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Vadicjagat.co.in-सरवैशवरयपरद लकषमी कवच Vadicjagat
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vadicjagat.co.in/सर्वैश्वर्यप्रद-लक्ष्मी/
श्रीमधुसूदन उवाच
गृहाण कवचं शक् र
सर्वदुःखविनाशनम्।
परमैश्वर्यजनकं सर्वशत्रुविमर्दनम्।।
ब्रह्मणे च पुरा दत्तं संसारे च जलप्लुते।
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पातु श्रीर्मम कं कालं बाहुयुग्मं च ते नमः।।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः पादौ पातु मे संततं चिरम्।
।।फलश्रुति।।
गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं शरयेत्तु यः। कण्ठे वा दक्षिणे बांहौ स सर्वविजयी भवेत्।।
(गणपतिखण्ड २२।५-१७)
भावार्थः-
बोले- इन्द्र, (लक्ष्मी-प्राप्ति के लिये) तुम लक्ष्मीकवच ग्रहण करो। यह समस्त दुःखों का विनाशक, परम
श्रीमधुसूदन
ऐश्वर्य का उत्पादक और सम्पूर्ण शत्रुओं का मर्दन करने वाला है। पूर्वकाल में जब सारा संसार जलमग्न हो गया था, उस
समय मैनें इसे ब्रह्मा को दिया था। जिसे धारण करके ब्रह्मा त्रिलोकी में श्रेष्ठ और सम्पूर्ण ऐश्वर्यों के भागी हुए थे।
में
देवराज, इस सर्वैश्वर्यप्रद कवच के ब्रह्मा ऋषि हैं, पङ्क्ति छन्द है, स्वयं पद्मालया लक्ष्मी देवी है और सिद्धैश्वर्य के जपों
इसका विनियोग कहा गया है। इस कवच के धारण करने से लोग सर्वत्र विजयी होते हैं।
पद्मा मेरे मस्तक की रक्षा करें। हरिप्रिया कण्ठ की रक्षा करें। लक्ष्मी नासिका की रक्षा करें। कमला नेत्र की रक्षा करें।
के शवकान्ता के शों की, कमलालया कपाल की, जगज्जननी दोनों कपोलों की और सम्पत्प्रदा सदा स्कन्ध की रक्षा करें।
“ॐ श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा” मेरे पृष्ठं भाग का सदा पालन करें। “ॐ श्रीं पद्मालयायै स्वाहा” वक्षःस्थल को सदा
सुरक्षित रखे। श्री देवी को नमस्कार है वे मेरे कं कालं तथा दोनों भुजाओं को बचावे। “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः”
चिरकाल तक मेरे पैरों का पालन करें। “ॐ ह्रीं श्रीं नमः पद्मायै स्वाहा” नितम्ब भाग की रक्षा करें। “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै
स्वाहा” मेरे सर्वांग की सदा रक्षा करे। “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै स्वाहा” सब ओर से सदा मेरा पालन करे।
वत्स, इस प्रकार मैंने तुमसे इस सर्वैश्वर्यप्रद नामक परमोत्कृ ष्ट कवच का वर्णन कर दिया। यह परम अद्भुत कवच
सम्पूर्ण
सम्पत्तियों को देने वाला है। जो मनुष्य विधिपूर्वक गुरु की अर्चना करके इस कवच को गले में अथवा दाहिनी भुजा पर धारण
करता है, वह सबको जीतने वाला हो जाता है। महालक्ष्मी कभी उसके घर का त्याग नहीं करती; बल्कि प्रत्येक जन्म में
छाया की भाँति सदा उसके साथ लगी रहती है। जो मन्दबुद्धि इस कवच को बिना जाने ही लक्ष्मी की भक्ति करता है, उसे
एक करोड़ जप करने पर भी मन्त्र सिद्धिदायक नहीं होता।
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