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निषय-सूची
क्र
अध्याय पृष्ट
म.
सं.
1 यूरोपियोों के आगमन के समय भारत 1
2 भारत में अोंग्रेज़ी सत्ता का एकीकरण तथा पिस्तार 7
3 1857 से िूिव पिपिश साम्राज्य के पिरुद्ध जन-असोंतोष 14
4 1857 का पिद्रोह 21
5 सामापजक धापमवक सुधार आों दोलन 25
6 स्वतोंत्रता सोंघषव का आरों भ 31
7 भारतीय राष्ट्रीय काों ग्रेसः स्थािना एिों उदारिादी चरण (1885- 1905) 33
8 उग्र-राष्ट्रिाद का युग (1905-1918) 38
9 क्ाोंपतकारी गपतपिपधयााँ (1907-17) 42
10 प्रथम पिश्व युद्ध (1914-1919) और राष्ट्रिादी प्रत्युत्तर 45
11 खिलाफत एिों असहयोग अन्दोलन 50
12 सपिनय अिज्ञा आन्दोलन (1930-31) तथा गोलमेज सम्मलेन 52
13 स्वराजी, समाजिादी पिचारोों एिों निीन शखिओों का उदय 57
14 राष्ट्रीय आों दोलन: स्वतोंत्रता और पिभाजन की ओर (1939-47) 62
15 भारत में पिपिश नीपतयोों का सिेक्षण 72
16 पिपिश शासन का भारतीय अथवव्यिस्था िर प्रभाि 74
17 कामगार िगव का आों दोलन 76
18 सोंपिधापनक, प्रशासपनक और न्यापयक पिकास 78
19 प्रेस का पिकास 86
20 पशक्षा का पिकास 90
21 महत्विूणव पिपिश सपमपतयाों ि आयोग 94
22 पिपशष्ट् आों दोलनोों से सोंबोंपधत व्यखित्व 96
23 गिनवर जनरल: योगदान तथा महत्त्व 103
िुततगािी
• टॉरडे नसिस की सोंनध (1494)- िुततगाि तथा स्पेि के बीच अटलाों पटक में एक आभासी रे खा के द्वारा िुततगाि के निए िूित
तथा स्पेि के निए िनिम में गैर ईसाई दु पनया को पिभापजत पकया गया।
• िास्कोपडगामा 1498 में आशा अृंतिीप द्वीि होते हुए कालीकट पहुृं चा तथा उसका
जमोररन (कालीकट का राजा) के द्वारा स्वागत वकया गया।
िास्कोनडगामा • 1502 तक, िास्कोपडगामा की दु सरी यात्रा के दौरान कालीकट, कोचीन और कन्नूर में
व्यािाररक केन्द्ोों की स्थापना की गई तथा उनकी पकलेबोंदी की गई।
• अन्य व्यापारियोृं के विपिीत पुतिगाली िाित में व्यापाि का एकाविकाि चाहते थे।
िेडरो अल्वरे ज़ कैब्रि • 1500 में, कािीकट में सबसे िहले फैक्ट्र ी की स्थािना की।
• भारतीय उिमहाद्वीि िर यूिोवपयोृं के शासन के युग की शुरुआत।
• भारत में पहला पुर्तगाली गवर्तर जिसर्े “िाोंत िि की (ब्लू िाटर) िीनत” काटे ि
फ्ाोंनसस्को डी अिमीडा (1505- प्रणािी की िुरुआत की - इसमें भारतीय भूपम िर पकले बनाने के बजाय समुद्र में
1509) शक्तिशाली होने िर बल पदया गया था।
• काटे ि प्रणािी : पहों द महासागर में पुतिगावलयोृं द्वािा जािी जल िररिहन लाइसेंस या
पास।
• इसे भारत में िुततगािी िक्ति का सोंस्थािक माना जाता है : इसने बीजािुर से गोिा
को जीत पलया; मुक्तिमोों िर अत्याचार; निियिगर के रािा श्री कृष्ण दे ि राय (1510)
अिफाोंसो डी अिबुककत से भटकल को जीत पलया;
(1509- 1515) • भारत के मूल वनिावसयोृं के साथ वििाह किने की नीवत का आिृं ि वकया।
• इसके द्वारा अपने प्रिाि क्षेत्र में सर्ी प्रथा पर प्रजर्बंध लगाया गया।
• 1515 में अल्बुकका की मृत्यु हो गयी तथा उस समय तक िुतागाली िाित में सबसे
मजबूत नौ-सैपनक शक्ति के रूि में स्थापित हो चुके थे।
• इसके द्वारा 1503 में कोचीि की िगह गोिा को रािधािी बिाया गया। इस
प्रकार भारत में िुततगािी उपजर्वेश की रािधार्ी गोवा बर् गया।
• उसके शासनकाल में, िीि तथा िसाई को गुजरात के िाजा बहािु ि शाह से छीन पलया
िीिू डा कुन्हा (1529-38) गया तथा उस पि िुतागापलयोों का कब्जा हो गया।
• बहािु ि शाह 1537 में दीि में िुतागापलयोों से लड़ते हुए मािे गए।
• यह एक व्यिहारिक नेता था वजसने पविमी तटीय क्षेत्र से पिे िी पुतिगाली साम्राज्य का
विस्ताि वकया। उसके समय में पुतिगाली शक्ति का विस्ताि पूिी तट तक हुआ।
पुर्तगाजलयों की धाजमतक र्ीजर्: प्रारों भ में, पसफा मुक्तिमोों के प्रपत द्वे षिूणा, बाद में पहों दुओों के प्रपत भी। 1579 में, बािशाह अकबि को
ईसाई िमि में परििवतित किाने के वलए ईसाई वमशनरियोृं को िेजा गया।
• भारत में िुतागाली शासन की समुद्री डकैती तथा अिैध व्यािार प्रथाओृं के साथ बड़े विस्तृत पैमाने पि भ्रष्टाचार लालच एिृं स्वाथि;
• ब्राज़ील की खोज के कारण िुतागाली उपवनिेशोों का पविम की ओि िलायन।
िोट : िुतागाली भारत में सबसे पहले आये तथा भारत से सबसे अृंत में गए।
डच (िीदरिैंडिासी)
• कॉनेपलस डी हॉटमैन िहला डच था जो 1596 में सुमात्रा और बेंटेन िहुों चा था।
• डच सोंसद के एक चाटत र के द्वारा माचत 1605 में यूिाइटे ड ईस्ट इों नडया कोंििी की स्थाििा की गई थी, इन्ें युद्ध करने,
सोंपधयाों करने तथा पकले बनाने की शक्ति प्राप्त थी।
• आों ध्र क्षेत्र में 1605 में मसूिीिट्टम में िहिे कारखािे की स्थाििा की गई।
• बाद में िे िुतागापलयोों को हराकर यूरोिीय व्यापारिक शक्ति के प्रमुख के रूप में उििे ।
• भारत में उिका प्रमुख केंद्र िुनिकट था, पजसे बाद में नेगािट्टम में स्थापित पकया गया।
• डच यमुना घाटी तथा मध्य भारत में उत्पापदत नील (इों पडगो), बोंगाल गुजरात तथा कोरोमोंडल क्षेत्र से उत्पापदत िस्त्र तथा रे शम,
पबहार से शोरा, और गोंगा की घाटी से उत्पापदत अफीम एिों चािल का व्यािार करते थे।
• 1623 में, अोंग्रेिोों र्था डचोों के बीच में एक संजध हुई → डचोों ने भारत में तथा अोंग्रेजोों ने इों डोनेपशया में अिने अपधकार क्षेत्र
के दािोों को िािस ले पलया।
• 1650 (17िीों शताब्दी), अोंग्रेज़ भारत में एक बड़ी शक्ति के रूि में उभरने लगे।
• करीब 70 िषों तक अृंग्रेजोृं तथा डचोों के बीच में लड़ाई जािी िही वजसमें डच एक-एक किके अपने बक्तियोों/उपवनिेशोों को
अोंग्रेजोों के हाथ खोते िहे ।
• डचोों को भारत में साम्राज्य स्थानित करिे में कोई ज्यादा नदिचस्पी िही ों थी, िे पसफा व्यापाि किना चाहते थे। उनका मुख्य
व्यािसावयक इों डोिेनिया के स्पाइस दीप समूहोों में था जहाों से िे व्यािार के माध्यम से बड़ा लाभ अपजात करते थे।
• भारत में िति - आों ग्ल डच युद्धोों में डचोों की हार एिों उनका ध्यान मिय द्वीि समूहोों की ओर स्थानाों तररत। बेदरा के युद्ध
(1759) में अोंग्रेजो के द्वारा डचोों को हिाया गया।
• लोंबे समय तक युद्ध के बाि िोनोृं पक्षोृं के द्वािा एक समझौता वकया गया पजसके तहत अृंग्रेजोृं के द्वारा इृं डोनेवशया से अपने
सिी िािोृं को िापस ले वलया तथा डचोों के द्वारा िाित से अपने सिी िािोृं को िापस ले वलया गया।
डचोों के द्वारा : मसूलीिट्टनम (1605), िुलीकट (1610), सूरत (1616), पिमलीिट्टनम (1641), कररकल (1645), पचनसूरः
(1653), कापसमबाजाि, बरानागोर, िटना, बालासोर, नेगािट्टनम (1658) और कोचीन (1663) में फैक्ट्रीयोों की स्थािना की गई।
इसमें पूिी तथा पविमी िोनोृं तट शावमल थे)
अोंग्रेज़
31 पदसोंबर, 1600 को, इों ग्लैंड की महारार्ी एजलिाबेथ प्रथम के द्वािा एक चाटि ि जािी वकया गया वजसमें 15 िर्षों
• के वलए व्यापाि का एकाविकाि प्रिान वकया गया। अोंग्रेजी ईस्ट इों पडया कोंिनी की स्थािना 1600 में हुई थी।
• 1609 में इों ग्लैंड से कैप्टि हॉनकोंस भारत में मुगि बादिाह िहाोंगीर के िाही दरबार में आया तथा उसने सूरत में एक अोंग्रेजी
व्यािार केंद्र की स्थािना करने की इजाजत माों गी, लेपकन पुतिगावलयोृं के िबाि के चलते जहाृं गीि ने उसे इजाजत िे ने से मना
कि विया।
• थॉमस बेस्ट के द्वारा िुततगानियोों िर नििय प्राप्त करते ही सूरत में एक फैक्ट्र ी की स्थाििा की गई।
• बाद में 1613 में, िहाोंगीर िे अोंग्रेिोों (सर् थॉमस रो) को एक फरमाि (अिुमनत ित्र) िारी करके आगरा, अहमदाबाद
और भड़ौच में उनके व्यािाररक केंद्रोों को स्थापित करने की अनुमपत दे दी, पजसके बाद अोंग्रेजोों ने 1613 में सूरत में अििा
2
उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
फ्ाोंसीसी
• 1664 में फ्ाों सीसी ईस्ट इों पडया कोंिनी की स्थािना हुई तथा सूरत में िहिी फैक्ट्री की स्थािना → फ्ाोंनसस केरॉि के द्वारा
स्थानित।
• फ्ाोंनसस मानटत ि के द्वारा 1673 में िाोंनडचेरी की स्थाििा की गई तथा िह िाोंनडचेरी का िहिा गिितर भी बना। इस तरह
पाृं वडचेिी िाित में फ्ाृं सीसी बक्तियोों/प्रिे शोृं का मुख्यालय बन गया।
• 18िीों शताब्दी के शुरुआत में, अोंग्रेज तथा फ्ाों सीसी भारत में, मुख्य रूि से कनाा टक तथा बोंगाल के क्षेत्रोों में, अिनी
सिोच्चता/प्रभुत्व के पलए लड़ते रहे ।
• तीन कनाा टक युद्धोों के बाद, अोंततः अोंग्रेजोों के द्वारा फ्ाों सीसीओों को हरा पदया गया तथा िह िाों पडचेरी तक ही सीपमत रह गए।
• प्रथम किातटक युद्ध (1740-48) → प्रपतद्वों पदता का विस्ताि, यह एक्स-ला शािेल की सोंपध द्वािा समाप्त हुआ।
• नद्वतीय किातटक युद्ध (1749-54) → यह अवनणाि यक िहा, दपक्षण भारत में फ्ाों सीसीओों तथा अोंग्रेजोों की शक्ति कम हुई।
• तृतीय कर्ातर्क युद्ध (1758-63) →वनणाि यक युद्ध, िेररस की सृंवि (1763)
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
िैसे मुगल प्राृं त जो िाज्योृं में बिल गए तथा उनकी स्वतोंत्र तथा स्वायत्त राजनीपत थी। उदाहरण :
उत्तरानधकारी राज्: अिध (सादत खान/बुरहान-उल-मुि); है दराबाद(पकपलच खान/पनज़ाम-उल-मुि); बोंगाल
(मुपशाद कुली खान)
स्वतोंत्र राज्: ये राि मुगल पनयोंत्रण िाले प्राों तोों की अक्तस्थरता के कारण बने। उदाहरण : राजिूत, मैसूर, केरल
(माताण्ड िमाा के द्वारा स्थापित)।
मुगल शासन के अोंतगात बापगयोों द्वारा स्थापित। उदाहरण : जाट (भरतिुर में चूड़ामन तथा बदन
िए राज्: पसोंह के द्वारा जाट राि की स्थािना); पसख; मराठा; रोपहलखोंड (अली मोहम्मद खान के द्वािा
स्थावपत; कुमाऊों तथा गोंगा के बीच की पहमाल की तलछटी िाले क्षेत्र शापमल) और फरुिखाबाि
(मोहम्मद खान बोंगाश, पदल्ली के िूिा में)।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• किड़े उत्पादि के केंद्र : ढाका, मुपशादाबाद, िटना, सूरत, अहमदाबाद, भड़ौच, चोंदेरी, बुरहानिुर, जौनिुर,
िाराणसी, लखनऊ, आगरा, मुल्तान, लाहौर, मसूपलिटनम, औरों गाबाद, पचकाकोल, पिशाखािट्टनम,
बेंगलुरु, कोयोंबटू र, मदु रई।
• िहाि जर्मातण : महाराष्टर, आों ध्र क्षेत्र, बोंगाल, कालीकट तथा कोल्लम।
• प्राचीर् जशक्षा पर जर्भतरर्ा के साथ पारं पररक जशक्षा
• प्रारों पभक पशक्षा पहों दुओों (िाठशालाओों) तथा मुसलमानोों (मकतबोों) में व्यािक रूप से।
• मपहला पशक्षा िर शायद ही ध्यान पदया गया हो।
निक्षा • उच्च निक्षा : चतुस्पपत (पबहार) या टोल (बोंगाल)।
• कािी (िाराणसी) नतरहूत (नमनथिा) िानदया तथा उत्कि में सोंस्कृत निक्षा।
• मदरसा : अरबी तथा फारसी में उच्च पशक्षा के सोंस्थान।
• िारसी पशक्षा के प्रमुख केंद्र : अिीमाबाद (िटिा)।
• िारों िररक तथा रूपढ़िादी समाज।
• नहों दू : पितृसत्तात्मक तथा दृढ़ जापत व्यिस्था।
समाि • मुक्तिम: पशया-सुन्नी; शरीफ (कुलीन, पिद्वान आपद) तथा अपलफ़ (पनचले िगा) में पिभापजत।
• मनहिाएों : िदाा प्रथा, सती प्रथा, बाल पििाह, बहुपििाह, दहे जप्रथा।
• दास प्रथा: इन्ें घरे लू नौकर/सेिक के बजाय िृंशानुगत नौकि माना जाता था।
• आसफ-उद-दौिा : लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा (1784)
• सिाई ियनसोंह : गुलाबी शहि-जयपुि; िाों च िेधशालाओों (पदल्ली, उज्जैन, जयिुर, बनारस, मथुरा) का
पनमाा ण; पजज मुहम्मद - खगोलीय अध्यनोों के पलए शाही समय सारणी।
किा, वास्तु • नभनत्त नचत्रोों के निए प्रनसद्ध िद्मिाभिुरम महि।
कला एवं • किा की राििूतािा तथा काोंगड़ा िैिी का निकास।
संस्कृजर् • उदू त : मीर, सौदा, िानज़र और नमज़ात ग़ानिब आनद प्रनसद्ध कनि/िायर।
• तनमि : तयुमनािर के द्वारा पसतार िादन।
• मियािम : कोंचन नाक्तियार द्वारा समृद्ध।
• िोंिाबी : िाररस शाह द्वारा हीर राों झा।
• नसोंधी :अब्दु ल लतीफ़ के द्वारा ररसािो (कपिताओों का सोंग्रह)।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
ईस्ट इों नडया कोंििी के व्यािार तथा प्रभाि का निकास : 1600 -1714
• 1608: सूरत में िहली फ़ैक्ट्री की स्थािना। ‘व्यािाररक प्रनतष्ठाि/स्थाि’ के रूि में स्थािना।
• िपिमी तट में व्यािार करने की अनुमपत लेने के पलए हॉनकोंस, िहाोंगीर के दरबार मे उिक्तस्थत हुआ जहाों से उसे िाही
फरमाि प्राप्त हुआ।
• 1615: थॉमस रो को मुग़ल साम्राि के सभी भागोों में व्यािार करने के पलए एक शाही फरमान प्राप्त हुआ।
• दनक्षण भारत : पिजयनगर साम्राि के ितन के बाद ;
• दनक्षण भारत में िहिी फैक्ट्र ी : मसूलीिट्टनम में 1611 में स्थापित।
• मसूिीिट्टिम से हटाकर मद्रास को व्यािाररक केंद्र बिाया गया। फ़ोटा सेंट जॉजा की पकलेबोंदी की गयी।
• 1668 में बॉिे द्वीि प्राप्त हुआ।
• प्रमुख प्रजर्िं दी: मराठा
• िूिी भारर्: 1633 में ओजिशा में पहली फैक्ट्र ी की स्थापना ।
समयािनध:
1691 • कुछ टकराि के चलते, मुगलोों ने हुगली िर आक्रमण कर पदया। तब जॉब चारनोक ने 1691 में मुगलोों के
साथ सोंपध की तथा सूतानुती िािस लौट गए।
• 3000 रुिये प्रपत िषा अदा करने के िादे के बाद अोंग्रेज़ोों को बोंगाल मे व्यािार करने के पलए शाही आदे श
प्राप्त हुआ।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• सूतानुती, गोपिोंदिुर तथा कालीकट का पिकास करके तथा उनके एकीकरण के माध्यम से कलकत्ता शहर
1700 का पनमाा ण पकया गया पजसका सोंरक्षण बोंगाल के मुगल प्रशासक (गिनार) के द्वारा पकया जाता था।
• पकलेबोंद बक्तियोों को फोटत निनियम (1700) नाम पदया गया तथा जो सन 1911 तक भारत में अोंग्रेजी हुकूमत
की राजधानी बना रहा।
• मुगि िासक फरू त खनसयर िे अोंग्रेिोों को एक फरमाि िारी नकया, निसे कोंििी का मैग्नाकाटात कहा
िाता है । इस फरमान के द्वारा बोंगाल, गुजरात तथा है दराबाद में कोंिनी को व्यािार िर प्रपतबोंध तथा करोों से
1717 सोंबोंपधत बड़ी सोंख्या में छूट प्रदान की गई। इन छूटोों में शापमल थे :
1. कोंिनी के आयात तथा पनयाा त को करोों या चुोंगी से छूट प्रदान की गई थी।
2. उनके सामानोों की आिाजाही के पलए उन्ें दिक जारी करने का अपधकार प्रदान पकया गया।
3. है दराबाद में कर रपहत व्यािार करने का अपधकार।
4. कोंिनी के द्वारा ढाले गए पसक्के का िूरे मुग़ल साम्राि के अोंतगात मुद्रा के रूि में िैधता।
महत्विूणत िासक : मुशीद कुली खाों (बोंगाल का िहला दीिान), शुजाउद्दीन, अलीिदी खाों (इसने मुगलोों को सम्मान प्रदान करना
बोंद कर पदया) ।
इिाहाबाद की सोंनध :
• रॉबटा क्लाइि के द्वारा शुजाउद्दीन तथा मुगल बादशाह शाह आलम पद्वतीय के साथ इस सोंपध िर हिाक्षर पकया गया।
• इिाहाबाद की िहिी सोंनध : शुजाउद्दीन ने इलाहाबाद को बादशाह शाह आलम पद्वतीय को समपिात कर पदया। उसने जमीोंदारोों
को उसकी सोंिपत्तयोों का िूणा अपधकार प्रदान पकया।
• इिाहाबाद की दू सरी सोंनध : िाह आिम नद्वतीय को कोंिनी के सोंरक्षण में इलाहाबाद में रखा गया। उसके द्वािा एक फिमान
जािी वकया गया वजसके द्वािा ईस्ट इृं वडया कृंपनी को बृंगाल, वबहाि तथा उड़ीसा में सिी िीिानी अविकाि प्राप्त हो गए।
पनजामती कायों के प्रािधानोों को भी कोंिनी के हिाले कर पदया गया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
युद्ध : गठबोंधि: मीर जाफर (अलीिदी खाों की बहन का अोंग्रेजी सेना का प्रपतपनपधत्व हेक्ट्र मुिरो के द्वारा पकया
िपत) + राज दु लाभ, ओमीचोंद तथा जगत पसोंह के साथ गया था।
रॉबटा क्लाईि बनाम पसराज-उद-दौला।
िररणाम तीनोों का समूह जीत गया। मीर जाफर नया नबाि इस छोटे तथा पनणाा यक युद्ध को हे क्ट्र मुिरो के नेतृत्व
बना। िाली अोंग्रेजी सेना ने जीत पलया।
• 1760: मीर जाफर के द्वारा बगाित। • मीर जाफर को एक कठिुतली की तरह पसोंहासन िर
• 1760 की सोंपध। बैठा पदया गया।
अन्य • मीर जाफर की जगह मीि कावसम को आसन पि • उत्तरी भारत में अोंग्रेजोों की प्रभुता कायम हुई।
बैठाया गया।
• मीर कापसम ने कोंिनी से दू री बनाने के पलए
राजधानी को मुपशादाबाद से हटाकर मुोंगेर
(पबहार) कर पदया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
िािीित की र्ीसरी लडाई (1761) के बाद के प्रमुख मराठा पररवार जर्म्नजलक्तिर् हैं :
प्रथम आों ग्ल मराठा युद्ध • सूरत की सोंनध : रघुनाथ राि तथा अोंग्रेज़ोों के बीच, सालसेट तथा बेपसन के क्षेत्र को
(1775-1782) अोंग्रेज़ोों को सौि पदया।
• िुरोंधर की सों नध : कलकत्ता िररषद के द्वारा ऊिरोि सोंपध को रद्द कर पदया गया।
रघुनाथ राि को उसके िद से हटा पदया गया तथा उसे िेंशन पदया जाने लगा। नाना
फड़निीस के द्वारा इस सोंपध की अिहे लना की गई। अोंग्रेज़ोों के द्वारा जबाबी कारा िाई
की गई। िडगाों ि की सोंपध िर हिाक्षर पकए गए।
• सािबाई की सोंनध : िड़गाों ि की सोंपध को िारे न हे क्तस्टोंग्स के द्वारा अस्वीकार कर पदया
गया। उसने पसोंपधया को भी हराया। 20 िषों के पलए शाों पत सोंपध िर हिाक्षर पकया
गया।
• बाजीराि पद्वतीय (िेशिा) तथा पसोंपधया की सोंयुि सेना को यशिोंत राि होिर के द्वारा
हरा पदया गया।
नद्वतीय आों ग्ल मराठा युद्ध • अोंग्रेज़ोों तथा िेशिा के बीच िू ना के पसोंहासन के बदले बेसीन की सोंनध (1802) िर
(1803-1805) हिाक्षर पकया गया।
• िेििा िे सहायक सोंनध को स्वीकार कर निया।
• पसोंपधया तथा भोसले ने मराठाओों की स्वतोंत्रता को बचाए रखने की कोपशश की।
• िे आथार िेलेिी से हार गए तथा अोंततः उन्ें सहायक सोंनध िर हस्ताक्षर करने िड़े ।
• यििोंत राि होल्कर को 1804 में िराि कर पदया गया।
• बेसीि की सोंनध में मराठाओों की स्वतोंत्रता खत्म हो गयी।
• 1817 में, िेशिा के द्वारा िुणे में अोंग्रेजी रे पसडें सी िर हमला पकया गया।
तृतीय आों ग्ल मराठा युद्ध • यह मराठा राि को बचाने के पलए अोंपतम प्रयास था। उन्ोोंने सिी मिाठा सििािोृं को
(1817-1819) अृंग्रेजो के क्तखलाफ एकजुट वकया। अोंग्रेज़ोों ने उन्ें हरा पदया।
• िूिा की संजध: िेशिा के साथ।
• ग्वानियर की सों नध : पसोंपधया के साथ।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• िोंिाब : अोंग्रेज़ोों ने रणजीत पसोंह के साथ शास्वत/ सतत पमत्रता की सोंपध की थी : अमृतसर की सोंपध (1809)
• युद्ध में पसखोों के हार जाने के बाद लाहौर की सोंपध िर हिाक्षर पकए गए।
• पसखोों को एक करोड़ की क्षपतिूपता दे नी िड़ी, जालोंधर दोआब को अोंग्रेज़ी राज में पमला
प्रथम आों ग्ल नसख युद्ध (1845- पलया गया, लाहौर में हे नरी लॉरें स के अधीन में एक रे सीडें सी स्थापित की गई।
46) • युद्ध की क्षपतिूपता दे ने में पिफल रहने िर, गुलाब पसोंह को कश्मीर बेच पदया गया।
• भैरोिल की सोंपध : रानी पजोंद को राि सोंरक्षक/प्रपतपनपध के िद से हटा पदया गया।
• 8 पसख सरदारोों की एक िररषद बनाई गई, पजसकी अध्यक्षता अोंग्रेज़ के द्वारा की जाती
थी।
• मूलराज (मुल्तान का प्रशासक/गिनार) ने पिद्रोह कर पदया, शेर पसोंह को पिद्रोह कुचलने
के पलए भेज गया लेपकन िो भी मूलराज से पमल गया।
नद्वतीय आों ग्ल नसख युद्ध (1848- • यह लॉडा डलहौजी के द्वारा िोंजाब को हड़िने का एक बहाना था।
49) • शेर पसोंह हार गया। शेर पसोंह तथा पसखोों की सेना ने 1849 में आत्मसमिाण कर पदया।
• िोंजाब अब मुख्य कमाों डर के अधीन आ गया। जॉन लॉरें स िहला मुख्य कमाों डर बना।
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• नद्वतीय आों ग्ल अफगाि युद्ध (1870-80): पलटन ने अफगापनिान के अमीर शेर अली िर आक्रमण करने की योजना बनाई।
शेर अली के भाग जाने के बाद, याकूब अली तथा अों ग्रेज़ोों के बीच गोंडममक की सोंपध िर हिाक्षर हुआ। याकूब अली के द्वारा
िदत्याग करने के बाद, अब्दु ल रहमान को नया अमीर पनयुि पकया गया। अोंत मे, अफगापनिान का खोंडन करने िाले पलटन
की योजना को अोंजाम नहीों पदया जा सका तथा ररिन ने अफगापनिान को बफ़र राि के रूि में रखने का फैसला पकया।
ऑकिैंड की अनग्रम (फॉरिडत ) िीनत : यह िड़ोसी दे शोों के साथ या तो सोंपध के माध्यम से या उन्ें हड़ि कर रूपसयोों के
आक्रमण से भारत की सीमाओों की रक्षा करने के पलए था। दोि मोहम्मद के रूस तथा िपसाया के साथ चले जाने के बाद अोंग्रेज़ोों
के द्वारा पसख तथा शाह शुजा के साथ नत्रिक्षीय सोंनध िर हिाक्षर पकए गए।
अफगानिस्ताि तथा नब्रनटि प्राोंतोों के बीच डूरों ड रे खा खी ोंची गई। बाद में भारत सरकार के अधीन उत्तर िपिम सीमाों त प्रान्त
का सृजन पकया गया। यह जनजापतयोों तथा अोंग्रेज़ोों के बीच एक सहमपत का िररणाम था। कज़ान (1899-1905) ने िािसी तथा
एकाग्रता की नीपत का िालन पकया।
िारे ि हे क्तस्टोंग्स के • अिने पकसी एक प्रदे श/इलाके का बचाि करने के पलए आसिास के अन्य प्रदे शोों/इलाकोों के बाहर
द्वारा ररों ग फेंस (घेर बफर क्षेत्र का पनमाा ण।
की) िीनत • अफगानोों तथा मराठाओों के द्वारा अोंग्रेज़ोों के बोंगाल क्षेत्र िर आक्रमण करने के पिरुद्ध अिध ने एक
(1773-85) बफर क्षेत्र के रूि में काया पकया।
• इसके तहत शापमल सभी भारतीय रािोों को अिनी सीमाओों िर अोंग्रेज़ी सेना रखनी होती थी तथा
उनके रखरखाि के पलए भुगतान भी करना होता था।
• शासक को अिने दरबार मे एक अोंग्रेज़ अपधकारी को पनयुि करना होता था।
• अोंग्रेज़ोों की अनुमपत के पबना राजा पकसी भी यूरोिीय को पनयुि नहीों कर सकता था।
िैिेििी के द्वारा • शाों पतिाताा के पलए दु श्मनोों से सोंिका नहीों कर सकता था।
सहायक सोंनध • रखरखाि के पलए बहुत अपधक खचा की माों ग की जाती थी, जब शासक अदा कर िाने में असमथा
(1798-1805) रहते तब उनसे उसके क्षेत्र के एक पहस्े को अोंग्रेज़ोों को सौोंि दे ने को कहा जाता था।
• सहायक सोंनध - है दराबाद के पनज़ाम के साथ इस सोंपध का प्रथम उियोग पकया गया था। 1798 में
इसने पनज़ाम को फ्ाों सीसी से अलग कर पदया और पब्रपटश सहमपत के पबना मराठा के साथ गठबोंधन
करने से भी मना कर पदया। दू सरा राि 1799 में मैसूर था। िेर्ल्ली ने अिध के निाब को 1801 में
सहायक गठबोंधन की नीपत स्वीकार करने के पलए मजबूर पकया।
• इस सोंनध िर इिके द्वारा हस्ताक्षर नकए गए थे : अिध के नबाि, है दराबद के पनज़ाम, मैसूर का
शासक, तोंजौर का शासक, िेशिा, बरार का भोोंसले, पसोंपधया, राजिूत रािोों के द्वारा, भरतिुर के
शासक तथा होिर के द्वारा।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
(1876-1880)
िॉि िॉरें स तथा • यह प्रथम अफगान युद्ध की एक प्रपतपक्रया थी। सीमाों तीय समस्यायोों तथा स्वतोंत्रता के पलए अफगान
कुिि अकमतण्यता के जुनून के कारण जॉन लॉरें स ने उत्तरोत्तर युद्धोों में भी कोई हिक्षेि नहीों पकया।
(मास्टरिी • क्तस्थपतयाों : सीमाों त िर शाोंपत बनी रही + गृह युद्ध की क्तस्थपत में पकसी भी िक्ष के द्वारा कोई पिदे शी
इिक्तक्ट्निटी) की सहायता नहीों ली गई।
िीनत
(1864-1869)
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िि-असोंतोि के कारण
• औिपनिेपशक भू-राजस्व बोंदोबि; निीन करोों का भारी बोझ और पकसानोों को उनकी भूपम से बेदखल करना।
• ग्रामीण समाज में मध्यिती राजस्व सोंग्रहकताा ओ,ों ऋणदाताओों के बढ़ने से शोषण में िृक्तद्ध हुई।
• जनजापतयोों/आपदिापसयोों की भूपम िर राजस्व प्रशासन का पििार।
• स्वदे शी उद्योग का पिनाश और पब्रपटश पनपमात ििुओों का प्रसार।
• िुरोपहत और पिज्ञान आधाररत पशक्षा िद्धपत का अोंत।
• पब्रपटश शासन का पिदे शी चररत्र।
िि-अोंसतोि के स्वरूि
• जन पिद्रोह
• पकसान पिद्रोह
• जनजातीय पिद्रोह
• सैपनक पिद्रोह
• 1770 के पिनाशकारी अकाल और अोंग्रेजोों के कठोर आपथाक आदे श ने िूिी भारत में
सोंन्यापसयोों के एक समूह को पब्रपटश से लड़ने के पलए मजबूर कर पदया।
• पकसान, भूपम से बेदखल पकसान, बड़ी सोंख्या में छोटे जमीोंदारोों, पिस्थापित सैपनकोों और
गरीब ग्रामीण भी सन्यासी निद्रोह में शापमल थे।
• इस पिद्रोह को िॉरे न हे क्तस्टोंग्स द्वारा दबाया गया।
• इस आों दोलन में पहों दू और मुसलमानोों की एक समान भागीदारी रही, इसपलए इसे कभी-
सन्यासी निद्रोह कभी फकीर पिद्रोह के नाम से भी जाना जाता है ।
(1763-1800) • नेता: मजनुम शाह (या मजनू शाह), पचराग अली, मूसा शाह, भिानी िाठक और दे िी
चौधरानी।
• दे िी चौधरानी की भागीदारी ने पब्रपटशोों के पिरुद्ध प्रारों पभक पिद्रोह में मपहलाओों की भूपमका
को मान्यता दी।
• बोंपकम चोंद्र चट्टोिाध्याय का ऐपतहापसक उिन्यास आनोंदमठ, सोंन्यासी पिद्रोह िर आधाररत
है ।
• क्षेत्र - बोंगाि
• कारण - अकाि, बढी हुई भू-रािस्व माोंगें और दयिीय आनथतक तोंगी िे नमदिािुर
नििे की चुआर िििानत को हनथयार उठािे के निए प्रोत्सानहत नकया।
चुआर निद्रोह • इस जनजापत के लोग मूल रूि से पकसान और पशकारी/आखेटक थे।
• सबसे महत्विूणा पिद्रोह 1798 में दु जान (या दु जोल) पसोंह के अधीन हुआ था।
• 'चुअर' शब्द को कुछ इपतहासकारोों द्वारा अिमानजनक माना जाता है , इसपलए इसे जोंगल
महल पिद्रोह के नाम से भी जाना जाता हैं )।
• क्षेत्र - बोंगाि
• िेता- मीर िथर अिी और टीटू मीर
टीटू मीर का आों दोिि • कारण - नहों दू भू नम स्वामी के क्तखिाफ निन्होोंिे फैनियोों िर दाढी कर िगाया।
(1782-1831) • सैयद मीर निसार अिी, या टीटू मीर एक नकसाि िेता हैं निन्होोंिे 1831 में िमी ोंदारोों
और नब्रनटि औिनििेनिक अनधकाररयोों के क्तखिाफ िकेल्बररया निद्रोह का िेतृत्व
नकया था।
• िकेल्बेररया निद्रोह को अक्सर अोंग्रेिोों के क्तखिाफ िहिा सिस्त्र नकसाि निद्रोह मािा
िाता है । आों दोिि िे नकरायेदारोों के अनधकारोों की रक्षा की।
• छोटा नागिुर के कोलोों ने बुद्धो भगत के नेतृत्व में (1831) में यह पिद्रोह पकया पिद्रोह का
प्रमुख कारण अोंग्रेजोों द्वारा उस क्षेत्र में प्रसार तथा कोलोों की भूपमयोों को पदकुओों (थास्य
कोि निद्रोह व्यक्तियोों) को हिाों तररत पकया जाना था। इस पिद्रोह को कुचल पदया गया।
(1831) • यह पिद्रोह राों ची, पसोंहभूम, हजारीबाग, िलामू और मानभूम के िपिमी क्षे त्रोों में फैला था।
पिद्रोह की आग उस समय सुलगी जब कोल मुक्तखयाओों (मुोंडा) से बड़े िैमाने िर जमीन का
हिाों तरण पहों दू, पसख एिों मुक्तिम जैसे बाहरी पकसानोों को पकया गया। इस काया से छोटा
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नागिुर के कोल नाराज हो गए और 1881 में, बुद्ध भगत के नेतृत्व में कोल पिद्रोपहयोों ने
हजारोों बाहरी पकसानोों को मार पदया या जला पदया। केिल बड़े िैमाने िर सैन्य अपभयान से
कानून व्यिस्था एिों शाोंपत िुनः स्थापित की जा सकी।
• िायक ओपडशा के िरम्परागत िैदल सैपनक थे और अिनी सैन्य सेिाओों के पलए लगान
मुि जमीन प्राप्त करते थे तथा िोंशानुगत आधार िर इस काया को करते थे।
• अोंग्रेजी कोंिनी द्वारा 1803 में ओपडशा िर पिजय प्राप्त की गई और खुदाा के राजा को
पसोंहासन से हटाने के कारण िायकोों के सम्मान एिों शक्ति में बेहद कमी आई।
• इसके अपतररि, कोंिनी की शोषणकारी भू-राजस्व नीपत जमीोंदारोों एिों पकसानोों के बीच
समान रूि से रोष का कारण बनी। लोग करारोिण के कारण नमक की कीमती में िृक्तद्ध,
स्थानीय मुद्रा समाप्त करने, और करोों का भुगतान चाों दी में करने इत्यापद जैसे अोंग्रेजी शासन
के शोषणकारी कदमोों से बुरी तरह प्रभापित थे।
• बक्शी जगबन्धु पिद्याधर खुदाा के राजा की सेना का सेनािपत था।
िाइका निद्रोह • 1814 में, जगबन्धु के िूिाजोों के पकला रोराों ग की सोंिपत्त को कोंिनी ने जबरन ले पलया। पिद्रोह
(1817) की पचोंगारी उस समय भड़की जब माचा 1817 में खोोंड लोगोों का एक समूह गुमसुर से खुदाा
क्षेत्र में आ गया। स्थानीय 'िायकोों' ने, जो पक मुगलोों एिों मराठोों के पिरुद्ध मोचाा ले चुके थे ,
अोंग्रेजोों का प्रभािी प्रपतरोध पकया और खुदाा जैसे स्थानोों िर उन्ें करारी मात दी।
• इस पिद्रोह में िायकोों का नेतृत्व जगबन्धु ने पकया था। इस पिद्रोह को िाइका पिद्रोह के नाम
से भी जाना जाता है ।
• यह पिद्रोह 1817 ई. में शुरू हुआ था, जो 1818 ई. में आकर पशपथल िड़ गया, यद्यपि
जगबन्धु 1821 ई. तक अोंग्रेजोों का प्रपतकार करते रहे ।
• िायक पिद्रोही बकायोों में बड़ी छूट, मूल्ाों कन में छूट, ऋण चुकाने में अक्षम (पडफाल्टसा)
लोगोों की मनमाने रूि से एस्टे ट की पबक्री को रद्द करने, पनपित समय को लेकर नई व्यिस्था
तथा उदार शासन के अन्य अनुबोंधोों को कराने में सफल हुए।
• गडकरी एक िोंशानुगत सैन्य िगा था जो मराठा पकलोों में बसा हुआ था। 1844 के बाद
कोल्हािुर राि में प्रशासपनक िुनगाठन के दौरान इनको हटा पदया गया।
• बेरोजगारी के कारण गडकरीयोों ने पिद्रोह कर पदया तथा समनगढ़ और भूदरगढ़ पकलोों िर
कोल्हािुर और सािोंतिादी कब्जा कर पलया।
निद्रोह • इसी तरह, असोंतोष के कारण सािोंतिाड़ी क्षेत्रोों में पिद्रोह हुआ। यहााँ के लोग िहले ही 1830,
1836 और 1838 में अोंग्रेजोों के क्तखलाफ पिद्रोह कर चुके थे।
• पजसके फलस्वरूि पब्रपटश अपधकाररयोों ने इस क्षेत्र को पनयोंत्रण में लाने के पलए कई कानून
िेश पकए।
• िहाबी आों दोलन मूल रूि से एक इिापमक िुनरुत्थानिादी आों दोलन था पजसकी स्थािना
राय बरे ली के सैयद अहमद ने की थी जो सऊदी अरब के अब्दु ल िहाब (1703-87) और
पदल्ली के शाह िलीउल्लाह के पसद्धाों तोों से प्रेररत था।
• सैयद अहमद ने इिाम िर िपिमी प्रभाि की पनोंदा की और िैगोंबर के समय के अरब में
होने के नाते शुद्ध इिाम और समाज में िािसी की िकालत की।
• सैयद अहमद को इमाम के रूि में जाना जाता था।
• आध्याक्तत्मक गुरु (खलीफाओों) के अधीन काम करने के पलए दे शव्यािी िर िर एक गु प्त
सोंगठन को स्थापित पकया गया था और पजसके आधार केंद्र के रूि में उत्तरी-िपिमी
आपदिासी क्षेत्र को सीथाना चुना गया था।
िहाबी आों दोिि • भारत में, इसका महत्विूणा केंद्र िटना था, हालाों पक इसके अन्य केंद्र है दराबाद, मद्रास,
बोंगाल, सोंयुि प्राों त और बॉिे में थे।
• इसका उद्दे श्य दार-उल-हरब (युद्ध या अराजकता का क्षेत्र) को दार-उल-इिाम (इिाम
की भूपम) में िररिपतात करना था, इसपलए इसके द्वारा िोंजाब के पसख राि में पजहाद की
घोषणा की गई थी।
• 1849 में पसख शासक की हार और िोंजाब को ईस्ट इों पडया कोंिनी के प्रभुत्व में आने के
बाद, भारत में अोंग्रेजी प्रभुत्व िहापबयोों के हमलोों का एकमात्र लक्ष्य बन गया था।
हो और मुोंडा निद्रोह • राजा िराहत के नेतृत्व में हो जनजापतयोों द्वारा।
(1820-1837) • 1827: पसोंह भूपम एिों छोटा नागिुर); पसोंहभूपम पजले को अोंग्रेजोों द्वारा हिगत कर पलये जाने
के पिरोध में।
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• हो एिों मुण्डा जनजापतयोों द्वारा सोंयुि रूि से (1831); अोंग्रेजोों की नयी भू-राजस्व िद्धपत के
पिरोध में।
• मुण्डाओों द्वारा पिरसा मुण्डा के नेतृत्व में (1899-1900; राोंची के दपक्षण में): पबरसा मुण्डा
को पगरफ्तार कर जेल में डाल पदया गया।
• उलगुलान पिद्रोह; पबरसा मुण्डा ने इस पिद्रोह का समथान पकया (1860-1920); सामोंती एिों
जमीोंदारी व्यिस्था प्रारों भ पकये जाने तथा साहूकारोों एिों ठे केदारोों द्वारा शोषण पकये जाने के
पिरोध में । 1899-1900 में, राोंची के दपक्षण में क्षेत्र के मुोंडा पबरसा मुोंडा के अधीन आए।
• क्षेत्र - गारो और जयोंपतया िहापडयोों।
• नेता - तीरथ पसोंह।
• कारण - गारो और जयक्तन्तया िहापड़योों के बीच िहाड़ी क्षेत्र िर अपधकार करने के ििात्,
ईस्ट इक्तण्डया कोंिनी पसल्हट के साथ ब्रह्मिुत्र घाटी में एक स सम्पका का पनमाा ण करना
खासी निद्रोह चाहती थी। इसके पलए, अोंग्रेजोों, बोंगापलयोों और मैदानी क्षेत्रोों से श्रपमकोों को इस क्षेत्र में लाया
गया।
• खासी, गारो, खम्पपतस एिों पसोंग्फोस ने मैदानी क्षे त्रोों से आए बाहरी लोगोों को िापिस भेजने
के पलए तीरथ पसोंह के नेतृत्व में स्वयों को सोंगपठत पकया।
• यह पिद्रोह क्षेत्र में पब्रपटश शासन के पिरुद्ध प्रपसद्ध पिद्रोह बन गया। 1833 तक, सिोत्कृष्ट
अोंग्रेज सैन्य शक्ति ने पिद्रोह को कुचल पदया।
• 1830 के िूिाा द्धा में असम में पसोंग्फोस के पिद्रोपहयोों का ही दमन कर पलया गया लेपकन
उन्ोोंने पिद्रोह को पनरों तर जारी रखा।
पसोंन्फोस पिद्रोह • 1839 के पिद्रोह में पब्रपटश राजनीपतक एजेंट की मृत्यु हो गई। पनराों ग पफदू के नेतृत्व में
1849 में पिद्रोह पकया गया, जो पब्रपटश गैरी िर हमले एिों कई सैपनकोों की हत्या में शापमल
था।
• कुछ छोटे आों दोलनोों में पमश्मी (1836) खाम्पपत पिद्रोह (1839 और 1842 के
बीच), लुलाई पिद्रोह (1842-1844) शापमल थे।
• क्षेत्र – बोंगाल
• प्रमुख नेता – करमशाह और टीिू शाह।
िागलिोंथी पिद्रोह • कारण – पकराया में िृक्तद्ध।
(1825-1835) • 1825 से 1835 के बीच िागलिोंपथयोों ने एक पनपित सीमा से अपधक पकराया दे ने से इों कार
कर पदया और जमीोंदारोों के घरोों िर हमला पकया। यद्यपि सरकार ने इन पकसानोों के सोंरक्षण
के पलए एकसमान प्रबोंधन प्रिुत पकया। अोंततः सरकार द्वारा आों दोलन को पहों सक रूि से
दबा पदया गया।
• फरायजी िूिी बोंगाल में फरीदिुर के हाजी शरीयत-अल्लाह द्वारा स्थापित एक मुक्तिम िोंथ
के अनुयायी थे।
• उन्ोोंने आमूलचूल धापमाक, सामापजक एिों राजनीपतक िररितानोों की िकालत की। यह
फरायिी निद्रोहः आन्दोलन बोंगाल के फरीदिुर पजले में आरम्भ हुआ था। बोंगाल में कालान्तर में इस आन्दोलन
ने अोंग्रेजोों के पिरोध का रुख अिना पलया। शरीयतुत्ता एिों उसके िुत्र मुहम्मद मोहपसन/दु र्
पमया(1819 -60) ने बोंगाल के गरीब पकसानोों के बीच काफी लोकपप्रयता अपजात की और
उनके बल िर एक सशि एिों प्रभािी आन्दोलन चलाया।
• फरायजी पिद्रोह 1838-1857 तक जारी रहा। अपधकतर फरायजी ने बहािी िदिी धारण
कर ली।
• कूका पिद्रोह की शुरुआत 1840 में जिाहरमल भगत (पसयान सापहब) ने िपिमी िोंजाब में
की।
• बाबा राम पसोंह इस आों दोलन के एक अन्य प्रमुख नेता थे। (इनके द्वारा नामधारी पसख सोंप्रदाय
की स्थािना की गयी थी।)
• प्रारों भ में कुका आन्दोलन एक धापमाक सुधार आन्दोलन था, पकन्तु अोंग्रेजोों द्वारा िोंजाब को
कूका निद्रोह हिगत कर लेने के ििात यह राजनैपतक आन्दोलन में िररिपतात हो गया।
• इस आन्दोलन का उद्दे श्य जातीय भेदभाि का उन्मूलन, पसखोों को समानता का अपधकार,
माों स, मपदरा एिों अन्य नशीली ििुओों के सेिन से िरहेज, अन्तरजातीय पििाह को प्रोत्साहन
तथा मपहलाओों में िदाा प्रथा को दू र करना इत्यापद प्रमुख थे।
• राजनीपतक दृपष्ट से दे खा जाए तो, कूका अोंग्रेजोों को हटाकर िोंजाब में पसख शासन स्थापित
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
करना चाहते थे। उन्ोोंने हाथ से बने किड़े िहनने की िकालत की अोंग्रेजी पनयमोों एिों पशक्षा
तथा उत्पादोों का बपहष्कार करने का आह्वान पकया।
• इस प्रकार, बीसिीों सदी की शुरुआत में िे भारतीय राष्टरीय आों दोलन का पहस्ा बने तक
कूका द्वारा स्वदे शी और असहयोग की अिधारणा को प्रचाररत पकया गया।
• सोंथालोों एक कृपष करने िाली जनजापत, के पनरों तर दमन ने जमीोंदारोों के पिरुद्ध उनके पिद्रोह
को जन्म पदया। जो राजमहल िहापड़योों (पबहार) के मैदानी इलाकोों में बसे हुए थे, उनके द्वारा
जमीोंदारोों के क्तखलाफ सोंथाल पिद्रोह का नेतृत्व पकया।
• साहूकारोों ने, पजन्ें िुपलस का समथान प्राप्त था, जमीोंदारोों का साथ पदया और पकसानोों िर
सोंथाि निद्रोह (1855-56) अत्याचार पकया तथा उन्ें भूपम से बेदखल पकया। यह पिद्रोह पब्रपटश शासन पिरोधी
आों दोलन में िररिपतात हो गया।
• पसद् धू एिों कान्हहू के नेतृत्व में , सोंथाल ने कोंिनी शासन के अोंत की घोषणा कर दी, और
भागलिुर तथा राजमहल के बीच के क्षेत्र को स्वायत्त घोपषत कर पदया।
• इस पिद्रोह को 1856 तक कुचल पदया गया।
• क्षेत्र – बोंगाल
• नेता – पिष्णु पिश्वास और पदगोंबर पिश्वास।
• कोंिनी के कुछ अिकाश प्राप्त अपधकारी बोंगाल तथा पबहार के जमीोंदारोों से भूपम प्राप्त कर
नील की खेती करिाते थे। िे पकसानोों िर अत्याचार करते थे। िे मनमानी शतों िर खेती
करने के पलए बाध्य करते थे।
बोंगाि का िीि आों दोिि • अप्रैल 1860 में िािना और नापदया पजलोों के समि कृषकोों ने भारतीय इपतहास की प्रथम
(1860) कृषक हड़ताल की। यह हड़ताल जैसोर, खुलना, राजशाही, ढाका, मालदा, दीनाजिुर आपद
में फैल गयी।
• बोंगाल के बुक्तद्धजीपियोों ने इस आों दोलन में महत्विूणा भूपमका पनभायी। उन्ोोंने पकसानोों के
समथान में समाचार ित्रोों में लेख पलखे, जनसभाओों का आयोजन पकया तथा उनकी माों गोों के
सोंबोंध में सरकार को ज्ञािन सौोंिे।
• क्तस्थपत को दे खते हुए सरकार ने नील उत्पादन की समस्याओों िर सुझाि दे ने के पलये नील
आयोग का गठन पकया।
• हरीशचोंद्र मुखजी (सोंिादक पहों दू िैपटर यट), दीनबोंधु पमत्रा : नील दिाण।
• क्षेत्र- बोंगाल
• नेता - खूदी मुल्ला, शोंभूिाल।
• कारण- जमीोंदारोों द्वारा पकसानोों िर कानूनी सीमा से बहुत अपधक करारोिण तथा उनकी
िाबिा निद्रोह मनमानी कारगुजाररयाों ।
(1873) • िािना पजले के यूसुफजाही िरगने में 1873 में जमीोंदारोों की मनमानी के प्रपतकार के पलये
पकसान सोंघ की स्थािना की गयी। सोंघ ने जमीोंदारोों के क्तखलाफ मुकदमे दायर पकये तथा
इसके पलये कोष भी स्थापित पकये गये।
• यद्यपि कृषक पिद्रोह का यह चरण 1885 तक चला, जब तक बोंगाल काश्तकारी कानून नहीों
बना था।
• क्षेत्र- िुणे, सतारा, अहमदनगर।
• नेता- िारों िररक प्रमुख िटे ल।
• कारण- किास की कीमत में पगरािट, करोों का भारी बोझ और ऋण सोंबोंधी कागिात में
हे राफेरी तथा राजस्व माों ग में 50% की िृक्तद्ध।
दक्कि निद्रोह • नकसािोों िे महाििोों एिों सूदखोरोों के घरोों एिों व्यािाररक प्रनतष्ठािोों िर हमिे नकये ।
(1875) उिके ऋण सोंबोंधी कागिात तथा करारिामे निये गये तथा साितिनिक तौर िर उिको
आग िगा दी गयी।
• िूिा सितिि सभा द्वारा न्यायमूनतत रािाडे के अगुिाई में डे क्कि दों गा आयोग की को
नियुि नकया गया था
• सरकार िे आों दोििकाररयोों के प्रनत दमिकारी िीनतयाों अििायी ों तथा आों दोिि को
कुचि नदया। 1879 में दक्कि कृिक राहत अनधनियम बििे से आों दोिि िूणततया
समाप्त हो गया।
• िोंिाब भूनम अिगाि अनधनियम, 1900 िे िोंिाब के नकसाि निद्रोह को िाोंत नकया।
• क्षेत्र- िोंिाब
• कारण – अििी भूनम से बेदखिी के निरुद्ध।
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िोंिाब नकसाि निद्रोह • िोंिाब भूनम अिगाि अनधनियम 1900 में िाररत नकया गया था।
(1885) • भूनम और रािस्व माोंग की नबक्री और बोंधक का निनियमि।
• क्षेत्र -महाराष्टर
रामोसी निद्रोह (1877-87) • नेता- िासुदेि बलिोंत फड़के
• कारण - डे क्कन अकाल (पब्रपटश के पलए एों टी फेपमपनज्म उिाय करने में पिफलता।
• रामोसी पकसानोों और पहों दू राज की स्थािना के माध्यम से सोंगपठत।
• इसका पहों सक तरीके से पिरोध पकया गया।
• क्षेत्र - चोंिारण (पबहार)
• नेता- महात्मा गाों धी।
चोंिारण आों दोिि • कारण - पतनकपठया – भूपम के 3/20 भाग में नील की खेती।
(1917) • जमान सोंश्लेषण के साथ प्रपतस्पधाा के कारण मूल् ितन, उच्च कराधान और पकसानोों िर
अिैध बकाया।
• गाों धीजी द्वारा अपहों सात्मक प्रपतरोध या सत्याग्रह का मागा चु ना गया। पजसके फलस्वरूि
शोषणकारी पतनकपठया प्रणाली को समाप्त कर पदया गया।
• क्षेत्र-खेड़ा (गुजरात)
• नेता- गाों धी और सरदार िल्लभभाई िटे ल।
• कारण - खेड़ा के लोग फसल खराब होने और प्लेग की महामारी के कारण अोंग्रेजोों द्वारा
लगाए गए उच्च करोों का भुगतान करने में असमथा थे।
खेड़ा सत्याग्रह • राजस्व सोंपहता के अनुसार, यपद फसल का उत्पादन, कुल उत्पाद के एक-चौथाई से भी कम
(1918) हो तो पकसानोों का राजस्थ िूरी तरह माफ कर पदया जाना चापहए, पकन्तु सरकार ने पकसानोों
का राजस्व माफ करने से मना कर पदया।
• खेड़ा में ही गाों धीजी ने अिने प्रथम िािपिक पकसान सत्याग्रह की शुरुआत की।
• सफलता का प्रभाि गुजरात और िड़ोसी रािोों के पकसानोों के बीच भी दे खा गया।
• क्षेत्र - उत्तर प्रदे श के उत्तरी पजलोों-हरदोई, बहराइच तथा सीतािुर।
• नेता -मदारी िासी।
• कारण - लगान की उच्च दरें (लगान की दरें लगभग 50 प्रपतशत से भी अपधक थीों) राजस्व
एका आों दोिि िसूली के काया में जमीोंदारोों द्वारा अिनायी गयीों दमनकारी नीपतयाों तथा बेगार की प्रथा।
(1921) • शुरूआत में काों ग्रेस और क्तखलाफत आों दोलन द्वारा समथान पकया गया था, िरन्तु बाद में
एका आों दोलन का मुख्य नेतृत्व समाज के पनचले तबके के पकसानोों-मदारी, िासी एिों अन्य
पिछड़ी जापतयोों के पकसानोों तथा कई छोटे जमीोंदारोों ने पकया।
• एक आों दोलन का अपहों सक नीपतयोों में कम पिश्वास था इसपलए यह आों दोलन अलग-थलग
िड़ गया।
• रािस्व माोंग में िृक्तद्ध और िोत के आकार में कमी के साथ-साथ अनधकाररयोों के
अत्याचारोों िे मािाबार के मोििा के बीच व्यािक नकसाि असोंतोि को िन्म नदया।
• 1836-1854 के दौराि 22 निद्रोह हुए। हािाोंनक, इिमें से कोई भी सफि िही ों हो
मोििा निद्रोह सका।
• नद्वतीय मोििा निद्रोह असहयोग आों दोिि के दौराि क्तखिाफत समथतकोों और काोंग्रेस
द्वारा सोंगनठत मोििाओों के ििात् हुआ।
• क्षेत्र-मालाबार
• नेता - सैय्यद ऐिी और सैय्यद फैज़ी।
• कारण - भूपम कर में िृक्तद्ध, नजराना और जमीोंदारोों द्वारा गरीब पकसानोों का शोषण।
• मोिला पिद्रोह या मालाबार पिद्रोह पहों दू भूस्वापमयोों और जेनपमयोों ि पब्रपटश के क्तखलाफ
मोििा निद्रोह या मािाबार मोप्पला मुक्तिमोों द्वारा पकया गया था।
निद्रोह • शुरू में यह केिल जमीोंदारोों के क्तखलाफ था, लेपकन इसके बाद इसे असहयोग आों दोलन से
(1921) सहयोग पमली।
• 1921 में मालाबार पिद्रोह पब्रपटश औिपनिेपशक शासन, प्रचपलत सामोंती व्यिस्था और
दपक्षण मालाबार में क्तखलाफत आों दोलन के िक्ष में प्रपतरोध के रूि में शुरू हुआ था लेपकन
पहों दुओों के क्तखलाफ साों प्रदापयक पहों सा िर ये समाप्त हो गया।
• पब्रपटश ने माशाल लॉ लागू पकया।
• क्षेत्र-गुोंटूर
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िि-निद्रोहोों की कमिोररयाों
• समग्र रूि से, ये पिद्रोह जन-पिद्रोह थे, लेपकन, ििुतः , यह स्थापनक एिों अलग-थलग थे।
• ये अपधकाों शतः स्थानीय पशकायतोों का िररणाम थे।
• नेतृत्व चररत्र में अद्धा -सामोंती, अधोगामी, िरम्परागत दृपष्टकोण िाला था साथ ही उनके पिरोध ने पकसी प्रकार का सामापजक पिकल्प
प्रिुत नहीों पकया।
• यद्यपि इनमें से अपधकतर पिद्रोह पिदे शी शासन को उखाड़ फेंकने की इच्छा के सोंदभा में एक समान प्रतीत होते थे ,िरन्तु यह
राष्टरिादी भािना या साझा प्रयास के कारण नहीों हुआ था, अपितु िे उन दशाओों और हालातोों का पिरोध कर रहे थे , जो उन सबके
पलए समान थीों।
• ये पिद्रोह स्वरूि और िैचाररक-साों स्कृपतक पिषय-ििु में काफी प्राचीन थे।
• इन आों दोलनोों को प्रापधकाररयोों द्वारा ररयायत दे कर शाों त पकया गया।
• इन पिद्रोहोों में लड़ाकोों द्वारा अिने पिरोधी (पिदे शी शासन) के पिरुद्ध प्रयोग पकए जाने िाले हपथयार, िद्धपत एिों रणनीपत तुलनात्मक
रूि से काफी िुराने और अप्रचापलत थे।
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4. 1857 का पिद्रोह
निद्रोह के कारण :
निद्रोह की िुरूआत
सिाप्रथम मेरठ छािनी में पिद्रोह हुआ था। मेरठ पिद्रोह (9 मई, 1857) ने 1857 के पिद्रोह की शुरुआत की थी। मेरठ
के सैपनकोों ने 10 मई, 1857 ई. को ही जेलखानोों तोड़ना, भारतीय सैपनकोों को मुि करना और अोंग्रेजोों को मारना शुरू कर पदया
था। मेरठ में पमली सफलता से उत्सापहत सैपनक पदल्ली की ओर बढ़ने लगे।
नदल्ली िर कब्जा :
• पदल्ली के पिद्रोही भी पसिापहयोों में शापमल हो गए और पदल्ली शहर को उन्ोोंने अिने पनयोंत्रण में कर पलया। अगले पदन, 11
मई को, पसिापहयोों ने िृद्ध बहादु र ज़फर को पहों दुिान का सम्राट घोपषत पकया। लेपकन बहादु र शाह का दु बाल व्यक्तित्व,
िृद्धािस्था तथा नेतृत्व अक्षमता पिद्रोपहयोों को योग्य नेतृत्व दे ने में सक्षम नहीों हो सका। पदल्ली िर उनका यह कब्ज़ा अल्पकापलक
रहा।
नदल्ली की िरािय :
• पब्रपटशोों द्वारा पसतोंबर में पदल्ली िर हमला पकया गया। छह पदनोों के युद्ध के बाद पसतोंबर 1857 में, अोंग्रेजोों ने िुनः
पदल्ली िर अपधकार कर पलया। हजारोों पनदोष लोगोों का नरसोंहार पकया गया और सैकड़ोों लोगोों को फाों सी दी गई।
बूढ़े राजा को िकड़ पलया गया और बाद में उसे रों गून भेज पदया गया जहााँ 1862 में उसकी मृत्यु हो गई। उसके
बेटोों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस प्रकार मुगलोों का शाही िोंश समाप्त हो गया।
निद्रोह के केंद्र : -
पिद्रोह िटना से लेकर राजस्थान की सीमाओों तक फैला हुआ था। इन क्षेत्रोों में पिद्रोह के छह मुख्य केंद्र थे, जैसे पक
कानिुर, लखनऊ, बरे ली, झााँ सी, ग्वापलयर और पबहार में आरा।
निद्रोह का दमि :
1857 का पिद्रोह एक िषा से अपधक समय तक चला। इसे 1858 के मध्य तक दबा पदया गया था। मेरठ में चौदह महीने बाद 8
जुलाई, 1858 को लॉडा कैपनोंग द्वारा शाों पत की घोषणा की गई।
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ििरि िॉि 20 पसतोंबर 1857 को पदल्ली िर कब्जा कर पलया (लड़ाई के दौरान प्राप्त घाि के कारण जल्द ही पनकोलसन
निकोिसि की मृत्यु हो गई)।
मेिर हडसि इन्ोोंने पदल्ली में बहादु र शाह के बेटे और िोते की हत्या की थी।
सर हय्यूि व्हीिर 26 जून 1857 तक नाना सापहब की सेनाओों के पिरुद्ध युद्ध। पब्रपटश सेनाओों ने इलाहाबाद के सुरपक्षत सोंचालन
के िादे िर 27 तारीख को आत्मसमिाण पकया।
जून 1857 में जनरल पनल ने बनारस और इलाहाबाद को पफर से सोंगपठत पकया। कानिुर में, उन्ोोंने नाना
ििरि िीि सापहब की सेना द्वारा अोंग्रेजी की हत्या के क्तखलाफ भारतीयोों को बदला लेने के पलए मार डाला। पिद्रोपहयोों से
लड़ते हुए लखनऊ में पनधन।
सर कोनिि कैंिबेि 6 पदसोंबर, 1857 को कानिुर िर अपधकार। 21 माचा, 1858 को लखनऊ िर अपधकार। 5 मई, 1858 को बरे ली
िर िुनः कब्जा।
हेिरी िॉरें स अिध के मुख्य आयुि, जो 5 मई, 1858 को लखनऊ में पिद्रोपहयोों द्वारा पब्रपटश पनिास की जब्ती के दौरान मारे
गए।
मेिर ििरि हैििॉक 17 जुलाई, 1857 को पिद्रोपहयोों से (नाना सापहब की सेना ) िरापजत। पदसोंबर 1857 में लखनऊ में पनधन हो
गया।
निनियम टाइिर और आरा में अगि 1857 में पिद्रोह का दमन।
आई
ह्ययू रोि इन्ोोंने झाों सी में पिद्रोह को दबाया और 20 जून, 1858 को ग्वापलयर िर पफर से कब्ज़ा कर पलया। उनके द्वारा
िूरे मध्य भारत और बुोंदेलखोंड को पब्रपटश पनयोंत्रण में लाया गया।
किति ओोंसेि बनारस िर कब्जा कर पलया।
निद्रोह का िररणाम :
• भारत सरकार अपधपनयम, 1858 (सुशासन अपधपनयम 1858) - पजसे कोंिनी के शासन को समाप्त करने के पलए िाररत पकया
गया था और शासन को पब्रपटश ताज में िररिपतात कर पदया गया था, जो पक 1857 के पिद्रोह का िररणाम था।
• भारत के पब्रपटश गिनार-जनरल को िाइसराय की उिापध प्रदान की गई, जो सम्राट का प्रपतपनपध बन गया। इसने पनयोंत्रण बोडा
और पनदे शक मोंडल को समाप्त करके सरकार दोहरी की प्रणाली को समाप्त कर पदया।
• भारतीय प्रशासन िर िूणा अपधकार और पनयोंत्रण के साथ, इसके द्वारा एक नए िद का सृजन पकया। राि सपचि पब्रपटश कैपबनेट
का सदस्य था और अोंततः पब्रपटश सोंसद के पलए उत्तरदाई था।
• 1857 के पिद्रोह ने भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के शासन के अों त को पचपित पकया। भारत का शासन अब प्रत्यक्ष रूि से
पब्रपटश ताज के हाथोों में चला गया। ताज की ओर से इस घोषणाित्र लॉडा कैपनोंग ने 1 निोंबर 1858 को इलाहाबाद के एक दरबार
में जारी पकया था। इस प्रकार, भारतीय प्रशासन को महारानी पिक्ट्ोररया ने अिने अपधकार क्षेत्र में ले पलया, पजसका प्रभाि
पब्रपटश सोंसद िर िड़ा। गिनार जनरल का िद अब िायसराय का बन गया।
• व्यिगत के पसद्धाों त को समाप्त कर पदया गया था। कानूनी उत्तरापधकारी के रूि में बेटोों को गोद लेने का अपधकार स्वीकार
पकया गया।
निद्रोह के िाभ
• 1857 के पिद्रोह का महत्व इस तथ्य में पनपहत है पक इसने पहों सक तरीके से, पिपभन्न िगों के लोगोों की आिाज उठाई ।
• अोंग्रेजोों को एहसास हो गया पक भारत में सबकुछ पब्रपटश पनयोंत्रण में नहीों है ।
• भारत आधुपनक राष्टरिाद से अनपभज्ञ था, पफर भी 1857 के पिद्रोह ने भारतीय लोगोों को एक साथ लाने और उन्ें एक दे श से
सोंबोंपधत होने की चेतना प्रदान करने में महत्विूणा भूपमका पनभाई। इसमें राष्टरिाद और साम्राििाद का बीज पनपहत था, लेपकन
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1857 के पिद्रोह के पलए सामान्य राष्टरीयता और राष्टरिाद की अिधारणा अोंतपनापहत नहीों थी। ऐसा कहा जा सकता है पक 1857
का पिद्रोह पब्रपटश शासन के क्तखलाफ भारतीयोों का िहला महान सोंघषा था। इसने स्थानीय तौर िर पब्रपटश शासन का पिरोध
पकया जो राष्टरीय िर िर आों दोलन का मागा प्रशि करने िाले थे।
• पहों दू मुक्तिम एकता की प्रेरणा - िूरे पिद्रोह के दौरान, सभी िरोों िर पहों दू और मुसलमानोों के बीच िूणा सहयोग था- लोग, सैपनक,
नेता। सभी पिद्रोपहयोों ने बहादु र शाह ज़फ़र, को जो एक मुक्तिम थे को सम्राट के रूि में स्वीकार पकया और मेरठ में पहों दू
पसिापहयोों की िहली टु कड़ी को पदल्ली, मुग़ल साम्राि की राजधानी की ओर प्रस्थान करना था। पिद्रोही और पसिाही, पहों दू और
मुसलमान दोनोों ने एक दू सरे की भािनाओों का सम्मान पकया। एक पिशेष क्षेत्र में पिद्रोह सफल होने के बाद गौ हत्या िर तत्काल
प्रपतबोंध लगाने का आदे श पदया गया था। उदाहरण के पलए, नाना साहे ब के िास अज़ीमुल्ला, एक मुक्तिम और राजनीपतक
प्रचार में एक पिशेषज्ञ, एक सहयोगी के रूि में, पहों दू और मुक्तिम दोनोों ही अच्छी तरह से प्रपतपनपधत्व करते थे, जबपक लक्ष्मीबाई
को अफगान सैपनकोों का ठोस समथान प्राप्त था। इस प्रकार, 1857 की घटनाओों ने यह प्रदपशात पकया पक भारत के लोग और
राजनीपत, 1858 से िहले मूलतः साों प्रदापयक नहीों थे।
1858 की सोंसद के अपधपनयम (पजसे सुशासन अपधपनयम 1858 भी कहा जाता है ) के द्वारा, भारत िर शासन
प्रिासि में बदिाि : करने की शक्ति को ईस्ट इों पडया कोंिनी से पब्रपटश ताज में स्थानाों तररत कर पदया गया था।
• कोंिनी और पनदे शक मोंडल के पनदे शकोों द्वारा भारत िर अपधकार, अब एक िररषद द्वारा पकया जाना था।
• अोंग्रेजोों ने प्रशासपनक सुपिधा के पलए भारत को प्राों तोों में पिभापजत पकया था, जो बोंगाल, बॉिे और मद्रास
प्रेसीडें सी के रूि में जाने जाते थे ।
प्राोंतीय प्रिासि : • प्रेसीडें सी को एक गिनार और उनकी कायाकारी िररषद द्वारा प्रशापसत पकया गया था, पजन्ें महारानी द्वारा
पनयुि पकया गया था।
• अन्य प्राों तोों को उिराििाल और मुख्य आयुिोों द्वारा प्रशापसत पकया गया था पजसे गिनार -जनरल द्वारा
पनयुि पकया गया था।
पित्तीय कपठनाइयोों ने सरकार को नगरिापलकाओों और पजला बोडों के माध्यम से स्थानीय सरकार को बढ़ािा
स्थािीय निकाय : दे कर प्रशासन को और पिकेन्द्ीकृत करने का नेतृत्व प्रदान पकया।
• स्थानीय पनकायोों जैसे पशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और िानी की आिूपता स्थानीय पनकायोों को हिाों तररत की गई
जो स्थानीय करोों के माध्यम से उन्ें पित्त प्रदान करे गी।
• भारतीय सेना को 1858 के बाद सािधानीिूिाक िुनः सोंगपठत पकया गया था, पिशेष रूि से एक और पिद्रोह
को रोकने के पलए।
• सबसे िहले, इसकी यूरोिीय शाखा को सेना में िचास्व की मान्यता दी गई थी। सेना में भारतीयोों की तुलना में
यूरोिीय का अनुिात बढ़ा था। यूरोिीय सैपनकोों को महत्विूणा भौगोपलक और सैन्य क्तस्थपतयोों में रखा गया था।
सेिा में िररितत ि: तोिखाने, टैं क और बख्तरबोंद कोर की महत्विूणा शाखाओों को पिशेष रूि से यूरोिीय हाथोों में रखा गया
था। भारतीयोों को उच्च िदोों से बाहर रखा गया था।1814 तक, कोई भी भारतीय एक सूबेदार के िद से
ऊिर नही ों हो सकता था।
• भारतीय सेना का सोंगठन, फूट डालो और राज करो ’की नीपत िर आधाररत था तापक पब्रपटश पिरोधी पिद्रोह
में पफर से एकजुट होने की सोंभािना को रोका जा सके। बड़ी सोंख्या में िोंजापबयोों, गोरखाओों और िठानोों
जैसी सेना के एक नया िगा को भती पकया गया था।
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कारण
• औिपनिेपशक शासन का प्रभाि।
• सामापजक क्तस्थपत।
• िपिमी सोंस्कृपत का पिरोध।
• प्रबुद्ध भारतीयोों में जागरूकता।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• सामापजक सुधार।
• पब्रपटश औिपनिेपशक शासन में सहायता करना।
सुधारिाद • िपिमी सभ्यता से प्रभापित।
(Reformism) • औिपनिेपशक राि की आलोचना नहीों।
• नरमिोंथी।
• सामापजक सुधार के पिरुद्ध।
• इसे उिपनिेशिाद के पिरुद्ध लाया गया था।
िुिरुत्थाििाद • यह प्राचीन भारतीय धमा के िुनरुद्धार से सोंबोंपधत है , और यह भारतीय आध्याक्तत्मकता की श्रेष्ठता में
(Revivalism) पिश्वास करता है ।
• इसने भारतीय में आत्मपिश्वास को जन्म पदया।
• चरमिोंथी
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िरमहों स मोंडिी दादोबा िाों डुरों ग और • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
(1849) मेहताजी दु गाा राम • जापत व्यिस्था के पिरुद्ध और एक ईश्वर की िूजा के िक्षधर थे।
• नैपतक, प्रेम और अच्छे आचरण िर आधाररत िािपिक धमा को प्रोत्साहन।
सत्यिोधक िोपतराि फुले • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
समाि (1873) • उद्दे श्य: पनम्न जापतयोों और मपहलाओों के बीच समाज सेिा और पशक्षा प्रदान करना।
सिेंट ऑफ़ गोिाल कृष्ण गोखले • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
इों नडया सोसाइटी और एम जी रानाडे • इसका उद्दे श्य धापमाक भािना के तहत दे श की सेिा के पलए निस्वाथत
(1905) कायतकतातओ ों के एक समूह को जुटाना था।
सोिि सनितस नारायण मल्हार जोशी • इसे बॉिे में शुरू पकया गया था।
िीग • इसका उद्दे श्य गरीब लोगोों की मदद करना और िीिि और काम की बेहतर
िररक्तस्थनतयोों के निए काम करिा था।
• यह कलकत्ता में शुरू पकया गया था।
• इसका उद्दे श्य िेदाोंत के सोंदेि के प्रसार के पलए व्यक्तियोों के एक समूह को
रामकृष्ण रामकृष्ण िरमहों स सोंगपठत करना था (पजसने रामकृष्ण िरमहों स के जीिन को प्रेररत पकया)
आों दोिि • पमशन के अनुयापययोों के साथ पमलकर िरोिकारी कायत करिा।
• बोंबई में।
• यह ईश्वर को सच्चे ज्ञान का प्राथपमक स्रोत मानता था।
• इसमें िेदोों को ज्ञान की मुख्य स्त्रोत माना जाता था ।
• धमा में पिश्वास (सही या गलत)
आयत समाि दयानोंद सरस्वती
• सभी व्यक्तियोों की भलाई को बढ़ािा दे ना तथा प्यार और न्याय को बढ़ािा दे ना।
(1875)
• अोंतर-जापत और पिधिा िुनपिािाह को प्रोत्सापहत पकया।
• भूकोंि और सूखे, आपद जैसे प्राकृपतक आिदाओों के समय समाज सेिा को
प्रोत्साहन दे ना।
• शुक्तद्ध (शुक्तद्ध) आों दोलन की शुरुआत, पहों दू धमा में िािस आने के पलए उन लोगोों
के पलए पजन्ोोंने ईसाई धमा या इिाम में धमाां तररत पकया गया था।
बहराम जी. एम. • बाल पििाह का पिरोध पकया और पिधिा िुनपिािाह का समथान पकया।
सेिा सदि मालाबारी और दीिान • बी.एम. मालाबारी (समाचार ित्र: भारतीय स्पेक्ट्रम) के प्रयासोों से ऐज ऑफ कसेंट
(1908) दयाराम पगडूमल अपधपनयम को िाररत पकया गया।
• इसने असहाय, शोपषत और पनरापश्रत मपहलाओों की दे खभाल की और पशक्षा
और पचपकत्सा सेिाओों को बढ़ािा पदया।
पशि नारायण • लाहौर में
दे ि समाि अपग्नहोत्री • इसका मुख्य उद्दे श्य आत्मा की शुक्तद्ध, गुरु की श्रेष्ठता की स्थािना एिों अच्छे
(1887) मानिीय काया करना था।
• िुिक: दे ि शास्त्र।
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• अरब के अब्दु ल िहाब और शाह िलीउल्लाह से प्रेररत सैयद अहमद बरे लिी द्वारा शुरुआत।
• िपिमी प्रभािोों के पिरुद्ध।
िहाबी • मुसलमानोों के बीच सामोंजस्य स्थापित करना।
/िानिउल्लाह • धमा में व्यक्तिगत पििेक का महत्व।
आों दोिि • दार-उल-हरब (कापफ़रोों की भूपम) से दार-उल-इिाम (इिाम की भूपम) में भारत को बदलना।
टीटू मीर आों दोिि • सोंस्थािक सैयद अहमद बरे लिी के पशष्य मीर पनथार अली।
• िहाबिाद और शररया को अिनाया।
• पहों दू जमीोंदारोों के पिरुद्ध मुक्तिम पकसान को सोंगपठत पकया।
•इिामी आस्था के आधार िर शुरू पकया गया, इस आों दोलन को हाजी शरीयतउल्ला द्वारा शुरू
फराज़ी आों दोिि पकया गया था।
• इिाम से इिामी प्रथाओों के उन्मूलन के पिरुद्ध।
• दू दू पमयाों के साथ क्राों पतकारी स्वरूि में आों दोलन।
• इनका लक्ष्य पहों दू जमीोंदार के पिरुद्ध सोंघषा करना था।
• 1889 में नमज़ात ग़ुिाम अहमद द्वारा िुरुआत की गई ।
• भारत में प्रारम्भ हुआ।
• ब्रह्म समाि िैसे उदार नसद्धाोंतोों िर आधाररत है ।
अहमनदया आों दोिि • इन्होोंिे निहाद का निरोध नकया, धमत को राज्य से अिग करिे का समथति नकया, सनहष्णुता
और मािि अनधकारोों के सोंरक्षण को बढािा नदया।
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• रहस्यिाद से िीनड़त।
• िनिम एनियाई दे िोों के बाहायिाद की तरह।
• 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा शुरुआत।
अिीगढ आों दोिि • प्रकृपत में उदार और आधुपनक।
• मुसलमानोों में आधुपनक पशक्षा को बढ़ािा दे ना।
• मुसलमानोों में सामापजक सुधार जैसे पक िदाा प्रथा उन्मूलन, बहुपििाह, पिधिा िुनपिािाह,
मपहलाओों की पशक्षा आपद।
• मोहम्मद कानसम िािोतिी और रानिद अहमद गोंगोही 1866 में सहारििुर, सोंयुि प्राोंत में
िुरुआत।
दे िबोंद स्कूि • मुक्तिम समुदाय िे िैनतक और धानमतक उत्थाि का उद्दे श्य रखा।
(दारुि उिूम) • इिामी धमत में निनहत सोंदेि का िािि नकया।
• भारतीय रािरीय काोंग्रेस के गठि का समथति नकया।
• सैयद अहमद खाि के अिीगढ स्कूि के क्तखिाफ फतिा िारी नकया।
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बोंगभािा प्रकािक सभा: • 1836 में राजा राम मोहन राय के सहयोपगयोों द्वारा स्थापित।
• इसने बोंगाली पशक्षा को प्रोत्सापहत पकया तथा इस सोंगठन में सरकार और प्रशासन
की समीक्षा की जाती थी। इसने भारतिापसयोों को राजनीपत के प्रपत प्रारों पभक रूि से
जागरूक बनाने का प्रयास पकया।
• यह भारत की िहली ऐसी राजनीपतक सभा थी पजसने सोंगपठत आों दोलन की शुरुआत
िमी ोंदारी एसोनसएिि: की थी।
• यह जमीोंदारोों की सुरक्षा के पलए बनाया गया था। इसे "लैंडहोल्डर सोसाइटी" के नाम
से भी जाना जाता है
• 1843 में स्थापित पजसका उद्दे श्य लोगोों में राष्टरिाद की भािना जगाना तथा राजनीपतक
बोंगाि नब्रनटि इों नडया सोसाइटी: पशक्षा क प्रोत्सापहत करना था।
• यह सोसायटी, पब्रपटश शासन के प्रभाि से समाज के सभी करें के लोगोों की
कपठनाइयोों एिों दु खोों िर पिचार कर उनके समाधान ढू ों ढने का काया करती थी।
• 1851 में जमीोंदारी एसोपसएशन तथा बोंगाल पब्रपटश इों पडया सोसायटी का आिस में
पिलय के िररणामस्वरूि इसका गठन हुआ।
• इसने पब्रटे न की सोंसद को एक प्राथाना ित्र भेजकर अिील की।
(i) लोकपप्रय उद्दे श्योों िाली िृथक पिधापयका की स्थािना।
नब्रनटि इों नडया एसोनसएिि: (ii) न्यापयक और कायाकारी का िृथक्करण।
(iii) उच्च िगा के नौकरशाहोों के िेतन में कमी।
(iv) नमक कर, आबकारी कर एिों डाक शुि में समाक्तप्त।
• एसोपसएशन के इन सुझािोों को आों पशक सफलता पमली और गिनार जनरल की
पिधायी िररषद में कानून पनमााण में सहायता दे ने के पलये 6 नये सदस्योों को मनोनीत
करने का प्रािधान पकया गया।
• इसकी स्थािना 1866 में दादाभाई नौरोजी द्वारा लोंदन में पकया गया था।
ईस्ट इों नडया एसोनसएिि: • इसका उद्दे श्य भारत के लोगोों की समस्याओों और माों गोों से पब्रटे न को अिगत कराना
तथा भारतिापसयोों के िक्ष में इों ग्लैण्ड में जनसमथान तैयार करना था।
• बाद में भारत के पिपभन्न भागोों में भी इसकी शाखायें खुल गयीों।
इों नडयि िीग: • 1875 में पशपशर कुमार घोष ने इक्तण्डयन लीग की स्थािना थी।
• पजसका उद्दे श्य लोगोों में राष्टरिाद की भािना जागृत करना तथा राजनीपतक पशक्षा को
प्रोत्साहन दे ना था।
• इसकी स्थािना 1876 में सुरेन्द्नाथ बनजी और आनोंदमोहन बोस द्वारा की स्थािना
की गई थी।
इों नडयि एसोनसएिि ऑफ़ • उद्दे श्य:
किकत्ता: 1. तत्कालीन राजनीपतक व्यिस्था के सोंदभा में सशि जनमत तैयार करना।
2. एक साझा राजनीपतक कायाक्रम हे तु भारतिापसयोों में एकता की स्थािना
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करना।
िूिा सितिि सभा: • इसकी स्थािना 1870 में एम. जी. रानाडे के द्वारा की गयी थी।
• इसके अन्य प्रमुख सदस्य - भिानराि श्रीपनिासराि िोंत प्रपतपनपध (औोंध राि के
शासक तथा यह सोंगठन के प्रथम अध्यक्ष भी थे), गणेश िासुदेि जोशी और एस एच
पचप्लुोंकर।
• उद्दे श्य: लोगोों और सरकार के मध्य सेतु के रूि में काया करना।
• 1885 में पफ़रोज़शाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी और के.टी. तैलोंग द्वारा गपठत
बॉम्बे प्रेसीडें सी एसोनसएिि: • यह भारतीय पहतोों का िक्षधर था और इसने 1885 में बॉिे में भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस
की िहली बैठक की मेजबानी की।
मद्रास महािि सभा: • 1884 में एम. िीराराघिचारी, बी. सुब्रमण्य अय्यर और िी. आनोंद चालूा द्वारा इसका
गठन पकया गया।
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7. भारतीय राष्टरीय काों ग्रे सः स्थािना एिों उदारिादी चरण (1885- 1905)
'सेफ्टी िाल्व' नसद्धाोंत: आधुपनक इपतहासकारोों के अनुसार, यपद ह्यूम ने काों ग्रेस का इिेमाल "सेफ्टी िाल्व" के रूि में भारतीयोों
में पब्रपटश शासन के पिरुद्ध बढ़ते असोंतोष को दबाने के पलए पकया, तो भारतीय नेताओों ने ए ओ ह्यूम को ‘तपड़त चालक’ के
रूि में इिेमाल पकया।
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1909 लाहौर िों. मदनमोहन • धमा के आधार िर अलग-अलग पनिाा चकोों के गठन िर अस्वीकृपत व्यि
की गयी (भारतीय िररषद अपधपनयम, 1909)।
मालिीय
1916 लखनऊ अोंपबकाचरण • गोखले और पफ़रोज़शाह मेहता की मृत्यु।
मजूमदार • उग्रिादी िुनः काों ग्रेस में सक्तम्मपलत।
• काों गेस एिों मुक्तिम लीग के मध्य लखनऊ समझौता।
• काों ग्रेस एिों मुक्तिम लीग का सोंयुि घोषणा-ित्र ।
• काों ग्रेस द्वारा मुक्तिम लीग की िृथक प्रपतपनपधत्व की माों गे स्वीकार की
गयीों।
1917 कलकत्ता श्रीमती एनी बेसेंट • काों ग्रेस की प्रथम मपहला अध्यक्ष।
1919 अमृतसर मोतीलाल नेहरू • काों ग्रेस का नया सोंपिधान बनाया गया।
• जपलयाों िाला बाग हत्याकाों ड की भत्साना।
• क्तखलाफत आों दोलन को समथान दे ने का पनणाय।
1920 (पिशेष सत्र) लाला लाजित राय • असहयोग आों दोलन की शुरुआत।
कलकत्ता
1920 नागिुर सी. पिजयराघिाचाया • भाषाई आधार िर काों ग्रेस का िुनगाठन।
• पजन्ना काों ग्रेस से अलग हो गए।
1922 गया सी. आर. दास • सी.आर. दास और अन्य नेताओों ने काों ग्रेस से अलग होकर स्वराज िाटी
का पनमाा ण पकया।
1924 बेलगािों महात्मा गााँ धी • एकमात्र सत्र पजसकी अध्यक्षता गाों धी जी ने की थी।
1925 कानिुर सरोपजनी नायडू • प्रथम भारतीय मपहला अध्यक्ष।
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1927 मद्रास एम.ए. अोंसारी मेसोिोटापमया, ईरान और चीन में भारतीय सैपनकोों को भेजने का पिरोध
पकया गया।
• स्वतोंत्रता का प्रिाि िाररत।
• साइमन कमीशन के बपहष्कार का प्रिाि िाररत।
1928 कलकत्ता मोतीलाल नेहरू • िहली अक्तखल भारतीय युिा काों ग्रेस।
1929 लाहौर जिाहरलाल नेहरू • 'िूणा स्वराि' का प्रिाि िाररत।
• कायाकाररणी सपमपत को सपिनय अिज्ञा आों दोलन प्रारों भ करने की
अनुमपत।
• 26 जनिरी को प्रथम स्वोंतत्रता पदिस के रूि में मनाने की घोषणा।
1931 कराची िल्लभभाई िटे ल • गाों धी-इपिान समझौते का अनुमोदन।
• मौपलक अपधकारोों के प्रिाि और राष्टरीय आपथाक कायाक्रम को स्वीकृपत।
• गाों धी जी को दू सरे गोलमेज सम्मलेन में काों ग्रेस का प्रपतपनपधत्व करने के
पलए चुना गया।
1934 बॉिे राजेंद्र प्रसाद • काों ग्रेस समाजिादी दल की स्थािना।
1936 लखनऊ जिाहरलाल नेहरू • नेहरू ने काों ग्रेस से आग्रह पकया पक िो 'समाजिाद' को अिना लक्ष्य
घोपषत करें ।
1937 फैजिुर जिाहरलाल नेहरू • िहला अपधिेशन जो गाों ि में हुआ।
1938 हररिुरा सुभाषचोंद्र बोस • जिाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 'राष्टरीय योजना सपमपत का गठन।
1939 पत्रिुरी राजेंद्र प्रसाद • बोस अध्यक्ष के रूि में पफर से पनिाा पचत हुए, लेपकन गाों धी समथाकोों के
पिरोध के कारण उन्ोोंने इिीफा दे पदया।
• राजेंद्र प्रसाद को सत्र का अध्यक्ष बनाया गया।
• 1939 में बोस ने बोंगाल में काोंग्रेस के भीतर ऑल इों पडया फ़ॉरिडा ब्लॉक
की स्थािना की।
1940 रामगढ़ मौलाना अबुल कलाम • सपिनय अिज्ञा आों दोलन शुरू करने का पनणाय पलया गया।
आजाद
1946 मेरठ जे.िी. कृिलानी • आजादी से िहले काों ग्रेस का अोंपतम सत्र।
महत्विूणत उदारिादी िेता: दादा भाई िौरोिी, नफरोििाह मेहता, नदििा िाचा, डब्ल्यू.सी. बििी, एस. एि. बििी,
रासनबहारी घोि, आर.सी. दत्त, बदरुद्दीि तैयबिी, गोिाि कृष्ण गोखिे , िी. आर. िायडू, आिोंद चािू एिों िोंनडत मदि
मोहि माििीय इत्यानद प्रमुख थे। उदारिानदयोों का माििा था नक नब्रटे ि से भारत का सम्पकत होिा भारतीयोों के नहत
में है तथा अभी नब्रनटि िासि को प्रत्यक्ष रूि से चुिौती दे िे का यथोनचत समय िही ों आया है ।
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• बजट एिों पित्तीय मामलोों िर बहस करने का सीपमत • सरकारी सदस्योों को बजट िर सोंशोधन का प्रिाि रखने
अपधकार प्राप्त हो। एिों मतदान में भाग लेने का अपधकार नहीों था।
• सदस्योों को िूरक प्रश्न िूछने का अपधकार नहीों था, और न
ही िो पिमपशात प्रश्न का उत्तर दे सकते थे।
• िररषद में अभी भी सरकारी सदस्योों का बहुमत बना रहा।
• िुनागपठत केंद्रीय पिधान िररषद की बैठक अिने िूरे
कायाकाल में (1909 तक) पसफा 13 पदन प्रपत िषा के
िापषाक औसत से आयोपजत हुई।
• अनेक उदारिादी नेताओों यथा-दादाभाई नौरोजी, आर.सी. दत्त, पदनशा िाचा एिों
कुछ अन्य ने पब्रपटश शासन की शोषणमूलक आपथाक नीपतयोों का अनािरण
पकया तथा उसके द्वारा भारत में पकये जा रहे आपथाक शोषण के पलये 'पनकास
पसद्धाों त' का प्रपतिादन पकया।
• भारत की गरीबी एिों आपथाक पिछड़े िन का कारण उिपनिेशी शासन है ।
पब्रपटश साम्राििाद की आपथाक नीपतयोों
की आलोचना : • इन्ोोंने स्पष्ट पकया पक पब्रपटश साम्राि की नीपतयोों का िररणाम भारत को पनधान
बनाना है ।
• उन्ोोंने भू-राजस्व में कमी करने, नमक कर का उन्मूलन करने , बागान श्रपमकोों
की दशा सुधारने एिों सैन्य खचा में कटौती करने की भी माोंग की।
• 1920 तक भारत में व्यिस्थापिकाओों को कोई िािपिक प्रशासपनक अपधकार
नहीों प्राप्त थे।
• सिाप्रथम 1861 के भारत िररषद अपधपनयम द्वारा इस पदशा में कुछ कदम
उठाये गये। इस अपधपनयम द्वारा केंद्रीय पिधान िररषद का पििार पकया गया।
• 1885 से 1892 के मध्य राष्टरिापदयोों की सोंिैधापनक सुधारोों की भाों गें मुख्यतया
पनम्न दो पबन्हदुओों तक केंपद्रत रहीों:
1. िररषदोों का पििार एिों इनमें भारतीयोों की भागीदारी बढ़ाना।
2. िररषदोों में सुधार, जैसे िररषदोों को और अपधक अपधकार दे ना मुख्यतया
आपथाक पिषयोों िर।
• भारत िररषदोों अपधपनयम 1892 के माध्यम से सोंिैधापनक सुधारोों की राष्टरिापदयोों
व्यिस्थानिका में सोंिैधानिक सु धार एिों द्वारा भारी आलोचना की गई। राष्टरिापदयोों ने अब माों ग की:
अनधप्रचार:
1. इनमें पनिाापचत भारतीयोों का बहुमत हो।
2. उन्ें बजट में पनयोंत्रण सोंबोंधी अपधकार पदये जायें।
• उन्ोोंने नारा पदया 'पबना प्रपतपनपधत्व के कर नहीों।, जैसे अोंग्रेजोों के क्तखलाफ
अमेररकी स्वोंतत्रता सोंग्राम के दौरान पदया गया था।
• यद्यपि पब्रपटश सरकार की िािपिक मोंशा यह थी पक ये िररषदें भारतीय नेताओों
के उद्गार मात्र प्रकट करने का मोंच होों, इससे िादा कुछ नहीों। पफर भी भारतीय
राष्टरिापदयोों ने इन िररषदोों में उत्साहिूिाक भागीदारी पनभायी तथा अनेक
महत्विूणा काया पकये।
• इन उिलक्तियोों के बािजूद राष्टरिापदयोों की सबसे प्रमुख असफलता यह रही पक
िे इन कायाक्रमोों एिों अपभयानोों का जनाधार नहीों बढ़ा सके। मुख्यतया मपहलाओों
की भागदारी नगण्य रही तथा सभी को मत दे ने का अपधकार भी नहीों प्राप्त हुआ।
• सरकारी सेिाओों के भारतीयकरण की माों ग।
• न्यायिापलका का कायािापलका से िृथक्करण।
सामान्य प्रिासकीय सुधारोों हे तु • िक्षिातिूणा एिों भ्रष्ट नौकरशाही तथा लोंबी एिों खचीली न्यापयक प्रणाली की
उदारिानदयोों के प्रयास :
भत्साना।
• पब्रपटश सरकार की आक्रामक पिदे श नीपत की आलोचना।
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िि-साधारण की भूनमका :
• उदारिादी काल में काों ग्रेस का जनाधार सीपमत था तथा जन-सामान्य ने इसमें पशपथल या पनक्तिय भूपमका पनभायी।
• प्रारों पभक राष्टरिादी जन-साधारण के प्रपत िादा पिश्वि नहीों थे।
• जन-सामान्य के पिचार एिों सोच सोंकीणाता से ओत-प्रोत थे
• व्यािक जन समथान के अभाि में उदारिादी पब्रपटश सरकार के पिरुद्ध आक्रमक राजनीपतक रुख अक्तख्तयार नहीों कर सके।
• राष्टरीय आों दोलन की सफलता के पलये जन में व्यािक िैठ बनायी जाए और जनाधार को बढ़ाया जाए।
मूल्ाोंकि :
राष्टरीय जागृपत + राजनीपतक पिचारोों को लोकपप्रय बनाया गया + मजबूत आधार का पनमाा ण + समय के साथ प्रगपतशील सोंस्थाओों का उदय +
जमीनी हकीकत िर आधाररत राजनीपतक काया + भारत के पिचार से शापसत होने िाले भारत के पिचार + लोकताों पत्रक आधार और माों गोों के
दायरे को बढ़ाने में पिफल रहे ।
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8. उग्र-राष्टरिाद का यु ग (1905-1918)
• नब्रनटि िासि के िोिणकारी स्वरूि की िहचाि – 1896, 1900 के दु पभाक्षोों और दक्कन में प्लेग, पशक्षा के प्रसार के दमन
ने अोंग्रेजोों के आपथाक शोषण को उजागर पकया। इस कारण भारतीयोों को अिनी सरकार की आिश्यकता महसूस की गई।
राष्टरिापदयोों ने दे खा पक पब्रपटश भारतीयोों िर कई प्रपतबोंध लगा रहे हैं , जो इस प्रकार है :
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क्षेत्र िेता
िूिा एिों बॉम्बे बाल गोंगाधर पतलक
िोंिाब लाला लाजित राय, अजीत पसोंह
नदल्ली सैयद है दर रज़ा
मद्रास पचदों बरम पिल्लई
• सामूनहक भागीदारी:
निद्याथी • बड़ी सोंख्या में भाग पलया, पिशेषकर बोंगाल, महाराष्टर, दपक्षण भारत में।
मुक्तिम • ढाका के निाब सलीमुल्लाह के नेतृत्व में, अपधकाों श उच्च और मध्यम िगा के मुसलमानोों ने भाग नहीों पलया।
• मुक्तिम पकसान का समथान नहीों पमल सका।
• ऑल इों पडया मुक्तिम लीग 30 पदसोंबर, 1905 को काों ग्रेस पिरोधी मोचे के रूि में सामने आई।
मनहिाएों • जुलूस और धरनोों में सपक्रय रूि से भाग पलया।
श्रनमक • बोंगाल, िोंजाब, तपमलनाडु में हड़तालें आयोपजत की गईों।
सरकार की प्रनतनक्रया
• पब्रपटश सरकार ने " िुरस्कार और दों ड नीपत" का िालन पकया। सरकार की इस नीपत को तीन प्रमुख शब्दोों 'अिरोध, साों त्वना
एिों दमन' के रूि समझा जा सकता है ।
• सरकार पिरोधी गपतपिपध को रोकने के पलए 5 नए कानून लाए गए :
1. राजद्रोही सभा अपधपनयम, 1907
2. फौजदारी कानून सोंशोधन अपधपनयम, 1908
3. भारतीय समाचार ित्र अपधपनयम, 1908
4. पिध्वोंसक िदाथा अपधपनयम, 1908
5. भारतीय प्रेस अपधपनयम, 1910
• 1909 में मुज़फ़्फ़रिुर में बोंगाल के क्राों पतकाररयोों द्वारा बम फेंके जाने के बारे में "केसरी" में पतलक के लेख के पलए उन िर
1909 में दे शद्रोह का मुकदमा चलाया गया था।
• अरपिोंद और बी.सी. िाल राजनीपत से सेिापनिृत्त हो गए और लाला लाजित राय पिदे श चले गए।
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• पब्रपटश पहतैपषयोों के साथ सोंबोंध और ताज के • अोंग्रेजोों के शोषणकारी स्वभाि को मान्यता दी,
प्रपत िफादार थे। पनष्ठा के अयोग्य।
• आों दोलन मध्यिगीय बुक्तद्धजीपियोों तक सीपमत • जनता िर पिश्वास पकया।
होना चापहए।
• आम जनता िर पिश्वास नहीों था।
माोंगें • सोंिैधापनक सुधार / स्वशासन। • स्वराज।
निनधयााँ • केिल सोंिैधापनक तरीकोों का उियोग, प्राथाना, • अपतररि-सोंिैधापनक तरीके जैसे- बपहष्कार,
यापचका, अनुनय आपद। पनक्तिय प्रपतरोध का उियोग करने में सोंकोच नहीों
पकया।
• साम्राििाद की आपथाक आलोचना जैसे भारत • स्वराज की माों ग।
से धन की पनकासी, गरीबी और भारत में पब्रपटश • जन आों दोलनोों में योगदान।
का अप्रपसद्ध शासन। • राष्टरिादी पशक्षा का प्रसार।
• सोंिैधापनक सुधार-शस्त्र अपधपनयम 1878, को • पिकासिादी आों दोलनोों के पलए समथान।
योगदाि
पनरि करना, भारतीयोों की पशक्षा िर बढ़ता खचा • सहकारी सोंगठनोों को प्रोत्सापहत पकया।
आपद। • अकाल आपद के पलए राहत कोष स्थापित करना।
• सामान्य प्रशासपनक सुधार के पलए अपभयान।
• नागररक अपधकारोों की रक्षा।
िेता • ए.ओ. ह्यूम, डब्ल्यू.सी.बनजी, दादाभाई नौरोजी, • लाला लाजित राय, बाल गोंगाधर पतलक, पबपिन
गोिाल कृष्ण गोखले। चोंद्र िाल और अरपिोंद घोष।
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िुपलन दास के तहत ढाका क्राों पतकारी गपतपिपधयोों के पलए धन एकपत्रत करने के पलए बारा में
अनुशीलन डकैती।
1909 अनोंत लक्ष्मण कान्े रे, महाराष्टर ये अपभनि भारत के सदस्य थे और नापसक के कलेक्ट्र ए.एम.टी.
जैक्सन की हत्या की।
रासपबहारी बोस और सपचन पदल्ली के चाों दनी चौक से जाते हुए िायसराय हापडां ग कापफले िर बम
1912 सान्याल। बसोंत कुमार, अमीर चोंद हमले की योजना बनाई गयी, सभी को दोषी ठहराया गया था, लेपकन
और अिध पबहारी रासपबहारी बोस, जो इस योजना के मुख्य अपभयुि थे, भेष बदल कर
बच पनकले ।
• िपिमी अनुशीलन सपमपत का नेतृत्व जतीन्द्नाथ मुखजी या बाघाजपतन द्वारा पकया गया और यह जुगाों तर (या युगाों तर) के रूि
में उभरी।
• प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान, युगाोंतर िाटी ने पिदे श में सहानुभूपत रखने िालोों और क्राोंपतकाररयोों के माध्यम से जमान हपथयार और
गोला बारूद आयात करने की व्यिस्था की, जो जमान सापजश का एक पहस्ा (नज़म्मेरमैि योििा) था।
• युगाों तर िाटी ने डकैपतयोों की एक श्रृोंखला के माध्यम से धन जुटाया, पजसे टै क्सी डकैती या नाि डकैती के रूि में भी जाना जाता
है , पजससे पक इों डो-जमान षड़योंत्र को अोंजाम पदया जा सके।
आश्रय की आिश्यकता, क्राों पतकारी सापहत्य को सामने लाने की सोंभािना,जो प्रेस अपधपनयमोों से मुि हो तथा हपथयारोों की खोज
भारतीय क्राों पतकाररयोों को पिदे श ले गई।
• 1905 में लोंदन में इों नडया हाउस (होम रूल लीग सोसाइटी), भारतीय छात्रोों के पलए एक
छात्रिृपत्त योजना तथा एक िपत्रका 'द इों पडयन सोपसओलोपजस्ट' की शुरुआत ।
श्यामिी कृष्णिमात • सािरकर और हरदयाल जैसे क्राों पतकारी इों पडया हाउस के सदस्य बने।
मदििाि ढी ोंगरा • कज़ान िायली की 1909 में हत्या।
मैडम भीकािीकामा • िारसी मपहला, िेररस से सोंचालन, बोंदे मातरम पनकला गया (सोंचालन अजीत पसोंह द्वारा)
।
िीरे न्द्रिाथ चट्टोिाध्याय • 1909 से बपलान से सोंचापलत।
गदर:
• ग़दर िाटी एक साप्तानहक अखबार ग़दर के साथ गनठत एक क्राोंनतकारी समूह था, इसका मुख्यािय सैि फ्ाोंनसस्को में
था और इसकी शाखाएों अमेररकी तट के साथ साथ सुदूर िूिा में थी।
• इन क्राों पतकाररयोों में मुख्य रूि से िूित सैनिक और नकसाि शापमल थे, जो बेहतर रोजगार के अिसरोों की तलाश में िोंजाब से
अमेरीका और कनाडा चले गए थे।
• गदर के िूिा की क्राों पतकारी गपतपिपधयोों का सोंचालन रामदास िुरी, िी डी कुमार, तारकिाथ दास, सोहि नसोंह भाकिा और
िािा हरदयाि द्वारा पकया गया था, जो पक 1911 में िहाों िहुों चे थे।
• क्राों पतकारी गपतपिपधयोों को अोंजाम दे ने के पलए िहले क्राों पतकाररयोों द्वारा िैकुिर में स्वदे ि सेिक गृह तथा पसएटल में यू िाइटे ड
इों नडया हाउस की स्थािना की गयी। अोंत में िित 1913 में, ग़दर की स्थाििा हुई।
• ग़दर कायाक्रम को अपधकाररयोों की हत्या करने , क्राों पतकारी और साम्राििाद पिरोधी सापहत्य को प्रकापशत करने , पिदे शोों में
पनयुि भारतीय सैपनकोों के बीच काम करने , हपथयारोों की खरीदने और सभी पब्रपटश उिपनिेशोों में एक साथ पिद्रोह लाने के
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िोट: एों ग्लो-इों पडयन, दपक्षण के अपधकाों श मुक्तिम और गैर-ब्राह्मण इस आन्दोलन में शापमल नहीों हुए क्योोंपक उन्ें लगा पक इसका
अथा पहों दू बहुसोंख्यकोों के शासन से है ।
• नतिक िे अििी िीग अप्रैि 1916 में महाराष्टर (बॉिे शहर को छोड़कर), कनाा टक,
मध्य प्राों त और बरार के क्षेत्रोों में स्थापित की थी।
• इसकी माों गोों में स्वराज्य, भाषाई आधार िर प्रान्तोों का गठन और मातृभाषा में पशक्षा
िीग की िाखाएाँ शापमल थी।
• पतलक द्वारा अपहों सात्मक प्रपतरोध की िकालत की गयी।
• एिी बेसेंट िीग- पसतोंबर 1916 में मद्रास और शेष भारत (बॉिे शहर सपहत) में
स्थापित पकया गया था।
• पतलक के लीग की तुलना में यह लीग कमजोर थी।
• िेता: मोतीलाल नेहरू, लाला लाजित राय, जिाहरलाल नेहरू, भूलाभाई दे साई, पचतरों जन दास, मदन मोहन मालिीय, मोहम्मद
अली पजन्ना, तेज बहादु र सप्रू।
• जॉजा अरुोंडे ल, बी.डब्ल्यू. िापडया और सी. िी. रामास्वामी अय्यर एनी बेसेंट के सहयोगी थे।
• सर एस. सुब्रमण्यि अय्यर ने नाइटहुड की उिापध को त्याग पदया था।
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• गाों धी 1915 में भारत लौटे । अिने शुरुआती पदनोों में, उन्ोोंने अिना समय अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में पबताया तथा
गोिाल कृष्ण गोखले उनके राजनीपतक गुरु बन गए।
चोंिारण • राजकुमार शुक्ल द्वारा गाों धी को पबहार के चोंिारण में नील कृषको की समस्याओों को दे खने के पलए
सत्याग्रह आमोंपत्रत पकया गया।
(1917) - • पकसानोों को अिनी भूपम के 3/20िें भाग िर नील की खेती करने के पलए मजबूर पकया गया था।
िहिा सनििय (पतनकपठया िद्दपत)।
अिज्ञा • यूरोिीय कृषकोों ने अिने मुनाफे को अपधकतम करने के पलए अपधक लगान और अिैध रूि से बकाया
की माों ग की।
• गाों धी के हिक्षेि के बाद, पकसानोों को अिैध िसूली का 25 प्रपतशत पहस्ा िािस कर पदया गया।
• जुड़े हुए नेता -राजेंद्र प्रसाद, मज़हर-उल-हक, महादे ि दे साई, नरहरर िाररख, जे.बी. कृिलानी आपद।
अहमदबाद • सूती पमल मापलकोों और श्रपमकोों के बीच प्लेग बोनस को लेकर पििाद पछड़ा था।
नमि हड़ताि • श्रपमकोों ने मजदू री में 50 प्रपतशत की िृक्तद्ध की माों ग की।
(1918) - • गाों धी ने 35 प्रपतशत बढ़ोतरी की माों ग की और आमरण अनशन शुरू पकया।
प्रथम भूख • अनुसुइया साराभाई एक सामापजक कायाकताा थीों पजन्ोोंने गाों धी को श्रपमकोों के पहत में लड़ने के पलए
हड़ताि आमोंपत्रत पकया था। िे 1891 में स्थापित अहमदाबाद पमल ओनसा एसोपसएशन की अध्यक्षा थीों।
खेड़ा सत्याग्रह • गुजरात के खेड़ा पजले में दु पभाक्ष के कारण िूरी फसल बबाा द हो गईों।
(1918) – प्रथम • उिज सामान्य उिज के 1/4 से कम रह गयी इसपलए पकसान राजस्व सोंपहता के अनुसार राजस्व माफी
असहयोग के हकदार थे।
• सरकार ने करोों की माों ग की और भुगतान न करने िर सोंिपत्त जब्त करने का आदे श पदया।
• गाों धी ने पकसानोों को करोों का भुगतान नहीों करने के पलए कहा।
• नेता: सरदार िल्लभाई िटे ल, नरहरर िाररख, मोहनलाल िोंड्या आपद।
• सरकार अोंततः सभी जब्त की गई सोंिपत्त को िािस करने , कर में िृक्तद्ध को कम करने , एक िषा के पलए
कर को पनलोंपबत करने िर सहमत हुई।
• अराजक और क्राों पतकारी अिराध अपधपनयम / रौलट एक्ट् - दो साल तक पबना पकसी मुकदमे के
रौिेट एक्ट् कायाकताा ओों को कारािास की कैद, यहाों तक पक दे शद्रोही समाचार ित्रोों की जब्ती अिराध का ियाा प्त
,1919- प्रथम सबूत माना गया।
िि आन्दोिि • बोंदी प्रत्यक्षीकरण के कानून को पनलोंपबत कर पदया गया।
• गाों धी ने सत्याग्रह सभाओों का आयोजन करके अक्तखल भारतीय िर िर व्यािक पिरोध का आह्वान पकया।
• पिधान िररषद के सभी पनिाा पचत भारतीय सदस्योों - पजन्ना, मदन मोहन मालिीय और मज़हर उल हक ने
इसके पिरोध में इिीफा दे पदया।
क्ा ? • िोंजाब के अमृतसर में एक बाग ,पजसे जपलयाों िाला बाग के नाम से जानते है , पनहत्थे भारतीयोों की एक
बड़ी भीड़ िर पब्रपटश सैपनकोों द्वारा गोलीबारी की गयी।
क्ोों ? • गाों धी ने िूरे दे श में एक पदन के रौलट सत्याग्रह का आह्वान पकया।
• अमृतसर के नेताओों - सत्य िाल और सैफुद्दीन पकचलू को पगरफ्तार पकया गया था।
• पब्रगेपडयर जनरल रे पजनॉल्ड एडिडा है री डायर को शाों पत बहाल करने का आदे श पदया गया। पजनमें
सािाजपनक समारोहोों िर प्रपतबोंध भी शापमल था।
िररणाम • नोबेल िुरस्कार पिजेता रिीोंद्रनाथ टै गोर ने नाइटहुड की उिापध का त्याग कर पदया।
• गाों धी द्वारा अिने प्रथम दीघाकालीन अपहों सक पिरोध (सत्याग्रह) अपभयान, असहयोग आों दोलन (1920-
22) को बड़े िैमाने िर शुरू पकया गया।
सनमनत • हों टर जाों च कमेटी / पडस्ऑडा र इों क्वायरी कमेटी, ।
• इस सपमपत में 3 भारतीय शापमल थे।
• ररिोटा में डायर के कायों की पनोंदा की गई। हालााँ पक, उस िर कोई अनुशासनात्मक कारा िाई नहीों की
गई।
काोंग्रेस का • आई.एन.सी. ने अिनी सपमपत बनाई - मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, अब्बास तैय्यब जी, एम. आर.
दृनिकोण जयकर और गाों धी।
• डायर के कायों की आलोचना की गयी।
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िित घटिा
मई, 1920 तुकी के साथ सेब्रीज की सोंपध, इस सोंपध द्वारा तुकी को िूरी तरह पिभापजत कर पदया गया।
अगस्त 1, 1920 पतलक का पनधन हो गया।
अगस्त 31,1920 क्तखलाफत सपमपत ने औिचाररक तौर िर असहयोग आन्दोलन को शुरू पकया।
• काों ग्रेस द्वारा कलकत्ता में पिशेष सत्र को मोंजूरी।
• असहयोग आन्दोलन कायाक्रम में सक्तम्मपलत काया िद्दपत:
➢ सरकार द्वारा दी गयी उिापधयोों का िररत्याग।
नसतम्बर,1920
➢ पसपिल सेिाओों, सेना और िुपलस तथा अन्य सभी सरकारी कायाा लयोों का बपहष्कार।
➢ सरकार को करोों का भुगतान न करना।
➢ पिदे शी किड़ोों का बपहष्कार और स्वदे शी किड़ोों का उियोग।
➢ पिधान िररषदोों का बपहष्कार (सी.आर.दास तथा अन्य कुछ लोग इस पिचार के िक्ष में नहीों)।
➢ शराबबोंदी आपद।
➢ नागिुर में भारतीय राष्टरीय काोंग्रेस का अपधिेशन हुआ।
➢ असहयोग आों दोलन का अनुमोदन कर पदया गया।
➢ शाों पतिूणा और न्यायोपचत तरीकोों से स्वराज की प्राक्तप्त, इस प्रकार सोंिैधापनक दायरे से बाहर जनसोंघषा
को स्वीकार पकया गया।
नदसम्बर ,1920 ➢ काों ग्रेस को नेतृत्व प्रदान करने के पलए 15 सदस्यीय काों ग्रेस कायाकाररणी सपमपत (सीडब्ल्यूसी) स्थापित
की गई थी।
➢ भाषायी आधार िर प्राों तीय सपमपतयोों तथा िाडा सपमपतयोों का भी गठन पकया गया।
➢ कई क्राों पतकारी समूहोों ने काों ग्रेस को अिना समथान दे ने की घोषणा की।
➢ मोहम्मद अली पजन्ना, एनी बेसेंट, जी.एस. कािडे और बी. सी. िाल ने काों ग्रेस को छोड़ पदया क्योोंपक िे
सोंिैधापनक और न्यायिूणा सोंघषा में पिश्वास करते थे।
➢ सुरेंद्रनाथ बनजी ने इों पडयन नेशनल पलबरल फेडरे शन की स्थािना की। इसके कुछ प्रमुख नेता तेज
बहादु र सप्रू, एस. श्रीपनिास शास्त्री और एम. आर. जयकर थे।
अन्य गनतनिनधयाों:
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• आचाया नरें द्र दे ि, सी. आर. दास, लाला लाजित राय, ज़ापकर हुसैन तथा सुभाष बोस के नेतृत्व में शैपक्षक सोंस्थानोों का गठन पकया
गया। जैसे अलीगढ़ में जापमया पमपलया, काशी पिद्यािीठ, पबहार पिद्यािीठ आपद।
• पतलक स्वराज फोंड को स्थापित पकया गया पजसमें एक करोड़ रुिये जमा हुए। इस फोंड के पलए मपहलाओों द्वारा अिने आभूषण
तक दान कर पदए गए थे।
• अली बोंधुओों ने जुलाई, 1921 में घोषणा की थी पक सभी मुसलमानोों को सेना से त्यागित्र दे दे ना चापहये क्योोंपक यह धमा के क्तखलाफ़
है ।
• जे.एम. सेनगुप्ता असम चाय बागान हड़ताल के एक प्रमुख नेता थे।
• स्थानीय सोंघषा जैसे- उत्तर प्रदे श में अिध पकसान आों दोलन और एका आों दोलन, मालाबार में मोिला पिद्रोह तथा िोंजाब में पसखोों
द्वारा महों तोों के पनष्कासन की माों ग को लेकर चलाया गया आों दोलन आपद।
• गाों धी और िायसराय रीपडों ग के मध्य मई, 1921 में िाताा टू ट गयी।
• स्वयोंसेिक सोंगठनो को अिैध घोपषत कर पदया गया तथा सािाजपनक सभाओों िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।
चौरी चोरा काोंड (5फरिरी 1922)
सोंयुि प्राों त के गोरखिुर पजले के चौरी चौरा में असहयोग आों दोलन के प्रदशानकारी िुपलस से झड़ि, पजसके िररणामस्वरूि कुछ
िुपलसकपमायोों और नागररकोों की मौत हो गयी।
1921 • सी. आर. दास अहमदाबाद सत्र के अध्यक्ष थे हालाों पक िे जेल में थे। इस कारण हकीम अजमल खान
को कायािाहक अध्यक्ष बनाया गया था। इस सत्र में गाों धी को एकमात्र प्रापधकारी पनयुि पकया गया।
1 फरिरी, 1922 • राजनीपतक कैपदयोों को ररहा न करने िर और प्रेस िर से प्रपतबोंध नहीों हटाने िर गाों धी द्वारा गुजरात
के बारदोली से सपिनय अिज्ञा शुरू करने की चेतािनी दी गयी।
5 फरिरी, 1922 • उत्तेपजत भीड़ ने थाने में आग लगा दी।
• बारदोली में काों ग्रेस नेताओों ने मुलाकात की।
12 फरिरी, 1922 • गाों धी ने असहयोग आों दोलन को िािस लेने का फैसला पलया क्योोंपक उन्ोोंने महसूस पकया पक
भारतीयोों ने अभी अपहों सा के पसद्धाों त को अच्छी तरह से नहीों सीखा हैं ।
10 माचत ,1922 • गाों धी को पगरफ्तार कर पलया गया और मुकदमा चलाकर 6 साल के पलए जेल भेज पदया गया।
• मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास, एन.सी. केलकर, जी.एस. कािडे और एस. श्रीपनिास ने स्वराज िाटी
की स्थािना की।
• गाों धी द्वारा असहयोग अन्दोलन को अचानक िािस ले लेने के कारण िे हताश थे।
• क्तखलाफत आों दोलन ने अिनी प्रासोंपगकता खो दी क्योोंपक तुकी के लोगोों ने मुिफा कमाल िाशा के
ििबोंर,1922 नेतृत्व में पिद्रोह कर पदया और सुल्तान के राजनैपतक अपधकार छीन पलए गए। तुकी में एक धमापनरिेक्ष
राि की स्थािना कर दी गयी।
1924 • खलीफा िद को समाप्त कर पदया गया।
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पदसिर ,1928- अध्यक्ष- मोतीलाल नेहरु • ऑल इों पडया काों ग्रेस को पनपमात पकया गया।
काों ग्रेस का कलकत्ता • नेहरु ररिोटा को स्वीकार पकया गया।
का अपधिेशन • सरकार को एक िषा के अन्दर डोमेपनयन स्टे टस को स्वीकार करने की
अोंपतम चेतािनी दी गयी और ऐसा न होने िर िूणा स्वराज के पलए
सपिनय अिज्ञा आन्दोलन प्रारों भ पकया जायेगा।
1929 के दौरान • गाों धी ने बड़े िैमाने िर यात्रा की, बारदोली आों दोलन की तजा िर 1928
में रचनात्मक कायों िर जोर पदया।
अक्ट्ू बर 31,1929 िायसराय- लाडा इरपिन • इरपिन घोषणा ित्र - पब्रपटश सरकार का इरादा भारत को भपिष्य में
डोमेपनयन स्टे टस प्रदान करना था।
• हालाों पक, पकसी भी घटनाक्रम में इसका कोई उल्लेख नहीों था।
• उन्ोोंने साइमन कमीशन (1927) द्वारा अिनी ररिोटा प्रिुत करने के
बाद गोलमेज सम्मेलन का आयोजन पकया।
नििर 2, 1929 • पदल्ली घोषणा ित्र - राष्टरीय नेताओों द्वारा गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने
के पलए कुछ माों गे रखीों गयी।
• िायसराय इरपिन द्वारा इन माोंगोों को अस्वीकार कर पदया गया।
पदसिर, 1929 अध्यक्ष – जिाहर लाल • गोलमेज सम्मेलन का बपहष्कार पकया जायेगा।
काों ग्रेस का लाहौर नेहरु (गाों धी का • काों ग्रेस ने िहले गोलमेज सम्मे लन का बपहष्कार करने का फैसला पकया,
अपधिेशन समथान) क्योोंपक िह भारत के पलए सोंपिधान का मसौदा तैयार करने के पलए एक
सोंपिधान सभा को बुलाना चाहती थी ,पजसे पब्रपटश सरकार ने अस्वीकार
कर पदया था।
• 'िूणा स्वराज' के पलए प्रिाि िाररत पकया गया।
• िूणा स्वतोंत्रता के पलए सपिनय अिज्ञा आों दोलन प्रारों भ पकया जायेगा।
• 26 जनिरी को 'स्वतोंत्रता पदिस'/स्वराि पदिस के रूि में मनाया
जाएगा।
सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर न पमलने के कारण, गाों धी द्वारा नमक सत्याग्रह को केंद्रीय मुद्दा बनाकर सपिनय अिज्ञा आों दोलन
शुरू करने का फैसला पलया।
समूह प्रपतपक्रया
काों ग्रेस कमीशन का पिरोध पकया।
पहन्हदू महासभा काों ग्रेस का िक्ष लेते हुए कमीशन का पिरोध पकया गया।
मुक्तिम लीग पजन्ना के अोंतगात एक गुट (कलकत्ता, 1927 में) ने कमीशन का पिरोध पकया तथा
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• नमक सत्याग्रह, दाों डी माचा के साथ 12 माचा, 1930 से शुरू हुआ तथा यह सपिनय अिज्ञा
आों दोलन के प्रथम चरण का पहस्ा था।
दाों डी माचा (माचा 12- अप्रैल 6,
• गाों धी द्वारा दाों डी माचा का नेतृत्व साबरमती आश्रम से सागर तट के पनकट दाों डी गााँ ि तक
1930):
पकया गया।
• िे 6 अप्रैल, 1930 को दाों डी िहुों चे और समुद्र तट से नमक इकट्ठा कर नमक कानून को
तोड़ा।
• तपमलनाडु - सी राजगोिालाचारी ने तोंजौर तट िर पत्रपचनािल्ली से िेदाण्यम तक माचा
का आयोजन पकया।
• मालाबार- के. केलप्पन, जो िायकोम सत्याग्रह के पलए जाने जाते हैं , ने नमक सत्याग्रह
का आयोजन पकया।
पिपभन्न स्थानोों िर सत्याग्रह:
• उड़ीसा- गोिाल बोंधु चौधरी ने बालासोर, कटक आपद में आयोजन पकया।
• पबहार- गैर चौकीदारी कर लगाया गया।
• िेशािर- बादशाह खान/खान अब्दु ल गफ्फ़ारर खान, पजन्ोोंने खुदाई क्तखदमतगार (लाल
कुती) का गठन पकया, ने मजबूत माचा का आयोजन पकया।
• धरासणा- सरोपजनी नायडू ने अपभयान का नेतृत्व पकया।
• मपणिुर और नागालैंड- 13 साल की उम्र में रानी गैपडन्हल्ु ने अोंग्रेजोों के क्तखलाफ झोंडा
उठाया। रानी गैपडन्हल्ु हे राका कल्ट (1930, मपणिुर) से जुड़ी थी। नेहरु ने इन्ें "रानी"
("क्वीन") की उिापध दी और उन्ें रानी गैपडन्हल्ु के रूि में स्थानीय िर िर लोकपप्रयता
हापसल हुई।
• 1920-22 की तुलना में मुक्तिम भागीदारी बहुत कम थी।
सहभापगता की व्यािकता: • मपहलाओों और छात्रोों ने भाग पलया, आपदिापसयोों, श्रपमकोों और पकसानोों की सपक्रय
भागीदारी रही।
• अगि 1930 में मोतीलाल और जिाहरलाल नेहरू, गाों धी से समझौते की सोंभािना िर चचाा करने यरिदा जेल गए। उनकी माों गें
थीों-
➢ पब्रटे न द्वारा भारत की स्वतोंत्रता की बहाली।
➢ रक्षा और पित्त िर पनयोंत्रण के साथ िूणा स्वतोंत्र सरकार।
➢ पब्रटे न से हजाा ने के पलए एक स्वतोंत्र न्यायापधकरण।
गाों डी इरपिन िैक्ट् /पदल्ली समझौता- 1931
• 5 माचा 1931 को गाों धी और पब्रपटश भारत के िायसराय, लॉडा इरपिन द्वारा हिाक्षर पकए गए।
• लोंदन में दू सरे गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत से िहले इस सोंपध िर हिाक्षर पकए गए थे।
• इरपिन द्वारा गाों धी की दो माों गोों को अस्वीकार कर पदया गया :
1. िुपलस की िादपतयोों की सािाजपनक जााँ च।
2. भगत पसोंह और उनके सापथयोों की मौत की सजा को आजीिन कारािास में बदलना।
• गाों धी सपिनय अिज्ञा आों दोलन को पनलोंपबत करने और अगले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के पलए सहमत हो गए।
सनििय अिज्ञा आन्दोिि की असहयोग आन्दोिि के साथ तुििा
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गोलमेज सम्मेलनोों की असफलता के बाद एक बार पफर से सपिनय अिज्ञा को शुरू पकया गया। गाों धी को जनिरी 1932 को पगरफ्तार
कर पलया गया।
• 'पसपिल माशाल लॉ' की तरह दमनकारी शक्तियाों दे नें िाले अध्यादे शोों को जारी पकया गया।
• सभी िरोों िर काों ग्रेस की सोंस्थाओों िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।
• मपहलाओों को भी कठोर दमन का सामना करना िड़ा था।
• प्रेस और राष्टरिादी सापहत्य िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।
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गाों धी ने अप्रैल 1934, सपिनय अिज्ञा आों दोलन िािस लेने का फैसला पकया:
• गाों धी और अन्य नेताओों के िास जन प्रपतपक्रया को सोंगपठत करने का ियाा प्त समय नहीों था।
• जनता तैयार नहीों थी।
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• सी.आर. दास, मोतीलाल नेहरू और अमजद खान का नेतृत्व चाहता था पक पिधायी िररषदोों
स्वराजी के बपहष्कार को समाप्त पकया जाये तापक राष्टरिापदयोों को इसके भीतर प्रिेश करने और उसे
अिने लाभ के पलए उियोग करने में सक्षम बनाया जा सके।
• िे इन िररषदोों को "समाप्त या सोंशोपधत" करना चाहते थे। पिधान िररषदोों में प्रिेश की िकालत
करने िालोों को स्वराजी के नाम से जाना गया।
• इसे राजगोिालाचारी, िल्लभभाई िटे ल, राजेन्द् प्रसाद और एम. ए. अोंसारी का नेतृत्व प्राप्त
िररितान पिरोधी हुआ, पजन्ें िररितान पिरोधी के रूि में जाना गया।
• उन्ोोंने िररषद में प्रिेश का पिरोध पकया, रचनात्मक कायों की िकालत की, असहयोग और
बपहष्कार जारी रखा और शाों पतिूिाक सपिनय अिज्ञा के पलए तैयार हो गए।
• गया अपधिेशन (1922) में स्वराजिादी के "समाप्त या सोंशोपधत" प्रिाि की हार के कारण दोनोों समूहोों के बीच मतभेद िै दा हो
गया।
• सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने काों ग्रेस के अिने िद से इिीफा दे पदया और एम. एल. नेहरू (सपचि) ने सी.आर.
दास(अध्यक्ष) के साथ स्वराजिादी िाटी का गठन पकया।
िे िररषद में प्रिेश करना चाहते थे क्योोंपक:
• उन्ोोंने सोचा पक ऐसा करने से आों दोलन को नकारा नहीों जाएगा बक्ति इसका मतलब केिल
स्वरापजओों का तका सोंघषा का एक नया अलग मोचाा खोलना होगा।
• राजनीपतक शून्य के समय में, िररषद का काम जनता को उत्सापहत करे गा और उनका मनोबल
बढाएगा।
• िररषद का उियोग राजनीपतक सोंघषा हे तु मोंच के रूि में पकया जा सकता है ।
िररितान पिरोपधयोों का उन्ोोंने सोचा पक सोंसदीय काया से रचनात्मक कायों की उिेपक्षत, सोंघषारत व्यक्तियोों का मनोबल
तका पगरे गा और राजनीपतक भ्रष्टाचार में बृक्तद्ध होगी।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• गठबोंधन सहयोपगयोों की मदद से, उन्ोोंने बजट अनुदानोों िर कई बार सरकार के पिरुद्ध
मतदान पकया।
• उन्ोोंने सरकार के क्तखलाफ आों दोलन पकया और सशि भाषण पदए।
• पिट्ठलभाई िटे ल को 1925 में केंद्रीय पिधानसभा का स्पीकर चुना गया था।
उिलक्तियाों
• 1928 का सािाजपनक सुरक्षा पिधेयक, पजसका उद्दे श्य सरकार को अिाों छनीय और
पिध्वोंसकारी चररत्र िाले पिदे पशयोों को पनिाा पसत करने का अपधकार दे ना था, िरापजत हो गया
था।
• उन्ोोंने राजनीपतक शून्य को तब भरा जब राष्टरीय आों दोलन धीरे धीरे अिना सामथा खो रहा
था।
• उन्ोोंने मोोंट-फोडा योजना के खोखलेिन को उजागर पकया।
• उन्ोोंने पदखाया पक िररषदोों का रचनात्मक उियोग पकया जा सकता है ।
• उनके िास काों ग्रेस की तरह जन समथान नहीों था।
• िे िूरी तरह से अखबार और प्रकाशनोों िर ही पनभार थे।
कमजोररयाों • व्यिधानिादी रणनीपत की अिनी सीमाएाँ थीों।
• िे िरस्पर पिरोधी पिचारोों के कारण अिने गठबोंधन सहयोपगयोों के साथ नहीों चल सके।
• िे शक्ति और कायाालय के भत्तोों और पिशेषापधकारोों का पिरोध करने में पिफल रहे।
• िे बोंगाल में पकसान पिद्रोह का समथान करने में पिफल रहे और मुक्तिम समथान को खो
पदया।
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िातीय आन्दोिि
ये कभी-कभी पिभाजनकारी, रूपढ़िादी और कई बार सोंभापित रूि से कट्टरिोंथी और शापमल थे:
जक्तस्टस िाटी मद्रास
आत्म सम्मान आन्दोलन िेररयार ई िी रामास्वामी नाइकर (मद्रास) द्वारा
सत्यशोधक कायाकताा महाराष्टर
भास्कर राि जाधि महाराष्टर
महारोों अोंबेडकर के तहत महाराष्टर में
कट्टरिोंथी इझाा िोों केरल में के.अयप्पन और सी. केसिन के तहत द्वारा
यादिोों पबहार में सामापजक क्तस्थपत में सुधार के पलए
यूपनयपनस्ट िाटी िोंजाब में फजल-ए-हुसैन के तहत
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• सूया सेन, अरपिोंद घोष, बररन घोष, खुदीराम बोस आपद इसके सोंस्थािक सदस्य थे।
युगाोंतर • भारतीय स्वतोंत्रता के पलए बोंगाल में क्राों पतकारी सपमपत का सोंचालन गुप्त रूि से पकया
जा रहा था।
• यह बोंगाल के स्थानीय युिा सोंस्थानोों द्वारा सोंचापलत होती थी।
अिुिीिि सनमनत • इसके द्वारा 1912 में पब्रपटश अपधकाररयोों और यहाों तक पक िायसराय की हत्या करने
के कई प्रयास पकए थे।
• बोंगाल में मास्टर सूयासेन के अधीन, इसने शस्त्रागार िर छािा मारा और उसे लूट
पलया।
चटगााँि निद्रोही समूह • िे क्राों पतकाररयोों को हपथयार और बारूद की आिूपता करने का प्रयास कर रहे थे।
• उन्ोोंने टे लीफोन और टे लीग्राम सोंचार व्यिस्था को नष्ट कर पदया और रे ल िटररयोों
को उड़ा पदया।
• यहाों तक पक मपहलाएों भी इस सशस्त्र डकैती का पहस्ा थीों और उनमें से अपधकाों श
को बाद में फाों सी िर लटका पदया गया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
प्रान्त िररितति
सोंयुि प्रान्त • काकोरी और अन्य षड्योंत्रोों में शापमल कैपदयोों की ररहाई।
• यू.िी. काश्तकारी अपधपनयम, 1939 ने आगरा और अिध में सभी िैधापनक काश्तकारो को िोंशानुगत
अपधकार दे पदए।
• 1938 में कानिुर में हुई बड़ी हड़ताल की जाों च के पलए राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में श्रपमक जााँ च
सपमपत बनी।
• गैर-कानूनी माों गोों का उन्मूलन: नाज़राना (उिहार दे ने के मजबूर करना) और बेगारी (बोंधुआ मजदू री)।
मध्य प्रान्त • भूपम मापलकोों के क्षेत्रोों में कायाकाल की सुरक्षा का पििार करते हुए काश्तकारी सुधार।
• कजादार को राहत और मनीलेपडों ग व्यिसाय का पिपनयमन।
उड़ीसा • काश्तकारी अपधपनयम 1938 में िाररत हुआ, पजसमें मुफ्त हिाों तरण, अिैध उगाही को प्रपतबोंपधत
करने और ब्याज की बकाया रापश में कमी की अनुमपत दी गई।
• कजादार को राहत और जमीोंदारी प्रथा का पिपनयमन।
मद्रास • कजादार को राहत और जमीोंदारी प्रथा का पिपनयमन।
• सोंपचत भूपम में कमी लायी गयी।
• चराई शुि में कमी की गयी।
• श्रम पििादोों का आों तररक पनिटान।
बॉम्बे • सपिनय अिज्ञा आन्दोलन के दौरान जब्त की गई ज़मीन िािस कर दी गयी।
• काश्तकारी सुधार कायाकाल की सुरक्षा प्रदान करते थे।
• सोंपचत पहतोों में कमी।
• चराई शुि का उन्मूलन।
• किड़ा जाों च सपमपत द्वारा मजदू री में िृक्तद्ध की पसफाररश की गयी।
नबहार • राजनीपतक कैपदयोों की ररहाई।
• 1937 और 1938 में काश्तकारी कानून लाया गया।
एि.डब्ल्यू.एफ.िी. • काश्तकारी सुधार कायाकाल को सुरक्षा प्रदान करते थे।
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पद्वतीय पिश्व युद्ध नाजी जमानी और धुरी राष्टरोों की फासीिादी ताकतोों के बीच लड़ा गया था। युद्ध में लड़ने के पलए पब्रटे न को भारत के
समथान की आिश्यकता थी। लेपकन इसके पलए काों ग्रेस ने दो माों गें रखी :
1. युद्ध के बाद स्वतोंत्र भारत की राजनीपतक सोंरचना तय करने के पलए सोंपिधान सभा का गठन पकया जाये।
2. उत्तरदायी सरकार स्थापित पकया जाये।
1936-1944 तक पलनपलथगो िायसराय थे। उन्ोोंने काों ग्रेस की इन माों गोों को अस्वीकार कर पदया।
सरकार की गुप्त कायतिीनत: सरकार के क्तखलाफ उठने िाली पकसी भी आिाज को दबाने और युद्ध में समथा न हापसल करने के
पलए।
• युद्ध की घोषणा से िहले ही भारत सरकार अपधपनयम 1935 में सोंशोधन करके आिातकालीन शक्तियोों को केंद्र के पलए सोंरपक्षत
कर पलया गया। यह प्राों तीय पिषयोों में हिक्षेि सोंबोंध में पकया गया था।
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• नागररक अपधकारोों को प्रपतबोंपधत करने के पलए भारत सुरक्षा अध्यादे श को लागू पकया गया था।
• काों ग्रेस के आों दोलन को रोकने के पलए क्राों पतकारी आों दोलन अध्यादे श का मसौदा तैयार पकया गया था।
• सरकार युद्ध में समथान के पलए भारत से पमत्र ररयासतोों से सैन्य टु कपड़योों को बुला सकती थी।
िि आन्दोिि िर बहस
पलनपलथगो के बयान के तत्काल बाद जन आन्दोलन िर चचाा प्रारों भ हुई।
काोंग्रेस का सोंकल्प: काों ग्रेस के सोंगठनात्मक रूि से गठन होने के बाद,यपद िररक्तस्थपतयााँ
अनुकूल होों तो काों ग्रेस िुनः जन आन्दोलन का सहारा लेगी।
काोंग्रेस का रामगढ अनधिेिि- िामिोंथी समूह: सुभाष चोंद्र बोस और फॉरिडा ब्लॉक, सीिीआई, सीएसिी, चाहते थे पक
माचत 1940 काों ग्रेस जन आों दोलन को तत्काल घोपषत करे ।
िेहरू का रुख: िह सरकार के साम्राििादी चररत्र को दे ख सकते थे। लेपकन िह नाज़ी
जमानी की जीत में योगदान नहीों दे ना चाहते थे, इसपलए िे काों ग्रेस के बहुमत के साथ रहें ।
प्रस्ताि: • भारत के पलए डोपमपनयन स्टे ट्स की स्थािना इसका मुख्य उद्दे श्य।
• िायसराय की कायाकारी िररषद का पििार।
• युद्ध के बाद एक सोंपिधान सभा की स्थािना पजसमें मुख्य रूि से भारतीय सामापजक, आपथाक
और राजनीपतक क्तस्थपतयोों के आधार िर सोंपिधान पनमाा ण का फैसला करें गे।
• लेपकन रक्षा, अल्पसोंख्यक अपधकार, रािोों के साथ सोंपधयााँ , अक्तखल भारतीय सेिाएाँ सरकार के
अोंतगात पनपहत होनी िरन्तु इन मुद्दे िर भारतीयोों के अपधकार का िूणा ध्यान रखा जायेगा।
• अल्पसोंख्यकोों की सहमपत के पबना भपिष्य में कोई सोंपिधान नहीों अिनाया जाएगा।
काोंग्रेस की प्रनतनक्रया • काों ग्रेस ने डोपमपनयन स्टे टस को अस्वीकार कर पदया।
मुक्तिम िीग की • मुक्तिम लीग ने आश्वासन का स्वागत पकया। इसने दोहराया पक पिभाजन एकमात्र समाधान
प्रनतनक्रया था।
महत्व: • यह िहली बार था जब सोंपिधान सभा के पलए काों ग्रेस की माोंग को सैद्धाों पतक रूि से स्वीकार
पकया गया था और सोंपिधान पनमाा ण के पलए भारतीयोों के अपधकारोों को मान्यता दी गई थी।
• डोपमपनयन स्टे टस का उल्लेख िहली बार स्पष्ट रूि से पकया गया था।
िररणाम: • िायसराय कायाकारी िररषद का पििार 12 में से 8 भारतीय सदस्योों के साथ हुआ था।
• राष्टरीय सुरक्षा िररषद की स्थािना प्रकृपत में सलाहकार की भूपमका के साथ की गई थी।
• रक्षा, पित्त, गृह जैसे मुद्दोों के प्रभारी पब्रपटश थे।
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क्योों ? • सी.डब्ल्यू.सी. अिनी उिरोि माों गोों के अधीन सरकार का समथान करने को तैयार थी
• मई 1942 में जािान ने रों गून िर आक्रमण पकया और इसपलए भारत िर आक्रमण करने का
खतरा बढता जा रहा था।
• पमत्र राष्टरोों जैसे U.S.A, U.S.R.R और चीन से U.K िर भारत से सहयोग प्राप्त करने का दबाि
डाला जा रहा था।
• डोपमपनयन क्तस्थपत के साथ भारतीय सोंघ की स्थािना की जाएगी और यह सोंयुि राष्टर और
राष्टरमोंडल के साथ अिने सोंबोंध को पनधाा ररत करने के पलए स्वतोंत्र होगा।
• युद्ध के बाद सोंपिधान सभा का प्रान्तोों (चुनाि आनुिापतक प्रपतपनपधत्व के माध्यम से) और दे शी
प्रािधान : ररयासतोों (नापमत) के सदस्योों के साथ गपठत की जाएगी।
• िए सोंनिधाि को स्वीकार करिे की ितें :
➢ अिना अलग सोंपिधान और एक अलग सोंघ होने की क्तस्थपत में कोई भी प्राों त भारतीय सोंघ में
शापमल नहीों हो सकता है ।
➢ नई सोंपिधान पनमाा त्री सभा तथा सरकार सत्ता हिाों तरण के पलए सोंपध िर बातचीत करे गी।
नक्रप्स नमिि के असफि होिे के कारण: यह पमत्र राष्टरोों को सोंतुष्ट करने के पलए एक हपथयार मात्र था।
महत्व :
उद्दे श्य:
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
सोंघित के कारण:
• पक्रप्स पमशन की पिफलता ने पब्रपटश सरकार के अिररितानीय रिैये को उजागर पकया।
• काों ग्रेस नेतृत्व चाहता था पक जनता सोंभापित जािानी आक्रमण के पलए तैयार रहें ।
• युद्ध में नुकसान के कारण पब्रपटश शासन के स्थापयत्व में पिश्वास की कमी।
• बोंगाल, उड़ीसा, असम में पब्रटे न द्वारा भेदभाििूणा भू-नीपत को अिनाया जाना।
• बोंगाल-उड़ीसा में नमक, चािल की बढ़ती कीमतोों के साथ नािोों को जब्ती द्वारा सरकारोों की नीपतयोों और मोंशा उजागर हुई।
भेदभाििूणत भू-िीनत: यह दु श्मन राष्टर के पलए उियोग की जाने िाली पकसी भी चीज़ को नष्ट करने की एक सैन्य रणनीपत है ।
जैसे: बोंगाल और उड़ीसा में नािोों को जब्त करना।
• महत्व: राष्टरीय आों दोलन के एजेंडे में स्वतोंत्रता की माों ग को जोड़ा गया था।
• 23 माचत 1943: िापकिान पदिस मनाया गया।
1943 का अकाि
• यह बोंगाल के दपक्षण िपिम क्षेत्र में िड़ा।
• पिशाल सेना को भोजन की आिूपता के कारण खाद्यानोों की आिूपता बापधत हो गयी।
• दपक्षण िूिा एपशया, बमाा से आयात बोंद कर पदया गया।
• यह सरकार के कुप्रबोंधन से और भी अपधक बढ़ गया।
महात्मा गाोंधी: • ग्वापलया टैं क में उन्ोोंने करो या मरो का नारा पदया।
• इसके बाद 9 अगि, 1942 को उन्ें पगरफ्तार कर पलया गया।
• भारत छोड़ो आों दोलन में शापमल भारतीयोों का सरकार के द्वारा दमन के पिरोध में 21
पदनोों का अनशन पकया।
ियप्रकाि िारायण: • जे.िी. के रूि में लोकपप्रय थे। उन्ोोंने योगेंद्र शुक्ल के साथ हजारीबाग सेंटरल जेल में
आजादी के भूपमगत आों दोलन की शुरुआत की।
राम मिोहर िोनहया, अरुणा • भूपमगत गपतपिपधयोों से जुड़े नेता।
आसफ अिी, सुचेता कृििािी,
बीिू िटिायक, आर.िी.
गोयिका, अच्युत िटिधति
नचत्तु िाोंडे: • उन्ोोंने बपलया (यूिी) में एक समानाों तर सरकार बनाई। उन्ोोंने खुद को गाों धीिादी
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
बताया।
उिा मेहता: • िह एक छोटे समूह का पहस्ा थी जो काों ग्रेस रे पडयो चलाता था। उन्ोोंने बॉिे में एक
भूपमगत रे पडयो शुरू पकया।
ििाहर िाि िेहरू: • शुरू में उन्ोोंने कट्टर उदारिापदयोों का समथान पकया जो गाों धी जी की योजना के पिरोधी
थे। बाद में इन्ोोंने 8 अगि, 1942 को भारत छोड़ो प्रिाि िाररत पकया।
रास नबहारी बोस: • इन्ें जून 1942 को इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग के अध्यक्ष के रूि में चुना गया। उन्ोोंने
जािानी बलोों द्वारा पगरफ्तार पकये गए भारतीय युद्धबोंपधयोों को लामबोंद पकया और
पब्रपटश सरकार के क्तखलाफ एक सशस्त्र पिद्रोह का गठन पकया।
कप्ताि मोहि नसोंह: • ये भारतीय राष्टरीय सेना (INA) के प्रमुख सेनािपत थे।
सुभाि चोंद्र बोस: • भारतीय राष्टरीय सेना में 1943 में शापमल हुए, इन्ोोंने प्रपसद्ध नारा "तुम मुझे खून दो , मै
तुम्हे आजादी दू ों गा" पदया ।
• उन्ोोंने आजाद पहों द रे पडयो के एक भाषण में गाों धीजी को "राष्टरपिता" के रूि में सोंबोपधत
पकया।
• सुभाष चोंद्र बोस के तहत आईएनए ने भारत की स्वतोंत्रता में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
सी. रािगोिािाचारी और • िे स्वतोंत्रता के बाद एक जनमत सोंग्रह के माध्यम से मुसलमानोों के अलग होने के
भूिाभाई दे साई: क्तखलाफ थे। उन्ोोंने जुलाई 1942 में काों ग्रेस की AICC से इिीफा दे पदया।
के. िी. मिरूिािा: • 8 अगि 1942 को महादे ि दे साई की पगरफ्तारी के बाद, िे साधारण जन सिन्धी
भािनाओों को भड़काने के पलए हररजन के दो उग्रिादी मुद्दोों को सामने लाये।
सतीि सामोंत : • ये स्थानीय काों ग्रेसी नेता तथा तामलुक जातीय सरकार के प्रथम सिाापधनायक थे।
पमदनािुर के तामलुक सब-पडिीजन में पिद्रोही राष्टरीय सरकार के गठन में इनकी प्रमुख
भूपमका थी।
िक्ष्मण िायक: • कोरािुत के जनजातीय तबके को जिोर जमीोंदारी के पिरुद्ध पिद्रोह करने हे तु सोंगपठत
पकया। इनके नेतृत्व में प्रदशानकाररयोों ने िुपलस थाने िर आक्रमण पकया।
िािा िानटि: • सतारा में पिद्रोह का नेतृत्व पकया।
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आम चुिाि , 1945
क्लीमेंट एटली के तहत लेबर िाटी सत्ता में आई। लाडा िैपटर क लॉरें स भारत के नए राि सपचि पनयुि हुए।
• 10 साल बाद भारत में आम चुनाि की घोषणा। अोंपतम बार 1936 में आयोपजत हुए थे।
• 91% गैर-मुक्तिम सीटें काों ग्रेस द्वारा जीती गईों, मद्रास, सोंयुि प्राों त, पबहार, उड़ीसा, मध्य
प्रमुख कदम: प्राों त में िूणा बहुमत प्राप्त हुआ।
• मुक्तिम लीग ने सभी मुक्तिम सीटोों िर जीत हापसल की मुक्तिम लीग ने पसोंध और बोंगाल
में िूणा बहुमत प्राप्त पकया था।
• मुक्तिम लीग 1935 के चुनािोों के पििरीत एक प्रमुख मुक्तिम िाटी के रूि में स्थापित हुई
महत्व: थी।
• िृथक पनिाा चन और सीपमत मतापधकार ने चुनािोों में साों प्रदापयक मतदान में योगदान पदया।
जैसे, प्राों तोों के पलए <10% लोग मतदान कर सकते थे। केंद्रीय पिधानसभा के पलए <1%
योग्य थे।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
िेिेल ब्रेकडाउन योजना: उन्ोोंने उत्तर िूिा और उत्तर िपिम के 6 मुक्तिम प्राों तोों में पब्रपटश सेना और अपधकाररयोों को िािस
बुलाने की योजना बनाई। इसका कैपबनेट पमशन योजना द्वारा अपधक्रमण पकया गया था।
काों ग्रेस की व्याख्याएाँ : कैपबनेट पमशन िापकिान के क्तखलाफ है । सोंपिधान सभा का गठन पिचारणीय है । लीग की िीटो िािर
चली गई ।
मुक्तिम लीग की व्याख्याएाँ : इसकी समूह ख और ग में मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों तोों का प्रपतपनपधत्व करता है , इसपलए समूहन ने
िापकिान के गठन की ओर सोंकेत पकया है ।
उद्दे श्य:
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• 10 जुलाई, 1946: नेहरू ने सोंपिधान सभा को सोंप्रभु के रूि में उिलपक्षत पकया और प्रपक्रया के पनयमोों के आधार िर स्वयों
पनणाय लेंगे की मोंशा पदखाई।
• 29 जुलाई, 1946: लीग ने नेहरू के कथन के जिाब में योजना को अस्वीकार कर पदया। स्वतोंत्र िापकिान को प्राप्त करने के
पलए 16 अगि 1946 को प्रत्यक्ष कायािाही पदिस के रूि में बनाया।
प्रत्यक्ष कायतिाही नदिस, अगस्त 16, 1946
• 16 अगि, 1946 को प्रत्यक्ष-कारा िाई पदिस के रूि में मनाना तय पकया गया। बोंगाल के प्रधानमोंत्री के नेतृत्व में , हुसैन शहीद
सुहरािदी और ख्वाजा पनजामुद्दीन द्वारा पदए गए उग्र भाषणोों ने िहले से नाराज साों प्रदापयक जनता को उकसा पदया। इसके
बाद हुई पहों सा में 5000 लोग मारे गए थे।
• भारत में 16 अगि से साों प्रदापयक दों गे बहुत बड़े िर िर शुरू हुए।
• गढ़मुिेश्वर (उत्तर प्रदे श ), कलकत्ता, बॉिे, नोआखली, पबहार सबसे अपधक प्रभापित क्षेत्र थे।
अोंतररम सरकार
• जिाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में 2 पसतोंबर 1946 को अोंतररम सरकार का गठन पकया गया था।
• यह िायसराय की कायाकारी िररषद की एक पनरों तरता थी।
• इसे मुक्तिम लीग के पबना बनाया गया था, लेपकन बाद में 26 अक्ट्ू बर को उसे इसमें शापमल होने की अनुमपत दे दी गई:
➢ प्रत्यक्ष कायािाही का पिरोध पकए पबना।
➢ कैपबनेट पमशन की लघु अिपध-दीघाकालीन माों गोों की अस्वीकृपत के बाद भी।
➢ िूरी आबादी द्वारा पलए जाने िाले पनणाय के साथ अपनिाया समूहन िर अड़े रहने के बािजूद। (इस प्रकार, िापकिान के
पिरोपधयोों को अल्पमत में लाना)।
सोंनिधाि सभा
• इसकी िहली बैठक 9 पदसोंबर, 1946 को हुई। इसमें 389 सदस्य (292 राि के प्रपतपनपध, ररयासतोों के 93, पदल्ली के मुख्य
आयुि प्राों त के 4, अजमेर-मेिाड़, कूगा और पब्रपटश बलूपचिान) थे।
• काों ग्रेस ने 208 सीटें और मुक्तिम लीग ने 73 सीटें जीतीों। चुनाि के बाद मुक्तिम लीग ने काों ग्रेस के साथ सहयोग करने से इनकार
कर पदया। पब्रपटश ने घोपषत पकया पक सोंपिधान सभा में मुक्तिम बहुल क्षेत्र िर पलए गए फैसले मान्य नहीों होोंगे।
• सोंपिधान सभा स्वतोंत्र भारत की िहली सोंसद थी।
• 9 पदसोंबर 1946 को सोंपिधान सभा की िहली बैठक में डॉ. सक्तच्चदानोंद पसन्ा इसके िहले अध्यक्ष बने।
उद्दे निका प्रस्ताि: इसे 13 पदसोंबर 1947 को लाया गया और 22 जनिरी 1947 को अिनाया गया। इसे जिाहरलाल नेहरू द्वारा
तैयार पकया गया था और स्वायत्त इकाइयोों, अल्पसोंख्यक सुरक्षा उिायोों और सामापजक, राजनीपतक और आपथाक लोकतोंत्र के
साथ एक स्वतोंत्र गणराि के आदशों को प्रदपशात पकया गया था।
काोंग्रेस की प्रनतनक्रया : सत्ता हिाों तरण करने के पलए एक से अपधक केंद्रोों को स्वीकार पकया। सत्ता का हिाों तरण काोंग्रेस को एक
सोंपिधान बनाने की अनुमपत दे गा।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
के पलए सहमपत दी बाद में 3 जून को क्लीमेंट एटली द्वारा हाउस ऑफ़ कॉमन्स में इसकी योजना बनाई गई।
योजना:
• बोंगाल और िोंजाब की प्राों तीय पिधानसभाएों अलग-अलग, एक मुक्तिम बहुसोंख्यक पजलोों का प्रपतपनपधत्व करने िाली और दू सरी
पहों दू बहुसोंख्यक पजलोों के मतदान द्वारा पिभाजन िर पनणाय लेने के पलए पमलेंगी ।
• बोंगाल के NWFP और पसलहट पजले के मामले में जनमत सोंग्रह शुरू पकया जाएगा।
• पसोंध अिना फैसले लेने के पलए स्वतोंत्र था।
• पिभाजन के मामले में दो डोपमपनयन और दो सोंपिधान सभाओों का गठन पकया जाना था।
• चूोंपक काों ग्रेस ने एकीकृत भारत की मााँ ग की, इसपलए उसकी सभी मााँ गें िूरी होनी थीों:
➢ दे शी ररयासतोों को आजाद रहने से इों कार पकया गया। िे भारतीय या िापकिान के डोपमपनयन में शापमल हो सकते थे।
➢ बोंगाल को कोई स्वतोंत्रता नहीों।
➢ िापकिान में है दराबाद का प्रिेश पनषेध था।
• 15 अगि 1947 को स्वतोंत्रता दी जाएगी।
• सीमा पिभाजन के मामले में सर रे डक्तक्लफ के तहत सीमा आयोग स्थापित पकया गया।
अलग िापकिान की लीग की माों ग िर सहमपत बनी। तो काों ग्रेस की माों ग थी,अपधकतम एकता बनाए रखना। काों ग्रेस ने दे श में
पहों सक क्तस्थपत, सेना और नौकरशाही की पनरों तरता और जाों च के पलए सत्ता हिाों तरण को डोपमपनयन स्टे टस के रूि में स्वीकार
पकया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
प्रिासनिक िीनतयाों
बाोंटोों एिों राि करो • 1857 के निद्रोह के ििात मुसिमािोों के दमि की िीनत अििायी गई थी।
की िीनत • क्षेत्र, प्राोंत, िानत, और धमों के निरुद्ध एक-दू सरे को उकसािे की िीनत।
निनक्षत भारतीयोों के • पशक्षा पब्रपटश प्रापधकरण के पलए एक चुनौती थी।
प्रनत द्वे ि • 1885 में INC के गठन के बाद, पशपक्षत भारतीयोों के पिरुद्ध शत्रुतािूणा रिैया अिना पलया गया।
िमी ोंदारो के प्रनत • 1857 के निद्रोह को कुचििे के बाद नब्रनटि सरकार िे भारतीयोों के अत्योंत प्रनतनक्रयािादी
दृनिकोण समूह अथातत भूस्वानमयोों और िमी ोंदारोों के प्रनत भी नमत्रता का हाथ बढाया।
• अिध राज्य के अनधकाोंि ताल्लुकदारोों को उिकी िमीिें िौटा दी गयी ों।
• सरकार िे िमीदारोों एिों भूस्वानमयोों को भारतीयोों का िरम्परागत िेता कहा।
सामानिक सुधारोों • प्रपतपक्रयािादी तत्वोों का समथान करने का पनणाय लेने के कारण, सरकार ने सामापजक सुधारोों से
के प्रनत दृनिकोण अिना समथान िािस ले पलया।
अनिकनसत • सरकार द्वारा सेना एिों नागररक प्रशासन िर पकये जा रहे भारी व्यय तथा पिद्रोहोों को कुचलने में
सामानिक सेिायें सोंसाधनोों के अोंधाधुोंध उियोग से पशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आधारभूत ढाों चे इत्यापद जैसी सामापजक
सेिायें उिेपक्षत हो गयीों।
• भारत के कारखानोों में कायारत श्रपमकोों की दशाओों में सुधार एिों उनके पलये पिधान बनाने की माों ग,
सिाप्रथम भारत में नहीों अपितु पब्रटे न में लोंकाशायर के किड़ा कारखानोों के मापलकोों द्वारा उठायी
गयी।
• 1875 में श्रपमकोों की क्तस्थपतयोों की जाों च करने के पलए एक आयोग का गठन पकया गया ।
• भारतीय कारखािा अनधनियम, 1881: यह अनधनियम बाि श्रनमकोों से सोंबोंनधत था। (7 से
12 िित की आयु के बीच के)।
श्रनमक निधाि 1. 7 िषा से कम आयु के बच्चोों के काम करने िर रोक लगायी जाये।
2. बच्चोों के पलये एक पदन में काम करने की अिपध अपधकतम 9 घोंटे से अपधक नहीों होनी चापहये।
3. बाल श्रपमकोों को एक माह में चार अिकाश पदये जायें।
4. खतरनाक मशीनोों के चारोों बाड़ लगायी जाये।
• भारतीय कारखािा अनधनियम, 1891:
1. बच्चोों के काम करने के पलये न्यूनतम आयु 7 और 12 िषा से बढ़ाकर 9 और 14 िषा कर दी
गयी।
2. बच्चोों के पलये काम करने के घोंटोों को घटाकर 7 घोंटे प्रपतपदन कर पदया गया।
3. सभी के पलए साप्तापहक अिकाश।
4. मपहलाओों के पलये काम करने का समय 11 घोंटे कर पदया गया, पजसमें 1 घोंटे का मध्यािकाश
पनपित पकया गया।
5. िुरुषोों के पलये काम के घोंटे अभी भी अपनपित रहे ।
• इन पनयमोों को अोंग्रेजोों के स्वापमत्व िाले चाय एिों कहिा (काफी) बागानोों में लागू नहीों पकया गया।
प्रेस की स्वतोंत्रता िर • 1878 में अलोकपप्रय भारतीय भाषा समाचार-ित्र अपधपनयम (िनक्यूलर प्रेस एक्ट्) को िाररत पकया
प्रनतबोंध गया।
• स्वदे शी एिों बोंग-भोंग पिरोधी आों दोलन के समय 1908 एिों 1910 के मध्य अनेक प्रपतबोंध लागु पकये
गये।
रों गभेद की िीनत • अोंग्रेजोों ने नागररक प्रशासन एिों सेना के साथ-साथ रे ल के पडब्बोों, िाको, होटलोों तथा क्लबोों इत्यापद
में भी रों गभेद की नीपत को लागू पकया।
औद्योनगक क्राोंनतः पब्रपटश िूोंजीिादी और औद्योपगक समथाक िगा ने अिने माल की खित के पलए बाजारोों िर अपधक दबाि
डाला।
िये निचारोों की नििेिताएों :
1. तकतिाद : िैज्ञापनक और तकािादी दृपष्टकोण।
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निदे ि िीनत
• पब्रपटश साम्राि की रक्षा तथा उसके पहतोों के िक्षिोषण हे तु प्राकृपतक भौगोपलक सीमाओों को लाों घने का पनणाय।
• अन्य यूरोिीय प्रपतद्वों पद्वयोों (जैसे- फ्ाों स,रूस) को दू र रखना।
• पब्रटे न के आपथाक ि व्यािाररक पहतोों को प्रोत्सापहत करना।
भारतीय ररयासतोों के प्रनत नब्रनटि िीनत
• 1857 के बाद पिलय की नीपत का िररत्याग कर पदया गया।
• 1876 में सोंप्रभुता का अोंत (रानी पिक्ट्ोररया की घोषणा): पब्रपटश सरकार ने रािोों के आों तररक मामलोों में हिक्षेि करने के
अपधकार द्वारा अिनी 'सिोच्च श्रेष्ठता' की नीपत को कायम रखा।
• अधीनस्थ सोंघीय नीपत: साम्राि की रक्षा के पलये उनसे सोंबोंधोों की स्थािना करना, उनका उियोग तथा उन्ें िूणातया साम्राि
के अधीन कर लेना।
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निऔद्योनगकीकरण
• आधुनिक औद्योगीकरण की नदिा में कोई प्रयास िही ों: यू रोि की तरह औद्योगीकरण के बजाय, भारत ने पिऔद्योपगकीकरण
की तरफ रुख पकया ।
• एकतरफ़ा मुि व्यािार: रे लिे की मदद से दे श के हर कोने में सिे यूरोिीय माल की बाढ़ आ गई।
• भारतीय माल िर यूरोि में भारी कर लगाया जाता था।
• भारतीय अथाव्यिस्था, नेट पनयाा तक से नेट आयातक में तब्दील हो गई।
• अधोमुखी शहरीकरण( Reverse Urbanization): बेरोजगार कारीगर, (पजन्ोोंने पब्रपटश शासन के कारण अिने सोंरक्षक खो
पदए) दमनकारी नीपतयोों और शहरी केंद्रोों में लाभ की कमी के कारण कृपष में सोंलग्न हो गए।
• कारीगरोों और हिपशक्तल्पयोों की बबाा दी।
नबचौनियोों का उदय तथा नकसािोों की दररद्रता
• उन पबचौपलयोों का उत्थान हुआ पजनका जमीन से कोई िारों िररक सोंबोंध नहीों था।
• िारों िररक ज़मीोंदारोों, जो भूपम को एक सोंसाधन मानते थे की अनुिक्तस्थपत।
• बड़े पहस्े में स्थायी बोंदोबि, रै यतिाड़ी और महालिाड़ी प्रणाली का प्रभाि।
• भूपम के हिाों तरण से पकरायेदारोों में असुरक्षा िैदा हुई।
• जमीोंदारोों की बढ़ी हुई शक्तियाों : अिैध बकाया, बेगार आपद।
• भूपम उत्पादकता में सुधार के पलए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीों।
• साहूकारोों द्वारा पकसानोों का शोषण।
• अकाल, बाढ़ आपद के कारण अपनपित उत्पादकता।
• पकसानोों को सरकार, जमीोंदारोों और साहूकारोों के हाथोों नुकसान उठाना िड़ा।
• 1850 से 1900 के बीच करोड़ोों लोग अकाल से मर गए।
• औिपनिेपशक सरकार की नीपतयोों के कारण और भोजन की कमी के कारण पकसानोों में गरीबी बढ़ती चली गई।
भारतीय कृनि का ह्रास तथा िानणज्यकरण
• मुद्रा अथाव्यिस्था, एकीकृत राष्टरीय बाजार का उद्भि, बाह्य-आों तररक व्यािार जैसी शक्तियोों द्वारा प्रेररत।
• कृपष का व्यािसायीकरण स्वाभापिक नहीों था, बक्ति पकसानोों िर जबरदिी थोिी गई प्रपक्रया थी। कीमतोों में बढ़ोतरी से
पबचौपलयोों को फायदा हुआ जबपक कीमतोों में पगरािट ने पकसानोों िर प्रपतकूल असर डाला।
• जमीोंदार और सरकार इच्छाशक्ति में कमी के साथ-साथ पकसानोों को उत्पादकता बढ़ाने के पलए प्रोत्सापहत नहीों पकया जाना।
• किास, जूट, मूोंगफली, पतलहन, तोंबाकू, गन्ना, मसालोों, मसालोों, फलोों, सक्तब्जयोों, चाय, कॉफी, इों पडगो, रबर, आपद की
व्यािसापयक फसलें, खित के उद्दे श्य से नहीों बक्ति राष्टरीय और अोंतराा ष्टरीय बाजार में पबक्री के पलए उगाई जाती थीों। ।
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भारतीय उद्योगोों की समस्याएाँ =सरकार द्वारा कोई टै ररफ सुरक्षा नहीों, पिदे शी कोंिपनयोों से असमान प्रपतस्पधाा , बेहतर तकनीक
और पित्तीय बुपनयादी ढाों चे से लैस पब्रपटश िूोंजीिादी द्वारा कड़ा पिरोध।
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िषा प्रयास
1870 • सपसिदा बनजी ने कामगार क्लब और समाचार ित्र “भारत श्रमजीिी” शुरू पकया।
1878 • सोराबजी शिूरजी बेंगाले ने मजदू रोों के पलए बोंबई पिधान सभा में पबल िास करिाने के प्रयास पकए।
1880 .• नारायण मेघजी लोखोंडे ने बॉिे पमल और पमलहैं ड्स एसोपसएशन और समाचार ित्र दीनबोंधु की शुरुआत
की।
1899 • ग्रेट भारतीय प्रायद्वीिीय रे लिे हड़ताल,,पतलक की केसरी और मराठा द्वारा समथान पमला।
1921 • अक्तखल भारतीय टर े ड यूपनयन काों ग्रेस का गठन
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1784 का चाटत र
निट् स इों नडया अनधनियम चाटत र अनधनियम
अनधनियम 1813 1853
अनधनियम:
• यह िहला अपधपनयम है पजसे पब्रपटश साों सद ने, भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के शासन को पिपनयपमत और पनयोंपत्रत करने के पलए
िाररत पकया था।
• बोंगाल के गिनार “बोंगाल के गिनार जनरल” बन गए थे। िॉरे न हे क्तस्टोंग, बोंगाल का प्रथम गिनार जनरल था।
• गिनार जनरल की सहायता के पलए चार सदस्योों िाले एक कायाकारी िररषद का गठन पकया गया था।
• इस पिपनयमन अपधपनयम के कारण बिई और मद्रास की स्वतोंत्र प्रेसीडें पसयााँ , बोंगाल की प्रेसीडें सी के अधीन हो गई थीों।
• इस अपधपनयम के तहत 1774 में कोलकाता में सिोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोटा ) की स्थािना हुई थी। (सोंरचना: एक मुख्य न्यायाधीश
और दो न्यायाधीश) ।
• पब्रपटश सरकार को राजस्व, नागररक, सैपनक कामकाज की सूचना दे ने के पलए ईस्ट इों पडया कोंिनी ने पनदे शक मोंडल का गठन पकया
था। इस कारण भारत में कोंिनी के कामकाज िर पब्रपटश सरकार का पनयोंत्रण मजबूत हो गया था ।
महत्व: भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के कामकाज िर पनयोंत्रण बनाए रखने के पलए पब्रपटश सरकार ने इस अपधपनयम को लागू पकया
था। भारत में केंद्रीय प्रशासन समायोपजत करने की तरफ यह पब्रपटश सरकार का िहला कदम था। यह िहली बार था जब पब्रपटश
सरकार को कोंिनी के प्रशासपनक और राजनीपतक कायों की अनुभूपत हुई थी।
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महत्त्व: 1784 के इस अपधपनयम के अनुसार ईस्ट इों पडया कोंिनी के प्रदे शोों को “भारत में पब्रपटश आपधित्य” कहा जाता था। इस
अपधपनयम के अोंतगात पब्रपटश सरकार को भारत में कोंिनी के प्रशासन िर पनयोंत्रण करने का अपधकार प्राप्त था।
1786 के अपधपनयम के तहत इन प्रािधानोों की व्यिस्था हुई और लॉडा कॉनािापलस बोंगाल के गिनार जनरल पनयुि पकए गए ।
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महत्व: भारतीय पिधान िररषद के गठन के साथ, पिधान को सरकार का एक अलग काया माना जाता था। पब्रपटश सरकार पकसी भी
समय कोंिनी के अनुबोंध को समाप्त कर सकती थी।
भारतीय भारतीय
िररिद भारतीय िररिद
अनधनियम सरकार
अनधनियम अनधनिय
1861 1909
म 1935
महत्व: इसने भारत की प्रशासपनक मशीनरी (गिनार जनरल के स्थान िर िाइसराय को लाना) में सुधार लाने िर ध्यान केंपद्रत पकया।
िोटत फोनियो प्रणािी: इसमें, िायसराय िररषद के एक सदस्य को एक या अपधक पिभागोों का प्रभारी बनाया गया था और िह स्वतोंत्र
रूि से पनणाय ले सकता था और िररषद की ओर से आदे श जारी कर सकता था।
महत्व: शब्द 'चुनाि' का उल्लेख कहीों नहीों पकया गया था लेपकन इस अपधपनयम में नामाों पकत सदस्योों के पलए एक सीपमत और अप्रत्यक्ष
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महत्व: यह िररषद में "प्रपतपनपध और लोकपप्रय तत्वोों" को िेश करने का िहला प्रयास था। िररषदोों को िहली बार पिधान िररषदोों के रूि
में सोंदपभात पकया गया था।
महत्व: यह िहली बार था जब पब्रपटश सरकार ने दे श में एक पजम्मेदार सरकार को िेश करने का अिना उद्दे श्य घोपषत पकया।
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महत्व: इस अपधपनयम से पब्रपटश शासन समाप्त हो गया। 15 अगि 1947 को भारत स्वतोंत्र हुआ।
न्यायिानिका का उद्भि
िारे ि हे क्तस्टोंग्स के अधीि कॉित िानिस के अधीि निनियम बें नटक के अधीि
आिरानधक नििादोों • सदर पनजामत अदालत मुपशादाबाद में था। इसकी अध्यक्षता उि पनज़ाम ने की और मुख्य िाज़ी तथा
के निए प्रमुख मुफ़्ती ने सहायता की। यह कैपिटल िपनशमेंट और सोंिपत्त के अपधग्रहण के पलए था।
• पजला फौजदारी अदालतोों को एक भारतीय अपधकारी के अधीन एक काज़ी और एक मुफ्ती द्वारा सहायता
प्राप्त होती थी। यह कलेक्ट्र के सामान्य ियािेक्षण के अधीन भी था।
नसनिि नििादोों के • अध्यक्ष और सिोच्च िररषद के 2 सदस्योों के अधीन सदर पदिानी अदालत।
निए • कलेक्ट्र के अधीन पजला पदिानी अदालत: पहों दुओों के पलए पहोंदू कानून और मुसलमानोों के पलए मुक्तिम
कानून।
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कॉितिानिस कोड
• राजस्व और न्याय प्रशासन का िृथक्करण ।
• सरकारी कमाचारी को आपधकाररक क्षमता में पकए गए अिने कायों के पलए पसपिल कोटा के प्रपत जिाबदे ह बनाया
गया।
• यूरोिीय पिषय इस प्रकार न्यायालय के क्षेत्रापधकार में लाए गए थे।
• कानून की सोंप्रभुता का पसद्धाोंत स्थापित पकया गया था।
1833 भारतीय कानूनोों के सोंपहताकरण के पलए मैकाले के तहत पिपध आयोग का गठन पकया गया था:
1. पसपिल प्रपक्रया सोंपहता, 1859 में तैयार की गई थी।
2. भारतीय दों ड सोंपहता, 1860 में तैयार पकया गया था।
3. आिरापधक प्रपक्रया सोंपहता, 1861 में तैयार की गई थी।
1860 • यूरोिीय लोग आिरापधक कायािाही के मामले को छोड़कर पिशेष पिशेषापधकार का दािा कर सकते थे।
• भारतीय मूल का कोई भी न्यायाधीश उन िर मुकदमा नहीों चला सकता था।
1865 सदर अदालत और उच्च न्यायालय को कलकत्ता, बॉिे और मद्रास की तीन उच्च न्यायालयोों में पमला पदया गया था।
1935 भारत सरकार अपधपनयम ने एक सोंघीय न्यायालय के गठन का प्रािधान पकया (1937 में स्थापित पकया गया था)। यह
सरकारोों के बीच पििादोों को सुलझा सकता था और उच्च न्यायालयोों से सीपमत अिीलोों की सुनिाई कर सकता था।
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नोट: 1863 में सत्येंद्र नाथ िहले भारतीय पसपिल सेिक बने थे।
भारतीय रािरीय काोंग्रेस की माोंग 1. भारत और इों ग्लैंड में चुनाि की व्यिस्था ।
2. आयु सीमा में बढ़ोतरी
िी कनमिि (1924):
• तुरोंत स्थापित पकया गया एक सािाजपनक आयोग (भारत सरकार अपधपनयम 1919 में कल्पना के अनुसार)
• राि के सपचि को पिपभन्न िदोों, जैसे पसोंचाई पिभाग के िद, की भती जारी रखने का सुझाि पदया गया।
• प्राों तीय सरकार द्वारा पकए जाने िाले पशक्षा, पसपिल मेपडकल सेिाओों जैसे हिाों तरणीय पिषयोों के पलए भपतायाों ।
• भारतीय सोंिैधापनक सेिाओों में सीधी भती और 15 िषों के अन्दर 50:50 (यूरोिीय: भारतीयोों का अनुिात) की समता प्राप्त की जाए।
ये कुि उिाय हैं िो िॉडत कॉितिानिस िे नसनिि सेिा में भ्रिाचार को रोकिे के निए नदये थे:
• अपधकाररयोों (अफसरोों) की तनख्वाह बढ़ा दी गई थी।
• पनजी व्यािार के क्तखलाफ पनयम कानून लागू पकए गए थे।
• ररश्वत ना लेने के पलए पसपिल सेिकोों को डराया धमकाया जाता था।
• िररष्ठता के अनुसार िदोन्नपत करने का पनयम लागू पकया गया था।
िुनिस का उद्भि
• 1791:
➢ कॉनािापलस ने आधुपनकीकरण के माध्यम से िुपलस बल की व्यिस्था की थी।
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➢ दरोगा (भारतीयोों) को पजले के िुराने थानोों में पनयुि पकया जाता था। एक एस.िी. को पजला मुक्तखया के रूि में पनयुि पकया
जाता था।
➢ िहले जमीोंदारोों ने िुपलस की पजम्मेदारी ले रखी थी और पफर कॉनािापलस ने उन्ें इस पजम्मेदारी से छूट दे दी थी।
• 1808: लॉडा मेयो ने हर पिभाग में एस.िी. और कई सारे जासूसोों को पनयुि पकया था।
• 1814: बोंगाल को छोड़कर बाकी सब जगह दरोगा और अधीनस्थ कमाचाररयोों को समाप्त करने के पलए पनदे शक मोंडल ने आदे श पदया
था।
पिपलयम बेंपटक
कलेक्ट्र/मपजस्टर े ट को
एस.िी. की तरह काया करने
इस ने एस.िी. के िद को िुपलस फोसा (िुपलस बल)
के पलए हर पिभाग में
समाप्त पकया था। का मुक्तखया बना पदया गया
कपमश्नर पनयुि पकया ।
था।
पटप्पणी: उियुाि प्रणाली के कारण िुपलस की व्यिस्था िूरी तरह से पबगड़ गई थी और मपजस्टर े ट िर िुपलस की पजम्मेदारी सोंभालने का
अपतररि भार आ गया था। प्रेसीडें सी शहरोों में िहली बार मपजस्टर े ट के इन कायों को प्रशासपनक कायों से िृथक पकया था।
िुनिस कमीिि (आयोग) 1860:
• इस आयोग की पसफाररश िर भारतीय िुपलस अपधपनयम 1861 का गठन पकया गया पजसके तहत प्राों तोों में िुपलस प्रणाली के
समायोजन के पलए पदशापनदे श पदए गए।
➢ िुपलस कमीशन ने नागररक िुपलस दल प्रणाली की स्थािना के पलए भी पसफाररश की थी। गाोंि की रखिाली तथा सुरक्षा के पलए
चौकीदार था, मगर िुपलस दल के साथ उसका अप्रत्यक्ष सोंिका होना था।
➢ इों स्पेक्ट्र जनरल, प्राों त का मुक्तखया था।
➢ पडप्टी इों स्पेक्ट्र जनरल ,एक रें ज का मुक्तखया था।
➢ एस.िी., पजले का मुक्तखया था।
1902: प्राों तोों में अिरापधक अन्वेषण पिभाग और केंद्र में केंद्रीय आसूचना ब्यूरो की स्थािना हुई थी।
पटप्पणी: ठगी प्रथा को पनयोंत्रण में लाने की ओर पिपलयम बेंपटक का योगदान सबसे प्रशोंसनीय है ।
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प्रेस की भूनमका:
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• प्रेस का िोंजीकरण।
• हर प्रकाशक को प्रकाशन के िररसर की सटीक जानकारी दे नी होती थी।
• 1857 के पिद्रोह के कारण आिातकाल के दौरान, सरकार ने 1835 के प्रेस अपधपनयम में
पनधाा ररत प्रपक्रया िर लाइसेंस दे ने के पनदे श अपधरोपित पकये।
• सरकार ने िुिक, समाचार ित्र या मुपद्रत िदाथो के प्रकाशन और सोंचलन को रोकने का
अिुज्ञक्तप्त अनधनियम, अपधकार, अिने िास रखा।
1857 • िहले से मौजूद िोंजीकरण प्रपक्रया के अलािा पकसी दू सरी प्रपक्रया से लाइसेंस दे ना प्रपतबोंपधत
पकया।
• सरकार के िास पकसी भी समाचार ित्र के प्रकाशन को रोकने की शक्तियााँ थीों।
िोंिीकरण अनधनियम, • इसने 1835 के प्रेस अपधपनयम या मेटकाफ के अपधपनयम को प्रपतस्थापित कर पदया।
1867 • पनयामक और प्रपतबोंधक पनयमो िाला।
• प्रकाशन के एक महीने के भीतर स्थानीय सरकार को िुिक की प्रपत दे नी होती थी।
• प्रत्येक िुिक में पप्रोंटर या प्रकाशक का नाम और स्थान होता था।
• इस अपधपनयम के पलए लॉडा पलटन पजम्मेदार थे।
• दे शी/स्थानीय भाषा और अोंग्रेजी अखबारोों के बीच भेदभाि।
• पब्रपटश शासन की आलोचना करने के पलए िनाा कुलर प्रेस (स्थानीय भाषा का प्रेस) का
इिेमाल पकया जाता था। इसपलए, उन्ोोंने 1878 में िनाा कुलर प्रेस िर अोंकुश लगाया।
• इसका उिनाम 'गैपगोंग अपधपनयम' रखा गया था।
• इसके अनुसार, दे श में शाोंपत और सुरक्षा के पलए खतरा िैदा करने िाली पकसी भी चीज को
प्रकापशत न करने का आश्वासन दे ने के पलए मपजस्टर े ट, अखबार के प्रकाशक से िूछताछ
भारतीय भािा समाचार करने के पलए प्रापधकृत थे।
ित्र अनधनियम , 1878 • अिील करने का अपधकार नहीों था। पकसी भी पििाद में मपजस्टर े ट का पनणाय अोंपतम होता
था।
• यह कानून, अोंग्रेजी प्रेस िर लागू नहीों होता था।
• इस अपधपनयम ने सरकार को अदालत के आदे शोों के पबना भी सचा िारों ट जारी करने और
अखबार िररसर में प्रिेश करने का अपधकार प्रदान पकया था।
• इसके तहत, 1883 में सुरेन्द् नाथ बनजी, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की
आलोचना करने िर जेल जाने िाले िहले भारतीय ित्रकार थे।
• बाल गोंगाधर पतलक अपधकाों शतः प्रेस की स्वतोंत्रता के पलए राष्टरिादी लड़ाई से जुड़े हुए थे।
• गणिपत (1893) और पशिाजी (1896) त्योहारोों तथा केसरी (मराठी में) और मराठा (अोंग्रेजी
में)समाचार ित्रोों के माध्यम से राष्टरिादी भािना के पनमाा ण में योगदान पदया।
• गैपगोंग कानून को 1882 में लॉडा ररिन द्वारा पनरि कर पदया गया था।
• अपतिादी/उग्रिोंथी गपतपिपधयो के क्तखलाफ पनदे पशत।
• पहों सा भड़काने िाली प्रेस की सोंिपत्त को जब्त करने की शक्तिया मपजस्टर े ट के िास थी।
• इस अपधपनयम के तहत पतलक को राजद्रोह के मुिदमे में 6 साल के पलए माों डले जेल भेज
समाचार ित्र (अिराधोों में पदया गया।
िृक्तद्ध) अनधनियम, 1908 • मपजस्टर े टोों को ऐसे अखबारो से जुड़े पप्रोंपटों ग प्रेस या सोंिपत्त को जब्त करने का अपधकार पदया
गया था, पजनमें हत्या या पहों सा के पलए उकसाने जैसी आिपत्तजनक खबरें प्रकापशत होती थी।
• समाचार ित्रोों को 15 पदनोों के भीतर उच्च न्यायालय में अिील करने की अनुमपत दी गई थी।
भारतीय प्रेस अनधनियम, • इसमें िनाा क्यूलर प्रेस एक्ट्, 1878 की पिशेषताएों थीों।
1910 • इस अपधपनयम को उभरते हुए भारतीय स्वतोंत्रता सोंग्राम को रोकने और प्रपतबोंपधत करने के
पलए लागू पकया गया था। खासकर प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान।
• इस अपधपनयम ने स्थानीय सरकार को 500रुिये से 2000 रुिये की सुरक्षा रापश की माोंग
करने का अपधकार पदया। पकसी भी आिपत्तजनक समाचार की छिाई के कारण इसका
िोंजीकरण रद्द कर पदया जाता था और सुरक्षा रापश को ज़ब्त पकया जा सकता था।
नििेि: 1921 में तेज बहादु र सप्रू की अध्यक्षता िाली प्रेस सपमपत ने 1908 और 1910 के
अपधपनयमोों को पनरि करने की पसफाररश की।
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भारतीय प्रेस • गाों धीिादी आों दोलन के प्रभाि ने सरकार को 1930 में अध्यादे श जारी करने के पलए उत्त्तेपजत
(आिातकािीि िक्तियााँ) पकया।
अनधनियम, 1931 • सपिनय अिज्ञा आों दोलन के तहत पकसी भी गपतपिपध का दमन करने के पलए प्राों तीय सरकारोों
को अपधकार प्रदान पकये।
• प्राों तीय सरकारोों को प्रेस के दमन की शक्ति प्रदान की गई।
• 1932 में, अपधपनयम के प्रािधानोों को आिरापधक सोंशोधन अपधपनयम के रूि में पििाररत
पकया गया।
• पद्वतीय पिश्व युद्ध के दौरान िूिा सेंसरपशि को 1931 में प्रेस आिपतक अपधपनयम और
आपधकाररक रहस्य अपधपनयम के तहत प्रबपलत और सोंशोपधत पकया गया था।
• इस अपधपनयम के तहत, काों ग्रेस और उसकी गपतपिपधयोों को अिैध घोपषत कर पदया गया
था।
• ित्रकार का िोंजीकरण, अपनिाया कर पदया गया था।
प्रेस नियामक अनधनियम, • नागररक उिद्रि और पिध्वोंशक कृत्योों के बारे में समाचार प्रपतबोंपधत कर पदए गए थे।
1942: • उिद्रि िर समाचारोों को दी गई सुक्तखायोों और स्थान के पलए सीमायें लागू थी।
• सरकार के िास मनमानी अनुज्ञक्तप्त का अपधकार था।
सेंसरनिि के िक्ष में: िेलेजली, लॉडा पमोंटो -2, लॉडा एडम्स, लॉडा कैपनोंग, लॉडा पलटन, लॉडा एक्तफोंस्टन, सर
मुनरो.
प्रेस की स्वतोंत्रता के िक्ष में: लॉडा हे क्तस्टोंग्स, चार्ल्ा मेटकाफ, मैकाले, ररिन
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प्राच्यिािात्य- नििाद:
सािाजपनक पनदे श िर सामान्य सपमपत के भीतर, िािात्यिापदयोों ने तका पदया पक पशक्षा िर सरकारी खचा, पिशेष रूि से आधुपनक
अध्ययन के पलए होना चापहए।
दु भाा ग्य से, मीपडया के तत्व के रूि में अोंग्रेजी और स्थानीय भाषाओों में बहुत भ्रम था।
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1835, 1836, बोंगाल और पबहार में मातृभाषा में पशक्षा िर पिपलयम एडम की ररिोटा ने मातृभाषा में पशक्षा की प्रणाली में
1838: दोषोों को इों पगत पकया था।
1843-53: लेक्तफ्टनेंट-गिनार के रूि मे जेम्स जोनाथन ने उत्तर-िपिम प्राोंतोों (उप्र) में प्रयोग के पलए, , प्रत्येक तहसीलदारी
में एक मॉडल स्कूल के रूि में एक सरकारी स्कूल और मातृभाषा के स्कूलोों के पलए पशक्षकोों के प्रपशक्षण
हे तु सामान्य स्कूल खोले थे।
1853 एक प्रपसद्ध ररिोटा में, लॉडा डलहौजी ने मातृभाषा में पशक्षा के िक्ष में मजबूत राय व्यि की थी ।
1854 िुड्स पडस्पैच ने मातृभाषा में पशक्षा के पलए पनम्नपलक्तखत प्रािधान पकए:
1. मानकोों में सुधार
2. सरकारी एजेंसी द्वारा ियािेक्षण
3. पशक्षकोों को प्रपशपक्षत करने के पलए सामान्य स्कूल
ये मातृभाषा में पशक्षा को प्रोत्साहन दे ते थे।
1854-71 सरकार ने माध्यपमक और स्थानीय पशक्षा िर कुछ ध्यान पदया। मातृभाषा के स्कूलोों की सोंख्या में िाों च गुना
से िादा िृक्तद्ध हुई थी।
1882 हों टर कमीशन ने माना पक राि को मातृभाषा में पशक्षा के पििार और सुधार के पलए पिशेष प्रयास करने
चापहए। जनपशक्षा को जनसाधारण को पशपक्षत करने के रूि में दे खा था।
1904 पशक्षा नीपत ने मातृभाषा में पशक्षा िर पिशेष जोर पदया और इसके पलए अनुदान बढ़ाया था।
1929 हाटोग सपमपत ने प्राथपमक पशक्षा की एक खराब तस्वीर िेश की।
1937 इन स्कूलोों को काों ग्रेस के मोंत्रालयोों से प्रोत्साहन पमला ।
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अकाि िर आयोग:
• 1865-66 के दौरान उड़ीसा, बोंगाल, पबहार और मद्रास में अकाल आया, पजसमें 20
लाख के करीब लोग “काल के गाल” में समा गए। इनमें 1000000 लोग केिल उड़ीसा
कैंिबेल आयोग: प्राों त से थे अतः उड़ीसा में अकाल गोंभीर रूि से फैला था तो इसे “उड़ीसा अकाल” के
नाम से भी जाना जाता है ।
• इस अकाल के बाद “सर जॉजा कैंिबेल” की अध्यक्षता में अकाल सपमपत पनयुि की
गई जो भारतीय अकाल के इपतहास का एक प्रभािी मोड़ सापबत हुआ।
स्टर ै ची आयोग • इस आयोग का गठन सन् 1878 में सर ररचडा स्टर ै ची की अध्यक्षता में पकया गया।
• इस आयोग द्वारा अकाल की िररक्तस्थपत में खाद्य व्यािार में राि की मध्यस्थता की
अनुशोंसा की गई। 1896-97 में भारत िुनः एक भयानक अकाल का साक्षी बना।
लायल कपमशन • इस आयोग का गठन 1900 में सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में हुआ। इस आयोग द्वारा
पसोंचाई की सुपिधा का पिकास करने सोंबोंधी अनुशोंसा की गई।
• आयोग की स्थािना में सर एों थोनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में की गई इन्ें बाद में लॉडा
की उिापध से पिभूपषत पकया गया था। इस आयोग का गठन, तात्कापलक अकाल से
मैकडॉनल आयोग प्राप्त पनष्कषों के आधार िर िूिा गपठत अकाल आयोग की ररिोटा का िुनमूाल्ाों कन एिों
अनुशोंसा प्रदान करने हे तु पकया गया था।
• आयोग द्वारा अनुशोंसा की गई पक अकाल से पनिटने हे तु पजम्मेदार अपधकाररक पिभाग
को िषाियांत कायाशील रहना चापहए तापक अकाल के दौरान खाद्यान्न अभाि से सरलता
से पनिटा जा सके।
निनध आयोग:
• भारत में पिपध आयोग का उद्भि स्वतोंत्रता िूिा से माना जाता है ।
• 1834 में ,टी. बी. मैकाले की अध्यक्षता में भारत का प्रथम पिपध आयोग “चाटा र एक्ट्, 1833” के िररणाम स्वरूि गपठत हुआ था।
• प्रथम पिपध आयोग 1834 की अनुशोंसाओों के िररणामस्वरुि “दों ड सपहों ता” एिों “आिरापधक प्रपक्रया सोंपहता” का सोंपहताकरण
हुआ।
• पद्वतीय स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग, 1853 - सर जॉन रोपमली
• तृतीय स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग , 1862 - सर जॉन रोपमली
• चतुथा स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग, 1879 - डॉ. क्तव्हटले स्टोक्स
• स्वतोंत्रता ििात प्रथम पिपध आयोग, 1955
• अध्यक्षता: एम. सी. सीतलिाड़
इस प्रकार स्वतोंत्रता प्राक्तप्त के ििात भी पिपध आयोग के द्वारा पिपध सुधार की प्रपक्रया जारी रही।
मुद्रा आयोग:
• 1886 में डफररन द्वारा गपठत “मैन्सपफल्ड आयोग”
• 1898 में एपलग्न पद्वतीय द्वारा गपठत “फाउलर आयोग”।
• 1919 में चेम्सफोडा द्वारा गपठत “बेपबोंगटन क्तस्मथ आयोग”।
• 1926 में पलनपलथगो द्वारा गपठत “पहल्टन योंग आयोग”।
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• िूना और बाों बे में स्वदे शी का सोंदेश सोंचाररत पकया एिों राष्टरभक्ति की भािना को जागृत करने हे तु
गणिपत ि पशिाजी उत्सि का आयोजन पकया.
िोकमान्य नतिक • इन्ोोंने स्वराि प्राक्तप्त के लक्ष्य हे तु बपहष्कार, राष्टरीय पशक्षा ि स्वदे शी िर बल पदया।
• इन्होोंिे सहकारी भोंडार खोिें एिों “स्वदे िी िस्तु प्रचाररणी सभा” की अध्यक्षता की।
सैयद है दर रिा • स्वदे शी आों दोलन को पदल्ली में लोकप्रपसद्ध पकया।
• इन्होोंिे आों दोिि को मद्रास में निस्ताररत नकया एिों “तूतीकोररि कोरि नमि” की हड़ताि
नचदों बरम निल्लई का आिाह्न नकया।
• इनके द्वारा मद्रास प्राों त के िू िी घाट िर तूतीकोररन में “स्वदे शी िाष्प नौिहन कोंिनी” की स्थािना
की गई। .
नबनिि चोंद्र िाि • उग्रिादी समूह से सोंबोंपधत थे एिों इनके द्वारा आों दोलन को लोकपप्रय बनाने में (पिशेषतः शहरी क्षेत्रोों
में) पिशेष भूपमका पनभाई। ये “न्यू इों पडया” में सोंिादक भी थे।
• िटना के प्रपसद्ध नेता पलयाकत हुसैन ने बपहष्कार का आह्वान पकया एिों 1906 में “ईस्ट इों पडया
रे लिे” हड़ताल का आयोजन पकया। इनके द्वारा मुक्तिमोों में राष्टरिादी भािनाओों के पििार हे तू उदू ा
नियाकत हुसैि भाषा में अनेक उत्तेजक लेख पलखे गए। इनका अन्य मुक्तिम आों दोलनकाररयोों जैसे गजनिी रसूल,
दीन-मोहम्मद, दीदार बक्श, मोपनरूज्जाम, इस्माइल हुसैन, पसराजी, अब्दु ल हुसैन एिों अब्दु ल
गफ्फार द्वारा समथान पकया गया।
रमेंद्र सुोंदर नत्रिेदी • इनके द्वारा बोंगाल पिभाजन के प्रभािी होने िाली पतपथ को शोक पदिस के रूि में रे खाों पकत करने ि पिरोध
स्वरूि “अरों धन” (चू ल्हा ना जलाया जाना) के अनुिालन का आव्हान पकया गया।
• राष्टरीय स्वतोंत्रता सोंग्राम को प्रेररत करने हे तु बहुत से गीतोों की रचना की एिों राष्टरीय गौरि को जगाने
हे तु बोंगाली लोक सोंगीत को िुनजीपित पकया।
रनिोंद्र िाथ टै गोर • इन्ोोंने कुछ स्वदे शी भोंडार ग्रह भी खोले थे और रक्षाबोंधन (बोंधुत्वता को बढ़ािा दे ने हे तु एक दू सरे
की कलाई िर धागा बाों धना) मनाने का आव्हान पकया।
• यह आों दोलन को सोंिूणा भारत में पििाररत करने के समथान में थे । इन्ें 1906 में स्थापित “बोंगाल
राष्टरीय महापिद्यालय” का प्रधानाध्यािक पनयुि पकया गया तापक िे राष्टरिादी भािनाओों ि भारतीय
क्तस्थपत ि सोंस्कृपत से सोंबोंपधत पशक्षा को प्रोत्सापहत कर सकें।
• िे “बोंदे मातरम” नामक समाचार ित्र के सोंिादक भी थे एिों अिने सोंिादकीय लेखक के माध्यम से
अरनबोंदो घोि
स्वदे शी आों दोलन हड़ताल, राष्टरीय पशक्षा आपद को प्रोत्सापहत करते थे।
• िनतोंद्रिाथ बििी ि बाररों द्र कुमार घोि द्वारा इिको सहायता प्राप्त हुई िो अिुिीिि सनमनत
के सोंस्थािक थे।
• यह उदारिादी पिचारधारा के समथाक नेता थे पजन्ोोंने “बोंगाली” जैसे समाचार ित्रोों के माध्यम से
सुरेंद्रिाथ बििी सशि प्रेस अपभयान चलाया िह िृहद जनसभाओों को सोंबोपधत पकया
• कृष्ण कुमार पमत्र ि नरें द्र कुमार सेन द्वारा इनको सहायता प्राप्त हुई।
• यह एक स्कूल पशक्षक थे पजनके द्वारा स्वदे शी आों दोलन के समथान ि प्रचार हे तु “स्वदे श बाों धि
अपश्वनी कुमार दत्त सपमपत” की स्थािना की गई और इन्ोोंने बररसाल के मुक्तिम पकसानोों के पिरोध प्रदशान का नेतृत्व
भी पकया।
प्रमोथा पमत्तर, बरीोंद्र • कोलकाता में अनुशीलन सपमपत के सोंस्थािक।
कुमार घोष, जपतोंद्र
नाथ बनजी
गोिाल कृष्ण गोखले • भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के बनारस अपधिेशन (1905) के अध्यक्ष थे जो स्वदे शी आों दोलन के
समथानकताा भी थे।
अब्दु ि हनिम • ये िमी ोंदार एिों िकीि थे निन्होोंिे स्वदे िी उद्योगोों की स्थाििा की एिों क्राोंनतकारी गनतनिनधयोों
गिििी को बोंगाि से बाहर भी निस्ताररत करिे हे तु अरनबोंदो घोि की सहायता की। अबुि किाम
आिाद द्वारा इिकी सहायता की गई।
• 1906 के काों ग्रेस अपधिेशन में “स्वराि” को काों ग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोपषत पकया गया।
दादा भाई नौरोजी
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आचायत िी.सी.रॉय • . स्वदे शी आों दोलन के समथान में “बोंगाल रसायन फैक्ट्र ी” की स्थािना की।
अनश्विी कुमार • यह स्वदे शी कायाकताा थे पजन्ोोंने अगि 1906 में बजबज नामक स्थान से जूट पमल श्रपमकोों का
बििी नेतृत्व कर भारतीय पमल हैं ड्स यूपनयन की स्थािना की।
सतीश चोंद्र मुखजी • इन्ोोंने “डॉन सोसाइटी” के द्वारा स्वदे शी पनयोंत्रणाधीन पशक्षा प्रणाली को प्रोत्सापहत पकया।
मोतीिाि घोि • “अमृत बाजार िपत्रका” समाचार ित्र से सोंबद्ध थे। ित्र के द्वारा इन्ोोंने राष्टरिादी भािनाएों जागृत करीों
एिों उग्रिाद के समथान में बहुत से उत्तेजक लेख पलखें ।
ब्रह्म बाों धि उिाध्याय • सोंध्या ि युगाों तर (बाररों द्र कुमार घोष से सोंबोंपधत समूह) ित्र द्वारा स्वराि ि स्वदे शी आों दोलन को
लोकप्रपसद्ध पकया।
• माचा 1904 में एक कोष की व्यिस्था हे तु सोंगठन की स्थािना की जो पक पिद्यापथायोों को तकनीकी ि
जोगेंद्र चोंद्र औद्योपगक प्रपशक्षण हे तु पिदे श भेजता था ।
मपनोंद्र नोंदी • यह कापसमबाजार के जमीोंदार थे पजन्ोोंने बहुत से स्वदे शी उद्योगो को सोंरक्षण प्रदान पकया।
• इन्ोोंने स्वदे शी आों दोलन के समथान में पिपभन्न ित्र/िैंफलेट का प्रकाशन पकया एिों तका पदया पक
कािी िोंकर सुकुि निीन औद्योपगक िगा का पिकास, राष्टरीय पहत को बढ़ािा दे ने हे तु होना चापहए।
सुोंदरिाि • उत्तर प्रदे श के एक छात्र थे पजनका रुझान क्राों पतकारी गपतपिपधयोों/उग्रिाद की ओर था।
कुोंिर जी मेहता और • इन्ोोंने िाटीदार युिक मोंडल के द्वारा सोंगठनात्मक काया प्रारों भ पकए।
कल्ाण जी मेहता
• इन्ोोंने “ब्रह्मा पिद्या समूह “की सहायता से िोंजाब में स्वदे शी आों दोलन को प्रचाररत पकया। इस समूह
लाला हर पकशन ने पटर ब्यून नामक समाचार ित्र भी प्रारों भ पकया था। इन्ोोंने “िोंजाब नेशनल बैंक” की स्थािना भी की।
लाल
मोहम्मद शफी और • ये दोनोों िोंजाब के मुक्तिम समूह के नेता थे जो हड़ताल के स्थान िर “रचनात्मक स्वदे शी आों दोलन”
फजल-ए-हुसैन के समथाक थे।
िी कृष्णस्वामी • इन्ोोंने मद्रास प्राों त के मायलािोर समूह पक अध्यक्षता की।
अय्यर
जी.सुब्रमण्यम अय्यर, • ये सभी दपक्षण भारत के अन्य प्रमुख नेतृत्वकताा थे पकोंतु िी.के.अय्यर से मतभेद होने के कारण ही
टी.प्रकाशम एिों टी. प्रकाशम ि कृष्णाराि द्वारा 1904 में मसूलीिट्टनम से “पकिनिपत्रका” का शुभारों भ पकया गया।
कृष्णाराि
सुब्रमण्यम भारती • िो एक प्रख्यात कपि ि तपमल क्राों पतकारी समूह के सदस्य थे पजन्ोोंने तपमल क्षेत्र में राष्टरिाद को
बढ़ाने में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
प्रभात कुसुम रॉय • ये सभी प्रपसद्ध िकील थे पजन्ोोंने श्रपमकोों को सोंगपठत करने में महत्विूणा भूपमका पनभाई। िहीों
चौधरी, अिूबात प्रेमतोष बोस अन्य प्रमुख श्रपमक नेता थे।
कुमार घोि,प्रेमतोि
बोस
• यह प्रथम क्राों पतकारी नेताओों में से थे। इनके िेररस से लौटने (िे, यहाों सैपनक प्रपशक्षण हे तु गए थे )
हे मचोंद्र कानूनगो के ििात इन्ोोंने कोलकाता में सोंयुि बम फैक्ट्र ी ि धापमाक पिद्यालय की स्थािना की।
खुदीराम बोस एिों • 30 अप्रैल 1908 को दोनोों महान क्राों पतकारीयोों द्वारा केनेडी की हत्या की गई।
प्रफुल्ल चाकी
• इन्ोोंने “दक्कन अनुशीलन” की स्थािना की पजसका प्रथम िृहत कारनामा था- “बारा डकैती” ।
िुपलन दास
मदि मोहि • ये दोनोों प्राों तीय सरकारोों के साथ सहयोग ि गैर-राजनीपतक स्वदे शी आों दोलन के िक्षधर थे।
माििीय और
मोतीिाि िेहरू
सनचोंद्र िाथ • ये मुखोदचरण समाध्याय के सोंिका में होने के कारण बनारस के उभरते क्राों पतकारी नेता बने।
सान्याि ब्रह्मबाों धि की मृत्यु के ििात “सोंध्या ित्र” के सोंिादक बने थे। .
सािरकर बोंधु • सािरकर बोंधुओों द्वारा 1899 में पमत्र मेला की स्थािना की गई। ये दोनोों महाराष्टर में उग्रिाद हे तु
प्रत्यक्षतः जिाबदे ह थे।
पदनशॉ िाचा • उन्ोोंने महाराष्टर के पमल मापलकोों से धोतीयोों को कम दाम में बेचने का पनिेदन पकया था।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
एम के गाोंधी • माचा 1920 में एक घोषणा ित्र द्वारा इन्ोोंने अिने “अपहों क असहयोग आों दोलन पसद्धाों त”
की घोषणा की। िे आों दोलन के प्रमुख बल थे और उन्ोोंने जनता से स्वदे शी पसद्धाों तोों को
अिनाने एिों हथकताई, बुनाई का अभ्यास करने ि अस्पृश्यता को खत्म करने हे तु
कायाशील रहने का आग्रह पकया था।
• 1921 के अिने राष्टर िरीय भ्रमण के दौरान इन्ोोंने लाखोों लोगोों को सोंबोपधत पकया।
फरिरी 1922 में उत्तर प्रदे श के चौरी-चौरा में पहों सक घटना घपटत होने के कारण इन्ोोंने
आों दोलन को स्थपगत कर पदया।
• इन्ोोंने 1920 के नागिुर अपधिेशन में असहयोग से सोंबोंपधत सोंकल्प को आगे बढ़ाया एिों
आों दोलन के प्रचार में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
• िो एक सफल िकील थे पकोंतु इन्ोोंने कानूनी अदालतोों का बपहष्कार पकया ि अिने लाभ
सी आर दास िूणा िकालती अभ्यास का त्याग कर पदया। इन के तीन प्रमुख सहयोगी थे: पबरें द्रनाथ
सैमसल मदनािुर में, जे.एम.सेनगुप्ता पचत्तगाों ि में और सुभाष बोस कोलकाता से पजन्ोोंने
पहों दू-मुक्तिम एकता हे तु महत्विूणा भूपमका पनभाई।
• असहयोग पसद्धाों त के प्रचार में इन्ोोंने महत्विूणा भूपमका पनभाई एिों सरकारी नीपतयोों द्वारा
ििाहरिाि िेहरू कृषकोों के शोषण के िररणाम स्वरूि “पकसान सभा” के गठन को प्रोत्साहन पदया। ये
गाों धीजी के द्वारा आों दोलन िािस पलए जाने के पनणाय के क्तखलाफ थे।
जे एम सेनगुप्ता • ये एक बोंगाली राष्टरिादी नेता थे। इन्ोोंने असम के चाय बागानोों के श्रपमकोों के पिरोध
प्रदशान ि हड़तालो में सहायता की।
बसोंती दे बी • ये सी आर दास की धमाित्नी थी। ये उन प्रथम मपहला कायाकताा ओों में से हैं पजन्ें 1921
में पगरफ्तार पकया गया था।
• इन्ोोंने पमदनािुर के कोोंताई एिों तामलुक उिखोंडोों में सोंघ पिरोधी प्रदशान पकया।
बीरें द्रनाथ समसल • इन्ोोंने निोंबर-पदसोंबर 1921 में पमदनािुर के िािपिक जोतदार मापहष्योों को कर-ना
अदायगी आों दोलन हे तु प्रोत्सापहत पकया।
पजतेंद्र लाल बनजी • इन्ोोंने 1921-22 में काश्तकारोों को सोंगपठत कर बोगरा, िाबना एिों बीरभूम में बोंदोबि
प्रणाली का पिरोध पकया।
सुभाष चोंद्र बोस • आों दोलन को समथान प्रदान पकया एिों पसपिल सेिा से त्यागित्र दे पदया। इन्ें कोलकाता
क्तस्थत नेशनल कॉलेज का प्रधानाचाया भी पनयुि पकया गया।
अली बोंधु (शौकत एिों मोहम्मद • अली बोंधु सिाा पधक महत्विूणा क्तखलाफत नेता थे , पजन्ोोंने सोंिूणा उत्साह के साथ गाों धी जी
अली) के आों दोलन के प्रचार हे तु राष्टर िरीय भ्रमण को समथान प्रदान पकया। अक्तखल भारतीय
क्तखलाफत सम्मेलन के दौरान मोहम्मद अली ने स्पष्ट पकया पक “मुक्तिमोों का पब्रपटश सेना
में रहना धमा के पिरुद्ध है ।“ अली बोंधुओों को बाद में पगरफ्तार कर पलया गया।
• गाों धी जी द्वारा असहयोग आों दोलन के आव्हान के बाद इन्ोोंने अिनी िकालत त्याग दी।
इन्ें 1921 में पगरफ्तार कर पलया गया।
• अन्य प्रपसद्ध िकील पजन्ोोंने िकालत का त्याग पकया था इनमें शापमल है एम.आर.
मोतीलाल नेहरू
जयकर, सैफुद्दीन पकचलू िल्लभभाई िटे ल, सी राजगोिालाचारी, टी प्रकाशम और
आपसफ अली ।
• इन सभी बपलदान ने अन्य लोगोों को भी प्रेरणा दी पजससे उन्ोोंने सरकारी नौकररयोों का
बपहष्कार पकया और स्वतोंत्रता सोंग्राम की मुख्यधारा में जुड़ गए।
• ये प्रारों पभक रूि से असहयोग नीपत के क्तखलाफ थे (प्रमुखतः पिद्यालयोों के बपहष्कार के
लाला लाजित राय क्तखलाफ) पकोंतु बाद में इनके द्वारा आों दोलन का समथान पकया गया, यहाों तक पक उनके
द्वारा 1922 में आों दोलन िािस पलये जाने का पिरोध पकया गया।
राजेंद्र प्रसाद • इन्ोोंने पबहार में गाों धीिादी आों दोलन का सपक्रय रूि से समथान पकया।
• इन्ोोंने गुजरात में आों दोलन का प्रचार प्रसार पकया एिों यह माना पक “औिपनिेपशक शासन
सरदार िल्लभभाई िटे ल को ध्वि करने हे तु क्राों पतकारी आतोंकिाद का एक उियुि पिकल्प असहयोग नीपत
है ।“
मोतीलाल तेजाित • उन्ोोंने भील जनजापत को सोंगपठत पकया और भील आों दोलन का समथान पकया पजसने
असहयोग आों दोलन को सशि पकया।
अल्लूरी सीताराम राजू • आों ध्र प्रदे श की जनजापतयोों का नेतृत्व पकया एिों उनकी माों गोों को असहयोग आों दोलन के
साथ सोंयुि पकया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
हसरत मोहानी • एक क्तखलाफत नेता पजन्ोोंने अली बोंधुओों की पगरफ्तारी की पनोंदा की एिों “िूणा स्वराि”
की माों ग की ।
िुरुषोत्तमदास, ठाकुरदास, • िो सारे लोग जो औद्योपगक िगा से सोंबोंपधत थे इनके द्वारा 1920 में असहयोग पिरोधी
जमुनादास, द्वारकादास, एसोपसएशन की स्थािना की गई ।
कािसजी जहाों गीर, फ्ोजे सेथना
और सीतलिाड़
कुन्म्मद हाजी, कलापथोंगल • इन सभी के द्वारा पिपभन्न स्थानोों िर स्थपगत “क्तखलाफत गणराि” के अध्यक्षोों की भूपमका
मोहम्मद, अली मुसपलयार, पसपथ पनभाई गई।
कोथाथोंगल, इों बेची कोथाथोंगल
मोहम्मद उस्मान • यह एक और क्तखलाफत आों दोलनकारी थे पजन्ोोंने कोलकाता में बहुत से व्यािार सोंगठनोों
ि स्वयोंसेिी सोंगठनोों का आयोजन पकया।
एस. ए. डाों गे, आर एस पनोंबाकर, • ये सभी िररितानकारी छात्र सोंघ के सदस्य थे एिों आों दोलन के समथाक भी थे यद्यपि िे
िी डी सथाये, आर. िी. सभी गाों धीिादी पिचारोों के समथाक नहीों थे िे सभी एक समाजिादी पिचारधारा के समथाक
नादकणी, एस. िी. दे शिाों डे, के. करोड़िपत व्यक्ति आर. बी. लोटिाला से प्रभापित थे।
एन. जोगलेकर • अप्रैल 1921 में दाों गे द्वारा पलक्तखत “गाों धी बनाम लेपनन” नामक िुिक के द्वारा स्वराज
का समथान पकया, पजसके पलए कारखानोों का राष्टरीयकरण एिों जमीोंदारी भूपम को कृषकोों
के मध्य बोंटिारे का िक्ष पलया गया।
• यह एक िकील थे एिों मद्रास में श्रपमक सोंगठनकताा भी थे। इन्ोोंने श्रपमक ि स्वतोंत्रता
पसोंगारिेलू चेपट्टयार आों दोलन के सक्तम्मलन में महत्विूणा भूपमका पनभाई। ये दपक्षण भारत के प्रथम साम्यिादी
नेता थे और िूोंजीिादी एकापधकार के क्तखलाफ अपहों सक असहयोग के समथाक भी थे।
एन सी बारदलोई • असम में काों ग्रेस नेता थे जो असहयोग के समथान में थे पकोंतु चाय बागानोों में हड़ताल के
पिरोधी थे क्योोंपक िो स्वयों एक बागान मापलक थे।
अोंपबकापगरी रॉय चौधरी • इन्ें “असम केसरी” के नाम से जाना जाता है । इनकी कपिताओों का असपमया िर अगाध
प्रभाि िड़ा, पजससे उनमें राष्टरिाद की भािना जागृत करने में सहायता हुई।
मुजफ्फर अहमद • उन्ोोंने कोलकाता में प्रारों पभक साम्यिादी समूह बनाया था और िो एम एन रॉय ि नपलनी
गुप्ता से प्रभापित थे।
िुरुषोत्तमदास टों डन, • इन सभी के द्वारा अिने राजनीपतक जीिन की शुरुआत, 1921 में असहयोग आों दोलन के
गणेशशोंकर पिद्याथी, जी. बी. िोंत, प्रारों भ के साथ की।
लालबहादु र शास्त्री
• ये एक सुप्रपसद्ध उिन्यासकार थे। इन्ोोंने फरिरी 1921 में गोरखिुर के शासकीय
पिद्यालय से त्यागित्र दे पदया और “आज” नामक ित्र के प्रकाशन में योगदान दे ना प्रारों भ
प्रेमचोंद पकया।
• इनके उिन्यास प्रेमाश्रम, रों गभूपम आपद गाों धीिादी पसद्धाों तोों ि मूल्ोों को प्रदपशात करते हैं
एिों इस बात की िुपष्ट करते हैं पक “असहयोग स्वतोंत्रता प्राक्तप्त का एक प्रभािी अस्त्र है ”।
• इन्ोोंने दपक्षण एिों दपक्षण िूिी अिध क्षेत्र में पकसान पिद्रोह को सोंगपठत पकया एिों कृषक
बाबा रामचोंद्र पिद्रोह को असहयोग आों दोलन से जोड़ा। इन्ें फरिरी 1921 में पगरफ्तार कर पलया गया।
• ये एक साम्यिादी नेता एिों साम्यिादी ित्र “िेनगाडा ” के सोंिादक थे इन्ोोंने सत्र न्यायालय
माििेंद्र िाथ राय द्वारा चौरी चौरा घटना( पजसमें 22 िुपलसकमी मारे गए थे) के पलए 225 लोगोों में से 172
लोगोों को फाों सी की सजा सुनाए जाने की पनोंदा की। बाद में 19 को मृत्युदोंड ि अन्य को
पनिाा पसत कर पदया गया।
• ये गोरखिुर गाों ि के एक सैन्य िेंशन प्राप्तकताा थे पजन्ें िुपलस द्वारा बेरहमी से िीटा गया
भगिान अहीर था। इस घटना ने सोंिूणा गाों ि में राष्टरिादी भािनाओों को जागृत पकया पजसके आिेश में
काश्तकारोों द्वारा चौरी-चौरा में 22 िुपलसकपमायोों को मार डाला गया।
• महात्मा गाों धी द्वारा साबरमती आश्रम से दाों डी तक एक ऐपतहापसक दाों डी यात्रा िूणा करने
एम के गाोंधी के उिराों त 6 अप्रैल 1930 को मुट्ठी भर नमक उठाकर सरकार द्वारा पनरूपित नमक
कानून का उल्लोंघन/अिज्ञा कर सपिनय अिज्ञा आों दोलन का आव्हान पकया गया ।
• इस आों दोलन के मुख्य बल थे पजन्ोोंने स्वतोंत्रता सोंग्राम में तो भागीदारी को बढ़ाया।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
सी राजगोिालाचारी • इन्ोोंने सपिनय अिज्ञा आों दोलन के समथान में तपमलनाडु के तोंजौर तट िर पत्रचनािल्ली
से िेदारण्यम तक, नमक सत्याग्रह का नेतृत्व पकया। इन्ें 30 अप्रैल 1930 को पगरफ्तार
कर पलया गया।
. के केिप्पि • ये एक नायर काों ग्रेसी नेता थे पजन्ोोंने “िैकोम सत्याग्रह” को प्रारों भ पकया एिों नमक कानून
की अिज्ञा हे तु कालीकट से िेयन्नूर तक यात्रा की।
• यह आों दोलन में सपक्रय रूि से शापमल थे एिों नमक कानून की अिज्ञा के कारण उन्ें
जिाहरलाल नेहरू 17 अप्रैल 1930 को पगरफ्तार कर पलया गया।.
• अिने प्रमुख राजनीपतक आदशा िाक्य के रूि में उन्ोोंने सोंपिधान सभा के गठन की माों ग
की एिों महत्विूणा कृपष कायाक्रम का सूत्रधार पकया।
िी.कृष्णा पिल्लई • इन्ोोंने राष्टरीय ध्वज की सुरक्षा की एिों 11 निोंबर 1930 को कालीकट तट िर हुए
लाठीचाजा की पनोंदा की। कालाों तर में इनके द्वारा “केरल समाजिादी आों दोलन” की नीोंि
रखी गई।
खाि अब्दु ि गफ्फार खाि इनके द्वारा अपहों सक क्राों पतकाररयोों का एक सोंघ बनाया गया पजसे “खुदाई क्तखदमतगार”
(लाल कुती के रूि में भी जाने जाते थे) कहा जाता था, पजसने आों दोलन में सपक्रय भूपमका
पनभाई।
• ये प्रथम भारतीय मपहला थी पजन्ोोंने काों ग्रेस अपधिेशन की अध्यक्षता की एिों सरकारी
नमक कारखाना “धरसाना सॉल्ट िका” से सत्याग्रह का नेतृत्व पकया।
सरोनििी िायडू • िूणाता पहों सक आों दोलन में सपक्रय अन्य नेता थे ; गाों धीजी के दपक्षणी अफ्ीकी सोंघषा में
उनके पनकट सहयोगी इमाम साहब एिों गाों धी जी के िुत्र मपणलाल।
• सूया सेन के पचत्तगाों ि पिद्रोह समूह द्वारा दो शासकीय शस्त्रागार िर छािा मारा गया ि
स्वतोंत्र प्राों तीय सरकार की घोषणा की गई।
सूयत सेि • इन्ोोंने भारतीय गणराि सेना के नाम से घोषणा ित्र जारी पकया ि भारतीयोों को अोंग्रेजी
हुकूमत के क्तखलाफ पिद्रोह का आह्वान पकया।
• यह मुोंबई में राष्टरिादी मुक्तिमोों के अग्रणी नेता थे पजन्ोोंने आों दोलन के दौरान गाों धी की
अब्बास तैय्यबिी पगरफ्तारी के बाद उनका स्थान पलया ि आों दोलन सोंभाला।
• हालाों पक, सरकार द्वारा इन्ें भी पगरफ्तार कर पलया गया।
अोंबालाल साराभाई किुरभाइा • इनके द्वारा काों ग्रेस और मुोंबई पमल मापलकोों ि उद्योगिपतयोों के मध्य गपतरोध समाप्त
लखाई करने हे तु मोतीलाल नेहरू के प्रयासोों को िूणा समथान पदया गया।
चोंद्रप्रभा सैपकयानी • इन्ोोंने असम के कचारी ग्रामीण िापसयोों को िन कानून के उल्लोंघन हे तु प्रेररत पकया।
• सपिनय अिज्ञा के सोंचालन हे तु काों ग्रेस के बोंगाल गुट के रूि में प्रपतद्वों दी सोंगठन की
सुभाष चोंद्र बोस ि जे एम स्थािना की गई। मई 1933 में आों दोलन को िािस पलए जाने िर सुभाष चोंद्र बोस द्वारा
सेनगुप्ता गाों धी की पनोंदा की गई, पजसका पिट्ठल भाई िटे ल द्वारा समथान पकया गया।
सोंपत एिों सुनीपत चौधरी • इन्ोोंने पतिरा के पजला अपधकारी स्टीिन की हत्या की थी। इनकी यह कायािाही
क्राों पतकारी आों दोलन में मपहला सहभापगता का प्रिेश पबोंदु था।
• एक मुक्तिम स्नातक पजसने 31 जुलाई 1931 को आों दोलन प्रारों भ कर श्रीनगर जेल िर
शेख अब्दु ल्ला आक्रमण पकया पजसमें िुपलस फायररों ग के दौरान 21 लोग मारे गए। ये िी. एन. बजाज के
नेतृत्व िाले “जम्मू पहों दू पनरों कुशता पिरोधी समूह” के साथ भी सपक्रय रूि से जुड़े थे।
• ये िोंजाब से मुक्तिम नेता थे, पजन्ोोंने महाराजा जयपसोंह सिई द्वारा लगान िृक्तद्ध, बेगार ि
मोहम्मद यासीन खान जोंगल में पशकार के प्रपतबोंध के क्तखलाफ पिद्रोह हे तु “पमयााँ” (जो पक इिाम को मानने
िाला अधा-जनजातीय काश्तकार समुदाय है )को सोंगपठत पकया।
के एम अशरफ • ये सपिनय अिज्ञा आों दोलन से जुड़ने िाले भारत के प्रथम साम्यिादी इपतहासकार थे।
िोंनडत मदि मोहि माििीय • ये 1920 तक गाों धीिादी नीपतयोों के प्रमुख प्रिताक थे पकोंतु गाों धी द्वारा हररजन आों दोलन
प्रारों भ करने के उिराों त काों ग्रेस से िृथक हो गए। ये काों ग्रेस राष्टरिादी दल से अलग हो
गए।
सत्यमूपता, भूलाभाई दे साई, एमए • इन्ोोंने स्वराज िाटी के िुनगाठन के द्वारा चुनािी राजनीपत में प्रिेश की माों ग की।
अोंसारी, बी सी रॉय
जयप्रकाश नारायण, अच्युत • इनका मानना था पक काों ग्रेस का िामिोंथ के साथ गठजोड़/सोंबोंध होना चापहए।
िटिधान, युसूफ मेहरबानी,
अशोक मेहता, मीनू मसानी
सोंिूणाा नोंद • इन्ोोंने प्रयोगात्मक िर िर भारत के पलए समाजिादी कायाक्रम बनाया एिों 1934 में
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
“काों ग्रेस समाजिादी दल” का शुभारों भ पकया, पजसे नरें द्र दे ि का समथान प्राप्त था।
एन िी गाडपगल • अिने समाजिादी पिचारोों के प्रपत झुकाि के कारण 1929 के मोंपदर प्रिेश आों दोलन का
इनके द्वारा समथान पकया गया एिों इन्ोोंने िूना के केशि राि जाधे के नेतृत्व में सोंचापलत
गैर-ब्राह्मण सत्यशोधक समाज से सोंबोंध बढ़ाएों ।
बी आर अोंबेडकर • अस्पृश्य महार जापत के नेता पजन्ोोंने 1930 की गोलमेज सम्मेलन में भाग पलया। हालाों पक
काों ग्रेस ,महारो के राजनीपतक आों दोलन िर जीत हापसल करने में असफल हुई।
गोिाबोंधु चौधरी • आों दोलन को उड़ीसा में लोक प्रपसद्ध पकया एिों बालासोर कटक एिों िूरी पजलोों के तटीय
क्षेत्रोों में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व पकया।
जदु नोंदन शमाा • इन्ोोंने पबहार के गया पजले में पकसान सभा आों दोलन को प्रारों भ पकया।
दु ग्गीरािा बािाराम कृष्णा • इन्ोोंने 1931 में तटीय आों ध्र प्रदे श के कृष्णा पजले में लगान-पिरोधी आों दोलन प्रारों भ पकया
एिों तेलुगु भाषी गाथागीत “गाोंधी गीता” की रचना की जो राष्टरिादी भािनाओों को बढ़ाने में
सहायक थी।
मौलाना भसानी • इन्ोोंने पसराजगोंज में िृहत िर िर प्रजा सम्मेलन का आयोजन पकया एिों जमीदारी प्रथा
के उन्मूलन ि ऋण में कमी की माों ग की।
एम एि रॉय • . एमएन रॉय एिों उनके अनुयापययोों द्वारा समाजिादी पिचारोों का ग्रामीण क्षेत्रोों में प्रचार
पकया एिों अिध क्षेत्र में कर ना अदायगी आों दोलन प्रारों भ पकया था ।
एम के गाोंधी • पक्रप्स पमशन की असफलता के बाद अों ग्रेजोों को भारत छोड़ने िर पििश करने की एक
दमदार योजना बनाई गई।
• मुोंबई के ग्वापलया टैं क में ऐपतहापसक अगि बैठक में गाों धी द्वारा “करो या मरो” मोंत्र की
उद् घोषणा की गई। 9 अगि 1942 को इन्ें पगरफ्तार कर पलया गया।
• आों दोलन में शापमल भारतीयोों के क्तखलाफ सरकार की कायािाही के पिरोध में फरिरी
1943 को गाों धी जी द्वारा 21 पदन का उििास रखा गया।
जयप्रकाश नारायण • . यह काों ग्रेस समाजिादी दल के सदस्य थे एिों इन्ोोंने आों दोलन में महत्विूणा भूपमका
पनभाई।
राम मनोहर लोपहया, अरुणा • ये सभी भारत छोड़ो आों दोलन के समथान में भूपमगत आों दोलन एिों क्राों पतकारी गपतपिपधयोों
आसफ अली, सुचेता कृिलानी, में सपक्रय रुि से शापमल थे।
छोटू भाई िुरापणक, बीजू
िटनायक आरिी गोयनका और
अच्युत िटिधान
पचत्तू िाों डे • स्वयों को गाों धीिादी कहने िाले पचत्तू िाों डे ने अगि 1942 में िूिी उत्तर प्रदे श के बपलया
पजले के सभी 10 िुपलस स्टे शन िर कब्जा कर पलया एिों समानाों तर सरकार की स्थािना
की गई।
उषा मेहता • इनके द्वारा आों दोलन का सपक्रय रूि से समथान पकया गया एिों काों ग्रेस रे पडयो के सोंचालन
से सोंबोंपधत दल की यह एक प्रमुख सदस्य थी।
जिाहरलाल नेहरू • प्रारों भ में इनके द्वारा गाों धी की योजना का पिरोध करने िाले कट्टर-उदारिादी समूह का
समथान पकया गया पकोंतु कालाों तर में इन्ोोंने 8 अगि 1942 के भारत छोड़ो प्रिाि का
समथान पकया।
सुमपत मोरारजी • इन्ोोंने अच्युत िटिधान की भूपमगत गपतपिपधयोों में सहायता प्रदान की। कालाों तर में यह
भारत की अग्रणी मपहला उद्योगिपत बनी।
रासपबहारी बोस • . एक क्राों पतकारी कायाकताा , जो जून 1942 को इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग (माचा 1942 में
स्थापित) के अध्यक्ष चुने गए। . ये जािान में 1915 से िलायक/भगोड़े /पनिाा पसत के रूि
में रह रहे थे।
• इन्ोोंने पब्रपटश औिपनिेपशक साम्राि के क्तखलाफ सशस्त्र पिद्रोह हे तु जािान के द्वारा
घोपषत युद्ध बोंदी ( दपक्षण िूिी एपशया में अोंग्रेजोों के हारने के बाद) अथाा त भारतीय सैपनकोों
को जुटाया।
कैप्टन मोहन पसोंह • अोंग्रेजोों की ओर से लड़ने िाले भारतीय सैपनकोों को जािान ने युद्धबोंदी के रूि में माना।
• एक जािानी सैन्य अपधकारी द्वारा इन्ें भारतीय स्वतोंत्रता के पलए जािान के साथ पमलकर
काया करने हे तु आश्वि पकया गया। . इन्हें इों नडयि िेििि आमी का कमाोंडर नियुि
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
नकया गया।
सुभाष चोंद्र बोस • ये 1946 में इों पडयन नेशनल आमी में शापमल हुए। इनका लोक प्रपसद्ध कथन था- “तुम
मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दू ों गा”।
• सुभाष चोंद्र बोस के नेतृत्व में आइ. एन. ए. ने स्वतोंत्रता सोंग्राम में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
सी राजगोिालाचारी और • ये दोनोों कट्टर-उदारिादी थे, जो स्वतोंत्रता प्राक्तप्त के ििात जनमत सोंग्रह के माध्यम से
भूलाभाई दे साई मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों तोों को मान्यता दे ने के िक्ष में थे।
• इन्ोोंने जुलाई 1942 को ए. आई. सी. सी. से त्यागित्र दे पदया।
के जी मशरूिाला • इन्ोोंने महादे ि दे साई की पगरफ्तारी के बाद लोगोों में राष्टरिादी भािना जागृत करने हे तु
हररजन में दो उग्रिादी लेख पलखें।
सतीश सामोंत • एक स्थानीय काों ग्रेसी नेता एिों तामलुक जातीय सरकार के प्रथम सबाा पधनायक पजन्ोोंने
पमदनािुर के तामलुक सब पडपिजन में पिद्रोही राष्टरीय सरकार की स्थािना में सहायता
की।
नाना िापटल • . सतारा में पिद्रोपहयोों के नेतृत्वकताा ।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
िॉडत मेटकाफ • भारत में प्रेस िर प्रपतबोंधोों को हटाने िाला नया प्रेस कानून।
1835-1836
िॉडत ऑकिैंड • प्रथम अफगान युद्ध (1838-42)
1836-1842 • रणजीत पसोंह की मृत्यु (1839)
िॉडत एििबरो • पसोंध का अपधग्रहण (1843)।
1842-1844 • ग्वापलयर के साथ युद्ध (1843)।
िॉडत हानडिं ग I • प्रथम आों ग्ल-पसख युद्ध (1845-46) और लाहौर की सोंपध (1846)।
1844-1848 • कन्या भ्रूण हत्या और मानि बपल को समाप्त करने हे तु सामापजक सुधार।
िायसराय
• भारत सरकार अपधपनयम, 1858 -इों पडया कोंिनी से पब्रपटश शासन, को सत्ता हिाों तरण।
िॉडत कैनिोंग • 1859 में यूरोिीय सैपनकोों द्वारा श्वेत पिद्रोह ’।
1858-1862 • भारतीय िररषद अपधपनयम 1861।
िॉडत एिनगि I • िहाबी आों दोलन
1862-1863
ढू ों ढ िॉि िॉरें स • भूटान युद्ध (1865)
1864-1869 • कलकत्ता, बॉिे और मद्रास (1865) में उच्च न्यायालयोों की स्थािना।
• भारतीय राजकुमारोों के राजनीपतक प्रपशक्षण के पलए कापठयािाड़ में राजकोट कॉलेज
और अजमेर में मेयो कॉलेज का उद् घाटन।
िॉडत मेयो • भारतीय साों क्तख्यकी सिेक्षण की स्थािना।
1869-1872 • कृपष और िापणि पिभाग की स्थािना।
• राि रे लिे की शुरुआत।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
• श्रम क्तस्थपतयोों में सुधार करने के पलए प्रथम फैक्ट्र ी अपधपनयम (1881)।
• पित्तीय पिकेंद्रीकरण कुछ और समय के पलए लागू रहने पदया गया ।
िॉडत ररिि • स्थानीय स्वशासन िर सरकारी प्रिाि (1882) - ररिन को "स्थानीय स्वशासन के पिता"
1880-1884 के रूि में जाना जाता है ।
• सर पिपलयम हों टर (1882) की अध्यक्षता में पशक्षा आयोग की पनयुक्ति।
• इलबटा पबल पििाद (1883-84)।
• मैसूर के प्रपत पकए गए अन्याय को समाप्त करने की भािना से मैसूर के स्वगािासी राजा
के दत्तक िुत्र को मैसूर िुनः लौटाकर अिनी उदारता का िररचय पदया।
िॉडत डफररि • तीसरा बमाा युद्ध (1885-86)।
1884-1888 • भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस की स्थािना।
• कारखाना अपधपनयम (1891)।
• नागररक सेिाओों को शाही, प्राों तीय और अधीनस्थ में िगीकृत करना।
िोड िैंसडाउि • भारतीय िररषद अपधपनयम (1892)।
1888-1894 • भारत और अफगापनिान के बीच (अब िापकिान और अफगापनिान के बीच डूरों ड
लाइन को िररभापषत करने के पलए डूरों ड आयोग की स्थािना) (रे खा का एक छोटा पहस्ा
िापकिान के कब्जे िाले कश्मीर में भारत को छूता है )।
िॉडत एिनगि II • चािेकर बोंधुओों (1897) द्वारा दो पब्रपटश अपधकाररयोों की हत्या।
1894-1899
• िुपलस प्रशासन की समीक्षा करने के पलए सर एों डर यू फ्ेजर के तहत िुपलस आयोग
(1902) की पनयुक्ति।
• पिश्वपिद्यालय आयोग (1902) और भारतीय पिश्वपिद्यालयोों अपधपनयम (1904) को िाररत
करना।
िॉडत किति
• िापणि और उद्योग पिभाग की स्थािना।
1899-1905
• कलकत्ता पनगम अपधपनयम (1899)।
• प्राचीन स्मारक सोंरक्षण अपधपनयम (1904)।
• बोंगाल का पिभाजन (1905)।
• कजान-पकचनर पििाद।
• यन्हगहसबैंड का पतब्बत पमशन (1904)।
िॉडत नमोंटो II • पिभाजन और स्वदे शी आों दोलन की लोकपप्रयता।
1905-1910 • सूरत में 1907 के िापषाक सत्र में काोंग्रेस में पिभाजन।
• आगा खान (1906) द्वारा मुक्तिम लीग की स्थािना।
• 1911 में बोंगाल प्रेसीडें सी (बॉिे और मद्रास की तरह) का पनमाा ण।
िॉडत हानडिं ग II • कलकत्ता से पदल्ली (1911), राजधानी स्थानाों तरण।
1910-1916 • मदन मोहन मालिीय द्वारा पहों दू महासभा (1915) की स्थािना।
• पदल्ली (1911) में आयोपजत पकोंग जॉजा िोंचम का रािापभषेक दरबार।
• एनी बेसेंट और पतलक (1916) द्वारा होम रूल लीग का गठन।
• काों ग्रेस का लखनऊ अपधिेशन (1916)।
• काों ग्रेस और मुक्तिम लीग (1916) के बीच लखनऊ समझौता।
• गाों धी की िािसी के बाद साबरमती आश्रम की स्थािना (1916); चोंिारण सत्याग्रह
(1916), खेड़ा सत्याग्रह (1918), और अहमदाबाद में सत्याग्रह (1918) का शुभारों भ।
िॉडत चेम्सफोडत • मोोंटेग्यू की अगि घोषणा (1917)
1916-1921 • भारत सरकार अपधपनयम (1919)।
• रौलेट एक्ट् (1919)।
• जपलयाों िाला बाग हत्याकाों ड (1919)।
• असहयोग और क्तखलाफत आों दोलन की शुरूआत।
• िूना में मपहला पिश्वपिद्यालय की स्थािना (1916) और शैपक्षक नीपत में सुधार के पलए
सल्डलर आयोग (1917) की पनयुक्ति।
• पतलक की मृत्यु (1 अगि, 1920)।
• पबहार के गिनार के रूि में एस.िी. पसन्ा की पनयुक्ति (गिनार बनने िाले िहले भारतीय)।
• चौरी चौरा की घटना (5 फरिरी, 1922) और असहयोग आों दोलन की िािसी।
• केरल में मोिला पिद्रोह (1921)।
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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास
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• मुक्तिम लीग द्वारा 'डायरे क्ट् एक्शन डे ' (16 अगि, 1948) का िालन।
• सोंपिधान सभा के चुनाि, काों ग्रेस द्वारा अोंतररम सरकार का गठन (पसतोंबर 1946)।
• 20 फरिरी, 1947 को क्लीमेंट एटली (इों ग्लैंड के प्रधान मोंत्री) द्वारा भारत में पब्रपटश शासन
के अोंत की घोषणा।
• तीन जून योजना (3 जून, 1947) की घोषणा।
Lord Mountbatten • हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय स्वतोंत्रता पिधेयक का प्रिाि।
1947-1948 • बोंगाल और िोंजाब के पिभाजन के पलए सर पसररल रे डक्तक्लफ के तहत दो सीमा आयोगोों
की पनयुक्ति।
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