You are on page 1of 24

TheSimpleHelp.

com

मभर्ज़ा गज़मरफ की शज़मयी औय शेय | Mirza Ghalib


Shayari in Hindi
हुई तज़ख़ीय तो कुछ फज़इस-ए-तज़ख़ीय ब़ी थज़
आऩ आते थे भगय कोई अनज़ग़ीय ब़ी थज़।

**********

यगों भें दौड़ते फपयने के हभ नहीॊ कज़इर,


जफ आॉख ही से न टऩकज़ तो फपय रहू क्मज़ है ।

**********

फ़िक्र-ए-दनु नमज़ भें सय खऩज़तज़ हूॉ


भैं कहज़ॉ औय मे वफज़र कहज़ॉ।

**********

आनतश-ए-दोर्ख भें मे गभी कहज़ॉ


सोर्-ए-गभ-हज़-ए-ननहज़ऩी औय है ।

**********
कैद-ए-हमज़त ओ फॊद-ए-गभ अस्र भें दोनों एक हैं
भौत से ऩहरे आदभ़ी गभ से नजज़त ऩज़ए क्मूॉ।

**********

फपय दे खखए अॊदज़र्-ए-गुर-अफ़्शज़ऩी-ए-गुफ़्तज़य,


यख दे कोई ऩैभज़नज़-ए-सहफज़ मभये आगे।

**********

फस-फक दश्ु वज़य है हय कज़भ कज़ आसज़ॉ होनज़


आदभ़ी को ब़ी भमस्सय नहीॊ इॊसज़ॉ होनज़।

**********

ज़ी ढूॉडतज़ है फपय वही ़िुसात फक यज़त ददन,


फैठे यहें तसव्वुय-ए-जज़नज़ॉ फकए हुए।

**********

आमशक हूॉ ऩ भज़शूक-़िये फ़ी है मभयज़ कज़भ


भजनॉू को फुयज़ कहत़ी है रैरज़ मभये आगे।

**********

अफ ज़िज़ से ब़ी हैं भहरूभ हभ अल्रज़ह अल्रज़ह


इस कदय दश्ु भन-ए-अयफज़फ-ए-व़िज़ हो जज़नज़।

**********

नस़ीहत के कुतफ
ु -खज़ने मॉू तो दनु नमज़ भें बये हैं,
ठोकयें खज़ के ही अक्सय फॊदे को अक़्र आई है ।

**********
इन आफरों से ऩज़ॉव के घफयज़ गमज़ थज़ भैं,
ज़ी खुश हुआ है यज़ह को ऩुय-खज़य दे ख कय।

**********

कज़मसद के आते आते खत इक औय मरख यख,ूॉ


भैं जज़नतज़ हूॉ जो वो मरखें गे जवज़फ भें ।

**********

„गज़मरफ‟ फुयज़ न भज़न जो वज़इ‟र् फुयज़ कहे


ऐसज़ ब़ी कोई है फक सफ अच्छज़ कहें जजसे।

**********

है एक त़ीय जजस भें दोनों नछदे ऩड़े हैं


वो ददन गए फक अऩनज़ ददर से जजगय जुदज़ थज़।

**********

फज़ऱ्ीचज़-ए-अत़िज़र है दनु नमज़ मभये आगे


होतज़ है शफ-ओ-योर् तभज़शज़ मभये आगे।

**********

उन के दे खे से जो आ जज़त़ी है भुॉह ऩय यौनक


वो सभझते हैं फक फ़ीभज़य कज़ हज़र अच्छज़ है ।

**********

हभ भहव-ए-चश्भ-ए-यॊ ग़ीॊ-ए-जवज़फ हुए हैं जफसे,


शौक-ए-दीदज़य हुआ जज़तज़ है हय सवज़र कज़ यॊ ग।

**********
कोई भेये ददर से ऩूछे नतये त़ीय-ए-ऩीभ-कश को
मे खमरश कहज़ॉ से होत़ी जो जजगय के ऩज़य होतज़।

**********

तभ़ीर्-ए-जर्श्त़ी-ओ-नेकी भें रज़ख फज़तें हैं,


फ-अक्स-ए-आइनज़ मक-़िदा -ए-सज़दज़ यखते हैं।

**********

आगे आत़ी थ़ी हज़र-ए-ददर ऩे हॉ स़ी


अफ फकस़ी फज़त ऩय नहीॊ आत़ी।

**********

एनतफज़य-ए-इश्क की खज़नज़-खयज़फ़ी दे खनज़


गैय ने की आह रेफकन वो ख़िज़ भुझ ऩय हुआ।

**********

अर्ा-ए-ननमज़र्-ए-इश्क के कज़बफर नहीॊ यहज़


जजस ददर ऩे नज़र् थज़ भुझे वो ददर नहीॊ यहज़।

**********

जो कुछ है भहव-ए-शोख़ी-ए-अफरू-ए-मज़य है,


आॉखों को यख के तज़क ऩे दे खज़ कये कोई।

**********

‫‏‬भह
ु ब्फत भें उनकी अनज़ कज़ ऩज़स यखते हैं,
हभ जज़नकय अक्सय उन्हें नज़यज़र् यखते हैं।

**********
अगरे वक़्तों के हैं मे रोग इन्हें कुछ न कहो
जो भम ओ नग़्भज़ को अॊदोह-रुफज़ कहते हैं।

**********

मे फ़ित्नज़ आदभ़ी की खज़नज़-व़ीयज़ऩी को क्मज़ कभ है


हुए तभ
ु दोस्त जजस के दश्ु भन उस कज़ आसभज़ॉ क्मूॉ हो।

**********

चज़हें खज़क भें मभरज़ ब़ी दे फकस़ी मज़द सज़ बर


ु ज़ ब़ी दे,
भहकेंगे हसयतों के नक़्श* हो हो कय ऩज़एभज़र ब़ी।

**********

वो जो कज़ॉटों कज़ यज़र्दज़य नहीॊ,


़िस्र-ए-गुर कज़ ब़ी ऩज़स-दज़य नहीॊ।

**********

कत ्अ कीजे न तअ‟ल्रुक हभ से
कुछ नहीॊ है तो अदज़वत ही सही।

**********

तू मभरज़ है तो मे अहसज़स हुआ है भुझको,


मे भेयी उम्र भोहब्फत के मरए थोड़़ी है ।

**********

एक एक कतये कज़ भझ
ु े दे नज़ ऩड़ज़ दहसज़फ
खून-ए-जजगय वदीअत-ए-मभज़्गज़न-ए-मज़य थज़।

**********
जजस र्ख़्भ की हो सकत़ी हो तदफ़ीय य़िू की,
मरख दीजजमो मज़ यफ उसे फकस्भत भें अद ू की।

**********

हभ जो सफकज़ ददर यखते हैं


सन
ु ो, हभ ब़ी एक ददर यखते हैं।

‫‏‬
**********

आ ही जज़तज़ वो यज़ह ऩय „गज़मरफ‟


कोई ददन औय ब़ी जजए होते।

**********

यॊ ज से खग ू य हुआ इॊसज़ॉ तो मभट जज़तज़ है यॊ ज,


भजु श्करें भझु ऩय ऩड़़ीॊ इतऩी फक आसज़ॉ हो गईं।

**********

आज फपय ऩहरी भुरज़कज़त से आगज़र् करूॉ,


आज फपय दयू से ही दे ख के आऊॉ उस को।

**********

अऩनज़ नहीॊ मे शेवज़ फक आयज़भ से फैठें


उस दय ऩे नहीॊ फज़य तो कज़‟फे ही को हो आए।

**********

यही न तज़कत-ए-गुफ़्तज़य औय अगय हो ब़ी।


तो फकस उम्भ़ीद ऩे कदहमे के आयर्ू क्मज़ है ।।

**********
ददा जफ ददर भें हो तो दवज़ कीजजए।
ददर ही जफ ददा हो तो क्मज़ कीजजए।।

**********

मे न थ़ी हभज़यी फकस्भत फक ववसज़र-ए-मज़य होतज़।


अगय औय ज़ीते यहते मही इॊनतर्ज़य होतज़।।

**********

हर्ज़यों ख़्वज़दहशें ऐस़ी फक हय ख़्वज़दहश ऩे दभ ननकरे।


फहुत ननकरे मभये अयभज़न रेफकन फपय ब़ी कभ ननकरे।।

**********

मही है आर्भज़नज़ तो सतज़नज़ फकसको कहते हैं,


अद ू के हो मरए जफ तुभ तो भेयज़ इम्तहज़ॊ क्मों हो।

**********

वो आए घय भें हभज़ये, खुदज़ की कुदयत हैं!


कब़ी हभ उभको, कब़ी अऩने घय को दे खते हैं।

**********

कर्ा की ऩ़ीते थे भम रेफकन सभझते थे फक हज़ॊ।


यॊ ग रज़वेग़ी हभज़यी ़िज़कज़-भस्त़ी एक ददन।।

**********

मे यश्क है फक वो होतज़ है हभसख


ु न हभसे।
वयनज़ खौ़ि-ए-फदज़भोऱ्ी-ए-अद ू क्मज़ है ।।

**********
ये ख़्ते के तुम्हीॊ उस्तज़द नहीॊ हो „गज़मरफ‟।
कहते हैं अगरे र्भज़ने भें कोई „भ़ीय‟ ब़ी थज़।।

**********

फनज़ है शह कज़ भुसज़दहफ, फपये है इतयज़तज़।


वगनज़ा शहय भें “गज़मरफ” की आफरू क्मज़ है ।।

**********

भयते है आयर्ू भें भयने की


भौत आत़ी है ऩय नही आत़ी,
कज़फज़ फकस भुॉह से जज़ओगे „गज़मरफ‟
शभा तुभको भगय नही आत़ी।

**********

वो च़ीर् जजसके मरमे हभको हो फदहश्त अऱ्ीर्।


मसवज़ए फज़दज़-ए-गुल़्िज़भ-ए-भुश्कफू क्मज़ है ।।

**********

वज़इर्!! तेयी दआ
ु ओॊ भें असय हो तो भजस्जद को दहरज़के दे ख।
नहीॊ तो दो घॊट
ू ऩ़ी औय भजस्जद को दहरतज़ दे ख।।

**********

हज़थों की रकीयों ऩे भत जज़ ऐ गज़मरफ।


नस़ीफ उनके ब़ी होते हैं जजनके हज़थ नहीॊ होते।।

**********

जरज़ है जजस्भ जहज़ॉ ददर ब़ी जर गमज़ होगज़


कुये दते हो जो अफ यज़ख जुस्तजू क्मज़ है ।

**********
हैं औय ब़ी दनु नमज़ भें सुखन-वय फहुत अच्छे ।
कहते हैं फक „गज़मरफ‟ कज़ है अॊदज़र्-ए-फमज़ॉ औय।।

**********

चचऩक यहज़ है फदन ऩय रहू से ऩैयज़हन।


हभज़यी र्ेफ को अफ हज़जत-ए-य़िू क्मज़ है ।।

**********

भगय मरखवज़ए कोई उस को खत


तो हभ से मरखवज़ए
हुई सुब्ह औय
घयसे कज़न ऩय यख कय करभ ननकरे।

**********

भोहब्फत भें नहीॊ है ़िका ज़ीने औय भयने कज़।


उस़ी को दे ख कय ज़ीते हैं जजस कज़फ़िय ऩे दभ ननकरे।।

**********

ननकरनज़ खल्
ु द से आदभ कज़ सन
ु ते आए हैं रेफकन।
फहुत फे-आफरू हो कय नतये कूचे से हभ ननकरे।।

**********

हय एक फज़त ऩे कहते हो तुभ फक तू क्मज़ है


तुम्हीॊ कहो फक मे अॊदज़र्-ए-गुफ़्तगू क्मज़ है ।

**********

नर्य रगे न कहीॊ उसके दस्त-ओ-फज़र्ू को।


मे रोग क्मूॉ भेये र्ख़्भे जजगय को दे खते हैं।।

**********
तू ने कसभ भम-कश़ी की खज़ई है „गज़मरफ‟
तेयी कसभ कज़ कुछ एनतफज़य नही है ।

**********

फकतनज़ खौप होतज़ है शज़भ के अॊधेयों भें।


ऩूछ उन ऩरयॊदों से जजनके घय नहीॊ होते।।

**********

हुई भुद्दत फक „गज़मरफ‟ भय गमज़ ऩय मज़द आतज़ है,


वो हय इक फज़त ऩय कहनज़ फक मूॉ होतज़ तो क्मज़ होतज़।

**********

हुआ जफ गभ से मूॉ फेदहश तो गभ क्मज़ सय के कटने कज़।


नज़ होतज़ गय जुदज़ तन से तो जहज़नु ऩय धयज़ होतज़।।

**********

ददा मभन्नत-कश-ए-दवज़ न हुआ।


भैं न अच्छज़ हुआ फुयज़ न हुआ।।

**********

तभ
ु न आए तो क्मज़ सहय न हुई
हज़ॉ भगय चैन से फसय न हुई
भेयज़ नज़रज़ सुनज़ र्भज़ने ने
एक तुभ हो जजसे खफय न हुई।

**********

वऩमूॉ शयज़फ अगय खुभ ब़ी दे ख रॉ ू दो चज़य।


मे श़ीशज़-ओ-कदह-ओ-कूर्ज़-ओ-सुफू क्मज़ है ।।

**********
फनज़ कय पकीयों कज़ हभ बेस गज़मरफ
तभज़शज़-ए-अहर-ए-कयभ दे खते है ।

**********

बफजरी इक कौंध गम़ी आॉखों के आगे तो क्मज़,


फज़त कयते फक भैं रफ तश्न-ए-तकयीय ब़ी थज़।

**********

तेये र्वज़दहये त़ि़े कुर को क्मज़ दे खें।


हभ औजे तअरे रज़र-ओ-गुहय को दे खते हैं।।

**********

हभको भज़रूभ है जन्नत की हकीकत रेफकन,


ददर के खुश यखने को „गज़मरफ‟ मे खमज़र अच्छज़ है ।

**********

न शोरे भें मे करयश्भज़ न फका भें मे अदज़।


कोई फतज़ओ फक वो शोखे-तॊद
ु खू क्मज़ है ।।

**********

ददर से तेयी ननगज़ह जजगय तक उतय गई।


दोनों को इक अदज़ भें यर्ज़भॊद कय गई।।

**********

मे हभ जो दहज्र भें दीवज़य-ओ-दय को दे खते हैं।


कब़ी सफज़ को, कब़ी नज़भज़फय को दे खते हैं।।

**********
न थज़ कुछ तो खुदज़ थज़ कुछ न होतज़ तो खुदज़ होतज़।
डुफोमज़ भुझ को होने ने न होतज़ भैं तो क्मज़ होतज़।।

**********

मे न थ़ी हभज़यी फकस्भत फक ववसज़र-ए-मज़य होतज़।


अगय औय ज़ीते यहते मही इॊनतर्ज़य होतज़।।

**********

इक ख-ूॉ चकज़ॉ क़िन भें कयोड़ों फनज़ओ हैं


ऩड़त़ी है आॉख तेये शहीदों ऩे हूय की।

**********

ईभज़ॉ भुझे योके है जो ख़ीॊचे है भुझे कुफ़्र


कज़फज़ मभये ऩ़ीछे है करीसज़ मभये आगे।

**********

तुभ से फेजज़ है भुझे अऩऩी तफज़ही कज़ चगरज़


उसभें कुछ शज़एफज़-ए-खूबफए-तकदीय ब़ी थज़।

**********

हसद से ददर अगय अफ़्सुदज़ा है गभा-ए-तभज़शज़ हो


फक चश्भ-ए-तॊग शज़मद कसयत-ए-नज़्र्ज़यज़ से वज़ हो।

**********

हभ हैं भश्ु तज़क औय वो फे-र्ज़य


मज़ इरज़ही मे भज़जयज़ क्मज़ है ।।
जज़न तुभ ऩय ननसज़य कयतज़ हूॉ,
भैं नहीॊ जज़नतज़ दआ
ु क्मज़ है ।।

**********
शहये वपज़ भें धूऩ कज़ सज़थ़ी नहीॊ कोई
सूयज सयों ऩय आमज़ तो सज़मे ब़ी घट गए।

**********

जर्न्दग़ी भें तो सब़ी प्मज़य फकमज़ कयते हैं,


भैं तो भय कय ब़ी भेयी जज़न तझ
ु े चज़हूॉगज़।

**********

अल्रज़ह ये र्ौक-ए-दश्त-नवदी फक फज़द-ए-भगा


दहरते हैं खुद-फ-खुद मभये अॊदय क़िन के ऩज़ॉव।

**********

कुछ रम्हे हभने खचा फकए थे मभरे नही,


सज़यज़ दहसज़फ जोड़ के मसयहज़ने यख मरमज़।।

**********

तू भुझे बूर गमज़ हो तो ऩतज़ फतरज़ दॊ ू


कब़ी फ़ितयज़क भें तेये कोई नख़्च़ीय ब़ी थज़।

**********

कहूॉ फकस से भैं फक क्मज़ है शफ-ए-गभ फुयी फरज़ है


भुझे क्मज़ फुयज़ थज़ भयनज़ अगय एक फज़य होतज़।

**********

हभ तो जज़ने कफ से हैं आवज़यज़-ए-र्ल्


ु भत भगय,
तुभ ठहय जज़ओ तो ऩर बय भें गुर्य जज़एग़ी यज़त।

**********
आए है फेकस़ी-ए-इश्क ऩे योनज़ „गज़मरफ‟
फकस के घय जज़एगज़ सैरज़फ-ए-फरज़ भेये फअ‟द।

**********

वो यज़स्ते जजन ऩे कोई मसरवट नज़ ऩड़ सकी,


उन यज़स्तों को भोड़ के मसयहज़ने यख मरमज़।

**********

उधय वो फद-गभ
ु ज़ऩी है इधय मे नज़-तवज़ऩी है
न ऩूछज़ जज़ए है उस से न फोरज़ जज़ए है भुझ से।

**********

कहते हुए सज़की से हमज़ आत़ी है वनज़ा


है मूॉ फक भुझे दद
ु ा -ए-तह-ए-जज़भ फहुत है ।

**********

अफ अगरे भौसभों भें मही कज़भ आएगज़,


कुछ योर् ददा ओढ़ के मसयहज़ने यख मरमज़।

**********

आज हभ अऩऩी ऩये शज़ऩी-ए-खज़नतय उन से


कहने जज़ते तो हैं ऩय दे खखए क्मज़ कहते हैं।

**********

कुछ तो ऩदढ़ए फक रोग कहते हैं


आज „गज़मरफ‟ गर्र-सयज़ न हुआ।

**********
इब्न-ए-भयमभ हुआ कये कोई
भेये दख
ु की दवज़ कये कोई।

**********

कहते हैं ज़ीते हैं उम्भ़ीद ऩे रोग


हभ को ज़ीने की ब़ी उम्भ़ीद नहीॊ।

**********

ददर-ए-नज़दज़ॉ तझ
ु े हुआ क्मज़ है
आखखय इस ददा की दवज़ क्मज़ है ।

**********

आज वज़ॉ तेग ओ क़िन फज़ॉधे हुए जज़तज़ हूॉ भैं


उज़्र भेये कत्र कयने भें वो अफ रज़वेंगे क्मज़।

**********

कज़ॉटों की र्फज़ॉ सूख गई प्मज़स से मज़ यफ


इक आफरज़-ऩज़ वज़दी-ए-ऩुय-खज़य भें आवे।

**********

करकत्ते कज़ जो जर्क्र फकमज़ तू ने हभ-नश़ीॊ


इक त़ीय भेये स़ीने भें भज़यज़ फक हज़ए हज़ए।

**********

खज़य ब़ी ऱ्ीस्त-ए-गमु रस्तज़ॉ हैं,


पूर ही हज़ॉमसर-ए-फहज़य नहीॊ।

**********
दै य नहीॊ हयभ नहीॊ दय नहीॊ आस्तज़ॉ नहीॊ
फैठे हैं यहगुर्य ऩे हभ गैय हभें उठज़ए क्मूॉ।

**********

उस ऩे आत़ी है भोहब्फत ऐसे


झठ
ू ऩे जैसे मकीन आतज़ है ।

**********

इस नर्ज़कत कज़ फुयज़ हो वो बरे हैं तो क्मज़


हज़थ आवें तो उन्हें हज़थ रगज़ए न फने।

**********

आह को चज़दहए इक उम्र असय होते तक


कौन ज़ीतज़ है नतयी र्ुल़्ि के सय होते तक।

**********

आॉख की तस्व़ीय सय-नज़भे ऩे ख़ीॊच़ी है फक तज़


तुझ ऩे खुर जज़वे फक इस को हसयत-ए-दीदज़य है ।

**********

उस अॊजुभन-ए-नज़र् की क्मज़ फज़त है „गज़मरफ‟


हभ ब़ी गए वज़ॉ औय नतयी तकदीय को यो आए।

**********

इश्क भझ
ु को नहीॊ वहशत ही सही
भेयी वहशत नतयी शोहयत ही सही।

**********
सज़र्-ए-ददर को गुदगुदज़मज़ इश्क ने
भौत को रे कय जवज़ऩी आ गई।

**********

इशयत-ए-कतयज़ है दरयमज़ भें ़िनज़ हो जज़नज़


ददा कज़ हद से गर्
ु यनज़ है दवज़ हो जज़नज़।

**********

ब़ीग़ी हुई स़ी यज़त भें जफ मज़द जर उठी,


फज़दर सज़ इक ननचोड़ के मसयहज़ने यख मरमज़।

**********

उस रफ से मभर ही जज़एगज़ फोसज़ कब़ी तो हज़ॉ


शौक-ए-़िुर्ूर ओ जुयअत-ए-रयॊदज़नज़ चज़दहए।

**********

‫‏‬ऩडड़ए गय फ़ीभज़य तो कोई न हो त़ीभज़यदज़य


औय अगय भय जज़इए तो नौहज़-ख़्वज़ॉ कोई न हो।

**********

कफ वो सुनतज़ है कहज़ऩी भेयी


औय फपय वो ब़ी र्फज़ऩी भेयी।

**********

खद
ु को भनवज़ने कज़ भझ ु को ब़ी हुनय आतज़ है
भैं वह कतयज़ हूॊ सभॊदय भेये घय आतज़ है ।

**********
अऩऩी हस्त़ी ही से हो जो कुछ हो
आगही गय नहीॊ ग़िरत ही सही।

**********

कब़ी नेकी ब़ी उस के ज़ी भें गय आ जज़ए है भुझ से


ज़िज़एॉ कय के अऩऩी मज़द शयभज़ जज़ए है भझ
ु से।

**********

इश्क से तफ़ीअत ने ऱ्ीस्त कज़ भर्ज़ ऩज़मज़


ददा की दवज़ ऩज़ई ददा -ए-फे-दवज़ ऩज़मज़।

**********

तेये वज़दे ऩय जजमे हभ


तो मह जज़न,झूठ जज़नज़
फक खुश़ी से भय न जज़ते
अगय एतफज़य होतज़।

**********

भैं चभन भें क्मज़ गमज़ गोमज़ दबफस्तज़ॉ खुर गमज़,


फुरफुरें सन
ु कय मभये नज़रे गर्र-ख़्वज़ॉ हो गईं।

**********

इश्क ऩय र्ोय नहीॊ है मे वो आनतश „गज़मरफ‟


फक रगज़ए न रगे औय फुझज़ए न फने।

**********

कज़फज़ फकस भुॉह से जज़ओगे „गज़मरफ‟


शभा तुभ को भगय नहीॊ आत़ी।

**********
न सुनो गय फुयज़ कहे कोई,
न कहो गय फुयज़ कये कोई।।
योक रो गय गरत चरे कोई,
फख़्श दो गय खतज़ कये कोई।।

**********

भैं तो इस सज़दग़ी-ए-हुस्न ऩे सदके,


न ज़िज़ आत़ी है जजसको न व़िज़ आत़ी है ।।

**********

इस सज़दग़ी ऩे कौन न भय जज़ए ऐ खद


ु ज़
रड़ते हैं औय हज़थ भें तरवज़य ब़ी नहीॊ।

**********

कहज़ॉ भम-खज़ने कज़ दयवज़र्ज़ „गज़मरफ‟ औय कहज़ॉ वज़इर्


ऩय इतनज़ जज़नते हैं कर वो जज़तज़ थज़ फक हभ ननकरे।

**********

मज़दे -जज़नज़ॉ ब़ी अजफ रूह-़िर्ज़ आत़ी है,


सज़ॉस रेतज़ हूॉ तो जन्नत की हवज़ आत़ी है ।।
है औय तो कोई सफफ उसकी भुहब्फत कज़ नहीॊ,
फज़त इतऩी है के वो भझ
ु से ज़िज़ कयतज़ है ।।

**********

इक शौक फड़ज़ई कज़ अगय हद से गर्


ु य जज़ए
फपय „भैं‟ के मसवज़ कुछ ब़ी ददखज़ई नहीॊ दे तज़।

**********
हो उसकज़ जर्क्र तो फज़रयश स़ी ददर भें होत़ी है
वो मज़द आमे तो आत़ी है दप‟तन खुशफू।

**********

अगय ग़िरत से फज़र् आमज़ ज़िज़ की


तरज़़िी की ब़ी र्ज़मरभ ने तो क्मज़ की।

**********

र्यज़ कय र्ोय स़ीने भें फक त़ीये -ऩुय-मसतभ ननकरे,


जो वो ननकरे तो ददर ननकरे, जो ददर ननकरे तो दभ ननकरे।

**********

अदज़-ए-खज़स से „गज़मरफ‟ हुआ है नुक्तज़-सयज़


सरज़-ए-आभ है मज़यज़न-ए-नुक्तज़-दज़ॉ के मरए।

**********

कुछ तो तन्हज़ई की यज़तों भें सहज़यज़ होतज़,


तुभ न होते न सही जर्क्र तुम्हज़यज़ होतज़।

**********

एक हॊ गज़भे ऩे भौकू़ि है घय की यौनक


नौहज़-ए-गभ ही सही नग़्भज़-ए-शज़दी न सही।

**********

इक कैद है आर्ज़दी-ए-अफ़्कज़य ब़ी गोमज़,


इक दज़भ जो उड़ने से रयहज़ई नहीॊ दे तज़।

**********
तुभ अऩने मशकवे की फज़तें
न खोद खोद के ऩूछो
हर्य कयो मभये ददर से
फक उस भें आग दफ़ी है ।

**********

हय यॊ ज भें खश
ु ़ी की थ़ी उम्भ़ीद फयकयज़य,
तुभ भुस्कुयज़ ददए भेये र्भज़ने फन गमे।

**********

कज़़िी है ननशज़ऩी नतयज़ छल्रे कज़ न दे नज़


खज़री भुझे ददखरज़ के फ-वक़्त-ए-स़िय अॊगुश्त।

**********

कह सके कौन फक मे जल्वज़गयी फकस की है


ऩदज़ा छोड़ज़ है वो उस ने फक उठज़ए न फने।

**********

अऩऩी गरी भें भुझ को


न कय दफ़्न फज़द-ए-कत्र
भेये ऩते से खल्क को
क्मूॉ तेयज़ घय मभरे।

**********

एजज़र् तेये इश्क कज़ मे नही तो औय क्मज़ है,


उड़ने कज़ ख़्वज़फ दे ख मरमज़ इक टूटे हुए ऩय से।

**********

हभ ब़ी दश्ु भन तो नहीॊ हैं अऩने


गैय को तुझ से भोहब्फत ही सही।
**********

आईनज़ दे ख अऩनज़ सज़ भुॉह रे के यह गए


सज़हफ को ददर न दे ने ऩे फकतनज़ गरू
ु य थज़।

**********

आतज़ है दज़ग-ए-हसयत-ए-ददर कज़ शुभज़य मज़द


भुझ से मभये गुनह कज़ दहसज़फ ऐ खुदज़ न भज़ॉग।

**********

आगही दज़भ-ए-शुऩीदन जजस कदय चज़हे बफछज़ए


भद्
ु दआ अन्कज़ है अऩने आरभ-ए-तकयीय कज़।

**********

कज़व कज़व-ए-सख़्त-जज़ऩी हज़ए-तन्हज़ई न ऩूछ


सुब्ह कयनज़ शज़भ कज़ रज़नज़ है जू-ए-श़ीय कज़।

**********

आते हैं गैफ से मे भर्ज़भ़ीॊ खमज़र भें


„गज़मरफ‟ सयीय-ए-खज़भज़ नवज़-ए-सयोश है ।

**********

आईनज़ क्मूॉ न दॉ ू फक तभज़शज़ कहें जजसे


ऐसज़ कहज़ॉ से रज़ऊॉ फक तुझ सज़ कहें जजसे।

**********

आमशकी सब्र-तरफ औय तभन्नज़ फेतज़फ


ददर कज़ क्मज़ यॊ ग करूॉ खन
ू -ए-जजगय होते तक।

**********
औय फज़र्ज़य से रे आए अगय टूट गमज़
सज़गय-ए-जभ से मभयज़ जज़भ-ए-मस़िज़र अच्छज़ है ।

**********

ऩीॊद उस की है ददभज़ग उस कज़ है यज़तें उस की हैं


तेयी र्ल्
ु ़िें जजस के फज़र्ू ऩय ऩये शज़ॉ हो गईं।

**********

तज़ फपय न इॊनतर्ज़य भें ऩीॊद आए उम्र बय,


आने कज़ अहद कय गए आए जो ख़्वज़फ भें।

**********

कतयज़ अऩनज़ ब़ी हकीकत भें है दरयमज़ रेफकन


हभ को तकरीद-ए-तुनुक-ऱ्ि़ी-ए-भॊसूय नहीॊ।

**********

अ़िसज़नज़ आधज़ छोड़ के मसयहज़ने यख मरमज़,


ख़्वज़दहश कज़ वका भोड़ के मसयहज़ने यख मरमज़।

**********

है उ़िुक से एक सॊग-ए-आफ़्तज़फ आने की दे य,


टूट कय भज़ननॊद-ए-आईनज़ बफखय जज़एग़ी यज़त।

**********

फपय आफरों के र्ख़्भ चरो तज़र्ज़ ही कय रें,


कोई यहने नज़ ऩज़ए फज़फ जुदज़ रूदज़द-ए-स़िय से।

**********
इक आह-ए-खतज़ चगमज़ा-फ-रफ सुब्ह-ए-अर्र से,
इक दय है जो तौफज़ को यसज़ई नहीॊ दे तज़।

**********

अऩऩी गरी भें भुझ को न कय दफ़्न फज़द-ए-कत्र


भेये ऩते से खल्क को क्मूॉ तेयज़ घय मभरे।

**********

इश्क ने „गज़मरफ‟ ननकम्भज़ कय ददमज़


वनज़ा हभ ब़ी आदभ़ी थे कज़भ के।

SOURCE: TheSimpleHelp.com

You might also like