Professional Documents
Culture Documents
Garbhanal 188
Garbhanal 188
b÷Éì. Ê´ÉVÉªÉ Ê¨É¸É +¶ÉÉäEò ˺ɽþ वदशे राना =¨Éä¶É iÉÉĤÉÒ näù´Éäxpù ˺ɽþ ®úÉEäò¶É ¨É±½þÉäjÉÉ
¨ÉèºÉÉSÉÖºÉä]ÂõºÉ xªÉÚªÉÉìEÇò xªÉÚªÉÉìEÇò Ê¡ò±ÉÉbä÷α¡òªÉÉ xªÉÚVɺÉÔ Ê¶ÉEòÉMÉÉä
+VÉªÉ EÖò±É¸Éä¹`ö ¨ÉxÉÒ¹É ¸ÉÒ´ÉɺiÉ´É MÉÒiÉÉ ÊPɱÉÉèÊ®úªÉÉ ¨ÉxÉÒ¹É MÉÖ{iÉÉ ºÉÆiÉÉä¹É JÉ®äú
EèòʱɡòÉäÌxɪÉÉ ¤ÉÉäº]õxÉ xÉÉlÉÇ Eèò®úÉä±ÉÉ<xÉÉ ÊºÉB]õ±É ʺÉB]õ±É
vɨÉÇ{ÉÉ±É ¨É½åþpù VÉèxÉ Ê´É·ÉÉºÉ nÖù¤Éä +ɱÉÉäEò ʨɸÉÉ ¨ÉxÉÒ¹É {ÉÉhbä÷ªÉ डॉ. राजीव आनंद ÊnùMɨ¤É®ú xÉɺɴÉÉ
EòxÉÉb÷É xÉÒnù®ú±Ééb÷ ˺ÉMÉÉ{ÉÖ®ú ±ÉCWɨɤÉMÉÇ ल ज़मबग ¨É±ÉäʶɪÉÉ
+Éìº]ÅäõʱɪÉÉ Ê¥É]äõxÉ
¨ÉvÉÖ JÉzÉÉ ह रहर झा गीितका पालावत ±ÉʱÉiÉ ¨ÉÉä½þxÉ VÉÉä¶ÉÒ VÉªÉ ´É¨ÉÉÇ
ʥɺɤÉäxÉ मेलबन मेलबन ±ÉÆnùxÉ xÉÉË]õPɨÉ
Ê´É´ÉäEò ºÉCºÉäxÉÉ +ɶÉÉ ¨ÉÉä®ú |ÉiÉÉ{É xÉÉ®úɪÉhÉ ËºÉ½þ |ÉÉä. +ÊxÉ±É EÖò¨ÉÉ®ú <±ÉÉ EÖò¨ÉÉ®ú
¶ÉÉ®úVÉɽþ ÊjÉÊxÉb÷Éb÷ MÉÉÊVɪÉɤÉÉnù {É]õxÉÉ MÉÉÊVɪÉɤÉÉnù
आकǼपन सहयोग :
अनुवाद ः एक ˇवतं΄ व बेबाक सूअर 32
डॉ. बृजेश Зतवारी, लखनऊ डॉ. Зवकास कुमार Зस ंह
आवरण Зच΄ :
पुˇतकायन : और यह ‘ΉाथЈना समय’ ही तो है 35
मनीष पाŸडेय, लŰज़मबगЈ डॉ. उम ेश चरप े
ΉЗतЗ˘या : गभЈनाल का जून-2022 अंक 38
कानू नी सलाहकार : न ेहा शमाЈ
संजीव जायसवाल
गη कЗवता : रंग 39
सƒपकЈ :
अ ंजू म ेहता
डीएŰसई-23, मीनाल रेसीडЊसी,
जे.के. रोड, भोपाल-462023 (म.Ή.) भारत ग़ज़ल : एक, दो 40
ईमेल : garbhanal@ymail.com
सŹयशील राम З΄पाठी
: एक, दो 41
μЗप ंदर सोज़
शोध आले ख ः चीन मЊ Зहंदी अनुवाद ΉЗशΩण 42
कЊ Άीय Зहंदी स ंˇथान, आगरा स े अनु दान ΉाŽत
Зतआन के Зप ंग
Ήकाशक, मुΆक एवं ˇवामी सुषमा शमाЈ के Зलए अंश ः भीˆम साहनी की Зहżदी साЗहŹय को देन 46
ЗΉंट, एफ-1 करन अपाटЈ मटЊ , Žलॉट नं. 95, ई-8,
З΄लं गा, भोपाल θारा मुЗΆत एवं डीएŰसई-23, मीनाल डॉ. नवीन कुमार
रेसीडЊसी, जे.के. रोड, भोपाल से ΉकाЗशत।
गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 1
सƒपादकीय
यात्रा के आयाम
Зवमश Ј
बतकही
मैं और साइिकल
बतकही
नॉथृकैरोलाइना की बातें
हम भारतीय मूल के लोग आपस मЊ Зमल Зलया करते हЎ। अब जब मЎ अपनी ЗमΫी से दूर इस अमेЖरका के छोटे से
एक सी भाषा मЊ बात करना और एक दूसरे के चेहरे शहर मЊ हूँ तब भी सच Ήतीत पड़ती हЎ। दुЗनया बड़ी बहु त
पहचानना ही अजीब तृिŽत Ήदान करता हЎ νह को। वैसे है पर जीने के मूल मं΄ मुάी भर ही हЎ। ये दुЗनया कई देशЛ
तो इŰका-दुŰका मंЗदरЛ का भी ЗनमाЈण कर Зलया है लोगЛ मЊ बटИ हु यी है। अमेЖरका हो या अΊीका या Зक कनाडा
ने Зमलकर पर जो तसǼली और सुकून एक-दूसरे का हाल- Ήवासी भारतीय कहाँ नहИ हЎ आजकल। हमारी भारतीय
चाल जानकार होती है वो यहाँ के मंЗदरЛ से लापता हЎ। ये ЗशΩा Ήणाली का ही पЖरणाम है Зक आज हम भारतीय जहाँ
मेरा ǾयЗतगत मत है। हो सकता है यह भारत की ЗमΫी की भी Зवξ मЊ कदम रख पाए हЎ वहИ पर हमЊ सफलता ΉाŽत
खुशबू और आब-ओ-हवा का दूर होना हो। और यह भी हु ई है। सफलता के साथ-साथ धन और Ϊान मЊ भी इजाफा
हो सकता है Зक बाकी सब Ήवासी भारतीय ये महसूस ना हु आ है।
करते हЛ। खैर, अपनी भाषा के लोगЛ से जुड़ना यहाँ इस शहर शेलोЈट मЊ यहाँ के ˇथानीय लोग Зमलनसार
यकीनन खुशगवार साЗबत हु आ है मेरे Зलए। और पЖरवारवादी हЎ। यहाँ ЗशΩा को काफी महŹव Зदया गया
अŰसर, अमेЖरकी लोग मुझसे पूछ बैठते हЎ Зक मेरी है। इस शहर की अथЈǾयवˇथा मूलतः यहाँ के बड़े बЎक हЎ।
मातृभाषा Űया हЎ? Зहżदी मेरी मातृ भाषा है। और ये शſद आधे से अЗधक शेलोЈट के Зनवासी इżहИ बЎकЛ के कमЈचारी
कहते हु ए मुझे ना केवल गवЈ अनुभव होता हЎ बिǼक मेरा हЎ। नॉथЈकैरोलाइना राŵय जबЗक खेЗतहर Ήदेश है। यहाँ से
ρदय भी एक धड़कन भूल जाता है। अपने देश से बाहर तंबाकू का ЗनयाЈत बहु त होता है। यहाँ की शरकंदी भी दूसरे
आकर ये छोटे -छोटे Ωण ही हमारे जीवन मЊ आते हЎ जब ΉदेशЛ मЊ ЗनयाЈत की जाती हЎ। और एक बात, यहाँ का
हम Ήवासी भारतीय अपने देश का ΉЗतЗनЗधŹव अपने जैसे फनीЈचर, याЗन Зक लकड़ी का बना सामान बहु त कीमती
आम अमेЖरकी लोगЛ के बीच रख पाते हЎ। माना जाता हЎ। नॉथЈकैरोलाइना की लकड़ी और उससे बना
Ήवासी भारतीय शſद Зजतना Зदलचˇप और मनोहर फनीЈचर Зपछली सदी से अपनी एक अलग पहचान बना
लगता है असल मЊ उसका यापन उतना रोचक नहИ हЎ। यहाँ चुका है। भारतीय मूल के बसे लोग शुμआत मЊ तो ऐसे
आने के बाद हम Ήवासी देसी लोगЛ के पЖरवार का हाल फनीЈचर को खरीद नहИ पाते, पर कुछ सालЛ की ЗनयЗमत
ΉЗसγ शायर Зनदा फ़ाजली के उस शेर जैसा हो जाता है कमाई होने पर घर खरीदने के साथ-साथ, एक-दो अŴछी
ЗजसमЊ उżहЛने कहा है Зक : लकड़ी और अŴछे Зटकाऊ सामान का चाव भी पाल ही
उसको μЄसत तो Зकया था मु झ े मालू म ना था ले ते हЎ। Ήवासी भारतीय सामाżयतः घर वहИ ले ते हЎ जहाँ
सारा घर ले गया घर छोड़ के जान े वाला! हमसे पहले और भारतीय मूल के लोग रचे-बसे हЛ।
हमारे मात-Зपता जब रोज शाम को हमारे ना आने के भारत के कई भागЛ से आए लोग यहाँ आने के बाद
पल Зगनते हЎ और खुद को Зदलासा देते हु ए नИद आने का अं˚ेजी को पूरी तरह से अपनाने मЊ लग जाते हЎ। अं˚ेजी न
इंतज़ार करते हЎ तब हमारी Зहżदी मातृ भाषा का शſदकोश केवल बोलचाल की भाषा है, बिǼक रोजगार से ले कर
और Ǿयाकरण छोटा पड़ जाता हЎ। कЗव Ήदीप की एक कानून-Ǿयवˇथा, यातायात के Зनयम, ˇकूलЛ के कायЈ˘म,
कЗवता थी ЗजसमЊ उżहЛने तकदीर की Зवडंबना को दशाЈया खरीदारी के माŻयम और ˇवाˇźय व ЗचЗकŹसा तक केवल
है : और केवल अं˚ेजी ही इˇतेमाल मЊ लायी जाती हЎ। एक
कुछ Зकˇमत वाले सु ख स े अमृ त पीत े और भाषा है ˇपैЗनश। पर पहले -पहल इस भाषा को
कुछ Зदल पर रख कर पŹथर जीवन जीत े सीखना बड़ा ही मुिǿकल काम है। सो हम Ήवासी भारतीय
कहИ मन प ंछी आकाश उड़ े कहИ पाँव पड़ी ज़ ंजीर अं˚ेजी को ही अपनी पहली ज़बान बना ले ते हЎ यहाँ आने
इस Žयारी Žयारी दु Зनया म Њ Űयू ँ अलग-अलग तक़दीर के बाद। कहते हЎ ना “जैसा देश वैसा भेस” और ये ही
Зमलत े हЎ Зकसी को Зबन मांग े ही मोती मूलमं΄ बन जाता है हम ΉवाЗसयЛ का। पर आज की सदी
कोई मांग े लेЗकन भीख नसीब ना होती मЊ इस ЗवΪान और तकनीकी सहयोग से हम अपनी भारतीय
Űया सोच के है माЗलक न े रची य े दो रंगी तˇवीर स यता और संˇकारЛ को अपने रोजमराЈ के जीवन मЊ
इस Žयारी Žयारी दु Зनया म Њ Űयू ँ अलग-अलग तक़दीर समाЗवˆट करने मЊ आसानी महसूस करते हЎ। और ये कुछ
कЗव Ήदीप की ये पЗΨयाँ मुझे तब भी जानी-पहचानी आदतЊ हमЊ खुद का ˇवाЗभमान बरकरार रखने मЊ मूǼयवान
लगИ थИ जब मЎ भारत मЊ अपनी पढ़ाई कर रही थी और साЗबत हु ई हЎ।
Зवचार
Зवचार
के Зलए Зववाह करने वाले , बाǼयकाल मЊ ЗवηाŻययन करने अपने गुμ के पास गए। धमЈΪ राजा रघु ने शेष समˇत धन
वाले , यौवन मЊ सांसाЖरक भोग भोगने वाले , बुढ़ापे मЊ दान कर Зदया।
मुЗनयЛ के समान रहने वाले और अżत मЊ योग के θारा ऐसे यशˇवी रघु कुल का ˇमरण Зदलाती संदЗभЈत
शरीर का Źयाग करने वाले हЎ । ΉЗसγ चौपाई रामचЖरतमानस के अयोŻया कांड मЊ एक
इςवाकु वंश के राजाओं की शृंखला मЊ राजा रघु माЗमЈक Ήसंग मЊ उपिˇथत होती है। रघु के पु΄ अज की
कीЗतЈˇतƒभ सιश हЎ। राजा Зदलीप और रानी सुदЗΩणा के संतान अयोŻयापЗत राजा दशरथ की ЗΉय रानी कैकेयी ने
पु΄ और अज के Зपता रघु बड़े Ήतापी थे। रघु ने ЗदिŲवजय ताना हु ए कहा Зक हे ЗΉयतम! आप माँग-माँग तो कहा
का आरƒभ Зकया और पूरी पृźवी का चŰकर लगाया और करते हЎ, देत-े ले ते कभी कुछ भी नहИ। आपने दो वरदान
सवЈ΄ Зवजय करते हु ए लौटे । आने के बाद ЗवξЗजत यΪ देने को कहा था, उनके भी Зमलने मЊ संदेह है :
Зकया और अपना सवЈˇव दान मЊ समЗपЈत कर Зदया। उसी मागु मागु प ै कहहु Зपय कबहु ँ न देहु न लेहु।
बीच महЗषЈ वरतżतु के Зशˆय कौŹस ऋЗष अपने Зवηा गुμ देन कहेहु बरदान दु इ तउे पावत स ंदेहु।।
को चौदह करोड़ ˇवणЈ मुΆाएँ गुμ दЗΩणा मЊ देने के Зलए यह सुन कर दशरथ जी ने हंस कर कहा Зक अब मЎ
सहायताथЈ पहुं च।े कौŹस ने जब रघु के ख़ाली राजकोष को तुƒहारा ममЈ समझ गया। मान करना तुƒहЊ बड़ा ЗΉय है।
देखा तो कुछ न माँगने का Зनǿचय Зकया परżतु रघु ने कहा तुमने इन वरЛ को अपनी थाती या धरोहर समझ Зफर कभी
Зक वे थोड़ा μकЊ और तीन Зदन का समय दЊ। तभी रघु को माँगा ही नहИ और मेरा भूलने का ˇवभाव होने से मुझे भी
पता चला Зक कुबेर जो कैलाश पर रहते हЎ अपना कर भाग वह Ήसंग याद नहИ रहा। Зफर आगे कहते हЎ Зक मुझे झूठ-
नहИ Зदया है। रघु ने उन पर चढ़ाई करने का Зनǿचय Зकया मूठ दोष मत दो। चाहे दो के बदले चार वर माँग लो। रघु
और उनसे धन ΉाŽत करने की योजना बनाई। वे अपने रथ कुल मЊ सदा से यह रीЗत चली आई है Зक Ήाण भले चले
पर सवार हो गए और रथ पर ही रात मЊ सो गए। उधर जांय परżतु वचन नहИ जाता :
कुबेर को यह पता चला और वे मारे भय के ˇवणЈ मुΆाएं झूठेहु हमЗह दोषु जЗन देहू।
ˇवयं पहुं चा गए। Ήातःकाल खबर Зमली Зक रघु का दु इ कै चाЖर माЗग मकु लेहू।।
राजकोष ˇवणЈ मुΆाओं से भर गया है। रघु कुल रीЗत सदा चЗल आई।
रघु ने ऋЗष कौŹस को सब ˇवीकार करने को कहा Ήान जाहु ँ बμ बचनु न जाई।।
परżतु कौŹस ने केवल चौदह करोड़ ˇवणЈ मुΆाएँ लИ और सŹय की गЖरमा का बखान करते हु ए राजा दशरथ
कहते है ‘नЗहं असŹय सम पातक पुंजा’ और ‘सŹय मूल सब
सुकृत सुहाए’। सŹयसंध राजा दशरथ के सामने तब Зवकट
िˇथЗत आती है जब दासी मंथरा θारा बुЗγ फे रने से रानी
इ ाकु वंश के राजाओ ं की कैकेयी ने अपने पु΄ भरत को राजगβी और Αीराम को
शृंखला में राजा रघु कीितृ वनवास का वर माँगा Зजसे सुन कर दशरथ जी दंग रह गए
और Ǿयाकुल ǾयЗथत होकर और नारी पर Зवξास की
सदृश हैं। राजा िदलीप और अपनी ΉवृЗΰ को कोसने लगे। कैकेयी बड़ी कड़ी बात
रानी सुदिक्षणा के पुत्र और कहती हЎ और उनकी सŹयЗΉयता को चुनौती देती हЎ :
जो सु Зन सμ अस लाग तु ƒहारे।
अज के िपता रघु बड़े प्रतापी काहे न बोलहु बचनु स ंभारे।।
थे। रघु ने िदिग्वजय का आर देहु उतμ अनु करहु Зक़ नाहИ।
सŹयस ंध तु ƒह रघु कुल माहИ।।
िकया और पूरी पृ ी का छाड़हु बचनु Зक धीरज धरहू ।
चक्कर लगाया और सवृत्र जЗन अबला ЗजЗम कμना करहू ।।
तनु Зतय तनय धामु धनु धरनी।
िवजय करते हुए लौटे। सŹयस ंध कहु ं तृ नसम बरनी।।
दशरथ का राम पर Ήेम अगाध था पर कैकेयी को पहले
सामЗयक
Зदया है। इससे बहु त लोग एक अǼपकाЗलक ЗवकǼप मान अनकहा Зनयम हो गया है। इन पЖरिˇथЗतयЛ मЊ यЗद अЗत-
कर ˇवीकार कर रहे हЎ और कुछ इसे नये युग के आवाहन आवǿयक या΄ा करनी भी हो तो बहु त सारी जβोजहद
के νप मЊ। हो सकता है सच कहИ बीच मЊ हो पर इस बात करनी पड़ रही है जैसे कोरोना का परीΩण, कठोर
को नाकारा नहИ जा सकता Зक मानव जीवन शैली मЊ ये “सामाЗजक दूरी” बनाये रखने के ЗनयमЛ का पालन वग़ैरह। इन
एक Ήभावशाली बदलाव है। मानव को अपनी Зचरंतन Ωुधा सब का Зमलाजुला असर ये हु आ है Зक Зकसी भी या΄ा को
“मानवीय Зनकटता” से Зकतने Зदन दूर रहना पड़ेगा, ˇपˆट νप करने से पूवЈ आपको बहु त सारे पहलु ओ ं पर Зवचार करना
से ये कह पाना तो ЗवशेषΪЛ के Зलये भी चुनौती है पर इस पड़ता है। जैसा की अपेЗΩत है जीवन शैली मЊ अब या΄ा
बात से इंकार भी नहИ Зकया जा सकता Зक “मानवीय żयूनतम ˇतर पर है।
Зनकटता नामक जीवन शैली मЊ अमूल पЖरवतЈन, हम सबके इससे या΄ा सेवायЊ उपलſध कराने वाली कंपЗनयЛ के
समΩ है। Зबज़नेस/Зवΰीय ˇतर पर अŹयंत बुरा असर पड़ा है। कम
ǾयЗΨगत ˇवŴछता : कोरोना काल मЊ मानवीय जीवन से कम या΄ा और उस कमी को पूणЈ करने हेतु ŵयादा से
शैली मЊ हो रहा एक और बदलाव है, “ǾयЗΨगत ˇवŴछता”। Іयादा आधुЗनक तकनीक का Ήयोग इस काल मЊ मानवीय
इस महामारी का ΉामाЗणक उपचार न होने के कारण, इससे जीवन शैली का अपेЗΩत बदलाव बन, हमारे जीवन की
बचाव के अżय अवयवЛ पर Żयान देना आवǿयक है। इसमЊ या΄ा को पЖरभाЗषत कर रहा है |
Ήमुख है, अपने हाथЛ की सफाई, सामाЗजक दूरी, माˇक का ख़रीददारी : कोरोना काल से पूव,Ј ЗवकЗसत हु ई “मॉल
Ήयोग वगैरह। इसके अЗतЖरΨ घर के बाहर से आने वाली कǼचर” ने ख़रीददारी को आवǿयकता से Іयादा, आनंद
दैЗनक Ήयोग की चीज़Л की सफाई और कीटाणुशोधन भी और मनोरंजन का Зवषय बना Зदया था। जब भी अवसर
हमारी जीवनशैली मЊ आता बदलाव है। कोरोना काल से Зमलता, समाज का एक बड़ा वगЈ मॉल मЊ होता। आवǿयकता
पूवЈ हमЊ कभी ऐसा सोचने और करने की आवǿयकता ही और ЗवलाЗसता का अंतर समाŽत होता जा रहा था।
नहИ हु ई। पर आज, आप घर के बाहर से आयी हर चीज “उपभोग स यता” अपने चरम पर पहुँ च कर अΫहास करने लगी
से सशंЗकत हЎ! इस संकट ने हमारे जीवन मЊ Зनिǿचत तौर थी।
पर ˇवŴछता को ले कर वे बदलाव करवाये हЎ, जो अżयथा इस तरह घूम-घूम कर की गयी शॉЗपंग या ख़रीददारी,
मा΄ हमारी जानकारी मЊ थे। इसी तरह लोक Ήयोग मЊ आने मानवीय जीवन शैली का एक मुűय अवयव हो गयी थी।
वाली वˇतुओ ं या सुЗवधाओं के Ήयोग मЊ भी अŹयंत करोना काल ने घुमŰŰड़ ख़रीददारी पर पूरी तरह लगाम
सावधानी बरतना, कीटाणु शोधन करना आЗद हमारी जीवन कस दी है। इस वैЗξक महामारी ने बाŻय Зकया है Зक हम
शैली मЊ आता बड़ा बदलाव है |
या΄ा : मानवीय जीवन शैली मЊ हो रहा एक और
बदलाव या΄ा सबंधी है। कोरोना काल में मानवीय जीवन
Зपछले दो दशकЛ मЊ आЗथЈक, वाЗणिŵयक और
वैξीकरण के νप मЊ आये ऐЗतहाЗसक Зवकास ने “या΄ा” शैली में हो रहा एक और बदलाव
Ωे΄ को भी उसी νप मЊ ЗवकЗसत Зकया | है, “ िक्तगत ता”। इस
चाहे वायु या΄ा हो, रेल या΄ा हो या सीЗमत दूरी की
महामारी का प्रामािणक उपचार न
या΄ा। या΄ा ने बढ़ती मानवीय आकांΩाओं को पूणЈ करने
मЊ, एक दूसरे से जोड़ने मЊ ЗवЗशˆट योगदान Зकया है। या΄ा होने के कारण, इससे बचाव के
करना आनंद के Зवषय से Іयादा आवǿयकता का Зवषय हो अ अवयवों पर ान देना
गया था।
कोरोना काल मЊ लॉकडाउन के कारण या΄ाओं का
आव क है। इसमें प्रमुख है, अपने
अЗतसीЗमत हो जाना, अपेЗΩत है। पर इससे मानव जीवन हाथों की सफाई, सामािजक दूरी,
शैली पर अभूतपूवЈ Ήभाव पड़ा है। अब हमारी छु ЗΫयाँ मा का प्रयोग वगैरह।
Зकसी अंतराЈˆटБीय या अżय लोकЗΉय ˇथानЛ पर नहИ मनाई
जा रही। घर के दायरे मЊ रहना, मानवीय जीवन शैली का
चचाЈ
जज-सिमित गीतांजिल ी के
उप ास की सशक्तता, मािमृ कता
और शोख़ी भरी शैली से चम ृत है।
यह भारत और बंटवारे पर एक
दीि मान उप ास है, िजसकी जादुई
जीवंतता और सघन करुणाभाव,
पुरुष और Tी को एक रंगारंग
स ूणृता में गूंथता है।
Зकसी कहानी की सफलता होती है। रचनाकार अपने को चलती है, उसकी वजह ख़Źम हो जाए, तो भी।'
Зजतना कम कर ले ता है, उतना ही पाठक का कहानी के तो गौरैया भी एक Зकरदार है।
साथ तादाŹƒय गहरा होता जाता है। पाठक के साथ गहन ले Зखका एक जगह ˇवयं कहती है : ये सभी Зकरदार
ˇतर की यह तदाŹमता ही 'रेत समाЗध' को अनूठी कृЗत हЎ। चИटी, हाथी, दया, दरवाज़ा, मां, छड़ी, गठरी, बड़े, बेटी,
बनाती है। ˇपˆट है Зक इस तरह के कहने मЊ कथानक का रीबॉक जो बहू पहनती थी और...
पेचीदा ताना-बाना नहИ होता। Űया सचमुच Зकरदार ही असली कहानी नहИ होते?
'रेत समाЗध' मЊ कहानी पा΄Л के हवाले हो जाती है और और कथानक? वह भी तो ЗकरदारЛ के सुख-दुःख, उनके
शुν हो जाती है एक जादुई या΄ा। कहानी अपने आप को राग-θेष, उनकी जβोजहद सामने लाने का साधन होता है।
कहती चलती है। Зकसी अǼहड़ नदी की तरह अपनी राह इसीЗलए कहाЗनयЛ के पा΄ ˇमृЗत मЊ ЗचЗ΄त रह जाते हЎ। वह
बनाती हु ई। ЗनबाЈध, Ήवहमान। इस सफ़र मЊ कभी आपकी 'उसने कहा था' का लहना Зसंह हो या सूबेदारनी हो, 'गोदान'
मुलाक़ात एक दरवाज़े से होती है, 'जो जानता है Зक उसे के होरी और धЗनया हЛ, टोबा टे कЗसंह' का टे कЗसंह या
बहरसूरत खुले रहना है और उसके बीच से Зनकलने वाले Зफर 'Зज़ंदगीनामा' की राबयां या शाहनी'।
पर वΨ की, पूवस Ј ूचना देने की, खटखटाकर घुसने जैसी और ये Зकरदार ही वह कहानी हЎ, Зजसे पढ़ते हु ए एक
पाबंЗदयां नहИ हЎ। यहां सब मुΨ और मुफ़्त मामला।' के बाद एक कई नाम अहसास मЊ कОध जाते हЎ। Зवभाजन
कभी आप एक 'चमŹकारी' छड़ी से Зमलते हЎ, जो के ददЈ को महसूस करते-कराते मंटो, ‘लव इन द टाइम
'पटपट पटपटाती कलाबाज़ी मारती है। जी मЊ आए तो छोटी ऑव कॉलरा' और 'वन हंडेड Б यीअसЈ ऑव सॉЗलटκूड' के
हो जाती है, जैसे ऐЗलस हो। बाЗलǿत भर एक डंडी Зजसे 'गेЗΌयल गाЗसЈया माŰवेज़ Ј ', 'परती पЖरकथा' के फणीξर
बांह के नीछे दबा लो तो कोई देख न पाए। ये ЗततЗलयां हЎ नाथ 'रेण'ु , 'Зमडनाइट् स ЗचǼडБन' के सलमान μǿदी और
या जादू की पЖरयां ЗजżहЊ Зफर झटको तो पटपट Зनकलने बेशक़, बेशक़ 'Зमतरो मरजानी' और ‘Зज़ंदगीनामा' की कृˆणा
लगती हЎ और छड़ी लƒबी होती जाती है। ऐЗलस ऐज़ सोबती, Зजनका रचनाŹमक ऋण ˇवीकार करते हु ए
छड़ी।' गीतांजЗल Αी ने अपना उपżयास उनके नाम समЗपЈत Зकया
और कभी एक गौरैया नमूदार होती है। लालवन की है। μǿदी के उपżयासЛ मЊ झलकने वाले माŰवेज़ Ј के जादुई
यह गौरैया कभी Зनडर घूमती थी, ले Зकन एक Зशकारी का यथाथЈवाद से रंЗजत कहाЗनयЛ के पा΄Л से ले कर मंटो का
सामना होने के बाद डर का पयाЈय बन गई। और सЗदयां Зवभाजन से ЗवЗΩŽत टे कЗसंह और सोबती के 'Зज़ंदगीनामा'
गुज़र जाने के बाद भी उसका डर बना हु आ है। 'Жरवायत की Ήेमपगी राबयां और शाहनी याद मЊ साकार होती चलती
हЎ।
और Зकसी एक कारण का सू΄ इन तˇवीरЛ को नहИ
जोड़ता। कभी ये कहाЗनयां, अपने पा΄Л के कारण याद
कहािनयों के पात्र ृित में आती हЎ, कहИ ले Зखका की अपनी बात कहने की शैली की
िचित्रत रह जाते हैं। वह वजह से और कभी भाषा की अǼहड़ता के कारण, जो
लगातार धड़कती, बहती हु ई चलती है। यह Ύािżत नहИ
'उसने कहा था' का लहना होनी चाЗहए Зक 'रेत समाЗध' इन सब मЊ से Зकसी भी एक
िसं ह हो या सूबेदारनी हो, तरह का उपżयास है। हां, ले Зकन रचना अपना यह वादा
'गोदान' के होरी और पूरा करती चलती है Зक 'एक कहानी अपने आप को
कहेगी।' कहानी मŻयवगЈ के एक खाते-पीते पЖरवार की,
धिनया हों, टोबा टेकिसं ह' पЖरवार की एक मां-बेटी की, ЗजसमЊ दोनЛ की भूЗमकाएं
का टेकिसं ह या िफर परˇपर अदलती-बदलती Зदखाई देती हЎ।
जैसी Зक बात हो रही थी, यहां अपने परƒपरागत νप
'िज़ं दगीनामा' की राबयां
मЊ कथानक नहИ, बिǼक घटनाओं और िˇथЗतयЛ का ढीला-
या शाहनी'। ढाला जुड़ाव और कहानी कहने का ढंग महŹवपूणЈ है।
घटनाओं के ˘म मЊ बहु त चुˇत तारतƒय न सही, पर एक
चचाЈ
रेत-समािध को बुकर
चचाЈ
मुझे लगता है Зक यह Ήयोग ЗवदेशЛ मЊ Зहżदी भाषा के हो इससे Űया फकЈ पड़ता है? ŰयЛ इसे ले कर नफ़रत फै लाई
Ήचार-Ήसार मЊ उपयोगी साЗबत हो सकता है। मेरा एक जाय? बात सही है और यहाँ Żयान रखना पड़ता है Зक
अżय रोचक अनुभव उǼले खनीय है। एक बार एक साЗहŹय अЗहंदीभाЗषयЛ की समझ मЊ आ जाय ऐसे शſदЛ से ले खन
संŻया-सƒमेलन मЊ एक अमेЖरकी ЗशΩाЗवद्-Зवθान बुलाए का ˇतर भी बना रहे। Зफर इżहЊ सुर मЊ गाना भी बहु त
गए। उनका संˇकृत Зसखाने का तरीका अεुत था। वे महŹवपूणЈ है जो उमेश जी ने अŴछी तरह Зनभाया है।
’राम: रामौ रामा:’ नहИ रटाते थे। पर बॉलीवुड के गीत का मЎ पूरी नΏता से कह सकता हूँ Зक मЎने अपनी ओर से
संˇकृत मЊ अनुवाद करके उसी धुन मЊ Зफट कर देते थे। शुγतावादी ιिˆटकोण से काम Зकया तो केवल सीЗमत
अपने ЗवηाЗथЈयЛ को बस वे वह गीत दे देते थे जो ЗवηाЗथЈयЛ सफलता Зमली। कुछ दो दजЈन ˇवरЗचत नवगीत Зजनकी
को याद रह जाते। और इस तरह उनका संˇकृत सीखना भाषा और Зबƒब को समझना सामाżय पाठक के Зलए
शुν हो जाता। मुिǿकल हो सकता है; ऐसे नवगीतЛ को तीन Ήकार के
’दे दी हमЊ आजादी Зबना खड् ग...’ का संˇकृत अनुवाद संगीतकारЛ को बाँट Зदया : पहले शाˇ΄ीय संगीतकार, दूसरे
मालू म हो तो उसके समानांतर अनेक वाŰय इस भाषा मЊ लोक-संगीत मЊ Ήवीण और तीसरे मराठी शाˇ΄ीय संगीत मЊ
बनाए जा सकते हЎ। इंटरनेट पर ’हैŽपी बथЈडे टू यू’ का पारंगत। इżहЛने ЗफǼमी संगीत का आΑय न ले ते हु ए नई
संˇकृत मЊ अनुवाЗदत गीत सुना जा सकता है जो मूल धुन धुन बनाई; काफी पЖरΑम Зकया। पर इनका उपयोग मेरे
पर बना है। हम सोच सकते हЎ Зक इसे याद कर ले ना Зलए केवल साЗहिŹयक समारोह तक ही रहा। नवगीत
Зकतना आसान है! Ǿयाकरण के Зहसाब से Зफर उसके ΉकाЗशत होने के बाद भी धुन कौन सी होगी इसके बारे मЊ
समानांतर वाŰयЛ को बनाना भी आसान हो जाता है। पाठक को पता नहИ चलता। पर यहाँ राहु ल-उमेश जी के
राहु ल-उमेश θारा सृЗजत इन गीतЛ के Зवषय भी भाँЗत- इन गीतЛ मЊ ЗफǼमी-गीत का मुखड़ा Зलखते ही अथवा Ήाय:
भाँЗत के हЎ। कुछ गीत समसामЗयक राजनैЗतक पЖरιǿय को अनुमान से पता चल जाता है Зक यह गीत Зकस राग मЊ
ΉЗतЗबिƒबत करते हЎ तो कुछ मЊ नैЗतक संदेश दजЈ हЎ। कुछ होना चाЗहए। मЎ चाहूँ गा Зक ΉारंЗभक Зहżदी सीखने वालЛ
कोरोना पर तो कुछ माˇक की उपयोЗगता को रेखांЗकत के Зलए Зवशेषत: अЗहंदीभाЗषयЛ के Зलए ऐसे गीत पाठκ˘म
करते हЎ। गीत चुनाव पर हЎ और भЗΨ गीतЛ की एक पूरी मЊ रखे जाएं। इससे भाषा Зलखने मЊ सुЗवधा और सरलता
कड़ी मौजूद है। रहेगी। आजकल की अनेक बॉЗलवुड ЗफǼमЛ मЊ अǿलील
ЗफǼमी गीतЛ को इस नये ˇवνप मЊ Ήˇतुत करने की और Зछछोरे गीतЛ की बाढ़ सी आ गई है। कई गीतЛ मЊ शſद
इस जोड़ी की लगन, ιढ़ता और मेहनत को देखकर मЎ महŹवहीन और उटपटांग होते हЎ। Зवदेशी धुन की नकल तो
अЗभभूत हूँ । मूल गीतЛ की धुन पर नये शſद Зलखने और कर ली जाती है पर शſद के मामले मЊ अŰल का
गाने का ΑमसाŻय पЖरΑम ˇपˆट Зदखाई देता है। ЗवषयЛ का ЗदवाЗलयापन Зदखाई देता है। Зफर समय-समय पर शुγ
वगीЈकरण अŴछी तरह से Зकया गया है। इżहЊ पैरोडी या Зहżदी के संवाद खलनायक को पकड़ाए जाते हЎ या
तुकबंदी समझना नादानी ही कही जायेगी। पŰकी तौर पर संˇकृतЗनˆठ Зहżदी θारा Зहżदी का मजाक उड़ाया जाता है।
कहा जा सकता है Зक इन गानЛ मЊ जो भी Зवषय चुना गया ’ЗΉय Ήाणेξरी! ρदयेξरी!’ जैसे गीतЛ को कॉमेЗडयन के हाथ
है उस पर गंभीरता से पूवच Ј चाЈ हु ई है। मЊ या बेतक ु े वातावरण मЊ ЗफǼमाया जाता है।
यहाँ हमЊ एक मानЗसकता से लड़ना होगा। कुछ सरल ऐसे वातावरण मЊ राहु ल-उमेश θारा गाये ये गीत ताजी
कЗवताओं पर जाने-माने कЗव भी समझते हЎ Зक इसमЊ हवा की तरह Ήतीत होते हЎ। मूल गायक की आवाज की
कЗवता नहИ है। Зफर ǾयंŲय से कहते हЎ Зक बस 'आओ तरह Зवषय और कźय को भी गंभीरता से Зलया गया है;
बŴचЛ तुƒहЊ Зदखाएं, झाँसी Зहżदुˇतान की।' यह Űया कЗवता आज के ЗफǼमी वातावरण मЊ इसकी महΰा समझाने की
हु ई? मेरा दावा है Зक ऐसे कЗव इसी धुन के समानाżतर आवǿयकता नहИ रह जाती।
Зकसी Зवषय पर Зलख कर बताएं तब पता चले गा Зक कैसे मुझे Зवξास है Зक इन गीतЛ के θारा Αोताओं के शſद
शſदЛ का चुनाव करना पड़ता है। Зवषय को संभाल कर Ϊान की वृЗγ होगी तथा Ǿयाकरण Ϊान भी बढेगा। साЗहŹय
Зलखना Зकतना दुνह हो जाता है! समारोहЛ मЊ तथा अżय΄ यहाँ तक Зक शादी या ΉीЗत भोज
Ήˇतुत गीतЛ मЊ इसी राग पर पЖरधान के Зलए एक गीत मЊ जहाँ ЗफǼमी गीत बजते हЎ, इन गीतЛ को बजाने का चलन
सुżदर शſदЛ मЊ गाया गया है; साड़ी ˇकटЈ या Зहजाब पहना होगा तो Зहżदीभाषा का कǼयाण होगा।
कहानी
उड़ान
तपन। एक भाईसा ही हЎ जो Зवकलांग होते हु ये भी रामЗसंह आŹमहŹया कर ले ता हूं Űया रखा हЎ इस संघषЈ भरी Зज़żदगी
के सथ खड़े रहते। Зजससे रामЗसंह का उŹसाह टस से मस मЊ, Зकतनी परीΩायЊ दी अभी तक एक मЊ भी सफलता नहИ
नहИ होता। Зमली। दुЗनया के तानЛ से तो छु टकारा Зमले गा। कोई ये
अख़बार की ЗΉंЗटं ग Ήेस मЊ शाम का काम Зमल गया नहИ सोचता Зक ईξर ने जीवन Зदया है। उसको हर िˇथЗत
तो थोड़े पैसे और आने लगे पर रामЗसंह Зहƒमत कहाँ हारने मЊ जीओ, Űया पता है मरने के बाद सब सुख हЎ।
वाला था, परीΩायЊ देता रहा, फे ल होता रहा। कभी रामЗसंह तो Зनकल पड़ा अपना जीवन समाŽत करने
ЗफЗजकल मЊ फे ल हो जाता तो कभी इंटरǾयू मЊ। कभी-कभी अपनी ही धुन मЊ। उसने ठान Зलया की हाइवे पर Зकसी
तो बस एक दो नƒबर से ही रह जाता। शाम का समय था, टБक के नीचे आ जायेगा बस Зफर Űया Зमल जायेगा सब
बरसात हो रही थी, ऐसा लग रहा था Зक बादल फट गये ЗवपЗΰ से छु टकारा। जोर से हॉनЈ की आवाज से जैसे वह
हЎ जǼदी-जǼदी घर पहुँ चा। देखा भीड़ जमा है। भाग कर ЗनΆा से जागा। ओ बनाजी मेरो ही टБक ЗमǼयो कЂ मरबा
देखा भाईसा ने आŹमहŹया कर ली। माँ तो पूरी तरह से वाˇते? घरां जाओ माँ बाप राह देख Жरया होवेगा। डБाइवर
सुλ हो गयी। एक साल मे दो जवान मौत सुनकर ही पूरे जोर से ЗचǼलाया। रामЗसंह को देखकर उसको रामЗसंह की
बदन मЊ डर से झुरझरी हो जाती है। रामЗसंह पूरी तरह टू ट लाचारी पर दया आ गयी बोला बैठो गाड़ी मЊ आगे उतार
गया। समझ नही आ रहा था Зक Űया कνं। समय ऐसा दूँगा और हाथ पकड़कर चढा Зलया टБक मЊ।
होता है Зक कैसा भी दुख हो, दस बीस Зदन मे सब पहले टБक मे एक कЗव की कЗवता सुनाई दी Зजसकी कुछ
जैसा कर देता है परżतु जो चला जाता है उसकी कमी सदा पंЗΨयЛ ने रामЗसंह के जीवन को नई राह दे दी। वो पंЗΨ
हर Ωण जलाती है। घर मЊ घुसते ही दोनЛ भाईसा की बातЊ थी :
याद आती। माँ का यूं सदा चुप बुत बनकर रहना सहन Зछप Зछप कर अशВ बहान े वालЛ,
नहИ होता। Зपताजी रामЗसंह को बुलाकर कहते हЎ Зक तू ही मोती Ǿयथ Ј लु टान े वालЛ।
सहारा है हमारा और गले लगकर खूब रोये। Зफर भी मन कुछ सपनЛ के मर जान े स े,
मЊ बैठ गया Зक रामЗसंह तू Зकसी काम का नहИ हЎ, समझ जीवन नहИ मरा करता।
नहИ आ रहा था Зक करे तो Űया करे, एक बार जो कुछ सालЛ के पानी के बह जान े स े
नकाराŹमकता घेर ले ती है तो सब नकाराŹमक ही Зदखाई सावन नहИ मरा करता।
देता है। रामЗसंह के भी मन मЊ Зवचार आने लगे Зक मЎ भी कुछ दीपЛ के बु झ जान े स े
आ ंगन नही मरा करता,
और कुछ सपनЛ के मर जान Њ स े
अख़बार की िप्रंिटं ग प्रेस में जीवन नहИ मरा करता।
इन पंЗΨयЛ ने रामЗसंह को एक नई राह दे दी। चारЛ
शाम का काम िमल गया तो तरफ बस ये ही पंЗΨयाँ गूँज रही थी। उसे लग रहा था
थोड़े पैसे और आने लगे पर असल परीΩा तो आज से शुμ हु ई है। डБाइवर ने गाँव के
रामिसं ह िह त कहाँ हारने मोड़ पर छोड़ Зदया। घर पहुँ च कर अपने माता-Зपता को
देखा Зजनके चेहरे पर एक ही साल मЊ दो दो बेटЛ को खोने
वाला था, परीक्षायें देता रहा, का महादुख तथा मेरे Зलये Зचंता की लकीरЊ साफ Зदखाई दे
फेल होता रहा। कभी रही थी। उनके फटे हाल कपड़े, दЖरΆता, घर के खाली
बरतन सब कुछ वो जो Зनराशा के चǿमЊ मЊ Зछप गया था,
िफिजकल में फेल हो जाता
आज Зदखाई दे रहा था। रामЗसंह सोचता है Зक मЎ ये Űया
तो कभी इं टर ू में। कभी- करने जा रहा था, मЎ ये कैसे कर सकता हूँ , मЎ भाईसा जैसे
कभी तो बस एक दो न र कायर नहИ बनूँगा, माँ Зपताजी की उƒमीद बस मЎ ही हूँ
अब।
से ही रह जाता। एक बार पुन: रामЗसंह खुद से ही वादा करता है, वादे
तो वैसे वह हर बार करता है परżतु पूरे कभी नहИ होते,
अनु वाद
: सूअर आЗखर सूअर जो ठहरे। ЗवЗभλ आवाजЛ की नकल करता। वह कार, टБैŰटर आЗद
जीवन पγЗत मЊ फे रबदल या कई तरह का बदलाव के आवाज की नकल करता, वह बहु त अŴछी नकल करना
करना, मानव का Зवशेष चЖर΄ है। वह न केवल जानवरЛ सीख गया था। कभी-कभी वह पूरा Зदन नजर नहИ आता,
के जीवन मЊ फे रबदल करता है, बिǼक खुद के जीवन को मेरे Зवचार मЊ बगल के गाँव मЊ मादा सूअर की खोज मЊ गया
भी Ǿयविˇथत करता है। हमЊ मालू म है Зक Ήाचीन यूनान मЊ होता। हमारे यहाँ भी मादा सूअरЊ थИ, सभी बाड़ मЊ बंद
ˇपाटाЈ नामक जगह था, वहाँ का जीवन ЗबǼकुल उबाऊ होतИ। उżहЛने इतने बŴचЛ को जना था Зक शरीर का
बना Зदया गया था। Зजसका उβेǿय मदЈ को एक योγा डीलडौल Зबगड़ चुका था और गंदी होने के साथ-साथ बदबू
बनाना Зजसको अंततः मृŹयु ही ΉाŽत होता और औरतЛ को भी देती थИ। उसे इन मादा सूअरЛ मЊ कोई Зदलचˇपी नहИ
Ήजनन मशीन बनाना था। पहला ЗबǼकुल लड़ाकू मुगाЈ की थी। गाँव वाली मादा सूअर थोड़ी सुंदर होती। उसके बारे
तरह था तो दूसरा मादा सूअर की तरह। ये दोनЛ Ήकार के मЊ अनेक कहाЗनयाँ हЎ, ले Зकन सूअर की देखभाल करने का
जानवर बहु त Зवशेष होते हЎ। ले Зकन मुझे लगता है Зक उżहЊ अनुभव कम होने के कारण एवं उसके बारे मЊ सीЗमत Ϊान
अवǿय ही अपना जीवन पसंद नहИ होगा। ले Зकन पसंद नहИ होने के कारण, मЎ ŵयादा कुछ नहИ कह सकता। संΩेप मЊ
भी होगा तो Űया कर सकते हЎ? मनुˆय हो या जानवर, सभी यही कह सकता हूँ Зक Зजतने भी ЗशЗΩत नौजवानЛ ने उस
के Зलए अपना भाŲय बदलना मुिǿकल है। सूअर को चारा Зखलाया था, वे सभी उसे पसंद करते थे।
अब मЎ एक बहु त ही Зवशेष सूअर के बारे मЊ बताने जा सभी उसके ˇवतं΄ व बेबाक आदतЛ को पसंद करते थे
रहा हूँ । जब मЎ उसकी देखभाल के Зलए गया था, तो वह और कहा करते थे Зक उसका जीवन Зनǿचल है। ले Зकन
चार-पाँच साल का हो चुका था। Зकˇम के अनुसार वह गाँव वाले इतने रंगीन Зमजाज के नहИ थे, उनका मानना था
एक माँस वाला (पाल Зखलाने वाला नहИ) सूअर था। Зक वह एक बदचलन सूअर था। वहाँ के Ήभारी भी उस
ले Зकन वह बहु त दुबला-पतला, काला और चमकीला से नफरत करते थे, उसके बारे मЊ आगे चचाЈ कνँगा। मЎ
आँखЛ वाला था। वह पहाड़ी भЊड़ की तरह फु तीЈला था। उसे ЗसफЈ पसंद ही नहИ करता बिǼक उसका सƒमान करता
एक मीटर ऊँचे सूअर के बाड़ को आसानी से फाँद जाता था। उससे उमर मЊ कई वषЈ बड़ा होने की वाˇतЗवकता को
था, वह बाड़ के ऊपर भी चढ़ जाता था, उसका यह ˇवभाव नजरअंदाज कर, उसे अŰसर सूअर भैया बुलाता था। जैसा
ЗबǼली की तरह था, इसЗलए वह हमेशा चारЛ ओर Зक ऊपर बता चुका हूँ , इस सूअर भैया को कई तरह की
मटरगǿती करता रहता था, बाड़ मЊ ЗबǼकुल भी नहИ Зटकता आवाजЛ को नकल करना आता था। मुझे लगता है Зक
था। सूअरЛ को चारा देने वाले सभी पढ़े-Зलखे नवयुवक, उसने मनुˆय की बोली भी सीखने की कोЗशश की होगी,
उस सूअर को पालतू जानवर की तरह Žयार करते थे। वह ले Зकन नहИ सीख पाया, अगर सीख गया होता, तो हमलोग
मेरा भी Žयारा था, ŰयЛЗक वह भी पढ़े-Зलखे नवयुवकЛ से अपने Зदल की बात कर सकते। ले Зकन इसमЊ इसका कोई
Žयार करता था, उżहЊ उसके तीन मीटर के दायरे तक पहुँ चने
देता था, अगर दूसरा ǾयЗΨ होता तो वह बहु त पहले ही
रžफू चŰकर हो जाता। वह नर सूअर था। वाˇतव मЊ तो
उसका Ήजनन अंग काटा जाना चाЗहए था। ले Зकन तुम
आिखरकार, मैं एक तरफ खड़ा
कोЗशश कर सकते थे, अगर तुम चाकू को पीठ पीछे भी सब देख रहा था। सूअर भाई को
Зछपा ले ते तो वह सूंघ ले ता, Зफर तुƒहारी तरफ घूरते हु ए
जोर-जोर से ओंए ओंए कर शोर मचाने लगता। मЎ हमेशा
िब ु ल शांत देखकर, मेरे िदल में
उसे चावल के भूंसी का बना दЗलया Зखलाता, जब उसका उसके प्रित स ान और बढ़ गया
पेट भर जाता तब जाकर बचा हु आ दЗलया घास मЊ Зमलाकर
दूसरे सूअरЛ को Зखलाता। अżय सूअरЛ की जब नजर
था। वह बहुत शांत भाव से तमंचा
पड़ती तो ईˆयाЈ से हुं कार उठते। इस समय समूचा बाड़ पकड़े लोगों और बंदक ू िलए
शोरगुल से भर उठता, ले Зकन इससे मुझे और उस सूअर
को कोई फकЈ नहИ पड़ता। भोजन पूरा करने के बाद वह
लोगों के बीच में छु पा हुआ था।
उछलकर बाड़ के ऊपर धूप सЊकने के Зलए चढ़ जाता या
पु ˇतकायन
और यह ‘प्राथृना समय’ ही तो है
ǿयामा के Ήेम के साथ-साथ भारत के सौżदयЈ का Зच΄ भी कहानी मЊ ले खक ने दोˇती को मजहब से ऊपर बताते
शानदार खИचा है। भाषा की सहजता इस कहानी मЊ देखी हु ए ले खक ˇवयं असद का नाम अखबार मЊ आने पर कहता
जा सकती है। है Зक ''वह कोई और असद बेग ЗमजाЈ हो, हमारा असद न
इस कहानी सं˚ह मЊ ले खक ने कई ЗवЗवध ЗवषयЛ को हो। हमारा νम पाटЈ नर असद न हो। बरना यह ЗसफЈ एक
उठाया है, अपनी बात कहने के Зलए Зकˇसागोई और गǼप मुसलमान की Зगरžतारी की खबर भर नहИ होगी बिǼक
कथा का सहारा Зलया है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है एक आदमजात की हŹया की सूचना भी होगी। आमीन!''
Зक पढ़कर लगता है Зक आप उसे महसूस कर रहे हЛ। इस (पृ.59)
कहानी का भाषायी ЗशǼप भी बहु त सुंदरता से इˇतेमाल अगली कहानी ‘झाल’ ˇ΄ी के जीवन मЊ पЗत को छोड़ने
Зकया है। ‘सŹयकथा वाया झूठे Зकˇसे’ के माŻयम से ले खक पर सŰसेना से संबध ं बनाना के दौरान उसे ˇवीकार करना
इЗतहास के तźयЛ को आधार बनाकर Ήेम के ममЈ को बुनने होता है एक बŴचे का अपनी मां को परपुνष के साथ देखने
की कोЗशश मЊ Зदखाई देता है। पढ़ते-पढ़ते कहानी मЊ की पीड़ा को ǾयΨ करना Зकतना मुिǿकल है - ‘‘मेरी मƒमी
ЗजΪासा बनी रहती है। आगे और आगे जानने की लालसा की Зजंदगी मЊ सŰसेना तब आया था, जब मेरे Зपता ने उżहЊ
पाठक को खीचती है। ‘ठं डी’ कहकर अˇवीकार कर Зदया था और भЗवˆय के अंधेरे
‘ΉाथЈना समय’ अपने ‘कźय’ के साथ-साथ ‘ЗशǼप’ का नया बीहड़ मЊ तżहा छोड़ Зदया था जहां उसके पास हौसला रखने
Ήयोग वाकई मЊ खूबसूरत है। पढ़ने के दौरान पाठक को को उसका तीन साल का अबोध बŴचा भर था।’’ (पृ. 61-
संयम के साथ आगे बढ़ना पड़ता है। Зजस धैयЈ के साथ एवं 62) ЖरǿतЛ को ताक पर रखकर कंपनी के माЗलक रˇतोगी
ठहराव के साथ कहानीकार पा΄Л से ˇवयं से बात कहलवाते की मृŹयु के बाद रˇतोगी की Зवधवा के दो बŴचЛ का Зपता
हЎ लƒबे समय तक साЗहŹय मЊ इसकी चचाЈ हЛगी। ‘ΉाथЈना बन जाता है अपनी पŹनी को छोड़ देना साथ ही बŴचे को
समय’ बेहद ही खूबसूरत पठनीय कहानी है Ήेम के रेशमी अपने हाल पर छोड़ देना वतЈमान समय की Зवडƒबना को
धागЛ से बुनी हु ई यह कहानी धीरे-धीरे असद के अखबार Зदखाया गया है।
मЊ छपी खबर से आगे बढ़ती है। 'असद' की याद ले खक ‘‘मЎ अँधेरे से लड़ सकता था, उजाले से नहИ। अँधेरे मЊ हारने
को वह रंगीन Зखड़की और Ήेम की उठती Зचंगारी है। मЎ, का डर नहИ होता है जबЗक उजाले मЊ कई बार यह डर ही
मनीष, असद, तीनЛ के भाईचारा जाЗत धमЈ से ऊपर उठकर हार की वजह बन जाता है।’’ (पृ.67)
Ήेम का संदेश देते हЎ। ‘‘वे ΉाथЈनाएं भी जो अŰसर रातЛ मЊ ‘‘मЎने अपनी आँखЊ बंद नहИ की ŰयЛЗक मЎ समझ चुका हूं Зक
सूनी सड़कЛ पर टहलते हु ए हम एक-दूसरे के Зलए और आंखे बंद कर ले ने से यह सब Зदखना बंद नहИ होगा।
देश-दुЗनया की सलामती के Зलए Зकया करते थे।’’ (पृ.58) बिǼक आंखЊ बंद करने से ιǿय और साफ नजर आने लगते
हЎ।’’ (झाल-पृ. 67)
‘झाल’ कहानी मЊ समाज के बदलते मानवीय ЖरǿतЛ की
‘प्राथृना समय’ अपने ‘क ’ के साथ- कहानी है। ले खक ने अंतθЈżθЛ और बदलते पЖरवेश की
कुνपता, संबध ं Л का बनना Зबगड़ना Зदखाया गया है।
साथ ‘िश ’ का नया प्रयोग वाकई में सŰसेना की हŹया का űयाल Зनरंतर चलता रहता है परżतु
खूबसूरत है। पढ़ने के दौरान पाठक अंत मЊ ‘मां’ की खुशी के ‘‘जहाँ खुЗशयЛ के Зलए Жरǿते का
कोई जνरी और जायज नाम हो।’’ (झाल-71)
को संयम के साथ आगे बढ़ना पड़ता ''मЎने फЊ क Зदया अंदर चल रहे हŹया के बोझ को हमेशा
है। िजस धैयृ के साथ एवं ठहराव के के Зलए तालाब मЊ फЊ क Зदया।''
‘झाल’ कहानी मЊ मां के संबध
ं अżय पुνष के साथ देखने से
साथ कहानीकार पात्रों से यं से बŴचे के मन मЊ आपराЗधकता केभाव जा˚त होते हЎ उसके
बात कहलवाते हैं ल े समय तक मन मЊ हमेशा 'परपुνष' (सŰसेना) की हŹया का űयाल
घूमते रहता है।
सािह में इसकी चचाृ होंगी। ‘उधेड़बुन’ कहानी वतЈमान समय और पाЖरवाЖरक जीवन
की उधेड़बुन है। जहां नौकरी पЖरवार, बŴचे, पŹनी और मन
ΉЗतЗ˘या
गभृनाल का जून-2022 अं क
गη कЗवता
रंग
कै नवास पर आकृЗत उकेरने के बाद मेज़ पर
Зबखरे पड़े रंगЛ की तरफ़ μख Зकया। कूची
ले कर बार-बार आकृЗत मЊ रंगЛ से ख़बू सूरती
देने का असफल Ήयास कर रही थी। न जाने ŰयЛ आज
मनचाहा रंग-νप देने मЊ नाकामयाब हो रही थी।
ˇवνप को शोभने वाला। बोला मुझे भी नीलादारी नील के
Зबठाकर मेरी आभा को नुक़सान पहुँ चाती हो। लाल रΨ
वणीЈ अपना रौΆ νप Зदखाता हु आ। पीले और नीले के
साथ अपने गठबंधन पर अˇवीकृЗत की मोहर लगा रहा था।
काला Зसयाह तो कड़क ˇवर मЊ बोल रहा था।
शायद रंग आज νठ गए थे। रंगЛ की दुЗनया एक कुछ भी सुनने और समझने की अपनी सोच शूżय लग
अजूबा है। रंगЛ से दोˇती कर पाना भी सहज नहИ है। रही थी। एक भीमकाय Ήǿन कैसे। सामंजˇय Зबठाऊँ?
आजीवन परीΩा ले ते रहते हЎ साहब। वे पूरा Żयान अपनी सबकी उƒमीदЛ पर खरी कैसे उतμँ ? ΉǿनЛ की शृंखला को
ओर चाहते हЎ। ज़रा-सा भी Żयान भटकने पर नाराज़ हो अशृंखЗलत करना एक चुनौती बन गया था।
जाते हЎ। मЎने भी कुछ ЗदनЛ से उनकी ख़बर ही नहИ ली थी। एक नई उƒमीद से सबके साथ तालमेल Зबठाने की
उसी का नतीजा मुझे भुगतना पड़ रहा था। चेˆटा करती हूँ ।
मЎ भी कोई कम Зज़βी नही थी। अगर उनका हठ है तो ξेत को Зसयाह के संयोजन कर कड़वाहट की ˇयाही
मЎ भी कम नहИ। बस सोच Зलया। आज मनमुटाव ख़Źम को धुँधला पाती हूँ । दोनЛ का नया νप। अरे वाह! ΉयŹन
करके ही सोऊँगी। कूची ले कर Зफर नई कोЗशश की। तभी सही Зदशा मЊ जाते देख Зहƒमत को बढ़ावा Зमलने लगा।
आवाज़ कुछ जानी-पहचानी आती है। मुड़कर देखती हूँ । नीलादारी और पीताƒबरी दोनЛ के साथ-साथ चलते हु ए
सफ़े द रंग मुझे घूर कर देख रहा था। Űया ग़लती हु ई है नई Зम΄ता के अंकुर फू टने लगे थे और नए ˇवνप हरीतमा
मुझसे? सबके साथ ЗमЗΑत कर देती हो। मЎ Зनμΰर थी मЊ पЖरवЗतЈत होने लगे थे। मЎ गद्-गद् हो रही थी। तभी रΨ
तभी ΉǿनЛ की झड़ी लग जाती है। पीताƒबरी पीला कृˆण वणीЈ लाल टस से मस होने तैयार नहИ हो रहा था। मЎने भी
ˇवˇथ अżदाज़ मЊ कूची से दोनЛ की गЖरमा का Żयान रखते
हु ए संतЗु लत तालमेल Зबठाया। रΨ वणीЈ लाल पीताƒबरी
के साथ अपना ˇवνप एककर नारंगी आभा पा रहा था।
साथ-साथ नीलदारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था। रΨ वणीЈ
लाल के साथ अपनी भाई-बंधुता का पЖरचय जामुनी बन दे
रहा था।
सब कुछ अदभुत, आǿचयЈचЗकत और अचिƒभत था।
ऊपर वाले को शत-शत Ήणाम Зकया और पाया उकेरी हु ई
आकृЗत कुछ ЗवЗशˆट सृЗजत हु ई।
घड़ी पर Зनगाह जाती है। सुबह के पाँच बज गए थे।
राЗ΄ जागरण और पЖरΑम के बाद भी नई ˇफू ЗतЈ थी।
सभी रंग Зमलकर उŹसव मना रहे थे। आकृЗत से
Зनकल-Зनकल कर अपनी अЗभǾयЗΨ को ǾयΨ कर रहे थे।
और मЎ मूकदशЈक बन, रंगЛ से अपनी दोˇती और उनके
समपЈण पर गЗवЈत हो रही थी। उनके नेह की वषाЈ से अपने
रोए-रोए को भИगा हु आ पा रही थी।
ग़ज़ल
एक
तरŰकी ढूं ढ़ता बˇता हमारा
अधूरा है अभी सपना हमारा
ग़ज़ल
दो
कुछ वहां गर जला नहИ होता
Зफर धुआं यूँ उठा नहИ होता
शोध आलेख
अŴछा संचार ΉाŽत करने के Зलए, Зहंदी और चीनी का अनुΉयोग-उżमुख उŴच-ˇतरीय ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत
उपयोग करना एक बेहतर ЗवकǼप है। करने मЊ ЗवशेषΪता रखते हЎ, जो उλत अनुवाद ΉЗतभाओं
वतЈमान मЊ, वЖरˆठ Зहंदी-चीनी अनुवादकЛ को ЗवकЗसत को ЗवकЗसत करने के Зलए बहु त महŹवपूणЈ है। ले Зकन
करने का बहु त महŹव है। एक ओर, चीन और भारत के वतЈमान मЊ Зहंदी मЊ ऐसी कोई अनुवाद Зड˚ी ЗशΩा नहИ है।
बीच तेजी से बढ़ते आЗथЈक और ǾयापाЖरक आदान-Ήदान यह पहलू भЗवˆय मЊ Зहंदी ΉमुखЛ के ЗनमाЈण और Зवकास
के साथ, Зहंदी अनुवादकЛ, Зवशेष νप से दुभाЗषयЛ के Зलए की महŹवपूणЈ साम˚ी मЊ से एक होना चाЗहए।
बाजार की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, Зजससे कॉले जЛ और 2. अनुवाद पाठκ˘मЛ की ЗशΩण पγЗत मЊ सुधार की
ЗवξЗवηालयЛ को Зहंदी अनुवादकЛ के ΉЗशΩण को मजबूत आवǿयकता है : वतЈमान मЊ कुछ कॉले जЛ और
करने और Ήभावी ढंग से काम करने के उपायЛ का सЗ˘य ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण मЊ
νप से पता लगाने की आवǿयकता है। दूसरी ओर, Зहंदी- अभी भी अपेΩाकृत एकल ЗशΩण ЗवЗधयЛ जैसी समˇयाएं
चीनी अनुवाद बाजार मЊ उŴच गुणवΰा वाली ЗमЗΑत हЎ और एकल ЗशΩण ЗवЗधयЛ और ΉЗशΩण ЗवЗधयЛ का
ΉЗतभाओं का अपेΩाकृत बड़ा अंतर है, और अपयाЈŽत भाषा Ήभाव बहु त अŴछा नहИ है। ЗशΩण पγЗत Зहंदी अनुवाद
अनुΉयोग Ωमता की समˇया ˇपˆट है। Зहंदी अनुवाद Ϊान सीखने के Зलए छा΄Л के उŹसाह को Ήभावी ढंग से
ΉЗतभाओं को मजबूत ǾयावहाЖरक Ωमता के साथ कैसे उΰेЗजत नहИ कर सकती है और छा΄Л के उŹसाह को Зहंदी
ЗवकЗसत Зकया जाए, यह नए युग मЊ चीनी ЗवξЗवηालयЛ अनुवाद मЊ भाग ले ने के Зलए Ήभावी ढंग से जुटाना मुिǿकल
मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार मЊ एक Ήमुख है और यहां तक Зक छा΄Л के सीखने के ιिˆटकोण और
मुβा बन गया है। इसЗलए, कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ असंतोषजनक सीखने के Ήभाव मЊ समˇयाएं पैदा करता है।
Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार पर जोर देना 3. ЗशΩक और ЗशΩण साम˚ी पयाЈŽत नहИ है :
और छा΄Л के अनुवाद की खेती पर Żयान कЊЗΆत करते हु ए ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहżदी अनुवाद ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत
अनुΉयुΨ अनुवाद ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत करने की करने की ΉЗ˘या मЊ, अपयाЈŽत ЗशΩकЛ की समˇया है। ऐसे
ǾयावहाЖरक आवǿयकताओं के संयोजन मЊ वैΪाЗनक और
उЗचत ЗशΩण सुधार योजना तैयार करना बहु त आवǿयक
है। बेहतर अनुवाद कौशल वाले छा΄Л की Ωमता, उŴच
अनुवाद Ωमता और Ǿयापक गुणवΰा वाली Зहंदी अनुवाद
िहं दी-चीनी अनुवाद बाजार में उ
ΉЗतभा चीन-भारतीय आЗथЈक और सांˇकृЗतक आदान-
Ήदान को बढ़ावा देने मЊ एक बड़ी भूЗमका Зनभाएगी। गुणव ा वाली िमि त प्रितभाओ ं
Зहंदी अनुवाद ΉЗतभाओ ं के ΉЗशΩण मЊ वतЈमान
का अपेक्षाकृत बड़ा अं तर है, और
कЗमयाँ : आज Зहंदी-चीनी अनुवादकЛ के ΉЗशΩण मЊ कुछ
ˇपˆट समˇयाएं हЎ, मुűयतः ЗनƒनЗलЗखत पहलु ओ ं मЊ। अपयाृ भाषा अनुप्रयोग क्षमता
1. Зवशेष उŴच ˇतरीय अनुवाद Зड˚ी ЗशΩा की कमी
की सम ा है। िहं दी अनुवाद
है : वतЈमान मЊ, चीनी ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी Ήमुख मुűय
νप से साЗहिŹयक Зड˚ी का ΉЗशΩण देते हЎ और Żयान की प्रितभाओ ं को मजबूत ावहािरक
मुűय Зदशाएं Зहंदी साЗहŹय और भारतीय संˇकृЗत हЎ।
क्षमता के साथ कैसे िवकिसत
ˇनातक, माˇटर या डॉŰटरेट ˇतर पर Зहंदी सीखЊ। ˇनातक
ЗशΩा चरण मЊ, Зहंदी सीखना छा΄Л की मुűय साम˚ी है, िकया जाए, यह नए युग में चीनी
और परीΩाएं Зहंदी Ϊान और Зहंदी आवेदन Ωमता की भी
िव िव ालयों में िहं दी अनुवाद
जांच करती हЎ। ले Зकन अभी भी ऐसा कोई कॉले ज और
ЗवξЗवηालय नहИ है जो अनुवाद-उżमुख ЗशΩा Ήदान पा क्रमों के िशक्षण सुधार में
करता हो। कई कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ ने अं˚ेजी,
एक प्रमुख मु ा बन गया है।
कोЖरयाई और अżय बड़ी कंपЗनयЛ मЊ माˇटर ऑफ
टБांसले शन (एमटीआई) की ˇथापना की है, जो अनुवाद
बहु त कम ЗशΩक हЎ जो Зहżदी अनुवाद अ यास और जाते हЎ। छा΄Л की अनुवाद जागνकता अपेΩाकृत कमजोर
अनुवाद अनुसंधान के ЗवशेषΪ हЎ। साथ ही, Зहंदी अनुवाद है, और अनुवाद रणनीЗतयЛ और अनुवाद ЗवЗधयЛ का ढांचा
पाठκ˘मЛ के ЗशΩण मЊ, बहु त कम पाठκपुˇतकЊ उपलſध ЗनमाЈण अपेΩाकृत कЗठन है। अनुवाद अ यास ŵयादातर
हЎ। ЗशΩक मुűय νप से पाठ और ЗशΩण साम˚ी की सतही परत मЊ पЖरलЗΩत होता है। बाहरी कारकЛ के Ήभाव
अपनी तैयारी पर भरोसा करते हЎ, Зजससे पाठ तैयार करने के कारण, अ यास मागЈदशЈन अपयाЈŽत है, जो बदले मЊ कम
मЊ ЗशΩकЛ पर बहु त अЗधक बोझ पड़ता है। इसके अलावा, कर देता है Зहंदी अनुवाद ЗशΩण का Ǿयापक Ήभाव।
ЗशΩण साम˚ी पाए गए अनुवाद पाठκ˘म असमान हЎ। 6. Зहंदी अनुवाद ΉЗतभाओ ं के Зवकास पर सुझाव :
अनुपयुΨ कЗठनाई और अपयाЈŽत ǾयावहाЖरकता जैसी कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ अनुΉयुΨ अनुवादकЛ के
समˇयाएं हो सकती हЎ। ΉЗशΩण लςयЛ के ιिˆटकोण से, Зहंदी अनुवाद पाठκ˘म मЊ
4. छा΄Л की सांˇकृЗतक समझ Ωमता मЊ सुधार की सुधार की ΉЗ˘या मЊ, हमЊ सचेत νप से ЗशΩण ЗवЗधयЛ का
जνरत है : भाषा और संˇकृЗत अЗवभाŵय हЎ। भाषा और नवाचार करना चाЗहए, ЗशΩण साम˚ी और ЗशΩण
संˇकृЗत के बीच घЗनˆठ संबध ं और उनके बीच परˇपर अवधारणाओं को नया करना चाЗहए और यह सुЗनिǿचत
Ήभाव यह ЗनधाЈЖरत करता है Зक अनुवाद को संˇकृЗत से करना चाЗहए Зक हम अनुΉयुΨ अनुवादकЛ की
अलग नहИ Зकया जा सकता है। पारंपЖरक रीЗत-ЖरवाजЛ, आवǿयकताओं का पालन कर सकЊ। Зहंदी अनुवाद
मूǼयЛ, नैЗतकता आЗद जैसे ЗवЗभλ पहलु ओ ं मЊ चीनी और पाठκ˘म की संगठनाŹमक योजना Зदशा को Зफर से योजना
भारतीय संˇकृЗतयЛ के बीच मतभेद हЎ। इसके Зलए छा΄Л बनाने की आवǿयकता को ЗवकЗसत करЊ और अनुवाद
को Зवदेशी भाषाओं का कुशल उपयोग करने की आवǿयकता ЗशΩण के Ǿयापक Ήभाव पर Ήकाश डालЊ । अनुΉयुΨ
है, ले Зकन ΉासंЗगक ˘ॉस-सांˇकृЗतक Ϊान को समझने अनुवाद ΉЗतभाओं के ΉЗशΩण लςयЛ के आधार पर Зहंदी
और भारतीय रीЗत-ЖरवाजЛ, संˇकृЗत और भाषा की आदतЛ अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार उपायЛ का Зवˇतृत
की अŴछी समझ बनाने की भी आवǿयकता है। इसने कुछ Зवǿले षण ЗनƒनЗलЗखत है।
छा΄Л पर कुछ हद तक बहु त दबाव डाला है और अनुवाद 1. अनुवाद मЊ माˇटर Зड˚ी Ήो˚ाम सेट करЊ : कुछ
ЗशΩण के Ήभाव पर नकाराŹमक Ήभाव पड़ेगा। कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ पेशेवर Зहंदी वЖरˆठ
5. अनुवाद पाठκ˘म देर से पेश Зकए जाते हЎ : अनुΉयुΨ अनुवादकЛ को ЗवकЗसत करने के Зलए माˇटर
अЗधकांश कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी के ЗशΩण ऑफ टБांसले शन (एमटीआई) की पेशकश Зहंदी की बड़ी
मЊ, अनुवाद पाठκ˘म अपेΩाकृत देर से होते हЎ। अनुवाद कंपЗनयЛ मЊ की जाती है। अनुवादकЛ के ΉЗशΩण के Зलए
पाठκ˘म आमतौर पर तीसरी या चौथी कΩा मЊ शुν Зकए इसका बहु त महŹव है। माˇटर चरण भाषा सीखने पर
कЊЗΆत है और साथ ही अनुवाद Зसγांत सीखता है। मुűय
उβेǿय छा΄Л की भाषा अ यास और अनुΉयोग Ωमता मЊ
भाषा और सं ृित के बीच घिन सुधार करना है।
संबंध और उनके बीच पर र 2. ЗशΩण ЗवЗधयЛ को सुधार करЊ : ЗशΩण ЗवЗधयЛ मЊ
सुधार और नवाचार करने से Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के
प्रभाव यह िनधाृिरत करता है िक ЗशΩण Ήभाव मЊ सुधार हो सकता है। अनुΉयुΨ अनुवाद
अनुवाद को सं ृित से अलग ΉЗतभाओं के ΉЗशΩण की आवǿयकता के अनुसार नए युग
मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ की ЗशΩण ЗवЗधयЛ को
नहीं िकया जा सकता है। समायोЗजत और नवाचार करने की ΉЗ˘या मЊ, हमЊ छा΄Л
पारंपिरक रीित-िरवाजों, मू ों, की Ήमुख िˇथЗत को उजागर करने पर Żयान देना चाЗहए
और छा΄Л को ЗशΩण के मूल के νप मЊ ले ना चाЗहए।
नैितकता आिद जैसे िविभ गЗतЗवЗधयां : कायЈ ЗशΩण ЗवЗध, समूह सहकारी अनुवाद
पहलुओ ं में चीनी और भारतीय ЗवЗध, िˇथЗतजżय अनुकरण ЗशΩण पγЗत आЗद का उपयोग
ЗशΩण के Зलए Зकया जा सकता है, जो सूςम Ǿयाűयान
सं ृितयों के बीच मतभेद हैं। ЗशΩण θारा पूरक है। साथ ही, बुЗनयादी अनुवाद ЗसγांतЛ
शोध आलेख