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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

निषय-सूची

क्र
अध्याय पृष्ट
म.
सं.
1 यूरोपियोों के आगमन के समय भारत 1
2 भारत में अोंग्रेज़ी सत्ता का एकीकरण तथा पिस्तार 7
3 1857 से िूिव पिपिश साम्राज्य के पिरुद्ध जन-असोंतोष 14
4 1857 का पिद्रोह 21
5 सामापजक धापमवक सुधार आों दोलन 25
6 स्वतोंत्रता सोंघषव का आरों भ 31
7 भारतीय राष्ट्रीय काों ग्रेसः स्थािना एिों उदारिादी चरण (1885- 1905) 33
8 उग्र-राष्ट्रिाद का युग (1905-1918) 38
9 क्ाोंपतकारी गपतपिपधयााँ (1907-17) 42
10 प्रथम पिश्व युद्ध (1914-1919) और राष्ट्रिादी प्रत्युत्तर 45
11 खिलाफत एिों असहयोग अन्दोलन 50
12 सपिनय अिज्ञा आन्दोलन (1930-31) तथा गोलमेज सम्मलेन 52
13 स्वराजी, समाजिादी पिचारोों एिों निीन शखिओों का उदय 57
14 राष्ट्रीय आों दोलन: स्वतोंत्रता और पिभाजन की ओर (1939-47) 62
15 भारत में पिपिश नीपतयोों का सिेक्षण 72
16 पिपिश शासन का भारतीय अथवव्यिस्था िर प्रभाि 74
17 कामगार िगव का आों दोलन 76
18 सोंपिधापनक, प्रशासपनक और न्यापयक पिकास 78
19 प्रेस का पिकास 86
20 पशक्षा का पिकास 90
21 महत्विूणव पिपिश सपमपतयाों ि आयोग 94
22 पिपशष्ट् आों दोलनोों से सोंबोंपधत व्यखित्व 96
23 गिनवर जनरल: योगदान तथा महत्त्व 103

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

1. यू रोपियोों के आगमन के समय भारत

यूरोनियोों के भारत में आगमि के निए निम्मेदार कारक :


• जहाज पनमाा ण तथा नौ परििहन में यूिोवपयोृं की उन्नत तकनीक।
• यूरोपियोों का आवथिक विकास।
• भारतीय िस्तुओृं जैसे मसाले, छीोंट, रे शम, विविन्न प्रकाि के कीमती पत्थि, चीनी वमट्टी के बतिनोृं इत्यावि की यूरोि में बढ़ती माृं ग।
• भारत की अकूत दौलत।

एनिया में यूरोनियोों के नििय का कािखोंड :


िुततगािी (1498) → अोंग्रेज़ (1600) → डच (1602) → फ्ाोंसीसी (1664)

िुततगािी
• टॉरडे नसिस की सोंनध (1494)- िुततगाि तथा स्पेि के बीच अटलाों पटक में एक आभासी रे खा के द्वारा िुततगाि के निए िूित
तथा स्पेि के निए िनिम में गैर ईसाई दु पनया को पिभापजत पकया गया।

• िास्कोपडगामा 1498 में आशा अृंतिीप द्वीि होते हुए कालीकट पहुृं चा तथा उसका
जमोररन (कालीकट का राजा) के द्वारा स्वागत वकया गया।
िास्कोनडगामा • 1502 तक, िास्कोपडगामा की दु सरी यात्रा के दौरान कालीकट, कोचीन और कन्नूर में
व्यािाररक केन्द्ोों की स्थापना की गई तथा उनकी पकलेबोंदी की गई।
• अन्य व्यापारियोृं के विपिीत पुतिगाली िाित में व्यापाि का एकाविकाि चाहते थे।
िेडरो अल्वरे ज़ कैब्रि • 1500 में, कािीकट में सबसे िहले फैक्ट्र ी की स्थािना की।
• भारतीय उिमहाद्वीि िर यूिोवपयोृं के शासन के युग की शुरुआत।
• भारत में पहला पुर्तगाली गवर्तर जिसर्े “िाोंत िि की (ब्लू िाटर) िीनत” काटे ि
फ्ाोंनसस्को डी अिमीडा (1505- प्रणािी की िुरुआत की - इसमें भारतीय भूपम िर पकले बनाने के बजाय समुद्र में
1509) शक्तिशाली होने िर बल पदया गया था।
• काटे ि प्रणािी : पहों द महासागर में पुतिगावलयोृं द्वािा जािी जल िररिहन लाइसेंस या
पास।
• इसे भारत में िुततगािी िक्ति का सोंस्थािक माना जाता है : इसने बीजािुर से गोिा
को जीत पलया; मुक्तिमोों िर अत्याचार; निियिगर के रािा श्री कृष्ण दे ि राय (1510)
अिफाोंसो डी अिबुककत से भटकल को जीत पलया;
(1509- 1515) • भारत के मूल वनिावसयोृं के साथ वििाह किने की नीवत का आिृं ि वकया।
• इसके द्वारा अपने प्रिाि क्षेत्र में सर्ी प्रथा पर प्रजर्बंध लगाया गया।
• 1515 में अल्बुकका की मृत्यु हो गयी तथा उस समय तक िुतागाली िाित में सबसे
मजबूत नौ-सैपनक शक्ति के रूि में स्थापित हो चुके थे।
• इसके द्वारा 1503 में कोचीि की िगह गोिा को रािधािी बिाया गया। इस
प्रकार भारत में िुततगािी उपजर्वेश की रािधार्ी गोवा बर् गया।
• उसके शासनकाल में, िीि तथा िसाई को गुजरात के िाजा बहािु ि शाह से छीन पलया
िीिू डा कुन्हा (1529-38) गया तथा उस पि िुतागापलयोों का कब्जा हो गया।
• बहािु ि शाह 1537 में दीि में िुतागापलयोों से लड़ते हुए मािे गए।
• यह एक व्यिहारिक नेता था वजसने पविमी तटीय क्षेत्र से पिे िी पुतिगाली साम्राज्य का
विस्ताि वकया। उसके समय में पुतिगाली शक्ति का विस्ताि पूिी तट तक हुआ।

पुर्तगाजलयों की धाजमतक र्ीजर्: प्रारों भ में, पसफा मुक्तिमोों के प्रपत द्वे षिूणा, बाद में पहों दुओों के प्रपत भी। 1579 में, बािशाह अकबि को
ईसाई िमि में परििवतित किाने के वलए ईसाई वमशनरियोृं को िेजा गया।

भारत मे िुततगानियोों के पर्र् के जलए जिम्मेदार कारक :


• पमस्र, फारस तथा उत्तिी िाित में शक्तिशाली िाजिृंशोृं का उिय तथा उनके पड़ोवसयोृं के रूप में मिाठाओृं का उद्भि;
• पमशनररयोों की गवतविवियोृं से िाजनीवतक िय तथा उत्पीड़न (जैसे न्यापयक जाों च) से घृणा उत्पन्न हुई जो पुतिगाली आध्याक्तिक
िबाि के क्तखलाफ प्रवतविया का कािण बनी;
• िुतागाली प्रभुता को चुनौती दे ने िाली अोंग्रेज़ी तथा डच िापणक्तिक सोंस्थाओों का उदय;

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• भारत में िुतागाली शासन की समुद्री डकैती तथा अिैध व्यािार प्रथाओृं के साथ बड़े विस्तृत पैमाने पि भ्रष्टाचार लालच एिृं स्वाथि;
• ब्राज़ील की खोज के कारण िुतागाली उपवनिेशोों का पविम की ओि िलायन।

िुततगानियोों के आगमर् का महत्व :


• िुतागापलयोों ने न केिल यूरोिीय युग की शुरुआत की बक्ति िौसैनिक शक्ति के उदय को िी वचक्तित वकया।
• िहाि िर तोि के उियोग की िुरुआत।
• िुतागाली समुद्र में उन्नत तकनीकोृं में मावहि थे। उन्ोोंने बहुत बड़ी मात्रा में एक से अपधक डे क िाले जहाजोों का पनमाा ण पकया।
• पमशनररयोों तथा चचि िी भारत में वचत्रकािोृं, नक्काशी किने िालोृं तथा मूवति बनाने िालोृं के सृंिक्षक थे।
• िुतागाली सोंगठि बिािे में कुिि थे — जैसे शाही शस्त्रागार और जहाज बनाने के स्थान का पनमाा ण तथा िायलटोों की पनयपमत
प्रणाली का रखरखाि तथा मानपचत्रण तथा पनजी व्यािाररक जहाजोों िर अोंकुश लगाने के वलए राि बलोों को खड़ा करना —
आपद अपधक उल्लेखनीय हैं ।
• इन्होोंिे युद्ध की यूरोिीय किा की िुरुआत की ।
• गोआ में चाोंदी के काम करिे िािे तथा सोिे के काम करिे िािे सुिार की कला का पिकास।

िोट : िुतागाली भारत में सबसे पहले आये तथा भारत से सबसे अृंत में गए।

डच (िीदरिैंडिासी)
• कॉनेपलस डी हॉटमैन िहला डच था जो 1596 में सुमात्रा और बेंटेन िहुों चा था।
• डच सोंसद के एक चाटत र के द्वारा माचत 1605 में यूिाइटे ड ईस्ट इों नडया कोंििी की स्थाििा की गई थी, इन्ें युद्ध करने,
सोंपधयाों करने तथा पकले बनाने की शक्ति प्राप्त थी।
• आों ध्र क्षेत्र में 1605 में मसूिीिट्टम में िहिे कारखािे की स्थाििा की गई।
• बाद में िे िुतागापलयोों को हराकर यूरोिीय व्यापारिक शक्ति के प्रमुख के रूप में उििे ।
• भारत में उिका प्रमुख केंद्र िुनिकट था, पजसे बाद में नेगािट्टम में स्थापित पकया गया।
• डच यमुना घाटी तथा मध्य भारत में उत्पापदत नील (इों पडगो), बोंगाल गुजरात तथा कोरोमोंडल क्षेत्र से उत्पापदत िस्त्र तथा रे शम,
पबहार से शोरा, और गोंगा की घाटी से उत्पापदत अफीम एिों चािल का व्यािार करते थे।
• 1623 में, अोंग्रेिोों र्था डचोों के बीच में एक संजध हुई → डचोों ने भारत में तथा अोंग्रेजोों ने इों डोनेपशया में अिने अपधकार क्षेत्र
के दािोों को िािस ले पलया।
• 1650 (17िीों शताब्दी), अोंग्रेज़ भारत में एक बड़ी शक्ति के रूि में उभरने लगे।
• करीब 70 िषों तक अृंग्रेजोृं तथा डचोों के बीच में लड़ाई जािी िही वजसमें डच एक-एक किके अपने बक्तियोों/उपवनिेशोों को
अोंग्रेजोों के हाथ खोते िहे ।
• डचोों को भारत में साम्राज्य स्थानित करिे में कोई ज्यादा नदिचस्पी िही ों थी, िे पसफा व्यापाि किना चाहते थे। उनका मुख्य
व्यािसावयक इों डोिेनिया के स्पाइस दीप समूहोों में था जहाों से िे व्यािार के माध्यम से बड़ा लाभ अपजात करते थे।
• भारत में िति - आों ग्ल डच युद्धोों में डचोों की हार एिों उनका ध्यान मिय द्वीि समूहोों की ओर स्थानाों तररत। बेदरा के युद्ध
(1759) में अोंग्रेजो के द्वारा डचोों को हिाया गया।
• लोंबे समय तक युद्ध के बाि िोनोृं पक्षोृं के द्वािा एक समझौता वकया गया पजसके तहत अृंग्रेजोृं के द्वारा इृं डोनेवशया से अपने
सिी िािोृं को िापस ले वलया तथा डचोों के द्वारा िाित से अपने सिी िािोृं को िापस ले वलया गया।

डचोों के द्वारा : मसूलीिट्टनम (1605), िुलीकट (1610), सूरत (1616), पिमलीिट्टनम (1641), कररकल (1645), पचनसूरः
(1653), कापसमबाजाि, बरानागोर, िटना, बालासोर, नेगािट्टनम (1658) और कोचीन (1663) में फैक्ट्रीयोों की स्थािना की गई।
इसमें पूिी तथा पविमी िोनोृं तट शावमल थे)

अोंग्रेज़
31 पदसोंबर, 1600 को, इों ग्लैंड की महारार्ी एजलिाबेथ प्रथम के द्वािा एक चाटि ि जािी वकया गया वजसमें 15 िर्षों

• के वलए व्यापाि का एकाविकाि प्रिान वकया गया। अोंग्रेजी ईस्ट इों पडया कोंिनी की स्थािना 1600 में हुई थी।
• 1609 में इों ग्लैंड से कैप्टि हॉनकोंस भारत में मुगि बादिाह िहाोंगीर के िाही दरबार में आया तथा उसने सूरत में एक अोंग्रेजी
व्यािार केंद्र की स्थािना करने की इजाजत माों गी, लेपकन पुतिगावलयोृं के िबाि के चलते जहाृं गीि ने उसे इजाजत िे ने से मना
कि विया।
• थॉमस बेस्ट के द्वारा िुततगानियोों िर नििय प्राप्त करते ही सूरत में एक फैक्ट्र ी की स्थाििा की गई।
• बाद में 1613 में, िहाोंगीर िे अोंग्रेिोों (सर् थॉमस रो) को एक फरमाि (अिुमनत ित्र) िारी करके आगरा, अहमदाबाद
और भड़ौच में उनके व्यािाररक केंद्रोों को स्थापित करने की अनुमपत दे दी, पजसके बाद अोंग्रेजोों ने 1613 में सूरत में अििा

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िहिा व्यािाररक कारखािा स्थानित पकया।


• 1615 में, सर् थॉमस रो भारत में जेम्स प्रथम (इों ग्लैंड के राजा) का दू त बनकर आया तथा भारत के अन्य पहस्ोों में अोंग्रेज़ी
व्यािाररक फैक्ट्ररयोों की स्थािना के पलए जहाों गीर से अनुमपत प्राप्त की।
• बॉम्बे िर नियोंत्रण → चार्ल्त नद्वतीय को पुतिगावलयोृं से िहे ज के रूप में प्राप्त हुआ।
• मद्रास → फोर्त सेंट िॉित ने मसूलीिट्टनम की जगह ली।
• 1700 तक, मुोंबई, मद्रास तथा किकत्ता भारत में अों ग्रेिी उिनििेि के तीि प्रेनसडें सी िहर बि चुके थे निसकी
रािधािी किकत्ता थी।

भारत आिे के निए समुद्री मागत ही क्ोों?


• यूरोि में 15िीों शताब्दी में िुनजाा गरण की भािना का उदय।
• यूरोिीय अथाव्यिस्था का तेजी से बढ़ना, जो समृक्तद्ध तथा विलावसता के िस्तुओृं की माृं ग की ओि बढ़ने लगी, माों स की आिू पता
में िृक्तद्ध वजसे सृंिवक्षत िखने के वलए मसालोृं की आिश्यकता थी।
• 1543 में कुिुनतुपनया तथा बाद में सीररया एिों पमस्र िर ऑटोमन तुकों का अविकाि, पजसे अरबोों एिों तुकों से वबना सामना
वकए िाित तक पहुृं चने का मागि खोजने की जरूरत पड़ी।
• िेपनस और जेनोआ तुकों से लड़ने के वलए बहुत छोटे थे।
• उत्तरी यूरोपियोों धन तथा आिवमयोृं के द्वािा एिृं जेनोआिासी जहाजोों एिृं तकनीकी ज्ञान के द्वािा स्पेन एिृं पुतिगाल की मिि
करते थे।
• सबसे पहले पुतिगाली िाित पहुृं चे तथा उसके बाि क्रमशः डच, अृंग्रेज, डे नमाका तथा फ्ाोंसीसी भारत िहुों चे।

अन्य यूरोजपयों के मुकाबले अंग्रेिों क्ोों सफल रहे ?


• व्यािाररक कोंिनियोों की सोंरचिा तथा उिकी प्रकृनत : इों ग्लैंड में कई प्रवतद्वृं िी कृंपवनयोृं ने वमलकि अृंग्रेजी ईस्ट इृं वडया कृंपनी
की स्थापना की थी तथा इसका पनयोंत्रण एक पनदे शक मोंडल के द्वारा पकया जाता था पजसे प्रपतिषा चुनाि के माध्यम से चुना
जाता था।
• िौसैनिक श्रेष्ठता : पब्रटे न की शाही नौसेना न पसफा सबसे बड़ी थी; बक्ति यह अिने समय की सबसे उन्नत नौसेना भी थी।
• औद्योनगक क्ांजर् : औद्योपगक िाृं वत अन्य यूिोपीय िे शोृं में िे ि से पहुृं ची तथा इससे इृं ग्लैंड को अपना आविपत्य बनाए िखने में
मिि वमली। इृं ग्लैंड में औद्योपगक िाृं वत 18िी शताब्दी के प्रारों भ में शुरू हुई।
• सैन्य कुशलर्ा र्था अर्ुशासर् : अोंग्रेजी सैपनक अच्छी तरह से प्रपशपक्षत तथा अनुशापसत होते थे । अोंग्रेजी कमाृं डि िणनीवतकाि
होते थे तथा उनके द्वारा युद्ध में नई-नई िणनीपतयोों का उपयोग वकया जाता था।
• क्तस्थर सरकार : पब्रटे न में कुशल शासकोृं के साथ एक क्तस्थि सिकाि थी।
• धमत के प्रनत उत्साह की कमी : पब्रटे न धमा के प्रपत िादा उत्साह नहीों रखता था तथा स्पेन, पुतिगाल तथा डच के मुकाबले ईसाई
धमा का प्रचार प्रसार करने में उसकी कोई पदलचस्पी नहीों थी।
• ऋण बािार का उियोग : पब्रटे न के द् िारा अिने युद्ध का पित्त िोषण करने के पलए ऋण बाजार का उियोग पकया जाता था।

फ्ाोंसीसी
• 1664 में फ्ाों सीसी ईस्ट इों पडया कोंिनी की स्थािना हुई तथा सूरत में िहिी फैक्ट्री की स्थािना → फ्ाोंनसस केरॉि के द्वारा
स्थानित।
• फ्ाोंनसस मानटत ि के द्वारा 1673 में िाोंनडचेरी की स्थाििा की गई तथा िह िाोंनडचेरी का िहिा गिितर भी बना। इस तरह
पाृं वडचेिी िाित में फ्ाृं सीसी बक्तियोों/प्रिे शोृं का मुख्यालय बन गया।
• 18िीों शताब्दी के शुरुआत में, अोंग्रेज तथा फ्ाों सीसी भारत में, मुख्य रूि से कनाा टक तथा बोंगाल के क्षेत्रोों में, अिनी
सिोच्चता/प्रभुत्व के पलए लड़ते रहे ।
• तीन कनाा टक युद्धोों के बाद, अोंततः अोंग्रेजोों के द्वारा फ्ाों सीसीओों को हरा पदया गया तथा िह िाों पडचेरी तक ही सीपमत रह गए।
• प्रथम किातटक युद्ध (1740-48) → प्रपतद्वों पदता का विस्ताि, यह एक्स-ला शािेल की सोंपध द्वािा समाप्त हुआ।
• नद्वतीय किातटक युद्ध (1749-54) → यह अवनणाि यक िहा, दपक्षण भारत में फ्ाों सीसीओों तथा अोंग्रेजोों की शक्ति कम हुई।
• तृतीय कर्ातर्क युद्ध (1758-63) →वनणाि यक युद्ध, िेररस की सृंवि (1763)

डे ि (डे िमाकत उपजर्वेश)


• 1616 में, डे पनश ईस्ट इों पडया कोंिनी की स्थािना हुई तथा 1620 में, भारत के िूिी तट िर तोंिौर के निकट त्रैंकोबर में एक
फैक्ट्र ी की स्थािना की गयी।
• उनकी प्रािृं विक बक्तस्तयाृं कोलकाता के वनकट सेिामपुि मे थी। डे पनश फैक्ट्रीयाों को 1845 में अृंग्रेजी सिकाि को बेच विया
गया।
• डे न को व्यािाररक गपतपिपधयोों के मुकाबले उनकी नमििरी गनतनिनधयोों के निए िादा जाना जाता है ।

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मुग़िोों के सामिे चुिौनतयाों


• औरों गिेब के िासि (1658-1707) से ही मुगल शासन का अोंत शुरू हो गया जो औिचाररक तिीके से अोंततः 1 निृंबि
1858 को (अथाा त महारानी पिक्ट्ोररया के घोषणा के साथ) िूरी तरीके से खत्म हो गया।
• औरों गजेब की खिाब नीवतयोृं के कािण िाज्य की क्तस्थिता कमजोर होती चली गई तथा उसकी मृत्यु के बाि उत्तिाविकाि के
वलए युद्धोों तथा कमजोि शासकोृं ने इस साम्राज्य के पतन में अहम िूवमका वनिाई।
• मोहम्मद शाह ने 29 िर्षों (1719-48) के पलए शासन वकया लेवकन वफि िी मुगल शासन का भाग्य पुनजीवित नहीृं हो सका।
• है दराबाद, बंगाल, अवध र्था पंिाब जैसे नए िाज्य स्थावपत हुए तथा मराठाओों ने भी अब सर उठाना शुरू कर पदया था।

• बहादु र शाह(िाह-ए-बेख़बर) [1709- माचत 1712]


➢ औरों गजेब का सबसे बड़ा बेटा, 63 िषा की उम्र में बािशाह बना।
➢ मराठाओों (शाहू की ररहाई), जाटोों तथा राजिूतोों के प्रपत उदार नीपत।
➢ पसख नेता शाह बहादु र द्वारा आक्रमण।
• िहाोंदार िाह [फरिरी 1712- फरिरी 1713]
➢ इजारा की शुरुआत
➢ जपजया का उन्मूलन
• फरुतखनसयर [1713-1719]
➢ सैयद बोंधुओों की मदद से जहाों दर शाह की हत्या, सैयद बोंधुओों (अब्दु ल्ला खान तथा हुसैन अली)
को नृिपनमाा ता( पकोंग मेकर) के रूि में जाना जाता था।
➢ धापमाक सवहष्णुता: जपजया तथा धापमाक यात्रा िर कर की समाक्तप्त।
➢ कुलीनोों के द्वािा मािा जाने िाला पहला शासक।
➢ इसने अोंग्रेजोों को 1717 में तीन फरमान जारी पकए (कोंिनी का मैग्नाकाटाि )।
• रफी-उद-दरिात [28फरिरी - 4 िूि , 1717]:
➢ सबसे कम अिवि के वलए शासन किने िाला शासक।
• रफी-उद-दौिा (िाहिहाों नद्वतीय) [6 िूि - 17 नसतोंबर, 1719]:
आों तररक: ➢ अफीम का आदी।
• मुहम्मद िाह (रों गीिा) [1719-48]:
औरों गिेब के ➢ इसने वनजाम-उल-मुि की मिि से सैयि बृंिुओृं की हत्या कि िी।
बाद के कमिोर ➢ 1724: पनजाम-उल-मुि के द्वािा स्वतोंत्र है ििाबाि िाज्य की स्थापना।
शासक: ➢ 1737: पदल्ली िर बाजीराि प्रथम का आिमण।
➢ 1739: किनाल का युद्ध: नापदरशाह के द्वािा मुगलोृं की पिाजय।
• अहमद शाह (1748-54):
➢ अयोग्य, उधम बाई (रानी माों/पिब्ला-ए-आलम) के हाथोों पसहाों सन सौोंि पदया गया।
• आिमगीर जिर्ीय(1754-58):
➢ प्लासी का युद्ध (1757)
• िाहिहाों जिर्ीय (1738-1759)
• िाह आिम जिर्ीय (1759-1806):
➢ िानीित का तीसिा युद्ध(1761).
➢ बक्सर का युद्ध (1765): इलाहाबाद की सृंवि।
➢ शाही फरमान के द्वारा अोंग्रेजोों को बोंगाल, पबहार तथा उड़ीसा की दीिानी प्रदान की गई।
• अकबर जिर्ीय (1806-37):
➢ इसने राजा राममोहन राय को “राजा” की उपावि प्रिान की।
• बहादु र शाह जिर्ीय/िफर:
➢ अोंपतम मुगल बािशाह।
➢ 1857 का जवद्रोह।
बाह्य : • िानदर िाह (फ़ारसी) का आक्मण [1738-1739]
➢ करनाल का युद्ध (1739): मुगलोों की हाि।
उत्तर पजिम से ➢ लाहौर पि कब्जा तथा मोहम्मि शाह को बृंिक बना वलया गया।
आक्मण के ➢ पसोंधु निी के पविम के क्षेत्रोृं पि कब्जा।
क्तिलाफ ➢ इसके द्वािा मोर वसृंहासन, कोवहनूि को लूट वलया गया।
आं र्ररक शक्ति
• अहमद शाह अब्दाली का आक्मण (1748-1764)
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र्था एकर्ा का ➢ यह नावििशाह का उत्तिाविकािी था।


अभाव ➢ िानीित का तीसिा युद्ध (1761): मिाठाओों की हाि।

मुगिोों के पर्र् के कारण

• औरों गजेब के बाि के शासकोृं के द्वािा वनिृं कुश शासन।


• उत्तरापधकार के वलए कोई वनवित वनयम नहीृं।
• सेना का ितन।
साम्राज्य संबंधी • एक केंद्रीय सत्ता के द्वारा शापसत होने के पलए बहुत पििृत क्षेत्र।
• औरों गजेब की िक्कन तथा िावमिक नीवतयाृं ।
• ईरानी तथा दु राा नी रािोों के द्वारा आक्रमण।
• जमीोंदारोों (िोंशानुगत भूमापलकोों) के प्रभाि तथा शक्तियोों में िृक्तद्ध।
• जागीरदारी की शुरुआत (कुलीनोों को जमीन दे ना, इससे आय में कमी होती चली गयी) ।
क्षेत्र संबंधी • आपथाक तथा प्रशासवनक समस्याएृं (युद्ध के खचे, ख़ालीसा जमीनोों में कमी, राजाओों का पिलापसता
िूणा जीिन, तकनीकी प्रगपत का अभाि)।
• क्षेत्रीय महत्वाकाों क्षाओों तथा रािोों का उदय।

क्षेत्रीय राज्ों का उदय


• क्षेत्रीय तथा स्वतोंत्र राििीनतक प्रणािी- एक दू सरे से हमे शा युद्ध में उलझे हुए।
• स्थािीय िमी ोंदारोों, व्यािाररयोों, स्थािीय कुिीिोों तथा सरदारोों के सहयोग से काया का सोंचालन।
• ये सभी राि मुगि बादिाह की श्रेष्ठता/सिोच्चता स्वीकार करते थे तथा उनसे सोंबोंध बरकरार रखते थे।
• मिबूत तथा उन्नत सैनिक, नित्तीय तथा प्रिासनिक प्रणािी का अभाि। िैज्ञापनक तकनीकी उन्नपतयोों का अिाि।
• इसे र्ीर् श्रेजणयों में वगीकृर् जकया िा सकर्ा है :

िैसे मुगल प्राृं त जो िाज्योृं में बिल गए तथा उनकी स्वतोंत्र तथा स्वायत्त राजनीपत थी। उदाहरण :
उत्तरानधकारी राज्: अिध (सादत खान/बुरहान-उल-मुि); है दराबाद(पकपलच खान/पनज़ाम-उल-मुि); बोंगाल
(मुपशाद कुली खान)
स्वतोंत्र राज्: ये राि मुगल पनयोंत्रण िाले प्राों तोों की अक्तस्थरता के कारण बने। उदाहरण : राजिूत, मैसूर, केरल
(माताण्ड िमाा के द्वारा स्थापित)।
मुगल शासन के अोंतगात बापगयोों द्वारा स्थापित। उदाहरण : जाट (भरतिुर में चूड़ामन तथा बदन
िए राज्: पसोंह के द्वारा जाट राि की स्थािना); पसख; मराठा; रोपहलखोंड (अली मोहम्मद खान के द्वािा
स्थावपत; कुमाऊों तथा गोंगा के बीच की पहमाल की तलछटी िाले क्षेत्र शापमल) और फरुिखाबाि
(मोहम्मद खान बोंगाश, पदल्ली के िूिा में)।

सामानिक आनथतक पररक्तथथजर्यां

कृनि • तकनीकी रूि से वपछड़ा हुआ।


• पकसानोों की ियनीय क्तस्थवत।
• नियातत >> आयात
व्यािार र्था • नियातत : सूती िस्त्र, कच्चे िे शम औि िे शमी कपड़े , नील, शोरा, अफीम, चािल, गेहृं, चीनी, काली वमचि तथा
उद्योग अन्य मसाले, कीमती पत्थि तथा ििाइयाृं /और्षवियाृं ।
• आयात :
➢ फारस की खाड़ी : मोती, कच्चा रे शम, उन, खजूर, मेिा तथा गुलाब जल।
➢ अरब : कॉफी, सोना, औषपध तथा शहद।
➢ चीन : चाय, चीनी, चीनी पमट्टी के बतान तथा पसि।
➢ पतब्बत: सोना, कस्तूिी तथा ऊनी कपड़े ।
➢ अफ्ीका : हाथी के दाों त तथा औषपधयाों ।
➢ यूरोि : ऊनी किड़े , ताों बा, लोहा, सीसा तथा कागज।

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• किड़े उत्पादि के केंद्र : ढाका, मुपशादाबाद, िटना, सूरत, अहमदाबाद, भड़ौच, चोंदेरी, बुरहानिुर, जौनिुर,
िाराणसी, लखनऊ, आगरा, मुल्तान, लाहौर, मसूपलिटनम, औरों गाबाद, पचकाकोल, पिशाखािट्टनम,
बेंगलुरु, कोयोंबटू र, मदु रई।
• िहाि जर्मातण : महाराष्टर, आों ध्र क्षेत्र, बोंगाल, कालीकट तथा कोल्लम।
• प्राचीर् जशक्षा पर जर्भतरर्ा के साथ पारं पररक जशक्षा
• प्रारों पभक पशक्षा पहों दुओों (िाठशालाओों) तथा मुसलमानोों (मकतबोों) में व्यािक रूप से।
• मपहला पशक्षा िर शायद ही ध्यान पदया गया हो।
निक्षा • उच्च निक्षा : चतुस्पपत (पबहार) या टोल (बोंगाल)।
• कािी (िाराणसी) नतरहूत (नमनथिा) िानदया तथा उत्कि में सोंस्कृत निक्षा।
• मदरसा : अरबी तथा फारसी में उच्च पशक्षा के सोंस्थान।
• िारसी पशक्षा के प्रमुख केंद्र : अिीमाबाद (िटिा)।
• िारों िररक तथा रूपढ़िादी समाज।
• नहों दू : पितृसत्तात्मक तथा दृढ़ जापत व्यिस्था।
समाि • मुक्तिम: पशया-सुन्नी; शरीफ (कुलीन, पिद्वान आपद) तथा अपलफ़ (पनचले िगा) में पिभापजत।
• मनहिाएों : िदाा प्रथा, सती प्रथा, बाल पििाह, बहुपििाह, दहे जप्रथा।
• दास प्रथा: इन्ें घरे लू नौकर/सेिक के बजाय िृंशानुगत नौकि माना जाता था।
• आसफ-उद-दौिा : लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा (1784)
• सिाई ियनसोंह : गुलाबी शहि-जयपुि; िाों च िेधशालाओों (पदल्ली, उज्जैन, जयिुर, बनारस, मथुरा) का
पनमाा ण; पजज मुहम्मद - खगोलीय अध्यनोों के पलए शाही समय सारणी।
किा, वास्तु • नभनत्त नचत्रोों के निए प्रनसद्ध िद्मिाभिुरम महि।
कला एवं • किा की राििूतािा तथा काोंगड़ा िैिी का निकास।
संस्कृजर् • उदू त : मीर, सौदा, िानज़र और नमज़ात ग़ानिब आनद प्रनसद्ध कनि/िायर।
• तनमि : तयुमनािर के द्वारा पसतार िादन।
• मियािम : कोंचन नाक्तियार द्वारा समृद्ध।
• िोंिाबी : िाररस शाह द्वारा हीर राों झा।
• नसोंधी :अब्दु ल लतीफ़ के द्वारा ररसािो (कपिताओों का सोंग्रह)।

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2. भारत में अों ग्रेज़ी सत्ता का एकीकरण तथा पििार


• ओटोमन साम्राि के द्वारा एपशया माइनर िर पिजय प्राप्त करने तथा1453 में कुस्तुनतुवनया पि कब्जा कि लेने के बाि, सभी
व्यािार मागा तुकी साम्राज्य के शासन के वनयृंत्रण में आ गए।
• व्यािार मागों िर िेपनस तथा जेनोआ का भी एकापधकार था। इसपलए यूरोिीय व्यािाररयोों को एनिया तथा इों डोिेनिया के
स्पाइस द्वीिोों के पलए नए समुद्री मागो की खोज करने की जरूरत िड़ी; साथ ही उनलोगोों ने आिा अोंतरीि की भी खोज की।
• िुनजाा गरण के बाद, स्पेि के कोिोंबस के द्वारा 1492 में अमेररका की खोि की गई।
• िुततगाि के िास्कोनडगामा के द्वारा 1498 में भारत के पलए एक नए समुद्री मागा की खोज की गई।
• 16िीों शताब्दी में आयरलैंड को जीतने के साथ ही अोंग्रेजोों के पिजय अपभयान का प्रारों भ हुआ।
• गुजरात, केरल, मद्रास, बोंगाल, पबहार तथा उत्तर प्रदे श मे डच फैक्ट्ररयाों थीों। िरन्तु उिकी नदिचस्पी मुख्य रूि से
इों डोिेनिया के िािा और सुमात्रा तथा मसािोों के द्वीिोों (स्पाइस द्वीिोों) में थी।

ईस्ट इों नडया कोंििी के व्यािार तथा प्रभाि का निकास : 1600 -1714
• 1608: सूरत में िहली फ़ैक्ट्री की स्थािना। ‘व्यािाररक प्रनतष्ठाि/स्थाि’ के रूि में स्थािना।
• िपिमी तट में व्यािार करने की अनुमपत लेने के पलए हॉनकोंस, िहाोंगीर के दरबार मे उिक्तस्थत हुआ जहाों से उसे िाही
फरमाि प्राप्त हुआ।
• 1615: थॉमस रो को मुग़ल साम्राि के सभी भागोों में व्यािार करने के पलए एक शाही फरमान प्राप्त हुआ।
• दनक्षण भारत : पिजयनगर साम्राि के ितन के बाद ;
• दनक्षण भारत में िहिी फैक्ट्र ी : मसूलीिट्टनम में 1611 में स्थापित।
• मसूिीिट्टिम से हटाकर मद्रास को व्यािाररक केंद्र बिाया गया। फ़ोटा सेंट जॉजा की पकलेबोंदी की गयी।
• 1668 में बॉिे द्वीि प्राप्त हुआ।
• प्रमुख प्रजर्िं दी: मराठा
• िूिी भारर्: 1633 में ओजिशा में पहली फैक्ट्र ी की स्थापना ।

समयािनध:

1600 • ईस्ट इों पडया कृंपनी की स्थापना हुई।


1609 • पिपलयम हॉपकोंस जहाों गीर के दरबार में उिक्तस्थत हुआ लेपकन िुतागापलयोों के पिरोध के चलते फरमान प्राप्त
करने में असफल रहा।
1611 • कैप्टन पमड्डलेटन ने सूरत के मुगल प्रशासक से िहाों व्यािार करने की अनुमपत प्राप्त की, मसूलीिट्टनम में भी
उनलोगोों ने व्यािार करना शुरू पकया।
1613 • सूरत में ईस्ट इों पडया कोंिनी की एक फैक्ट्र ी की स्थािना की गई।
1615 • कोंिनी ने दपक्षण में अिनी िहली फैक्ट्र ी मसूलीिट्टनम में स्थापित की।
1618 • थॉमस रो दो फरमान प्राप्त करने में सफल रहा पजसमें से िहला पबना कर या प्रपतबोंध के आों तररक व्यािार
की छूट तथा दू सरा आगरा, अहमदाबाद और भड़ौच में फ़ैक्ट्री लगाने की इजाजत दी गयी।
1632 • गोलकुोंडा के सुल्तान से कोंिनी को सुनहरा फरमान प्राप्त हुआ पजससे उनके व्यािार की समृक्तद्ध तथा सुरक्षा
सुपनपित हुई।
1633 • िूिी भारत में हररहरिुर, बालासोर, ओपडशा में कोंिनी ने अिना िहला कारखाना खोला।
1639 • चोंद्रपगरर के सरदार ने अोंग्रेज़ोों को मद्रास पदया तथा जल्द ही मद्रास में फ़ोटा सेंट जॉजा बनाया गया तथा उसने
मसूलीिट्टनम की जगह ले ली।
1651 • कोंिनी को हुगली (बोंगाल), कापसम बाज़ार, िटना तथा राजमहल में भी व्यािार करने का अपधकार प्रदान
पकया गया।
1662 • पब्रटे न के राजा, चार्ल्ा पद्वतीय ने िुतागापलयोों के राजकुमारी (ब्रैगाों जा की कैथरीन) से शादी करने के बाद बॉिे
को दहे ज के रूि में प्राप्त पकया।
1667 • औरों गजेब के द्वारा अोंग्रेजोों को बोंगाल में व्यािार करने का फरमान जारी पकया गया।
1687 • िपिमी प्रेपसडें सी को सूरत से हटाकर बॉिे करके उसे मुख्यालय बना पदया गया।

1691 • कुछ टकराि के चलते, मुगलोों ने हुगली िर आक्रमण कर पदया। तब जॉब चारनोक ने 1691 में मुगलोों के
साथ सोंपध की तथा सूतानुती िािस लौट गए।
• 3000 रुिये प्रपत िषा अदा करने के िादे के बाद अोंग्रेज़ोों को बोंगाल मे व्यािार करने के पलए शाही आदे श
प्राप्त हुआ।

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• सूतानुती, गोपिोंदिुर तथा कालीकट का पिकास करके तथा उनके एकीकरण के माध्यम से कलकत्ता शहर
1700 का पनमाा ण पकया गया पजसका सोंरक्षण बोंगाल के मुगल प्रशासक (गिनार) के द्वारा पकया जाता था।
• पकलेबोंद बक्तियोों को फोटत निनियम (1700) नाम पदया गया तथा जो सन 1911 तक भारत में अोंग्रेजी हुकूमत
की राजधानी बना रहा।
• मुगि िासक फरू त खनसयर िे अोंग्रेिोों को एक फरमाि िारी नकया, निसे कोंििी का मैग्नाकाटात कहा
िाता है । इस फरमान के द्वारा बोंगाल, गुजरात तथा है दराबाद में कोंिनी को व्यािार िर प्रपतबोंध तथा करोों से
1717 सोंबोंपधत बड़ी सोंख्या में छूट प्रदान की गई। इन छूटोों में शापमल थे :
1. कोंिनी के आयात तथा पनयाा त को करोों या चुोंगी से छूट प्रदान की गई थी।
2. उनके सामानोों की आिाजाही के पलए उन्ें दिक जारी करने का अपधकार प्रदान पकया गया।
3. है दराबाद में कर रपहत व्यािार करने का अपधकार।
4. कोंिनी के द्वारा ढाले गए पसक्के का िूरे मुग़ल साम्राि के अोंतगात मुद्रा के रूि में िैधता।

बोंगाि िर अोंग्रेिोों की नििय


• अोंग्रेज़ोों के द्वारा बोंगाि से नियातत नकये िािे िािे समाि : शोरा, चािल, नील, काली पमचा, चीनी तथा पसि, सूती िस्त्र (ईस्ट
इृं वडया कृंपनी के द्वािा िाित से वकए जाने िाले व्यापाि का 60% बृंगाल से होता था) ।
• बािासोर, हुगिी, कानसम बािार, िटिा तथा ढाका में कारखाने स्थापित पकए गए।
• 1717: अोंग्रेजोों ने बोंगाल में व्यािार (आयात, पनयाा त) करने के पलए बादिाह फरू त खनसयर से िाही फरमाि प्राप्त पकया।
उन्ें इन सामानोों की आिाजाही के पलए दस्तक (व्यापाि किने के वलए मुफ्त िास) जारी करने का भी अपधकार प्राप्त हुआ
(यही दिक लगातार सोंघषा का कारण बना) ।
• अिीिदी खाों मराठाओों से 15 िषों से युद्ध में सोंपलप्त था।
• अोंग्रेजो के द्वारा फोटत निनियम में अिने पकले/मोचे को मजबूत बनाया गया।
• सन 1756 में अलीिदी खाों की मृत्यु होने के बाद पसराज-उद-दौला बादशाह बना।
• आों तररक झगड़े तथा दरबार में पसराज-उद-दौला का पिरोध होना शुरू हो गया।

महत्विूणत िासक : मुशीद कुली खाों (बोंगाल का िहला दीिान), शुजाउद्दीन, अलीिदी खाों (इसने मुगलोों को सम्मान प्रदान करना
बोंद कर पदया) ।

इिाहाबाद की सोंनध :
• रॉबटा क्लाइि के द्वारा शुजाउद्दीन तथा मुगल बादशाह शाह आलम पद्वतीय के साथ इस सोंपध िर हिाक्षर पकया गया।
• इिाहाबाद की िहिी सोंनध : शुजाउद्दीन ने इलाहाबाद को बादशाह शाह आलम पद्वतीय को समपिात कर पदया। उसने जमीोंदारोों
को उसकी सोंिपत्तयोों का िूणा अपधकार प्रदान पकया।
• इिाहाबाद की दू सरी सोंनध : िाह आिम नद्वतीय को कोंिनी के सोंरक्षण में इलाहाबाद में रखा गया। उसके द्वािा एक फिमान
जािी वकया गया वजसके द्वािा ईस्ट इृं वडया कृंपनी को बृंगाल, वबहाि तथा उड़ीसा में सिी िीिानी अविकाि प्राप्त हो गए।
पनजामती कायों के प्रािधानोों को भी कोंिनी के हिाले कर पदया गया।

प्लासी का युद्ध (1757) बक्सर का युद्ध (1764)


• ििाब िे फोटत निनियम िर कब्जा कर निया • कोंिनी के नौकरोों के द्वारा दिािेज़ का दु रुियोग।
तथा उसमें उिक्तस्थत सभी निदे नियोों को मार • िाही फरमाि ने कोंिनी को बोंगाल में पबना टोल या
डािा गया (ब्लैक होि घटिा)। िारगमन शुि/ बकाए के व्यािार करने का
• राय दु लाभ, जगत पसोंह, ओमीचोंद के प्रभािशाली अपधकार प्रदान पकया।
समूह के द्वारा निाब का पिरोध पकया गया। • नौकरोों के द्वारा दिक को अिने साथी व्यािाररयोों को
कारण बेच जाने लगा।
• इस तरह मीि कावसम के द्वािा कृंपनी को प्रिान वकए
गए सिी छूटोों को खि कि विया गया।
• यह सोंघषा अोंततः युद्ध में िररणत हो गया तथा 1763
में मीर कापसम तथा कोंिनी के बीच युद्ध हुआ। मीर
कापसम अिध भाग गया।
• अिध में िह अिध के निाब शुजा-उद-दौला तथा
मुगल बादशाह शाह आलम पद्वतीय के साथ पमल
गया।

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युद्ध : गठबोंधि: मीर जाफर (अलीिदी खाों की बहन का अोंग्रेजी सेना का प्रपतपनपधत्व हेक्ट्र मुिरो के द्वारा पकया
िपत) + राज दु लाभ, ओमीचोंद तथा जगत पसोंह के साथ गया था।
रॉबटा क्लाईि बनाम पसराज-उद-दौला।
िररणाम तीनोों का समूह जीत गया। मीर जाफर नया नबाि इस छोटे तथा पनणाा यक युद्ध को हे क्ट्र मुिरो के नेतृत्व
बना। िाली अोंग्रेजी सेना ने जीत पलया।
• 1760: मीर जाफर के द्वारा बगाित। • मीर जाफर को एक कठिुतली की तरह पसोंहासन िर
• 1760 की सोंपध। बैठा पदया गया।
अन्य • मीर जाफर की जगह मीि कावसम को आसन पि • उत्तरी भारत में अोंग्रेजोों की प्रभुता कायम हुई।
बैठाया गया।
• मीर कापसम ने कोंिनी से दू री बनाने के पलए
राजधानी को मुपशादाबाद से हटाकर मुोंगेर
(पबहार) कर पदया।

बोंगाि में द्वै ध िासि (1765-1772)


• इसकी शुरुआत रॉबटत क्लाइि के द्वारा की गई थी।
• दोहरी सरकार की प्रणािी : इसमें दीिानी (राजस्व िसूलने) और पनजामत (िुपलस एिों न्यापयक काया) दोनोों कोंिनी के पनयोंत्रण
में आ गए। कोंिनी ने दीिान के रूि में दीिानी अपधकारोों का और पडप्टी सूबेदार को पनयुि करके पनजामत अपधकारोों का
प्रयोग पकया। कोंिनी ने मुगल शासक से दीिानी काया हापसल पकए और पनजामत काया बोंगाल के सूबेदार से प्राप्त पकए। अलग
दीिान तथा पनज़ाम की इसी प्रणाली को शासन की दोहरी प्रणाली कहा गया। जबपक, पनजामत के िाििपक अपधकार भी ईस्ट
इों पडया कोंिनी के िास थे।
• कोंिनी को उि सूबेदार तथा दीिान को िानमत करिे का अनधकार पदया गया।
• मोहम्मद रजा खान (बोंगाल) तथा राजा पसताब राय (पबहार) को उि दीिान पनयुि पकया गया।
• प्रशासपनक पिफलता के कारण इस प्रणाली को 1772 में िारे ि हे क्तस्टोंग के द्वारा खत्म कर नदया गया।

आों ग्ल मैसूर युद्ध तथा टीिू सुल्ताि की िरािय


• 1734 - 66 तक कृष्णराज िोडे यार पद्वतीय ने यहाों शासन पकया।
• 1761 में है दर अिी सत्ता में आया (िास्तनिक िासक, सिातनधकारी), फ्ाों सीपसयोों से पनकटता।
• है दर अली ने नडों डीगुि में एक अस्त्र कारखािा स्थापित पकया।
• यह माधि राि के नेतृत्व िाली मराठाओों से हार गया। 1774-76 के बीच उसने मराठाओों िर आक्रमण करके अिनी सभी खोए
हुए क्षेत्रोों को िािस अिने अधीन कर पलया।
युद्ध कारण
• मद्रास की सृंवि।
• अनिणातयक युद्ध, युद्धबोंपदयोों की अदला-बदली की सोंपध तथा है दर अली िर आक्रमण
प्रथम युद्ध होने के क्तस्थपत में अोंग्रेज़ोों के द्वारा सहायता प्रदान करने का िादा।
(1767-69): • है दराबाद के पनज़ाम के साथ अोंग्रेज़ोों की सोंपध (1766) पजसमे उत्तरी सरकार के बदले
में है दराबाद के पनज़ाम को कोंिनी के द्वारा सोंरक्षण।
• मराठा, अकोट के नबाि तथा अोंग्रेज़।
• है दर अली के द्वारा समझाने िर मराठाओों तथा अकोट के नबाि ने अोंग्रेजोों का साथ छोड़
पदया।
• मोंगलोर की सोंपध।
• अपनणाा यक युद्ध।
• अोंग्रेजो के द्वारा सोंपध का उल्लोंघन। जब मराठाओों ने मैसूर िर आक्रमण पकया तब अोंग्रेज
नद्वतीय युद्ध मैसूर की सहायता के पलए नहीों आए।
(1780-84): • अली की फ्ाों सीपसयोों के साथ पनकटता बढ़ती गयी।
• अोंग्रेजोों ने माहे िर कब्जा कर पलया, जो अभी तक है दर अली के िास था।
• युद्ध का क्रम : सर् आयरकूट ने िोटोिोिो में है दर अली को हरा पदया, उसके बाद
है दर अली की 1782 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गयी, उसके बेटे टीिू सुल्तान ने जोंग
जारी रखी।
• श्रीरों गिट्टनम की सोंपध
तृतीय आों ग्ल मैसूर युद्ध • टीिू सुल्तान को भारी मात्रा में युद्ध का हजाा ना भरना िड़ा।
(1790-92): • 1790: टीिू सुल्तान ने अोंग्रेज़ जनरल पमडो को िराि पकया।

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• 1791: कॉनािापलस तथा मराठाओों ने पमलकर टीिू सुल्तान को हरा पदया।


• अोंग्रेजोों ने मैसूि को जीत वलया ।
चतुथा आों ग्ल-मैसूर युद्ध • टीिू सुल्तान मारा गया तथा मैसूर को 1799 में सहायक सोंनध के अोंतगात पमला पलया
(अप्रैि 1799- मई 1799) गया। ( सहायक सोंनध - है दराबाद के पनज़ाम के साथ इस सोंपध का प्रथम उियोग पकया
गया था। 1798 में इसने पनज़ाम को फ्ाों सीसी से अलग कर पदया और पब्रपटश सहमपत
के पबना मराठा के साथ गठबोंधन करने से भी मना कर पदया। दू सरा राि 1799 में
मैसूर था। िेर्ल्ली ने अिध के निाब को 1801 में सहायक गठबोंधन की नीपत स्वीकार
करने के पलए मजबूर पकया।)
• फ्ाों सीपसयोों के साथ टीिू सुल्तान की पमत्रता ने अोंग्रेजोों को िरे शानी में डाल पदया था।
• उनलोगोों ने टीिू सुल्तान िर उनके क्तखलाफ षडयोंत्र का आरोि लगाया।
• लॉडा िेलेिी का भाई, आथार िेलेिी ने भी इस युद्ध मे भाग पलया।

आों ग्ल-मराठा सोंघित

िािीित की र्ीसरी लडाई (1761) के बाद के प्रमुख मराठा पररवार जर्म्नजलक्तिर् हैं :

प्रथम आों ग्ल मराठा युद्ध • सूरत की सोंनध : रघुनाथ राि तथा अोंग्रेज़ोों के बीच, सालसेट तथा बेपसन के क्षेत्र को
(1775-1782) अोंग्रेज़ोों को सौि पदया।
• िुरोंधर की सों नध : कलकत्ता िररषद के द्वारा ऊिरोि सोंपध को रद्द कर पदया गया।
रघुनाथ राि को उसके िद से हटा पदया गया तथा उसे िेंशन पदया जाने लगा। नाना
फड़निीस के द्वारा इस सोंपध की अिहे लना की गई। अोंग्रेज़ोों के द्वारा जबाबी कारा िाई
की गई। िडगाों ि की सोंपध िर हिाक्षर पकए गए।
• सािबाई की सोंनध : िड़गाों ि की सोंपध को िारे न हे क्तस्टोंग्स के द्वारा अस्वीकार कर पदया
गया। उसने पसोंपधया को भी हराया। 20 िषों के पलए शाों पत सोंपध िर हिाक्षर पकया
गया।
• बाजीराि पद्वतीय (िेशिा) तथा पसोंपधया की सोंयुि सेना को यशिोंत राि होिर के द्वारा
हरा पदया गया।
नद्वतीय आों ग्ल मराठा युद्ध • अोंग्रेज़ोों तथा िेशिा के बीच िू ना के पसोंहासन के बदले बेसीन की सोंनध (1802) िर
(1803-1805) हिाक्षर पकया गया।
• िेििा िे सहायक सोंनध को स्वीकार कर निया।
• पसोंपधया तथा भोसले ने मराठाओों की स्वतोंत्रता को बचाए रखने की कोपशश की।
• िे आथार िेलेिी से हार गए तथा अोंततः उन्ें सहायक सोंनध िर हस्ताक्षर करने िड़े ।
• यििोंत राि होल्कर को 1804 में िराि कर पदया गया।
• बेसीि की सोंनध में मराठाओों की स्वतोंत्रता खत्म हो गयी।
• 1817 में, िेशिा के द्वारा िुणे में अोंग्रेजी रे पसडें सी िर हमला पकया गया।
तृतीय आों ग्ल मराठा युद्ध • यह मराठा राि को बचाने के पलए अोंपतम प्रयास था। उन्ोोंने सिी मिाठा सििािोृं को
(1817-1819) अृंग्रेजो के क्तखलाफ एकजुट वकया। अोंग्रेज़ोों ने उन्ें हरा पदया।
• िूिा की संजध: िेशिा के साथ।
• ग्वानियर की सों नध : पसोंपधया के साथ।

नसोंध तथा िोंिाब िर नििय


1818 -1857 तक, िोंजाब तथा पसोंध को छोड़कर। इन दोनोों प्रदे शोों को भी जीत पलया गया।
• नसोंध : आों ग्ल रूसी प्रनतद्वों नदता तथा उन्हें िीत निए िािे के डर से अोंग्रेज़ोों िे नसोंध के प्रमुखोों/सरदारोों; अमीरोों के साथ
सोंनधयोों िर हस्ताक्षर नकए।
1839 में सहायक सोंपध िर हिाक्षर पकए गए, 1843 में नसोंध को अोंग्रेज़ी राि में नमिा निया गया।

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• िोंिाब : अोंग्रेज़ोों ने रणजीत पसोंह के साथ शास्वत/ सतत पमत्रता की सोंपध की थी : अमृतसर की सोंपध (1809)

• युद्ध में पसखोों के हार जाने के बाद लाहौर की सोंपध िर हिाक्षर पकए गए।
• पसखोों को एक करोड़ की क्षपतिूपता दे नी िड़ी, जालोंधर दोआब को अोंग्रेज़ी राज में पमला
प्रथम आों ग्ल नसख युद्ध (1845- पलया गया, लाहौर में हे नरी लॉरें स के अधीन में एक रे सीडें सी स्थापित की गई।
46) • युद्ध की क्षपतिूपता दे ने में पिफल रहने िर, गुलाब पसोंह को कश्मीर बेच पदया गया।
• भैरोिल की सोंपध : रानी पजोंद को राि सोंरक्षक/प्रपतपनपध के िद से हटा पदया गया।
• 8 पसख सरदारोों की एक िररषद बनाई गई, पजसकी अध्यक्षता अोंग्रेज़ के द्वारा की जाती
थी।
• मूलराज (मुल्तान का प्रशासक/गिनार) ने पिद्रोह कर पदया, शेर पसोंह को पिद्रोह कुचलने
के पलए भेज गया लेपकन िो भी मूलराज से पमल गया।
नद्वतीय आों ग्ल नसख युद्ध (1848- • यह लॉडा डलहौजी के द्वारा िोंजाब को हड़िने का एक बहाना था।
49) • शेर पसोंह हार गया। शेर पसोंह तथा पसखोों की सेना ने 1849 में आत्मसमिाण कर पदया।
• िोंजाब अब मुख्य कमाों डर के अधीन आ गया। जॉन लॉरें स िहला मुख्य कमाों डर बना।

नबनटि भारत का सीमािती दे िोों के साथ सोंबोंध

आों ग्ल-भूटािी सोंबोंध :


• 1816 में, अोंग्रेज़ोों ने असम को भूटापनयोों से जीत पलया। उससे सटे इलाकोों में लगातार आक्रमण/धािा पकया जाता रहा तथा
एक्तिन के दू त से गलत व्यिहार/बताा ि भी पकया गया। अोंग्रेज़ोों को असम जाने िाले दरों को छोड़ने के पलए मजबूर होना िड़ा।
1865 में, भूटानियोों को आत्मसमितण करिे के निए मिबूर कर नदया गया।

आों ग्ल िेिाि सोंबोंध :


• नेिाल का पनयोंत्रण गोरखाओों के हाथ में था। 1801 में, अोंग्रेज़ोों ने गोरखिुर को हड़ि पलया पजससे गोरखाओों तथा अोंग्रेज़ोों की
सीमा नजदीक आ गयी। गोरखाओों के द्वारा बुटािल तथा पशिराज िर कब्जा कर पलया गया तथा उसके बाद सोंघषा शुरू हो
गया। यह सोंघषा सगौिी की सोंनध के साथ खत्म हुआ।

आों ग्ल-बमात सोंबोंध :


• बमाा के जोंगलोों के पिशाल सोंसाधन, अोंग्रेज़ी ििुओों के पलए बाज़ार और फ्ाों सीपसयोों के पििार को सीपमत करने के पलए अोंग्रेज़ोों
के द्वारा तीन आों ग्ल बमाा युद्ध लड़ा गया।
• प्रथम आों ग्ल बमात युद्ध (1824-26): इस युद्ध के िररणामस्वरूि अोंग्रेज़ोों ने रों गून को अोंग्रेज़ी साम्राि में पमला पलया। 1826 में
याोंडूब की सोंनध िर हस्ताक्षर नकये गए।
• नद्वतीय आों ग्ल बमात युद्ध (1852): यह लॉडा डलहौजी की साम्राििादी नीपतयोों का िररणाम था। अोंग्रेज़ बमाा के बाजारोों तथा
लकड़ी के सोंसाधनोों तक िहुों च चाहते थे। अोंग्रेजोों ने िीगू (बमाा का पनचला भाग) िर अपधकार कर पलया।
• तृतीय आों ग्ल बमात युद्ध (1885): बमाा के राजा थीबो के अोंग्रेज़ी प्रपतद्वों पदयोों (फ्ाों सीसी, जमान तथा इतालिी) के साथ करीबी
सोंबोंध थे पजसके िररणामस्वरूि पब्रपटश पटों बर कोंिनी िर जुमाा ना लगाया गया, िररणामस्वरूि 1885 में ऊिरी बमाा को भी
पब्रपटश साम्राि में पमला पलया गया।

आों ग्ल-नतब्बती सोंबोंध :


• पतब्बत में रूसी हपथयारोों और गोलाबारूद की आमद की सूचनाओ ने लॉडा कज़ान को पचोंता में डाल पदया। उसने कनाल योंग
हसबैंड के नेतृत्व िाली गोरखाओों की एक सैन्य टु कड़ी भेजी। पतब्बत के लामाओों ने अपहसोंक प्रपतरोध पकया, अोंग्रेज़ोों ने इसका
जबाब ल्हासा िर कब्ज़ा करके पदया। 1904 में ल्हासा की सोंपध िर हिाक्षर पकए गए।
• महत्व : 1907 के आों ग्ल-रूसी सम्मेिि में यह तय पकया गया पक रूस तथा पब्रटे न पतब्बत िर कोई बातचीत नही करें गे
पसिाय चीन के द्वारा मध्यस्थता को छोड़कर। इसके िररणामस्वरूि लाडा कजान के द्वारा रूस की नीपतयोों का प्रपतकार पकया
गया।

आों ग्ल-अफ़ग़ाि सोंबोंध :


• भारत के पलए रूसी योजनाओों का मुकाबला करने के पलए, उत्तर िपिम के िैज्ञापनक सीमाों त ने अोंग्रेज़ी पहतोों के िक्ष में काम
पकया। अफगापनिान में अोंग्रेज़ के प्रपत पमत्रित रहने िाले शासक की जरूरत थी।
• प्रथम आों ग्ल अफगाि युद्ध (1839-42): अोंग्रेज़ोों के द्वारा दोि मुहम्मद को अफगापनिान के स्वतोंत्र शासक के रूि में
मान्यता प्रदान करने के बाद यह युद्ध खत्म हुआ।

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• नद्वतीय आों ग्ल अफगाि युद्ध (1870-80): पलटन ने अफगापनिान के अमीर शेर अली िर आक्रमण करने की योजना बनाई।
शेर अली के भाग जाने के बाद, याकूब अली तथा अों ग्रेज़ोों के बीच गोंडममक की सोंपध िर हिाक्षर हुआ। याकूब अली के द्वारा
िदत्याग करने के बाद, अब्दु ल रहमान को नया अमीर पनयुि पकया गया। अोंत मे, अफगापनिान का खोंडन करने िाले पलटन
की योजना को अोंजाम नहीों पदया जा सका तथा ररिन ने अफगापनिान को बफ़र राि के रूि में रखने का फैसला पकया।

ऑकिैंड की अनग्रम (फॉरिडत ) िीनत : यह िड़ोसी दे शोों के साथ या तो सोंपध के माध्यम से या उन्ें हड़ि कर रूपसयोों के
आक्रमण से भारत की सीमाओों की रक्षा करने के पलए था। दोि मोहम्मद के रूस तथा िपसाया के साथ चले जाने के बाद अोंग्रेज़ोों
के द्वारा पसख तथा शाह शुजा के साथ नत्रिक्षीय सोंनध िर हिाक्षर पकए गए।

अफगानिस्ताि तथा नब्रनटि प्राोंतोों के बीच डूरों ड रे खा खी ोंची गई। बाद में भारत सरकार के अधीन उत्तर िपिम सीमाों त प्रान्त
का सृजन पकया गया। यह जनजापतयोों तथा अोंग्रेज़ोों के बीच एक सहमपत का िररणाम था। कज़ान (1899-1905) ने िािसी तथा
एकाग्रता की नीपत का िालन पकया।

प्रिासनिक िीनतयोों के माध्यम से नब्रनटि सितश्रेष्ठता का प्रसार (1772-1869)

िारे ि हे क्तस्टोंग्स के • अिने पकसी एक प्रदे श/इलाके का बचाि करने के पलए आसिास के अन्य प्रदे शोों/इलाकोों के बाहर
द्वारा ररों ग फेंस (घेर बफर क्षेत्र का पनमाा ण।
की) िीनत • अफगानोों तथा मराठाओों के द्वारा अोंग्रेज़ोों के बोंगाल क्षेत्र िर आक्रमण करने के पिरुद्ध अिध ने एक
(1773-85) बफर क्षेत्र के रूि में काया पकया।
• इसके तहत शापमल सभी भारतीय रािोों को अिनी सीमाओों िर अोंग्रेज़ी सेना रखनी होती थी तथा
उनके रखरखाि के पलए भुगतान भी करना होता था।
• शासक को अिने दरबार मे एक अोंग्रेज़ अपधकारी को पनयुि करना होता था।
• अोंग्रेज़ोों की अनुमपत के पबना राजा पकसी भी यूरोिीय को पनयुि नहीों कर सकता था।
िैिेििी के द्वारा • शाों पतिाताा के पलए दु श्मनोों से सोंिका नहीों कर सकता था।
सहायक सोंनध • रखरखाि के पलए बहुत अपधक खचा की माों ग की जाती थी, जब शासक अदा कर िाने में असमथा
(1798-1805) रहते तब उनसे उसके क्षेत्र के एक पहस्े को अोंग्रेज़ोों को सौोंि दे ने को कहा जाता था।
• सहायक सोंनध - है दराबाद के पनज़ाम के साथ इस सोंपध का प्रथम उियोग पकया गया था। 1798 में
इसने पनज़ाम को फ्ाों सीसी से अलग कर पदया और पब्रपटश सहमपत के पबना मराठा के साथ गठबोंधन
करने से भी मना कर पदया। दू सरा राि 1799 में मैसूर था। िेर्ल्ली ने अिध के निाब को 1801 में
सहायक गठबोंधन की नीपत स्वीकार करने के पलए मजबूर पकया।
• इस सोंनध िर इिके द्वारा हस्ताक्षर नकए गए थे : अिध के नबाि, है दराबद के पनज़ाम, मैसूर का
शासक, तोंजौर का शासक, िेशिा, बरार का भोोंसले, पसोंपधया, राजिूत रािोों के द्वारा, भरतिुर के
शासक तथा होिर के द्वारा।

िॉडत डिहौिी के • यह नीपत “ररों ग और फेंस”की नीपत का पििृत रूि था।


द्वारा व्यिगत का • दत्तक/गोद पलया हुआ िुत्र राजा की पनजी सोंिपत्तयोों का उत्तरापधकारी तो हो सकता था लेपकन िह
नसद्धाोंत/हड़ि की उस राजा के राि का उत्तरापधकारी नहीों बन सकता था। ऐसे रािोों को अोंग्रेज़ोों के द्वारा हड़ि पलया
िीनत जाता था।
(1848-1856) • अोंग्रेज़ोों के द्वारा हड़ि निए गए राज्य : सतारा (1848), जैतिुर (1849), सोंबलिुर (1849), बघत
(1850), उदयिुर (1852), झाोंसी (1853), नागिुर (1854)।
• 1824 में, डलहौजी के समय के िहले, ईस्ट इों पडया कोंिनी ने इसी पसद्धाों त के तहत नकत्तू र ररयासत
िर कब्ज़ा कर पलया था।
• इसी नीपत के तहत, मराठा िेशिा बाजीराि पद्वतीय के दत्तक िुत्र नाना सापहब को उनकी िदिी तथा
िेंशन दे ने से िोंपचत कर पदया गया।
• अोंपतम क्षण तब आया जब व्यिगत के नसद्धाोंत के तहत आों तररक कुशासन के आधार िर 7 फरिरी
1856 को ईस्ट इों पडया कोंिनी ने अिध को हड़ि पलया। 1857 में हुए पिद्रोह के कारणोों में से एक
कारण यह भी था।
निट्टि तथा प्राउड • सीमाों तोों को बनाये रखने तथा “प्रभाि के क्षेत्रोों” की सुरक्षा सुपनपित करने के पलए।
(गित) ररज़ित की
िीनत

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(1876-1880)
िॉि िॉरें स तथा • यह प्रथम अफगान युद्ध की एक प्रपतपक्रया थी। सीमाों तीय समस्यायोों तथा स्वतोंत्रता के पलए अफगान
कुिि अकमतण्यता के जुनून के कारण जॉन लॉरें स ने उत्तरोत्तर युद्धोों में भी कोई हिक्षेि नहीों पकया।
(मास्टरिी • क्तस्थपतयाों : सीमाों त िर शाोंपत बनी रही + गृह युद्ध की क्तस्थपत में पकसी भी िक्ष के द्वारा कोई पिदे शी
इिक्तक्ट्निटी) की सहायता नहीों ली गई।
िीनत
(1864-1869)

निद्याथी के निए नटप्पणी

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3. 1857 से िू ित नब्रनटि साम्राज्य के निरुद्ध िि-असों तोि

िि-असोंतोि के कारण
• औिपनिेपशक भू-राजस्व बोंदोबि; निीन करोों का भारी बोझ और पकसानोों को उनकी भूपम से बेदखल करना।
• ग्रामीण समाज में मध्यिती राजस्व सोंग्रहकताा ओ,ों ऋणदाताओों के बढ़ने से शोषण में िृक्तद्ध हुई।
• जनजापतयोों/आपदिापसयोों की भूपम िर राजस्व प्रशासन का पििार।
• स्वदे शी उद्योग का पिनाश और पब्रपटश पनपमात ििुओों का प्रसार।
• िुरोपहत और पिज्ञान आधाररत पशक्षा िद्धपत का अोंत।
• पब्रपटश शासन का पिदे शी चररत्र।

िि-अोंसतोि के स्वरूि
• जन पिद्रोह
• पकसान पिद्रोह
• जनजातीय पिद्रोह
• सैपनक पिद्रोह

• 1770 के पिनाशकारी अकाल और अोंग्रेजोों के कठोर आपथाक आदे श ने िूिी भारत में
सोंन्यापसयोों के एक समूह को पब्रपटश से लड़ने के पलए मजबूर कर पदया।
• पकसान, भूपम से बेदखल पकसान, बड़ी सोंख्या में छोटे जमीोंदारोों, पिस्थापित सैपनकोों और
गरीब ग्रामीण भी सन्यासी निद्रोह में शापमल थे।
• इस पिद्रोह को िॉरे न हे क्तस्टोंग्स द्वारा दबाया गया।
• इस आों दोलन में पहों दू और मुसलमानोों की एक समान भागीदारी रही, इसपलए इसे कभी-
सन्यासी निद्रोह कभी फकीर पिद्रोह के नाम से भी जाना जाता है ।
(1763-1800) • नेता: मजनुम शाह (या मजनू शाह), पचराग अली, मूसा शाह, भिानी िाठक और दे िी
चौधरानी।
• दे िी चौधरानी की भागीदारी ने पब्रपटशोों के पिरुद्ध प्रारों पभक पिद्रोह में मपहलाओों की भूपमका
को मान्यता दी।
• बोंपकम चोंद्र चट्टोिाध्याय का ऐपतहापसक उिन्यास आनोंदमठ, सोंन्यासी पिद्रोह िर आधाररत
है ।
• क्षेत्र - बोंगाि
• कारण - अकाि, बढी हुई भू-रािस्व माोंगें और दयिीय आनथतक तोंगी िे नमदिािुर
नििे की चुआर िििानत को हनथयार उठािे के निए प्रोत्सानहत नकया।
चुआर निद्रोह • इस जनजापत के लोग मूल रूि से पकसान और पशकारी/आखेटक थे।
• सबसे महत्विूणा पिद्रोह 1798 में दु जान (या दु जोल) पसोंह के अधीन हुआ था।
• 'चुअर' शब्द को कुछ इपतहासकारोों द्वारा अिमानजनक माना जाता है , इसपलए इसे जोंगल
महल पिद्रोह के नाम से भी जाना जाता हैं )।
• क्षेत्र - बोंगाि
• िेता- मीर िथर अिी और टीटू मीर
टीटू मीर का आों दोिि • कारण - नहों दू भू नम स्वामी के क्तखिाफ निन्होोंिे फैनियोों िर दाढी कर िगाया।
(1782-1831) • सैयद मीर निसार अिी, या टीटू मीर एक नकसाि िेता हैं निन्होोंिे 1831 में िमी ोंदारोों
और नब्रनटि औिनििेनिक अनधकाररयोों के क्तखिाफ िकेल्बररया निद्रोह का िेतृत्व
नकया था।
• िकेल्बेररया निद्रोह को अक्सर अोंग्रेिोों के क्तखिाफ िहिा सिस्त्र नकसाि निद्रोह मािा
िाता है । आों दोिि िे नकरायेदारोों के अनधकारोों की रक्षा की।
• छोटा नागिुर के कोलोों ने बुद्धो भगत के नेतृत्व में (1831) में यह पिद्रोह पकया पिद्रोह का
प्रमुख कारण अोंग्रेजोों द्वारा उस क्षेत्र में प्रसार तथा कोलोों की भूपमयोों को पदकुओों (थास्य
कोि निद्रोह व्यक्तियोों) को हिाों तररत पकया जाना था। इस पिद्रोह को कुचल पदया गया।
(1831) • यह पिद्रोह राों ची, पसोंहभूम, हजारीबाग, िलामू और मानभूम के िपिमी क्षे त्रोों में फैला था।
पिद्रोह की आग उस समय सुलगी जब कोल मुक्तखयाओों (मुोंडा) से बड़े िैमाने िर जमीन का
हिाों तरण पहों दू, पसख एिों मुक्तिम जैसे बाहरी पकसानोों को पकया गया। इस काया से छोटा

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

नागिुर के कोल नाराज हो गए और 1881 में, बुद्ध भगत के नेतृत्व में कोल पिद्रोपहयोों ने
हजारोों बाहरी पकसानोों को मार पदया या जला पदया। केिल बड़े िैमाने िर सैन्य अपभयान से
कानून व्यिस्था एिों शाोंपत िुनः स्थापित की जा सकी।
• िायक ओपडशा के िरम्परागत िैदल सैपनक थे और अिनी सैन्य सेिाओों के पलए लगान
मुि जमीन प्राप्त करते थे तथा िोंशानुगत आधार िर इस काया को करते थे।
• अोंग्रेजी कोंिनी द्वारा 1803 में ओपडशा िर पिजय प्राप्त की गई और खुदाा के राजा को
पसोंहासन से हटाने के कारण िायकोों के सम्मान एिों शक्ति में बेहद कमी आई।
• इसके अपतररि, कोंिनी की शोषणकारी भू-राजस्व नीपत जमीोंदारोों एिों पकसानोों के बीच
समान रूि से रोष का कारण बनी। लोग करारोिण के कारण नमक की कीमती में िृक्तद्ध,
स्थानीय मुद्रा समाप्त करने, और करोों का भुगतान चाों दी में करने इत्यापद जैसे अोंग्रेजी शासन
के शोषणकारी कदमोों से बुरी तरह प्रभापित थे।
• बक्शी जगबन्धु पिद्याधर खुदाा के राजा की सेना का सेनािपत था।
िाइका निद्रोह • 1814 में, जगबन्धु के िूिाजोों के पकला रोराों ग की सोंिपत्त को कोंिनी ने जबरन ले पलया। पिद्रोह
(1817) की पचोंगारी उस समय भड़की जब माचा 1817 में खोोंड लोगोों का एक समूह गुमसुर से खुदाा
क्षेत्र में आ गया। स्थानीय 'िायकोों' ने, जो पक मुगलोों एिों मराठोों के पिरुद्ध मोचाा ले चुके थे ,
अोंग्रेजोों का प्रभािी प्रपतरोध पकया और खुदाा जैसे स्थानोों िर उन्ें करारी मात दी।
• इस पिद्रोह में िायकोों का नेतृत्व जगबन्धु ने पकया था। इस पिद्रोह को िाइका पिद्रोह के नाम
से भी जाना जाता है ।
• यह पिद्रोह 1817 ई. में शुरू हुआ था, जो 1818 ई. में आकर पशपथल िड़ गया, यद्यपि
जगबन्धु 1821 ई. तक अोंग्रेजोों का प्रपतकार करते रहे ।
• िायक पिद्रोही बकायोों में बड़ी छूट, मूल्ाों कन में छूट, ऋण चुकाने में अक्षम (पडफाल्टसा)
लोगोों की मनमाने रूि से एस्टे ट की पबक्री को रद्द करने, पनपित समय को लेकर नई व्यिस्था
तथा उदार शासन के अन्य अनुबोंधोों को कराने में सफल हुए।
• गडकरी एक िोंशानुगत सैन्य िगा था जो मराठा पकलोों में बसा हुआ था। 1844 के बाद
कोल्हािुर राि में प्रशासपनक िुनगाठन के दौरान इनको हटा पदया गया।
• बेरोजगारी के कारण गडकरीयोों ने पिद्रोह कर पदया तथा समनगढ़ और भूदरगढ़ पकलोों िर
कोल्हािुर और सािोंतिादी कब्जा कर पलया।
निद्रोह • इसी तरह, असोंतोष के कारण सािोंतिाड़ी क्षेत्रोों में पिद्रोह हुआ। यहााँ के लोग िहले ही 1830,
1836 और 1838 में अोंग्रेजोों के क्तखलाफ पिद्रोह कर चुके थे।
• पजसके फलस्वरूि पब्रपटश अपधकाररयोों ने इस क्षेत्र को पनयोंत्रण में लाने के पलए कई कानून
िेश पकए।
• िहाबी आों दोलन मूल रूि से एक इिापमक िुनरुत्थानिादी आों दोलन था पजसकी स्थािना
राय बरे ली के सैयद अहमद ने की थी जो सऊदी अरब के अब्दु ल िहाब (1703-87) और
पदल्ली के शाह िलीउल्लाह के पसद्धाों तोों से प्रेररत था।
• सैयद अहमद ने इिाम िर िपिमी प्रभाि की पनोंदा की और िैगोंबर के समय के अरब में
होने के नाते शुद्ध इिाम और समाज में िािसी की िकालत की।
• सैयद अहमद को इमाम के रूि में जाना जाता था।
• आध्याक्तत्मक गुरु (खलीफाओों) के अधीन काम करने के पलए दे शव्यािी िर िर एक गु प्त
सोंगठन को स्थापित पकया गया था और पजसके आधार केंद्र के रूि में उत्तरी-िपिमी
आपदिासी क्षेत्र को सीथाना चुना गया था।
िहाबी आों दोिि • भारत में, इसका महत्विूणा केंद्र िटना था, हालाों पक इसके अन्य केंद्र है दराबाद, मद्रास,
बोंगाल, सोंयुि प्राों त और बॉिे में थे।
• इसका उद्दे श्य दार-उल-हरब (युद्ध या अराजकता का क्षेत्र) को दार-उल-इिाम (इिाम
की भूपम) में िररिपतात करना था, इसपलए इसके द्वारा िोंजाब के पसख राि में पजहाद की
घोषणा की गई थी।
• 1849 में पसख शासक की हार और िोंजाब को ईस्ट इों पडया कोंिनी के प्रभुत्व में आने के
बाद, भारत में अोंग्रेजी प्रभुत्व िहापबयोों के हमलोों का एकमात्र लक्ष्य बन गया था।
हो और मुोंडा निद्रोह • राजा िराहत के नेतृत्व में हो जनजापतयोों द्वारा।
(1820-1837) • 1827: पसोंह भूपम एिों छोटा नागिुर); पसोंहभूपम पजले को अोंग्रेजोों द्वारा हिगत कर पलये जाने
के पिरोध में।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• हो एिों मुण्डा जनजापतयोों द्वारा सोंयुि रूि से (1831); अोंग्रेजोों की नयी भू-राजस्व िद्धपत के
पिरोध में।

• मुण्डाओों द्वारा पिरसा मुण्डा के नेतृत्व में (1899-1900; राोंची के दपक्षण में): पबरसा मुण्डा
को पगरफ्तार कर जेल में डाल पदया गया।
• उलगुलान पिद्रोह; पबरसा मुण्डा ने इस पिद्रोह का समथान पकया (1860-1920); सामोंती एिों
जमीोंदारी व्यिस्था प्रारों भ पकये जाने तथा साहूकारोों एिों ठे केदारोों द्वारा शोषण पकये जाने के
पिरोध में । 1899-1900 में, राोंची के दपक्षण में क्षेत्र के मुोंडा पबरसा मुोंडा के अधीन आए।
• क्षेत्र - गारो और जयोंपतया िहापडयोों।
• नेता - तीरथ पसोंह।
• कारण - गारो और जयक्तन्तया िहापड़योों के बीच िहाड़ी क्षेत्र िर अपधकार करने के ििात्,
ईस्ट इक्तण्डया कोंिनी पसल्हट के साथ ब्रह्मिुत्र घाटी में एक स सम्पका का पनमाा ण करना
खासी निद्रोह चाहती थी। इसके पलए, अोंग्रेजोों, बोंगापलयोों और मैदानी क्षेत्रोों से श्रपमकोों को इस क्षेत्र में लाया
गया।
• खासी, गारो, खम्पपतस एिों पसोंग्फोस ने मैदानी क्षे त्रोों से आए बाहरी लोगोों को िापिस भेजने
के पलए तीरथ पसोंह के नेतृत्व में स्वयों को सोंगपठत पकया।
• यह पिद्रोह क्षेत्र में पब्रपटश शासन के पिरुद्ध प्रपसद्ध पिद्रोह बन गया। 1833 तक, सिोत्कृष्ट
अोंग्रेज सैन्य शक्ति ने पिद्रोह को कुचल पदया।
• 1830 के िूिाा द्धा में असम में पसोंग्फोस के पिद्रोपहयोों का ही दमन कर पलया गया लेपकन
उन्ोोंने पिद्रोह को पनरों तर जारी रखा।
पसोंन्फोस पिद्रोह • 1839 के पिद्रोह में पब्रपटश राजनीपतक एजेंट की मृत्यु हो गई। पनराों ग पफदू के नेतृत्व में
1849 में पिद्रोह पकया गया, जो पब्रपटश गैरी िर हमले एिों कई सैपनकोों की हत्या में शापमल
था।
• कुछ छोटे आों दोलनोों में पमश्मी (1836) खाम्पपत पिद्रोह (1839 और 1842 के
बीच), लुलाई पिद्रोह (1842-1844) शापमल थे।
• क्षेत्र – बोंगाल
• प्रमुख नेता – करमशाह और टीिू शाह।
िागलिोंथी पिद्रोह • कारण – पकराया में िृक्तद्ध।
(1825-1835) • 1825 से 1835 के बीच िागलिोंपथयोों ने एक पनपित सीमा से अपधक पकराया दे ने से इों कार
कर पदया और जमीोंदारोों के घरोों िर हमला पकया। यद्यपि सरकार ने इन पकसानोों के सोंरक्षण
के पलए एकसमान प्रबोंधन प्रिुत पकया। अोंततः सरकार द्वारा आों दोलन को पहों सक रूि से
दबा पदया गया।
• फरायजी िूिी बोंगाल में फरीदिुर के हाजी शरीयत-अल्लाह द्वारा स्थापित एक मुक्तिम िोंथ
के अनुयायी थे।
• उन्ोोंने आमूलचूल धापमाक, सामापजक एिों राजनीपतक िररितानोों की िकालत की। यह
फरायिी निद्रोहः आन्दोलन बोंगाल के फरीदिुर पजले में आरम्भ हुआ था। बोंगाल में कालान्तर में इस आन्दोलन
ने अोंग्रेजोों के पिरोध का रुख अिना पलया। शरीयतुत्ता एिों उसके िुत्र मुहम्मद मोहपसन/दु र्
पमया(1819 -60) ने बोंगाल के गरीब पकसानोों के बीच काफी लोकपप्रयता अपजात की और
उनके बल िर एक सशि एिों प्रभािी आन्दोलन चलाया।
• फरायजी पिद्रोह 1838-1857 तक जारी रहा। अपधकतर फरायजी ने बहािी िदिी धारण
कर ली।
• कूका पिद्रोह की शुरुआत 1840 में जिाहरमल भगत (पसयान सापहब) ने िपिमी िोंजाब में
की।
• बाबा राम पसोंह इस आों दोलन के एक अन्य प्रमुख नेता थे। (इनके द्वारा नामधारी पसख सोंप्रदाय
की स्थािना की गयी थी।)
• प्रारों भ में कुका आन्दोलन एक धापमाक सुधार आन्दोलन था, पकन्तु अोंग्रेजोों द्वारा िोंजाब को
कूका निद्रोह हिगत कर लेने के ििात यह राजनैपतक आन्दोलन में िररिपतात हो गया।
• इस आन्दोलन का उद्दे श्य जातीय भेदभाि का उन्मूलन, पसखोों को समानता का अपधकार,
माों स, मपदरा एिों अन्य नशीली ििुओों के सेिन से िरहेज, अन्तरजातीय पििाह को प्रोत्साहन
तथा मपहलाओों में िदाा प्रथा को दू र करना इत्यापद प्रमुख थे।
• राजनीपतक दृपष्ट से दे खा जाए तो, कूका अोंग्रेजोों को हटाकर िोंजाब में पसख शासन स्थापित

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करना चाहते थे। उन्ोोंने हाथ से बने किड़े िहनने की िकालत की अोंग्रेजी पनयमोों एिों पशक्षा
तथा उत्पादोों का बपहष्कार करने का आह्वान पकया।
• इस प्रकार, बीसिीों सदी की शुरुआत में िे भारतीय राष्टरीय आों दोलन का पहस्ा बने तक
कूका द्वारा स्वदे शी और असहयोग की अिधारणा को प्रचाररत पकया गया।
• सोंथालोों एक कृपष करने िाली जनजापत, के पनरों तर दमन ने जमीोंदारोों के पिरुद्ध उनके पिद्रोह
को जन्म पदया। जो राजमहल िहापड़योों (पबहार) के मैदानी इलाकोों में बसे हुए थे, उनके द्वारा
जमीोंदारोों के क्तखलाफ सोंथाल पिद्रोह का नेतृत्व पकया।
• साहूकारोों ने, पजन्ें िुपलस का समथान प्राप्त था, जमीोंदारोों का साथ पदया और पकसानोों िर
सोंथाि निद्रोह (1855-56) अत्याचार पकया तथा उन्ें भूपम से बेदखल पकया। यह पिद्रोह पब्रपटश शासन पिरोधी
आों दोलन में िररिपतात हो गया।
• पसद् धू एिों कान्हहू के नेतृत्व में , सोंथाल ने कोंिनी शासन के अोंत की घोषणा कर दी, और
भागलिुर तथा राजमहल के बीच के क्षेत्र को स्वायत्त घोपषत कर पदया।
• इस पिद्रोह को 1856 तक कुचल पदया गया।
• क्षेत्र – बोंगाल
• नेता – पिष्णु पिश्वास और पदगोंबर पिश्वास।
• कोंिनी के कुछ अिकाश प्राप्त अपधकारी बोंगाल तथा पबहार के जमीोंदारोों से भूपम प्राप्त कर
नील की खेती करिाते थे। िे पकसानोों िर अत्याचार करते थे। िे मनमानी शतों िर खेती
करने के पलए बाध्य करते थे।
बोंगाि का िीि आों दोिि • अप्रैल 1860 में िािना और नापदया पजलोों के समि कृषकोों ने भारतीय इपतहास की प्रथम
(1860) कृषक हड़ताल की। यह हड़ताल जैसोर, खुलना, राजशाही, ढाका, मालदा, दीनाजिुर आपद
में फैल गयी।
• बोंगाल के बुक्तद्धजीपियोों ने इस आों दोलन में महत्विूणा भूपमका पनभायी। उन्ोोंने पकसानोों के
समथान में समाचार ित्रोों में लेख पलखे, जनसभाओों का आयोजन पकया तथा उनकी माों गोों के
सोंबोंध में सरकार को ज्ञािन सौोंिे।
• क्तस्थपत को दे खते हुए सरकार ने नील उत्पादन की समस्याओों िर सुझाि दे ने के पलये नील
आयोग का गठन पकया।
• हरीशचोंद्र मुखजी (सोंिादक पहों दू िैपटर यट), दीनबोंधु पमत्रा : नील दिाण।
• क्षेत्र- बोंगाल
• नेता - खूदी मुल्ला, शोंभूिाल।
• कारण- जमीोंदारोों द्वारा पकसानोों िर कानूनी सीमा से बहुत अपधक करारोिण तथा उनकी
िाबिा निद्रोह मनमानी कारगुजाररयाों ।
(1873) • िािना पजले के यूसुफजाही िरगने में 1873 में जमीोंदारोों की मनमानी के प्रपतकार के पलये
पकसान सोंघ की स्थािना की गयी। सोंघ ने जमीोंदारोों के क्तखलाफ मुकदमे दायर पकये तथा
इसके पलये कोष भी स्थापित पकये गये।
• यद्यपि कृषक पिद्रोह का यह चरण 1885 तक चला, जब तक बोंगाल काश्तकारी कानून नहीों
बना था।
• क्षेत्र- िुणे, सतारा, अहमदनगर।
• नेता- िारों िररक प्रमुख िटे ल।
• कारण- किास की कीमत में पगरािट, करोों का भारी बोझ और ऋण सोंबोंधी कागिात में
हे राफेरी तथा राजस्व माों ग में 50% की िृक्तद्ध।
दक्कि निद्रोह • नकसािोों िे महाििोों एिों सूदखोरोों के घरोों एिों व्यािाररक प्रनतष्ठािोों िर हमिे नकये ।
(1875) उिके ऋण सोंबोंधी कागिात तथा करारिामे निये गये तथा साितिनिक तौर िर उिको
आग िगा दी गयी।
• िूिा सितिि सभा द्वारा न्यायमूनतत रािाडे के अगुिाई में डे क्कि दों गा आयोग की को
नियुि नकया गया था
• सरकार िे आों दोििकाररयोों के प्रनत दमिकारी िीनतयाों अििायी ों तथा आों दोिि को
कुचि नदया। 1879 में दक्कि कृिक राहत अनधनियम बििे से आों दोिि िूणततया
समाप्त हो गया।
• िोंिाब भूनम अिगाि अनधनियम, 1900 िे िोंिाब के नकसाि निद्रोह को िाोंत नकया।
• क्षेत्र- िोंिाब
• कारण – अििी भूनम से बेदखिी के निरुद्ध।

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िोंिाब नकसाि निद्रोह • िोंिाब भूनम अिगाि अनधनियम 1900 में िाररत नकया गया था।
(1885) • भूनम और रािस्व माोंग की नबक्री और बोंधक का निनियमि।

• क्षेत्र -महाराष्टर
रामोसी निद्रोह (1877-87) • नेता- िासुदेि बलिोंत फड़के
• कारण - डे क्कन अकाल (पब्रपटश के पलए एों टी फेपमपनज्म उिाय करने में पिफलता।
• रामोसी पकसानोों और पहों दू राज की स्थािना के माध्यम से सोंगपठत।
• इसका पहों सक तरीके से पिरोध पकया गया।
• क्षेत्र - चोंिारण (पबहार)
• नेता- महात्मा गाों धी।
चोंिारण आों दोिि • कारण - पतनकपठया – भूपम के 3/20 भाग में नील की खेती।
(1917) • जमान सोंश्लेषण के साथ प्रपतस्पधाा के कारण मूल् ितन, उच्च कराधान और पकसानोों िर
अिैध बकाया।
• गाों धीजी द्वारा अपहों सात्मक प्रपतरोध या सत्याग्रह का मागा चु ना गया। पजसके फलस्वरूि
शोषणकारी पतनकपठया प्रणाली को समाप्त कर पदया गया।
• क्षेत्र-खेड़ा (गुजरात)
• नेता- गाों धी और सरदार िल्लभभाई िटे ल।
• कारण - खेड़ा के लोग फसल खराब होने और प्लेग की महामारी के कारण अोंग्रेजोों द्वारा
लगाए गए उच्च करोों का भुगतान करने में असमथा थे।
खेड़ा सत्याग्रह • राजस्व सोंपहता के अनुसार, यपद फसल का उत्पादन, कुल उत्पाद के एक-चौथाई से भी कम
(1918) हो तो पकसानोों का राजस्थ िूरी तरह माफ कर पदया जाना चापहए, पकन्तु सरकार ने पकसानोों
का राजस्व माफ करने से मना कर पदया।
• खेड़ा में ही गाों धीजी ने अिने प्रथम िािपिक पकसान सत्याग्रह की शुरुआत की।
• सफलता का प्रभाि गुजरात और िड़ोसी रािोों के पकसानोों के बीच भी दे खा गया।
• क्षेत्र - उत्तर प्रदे श के उत्तरी पजलोों-हरदोई, बहराइच तथा सीतािुर।
• नेता -मदारी िासी।
• कारण - लगान की उच्च दरें (लगान की दरें लगभग 50 प्रपतशत से भी अपधक थीों) राजस्व
एका आों दोिि िसूली के काया में जमीोंदारोों द्वारा अिनायी गयीों दमनकारी नीपतयाों तथा बेगार की प्रथा।
(1921) • शुरूआत में काों ग्रेस और क्तखलाफत आों दोलन द्वारा समथान पकया गया था, िरन्तु बाद में
एका आों दोलन का मुख्य नेतृत्व समाज के पनचले तबके के पकसानोों-मदारी, िासी एिों अन्य
पिछड़ी जापतयोों के पकसानोों तथा कई छोटे जमीोंदारोों ने पकया।
• एक आों दोलन का अपहों सक नीपतयोों में कम पिश्वास था इसपलए यह आों दोलन अलग-थलग
िड़ गया।
• रािस्व माोंग में िृक्तद्ध और िोत के आकार में कमी के साथ-साथ अनधकाररयोों के
अत्याचारोों िे मािाबार के मोििा के बीच व्यािक नकसाि असोंतोि को िन्म नदया।
• 1836-1854 के दौराि 22 निद्रोह हुए। हािाोंनक, इिमें से कोई भी सफि िही ों हो
मोििा निद्रोह सका।
• नद्वतीय मोििा निद्रोह असहयोग आों दोिि के दौराि क्तखिाफत समथतकोों और काोंग्रेस
द्वारा सोंगनठत मोििाओों के ििात् हुआ।
• क्षेत्र-मालाबार
• नेता - सैय्यद ऐिी और सैय्यद फैज़ी।
• कारण - भूपम कर में िृक्तद्ध, नजराना और जमीोंदारोों द्वारा गरीब पकसानोों का शोषण।
• मोिला पिद्रोह या मालाबार पिद्रोह पहों दू भूस्वापमयोों और जेनपमयोों ि पब्रपटश के क्तखलाफ
मोििा निद्रोह या मािाबार मोप्पला मुक्तिमोों द्वारा पकया गया था।
निद्रोह • शुरू में यह केिल जमीोंदारोों के क्तखलाफ था, लेपकन इसके बाद इसे असहयोग आों दोलन से
(1921) सहयोग पमली।
• 1921 में मालाबार पिद्रोह पब्रपटश औिपनिेपशक शासन, प्रचपलत सामोंती व्यिस्था और
दपक्षण मालाबार में क्तखलाफत आों दोलन के िक्ष में प्रपतरोध के रूि में शुरू हुआ था लेपकन
पहों दुओों के क्तखलाफ साों प्रदापयक पहों सा िर ये समाप्त हो गया।
• पब्रपटश ने माशाल लॉ लागू पकया।
• क्षेत्र-गुोंटूर

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• नेता - एन.िी. राम नायडू, एन.जी. रों गा।


िाििाड सत्याग्रह या िि • कारण - जोंगलोों में अिने मिेपशयोों को चराने की अनुमपत के पलए भारी कर।
सत्याग्रह • असहयोग आों दोलन के दौरान, कम फसल उत्पादन के कारण पकसानोों के द्वारा कर शुि
(1921) का भुगतान पकए पबना अिने िशुओों को जोंगल में चरने के पलए भेज पदया गया। कन्नुगाों ती
हनुमोंथ मारा गया, गाों धीजी के असहयोग आों दोलन के समािन के साथ ही िलनड सत्याग्रह
भी समाप्त हो गया।
• क्षेत्र - गुजरात
सरबोंदी अनभयाि • नेता - सरदार िल्लभभाई िटे ल
(1921) • कारण - उच्च करोों के पिरुद्ध।
• पकसान ने करोों का भुगतान नहीों करने का फैसला पकया,पजसने इसे शेष भारत के पकसानोों
के पलए यह एक उदाहरण बना पदया।
नबिोनिया आों दोिि • क्षेत्र- राजस्थान
(1916-27) • नेता - सीताराम दास, पिजय पसोंह िपथक और मापणक्यलाल िमाा ।
• कारण - भूपम राजस्व और अन्य कर।
• पकसानोों िर 86 पिपभन्न प्रकार के उिकर लगाने के कारण। 1927 में पकसानोों ने नए कर
और बेगार के पिरुद्ध सत्याग्रह के आधार िर आों दोलन आरों भ पकया।
• सम्पूणा भारत में।
• नेता - सहजानोंद सरस्वती (पबहार पकसान सभा के अध्यक्ष) ।
• अिध पकसान सभा के प्रणेता बाबा रामचोंद्र द्वारा (1920) ।
नकसाि सभा • उत्तर प्रदे श पकसान सभा - 1918 में मदन मोहन मालिीय के समथान से गौरी शोंकर पमश्र,
(1918-28) इों द्र नारायण पद्विेदी द्वारा।
• बेदखली और जमीोंदारी प्रथा के पिरुद्ध।
• बोंगाल भूपम अपधपनयम और पबहार काश्तकारी अपधपनयम 1938 को िुनः मान्यता।
• अोंत में 1936 में अक्तखल भारतीय पकसान सभा के गठन में पिलय।
• क्षेत्र-िोंजाब
• नेता- भाई सोंतोख पसोंह-गदर िाटी के नेता।
कीनतत नकसाि सभा • कारण - यह क्राोंपतकारी गपतपिपध के पलए छोटे कृषक + औद्योपगक कायाकताा + यह शहरी
आों दोिि श्रम का आयोजन और उनकी दु दाशा को भी सोंबोपधत करता था। सोंतोख पसोंह और ग़दर
(1928) नेता द्वारा शुरू की गई कीपता पकसान आों दोलन को अक्तखल भारतीय पकसान सभा ने मूल
श्रेय पदया।
• क्षेत्र - बारदोली (गुजरात)
• नेता - सरदार िल्लभभाई िटे ल।
• कारण - करोों के अन्यायिूणा िृक्तद्ध के पिरुद्ध।
• जनिरी 1926 में स्थानीय प्रशासन ने भू -राजस्व की दरोों में 30 प्रपतशत िृक्तद्ध की घोषणा
बारदोिी सत्याग्रह की। यहाों के काों ग्रेसी नेताओों के नेतृत्व में स्थानीय लोगोों ने इस िृक्तद्ध का तीव्र पिरोध पकया।
(1928) • िटे ल के नेतृत्व में पकसानोों ने बड़ी दरोों िर भू -राजस्व अदा करने से इों कार कर पदया तथा
सरकार के सम्मुख यह माों ग रखी पक जब तक सरकार समस्या के समाधान हे तु पकसी स्वतोंत्र
आयोग का गठन नहीों करती या प्रिापित लगान िृक्तद्ध िािस नहीों लेती तब तक िे अिना
आों दोलन जारी रखेंगे।
• सरकार ने एक 'जाों च सपमपत गपठत करना स्वीकार कर पलया। तदु िराों त गपठत ब्लूमफील्ड
और मैक्सिेल सपमपत ने भू -राजस्व में बढ़ोत्तरी को अिैध बताया और बढ़ोत्तरी 30 प्रपतशत
से घटाकर 6.03 प्रपतशत कर दी गयी।
• िल्लभभाई िटे ल को आों दोलन की मपहलाओों ने सरदार की उिापध से पिभूपषत पकया।
• क्षेत्र - अमृतसर, हषाा छीना क्षेत्र
• नेता - अचर पसोंह छीना, सोहन पसोंह जोशी।
• कारण - पब्रपटश सरकार द्वारा मोगोों (नहर के आउटलेट) को पफर से तैयार करके पकसानोों
हित नििा मोघा मोचात को पसोंचाई के िानी की आिूपता में कमी के पनणाय के पिरोध में।
(1946) • कम्युपनस्ट िाटी के नेतृत्व में कृपष पिद्रोह हुआ था।
• पब्रपटश पनणाय- मोगस (नहर के आउटलेट) द्वारा पसोंचाई की आिूपता में कमी। इस आों दोलन
के दौरान 950 स्वतोंत्रता सेनापनयोों को िुपलस ने पगरफ्तार कर पलया और तीन महीने के पलए
लाहौर जेल में बोंद कर पदया, अोंत में पब्रपटश सरकार ने माों गें मान लीों।

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• क्षेत्र- िली (महाराष्टर)


• कारण - जमीोंदारोों और साहूकारोों के शोषण के पिरुद्ध
ििी निद्रोह • पद्वतीय पिश्व युद्ध के उिराों त पिद्रोह का आयोजन िली के पकसान और आपदिासी द्वारा पकया
(1945) गया था, इस पिद्रोह में बड़े िैमाने िर आपदिासी मपहलाओों ने भाग पलया।
• इन मपहलाओों की भागीदारी का समथान पकसान सभा के नेता, गोडिेरी िारुलेकर, पजन्ें
आपदिापसयोों द्वारा गोडु ताई (बड़ी बहन) के रूि में भी जाना जाता है , द्वारा पकया गया था।
• क्षेत्र - त्रािणकोर
िुन्निरा - िायिार निद्रोह • नेता- टी के िगीस िैद्ययन।
(1946) • कारण - िुन्निरा-िायलार पिद्रोह (अक्ट्ू बर 1946) एक कम्यु पनस्ट पिद्रोह था पब्रपटश भारत
प्रधानमोंत्री के पिरुद्ध।
• इस पिद्रोह में सी िी रामास्वामी लायर और राि के 800 से अपधक पिद्रोही मारे गए। यह
एझािा समुदाय के अपधकार के पलए एक आों दोलन था।
• क्षेत्र-हयाबाद
• नेता - रपि नारायण रे ड्डी, मापदकयला ओोंकार, मापदकयला लक्ष्मी ओोंकार, िुचलिल्ली
तेिोंगािा निद्रोह सुोंदरराय, पिपलिल्ली ििेरेड्डी, मखदू म मोपहउद्दीन, सुलेमान अरीब, हसन नापसर, मोंथराला
(1946-50) आपदम रे ड्डी, भीमादे िी नारायण रे ड्डी।
• कारण - पनजाम के शोषण के पिरुद्ध (दे शमुख और जागीरदारोों द्वारा)।
• यह कम्युपनस्ट द्वारा शुरू पकया आों दोलन था।
• पनजाम ने रजाकारोों के रूि में जानी जाने िाली सेना को प्रपशपक्षत पकया।
• स्वतोंत्रता के बाद भारत सरकार ने हिक्षेि पकया और पनज़ाम को हराया, सैकड़ोों पकसानोों
की मृत्यु हुई; भारतीय इपतहास में इसे सबसे बड़ा पकसान गुररल्ला युद्ध का दजाा प्राप्त है ।

िि-निद्रोहोों की कमिोररयाों
• समग्र रूि से, ये पिद्रोह जन-पिद्रोह थे, लेपकन, ििुतः , यह स्थापनक एिों अलग-थलग थे।
• ये अपधकाों शतः स्थानीय पशकायतोों का िररणाम थे।
• नेतृत्व चररत्र में अद्धा -सामोंती, अधोगामी, िरम्परागत दृपष्टकोण िाला था साथ ही उनके पिरोध ने पकसी प्रकार का सामापजक पिकल्प
प्रिुत नहीों पकया।
• यद्यपि इनमें से अपधकतर पिद्रोह पिदे शी शासन को उखाड़ फेंकने की इच्छा के सोंदभा में एक समान प्रतीत होते थे ,िरन्तु यह
राष्टरिादी भािना या साझा प्रयास के कारण नहीों हुआ था, अपितु िे उन दशाओों और हालातोों का पिरोध कर रहे थे , जो उन सबके
पलए समान थीों।
• ये पिद्रोह स्वरूि और िैचाररक-साों स्कृपतक पिषय-ििु में काफी प्राचीन थे।
• इन आों दोलनोों को प्रापधकाररयोों द्वारा ररयायत दे कर शाों त पकया गया।
• इन पिद्रोहोों में लड़ाकोों द्वारा अिने पिरोधी (पिदे शी शासन) के पिरुद्ध प्रयोग पकए जाने िाले हपथयार, िद्धपत एिों रणनीपत तुलनात्मक
रूि से काफी िुराने और अप्रचापलत थे।

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4. 1857 का पिद्रोह

निद्रोह के कारण :

• िारों िररक भारतीय अथाव्यिस्था का पिनाश।


• भूपम राजस्व नीपत: पकसानोों को अत्यपधक नुकसान उठाना िड़ा, िररणामस्वरूि कृपष में
पगरािट आई।
• औद्योपगक नीपत: प्रभापित भारतीय व्यािार और व्यािारी (1813 और 1833 का चाटा र
आनथतक :
अपधपनयम)।
• कृपष भूपम सुधारोों द्वारा कृपष की बबाा दी।
• ररयासतोों का अनुबोंध: कारीगरोों के पलए कोई सोंरक्षण नहीों → भारतीय हिपशल्प का
पिनाश।
• जमीोंदारोों के िर में पगरािट आई : पजससे उन्ें काया करने में शमा महसूस हुआ →
अोंग्रेजोों के प्रपत प्रपतरोध का उदय।
• भारतीय जनता के सामापजक धापमाक सोंबोंध में हिक्षेि।
• व्यिगत का पसद्धाों त, सहायक नीपत और प्रत्यक्ष अनुलग्नक के माध्यम से पििार की पब्रपटश
नीपत।
• व्यािार और िापणि की नीपत, अप्रत्यक्ष अधीनता की नीपत, युद्ध और पिनाश की नीपत,
राििैनतक :
प्रत्यक्ष अधीनता की नीपत, कुशासन की नीपत जैसी अनुपचत नीपतयोों को लागू करना।
• पब्रपटश की अनुिक्तस्थत सोंप्रभुता।
• मुगल शासकोों को कुछ अपधकारोों से िोंपचत करना।
प्रिासनिक: • कोंिनी प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार, पिशेष रूि से िुपलस, पनम्न अपधकाररयोों एिों अधीनस्थ
अदालतोों में व्यािक भ्रष्टाचार और शोषण असोंतोष का एक मुख्य कारण था ।
• मूल भारतीयोों के प्रपत निीय भेदभाि (व्हाइट मैन बडा न का पसद्धाों त)।
• ईसाई पमशनररयोों द्वारा धापमाक प्रचार।
सामानिक धानमतक कारण -: • सती प्रथा के उन्मूलन, पिधिा-िुनपिािाह अपधपनयम और मपहला पशक्षा को प्रोत्साहन
िारों िररक भारतीय समाज में हिक्षेि के रूि में दे खा गया।
• मक्तिदोों, मोंपदरोों आपद िर कराधान।
• क्रीपमया युद्ध (1854-56)
बाहरी घटिाओों का प्रभाि : • िोंजाब युद्ध (1845-49)
• प्रथम अफगान युद्ध (1838-42)
• इन सभी युद्ध में अोंग्रेजोों को भारी नुकसान का सामना करना िड़ा था। पजससे भारतीयोों
को निीन आशा एिों प्रेरणा प्राप्त हुई।
• जापत पिशेष िेश-भूषा िर प्रपतबोंध, जैसे, िगड़ी
नसिानहयोों के बीच असोंतोि : • पिदे श यात्रा के पलए मजबूर होना, जो पहों दू िरों िरा में पनपषद्ध था।
• भारतीय पसिापहयोों + निीय भेदभाि और अधीनता के पलए असमान िेतन।
• नई शुरू की गई एनफील्ड राइफर्ल् में बीफ फैट कोपटों ग थी (पटर गर िॉइों ट)

निद्रोह की िुरूआत
सिाप्रथम मेरठ छािनी में पिद्रोह हुआ था। मेरठ पिद्रोह (9 मई, 1857) ने 1857 के पिद्रोह की शुरुआत की थी। मेरठ
के सैपनकोों ने 10 मई, 1857 ई. को ही जेलखानोों तोड़ना, भारतीय सैपनकोों को मुि करना और अोंग्रेजोों को मारना शुरू कर पदया
था। मेरठ में पमली सफलता से उत्सापहत सैपनक पदल्ली की ओर बढ़ने लगे।

नदल्ली िर कब्जा :
• पदल्ली के पिद्रोही भी पसिापहयोों में शापमल हो गए और पदल्ली शहर को उन्ोोंने अिने पनयोंत्रण में कर पलया। अगले पदन, 11
मई को, पसिापहयोों ने िृद्ध बहादु र ज़फर को पहों दुिान का सम्राट घोपषत पकया। लेपकन बहादु र शाह का दु बाल व्यक्तित्व,
िृद्धािस्था तथा नेतृत्व अक्षमता पिद्रोपहयोों को योग्य नेतृत्व दे ने में सक्षम नहीों हो सका। पदल्ली िर उनका यह कब्ज़ा अल्पकापलक
रहा।

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नदल्ली की िरािय :
• पब्रपटशोों द्वारा पसतोंबर में पदल्ली िर हमला पकया गया। छह पदनोों के युद्ध के बाद पसतोंबर 1857 में, अोंग्रेजोों ने िुनः
पदल्ली िर अपधकार कर पलया। हजारोों पनदोष लोगोों का नरसोंहार पकया गया और सैकड़ोों लोगोों को फाों सी दी गई।
बूढ़े राजा को िकड़ पलया गया और बाद में उसे रों गून भेज पदया गया जहााँ 1862 में उसकी मृत्यु हो गई। उसके
बेटोों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस प्रकार मुगलोों का शाही िोंश समाप्त हो गया।

निद्रोह के केंद्र : -
पिद्रोह िटना से लेकर राजस्थान की सीमाओों तक फैला हुआ था। इन क्षेत्रोों में पिद्रोह के छह मुख्य केंद्र थे, जैसे पक
कानिुर, लखनऊ, बरे ली, झााँ सी, ग्वापलयर और पबहार में आरा।

िखिऊ : • लखनऊ अिध की राजधानी थी।


• िहााँ िुराने अिध सेना से असोंतुष्ट सैपनकोों द्वारा पिद्रोह पकया गया था।
• िेतृत्व- अिध के िूिा राजा की बेगम हजरत महल ने पिद्रोह का नेतृत्व पकया। अोंत में पब्रपटश
सेनाओों ने लखनऊ िर कब्जा कर पलया। रानी नेिाल भाग गई।
• िेतृत्व कतात - िेििा बािी राि नद्वतीय के दत्तक िुत्र िािा साहब मुख्य रूि से निद्रोह
में िानमि हो गए क्ोोंनक अोंग्रेिोों िे उन्हें िेंिि दे िे से मिा कर नदया था। उन्होोंिे
काििुर िर कब्जा करके स्वयों को िेििा घोनित नकया। िरन्तु यह िीत अल्पकानिक
थी ।
काििुर :
• िई अनतररि सैन्य िक्ति के साथ अोंग्रेिोों िे काििुर को िुिः अििे अधीि कर निया।
यह निद्रोह बहुत ही निमतम तरीके से कुचिा गया। निद्रोनहयोों को या तो फाोंसी दे दी
गई या तोिोों द्वारा उिके टु कड़े -टु कड़े कर नदए गए। िािा साहब बच गए। िेनकि
उिके सेिािनत तात्या टोिे िे यह सोंघित िारी रखा, िरन्तु अोंत में उन्हें भी नगरफ्तार
कर निया गया।
• िेतृत्व कतात – रािी िक्ष्मीबाई , जब अोंग्रेजोों ने झाों सी की रानी के दत्तक िुत्र को झाों सी के
पसोंहासन के पलए स्वीकार करने से इनकार कर पदया। तब उन्ोोंने पब्रपटश सेनाओों के
क्तखलाफ पिद्रोह पकया।
• बाद में, रानी ने ताों त्या टोिे के साथ पमलकर ग्वापलयर तक माचा पकया और उस िर कब्जा
झााँसी :
कर पलया। उन्ोोंने अोंग्रेजोों के िफादार सहयोगी पसोंपधया को बाहर कर पदया गया। इसके
उिराों त भयोंकर युद्ध हुआ। पजसमे झाों सी की रानी घायल शेरनी की तरह लड़ी। अोंततः
लड़ते-लड़ते मृत्यु को प्राप्त हुई। ग्वापलयर िर अोंग्रेजोों ने अपधकार कर पलया।
नबहार : • पबहार में कुोंिर पसोंह, द्वारा पिद्रोह का नेतृत्व पकया गया जो पक आरा के 80 िषीय जमीोंदार
थे।

केंद्र िेतृत्वकतात नब्रनटि अनधकारी


पदल्ली बहादु र शाह II, जनरल बख्त खान जॉन पनकोलसन
लखनऊ बेग़म हज़रत महल , पबरजीस िापदर , अहमदु ल्लाह हे नरी लॉरें स
कानिुर नाना सापहब , राि सापहब , तात्या टोिे , अज़ीमु ल्लाह खान सर कोपलन कैंिबेल
झााँ सी और ग्वापलयर रानी लक्ष्मी बाई ,तात्या टोिे जनरल ह्ययुरोज
फैज़ाबाद मौलिी अहमदु ल्लाह
फरुाखाबाद तुफ़ज़ल हसन खान
बैरकिुर मोंगल िाण्डे य
बरे ली खान बहादु र खान सर कोपलन कैंिबेल
इलाहाबाद और बनारस मौलिी पलयाित अली कनाल ओोंसेल
बागित शाह महल
राजस्थान जयदयाल पसोंह और हरदयाल पसोंह
असम काों डिरे श्वर पसोंह , मनीराम दत्त बरुआ
उड़ीसा सुरेंद्र शाही , उज्जिल शाही
पबहार (जगदीशिुर ) कुोंिर पसोंह , अमर पसोंह पिपलयम टाइलर और आई
कुल्लू राजा प्रताि पसोंह

निद्रोह का दमि :
1857 का पिद्रोह एक िषा से अपधक समय तक चला। इसे 1858 के मध्य तक दबा पदया गया था। मेरठ में चौदह महीने बाद 8
जुलाई, 1858 को लॉडा कैपनोंग द्वारा शाों पत की घोषणा की गई।

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निद्रोह से सोंबोंनधत नब्रनटि अनधकारी

ििरि िॉि 20 पसतोंबर 1857 को पदल्ली िर कब्जा कर पलया (लड़ाई के दौरान प्राप्त घाि के कारण जल्द ही पनकोलसन
निकोिसि की मृत्यु हो गई)।
मेिर हडसि इन्ोोंने पदल्ली में बहादु र शाह के बेटे और िोते की हत्या की थी।
सर हय्यूि व्हीिर 26 जून 1857 तक नाना सापहब की सेनाओों के पिरुद्ध युद्ध। पब्रपटश सेनाओों ने इलाहाबाद के सुरपक्षत सोंचालन
के िादे िर 27 तारीख को आत्मसमिाण पकया।
जून 1857 में जनरल पनल ने बनारस और इलाहाबाद को पफर से सोंगपठत पकया। कानिुर में, उन्ोोंने नाना
ििरि िीि सापहब की सेना द्वारा अोंग्रेजी की हत्या के क्तखलाफ भारतीयोों को बदला लेने के पलए मार डाला। पिद्रोपहयोों से
लड़ते हुए लखनऊ में पनधन।
सर कोनिि कैंिबेि 6 पदसोंबर, 1857 को कानिुर िर अपधकार। 21 माचा, 1858 को लखनऊ िर अपधकार। 5 मई, 1858 को बरे ली
िर िुनः कब्जा।
हेिरी िॉरें स अिध के मुख्य आयुि, जो 5 मई, 1858 को लखनऊ में पिद्रोपहयोों द्वारा पब्रपटश पनिास की जब्ती के दौरान मारे
गए।
मेिर ििरि हैििॉक 17 जुलाई, 1857 को पिद्रोपहयोों से (नाना सापहब की सेना ) िरापजत। पदसोंबर 1857 में लखनऊ में पनधन हो
गया।
निनियम टाइिर और आरा में अगि 1857 में पिद्रोह का दमन।
आई
ह्ययू रोि इन्ोोंने झाों सी में पिद्रोह को दबाया और 20 जून, 1858 को ग्वापलयर िर पफर से कब्ज़ा कर पलया। उनके द्वारा
िूरे मध्य भारत और बुोंदेलखोंड को पब्रपटश पनयोंत्रण में लाया गया।
किति ओोंसेि बनारस िर कब्जा कर पलया।

निद्रोह के असफिता के कारण :


1. निद्रोह का सीनमत स्वरूि: हालाों पक पिद्रोह काफी व्यािक था, लेपकन दे श का एक बड़ा पहस्ा इससे अप्रभापित रहा।
यह पिद्रोह मुख्य रूि से दोआब क्षेत्र तक ही सीपमत था। पसोंध, राजिुताना, कश्मीर, िोंजाब के अपधकाों श भाग, एिों दपक्षणी
प्राों तोों ने इसमें भाग नहीों पलया। यह अक्तखल भारतीय सोंघषा का चररत्र प्रिुत करने में पिफल रहा। पसोंपधया, होिर, जोधिुर
के राणा जैसे अन्य महत्विूणा शासकोों ने पिद्रोपहयोों का समथान नहीों पकया।
2. कोई प्रभािी िेता िही ों: पिद्रोह में एक प्रभािी नेता की कमी थी। इसमें कोई दो राय नहीों पक नाना साहे ब, तात्या टोिे और
रानी लक्ष्मी बाई बहादु र नेता थे, लेपकन िे समग्र रूि से आों दोलन को प्रभािी नेतृत्व नहीों दे सके।
3. सीनमत सोंसाधि: भारत में सैपनक और धन के मामले में सोंसाधनोों की कमी थी। दू सरी ओर, अोंग्रेजोों को भारत में सैपनक
,धन और हपथयारोों की लगातार आिूपता प्राप्त हुई।
4. मध्य िगत की कोई भागीदारी िही ों: अोंग्रेजी पशपक्षत मध्य िगा, बोंगाल के अमीर व्यािाररयोों और जमीोंदारोों ने पिद्रोह को
दबाने में अोंग्रेजोों की मदद की।

निद्रोह का िररणाम :
• भारत सरकार अपधपनयम, 1858 (सुशासन अपधपनयम 1858) - पजसे कोंिनी के शासन को समाप्त करने के पलए िाररत पकया
गया था और शासन को पब्रपटश ताज में िररिपतात कर पदया गया था, जो पक 1857 के पिद्रोह का िररणाम था।
• भारत के पब्रपटश गिनार-जनरल को िाइसराय की उिापध प्रदान की गई, जो सम्राट का प्रपतपनपध बन गया। इसने पनयोंत्रण बोडा
और पनदे शक मोंडल को समाप्त करके सरकार दोहरी की प्रणाली को समाप्त कर पदया।
• भारतीय प्रशासन िर िूणा अपधकार और पनयोंत्रण के साथ, इसके द्वारा एक नए िद का सृजन पकया। राि सपचि पब्रपटश कैपबनेट
का सदस्य था और अोंततः पब्रपटश सोंसद के पलए उत्तरदाई था।
• 1857 के पिद्रोह ने भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के शासन के अों त को पचपित पकया। भारत का शासन अब प्रत्यक्ष रूि से
पब्रपटश ताज के हाथोों में चला गया। ताज की ओर से इस घोषणाित्र लॉडा कैपनोंग ने 1 निोंबर 1858 को इलाहाबाद के एक दरबार
में जारी पकया था। इस प्रकार, भारतीय प्रशासन को महारानी पिक्ट्ोररया ने अिने अपधकार क्षेत्र में ले पलया, पजसका प्रभाि
पब्रपटश सोंसद िर िड़ा। गिनार जनरल का िद अब िायसराय का बन गया।
• व्यिगत के पसद्धाों त को समाप्त कर पदया गया था। कानूनी उत्तरापधकारी के रूि में बेटोों को गोद लेने का अपधकार स्वीकार
पकया गया।

निद्रोह के िाभ
• 1857 के पिद्रोह का महत्व इस तथ्य में पनपहत है पक इसने पहों सक तरीके से, पिपभन्न िगों के लोगोों की आिाज उठाई ।
• अोंग्रेजोों को एहसास हो गया पक भारत में सबकुछ पब्रपटश पनयोंत्रण में नहीों है ।
• भारत आधुपनक राष्टरिाद से अनपभज्ञ था, पफर भी 1857 के पिद्रोह ने भारतीय लोगोों को एक साथ लाने और उन्ें एक दे श से
सोंबोंपधत होने की चेतना प्रदान करने में महत्विूणा भूपमका पनभाई। इसमें राष्टरिाद और साम्राििाद का बीज पनपहत था, लेपकन

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1857 के पिद्रोह के पलए सामान्य राष्टरीयता और राष्टरिाद की अिधारणा अोंतपनापहत नहीों थी। ऐसा कहा जा सकता है पक 1857
का पिद्रोह पब्रपटश शासन के क्तखलाफ भारतीयोों का िहला महान सोंघषा था। इसने स्थानीय तौर िर पब्रपटश शासन का पिरोध
पकया जो राष्टरीय िर िर आों दोलन का मागा प्रशि करने िाले थे।
• पहों दू मुक्तिम एकता की प्रेरणा - िूरे पिद्रोह के दौरान, सभी िरोों िर पहों दू और मुसलमानोों के बीच िूणा सहयोग था- लोग, सैपनक,
नेता। सभी पिद्रोपहयोों ने बहादु र शाह ज़फ़र, को जो एक मुक्तिम थे को सम्राट के रूि में स्वीकार पकया और मेरठ में पहों दू
पसिापहयोों की िहली टु कड़ी को पदल्ली, मुग़ल साम्राि की राजधानी की ओर प्रस्थान करना था। पिद्रोही और पसिाही, पहों दू और
मुसलमान दोनोों ने एक दू सरे की भािनाओों का सम्मान पकया। एक पिशेष क्षेत्र में पिद्रोह सफल होने के बाद गौ हत्या िर तत्काल
प्रपतबोंध लगाने का आदे श पदया गया था। उदाहरण के पलए, नाना साहे ब के िास अज़ीमुल्ला, एक मुक्तिम और राजनीपतक
प्रचार में एक पिशेषज्ञ, एक सहयोगी के रूि में, पहों दू और मुक्तिम दोनोों ही अच्छी तरह से प्रपतपनपधत्व करते थे, जबपक लक्ष्मीबाई
को अफगान सैपनकोों का ठोस समथान प्राप्त था। इस प्रकार, 1857 की घटनाओों ने यह प्रदपशात पकया पक भारत के लोग और
राजनीपत, 1858 से िहले मूलतः साों प्रदापयक नहीों थे।

निद्रोह के ििात नब्रनटि प्रिासि में होिे िािे बदिाि


1857 के पिद्रोह ने भारत में पब्रपटश प्रशासन को गोंभीर झटका पदया और इसके िुनगाठन को अिररहाया बना पदया। पिद्रोह के बाद
के दशकोों में भारत सरकार की सोंरचना और नीपतयोों में महत्विूणा िररितान हुए।

1858 की सोंसद के अपधपनयम (पजसे सुशासन अपधपनयम 1858 भी कहा जाता है ) के द्वारा, भारत िर शासन
प्रिासि में बदिाि : करने की शक्ति को ईस्ट इों पडया कोंिनी से पब्रपटश ताज में स्थानाों तररत कर पदया गया था।
• कोंिनी और पनदे शक मोंडल के पनदे शकोों द्वारा भारत िर अपधकार, अब एक िररषद द्वारा पकया जाना था।
• अोंग्रेजोों ने प्रशासपनक सुपिधा के पलए भारत को प्राों तोों में पिभापजत पकया था, जो बोंगाल, बॉिे और मद्रास
प्रेसीडें सी के रूि में जाने जाते थे ।
प्राोंतीय प्रिासि : • प्रेसीडें सी को एक गिनार और उनकी कायाकारी िररषद द्वारा प्रशापसत पकया गया था, पजन्ें महारानी द्वारा
पनयुि पकया गया था।
• अन्य प्राों तोों को उिराििाल और मुख्य आयुिोों द्वारा प्रशापसत पकया गया था पजसे गिनार -जनरल द्वारा
पनयुि पकया गया था।
पित्तीय कपठनाइयोों ने सरकार को नगरिापलकाओों और पजला बोडों के माध्यम से स्थानीय सरकार को बढ़ािा
स्थािीय निकाय : दे कर प्रशासन को और पिकेन्द्ीकृत करने का नेतृत्व प्रदान पकया।
• स्थानीय पनकायोों जैसे पशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और िानी की आिूपता स्थानीय पनकायोों को हिाों तररत की गई
जो स्थानीय करोों के माध्यम से उन्ें पित्त प्रदान करे गी।
• भारतीय सेना को 1858 के बाद सािधानीिूिाक िुनः सोंगपठत पकया गया था, पिशेष रूि से एक और पिद्रोह
को रोकने के पलए।
• सबसे िहले, इसकी यूरोिीय शाखा को सेना में िचास्व की मान्यता दी गई थी। सेना में भारतीयोों की तुलना में
यूरोिीय का अनुिात बढ़ा था। यूरोिीय सैपनकोों को महत्विूणा भौगोपलक और सैन्य क्तस्थपतयोों में रखा गया था।
सेिा में िररितत ि: तोिखाने, टैं क और बख्तरबोंद कोर की महत्विूणा शाखाओों को पिशेष रूि से यूरोिीय हाथोों में रखा गया
था। भारतीयोों को उच्च िदोों से बाहर रखा गया था।1814 तक, कोई भी भारतीय एक सूबेदार के िद से
ऊिर नही ों हो सकता था।
• भारतीय सेना का सोंगठन, फूट डालो और राज करो ’की नीपत िर आधाररत था तापक पब्रपटश पिरोधी पिद्रोह
में पफर से एकजुट होने की सोंभािना को रोका जा सके। बड़ी सोंख्या में िोंजापबयोों, गोरखाओों और िठानोों
जैसी सेना के एक नया िगा को भती पकया गया था।

निद्रोह िर प्रमुख निचार :


• िी. डी. सािरकर का तका है पक यह "भारतीय स्वतोंत्रता का प्रथम युद्ध" था।
• तारा चोंद ने इसे "राष्टर की स्वतोंत्रता का युद्ध" बताया
• आर.सी. मजुमदार का तका है पक 1857 की स्वतोंत्रता का युद्ध न तो िहला, न ही राष्टरीय और न ही स्वतोंत्रता का युद्ध है।
• सुरेंद्र नाथ सेन का पिचार है पक धमत की िड़ाई के रूि में िो िुरू हुआ िह स्वतोंत्रता की िड़ाई के रूि में समाप्त हुआ।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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5. सामापजक धापमा क सु धार आों दोलन


उन्नीसिीों सदी की शुरुआत में समाज के कुछ प्रबुद्ध िगों के प्रयासोों से इन आों दोलनोों की शुरूआत की गई । इसने सुधारोों के साथ
कुछ अिाों छनीय प्रभािोों को भी जन्म पदया।

कारण
• औिपनिेपशक शासन का प्रभाि।
• सामापजक क्तस्थपत।
• िपिमी सोंस्कृपत का पिरोध।
• प्रबुद्ध भारतीयोों में जागरूकता।

सुधार आों दोििोों से सोंबोंनधत महत्विूणत व्यक्तित्व

रािा राम मोहि रॉय (1772-1833):


• भारतीय िुनजाा गरण के पिता।
• आधुपनक भारत के पनमाा ता।
• िैज्ञापनक दृपष्टकोण, मानिीय गररमा, एकेश्वरिाद और उिपनषदोों िर पिश्वास पकया।
• मूपतािूजा और अथाहीन रीपत-ररिाजोों की भत्साना की।
• पकताबें: एकेश्वरिापदयोों को उिहार (1809) + प्रीसेप्स ऑफ जीसस (1820)।
• िेदोों और उिपनषदोों का बोंगाली में अनुिाद पकया।
• 1814 में कलकत्ता में आत्मीय सभा (पमत्रो का समाज) की स्थािना।
• ब्रह्म समाज का प्रारों भ (1828) [िहले इसे ब्रह्म सभा कहा जाता था]
• िेदाों त कॉलेज (1825) की स्थािना।
• नेिर्ल्, स्पेन और अमेररका के क्राों पतयोों का समथान पकया।
• पहों दू कॉलेज (1817) की स्थािना में डे पिड हे अर का समथान पकया।
• सती प्रथा का कड़ा पिरोध ।
• 1829 में सती कानून बनाकर सती-प्रथा को गैरकानूनी घोपषत कर पदया गया।

दे िेंद्रिाथ टै गोर (1817-1905)


• 1839 में गपठत तत्वबोपधनी सभा से सबोंपधत, जो पक तत्वबोपधनी िपत्रका का प्रकाशन करती थी ।
• ये 1842 में ब्रह्म समाज में शापमल हुए।
• इन्ोोंने पिधिा िुनपिािाह, मपहला पशक्षा, बहुपििाह का उन्मूलन करने जैसे काया िर बल पदया।

केिि चोंद्र सेि (1838-1884)


• 1858 में ब्रह्म समाज के आचाया के रूि में पनयुि हुए।
• बोंगाल (सोंयुि प्राों त, बॉिे, िोंजाब, आपद) के बाहर ब्रह्म समाज के पिचारोों का प्रसार पकया।
• जापत प्रथा का तीव्र पिरोध पकया, अोंतरजातीय पििाह के िक्षधर थे।
• 1865 में इन्ें आचाया के िद से बखाा ि कर पदया गया।
• 1866 में इन्ोोंने भारतीय ब्रह्म समाज की स्थािना की ।
• साधरण ब्रह्म समाज की स्थािना (आनोंद मोहन बोस, पशबचोंद्र दे ब और उमेश चोंद्र दत्ता) ने उनके पिरोध में की।

ईश्वर चोंद्र निद्यासागर (1820-1891)


• ये उच्च नैपतक मानकोों, मानितािादी में पिश्वास करने िाले और आधुपनक पशक्षा के प्रिािक थे ।
• बोंगाल में 1850 में सोंस्कृत महापिद्यालय के प्राचाया पनयुि हुए।
• गैर-ब्राह्मणोों के पलए सोंस्कृत कॉलेज की स्थािना की।
• ये पिधिा िुनपिािाह के प्रबल समथाक थे। इसे िैध बनाने में मदद की।
• मपहलाओों के पलए उच्च पशक्षा के अग्रदू तोों में से एक थे।
• बेथून कॉलेज (सपचि 1849) के सपचि के रूि में पनयुि।

बाििास्त्री िाोंबेकर (1812-1846)


• बॉिे में ित्रकाररता के माध्यम से समाज सुधार के अग्रदू त।
• ब्राह्मणिादी िचास्व के क्तखलाफ थे।

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• मराठी ित्रकाररता के जनक थे।


• समाचार ित्र: दिाण (1832), पदगदशान (1840)।
• बॉिे नेपटि जनरल लाइब्रेरी की स्थािना की।
• नेपटि इों प्रूिमेंट सोसाइटी की स्थािना की।
• एक्तफोंस्टन कॉलेज में पहों दी के िहले प्रोफेसर पनयुि हुए।
• कोलाबा िेधशाला के पनदे शक पनयुि हुए।

गोिाि हरी दे िमुख ‘िोकनहतिादी’ (1823-1892):


• ये महाराष्टर के रहने िाले थे।
• पहों दू रूपढ़िादी और जापत व्यिस्था के क्तखलाफ थे।
• तकासोंगत, आधुपनक और धमापनरिेक्ष पसद्धाों तोों में पिश्वास करते थे।
• उन्ोोंने साप्तापहक प्रभाकर के पलए 'लोकपहतिादी' के नाम से िपत्रका भी पलखा।
• उन्ोोंने साप्तापहक ‘पहतेचू’ को भी शुरू पकया।
• ज्ञान प्रकाश, इों दु प्रकाश, लोकपहतिादी जैसे िपत्रका के प्रकाशन में मदद की।

गोिाि कृष्ण गोखिे (1866-1915)


• भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के एक उदारिादी नेता थे।
• एम. जी. रानाडे की सहायता से सिेंट ऑफ इों पडया सोसाइटी (1905) की स्थािना।
• एक धापमाक भािना के उद्दे श्य से दे श की सेिा के पलए पनस्वाथा कायाकताा ओों का एक सोंघ बनाने का काया पकया।
• पहतिादी (1911) का प्रकाशन शुरू पकया।

ज्योनतबा फुिे (1827-1890):


• महाराष्टर में माली (माली) समुदाय में जन्मे।
• उच्च जापत और ब्राह्मणिादी िचास्व, जापत व्यिस्था और सामापजक-आपथाक असमानताओों के क्तखलाफ लड़ाई लड़ी।
• पनचली जापत और मपहलाओों के बीच सामापजक सेिा और पशक्षा को बढ़ािा दे ने के पलए 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थािना
की।
• िुिकें: सािाजपनक सत्यधमा तथा गुलामपगरी।
• पिधिा िुनपिािाह हे तु लोंबा सोंघषा पकया और 1854 में पिधिाओों के पलए एक सदन की स्थािना की।
• उनके समाज सेिा के काया हेतु इन्ें महात्मा की उिापध दी गई ।

गोिाि गणे ि अगरकर (1856-1895)


• ये महाराष्टर के थे।
• इन्ोोंने मानि तकों का समथान पकया, एिों िरों िरागत मूल्ोों एिों महत्वहीन प्रथाओ को त्याग दे ने को समथान पदया।
• ये न्यू इों क्तग्लश स्कूल, द दक्कन एजुकेशन सोसाइटी, और फग्युसान कॉलेज के सह-सोंस्थािक थे।
• यह केसरी के प्रथम सोंिादक भी थे (मराठी समाचार ित्र लोकमान्य पतलक द्वारा शुरू पकया गया)।
• िपत्रका : सुधारक

स्वामी नििेकािोंद (1862-1902)


• इन्ें नरें द्र दत्त के नाम से भी जाना जाता था ।
• इन्ोोंने पहों दू धमा का प्रचार पकया और िेदाों त में पिश्वास पकया, इसे ज्ञान की सबसे तकासोंगत प्रणाली माना।
• ये रामकृष्ण, बुद्ध, यीशु के जीिन और गीता और उिपनषदोों की पशक्षाओों से प्रेररत थे ।
• ये पहों दुओों द्वारा धापमाक िचास्व के क्तखलाफ थे।
• 1893 में पशकागो में आयोपजत धमा सोंसद में भाग पलया जहाों उन्ोोंने भौपतकिाद और अध्यात्मिाद के बीच सोंतुलन िर बल
पदया।
• 1897 में सामापजक सेिा और मानिीय राहत कायों को बढ़ािा दे ने के पलए रामकृष्ण पमशन की स्थािना की।
• उन्ोोंने सभी जीिोों को सेिा के पसद्धाों त का समथान पकया। उनके अनुसार मानि जापत की सेिा ईश्वर की सिोच्च सेिा है ।

दयािन्द सरस्वती (1824-1883)


• इनका नाम मूलशोंकर भी था।
• ये िुराने मोरिी राि (गुजरात) में एक ब्राह्मण घराने में िैदा हुए थे।
• 1875 में आया समाज की स्थािना की।
• िुिक - सत्याथा प्रकाश।
• "िेदोों की ओर लौटो" का नारा पदया।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• िेदोों के कमा, िुनजान्म, और चतुिाणा प्रणाली के पसद्धाों त को माना।


• िे चमत्कार, िुरोपहतिाद और मोक्ष की अिधारणा की आलोचना करते थे।

सर सैयद अहमद खाि (1817-1898


• ये अोंग्रेजो के भि और न्यापयक सेिा के सदस्य थे।
• 1878 में 'इम्पीररयल लेपजिेपटि काउों पसल' के सदस्य थे।
• 1888 में इन्ें नाइटहुड की उिापध प्रदान की गई।
• कुरान की पशक्षाओों के साथ आधुपनक पशक्षा में सामोंजस्य स्थापित करने का समथान पकया।
• 1875 में मोहम्मडन एों ग्लो-ओररएों टल कॉलेज (अब अलीगढ़ मुक्तिम पिश्वपिद्यालय) की स्थािना की।
• इन्ोोंने मपहला पशक्षा एिों मुसलमानोों में सुधार हे तु प्रयास पकया।
• इनकी िपत्रका का नाम - तहजीब-उल-अखलाक।

सुधारिाद बिाम िुिरुत्थाििाद

• सामापजक सुधार।
• पब्रपटश औिपनिेपशक शासन में सहायता करना।
सुधारिाद • िपिमी सभ्यता से प्रभापित।
(Reformism) • औिपनिेपशक राि की आलोचना नहीों।
• नरमिोंथी।
• सामापजक सुधार के पिरुद्ध।
• इसे उिपनिेशिाद के पिरुद्ध लाया गया था।
िुिरुत्थाििाद • यह प्राचीन भारतीय धमा के िुनरुद्धार से सोंबोंपधत है , और यह भारतीय आध्याक्तत्मकता की श्रेष्ठता में
(Revivalism) पिश्वास करता है ।
• इसने भारतीय में आत्मपिश्वास को जन्म पदया।
• चरमिोंथी

महत्विूणत सुधार आों दोिि

नहोंदू सुधार आों दोिि :

िाम सोंस्थािक उद्दे श्य

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• िक्ष में : मािि कारण और नििेक; ििता, निधिा िुिनितिाह का राििीनतक


ब्रह्म समाि रािा राममोहि राय उत्थाि।
(1828) द्वारा बोंगाि में • नििक्ष में : बहुिाद; मूनतत िूिा; अितार; बाइबि प्रानधकरण; िानत व्यिस्था, िरदा
प्रथा , अस्पृश्यता, सती, बाि नििाह।
• कमत और आत्मा के सोंचरण िर कोई निनित दृनिकोण िही ों।
• िोंिाब: दयाि नसोंह टर स्ट द्वारा िुरू नकए गए िाहौर में दयाि नसोंह कॉिेि (1910)
िे समाि में इसके निचारोों को िोकनप्रय बिाया।
• मपहला पशक्षा, पिधिा िुनपिािाह, लड़कोों और लड़पकयोों के पलए शादी की उम्र
प्राथतिा समाि आत्माराम िाों डुरों ग बढ़ाने और जापत और साों प्रदापयक बाधाओों के क्तखलाफ लोकपप्रय उदारिादी
(1867) द्वारा मुोंबई में पिचार।
• 1870 में एम. जी. रानाडे द्वारा शापमल हुए, इसने अक्तखल भारतीय चररत्र प्राप्त
पकया।
• महाराष्टर में भक्ति िोंथ से जुड़े।
• अन्य प्रमु ख नेता: आर जी भोंडारकर, एन जी चोंदािरकर।
• इसे "योंग बोंगाल आों दोलन" के रूि में भी जाना जाता है ।
योंग बों गाि हे नरी पिपियन • फ्ाों सीसी क्राोंपत से प्रेररत होकर जो स्वतोंत्र सोच और तकासोंगतता का िक्षधर था।
आों दोिि(1820- डे रोपजयो द्वारा बोंगाल • इसका समकालीन समय में आम जनता िर कोई प्रभाि नही ों था।
30) में • डे रोपजयो को आधुपनक भारत का िहला राष्टरिादी कपि माना जाता है ।

िरमहों स मोंडिी दादोबा िाों डुरों ग और • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
(1849) मेहताजी दु गाा राम • जापत व्यिस्था के पिरुद्ध और एक ईश्वर की िूजा के िक्षधर थे।
• नैपतक, प्रेम और अच्छे आचरण िर आधाररत िािपिक धमा को प्रोत्साहन।
सत्यिोधक िोपतराि फुले • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
समाि (1873) • उद्दे श्य: पनम्न जापतयोों और मपहलाओों के बीच समाज सेिा और पशक्षा प्रदान करना।
सिेंट ऑफ़ गोिाल कृष्ण गोखले • महाराष्टर में शुरू पकया गया था।
इों नडया सोसाइटी और एम जी रानाडे • इसका उद्दे श्य धापमाक भािना के तहत दे श की सेिा के पलए निस्वाथत
(1905) कायतकतातओ ों के एक समूह को जुटाना था।
सोिि सनितस नारायण मल्हार जोशी • इसे बॉिे में शुरू पकया गया था।
िीग • इसका उद्दे श्य गरीब लोगोों की मदद करना और िीिि और काम की बेहतर
िररक्तस्थनतयोों के निए काम करिा था।
• यह कलकत्ता में शुरू पकया गया था।
• इसका उद्दे श्य िेदाोंत के सोंदेि के प्रसार के पलए व्यक्तियोों के एक समूह को
रामकृष्ण रामकृष्ण िरमहों स सोंगपठत करना था (पजसने रामकृष्ण िरमहों स के जीिन को प्रेररत पकया)
आों दोिि • पमशन के अनुयापययोों के साथ पमलकर िरोिकारी कायत करिा।
• बोंबई में।
• यह ईश्वर को सच्चे ज्ञान का प्राथपमक स्रोत मानता था।
• इसमें िेदोों को ज्ञान की मुख्य स्त्रोत माना जाता था ।
• धमा में पिश्वास (सही या गलत)
आयत समाि दयानोंद सरस्वती
• सभी व्यक्तियोों की भलाई को बढ़ािा दे ना तथा प्यार और न्याय को बढ़ािा दे ना।
(1875)
• अोंतर-जापत और पिधिा िुनपिािाह को प्रोत्सापहत पकया।
• भूकोंि और सूखे, आपद जैसे प्राकृपतक आिदाओों के समय समाज सेिा को
प्रोत्साहन दे ना।
• शुक्तद्ध (शुक्तद्ध) आों दोलन की शुरुआत, पहों दू धमा में िािस आने के पलए उन लोगोों
के पलए पजन्ोोंने ईसाई धमा या इिाम में धमाां तररत पकया गया था।
बहराम जी. एम. • बाल पििाह का पिरोध पकया और पिधिा िुनपिािाह का समथान पकया।
सेिा सदि मालाबारी और दीिान • बी.एम. मालाबारी (समाचार ित्र: भारतीय स्पेक्ट्रम) के प्रयासोों से ऐज ऑफ कसेंट
(1908) दयाराम पगडूमल अपधपनयम को िाररत पकया गया।
• इसने असहाय, शोपषत और पनरापश्रत मपहलाओों की दे खभाल की और पशक्षा
और पचपकत्सा सेिाओों को बढ़ािा पदया।
पशि नारायण • लाहौर में
दे ि समाि अपग्नहोत्री • इसका मुख्य उद्दे श्य आत्मा की शुक्तद्ध, गुरु की श्रेष्ठता की स्थािना एिों अच्छे
(1887) मानिीय काया करना था।
• िुिक: दे ि शास्त्र।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

धमत सभा राधाकाों त दे ब • पहों दू धमा की रूपढ़िापदता को यथाक्तस्थपत बनाए रखना ।


(1830) • लड़पकयोों के पलए िपिमी पशक्षा का समथान ।
भारत धमत बनारस में मदन मोहन • सनातन पहों दू धमा का बचाि करना।
महामोंडि मोहन मालिीय . • इसके अन्य समान सोंगठन जो इसमें पिलय हुए:
(1902) 1. सनातन धमा सभा (1895)।
2. दपक्षण भारत में धमा महा िररषद।
3. बोंगाल में धमा महामण्डली।
श्री िारायण गुरु केरल में श्री नारायण • केरल के इझिास जापत (तोडी – टै िर और अछूतोों की जापत) के बीच।
धमत िररिािि गुरु स्वामी • इसे अरुिीप्पुरम आों दोलन के नाम से भी जाना जाता है ।
आों दोिि • दबे-कुचले िगों, जानिरोों की बपल, जापतयोों, िोंथोों की पिभाजन की प्रिृपत्त आपद का पिरोध
पकया।
(एसएिडीिी)
• प्रपसद्ध कपि कुमारन आसन इसके साथ जुड़े हुए थे।
राधा स्वामी तुलसी राम उफा पशि • इसकी शुरुआत आगरा में की गई थी।
आों दोिि दयाल साहब • साों साररक अक्तित्व के साथ गुरु, सत्सोंग (िपित्र लोग) और सरल जीिन की
(1861) सिोच्चता में पिश्वास करते थे ।
• मोंपदर और अन्य सोंबोंपधत प्रतीकोों िर पिश्वास नहीों करता था।
िोक्कानिोंग सोंघ मैसूर • ब्राह्मणिादी िचास्व का पिरोध पकया।
(1905)
न्याय आों दोिि सी. एन. मुदपलयार, • मद्रास प्रेसीडें सी में।
टी. एम. नायर, िी. • पिधापयकाओों में पनचली जापतयोों के प्रपतपनपधत्व को प्राप्त करने के पलए सोंघषा
त्यागराज पकया।
आत्म सम्माि ई. िी. रामास्वामी • ब्राह्मणिादी िचास्व के पिरुद्ध आों दोलन।
आों दोिि - नायकर
(1920 के मध्य
में)
मोंनदर प्रिेि त्रािणकोर में टी के • मोंपदरोों में पनम्न जापतयोों के प्रिेश की अनुमपत से सोंबोंपधत।
आों दोिि माधिन • अन्य समान आों दोलन: िैकोम सत्याग्रह (1924, के. िी. केशि, केरल)।
इों नडयि सोिि मद्रास में एम जी • भारतीय रािरीय काोंग्रेस का सामानिक सुधार अोंग।
कॉन्फ्फ्ेंस रानाडे और रघुनाथ
(1887) राि . • अोंतरिातीय नििाह का समथतक , बहुनििाह और कुिीििाद का निरोध
नकया।
• "बाि नििाह के क्तखिाफ सों घित करिे का सोंकल्प" िुरू नकया।

मुक्तिम सुधार आों दोिि:

• अरब के अब्दु ल िहाब और शाह िलीउल्लाह से प्रेररत सैयद अहमद बरे लिी द्वारा शुरुआत।
• िपिमी प्रभािोों के पिरुद्ध।
िहाबी • मुसलमानोों के बीच सामोंजस्य स्थापित करना।
/िानिउल्लाह • धमा में व्यक्तिगत पििेक का महत्व।
आों दोिि • दार-उल-हरब (कापफ़रोों की भूपम) से दार-उल-इिाम (इिाम की भूपम) में भारत को बदलना।
टीटू मीर आों दोिि • सोंस्थािक सैयद अहमद बरे लिी के पशष्य मीर पनथार अली।
• िहाबिाद और शररया को अिनाया।
• पहों दू जमीोंदारोों के पिरुद्ध मुक्तिम पकसान को सोंगपठत पकया।
•इिामी आस्था के आधार िर शुरू पकया गया, इस आों दोलन को हाजी शरीयतउल्ला द्वारा शुरू
फराज़ी आों दोिि पकया गया था।
• इिाम से इिामी प्रथाओों के उन्मूलन के पिरुद्ध।
• दू दू पमयाों के साथ क्राों पतकारी स्वरूि में आों दोलन।
• इनका लक्ष्य पहों दू जमीोंदार के पिरुद्ध सोंघषा करना था।
• 1889 में नमज़ात ग़ुिाम अहमद द्वारा िुरुआत की गई ।
• भारत में प्रारम्भ हुआ।
• ब्रह्म समाि िैसे उदार नसद्धाोंतोों िर आधाररत है ।
अहमनदया आों दोिि • इन्होोंिे निहाद का निरोध नकया, धमत को राज्य से अिग करिे का समथति नकया, सनहष्णुता
और मािि अनधकारोों के सोंरक्षण को बढािा नदया।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• रहस्यिाद से िीनड़त।
• िनिम एनियाई दे िोों के बाहायिाद की तरह।
• 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा शुरुआत।
अिीगढ आों दोिि • प्रकृपत में उदार और आधुपनक।
• मुसलमानोों में आधुपनक पशक्षा को बढ़ािा दे ना।
• मुसलमानोों में सामापजक सुधार जैसे पक िदाा प्रथा उन्मूलन, बहुपििाह, पिधिा िुनपिािाह,
मपहलाओों की पशक्षा आपद।
• मोहम्मद कानसम िािोतिी और रानिद अहमद गोंगोही 1866 में सहारििुर, सोंयुि प्राोंत में
िुरुआत।
दे िबोंद स्कूि • मुक्तिम समुदाय िे िैनतक और धानमतक उत्थाि का उद्दे श्य रखा।
(दारुि उिूम) • इिामी धमत में निनहत सोंदेि का िािि नकया।
• भारतीय रािरीय काोंग्रेस के गठि का समथति नकया।
• सैयद अहमद खाि के अिीगढ स्कूि के क्तखिाफ फतिा िारी नकया।

अन्य महत्विूणत आों दोिि

समुदाय आों दोिि उद्दे श्य


• िारपसयोों की सामापजक क्तस्थपतयोों में सुधार के पलए सोंगपठत।
रहिुमाई मािदायास्नाि • िारसी धमा की शुक्तद्ध।
िारसी सभा (1851) • समाचार ित्र: राि गोफ्तार (सत्य-टे लर)।
• इसके प्रमुख नेता: नौरोजी फरदोनजी, दादाभाई नौरोजी, के. आर. कामा और एस.
एस. बोंगाली ।
नसोंह सभा आों दोिि • िोंिाब में खािसा निद्यािय के माध्यम से नसखोों के बीच आधुनिक निक्षा का
(1873, अमृतसर) प्रसार।
• ईसाई नमििररयोों की अभद्र गनतनिनधयोों के निरुद्ध।
अकािी आों दोिि • पसोंह सभा आों दोलन की समाक्तप्त।
नसख (गुरुद्वारा सुधार • पसख गुरुद्वारोों को भ्रष्ट महों तोों से छु टकारा प्राप्त करने के उद्दे श्य से।
आों दोिि ) • पसख गुरुद्वारा अपधपनयम, इस अपधपनयम को 1922 में पशरोमपण गुरुद्वारा
प्रबोंधक कमेटी (SGPC) के माध्यम से गुरुद्वारोों को जनता के पनयोंत्रण में लाने के
पलए िाररत पकया गया।
• सोंयुि राि अमेररका के न्यूयॉका में मैडम एच.िी.ब्ल और कनाल एम.एस.अलकाट
द्वारा इसको प्रारों भ पकया गया था।
• 1882 में अडयार, मद्रास में मुख्यालय स्थानाों तररत कर पदया गया।
• यह उिपनषदोों, साों ख्य, योग और िेदाों त के पिचार से प्रेररत था।
नथयोसोनफकि नथयोसोनफकि • सािाभौपमक भाईचारा स्थापित करने के उद्दे श्य से।
आों दोिि सोसाइटी (1875) • प्रमुख नेता: एनी बेसेंट (1847-1933)
• 1893 में भारत िहुों ची ।
• 1907 में इसकी अध्यक्ष चुनी गई ।
• 1898 में बनारस में सेंटरल पहोंदू कॉलेज की स्थािना की (बाद में 1916 में
यह बनारस पहों दू पिश्वपिद्यालय बन गया )।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

6. स्वतों त्र ता सों घ ित का आरों भ

आधुनिक रािरिाद के निकास के कारक


• दे श का राजनीपतक, प्रशासपनक और आपथाक एकीकरण।
• िपिमी पिचार और पशक्षा का पिकास।
• पिश्व के समकालीन सापहत्य, प्रेस और आों दोलन की भूपमका।
• भारत के समृद्ध अतीत और पिरासत का िुनः खोज।
• मध्यिगीय बुक्तद्धजीपियोों का उदय।
• सामापजक-धापमाक सुधार आों दोलन का प्रगपतशील स्वरूि।
• पिदे शी शासकोों की प्रपतपक्रयात्मक नीपतयाों और जातीय अहों कार।
• भारतीय और औिपनिेपशक पहतोों में अोंतपिारोधोों को समझना

काोंग्रेस के गठि से िूित की राििीनतक सोंस्थायें (1885 से िूित)

बोंगाि में राििीनतक सोंस्थायें:

बोंगभािा प्रकािक सभा: • 1836 में राजा राम मोहन राय के सहयोपगयोों द्वारा स्थापित।
• इसने बोंगाली पशक्षा को प्रोत्सापहत पकया तथा इस सोंगठन में सरकार और प्रशासन
की समीक्षा की जाती थी। इसने भारतिापसयोों को राजनीपत के प्रपत प्रारों पभक रूि से
जागरूक बनाने का प्रयास पकया।
• यह भारत की िहली ऐसी राजनीपतक सभा थी पजसने सोंगपठत आों दोलन की शुरुआत
िमी ोंदारी एसोनसएिि: की थी।
• यह जमीोंदारोों की सुरक्षा के पलए बनाया गया था। इसे "लैंडहोल्डर सोसाइटी" के नाम
से भी जाना जाता है
• 1843 में स्थापित पजसका उद्दे श्य लोगोों में राष्टरिाद की भािना जगाना तथा राजनीपतक
बोंगाि नब्रनटि इों नडया सोसाइटी: पशक्षा क प्रोत्सापहत करना था।
• यह सोसायटी, पब्रपटश शासन के प्रभाि से समाज के सभी करें के लोगोों की
कपठनाइयोों एिों दु खोों िर पिचार कर उनके समाधान ढू ों ढने का काया करती थी।
• 1851 में जमीोंदारी एसोपसएशन तथा बोंगाल पब्रपटश इों पडया सोसायटी का आिस में
पिलय के िररणामस्वरूि इसका गठन हुआ।
• इसने पब्रटे न की सोंसद को एक प्राथाना ित्र भेजकर अिील की।
(i) लोकपप्रय उद्दे श्योों िाली िृथक पिधापयका की स्थािना।
नब्रनटि इों नडया एसोनसएिि: (ii) न्यापयक और कायाकारी का िृथक्करण।
(iii) उच्च िगा के नौकरशाहोों के िेतन में कमी।
(iv) नमक कर, आबकारी कर एिों डाक शुि में समाक्तप्त।
• एसोपसएशन के इन सुझािोों को आों पशक सफलता पमली और गिनार जनरल की
पिधायी िररषद में कानून पनमााण में सहायता दे ने के पलये 6 नये सदस्योों को मनोनीत
करने का प्रािधान पकया गया।
• इसकी स्थािना 1866 में दादाभाई नौरोजी द्वारा लोंदन में पकया गया था।
ईस्ट इों नडया एसोनसएिि: • इसका उद्दे श्य भारत के लोगोों की समस्याओों और माों गोों से पब्रटे न को अिगत कराना
तथा भारतिापसयोों के िक्ष में इों ग्लैण्ड में जनसमथान तैयार करना था।
• बाद में भारत के पिपभन्न भागोों में भी इसकी शाखायें खुल गयीों।
इों नडयि िीग: • 1875 में पशपशर कुमार घोष ने इक्तण्डयन लीग की स्थािना थी।
• पजसका उद्दे श्य लोगोों में राष्टरिाद की भािना जागृत करना तथा राजनीपतक पशक्षा को
प्रोत्साहन दे ना था।
• इसकी स्थािना 1876 में सुरेन्द्नाथ बनजी और आनोंदमोहन बोस द्वारा की स्थािना
की गई थी।
इों नडयि एसोनसएिि ऑफ़ • उद्दे श्य:
किकत्ता: 1. तत्कालीन राजनीपतक व्यिस्था के सोंदभा में सशि जनमत तैयार करना।
2. एक साझा राजनीपतक कायाक्रम हे तु भारतिापसयोों में एकता की स्थािना

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करना।

बोंबई में राििीनतक सोंस्थाएों :

िूिा सितिि सभा: • इसकी स्थािना 1870 में एम. जी. रानाडे के द्वारा की गयी थी।
• इसके अन्य प्रमुख सदस्य - भिानराि श्रीपनिासराि िोंत प्रपतपनपध (औोंध राि के
शासक तथा यह सोंगठन के प्रथम अध्यक्ष भी थे), गणेश िासुदेि जोशी और एस एच
पचप्लुोंकर।
• उद्दे श्य: लोगोों और सरकार के मध्य सेतु के रूि में काया करना।
• 1885 में पफ़रोज़शाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी और के.टी. तैलोंग द्वारा गपठत
बॉम्बे प्रेसीडें सी एसोनसएिि: • यह भारतीय पहतोों का िक्षधर था और इसने 1885 में बॉिे में भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस
की िहली बैठक की मेजबानी की।
मद्रास महािि सभा: • 1884 में एम. िीराराघिचारी, बी. सुब्रमण्य अय्यर और िी. आनोंद चालूा द्वारा इसका
गठन पकया गया।

काोंग्रेस से िूितिती अनभयाि


• 1875 में किास िर आयात शुि आरोपित करने के पिरोध में आों दोलन शुरू पकया गया था।
• सरकारी सेिाओों के भारतीयकरण हे तु (1878-79) इस आों दोलन को शुरू पकया गया था।
• लाडा पलटन की अफगान नीपत के पिरोध में यह आों दोलन शुरू पकया गया था।
• शस्त्र अपधपनयम (1878) के पिरोध में इस आों दोलन को शुरू पकया गया था।
• िनाा कुलर प्रेस एक्ट् (1878) के पिरोध में आों दोलन शुरू पकया गया था।
• स्वयोंसेिक सेना में प्रिेश के अपधकार के समथान में आों दोलन शुरू पकया गया था।
• ‘प्लाों टेशन लेबर' एिों 'इों ग्लैंड इपमग्रेशन एक्ट्' के पिरोध में आों दोलन शुरू पकया गया था।
• इलबटा पबल के समथान में आों दोलन शुरू पकया गया था।
• राजनीपतक प्रदशानोों हे तु अक्तखल भारतीय कोष की स्थािना के समथान में इस आों दोलन शुरू पकया गया था।
• पब्रटे न में भारत का समथान करने िाले दलोों को मान्यता दे ने के पलए इस आों दोलन शुरू पकया गया था।
• भारतीय पसपिल सेिा में प्रिेश की न्यूनतम आयु कम करने के समथान में इक्तण्डयन एसोपसएशन ने अक्तखल भारतीय िर
िर आों दोलन आरों भ पकया। इस आों दोलन को 'भारतीय पसपिल सेिा प्रदशान' के नाम से भी जाना जाता है ।

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7. भारतीय राष्टरीय काों ग्रे सः स्थािना एिों उदारिादी चरण (1885- 1905)

भारतीय रािरीय काोंग्रेस (INC) की स्थाििा :


• 1870 के दशक से ही राष्टरिादी राजनीपतक कायाकताा एक अक्तखल भारतीय सोंगठन के पनमााण में प्रयासरत थे। पकोंतु इस पिचार
को मूता एिों व्यािहाररक रूि दे ने का श्रेय एक सेिापनिृत्त अोंग्रेज अपधकारी ए.ओ. ह्यूम को प्राप्त हुआ।
• INC के िहले सत्र का आयोजन बॉिे (1885) के "गोकुल धाम तेजिाल सोंस्कृत कॉलेज" में पकया गया था।
• काों ग्रेस के प्रथम अपधिेशन की अध्यक्षता व्योमेश चोंद्र बनजी ने की तथा इसमें 72 प्रपतपनपधयोों ने भाग पलया।
भारतीय रािरीय काोंग्रेस (INC): 1885
• एलन ऑक्ट्े पियन ह्यूम जोपक एक सेिापनिृत्त पसपिल सेिक थे, के द्वारा बॉिे (1885) में भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के िहला सत्र
आयोजन पकया गया था।
• 1883 और 1885 में भारतीय राष्टरीय सम्मेलन सत्र का आयोजन सुरेंद्रनाथ बनजी और आनोंद मोहन बोस द्वारा पकया गया था।
• INC के प्रथम अपधिेशन की अध्यक्षता व्योमेश चोंद्र बनजी के द्वारा पकया गया था।
नििेि तथ्य :
1887 सैयद बदरुद्दीन तैयबजी INC के मद्रास अपधिेशन में िहले मुक्तिम अध्यक्ष थे।
1888 िॉित यूि INC के इिाहाबाद अनधिेिि में िहिे अोंग्रेिी अध्यक्ष थे।
1890 कादों पबनी गाों गुली काों ग्रेस को सोंबोपधत करने िाली िहली मपहला (कलकत्ता पिश्वपिद्यालय की स्नातक) थीों। हालाों पक,
सरोपजनी नायडू 1925 में कानिुर अपधिेशन में काों ग्रेस की िहली भारतीय मपहला अध्यक्ष थीों।
1917 एनी बेसेंट कलकत्ता अपधिेशन में काों ग्रेस की िहली मपहला अध्यक्ष थीों।
1924 महात्मा गाों धी के द्वारा काों ग्रेस के केिल बेलगाम सत्र की अध्यक्षता की गई थी।

काोंग्रेस के िक्ष्य एिों उद्दे श्य :


• एक धमापनरिेक्ष और लोकताों पत्रक राष्टरीय आों दोलन का पनमााण करना।
• लोगोों को राजनीपतक लक्ष्योों तथा राजनीपतक पशक्षा से िररपचत कराना।
• आों दोलन के पलए मुख्यालय तथा एक अक्तखल भारतीय नेतृत्व समूह की स्थािना करना।
• उिपनिेशिादी पिरोधी पिचारधारा को प्रोत्साहन एिों समथान दे ना।
• सरकार के समक्ष जनता की माों गोों को प्रिुत करना।
• भारतीय राष्टरिादी भािना को प्रोत्साहन एिों उसका प्रसार करना।

क्ा INC की स्थाििा 'सेफ्टी िाल्व' की अिधारणा िर आधाररत थी ?


• इस पसद्धाों त के अनुसार INC का गठन अोंग्रेजोों की एक सोची समझी रणनीपत के तहत स्थापित पकया गया था तापक भारतीयोों
असोंतोष से बचा जा सके, इसीपलये ह्यूम ने भारत के तत्कालीन िायसराय लाडा डफररन से अनुरोध पकया पक िे काों ग्रेस की
स्थािना में पकसी तरह की रुकािट िैदा न करें ।
• लाला लाजित राय जैसे उग्रिादी नेता इस पसद्धाों त में पिश्वास करते थे। लेपकन आधुपनक भारतीय इपतहासकार के द्वारा इस
पिचार का पिरोध पकया जाता हैं ।
• यपद भारतीय स्वयों ही INC की शुरुआत करते, तो पब्रपटश सरकार द्वारा इसकी भ्रूणहत्या कर पदया जाता।
• इसपलए एक पब्रपटश पसपिल सेिक के नेतृत्व में इस सोंगठन को शुरू पकया गया था।
• ऐसा माना जाता है की उदारिादी नेताओों के द्वारा राष्टरिादी ताकतोों को एक साथ लाने के पलए, एक "तपड़त चालक"
(उत्प्रेरक)के रूि में ह्यूम का इिेमाल पकया गया ।

'सेफ्टी िाल्व' नसद्धाोंत: आधुपनक इपतहासकारोों के अनुसार, यपद ह्यूम ने काों ग्रेस का इिेमाल "सेफ्टी िाल्व" के रूि में भारतीयोों
में पब्रपटश शासन के पिरुद्ध बढ़ते असोंतोष को दबाने के पलए पकया, तो भारतीय नेताओों ने ए ओ ह्यूम को ‘तपड़त चालक’ के
रूि में इिेमाल पकया।

INC के महत्विूणत अनधिेिि

अपधिेशन अध्यक्ष महत्व


1885 बोंबई डब्लू. सी. बनजी प्रथम अपधिेशन
72 प्रपतपनपधयोों ने भाग पलया

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1886 कलकत्ता दादाभाई नौरोजी ---


1887 मद्रास बदरूद्दीन तैय्यबजी प्रथम मुक्तिम अध्यक्ष
1888 इलाहाबाद जॉजा यूल प्रथम अोंग्रेज (गैर-भारतीय) अध्यक्ष
1905 बनारस गोिालकृष्ण गोखले • बोंगाल पिभाजन के पिरुद्ध पनोंदा व्यि की तथा पिदे शी ििुओों का
बपहष्कार पकया गया।
• स्वदे शी ििुओों और भारतीय उद्योगोों को बढ़ािा दे ना तथा सािाजपनक
बैठकें और जुलूस का आयोजन िर बल पदया गया।
• अपश्वनी कुमार दत्ता की स्वदे श बोंधु सपमपत तथा स्वयोंसेिकोों की सपमपतयााँ
का पनमाा ण पकया गया।
• िारों िररक लोकपप्रय उत्सिोों का प्रयोग और मेलोों-गणिपत उत्सि का
आयोजन, िारों िररक लोक-कला का पिकास।
• राष्टरिादी गीत- अमर सोनार बाों ग्ला, सुदेश गीतम-सुब्रमपणया भारती।
• नचत्रकिा - अबपनोंद्रनाथ टै गोर।
• िैज्ञानिक अिुसोंधाि - जदीश चोंद्र बोस
• राष्टरीय पशक्षा लोक भाषा में - बोंगाल नेशनल कॉलेज, राष्टरीय पशक्षा
िररषद।
1906 कलकत्ता दादाभाई नौरोजी • िहली बार 'स्वराज' शब्द का प्रयोग।
1907 सूरत रासपबहारी घोष
• कााँ ग्रेस का प्रथम पिभाजन।
1908 मद्रास रासपबहारी घोष • कााँ ग्रेस सोंपिधान का पनमाा ण।

1909 लाहौर िों. मदनमोहन • धमा के आधार िर अलग-अलग पनिाा चकोों के गठन िर अस्वीकृपत व्यि
की गयी (भारतीय िररषद अपधपनयम, 1909)।
मालिीय
1916 लखनऊ अोंपबकाचरण • गोखले और पफ़रोज़शाह मेहता की मृत्यु।
मजूमदार • उग्रिादी िुनः काों ग्रेस में सक्तम्मपलत।
• काों गेस एिों मुक्तिम लीग के मध्य लखनऊ समझौता।
• काों ग्रेस एिों मुक्तिम लीग का सोंयुि घोषणा-ित्र ।
• काों ग्रेस द्वारा मुक्तिम लीग की िृथक प्रपतपनपधत्व की माों गे स्वीकार की
गयीों।
1917 कलकत्ता श्रीमती एनी बेसेंट • काों ग्रेस की प्रथम मपहला अध्यक्ष।

1919 अमृतसर मोतीलाल नेहरू • काों ग्रेस का नया सोंपिधान बनाया गया।
• जपलयाों िाला बाग हत्याकाों ड की भत्साना।
• क्तखलाफत आों दोलन को समथान दे ने का पनणाय।
1920 (पिशेष सत्र) लाला लाजित राय • असहयोग आों दोलन की शुरुआत।
कलकत्ता
1920 नागिुर सी. पिजयराघिाचाया • भाषाई आधार िर काों ग्रेस का िुनगाठन।
• पजन्ना काों ग्रेस से अलग हो गए।
1922 गया सी. आर. दास • सी.आर. दास और अन्य नेताओों ने काों ग्रेस से अलग होकर स्वराज िाटी
का पनमाा ण पकया।
1924 बेलगािों महात्मा गााँ धी • एकमात्र सत्र पजसकी अध्यक्षता गाों धी जी ने की थी।
1925 कानिुर सरोपजनी नायडू • प्रथम भारतीय मपहला अध्यक्ष।

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1927 मद्रास एम.ए. अोंसारी मेसोिोटापमया, ईरान और चीन में भारतीय सैपनकोों को भेजने का पिरोध
पकया गया।
• स्वतोंत्रता का प्रिाि िाररत।
• साइमन कमीशन के बपहष्कार का प्रिाि िाररत।
1928 कलकत्ता मोतीलाल नेहरू • िहली अक्तखल भारतीय युिा काों ग्रेस।
1929 लाहौर जिाहरलाल नेहरू • 'िूणा स्वराि' का प्रिाि िाररत।
• कायाकाररणी सपमपत को सपिनय अिज्ञा आों दोलन प्रारों भ करने की
अनुमपत।
• 26 जनिरी को प्रथम स्वोंतत्रता पदिस के रूि में मनाने की घोषणा।
1931 कराची िल्लभभाई िटे ल • गाों धी-इपिान समझौते का अनुमोदन।
• मौपलक अपधकारोों के प्रिाि और राष्टरीय आपथाक कायाक्रम को स्वीकृपत।
• गाों धी जी को दू सरे गोलमेज सम्मलेन में काों ग्रेस का प्रपतपनपधत्व करने के
पलए चुना गया।
1934 बॉिे राजेंद्र प्रसाद • काों ग्रेस समाजिादी दल की स्थािना।
1936 लखनऊ जिाहरलाल नेहरू • नेहरू ने काों ग्रेस से आग्रह पकया पक िो 'समाजिाद' को अिना लक्ष्य
घोपषत करें ।
1937 फैजिुर जिाहरलाल नेहरू • िहला अपधिेशन जो गाों ि में हुआ।
1938 हररिुरा सुभाषचोंद्र बोस • जिाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 'राष्टरीय योजना सपमपत का गठन।
1939 पत्रिुरी राजेंद्र प्रसाद • बोस अध्यक्ष के रूि में पफर से पनिाा पचत हुए, लेपकन गाों धी समथाकोों के
पिरोध के कारण उन्ोोंने इिीफा दे पदया।
• राजेंद्र प्रसाद को सत्र का अध्यक्ष बनाया गया।
• 1939 में बोस ने बोंगाल में काोंग्रेस के भीतर ऑल इों पडया फ़ॉरिडा ब्लॉक
की स्थािना की।
1940 रामगढ़ मौलाना अबुल कलाम • सपिनय अिज्ञा आों दोलन शुरू करने का पनणाय पलया गया।
आजाद
1946 मेरठ जे.िी. कृिलानी • आजादी से िहले काों ग्रेस का अोंपतम सत्र।

उदारिादी चरण (1885-1905) और दृनिकोण


• उदारिादी, कानून के दायरे में रहकर अपहों सक एिों सोंिैधापनक प्रदशानोों के िक्षधर थे।
• उदारिादीयोों का मानना था पक पब्रपटश भारतीयोों की िािपिक क्तस्थपत से अिगत नहीों थे। इसपलए उन्ोोंने यापचका, सोंकल्प और
बैठकोों का सहारा पलया।
• राष्टरिापदयोों ने 1899 में लोंदन में भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस की पब्रपटश कमेटी 'इों पडया'की स्थािना की। दादाभाई नौरोजी ने अिने
जीिन का काफी समय इों ग्लैंड में पबताया तथा पिदे शोों में भारतीय िक्ष में जनमत तैयार करने का प्रयास पकया।
• दो प्रकार की िीनतयोों का अिुसरण :
1. भारतीयोों में राष्टरप्रेम एिों चेतना जागृत कर राजनीपतक मुद्दोों िर उन्ें पशपक्षत करना एिों उनमें एकता स्थापित करना।
2. पब्रपटश जनमत एिों पब्रपटश सरकार को भारतीय िक्ष में करके भारत में सुधारोों की प्रपक्रया प्रारों भ करना।

महत्विूणत उदारिादी िेता: दादा भाई िौरोिी, नफरोििाह मेहता, नदििा िाचा, डब्ल्यू.सी. बििी, एस. एि. बििी,
रासनबहारी घोि, आर.सी. दत्त, बदरुद्दीि तैयबिी, गोिाि कृष्ण गोखिे , िी. आर. िायडू, आिोंद चािू एिों िोंनडत मदि
मोहि माििीय इत्यानद प्रमुख थे। उदारिानदयोों का माििा था नक नब्रटे ि से भारत का सम्पकत होिा भारतीयोों के नहत
में है तथा अभी नब्रनटि िासि को प्रत्यक्ष रूि से चुिौती दे िे का यथोनचत समय िही ों आया है ।

उदारिादीयोों की माोंग सीमाएों


• इस अपधपनयम द्वारा केंद्रीय तथा प्राों तीय पिधान िररषदोों का • केन्द्ीय पिधान िररषदोों और प्राों तीय पिधान िररषद में
पििार पकया जाए। अपतररि सदस्य बढ़ा पदए गए।
• भारतीय पिधानिररषदोों के गैर-सरकारी सदस्योों का • भारतीय पिधानिररषदोों के गैर-सरकारी सदस्योों का
मनोनयन पकया जाए। मनोनयन पकया गया।

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• बजट एिों पित्तीय मामलोों िर बहस करने का सीपमत • सरकारी सदस्योों को बजट िर सोंशोधन का प्रिाि रखने
अपधकार प्राप्त हो। एिों मतदान में भाग लेने का अपधकार नहीों था।
• सदस्योों को िूरक प्रश्न िूछने का अपधकार नहीों था, और न
ही िो पिमपशात प्रश्न का उत्तर दे सकते थे।
• िररषद में अभी भी सरकारी सदस्योों का बहुमत बना रहा।
• िुनागपठत केंद्रीय पिधान िररषद की बैठक अिने िूरे
कायाकाल में (1909 तक) पसफा 13 पदन प्रपत िषा के
िापषाक औसत से आयोपजत हुई।

उदारिादी रािरिानदयोों का योगदाि

• अनेक उदारिादी नेताओों यथा-दादाभाई नौरोजी, आर.सी. दत्त, पदनशा िाचा एिों
कुछ अन्य ने पब्रपटश शासन की शोषणमूलक आपथाक नीपतयोों का अनािरण
पकया तथा उसके द्वारा भारत में पकये जा रहे आपथाक शोषण के पलये 'पनकास
पसद्धाों त' का प्रपतिादन पकया।
• भारत की गरीबी एिों आपथाक पिछड़े िन का कारण उिपनिेशी शासन है ।
पब्रपटश साम्राििाद की आपथाक नीपतयोों
की आलोचना : • इन्ोोंने स्पष्ट पकया पक पब्रपटश साम्राि की नीपतयोों का िररणाम भारत को पनधान
बनाना है ।
• उन्ोोंने भू-राजस्व में कमी करने, नमक कर का उन्मूलन करने , बागान श्रपमकोों
की दशा सुधारने एिों सैन्य खचा में कटौती करने की भी माोंग की।
• 1920 तक भारत में व्यिस्थापिकाओों को कोई िािपिक प्रशासपनक अपधकार
नहीों प्राप्त थे।
• सिाप्रथम 1861 के भारत िररषद अपधपनयम द्वारा इस पदशा में कुछ कदम
उठाये गये। इस अपधपनयम द्वारा केंद्रीय पिधान िररषद का पििार पकया गया।
• 1885 से 1892 के मध्य राष्टरिापदयोों की सोंिैधापनक सुधारोों की भाों गें मुख्यतया
पनम्न दो पबन्हदुओों तक केंपद्रत रहीों:
1. िररषदोों का पििार एिों इनमें भारतीयोों की भागीदारी बढ़ाना।
2. िररषदोों में सुधार, जैसे िररषदोों को और अपधक अपधकार दे ना मुख्यतया
आपथाक पिषयोों िर।
• भारत िररषदोों अपधपनयम 1892 के माध्यम से सोंिैधापनक सुधारोों की राष्टरिापदयोों
व्यिस्थानिका में सोंिैधानिक सु धार एिों द्वारा भारी आलोचना की गई। राष्टरिापदयोों ने अब माों ग की:
अनधप्रचार:
1. इनमें पनिाापचत भारतीयोों का बहुमत हो।
2. उन्ें बजट में पनयोंत्रण सोंबोंधी अपधकार पदये जायें।
• उन्ोोंने नारा पदया 'पबना प्रपतपनपधत्व के कर नहीों।, जैसे अोंग्रेजोों के क्तखलाफ
अमेररकी स्वोंतत्रता सोंग्राम के दौरान पदया गया था।
• यद्यपि पब्रपटश सरकार की िािपिक मोंशा यह थी पक ये िररषदें भारतीय नेताओों
के उद्गार मात्र प्रकट करने का मोंच होों, इससे िादा कुछ नहीों। पफर भी भारतीय
राष्टरिापदयोों ने इन िररषदोों में उत्साहिूिाक भागीदारी पनभायी तथा अनेक
महत्विूणा काया पकये।
• इन उिलक्तियोों के बािजूद राष्टरिापदयोों की सबसे प्रमुख असफलता यह रही पक
िे इन कायाक्रमोों एिों अपभयानोों का जनाधार नहीों बढ़ा सके। मुख्यतया मपहलाओों
की भागदारी नगण्य रही तथा सभी को मत दे ने का अपधकार भी नहीों प्राप्त हुआ।
• सरकारी सेिाओों के भारतीयकरण की माों ग।
• न्यायिापलका का कायािापलका से िृथक्करण।
सामान्य प्रिासकीय सुधारोों हे तु • िक्षिातिूणा एिों भ्रष्ट नौकरशाही तथा लोंबी एिों खचीली न्यापयक प्रणाली की
उदारिानदयोों के प्रयास :
भत्साना।
• पब्रपटश सरकार की आक्रामक पिदे श नीपत की आलोचना।

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• पिपभन्न कल्ाणकारी सदोों यथा-स्वास्थ्य, स्वच्छता इत्यापद में िादा व्यय की


माों ग।
• भारत के बाहर अन्य पब्रपटश उिपनिेशोों में कायारत भारतीय मजदू रोों की दशा में
सुधार करने की माों ग।
• इसके अोंतगात पिचारोों को अपभव्यि करने की, सोंगठन बनाने एिों उसके
स्वतोंत्रता तथा भाषण की स्वतोंत्रता के मुद्दे सक्तम्मपलत थे। इसके िररणामस्वरूि
नागररक अपधकारोों की सुरक्षा शीघ्र ही नागररक अपधकारोों की सुरक्षा का मुद्दा राष्टरीय स्वतोंत्रता आों दोलन का
अपभन्न पहस्ा बन गया।
• उदारिापदयोों के इन कायों से भारतीयोों में चेतना जाग्रत हुई एिों जब 1897 में
बाल गोंगाधर पतलक एिों अन्य राष्टरिादी नेताओों तथा ित्रकारोों को पगरफ्तार पकया
गया तो इसके पिरुद्ध तीव्र प्रपतपक्रया।

िि-साधारण की भूनमका :
• उदारिादी काल में काों ग्रेस का जनाधार सीपमत था तथा जन-सामान्य ने इसमें पशपथल या पनक्तिय भूपमका पनभायी।
• प्रारों पभक राष्टरिादी जन-साधारण के प्रपत िादा पिश्वि नहीों थे।
• जन-सामान्य के पिचार एिों सोच सोंकीणाता से ओत-प्रोत थे
• व्यािक जन समथान के अभाि में उदारिादी पब्रपटश सरकार के पिरुद्ध आक्रमक राजनीपतक रुख अक्तख्तयार नहीों कर सके।
• राष्टरीय आों दोलन की सफलता के पलये जन में व्यािक िैठ बनायी जाए और जनाधार को बढ़ाया जाए।

नब्रनटि सरकार का रुख


• काों ग्रेस के जन्म के प्रारों पभक िषों में पब्रपटश सरकार और भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस में कुछ समय के पलये सहयोगात्मक रुख बना
रहा। पकोंतु 1887 के ििात काोंग्रेस और सरकार के ररश्तोों में कड़िाहट आने लगी।
• इसके ििात् सरकार ने काों ग्रेस पिरोधी रुख अक्तख्तयार कर पलया तथा िह राष्टरिापदयोों को 'राजद्रोही ब्राह्मण' एिों 'दे शद्रोही
पिप्लिकारी' जैसी उिमायें दे ने लगी।
• कालाों तर में सरकार ने काों ग्रेस के प्रपत 'फूट डालो एिों राज करो' की नीपत अिना ली। सरकार ने पिपभन्न काों ग्रेस पिरोधी तत्वोों
यथा सर सैय्यद अहमद खान, बनारस नरे श राजा पशि प्रसाद पसोंह इत्यापद को काों ग्रेस के कायाक्रमोों की आलोचना करने हे तु
उकसाया तथा काों ग्रेस के पिरोधी सोंगठन सोंयुि भारत राष्टरिादी सोंगठन' (यूनाइटे ड इों पडयन िेपटर योपटक एसोपसएशन) की
स्थािना में मदद की।

मूल्ाोंकि :
राष्टरीय जागृपत + राजनीपतक पिचारोों को लोकपप्रय बनाया गया + मजबूत आधार का पनमाा ण + समय के साथ प्रगपतशील सोंस्थाओों का उदय +
जमीनी हकीकत िर आधाररत राजनीपतक काया + भारत के पिचार से शापसत होने िाले भारत के पिचार + लोकताों पत्रक आधार और माों गोों के
दायरे को बढ़ाने में पिफल रहे ।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

8. उग्र-राष्टरिाद का यु ग (1905-1918)

उग्र-रािरिाद के निकास के कारण :


• निश्वास और आत्म-सम्माि में िृक्तद्ध- पतलक, अरपिोंद घोष और पिपिन चोंद्र िाल जैसे नेताओों के द्वारा जनता के पिश्वास में िृक्तद्ध।
• निक्षा का निकास - पब्रपटश शासन के दौरान दे श की बेरोजगारी, गरीबी और अपिकपसतता के बारे में जनता के मध्य
जागरूकता का बढाना।
• बढते हुए िनिमीकरण के निरुद्ध प्रनतनक्रया - यह भारतीय िहचान और सोंस्कृपत की िरतोंत्रता की ओर अग्रसर था। ऐसे में
स्वामी पििेकानोंद, स्वामी दयानोंद सरस्वती, बोंपकम चोंद्र चटजी जैसे नेताओों द्वारा राष्टरिापदयोों से भारतीय सभ्यता िर गिा करने
का आग्रह पकया गया।
• उदारिानदयोों की उििक्तियोों और उिके सोंघित के तरीकोों से असोंतोि (3 Ps - यानचका, प्राथतिा और निरोध)
• किति की प्रनतनक्रयात्मक िीनतयाों – कजान के द्वारा भारत को एक राष्टर के रूि में मान्यता न दे ना, उसके द्वारा राष्टरिापदयोों
का अिमान, उसके भारतीय पिश्वपिद्यालय अपधपनयम, आपधकाररक राज अपधपनयम, कलकत्ता पनगम अपधपनयम जैसे
प्रशासपनक उिायोों की राष्टरिापदयोों द्वारा कड़ी आलोचना।
• रािरिादी निचारधारा का अक्तस्तत्व- बोंगाल में राज नारायण बोस, ए के दत्ता, अरपिन्द घोष, पिपिन चोंद्र िाल; पिष्णु शास्त्री
पचिलूनकर और बाल गोंगाधर पतलक एिों लाला लाजित राय। इस पिचारधारा के मूल पसद्धाों त थे: स्वराज- राष्टरीय आों दोलन के
लक्ष्य को प्रत्यक्ष राजनीपतक कायािाही के माध्यम से प्राप्त करना + जनता में पिश्वास और आत्म-त्याग की आिश्यकता।
• एक प्रनिनक्षत िेतृत्व का उद्भि - बोंगाल पिभाजन के पिरोध तथा स्वदे शी आों दोलन आपद जैसे आन्दोलनोों के दौरान जनता को
अिने सामथ्या का आभास हो चुका था।
• अोंतरातिरीय प्रभाि- यूरोिीय अजेयता के पमथक का ध्वि हो जाना।

1868 के बाद जािान द्वारा औद्योपगक पिकास - एक एपशयाई दे श।


1896 इपथयोपिया द्वारा इटली जैसे कई यूरोिीय दे शोों की हार।
1899-1902 पब्रपटशोों का बोअर युद्धोों से िीछे हटना।
1905 जािान द्वारा रूस की हार।

• नब्रनटि िासि के िोिणकारी स्वरूि की िहचाि – 1896, 1900 के दु पभाक्षोों और दक्कन में प्लेग, पशक्षा के प्रसार के दमन
ने अोंग्रेजोों के आपथाक शोषण को उजागर पकया। इस कारण भारतीयोों को अिनी सरकार की आिश्यकता महसूस की गई।
राष्टरिापदयोों ने दे खा पक पब्रपटश भारतीयोों िर कई प्रपतबोंध लगा रहे हैं , जो इस प्रकार है :

िित नब्रनटि अनधनियम / िॉनिनसयााँ और उिका प्रभाि


1892 • भारतीय िररषद अपधपनयम िाररत पकया गया, यह राष्टरिापदयोों की प्रपतपनपध सरकार आपद माों गोों को सोंतुष्ट करने
में िूरी तरह से पिफल रहा।
1897 • धारा 124 ए के तहत नाथू भाइयोों को पबना मुकदमा चलाए पनिाा पसत कर पदया तथा पतलक को दे शद्रोह के पलए
कैद कर पलया गया।
• भारतीय दों ड सोंपहता की धारा 124 ए के तहत भारत सरकार के प्रपत घृणा या अिमानना फैलाने के प्रयास को
दे शद्रोह के रूि में िररभापषत पकया गया है ।
1898 • धारा 124 ए के तहत दमनकारी कानूनोों को और मजबूत पकया गया।
1899 • कलकत्ता पनगम में भारतीय सदस्योों की सोंख्या कम कर दी गयी थी।
1904 • कायाा लय गोिनीयता कानून को अपधपनयपमत कर, जब लॉडा कजान 1899 से 1905 तक भारत के िायसराय
थे। प्रेस की स्वतोंत्रता िर अोंकुश लगा पदया गया था।
1904 • भारतीय पिश्वपिद्यालय अपधपनयम द्वारा पिश्वपिद्यालयोों िर अपधक सरकारी पनयोंत्रण सुपनपित पकया गया, पजसे
उन्ोोंने राजनीपतक क्राों पतकाररयोों का पनमाा ण करने िाले कारखाने के रूि में िपणात पकया है ।

बोंगाि का निभािि (1905)


• पब्रपटश सरकार ने 1903 में बोंगाल को पिभापजत करने का पनणाय सािाजपनक पकया और यह पिभाजन अक्ट्ू बर 1905 को लागू
हुआ।
• अोंग्रेिोों द्वारा नदए गए कारण – बोंगाल का क्षेत्र प्रशासपनक प्रबोंधन के पलए बहुत बड़ा है और बोंगाल के इस िूिी और िपिमी
बोंगाल में पिभाजन से असम का पिकास होगा।
• िरमिोंनथयोों िे निभािि निरोधी अनभयाि िुरू नकया :
➢ िेता - सुरेंद्रनाथ बनजी, के.के.पमत्रा और िृथ्वीशचोंद्र राय।

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➢ समाचार ित्र – पहतिादी, सोंजीिनी, बोंगाली।

स्वदे िी और बनहष्कार आन्दोिि


बोंगाल पिभाजन का पिरोध करने के पलए यह एक जन आों दोलन था। बाद में यह आों दोलन दे श के अन्य पहस्ोों में फैल गये :
• स्वदे िी आों दोिि की औिचाररक घोिणा: 7 अगि 1905 को कलकत्ता टाउन हॉल में बपहष्कार प्रिाि िाररत होने के साथ।
• निभािि िागू हुआ : अक्ट्ू बर 16, 1905

क्षेत्र िेता
िूिा एिों बॉम्बे बाल गोंगाधर पतलक
िोंिाब लाला लाजित राय, अजीत पसोंह
नदल्ली सैयद है दर रज़ा
मद्रास पचदों बरम पिल्लई

आई.एि.सी. अध्यक्ष उद्दे श्य


गोखले (उदारिादी और उग्रिादी मतभेद सामने • पिभाजन की पनोंदा की, पिभाजन का पिरोध और
1905, आए। उग्रिादी बोंगाल के बाहर आों दोलन को ले जाना स्वदे शी आों दोलन का समथान पकया गया।
बिारस चाहते थे और बपहष्कार के अोंतगात सभी प्रकार के
सोंघोों को शापमल करना चाहते थे। जबपक उदारिादी
ऐसा नहीों चाहते।)
दादाभाई नौरोजी (उग्रिादी या तो पतलक या लाजित • आईएनसी का लक्ष्य यूनाइटे ड पकोंगडम या
1906, राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। उदारिापदयोों ने दादा ऑस्टर े पलया या कनाडा के उिपनिेशोों की तरह
किकत्ता भाई नैरोजी का प्रिाि पदया।) "स्व-सरकार / स्वराज " था।
• स्वराज शब्द का िहली बार उल्लेख पकया गया
था।
1907, सूरत पिभाजन - रास पबहारी घोष • उग्रिादी अध्यक्ष के रूि में या तो पतलक को
सूरत चाहते थे या लाजित राय को। उदारिापदयोों ने
रासपबहारी घोष को प्रिापित पकया और चाहते
थे पक सत्र सूरत में हो तापक अध्यक्ष िद से पतलक
को दू र रखा जा सके, क्योोंपक मेजबान प्राों त का
कोई नेता सत्र अध्यक्ष नहीों हो सकता था, उन्ोोंने
स्वदे शी, बपहष्कार और राष्टरीय पशक्षा िर सोंकल्प
छोड़ने की भी माों ग की।

उग्रिादी नेतृत्व के अोंतगात आन्दोलन


• सोंघित के िए रूिोों को िेि नकया गया जैसे पक पिदे शी सामानोों का बपहष्कार, सािाजपनक सभाएाँ और जुलूस।
• िारों िररक त्योहारोों, मेिोों का प्रतीकात्मक उियोग – पतलक के गणिपत और पशिाजी महोत्सि स्वदे शी प्रचार का माध्यम बन
गए।
• आत्म निश्वास (आत्म िक्ति) िर बि - गाों िोों की प्रपतष्ठा, सामापजक और आपथाक उत्थान की अिधारणा िर बल पदया गया।
• स्वदे िी कायतक्रम या रािरीय निक्षा :
➢ बोंगाि िेििि कॉिेि – अरपिोंद घोष इसके प्रधानाध्यािक थे। यह टै गोर के शाों पत पनकेतन से प्रेररत हैं ।
➢ रािरीय निक्षा िररिद(1906) – इसकी स्थािना राष्टरीय पशक्षा को मातृभाषा में कराने के पलए की गई थी।
➢ बोंगाि इों स्टीट्यूट ऑफ टे क्नोिॉिी - इसको तकनीकी पशक्षा के पलए स्थापित पकया गया था।
• स्वदे िी उद्यम - स्वदे शी िस्त्र पमलोों, बैंकोों, आपद की स्थािना की गई थी। पचदों बरम पिल्लई ने तूतीकोररन में स्वदे शी स्टीम
नेपिगेशन कोंिनी की स्थािना की।
• साोंस्कृनतक प्रभाि - रिीोंद्रनाथ टै गोर ने आमार सोनार बाोंग्ला, सुब्रमण्यम भारती ने सुदेश गीथम पलखा।
• स्वयोंसेिी सोंगठि या 'सनमनतयाों'- इन्ोोंने जनता के बीच राजनीपतक चेतना उत्पन्न की।

सपमपतयाों सोंगनठत कतात


बारीसि अपश्वनी कुमार दत्ता द्वारा स्वदे शी बोंधब सपमपत।
नतरुिेििेिी (तनमििाडु ) पचदों बरम पिल्लई, सुब्रमण्यम पसिा आपद के द्वारा स्वदे शी सोंगम ।

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• सामूनहक भागीदारी:

निद्याथी • बड़ी सोंख्या में भाग पलया, पिशेषकर बोंगाल, महाराष्टर, दपक्षण भारत में।
मुक्तिम • ढाका के निाब सलीमुल्लाह के नेतृत्व में, अपधकाों श उच्च और मध्यम िगा के मुसलमानोों ने भाग नहीों पलया।
• मुक्तिम पकसान का समथान नहीों पमल सका।
• ऑल इों पडया मुक्तिम लीग 30 पदसोंबर, 1905 को काों ग्रेस पिरोधी मोचे के रूि में सामने आई।
मनहिाएों • जुलूस और धरनोों में सपक्रय रूि से भाग पलया।
श्रनमक • बोंगाल, िोंजाब, तपमलनाडु में हड़तालें आयोपजत की गईों।

सरकार की प्रनतनक्रया
• पब्रपटश सरकार ने " िुरस्कार और दों ड नीपत" का िालन पकया। सरकार की इस नीपत को तीन प्रमुख शब्दोों 'अिरोध, साों त्वना
एिों दमन' के रूि समझा जा सकता है ।
• सरकार पिरोधी गपतपिपध को रोकने के पलए 5 नए कानून लाए गए :
1. राजद्रोही सभा अपधपनयम, 1907
2. फौजदारी कानून सोंशोधन अपधपनयम, 1908
3. भारतीय समाचार ित्र अपधपनयम, 1908
4. पिध्वोंसक िदाथा अपधपनयम, 1908
5. भारतीय प्रेस अपधपनयम, 1910
• 1909 में मुज़फ़्फ़रिुर में बोंगाल के क्राों पतकाररयोों द्वारा बम फेंके जाने के बारे में "केसरी" में पतलक के लेख के पलए उन िर
1909 में दे शद्रोह का मुकदमा चलाया गया था।
• अरपिोंद और बी.सी. िाल राजनीपत से सेिापनिृत्त हो गए और लाला लाजित राय पिदे श चले गए।

मॉिे-नमोंटो सुधार 1909


इों पडयन काउों पसल एक्ट् 1909 या मॉले-पमन्टो सुधार भारत के तत्कालीन सपचि जॉन मोले और भारत के िाइसराय-पमोंटो के नाम
िर है ।
• मुसलमानोों को साों प्रदापयक रूि में पिभापजत करने के पलए अलग पनिाा चक मोंडल िेश
पकया।
• िाइसराय कायाकारी िररषद में भारतीय को पनयुि पकया गया - सत्येंद्र पसन्ा।
• केंद्रीय पिधान िररषद में सदस्योों की सोंख्या में िृक्तद्ध कर 16 से 60 कर दी गयी। प्राों त के मामले
भारतीय िररिद
में एक समान नहीों।
अनधनियम 1909
• बजट िर चचाा कर सकते हैं , जनपहत के मामलोों और सोंकल्पोों को प्रिुत कर सकते हैं ।
• िे िूरक प्रश्न भी िूछ सकते थे।
• भारतीयोों को िहली बार इम्पीररयल लेपजिेपटि काउों पसल की सदस्यता दी गई थी।

निभािि का अोंत (1911)


• यह मुख्य रूि से बढ़ते क्राों पतकारी अपतिाद/आतोंकिाद को रोकने के पलए पकया गया था। मुक्तिम राजनीपतक अपभजात िगा
इस कदम से पनराश था। उन्ें खुश करने के पलए :
➢ 1911 में राजधानी को पदल्ली स्थानाों तररत कर पदया गया।
➢ असम को एक अलग प्राों त बनाया पदया गया।
➢ पबहार और उड़ीसा को बोंगाल से अलग कर पदया गया।
• स्वदे शी और बपहष्कार आों दोलन के बाद यह स्पष्ट हो गया पक उदारिापदयोों ने अिनी उियोपगता को समाप्त कर पदया और
उनकी यापचकाओों और भाषणोों की राजनीपत अप्रचपलत हो गई है । उनके बीच पनम्नपलक्तखत मतभेद थे:

आधार उदारिादी उग्रिादी


सामानिक • जमीोंदार और उच्च मध्यम िगा। • पशपक्षत मध्यम और पनम्न मध्यम िगा।
आधार
निचारधारा • िपिमी उदारिादी पिचार और यूरोिीय • भारतीय इपतहास, सोंस्कृपत, पिरासत।
इपतहास।
निश्वास • भारत में इों ग्लैंड के भपिष्य के पमशन िर पिश्वास • भारत में इों ग्लैंड के भपिष्य के पमशन िर पिश्वास
पकया। नहीों था।
• न्याय और पनष्पक्षता की पब्रपटश भािना में • िचास्व के क्तखलाफ हपथयार के रूि में
अपधक पिश्वास। आत्मपनभारता िर पिश्वास पकया।

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• पब्रपटश पहतैपषयोों के साथ सोंबोंध और ताज के • अोंग्रेजोों के शोषणकारी स्वभाि को मान्यता दी,
प्रपत िफादार थे। पनष्ठा के अयोग्य।
• आों दोलन मध्यिगीय बुक्तद्धजीपियोों तक सीपमत • जनता िर पिश्वास पकया।
होना चापहए।
• आम जनता िर पिश्वास नहीों था।
माोंगें • सोंिैधापनक सुधार / स्वशासन। • स्वराज।
निनधयााँ • केिल सोंिैधापनक तरीकोों का उियोग, प्राथाना, • अपतररि-सोंिैधापनक तरीके जैसे- बपहष्कार,
यापचका, अनुनय आपद। पनक्तिय प्रपतरोध का उियोग करने में सोंकोच नहीों
पकया।
• साम्राििाद की आपथाक आलोचना जैसे भारत • स्वराज की माों ग।
से धन की पनकासी, गरीबी और भारत में पब्रपटश • जन आों दोलनोों में योगदान।
का अप्रपसद्ध शासन। • राष्टरिादी पशक्षा का प्रसार।
• सोंिैधापनक सुधार-शस्त्र अपधपनयम 1878, को • पिकासिादी आों दोलनोों के पलए समथान।
योगदाि
पनरि करना, भारतीयोों की पशक्षा िर बढ़ता खचा • सहकारी सोंगठनोों को प्रोत्सापहत पकया।
आपद। • अकाल आपद के पलए राहत कोष स्थापित करना।
• सामान्य प्रशासपनक सुधार के पलए अपभयान।
• नागररक अपधकारोों की रक्षा।
िेता • ए.ओ. ह्यूम, डब्ल्यू.सी.बनजी, दादाभाई नौरोजी, • लाला लाजित राय, बाल गोंगाधर पतलक, पबपिन
गोिाल कृष्ण गोखले। चोंद्र िाल और अरपिोंद घोष।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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9. क्राों पतकारी गपतपिपधयााँ (1907-17)

भारत में क्राोंनतकारी गनतनिनधयााँ:


• राष्टरव्यािी पहों सक जन क्राों पत िैदा करने या सेना की िफादारी को बदलना, क्राों पतकाररयोों को व्यािहाररक नहीों लगा।
• इसके स्थान िर, उन्ोोंने रूसी निनहनिस्टोों या आयररि रािरिानदयोों के रािे िर चलने का पिकल्प चुना।
• उनके द्वारा अलोकपप्रय सरकारी अपधकाररयोों, गद्दारोों तथा क्राों पतकाररयोों के मध्य उिक्तस्थत खबररयोों की हत्याएों की गयी।
• क्राों पतकारी गपतपिपधयोों के पलए स्वदे िी डकैनतयोों द्वारा धन एकपत्रत करना; (प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान) पब्रटे न के दु श्मनोों के
सहयोग से सैन्य षडयोंत्र करना।
• शासकोों को आतोंपकत करना, लोगोों को जागरूक करना तथा उनके मक्तस्तष्क से सत्ता का भय निकाििा क्राों पतकाररयोों का
मुख्य काया बन गया था। क्राों पतकाररयोों का उद्दे श्य उनकी दे शभक्ति, पिशेष रूि से आदशािादी युिाओों से अिील कर लोगोों को
प्रेररत करना था।

िित व्यक्तित्व कायत


िासुदेि बलिोंत फड़के, महाराष्टर रामोसी कृिक दि द्वारा सोंचार लाइनोों को नष्ट करके तथा सशस्त्र
1879 पिद्रोह को भड़काकर दे श को अोंग्रेजोों के छु टकारा पदलाने का लक्ष्य
रखा।
इसने अिनी गपतपिपधयोों के पलए डकैती के माध्यम से धन जुटाने का
प्रयास पकया लेपकन इसके िू णा पिकास से िहले ही इसे दबा पदया
गया।
पतलक, महाराष्टर इनके द्वारा क्राों पतकारी राष्टरिाद को अिनी िपत्रकाएों केसरी और
1890s मराठा(1881) के द्वारा तथा नििािी और गणिनत महोत्सि के द्वारा
प्रसाररत पकया गया।
1897 चािेकार बोंधु , दामोदर िूना के प्लेग आयुि, रैं ड और लेक्तफ्टनेंट आयस्टा की हत्या ।
और बालकृष्ण, महाराष्टर।
सािरकर और उनके भाई, महाराष्टर नमत्रा मेिा, एक गुप्त सोंस्था पजसका अनभिि भारत (मापज़नी की
1899 तरुण इटिी की तजा िर) के साथ पिलय हो गया,को गपठत पकया।
शीघ्र ही यह नापसक, िूना और बॉिे में बम पनमाा ण के केंद्रोों के रूि
में उभरे ।
ज्ञानेंद्र नाथ बसु। पमदनािुर में क्राों पतकारी समूह।
1902 प्रमोद पमत्रा, जतीन्द् नाथ बनजी, कलकत्ता में अिुिीिि सनमनत की स्थािना।
बारीन्द् कुमार घोष और अन्य।
बरीोंद्र कुमार घोष, भूिेंद्रनाथ दत्त ‘युगाोंतर'साप्तापहक। युगाों तर ने पलखा: “समस्या का समाधान लोगोों के
द्वारा ही पकया जा सकता है । भारत में पनिास करने िाले 30 करोड़
1906 लोगोों को उिपनिेशी दमन को रोकने के पलए अिने 60 करोड़ हाथोों
का उियोग करना चापहए। ताकत को ताकत के द्वारा ही रोका जा
सकता है ।”
रासपबहारी बोस और सपचन िोंजाब, पदल्ली और सोंयुि प्राों त में एक गुप्त सोंस्था का गठन पकया।
सान्याल हे मचोंद्र कानूनगो सैन्य और राजनीपतक प्रपशक्षण प्राप्त करने के पलए
पिदे श गए।
युगाों तर समूह इनके द्वारा एक अलोकपप्रय पब्रपटश अपधकारी, सर फुलर (नए िूिी
1907 बोंगाल और असम प्राों त के प्रथम लेक्तफ्टनेंट गिनार) की हत्या का
असफल प्रयास पकया गया था। पजस टर े न में लेक्तफ्टनेंट-गिनार, श्री एों डर यू
फ्ेजर सफ़र कर रहें थे, को िटरी से उतारने का प्रयास पकया गया था।
प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस। मुजफ्फरिुर में श्वेत पब्रपटश जज पकोंग्सफोडा को ले जाने िाली गाड़ी िर
बम फेंका।
घोष बोंधु, अरपिन्द और बारीोंद्र अनुशीलन सपमपत को अलीिुर षड्योंत्र केस / मापनकटोला बम षड्योंत्र
या मुरारीिुकुर षड्योंत्र में पगरफ्तार पकया गया था। अरपिोंद को सभी
1908
आरोिोों से बरी कर पदया गया था लेपकन बारीोंद्र घोष और उल्लसकर
को दोषी ठहराया गया।

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िुपलन दास के तहत ढाका क्राों पतकारी गपतपिपधयोों के पलए धन एकपत्रत करने के पलए बारा में
अनुशीलन डकैती।
1909 अनोंत लक्ष्मण कान्े रे, महाराष्टर ये अपभनि भारत के सदस्य थे और नापसक के कलेक्ट्र ए.एम.टी.
जैक्सन की हत्या की।
रासपबहारी बोस और सपचन पदल्ली के चाों दनी चौक से जाते हुए िायसराय हापडां ग कापफले िर बम
1912 सान्याल। बसोंत कुमार, अमीर चोंद हमले की योजना बनाई गयी, सभी को दोषी ठहराया गया था, लेपकन
और अिध पबहारी रासपबहारी बोस, जो इस योजना के मुख्य अपभयुि थे, भेष बदल कर
बच पनकले ।

• िपिमी अनुशीलन सपमपत का नेतृत्व जतीन्द्नाथ मुखजी या बाघाजपतन द्वारा पकया गया और यह जुगाों तर (या युगाों तर) के रूि
में उभरी।
• प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान, युगाोंतर िाटी ने पिदे श में सहानुभूपत रखने िालोों और क्राोंपतकाररयोों के माध्यम से जमान हपथयार और
गोला बारूद आयात करने की व्यिस्था की, जो जमान सापजश का एक पहस्ा (नज़म्मेरमैि योििा) था।
• युगाों तर िाटी ने डकैपतयोों की एक श्रृोंखला के माध्यम से धन जुटाया, पजसे टै क्सी डकैती या नाि डकैती के रूि में भी जाना जाता
है , पजससे पक इों डो-जमान षड़योंत्र को अोंजाम पदया जा सके।

िोंिाब में क्राोंनतकारी गनतनिनधयााँ :


• िािा िािित राय द्वारा िोंिाबी िनत्रका िुरू नकया िाया गया (आदशा-िाक्य – हर कीमत िर स्वयों के द्वारा सहायता)
• अिीत नसोंह ने िपत्रका भारत माता का प्रकाशन पकया तथा लाहौर में अोंिुमि-ए-मोनहसबाि-ए-िति ’का गठन पकया।
• अन्य नेताओों में ’शापमल थे, आगा है दर, सैय्यद है दर रज़ा, भाई िरमानोंद और कट्टरिोंथी उदू त कनि िािचोंद ‘फिक’।
• सरकार द्वारा मई 1907 में सरकार द्वारा राजनीपतक सभा और सपमपतयोों िर प्रपतबोंध लगाने और लाजित राय और अजीत पसोंह
को पनिाा पसत करने के ििात् िोंजाब में उग्रिाद जल्द समाप्त हो गया।
• सूफी अम्बा प्रसाद, िािचोंद, भाई िरमािोंद, िािा हरदयाि िूणा-िरीय क्राों पतकाररयोों के रूि में उभरे ।
• रासनबहारी बोस ग़दर आन्दोिि में िानमि थे । 1913 में, िे जपतन से 1857 की तरह के अक्तखल भारतीय सशस्त्र उदय की
सोंभािनाओों िर चचाा करने के पलए पमले। पफर, उन्ोोंने बोंगाल योजना को िोंजाब और ऊिरी प्राों तोों में आगे बढ़ाने में सहयोग
पदया। िे 1915 में क्राों पत की योजना सफल न होने के कारण, जािान भाग गये तथा उन्ोोंने भारतीय राष्टरीय सेना की स्थािना में
महत्विूणा भूपमका पनभाई।

निदे ि में क्राोंनतकारी गनतनिनधयााँ :

आश्रय की आिश्यकता, क्राों पतकारी सापहत्य को सामने लाने की सोंभािना,जो प्रेस अपधपनयमोों से मुि हो तथा हपथयारोों की खोज
भारतीय क्राों पतकाररयोों को पिदे श ले गई।

• 1905 में लोंदन में इों नडया हाउस (होम रूल लीग सोसाइटी), भारतीय छात्रोों के पलए एक
छात्रिृपत्त योजना तथा एक िपत्रका 'द इों पडयन सोपसओलोपजस्ट' की शुरुआत ।
श्यामिी कृष्णिमात • सािरकर और हरदयाल जैसे क्राों पतकारी इों पडया हाउस के सदस्य बने।
मदििाि ढी ोंगरा • कज़ान िायली की 1909 में हत्या।
मैडम भीकािीकामा • िारसी मपहला, िेररस से सोंचालन, बोंदे मातरम पनकला गया (सोंचालन अजीत पसोंह द्वारा)

िीरे न्द्रिाथ चट्टोिाध्याय • 1909 से बपलान से सोंचापलत।

गदर:
• ग़दर िाटी एक साप्तानहक अखबार ग़दर के साथ गनठत एक क्राोंनतकारी समूह था, इसका मुख्यािय सैि फ्ाोंनसस्को में
था और इसकी शाखाएों अमेररकी तट के साथ साथ सुदूर िूिा में थी।
• इन क्राों पतकाररयोों में मुख्य रूि से िूित सैनिक और नकसाि शापमल थे, जो बेहतर रोजगार के अिसरोों की तलाश में िोंजाब से
अमेरीका और कनाडा चले गए थे।
• गदर के िूिा की क्राों पतकारी गपतपिपधयोों का सोंचालन रामदास िुरी, िी डी कुमार, तारकिाथ दास, सोहि नसोंह भाकिा और
िािा हरदयाि द्वारा पकया गया था, जो पक 1911 में िहाों िहुों चे थे।
• क्राों पतकारी गपतपिपधयोों को अोंजाम दे ने के पलए िहले क्राों पतकाररयोों द्वारा िैकुिर में स्वदे ि सेिक गृह तथा पसएटल में यू िाइटे ड
इों नडया हाउस की स्थािना की गयी। अोंत में िित 1913 में, ग़दर की स्थाििा हुई।
• ग़दर कायाक्रम को अपधकाररयोों की हत्या करने , क्राों पतकारी और साम्राििाद पिरोधी सापहत्य को प्रकापशत करने , पिदे शोों में
पनयुि भारतीय सैपनकोों के बीच काम करने , हपथयारोों की खरीदने और सभी पब्रपटश उिपनिेशोों में एक साथ पिद्रोह लाने के

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पलए गपठत पकया गया था।


• ग़दर िाटी के िीछे िािा हरदयाि, रामचोंद्र, भगिाि नसोंह, करतार नसोंह सराबा, बरकतउल्ला और भाई िरमािोंद की
भूपमका प्रमुख थी।
• इन सभी ने भारत में स्वोंतत्रता को अिना मुख्य लक्ष्य घोपषत पकया तथा उनकी योजनाओों को 1914 में दो घटनाओों – कामागाटा
मारू प्रकरण और प्रथम निश्व युद्ध के प्रकोि द्वारा उत्प्रेररत पकया गया था।

कामागाटा मारू प्रकरण


• कामागाटा मारू - पसोंगािुर से पसख और िोंजाबी मुसलमानोों को ले जाने िाला एक जलिोत पजसे कनाडा में प्रिेश दे ने से
मना कर पदया गया और भारत लौटने के पलए मजबूर पकया गया।
• पब्रपटश सरकार द्वारा कलकत्ता में अप्रिापसयोों को पगरफ्तार करने की कोपशश की, तापक उन्ें िोंजाब भेजा जा सके।
अप्रिापसयोों ने जाने से इनकार कर पदया। अोंततः एक मुठभेड़ हुई पजसमें 22 अप्रिापसयोों की मौत हो गई।
• ग़दर नेताओों को इस घटना ने अत्यपधक उत्तेपजत पकया। उन्ोोंने अोंग्रेजोों को खदे ड़ने के पलए पहों सक आक्रमण शुरू करने
की योजना बनायी। इसमें शापमल प्रमुख नेता करतार पसोंह सराबा, रघुबरदयाल गुप्ता, रासपबहारी बोस और सपचन सान्याल
थे ।
• आक्रमण करने की पतपथ 21 फरिरी, 1915 पनधाा ररत की गई।
• हालाों पक, अोंग्रेजोों को इस आक्रमण के बारे में िता चल गया, उन्ोोंने िहले से ही पगरफ्तारी शुरू कर दी और आों दोलन को
दबा पदया।
• ग़दर आों दोलन का मुकाबला करने के पलए भारतीय रक्षा अपधपनयम, 1915 अोंग्रेजोों द्वारा इिेमाल पकया जाने िाला प्रथम
सबसे खतरनाक उिकरण था।

यूरोि में क्राोंनतकारी:


• िीरें द्रिाथ चट्टोिाध्याय, भूिेंद्रिाथ दत्ता, िािा हरदयाि और अन्य लोगोों द्वारा 1915 में जमान पिदे श मोंत्रालय की मदद से
निम्मेरमैि प्लाि के तहत ‘बनिति कमेटी फॉर इों नडयि इों नडिेंडेंस’ की स्थािना गई थी।
• यूरोि क्तस्थत भारतीय क्राों पतकाररयोों ने बगदाद, फारस, तुकी और काबुि में अनेक क्राों पतकाररयोों को भारतीय सेनाओों और
भारतीय युद्धबोंपधयोों (िीओडब्ल्यू) के बीच काम करने और इन दे शोों के लोगोों के बीच पब्रपटश पिरोधी भािनाओों को उकसाने के
पलए नििमोंडि भेजा।
• एक पशष्टमोंडल राजा महें द्र प्रताि पसोंह, बरकतउल्लाह और ओबैदुल्ला पसोंधी के नेतृत्व में काबुल में एक 'स्थायी भारतीय
िासि' की स्थािना के पलए राजकुमार अमानुल्लाह की सहायता से भेजा गया था।

नसोंगािुर में निद्रोह:


• इस अिपध के दौरान हुए पिद्रोह में सबसे उल्लेखनीय पिद्रोह, पसोंगािुर में 15 फरिरी 1915 को िोंजाबी मुक्तिम की 5िीों लाइट
इन्फैंटर ी और 36िीों पसख बटापलयन के सैपनकोों ने जमादार पचश्ती खान, जमादार अब्दु ल गनी एिों सूबेदार दाउद खान के नेतृत्व
में हुआ था।
• भयोंकर युद्ध के ििात् इसे कुचल पदया गया था, पजसमें कई लोग मारे गए। बाद में , 37 व्यक्तियोों को फाों सी की सजा दी गई और
41 को आजीिन कारािास दे पदया गया।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

10. प्रथम पिश्व यु द्ध (1914-1919) और राष्टर िादी प्रत्यु त्त र

प्रथम निश्व युद्ध में नब्रनटि की भागीदारी तथा रािरिानदयोों का प्रत्युत्तर

उदारिादी युद्ध में साम्राि का समथान पकया।


उग्रिादी उग्रिापदयोों ने भी युद्ध में पब्रटे न का समथान या, क्योोंपक उन्ें आशा थी पक युद्ध के ििात पब्रटे न भारत में
स्वसाशन के सोंबोंध ठोस कदम उठाएगा।
क्राोंनतकारी अोंग्रेजोों से युद्ध छे ड़ने और दे श को आजाद कराने का फैसला पकया।

होमरुि िीग आन्दोिि (1916)


• यह प्रथम पिश्व युद्ध के पलए प्रथम भारतीय प्रपतपक्रया थी, जो आयररश होमरूल लीग से प्रेररत थी। इस आों दोलन का
उद्दे श्य राजनीपतक पशक्षा और चचाा , सािाजपनक बैठकोों आपद के माध्यम से स्व-शासन प्राप्त करना था।
• 1917 की रूसी क्राों पत ने आों दोलन को प्रेररत पकया।
• सरकार ने गोंभीर दमन का सहारा पलया, पकन्तु इसने राजनीपत की गाों धीिादी शैली के पलए जनता को तैयार कर पदया।
• पतलक ने अप्रैल 1916 में बेलगाम में इों पडयन होमरूल लीग की शुरुआत की।
• एनी बेसेंट ने पसतोंबर 1916 में मद्रास में होमरूल लीग की शुरुआत की।

होमरूि िीग िुरू करिे के निए उत्तरदायी कारक :


• राष्टरिापदयोों का मानना था पक सरकार से ररयायत िाने के पलए लोगोों की भागीदारी आिश्यक थी।
• मॉले-पमोंटो सुधारोों से उदारिापदयोों का मोहभोंग होना।
• लोगोों िर युद्ध का बोझ िड़ा - उच्च कराधान, कीमतोों में िृक्तद्ध, और िे पिरोध के पकसी भी आक्रामक आों दोलन में भाग लेने के
पलए तत्पर थे।
• यह एक साम्राििादी युद्ध था पजसने श्वेतोों की अजेयता के भ्रम को उजागर पकया।
• 1914 में अिनी ररहाई के बाद पतलक, राष्टरिादी नेतृत्व सोंभालने के पलए अिसर की तलाश में थे और आयररश होम रूल लीग
से प्रेररत थे। एनी बेसेंट ने होमरूल के कायाक्षेत्र को बढ़ाने के पलए जनता के बीच अिने पिचारोों को प्रसाररत कर रही थी।

िोट: एों ग्लो-इों पडयन, दपक्षण के अपधकाों श मुक्तिम और गैर-ब्राह्मण इस आन्दोलन में शापमल नहीों हुए क्योोंपक उन्ें लगा पक इसका
अथा पहों दू बहुसोंख्यकोों के शासन से है ।

• नतिक िे अििी िीग अप्रैि 1916 में महाराष्टर (बॉिे शहर को छोड़कर), कनाा टक,
मध्य प्राों त और बरार के क्षेत्रोों में स्थापित की थी।
• इसकी माों गोों में स्वराज्य, भाषाई आधार िर प्रान्तोों का गठन और मातृभाषा में पशक्षा
िीग की िाखाएाँ शापमल थी।
• पतलक द्वारा अपहों सात्मक प्रपतरोध की िकालत की गयी।
• एिी बेसेंट िीग- पसतोंबर 1916 में मद्रास और शेष भारत (बॉिे शहर सपहत) में
स्थापित पकया गया था।
• पतलक के लीग की तुलना में यह लीग कमजोर थी।

• िेता: मोतीलाल नेहरू, लाला लाजित राय, जिाहरलाल नेहरू, भूलाभाई दे साई, पचतरों जन दास, मदन मोहन मालिीय, मोहम्मद
अली पजन्ना, तेज बहादु र सप्रू।
• जॉजा अरुोंडे ल, बी.डब्ल्यू. िापडया और सी. िी. रामास्वामी अय्यर एनी बेसेंट के सहयोगी थे।
• सर एस. सुब्रमण्यि अय्यर ने नाइटहुड की उिापध को त्याग पदया था।

होम रूि निम्ननिक्तखत कारणोों से 1919 आते आते धीमा िड़ गया -


• प्रभािी सोंगठन का अभाि।
• 1917-18 के साों प्रदापयक दों गे।
• उदारिापदयोों को सुधारोों के आश्वासन के माध्यम से शाों त कर पदया गया था- माों टेग्यू-चेम्सफोडा सुधार।
• उग्रिापदयोों द्वारा पसतोंबर 1918 में अपहों सात्मक प्रपतरोध की बात ने उदारिापदयोों को उनसे अलग कर पदया।
• 1918 में पतलक को पिदे श जाना िड़ा, जबपक एनी बेसेंट ने आों दोलन में पनक्तिय प्रपतरोध और सुधारोों से असमोंजस में थी।

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होम रूि िीग के साथ सोंबद्ध व्यक्तित्व -

• उन्ोोंने पिचारोों की स्वतोंत्रता, धमापनरिेक्षता, मपहलाओों के अपधकारोों, जन्म पनयोंत्रण, श्रपमकोों के


अपधकारोों और फैपबयन समाजिाद के पलए लड़ाई लड़ी।
• हे लेना ब्लाित्स्की से पमलने के ििात बेसेंट 1889 में पथयोसोफी में िररिपतात हो गयी।
• िे 1893 में िहली बार पथयोसोपफकल सोसायटी के सदस्य के रूि में भारत आयी ।
• उन्ोोंने पथयोसोपफकल सोसाइटी की स्थािना की – अड्यार में हे नरी स्टील ऑिोट के साथ।
एिी बेसेंट
इसका मुख्यालय चेन्नई के अडयार में क्तस्थत है ।
• िे 1907 से 1933 तक इस सोंस्था की अध्यक्षा रही थीों।
• बेसेंट ने बनारस में सेंटरल पहों दू कॉलेज (CHC) की स्थािना की।
• िे भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस में शापमल हुई और स्व-शासन के पलए सरकारी कारा िायी की माों ग
की।
• बेसेंट ने 1916 में बाल गोंगाधर पतलक के साथ अक्तखल भारतीय होमरूल लीग की शुरुआत
की।
• एनी बेसेंट की 1933 में 85 िषा की आयु में अड्यार में मृत्यु हो गयी।
• इन्ें लोकमान्य पतलक के नाम से भी जाना जाता है ।
• गोिाल गणेश अगरकर तथा अन्य सहयोगी के साथ पमलकर उनहोोंने दक्कन एजुकेशन
सोसाइटी की स्थािना (1884) की ।
• दक्कन एजुकेशन सोसायटी के माध्यम से िे िुणे में फग्यूा सन कॉलेज (1885) के सोंस्थािक
सदस्योों में से एक रहें थे।
• स्व-शासन की आिश्यकता िर जोर पदया तथा यह पिश्वास जताया पक स्व-शासन या स्वराि
के पबना, पकसी भी तरह की भी प्रगपत सोंभि नहीों है ।
बाि गोंगाधर नतिक • पतलक द्वारा 'गणेश चतुथी' और 'पशिाजी जयोंती' मनायी गयी । उन्ोोंने भारतीयोों में एकता और
प्रेरणादायक राष्टरिादी भािना को प्रेररत करने िाले इन समारोहोों की शुरुआत की थी।
• "स्वराि मेरा िन्मनसद्ध अनधकार है और मै इसे िेकर रहूों गा!" उनका नारा था।
• लाला लाजित राय और पिपिन चोंद्र िाल के साथ, िह उग्रिादी दृपष्टकोण रखने िाले नेताओों
लाल-बाल-िाल पतकड़ी का पहस्ा थे।
• 1890 में भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस (INC) में शापमल हुए।
• समाचार ित्र- साप्तापहक केसरी (मराठी) और मराठा (अोंग्रेजी) िुिकें- गीता रहस्य और
आकापटक होम ऑफ िेदास।
• 1 अगि 1920 को इनकी मृत्यु हो गई।

िखिऊ समझौता : आई.एि.सी. का िखिऊ अनधिेिि(1916):

अध्यक्षता • ए. सी. मजूमदार


िेतृत्व • उग्रिापदयोों का काों ग्रेस में िुनः प्रिेश।
• काों ग्रेस और मुक्तिम लीग के बीच लखनऊ समझौता और उनके द्वारा सरकार को आम सोंिैधापनक
माों गोों की प्रिुपत।
उग्रिानदयोों का • गोखले, पफ़रोज़शाह मेहता जैसे उदारिापदयोों की मृत्यु ने िुनपमालन को सरल बनाया।
िुिः प्रिेि का • एनी बेसेंट और पतलक के प्रयासोों (पहों सा के कृत्योों की भी पनोंदा की)।
कारण • उदारिादी और उग्रिादी दोनोों ने महसूस पकया पक पिभाजन ने राजनीपतक पनक्तियता को बढािा
पदया है ।
• प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान तुकी की मदद करने से पब्रटे न का इों कार।
काोंग्रेस के साथ • 1911 में बोंगाल के पिभाजन का रद्द होना।
मुक्तिम िीग • लीग में युिा सदस्योों का उदय - मौलाना आज़ाद (इनका काम ’अल पहलाल’), मोहम्मद अली (इनका
समझौते के कारण काम ‘कॉमरे ड’) ।
• काों ग्रेस अलग पनिाा चक मोंडल की सोंघ की माों ग िर सहमत हो गयी। मुसलमानोों को अक्तखल भारतीय
और प्राों तीय िरोों िर सीटोों का एक पनपित अनुिात प्रदान पकया गया।

माोंटेग्यू की घोिणा(अगस्त 1917)


• 1917 और 1922 के बीच राि सपचि रहें लॉडा चेम्सफोडा और 1916 और 1921 के बीच भारत का िायसराय रहें माोंटेग्यू ने
उत्तरदायी सरकार के पलए 1917 का अगि घोषणा ित्र बनाया।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• इसमें मुख्य तौर िर शापमल थे:


➢ अब राष्टरिापदयोों द्वारा स्वशासन की मााँ ग को दे शद्रोह नहीों कहा जा सकता था। भारतीयोों के पलए स्व-शासन की प्राक्तप्त को
सरकार द्वारा अिनी नीपतयोों में शापमल कर पलया गया।
➢ उत्तरदायी शासन की प्रकृपत और प्रगपत के सिन्ध में सही समय का पनणाय सरकार लेगी।
प्रथम निश्व युद्ध के ििात रािरिादी िुिरुत्थाि के कारण
• पिपभन्न क्षेत्रोों में युद्ध के बाद की आपथाक कपठनाइयाों और लोगोों की दु गापत।
• युद्ध में सहयोग के पलए राजनीपतक लाभ की अपधक आशा।
• साम्राििाद के साथ पिश्व भर में साम्राििादी शक्तियोों का लोकतोंत्र स्थापित करने का कोई इरादा नहीों होना।
• अक्ट्ू बर / रूसी क्राों पत ने पदखाया पक लोगोों के िास बड़ी शक्ति है और साम्राििादी शक्तियोों को चुनौती दी जा सकती हैं ।
माोंटेग्यू - चेम्सफोडत सुधार: भारत सरकार अनधनियम, 1919
भारत सरकार अनधनियम 1919 की नििेिताएों :
• प्राोंतीय सरकार के निए- गिनार प्राों त का कायाकारी प्रमुख था।
• द्वै ध शासन प्रणाली की शुरुआत गई थी- प्रशासकोों के दो िगा - कायाकारी िाषाद और मोंत्री।
• पिषयोों को दो सूपचयोों में पिभापजत पकया गया था - आरपक्षत (गिनार अिने कायाकारी िाषादोों के साथ –कानून एिों व्यिस्था,
पसोंचाई, पित्त, भूपम राजस्व, आपद का प्रभारी) और हिाों तररत (मोंत्री- पशक्षा, स्थानीय सरकार, स्वास्थ्य, आबकारी, उद्योग, आपद
का प्रभारी) ।
• राि के सपचि और गिनार-जनरल आरपक्षत सूची के अोंतगात पिषयोों में हिक्षेि कर सकते हैं लेपकन हिाों तररत सूची के पलए
यह हिक्षेि प्रपतबोंपधत था।
• प्राों तीय पिधान सभाओों का आकार बढ़ाया गया। अब लगभग 70% सदस्य चुने गये थे।
• कुछ मपहलाएों भी मतदान कर सकती थीों।
• पकसी भी पिधेयक को िाररत करने के पलए राििाल की सहमपत आिश्यक थी। उसके िास िीटो िािर भी था और िह
अध्यादे श भी जारी कर सकता था।
• केंद्र सरकार- मुख्य कायािापलका अपधकारी गिनार-जनरल था।
• प्रशासन के पलए दो सूपचयााँ थीों - केंद्रीय और प्राों तीय।
• िायसराय की कायाकाररणी िररषद में 8 सदस्योों में से 3 सदस्य भारतीय थे।
• गिनार-जनरल अध्यादे श जारी कर सकता था। िह केंद्रीय पिधापयका द्वारा अस्वीकार पकए गए प्रिािोों को भी प्रमापणत कर
सकता है ।
• दो सदनोों के साथ एक पद्वसदनीय पिधानमोंडल की स्थािना - पिधान सभा (लोक सभा के अग्रदू त) और राि िररषद (राि सभा
के अग्रदू त)।
• पिधान सभा (पनम्न सदन) - 3 िषा का कायाकाल।
• राि िररषद (उच्च सदन) – केिल िुरुष सदस्य िाों च िषा के कायाकाल के साथ।
• सदस्य प्रश्न िूछ सकते हैं और बजट का एक पहस्े िर िोट कर सकते हैं ।
• बजट का केिल 25% पहस्ा िोट के अधीन था।
• प्रथम बार प्रदान पकया गया - भारत में एक सािाजपनक सेिा आयोग की स्थािना।
• सरकार के कामकाज का अध्ययन करने के पलए 10 साल बाद एक िैधापनक आयोग का गठन पकया जाएगा। इसके
िररणामस्वरूि 1927 में साइमन कमीशन बनाया गया।
• भारत के राि सपचि को पब्रपटश खजाने से भुगतान पकया जाएगा।

दनक्षण अफ्ीका में गाोंधी: 1894-1914


• सोंघित का उदारिादी चरण (1894-1906): उन्ोोंने दपक्षण अफ्ीका और पब्रपटश अपधकाररयोों को यापचका और प्राथाना ित्र
भेजने की नीपत अिनायी। उन्ोोंने "नेटल इों पडयन काों ग्रेस" की स्थािना की और जनसोंख्या के पिपभन्न िगों को एकजुट करने के
पलए "इों पडयन ओपिपनयन" नामक िपत्रका की शुरुआत की।
• अनहों सात्मक प्रनतरोध या सत्याग्रह का चरण (1906- 1914): गाों धी के अधीन भारतीयोों ने पनम्नपलक्तखत सत्याग्रह शुरू पकया:

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• गाों धी 1915 में भारत लौटे । अिने शुरुआती पदनोों में, उन्ोोंने अिना समय अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में पबताया तथा
गोिाल कृष्ण गोखले उनके राजनीपतक गुरु बन गए।

भारत में गाोंधी

चोंिारण • राजकुमार शुक्ल द्वारा गाों धी को पबहार के चोंिारण में नील कृषको की समस्याओों को दे खने के पलए
सत्याग्रह आमोंपत्रत पकया गया।
(1917) - • पकसानोों को अिनी भूपम के 3/20िें भाग िर नील की खेती करने के पलए मजबूर पकया गया था।
िहिा सनििय (पतनकपठया िद्दपत)।
अिज्ञा • यूरोिीय कृषकोों ने अिने मुनाफे को अपधकतम करने के पलए अपधक लगान और अिैध रूि से बकाया
की माों ग की।
• गाों धी के हिक्षेि के बाद, पकसानोों को अिैध िसूली का 25 प्रपतशत पहस्ा िािस कर पदया गया।
• जुड़े हुए नेता -राजेंद्र प्रसाद, मज़हर-उल-हक, महादे ि दे साई, नरहरर िाररख, जे.बी. कृिलानी आपद।
अहमदबाद • सूती पमल मापलकोों और श्रपमकोों के बीच प्लेग बोनस को लेकर पििाद पछड़ा था।
नमि हड़ताि • श्रपमकोों ने मजदू री में 50 प्रपतशत की िृक्तद्ध की माों ग की।
(1918) - • गाों धी ने 35 प्रपतशत बढ़ोतरी की माों ग की और आमरण अनशन शुरू पकया।
प्रथम भूख • अनुसुइया साराभाई एक सामापजक कायाकताा थीों पजन्ोोंने गाों धी को श्रपमकोों के पहत में लड़ने के पलए
हड़ताि आमोंपत्रत पकया था। िे 1891 में स्थापित अहमदाबाद पमल ओनसा एसोपसएशन की अध्यक्षा थीों।
खेड़ा सत्याग्रह • गुजरात के खेड़ा पजले में दु पभाक्ष के कारण िूरी फसल बबाा द हो गईों।
(1918) – प्रथम • उिज सामान्य उिज के 1/4 से कम रह गयी इसपलए पकसान राजस्व सोंपहता के अनुसार राजस्व माफी
असहयोग के हकदार थे।
• सरकार ने करोों की माों ग की और भुगतान न करने िर सोंिपत्त जब्त करने का आदे श पदया।
• गाों धी ने पकसानोों को करोों का भुगतान नहीों करने के पलए कहा।
• नेता: सरदार िल्लभाई िटे ल, नरहरर िाररख, मोहनलाल िोंड्या आपद।
• सरकार अोंततः सभी जब्त की गई सोंिपत्त को िािस करने , कर में िृक्तद्ध को कम करने , एक िषा के पलए
कर को पनलोंपबत करने िर सहमत हुई।
• अराजक और क्राों पतकारी अिराध अपधपनयम / रौलट एक्ट् - दो साल तक पबना पकसी मुकदमे के
रौिेट एक्ट् कायाकताा ओों को कारािास की कैद, यहाों तक पक दे शद्रोही समाचार ित्रोों की जब्ती अिराध का ियाा प्त
,1919- प्रथम सबूत माना गया।
िि आन्दोिि • बोंदी प्रत्यक्षीकरण के कानून को पनलोंपबत कर पदया गया।
• गाों धी ने सत्याग्रह सभाओों का आयोजन करके अक्तखल भारतीय िर िर व्यािक पिरोध का आह्वान पकया।
• पिधान िररषद के सभी पनिाा पचत भारतीय सदस्योों - पजन्ना, मदन मोहन मालिीय और मज़हर उल हक ने
इसके पिरोध में इिीफा दे पदया।

िनियााँिािा बाग़ हत्याकाोंड (अप्रैि 13, 1919)

क्ा ? • िोंजाब के अमृतसर में एक बाग ,पजसे जपलयाों िाला बाग के नाम से जानते है , पनहत्थे भारतीयोों की एक
बड़ी भीड़ िर पब्रपटश सैपनकोों द्वारा गोलीबारी की गयी।
क्ोों ? • गाों धी ने िूरे दे श में एक पदन के रौलट सत्याग्रह का आह्वान पकया।
• अमृतसर के नेताओों - सत्य िाल और सैफुद्दीन पकचलू को पगरफ्तार पकया गया था।
• पब्रगेपडयर जनरल रे पजनॉल्ड एडिडा है री डायर को शाों पत बहाल करने का आदे श पदया गया। पजनमें
सािाजपनक समारोहोों िर प्रपतबोंध भी शापमल था।
िररणाम • नोबेल िुरस्कार पिजेता रिीोंद्रनाथ टै गोर ने नाइटहुड की उिापध का त्याग कर पदया।
• गाों धी द्वारा अिने प्रथम दीघाकालीन अपहों सक पिरोध (सत्याग्रह) अपभयान, असहयोग आों दोलन (1920-
22) को बड़े िैमाने िर शुरू पकया गया।
सनमनत • हों टर जाों च कमेटी / पडस्ऑडा र इों क्वायरी कमेटी, ।
• इस सपमपत में 3 भारतीय शापमल थे।
• ररिोटा में डायर के कायों की पनोंदा की गई। हालााँ पक, उस िर कोई अनुशासनात्मक कारा िाई नहीों की
गई।
काोंग्रेस का • आई.एन.सी. ने अिनी सपमपत बनाई - मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, अब्बास तैय्यब जी, एम. आर.
दृनिकोण जयकर और गाों धी।
• डायर के कायों की आलोचना की गयी।

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हाि में • 13 अप्रैल, 2020 को घटना के 101 साल िूरे हो गए।


• अमृतसर में जपलयाों िाला बाग अब एक राष्टरीय स्मारक है ।

पिद्याथी के पलए पटप्पणी

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11. क्तखलाफत एिों असहयोग अन्दोलन


• ये दोनोों साम्राििाद पिरोधी आों दोलन थे, हालाों पक ये िृथक-िृथक मुद्दोों के साथ प्रारों भ हुए।
• गाों धी के नेतृत्व में 1920-22 के दौरान, ये दोनोों आों दोलन एकजुट हो गए थे।
क्तखिाफत का मुद्दा -
• क्तखलाफत आों दोलन (1919-20) तुकी में खलीफा के िद की रक्षा के पलए, पमत्र राष्टरोों पिशेष रूि से पब्रटे न के पिरुद्ध, तुकी खलीफा
के िक्ष में मुक्तिम समथान को प्रकट करने के पलए एक आों दोलन था।
• प्रथम पिश्व युद्ध में तुकी की िराजय के ििात पमत्र राष्टरोों ने उस िर कड़े प्रपतबोंध लगाये। तु की को पिभापजत कर पदया गया और
खलीफा को िद से हटा पदया गया।
• शौकत अली और मुहम्मद अली, मौलाना आजाद, अजमल खान और हसरत मोहानी के नेतृत्व में 1919 में क्तखलाफत कमेटी का
गठन पकया गया था।

क्तखिाफत का निकास- असहयोग कायतक्रम-


• अक्तखि भारतीय क्तखिाफत सनमनत (1919) - प्रथम अक्तखल भारतीय क्तखलाफत सम्मेलन का अध्यक्ष गाों धी को चुना गया था।
• पतलक द्वारा धापमाक मुद्दोों िर मुक्तिम नेताओों के साथ सोंपध करने का पिरोध पकया गया और िे सत्याग्रह को एक राजनीपत
उिकरण के रूि में प्रयोग करने के िक्ष में नहीों थे।
• काों ग्रेस इस तरह की राजनीपतक कारा िाई को लेकर एकजुट नहीों थी। हालााँ पक, इसके द्वारा क्तखलाफत आों दोलन िर असहयोग
कायाक्रम को समथान पदया गया क्योोंपक:
➢ पहों दू-मुक्तिम एकता स्थापित करने का अिसर।
➢ इसके द्वारा मुक्तिम जनता को राष्टरीय आों दोलन की मुख्य धारा में लाया जा सकता है ।
➢ सोंिैधापनक उिाय अियाा प्त सापबत हो रहे थे।
➢ यह जनता द्वारा असोंतोष व्यि करने का एक तरीका था।
• मुक्तिम लीग द्वारा भी इस आों दोलन का समथान पकया गया

िित घटिा
मई, 1920 तुकी के साथ सेब्रीज की सोंपध, इस सोंपध द्वारा तुकी को िूरी तरह पिभापजत कर पदया गया।
अगस्त 1, 1920 पतलक का पनधन हो गया।
अगस्त 31,1920 क्तखलाफत सपमपत ने औिचाररक तौर िर असहयोग आन्दोलन को शुरू पकया।
• काों ग्रेस द्वारा कलकत्ता में पिशेष सत्र को मोंजूरी।
• असहयोग आन्दोलन कायाक्रम में सक्तम्मपलत काया िद्दपत:
➢ सरकार द्वारा दी गयी उिापधयोों का िररत्याग।
नसतम्बर,1920
➢ पसपिल सेिाओों, सेना और िुपलस तथा अन्य सभी सरकारी कायाा लयोों का बपहष्कार।
➢ सरकार को करोों का भुगतान न करना।
➢ पिदे शी किड़ोों का बपहष्कार और स्वदे शी किड़ोों का उियोग।
➢ पिधान िररषदोों का बपहष्कार (सी.आर.दास तथा अन्य कुछ लोग इस पिचार के िक्ष में नहीों)।
➢ शराबबोंदी आपद।
➢ नागिुर में भारतीय राष्टरीय काोंग्रेस का अपधिेशन हुआ।
➢ असहयोग आों दोलन का अनुमोदन कर पदया गया।
➢ शाों पतिूणा और न्यायोपचत तरीकोों से स्वराज की प्राक्तप्त, इस प्रकार सोंिैधापनक दायरे से बाहर जनसोंघषा
को स्वीकार पकया गया।
नदसम्बर ,1920 ➢ काों ग्रेस को नेतृत्व प्रदान करने के पलए 15 सदस्यीय काों ग्रेस कायाकाररणी सपमपत (सीडब्ल्यूसी) स्थापित
की गई थी।
➢ भाषायी आधार िर प्राों तीय सपमपतयोों तथा िाडा सपमपतयोों का भी गठन पकया गया।
➢ कई क्राों पतकारी समूहोों ने काों ग्रेस को अिना समथान दे ने की घोषणा की।
➢ मोहम्मद अली पजन्ना, एनी बेसेंट, जी.एस. कािडे और बी. सी. िाल ने काों ग्रेस को छोड़ पदया क्योोंपक िे
सोंिैधापनक और न्यायिूणा सोंघषा में पिश्वास करते थे।
➢ सुरेंद्रनाथ बनजी ने इों पडयन नेशनल पलबरल फेडरे शन की स्थािना की। इसके कुछ प्रमुख नेता तेज
बहादु र सप्रू, एस. श्रीपनिास शास्त्री और एम. आर. जयकर थे।

अन्य गनतनिनधयाों:

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• आचाया नरें द्र दे ि, सी. आर. दास, लाला लाजित राय, ज़ापकर हुसैन तथा सुभाष बोस के नेतृत्व में शैपक्षक सोंस्थानोों का गठन पकया
गया। जैसे अलीगढ़ में जापमया पमपलया, काशी पिद्यािीठ, पबहार पिद्यािीठ आपद।
• पतलक स्वराज फोंड को स्थापित पकया गया पजसमें एक करोड़ रुिये जमा हुए। इस फोंड के पलए मपहलाओों द्वारा अिने आभूषण
तक दान कर पदए गए थे।
• अली बोंधुओों ने जुलाई, 1921 में घोषणा की थी पक सभी मुसलमानोों को सेना से त्यागित्र दे दे ना चापहये क्योोंपक यह धमा के क्तखलाफ़
है ।
• जे.एम. सेनगुप्ता असम चाय बागान हड़ताल के एक प्रमुख नेता थे।
• स्थानीय सोंघषा जैसे- उत्तर प्रदे श में अिध पकसान आों दोलन और एका आों दोलन, मालाबार में मोिला पिद्रोह तथा िोंजाब में पसखोों
द्वारा महों तोों के पनष्कासन की माों ग को लेकर चलाया गया आों दोलन आपद।
• गाों धी और िायसराय रीपडों ग के मध्य मई, 1921 में िाताा टू ट गयी।
• स्वयोंसेिक सोंगठनो को अिैध घोपषत कर पदया गया तथा सािाजपनक सभाओों िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।
चौरी चोरा काोंड (5फरिरी 1922)
सोंयुि प्राों त के गोरखिुर पजले के चौरी चौरा में असहयोग आों दोलन के प्रदशानकारी िुपलस से झड़ि, पजसके िररणामस्वरूि कुछ
िुपलसकपमायोों और नागररकोों की मौत हो गयी।

1921 • सी. आर. दास अहमदाबाद सत्र के अध्यक्ष थे हालाों पक िे जेल में थे। इस कारण हकीम अजमल खान
को कायािाहक अध्यक्ष बनाया गया था। इस सत्र में गाों धी को एकमात्र प्रापधकारी पनयुि पकया गया।
1 फरिरी, 1922 • राजनीपतक कैपदयोों को ररहा न करने िर और प्रेस िर से प्रपतबोंध नहीों हटाने िर गाों धी द्वारा गुजरात
के बारदोली से सपिनय अिज्ञा शुरू करने की चेतािनी दी गयी।
5 फरिरी, 1922 • उत्तेपजत भीड़ ने थाने में आग लगा दी।
• बारदोली में काों ग्रेस नेताओों ने मुलाकात की।
12 फरिरी, 1922 • गाों धी ने असहयोग आों दोलन को िािस लेने का फैसला पलया क्योोंपक उन्ोोंने महसूस पकया पक
भारतीयोों ने अभी अपहों सा के पसद्धाों त को अच्छी तरह से नहीों सीखा हैं ।
10 माचत ,1922 • गाों धी को पगरफ्तार कर पलया गया और मुकदमा चलाकर 6 साल के पलए जेल भेज पदया गया।
• मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास, एन.सी. केलकर, जी.एस. कािडे और एस. श्रीपनिास ने स्वराज िाटी
की स्थािना की।
• गाों धी द्वारा असहयोग अन्दोलन को अचानक िािस ले लेने के कारण िे हताश थे।
• क्तखलाफत आों दोलन ने अिनी प्रासोंपगकता खो दी क्योोंपक तुकी के लोगोों ने मुिफा कमाल िाशा के
ििबोंर,1922 नेतृत्व में पिद्रोह कर पदया और सुल्तान के राजनैपतक अपधकार छीन पलए गए। तुकी में एक धमापनरिेक्ष
राि की स्थािना कर दी गयी।
1924 • खलीफा िद को समाप्त कर पदया गया।

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12. सपिनय अिज्ञा आन्दोलन (1930-31) तथा गोलमे ज सम्मले न

सपिनय अिज्ञा आन्दोलन की िृष्ठभूपम का पनमाा ण

पदसिर ,1928- अध्यक्ष- मोतीलाल नेहरु • ऑल इों पडया काों ग्रेस को पनपमात पकया गया।
काों ग्रेस का कलकत्ता • नेहरु ररिोटा को स्वीकार पकया गया।
का अपधिेशन • सरकार को एक िषा के अन्दर डोमेपनयन स्टे टस को स्वीकार करने की
अोंपतम चेतािनी दी गयी और ऐसा न होने िर िूणा स्वराज के पलए
सपिनय अिज्ञा आन्दोलन प्रारों भ पकया जायेगा।
1929 के दौरान • गाों धी ने बड़े िैमाने िर यात्रा की, बारदोली आों दोलन की तजा िर 1928
में रचनात्मक कायों िर जोर पदया।
अक्ट्ू बर 31,1929 िायसराय- लाडा इरपिन • इरपिन घोषणा ित्र - पब्रपटश सरकार का इरादा भारत को भपिष्य में
डोमेपनयन स्टे टस प्रदान करना था।
• हालाों पक, पकसी भी घटनाक्रम में इसका कोई उल्लेख नहीों था।
• उन्ोोंने साइमन कमीशन (1927) द्वारा अिनी ररिोटा प्रिुत करने के
बाद गोलमेज सम्मेलन का आयोजन पकया।
नििर 2, 1929 • पदल्ली घोषणा ित्र - राष्टरीय नेताओों द्वारा गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने
के पलए कुछ माों गे रखीों गयी।
• िायसराय इरपिन द्वारा इन माोंगोों को अस्वीकार कर पदया गया।
पदसिर, 1929 अध्यक्ष – जिाहर लाल • गोलमेज सम्मेलन का बपहष्कार पकया जायेगा।
काों ग्रेस का लाहौर नेहरु (गाों धी का • काों ग्रेस ने िहले गोलमेज सम्मे लन का बपहष्कार करने का फैसला पकया,
अपधिेशन समथान) क्योोंपक िह भारत के पलए सोंपिधान का मसौदा तैयार करने के पलए एक
सोंपिधान सभा को बुलाना चाहती थी ,पजसे पब्रपटश सरकार ने अस्वीकार
कर पदया था।
• 'िूणा स्वराज' के पलए प्रिाि िाररत पकया गया।
• िूणा स्वतोंत्रता के पलए सपिनय अिज्ञा आों दोलन प्रारों भ पकया जायेगा।
• 26 जनिरी को 'स्वतोंत्रता पदिस'/स्वराि पदिस के रूि में मनाया
जाएगा।

1. नशीली ििुओों के पिक्रय िर रोक लगायी जाये।


2. रुिये और स्टपलांग के बीच के अनुिात को िररिपतात पकया जाये।
3. भू-राजस्व की दर को कम पकया जाये।
गााँ धी की ग्यारह माों गे – सरकार/लाडा 4. नमक कर का उन्मूलन पकया जाये।
इरपिन को जनिरी 31, 1930 तक इन 5. सैन्य व्यय कम पकया जाये।
माों गोों को स्वीकार या अस्वीकार करने 6. पसपिल प्रशासन िर खचा कम पकया जाये।
की अोंपतम चेतािनी दी : 7. पिदे शी किड़े िर कस्टम ड्यूटी लागू की जाये।
8. डाक आरक्षण पबल स्वीकार पकया जाये।
9. सीआईडी पिभाग को समाप्त पकया जाये।
10. सभी राजनीपतक कैपदयोों को ररहा पकया जाये।
11. नागररकोों को आत्म-सुरक्षा के पलए हपथयार रखने का लाइसेंस जारी पकये जाये।

सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर न पमलने के कारण, गाों धी द्वारा नमक सत्याग्रह को केंद्रीय मुद्दा बनाकर सपिनय अिज्ञा आों दोलन
शुरू करने का फैसला पलया।

साइमन कमीशन के प्रपत समूह/िापटा योों की प्रपतपक्रया

समूह प्रपतपक्रया
काों ग्रेस कमीशन का पिरोध पकया।
पहन्हदू महासभा काों ग्रेस का िक्ष लेते हुए कमीशन का पिरोध पकया गया।
मुक्तिम लीग पजन्ना के अोंतगात एक गुट (कलकत्ता, 1927 में) ने कमीशन का पिरोध पकया तथा

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मुहम्मद शफी (लाहौर, 1927) के अोंतगात एक अन्य गुट ने सरकार/कमीशन का


समथान पकया।
सोंघिादी (िोंजाब) कमीशन का समथान पकया।
जक्तस्टस िाटी कमीशन का समथान पकया।
बपहष्कृत पहतकाररणी सभा की ओर से, इन्ोोंने दपलत िगों के पलए आिश्यक अपधकारोों
अिेडकर और सुरक्षा उिायोों के पलए एक ज्ञािन प्रिुत पकया। इन्ोोंने दोनोों िुरुष िगा के पलए
'सािाभौपमक ियस्क मतापधकार' का तका पदया।

साइमन कमीशन (1927):


• भारतीय पिपधक आयोग, पजसे आमतौर िर साइमन कमीशन के रूि में भी जाना जाता है , सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में
सात पब्रपटश सोंसद सदस्योों का एक समूह था। यह कमीशन पब्रपटश भारत में 1928 में िहुों चा।
• उद्दे श्य: पब्रपटश सरकार द्वारा साइमन कमीशन को भारत में सोंिैधापनक सुधारोों के पलए भारत की सोंिैधापनक पिकास िर ररिोटा
करने के पलए पनयुि पकया गया था।
• भारत में कमीशन का कई कारणोों से कड़ा पिरोध हुआ। कमीशन को नििादी और उिपनिेशिादी के रूि में दे खा गया
क्योोंपक इसमें पब्रपटश सोंसद के सात सदस्य थे और इसमें पकसी भी भारतीय सदस्य को शापमल नहीों पकया गया था।
• साइमन कमीशन की पसफाररशें:
➢ इसने प्राों तोों में द्वै ध शासन को समाप्त करने और उत्तरदायी सरकार को स्थापित करने का प्रिाि रखा।
➢ इसके द्वारा केंद्र में सोंसदीय उत्तरदापयत्व को अस्वीकार कर पदया गया।
➢ गिनार-जनरल को मोंपत्रमोंडल के सदस्योों को पनयुि करने की सभी शक्ति दे दे नी चापहए।
➢ इसने पसफाररश की पक साों प्रदापयक आधार िर मतदान को बनाए रखा जाए।
➢ इसने सोंघ के अनुमोदन के पिचार को स्वीकार पकया।
➢ इसने सुझाि पदया पक िृहद भारत के पलए एक िरामशादात्री िररषद की स्थािना की जाए पजसमें पब्रपटश प्राों तोों के साथ-
साथ ररयासतोों के प्रपतपनपध भी शापमल होों।
➢ यह भी सुझाि पदया पक भारतीय सेना का भारतीयकरण पकया जाना चापहए, हालाों पक पब्रपटश सेना को बरकरार रखा जाना
चापहए।
नेहरु ररिोटा (1928):
लाडा पबरकनहै ड की चुनौती का जिाब दे ने के पलए मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक सपमपत का पनमाा ण पकया गया। इसके
सदस्योों में तेज बहादु र सप्रू , सु भाष चन्द् बोस, एम.एस. अनय, मोंगल पसोंह, अली इमाम, शोएब कुरै शी और जी.आई. प्रधान शापमल
थे।
पसफाररशें:
• िूणा औिपनिैपशक स्वराज की तजा िर डोपमपनयन की क्तस्थपत।
• िृथक पनिाा चन को अस्वीकृपत। केंद्र और प्राों तोों में सोंयुि पनिाा चन प्रणाली की व्यिस्था की जाये जहाों मुक्तिम अल्पसोंख्यक हो
िहााँ उनके पलए कुछ सीटोों को आरपक्षत पकया जाये।
• भाषाई आधार िर प्राों तोों का गठन।
• उन्नीस मौपलक अपधकार पजनमें मपहलाओों के पलए समान अपधकार, सोंघ बनाने का अपधकार, और सािाभौपमक ियस्क
मतापधकार शापमल हो, की माोंग की।
• केंद्र और प्राों तोों में उत्तरदायी सरकार।
• मुक्तिमोों के साों स्कृपतक और धापमाक पहतोों को िूणा सोंरक्षण।
• धमा से राि का िूणा पिघटन।
• साइमन कमीशन के साथ नेहरू ररिोटा तृतीय भारतीय गोलमेज सम्मेलन (1930-1932) में प्रपतभापगयोों के पलए उिलि थी।
• नेहरू और सुभाष बोस ने काोंग्रेस के लक्ष्य को अस्वीकार कर पदया और भारतीय स्वतोंत्रता लीग की स्थािना की।
ररिोटा िर मुक्तिम की लीग प्रपतपक्रया
मुक्तिम लीग के 4 प्रिािोों को 1927 में मद्रास अपधिेशन में स्वीकार कर पलए गए थे:
1. सोंयुि मतदान।
2. केंद्रीय पिधान सभा में मुसलमानोों के पलए 1/3 प्रपतपनपधत्व।
3. तीन मुक्तिम बहुल प्राों तोों का गठन।
4. िोंजाब और बोंगाल में मुसलमानोों को उनकी जनसोंख्या के अनुिात में प्रपतपनपधत्व पदया जाये।
पजन्ना की चौदह सूत्री माों गे -1929:
प्राों तोों के पलए अिपशष्ट शक्तियोों के साथ सोंघीय सोंपिधान, प्राों तीय स्वायत्तता, राि की सहमपत के पबना कोई सोंिैधापनक सोंशोधन न
पकया जाये, पिधानसभा और सेिाओों में ियाा प्त अिसर, केंद्रीय पिधानमोंडल में 1/3 प्रपतपनपधत्व, कैपबनेट में 1/3 प्रपतपनपधत्व, अलग
पनिाा चक मोंडल, 3/4 सदस्योों के पबना पकसी भी पबल का समथान नहीों, क्षेत्रीय पितरण के कारण मुक्तिम बहुमत प्रभापित ना हो, िूणा

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धापमाक स्वतोंत्रता, मुक्तिम अपधकारोों की सुरक्षा आपद।

काों ग्रेस का कलकत्ता अपधिेशन (1928):


• इस सत्र में नेहरू ररिोटा को मोंजूरी दी गई।
• जिाहरलाल नेहरू, सुभाष चोंद्र बोस, सत्य मूपता जैसे युिा नेताओों ने डोपमपनयन प्राक्तप्त के लक्ष्य िर असोंतोष व्यि पकया था।
• सरकार को इस लक्ष्य को स्वीकार करने के पलए एक िषा का समय पदया गया।
• यपद सरकार ने िषा के अोंत तक डोपमपनयन स्टे ट के आधार िर सोंपिधान को स्वीकार नहीों पकया, तो काों ग्रेस न केिल िूणा
स्वतोंत्रता की माों ग करे गी, बक्ति अिने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के पलए एक सपिनय अिज्ञा आों दोलन भी शुरू करे गी।

सपिनय अिज्ञा आन्दोलन - नमक सत्याग्रह

• नमक सत्याग्रह, दाों डी माचा के साथ 12 माचा, 1930 से शुरू हुआ तथा यह सपिनय अिज्ञा
आों दोलन के प्रथम चरण का पहस्ा था।
दाों डी माचा (माचा 12- अप्रैल 6,
• गाों धी द्वारा दाों डी माचा का नेतृत्व साबरमती आश्रम से सागर तट के पनकट दाों डी गााँ ि तक
1930):
पकया गया।
• िे 6 अप्रैल, 1930 को दाों डी िहुों चे और समुद्र तट से नमक इकट्ठा कर नमक कानून को
तोड़ा।
• तपमलनाडु - सी राजगोिालाचारी ने तोंजौर तट िर पत्रपचनािल्ली से िेदाण्यम तक माचा
का आयोजन पकया।
• मालाबार- के. केलप्पन, जो िायकोम सत्याग्रह के पलए जाने जाते हैं , ने नमक सत्याग्रह
का आयोजन पकया।
पिपभन्न स्थानोों िर सत्याग्रह:
• उड़ीसा- गोिाल बोंधु चौधरी ने बालासोर, कटक आपद में आयोजन पकया।
• पबहार- गैर चौकीदारी कर लगाया गया।
• िेशािर- बादशाह खान/खान अब्दु ल गफ्फ़ारर खान, पजन्ोोंने खुदाई क्तखदमतगार (लाल
कुती) का गठन पकया, ने मजबूत माचा का आयोजन पकया।
• धरासणा- सरोपजनी नायडू ने अपभयान का नेतृत्व पकया।
• मपणिुर और नागालैंड- 13 साल की उम्र में रानी गैपडन्हल्ु ने अोंग्रेजोों के क्तखलाफ झोंडा
उठाया। रानी गैपडन्हल्ु हे राका कल्ट (1930, मपणिुर) से जुड़ी थी। नेहरु ने इन्ें "रानी"
("क्वीन") की उिापध दी और उन्ें रानी गैपडन्हल्ु के रूि में स्थानीय िर िर लोकपप्रयता
हापसल हुई।
• 1920-22 की तुलना में मुक्तिम भागीदारी बहुत कम थी।
सहभापगता की व्यािकता: • मपहलाओों और छात्रोों ने भाग पलया, आपदिापसयोों, श्रपमकोों और पकसानोों की सपक्रय
भागीदारी रही।

• अगि 1930 में मोतीलाल और जिाहरलाल नेहरू, गाों धी से समझौते की सोंभािना िर चचाा करने यरिदा जेल गए। उनकी माों गें
थीों-
➢ पब्रटे न द्वारा भारत की स्वतोंत्रता की बहाली।
➢ रक्षा और पित्त िर पनयोंत्रण के साथ िूणा स्वतोंत्र सरकार।
➢ पब्रटे न से हजाा ने के पलए एक स्वतोंत्र न्यायापधकरण।
गाों डी इरपिन िैक्ट् /पदल्ली समझौता- 1931
• 5 माचा 1931 को गाों धी और पब्रपटश भारत के िायसराय, लॉडा इरपिन द्वारा हिाक्षर पकए गए।
• लोंदन में दू सरे गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत से िहले इस सोंपध िर हिाक्षर पकए गए थे।
• इरपिन द्वारा गाों धी की दो माों गोों को अस्वीकार कर पदया गया :
1. िुपलस की िादपतयोों की सािाजपनक जााँ च।
2. भगत पसोंह और उनके सापथयोों की मौत की सजा को आजीिन कारािास में बदलना।
• गाों धी सपिनय अिज्ञा आों दोलन को पनलोंपबत करने और अगले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के पलए सहमत हो गए।
सनििय अिज्ञा आन्दोिि की असहयोग आन्दोिि के साथ तुििा

आधार असहयोग आन्दोलन सपिनय अिज्ञा आन्दोलन


उद्दे श्य स्वराज िूणा स्वतोंत्रता

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

तरीका उिपनिेशी शासन के साथ असहयोग कानून की अिज्ञा


मुक्तिम असहयोग आों दोलन में मुक्तिम मजदू र िगा की बड़े अोंग्रेजोों द्वारा फूट डालो और राज करो की नीपत तथा
सहयोग िैमाने िर भागीदारी थी। मुक्तिम लीग और पहों दू महासभा के साों प्रदापयक प्रचार
के कारण मुक्तिम समुदाय की कम भागीदारी।
काया क्षेत्र भारत के कुछ ही पहस्ोों तक सीपमत। व्यािक भौगोपलक क्षेत्र में प्रसार और जन भागीदारी।
समाक्तप्त का 1922 में चौरी-चौरा की घटना के कारण िािस ले गाों धी-इरपिन समझौते िर हिाक्षर के बाद िािस ले
कारण पलया गया। पलया गया।

काों ग्रेस का कराची अपधिेशन -1931


• राष्टरिपत- िल्लभभाई िटे ल
• मौपलक अपधकार और राष्टरीय आपथाक कायाक्रम का प्रिाि।
• "िूणा स्वराज" के लक्ष्य को िुनः दोहराया गया।
• गाों धी-इरपिन समझौते का अनुमोदन।
• गाों धी को लोंदन में आयोपजत होने िाले दू सरे गोलमेज सम्मेलन में आई. एन. सी. का प्रपतपनपधत्व करने के पलए नामाों पकत पकया
गया।
गोलमेज सम्मेलन

• निोंबर, 1930 से जनिरी, 1931 के बीच लोंदन में आयोपजत हुआ।


• भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस ने सम्मेलन में भाग न लेने का फैसला पकया।
• मुक्तिम लीग द्वारा आगा खान तृतीय, मौलाना मोहम्मद पजन्ना, आपद को भेजा गया।
• पहों दू महासभा, पसखोों, िारपसयोों के साथ कुछ भारतीय ररयासतोों के द्वारा भी प्रपतपनपधत्व पकया गया
प्रथम गोलमेज
था।
सम्मेलन
• बी. आर. अिेडकर आपद द्वारा दपलत िगा का प्रपतपनपधत्व पकया गया।
• मपहलाओों का प्रपतपनपधत्व बेगम जहााँ आरा शाहनिाज़, राधाभाई सुब्बारनयन ने पकया था।
• लॉडा इरपिन भारत के िाइसराय थे।
• इसका कोई बड़ा िररणाम सामने नहीों आया।
• 7 पसतोंबर, 1931 से 1 पदसोंबर, 1931 के बीच लोंदन में आयोपजत हुआ।
• गाों धी-इरपिन समझौते के िररणामस्वरुि।
• गाों धी आई.एन.सी. के एकमात्र प्रपतपनपध थे।
• मदन मोहन मालिीय और ए. रों गास्वामी अयोंगर भी सक्तम्मपलत हुए।
पद्वतीय गोलमेज
• मुक्तिम लीग का प्रपतपनपधत्व आगा खान, मौलाना मोहम्मद पजन्ना द्वारा पकया गया था।
सम्मेलन
• बी.आर. अिेडकर, ररत्तामलाई श्रीपनिासन, सरदार सम्पूरण पसोंह आपद द्वारा दपलत िगा का
प्रपतपनपधत्व पकया गया।
• सरोपजनी नायडू द्वारा मपहलाओों का प्रपतपनपधत्व करने के पलए भाग पलया गया।
• लॉडा पिपलोंगडन भारत के िाइसराय थे।
• अल्पसोंख्यक समुदायोों के पलए िृथक पनिाा चन के द्वारा भारत में अल्पसोंख्यक समुदाय का
प्रपतपनपधत्व करने िाला एक साों प्रदापयक िोंचाट प्रदान पकया गया। गाों धी इसके पिरुद्ध थे।
• सरकार ने भारतीय माों गोों को अस्वीकार कर पदया और िाताा पिफल हो गयी।
• निोंबर, 1932 से पदसोंबर, 1932 के मध्य आयोपजत हुआ।
• भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस और गाों धी द्वारा भाग नहीों पलया गया था।
तृतीय गोलमेज • पब्रटे न में, लेबर िाटी द्वारा इसमें शापमल न होने का फैसला पकया गया।
सम्मेलन • इस सम्मेलन में कुल 46 प्रपतपनपधयोों ने पहस्ा पलया।
• लॉडा पिपलोंगडन भारत के िाइसराय थे।
• इस सम्मेलन से भी बहुत कुछ हापसल नहीों हुआ।

गोलमेज सम्मेलनोों की असफलता के बाद एक बार पफर से सपिनय अिज्ञा को शुरू पकया गया। गाों धी को जनिरी 1932 को पगरफ्तार
कर पलया गया।
• 'पसपिल माशाल लॉ' की तरह दमनकारी शक्तियाों दे नें िाले अध्यादे शोों को जारी पकया गया।
• सभी िरोों िर काों ग्रेस की सोंस्थाओों िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।
• मपहलाओों को भी कठोर दमन का सामना करना िड़ा था।
• प्रेस और राष्टरिादी सापहत्य िर प्रपतबोंध लगा पदया गया।

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गाों धी ने अप्रैल 1934, सपिनय अिज्ञा आों दोलन िािस लेने का फैसला पकया:
• गाों धी और अन्य नेताओों के िास जन प्रपतपक्रया को सोंगपठत करने का ियाा प्त समय नहीों था।
• जनता तैयार नहीों थी।

साोंप्रदानयक निणतय (1932)


• पब्रपटश प्रधानमोंत्री, रै मसे मैकडोनाल्ड ने 1932 में दपलत िगा, मुक्तिम, यूरोिीय, पसख, एों ग्लो-इों पडयन और भारतीय-आधाररत
ईसायोों के पलए िृथक साों प्रदापयक पनिाा चक मोंडल की घोषणा की।
• काों ग्रेस ने न तो इसे स्वीकार करने का पनणाय पलया और न ही इसे अस्वीकार पकया। लेपकन अिेडकर इस पनणाय के िक्ष में थे,
क्योोंपक उनके अनुसार िृथक पनिाा चकोों जैसे राजनीपतक समाधान दपलत िगों के उत्थान के पलए काम करें गे।
• महात्मा गाों धी द्वारा साों प्रदापयक पनणाय का पिरोध पकया गया, क्योोंपक यह िुरस्कार भारतीयोों को पिभापजत करता। िे आमरण
अनशन िर चले गए।
िूिा िैक्ट् (1932)
• बी.आर. अोंबेडकर द्वारा दपलत िगा की ओर से हिाक्षर पकए गए तथा मदन मोहन मालिीय ने गाों धी की ओर से इस िर हिाक्षर
पकए।
• दपलत िगा के पलए िृथक पनिााचन के पिचार को त्याग पदया।
• लेपकन उनके पलए आरपक्षत सीटोों को प्राों तीय पिधानसभाओों में 147 तक और केंद्रीय पिधानमोंडल में कुल सीटोों का 18% तक
बढ़ा दी गयी।
• साों प्रदापयक िोंचाट भारतीय मतापधकार सपमपत के अध्ययन िर आधाररत था, पजसे लोपथयन सपमपत भी कहा जाता था।
पब्रपटश के फूट डालो और राज करो जैसे पिभाजनकारी नीपत के कारण गाों धी ने अस्पृश्यता के क्तखलाफ एक अपभयान शुरू पकया।
पसतोंबर 1932 में ऑल इों पडया एों टी-अनटचेपबपलटी लीग / हररजन सेिक सोंघ को शुरू पकया गया। जनिरी 1933 में हररजन नाम से
साप्तापहक िपत्रका शुरू की गयी।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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13. स्वराजी, समाजिादी पिचारोों एिों निीन शक्ति ओों का उदय

स्वरािी तथा िररितति निरोधी

काोंग्रेस-क्तखिाफत स्वराज्य िाटी का उदय:


गाों धी की पगरफ्तारी के बाद, राष्टरिादी खेमोों के बीच पिघटन, अव्यिस्था और उनका अिमूल्न हुआ।

• सी.आर. दास, मोतीलाल नेहरू और अमजद खान का नेतृत्व चाहता था पक पिधायी िररषदोों
स्वराजी के बपहष्कार को समाप्त पकया जाये तापक राष्टरिापदयोों को इसके भीतर प्रिेश करने और उसे
अिने लाभ के पलए उियोग करने में सक्षम बनाया जा सके।
• िे इन िररषदोों को "समाप्त या सोंशोपधत" करना चाहते थे। पिधान िररषदोों में प्रिेश की िकालत
करने िालोों को स्वराजी के नाम से जाना गया।
• इसे राजगोिालाचारी, िल्लभभाई िटे ल, राजेन्द् प्रसाद और एम. ए. अोंसारी का नेतृत्व प्राप्त
िररितान पिरोधी हुआ, पजन्ें िररितान पिरोधी के रूि में जाना गया।
• उन्ोोंने िररषद में प्रिेश का पिरोध पकया, रचनात्मक कायों की िकालत की, असहयोग और
बपहष्कार जारी रखा और शाों पतिूिाक सपिनय अिज्ञा के पलए तैयार हो गए।

• गया अपधिेशन (1922) में स्वराजिादी के "समाप्त या सोंशोपधत" प्रिाि की हार के कारण दोनोों समूहोों के बीच मतभेद िै दा हो
गया।
• सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने काों ग्रेस के अिने िद से इिीफा दे पदया और एम. एल. नेहरू (सपचि) ने सी.आर.
दास(अध्यक्ष) के साथ स्वराजिादी िाटी का गठन पकया।
िे िररषद में प्रिेश करना चाहते थे क्योोंपक:
• उन्ोोंने सोचा पक ऐसा करने से आों दोलन को नकारा नहीों जाएगा बक्ति इसका मतलब केिल
स्वरापजओों का तका सोंघषा का एक नया अलग मोचाा खोलना होगा।
• राजनीपतक शून्य के समय में, िररषद का काम जनता को उत्सापहत करे गा और उनका मनोबल
बढाएगा।
• िररषद का उियोग राजनीपतक सोंघषा हे तु मोंच के रूि में पकया जा सकता है ।
िररितान पिरोपधयोों का उन्ोोंने सोचा पक सोंसदीय काया से रचनात्मक कायों की उिेपक्षत, सोंघषारत व्यक्तियोों का मनोबल
तका पगरे गा और राजनीपतक भ्रष्टाचार में बृक्तद्ध होगी।

तो क्ा स्वराििादी िाटी िे िूरी तरह से काोंग्रेस से अिग थी?


• नहीों, िे 1907 की तरह काों ग्रेस के पिभाजन का कारण नहीों बने। िािि में, दोनोों गुट गाों धी के सोंिका में रहे जो पक जेल में थे।
• दोनोों बड़े िैमाने िर आों दोलन करने के पलए एकजुट मोचाा बनाने के महत्व को जानते थे तापक सरकार को सुधारोों के पलए बाध्य
पकया जा सके।
• 1923 में पदल्ली में एक बैठक के साथ इनमे समझौता हुआ।
• स्वराजिादी काों ग्रेस के भीतर एक समूह के रूि में चुनाि लड़ सकते थे।
• स्वराजिापदयोों ने केिल एक शता पक िे पिधान िररषदोों में शापमल होोंगे,के साथ स्वीकार पकया।
चुिाि के निए स्वरानियोों का घोिणा ित्र:
1923 में घोपषत पकया गया, इसने एक मजबूत उिपनिेशिाद पिरोधी रुख अिनाया:
• भारत में अोंग्रेजोों का मकसद अिने स्वाथों की िूपता करना है ।
• तथाकपथत सुधार केिल स्वाथी पहतोों को िूरा करने के पलए थे।
• िे िररषदोों में स्वशासन की राष्टरिापदयोों की मााँ ग उठाएों गे।
• यपद उनकी माों गोों को अस्वीकार कर पदया गया, तो िे िररषदोों के भीतर एक समान, पनरों तर और लगातार अिरोध की योजना
बनायेंगे।
स्वारानियोों के प्रनत गााँधी का रूख:
• गाों धी ने शुरू में पिरोध पकया, लेपकन 1924 में ररहाई के बाद, िे धीरे -धीरे स्वराजिापदयोों के साथ सुलह की ओर बढ़ गए।
• सरकार द्वारा चरमिोंपथयोों और स्वराजिापदयोों के क्तखलाफ कारा िाई की गई और गाों धी ने उनके िक्ष में एकजुटता व्यि की।
• दोनोों िक्ष के मध्य 1924 में एक समझौते हुआ (बेलगाि सत्र में समपथात-1924) पजस अपधिेशन की अध्यक्षता गााँ धी द्वारा (मात्र
एक बार) की गयी।
• यह सहमपत बनी पक स्वराजिादी िररषद में काों ग्रेस के एक अपभन्न अोंग के रूि में काम करें गे।

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िररिद में स्वराििानदयोों की गनतनिनध:


• धीरे -धीरे व्यािक दों गोों और "उत्तरदापयत्व- प्रपतरोध" के मुद्दे िर आों तररक पिभाजन के कारण उनकी क्तस्थपत कमजोर हो गई ।
(स्वराजिापदयोों के भीतर एक गुट प्रपतपक्रयािादी सहयोग िाटी के रूि में टू ट गया)
• स्वराजिापदयोों ने कई मुसलमानोों का समथान खो पदया जब उन्ोोंने बोंगाल में जमीोंदारोों के क्तखलाफ काश्तकारोों को समथान नहीों
पदया।
• सी.आर. दास के पनधन ने इसे और कमजोर कर पदया।
• स्वराजिापदयोों के बीच प्रपतपक्रयािादी- लाला लाजित राय, एम.एम. मालिीय और एन.सी. केलकर ने सरकार के साथ सहयोग
की िकालत की। िे तथाकपथत पहों दू पहतोों की रक्षा भी करना चाहते थे।
• इस प्रकार, स्वराजिापदयोों के मुख्य नेतृत्व ने माचा 1926 में जन आन्दोलन सपिनय अिज्ञा में िुनः पिश्वास पदखाया और माचा
1926 में पिधानमोंडल से अलग हो गए।
• दू सरे गुट ने 1926 के चुनाि लड़े और िह अच्छा प्रदशान नहीों कर िाया।
• स्वराजिापदयोों ने लाहौर अपधिेशन (1929) में िूणा स्वराज का प्रिाि िाररत होने और सपिनय अिज्ञा आों दोलन शुरू होने के
कारण अोंपतम रूि से 1930 में पिधान मोंडल का दमन छोड़ पदया।

• गठबोंधन सहयोपगयोों की मदद से, उन्ोोंने बजट अनुदानोों िर कई बार सरकार के पिरुद्ध
मतदान पकया।
• उन्ोोंने सरकार के क्तखलाफ आों दोलन पकया और सशि भाषण पदए।
• पिट्ठलभाई िटे ल को 1925 में केंद्रीय पिधानसभा का स्पीकर चुना गया था।
उिलक्तियाों
• 1928 का सािाजपनक सुरक्षा पिधेयक, पजसका उद्दे श्य सरकार को अिाों छनीय और
पिध्वोंसकारी चररत्र िाले पिदे पशयोों को पनिाा पसत करने का अपधकार दे ना था, िरापजत हो गया
था।
• उन्ोोंने राजनीपतक शून्य को तब भरा जब राष्टरीय आों दोलन धीरे धीरे अिना सामथा खो रहा
था।
• उन्ोोंने मोोंट-फोडा योजना के खोखलेिन को उजागर पकया।
• उन्ोोंने पदखाया पक िररषदोों का रचनात्मक उियोग पकया जा सकता है ।
• उनके िास काों ग्रेस की तरह जन समथान नहीों था।
• िे िूरी तरह से अखबार और प्रकाशनोों िर ही पनभार थे।
कमजोररयाों • व्यिधानिादी रणनीपत की अिनी सीमाएाँ थीों।
• िे िरस्पर पिरोधी पिचारोों के कारण अिने गठबोंधन सहयोपगयोों के साथ नहीों चल सके।
• िे शक्ति और कायाालय के भत्तोों और पिशेषापधकारोों का पिरोध करने में पिफल रहे।
• िे बोंगाल में पकसान पिद्रोह का समथान करने में पिफल रहे और मुक्तिम समथान को खो
पदया।

अिररिततििानदयोों के द्वारा रचिात्मक कायत :


उन्ोोंने खुद को उस काम के पलए समपिात पकया जो उन्ें जनता से जोड़े :
• आश्रमोों का पििार हुआ जहााँ युिा िुरुषोों और मपहलाओों ने आपदिासी और पनचली जापतयोों के मध्य काम पकया।
• उन्ोोंने चरखे और खादी के काम को लोकपप्रय बनाया।
• अनेक राष्टरीय स्कूल और कॉलेज स्थापित पकए गए जहााँ छात्रोों को गैर-औिपनिेपशक िैचाररक ढाों चे में प्रपशपक्षत पकया जाता था।
• पहों दू-मुक्तिम एकता के पलए सराहनीय काया पकये गये।
• उन्ोोंने पिदे शी किड़ोों और शराब के बपहष्कार, अस्पृश्यता के पिरुद्ध आपद के पलए काम पकया।
• उन्ोोंने सपिनय अिज्ञा के आधार िम्भ के रूि में काया पकया।
अिररिततििानदयोों की कमिोररयाों :
• राष्टरीय पशक्षा ग्रामीण आबादी या गरीब शहरी पनिापसयोों तक नहीों िहुच सकी।
• खादी,िपिमी किड़ोों से महों गी थी।
• जबपक अस्पृश्यता के बारे में बात की गई थी, भूपमहीन और खेपतहर मजदू रोों (जो िादातर हररजन थे) की आपथाक दशा सुधारने
हे तु कोई प्रयास नहीों पकया गया था।
• स्वराजिादी और अिररितानिादी द्वारा यथासोंभि सहयोग बनाए रखा रहा और जब भी नए राजनीपतक सोंघषा के पलए अिसर
पमला तब िे एकजुट होने में सक्षम रहें ।

ियी िक्तियोों का उदय: समाििादी निचार युिा िक्ति व्यािार सोंघ

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1930 का दशक आधुपनक भारतीय इपतहास में कई कारणोों से ऐपतहापसक था:


• भारतीय जनता द्वारा राष्टरीय आों दोलन में प्रिेश पकया गया।
• यह राष्टरीय िर िर राजनीपतक पिचारोों का पचत्रण था।
• सत्य और अपहों सा िर आधाररत सत्याग्रह के गाों धीिादी दशान ने जनता को पिश्वास पदलाया।
• अोंतराा ष्टरीय राजनीपतक पिचारकोों का बहुत प्रभाि था। पकसी अन्य समयकाल से अपधक।
माक्सतिादी और समाििादी निचारोों का प्रसार
इन पिचारोों से जे.एल. नेहरू और एस.सी. बोस के नेतृत्व में आई.एन.सी. के अन्दर िामिोंथ का उदय हुआ। िे रुसी क्राों पत से प्रेररत
थे और गाों धीिादी पिचारोों से असोंतुष्ट होकर उग्र सुधारिादी समाधान की िकालत करने लगे। ये युिा राष्टरिादी थे:
• स्वराजिादी और अिररितानिादी दोनोों के आलोचक थे।
• िूणा स्वराज के नारे के साथ साम्राििाद-पिरोधी स्वर की अपभव्यक्ति के िक्षधर थे।
• अोंतराा ष्टरीय घटनाओों से प्रभापित थे ।
• राष्टरिादी और साम्राििाद पिरोधी पिचारधारा को सामापजक न्याय के साथ सोंयोपजत करने की आिश्यकता िर बल दे ना।
• कोपमन्टना के दू सरे अपधिेशन के ििात एम एन रॉय, अोंबानी मुखजी और अन्य के द्वारा ताशकोंद (उज्बेपकिान) में 1920 में
कम्युपनस्ट िाटी ऑफ इों पडया (CPI) का गठन पकया गया था।
• 1924 में एस.ए. डाों गे, मुजफ्फर अहमद, शौकीन उस्मानी, नपलनी गुप्ता आपद कम्युपनस्टोों को “कानिुर बोल्शेपिक षड्योंत्र केस” में
जेल में डाल पदया गया ।
• 1925 में, कानिुर में भारतीय कम्युपनस्ट कॉन्हफ्ेंस में कम्युपनस्ट िाटी ऑफ इों पडया की नीोंि रखी गयी।
• 1929 में, प्रपसद्ध “मेरठ षड्योंत्र केस” में कम्युपनस्टोों का सरकार द्वारा दमन पकया गया।
• मजदू रोों और पकसान दलोों के माध्यम से जो पक िूरे दे श में सोंगपठत थे, माक्सािाद और साम्यिाद की पिचारधारा का प्रचार प्रसार
पकया गया।
युिाओों की सनक्रयता िूरे भारत में, छात्र सोंगठन स्थापित पकये गए, तथा अपधिेशन आयोपजत पकए गए। 1928 में,
िोंपडत जे. एल. नेहरू ने अक्तखल बोंगाल छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता की।
काश्तकारी पनयमोों में सोंशोधन, भू-राजस्व में कमी, बेदखली के क्तखलाफ सोंरक्षण और
ऋणग्रिता से राहत के पलए पकए गए थे।
नकसािो का प्रदिति इसी तरह के आों दोलन आों ध्र प्रदे श रम्पा, राजस्थान, बॉिे और मद्रास के रै य्यतिारी क्षेत्रोों में
पकए गए थे। गुजरात में बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व िल्लभभाई िटे ल ने पकया था।
व्यािार सोंघ का निकास ए.आई.टी.यू.सी. के नेतृत्व में 1920 में स्थापित। लाला लाजित राय इसके िहले अध्यक्ष और
दीिान चमन लाल इसके प्रथम महासपचि थे। पतलक भी महत्विूणा व्यक्तिव्य में से एक थे।

िातीय आन्दोिि
ये कभी-कभी पिभाजनकारी, रूपढ़िादी और कई बार सोंभापित रूि से कट्टरिोंथी और शापमल थे:
जक्तस्टस िाटी मद्रास
आत्म सम्मान आन्दोलन िेररयार ई िी रामास्वामी नाइकर (मद्रास) द्वारा
सत्यशोधक कायाकताा महाराष्टर
भास्कर राि जाधि महाराष्टर
महारोों अोंबेडकर के तहत महाराष्टर में
कट्टरिोंथी इझाा िोों केरल में के.अयप्पन और सी. केसिन के तहत द्वारा
यादिोों पबहार में सामापजक क्तस्थपत में सुधार के पलए
यूपनयपनस्ट िाटी िोंजाब में फजल-ए-हुसैन के तहत

समाििाद के साथ क्राोंनतकारी गनतनिनधयाों


• असहयोग आों दोलन की अचानक िािसी ने कई राष्टरिापदयोों द्वारा अपहों सा िर बल की राष्टरिापदयोों की रणनीपत िर प्रश्न पचन्
उठाये गए।
• नए कम्युपनस्ट समूह माक्सािाद, समाजिाद और श्रमजीिी िगा के पहत के िक्षधर थे।
• रूसी क्राों पत (1917) से प्रेररत और युिा सोपियत राि की सफलता।
• क्राों पतकाररयोों के आत्म-बपलदान की प्रशोंसा से भरे आत्मशक्ति, सारथी और पबजली जैसे लेखोों से प्रभापित।
• राम प्रसाद पबक्तस्मल द्वारा 1923 में गाों धी द्वारा एन.सी.एम को िािस लेने की प्रपतपक्रया
नहों दुस्ताि ररिक्तब्लकि के रूि में।
एसोनसएिि (िोंिाब,उत्तर • इसकी शाखाएाँ उत्तर प्रदे श में प्रसाररत थीों और इनकी कलकत्ता और दे िगढ़ में बम
प्रदे ि,नबहार) बनाने की फैक्ट्र ी थी।
• एस.एन. सान्याल, लाला हरदयाल आपद इसके अन्य सदस्य थे।

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• सूया सेन, अरपिोंद घोष, बररन घोष, खुदीराम बोस आपद इसके सोंस्थािक सदस्य थे।
युगाोंतर • भारतीय स्वतोंत्रता के पलए बोंगाल में क्राों पतकारी सपमपत का सोंचालन गुप्त रूि से पकया
जा रहा था।
• यह बोंगाल के स्थानीय युिा सोंस्थानोों द्वारा सोंचापलत होती थी।
अिुिीिि सनमनत • इसके द्वारा 1912 में पब्रपटश अपधकाररयोों और यहाों तक पक िायसराय की हत्या करने
के कई प्रयास पकए थे।
• बोंगाल में मास्टर सूयासेन के अधीन, इसने शस्त्रागार िर छािा मारा और उसे लूट
पलया।
चटगााँि निद्रोही समूह • िे क्राों पतकाररयोों को हपथयार और बारूद की आिूपता करने का प्रयास कर रहे थे।
• उन्ोोंने टे लीफोन और टे लीग्राम सोंचार व्यिस्था को नष्ट कर पदया और रे ल िटररयोों
को उड़ा पदया।
• यहाों तक पक मपहलाएों भी इस सशस्त्र डकैती का पहस्ा थीों और उनमें से अपधकाों श
को बाद में फाों सी िर लटका पदया गया।

प्रान्तोों में काोंग्रेस िासि


भारत सरकार अपधपनयम, 1935 (प्राों तीय स्वायत्तता प्रदान की) के प्रािधानोों के अनुसार 1937 में प्राों तीय चुनाि आयोपजत पकए गए
थे।

काोंग्रेस मोंनत्रमोंडिोों के अधीि नकये गए कायत

• आिातकालीन शक्तियोों से सोंबोंपधत कानून रद्द कर पदए गए।


• पहों दुिान सेिा दल और युिा लीग जैसे अिैध सोंगठनोों िर से प्रपतबोंध हटा पदये गए।
• प्रेस िर से प्रपतबोंध हटा पदये गए।
• समाचार ित्रोों को काली सूची से बाहर कर पदया गया।
िागररक सुधार
• जब्त हपथयार और हपथयारोों के पनरि लाइसेंस िुनः प्रदान कर पदए गए।
• िुपलस और सीआईडी की शक्तियााँ को प्रपतबोंपधत पकया गया।
• राजनीपतक कैपदयोों को ररहा पकया गया।
• बॉिे में सपिनय अिज्ञा आन्दोलन के दौरान जब्त की गई भूपम की बहाली की गयी।
• सपिनय अिज्ञा आन्दोलन से जुड़े अपधकाररयोों की िेंशन िुनः प्रारों भ की गयी।
• शक्तियोों और पित्तीय सोंसाधनोों का अभाि, समय की कमी, आपद समस्यायें थी।
• िगा सोंघषा को हल पकया जाना था।
कृनि सुधार • कृपष की अत्यपधक जपटल सोंरचना थी।
• दू सरा सदन जमीोंदारोों, िूाँजीिपतयोों आपद के िचास्व िाला था।
• िैधापनक तत्त्व अपधकतर प्रभापित होते थे।
• भूपम राहत, ऋणग्रिता से राहत, िन चराई शुि, भू-राजस्व की बकाया रापश, भूपम अपधकार िर
पनयम कानून बनाये।
श्रनमक सुधार • श्रपमकोों के पहत और औद्योपगक शाों पत को बढ़ािा दे ना।
• उपचत मध्यस्थता और बेहतर समन्वय मशीनरी।
• काम की बेहतर क्तस्थपत और उपचत मजदू री।

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• उद्योगोों में हड़तालोों को कम करना।


• हररजनोों का कल्ाण।
• प्राथपमक, तकनीकी और उच्च पशक्षा, सािाजपनक स्वास्थ्य और स्वच्छता की और ध्यान पदया।
• जेल सुधार।
समाि कल्ाण
• खादी और स्वदे शी उद्यमोों को प्रोत्साहन।
सम्बन्धी सुधार
• राष्टरीय योजना सपमपत (1938, काों ग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोंद्र बोस के अोंतगात)।
• जन साक्षरता अपभयान।
• काों ग्रेस िुपलस स्टे शन और िोंचायतें।
• काों ग्रेस पशकायत सपमपत।

काोंग्रेस मोंनत्रमोंडिोों द्वारा नकये गए िररितति

प्रान्त िररितति
सोंयुि प्रान्त • काकोरी और अन्य षड्योंत्रोों में शापमल कैपदयोों की ररहाई।
• यू.िी. काश्तकारी अपधपनयम, 1939 ने आगरा और अिध में सभी िैधापनक काश्तकारो को िोंशानुगत
अपधकार दे पदए।
• 1938 में कानिुर में हुई बड़ी हड़ताल की जाों च के पलए राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में श्रपमक जााँ च
सपमपत बनी।
• गैर-कानूनी माों गोों का उन्मूलन: नाज़राना (उिहार दे ने के मजबूर करना) और बेगारी (बोंधुआ मजदू री)।
मध्य प्रान्त • भूपम मापलकोों के क्षेत्रोों में कायाकाल की सुरक्षा का पििार करते हुए काश्तकारी सुधार।
• कजादार को राहत और मनीलेपडों ग व्यिसाय का पिपनयमन।
उड़ीसा • काश्तकारी अपधपनयम 1938 में िाररत हुआ, पजसमें मुफ्त हिाों तरण, अिैध उगाही को प्रपतबोंपधत
करने और ब्याज की बकाया रापश में कमी की अनुमपत दी गई।
• कजादार को राहत और जमीोंदारी प्रथा का पिपनयमन।
मद्रास • कजादार को राहत और जमीोंदारी प्रथा का पिपनयमन।
• सोंपचत भूपम में कमी लायी गयी।
• चराई शुि में कमी की गयी।
• श्रम पििादोों का आों तररक पनिटान।
बॉम्बे • सपिनय अिज्ञा आन्दोलन के दौरान जब्त की गई ज़मीन िािस कर दी गयी।
• काश्तकारी सुधार कायाकाल की सुरक्षा प्रदान करते थे।
• सोंपचत पहतोों में कमी।
• चराई शुि का उन्मूलन।
• किड़ा जाों च सपमपत द्वारा मजदू री में िृक्तद्ध की पसफाररश की गयी।
नबहार • राजनीपतक कैपदयोों की ररहाई।
• 1937 और 1938 में काश्तकारी कानून लाया गया।
एि.डब्ल्यू.एफ.िी. • काश्तकारी सुधार कायाकाल को सुरक्षा प्रदान करते थे।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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14. रािरीय आों दोिि: स्वतों त्रता और निभािि की ओर (1939-47)

पद्वतीय पिश्व युद्ध नाजी जमानी और धुरी राष्टरोों की फासीिादी ताकतोों के बीच लड़ा गया था। युद्ध में लड़ने के पलए पब्रटे न को भारत के
समथान की आिश्यकता थी। लेपकन इसके पलए काों ग्रेस ने दो माों गें रखी :
1. युद्ध के बाद स्वतोंत्र भारत की राजनीपतक सोंरचना तय करने के पलए सोंपिधान सभा का गठन पकया जाये।
2. उत्तरदायी सरकार स्थापित पकया जाये।
1936-1944 तक पलनपलथगो िायसराय थे। उन्ोोंने काों ग्रेस की इन माों गोों को अस्वीकार कर पदया।

काोंग्रेस कायत सनमनत का प्रस्ताि :


• भारत को स्वयों स्वतोंत्रता से िोंपचत कर पदया गया था। इसपलए यह लोकताक्तिक स्वतोंत्रता के पलए पकये गए युद्ध का पहस्ा नहीों
हो सकता है ।
• पब्रटे न को साम्राििाद को समाप्त करना चापहए और अिने उिपनिेशोों में लोकतोंत्र स्थापित करना चापहए।
• सरकार को भारत में लोकतोंत्र के पसद्धाों त को लागू करने की घोषणा करनी चापहए।
• पलनपलथगो ने काों ग्रेस के क्तखलाफ मुक्तिम लीग और दे शी ररयासतोों का उियोग करने
की कोपशश की।
सरकार की प्रपतपक्रया • उन्ोोंने घोषणा की पक सरकार का लक्ष्य ितामान में आक्रामकता का पिरोध करना है ।
• जब भी आिश्यकता होगी सलाह लेने के पलए सरकार द्वारा िरामशा सपमपत का गठन
पकया जायेगा।
• भारत सरकार अपधपनयम 1935 में सोंशोधन के पलए कई समुदायोों, दे शी ररयासतोों के
प्रपतपनपधयोों के साथ िरामशा करने का िादा पकया गया था।
• इसने िायसराय के ििव्य को िुरानी साम्राििादी नीपत की िुनरािृपत्त बताकर ख़ाररज
कर पदया।
काों ग्रेस की प्रपतपक्रया: • इसने युद्ध का समथान न करने का फैसला पकया और काों ग्रेस के मोंपत्रयोों को इिीफा
दे ने के पलए कहा।
• काों ग्रेस नेतृत्व तत्काल साम्राििाद पिरोधी जन सोंघषा के क्तखलाफ था।

सरकार की गुप्त कायतिीनत: सरकार के क्तखलाफ उठने िाली पकसी भी आिाज को दबाने और युद्ध में समथा न हापसल करने के
पलए।
• युद्ध की घोषणा से िहले ही भारत सरकार अपधपनयम 1935 में सोंशोधन करके आिातकालीन शक्तियोों को केंद्र के पलए सोंरपक्षत
कर पलया गया। यह प्राों तीय पिषयोों में हिक्षेि सोंबोंध में पकया गया था।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• नागररक अपधकारोों को प्रपतबोंपधत करने के पलए भारत सुरक्षा अध्यादे श को लागू पकया गया था।
• काों ग्रेस के आों दोलन को रोकने के पलए क्राों पतकारी आों दोलन अध्यादे श का मसौदा तैयार पकया गया था।
• सरकार युद्ध में समथान के पलए भारत से पमत्र ररयासतोों से सैन्य टु कपड़योों को बुला सकती थी।

िि आन्दोिि िर बहस
पलनपलथगो के बयान के तत्काल बाद जन आन्दोलन िर चचाा प्रारों भ हुई।
काोंग्रेस का सोंकल्प: काों ग्रेस के सोंगठनात्मक रूि से गठन होने के बाद,यपद िररक्तस्थपतयााँ
अनुकूल होों तो काों ग्रेस िुनः जन आन्दोलन का सहारा लेगी।
काोंग्रेस का रामगढ अनधिेिि- िामिोंथी समूह: सुभाष चोंद्र बोस और फॉरिडा ब्लॉक, सीिीआई, सीएसिी, चाहते थे पक
माचत 1940 काों ग्रेस जन आों दोलन को तत्काल घोपषत करे ।
िेहरू का रुख: िह सरकार के साम्राििादी चररत्र को दे ख सकते थे। लेपकन िह नाज़ी
जमानी की जीत में योगदान नहीों दे ना चाहते थे, इसपलए िे काों ग्रेस के बहुमत के साथ रहें ।

िानकस्ताि प्रस्ताि (23 माचत 1940)


• ऑल इों पडया मुक्तिम लीग ने पमोंटो िाका में 23 माचा 1940 को दे श के पिभाजन के पलए एक प्रिाि िाररत पकया। इसने दो राष्टर
के पसद्धाों त को प्रिापित पकया। सोंकल्प में िापकिान नाम नहीों था।
• इसे काों ग्रेस द्वारा अस्वीकार कर पदया गया , जिाहरलाल नेहरू ने इसे ‘िागलिन भरा पिचार’ कहा तथा गाों धी जी ने ‘दो राष्टर
पसद्धाों त ' को अस्वीकार कर पदया।
अगस्त प्रस्ताि (1940)
पहटलर की सफलता और बेक्तियम के ितन के बाद, पब्रटे न ने समझौतािादी दृपष्टकोण अिना पलया। िे युद्ध में भारत का समथान
चाहते थे इसपलए 1940 में अगि प्रिाि िाररत पकया गया।

प्रस्ताि: • भारत के पलए डोपमपनयन स्टे ट्स की स्थािना इसका मुख्य उद्दे श्य।
• िायसराय की कायाकारी िररषद का पििार।
• युद्ध के बाद एक सोंपिधान सभा की स्थािना पजसमें मुख्य रूि से भारतीय सामापजक, आपथाक
और राजनीपतक क्तस्थपतयोों के आधार िर सोंपिधान पनमाा ण का फैसला करें गे।
• लेपकन रक्षा, अल्पसोंख्यक अपधकार, रािोों के साथ सोंपधयााँ , अक्तखल भारतीय सेिाएाँ सरकार के
अोंतगात पनपहत होनी िरन्तु इन मुद्दे िर भारतीयोों के अपधकार का िूणा ध्यान रखा जायेगा।
• अल्पसोंख्यकोों की सहमपत के पबना भपिष्य में कोई सोंपिधान नहीों अिनाया जाएगा।
काोंग्रेस की प्रनतनक्रया • काों ग्रेस ने डोपमपनयन स्टे टस को अस्वीकार कर पदया।
मुक्तिम िीग की • मुक्तिम लीग ने आश्वासन का स्वागत पकया। इसने दोहराया पक पिभाजन एकमात्र समाधान
प्रनतनक्रया था।
महत्व: • यह िहली बार था जब सोंपिधान सभा के पलए काों ग्रेस की माोंग को सैद्धाों पतक रूि से स्वीकार
पकया गया था और सोंपिधान पनमाा ण के पलए भारतीयोों के अपधकारोों को मान्यता दी गई थी।
• डोपमपनयन स्टे टस का उल्लेख िहली बार स्पष्ट रूि से पकया गया था।
िररणाम: • िायसराय कायाकारी िररषद का पििार 12 में से 8 भारतीय सदस्योों के साथ हुआ था।
• राष्टरीय सुरक्षा िररषद की स्थािना प्रकृपत में सलाहकार की भूपमका के साथ की गई थी।
• रक्षा, पित्त, गृह जैसे मुद्दोों के प्रभारी पब्रपटश थे।

व्यक्तिगत सत्याग्रह (1941)


• काों ग्रेस की माों गोों को शाों पतिूिाक स्वीकार करने के पलए सरकार को एक और मौका पदया गया।
• यह पदखाने के पलए पक िे युद्ध में पदलचस्पी नहीों रखते है और राष्टरिादी नाजीिाद शासन और दोहरी पनरों कुशता के बीच कोई
फका नहीों समझते हैं ।
• राष्टरिापदयोों का धैया उनकी कमजोरी के कारण नहीों था।
• यपद सरकार सत्याग्रापहयोों को पगरफ्तार नहीों करती है तो पदल्ली (पदल्ली चलो आों दोलन) की ओर िदयात्रा करे गा।
• युद्ध-पिरोधी घोषणा के प्रसार के माध्यम से प्रेस की स्वतोंत्रता का मागा तलाश करना।
• पिनोबा भािे िहले व्यक्ति थे पजन्ोोंने महाराष्टर में िधाा के िास िोंिार से व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू पकया था। िोंपडत जिाहर लाल
नेहरू दू सरे ऐसे व्यक्ति थे।
• 25000 लोगोों के साथ काों ग्रेस िपकांग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्योों को मई 1941 तथा पदसोंबर 1941 में पगरफ्तार पकया गया।
िे जािानी आक्रमण से भारतीय क्षेत्रोों का बचाि करना चाहते थे।
• युद्ध में सहयोग के निए सीडब्ल्यूसी के द्वारा निम्ननिक्तखत मााँगोों को रखा गया:
➢ युद्ध के बाद िूणा स्वतोंत्रता।

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➢ सत्ता का तत्काल स्थानान्तरण पकया जाना।


नोट : गाों धी जी ने बहुत सोच पिचारने इसके बाद सी. राजगोिालाचारी के बजाय िों. नेहरू को अिना उत्तरापधकारी घोपषत पकया।

नक्रप्स नमिि (1942)

क्योों ? • सी.डब्ल्यू.सी. अिनी उिरोि माों गोों के अधीन सरकार का समथान करने को तैयार थी
• मई 1942 में जािान ने रों गून िर आक्रमण पकया और इसपलए भारत िर आक्रमण करने का
खतरा बढता जा रहा था।
• पमत्र राष्टरोों जैसे U.S.A, U.S.R.R और चीन से U.K िर भारत से सहयोग प्राप्त करने का दबाि
डाला जा रहा था।
• डोपमपनयन क्तस्थपत के साथ भारतीय सोंघ की स्थािना की जाएगी और यह सोंयुि राष्टर और
राष्टरमोंडल के साथ अिने सोंबोंध को पनधाा ररत करने के पलए स्वतोंत्र होगा।
• युद्ध के बाद सोंपिधान सभा का प्रान्तोों (चुनाि आनुिापतक प्रपतपनपधत्व के माध्यम से) और दे शी
प्रािधान : ररयासतोों (नापमत) के सदस्योों के साथ गपठत की जाएगी।
• िए सोंनिधाि को स्वीकार करिे की ितें :
➢ अिना अलग सोंपिधान और एक अलग सोंघ होने की क्तस्थपत में कोई भी प्राों त भारतीय सोंघ में
शापमल नहीों हो सकता है ।
➢ नई सोंपिधान पनमाा त्री सभा तथा सरकार सत्ता हिाों तरण के पलए सोंपध िर बातचीत करे गी।

नक्रप्स नमिि के असफि होिे के कारण: यह पमत्र राष्टरोों को सोंतुष्ट करने के पलए एक हपथयार मात्र था।

महत्व :

अगस्त प्रस्ताि 1940 पक्रप्स पमशन 1942


• िहली बार सोंपिधान सभा की माों ग िर सहमपत बनी। • युद्ध के बाद सोंपिधान सभा के पलए प्रान्तोों से सदस्योों का चुनाि
सदस्योों के चयन को लेकर प्रािधनोों िर कोई बातचीत पकया जाए और दे शी ररयासतोों से सदस्योों को नामाों पकत पकया
नहीों हुई थी। जाए।
• िहली बार डोपमपनयन स्टे टस िर स्पष्ट रूि से चचाा की • अलग सोंघ बनाने के पलए पिकल्प पदया गया था। इस प्रकार,
गई थी। अलग सोंघ बनाने की कोई बात नहीों हुई थी। पिभाजन का ढाों चा भी तैयार हो गया।
• स्वतोंत्र भारत राष्टरमोंडल से अलग हो सकता है ।
• िायसराय की कायाकारी िररषद में भारतीयोों का 8/12 • अोंतररम अिपध के दौरान भारतीयोों की प्रशासन में बड़ी
बहुमत के साथ पििार पकया। पहस्ेदारी थी।

उद्दे श्य:

• ये िूणा स्वतोंत्रता चाहती थी।


• इसने दे शी ररयासतोों के प्रपतपनपधओों के पलए पनिाा चन के बजाय मनोनयन की व्यिस्था का
काों ग्रेस: पिरोध पकया था।
• िृथक होने का अपधकार राष्टरीय एकता के पसद्धाों त के पिरुद्ध था।
• सत्ता के त्वररत स्थानाों तरण और रक्षा में िािपिक पहस्ेदारी की अनुिक्तस्थपत।
• गिनार जनरल को सोंिैधापनक प्रमुख बनाए जाने की माों ग को स्वीकार नहीों पकया। गिनार
जनरल का िचास्व बरकरार रखा गया।
• यह एकल भारतीय सोंघ के पिचार के पिरुद्ध थे।
• यह सोंतुष्ट नहीों थे क्योोंपक इसके प्रािधानोों ने मुक्तिमोों को आत्मपनणाय के अपधकार से िोंपचत
मुक्तिम िीग: कर पदया था।
• इसने सोंपिधान सभा के पनमााण के पलए पिपध को अनुमोपदत नहीों पकया।
• इसने प्राों तोों को भारतीय सोंघ से जुड़ने की प्रपक्रया का अनुमोदन नहीों पकया।

भारत िोड़ो आन्दोिि/ अगस्त क्राोंनत (1942)


• पक्रप्स पमशन के पिफल हो जाने के बाद, गाों धी जी द्वारा पब्रपटश की िािसी के पलए एक सोंकल्प तैयार पकया गया था और जािानी
आक्रमण के क्तखलाफ अपहों सक-असहयोग आों दोलन पकया गया।
• िधाा में 14 जुलाई, 1942 को सी.डब्ल्यू.सी. की बैठक में प्रिाि स्वीकार पकया गया।

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सोंघित के कारण:
• पक्रप्स पमशन की पिफलता ने पब्रपटश सरकार के अिररितानीय रिैये को उजागर पकया।
• काों ग्रेस नेतृत्व चाहता था पक जनता सोंभापित जािानी आक्रमण के पलए तैयार रहें ।
• युद्ध में नुकसान के कारण पब्रपटश शासन के स्थापयत्व में पिश्वास की कमी।
• बोंगाल, उड़ीसा, असम में पब्रटे न द्वारा भेदभाििूणा भू-नीपत को अिनाया जाना।
• बोंगाल-उड़ीसा में नमक, चािल की बढ़ती कीमतोों के साथ नािोों को जब्ती द्वारा सरकारोों की नीपतयोों और मोंशा उजागर हुई।

भेदभाििूणत भू-िीनत: यह दु श्मन राष्टर के पलए उियोग की जाने िाली पकसी भी चीज़ को नष्ट करने की एक सैन्य रणनीपत है ।
जैसे: बोंगाल और उड़ीसा में नािोों को जब्त करना।

ए.आई.सी.सी. की ग्वानिया बैठक, बॉम्बे:


• 8 अगि 1942 को ग्वानिया टैं क में काों ग्रेस की बैठक में भारत छोड़ो प्रिाि को िाररत पकया गया।
• भारत छोड़ो आन्दोलन के अलािा, पब्रपटश शासन के क्तखलाफ सपिनय अिज्ञा आों दोलन जैसे अन्य प्रिाि शापमल थे।
• गाों धीजी द्वारा इस सत्र में "करो या मरो" का मोंत्र पदया गया।

• लोक प्रापधकरण के प्रतीकोों िर आक्रमण।


• भूपमगत गपतपिपधयााँ -उषा महेता ने आों दोलन को गपत दे ने के पलए एक भूपमगत रे पडयो
शुरू पकया।
• बपलया (उ.प्र.), तामलुक(बोंगाल) में "पिदधुत िापहनी", सतारा (महाराष्टर) में "प्रगपत
भारत िोड़ो आन्दोिि प्रस्ताि
सरकार" का गठन िाई.बी. चव्हाण, नाना िापटल द्वारा आपद समानाों तर सरकारें स्थापित
िाररत होिे के बाद की प्रमुख
की गयी।
गनतनिनध:
• युिा, मपहला, श्रपमक, पकसान, सरकारी अपधकारी पिशेष रूि से पनचले िर के, मुक्तिम,
कम्युपनस्टोों ने इस आों दोलन में भाग पलया। उच्च िगा अब भी सरकार का िफादार बना
रहा।
• आों दोलन के दौरान कोई साों प्रदापयक झड़ि नहीों हुई। लेपकन सरकारी दमन के तहत
10,000 लोग मारे गए।

• महत्व: राष्टरीय आों दोलन के एजेंडे में स्वतोंत्रता की माों ग को जोड़ा गया था।
• 23 माचत 1943: िापकिान पदिस मनाया गया।

1943 का अकाि
• यह बोंगाल के दपक्षण िपिम क्षेत्र में िड़ा।
• पिशाल सेना को भोजन की आिूपता के कारण खाद्यानोों की आिूपता बापधत हो गयी।
• दपक्षण िूिा एपशया, बमाा से आयात बोंद कर पदया गया।
• यह सरकार के कुप्रबोंधन से और भी अपधक बढ़ गया।

भारत िोड़ो आन्दोिि से िुड़े महत्विूणत िेता

महात्मा गाोंधी: • ग्वापलया टैं क में उन्ोोंने करो या मरो का नारा पदया।
• इसके बाद 9 अगि, 1942 को उन्ें पगरफ्तार कर पलया गया।
• भारत छोड़ो आों दोलन में शापमल भारतीयोों का सरकार के द्वारा दमन के पिरोध में 21
पदनोों का अनशन पकया।
ियप्रकाि िारायण: • जे.िी. के रूि में लोकपप्रय थे। उन्ोोंने योगेंद्र शुक्ल के साथ हजारीबाग सेंटरल जेल में
आजादी के भूपमगत आों दोलन की शुरुआत की।
राम मिोहर िोनहया, अरुणा • भूपमगत गपतपिपधयोों से जुड़े नेता।
आसफ अिी, सुचेता कृििािी,
बीिू िटिायक, आर.िी.
गोयिका, अच्युत िटिधति
नचत्तु िाोंडे: • उन्ोोंने बपलया (यूिी) में एक समानाों तर सरकार बनाई। उन्ोोंने खुद को गाों धीिादी

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बताया।
उिा मेहता: • िह एक छोटे समूह का पहस्ा थी जो काों ग्रेस रे पडयो चलाता था। उन्ोोंने बॉिे में एक
भूपमगत रे पडयो शुरू पकया।
ििाहर िाि िेहरू: • शुरू में उन्ोोंने कट्टर उदारिापदयोों का समथान पकया जो गाों धी जी की योजना के पिरोधी
थे। बाद में इन्ोोंने 8 अगि, 1942 को भारत छोड़ो प्रिाि िाररत पकया।

रास नबहारी बोस: • इन्ें जून 1942 को इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग के अध्यक्ष के रूि में चुना गया। उन्ोोंने
जािानी बलोों द्वारा पगरफ्तार पकये गए भारतीय युद्धबोंपधयोों को लामबोंद पकया और
पब्रपटश सरकार के क्तखलाफ एक सशस्त्र पिद्रोह का गठन पकया।
कप्ताि मोहि नसोंह: • ये भारतीय राष्टरीय सेना (INA) के प्रमुख सेनािपत थे।
सुभाि चोंद्र बोस: • भारतीय राष्टरीय सेना में 1943 में शापमल हुए, इन्ोोंने प्रपसद्ध नारा "तुम मुझे खून दो , मै
तुम्हे आजादी दू ों गा" पदया ।
• उन्ोोंने आजाद पहों द रे पडयो के एक भाषण में गाों धीजी को "राष्टरपिता" के रूि में सोंबोपधत
पकया।
• सुभाष चोंद्र बोस के तहत आईएनए ने भारत की स्वतोंत्रता में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
सी. रािगोिािाचारी और • िे स्वतोंत्रता के बाद एक जनमत सोंग्रह के माध्यम से मुसलमानोों के अलग होने के
भूिाभाई दे साई: क्तखलाफ थे। उन्ोोंने जुलाई 1942 में काों ग्रेस की AICC से इिीफा दे पदया।

के. िी. मिरूिािा: • 8 अगि 1942 को महादे ि दे साई की पगरफ्तारी के बाद, िे साधारण जन सिन्धी
भािनाओों को भड़काने के पलए हररजन के दो उग्रिादी मुद्दोों को सामने लाये।
सतीि सामोंत : • ये स्थानीय काों ग्रेसी नेता तथा तामलुक जातीय सरकार के प्रथम सिाापधनायक थे।
पमदनािुर के तामलुक सब-पडिीजन में पिद्रोही राष्टरीय सरकार के गठन में इनकी प्रमुख
भूपमका थी।
िक्ष्मण िायक: • कोरािुत के जनजातीय तबके को जिोर जमीोंदारी के पिरुद्ध पिद्रोह करने हे तु सोंगपठत
पकया। इनके नेतृत्व में प्रदशानकाररयोों ने िुपलस थाने िर आक्रमण पकया।
िािा िानटि: • सतारा में पिद्रोह का नेतृत्व पकया।

सी.रािगोिािाचारी फामूतिा (1944)


काों ग्रेस और मुक्तिम लीग के बीच गपतरोध को हल करने के पलए सी.राजगोिालाचारी ने एक फामूाला प्रिुत पकया। इसे सोंिैधापनक
सोंकट को हल करने के पलए लाया गया था। इसके मुख्य पबोंदु पनम्नपलक्तखत थे:
• मुक्तिम लीग स्वतोंत्रता के पलए काों ग्रेस की माों ग का समथान करे ।
• केंद्र में एक अनोंपतम सरकार बनाने में काों ग्रेस के साथ मुक्तिम लीग सहयोग करे ।
• एक अलग सोंप्रभु राष्टर के गठन के पलए उत्तर िपिम और उत्तर िूिा के मुक्तिम बहुमत िाले क्षेत्र से जनता द्वारा जनमत सोंग्रह कराया
जाये।
• यपद पिभाजन की माों ग को स्वीकार पकया जाता है तो रक्षा, िापणि, सोंचार के पलए सोंयुि रूि से समझौता पकया जाए।
• यपद पब्रपटशोों द्वारा भारत को िूणा शक्तियाों दी जाती है , तो इन शतों िर अमल पकया जाये।

• महत्व : इसने मुक्तिम लीग की अलग िापकिान की माों ग को स्वीकार कर पलया।


• मुक्तिम लीग केिल उत्तर िपिम और उत्तर िूिा भारत के मुसलमानोों को िोट दे ने का अपधकार दे ना चाहती थी। यह केंद्र में
साझा सरकार गठन का पिरोधी था।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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दे साई- नियाकत समझौता (1945)


• केंद्रीय पिधानमोंडल में काों ग्रेस और लीग द्वारा सुझाए गए सदस्योों की सोंख्या समान हो ।
• अल्पसोंख्यकोों के पलए 20% सीटें आरपक्षत हो।
• यह दोनोों के बीच एक समझौता कराने में पिफल रहा लेपकन उनके बीच समानता का िररचय करा सका।

िेिेि योििा- 1945 (निमिा समझौता)


• गिनार जनरल और कमाों डर इन चीफ को छोड़कर कायाकारी िररषद के सभी सदस्य भारतीय होने चापहए।
• पहों दू और मुक्तिमोों के पलए एक समान प्रपतपनपधत्व।
• भारत सरकार के प्रािधान, 1935 के तहत अोंतररम सरकार के रूि में काम करने के पलए िररषद का िुनपनामााण पकया गया।
यह केंद्रीय पिधानसभा के प्रपत उत्तरदायी नहीों होगी।
• गिनार जनरल की कायाकारी िररषद का िुनपनामाा ण। नए सोंपिधान के बनने तक यह एक अोंतररम व्यिस्था थी।
• यह एम.ए. पजन्ना की िीटो शक्ति की माों गोों को िूरा करने में पिफल रही। िे केिल मुक्तिम
लीग के मुक्तिम सदस्योों को कायाकारी िररषद के पलए चुनना चाहते थे। यह आशोंका थी पक
मुक्तिम लीग की इस व्यिस्था से मुक्तिम लीग की सोंख्या एक पतहाई रह जाएगी। िेिेल िपिमी िोंजाब से मुक्तिम
प्रपतपक्रया: प्रपतपनपध के रूि में क्तखज्र हयात खान को चाहते थे।
• मुक्तिम लीग चाहती थी पक मुसलमानोों के पिरुद्ध कोई भी पनणाय दो-पतहाई बहुमत से िाररत
हो।
• काों ग्रेस ने इस िर आिपत्त जताई पक यह काों ग्रेस को पिशुद्ध रूि से जापतिादी पहों दू िाटी का
काोंग्रेस की प्रनतनक्रया : दजाा दे ने की कोपशश है ।
• इसने अिने प्रत्यापशयोों के बीच सभी समुदायोों के सदस्योों को शापमल करने के अिने अपधकार
िर जोर पदया।

सुभाि चोंद्र बोस के द्वारा समनथतत आों दोिि


• िे 1941 में भेष बदलकर भारत से चले गए और 1938-45 तक जमानी में रहे ।
• बपलान में, उन्ोोंने "फ्ी इों पडया रे पडयो" की स्थािना की।
• भारतीय युद्ध कैपदयोों के अोंतगात "स्वतोंत्रता सेना (मुक्ति सेना)" नाम से एक सैन्य इकाई स्थापित की।
• उनके द्वारा बपलान रे पडयो का उियोग पकया गया तथा इसे आज़ाद पहों द रे पडयो कहा जाता था। इसके मुख्यालय को
पसोंगािुर और पफर रों गून में स्थानाों तररत कर पदया गया।

टोक्ो सम्मेिि: माचत 1942


• रास पबहारी बोस और जिाहरलाल नेहरू ने 1928 में "इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग" नाम से एक सोंगठन बनाया।
• टोक्यो सम्मेलन में इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग के नए अध्याय का गठन पकया गया।
• भारत की मुक्ति के पलए भारतीय राष्टरीय सेना (आज़ाद पहों द फौज) का गठन पकया जाना था।
• मोहन पसोंह सेना प्रमुख के कमाों डर बनने िाले थे।
• सम्मेलन का िररणाम: बमाा से मलाया तक रहने िाले सभी भारतीयोों ने इसमें पहस्ा पलया। लेपकन िे जािानी सरकार के पनपहत
स्वाथों से आशोंपकत थे इसपलए इसका कुछ भी िररणाम नहीों पनकला। भपिष्य में बैंकॉक में बैठक का पनणाय पलया गया।
• ऑल मलायन इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग - 1942, पसोंगािुर: यह रास पबहारी बोस द्वारा गपठत की गयी थी। इसने मुख्य रूि से
िृक्षारोिण में लगे स्थानीय भारतीयोों के मुद्दोों को उठाया।
• बैंकाक सम्मेलन- जून 1942: इसकी अध्यक्षता रास पबहारी बोस ने की थी। इसमें 34-सूत्रीय प्रिाि िाररत पकया। इों पडयन
नेशनल आमी को इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग के अधीन कर पदया गया।
• जािानी सरकार को स्पष्ट रूि से भारत को एक स्वतोंत्र राष्टर के रूि में िहचानना चापहए।
• जािानी सरकार को लीग को भारत के राष्टरीय प्रपतपनपध और सोंरक्षक के रूि में मान्यता दे नी चापहए।
• भारतीय राष्टरीय सेना को एक पमत्र सेना के रूि में मान्यता दी जानी चापहए और युद्ध बोंपदयोों को लीग

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

मुख्य पबोंदु: को सौोंि पदया जाना चापहए।


• इसने स्वतोंत्रता के बाद जािान के साथ भारत के सोंबोंधोों, उसकी स्वतोंत्रता और सोंप्रभुता के सोंबोंध में
आश्वासन की माों ग की।

िािाि में बोस, 1943:


• िे पब्रपटशोों को खदे ड़ने और भारत की स्वतोंत्रता हापसल करने के पलए जािानी सरकार के समथान और िादे के पलए मई 1943
में जािान गए।
• मोहन पसोंह के जािानी सरकार के साथ मतभेद के बाद, उन्ें पगरफ्तार कर पलया गया और बाद में आई.एन.ए. से हटा पदया
गया।
• बाद में उन्ें भारत िािस भेज पदया गया। िह काों ग्रेस शासन के तहत सोंसद सदस्य भी बने।
• सुभाष चोंद्र बोस को जून में इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग का नेतृत्व पदया गया था। उन्ोोंने भारतीय राष्टरीय सेना की कमान भी सोंभाली।
• आज़ाद स्कूल: सैपनकोों के प्रपशक्षण पलए (POW)
• रानी झाों सी रे पजमेंट: कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के अोंतगात एपशया का िहला मपहला रे पजमेंट।
• हबीब उर रहमान के अधीन अपधकाररयोों के पलए प्रपशक्षण स्कूल।
स्वतोंत्र भारत की अिोंनतम सरकार, नसोंगािुर (अक्ट्ू बर 1943)
• पसोंगािुर में 21 अक्ट्ू बर 1943 को स्वतोंत्र भारत की अोंतररम सरकार का गठन पकया गया था।
• सुभाष चोंद्र बोस के बैनर तले माचा 1944 में आईएनए ने बमाा के क्तखलाफ सैन्य अपभयान शुरू पकया तथा "पदल्ली चलो" का
नारा पदया।
• जािान, जमानी, इटली, क्रोएपशया, बमाा , थाईलैंड, राष्टरिादी चीन, पफलीिीोंस ने इस अोंतररम सरकार को मान्यता दी।
• जािानी सरकार द्वारा अोंडमान और पनकोबार द्वीि को इसे दे पदया गया; बाद में इसका नाम बदलकर शहीद द्वीि और स्वराज
द्वीि कर पदया गया।
• 30 पदसोंबर 1943: राष्टरीय ध्वज फहराया गया।
• इम्फाल की लड़ाई: जािान ने आईएनए के साथ माचा-जुलाई 1943 से इम्फाल िर आक्रमण करने और पमत्र दे शोों की सेना को
नष्ट करने की कोपशश की। पमत्र दे शोों की सेना द्वारा बमाा को िीछे धकेल पदया गया।
• कोपहमा युद्ध: पब्रपटश को घेरने का एक और असफल प्रयास।
• मई 1945: रों गून को अोंग्रेजोों ने जीत पलया।
• पसतोंबर 1945: जािान ने पहरोपशमा और नागासाकी में िरमाणु बम पिस्फोट के बाद आत्मसमिाण पकया।
भारतीय रािरीय सेिा (INA) मुकदमा / िाि नकिा मुकदमा
आईएनए के अपधकाररयोों को निोंबर 1945 और मई 1946 में पदल्ली के लाल पकले िर कोटा माशाल के पलए ले जाया गया। लगभग
दस कोटा -माशाल पकए गए।

आम चुिाि , 1945
क्लीमेंट एटली के तहत लेबर िाटी सत्ता में आई। लाडा िैपटर क लॉरें स भारत के नए राि सपचि पनयुि हुए।
• 10 साल बाद भारत में आम चुनाि की घोषणा। अोंपतम बार 1936 में आयोपजत हुए थे।
• 91% गैर-मुक्तिम सीटें काों ग्रेस द्वारा जीती गईों, मद्रास, सोंयुि प्राों त, पबहार, उड़ीसा, मध्य
प्रमुख कदम: प्राों त में िूणा बहुमत प्राप्त हुआ।
• मुक्तिम लीग ने सभी मुक्तिम सीटोों िर जीत हापसल की मुक्तिम लीग ने पसोंध और बोंगाल
में िूणा बहुमत प्राप्त पकया था।
• मुक्तिम लीग 1935 के चुनािोों के पििरीत एक प्रमुख मुक्तिम िाटी के रूि में स्थापित हुई
महत्व: थी।
• िृथक पनिाा चन और सीपमत मतापधकार ने चुनािोों में साों प्रदापयक मतदान में योगदान पदया।
जैसे, प्राों तोों के पलए <10% लोग मतदान कर सकते थे। केंद्रीय पिधानसभा के पलए <1%
योग्य थे।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

िेिेल ब्रेकडाउन योजना: उन्ोोंने उत्तर िूिा और उत्तर िपिम के 6 मुक्तिम प्राों तोों में पब्रपटश सेना और अपधकाररयोों को िािस
बुलाने की योजना बनाई। इसका कैपबनेट पमशन योजना द्वारा अपधक्रमण पकया गया था।

रॉयि इों नडयि िेिी निद्रोह (1946)


• खराब िेतन, खाद्य और निीय भेदभाि के कारण एचएमआईएस तलिार के तहत एक पिद्रोह शुरू पकया गया था।
• काों ग्रेस, मुक्तिम लीग और सीिीआई के लाल झोंडे फहराए गए।
• सरदार िटे ल के हिक्षेि से पिद्रोह समाप्त हो गया। आश्वासन दे ने के बािजूद भी पिद्रोपहयोों को मुकदमोों का सामना करना
िड़ा।
• इससे बॉिे में पहों सा शुरू हो गयी हुई, पजसमें 200 लोगोों की जान चली गई।
• महत्व: भारत में 19 फरिरी 1946 को कैपबनेट पमशन भेजा गया था।
कैनबिेट नमिि योििा (1946)
• सोंरचिा: लाडा िैपटर क लॉरें स (भारत के राि सपचि) + सर स्टै फ़ोडा पक्रप्स (व्यािार मोंडल के अध्यक्ष) + िी. अलेक्जेंडर
(एडपमरल्टी के प्रथम लाडा )।
• उद्दे श्य :
➢ अोंतररम सरकार के पलए व्यिस्था करना।
➢ स्वतोंत्र भारत के सोंपिधान के गठन के पलए तोंत्र तैयार करना।
• काों ग्रेस और लीग के मध्य आम सहमपत में नहीों बन सकी। इसपलए, पमशन अिनी योजनाओों के साथ आगे बढ़ गया।
योििा:
• रक्षा, सोंचार और पिदे श मामलोों के पनयोंत्रण के साथ एकीकृत केंद्र को प्रिापित पकया गया था। इसने केंद्र को सीपमत शक्तियाों
दीों, इस प्रकार एक कमजोर केंद्र का प्रिाि पदया।
• अोंतररम सरकार के सभी सदस्य भारतीय होोंगे और िायसराय का न्यूनतम हिक्षेि होगा। सोंपिधान सभा से अोंतररम सरकार
का गठन पकया जायेगा।
• लोकताों पत्रक पसद्धाों तोों िर सोंपिधान सभा का गठन:
➢ आनुिापतक प्रपतपनपधत्व के माध्यम से 3 समूहोों सामान्य, मुक्तिम और पसखोों में मतदान।
➢ सोंपिधान सभा के 389 सदस्य: प्राों तोों से 292, 4 मुख्य आयुि प्राों त और 93 सदस्य दे शी ररयासतें से ।
• सभी पिषयोों (सोंघ और अिपशष्ट पिषयोों को छोड़कर) प्राों तोों को आिोंपटत पकए जाने थे।
• दे शी ररयासतोों को सभी पिषयोों और अिपशष्ट पिषयोों को पदया गया था। िे अब पब्रपटश िरमसत्ता के अोंतगात नहीों थे और भारत
या िापकिान में शापमल होने के पलए स्वतोंत्र थे।
• तीन िरीय कायािापलका , प्राों तीय िर पिधान सभा, अनुभाग और सोंघ िर िर पिधापयका।
• तीि िगों के तहत मौिूदा प्राोंतोों का समूहि:
➢ समूह क : मद्रास, बॉिे, मध्य प्राों त, सोंयुि प्राों त, पबहार, उड़ीसा (पहों दू बहुसोंख्यक प्राों त)।
➢ समूह ख : िोंजाब, उत्तर िपिम सीमा प्राों त और पसोंध (मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों त)।
➢ समूह ग : बोंगाल और िोंजाब (मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों त)।
• समूहोों के सदस्य अलग से प्राों तोों के गठन का फैसला करें गे। सोंघ का सोंपिधान िूरे सोंपिधान सभा द्वारा तैयार पकया जाना था।
• िहले आम चुनािोों के बाद प्राों त समूह से बाहर आने के पलए स्वतोंत्र होगे।
• 10 साल बाद, प्राों त समूह या सोंघ के िुनपिाचार के पलए स्वतोंत्र होगा।

काों ग्रेस की व्याख्याएाँ : कैपबनेट पमशन िापकिान के क्तखलाफ है । सोंपिधान सभा का गठन पिचारणीय है । लीग की िीटो िािर
चली गई ।
मुक्तिम लीग की व्याख्याएाँ : इसकी समूह ख और ग में मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों तोों का प्रपतपनपधत्व करता है , इसपलए समूहन ने
िापकिान के गठन की ओर सोंकेत पकया है ।

उद्दे श्य:

काोंग्रेस • अपनिाया समूहन प्राों तीय स्वायत्तता के अनुरोध के पििरीत था।


• प्राों तोों को समूहीकरण में शापमल नहीों होने पदया जाना चापहए (यह ध्यान में रखते हुए काोंग्रेस ने
एनडब्ल्यूएफिी और असम के प्राों तोों िर शासन पकया था)।
• दे शी ररयासतोों के नामाों पकत सदस्य स्वीकार नहीों पकए गए थे ।
मुक्तिम िीग • मुक्तिम लीग अपनिाया समूहीकरण की व्यिस्था चाहती थी।
• यह पिभाजन के बाद मजबूत िापकिान के पलए मुक्तिम बहुल प्राों त िर अपधकार चाहते थे।

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• 10 जुलाई, 1946: नेहरू ने सोंपिधान सभा को सोंप्रभु के रूि में उिलपक्षत पकया और प्रपक्रया के पनयमोों के आधार िर स्वयों
पनणाय लेंगे की मोंशा पदखाई।
• 29 जुलाई, 1946: लीग ने नेहरू के कथन के जिाब में योजना को अस्वीकार कर पदया। स्वतोंत्र िापकिान को प्राप्त करने के
पलए 16 अगि 1946 को प्रत्यक्ष कायािाही पदिस के रूि में बनाया।
प्रत्यक्ष कायतिाही नदिस, अगस्त 16, 1946
• 16 अगि, 1946 को प्रत्यक्ष-कारा िाई पदिस के रूि में मनाना तय पकया गया। बोंगाल के प्रधानमोंत्री के नेतृत्व में , हुसैन शहीद
सुहरािदी और ख्वाजा पनजामुद्दीन द्वारा पदए गए उग्र भाषणोों ने िहले से नाराज साों प्रदापयक जनता को उकसा पदया। इसके
बाद हुई पहों सा में 5000 लोग मारे गए थे।
• भारत में 16 अगि से साों प्रदापयक दों गे बहुत बड़े िर िर शुरू हुए।
• गढ़मुिेश्वर (उत्तर प्रदे श ), कलकत्ता, बॉिे, नोआखली, पबहार सबसे अपधक प्रभापित क्षेत्र थे।
अोंतररम सरकार
• जिाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में 2 पसतोंबर 1946 को अोंतररम सरकार का गठन पकया गया था।
• यह िायसराय की कायाकारी िररषद की एक पनरों तरता थी।
• इसे मुक्तिम लीग के पबना बनाया गया था, लेपकन बाद में 26 अक्ट्ू बर को उसे इसमें शापमल होने की अनुमपत दे दी गई:
➢ प्रत्यक्ष कायािाही का पिरोध पकए पबना।
➢ कैपबनेट पमशन की लघु अिपध-दीघाकालीन माों गोों की अस्वीकृपत के बाद भी।
➢ िूरी आबादी द्वारा पलए जाने िाले पनणाय के साथ अपनिाया समूहन िर अड़े रहने के बािजूद। (इस प्रकार, िापकिान के
पिरोपधयोों को अल्पमत में लाना)।
सोंनिधाि सभा
• इसकी िहली बैठक 9 पदसोंबर, 1946 को हुई। इसमें 389 सदस्य (292 राि के प्रपतपनपध, ररयासतोों के 93, पदल्ली के मुख्य
आयुि प्राों त के 4, अजमेर-मेिाड़, कूगा और पब्रपटश बलूपचिान) थे।
• काों ग्रेस ने 208 सीटें और मुक्तिम लीग ने 73 सीटें जीतीों। चुनाि के बाद मुक्तिम लीग ने काों ग्रेस के साथ सहयोग करने से इनकार
कर पदया। पब्रपटश ने घोपषत पकया पक सोंपिधान सभा में मुक्तिम बहुल क्षेत्र िर पलए गए फैसले मान्य नहीों होोंगे।
• सोंपिधान सभा स्वतोंत्र भारत की िहली सोंसद थी।
• 9 पदसोंबर 1946 को सोंपिधान सभा की िहली बैठक में डॉ. सक्तच्चदानोंद पसन्ा इसके िहले अध्यक्ष बने।

उद्दे निका प्रस्ताि: इसे 13 पदसोंबर 1947 को लाया गया और 22 जनिरी 1947 को अिनाया गया। इसे जिाहरलाल नेहरू द्वारा
तैयार पकया गया था और स्वायत्त इकाइयोों, अल्पसोंख्यक सुरक्षा उिायोों और सामापजक, राजनीपतक और आपथाक लोकतोंत्र के
साथ एक स्वतोंत्र गणराि के आदशों को प्रदपशात पकया गया था।

काोंग्रेस की प्रनतनक्रया : सत्ता हिाों तरण करने के पलए एक से अपधक केंद्रोों को स्वीकार पकया। सत्ता का हिाों तरण काोंग्रेस को एक
सोंपिधान बनाने की अनुमपत दे गा।

एटिी का घोिणाित्र (1947)


• 20 फरिरी 1947 को प्रधान मोंत्री क्लीमेंट एटली ने एक बयान जारी पकया। इसने सत्ता हिाों तरण के पलए 30 जून, 1948 की
समय सीमा घोपषत की गयी।
• सत्ता का हस्ताोंतरण नकया िाएगा:
➢ यपद सोंिैधापनक सभा िूरी तरह से तैयार नहीों हो तो यह कुछ क्षेत्रोों में मौजूदा प्राों तीय सरकार को शक्तियाों हिाों तररत कर
दे गी (यपद मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों त सोंघ में शापमल नहीों होते।)
➢ सत्ता का यह हिाों तरण पब्रपटश की शक्ति और दापयत्व को प्रान्तोों के सोंदभा में समाप्त कर दे गा। शक्तियोों को उत्तरापधकारी
रािोों में स्वतः स्थानाों तररत नहीों पकया जाएगा।
➢ लॉडा िेलि की जगह लॉडा माउों टबेटन भारत के नए िायसराय बने। िे पब्रपटश भारत के अोंपतम िायसराय थे।
• मुक्तिम लीग ने इसके बाद नागररक जन अिज्ञा का शुभारों भ पकया।
➢ बढ़ते सोंिैधापनक सोंकट को रोकने के पलए।
निनित नतनथ निधातररत की गई : ➢ इसपलए तापक सोंबोंपधत िक्ष प्रमुख मुद्दोों िर सहमपत बना सकें।
➢ भारतीयोों को अोंग्रेजोों की ईमानदारी िर पिश्वास पदलाने के पलए।

माउों टबेटि योििा, 3 िूि 1947


माउों टबेटन पब्रपटश भारत के अोंपतम िायसराय थे। स्वतोंत्र भारत के िहले िायसराय सी.राजगोिालाचारी थे। उन्ें एकीकरण के
पिकल्पोों ढू ढ़ने के पलए भारत में भेजा गया था। लेपकन एम. ए. पजन्ना सोंप्रभु िापकिान को लेकर अड़े थे। काों ग्रेस ने जून में पिभाजन

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

के पलए सहमपत दी बाद में 3 जून को क्लीमेंट एटली द्वारा हाउस ऑफ़ कॉमन्स में इसकी योजना बनाई गई।
योजना:
• बोंगाल और िोंजाब की प्राों तीय पिधानसभाएों अलग-अलग, एक मुक्तिम बहुसोंख्यक पजलोों का प्रपतपनपधत्व करने िाली और दू सरी
पहों दू बहुसोंख्यक पजलोों के मतदान द्वारा पिभाजन िर पनणाय लेने के पलए पमलेंगी ।
• बोंगाल के NWFP और पसलहट पजले के मामले में जनमत सोंग्रह शुरू पकया जाएगा।
• पसोंध अिना फैसले लेने के पलए स्वतोंत्र था।
• पिभाजन के मामले में दो डोपमपनयन और दो सोंपिधान सभाओों का गठन पकया जाना था।
• चूोंपक काों ग्रेस ने एकीकृत भारत की मााँ ग की, इसपलए उसकी सभी मााँ गें िूरी होनी थीों:
➢ दे शी ररयासतोों को आजाद रहने से इों कार पकया गया। िे भारतीय या िापकिान के डोपमपनयन में शापमल हो सकते थे।
➢ बोंगाल को कोई स्वतोंत्रता नहीों।
➢ िापकिान में है दराबाद का प्रिेश पनषेध था।
• 15 अगि 1947 को स्वतोंत्रता दी जाएगी।
• सीमा पिभाजन के मामले में सर रे डक्तक्लफ के तहत सीमा आयोग स्थापित पकया गया।

अलग िापकिान की लीग की माों ग िर सहमपत बनी। तो काों ग्रेस की माों ग थी,अपधकतम एकता बनाए रखना। काों ग्रेस ने दे श में
पहों सक क्तस्थपत, सेना और नौकरशाही की पनरों तरता और जाों च के पलए सत्ता हिाों तरण को डोपमपनयन स्टे टस के रूि में स्वीकार
पकया।

भारतीय स्वतोंत्रता अनधनियम, 1947


पब्रपटश सरकार द्वारा माउों टबेटन योजना को 1947 के भारत स्वतोंत्रता अपधपनयम के रूि में अनुमोपदत पकया गया था। इसे 15
अगि 1947 को लागू पकया गया था।
• भारत और िापकिान का स्वतोंत्र प्रभुत्व बना।
• प्रत्येक डोपमपनयन को अपधपनयम के कायाान्वयन की दे खरे ख के पलए गिनार जनरल को रखना था। माउों टबेटन भारतीय क्षेत्र के
पलए और एम.ए. पजन्ना िापकिान के पलए।
• पिधानमोंडल की शक्तियोों का प्रयोग करने के पलए प्रत्येक डोपमपनयन के पलए तथा मौजूदा पिधानसभाओों को भोंग करने के पलए
सोंपिधान सभा का उियोग।
• जब तक नया सोंपिधान नहीों अिनाया गया, तब तक शासन भारत सरकार अपधपनयम, 1935 के अनुसार सरकार को चलाया
जाएगा।
प्रान्तोों का एकीकरण
रािोों का एकीकरण दो चरणोों में पकया गया था। नेहरू ने अक्तखल आल इों पडया स्टे ट्स काों फ्ेंस सत्रोों की अध्यक्षता की। उन्ोोंने
घोषणा की पक सोंपिधान सभा में शापमल होने से इनकार करने िाले रािोों को शत्रुतािूणा माना जाएगा। जुलाई 1947, सरदार
िल्लभभाई िटे ल ने नए रािोों के पिभाग का कायाभार सोंभाला।
चरण I • कश्मीर, है दराबाद और जूनागढ़ को छोड़कर सभी रािोों ने भारत के साथ "पिलय ित्र” िर हिाक्षर
पकए। उन्ोोंने रक्षा सोंचार और पिदे श मामलोों िर केंद्र का अपधकार स्वीकार कर पलया।
• स्वीकृपत के कारण।
• राजनीपतक सोंरचना में कोई बदलाि नहीों।
• शक्तियााँ प्रदान की गयी।
चरण II • रािोों का नजदीकी प्राों त या नए क्षेत्रोों (पहमाों चल प्रदे श, कापठयािाड़ क्षेत्र, राजस्थान, मध्य प्रदे श) में
एकीकरण।
• प्रान्तोों में आों तररक सोंिैधापनक िररितान जो कुछ िषों के पलए अिनी िुरानी सीमाओों को बनाए रख
सकते थे (है दराबाद, मैसूर, त्रािणकोर, कोचीन।) या कुछ राजाओों को गिनार / राजप्रमुख बनाया गया,
पप्रिी िसा प्रदान पकया गया।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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15. भारत में पब्रपटश नीपतयोों का सिे क्ष ण

प्रिासनिक िीनतयाों

बाोंटोों एिों राि करो • 1857 के निद्रोह के ििात मुसिमािोों के दमि की िीनत अििायी गई थी।
की िीनत • क्षेत्र, प्राोंत, िानत, और धमों के निरुद्ध एक-दू सरे को उकसािे की िीनत।
निनक्षत भारतीयोों के • पशक्षा पब्रपटश प्रापधकरण के पलए एक चुनौती थी।
प्रनत द्वे ि • 1885 में INC के गठन के बाद, पशपक्षत भारतीयोों के पिरुद्ध शत्रुतािूणा रिैया अिना पलया गया।
िमी ोंदारो के प्रनत • 1857 के निद्रोह को कुचििे के बाद नब्रनटि सरकार िे भारतीयोों के अत्योंत प्रनतनक्रयािादी
दृनिकोण समूह अथातत भूस्वानमयोों और िमी ोंदारोों के प्रनत भी नमत्रता का हाथ बढाया।
• अिध राज्य के अनधकाोंि ताल्लुकदारोों को उिकी िमीिें िौटा दी गयी ों।
• सरकार िे िमीदारोों एिों भूस्वानमयोों को भारतीयोों का िरम्परागत िेता कहा।
सामानिक सुधारोों • प्रपतपक्रयािादी तत्वोों का समथान करने का पनणाय लेने के कारण, सरकार ने सामापजक सुधारोों से
के प्रनत दृनिकोण अिना समथान िािस ले पलया।
अनिकनसत • सरकार द्वारा सेना एिों नागररक प्रशासन िर पकये जा रहे भारी व्यय तथा पिद्रोहोों को कुचलने में
सामानिक सेिायें सोंसाधनोों के अोंधाधुोंध उियोग से पशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आधारभूत ढाों चे इत्यापद जैसी सामापजक
सेिायें उिेपक्षत हो गयीों।
• भारत के कारखानोों में कायारत श्रपमकोों की दशाओों में सुधार एिों उनके पलये पिधान बनाने की माों ग,
सिाप्रथम भारत में नहीों अपितु पब्रटे न में लोंकाशायर के किड़ा कारखानोों के मापलकोों द्वारा उठायी
गयी।
• 1875 में श्रपमकोों की क्तस्थपतयोों की जाों च करने के पलए एक आयोग का गठन पकया गया ।
• भारतीय कारखािा अनधनियम, 1881: यह अनधनियम बाि श्रनमकोों से सोंबोंनधत था। (7 से
12 िित की आयु के बीच के)।
श्रनमक निधाि 1. 7 िषा से कम आयु के बच्चोों के काम करने िर रोक लगायी जाये।
2. बच्चोों के पलये एक पदन में काम करने की अिपध अपधकतम 9 घोंटे से अपधक नहीों होनी चापहये।
3. बाल श्रपमकोों को एक माह में चार अिकाश पदये जायें।
4. खतरनाक मशीनोों के चारोों बाड़ लगायी जाये।
• भारतीय कारखािा अनधनियम, 1891:
1. बच्चोों के काम करने के पलये न्यूनतम आयु 7 और 12 िषा से बढ़ाकर 9 और 14 िषा कर दी
गयी।
2. बच्चोों के पलये काम करने के घोंटोों को घटाकर 7 घोंटे प्रपतपदन कर पदया गया।
3. सभी के पलए साप्तापहक अिकाश।
4. मपहलाओों के पलये काम करने का समय 11 घोंटे कर पदया गया, पजसमें 1 घोंटे का मध्यािकाश
पनपित पकया गया।
5. िुरुषोों के पलये काम के घोंटे अभी भी अपनपित रहे ।
• इन पनयमोों को अोंग्रेजोों के स्वापमत्व िाले चाय एिों कहिा (काफी) बागानोों में लागू नहीों पकया गया।
प्रेस की स्वतोंत्रता िर • 1878 में अलोकपप्रय भारतीय भाषा समाचार-ित्र अपधपनयम (िनक्यूलर प्रेस एक्ट्) को िाररत पकया
प्रनतबोंध गया।
• स्वदे शी एिों बोंग-भोंग पिरोधी आों दोलन के समय 1908 एिों 1910 के मध्य अनेक प्रपतबोंध लागु पकये
गये।
रों गभेद की िीनत • अोंग्रेजोों ने नागररक प्रशासन एिों सेना के साथ-साथ रे ल के पडब्बोों, िाको, होटलोों तथा क्लबोों इत्यापद
में भी रों गभेद की नीपत को लागू पकया।

भारत में अोंग्रेिोों की सामानिक एिों साोंस्कृनतक िीनत

औद्योनगक क्राोंनतः पब्रपटश िूोंजीिादी और औद्योपगक समथाक िगा ने अिने माल की खित के पलए बाजारोों िर अपधक दबाि
डाला।
िये निचारोों की नििेिताएों :
1. तकतिाद : िैज्ञापनक और तकािादी दृपष्टकोण।

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िये निचारोों की 2. मािितािाद : मानिीय गररमा का महत्व।


नििेिताएों तथा 3. िररितति का नसद्धाोंत : इस पसद्धाों त के अनुसार कुछ भी अिररितानीय नहीों है ।
िरस्पर निरोधी निचारोों के िये प्रिाह से प्रिासकोों के मध्य टकराि:
निचारधाराओों का 1. रूनढिादी (िारे न हे क्तस्टोंग्स, एडमोंड बका, मुनरो, एक्तफोंस्टन, मैटकाफ): इनके मतानुसार भारतीय
उद्भि सभ्यता, यूरोिीय सभ्यता से पभन्न है लेपकन उससे पनम्न नहीों है । इन्ोोंने अत्यल्प िररितानोों की िकालत
की। इनके अनुसार सामापजक स्थापयत्व का होना आिश्यक है ।
2. सोंरक्षणिादी साम्राज्यिादी: इन्ोोंने भारत की राजनीपतक एिों आपथाक दासता को उपचत माना।
3. मौनिकतािादी: भारत और भारतीयोों के आधुपनकीकरण में पिश्वास पकया, लेपकन साम्राििादी पहत
की व्यािक सीमाओों के छत्रछाया में।
भारतीय िुििातगरण राजा राम मोहन राय, ईश्वर चोंद्र पिद्यासागर, बी एम मालाबारी, जैसे आपद समाज सुधारकोों ने सामापजक
बुराइयोों के पिरुद्ध कानून के माध्यम से भारतीय समाज में सुधार के पलए काम पकया।
चयिात्मक पब्रपटश पहत को बढ़ािा दे ने िाले क्षेत्रोों में ही आधुपनकीकरण का पिचार प्रसाररत पकया गया।
आधुनिकीकरण
ईसाई नमििररयोों ईसाई पमशनररयोों (धमा प्रचारकोों) ने ईसाई धमा को सिाश्रेष्ठ धमा के रूि में प्रचाररत पकया तथा
की भूनमका िािात्यीकरण के द्वारा इसके प्रसार की नीपत अिनायी। मौपलकतािापदयोों, साम्राििापदयोों तथा पब्रपटश
व्यिसापययोों एिों िूोंजीिपतयोों का समथान पकया।
नब्रनटि निितति 1858 के ििात, पझझकिूणा आधुपनकीकरण की नीपत त्याग दी गयी, क्योोंपक भारतीय धीरे -धीरे शासन के
सम्मुख पशष्य की तरह व्यिहार करने लगे तथा अिने समाज एिों सोंस्कृपत के तीव्रता से आधुपनकीकरण
पकये जाने की माों ग करने लगे।

निदे ि िीनत
• पब्रपटश साम्राि की रक्षा तथा उसके पहतोों के िक्षिोषण हे तु प्राकृपतक भौगोपलक सीमाओों को लाों घने का पनणाय।
• अन्य यूरोिीय प्रपतद्वों पद्वयोों (जैसे- फ्ाों स,रूस) को दू र रखना।
• पब्रटे न के आपथाक ि व्यािाररक पहतोों को प्रोत्सापहत करना।
भारतीय ररयासतोों के प्रनत नब्रनटि िीनत
• 1857 के बाद पिलय की नीपत का िररत्याग कर पदया गया।
• 1876 में सोंप्रभुता का अोंत (रानी पिक्ट्ोररया की घोषणा): पब्रपटश सरकार ने रािोों के आों तररक मामलोों में हिक्षेि करने के
अपधकार द्वारा अिनी 'सिोच्च श्रेष्ठता' की नीपत को कायम रखा।
• अधीनस्थ सोंघीय नीपत: साम्राि की रक्षा के पलये उनसे सोंबोंधोों की स्थािना करना, उनका उियोग तथा उन्ें िूणातया साम्राि
के अधीन कर लेना।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

16 . नब्रनटि िासि का भारतीय अथत व्यिस्था िर प्रभाि


औिपनिेपशक शासन ने भारतीय अथाव्यिस्था में सोंरचनात्मक और पक्रयाशील िररितान पकये। भारतीय अथाव्यिस्था िर इसके प्रभाि
का अध्ययन पनम्नपलक्तखत पबोंदुओों के तहत पकया जा सकता है ।

निऔद्योनगकीकरण
• आधुनिक औद्योगीकरण की नदिा में कोई प्रयास िही ों: यू रोि की तरह औद्योगीकरण के बजाय, भारत ने पिऔद्योपगकीकरण
की तरफ रुख पकया ।
• एकतरफ़ा मुि व्यािार: रे लिे की मदद से दे श के हर कोने में सिे यूरोिीय माल की बाढ़ आ गई।
• भारतीय माल िर यूरोि में भारी कर लगाया जाता था।
• भारतीय अथाव्यिस्था, नेट पनयाा तक से नेट आयातक में तब्दील हो गई।
• अधोमुखी शहरीकरण( Reverse Urbanization): बेरोजगार कारीगर, (पजन्ोोंने पब्रपटश शासन के कारण अिने सोंरक्षक खो
पदए) दमनकारी नीपतयोों और शहरी केंद्रोों में लाभ की कमी के कारण कृपष में सोंलग्न हो गए।
• कारीगरोों और हिपशक्तल्पयोों की बबाा दी।
नबचौनियोों का उदय तथा नकसािोों की दररद्रता
• उन पबचौपलयोों का उत्थान हुआ पजनका जमीन से कोई िारों िररक सोंबोंध नहीों था।
• िारों िररक ज़मीोंदारोों, जो भूपम को एक सोंसाधन मानते थे की अनुिक्तस्थपत।
• बड़े पहस्े में स्थायी बोंदोबि, रै यतिाड़ी और महालिाड़ी प्रणाली का प्रभाि।
• भूपम के हिाों तरण से पकरायेदारोों में असुरक्षा िैदा हुई।
• जमीोंदारोों की बढ़ी हुई शक्तियाों : अिैध बकाया, बेगार आपद।
• भूपम उत्पादकता में सुधार के पलए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीों।
• साहूकारोों द्वारा पकसानोों का शोषण।
• अकाल, बाढ़ आपद के कारण अपनपित उत्पादकता।
• पकसानोों को सरकार, जमीोंदारोों और साहूकारोों के हाथोों नुकसान उठाना िड़ा।
• 1850 से 1900 के बीच करोड़ोों लोग अकाल से मर गए।
• औिपनिेपशक सरकार की नीपतयोों के कारण और भोजन की कमी के कारण पकसानोों में गरीबी बढ़ती चली गई।
भारतीय कृनि का ह्रास तथा िानणज्यकरण
• मुद्रा अथाव्यिस्था, एकीकृत राष्टरीय बाजार का उद्भि, बाह्य-आों तररक व्यािार जैसी शक्तियोों द्वारा प्रेररत।
• कृपष का व्यािसायीकरण स्वाभापिक नहीों था, बक्ति पकसानोों िर जबरदिी थोिी गई प्रपक्रया थी। कीमतोों में बढ़ोतरी से
पबचौपलयोों को फायदा हुआ जबपक कीमतोों में पगरािट ने पकसानोों िर प्रपतकूल असर डाला।
• जमीोंदार और सरकार इच्छाशक्ति में कमी के साथ-साथ पकसानोों को उत्पादकता बढ़ाने के पलए प्रोत्सापहत नहीों पकया जाना।
• किास, जूट, मूोंगफली, पतलहन, तोंबाकू, गन्ना, मसालोों, मसालोों, फलोों, सक्तब्जयोों, चाय, कॉफी, इों पडगो, रबर, आपद की
व्यािसापयक फसलें, खित के उद्दे श्य से नहीों बक्ति राष्टरीय और अोंतराा ष्टरीय बाजार में पबक्री के पलए उगाई जाती थीों। ।

नब्रनटि िासि के दौराि भू रािस्व व्यिस्था


स्थाई बोंदोबस्त • लॉडा कॉनािापलस द्वारा शुरू पकया गया।
• बोंगाल, पबहार, उड़ीसा, िाराणसी (सोंयुि प्राों त), उत्तरी कनाा टक।
• पब्रपटश भारत का 19% पहस्ा किर पकया गया।
• ज़मीोंदारोों का एक नया िगा पनयुि पकया गया, जो अोंग्रेजोों को राजस्व का 10/11 िााँ पहस्ा
प्रदान करता था तथा शेष पहस्ा अिने िास रख लेते थे।
रै यतिाड़ी व्यिस्था • थॉमस मुनरो और अलेक्जेंडर रीड द्वारा शुरू पकया गया।
• तपमलनाडु के बारामहल पजले में शुरू हुआ और बाद में बॉिे, िूिी बोंगाल, असम और
कुगा (कनाा टक) के कुछ पहस्ोों, मद्रास में फैल गया।
• पब्रपटश भारत का 51% पहस्ा किर पकया गया।
• रै यत (पकसानोों) को भूपम िर स्वापमत्व और अन्य अपधकार पदए और उन्ें सरकार को
सीधे राजस्व का भुगतान करना िड़ा। उच्च कर एिों सख्त िसूली की गयी।
महाििाड़ी व्यिस्था • सोंयुि प्राों त, मध्य प्राों त और िोंजाब में।
• पब्रपटश भारत का 30% पहस्ा पकया गया।
• राजस्व सोंग्रह की इकाई गााँ ि या महल थी। गााँ ि की भूपम समुदाय की थी और भूपम के
राजस्व का भुगतान करना िूरे समुदाय की पजम्मेदारी थी।

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िारों िररक उद्योगोों का नििाि


• पब्रपटश ने भारतीय किड़ा उद्योग को िाउों ड के बजाय बोंगाल से अपजात राजस्व से भुगतान पकया।
• िहािरािी उद्योग: 1813 और 1814 में िाररत कानून अोंग्रेजोों के अलािा अन्य जहाजोों को तट के पकनार खड़े होने से रोकते
थे।
• इस्पात उद्योग: भारतीय इस्पात फमों को स्टील के उच्च ग्रेड का उत्पादन करने के पलए मजबूर पकया गया था जो लोकपप्रय
माों ग में कम था। भारत से इों ग्लैंड में इस्पात का पनपषद्ध आयात।
• ढााँचागत सोंरचिात्मक निकास: कोर, भारी उद्योगोों और पबजली उद्योगोों की उिेक्षा। तकनीकी पशक्षा और क्षेत्रीय पिषमताओों
का अभाि।
• भारत में पिदे शी िूाँजी का भारी पनिेश, अपधक मुनाफे, सिे श्रम, सिे और प्रचुर मात्रा में कच्चे माल की उिलिता, पब्रटे न में
कम होने के कारण, यूरोिीय लोगोों के प्रपत औिपनिेपशक सरकार का िक्ष। पिदे शोों में चाय, जूट, मैंगनीज जैसे भारतीय पनयाा त
के पलए तैयार बाजार आपद।
• 19 िीों सदी का उत्तराधा - मशीन आधाररत उद्योग भारत में आए।
• 1853 में बॉिे में कािासी नानभॉय द्वारा स्थापित िहली सूती किड़ा पमल।
• 1855 में बोंगाल के ररशरा में िहली जूट पमल।

भारतीय उद्योगोों की समस्याएाँ =सरकार द्वारा कोई टै ररफ सुरक्षा नहीों, पिदे शी कोंिपनयोों से असमान प्रपतस्पधाा , बेहतर तकनीक
और पित्तीय बुपनयादी ढाों चे से लैस पब्रपटश िूोंजीिादी द्वारा कड़ा पिरोध।

उिनििेनिक अथतव्यिस्था की रािरीयकृत आिोचिा


• सरकारी खचा िूरी तरह से पब्रपटश िूोंजीिपतयोों के पहतोों को बढ़ािा दे ने और लोगोों के कल्ाण को नजरअोंदाज करने के
पलए था। इसने एक तरफ़ा मुि व्यािार को प्रोत्सापहत पकया और एक तरफ़ा टै ररफ नीपत को आरोपित पकया।
• हालाों पक प्रारों पभक राष्टरिापदयोों ने आधुपनकीकरण और पिकास के बहाने पब्रपटश शासन का िक्ष पलया लेपकन बाद में रे लिे
और पिदे शी व्यािार से प्रेररत पिकास के क्तखलाफ तका पदया। उन्ोोंने बताया पक भारत में पिकास, पब्रपटश उद्योग के पलए
एक सक्तिडी की तरह था(जी िी जोशी)।
• कच्चे माल, खाद्य िदाथों, और पब्रपटश पनिेश के एक क्षेत्र के आिूपताकताा होने के पलए तैयार माल का शुद्ध पनयाा तक होने
से भारतीय अथाव्यिस्था का रूिाों तरण।
• भारत की गरीबी िूरी तरह से मानि प्रेररत/जपनत और हटाने योग्य थी। औद्योपगकीकरण के साथ समान पिकास। भारतीय
औद्योगीकरण िूरी तरह से भारतीय िूोंजी िर आधाररत होगा न पक पिदे शी िूोंजी िर।
• दादाभाई नौरोजी ( ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इों पडया): " िोिटी एों ड अनपब्रपटश रूल इन इों पडया" धन पनकासी के पसद्धाों त का
प्रपतिादन।
• रोमेश चोंद्र दत्ता: "भारत का आपथाक इपतहास" -भारत की िापषाक सकल घरे लू उत्पाद(GDP) का आधा पहस्ा हर िषा
पिदे शोों की ओर प्रिापहत हो रहा है ।

भारत से धन बपहगामन का एक महत्विूणा घटक था-गृह व्यय(home charges), अथाा त्:


• लोंदन में अिक्तस्थत भारतीय कायाा लयोों को चलाने के पलए भारत से ही धन जाता था।
• भारतीय पनपध का उियोग, भारत में कायारत पब्रपटश कपमायोों के िेतन और िेंशन का भुगतान करने में पकया जाता था।
• ऋण और रे लिे जैसे अन्य िूोंजी पनिेशोों िर ब्याज।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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17 . कामगार िगत का आों दोिि

भारतीय कामगार िगत की समस्याएों


कम मजदू री + बाल श्रम + अस्वच्छ और खतरनाक क्तस्थपतयोों में काम करना + प्रारों पभक राष्टरिापदयोों से कोई समथान नहीों + पिदे शी
सरकार और स्थानीय िूोंजीिपतयोों द्वारा दोहरा शोषण + बुपनयादी सुपिधाओों का अभाि + लोंबे समय तक काम करना।

महत्विूणत व्यक्तियोों का योगदाि

बाि गोंगाधर नतिक:


• लाल बाल िाल पतकड़ी में से एक। कट्टरिोंथी राष्टरिादी लेपकन एक सामापजक रूपढ़िादी।
• महात्मा गाों धी द्वारा सर िेलेंटाइन पचरोल द्वारा "भारतीय अशाोंपत का जनक" "आधुपनक भारत का पनमाा ता" की उिापध।
• स्वराज ("स्व-शासन") के सबसे मजबूत समथाक।
• "स्वराज मेरा जन्मपसद्ध अपधकार है और मैं इसे लेकर रहूों गा!" का नारा पदया।
• 1890 में काों ग्रेस में शापमल हुए, काों ग्रेस के उदारिादी रिैये का पिरोध पकया।
• केसरी (मराठी) और मराठा (अोंग्रेजी) में भड़काऊ लेखोों के माध्यम से बुबोपनक प्लेग (1896 के अोंत में) और अपधकाररयोों द्वारा
बेकार इलाज का मुद्दा उठाया।
• चािेकर बोंधुओों द्वारा प्लेग कपमश्नर, रैं ड और एक पब्रपटश अपधकारी लेक्तफ्टनेंट आयसा की हत्या के बाद पतलक को इस हत्या के
पलए चािेकर बोंधुओों को उकसाने का आरोि लगाया गया और 18 महीने की सजा सुनाई गई।
• मुज़फ़्फ़रिुर में प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस द्वारा कलकत्ता के मुख्य प्रेसीडें सी मपजस्टर े ट पकोंग्सफोडा की गाड़ी में दो
मपहलाओों की हत्या को गलत ठहराया गया, और उन्ें बमाा के माों डले में छह साल की जेल की सजा सुनाई गई। मुहम्मद अली
पजन्ना उनके िकील थे।
• 1916-18 में महाराष्टर, मध्य प्राों त और कनाा टक और बरार क्षेत्र में ऑल इों पडया होम रूल लीग की स्थािना की।
• पतलक रूसी क्राों पत से प्रभापित थे। िुिकें- " आकापटक होम इन िेद " और "श्रीमद् भगिद् गीता रहस्य"
िािा िािित राय:
• िोंजाब केसरी के नाम से लोकपप्रय थे। लाल बाल िाल पतकड़ी में से एक।
• 1920 के कलकत्ता पिशेष सत्र में काों ग्रेस के अध्यक्ष।
• 1921 में, उन्ोोंने लाहौर में एक गैर-लाभकारी कल्ाण सोंगठन, सिेंट्स ऑफ़ द िीिुल सोसाइटी की स्थािना की।
• लाजित राय ने 1917 में अमेररका की यात्रा की।
• साइमन कमीशन के पिरोध में एक अपहों सक माचा का नेतृत्व पकया। िुपलस द्वारा बेरहमी से हमला पकया गया और बाद में इन्ोोंने
दम तोड़ पदया।
• आया गैजेट के सोंिादक , ले खक:
1. स्टोरी ऑफ माय डे िोटे शन , 1908।
2. आया समाज, 1915।
3. सोंयुि राि अमेररका: ए पहों दू इों प्रेशन, 1916।
4. द प्रॉब्लम ऑफ नेशनल एजुकेशन इन इों पडया 1920
5. अनहै प्पी इों पडया 1928।
6. इों ग्लैंड डे प्ट टू इों पडया 1917।
आत्मकथात्मक िेखि
• उन्ोोंने मापज़नी, गैरीबाल्डी, पशिाजी और, श्रीकृष्ण की जीिनी पलखीों।

श्रनमकोों की क्तस्थनत में सुधार के निए नकए गए प्रयास

िषा प्रयास
1870 • सपसिदा बनजी ने कामगार क्लब और समाचार ित्र “भारत श्रमजीिी” शुरू पकया।
1878 • सोराबजी शिूरजी बेंगाले ने मजदू रोों के पलए बोंबई पिधान सभा में पबल िास करिाने के प्रयास पकए।
1880 .• नारायण मेघजी लोखोंडे ने बॉिे पमल और पमलहैं ड्स एसोपसएशन और समाचार ित्र दीनबोंधु की शुरुआत
की।
1899 • ग्रेट भारतीय प्रायद्वीिीय रे लिे हड़ताल,,पतलक की केसरी और मराठा द्वारा समथान पमला।
1921 • अक्तखल भारतीय टर े ड यूपनयन काों ग्रेस का गठन

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• प्रथम अध्यक्ष- लाला लाजित राय


• प्रथम सपचि- दीिान चमनलाल
1926 • टर े ड यूपनयन एक्ट्, 1926
• टर े ड यूपनयनोों को कानूनी सोंघ के रूि में सोंगपठत पकया।
• टर े ड यूपनयनोों के िोंजीकरण और पिपनयमन के पलए पििृत प्रपक्रया।
• व्यािार सोंघो को उनके िैध कायों के पलए पसपिल और आिरापधक मामलोों में प्रपतरक्षा प्रदान की गई।
1928 • पगरनी टर े ड यूपनयन के नेतृत्व में बॉिे टे क्सटाइल पमर्ल् में छह महीने की लोंबी हड़ताल।
• पिपभन्न कम्युपनस्ट समूहोों के एकसाथ आने के साथ औद्योपगक अशाों पत दे खी गई: एस ए डाों गे, मुजफ्फर
अहमद।
1929 • सािाजपनक सुरक्षा अध्यादे श
• व्यािार पििाद अपधपनयम
• न्यायालयोों की जाों च और िरामशा बोडों की पनयुक्ति अपनिाया की गई।
• सािाजपनक उियोपगता सेिाओों जैसे रे लिे, िानी, पबजली, , िर की गई हड़ताल अिैध।
• जबरदिी या पिशुद्ध रूि से राजनीपतक प्रकृपत की व्यािार सोंघ गपतपिपध की मनाही।
1929 • मेरठ षड्योंत्र केस
• साढ़े तीन साल की सुनिाई के बाद 31 श्रपमक नेताओों की पगरफ्तारी - मुज़फ़्फ़र अहमद, एस.ए. डाों गे,
जोगलेकर, पफपलि स्प्रैट, बेन ब्रैडली, के शौकत उस्मानी
1931 • एआईटीयूसी में पिभाजन।
• एन एम जोशी जैसे कॉरिोरे टिापदयोों के नेतृत्व में “ऑल इों पडया टर े ड यूपनयन फेडरे शन” का गठन।
1937 • 1937 के चुनािोों के दौरान, AITUC ने काों ग्रेस का समथान पकया।
• काों ग्रेसी मोंत्रालय, श्रपमकोों के कारण सहानुभूपत रखता था।
1938-45 • श्रपमक पद्वतीय पिश्व युद्ध में शापमल हुए और युद्ध में रूस के शापमल होने के बाद भारत छोड़ो आों दोलन से
अलग हो गए।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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18. सों निधानिक , प्रिासनिक और न्यानयक निकास

(1773 -1857) के बीच में सोंिैधानिक निकास: कोंििी िासि

1773 का 1773 का चाटत र


निनियमि निनियमि चाटत र अनधनियम अनधनियम
1833
अनधनियम 1793

1784 का चाटत र
निट् स इों नडया अनधनियम चाटत र अनधनियम
अनधनियम 1813 1853

अनधनियम:
• यह िहला अपधपनयम है पजसे पब्रपटश साों सद ने, भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के शासन को पिपनयपमत और पनयोंपत्रत करने के पलए
िाररत पकया था।
• बोंगाल के गिनार “बोंगाल के गिनार जनरल” बन गए थे। िॉरे न हे क्तस्टोंग, बोंगाल का प्रथम गिनार जनरल था।
• गिनार जनरल की सहायता के पलए चार सदस्योों िाले एक कायाकारी िररषद का गठन पकया गया था।
• इस पिपनयमन अपधपनयम के कारण बिई और मद्रास की स्वतोंत्र प्रेसीडें पसयााँ , बोंगाल की प्रेसीडें सी के अधीन हो गई थीों।
• इस अपधपनयम के तहत 1774 में कोलकाता में सिोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोटा ) की स्थािना हुई थी। (सोंरचना: एक मुख्य न्यायाधीश
और दो न्यायाधीश) ।
• पब्रपटश सरकार को राजस्व, नागररक, सैपनक कामकाज की सूचना दे ने के पलए ईस्ट इों पडया कोंिनी ने पनदे शक मोंडल का गठन पकया
था। इस कारण भारत में कोंिनी के कामकाज िर पब्रपटश सरकार का पनयोंत्रण मजबूत हो गया था ।

महत्व: भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के कामकाज िर पनयोंत्रण बनाए रखने के पलए पब्रपटश सरकार ने इस अपधपनयम को लागू पकया
था। भारत में केंद्रीय प्रशासन समायोपजत करने की तरफ यह पब्रपटश सरकार का िहला कदम था। यह िहली बार था जब पब्रपटश
सरकार को कोंिनी के प्रशासपनक और राजनीपतक कायों की अनुभूपत हुई थी।

1781 का सोंिोधि अनधनियम:


• इसे “द सेटलमेंट एक्ट्” भी कहते हैं । पिछले अपधपनयम में सोंशोधन करने के पलए इस अपधपनयम को लाया गया था।
• इस अपधपनयम के अनुसार गिनार जनरल और उसके चार सदस्योों के िररषद तथा कोंिनी के कमाचाररयोों को अपधकाररक योग्यता के
तहत पकए गए सभी कायों के पलए सिोच्च न्यायालय के क्षेत्रापधकार (पनयोंत्रण) से छूट पमल गई थी।
• राजस्व तथा राजस्व िसूली से सोंबोंपधत पिषयोों को भी सिोच्च न्यायालय के क्षेत्रापधकार से िृथक कर पदया गया था।
• पिपशष्ट धमा के लोगोों के मुकदमोों के पलए व्यक्तिगत कानूनोों का इिेमाल पकया जाना आिश्यक हो गया था। (पहोंदुओों के पलए पहों दू
व्यक्तिगत कानून और मुसलमानोों के पलए मुक्तिम व्यक्तिगत कानून)
• इस कानून द्वारा कोलकाता के सभी पनिापसयोों को सिोच्च न्यायालय के क्षेत्रापधकार के अोंतगात कर पदया गया था।
• इस कानून में गिनार जनरल और उसके िररषद को प्राों तीय न्यायालयोों तथा प्राों तीय िररषदोों के पलए पनयम-पिपनयम बनाने का अपधकार
दे पदया गया था। इस कानून के तहत यह व्यिस्था भी की गई थी पक प्राों तीय न्यायालयोों की अिील को गिनार जनरल और उसके
िररषद (गिनार जनरल-इन-काउों पसल) के िास दायर पकया जाए।

1784 का निट् स इों नडया अनधनियम:


• बिई और मद्रास की स्वतोंत्र प्रेसीडें पसयााँ , बोंगाल की प्रेसीडें सी के अधीन हो गई थीों।

िररणामस्वरुि – कोलकाता, भारत में पब्रपटश आपधित्य की राजधानी बन गई थी।


• बिई और मद्रास में गिनार काउों पसल (िररषद) स्थापित कर पदए गए थे।
• इस अपधपनयम के तहत कोंिनी की व्यािाररक तथा राजनैपतक गपतपिपधयोों को अलग अलग कर पदया गया था।
• कोंिनी के प्रशासन का पिभाजन:
1. व्यािाररक पिषयोों को सोंभालने का भार पनदे शक मोंडल िर था। द्वै ध शासन तोंत्र लागू पकया गया था।
2. भारत के राजनीपतक पिषयोों को सोंभालने के पलए पनयोंत्रण बोडा (बोडा ऑफ कोंटर ोल) की स्थािना की गई थी। यह बोडा भारत के
नागररक तथा सैपनक पिषयोों से सोंबोंपधत कायों का भी ियािेक्षण करता था। यह बोडा भारत में पब्रपटश आपधित्य के राजस्व को भी
पनयोंपत्रत करता था।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

महत्त्व: 1784 के इस अपधपनयम के अनुसार ईस्ट इों पडया कोंिनी के प्रदे शोों को “भारत में पब्रपटश आपधित्य” कहा जाता था। इस
अपधपनयम के अोंतगात पब्रपटश सरकार को भारत में कोंिनी के प्रशासन िर पनयोंत्रण करने का अपधकार प्राप्त था।
1786 के अपधपनयम के तहत इन प्रािधानोों की व्यिस्था हुई और लॉडा कॉनािापलस बोंगाल के गिनार जनरल पनयुि पकए गए ।

कायािापलका के पनणाय को पनरि करने का अपधकार


िॉडत कॉितिानिस की
दो माोंगी थी
प्रधान सेनािपत (कमाों डर इन चीफ) के िद िर पनयुक्ति

चाटत र अनधनियम 1793:


इस अपधपनयम के अनुसार;
• पनयुक्ति से िूिा कमाों डर इन चीफ, गिनार जनरल िररषद के सदस्य नहीों होोंगे।
• लॉडा कॉनािापलस और उनके बाद के सभी गिनार जनरल को कायािापलका के पनणाय को पनरि करने का अपधकार प्राप्त हो गया
था।
• बिई और मद्रास अधीन प्राों तोों िर गिनार जनरल को िादा अपधकार पदए गए थे।
• कोंिनी के व्यािार अपधकार ित्र को 20 िषों के पलए बढ़ा पदया गया था।

1813 चाटत र अनधनियम:


• भारत में जो भी प्रदे श कोंिनी के अधीन थे, िो पब्रपटश सरकार के आपधित्य में आ गये थे।
• स्थानीय सरकार के िास लोगोों िर कर लागू करने का अपधकार था और कर ना दे ने िर लोगोों को दों ड दे ने का भी अपधकार था।
• इस अपधपनयम से भारत में ईस्ट इों पडया कोंिनी के व्यािाररक एकापधकार की समाक्तप्त हुई।
• भारत में कोंिनी के शासन को 20 िषों के पलए और बढ़ा पदया गया था। चीन तथा िूिी दे शोों के साथ चाय और अफीम के व्यािार को
छोड़कर कोंिनी के व्यािाररक एकापधकार को समाप्त कर पदया गया था।
• इस अपधपनयम की महत्विूणा पिशेषताओों में से एक यह भी है पक ईसाई पमशनररयोों को भारत में धमा प्रचार करने के पलए छूट दे दी
गई थी।

चाटत र अनधनियम 1833:


• बोंगाल के गिनार जनरल को “भारत का गिनार जनरल” बना पदया गया था।
• भारत में पब्रपटश आपधित्य िर प्रशासन करने के पलए गिनार जनरल को राजस्व, नागररक तथा सैपनक पिषयोों िर िूणा अपधकार दे
पदया गया था। ईस्ट इों पडया कोंिनी की व्यािाररक गपतपिपधयोों की समाक्तप्त की गई और इसकी पजम्मेदारी पब्रपटश सरकार के िास आ
गईों।.
• पिपलयम बेंपटक, भारत के िहले गिनार जनरल थे। गिनार जनरल को िूरे भारत के पलए कानून बनाने का अपधकार प्राप्त हो गया था।
इस अपधपनयम के तहत पजतने भी कानून बनते थे उन्ें अपधपनयम कहा जाता था पकोंतु िहले इन्ें पिपनयमन कहा जाता था।
• ईस्ट इों पडया कोंिनी एक प्रशासपनक सपमपत बन गई थी और इस तरह भारत में कोंिनी के व्यािाररक कायों की समाक्तप्त हो गई थी।
• चीन के साथ भी कोंिनी के व्यािार सोंबोंध समाप्त हो गए थे। इस अपधपनयम के अनुसार, अोंग्रेजोों को भारत में स्वतोंत्रतािूणा बसने की
अनुमपत प्राप्त हो गई थी।
• चाटा र अपधपनयम 1833 भारत की केंद्रीकरण प्रपक्रया में आखरी कदम था, िह प्रपक्रया जो 1773 के पिपनयमन अपधपनयम के साथ
शुरू हुई थी।

चाटत र अनधनियम 1853:


• इसने प्रशासपनक कायों से, गिनार के पिधायी कायों को अलग कर पदया।
• पिधान िाषादोों के रूि में पनयुि पकये गए छह सदस्योों को गिनार जनरल काउों पसल में शापमल पकया गया । यह कहा जाता था पक
भारतीय पिधान िररषद को पब्रपटश सोंसद की तजा िर “पमनी सोंसद” (mini-parliament) के रूि में काया करना था।
• समय सीमा का उल्लेख पकए पबना भारत में कोंिनी के शासन को बढ़ाया गया।
• िहली बार, भारतीय पिधान िररषद में स्थानीय प्रपतपनपधत्व िेश पकया।
• 4/6 सदस्य बोंगाल, बॉिे, मद्रास, आगरा की नई गिनार जनरल पिधान िररषद से चुने गए थे।
• इसने भारतीयोों सपहत सभी के पलए नागररक सेिाओों में जाने के अिसर को खोल पदया। इसने पसफाररश के आधार िर पनयुक्तियोों की
प्रणाली को समाप्त कर पदया और खुली और पनष्पक्ष प्रपतयोपगता की प्रणाली शुरू की।
• िहली बार, बोंगाल, बॉिे, मद्रास और उत्तर िपिमी प्राोंतोों की स्थानीय सरकारोों से चार सदस्योों के रूि में पिधान िररषद में स्थानीय
प्रपतपनपधत्व िेश पकया गया था।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

महत्व: भारतीय पिधान िररषद के गठन के साथ, पिधान को सरकार का एक अलग काया माना जाता था। पब्रपटश सरकार पकसी भी
समय कोंिनी के अनुबोंध को समाप्त कर सकती थी।

(1858-1947) के बीच में सोंिैधानिक निकास: ताि का िासि

भारतीय भारतीय सरकार भारतीय


भारतीय
सरकार अनधनियम 1919 सरकार
िररिद
अनधनियम अनधनियम अनधनिय
1858 1892 म 1947

भारतीय भारतीय
िररिद भारतीय िररिद
अनधनियम सरकार
अनधनियम अनधनिय
1861 1909
म 1935

भारतीय सरकार अनधनियम 1858:


• भारत की अच्छी सरकार के अपधपनयम के रूि में जाना जाता है । इसने ईस्ट इों पडया कोंिनी को समाप्त कर पदया और क्राउन को
शक्तियाों हिाोंतररत कर दीों।
• कोंिनी का शासन समाप्त हो गया और िायसराय "भारत के गिनार जनरल" का नया िदनाम था; जो भारत में पब्रपटश क्राउन के
प्रत्यक्ष प्रपतपनपध थे।
• इसने बोडा ऑफ कोंटर ोल और कोटा ऑफ डायरे क्ट्सा को समाप्त कर पदया और इस तरह द्वै ध सरकार को समाप्त कर पदया।
• भारत के पलए "राि सपचि" का एक कायाा लय बनाया गया था। िह पब्रपटश कैपबनेट का सदस्य हुआ करता था।
• राि सपचि को 15 सदस्योों िाली भारत िररषद द्वारा सहायता प्रदान की जानी थी। यह एक सलाहकार पनकाय था, पजसमें भारत के
राि सपचि ,इस िररषद के अध्यक्ष थे।

महत्व: इसने भारत की प्रशासपनक मशीनरी (गिनार जनरल के स्थान िर िाइसराय को लाना) में सुधार लाने िर ध्यान केंपद्रत पकया।

भारतीय िररषद अपधपनयम 1861:


• इसने िायसराय को पििाररत पिधान िररषद में कुछ भारतीयोों को नामाों पकत करने का अपधकार प्रदान पकया। (1862, िायसराय
कैपनोंग ने पिधान िररषद में तीन भारतीयोों को नापमत पकया)
• बॉिे और मद्रास प्रेसीडें सी की पिधायी शक्तियाों बहाल की गईों।
• इसने नए पिधान िररषद (उच्च सदन) बोंगाल (1862 में गपठत), उत्तर िपिमी प्राों त (1886), और िोंजाब (1897) के गठन के प्रािधान
पदए। बोंबई, मद्रास और बोंगाल को अपधक शक्ति प्राप्त थी।
• िायसराय को आिातकाल के मामले में पिधान िररषद की सहमपत के पबना अध्यादे श जारी करने का अपधकार पदया गया था। यह
अध्यादे श जारी होने की तारीख से 6 महीने तक िैध था।
• इसने िोटा फोपलयो प्रणाली को मान्यता दी जो लॉडा कैपनोंग द्वारा 1859 में शुरू की गई थी।

िोटत फोनियो प्रणािी: इसमें, िायसराय िररषद के एक सदस्य को एक या अपधक पिभागोों का प्रभारी बनाया गया था और िह स्वतोंत्र
रूि से पनणाय ले सकता था और िररषद की ओर से आदे श जारी कर सकता था।

भारतीय िररिद अनधनियम 1892:


• केंद्रीय और प्राोंतीय पिधान िररषदोों में अपतररि गैर आपधकाररक सदस्य बढ़ गए। आपधकाररक बहुमत बनाए रखा गया था।
• पिधान िररषदोों के कायों में िृक्तद्ध: बजट िर चचाा करने और कायािापलका को प्रश्नोों को सोंबोपधत करने की शक्ति।
• इसने कुछ गैर-सरकारी सदस्योों के नामाों कन के पलए अपधकार प्रदान पकया:
➢ पिधान िररषद और बोंगाल चैंबर ऑफ कॉमसा की पसफाररश िर िाइसराय द्वारा केंद्रीय पिधान िररषद मे।
➢ पजला बोडा , नगर िापलकाओों, पिश्वपिद्यालयोों, व्यािार सोंघोों, जमीोंदारोों और मोंडलोों की सलाह िर गिनार द्वारा प्राों तीय प्राोंतीय
पिधान िररषद में।

महत्व: शब्द 'चुनाि' का उल्लेख कहीों नहीों पकया गया था लेपकन इस अपधपनयम में नामाों पकत सदस्योों के पलए एक सीपमत और अप्रत्यक्ष

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

चुनाि िेश पकया गया था।

भारतीय िररिद अनधनियम 1909 ( मािे- नमोंटो सुधार):


• पिधान िररषद का पििार पकया गया। केंद्रीय पिधान िररषद में सदस्योों को 16 से 60 कर पदया गया। प्राों तीय िररषदोों में सोंख्या एक
समान नहीों थी।
• केंद्रीय पिधान िररषद में आपधकाररक बहुमत जारी रहा; जबपक गैर-आपधकाररक बहुमत को प्राों तीय पिधान िररषद में अनुमपत दी
गई थी।
• पिधान िररषदोों को अपधक अपधकार पदए गए:
➢ सदस्योों को िूरक प्रश्न िूछने की अनुमपत थी।
➢ बजट िर अलग-अलग मतोों की िोपटों ग की अनुमपत। िूरे बजट िर अभी भी मतदान नहीों पकया जा सकता था।
• मुक्तिमोों के पलए अलग पनिााचक मोंडल िेश पकया। मुक्तिम प्रत्याशी के पलए पसफा मुक्तिम ही िोट दे सकते थे। लॉडा पमोंटो को
साम्प्रदापयक पनिााचन प्रणाली का जनक माना जाता है ।
• िहली बार िायसराय की कायाकारी िररषद में भारतीयोों को शापमल होने की अनुमपत दी गई थी। सत्येंद्र प्रसाद पसन्ा को िायसराय
की कायाकारी िररषद में पिपध सदस्य के रूि में पनयुि पकया गया था।
• प्रेसीडें सी कॉिोरे शन, चैंबर ऑफ कॉमसा, पिश्वपिद्यालयोों आपद के पलए अलग प्रपतपनपधत्व।

महत्व: यह िररषद में "प्रपतपनपध और लोकपप्रय तत्वोों" को िेश करने का िहला प्रयास था। िररषदोों को िहली बार पिधान िररषदोों के रूि
में सोंदपभात पकया गया था।

भारतीय सरकार अनधनियम 1919: माोंटेग्यू-चेम्सफोडत सुधार: मोोंटफोडत सुधार:


• केंद्रीय और प्राोंतीय पिषय, अिने सोंबोंपधत पिषयोों िर कानून बनाने की शक्ति से अलग हो गए थे।
• द्वै ध प्रशासन की शुरुआत की गई थी , पिषयोों को दो प्रणाली में बाों टा गया, एक कायाकारी शाखा द्वारा प्रबोंपधत, दू सरा मोंपत्रयोों द्वारा।
• प्राों तीय पिषय दो भागोों में पिभापजत थे: आरपक्षत और हिाों तररत:
➢ आरपक्षत पिषय: उन्ें गिनार जनरल और उनकी कायाकारी िररषद द्वारा प्रशापसत पकया जाना था। िे पिधान िररषद के प्रपत
उत्तरदायी नहीों थे।
➢ हिाोंतररत पिषय: उन्ें गिनार जनरल द्वारा उनकी िररषद की सहायता से प्रशापसत पकया जाना था। िे इन पिषयोों के पलए पिधान
िररषद के प्रपत पजम्मेदार थे।
• िहली बार, भारतीय पिधान िररषद को सोंसद के ऊिरी और पनचले सदन (पद्वसदनीय) द्वारा प्रपतस्थापित पकया जाएगा। प्रत्यक्ष
पनिााचन द्वारा अपधकाों श सदस्य चुने जाने थे।
• िायसराय कायाकारी िररषद के छह सदस्योों में से तीन भारतीय। (प्रमुख कमाों डर को छोड़कर)।
• पसखोों, भारतीय ईसाइयोों, एों ग्लो यूरोपियोों, यूरोपियोों (साों प्रदापयक प्रपतपनपधत्व के तत्व) के पलए अलग मतदाता।
• सोंिपत्त, कर, पशक्षा के आधार िर लोगोों की सीपमत सोंख्या को मतापधकार।
• प्राों तीय बजट को केंद्रीय बजट से अलग कर पदया गया था और प्राों तोों को अिना बजट बनाने की अनुमपत दी गई थी।
• इन प्रािधानोों को लागू होने के 10 साल बाद ,इनकी समीक्षा करने के पलए एक आयोग गपठत करने का प्रािधान। इस उद्दे श्य के पलए
1927 में साइमन कमीशन की पनयुक्ति की गई।

महत्व: यह िहली बार था जब पब्रपटश सरकार ने दे श में एक पजम्मेदार सरकार को िेश करने का अिना उद्दे श्य घोपषत पकया।

भारतीय सरकार अनधनियम 1935:


• ऑल इों पडया फेडरे शन की प्रिािना , केंद्र, प्राों तीय और समिती सूची के आधार िर पिषयोों का पिभाजन पकया गया ।
• अिपशष्ट शक्तियाों , गिनार जनरल के िास थीों।
• ररयासतें फेडरे शन में शापमल नहीों हुईों।
• द्वै ध शासन को समाप्त कर पदया गया और प्राों तीय स्वायत्तता की शुरुआत की गई। केंद्र में द्वै ध प्रािधान िेश पकया गया था। सोंघीय
पिषय- आरपक्षत और हिाों तररत में पिभापजत थे। (यह प्रािधान कभी नहीों लागू हुआ।)
• प्राों तोों को, प्रशासन की स्वतोंत्र इकाइयोों के रूि में काया करने की अनुमपत थी।
• राििाल को प्राोंतीय पिधापयका के पलए पजम्मेदार मोंपत्रयोों की सलाह के तहत काया करने की आिश्यकता थी।
• यह प्रािधान 1937 में लागू हुआ और 1939 में पनरि हो गया।
• पद्वसदनिद्धपत (उच्च सदन-पनचला सदन): यह 11 में से छह प्राोंतोों में अक्तित्व में आया। बोंगाल, बॉिे, मद्रास, सोंयुि प्राोंत, पबहार
और असम। उच्च सदन: पिधान िररषद;
पनचला सदन: पिधान सभा।
• अलग पनिााचक मोंडल: यह पनम्न िगा और मपहलाओों के पलए िेश पकया गया था। (अलग पनिााचक मोंडल का प्रािधान पििाररत पकया
गया)
• राि के सपचि को सलाहकारोों की टीम प्रदान की गईों। भारत की िररषद को समाप्त कर पदया गया था।
• पििाररत मतापधकार: 10% लोगोों को मतदान का अपधकार पमला।

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• मुद्रा और ऋण को पनयोंपत्रत करने के पलए, भारतीय ररजिा बैंक की स्थािना की गई ।


• एक सोंघीय न्यायालय की स्थािना। 1937 में पकया गया था।

महत्व: यह पजम्मेदार सरकार लाने हे तु , एक और महत्विूणा कदम था।

भारतीय सरकार अनधनियम 1947:


इसे माउों टबेटन योजना के जिाब में लाया गया था।
• इसने दो स्वतोंत्र-उिपनिेश भारत, िापकिान के पनमााण के साथ भारत के पिभाजन के प्रािधान पदए। इन स्वतोंत्र-उिपनिेशोों को पब्रपटश
कॉमनिेल्थ से अलग होने का अपधकार था।
• पब्रटे न के राजा द्वारा भारत और िापकिान दोनोों के गिनार जनरलोों की पनयुक्ति की जानी थी। िायसराय का कायाालय समाप्त हो
गया। इसके बाद पब्रपटश राजा के िास भारत सरकार की कोई पजम्मेदारी नहीों होगी।
• इसने 1935 के अपधपनयम के प्रािधान के अनुसार शासन करने या जरूरत िड़ने िर सोंशोधन करने का अपधकार स्वतोंत्र-उिपनिेशोों
को पदया।
• स्वतोंत्र-उिपनिेश की सोंपिधान सभाओों को सोंपिधान बनाने और उसे लागू करने का अपधकार पदया गया था। िे स्वतोंत्रता अपधपनयम
सपहत पकसी भी अपधपनयम को पनरि कर सकते थे। सोंपिधान सभा नए सोंपिधान के प्रारूिण और अपधपनयपमत होने तक अिने क्षेत्रोों
िर कानून बना सकती थी।
• भारत के गिनार जनरल और प्राों तीय गिनार क्रमशः राि के प्रमुख के रूि में नापमत पकए गए थे। उन्ें मोंपत्रिररषद की सलाह िर
काम करना था।
• िीटो पिधेयकोों के अपधकार अथिा राििालोों के पिधेयकोों के आरक्षण आरपक्षत थे, लेपकन पब्रपटश सम्राट द्वारा यह अपधकार ले पलया
गया था।
• राि सपचि के कायाालय को समाप्त कर पदया गया और राष्टरमोंडल के पलए उसके काया, राि सपचिोों को स्थानाों तररत कर पदए गए।
• ररयासतोों िर पब्रपटश सिोच्चता का अोंत हुआ। उन्ें स्वतोंत्र होने या पकसी भी प्रभुत्व में शापमल होने की अनुमपत थी।

महत्व: इस अपधपनयम से पब्रपटश शासन समाप्त हो गया। 15 अगि 1947 को भारत स्वतोंत्र हुआ।
न्यायिानिका का उद्भि

िारे ि हे क्तस्टोंग्स के अधीि कॉित िानिस के अधीि निनियम बें नटक के अधीि

िारे ि हे क्तस्टोंग्स के कायतकाि में सुधार (1772-85):

आिरानधक नििादोों • सदर पनजामत अदालत मुपशादाबाद में था। इसकी अध्यक्षता उि पनज़ाम ने की और मुख्य िाज़ी तथा
के निए प्रमुख मुफ़्ती ने सहायता की। यह कैपिटल िपनशमेंट और सोंिपत्त के अपधग्रहण के पलए था।
• पजला फौजदारी अदालतोों को एक भारतीय अपधकारी के अधीन एक काज़ी और एक मुफ्ती द्वारा सहायता
प्राप्त होती थी। यह कलेक्ट्र के सामान्य ियािेक्षण के अधीन भी था।
नसनिि नििादोों के • अध्यक्ष और सिोच्च िररषद के 2 सदस्योों के अधीन सदर पदिानी अदालत।
निए • कलेक्ट्र के अधीन पजला पदिानी अदालत: पहों दुओों के पलए पहोंदू कानून और मुसलमानोों के पलए मुक्तिम
कानून।

कॉितिानिस के कायतकाि में सुधार (1786-93):


• पजला फौजदारी अदालतोों को समाप्त कर पदया गया और उनकी जगह सपकाट कोटा बना पदए गए।
➢ सपकाट कोटा िटना, ढाका, मुपशादाबाद और कलकत्ता में बनाये गए थे।
➢ इसमें यूरोिीय न्यायाधीश थे और पसपिल और आिरापधक मामलोों दोनोों के पलए अिीली अदालत के रूि में काया पकया।
• सदर पनज़ामत अदालत गिनार जनरल और सुप्रीम काउों पसल के सदस्योों के अधीन थी। इसे कलकत्ता स्थानाों तररत कर पदया गया।
• पजला पदिानी अदालत: इसे पजला, पजला या शहर अदालत के रूि में नापमत पकया गया था। इसे पजला मपजस्टर े ट के अधीन रखा गया
था। कलेक्ट्र को उनके िहले मैपजक्तस्टरयल काया से मुि कर पदया गया था; अब उनके िास राजस्व सोंग्रह की पजम्मेदारी थी।
• कलकत्ता में सदर पदिानी अदालत की स्थािना।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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कॉितिानिस कोड
• राजस्व और न्याय प्रशासन का िृथक्करण ।
• सरकारी कमाचारी को आपधकाररक क्षमता में पकए गए अिने कायों के पलए पसपिल कोटा के प्रपत जिाबदे ह बनाया
गया।
• यूरोिीय पिषय इस प्रकार न्यायालय के क्षेत्रापधकार में लाए गए थे।
• कानून की सोंप्रभुता का पसद्धाोंत स्थापित पकया गया था।

निनियम बेंनटक के कायतकाि में सुधार (1828-1833):


• सपकाट कोटा को समाप्त कर पदया गया।
• राजस्व / सपकाट आयुि के ियािेक्षण के तहत, कलेक्ट्र को काया हिाों तररत पकए गए।
• उच्चप्राोंत के लोगोों की सुपिधा के पलए सदर दीिानी अदालत और सदर पनजामत अदालत की स्थािना इलाहाबाद में की गई थी।
• आिेदक के िास फारसी या क्षेत्रीय भाषा का उियोग करने का पिकल्प था। सुप्रीम कोटा में, अोंग्रेजी भाषा ने फ़ारसी की जगह ले ली।

नहोंदू और मुक्तिम के निए िागररक न्यायाियोों का


िगीकरण

चार सनकतट अदाित


भारतीय न्यायाधीि यूरोिीय न्यायाधीि के नििा न्यायाधीि के 5000 िाउों ड से ऊिर
को प्राोंतीय अिीिी
के अधीि मुोंनसफ अधीि रनिस्टर ार अधीि नििा अिीि के निए नकोंग-
अदाित की तरह
न्यायािय न्यायािय न्यायािय इि-काउों नसि
स्थानित नकया गया

1833 भारतीय कानूनोों के सोंपहताकरण के पलए मैकाले के तहत पिपध आयोग का गठन पकया गया था:
1. पसपिल प्रपक्रया सोंपहता, 1859 में तैयार की गई थी।
2. भारतीय दों ड सोंपहता, 1860 में तैयार पकया गया था।
3. आिरापधक प्रपक्रया सोंपहता, 1861 में तैयार की गई थी।
1860 • यूरोिीय लोग आिरापधक कायािाही के मामले को छोड़कर पिशेष पिशेषापधकार का दािा कर सकते थे।
• भारतीय मूल का कोई भी न्यायाधीश उन िर मुकदमा नहीों चला सकता था।
1865 सदर अदालत और उच्च न्यायालय को कलकत्ता, बॉिे और मद्रास की तीन उच्च न्यायालयोों में पमला पदया गया था।
1935 भारत सरकार अपधपनयम ने एक सोंघीय न्यायालय के गठन का प्रािधान पकया (1937 में स्थापित पकया गया था)। यह
सरकारोों के बीच पििादोों को सुलझा सकता था और उच्च न्यायालयोों से सीपमत अिीलोों की सुनिाई कर सकता था।

िागररक सेिाओों का निकास


िारे न हेक्तस्टोंग्स ने भारत में पसपिल सेिा की नीोंि रखी। चार्ल्ा कॉनािॉपलस ने इसमें सुधार पकया, सोंगपठत पकया और इसे आधुपनक बनाया।
इसपलए, उन्ें "भारत में नागररक सेिाओों का पिता" कहा जाता है ।
• 1793 का चाटा र अपधपनयम: 500 िाउों ड सालाना मूल् के सभी िद कोंिनी के प्रसोंपिदाबद्ध नौकरोों के पलए आरपक्षत थे।
• 1833 का चाटा र अपधपनयम: इसने सभी के पलए पसपिल सेिा में जाने
का अिसर प्रदान करने का प्रािधान पकया िरों तु इसके प्रािधानोों को
कभी लागू नहीों पकया गया।
• 1858 की उद् घोषणा: इसने पसपिल सेिा के तहत कायाालयोों में,
स्वतोंत्र रूि से और पनष्पक्ष रूि से अपधक भारतीयोों को शापमल करने
के पब्रपटश इरादोों को घोपषत पकया।
भारतीय पसपिल सेिा, 1861:
➢ इस अपधपनयम ने नागररक पसपिल सेिकोों के पलए कुछ कायाालय
आरपक्षत पकए ।
➢ इों ग्लैंड में अोंग्रेजी में िरीक्षा आयोपजत पकये जाने का प्रािधान पकया। ग्रीक और लैपटन सीखना, अपनिाया पकया गया।
➢ अपधकतम अनुमेय आयु, 18 → 23 (1859) → 22 (1860) → 21 (1866) → 19 (1878)

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

नोट: 1863 में सत्येंद्र नाथ िहले भारतीय पसपिल सेिक बने थे।

कुि प्रारों नभक निकास


• 1800: िेलेिी ने नये भती पकये गये लोगोों के प्रपशक्षण के पलए फोटा पिपलयम्स कॉलेज की स्थािना की ।
• 1806: कोटा ऑफ डायरे क्ट्सा द्वारा उिरोि कॉलेज को अस्वीकृत कर पदया गया था। ईस्ट इों पडया कॉले ज की स्थािना
नई भपतायोों के दो साल के प्रपशक्षण के पलए हैलेबरी (इों ग्लैंड) में की गई थी।

निटि (1878-79) के तहत िैधानिक नसनिि सेिा आयोग: इसिे नसफाररि की ;


जाने िाले प्रसोंपिदाबद्ध िदोों के 1/6 िद, स्थानीय सरकार से नामाों कन के माध्यम से उच्च िररिार के भारतीयोों द्वारा भरे जायें ।
• िायसराय की स्वीकृपत और राि सपचि की आिश्यकता थी।
• इस प्रणाली को समाप्त कर पदया गया था।

भारतीय रािरीय काोंग्रेस की माोंग 1. भारत और इों ग्लैंड में चुनाि की व्यिस्था ।
2. आयु सीमा में बढ़ोतरी

साितिनिक सेिाओों (1886) में ऐनचसि कमीिि:


• यह लॉडा डफररन द्वारा बनाया गया था; सोंपिदाबद्ध या असोंपिदाबद्ध का उियोग नहीों करने की पसफाररश की।
• पसपिल सेिा, इनमें िगीकृत की गई:
1. इों िीररयल भारतीय पसपिल सेिा (इों ग्लैंड)
2. प्राों तीय पसपिल सेिा (भारत)
3. अधीन पसपिल सेिा (भारत)
4 न्यूनतम आयु को 19 (1878) से बढ़ाकर 23 िषा कर पदया गया।

मोोंटफोडत के कायतकाि में सु धार (1919):


• लोंदन और भारत में एक साथ िरीक्षा की पसफाररश की गई।
• भती का 1 / 3 भाग, भारत में 1.5% िापषाक िृक्तद्ध के साथ पकया जाएगा।
• इसने एक लोक सेिा आयोग की स्थािना करने का प्रािधान पकया। केंद्रीय लोक सेिा आयोग की स्थािना 1926 में की गई थी।
• मॉन्टफोडा ने सािाजपनक सेिाओों में अपधक भारतीयोों को शापमल करने का दृपष्टकोण पदया।
• कारण→भपिष्य में पजम्मेदार सरकार लाने के पलए।

िी कनमिि (1924):
• तुरोंत स्थापित पकया गया एक सािाजपनक आयोग (भारत सरकार अपधपनयम 1919 में कल्पना के अनुसार)
• राि के सपचि को पिपभन्न िदोों, जैसे पसोंचाई पिभाग के िद, की भती जारी रखने का सुझाि पदया गया।
• प्राों तीय सरकार द्वारा पकए जाने िाले पशक्षा, पसपिल मेपडकल सेिाओों जैसे हिाों तरणीय पिषयोों के पलए भपतायाों ।
• भारतीय सोंिैधापनक सेिाओों में सीधी भती और 15 िषों के अन्दर 50:50 (यूरोिीय: भारतीयोों का अनुिात) की समता प्राप्त की जाए।

भारत सरकार अनधनियम 1935:


• इस अपधपनयम में सोंघ लोक सेिा, प्राोंतीय लोक सेिा तथा दो या दो से अपधक प्राों तोों के पलए सोंयुि लोक सेिा आयोग की पसफाररश
की गई थी।

ये कुि उिाय हैं िो िॉडत कॉितिानिस िे नसनिि सेिा में भ्रिाचार को रोकिे के निए नदये थे:
• अपधकाररयोों (अफसरोों) की तनख्वाह बढ़ा दी गई थी।
• पनजी व्यािार के क्तखलाफ पनयम कानून लागू पकए गए थे।
• ररश्वत ना लेने के पलए पसपिल सेिकोों को डराया धमकाया जाता था।
• िररष्ठता के अनुसार िदोन्नपत करने का पनयम लागू पकया गया था।

िुनिस का उद्भि
• 1791:
➢ कॉनािापलस ने आधुपनकीकरण के माध्यम से िुपलस बल की व्यिस्था की थी।

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➢ दरोगा (भारतीयोों) को पजले के िुराने थानोों में पनयुि पकया जाता था। एक एस.िी. को पजला मुक्तखया के रूि में पनयुि पकया
जाता था।
➢ िहले जमीोंदारोों ने िुपलस की पजम्मेदारी ले रखी थी और पफर कॉनािापलस ने उन्ें इस पजम्मेदारी से छूट दे दी थी।
• 1808: लॉडा मेयो ने हर पिभाग में एस.िी. और कई सारे जासूसोों को पनयुि पकया था।
• 1814: बोंगाल को छोड़कर बाकी सब जगह दरोगा और अधीनस्थ कमाचाररयोों को समाप्त करने के पलए पनदे शक मोंडल ने आदे श पदया
था।

पिपलयम बेंपटक

कलेक्ट्र/मपजस्टर े ट को
एस.िी. की तरह काया करने
इस ने एस.िी. के िद को िुपलस फोसा (िुपलस बल)
के पलए हर पिभाग में
समाप्त पकया था। का मुक्तखया बना पदया गया
कपमश्नर पनयुि पकया ।
था।

पटप्पणी: उियुाि प्रणाली के कारण िुपलस की व्यिस्था िूरी तरह से पबगड़ गई थी और मपजस्टर े ट िर िुपलस की पजम्मेदारी सोंभालने का
अपतररि भार आ गया था। प्रेसीडें सी शहरोों में िहली बार मपजस्टर े ट के इन कायों को प्रशासपनक कायों से िृथक पकया था।
िुनिस कमीिि (आयोग) 1860:
• इस आयोग की पसफाररश िर भारतीय िुपलस अपधपनयम 1861 का गठन पकया गया पजसके तहत प्राों तोों में िुपलस प्रणाली के
समायोजन के पलए पदशापनदे श पदए गए।
➢ िुपलस कमीशन ने नागररक िुपलस दल प्रणाली की स्थािना के पलए भी पसफाररश की थी। गाोंि की रखिाली तथा सुरक्षा के पलए
चौकीदार था, मगर िुपलस दल के साथ उसका अप्रत्यक्ष सोंिका होना था।
➢ इों स्पेक्ट्र जनरल, प्राों त का मुक्तखया था।
➢ पडप्टी इों स्पेक्ट्र जनरल ,एक रें ज का मुक्तखया था।
➢ एस.िी., पजले का मुक्तखया था।

1902: प्राों तोों में अिरापधक अन्वेषण पिभाग और केंद्र में केंद्रीय आसूचना ब्यूरो की स्थािना हुई थी।

पटप्पणी: ठगी प्रथा को पनयोंत्रण में लाने की ओर पिपलयम बेंपटक का योगदान सबसे प्रशोंसनीय है ।

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19. प्रे स का निकास


• स्वतोंत्रता आों दोलन के दौरान प्रेस ने महत्विूणा भूपमका पनभाई। इसने ना केिल पब्रपटश राज की आलोचना के पलए एक उिकरण
के रूि में काया पकया, बक्ति जनता को एकजुट करने में भी मदद की। इसने राष्टरिादी भािना को दे श के प्रत्येक कोने तक
प्रसाररत करने में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
• पब्रपटश शासन के दौरान भारतीय प्रेस का पिकास अपशक्षा, औिपनिेपशक दबाि और दमन जैसी कपठनाइयोों से भरा था। लेपकन
बाद में, यह स्वतोंत्रता सोंग्राम का एक प्रमुख साधन(उिकरण) बन गया।

प्रेस की भूनमका:

प्रेस का प्रारों नभक चरण: महत्विूणत घटिाक्रम/निकास -


• िहली पप्रोंपटों ग प्रेस 1556 में िुतागापलयोों द्वारा स्थापित की गयी थी।
• भारत के प्रथम समाचार ित्र की स्थािना 1780 में जेम्स ऑगस्टस पहक्की ने ‘कलकत्ता जनरल एडिरटाइजर' या द बोंगाल
गजट नाम से की थी। उन्ें 'भारतीय प्रेस का ििक' माना जाता है । बोंगाल गजट को कभी-कभी पहक्की के राजित्र/गजट के
रूि में भी जाना जाता है ।
• इस समाचार ित्र िर बाद में ,सरकार ने 1782 में रोक लगा दी थी।
• बाद में और भी समाचार ित्र / िपत्रकाएाँ आईों - द बोंगाल जनाल, द कलकत्ता क्रॉपनकल, द मद्रास कोररयर, द बॉिे हे राल्ड ।
• कोंिनी के अपधकारी पचोंपतत थे पक ये समाचार ित्र लोंदन तक िहुों चकर उनके गलत कृत्योों का खुलासा कर सकते हैं । इसपलये,
उन्ोोंने प्रेस िर अोंकुश की आिश्यकता को जरूरी समझा।
• प्रेस ने सूचना के प्रसार और नेताओों को लोगोों के साथ जोड़ने में महत्विूणा भूपमका पनभाई। कई नेताओों के अिने प्रकाशन थे
लेपकन िे लाभ कमाने के उद्दे श्य से नहीों थे।

प्रेस स्वतोंत्रता को प्रनतबोंनधत करिे के निए निनभन्न अनधनियम और कािूि:

कािूि / अनधनियम नििेिताएों


• यह लॉडा िेलेिी द्वारा फ्ाों सीपसयोों को अफिाहें फैलाने से रोकने के पलए अपधपनयपमत पकया
गया था क्योोंपक ये अफिाहें पब्रपटशोों को नुकसान िहुों चा सकती थी।
• फ्ाों सीसी आक्रमण की सम्भािना में अपधपनयपमत पकया गया।
• इसके अनुसार, प्रत्येक समाचार ित्र में मुद्रक, सोंिादक और स्वामी/स्वत्वधारी के नाम होने
चापहए।
समाचार ित्र ित्रेक्षण • कुछ भी छािने से िहले, इसे ित्रेक्षण सपचि को प्रिुत पकया जाना चापहए।
अनधनियम,1799 • युद्ध के समय प्रपतबोंपधत और िूिा ित्रेक्षण।
• 1818 में हे क्तस्टोंग्स द्वारा हटाया गया।
• इसे जॉन एडम्स द्वारा अपधपनयपमत पकया गया था।
• मुख्य रूि से भारतीय भाषाओों (स्थानीय/दे शी भाषाएों ) के अखबारोों के क्तखलाफ था।
• पबना लाइसेंस/अनुज्ञा के अखबार शुरू करना दों डनीय अिराध था।
• समाचार ित्र, िपत्रका, िचे, पकताबें इसके अोंतगात आती थी।
• प्रत्येक प्रकाशक को सरकार से लाइसेंस लेना अपनिाया था।
अिुज्ञक्तप्त(licensing) • पनयमोों का उल्लोंघन करने िर जुमाा ना, 400 रुिये था और सरकार द्वारा प्रेस को बोंद कर
अनधनियम, 1823 पदया जाता था।
• सरकार को लाइसेंस रद्द करने का भी अपधकार था।
• नििेि: प्रपतबोंध मुख्य रूि से भारतीय भाषा के समाचार ित्रोों या भारतीयोों द्वारा सोंिापदत
पकए गए समाचार ित्रोों िर था जैसे पक पमरात-उल-अकबर (पजसे राजा राम मोहन रॉय द्वारा
प्रकापशत पकया गया था) को प्रकाशन रोकना िड़ा था।
• इसे चार्ल्ा मेटकॉफ़ द्वारा अपधपनयपमत पकया गया, पजसे भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता भी
प्रेस अनधनियम / मेटकॉफ कहा जाता है इसने, जॉन एडम्स द्वारा अपधपनयपमत, अपधपनयम 1823 के पनयमोों को पनरि
अनधनियम, 1835 पकया था।
• यह 1856 तक जारी रहा पजसके कारण भारत में समाचार ित्र का पिकास हुआ।

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• प्रेस का िोंजीकरण।
• हर प्रकाशक को प्रकाशन के िररसर की सटीक जानकारी दे नी होती थी।

• 1857 के पिद्रोह के कारण आिातकाल के दौरान, सरकार ने 1835 के प्रेस अपधपनयम में
पनधाा ररत प्रपक्रया िर लाइसेंस दे ने के पनदे श अपधरोपित पकये।
• सरकार ने िुिक, समाचार ित्र या मुपद्रत िदाथो के प्रकाशन और सोंचलन को रोकने का
अिुज्ञक्तप्त अनधनियम, अपधकार, अिने िास रखा।
1857 • िहले से मौजूद िोंजीकरण प्रपक्रया के अलािा पकसी दू सरी प्रपक्रया से लाइसेंस दे ना प्रपतबोंपधत
पकया।
• सरकार के िास पकसी भी समाचार ित्र के प्रकाशन को रोकने की शक्तियााँ थीों।
िोंिीकरण अनधनियम, • इसने 1835 के प्रेस अपधपनयम या मेटकाफ के अपधपनयम को प्रपतस्थापित कर पदया।
1867 • पनयामक और प्रपतबोंधक पनयमो िाला।
• प्रकाशन के एक महीने के भीतर स्थानीय सरकार को िुिक की प्रपत दे नी होती थी।
• प्रत्येक िुिक में पप्रोंटर या प्रकाशक का नाम और स्थान होता था।
• इस अपधपनयम के पलए लॉडा पलटन पजम्मेदार थे।
• दे शी/स्थानीय भाषा और अोंग्रेजी अखबारोों के बीच भेदभाि।
• पब्रपटश शासन की आलोचना करने के पलए िनाा कुलर प्रेस (स्थानीय भाषा का प्रेस) का
इिेमाल पकया जाता था। इसपलए, उन्ोोंने 1878 में िनाा कुलर प्रेस िर अोंकुश लगाया।
• इसका उिनाम 'गैपगोंग अपधपनयम' रखा गया था।
• इसके अनुसार, दे श में शाोंपत और सुरक्षा के पलए खतरा िैदा करने िाली पकसी भी चीज को
प्रकापशत न करने का आश्वासन दे ने के पलए मपजस्टर े ट, अखबार के प्रकाशक से िूछताछ
भारतीय भािा समाचार करने के पलए प्रापधकृत थे।
ित्र अनधनियम , 1878 • अिील करने का अपधकार नहीों था। पकसी भी पििाद में मपजस्टर े ट का पनणाय अोंपतम होता
था।
• यह कानून, अोंग्रेजी प्रेस िर लागू नहीों होता था।
• इस अपधपनयम ने सरकार को अदालत के आदे शोों के पबना भी सचा िारों ट जारी करने और
अखबार िररसर में प्रिेश करने का अपधकार प्रदान पकया था।
• इसके तहत, 1883 में सुरेन्द् नाथ बनजी, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की
आलोचना करने िर जेल जाने िाले िहले भारतीय ित्रकार थे।
• बाल गोंगाधर पतलक अपधकाों शतः प्रेस की स्वतोंत्रता के पलए राष्टरिादी लड़ाई से जुड़े हुए थे।
• गणिपत (1893) और पशिाजी (1896) त्योहारोों तथा केसरी (मराठी में) और मराठा (अोंग्रेजी
में)समाचार ित्रोों के माध्यम से राष्टरिादी भािना के पनमाा ण में योगदान पदया।
• गैपगोंग कानून को 1882 में लॉडा ररिन द्वारा पनरि कर पदया गया था।
• अपतिादी/उग्रिोंथी गपतपिपधयो के क्तखलाफ पनदे पशत।
• पहों सा भड़काने िाली प्रेस की सोंिपत्त को जब्त करने की शक्तिया मपजस्टर े ट के िास थी।
• इस अपधपनयम के तहत पतलक को राजद्रोह के मुिदमे में 6 साल के पलए माों डले जेल भेज
समाचार ित्र (अिराधोों में पदया गया।
िृक्तद्ध) अनधनियम, 1908 • मपजस्टर े टोों को ऐसे अखबारो से जुड़े पप्रोंपटों ग प्रेस या सोंिपत्त को जब्त करने का अपधकार पदया
गया था, पजनमें हत्या या पहों सा के पलए उकसाने जैसी आिपत्तजनक खबरें प्रकापशत होती थी।
• समाचार ित्रोों को 15 पदनोों के भीतर उच्च न्यायालय में अिील करने की अनुमपत दी गई थी।
भारतीय प्रेस अनधनियम, • इसमें िनाा क्यूलर प्रेस एक्ट्, 1878 की पिशेषताएों थीों।
1910 • इस अपधपनयम को उभरते हुए भारतीय स्वतोंत्रता सोंग्राम को रोकने और प्रपतबोंपधत करने के
पलए लागू पकया गया था। खासकर प्रथम पिश्व युद्ध के दौरान।
• इस अपधपनयम ने स्थानीय सरकार को 500रुिये से 2000 रुिये की सुरक्षा रापश की माोंग
करने का अपधकार पदया। पकसी भी आिपत्तजनक समाचार की छिाई के कारण इसका
िोंजीकरण रद्द कर पदया जाता था और सुरक्षा रापश को ज़ब्त पकया जा सकता था।
नििेि: 1921 में तेज बहादु र सप्रू की अध्यक्षता िाली प्रेस सपमपत ने 1908 और 1910 के
अपधपनयमोों को पनरि करने की पसफाररश की।

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भारतीय प्रेस • गाों धीिादी आों दोलन के प्रभाि ने सरकार को 1930 में अध्यादे श जारी करने के पलए उत्त्तेपजत
(आिातकािीि िक्तियााँ) पकया।
अनधनियम, 1931 • सपिनय अिज्ञा आों दोलन के तहत पकसी भी गपतपिपध का दमन करने के पलए प्राों तीय सरकारोों
को अपधकार प्रदान पकये।
• प्राों तीय सरकारोों को प्रेस के दमन की शक्ति प्रदान की गई।
• 1932 में, अपधपनयम के प्रािधानोों को आिरापधक सोंशोधन अपधपनयम के रूि में पििाररत
पकया गया।
• पद्वतीय पिश्व युद्ध के दौरान िूिा सेंसरपशि को 1931 में प्रेस आिपतक अपधपनयम और
आपधकाररक रहस्य अपधपनयम के तहत प्रबपलत और सोंशोपधत पकया गया था।
• इस अपधपनयम के तहत, काों ग्रेस और उसकी गपतपिपधयोों को अिैध घोपषत कर पदया गया
था।
• ित्रकार का िोंजीकरण, अपनिाया कर पदया गया था।
प्रेस नियामक अनधनियम, • नागररक उिद्रि और पिध्वोंशक कृत्योों के बारे में समाचार प्रपतबोंपधत कर पदए गए थे।
1942: • उिद्रि िर समाचारोों को दी गई सुक्तखायोों और स्थान के पलए सीमायें लागू थी।
• सरकार के िास मनमानी अनुज्ञक्तप्त का अपधकार था।

प्रेस िाोंच/समीक्षा सनमनत, 1947:


• पिधानसभा द्वारा मौपलक अपधकारोों के आलोक में प्रेस कानून की जााँ च करने के पलए स्थापित की गई।
• इस सपमपत ने भारतीय आिातकालीन शक्तियाों अपधपनयम, 1931 को पनरि करने और अन्य अपधपनयमोों में सोंशोधन की
पसफाररश की थी।

सेंसरनिि के िक्ष में: िेलेजली, लॉडा पमोंटो -2, लॉडा एडम्स, लॉडा कैपनोंग, लॉडा पलटन, लॉडा एक्तफोंस्टन, सर
मुनरो.
प्रेस की स्वतोंत्रता के िक्ष में: लॉडा हे क्तस्टोंग्स, चार्ल्ा मेटकाफ, मैकाले, ररिन

महत्विूणत समाचार िनत्रकाएाँ और सम्बोंनधत व्यक्ति:

समाचार ित्र / िनत्रकाएाँ प्रकािि का िित और स्थाि, सोंबोंनधत व्यक्ति


• बोंगाल गजट / कलकत्ता जनरल एडिटाा इजर 1780, कलकत्ता जेम्स ऑगस्टस पहक्की,(1780)
(प्रकापशत होने िाला िहला समाचार ित्र)
• सोंिाद कौमुदी (बोंगाली में साप्तापहक) 1821 राजा राम मोहन राय
• पमरात-उल अकबर (फ़ारसी में िहली िपत्रका)
• बोंगा-दू त (साप्तापहक चार भाषाओों में - अोंग्रेजी, 1822, कलकत्ता राजा राम मोहन राय और द्वारकानाथ
बोंगाली, फारसी, पहों दी) टै गोर
• बॉिे टाइम्स (1861 से, अब टाइम्स ऑफ 1838, बॉिे रॉबटा नाइट और थॉमस बेनेट
इों पडया)
• स्वदे शपमत्र मद्रास जी. सुब्रमण्य अय्यर
· द पहन्हदू 1878, मद्रास जीएस अय्यर, िीरराघिचारी और सुब्बा
राि िोंपडत
• द बेंगाली (यह और अमृता बाजार िपत्रका- 1862, कलकत्ता पगरीशचोंद्र घोष (1879 में सुरेंद्र नाथ
दे शी भाषा की िहली िपत्रकायें)। बनजी द्वारा ले ली गयी)
• भारत की आिाज दादा भाई नोरोजी
• राष्टर गोफ्तार (एक गुजराती िापक्षक)
• पहों दू िेपटर यट 1853, कलकत्ता पगरीशचोंद्र घोष
• सोमप्रकाश 1858, कलकत्ता द्वारकानाथ पिद्याभूषण
• नेशनल िेिर 1865, कलकत्ता दे िेंद्र नाथ टै गोर
• अमृता बाजार िपत्रका (शुरुआत में बोंगाली 1868, जेसोर पजला पशपशर कुमार घोष और मोतीलाल घोष
और बाद में अोंग्रेजी दै पनक)
• बोंगदशान 1873, कलकत्ता बोंपकम चोंद्र चटजी
• द स्टे ट्समैन 1875, कलकत्ता रॉबटा नाइट
• इों पडयन पमरर 1862, कलकत्ता एन .एन. सेन और दे िेंद्रनाथ टै गोर

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• केसरी (मराठी) 1881, बॉिे बाल गोंगाधर पतलक


• मराठा (अोंग्रेजी)
• सुधारक गोिाल गणेश अगरकर
• पहों दुिान जी.िी.िमाा
• एडिोकेट
• िरीदसक (साप्तापहक) पबपिन चन्द् िाल
• युगाों तर 1906, बोंगाल बररों द्र कुमार घोष और भूिेंद्रनाथ दत्ता

• सन्ध्या 1906, बोंगाल ब्रह्मबान्धि उिाध्याय


• इों पडयन सोपसयोलॉपजस्ट लन्दन श्याम जी कृष्ण िमाा
• बन्दे मातरम िेररस मैडम भीकाजी कामा
• फ्ी पहों दुिान िैंकूिर तारकनाथ दास
• गदर सैन फ्ाों पसस्को गदर िाटी
• तलिार बपलान िीरें द्र नाथ चट्टोिाध्याय
• कूडी अरासू (तपमल) 1910 ई.िी. रामास्वामी नाइकर (िेररयार), एस
एस पमराजकर
• पटर ब्यून 1881, लाहौर सरदार दयाल पसोंह मजीपठया
• बॉिे क्रोपनकल(दै पनक) 1913, बॉिे पफ़रोज़शाह मेहता, बी जी होररमन
• द पहों दुिान टाइम्स 1920,पदल्ली अकाली दल आों दोलन के एक भाग के
रूि में के.एम.िपणक्कर
• बोंदी जीिन बोंगाल सपचन्द्नाथ सान्याल
• तगपज़न-उल-अख़लाक (िपत्रका) 1871 सर् सय्यद अहमद खान
• गुजराती फरदु नजी मरज़बान
• इों दु प्रकाश गोिाल हरर दे शमुख
• सोम प्रकाश ईश्वर चन्द् पिद्यासागर
• काल पशिराम महादे ि िराोंजिे
• योंग इों पडया महात्मा गाों धी
• हररजन
• निजीिन
• इों पडयन ओपिपनयन (एनी बेसेंट के न्यू इों पडया
से भ्रपमत न होों)
• नेशनल हे राल्ड 1938, पदल्ली जिाहर लाल नेहरू
• िोंदे मातरम लाला लाजित राय
• द िीिुल(people)
• लीडर(अोंग्रेजी) मदन मोहन मालिीय
• पहों दुिान दै पनक
• इों पडिेंडेंट 1919 मोतीलाल नेहरू
• िायपनयर जॉजा एलेन
• जक्तस्टस टी.एन.नायर
• कौमी आिाज जिाहरलाल नेहरू ऒर रफी अहमद
पकदिई
• कॉमनिील एनी बेसेंट
• न्यू इों पडया(योंग इों पडया के साथ भ्रपमत ना हो)
• अल- बलाल और अल-पहलाल (दोनोों उदू ा 1912 मौलाना अबुल कलाम आजाद
साप्तापहक अखबार)
• कॉमरे ड(साप्तापहक, अोंग्रेजी अखबार) 1911 एम.ए. पजन्नाह
• मूक नायक(मराठी) बी.आर.अोंबेडकर
• बपहस्कृत भारत

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20. निक्षा का निकास

निक्षा क्षेत्र में प्रारों नभक प्रयास:


• बोंगाल एपशयापटक सोसाइटी को 1784 में भारत में प्राच्य अध्ययन को बढ़ािा दे ने के पलए स्थापित पकया गया था।
• जेम्स पप्रोंसेि, एपशयापटक सोसाइटी के जनाल के सोंस्थािक सोंिादक थे और उन्ें प्राचीन भारत की खरोष्ठी और ब्राह्मी पलपियोों
को समझने के पलए जाना जाता है ।.
• कलकत्ता मदरसा की स्थािना 1781 में िारे न हे क्तस्टोंग्स ने मुक्तिम कानून और सोंबोंपधत पिषयोों के अध्ययन के पलए की थी।
• सोंस्कृत कॉलेज की स्थािना, 1791 में बनारस के पनिासी जोनाथन डों कन द्वारा पहों दू कानून और दशान के अध्ययन के पलए की
गई थी। कलकत्ता मदरसा और सोंस्कृत कॉलेज को कोंिनी के न्यायालय में कानून के प्रशासन में मदद करने के पलए योग्य
भारतीयोों की पनयपमत आिूपता प्रदान करने के पलए बनाया गया था।
• िेलेजली ने 1800 में भारतीय भाषाओों और रीपत-ररिाजोों में कोंिनी के पसपिल सेिकोों के प्रपशक्षण के पलए ,फोटा पिपलयम कॉलेज
की स्थािना की (1802 में बोंद)।

1813 का चाटत र अनधनियम:


• 1813 के चाटा र अपधपनयम ने दे श में पशपक्षत भारतीयोों को प्रोत्सापहत करने और आधुपनक पिज्ञान के ज्ञान को बढ़ािा दे ने के
पसद्धाों त को शापमल पकया।
• अपधपनयम ने कोंिनी को इस उद्दे श्य के पलए सालाना एक लाख रुिये दे ने का पनदे श पदया। हालााँ पक, इस छोटी रापश को भी
1823 तक उिलि नहीों कराया गया था, मुख्य रूि से इस सिाल िर पििाद के कारण पक, इस रापश का उियोग कहाों करना
चापहये?
• इस बीच, राजा राममोहन राय जैसे प्रबुद्ध भारतीयोों का प्रयास फल फूल रहा था और 1817 में पशपक्षत बोंगापलयोों द्वारा स्थापित
कलकत्ता कॉलेज के पलए अनुदान स्वीकृत पकया गया , जो िपिमी मानपिकी और पिज्ञान में अोंग्रेजी पशक्षा प्रदान करता था।.
• सरकार ने कलकत्ता, पदल्ली और आगरा में तीन सोंस्कृत महापिद्यालय भी स्थापित पकए।

प्राच्यिािात्य- नििाद:
सािाजपनक पनदे श िर सामान्य सपमपत के भीतर, िािात्यिापदयोों ने तका पदया पक पशक्षा िर सरकारी खचा, पिशेष रूि से आधुपनक
अध्ययन के पलए होना चापहए।

• पिशेष रूि से आधुपनक अध्ययन िर खचा करने का सुझाि पदया।


िािात्य निचार: • िािात्यिादी, पशक्षा के माध्यम के सिाल िर पिभापजत थे - एक गुट माध्यम के
रूि में अोंग्रेजी भाषा का समथान करता था, जबपक दू सरा गुट,इसी उद्दे श्य के
पलए भारतीय भाषाओों (vernaculars) का।
• िपिमी पिज्ञान और सापहत्य को छात्रोों को नौकरी के पलए तैयार करने के पलए
प्राच्य निचार: पसखाया जाना चापहए,िरों तु िारों िररक भारतीय ज्ञान को सीखने के पििार िर
जोर पदया जाना चापहए।

दु भाा ग्य से, मीपडया के तत्व के रूि में अोंग्रेजी और स्थानीय भाषाओों में बहुत भ्रम था।

महत्विूणत सनमनतयााँ और उिकी नसफाररिें :

िित सनमनत नसफाररिें


1781 कलकत्ता मदरसा • िारे न हे क्तस्टोंग्स के द्वारा
• मुक्तिम कानून का अध्ययन
1791 सोंस्कृत कॉलेज • पहन्हदू पिपध तथा दशान का अध्य्य्यन
• जोनाथन डे क्कन द्वारा
• िेलेजली के द्वारा
1800 फोटा पिपलयम कॉलेज • भारतीय कानून और िरम्पराओ के अनुसार पसपिल सेिकोों को प्रपशक्षण
• 1802 मे बन्द
1813 चाटा र अपधपनयम • आधुपनक पिज्ञान पशक्षा को बढ़ािा दे ने के पलए 1लाख रुिये िापषाक
1835 लॉडा मैकाले की ररिोटा • िािात्यिापदयोों के िक्ष में (प्राच्यिािात्य- पििाद सािाजपनक सपमपत िर

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

सामान्य सपमपत के अोंतगात)।


• िपिमी पिज्ञान और सापहत्य का पशक्षण, अोंग्रेजी में ।
• जन पशक्षा की उिेक्षा।
• अधोमुखी पनसयोंदन पसद्धाों त।
जेम्स थॉम्पसन, (लेक्तफ्टनेंट • ग्राम पशक्षा।
1843-53 गिनार, NW प्रोपिोंस) • स्थानीय भाषा
• राजस्व और लोक पनमाा ण पिभाग के पलए कपमायोों को प्रपशपक्षत करना।
• भारत में अोंग्रेजी पशक्षा का मैग्ना काटाा ।
• सरकार, जन-जन की पशक्षा का उत्तरदापयत्व ले।
• शैक्षपणक सोंस्थानोों का िदानुक्रम।
• मपहला, व्यािसापयक पशक्षा और पशक्षकोों के प्रपशक्षण िर जोर।
• सरकारी सोंस्थानोों में धमापनरिेक्ष पशक्षा।
1854 िुड पडस्पैच • पनजी पशक्षा को प्रोत्सापहत करने के पलए अनुदान।
• उच्च पशक्षा का माध्यम अोंग्रेजी और स्कूल िर का माध्यम स्थानीय भाषा।
• कलकत्ता, बॉिे और मद्रास के अध्यक्षाधीन शहरोों में सोंबद्ध पिश्वपिद्यालय.
• िहले की योजनाओों ने प्राथपमक और माध्यपमक पशक्षा की उिेक्षा की थी।
जब 1870 में पशक्षा के पिषय को प्राों तोों में स्थानाों तररत कर पदया गया, तो
प्राथपमक और माध्यपमक पशक्षा को और नुकसान हुआ क्योोंपक प्राों तोों में
िहले से ही सीपमत सोंसाधन थे।
• आयोग ने प्राथपमक और माध्यपमक पशक्षा िर जोर पदया था।
1882-83 हों टर आयोग • प्राथपमक पशक्षा स्थानीय भाषा मे।
• प्राथपमक पशक्षा को पनयोंपत्रत करने के पलए पजला और नगर पनगम बोडा .
• माध्यपमक (हाई स्कूल) दो प्रभागोों के साथ- सापहक्तत्यक और व्यािसापयक।
• पिशेष रूि से शहरोों के बाहर मपहला पशक्षा में आने िाली समस्याओों िर
जोर।
भारतीय पिपश्वद्यालय • पनजी पशक्षण सोंस्थानोों में पशक्षा की गुणित्ता खराब हो गई और शैक्षपणक
अपधपनयम(कजान द्वारा) सोंस्थानोों ने ‘राजनीपतक क्राों पतकाररयोों के उत्पादन के कारखानोों’ के रूि
में काम पकया।
• रै ले कमीशन (1902) िर आधाररत।
• पिश्वपिद्यालय पशक्षा िर जोर।
• अनुसोंधान और अध्ययन िर जोर।
• सदस्यो की सोंख्या और अिपध कम हो गई।
• अपधकाों श सदस्य सरकार द्वारा नामाों पकत
1904 • सरकार पिश्वपिद्यालय सीनेट के पनयमोों को िीटो / सोंशोधन / िाररत करती
थी।
• कठोर, पनजी सोंबद्धता मानदों ड।
• उच्च और पिश्वपिद्यालय पशक्षा में सुधार के पलए 5 लाख / िषा।

नििेि: राष्टरिापदयोों ने इसे साम्राििाद को मजबूत करने और राष्टरिादी


भािनाओों को खत्म करने की कोपशश के रूि में दे खा। गोखले ने इसे
"प्रपतगामी उिाय/कायािाही" कहा।
• कारण: 1906 में, प्रगपतशील राि बड़ौदा ने अिने िूरे प्रदे श में अपनिाया
प्राथपमक पशक्षा शुरू की।
1913 पशक्षा नीपत िर सरकार का • अपशक्षा को हटाने की नीपत और प्राों तीय सरकारोों से गरीब और अपधक
सोंकल्प पिछड़े िगों को मुफ्त प्राथपमक पशक्षा प्रदान करने के पलए कदम उठाने
की अिील की।
सैडलर पिश्वपिद्यालय आयोग • कलकत्ता पिश्वपिद्यालय की समस्याओों िर अध्ययन और ररिोटा । इसकी
1917-19 पसफाररशें कमोबेश अन्य पिश्वपिद्यालयोों में भी लागू होती थीों।
• पिश्वपिद्यालय पशक्षा में सुधार के पलए, माध्यपमक पशक्षा में सुधार एक
आिश्यक शता थीों।
• स्कूल से लेकर पिश्वपिद्यालय पशक्षा तक ध्यान था।

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• स्कूलोों में 12- िषीय िाठ्यक्रम।


• माध्यपमक और इों टरमीपडएट के पलए अलग बोडा ।
• मपहला, िैज्ञापनक, तकनीकी और पशक्षकोों के प्रपशक्षण िर ध्यान पदया।
• पिश्वपिद्यालय को केंद्रीकृत, एकात्मक-आिासीय- पशक्षण स्वायत्त पनकाय
बनाने की पसफाररश।
• पिश्वपिद्यालय के पनयमोों को तैयार करने में कम कठोरता।
हाटोग सपमपत • पशक्षा के पिकास िर ररिोटा तैयार करने के पलए हाटोग सपमपत का गठन
पकया गया था।
1929 • प्राथपमक पशक्षा िर ध्यान पदया, लेपकन कोई अपनिाया पशक्षा नहीों।
• गुणित्ता में सुधार के पलए पिश्वपिद्यालयोों में चयनात्मक प्रिेश।
• केिल योग्य छात्र ही हाई स्कूल ऒर कॉलेज जाते थे। अन्य छात्रोों को
व्यिसापयक कोसा की तरफ भेज दे ते थे।
• उद्दे श्य:- भारत के शैपक्षक िर को 40 साल के अोंदर, इों ग्लैंड में प्रचपलत
शैपक्षक िर के बराबर करना।
• 3-6 िषा आयु िगा- िूिा प्राथपमक, पशक्षा 6-11-पन: शुि, सािाभौपमक और
अपनिाया प्रारों पभक पशक्षा।
• 11 से 17 िषा आयु िगा चयपनत बच्चोों के पलए हाई स्कूल पशक्षा, और
1944 सजेंट की पशक्षा योजना उच्चतर माध्यपमक के बाद 3 साल का पिश्वपिद्यालय िाठ्यक्रम।
• ियाा प्त तकनीकी, िापणक्तिक और कला पशक्षा।
• मध्यिती िाठ्यक्रम का उन्मूलन।
• 20 िषों में ियस्क पनरक्षरता का िररसमािन।
• आयोग ने शारीररक और मानपसक रूि से पिकलाों गोों के पलए पशक्षा,
पशक्षकोों के प्रपशक्षण, शारीररक पशक्षा, िर जोर पदया।

द्वै ध िासि के अोंतगतत निक्षा (भारत सरकार अनधनियम 1919):


• मोोंटागु-चेम्सफोडा सुधारोों के तहत, पशक्षा को प्राों तीय मोंत्रालयोों में स्थानाों तररत कर पदया गया था और सरकार ने शैपक्षक मामलोों
में प्रत्यक्ष रुपच लेना बोंद कर पदया था, जबपक 1902 से स्वीकृत सरकारी अनुदान, अब रोक पदए गए थे।
• पित्तीय कपठनाइयोों ने पकसी भी ियाा प्त पििार को रोका पफर भी लोकोिकारक प्रयासोों से पशक्षा की गुणित्ता में सुधार हुआ

मातृभािा में निक्षा का निकास:
19 िीों शताब्दी की शुरुआत में मातृभाषा में पशक्षा की क्तस्थपत खराब थी। यह िादातर अमीर जमीोंदारोों के योगदान िर पनभार थी।

1835, 1836, बोंगाल और पबहार में मातृभाषा में पशक्षा िर पिपलयम एडम की ररिोटा ने मातृभाषा में पशक्षा की प्रणाली में
1838: दोषोों को इों पगत पकया था।
1843-53: लेक्तफ्टनेंट-गिनार के रूि मे जेम्स जोनाथन ने उत्तर-िपिम प्राोंतोों (उप्र) में प्रयोग के पलए, , प्रत्येक तहसीलदारी
में एक मॉडल स्कूल के रूि में एक सरकारी स्कूल और मातृभाषा के स्कूलोों के पलए पशक्षकोों के प्रपशक्षण
हे तु सामान्य स्कूल खोले थे।
1853 एक प्रपसद्ध ररिोटा में, लॉडा डलहौजी ने मातृभाषा में पशक्षा के िक्ष में मजबूत राय व्यि की थी ।
1854 िुड्स पडस्पैच ने मातृभाषा में पशक्षा के पलए पनम्नपलक्तखत प्रािधान पकए:
1. मानकोों में सुधार
2. सरकारी एजेंसी द्वारा ियािेक्षण
3. पशक्षकोों को प्रपशपक्षत करने के पलए सामान्य स्कूल
ये मातृभाषा में पशक्षा को प्रोत्साहन दे ते थे।
1854-71 सरकार ने माध्यपमक और स्थानीय पशक्षा िर कुछ ध्यान पदया। मातृभाषा के स्कूलोों की सोंख्या में िाों च गुना
से िादा िृक्तद्ध हुई थी।
1882 हों टर कमीशन ने माना पक राि को मातृभाषा में पशक्षा के पििार और सुधार के पलए पिशेष प्रयास करने
चापहए। जनपशक्षा को जनसाधारण को पशपक्षत करने के रूि में दे खा था।
1904 पशक्षा नीपत ने मातृभाषा में पशक्षा िर पिशेष जोर पदया और इसके पलए अनुदान बढ़ाया था।
1929 हाटोग सपमपत ने प्राथपमक पशक्षा की एक खराब तस्वीर िेश की।
1937 इन स्कूलोों को काों ग्रेस के मोंत्रालयोों से प्रोत्साहन पमला ।

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तकिीकी निक्षा का निकास:


• रुड़की में इों जीपनयररों ग कॉलेज -1847
• कलकत्ता इों जीपनयररों ग कॉलेज -1856
• 1858 में िूना में ओिसासा स्कूल को िूना कॉलेज ऑफ़ इों जीपनयररों ग का दजाा पदया गया और बोंबई पिश्वपिद्यालय से सोंबद्ध कर
पदया गया था।
• गुइोंडी कॉलेज ऑफ इों जीपनयररों ग मद्रास पिश्वपिद्यालय से सोंबद्ध था।
• 1835 में कलकत्ता में एक मेपडकल कॉलेज की स्थािना के साथ पचपकत्सा प्रपशक्षण शुरू हुआ था।
• कजान द्वारा िूसा में कृपष महापिद्यालय।

बेनसक निक्षा की िधात योििा (1937):


• काों ग्रेस ने अक्ट्ू बर 1937 में िधाा में पशक्षा िर एक राष्टरीय सम्मेलन आयोपजत पकया था। िहाों िाररत प्रिािोों के आलोक में,
जापकर हुसैन सपमपत ने बुपनयादी पशक्षा के पलए एक पििृत राष्टरीय योजना तैयार की थी ।
• इस योजना के िीछे मुख्य पसद्धाों त 'गपतपिपध के माध्यम से सीखना' था ।
• यह साप्तापहक हररजन में लेखोों की एक श्रृोंखला में प्रकापशत गाों धी के पिचारोों िर आधाररत था। गाों धी ने सोचा था पक िपिमी
पशक्षा ने पशपक्षत लोगोों और जनता के बीच एक खाई िैदा कर दी है और पशपक्षत अपभजात िगा को भी अप्रभािी बना पदया ।
• इस योििा में निम्ननिक्तखत प्रािधाि थे :
➢ िाठ्यक्रम में एक बुपनयादी हिकला का समािेश।
➢ स्कूली पशक्षा के िहले सात साल पनः शुि और अपनिाया दे शव्यािी पशक्षा प्रणाली (मातृभाषा के माध्यम से) ।
➢ कक्षा दू सरी से सातिीों तक पहों दी में िढ़ाना और केिल कक्षा आठ के बाद अोंग्रेजी में िढ़ाना।
➢ सेिा के माध्यम से स्कूलोों के आसिास समुदाय के साथ सोंिका स्थापित करने िाले तरीके।
➢ एक उियुि हिकला की उत्पादक गपतपिपध के माध्यम से बच्चे को पशपक्षत करने के पलए बुपनयादी पशक्षा के मुख्य पिचार
को लागू करने की दृपष्ट से तैयार की जाने िाली एक उियुि तकनीक।
पशक्षा के पलए एक िद्धपत होने के बजाय, यह प्रणाली एक नए जीिन और नए समाज हे तु एक पिचार की अपभव्यक्ति थी। इस प्रणाली
का मूल आधार यह था पक ऐसी योजना के माध्यम से ही भारत एक स्वतोंत्र और अपहों सक समाज बन सकता है ।यह योजना बाल
केक्तन्द्त और सहकारी थी।
नििेि: पद्वतीय पिश्वयुद्ध की शुरुआत और काों ग्रेसी मोंपत्रमोंडल के इिीफे (अक्ट्ू बर 1939) के कारण इस पिचार का बहुत पिकास
नहीों हुआ ।

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21. महत्विू णा पब्रपटश सपमपतयाों ि आयोग

अकाि िर आयोग:

• 1865-66 के दौरान उड़ीसा, बोंगाल, पबहार और मद्रास में अकाल आया, पजसमें 20
लाख के करीब लोग “काल के गाल” में समा गए। इनमें 1000000 लोग केिल उड़ीसा
कैंिबेल आयोग: प्राों त से थे अतः उड़ीसा में अकाल गोंभीर रूि से फैला था तो इसे “उड़ीसा अकाल” के
नाम से भी जाना जाता है ।
• इस अकाल के बाद “सर जॉजा कैंिबेल” की अध्यक्षता में अकाल सपमपत पनयुि की
गई जो भारतीय अकाल के इपतहास का एक प्रभािी मोड़ सापबत हुआ।
स्टर ै ची आयोग • इस आयोग का गठन सन् 1878 में सर ररचडा स्टर ै ची की अध्यक्षता में पकया गया।
• इस आयोग द्वारा अकाल की िररक्तस्थपत में खाद्य व्यािार में राि की मध्यस्थता की
अनुशोंसा की गई। 1896-97 में भारत िुनः एक भयानक अकाल का साक्षी बना।
लायल कपमशन • इस आयोग का गठन 1900 में सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में हुआ। इस आयोग द्वारा
पसोंचाई की सुपिधा का पिकास करने सोंबोंधी अनुशोंसा की गई।
• आयोग की स्थािना में सर एों थोनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में की गई इन्ें बाद में लॉडा
की उिापध से पिभूपषत पकया गया था। इस आयोग का गठन, तात्कापलक अकाल से
मैकडॉनल आयोग प्राप्त पनष्कषों के आधार िर िूिा गपठत अकाल आयोग की ररिोटा का िुनमूाल्ाों कन एिों
अनुशोंसा प्रदान करने हे तु पकया गया था।
• आयोग द्वारा अनुशोंसा की गई पक अकाल से पनिटने हे तु पजम्मेदार अपधकाररक पिभाग
को िषाियांत कायाशील रहना चापहए तापक अकाल के दौरान खाद्यान्न अभाि से सरलता
से पनिटा जा सके।

निनध आयोग:
• भारत में पिपध आयोग का उद्भि स्वतोंत्रता िूिा से माना जाता है ।
• 1834 में ,टी. बी. मैकाले की अध्यक्षता में भारत का प्रथम पिपध आयोग “चाटा र एक्ट्, 1833” के िररणाम स्वरूि गपठत हुआ था।
• प्रथम पिपध आयोग 1834 की अनुशोंसाओों के िररणामस्वरुि “दों ड सपहों ता” एिों “आिरापधक प्रपक्रया सोंपहता” का सोंपहताकरण
हुआ।
• पद्वतीय स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग, 1853 - सर जॉन रोपमली
• तृतीय स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग , 1862 - सर जॉन रोपमली
• चतुथा स्वतोंत्रता-िूिा पिपध आयोग, 1879 - डॉ. क्तव्हटले स्टोक्स
• स्वतोंत्रता ििात प्रथम पिपध आयोग, 1955
• अध्यक्षता: एम. सी. सीतलिाड़
इस प्रकार स्वतोंत्रता प्राक्तप्त के ििात भी पिपध आयोग के द्वारा पिपध सुधार की प्रपक्रया जारी रही।

मुद्रा आयोग:
• 1886 में डफररन द्वारा गपठत “मैन्सपफल्ड आयोग”
• 1898 में एपलग्न पद्वतीय द्वारा गपठत “फाउलर आयोग”।
• 1919 में चेम्सफोडा द्वारा गपठत “बेपबोंगटन क्तस्मथ आयोग”।
• 1926 में पलनपलथगो द्वारा गपठत “पहल्टन योंग आयोग”।

अन्य महत्विूणत आयोग:

स्कॉट-मॉिनक्रफ आयोग 1901 में कजान द्वारा पसोंचाई िर गपठत आयोग


ब्रेिर आयोग 1902 में िुपलस सुधार िर कजान द्वारा गपठत आयोग
हों टर आयोग 1919 में िोंजाब उिद्रि िर चेम्सफोडा द्वारा गपठत आयोग
बटिर आयोग 1927 में इरपिन द्वारा भारतीय प्राों तोों के पब्रपटश राज के साथ सोंबोंध िर गपठत आयोग
क्तव्हटिे आयोग 1929 में इरपिन द्वारा श्रम िर गपठत आयोग
सप्रू आयोग 1935 में पलनपलथगो द्वारा बेरोजगारी िर गपठत आयोग

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िेक्तिल्ड आयोग 1939 में पलनपलथगो द्वारा सेना िर गपठत आयोग


फ्लाउड आयोग िषा 1940 में पलनपलथगो द्वारा बोंगाल काश्तकारी िर गपठत आयोग
(1893) डूरों ड आयोग भारत ि अफगापनिान के मध्य सीमा रे खा के पनधाा रण हे तु गपठत आयोग (ितामान
में िापकिान ि अफगापनिान के मध्य क्तस्थत पकोंतु लघु िर िर यह रे खा भारत
के साथ िापकिान अपधकृत कश्मीर को भी स्पशा करती है )

निद्याथी के निए नटप्पणी

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22. पिपशष्ट आों दोलनोों से सों बोंपधत व्यक्तित्व

स्वदे िी आों दोिि:

• िूना और बाों बे में स्वदे शी का सोंदेश सोंचाररत पकया एिों राष्टरभक्ति की भािना को जागृत करने हे तु
गणिपत ि पशिाजी उत्सि का आयोजन पकया.
िोकमान्य नतिक • इन्ोोंने स्वराि प्राक्तप्त के लक्ष्य हे तु बपहष्कार, राष्टरीय पशक्षा ि स्वदे शी िर बल पदया।
• इन्होोंिे सहकारी भोंडार खोिें एिों “स्वदे िी िस्तु प्रचाररणी सभा” की अध्यक्षता की।
सैयद है दर रिा • स्वदे शी आों दोलन को पदल्ली में लोकप्रपसद्ध पकया।
• इन्होोंिे आों दोिि को मद्रास में निस्ताररत नकया एिों “तूतीकोररि कोरि नमि” की हड़ताि
नचदों बरम निल्लई का आिाह्न नकया।
• इनके द्वारा मद्रास प्राों त के िू िी घाट िर तूतीकोररन में “स्वदे शी िाष्प नौिहन कोंिनी” की स्थािना
की गई। .
नबनिि चोंद्र िाि • उग्रिादी समूह से सोंबोंपधत थे एिों इनके द्वारा आों दोलन को लोकपप्रय बनाने में (पिशेषतः शहरी क्षेत्रोों
में) पिशेष भूपमका पनभाई। ये “न्यू इों पडया” में सोंिादक भी थे।
• िटना के प्रपसद्ध नेता पलयाकत हुसैन ने बपहष्कार का आह्वान पकया एिों 1906 में “ईस्ट इों पडया
रे लिे” हड़ताल का आयोजन पकया। इनके द्वारा मुक्तिमोों में राष्टरिादी भािनाओों के पििार हे तू उदू ा
नियाकत हुसैि भाषा में अनेक उत्तेजक लेख पलखे गए। इनका अन्य मुक्तिम आों दोलनकाररयोों जैसे गजनिी रसूल,
दीन-मोहम्मद, दीदार बक्श, मोपनरूज्जाम, इस्माइल हुसैन, पसराजी, अब्दु ल हुसैन एिों अब्दु ल
गफ्फार द्वारा समथान पकया गया।
रमेंद्र सुोंदर नत्रिेदी • इनके द्वारा बोंगाल पिभाजन के प्रभािी होने िाली पतपथ को शोक पदिस के रूि में रे खाों पकत करने ि पिरोध
स्वरूि “अरों धन” (चू ल्हा ना जलाया जाना) के अनुिालन का आव्हान पकया गया।
• राष्टरीय स्वतोंत्रता सोंग्राम को प्रेररत करने हे तु बहुत से गीतोों की रचना की एिों राष्टरीय गौरि को जगाने
हे तु बोंगाली लोक सोंगीत को िुनजीपित पकया।
रनिोंद्र िाथ टै गोर • इन्ोोंने कुछ स्वदे शी भोंडार ग्रह भी खोले थे और रक्षाबोंधन (बोंधुत्वता को बढ़ािा दे ने हे तु एक दू सरे
की कलाई िर धागा बाों धना) मनाने का आव्हान पकया।
• यह आों दोलन को सोंिूणा भारत में पििाररत करने के समथान में थे । इन्ें 1906 में स्थापित “बोंगाल
राष्टरीय महापिद्यालय” का प्रधानाध्यािक पनयुि पकया गया तापक िे राष्टरिादी भािनाओों ि भारतीय
क्तस्थपत ि सोंस्कृपत से सोंबोंपधत पशक्षा को प्रोत्सापहत कर सकें।
• िे “बोंदे मातरम” नामक समाचार ित्र के सोंिादक भी थे एिों अिने सोंिादकीय लेखक के माध्यम से
अरनबोंदो घोि
स्वदे शी आों दोलन हड़ताल, राष्टरीय पशक्षा आपद को प्रोत्सापहत करते थे।
• िनतोंद्रिाथ बििी ि बाररों द्र कुमार घोि द्वारा इिको सहायता प्राप्त हुई िो अिुिीिि सनमनत
के सोंस्थािक थे।
• यह उदारिादी पिचारधारा के समथाक नेता थे पजन्ोोंने “बोंगाली” जैसे समाचार ित्रोों के माध्यम से
सुरेंद्रिाथ बििी सशि प्रेस अपभयान चलाया िह िृहद जनसभाओों को सोंबोपधत पकया
• कृष्ण कुमार पमत्र ि नरें द्र कुमार सेन द्वारा इनको सहायता प्राप्त हुई।
• यह एक स्कूल पशक्षक थे पजनके द्वारा स्वदे शी आों दोलन के समथान ि प्रचार हे तु “स्वदे श बाों धि
अपश्वनी कुमार दत्त सपमपत” की स्थािना की गई और इन्ोोंने बररसाल के मुक्तिम पकसानोों के पिरोध प्रदशान का नेतृत्व
भी पकया।
प्रमोथा पमत्तर, बरीोंद्र • कोलकाता में अनुशीलन सपमपत के सोंस्थािक।
कुमार घोष, जपतोंद्र
नाथ बनजी
गोिाल कृष्ण गोखले • भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के बनारस अपधिेशन (1905) के अध्यक्ष थे जो स्वदे शी आों दोलन के
समथानकताा भी थे।
अब्दु ि हनिम • ये िमी ोंदार एिों िकीि थे निन्होोंिे स्वदे िी उद्योगोों की स्थाििा की एिों क्राोंनतकारी गनतनिनधयोों
गिििी को बोंगाि से बाहर भी निस्ताररत करिे हे तु अरनबोंदो घोि की सहायता की। अबुि किाम
आिाद द्वारा इिकी सहायता की गई।
• 1906 के काों ग्रेस अपधिेशन में “स्वराि” को काों ग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोपषत पकया गया।
दादा भाई नौरोजी

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

आचायत िी.सी.रॉय • . स्वदे शी आों दोलन के समथान में “बोंगाल रसायन फैक्ट्र ी” की स्थािना की।
अनश्विी कुमार • यह स्वदे शी कायाकताा थे पजन्ोोंने अगि 1906 में बजबज नामक स्थान से जूट पमल श्रपमकोों का
बििी नेतृत्व कर भारतीय पमल हैं ड्स यूपनयन की स्थािना की।
सतीश चोंद्र मुखजी • इन्ोोंने “डॉन सोसाइटी” के द्वारा स्वदे शी पनयोंत्रणाधीन पशक्षा प्रणाली को प्रोत्सापहत पकया।

मोतीिाि घोि • “अमृत बाजार िपत्रका” समाचार ित्र से सोंबद्ध थे। ित्र के द्वारा इन्ोोंने राष्टरिादी भािनाएों जागृत करीों
एिों उग्रिाद के समथान में बहुत से उत्तेजक लेख पलखें ।
ब्रह्म बाों धि उिाध्याय • सोंध्या ि युगाों तर (बाररों द्र कुमार घोष से सोंबोंपधत समूह) ित्र द्वारा स्वराि ि स्वदे शी आों दोलन को
लोकप्रपसद्ध पकया।
• माचा 1904 में एक कोष की व्यिस्था हे तु सोंगठन की स्थािना की जो पक पिद्यापथायोों को तकनीकी ि
जोगेंद्र चोंद्र औद्योपगक प्रपशक्षण हे तु पिदे श भेजता था ।
मपनोंद्र नोंदी • यह कापसमबाजार के जमीोंदार थे पजन्ोोंने बहुत से स्वदे शी उद्योगो को सोंरक्षण प्रदान पकया।
• इन्ोोंने स्वदे शी आों दोलन के समथान में पिपभन्न ित्र/िैंफलेट का प्रकाशन पकया एिों तका पदया पक
कािी िोंकर सुकुि निीन औद्योपगक िगा का पिकास, राष्टरीय पहत को बढ़ािा दे ने हे तु होना चापहए।
सुोंदरिाि • उत्तर प्रदे श के एक छात्र थे पजनका रुझान क्राों पतकारी गपतपिपधयोों/उग्रिाद की ओर था।
कुोंिर जी मेहता और • इन्ोोंने िाटीदार युिक मोंडल के द्वारा सोंगठनात्मक काया प्रारों भ पकए।
कल्ाण जी मेहता
• इन्ोोंने “ब्रह्मा पिद्या समूह “की सहायता से िोंजाब में स्वदे शी आों दोलन को प्रचाररत पकया। इस समूह
लाला हर पकशन ने पटर ब्यून नामक समाचार ित्र भी प्रारों भ पकया था। इन्ोोंने “िोंजाब नेशनल बैंक” की स्थािना भी की।
लाल

मोहम्मद शफी और • ये दोनोों िोंजाब के मुक्तिम समूह के नेता थे जो हड़ताल के स्थान िर “रचनात्मक स्वदे शी आों दोलन”
फजल-ए-हुसैन के समथाक थे।
िी कृष्णस्वामी • इन्ोोंने मद्रास प्राों त के मायलािोर समूह पक अध्यक्षता की।
अय्यर
जी.सुब्रमण्यम अय्यर, • ये सभी दपक्षण भारत के अन्य प्रमुख नेतृत्वकताा थे पकोंतु िी.के.अय्यर से मतभेद होने के कारण ही
टी.प्रकाशम एिों टी. प्रकाशम ि कृष्णाराि द्वारा 1904 में मसूलीिट्टनम से “पकिनिपत्रका” का शुभारों भ पकया गया।
कृष्णाराि
सुब्रमण्यम भारती • िो एक प्रख्यात कपि ि तपमल क्राों पतकारी समूह के सदस्य थे पजन्ोोंने तपमल क्षेत्र में राष्टरिाद को
बढ़ाने में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
प्रभात कुसुम रॉय • ये सभी प्रपसद्ध िकील थे पजन्ोोंने श्रपमकोों को सोंगपठत करने में महत्विूणा भूपमका पनभाई। िहीों
चौधरी, अिूबात प्रेमतोष बोस अन्य प्रमुख श्रपमक नेता थे।
कुमार घोि,प्रेमतोि
बोस
• यह प्रथम क्राों पतकारी नेताओों में से थे। इनके िेररस से लौटने (िे, यहाों सैपनक प्रपशक्षण हे तु गए थे )
हे मचोंद्र कानूनगो के ििात इन्ोोंने कोलकाता में सोंयुि बम फैक्ट्र ी ि धापमाक पिद्यालय की स्थािना की।

खुदीराम बोस एिों • 30 अप्रैल 1908 को दोनोों महान क्राों पतकारीयोों द्वारा केनेडी की हत्या की गई।
प्रफुल्ल चाकी
• इन्ोोंने “दक्कन अनुशीलन” की स्थािना की पजसका प्रथम िृहत कारनामा था- “बारा डकैती” ।
िुपलन दास
मदि मोहि • ये दोनोों प्राों तीय सरकारोों के साथ सहयोग ि गैर-राजनीपतक स्वदे शी आों दोलन के िक्षधर थे।
माििीय और
मोतीिाि िेहरू
सनचोंद्र िाथ • ये मुखोदचरण समाध्याय के सोंिका में होने के कारण बनारस के उभरते क्राों पतकारी नेता बने।
सान्याि ब्रह्मबाों धि की मृत्यु के ििात “सोंध्या ित्र” के सोंिादक बने थे। .

सािरकर बोंधु • सािरकर बोंधुओों द्वारा 1899 में पमत्र मेला की स्थािना की गई। ये दोनोों महाराष्टर में उग्रिाद हे तु
प्रत्यक्षतः जिाबदे ह थे।
पदनशॉ िाचा • उन्ोोंने महाराष्टर के पमल मापलकोों से धोतीयोों को कम दाम में बेचने का पनिेदन पकया था।

असहयोग आों दोिि

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

एम के गाोंधी • माचा 1920 में एक घोषणा ित्र द्वारा इन्ोोंने अिने “अपहों क असहयोग आों दोलन पसद्धाों त”
की घोषणा की। िे आों दोलन के प्रमुख बल थे और उन्ोोंने जनता से स्वदे शी पसद्धाों तोों को
अिनाने एिों हथकताई, बुनाई का अभ्यास करने ि अस्पृश्यता को खत्म करने हे तु
कायाशील रहने का आग्रह पकया था।
• 1921 के अिने राष्टर िरीय भ्रमण के दौरान इन्ोोंने लाखोों लोगोों को सोंबोपधत पकया।
फरिरी 1922 में उत्तर प्रदे श के चौरी-चौरा में पहों सक घटना घपटत होने के कारण इन्ोोंने
आों दोलन को स्थपगत कर पदया।
• इन्ोोंने 1920 के नागिुर अपधिेशन में असहयोग से सोंबोंपधत सोंकल्प को आगे बढ़ाया एिों
आों दोलन के प्रचार में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
• िो एक सफल िकील थे पकोंतु इन्ोोंने कानूनी अदालतोों का बपहष्कार पकया ि अिने लाभ
सी आर दास िूणा िकालती अभ्यास का त्याग कर पदया। इन के तीन प्रमुख सहयोगी थे: पबरें द्रनाथ
सैमसल मदनािुर में, जे.एम.सेनगुप्ता पचत्तगाों ि में और सुभाष बोस कोलकाता से पजन्ोोंने
पहों दू-मुक्तिम एकता हे तु महत्विूणा भूपमका पनभाई।
• असहयोग पसद्धाों त के प्रचार में इन्ोोंने महत्विूणा भूपमका पनभाई एिों सरकारी नीपतयोों द्वारा
ििाहरिाि िेहरू कृषकोों के शोषण के िररणाम स्वरूि “पकसान सभा” के गठन को प्रोत्साहन पदया। ये
गाों धीजी के द्वारा आों दोलन िािस पलए जाने के पनणाय के क्तखलाफ थे।
जे एम सेनगुप्ता • ये एक बोंगाली राष्टरिादी नेता थे। इन्ोोंने असम के चाय बागानोों के श्रपमकोों के पिरोध
प्रदशान ि हड़तालो में सहायता की।
बसोंती दे बी • ये सी आर दास की धमाित्नी थी। ये उन प्रथम मपहला कायाकताा ओों में से हैं पजन्ें 1921
में पगरफ्तार पकया गया था।
• इन्ोोंने पमदनािुर के कोोंताई एिों तामलुक उिखोंडोों में सोंघ पिरोधी प्रदशान पकया।
बीरें द्रनाथ समसल • इन्ोोंने निोंबर-पदसोंबर 1921 में पमदनािुर के िािपिक जोतदार मापहष्योों को कर-ना
अदायगी आों दोलन हे तु प्रोत्सापहत पकया।
पजतेंद्र लाल बनजी • इन्ोोंने 1921-22 में काश्तकारोों को सोंगपठत कर बोगरा, िाबना एिों बीरभूम में बोंदोबि
प्रणाली का पिरोध पकया।
सुभाष चोंद्र बोस • आों दोलन को समथान प्रदान पकया एिों पसपिल सेिा से त्यागित्र दे पदया। इन्ें कोलकाता
क्तस्थत नेशनल कॉलेज का प्रधानाचाया भी पनयुि पकया गया।
अली बोंधु (शौकत एिों मोहम्मद • अली बोंधु सिाा पधक महत्विूणा क्तखलाफत नेता थे , पजन्ोोंने सोंिूणा उत्साह के साथ गाों धी जी
अली) के आों दोलन के प्रचार हे तु राष्टर िरीय भ्रमण को समथान प्रदान पकया। अक्तखल भारतीय
क्तखलाफत सम्मेलन के दौरान मोहम्मद अली ने स्पष्ट पकया पक “मुक्तिमोों का पब्रपटश सेना
में रहना धमा के पिरुद्ध है ।“ अली बोंधुओों को बाद में पगरफ्तार कर पलया गया।
• गाों धी जी द्वारा असहयोग आों दोलन के आव्हान के बाद इन्ोोंने अिनी िकालत त्याग दी।
इन्ें 1921 में पगरफ्तार कर पलया गया।
• अन्य प्रपसद्ध िकील पजन्ोोंने िकालत का त्याग पकया था इनमें शापमल है एम.आर.
मोतीलाल नेहरू
जयकर, सैफुद्दीन पकचलू िल्लभभाई िटे ल, सी राजगोिालाचारी, टी प्रकाशम और
आपसफ अली ।
• इन सभी बपलदान ने अन्य लोगोों को भी प्रेरणा दी पजससे उन्ोोंने सरकारी नौकररयोों का
बपहष्कार पकया और स्वतोंत्रता सोंग्राम की मुख्यधारा में जुड़ गए।
• ये प्रारों पभक रूि से असहयोग नीपत के क्तखलाफ थे (प्रमुखतः पिद्यालयोों के बपहष्कार के
लाला लाजित राय क्तखलाफ) पकोंतु बाद में इनके द्वारा आों दोलन का समथान पकया गया, यहाों तक पक उनके
द्वारा 1922 में आों दोलन िािस पलये जाने का पिरोध पकया गया।
राजेंद्र प्रसाद • इन्ोोंने पबहार में गाों धीिादी आों दोलन का सपक्रय रूि से समथान पकया।
• इन्ोोंने गुजरात में आों दोलन का प्रचार प्रसार पकया एिों यह माना पक “औिपनिेपशक शासन
सरदार िल्लभभाई िटे ल को ध्वि करने हे तु क्राों पतकारी आतोंकिाद का एक उियुि पिकल्प असहयोग नीपत
है ।“
मोतीलाल तेजाित • उन्ोोंने भील जनजापत को सोंगपठत पकया और भील आों दोलन का समथान पकया पजसने
असहयोग आों दोलन को सशि पकया।

अल्लूरी सीताराम राजू • आों ध्र प्रदे श की जनजापतयोों का नेतृत्व पकया एिों उनकी माों गोों को असहयोग आों दोलन के
साथ सोंयुि पकया।

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हसरत मोहानी • एक क्तखलाफत नेता पजन्ोोंने अली बोंधुओों की पगरफ्तारी की पनोंदा की एिों “िूणा स्वराि”
की माों ग की ।
िुरुषोत्तमदास, ठाकुरदास, • िो सारे लोग जो औद्योपगक िगा से सोंबोंपधत थे इनके द्वारा 1920 में असहयोग पिरोधी
जमुनादास, द्वारकादास, एसोपसएशन की स्थािना की गई ।
कािसजी जहाों गीर, फ्ोजे सेथना
और सीतलिाड़
कुन्म्मद हाजी, कलापथोंगल • इन सभी के द्वारा पिपभन्न स्थानोों िर स्थपगत “क्तखलाफत गणराि” के अध्यक्षोों की भूपमका
मोहम्मद, अली मुसपलयार, पसपथ पनभाई गई।
कोथाथोंगल, इों बेची कोथाथोंगल
मोहम्मद उस्मान • यह एक और क्तखलाफत आों दोलनकारी थे पजन्ोोंने कोलकाता में बहुत से व्यािार सोंगठनोों
ि स्वयोंसेिी सोंगठनोों का आयोजन पकया।
एस. ए. डाों गे, आर एस पनोंबाकर, • ये सभी िररितानकारी छात्र सोंघ के सदस्य थे एिों आों दोलन के समथाक भी थे यद्यपि िे
िी डी सथाये, आर. िी. सभी गाों धीिादी पिचारोों के समथाक नहीों थे िे सभी एक समाजिादी पिचारधारा के समथाक
नादकणी, एस. िी. दे शिाों डे, के. करोड़िपत व्यक्ति आर. बी. लोटिाला से प्रभापित थे।
एन. जोगलेकर • अप्रैल 1921 में दाों गे द्वारा पलक्तखत “गाों धी बनाम लेपनन” नामक िुिक के द्वारा स्वराज
का समथान पकया, पजसके पलए कारखानोों का राष्टरीयकरण एिों जमीोंदारी भूपम को कृषकोों
के मध्य बोंटिारे का िक्ष पलया गया।
• यह एक िकील थे एिों मद्रास में श्रपमक सोंगठनकताा भी थे। इन्ोोंने श्रपमक ि स्वतोंत्रता
पसोंगारिेलू चेपट्टयार आों दोलन के सक्तम्मलन में महत्विूणा भूपमका पनभाई। ये दपक्षण भारत के प्रथम साम्यिादी
नेता थे और िूोंजीिादी एकापधकार के क्तखलाफ अपहों सक असहयोग के समथाक भी थे।
एन सी बारदलोई • असम में काों ग्रेस नेता थे जो असहयोग के समथान में थे पकोंतु चाय बागानोों में हड़ताल के
पिरोधी थे क्योोंपक िो स्वयों एक बागान मापलक थे।
अोंपबकापगरी रॉय चौधरी • इन्ें “असम केसरी” के नाम से जाना जाता है । इनकी कपिताओों का असपमया िर अगाध
प्रभाि िड़ा, पजससे उनमें राष्टरिाद की भािना जागृत करने में सहायता हुई।
मुजफ्फर अहमद • उन्ोोंने कोलकाता में प्रारों पभक साम्यिादी समूह बनाया था और िो एम एन रॉय ि नपलनी
गुप्ता से प्रभापित थे।
िुरुषोत्तमदास टों डन, • इन सभी के द्वारा अिने राजनीपतक जीिन की शुरुआत, 1921 में असहयोग आों दोलन के
गणेशशोंकर पिद्याथी, जी. बी. िोंत, प्रारों भ के साथ की।
लालबहादु र शास्त्री
• ये एक सुप्रपसद्ध उिन्यासकार थे। इन्ोोंने फरिरी 1921 में गोरखिुर के शासकीय
पिद्यालय से त्यागित्र दे पदया और “आज” नामक ित्र के प्रकाशन में योगदान दे ना प्रारों भ
प्रेमचोंद पकया।
• इनके उिन्यास प्रेमाश्रम, रों गभूपम आपद गाों धीिादी पसद्धाों तोों ि मूल्ोों को प्रदपशात करते हैं
एिों इस बात की िुपष्ट करते हैं पक “असहयोग स्वतोंत्रता प्राक्तप्त का एक प्रभािी अस्त्र है ”।
• इन्ोोंने दपक्षण एिों दपक्षण िूिी अिध क्षेत्र में पकसान पिद्रोह को सोंगपठत पकया एिों कृषक
बाबा रामचोंद्र पिद्रोह को असहयोग आों दोलन से जोड़ा। इन्ें फरिरी 1921 में पगरफ्तार कर पलया गया।

• ये एक साम्यिादी नेता एिों साम्यिादी ित्र “िेनगाडा ” के सोंिादक थे इन्ोोंने सत्र न्यायालय
माििेंद्र िाथ राय द्वारा चौरी चौरा घटना( पजसमें 22 िुपलसकमी मारे गए थे) के पलए 225 लोगोों में से 172
लोगोों को फाों सी की सजा सुनाए जाने की पनोंदा की। बाद में 19 को मृत्युदोंड ि अन्य को
पनिाा पसत कर पदया गया।
• ये गोरखिुर गाों ि के एक सैन्य िेंशन प्राप्तकताा थे पजन्ें िुपलस द्वारा बेरहमी से िीटा गया
भगिान अहीर था। इस घटना ने सोंिूणा गाों ि में राष्टरिादी भािनाओों को जागृत पकया पजसके आिेश में
काश्तकारोों द्वारा चौरी-चौरा में 22 िुपलसकपमायोों को मार डाला गया।

सनििय अिज्ञा आों दोिि

• महात्मा गाों धी द्वारा साबरमती आश्रम से दाों डी तक एक ऐपतहापसक दाों डी यात्रा िूणा करने
एम के गाोंधी के उिराों त 6 अप्रैल 1930 को मुट्ठी भर नमक उठाकर सरकार द्वारा पनरूपित नमक
कानून का उल्लोंघन/अिज्ञा कर सपिनय अिज्ञा आों दोलन का आव्हान पकया गया ।
• इस आों दोलन के मुख्य बल थे पजन्ोोंने स्वतोंत्रता सोंग्राम में तो भागीदारी को बढ़ाया।

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सी राजगोिालाचारी • इन्ोोंने सपिनय अिज्ञा आों दोलन के समथान में तपमलनाडु के तोंजौर तट िर पत्रचनािल्ली
से िेदारण्यम तक, नमक सत्याग्रह का नेतृत्व पकया। इन्ें 30 अप्रैल 1930 को पगरफ्तार
कर पलया गया।
. के केिप्पि • ये एक नायर काों ग्रेसी नेता थे पजन्ोोंने “िैकोम सत्याग्रह” को प्रारों भ पकया एिों नमक कानून
की अिज्ञा हे तु कालीकट से िेयन्नूर तक यात्रा की।
• यह आों दोलन में सपक्रय रूि से शापमल थे एिों नमक कानून की अिज्ञा के कारण उन्ें
जिाहरलाल नेहरू 17 अप्रैल 1930 को पगरफ्तार कर पलया गया।.
• अिने प्रमुख राजनीपतक आदशा िाक्य के रूि में उन्ोोंने सोंपिधान सभा के गठन की माों ग
की एिों महत्विूणा कृपष कायाक्रम का सूत्रधार पकया।
िी.कृष्णा पिल्लई • इन्ोोंने राष्टरीय ध्वज की सुरक्षा की एिों 11 निोंबर 1930 को कालीकट तट िर हुए
लाठीचाजा की पनोंदा की। कालाों तर में इनके द्वारा “केरल समाजिादी आों दोलन” की नीोंि
रखी गई।
खाि अब्दु ि गफ्फार खाि इनके द्वारा अपहों सक क्राों पतकाररयोों का एक सोंघ बनाया गया पजसे “खुदाई क्तखदमतगार”
(लाल कुती के रूि में भी जाने जाते थे) कहा जाता था, पजसने आों दोलन में सपक्रय भूपमका
पनभाई।
• ये प्रथम भारतीय मपहला थी पजन्ोोंने काों ग्रेस अपधिेशन की अध्यक्षता की एिों सरकारी
नमक कारखाना “धरसाना सॉल्ट िका” से सत्याग्रह का नेतृत्व पकया।
सरोनििी िायडू • िूणाता पहों सक आों दोलन में सपक्रय अन्य नेता थे ; गाों धीजी के दपक्षणी अफ्ीकी सोंघषा में
उनके पनकट सहयोगी इमाम साहब एिों गाों धी जी के िुत्र मपणलाल।
• सूया सेन के पचत्तगाों ि पिद्रोह समूह द्वारा दो शासकीय शस्त्रागार िर छािा मारा गया ि
स्वतोंत्र प्राों तीय सरकार की घोषणा की गई।
सूयत सेि • इन्ोोंने भारतीय गणराि सेना के नाम से घोषणा ित्र जारी पकया ि भारतीयोों को अोंग्रेजी
हुकूमत के क्तखलाफ पिद्रोह का आह्वान पकया।
• यह मुोंबई में राष्टरिादी मुक्तिमोों के अग्रणी नेता थे पजन्ोोंने आों दोलन के दौरान गाों धी की
अब्बास तैय्यबिी पगरफ्तारी के बाद उनका स्थान पलया ि आों दोलन सोंभाला।
• हालाों पक, सरकार द्वारा इन्ें भी पगरफ्तार कर पलया गया।
अोंबालाल साराभाई किुरभाइा • इनके द्वारा काों ग्रेस और मुोंबई पमल मापलकोों ि उद्योगिपतयोों के मध्य गपतरोध समाप्त
लखाई करने हे तु मोतीलाल नेहरू के प्रयासोों को िूणा समथान पदया गया।
चोंद्रप्रभा सैपकयानी • इन्ोोंने असम के कचारी ग्रामीण िापसयोों को िन कानून के उल्लोंघन हे तु प्रेररत पकया।
• सपिनय अिज्ञा के सोंचालन हे तु काों ग्रेस के बोंगाल गुट के रूि में प्रपतद्वों दी सोंगठन की
सुभाष चोंद्र बोस ि जे एम स्थािना की गई। मई 1933 में आों दोलन को िािस पलए जाने िर सुभाष चोंद्र बोस द्वारा
सेनगुप्ता गाों धी की पनोंदा की गई, पजसका पिट्ठल भाई िटे ल द्वारा समथान पकया गया।

सोंपत एिों सुनीपत चौधरी • इन्ोोंने पतिरा के पजला अपधकारी स्टीिन की हत्या की थी। इनकी यह कायािाही
क्राों पतकारी आों दोलन में मपहला सहभापगता का प्रिेश पबोंदु था।
• एक मुक्तिम स्नातक पजसने 31 जुलाई 1931 को आों दोलन प्रारों भ कर श्रीनगर जेल िर
शेख अब्दु ल्ला आक्रमण पकया पजसमें िुपलस फायररों ग के दौरान 21 लोग मारे गए। ये िी. एन. बजाज के
नेतृत्व िाले “जम्मू पहों दू पनरों कुशता पिरोधी समूह” के साथ भी सपक्रय रूि से जुड़े थे।
• ये िोंजाब से मुक्तिम नेता थे, पजन्ोोंने महाराजा जयपसोंह सिई द्वारा लगान िृक्तद्ध, बेगार ि
मोहम्मद यासीन खान जोंगल में पशकार के प्रपतबोंध के क्तखलाफ पिद्रोह हे तु “पमयााँ” (जो पक इिाम को मानने
िाला अधा-जनजातीय काश्तकार समुदाय है )को सोंगपठत पकया।
के एम अशरफ • ये सपिनय अिज्ञा आों दोलन से जुड़ने िाले भारत के प्रथम साम्यिादी इपतहासकार थे।
िोंनडत मदि मोहि माििीय • ये 1920 तक गाों धीिादी नीपतयोों के प्रमुख प्रिताक थे पकोंतु गाों धी द्वारा हररजन आों दोलन
प्रारों भ करने के उिराों त काों ग्रेस से िृथक हो गए। ये काों ग्रेस राष्टरिादी दल से अलग हो
गए।
सत्यमूपता, भूलाभाई दे साई, एमए • इन्ोोंने स्वराज िाटी के िुनगाठन के द्वारा चुनािी राजनीपत में प्रिेश की माों ग की।
अोंसारी, बी सी रॉय
जयप्रकाश नारायण, अच्युत • इनका मानना था पक काों ग्रेस का िामिोंथ के साथ गठजोड़/सोंबोंध होना चापहए।
िटिधान, युसूफ मेहरबानी,
अशोक मेहता, मीनू मसानी
सोंिूणाा नोंद • इन्ोोंने प्रयोगात्मक िर िर भारत के पलए समाजिादी कायाक्रम बनाया एिों 1934 में

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

“काों ग्रेस समाजिादी दल” का शुभारों भ पकया, पजसे नरें द्र दे ि का समथान प्राप्त था।
एन िी गाडपगल • अिने समाजिादी पिचारोों के प्रपत झुकाि के कारण 1929 के मोंपदर प्रिेश आों दोलन का
इनके द्वारा समथान पकया गया एिों इन्ोोंने िूना के केशि राि जाधे के नेतृत्व में सोंचापलत
गैर-ब्राह्मण सत्यशोधक समाज से सोंबोंध बढ़ाएों ।
बी आर अोंबेडकर • अस्पृश्य महार जापत के नेता पजन्ोोंने 1930 की गोलमेज सम्मेलन में भाग पलया। हालाों पक
काों ग्रेस ,महारो के राजनीपतक आों दोलन िर जीत हापसल करने में असफल हुई।
गोिाबोंधु चौधरी • आों दोलन को उड़ीसा में लोक प्रपसद्ध पकया एिों बालासोर कटक एिों िूरी पजलोों के तटीय
क्षेत्रोों में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व पकया।
जदु नोंदन शमाा • इन्ोोंने पबहार के गया पजले में पकसान सभा आों दोलन को प्रारों भ पकया।
दु ग्गीरािा बािाराम कृष्णा • इन्ोोंने 1931 में तटीय आों ध्र प्रदे श के कृष्णा पजले में लगान-पिरोधी आों दोलन प्रारों भ पकया
एिों तेलुगु भाषी गाथागीत “गाोंधी गीता” की रचना की जो राष्टरिादी भािनाओों को बढ़ाने में
सहायक थी।
मौलाना भसानी • इन्ोोंने पसराजगोंज में िृहत िर िर प्रजा सम्मेलन का आयोजन पकया एिों जमीदारी प्रथा
के उन्मूलन ि ऋण में कमी की माों ग की।
एम एि रॉय • . एमएन रॉय एिों उनके अनुयापययोों द्वारा समाजिादी पिचारोों का ग्रामीण क्षेत्रोों में प्रचार
पकया एिों अिध क्षेत्र में कर ना अदायगी आों दोलन प्रारों भ पकया था ।

भारत िोड़ो आों दोिि

एम के गाोंधी • पक्रप्स पमशन की असफलता के बाद अों ग्रेजोों को भारत छोड़ने िर पििश करने की एक
दमदार योजना बनाई गई।
• मुोंबई के ग्वापलया टैं क में ऐपतहापसक अगि बैठक में गाों धी द्वारा “करो या मरो” मोंत्र की
उद् घोषणा की गई। 9 अगि 1942 को इन्ें पगरफ्तार कर पलया गया।
• आों दोलन में शापमल भारतीयोों के क्तखलाफ सरकार की कायािाही के पिरोध में फरिरी
1943 को गाों धी जी द्वारा 21 पदन का उििास रखा गया।
जयप्रकाश नारायण • . यह काों ग्रेस समाजिादी दल के सदस्य थे एिों इन्ोोंने आों दोलन में महत्विूणा भूपमका
पनभाई।
राम मनोहर लोपहया, अरुणा • ये सभी भारत छोड़ो आों दोलन के समथान में भूपमगत आों दोलन एिों क्राों पतकारी गपतपिपधयोों
आसफ अली, सुचेता कृिलानी, में सपक्रय रुि से शापमल थे।
छोटू भाई िुरापणक, बीजू
िटनायक आरिी गोयनका और
अच्युत िटिधान
पचत्तू िाों डे • स्वयों को गाों धीिादी कहने िाले पचत्तू िाों डे ने अगि 1942 में िूिी उत्तर प्रदे श के बपलया
पजले के सभी 10 िुपलस स्टे शन िर कब्जा कर पलया एिों समानाों तर सरकार की स्थािना
की गई।
उषा मेहता • इनके द्वारा आों दोलन का सपक्रय रूि से समथान पकया गया एिों काों ग्रेस रे पडयो के सोंचालन
से सोंबोंपधत दल की यह एक प्रमुख सदस्य थी।
जिाहरलाल नेहरू • प्रारों भ में इनके द्वारा गाों धी की योजना का पिरोध करने िाले कट्टर-उदारिादी समूह का
समथान पकया गया पकोंतु कालाों तर में इन्ोोंने 8 अगि 1942 के भारत छोड़ो प्रिाि का
समथान पकया।
सुमपत मोरारजी • इन्ोोंने अच्युत िटिधान की भूपमगत गपतपिपधयोों में सहायता प्रदान की। कालाों तर में यह
भारत की अग्रणी मपहला उद्योगिपत बनी।
रासपबहारी बोस • . एक क्राों पतकारी कायाकताा , जो जून 1942 को इों पडयन इों पडिेंडेंस लीग (माचा 1942 में
स्थापित) के अध्यक्ष चुने गए। . ये जािान में 1915 से िलायक/भगोड़े /पनिाा पसत के रूि
में रह रहे थे।
• इन्ोोंने पब्रपटश औिपनिेपशक साम्राि के क्तखलाफ सशस्त्र पिद्रोह हे तु जािान के द्वारा
घोपषत युद्ध बोंदी ( दपक्षण िूिी एपशया में अोंग्रेजोों के हारने के बाद) अथाा त भारतीय सैपनकोों
को जुटाया।
कैप्टन मोहन पसोंह • अोंग्रेजोों की ओर से लड़ने िाले भारतीय सैपनकोों को जािान ने युद्धबोंदी के रूि में माना।
• एक जािानी सैन्य अपधकारी द्वारा इन्ें भारतीय स्वतोंत्रता के पलए जािान के साथ पमलकर
काया करने हे तु आश्वि पकया गया। . इन्हें इों नडयि िेििि आमी का कमाोंडर नियुि

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

नकया गया।
सुभाष चोंद्र बोस • ये 1946 में इों पडयन नेशनल आमी में शापमल हुए। इनका लोक प्रपसद्ध कथन था- “तुम
मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दू ों गा”।
• सुभाष चोंद्र बोस के नेतृत्व में आइ. एन. ए. ने स्वतोंत्रता सोंग्राम में महत्विूणा भूपमका पनभाई।
सी राजगोिालाचारी और • ये दोनोों कट्टर-उदारिादी थे, जो स्वतोंत्रता प्राक्तप्त के ििात जनमत सोंग्रह के माध्यम से
भूलाभाई दे साई मुक्तिम बहुसोंख्यक प्राों तोों को मान्यता दे ने के िक्ष में थे।
• इन्ोोंने जुलाई 1942 को ए. आई. सी. सी. से त्यागित्र दे पदया।
के जी मशरूिाला • इन्ोोंने महादे ि दे साई की पगरफ्तारी के बाद लोगोों में राष्टरिादी भािना जागृत करने हे तु
हररजन में दो उग्रिादी लेख पलखें।
सतीश सामोंत • एक स्थानीय काों ग्रेसी नेता एिों तामलुक जातीय सरकार के प्रथम सबाा पधनायक पजन्ोोंने
पमदनािुर के तामलुक सब पडपिजन में पिद्रोही राष्टरीय सरकार की स्थािना में सहायता
की।
नाना िापटल • . सतारा में पिद्रोपहयोों के नेतृत्वकताा ।

निद्याथी के निए नटप्पणी

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

23. गिना र जनरल: योगदान तथा महत्त्व

गिितर ििरि उिके िासिकाि के दौराि उिका योगदाि/महत्व

• 1773 का पिपनयमन अपधपनयम।


• 1781 का अपधपनयम, पजसके तहत कलकत्ता में गिनार-जनरल-इन-काउों पसल और
सुप्रीम कोटा के बीच अपधकार क्षेत्र की शक्तियोों को स्पष्ट रूि से पिभापजत पकया गया
िारे ि हे क्तस्टोंग्स था।
1773-1785
• पिट् स इों पडया अपधपनयम 1784
• 1774 का रोपहल्ला युद्ध।
• 1775-82 में प्रथम मराठा युद्ध और 1782 में सालबाई की सोंपध।
• 1780-84 में पद्वतीय मैसूर युद्ध।
• बनारस के महाराजा चैत पसोंह के साथ तनाििूणा सोंबोंध, पजसके कारण इों ग्लैंड में हे क्तस्टोंग्स
का महापभयोग चला।
• बोंगाल की एपशयापटक सोसायटी की स्थािना (1784)।
• तृतीय मैसूर युद्ध (1790-92) और श्रीरों गिट्टम की सोंपध (1792)।
• कॉपनािापलस कोड (1793) - न्यापयक सुधार, और राजस्व प्रशासन और नागररक
िॉडत कॉितिानिस अपधकार क्षेत्र का िृथक्करण ।
1786-1793 • बोंगाल की स्थाई बोंदोबि व्यिस्था 1793।
• प्रशासपनक मशीनरी का यूरोिीयकरण और नागररक सेिाओों की शुरूआत।
सर िॉि िोर • 1793 का चाटा र एक्ट्।
1793-1798 • पनज़ाम और मराठोों (1795) के बीच खारदा की लड़ाई।
• सहायक सोंपध प्रणाली (1798) का िररचय; है दराबाद के पनज़ाम के साथ प्रथम सोंपध।
• चौथा मैसूर युद्ध (1799)।
िॉडत िेिेििी • पद्वतीय मराठा युद्ध (1803-05)।
1798-1805 • तोंजौर (1799), सूरत (1800) और कनाा टक (1801) के प्रशासन को सोंभाला।
• बसीन की सोंपध (1802)।
सर िॉित बेिो • िेल्लोर पिद्रोह (1806)।
1805-1807
िॉडत नमोंटो I • (1809) रणजीत पसोंह के साथ अमृतसर की सोंपध
1807-1813
• एों ग्लो-नेिाल युद्ध (1814-16) और सागौली की सोंपध, 1816।
• तीसरा मराठा युद्ध (1817-19) और मराठा िररसोंघ का पिघटन; बॉिे प्रेसीडें सी का
िॉडत हे क्तस्टोंग्स पनमाा ण (1818)।
1813-1823 • पिोंडाररयोों के साथ सोंघषा (1817-1818)।
• पसोंपधया (1817) के साथ सोंपध।
• मद्रास के गिनार (1820) थॉमस मुनरो द्वारा रै यतिाड़ी प्रणाली की स्थािना।
िॉडत एमहस्टत • प्रथम बमाा युद्ध (1824-1826)
1823-1828 • छतरिुर का अपधग्रहण 1826

• सती और अन्य क्रूर प्रथाओों का उन्मूलन (1829)।


िॉडत निनियम बेंनटक 1828- • ठगी का दमन (1830)।
1835 • 1833 का चाटा र एक्ट्।
• 1835 का सोंकल्प, और शैपक्षक सुधार और आपधकाररक भाषा के रूि में अोंग्रेजी की
शुरूआत।
• मैसूर (1831), कूगा (1834) और केंद्रीय कछार (1834) का अपधग्रहण
• रणजीत पसोंह के साथ 'स्थायी पमत्रता' की सोंपध।
• कॉपनािापलस द्वारा स्थापित अिील और सपकाट के प्राों तीय न्यायालयोों का उन्मूलन, राजस्व
और सपकाट के आयुिोों की पनयुक्ति।

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

िॉडत मेटकाफ • भारत में प्रेस िर प्रपतबोंधोों को हटाने िाला नया प्रेस कानून।
1835-1836
िॉडत ऑकिैंड • प्रथम अफगान युद्ध (1838-42)
1836-1842 • रणजीत पसोंह की मृत्यु (1839)
िॉडत एििबरो • पसोंध का अपधग्रहण (1843)।
1842-1844 • ग्वापलयर के साथ युद्ध (1843)।
िॉडत हानडिं ग I • प्रथम आों ग्ल-पसख युद्ध (1845-46) और लाहौर की सोंपध (1846)।
1844-1848 • कन्या भ्रूण हत्या और मानि बपल को समाप्त करने हे तु सामापजक सुधार।

• पद्वतीय आों ग्ल-पसख युद्ध (1848-49) और िोंजाब का पिलोिन (1849)।


• लोअर बमाा या िेगु (1852) का अपधग्रहण।
• सतरा (1848), जैतिुर और सोंभलिुर (1849), उदयिुर (1852), झाों सी (1853), नागिुर
(1854) और अिध (1856) का व्यिगत के पसद्धाों त(doctrine of lapse) द्वारा अपधग्रहण।
• 1854 के "िुड्स (चार्ल्ा िुड, कोंटर ोल ऑफ बोडा ऑफ कोंटर ोल के अध्यक्ष) का शैपक्षक
पडस्पैच" और एों ग्लो-िनाा क्यूलर स्कूल और सरकारी कॉलेज खोलना।
िॉडत डिहौिी • 1853 का रे लिे पिद्रोह और 1853 में बॉिे और थाने को जोड़ने िाली िहली रे लिे लाइन
1848-1856 पबछाना।
• टे लीग्राफ (कलकत्ता को बॉिे, मद्रास और िेशािर से जोड़ने के पलए 4000 मील की
टे लीग्राफ लाइनोों) और डाक (डाकघर अपधपनयम, 1854) में सुधार।
• गोंगा नहर को खुली नहर(open canal) घोपषत पकया गया (1854); हर प्राों त में अलग-
अलग लोक पनमाा ण पिभाग की स्थािना।
• पिधिा िुनपिािाह अपधपनयम (1856)।
िॉडत कैनिोंग • 1857 में कलकत्ता, मद्रास और बॉिे में तीन पिश्वपिद्यालयोों की स्थािना।
1856-1857 • 1857 का पिद्रोह।

िायसराय

• भारत सरकार अपधपनयम, 1858 -इों पडया कोंिनी से पब्रपटश शासन, को सत्ता हिाों तरण।
िॉडत कैनिोंग • 1859 में यूरोिीय सैपनकोों द्वारा श्वेत पिद्रोह ’।
1858-1862 • भारतीय िररषद अपधपनयम 1861।
िॉडत एिनगि I • िहाबी आों दोलन
1862-1863
ढू ों ढ िॉि िॉरें स • भूटान युद्ध (1865)
1864-1869 • कलकत्ता, बॉिे और मद्रास (1865) में उच्च न्यायालयोों की स्थािना।
• भारतीय राजकुमारोों के राजनीपतक प्रपशक्षण के पलए कापठयािाड़ में राजकोट कॉलेज
और अजमेर में मेयो कॉलेज का उद् घाटन।
िॉडत मेयो • भारतीय साों क्तख्यकी सिेक्षण की स्थािना।
1869-1872 • कृपष और िापणि पिभाग की स्थािना।
• राि रे लिे की शुरुआत।

िॉडत िॉथतब्रुक • 1875 में पप्रोंस ऑफ िेर्ल् का भारत दौरा।


1872-1876 • बड़ौदा के गायकिाड़ के क्तखलाफ मुकदमा ।
• िोंजाब में कूका आों दोलन।
• मद्रास, बोंबई, मैसूर, है दराबाद, मध्य भारत और िोंजाब के कुछ पहस्ोों को प्रभापित करने
िाला 1876-78 का अकाल; ररचडा स्टर े ची (1878) की अध्यक्षता में अकाल आयोग की
िॉडत निटि पनयुक्ति।
1876-1880 • रॉयल टाइटल एक्ट् (1876), क्वीन पिक्ट्ोररया ने 'कैसर-ए-पहों द' या भारत की महारानी
की उिापध धारण की।
• िनाा क्युलर प्रेस एक्ट् (1878)।
• आम्सा एक्ट् (1878)।
• दू सरा अफगान युद्ध (1878-80)।
• िनाा कुलर प्रेस एक्ट् (1882) का पनरसन।

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• श्रम क्तस्थपतयोों में सुधार करने के पलए प्रथम फैक्ट्र ी अपधपनयम (1881)।
• पित्तीय पिकेंद्रीकरण कुछ और समय के पलए लागू रहने पदया गया ।
िॉडत ररिि • स्थानीय स्वशासन िर सरकारी प्रिाि (1882) - ररिन को "स्थानीय स्वशासन के पिता"
1880-1884 के रूि में जाना जाता है ।
• सर पिपलयम हों टर (1882) की अध्यक्षता में पशक्षा आयोग की पनयुक्ति।
• इलबटा पबल पििाद (1883-84)।
• मैसूर के प्रपत पकए गए अन्याय को समाप्त करने की भािना से मैसूर के स्वगािासी राजा
के दत्तक िुत्र को मैसूर िुनः लौटाकर अिनी उदारता का िररचय पदया।
िॉडत डफररि • तीसरा बमाा युद्ध (1885-86)।
1884-1888 • भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस की स्थािना।
• कारखाना अपधपनयम (1891)।
• नागररक सेिाओों को शाही, प्राों तीय और अधीनस्थ में िगीकृत करना।
िोड िैंसडाउि • भारतीय िररषद अपधपनयम (1892)।
1888-1894 • भारत और अफगापनिान के बीच (अब िापकिान और अफगापनिान के बीच डूरों ड
लाइन को िररभापषत करने के पलए डूरों ड आयोग की स्थािना) (रे खा का एक छोटा पहस्ा
िापकिान के कब्जे िाले कश्मीर में भारत को छूता है )।
िॉडत एिनगि II • चािेकर बोंधुओों (1897) द्वारा दो पब्रपटश अपधकाररयोों की हत्या।
1894-1899
• िुपलस प्रशासन की समीक्षा करने के पलए सर एों डर यू फ्ेजर के तहत िुपलस आयोग
(1902) की पनयुक्ति।
• पिश्वपिद्यालय आयोग (1902) और भारतीय पिश्वपिद्यालयोों अपधपनयम (1904) को िाररत
करना।
िॉडत किति
• िापणि और उद्योग पिभाग की स्थािना।
1899-1905
• कलकत्ता पनगम अपधपनयम (1899)।
• प्राचीन स्मारक सोंरक्षण अपधपनयम (1904)।
• बोंगाल का पिभाजन (1905)।
• कजान-पकचनर पििाद।
• यन्हगहसबैंड का पतब्बत पमशन (1904)।
िॉडत नमोंटो II • पिभाजन और स्वदे शी आों दोलन की लोकपप्रयता।
1905-1910 • सूरत में 1907 के िापषाक सत्र में काोंग्रेस में पिभाजन।
• आगा खान (1906) द्वारा मुक्तिम लीग की स्थािना।
• 1911 में बोंगाल प्रेसीडें सी (बॉिे और मद्रास की तरह) का पनमाा ण।
िॉडत हानडिं ग II • कलकत्ता से पदल्ली (1911), राजधानी स्थानाों तरण।
1910-1916 • मदन मोहन मालिीय द्वारा पहों दू महासभा (1915) की स्थािना।
• पदल्ली (1911) में आयोपजत पकोंग जॉजा िोंचम का रािापभषेक दरबार।
• एनी बेसेंट और पतलक (1916) द्वारा होम रूल लीग का गठन।
• काों ग्रेस का लखनऊ अपधिेशन (1916)।
• काों ग्रेस और मुक्तिम लीग (1916) के बीच लखनऊ समझौता।
• गाों धी की िािसी के बाद साबरमती आश्रम की स्थािना (1916); चोंिारण सत्याग्रह
(1916), खेड़ा सत्याग्रह (1918), और अहमदाबाद में सत्याग्रह (1918) का शुभारों भ।
िॉडत चेम्सफोडत • मोोंटेग्यू की अगि घोषणा (1917)
1916-1921 • भारत सरकार अपधपनयम (1919)।
• रौलेट एक्ट् (1919)।
• जपलयाों िाला बाग हत्याकाों ड (1919)।
• असहयोग और क्तखलाफत आों दोलन की शुरूआत।
• िूना में मपहला पिश्वपिद्यालय की स्थािना (1916) और शैपक्षक नीपत में सुधार के पलए
सल्डलर आयोग (1917) की पनयुक्ति।
• पतलक की मृत्यु (1 अगि, 1920)।
• पबहार के गिनार के रूि में एस.िी. पसन्ा की पनयुक्ति (गिनार बनने िाले िहले भारतीय)।
• चौरी चौरा की घटना (5 फरिरी, 1922) और असहयोग आों दोलन की िािसी।
• केरल में मोिला पिद्रोह (1921)।

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• 1910 के प्रेस एक्ट् को रद्द करना और 1919 का रौलट एक्ट्।


• आिरापधक कानून सोंशोधन अपधपनयम और किास उत्पाद शुि का उन्मूलन।
िाडत रीनडों ग • मुल्तान, अमृतसर, पदल्ली, अलीगढ़, और कलकत्ता में साों प्रदापयक दों गे।
1921-1926 • काकोरी टर े न डकैती (1925)।
• स्वामी श्रद्धानोंद की हत्या (1926)।
• सी आर दास और मोतीलाल नेहरू (1922) द्वारा स्वराज िाटी की स्थािना।
• पदल्ली और लोंदन दोनोों में आईसीएस के पलए एक साथ िरीक्षा आयोपजत करने का
पनणाय 1923 से प्रभािी।
• साइमन कमीशन(1928) का भारतीय दौरा और भारतीयोों द्वारा आयोग का बपहष्कार।
• भारत के भािी सोंपिधान के सुझािोों के पलए लखनऊ (1928) में एक अक्तखल-िाटी
सम्मेलन आयोपजत पकया गया , पजसकी ररिोटा को नेहरू ररिोटा या नेहरू सोंपिधान कहा
जाता था।
• हारकोटा बटलर भारतीय राि आयोग (1927) की पनयुक्ति।
• लाहौर के सहायक िुपलस अधीक्षक, सॉन्डसा की हत्या, पदल्ली के असेिली हॉल में बम
िाडत इरनिि पिस्फोट (1929); लाहौर षड़योंत्र केस और जपतन दास की मौत के बाद लोंबे समय तक
भूख हड़ताल (1929), और पदल्ली में टर े न बम दु घाटना (1929)।
1926-1931 • काों ग्रेस का लाहौर अपधिेशन (1929); िूणा स्वराज सोंकल्प।
• सपिनय अिज्ञा आों दोलन शुरू करने के पलए गाों धी द्वारा दाों डी माचा (12 माचा, 1930)।
• लॉडा इरपिन (1929) द्वारा 'दीिािली घोषणा'।
• प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930) का बपहष्कार।
• गाों धी-इरपिन िैक्ट् (1931), सपिनय अिज्ञा आों दोलन का पनलोंबन।
• पद्वतीय गोलमेज सम्मेलन (1931) और सम्मेलन की पिफलता, सपिनय अिज्ञा आों दोलन
को पफर से शुरू पकया गया।
• कम्युनल अिाडा की घोषणा (1932) पजसके तहत अलग-अलग साों प्रदापयक पनिाा चन क्षेत्र
स्थापित पकए गए थे।
• यरिदा जेल में गाों धीजी का िूना सोंपध के समाप्त होने तक आमरण अनशन
िाडत निनिोंगडि
1931-1936 • तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932)।
• व्यक्तिगत सपिनय अिज्ञा सत्याग्रह का शुभारों भ (1933)।
• 1935 का भारत सरकार अपधपनयम।
• आचाया नरें द्र दे ि और जयप्रकाश नारायण (1934) द्वारा अक्तखल भारतीय पकसान सभा
(1936) और काों ग्रेस सोशपलस्ट िाटी की स्थािना।
• बमाा ,भारत (1935) से अलग हो गया।
• प्रथम आम चुनाि (1936-37); काों ग्रेस को िूणा बहुमत पमला।
• पद्वतीय पिश्व युद्ध (1939) के कारण काों ग्रेस मोंत्रालयोों का इिीफा।
• सुभाष चोंद्र बोस काों ग्रेस के िचासिें सत्र (1938) में काों ग्रेस के अध्यक्ष के रूि में चुने गए।
• 1939 में बोस का इिीफा और फॉरिडा ब्लॉक (1939) का गठन।
• मुक्तिम लीग द्वारा लाहौर सोंकल्प (माचा 1940), मुसलमानोों के पलए अलग राि की मााँ ग।
िाडत नििनिथगो • िायसराय द्वारा अगि प्रिाि '(1940); काों ग्रेस द्वारा इसकी आलोचना और मुक्तिम
1936-1944 लीग द्वारा समथान।
• पिोंस्टन चपचाल, इों ग्लैंड के प्रधानमोंत्री चुने गए (1940)।
• सुभाष चोंद्र बोस का भारत से िलायन (1941) और इों पडयन नेशनल आमी का सोंगठन।
• पक्रप्स पमशन - भारत को डोपमपनयन राि का दजाा दे ने और सोंपिधान सभा की स्थािना
की योजना का प्रिाि; काों ग्रेस द्वारा इसकी अस्वीकृपत।
• काों ग्रेस द्वारा 'भारत छोड़ो सोंकल्प' िाररत (1942); अगि क्राों पत ’का प्रकोि या राष्टरीय
नेताओों की पगरफ्तारी के बाद 1942 का पिद्रोह।
• मुक्तिम लीग के कराची सत्र (1944) में 'पडिाइड एों ड क्तक्वट' का नारा।
• सी राजगोिालाचारी की सीआर फॉमूाला (1944), गाों धी - पजन्ना िाताा की असफलता
(1944)।
• िेिेल योजना और पशमला सम्मेलन (1942)।
• पद्वतीय पिश्व युद्ध का अोंत (1945)।
िाडत िेिि
• कैपबनेट पमशन (1946) का प्रिाि और काों ग्रेस द्वारा इसकी स्वीकृपत।
1944-1947

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उड़ान: त्वरित औि विस्तृत पुनिीक्षण श्ृृंखला आधुनिक भारत का इनतहास

• मुक्तिम लीग द्वारा 'डायरे क्ट् एक्शन डे ' (16 अगि, 1948) का िालन।
• सोंपिधान सभा के चुनाि, काों ग्रेस द्वारा अोंतररम सरकार का गठन (पसतोंबर 1946)।
• 20 फरिरी, 1947 को क्लीमेंट एटली (इों ग्लैंड के प्रधान मोंत्री) द्वारा भारत में पब्रपटश शासन
के अोंत की घोषणा।
• तीन जून योजना (3 जून, 1947) की घोषणा।
Lord Mountbatten • हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय स्वतोंत्रता पिधेयक का प्रिाि।
1947-1948 • बोंगाल और िोंजाब के पिभाजन के पलए सर पसररल रे डक्तक्लफ के तहत दो सीमा आयोगोों
की पनयुक्ति।

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