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´É¹ÉÇ-12, +ÆEò-5 ISSN 2249–5967

<Æ]õ®úxÉä]õ ºÉƺEò®úhÉ : 188 जुलाई 2022


(An International Peer Reviewed
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¨ÉvÉÖ JÉzÉÉ ह रहर झा गीितका पालावत ±ÉʱÉiÉ ¨ÉÉä½þxÉ VÉÉä¶ÉÒ VÉªÉ ´É¨ÉÉÇ
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गभृनाल पित्रका सƒपादकीय
ЗवमशЈ
ः या΄ा के आयाम
ः जीवट और संघषЈ की अनूठी दाˇतानЊ
2
4
अंतरराˆटБीय ЗवθŹसमीЗΩत मूǼयांЗकत माЗसक शोध पЗ΄का
(An International Peer Reviewed (Referred)
Research Journal) Ήमे पाल शमाЈ
वषЈ-12, अंक-05 (इंटरनेट संˇकरण : 188) बतकही ः मЎ और साइЗकल 7
जुलाई 2022
Зवξास दु ब े
ः नॉथЈकैरोलाइना की बातЊ 9
परामश Ј ः गीता ЗघलोЖरया
डॉ. हाइंस वनЈर वेसलर, ˇवीडन
अजय भΫ, बЎकाक Зवचार ः रघुकुल रीत के मायने 13
ओम Зवकास, भारत डॉ. योЗगता मोदी
समीΩा सЗमЗत (Peer Reviewed Committee) ः ः रघुकुल रीЗत सदा चЗल आई 15
डॉ. धमेЈżΆ पारे
Зनदेशक,
Ήो. Зगरीξर ЗमΑ
जनजातीय लोक कला एवं बोली Зवकास अकादमी, भोपाल
सामЗयक ः बदल रही है जीवनशैली 18
Ήो. हरीश अरोड़ा
Ήोफे सर, Зहżदी Зवभाग, पी.जी.डी.ए.वी. कॉले ज (सांŻय), राजżे Ά Зतवारी “सू रज”
ЗदǼली ЗवξЗवηालय, नई ЗदǼली
चचाЈ ः कहानी, जो अपने आपको कहती है! 21
डॉ. Ήमोद कुमार Зतवारी
सहायक ΉाŻयापक गु लशन मधु र
गुजरात कЊΆीय ЗवξЗवηालय, गांधीनगर
ः रेत-समाЗध को बुकर 24
राहु ल उपाŻयाय
भाषा ЗवशेषΪ, Зसएटल, अमेЖरका
मनीष कुमार गु Žता
ः शſद और सुर का उपयोगी Ήयोग 27
सƒपादक :
सुषमा शमाЈ हЖरहर झा
कहानी ः उड़ान 29
सƒपादकीय सलाहकार ः
कЗवता Зवकास इ ंदु बारैठ

आकǼपन सहयोग :
अनुवाद ः एक ˇवतं΄ व बेबाक सूअर 32
डॉ. बृजेश Зतवारी, लखनऊ डॉ. Зवकास कुमार Зस ंह

आवरण Зच΄ :
पुˇतकायन : और यह ‘ΉाथЈना समय’ ही तो है 35
मनीष पाŸडेय, लŰज़मबगЈ डॉ. उम ेश चरप े
ΉЗतЗ˘या : गभЈनाल का जून-2022 अंक 38
कानू नी सलाहकार : न ेहा शमाЈ
संजीव जायसवाल
गη कЗवता : रंग 39
सƒपकЈ :
अ ंजू म ेहता
डीएŰसई-23, मीनाल रेसीडЊसी,
जे.के. रोड, भोपाल-462023 (म.Ή.) भारत ग़ज़ल : एक, दो 40
ईमेल : garbhanal@ymail.com
सŹयशील राम З΄पाठी
: एक, दो 41
μЗप ंदर सोज़
शोध आले ख ः चीन मЊ Зहंदी अनुवाद ΉЗशΩण 42
कЊ Άीय Зहंदी स ंˇथान, आगरा स े अनु दान ΉाŽत
Зतआन के Зप ंग
Ήकाशक, मुΆक एवं ˇवामी सुषमा शमाЈ के Зलए अंश ः भीˆम साहनी की Зहżदी साЗहŹय को देन 46
ЗΉंट, एफ-1 करन अपाटЈ मटЊ , Žलॉट नं. 95, ई-8,
З΄लं गा, भोपाल θारा मुЗΆत एवं डीएŰसई-23, मीनाल डॉ. नवीन कुमार
रेसीडЊसी, जे.के. रोड, भोपाल से ΉकाЗशत।
गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 1
सƒपादकीय

यात्रा के आयाम

ग रमी की छु ЗΫयाँ ख़Źम होने को आयИ। या΄ाओं से


लोग लौट रहे हЎ। पर Зजनसे पहले जाना संभव
नहИ हु आ, वो अब जाने को तैयार हЎ। रेलवे
Žले टफ़ॉमЈ पर खचाखच भीड़। वेЗटं ग νƒस और लाउं ŵस मЊ
Зतल धरने को जगह नहИ। ऊपर से गरमी की भयावहता।
के बीमार पड़ जाने की घटना, इन पर हमारा ज़ोर नहИ
चलता। ले Зकन इन पЖरिˇथЗतयЛ मЊ ही हमारे धैयЈ और
सहनशीलता की परीΩा होती है। सुख पाने से बड़ा Żयेय
सुख मЊ ЗलŽत ख़श ु ी को पाना होता है। जीवन की आपाधापी
ने हमЊ सुख के क़रीब तो कर Зदया है पर आनंद से दूर कर
इस समय अगर टБेनЊ ले ट चलती हЎ तब याЗ΄यЛ की हालात Зदया है। Зदन भर मशीन बना मनुˆय रात मЊ थक कर सो
का अंदाज़ा लगाइए। Зकतनी कोЇत होती है! गमЈ हवाएँ जाता है। इसЗलए या΄ाएँ सुकून भरा लƒहा देती हЎ, ЗजसमЊ
और पसीने से तर-ब-तर औरत, बŴचे और बूढ़े। इЗΰफ़ाक़ पЖरवार का साЗλŻय होता है या दोˇतЛ की नज़दीЗकयाँ।
से ऐसे ही एक Žले टफ़ॉमЈ पर मेरी भी मौजूदगी थी जहाँ मЎने एकाकी पЖरवार के बŴचे ЖरǿतेदारЛ संग समय Зबताएँ तो
सामाЗजकता का एक नया आयाम देखा। फ़शЈ पर Žलािˇटक ЖरǿतЛ की पहचान भी होगी और समूह मЊ जीने की कला
की चादर पर एक नामी कƒपनी के बड़े अЗधकारी सपЖरवार भी ЗवकЗसत होगी। या΄ा के समय Зकसी की तЗबयत
ले टे हु ए थे, ЗजżहЊ ऐसी के Зबना शायद ही रहने की आदत Зबगड़ जाए, या Зकसी की पाकेटमारी हो जाए या कोई
हो। पर Žले टफ़ॉमЈ की धूल भरी गरमी मЊ अपनी नाЗतनЛ के Зकसी हादसे का Зशकार हो जाए तो मदद के Зलए उठते
साथ या΄ा की यादЊ शेयर करते हु ए वे बड़ी सहजता से हाथ आदЗमयत की पहचान कराते हЎ। यह इस बात को भी
ठहाके लगा रहे थे। दूसरी ओर बरेली के एक Зकसान बतलाता है Зक भौЗतकवादी समाज मЊ अभी भी संवदे नशीलता
दƒपЗΰ अपनी तीन बेЗटयЛ के साथ दाЗजЈЗलं ग जा रहे थे। जीЗवत है। मुझे याद है, एक कЗव सƒमेलन मЊ आ रही एक
एक बंगाली लड़की अपनी माँ को केदारनाथ घुमाने ले जा कवЗय΄ी की अटै ची चोरी हो जाती है, Зसफ़Ј एक हЎडबैग
रही थी। कहИ जाने का जोश था तो कहИ लौटने की बेसΌी। छोड़कर ЗजसमЊ कुछ पैसे थे। जब वह हमारे सामने आयИ
भाव जो भी हो ले Зकन हर हाल मЊ इरादे इतने मज़बूत थे तो Зकसी ने पहनने के Зलए साड़ी दी तो Зकसी ने
Зक ४०-४५ Зड˚ी तापमान कहИ से भी उन पर हावी नहИ काˇमेЗटŰस, हमने उżहЊ लौटने के पैसे भी Зदए। यथासंभव
हो रहा था।
या΄ाओं का मक़सद भी यही है। कुछ नया सीखने और
कुछ नया देखने का उमंग सभी Зवषमताओं पर भारी होता
है। हम Зजस दुЗनया को लड़ЗकयЛ के Зलए महफ़ू ज़ नहИ
मानते हЎ, उसी दुЗनया मЊ एक बेटी अपनी माँ को तीथЈ कराने
ले जा रही है। और एक अकेली लड़की माउं टेनीЖरंग का
मज़ा ले कर लौट रही है। Зकतना कुछ अलग है आम
धारणा से। समय को आँकने और इसकी अŴछाई-बुराई को
मापने के पैमाने सबके Зलए अलग-अलग हЎ। धूप-गरमी,
हवा-तूफ़ान सब अपनी जगह हЎ, आदमी की इŴछा-शЗΨ
अपनी जगह। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। Зजसने
मन पर जीत हाЗसल कर ली, वह तो संत का दजाЈ पा जाता
है। या΄ाएँ अपनी इŴछाशЗΨ पर Зवजय पाने की एक छोटी
सी कोЗशश हЎ ŰयЛЗक इस समय होने वाली घटनाओं पर
हमारा वश नहИ चलता। मौसम की ΉЗतकूलता हो या Зकसी

2 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


सƒपादकीय

मदद देखकर उसकी आँखЊ नम हो गयИ। यही तो


सामाЗजकता है। हम आज के युग मЊ सबसे अलग-थलग
भले ही रहते हЛ पर ज़νरत पड़ने पर जब हम Зकसी के जीवन को बेहतर बनाने की
काम आते हЎ तो यह जीवन की एक उपलिſध बन जाती है।
इ ा ही िजजीिवषा है। यात्रा
यह नेक काम हमЊ अपने ऊपर फ़ख़С करने का मौक़ा देता
है और ख़श ु होने की वाˇतЗवक पृˆठभूЗम बनाता है। या΄ा का आयाम सां ृितक पिरवेश
का उβेǿय पूणЈ तभी होता है जब हममЊ ताज़गी आती और
से जुड़ा है िजसमें तंत्रता,
हम एक नए जोश से पुनः अपने काम मЊ लग जाते हЎ। साथ
ही, यादЛ का एक ख़ज़ाना होता है ЗजसमЊ Зकसी को मदद अनुशासन और आनंद तीनों
करने, Зकसी के ग़म बाँट ले ने का सुख होता है और Зकसी
शािमल हैं। यात्रा का आनंद मन
के θारा समय पर दी हु ई मदद के ΉЗत आजीवन कृतΪता
का भाव रहता है। इंसाЗनयत की बुЗनयाद पुЄता हो जाए और जीवन की दशा तय करता
तो या΄ाएँ सफल मानी जाएँगी।
है। यह जीवन की एकरसता को
हमारा मन अपने आपमЊ एक ΌοाŸड है। यहां बाπ
जगत का आЗवभाЈव और दशЈन दोनЛ होता है। अपनी हटा कर जोश और उ ाह का
चैतżय अवˇथा मЊ ιǿय और देखने की ΉЗ˘या जब एक-
समावेश करता है िजससे हमारी
दूसरे को आŹमसात कर ले ते हЎ, तब उससे उŹपλ आनंद
शाξत हो जाता है। वह एक ईξरीय आभास के साथ उ ादक क्षमता बढ़ती है।
मानस पटल पर जीवनभर के Зलए अंЗकत हो जाता है।
इसЗलए या΄ा के दौरान मन को भी जागृत रखना चाЗहए। ले खक हЎ। उनका कहना है Зक या΄ा का आनंद उठाना सही
हमारी या΄ा टीम की एक नई सदˇया Зजनकी यह पहली मायने मЊ या΄ा को जीना है। Зवपरीत मौसम की मार, टБेनЛ
या΄ा थी, थकान से पˇत थी। उżहЛने अपने अनुभव मЊ के ले ट होने से उपजी असुЗवधा या Зकसी सदˇय के बीमार
केवल उन ΩणЛ को याद रखा था ЗजसमЊ वह एड़ी के ददЈ पड़ जाने से हु ई तकलीफ आЗद अगर आपकी Зहƒमत को
से बेहाल थИ और जǼद या΄ा समािŽत के Зलए ΉाथЈना कर नहИ तोड़ती है बिǼक इनका सामना करते हु ए आप अपने
रही थИ। उżहЛने बताया Зक अगली बार वह ऐसी या΄ा पर लςय तक पहुँ चने का सामźयЈ रखते हЎ तो इसका मतलब
नहИ जाना चाहЊगी, आЗखर वही पहाड़, नदी और सूरज तो है Зक आपने घुमżतु Зवηा को अŴछी तरह ˚हण Зकया है।
हर जगह मौजूद है। अब उżहЊ कौन समझाए Зक सूरज तो जीवन की गुणवΰा तलाश से जुड़ी है। जब यह तलाश
पूरे ΌοाŸड मЊ एक ही है। पर कहИ वह समुΆ से ऊपर हमारे सОदयЈबोध को चैतżय अवˇथा मЊ लाकर Ϊान और
उठता है, कहИ फु नЗगयЛ पर टं गता है तो कहИ गगनचुƒबी सुकून से भर देता है, तब वह शाξत हो जाता है। जीवन
इमारतЛ के बीच ठहर जाता है। पहाड़ की कǼपना मЊ ऊँचाई को बेहतर बनाने की इŴछा ही ЗजजीЗवषा है। या΄ा का
और उसमЊ उगे गाछ-वृΩ के अलावे Űया होता है, पर उसे आयाम सांˇकृЗतक पЖरवेश से जुड़ा है ЗजसमЊ ˇवतं΄ता,
देख Зजस अलौЗकक एहसास को महसूस Зकया जाता है, अनुशासन और आनंद तीनЛ शाЗमल हЎ। या΄ा का आनंद
उसे ही जहन मЊ भरने तो लोग जाते हЎ। सुंदरता तो देखने मन और जीवन की दशा तय करता है। यह जीवन की
वालЛ की आँखЛ मЊ होती है, जो अपनी सोच के अनुνप एकरसता को हटा कर जोश और उŹसाह का समावेश
ιǿय को ढाल ले ता है। मЎने महसूस Зकया Зक या΄ा तभी करता है Зजससे हमारी उŹपादक Ωमता बढ़ती है। या΄ा की
करनी चाЗहए जब आप तन और मन दोनЛ से ऊजाЈवान हЎ। Ήेरणा भी उżहИ को Зमलती है ЗजनमЊ पЖरΑम और संघषЈ
इसका रोमांच Зकसी को थका दे सकता तो है Зकसी को करने के साथ-साथ सृजनाŹमकता का बोध होता है। या΄ा
जीने की Ήेरणा दे सकता है। मेरे खुद के गВप मЊ एक लड़की के आयाम को Зवˇतृत करते हु ए अपने साँसЛ के तारतƒय
थी Зजसके पाँव का Žलाˇटर कटे मा΄ एक हžता हु आ था, को ΉकृЗत और पवЈ के लय मЊ घुल जाने दЊ, Зफर न तो उΏ
पर उसके मन का उŹसाह हर बाधा को पार करने मЊ उसे का बोझ Зदखेगा, न अवसाद की पीड़ा।
मदद कर रहा था। जॉजЈ ſलॉЗटं ग, एक घुमŰकड़ ΉवृЗत के kavitavikas28@gmail.com

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 3


Ήेमपाल शमाЈ
15 अŰटू बर 1956, गांव दीघी, बुलżद शहर मЊ जżम। रचनाएँ : 1 उपżयास, 1 कЗवता सं˚ह, 1 ǾयंŲय सं˚ह, 4 कहानी
सं˚ह, 7 ले ख सं˚ह, 1 अनुवाद तथा 6 ЗशΩा Зवषयक ЗकताबЊ ΉकाЗशत। इफको सƒमान, Зहżदी अकादमी पुरˇकार,
इंЗदरा गांधी राजभाषा पुरˇकार से सƒमाЗनत। सƒΉЗत - पूवЈ संयुΨ सЗचव, रेल मं΄ालय, ЗदǼली।
96, कला Зवहार अपाटЈ मटЊ ् स, मयूर Зवहार फे स-एक, ЗदǼली-110091 सƒपकЈ ः ppsharmarly@gmail.com

Зवमश Ј

जीवट और संघषृ की अनूठी दा ानें

ना म? Űया रखा है नाम मЊ! 2011 मЊ इंजीЗनयЖरंग


Зकया है आईआईटी μड़की से। पटना के हЎ ये
नौजवान। उΏ 35 की हो गई है। उΏ की
खरोच भी साफ Зदख रही हЎ। Зसर गंजा होने लगा है।
ले Зकन सपने!
Зवषय भी काफी बŴचЛ ने Зलया है। ŰयЛ? उΰर Ήǿन पूछने
वाले भी जानते हЎ और उΰर देने वाले भी! ЗजसमЊ नंबर
ŵयादा आएं और पाठκ˘म भी ŵयादा ना हो। अपने मूल
Зवषय वह चाहे इंजीЗनयЖरंग हो या कोई दूसरा टे िŰनकल
Зवषय 90% वे भूल चुके हЎ। इżहЊ तो इंजीЗनयЖरंग Зकए हु ए
UPSC की मुűय परीΩा मЊ वैकिǼपक Зवषय भी 11 वषЈ हो गए। दसवИ-बारहवИ तक के ЗवΪान के
पॉЗलЗटकल साइंस Зलया है। इधर के वषोЈं मЊ लगभग 70- सामाżय Зनयम ओο, फै राडे, बलोЈनी, मैŰसŽलЎ क,
80% उƒमीदवार इंजीЗनयЖरंग पास होते हЎ। ले Зकन वे चाहे मЊЗडЗलफ... कुछ याद नहИ आ पा रहा।
आईआईटी से हЛ, एनआईटी या इंЗडयन इंˇटीटκूट ऑफ Зपता सामाżय ЗशΩक। डीएएफ यानी Зडटे Ǽस
साइंस। इनमЊ से लगभग 80% का Зवषय सोशल साइंस ही एŽलीकेशन फॉमЈ मЊ Зपता की आय दो लाख वाЗषЈक Зलखी
होता है। इस साल एं΅ोपोलॉजी, सोशओलॉजी, पॉलЗटकल है।
साइंस की भरमार है। आǿचयЈजनक νप से इस बार गЗणत आईआईटी μडकी से कЊपस Зसले Űशन हु आ इंЗडयन
ऑयल मЊ। 2012 मЊ 80 हजार
ΉЗतमाह की नौकरी Зमली, ले Зकन
एक वषЈ मЊ ही छोड़ दी। ŰयЛ?
(ŰयЛЗक हाकम बनना है)... देश की
सेवा करनी है! नौ वषЈ से लगे हु ए
हЎ।
Зकस Ωे΄ मЊ काम करना
चाहोगे? इरादा ЗशΩा को बेहतर
बनाने का है! कैसे? कोई मौЗलक
जवाब नहИ Зमलता। सबकी वही
इंजीЗनयर/ठे केदार की सी बातЊ!
ЗबिǼडंग ठीक होनी चाЗहए! शौचालय
होने चाЗहए!
Зवξ सुंदЖरयЛ की तजЈ पर हर
कोई देश सेवा करना चाहता है।
इżहИ मЊ से कोई Зफर टॉप करेगा।
गाजे-बाजे के साथ!
ŰयЛ? कोई एतराज?
मौजूदा वΨ मЊ कौन अपना बाजा
खुद नहИ बजा रहा! नौ-दस वषЈ से

4 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


Зवमश Ј

लगे हु ए हЎ ये। और मां बाप सभी तरह के देवी-देवता,


पैगंबर-खुदा के सामने हाथ जोड़े खड़े हЎ।
इनके तो बजाने वाले दूसरे हЎ। समाज है। मीЗडया है। मुझे नई-नई दा ान,
जनता फू ल माला ले कर खड़ी है। Зसजदे मЊ! और अमीर
पैसे वाले , मं΄ी एक अदद दामाद की तलाश मЊ! कहानी, उनके जीवन को
इस बार उसे बहु त अŴछी रЎक Зमली है। मनमाЗफक जानना अ ा लगता है!
केडर भी Зमल जाएगा। ले Зकन Űया यह मंЗजल इतनी
आसान थी? राजˇथान की रहने वाली। दुबली पतली मानो जैसे पैदल चलते-चलते
कई रोज से खाना ही नहИ Зमला हो! वेशभूषा Зनपट कोई साथ जा रहा हो। कहीं
कˇबाई! एक छोटे शहर से इंजीЗनयЖरंग Зकया और उसके
बाद मुब ं ई आईआईटी से पढ़ाई गЗणत मЊ। यूपीएससी मЊ बस में यात्रा कर रही हूं या
भी वैकिǼपक Зवषय रखा गЗणत। सन् 2021 मЊ जब सामना ट्रेन में यात्रा कर रही हूं,
हु आ तो वह बेहद बीमार थी। लॉकडउन के घमासान के
बीच वे इंटरǾयू के आЗखरी Зदन थे। हो सकता है बीमारी कहीं भी, कोई भी लेिकन
की वजह से उसने तारीख बदलवाई हो! बावजूद बीमारी ादातर मिहलाओ ं से या
के उसके जवाब लाजवाब थे! बायोडाटा भी उतना ही
रोमांचक/अनूठा। Зपता के Ǿयवसाय के आगे Зलखा था िफर बूढ़े लोगों से। अनजाने
"होकर"। अं˚ेजी मЊ एक सदˇय ने पूछा Űया करते हЎ? लोगों से बात करने में थोड़ा
उΰर रेहड़ी लगाते हЎ। सदˇय रेहड़ी का अथЈ नहИ समझ
पाए गैर Зहंदी Ήांत से होने के कारण। यानी वे जो रेहड़ी पर डर भी तो लगता है न। जाने
घूम-घूम कर कभी फल, कभी भुΫे बेचते हЎ। और बेटी का कोई क्या समझे।
इतना बड़ा सपना!
सभी की आंखЊ चौड़ी होने लगИ। उतनी ही अनूठी बात
थी "हॉबी" उफЈ आपकी μЗचयЛ का कॉलम। "टॉЗकंग टू ˇटडीज और 500 का वैकिǼपक Зवषय) यЗद आप मЊ
ˇटБЊजसЈ” यानी अजनबी लोगЛ से बात करना। दमखम है तो इंटरǾयू मЊ कुछ कम भी ЗमलЊ गे तब भी आप
ऐसी हॉबी के आगे पुरानी पीढ़ी के ЗसЗवल सवेटंЈ ् स भी अपनी ΉЗतभा के बूते सफल होते हЎ। हेराफे री का आरोप
पशोपेश मЊ पड़ जाते हЎ। बार-बार फे ल होने वाले भी नहИ लगाते। कुछ भारतीय
ऐसा ŰयЛ? ŰयЛЗक मुझे नई-नई दाˇतान, कहानी, भाषाओं के ΉЗत दुभाЈवना के संकेत जνर Зमलते हЎ।
उनके जीवन को जानना अŴछा लगता है! जैसे पैदल (इसीЗलए Зपछले वषЈ टॉपर को कम नंबर देने को उनके
चलते-चलते कोई साथ जा रहा हो। कहИ बस मЊ या΄ा कर ओबीसी से जोड़ा गया तो ЗदǼली मЊ बैठे उन बुЗγजीЗवयЛ
रही हूं या टБेन मЊ या΄ा कर रही हूं , कहИ भी, कोई भी ले Зकन पर तरस ŵयादा आया जो रात Зदन जाЗत के चौखटЛ से
ŵयादातर मЗहलाओं से या Зफर बूढ़े लोगЛ से। अनजाने बाहर ही नहИ Зनकलते।)
लोगЛ से बात करने मЊ थोड़ा डर भी तो लगता है न। जाने इंटरǾयू के नंबरЛ को भी कोठारी सЗमЗत की ЗसफाЖरशЛ
कोई Űया समझे। पता लगा इंटरǾयू वाले ЗदनЛ तक बीमारी को वषЈ 1979 मЊ लागू करते वΨ कम रखा गया है। उससे
की वजह से उसके चेहरे पर पीलापन था। Зपछले वषЈ कोई पहले साΩाŹकार के नंबर बहु त ŵयादा होते थे और वह
खबर नहИ Зमली, ले Зकन इस बार नाम देख कर बहु त चुनाव/Зसले Űशन के खेल को बदल सकते थे। इसीЗलए
तसǼली हु ई। Зनिǿचत νप से गЗणत मЊ उसने बहु त अŴछा मौजूदा सरकार ने भी Űलास वन की नौकЖरयЛ को छोड़कर
Зकया होगा और यह सब संभव होता है यूपीएससी जैसे कЊΆ सरकार की सभी नौकЖरयЛ से साΩाŹकार खŹम कर
ईमानदार पारदशीЈ संˇथा के होने से। Зदए हЎ। अगर बचे है तो ЗसफЈ कЊΆीय ЗवξЗवηालय जो
इंटरǾयू के ЗसफЈ 275 नंबर होते हЎ और मुűय परीΩा शत-ΉЗतशत साΩाŹकार से ही भतीЈ का गोरख धंधा करते
के 1700 (200 Зनबंध, 1000 सामाżय Ϊान उफЈ जनरल हЎ। सुΉीम कोटЈ ने भी साΩाŹकार के नंबरЛ को 15% के

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 5


Зवमश Ј

Ǿयवˇथा, Зशफारशी, चापलू स टΫЕ उनको कुछ नहИ करने


देती तो यह देश का अपमान तो है ही इन नौजवानЛ की
ЗजजीЗवषा, उनके संघषЈ का भी अपमान है।
2. एक और दाˇतां याद आ रही है। पिǿचमी उΰर
एक वसायी की बेटी की
Ήदेश की एक मुिˇलम लड़की लगभग हांफते हु ए इंटरǾयू
शादी एक पैसे वाले से होती है बोडЈ के सामने थी। बस से पांच घंटे की या΄ा करके आई
थी। गЗमЈयЛ के Зदन इसЗलए कपड़े भी मैले-कुचले हो गए
और अं त में दुखद प्रताड़ना से
थे। पसीने से तरबतर। ले Зकन जवाब लाजवाब! पता लगा
गुजर कर तलाक। आठ साल उसने पंजाब से इंजीЗनयЖरंग की और Зफर ЗसЗवल सेवा का
मन बनाया। ŰयЛ? घरवाले ЗबǼकुल पढ़ने के Зखलाफ थे।
के बाद एक बेटी को अपने
बहु त मुिǿकल से इंजीЗनयЖरंग कॉले ज तक जा पाई और
पास रखते हुए वह यूपीएससी उसके बाद वे सब शादी करने की Зफराक मЊ थे। मЎने
Ήाइवेट नौकरी तो घर से दूर रहने के Зलए कर ली ले Зकन
की तरफ देखती है और इस
मन यूपीएससी की तरफ ही रहा। सबरीमाला, तीन तलाक,
बार बहुत-बहुत चमकीले रंगों जेएनयू, जाЗमया Зववाद से ले कर हर मोचेЈ पर बहु त संतЗु लत
जवाब और समझ। दЗकयानूसी भारतीय समाज की बेЗटयЛ
से सफल होती है। ऐसी दजृनों
को Зकतने पहाड़Л को लांघना होता है? Зपछले वषЈ वह भी
दा ाने हैं जो इस देश की बहु त ऊंचे रЎक से सफल हु ई!
इस वषЈ ЗदǼली से सटे और उΰर Ήदेश के Зजले की
बेिटयों में दम भरती हैं।
एक मЗहला की कहानी भी उतनी ही Ήेरणादायक है। एक
Ǿयवसायी की बेटी की शादी एक पैसे वाले से होती है और
अंत मЊ दुखद Ήताड़ना से गुजर कर तलाक। आठ साल के
आसपास रखने के ЗनणЈय Зदए हЎ। बाद एक बेटी को अपने पास रखते हु ए वह यूपीएससी की
ऐसी संˇथाओं के बूते कभी पटना के मोची का लड़का, तरफ देखती है और इस बार बहु त-बहु त चमकीले रंगЛ से
कभी भरतपुर के मजदूर की बेटी तो कभी З΄लोकपुरी के सफल होती है। ऐसी दजЈनЛ दाˇताने हЎ जो इस देश की
जमादार की बेटी ΉशासЗनक सेवाओं मЊ अſबल आती रही बेЗटयЛ मЊ दम भरती हЎ।
हЎ। और हम सब Зमलकर इसीЗलए यूपीएससी/शाहजहां बड़ी मशहू र उЗΨ है, वही लोकतं΄ काम करता है
रोड का नमन करते हЎ। Зजस पर लोक का सही नैЗतक दबाव होता है। यЗद लोक
Űया ऐसे बŴचे ЗदǼली ЗवξЗवηालय समेत कЊΆीय का दबाव गलत कामЛ के Зलए हो तो यह बेचारे अफसर
ЗवξЗवηालय मЊ/कॉले ज मЊ नौकरी मЊ आ सकते हЎ? उफЈ बाबू कहां तक लड़ सकते हЎ! उΰर दЗΩण का ही
जेएनयू मЊ नौकरी पा सकते हЎ? अपने पड़ोस के गांव कˇबे अंतर देख लीЗजए! बार-बार की ЖरपोटेЈं बताती हЎ Зक
मЊ नौकरी पा सकते हЎ? जब तक की इंटरǾयू बोडЈ के Зलए राजनीЗतक हˇतΩेप दЗΩण के राŵयЛ मЊ उतना ŵयादा नहИ
Зकसी राजनीЗतक संगठन की चापलू सी न करЊ, वषोЈं तक है और ना उतना अनैЗतक Зजतना गंगा घाटी यानी Зबहार
अपने गाइड के घर सſजी, दूध ना पहुं चाते रहЊ या उनके यूपी और इधर के राŵयЛ मЊ। एक और सबक जो इन
घरЛ पर घरेलू काम मЊ हाथ ना बटाएं। दाˇतानЛ से Зमलता है वह है Зक यЗद यूपीएससी जैसी
यूपीएससी जैसी संˇथाओं का यही संदेश दूर देहात के संˇथाएं/भतीЈ बोडЈ, ЗवξЗवηालय/ˇकूल और सभी जगह
गांव आЗदवासी, केरल से ले कर मЗणपुर, कǿमीर के काम करЊ तो 21वИ सदी का भारत बदल सकता है।
नौजवानЛ मЊ लोकतं΄ और ईमानदारी के ΉЗत आˇथा पैदा अपने Зदल और Зदमाग और अतीत को खंगालते हु ए
करता है। दोˇतЛ आपके उठे हाथЛ, Ήǿन और Зहकारत को जवाब दीЗजए Зक Űया आप ऐसा चाहते हЎ? या आप भी
मЎ समझ रहा हूं Зक उसके बाद वे हाकम Űया करते हЎ? ऐसी अनैЗतक हरकतЛ से गुजरते रहे हЎ और दोष संघषЈ की
उसके बाद यЗद राजनीЗत, आपका समाज, आपकी इन दाˇतानЛ को देते हЎ।

6 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


Зवξास दुबे
ŲवाЗलयर मЊ जżम। इंजीЗनयЖरंग और मैनज
े मЊट की उपाЗधयां ΉाŽत कИ। Зहंदी साЗहŹय मЊ गहरी अЗभμЗच। कЗवताएं और
ſलॉग Зलखते हЎ। रचनाएं ЗवЗभλ वेबसाइट व प΄Л मЊ ΉकाЗशत। सƒΉЗत - बहु राˆटБीय कंपनी मЊ सॉžटवेयर कंसलटЊ ट हЎ
तथा द हेग, नीदरलЎ ड मЊ Зनवास।
सƒपकЈ ः vishwas.dubey@gmail.com

बतकही

मैं और साइिकल

हा ल ही मЊ Зवξ साइЗकल Зदवस पर मЎ कुछ


Зम΄Л की सोशल मीЗडया पोˇट पढ़ रहा था -
कुछ ने अपनी साइЗकल चलाने की तˇवीरЊ,
वीЗडयो साझा Зकए और कुछ ने साइЗकल के ˇवाˇźय
लाभЛ के बारे मЊ Зलखा था और कुछ ने यह Зक नीदरलЎ ड
चारЛ खाने Зचΰ Зगरे थे। इसЗलए जब मन होता, दोˇतЛ की
साइЗकल से ही काम चलाता रहा। भारत मЊ साइЗकल को
आЗथЈक सƒपλता के पैमाने पर हीन वाहन समझा जाता है,
तो यЗद कोई ǾयЗΨ साइЗकल चलाने मЊ μЗच रखता भी है,
तो भी वह ЗहचЗकचाता है, जब तक कोई बहु त ज़νरी वजह
मЊ यह कैसे अЗधक ΉचЗलत है। पढ़ते-पढ़ते मЎ मुˇकुरा रहा न हो। वो वजह मुझे Зमली कुछ सालЛ बाद।
था, साइЗकल के साथ हु ए, अपने कुछ ЗकˇसЛ को याद जैसे ही मुझे कॉले ज मЊ Ήवेश Зमला, मेरे Зपता ने मुझे
करके। एक मोपेड उपहार मЊ दी। मेरे बैच के अЗधकांश साथी,
मЎने अपने घर के पास З˘केट के मैदान मЊ साइЗकल साइЗकल से कॉले ज जाते थे, मЎ उżहЊ पीछे छोड़ते हु ए अपनी
चलाना सीखा था। जब मЎने साइЗकल सीखने का फै सला मोपेड पर आगे बढ़ जाता था - बहु त अŴछा महसूस होता
Зकया, तब तक मेरे ŵयादातर दोˇत साइЗकल चलाने मЊ था। हालाँЗक जǼद ही एहसास हु आ Зक असली मजा तो
Зनपुण थे। अपनी बǼले बाजी की बारी का इंतजार करते सबके साथ है। वे सभी जो एक साथ साइЗकल से कॉले ज
हु ए, मЎ उनमЊ से Зकसी की एक साइЗकल उठाता और खुद जाते थे, अŴछे Зम΄ बन रहे थे और मेरे जैसे कुछ लोगЛ को
चलाने का ΉयŹन करता। कभी-कभी कोई Зम΄ मदद कर उनके समूह का Зहˇसा नहИ माना जाता था। हमारे बैच की
देता। चूंЗक उस मैदान पर सबका Żयान З˘केट पर था, तो अЗधकतर कżयायЊ भी साइЗकल से उस समूह मЊ आती थी,
इस तरह पाटЈ -टाइम सीखने मЊ मुझे सामाżय से ŵयादा समय और उस उΏ मЊ ये भी बहु त मायने रखता है। इसЗलए मЎने
लगा। अपने माता-Зपता से मुझे साइЗकल Зदलाने का अनुरोध
उस Зदन, एक कॉलोनी का З˘केट टू नाЈमटЊ था - मेरे Зकया - मेरे Зपताजी चЗकत थे Зक एक मोपेड होने के
माता-Зपता और अЗधकांश पड़ोसी मुझे और मेरे दोˇतЛ को बावजूद, मЎ साइЗकल की मांग कर रहा था। माता-Зपता सब
ΉोŹसाЗहत करने के Зलए दशЈक बतौर शाЗमल हु ए। मैच के कुछ समझते हЎ, अतः उżहЛने तुरंत साइЗकल खरीदने के
बीच, छोटा सा Όेक हु आ तो मЎने अपने माता-Зपता को
ΉभाЗवत करने का फै सला Зकया और अपने एक Зम΄ की
साइЗकल पर सवार हो, चलाना शुν हो गया। बाउं डीБ
लाइन के साथ-साथ एक पूरा चŰकर लगाया और जैसे जैसे
मЎ अपने माता-Зपता जहां बैठे हु ए थे उनके करीब आ रहा
था, मЎने तेजी से साइЗकल चलाना शुν कर Зदया। उЗचत
अ यास का अभाव, नई साइЗकल और तेज गЗत - मЎ पूणЈ
सावЈजЗनक ΉदशЈन मЊ धड़ाम से Зगर पड़ा। ऐसी ˇथЗत मЊ
कुछ लोग आपको उठाने बढ़ते हЎ, ŵयादातर हंस रहे होते हЎ
और आपका Жरžले Űस एŰशन ये सुЗनिǿचत करता है Зक
आप तेजी से उठЊ और झाड़ते हु ए Зदखाएँ Зक मुझे कुछ भी
नहИ हु आ है। वो तो बाद मЊ एकांत मЊ असली ददЈ का
एहसास होता है।
कई बार साइЗकल खरीदने का Зवचार आया पर Зफर
वो ιǿय आ जाता जब भरी महЗफ़ल (З˘केट मैदान मЊ)

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 7


बतकही

मЎने भी इस देश मЊ आने के कुछ महीनЛ के भीतर ही


अपने Зलए एक साइЗकल खरीदने का फै सला Зकया।
बदहवास सा मैं साइिकल साइЗकल चलाने का मेरा मुűय उβेǿय Ǿयायाम और इससे
की तलाश में इधर-उधर भाग जुड़े ˇवाˇźय लाभ थे। जब शनै-शनै उΏ बढ़ रही हो तो
ˇवाˇźय ΉाथЗमकता होती है। मЎने साइЗकल खरीदी और
रहा था लेिकन वह वहाँ इसका भरपूर आनंद ले रहा था - अमूमन हर शाम Зनकल
जाता।
कहीं नहीं थी। ऐसा लगता है उस रोज हमारे घर कुछ मेहमान आने वाले थे। सारी
िक फोन पर बात करते हुए तैयारी हो चुकी थी और अचानक मेरी पŹनी को याद आया
Зक घर मЊ शीतल पेय नहИ है, आदेश हु आ ले कर आओ।
िपछली शाम, मैं ठीक से मЎ फटाफट अपने साइЗकल पर Зनकटतम सुपरमाकेЈट गया,
ताला लगाना भूल गया था शीतल पेय की एक बड़ी बोतल खरीदी, उसे Žलािˇटक की
थैली मЊ रखा, थैली को हЎडल पर लटका घर वापस चल
और हाँ इस देश में भी Зदया, अŴछे मौसम का आनंद ले ते हु ए। वह Žलािˇटक की
साइिकल चोर हैं। थैली भी एक तरफ से दूसरी तरफ Зहलती कूदती खुश लग
रही थी। अचानक बैग मЊ रखी बोतल साइЗकल के पЗहयЛ
की Жरम के बीच मЊ आ गई और... और... अगले ही पल
बजाय, अगले महीने Зदलाने का वादा Зकया और इस बीच मЎने खुद को साइЗकल के नीचे साइЗकल टБैक पर पड़ा
मेरे एक पड़ोसी से साइЗकल की Ǿयवˇथा की, चूँЗक वो पाया। आगे का पЗहया बुरी तरह ΩЗत˚ˇत हो गया था और
शहर से बाहर काम करते थे । उसे एक अŴछी मरƒमत की जνरत थी, जो मЎने कभी नहИ
अगले Зदन मЎ भी उस साइЗकल समूह मЊ शाЗमल करवाई।
हु आ। हमारे बगल से कुछ मोपेड/बाइक वाले गुजरे और उस घटना के कई सालЛ तक मЎने साइЗकल नहИ
मЎ समझ पा रहा था Зक कैसा लगता है। मЎ खुश था। जǼद खरीदी। ले Зकन जैसा Зक कहते हЎ Зक समय बड़ा बलवान
ही मЎने अपनी एक Зम΄ के करीब जाने के Зलए साइЗकलЛ होता है - सारे घाव भर देता है। इसЗलए Зपछली घटना के
के बीच अपना राˇता बनाना शुν कर Зदया और जैसे ही लगभग 4 साल बाद मЎने एक नई साइЗकल खरीदी, इस
मЎ उनके बगल मЊ पहुं चा और बातचीत करने ही वाला था, बार ŵयादा मजबूत और महंगी। Зपछली गलЗतयЛ के आधार
मेरी साइЗकल की चैन ख़राब हो गई , खड़ खड़ की आवाज पर - तेज नहИ चलाता था, हЎडल पर कोई बैग नहИ लटका
के बीच Зगरते Зगरते बचा। सभी मुˇकुराने लगा और जǼद रहा था, चैन की अŴछी देखभाल कर रहा था, मतलब पूरी
ही वे सब आगे चले गए। मुझे चैन ठीक करना नहИ आता सतЈकता। पूरी सावधानी बरतते हु ए, उस शु˘वार की शाम
था, लं बे समय तक जूझता रहा। अगले Зदन से मЎ अपनी जब मЎ साइЗकल चलाकर घर लौटा और इसे साइЗकल
मोपेड पर Зफर वापस आ गया था। ˇटЎ ड मЊ लगा ही रहा था Зक मेरे बॉस का फोन आ गया।
नीदरलЎ ड्स मЊ कहते है Зक लोगЛ से भी ŵयादा साइЗकलЊ एक महŹवपूण,Ј आЗधकाЖरक मामले पर बात करना शुν
हЎ! एक सपाट पЖरιǿय, छोटी/कम दूЖरयां, अनुकूल Зकया और फोन पर बात करते-करते घर आ गया। अगले
जलवायु और उŹकृˆट बुЗनयादी ढांचे (जैसे पृथक साइЗकल Зदन शЗनवार की सुबह Зफर साइЗकल चलाने का फै सला
पथ, चौराहЛ पर साइЗकल की अलग टБैЗफक लाइट, पयाЈŽत Зकया। जैसे ही मЎ साइЗकल ˇटЎ ड पर पहुँ चा, मेरी साइЗकल
साइЗकल पाЗकЈंग और साइЗकल मागЈ अżय वाहनЛ के मागोЈं वहाँ नहИ थी - बदहवास सा मЎ साइЗकल की तलाश मЊ
की तुलना मЊ जǼद गंतǾय तक पहुँ चाने वाले इŹयाЗद) की इधर-उधर भाग रहा था ले Зकन वह वहाँ कहИ नहИ थी।
वजह से, कोई आǿचयЈ की बात नहИ Зक साइЗकल यहां ऐसा लगता है Зक फोन पर बात करते हु ए Зपछली शाम, मЎ
अŹयЗधक लोकЗΉय है। नीदरलЎ ड मЊ साइЗकल चलाना ठीक से ताला लगाना भूल गया था और हाँ इस देश मЊ भी
पЖरवहन का एक सामाżय तरीका है, यहां लगभग सभी साइЗकल चोर हЎ।
लोग साइЗकल चलाते हЎ- अमीर, गरीब, युवा, बूढ़े। साइЗकल से मेरा उलझा हु आ Жरǿता जारी है…

8 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


गीता ЗघलोЖरया
भारत मЊ जżम। माˇटसЈ इन कंŽयूटर एिŽलकेशन तथा नेटवकЈ इंजीЗनयЖरंग की उपाЗध ΉाŽत। ˇकूली जीवन से साЗहिŹयक
गЗतЗवЗधयЛ मЊ संलŲन। रचनाएँ ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ ΉकाЗशत। अनेक संˇथाओं θारा पुरˇकृत। सƒΉЗत - आईटी
ЗवशेषΪ/ΉोजेŰट मैनज
े र तथा शेलोЈट , नॉथЈकैरोलाइना नाथЈ कैरोलाइन, अमेЖरका मЊ Зनवास।
सƒपकЈ : fine.art.gita@gmail.com

बतकही

नॉथृकैरोलाइना की बातें

सा माżयतः अमेЖरका कहे जाने वाला देश पृźवी


के उतरी अमेЖरका महाθीप का Зहˇसा है।
अŰसर लोग संयुΨ राŵय (United States)
या राŵय (States) कहकर भी काम चला ले ते हЎ। परंतु
इस देश का पूरा नाम है- “अमेЖरका के संयुΨ राŵय”।
संयुΨ राŵय की ˇथापना ४ जुलाई, १७७६ को हु ई थी और
‘अमेЖरका के संयुΨ राŵय’ यह नाम थॉमस पेन नामक एक जाने-
पहचाने Зवθान θारा सुझाया गया। यह देश एक Ήमुख
राजनीЗतक और आЗथЈक शЗΨ के νप मЊ Зवξ मЊ अपना
ˇथान बना चुका है और सेवाओं और Ϊान, अथЈǾयवˇथा मЊ
अं˚ेजी मЊ कहЊ तो यूनाइटे ड ˇटे ट्स ऑफ अमेЖरका (Unit- सबसे अ˚णी है। दुЗनया मЊ ‘अमेЖरका के संयुΨ राŵय’ को
ed States of America), और अЗधक वजन देना हो तो एक अŹयЗधक ЗवकЗसत देश माना जाता है।
द यूनाइटे ड ˇटे ट्स ऑफ अमेЖरका। यह देश ५० राŵयЛ, इसी देश मЊ इस राŵय है- नॉथЈकैरोलाइना। मЎ Зपछले
एक फ़े डरल ЗडिˇटБŰट, पाँच Ήमुख ˇव-शासनीय Ωे΄ और कुछ सालЛ से इस राŵय की Зनवासी बन गयी हूँ । यहाँ रहते
ЗवЗभλ अЗधनˇथ Ωे΄Л से Зमलकर बना है। अमेЖरका के हु ए घर का एक ΉЗतνप बसा Зलया है मЎन।े मानो तो ये
मेरा घर है भी और ना मानो तो बस
आΑय कहकर अनादर Зकया जा
सकता है।
नॉथЈकैरोलाइना, संयुΨ राŵय
अमेЖरका के ५० राŵयЛ मЊ से एक है
और दЗΩणी Ωे΄ मЊ फै ला हु आ है।
देशभर मЊ यह अपनी जनसंűया मЊ
९वЊ ˇथान पर आता है। 18वИ
शताſदी से पहले यह राŵय कैरोЗलना
नाम की कॉलोनी/उपЗनवेश हु आ
करता था जो संयुΨ राŵय अमेЖरका
की तेरह कोलोनीस या तेरह उपЗनवेश
मЊ से एक थी। पर अमेЖरकी गृहयुγ
के चलते १८६१ मЊ, नॉथЈकैरोЗलना
आЗखरी राŵय था जो पЖरसंघीय राŵय
अमेЖरका (Confederate States of
America (CSA) से जा Зमल था।
फरवरी ८, १८६१ मЊ सात गुलाम
राŵयЛ θारा बनाई गई गणतं΄ को
पЖरसंघीय राŵय अमेЖरका (Confed-
erate States of America (CSA)
कहा जाता था। वो सात गुलाम राŵय
थे : साउथकैरोलाइना, ЗमˇसीЗसŽपी,
žलोЖरडा, अलाबामा, लु Зसयाना और

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 9


बतकही

है Зक २०१५ मЊ जब वो पहली बार


आई थी तो अकेली आई थी। पर
Зपछले साल वह अपने पЗत और
बŴचे को भी यहाँ ले आई थी। कहती
है Зक देखते-देखते ये देश आपको
अपना बना ले ता है और Зदल खोल
के आपका ˇवागत कर अपार
ˇवतं΄ता के θार खोल देता है। कुछ-
कुछ मेरा अपना तजुबाЈ भी ऐसा ही
रहा है यहाँ आने के बाद से। यहाँ की
आब-ओ-हवा मेरे देश भारत से
एकदम Зवपरीत है। भारत के
मुकाबले यहाँ के लोग ना केवल पढ़े-
Зलखे हЎ बिǼक समझदार भी हЎ। मुझे
यहाँ लोग Зकसी तरह की लापरवाही
करते नहИ Зदखते। छोटे से ले कर बड़े
लोगЛ तक, सब तमीज़ के दायरे मЊ
रहकर अपना जीवन Ǿयतीत करते
हЎ। जहाँ बात ना बने वहाँ बात नहИ
बढ़ाते। और जहाँ अЗधक मेहनत की
जνरत हो, वहाँ Зदल लगा कर काम
करते हЎ। रोज कुछ नया सीखने को
टे Űसस। अमेЖरका के सोलहवЊ राˆटБपЗत अΌाहम Зलं कन ने ही Зमलता है यहाँ।
माचЈ १८६१ को देश का कायЈभार संभालते ही पЖरसंघीय जो लोग यहाँ आ जाते हЎ, उżहЊ सबसे पहले तो कार
राŵय अमेЖरका (Confederate States of America चलाना सीखना पड़ता है। जैसा मЎने Зज˘ Зकया Зक
(CSA) को देशΆोही घोЗषत कर Зदया था। मई १८६५ अमेЖरका एकदम Зवपरीत है भारत से, सो यहाँ कार चलाना
आते-आते इस पЖरसंघीय के मुűय अŻयΩ और सह-जेनरल और यातायात के Зनयम, संकेत और शुǼक आЗद भी भारत
ने आŹम-समपЈण कर Зदया। और इन राŵयЛ पर कोई से कहИ अलग हЎ। हम जैसे भारतीयЛ को थोड़ी कЗठनाई
कानूनी कारवाही नहИ की गयी। आती है पर सीखना जνरी है। कार के Зबना यहाँ यातायात
आज नॉथЈकैरोलाइना एक बेहद उभरता हु आ राŵय है और रोजमराЈ की जνरतЊ पूरी नहИ की जा सकतИ। वैसे
और इसकी राजधानी है – राले ह। इस राŵय मЊ Ήमुखता से बŴचЛ के Зलए ˇकूल बस हЎ, पर Зफर भी अपनी कार पर
अं˚ेजी भाषा बोली और पढ़ाई जाती है। राले ह मेरे शहर ЗनभЈरता अЗधक होती है। नौकरीपेशा लोग तो आते ही
शेलोЈट से लगभग १६६ मील की दूरी पर है। ढाई घंटे अगर अपनी कमाई का बड़ा Зहˇसा कार के ऋण मЊ जमा करने
आप अपना वाहन जैसे Зक कार से जाना चाहЊ तो। पैदल लगते हЎ। और हाँ बता दूँ Зक कार कोई सƒपЗΰ नहИ है।
जाने की मЎने सोची नहИ पर गूगल बताता है Зक पैदल मЊ हम सब भारतीय यहाँ आकर अपने-अपने राŵयЛ के
लगभग ५० घंटे तो अवǿय लग सकते है। मЎ और मेरा भारतीय खान-पान को तरसते हЎ। और यह एक बड़ी वजह
पЖरवार नॉथЈकैरोलाइना मЊ २००८ मЊ आए हЎ। तब से ले कर है Зक खाने का सामान खरीदने के Зलए दूरदराज पर Зमली
आज तक शेलोЈट मЊ हर ओर नई इमारतЊ ही बनती Зदखाई Зकसी भारतीय दुकान का ही सहारा Зलया जाता है। मेरे
पड़ी हЎ। और मेरे जैसे Зकतने ही लोग अपने पЖरवार के शहर मЊ अब कई भारतीय दुकानЊ और भोजनालय खुल गए
साथ यहाँ आ बसे हЎ। हЎ। गए वषोЈं मЊ यह संभव नहИ था पर आज की अमेЖरकी
मेरी एक दोˇत अरमाЗनया से यहाँ आई है। वो बताती सरकार और भारतीय संबध ं Л ने भारतीयЛ को भरपूर रोजगार

10 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


बतकही

के अवसर Ήदान Зकए हЎ। अब तो यहाँ ˇकूल ЗशΩक से


ले कर अंतЖरΩ यान के कΩ मЊ बैठे होनहार ǾयЗΨ तक
आपको भारतीय मूल के लोग आसानी से Зदख जायЊगे। अब तो फे स-काल का Зवकास इतना सुЗवधाजनक हो गया
हमारा भारतीय खाना एक अहम Зकरदार Зनभाता है। हЎ Зक Зकसी भी पहर कहИ भी Зकसी से भी जुड़ा जा सकता
हम Ήवासी भारतीयЛ को अपनी स यता व संˇकारЛ से जोड़ है पलЛ मЊ। और इस तरह के यं΄Л और तकनीक के
कर रखने मЊ भारतीय भोजन पूरे पЖरवार को एक होने का Зवकासीकरण मЊ भी Ήवासी भारतीयЛ का महŹवपूणЈ योगदान
अहसास Зदलाता है। हर रोज परोसा गया एक कढ़ी-चावल हЎ। अनЗगनत घंटЛ का Αम Зदया है Ήवासी भारतीयЛ ने
का कटोरा भी बहु त होता है अपनी ЗमΫी को अपने करीब अपने-अपने रोजगार/नौकЖरयЛ मЊ। इतनी ईमानदारी और
महसूस करने के Зलए। यह कैसा भाव और अनुभव है, यह लगन का पЖरणाम हЎ Зक २००५ के बाद से इतने भारतीय
केवल एक Ήवासी भारतीय ही जान पाता है जो तीन महीने मूल के लोग यहाँ आकर अपना जीवनयापन कर पा रहे हЎ।
से अЗधक अपने देश से दूर कुछ कमाने आया हो। भारत आज गए ЗदनЛ के बारे मЊ सोचती हूँ तो यकीन नहИ
मЊ रहने वाले शायद एक बात से इतेफ़ाक ना रखЊ। कहЊ Зक होता Зक यूटκूब, फे सबुक, Ǿहाट् सएप जैसे माŻयम इतने
तीन महीने तो घूमने-Зफरने मЊ ही Зनकल जाते हЎ पर जो ЗवकЗसत हो जाएंगЊ Зक पलЛ का फकЈ तक Зमट जाएगा।
इंसान अमेЖरका मЊ अपने रोजगार को बचाने और कमाने के २०१२ मЊ Зलखी अपनी कЗवता के ये शſद याद आते हЎ :
लग गया, उसे घूमने-Зफरने का मतलब ही बदल देना पड़ता य े देशЛ की दु Зनया ЗवदेशЛ का यु ग है
है। Зपछले कुछ दशकЛ मЊ आए भारतीय युवा यहाँ कामयाबी यू ँ ही सब य े Зदन-रात इक हो चले हЎ
के साथ-साथ बЗलदान व अपЈण की भावना से भी जूझते यहाँ चाँद Зनकले, या अब वो सहर देख Њ
हЎ। Űयू ँ म ेरे य े Зदन-रात एक हो चले हЎ?
Зकसी दूसरे शहर मЊ रोजगार करना Зजस तरह से वो छत प े सु बह ЗचЗड़यЛ का डेरा
जीवन मЊ नयी चुनौЗतयाँ पैदा कर देता है ठीक वैसे ही दूर और Зशवालय स े आत े भजनЛ का म ेला
देश मЊ एकदम अपЖरЗचत शहर मЊ नौकरी करना बेहद रेЗडयो प े Зफर वो नए जु मलЛ का बसरे ा
असहज और असुЗवधाजनक होता है। शुν के ६ महीने तो और सव ेरे की ठंडक म Њ नИदЛ का फे रा
Зदन-रात के झोल मЊ ही बीतते हЎ। अमेЖरका मЊ जब सुबह अब य े एसी यहाँ है, और है फोन का अलाम Ј
के सात बजते है, भारत मЊ उस समय सायंकाल के पाँच Űयू ँ म ेरे य े Зदन-रात एक हो चले हЎ?
बजे का समय होता है। और ये समय साल मЊ दो बार सूरज अब लगभग रोज बात होती है घरवालЛ और यार-
की रžतार से गЗत Зमलने को, अमेЖरकी घЗड़यЛ मЊ घंटा भर दोˇतЛ से, पर Зफर भी दूरी खलती है एक Ήवासी भारतीय
आगे-पीछे होता है। जैसे Зक सЗदЈयЛ मЊ अगर पहले सुबह को। इस दूरी के एहसास को कम करने के Зलए अŰसर
के आठ बजते थे तो नवंबर मЊ आपको अपनी घड़ी एक
घंटा पीछे कर ७ बजाने हЛगे और ЗदनचयाЈ उस नये समय
पर Зबतानी होगी। भारतीय खाना एक अहम
वैसे तो इस समय काल के पЖरवतЈन का सेहत पर कुछ िकरदार िनभाता है। हम प्रवासी
असर नहИ पड़ता पर आपके Зदमाग को चुˇत जνर कर
भारतीयों को अपनी स ता व
देता है। इस ΉЗ˘या को ‘Зदन-रात की बचत’ के नाम से
जाना जाता हЎ। लोग बड़ी Зशβत से एक З˘या मЊ परˇपर सं ारों से जोड़ कर रखने में
सहयोग देते हЎ और पहले Зदन से ही नया समय ये पूरे देश भारतीय भोजन पूरे पिरवार को
मЊ सफलतापूवक Ј कायाЈिżवत हो जाता है।
इस समय के जाल से तालमेल Зमलाते हु ए हम Ήवासी
एक होने का अहसास िदलाता
भारतीय अपने माता-Зपता व भाई-बहनЛ से ЗनयЗमत बात है। हर रोज परोसा गया एक
करते हЎ। मЎ शु˘गुजार हूँ इस ЗवΪान और तकनीकी यं΄Л कढ़ी-चावल का कटोरा भी बहुत
का, जो मुझे और मुझ जैसे अनेकЛ भारतीय मूल के लोगЛ
को अपने घर-पЖरवार की यादЛ को सजोने और बुनने मЊ होता है अपनी िम ी को अपने
सहयोग देने मЊ सफल हु ई हЎ। नहИ तो इतनी दूर इतने महीने करीब महसूस करने के िलए।
अकेले काम मЊ लगे रहना संभव ना हो पाता। फोन और

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 11


बतकही

हम भारतीय मूल के लोग आपस मЊ Зमल Зलया करते हЎ। अब जब मЎ अपनी ЗमΫी से दूर इस अमेЖरका के छोटे से
एक सी भाषा मЊ बात करना और एक दूसरे के चेहरे शहर मЊ हूँ तब भी सच Ήतीत पड़ती हЎ। दुЗनया बड़ी बहु त
पहचानना ही अजीब तृिŽत Ήदान करता हЎ νह को। वैसे है पर जीने के मूल मं΄ मुάी भर ही हЎ। ये दुЗनया कई देशЛ
तो इŰका-दुŰका मंЗदरЛ का भी ЗनमाЈण कर Зलया है लोगЛ मЊ बटИ हु यी है। अमेЖरका हो या अΊीका या Зक कनाडा
ने Зमलकर पर जो तसǼली और सुकून एक-दूसरे का हाल- Ήवासी भारतीय कहाँ नहИ हЎ आजकल। हमारी भारतीय
चाल जानकार होती है वो यहाँ के मंЗदरЛ से लापता हЎ। ये ЗशΩा Ήणाली का ही पЖरणाम है Зक आज हम भारतीय जहाँ
मेरा ǾयЗतगत मत है। हो सकता है यह भारत की ЗमΫी की भी Зवξ मЊ कदम रख पाए हЎ वहИ पर हमЊ सफलता ΉाŽत
खुशबू और आब-ओ-हवा का दूर होना हो। और यह भी हु ई है। सफलता के साथ-साथ धन और Ϊान मЊ भी इजाफा
हो सकता है Зक बाकी सब Ήवासी भारतीय ये महसूस ना हु आ है।
करते हЛ। खैर, अपनी भाषा के लोगЛ से जुड़ना यहाँ इस शहर शेलोЈट मЊ यहाँ के ˇथानीय लोग Зमलनसार
यकीनन खुशगवार साЗबत हु आ है मेरे Зलए। और पЖरवारवादी हЎ। यहाँ ЗशΩा को काफी महŹव Зदया गया
अŰसर, अमेЖरकी लोग मुझसे पूछ बैठते हЎ Зक मेरी है। इस शहर की अथЈǾयवˇथा मूलतः यहाँ के बड़े बЎक हЎ।
मातृभाषा Űया हЎ? Зहżदी मेरी मातृ भाषा है। और ये शſद आधे से अЗधक शेलोЈट के Зनवासी इżहИ बЎकЛ के कमЈचारी
कहते हु ए मुझे ना केवल गवЈ अनुभव होता हЎ बिǼक मेरा हЎ। नॉथЈकैरोलाइना राŵय जबЗक खेЗतहर Ήदेश है। यहाँ से
ρदय भी एक धड़कन भूल जाता है। अपने देश से बाहर तंबाकू का ЗनयाЈत बहु त होता है। यहाँ की शरकंदी भी दूसरे
आकर ये छोटे -छोटे Ωण ही हमारे जीवन मЊ आते हЎ जब ΉदेशЛ मЊ ЗनयाЈत की जाती हЎ। और एक बात, यहाँ का
हम Ήवासी भारतीय अपने देश का ΉЗतЗनЗधŹव अपने जैसे फनीЈचर, याЗन Зक लकड़ी का बना सामान बहु त कीमती
आम अमेЖरकी लोगЛ के बीच रख पाते हЎ। माना जाता हЎ। नॉथЈकैरोलाइना की लकड़ी और उससे बना
Ήवासी भारतीय शſद Зजतना Зदलचˇप और मनोहर फनीЈचर Зपछली सदी से अपनी एक अलग पहचान बना
लगता है असल मЊ उसका यापन उतना रोचक नहИ हЎ। यहाँ चुका है। भारतीय मूल के बसे लोग शुμआत मЊ तो ऐसे
आने के बाद हम Ήवासी देसी लोगЛ के पЖरवार का हाल फनीЈचर को खरीद नहИ पाते, पर कुछ सालЛ की ЗनयЗमत
ΉЗसγ शायर Зनदा फ़ाजली के उस शेर जैसा हो जाता है कमाई होने पर घर खरीदने के साथ-साथ, एक-दो अŴछी
ЗजसमЊ उżहЛने कहा है Зक : लकड़ी और अŴछे Зटकाऊ सामान का चाव भी पाल ही
उसको μЄसत तो Зकया था मु झ े मालू म ना था ले ते हЎ। Ήवासी भारतीय सामाżयतः घर वहИ ले ते हЎ जहाँ
सारा घर ले गया घर छोड़ के जान े वाला! हमसे पहले और भारतीय मूल के लोग रचे-बसे हЛ।
हमारे मात-Зपता जब रोज शाम को हमारे ना आने के भारत के कई भागЛ से आए लोग यहाँ आने के बाद
पल Зगनते हЎ और खुद को Зदलासा देते हु ए नИद आने का अं˚ेजी को पूरी तरह से अपनाने मЊ लग जाते हЎ। अं˚ेजी न
इंतज़ार करते हЎ तब हमारी Зहżदी मातृ भाषा का शſदकोश केवल बोलचाल की भाषा है, बिǼक रोजगार से ले कर
और Ǿयाकरण छोटा पड़ जाता हЎ। कЗव Ήदीप की एक कानून-Ǿयवˇथा, यातायात के Зनयम, ˇकूलЛ के कायЈ˘म,
कЗवता थी ЗजसमЊ उżहЛने तकदीर की Зवडंबना को दशाЈया खरीदारी के माŻयम और ˇवाˇźय व ЗचЗकŹसा तक केवल
है : और केवल अं˚ेजी ही इˇतेमाल मЊ लायी जाती हЎ। एक
कुछ Зकˇमत वाले सु ख स े अमृ त पीत े और भाषा है ˇपैЗनश। पर पहले -पहल इस भाषा को
कुछ Зदल पर रख कर पŹथर जीवन जीत े सीखना बड़ा ही मुिǿकल काम है। सो हम Ήवासी भारतीय
कहИ मन प ंछी आकाश उड़ े कहИ पाँव पड़ी ज़ ंजीर अं˚ेजी को ही अपनी पहली ज़बान बना ले ते हЎ यहाँ आने
इस Žयारी Žयारी दु Зनया म Њ Űयू ँ अलग-अलग तक़दीर के बाद। कहते हЎ ना “जैसा देश वैसा भेस” और ये ही
Зमलत े हЎ Зकसी को Зबन मांग े ही मोती मूलमं΄ बन जाता है हम ΉवाЗसयЛ का। पर आज की सदी
कोई मांग े लेЗकन भीख नसीब ना होती मЊ इस ЗवΪान और तकनीकी सहयोग से हम अपनी भारतीय
Űया सोच के है माЗलक न े रची य े दो रंगी तˇवीर स यता और संˇकारЛ को अपने रोजमराЈ के जीवन मЊ
इस Žयारी Žयारी दु Зनया म Њ Űयू ँ अलग-अलग तक़दीर समाЗवˆट करने मЊ आसानी महसूस करते हЎ। और ये कुछ
कЗव Ήदीप की ये पЗΨयाँ मुझे तब भी जानी-पहचानी आदतЊ हमЊ खुद का ˇवाЗभमान बरकरार रखने मЊ मूǼयवान
लगИ थИ जब मЎ भारत मЊ अपनी पढ़ाई कर रही थी और साЗबत हु ई हЎ।

12 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


डॉ. योЗगता मोदी
ŲवाЗलयर मЊ जżम। वाЗणŵय मЊ एम.Зफल, पीएचडी की उपाЗध ΉाŽत की। ŲवाЗलयर मЊ अŻयापन एवं गाЗज़याबाद िˇथत
वीएमएलजी महाЗवηालय मЊ ЗवभागाŻयΩ। 2008 मЊ अमेЖरका पहुँ ची और आईटी Ωे΄ मЊ कायЈरत। Зहंदीयूएसए से सƒबγ
Зहंदी पाठशाला की ˇवयंसेवी संयोЗजक। Зहंदी पठन-पाठन मЊ गहरी μЗच। ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ रचनाएँ ΉकाЗशत।
सƒΉЗत - żयूजसीЈ, अमेЖरका मЊ Зनवास। सƒपकЈ ः modi_yogita@yahoo.com

Зवचार

रघुकुल रीत के मायने

क लयुग के इस कालच˘ मЊ आЗदकाल, सतयुग


और ΄ेता युग की माżयताएं एवं परƒपरायЊ
संभवतः कहИ भी पЖरЗलЗΩत नहИ होती हЎ। हाँ
ये अवǿय है Зक राम नाम जो Зक शाξत, अजर और अमर
है वो अभी भी जनमानस की आˇथा मЊ ΉŹयΩ है। भारतीय
ǾयावहाЖरक तौर पर हमЊ लगता है Зक यह शाξत परंपरा
अब कहИ Зवलु Žत सी होती जा रही है।
आЗदकालीन धमЈ˚ंथЛ, वेदЛ पुराणЛ और ΉचЗलत
माżयताओं के आधार पर यह माना जा सकता है Зक सृिˆट
के आरƒभ से ही ˇवयं ईξर ने लीलाˇवνप मानव νप मЊ
सनातन परƒपरा अपने ˇथाЗपत समय से ही ЗनमЈल एवं अनेक बार जżम ले कर सदा धाЗमЈक एवं सामाЗजक मयाЈदाएं
उλत νप मЊ गЗतमान रही है। अनेकЛ कालखंड आये और ˇथाЗपत कИ। सदाचार, धमЈ, परˇपर सौहाΆЈ, नीЗत-पालन,
गए ले Зकन उसके मूल νप मЊ कहИ बदलाव नहИ आया। Źयाग तथा कЗठनतम िˇथЗत मЊ भी सŹय ही बोलना और
समय के साथ इसके अनुसरण करने के मापदंड बदलते Зदए हु ए वचन का ЗनवाЈह करना जैसे उŴचतम जीवन मूǼयЛ
गए और साथ ही मानने और पालन करने वाले भी। को अपने मानवीय अवतार मЊ सहज ही अपनाकर ईξर ने
एक उदाहरण Ήˇतुत Зकया और समˇत
जनमानस को भी इसे पालन करने के
Зलए ΉेЖरत Зकया। आЗदकाल से ले कर
सतयुग और ΄ेता युग के सभी धमЈΪ
और यशˇवी राजाओं मुűयतः मनु, राजा
हЖरǿचंΆ, राजा रघु, राजा दशरथ एवं
राजा राम आЗद ने अपने वचन पालन
की ιढ़ता को अनेक कˆटЛ यहाँ तक की
सवЈˇव Źयाग कर भी बनाये रखा। राजा
रघु सूयЈ वंश के महानतम वंशजЛ मЊ से
एक थे। उनके काल मЊ इस वंश की
कीЗतЈ पताका समूचे Зवξ मЊ उŴचतम
ˇथान पर ˇथाЗपत थी। आगे चलकर
यही सूयवЈ श
ं अथवा इςवाकु वंश रघुकुल
के नाम से ΉचЗलत हु आ। "रघुकुल रीत
सदा चЗल आई" इżहИ के लोकЗΉय एवं
अЗत उλत शासनावЗध मЊ Ήचलन मЊ
आयी। इन काल खŸडЛ मЊ न केवल
राजा महाराजा बिǼक तपˇवी एवं ऋЗष-
मुЗन भी सनातन परƒपराओं के पोषक
थे। यथा राजा तथा Ήजा की उЗΨ
अनुसार जन-साधारण भी इżहИ सब
मूǼयЛ और परƒपराओं का सहषЈ

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 13


Зवचार

Ǿयवहार मЊ लाने मЊ असमथЈ हЎ। बदला हु आ सामाЗजक


पЖरवेश जो अЗधकांशतः अŹयЗधक लालच, मोह, ˘ोध, मद,
आिदकाल से चली आ रही झूठ, दुǿचЖर΄, ईˆयाЈ और कपट के ताने-बाने से बुना गया
सामािजक एवं प्रशासिनक व ा है। वचन को हर पЖरिˇथЗत मЊ Зनभाने की बात भी पूणतЈ ः
Зवलु Žत हो गयी है। आज के समय मЊ यЗद कोई Ήयास भी
के अनुसार समाज के प्रितिनिध से करे सŹय और सदाचार पर अЗडग रहने का तो वह सहज
सवृदा अपेिक्षत होता है िक वह अपने ही सामाЗजक तानЛ और ǾयंŲय का कारण बन जाता है।
"तुम Űया राजा हЖरǿचंΆ हो" या Зफर "ŵयादा धमाЈŹमा बनने
आदशृ आचरण और कायृप्रणाली से की कोЗशश न करो" इŹयाЗद कहकर उसका उपहास उड़ाया
जनसाधारण के समक्ष एक उ म जाता है। इस दौर मЊ हमारी यह Зववशता है Зक हम अपने
ǾयावहाЖरक जीवन को सुगमता से चलाने के Зलए आदशЈ
उदाहरण प्र ुत करे िजसमें सभी का परƒपराओं को नहИ अपना सकते। जीवन की वाˇतЗवकता
िहत एवं उ ित समािहत हो। ΩЗणक सुख मЊ Зदखाई देती है जोЗक जैसा चलता है वैसा
ही अपनाने के आसान से Зनयम पर आधाЖरत है। कौन सा
अनुसरण करते थे। Αी Зवˆणु हЖर का θापर युग मЊ Αी वचन, कैसा वचन और उसे पूणЈ करने के Űया Зनयम और
कृˆण के νप मЊ Зफर पदापЈण हु आ तηЗप उनके समकालीन Űया उβेǿय होते हЎ, जनमानस यह जानने, समझने का
अनेक ऐसी घटनाएं घटИ जहाँ वचन भंग के अनेको उγरण Ήयास भी ŰयЛ करना चाहेगा जबЗक केवल येन केन Ήकरण
Зमलते हЎ Зजनसे ˇपˆट होता है Зक रघुकुल की वचन परंपरा अपना काम यथावत चलता रहे - इस सरल से सू΄ को
अब धीरे-धीरे अपना ˇवνप बदलने लगी थी। लोग अपने अपनाने मЊ ही उसे अपने जीवन की साथЈकता और
ˇवाथЈ और लालच के वशीभूत धमЈ से Зवलग होने लगे थे, ΉासंЗगकता Зदखाई देती है।
महाभारत का युγ और उसकी ЗवभीЗषका उसका ŵवलं त आЗदकाल से चली आ रही सनातनी और सवाЈЗधक
उदहारण है। उλत सामाЗजक एवं ΉशासЗनक Ǿयवˇथा के अनुसार Зकसी
तदनżतर अथाЈत कЗलयुग मЊ तो जैसे पूवЈ ˇथाЗपत भी देश या समाज के ΉЗतЗनЗध से सवЈदा अपेЗΩत होता है
मयाЈदाओं का तीΐ गЗत से Γास होता गया। सनातन परंपरा Зक वह अपने आदशЈ आचरण और कायЈΉणाली से
का ЗनवЈहन लगभग केवल धाЗमЈक पूजा पाठ और कमЈकांडЛ जनसाधारण के समΩ एक उΰम उदाहरण Ήˇतुत करे
तक ही सीЗमत होने लगा, ǾयЗΨगत νप मЊ इसका ЗजसमЊ सभी का Зहत एवं उλЗत समाЗहत हो। ले Зकन आज
वाˇतЗवक पालन करना समाज मЊ फै ली अनेक कुरीЗतयЛ, के पЖरΉेςय मЊ यह भारी Зबडंबना है Зक जो देश और समाज
अंधЗवξासЛ, अनाचार और असЗहˆणुता के Зनरंतर जोर का ΉЗतЗनЗधŹव करते हЎ उनमЊ से बहु तायत νप से ऐसे हЎ
पकड़ने के कारण अŹयंत दुˆकर होने लगा। अंतमЈन की जो अपने कΰЈǾय बोध से सवЈथा परे और केवल ˇवЗहत मЊ
शुЗγ और धमЈपरायणता ने बाहरी Зदखावे और आडƒबर ही संलŲन हЎ। अंततः यह कहना अЗतǿयोЗΨ नहИ होगा Зक
की जगह ले ली। हाˇयाˇपद तźय यह है Зक शनैः-शनैः न रघुकुल की महΰा के Ήतीक "रघुकुल रीत सदा चЗल आई,
जाने कब इस कुधारणा ने हमारे मन मिˆतˆक और समाज Ήाण जाएँ पर वचन न जाई" जैसी वचन परंपरा, बड़Л का
मЊ अपनी जड़Њ जमानी Ήारƒभ कर दИ Зक ǾयावहाЖरक νप सƒमान, छोटЛ से ˇनेह, उŴच चЖर΄, Źयाग, सЗहˆणुता तथा
से उŴच सदाचार जीवन को अपनाना ǾयथЈ और अΉासंЗगक ऐसे ही अनेक उΰम मूǼयЛ का अनुशीलन आज मा΄ भजन-
है। जो ǾयЗΨ सनातनी परंपरा, मूǼयЛ और वचनЛ के पूजन, कथा और रामायण मंचन तक ही सीЗमत होकर रह
अनुसरण पर अटल हो तो लोग उसे शंका की ιिˆट से गया हЎ, उżहЊ हम अपने वाˇतЗवक आचरण से चЖरताथЈ
देखने लगते हЎ और उसका उपहास उड़ाते हЎ। करने मЊ काफी हद तक असमथЈ हЎ। Зकżतु भЗवˆय मЊ आशा
ऐसा नहИ है Зक लोगЛ ने ईξरीय शЗΨ को मानना या है Зक एक Зदन पुनः अवǿय ऐसा आएगा जब अवाЈचीन
उनमЊ आˇथा को पूरी तरह से Źयाग Зदया है Зकżतु काल सनातनी परंपरा जन जन की जीवनचयाЈ का अहम् भाग
गЗत से ΉभाЗवत होकर आिŹमक और आŻयािŹमक νप से होगी और हम रघुकुल की गौरवशाली मयाЈदाओं एवं मूǼयЛ
आदशЈ परƒपराओं को अपने Зदन-ΉЗतЗदन के जीवन मЊ की पुनˇथाЈपना कर ˇवयं उसके साΩी बन पाएंगे।

14 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


Ήो. Зगरीξर ЗमΑ
ЗदǼली ЗवξЗवηालय मЊ Ήोफे सर और मनोЗवΪान Зवभाग के पूवЈ Ήमुख तथा कला संकाय के पूवЈ डीन के νप मЊ
कायЈरत रहे हЎ। चार दशकЛ मЊ फै ले अपने अकादЗमक कैЖरयर के दौरान इżहЛने गोरखपुर, इलाहाबाद, भोपाल और
ЗदǼली ЗवξЗवηालयЛ मЊ अŻयापन का कायЈ Зकया। मनोЗवΪान के अलावा ЗवЗभλ ЗवषयЛ पर २५ से अЗधक पुˇतकЊ
ΉकाЗशत। मनोЗवΪान अकादमी के राˆटБीय संयोजक एवं अŻयΩ। जमЈनी, ЗΌटे न तथा अमेЖरका के ЗवЗभλ ЗवξЗवηालयЛ
मЊ अЗतЗथ अŻयापक रहे। सƒΉЗत : महाŹमा गाँधी अंतरराˆटБीय Зहंदी ЗवξЗवηालय के पूवЈ कुलपЗत।
ई मेल : misragirishwar@gmail.com

Зवचार

रघुकुल रीित सदा चिल आई


रघु के प्रित तुलसीदास जी का अनुराग इतना है िक वे ीराम को रघुनायक,
रघुपुंगव, रघुवर, रघुनाथ, रघुपित, रघुवीर, रघुकुलितलक, रघुबंसितलक,
रघुराई, रघुबंसमिन, रघुकुलनायक, रघुबंसभूषन, राघव, राघवेD, रघुन न
आिद नामों से बार-बार रण करते हैं और संबोिधत करते हैं।

गो ˇवामी तुलसीदास जी ‘रामचЖरतमानस’ के


बालकाŸड मЊ आरƒभ मЊ कहते हЎ Зक वे अपने
अंत:करण के सुख के Зलए रघुनाथ जी की
कथा को अŹयंत मनोहर भाषा-रचना मЊ ЗवˇताЖरत कर रहे
हЎ : ˇवाżत: सु खाय तु लसी रघु नाथगाथा भाषाЗनबżध
आगे भी ‘रघु’ शſद मानस मЊ बड़ा महŹवपूणЈ बना रहता है।
मानस के संपλ होने की वेला मЊ भी उΰरकाŸड के अंत मЊ
तुलसीदास जी कहते हЎ : रघु ब ंसभू षनचЖरत यह नर कहЗहं
सु नЗहं ज े गावहИ, कЗलमल मनोमल धोइ Зबनु Αम रामधाम
ЗसधावहИ। वˇतुत: तुलसीदास जी ने रामचЖरतमानस की
मЗतम ंजु लमातनोЗत। इस मंगल ǿलोक मЊ सीधे Αीराम का कथा मЊ Αीराम का ˇमरण Зजन नामЛ के साथ Зकया है उनमЊ
नाम ले कर ‘रघुनाथ’ का उǼले ख आता है। यहाँ ही नहИ रघु से जुड़े Ήयोग सवाЈЗधक हЎ। रघु के ΉЗत तुलसीदास जी
का अनुराग इतना है Зक वे Αीराम को रघुनायक, रघुपुंगव,
रघुवर, रघुनाथ, रघुपЗत, रघुवीर, रघुकुलЗतलक,
रघुबंसЗतलक, रघुराई, रघुबंसमЗन, रघुकुलनायक,
रघुबंसभूषन, राघव, राघवेżΆ, रघुनżदन आЗद नामЛ से बार-
बार ˇमरण करते हЎ और संबोЗधत करते हЎ। रघु का सżदभЈ
गोˇवामी जी को Зनǿचय ही बड़ा ЗΉय है और रघुकुल की
परƒपरा और मयाЈदा का अनवरत Ήवाह Ήˇतुत करना
उनका अभीˆट बन जाता है। रघु शſद का ǾयुŹपЗΰपरक
अथЈ ‘जाना’ होता है। काЗलदास ने तो अपने एक महाकाǾय
को ही रघु को समЗपЈत कर Зदया है और अपने ‘रघुवश ं
महाकाǾय’ मЊ वे कहते हЎ Зक रघु के Зपता ने यह पहले ही
जान Зलया था Зक यह बालक Зवηा के ही पार नहИ जाएगा
बिǼक युγ मЊ अपने शतВओ ं को भी पराˇत कर देगा। इस
कुल की रीЗत की छЗव उकेरते हु ए काЗलदास कहते हЎ :
Źयागाय स ंभृ ताथाЈनां सŹयाय ЗमतभाЗषणाम्।
यशस े ЗवЗजगीषू णां Ήजाय ै गृ हम ेЗधनाम्॥
श ैशव ेऽ यˇतЗवηानां यौवन े ЗवषयЗै षणाम्।
वाध ЈŰय े मु Зनवृ ΰीनां योग ेनाżत े तनु Źयजाम्॥
अथाЈत् इस कुल के राजा सुपा΄ को दान देने के Зलए
धन एक΄ करने वाले , सŹय के Зलए कम बोलने वाले
(Зमतभाषी), यश के Зलए Зवजय चाहने वाले , और सżतान

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 15


Зवचार

के Зलए Зववाह करने वाले , बाǼयकाल मЊ ЗवηाŻययन करने अपने गुμ के पास गए। धमЈΪ राजा रघु ने शेष समˇत धन
वाले , यौवन मЊ सांसाЖरक भोग भोगने वाले , बुढ़ापे मЊ दान कर Зदया।
मुЗनयЛ के समान रहने वाले और अżत मЊ योग के θारा ऐसे यशˇवी रघु कुल का ˇमरण Зदलाती संदЗभЈत
शरीर का Źयाग करने वाले हЎ । ΉЗसγ चौपाई रामचЖरतमानस के अयोŻया कांड मЊ एक
इςवाकु वंश के राजाओं की शृंखला मЊ राजा रघु माЗमЈक Ήसंग मЊ उपिˇथत होती है। रघु के पु΄ अज की
कीЗतЈˇतƒभ सιश हЎ। राजा Зदलीप और रानी सुदЗΩणा के संतान अयोŻयापЗत राजा दशरथ की ЗΉय रानी कैकेयी ने
पु΄ और अज के Зपता रघु बड़े Ήतापी थे। रघु ने ЗदिŲवजय ताना हु ए कहा Зक हे ЗΉयतम! आप माँग-माँग तो कहा
का आरƒभ Зकया और पूरी पृźवी का चŰकर लगाया और करते हЎ, देत-े ले ते कभी कुछ भी नहИ। आपने दो वरदान
सवЈ΄ Зवजय करते हु ए लौटे । आने के बाद ЗवξЗजत यΪ देने को कहा था, उनके भी Зमलने मЊ संदेह है :
Зकया और अपना सवЈˇव दान मЊ समЗपЈत कर Зदया। उसी मागु मागु प ै कहहु Зपय कबहु ँ न देहु न लेहु।
बीच महЗषЈ वरतżतु के Зशˆय कौŹस ऋЗष अपने Зवηा गुμ देन कहेहु बरदान दु इ तउे पावत स ंदेहु।।
को चौदह करोड़ ˇवणЈ मुΆाएँ गुμ दЗΩणा मЊ देने के Зलए यह सुन कर दशरथ जी ने हंस कर कहा Зक अब मЎ
सहायताथЈ पहुं च।े कौŹस ने जब रघु के ख़ाली राजकोष को तुƒहारा ममЈ समझ गया। मान करना तुƒहЊ बड़ा ЗΉय है।
देखा तो कुछ न माँगने का Зनǿचय Зकया परżतु रघु ने कहा तुमने इन वरЛ को अपनी थाती या धरोहर समझ Зफर कभी
Зक वे थोड़ा μकЊ और तीन Зदन का समय दЊ। तभी रघु को माँगा ही नहИ और मेरा भूलने का ˇवभाव होने से मुझे भी
पता चला Зक कुबेर जो कैलाश पर रहते हЎ अपना कर भाग वह Ήसंग याद नहИ रहा। Зफर आगे कहते हЎ Зक मुझे झूठ-
नहИ Зदया है। रघु ने उन पर चढ़ाई करने का Зनǿचय Зकया मूठ दोष मत दो। चाहे दो के बदले चार वर माँग लो। रघु
और उनसे धन ΉाŽत करने की योजना बनाई। वे अपने रथ कुल मЊ सदा से यह रीЗत चली आई है Зक Ήाण भले चले
पर सवार हो गए और रथ पर ही रात मЊ सो गए। उधर जांय परżतु वचन नहИ जाता :
कुबेर को यह पता चला और वे मारे भय के ˇवणЈ मुΆाएं झूठेहु हमЗह दोषु जЗन देहू।
ˇवयं पहुं चा गए। Ήातःकाल खबर Зमली Зक रघु का दु इ कै चाЖर माЗग मकु लेहू।।
राजकोष ˇवणЈ मुΆाओं से भर गया है। रघु कुल रीЗत सदा चЗल आई।
रघु ने ऋЗष कौŹस को सब ˇवीकार करने को कहा Ήान जाहु ँ बμ बचनु न जाई।।
परżतु कौŹस ने केवल चौदह करोड़ ˇवणЈ मुΆाएँ लИ और सŹय की गЖरमा का बखान करते हु ए राजा दशरथ
कहते है ‘नЗहं असŹय सम पातक पुंजा’ और ‘सŹय मूल सब
सुकृत सुहाए’। सŹयसंध राजा दशरथ के सामने तब Зवकट
िˇथЗत आती है जब दासी मंथरा θारा बुЗγ फे रने से रानी
इ ाकु वंश के राजाओ ं की कैकेयी ने अपने पु΄ भरत को राजगβी और Αीराम को
शृंखला में राजा रघु कीितृ वनवास का वर माँगा Зजसे सुन कर दशरथ जी दंग रह गए
और Ǿयाकुल ǾयЗथत होकर और नारी पर Зवξास की
सदृश हैं। राजा िदलीप और अपनी ΉवृЗΰ को कोसने लगे। कैकेयी बड़ी कड़ी बात
रानी सुदिक्षणा के पुत्र और कहती हЎ और उनकी सŹयЗΉयता को चुनौती देती हЎ :
जो सु Зन सμ अस लाग तु ƒहारे।
अज के िपता रघु बड़े प्रतापी काहे न बोलहु बचनु स ंभारे।।
थे। रघु ने िदिग्वजय का आर देहु उतμ अनु करहु Зक़ नाहИ।
सŹयस ंध तु ƒह रघु कुल माहИ।।
िकया और पूरी पृ ी का छाड़हु बचनु Зक धीरज धरहू ।
चक्कर लगाया और सवृत्र जЗन अबला ЗजЗम कμना करहू ।।
तनु Зतय तनय धामु धनु धरनी।
िवजय करते हुए लौटे। सŹयस ंध कहु ं तृ नसम बरनी।।
दशरथ का राम पर Ήेम अगाध था पर कैकेयी को पहले

16 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


Зवचार

वर दे चुके थे। कैकेयी को बड़ा समझाया और अंत मЊ कहा


Зक भरत को राजा बना देते हЎ पर ΉाणЗΉय राम को वन न
भेजЊ पर कैकेयी Зकसी तरह नहИ मानतИ और उनके कहे
अनुसार राम को वन को Ήिˇथत होते हЎ और राजा दशरथ पिरि ितयाँ, सापेिक्षक रूप से
का देहांत हो जाता है। रघुकुल की रीЗत Зक Ήाण देकर भी ही सही, इस जगत की स ा में
वचन पर Зटका रहना चाЗहए अंतत: चЖरताथЈ होती है।
Αीराम रघुकुल की उपयुЈΨ परƒपरा के वाहक हЎ। अनेक रूपों में उपि त होती हैं।
उनके जीवन मЊ Зकशोरावˇथा, युवावˇथा और Ήौढ़ावˇथा मЊ उनका अितक्रमण करते हुए
ऐसी अनेक परीΩा की घЗड़याँ लगातार आती रहИ जब मन
Зडग सकता था पर धमЈ की मयाЈदा की रΩा करना उनके मनु अपने वहार को
Зलए सदैव सवोЈपЖर था। भरत वन मЊ राम को मनाने की िनयोिजत करता है। साथ ही
लाख कोЗशश करते हЎ पर धमЈΪ राम टस से मस नहИ होते
और Ήसλता से राŵय के Ήˇताव को छोड़ वनवास को जीवन को चलाने के िलए
ЗशरोधायЈ करते हЎ। चौदह वषЈ के वनवास के जीवन मЊ राम पार िरक सहकार और सहयोग
के सƒमुख बार-बार सरल मागЈ अपनाने का अवसर Зमलता
है और हर बार वह धमЈ के मागЈ पर खरे उतरे हЎ। Зहत की भी ज़रूरी है। अकेले सब कुछ
भावना मЊ सवЈ ही सदैव Ήमुख बनी रही। उनका मानना था नहीं िकया जा सकता।
Зक Ήजा के सुख मЊ ही राजा का सुख होता है। Зजस दैЗहक,
दैЗवक और भौЗतक तीनЛ तरह के तापЛ से मुΨ राम-राŵय
की संकǼपना की गई है वह राजा से सतत चौकसी की और आकषЈणЛ के बीच उलझा रहता है और उसकी बातЛ
अपेΩा करती है और Αीराम उस पर खरे उतरते हЎ। का खुद उनके Зलए अЗभΉाय पЖरिˇथЗतयЛ पर ЗनभЈर करता
तुलसीदास जी राम-राŵय का वणЈन करते हु ए कहते हЎ : है। ऐसे मЊ अिˇथरताओं और अǾयवˇथाओं का बोलबाला
दैЗहक दैЗवक भौЗतक तापा। रहता है और Зकसी के बारे मЊ Зनǿचय से कुछ नहИ कहा
राम राज नहИ काहु Зह ſयापा।। जा सकता। ऐसा ǾयЗΨ अЗवξसनीय या धोखेबाज़ होता
सब नर करЗहं परˇपर Ήीती। है। ǾयЗΨ के गुण Зवशेषताओं का Зभλ-Зभλ पЖरिˇथЗतयЛ
चलЗहं ˇवधम Ј Зनरत शВЗत नीती।। मЊ पूवव
Ј त या यथावत् बना रहना ЗनयЗमतता ले आता है
चाЖरउ चरण धम Ј जग माहИ। और तभी Ǿयवˇथा बनी रहती है। पЖरिˇथЗतयЛ पर तो
पू Жर रहा सपन ेहु ं अघ नाहИ।। Зनयं΄ण Ύम भी हो सकता है परंतु ǾयЗΨ तो पЖरिˇथЗत के
राम भागЗत रत नर अμ नारी। आने के पहले और बीत जाने के बाद भी मौजूद रहता है
सकल परम गЗत के अЗधकारी।। इसЗलए Ǿयवहार के ˇतर पर उसका ˇथाЗयŹव अЗधक ˚ाπ
अथाЈत Αीराम के राजा के पद पर ΉЗतिˆठत होने पर होता है। अतः ǾयЗΨ मЊ ˇथाЗयŹव और संगЗत एक Зवशेष
दैЗहक, दैЗवक और भौЗतक ताप Зकसी को नहИ होते। सभी गुण हो जाता है। पЖरिˇथЗतयाँ, सापेЗΩक νप से ही सही,
लोग परˇपर Ήेम करते हЎ और वेदЛ मЊ बताई गई मयाЈदा मЊ इस जगत की सΰा मЊ अनेक νपЛ मЊ उपिˇथत होती हЎ।
रहते हु ए अपने-अपने धमЈ का पालन करते हЎ। धमЈ अपने उनका अЗत˘मण करते हु ए मनुˆय अपने Ǿयवहार को
चारЛ चरणЛ (सŹय, शौच, दया और दान) से जगत मЊ ЗनयोЗजत करता है। साथ ही जीवन को चलाने के Зलए
पЖरपूणЈ हो रहा है; ˇवŽन मЊ भी कहИ पाप नहИ है। पुμष पारˇपЖरक सहकार और सहयोग भी ज़νरी हЎ। अकेले सब
और ˇ΄ी सभी रामभЗΨ के परायण हЎ और सभी परम गЗत कुछ नहИ Зकया जा सकता। साथ हो ले ने के Зलए उस
(मोΩ) के अЗधकारी हЎ। भरोसे की तलाश होती है Зजसके अभाव मЊ सामाЗजकता
रघुकुल की रीЗतयЛ या Ήथाओं-परƒपराओं मЊ अपने की पЖरकǼपना नहИ की जा सकती। रघुकुल की रीЗत आज
ЗवचारЛ के साथ ιढ़तापूवक Ј ΉЗतबγता की एक अटू ट भी मानव जीवन के Зलए सदाचार की याद Зदलाते हु ए उस
Αृंखला Зमलती है। आम तौर पर आदमी लाभЛ, ΉलोभनЛ परƒपरा के सातŹय के Зलए ΉेЖरत करती है।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 17


राजेżΆ Зतवारी “सूरज”
रायबरेली उΰरΉदेश मЊ जżमे राजЊΆ Зतवारी जी ने Зवΰीय मैनज
े मЊट मЊ उपाЗध ΉाŽत की है। एक बहु देशीय संˇथा से जुड़े हЎ
और “यूनाइटे ड Зकंगडम और आयरलЎ ड” के Зवΰीय Зनदेशन का नेतŹृ व सँभालते हЎ। साЗहŹय से गहरा लगाव। कЗवता Зलखते
हЎ। उपżयास पर काम कर रहे हЎ ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ गीत और नІमЊ ΉकाЗशत। सƒΉЗत - लं दन मЊ Зनवास।
सƒपकЈ : rttiwari@hotmail.com

सामЗयक

बदल रही है जीवनशैली

मा नव जाЗत को ये ग़लतफ़हमी अब तक रही है


Зक दुЗनया का इЗतहास वह Зलखता है? ये
गलतफ़हमी होना लाज़मी भी है। पर जो ˇवयं
ईξर θारा उŹपΰ ΉकृЗत का एक अवयव मा΄ है, भला वो
कैसे दुЗनया का इЗतहास Зलख सकता है? वो तो घЗटत होते
“मानवीय Зनकटता”। जैसे Зक सЗदयЛ से ΉचЗलत रहा है
मानवीय Зनकटता, मानवीय संबध ं Л को आरƒभ, ˇथाЗपत
और ЗवकЗसत करने हेतु एक एकमा΄ माŻयम रही है।
“आदमी सामाЗजक Ήाणी है” जैसी माżयताओं ने “मानव से
मानव” के सƒबżधЛ को ЗवकЗसत करने मЊ सवोЈपЖर भूЗमका
इЗतहास का Зहˇसा मा΄ है बस। कोरोनाकाल भी कुछ ऐसी अदा की है।
ऐЗतहाЗसक घटना है, Зजसका ले खन ΉकृЗत कर रही है और पर कोरोना महामारी ने इस सावЈभौЗमक माżयता को
मानव जाЗत मुहँ पर माˇक लगाये, भयभीत आँखЛ से उसे चुनौती देकर जीवनशैली मЊ अभूतपूवЈ बदलाव का शंखनाद
बस घЗटत होता देख रहा है। चाहे ЗवकЗसत देश हЛ या Зकया है। हाथ Зमलाना, गले Зमलना, कहИ भी Зकसी से भी
Зवकासशील, Зकसी भी देश का आँगन कोरोना के काल से वाताЈलाप कर ले ना; जैसी मूलभूत सामाЗजक माżयताओं पर
अछू ता नहИ रहा। चीन से शुν हो, दुЗनयाभर मЊ तांडव अंकुश लग गया है। इसने हमारी जीवनशैली को “मानवीय
करके अब तक अपनी अजेयता का लोहा मनवाने वाली Зनकटता” से परे देखने पर Зववश Зकया है। आज की
वैЗξक महामारी ने, मानव जीवन के कई पहलु वЛ को सभायЊ, रैЗलयां, सƒमले न सब ЗडЗजटल मंच पर हो रहे हЎ
चुनौती दी है। कई पγЗतयЛ को नाकारा है। कई जीवन और ऐसा नहИ है Зक इन मंचЛ का अЗवˆकार “करोना काल”
शैЗलयЛ पर अЗमट Ήभाव डाला है। उनमЊ से कुछ का वणЈन मЊ हु आ है। ये सारी तकनीक और मंच वषोЈं से उपलſध हЎ,
यहाँ करना उЗचत होगा : पर “मानवीय Зनकटता” मЊ आये मौЗलक बदलाव ने हमारी
मानवीय Зनकटता : इस Αृंखला मЊ पहला Ήभाव है जीवन शैली मЊ आपसी दूरी का पैमाना रखने को बाŻय कर

18 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


सामЗयक

Зदया है। इससे बहु त लोग एक अǼपकाЗलक ЗवकǼप मान अनकहा Зनयम हो गया है। इन पЖरिˇथЗतयЛ मЊ यЗद अЗत-
कर ˇवीकार कर रहे हЎ और कुछ इसे नये युग के आवाहन आवǿयक या΄ा करनी भी हो तो बहु त सारी जβोजहद
के νप मЊ। हो सकता है सच कहИ बीच मЊ हो पर इस बात करनी पड़ रही है जैसे कोरोना का परीΩण, कठोर
को नाकारा नहИ जा सकता Зक मानव जीवन शैली मЊ ये “सामाЗजक दूरी” बनाये रखने के ЗनयमЛ का पालन वग़ैरह। इन
एक Ήभावशाली बदलाव है। मानव को अपनी Зचरंतन Ωुधा सब का Зमलाजुला असर ये हु आ है Зक Зकसी भी या΄ा को
“मानवीय Зनकटता” से Зकतने Зदन दूर रहना पड़ेगा, ˇपˆट νप करने से पूवЈ आपको बहु त सारे पहलु ओ ं पर Зवचार करना
से ये कह पाना तो ЗवशेषΪЛ के Зलये भी चुनौती है पर इस पड़ता है। जैसा की अपेЗΩत है जीवन शैली मЊ अब या΄ा
बात से इंकार भी नहИ Зकया जा सकता Зक “मानवीय żयूनतम ˇतर पर है।
Зनकटता नामक जीवन शैली मЊ अमूल पЖरवतЈन, हम सबके इससे या΄ा सेवायЊ उपलſध कराने वाली कंपЗनयЛ के
समΩ है। Зबज़नेस/Зवΰीय ˇतर पर अŹयंत बुरा असर पड़ा है। कम
ǾयЗΨगत ˇवŴछता : कोरोना काल मЊ मानवीय जीवन से कम या΄ा और उस कमी को पूणЈ करने हेतु ŵयादा से
शैली मЊ हो रहा एक और बदलाव है, “ǾयЗΨगत ˇवŴछता”। Іयादा आधुЗनक तकनीक का Ήयोग इस काल मЊ मानवीय
इस महामारी का ΉामाЗणक उपचार न होने के कारण, इससे जीवन शैली का अपेЗΩत बदलाव बन, हमारे जीवन की
बचाव के अżय अवयवЛ पर Żयान देना आवǿयक है। इसमЊ या΄ा को पЖरभाЗषत कर रहा है |
Ήमुख है, अपने हाथЛ की सफाई, सामाЗजक दूरी, माˇक का ख़रीददारी : कोरोना काल से पूव,Ј ЗवकЗसत हु ई “मॉल
Ήयोग वगैरह। इसके अЗतЖरΨ घर के बाहर से आने वाली कǼचर” ने ख़रीददारी को आवǿयकता से Іयादा, आनंद
दैЗनक Ήयोग की चीज़Л की सफाई और कीटाणुशोधन भी और मनोरंजन का Зवषय बना Зदया था। जब भी अवसर
हमारी जीवनशैली मЊ आता बदलाव है। कोरोना काल से Зमलता, समाज का एक बड़ा वगЈ मॉल मЊ होता। आवǿयकता
पूवЈ हमЊ कभी ऐसा सोचने और करने की आवǿयकता ही और ЗवलाЗसता का अंतर समाŽत होता जा रहा था।
नहИ हु ई। पर आज, आप घर के बाहर से आयी हर चीज “उपभोग स यता” अपने चरम पर पहुँ च कर अΫहास करने लगी
से सशंЗकत हЎ! इस संकट ने हमारे जीवन मЊ Зनिǿचत तौर थी।
पर ˇवŴछता को ले कर वे बदलाव करवाये हЎ, जो अżयथा इस तरह घूम-घूम कर की गयी शॉЗपंग या ख़रीददारी,
मा΄ हमारी जानकारी मЊ थे। इसी तरह लोक Ήयोग मЊ आने मानवीय जीवन शैली का एक मुűय अवयव हो गयी थी।
वाली वˇतुओ ं या सुЗवधाओं के Ήयोग मЊ भी अŹयंत करोना काल ने घुमŰŰड़ ख़रीददारी पर पूरी तरह लगाम
सावधानी बरतना, कीटाणु शोधन करना आЗद हमारी जीवन कस दी है। इस वैЗξक महामारी ने बाŻय Зकया है Зक हम
शैली मЊ आता बड़ा बदलाव है |
या΄ा : मानवीय जीवन शैली मЊ हो रहा एक और
बदलाव या΄ा सबंधी है। कोरोना काल में मानवीय जीवन
Зपछले दो दशकЛ मЊ आЗथЈक, वाЗणिŵयक और
वैξीकरण के νप मЊ आये ऐЗतहाЗसक Зवकास ने “या΄ा” शैली में हो रहा एक और बदलाव
Ωे΄ को भी उसी νप मЊ ЗवकЗसत Зकया | है, “ िक्तगत ता”। इस
चाहे वायु या΄ा हो, रेल या΄ा हो या सीЗमत दूरी की
महामारी का प्रामािणक उपचार न
या΄ा। या΄ा ने बढ़ती मानवीय आकांΩाओं को पूणЈ करने
मЊ, एक दूसरे से जोड़ने मЊ ЗवЗशˆट योगदान Зकया है। या΄ा होने के कारण, इससे बचाव के
करना आनंद के Зवषय से Іयादा आवǿयकता का Зवषय हो अ अवयवों पर ान देना
गया था।
कोरोना काल मЊ लॉकडाउन के कारण या΄ाओं का
आव क है। इसमें प्रमुख है, अपने
अЗतसीЗमत हो जाना, अपेЗΩत है। पर इससे मानव जीवन हाथों की सफाई, सामािजक दूरी,
शैली पर अभूतपूवЈ Ήभाव पड़ा है। अब हमारी छु ЗΫयाँ मा का प्रयोग वगैरह।
Зकसी अंतराЈˆटБीय या अżय लोकЗΉय ˇथानЛ पर नहИ मनाई
जा रही। घर के दायरे मЊ रहना, मानवीय जीवन शैली का

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 19


सामЗयक

सƒबżधी जानकारी और मंच जन-जन तक पहुँ चने मЊ मदद


भी हु ई है।
कोरोना काल का एक अित प्रचिलत सोशल मीЗडया का Ήयोग : यूँ तो मानव जीवन मЊ
पिरवतृन है ऑिफ़स या कायाृलयों सोशल मीЗडया जैसे फे सबुक, वाट् सएप, इंˇटा˚ाम और
का घर की चहरदीवारों के बीच में यूटκूब आЗद का Ήयोग गत वषोЈं Зदन-दूनी रत चौगुनी की
गЗत से बढ़ा है पर Зपछले कुछ महीनЛ अथाЈत कोरोना काल
ािपत होना। “घर से काम” जो मЊ इसका Ήयोग के एवरेˇट के Зशखर पर पहुँ चा है। इसका
वषोृं से एक सीिमत िवक के रूप मुűय कारण रहा है सोशल मीЗडया का पारंपЖरक Зमलन की
जगह ले ना। आज शत-ΉЗतशत गोिˆठयाँ, Зमलन, सƒमेलन
में प्रयोग में था, कोरोना काल में एक
ज़ूम और फे सबुक जैसे पटल पर हो रही हЎ। आपसी और
अिनवायृ जीवन शैली के रूप में सामूЗहक ЗवचारЛ का आदान-Ήदान भी इżहИ के माŻयम से
ािपत हुआ है। सुचाμ νप से हो पाया है।
इन पЖरिˇथЗतयЛ मЊ, सोशल मीЗडया का बढ़ता Ήयोग
हमारी जीवन शैली मЊ एक बड़े और आवǿयक बदलाव का
अपनी इस आदत पर गंभीरता से Зवचार करЊ और अपनी ηोतक है। सोशल मीЗडया पर अЗधक समय Ǿयतीत करने
जीवन शैली मЊ उपयुΨ पЖरवतЈन लायЊ। इस बाŻयता ने का अथЈ है। जीवन के अżय आवǿयक अवयवЛ पर कम
ЗवकЗसत देशЛ और महानगरЛ मЊ हमारी Іयादातर ख़रीददारी Żयान जैस,े ˇवाŻयाय, Зचंतन, ले खन, अŻयाŹम और Ǿयायाम
को “ऑन लाइन” अथाЈत “ЗडЗजटल” पटल पर ˇथाЗपत कर वगैरह।
Зदया है। मेरा अनुमान है Зक यह बदलाव मानव जीवन इस Зवषय पर ये कहना उЗचत न होगा Зक मानव को
शैली मЊ सहजता और गुणवΰा दोनЛ लाएगा। संभवतः ये सोशल मीЗडया से परे रख पाना संभव होगा पर सोशल
पЖरवतЈन हमारी जीवन शैली मЊ एक बड़े बदलाव का संकेत मीЗडया का अनुशासनहीन Ήयोग हमारी जीवन शैली को
हो? नकाराŹमक ढंग से ΉभाЗवत भी कर सकता है।
शारीЖरक Ǿयायाम सƒबżधी : ˇवˇथ बने रहने की कायाЈलय / कायЈ Ήणाली : कोरोना काल का एक
आवǿयकता को पूЗतЈ करने के कारण, शारीЖरक Ǿयायाम अЗत ΉचЗलत पЖरवतЈन है ऑЗफ़स या कायाЈलयЛ का घर की
मानव जीवन शैली का अЗभλ बनते जा रहे हЎ। ˇवाˇźय चहरदीवारЛ के बीच मЊ ˇथाЗपत होना। “घर से काम” जो
संबधं ी जानकाЖरयЛ की सुलभता से, Зवगत कई वषोЈं मЊ योग वषोЈं से एक सीЗमत ЗवकǼप के νप मЊ Ήयोग मЊ था,
और अżय ǾयायामЛ का Ήचार और Ήसार हु आ है। ये एक कोरोना काल मЊ एक अЗनवायЈ जीवन शैली के νप मЊ
सकराŹमक सामाЗजक बदलाव रहा है। ǾयावसाЗयक νप ˇथाЗपत हु आ है। जहाँ ये हर Зवभाग के Зलये सदैव संभव
से ˇथाЗपत Зकये गए बड़े-बड़े Ǿयायाम गृहЛ था योग केΆЛ ने नहИ है Зक, “घर से काम” का ЗवकǼप लागू हो पाये, इसने
भी लोगЛ को ˇवाˇźय के ΉЗत जागνक और Ǿयायाम के अЗधकतर कायोЈं को Зबना ऑЗफस/कायाЈलय के कर पाना
ΉЗत आकЗषЈत Зकया है। संभव Зकया है। ЗडЗजटल तकनीक ने इस शैली को सƒभव
पर करोना काल मЊ इस Ǿयवˇथा पर भी गंभीर Ήभाव और उपयोगी करने मЊ अहम भूЗमका अदा की है।
पड़ा है। मानवЛ के बीच Зनिǿचत दूरी रखने की आवǿयकता अंततः कोरोना काल सम˚ मानवता के सƒमुख एक
के कारण और सं˘मण के खतरे ने शारीЖरक Ǿयायाम को ऐЗतहाЗसक चुनौती ले कर उपिˇथत हु आ है। इसने हमारी
भी घर की चारदीवारी तक सीЗमत कर Зदया है। हममЊ से जीवन शैली को न Зसफ़Ј ΉभाЗवत Зकया है अЗपतु उस पर
बहु त से लोग सावЈजЗनक ˇथानЛ या खुले ˇथानЛ जैसे पाकЈ सोचने के नये आयाम भी Зदये हЎ। जीवन का कोई पहलू
या उηान मЊ Ǿयायाम करना पसंद करते है, अतः कोरोना इससे अछू ता नहИ रहा है। इस महामारी ने संचार, सƒबżध,
काल मЊ बहु त लोगЛ की ЗनयЗमत Ǿयायाम ΉЗ˘या पर माżयताओं को नये Зसरे से देखने का अवसर Зदया है। जहाँ
नकाराŹमक Ήभाव पड़ा है। आशावादी ιिˆटकोण से देखЊ तो एक ओर ये एक भीषण महामारी है, इसके पЖरιǿय मЊ
ЗडЗजटल पटल पर इस Зदशा मЊ बहु त सरल और सˇते इसने, मानव जीवन शैली को मूल νप से पЖरवЗतЈत ही
ЗवकǼप भी उपलſध हЎ, Зजनसे Ǿयायाम और ˇवाˇźय नहИ, पЖरभाЗषत करने का आगाज़ भी Зकया है।

20 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


गुलशन मधुर
1941 मЊ पेशावर मЊ जżम। 17 वषोЈं तक आकाशवाणी ЗदǼली मЊ उαोषक रहे। 1978 से 2005 तक "वॉयस ऑफ
अमेЖरका' मЊ समाचार-सƒपादक और Ήसारण-प΄कार रहे। 4 साल जमЈन रेЗडयो डॉयचे वैले के Зहżदी कायЈ˘म के
वॉЗशंगटन संवाददाता रहे। टे लीЗवज़न कायЈ˘म "नमˇते एЗशया' के संयोजन और Ήसारण मЊ सहयोग। कЗवताएं,
कहाЗनयां और ले ख आЗद ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ ΉकाЗशत। उΰर अमरीका के Зहżदी ले खकЛ की रचनाओं के सं˚ह
"Зदशांतर' और कहानी-संकलन "कथांतर' का सह-सƒपादन। सƒΉЗत - वाЗशंगटन, अमेЖरका मЊ Зनवास।
सƒपकЈ : gulshanmadhur4@gmail.com

चचाЈ

कहानी, जो अपने आपको कहती है!

ए क कहानी अपने आपको कहेगी, यह है वह वाŰय,


Зजससे उपżयास 'रेत समाЗध' आरƒभ होता है।
और पाठक के Зलए पहली नज़र मЊ Žयार जैसी
िˇथЗत पैदा हो जाती है।
'रेत समाЗध' को अंतरराˆटБीय बुकर सƒमान Зमलने के
संűया उसे अब तक पढ़ चुकी होगी। पर अपने इस परदेस
के कई ЗहंदीΉेЗमयЛ से बातचीत होने पर पाया Зक इस
अपराध का मЎ अकेला दोषी नहИ हूं । Зकताब हाЗसल करने
के भरपूर Ήयास के बाद एक पीडीऍफ़ ΉЗत हाथ आई। वह
भी Зव˘े ता की वेबसाइट पर ही पढ़ पाने की Зववशता के
एकदम बाद उपżयास को ले कर चचाЈ की जो बाढ़-सी आई, साथ। इबारत के Зकसी अंश को वहां से कॉपी-पेˇट कर
वह एक तरह से आतंЗकत करने वाली थी। मЎ इस आड़ पाना भी सƒभव नहИ था।
का सहारा नहИ ले ना चाहता Зक Зवदेश मЊ रहता हूं , इसЗलए बहरहाल! Ήǿन Зकया गया है Зक कैसी बधाई?
अब तक नहИ पढ़ पाया था, ले Зकन यह Зवξास करने को अंतराЈˆटБीय बुकर के 2022 के ЗनणाЈयक-मंडल के
जी ज़νर चाहा Зक Зहंदी के उŹसुक पाठकЛ की एक बड़ी Ήमुख ΊЎक Зवन के शſदЛ मЊ “जज-सЗमЗत गीतांजЗल Αी के
उपżयास की सशΨता, माЗमЈकता और शोख़ी भरी शैली से
चमŹकृत है। यह भारत और बंटवारे पर एक दीिŽतमान
उपżयास है, Зजसकी जादुई जीवंतता और सघन कμणाभाव,
युवŹव और वाγЈŰय, पुμष और ˇ΄ी, पЖरवार और राˆटБ को
एक रंगारंग सƒपूणतЈ ा मЊ गूंथता है।”
एक कहानी अपने आपको कहेगी – जी हां, यह है वह
वाŰय, Зजससे उपżयास आरƒभ होता है और ले Зखका
कहानी और पाठकЛ के बीच से लगभग हट सी जाती है।
कभी-कभी मानो नेपźय से संकेत देने के अलावा। और
आपको उसकी यह अनुपिˇथЗत अखरती नहИ। शायद यही

जज-सिमित गीतांजिल ी के
उप ास की सशक्तता, मािमृ कता
और शोख़ी भरी शैली से चम ृत है।
यह भारत और बंटवारे पर एक
दीि मान उप ास है, िजसकी जादुई
जीवंतता और सघन करुणाभाव,
पुरुष और Tी को एक रंगारंग
स ूणृता में गूंथता है।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 21


चचाЈ

Зकसी कहानी की सफलता होती है। रचनाकार अपने को चलती है, उसकी वजह ख़Źम हो जाए, तो भी।'
Зजतना कम कर ले ता है, उतना ही पाठक का कहानी के तो गौरैया भी एक Зकरदार है।
साथ तादाŹƒय गहरा होता जाता है। पाठक के साथ गहन ले Зखका एक जगह ˇवयं कहती है : ये सभी Зकरदार
ˇतर की यह तदाŹमता ही 'रेत समाЗध' को अनूठी कृЗत हЎ। चИटी, हाथी, दया, दरवाज़ा, मां, छड़ी, गठरी, बड़े, बेटी,
बनाती है। ˇपˆट है Зक इस तरह के कहने मЊ कथानक का रीबॉक जो बहू पहनती थी और...
पेचीदा ताना-बाना नहИ होता। Űया सचमुच Зकरदार ही असली कहानी नहИ होते?
'रेत समाЗध' मЊ कहानी पा΄Л के हवाले हो जाती है और और कथानक? वह भी तो ЗकरदारЛ के सुख-दुःख, उनके
शुν हो जाती है एक जादुई या΄ा। कहानी अपने आप को राग-θेष, उनकी जβोजहद सामने लाने का साधन होता है।
कहती चलती है। Зकसी अǼहड़ नदी की तरह अपनी राह इसीЗलए कहाЗनयЛ के पा΄ ˇमृЗत मЊ ЗचЗ΄त रह जाते हЎ। वह
बनाती हु ई। ЗनबाЈध, Ήवहमान। इस सफ़र मЊ कभी आपकी 'उसने कहा था' का लहना Зसंह हो या सूबेदारनी हो, 'गोदान'
मुलाक़ात एक दरवाज़े से होती है, 'जो जानता है Зक उसे के होरी और धЗनया हЛ, टोबा टे कЗसंह' का टे कЗसंह या
बहरसूरत खुले रहना है और उसके बीच से Зनकलने वाले Зफर 'Зज़ंदगीनामा' की राबयां या शाहनी'।
पर वΨ की, पूवस Ј ूचना देने की, खटखटाकर घुसने जैसी और ये Зकरदार ही वह कहानी हЎ, Зजसे पढ़ते हु ए एक
पाबंЗदयां नहИ हЎ। यहां सब मुΨ और मुफ़्त मामला।' के बाद एक कई नाम अहसास मЊ कОध जाते हЎ। Зवभाजन
कभी आप एक 'चमŹकारी' छड़ी से Зमलते हЎ, जो के ददЈ को महसूस करते-कराते मंटो, ‘लव इन द टाइम
'पटपट पटपटाती कलाबाज़ी मारती है। जी मЊ आए तो छोटी ऑव कॉलरा' और 'वन हंडेड Б यीअसЈ ऑव सॉЗलटκूड' के
हो जाती है, जैसे ऐЗलस हो। बाЗलǿत भर एक डंडी Зजसे 'गेЗΌयल गाЗसЈया माŰवेज़ Ј ', 'परती पЖरकथा' के फणीξर
बांह के नीछे दबा लो तो कोई देख न पाए। ये ЗततЗलयां हЎ नाथ 'रेण'ु , 'Зमडनाइट् स ЗचǼडБन' के सलमान μǿदी और
या जादू की पЖरयां ЗजżहЊ Зफर झटको तो पटपट Зनकलने बेशक़, बेशक़ 'Зमतरो मरजानी' और ‘Зज़ंदगीनामा' की कृˆणा
लगती हЎ और छड़ी लƒबी होती जाती है। ऐЗलस ऐज़ सोबती, Зजनका रचनाŹमक ऋण ˇवीकार करते हु ए
छड़ी।' गीतांजЗल Αी ने अपना उपżयास उनके नाम समЗपЈत Зकया
और कभी एक गौरैया नमूदार होती है। लालवन की है। μǿदी के उपżयासЛ मЊ झलकने वाले माŰवेज़ Ј के जादुई
यह गौरैया कभी Зनडर घूमती थी, ले Зकन एक Зशकारी का यथाथЈवाद से रंЗजत कहाЗनयЛ के पा΄Л से ले कर मंटो का
सामना होने के बाद डर का पयाЈय बन गई। और सЗदयां Зवभाजन से ЗवЗΩŽत टे कЗसंह और सोबती के 'Зज़ंदगीनामा'
गुज़र जाने के बाद भी उसका डर बना हु आ है। 'Жरवायत की Ήेमपगी राबयां और शाहनी याद मЊ साकार होती चलती
हЎ।
और Зकसी एक कारण का सू΄ इन तˇवीरЛ को नहИ
जोड़ता। कभी ये कहाЗनयां, अपने पा΄Л के कारण याद
कहािनयों के पात्र ृित में आती हЎ, कहИ ले Зखका की अपनी बात कहने की शैली की
िचित्रत रह जाते हैं। वह वजह से और कभी भाषा की अǼहड़ता के कारण, जो
लगातार धड़कती, बहती हु ई चलती है। यह Ύािżत नहИ
'उसने कहा था' का लहना होनी चाЗहए Зक 'रेत समाЗध' इन सब मЊ से Зकसी भी एक
िसं ह हो या सूबेदारनी हो, तरह का उपżयास है। हां, ले Зकन रचना अपना यह वादा
'गोदान' के होरी और पूरा करती चलती है Зक 'एक कहानी अपने आप को
कहेगी।' कहानी मŻयवगЈ के एक खाते-पीते पЖरवार की,
धिनया हों, टोबा टेकिसं ह' पЖरवार की एक मां-बेटी की, ЗजसमЊ दोनЛ की भूЗमकाएं
का टेकिसं ह या िफर परˇपर अदलती-बदलती Зदखाई देती हЎ।
जैसी Зक बात हो रही थी, यहां अपने परƒपरागत νप
'िज़ं दगीनामा' की राबयां
मЊ कथानक नहИ, बिǼक घटनाओं और िˇथЗतयЛ का ढीला-
या शाहनी'। ढाला जुड़ाव और कहानी कहने का ढंग महŹवपूणЈ है।
घटनाओं के ˘म मЊ बहु त चुˇत तारतƒय न सही, पर एक

22 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


चचाЈ

जादुई सा तार उżहЊ जोड़ता चलता है, जबЗक पाठक से एक


बतकही का ЗसलЗसला लगातार जारी रहता है, Зजसका 'रेत समािध' पढ़ कर अिभभूत हूं।
अंदाज़ Зक़ˇसागोई का है, ले Зकन आपका Żयान पल भर के
मन नहीं भरा है। इस बीच प्रतीक्षा
Зलए चूका नहИ Зक हालत ऐसी हो सकती है Зक आप राˇता
भूल गए हЛ। ऐसे मЊ आप पढ़ी हु ई पंЗΨयЛ पर Зफर लौटते है अं ग्रेज़ी अनुवाद ‘टू म ऑव सैंड’
हЎ और तब लगता है Зक Зकतना कुछ पकड़ मЊ आने से रह की, िजसका अमरीकी सं रण
गया था। इस तरह पढ़ने का सुख एक तरह का चुनौतीपूणЈ
खेल बन जाता है। ऐसा अनुभव कम ही कहाЗनयЛ या
हालांिक आती सिदृ यों में आने की
उपżयासЛ के साथ जुड़ा होता है। बात है, मुझे यूके में प्रकािशत
Зकतना ही कुछ और है, जो कहा जा सकता है इस सं रण ज ी ही उपल हो
Зकताब के बारे मЊ। उपżयास पढ़कर अЗभभूत हूं । मन नहИ
भरा है। कथन की उस सहजता और Ήवाह मЊ Зफर बहने जाएगा। पर मूल उप ास िफर से
को मन करता है, जो अपनी Зमसाल ˇवयं है। पढ़ने का मन बना हुआ है।
ऐसी रचना का अनुवाद करना Зकतने जोЗखम और
अŻयवसाय का काम हो सकता है, इसका कुछ अंदाज़ा मुझे डेज़ी कहती हЎ Зक उपżयास का अं˚ेज़ी अनुवाद बहु त
ǾयЗΨगत ˇतर पर बाक़ायदा है। हालांЗक रचनाŹमक मुिǿकल होने का कारण था, उसमЊ Зहंदी शſदЛ के छे ड़छाड़
अनुवाद का मेरा अपना अनुभव कЗवताओं के νपांतर तक और शोख़ी भरे Ήयोग की और ǿले ष और अनुΉास की ऐसी
ही सीЗमत है, समाचारЛ, समीΩाओं, वैΪाЗनक साम˚ी आЗद छटा, Зजसे अं˚ेज़ी मЊ शत-ΉЗतशत नहИ उतारा जा सकता
के अनुवाद का एक अनवरत ЗसलЗसला, जो मेरे Ǿयवसाय था, इसЗलए मЎने अं˚ेज़ी मЊ कुछ वैसा ही अहसास, वैसी
का मुűय अंग था, तीन दशक से अЗधक समय तक जारी सुरसता पैदा करने की कोЗशश की। डेज़ी अपने उप˘म मЊ
रहा। बहरहाल ˇवयं को डेज़ी रॉकवैल के ˇथान पर रखकर Зकतनी सफल हु ई हЎ, उसका ЗबǼकुल ΉŹयΩ पैमाना तो
सोचने पर अहसास हु आ Зक उनके सामने Зकतनी बड़ी यही है Зक पहली बार Зकसी Зहंदी पुˇतक को, बिǼक Зकसी
चुनौती थी। रचनाŹमक साЗहŹय का अनुवाद एक तरह की दЗΩण एЗशयाई भाषा की रचना को इस ˇतरीय अंतरराˆटБीय
मौЗलकता की मांग करता है, जो मूल रचनाकार के पुरˇकार से सƒमाЗनत Зकया गया है।
भावलोक और उसकी Зवचार-ΉЗ˘या की थाह ले सकने तो सवाल Зकया गया है, कैसी बधाई?
और कृЗत की νह मЊ उतरने के Зलए एक अЗनवायЈ शतЈ की गीतांजЗल Αी बधाई की पा΄ हЎ ŰयЛЗक 'रेत समाЗध'
तरह है। जूरी-Ήमुख ΊЎक Зवन का, जो ˇवयं एक अनुवादक एक जादू है, जो सर चढ़ कर बोलता है।
हЎ, कहना है Зक "वाˇतव मЊ आपको शſदЛ के न केवल अथЈ बधाई की पा΄ हЎ, डेज़ी रॉकवैल, ŰयЛЗक 'रेत समाЗध'
पर तवŵजो देनी होती है, बिǼक इस बात पर भी Зक वे का जादू अंतरराˆटБीय बुकर के ЗनणाЈयक-मंडल के सर
एक-दूसरे के साथ Зकस तरह गुंथ पाएंगे। वाŰय का लहजा, चढ़कर भी बोला, ‘टू म ऑव सЎड' के νप मЊ।
उसकी लय कैसी है, उसमЊ हाˇय या ǾयंŲयोЗΨ के तŹव Űया दोनЛ को अशेष शुभकामनाएं, आने वाले बरसЛ मЊ Зहंदी
हЎ, उसके सांˇकृЗतक संकेताथЈ Űया हो सकते हЎ।” के गौरव को दोबाला करने वाले उनके ऐसे और ΉयासЛ
'रेत समाЗध' का अनुवाद केवल भाषा का अनुवाद नहИ की सफलता के Зलए।
है। उपżयास की तεव से आबाद, कЗवŹवमय और पाठक 'रेत समाЗध' पढ़ कर अЗभभूत हूं । मन नहИ भरा है।
से हǼकी-फु Ǽकी छे ड़छाड़ की सी शैली से सराबोर Зहंदी को इस बीच ΉतीΩा है अं˚ेज़ी अनुवाद ‘टू म ऑव सЎड’ की,
अं˚ेज़ी मЊ अनूЗदत करना कोई आसान उप˘म नहИ रहा Зजसका अमरीकी संˇकरण हालांЗक आती सЗदЈयЛ मЊ आने
होगा। अनुवादक डेज़ी रॉकवैल का कहना है, “टू म ऑव की बात है, मुझे यूके मЊ ΉकाЗशत संˇकरण जǼदी ही
सЎड’ का अनुवाद करना मेरे Зलए सबसे कЗठन Ήयास रहा उपलſध हो जाएगा। पर मूल उपżयास Зफर से पढ़ने का मन
है – गीतांजЗल के ले खन की ΉयोगाŹमक ΉकृЗत की वजह बना हु आ है। Зपछली बार कुछ-कुछ ऐसा तब महसूस हु आ
से और भाषा के उनके अपनी तरह के अनूठे इˇतेमाल के था, जब कृˆणा सोबती जी का उपżयास 'Зज़ंदगीनामा' समाŽत
कारण।” Зकया था।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 23


मनीष कुमार गुŽता
1977 मЊ बैतल
ू , मŻयΉदेश मЊ जżम। बरकतउǼला ЗवξЗवηालय से कƒŽयूटर ЗवΪान मЊ इंजीЗनयЖरंग ˇनातक और भारतीय
ΉौηोЗगकी संˇथान (IIT) कानपुर से ˇनातकोΰर। Зहżदी साЗहŹय मЊ Зवशेष μЗच। ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ रचनाएँ
ΉकाЗशत। Зसयटे ल इलाके मЊ होने वाले कЗव सƒमेलनЛ-गोिˆठयЛ मЊ सЗ˘य भागीदारी। सƒΉЗत - माइ˘ोसॉžट मЊ कायЈरत
तथा Зसएटल मЊ Зनवास। सƒपकЈ ः manishkg@outlook.com

चचाЈ

रेत-समािध को बुकर

वा ट् सएप के फ़ॉरवडЈ संदेशЛ से गीतांजЗल Αी के


उपżयास को पुरˇकार Ήदान Зकये जाने की
ख़बर Зमली, ЗजसमЊ Зलखा था - Зक एक
भारतीय को पहली दफ़ा बुकर पुरˇकार से नवाज़ा गया, तो
खुशी हु ई, ले Зकन अचानक अरЗवżद आЗडगा और अμं धЗत
धरोहर के Зवषय मЊ कुछ पता नहИ तो कभी-कभी Зकसी भी
कृЗत को “टोकЗनज़म” के चलते पुरˇकार दे देते हЎ और यह
कृЗतयाँ कोई Зवशेष नहИ होती। मसलन “जय हो” ना
गुलज़ार का और न ही रहमान का सबसे अŴछा गीत है।
लोग यह भी कह रहे थे Зक पुरˇकार तो इसके अं˚ेजी
राय का Żयान हो आया। संदेशЛ को Żयान से पढ़कर Зफर अनुवाद को Зदया गया है, Зहżदी वालЛ के Зलए ये कोई दंभ
समझ मЊ आया Зक पहली Зहżदी की पुˇतक को पुरˇकार करने की बात नहИ है। यह सब पढ़कर सारी खुशी काफ़ू र
Зमला है। खुशी दूनी हो गई। हु ई और एक अवसाद सा घर कर गया ।
नाЗसर काज़मी की ग़ज़ल, ग़ुलाम अली की आवाज़ मЊ आए थ े हँसत े खल
े त े मय-ख़ान े म Њ 'Зफ़राक़'
मन मЊ बजने लगी : जब पी चु के शराब तो स ंजीदा हो गए।
Зदल म Њ इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
ले Зकन जब Ǿहाट् सएप और फ़े सबुक के कुछ और
संदेश और कुछ लोगЛ की ΉЗतЗ˘याएँ पढ़ी तो कनžयूज़ हो
गया। कोरी खुशी के अलावा कुछ और तरह की बातЊ भी
इंटरनेट के मायाजाल मЊ हमेशा की तरह Зदखाई पड़ी।
कुछ कह रहे थे, हमारे यहाँ जब बाहर से सƒमान
Зमलता है तब सƒमान Зदया जाता है, नहИ तो Зहżदी साЗहŹय
का Зतरˇकार Зकया जाता है। वहИ दूसरी तरफ़ लोग कह
रहे थे ये Зवदेश वाले , कुछ जानते तो है नहИ, इżहЊ हमारी

दूसरी तरफ़ कुछ लोग कह रहे


थे िक ये िवदेश वाले, कुछ
जानते तो हैं नहीं, इ ें हमारी
धरोहर के िवषय में कुछ पता
नहीं िलहाजा िकसी भी कृित को
“टोकिनज़म” के चलते पुर ार
दे देते हैं और यह कृितयाँ कोई
िवशेष नहीं होती।

24 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


चचाЈ

अब आप जानते ही हЎ Зक इस तरह की बेЗसर-पैर की


Зवडंबनाओं से सामना होता है तो मЎ अपने दो दोˇतЛ के
पास पहुँ च जाता हूँ । वही “डेटासुर और मैटासुर”!
अगर आप भूल गए तो Зफर से याद Зदला दूँ। डेटासुर डेटासुर कहने लगे, “मुझे इस
(Data-सुर) मЎ उस Зम΄ को कहता हूँ जो हर बात पर डेटा
कृित को िकतने लोगों ने पढ़ा है,
याने आँकड़े ले कर बैठ जाते हЎ और Зबना उसके कोई बात
नहИ करते। आंकड़Л के Зबना कोई बात इनके पǼले भी नहИ या इसके अनुवाद को िकन लोगों
पड़ती है। जैसे Зक अगर आप उनसे कहЊ Зक डाइЗटं ग पर ने पढ़ा है, इसके आं कड़ों की
हूँ ŰयЛЗक मोटा हो गया हूँ , तो उżहЊ जब तक आप यह नहИ
बताएँगे Зक आप औसतन Зकतनी कैलोरी खाते हЎ और
जानकारी तो नहीं है, लेिकन हर
डाइЗटं ग मЊ Зकतनी कैलोरी खा रहे हЎ, वो चैन नहИ पाएँगे। उस िक्त से जो इस पुर ार या
साथ ही वो कैलोरी डेЗफЗसट के अपने पूरे शोध को आपके इस कृित के िलए संदेह से भरे
साथ साझा Зकए Зबना आपको जाने नहИ दЊगे। इसीЗलए
उनका नाम मЎने “डेटासुर” रखा है। नज़िरये से देख रहे हैं, उ ें आप
मЎ उनके पास पँहुच उनसे कहा, “यह Űया बवाल है, सलाह दें िक सबसे पहले
“रेत समाЗध” के Зलए मुझे खुश होना चाЗहए, या दुखी, या Зफर
िकताब को पढ़ें ।
इन अंतराЈˆटБीय संगठनЛ के ΉЗत रोष उŹपλ होना चाЗहए?
कुछ समझ नहИ या रहा?“ डेटासुर महोदय के मुख पर एक
कुЗटल मुˇकान तैरने लगी, उżहЊ एक काम जो Зमल गया मЎने पूछा, “जो लोग इस कृЗत को या इस पुरˇकार को
था। Зवशेष नहИ मान कर इसका उपहास कर रहे हЎ, उनका Űया
कहने लगे - “पहले कुछ बातЊ समझ ले ना बहु त ज़νरी Зकया जाए?”
हЎ, बुकर पुरˇकार दो तरह के होते हЎ, पहला “बुकर डेटासुर कहने लगे, “मुझे इस कृЗत को Зकतने लोगЛ ने
पुरˇकार” जो 1969 से Зदया जाता है इंिŲलश भाषा मЊ पढ़ा है, या इसके अनुवाद को Зकन लोगЛ ने पढ़ा है, इसके
ΉकाЗशत Зकताब को। 2013 तक यह राˆटБमड ं ल देशЛ मЊ आंकड़Л की जानकारी तो नहИ है, ले Зकन हर उस ǾयЗΨ से
ΉकाЗशत पुˇतक को ही Зदया जाता था, ले Зकन अब Зवξ जो इस पुरˇकार या इस कृЗत के Зलए संदेह से भरे नज़Жरये
मЊ कहИ भी ΉकाЗशत इंिŲलश Зकताब को Зदया जाता है। से देख रहे हЎ, उżहЊ आप सलाह दЊ Зक सबसे पहले Зकताब
दूसरा ‘अंतराЈˆटБीय बुकर पुरˇकार’ जो 2005 से शुν को पढ़Њ। तब तक मЎ Зकसी तरह से इन आंकड़Л को जुटाने
हु आ। पहले ये Зकसी ले खक को, Зजसका काम सामाżयतः का काम करता हूँ ।”
इंिŲलश मЊ मूल या अनूЗदत νप मЊ उपलſध है, उसके पूरे उनकी बात सुन मЎने कहा, “आपके तźय जानकर
रचना-संसार के Зलए Зदया जाता था। अŴछा लगा, ले Зकन Űया Зहżदी मЊ इससे बेहतर और इससे
2015 से यह इंिŲलश मЊ ΉकाЗशत या अनूЗदत Зकसी पहले और उपżयास नहИ Зलखे गए Зजसका इंिŲलश अनुवाद
Зकताब और उसकी मूल भाषा की Зकताब को Зदया जाने उपलſध हो? Űया यह Зवदेशी लोग हमारे साЗहŹय और
लगा है। संˇकृЗत की समझ रखते हЎ?”
ये ЗबǼकुल सच है Зक Зहżदी की पहली पुˇतक और डेटासुर महोदय कुछ परेशान नज़र आने लगे। कहने
उसके इंिŲलश अनुवाद हो यह पुरˇकार Зमला है। लगे, “अगर सƒमान पूरे Зवξ मЊ Зकसी भी पुˇतक को Зदया
अμं धЗत रॉय, Зकरण देसाई और अरЗवżद आЗडगा को जा सकता है, तो पूरे Зवξ मЊ ΉकाЗशत पुˇतकЛ की सूची
उनकी कृЗतयЛ के Зलए “बुकर पुरˇकार” Зमला है ŰयЛЗक हर वषЈ की इकάी करनी पड़ेगी। लगभग असंभव काम है।
उनकी पुˇतकЊ मूलतः इंिŲलश मЊ थी। और साथ ही कौन-सी कृЗत बेहतर है, यह कोई वˇतुЗनˆट
गीतांजЗल Αी के उपżयास “रेत-समाЗध” और उसके बात तो नहИ है, ǾयЗΨगत सोच का मामला है। और जब
डेज़ी रॉकवेल θारा Зकए गए अनुवाद “टू म ऑफ़ सЊड” को मामला, आंकड़Л और तźयЛ से नहИ सुलझ सकता वहाँ मЎ
“अंतराЈˆटБीय बुकर सƒमान” Зमला है। आपकी कोई मदद नहИ कर सकता। मुझे माफ़ कीЗजए!”

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 25


चचाЈ

दूसरे तरह के लोग हЎ पुरˇकार पाने वाले । Зकसी


सƒमान को पाने पर कुछ लोग अपने को उसके योŲय मान
िकसी स ान को देने वाले सकते हЎ और कुछ अयोŲय। वहИ कुछ लोग सƒमान को ही
सं ानों और लोगों की दान- अपने क़द से छोटा मानकर ठु करा भी सकते हЎ। ले Зकन
पुरˇकार पाने वाले का सबसे बड़ा गहना मेरे Зवचार से
धिमृ ता और लोकोपकार की नΏता है। रचनाŹमक मामलЛ मЊ पुरˇकार की बहु त बड़ी
बात तो मह पूणृ है ही, साथ अहЗमयत है पाने वाले के Зलए, बाहरी और आंतЖरक दोनЛ
νप से।
ही कई बार यह भी मह पूणृ हो अब तीसरे तरह के लोगЛ की बात भी कर लЊ । देखने
जाता है िक उनके स ान योग्य वाले लोग। यहाँ पर कोई भी बात कहना बड़ा मुिǿकल है।
ŰयЛЗक ये लोग Зकˇम-Зकˇम के होते हЎ। कुछ को अपार
और प्रिस हि यों को िदए खुशी होगी Зक उनके पसंदीदा ǾयЗΨ को सƒमान Зमला तो
जाएँ िजससे िक स ान की कुछ को दुख और गुˇसा Зक उनके पसंद के ǾयЗΨ को नहИ
Зमला। इस गुट मЊ वह लोग भी शाЗमल हЎ जो इस सƒमान
अपनी प्रिसि बने और बनी रहे। की आशा मЊ थे और उżहЊ नहИ Зमला। इस गुट मЊ आपको
हर तरह के लोग ЗमलЊ गे, कुछ Зमलने वाले पर सवाल
अपनी शंका दूर ना हो पाने का दुख तो हु आ ले Зकन उठायЊगे, कुछ उन लोगЛ पर ЗजżहЊ न Зमल सका, कुछ
मन मЊ एक खुशी हु ई Зक आज मЎने डेटासुर को Зनμΰर कर सƒमान-तं΄ की राजनीЗत और धाँधЗलयЛ पर तो कुछ उस
Зदया। मЎने उनसे Зवदा ली और चल Зदया “मैटासुर (meta- सƒमान के ˇतर और ΉासंЗगकता पर।
सुर)” के पास। अगर आप मैटासुर के बारे मЊ भूल गए हЎ मेरी तो एक ही सलाह है, इस तीसरे गुट, ЗजसमЊ Зक
तो Зफर याद Зदला दूँ। ये महाशय Зकसी भी बातचीत को आप खुद शाЗमल हЎ, के Зवषय मЊ Іयादा सोचना बंद कर
मैटा ˇतर पर ले जाते हЎ, याЗन Зक सƒबγ Зवषय से ऊपर दीЗजए और आप अपने Зनजी अनुभव के बारे मЊ सोЗचए।
उठ कर Зवषय के अЗध-ˇवνप ˇतर बात करने लगते हЎ। वैसे एक और बात बताऊँ, सƒमान देने या Зमलने से
या Зकसी सवाल के जवाब के ˇथान पर उस सवाल के मानव मिˇतˆक पर कुछ मनोवैΪाЗनक Ήभाव पड़ते हЎ, जो
सवाल होने पर ही सवाल उठाने लगते हЎ। ऐसे हЎ हमारे बहु त ही पेचीदा और रोचक हЎ। मЎ आपको समझाता हूँ …”
मैटासुर भाई। मЎने देखा अब मैटासुर भाई पूरी तरह से अपने νप मЊ
मЎने उनसे सवाल Зकया, “भाई, यह Зवदेशी संˇथान आ गए हЎ, इसीЗलए यहाँ से Зखसकने मЊ ही भलाई है। मЎ
हमारे साЗहŹय के बारे मЊ Űया जानЊ, ये हमारी ЗकताबЛ को बहाना बना वहाँ से Зनकल Зलया।
पुरˇकार भला कैसे दे सकते हЎ?” घर लौटते वΨ तमाम Зवचार Зदमाग मЊ घुमड़ रहे थे।
मैटासुर भाई कुछ पल अपने ЗवचारЛ पर मनन करने मЎने सोचा, Зहżदी भाषा की Зकसी Зकताब और Зकसी
के बाद बोले , “पहले तो हम ये समझЊ Зक पुरˇकार या ले खक के Зलए यह एक पहल है, बस यही तो चाЗहए।
सƒमान है Űया बला, इससे Зकसे Űया हाЗसल होता है? मेरे तीसरे गुट के लोग Űया और कैसी बातЊ कर रहे हЎ, इससे
Зवचार से Зकसी भी पुरˇकार मЊ तीन तरह के लोग जुड़े हु ए मुझे और Зकसी को भी वाˇता Űयूँ हो! और सƒमान देने
हЎ। देने वाले , पाने वाले और देखने वाले । वालЛ और ले ने वालЛ के बारे मЊ मेरे मत का Űया महŹव
Зकसी सƒमान को देने वाले संˇथानЛ और लोगЛ की अगर उस मत से मЎ अपना कुछ भला न कर पाऊँ।
दान-धЗमЈता और लोकोपकार की बात तो महŹवपूणЈ है ही, तमाशाई-ए-नैरंग-ए-तमλा बने रहने का काम तो हम करते
साथ ही कई बार यह भी महŹवपूणЈ हो जाता है Зक उनके ही रहते हЎ। इस सब पचड़े मЊ पड़ने से अŴछा घर चलЊ
सƒमान योŲय और ΉЗसγ हिˇतयЛ को Зदए जाएँ Зजससे Зक और कुछ काम Зनपटाएँ।
सƒमान की अपनी ΉЗसЗγ बने और बनी रहे। बुकर के Зनदा फ़ाज़ली का शेर याद आ गया -
मामले मЊ हम इस दूसरी बात को भूल सकते हЎ, ŰयЛЗक धू प म Њ Зनकलो घटाओ ं म Њ नहा कर देखो
Зवξ मЊ एक मानक के νप मЊ पहले से ˇथाЗपत है। Зज़żदगी Űया है ЗकताबЛ को हटा कर देखो।

26 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


हЖरहर झा
7 अΨूबर 1946 को बांसवाड़ा (राजˇथान) मЊ जżम। सЖरता व ЗवЗभλ वेब-पЗ΄काओं मЊ Зहżदी व अँगरेजी कЗवतायЊ
ΉकाЗशत। ऑˇटБेЗलया के बारे मЊ आले ख व यहाँ के भारतवंЗशयЛ से साΩाŹकार के Зलये कƒयूЗनटी सЗवЈस एवाडЈ
(2013)। इसके अलावा पЖरकǼपना Зहżदी भूषण सƒमान (2013)।
सƒपकЈ : hariharjha2007@gmail.com

चचाЈ

श और सुर का उपयोगी प्रयोग

स भी जानते हЎ Зहżदी Зफ़ǼमЛ ने Зहżदी के Ήचार-


Ήसार मЊ बहु त योगदान Зदया है। भारत से बाहर
बहु त से बŴचे Зहżदी भाषा को Зसनेमा देख कर
ही सीखते हЎ। ŰयЛЗक घर मЊ उनके माता Зपता भी बŴचЛ से
अं˚ेज़ी मЊ बात करते हЎ। Зहżदी के ЗफǼमी गीतЛ की कुछ
पर Зसंहली लोगЛ का Зहंदी-गीतЛ से Ήेम देख कर हषЈ होना
ˇवाभाЗवक था।
Зहżदी के Ήचार मЊ ЗफǼम के बाद अगली कड़ी है Зहżदी
भाव गीतЛ को ЗफǼमी सुगम संगीत के साथ जोड़ा जाए।
सुगम संगीत होने से ये लोगЛ की जुबान पर चढ़Њगे और
ऐसी मЗहमा है Зक ’मेरा जूता है जापानी’ νस मЊ ΉЗसγ ΉЗसγ हЛगे। अमेЖरका के ЗफलाडेिǼफया मЊ रहने वाले
हु आ और गैरЗहżदुˇताЗनयЛ के मुहँ पर चढ़ गया। खुशी की उमेश ताँबी और Зसएटल के राहु ल उपाŻयाय ने Зमलकर
बात है Зक Зहżदी के Ήचार-Ήसार के औपचाЖरक कायЈ मЊ Зहंदी ЗफǼमЛ के कणЈЗΉय गीतЛ को पुनसЈ ृЗजत करके सवЈथा
सहयोगी ΉकǼप के तौर पर ЗफǼम-जगत को भी महŹव नया Ήयोग Зकया है जो न केवल कणЈЗΉय और रोचक है,
Зदया जाने लगा है। वरन् Ήवासी भारतीयЛ की युवा पीढ़ी को Зहंदी मЊ μЗच
ǾयЗΨगत तौर पर एक अनुभव साझा करना चाहूं गा। जागृत करने मЊ उपयोगी होगा।
एक बार मЎ Αीलं काइयЛ की एक Зनजी आयोजन मЊ शाЗमल इस जोड़ी ने अब तक लगभग 450 से ŵयादा गीत
हु आ। वहां अनेक Αीलं काई युवा दीवानगी से Зहंदी ЗफǼमी सृЗजत Зकये हЎ, ЗजżहЊ एक साथ सुना जाये तो ये लगभग
गीतЛ को गा रहे थे और Αोता भावЗवभोर हो रहे थे, यह 36 घंटे तक चलते हЎ। गीतЛ की धुनЛ का चुनाव लोकЗΉयता
देखकर मुझे सुखद आǿचयЈ हु आ। उनमЊ से अनेक नौशाद की अनेक पायदानЛ के Зहसाब से Зकया गया है, ЗजसमЊ
के संगीत के दीवाने Зनकले । उनका Зहżदी भाषा Ϊान केवल ЗवЗवधता है। इन गीतЛ को उमेश जी ने मधुर ˇवर Зदया है,
बॉलीवुड की Зहżदी तक सीЗमत था। जबЗक राहु ल जी ने गीतЛ की मूल धुनЛ पर नये शſद Зलखे
ऑˇटБेЗलया मЊ Αीलं का का दूसरा गВप तЗमल लोगЛ का हЎ। इżहЊ https://youtube.com/c/UmeshTambi Зलं क
है। उनका कभी-कभी भारत के लोगЛ से संबध ं होता है। पर सुना और पढ़ा जा सकता है।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 27


चचाЈ

मुझे लगता है Зक यह Ήयोग ЗवदेशЛ मЊ Зहżदी भाषा के हो इससे Űया फकЈ पड़ता है? ŰयЛ इसे ले कर नफ़रत फै लाई
Ήचार-Ήसार मЊ उपयोगी साЗबत हो सकता है। मेरा एक जाय? बात सही है और यहाँ Żयान रखना पड़ता है Зक
अżय रोचक अनुभव उǼले खनीय है। एक बार एक साЗहŹय अЗहंदीभाЗषयЛ की समझ मЊ आ जाय ऐसे शſदЛ से ले खन
संŻया-सƒमेलन मЊ एक अमेЖरकी ЗशΩाЗवद्-Зवθान बुलाए का ˇतर भी बना रहे। Зफर इżहЊ सुर मЊ गाना भी बहु त
गए। उनका संˇकृत Зसखाने का तरीका अεुत था। वे महŹवपूणЈ है जो उमेश जी ने अŴछी तरह Зनभाया है।
’राम: रामौ रामा:’ नहИ रटाते थे। पर बॉलीवुड के गीत का मЎ पूरी नΏता से कह सकता हूँ Зक मЎने अपनी ओर से
संˇकृत मЊ अनुवाद करके उसी धुन मЊ Зफट कर देते थे। शुγतावादी ιिˆटकोण से काम Зकया तो केवल सीЗमत
अपने ЗवηाЗथЈयЛ को बस वे वह गीत दे देते थे जो ЗवηाЗथЈयЛ सफलता Зमली। कुछ दो दजЈन ˇवरЗचत नवगीत Зजनकी
को याद रह जाते। और इस तरह उनका संˇकृत सीखना भाषा और Зबƒब को समझना सामाżय पाठक के Зलए
शुν हो जाता। मुिǿकल हो सकता है; ऐसे नवगीतЛ को तीन Ήकार के
’दे दी हमЊ आजादी Зबना खड् ग...’ का संˇकृत अनुवाद संगीतकारЛ को बाँट Зदया : पहले शाˇ΄ीय संगीतकार, दूसरे
मालू म हो तो उसके समानांतर अनेक वाŰय इस भाषा मЊ लोक-संगीत मЊ Ήवीण और तीसरे मराठी शाˇ΄ीय संगीत मЊ
बनाए जा सकते हЎ। इंटरनेट पर ’हैŽपी बथЈडे टू यू’ का पारंगत। इżहЛने ЗफǼमी संगीत का आΑय न ले ते हु ए नई
संˇकृत मЊ अनुवाЗदत गीत सुना जा सकता है जो मूल धुन धुन बनाई; काफी पЖरΑम Зकया। पर इनका उपयोग मेरे
पर बना है। हम सोच सकते हЎ Зक इसे याद कर ले ना Зलए केवल साЗहिŹयक समारोह तक ही रहा। नवगीत
Зकतना आसान है! Ǿयाकरण के Зहसाब से Зफर उसके ΉकाЗशत होने के बाद भी धुन कौन सी होगी इसके बारे मЊ
समानांतर वाŰयЛ को बनाना भी आसान हो जाता है। पाठक को पता नहИ चलता। पर यहाँ राहु ल-उमेश जी के
राहु ल-उमेश θारा सृЗजत इन गीतЛ के Зवषय भी भाँЗत- इन गीतЛ मЊ ЗफǼमी-गीत का मुखड़ा Зलखते ही अथवा Ήाय:
भाँЗत के हЎ। कुछ गीत समसामЗयक राजनैЗतक पЖरιǿय को अनुमान से पता चल जाता है Зक यह गीत Зकस राग मЊ
ΉЗतЗबिƒबत करते हЎ तो कुछ मЊ नैЗतक संदेश दजЈ हЎ। कुछ होना चाЗहए। मЎ चाहूँ गा Зक ΉारंЗभक Зहżदी सीखने वालЛ
कोरोना पर तो कुछ माˇक की उपयोЗगता को रेखांЗकत के Зलए Зवशेषत: अЗहंदीभाЗषयЛ के Зलए ऐसे गीत पाठκ˘म
करते हЎ। गीत चुनाव पर हЎ और भЗΨ गीतЛ की एक पूरी मЊ रखे जाएं। इससे भाषा Зलखने मЊ सुЗवधा और सरलता
कड़ी मौजूद है। रहेगी। आजकल की अनेक बॉЗलवुड ЗफǼमЛ मЊ अǿलील
ЗफǼमी गीतЛ को इस नये ˇवνप मЊ Ήˇतुत करने की और Зछछोरे गीतЛ की बाढ़ सी आ गई है। कई गीतЛ मЊ शſद
इस जोड़ी की लगन, ιढ़ता और मेहनत को देखकर मЎ महŹवहीन और उटपटांग होते हЎ। Зवदेशी धुन की नकल तो
अЗभभूत हूँ । मूल गीतЛ की धुन पर नये शſद Зलखने और कर ली जाती है पर शſद के मामले मЊ अŰल का
गाने का ΑमसाŻय पЖरΑम ˇपˆट Зदखाई देता है। ЗवषयЛ का ЗदवाЗलयापन Зदखाई देता है। Зफर समय-समय पर शुγ
वगीЈकरण अŴछी तरह से Зकया गया है। इżहЊ पैरोडी या Зहżदी के संवाद खलनायक को पकड़ाए जाते हЎ या
तुकबंदी समझना नादानी ही कही जायेगी। पŰकी तौर पर संˇकृतЗनˆठ Зहżदी θारा Зहżदी का मजाक उड़ाया जाता है।
कहा जा सकता है Зक इन गानЛ मЊ जो भी Зवषय चुना गया ’ЗΉय Ήाणेξरी! ρदयेξरी!’ जैसे गीतЛ को कॉमेЗडयन के हाथ
है उस पर गंभीरता से पूवच Ј चाЈ हु ई है। मЊ या बेतक ु े वातावरण मЊ ЗफǼमाया जाता है।
यहाँ हमЊ एक मानЗसकता से लड़ना होगा। कुछ सरल ऐसे वातावरण मЊ राहु ल-उमेश θारा गाये ये गीत ताजी
कЗवताओं पर जाने-माने कЗव भी समझते हЎ Зक इसमЊ हवा की तरह Ήतीत होते हЎ। मूल गायक की आवाज की
कЗवता नहИ है। Зफर ǾयंŲय से कहते हЎ Зक बस 'आओ तरह Зवषय और कźय को भी गंभीरता से Зलया गया है;
बŴचЛ तुƒहЊ Зदखाएं, झाँसी Зहżदुˇतान की।' यह Űया कЗवता आज के ЗफǼमी वातावरण मЊ इसकी महΰा समझाने की
हु ई? मेरा दावा है Зक ऐसे कЗव इसी धुन के समानाżतर आवǿयकता नहИ रह जाती।
Зकसी Зवषय पर Зलख कर बताएं तब पता चले गा Зक कैसे मुझे Зवξास है Зक इन गीतЛ के θारा Αोताओं के शſद
शſदЛ का चुनाव करना पड़ता है। Зवषय को संभाल कर Ϊान की वृЗγ होगी तथा Ǿयाकरण Ϊान भी बढेगा। साЗहŹय
Зलखना Зकतना दुνह हो जाता है! समारोहЛ मЊ तथा अżय΄ यहाँ तक Зक शादी या ΉीЗत भोज
Ήˇतुत गीतЛ मЊ इसी राग पर पЖरधान के Зलए एक गीत मЊ जहाँ ЗफǼमी गीत बजते हЎ, इन गीतЛ को बजाने का चलन
सुżदर शſदЛ मЊ गाया गया है; साड़ी ˇकटЈ या Зहजाब पहना होगा तो Зहżदीभाषा का कǼयाण होगा।

28 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


इंदु बारैठ
14 जून को भारत मЊ जżम। राजˇथान यूЗनवЗसЈटी से ˇनातक तथा संˇकृत, कƒŽयूटर ЗवΪान मЊ ˇनातकोΰर तथा एŰयूΉेशर
मЊ एमडी की उपाЗध ΉाŽत की। महाЗवηालय मЊ संˇकृत अŻयापन। अनेक संˇकृत नाटक सƒपाЗदत Зकये। भारतीय Зवηा
भवन मЊ Зहंदी ЗशΩण से जुड़ी रहИ। अनेक पुरˇकारЛ से सƒमाЗनत। Зहंदी, संˇकृत तथा राजˇथानी भाषाओं मЊ कЗवताएँ
ΉकाЗशत। संΉЗत ः लं दन मЊ संˇकृत, Зहंदी अनुवादक। सƒपकЈ ः indu.barot@yahoo.in

कहानी

उड़ान

भा रत पाЗकˇतान के बॉडЈर पर बसा एक छोटा


सा गाँव है ЗजसमЊ घर के नाम पर टू टी हु ई
झЛपड़ी ЗजसमЊ माँ बैठी कुछ कर रही है।
रामЗसंह बड़ी ही तेजी से दौड़ता हु आ आया और ˇकूल
बˇते के नाम पर कटा फटा सीमेżट के कΫे का थैला जमीन
के चेहरे पर कुछ ना कर पाने की बेबसी साफ झलक रही
थी।
पैसे पूरे होने का नाम ही नहИ ले रहे थे, Зजससे परीΩा
को फ़ॉमЈ भरा जा सके।
रामЗसंह सſजी के ठे ले पर बैठने लगा पर पैसै अभी
पर फЊ का और ЗमΫी के गारे मЊ थोड़ा और ठŸडा पानी भी कम पड़ रहे थे। थोड़ी बहु त पलदारी भी शुμ कर दी,
डालकर पैर उसमЊ ठूं स Зदये। वैसे भी तपते रेЗगˇतान मЊ 50 कुछ पैसे इकάा होते ही जैसै तैसै फामЈ भर Зदया पर पढ़ाई
Зड˚ी तापमान पर आग उगलती धरती पर नंगे पैर चलकर भी तो करनी थी। घर मЊ तो नकाराŹमकता का वातावरण
आना साहस से कम नहИ है। सदा बना रहता था। एक भाई शराब मЊ ही डू बा रहता है।
Зकतनी बार बोला रामЗसंह सीमЊट का कΫा बचा है तो दूसरा भाई कुछ करना चाहता है तो शरीर साथ नहИ देता।
पैरЛ मЊ भी बाँध Зलया कर रोज छालЛ से भरे रहते हЎ कहे एक Зपताजी हЎ जो Зबचारे सारे Зदन खटते हЎ। कभी इस
दे रही हूं बहु त भारी पड़ती Зदख रही है तेरी पढाई। वो सब राˇते तो कभी उस राˇते बैठकर परीΩा दे दी, लग रहा था
छोड़ ये बता आज कुछ खाने को है Űया? रामЗसंह ललचाई सपनЛ के कुछ क़रीब पहुँ च रहा है रामЗसंह। तभी पास के
नजरЛ से माँ के आसपास के बतЈनЛ पर नजर डालता है। गांव मЊ नक़ली दाμ पीने से भाई की मौत ने पूरे पЖरवार को
अपने तो 56 पकवान ये ही हЎ, कहकर थाली हाथ मЊ Зहला कर रख Зदया। लगा जैसे तपते रेЗगˇतान की लू हवा
पकड़ा देती है माँ। बाजरे की रोटी और Зपसी लाल ЗमचЈ मЊ मЊ सब कुछ उड़ा कर ले गई। वैसे वो कुछ करता नहИ था
लू ण पाणी Зमलाकर चटनी बनी से रोटी खाकर तृŽत महसूस पर एक एहसास था Зक वह है। मЗहने दो मЗहने मЊ वापस
कर रहा था । सब अपनी रोज़मराЈ के जीवन मЊ Ǿयˇत हो गये, शायद ये
तभी भाई सुरेżΆ Зसंह की आवाज कानЛ मЊ पडी Зक माँ ही ΉकृЗत का Зनयम है।
ЗचǼलाने लगी Зक रोज कोन दाμ के पैसे दे देता है इसको, रामЗसंह ने कॉिƒपटीशन की तैयारी के Зलये पैसै इकΫे
अरे नालायक घर मे तो खाने को अनाज तक नहИ है। वह करने के Зलये काम करना शुμ कर Зदया। गरमी की छЗΫयЛ
अपनी ही धुन मЊ नीम के पेड़ के नीचे पड़ी खाट पर Зगर मЊ जहां सब अपने नाना नानी, दादा दादी के घर जाते हЎ
जाता है। वहИ रामЗसंह ने कुǼफी के ठे ले पर बैठना शुμ कर Зदया।
माँ मЊ पास वाले गांव से पुरानी ˇकूल की डБेस ला रहा जैसै भी पैसै आते बस सब पढ़ाई मЊ चले जाते। एक Зदन
हूं आज माˇटरजी ने बताया कोई अपनी पुरानी डБेस दे रहा Зपताजी पास आकर बोल रामЗसंह अब तक 50 परीΩायЊ दे
है, कहता हु आ रामЗसंह घर से Зनकल गया तभी राˇते मЊ चुका है, अब बसकर। अपनी Зकˇमत मЊ सरकारी नौकरी
सबसे बड़ा भाई नरेżΆ Зसंह जो Зक Зवकलांग है, Зदख जाता नहИ है। इधर माँ भी ताने मार रही थी। अब रामЗसंह भी
है। रामЗसंह दौड़कर उसे सहारा देता है। एक यह भाई ही थक चुका था, उसके साहस ने भी जवाब दे Зदया था। लोगЛ
तो है जो सदा मनोबल बढाता है। कैसी चल रही है से भी गाЗलयाँ और ताने Зमलने लगे Зक घर पЖरवार की
रामЗसंह तेरी पढाई? परवाह नहИ है। पЖरवार मЊ सदा Зनराशा का वातावरण बना
हां भाईसा इस साल बोडЈ है, फामЈ भी भरना है अभी रहता। रामЗसंह सोच रहा था Зक ये कैसी मृगतृˆणा है जो
तो। पहले जा ˇकूल के कपड़े ले आ Зफर देखते हЎ, भाई समाŽत होने का नाम ही नहИ ले ती। हर तरफ़ तपन ही

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 29


कहानी

तपन। एक भाईसा ही हЎ जो Зवकलांग होते हु ये भी रामЗसंह आŹमहŹया कर ले ता हूं Űया रखा हЎ इस संघषЈ भरी Зज़żदगी
के सथ खड़े रहते। Зजससे रामЗसंह का उŹसाह टस से मस मЊ, Зकतनी परीΩायЊ दी अभी तक एक मЊ भी सफलता नहИ
नहИ होता। Зमली। दुЗनया के तानЛ से तो छु टकारा Зमले गा। कोई ये
अख़बार की ЗΉंЗटं ग Ήेस मЊ शाम का काम Зमल गया नहИ सोचता Зक ईξर ने जीवन Зदया है। उसको हर िˇथЗत
तो थोड़े पैसे और आने लगे पर रामЗसंह Зहƒमत कहाँ हारने मЊ जीओ, Űया पता है मरने के बाद सब सुख हЎ।
वाला था, परीΩायЊ देता रहा, फे ल होता रहा। कभी रामЗसंह तो Зनकल पड़ा अपना जीवन समाŽत करने
ЗफЗजकल मЊ फे ल हो जाता तो कभी इंटरǾयू मЊ। कभी-कभी अपनी ही धुन मЊ। उसने ठान Зलया की हाइवे पर Зकसी
तो बस एक दो नƒबर से ही रह जाता। शाम का समय था, टБक के नीचे आ जायेगा बस Зफर Űया Зमल जायेगा सब
बरसात हो रही थी, ऐसा लग रहा था Зक बादल फट गये ЗवपЗΰ से छु टकारा। जोर से हॉनЈ की आवाज से जैसे वह
हЎ जǼदी-जǼदी घर पहुँ चा। देखा भीड़ जमा है। भाग कर ЗनΆा से जागा। ओ बनाजी मेरो ही टБक ЗमǼयो कЂ मरबा
देखा भाईसा ने आŹमहŹया कर ली। माँ तो पूरी तरह से वाˇते? घरां जाओ माँ बाप राह देख Жरया होवेगा। डБाइवर
सुλ हो गयी। एक साल मे दो जवान मौत सुनकर ही पूरे जोर से ЗचǼलाया। रामЗसंह को देखकर उसको रामЗसंह की
बदन मЊ डर से झुरझरी हो जाती है। रामЗसंह पूरी तरह टू ट लाचारी पर दया आ गयी बोला बैठो गाड़ी मЊ आगे उतार
गया। समझ नही आ रहा था Зक Űया कνं। समय ऐसा दूँगा और हाथ पकड़कर चढा Зलया टБक मЊ।
होता है Зक कैसा भी दुख हो, दस बीस Зदन मे सब पहले टБक मे एक कЗव की कЗवता सुनाई दी Зजसकी कुछ
जैसा कर देता है परżतु जो चला जाता है उसकी कमी सदा पंЗΨयЛ ने रामЗसंह के जीवन को नई राह दे दी। वो पंЗΨ
हर Ωण जलाती है। घर मЊ घुसते ही दोनЛ भाईसा की बातЊ थी :
याद आती। माँ का यूं सदा चुप बुत बनकर रहना सहन Зछप Зछप कर अशВ बहान े वालЛ,
नहИ होता। Зपताजी रामЗसंह को बुलाकर कहते हЎ Зक तू ही मोती Ǿयथ Ј लु टान े वालЛ।
सहारा है हमारा और गले लगकर खूब रोये। Зफर भी मन कुछ सपनЛ के मर जान े स े,
मЊ बैठ गया Зक रामЗसंह तू Зकसी काम का नहИ हЎ, समझ जीवन नहИ मरा करता।
नहИ आ रहा था Зक करे तो Űया करे, एक बार जो कुछ सालЛ के पानी के बह जान े स े
नकाराŹमकता घेर ले ती है तो सब नकाराŹमक ही Зदखाई सावन नहИ मरा करता।
देता है। रामЗसंह के भी मन मЊ Зवचार आने लगे Зक मЎ भी कुछ दीपЛ के बु झ जान े स े
आ ंगन नही मरा करता,
और कुछ सपनЛ के मर जान Њ स े
अख़बार की िप्रंिटं ग प्रेस में जीवन नहИ मरा करता।
इन पंЗΨयЛ ने रामЗसंह को एक नई राह दे दी। चारЛ
शाम का काम िमल गया तो तरफ बस ये ही पंЗΨयाँ गूँज रही थी। उसे लग रहा था
थोड़े पैसे और आने लगे पर असल परीΩा तो आज से शुμ हु ई है। डБाइवर ने गाँव के
रामिसं ह िह त कहाँ हारने मोड़ पर छोड़ Зदया। घर पहुँ च कर अपने माता-Зपता को
देखा Зजनके चेहरे पर एक ही साल मЊ दो दो बेटЛ को खोने
वाला था, परीक्षायें देता रहा, का महादुख तथा मेरे Зलये Зचंता की लकीरЊ साफ Зदखाई दे
फेल होता रहा। कभी रही थी। उनके फटे हाल कपड़े, दЖरΆता, घर के खाली
बरतन सब कुछ वो जो Зनराशा के चǿमЊ मЊ Зछप गया था,
िफिजकल में फेल हो जाता
आज Зदखाई दे रहा था। रामЗसंह सोचता है Зक मЎ ये Űया
तो कभी इं टर ू में। कभी- करने जा रहा था, मЎ ये कैसे कर सकता हूँ , मЎ भाईसा जैसे
कभी तो बस एक दो न र कायर नहИ बनूँगा, माँ Зपताजी की उƒमीद बस मЎ ही हूँ
अब।
से ही रह जाता। एक बार पुन: रामЗसंह खुद से ही वादा करता है, वादे
तो वैसे वह हर बार करता है परżतु पूरे कभी नहИ होते,

30 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


कहानी

ले Зकन इस बार वह अलग धुन मЊ था। कह रहा था- मЎ इन


खाली बरतनЛ को भोजन से भर दूँगा, इन Зचżता की लकीरЛ
को हमेशा के Зलये हटा दूँगा, इस कŴची टू टी झЛपड़ी को
पŰके मकान मЊ बदल दूँगा। अब सरकारी नौकरी पाकर ही रामिसं ह भी सोच रहा था
रहूँ गा । िक जोश, ज ा और
पर चाहने से कुछ नहИ होता, उसके Зलये मेहनत
आवǿयक है। जुनून की जो उड़ान भर ले
परीΩाओं का दौर Зफर से शुμ हो गया, हर बार परीΩा तो कोई पंख नहीं काट
देता रहा फे ल होता रहा। हर किƒपЗटशन के फामЈ भरता
सकता सपनों के। अपने
रहा तैयारी करता रहा। रोटी कम खा ले ता था पर फामЈ
सारे भरकर भाŲय जνर आजमा ले ता था। अं दर की आग को िजं दा
फे ल होने का इतनी आदत सी हो गयी थी Зक रामЗसंह रखना है, पिरि ितयों से
सोचता Зक Űया कभी मЎ भी पास हो पाऊँगा या मेरा भЗवˆय
केवल कपड़े की फ़ै ŰटБी, ЗΉंЗटं ग Ήेस, कुǼफी और सſजी के
लड़ने की िह त खुद ही
ठे ले पर ही है। बेलगारी से तो पूरा बदन दुखने लगता था, आ जाती है।
पर इससे एक फायदा भी हु आ, बदन ददЈ के कारण पूरी
रात सो नहИ पाता था तो पढ़ाई कर ले ता था।
फे ल होते होते एक बार पुन: Зहƒमत और हौसले साथ
छोड़ने लग रहे थे। माँ Зपताजी Зबचारे डर के मारे कुछ नहИ जीत गया, उसको तो Зवξास ही नहИ हो पा रहा था Зक
कहते बस मुझे देख दुखी होते रहते Зक यह पागलपन कब वह पास भी हो सकता है। सबको बहु त खुशी थी वहИ एक
तक? आस पड़ोस, Жरǿतेदार, दोˇत, सगे संबध ं ी सब बस कोने मЊ भाईसा को खोने की पीड़ा दुख दे रही थी, आज वो
एक ही बात कहते Зक रामЗसंह तेरी Зकˇमत मЊ सरकारी होते तो Зकतना खुश होते।
नौकरी नहИ हЎ यह Зज़द छोड़ दे। रामЗसंह जैसे लड़के के Зलये बहु त बड़ी बात थी ये,
पर रामЗसंह तो Зहƒमत और हौसले की उड़ान भर Зजसने अपनी पЖरवार मЊ खाने की कमी देखी थी, Зजसने
चुका था। एक Зदन वह सोचने लगा Зक जब रेǼवे ˇटे शन अपनी Зज़żदगी ЗकताबЛ, काम और संघषЈ मЊ काटी। कमाल
पर चाय बेचने वाला Ήधानमं΄ी बन सकते हЎ, एक छŽपर हो गया ये तो, जो उसे उठते बैठते समझाते वही आज
के घर मЊ रहकर पढ़ने वाला देश का राˆटБपЗत बन सकते उसके हौसले की तारीफ़ कर रहे थे। बŴचЛ को Зमसाल देने
हЎ, अखबार के बŸडल उठाने वाला देश का नामी वैΪाЗनक लगे, कहने लगे Зक Зहƒमत कभी टू टने मत दो। हौसला
और राˆटБपЗत बन सकता है, Зजसके माता-Зपता का बचपन बनाये रखो।
मЊ ही कŹल हो चुका और हर पЖरिˇथЗत मЊ लड़ने वाले रामЗसंह भी सोच रहा था Зक जोश, जŵबा और जुननू
ЗमǼखा Зसंह कॉमन वेǼथ गेम मЊ गॉǼड मेडल जीत सकते की जो उड़ान भर ले तो कोई पंख नहИ काट सकता सपनЛ
हЎ तो मЎ ŰयЛ नहИ। के। अपने अंदर की आग को Зजंदा रखना है, पЖरिˇथЗतयЛ
रख हЛसला वो मज ंर भी आयगे ा, से लड़ने की Зहƒमत खुद ही आ जाती है।
Žयास े के पास चलकर इक Зदन सम ंदर भी आयगे ा। आज रामЗसंह पंचायत अЗधकारी के νप मे पहली बार
थककर ना ब ैठ म ंЗजले मु साЗफर, अपने ऑЗफस मे जा रहा था तो बस ये ही गुनगुना रहा था
तु झ े म ंЗजले भी Зमलेगी और मजा भी आयगे ा। Зक-
इन पंЗΨयЛ के साथ एक बार Зफर पूरे जोश से परीΩा सोच को बदलो तो Зसतारे बदल जात े हЎ,
दी, इस बार परीΩा मЊ जो हमेशा ग़लЗतयाँ करता हूं , इस नजरЛ को बदलो तो नजारे बदल जात े हЎ।
बार सुधारा। किǿतयЛ को बदलन े की ज़νरत नहИ है
इस बार माँ Зपताजी और ईξर की कृपा बनी, हर बार यारЛ Зदशाओ ं को गर बदलЛ तो
हार रामЗसंह को हराती थी इस बार हार को हराकर रामЗसंह Зकनारे अपन े आप Зमल जात े हЎ।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 31


डॉ. Зवकास कुमार Зसंह
22 फरवरी 1982 को सीतामढ़ी, Зबहार मЊ जżम। जवाहर लाल नेहν ЗवξЗवηालय से चीनी भाषा एवं साЗहŹय मЊ
ˇनातक, चीन के रन Зमन ЗवξЗवηालय से अंतराЈˆटБीय संबध ं मЊ ˇनातकोΰर तथा चीन के ही पेЗकंग ЗवξЗवηालय से
चीनी इЗतहास मЊ पीएचडी की उपाЗध ΉाŽत की। चाईना मीЗडया गВप मЊ दो वषЈ तक संवाददाता रहने के अलावा चीन
की एक ΉЗतिˆठत कंपनी मЊ भी Зवदेशी ЗवशेषΪ के νप मЊ आपने कायЈ Зकया। सƒΉЗत - पेइЗचंग Зवदेशी भाषा अŻययन
ЗवξЗवηालय (पेइЗचंग फॉरेन ˇटЗडज यूЗनवЗसЈटी) मЊ Зहंदी के सहायक Ήोफे सर के νप मЊ कायЈरत हЎ।
सƒपकЈ : vikash@bfsu.edu.cn

अनु वाद

एक तंत्र व बेबाक सूअर


वांग ǿयाओ पो
चीनी स े Зहंदी अनु वाद : Зवकास कुमार Зसंह

ज ब ˚ामीण Ωे΄Л मЊ भेजा गया था, तो मЎ सूअर को


चारा Зदया करता था, बैल भी चराया करता था।
अगर कोई ǾयЗΨ इनकी देखभाल नहИ करे तो
इन दो Ήकार के जानवरЛ को बेहतर मालू म है Зक जीवन
कैसे Зबताया जाता है। वे ˇवतं΄ νप से घूमते हЎ, भूख
वांग ǿयाओ पो
13 मई 1952 को पेईЗचंग शहर मЊ जżम। रनЗमन ЗवξЗवηालय
से ЗशΩा ΉाŽत की। कुछ समय तक पेइЗचंग ЗवξЗवηालय एवं
रनЗमन ЗवξЗवηालय मЊ अŻयापन का काम Зकया। कुछ समय
बाद अŻयापन छोड़ ˇवतं΄ νप से Зलखना शुν Зकया। इनकी
लगने पर खाते और पीते हЎ, जब वसंत का मौसम आनेवाला ΉЗसγ कृЗत मЊ ˇवणЈ युग, रजत युग, कांˇय युग, लौह युग
होता है तो सहवास भी करते हЎ। इस तरह की इनकी आЗद ΉЗसγ उपżयास हЎ। वषЈ 1997 मЊ, 45 वषЈ की उΏ मЊ
जीवन शैली बहु त ही Зनƒन ˇतर की होती है, कुछ भी Зदल का दौरा पड़ने से इनकी मृŹयु हो गई। बहु त कम उΏ मЊ
ही अपनी Ήखर ले खनी से चीन के ΉЗसγ ले खकЛ मЊ शुमार
Зदलचˇप नहИ होता। जब मानव आया तो उżहЛने इनके
हो गए थे। Ήˇतुत कहानी की पृˆठभूЗम चीन की महान
जीवन पγЗत को Ǿयविˇथत Зकया। हरेक सूअर और बैल सांˇकृЗतक ˘ांЗत के दौरान जब ले खक को गाँव मЊ पुनः
का जीवन Зकसी Зवषय पर आधाЖरत हो गया। उनमЊ से ΉЗशΩण के Зलए भेजा गया था तो उसी के आधार पर Зलखी
अЗधकांश के Зलए, इस तरह का जीवन Зवषय बहु त दुखद गयी है। ले खक ने इस कहानी के माŻयम से मानव के
Ǿयविˇथत जीवन पर ǾयंŲय के माŻयम से चोट करने की
था। पहले Ήकार का मुűय Зवषय काम करना और दूसरे
कोЗशश की है।
का मुűय Зवषय माँस बढ़ाना था। मुझे नहИ लगता Зक इसमЊ
कोई Зशकायत होनी चाЗहए, ŰयЛЗक उस समय का मेरा को छोड़ दЊ तो कोई दूसरा झक मारने वाला काम नहИ था।
जीवन भी कोई बहु त Зदलचˇप नहИ था, ЗसफЈ नाटक करने बहु त कम ही सूअर और बैल ऐसे थे Зजनके Зलए अलग
Ǿयवˇथा थी। अगर सूअर की बात करЊ तो नर सूअर और
मादा सूअर के Зलए भोजन के अलावा और भी कुछ काम
करने के Зलए नहИ था। जहाँ तक मЎने महसूस Зकया था,
उżहЊ इस तरह की Ǿयवˇथा भी ŵयादा पसंद नहИ थी। नर
सूअर का मुűय कायЈ पाल खाना था, दूसरे शſदЛ मЊ कहЊ तो
हमारी नीЗत ने उसे खुला सांड बनने की अनुमЗत दे रखी
थी। ले Зकन थका-हारा नर सूअर भी सामाżय सूअर
(Зजसका Ήजनन अंग काट Зदया जाता था) की भांЗत पेश
आता था और Зकसी मादा सूअर को देखकर भी उसके
ऊपर कूदने से इंकार कर देता था। मादा सूअर का काम
था बŴचा जनना, ले Зकन कुछ मादा सूअरЛ को अपने बŴचЛ
को भी खाना पड़ता था। कहा जा सकता है Зक मानवीय
Ǿयवˇथा ने सूअरЛ की िˇथЗत दयनीय बना दी थी। Зफर भी
उżहЛने Зववश होकर इस Ǿयवˇथा को ˇवीकार कर ही Зलया

32 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


अनु वाद

: सूअर आЗखर सूअर जो ठहरे। ЗवЗभλ आवाजЛ की नकल करता। वह कार, टБैŰटर आЗद
जीवन पγЗत मЊ फे रबदल या कई तरह का बदलाव के आवाज की नकल करता, वह बहु त अŴछी नकल करना
करना, मानव का Зवशेष चЖर΄ है। वह न केवल जानवरЛ सीख गया था। कभी-कभी वह पूरा Зदन नजर नहИ आता,
के जीवन मЊ फे रबदल करता है, बिǼक खुद के जीवन को मेरे Зवचार मЊ बगल के गाँव मЊ मादा सूअर की खोज मЊ गया
भी Ǿयविˇथत करता है। हमЊ मालू म है Зक Ήाचीन यूनान मЊ होता। हमारे यहाँ भी मादा सूअरЊ थИ, सभी बाड़ मЊ बंद
ˇपाटाЈ नामक जगह था, वहाँ का जीवन ЗबǼकुल उबाऊ होतИ। उżहЛने इतने बŴचЛ को जना था Зक शरीर का
बना Зदया गया था। Зजसका उβेǿय मदЈ को एक योγा डीलडौल Зबगड़ चुका था और गंदी होने के साथ-साथ बदबू
बनाना Зजसको अंततः मृŹयु ही ΉाŽत होता और औरतЛ को भी देती थИ। उसे इन मादा सूअरЛ मЊ कोई Зदलचˇपी नहИ
Ήजनन मशीन बनाना था। पहला ЗबǼकुल लड़ाकू मुगाЈ की थी। गाँव वाली मादा सूअर थोड़ी सुंदर होती। उसके बारे
तरह था तो दूसरा मादा सूअर की तरह। ये दोनЛ Ήकार के मЊ अनेक कहाЗनयाँ हЎ, ले Зकन सूअर की देखभाल करने का
जानवर बहु त Зवशेष होते हЎ। ले Зकन मुझे लगता है Зक उżहЊ अनुभव कम होने के कारण एवं उसके बारे मЊ सीЗमत Ϊान
अवǿय ही अपना जीवन पसंद नहИ होगा। ले Зकन पसंद नहИ होने के कारण, मЎ ŵयादा कुछ नहИ कह सकता। संΩेप मЊ
भी होगा तो Űया कर सकते हЎ? मनुˆय हो या जानवर, सभी यही कह सकता हूँ Зक Зजतने भी ЗशЗΩत नौजवानЛ ने उस
के Зलए अपना भाŲय बदलना मुिǿकल है। सूअर को चारा Зखलाया था, वे सभी उसे पसंद करते थे।
अब मЎ एक बहु त ही Зवशेष सूअर के बारे मЊ बताने जा सभी उसके ˇवतं΄ व बेबाक आदतЛ को पसंद करते थे
रहा हूँ । जब मЎ उसकी देखभाल के Зलए गया था, तो वह और कहा करते थे Зक उसका जीवन Зनǿचल है। ले Зकन
चार-पाँच साल का हो चुका था। Зकˇम के अनुसार वह गाँव वाले इतने रंगीन Зमजाज के नहИ थे, उनका मानना था
एक माँस वाला (पाल Зखलाने वाला नहИ) सूअर था। Зक वह एक बदचलन सूअर था। वहाँ के Ήभारी भी उस
ले Зकन वह बहु त दुबला-पतला, काला और चमकीला से नफरत करते थे, उसके बारे मЊ आगे चचाЈ कνँगा। मЎ
आँखЛ वाला था। वह पहाड़ी भЊड़ की तरह फु तीЈला था। उसे ЗसफЈ पसंद ही नहИ करता बिǼक उसका सƒमान करता
एक मीटर ऊँचे सूअर के बाड़ को आसानी से फाँद जाता था। उससे उमर मЊ कई वषЈ बड़ा होने की वाˇतЗवकता को
था, वह बाड़ के ऊपर भी चढ़ जाता था, उसका यह ˇवभाव नजरअंदाज कर, उसे अŰसर सूअर भैया बुलाता था। जैसा
ЗबǼली की तरह था, इसЗलए वह हमेशा चारЛ ओर Зक ऊपर बता चुका हूँ , इस सूअर भैया को कई तरह की
मटरगǿती करता रहता था, बाड़ मЊ ЗबǼकुल भी नहИ Зटकता आवाजЛ को नकल करना आता था। मुझे लगता है Зक
था। सूअरЛ को चारा देने वाले सभी पढ़े-Зलखे नवयुवक, उसने मनुˆय की बोली भी सीखने की कोЗशश की होगी,
उस सूअर को पालतू जानवर की तरह Žयार करते थे। वह ले Зकन नहИ सीख पाया, अगर सीख गया होता, तो हमलोग
मेरा भी Žयारा था, ŰयЛЗक वह भी पढ़े-Зलखे नवयुवकЛ से अपने Зदल की बात कर सकते। ले Зकन इसमЊ इसका कोई
Žयार करता था, उżहЊ उसके तीन मीटर के दायरे तक पहुँ चने
देता था, अगर दूसरा ǾयЗΨ होता तो वह बहु त पहले ही
रžफू चŰकर हो जाता। वह नर सूअर था। वाˇतव मЊ तो
उसका Ήजनन अंग काटा जाना चाЗहए था। ले Зकन तुम
आिखरकार, मैं एक तरफ खड़ा
कोЗशश कर सकते थे, अगर तुम चाकू को पीठ पीछे भी सब देख रहा था। सूअर भाई को
Зछपा ले ते तो वह सूंघ ले ता, Зफर तुƒहारी तरफ घूरते हु ए
जोर-जोर से ओंए ओंए कर शोर मचाने लगता। मЎ हमेशा
िब ु ल शांत देखकर, मेरे िदल में
उसे चावल के भूंसी का बना दЗलया Зखलाता, जब उसका उसके प्रित स ान और बढ़ गया
पेट भर जाता तब जाकर बचा हु आ दЗलया घास मЊ Зमलाकर
दूसरे सूअरЛ को Зखलाता। अżय सूअरЛ की जब नजर
था। वह बहुत शांत भाव से तमंचा
पड़ती तो ईˆयाЈ से हुं कार उठते। इस समय समूचा बाड़ पकड़े लोगों और बंदक ू िलए
शोरगुल से भर उठता, ले Зकन इससे मुझे और उस सूअर
को कोई फकЈ नहИ पड़ता। भोजन पूरा करने के बाद वह
लोगों के बीच में छु पा हुआ था।
उछलकर बाड़ के ऊपर धूप सЊकने के Зलए चढ़ जाता या

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अनु वाद

चुके थे और सौ लोग भी उस पर काबू नहИ पा सके थे।


मैंने अभी तक िकसी ऐसे दूसरे सूअर कुΰे भी उसके सामने ढ़ीले पड़ जाते थे। सूअर भाई जब
दौड़ता था तो Зकसी करंट वाली मछली की तरह लगता था,
को नहीं देखा िजसने िकसी मानव के कुΰे को दस फीट दूर तक धŰका मार फЊ क सकता था।
ारा प्रबंिधत जीवन को इस तरह कौन जानता था Зक इस बार सचमुच मन बना Зलया गया
था। हमारे ΉЗशΩक ने लगभग बीसेक लोगЛ को Зलया और
नजरअं दाज िकया हो। इसके िवपरीत, सबके हाथ मЊ तमंचा पकड़ा Зदया, उप-ΉЗशΩक ने भी
मैंने बहुत लोगों को देखा है जो दूसरे दसेक लोगЛ को साथ Зलया और सबके हाथ मЊ बंदक ू
पकड़ा Зदया, Зफर दो तरफ से सूअर के बाड़ के सामने के
लोगों के जीवन प ित को तय करते खाली मैदान मЊ उसे पकड़ने चल पड़े। इस िˇथЗत मЊ मेरे
हैं, उनको भी देखा है जो िकसी अ अंदर एक Зवरोधाभास चलने लगा। मेरे और सूअर भाई के
बीच जो संबध ं था, उस ιिˆटकोण से देखूँ तो मुझे भी चाकू
के ारा तय िकए गए जीवन प ित ले कर उसके साथ कंधा से कंधा Зमलाकर मुकाबला करने
को आराम से जीते हैं। के Зलए जाना चाЗहए था, ले Зकन मुझे लगा Зक ऐसा करने
से सभी ˇतſध हो जाते, ŰयЛЗक वह आЗखरकार एक सूअर
दोष नहИ है। मानव और सूअर के ˇवर मЊ बहु त अंतर है। ही तो था।
आगे चलकर, सूअर भाई ने बस के सीटी बजाने की एक और कारण था। मुझमЊ अपने नेता के Зवμγ जाने
आवाज को सीख Зलया था और उसका यही कौशल बाद की Зहƒमत नहИ थी, मुझे संदेह था Зक मेरी दुЗवधा का मूल
मЊ उसके Зलए मुसीबत ले आया। हमारे वहाँ पर एक चीनी कारण वही था। आЗखरकार, मЎ एक तरफ खड़ा सब देख
Зमल था, दोपहर को एक बार बस की सीटी लगती थी रहा था। सूअर भाई को ЗबǼकुल शांत देखकर, मेरे Зदल मЊ
Зजसको सुनकर सभी मजदूर अपनी Зशžट बदलते थे। उसके ΉЗत सƒमान और बढ़ गया था। वह बहु त शांत भाव
हमारे दल के लोग जो खेतЛ मЊ काम करते थे, इस बार से तमंचा पकड़े लोगЛ और बंदक ू Зलए लोगЛ के बीच मЊ
सीटी की आवाज सुनकर अपना-अपना काम समेटकर छु पा हु आ था, अगर दोनЛ दल एक ही समय मЊ गोली छोड़ते
वापस आ गए। मेरा सूअर भाई ΉЗतЗदन दस बजे बाड़ के तो दोनЛ दलЛ के लोग मारे जाते। अगर उसकी बात करЊ,
छत पर चढ़ जाता और बस की सीटी की आवाज की तो लςय छोटा होने के कारण, उसे कोई हाЗन नहИ पहुँ चती।
नकल करता। खेतЛ मЊ काम करने वाले लोग, जब उसकी और इसी तरह कई चŰकर लगाने के बाद, उसे एक खाली
आवाज सुनते तो काम समेटकर वापस आ जाते। यह चीनी जगह Зमल गया और धŰका मारते हु ए बाहर Зनकल गया,
कारखाने मЊ सीटी बजने से लगभग डेढ़ घंटा पहले का वह Зकसी शरारती की तरह भाग रहा था। बाद मЊ, एक बार
समय होता। ˇपˆट νप से कहूँ तो इसमЊ पूरा दोष सूअर मुझे वह गλे के खेत मЊ Зमला, उसके नुकीले दाँत Зनकल
भाई का नहИ था। वह Зकसी बायलर की तरह नहИ था, आए थे। वह अभी भी मुझे पहचानता था, ले Зकन मुझे
उसकी सीटी की आवाज मЊ और बस की सीटी की आवाज अपने पास नहИ फटकने Зदया। उसके इस उदासीपन से मЎ
मЊ थोड़ा फकЈ अवǿय था, ले Зकन गाँव के लोग जबरदˇती आहत हो उठा, ले Зकन मЎ उसके इस हरकत से सहमत था
कहते Зक उżहЊ कोई अंतर नहИ सुनाई देता। Ήभारी ने इस Зक उसने ठं डे Зदल वाले लोगЛ से दूरी बना Зलया था।
Зवषय पर एक बैठक बुलायी और उसके ऊपर सामाżय अब मЎ चालीस का हो चुका हूँ । इस सूअर के अलावा,
वातावरण को भंग करने का आरोप लगाया और उसको मЎने अभी तक Зकसी अżय सूअर को नहИ देखा Зजसने
सबक Зसखाने के Зलए Зवशेष नीЗत का Ήयोग करने का Зकसी मानव के θारा ΉबंЗधत जीवन को इस तरह
ЗनणЈय Зलया। नीЗत के मुűय तŹव को मЎ समझ चुका था, नजरअंदाज Зकया हो। इसके Зवपरीत, मЎने बहु त लोगЛ को
ले Зकन मुझे उसकी ЗबǼकुल Зचंता नहИ थी, ŰयЛЗक नीЗत मЊ देखा है जो दूसरे लोगЛ के जीवन पγЗत को तय करते हЎ,
अगर उसे रˇसी से बाँधना या Зफर चाकू से उस पर वार उनको भी देखा है जो Зकसी अżय के θारा तय Зकए गए
करना था तो उसके Зलए कोई परेशानी की बात नहИ थी। जीवन पγЗत को आराम से जीते हЎ। इसी कारण से, मЎ
पुराने Ήभारी या Зनदेशक भी इस तरह का उपाय आजमा हमेशा उस ˇवतं΄ व आवारा सूअर की याद करता हूँ ।

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डॉ. उमेश चरपे
˚ाम-भरकावाड़ी, Зजला-बैतल
ू मЊ जżम। Зहżदी साЗहŹय मЊ एम.ए., नेट तथा पी-एच.डी. की उपाЗध ΉाŽत की। ЗवЗभλ प΄-
पЗ΄काओं मЊ कЗवताएँ ΉकाЗशत हु ई। सƒΉЗत-सहायक ΉाŻयापक। सƒपकЈ : jilwane.pradeep@gmail.com

पु ˇतकायन

और यह ‘प्राथृना समय’ ही तो है

भा रतीय Ϊानपीठ के नवले खन पुरˇकार से चचाЈ


मЊ आये युवा कथाकार Ήदीप Зजलवाने के
पहले कहानी सं˚ह का शीषЈक ‘ΉाथЈना समय’
है, इस ΉाथЈना की गूँज पाठक अपने अंतमЈन मЊ सुन सकता
है। समय के साथ चलना और समय की नſज को पकड़ना
ले खक ने उसे अŴछी तरह से भांपा है। कहाЗनयЛ मЊ पाठक
इतना घुलЗमल जाता है Зक उसे लगता है, वह ˇवयं उसका
Зहˇसा है।
‘ΉाथЈना समय’ मЊ दस कहाЗनयां हЎ। वतЈमान समय के
पेचमपेच और समकाल की Зवडƒबना को उकेरने के साथ
हर Зकसी के बस की बात नहИ है। यह वही ǾयЗΨ कर ही घर पЖरवार, समाज के बदलते मूǼयЛ, Ήेम, संघषЈ मЊ
सकता है जो तटˇथता से साधारण जीवन को देख पाता है। घुली Зमली महीन संवदे नाओं मЊ Зलपटी कहाЗनयाँ हЎ। कहИ
कहИ गǼप कथा के माŻयम से Зकˇसागोई का सहारा Зलया
है।
इस कहानी सं˚ह की पहली कहानी ‘बानवे के बाद’
देश की बदलती पЖरिˇथЗतयЛ एवं साƒΉदाЗयकता को दशाЈती
है। बाबरी मिˇजद ЗवŻवंस और गुजरात के दंगЛ का समाज
पर Ήभाव बदलती मानЗसकता को सांकेЗतक ढंग से ǾयΨ
Зकया गया है। पहली कहानी ‘बानवे के बाद’ मЊ धाЗमЈक
सЗहˆणुता के साथ-साथ Зहżदू-मुिˇलम Ήेम का लवटБЊगल
और उसी बीच फै लती साƒΉदाЗयकता के साथ लोगЛ के
बीच फै लते वैमनˇय को Зदखाने का Ήयास Зकया है। ЗमजाЈ
साहब को पूरे गाँव मЊ जो इŵजत और Ήेम Зमलता है, वहИ
धीरे-धीरे बानवे के बाद लोगЛ की मानЗसकता मЊ पЖरवतЈन
Зदखाई देता है। मिˇजद बनाने के Зलए रखी दान पेटी का
गायब हो जाना; मिˇजद का काम ŽलЊ थ डालकर शुν कर
आधे मЊ रोक देना। और अंत मЊ मिˇजद के ЗनमाЈण की
जगह हनुमानजी की तˇवीर का होना। भǾय हनुमान मंЗदर
का ЗनमाЈण उसी के नीचे चोरी हु Ђ, वही दान पेटी का होना।
कहानी समय के साथ बहु त से पहलु ओ ं को उजागर करती
हु ई बदलती पЖरिˇथЗतयЛ पर सोचने के Зलए Зववश करती
है।
दूसरी कहानी ‘सŹयकथा वाया झूठे Зकˇसे’ मूलतः गǼप
कथा के माŻयम से वाˇकोЗडगामा की भारत या΄ा और
ǿयामा नाम की ˇ΄ी से Ήेम की कहानी है। वाˇको को Зजस
सुनहरे θीप की तलाश होती है वह कालीकट के बंदरगाह
पर पहुं चकर पूरी होती है। वाˇको की पŹनी कैटरीना और

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पु ˇतकायन

ǿयामा के Ήेम के साथ-साथ भारत के सौżदयЈ का Зच΄ भी कहानी मЊ ले खक ने दोˇती को मजहब से ऊपर बताते
शानदार खИचा है। भाषा की सहजता इस कहानी मЊ देखी हु ए ले खक ˇवयं असद का नाम अखबार मЊ आने पर कहता
जा सकती है। है Зक ''वह कोई और असद बेग ЗमजाЈ हो, हमारा असद न
इस कहानी सं˚ह मЊ ले खक ने कई ЗवЗवध ЗवषयЛ को हो। हमारा νम पाटЈ नर असद न हो। बरना यह ЗसफЈ एक
उठाया है, अपनी बात कहने के Зलए Зकˇसागोई और गǼप मुसलमान की Зगरžतारी की खबर भर नहИ होगी बिǼक
कथा का सहारा Зलया है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है एक आदमजात की हŹया की सूचना भी होगी। आमीन!''
Зक पढ़कर लगता है Зक आप उसे महसूस कर रहे हЛ। इस (पृ.59)
कहानी का भाषायी ЗशǼप भी बहु त सुंदरता से इˇतेमाल अगली कहानी ‘झाल’ ˇ΄ी के जीवन मЊ पЗत को छोड़ने
Зकया है। ‘सŹयकथा वाया झूठे Зकˇसे’ के माŻयम से ले खक पर सŰसेना से संबध ं बनाना के दौरान उसे ˇवीकार करना
इЗतहास के तźयЛ को आधार बनाकर Ήेम के ममЈ को बुनने होता है एक बŴचे का अपनी मां को परपुνष के साथ देखने
की कोЗशश मЊ Зदखाई देता है। पढ़ते-पढ़ते कहानी मЊ की पीड़ा को ǾयΨ करना Зकतना मुिǿकल है - ‘‘मेरी मƒमी
ЗजΪासा बनी रहती है। आगे और आगे जानने की लालसा की Зजंदगी मЊ सŰसेना तब आया था, जब मेरे Зपता ने उżहЊ
पाठक को खीचती है। ‘ठं डी’ कहकर अˇवीकार कर Зदया था और भЗवˆय के अंधेरे
‘ΉाथЈना समय’ अपने ‘कźय’ के साथ-साथ ‘ЗशǼप’ का नया बीहड़ मЊ तżहा छोड़ Зदया था जहां उसके पास हौसला रखने
Ήयोग वाकई मЊ खूबसूरत है। पढ़ने के दौरान पाठक को को उसका तीन साल का अबोध बŴचा भर था।’’ (पृ. 61-
संयम के साथ आगे बढ़ना पड़ता है। Зजस धैयЈ के साथ एवं 62) ЖरǿतЛ को ताक पर रखकर कंपनी के माЗलक रˇतोगी
ठहराव के साथ कहानीकार पा΄Л से ˇवयं से बात कहलवाते की मृŹयु के बाद रˇतोगी की Зवधवा के दो बŴचЛ का Зपता
हЎ लƒबे समय तक साЗहŹय मЊ इसकी चचाЈ हЛगी। ‘ΉाथЈना बन जाता है अपनी पŹनी को छोड़ देना साथ ही बŴचे को
समय’ बेहद ही खूबसूरत पठनीय कहानी है Ήेम के रेशमी अपने हाल पर छोड़ देना वतЈमान समय की Зवडƒबना को
धागЛ से बुनी हु ई यह कहानी धीरे-धीरे असद के अखबार Зदखाया गया है।
मЊ छपी खबर से आगे बढ़ती है। 'असद' की याद ले खक ‘‘मЎ अँधेरे से लड़ सकता था, उजाले से नहИ। अँधेरे मЊ हारने
को वह रंगीन Зखड़की और Ήेम की उठती Зचंगारी है। मЎ, का डर नहИ होता है जबЗक उजाले मЊ कई बार यह डर ही
मनीष, असद, तीनЛ के भाईचारा जाЗत धमЈ से ऊपर उठकर हार की वजह बन जाता है।’’ (पृ.67)
Ήेम का संदेश देते हЎ। ‘‘वे ΉाथЈनाएं भी जो अŰसर रातЛ मЊ ‘‘मЎने अपनी आँखЊ बंद नहИ की ŰयЛЗक मЎ समझ चुका हूं Зक
सूनी सड़कЛ पर टहलते हु ए हम एक-दूसरे के Зलए और आंखे बंद कर ले ने से यह सब Зदखना बंद नहИ होगा।
देश-दुЗनया की सलामती के Зलए Зकया करते थे।’’ (पृ.58) बिǼक आंखЊ बंद करने से ιǿय और साफ नजर आने लगते
हЎ।’’ (झाल-पृ. 67)
‘झाल’ कहानी मЊ समाज के बदलते मानवीय ЖरǿतЛ की
‘प्राथृना समय’ अपने ‘क ’ के साथ- कहानी है। ले खक ने अंतθЈżθЛ और बदलते पЖरवेश की
कुνपता, संबध ं Л का बनना Зबगड़ना Зदखाया गया है।
साथ ‘िश ’ का नया प्रयोग वाकई में सŰसेना की हŹया का űयाल Зनरंतर चलता रहता है परżतु
खूबसूरत है। पढ़ने के दौरान पाठक अंत मЊ ‘मां’ की खुशी के ‘‘जहाँ खुЗशयЛ के Зलए Жरǿते का
कोई जνरी और जायज नाम हो।’’ (झाल-71)
को संयम के साथ आगे बढ़ना पड़ता ''मЎने फЊ क Зदया अंदर चल रहे हŹया के बोझ को हमेशा
है। िजस धैयृ के साथ एवं ठहराव के के Зलए तालाब मЊ फЊ क Зदया।''
‘झाल’ कहानी मЊ मां के संबध
ं अżय पुνष के साथ देखने से
साथ कहानीकार पात्रों से यं से बŴचे के मन मЊ आपराЗधकता केभाव जा˚त होते हЎ उसके
बात कहलवाते हैं ल े समय तक मन मЊ हमेशा 'परपुνष' (सŰसेना) की हŹया का űयाल
घूमते रहता है।
सािह में इसकी चचाृ होंगी। ‘उधेड़बुन’ कहानी वतЈमान समय और पाЖरवाЖरक जीवन
की उधेड़बुन है। जहां नौकरी पЖरवार, बŴचे, पŹनी और मन

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पु ˇतकायन

के भीतर चलने वाली उधेड़बुन को ले खक ने मЎ के माŻयम


से ǾयΨ Зकया है। अलग-अलग घटनाओं को एक साथ
जोड़ा गया है। साई बाबा के मंЗदर मЊ पŹनी के कहने पर ‘वरसूद पर लोकतंत्र’ कहानी
जाना, नौकरी छू ट जाने पर पŹनी को Зबना बताये काम की
तलाश पर Зनकलना। कहानीकार ने रोजमराЈ मЊ होने वाली
बंधुआ लोकतंत्र का जीता जागता
घटनाओं को Зपरोया है। बयान है। िपछड़े एवं दिलतों को
‘वरसूद पर लोकतं΄’ यह कहानी बंधुआ लोकतं΄ का जीता
जागता बयान है। Зपछड़े एवं दЗलतЛ को Зजस लोकतं΄ मЊ
िजस लोकतंत्र में समानता का
समानता का अЗधकार Зदया है वह केवल Зदखावा मा΄ है। अिधकार िदया है वह केवल
पीछे शासन Зकसी और का ही चलता है। कहानी मЊ
सोमЗसंग नाम का पा΄, जो नाम का सरपंच हЎ उसके पीछे
िदखावा मात्र है। पीछे शासन
अयोŻया बाबू का ही हु Űम चलता है। यह कहानी लोकतं΄ िकसी और का ही चलता है।
की पोल खोलती है। कहने को Зक दЗलत और आЗदवाЗसयЛ
को बराबर का हक Зमल रहा है ले Зकन वे आज भी कहИ
न कही दूसरे के हाथЛ की कठपुतली है। उनके पीछे ‘Зबरबट’ कहानी मЊ कहानीकार Зगरधारी मामा के माŻयम
अयोŻया बाबू सरीखे लोग जो कहते है- ‘‘सोमЗसंग अपना से Зबरबट पΩी का νपक ले कर कहानी आगे बढ़ती है।
आदमी है, उसे हम जैसा कहЊगे, वह वैसा ही करेगा...’’ कहानी मЊ νपक का बेहतरीन Ήयोग Зदखाई पड़ता है।
पृ.104। कहानी मЊ गांव मЊ आने वाली तमाम सुख सुЗवधाओं मानवीय ЖरǿतЛ मЊ ˇवाथЈ का बोलबाला इस कहानी मЊ साफ
को अयोŻया बाबू डकार जाता है। मनमाने तरीके से तौर से Зदखाई पड़ता है।
Ύˆटाचार के आरोप मЊ बेचारे सोमЗसंग को जेल की हवा ‘बाЖरश, बुखार और Ήेम’’ कहानी मЊ Ήेम का νठने मनाने
खाना पड़ती है। का अंतθЈंद देखा जा सकता है। वतЈमान की कसमकस को
‘ЗचЗड़या रानी गǼफ कथा’ बेहद संवदेनाशील कहानी है। बखूबी ǾयΨ Зकया है।
ЗचЗड़या और लड़की के संवादЛ के माŻयम से मनुˆय की ‘‘ΉाथЈना समय’’ कहानी सं˚ह की सभी कहाЗनयां कुछ न
लालची इŴछाओं को अЗभǾयΨ करती हЎ। ЗचЗड़या और कुछ संकेत जνर देती है। Ήदीप की कहाЗनयЛ को बढ़े धैयЈ
लड़की के माŻयम से कहानीकार से समाज की उस के साथ समझना पड़ता है। Зनमाड़ की भूЗम से जुड़े होने
महŹवाकांΩा को ǾयΨ Зकया है ЗजसमЊ लड़का ही सवोЈपЖर के कारण कहाЗनयЛ मЊ वहां का लोकरंग और शſदЛ का
होता है। ’’कल दोपहर को जब मЎ ˇकूल से आयी तो घर Ήयोग बखूबी Зदखाई देता है। कहानीकार ने कहाЗनयЛ मЊ
पर नानी आयी हु ई थी। पापा जब आये तो मƒमी ने उżहЊ रोजमराЈ के जीवनानुभव को रखकर नयी बात कहने की
बताया Зक जांच मЊ Зफर लड़की है।’’ कहानी का यह संवाद कोЗशश की है। अपने आसपास के ЖरǿतЛ जैसे मामा,
बहु त कुछ बया करता है। चाचा, नाना, नानी, पŹनी, बŴचЛ को ले कर Зकˇसागोई के
‘‘कहा ना रानी, मुझे कोई कुछ नहИ बताता। हाँ, नानी फोन साथ Ήˇतुत करने का अलग अंदाज है। Ήेम Ήसंग और
पर अपने घर शायद नाना जी से बात कर रही थी Зक रोमांस पर खूब खुलकर Зलखते हЎ। जνरी नहИ Зकसी
हॉिˇपटल जाना है। बŴचा Зगराना है। पर मेरी समझ मЊ मंЗदर मЊ जाना, दीये जलाना, घंटी बजाना जब हम पूणतЈ ः
कुछ नहИ आया।’’ Зकसी के Ήेम मЊ डू बे होते हЎ तो वही हमारे Зलए ΉाथЈना
‘‘ये बŴचा Зगराना Űया होता है रानी’’ समय है।
‘‘ЗचЗड़या की आंखЛ मЊ आंसुओ ं की लं बी कतार है, मगर
लड़की के इस सवाल का कोई वाЗजब जवाब नहИ है। उस कहानी सं˚ह : ΉाथЈना समय
Зदन पहली बार ЗचЗड़या, लड़की से पहले छत से आकाश ले खक : Ήदीप Зजलवाने
मЊ लौट गयी थी।’’ यह कहानी समाज मЊ लड़ЗकयЛ की भГण सेतु Ήकाशन Ήा.Зल.
हŹया और लड़के की चाहत मЊ ǾयЗΨ Зकस हद तक जा मूǼय : 148/-
सकता है। ρदय को गहरे ˇतर तक छू ती है।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 37


नेहा शमाЈ
१० जनवरी को जżम। ˚ाЗफŰस Зडजायन मЊ उपाЗध ΉाŽत की। Зहंदी साЗहŹय से गहरा लगाव। कЗवताएँ और कहाЗनयाँ
अनेक प΄-पЗ΄काओं तथा साझा संकलन मЊ ΉकाЗशत। ſलॉग : nehasharma2.blogspot.in का संचालन। अनेक
संˇथाओं से पुरˇकृत। सƒΉЗत : सृजन एवं अल थयाल ˚ीżस दुबई मЊ Зनवास।
सƒपकЈ : sharmanehabhardwaj@gmail.com

ΉЗतЗ˘या

गभृनाल का जून-2022 अं क

क हते हЎ Зकसी भी पЗ΄का को आकषЈक सबसे


पहले उसकी बनावट उसका Зडजाइन बनाता
है। उसके तŹपǿचात पЗ΄का मЊ जुड़ी रचनाएँ
उसके आकषЈण को बढ़ा देती हЎ। यह ЗबǼकुल भी
अЗतǿयोЗΨ नहИ होगी यЗद यह कहा जाए Зक पЗ΄का
के Зलए साधुवाद। 'ЗΌसΌेन के Зकˇसे' मЊ एक ऐसा शहर
जो जागता है और समेट ले ता है खुद मЊ अनЗगनत Зकˇसे...
कैसा लगता है जब अपने ही देश से दूसरे देश मЊ आना हो
और वहां आकर जब नए-नए अनुभव हमЊ ΉाŽत होते हЎ।
बस उżहИ ЗकˇसЛ का एक छोटा-सा बŰसा है यह रचना।
वाˇतव मЊ इन सब पर खरी उतर रही है, देश-Зवदेश से लोग आजकल के समय मЊ Зलव इन Жरले शनЗशप के चचेЈ
गभЈनाल पЗ΄का से जुड़ रहे हЎ। पЗ΄का के रचना चयन मЊ जोरЛ पर हЎ। मुझे यह पढ़कर आशीष दलाल की कहानी
अथक पЖरΑम मौजूद है। ΉŹयेक रचना खंड चाहे 'ЗवमशЈ', याद आ गयी जो वे हर हžते साЗहŹय अपЈण वेबसाइट पर
'बतकही', 'सामЗयक', 'संदभЈ', 'Ǿयाűया', 'कЗवता', अथवा पोˇट Зकया करते थे और पाठक उसका इंतजार भी Зकया
'शोध आले ख' हो, सभी बेहतरीन और सुǾयविˇथत तरीके करते। ЗबǼकुल सही कहा गया है Зक Зबन फे रे हम तेरे
से पЗ΄का मЊ शाЗमल हЎ। कुछ वैसा ही आजकल Зलव इन Жरले शनЗशप का चलन बढ़
गभЈनाल के जून-2022 अंक के सƒपादकीय मЊ 'शूżय गया है। एक लं बे समय से यह चलन चल रहा है बस अब
से सृजन तक' का रोचक उǼले ख है, ЗजसमЊ साЗहŹय को इसकी पЖरभाषा थोड़ी बदल गयी है। इसी पΩ पर अजय
एक अεुत रंग मЊ रंग Зदया है। बोЗकल की यह रचना आधाЖरत है और उżहЛने वाकई
'भाषा सागर' रचना की एक पंЗΨ बेहद भा गयी वह बेहतरीन मुβे पर अपनी कलम चलाई है।
यह Зक "भाषा रचनाकार की नЛक से Зनकलने के पǿचात डॉ. मनीष कुमार चौरे की रचना 'इमली का पेड़'
Зकसी ǾयЗΨ, धमЈ या सƒΉदाय Зवशेष के Зलए नही होती आपको बचपन की सैर कराते हु ए जीवन की अनमोल
है।'' यह समЗझये की ЗसफЈ इतनी सी ही पंЗΨ मЊ सƒपूणЈ सीख भी दे जाएगा। इमली के पΰЛ और खΫी मीठी
ЗवमशЈ का सार छु पा है। नौशा असरार जी को उनकी रचना मुˇकुराहट से सजी इस रचना का इस पЗ΄का के माŻयम
से आनżद Зलया जा सकता है।
Зवˆणु Ήभाकर जैसे साЗहŹयकार न हु ए हЎ न ही कभी
हЛगे। Зवˆणु Ήभाकर जी से जुड़े बहु त से तźयЛ को उजागर
करती हु ई रचना को पढ़कर आपके अंदर ЗजΪासा जνर
पनपेगी उनके Зवषय मЊ और अЗधक जानने की। यह ले ख
साЗहŹय के Ωे΄ मЊ अεुत ЗवलΩण है। ऐसे ले ख समय
समय पर जνर ΉकाЗशत Зकये जाने चाЗहए। ताЗक जो
नवोЗदत साЗहŹय से जुड़ रहे हЎ वे साЗहŹय की जड़Л से जुड़Њ।
इस अंक मЊ आशीष ЗमΑा की कЗवता 'अपनापन' और
'पुरानी है मूरत' बЗढ़या हЎ। साथ ही संतोष कुमार की
कЗवता 'एहसास' मन को सुकून देती है।
पЗ΄का की समाज के ЗवЗभλ पहलु ओ ं पर नज़र है।
रोचक रचनाओं से पगा यह अंक सफल सƒपादन का
उदाहरण है, इसके Зलये पЗ΄का की समˇत कायЈकाЖरणी
बधाई की पा΄ है।

38 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


अंजू मेहता
कासगंज, उΰΉदेश मЊ जżम। Зहंदी साЗहŹय के साथ ही Зच΄कला मЊ उपाЗध ΉाŽत। साЗहŹय एवं भारतीय Зच΄कला मЊ गहरी
μЗच। दुबई मЊ अनेक Зच΄ ΉदशЈЗनयाँ आयोЗजत कИ। रचनाएं ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ ΉकाЗशत। सोशल मीЗडया के
ЗवЗभλ मंचЛ पर सЗ˘य भागीदारी। सƒΉЗत - ΉाŻयापन तथा शारजाह, यूएई मЊ Зनवास
सƒपकЈ : anju27102005@gmail.com

गη कЗवता

रंग
कै नवास पर आकृЗत उकेरने के बाद मेज़ पर
Зबखरे पड़े रंगЛ की तरफ़ μख Зकया। कूची
ले कर बार-बार आकृЗत मЊ रंगЛ से ख़बू सूरती
देने का असफल Ήयास कर रही थी। न जाने ŰयЛ आज
मनचाहा रंग-νप देने मЊ नाकामयाब हो रही थी।
ˇवνप को शोभने वाला। बोला मुझे भी नीलादारी नील के
Зबठाकर मेरी आभा को नुक़सान पहुँ चाती हो। लाल रΨ
वणीЈ अपना रौΆ νप Зदखाता हु आ। पीले और नीले के
साथ अपने गठबंधन पर अˇवीकृЗत की मोहर लगा रहा था।
काला Зसयाह तो कड़क ˇवर मЊ बोल रहा था।
शायद रंग आज νठ गए थे। रंगЛ की दुЗनया एक कुछ भी सुनने और समझने की अपनी सोच शूżय लग
अजूबा है। रंगЛ से दोˇती कर पाना भी सहज नहИ है। रही थी। एक भीमकाय Ήǿन कैसे। सामंजˇय Зबठाऊँ?
आजीवन परीΩा ले ते रहते हЎ साहब। वे पूरा Żयान अपनी सबकी उƒमीदЛ पर खरी कैसे उतμँ ? ΉǿनЛ की शृंखला को
ओर चाहते हЎ। ज़रा-सा भी Żयान भटकने पर नाराज़ हो अशृंखЗलत करना एक चुनौती बन गया था।
जाते हЎ। मЎने भी कुछ ЗदनЛ से उनकी ख़बर ही नहИ ली थी। एक नई उƒमीद से सबके साथ तालमेल Зबठाने की
उसी का नतीजा मुझे भुगतना पड़ रहा था। चेˆटा करती हूँ ।
मЎ भी कोई कम Зज़βी नही थी। अगर उनका हठ है तो ξेत को Зसयाह के संयोजन कर कड़वाहट की ˇयाही
मЎ भी कम नहИ। बस सोच Зलया। आज मनमुटाव ख़Źम को धुँधला पाती हूँ । दोनЛ का नया νप। अरे वाह! ΉयŹन
करके ही सोऊँगी। कूची ले कर Зफर नई कोЗशश की। तभी सही Зदशा मЊ जाते देख Зहƒमत को बढ़ावा Зमलने लगा।
आवाज़ कुछ जानी-पहचानी आती है। मुड़कर देखती हूँ । नीलादारी और पीताƒबरी दोनЛ के साथ-साथ चलते हु ए
सफ़े द रंग मुझे घूर कर देख रहा था। Űया ग़लती हु ई है नई Зम΄ता के अंकुर फू टने लगे थे और नए ˇवνप हरीतमा
मुझसे? सबके साथ ЗमЗΑत कर देती हो। मЎ Зनμΰर थी मЊ पЖरवЗतЈत होने लगे थे। मЎ गद्-गद् हो रही थी। तभी रΨ
तभी ΉǿनЛ की झड़ी लग जाती है। पीताƒबरी पीला कृˆण वणीЈ लाल टस से मस होने तैयार नहИ हो रहा था। मЎने भी
ˇवˇथ अżदाज़ मЊ कूची से दोनЛ की गЖरमा का Żयान रखते
हु ए संतЗु लत तालमेल Зबठाया। रΨ वणीЈ लाल पीताƒबरी
के साथ अपना ˇवνप एककर नारंगी आभा पा रहा था।
साथ-साथ नीलदारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था। रΨ वणीЈ
लाल के साथ अपनी भाई-बंधुता का पЖरचय जामुनी बन दे
रहा था।
सब कुछ अदभुत, आǿचयЈचЗकत और अचिƒभत था।
ऊपर वाले को शत-शत Ήणाम Зकया और पाया उकेरी हु ई
आकृЗत कुछ ЗवЗशˆट सृЗजत हु ई।
घड़ी पर Зनगाह जाती है। सुबह के पाँच बज गए थे।
राЗ΄ जागरण और पЖरΑम के बाद भी नई ˇफू ЗतЈ थी।
सभी रंग Зमलकर उŹसव मना रहे थे। आकृЗत से
Зनकल-Зनकल कर अपनी अЗभǾयЗΨ को ǾयΨ कर रहे थे।
और मЎ मूकदशЈक बन, रंगЛ से अपनी दोˇती और उनके
समपЈण पर गЗवЈत हो रही थी। उनके नेह की वषाЈ से अपने
रोए-रोए को भИगा हु आ पा रही थी।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 39


सŹयशील राम З΄पाठी
˚ाम μΆपुर, पोˇट खजनी, Зजला गोरखपुर मЊ जżम। दीनदयाल उपाŻयाय गोरखपुर ЗवξЗवηालय से पराˇनातक। ЗवЗभλ
प΄-पЗ΄काओं मЊ रचनाएँ ΉकाЗशत। आकाशवाणी एवं दूरदशЈन से काǾय पाठ।
सƒपकЈ : satysheel441@gmail.com

ग़ज़ल

एक
तरŰकी ढूं ढ़ता बˇता हमारा
अधूरा है अभी सपना हमारा

Зबगाड़ेगा बहु त काँटा हमारा


अभी कमजोर है Žयादा हमारा

भला कैसे बना पाऊंगा मूरत


बड़ा बेडौल है साँचा हमारा

रकीबЛ लौट जाओ आस ले कर


Зक Зनिǿचत हो गया Жरǿता हमारा

भले मЎ बन नहИ पाया मगर अब


बनेगा डॉŰटर बŴचा हमारा
दो
दो Зखलौने भूल जाती है उछलना भूल जाती है
गरीबी मЊ पली बेटी मचलना भूल जाती है
हौसले की साइЗकल चलने लगी
दवाई तेल पानी और सपना भूल जाती है
और पीछा कार का करने लगी
जो बेटी थी बहू बनकर अकड़ना भूल जाती है
साथ थोड़ा सा हवा ने दे Зदया
Зकसी एŰवेЖरयम के साफ जल मЊ तैरती मछली
नाव Зफर से झील मЊ चलने लगी
लहर से जूझना, लड़ना, झगड़ना भूल जाती है
Ήेम के दो शſद उसने कह Зदए
न रोती है न हंसती है Зकसी की याद मЊ खोई
बात Зबगड़ी थी मगर बनने लगी
नदी जब बफЈ बन जाती Зपघलना भूल जाती है
हो गई ЖरचाजЈ उनको देखकर
शहर जबसे गया बेटा नहИ मां चैन से सोई
बंद थी Зदल की घड़ी चलने लगी
थके बाबा के Зसर मЊ तेल मलना भूल जाती है
आज महЗफ़ल मЊ पधारी हिˇतयाँ
गंवाकर नИद आंखЛ की गगन छू ने की चाहत मЊ
बस तुƒहारी ही कमी खलने लगी।
सफलता खोज मЊ गुЗड़या संवरना भूल जाती है।

40 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


μЗपंदर सोज़
गांव रायपुर, लखीमपुरखीरी, उ.Ή. मЊ जżम। Зहंदी एवं पंजाबी मЊ कЗवताएँ Зलखते हЎ। ग़ज़ल सं˚ह 'सλाटा बोलदा'
ΉकाЗशत। ग़ज़लЊ कई ΉЗसγ गायकЛ ने गाЂ। अनेक सामाЗजक संˇथाओं से सƒबγ। पंजाबी-Зहżदी-उदूЈ के साЗहŹय को
ΉोŹसाЗहत करने वाली संˇथान Indoz punjabi sahit academy of Australia के अŻयΩ हЎ। सƒΉЗत - ЗΌसΌेन,
ऑˇटБेЗलया मЊ Зनवास। सƒपकЈ : rbhangra@gmail.com

ग़ज़ल

दो
कुछ वहां गर जला नहИ होता
Зफर धुआं यूँ उठा नहИ होता

मशवरा वो भी देते हЎ, Зजनको


मुβे का कुछ पता नहИ होता

बच सके वЃत की Зमलावट से


इतना कोई ख़रा नहИ होता

लड़खड़ाने से ही छलक जाये


एक जाम पूरा भरा नहИ होता

धंधा दंगЛ मЊ गर बचा ही नहИ! अब अगर एक का बुरा ना हो


Űया Зसयासत का कुछ Зबका ही नहИ? दूसरे का भला नहИ होता

इसके कोई पहर मЊ ज़ुǼम न हो वЃत ही ना Зमले संभलने का


ऐसा तो कोई Зदन ढला ही नहИ कोई इतना Зगरा नहИ होता

कौन शैतान Зफर Зदखाता उसे होते बस जंग मЊ नये हЗथयार


आईने सामने गया ही नहИ और कुछ भी नया नहИ होता

जो Зदखाया हमЊ था बचपन मЊ यूँ तो सारे हЎ अŰलमंद यहाँ


ऐसा कोई यहाँ खुदा ही नहИ Зफर भी ŰयЛ फै सला नहИ होता

यूँ बुरी ख़बरЛ ने Зकया पŹथर आदमी आˇथा बदलने से


रंग चेहरे से आज उड़ा ही नहИ मूल से तो जुदा नहИ होता

ख़ामख़ाह ही बनाया तुमने जहान जूझते हЎ जो Зज़ंदगी के Зलए


ऐ खुदा सबको जब जमा ही नहИ उनका कोई खुदा नहИ होता

एक Зदन सब दुμˇत हो जाना सोज़ ये Зज़ंदगी अजब तो है


सोज़ ऐसा कभी लगा ही नहИ। अपनी है पर पता नहИ होता।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 41


Зतआन केЗपंग
बीЗजंग ЗवξЗवηालय से Зहżदी मЊ एम.ए.। चीन सरकार की फ़े लोЗशप पर Зहंदी मЊ Ήवीणता के Зलए कЊΆीय Зहंदी संˇथान,
आगरा मЊ अŻययन Зकया। ЗदǼली मЊ Зवξ Зहंदी Зदवस पर Зहंदी मЊ भाषण Зदया। अЗखल भारतीय Зहंदी वाद-Зववाद
ΉЗतयोЗगता मЊ भाषा पुरˇकार Зमला। गुजरात की मुűयमं΄ी की चीन या΄ा के दौरान उनकी Зनजी Зहंदी अनुवादक रहИ।
सƒΉЗत - गुआंŲडЛग Зवदेशी अŻययन ЗवξЗवηालय, गुआंगज़ौ, चीन के Зहंदी Зवभाग मЊ ले Űचरर हЎ।
सƒपकЈ : 904950606@qq.com

शोध आलेख

चीन में िहं दी अनुवाद प्रिशक्षण

ची न और भारत का दो हजार से अЗधक वषोЈं


से मै΄ीपूणЈ आदान-Ήदान का इЗतहास है।
चीन और भारत के बीच Ήाचीन सांˇकृЗतक
आदान-Ήदान Зवξ सांˇकृЗतक आदान-Ήदान के इЗतहास मЊ
सबसे शानदार अŻयाय बन गया है। इस सांˇकृЗतक
हЎ, एक ǾयЗΨ के Зलए सभी भाषाओँ का Ϊान रखना
असƒभव है, मानव एक सामाЗजक Ήाणी है, अतः एक-
दूसरे से सƒबżध ˇथाЗपत करना, परˇपर संवाद ˇथाЗपत
करना हमारी मूलभूत आवǿयकता भी है और गुण भी। इस
Ήकार “अनुवाद” वह सेतु है Зजसके माŻयम से हम एक
आदान-Ήदान मЊ अनुवाद कायЈ बहु त महŹवपूणЈ भूЗमका दूसरे की भाषा नहИ जानते हु ए भी एक-दूसरे की संˇकृЗत,
Зनभाता था। भारत और चीन के बीच अनुवाद कायЈ दो Зवचार, रहन-सहन आЗद के Зवषय मЊ Зवˇतृत νप से जान
हजार से अЗधक वषोЈं से चल रहा है, ЗजसमЊ मुűय νप से सकते हЎ। Ήभावी अनुवाद लोगЛ के बीच संचार और
साЗहŹय, धमЈ, दशЈन, ЗचЗकŹसा, खगोल ЗवΪान और अżय आदान-Ήदान को बढ़ा सकता है, संचार पर सांˇकृЗतक
Ωे΄ शाЗमल हЎ। चीन और भारत के बीच अनुवाद और भाषा के अंतर के ΉЗतकूल ΉभावЛ को समाŽत कर
गЗतЗवЗधयЛ ने महान सकता है, संयुΨ νप से
उपलिſधयां हाЗसल की हЎ। आЗथЈक सहयोग और
आज, वैξीकरण के सांˇकृЗतक आदान-Ήदान
Зवकास और चीन और का पता लगाता है और
भारत के बीच आЗथЈक अंतराЈˆटБीयकरण को बढ़ावा
और सांˇकृЗतक आदान- देता है। आЗथЈक और
Ήदान की वृЗγ के साथ, सांˇकृЗतक गЗतЗवЗधयЛ को
अथЈǾयवˇथा, संˇकृЗत और अनुकूЗलत Зकया गया था।
राजनीЗत जैसे ЗवЗभλ Ωे΄Л मЊ चीन और भारत के बीच हाल के वषोЈं मЊ, चीन और भारत के बीच आЗथЈक
अनुवाद कायЈ के Зलए अЗधक से अЗधक ЗवЗवध और सांˇकृЗतक आदान-Ήदान के Зवकास के साथ, दोनЛ
आवǿयकताएँ हЎ। Зहंदी-चीनी अनुΉयुΨ अनुवाद Ωमता मЊ देशЛ के बीच आЗथЈक, सांˇकृЗतक और राजनीЗतक ЗवЗनमय
सुधार समकालीन चीन-भारतीय आदान-Ήदान मЊ एक गЗतЗवЗधयЛ मЊ उŴच-ˇतरीय Зहंदी-चीनी अनुवादकЛ की
महŹवपूणЈ भूЗमका Зनभाता है। इस संदभЈ मЊ, अनुΉयुΨ आवǿयकता बढ़ रही है। आधुЗनक युग मЊ चीन और भारत
अनुवाद ΉЗतभाओं की खेती के Зलए बाजार की मांग के के मŻय ЗवЗभλ Ωे΄Л मЊ आदान-Ήदान मЊ गुणाŹमक νप से
सामने, सЗ˘य और Ήभावी अनुवाद ЗशΩण को लागू करने वृЗγ हो रही है। बहु त सारे चीनी लोग कहते हЎ Зक भारतीय
और छा΄Л के Зहंदी अनुवाद ˇतर मЊ सुधार करने के Зलए लोगЛ से बातचीन करने के Зलए अं˚ेज़ी का Ϊान काफ़ी है।
Зनˇसंदेह बहु त महŹव है। पर यह पूणतЈ ः सŹय नहИ है। नेǼसन मंडेला (Nelson
Зहंदी अनुवादकЛ का Зवकास करने का महŹव : भाषा Mandela) ने कहा हЎ Зक “अगर आप ऐसी भाषा मЊ एक
मानव के सामाЗजक जीवन को सबसे ŵयादा ΉभाЗवत करने ǾयЗΨ से बातचीत करते हЎ, जो वह समझ सकता है, तो
वाले कारकЛ मЊ से एक है, Зजसके अभाव मЊ मानव समाज आपकी बात उसकी Зदमाग तक पहुं चती है, पर यЗद आप
मЊ आपसी संवाद की कǼपना भी नहИ की जा सकती। Зकसी ǾयЗΨ की मातृभाषा मЊ बातचीत करते हЎ, तो आपकी
हमारे बहु भाषी Зवξ मЊ छः हजार से ŵयादा भाषाएँ ΉचЗलत बात उसके Зदल तक पहुं चती है।” Зदल से वाˇतव मЊ

42 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


शोध आलेख

अŴछा संचार ΉाŽत करने के Зलए, Зहंदी और चीनी का अनुΉयोग-उżमुख उŴच-ˇतरीय ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत
उपयोग करना एक बेहतर ЗवकǼप है। करने मЊ ЗवशेषΪता रखते हЎ, जो उλत अनुवाद ΉЗतभाओं
वतЈमान मЊ, वЖरˆठ Зहंदी-चीनी अनुवादकЛ को ЗवकЗसत को ЗवकЗसत करने के Зलए बहु त महŹवपूणЈ है। ले Зकन
करने का बहु त महŹव है। एक ओर, चीन और भारत के वतЈमान मЊ Зहंदी मЊ ऐसी कोई अनुवाद Зड˚ी ЗशΩा नहИ है।
बीच तेजी से बढ़ते आЗथЈक और ǾयापाЖरक आदान-Ήदान यह पहलू भЗवˆय मЊ Зहंदी ΉमुखЛ के ЗनमाЈण और Зवकास
के साथ, Зहंदी अनुवादकЛ, Зवशेष νप से दुभाЗषयЛ के Зलए की महŹवपूणЈ साम˚ी मЊ से एक होना चाЗहए।
बाजार की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, Зजससे कॉले जЛ और 2. अनुवाद पाठκ˘मЛ की ЗशΩण पγЗत मЊ सुधार की
ЗवξЗवηालयЛ को Зहंदी अनुवादकЛ के ΉЗशΩण को मजबूत आवǿयकता है : वतЈमान मЊ कुछ कॉले जЛ और
करने और Ήभावी ढंग से काम करने के उपायЛ का सЗ˘य ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण मЊ
νप से पता लगाने की आवǿयकता है। दूसरी ओर, Зहंदी- अभी भी अपेΩाकृत एकल ЗशΩण ЗवЗधयЛ जैसी समˇयाएं
चीनी अनुवाद बाजार मЊ उŴच गुणवΰा वाली ЗमЗΑत हЎ और एकल ЗशΩण ЗवЗधयЛ और ΉЗशΩण ЗवЗधयЛ का
ΉЗतभाओं का अपेΩाकृत बड़ा अंतर है, और अपयाЈŽत भाषा Ήभाव बहु त अŴछा नहИ है। ЗशΩण पγЗत Зहंदी अनुवाद
अनुΉयोग Ωमता की समˇया ˇपˆट है। Зहंदी अनुवाद Ϊान सीखने के Зलए छा΄Л के उŹसाह को Ήभावी ढंग से
ΉЗतभाओं को मजबूत ǾयावहाЖरक Ωमता के साथ कैसे उΰेЗजत नहИ कर सकती है और छा΄Л के उŹसाह को Зहंदी
ЗवकЗसत Зकया जाए, यह नए युग मЊ चीनी ЗवξЗवηालयЛ अनुवाद मЊ भाग ले ने के Зलए Ήभावी ढंग से जुटाना मुिǿकल
मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार मЊ एक Ήमुख है और यहां तक Зक छा΄Л के सीखने के ιिˆटकोण और
मुβा बन गया है। इसЗलए, कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ असंतोषजनक सीखने के Ήभाव मЊ समˇयाएं पैदा करता है।
Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार पर जोर देना 3. ЗशΩक और ЗशΩण साम˚ी पयाЈŽत नहИ है :
और छा΄Л के अनुवाद की खेती पर Żयान कЊЗΆत करते हु ए ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहżदी अनुवाद ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत
अनुΉयुΨ अनुवाद ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत करने की करने की ΉЗ˘या मЊ, अपयाЈŽत ЗशΩकЛ की समˇया है। ऐसे
ǾयावहाЖरक आवǿयकताओं के संयोजन मЊ वैΪाЗनक और
उЗचत ЗशΩण सुधार योजना तैयार करना बहु त आवǿयक
है। बेहतर अनुवाद कौशल वाले छा΄Л की Ωमता, उŴच
अनुवाद Ωमता और Ǿयापक गुणवΰा वाली Зहंदी अनुवाद
िहं दी-चीनी अनुवाद बाजार में उ
ΉЗतभा चीन-भारतीय आЗथЈक और सांˇकृЗतक आदान-
Ήदान को बढ़ावा देने मЊ एक बड़ी भूЗमका Зनभाएगी। गुणव ा वाली िमि त प्रितभाओ ं
Зहंदी अनुवाद ΉЗतभाओ ं के ΉЗशΩण मЊ वतЈमान
का अपेक्षाकृत बड़ा अं तर है, और
कЗमयाँ : आज Зहंदी-चीनी अनुवादकЛ के ΉЗशΩण मЊ कुछ
ˇपˆट समˇयाएं हЎ, मुűयतः ЗनƒनЗलЗखत पहलु ओ ं मЊ। अपयाृ भाषा अनुप्रयोग क्षमता
1. Зवशेष उŴच ˇतरीय अनुवाद Зड˚ी ЗशΩा की कमी
की सम ा है। िहं दी अनुवाद
है : वतЈमान मЊ, चीनी ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी Ήमुख मुűय
νप से साЗहिŹयक Зड˚ी का ΉЗशΩण देते हЎ और Żयान की प्रितभाओ ं को मजबूत ावहािरक
मुűय Зदशाएं Зहंदी साЗहŹय और भारतीय संˇकृЗत हЎ।
क्षमता के साथ कैसे िवकिसत
ˇनातक, माˇटर या डॉŰटरेट ˇतर पर Зहंदी सीखЊ। ˇनातक
ЗशΩा चरण मЊ, Зहंदी सीखना छा΄Л की मुűय साम˚ी है, िकया जाए, यह नए युग में चीनी
और परीΩाएं Зहंदी Ϊान और Зहंदी आवेदन Ωमता की भी
िव िव ालयों में िहं दी अनुवाद
जांच करती हЎ। ले Зकन अभी भी ऐसा कोई कॉले ज और
ЗवξЗवηालय नहИ है जो अनुवाद-उżमुख ЗशΩा Ήदान पा क्रमों के िशक्षण सुधार में
करता हो। कई कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ ने अं˚ेजी,
एक प्रमुख मु ा बन गया है।
कोЖरयाई और अżय बड़ी कंपЗनयЛ मЊ माˇटर ऑफ
टБांसले शन (एमटीआई) की ˇथापना की है, जो अनुवाद

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 43


शोध आलेख

बहु त कम ЗशΩक हЎ जो Зहżदी अनुवाद अ यास और जाते हЎ। छा΄Л की अनुवाद जागνकता अपेΩाकृत कमजोर
अनुवाद अनुसंधान के ЗवशेषΪ हЎ। साथ ही, Зहंदी अनुवाद है, और अनुवाद रणनीЗतयЛ और अनुवाद ЗवЗधयЛ का ढांचा
पाठκ˘मЛ के ЗशΩण मЊ, बहु त कम पाठκपुˇतकЊ उपलſध ЗनमाЈण अपेΩाकृत कЗठन है। अनुवाद अ यास ŵयादातर
हЎ। ЗशΩक मुűय νप से पाठ और ЗशΩण साम˚ी की सतही परत मЊ पЖरलЗΩत होता है। बाहरी कारकЛ के Ήभाव
अपनी तैयारी पर भरोसा करते हЎ, Зजससे पाठ तैयार करने के कारण, अ यास मागЈदशЈन अपयाЈŽत है, जो बदले मЊ कम
मЊ ЗशΩकЛ पर बहु त अЗधक बोझ पड़ता है। इसके अलावा, कर देता है Зहंदी अनुवाद ЗशΩण का Ǿयापक Ήभाव।
ЗशΩण साम˚ी पाए गए अनुवाद पाठκ˘म असमान हЎ। 6. Зहंदी अनुवाद ΉЗतभाओ ं के Зवकास पर सुझाव :
अनुपयुΨ कЗठनाई और अपयाЈŽत ǾयावहाЖरकता जैसी कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ अनुΉयुΨ अनुवादकЛ के
समˇयाएं हो सकती हЎ। ΉЗशΩण लςयЛ के ιिˆटकोण से, Зहंदी अनुवाद पाठκ˘म मЊ
4. छा΄Л की सांˇकृЗतक समझ Ωमता मЊ सुधार की सुधार की ΉЗ˘या मЊ, हमЊ सचेत νप से ЗशΩण ЗवЗधयЛ का
जνरत है : भाषा और संˇकृЗत अЗवभाŵय हЎ। भाषा और नवाचार करना चाЗहए, ЗशΩण साम˚ी और ЗशΩण
संˇकृЗत के बीच घЗनˆठ संबध ं और उनके बीच परˇपर अवधारणाओं को नया करना चाЗहए और यह सुЗनिǿचत
Ήभाव यह ЗनधाЈЖरत करता है Зक अनुवाद को संˇकृЗत से करना चाЗहए Зक हम अनुΉयुΨ अनुवादकЛ की
अलग नहИ Зकया जा सकता है। पारंपЖरक रीЗत-ЖरवाजЛ, आवǿयकताओं का पालन कर सकЊ। Зहंदी अनुवाद
मूǼयЛ, नैЗतकता आЗद जैसे ЗवЗभλ पहलु ओ ं मЊ चीनी और पाठκ˘म की संगठनाŹमक योजना Зदशा को Зफर से योजना
भारतीय संˇकृЗतयЛ के बीच मतभेद हЎ। इसके Зलए छा΄Л बनाने की आवǿयकता को ЗवकЗसत करЊ और अनुवाद
को Зवदेशी भाषाओं का कुशल उपयोग करने की आवǿयकता ЗशΩण के Ǿयापक Ήभाव पर Ήकाश डालЊ । अनुΉयुΨ
है, ले Зकन ΉासंЗगक ˘ॉस-सांˇकृЗतक Ϊान को समझने अनुवाद ΉЗतभाओं के ΉЗशΩण लςयЛ के आधार पर Зहंदी
और भारतीय रीЗत-ЖरवाजЛ, संˇकृЗत और भाषा की आदतЛ अनुवाद पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार उपायЛ का Зवˇतृत
की अŴछी समझ बनाने की भी आवǿयकता है। इसने कुछ Зवǿले षण ЗनƒनЗलЗखत है।
छा΄Л पर कुछ हद तक बहु त दबाव डाला है और अनुवाद 1. अनुवाद मЊ माˇटर Зड˚ी Ήो˚ाम सेट करЊ : कुछ
ЗशΩण के Ήभाव पर नकाराŹमक Ήभाव पड़ेगा। कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ पेशेवर Зहंदी वЖरˆठ
5. अनुवाद पाठκ˘म देर से पेश Зकए जाते हЎ : अनुΉयुΨ अनुवादकЛ को ЗवकЗसत करने के Зलए माˇटर
अЗधकांश कॉले जЛ और ЗवξЗवηालयЛ मЊ Зहंदी के ЗशΩण ऑफ टБांसले शन (एमटीआई) की पेशकश Зहंदी की बड़ी
मЊ, अनुवाद पाठκ˘म अपेΩाकृत देर से होते हЎ। अनुवाद कंपЗनयЛ मЊ की जाती है। अनुवादकЛ के ΉЗशΩण के Зलए
पाठκ˘म आमतौर पर तीसरी या चौथी कΩा मЊ शुν Зकए इसका बहु त महŹव है। माˇटर चरण भाषा सीखने पर
कЊЗΆत है और साथ ही अनुवाद Зसγांत सीखता है। मुűय
उβेǿय छा΄Л की भाषा अ यास और अनुΉयोग Ωमता मЊ
भाषा और सं ृित के बीच घिन सुधार करना है।
संबंध और उनके बीच पर र 2. ЗशΩण ЗवЗधयЛ को सुधार करЊ : ЗशΩण ЗवЗधयЛ मЊ
सुधार और नवाचार करने से Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ के
प्रभाव यह िनधाृिरत करता है िक ЗशΩण Ήभाव मЊ सुधार हो सकता है। अनुΉयुΨ अनुवाद
अनुवाद को सं ृित से अलग ΉЗतभाओं के ΉЗशΩण की आवǿयकता के अनुसार नए युग
मЊ Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ की ЗशΩण ЗवЗधयЛ को
नहीं िकया जा सकता है। समायोЗजत और नवाचार करने की ΉЗ˘या मЊ, हमЊ छा΄Л
पारंपिरक रीित-िरवाजों, मू ों, की Ήमुख िˇथЗत को उजागर करने पर Żयान देना चाЗहए
और छा΄Л को ЗशΩण के मूल के νप मЊ ले ना चाЗहए।
नैितकता आिद जैसे िविभ गЗतЗवЗधयां : कायЈ ЗशΩण ЗवЗध, समूह सहकारी अनुवाद
पहलुओ ं में चीनी और भारतीय ЗवЗध, िˇथЗतजżय अनुकरण ЗशΩण पγЗत आЗद का उपयोग
ЗशΩण के Зलए Зकया जा सकता है, जो सूςम Ǿयाűयान
सं ृितयों के बीच मतभेद हैं। ЗशΩण θारा पूरक है। साथ ही, बुЗनयादी अनुवाद ЗसγांतЛ

44 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


शोध आलेख

के ЗशΩण पर जोर Зदया जाता है। Зहंदी अनुवाद पाठκ˘मЛ


के सीखने के Ήभाव मЊ सुधार करना।
3. ЗशΩण साम˚ी को समायोЗजत करЊ : ЗशΩण चीन में िहं दी की बड़ी कंपिनयां
साम˚ी का समायोजन और अनुकूलन Зहंदी अनुवाद
पाठκ˘मЛ के ЗशΩण सुधार की मूल कायЈ साम˚ी है। नई
कड़ी मेहनत कर रही हैं। अब
अवЗध मЊ Зहंदी अनुवाद ЗशΩण मЊ सुधार और नवाचार की तक, चीन में अिधकांश िहं दी
ΉЗ˘या मЊ, अनुवाद ЗशΩण के संयोजन मЊ समायोजन पर भाषा िवभागों ने दस से अिधक
Żयान देना चाЗहए अनुΉयुΨ ΉЗतभाओं की ΉЗशΩण
आवǿयकताएँ। पारंपЖरक ЗशΩण साम˚ी को बदलने के िहं दी पा क्रमों की पेशकश
संदभЈ मЊ, यह साЗहिŹयक अनुवाद पर बहु त अЗधक Żयान की है, िजनमें बुिनयादी िहं दी,
देता है, ले Зकन अनुवाद ЗशΩण साम˚ी का Зवˇतार करता
उ त िहं दी, मौिखक िहं दी,
है, और Зहंदी अनुवाद ЗशΩण पाठκ˘म को Ǿयवसाय Зहंदी
अनुवाद, वैΪाЗनक और तकनीकी Зहंदी अनुवाद तक वण िहं दी, िहं दी-चीनी
ЗवˇताЖरत और ЗवˇताЖरत करता है। पयЈटन सेवा Зहंदी अनुवाद आिद शािमल हैं।
अनुवाद आЗद, छा΄Л के कैЖरयर Зवकास की Зदशा के
आधार पर, अनुवाद ЗशΩण के Ήमुख Зबंदओ ु ं पर Ήकाश
डालते हЎ और छा΄Л की अनुΉयुΨ अनुवाद Ωमता मЊ सुधार अवसर Зमले । ले Зकन इसका मतलब यह नहИ है Зक एक
करते हЎ। चीनी Зजसने Зहंदी का अŻययन Зकया है, उसे Зहंदी से चीनी
4. छा΄Л की भारतीय सांˇकृЗतक समझ मЊ सुधार करЊ मЊ अनुवाद का अŴछा काम करने मЊ सΩम होना चाЗहए।
: ЗशΩण मЊ, भारतीय संˇकृЗत के अŻययन पर जोर Зदया एक ओर, अनुवाद कायЈ के Зलए उŴच भाषा आवǿयकताओं
जाता है, छा΄Л को भारतीय संˇकृЗत और चीनी और की आवǿयकता होती है और अŴछी भाषा Ωमता की
भारतीय संˇकृЗतयЛ के बीच अंतर को समझने के Зलए आवǿयकता होती है, दूसरी ओर अनुवाद के अपने तरीके,
मागЈदशЈन Зकया जाता है। ЗशΩकЛ को सचेत νप से Зनयम और Зसγांत होते हЎ। एक अŴछे भारतीय-चीनी
अनुवाद मЊ छा΄Л के Зलए सांˇकृЗतक पूरक ΉЗशΩण करना अनुवादक को Зहंदी और चीनी जानने के अलावा कुछ
चाЗहए, ताЗक छा΄ Зहंदी और चीनी की भाषा और अनुवाद ЗसγांतЛ को भी सीखना चाЗहए। बेशक, अनुवाद
सांˇकृЗतक पृˆठभूЗम को पार-सांˇकृЗतक अनुवाद के Зलए Зसγांत सीखना अंत नहИ है, बिǼक अनुवाद मЊ अŴछा काम
सटीक νप से समझ सकЊ, ताЗक अनुवाЗदत भाषा को उन करने का एक साधन है। źयोरी सीखते समय हम छा΄Л को
लोगЛ θारा Ǿयापक νप से पहचाना जा सके जो मूल वΨा ढेर सारा अ यास देना चाहते हЎ।
हЎ दो भाषाएँ। धीरे-धीरे छा΄Л को उŴच गुणवΰा वाले साथ ही, अनुवाद भी एक ˘ॉस-सांˇकृЗतक Ǿयाűया है,
कुशल अनुΉयोग-उżमुख Зहंदी अनुवादकЛ के νप मЊ तैयार और दोनЛ देशЛ के बीच सांˇकृЗतक मतभेद अनुवाद कायЈ
करЊ। की कЗठनाई को बढ़ाते हЎ। सांˇकृЗतक मतभेदЛ के
ЗनˆकषЈ : Зहंदी अनुवाद Ωमता मЊ सुधार और पेशेवर नकाराŹमक Ήभाव को कम करने के Зलए, छा΄Л को अलग-
Зहंदी अनुवाद ΉЗतभाओं को ЗवकЗसत करना बहु त महŹवपूणЈ अलग Ωे΄Л मЊ अपने Ϊान का Зवˇतार अलग-अलग तरीकЛ
है। चीन मЊ Зहंदी की बड़ी कंपЗनयां भी कड़ी मेहनत कर से करना चाЗहए और अपने ˘ॉस-सांˇकृЗतक अनुवाद
रही हЎ। अब तक, चीन मЊ अЗधकांश Зहंदी भाषा ЗवभागЛ ने कौशल मЊ सुधार करने के Зलए भारतीय साЗहŹय, धमЈ,
दस से अЗधक Зहंदी पाठκ˘मЛ की पेशकश की है, ЗजनमЊ संˇकृЗत, अथЈǾयवˇथा, राजनीЗत और अżय Ωे΄Л के बारे मЊ
बुЗनयादी Зहंदी, उλत Зहंदी, मौЗखक Зहंदी, Αवण Зहंदी, सीखना चाЗहए। उपरोΨ ЗवЗधयЛ के माŻयम से, पेशेवर
Зहंदी-चीनी अनुवाद आЗद शाЗमल हЎ। साथ ही हम लगातार अनुवाद माˇटर Зड˚ी ЗशΩा के साथ, हम बेहतर Зहंदी-चीनी
Зहंदी नाटक ΉЗतयोЗगता, Зहंदी ले खन ΉЗतयोЗगता, Зहंदी वЖरˆठ अनुवादकЛ को ЗवकЗसत कर सकते हЎ और चीन
भाषण ΉЗतयोЗगता आЗद गЗतЗवЗधयЛ की भी Ǿयवˇथा करते और भारत के बीच मै΄ीपूणЈ आदान-Ήदान मЊ अЗधक
हЎ, ताЗक छा΄Л को अЗधक Зहंदी का अनुभव करने का योगदान दे सकते हЎ।

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 45


डॉ. नवीन कुमार
कैलाश नगर, सांचोर तहसील, पिǿचमी राजˇथान मЊ जżम। Зहंदी मЊ एम.ए., संˇकृत, बी.एड., यूजीसी नेट, पीएचडी की
उपाЗध ΉाŽत। रचनाएँ ЗवЗभλ प΄-पЗ΄काओं मЊ ΉकाЗशत। कई संगोिˆठयЛ मЊ सहभाЗगता। अनेक पुरˇकारЛ से सƒमाЗनत।
सƒपकЈ : navinkumarmanawat@gmail.com

शोध आलेख

भी साहनी की िह ी सािह को देन


िह ी कहानी में भी साहनी को यिद कहानी के भी िपतामह कहा जाए तो
अितशयोिक्त नही होगी। भी साहनी प्रगितशील और पिरवतृनकारी िवचार िनहायत
ही संघषृशील और िजदंगी के प्रित अटू ट आ ा और िव ास वाले कथाकार थे।

आ धुЗनक गη साЗहŹयकारЛ मЊ भीˆम साहनी


का उǼले खनीय ˇथान है। भीˆम साहनी को
Зहżदी साЗहŹय की देन रही है। भीˆम
साहनी ने आधुЗनक चेतना और सामाЗजक पЖरιǿय को
देखकर साЗहŹय रचा। उनका साЗहŹय मानवीय सरोकारЛ
इनके कथा साЗहŹय पर Ήेमचंद और यशपाल की गहरी
छाप देखी जा सकती है। भीˆम साहनी ΉगЗतशील ले खक
है। उनका साЗहŹय Зबżदु मŻयम वगЈ रहा है। मानवीय
ΉЗतवाद के साЗहŹयकार भीˆम जी को हम दो μपांे मЊ बाट
सकते है- 1. सामाЗजक ΉЗतबγता, 2. राजनीЗतक
का साЗहŹय है। उनके साЗहŹय मЊ कटू यथाथЈ की अЗभǾयЗΨ ΉЗतबγता।
है। Зहżदी साЗहŹय की ले खन परƒपरा मЊ साहनी ने अपना सामाЗजक ΉЗतबγता मЊ भीˆम जी ने दЗलत-शोЗषत
योगदान उपżयास, कहानी Зनबंध, नाटक, संˇमरण आЗद पीЗड़त जनता का Зच΄ण Зकया है। Зहżदी कहानी मЊ भीˆम
अżय Зवηाओं से Зहżदी साЗहŹय की भी ΑीवृЗγ की है। साहनी को यЗद कहानी के भीˆम Зपतामह कहा जाए तो
अЗतशयोЗΨ नही होगी। भीˆम साहनी ΉगЗतशील
और पЖरवतЈनकारी Зवचार Зनहायत ही संघषЈशील
और Зजदंगी के ΉЗत अटू ट आˇथा और Зवξास
वाले कथाकार थे।
भीˆम साहनी का जżम 8 अगˇत 1915
रावलЗपंड़ी (ताŹकालीन) भारत वतЈमान
पाЗकˇतान मЊ हु आ था।
आधुЗनक Зहżदी साЗहŹय ˇतƒभЛ मЊ भीˆम
साहनी Ήमुख थे। वे भारत और पाЗकˇतान
Зवभाजन से पूवЈ अवैतЗनक ЗशΩक होने के साथ-
साथ Ǿयापार भी करते थे। Зवभाजन के बाद
भारत आकर समाचार प΄Л का ले खन भी Зकया
बाद मЊ जन नाटκ संघ से जा Зमले ।
भीˆम साहनी मानवीय मूǼयЛ के Зहमायती
रहे। और उżहЛने Зवचारधारा को अपने ऊपर
हावी नहИ होने Зदया। वामपंथी Зवचारधारा के
साथ जुडे होने के साथ-साथ वे मानवीय मूǼयो
को कभी आंखЛ से ओझल नहИ करते थे।
आपाधापी और उठापटक के युग मЊ भीˆम साहनी
का ǾयЗΨŹव Зबलकुल अलग था।
ˇवतż΄ोतर ले खकЛ की भांЗत भीˆम साहनी

46 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022


शोध आलेख

सहज मानवीय अनुभूЗतयЛ और ताŹकालीन जीवन के


अżतθЈżθ को ले कर सामने आए और उसे रचना का Зवषय
बनाया है। भीˆम साहनी एक ऐसे साЗहŹयकार थे Зक वे
बात को भांप ले ने मЊ समथЈ थे।
भी जी नयी कहानी के दौर से
भीˆम साहनी टू टने वाले नही संभलने वाले इंसान थे। लेकर बीसवीं सदी के अं त तक
‘‘यह Зकतनी बडी Зवडंबना है Зक उżहЛने न केवल भारत-पाक रचनारत रहे। इस ल ी अविध में
Зवभाजन देखा, बिǼक उसके बाद 1984 के Зसख Зवरोधी
दंगे और Зफर 2002 मЊ गुजरात के दंगे भी देखे।’’ Зजन कई तरह के बदलाव कहानी के
जीवन मूǼयЛ की अटू ट आˇथा हो उसे कई बार देखने से िश आिद में आये, उन बदलावों
आदमी का टू टना ˇवाभाЗवक है पर भीˆम जी नहИ टू टे।
का योग बहुत ही असरकारक ढं ग
भीˆम साहनी एक ǾयЗΨ के νप मЊ Зजतने सहज और
सरल थे, उनकी रचनाएं भी उस सहज सरल शैली मЊ से उनके कहानीकार पर आया
सामźयЈ के साथ रची हु ई थी। अЗतशयोЗΨ के Зवμγ होगा। जैसे झूमर, लीला नंदलाल
अǼपाЗΨ जैसे Зकसी Зवǿले षण का इˇतेमाल Зकया जा सके
तो मЎ कहूं गा भीˆम साहनी अǼपोЗΨ के कलाकार हЎ।
की माता-िवमाता, चील आिद
भीˆम जी नयी कहानी के दौर से ले कर बीसवИ सदी के कुछ कहािनयां जो सामािजक
अंत तक रचनारत रहे। इस लƒबी अवЗध मЊ कई तरह के स भृ को उजागर करती हैं।
बदलाव कहानी के ЗशǼप आЗद मЊ आये, उन बदलावЛ का
योग बहु त ही असरकारक ढंग से उनके कहानीकार पर
आया होगा। जैसे झूमर, लीला नंदलाल की माता-Зवमाता, Зहżदी साЗहŹय मЊ ΑीवृЗγ की है। अगर उपżयास ही की बात
चील आЗद कुछ कहाЗनयां जो सामाЗजक सżदभЈ को उजागर की जाए तो झरोखे, कЗडया, तमस, बसंती, मǺयादास की
करती हЎ। गाडी, कुżतो, नीलू ЗनЗलमा नीलोफर आЗद उपżयास साЗहŹय
भीˆम साहनी एक ǾयЗΨ ही नहИ एक नाटकीय पटकथा Зलखकर Зहżदी समीΩा एवं शोभा मЊ अЗभवृЗγ की है। इसी
की संˇथा के νप मЊ Зवűयात हЎ। 10 अΉैल, 1936 को तरह भीˆम साहनी ने नाटक भी Зलखे Зहżदी पटकथा ले खन
Ήेमचंद की अŻयΩता मЊ Зजस ΉगЗतशील ले खक संघ की परƒपरा मЊ भीˆम जी का उǼले खनीय ˇथान है। उżहЛने
अŻयΩता हु ई थी, भीˆम साहनी ने सन् 1972 से 1986 तक नाटक सवЈदा पटशैली मЊ Зलखे ЗजनमЊ, कЗबरा खड़ा बाजार
उसके राˆटБीय महासЗचव का दाЗयŹव Зनभाया। राजनीЗत मЊ, हानूश, माधवी, मुआवजे, गुलेल का खेल आЗद इस
की दीΩा उżहЊ राˆटБीय आżदोलनЛ मЊ भी Зमल गई। बाद मЊ तरह जीवनी साЗहŹय मЊ उżहЛने मेरे भाई बलराज साहनी,
चलकर उनकी राजनीЗतक चेतना मЊ बदलाव आया और वे अपनी बात, मेरे साΩाŹकार तथा बाल साЗहŹय मЊ के
वामपंथी राजनीЗतक से जुड गये। अżतगЈत गुलेल का खेल, का सृजन का साЗहŹय की हर
भीˆम साहनी को Ήेमचंद की परƒपरा का ले खन कहा Зवηा पर अपनी कलम चलायी। अपनी मृŹयु के कुछ Зदन
जाता है। यहां यह सोचने की बात है Зक Ήेमचंद की पहले उżहЛने आज के अतीत नामक आŹमकथा का Ήकाशन
परƒपरा है Űया और उसका सƒबध भीˆम साहनी के साथ करवाया। भीˆम साहनी ने अपनी रचनाओं को आम आदमी
Зकस ˇतर से जुड़ता है। उनकी रचना मЊ सामżतवाद, से जोड़कर सामाЗजक सरोकारЛ तक संजोया है। ΉगЗतवादी
पूंजीवाद शोषण एवं दमन का ΉЗतरोध और वृहΰर मानवता आżदोलन 1930 के बाद उभर रहे यथाथЈवादी पЖरणामЛ व
के पΩ मЊ ले खकीय सरकारЛ के रचनाकार है। पЖरिˇथЗतयЛ को ЗवकЗसत करने वाला आżदोलन था। इस
भीˆम साहनी ने Зहżदी साЗहŹय मЊ अपनी देन इस Ήकार आżदोलन ने सामाЗजक से पЖरपुˆट पयाथЈवादी कथा साЗहŹय
की है। उżहЛने कहाЗनयां ЗजसमЊ गुलामचंद, चीफ की दावत, की नИव रखी। ΉगЗतवादी साЗहŹय को ΉारंЗभक दौर मЊ
ЗनЗमत, देवने , झूमर, Зशˆटाचार, भाŲय रेखा, पहला पाठ, रचना की ιिˆट से नेतŹृ व व Зनदेशन Ήेमचżद, पंत, Зनराला,
सागमीट, भटकती राख, पटЖरया, बांडचू, शोभाया΄ा, ΄ास, और उ˚ से Зमला, परżतु उपżयास के माŻयम से माŰसЈवादी
Зनशाचर, पाली आЗद अनेक और भी कहाЗनयां Зलखकर ЗवचारЛ को जनता तक पहुं चाने का Ήथम Ήयास राहु ल

गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022 47


शोध आलेख

शुν Зकया, जहां उżहЊ बड़े भाई बलराज साहनी का सहयोग


Зमला था। भीˆम साहनी ने मशहू र नाटक ‘‘भूतगाड़ी’’ का
भी साहनी ने अपना योगदान Зनदेशन भी Зकया, Зजसके मंचन की Зजƒमेदारी űवाजा
देकर िह ी सािह को ीवृि अहमद अſबास ने ली थी।
भीˆम साहनी रचनाकार के साथ-साथ ЗवЗशˆट रंगकमीЈ
की है। भी साहनी का रचना क भी रहे है उżहЛने अपने रंगकमЈ के θारा मानवीय ΄ासदी की
बहुत िव ृत है और दृि बहुत समˇयाओं को जीवżत Зकया है। और हमЊ सोचने के Зलए
गहरी जो उनकी रचनाओ ं को पढते बाŻय Зकया है। वे राˆटБीय ΉगЗतशील ले खक महासंघ के
अनेक वषाЈें तक महासЗचव भी रहे हЎ। उनका मानना है
हुए बार-बार महसूस होता है। ‘‘Зहżदु या मुसलमान दोनЛ मЊ से कोई भी न तो साЗहिŹयक उदार
मनु के मनोभावों की उ ें गहरी कμणामय है और न कВर, कΫर और ЗनमЈम िˇथЗतयЛ के
बदलते ही दोनЛ की Зफतरत बदल जाती है।
समझ थी। भी जी प्रेमचंद की
भीˆम साहनी गЗत से धीमे, मЗγम आवाज मЊ बोलते
आलोचना क यथाृथवादी परंपरा थे, संΩेप मंे अपनी बात कह जाते थे। ले Зकन अŻययन
के िवकास में अपना अप्रितम और अनुभव के दुलЈभ सामंजˇय से वे ऐसी बाते बोलते थे
Зक उżहЊ सुनने और उन पर Зवचार करने को Зववश होना
योगदान करने वाले रचनाकार के पड़ता था। यह Зववशता इतनी ˇवाभाЗवक थी Зक मन Ήसλ
रूप में प्रिति त हो गये थे। हो जाता था। (खगवेद ठाकुर : आलोचना-अΉेल-Зसतƒबर
2004 पृ. 229)
भीˆम साहनी समथЈ ले खन के धनी है। उनका वैचाЖरक
सांˇकृŹयायन ने ‘‘भागो नहИ दुЗनया को बदलो’’ के माŻयम
एवं ЗजΪासा के θारा मानव मन की बातЊ वह कर देते थे।
से Зकया।
भीˆम साहनी ने अपना योगदान देकर Зहżदी साЗहŹय
भीˆम साहनी को साЗहŹय तपˇया के कारण कई
को ΑीवृЗγ की है। भीˆम साहनी का रचनाŹमक बहु त
सƒमानЛ एवं पुरˇकारांे से भी नवाजा गया है। ‘तमस’
Зवˇतृत है और ιिˆट बहु त गहरी जो उनकी रचनाओं को
उपżयास पर साЗहŹय अकादमी पुμˇकार 1975, राˆटБीय
पढते हु ए बार-बार महसूस होता है। मनुˆय के मनोभावЛ की
मैЗथली शरण गुŽत सƒमान सЗहत ЗशरोमЗण ले खक पुμˇकार
उżहЊ गहरी समझ थी। भीˆम जी Ήेमचंद की आलोचनाŹमक
(पंजाब सरकार θारा 1975) लोट् स पुμˇकार। अΊो-
यथाЈथवादी परंपरा के Зवकास मЊ अपना अΉЗतम योगदान
एЗशयन राइटसЈ एसोЗसएशन की ओर से 1970 मЊ, सोЗवयत
करने वाले रचनाकार के νप मЊ ΉЗतिˆठत हो गये थे।
लЎ ड नेहμ पुरˇकार (1983) पदम भूषण सƒमान 1998 से
भीˆम साहनी का साЗहŹय वतЈमान मЊ ΉासंЗगकता को
नवाजा गया।
Зलए हु ए है। आज का तमाम राजनैЗतक पЖरवेश भीˆमजी
भीˆम साहनी लोक संˇकृЗत एवं लोक गीत के भी
की रचनाओं के इदЈ-ЗगदЈ घूमता है।
उλायक थे। उżहЛने लोकगीत व लोकजीवन की माЗमЈΨा
को भी अपनाया था। उनकी Зवचारधारा वामपंथी थी। भीˆम सżदभЈ :
का गη ले खन जो खास गंध और चमक Зलए हु ए है। 1. भीˆम साहनी (Зहżदी) (एच. टी. एक. एल.) Зहżदी कुंज अΉेल,
लोकगीतЛ मЊ वЖरˆठ कहानीकार एवं नया Ϊानोदय पЗ΄का 2011 से
2. अΩर पवЈ माЗसक पЗ΄का लЗलत सुरजन के आले ख से जून,
के संपादक रवीżΆ काЗलया जी के अनुसार ‘‘भीˆम साहनी 2015
अपनी पŹनी के साथ इलाहाबाद मЊ इनके घर पर μके थे।’’ 3. भीˆम साहनी ः ǾयЗΨ और रचना (सं.) राजेξर सŰसेना, Ήताप
इस दौरान साЗहिŹयक चचाЈ के अलावा उżहЛने तमाम पंजाबी ठाकूर पृˆठ 80,81 वाणी Ήकाशन
लोकगीत सुनाए थे। इससे पता चलता है Зक वे लोक 4. वही पृˆठ सं. 157
5. भीˆम साहनी ǾयЗΨ और रचना-राजेξर सŰसेना-Ήताप ठाकुर-
जीवन के ममЈΪ।
पृ.सं. 61,62 वाणी Ήकाशन
भीˆम साहनी का रंगमंच से भी लगाव या उżहЛने 6. अΩर पवЈ संजीव कुमार दूबे आले ख पृ. 79 ‘‘अΩर पवЈ Зहżदी
इंЗडयन पीपुǼस Зथयेटर एसोЗसएशन (इŽटा) मЊ काम करना माЗसक पЗ΄का’’

48 गभЈनाल पЗ΄का जुलाई 2022

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