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प्रधान पूजा भगवान् महा दे व (शिवराशि पूजा)

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For elaborate poorvaanga pooja and uththara pooja, please consult the document “Pooja
vidhi poorva + pradhaana + uththara + 3 annex “

महाशिवराशि मं ि (black colour = optional)

शिवराशि व्रतं ह्येतत् कररष्ये ऽहं महाफलम। शनशविघ्नमस्तु से चाि त्वत्प्रसादाज्जगत्पते । दे वदे व

महादे व नीलकण्ठ नमोऽस्तु से कतुि शमच्छाम्यहं दे व शिवराशिव्रतं तव। तव प्रसादाद्दे वेि

शनशवि घ्नेन भवेशदशत। कामािः ििवो मां वै पीडां कुविन्तु नैव शह॥
Ideally one should be immersed in ZIVA DHYAANAM for each of the 4
YAMAs (1 Yama = 3 hours) of the night of maaaga maasa మాఘ మాసం
krishna paksha chaturdashi (kumba maasa= மாசி மாசம் )

शनयमो यो महादे व कृतश्चैव त्वदाज्ञया। शवसृत्यते मया स्वाशमन् व्रतं जातमनुत्तमम्।। व्रते नाने न

दे वेि यथािक्तिकृते न च। सं तुष्टो भव िवाि द्य कृपां कुरु ममोपरर।।

अवक्तन्तकायां शवशहतावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परररक्षणाथं वन्दे

महाकालमहासु रेिम् ॥

The following are synonyms in that they represent Bhagavaan ZIva श्री साम्ब

सदाशिव / श्री वै द्यनाथ् / शवश्वनाथ् / सोमनाथ् / कैलसनाथ् / भीमािङ्कर / मञ्जु नाथ् / अमरनाथ् /

पिुपशिनाथ् / भोले नाथ् / िम्भु / वडक्कुनाथ / नटराज / कुम्बेश्वर / रामे ि्वर / महाकाले श्वर /

शवश्वे श्वर / नागे श्वर / सोमे श्वर / ॐङ्कारे श्वर / त्र्यम्बकेश्वर / केदारे श्वर / मल्लिकाजुु नेश्वर / शलङ्गराजे श्वर

/ कोशटशलङ्गेश्वर / मु रुडीश्वर / च्नद्रिे कर / कालहस्तीश्वर / िारकेश्वर / मिे श्वर / मलीश्वर

/एकाम्रे श्वर (एक अम्र is correct word denotes that Paarvathi did tapas / penance under a single

Manago tree at Kaanchi kshethram एकम्बरे श्वर = एक + अम्बर means one cloth which is worn only

for aparakaaryam and doesn’t apply to Bhaghavaan )


NOTE: Those who do an elaborate Zivaraathri pooja; usualyl do abhisekham to Bhaghavan
MahadEva chanting pirusha sooltham as a minimum. Then they follow up by chanting ShriRudram and
if possible full chamakam or atleast oneAnuvaakam of Chamaka. When an elaborate pooja is
performed, mahaanyaasam is first chanted.
Some people do normal pooja but after concluding the pooja, they chant Shri Rudram (and if possible
Chamakam amd purusha sooktham) on Mahaa Ziva raathri day. In such instances, at least Laghu
nyasam is chanted.
Those who are awake during the night, also chant Ekaadasa rudram. This is chanting SHRE RIDRAM
11 times and one anuvaaka (stanza) of Chamakam in between each Rudra chanting. This is usually
followed by chanting of Rudra kramam.
Mahanyaasam is also chanted on what is called Rudra ekaadasi occasions such as the eve of completion
of 60 / 70/ 80 homams and other special occasions.
DARK TEAL COLOURED MANTHRAS (steps) ARE
MANDATORY TO PERFORM A PROPER PUJA
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Part 1 Poorvaanga pooja


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प्रात / सायम् संद्यावन्दनं See a separate document


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दीप स्थापना (lighting the lamp

अथ दे वस्य वाम भागे दीप स्थापनं कररष्ये । अग्निनाग्नि सग्नमध्यते कग्नवर्ग्रहपग्नतययरवा हव्यवात् जय वास्यः ॥
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आचम्य ।
take one drop of water 3 times chanting केशवा। नारायणा । माधवा।
Leave a drop of water on the platre / ground chanting गोग्नवन्दा
right thumb on right cheek ग्नवष्णो। right thumb on left cheek मधय सूदना।
folded fingers on chin ग्निग्नवरेमा। right palm on left plam वामना । left palm on right palm
श्रीधरा। touch right knee ऋग्निकेशा। touch left knee पद्मनाभा touch head दमोदकरा
fingers folded under nose सङ्किर णा। touch right nose वासय देवा। touch left nose प्रद् यय म्ना।
touch right ear अग्ननरुद्धा। touch left ear पय रुिोत्तमा।touch right eye अधोक्षय।
touch left eye नृ ग्नसंहा। touch naval अच्यय ता touch chest जनादर ना।
touch forehead उपे न्द्रा। namaskaram posture श्रीहरे । kavacham posture श्रीकृष्णा
ॐ श्री केशवाय स्वाहा । ॐ श्री नारायणाय स्वाहा । ॐ श्री माधवाय स्वाहा ॐ श्री गोग्नवन्दाय नमः । ॐ श्री ग्नवष्णवे

नमः । ॐ श्री मधयसूदनाय नमः । श्री ग्निग्नवरेमाय नमः । ॐश्री वामनाय नमः । ॐ श्री श्रीधराय नमः । ॐ श्री

रॄिीकेशाय नमः । ॐ श्री पद्मनाभाय नमः । ॐ श्री दामोदराय नमः । ॐ श्री सङ्किरणाय नमः । ॐ श्री वासयदेवाय

नमः । ॐ श्री प्रद् ययम्नाय नमः । ॐश्री अग्ननरुद्धाय नमः । श्री पयरुिोत्तमाय नमः । ॐ श्री अधोक्षजाय नमः ।ॐ श्री

नारग्नसंहाय नमः ।ॐ श्री अच्च्च्ययताय नमः । ॐ श्री जनादर नाय नमः । ॐ श्री उपेन्द्राय नमः । ॐ श्री हरये नमः । ॐ

श्री कृष्णाय नमः ।


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ध्यानम् (Dhyanam) + अनयज्ञा (permission to perform pooja from dEvathAs


ॐ इष्टदे वताभ्यो नमः | ॐ कुलदे वताभ्यो नमः | ॐ स्थानदे वताभ्यो नमः |

ॐ ग्रामदे वताभ्यो नमः | श्री सरस्वत्यै नमः | श्री वेदाय नमः

श्री वेदपयरुिाय नमः । वास्तयदेवताभ्यो नमः । शचीपयरंदराभ्यां नमः ।

ॐ उमामहे श्वराभ्यां नमः | ॐ माताशपतृभ्यां नमः | ॐ सवेभ्यो गयरुभ्यो नमः ।

ॐ सवेभ्यो दे वेभ्यो नमो नमः | ॐ सवेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः |

येतद् कमि प्रधान दे वताभ्यो नमो नमः || उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।

प्रारम्भ कायं ग्ननग्नवरघ्नमस्तय । शय भं शोभनमस्तय । इष्ट दे वता कयलदे वता सयप्रसन्ना वरदा भवतय ॥

अनयज्ञां दे ग्नह ॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥


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अनयज्ञा (permission to perform pooja from dEvathAs


ऋिः॒द्ध्यास्मिः॑ हिः॒व्यैनरमिः॑सोिः॒पसद्यिः॑ । ग्नमिः॒िं देिः॒ वं ग्नमिः॑ििः॒धेयं िः॑ नो अस्तय। अिः॒नूरािः॒
िः॒ धान् हिः॒ग्नविािः॑ विः॒धरयिः्॑ः । शिः॒ तं
जीिः॑वेमिः॒ शिः॒ रदःिः॒ सवीिः॑राः । ॥ अनय ज्ञां दे ग्नह ॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥
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वेदादयः

हररः ॐ अिः॒ग्निमी᳚ळे पयरोग्न


िः॒ हिः॑तं यिः॒ज्ञस्यिः॑ देिः॒ वमृनिजम्
िः॒ ᳚ । होता᳚रं रत्निः॒धातिः॑ मम् ॥ हररः ॐ

हररः ॐ इिः॒िे िोिः॒जेिािः॑ वािः॒यविः॑स्थो पािः॒यविः॑स्थ देिः॒ वो विः॑स्सग्नविः॒ता प्रापरयतय


िः॑ िः॒ श्रेष्ठिः॑तमायिः॒ कमर णे
िः॑ ॥ हररः ॐ
हररः ॐ अििः॒ आयािः॑ ग्नह वीिः॒तये िः॑ गृणािः॒नो हिः॒व्यदािः॑ तये । ग्नन होतािः॑ सनसस बिः॒र्िः॒ग्नहग्नििः॑ ॥ हररः ॐ

हररः ॐ शं नोिः॑ देिः॒ वीरिः॒ग्नभष्टिः॑यिः॒ आपोिः॑ भव्य पीिः॒तये ᳚ । शं योरिः॒ग्नभस्रिः॑व्य नः ॥ हररः ॐ


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मानशसक सुशध मंि :-


(Cleanse yourself mentally by sprinling drops of water on your head and body and around yourself)ॐ

अपशविः पशविो वा सवि अवस्थां गतोअपी वा | यः स्मरे त पुण्डरीकाक्षं सबाह्य अभ्यां तर: िुशचः !!
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इल्लियस्पिु मन्त्ाः (Indriya sparsha mantra – touching each organ with a mantra)

ॐ वाङ् म आस्येऽस्तु | ॐ नसोमे प्रणोऽस्तु | ॐ अक्ष्णोमे चक्षुरस्तु |

ॐ कणियोमे श्रोिमस्तु | ॐ बाह्वोमे बलमस्तु | ॐ उवोमे ओजोऽस्तु |

ॐ अररष्टाशन मेऽङ्गाशन तनूस्तन्रा मे सह सन्तु | पारस्कर गृह्यसूिम् | कक्तण्डका ३ | सू || २५


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भू शम प्राथुना Bhoomi praarTHana

महीध्ौः पृशथवी च न इमं यज्ञं शमशमक्षतां शपप्रतान्नो भरीमशभः ॥ भूतोत्सारणम्

अप सपर्य ते भूता ये भूता भूग्नम संनस्थताः । ये भूता ग्नवघ्न कतार रः ते नश्श्य्य ग्नशवाज्ञया ॥

अपरेाम्य भूताग्नन ग्नपशाचास्सवरतो ग्नदशम्। सवेिाम् अग्नवरोधेन पूजाकमर समारभे ॥


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Bhoomi praarTHana is different from bhoomi sparsza manthra भू शम स्पिि मन्त्ाः which is

समुद्रवसने दे शव पवि तस्तनमण्डले । शवष्णु पशि नमस्तुभ्यं पादस्पिं क्षमस्वमे ॥


Samudra-Vasane Devi Parvata-Stana-Mannddale | Vissnnu-Patni Namas-Tubhyam

Paada-Sparsham Kssamasva-Me
(Oh Mother Earth) O Devi, You Who have theOcean as Your Garments, and Mountains as Your Bosom,:O
Consort of Lord Vishnu, Salutations to You; Please Forgive my Touch of the Feet (on Earth, which is Your
Holy Body)
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इल्लियस्पिु मन्त्ाः (Indriya sparsha mantra – touching each organ with a mantra)

ॐ वाङ्ङ आस्येऽस्तु | (speaking ability- tongue) ॐ नसोमे प्रणोऽस्तु | (breathing ability Nose)
ॐ अक्ष्णोमे चक्षुरस्तु |(seeing ability- eyes) ॐ कणियोमे श्रोिमस्तु |(hearing ability- ears)

ॐ बाह्वोमे बलमस्तु |(strength - shoulders) ॐ उवोमे ओजोऽस्तु |(digesting ability- stomach)

ॐ अररष्टाशन मेऽङ्गाशन तनूस्तन्रा मे सह सन्तु | पारस्कर गृह्यसूिम् | कक्तण्डका ३ | सू || २५


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धान्य राशि Dhaanya rasi


ॐ औषधाय सम्वदम्ते सोमेन सहराज्ञ | यस्मै कृणेशत ब्राह्मणस्थम् राजन् पारयामशस ||
(Touch the grains/rice/wheat. Dhanya is basic nourishing fertility for the body
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ध्यवं
िः॒ धािः॑ रय मन्त्ा Dhruvam dhaaraya - stability

ॐ ध्यवं
िः॒ तेिः॒ राजािः॒ वरुिः॑णो ध्यवं
िः॒ देिः॒ वो बृ हिः॒स्पग्नतिः॑ः । ध्यव्िः॒
िः॒ इन्द्रिः॑श्ािः॒ग्निश्िः॑ रािः॒ष्टरं धािः॑ रयतां ध्यवम्
िः॒ ॥
This invocation manthraa is chanted before starting all auspicious functions. May the royal Varuṇa, the divine
heads (dEvathAs) Bṛhaspati, Indra and Agni ever give stability to your inner kingdom and (let you perform the
rituals (And your duties as laid down in Szaasthraas without interruptions / hassles)

Devata:राज्ञः स्तुशतः Rishi: ध्रुवः Chhanda: अनु ष्टु प् Swara: गान्धारः


ध्रुवम्
ु॒ । तेु॒ । राजाा॑ । वरुा॑णः । ध्रुवम्
ु॒ । देु॒ वः । बृहु॒स्पशतःा॑ । ध्रुवम्
ु॒ । तेु॒ । इन्द्ःा॑ । चु॒ । अु॒शनः । चु॒ । राु॒ष्टरम् । धाु॒रु॒यु॒ताु॒म् ।
ध्रुवम्
ु॒ ॥ १०.१७३.५
ध्रुवम् ु॒ = fixed, stable, certain; permanent; changeless; firm; safe; resident; immovable; vital; faithful. तेु॒ = you राजाा॑
=king, kshatriya राु॒ष्टरम् = kingdom, your inner self as kingdom your family as kingdomr धाु॒रु॒यु॒ताु॒म् = “keep; sustain;
put; hold; wear; hold; carry; keep alive; suppress; preserve; remember; stow; stop; have; fill into; endure; support;
understand; fixate; govern; restrain
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गणपशि स्तुशि ।
ॐ शयक्ल अम्बरधरं ग्नवष्णयं शग्नशवणं चतयभयरजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत्
सवरग्नवघ्नोऽपशा्ये ॥ (one who is wearing white clothes, colour as moon, four shoulders, pleasing (to
see)countenance I meditate upon him. Lat all impediments / obstacles be removed by you)

ॐ भूः ॐ भयवः ॐ सयवः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।

ॐ तत्सिः॑ ग्नविः॒तयवररे᳚ण्ंिः॒ भगगदेिः॑ िः॒ वस्यिः॑ धीमग्नह । ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ प्रचोिः॒दया᳚त् ॥


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प्रोक्षणं। (िरीर िुल्लि) Cleaning / puroification


(Cleanse yourself mentally by sprinkling drops of water on your head and body and around yourself)

ॐ अपशविः पशविो वा सवु अवसथां गिोअपी वा | यः स्मरे ि पु ण्डरीकाक्षं सबाह्य


अभ्यन्तरः िु शचः !! (The moment I think of Pundareekaksha , all impurities turn to pure, all states (of mind
ignorance sleep wisdom, awakeneing) disappears, every thing becomes pure0
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प्राणायामम्।
ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋग्निः । परमात्मा दे वता । दै वी गायिी छन्दः । प्राणायामे ग्नवग्ननयोगः ॥

ॐ भूः ॐ भयवः ॐ सयवः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।ॐ तत्सिः॑ग्नविः॒तयवररे᳚ण्ंिः॒


भगगदेिः॑ िः॒ वस्यिः॑ धीमग्नह । ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ प्रचोिः॒दया᳚त् ॥ ॐ आपोज्योशि रसोमृ िं ब्रह्म
भूभुवस्सुवरोम् ॥
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पशवि धारणम् Pavithra dhAranam [Wear pavithram if available in ring finger]


पशविं धृत्वा (wear 2 starnd puja pavitram on right had ring finger)

दभार न् धारय मानः (keep a few dharbam under your ring finger but going up on

middle and little fingers)

दभेष्वासीनः (keep few dharbam on the plaace where you are sitting)

ॐ अपग्नविः पग्नविो वा सवार वस्थां गतोऽग्नप वा। यः स्मरे त्पयण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्रः शय ग्नचः ॥
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स्तल सु ल्लधध Sthala sudhi(Cleaning up pUja place, pUja dravayam, self, others )
Keep water in panchapathra or a small kalasam or kumbam while chanting. Keep mango leaves and a small coconut also in
the kalasam Mango leaves can be used to sprinkle purifying water later. We can add vasanA dravyam such as cardamom in
the water. It is also usual to drop a coin in the kalasam / kumbam

Simple version.
[For this purpose, keep water in kumbam or pancha pathram or at last a brass vessel Chant the
following manthras to invoke blessing & purification power of of varuna dEvatha in water.

ॐ तच्ंिः॒ योरावृिः॑णीमहे । गािः॒तयं यिः॒ज्ञायिः॑। गािः॒तयं यिः॒ज्ञपिः॑तये । दै वी᳚स्स्विः॒नस्तरिः॑ स्तय नः ।


स्विः॒नस्तमार नयिः॑िेभ्यः । ऊिः॒ध्रं ग्नजिः॑गातय भेििः॒जम् । शन्नोिः॑ अस्तय ग्नविः॒पदे ᳚। शं चतयिः॑ ष्पदे ।
ॐ शान्िः॒श्शान्िः॒श्शान्ःिः॑ ।

ॐ अपशविः पशविो वा सवि अवस्थां गतोअपी वा | यः स्मरे त पुण्डरीकाक्षं सबाह्य अभ्यन्तरः : िुशचः ॥

अक्तिगाि िाशण सुध्द्द्यक्तन्त मनः सत्येन सुध्द्द्यशत | शवद्या तपोभ्याम् भूतात्मा बुक्तध्द्दज्ञाि नेन सुद्ध्यशत

धन सुल्लधद मन्त्

सवेषामेव िौचानमथििौचम् परम् स्मृतं यो ऽथे िु शचहि सः िु शचनि मृद्ऱारर िु शचः िु शचः ॥

आत्मा सुल्लधद मन्त्

कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैररक्तन्द्यैरशप योशगनः कमि कुविक्तन्त संग त्यक्त्ऱात्म िु द्धये ॥

Elaborate version 1 PAAVAMAANEEYAM. (if this is done simple verison


above could be skipped).
आचमनम् Aachamanam

केशवा नारायणा माधवा गोग्नवन्दा ग्नवष्णो मधयसूदना ग्निग्नवरेमा वामना

श्रीधरा ऋग्निकेशा पद्मनाभा दमोदकरा सङ्किरणा वासयदेवा प्रद् ययम्ना अग्ननरुद्धा

पयरुिोत्तमा अधोक्षय नृग्नसंहा अच्ययता जनादर ना उपेन्द्रा श्रीहरे श्रीकृष्णा ॥

पयनराचमन ॥ ॐ आपोज्योग्नत रसोमृतं ब्रह्म भूभयरवस्सयवरोम्॥

संकल्पं Sankalpa for stahla sudhi

ॐ शय क्लाम्बरधरं ग्नवष्णयं शग्नशवणं चतय भयरजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सवरग्नवघ्नोऽपशा्ये ॥

प्राणायामः ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋग्निः । परमात्मा दे वता । दै वी गायिी छन्दः । प्राणायामे ग्नवग्ननयोगः

॥ ॐ भूः । ॐ भयवः । ॐ स्वः । ॐ महः । ॐ जनः । ॐ तपः । ॐ सत्यम् ।ॐ तत्सग्नवतय वररेण्ं

भगगदे वस्य धीमही ग्नधयो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ ॐ ॐ भूभयरवस्सयवरोम् ॥

If possible chant full sankalpam- otherwise short one below is okay


श्रीमद् भगवतो महापयरुिस्य ग्नवष्णोराज्ञाय प्रवतर मानस्य, सुभे, िोभने मुरॆते , अद्य ब्रह्मणोऽग्नवतीय

पराधे, ग्नवष्णय पदे , श्री श्वेतवराह कल्पे , वैवस्वत मन्र्रे , अष्टा शवंिशत तमे, कशलयुगे, प्रथमे पादे ,

जम्बूवीपे, भारत विे, भरत खण्डे मेरोः दशक्षनाः दण्डकारण् दे शे गोदावयार दग्नक्षणे तीरे कवेयोः

उत्तरे तीरे परशय राम क्षिे शाग्नलवाहन शके, अक्तस्मन् वतर माने, व्यवहाररके, चान्द्मानेन प्रभावाशद षशष्ट

सम्वस्तराणम् मद्ये , अमयक नाम संवत्सरे , अमयक अयणे अमयक ऋतौ, अमयक मासे, अमयक पक्षे, अमयक

िुभग्नतथौ, अमयक नक्षर युिायां , अमयक वासर युिायां , यथा राग्नश स्थान नस्थते िय, सत्सय , िुभ योग, िुभ

करण, येवं गयणग्नवशे िेण, ग्नवग्नशष्टायां , अस्यां शय भपयण्ग्नतथौ,

मम उपात्त समस्त दय ररत क्षयवारा श्री परमेश्वर प्रीत्यथं , िदे व लग्मन सुशदनं िदे व िारा बलं चि

बलं िदे व शवद्याबलं दै व बलं िदे व लक्ष्मी पिेः अङ् शियुगम् स्माराशम ॥ ॐ श्री साम्ब परमेश्वर

स्वाशम पूजन समये पूवे; सथल सुध्य मुकम् पावमान जपं कररष्ये

(Sometimes we may do sthala sudhi for more than one homa / pooja. Such times we list each of them

Example सकल शवघ्न हर तदनन्तरम् (and thereafter) नवग्रह दे वता तदनन्तरम् नक्षि दे वता तदनन्तरम् आयुष्य दे वता प्रीशत होमम्

करणम् अथ समये (at that time)


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NOTE: IF we do kalaza sthaapanam for Paavamaaneeyam, then this is good enough for
whole pooja nd neet not be repeated as part of poorvaanaga pooja. MINIMUM
MANTHRA if you do kalaza pooja shown in this colour

कलश सथापना
सं कल्पं तत्वायाशम िुनः िेपोः वरुण शिष्टु प् कलिे श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमनं आवाहने शवशनयोगः ||

कलि सथापना
ॐ आ कलिेषु धावशत पशविे पररशसंच्यते उिैयिज्ञेषु वधिते || (keep kalasha on top of rice pile)

फलपयष्पपिाग्नदना मण्टपमलङ्कृत्य तन्मध्ये तण्डय लाग्नन स्थापयेत्। तदय परर ग्नचिवणे न अष्टदलपद्मं

ग्नलनखिा तन्मध्ये प्रक्षाग्नलतं स्वणर रजत ताम्र मृण्मयाद्यन्यतम पािं धूपाग्नदना ग्नवशोध्यसम्सस्थाप्य
वस्त्रेणाऽच्ाद्य तत्कलशा्राले पञ्चफल पञ्चपल्रव स्वणर रग्नचत दय गार प्रग्नतमां गोधूम धान्योपरर

कलशे स्थापयेत्

ॐ मही द्यौः पृिः॑ग्नथिः॒वी चिः॑ न इिः॒मं यिः॒ज्ञं ग्नमिः॑ग्नमक्षताम्। ग्नपिः॒पृतां नोिः॒ भरीिः॑मग्नभः ॥ [ भूग्नमं स्पृष्ट्वा ]

ॐ ओििः॑दयःिः॒ सं विः॑द्ेिः॒ सोमेन


िः॑ सिः॒ह राज्ञािः॑ । यस्मै िः॑ कृिः॒णोग्नतिः॑ ब्राह्मणस्तं रािः॑ जन् पारयामिः॑ग्नस ॥ ॐ आ

किः॒लशे ि
िः॑ य धावग्नत येिः॒नो वमरिः॒ ग्नव गािः॑ हते । अिः॒ग्नभ द्रोणािः॒ कग्ननिः॑रेदत् ॥ [ इग्नत कलशमग्नभमन्त्र्य ]

ॐ त्यं िः॑ तिः॒ न्रन्रजिः॑ सो भािः॒नयमनन्रिः॑ ग्नहिः॒ ज्योग्नतिः॑ष्मतः पिः॒थो रिः॑ क्ष ग्नधिः॒या कृिः॒तान्। अिः॒नयल्बिः॒
िः॒ णं वयिः॑तिः॒ जोगयिः॑वािः॒मपोिः॒
मनयिः॑भरव जिः॒ नयािः॒ दै व्यंिः॒ जनिः॑म् ॥ [ इग्नत सूिं सम्वे ष्ट्य

ॐ इिः॒मं मे िः॑ गङ्गे यमयने सरस्वग्नतिः॒ शय तयग्नद्रिः॒ स्तोमं िः॑ सचतािः॒ पिः॒रुष्ण्या। अिः॒ग्नसिः॒क्न्न्या मिः॑रुद् वृधे

ग्नविः॒तस्तिः॒याऽऽजजकीये
िः॑ रृणय ह्या
िः॒ सयिोमिः॑
िः॒ या ॥ इग्नत जलं सम्पूयर (fill kalasha with water)
ॐ तत्वायाशम ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा िास्ते यजमानो हशवशभिः | आहे लमानो वरुणः बोध्ुरुिं समान

आयुः प्रमोशषः ||

अनस्मन् कलशे ॐ भूः वरुणमावाहयाग्नम। ॐ भयवः वरुणमावाहयाग्नम। ॐ स्वः वरुणमावाहयाग्नम।

ॐ भूभयरवस्स्वः वरुणमावाहयाग्नम ॥

ॐ स ग्नह रत्नािः॑ ग्नन दािः॒शयिे िः॑ सयवाग्न


िः॒ तिः॑ सग्नविः॒ता भगःिः॑ । तं भािः॒गं ग्नचिः॒िमीिः॑महे ॥ इग्नत पञ्चरत्नाग्नन ग्ननधाय
ॐ अिः॒श्विः॒त्थे वोिः॑ ग्ननिः॒िदिः॑ नं पिः॒णे वोिः॑ वसिः॒ग्नतष्ृिः॒ता। गोिः॒भाज इनत्कलािः॑ सथिः॒ यत्सिः॒ नविः॑थिः॒ पूरुिः॑िम् ॥ इग्नत पल्रवान्

ग्ननग्नक्षप्य

ॐ पूणार
िः॒ दिः॑ वजिः॒ परािः॑ पतिः॒ सयपूिः॑णार िः॒ पयनिः॒रापतिः॑ । विः॒स्नेविः॒ ग्नव रेीिः॑णावहािः॒ इििः॒मूजरꣳ॑िः॑ शतरेतो ॥ इग्नत दवीं
ग्ननग्नक्षप्य
ॐ याः फिः॒ग्नलनीिः॒यार अिः॑फिः॒ला अिः॑पयष्पा
िः॒ याश्िः॑ पयनष्पणीः िः॑ । बृहिः॒स्पग्नतिः॑प्रसूतािः॒स्ता नोिः॑ मयञ्चिः॒िंहिः॑सः ॥ इग्नत फलं
समप्यर (put beetle nut in kalasha)

ॐ भूभुवः स्वः वरुणाय नमः | ॐ गन्धिः॑वािः॒रां दयिः॑ राधिः॒िां ग्ननत्यिः॑पयष्टां करीिः॒ग्निणीिः॑म्। ईिः॒श्विः॒रींिः॒ सिः॑वरभूतानां िः॒

ताग्नमिः॒होपिः॑ह्वयेिः॒ग्नश्रयिः॑म् ॥ (sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha) श्रीकलशाय नमः । ग्नदव्यगन्धान्धारयाग्नम ॥

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः | हररद्रा कुङ्कुमं समपियाशम


ॐ सशहरिाशन दािुषेसुवाशत सशवता भगः | तंभागं शचिमीमहे || (put jewels / washed coin in kalasha)

ॐ शहरण्यरूपः शहरण्य सक्तन्द्ग्पान्न पात्स्येदु शहरण्य वणिः | शहरण्ययात् पररयोनेशनिषद्या शहरण्यदा

ददत्थ्यन् नमस्मै || (put gold / daxina in kalasha)

ॐ कान्डात् कान्डात् परोहं शत परुषः परुषः परर एवानो दू वे प्रतनु सहस्रेण ितेन च ||
(put duurva / karika )

ॐ अश्वत्थेवो शनिदनं पणेवो वसशतश्कृत | गोभाज इक्तिला सथयत्स नवथ पूरुषम् ||


(put five leaves in kalasha)

ॐ यु वासुवासः परीवीतागात् स उश्रेयान् भवशत जायमानः | तं धीरासः कावयः उन्नयंशत स्वाद्ध्यो

स्वाद्ध्यो मनसा दे वयंतः || (tie cloth for kalasha)

ॐ पू णाि दशवि परापता सुपूणाि पुनरापठ | वस्नेव शवरेीणावः इषमूजं ितकृतो ||


(copper plate and aShTadala with ku.nkuM)

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः | ॐ अचरतिः॒िः॑ प्राचरतिः॒िः॑ ग्नप्रयिः॑मेधा सोिः॒ अचरत।


िः॑ अचर्य
िः॑ पयििः॒का उिः॒ त पयरंिः॒ न

धृष्ट्िः॒ विः॑चरत ॥ इत्यक्षतान् ग्ननग्नक्षप्य || (add to kalasha)

ॐ आयिः॑ने ते पिः॒रायिः॑णे दू वार िः॑ रोह्य पयनष्पणीः िः॑ । ह्रिः॒दाश्िः॑ पयण्डरीिः॑काग्न


िः॒ ण समयद्रस्यिः॑
िः॒ गृहा
िः॒ इिः॒मे ॥ इग्नत पयष्पाग्नण
समपरयेत्

ॐ पग्नविं िः॑ तेिः॒ ग्नवतिः॑ तं ब्रह्मणस्पते प्रिः॒भयगार िािः॑ ग्नणिः॒ पयेिः॑ग्नि ग्नवश्वतःिः॑ ।अतिः॑ प्तनूनरिः॒ तदािः॒मो अिः॑श्नयते रृिः॒तासिः॒

इवहिः॑ ्िः॒स्तत्समािः॑ शत ॥ इग्नत ग्नशरः कूचं ग्ननधाय

ॐ तत्त्वायामीत्यस्य मन्त्रस्य शय नः शे प ऋग्निः ग्निष्ट्टयप् छन्दः वरुणो दे वता कलशे वरुणावाहने

ग्नवग्ननयोगः ॥ ॐ तत्त्वािः॑ याग्नमिः॒ ब्रह्मिः॑ णािः॒ वन्दिः॑ मानिः॒स्तदा शािः॑ स्ते यजिः॑ मानोहिः॒ग्नवग्नभरः । आहे ळ
िः॑ मानो वरुणेिः॒ ह

बोिः॒ध्ययरुिः॑शम्सिः॒मानिः॒ आययिः॒ः प्रमोिः॑िीः ॥ इग्नत अग्नभमन्त्रयेत्

इशि कलिं प्रशिष्ठापयाशम || सकल पूजाथे अक्षिान् समपुयाशम ||


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कलश पूजा
[कलशं गन्धाक्षत पि पयष्पैरभ्यच्यर पररमलद्रव्याग्नण ग्ननग्नक्षप्य कलशं हस्तेनाच्ाद्य ॐ कलशस्य
मयखे ग्नवष्णय ः कण्ठे रुद्रः समाग्नश्रतः ।मूले ति नस्थतो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ॥ कयक्षौ तय
सागराः सवे सप्तवीपा वसयन्धरा। ऋग्वे दोऽथयजय वेदः सामवेदोऽप्यथवरणः ॥ अङ्गैश् सग्नहताः
सवे कलशाम्बय समाग्नश्रताः । अि गायिी साग्नविी शान्ः पयग्नष्टकरी तथा ॥
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ELABORATE MANTHRAAS

आया्य दे वीपूजाथं दय ररतक्षयकारकाः । सवे समयद्राः सररतस्तीथार ग्नन जलदा नदाः ॥

गङ्गे च यमयने चैव गोदावरर सरस्वग्नत। नमरदे ग्नसन्धय कावेरर जले ऽनस्मन् सग्नन्नग्नधं कयरु ॥

सवे समयद्राः सररतः तीथार ग्नन जलदा नदाः । आया्य गयरुपूजाथं दय ररतक्षयकारकाः ॥

दे वदानवसंवादे मयमाने महोदधौ | उत्पन्नोऽशस तदा कुम्भ | शवधृतो शवष्णुना स्वयम् ||

त्वत्तोये सवितीथाि शन दे वाः सवे त्वशय क्तस्थताः | त्वशय शतष्ठक्तन्त भूताशन त्वशय प्राणाः प्रशतशष्ठताः ||

शिवः स्वयं त्वमेवाशस शवष्णुस्त्वं च प्रजापशतः | आशदत्या वसवो रुद्रा शवश्वेदेवाः सपैतृकाः ||

त्वशय शतष्ठक्तन्त सवेऽशप यतः कामफलप्रदाः | त्वत्प्रसादाशदमं यज्ञं कतुिमीहे जलोिव |

सां शनध्ं कुरु मे दे व प्रसन्नो भव सविदा ||

ॐ आपोिः॒ वा इिः॒दꣳ सवंिः॒ ग्नवश्वािः॑ भूतान्यापः


िः॒ िः॑ । प्रािः॒णा वा आपःिः॑ पिः॒शविः॒ आपोऽन्निः॒मापोऽमृिः॑तिः॒मापिः॑स्सिः॒म्राडापोिः॑

ग्नविः॒राडापिः॑ स्स्विः॒राडापिः॒श्छन्दािः॒ꣳ॑िः॒ स्यापोिः॒ ज्योतीिः॒ꣳ॑िः॒ ष्यापोिः॒ यजू ꣳ॑िः॒


िः॒ ष्यापिः॑स्सिः॒त्यमापिः॒स्सवार िः॑ देिः॒ वतािः॒ आपोिः॒
भूभयरविः॒स्सयविः॒रापिः॒ ॐ ॥

ॐ इिः॒मं मे िः॑ गङ्गे यमयने सरस्वग्नतिः॒ शय तयिः॑ग्नद्र स्तोमꣳ॑िः॑ सचतािः॒परुिः॒नष्णया अिः॒ग्नसिः॒ननिः॒या मिः॑रुद् वृधे

ग्नविः॒तस्तिः॒याजजकीये
िः॑ रृणय ह्या
िः॒ सयिोमिः॑या ॥
ग्नसतमकरग्ननिण्ां शय भ्रवणां ग्निनेिाम्। करधृतकलशोद्यत्सोत्पलाभीत्यभीष्टाम् ॥

ग्नवग्नधहररहररूपां सेन्त्र्दयकोटीरचूडाम्। कग्नलतग्नसतदय कूलां जाह्नवीं तां नमाग्नम ॥

[गायया दग्नक्षणामूग्नतरमूलेन च दशवारमग्नभमन्त्र्य -कलशमयखे पयष्पाग्नण ग्ननग्नक्षप्य - कलशोदकेन

आत्मानं

[कलशोदकेन भूभयरवस्सयवरोऽग्नमग्नत शङ्खं प्रक्षाळ्य -

चरेमयद्रां प्रदयर - गायया दग्नक्षणामूग्नतरमूलेन च शङ्खं कलशजले नापूयर - धेनयमयद्रां प्रदयर -

पररमलद्रव्याग्नण
ग्ननग्नक्षप्य - गन्धाक्षतपिपयष्पैः समभ्यचरयेत्]

शङ्खमूले ब्रह्मणे नमः । शङ्खमध्ये जनादर नाय नमः ।

शङ्खार्ग्े चन्द्रशे खराय नमः ॥ ॐ कलश दे वताभ्यो नमः गन्धान् धारयाग्नम।

गन्धस्योपरर हररद्राकयङ्कयमं धारयाग्नम। ॐ कलश दे वताभ्यो नमः अक्षतान् समपरयाग्नम।


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ॐ कलश दे वताभ्यो नमः पयष्पैः पूजयाग्नम। कलशस्य मयखे ग्नवष्णय ः कण्ठे रुद्रः समाग्नश्रतः ।

मूले ति नस्थतो ब्रह्मा मध्ये मातृ गणाः स्मृताः ॥ कयक्षौ तय सागराः सवे सप्त वीपा वसयन्धराः ।

ऋग्वेदोऽयजय वेदः सामवेदोह्यथवरणः ॥ गङ्गेच यमयनेश्ैव गोदावरी सरस्वग्नत।

नमरदे ग्नसन्धय कावेरी जले ऽनस्मन् सग्नन्नग्नधं कयरु ॥ अङ्गैश् सग्नहताः सवे कलश्य समाग्नश्रताः ।

अि गायिी साग्नविी शान् पयग्नष्टकरी तथा ॥ आया्य सपररवारः श्री हररहरपयि पूजाथं

दय ररतक्षयकारकाः ॥
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कलशः अर्चनः ।
ओं गङ्गायै नमः । यमयनायै नमः । गोदावयै नमः । सरस्वत्यै नमः ।

नमरदायै नमः । ग्नसन्धवे नमः । कावेयै नमः । पयष्पाग्नण पूजयाग्नम ॥

अनस्मन् कलशे गङ्गाग्नद सप्ततीथार ग्नण आवाहयाग्नम ॥

गन्धपयष्प धूपदीपैः सकलाराधनैः स्वग्नचरतं ॥

ॐ ग्नसताग्नसते सररते यि सङ्गथे तिाप्लयतासो ग्नदवमयत्पतन्।

ये वैतन्रं ग्नवस्रजन् धीरास्ते जनसो अमृतत्त्वं भजन् ॥

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः | धूपं समपियाशम ||

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः | दीपं समपियाशम ||

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः | नैवेद्यं समपियाशम ||

ॐ भूभुिवः स्वः | वरुणाय नमः |सकल राजोपचाराथे अक्षतान् समपियाशम ||

अवते हे ळो वरुण नमोशभररव यज्ञेशभरीमहे हशवशभिः |


क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचेता राजन्नेनाक्ति शिश्रथः कृताशन || वरुणाय नमः | मन्त् पुष्पं समपियाशम ||

प्रदशक्षणा नमस्कारान् समपियाशम || अनया पूजया भगवान् श्री महा वरुण शप्रयताम् ||

सकल पू जाथे अक्षतान् समपियाशम ||


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कलि प्रार्चनाः ॥

कलशः कीग्नतरमाययष्यं प्रज्ञां मेधां ग्नश्रयं बलम्। योग्यतां पापहाग्ननं च पयण्ं वृनद्धं च साधयेत् ॥

सवर तीथर मयो यस्मात् सवर दे वमयो यतः । अथः हररग्नप्रयोग्नस िं पूणरकयम्भं नमोऽस्तयते ॥

कलशदे वताभ्यो नमः । सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥


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स्तल सुल्लधध मन्त्ा (पावमानीयं) Shalau sudhi manthra (PAvamAna sUktham)


[For this purpose, keep water in kumbam or pancha pathram or at last a brass Bessel Chant the following manthras to
invoke blessing & purification power of of varuna dEvatha in water. Manthras in the box is optional]

ॐ तच्ंिः॒ योरावृिः॑णीमहे । गािः॒तयं यिः॒ज्ञायिः॑। गािः॒तयं यिः॒ज्ञपिः॑तये । दै वी᳚स्स्विः॒नस्तरिः॑ स्तय नः ।

स्विः॒नस्तमार नयिः॑िेभ्यः । ऊिः॒ध्रं ग्नजिः॑गातय भेििः॒जम् । शन्नोिः॑ अस्तय ग्नविः॒पदे ᳚। शं चतयिः॑ ष्पदे ।

ॐ शान्िः॒श्शान्िः॒श्शान्ःिः॑ ।

ॐ ॥ ग्नहरिः॑ ण्वणार ः िः॒ शय चिः॑यः पाविः॒का यासयिः॑ जािः॒तः किः॒यपोिः॒ यानस्वन्द्रःिः॑ । अिः॒ग्निं या गभं िः॑ दग्नधिः॒रे ग्नवरू
िः॑ पािः॒स्ता निः॒

आपिः॒श्शꣳ स्योिः॒ना भिः॑व्य॥ यासािः॒म् राजािः॒ वरुिः॑णोिः॒ याग्नतिः॒ मध्ये िः॑ सत्यानृतेिः॒ अिः॑विः॒पयंिः॒ जनािः॑ नाम् ।

मिः॒धयश्य
िः॒ तिः॒श्शयचिः॑योिः॒ याः पािः॑ विः॒कास्ता निः॒ आपिः॒श्शꣳ स्योिः॒ना भिः॑व्य॥

यासां ᳚ देिः॒ वा ग्नदिः॒ग्नव कृिः॒वन्िः॑ भिः॒क्षं या अिः्॒ररिः॑ क्षे बरॅिः॒धा भविः॑न् । याः पृिः॑ग्नथिः॒वीं पयिः॑सोिः॒न्दन् शय रेास्ता
िः॒ निः॒

आपिः॒श्शꣳ स्योिः॒ना भिः॑व्य॥ ग्नशिः॒वेनिः॑ मािः॒ चक्षयिः॑िा पयताऽऽपनश्शिः॒वयािः॑ तिः॒ नयवोपिः॑ स्पृशतिः॒ िचं िः॑ मे ।

सवार ꣳ अिः॒िीꣳ रिः॑ प्यिदोिः॑


िः॒ रॅवे वोिः॒ मग्नयिः॒ वचगिः॒ बलिः॒ मोजोिः॒ ग्ननधिः॑त्त॥

पविः॑मानिः॒स्सयविः॒जरनिः॑ः । पिः॒ग्नविेण
िः॑ िः॒ ग्नवचिः॑िरग्नणः । यः पोतािः॒ स पयिः॑नातय मा । पयन्य
िः॒ िः॑ मा दे वजिः॒ नाः । पयन्य
िः॒ िः॒ मनिः॑वो
ग्नधिः॒या । पयन्य
िः॒ िः॒ ग्नवश्विः॑ आिः॒ यवःिः॑ । जातिः॑ वेदः पग्नवििः॑वत् । पिः॒ग्नविेण
िः॑ पयनाग्नह मा । शय रे
िः॒ े णिः॑ दे विः॒दीद्यिः॑ त् । अिेिः॒
रेिािः॒ रेतू ꣳिः॒ रनयिः॑। यत्ते िः॑ पिः॒ग्नवििः॑मिः॒ग्नचरग्नििः॑। अिेिः॒ ग्नवतिः॑ तम्िः॒रा । ब्रह्मिः॒ ते निः॑ पयनीमहे । उिः॒ भाभ्यां ᳚ दे वसग्नवतः

। पिः॒ग्नविेण
िः॑ सिः॒वेनिः॑ च । इिः॒दं ब्रह्मिः॑ पयनीमहे । वैिः॒श्विः॒देिः॒वी पयिः॑निः॒ती देिः॒ व्यागा᳚त् । यस्यै िः॑ बिः॒ह्वीस्तिः॒नयवोिः॑ वीिः॒तपृिः॑ष्ठाः ।

तयािः॒ मदिः॑ ्ः सधिः॒माद्ये ि


िः॑ य । विः॒यꣳ स्यािः॑ मिः॒ पतिः॑ यो रयीिः॒णाम् । वैिः॒श्वािः॒निः॒रो रिः॒निग्नभिः॑मार पयनातय । वातःिः॑

प्रािः॒णेनेग्निः॑ ििः॒रो मिः॑योिः॒ भूः । द्यावािः॑ पृग्नथिः॒वी पयिः॑सािः॒ पयोिः॑ग्नभः । ऋिः॒ताविः॑री यिः॒ग्नज्ञये िः॑ मा पयनीताम् । बृहन्ः
िः॒ िः॑

सग्नवतिः॒ स्तृग्नभिः॑ः । वग्निरष्ठैिः॑ देविः॒मन्मिः॑ग्नभः । अिेिः॒ दक्षैः ᳚ पयनाग्नह मा । येनिः॑ देिः॒ वा अपयिः॑नत । येनापोिः॑ ग्नदिः॒व्यङ्कशःिः॑ ।

ते निः॑ ग्नदिः॒व्येनिः॒ ब्रह्मिः॑ णा । इिः॒दं ब्रह्मिः॑ पयनीमहे । यः पािः॑ वमािः॒नीरिः॒ध्येग्नतिः॑।

ऋग्नििः॑ग्नभिः॒स्सम्भृिः॑ तिः॒ꣳ रसम्᳚। सवरिः॒ꣳ स पूतमिः॑


िः॒ श्नाग्नत । स्विः॒ग्नदिः॒तं मािः॑ तिः॒ररश्विः॑ना । पािः॒विः॒मानीयग अिः॒ध्येग्नतिः॑।
ऋग्नििः॑ग्नभिः॒स्सम्भृिः॑ तिः॒ रसम्᳚। तस्मैिः॒ सरिः॑ स्वती दय हे । क्षीिः॒रꣳ सिः॒ग्नपरमरधूिः॑दिः॒कम्॥ पािः॒विः॒मािः॒नीस्स्विः॒स्त्ययिः॑नीः ।

सयदय
िः॒ घािः॒ग्नह पयिः॑स्वतीः । ऋग्नििः॑ग्नभिः॒स्सम्भृिः॑ तोिः॒ रसःिः॑ । ब्रािः॒ह्मिः॒णेष्विः॒मृतꣳ ग्नहिः॒तम् । पािः॒विः॒मािः॒नीग्नदर िः॑श्य नः । इिः॒मं
ल्लोिः॒कमथोिः॑ अिः॒मयम् । कामािः॒न्त्र्ससमिः॑धरय्य नः । देिः॒ वीदेिः॒ वैः सिः॒माभृिः॑ताः । पािः॒विः॒मािः॒नीस्स्विः॒स्त्ययिः॑नीः । सयदय
िः॒ घािः॒ग्नह
घृिः॑तिः॒श्यतिः॑ ः । ऋग्नििः॑ग्नभिः॒स्सम्भृिः॑ तोिः॒ रसःिः॑ । ब्रािः॒ह्मिः॒णेष्विः॒मृतꣳ ग्नहिः॒तम् । येनिः॑ देिः॒ वाः पिः॒ग्नविेण
िः॑ । आिः॒ त्मानं िः॑ पयनते
िः॒ िः॒
सदा᳚। ते निः॑ सिः॒हस्रिः॑धारे ण । पािः॒विः॒मािः॒न्यः पयिः॑न्य मा । प्रािः॒जािः॒पिः॒त्यं पिः॒ग्नविम् ᳚। शिः॒ तोध्यािः॑ मꣳ ग्नहरिः॒ण्मयम्᳚। ते निः॑

ब्रह्मिः॒ ग्नवदोिः॑ विः॒यम् । पूतंिः॒ ब्रह्मिः॑ पयनीमहे । इन्द्रिः॑स्सयनीिः॒ती सिः॒हमािः॑ पयनातय । सोमिः॑स्स्विः॒स्त्या विः॑रुणस्सिः॒मीच्या᳚।

यमोिः॒ रजा᳚ प्रमृणाग्न


िः॒ भिः॑ः पयनातय मा । जािः॒तवेद
िः॑ ा मोिः॒जरयिः॑न्त्या पयनातय । ॐ भूभयरविः॒स्सयविः॑ः ।

ॐ तच्ंिः॒ योरावृिः॑णीमहे । गािः॒तयं यिः॒ज्ञायिः॑। गािः॒तयं यज्ञपिः॑तये । दै वी᳚स्स्विः॒नस्तरिः॑ स्तय नः । स्विः॒नस्तमार नयिः॑िेभ्यः । ऊिः॒ध्रं

ग्नजिः॑गातय भेििः॒जम् । शन्नोिः॑ अस्तय ग्नविः॒पदे ᳚। शं चतयिः॑ ष्पदे । ॐ शान्िः॒श्शान्िः॒श्शान्ःिः॑ ।

नमोिः॒ ब्रह्मिः॑ णेिः॒ नमोिः॑ अस्त्ऱिः॒ियेिः॒ नमःिः॑ पृग्नथिः॒व्यै नमिः॒ ओििः॑धीभ्यः ।नमोिः॑ वािः॒चे नमोिः॑ वािः॒चस्पतिः॑ येिः॒ ग्नवष्णिः॑ वे बृहिः॒ते

किः॑रोग्नम ॥ ॐ शान्िः॒श्शान्िः॒श्शान्ःिः॑ ।

आपोिः॒ वा इिः॒दꣳ॑िः॒ सवंिः॒ ग्नवश्वािः॑ भूतान्यापः


िः॒ िः॑ प्रािः॒णा वा आपःिः॑ पिः॒शविः॒ आपोऽन्निः॒मापोऽमृिः॑तिः॒मापःिः॑ सिः॒म्राडापोिः॑

ग्नविः॒राडापःिः॑ स्विः॒राडापिः॒श्छन्दािः॒ꣳ॑िः॒ स्यापोिः॒ ज्योतीिः॒ꣳ॑िः॒ ष्यापोिः॒ यजू ꣳ॑िः॒


िः॒ ष्यापिः॑स्सिः॒त्यमापिः॒स्सवार िः॑ देिः॒ वतािः॒ आपोिः॒
भूभयरविः॒स्सयविः॒रापिः॒ ओं ॥
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प्रोक्षणं (PrOkshanam)
NOTE: (Chanting the manthra below; sprinle the water in panchapathram with udhdharani (kalasam / mango leaves on all

idols, Chithra patam, pUja vessels, pUja flowers, pUja fruits, around the room, on self and all others in the room and also in
kitchen No need to take this water as thErtham to drink at this point.

For a simple STHALA SUDDHI, a simple prokshan manthra is


enough as below:’
ॐ अपशविः पशविो वा सवु अवसथां गिोअपी वा | यः स्मरे ि पु ण्डरीकाक्षं सबाह्य
अभ्यन्तरः िु शचः !!
Elaborate version:

आपोिः॒ग्नहष्ठा मिः॑योिः॒ भयविः॒स्तानिः॑ ऊिः॒जे दिः॑ धातन । मिः॒हेरणािः॑ य चक्षिः॑से ॥ योवःिः॑ ग्नशिः॒वतिः॑ मोिः॒ रसिः॒स्तस्यिः॑ भाजयतेिः॒ हनःिः॑

। उिः॒ शिः॒तीररिः॑ व मािः॒तरःिः॑ ॥ तस्मािः॒ अरं िः॑ गमाम वोिः॒ यस्यिः॒ क्षयािः॑ यिः॒ ग्नजन्रिः॑ थ । आपोिः॑ जिः॒ नयिः॑था च नः ॥

देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे। अिः॒ग्नश्वनो᳚बार रॅ


िः॒ भ्या᳚म्। पूष्णो
िः॒ हस्ता᳚भ्याम्। अिः॒ग्नश्वनोिः॒भैििः॑ज्येन। ते जिः॑से
ब्रह्मवचरिः॒सायािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥ देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे। अिः॒ग्नश्वनो᳚बार रॅ
िः॒ भ्या᳚म्। पूष्णो
िः॒ हस्ता᳚भ्याम्। सरिः॑ स्वत्यैिः॒
भैििः॑ज्येन। वीिः॒यार यािः॒
िः॑ न्नाद्यािः॑ यािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥ देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे। अिः॒ग्नश्वनो᳚बार रॅ
िः॒ भ्या᳚म्। पूष्णो
िः॒
हस्ता᳚भ्याम्। इन्द्रिः॑स्येनन्द्रिः॒येणिः॑। ग्नश्रिः॒ये यशिः॑ सेिः॒ बलािः॑ यािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥ अिः॒यरिः॒मणंिः॒ बृहिः॒स्पग्नतिः॒ग्नमन्द्रंिः॒ दानािः॑ य चोदय

। वाचंिः॒ ग्नवष्णय ग्
िः॒ ंिः॒ सरिः॑ स्वतीग्ं सग्नविः॒तारं िः॑ च वािः॒ग्नजन᳚
म् ।

सोमिः॒ग्ंिः॒ राजािः॑ नंिः॒ वरुिः॑णमिः॒ग्निमिः॒न्रारिः॑ भामहे । आिः॒ ग्नदिः॒त्यान्, ग्नवष्णय ग्


िः॒ ंिः॒ सूयं िः॑ ब्रिः॒ह्माणं िः॑ चिः॒ बृहिः॒स्पग्नतम्᳚ ।
देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे᳚ऽग्नश्वनो᳚बार रॅ
िः॒ भ्यां ᳚ पूष्णो
िः॒ हस्ता᳚भ्यािः॒ग्ंिः॒ सरिः॑ स्वत्यै वािः॒चोयिः्॒ययरिः॒न्त्रेणािः॒िेस्त्ऱािः॒
साम्रा᳚ज्येनािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चािः॒मीन्द्रिः॑स्यिािः॒ साम्रा᳚
ज्येनािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चाग्नमिः॒ बृहिः॒स्पते᳚
स्त्ऱािः॒ साम्रा᳚
ज्येनािः॒ग्नभग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥

आपोिः॒ग्नहष्ठा मिः॑योिः॒ भयविः॒स्तानिः॑ ऊिः॒जे दिः॑ धातन। मिः॒हेरणािः॑ य चक्षिः॑से॥ योवःिः॑ ग्नशिः॒वतिः॑ मोिः॒ रसिः॒स्तस्यिः॑ भाजयतेिः॒ हनःिः॑ ।

उिः॒ शिः॒तीररिः॑ व मािः॒तरःिः॑ ॥ तस्मािः॒ अरं िः॑ गमाम वोिः॒ यस्यिः॒ क्षयािः॑ यिः॒ ग्नजन्रिः॑ थ। आपोिः॑ जिः॒ नयिः॑था च नः ॥

देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे᳚ऽग्नश्वनो᳚बार रॅ


िः॒ भ्यां ᳚ पूष्णो
िः॒ हस्ता᳚भ्यािः॒ꣳ गं सरिः॑ स्वत्यैिः॒ वािः॒चो यिः्॒ययरिः॒न्त्रेणािः॒िेस्त्ऱािः॒
साम्रा᳚ज्येनािः॒ग्निः॒ भग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥ देिः॒ वस्यिः॑ िा सग्नविः॒तयः प्रिः॑सिः॒वे᳚ऽग्नश्वनो᳚बार रॅ
िः॒ भ्यां ᳚ पूष्णो
िः॒ हस्ता᳚भ्यािः॒ꣳ गं सरिः॑ स्वत्यैिः॒ वािः॒चो
यिः्॒ययरिः॒न्त्रेणिः॒ बृहिः॒स्पते ᳚स्त्ऱािः॒ साम्रा᳚ज्येनािः॒ग्निः॒ भग्नििः॑ञ्चाग्नम ॥
द्रयपिः॒
िः॒ दाग्नदिः॑विः॒ मयञ्चिः॑तय। द्रयपिः॒
िः॒ दाग्नदिः॒वेन्मयिः॑मयचािः॒नः ।नस्विः॒न्नः स्नािः॒िी मलािः॑ ग्नदव। पूतंिः॒ पिः॒ग्नविेण
िः॑ ेिः॒ वाज्यम् ᳚। आपिः॑श्शयन्ध्य िः॒

मैनिः॑सः

आपोिः॒ वा इिः॒दꣳ सवंिः॒ ग्नवश्वािः॑ भूतान्यापः


िः॒ िः॑ प्रािः॒णा वा आपःिः॑ पिः॒शविः॒ आपोऽन्निः॒मापोऽमृिः॑तिः॒मापःिः॑ सिः॒म्राडापोिः॑

ग्नविः॒राडापःिः॑ स्विः॒राडापिः॒श्छन्दािः॒ꣳ गं स्यापोिः॒ ज्योतीिः॒ꣳ गं ष्यापोिः॒ यजू ꣳिः॒ गं ष्यापिः॑स्सिः॒त्यमापिः॒स्सवार िः॑ देिः॒ वतािः॒ आपोिः॒

भूभयरविः॒स्सयविः॒रापिः॒ ओं ॥

द्रयपिः॒
िः॒ दाग्नदिः॑विः॒ मयञ्चिः॑तय। द्रयपिः॒
िः॒ दाग्नदिः॒वेन्मयिः॑मयचािः॒नः । नस्विः॒न्नः स्नािः॒िी मलािः॑ ग्नदव। पूतंिः॒ पिः॒ग्नविेण
िः॑ ेिः॒ वाज्यम्᳚। आपिः॑श्शयन्ध्य िः॒

मैनिः॑सः । भूभयरवस्सय वो भूभयरवस्सयवः ।

। । ।

पशविं शवसृ ज्य (untie and discard the pavithram


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NOTE: For elaborate sthala / dEha sudhdhi chanting UDAKA SHANTHI please refer to “POOJA

Vidhi poorvaanga pradhaana uththara +3 annex” y”


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पूवाुङ्ग प्राथु ना (prArthanA before start of regular pUja,., Homam etc.)


ॐ शय क्लाम्बरधरं ग्नवष्णयं शग्नशवणं चतय भयरजम् । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सवरग्नवघ्नोऽपशा्ये ॥

कररष्यमाणस्य कमरणः ग्ननग्नवरघ्नेन पररसमाप्त्यथं आदौ गयरुपूजां गणपग्नतप्राथर नां च कररष्ये ॥

गयरुब्ररह्मा गयरुग्नवरष्णयः गयरुदे वो महे श्वरः । गयरुः साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्रीगयरवे नमः ॥

सयमयखश्ैकद्श् कग्नपलो गजकणर कः । लम्बोदरश् ग्नवकटो ग्नवघ्नराजो गणाग्नधपः ॥

धूम्रकेतय गरणाध्यक्षो फालचन्द्रो गजाननः । वादशै ताग्नन नामाग्नन यः पठे च्ृ णय यादग्नप ॥

ग्नवद्यारम्भे ग्नववाहे च प्रवेशे ग्ननगरमे तथा । सङ्र्ग्ामे सङ्कटे चैव ग्नवघ्नस्तस्य न जायते ॥
(Whoever chants or hears these 12 names of Lord Ganesha will not have any obstacles in all their endeavours)
तदे व लिं सयग्नदनं तदे व ताराबलं चंद्रबलं तदे व । ग्नवद्या बलं दै वबलं तदे व लक्ष्मीपते ः तें ग्निऽययगं

स्मराग्नम ॥
What is the best time to worship the Lord? When our hearts are at the feet of Lord Narayana, then the strength of
the stars, the moon, the strength of knowledge and all the Gods will combine and make it

the most auspicious time and day to worship the Lord अभीनप्ताथर ग्नसद्ध्यथं पूग्नजतो यः सयरैरग्नप ।

सवरग्नवघ्ननच्दे तस्मै गणाग्नधपतये नमः ॥ तदे व लिं सयग्नदनं तदे व ताराबलं चन्द्रबलं तदे व । ग्नवद्याबलं

दै वबलं तदे व लक्ष्मीपते ते ऽङ्ग्निययग्मं स्मराग्नम ॥


(what is the best time to worship lord? When our heart is at the feet of Lord Narayana, then the strengths of the
stars, the moon, the knowledge and all Gods will combine and make it the most auspicious time / day to worship
the Lord

सवरदा सवर कायेिय नानस्त ते िां अमङ्गलम् ।येिां रॄग्नदस्थो भगवान् मङ्गलायतनो हररः ॥
(When Lord Hari, who brings auspiciousness is situated in our hearts, then there will be no moreinauspiciousness
in any of our undertakings)

सवरमङ्गल माङ्गल्ये ग्नशवे सवार थर साग्नधके । शरण्े यम्बके दे वी नारायणी नमोऽस्तयते ॥


(We completely surrender ourselves to that Goddess who embodies auspiciousness, who is full of auspiciousness
and who brings auspicousness to us)

लाभस्तेिां जयस्तेिां कयतस्तेिां पराजयः ।येिां इन्दीवर यामो रॄदयस्थो जनादर नः ॥


(When the Lord is situated in a person's heart, he will always have profit in his work and victory in all that he takes
up and there is no question of defeat for such a person)

ग्नवनायकं गयरुं भानयं ब्रह्माग्नवष्णय महे श्वरान् । सरस्वतीं प्रणम्यादौ सवर कायार थर ग्नसद्धये ॥
(To achieve success in our work and to find fulfillment we should first offer our prayers to Lord Vinayaka and then
to our teacher, then to the Sun God and to the holy trinity of Brahma, ViShNu and Shiva)

आग्नङ्गकं भयवनं यस्य वाग्नचकं सवरवाङ्मयम् ।आहायं चन्द्र ताराग्नद तं नयमः सानिकं ग्नशवम् ॥

सरस्वग्नत नमस्तयभ्यं वरदे कामरूग्नपग्नण ।ग्नवद्यारम्भं कररष्याग्नम ग्नसनद्धभरवतय मे सदा ॥

वागथार ग्नवव सम्पृक्तौ वागथर प्रग्नतपत्तये ।जगतः ग्नपतरौ वन्दे पावरतीपरमेश्वरौ ॥


िमेव माता च ग्नपता िमेव । िमेव बन्धयश् सखा िमेव ।िमेव ग्नवद्या द्रग्नवणं िमेव । िमेव सवं मम

दे व दे व ॥

ॐ प्रणोिः॑ देिः॒ ग्नव सरिः॑ स्वतीिः॒ वाजे ग्निः॑ भवार ग्निः॒ जनीिः॑वती । धीिः॒नामिः॑ग्नविः॒यिः॑वतय ॥ॐ वाग्दे व्यैिः॒ नमःिः॑ ॥

ॐ नमोिः॒ ब्रह्मिः॑ णे धािः॒रणं िः॑ मे अिः॒स्त्ऱग्ननिः॑राकरणं धािः॒रग्नयिः॑ता भूयासंिः॒ कणर योश्श्श्रय


िः॑ तं
िः॒ मा च्यो᳚ढ्वंिः॒ ममािः॒मयष्यिः॒ ओम् ॥

अशवघ्नमस्तु । सयमयरॆतर मस्तय । सयप्रग्नतग्नष्ठतमस्तय । उत्तरे कमरग्नण नैग्नवरघ्न्न्यमस्तय ॥ शय भं शोभनमस्तय । इष्ट

दे वता कयलदे वता सयप्रसन्ना वरदा भवतय ॥


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प्रधान पू जा संकल्पं Main SankalapA

(purpose of the day, intent declaration) – We could include all sankalpA i.e of kalasa, navagraha homa,
makshatra homa also in this)

Red colour with yellow text colour indicates that appropriate year, date, place, ayanam, day, moon wax/ waning paksham,

thithi, star to be used in respective places

श्रीमद् भगवतो महापयरुिस्य ग्नवष्णोराज्ञाय प्रवतर मानस्य, सुभे, िोभने मुरॆते , अद्य ब्रह्मणोऽग्नवतीय

पराधे, ग्नवष्णय पदे , श्री श्वेतवराह कल्पे , वैवस्वत मन्र्रे , अष्टा शवंिशत तमे, कशलयुगे, प्रथमे पादे , (If in

abroad) (अमयक दे शे, अमयक सर्ग्ामे) अमयक पाश्वे ,) (If in India) जम्बूवीपे, भारत विे, भरत खण्डे मेरोः

दशक्षनाः दण्डकारण् दे शे गोदावयार दग्नक्षणे तीरे कवे योः उत्तरे तीरे परशय राम क्षिे शाग्नलवाहन शके,

अक्तस्मन् वतर माने, व्यवहाररके, चान्द्मानेन प्रभावाशद षशष्ट सम्वस्तराणम् मद्ये , (अमयक) नाम संवत्सरे

(अमयक अयणे (अमयक) ऋतौ (अमयक) मासे, (अमयक) पक्षे , (अमयक) िु भग्नतथौ,

(अमयक) नक्षर यु िायां , (अमयक) वासर यु िायां , सवर र्ग्हे िय, यथा राग्नश स्थान नस्थते िय, सत्सय , िु भ योग,

िुभ करण, येवं गयणग्नवशे िेण, ग्नवग्नशष्टायां , अस्यां शय भपयण्ग्नतथौ,

मम उपात्त समस्त दय ररत क्षयवारा श्री परमेश्वर प्रीत्यथं , तदे व लग्मन सुशदनं तदे व तारा बलं चन्द् बलं

तदे व शवद्याबलं दै व बलं तदे व लक्ष्मी पतेः अङ्शियुगम् स्माराशम ॥

Main pooja person : (अमयक) गोिोत्भवस्य, (अमयक) नक्षिे, (अमयक) राशौ जातस्य (अमयक) नाम शमरणः ,

then brothers sisters as per birth order):


(अमयक)गोिोत्भवस्य, (अमयक)नक्षिे, (अमयक)राशौ जातस्य (अमयक)नाम शमरणः , मम भ्राताः (brother)

(अमयक)गोिोत्भवस्य (अमयक) नक्षिे (अमयक) राशौ जातायाः (अमयक) नाम्सन्याहा अस्याहा मम (or आत्म)

भशगनीयाः (sister) Note that married syster’s gothram will change

Then kartha’s wife: (अमयक) नक्षिे (अमयक) राशौ जातायाः (अमयक) नाम्सन्याहा अस्याहा मम
सहधमरपत्नीयाः
Then sons and daughters as per birth order):

(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक)राशौ जातस्य (अमयक)नाम शमरणः मम कुमारः

If son is married, then next should be daughter-in-law (son’s wife): (अमयक) गोिोत्भवस्य
(अमयक)नक्षिे (अमयक)राशौ जातायाः (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम स्नु षाः (snushaah)

(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक)राशौ जातायाः (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम कुमाररयाः

(Note that married daughter’s gothram will change)

If daughet is married, then next should be son-in-law (daughter’s husband) अमयक)


गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक)राशौ जातायाः (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम जामातृः
Then grand children as per birth order):
(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक)राशौ जातस्य (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम पौिः (grand-son
from son)
(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक) राशौ जातस्य (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम दौशहिः (grand-
son from daughter)
(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक) राशौ जातायाः (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम पौिीयाः (grand

daughter from son)


(अमयक) गोिोत्भवस्य (अमयक)नक्षिे (अमयक) राशौ जातायाः (अमयक)नाम्सन्याहा अस्याहा मम दौशहिीयाः

(grand daughter from daughter)


Then respective wives of brothers their sons and daughters as per birth order):

List of words to be substitute for respective relations after मम (अमयक) in the end

प्रजावतीयाः own brother's wife

भ्रातृ कुमारः own brother's son


भ्रातृ पौिः own brother’s grand son (through his son)

भ्रातृ दौशहिः own brother’s grand son (through his daughter)

भ्रातृजाः own brother's daughter

भ्रातृ पौिीयाः 0wn brother’s grand daughter (through his son)

भ्रातृ दौशहिीयाः own brother’s grand daughter (through his daughter)

भ्रातृव्ाः father's brother's son

Father’s Brother’s children, grandchildren are in same gothra (lineage) and must

be included.

भ्रातृव् पिीः father's brother's son’s wife

भ्रातृ व् (भ्रातृ) कुमारः father's brother's son

भ्रातृव् (भ्रातृ) पौिः father's brother's grand son (through his son)

भ्रातृव् (भ्रातृ) दौशहिः father's brother's grand son (through his daughter)

भ्रातृव् (भ्रातृ) पौिीयाः father's brother's grand daughter (through his son)

भ्रातृव् (भ्रातृ) दौशहिीयाः father's brother's grand daughter (through his daughter)

भ्रातृजाः father's brother's daughter

आवुत्ताः brother-in-law (sister’s husband)

स्यालः brother-in-law [wife's brother]

स्यालीयाः brother-in-law's wife

श्विु रः father-in-law (wife’s father or husband’s father

श्वश्रूः mother-in-law

स्याशलका wife’s younger sister

TO include all others present and invoke blessings on them :

MALES: तत् तत् गोिोत्भवस्य तत् तत् नक्षिे तत् तत् राशौ जातस्य तत् तत् नाम शमरणः मम बन्धुः
FEMALES: तत् तत् गोिोत्भवस्य तत् तत् नक्षिे तत् तत् राशौ जातायाः तत् तत् नाम्सन्याहा अस्याहा मम

बन्धुः

जन्माभ्यासत् जन्म प्रभृशथ एतत् क्षण पयिन्तं मद्ये संभाशवतनां सवेषां पापानां सध्ः अपनोदनाथं, मम

आत्मन श्रयग्नतस्मृग्नतपयराणोक्त फलप्राप्यथं , मम सहधमरपत्नी, पयि, पय शि, अस्य यजमानस्य सकयटय म्बस्य

क्षेम, स्थै यर, वीयि, शवजय आययरारोग्य, ऐश्वयि, शवध्ा, शश्रयं दे हबलं, उद्योग बलं अग्नभवृद्ध्यथं चतय ग्नवरध

पयरुिात्थर ग्नसध्यथं , समस्त मङ्गल अवाप्त्यथं , सकल ग्नचन्त मनोरथावाप्त्यथं,

ज्ञानवैराग्यग्नसद्ध्यथं ,सत्स्ान समृद्ध्यथं , समस्त दु ररतोप िान्त्यतं उमा महेश्वराय नमः साम्ब

परमेश्वर स्वाशम चरणारग्नवन्दयोः अचञ्चल ग्ननष्ाम ग्ननष्पट भनक्तग्नसद्ध्यथं, श्री साम्ब परमेश्वर

स्वाशम प्रसाद ग्नसध्यथं , श्रीगणे श वरुण इन्द्राग्नद दे वताः , नवग्रह दे वताः नक्षि दे वताः अष्टलोक पाल

चतय ष्ट दे वता पूजनपूवरकं ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशम प्रीत्यथं यथा शक्त्या यथा ग्नमग्नलतोपचार द्रव्यैः

पयरुिसूक्त पयराणोक्त मन्त्रै श् ध्यानावाहनाग्नद िोडशोपचारै ः उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब

परमेश्वर स्वाशम पूजां कररष्ये ॥ आदौ आसन, कलश, घण्ट, आत्म, पीठ पूजां कृिा ॥

दभार न् ग्ननरस्य । (discard dharba on to your right hand side)

अप उपस्पृय । (cleanse the fingers with one udhdharani of water)


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कर न्यासं अङ्ग न्यासं


गायिी कर न्यासं
ॐ तत्सिः॑ ग्नविः॒ तुः अंगुष्ठाभ्यायां नमः (index finger slide on thumb)
वररे᳚ण्ंिः॒ तजिनीभ्यां नमः | (thumb slide on index finger)
भगगदेिः॑ िः॒ वस्यिः॑ मध्माभ्यां नमः | (thumb slide on middle finger)
धीमग्नह अनाशमकाभ्यां नमः | (thumb slide on ring finger)
ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ कशनशष्ठकाभ्यां नमः | (thumb slide on little finger)
प्रचोिः॒दया᳚त् करतलकरपृष्ठाभ्यायां नमः (move one palm over theother on front, revese)
गायिी अङ्ग न्यासं
ॐ तत्सिः॑ ग्नविः॒ तुः रॄदयाय नमः || (touch all right fingers on heart)

वररे᳚ण्ंिः॒ शिरसे स्वाहा || (touch all right fingers on top of head)

भगगदेिः॑ िः॒ वस्यिः॑ शिखायै वौषट् || (touch all right fingers on back of head)

धीमग्नह कवचाय रॅम् || (right hand on left shoulder and left hand on right shoulder)

ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ नेिियाय वौषट् || (touch all right fingers on eyes)

प्रचोिः॒दया᳚त् अस्त्राय फट् || (finger clap and take around the head clockwise)

भूभयरवस्सयवरोम् इशत शदग्बन्धः (bring Gayatri devi on to your right palm, loot at, meditationally)
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महा गनपशि पू जा संकल्पं Sankalpa for all pUjas together

मम उपात्त समस्त दय ररत क्षयवारा श्री परमेश्वर प्रीत्यथं , तदे व लग्मन सुशदनं तदे व तारा बलं चन्द् बलं

तदे व शवद्याबलं दै व बलं तदे व लक्ष्मी पतेः अङ्शियुगम् स्माराशम ॥ जन्माभ्यासत् जन्म प्रभृशथ एतत्

क्षण पयिन्तं मद्ये संभाशवतनां सवेषां पापानां सध्ः अपनोदनाथं, मम सकयटय म्बस्य क्षेम, स्थै यर, वीयि,

शवजय आययरारोग्य, ऐश्वयि , शवध्ा, शश्रयंदेहबलं, उद्योगबलं अग्नभवृद्ध्यथं आदौ शनशविघ्नता ग्नसध्यथं श्री

महा गणपग्नत पूजां कररष्ये ( perform MahA Ganapathy pUja )

ॐ गणानां िा शौनको गृत्समदो गणपग्नतजर गग्नत गणपत्यावाहने ग्नवग्ननयोगः (pour a drop of water

with udddharani in a plate)

ॐ गणानां ᳚ िा गिः॒णपग्नत गं हवामहे किः॒ग्नवं किः॑वीिः॒नामयिः॑पिः॒मश्रिः॑वस्तमम् । ज्येिः॒ष्ठिः॒राजंिः॒ ब्रह्मिः॑ णां ब्रह्मणस्पतिः॒ आनःिः॑

रृिः॒वन्नूग्निः॒ तग्नभिः॑स्सीदिः॒ सादिः॑ नम् ॥

अगजानन पद्माकं गजाननमहग्ननरशम् । अनेकदं तं भक्तानां एकद्मयपास्महे ॥

अल्लस्मन् हररद्रा शबम्बे श्री शवघ्नेस्वरम् ध्यायाशम


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अथ महा गनपशि पू वाु ङ्ग पू जा invocation etc of Lord Ganesha


ॐ भूभुिवस्वः महागणपतये नमः | ध्ायाशम | ध्ानं समपियाशम

भूः गणपग्नतं आवाहयाग्नम । भयवः गणपग्नतं आवाहयाग्नम । स्वः गणपग्नतं आवाहयाग्नम ।

ॐ भूभयरवस्वः साङ्गं सपररवारं सायुधं सिक्तिकं महा गणपशतं आवाहयाग्नम ।

(invoking Ganapathu with Siddhi, Buddhi, entire family, weapons and might)

ॐ महागणपिये नमः | आवाहनं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | आसनं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | पादारग्नवन्दयोः पाद्यं पाद्यं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | हस्तेिय अर्घ्रमर्घ्ं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | मयखारग्नवन्दे आचमनीयमाचमनीयं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | मलापकिरणस्नानं स्नानं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | फलपञ्चामृतस्नानं समपरयाग्नम ।

ॐ महागणपतये नमः – स्नानाङ्गमाचमनीयमाचमनीयं समपरयाग्नम ।

स्नानानन्तरं आचमनीयं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | वस्त्रं समपुयाशम | ॐ महागणपिये नमः | यज्ञोपवीिं समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | ग्नदव्यगन्धान् धारयाशम |` ॐ महागणपतये नमः | आभरणाग्नन

समपरयाग्नम

ॐ महागणपिये नमः | पररमल द्रव्यं समपुयाशम | ॐ महागणपिये नमः | अक्षिान्

समपुयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | पुष्ैः पूजयाशम |


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अथ महा गनपशि पि पू जा

ॐ महा गणपतये नमः | आम्र पिम् समपियाशम |

ॐ शवघ्न राजाय नमः | केतशक पिम् समपियाशम |


ॐ एक दन्ताय नमः | मन्दार पिम् समपियाशम |

ॐ गौरी पुिाय नमः | सेवक्तन्तका पिं समपियाशम |

ॐ आशद वक्तन्दताय नमः | कमल पिं समपियाशम |

ॐ शसक्तद्ध शवनायकाय नमः | पि पूजां समपियाशम |


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अथ महा गनपशि पु ष् पू जा

ॐ महा गणपतये नमः | जाजी पुष्पं समपियाशम |

ॐ शवघ्न राजाय नमः | केतकी पुष्पं समपियाशम |

ॐ एक दन्ताय नमः | मन्दार पुष्पं समपियाशम |

ॐ गौरी पुिाय नमः | सेवक्तन्तका पुष्पं समपियाशम |

ॐ आशद वक्तन्दताय नमः | कमल पुष्पं समपियाशम |

ॐ शसक्तद्ध शवनायकाय नमः |

पुष्प पू जां समपियाशम |


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अथ महा गनपशि अं ग पू जा

ॐ महा गणपतये नमः | पादौ पूजयाशम |

ॐ शवघ्न राजाय नमः | उदरम् पूजयाशम |

ॐ एक दन्ताय नमः | बारॅं पूजयाशम |

ॐ गौरी पुिाय नमः | रॄदयं पूजयाशम |

ॐ आशद वक्तन्दताय नमः | शिरः पूजयाशम |

ॐ शसक्तद्ध शवनायकाय नमः | अंग पूजां समपियाशम |


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अथ महा गनपशि नाम पू जा ॥ *main Ganapathy pUja


ॐ सुमुखाय नमः | ॐ एकदं िाय नमः ॐ कशपलाय नमः |
ॐ गजकणुकाय नमः | ॐ लंबोदराय नमः | ॐ शवकटाय नमः |

ॐ शवघ्नराजाय नमः | ॐ शवनायकाय नमः | ॐ धूमकेिवे नमः |

ॐ गणाध्यक्ष्याय नमः | ॐ फालचिाय नमः | ॐ गजाननाय नमः |

ॐ वक्रिुण्डाय नमः | ॐ िूपुकणाुय नमः | ॐ हेरंबाय नमः |

ॐ स्कन्द पूवुजाय नमः | ॐ शसल्लिशवनायकाय नमः | ॐ श्रीमहागणपिये नमः |

नानाशवि पररमल पि पुष्ाशण समपुयाशम |


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अथ महा गनपशि षोडोिोपचार उत्तर पू जा chOdasa upachAra pUja for


Ganapathy

[(16 types) dOpam + dEpam + neivEdyam + (varieties of) hArathy (eka, panchamuka, nakshathra, kumba, karpUra) +
dakshinam + thAmbUlam + chathram + chAmaram + nruthyam + gEetham + manthra pushpam + prArthanam]

ॐ महागणपिये नमः | धूपं आिापयाशम |

ॐ महागणपिये नमः | दीपं दिुयाशम |

ॐ महागणपतये नमः – धूपदीपान्रं आचमनीयमाचमनीयं समपरयाग्नम

ॐ भूभयरविः॒स्सयविः॑ः तत्सग्नविः॒तयवररे᳚ण्ंिः॒ भगग िः॑ देिः॒ वस्यिः॑ धीमग्नह ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ प्रचोिः॒दया᳚त् ॥ दे व सशविः प्रसुव ।

सिः॒त्यं ििः॒तेनिः॒ पररिः॑ ग्निञ्चािः॒ग्नम ॥ अिः॒मृतोिः॒


िः॒ पिः॒स्तरिः॑ णमग्नस ॥ ॐ प्रािः॒णायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ अिः॒पािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ
व्यािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ उिः॒ दािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ सिः॒मािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ ब्रह्मिः॑ णे स्वािः॒हा ॥ शाल्यन्नं पायसं

क्षीरं लड् ढयकान् मोदकानग्नप फलाशन च। शनवेद्यं संगृहानेि शनत्य िृप्ि नमोस्तुिे ॐ

महागणपिये नमः | महा नैवेद्यं शनवेदयाशम

ॐ नमो व्रातपतये नमो गणपतये नमः प्रमथपतये नमस्तेऽस्तय लम्बोदरायैकद्ाय ग्नवघ्नग्नवनाग्नशने

ग्नशवसयताय श्रीवरदमूतरये नमो नमः ॥

ॐ महागणपतये नमः | ताम्बूलं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | फलं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | दशक्षणां समपियाशम |


ॐ महागणपतये नमः | आशतिक्यं समपियाशम |

ॐ भूभुवस्वः महागणपिये नमः | मन्त्पुष्ं समपुयाशम |

ॐ भूभुवस्वः महागणपिये नमः | स्वनुपुष्ं समपुयाशम |

याग्नन काग्नन च पापाग्नन जन्मा्र कृताग्नन च ।ताग्नन ताग्नन ग्नवनयन् प्रदग्नक्षणे पदे पदे ॥

प्रदग्नक्षण ग्नियं दे व प्रयत्नेन मया कृतम् । ते न पापाग्नण सवार ग्नण ग्नवनाशाय नमोऽस्तयते ॥

ॐ महागणपिये नमः | प्रदशक्षणा नमस्कारान् समपुयाशम |

ॐ महागणपतये नमः | प्रसन्नार्घ्ं समपरयाग्नम |

ॐ भूभुिवस्वः महागणपतये नमः | छिं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | चामरं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | गीतं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | नृत्यं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | वाद्यं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | दपिणं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | व्ञ्जनं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | आन्दोलणं समपियाशम |

ॐ महागणपतये नमः | सवि राजोपचारान् समपियाशम ||


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अथ महा गनपशि प्राथु नः (PrArthanA )

ॐ महागणपिये नमः | प्राथर नं समपरयाग्नम |

ॐ वरेतय ण्ड महाकाय कोग्नट सूयर समप्रभा। ग्ननग्नवरघ्नं कयरु मे दे व सवर कायेिय सवरदा॥

सयमयखश्ैकद्श् कग्नपलो गजकणर कः । लम्बोदरश् ग्नवकटो ग्नवघ्नराजो गणाग्नधपः ॥

धूम्रकेतय गरणाध्यक्षो फालचन्द्रो गजाननः । वादशै ताग्नन नामाग्नन यः पठे च्ृ णय यादग्नप ॥
ग्नवद्यारम्भे ग्नववाहे च प्रवेशे ग्ननगरमे तथा । सङ्र्ग्ामे सङ्कटे चैव ग्नवघ्नस्तस्य न जायते ॥

ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये वविदि सविजन्म में वषमान्य नमः ॥

एकदं ताय शवद्महे , वरेतुण्डाय धीमशह, तन्नो दं ती प्रचोदयात्।।

महाकणाि य शवद्महे , वरेतुण्डाय धीमशह, तन्नो दं ती प्रचोदयात्।।

गजाननाय शवद्महे , वरेतुण्डाय धीमशह, तन्नो दं ती प्रचोदयात्।।

नमो नमो गणे शाय नमस्ते ग्नशवसूनवे । ग्ननग्नवरघ्नं कयरु मे दे वेश नमाग्नम िां गणाग्नधप ॥

सविमंगल मां गल्ये शिवे सवाि थि साशधके | िरण्ये त्र्यंबके दे वी नारायणी नमोऽस्तुते ||

शवनायकं गुरुं भानुं ब्रह्माशवष्णुमहे श्वरान् | सरस्वतीं प्रणम्यादौ सवि कायाि थि शसद्धये ||

ॐ गणानां त्वा िौनको घृत्समदो गणपशतजिगशत गणपत्यावाहने शवशनयोगः ||

ग्नवघ्नेश्वर महाभाग सवरलोकनमस्कृत ।मया ऽऽरब्धग्नमदं कायं ग्ननग्नवरघ्नं कयरु सवरदा ॥

अभीक्तिताथि शसध्थं पूशजतो यः सुरैरशपः (suraihi + apihi = caused by dEvendra also)

(VARIATION: सुरासुरैः .sura + asuraihi = caused by dEvAs and dhAnavAs) सवि


शवघ्नक्तच्छदे तस्मै गणाशधपतये नमः ॥ (check which one with Sanskrit pundits)

याग्नन काग्नन च पापाग्नन जन्मा्र कृताग्नन च ।ताग्नन ताग्नन ग्नवनयन् प्रदग्नक्षणे पदे पदे ॥

अनया पू जा शवघ्नहताि महागणपशत प्रीयताम् || ॐ भूभुिवस्वः श्रीमहागणपतये नमः - प्राथर याग्नम ।


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अथ महा गनपशि उपसथानं upasthAnam (i.e see-off Ganapthy to original abode)


अनया पू जा शवघ्नहताि महागणपशत प्रीयताम् ||
(May Shri MahaGanapathy, the vanquisher of all obstacles be appeased with this worship.

Give a drop of water on the plate.

अप उपस्पृश्य । श्री शवघ्नेश्वरम् यथास्थानं प्रशतष्टापयाशम । िोभनाथे क्षेमाय पुनरागमनाय च ।

इशत शवघ्नेश्वरम् उद्ऱास्य ।


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शदक् दॆ विा प्राथु ना (praying to dEvatha guarding each direction and seeking protection. CAN BE

SKIPPED after praying to Dik dEvathaas mentally))

ॐ प्राची शदगशनरशधपशतरशसतो रशक्षताशदत्या इषवः |तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो नम इषुभ्यो

नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

ॐ दशक्षणा शदशगन्द्ोऽशधपशतक्तस्तरशश्चराजी रशक्षता शपतर इषवः |तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो

नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

ॐ प्रतीची शदग्वरुणोऽशधपशतः पृदाकू रशक्षतान्नशमषवः | तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो नम

इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

ॐ उदीची शदक् सोमोऽशधपशतः स्वजो रशक्षताऽिशनररषवः | तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो

नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

ॐ ध्रुवा शदक्तग्वष्णुरशधपशतः कल्माषग्रीवो रशक्षता वीरुध इषवः |तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो

नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

ॐ ऊर्ध्ाि शदग्बृहस्पशतरशधपशतः शश्विो रशक्षता वषिशमषवः | तेभ्यो नमोऽशधपशतभ्यो नमो रशक्षतृभ्यो नम

इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु | योऽस्मान् द्ऱे शष्ट यं वयं शद्ऱष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ||

उपस्थानमन्त्ाः

ॐ उद्ऱयन्तमसस्परर स्वः पश्यन्त उत्तरम् | दे वं दे विा सूयिमगन्म ज्योशतरुत्तमम् ||

ॐ उदु त्यं जातवेदसं दे वं वहक्तन्त केतवः | दृिे शवश्वाय सूयिम् ||

ॐ शचिं दे वानामुद्गादनीकं चक्षुशमििस्य वरुणस्यानेः |आप्रा द्यावापृशथवी अन्तररक्ष~म् सूयि आत्मा

जगतस्तस्थुषश्च स्वाहा ||

ॐ तच्चक्षुदे वशहतं पुरस्ताच्छु रेमुच्चरत् | पश्येम िरदः ितं | जीवेम िरदः ितम्| रृणुयाम िरदः

ितं | प्रब्रवाम िरदः ितं |अदीनाः स्याम िरदः ितं | भूयश्च िरदः ितात् ||
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पञ्चामृत पूजा ( put tulasi leaves or axatAs in vessels Use this for abishEkam later)
क्षीरे सोमाय नमः । (keep milk in the centre)

दग्नधग्नन वायवे नमः । (curd facing east )

घृते रवये नमः । (Ghee to the south)

मधयग्नन सग्नविे नमः । ( Honey to west )

शकररायां ग्नवश्वेभ्यो दे वेभ्यो नमः । ( Sugar to north)


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द्वारपालक पूजा (praying to devatha guarding each doors to each dEvatha and seeking protection. CAN BE

SKIPPED after praying to dwaara phaalakaas mentally))

ॐ क्षेिपालाय नमः । ॐ ग्नसंहाय नमः । ॐ गरुडाय नमः ।

ॐ वारग्नश्रयै नमः । ॐ धायै नमः । ॐ ग्नवधायै नमः ।

ॐ पूवरवारग्नश्रयै नमः । ॐ शङ्खग्ननधये नमः । ॐ पयष्पग्ननधये नमः ।

ॐ दग्नक्षणवारग्नश्रयै नमः । ॐ बलायै नमः । ॐ प्रबलायै नमः ।

ॐ प्रचण्डायै नमः । ॐ पग्नश्म वारग्नश्रयै नमः । ॐ जयायै नमः ।

ॐ ग्नवजयायै नमः । ॐ गङ्गायै नमः । ॐ यमयनायै नमः ।

ॐ उत्तरवारग्नश्रयै नमः । ॐ ऋग्वेदाय नमः । ॐ यजय वेदाय नमः ।

ॐ सामवेदाय नमः । ॐ अथवरणवेदाय नमः । ॐ कृतययगाय नमः ।

ॐ िेताययगाय नमः । ॐ वापरययगाय नमः । ॐ कग्नलययगाय नमः ।

ॐ पूवरसमयद्राय नमः । ॐ दग्नक्षणसमयद्राय नमः । ॐ पग्नश्मसमयद्राय नमः ।

ॐ उत्तरसमयद्राय नमः । ॐ वारदे वताभ्यो नमः । ॐ ब्रह्मणे नमः ।

ॐ ग्नवष्णवे नमः । ॐ गङ्गायै नमः । ॐ गणपतये नमः ।

ॐ िण्मयखाय नमः । ॐ भृग्नङ्गनाथाय नमः । ॐ क्षेिपालाय नमः ।

ॐ ग्निपयरसंहिे नमः । ॐ शान्ये नमः । ॐ तय ग्नष्टये नमः ।

ॐ ज्ञानाय नमः । ॐ धमार य नमः । ॐ वैराग्याय नमः ।


ॐ वीयार य नमः । ॐ सत्याय नमः । ॐ अज्ञानाय नमः ।

ॐ अधमार य नमः । ॐ अनैश्वयार य नमः । ॐ असत्याय नमः ।

ॐ अग्नवराज्ञाय नमः । ॐ सत्त्वाय नमः । ॐ रजसे नमः ।

ॐ तमसे नमः । ॐ मायाय नमः । ॐ पद्माय नमः ॥

वारपालकपूजां समपरयाग्नम ॥

ॐ पूवरवारे वारग्नश्रयै नमः - ॐ धािे नमः । ॐ ग्नवधािे नमः ॥ अग्नस्ाङ्ग भैरवाय नमः । रुरु

भैरवाय नमः ।

ॐ दग्नक्षणवारे वारग्नश्रयै नमः - ॐ जयाय नमः । ॐ ग्नवजयाय नमः ॥ चण्ड भैरवाय नमः ।

रेोध भैरवाय नमः ।

ॐ पग्नश्मवारे वारग्नश्रयै नमः - ॐ चण्डाय नमः । ॐ प्रचण्डाय नमः ॥ उन्मत्तभैरवाय नमः ।

कपाल भैरवाय नमः ।

ॐ उत्तरवारे वारग्नश्रयै नमः - ॐ नन्दाय नमः । ॐ सयनन्दाय नमः ॥ भीिणभैरवाय नमः ।

संहार भैरवाय नमः ।

ॐ ऊध्ररवारे वारग्नश्रयै नमः ॐ आकाशाय नमः । ॐ अ्ररक्षाय नमः ॥

ॐ अधोवारे वारग्नश्रयै नमः - ॐ भूम्यै नमः । ॐ पातालाय नमः ॥

ॐ पूवे धमार य नमः । ॐ दग्नक्षणे ज्ञानाय नमः । ॐ पग्नश्मे वैराग्याय नमः ।

ॐ उत्तरे ऐश्वयार य नमः ॥


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आसन पूजा॥
आसनस्य महामन्त्रस्य पृग्नथव्या मेरुपृष्ठ ऋग्निः । सयतलम् छन्दः । कूमग दे वता। आसने ग्नवग्ननयोगः ॥

पृनि िया धृता लोका िं ग्नवष्णय ना ग्नवधृता करे । अचरनः । ॐ योगायसनाय नमः । ॐ

वीरासनाय नमः । ॐ शरासनाय नमः ।

ॐ आधारशनक्त कमलासनाय नमः ॥ इग्नत पयष्पाक्षतै ः आसनमभ्यच्यर।


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मयद्रा ॥(can be skipped for time)
Show mudras as you chant )

ग्ननवजग्नि करणाथे ताक्षर मयद्रा। अमृग्नत करणाथे धेनय मयद्रा। पग्नविी करणाथे शङ्ख मयद्रा।

संरक्षणाथे चरे मयद्रा। ग्नवपयलमाया करणाथे मेरु मयद्रा।


ग्ननवजग्नि करणाथे ताक्षर मयद्रा।

अमृग्नत करणाथे धेनय मयद्रा।

पग्नविी करणाथे शङ्ख मयद्रा।

संरक्षणाथे चरे मयद्रा।

ग्नवपयलमाया करणाथे मेरु मयद्रा ।

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शङ् ख पूजा॥ (can be skipped for time)
कलशोदकेन शङ्खं पूरग्नयिा ॥ शङ्खे गन्ध कयङ्कयम पयष्प तय लसीपिै रलङ्कृत्य ॥

(pour water from kalasha to sha~Nkha add gandha flower)

िैलोक्येयाग्नन तीथार ग्नण वासयदेवस्यदद्रया। शङ्खेग्नतष्ठ्य ग्नवप्रेन्द्रा तस्मात् शङ्खं प्रपूजयेत् ॥

िङ्खं चंद्राकि दै वतं मध्े वरुण दे वताम् | पृष्ठे प्रजापशतं शवंद्याद् अग्रे गंगा सरस्वतीम् ||

त्वं पु रा सागरोत्पन्नो शवष्णुना शवधृतः करे | शनशमितः सविदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते ||

गभार देवाररनारीणां ग्नवशीयर्े सहस्रधा। नवनादे नपाताळे पाञ्चजन्य नमोऽस्तयते ॥

पृशथव्ां याशन तीथाि शन स्थावराशण चराशण च | ताशन तीथाि शन िङ्खेऽक्तस्मन् शविन्तु ब्रह्मिासनात्

िङ्खाय नमः | चन्दनं समपियामः | िङ्खाय नमः | पुष्पं समपियामः |

ॐ अपशविः पशविो वा सवाि वस्थां गतोऽशप वा | यः स्मरे त्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः िु शचः ||

शङ् ख अर्चनः । (can be skipped for time)


ओं। शङ्खाय नमः । धवळाय नमः । ओं पाञ्चजन्याय नमः ।

ओं आकाशमण्डलाकृष्य गङ्गाग्नद सप्ततीथर गणं आवाहयाग्नम।

ओं पाञ्चजन्याय नमः गन्धपयष्प धूपदीपैः सकलाराधनैः स्वग्नचरतं ॥

ओं। पाञ्चजन्याय ग्नवद्महे । पावमानाय धीमग्नह । तन्नो शङ्खः प्रचोदयात् ॥

ओं। पवन राजाय ग्नवद्महे िः॑ पाञ्चजिः॒ न्यायिः॑ धीमग्नह।तन्नःिः॑ शङ्खः प्रचोिः॒दयािः॑ 'त् ॥

शङ्ख दे वताभ्यो नमः ।

सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम॥

भूग्नमं प्रोक्ष्य। शङ्खं प्रक्षाल्य सम्सस्थाप्य ] ॐ शं नोिः॑ देिः॒ वीरिः॒भीष्टिः॑यिः॒ आिः॑ पो भव्य पीिः॒तये।िः॑

शं यो रिः॒ग्नभस्रिः॑व्य नः ॥ [ इग्नत मन्त्रे ण जलं पूरग्नयिा शङ्ख मयद्रां धेनयमयद्रां च प्रदशर येत् ]

िङ्खजलेन पुजोपकरनाशन द्रव्ाशण आत्मानं च शिः प्रोक्ष्य। पुनः िङ्खम् पूरशयत्वा।


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शदग्पालक पू जा (can be skipped for time) ( Start from east of kalasha or deity 8 directions)
इं द्राय नमः ||अनये नमः ||यमाय नमः || नैऋतये नमः ||वरुणाय नमः ||वायव्े नमः || कुबेराय

नमः ||ईिानाय नमः || इशत शदग्पालक पूजां समपियाशम ||


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नवग्रह प्राथु नः
आशदत्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च गुरु िु क्र िशनभ्यश्च राहवे केतवे नमः ॥

आरोग्यं पद्मबन्धुशवि तरतु शनतरां सम्पदं िीतरक्तमः । भूलाभं भूशमपुिः सकलगुणयुतां वाक्तग्वभूशतं च

सौम्यः ॥ १ ॥ सौभाग्यं दे वमन्त्ी ररपुभयिमनं भागिवः िौयिमाशकिः । दीघाि युः सैंशहकेयः शवपुलतरयिः

केतुराचन्द्तारम् ॥ २ ॥ अररष्टाशन प्रणश्यन्तु दु ररताशन भयाशन च । िाक्तन्तरस्तु िुभं मेऽस्तु ग्रहाः

कुविन्तु मङ्गलम् ॥ ३ ॥ इशत नवग्रह प्राथिना ।


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नक्षि दे विा प्राथुना॥


सर् व नक्षि दे वताभ्यो नमोनमः | सवि नक्षि दे वगणाभ्यो नमोनमः | सवि नक्षि दे वता पशियोः

नमोनमः |

सवि नक्षि दे वगण पशियोः नमोनमः | सवि नक्षि दे वता अनुग्रह नाम् प्राक्तिरस्तु || अनया पूजया

नक्षि दे वता शप्रयताम्


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अष्टदल दे विा पू जनम् ||

ॐ इं द्राय नमः | अनये नमः | यमाय नमः | नैऋतये नमः | वरुणाय नमः | वायवे नमः |

कुबेराय नमः | ईिानाय नमः |


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चिुदुल दे विा पू जनम् ||

ॐ गणपतये नमः | ॐ दु गाि यै नमः | ॐ क्षेिपालाय नमः | ॐ वसोष्पतये नमः |

रव्ाशद नवग्रह अष्टदल चतुदिलेषु क्तस्थत सविदेवताभ्यो नमः |


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षट् पाि पू जा (can be skipped for time) put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
वायव्े अर्घ्िम् | नैऋत्ये पाद्यम् | ईिान्ये आचमनीयम् | आनेये मधुपकिम् | पूवे स्नानीयम् |

पशश्चमे पु नराचमनम् |
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घण्टा पू जा (Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell apply gandha flower)

घण्टाल्लसथिाय गरुडाय नमः | ओं। जयध्रग्नन मन्त्रमातः स्वाहा।

ॐ ध्यवा
िः॒ द्यौध्यरिः॒वा पृिः॑ग्नथिः॒वी ध्यवासः
िः॒ िः॒ पवरता
िः॑ इमेिः॒। ध्यवं
िः॒ ग्नवश्विः॑ग्नमदं जगिः॑ध्दद्रयवो
िः॒ राजािः॑ ग्नवशामयम् ॥
ॐ येभ्योिः॑ मािः॒ता मधयिः॑मिः॒नत्पन्रिः॑ तेिः॒ पयःिः॑ पीिः॒यूिंिः॒ द्यौअग्नदिः॑ग्नतिः॒रग्नद्रिः॑बहार ः । उिः॒ क्तशयिः॑ ष्मान्रृ िभरान्त्र्वप्निः॑सिः॒स्ता

आिः॑ ग्नदिः॒त्या अनयिः॑मदा स्विः॒स्तये िः॑ ॥

ॐ एिः॒वा ग्नपिः॒िे ग्नविः॒श्वदे िः॑वायिः॒ वृष्णे िः॑ यिः॒ज्ञैग्नवरधेिः॑ मिः॒ नमिः॑सा हग्नवग्नभिः॑रः । बृहिः॑स्पते सयप्रिः॒जा वीिः॒रवन्िः॑तो विः॒यं स्यािः॑ मिः॒

पतिः॑ योरिः॒यीणाम् ॥

आगमाथं तय दे वानां गमनाथं तय राक्षसां । घण्टारवं करोंयादौ दे व आह्वान लाञ्चनं ॥ (variants: कयवे

घन्टारवं ति दे वताह्वानलाञ्छनम् / कयरु घण्टारवं ति दे वतावाहन लाञ्छनम्) ॥

घण्टनादं कृिा। दे व आह्वान लाञ्चनं

ज्ञानथोऽज्ञानतोवाग्नप कां स्य घण्टान् नवादयेत्। राक्षसानां ग्नपशाचानां तद्दे शे वसग्नतभरवेत्।

तस्मात् सवर प्रयत्नेन घण्टानादं प्रकारयेत्।

घण्टदे वताभ्यो नमः । सकलओपचार पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम।


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आत्मशयनद्ध
( Sprinkle water from sha~Nkha

on puja items and devotees)

अपग्नविो पग्नविो वा सवर अवस्थाङ्गतोग्नप वा। यः स्मरे त् पयण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्य्रः शय ग्नचः ॥

दे हो दे वालयः प्रोक्तो जीवो सदाग्नशवः (variant दे वसनािन)। त्यजे दज्ञानग्ननमार ल्यं सोऽहम्भावेन

पूजयेत् ॥
ओं। आत्मने नमः । अ्रात्मने नमः । जीवात्मने। परमात्मने नमः ।

ज्ञानात्मने नमः । सत्यात्मने नमः ॥


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गोश॑ृन्त्र्ग पूजा
वायव्ये अर्घ्रम् । नैरृत्ये पाद्यम् । ईशान्ये आचमनीयम् । आिेये मधयपकरम् । पूवे स्नानीयम् । पग्नश्मे

पयनराचमनम् ।
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प्रोक्षणः ॥
अपग्नविो पग्नविो वा सवर अवस्थाङ्गतोग्नप वा। यः स्मरे त् पयण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्य्रः शय ग्नचः ॥ ॐ

भूभयरवः सयवः । ॐ भूभयरवः सयवः । ॐ भूभयरवः सयवः ॥ एवं शङ्ख/कलशजले न पूजा सामािी आत्मानञ्च

सम्प्रोक्ष्याः ॥
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पीठ पूजा
ॐ सकलगुनात्मा िक्तियुिाय योग पीठात्मने नमः ॥

आधार शक्त्यै नमः ॥ मूलप्रकृते नमः ॥ वराहाय नमः ॥ (variant कूमार य कूमार य नमः )

अन्ाय नमः ॥ पद्माय नमः ॥ नालाय नमः ॥

कन्दाय नमः ॥ कग्नणरकाय नमः ॥ पिेभ्यो नमः ॥

दले भ्यो नमः ॥ केसरे भ्यो नमः ॥ मध्ये श्री भवाग्नन शं कराय नमः ।

वास्त्ऱग्नधपतये ब्रह्मणे नमः । वास्तयपयरुिाय नमः । श्वेत वीपाय नमः ।

स्वणर मण्डपाय नमः । अमृताणर वाय नमः । रत्नवीपाय नमः ।

नवरत्नमयमण्डपाय नमः । भद्रकमलासनायै नमः । गयणाग्नधपतये नमः ।

सरस्वत्यै नमः । दय गार यै नमः । क्षेिपालाय नमः ।

धमार य नमः । ज्ञानाय नमः । वैराग्याय नमः ।

ऐश्वयार य नमः । अधमार य नमः । अज्ञानाय नमः ।


अवैराग्याय नमः । अनैश्वयार य नमः । अव्यक्तग्नवर्ग्हाय नमः ।

अनन्दकन्दाय नमः । आकाशबीजात्मने बयनद्धनालाय नमः ।

आकाशात्मने कग्नणरकायै नमः । वाय्वात्मने केसरे भ्यो नमः । अग्न्यात्मने दले भ्यो नमः ।

पृग्नथव्यात्मने पररवेिाय नमः । अं अकरमण्डलाय वसयप्रदवादशकलातिात्मने नमः ।

दि शदक्पालेब्यो नमः उं सोममण्डलाय वसयप्रदिोडशकलातिात्मने नमः ।

मं वग्नह्नमण्डलाय वसयप्रददशकलातिात्मने नमः ।

सं सिाय नमः । रं रजसे नमः । तं तमसे नमः ।

ग्नवं ग्नवद्यायै नमः । आं आत्मने नमः । उं परमात्मने नमः ।

मं अ्रात्मने नमः । ॐ ह्रीं ज्ञानत्मने नमः । पीठपूजां समपरयाग्नम ॥

तन्मध्े दु गाि लक्ष्मी युिां सरस्वत्यै नमः | स्वाग्नमन् सवर जगन्नाथ यावत् पूजावसानकम्। तावत्त्वं प्रीग्नत

भावेन ग्नलङ्गेनस्मन् सग्नन्नधो भव ॥

ॐ मधयवाता ऋतायथे मधयक्षरन् ग्नसन्धवः मानध्रनः स्ोष्वधीः मधयनक्ता मयथोिसो मधयमिाग्नथरवं रजः

मधयद्यौ रस्तयनः ग्नपता मधयमान्नो वनस्पग्नतमरधयमां अस्तय सूयरः माध्रीगार वो भव्यनः ॥

तन्मध्े ॐ श्री साम्ब परमेश्वर! य नमः । (variants as appropriate: तन्मध्े दु गाि लक्ष्मी युिां

सरस्वत्यै नमः | तन्मध्े श्री भवाग्नन शङ्कराय नमः । ) पीठ पूजां समपरयाग्नम ॥

गङ्गाच यमयनाश्ैव नमरदाश् सरस्वग्नत। ताग्नप पयोनष्ण रे वच ताभ्यः स्नानाथर मारॄतम् ॥


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प्राण प्रशिष्ठा ( hold flowers/axata in hand)

ध्ायेत् सत्यम् गुणातीतं गुणिय समक्तन्रतं लोकनाथं शिलोकेिं कौस्तुभाभरणं हररम् |

नीलवणं पीतवासं श्रीवत्स पदभूशषतं गोकुलानन्दं ब्रह्माध्ैरशप पूशजतम् ||

प्रशतमासु दे वताम् ध्ात्वा प्रानप्रशतष्ठाम् कुयाि त् | ॐ अस्य श्री प्राण प्रशतष्ठापन महा मंिस्य ब्रह्मा शवष्णु

महे श्वरा ऋषयः | ऋग्यजुसाि माथवाि शण छन्दां शस | सकलजगत्सृ ग्नष्टनस्थग्नत संहारकाररणी प्राणशनक्तः
परा दे वता। आं बीजम्। ह्रीं शनक्तः । रेों कीलकम्। प्राण िक्तिः | परा दे वता | आं बीजं | ह्ीं

िक्तिः | रेों कीलकं |

||करन्यासः ||

आं अंगुष्ठाभ्यां नमः ||ह्ीं तजिनीभ्यां नमः || रे््ँ मध्माभ्यां नमः ||आं अनाशमकाभ्यां नमः || ह्ीं

कशनशष्ठकाभ्यां नमः ||रे््ँ करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ||

||अङ्गन्यासः ||

आं रॄदयाय नमः ||ह्ीं शिरसे स्वाहा || रे््ँ शिखायै वौषट् ||आं कवचाय रॅम् || ह्ी ं नेिियायवौषट्

||रे््ँ अस्त्राय फट् || भूभयरवस्वरों इग्नत ग्नदग्बन्धः ॥

॥ ध्यानम् ॥

रक्ताम्भोग्नधस्थ पोतोल्रसदरुण सरोजाग्नधरूढा कराब्ैः पाशं कोदण्ड ग्नमक्षय्वमग्नळगयण मप्यङ्कयशं

पञ्चबाणान्। ग्नबभ्राणासृक्कपालं ग्निनयनलग्नसता पीनवक्षोरुहाढ्या दे वी बालाकरवणार भवतय सयखकरी

प्राणशनक्तः परा नः ॥

लं पृसव्यानत्मकायै गन्धं समपरयाग्नम।

हं आकाशानत्मकायै पयष्पैः पूजयाग्नम।

यं वाय्वानत्मकायै धूपमािापयाग्नम।

रं अग्न्यानत्मकायै दीपं दशर याग्नम।

वं अमृतानत्मकायै अमृत महानैवेद्यं ग्ननवेदयाग्नम।

सं सवार नत्मकायै सवगपचारपूजां समपरयाग्नम ॥

आं ह्ीं रे््ँ रे््ँ ह्ीं आं | य र ल व ि ष स ह | ॐ अहं सः सोहं सोहं अहं सः |

वाग्मनः श्रोि ग्नजह्वा िाणे ः उच्च स्वरूपेण

बग्नहरागत्य अनस्मन् कयम्भे /ग्नबम्बे (अनस्मन् कलशे अनस्मन् प्रग्नतमायां ) सयखं ग्नचरं ग्नतष्ठ्य स्वाहा ॥

अस्यां मूते प्राणः शतष्ठं तुः | अस्यां मूते जीवः शतष्ठन्तु | अस्यां मूतौ जीवनस्तष्ठतय ।
अस्यां मूतौ सवेनन्द्रयाग्नण मनस्त्ऱक्चक्षयः श्रोि ग्नजह्वा िाण वाक् पाग्नण पाद पायूपस्थाख्याग्नन प्राण अपान

व्यान उदान समान अिागत्य सुखेन क्तस्थरं ग्नतष्ठ्य स्वाहा ॥

ॐ अिः॑सयनीतेिः॒ पयनिः॑रिः॒स्मासय िः॒ चक्षयिः॒ः पयनिः॑ः प्रािः॒णग्नमिः॒ह नोिः॑ धेिः॒ग्नह भोगिः॑म्। ज्योक् पिः॑येमिः॒ सूयरमयिः॑ च्चरिः॑
िः॒ ्िः॒मनयमते
मृळयािः॑
िः॒ नः स्विः॒नस्त ॥

पञ्च दि संस्काराथं पञ्च दि वारं प्रणवजपम् कृत्वा

आवाशहतो भव | स्थाशपतो भव | सशन्नशहतो भव | सशन्नरुद्धो भव | अवकुक्तण्ठतो भव | सुप्रीतो भव |

सुप्रसन्नो भव | सुमुखो भव | वरदो भव |प्रसीद प्रसीद ||

अमृतं वै प्राणा अमृतमापः प्राणानेव यथा स्थानं उपह्वयेत् ||

स्वाशमन् सवि जगन्नाथ (variant for Goddess: दे शव सवि जगन्नाशयके ) यावत्पूजावसानकं तावत्व

प्रीशतभावेन शबम्बेक्तस्मन् (/ कलिेक्तस्मन् वा / प्रशतमायां वा ग्नचिपठे क्तस्मन् वा यन्त्रे क्तस्मन् वा /पद्मेक्तस्मन्

वा कयम्भे क्तस्मन् वा) सशन्नशधं कुरु ||

तावत्त्वं प्रीग्नतभावेन प्रग्नतमे /ग्नबम्बेऽनस्मन् (कलशे नस्मन् प्रग्नतमायां )सग्नन्नग्नधं कयरु ॥


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Part 2 Pradhaana (main) pooja


पं चाक्षरी मंि: ओम नम: शिवाय I bow to Shiva. Shiva is the supreme reality, the inner Self. It is the

name given to consciousness that dwells in all

रूद्र मंि ॐ नमो भगवते रूद्राय

महामृत्युंजय मंि ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगक्तन्धं पु शष्टवधिनम्। उवाि रुकशमव बन्धनान मृत्योमुिक्षीय मामृतात्॥ ओम स्व:

भु व: ओम स: जूं हौं ओम॥We worship the Three-eyed Lord who is fragrant and
who nourishes and nurtures all beings. As is the ripened cucumber is freed from its

bondage, may He liberate us from death for the sake of immortality

शिव आरोग्य मंि माम् भयात् सवतो रक्ष शश्रयम् सवि दा। आरोग्य दे ही में दे व दे व, दे व नमोस्तु ते।।

शिव गायिी मंि ओम तत्पु रुषाय शवद्महे महादे वाय धीमशह तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। Om, Let me meditate on the

great Purusha, Oh, greatest God, give me higher intellect, and let God Rudra

illuminate my mind
मृत्युंजय मंि ॐ हौं जुं स: मृत्युंजयाय नम:॥

वै शदक मंि ॐ त्र्यम्बक्ँ य्यजामहे सु गक्तन्धं पु शष्टवद्धि नम्।उर्व्ाि रूकशमव बन्धनान्न्मत्य


ृ ोर्म्ुि क्षीय मामृतात्।

पौराशणक मंि ॐ मृत्युंजयमहादे वं िाशह मां िरणागतम्। जन्ममृत्युजराव्ाशधपीशडतं कमिबन्धनै:॥

समय मंि ॐ हौं जुं स: मृत्युंजयाय नम:॥

शिव ध्ान मंि: ओम ध्ाये शन्नत्यं महे िं रजत शगरर शनभं चारु चन्द्ावतं सं रिाकल्पोज्ज्वलां ग परिु मृगवराभीशतहस्तं

प्रसन्नम्।

शिव ध्ान मंि: करचरणकृतं वाक् कायजं कमिजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं । शवशहतं शवशहतं वा सवि मेतत्

क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादे व िम्भो ॥ Ode to the Supreme One to cleanse the

body, mind and soul of all the stress, rejection, failure, depression and other

negative forces that one faces

कपूि रगौरं करुणावतारं सं सारसारम् भु जगेन्द्हारम् । सदावसन्तं रॄदयारशवन्दे

भवं भवानीसशहतं नमाशम ॥

Pure White ike camphor, an Incarnation of Compassion, The ssence of Worldly

Existence, Whose Garland is the King of Serpents, Always Dwelling inside the Lotus

of the Heart. I Bow to Shiva and Shakti Together.

शिव मंि मृत्युञ्जयाय रुद्राय नीलकन्ताय िं भवे अमृतेषाय सवाि य महादे वाय ते नमः ” Oh Shiva, you are the

one who has conquered death and are responsible for destruction of the Universe to

let life again prevail on earth. Oh lord, you are Neelkantha as you have a blue throat.

We pay obeisance to you lord with are hands folded in namaskar


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ध्यानम् DhyAnam (chant at least 1 version of dyaanam)

ब्रह्माण्डव्याप्तदे हा भग्नसतग्नहमरुचा भासमाना भय जङ्गैः कण्ठे कालाः कपदार कग्नलत

शग्नशकलाश्ण्डकोदण्डहस्ताः । यक्षा रुद्राक्षमालाः प्रणतभयहराः शाम्भवा मूग्नतरभेदाः रुद्राः

श्रीरुद्रसूक्तप्रकग्नटतग्नवभवा नः प्रयच््य सौख्यम् ॥


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चन्द् कॊशठ प्रतीकािं शिनेिं चन्द् भूषणम्.ह । आशपङ्गळ जटजूटं रि मौशळ शवराशजतम्.ह् ॥
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दे वदे व महादे व नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते। कतुिशमच्छाम्यहं दे व शिवराशिव्रतं तव।।


तव प्रभावाद्दे वेि शनशविघ्नेन भवेशदशत। कामाद्याः ििवो मां वै पीडां कुविन्तु नैव शह।।
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नीलग्रीवं उताराङ्गं तारहारोप िोशभतम्. । वरदाभय हस्तञ्च हररणञ्च परश्वतम्.॥

ततानं नाग वलयं केयूराङ्गत मुद्रकम्.ह । व्ाि चमि परीतानं रि शसंहासन क्तस्थतम्. ॥

आगच्च दे वदे वेि मत्यिलोक शहतेच्चया । पूजयाशम शवदानेन प्रसन्नः सुमुखो भव ॥


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ध्ायाशम दक्तक्ष्नणा मूशतिम् नीलग्रीवम् शिलोचनम्। गङ्गाधरम् आकान्तम् शनत्य कल्याण रूशपणम्।।

गोक्षीर धवळाकारम् चन्द् शबम्ब समानानम्। भस्म भूशषत सवाि ङ्गम् रुद्राक्षाभरणाक्तन्रतम्।। उमा

महे श्वरं द्यायाशम ।


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ध्यायेत् ग्ननत्यं महे शं रजतग्नगरर ग्ननग्नभं चारु चन्द्रावतं सम् । रत्नाकल्पोज् ज्वलां गं परशय मृगवरा भीग्नत

हस्तं प्रसन्नम् ॥

पद्मासीनं सम्ात् स्तयतममरगण्ेः व्यािकृग्नतं वसानम् । ग्नवश्वाद्यं ग्नवश्ववन्त्र्द्यं ग्नननखल भय हरं पंच वक्त्रं

ग्निनेिम् ॥
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$ अनस्मन् ( ग्नबम्बे वा,ग्नचिपठे वा,कयम्भे /कलशे वा, मृग्नत्तक ग्नबम्बे ) साङ्गं साययधं सपररवारं सवाहनं

सवरशनक्तययतं शिवराशि पुण्यकाले श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमनं ध्यायाग्नम ॥ (श्री साम्बसदाग्नशवाय

नमः ।श्री सदाग्नशवं ध्यायाग्नम ॥)


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न्यासं Nyasam
Invoke bhaghavaan umaa mahEzvara wamy in yoir fingers and body – ready to perform pooja.

अस्य श्री ग्नशव पञ्चाक्षरी मन्त्रस्य वामदे व ऋग्निः । अनयष्ट्टयप् छन्दः । श्री सदाग्नशवो दे वता ।

श्री सदाग्नशव प्रीत्यथे न्यासे पूजने च ग्नवग्ननयोगः ॥

करः न्यासं (श्रीरुद्रं )

ॐ अशनहोिात्मने अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । दिि पूणि मासात्मने तजिनीभ्यां नमः ।

चातुर्-मास्यात्मने मध्माभ्यां नमः । शनरूढ पिुबन्धात्मने अनाशमकाभ्यां नमः ।


ज्योशतष्टोमात्मने कशनशष्ठकाभ्यां नमः । सविरेत्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्यां नमः ॥

अन्गन्यासं (श्रीरुद्रं )

अशनहोिात्मने रॄदयाय नमः । दिि पूणि मासात्मने शिरसे स्वाहा ।

चातुमाि स्यात्मने शिखायै वषट् । शनरूढ पिुबन्धात्मने कवचाय रॅम् ।

ज्योशतष्टोमात्मने नेिियाय वौषट् । सविरेत्वात्मने अस्त्रायफट् ।

भूभुिवस्सुवरोशमशत शदग्बन्धः ॥

अन्गन्यासं

वामदे व ऋिये नमः । ग्नशरसे स्वाहा ॥ अनयष्ट्टयप् छन्दसे नमः । मयखे स्वाहा ॥

श्री सदाग्नशव दे वतायै नमः । ललाटे स्वाहा ॥ ॐ नं तत्पयरुिाय नमः । रॄदये स्वाहा ॥

ॐ मं अघोराय नमः । पादयो स्वाहा ॥ ॐ ग्नशं सद्योजाताय नमः । गयह्ये स्वाहा ॥

ॐ वं वामदे वाय नमः । मूग्ननर स्वाहा ॥ ॐ यं ईशानाय नमः । श्रोिे स्वाहा ॥

ॐ ॐ रॄदयाय नमः । ॐ नं ग्नशरसे स्वाहा ।

ॐ मं ग्नशखायै वौिट् । ॐ ग्नशं कवचाय रॅम् ।

ॐ वं नेिियाय वौिट् । ॐ यं अस्त्राय फट् ।


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This colour is Purusha sooktham line. This colour is Sreeooktham line. BOTH ARE

OPTIONAL chanting.
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आवाहनम् (AvAhanam)
सु॒हस्रा॑िीषाि ु॒ पुरुा॑षः । सु॒हु॒स्राु॒क्षः सु॒हस्रा॑पात् । स भूशमं ा॑ शवु॒ श्वतोा॑ वृत्वा
ु॒ । अत्या॑शतष्ठद्दिाङ्गुलम्
ु॒ ॥

शहरण्यवणां हररणी ं सुवणिरजतस्रजाम् । चन्द्ां शहरण्मयीं लक्ष्मी ं जातवेदो म आवह ॥१॥

आवाहयाग्नम दे वेिम् आशद मध् अन्तर् वशजितं। आधारं सवि लोकानां आशश्रताशति (आशश्रत

=perceived by mind / senses आशति = grief, sickness, pain) शवनािनम्


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नीलग्रीवं उताराङ्गं तारहारोप िोशभतम्.ह् । वरदाभय हस्तञ्च हररणञ्च परश्वतम्.ह् ॥

ततानं नाग वलयं केयूराङ्गत मुद्रकम्.ह् । व्ाि चमि परीतानं रि शसंहासन क्तस्थतम् .ह् ॥

व्याि चमरधरं दे वं ग्नचग्नत भस्मनयलेपनम् ।अह्वायां उमाका्ं नागाभरण भूग्नितम् ॥

आगच्च दे वदे वेि मत्यिलोक शहतेच्चया । पूजयाशम शवदानेन प्रसन्नः सुमुखो भव ॥


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उमा महे श्वरं आवाहयाशम ॥ अल्लस्मन् ग्नबम्बे (वा or कलशे वा or कुम्बे वा or शचि पटे वा or

मृग्नत्तक ग्नबम्बे (this is idol made of earth) साङ्गं साययधं सपररवारं सवाहनं सवरशनक्तययतं श्री

साम्ब परमेश्वर स्वाशमनं आवाहयाशम प्राणप्रग्नतष्ठा कृिा

ॐ भूः पयरुिं साम्बसदाग्नशवं आवाहयाग्नम । ॐ भयवः पयरुिं साम्बसदाग्नशवं आवाहयाग्नम ।

ॐ स्वः पयरुिं साम्बसदाग्नशवं आवाहयाग्नम । ॐ भूभयरवः स्वः साम्बसदाग्नशवं आवाहयाग्नम ॥

ॐ उमाका्ाय नमः । आवाहयाग्नम ॥ आवाग्नहतो भव । स्थाग्नपतो भव । सग्नन्नग्नहतो भव ।

सग्नन्नरुद्धो भव । अवकयनण्ठथो भव । सयप्रीतो भव । सयप्रसन्नो भव । सयमयखो भव । वरदो भव । प्रसीद

प्रसीद ॥
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आसनम् Aasanam: offer aasanam through manthraas to the Bhaghavaan after invoking him

पुरुा॑ष एु॒वेदग्ं सविम््॓ । यद् भूतंु॒ यच्चु॒ भव्म््॓ । उु॒ तामृा॑तु॒त्व स्येिाा॑ नः । यु॒दन्नेन
ा॑ ाशतु॒रोहा॑ शत ॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगाशमनीम् । यस्यां शहरण्यं शवन्दे यं गामश्वं पुरुषानहम् ॥

आसनम् गृह्यताम् ईि शनमिलम् स्वणि शनशमितम्। आधारम् सवि जगतमन्धकासुर सूदन।।


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पादासनं कुरु प्राघ्य़ शनमिलं स्वणि शनशमितम् । भूशषतं शवशवतैः रिैः कुरु त्वं पादु कासनम्.॥

रि शसंहासनं दे व गृहाण वरदाव्ाय ।


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ग्नदव्य ग्नसंहासन आसीनं ग्निनेिं वृिवाहनम् । इन्द्राग्नद दे वनग्नमतं ददाम्यासन मयत्तमम् ॥

ॐ गौरर भिे नमः । उमा महे श्वराय नमः ॥ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । रत्न शसंहासनं

समपुयाशम
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पाध्यम् PAdhyam (to washfeet of the Bhaghavaan after invoking him)


एिः॒तावािः॑ नस्य मग्नहिः॒मा । अतोिः॒ ज्यायाꣳ गं श्िः॒ पूरुिः॑िः । पादो᳚ऽस्यिः॒ ग्नवश्वािः॑ भूताग्न
िः॒ निः॑ । ग्नििः॒पादिः॑ स्यािः॒मृतं िः॑ ग्नदिः॒ग्नव
अश्वपूवां रथमध्ां हक्तस्तनादप्रबोशधनीम् । शश्रयं दे वीमुपह्वये श्रीमाि दे वी जुषताम्

गङ्गाशद सवि तीथेभ्यः मया प्रात्तिनयारॄतम्.ह् । तोयम् ऎतत् सुकस्पििम् पाद्याथिम् प्रशदगृह्यताम्.ह् ॥
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पाद्यं गृहाण भगवन् पावनम् परमेश्वर। पावुिी ह्रुदयानन्दं पापम् सवुम् व्यपोहय।। ॐ

गङ्गाधराय नमः । उमा महेश्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।पादयोः पाध्यं

समपुयाशम
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आर्घ्ु म् Argyam (to wash hand)


ग्नििः॒पादू ध्रर
िः॒ उदैिः॒ त्पयरुिः॑िः । पादो᳚ऽस्येिः॒ हाऽऽभिः॑वािः॒त्पयनिः॑ः । ततोिः॒ ग्नवश्विः॒ङ्व्यिः॑रेामत् । सािः॒शिः॒नािः॒निः॒शिः॒ने अिः॒ग्नभ ।
कां सोक्तस्मतां शहरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृिां तपियन्तीम् ।पद्मे क्तस्थतां पद्मवणां ताशमहोपह्वये

शश्रयम्
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गन्धोदकेन पुष्पेण चन्दनेन सुगक्तन्धना । अर्घ्ं कृहाण दे वेि भक्तिं मे ह्यचलां कुरु ॥

उमा महे श्वराय नमः ।

अर्घ्ं गृहाण शगररि गन्धपुष्ाक्षिैयुिं। अघमज्ञानमल्लखलम् नीलकण्ठ शनवारय।। उमा

महेश्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।अघुयं समपुयाशम


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आचमनीयम् AachmanEyam
तस्मा᳚ग्नविः॒राडिः॑ जायत । ग्नविः॒राजोिः॒ अग्नधिः॒ पूरुिः॑िः । स जािः॒तो अत्यिः॑ररच्यत । पिः॒श्ाद् भूग्नमिः॒मथोिः॑ पयरःिः॒ ।

चन्द्ां प्रभासां यिसा ज्वलन्ती ं शश्रयं लोके दे वजुष्टामुदाराम् । तां पशद्मनीमीं िरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे

नश्यतां त्वां वृणे ॥

कपूिरोिीर सुरशभ िीतळं शवमलं जलम्.ह् । गङ्गायास्तु समानीतं गृहाणाचमणीयकम्.ह् ॥

उमा महे श्वराय नमः । गृहाण आचम नानाथाुय गङ्गाशद सररदाह्रुिम। शवमलं जलमीिान

व्याधीन्मे शवशनवारय । ॐ साध्यो जाताय नमः । उमा महेश्वराय नमः । ॥ श्री साम्ब परमेश्वर

स्वाशमने नमः । आचमनीयं समपुयाशम ॥


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स्नानं SnAnam (plain water)

यत्पयरुिः॑िेण हिः॒ग्नविा᳚ । देिः॒ वा यिः॒ज्ञमतिः॑ न्रत । विः॒सिः्॒ो अिः॑स्यासीिः॒दाज्यम् ᳚। र्ग्ीिः॒ष्म इिः॒ध्मः शिः॒ रद्धिः॒ग्नवः ।६

आशदत्यवणे तपसोऽशधजातो वनस्पशतस्तव वृक्षोऽथ शबल्वः । तस्य फलाशन तपसानुदन्तु

मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥


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गन्गाक्तिन्न जटाभार सोम सोमधििेखर। सह्यजाशद सररत्तोयैः स्नानं कुरु सदाशिव।।

उमा महेश्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । स्नानं समपुयाशम ॥
(Snaanam using ganga water)
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पञ्चामृतं गृहाणेदं पन्नगेश्वर भूषण। पञ्चवक्त्र नमस्तुभ्यं पञ्चापापाशन नि।।

पयोदशध कृतञ्चैव मधुिकिरया समम्.ह् । पञ्चामृतेन स्नपनं कारये त्वां जगत्पते ॥

उमा महे श्वराय नमः । पञ्चामृत स्नानं समपियाशम ॥


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श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । फलपञ्चामृतस्नानं समपरयाग्नम ॥ (panchamrutha abishekam)


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नमोऽस्तय सवरलोकेश उमादे हाधर धाररणे । मधयपकग मया दत्तो गृहाण जगदीश्वर ॥

कीरवाणानीशकनी नाद प्रणताशत्ति प्रपन्जन । मधयपकं गृहाणे दं पाशहमाम् करुणशनदे ।

रसोशस रस्य वगेषु सुक रूपोशस िङ्कर । मधुपकं जगन्नाथ दास्ये तुभ्यं महे श्वर ॥

उमा महे श्वराय नमः । ॐ परमेश्वराय नमः । मधुपकं समपियाशम ॥

श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । मधुपकि स्नानं समपियाशम । (honey)


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मन्धाशकशनयाः समानीतं हे मां बोरुह वाशसतम्.ह् । स्नानाय ते मया भक्त्या नीरं स्वीकृयतां शवभो ॥

भागीरशत गौतशम च यमुना वै सरस्वती । दासां सशलल मानीय करोशमह्यशभक्षेचनं । (Snaanam using

other rivers water) उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमे श्वर स्वाशमने नमः । पु नः सु धधोदक स्नानं

समपुयाशम । (Suddha udakam is mere cleanwater after panchamrutha, gendam and such

abhishEkams) स्नानन्थरं आचमनीयं समपु याशम ।


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गंगाच यमयनाश्ैव नमरदाश् सरस्वग्नत । ताग्नप पयोनष्ण रे वच ताभ्यः स्नानाथर मारॄतम् ॥ ॐ श्री ग्नवश्वेश्वराय

नमः । मलापकिरणस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (removing dirt)


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पयस्नानग्नमदं दे व ग्निलोचन वृिवज । गृहाण गौरीरमण ि्क्तेन मय्याग्नपरतम् ॥ॐ शम्भवे नमः ।

पयः (any fluid juice) स्नानं समपरयाग्नम ॥ पयः स्नानानंतर शय द्धोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥
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क्षीरस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (milk)


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ॐ दग्नधरेावणो अकाररिं ग्नजष्णोरश्वस्यवाग्नजनः ।सयरग्नभनो मयखाकरत् प्राण आययंग्निताररित् ॥

दन चैव महादे व स्वप्नं रेीयते मया । गृहाण िं सयरादीश सयप्रसन्नो भवाव्यय ॥

ॐ वामदे वाय नमः । दग्नध स्नानं समपरयाग्नम ॥ दग्नध स्नानानंतर पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥

(curd)
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ॐ घृतं ग्नमग्नमक्षे घृतमस्य योग्ननघृरते ग्नश्रतो घृतंवस्यधाम अनयष्ठधमावह मादयस्व स्वाहाकृतं वृिभ

वग्नक्षहव्यम् ॥ सपजश च महारुद्र स्वप्नं रेीयते दय न । गृहाण श्रद्धया दत्तं तव प्रीताथर मेव च ॥ ॐ

अघोराय नमः । घृत स्नानं समपरयाग्नम ॥ घृत स्नानानंतर पुनः शय द्धोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥ (आज्य is

also ghee)
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ॐ मधयवाता ऋतायथे मधयक्षरं ग्नत ग्नसन्धवः मानध्रनः संतोष्वधीः मधयनक्ता मयथोिसो मधयमिाग्नथरवं रजः

मधयद्यौ रस्तयनः ग्नपता मधयमान्नो वनस्पग्नतमरधयमां अस्तय सूयरः माध्रीगार वो भवंतयनः ॥

इदं मधय मया दत्तं तव पयष्ट्यथर मेव च । गृहाण दे वदे वेश ततः शान्ं प्रयश् मे ॥

ॐ तत् पयरुिाय नमः । मधय स्नानं समपरयाग्नम ॥ मधय स्नानानंतर पुनः शय द्धोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥
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ॐ स्वादय ः पवस्य ग्नदव्याय जन्मने स्वादय दररन्द्राय सयहवीतय नाम्ने । स्वादय ग्नमरिाय वरुणाय वायवे

बृहस्पतये मधयमा अदाभ्यः ॥ ग्नसथया दे व दे वेश स्नापनं रेीयते यतः । ततः संतयग्नष्टमापन्नः प्रसन्नो वरदो

भव ॥ ॐ ईशानाय नमः । शकररा स्नानं समपरयाग्नम। शकररा स्नानानंतर पुनः शय द्धोदकस्नानं

समपरयाग्नम ॥ (sugar) सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥


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नाररकेर फलोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (नाररकेर + फल +उदकम्
coconut+ fruit + water = tender coconut = క౉బ్బ రి బొండొం = இள஠஽ ஥்)
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ओिग्नधस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (medicinal herb)


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ॐ गंधवारां दय राधशां ग्ननत्य पयष्पां करीग्निणीम् । ईश्वरीं सवर भूतानां ताग्नम होप व्हयेग्नश्रयम् ॥ हर चंदन

सम्भू तं हर प्रीग्नतश् गौरवात् । सयरग्नभ ग्नप्रय परमेश गंध स्नानाय गृह्यताम् ॥ ॐ श्री नीलकण्ठाय नमः ।

गंधोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (sandal chandanam) सकल पूजाथे

अक्षतान् समपरयाग्नम ॥
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पयष्पोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (flower dipped water)


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ॐ कग्ननरेदज्वनयशं प्रभ्रयवान। इयग्नथवार चमररते व नावम् । सयमङ्गलश् शकयने भवाग्नस मािा

काग्नचदग्नभभाग्नवश्श्व्या ग्नवदत ॥ अभ्यंगाथं महीपाल तै लं पयष्पाग्नद सम्भवम् । सयगंध द्रव्य सनिश्रं

संगृहाण जगत्पते ॥ ॐ उमापतये नमः । अभ्यंग स्नानं समपरयाग्नम। पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥

(अभ्यंग = perfumed oil bath) सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥


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नाना तीथार दारॄतं च तोयमयष्णं मयाकृतम् । स्नानाथं च प्रयश्ाग्नम स्वीकयरुश्व दयाग्ननधे ॥ ॐ

चन्द्रशे खराय नमः । उष्णोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥ सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥ (Hot water

after oil bath)


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अक्षतोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (akshatha dipped water)


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सयवणगदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (gold ornaments dipped water)


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रुद्राक्षोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (rudhraaksham dipped water)


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भस्मस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (vibhoothi)


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ग्नबल्वोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (bilvam dipped water)


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दू वगदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ पुनः शय द्धोदकस्नानं समपरयाग्नम ॥ (durvayugmam – a type of grass dipped

waterd)
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शयद्धोदक स्नानं (Pure water bath)


मन्दाग्नकन्याः समानीतं हे माम्बोरुहावाग्नसतम् । स्नानाथे मय भक्त्या नीरुं स्वीकययरतां ग्नवभो ॥ ॐ

आपोग्नहष्टा मयो भयवः । तान ऊजे दधातन । महीरणाय चक्षसे । योवः ग्नशवतमोरसः तस्यभाजयते

हनः । उशतीररव मातरः । तस्मात् अरं गमामवो । यस्य क्षयाय ग्नजंवध । आपो जन यथाचनः ॥

ॐ हराय नमः । शय द्धोदक स्नानं समपरयाग्नम ॥ सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥

(after sprinkling water around throw one tulasi leaf to the north)
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महा अग्नभिेकः Generally kalasa watwer is poured chanting purusha sooktham at


thisbstage. श्रीरुद्र, नमकम्, चमकम्, पुरुष सूिम् सध्ोजाताशद मन्त्ािु च जपेयुः । । ॥
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अंगोवतरनकं (To clean the body)


अंगोवतर नकं दे व कस्तूयार ग्नद ग्नवग्नमग्नश्रतम् । ले पनाथं गृहाणे दं हररद्रा कयङ्कयमैययरतम् ॥ ॐ कपग्नदरने

नमः । अंगोवतर नं समपरयाग्नम ॥ सकल पूजाथे अक्षतान् समपरयाग्नम ॥


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तपरणं
ॐ भव दे वं तपरयाग्नम । ॐ शवं दे वं तपरयाग्नम । ॐ ईशानं दे वं तपरयाग्नम ।

ॐ पशय पग्नतं दे वं तपरयाग्नम । ॐ उर्ग्ं दे वं तपरयाग्नम । ॐ रुद्रं दे वं तपरयाग्नम ।

ॐ भीमं दे वं तपरयाग्नम । ॐ महा्ं दे वं तपरयाग्नम ।


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प्रग्नतष्ठापना
ॐ नमः ग्नशवाय ॥ (Repeat 12 times) ॐ तदस्तय ग्नमिा वरुणा तदिे

सम्योरिभ्यग्नमदमेस्तयशस्तम् । अशीमग्नह गादमयत प्रग्नतष्ठां नमो ग्नदवे ब्रहते साधनाय ॥ ॐ ग्नर्ग्हावै

प्रग्नतष्ठासूक्तं तत् प्रग्नतग्नष्टत तमया वाचा । शं स्तव्यं तस्माद्यद्यग्नपदू र इव पशू न् लभते गृहानेवै ॥
नानाग्नजगग्नमशग्नत ग्नर्ग्हाग्नह पशू नां प्रग्नतष्ठा प्रग्नतष्ठा ॐ श्री साम्बसदाग्नशवाय सां गाय सपररवाराय

साययधाय सशनक्तकाय नमः । श्री साम्बसदाग्नशवं सां गं सपररवारं साययधं सशनक्तकं आवाहयाग्नम ॥

श्री गौरी सग्नहत श्री साम्बसदाग्नशवाय नमः ॥ सयप्रग्नतष्ठमस्तय ॥


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वस्त्रं Vastram (offering dress)


सिः॒प्तास्यािः॑ सन्पररिः॒धयःिः॑ । ग्निः सिः॒प्त सिः॒ग्नमधःिः॑ कृिः॒ताः ।देिः॒ वा यद्यिः॒ज्ञं तिः॑ न्रािः॒नाः । अबिः॑निः॒न्पयिः॑रुिं पिः॒शयम् ।

उपैतु मां दे वसखः कीशतिश्च मशणना सह । प्रादु भूितोऽक्तस्म राष्टरेऽक्तस्मन् कीशतिमृक्तद्धं ददातु मे ॥

वस्त्रं सूक्ष्मं तुकूलेच दे वानामशप दु लिभम्. । गृहाण त्वम् उमाकान्त प्रसन्नो भव सविता ॥

गज चमि धरानन्त गरळाम् शकत कन्धर। दु कूलम् गृह्यताम् दे व दु गिशतम् मे शनवारय।। उमा

महेश्वराय नमः श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । वस्त्रयुग्मं समपुयाशम


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श्री महा गौरी पूजा – कंचयकी (literally armour but denotes waist band, arm band etc)
नवरत्नाग्नभदर धां सौवणै श्ैव तं तयग्नभः । ग्ननग्नमरतां कंचयकीं भक्त्या गृहाण परमेश्वरी ॥ ॐ श्री महा गौयै

नमः । कंचयकीं समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – कण्ठ सूि (neck ornament)


मां गल्य तं तयमग्नणग्नभः मयक्तैश्ैव ग्नवराग्नजतम् । सौमाङ्गल्य अग्नभवृध्यथं कण्ठसूिं ददाग्नम ते ॥ ॐ श्री

महा गौयै नमः । कण्ठसूिं समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – ताडपिाग्नण (Literally ताडपि means palm leaf తాటి అకు, ஢ன஡ ஓனை.
Could be taken to mean an incense leaf ( Fragrant screw pine flower) ) మొగలి రేకు, ட஻ழண் பூ)

ताडपिाग्नण ग्नदव्याग्नण ग्नवग्नचिाग्नण शय भाग्नन च । कराभरणययक्ताग्नन मातस्तत्प्रग्नतगृह्यताम् ॥ ॐ श्री महा

गौयै नमः ताडपिाग्नन समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – कज्जल (eye lash?)


सयनील भ्रमराभसं कज्जलं नेि मण्डनम् । मयादत्तग्नमदं भक्त्या कज्जलं प्रग्नतगृह्यताम् ॥ ॐ श्री महा

गौयै नमः । कज्जलं समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – ग्नसंदूर
ग्नवद् ययत् कृशानय सङ्काशं जपा कयसयमसग्नन्नभम् । ग्नसन्त्र्दूरं ते प्रदास्याग्नम सौभाग्यं दे ग्नह मे ग्नचरम् ॥

ॐ श्री महा गौयै नमः । ग्नसन्त्र्दूरं समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – नाना आभरण (assorted jewellery)


स्वभावा सयन्दरां ग्नग िं नाना रत्न ययताग्नन च । भूिणाग्नन ग्नवग्नचिाग्नण प्रीत्यथं प्रग्नतगृह्यताम् ॥

ॐ श्री महा गौयै नमः । नाना आभरणाग्नन समपरयाग्नम ॥


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श्री महा गौरी पूजा – नाना पररमल द्रव्यम् (assorted fragrances)


नाना सयगनन्धकं द्रव्यं चूणजकृत्य प्रयत्नतः । ददाग्नम ते नमस्तयभ्यं प्रीत्यथं प्रग्नतगृह्यताम् ॥ ॐ श्री महा

गौयै नमः । नाना पररमल द्रव्यं समपरयाग्नम ॥


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उपवीिं UpaVetham (offering sacred thread)


तं यिः॒ज्ञं बिः॒ग्नहरग्नििः॒ प्रौक्षन्िः॑ । पयरुिः॑िं जािः॒तमिः॑र्ग्िः॒तः ।ते निः॑ देिः॒ वा अयिः॑ज् । सािः॒ध्या ऋििः॑यश्िः॒ ये ।

क्षुक्तत्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाियाम्यहम् ।अभूशतमसमृक्तद्धं च सवां शनणुिद मे गृहात् ॥

उपवीतम् गृहाणेि पशविम् परमम् िुभम्। उमाकान्त नमस्तुभ्यम् उत्तमम् दे शह मे फलम्।।

यज्ञ्योपवीतम् सहजं ब्रह्मणा शनशमितम् पुरा । आयुष्यम् भव वचिस्यम् उपवीतंम् गृहाण भो ॥

उमा महेश्वराय नमः । ॥श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । उपवीिं समपुयाशम
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गन्धं Gendam (offering gendham)


तस्मा᳚द्यिः॒ज्ञात्सिः॑ वरिः॒रॅतःिः॑ । सम्भृिः॑ तं पृिदािः॒ज्यम् ।पिः॒शूꣳस्ताꣳश्िः॑रेे वायिः॒व्यान्िः॑ । आिः॒ रिः॒ण्ान्त्र्र्ग्ािः॒म्याश्िः॒ ये ।

गन्धद्ऱारां दु राधषां शनत्यपुष्टां करीशषणीम् । ईश्वरींग् सविभूतानां ताशमहोपह्वये शश्रयम् ॥

गन्धं गृहाण दे वेश कस्तूरर कयङ्कयमानन्रतम् । ग्नवले पनाथं कपूरररोचन लोग्नहतं मया ॥ ॐ श्री हराय

नमः । गन्धं समपरयाग्नम ॥

गन्धम् कुम्कुमसंयुिम् मृगनाशभ समक्तन्रतम् । महादे व गृहाणेि महा पाप शवनािन।।

श्रीकण्ठं चन्दनं शदव्ं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् .ह् । शवलेपनं सुरश्रेष्ट मत्थ्दत्तम् प्रशत गृह्यताम्.ह् ॥
उमा महेश्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । गन्धान् धारयाशम ॥
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हररद्रा Haridra (offering turmeric pasuppu)


तस्मािः॒दश्वािः॑ अजाय् । ये के चोिः॑भिः॒यादिः॑ तः । गावोिः॑ ह जग्नज्ञरे िः॒ तस्मा᳚त् । तस्मा᳚ज्जािः॒ता अिः॑जािः॒वयःिः॑ ।

कदि मेन प्रजाभूता मशय सम्भव कदि म । शश्रयं वासय मे कुले मातरं पद्ममाशलनीम् ॥

हररद्रा रं ग्नजते दे वी सयख सौभाग्य दाग्नयनी । हररद्रां ते प्रदास्याग्नम गृहाण परमेश्वरर ॥

ॐ श्री महा गौयै नमः । हररद्रा समपरयाग्नम ॥ उमा महेश्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने

नमः । हररद्राम् समपुयाशम


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कंु कुमम् (offering kumkuma)

तस्मा᳚द्यिः॒ज्ञात्सिः॑ वरिः॒रॅतःिः॑ । ऋचःिः॒ सामािः॑ ग्नन जग्नज्ञरे । छन्दाग्ा॑ग्नस जग्नज्ञरे िः॒ तस्मा᳚त् । यजय स्तस्मािः॑
िः॒ दजायत ।

मनसः काममाकूशतं वाचः सत्यमिीमशह । पिूनां रूपमन्नस्य मशय श्रीः श्रयतां यिः ॥

कयङ्कयमं कामदां ग्नदव्यं काग्नमनी काम सम्भवम् । कयङ्कयमाग्नचरते दे ग्नव सौभाग्याथं प्रग्नतगृह्यताम् ॥ ॐ

श्री महा गौयै नमः । कयङ्कयमं समपरयाग्नम ॥ उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।

कुंकुमम् समपियाशम
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भस्म रक्षा (offering vibhoothi)


यत्पयरुिः॑िंिः॒ व्यिः॑दधयः । किः॒ग्नतिः॒धा व्यिः॑कल्पयन्। मयखंिः॒ ग्नकमिः॑स्यिः॒ कौ बािः॒रॆ । कावूरू
िः॒ पादािः॑ वयच्येते।
आपः सृजन्तु शस्नग्धाशन शचिीत वस मे गृहे । शन च दे वीं मातरं शश्रयं वासय मे कुले ॥

अग्निहोिसमयत्भूतं ग्नवरजानलसम्भवम् । गृहाण भग्नसतम् दे व भूतबाध ग्नवनाशन ॥

शनत्याशनशहिम् संभूतम् शवरजाहोम मशवतम् । भस्म गृहाण हे स्वाशमन् भिानां भूशतदो भव

उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । भस्म रक्षां समपियाशम
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आभरणं (offering jewellery)

ब्रािः॒ह्मिः॒णो᳚ऽस्यिः॒ मयखिः॑मासीत् । बािः॒रॆ रािः॑ जिः॒न्यिः॑ ः कृिः॒तः । ऊिः॒रू तदिः॑ स्यिः॒ यवै यिः॑ः । पिः॒द्भ्याꣳ शू द्रो
िः॒ अिः॑जायत।
आद्रां पुष्कररणीं पुशष्टं शपङ्गलां पद्ममाशलनीम् ।चन्द्ां शहरण्मयीं लक्ष्मी ं जातवेदो म आवह ॥
कुण्डलाम्गद मुख्याशन कुण्डलीश्वर भूषण। भूषणाशन गृहानेि भूशत भूशषत शवग्रह ॥

शदव् रि शकरीडाशद पररष्कारान् समुज्वलान् दास्याम्यहम् उमामहे श्वर ॥

श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । आभरणं समपियाशम


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नाना पररमल द्रव्यं Parimala dravyam (aromatic substance such as rose water)

चिः॒न्द्रमािः॒ मनिः॑सो जािः॒तः । चक्षोः िः॒ सूयग िः॑ अजायत। मयखािः॒ग्नदन्द्रिः॑श्ािः॒ग्निश्िः॑ । प्रािः॒णावािः॒ययरिः॑जायत ।

आद्रां यः कररणीं यग्नष्टं सयवणां हे ममाग्नलनीम् । सूयां ग्नहरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

ॐ अग्नहरै व भोग्येः पयेग्नत बारॅं जाया हे ग्नतं पररभादमानः । हस्तज्ञो ग्नवश्वावययनाग्नन ग्नववान्पयमास्प्रमां सं

पररपातय ग्नवश्वतः ॥ ॐ श्री महे श्वराय नमः । उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः

नाना पररमल द्रव्यं समपरयाग्नम ॥


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अक्षिा Akshtaha
नाभ्यािः॑ आसीदिः॒ ्ररिः॑ क्षम् । शीिः॒ष्णग द्यौः समिः॑वतर त। पिः॒द्भ्यां भूग्नमिः॒ग्नदरशिः॒ ः श्रोिा᳚त् ।तथािः॑ लोिः॒काꣳ

अिः॑कल्पयन्।

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगाग्नमनीम्। यस्यां ग्नहरण्ं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वानन्रन्दे यं पयरुिानहम्

अक्षतान् अक्षतशवभो नक्षिेि शवभूषण। िुद्ध स्पशटक सम्काि् स्वाशमन् स्वीकुरु संकर॥

अक्षदान् चन्द् वणाि पान् िालेयान् सशदलान् िुभान् । अलञ्काराथिमानीदान् धारयस्य महाप्रभो ॥
अक्षतान् धवलान् शय भ्रान् कपूररागयरु ग्नमग्नश्रतान् । गृहाण परया भक्त्या मया तय भ्यं समग्नपरतान् ॥ श्री

शवार य नमः । उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेि्वर स्वाशमने नमः ।अक्षतान् समपियाशम
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पुष्ं Pushpam
वेदािः॒हमेिः॒तं पयरुिः॑िं मिः॒हा्म् ᳚ । आिः॒ ग्नदिः॒त्यविः॑णंिः॒ तमिः॑सस्तय िः॒ पािः॒रे। सवार ग्निः॑ ण रू
िः॒ पाग्नणिः॑ ग्नविः॒ग्नचत्यिः॒ धीरःिः॑ । नामािः॑ ग्नन

कृिः॒िाऽग्नभिः॒वदिः॒ न् यदास्ते᳚ ।

यः शय ग्नचः प्रयतो भूिा जय रॅयादाज्य मन्रहम्। ग्नश्रयः पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥

माल्यातीशन सुगन्धीशन मलद्यातीशन वै प्रभो । मयारॄदाशन पुष्पाशण पूजाथं तव िञ्कर ॥


ग्नबल्वापमागर धत्तूर करवीराकर सम्भवैः । बकोत्फलद्रोण मयख्यैः पयष्पै पूग्नजत शं कर ॥ ॐ श्री भवाय

नमः । उमा महे श्वराय नमः । श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।।पुष्ाशणसमपुयाशम
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अलङ्कारं AlankAram

धािः॒ता पयरस्तािः॒
िः॒ द्यमयिः॑दाजिः॒ हारिः॑ । शिः॒ रेः प्रग्नविः॒वान्प्रिः॒ग्नदशिः॒ श्तिः॑ स्रः । तमेिः॒वं ग्नविः॒वानिः॒मृतिः॑ इिः॒ह भिः॑वग्नत। नान्यः पन्ािः॒

अयिः॑नाय ग्नवद्यते ।

पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। िं मां भजस्व पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥

उमा महे श्वराय नमः ।श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । अलन्कारािे पयष्पमाग्नलकां समपरयाग्नम ॥
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अथाङ्ग पू जा AthAnga pUja (PAdAdi kEsam) Prayers to each angam of Bhaghavaaan

यिः॒ज्ञेनिः॑ यिः॒ज्ञमिः॑यज् देिः॒ वाः ।ताग्ननिः॒ धमार ग्निः॑ ण प्रथिः॒ मान्यािः॑ सन्। ते हिः॒ नाकंिः॑ मग्नहिः॒मानःिः॑ सच्े ।यििः॒ पूवेिः॑ सािः॒ध्याः

सन्िः॑ देिः॒ वाः ।

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने । धनं मे जय ितां दे ग्नव सवरकामां श् दे ग्नह मे ॥

पावरती नन्दनाय / सुवक्तन्दत पादाय नमः / पादौ पूजयाग्नम । padam = foot

शिवाय नमः ।

गयहाय नमः / ॐ व्योमात्मने नमः / िवाि य नमः । गयल्फौ पूजयाग्नम । Gulfah = ankle

जगन्नाथाय मुकुराकार जानवे नमः / ॐ जानयनी पूजयाग्नम । (Jhaanu = knee

अन्ैश्वयर नाथाय नमः । रुद्राय नमः movability))

ईिानाय नमः / ॐ प्रधानाय नमः । जङ्घे पूजयाशम । (movability)

हराय नमः / ॐ सत्यसेव्याय नमः । जघनं पूजयाशम । (hip, buttocks, rear part)

उरुबलाय कररकरोरवे नमः / ॐ अन् ऊरु पूजयाग्नम । (ooru = thigh)

ग्नवराजग्नसंहाय नमः / परमात्मने नमः ।

कृग्नत्तकासयताय रिशकंशकशणनूपुर / कट्यै नमः / कग्नटं पूजयाग्नम । (katyam = waist)

ॐ अन्धमार य नमः / स्वणि रे तसे नमः ।


गयहाय नमः / ईश्वराय नमः / ॐ ज्ञान भूताय नमः गयह्यं पूजयाग्नम । (Guhyam = private parts)

हे रम्बसहोदराय नमः / ॐ रुद्राय नमः / उदरं पूजयाग्नम । (udharam = blood)

परमेश्वराय नमः ।

कयमाराय नमः कयग्नक्षं पूजयाग्नम । (kushi = abdomen)

नारायणीसयताय सुनाभये नमः / महे श्वराय नमः । नाग्नभं पूजयाग्नम । (Nabhi = naval)

ॐ ईशाय नमः । पाश्वौ पूजयाग्नम ॥ (flank and shoulder

blade)

ॐ तत्पयरुिाय नमः । पृष्ठदे हं पूजयाग्नम ॥ (backside)

सुरॄदे नमः / ॐ सत्यधराय नमः । रॄदयं पूजयाग्नम। (hrudayam = heart)

ग्नवशाखाय शविाल वक्षसे नमः / वक्षस्थलम् पूजयाग्नम । (vakshasthalam =

स्फशटकाभरणाय नमः । chest)

कृग्नत्तकासूनधायाय नमः स्तनौ पूजयाग्नम । (sthanam = breast)

बरॅलासयताय ित्थ्रुजयोशजितबाह्वे नमः / बारॆन् पूजयाग्नम । (baahu = shoulder)

शिपुरहन्त्े नमः / ॐ व्योमकेशात्मरूपाय नमः

ॐ अघोररॄदयाय नमः । स्कन्धौ पूजयाग्नम ॥ (neck to shoulder)

हरसूनवे नमः िक्ति हस्ताय / सवाि स्त्र धाररणे हस्तान् पूजयाग्नम । (hasta = hand)

नमः / ॐ हराय नमः ।

काग्नतरकेयाय पुष्करस्स्रज कण्टाय नमः / ॐ कण्ठं पूजयाग्नम । (kanTam = neck)

चतय भार ववे नमः / नीलकण्ठाय नमः

िण्मयखाय नमः / वाचस्पतये नमः । मयखाग्नन पूजयाग्नम । (muKham = face)

ॐ वामदे वाय नमः । वदनं पूजयाग्नम ॥ (face)

ॐ चन्द्रमौलये नमः । मौग्नलं पूजयाग्नम ॥ (head)

सयनासाय नमः / ॐ ग्नपनाकहस्ताय नमः । नाग्नसकाः पूजयाग्नम । (naasika = nose)


दे वनेिे शद्ऱष्णेिाय नमः / ॐ इन्त्र्दयमयखाय नमः / नेिाग्नण पूजयाग्नम । (Nethram = eye)

त्र्यम्बकाय नमः ।

ॐ सद्योजातवेदाय नमः । भ्रूमध्यं पूजयाग्नम ॥ (between two eyes)

ग्नहरण्कयण्डल कणार य नमः कणार न् पूजयाग्नम । (KarNam = organ of

hearing)

ॐ श्रीकण्ठाय नमः । श्रोिे पूजयाग्नम ॥ (ear)

फाल चन्द्ाय नमः / ॐ वामदे वाय नमः । । ललाटं पूजयाशम । (forehead)

ॐ हरये नमः । भ्रवौ पूजयाग्नम ॥ (eye brow)

सवरफलप्रदाय फालनेिसुताय नमः फालं पूजयाग्नम । (phaalam = the line that

separates two sides of hair))

करुणाकराय नमः कपोलौ पूजयाग्नम । (Kapalam = skull)

गङ्गाधराय नमः । जटामण्डलं पूजयाशम । (hair / tuft region)

सदाशिवाय नमः । ग्नशरां ग्नस पूजयाग्नम । (Sirus = head)

ॐ सवार त्मने नमः । ग्नशरः पूजयाग्नम ॥ (head top part)

वे दशिरोवेद्याय नमः कचान् पूजयाग्नम । (कचान् = hair pores))

सवरमङ्गलप्रदाय / सवेश्वराय नमः / ॐ सदाग्नशवाय नमः । सवार ण्ङ्गाग्नन पूजयाग्नम ॥ (Sarvan

angaani = all parts)

श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । नानाशवि पररमळपि पुष्ाशण समपुयाशम ॥

अथ अष्टोत्तर , ग्निशती सहस्रनामावल्या च पयष्प अक्षता अचरनं कृिा


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पि पूजा
ॐ महादे वाय नमः । ग्नबल्व पिं समपरयाग्नम ॥ Bilvam, . బిల్వ ము, வில் வம்

ॐ महे श्वराय नमः । जाजी पिं समपरयाग्नम ॥ (pink jasmine, గులాబీ చమేలీ, ஛஻திணல் லி )
ॐ शं कराय नमः । चम्पका पिं समपरयाग्नम ॥ Magnolia , చంపకము பிச்சி பூ

ॐ वृिभध्रजाय नमः । तय लसी पिं समपरयाग्नम ॥ (tulasi , తులసి, துளசி)

ॐ शू लपाग्नणने नमः । दू वार ययग्मं समपरयाग्नम ॥ (durva grass, గరిక, దుర్వా அருகண் பு ல் )

ॐ कामाङ्ग नाशनाय नमः । सेवंग्नतका पिं समपरयाग्नम ॥ (marigold, బంతి పువుు ச஻ண஠்தி பூ)

ॐ दे वदे वेशाय नमः । मरुग पिं समपरयाग्नम ॥ (Spanish cherry, ಬಕುಳ పువుా , మకిజొం పువుా

ணகிழண் பூ

ॐ श्रीकण्ठाय नमः । दवन पिं समपरयाग्नम ॥ ( Artemisia pallens, దావన్ పువుు

ண஥஼க்கக஻ழு஠்து,

ॐ ईश्वराय नमः । करवीर पिं समपरयाग्नम ॥ (Oleander , గన్నే రు, அ஥ள஼)

ॐ पावरतीपतये नमः । ग्नवष्णय रेान् पिं समपरयाग्नम ॥ (dwarf morning glory, కన్సా కుర్వ கவள் ளள

விஷ்ணுகிர஥் தி

ॐ रुद्राय नमः । माग्नच पिं समपरयाग्नम ॥ (dahlia , sunflower, daisy మాసి పత్రొం ணச்சி ணை஥்)

ॐ सदाग्नशवाय नमः । सवरपिाग्नण समपरयाग्नम ।


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पयष्प पूजा
ॐ शवार य नमः । करवीर पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Oleander , గన్నే రు, அ஥ள஼)

ॐ भवनाशनाय नमः । जाजी पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (pink jasmine, గులాబీ చమేలీ, ஛஻திணல் லி )

ॐ महादे वाय नमः । चम्पक पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Magnolia , చొంపకము பிச்சி பூ)

ॐ उर्ग्ाय नमः । वकयल पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Maulsari, ironwood, పొగడ , ணகிழண் பூ)

ॐ उर्ग्नाभाय नमः । शतपि पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (lotus, తామర పువుు , ட஻ணன஥ ணை஥்)

ॐ भवाय नमः । कल्हार पयष्पं समपरयाग्नम ॥ ( water lily, కువలయము, க஢஥஼த஻ண் ஢ல்
ॐ शग्नशमौग्नलने नमः । सेवन्का पयष्पं समपरयाग्नम ॥(marigold, బంతి పువుు ச஻ண஠்தி பூ)

ॐ रुद्राय नमः । मनल्रका पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Jasmine, మల్లపూ


ె వు , ணல் லிளக பூ
ॐ नीलकण्ठाय नमः । इरुवंग्नतका पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Bivanthika, , రువంతిక పుష్ప ం, இய௃வ஠்தினை

ணை஥்
ॐ ग्नशवाय नमः । ग्नगररकग्नणरका पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (Fabaceae, నీలం పువుు , ஥ீ லக் காக் கணம் )

ॐ भवहाररणे नमः । आथसी पयष्पं समपरयाग्नम ॥ (jute??)

ग्नबल्वापमागर धत्तूर करवीराकर सम्भवैः ।बकोत्फलद्रोण मयख्यैः पयष्पै पूग्नजत शं कर ॥

भवाय नमः । नानाग्नवधपयष्पाग्नण समपरयाग्नम ॥


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आवरण पूजा (aavaraNa = wrapper, covering, parenthesis, coat, covering note)


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१ प्रथमावरण पूजा

दे वस्य पग्नश्मे सद्योजाताय नमः ।

उत्तरे वामदे वाय नमः ।

दग्नक्षणे अघोराय नमः ।

पूवे तत्पयरुिाय नमः ।

ऊध्रं ईशानाय नमः ।


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२ ग्नवतीयावरण पूजा

आिेय कोणे रॄदयाय नमः ।

ईशानकोणे ग्नशरसे स्वाहा ।

नैरृत्य कोणे ग्नशखायै वौिट् ।

वायव्य कोणे कवचाय रॅम् ।

अर्ग्े नेिियाय वौिट् ।

ग्नदक्षय अस्त्राय फट् । (right hand round the head and quickly sound a clap. - thus you

close all directions)


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३ तृ तीयावरण पूजा
प्राच्यां अन्ाय नमः ।

आवाच्यां सूक्ष्माय नमः ।

प्रतीच्यां ग्नशवोत्तमाय नमः ।

उग्नदच्यां एकनेिाय नमः ।

ईशान्यां एकरुद्राय नमः ।

आिेयां िै मूतरये नमः ।

नैरृत्यां श्रीकण्ठाय नमः ।

वायव्यां ग्नशखनन्दने नमः ।


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४ चतय थार वरण पूजा

उत्तरे ग्नदग्दले उमायै नमः ।

ईशान ग्नदग्दले चण्डे श्वराय नमः ।

पूवर ग्नदग्दले नन्दीश्वराय नमः ।

आिेय ग्नदग्दले महाकालाय नमः ।

दग्नक्षण ग्नदग्दले वृिभाय नमः ।

नैरृत्य ग्नदग्दले गणे श्वराय नमः ।

पग्नश्म ग्नदग्दले भृंघीशाय नमः ।

वायव्य ग्नदग्दले महासेनाय नमः ।


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५ पंचमावरण पूजा

इं द्राय नमः । अिये नमः ।

यमाय नमः । नैरृतये नमः ।

वरुणाय नमः । वायव्ये नमः ।

कयबेराय नमः । ईशानाय नमः ।


ब्राह्मणे नमः । अनंताय नमः ।

६ िष्ठावरण पूजा

वज्राय नमः । शक्तये नमः ।

दण्डाय नमः । खड् गाय नमः ।

पाशाय नमः । अंकयशाय नमः ।

गधायै नमः । ग्निशू लाय नमः ।

पद्माय नमः । चरेाय नमः ।

सवेभ्यो आवरण दे वताभ्यो नमः ।

सवगपचाराथे गन्धाक्षत पयष्पाग्नण समपरयाग्नम॥


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प्रधान पू जा Main pUja (DO at least ashotOthara / trishathi / sahasranama)

शिव अष्टोत्तर िि नामावशल శివ అష్టోత్తర శత్ నామావళి ஶிவ அஷ்ட ாத்தர ஶத

஥ாமாவல் தி³

ॐ शिवाय नमः ఓొం శివాయ నమః ஓண் ஶ஼வ஻த ஠ண:

ॐ महे श्वराय नमः ఓొం మహేశ్ా ర్వయ నమః ஓண் ணஹஹஶ்வ஥஻த ஠ண:

ॐ िम्भवे नमः ఓొం శ్ొంభవే నమః ஓண் ஶண் ஢⁴ஹவ ஠ண:

ॐ शपनाशकने नमः ఓొం పిన్సకిన్న నమః ஓண் பி஡஻கிஹ஡ ஠ண:

ॐ िशििे खराय नमः ఓొం శ్శిశేఖర్వయ నమః ஓண் ஶஶ஼ஹஶக²஥஻த ஠ண:

ॐ वामदे वाय नमः ఓొం వామదేవాయ నమః ஓண் வ஻ணஹட³வ஻த ஠ண:

ॐ शवरूपाक्षाय नमः ఓొం విరూపాక్షాయ నమః ஓண் விரூ஢஻஺஻த ஠ண:

ॐ कपशदि ने नमः ఓొం కపరి ిన్న నమః ஓண் க஢஥்தி³ஹ஡ ஠ண:

ॐ नीललोशहताय नमः ఓొం నీలలోహితాయ నమః ஓண் ஠஽ லஹல஻ஹிட஻த ஠ண:

ॐ िङ्कराय नमः (10) ఓొం శ్ొంకర్వయ నమః (10) ஓண் ஶங் க஥஻த ஠ண: (1௦)
ॐ िूलपाणये नमः ఓొం శూలపాణయే నమః ஓண் ஶூல஢஻ஞஹத ஠ண:

ॐ खट्वाशङ्गने नमः ఓొం ఖట్ా ొంగిన్న నమః ஓண் க²஝்வ஻ங் கி³ஹ஡ ஠ண:

ॐ शवष्णु वल्रभाय नमः ఓొం విష్ణువలభా


ల య నమః ஓண் விஷ்ணுவல் ல஢஻⁴த ஠ண:

ॐ शिशपशवष्टाय नमः ఓొం శిపివిష్టాయ నమః ஓண் ஶ஼பிவிஷ்஝஻த ஠ண:

ॐ अक्तम्बकानाथाय नमः ఓొం అొంబికాన్సథాయ నమః ஓண் அண் பி³க஻஡஻ட஻²த ஠ண:

ॐ श्रीकण्ठाय नमः ఓొం శీ ుకొంఠాయ నమః ஓண் ஶ்ரீகஞ்஝஻²த ஠ண:

ॐ भिवत्सलाय नमः ఓొం భకవరా


త లాయ నమః ஓண் ஢⁴க்டவட்ஸல஻த ஠ண:

ॐ भवाय नमः ఓొం భవాయ నమః ஓண் ஢⁴வ஻த ஠ண:

ॐ िवाि य नमः ఓొం శ్ర్వా య నమః ஓண் ஶ஥்வ஻த ஠ண:

ॐ शिलोकेिाय नमः (20) ఓొం త్రరిలోకేశాయనమః (20) ஓண் ட்஥஼ஹல஻ஹகஶ஻த ஠ண: (2௦)

ॐ शिशतकण्ठाय नमः ఓొం శితికొంఠాయ నమః ஓண் ஶ஼திகஞ்஝஻²த ஠ண:

ॐ शिवाशप्रयाय नमः ఓొం శివాప్రరియాయ నమః ஓண் ஶ஼வ஻஢் ஥஼த஻த ஠ண:

ॐ उग्राय नमः ఓొం ఉగ్రర్వయనమః ஓண் உக்³஥஻த ஠ண:

ॐ कपाशलने नमः ఓొం కపాలిన్న నమః ஓண் க஢஻லிஹ஡ ஠ண:

ॐ कामारये नमः ఓొం కామారయే నమః ஓண் க஻ண஻஥ஹத ஠ண:

ॐ अन्धकासु र सू दनाय ఓొం అొంధకాసుర సూదన్సయ ஓண் அ஡்ட⁴க஻ஸு஥ ஸூட³஡஻த

नमः నమః ஠ண:

ॐ गङ्गाधराय नमः ఓొం గొంగాధర్వయ నమః ஓண் க³ங் க஻³ட⁴஥஻த ஠ண:

ॐ ललाटाक्षाय नमः ఓొం లలాట్క్షాయ నమః ஓண் லல஻஝஻஺஻த ஠ண:

ॐ कालकालाय नमः ఓొం కాలకాలాయ నమః ஓண் க஻லக஻ல஻த ஠ண:

ॐ कृपाशनधये नमः (30) ఓొం కృపానిధయే నమః (30) ஓண் க்ரு஢஻஡஼ட⁴ஹத ஠ண: (3௦)

ॐ भीमाय नमः ఓొం భీమాయ నమః ஓண் பீ⁴ண஻த ஠ண:


ॐ परिु हस्ताय नमः ఓొం పరశుహస్తతయ నమః ஓண் ஢஥ஶுஹஸ்ட஻த ஠ண:

ॐ मृगपाणये नमः ఓొం మృగపాణయే నమః ஓண் ண் ருக³஢஻ஞஹத ஠ண:

ॐ जटाधराय नमः ఓొం జట్ధర్వయ నమః ஓண் ஛஝஻ட⁴஥஻த ஠ண:

ॐ कैलासवाशसने नमः ఓొం కైలాసవాసిన్న నమః ஓண் ளகல஻ஸவ஻ஸிஹ஡ ஠ண:

ॐ कवशचने नमः ఓొం కవచిన్న నమః ஓண் கவசிஹ஡ ஠ண:

ॐ कठोराय नमः ఓొం కఠోర్వయ నమః ஓண் கஹ஝஻²஥஻த ஠ண:

ॐ शिपु रान्तकाय नमः ఓొం త్రరిపుర్వొంరకాయనమః ஓண் ட்஥஼பு஥஻஡்டக஻த ஠ண:

ॐ वृ षाङ्काय नमः ఓొం వృష్టొంకాయ నమః ஓண் வ் ருஷ஻ங் க஻த ஠ண:

ॐ वृ षभारूढाय नमः (40) ఓొం వృషభారూఢాయ నమః ஓண் வ் ருஷ஢஻⁴ரூ஝஻⁴த ஠ண: (4௦)

ॐ भस्मोद् धूशलत शवग्रहाय ఓొం భస్మో ద్ధీళిర విత్గహాయ ஓண் ஢⁴ஸ்ஹண஻ட்³தூ⁴ல்தி³ட

नमः నమః விக்³஥ஹ஻த ஠ண:

ॐ सामशप्रयाय नमः ఓొం స్తమప్రరియాయనమః ஓண் ஸ஻ண஢் ஥஼த஻த ஠ண:

ॐ स्वरमयाय नमः ఓొం సా రమయాయ నమః ஓண் ஸ்வ஥ணத஻த ஠ண:

ॐ ियीमूतिये नमः ఓొం త్రయీమూరయే


త నమః ஓண் ட்஥யீமூ஥்டஹத ஠ண:

ॐ अनीश्वराय नमः ఓొం అనీశ్ా ర్వయ నమః ஓண் அ஡஽ஶ்வ஥஻த ஠ண:

ॐ सवि ज्ञाय नमः ఓొం సరా జ్ఞాయ నమః ஓண் ஸ஥்வ஛் ஜ஻த ஠ண:

ॐ परमात्मने नमः ఓొం పరమారో న్న నమః ஓண் ஢஥ண஻ட்ணஹ஡ ஠ண:

ॐ सोमसू याि शन लोचनाय ఓొం స్మమసూర్వా గిే లోచన్సయ ஓண் ஹஸ஻ணஸூ஥்த஻க்³஡஼

नमः నమః ஹல஻ச஡஻த ஠ண:

ॐ हशवषे नमः ఓొం హవిషే నమః ஓண் ஹவிஹஷ ஠ண:

ॐ यज्ञमयाय नमः (50) ఓొం యజమ


ా యాయ నమః ( ஓண் த஛் ஜணத஻த ஠ண: (5௦)

ॐ सोमाय नमः ఓొం స్మమాయ నమః ஓண் ஹஸ஻ண஻த ஠ண:


ॐ पञ्चवक्त्राय नमः ఓొం పొంచవక్త్కాతయ నమః ஓண் ஢ஜ் சவக்ட்஥஻த ஠ண:

ॐ सदाशिवाय नमः ఓొం సదాశివాయ నమః ஓண் ஸட஻³ஶ஼வ஻த ஠ண:

ॐ शवश्वे श्वराय नमः ఓొం విశేా శ్ా ర్వయ నమః ஓண் விஶ்ஹவஶ்வ஥஻த ஠ண:

ॐ वीरभद्राय नमः ఓొం వీరభద్రర్వయనమః ஓண் வீ஥஢⁴ட³் ஥஻த ஠ண:

ॐ गणनाथाय नमः ఓొం గణన్సథాయ నమః ஓண் க³ஞ஡஻ட஻²த ஠ண:

ॐ प्रजापतये नमः ఓొం త్పజ్ఞపరయే నమః ஓண் ஢் ஥஛஻஢டஹத ஠ண:

ॐ शहरण्यरे तसे नमः ఓొం హిరణా రేరసే నమః ஓண் ஹி஥ஞ்தஹ஥டஹஸ ஠ண:

ॐ दु धिषाि य नमः ఓొం దురర్వ


ీ ా య నమః ஓண் து³஥்ட⁴஥ ்ஷ஻த ஠ண:

ॐ शगरीिाय नमः (60) ఓొం గిరీశాయ నమః (60) ஓண் கி³஥஽ஶ஻த ஠ண: (6௦)

ॐ शगररिाय नमः ఓొం గిరిశాయ నమః ஓண் கி³஥஼ஶ஻த ஠ண:

ॐ अनघाय नमः ఓొం అనఘాయ నమః ஓண் அ஡க஻⁴த ஠ண:

ॐ भु जङ्ग भू षणाय नमः ఓొం భుజొంగ భూషణాయ నమః ஓண் பு⁴஛ங் க³ பூ⁴ஷஞ஻த ஠ண:

ॐ भगाि य नमः ఓొం భర్వాయ నమః ஓண் ஢⁴஥ ்க஻³த ஠ண:

ॐ शगररधन्रने नमः ఓొం గిరిధనా న్న నమః ஓண் கி³஥஼ட⁴஡்வஹ஡ ஠ண:

ॐ शगररशप्रयाय नमः ఓొం గిరిప్రరియాయనమః ஓண் கி³஥஼஢் ஥஼த஻த ஠ண:

ॐ कृशत्तवाससे नमः ఓొం కృతితవాససే నమః ஓண் க்ருட்திவ஻ஸஹஸ ஠ண:

ॐ पु रारातये नमः ఓొం పుర్వర్వరయే నమః ஓண் பு஥஻஥஻டஹத ஠ண:

ॐ भगवते नमः ఓొం భగవతే నమః ஓண் ஢⁴க³வஹட ஠ண:

ॐ प्रमथाशधपाय नमः (70) ఓొం త్పమథాధిపాయ నమః ( ஓண் ஢் ஥ணட஻²தி⁴஢஻த ஠ண: (7௦)

ॐ मृत्युञ्जयाय नमः ఓొం మృతుా ొంజయాయ నమః ஓண் ண் ருட்யுஜ் ஛த஻த ஠ண:

ॐ सू क्ष्मतनवे नमः ఓొం సూక్ష్ో రనవే నమః ஓண் ஸூ஺்ணட஡ஹவ ஠ண:

ॐ जगद्लाशपने नमः ఓొం జగదాా ా పిన్న నమః ஓண் ஛க³ட்³வ் த஻பிஹ஡ ஠ண:
ॐ जगद् गुरवे नमः ఓొం జగదుారవే నమః ஓண் ஛க³ட்³கு³஥ஹவ ஠ண:

ॐ व्ोमकेिाय नमः ఓొం వ్యా మకేశాయ నమః ஓண் வ் ஹத஻ணஹகஶ஻த ஠ண:

ॐ महासे न जनकाय नमः ఓొం మహాసేన జనకాయ ஓண் ணஹ஻ஹஸ஡ ஛஡க஻த ஠ண:

నమః

ॐ चारुशवरेमाय नमः ఓొం చారువిత్కమాయ నమః ஓண் ச஻ருவிக்஥ண஻த ஠ண:

ॐ रुद्राय नमः ఓొం రుద్రర్వయనమః ஓண் ருட்³஥஻த ஠ண:

ॐ भू तपतये नमः ఓొం భూరపరయే నమః ஓண் பூ⁴ட஢டஹத ஠ண:

ॐ स्थाणवे नमः (80) ఓొం స్తాణవే నమః (80) ஓண் ஸ்ட஻²ஞஹவ ஠ண: (8௦)

ॐ अशहबुिध्न्याय नमः ఓొం అహిరుబ ధ్న్ే ా య నమః ஓண் அஹி஥்பு³ட்⁴஡்த஻த ஠ண:

ॐ शदगम्बराय नमः ఓొం దిగొంబ్ర్వయ నమః ஓண் தி³க³ண் ஢³஥஻த ஠ண:

ॐ अष्टमूतिये नमः ఓొం అషమూ


ా రయే
త నమః ஓண் அஷ்஝மூ஥்டஹத ஠ண:

ॐ अने कात्मने नमः ఓొం అన్నకారో న్న నమః ஓண் அஹ஡க஻ட்ணஹ஡ ஠ண:

ॐ स्वाक्तिकाय नमः ఓొం స్తా తితా కాయ నమః ஓண் ஸ்வ஻ட்ட்விக஻த ஠ண:

ॐ िुद्धशवग्रहाय नमः ఓొం శుదవి


ీ త్గహాయ నమః ஓண் ஶுட்³ட⁴விக்³஥ஹ஻த ஠ண:

ॐ िाश्वताय नमः ఓొం శాశ్ా తాయ నమః ஓண் ஶ஻ஶ்வட஻த ஠ண:

ॐ खण्डपरिवे नमः ఓొం ఖొండపరశ్వే నమః ஓண் க²ஞ்஝³஢஥ஶஹவ ஠ண:

ॐ अजाय नमः (89) ఓొం అజ్ఞయ నమః ஓண் அ஛஻த ஠ண:

ॐ पािशवमोचकाय नमः ఓొం పాశ్విమోచకాయ నమః ஓண் ஢஻ஶவிஹண஻சக஻த ஠ண: (9௦)

ॐ मृडाय नमः ఓొం మృడాయ నమః ஓண் ண் ரு஝஻³த ஠ண:

ॐ पिु पतये नमः ఓొం పశుపరయే నమః ஓண் ஢ஶு஢டஹத ஠ண:

ॐ दे वाय नमः ఓొం దేవాయ నమః ஓண் ஹட³வ஻த ஠ண:

ॐ महादे वाय नमः ఓొం మహాదేవాయ నమః ஓண் ணஹ஻ஹட³வ஻த ஠ண:


ॐ अव्याय नमः ఓొం అవా యాయ నమః ஓண் அவ் தத஻த ஠ண:

ॐ हरये नमः ఓొం హరయే నమః ஓண் ஹ஥ஹத ஠ண:

ॐ पू षदन्तशभदे नमः ఓొం పూషదొంరభిదే నమః ஓண் பூஷட³஡்டபி⁴ஹட³ ஠ண:

ॐ अव्ग्राय नमः ఓొం అవా గ్రర్వయనమః ஓண் அவ் தக்³஥஻த ஠ண:

ॐ दक्षार्ध्रहराय नमः ఓొం దక్షాధా రహర్వయ నమః ஓண் ட³஺஻ட்⁴வ஥ஹ஥஻த ஠ண:

ॐ हराय नमः (100) ఓొం హర్వయ నమః (100) ஓண் ஹ஥஻த ஠ண: (1௦௦)

ॐ भगने िशभदे नमः ఓొం భగన్నత్రభిదే నమః ஓண் ஢⁴க³ஹ஡ட்஥பி⁴ஹட³ ஠ண:

ॐ अव्िाय नमः ఓొం అవా కాత య నమః ஓண் அவ் தக்ட஻த ஠ண:

ॐ सहस्राक्षाय नमः ఓొం సహస్రర్వక్షాయనమః ஓண் ஸஹஸ்஥஻஺஻த ஠ண:

ॐ सहस्रपादे नमः ఓొం సహత్సపాదే నమః ஓண் ஸஹஸ்஥஢஻ஹட³ ஠ண:

ॐ अपवगिप्रदाय नमः ఓొం అపవర ాత్పదాయ నమః ஓண் அ஢வ஥்க³஢்஥ட஻³த ஠ண:

ॐ अनन्ताय नमः ఓొం అనొంతాయ నమః ஓண் அ஡஠்ட஻த ஠ண:

ॐ तारकाय नमः ఓొం తారకాయ నమః ஓண் ட஻஥க஻த ஠ண:

ॐ परमेश्वराय नमः (108) ఓొం పరమేశ్ా ర్వయ నమః ஓண் ஢஥ஹணஶ்வ஥஻த ஠ண: (1௦8)

इशत श्रीशिवाष्टोत्तरित ఇతి శీ ుశివాష్టారర


త శ్ర న్సమావళిః இதி ஶ்ரீஶ஼வ஻ஷ்ஹ஝஻ட்ட஥ஶட

नामावशलः समािा సమాపాత ஡஻ண஻வல் தி³: ஸண஻஢்ட஻

॥ इशत साम्ब परमेश्वर श्री शिवाष्टॊत्तर नामावग्नलः संपूणिम ॥


॥ ॐ नमो भगवते रुद्राय ॥ॐ श्री गयरुभ्यो नमः । हररः ॐ । ఓం ర ీ గురుభ్యో

నమః హరః ఓం . ௐ ஶ்ரिः॒ கு³॑िः॒ ய௃िः॒஢்⁴யத஻ ஠ணिः॒꞉ . ஹिः॒஥஼िः॒꞉ ௐ .

--------------------- ---------------------------------------- ----------------------------------------------------

अि साम्ब परमेश्वर श्रीरुद्रशििशि नाम पूजा


श्रीरुद्रशििशि శ్ర ీరుద్రత్రిశతి ஶ்ரீருத்³ரத்ரிஶதி
नमोिः॒ ग्नहरिः॑ ण्बाहवेिः॒ नमःिः॑ । నమో హిరణ్ో బాహవే నమః ஠யண஻ ஷ௃஥ஞ்த஢஻³ஹயவ ஠ண꞉

सेिः॒नािः॒न्ये िः॑ नमःिः॑ । సేనాన్యో నమః யஸ஡஻஡் யத ஠ண꞉ .

ग्नदिः॒शां चिः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । దిశం చ పతయే నమః தி³ஶ஻ண் ʼ ச ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॑ वृक्षे
िः॒ भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో వృక్షేభ్యో నమః ஠யண஻ வ் ய௃ʼய஺஢் யத஻ ஠ண꞉ .

हररिः॑ केशे भ्योिः॒ नमःिः॑ । హరకేశేభ్యో నమః ஹ஥஼யையஶ஢் யத஻ ஠ண꞉

पिः॒शूनां
िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । పశూనాం పతయే నమః ஢ஶூ஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमःिः॑ सिः॒नस्पञ्जिः॑रायिः॒ नमःिः॑ । నమః సస్ప ంజరాయ నమః ஠ண꞉ ஸஸ்பிஜ் ஛஥஻த ஠ண꞉

नििीिः॑मतेिः॒ नमःिः॑ । తిు షీమతే నమః ட்விஷீணயட ஠ண꞉ .

पिः॒थीिः॒नां पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । పథీనాం పతయే నమః ஢தீ²஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॑ बभलय शायिः॒


िः॒ नमःिः॑ । నమో బభ్లెశయ నమః ஠யண஻ ஢³஢் லுஶ஻த ஠ண꞉ .

ग्नविः॒व्यािः॒ग्नधनेिः॒ नमःिः॑ । వివ్యో ధిన్య నమః விவ் த஻திய஡ ஠ண꞉

अन्नािः॑ नां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । ఄనాా నాం పతయే నమః அ஡் ஡஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॒ हररिः॑ केशायिः॒ नमःिः॑ । నమో హరకేశయ నమః ஠யண஻ ஹ஥஼யைஶ஻த ஠ண꞉

उिः॒ पिः॒वीिः॒ग्नतनेिः॒ नमःिः॑ । ఈపవీతిన్య నమః உ஢வீதிய஡ ஠ண꞉ .

पयष्टानां
िः॒ िः॒ पतिः॑ ये नमःिः॑ । పుష్టానాం పతయే నమః புஷ்஝஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॑ भिः॒वस्यिः॑ हेिः॒ त्यै नमःिः॑ । నమో భవసో హేత్యో నమః ஠யண஻ ஢வஸ்த யஹட்னத ஠ண꞉

जगिः॑तां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । జగతాం పతయే నమః ஛ை³ட஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॑ रुिः॒द्रायिः॒ नमःिः॑ । నమో రుద్రరాయ నమః ஠யண஻ ய௃ட்³஥஻த ஠ண꞉ .

आिः॒ तिः॒तािः॒ग्नवनेिः॒ नमःिः॑ । అతతావిన్య నమః ஆடட஻விய஡ ஠ண꞉

क्षेिािः॑ णां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । క్షేత్రరాణం పతయే నమః ய஺ட்஥஻ஞ஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमःिः॑ सूतायिः॒
िः॒ नमःिः॑ । నమః సూతాయ నమః ஠ண꞉ ஸூட஻த ஠ண꞉

अहिः॑ न्त्यायिः॒ नमःिः॑ । ఄహంతాో య నమః அஹ஠்ட்த஻த ஠ண꞉ .

वनािः॑ नां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । వనానాం పతయే నమః வ஡஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॒ रोग्नहिः॑तायिः॒ नमःिः॑ । నమో రోహితాయ నమః ஠யண஻ ய஥஻ஷ௃ட஻த ஠ண꞉ .

स्थिः॒ पतिः॑ ये नमःिः॑ । సప


ప తయే నమః ஸ்ட²஢டயத ஠ண꞉
वृक्षाणं
िः॒ िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । వృక్షాణ్ం పతయే నమః வ் ய௃ʼ஺஻ஞண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मिः॒नन्त्रणेिः॒ नमःिः॑ । నమో మంత్రరణే నమః ஠யண஻ ண஠்ட்஥஼யஞ ஠ண꞉

वािः॒ग्नणिः॒जायिः॒ नमःिः॑ । వ్యణిజాయ నమః வ஻ஞ஼஛஻த ஠ண꞉ .

कक्षािः॑ णां िः॒ पतिः॑ ये नमःिः॑ । కక్షాణం పతయే నమః ை஺஻ஞ஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॑ भयविः्॒येिः॒ नमःिः॑ । నమో భ్లవంతయే నమః ஠யண஻ புவ஠்டயத ஠ண꞉ .

वािः॒ररिः॒विः॒स्कृिः॒तायिः॒ नमःिः॑ । వ్యరవసక ృతాయ నమః வ஻஥஼வஸ்ை்ய௃ʼட஻த ஠ண꞉

ओििः॑धीनां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । ఓష్ధీనాం పతయే నమః ஓஷதீ஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमिः॑ उिः॒ च्चैघगिायिः॒


िः॑ नमःिः॑ । నమ ఈచ్చై రోష్ట
ో య నమః ஠ண உச்னச஥்யை஻ஷ஻த ஠ண꞉

आिः॒ रेिः॒न्दयिः॑तेिः॒ नमःिः॑ । అక్కందయతే నమః ஆை்஥஠்ட³தயட ஠ண꞉ .

पिः॒त्तीिः॒नाम् पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । పతీీనాం పతయే నమః ஢ட்தீ஡஻ண் ஢டயத ஠ண꞉

नमःिः॑ कृत्स्नवीिः॒तायिः॒ नमःिः॑ । నమః కృత్ ా వీతాయ నమః ஠ண꞉ ை்ய௃ʼட்ஸ்஡வீட஻த ஠ண꞉ .

धाविः॑तेिः॒ नमःिः॑ । ధావతే నమః ட஻வயட ஠ண꞉

सत्त्विः॑नां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ ॥ సతీు నాం పతయే నమః .. ஸட்ட்வ஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ ..

नमःिः॒ सहिः॑ मानायिः॒ नमःिः॑ । నమః సహమానాయ నమః ஠ண꞉ ஸஹண஻஡஻த ஠ண꞉

ग्ननिः॒व्यािः॒ग्नधनेिः॒ नमःिः॑ । నివ్యో ధిన్య నమః ஠஼வ் த஻திய஡ ஠ண꞉ .

आिः॒ व्यािः॒ग्नधनीिः॑नां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । అవ్యో ధినీనాం పతయే నమః ஆவ் த஻தி஡஽஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमःिः॑ ककयिः॒भायिः॒ नमःिः॑ । నమః కకుభాయ నమః ஠ண꞉ ைகு஢஻த ஠ண꞉ .

ग्ननिः॒िंिः॒ग्नगणेिः॒ नमःिः॑ । నిష్ంగిణే నమః ஠஼ஷங் கி³யஞ ஠ண꞉

स्तेिः॒नानां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । సేీనానాం పతయే నమః ஸ்யட஡஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमोिः॑ ग्ननिंग्नङ्गणेिः॒ नमःिः॑ । నమో నిష్ం॑ంగిణే నమః ஠யண஻ ஠஼ஷண் ʼங் கி³யஞ ஠ண꞉

इिः॒ियग्निः॒ धिः॒मतेिः॒ नमःिः॑ । ఆషుధిమతే నమః இஷுதிணயட ஠ண꞉ .

तस्किः॑राणां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । తసక రాణం పతయే నమః டஸ்ை஥஻ஞ஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमोिः॒ वञ्चिः॑तेिः॒ नमःिः॑ । నమో వంచతే నమః ஠யண஻ வஜ் சயட ஠ண꞉ .

पिः॒ररिः॒वञ्चिः॑तेिः॒ नमःिः॑ । పరవంచతే నమః ஢஥஼வஜ் சயட ஠ண꞉

स्तािः॒यूनां
िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । ాీననాం పతయే నమః ஸ்ட஻யூ஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमोिः॑ ग्ननचेिः॒रवेिः॒ नमःिः॑ । నమో నిచేరవే నమః ஠யண஻ ஠஼யச஥யவ ஠ண꞉


पिः॒ररिः॒चिः॒रायिः॒ नमःिः॑ । పరచరాయ నమః ஢஥஼ச஥஻த ஠ண꞉ .

अरिः॑ ण्ानां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । ఄరణో నాం పతయే నమః அ஥ஞ்த஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमःिः॑ सृकािः॒ग्नवभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః సృకావిభ్యో నమః ஠ண꞉ ஸ்ய௃ʼை஻வி஢் யத஻ ஠ண꞉ .

ग्नजघाꣳ॑िः॑सद्भ्योिः॒ नमःिः॑ । జిఘాꣳసద్భ్య ో నమః ஜிை஻ꣳஸட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

मयष्णिः॒
िः॒ तां पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । ముష్తా
ణ ం పతయే నమః ப௅ஷ்ஞட஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमोिः॑ऽग्नसिः॒मद्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమోఽస్మద్భ్య ో నమః ஠யண஻(அ)ஷுணட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

नक्तिः॒ञ्चरिः॑ द्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నకంచరద్భ్య


ీ ో నమః ஠ை்டஜ் ச஥ட்³஢் யத஻ ஠ண꞉ .

प्रिः॒कृिः्॒ानां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । క్పకృంతానాం పతయే నమః ஢் ஥ை்ய௃ʼ஠்ட஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉

नमिः॑ उष्णीिः॒ग्निणेिः॒ नमःिः॑ । నమ ఈషీ ణషిణే నమః ஠ண உஷ்ஞ஽ஷியஞ ஠ண꞉ .

ग्नगिः॒ररिः॒चिः॒रायिः॒ नमःिः॑ । గిరచరాయ నమః கி³஥஼ச஥஻த ஠ண꞉

कयिः॒लयंिः॒ चानां िः॒ पतिः॑ येिः॒ नमःिः॑ । కులంచానాం పతయే నమః குலுஜ் ச஻஡஻ண் ʼ ஢டயத ஠ண꞉ .

नमिः॒ इियिः॑मद्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ ఆషుమద్భ్య ో నమః ஠ண இஷுணட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

धिः॒न्रािः॒ग्नवभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । ధనాు విభో శ్ై నమః ட஡் வ஻வி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑ आतन्रािः॒नेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అతనాు న్యభ్యో నమః. ஠ண ஆட஡் வ஻ய஡஢் யத஻ ஠ண꞉

प्रु॒शतु॒दधाा॑ नेभ्यश्च नमःा॑ । క్పతిదధాన్యభో శ్ై నమః ஢் ஥திட³ட஻ய஡஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑ आिः॒ यच्िः॑ द्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అయచఛ ద్భ్య ో నమః ஠ண ஆதச்ச²ட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

ग्नविः॒सृजद्भ्यिः॑
िः॒ श्िः॒ नमःिः॑ । విసృజదయ ో శ్ై నమః விஸ்ய௃ʼ஛ட்³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोऽस्यिः॑ द्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమోఽసో ద్భ్య ో నమః ஠யண஻(அ)ஸ்தட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

ग्नवध्यिः॑द्भ्यश्िः॒ नमःिः॑ । విధో దయ ో శ్ై నమః விட்தட்³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॒ आसीिः॑नेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అసీన్యభ్యో నమః ஠ண ஆஷூய஡஢் யத஻ ஠ண꞉

शयािः॑ नेभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । శ్యాన్యభో శ్ై నమః ஶத஻ய஡஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .


नमःिः॑ स्विः॒पद्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః సు పద్భ్య ో నమః ஠ண꞉ ஸ்வ஢ட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

जार्ग्िः॑द्भ्यश्िः॒ नमःिः॑ । జాక్గదయ ో శ్ై నమః ஛஻ை்³஥ட்³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॒नस्तष्ठिः॑ द्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమస్ీష్ద్భ్


ఠ య ో నమః ஠ணஸ்திஷ்஝²ட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

धाविः॑द्भ्यश्िः॒ नमःिः॑ । ధావదయ ో శ్ై నమః ட஻வட்³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑स्सिः॒भाभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమస్ భాభ్యో నమః ஠ணஸ்ஸ஢஻஢் யத஻ ஠ண꞉

सिः॒भापिः॑ग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । సభాపతిభో శ్ై నమః ஸ஢஻஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॒ अश्वे᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో ఄశేు ᳚భ్యో నమః ஠யண஻ அஶ்யவ᳚஢்யத஻ ஠ண꞉

अश्विः॑पग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । ఄశ్ు పతిభో శ్ై నమః அஶ்வ஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑ आव्यिः॒ग्नधनी᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అవో ధినీ᳚భ్యో నమః ஠ண ஆவ் ததி஡஽᳚஢்யத஻ ஠ண꞉

ग्नविः॒ग्नवध्यिः्॑ीभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । వివిధో ంతీభో శ్ై నమః விவிட்த஠்தீ஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॒ उगिः॑णाभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ ఈగణభ్యో నమః ஠ண உை³ஞ஻஢் யத஻ ஠ண꞉

तृ ꣳहतीभ्यिः॑
िः॒ श्िः॒ नमःिः॑ । తృꣳహతీభో శ్ై నమః ட்ய௃ʼꣳஹதீ஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॑ गृत्से
िः॒ भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో గృతే్ భ్యో నమః ஠யண஻ ை்³ய௃ʼட்யஸ஢் யத஻ ஠ண꞉

गृत्सपिः॑
िः॒ ग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । గృత్ పతిభో శ్ై నమః ை்³ய௃ʼட்ஸ஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॒ व्राते ᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో వ్రరాతే᳚భ్యో నమః ஠யண஻ வ் ஥஻யட᳚஢்யத஻ ஠ண꞉

व्रातिः॑ पग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । వ్రరాతపతిభో శ్ై నమః வ் ஥஻ட஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॑ गिः॒णेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో గణేభ్యో నమః ஠யண஻ ை³யஞ஢் யத஻ ஠ண꞉

गिः॒णपिः॑ग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । గణ్పతిభో శ్ై నమః ை³ஞ஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉


वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॒ ग्नवरू
िः॑ पेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో విరూపేభ్యో నమః ஠யண஻ விய௄ய஢஢் யத஻ ஠ண꞉

ग्नविः॒श्वरुपेभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । విశ్ు రుపేభో శ్ై నమః விஶ்வய௃ய஢஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मिः॒हद्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో మహద్భ్య ో నమః ஠யண஻ ணஹட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

क्षयल्रिः॒
िः॒ केभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । క్షులకే
ె భో శ్ై నమః ஺ுை் ையை஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॑ रिः॒ग्नथभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో రథిభ్యో నమః ஠யண஻ ஥தி²஢் யத஻ ஠ண꞉

अिः॒रिः॒थेभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । ఄరథేభో శ్ై నమః அ஥யட²஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॒ रथे ᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో రథే᳚భ్యో నమః ஠யண஻ ஥யட²᳚஢்யத஻ ஠ண꞉

रथिः॑ पग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । రథపతిభో శ్ై నమః ஥ட²஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॒स्सेना᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమసే్ నా᳚భ్యో నమః ஠ணஸ்யஸ஡஻᳚஢்யத஻ ஠ண꞉

सेिः॒नािः॒ग्ननभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । సేనానిభో శ్ై నమః யஸ஡஻஡஼஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमःिः॑ क्षिः॒त्तृभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః క్షతీృభ్యో నమః ஠ண꞉ ஺ட்ட்ய௃ʼ஢் யத஻ ஠ண꞉

संिः॒र्ग्िः॒हीिः॒तृभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । సంక్గహీతృభో శ్ై నమః ஸங் ை்³஥ஷ௄ட்ய௃ʼ஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॒स्तक्षिः॑भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమసీక్షభ్యో నమః ஠ணஸ்ட஺஢் யத஻ ஠ண꞉

रिः॒थिः॒कािः॒रेभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । రథకారేభో శ్ై నమః ஥ட²ை஻ய஥஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमःिः॒ कयलािः॑ लेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః కులాలేభ్యో నమః ஠ண꞉ குை஻யை஢் யத஻ ஠ண꞉

किः॒मार रे᳚भ्यश्िः॒ नमःिः॑ । కరాా రే᳚భో శ్ై నమః ை஥்ண஻ய஥᳚஢்தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमःिः॑ पयंिः॒ग्नजष्टे᳚भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః పుంజిష్ట᳚భ్య


ా ో నమః ஠ண꞉ புஜ் ஜிஷ்ய஝᳚஢்யத஻ ஠ண꞉
ग्ननिः॒िािः॒देभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । నిష్టదేభో శ్ై నమః ஠஼ஷ஻யட³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑ इियक
िः॒ ृ द्भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ ఆషుకృద్భ్య ో నమః ஠ண இஷுை்ய௃ʼட்³஢் யத஻ ஠ண꞉

धिः॒न्रिः॒कृद्भ्यिः॑ श्िः॒ नमःिः॑ । ధను కృదయ ో శ్ై నమః ட஡் வை்ய௃ʼட்³஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః . யவ஻ ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मृगिः॒ययभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో మృగయుభ్యో నమః ஠யண஻ ண் ய௃ʼை³யு஢் யத஻ ஠ண꞉

श्विः॒ग्ननभ्यिः॑श्िः॒ नमःिः॑ । శ్ు నిభో శ్ై నమః ஶ்வ஡஼஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః யவ஻ ஠ண꞉ .

नमःिः॒ श्वभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమః శ్ు భ్యో నమః ஠ண꞉ ஶ்வ஢் யத஻ ஠ண꞉

श्वपिः॑ग्नतभ्यश्िः॒ नमःिः॑ । శ్ు పతిభో శ్ై నమః ஶ்வ஢தி஢் தஶ்ச ஠ண꞉

वोिः॒ नमःिः॑ వో నమః யவ஻ ஠ண꞉

नमोिः॑ भिः॒वायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో భవ్యయ చ నమః ஠யண஻ ஢வ஻த ச ஠ண꞉

रुिः॒द्रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । రుద్రరాయ చ నమః ய௃ட்³஥஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑श्शिः॒वार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమశ్శ రాు య చ నమః ஠ணஶ்ஶ஥்வ஻த ச ஠ண꞉

पिः॒शयपतिः॑
िः॒ ये चिः॒ नमःिः॑ । పశుపతయే చ నమః . ஢ஶு஢டயத ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ नीलिः॑ र्ग्ीवाय चिः॒ नमःिः॑ । నమో నీలగ్రీవ్యయ చ నమః ஠யண஻ ஠஽ ைை்³஥஽வ஻த ச ஠ண꞉

ग्नशिः॒ग्नतिः॒कण्ठािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । శితికంఠాయ చ నమః ஶ஼திைஞ்஝஻²த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ कपिः॒ग्नदरने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః కపర ిన్య చ నమః ஠ண꞉ ை஢஥்தி³ய஡ ச ஠ண꞉

व्ययिः॑प्तकेशाय चिः॒ नमःिः॑ । వుో పీకేశయ చ నమః . வ் யு஢் டயைஶ஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑स्सहस्रािः॒क्षायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమస్ హస్రరాక్షాయ చ నమః ஠ணஸ்ஸஹஸ்஥஻஺஻த ச ஠ண꞉

शिः॒ तधिः॑न्रने चिः॒ नमःिः॑ । శ్తధను న్య చ నమః ஶடட஡் வய஡ ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ ग्नगररिः॒शायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో గిరశయ చ నమః ஠யண஻ கி³஥஼ஶ஻த ச ஠ண꞉

ग्नशिः॒ग्नपिः॒ग्नविः॒ष्टायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । శిపివిష్టాయ చ నమః . ஶ஼பிவிஷ்஝஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मीिः॒ढयष्टिः॑माय चिः॒ नमःिः॑ । నమో మీఢుష్మా


ా య చ నమః ஠யண஻ ப௄டுஷ்஝ண஻த ச ஠ண꞉

इियिः॑मते चिः॒ नमःिः॑ । ఆషుమతే చ నమః இஷுணயட ச ஠ண꞉ .

नमो᳚ ह्रस्वायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో᳚ క్హాు య చ నమః ஠யண஻᳚ ஹ்஥ஸ்வ஻த ச ஠ண꞉
वािः॒मिः॒नायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । వ్యమనాయ చ నమః . வ஻ண஡஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ बृहिः॒ते चिः॒ नमःिः॑ । నమో బృహతే చ నమః ஠யண஻ ஢் ³ய௃ʼஹயட ச ஠ண꞉

विजयसे
िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । వీ ీయసే చ నమః வ஥்ஷீதயஸ ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ वृद्धायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । నమో వృదాాయ చ నమః ஠யண஻ வ் ய௃ʼட்³ட஻த ச ஠ண꞉

संिः॒वृध्रिः॑ने चिः॒ नमःिः॑ । సంవృధు న్య చ నమః ஸண் ʼவ் ய௃ʼட்வய஡ ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ अग्नर्ग्िः॑याय चिः॒ नमःिः॑ । నమో ఄగ్రరయాయ చ నమః ஠யண஻ அை்³஥஼த஻த ச ஠ண꞉

प्रिः॒थिः॒मायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । క్పథమాయ చ నమః ஢் ஥ட²ண஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ आिः॒ शवे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ అశ్వే చ నమః ஠ண ஆஶயவ ச ஠ண꞉

अिः॒ग्नजिः॒रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄజిరాయ చ నమః . அஜி஥஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ शीग्नििः॑याय चिः॒ नमःिः॑ । నమః రఘ్రరయాయ చ నమః ஠ண꞉ ஶ஽ ை்஥஼த஻த ச ஠ண꞉

शीभ्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । రభాో య చ నమః ஶ஽ ஢்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ ऊिः॒म्यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ ఉరాా ో య చ నమః ஠ண ஊ஥்ண்த஻த ச ஠ண꞉

अिः॒विः॒स्विः॒न्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఄవసు నాో య చ నమః அவஸ்வ஠்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ स्त्रोतिः॒ स्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః స్త్రీతాో య చ నమః ஠ண꞉ ஸ்ட்ய஥஻டஸ்த஻த ச ஠ண꞉

वीप्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । దీు ప్యో య చ నమః . ட்³வீ஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमो᳚ ज्येिः॒ष्ठायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో᳚ జ్యో ష్టఠయ చ నమః ஠யண஻᳚ ஛் யதஷ்஝஻²த ச ஠ண꞉

किः॒ग्ननिः॒ष्ठायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । కనిష్టఠయ చ నమః ை஠஼ஷ்஝஻²த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ पूवरिः॒जायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః పూరు జాయ చ నమః ஠ண꞉ பூ஥்வ஛஻த ச ஠ண꞉

अिः॒पिः॒रिः॒जायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄపరజాయ చ నమః அ஢஥஛஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मध्यिः॒मायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో మధో మాయ చ నమః ஠யண஻ ணட்தண஻த ச ஠ண꞉

अिः॒पिः॒गिः॒ल्भायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄపగలాయ య చ నమః அ஢ை³ை் ஢஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ जघिः॒न्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో జఘనాో య చ నమః ஠யண஻ ஛ை஠்த஻த ச ஠ண꞉

बयग्ननिः॑याय चिः॒ नमःिः॑ । బుధిా యాయ చ నమః . பு³ட்஡஼த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ सोिः॒भ्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః రభాో య చ నమః ஠ண꞉ யஸ஻஢் த஻த ச ஠ண꞉

प्रिः॒ग्नतिः॒सिः॒यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । క్పతిసరాో య చ నమః ஢் ஥திஸ஥்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ याम्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో యామాో య చ నమః ஠யண஻ த஻ண் த஻த ச ஠ண꞉
क्षेम्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । క్షేమాో య చ నమః ய஺ண் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ उवरिः॒यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ ఈరు రాో య చ నమః ஠ண உ஥்வ஥்த஻த ச ஠ண꞉

खल्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఖలాో య చ నమః ை²ை் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ श्लोक्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః ోెకాో య చ నమః ஠ண꞉ ஶ்யை஻ை்த஻த ச ஠ண꞉

अिः॒विः॒सािः॒न्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఄవానాో య చ నమః அவஸ஻஠்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ वन्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో వనాో య చ నమః ஠யண஻ வ஠்த஻த ச ஠ண꞉

कक्ष्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । కక్షాో య చ నమః ை஺்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ श्रिः॒वायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః క్శ్వ్యయ చ నమః ஠ண꞉ ஶ்஥வ஻த ச ஠ண꞉

प्रिः॒ग्नतिः॒श्रिः॒वायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । క్పతిక్శ్వ్యయ చ నమః ஢் ஥திஶ்஥வ஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ आिः॒ शयिेण


िः॑ ाय चिः॒ नमःिः॑ । నమ అశుష్టణయ చ నమః ஠ண ஆஶுயஷஞ஻த ச ஠ண꞉

आिः॒ शयरिः॑थाय चिः॒ नमःिः॑ । అశురథాయ చ నమః ஆஶு஥ட஻²த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ शू रािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః శూరాయ చ నమః ஠ண꞉ ஶூ஥஻த ச ஠ண꞉

अिः॒विः॒ग्नभिः॒न्दिः॒ते चिः॒ नमःिः॑ । ఄవభందతే చ నమః அவபி஠்ட³யட ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ विः॒ग्नमरणे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో వరా ణే చ నమః ஠யண஻ வ஥்ப௃யஞ ச ஠ண꞉

विः॒रू
िः॒ ग्नथने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । వరూథిన్య చ నమః வய௄தி²ய஡ ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ ग्नबिः॒नल्मने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో బిల్మా న్య చ నమః ஠யண஻ பி³ை் ப௃ய஡ ச ஠ண꞉

किः॒विः॒ग्नचने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । కవచిన్య చ నమః ைவசிய஡ ச ஠ண꞉ .

नमिः॑श्श्श्रयतायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । నమక్శుశ తాయ చ నమః ஠ணஶ்ஶ்ய௃ட஻த ச ஠ண꞉

श्रयतिः॒
िः॒ सेिः॒नायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । శ్రరుతసేనాయ చ నమః ஶ்ய௃டயஸ஡஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ दय न्त्र्दयभ्यािः॑
िः॒ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో దుందుభాో య చ నమః ஠யண஻ து³஠்து³஢் த஻த ச ஠ண꞉

आिः॒ हिः॒निः॒न्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । అహననాో య చ నమః ஆஹ஡஠்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ धृष्णवे
िः॒ िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో ధృష్వే
ణ చ నమః ஠யண஻ ட்ய௃ʼஷ்ஞயவ ச ஠ண꞉

प्रिः॒मृशायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । క్పమృశయ చ నమః . ஢் ஥ண் ய௃ʼஶ஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ दू तायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । నమో దూతాయ చ నమః ஠யண஻ தூ³ட஻த ச ஠ண꞉

प्रग्नहिः॑ताय चिः॒ नमःिः॑ । క్పహితాయ చ నమః ஢் ஥ஷ௃ட஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ ग्ननििः॒ग्नङ्गणे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో నిష్ంగిణే చ నమః ஠யண஻ ஠஼ஷங் கி³யஞ ச ஠ண꞉
इिः॒ियग्निः॒ धिः॒मते िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఆషుధిమతే చ నమః . இஷுதிணயட ச ஠ண꞉ .

नमिः॑स्तीिः॒क्ष्णे ििः॑वे चिः॒ नमःिः॑ । నమసీీక్షేణష్వే చ నమః ஠ணஸ்தீ஺்யஞஷயவ ச ஠ண꞉

आिः॒ ययग्निः॒ धने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । అయుధిన్య చ నమః ஆயுதிய஡ ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ स्वाययधायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । నమః ాు యుధాయ చ నమః ஠ண꞉ ஸ்வ஻யுட஻த ச ஠ண꞉

सयधन्रिः॑
िः॒ ने चिः॒ नमःिः॑ । సుధను న్య చ నమః . ஸுட஡் வய஡ ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ स्रयत्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః స్రరుతాో య చ నమః ஠ண꞉ ஸ்ய௃ட்த஻த ச ஠ண꞉

पथ्ािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । పథాో య చ నమః ஢ட்²த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ कािः॒यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః కాట్యో య చ నమః ஠ண꞉ ை஻஝்த஻த ச ஠ண꞉

नीिः॒प्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నీప్యో య చ నమః . ஠஽ ஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॒स्सूद्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమసూ్ దాో య చ నమః ஠ணஸ்ஸூட்³த஻த ச ஠ண꞉

सिः॒रिः॒स्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । సరాో య చ నమః ஸ஥ஸ்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ नािः॒द्यायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో నాదాో య చ నమః ஠யண஻ ஠஻ட்³த஻த ச ஠ண꞉

वैिः॒शिः्॒ायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । వైశ్ంతాయ చ నమః னவஶ஠்ட஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ कूप्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః కూప్యో య చ నమః ஠ண꞉ கூ஢் த஻த ச ஠ண꞉

अिः॒विः॒यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఄవట్యో య చ నమః அவ஝்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ वष्यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో వరాీో య చ నమః ஠யண஻ வ஥்ஷ்த஻த ச ஠ண꞉

अिः॒विः॒ष्यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄవరాీో య చ నమః அவ஥்ஷ்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ मेिः॒र्घ्ािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో మేఘాో య చ నమః ஠யண஻ யணை்த஻த ச ஠ண꞉

ग्नविः॒द्ययत्यािः॑
िः॒ य चिः॒ नमःिः॑ । విదుో తాో య చ నమః . விட்³யுட்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ ईिः॒ग्नध्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమ ఇధ్రరయాయ చ నమః ஠ண ஈட்஥஼த஻த ச ஠ண꞉

आिः॒ तिः॒प्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । అతప్యో య చ నమః . ஆட஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ वात्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో వ్యతాో య చ నమః ஠யண஻ வ஻ட்த஻த ச ஠ண꞉

रे नष्मिः॑याय चिः॒ नमःिः॑ । రేషిా యాయ చ నమః ய஥ஷ்ப௃த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ वास्तिः॒व्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో వ్యసీవ్యో య చ నమః ஠யண஻ வ஻ஸ்டவ் த஻த ச ஠ண꞉

वास्तयपायिः॑
िः॒ चिः॒ नमःिः॑ । వ్యసుీప్యయ చ నమః வ஻ஸ்து஢஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॒स्सोमािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమర్ మాయ చ నమః ஠ணஸ்யஸ஻ண஻த ச ஠ண꞉


रुिः॒द्रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । రుద్రరాయ చ నమః ய௃ட்³஥஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑स्तािः॒म्रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమాీమ్రరాయ చ నమః ஠ணஸ்ட஻ண் ஥஻த ச ஠ண꞉

अिः॒रुिः॒णायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄరుణయ చ నమః . அய௃ஞ஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ शिः॒ ङ्गायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః శ్ంగాయ చ నమః ஠ண꞉ ஶங் ை஻³த ச ஠ண꞉

पिः॒शयपतिः॑
िः॒ ये चिः॒ नमःिः॑ । పశుపతయే చ నమః ஢ஶு஢டயத ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ उिः॒ र्ग्ायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ ఈగ్రరాయ చ నమః ஠ண உை்³஥஻த ச ஠ண꞉

भीिः॒मायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । భీమాయ చ నమః பீண஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ अर्ग्ेविः॒धायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమో ఄగ్రరేవధాయ చ నమః ஠யண஻ அை்³ய஥வட஻த ச ஠ண꞉

दू रेिः॒ िः॒विः॒धायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । దూరేవధాయ చ నమః . தூ³ய஥வட஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ हिः॒न्त्रे चिः॒ नमःिः॑ । నమో హంత్రరే చ నమః ஠யண஻ ஹ஠்ட்ய஥ ச ஠ண꞉

हनीिः॑यसे चिः॒ नमःिः॑ । హనీయసే చ నమః ஹ஡஽தயஸ ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑ वृक्षे
िः॒ भ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో వృక్షేభ్యో నమః ஠யண஻ வ் ய௃ʼய஺஢் யத஻ ஠ண꞉

हररिः॑ केशे भ्योिः॒ नमःिः॑ । హరకేశేభ్యో నమః . ஹ஥஼யையஶ஢் யத஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑स्तािः॒रायिः॒ नमःिः॑ । నమాీరాయ నమః ஠ணஸ்ட஻஥஻த ஠ண꞉

नमिः॑श्शंिः॒भवे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమశ్శ ంభవే చ నమః ஠ணஶ்ஶண் ஢யவ ச ஠ண꞉ .

मिः॒योिः॒भवे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । మయోభవే చ నమః ணயத஻஢யவ ச ஠ண꞉

नमिः॑श्शंकिः॒रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమశ్శ ంకరాయ చ నమః ஠ணஶ்ஶங் ை஥஻த ச ஠ண꞉ .

मिः॒यिः॒स्किः॒रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । మయసక రాయ చ నమః ணதஸ்ை஥஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ ग्नशिः॒वायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః శివ్యయ చ నమః ஠ண꞉ ஶ஼வ஻த ச ஠ண꞉ .

ग्नशिः॒वतिः॑ राय चिः॒ नमःिः॑ । శివతరాయ చ నమః ஶ஼வட஥஻த ச ஠ண꞉

नमिः॒स्तीथ्ार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమసీీరాపో య చ నమః ஠ணஸ்தீ஥்ட்²த஻த ச ஠ண꞉ .

कूल्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । కూలాో య చ నమః கூை் த஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ पािः॒यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః ప్యరాో య చ నమః ஠ண꞉ ஢஻஥்த஻த ச ஠ண꞉ .

अिः॒वािः॒यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । ఄవ్యరాో య చ నమః அவ஻஥்த஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ प्रिः॒तरिः॑ णाय चिः॒ नमःिः॑ । నమః క్పతరణయ చ నమః ஠ண꞉ ஢் ஥ட஥ஞ஻த ச ஠ண꞉ .

उिः॒ त्तरिः॑ णाय चिः॒ नमःिः॑ । ఈతీరణయ చ నమః உட்ட஥ஞ஻த ச ஠ண꞉


नमिः॑ आतािः॒यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ అతారాో య చ నమః ஠ண ஆட஻஥்த஻த ச ஠ண꞉ .

आिः॒ लािः॒द्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । అలాదాో య చ నమః ஆை஻ட்³த஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॒ शष्ट्प्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః శ్ష్టప ో య చ నమః ஠ண꞉ ஶஷ்஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

फेन्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఫేనాో య చ నమః ய஢²஠்த஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ ग्नसकिः॒त्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః స్కతాో య చ నమః ஠ண꞉ ஷுைட்த஻த ச ஠ண꞉ .

प्रिः॒वािः॒ह्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । క్పవ్యహ్యో య చ నమః ஢் ஥வ஻ஹ்த஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ इररिः॒ण्ािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః ఆరణో య చ నమః ஠ண꞉ இ஥஼ஞ்த஻த ச ஠ண꞉

प्रिः॒पिः॒थ्ािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । క్పపథాో య చ నమః ஢் ஥஢ட்²த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ ग्नक ᳚ग्नशिः॒लायिः॑ चिः॒ నమః కి ᳚శిలాయ చ నమః ஠ண꞉ கி ᳚ஶ஼ை஻த ச ஠ண꞉

नमःिः॑ ।
क्षयिः॑णाय चिः॒ नमःिः॑ । క్షయణయ చ నమః ஺தஞ஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ कपिः॒ग्नदरने िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః కపర ిన్య చ నమః ஠ண꞉ ை஢஥்தி³ய஡ ச ஠ண꞉

पयलिः॒
िः॒ स्तये िः॑ चिः॒ नमःिः॑ । పులసీయే చ నమః . புைஸ்டயத ச ஠ண꞉ .

नमोिः॒ गोष्ट््ािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో గోష్టఠో య చ నమః ஠யண஻ யை஻³ஷ்஝்²த஻த ச ஠ண꞉

गृह्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । గృహ్యో య చ నమః ை்³ய௃ʼஹ்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॒स्तल्पप्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమసీలాప ో య చ నమః ஠ணஸ்டை் ஢் த஻த ச ஠ண꞉

गेह्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । గేహ్యో య చ నమః யை³ஹ்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ कािः॒यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః కాట్యో య చ నమః ஠ண꞉ ை஻஝்த஻த ச ஠ண꞉

गिः॒ह्विः॒रेिः॒ष्ठायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । గహు రేష్టఠయ చ నమః . ை³ஹ்வய஥ஷ்஝஻²த ச ஠ண꞉ .

नमो᳚ ह्रदिः॒ य्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో᳚ క్హదయాో య చ నమః ஠யண஻᳚ ஹ்஥ட³த் த஻த ச ஠ண꞉

ग्ननिः॒वेिः॒ष्ट्प्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నివేష్టప ో య చ నమః ஠஼யவஷ்஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ पा ᳚सिः॒व्यािः॑ य चिः॒


नमःिः॑ । నమః ప్య ᳚సవ్యో య చ నమః ஠ண꞉ ஢஻ ᳚ஸவ் த஻த ச ஠ண꞉

रिः॒जिः॒स्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । రజాో య చ నమః . ஥஛ஸ்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॒ शय ष्ट्क्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమః శుష్టక ో య చ నమః ஠ண꞉ ஶுஷ்ை்த஻த ச ஠ண꞉

हिः॒ररिः॒त्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । హరతాో య చ నమః ஹ஥஼ட்த஻த ச ஠ண꞉ .


नमोिः॒ लोप्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । నమో లోప్యో య చ నమః ஠யண஻ யை஻஢் த஻த ச ஠ண꞉

उिः॒ लिः॒प्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । ఈలప్యో య చ నమః உை஢் த஻த ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ ऊिः॒व्यार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమ ఉరాు ో య చ నమః ஠ண ஊ஥்வ் த஻த ச ஠ண꞉

सूम्यार
िः॒ यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । సూరాా ో య చ నమః ஸூ஥்ண்த஻த ச ஠ண꞉ .

नमःिः॑ पिः॒ण्ार यिः॑ चिः॒ नमःिः॑ । నమః పరాణో య చ నమః ஠ண꞉ ஢஥்ஞ்த஻த ச ஠ண꞉

पिः॒णरिः॒शिः॒द्यािः॑ य चिः॒ नमःिः॑ । పర ణశ్దాో య చ నమః ஢஥்ஞஶட்³த஻த ச ஠ண꞉ .

नमोिः॑पगयरमािः॑
िः॒ णाय चिः॒ नमःिः॑ । నమోపగురమాణయ చ నమః ஠யண஻஢கு³஥ண஻ஞ஻த ச ஠ண꞉

अिः॒ग्नभिः॒घ्निः॒ते चिः॒ नमःिः॑ । ఄభఘా తే చ నమః அபிை்஡யட ச ஠ண꞉ .

नमिः॑ आनिदिः॒ ते चिः॒ नमःिः॑ । నమ అకిదతే


ి చ నమః ஠ண ஆை்கி²ட³யட ச ஠ண꞉

प्रिः॒नििः॒दिः॒ते चिः॒ नमःिः॑ । క్పకిదతే


ి చ నమః ஢் ஥ை்கி²ட³யட ச ஠ண꞉ .

वोिः॒ नमःिः॑ । వో నమః ஹவ஻ ஠ண꞉ .

ग्नकिः॒ररिः॒केभ्योिः॒ नमःिः॑ । కిరకేభ్యో నమః கி஥஼யை஢் யத஻ ஠ண꞉

देिः॒ वानािः॒ ᳚
॑िः॒ रॄदिः॑ येभ्योिः॒ नमःिः॑ । யட³வ஻஡஻ꣳ ஹ்ய௃ʼட³யத஢் யத஻ ஠ண꞉

దేవ్యనాꣳ హృదయేభ్యో నమః .

नमोिः॑ ग्नवक्षीणिः॒ केभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో విక్షీణ్కేభ్యో నమః ஠யண஻ விக்ஷீஞயை஢் யத஻ ஠ண꞉

नमोिः॑ ग्नवग्नचन्रिः॒ त्केभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమో విచిను తేక భ్యో నమః ஠யண஻ விசி஡் வட்யை஢் யத஻ ஠ண꞉ .

नमिः॑ आग्ननहरिः॒ तेभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అనిర హతేభ్యో నమః ஠ண ஆ஠஼஥்ஹயட஢் யத஻ ஠ண꞉

नमिः॑ आमीविः॒त्केभ्योिः॒ नमःिः॑ । నమ అమీవతేక భ్యో నమః ஠ண ஆப௄வட்யை஢் யத஻ ஠ண꞉ .

ॐ नमो भगवते रुद्राय ॥ ఓం నమో భగవతే రుద్రరాయ ௐ ஠யண஻ ஢ை³வயட ய௃ட்³஥஻த ..

इशत श्रीरुद्रशििशत अचि नम्–सं पूणिम्


Part 3 Uththara (concluding) pooja
This colour verse is from Purusha sooktham. OPTIONAL.
This colour verse is from Shree sooktham. OPTIONAL॥

धूपम् DhUpam (Incense sticks or sambrani in charcoal pieces)

यत्पयरुिः॑िंिः॒ व्यिः॑दधयः । किः॒ग्नतिः॒धा व्यिः॑कल्पयन् । मयखंिः॒ ग्नकमिः॑स्यिः॒ कौ बािः॒रॆ । कावूरू


िः॒ पादािः॑ वयच्येते।
आपः सृज्य ग्नस्नग्धाग्नन ग्नचक्लीत वस मे गृहे । ग्नन च दे वीं मातरं ग्नश्रयं वासय मे कयले ॥
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ॐ धूरिः॑ग्नसिः॒ धूवरिः॒ धूवर्ं


िः॑ िः॒ धूवरिः॒तं यो᳚ऽस्मान् धूवरग्निः॑ तिः॒तं धू ᳚वरिः॒यं विः॒यं धूवार मिः॒िः॑ स्त्ऱं

देिः॒ वानािः॑ मग्नसिः॒। सग्नस्निः॑तमंिः॒ पग्नप्रिः॑तमंिः॒ जय ष्टिः॑तमंिः॒ वग्नह्निः॑तमं देिः॒ वरॆतिः॑ मिः॒मरॄिः॑ तमग्नस हग्नविः॒धार नंिः॒

दृ गंꣳहिः॑ स्विः॒ माह्वा᳚ग्नमरिः॒िस्यिः॑ िािः॒ चक्षयिः॑िािः॒ प्रेक्षेिः॒ माभेमार संग्नविः॑क्ािः॒ मा िािः॑ ग्नहꣳग्नसिम् ॥
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वनस्पशतरसोद् भूतः गन्धाढ्यश्च मनोहरः । आग्रेयः सविदेवानां धूपोयं प्रशतगृह्यताम्.ह् ॥


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दशाङ्गं गयग्गयलूपेतं सयगन्धं च मनोहरं । चान्दनागरुकस्तूरी चि गुग्गुलुसंयुिं । धूपं गृहाण वरद

धूि पाप नमोस्तुिे । ॐ बलाय नमः । उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः

। धूपमािापयाशम । धूपानन्त्ं आचमशनयम् समपुयाशम । पुष्ैशह पूजयाशम ॥


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पञ्च हारशि दीपं Pancha hArathy dEpam(we can show deepam with 5 wicks) BLUE colour =Optional But if

you do, please chant at least manthra in blue colour)

ॐ। पञ्चिः॑ रॆतो हिः॒वै नामैिः॒िः । तं वा एिः॒तं पञ्चिः॑ रॆतिः॒ ꣳ स्म्िः॑' । पञ्चिः॑होिः॒तेत्याचिः॑क्षते परोिः॒क्षेण
िः॑ । पिः॒रोक्षिः॑ग्नप्रया इविः॒

ग्नह देिः॒ वाः ॥ उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः पञ्च हारशत दीपं

दिियाशम दीपानन्त्ं आचमशनयम् समपियाशम पु ष्पैशह पू जयाशम ॥


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गायिी दीपं GAyathri dEpam (we can show kumba harathy or Eka harathy or plate harathy)
गािः॒यिः॒िो वै पणरिः॒ ः । गायिाः िः॒ पिवः । तस्मािः॒त् िीग्नणिः॑ िीग्नणिः॑ । पणरिः॒ स्य पलािः॒शाग्ननिः॑ । ग्नििः॒पदािः॑ गायिः॒िी ॥ उमा

महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः गायिी दीपं दिियाशम दीपानन्त्ं
आचमशनयम् समपि याशम पु ष्पैशह पू जयाशम ॥
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एक हारशि दीपं Eka hArathy dEpam (simple deepam with 1 wick)

ब्रािः॒ह्मिः॒णो᳚ऽस्यिः॒ मयखिः॑मासीत् । बािः॒रॆ रािः॑ जिः॒न्यिः॑ ः कृिः॒तः । ऊिः॒रू तदिः॑ स्यिः॒ यवै यिः॑ः । पिः॒द्भ्याꣳ शू द्रो
िः॒ अिः॑जायत।
आद्रां यः कररणीं यग्नष्टं सयवणां हे ममाग्नलनीम् ।सूयां ग्नहरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥
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उद्दी᳚प्यस्व जातवेदोऽपिः॒घ्नग्नन्नरृिः॑ ग्नतंिः॒ ममिः॑ । पिः॒शूꣳश्िः॒ मह्यिः॒माविः॑हिः॒ जीविः॑नं चिः॒ ग्नदशोिः॑ ग्नदश । मािः॑ नो

ग्नहꣳसीज्जातवेदोिः॒ गामश्वंिः॒ पयरुिः॑िंिः॒ जगिः॑त् । अग्नबिः॑भ्रिः॒दििः॒ आगिः॑ग्नह ग्नश्रिः॒या मािः॒ पररिः॑ पातय ॥
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दीपं ग्नह परमं शम्भो घृत प्रज्वग्नलतं मया । दत्तं गृहाण दे वेश मम ज्ञानप्रद भव ॥ॐ नमः ग्नशवाय । दीपं

दशर याग्नम ॥
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साज्यं शिवशति संयुिं वशिना योशजतुं मया | गृहाण मङ्गलं दीपं िैलोक्य शतशमरापहम् ||

भक्त्या दीपं प्रयश्चाशम दे वाय परमात्मने |िाशह मां नरकात् घोरात् दीपं ज्योशतर् नमोस्तुते ||

(Variation: दीपं गृहाण दे वेि िैलोक्य शतशमरापहम्.॥) दीपं गृहाण दे वेिवशतििय समक्तन्रतम्

अन्धकारे नमस्तुब्यं अज्ञानं शवशनवतिय । ॐ श्री बलप्रमथनाय नमः । उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री

साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः एक हारशि दीपं दिु याशम दीपानन्त्ं आचमशनयम् समपुयाशम

पुष्ैशह पूजयाशम
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नक्षि हारशि दीपं (अलङ्कार दीपं ) Nakshatra hArathy dEpam (this is 3 or 5 tier or 7 tier alankara deepam)

ॐ सिः॒हस्रिः॑शीिार िः॒ पयरुिः॑िः । सिः॒हिः॒स्रािः॒क्षः सिः॒हस्रिः॑पात् ।स भूग्नमं िः॑ ग्नविः॒श्वतोिः॑ वृिा


िः॒ । अत्यिः॑ग्नतष्ठद्दशाङ्गयलम्
िः॒
ॐ ॥ ग्नहरण्वणां हररणीं सयवणर रजतस्रजाम् ।चन्द्रां ग्नहरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

भूररत्यिः॒िौ प्रग्नतिः॑ग्नतष्ठग्नत । भयविः॒ इग्नतिः॑ वािः॒यौ । सयविः॒ररत्यािः॑ ग्नदिः॒त्ये । महिः॒ इग्नतिः॒ ब्रह्मिः॑ ग्नण । आिः॒ प्नोग्नतिः॒ स्वारािः॑ ज्यम् ।
आिः॒ प्नोग्नतिः॒ मनसिः॒स्पग्नतिः॑'म् । वाक्पिः॑ग्नतिः॒श्क्षयिः॑ष्पग्नतः । श्रोििः॑पग्नत - ग्नवरिः॒ज्ञानिः॑पग्नतः । एिः॒तत्ततोिः॑ भवग्नत । आिः॒ कािः॒श -

शिः॑ रीरं िः॒ ब्रह्मिः॑ । सिः॒त्यात्मिः॑ - प्रािः॒णारामंिः॒ मनिः॑ आनन्दम्। शान्िः॑ समृद्ध -मिः॒मृतम्िः॑' ॥ इग्नत प्राचीनयोिः॒ग्योपािः॑ 'स्व ॥

उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः नक्षि हारशत दीपं दिियाशम
दीपानन्त्ं आचमशनयम् समपियाशम पु ष्पैशह पू जयाशम ॥
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पूणरकयम्भ दीपः (pUrna kumba dEpa arAdhanA)


वैराग्य-तै लसम्पूणे भनक्तवग्नतर-समनन्रते । प्रबोधपूणर-पािे तय ज्ञनप्त-दीपं ग्नवलोकयेत् ॥

पूणरिः॒मदःिः॒ पूणरिः॒ग्नमदंिः॒ पूणार त


िः॒ ् पूणरिः॒ मयदिः॒च्यते । पूणरिः॒स्य पूणरिः॒मादािः॒य पूणरिः॒मेवावग्नशिः॒ष्यते ॥ उमा महेश्वराय नमः

ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः पूणरकयम्भ दीपं प्रदशर याग्नम दीपानन्त्ं आचमशनयम्

समपुयाशम पुष्ैशह पूजयाशम ॥


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नैवेद्यं NaivEdhyam

चिः॒न्द्रमािः॒ मनिः॑सो जािः॒तः । चक्षोः िः॒ सूयग िः॑ अजायत । मयखािः॒ग्नदन्द्रिः॑श्ािः॒ग्निश्िः॑ । प्रािः॒णावािः॒ययरिः॑जायत ।

आद्रां यः कररणीं यग्नष्टं ग्नपङ्गलां पद्ममाग्नलनीम् । चन्द्रां ग्नहरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥
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ॐ सदाग्नशवाय ग्नवद्महे महादे वाय धीमग्नह । तन्नो शं कर प्रचोदयात् ॥ॐ नमः ग्नशवाय ॥


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भोः ! स्वाग्नमन् भोजनाथं आगश्ाग्नद ग्नवज्ञाप्य (request Lord to come for dinner)
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ॐ भूभयरविः॒स्सयविः॑ः तत्सग्नविः॒तयवररे᳚ण्ंिः॒ भगग िः॑ देिः॒ वस्यिः॑ धीमग्नह ग्नधयोिः॒ यो नःिः॑ प्रचोिः॒दया᳚त् ॥ दे व सशवतः प्रसुव । सिः॒त्यं

ििः॒तेनिः॒ पररिः॑ ग्निञ्चािः॒ग्नम ॥

अिः॒मृतोिः॒
िः॒ पिः॒स्तरिः॑ णमग्नस ॥ ॐ प्रािः॒णायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ अिः॒पािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ व्यािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ ।
ॐ उिः॒ दािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ सिः॒मािः॒नायिः॒ स्वाहा᳚ । ॐ ब्रह्मिः॑ णे स्वािः॒हा ॥

शाल्यन्नं पायसं क्षीरं लड् ढयकान् मोदकानग्नप फलाशन च। शनवेद्यं संगृहानेि शनत्य तृि नमोस्तुते
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सौवणे स्थाग्नलवैये मग्नणगणकग्नचते गोघृतां सयपक्ां भक्ष्यां भोज्यां च ले ह्यानग्नप


सकलमहं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकै रूपेतं समधय दग्नध घृतं क्षीर पाणीय ययक्तं ताम्बूलं च अग्नप ग्नशवं

प्रग्नतग्नदवसमहं मनसे ग्नच्याग्नम ॥

अद्य ग्नतष्ठग्नत यनत्कग्नञ्चत् कनल्पतश्ापरं गृहे पक्ान्नं च पानीयं यथोपस्कर संययतं

यथाकालं मनयष्याथे मोक्ष्यमानं शरीररग्नभः तत्सवं ग्नशवपूजास्तय प्रयतां मे महे श्वर

सयधारसं सयग्नवफयलं आपोिणग्नमदं तव गृहाण कलशानीतं यथे ष्टमयप भयज्ज्यताम् ॥


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नै वेद्यं गृह्यतां दे व भक्तिं मे ह्यचलां कुरु । शिवेक्तितं वरं दे शह परि च परां गशतम्.ह् ॥

श्री सदाग्नशवं नमस्तयभ्यं महा नैवेद्यं उत्तमम् । संगृहाण सयरश्रेष्ठ भनक्त मयनक्त प्रदायकम् ॥
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ब्रह्मापरणं ब्रह्महग्नवब्ररह्मािौ ब्रह्मणा रॅतम् ।ब्रह्मै व ते न ग्व्यं ब्रह्मकमरसमाग्नधना ॥


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उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । महा नैवेद्यं समपरयाग्नम मध्ये मध्ये

अिः॒मृतािः॒
िः॒ ग्नपिः॒धािः॒नमिः॑ग्नस । ॐ नमः ग्नशवाय । उत्तरापोशनं समपरयाग्नम । नैवेद्यानन्तरं आचमनीयं समपियाशम
अमृता शपधा नमशस हस्तप्रक्षाळनं समपरयाग्नम । पादप्रक्षाळनं समपरयाग्नम ।

आचमनीयमाचम्नीयं समपरयाग्नम । पुष्पैशह पूजयाशम ॥


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महा फलं (put tulsi/axata on fruits)

इदं फलं मयादे व स्थाशपतं पुरतस्तव | तेन मे सफलावाक्तिभिवेत् जन्मशन जन्मशन ||

उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः ।महाफलं समपियाशम |
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फलाष्टक (put tulsi/axata on fruits)

कूष्मान्ड मातुशलङ्गं च ककिठी दाशडमी फलम् | रम्बा फलं जम्बीरं बदरं तथा ||

उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । फलाष्टकं समपियाशम ||
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करोद्विुनम्

करोद्ऱतिनकं दे वमया दत्तं शह भक्तितः | चारु चंद्र प्रभां शदव्ं गृहाण जगदीश्वर ||

उमा महे श्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । करोद्ऱतिनाथे चंदनं समपियाशम ||
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िाम्बूलं ThAmbUlam

नाभ्यािः॑ आसीदिः॒ ्ररिः॑ क्षम् । शीिः॒ष्णग द्यौः समिः॑वतर त । पिः॒द्भ्यां भूग्नमिः॒ग्नदरशिः॒ ः श्रोिा᳚त् ।तथािः॑ लोिः॒काꣳ

अिः॑कल्पयन्।

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगाग्नमनीम्। यस्यां ग्नहरण्ं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वानन्रन्दे यं पयरुिानहम्

पूगीफल समायुक्तं नागविी दलैयुिम् कपूुर चूणु संयुक्तं िाम्बूलं प्रशिगृह्यिां

उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । कपूुर िाम्बूलं समपरयाग्नम ॥
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कपूु र हारशि दीपं (नीराजनं) [nErAjanam (KarpUra hArathy)]

वेदािः॒हमेिः॒तं पयरुिः॑िं मिः॒हा्म् ᳚ । आिः॒ ग्नदिः॒त्यविः॑णंिः॒ तमिः॑सस्तय िः॒ पािः॒रे ।

सवार ग्निः॑ ण रू
िः॒ पाग्नणिः॑ ग्नविः॒ग्नचत्यिः॒ धीरःिः॑ ।नामािः॑ ग्नन कृिः॒िाऽग्नभिः॒वदिः॒ न् यदास्ते᳚ ।

यः शय ग्नचः प्रयतो भूिा जय रॅयादाज्य मन्रहम् ।ग्नश्रयः पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥

पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे ।िं मां भजस्व पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥
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सोमोिः॒ वा एिः॒तस्यिः॑ रािः॒ज्यमादिः॑ त्ते । यो राजािः॒ सन् राज्यो वािः॒ सोमेन


िः॑ िः॒ यजिः॑ ते । देिः॒ विः॒सयवामे
िः॒ िः॒ताग्ननिः॑ हिः॒वीꣳगंग्नििः॑
भवन् । एिः॒ताविः्॑ोिः॒ वै देिः॒ वानाꣳ गं सिः॒वाः । त एिः॒वास्मै िः॑ सिः॒वान् प्रयिः॑च्न् । त एिः॑ नंिः॒ पयनिः॑स्सयव्े रािः॒ज्यायिः॑ ।

देिः॒ विः॒सू राजािः॑ भवग्नत ॥


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साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेग्नष्ठकं राज्यं महाराज्यमाग्नधपत्यम् ॥

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चक्षुतं सविलोकानां शतशमरस्य शनवारणम्.ह् । आशदि ग्यं कक्तल्पतं भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
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अचरत प्राचरत ग्नप्रय मे दासो अचरत । अचर्य पयि का वतपयरन्न धृष्ण वचरत ॥

कपूररकं महाराज रम्भोद् भूतं च दीपकम् । मङ्गलाथं महीपाल सङ्गृहाण जगत्पते ॥


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न ति सूयग भाग्नत न चिः॑न्द्रतािः॒रिः॒कंिः॒ नेमा ग्नवद् ययतो भान् कयतोिः॑ऽयमिः॒ग्निः । तमेव भा्मनयभािः॑ ग्नत सिः॒वंिः॒ तस्य

भासा सवरग्नमदं िः॑ ।। उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । कपूुर नीराजन

दीपं दिुयाशम । नीरजानन्त्ं आचमशनयम् समपुयाशम । पु ष्ैशह पूजयाशम ॥


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चक्षयदां सवरलोकानां ग्नतग्नमरस्य ग्ननवारणम् । अग्नथरक्यं कनल्पतं भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥

श्रीयै जातः ग्नश्रय अग्ननररयाय ग्नश्रयं वयो जररिभ्यो ददाग्नत ग्नश्रयं वसाना अमृतत्त्व मायन् भवंग्नत सत्या

सग्नमधा ग्नमतद्रौ

ग्नश्रय येवैनं तत् ग्नश्रया मादधाग्नत संतत मृचा विट् कृत्यं संततं संधीयते प्रजया पशय ग्नभः ययेवं वेद ॥

ॐ नमः ग्नशवाय । महानीराजनं दीपं समपरयाग्नम ॥


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षोडि उपचार पू जा

धािः॒ता पयरस्तािः॒
िः॒ द्यमयिः॑दाजिः॒ हारिः॑ । शिः॒ रेः प्रग्नविः॒वान्प्रिः॒ग्नदशिः॒ श्तिः॑ स्रः । तमेिः॒वं ग्नविः॒वानिः॒मृतिः॑ इिः॒ह भिः॑वग्नत । नान्यः पन्ािः॒

अयिः॑नाय ग्नवद्यते ।

गन्धवारां दय राधिां ग्ननत्यपयष्टां करीग्निणीम् । ईश्वरीꣳ सवरभूतानां ताग्नमहोपह्वये ग्नश्रयम् ॥


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ॐ चन्द्रशे खराय नमः । छिं समपरयाग्नम । ॐ व्योमकेशाय नमः । चामरं समपरयाग्नम ।

ॐ ग्नवश्वात्मने नमः । गीतं समपरयाग्नम । ॐ सोममूतरये नमः । नृत्यं समपरयाग्नम ।

ॐ ग्नवश्वमूतरये नमः । वाद्यं समपरयाग्नम । ॐ गम्भीरनादाय नमः । दपरणं समपरयाग्नम ।

ॐ मृगपाणये नमः । व्यञ्जनं समपरयाग्नम । ॐ भयजंगनाथाय नमः । आन्दोलनं समपरयाग्नम ।

ॐ ग्निकालाग्निनेिाय नमः । राजोपचारान् समपरयाग्नम । अश्वमारोपयाग्नम ।

गजमारोपयाग्नम - रथमारोपयाग्नम ध्रजारोहणं समपरयाग्नम ॥


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ॐ सवरव्याग्नपने नमः । उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । समस्त मन्त्र

उपचार, िल्लि उपचार, राज उपचार, दे व उपचार, भल्लक्त उपचाराञ्च पूजां समपरयाग्नम ॥
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हारशि HArathy
Typically ladies can sing a traditional harathy song
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मन्त् पुष्ं Manthrapushpam

यिः॒ज्ञेनिः॑ यिः॒ज्ञमिः॑यज् देिः॒ वाः ।ताग्ननिः॒ धमार ग्निः॑ ण प्रथिः॒ मान्यािः॑ सन्।

ते हिः॒ नाकंिः॑ मग्नहिः॒मानःिः॑ सच्े । यििः॒ पूवेिः॑ सािः॒ध्याः सन्िः॑ देिः॒ वाः ।

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जय ितां दे ग्नव सवरकामां श् दे ग्नह मे ॥

पद्मानने पद्म शवमद्मपिे पद्मग्नप्रये पद्मदलायताग्नक्ष ।

ग्नवश्वग्नप्रये ग्नवष्णय मनोऽनयकूले ित्पादपद्मं मग्नय सग्नन्नधव।

पयिपौि धनं धान्यं हस्त्यश्वाग्नदगवे रथम् ।

प्रजानां भवग्नस माता आययष्म्ं करोतय माम् ॥

ॐ महादे व्यै च ग्नवद्महे ग्नवष्णय पत्नी च धीमग्नह । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥

श्रीवचरस्यमाययष्यमारोग्यमाग्नवधात् पवमानं महीयते ।

धनं धान्यं पशयं बरॅपयिलाभं शतसंवत्सरं दीघरमाययः ॥

योिः॑ऽपां पयष्पंिः॒ वेदिः॑। पयष्पिः॑वान् प्रिः॒जावा᳚न् पशय मान्


िः॒ भिः॑ वग्नत । चिः॒ न्द्रमािः॒ वा अिः॒ पां पयष्पम्᳚। पयष्पिः॑वान्
प्रिः॒जावा᳚न् पशय मान्
िः॒ भिः॑ वग्नत । य एिः॒वं वेदिः॑ । योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑नवान् भवग्नत ।
अिः॒ग्निवार अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। यो᳚ऽिेरािः॒यतनंिः॒ वेदिः॑ ॥ ॥

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। आपोिः॒ वा अिः॒िेरािः॒यतिः॑ नम् । आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। य एिः॒वं वेदिः॑। योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑।

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। वािः॒ययवार अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। वािः॒योरािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑ नवान्

भवग्नत ॥

आपोिः॒ वै वािः॒योरािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत ।य एिः॒वं वेदिः॑ । योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑ । आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत।

अिः॒सौ वै तपिः॑न्निः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। योिः॑ऽमयष्यिः॒ तपिः॑त आिः॒ यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत।

आपोिः॒ वा अिः॒मयष्यिः॒ तपिः॑त आिः॒ यतिः॑ नम् ॥


आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। य एिः॒वं वेदिः॑। योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। चिः॒न्द्रमािः॒ वा अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम् ।

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत । यश्िः॒न्द्रमिः॑स आिः॒ यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑ । आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत । आपोिः॒ वै चिः॒न्द्रमिः॑स आिः॒ यतिः॑ नम्।

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत ॥

य एिः॒वं वेदिः॑। योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। नक्षिः॑िाग्नणिः॒ वा अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान्

भवग्नत। यो नक्षिः॑िाणामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। आपोिः॒ वै नक्षिः॑िाणामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान्

भवग्नत। य एिः॒वं वेदिः॑ ॥

योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेद ॑िः॑ । आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत पिः॒जरन्योिः॒ वा अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत । यः

पिः॒जरन्यिः॑स्यािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑ । आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत ।आपोिः॒ वै पिः॒जरन्यिः॑स्यािः॒ऽऽयतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत ।

य एिः॒वं वेदिः॑ । योिः॑ऽपामािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑ ॥

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। संिः॒विः॒त्सिः॒रो वा अिः॒पामािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। यस्सं िः॑वत्सिः॒ रस्यािः॒यतिः॑ नंिः॒ वेदिः॑।

आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। आपोिः॒ वै सं िः॑वत्सिः॒ रस्यािः॒यतिः॑ नम्। आिः॒ यतिः॑ नवान् भवग्नत। य एिः॒वं वेदिः॑। यो᳚ऽप्य नावंिः॒

प्रग्नतिः॑ग्नष्ठतां िः॒ वेदिः॑। प्रत्येिः॒व ग्नतिः॑ष्ठग्नत ॥ ८४ ॥

रािः॒जािः॒ग्नधिः॒रािः॒जायिः॑ प्रसह्यसािः॒ग्नहने ᳚ । नमोिः॑ विः॒यं वै᳚श्रविः॒णायिः॑ कयमरहे । स मेिः॒ कामािः॒न् कामिः॒कामािः॑ यिः॒ मह्य᳚म् ।

कािः॒मेिः॒श्विः॒रो वै᳚श्रवणो दिः॑ दातय । कयिः॒बेिः॒रायिः॑ वैश्रवणायिः॑ । मिः॒हािः॒रािः॒जायिः॒ नमःिः॑ ॥

ॐ तत् ब्रह्म । ॐ तत् वायुरॅ । ॐ तत् आत्मा । ॐ तत् सत्यं । ॐ तत् सवं । ॐ तत् पुरोनिमह ।

अन्तस चरशत भूतेषु गुहायां शवश्व मुशतिसु ।त्वं यज्ञस्त्वं वषट् कारस्त्वं इन्द्स्त्वगं रुद्रस्त्वं शवष्णुस्त्वं ब्रह्मत्वं

प्रजापशतः । त्वं तदाप आपो ज्योती रसोऽम्र्तं ब्रह्म भूभुिवस्सुवः ॐ

न कमरणा न प्रिः॒जयािः॒ धनेन


िः॑ िः॒ त्यागेन
िः॑ ैके अमृतिः॒िमिः॑अनिः॒शयः । परे िः॑ण नाकंिः॒ ग्ननग्नहिः॑तंिः॒ गयहािः॑ यां ग्नविः॒भ्राजिः॑ देिः॒ यद्यतिः॑ यो

ग्नविः॒शन्िः॑ । वेिः॒दािः्॒िः॒ग्नविः॒ज्ञानिः॒ सयग्ननिः॑ग्नश्तािः॒थार ः संन्यािः॑ स योिः॒गाद्यतिः॑ यः शय द्धिः॒सत्त्वािः॑ '॑ः । ते ब्रिः॑ह्मलोिः॒के तय िः॒ परािः॑ ्कालेिः॒

परािः॑ मृतािः॒त् पररिः॑ मयच्यन्िः॒ सवेिः॑ ' । दिः॒ ह्रंिः॒ ग्नविः॒पािः॒पं पिः॒रमे'िः॑ िभूतंिः॒ यत्पयिः॑ण्डरीिः॒कं पयरमिः॑
िः॒ ध्यसिः॒ꣳस्थम् । तिः॒ िािः॒ग्नपिः॒ दिः॒ ह्रं
गिः॒गनं िः॑ ग्नवशोकंिः॒ तनस्मिः॑न् यदिः॒ ्स्तदय पािः॑ ग्नसतिः॒ व्यम् । यो वेदादौ स्विः॑रः प्रोिः॒क्तोिः॒ वेिः॒दा्े िः॑ च प्रिः॒ग्नतग्नष्ठिः॑तः । तस्यिः॑

प्रिः॒कृग्नतिः॑लीनिः॒स्यिः॒ यःिः॒ परःिः॑ स महेिः॒ श्वरःिः॑ ॥


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ग्नवद्या बयनद्ध धनैश्वयर पयि पौिाग्नद सम्पदः । पयष्पां जग्नल प्रदानेन दे ग्नहमे ईनप्तं वरम् ॥
नमोऽस्त्ऱनंताय सहस्र मूतरये सहस्र पादाग्नक्ष ग्नशरोरु बाहवे । सहस्रनाम्ने पयरुिाय शाश्वते सहस्र कोटी

ययगधाररणे नमः ॥

ॐ नमो महद्भ्यो नमो अभरकेभ्यो नमो ययवभ्यो नमो आसीनेभ्यः । यजां दे वान्य ग्नदशरेवा ममा जायसः

शं समावृग्नक्षदे व ॥

ॐ ममत्तयनः पररज्ञावसरः ममत्तय वातो अपां व्रशन्रान् ।ग्नशशीतग्नमन्द्रा पवरता ययवन्नस्थन्नो ग्नवश्वेवररवस्य्य

दे वाः ॥

ॐ कथात अिे शय चीयंत अयोदर दाशय वार जे ग्नभराशय शानः ।उभेयत्तोकेतनये दधाना ऋतस्य सामनृणयंत

दे वाः ॥
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ॐ स्वनस्त साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठां राज्यं महाराज्यमाग्नधपत्यमयं समंत

पयार ग्नयस्यात् सावर भोंअः सावार ययशः अंतादा पराधार त् पृग्नथव्यै समयद्र पयर्ाय एकराग्नलग्नत तदप्येश

श्लोकोग्नभगीतो मरूतः पररवेष्टारो मरुतस्या वसन्त्र्गृहे आवीग्नक्षतस्य कामप्रेग्नवरश्वेदेवा सभासद इग्नत ॥

श्री साम्बसदाग्नशवाय नमः । मंिपयष्पं समपरयाग्नम ॥


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पुष्ाञ्जशलं प्रदास्याशम गृहाण करुणाशनदे । नीलकण्ठ शवरूपाक्ष वामादु शगररज प्रभो ॥

उमा महेश्वराय नमः । पुष्ाञ्जशलं समपुयाशम । मन्त्पुष्ं स्वणुपुष्ं समपुयाशम ॥

उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । मन्त् पुष्ं समपुयाशम ॥
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प्रदशक्षणं Pradakshinam

नाभ्यािः॑ आसीदिः॒ ्ररिः॑ क्षम् । शीिः॒ष्णग द्यौः समिः॑वतर त ।पिः॒द्भ्यां भूग्नमिः॒ग्नदरशिः॒ ः श्रोिा᳚त् ।

तथािः॑ लोिः॒काꣳग्ंअिः॑कल्पयन्।

आिः॒ द्रां यःिः॒ कररिः॑ णीं यिः॒ग्नष्टिः॒ं ग्नपिः॒ङ्गिः॒लां पिः॑द्ममािः॒ग्नलनीम् । चिः॒न्द्रां ग्नहिः॒रण्मिः॑यीं लिः॒ क्ष्मीं जातिः॑ वेदो मिः॒ आविः॑ह ॥
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प्रदग्नक्षण ग्नियं दे व प्रयत्नेन मया कृतम् । ते न पापाग्नण सवार ग्नण ग्नवनाशाय नमोऽस्तयते ॥
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याग्नन काग्नन च पापाग्नन जन्मा्र कृताग्नन च ।ताग्नन ताग्नन ग्नवनयन् प्रदग्नक्षणे पदे पदे ॥
पदे पदे या पररपूजकेभ्यः सद्यो ऽश्वमेधाशद (ऽश्वमेध + आिः॒ शद फल ददाशत)। तां सवि पाप क्षय हे तुभूतां

प्रदशक्षणां ते पररतः करोशम॥


Meaning:(O Bhaghavaan, Please accept this Pradakshina Whichever Sins have been committed
in various Births, .. All those gets destroyed with every Step of the Pradakshina . : Every Step
(of the Pradakshina performed) every day, offers worship , gives the Fruits of Ashwamedha m
and other Yagya and becomes the cause of the destruction of all her Sins, ... I do the
Pradakshina (Circumambulation) all around You (with the same attitude).
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उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । प्रदशक्षणान् समपुयाशम ॥
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नमस्कारं NamaskAram

यिः॒ज्ञेनिः॑ यिः॒ज्ञमिः॑यज् देिः॒ वाः ।ताग्ननिः॒ धमार ग्निः॑ ण प्रथिः॒ मान्यािः॑ सन्।

ते हिः॒ नाकंिः॑ मग्नहिः॒मानःिः॑ सच्े । यििः॒ पूवेिः॑ सािः॒ध्याः सन्िः॑ देिः॒ वाः ।

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगाग्नमनीम् ।

यस्यां ग्नहरण्ं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वानन्रन्दे यं पयरुिानहम् ॥


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महादे व नमस्तेस्तु मन्मथारे नमोSस्तु ते। अम्रुतेि नमस्तुभ्यम् आशश्रताथि प्रदाशयने।। नमस्कारान्

समपियाशम
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नमस्ते सवरलोकेश नमस्ते जगदीश्वर । नमस्तेऽस्तय पर ब्रह्म नमस्ते परमेश्वर ॥

हे तवे जगतावेव संसाराणर व सेतवे ।प्रभवे सवरग्नवद्यानां शम्भवे गयरुवे नमः ॥

नमो नमो शम्भो नमो नमो जगत्पते । नमो नमो जगत्साग्नक्षण् नमो नमो ग्ननरञ्जन ॥

नमोऽस्तयते शू लपाणे नमोऽस्तय वृिभध्रज । जीमूतवाहन करे सवर यम्बक शं कर ॥

महे श्वर हरे शान सयवनाक्ष वृिाकपे । दक्ष यज्ञ क्षयकर काल रुद्र नमोऽस्तयते ॥

िमाग्नदरस्यजगत् िं मध्यं परमेश्वर । भवानंतश् भगवन् सवरगस्त्ऱयं नमोऽस्तयते ॥


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पूवे शवार य कीग्नतरमूतरये नमः । ईशान्यां भवाय जलमूतरये नमः ।

उत्तरे रुद्राय अग्निमूतरये नमः । वाययव्यां उर्ग्ाय वाययमूतरये नमः ।


पग्नश्मे भीमाय आकाशमूतरये नमः । नैरृत्यां पशय पतये यजमान मदर ये नमः ।

दग्नक्षणे महादे वाय सोममूतरये नमः । आिेयां ईशानाय सूयरमूतरये नमः ॥


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अन्यथा शरणं नानस्त िमेव शरणं मम । तस्मात्कारुण्भावेन रक्ष रक्ष गयहेश्वर ॥

उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः |नमस्कारान् समपरयाग्नम ॥
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नमः सवि शहताथाि य जगदाधार हे तवे | साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयिेन मया कृतः ||

ऊरुसा शिरसा दृष्ट्वा मनसा वाचसा तथा | पद्भ्ां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोष्टाङ्गं उच्यते ||

िाट्येनाशप नमस्कारान् कुवितः िाङ्गि पाणये | ित जन्माशचितं पापं तत्क्षणतेव नश्यशत ||


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नमस्तेऽस्तय भगवनन्रश्वे श्वराय महादे वाय यम्बकाय ग्निपय रा्काय ग्निकाग्निकालाय कालाग्निरुद्राय
नीलकण्ठाय मृत्ययञ्जयाय सवेश्वराय सदाग्नशवाय श्रीमन्महादे वाय नमः

उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । नमस्कारान् समपुयाशम ||
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प्राथुना (prarthana)

नमोव्यक्ताय सूक्ष्माय नमस्ते ग्निपयरा्क । पूजां गृहाण दे वेश यथाशक्त्ययपपाग्नदताम् ॥

ग्नकं न जानाग्नस दे वेश ियी भनक्तं प्रयश् मे । स्वपादार्ग्तले दे व दास्यं दे ग्नह जगत्पते ॥

बद्धोहं ग्नवग्नवद्धै पाशै संसारुभयबंधनै । पग्नततं मोहजाले मं िं समयध्दधर शं कर ॥

प्रसन्नो भव मे श्रीमन् सद्गग्नतः प्रग्नतपाद्यताम् । िदालोकन मािेण पग्नविोऽनस्मन संशयः ॥

िदन्य शरण्ः प्रपन्न्स्स्य नेग्नत । प्रसीद स्मरन्नेव हन्न्यास्तय दै न्यम् ॥

नचेत्ते भवे्नक्त वात्सल्य हाग्नन । स्ततो मे दयालो दयां सग्नन्नदे ग्नह ॥

सकारणमशे िस्य जगतः सवरदा ग्नशवः । गो ब्राह्मण नृपाणां च ग्नशवं भवतय मे सदा ॥
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पयिान् दे ग्नह यशो दे ग्नह ग्नवद्यां दे ग्नह संपदं दे ग्नह िाश्वतीं । त्वयी भक्तिं च मे दे ग्नह । परिच पराङ्गग्नतं

अनेकजन्मसम्प्राप्त कमरबन्धग्नवदाग्नहने । आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्रीगयरवे नमः ॥

ज्ञानं दे ग्नह यशो दे ग्नह ग्नववेकं बयनद्धमेव च । वैराग्यं च ग्नशवां ग्नवद्यां ग्ननमरलां भनक्तमन्रहम् ॥
उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः । इशि प्राथुना ॥
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छि चामर नृत्त गीत वाद्य समस्त राजोपचारान समपि याशम।।


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अर्घ्ु प्रदानं Argya pradhAnam


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िुिाम्बरधरं शवि्ः णुं िशिवणं चतुभुिजं । प्रसन्न वदनं द्यायेत् सविशवनोपिान्तये ॥ ममोपात्त समस्त

दु ररत क्षयद्ऱार श्री परमेश्वर प्रीत्यत्तं । अद्य पूवगक्त ग्नवशे िण ग्नवग्नशष्टायां अस्यां शय भग्नतथौ श्री साम्ब

परमेश्वर प्रसादग्नसद्ध्यथं , मया चररत शिवराशि पूजा्े क्षीरार्घ्रप्रदानं उपायनदानं च कररष्ये ᳚ । श्री

साम्बसदाग्नशव प्रेरणया श्री साम्बसदाग्नशव प्रीत्यथं ग्नशवराग्नि व्रत सम्पूणर फल प्राप्यथं च साम्बपरमेश्वर

पूजान्ते क्षीरार्घ्ि प्रदानं कररष्ये इशत संकल्प्य ।


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नमो शवश्वस्वरूपाय शवश्वसृष्ट्याशद कारक । गङ्गाधर नमस्तुभ्यं गृहाणार्घ्ं मयाशपितम्.ह् ॥

उमा महे श्वराय नमः । इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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नमः शिवाय सविपापहरायच । शिवरािौ मया दत्तम् गृहाणार्घ्ं प्रसीत मे ॥ ॐ उमा महे श्वराय नमः ।

ॐ श्री साम्ब परमेश्वर इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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धमरस्त्ऱं वृि रूपेण जगदानन्दकारक ।अष्टमूतैरग्नधष्ठानं अथः पाग्नह सनातन । श्री वृिभाय नमः ।

वृिभाय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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नमशिवाय साम्बाय सविपापहराय च। शिवरािौ मया दत्तम् इदमर्घ्िम् गृहाण भो।। मया

कृतान्यिेषाशण पापाशन नुद िम्कर। शिवरािौ मया ॐ श्री साम्बशिवाय नमः इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं

इदमर्घ्ं ॥
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दु ः ख दाररद्र पापैश्च दग्तोहं पावितीपते । मां त्वं पाशह ,अहाभाहो गृहणार्घ्ं नमोस्तु ते ॥ ॐ उमा

महे श्वराय नमः । ॐ श्री साम्ब परमेश्वर इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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शिवाय शिवरूपाय भिानां शिवदायक । इदमर्घ्ं प्रदास्याशम प्रसन्नो भव सविता ॥ॐ उमा

महे श्वराय नमः । ॐ श्री साम्ब परमेश्वर इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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आकािशदक् िरीराय ग्रहनक्षि माशलने । सुर शसन्धु शनवासाय दत्तमर्घ्िम् मया शिव।। ॐ श्री

साम्बशिवाय नमः इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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लाश ग्ननलय शम्भो पावरती ग्नप्रय वल्रभ । िैलोक्यतमग्नवध्रंग्नसन् गृहाणर्घ्ं सदाग्नशव ॥

श्री ग्नशवाय नमः । सदाग्नशवाय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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कालरुद्र ग्नशव शम्भो कालात्मन् ग्निपयरां तक ।दय ररति सयरश्रेष्ठ गृहाणर्घ्ं सदाग्नशव ॥

श्री ग्नशवाय नमः ।सदाग्नशवाय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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व्ोमकेि नमस्तु भ्यं सोमात्मन् व्ोमरूशपणे। नक्षि माशलने दे व गृहाणार्घ्िम् इदं प्रभो।।

(Variation) नक्षिरुग्नपणे तय भ्यं ददाम्यर्घ्ं नमोऽस्तयते) ॐ उमा महे श्वराय नमः । ॐ श्री साम्बशिवाय

तारकग्नलंगाय इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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अक्तम्बकायै नमतुभ्यं नमस्ते दे शव पाविशत। गृहाणार्घ्िम् मया दत्तम् सुप्रीतो वरदा भव ।। अक्तम्बकायै

नमः ।। पावित्यै नमः । इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥

उमादे वी ग्नशवाधार ङ्गी जगन्मातृ गयणानत्मके । िाग्नह मां दे ग्नव सवेग्नि गृहाणार्घ्ं नमोऽस्तयते ॥

श्री पावरत्यै नमः । पावरत्यै इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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श्री गयणात्मन् ग्निलोकेशः ब्रह्मा ग्नवष्णय ग्नशवात्मक । अर्घ्ं चेदं मया दत्तं गृहाण गणनायक। ॥

श्री गणपतये नमः । गणपतये इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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सुब्रह्मण्य महाभाग काशतिकेय सुरोत्तम । गृहाणार्घ्िम् इदं दत्तम् सुप्रीतो वरदो भव।। सुब्रह्मण्याय

नमः ।। इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥

सेनाग्नधप सयरश्रेष्ठ पावरती ग्नप्रयनन्दन ।गृहाणर्घ्ं मया दत्तं नमस्ते ग्नशनखवाहन ।

श्री स्कन्दाय नमः । स्कन्दाय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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नक्तन्दकेि महाभाग शिवध्ान परायण। गृहाणार्घ्िम् इदं दत्तम् नक्तन्दकेि नमोस्तुते।। नक्तन्दकेिाय

नमः ।। इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥


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वीरभद्र महावीर ग्नवश्व ज्ञान वर प्रद । इदमर्घ्ं प्रदास्याग्नम संर्ग्हाण ग्नशवग्नप्रय ॥

श्री वीरभद्राय नमः । वीरभद्राय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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चक्तददकेिाय नमः । इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं इदमर्घ्ं ॥

चण्डीश्वर महादे व िाग्नह माम् कृपयाकार । इदमर्घ्ं प्रदास्याग्नम प्रसन्ना वरदा भव ।

श्री चण्डीश्वराय नमः । चण्डीश्वराय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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आकाशाद्याशरीराग्नण गृहनक्षिमालै ग्नन । सवर ग्नसनद्ध ग्ननवासातं ददामर्घ्ं सदाग्नशव ॥

श्री ग्नशवाय नमः । सदाग्नशवाय इदमर्घ्ं दत्तं न मम ॥


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अनेन अर्घ्ि प्रदानेन भगवान् सविदेवात्मकः सपररवारः साम्बशिव प्रीयताम्।।

अन्ये न मया कृते न यथाज्ञेन यथाशक्त्या यथाग्नमग्नलतोपचार द्रव्यैः पूजन, ग्नशवराग्नि व्रतां गिेन

अर्घ्रप्रदानेन च भगवान् श्री सदाग्नशव प्रीयताम् । सवार त्मकः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमने नमः

उमा महेश्वराय नमः सयप्रीतः सयप्रसन्नो वरदो भवतय ॥ ॐ तत्सत् श्री सदाग्नशवापरणमस्तय ॥
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स्तुशि Sthuthi Paryer


Some people can sing some songs on Lord Gurunatha:

वन्दे िम्भुमुमापशतं सुरगुरुं वन्दे जगिारणम्. वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पिूणाम् पशतम्. ।

वन्दे सूयि ििां कवशि नयनं वन्दे मुकुन्द शप्रयम्. वन्दे भि जनाश्रयञ्च वरदं वन्दे शिवं िङ्करम्. ॥

नमः शिवाभ्यां नव यौवनाभ्यां परस्पराक्तिष्ट वपुर् धराभ्याम्.ह् । नगेन्द् कन्या वृष केतनाभ्यां नमो

नमः िङ्कर पावितीभ्याम्.ह ॥

ग्नशवराग्नि व्रते श्री सदाग्नशव पूजाराधनेन भगवान् श्री शं करः प्रीयताम् ॥


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िङ् ख ब्रमण

(make three rounds of sha.nkha with water like aarati and pour

down;chant OM 9 times and show mudras

इमां आपशिवतम इमं सविस्य भेषजे | इमां राष्टरस्य वशधिशन इमां राष्टर भ्रतोमत ||
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िीथं ThEertham [PAdhOdakam (pAda udakam)]:


Take the water from the kumbam / kalasam / panch pathra and give theertham to each person assembled 3 times.

If priest is present, he must give.Otherwise eldest person should give. The manthra to be chanted while giving to

males / females given below:

लाभस्तेिां जयस्तेिां कयतस्तेिां पराजयः । येिां इन्दीवर यामो रॄदयस्तो जनादर नः ॥

MALES:

अकाल मृत्यय हरणं सवरव्याग्नध ग्ननवारणं । सवरपापक्षयकरं (Variant: सवर पाप उपशमनं ) साम्ब

परमेश्वर स्वाशमपादोदकं शय भं ॥

FEMALES:

आमयावी शचन्रीत । आपो वै भेषजं । भेषजमेवास्मै करॊशत । सविमायुरेशत ॥


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क्षमापणम् kshamApanam
Seeking forgiveness for any omissions and commissions and prayoing God to make the duty discharged, pUja

done perfect in all sense with divine grace

वन्दे िम्भुमुमापशतं सुरगुरुं वन्दे जगिारणम्.ह् वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पिूणाम् पशतम्.ह् ।

वन्दे सूयि ििां कवशि नयनं वन्दे मुकुन्द शप्रयम्.ह् वन्दे भि जनाश्रयञ्च वरदं वन्दे शिवं िङ्करम्.ह् ॥

नमः शिवाभ्यां नव यौवनाभ्यां परस्पराक्तिष्ट वपुर् धराभ्याम्.ह् । नगेन्द् कन्या वृष केतनाभ्यां नमो

नमः िङ्कर पावितीभ्याम्.ह् ॥


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यनत्कंग्नचत् कयमरहे दे व सद सयकृत्दय ष्ृतम् । तन्मे ग्नशवपादस्य भयंक्षवक्षपय शं कर ॥


करचरणकृतं वा कायजं कमरजं वा । श्रवण नयनजं वा मानसं वापराधम् ॥

ग्नवग्नहतमवग्नहतं वा सवरमेतत् क्षमस्व । जय जय करुणाब्धे श्री महादे व शम्भो ॥


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यदक्षर पदभ्रष्टं मािा हीन्य य्वेत् । तत्सवं क्षम्यतां दे व ग्नशवसूनय नमोऽस्तयते ॥

ग्नवसगर ग्नबन्त्र्दय मािाग्नण पद पादाक्षराग्नण च । न्यू नाग्ननचाग्नतररक्ताग्नन क्षमस्व पयरुिोत्तम ॥

यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपः कायार ग्नरेयाग्नदिय । न्यू नं सम्पूणरतां याग्नत सद्यो वन्दे तमच्ययतम् ॥
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मन्त्रहीनं ग्नरेयाहीनं भनक्तहीनं सयरेश्वर (Variant जनादर न )। यत्पूग्नजतं मयादे व पररपूणं तदस्तय मे ॥

अपराध सहस्राग्नण ग्नरेय्ेऽहग्ननरशं मया । दासोऽयं इग्नत मां मिा क्षमस्व पयरुिोत्तम ॥
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आवाहनं न जानाग्नम न जानाग्नम ग्नवसजर नम् । पयजाग्नवग्नधं न जानाग्नम क्षमस्व गयरुसत्तम ॥

अन्यथा शरणं नानस्त िमेव शरणं मम । तस्मात्कारुण्भावेन रक्ष रक्ष जगद् गयरो ॥
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अपराधसहस्राग्नण ग्नरेय्ेऽहग्ननरशं मया । ताशन सवाि शण मे दे व क्षमस्व पुरुषोत्तम॥

यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपः पूजा कृयाग्नदिय । न्यू नं सम्पूणरतां याग्नत सद्यो वन्दे तमच्ययतम् ॥
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मध्ये मन्त्र तन्त्र स्वर वणर ध्यान ग्ननयम न्यू न अग्नतररक्त लोप दोि प्रायग्नश्त्ताथं नामियजपमहं कररष्ये ॥

ॐ अच्ययताय नमः ॐ अन्ाय नमः ॐ गोग्नवन्दाय नमः [ग्निः ]

ॐ अच्ययतान्गोग्नवन्दे भ्यो नमो नमः ॥


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प्रायग्नश्त्तान्यशे िाग्नण तपः कमार त्मकाग्नन वै । याग्नन ते िामशे िाणां कृष्णानयस्मरणं परम् ॥ उमा महेश्वराय

नमः साम्ब परमेश्वर स्वाशम अपिण मस्तु ॥


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िाल्लन्तः मन्त्:
Typically all present must chant shanthi manthram together. Could be led by priest

ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनिु । सह वीयं करवावहै । तेजक्तस्व नावधीतमस्तु मा शवशद्ऱषावहै ।

ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः िाक्तन्तः ॥


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ॐ िं नो शमिः िं वरुणः । िं नो भवत्वयिमा। िं नो इन्द्ो बृहस्पशतः । िं नो शवष्णुरुरुरेमः । नमो

ब्रह्मणे । नमस्ते वायो । त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्माशस । त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वशदष्याशम। कतं वशदष्याशम । सत्यं

वशदष्याशम । तन्मामवतु । तद्ऱिारमवतु । अवतु माम् । अवतु विारम् ॥ ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः

िाक्तन्तः ॥
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शं नो ग्नमिः शं वरुणः । शं नो भवियरमा । शं न इन्द्रो बृहस्पग्नतः । शं नो ग्नवष्णय रुरुरेमः । नमो ब्रह्मणे

। नमस्ते वायो । िमेव प्रत्यक्षं ब्रह्माग्नस । िामेव प्रत्यक्षं ब्रह्मावाग्नदिम् । ऋतमवाग्नदिम् ।

सत्यमवाग्नदिम् । तन्मामावीत् । तवक्तारमावीत् । आवीन्माम् । आवीत् वक्तारम् । ॐ शान्ः शान्ः

शान्ः ॥
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ॐ भद्रं कणेशभः रृणुयाम दे वाः । भद्रं पश्येमाक्षशभयुजिाः । ल्लसथरै रङ्गैस्तुष्टु वाग्सस्तनू


्ँ- शभः ।

व्यिेम दे वशहिं यदायूः । स्वल्लस्त न इिो वृिश्रवाः । स्वल्लस्त नः पूषा शवश्ववेदाः । स्वल्लस्त

नस्ताक्ष्यो अररष्टनेशमः । स्वल्लस्त नो वृहस्पशिदु धािु ॥ ॐ िाल्लन्तः िाल्लन्तः िाल्लन्तः ॥


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ॐ वाङ्मेिः॒ मनिः॑ग्नसिः॒ प्रग्नतिः॑ग्नष्ठतािः॒ मनोिः॑ मेिः॒ वाग्नचिः॒ प्रग्नतिः॑ग्नष्ठतमािः॒ग्नवरािः॒वीमर िः॑ एग्नध वेिः॒दस्य मिः॒ आणी᳚स्थः श्रयतं
िः॒ मेिः॒ मा
प्रहािः॑ सीरिः॒नेनािः॒धीते न
िः॑ ाहोरािः॒िान् सन्दिः॑ धाम्यृतंिः॒ विः॑ग्नदष्याग्नम सिः॒त्यं विः॑ग्नदष्याग्नमिः॒ तन्मामिः॑वतय िः॒ तविः॒क्तारिः॑ मविः॒िविः॑तय िः॒

मामविः॑तय विः॒क्तारिः॒मविः॑तय विः॒क्तारम् ᳚ ॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥


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ॐ नमोिः॒ ब्रह्मिः॑ णेिः॒ नमोिः॑ अस्त्ऱिः॒ियेिः॒ नमःिः॑ पृग्नथिः॒व्यै नमिः॒ ओििः॑धीभ्यः ।नमोिः॑ वािः॒चे नमोिः॑ वािः॒चस्पतिः॑ येिः॒ ग्नवष्णिः॑ वे बृहिः॒ते

किः॑रोग्नम॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥


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ॐ तच्ंिः॒ योरावृिः॑णीमहे । गािः॒तयं यिः॒ज्ञायिः॑ । गािः॒तयं यिः॒ज्ञपिः॑तये। दै वी᳚स्स्विः॒नस्तरिः॑ स्तय नः । स्विः॒नस्तमार नयिः॑िेभ्यः । ऊिः॒ध्रं

ग्नजिः॑गातय भेििः॒जम् । शन्नोिः॑ अस्तय ग्नविः॒पदे ᳚ । शं चतयिः॑ ष्पदे ॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥
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ॐ नमोिः॑ वािः॒चे या चोिः॑ग्नदिः॒ता या चानयिः॑ग्नदतािः॒ तस्यै िः॑ वािः॒चे नमोिः॒ नमोिः॑ वािः॒चे नमोिः॑ वािः॒चस्पतिः॑ येिः॒ नमिः॒ ऋग्नििः॑भ्यो

मन्त्रिः॒ कृद्भ्योिः॒ मन्त्रिः॑ पग्नतभ्योिः॒ मामामृििः॑यो मन्त्रिः॒ कृतोिः॑ मन्त्रिः॒ पतिः॑ यिः॒ः परािः॑ दयमार
िः॒ ऽहमृिी᳚न्मन्त्रिः॒ कृतोिः॑ मन्त्रिः॒ पतीिः॒न्परािः॑ दां
वैश्वदेिः॒ वीं वाचिः॑मयद्यासग्ं ग्नशिः॒वामदिः॑ स्तां िः॒ जय ष्टां ᳚ देिः॒ वेभ्यिः॒ः शमर िः॑ मेिः॒ द्यौः शमरपृिः॑ ग्नथिः॒वी शमरिः॒ ग्नवश्विः॑ग्नमिः॒दं जगिः॑त् । शमर िः॑
चिः॒न्द्रश्िः॒ सूयरश्िः॑ िः॒ शमर िः॑ ब्रह्मप्रजापिः॒ती । भूतंिः॒ विः॑ग्नदष्येिः॒ भयविः॑नं वग्नदष्येिः॒ ते जोिः॑ वग्नदष्येिः॒ यशोिः॑ वग्नदष्येिः॒ तपोिः॑ वग्नदष्येिः॒

ब्रह्मिः॑ वग्नदष्ये सिः॒त्यं विः॑ग्नदष्येिः॒ तस्मािः॑ अिः॒हग्नमिः॒दमयिः॑पिः॒स्तरिः॑ णिः॒ मयपिः॑स्तृण उपिः॒स्तरिः॑ णं मे प्रिः॒जायै िः॑ पशू नां
िः॒
भूिः॑यादय पिः॒स्तरिः॑ णमिः॒हं प्रिः॒जायै िः॑ पशू नां
िः॒ भूिः॑यासंिः॒ प्राणािः॑ पानौ मृत्योमार
िः॒ पातं
िः॑ िः॒ प्राणिः॑ पानौिः॒ मा मािः॑ हाग्नसष्टंिः॒ मधयिः॑ मग्ननष्येिः॒

मधयिः॑जग्ननष्येिः॒ मधयिः॑ वक्ष्याग्नमिः॒ मधयिः॑ वग्नदष्याग्नमिः॒ मधयिः॑मतीं देिः॒ वेभ्योिः॒ वाचिः॑मयद्यासग्ंशयश्रूिेिः॒ ण्ां ᳚ मनयष्ये
िः॒ ᳚भ्यिः॒स्तं मािः॑ देिः॒ वा
अिः॑व्य शोिः॒भायै िः॑ ग्नपिः॒तरोऽनयिः॑मद्य ॥ ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥
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सवे भवन्तु सुक्तखनः सवे सन्तु शनरामयाः | सवे भद्राशण पश्यन्तु मा कशश्चद् दु ः खभाग् भवेत् ||
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स्वक्तस्त प्रजाभ्यः पररपालयन्तां न्याय्येन मागेण महीं महीिाः | गोब्राह्मणेभ्यः िुभमस्तु शनत्यं लोकाः

समस्ताः सुक्तखनो भवन्तु ||


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ॐ मधयवातािः॑
िः॒ ऋतायिः॒ते । मधयिः॑क्षरन्िः॒ ग्नसन्धिः॑वः । माध्रीिः॑'नरः सिः॒न्त्र्िोििः॑धीः । मधयनक्तिः॑
िः॒ मयतोिग्न
िः॒ स । मधयिः॑मिः॒त्

पाग्नथरविः॒िः॑ ꣳगंरजः । मधयद्यौरिः॑


िः॒ स्तय नः ग्नपिः॒ता । मधयिः॑मान्नोिः॒ वनिः॒स्पग्नतः । मधयिः॑माꣳ गंअस्तय िः॒ सूयिः॑रः । माध्रीिः॒गार वोिः॑
भव्य नः ॥ ॥ ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः िाक्तन्तः ॥
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नमा॑स्ते अस्तु भगवन् शवश्वेश्वु॒राया॑ महादेु॒ वाया॑ त्र्यंबु॒काया॑ शिपुरान्तु॒काया॑ शिकाशन-काु॒लाया॑ कालाशनरुु॒द्राया॑

नीलकु॒ण्ठाया॑ म्रुत्युंजु॒याया॑ सवेश्वु॒राया॑ सदाशिु॒वाया॑ श्रीमन्महादेु॒ वायु॒ नमःा॑ ॥

ॐ वाङ् मे मनशस प्रशतशष्ठता । मनो मे वाशच प्रशतशष्ठतम् । आशवराशवमि एशध । वेदस्य म आणीस्थः ।

श्रुतं मे मा प्रहासीः अनेनाधीतेनाहोरािान्ऱन्दधाशम । ऋतं वशदष्याशम । सत्यं वशदष्याशम ।तन्मामवतु

।तद्ऱिारमवतु ।अवतु माम् ।अवतु विारामवतु विारम् ॥ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः िाक्तन्तः ॥

ॐ द्यौः िाक्तन्तरन्तररक्षं िाक्तन्तः पृशथवी िाक्तन्तरापः िाक्तन्तरोषधयः िाक्तन्तः । वनस्पतयः

िाक्तन्तशविश्वेदेवाः िाक्तन्तब्रिह्म िाक्तन्तः सवं िाक्तन्तः िाक्तन्तरे व िाक्तन्तः सा मा िाक्तन्तरे शध ॥ ॐ िाक्तन्तः

िाक्तन्तः िाक्तन्तः ॥
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ॐ यश्छन्दिः॑ सामृििः॒भो ग्नविः॒श्वरू


िः॑ पः । छन्दोिः॒भ्योऽध्यिः॒मृता᳚ससम्बिः॒भूविः॑ । स मेन्द्रोिः॑ मेिः॒धया᳚ स्पृणोतय । अिः॒मृतिः॑स्य

दे विः॒धारिः॑ णो भूयासम् । शरीिः॑रं मेिः॒ ग्नवचिः॑िरणम् । ग्नजिः॒ह्वा मेिः॒ मधयिः॑मत्तमा । कणार ᳚भ्यां िः॒ भूररिः॒ग्नवश्रयिः॑वम् । ब्रह्मिः॑ णः

कोिः॒शोिः॑ऽग्नस मेिः॒धया ग्नपिः॑ग्नहतः । श्रयतं


िः॒ मे िः॑ गोपाय । ॐ शान्ःिः॒ शान्ःिः॒ शान्ःिः॑ ॥
इडाा॑ दे वु॒रॆमिनुा॑यिज्ञु॒नीबृिहु॒स्पशतरुक्त्लामु॒दाशना॑ ि गं शसषु॒शद्ऱश्वेद
ा॑ ेु॒ वाः सू्॓िु॒वाचःु॒ पृशथा॑वीमातु॒माि माा॑ शह गं

सीु॒मिधुा॑ मशनष्येु॒ मधुा॑ जशनष्येु॒ मधुा॑ वक्ष्याशमु॒ मधुा॑ वशदष्याशमु॒ मधुा॑मतीं देु॒ वेभ्योु॒ वाचा॑मुद्यास गं िुश्रूषेु॒ ण्यां म्

मनुष्ये
ु॒ भ्य
ा॑ ु॒स्तं माा॑ देु॒ वा अा॑वन्तु िोु॒भायै ा॑ शपु॒तरोऽनुा॑मदन्तु ॥
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शं चिः॑ मेिः॒ मयिः॑श् मे ग्नप्रिः॒यं चिः॑ मेऽनयकािः॒मश्िः॑ मेिः॒ कामिः॑श् मे सौमनिः॒सश्िः॑ मे भिः॒द्रं चिः॑ मेिः॒ श्रेयिः॑श् मेिः॒ वस्यिः॑ श् मेिः॒ यशिः॑ श्

मेिः॒ भगिः॑श् मेिः॒ द्रग्नविः॑णं च मे यिः्॒ा च मे धिः॒तार च मेिः॒ क्षेमिः॑श् मेिः॒ धृग्नतिः॑श् मेिः॒ ग्नवश्वं िः॑ च मेिः॒ महिः॑ श् मे संिः॒ग्नवच्चिः॑ मेिः॒ ज्ञािं िः॑

च मेिः॒ सूश्िः॑ मे प्रिः॒सूश्िः॑ मेिः॒ सीरं िः॑ च मे लिः॒ यश्िः॑ म ऋिः॒तं चिः॑ मेिः॒ऽमृतं िः॑ च मेऽयिः॒क्ष्मं चिः॒ मेऽनािः॑ मयच्च मे जीिः॒वातय श् मे

दीघार ययिं
िः॒ चिः॑ मेऽनग्नमिः॒िं चिः॒ मेऽभिः॑यं च मे सयगं
िः॒ चिः॑ मेिः॒ शयिः॑नं च मे सूिा
िः॒ चिः॑ मे सयग्निः॒ दनं िः॑ च मे ॥ सदाशिवोम॥
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स्वक्तस्त प्रजाभ्यः पररपालयन्तां न्याय्येन मागेण महीं महीिाः | गोब्राह्मणेभ्यः िुभमस्तु शनत्यं लोकाः

समस्ताः सुक्तखनो भवन्तु ||


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ॐ नमो ग्नहरण्बाहवे ग्नहरण्वणार य ग्नहरण्रूपाय ग्नहरण्पतयेऽनम्बकापतय उमापतये पशय पतये िः॑

नमोिः॒ नमः ।
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ऋिः॒तग्ं सिः॒त्यं पिः॑रं ब्रिः॒ह्मिः॒ पयरुिं


िः॒ िः॑ कृष्णिः॒ ग्नपङ्गिः॑लम् । ऊिः॒ध्रररेिः॑तं ग्नविः॑रूपािः॒क्षंिः॒ ग्नविः॒श्वरू
िः॑ पायिः॒ वै नमोिः॒ नमःिः॑ । ईशान-स्सिः॑वर

ग्नवद्यािः॒नािः॒-मीश्वर-स्सवर िः॑ भूतािः॒नां िः॒ ब्रह्माऽग्नधिः॑पग्नतिः॒ब्ररह्मिः॒णोऽग्नधिः॑पग्नतिः॒ब्ररह्मािः॑ ग्नशिः॒वो मे िः॑ अस्तय सदाग्नशिः॒वोम् ।ॐ

भूभुिवस्सु वरोम् । ॐ नमिः॑श्शिः॒म्भवे िः॑ च मयोिः॒भवे िः॑ चिः॒ नमःिः॑ शङ्किः॒रायिः॑ च मयस्किः॒रायिः॑ चिः॒ नमःिः॑ ग्नशिः॒वायिः॑ च

ग्नशिः॒वतिः॑ राय चिः॒


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ग्ननधिः॑नपतयेिः॒ नमः । ग्ननधिः॑नपतान्कायिः॒ नमः । ऊध्रार यिः॒ नमः । ऊध्ररग्नलङ्गायिः॒ नमः

। ग्नहरण्ायिः॒ नमः । ग्नहरण्ग्नलङ्गायिः॒ नमः । सयवणार यिः॒ नमः । सयवरणरग्नलङ्गायिः॒ नमः ।

ग्नदव्यायिः॒ नमः । ग्नदव्यग्नलङ्गायिः॒ नमः । भवायिः॒ नमः । भवग्नलङ्गायिः॒ नमः । शवार यिः॒

नमः । शवरग्नलङ्गायिः॒ नमः । ग्नशवायिः॒ नमः । ग्नशवग्नलङ्गायिः॒ नमः । ज्वलायिः॒ नमः ।

ज्वलग्नलङ्गायिः॒ नमः । आत्मायिः॒ नमः । आत्मग्नलङ्गायिः॒ नमः । परमायिः॒ नमः । परमग्नलङ्गायिः॒

नमः । एतससोमस्यिः॑ सूयरिः॒स्यिः॒ सवरग्नलङ्गग्ग्िः॑ स्थापिः॒यिः॒ग्नतिः॒ पाग्नणमन्त्रं िः॑ पग्नविः॒िम् ॥


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ॐ सिः॒द्योजातं प्रिः॑पद्यािः॒ग्नमिः॒ सिः॒द्योजािः॒तायिः॒ वै नमोिः॒ नमःिः॑ । भिः॒वे भिः॑वेिः॒ नाग्नतिः॑ भवे भवस्विः॒ मां भिः॒वो्िः॑ वायिः॒ नमःिः॑ ॥

ॐ ईशानस्सवरग्निः॑ वद्यािः॒नािः॒मीश्वरस्सवरभूिः॑ तािः॒नां िः॒ ब्रह्माऽग्नधिः॑पग्नतिः॒ब्ररह्मिः॒णोऽग्नधिः॑पग्नतिः॒ब्ररह्मािः॑ ग्नशिः॒वो मे िः॑ अस्तय सदाग्नशिः॒वोम्


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ॐ अिः॒घोरे ᳚भ्योऽथिः॒ घोरे ᳚भ्योिः॒ घोरिः॒घोरिः॑ तरे भ्यः । सवे ᳚भ्यस्सवरिः॒शवे᳚भ्योिः॒ नमिः॑स्ते अस्तय रुिः॒द्ररू
िः॑ पेभ्यः ॥

ॐ वािः॒मिः॒देिः॒वायिः॒ नमो᳚ ज्येिः॒ष्ठायिः॒ नमःिः॑ श्रेिः॒ष्ठायिः॒ नमोिः॑ रुिः॒द्रायिः॒ नमःिः॒ कालािः॑ यिः॒ नमःिः॒ कलिः॑ ग्नवकरणायिः॒ नमोिः॒

बलिः॑ ग्नवकरणायिः॒ नमोिः॒ बलािः॑ यिः॒ नमोिः॒ बलिः॑ प्रमथनायिः॒ नमिः॒स्सवरभूिः॑ तदमनायिः॒ नमोिः॑ मिः॒नोन्मिः॑नायिः॒ नमःिः॑ ॥

तत्पुरुषाय शवद्महे महादे वाय धीमशह। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥


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ॐ द्यौः िाक्तन्तरन्तररक्षम् िाक्तन्तः पृशथवी िाक्तन्तरापः िाक्तन्तरोषधयः िाक्तन्तः | वनस्पतयः िाक्तन्तशविश्वे

दे वाः िाक्तन्तब्रिह्म िाक्तन्तः सवि गं म् िाक्तन्तः िाक्तन्तरे व िाक्तन्तः सा मा िाक्तन्तरे शध | ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः

िाक्तन्तः |

॥ ग्नशवेन मे सन्ष्ठस्व स्योनेन मे सन्ष्ठस्व ब्रह्मवचरसेन मे सन्ष्ठस्व यज्ञस्यनद्धर मनयसन्ष्ठस्वोप ते यज्ञ

नम उप ते नम उप ते नमः ॥
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ॐ पू णिमदः पूणिशमदं पूणाि त्पुणिमुदच्यते पूणिश्य पूणिमादाय पूणिमेवावशिष्यते ॥ ॐ िाक्तन्तः िाक्तन्तः

िाक्तन्तः ॥
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समपुणम् Samarpanam:
Giving away the karmaphala to Lord and just accept HIS blessings

ग्ननत्यं नैग्नमग्नत्तकं काम्यं यत्कृतं तय मया ग्नशव । तत् सवं परमेशान मया तय भ्यं समग्नपरतम् ॥

कायेन वाचा मनसेनन्द्रयैवार बयद्ध्यात्मना वा प्रकृते ः स्वभावात् । करोग्नम यद्यत्सकलं परस्मै (श्रीमण्

नारायणायेग्नत )/ उमा महेश्वराय नमः ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशमनेयेशिसमपरयाग्नम ॥


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आचायु उपायन दानं AchArya upAyana dhAnam

Giving dkashina to priest

ॐ श्री साम्ब परमेश्वर स्वाशम पूजा फल शसद्द्यथं ब्राह्मनपूजां उपायनदानं कररष्ये ।


उमा महे श्वर (संबशिव) स्वरूपस्य ब्राह्मणस्य इदमासनम् । अमीते गन्धाः ॥

गन्धाशदः सकलाराध नैः स्वशचि तम् । ग्नहरण् गभर गभरस्थ हे मबीज ग्नवभावसोः । अन् पयण् फलदा

अथः शान्ं प्रयश् मे इधम् आग्नेयं शहरण्यं सदशक्षणाकम् सिांबूलं ॐ श्री साम्ब परमेश्वर

स्वाशम महाशिवराशि पूजा पुण्यकाले सां बशिवप्रीशतं समस्त दे वथाः प्रीथ्यथं काम्यमान िुभ्यमहं

संप्रदिे नमः ॥ इशि उपायनदनम् उमा महेश्वराय नमः साम्ब परमेश्वर स्वाशम सुप्रीिो

सुप्रसन्नो वरदो भवन्तु ॥ ॐ समस्त लॊक सुक्तखनो भवन्तु ॥ । ॐ तत्सत् ब्रह्मापिणमस्तु ।


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ब्राह्मणम् संपूज्य उपायनं दत्वा। रािौ याम चतुष्टयेअपी पूजां कृत्वा शिवकथा श्रवणेन जागरणं
कुयाि त् ।।

आचायाि शदभ्यः कलिवस्त्र प्रशतमादीशन च यथा िक्ति दत्वा दमिी संपूज्य।

आचायिम् ऋक्तत्वजो(अ)न्यां श्च शवप्रान् सुवाशसनीश्च भोजशयत्वा तेिामाशिषम् प्राय तदनुज्ञया भुञ्जीथ।।

रािौ याम चतुष्टयेअपी पूजां कृत्वा शिवकथा श्रवणेन जागरणं कुयाि त् ।।


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आचायु आसीवु चनं AchArya AsErvachanam

This actually involves chanting the aaseervachana manthras by priests / Brahmins presnt to bless the child and

parents. The latter should hold a towel, one end in shoulder, the other end spread across with both the hands, so

as to receive the akshanthulu from priests. Finally the akshantulu must be put on head of child and parents
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ऋिः॒द्ध्यास्मिः॑ हिः॒व्यैनरमिः॑सोिः॒पसद्यिः॑। ग्नमिः॒िं देिः॒ वं ग्नमिः॑ििः॒धेयं िः॑ नो अस्तय। अिः॒ नूरािः॒


िः॒ धान् हिः॒ग्नविािः॑
विः॒धरयिः्॑ः । शिः॒तं जीिः॑वेमिः॒ शिः॒रदःिः॒ सवीिः॑राः ।
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नवोिः॑ नवो भवग्नतिः॒ जायिः॑मािः॒नोऽह्नां ᳚ केिः॒तयरुिः॒िसािः॑ मेिः॒त्यर्ग्े ᳚। भािः॒गं देिः॒ वेभ्योिः॒ ग्नवदिः॑ धात्यािः॒यन्
प्रचिः॒न्द्रमा᳚नस्तररग्नत दीिः॒घरमाययिः॑ ः ॥
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ॐस्वक्तस्त न इन्द्ो वृद्धश्रवा : स्वक्तस्त न : पू षा शवश्ववे दा : । स्वक्तस्त नस्ताक्ष्यो
अररष्ट ने शम : स्वक्तस्त नो बृहस्पशत दि धातु ।
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श्रीवचि स्यमायु ष्यमारोग्यमाशवधात् पवमानं मशहयते । धनं धान्यं पिुं बरॅपुिलाभं


ितसंवत्सरं दीघिमायुः ॥
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रोचनो रोचमान: िोभन: िोभामान: कल्याण:।ितमानं भवशत ितायु : पुरुष:।


िते क्तन्द्य आयुष्येवेक्तन्द्ये प्रशतशतष्ठशत
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Siva HARATHY in HINDI

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, शवष्णु , सदाशिव, अद्धां गी धारा॥ ओम जय शिव

ओंकारा॥

एकानन चतु रानन पञ्चानन राजे । हं सासन गरूड़ासन वृ षवाहन साजे ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतु भुिज दसभु ज अशत सोहे । शिगुण रूप शनरखते शिभु वन जन मोहे ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। शिपु रारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वे ताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अं गे। सनकाशदक गरुड़ाशदक भू ताशदक सं गे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध् कमण्डलु चरे शििू लधारी। सु खकारी दु खहारी जगपालनकारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा शवष्णु सदाशिव जानत अशववे का। मधु-कैटभ दोउ मारे , सु र भयहीन करे ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, साशविी पावि ती सं गा। पावि ती अद्धां गी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

पवित सोहैं पाविती, िं कर कैलासा। भां ग धतू र का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है , गल मुण्डन माला। िे ष नाग शलपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

कािी में शवराजे शवश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। शनत उठ दिि न पावत, मशहमा अशत भारी॥ ओम जय शिव

ओंकारा॥

शिगुणस्वामी जी की आरशत जो कोइ नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी, मनवाक्तन्छत फल पावे ॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


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पुनः पू जा

Do simple puja for samba paramEzvara next morning after bath

आराग्नधतानां दे वतानां पयनः पूजां कररष्ये ॥


प्राि ब्राह्मे मुहूिे उत्थाय पुनः पूजां कुयाुि्. ॥ ॐ नमो भगवते रुद्राय ॥ ॐ श्रीिः॒ गयरु
िः॒ िः॒ भ्यो नमःिः॒ ।
हिः॒ररःिः॒ ॐ ।

या्य दे व गणाः सवे पूजां आदाय पग्नतरवीम् । इष्ट काम्याथर ग्नसध्यथं पयनरागमनाय च ॥

॥ श्री सदाग्नशवापरणमस्तय ॥ ॐ तत्सत्

= इशत साम्ब परमेश्वर स्वाग्नम पूजनम् –सं पूणिम्=

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