेंट के ललए शरु


ु फकया गया

2014 – Jet.com की शरू


ु आत

2017 – Instagram Shoppable Posts पेश की गई

2020 – ररलायंस ररटे ल द्िारा Jio Mart की शरु


ु आत की गई.

ई-कॉमर्स का प्रकार – Types of E-commerce in Hindi?

ई-कॉमसस मख्
ु य रूप से सात Models of E-commerce से संचाललत होता है . जिनका िर्सन इस प्रकार है .

 Business to Business (B2B)

 Business to Consumer (B2C)

 Consumer to Consumer (C2C)

 Consumer to Business (C2B)


 Government to Business (G2B)

 Business to Government (B2G)

 Consumer to Government (C2G)

Business to Business Model(B2B)

िब ऑनलाइन बबिनेस दो से अचधक बबिनेस कंपननयों, संस्ट्थानों, एिेंलसयों के बीच फकया िाता है तो
यह Business to Business Model (B2B) कहलाता है .

क्योंफक इस प्रोसेस में अंनतम उपभोक्ता आप या हम नहीं होते है . बजल्क, एक दस


ू रा व्यापार ही होता है
िो दस
ू रे व्यापार से अपनी िरूरत का सामान ऑनलाइन खरीदता है . इस बबिनेस मॉडल में उत्पादक,
थोक व्यापारी और खद
ु रा व्यापारी शालमल होते है .

यहाुँ पर व्यापारी अचधकतर कच्चा सामान, ररपैफकं ग होने िाला सामान खरीदते है और सेिाओं के रूप में
सॉलटिेयर तथा कानन
ू ी सलाह शालमल होती है . मगर यहीं तक सीलमत नहीं है .

Business to Consumer Model(B2C)

ई-कॉमसस का सबसे प्रचललत रुप B2C है . िब आप एक प्रकाशक से अपने ललए कोई फकताब ऑडसर करते
है तो यह शॉवपंग इसी बबिनेस मॉडल में शालमल होती है . क्योंफक यहाुँ पर रांिक्
े शन सीधा बबिनेस से
उपभोक्ता के बीच होता है .

Consumer to Consumer Model(C2C)

यह मॉडल शरु
ु आत का बबिनेस मॉडल है . इस ई-कॉमसस बबिनेस मॉडल में एक ग्राहक दस
ू रे ग्राहक से
ऑनलाइन रांिक्
े शन करता है . eBay, Amazon पर आपको कुछ इसी तरह का मॉडल दे खने को लमलता है .
िहाुँ पर एक ग्राहक अपना परु ाना सामान तथा नया सामान भी सीधे ग्राहक को बेचता है .

Consumer to Business Model(C2B)

िब एक ग्राहक अपना सामान अथिा सेिाएं सीधे एक बबिनेस को बेचता है तो यह ई-कॉमसस मॉडल C2B
कहलाता है .

एक िोटोग्रािर, गायक, कॉमेडडयन, नत


ृ क, यट्
ू यब
ु र आदद अपने दशसकों के दहसाब से बबिनेस से उत्पाद
प्रचार के शल्
ु क लें सकते है और अपनी कुछ सेिाएं रॉयल्टी के आधार पर भी उपलब्ध करा सकते है .

ये सभी कायस Consumer to Business Model के अंतगसत आते है . पेशि


े र लोग इस बबिनेस मॉडल से खब

पैसा कमाते है .

Government to Business Model(G2B)


इस बबिनेस मॉडल का सबसे अच्छा उदाहरर् है ई-गविेंर्. जिसके तहत सरकारे अथिा प्रशासननक
संस्ट्थान अपनी सेिाएं व्यापाररक संस्ट्थानों को इंटरनेट के द्िारा उपलब्ध करिाती है .

इन सेिाओं की सच
ू ी दे श काल के दहसाब से लभन्न हो सकती है . कानन
ू ी दस्ट्तािेि, पंजिकरर्, सामाजिक
सरु िा योिनाएं, नौकरी प्रािधान तथा अन्य व्यापाररक सेिाएं सरकारें ऑनलाइन मह
ु ै या करा रही है .
जिससे सरकार और व्यापाररक प्रनतष्नानों का समय और पि
ूं ी दोनों बच रहे है .

Business to Government Model(B2G)

िब सरकारें अपनी िरूरत का कुछ सामान अथिा सेिाएं बबिनेस से ऑनलाइन खरीदती है तो इसे B2G
ई-कॉमसस मॉडल कहा िाता है . उदाहरर्, फकसी लोकल सरकारी एिेंसी को अपने अचधकार िेत्र में CCTV
Cameras लगिाने है तो िह इसके ललए फकसी कैमरा स्ट्टोर से कैमरा खरीदती है . और उन्हे लगिाने का
ने का भी फकसी बबिनेस को दे सकती है . यह सब कायस इसी मॉडल में आते है .

भारत दे श में इसका सबसे अच्छा उदाहरर् बाबारामदे व का लोकवप्रय स्ट्िदे शी पंतिली ब्रांड (ननिी व्यापार) है
िो अपने उत्पाद भारतीय सेना (सरकारी संस्ट्था) को बेच रहा है . यह बबिनेस मॉडल B2G के अंतगसत ही
है .

Consumer to Government (C2G) Model

ई-गिनेंस सेिा यहाुँ भी लागु होती है . क्योंफक एक आम नागररक का भी बहुत सारा सरकारी कामकाि
रहता है . जिसके ललए उसे सरकारी दलतरों के चक्कर काटने पड़ते है .

मगर िब सरकारी सेिाएं ऑनलाइन उपलब्ध हो िाती है तो ग्राहक सीधा िेबसाइट या एप के माध्यम से
इन सेिाओं का लाभ ले सकता है . ई-लमत्र सेिा, उमंग, ई-फिललंग, डडजिलॉकर, िास्ट्टै ग आदद इसी मॉडल के
उदाहरर् है .

ई-कॉमर्स का फायदा – Advantages of E-commerce in Hindi?

ई-कॉमसस का सबसे बड़ा िायदा यह है फक आपको सामान खरीदने के ललए दक


ु ानदार या स्ट्टोर तक नहीं
िाना है बजल्क सामान खद
ु आप तक आ िाएगा. आप बस ऑडसर कीजिए और भग
ु तान करके डडललिरी
एिेस चन
ु ललजिए और हो गई खरीदारी.

लेफकन इसके अलािा भी बहुत सारे अन्य िायदें एक ग्राहक को होते है जिनका वििरर् इस प्रकार है .

#1 पवश्वयायापी (Global Reach)

आप ई-कॉमसस की सहायता से परू ी दनु नया में पहुुँच बना लेते है . यदद आप एक विक्रेता है तो आपके ललए
नये ग्राहक ढूुँढने की िरूरत नहीं रहती है . क्योंफक परू ी दनु नया आपका ग्राहक बनने के ललए तैयार है .
और ग्राहक के ललए दनु नयाभर के स्ट्टोर सामान बेचने के ललए उपलब्ध रहते है . िह अपनी पसंद का कुछ
भी सामान आराम से दे खकर और िानकारी करके खरीद सकता है .

#2 र्स्ता (Cheap Rate)

ई-कॉमसस का संचालन एक फकराना की दक


ु ान के बराबर भी नहीं होता है यदद आप ऑनलाइन खद
ु का
स्ट्टोर फ्ंट बनाते है . आप बबना एक रुपया खचस करें ऑनलाइन दक
ु ान शरु
ु कर सकते है . इसललए ग्राहकों
को ज्यादा सस्ट्ता प्रोडक्ट खररदने को उपलब्ध रहते है .

क्योंफक कंपननयों को बबचौललयां का सहारा नहीं लेना पड़ता है . इनकी लागत का सीधा असर प्रोडक्ट की
लागत पर होता है . चुफक इनकी िरूरत खत्म सी हो िाती है . इसललए प्रोडक्ट की िास्ट्तविक कीमत कम
हो िाती है . और आपको सामान खरीदने के ललए दक
ु ान भी नही िाना है तो फकराया और पेरोल-डीिल
की बचत भी िोड सकते है .

#3 आर्ाि शॉपपंग (Easy Shopping)

ऑनलाइन सामान खरीदना आसान होता है . लोगों ने खुद माना है फक उन्हे दक


ु ान से सामान खरीदने की
बिाए ऑनलाइन सामान खरीदना ज्यादा आसान लगता है .

और यह तरीका उन लोगों के ललए कारगर है जिन्हे स्ट्टोर, मॉल्स पर िाने में ददक्कत या असहिता
महसस
ू होती है . िह अपना मन पसंद सामान आराम से घर से, ऑफिस से, कॉलेि आदद से ऑडसर कर
सकते है और उसे मन पसंद िगह पर मंगिा भी सकते है .

#4 हर र्मय उपलब्धता (Availability)

गली की दक
ु ान या मॉल की भांनत ऑनलाइन स्ट्टोर का कोई खल
ु ने-बंद होने का समय तय नहीं है . आप
24×7 शॉवपंग कर सकते है . यह दक
ु ान साल के 365 ददन खल
ु ी रहती है .

#5 िल्दी खरीदारी र्ंभव (Fast Checkouts)

यदद आप फकसी स्ट्टोर पर िायेंग़े तो आपको पहले से पहुुँचे हुए ग्राहकों के ननपटने का इंतिार करना
पडेगा इसके बाद आपका नंबर आता है . और यदद आपको ज्यादा आइटम खरीदने है तब तो आपको कई-
कई स्ट्टोसस के चक्कर लगाने पड सकते है . िो एक थका दे ने िाला काम साबबत हो सकता है .

मगर, ऑनलाइन शॉवपंग के दौरान आपको कहीं भी िाने की िरूरत नहीं क्योंफक आप सारा सामान एक
िगह से ऑडसर कर सकते है और लाइन में लगने की भी िरूरत नहीं रहती है .
यदद आप एक से ज्यादा आइटम खरीद रहे तो सचस िीचर का इस्ट्तेमाल करके अपने ललए प्रोडक्ट ढूुँढ़
सकते है ब्राउि करके एक-एक आइटम की िानकारी लेकर उसे Add to Cart अगले आइटम की खोि कर
सकते है .

#6 पर्सिल सर्फाररश (Personal Recommendations)

ऑनलाइन स्ट्टोर आपके सचस व्यिहार और परु ानी शॉवपंग के आधार पर आपके ललए प्रोडक्ट की लसिाररशे
करता है . और आपकी पसंद नापसंद के दहसाब से प्रोडक्ट्स सझ
ु ाता है . यह सवु िधा एक फिजिकल स्ट्टोर
पर नहीं लमलती.

ई-कॉमर्स का िक
ड् र्ाि – Disadvantages of E-commerce in Hindi?

जिस तरह लसक्के के दो पहलू होते है . उसी तरह ई-कॉमसस के िायदें है तो कुछ नक
ु सान भी होते है . िो
ग्राहक को कई मस
ु ीबतों में िंसा सकते हैं.

प्रोडक्ट की अर्ल िािकारी िहीं (No Touch or Seeing)

एक सामान्य स्ट्टोर से कोई आइटम खरीदते समय हम आइटम को कई तरीकों से िांच कर सकते है .
और साथीयों से भी सलाह ले सकते है .

मगर, ऑनलाइन स्ट्टोर से सामान खरीदते समय यह सवु िधा नहीं लमल सकती है . क्योंफक
आप कम्पलयट
ू र या मोबाइल स्ट्क्रीन से एक सोिा की िांच नही कर सकते है . िो सेलर द्िारा उस आइटम
के बारे में ललखा िाता है . हमे उस पर ही ननभसर रहकर सामान की खररदी करनी पड़ती है .

आत्म र्ंतष्ड् टी कम (No Self Satisfaction)

िब ग्राहक अपने हाथों से आइटम को छू कर दे खता है और आंखों से दे ख और परख लेता है तब उसे


िो संतष्ु टी लमलती है उसकी तल
ु ना ऑनलाइन खररदी से संभि नहीं है . क्योंफक आपको छूने और दे खने
की सवु िधा नही लमलती है .

हाुँ आप प्रोडक्ट के िोटों को दे खकर खश


ु हो सकते है . यही सच्चाई है !

तकिीक का ज्ञाि (Need of Tech Knowledge)

यदद आप ऑनलाइन शॉवपंग करना चाहते है तो आपको डडजिटल सािर होने की िरूरत है . यदद आपको
ू र, इंटरिेट, िेट बैंक्रकंग आदद का व्यािहाररक ज्ञान नहीं है तो आपके ललए ऑनलाइन शॉवपंग बेकार
कर्मप्यट
है .

अर्रड् क्षित (Security)


ई-कॉमसस पर धोखाधडी की सबसे ज्यादा संभािना रहती है . क्योंफक ऑनलाइन धोखाधडी करना ज्यादा
आसान और बाररक है . इसे एक सामान्य यि
ु र नहीं पहचान पाता है .

इसललए इसे असरु क्षित माना गया है . साइबर क्राइम का बढ़ता ग्राि इसे और मिबत
ू ी दे ता है . फिलशंग,
कीलॉगसस, डड्जललकेट यआ
ू रएल आदद िे तरीके है जिनके िररए ऑनलाइन धोखाधडी की िाती है .

ग्राहक र्ेवा की कमी (Lack of Customer Service)

स्ट्टोर से खरीदारी करते समय आप बहुत सारी शंकाओं का समाधान लमनटों में प्राप्त कर सकते है . आप
कैलशयर, क्लकस, मैनेिर से सीधे लमलकर सिाल कर सकते है . मगर ऑनलाइन स्ट्टोर पर यह सवु िधा नहीं
होती है और आपको एक ननजचचत समय का इंतिार करना पडेगा यदद आप फकसी सिाल का ििाब लेना
चाहते है .

र्ामाि के सलए इंतिार (Wait for Delivery)

आपने भग
ु तान फकया और सामान आपका. मगर ऑनलाइन स्ट्टोर पर ऐसा नहीं है . भग
ु तान करने के
बाििूद भी आपको सामान के ललए इंतिार करना पडता है . िो गाहकों में खीि पैदा करता है . और इसे
कुछ बबिनेस न तो अनतररक्त पैसा कमाने का िररया बना रखा है . िो ग्राहक के अचधकारों के साथ भी
खखलिाड़ है .

ई-कॉमर्स ललैटफॉम्पर्स – E-commerce Platforms

आपने ये तो िान ललया फक ई-कॉमसस के माध्यम से सामान और सेिाओं को इंटरनेट के िरीए बबचा
िाता है . मगर कैसे?

क्या आपने कभी सोचा है एक ऑनलाइन स्ट्टोर कैसे बनता है ?

चललए हम बता दे ते है .

दरअसल, ई-कॉमसस इंिॉमेशन तकनीक के कई टूल्स का सहारा लेकर फकया िाता है और एक ऑनलाइन
स्ट्टोर को बनाने में बहुत सारे अलग-अलग टूल्स इस्ट्तेमाल होते है . जिनके िररए ऑनलाइन स्ट्टोर बनाए
िाते है . ऑनलाइन स्ट्टोसस को हम दो िगों में बांट सकते है .

 Online Storefronts

 Online Marketplaces

Online Storefronts
आमतौर पर मचेंट अपना ऑनलाइन स्ट्टोर फकसी िेबसाइट के माध्यम से बनाते है . यह सबसे सीधा और
आसान तरीका है ऑनलाइन स्ट्टोर बनाने का. और अचधकतर बबिनेस इसी तरह अपना व्यापार कर रहे
है .

मचेंट्स शॉवपंग काटस , पेमेंट गेटिे तथा ई-कॉमसस टूल्स का इस्ट्तेमाल करके अपना ऑनलाइन स्ट्टोर बना
लेते है . तथा अपना सामान और सेिाएं बेचते है . ऑनलाइन स्ट्टोरफ्र्न्न्ट्स बनाने के ललए बहुत सारे
प्लैटिॉमस उपलब्ध है . नीचे कुछ लोकवप्रय प्लैटिॉर्मसस के नाम ददए िा रहे है .

Magento – यह सबसे लचचला और लोकवप्रय ई-कॉमसस सॉल्यश


ु न प्लैटिॉमस है . िो मचेंट्स को शजक्तशाली
िीचसस, आसान कस्ट्माईिेशन, एड-ऑन्स उपलब्ध करिाता है . साथ ही विशेषज्ञों का समह
ू , डिलपर तथा
एिेंलसयों की सेिा आपके ललए मौिूद रहती है .

Demandware – यह एक क्लाउड आधाररत ई-कॉमसस सॉल्यश


ु न प्रोिाइडर है .

Oracle Commerce – यह एक B2B तथा B2C ई-कॉमसस सॉल्यश


ु न प्रोिाइडर है .

Shopify – यदद आप आसानी से एक स्ट्टोरफ्ंट बनाने की सोच रहे थे शॉवपिाई आपके ललए यह सवु िधा दे
सकता है . क्योंफक इसके Drag-and-Drop Builder द्िारा अपना ई-कॉमसस स्ट्टोर बनाना पत्ते सिाना िैसा
काम है . शॉवपिाई टे र्मप्लेट्स, इंिेंरी टूल्स, बाई बटन, पेमेंट शॉल्यश
ु न आदद एक ही िगह उपलब्ध करिाता
है .

WooCommerce – यदद आप एक िडसप्रेस ब्लॉग को ऑनलाइन स्ट्टोर में बदलना चाहते तो िक


ू ॉमसस इसमे
आपकी मदद कर सकता है . यह एक ऑपन सॉसस ई-कॉमसस टूल है िो िडसप्रेस साइट को एक ऑनलाइन
स्ट्टोर में बदलने के ललए आिचयक िीचसस उपलब्ध करिाता है . मगर साइट होजस्ट्टं ग, डोमेन नेम,
एसएसएल, पेमेंट गेटिे आदद साइट ऑनर को संभालना पड़ता है . अन्य प्लैटिॉर्मसस में यह झंझट नही
रहता.

BigCommerce – यह प्लैटिॉमस B2B ई-कॉमसस के ललए शानदार िीचसस उपलब्ध करिाता है . इसके िररए
बडे आराम से एक ऑनलाइन स्ट्टोर बनाया िा सकता है . साथ में इसके द्िारा एक ब्लॉग, सोशल मीडडया
प्लैटिॉर्मसस पर भी सेललंग की िा सकती है .

Drupal Commerce – यदद आप Drupal Platform का इस्ट्तेमाल करते है तब आप इस टूल के द्िारा अपना
ऑनलाइन स्ट्टोर बन सकते है .

Instamojo – यदद आप भारतीय सॉल्यश


ु न ढूढ रहे तो इंस्ट्टामोिो आपकी मदद कर सकता है . आप
इस Instamojo Tool की सहायता से अपना खद
ु का स्ट्टोरफ्ंट बना सकते है और सीधे पेमेंट भी ले सकते
है . इंस्ट्टामोिो बबल्ट-इन प्रोड्क्ट स्ट्टोर बनाने की सवु िधा मल
ु त उपलब्ध करिाता है . बस आपको प्रनत
रांिेक्शन कुछ शल्
ु क दे ना पड़ता है . िो एक चाय के बराबर पड़ता है .

Online Marketplaces

ऑनलाइन माकेटप्लेस एक प्रकार के बबचौललये का काम करता है . ऑनलाइन माकेटप्लेस मचेंट और


ग्राहक के बीच कर्मयनु नकेशन स्ट्थावपत करते है और अलग-अलग मचेंटों को एक िगह (ऑनलाइन बािार)
उपलब्ध करिाते है . ग्राहक का मचेंट से सीधा संबध
ं नही होता है . इस तरह के माकेटप्लैस बहुत सारे
उपलब्ध है जिनके द्िारा आि करोडों का ई-कॉमसस व्यापार फकया िा रहा है .

कड्छ लोकपप्रय माकेटललैर् के िाम

Amazon – दनु नया की सबसे बडी ई-कॉमसस माकेटप्लैस होने का दािा नोकने िाली अमेिि कंपिी पररचय
का मोहताि नहीं है . दनु नयाभर के ग्राहकों के बीच इसने अपनी पहचान कायम की है . और लोगों को a-z
प्रोड्क्ट पहुुँचाकर खश
ु ी बांटने का काम कर रही है .

Flipkart – यह भारतीय कंपनी एमेिन की तरह भारतीय मचेंट्स के ललए दे शी तकनीक पर आधाररत
विचिव्यावप माकेट उपलब्ध करा रही है .

eBay – यह ई-कॉमसस की शरू


ु आती कंपननयों में से एक है . िो नए सामान के साथ परु ाना सामान खरीदने-
बेचने के ललए माकेटप्लेस उपलब्ध करा रही है . इसका बबिनेस मॉडल C2C पर ज्यादा आधाररत है .

Etsy – इस माकेटप्लेस पर है ण्डमैड, विंदटि और कुछ दल


ु भ
स िस्ट्तए
ु ं खरीदी-बेची िा सकती है .

Alibaba – यह एक चीनी ई-कॉमसस कंपनी है . िो थोक विक्रेताओं, ननमासताओं, सप्लायसस, आयातक/ननयासतकों


के ललए माकेटप्लेस उपलब्ध कराती है .

Indiamart – यह एक भारतीय माकेटप्लेस है िो बबल्कुल एललबाबा की तरह कायस करता है .

Fiverr – यह एक फ्ीलालसंग माकेटप्लेस है िो पेशि


े र लोगों को अपनी सेिाएं उपलब्ध कराने का काम
करती है . यहाुँ पर एक ग्राफिक डडिाईनर, िेब डिलपर आदद लोग इस माकेटप्लेस से िुडकर अपनी सेिाएं
मह
ु ै या करा सकते है .

Example of E-commerce

ई-कॉमसस विलभन्न तरीकों से हो सकता है . और व्यापारी फिजिकटल प्रोडक्ट से लेकर पत्र ललखने तक की
सेिाएं इसके द्िारा उपलब्ध करा सकते है . नीचे ई-कॉमसे के विलभन्न रूपों के बारे में बता रहे है .

Retail
यह खुदरा व्यापार कहलाता है . जिस तरह आप पडोस के फकराना स्ट्टोर से सामान खरीदते है नीक इसी
प्रकार इस बबिनेस मॉडल में भी फकया िाता है . कोई बबचौललया नहीं होता है . ररटे लसस का सीधा संपकस
ग्राहक से होता है .

Wholesale

थोकव्यापार में िस्ट्तओ


ु ं को समह
ू में बेचा िाता है . यहाुँ पर ग्राहक ररटे लसस होते है . क्योंफक असल
उपभोक्ता से कोई संबध
ं नही रहता.

Dropshipping

उस उत्पाद को बेचना जिसका ननमासता कोई और है और उसकी डडललिरी कोई और करने िाला है . यानी
बेचने िाला का संपकस लसिस ग्राहक से होता है उत्पाद िह खुद ननमासर् नहीं करता. बजल्क फकसी अन्य
ननमासता के उत्पाद को बेचता है . िॉपलशवपंग आिकल उभरते हुए बबिनेसेस में से एक बन चुका है लोगों
के बीच खासकर िो 9-5 के िॉब से आिादी चाहते है इस बबिनेस को हाथों हाथ ले रहे है .

Crowdfunding

उत्पाद बािार में आने से पहले ही लोगों से उसके बदले में पैसा लेना क्राउडिंडडग कहलाता है . यह
स्ट्टाटासप बबिनेस के ललए शरु ाआती दौर में पैसे िट
ु ाने का एक बदढ़या और आिमाया हुआ लसद्धांत है .

Subscription

फकसी उत्पाद और सेिा की एक ननजचचत समय अंतराल में पन


ु : खरीदद सब्सफक्रपशन कहलाती है . यह
तरीका अचधकतर र्ॉफ्टवेयर एि ए सविसस (SAAS) िाले बबिनेस मॉडल पर आिमाया िाता है . इसके साथ
ऑनलाईन मैगजिन, ई-पेपर, सदस्ट्यता िॉर्मसस आदद प्लैटिॉर्मसस इस बबिनेस मॉडल का इस्ट्तेमाल करते है .

Physical Products

कोई भी सामान जिसका फिजिकल अजस्ट्तत्ि होता है उसे बेचना इसमें शालमल है . इस दौरान प्रोडक्ट का
ऑडसर ललया िाता है फिर सामान उसे डडललिर फकया िाता है .

Digital Products

डाउनलोड फकया िा सकने िाला गड्


ु स, टे र्मप्लेट्स, कोसस, ग्राफिक्स, िोटों, पैदटंग्स, ई-बक
ु आदद का उपयोग
करने के खररदना या फिर लाईसेंस खरीदना इस बबिनेस में शालमल होता है . कई पेशि
े र इस बबिनेस
मॉडल का खूब उपयोग कर रहे है .

Services

िब कोई पेशि
े र अपने कौशल के बदले शल्
ु क लेता है तो यह इस बबिनेस मॉडल में शालमल ई-कॉमसस
होता है .
उमंग एप क्या है – What is UMANG App?

UMANG एक मोबाईल एप है जिसे डडजिटल इंडडया के तहत भारत में ई-गिनेंस चलाने के ललए बनाया
गया हैं. उमंग एप को इलेक्रॉनिक्र् और र्च
ू िा प्रोद्योगगकी मंत्रालय (MeitY) एिं राष्रीय ई-गविेंर्
डडवीिि (NeGD) द्िारा विकलसत फकया गया हैं.

UMANG की िुल िॉमस Unified Mobile App for New Age Governance होता हैं. इसे पहली बार निर्मबर
2017 में लॉन्च फकया गया था. यह एप फिलहाल एक दिसन से भी ज्यादा भाषाओं में Android, iOS तथा
Windows डडिाईसों के ललए उपलब्ध हैं.

उमंग एप भारतीय नागररकों को केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा स्ट्थानीय ननकायों के अलािा अन्य
नागररक केंदद्रत सेिाओं तक पहुुँच सनु नजचचत करता हैं. और इसके ललए नागररकों को अलग-अलग पोटस ल
पर िाने की िरूरत भी समाप्त हो गई हैं. ये सारी सेिाएं उमंग एप के िररए एक्सेस की िा सकती हैं.

उमंग एप की मख्
ड् य पवशेषताएं – Key Features of UMANG App

एक मंच – उमंग एप ई-गिनेंस का एक मंच है . जिसके िररए केंद्र सरकार से लेकर स्ट्थानीय ननकायों तक
की नागररक केंदद्रत सेिाओं को एक्सेस फकया िा सकता हैं.

मोबाईल पर र्ेवा – इसकी खास बात यह है फक आपको कम्पलयट


ड् र की िरूरत नहीं पडती हैं. आप साधारर्
सेलिोन के िररए भी उमंग सेिा के माध्यम से ई-गिनेंस सेिाओं का लाभ ले सकते हैं.

डडजिटल इंडडया र्ेवा ं र्े र्ंबध


ं – उमंग एप के माध्यम से बहुत सारी डडजिटल इंडडया सेिाओं को भी
आसानी से एक्सेस फकया िा सकता हैं. इन सेिाओं में आधार, डडजिलॉकर आदद शालमल हैं.

र्रड् क्षित – इस एप पर सेिाओं का एक्सेस करने के ललए कई तरीको से यि


ु र की पहचान सनु नजचचत की
िाती हैं. और ये सेिाएं आधार-आधाररत होती हैं तथा अन्य प्रमार्ीकरर् (Authentication) की विचधयों का
भी उपयोग होता हैं.

आर्ाि उपलब्धता – उमंग सेिा का िायदा लेने के ललए आपको सरकारी दलतरों के चक्कर काटने की
कोई आिचयकता नहीं हैं. ना ही आपको फकसी अिसर की लसिाररश लगिाने की िरूरत हैं. कोई भी
आम नागररक अपने स्माटस फोि में उपलब्ध Google Play Store (Android), App Store (iOS) तथा Microsoft
Store (Windows) से इस एप को आसानी से डाउनलोड करके इसका उपयोग शरु
ु कर सकता हैं.

बहड्भाषी – उमंग एप अंग्रेिी और दहंदी के अलािा दिसन भर से भी ज्यादा अन्य भारतीय भाषाओं में भी
उपलब्ध हैं. इसललए आप अपनी मातभ
ृ ाषा में भी इसका उपयोग ले सकते हैं.

उमंग एप डाउिलोड कैर्े करें – How to Download UMANG App?


उमंग एप को आप तीन तरीके से अपने स्ट्माटस िोन में डाउनलोड कर सकते हैं. आपको िो तरीका भाये
उसे आिमा सकते हैं.

1. उमंग एप की आगधकाररक वेबर्ाईट पर उपलब्ध QR Code को स्ट्कैन कीजिए. इस िेबसाईट को


आप ननर्मन िेबपते द्िारा एक्सेस कर सकते हैं.
https://web.umang.gov.in/web/

2. 97183-97183 पर लमस्ट्ड कॉल दे कर डाउनलोड ललंक प्राप्त कर ललजिए.

3. या फिर उमंग िेबसाईट पर अपना मोबाईल नंबर दिस कराएं और SMS द्िारा डाउनलोड ललंक
प्राप्त करें .

उमंग एप में रजिस्रे शि कैर्े कराएं – How to Register on UMANG App?

उमंग एप के िररए ई-गिनेंस का िायदा लेने के ललए पहले यि


ु र को इस एप में रजिस्ट्रे शन कराना
पडता हैं. इसके बाद ही उपलब्ध सेिाओं का लाभ ललया िा सकता हैं. उमंग एप की रजिस्ट्रे शन प्रफक्रया
बहुत ही सरल हैं. आप ननर्मन स्ट्टे प्स को िॉलो करके आसानी से अपना रजिस्ट्रे शन करा सकते हैं.

Step: #1

सबसे पहले एप को लॉच कीजिए. लॉच करने के ललए इसके ऊपर उं गली से टै प कीजिए.

Step: #2

यदद आप इस एप को पहली बार शरु


ु कर रहे है तो अपनी भाषा का चन
ु ाि करके आगे बढे और बाएं
तरि मौिद
ू तीन आड़ी रे खाओं पर टै प करें .

Step: #3

इसके बाद “Register” पर टै प कीजिए.

Step: #4

अपना मोबाईल नंबर दिस करें और आगे बढ़े .

Step: #5

अब आपके मोबाईल नंबर का सत्यापन करने के ललए एक OTP आएगा. इस ओटीपी को उपलब्ध िगह
पर दिस करें और आगे बढ़े .

बधाई हो! आप सिलतापरू ि उमंग एप पर रजिस्ट्टर हो गए हैं. अब आप अपनी अधूरी प्रोिाईल को परू ा
करके सेिाओं का लाभ ले सकते हैं.
उमंग एप पर उपलब्ध र्ेवाएं – Available Services on UMANG App

उमंग एप पर फिलहाल 19 राज्यों के 76 विभागों की 380 सेिाएं# उपलब्ध हैं. जिनकी संक्षिप्त सच
ू ी इस
प्रकार हैं.

1. आधार सेिा

2. डडजिलॉकर

3. आयष्ु मान भारत योिना

4. भारत बबल पे

5. भारत गैस

6. MKISAN

7. CBSE

8. AICTE

9. AKPS

10. CHILDLINE 1098

डडजिलॉकर क्या है – What is DigiLocker?

DigiLocker एक क्लाउड-आधाररत स्टोरे ि ललैटफॉमस है . िहााँ पर यि


ड् र अपिे दस्तावेि तथा प्रमाण-पत्र
स्टोर कर र्कते हैं, शेयर कर र्कते हैं तथा वेररफाई कर र्कते हैं.

यि
ु र अपने विलभन्न सरकारी, गैर-सरकारी दस्ट्तािेिों की स्ट्कैन्ड कॉपी यहाुँ अपलोड कर सरु क्षित रख
सकते हैं. तथा िरूरत पडने इनका डडजिटल संस्ट्करर् इस्ट्तेमाल कर सकते हैं.

यि
ु र e-Signed टूल की मदद से अपने सभी द्स्ट्तािेिो एिं प्रमार्-पत्रों को सेल्ि-एटे स्ट्टे ड भी कर सकता
हैं. और िेररफिकेशन के ललए संबचं धत एंिेलसयों को िारी कर सकता हैं.

ध्याि रखें

Indian IT Act, 2000 के अिर्


ड् ार डडजिलॉकर पर मौिद
ू दस्तावेि तथा प्रमाण-पत्र कािि
ड् ि वैद्य हैं.

अब आपको आधार काडस, राशन काडस, िाईविंग लाईसेंस आदद दस्ट्तािेिों को िॉलेट में रखने की कोई
िरूरत नहीं है . इन्हे आप अपने घर पर सरु क्षित िगह पर रख सकते है और इनका डडजिटल संस्ट्करर्
से ही काम चला सकते हैं.
डडजिलॉकर को भारतीय इलेक्रॉनिक्र् एण्ड र्च
ू िा प्रोद्योगगक्रक मंत्रालय (MeitY) द्िारा विकलसत फकया गया
हैं. इस सवु िधा का िायदा वेबर्ाईट और एप के द्िारा ललया िा सकता हैं.

इस प्लैटिॉमस को डडजिटल इंडडया प्रोग्राम के तहर शरु


ु फकया गया हैं. इसका उद्दे चय भारत को कागि-
रदहत अथसव्यिस्ट्था (Paperless Economy) बनाना है . क्योंफक यह सवु िधािनक और तेि है तथा पयासिरर्
दहतैशी भी हैं.

डडजिलॉकर का काम करिे का तरीका

डडजिलॉकर की मख्
ड् य पवशेषताएं – Main Features of DigiLocker

र्पड् वधाििक – डडजिलॉकर नागररकों के ललए बेहद सवु िधािनक सेिा हैं. क्योंफक अब इन्हे अपने िेब
अथिा बटुए में दस्ट्तािेिों को रखने की िरूरत नहीं हैं. इन्हे अब डडजिटली एक्सेस करना संभि हो गया
हैं.

उपलब्धता – यहाुँ एक बार दस्ट्िािेि तथा प्रमार्-पत्र अपलोड करने के बाद इन्हे साल के 365 ददन और
24 घंटे कभी भी इस्ट्तेमाल फकया िा सकता हैं. क्योंफक यहाुँ उपलब्ध दस्ट्तािेि हमेशा आपके साथ-साथ
रहते हैं. यदद आप अपना स्माटस फोि भल
ू भी िाते है तब भी इन्हे Log in Details के माध्यम से अन्य
स्ट्माटस िोन अथिा कर्मप्यट
ु र के द्िारा आसानी से एक्सेस फकया िा सकता हैं.

प्रकृनत हहतेशी- हम सभी िानते है फक कागि को बनाने के ललए पेड़ों की िरूरत पड़ती हैं. इसललए यह
सवु िधा पयासिरर् के ललए लाभदायक साबबत हुई हैं. क्योंफक आपको कागिी दस्ट्तािेि रखने की
आिचयकता नही रहती हैं. आप जितनी चाहे डडजिटल कॉपी िारी करिा सकते हैं.
प्रमाणणकता – डडजिलॉकर में दस्ट्तािेि तथा प्रमार्-पत्र संबचं धत विभाग, संस्ट्था अथिा एंिेसी द्िारा िारी
फकये िाते हैं. इनमे यि
ु र अपनी तरि से कोई कांट-छांट या बदलाि नहीं कर पाता हैं. इसललए ये
दस्ट्तािेि प्रमाखर्करर् के ललए िैद्य साबबत होते हैं. और इनकी प्रमाखर्कता कागिी दस्ट्तािेिों के
समतल्
ु य होती हैं.

ई-हस्तािर – अब सेल्ि-एटे स्ट्टे ड का काम भी ऑनलाईन डॉक्यम


ु ें ट्स के साथ फकया िा सकता हैं.
डडजिलॉकर के e-Sign टूल द्िारा यि
ु र आपने हस्ट्तािर कर दस्ट्तािेिों को स्ट्ि-प्रमाखर्त कर सकता हैं.

डडजिलॉकर का उपयोग कैर्े करें – How to Use DigiLocker?

DigiLocker सेिा का उपयोग तीन तरीकों से फकया िा सकता हैं.

1. आप डडजिलॉकर फक आचधकाररक िेबसाईट के माध्यम से इस क्लाउड-आधाररत सेिा को एक्सेस


कर सकते हैं. इस पोटस ल का िेबपता ननर्मन है :
https://digilocker.gov.in

2. यदद आपके पास स्ट्माटस िोन है तो इसका मोबाईल एप डाउनलोड करके इस सेिा का लाभ ललया
िा सकता हैं. डडजिलॉकर एंिॉइड तथा आईऑएस के ललए मल
ु त उपलब्ध हैं.

3. इसके अलािा UMANG App के माध्यम से भी डडजिलॉकर को एक्सेस फकया िा सकता है .

डडजिलॉकर पर पंजिकरण कैर्े करें – DigiLocker Registration Process

आप चाहे िेबसाईट के माध्यम से एक्सेस करें या फिर मोबाईल एप के द्िारा उपयोग करें . मगर पहले
आपको डडजिलॉकर की Aadhar-Based Registration Process परू ी करनी होगी तभी आप अपने दस्ट्तािेि
तथा प्रमार्-पत्र अपलोड एिं िारी कर सकते हैं.

डडजिलॉकर पर पंजिकरर् करने से पहले ननर्मन िरूरी बातों का ध्यान अिचय रखें :

 आपके पास एक एजक्टि मोबाईल नंबर होना चादहए. ताफक टीपी प्रमाखर्करर् परू ा हो सके.

 अपना आधार काडस अपने पास रखे या फिर आधार नंबर याद होने चादहए.

 आपका आधार काडस मोबाईल नंबर से िड


ु ा हुआ होना चादहए. अन्यथा आपका प्रमाखर्करर् नहीं
हो पाएगा.

 और िो नंबर आधार काडस से िड


ु ा हुआ है िह आपके पास एजक्टि उपलब्ध होना चादहए.
डडजिलॉकर पर पंजिकरण करिे का तरीका

Step: #1

सबसे पहले डडजिलॉकर पंजिकरण पोटस ल पर िाएं. और अपना मोबाईल नंबर दिस करें .
https://digilocker.gov.in/public/websignup#!

डडजिलॉकर वेबर्ाईट पर मोबाईल िंबर दिस करिे का स्थाि

Step: #2

अब आपके मोबाईल नंबर को िेररिाई करने के ललए एक OTP आएगा. इसे उचचत िगह पर ललखे और
आगे बढ़े .

Step: #3

इसके बाद डडजिलॉकर के ललए यि


ु रनेम और पार्वडस बना लें. आपका डडजिलॉकर खाता बन गया हैं.

डडजिलॉकर यि
ड् रिेम और पार्वडस बिािे के सलए निदे श
Step: #4

अब आपसे आधार काडस प्रमाखर्करर् और करिाया िाएगा. इसके ललए आप अपना 12 अंको का आधार
नंबर ललखें, शतों पर सही का ननशान लगाएं और सबलमट करें .

आधार र्ंख्या दिस करिे के निदे श हदखाते हड्ए

Step: #5

आधार काडस के साथ रजिस्ट्टर मोबाईल नंबर प्राप्त OTP को ललखकर िेररफिकेशन परू ा करें .

बधाई हो! अब आप डडजिलॉकर सेिा का उपयोग करने के ललए परू ी तैयार हो गए हैं. लॉग इन करके
क्लाउड स्ट्टोरे ि का िायदा उनाईयें.

डडजिलॉकर र्े र्ंबगं धत शब्दावली और उिका अथस

Issuer – िह संस्ट्था, एंिेसी अथिा व्यजक्त िो e-Documents िारी करता हैं.

Requester – िह संस्ट्था, एंिेसी अथिा व्यजक्त िो e-Documents िारी करने का ननिेदन करता हैं.

Resident – िह िो डडजिलॉकर सेिा का उपयोग करता हैं. यानन यि


ु र.

Repository – e-Documents का संग्रह.

Access Gateway – e-Documents को सरु क्षित एक्सेस करने का माध्यम िो URI (Unique Resource
Indicator) पर आधाररत होता हैं.
डडजिलॉकर क्रकतिा र्रड् क्षित हैं – How Secure is DigiLocker?

यह सिाल आना स्ट्िाभाविक है . जिस तेि गनत से र्ाईबर खतरे बढ रहे है . और सच


ू ना की उपलब्धता
डडजिटल हो रही हैं. इसललए डडजिटल प्लैटिॉमस की सरु िा िांच करना हर यि
ु र का दानयत्ि बन िाता
हैं. और एक सरु क्षित प्लैटिॉमस की उपलब्धता उसका अचधकार भी हैं.

मगर, डडजिलॉकर की सरु िा की चचंता करने की कोई िरुरत नहीं हैं. यह एक सरु क्षित और कुशल
डडजिलट प्लैटिॉमस हैं. भारत सरकार द्िारा इसे और अचधक सरु क्षित बनाने के ललए समय-समय ददशा-
ननदे श िारी फकये िाते रहते हैं.

इसललए इसका हर अपडेटेड संस्ट्करर् गहन िांच और मानक कोडडंग पर खरा उतरने के बाद ही िारी
फकया िाता हैं.

डडजिलॉकर की सरु िा के ललए ननर्मन उपाय फकये गए हैं.

256 Bit SSL Encryption – डडजिलॉकर पर सच


ू नाओं का आदान-प्रदान 256 बबट की सेक्योर सॉकेट लेयर
(SSL) की कूत तकनीक से होता हैं. यह उपलब्ध Encryption Technology का सबसे सरु क्षित संस्ट्करर् हैं.

OTP Based-Registration – इस प्लैटिॉमस पर केिल Genuine User ही अपना पंजिकरर् करा सकता हैं.
क्योफक पंजिकरर् की परू ी प्रफकयास मोबाईल-आधाररत है जिसे ओटीपी द्िारा प्रमाखर्त फकया िाता हैं.

Aadhar-Based Authentication – डडजिलॉकर पर दस्ट्तािेि तथा प्रमार्-पत्रों को िारी करने के ललए यि


ु र
को आधार-आधाररत प्रमाखर्करर् प्रफक्रया से गि
ु रना पडता हैं.

ISO 27001 Certified Data Center – यि


ु र का डेटा (दस्ट्तािेि, प्रमार्-पत्र, ननजि िानकारी) इंडडया में ISO
27001 के मानस से प्रमाखर्त डेटा सेंटरों में सरु क्षित रखा िाता हैं. और इसक पयासप्त बैकअप भी ललया
िाता हैं.

Timed Logout – यदद यि


ु र द्िारा एक ननजचचत समय तक कोई गनतविचध नहीं की िाती हैं तो
डडजिलॉकर प्लैटिॉमस से उसे स्ट्ित: लॉग आउट कर ददया िाता हैं. अब उसे दब
ु ारा से लॉग इन करना
पडेगा तभी उपलब्ध सेिाओं को एक्सेस कर पाएगा.

इनके अलािा कुछ अन्य सरु िा मानकों को अपनाया िाता हैं. ताफक नागररकों को एक सवु िधािनक, तेि
और सरु क्षित प्लैटिॉमस उपलब्ध करिाया िा सके.

E-governance क्या है (what is e-governance in Hindi)?


E-governance शब्द दो शब्दों से लमलकर बना है । जिसमें E- शब्द का सर्मबन्ध इलेक्रॉननक सच
ू ना एिं
संचार प्रौद्योचगकी से है । िबफक governance शब्द का शासन से है , जिसका मल
ू उद्दे चय नागररकों का
कल्यार् है ।

E-governance में E-सच


ू ना एिं संचार प्रौद्योचगकी के माध्यम से data के इकठ्ना करने, डडजिटल माध्यम
से सच
ू ना और data को भेिने, सरकारी कायों में तेिी से और न्यायसंगत ननर्सय लेने, शासन में
पारदलशसता को बढ़ाने आदद में सहायक तथा सवु िधािनक लसद्ध होता है । िहीं गिनेंस(शासन) सभी
नागररकों के क़ानन
ू ी अचधकारों को सरु क्षित रखने तथा सािसिननक सेिाओं तथा आचथसक विकास के लाभों
तक सभी की समान पहुुँच सनु नजचचत करने से सर्मबंचधत है ।

E-governance के ललए विलभन्न संस्ट्थाओं द्िारा दी गयी पररभाषा

वल्डस बैंक के अिर्


ड् ार: E-governance प्रशासननक प्रफक्रयाओं को सच
ू ना एिं संचार तकनीक की मदद से
पन
ु ः पररभावषत करना है, ताफक ये प्रफक्रयाएं सरल, सग
ु म और पारदशी बने। िल्डस बैंक के अनस
ु ार शासन
के तीन भाग हैं। सरकार + बािार + िनता।

यरू ोपीय पररषद ने e-governance को सािसिननक कायसिाही के तीन िेत्रों में इलेक्रॉननक प्रौद्योचगकी के
प्रयोग के रूप में पररभावषत फकया है । सरकारी एिेंलसयों तथा समाि के मध्य सर्मबन्ध, राज्य के सभी
सरकारी प्राचधकाररयों का इलेक्रॉननक कायाकल्प(इलेक्रॉननक प्रिातंत्र(democracy)) तथा सािसिननक
सेिाओं(public services) का प्रािधान(इलेक्रॉननक सािसिननक सेिाएं)।

अन्य शब्दों में –

इलेक्रॉननक सच
ू ना एिं संचार प्रौद्योचगकी(ICT) की समझ को प्रशासन या शासन में सकारात्मक तरीके से
लागू करना E-गिनेंस है । अथिा इलेक्रॉननक पद्धनत की मदद से िनता तथा शासन के संबध
ं ों को
पन
ु पसररभावषत करना, डडजिटल तकनीक के यग
ु में साइबर स्ट्पेस की मदद से शासन के उद्दे चयों को पाने
का प्रयास e-govenance है ।

E-governance में अंतफक्रयाएुँ (इंटरे क्शन)

E-governance में विचारों, तथ्यों, भािनाओं एिं सच


ू नाओं के आदान प्रदान को ननर्मनललखखत प्रकार से
उल्लेख फकया गया है ।

G2G(र्रकार र्े र्रकार)

इस मामले में सच
ू ना और संचार प्रौद्योचगकी का प्रयोग सरकारी संगननों तथा सरकारी प्रफक्रयाओं में
सच
ू ना और सेिाओं के प्रिाह की िद्
ृ चध के ललए फकया िाता है । इस प्रकार की परस्ट्पर फक्रयाएं राष्रीय,
प्रांतीय और स्ट्थानीय सरकारी एिेंलसयों तथा संगनन के भीतर विलभन्न स्ट्तरों पर हो सकती हैं। इसका
प्राथलमक उद्दे चय िमता, कायस ननष्पादन(Performance) और उत्पादन बढ़ाना है ।

G2C(र्रकार र्े िागररक)

इस मामले में सरकार और नागररकों के बीच परस्ट्पर संबध


ं स्ट्थावपत फकये िाते हैं। िो नागररकों को
सािसिाननक सेिाओं से लाभाजन्ित होने में समथस बनाती हैं। यह सािसिननक सेिाओं की उपलब्धता और
पहुुँच का विस्ट्तार करती है , बजल्क सेिाओं की गर्
ु ित्ता सध
ु ारती है । यह नागररक को एक प्रकार से विकल्प
दे ती है फक सरकार के साथ कब परस्ट्पर फक्रया की िाये।

G2B(र्रकार र्े यायवर्ाय)

G2B का उद्दे चय लालिीताशाही को कम करना, प्रचललत लागत में कमी करना, सरकार के साथ सर्मबन्ध
स्ट्थावपत करते समय अचधक पारदशी व्यािसानयक िातािरर् तैयार करना है । G2B के लेनदे न में
लाइसेंसीकरर्, परलमट, अचधप्राजप्त(Procurement) और रािस्ट्ि ग्रहर् शालमल हैं इसके अलािा व्यापार,
पयसटन और ननिेश भी हो सकता है ।

G2E(र्रकार र्े कमसचारी)

सरकार सबसे बड़ी माललक(Employer) है और अन्य फकसी संगनन(organization) के समान इसे ननयलमत
आधार पर अपने कमसचाररयों के साथ परस्ट्पर फक्रया करनी होती है । यह परस्ट्पर फक्रया संगनन और
कमसचारी के बीच साधनों के प्रयोग को तीव्र और सिम बनाती है । तथा कमसचाररयों में संतजु ष्ट स्ट्तर को
बढ़ाने में सहायता करती है ।

E-governance के आधार

E-governance मख्
ु यतः कंप्यट
ू र एिं संचार प्रर्ाललयों के नेटिफकिंग के विकास से सर्मबंचधत है । िो धीरे -
धीरे विकलसत होने की और बढ़ रहा है । E-governance के विकास के आधार ननर्मनललखखत हैं।

Digital Infrastructure

E-governance को मिबत
ू करने के ललए इंटरनेट सवु िधा होना िरुरी हैं। इंटरनेट की पहुंच गांि, कस्ट्बे,
दरू दराि के िेत्रों तक होनी चादहए। इंटरनेट के इस्ट्तेमाल के ललए कंप्यट
ू र एिं कंप्यट
ू र से सर्मबंचधत अन्य
डडिाइस की उपलब्धता बड़ी मात्रा में बढाई िानी चादहए। सभी सरकारी कायासलयों को कर्मप्यट
ू रीकृत करने
की आिचयकता है ।

Digital Connection
पहले चरर् में डडजिटल इंफ्ास्ट्रक्चर तैयार करने के बाद दस
ू रे चरर् में कनेजक्टविटी पर ध्यान ददया
िाना िायेगा। सच
ू ना एिं आंकड़ों को इकठ्ना करने के ललए एिं उनके प्रिाह(flow) के ललए एक HUB का
ननमासर् करना होगा।

इंटरनेट की पहुंच को सभी िेत्रों में आसान बनाते हुए सरकारी विभागों तथा सगननों को ऑनलाइन
प्लेटिामस पर लाना होगा। प्रयास यह होना चादहए फक सरकार के द्िारा उपलब्ध सभी िरुरी सच
ू नाएं िेब
पेि, िेबसाइट के माध्यम से िनता को उपलब्ध हो।

Digital Litracy

सरकार द्िारा फकये िा रहे प्रयासों का लाभ उनाने के ललए आिचयक है , फक िनता डडजिटल माध्यमों का
उपयोग करना िानती हो। उसे इंटरनेट की समझ हो एिं डडजिटल रूप में सािरता प्राप्त की हुई हो।

तीसरे चरर् में सरकार का प्रयास होगा फक डडजिटल सािरता की समझ के स्ट्तर तक लोगों की पहुंच
परू ी हो सके। ऐसा होने पर सरकारी संगननों, विभागों, नागररकों, समाि आदद के बीच संचार(online) के
माध्यम से संपकस स्ट्थावपत होगा।

E-Governance में 6C की अवधारणा

 content: प्रशासन से िुड़ी सच


ू नाओं को भविष्य के ललए सरु क्षित करना।

 connect: सच
ू नाओं का समयबद्ध रूप में िनता तक पहुंच।

 competence: प्रशासन और उससे िुड़ी सच


ू नओं की सरल उपलब्धता।

 capital: डडजिटल तंत्र को चलाने के ललए पुँि


ू ी का प्रबंधन।

 citizen centric: डडजिटल माध्यम से उपलब्ध प्रफक्रया को उपयोग में लाना लोगों के ललए आसान
हो।

 cyber security: आंकड़ों और सच


ू नओं को सरु क्षित रखने के ललए ।

E-governance की आिचयकता क्यों ?

 कल्यार्कारी राज्य में सरकारी कामकाि का बढ़ना, उसके प्रबंधन के ललए ।

 पारदलशसता एिं ििाबदे ही को सनु नजचचत करने के ललए।

 ज्ञान यक्
ु त समाि का बढ़ता दिाब।

 मोबाइल क्रांनत एिं भारत में चल रही सच


ू ना क्रांनत के दिाब से।
 Maximum Governance Minimum Government के विचार को साथसक बनाने के ललए।

 Think Global work local के विचार को लाना।

 प्रशासन को िनता तक सीधे पहुंचने के ललए।

 लशकायत ननिारर् तंत्र के रूप में ।

E-governance के अनप्र
ु योग(Applications of e-governance)

E-governance मख्
ु यतः नैनतक, जिर्ममेदार, रे स्ट्पोंलसि, पारदशी एिं स्ट्माटस शासन व्यिस्ट्था लेन के ललए
सरकारी कायों में सच
ू ना और संचार प्रौद्योचगकी का अनप्र
ु योग है । इन अनप्र
ु योगों में कुछ इस प्रकार है ।

 नागररकों, व्यिसायों तथा अन्य सरकारी विभागों के साथ सच


ू ना का आदान प्रदान।

 लागत कम करने एिं रािस्ट्ि को बढ़ाने में उपयोगी।

 सािसिाननक सेिाओं की तीव्रतर और अचधक सिम पहुंच।

 सरकारी सेिाओं की गर्


ु ित्ता सध
ु ारने में मददगार।

इिके अलावा अपिे िेत्र के अिर्


ड् ार अिप्र
ड् योग

राििीनतक िेत्र में

चुनाि के समय इलेक्रॉननक साधनों के माध्यम से प्रचार करना, मीडडया और डडजिटल प्लेटिामस का
इस्ट्तेमाल, EVM के माध्यम से िोदटंग को सनु नजचचत करना, हलिनामा को डडजिटल रूप से दे ना, लोकतंत्र
को E-governance के माध्यम से मिबत
ू करने की ओर कदम हैं।

प्रशार्ि में

सरकार के द्िारा G2G , G2C , G2B , G2E , इन चार फक्रयाओं के उपयोग से E-governance को मिबत
ू फकया
गया है ।

आगथसक िेत्र में

खरीदी, बबक्री, पेमेंट, GST , E- मंडी , लाइसेंसीकरर् व्यिस्ट्था के माध्यम से E-governance को मिबत
ू बनाने
के प्रयास फकये गए हैं।

र्ामाजिक र्ंस्कृनत(socio culture)

e-governance के ललए एिक


ु े शन प्रमख
ु भलू मका में है । जिसे प्राथलमक स्ट्िरुप के रूप में हैं। आि के समय
में e-मीडडया, e-टूररज्म, e-लाइब्रेरी e-education आदद शब्द प्रचलन में हैं। यह डडजिटल माध्यम से सभी
िेत्रों के विकास को बल दे रहे हैं तथा ग्रामीर् िेत्रों को मख्
ु यधारा में िोड़ रहे हैं। िो फक लोकतंत्र में e-
गिनेंस को मिबत
ू ी प्रदान कर रहे हैं।

द्वितीय प्रशासननक सध
ु ार आयोग ररपोटस (ARC-2nd report) में e-governance के ललए अनप्र
ु योग

द्वितीय प्रशासननक सध
ु ार आयोग(ARC-2nd report) ने 2008 में अपनी ररपोटस में पंचायतों और शहरी
स्ट्थानीय ननकायों से सर्मबंचधत मामलों में e-governance के साधनों के कुछ विलशष्ट प्रयोगों पर विचार
फकया। िो ननर्मनललखखत हैं।

 सच
ू ना और संचार प्रौद्योचगकी का उपयोग स्ट्थानीय शासन ननकायों द्िारा प्रफक्रया सरलीकरर्,
पारदलशसता और जिर्ममेदारी बढ़ाने तथा लसंगल विंडो के माध्यम से सेिाओं की आपनू तस करने के
ललए फकया िाना चादहए।

 स्ट्थानीय शासन ननकायों के ललए एकल सेिा केंद्र होना चादहए। इसके ललए स्ट्थानीय शासन
ननकायों में िमता ननमासर् की अपेिा हैं।

 नगर पाललका ननकायों के पास अपनी संपवत्त का अपडेटेड डाटाबेस होना चादहए।

 स्ट्थानीय संसाधन मानचचत्रर् और स्ट्थानीय सच


ू ना आधार सजृ ित करने के ललए ग्राम और
मध्यिती पंचायत स्ट्तर पर सच
ू ना और प्रौद्योचगकी और अंतररि प्रौद्योचगकी समथस संसाधन
केंद्रों की स्ट्थापना के ललए उपाय फकये िाने चादहए|

 एक साल के भीतर शहरी स्ट्तर पर ननधसनों की पहचान कर, ननधसन उन्मल


ू न कायसक्रम चलाना
चादहए।

भारत में e-शार्ि र्म्पबन्धी प्रयार्

भारत सरकार ने इलेक्रॉननकी के महत्ि को समझते हुए 1970 में इलेक्रॉननकी विभाग की स्ट्थापना की।
िषस 1977 में राष्रीय सच
ू ना केंद्र(NIC) की स्ट्थापना भारत में e-शासन की ओर पहला मख्
ु या कदम था।
1980 के बाद सरकारी कायासलयों में कंप्यट
ू र के उपयोग को बड़ी मात्रा में बढ़ाया गया। जिसके बाद धीरे
धीरे सॉलटिेयर, डाटाबेस, सच
ू ना प्रबंधन पर ध्यान केंदद्रत फकया गया।

e-governance के ललए मख्


ु य विकास 1987 में ‘ननकनेट’ (NICNET) राष्रीय उपग्रह आधाररत कंप्यट
ू र नेटिकस
को प्रारर्मभ फकया गया। इसके बाद दे श में सभी जिला कायासलयों को कंप्यट
ू र यक्
ु त करने के ललए राष्रीय
सच
ू ना केंद्र की जिला सच
ू ना प्रर्ाली प्रारर्मभ फकया गया। िषस 1990 तक “ननकनेक” का राज्य की
रािधाननयों से होकर सभी जिलों मख्यालयों तक विस्ट्तार फकया गया। 1999 सरकार के द्िारा केंद्रीय
सच
ू ना प्रौद्योचगकी मंत्रालय बनाया गया। िषस 2000 तक केंद्र सरकार के द्िारा सभी मंत्रालय एिं विभागों
में कायासन्ियन के ललए भारत सरकार द्िारा e-governance के ललए न्यन
ू तम कायससच
ू ी िारी की गयी।
िषस 2006 के पि
ू स भारत सरकार ने राष्रीय e-शासन योिना(NEGP) प्रारर्मभ की जिसके बाद भारत सरकार
के कुछ विभागों तथा साथ ही राज्य सरकारों ने e-शासन अपनाने के उपाय प्रारर्मभ फकये।

राष्रीय e-governance योििा

भारत के सच
ू ना और प्रौद्योचगकी विभाग और प्रशासननक सध
ु ार एिं लोक लशकायत विभाग ने इस
योिना का प्रारूप तैयार फकया। 18 मई,2006 को e-governance में प्रभािी अनप्र
ु योगों को सनु नजचचत करने
के ललए केंद्र सरकार ने 31 लमशन मोड पररयोिनाएं(MMP) और 10 संघटकों के साथ राष्रीय e-
governance पररयोिना को मिूरी दी। इस योिना का उद्दे चय आम आदमी के ललए उसके आसपास के
सामान्य सेिा प्रदायगी बबंदओ
ु ं के माध्यम से सभी सरकारी सेिाओं को उपलब्ध कराना और आम आदमी
की मल
ू भत
ू िरूरतों को परू ा करने के ललए िहनीय मल्
ू यों पर उपलब्ध सेिाओं की दिता, पारदलशसता और
विचिसनीयता सनु नजचचत करना है ।

E-governance में बाधाएं

 पि
ंू ी की मांग

 समाि का यथाजस्ट्थनत या तकनीक से दरू ी

 कानन
ू ी ढांचे की पररपक्िता

 प्रशासननक ढीलापन

 तकनीक के स्ट्तर पर बाधाएं

 सवु िधाओं की दरू दराि के िेत्रों में पहुंच नहीं

 िनता में िागरूकता की कमी

 भौगोललक जस्ट्थनत में लभन्नता |

E-governance र्े र्म्पबंगधत गचंताएं

 e-governance से शासन का यंत्रीकरर् हो गया है । अगर फकसी जस्ट्थनत में डडजिटल माध्यम नप
होता है तो सभी फक्रयाएं सस्ट्
ु त हो िाएुँगी।

 e-governance ने प्रशासन को िनता के समीप लाया है । लेफकन एक प्रकार से िनता को प्रशासन


से दरू कर ददया है ।

 e- शासन के आने से प्रशासननक व्यय में तात्काललक रूप से िद्


ृ चध हुई है ।
 साइबर अपराधों को रोकना चुनौती है । डाटा चोरी होने का डर, साइबर है फकं ग की चुनौती बनी
रहती है ।

 e- शासन से प्रशासकों की स्ट्िवििेकी सत्ता में कटौती आयी है ।

ई-गिनेंस नागररकों के दरिािे तक सरकारी सेिाएं प्रदान करने का एक साधन है । यह सूचना और संचार प्रौद्योचगकी
(आईसीटी) के उपयोग के साथ सभी सरकारी विभागों और उनकी सेिाओं का एकीकरर् है । इसका उद्दे चय आम िनता
की िरूरतों को पूरा करने के ललए सरकार की िमता को बढ़ाना है । ई-गिनेंस का मूल उद्दे चय राष्रीय, राज्य और
स्ट्थानीय स्ट्तर पर नागररकों के ललए सरकारी सेिाओं की पहुंच को आसान बनाना है ।

ई-गिनेंस सेिाओं में से कुछ हैं:


रे लवे ररिवेशि
प्रत्येक यात्री को परे शानी मुक्त तरीके से रे लिे की सेिाएं प्रदान करने के ललए ई-गिनेंस की अिधारर्ा द्िारा प्राप्त फकया
िाता है । यह सेिाओं और नीनतयों को अचधक पारदशी, आसान और कम भ्रष्ट बनाता है । वपछले कुछ िषों में भारत
सरकार द्िारा शुरू फकए गए कुछ एजप्लकेशन िो रे लिे की कायसिमता को और अचधक कुशल बनाते हैं, नीचे ददए गए हैं:
1. CRIS - फक्रस (रे लिे सूचना प्रर्ाली केंद्र)
CRIS ितसमान में रे लिे की उभरती िरूरतों को परू ा करने के ललए लसस्ट्टम विकलसत कर रहा है , जिसमें की सुरिा भी
शालमल है -
रे लिे की संपवत्त, ऊिास प्रबंधन और ओिरहे ड विद्युतीकरर् प्रर्ाली का प्रबंधन, पाससल प्रबंधन, कमसचारी का स्ट्िास्ट्थ्य प्रबंधन
और एक व्यापक वित्तीय प्रबंधन प्रर्ाली। ननष्पादन के तहत अन्य पररयोिनाओं में मोबाइल िोन पर दटकदटंग का
विकास, दटकटों को से िोड़ना शालमल है आधार, िीपीएस के माध्यम से िास्ट्तविक समय में रे नों की रै फकं ग, रे डडयो
फ्ीक्िेंसी का उपयोग करके रोललंग स्ट्टॉक की रै फकं ग पहचान, रे लिे के ललए एक भू-स्ट्थाननक डेटाबेस स्ट्थावपत करना और
एक अत्याधुननक data सेंटर स्ट्थावपत करना - रे लिे आईटी लसस्ट्टम को रखने के ललए ।
2. रे ल सारथी (RAIL SAARTHI)
रे ल सारथी का अथस है "लसनिासइज्ड एडिांस्ट्ड एजप्लकेशन रे ल रै िल हे ल्प एंड इंिॉमेशन"(“Synergised advanced
application rail travel help and information”.)। यह मदहलाओं के ललए सुरिा, लशकायत सुविधा और सुधार के ललए
सुझाि िैसे विकल्प प्रदान करता है । यह दटकट बुफकं ग, बोडस की सिाई पर पूछताछ और एक ही प्लेटिॉमस पर विलभन्न
यात्री आिचयकताओं को पूरा करने के ललए एक एकीकृत मोबाइल एजप्लकेशन है ।

3. मोबाइल पर यट
ू ीएस
यट
ू ीएस का अथस है "अनारक्षित दटकट प्रर्ाली"। यह एक मोबाइल एजप्लकेशन है िो बफु कं ग को सिम
बनाता है और कई अन्य सवु िधाओं के बीच अनारक्षित दटकटों को रद्द करना। यह ऐप समस्ट्या के
समाधान को भी सिम करे गा और प्लेटफॉमस दटकटों का निीनीकरर्, आर-िॉलेट बैलेंस की िांच और ही
user प्रोफाइल को बनाए रखने में मदद करे गा साथ ही इसके मैनेिमें ट और बफु कं ग दहस्ट्री को मैनेि भी
करे गा

Passport
विदे श मंत्रालय (MEA) भारतीय नागररकों को पासपोटस िारी करने के ललए जिर्ममेदार है . दे श भर में 37
पासपोटस कायासलयों और विदे शों में 180 भारतीय दत
ू ािासों और िाखर्ज्य दत
ू ािासों का एक नेटिकस।

पासपोटस सेिा विदे श मंत्रालय (MEA) द्िारा उनाया गया एक कदम है िो पासपोटस और संबचं धत सेिाओं के
distribution के ललए कुशल और पारदशी प्रफक्रयाएं अपना रहा है । यह पासपोटस प्राप्त करने की लंबे और
िदटल प्रफक्रया को आसान और समयबद्ध प्रफक्रया में पररिनतसत करता है . िैसे फक यह राज्य पलु लस को
भौनतक सत्यापन की प्रफक्रया और भारतीय डाक विभाग कद पासपोटस की समयबद्ध डडलीिरी के ललए
एकीकृत करता है ।

इ-हॉजस्पटल

ऑनलाइन पंिीकरर् प्रर्ाली (ओआरएस) दे श भर के विलभन्न अस्ट्पतालों को िोड़ने के ललए एक


structure है आधार based ऑनलाइन पंिीकरर् और अपॉइंटमें ट प्रर्ाली, िहां काउं टर based ओपीडी
पंिीकरर् और हॉजस्ट्पटल मैनेिमें ट इनिामेशन system (एचएमआईएस) के माध्यम से अपॉइंटमें ट
लसस्ट्टम को डडजिटल कर ददया गया है । एजप्लकेशन को एनआईसी की क्लाउड सविससेि पर होस्ट्ट फकया
गया है । यह ननर्मन के ललए workflow based आईसीटी solution है

अस्ट्पताल विशेष रूप से सरकारी िेत्र के अस्ट्पतालों के ललए हैं। इसमें प्रमख
ु कायासत्मक िेत्र शालमल हैं

िैसे रोगी दे खभाल, प्रयोगशाला सेिाएं आदद।

ऑिलाइि पंिीकरण प्रणाली ( आरएर्) र्ेवाएं प्रदाि करती है िैर्े:

 अभी अपॉइंटमेंट बक
ु करें - लंबे समय तक कतार में खड़े हुए बबना डॉक्टर से अपॉइंटमें ट बक
ु करें ।
 लैब ररपोटस - ररपोटस को सीधे िेबसाइट से डाउनलोड फकया िा सकता है ।
 रक्त उपलब्धता- रक्तदाता और प्राप्तकतास दोनों ही रक्त की उपलब्धता को दे ख सकते हैं।
 भग
ु तान- डॉक्टर परामशस शल्
ु क और दिा की लागत के ललए ऑनलाइन भग
ु तान फकया िा सकता
है ।

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