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प्राचीन भारत का इततहास

PSC ACADEMY

ANCIENT HISTORY OF INDIA


By RAKESH SAO

As per New Syllabus…

CGPSC PRE + MAINS


PAPER – 3 UNIT – 1

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RAIPUR - GOL CHOWK , NEAR NIT RAIPUR
BILASPUR - GANDHI CHOWK , CONTACT – 7000064155 , 9827112187 Prepared By RAKESH SAO
प्राचीन भारत का इततहास

2nd Edition 2019


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तसिंधुघाटी सभ्यता
• स िंधुघाटी भ्यता ( 2300 BC – 1750 BC )
• भारतीय पुरातासविक एििं िेक्षण सिभाग ( 1956 )
• स िंधु घाटी भ्यता का काल सिधाा रण
• महविपण ू ा तथ्य
• स िंधु घाटी भ्यता का भौगोसलक सिस्तार
• स िंधु घाटी भ्यता कालीि प्रमुख िगर
• स िंधु घाटी भ्यता के प्रमुख खोज
• प्रमुख खोज का सििरण
• स न्धुघाटी भ्यता की सित्राक्षर सलसप
• स न्धुघाटी भ्यता के पति का कारण
• स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल
• िगर सियोजि पद्धसत
• ामासजक जीिि
• आसथा क जीिि ( अथा व्यिस्था )
• धासमा क जीिि
• टेराकोटा सिगररि ( मण्ृ मुसता काएिं )
• मदृ भािंड )समट्टी का बता ि (
• स िंधु घाटी भ्यता ि िैसदक भ्यता में अिंतर
• हड़प्पा कालीि धातु
• महविपण ू ा िस्तुसिष्ठ प्रश्नोत्तर
• मुख्य परीक्षा आधाररत महविपण ू ा प्रश्नोत्तर

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तसिंधु घाटी सभ्यता ( 2300 BC – 1750 BC )

तसन्धुघाटी सभ्यता
2300 BC – 1750 BC

तसन्धुघाटी सभ्यता हड़प्पा सभ्यता ताम्र – कािंस्य युगीन सभ्यता

आरिं सभक उवखिि तसन्धु 1921 ई. दयाराम साहनी आध ऐततहातसक काल


नदी के आ -पा हु यी द्वारा में इ भ्यता की िा प्रथम मिुष्य द्वारा
इ सलए इ े मार्ा ल द्वारा खोज िा प्रथम हड़प्पा में औजारों के सलए सज धातु
तसन्धुघाटी सभ्यता कहा हु ई , इ सलए इ े हड़प्पा का प्रयोग हु आ – तािंबा
गया | सभ्यता कहा जाता है |

तसिंधघ
ु ाटी सभ्यता का नामकरण
क्र. नामकरण तििरण
▪ आरिं सभक उवखिि तसिंधु नदी के आ – पा हु यी इ सलए इ े सर जॉन मार्शल द्वारा तसिंधुघाटी
1 तसिंधुघाटी सभ्यता सभ्यता कहा गया |
▪ हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी - सर जॉन मार्शल
[RAS/RTS PRE 1997]
▪ प्रमुख उवखिि सरस्िती नदी के आ – पा हु यी इ सलए इ े तसिंधु – सरस्िती सभ्यता
2 तसिंधु सरस्िती सभ्यता भी कहते है |
▪ आधुसिक खोज के आधार पर रस्िती िदी का िता माि िाम - घग्घर नदी
▪ 1921 ई. -इ भ्यता की खोज िा प्रथम हड़प्पा में हु ई , इ सलए इ े हड़प्पा सभ्यता कहा
3 हड़प्पा सभ्यता जाता है |
▪ खोजकताा - दयाराम साहनी
▪ िा प्रथम मिुष्य द्वारा औजारों के सलए सज धातु का प्रयोग हु आ – तािंबा ( 5000 ई.पू. )
4 ताम्र युगीन सभ्यता
▪ उदाहरण - तािंबे के बाण ( बिािली ) , तािंबे का रथ ( दैमाबाद ) [CGPSC PRE 2012]
▪ स धिं ु िास यों िे प्रथम बार तािंबे तथा टीि को समलाकर कािं ा तैयार सकया | अत: इ े कािंस्य युगीि
5 कािंस्य युगीन सभ्यता भ्यता कहा जाता है |
▪ उदाहरण - कािंस्य िता की ( मोहिजोदड़ो ) , कािंस्य दपा ण ( हड़प्पा ) , कािंस्य का रथ ( हड़प्पा )
▪ भारत में िगरों का उदय इ ी भ्यता में हु आ इ सलए इ े प्रथम नगरीय सभ्यता भी कहते है |
6 प्रथम नगरीय क्रािंतत
▪ उदाहरण - मकोण पर काटती ड़क , आधुसिक िास्तुकला
▪ स धिं ु घाटी भ्यता एक िगरीय भ्यता थी जबसक आया भ्यता ( िैसदक भ्यता ) एक ग्रामीण
7 गैर – आयश सभ्यता
भ्यता थी | [UPPSC GIC 2010]

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भारतीय परु ातातत्िक एििं सिेक्षण तिभाग ( 1956 )


चार्लसश मेसन ( 1826 ) : हड़प्पा
• 1826 - िा प्रथम िार्ल ा मे ि िे हड़प्पा िामक स्थल पर एक प्रािीि भ्यता के अिर्ेष समलिे के प्रमाण की पुसि की थी |

भारतीय परु ातत्ि एििं सिेक्षण तिभाग ( Archaeological Survey of India : ASI )
• स्थापिा - 1861 ( अलेक्जेंडर कसििंघम द्वारा )
• पुि: स्थापिा - 1901 ( लाडा कजा ि द्वारा असधसियसमत कर पुि: स्थापिा )
• पुि: स्थापिा - 1956 ( भारतीय िंसिधाि के अिुच्छे द 49 के तहत )
• मुख्यालय - िई सदर्लली
• काया - भारत में प्रागैसतहास क स्थलों को खोजिे तथा िंरक्षण
• िंस्थापक - अलेक्जेंडर कतनिंघम
• िाय राय - लाडश केतनिंग

भारतीय परु ातत्ि एििं सिेक्षण तिभाग का इततहास


िर्श स्थान तििरण व्यतित्ि िायसराय
एसर्यासटक ो ाइटी ऑफ़ बिंगाल
1784 कलकत्ता सिसलयम जोन् िारे ि हेसस्टिंग्
भारतीय पुरातवि के काया का प्रारिं भ
भारतीय पुरातवि िेक्षण सिभाग के जन्मदाता
1861 कलकत्ता
भारतीय पुरातवि िेक्षण सिभाग के प्रथम पुरातवि िेक्षणकत्ताा अलेक्जेंडर कसििंघम लाडा केसििंग
1871 कलकत्ता भारतीय पुरातवि िेक्षण सिभाग के प्रथम महासिदेर्क
1901 सदर्लली भारतीय पुरातवि सिभाग की स्थापिा का श्रेय लाडा कजा ि
लाडा कजा ि
1902 सदर्लली 1902 – 1928 तक भारतीय पुरातवि िेक्षण सिभाग के महासिदेर्क र जॉि मार्ा ल

जॉन मार्शल के अिंतगशत प्रमुख उत्खनन [RAS/RTS PRE 1997]

िर्श खोजकताश खोज स्थल


1921 रायबहादुर दयाराम ाहिी हड़प्पा
1922 राखालदा बिजी मोहिजोदड़ो

तितभन्न तकश
क्र. िर्श तिद्वान तकश
नगरीय सभ्यता ( र्हरी सभ्यता )
1 1826 िार्ल ा मे ि िा प्रथम िार्ल ा मे ि िे हड़प्पा िामक स्थल पर एक प्रािीि भ्यता के अिर्ेष
समलिे के प्रमाण की पुसि की थी |
कुर्ाण कालीन सभ्यता
2 1861 अलेक्जेंडर कसििंघम
( प्रथम पुरातविसिद जो इ के महत्त्ि को िहीं मझ पाया ) [UPPSC MAINS 2006]
नगरीय सभ्यता ( र्हरी सभ्यता )
3 1921 र जॉि मार्ा ल व्यिसस्थत उवखिि प्रारिं भ करिाया तथा इ े ुमेर , समस्र , िार ( इराि )
मे ोपोटासमया ( इराक ) , यूिाि की भ्यता के मकालीि िगरीय भ्यता बताया |

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तसिंधु घाटी सभ्यता का काल तनधाशरण


तितभन्न तिद्वानों द्वारा तसन्धघ
ु ाटी सभ्यता का काल तनधाशरण
क्र. तिद्वान काल
1 D.P. अग्रिाल ( काबशन - 14 ) 2300 - 1750 ई.पू.
2 जॉि मार्ा ल 3250 – 2750 ई.पू.
3 माधोस्िरुप िव 3500 – 2700 ई.पू.

रे तडयोकाबशन डेतटिंग C14


• रे सडयोकाबा ि डे सटिंग तकिीक के आधार पर हड़प्पा भ्यता का काल सिधाा रण - 2300 - 1750 ई.पू.
• िेतवृ ि - D.P. अग्रिाल

महत्िपूणश तथ्य
क्र. तथ्य तििरण
[UPPSC PRE 1996]
1 आद्य – ऐसतहास क काल स िंधु भ्यता आद्य – ऐसतहास क काल े िंबिंसधत है |
[BPSC PRE 1994]
प्रािीि मे ोपोटासमया ासहवय के अिु ार हड़प्पा भ्यता के
2 मेलुहा [CGPSC ADPPO 2017]
मेलुहा िामक स्थल के व्यापारी मे ोपोटासमया में सििा करते थे |
3 र जॉि मार्ा ल हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी
▪ तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी
4 हड़प्पा कालीि धातु
▪ लोहा े अपररसित थे |
हड़प्पा िंस्कृ सत की मुहरों ि टेराकोटा में अिंकि है :
5 मुहरें ि टेराकोटा ▪ भैं , गैंडा , हाथी , बाघ , सहरण , मछली , घसड़याल , भेड़
▪ गाय का अिंकन नही समलता है |

स न्धु घाटी भ्यता के


6 ुमेर , समस्र , िार ( इराि ) , मे ोपोटासमया ( इराक ) , यूिाि
मकालीि भ्यता
(1) मोहनजोदड़ो
7 हड़प्पा का ब े बड़ा िगर
(2) हड़प्पा
भारत का ब े बड़ा (1) राखीगढ़ी
8 [UPPSC MAINS 2004]
हड़प्पि िगर (2) धौलािीरा
हड़प्पा कालीि बिंदरगाह [CGPSC MAINS 2013]
9 ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि
( पत्ति िगर ) [UPPSC PRE 1999]

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तसिंधु घाटी सभ्यता का भौगोतलक तिस्तार


हड़प्पा के 4 भौगोतलक स्थल
क्र. भौगोतलक स्थल तजला नदी तस्थतत खोजतततथ खोजकताश साक्ष्य
3 िंस्कृ सत का समश्रण :
हड़प्पा भ्यता
जम्मू जगपसत जोर्ी प्राक – न्ै धि
1 मािंडा सििाब का िाा सधक 1982
( जम्मू-कश्मीर ) मधुबाला आध – न्ै धि
उत्तरी स्थल
उत्तर – न्ै धि
हड़प्पा भ्यता
मेरठ रोटी बेलिे की िौकी
2 आलमगीरपुर सहिंडि का िाा सधक 1958 यज्ञदत्त र्माा
( उत्तर प्रदेर् ) कटोरे के अिेक टु कड़े
पूिी स्थल
हड़प्पा भ्यता
अहमदिगर
3 दैमाबाद प्रिरा का िाा सधक 1958 B.P. बोपसदा कर तािंबे का रथ
( महाराष्र )
दसक्षणी स्थल
हड़प्पा भ्यता बिंदरगाह
मरकाि तट माका आरे ि स्टाइि
4 ुवकािंगेडोर दाश्क का िाा सधक 1927 तीि िंस्कृ सतयों के ाक्ष्य
( बलूसिस्ताि ) जॉजा डे र्ल
पसिमी स्थल बेबीलोि े व्यापार के ाक्ष्य

क्षेत्रफल तिस्तार
• हड़प्पा भ्यता का िता माि क्षेत्रिल - 15,02,097 िगा सक.मी.
• क्षेत्रफल तिस्तार
▪ पूिा े पसिम तक लम्बाई - 1600 सक.मी.
▪ उत्तर े दसक्षण तक लम्बाई - 1400 सक.मी.
• हड़प्पा भ्यता का क्षेत्रिल मकालीि समस्र की नील नदी घाटी तथा सुमरे रया ( इराक ) की सभ्यता े असधक है |

हड़प्पा सभ्यता के स्थलों की सिंख्या ( 1401 )


क्र. देर् हड़प्पा सभ्यता के स्थलों की सिंख्या
1 भारत 917
2 पासकस्ताि 481
3 अिगासिस्ताि 3

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तसिंधु घाटी सभ्यता कालीन प्रमुख नगर


क्र. नगर खोज िर्श खोजकर्त्ाश नदी तट स्थान
सजला – र्ासहिाल [UPPSC MAINS 2008]
1 हड़प्पा 1921 दयाराम ाहिी रािी
प्रािंत – पिंजाब ( पासकस्ताि ) [UPUDA/LDA 2010]
सजला – लरकािा
2 मोहिजोदड़ो 1922 राखलदा बिजी स िंधु [UPPSC GIC 2010]
प्रािंत – स िंध ( पासकस्ताि )
3 ुवकािंगेडोर 1927 माका ऑरे ल स्टाइि दाश्क मरकाि तट ( बलूसिस्ताि )
4 िन्हु दड़ो 1931 गोपाल मजुमदार स िंधु प्रािंत – स िंध ( पासकस्ताि ) [UPPSC GIC 2010]
5 कोटदीजी 1953 िजल अहमद स ध
िं ु प्रािंत – स िंध ( पासकस्ताि )
[UPUDA/LDA 2010]
6 रोपड़ 1953 यज्ञदत्त र्माा तलज सजला – रूपिगर ( पिंजाब )
[UPPSC PRE 1996]
अमलाििंद घोष
घग्घर [UPUDA/LDA 2010]
7 कालीबिंगा 1953 व्रजिा ी लाल सजला – हिुमािगढ़ ( राजस्थाि )
( रस्िती ) [UPPSC PRE 1996]
B.K. थापर
रिं गिाथ राि
8 रिं गपुर 1953 भादर सजला – कासठयािाड़ ( गुजरात ) [RAS/RTS PRE 1999]
माधि स्िरुप िव
भोगिा [UPUDA/LDA 2010]
9 लोथल 1955 रिं गिाथ राि सजला – अहमदाबाद ( गुजरात )
( ाबरमती ) [UPPSC PRE 1996]
सहिंडि [UPPSC PRE 1996]
10 आलमगीरपुर 1958 यज्ञदत्त र्माा सजला – मेरठ ( उत्तर प्रदेर् )
( यमुिा ) [UPUDA/LDA 2006]
प्रिरा [UPUDA/LDA 2006]
11 दैमाबाद 1958 B.P. बोपसदा कर सजला – अहमदिगर ( महाराष्र )
( गोदािरी ) [UPPSC PRE 1992]
12 ुरकोतड़ा 1964 जगपसत जोर्ी रस्िती सजला – कच्छ ( गुजरात ) [UPPSC MAINS 2003]
13 ुवकाकोह 1962 जॉजा डे र्ल र्ाही कौर पेररि ( बलूसिस्ताि )

14 मीताथल 1968 रू जभाि घग्गर सजला – सभिािी ( हररयाणा )


[UPUDA/LDA 2006]
15 राखीगढ़ी 1969 रू जभाि घग्गर सजला – सह ार ( हररयाणा )
[UPPSC PRE 1992]
[UPUDA/LDA 2006]
16 बिािली 1973 रिींद्र स िंह सिि घग्गर सजला – सह ार ( हररयाणा )
[UPPSC PRE 1992]
17 मािंडा 1982 जगपसत जोर्ी सििाब सजला – जम्मू ( जम्मू – कश्मीर ) [UPPSC PRE 1992]
18 धौलािीरा 1990 रिींद्र स िंह सिि लूिी सजला – कच्छ ( गुजरात ) [UPPSC MAINS 2003]

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हड़प्पा
• खोज - 1921 [MPPSC PRE 1990]
• खोजकताा - रायबहादूर दयाराम ाहिी [CGPSC PRE 2003][CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – र्ासहिाल , प्रािंत – पिंजाब ( पासकस्ताि ) [UPPSC PRE 1994]
• िदी - रािी [UPUDA/LDA MAIN 2010] [UPPSC MAINS 2008]
• भारतीय पुरातवि सिभाग के महासिदेर्क - सर जॉन मार्शल
• तिर्ेर् कािंस्य का इक्का गाड़ी
▪ हड़प्पा भ्यता का िा प्रथम उर्ललेख - चार्लसश मेसन ( 1826 )
▪ हड़प्पा भ्यता का ब े प्रािीि िगर [CGPSC SES 2017]
▪ हड़प्पा भ्यता की दू री राजधािी
▪ हड़प्पा भ्यता का दू रा बड़ा िगर
▪ हड़प्पा की खोज ब े पहले हु ई | इ सलए इ े हड़प्पा भ्यता भी कहते है |

मोहनजोदड़ो ( प्रेतों का टीला / दुगश टीला / स्तूप टीला )


• मोहिजोदड़ो का अथा - प्रेतों का टीला
• अन्य िाम - दुगा टीला / स्तूप टीला
• खोज - 1922
• खोजकताा - राखलदा बिजी [CGPSC PRE 2003][CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – लरकािा , प्रािंत – स िंध ( पासकस्ताि ) [UPPSC GIC 2010]
• िदी - स िंधु घोड़े की दािंत
• भारतीय पुरातवि सिभाग के महासिदेर्क - सर जॉन मार्शल
• तिर्ेर्
▪ हड़प्पा भ्यता की राजधािी
▪ हड़प्पा भ्यता का ब े बड़ा िगर
▪ इ े स िंध का बाग या नख्लीस्तान भी कहते है |
▪ पक्की ईिंटो का प्रयोग – 4 : 2 : 1
▪ सकले को दुगीकृत करने का साक्ष्य नहीं समलता है |
▪ प्रेतों का टीला - सक ी कतिस्तान का उर्ललेख नहीं है | सामूतहक नर किंकालों का उर्ललेख समला है |

चन्हुदड़ो
• खोज - 1931
• खोजकताा - गोपाल मजुमदार
• स्थाि - प्रान्त – स िंध ( पासकस्ताि ) [UPPSC GIC 2010]
• िदी - स िंधु
• तिर्ेर्
▪ औद्योसगक िगर प्रसाधन के साक्ष्य
▪ एकमात्र पुरास्थल जहािं े िक्राकर ई िंट समली है |

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रोपड़
• खोज - 1953
• खोजकताा - यज्ञदत्त र्माा
• स्थाि - सजला – रूपिगर ( पिंजाब ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - तलज [UPUDA/LDA 2010]
• प्रमुख खोज - कुत्ते का मासलक के ाथ दफ़िािे का ाक्ष्य

कालीबिंगा ( काले रिं ग की चूतड़यािं )


• मोहिजोदड़ो का अथा - काले रिं ग की चूतड़यााँ
• खोज - 1953
• खोजकताा - अमलाििंद घोष , व्रजिा ी लाल , B.K. थापर [CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – हिुमािगढ़ ( राजस्थाि ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - घग्गर ( प्रािीि िाम - रस्िती ) [UPUDA/LDA 2010]
• तिर्ेर् जूते हु ए खेत
▪ र्र्लय तक्रया के प्रािीि ाक्ष्य
▪ भूकिंप के िाा सधक प्रािीितम ाक्ष्य

रिं गपरु
• खोज - 1953
• खोजकताा - रिं गिाथ राि , माधि स्िरुप िव
• स्थाि - सजला - कासठयािाड़ ( ोराष्र क्षेत्र ) , गुजरात [RAS/RTS PRE 1999]
• िदी - भादर
चािल ( धान ) के दाने
लोथल
• खोज - 1955
• खोजकताा - रिं गिाथ राि [CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – अहमदाबाद ( गुजरात ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - भोगिा ( ाबरमती की हायक िदी ) [UPUDA/LDA 2010]
• तिर्ेर्
▪ औधोसगक िगर घोड़े की मूततश (टेराकोटा)
▪ बिंदरगाह िगर या पत्ति िगर
▪ यहािं समस्र ि मे ोपोटासमया ( इराक ) े जहाज आते थे |
▪ यहािं असग्ि पूजा प्रिसलत थी ( असग्ि देिी के ाक्ष्य )

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दैमाबाद
• खोज - 1958
• खोजकताा - B.P. बोपसदा कर
• स्थाि - सजला – अहमदिगर ( महाराष्र ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - प्रिरा ( गोदािरी की हायक िदी ) ताम्बे का रथ
• प्रमुख खोज - तािंबे का रथ [CGPSC PRE 2012]
• सिर्ेष - ब े दसक्षणतम स्थल

आलमगीरपरु
• खोज - 1958
• खोजकताा - यज्ञदत्त र्माा
• स्थाि - सजला – मेरठ ( उत्तर प्रदेर् ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - सहिंडि ( यमुिा की हायक िदी )
रोटी बेलने की चौकी
सरु कोतड़ा
• खोज - 1964
• खोजकताा - जगपसत जोर्ी [UPPSC MAINS 2003]
• स्थाि - सजला – कच्छ ( गुजरात )
• िदी - रस्िती
घोड़े की हड् डी
मीताथल
• खोज - 1968
• खोजकताा - रू जभाि
• स्थाि - सजला – सभिािी ( हररयाणा )
• िदी - घग्गर
• प्रमुख खोज - तािंबे की कुर्लहाड़ी , र्िंख की िूसड़यािं

राखीगढ़ी
• खोज - 1969
• खोजकताा - रू जभाि
• स्थाि - सजला – सह ार ( हररयाणा ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - घग्गर ( रस्िती )

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बनािली
• खोज - 1973
• खोजकताा - रिींद्र स िंह सिि [UPPSC PRE 1992]
• स्थाि - सजला – सह ार ( हररयाणा ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - घग्गर ( रस्िती ) [RAS/RTS PRE 2010]
उन्नत तकस्म के जौ

मािंडा
• खोज - 1982
• खोजकताा - जगपसत जोर्ी
• स्थाि - सजला – जम्मू ( जम्मू – कश्मीर ) [UPPSC PRE 1992]
• िदी - सििाब

धौलािीरा
• धौलािीरा का अथा - सफ़ेद कुआिं ( पासलर्दार श्वेत पवथर की असधकता )
• खोज - 1990
• खोजकताा - रिींद्र स िंह सिि [UPPSC MAINS 2003]
• स्थाि - सजला – कच्छ ( गुजरात ) [UPPSC MAINS 2010]
• िदी - लूिी
• सिर्ेष - धौलािीरा े तीि िगरों के अिर्ेष प्राप्त हु ए [CGPSC PRE 2015] र्ैलकृत जलकिंु ड

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तसिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख खोज


हड़प्पा
क्र. सामग्री तचत्र

अन्नागार
1
दो कतारों में कुल 12 अन्ि भिंडार

2 श्रसमक आिा

R – 37 कतिस्तान

2 प्रकार के कतिस्तान
3
R – 37 ि H कसिस्ताि H कतिस्तान

4 लकड़ी की िाली

माउन्ट ‘AB’

5 टीले का िाम माउन्ट ‘AB’ ि ‘F’

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माउन्ट ‘F’

6 कािंस्य दपा ण

7 जले हु ए गेहिं के दािे

8
जौ

9 भूिं े के सतिके

10
पारदर्ी िस्त्र पहिे एक मसहला की मूसता

11 एक स्त्री के गभा े सिकलता हु आ पौधा

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पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रततमा


12 पक्की समट्टी की स्त्री-मूसता यािं बड़ी िंख्या में प्राप्त हु ई | िंभित: यह
पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रसतमा है |

13 मक्खी के आकृ सत की गुसड़या

14 कािंस्य की इक्का गाड़ी

15 र्िंख का बिा बैल

16 एक बता ि पर बिा मछुिारे का सित्र

मोहनजोदड़ो
क्र. सामग्री तचत्र

तिर्ाल अन्नागार
( ब े सिर्ाल भिि )
1
[UPPSC PRE 1992] [UPPSC GIC 2010]
[Uttrakhand UDA/LDA MAINS 2007]

2 सिर्ाल स्िािागार

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3 पुरोसहत आिा ि भा भिि

4 16 मकािों का बैरक

5 महासिद्यालय

6 एक ही कमरे में 13 व्यसियों के असस्थसपिंजर

7 घोड़े की दािंत

8 हाथी के कपालखिंड

9 त
ू ी के कपड़े

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10 बिंदर की मूसता

दाढ़ी िाले पुजारी की मूसता


11
( पुरोसहत की प्रसतमा )

र्ैल खड़ी े सिसमा त पुरोसहत का धड़


12
( 19 े.मी. लम्बा )

13 तीि मुख िाला एक पुरुष ध्याि की मुद्रा में

14 कािंस्य की नग्न नतशकी


( न्ै धि सर्र्लप )

कुओिं के अिर्ेष
15
[UPPSC PRE 2004]

पर्ुपतत तर्ि
( भैं ा , गैंडा , सहरण , हाथी , बाघ , घसड़याल , मछली )
16 सिर्ेष : मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत की मुहर पर बैल ि घोड़ा
का सित्रअिंसकत िहीं है |
[UPPSC MAINS 2009]

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17 कूबड़ िाले बैल की आकृ सत युि मुहरें


[RAS/RTS PRE 2008]

18 आधा भाग मािि ि आधा भाग बाघ की आकृ सत युि मुहरें

19 आधा भाग स्टार मछली ि आधा भाग बाघ की आकृ सत युि मुहरें

20 3 स र िाले सहरण युि मुहरें

21 बाघ का िध करता व्यसि युि मुहरें

22 र्तरिं ज

23 स्िासस्तक सिन्ह युि मुहर

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चन्हुदड़ो
क्र. सामग्री तचत्र

1 मिके ( आभूषण ) ि गुसडयािं बिािे के कारखािे

2 प्र ाधि के ाक्ष्य

3 िक्राकार ईिंटे

लोथल
क्र. सामग्री तचत्र

1 िाि

गोदीबाड़ा ( बिंदरगाह )
2
[UPSC PRE 2002]

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3 सदर्ा मापक यिंत्र

4 मोती बिािे की भट्टी

5 िार ( इराि ) की खाड़ी की मुहरें

6 हाथी दािंत का पैमािा

7 धाि की भू ी

अन्ि सप िे की िक्की
8
( िक्की के 2 पाट )

9
घोड़े की मूसता ( टेराकोटा )

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10 युगल र्िाधाि

11 कौआ ि लोमड़ी का सिसत्रत मृतभािंड

12 मिके ( आभूषण ) की दुकाि

रोपड़
क्र. सामग्री तचत्र

1 कुत्ते का मासलक के ाथ दफ़िािे का ाक्ष्य

रिं गपरु
क्र. सामग्री तचत्र

िािल ( धाि ) के ाक्ष्य


1
िनस्पतत अिर्ेर् : िािल , ज्िार , बाजरा

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कालीबिंगा
क्र. सामग्री तचत्र

1 काले रिं ग की िूसड़यािं

जूते हु ए खेत
2 [UPSC PRE 2002]
[UPPSC MAINS 2005]

3 मृण परट्टका पर उवकीणा दो ींग िाले देिता

4 लकड़ी की िाली

हिि कुिंड
5
( यज्ञ िेदीकाएिं )

6 स न्धु सडज़ाइि िाली बेलिाकार मुहरें

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धौलािीरा
क्र. सामग्री तचत्र

र्ैलकृ त जलकुिंड
1 ( Rock cut Reservoir )
[UPPSC PRE 2006]

उत्तम जल सिका ी
2
[UPPSC MAINS 2010]

3 तौल के बािंट

पासलर्दार श्वेत पवथर


4
( श्वेत कुआिं )

सुचना पत्र
5 ( स िंधु सलसप के 10 बड़े अक्षर )
[UPSC PRE 2002]

3 स्थलों के अिर्ेर्
( हड़प्पा , रोपड़ तथा बाड़ा की कसिस्ताि एििं िंस्कृ सत का
6
मन्िय )
[CGPSC PRE 2015]

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बनािली
क्र. सामग्री तचत्र

1 उन्ित सकस्म के जौ

समट्टी का सखलौिा ( हल )
2 ( पक्की समट्टी की बिी हल की प्रसतकृ सत )
[UPSC PRE 2002]

3 तािंबे के बाण

सुरकोतड़ा
क्र. सामग्री तचत्र

1 घोड़े की हड् डी

2 बता ि में र्िाधि

3 तराजू का पलड़ा

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दैमाबाद
क्र. सामग्री तचत्र

तािंबे का रथ
1
[CGPSC PRE 2012]

2 तािंबे का हाथी की मूसता

3 तािंबे का गैण्डा की मूसता

मीताथल
क्र. सामग्री तचत्र

1 तािंबे की कुर्लहाड़ी

2 र्िंख की िूसड़यािं

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आलमगीरपरु
क्र. सामग्री तचत्र

1 रोटी बेलिे की िौकी

सनौली ( बागपत तजला , उर्त्र प्रदेर् )


क्र. सामग्री तचत्र

125 मािि र्िाधि


1
[UP LOWER SUB PRE 2004]

2 र्ाही किगाह

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प्रमुख खोज का तििरण


पर्प
ु तत महु र ( आधतर्ि )
• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• तिर्ेर्
▪ इ में सत्रमुखी पुरुष को एक िौकी के ऊपर पद्मा ि मुद्रा में बैठे हु ए सदखाया गया है |
▪ उ के स र में स िंग है तथा कलाई े किंधे तक उ की दोिों भुजाएिं चूतड़यों े युि है |
▪ मोहनजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपतत की मुहर पर बैल का सित्र अिंसकत नही है |
▪ इ मुहर में जाििरों की कुल िंख्या 9 है जबसक जाििरों के कुल प्रकार 7 है |

क्र. जानिर जानिरों की तस्थतत


1 बाघ
बायीं ओर
2 हाथी
3 गैंडा
दायी ओर
4 भैं ा
5 2 सहरण िौकी के िीिे
6 2 मछली
ऊपर की ओर
7 घसड़याल

कािंस्य की नग्न नतशकी की मूततश


• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• धातु - कािं ा
• र्ैली - न्ै धि र्ैली
• तिर्ेर्
▪ स न्धु कला का श्रेष्ठ िमूिा
▪ िता की के गले में पड़े हार के अलािा पूणशत: नग्न है |
▪ स र के पीछे उ के बालों की छोटी लटें एक बुनी हु ई परिका द्वारा िंिारी गयी है |
▪ स र पीछे की ओर झुकाएिं , आँखे झुकी हु ई , दायें भुजाएिं कुर्लहे पर टीकाएँ तथा बाएिं भुजा िीिे की ओर लटकी हु ई |
▪ यह मूसता सस्थर मुद्रा को दर्ाा ती है |

दाढ़ी यि
ु परु ोतहत की मूततश
• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• सिमाा ण - सेलखड़ी ( कािंचली तमिी ) े सिसमा त
• तिर्ेर्
▪ दाढ़ी िाले पुजारी की मूसता ( पुरोसहत की प्रसतमा )
▪ इ में राजा की दाढ़ी करीिे े िंिारी गयी है लेसकि मूिंछे नहीं है |

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स्िातस्तक तचन्ह यि
ु मुहर
• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• तिर्ेर्
▪ सहन्दू धमा में आज भी स्िासस्तक को पतित्र मािंगतलक तचन्ह मािा जाता है |
▪ मोहिजोदड़ो े प्राप्त मुहर पर स्िातस्तक तचन्ह का अिंकि सूयश पूजा का प्रतीक
मािा जाता है |

े ी ( पथ्ृ िी देिी )
मातदृ ि

एक स्त्री के गभश से तनकलता हु आ पौधा पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रततमा


• स्थाि - हड़प्पा
• र्ैली - न्ै धि र्ैली
• तिर्ेर्
▪ हड़प्पा े प्राप्त एक मूसता में एक स्त्री के गभश से तनकलता हु आ पौधा सदखाया गया है |
▪ िंभित: यह पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रसतमा है | इ का िंबिंध पौधों के जन्म तथा िृति े रहा होगा |
▪ हड़प्पा के लोग इ े पृथ्िी की उिशरता देिी मािते थे | इ की पूजा उ ी तरह करते थे सज प्रकार तमस्र के लोग
आइतसस की पूजा करते थे |

पारदर्ी िस्त्र में नतशकी


• स्थाि - हड़प्पा
• र्ैली - न्ै धि र्ैली
• तिर्ेर्
▪ स न्धु कला का श्रेष्ठ िमूिा
▪ िता की के गले में पड़े हार के अलािा पारदर्ी िस्त्र है |

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तसन्धुघाटी सभ्यता की तचत्राक्षर तलतप


तलतप
• सलसप : सित्राक्षर ( मछली , सिसड़या , माििाकृ सत का अिंकि )
• लेखि : दाएिं े बाएिं ( फ़ार ी सलसप के दृश्य )
• िलता : पढिे में िलता प्राप्त िही हु ई |
• स्त्रोत : सलसप की जािकारी का मुख्य स्रोत मुहरें हैं |
• उदाहरण : धौलािीरा े प्राप्त सुचना पत्र में स न्धु सलसप के 10 बड़े अक्षर है |

सुचना पत्र
स न्धु सलसप के 10 बड़े अक्षर ( धौलािीरा )

प्रमुख तिद्वानों का योगदान

िर्श तिद्वान तििरण

▪ स न्धु सलसप के बारे में िा प्रथम सििार व्यि सकया |


1873 अलेक्जेंडर कतनिंघम
▪ अलेक्जेंडर कसििंघम िे सििार व्यि सकया की इ सलसप का िंबिंध िाम्ही तलतप े है |

1925 L.A. िैडल


े ▪ स न्धु सलसप को पढ़िे का िा प्रथम प्रया सकया |

लेखन की र्ैली

क्र. लेखन सदृश्य तिर्ेर्

▪ स न्धु सलसप के असधकािंर् ाक्ष्य फ़ारसी तलतप के माि दाएिं से बाएिं सलखे समले है |
1 दाएिं से बाएिं फ़ारसी तलतप ▪ ामान्यत: मािा जाता है सक स न्धु सलसप दाएिं े बाएिं ओर सलखी जाती थी |
▪ इ सलसप में अिंग्रेजी के U अक्षर तथा मछली का िाा सधक अिंकि समलता है |

2 बाएिं से दाएिं िाह्मी तलतप ▪ स न्धु सलसप के कुछ ाक्ष्य िाह्मी तलतप के माि बाएिं से दाएिं सलखे समले है |

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तसन्धुघाटी सभ्यता के पतन का कारण


• स न्धुघाटी भ्यता के पति का िास्तसिक कारण ज्ञात िहीं है |
• महाि इसतहा कारों िे अपिे र्ोध े स न्धुघाटी भ्यता के पति के सिसभन्ि मत प्रस्तुत सकये है जो इ प्रकार है :

क्र. इततहासकार मत
1 जॉि मार्ा ल भूकिंप
2 जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके बाढ़
3 माका ऑरे ल स्टाइि जलिायु पररिता ि
4 गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के आक्रमण
ििों का कटाि , िं ाधि की कमी ि
5 िेयर सिा
पाररतस्थततक असिंतल ु न

तसन्धुघाटी सभ्यता के निीनतम स्थल


• ‘भारतीय पुरातवि एििं िेक्षण सिभाग’ स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल की खोज हे तु सिरिं तर अग्र र है |
• तसन्धुघाटी सभ्यता के निीनतम स्थल

क्र. खोजिर्श निीनतम स्थल राज्य


1 2008 हु ला मेरठ ( उत्तरप्रदेर् )
2 2015 सबजिोर उत्तरप्रदेर्
3 बोताड़
2016 गुजरात
4 बेजलका
5 बालाथल राजस्थाि
6 2017 कुणाल
हररयाणा
7 मिािा

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नगर तनयोजन पितत


नगरीय सभ्यता
• स न्धुघाटी भ्यता एक नगरीय सभ्यता है |
• इ कें 1401 स्थलों की खोज की जा िुकी है |
• ुदृढ़ आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ |

जाल पितत ( Grid System )


• स न्धुघाटी भ्यता का िगर सियोजि जाल पितत ( Grid System ) पर आधाररत है |
• एक दू रे को मकोण पर काटती ीधी रे खाओिं की पद्धसत को जाल पद्धसत कहते है |
• यह र्तरिं ज के सि ात की भाँती होती है |

नगरीय सिंरचना
• स न्धुघाटी भ्यता का िगर सियोजि आयताकार है |
• जब लोग एक ही स्थल पर सियसमत रूप े रहते है तो उ आिा ीय स्थल को टीला कहते है |

क्र. टीला तस्थतत तनिास


1 दुगा टीला ( पसिमी टीला ) असधक ऊिंिाई पर सस्थत टीला पुरोसहत िगा ( र्ा क िगा )
2 िगर टीला ( पूिी टीला ) कम ऊिंिाई पर सस्थत टीला व्यापारी , िागररक , सै िक , सर्र्लपी िगा

तसन्धुघाटी सभ्यता के नगर तनयोजन की तिर्ेर्ताएिं


क्र. तिर्ेर्ता उद्देश्य उदाहरण
ड़के एक – दू रे को मकोण पर
ड़क
1 कटती है तथा | मकाि ड़कों के हड़प्पा , मोहिजोदड़ो , िन्हु दड़ो का िगर सिन्या
[MPPSC PRE 2008]
दोिों ओर सिन्यस्त है |
जल सिका ी प्रणाली हड़प्पा , कालीबिंगा े प्राप्त लकड़ी की िाली
2 जल सिका ी की उत्तम व्यिस्था
[UPPSC PRE 1992] धौलािीरा े प्राप्त व्यिसस्थत जल सिका ी व्यिस्था
3 पक्की ईिंटों का प्रयोग सिर्ाल भिि के सिमाा ण में हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल भिि
4 ािा जासिक स्िािागार धमाा िुष्ठाि मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल स्िािागार
5 अन्ि भण्डार भण्डारण एििं व्यापार िंिालि हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल अन्ि भण्डार
बिंदरगाह िगर
6 सिदेर्ी व्यापार ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि
[CGPSC MAINS 2013]

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प्राचीन भारत का इततहास

सामातजक जीिन
सामातजक व्यिस्था
• पररिार - मातृ त्तावमक
• र्ा ि व्यिस्थता - प्रजातासन्त्रक

समि
ृ सामातजक तस्थतत
• स न्धुघाटी भ्यता के लोग ामासजक दृसि े मृद्ध थे |
• माज मुख्यत: दो िगों में सिभि था :

क्र. िगश टीला तस्थतत


1 पुरोसहत िगा ( र्ा क िगा ) दुगा टीला ( पसिमी टीला ) असधक ऊिंिाई पर सस्थत टीला
िागररक िगा
2 िगर टीला ( पूिी टीला ) कम ऊिंिाई पर सस्थत टीला
( व्यापारी , सै िक , सर्र्लपी िगा )

सती प्रथा
• स न्धु भ्यता में ती प्रथा के ाक्ष्य प्राप्त हु ए है |
• उदाहरण - लोथल े प्राप्त युगल र्िाधि

मत्ृ यु सिंस्कार
• स न्धु भ्यता में मृतकों के अिंसतम िंस्कार की 3 प्रथा प्रिसलत थी :

क्र. अिंततम सिंस्कार की प्रथा अथश तरीका


▪ इ में र्ि को पूणा रूप े जलािे के बाद भस्मािर्ेष को समट्टी के
पात्र में रखकर दििा सदया जाता था |
1 दाह- िंस्कार जलािा
▪ तहन्दू तितध े समलती प्रथा
▪ यह सिशप्रमुख प्रथा थी |
▪ इ में र्ि को भूसम में दििा सदया जाता था |
▪ पूणा रूप े जलािे के बाद भस्मािर्ेष को समट्टी के पात्र में रखकर
2 पूणा मासधकरण दििािा
दििा सदया जाता था |
▪ मुतस्लम तितध े समलती प्रथा
▪ इ में र्ि को खुला छोड़ सदया जाता था |
3 आिंसर्क मासधकरण खुला छोड़िा ▪ पर्ु – पसक्षयों के खािे के बाद बिे भाग को दििा सदया जाता था |
▪ पारसी तितध े समलती प्रथा

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प्राचीन भारत का इततहास

कला एििं सिंस्कृतत


• स न्धु भ्यता में सिकस त कला एििं िंस्कृ सत थी |

क्र. कला उदाहरण

मोहिजोदड़ो े प्राप्त कािंस्य िता की


1 िृवय कला
हड़प्पा े प्राप्त पारदर्ी िस्त्र में िता की

मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि युि मुहरें , कूबड़ िाला बैल युि मुहरें
2 सित्रकला
हड़प्पा े प्राप्त एक बता ि में बिा मछुिारें का सित्र

मोहिजोदड़ो े प्राप्त पुरोसहत की प्रसतमा


3 मूसता कला
हड़प्पा े प्राप्त कािंस्य की इक्का गाड़ी , मक्खी के आकृ सत की गुसड़या

िास्तक
ु ला
• भिि सिमाा ण की कला को िास्तुकला कला कहते है |
• भारत में िास्तुकला की र्ुरुिात तसन्धुघाटी िातसयों िे सकया |
• स न्धुघाटी एक िगरीय भ्यता थी |

क्र. िास्तुकला तििरण

ड़के मकोण पर काटती हु ई बिाई गयी थी सज के सकिारे िासलयों की उत्तम


1 समकोण
व्यिस्था थी |

2 प्राचीर िगर ुरक्षा हे तु मजबूत प्रािीर बिाये गये थे |


▪ ड़कों के सकिारे एक ीध में
3 घरों का तनमाशण
▪ घरों में कई कमरें , र ोईघर , स्िािघर तथा बीि में आँगि की व्यिस्था थी |

नगरीय सभ्यता
• स न्धुघाटी भ्यता एक नगरीय सभ्यता है |
• इ कें 1401 स्थलों की खोज की जा िुकी है |
• ुदृढ़ आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ |
• 7 बड़े िगर - हड़प्पा , मोहिजोदड़ो , िन्हु दड़ो , लोथल , कालीबिंगा , बिािली , धौलािीरा

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आतथशक जीिन ( अथशव्यिस्था )


समि
ृ आतथशक व्यिस्था
• स न्धुघाटी भ्यता के लोग आसथा क दृसि े मृद्ध थे |
• ये कृ सष , पर्ुपालि तथा व्यापार में उन्ित थे | [UPPSC PRE 1992]

कृतर्
• प्रमुख ि ल - कपा , गेहिं , िािल , जौ
• उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त जले हु ए गेहिं के दािें , धाि की भू ी , रिं गपुर े प्राप्त िािल के दािें
• स िंिाई पद्धसत - रहत
• कपा - यूिािी कपा को तसिंडोन ि मे ोपोटासमया के लोग कपा को महु आ कहते थे |
• सिश्व में ब े पहले कपा की खेती - भारत ( मोहनजोदड़ो ) [UPPSC PRE 2006]
• िस्त्र - कपा के िस्त्र ( त ू ी िस्त्र ) का प्रिलि ( मोहिजोदड़ो ) [UPSC PRE 2011] [MPPSC PRE 2012]

कपास

तसिंडोन मेंहुआ

यूिािी मे ोपोटासमया

पर्ुपालन
• प्रमुख पर्ु - बैल , गाय , बकरी , भैं , भेड़ , गधे , ऊँठ आसद का पालि
• उदाहरण - ुरकोतड़ा े प्राप्त घोड़े के असस्थ अिर्ेष , लोथल े प्राप्त घोड़े की मूसता ( टेराकोटा ) ,
मोहिजोदड़ो े प्राप्त घोड़े के दािंत , मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा ,
सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि , मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल युि मुहरें , हड़प्पा े प्राप्त इक्का गाड़ी |

पररतचत एििं अपररतचत जानिरों की सूची

पररतचत जानिर अपररतचत जानिर

गाय भैं ा
घोड़ा घसड़याल
हाथी बाघ र्ेर
कुत्ता सहरण
गैंडा मछली
ािंड

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महत्िपूणश तथ्य
क्र. जानिर तििरण
गाय े पररसित थे परिं तु गाय के अिर्ेर् प्राप्त नही हु आ |
1 गाय [UPSC PRE 2001]
गाय का सित्रण सक ी मृण्मुसता काएिं ( टेराकोटा कलाकृ सतयािं ) िहीं हु आ था |
र्ेर से अपररतचत थे |
2 र्ेर [CGPSC PRE 2011]
र्ेर के अिर्ेष स िंधु घाटी भ्यता े प्राप्त िहीं हु ए है |

व्यापार
• व्यापार ि िासणज्य उन्ित दर्ा में था | [UPPSC PRE 1992]
• जल ि थल दोिों मागो े व्यापार होता था |
• हड़प्पा कालीन बिंदरगाह - ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि [CGPSC MAINS 2013]
• तसन्धु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार करते थे
1. िार ( इराि ) ( सदलमुि या बहरीि तथा मकराि तट े )
2. मे ोपोटासमया ( इराक )
3. समस्र
4. रोम ( इटली )
5. अिगासिस्ताि
6. दसक्षण भारत
• उदाहरण
▪ लोथल े प्राप्त िाि एििं बिंदरगाह , िार की मुहरें , सदर्ा मापक यन्त्र , मिके की दूकाि
▪ िन्हु दड़ो े प्राप्त मिके का कारखािा
• स न्धुघाटी े कपा रोम में सियाा त होता था | यूनानी लोग इ े तसिंडोन ि मेसोपोटातमया के लोग इ े मेंहुआ
कहते थे |
• प्रमुख आयत

क्र. िस्तुएिं देर्


1 सटि , िािंदी अिगासिस्ताि [UPSC PRE 1994]
2 लजिाई , मसण , िीलरति बदख्र्ािं ( अिगासिस्ताि )
3 ोिा कोलर ( किाा टक ) , अिगासिस्ताि
4 तािंबा खेतड़ी ( राजस्ताि )

व्यापाररक मापदिंड
क्र. मापदिंड तििरण उदाहरण
16 के आिता क धौलािीरा े प्राप्त तौल के बाँट तथा
1 माप-तौल
( 1 , 2 , 4 , 8 , 16 , 32 , 64 , 160 , 320 ) ुवकोतड़ा े प्राप्त तराजू के पलड़े
2 मुहरें िौकोर मोहिजोदड़ो े िाा सधक मुहरें प्राप्त हु ए है |
3 तितनमय प्रणाली िस्तु सिसिमय तथा मुद्रा सिसिमय लोथल े प्राप्त िार की मुहरें

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धातमशक जीिन
प्रकृतत उपासक
• प्रकृ सत के उपा क
• धरती की उिा रता को देिी मािकर पूजा जाता था | [RAS/RTS PRE 1993]
• उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं , िारी के गभा े पौधा उगते ाक्ष्य प्राप्त |

धातमशक प्रतीक तचन्ह


• स न्धुघाटी भ्यता के उवखिि े धासमा क प्रतीक सिन्ह प्राप्त हु ए है |
• मुख्य स्त्रोत – मुहरें

क्र. प्रतीक तचन्ह महत्त्ि


1 मातृ देिी ( भूसम ) मुख्य ईि देि [RAS/RTS PRE 1993]
2 पर्ुपसत सर्ि योगीश्वर [UKPSC MAINS 2006]
3 कूबड़ िाला बैल पसित्र पर्ु
4 कबूतर पसित्र पक्षी
5 पीपल पसित्र िृक्ष

6 स्िासस्तक य
ू ा उपा िा का प्रतीक
7 ताबीज प्रजिि र्सि का प्रतीक

8 भैं ा सिजय का प्रतीक


9 बकरा बसल हेतु प्रयुि

10 कािंस्य िता की िृवय की पररकर्लपिा


11 युगल र्िाधाि पसत के ाथ पविी का ती होिा

धातमशक मत
• जादू – टोिा
• ताबीजों का प्रयोग
• मूसता पूजा आसद का िलि था , सकन्तु मिंतदरों का तनमाशण नही होता था | [UPSC PRE 2013]
• पर्ु बसल प्रथा
• भुत – प्रेत एििं तिंत्र – मिंत्र में सिश्वा
• पुिजा न्म में सिश्वा
• पदाा प्रथा एििं िैश्यािृसत प्रिसलत थी |

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टेराकोटा तफगररन ( मण्ृ मुततशकाएिं )


• आग में पक्की समट्टी े बिी मुसता काएिं को टेराकोटा सिगररि ( मृण्मुसता काएिं ) कहते है |
• तसिंधुघाटी सभ्यता के पररपेक्ष्य में टेराकोटा तफगररन का महत्त्ि
क्र. तथ्य तििरण
स िंधु घाटी भ्यता े का प्रारिं भ हु आ | [UPPSC PRE 1992]
1 मूसता पूजा
उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त पृथ्िी माता या धरती माता की मूसता
हड़प्पा े स्त्री मृण्मुसता काएिं िाा सधक प्राप्त हु ए है जो इ बात
2 मातृ त्तावमक
का घोतक है सक स ध
िं ु भ्यता का माज मातृ त्तावमक थी |
गाय की मृण्मुसता काएिं प्राप्त िहीं हु ई है | [UPSC PRE 2001]
3 गाय
गाय का महत्त्ि िैतदक सभ्यता े प्राप्त होता है |
कूबड़ िाला बैल मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल की मृण्मुसता काएिं
4
( िृषभ ) पसित्र पर्ु का प्रतीक है |
मािि मृण्मुसता काएिं ठोस जबसक पर्ु – पसक्षयों के
5 बिािट
मृण्मुसता काएिं खोखली थी |

मदृ भािंड ( तमिी का बतशन )


• समट्टी के बता ि को मृदभािंड कहते है |
• लाल रिं ग का मृदभािंड
हड़प्पा में समट्टी के बता िों पर ामान्यत: लाल रिं ग का उपयोग सकया जाता था | [BPSC PRE 1995]
• स िंधु घाटी भ्यता को िैसदक भ्यता ( आया भ्यता ) े पहले रखे जािे का मुख्य कारण स िंधु घाटी भ्यता
े समले मृदभाण्ड है | [UPPSC PRE 1990]

तसिंधु घाटी सभ्यता तथा िैतदक सभ्यता ( आयश सभ्यता ) के मदृ भाण्ड में प्रमुख अिंतर

क्र. मुख्य तबिंदु तसिंधु घाटी सभ्यता िैतदक सभ्यता ( आयश सभ्यता )
लाल रिं ग का मृदभािंड धूसर रिं ग का मृदभािंड
1 रिं ग काले रिं ग की आकृ सतयों े सिसत्रत धू र एििं धू र सिसत्रत मृदभािंड
लाल मृदभािंड ( Gray Painted Pottery )

2 उदाहरण

एक बता ि पर बिा मछुिारे का सित्र धू र सिसत्रत मृतभाण्ड


( हड़प्पा ) ( िैसदक भ्यता )

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तसिंधु घाटी सभ्यता ि िैतदक सभ्यता में अिंतर


क्र. मुख्य तबिंदु तसिंधु घाटी सभ्यता िैतदक सभ्यता ( आयश सभ्यता )
1 कालक्रम 2300 BC – 1750 BC 1000 BC – 600 BC
[UPPSC PRE 1993]
जािकारी का पुरातासविक खुदाई े प्राप्त अिर्ेष
2 सलसखत र्ास्त्र [UPPSC PRE 1994]
मुख्य स्त्रोत ( बता ि , जेिर , हसथयार , औजार )
[UPPSC PRE 1996]
3 भ्यता िगरीय भ्यता ( र्हरी भ्यता ) ग्रामीण भ्यता [UPPSC MAINS 2004]

4 जल सिका ी
सिकस त असिकस त [UPPSC PRE 1992]
प्रणाली
गैर – आयश सभ्यता आयश सभ्यता
5 आया [UPPSC GIC 2010]
आयों के पूिा की भ्यता आयों के आगमि े सिकस त भ्यता
6 सलसप भाि सित्राक्षर सलसप देििागरी सलसप [UPPSC MAINS 2004]
7 पररसित धातु तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी , लोहा
[UPPSC PRE 1992]
8 लोहा लोहा े अपररसित लोहा े पररसित
[UPPSC MAINS 2004]
9 रक्षा र्ास्त्र रक्षा र्ास्त्र के ज्ञाि का अभाि रक्षा र्ास्त्र में अग्रणी [UPPSC MAINS 2004]
काले रिं ग की आकृ सतयों े सिसत्रत धू र एििं धू र सिसत्रत मृतभाण्ड [BPSC PRE 1995]
10
लाल मृतभाण्ड ( Gray Painted Pottery ) [UPPSC PRE 1990]

मृदभािंड
( समट्टी का बता ि )
11

एक बता ि पर बिा मछुिारे का सित्र धू र सिसत्रत मृतभाण्ड


( हड़प्पा ) ( िैसदक भ्यता )
गाय े पररसित थे लेसकि गाय की गाय का महत्त्ि िैतदक सभ्यता े
12 गाय
मृण्मुसता काएिं प्राप्त िहीं हु ई है | प्राप्त होता है |

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हड़प्पा कालीन धातु


क्र. धातु तििरण
▪ िा प्रथम मािि िे तािंबा धातु का प्रयोग सकया |
1 तािंबा ▪ िा प्रथम मिुष्य द्वारा औजारों के सलए सज धातु का प्रयोग हु आ – तािंबा ( 5000 ई.पू. ) [RAS/RTS PRE 2012]
▪ उदाहरण - तािंबे के बाण ( बिािली ) , तािंबे का रथ ( दैमाबाद )
▪ स िंधु िास यों िे प्रथम बार तािंबे तथा टीि को समलाकर कािं ा समश्रधातु तैयार सकया |
अत: इ े कािंस्य युगीि भ्यता कहा जाता है |
2 कािंसा
▪ उदाहरण - कािंस्य िता की ( मोहिजोदड़ो ) , कािंस्य दपा ण ( हड़प्पा ) ,
कािंस्य का रथ ( हड़प्पा )
[UPPSC PRE 1992]
▪ हड़प्पा भ्यता के सििा ी लोहा े अपररसित थे |
3 लोहा [UPPSC MAINS 2004]
▪ हड़प्पाकालीि स्थलों में अभी तक लोहा की प्रासप्त िहीं हु ई है |
[CGPSC PRE 2011]

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महत्िपूणश िस्ततु नष्ठ प्रश्नोर्त्र


--------------------------------------------------------------------------------
1. स िंधु घाटी भ्यता को खोज सिकलिे में सजि दो भारतीयों उत्तर (D)
का िाम जुड़ा है , िे है ?
(A) राखालदा बिजी तथा दयाराम ाहिी हड़प्पा भ्यता के सििा ी लोहा े अपररसित थे | हड़प्पा
(B) जॉि मार्ा ल तथा ईश्वरी प्र ाद कालीि स्थलों में अभी तक लोहा की प्रासप्त िहीं हु ई है |
(C) आर्ीिाा दी लाल श्रीिास्ति तथा रिं गिाथ राि
(D) माधोस्िरूप िव तथा िी.बी. राि 4. सिम्ि में े कौि ी श्रृिंखला कश्मीर घाटी को स िंधु घाटी
[CGPSC PRE 2003] े अलग करती है ?
उत्तर (A) (A) धौलाधार (B) ग्रेट सहमालय
(C) पीर पिंजाल (D) सर्िासलक
आरिं सभक उवखिि स िंधु िदी के आ – पा हु यी इ सलए [CGPSC PRE 2012]
इ े र जॉि मार्ा ल द्वारा स िंधुघाटी भ्यता कहा गया | उत्तर (B)
हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी
र जॉि मार्ा ल के िेतवृ ि में 1921 में दयाराम ाहिी िे
र्ासहिाल ( पासकस्ताि ) में रािी िदी के तट पर हड़प्पा हड़प्पाकालीि स्थल मािंडा पीर पिंजाल ि सर्िासलक के
की खोज की तथा 1922 में राखालदा बिजी िे स िंध मध्य सस्थत है | ग्रेट सहमालय श्रृिंखला कश्मीर घाटी को
प्रािंत ( पासकस्ताि ) में स िंधु िदी के तट पर मोहिजोदड़ो स िंधु घाटी े अलग करती है |
की खोज की |
5. हड़प्पा के काल का तािंबे का रथ सक स्थाि े प्राप्त हु आ था ?
2. सक पर्ु के अिर्ेष स िंधु घाटी भ्यता े प्राप्त िहीं हु ए है ? (A) कुणाल (B) रासखगढ़ी
(A) र्ेर (B) घोड़ा (C) दैमाबाद (D) बिािली
(C) गाय (D) हाथी [UP Lower Sub PRE 2003]
[CGPSC PRE 2011] उत्तर (C)
उत्तर (A)
दैमाबाद े हड़प्पा के काल का तािंबे का रथ प्राप्त हु आ था |
(1) र्ेर - र्ेर के अिर्ेष स िंधु घाटी भ्यता े प्राप्त िहीं इ के असतररि दैमाबाद े तािंबे का हाथी ि गैण्डा की
हु ए है | मूसता प्राप्त हु आ है |

(2) घोड़ा - ुरकोतड़ा े प्राप्त घोड़े के असस्थ अिर्ेष ,


लोथल े प्राप्त घोड़े की मूसता ( टेराकोटा ) , मोहिजोदड़ो े 6. सिम्िसलसखत में े सकि स्थल में तीि िगरों के अिर्ेष
प्राप्त घोड़े के दािंत प्राप्त हु ए है ?
(3) गाय - मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल युि (A) मोहिजोदड़ो (B) िंघोल
मुहरें , हड़प्पा े प्राप्त इक्का गाड़ी | गाय े पररसित थे (C) कालीबिंगि (D) धौलािीरा
लेसकि गाय की मृण्मुसता काएिं या गाय युि मुहरें प्राप्त िहीं [CGPSC PRE 2015]
हु ई है | उत्तर (D)
(4) हाथी - मोहिजोदड़ो े प्राप्त हाथी के कपाल ,
मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , धौलािीरा 3 स्थलों के अिर्ेर् प्राप्त हु आ है | धौलािीरा े
हाथी , गैंडा , भैं ा , सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि हड़प्पा , रोपड़ तथा बाड़ा की कसिस्ताि एििं िंस्कृ सत का
मन्िय समला है |
3. हड़प्पाकालीि स्थलों में अभी तक सक धातु की प्रासप्त िहीं हु ई है ?
(A) तािंबा (B) स्िणा
(C) िािंदी (D) लोहा
[CGPSC PRE 2011]

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प्राचीन भारत का इततहास
7. प्रािीि मे ोपोटासमया ासहवय में हड़प्पा भ्यता के 9. भारतीय इसतहा में खोजा गया िाा सधक प्रािीि र्हर
सिम्िसलसखत में े सक स्थाि के व्यापारी कौि – ा है ?
मे ोपोटासमया में सििा करते थे ? (A) मोहिजोदड़ो (B) कालीबिंगा
(A) मेलहु ा (B) बालाकोट (C) हड़प्पा (D) लोथल
(C) लोथल (D) िन्हु दड़ो [CGPSC ESE 2017]
[CGPSC ADPPO 2017] उत्तर (C)
उत्तर (A)
आरिं सभक उवखिि स िंधु िदी के आ – पा हु यी इ सलए
प्रािीि मे ोपोटासमया ासहवय के अिु ार हड़प्पा भ्यता इ े र जॉि मार्ा ल द्वारा स िंधुघाटी भ्यता कहा गया |
के मेलुहा िामक स्थल के व्यापारी मे ोपोटासमया में हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी
सििा करते थे | र जॉि मार्ा ल के िेतवृ ि में 1921 में दयाराम ाहिी िे
र्ासहिाल ( पासकस्ताि ) में रािी िदी के तट पर हड़प्पा
8. ि
ू ी – 1 ( स िंधु भ्यता के प्रमुख केंद्र ) को ि
ू ी–2 की खोज की | हड़प्पा भारतीय इसतहा में खोजा गया
( उिके उवखिि े िंबिंसधत व्यसि ) े म्ु मेसलत कीसजए – िाा सधक प्रािीि र्हर है |

सूची – 1 सूची – 2 10. िा प्रथम मािि िे सिम्ि धातु का उपयोग सकया ?


(A) ोिा (B) िािंदी
(अ) हड़प्पा (1) राखालदा बिजी
(C) तािंबा (D) लोहा
(ब) मोहिजोदड़ो (2) दयाराम ाहिी [CGPSC PRE 2008]
( ) कालीबिंगि (3) ए .आर. राि उत्तर ()

(द) लोथल (4) बी.के. थापर


िा प्रथम मािि िे तािंबा धातु का प्रयोग सकया | िा प्रथम
मिुष्य द्वारा औजारों के सलए तािंबा का प्रयोग हु आ |
(A) अ–2,ब–3, –1,द–4 उदाहरण - तािंबे के बाण ( बिािली ) , तािंबे का रथ
(B) अ–2,ब–1, –4,द–3 ( दैमाबाद )
(C) अ–2,ब–1, –3,द–4
(D) अ–2,ब–4, –1,द–3
[CGPSC Ayurvedic Medical Officer 2017]
उत्तर (B)

तसिंधु घाटी सभ्यता कालीन प्रमुख स्थल

िर्श स्थल खोजकर्त्ाश


1921 हड़प्पा दयाराम ाहिी
1922 मोहिजोदड़ो राखालदा बिजी
1953 कालीबिंगि बी.के. थापर
1955 लोथल ए .आर. राि
AA

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प्राचीन भारत का इततहास

ु य परीक्षा आधाररत महत्िपूणश प्रश्नोर्त्र


मख्
तसिंधु घाटी सभ्यता का भौगोतलक तिस्तार
Question 1. तसन्धु सभ्यता के भौगोतलक तिस्तार बताइए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2012]

हड़प्पा भ्यता का िता माि क्षेत्रिल 15,02,097 िगा सक.मी. है | इ की पूिा े पसिम तक लम्बाई 1600 सक.मी. ि उत्तर े
दसक्षण तक लम्बाई 1400 सक.मी. है | इ भ्यता का ब े पूिी , पसिमी , उत्तरी ि दसक्षणी स्थल क्रमर्: आलमगीरपुर
( उत्तर प्रदेर् ) , ुवकािंगेडोर ( पासकस्ताि ) , मािंडा ( जम्मू – कश्मीर ) ि दैमाबाद ( महाराष्र ) है |

तसिंधु घाटी सभ्यता के प्रमख


ु बिंदरगाह नगर
Question 2. तसन्धु सभ्यता के दो बिंदरगाहों के तिर्य में उर्ललेख कीतजए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2013]

स न्धु भ्यता के प्रमुख बिंदरगाह - ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि | (1) ुवकािंगेडोर - 1927 में लकरािा
तट ( बलूसिस्ताि ) में दाश्क िदी के तट पर माका ऑरे ल स्टाइि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की | (2) लोथल - 1955
में अहमदाबाद ( गुजरात ) में भोगिा िदी के तट पर रिं गिाथ राि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की |

तसिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर


Question 3. तसन्धु सभ्यता के स्थल लोथल का महत्त्ि बताइए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2018]

लोथल - 1955 में अहमदाबाद ( गुजरात ) में भोगिा िदी के तट पर रिं गिाथ राि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की | यह
एक प्रमुख बिंदरगाह िगर था | लोथल के प्रमुख खोज क्रमर्: िाि , बिंदरगाह , सदर्ा मापक यिंत्र , िार ( इराि ) की
खाड़ी की मुहरें , मिके ( आभूषण ) की दुकाि है |

Question 4. तसन्धु सभ्यता के दो प्रमुख स्थल , जहािं से कृतर् साक्ष्य तमलें है |


( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2014]

कृ सष ाक्ष्य युि स न्धु भ्यता के दो प्रमुख स्थल – (1) रिं गपुर – िािल , ज्िार , बाजरा के ाक्ष्य (2) हड़प्पा – जले हु ए
गेहिं के दािे |

Question 5. तसन्धु सभ्यता के उर्त्री भाग में तस्थत उसके तकसी एक पुरास्थल के तिर्य में उर्ललेख कीतजए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2015]

हड़प्पा – 1921 में र्ासहिाल ( पासकस्ताि ) में रािी िदी के तट पर दयाराम ाहिी िे हड़प्पा की खोज की | हड़प्पा के
प्रमुख खोज क्रमर्: दो कतारों में कुल 12 अन्ि भिंडार , श्रसमक आिा , R – 37 ि H कसिस्ताि , लकड़ी की िाली ,
कािंस्य दपा ण , जले हु ए गेहिं के दािे है | यह हड़प्पा भ्यता का ब े प्रािीि िगर था | इ मय भारतीय पुरातवि
सिभाग के महासिदेर्क र जॉि मार्ा ल थे |

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Question 6. तसन्धुघाटी सभ्यता के निीनतम स्थल की जानकारी दीतजये | ( अिंक : 4 , र्ब्द सीमा : 60 )

‘भारतीय पुरातवि एििं िेक्षण सिभाग’ स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल की खोज हे तु सिरिं तर अग्र र है |
स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल (1) 2008 – हु ला , मेरठ ( उत्तरप्रदेर् ) (2) 2015 – सबजिोर ( उत्तरप्रदेर् ) , (3)
2016 – बोताड़ ( गुजरात ) (4) 2016 – बेजलका ( गुजरात ) (5) 2017 – बालाथल ( राजस्थाि ) (6) 2017 – कुणाल
( हररयाणा ) (7) 2017 – मिािा ( हररयाणा )

तसिंधु घाटी सभ्यता का पतन


Question 7. तसन्धु सभ्यता के चार सिंभातित कारणों का उर्ललेख कीतजए | ( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 )
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2016]

महाि इसतहा कारों िे अपिे र्ोध े स न्धुघाटी भ्यता के पति के सिसभन्ि मत प्रस्तुत सकये है जो इ प्रकार है : (1)
जॉि मार्ा ल के अिु ार स न्धुघाटी भ्यता का ‘भूकिंप’ (2) जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके के अिु ार ‘बाढ़’ (3) ऑरे ल
स्टाइि के अिु ार ‘जलिायु पररिता ि’ (4) गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर के अिु ार ‘सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के
आक्रमण’ |

Question 8. तसन्धुघाटी सभ्यता के पतन का कारण तलतखए | ( अिंक : 4 , र्ब्द सीमा : 60 )

महाि इसतहा कारों िे अपिे र्ोध े स न्धुघाटी भ्यता के पति के सिसभन्ि मत प्रस्तुत सकये है जो इ प्रकार है : (1)
जॉि मार्ा ल के अिु ार स न्धुघाटी भ्यता का ‘भूकिंप’ (2) जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके के अिु ार ‘बाढ़’ (3) ऑरे ल
स्टाइि के अिु ार ‘जलिायु पररिता ि’ (4) गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर के अिु ार ‘सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के
आक्रमण’ | (5) िेयर सिा के अिु ार ‘ििों का कटाि , िं ाधि की कमी’ ि पाररसस्थसतक अ िंतुलि’ |
मूर्लयािंकन – स न्धुघाटी भ्यता के पति का िास्तसिक कारण ज्ञात िहीं है |

तसिंधु घाटी सभ्यता की धातु की मूततशयािं


Question 9. तसिंधु सभ्यता के अिंतगशत धातु मूततशयों पर तटप्पणी कीतजए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2017]

(1) तािंबा धातु - स िंधु िास यों िे मूसता सिमाा ण में िा प्रथम तािंबा धातु का प्रयोग सकया | उदाहरण - दैमाबाद े प्राप्त तािंबे
का हाथी ि गेंडा (2) कािंस्य धातु - स िंधु िास यों िे प्रथम बार तािंबे तथा टीि को समलाकर कािं ा तैयार सकया | उदाहरण -
कािंस्य िता की ( मोहिजोदड़ो ) |

टेराकोटा तफगररन ( मण्ृ मुततशकाएिं )


Question 10. टेराकोटा तफगररन ( मृण्मुततशकाएिं ) का आर्य स्पष्ट कीतजये | तसिंधघ ु ाटी सभ्यता के पररपेक्ष्य
में टेराकोटा तफगररन के महत्त्ि पर प्रकार् डातलए | ( अिंक : 8 , र्ब्द सीमा : 100 )

आग में पक्की समट्टी े बिी मुसता काएिं को टेराकोटा सिगररि ( मृण्मुसता काएिं ) कहते है | स िंधुघाटी भ्यता के पररपेक्ष्य में
टेराकोटा सिगररि का महत्त्ि (1) मातृ त्तावमक - हड़प्पा े स्त्री मृण्मुसता काएिं िाा सधक प्राप्त हु ए है जो इ बात का
घोतक है सक स िंधु भ्यता का माज मातृ त्तावमक थी | (2) गाय - गाय की मृण्मुसता काएिं प्राप्त िहीं हु ई है | गाय का
महत्त्ि िैसदक भ्यता े प्राप्त होता है | (3) कूबड़ िाला बैल ( िृषभ ) - मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल की
मृण्मुसता काएिं पसित्र पर्ु का प्रतीक है | (4) बिािट - मािि मृण्मुसता काएिं ‘ठो ’ जबसक पर्ु – पसक्षयों के मृण्मुसता काएिं
‘खोखली’ थी |

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तसिंधु घाटी सभ्यता के प्रमख


ु खोज
Question 11. सिंतक्षप्त तटप्पणी कीतजये : ( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 )
(1) मातृदि े ी ( पृथ्िी देिी )
(2) पारदर्ी िस्त्र में नतशकी
(3) पर्ुपतत मुहर ( आधतर्ि )
(4) पुरोतहत राजा की मूततश
(5) नतशकी की नग्न मूततश
(6) स्िातस्तक तचन्ह युि मुहर

(1) मातृदिे ी ( पृथ्िी देिी ) – हड़प्पा े उवखिि े मातृदेिी की अिेक मूसता याँ प्राप्त हु ई है | यह न्ै धि र्ैली पर
आधाररत है | यह स न्धु कला का श्रेष्ठ िमूिा है | हड़प्पा े प्राप्त एक मूसता में एक स्त्री के गभा े सिकलता हु आ पौधा
सदखाया गया है | िंभित: यह पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रसतमा है | इ का िंबिंध पौधों के जन्म तथा िृसद्ध े रहा होगा |
हड़प्पा के लोग इ े पृथ्िी की उिा रता देिी मािते थे | इ की पूजा उ ी तरह करते थे सज प्रकार समस्र के लोग आइस
की पूजा करते थे |

(2) पारदर्ी िस्त्र में नतशकी – इ े हड़प्पा े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला का
श्रेष्ठ िमूिा है | िता की के गले में पड़े हार के अलािा पारदर्ी िस्त्र है |

(3) पर्ुपतत मुहर ( आधतर्ि ) – इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु
कला का श्रेष्ठ िमूिा है | इ में सत्रमुखी पुरुष को एक िौकी के ऊपर पद्मा ि मुद्रा में बैठे हु ए सदखाया गया है | उ के
स र में स िंग है तथा कलाई े किंधे तक उ की दोिों भुजाएिं िूसड़यों े युि है | मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत की मुहर पर
बैल का सित्र अिंसकत िही है | इ मुहर में जाििरों की कुल िंख्या 9 है जबसक जाििरों के कुल प्रकार 7 है |
मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा , सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि है |
(4) पुरोतहत राजा की मूततश - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला
का श्रेष्ठ िमूिा है | यह ेलखड़ी ( कािंिली समट्टी ) े सिसमा त है | इ में राजा की दाढ़ी करीिे े िंिारी गयी है लेसकि
मूिंछे िहीं है |

(5) नतशकी की नग्न मूततश - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला
का श्रेष्ठ िमूिा है | यह एक कािंस्य िता की है | िता की के गले में पड़े हार के अलािा पूणात: िग्ि है | स र के पीछे उ के
बालों की छोटी लटें एक बुिी हु ई परट्टका द्वारा िंिारी गयी है | स र पीछे की ओर झुकाएिं , आँखे झुकी हु ई , दायें भुजाएिं
कुर्लहे पर टीकाएँ तथा बाएिं भुजा िीिे की ओर लटकी हु ई | यह मूसता सस्थर मुद्रा को दर्ाा ती है |

(6) स्िातस्तक तचन्ह युि मुहर - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु
कला का श्रेष्ठ िमूिा है | मोहिजोदड़ो े प्राप्त मुहर पर स्िासस्तक सिन्ह का अिंकि य
ू ा पूजा का प्रतीक मािा जाता है |
सहन्दू धमा में आज भी स्िासस्तक को पसित्र मािंगसलक सिन्ह मािा जाता है |

नगर तनयोजन पितत


Question 12. तसन्धुघाटी सभ्यता के नगर तनयोजन पितत पर प्रकार् डातलए |
( अिंक : 20 , र्ब्द सीमा : 250 )

(1) िगरीय भ्यता - स न्धुघाटी भ्यता एक ‘िगरीय भ्यता’ है | इ कें 1401 स्थलों की खोज की जा िुकी है | ुदृढ़
आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ | (2) जाल पद्धसत - स न्धुघाटी भ्यता का

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िगर सियोजि जाल पद्धसत पर आधाररत है | एक दू रे को मकोण पर काटती ीधी रे खाओिं की पद्धसत को जाल पद्धसत
कहते है | यह र्तरिं ज के सि ात की भाँती होती है | (3) िगरीय िंरििा - स न्धुघाटी भ्यता का िगर सियोजि
आयताकार है | जब लोग एक ही स्थल पर सियसमत रूप े रहते है तो उ आिा ीय स्थल को टीला कहते है | टीला के
प्रकार -1. दुगा टीला ( पसिमी टीला ) - असधक ऊिंिाई पर सस्थत टीला जो पुरोसहत िगा ( र्ा क िगा ) का आिा स्थल था |
2. िगर टीला ( पूिी टीला ) - कम ऊिंिाई पर सस्थत टीला जो व्यापारी , िागररक , सै िक , सर्र्लपी िगा आिा स्थल था |

तसन्धुघाटी सभ्यता के नगर तनयोजन की तिर्ेताएाँ : (1) ड़क - ड़के एक – दू रे को मकोण पर कटती है तथा
| मकाि ड़कों के दोिों ओर सिन्यस्त है | उदाहरण : हड़प्पा , मोहिजोदड़ो , िन्हु दड़ो का िगर सिन्या (2) पक्की ईिंटों
का प्रयोग - सिर्ाल भिि के सिमाा ण हे तु | उदाहरण : हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल भिि | (3) ािा जासिक
स्िािागार – धमाा िष्ठ
ु ाि काया हे तु | उदाहरण : मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल स्िािागार | (4) अन्ि भण्डार - भण्डारण
एििं व्यापार िंिालि हे तु | उदाहरण : हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल अन्ि भण्डार | (5) जल सिका ी प्रणाली –
इ भ्यता की ब े महविपूणा सिर्ेषता जल सिका ी की उत्तम व्यिस्था थी जो इ के मकालीि भ्यता ुमेर ,
समस्र , मे ोपोटासमया में िहीं थी | उदाहरण : हड़प्पा , कालीबिंगा े प्राप्त लकड़ी की िाली तथा धौलािीरा े प्राप्त
व्यिसस्थत जल सिका ी व्यिस्था | (6) बिंदरगाह िगर - सिदेर्ी व्यापार के सलए | उदाहरण : ुवकािंगेडोर , ुवकोतड़ा ,
लोथल , रिं गपुर |

मूर्लयािंकन - स न्धुघाटी भ्यता में िगर सियोजि सिकस त थी जो इ बात का घोतक है सक इ भ्यता के लोग
आसथा क , ामासजक , राजिीसतक एििं िैज्ञासिक दृसि े ुदृढ़ थे |

आतथशक जीिन
Question 13. तसन्धुघाटी सभ्यता के आतथशक जीिन ( अथशव्यिस्था ) पर प्रकार् डातलए |
( अिंक : 20 , र्ब्द सीमा : 250 )

स न्धुघाटी भ्यता के लोग आसथा क दृसि े मृद्ध थे | ये कृ सष , व्यापार तथा पर्ुपालि में उन्ित थे | (1) कृ सष : कपा
, गेहिं , िािल , जौ आसद प्रमुख ि ल थे | उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त जले हु ए गेहिं के दािें , धाि की भू ी , रिं गपुर े प्राप्त
िािल के दािें | स िंिाई पद्धसत - रहत | कपा - यूिािी कपा को स िंडोि ि मे ोपोटासमया के लोग कपा को महु आ
कहते थे | सिश्व में ब े पहले कपा की खेती भारत ( मोहिजोदड़ो ) में हु ई | (2) पर्ुपालि - बैल , गाय , बकरी , भैं ,
भेड़ , गधे , ऊँठ आसद का पालि सकया जाता था | उदाहरण - ुरकोतड़ा े प्राप्त घोड़े के असस्थ अिर्ेष , मोहिजोदड़ो े
प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा , सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि , हड़प्पा े प्राप्त इक्का
गाड़ी | र्ेर े अपररसित थे | गाय के अिर्ेष प्राप्त िही हु आ | (3) व्यापार - जल ि थल दोिों मागो े व्यापार होता था |
इ भ्यता के लोग िार ( सदलमुि या बहरीि तथा मकराि तट े ) , मे ोपोटासमया , समस्र , रोम , अिगासिस्ताि ,
दसक्षण भारत े व्यापार करते थे | उदाहरण - लोथल े प्राप्त िाि एििं बिंदरगाह , िार की मुहरें , सदर्ा मापक यन्त्र ,
मिके की दूकाि , िन्हु दड़ो े प्राप्त मिके का कारखािा | प्रमुख आयत – अिगासिस्ताि े सटि , िािंदी ; बदख्र्ािं
( अिगासिस्ताि ) े लजिाई , मसण , िीलरति ; कोलर ( किाा टक ) , अिगासिस्ताि े ोिा ; खेतड़ी ( राजस्ताि )
े तािंबा | स न्धुघाटी े कपा रोम में सियाा त होता था | माप-तौल हे तु 16 के आिता क ( 1 , 2 , 4 , 8 , 16 , 32 , 64 , 160 ,
320 ) का प्रयोग सकया जाता था | उदाहरण : धौलािीरा े प्राप्त तौल के बाँट तथा ुवकोतड़ा े प्राप्त तराजू के पलड़े |
मुहरें िौकोर होती थी | उदाहरण : मोहिजोदड़ो े िाा सधक मुहरें प्राप्त हु ए है | यहाँ िस्तु सिसिमय तथा मुद्रा सिसिमय
प्रणाली थी | उदाहरण : लोथल े प्राप्त िार की मुहरें |

मूर्लयािंकन - उपरोि जािकारी े इ बात की पुसि होती है सक यह आसथा क दृसि े सिकस त एििं ुदृढ़ भ्यता थी |
ुदृढ़ आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ |

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सामातजक जीिन
Question 14. तसन्धुघाटी सभ्यता के सामातजक जीिन पर प्रकार् डातलए |
( अिंक : 20 , र्ब्द सीमा : 250 )

ामासजक व्यिस्था - स न्धुघाटी भ्यता पररिार मातृ त्तावमक एििं र्ा ि व्यिस्थता प्रजातासन्त्रक थी | उदाहरण :
हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं | स न्धुघाटी भ्यता के लोग ामासजक दृसि े मृद्ध थे | माज मुख्यत: दो िगों
में सिभि था : (1) पुरोसहत िगा ( र्ा क िगा ) – जो दुगा टीला अथाा त् असधक ऊिंिाई पर सस्थत टीला पर सििा करते थे |
(2) िागररक िगा – जो िगर टीला अथाा त् कम ऊिंिाई पर सस्थत टीला पर सििा करते थे | ती प्रथा - स न्धु भ्यता में
ती प्रथा के ाक्ष्य प्राप्त हु ए है | उदाहरण - लोथल े प्राप्त युगल र्िाधि | मृवयु िंस्कार - स न्धु भ्यता में मृतकों के
अिंसतम िंस्कार की 3 प्रथा प्रिसलत थी : (1) दाह- िंस्कार अथाा त् जलािा (2) पूणा मासधकरण अथाा त् दििािा (3)
आिंसर्क मासधकरण अथाा त् खुला छोड़िा | कला एििं िंस्कृ सत - स न्धु भ्यता में सिकस त कला एििं िंस्कृ सत थी , जो
इ प्रकार है : (1) िृवय कला - मोहिजोदड़ो े प्राप्त कािंस्य िता की , हड़प्पा े प्राप्त पारदर्ी िस्त्र में िता की (2) सित्रकला
- मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि युि मुहरें , कूबड़ िाला बैल युि मुहरें ि हड़प्पा े प्राप्त एक बता ि में बिा मछुिारें
का सित्र (3) मूसता कला - मोहिजोदड़ो े प्राप्त पुरोसहत की प्रसतमा तथा हड़प्पा े प्राप्त कािंस्य की इक्का गाड़ी , मक्खी
के आकृ सत की गुसड़या | िास्तुकला - भिि सिमाा ण की कला को िास्तुकला कला कहते है | भारत में िास्तुकला की
र्ुरुिात स न्धुघाटी िास यों िे सकया | स न्धुघाटी एक िगरीय भ्यता थी | ड़के मकोण पर काटती हु ई बिाई गयी
थी सज के सकिारे िासलयों की उत्तम व्यिस्था थी | िगर रु क्षा हे तु मजबूत प्रािीर बिाये गये थे | घरों का सिमाा ण
ड़कों के सकिारे एक ीध में सकया गया तथा घरों में कई कमरें , र ोईघर , स्िािघर तथा बीि में आँगि की व्यिस्था
थी |
मूर्लयािंकन - उपरोि जािकारी े इ बात की पुसि होती है सक यह ामासजक दृसि े सिकस त एििं दृु ढ़ भ्यता थी
| माज एििं पररिार मातृ त्तावमक थी अथाा त् सस्त्रयों का जीिि उन्ित एििं उन्हें माज में मािता का असधकार प्राप्त
था |

धातमशक जीिन
Question 15. तसन्धुघाटी सभ्यता के धातमशक प्रतीक तचन्ह पर सिंतक्षप्त तटप्पणी कीतजये |
( अिंक : 4 , र्ब्द सीमा : 60 )

स न्धुघाटी भ्यता के उवखिि े धासमा क प्रतीक सिन्ह प्राप्त हु ए है | सजिकी जािकारी के मुख्य स्त्रोत मुहरें है जो
इ प्रकार है : (1) मातृ देिी ( भूसम ) – मुख्य ईि देि (2) पर्ुपसत सर्ि – योगीश्वर (3) कूबड़ िाला बैल – पसित्र पर्ु (4)
कबूतर – पसित्र पक्षी (5) पीपल – पसित्र िृक्ष (6) स्िासस्तक – य ू ा उपा िा का प्रतीक (7) ताबीज – प्रजिि र्सि का
प्रतीक (8) भैं ा – सिजय का प्रतीक (9) बकरा – बसल हे तु प्रयुि (10) कािंस्य िता की – िृवय की पररकर्लपिा (11) युगल
र्िाधाि – पसत के ाथ पविी का ती होिा |

Question 16. तसन्धुघाटी सभ्यता के धातमशक जीिन पर प्रकार् डातलए |


( अिंक : 8 , र्ब्द सीमा : 100 )

प्रकृतत उपासक - स न्धुघाटी भ्यता के लोग प्रकृ सत के उपा क थे | धरती की उिा रता को देिी मािकर पूजा जाता था
| उदाहरण : हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं , िारी के गभा े पौधा उगते ाक्ष्य प्राप्त |
धातमशक प्रतीक तचन्ह – स न्धुघाटी भ्यता के उवखिि े धासमा क प्रतीक सिन्ह प्राप्त हु ए है | सजिकी जािकारी के
मुख्य स्त्रोत मुहरें है जो इ प्रकार है : (1) मातृ देिी ( भूसम ) – मुख्य ईि देि (2) पर्ुपसत सर्ि – योगीश्वर (3) कूबड़ िाला
बैल – पसित्र पर्ु (4) कबूतर – पसित्र पक्षी (5) पीपल – पसित्र िृक्ष (6) स्िासस्तक – य ू ा उपा िा का प्रतीक (7) ताबीज –

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प्रजिि र्सि का प्रतीक (8) भैं ा – सिजय का प्रतीक (9) बकरा – बसल हे तु प्रयुि (10) कािंस्य िता की – िृवय की
पररकर्लपिा (11) युगल र्िाधाि – पसत के ाथ पविी का ती होिा

धातमशक मत – (1) जादू-टोिा (2) तसबजो का प्रयोग (3) मूसता पूजा आसद का िलि था , सकन्तु मिंसदरों का सिमाा ण िही
होता था | (4) पर्ु बसल प्रथा (5) भुत-प्रेत एििं तिंत्र-मिंत्र में सिश्वा (6) पुिजा न्म में सिश्वा (7) पदाा प्रथा एििं िैश्यािृसत
प्रिसलत थी |

तसिंधु घाटी सभ्यता की तचत्राक्षर तलतप


Question 17. तसन्धुघाटी सभ्यता के तलतप के बारें में सिंतक्षप्त जानकारी दीतजये | ( अिंक : 8 , र्ब्द सीमा : 100 )

स न्धुघाटी भ्यता की सलसप सित्राक्षर है सज में िाा सधक मछली , सिसड़या , माििाकृ सत आसद का अिंकि समलता है | इ े
पढिे में िलता प्राप्त िही हु ई | सलसप की जािकारी का मुख्य स्रोत मुहरें हैं | उदाहरण स्िरुप धौलािीरा े प्राप्त ुििा
पत्र में स न्धु सलसप के 10 बड़े अक्षर है | 1873 में अलेक्जेंडर कसििंघम िे स न्धु सलसप के बारे में िा प्रथम सििार व्यि
सकया | अलेक्जेंडर कसििंघम िे सििार व्यि सकया की इ सलसप का िंबिंध िाम्ही सलसप े है | 1925 में L.A. िैडेल स न्धु
सलसप को पढ़िे का िा प्रथम प्रया सकया | स न्धु सलसप के असधकािंर् ाक्ष्य फ़ार ी सलसप के माि दाएिं े बाएिं सलखे
समले है | ामान्यत: मािा जाता है सक स न्धु सलसप दाएिं े बाएिं ओर सलखी जाती थी | इ सलसप में अिंग्रेजी के ‘U अक्षर’
तथा ‘मछली’ का िाा सधक अिंकि समलता है |

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