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तसिंधुघाटी सभ्यता
• स िंधुघाटी भ्यता ( 2300 BC – 1750 BC )
• भारतीय पुरातासविक एििं िेक्षण सिभाग ( 1956 )
• स िंधु घाटी भ्यता का काल सिधाा रण
• महविपण ू ा तथ्य
• स िंधु घाटी भ्यता का भौगोसलक सिस्तार
• स िंधु घाटी भ्यता कालीि प्रमुख िगर
• स िंधु घाटी भ्यता के प्रमुख खोज
• प्रमुख खोज का सििरण
• स न्धुघाटी भ्यता की सित्राक्षर सलसप
• स न्धुघाटी भ्यता के पति का कारण
• स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल
• िगर सियोजि पद्धसत
• ामासजक जीिि
• आसथा क जीिि ( अथा व्यिस्था )
• धासमा क जीिि
• टेराकोटा सिगररि ( मण्ृ मुसता काएिं )
• मदृ भािंड )समट्टी का बता ि (
• स िंधु घाटी भ्यता ि िैसदक भ्यता में अिंतर
• हड़प्पा कालीि धातु
• महविपण ू ा िस्तुसिष्ठ प्रश्नोत्तर
• मुख्य परीक्षा आधाररत महविपण ू ा प्रश्नोत्तर
तसन्धुघाटी सभ्यता
2300 BC – 1750 BC
तसिंधघ
ु ाटी सभ्यता का नामकरण
क्र. नामकरण तििरण
▪ आरिं सभक उवखिि तसिंधु नदी के आ – पा हु यी इ सलए इ े सर जॉन मार्शल द्वारा तसिंधुघाटी
1 तसिंधुघाटी सभ्यता सभ्यता कहा गया |
▪ हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी - सर जॉन मार्शल
[RAS/RTS PRE 1997]
▪ प्रमुख उवखिि सरस्िती नदी के आ – पा हु यी इ सलए इ े तसिंधु – सरस्िती सभ्यता
2 तसिंधु सरस्िती सभ्यता भी कहते है |
▪ आधुसिक खोज के आधार पर रस्िती िदी का िता माि िाम - घग्घर नदी
▪ 1921 ई. -इ भ्यता की खोज िा प्रथम हड़प्पा में हु ई , इ सलए इ े हड़प्पा सभ्यता कहा
3 हड़प्पा सभ्यता जाता है |
▪ खोजकताा - दयाराम साहनी
▪ िा प्रथम मिुष्य द्वारा औजारों के सलए सज धातु का प्रयोग हु आ – तािंबा ( 5000 ई.पू. )
4 ताम्र युगीन सभ्यता
▪ उदाहरण - तािंबे के बाण ( बिािली ) , तािंबे का रथ ( दैमाबाद ) [CGPSC PRE 2012]
▪ स धिं ु िास यों िे प्रथम बार तािंबे तथा टीि को समलाकर कािं ा तैयार सकया | अत: इ े कािंस्य युगीि
5 कािंस्य युगीन सभ्यता भ्यता कहा जाता है |
▪ उदाहरण - कािंस्य िता की ( मोहिजोदड़ो ) , कािंस्य दपा ण ( हड़प्पा ) , कािंस्य का रथ ( हड़प्पा )
▪ भारत में िगरों का उदय इ ी भ्यता में हु आ इ सलए इ े प्रथम नगरीय सभ्यता भी कहते है |
6 प्रथम नगरीय क्रािंतत
▪ उदाहरण - मकोण पर काटती ड़क , आधुसिक िास्तुकला
▪ स धिं ु घाटी भ्यता एक िगरीय भ्यता थी जबसक आया भ्यता ( िैसदक भ्यता ) एक ग्रामीण
7 गैर – आयश सभ्यता
भ्यता थी | [UPPSC GIC 2010]
भारतीय परु ातत्ि एििं सिेक्षण तिभाग ( Archaeological Survey of India : ASI )
• स्थापिा - 1861 ( अलेक्जेंडर कसििंघम द्वारा )
• पुि: स्थापिा - 1901 ( लाडा कजा ि द्वारा असधसियसमत कर पुि: स्थापिा )
• पुि: स्थापिा - 1956 ( भारतीय िंसिधाि के अिुच्छे द 49 के तहत )
• मुख्यालय - िई सदर्लली
• काया - भारत में प्रागैसतहास क स्थलों को खोजिे तथा िंरक्षण
• िंस्थापक - अलेक्जेंडर कतनिंघम
• िाय राय - लाडश केतनिंग
तितभन्न तकश
क्र. िर्श तिद्वान तकश
नगरीय सभ्यता ( र्हरी सभ्यता )
1 1826 िार्ल ा मे ि िा प्रथम िार्ल ा मे ि िे हड़प्पा िामक स्थल पर एक प्रािीि भ्यता के अिर्ेष
समलिे के प्रमाण की पुसि की थी |
कुर्ाण कालीन सभ्यता
2 1861 अलेक्जेंडर कसििंघम
( प्रथम पुरातविसिद जो इ के महत्त्ि को िहीं मझ पाया ) [UPPSC MAINS 2006]
नगरीय सभ्यता ( र्हरी सभ्यता )
3 1921 र जॉि मार्ा ल व्यिसस्थत उवखिि प्रारिं भ करिाया तथा इ े ुमेर , समस्र , िार ( इराि )
मे ोपोटासमया ( इराक ) , यूिाि की भ्यता के मकालीि िगरीय भ्यता बताया |
महत्िपूणश तथ्य
क्र. तथ्य तििरण
[UPPSC PRE 1996]
1 आद्य – ऐसतहास क काल स िंधु भ्यता आद्य – ऐसतहास क काल े िंबिंसधत है |
[BPSC PRE 1994]
प्रािीि मे ोपोटासमया ासहवय के अिु ार हड़प्पा भ्यता के
2 मेलुहा [CGPSC ADPPO 2017]
मेलुहा िामक स्थल के व्यापारी मे ोपोटासमया में सििा करते थे |
3 र जॉि मार्ा ल हड़प्पा ि मोहिजोदड़ो की पुरातासविक खुदाई के प्रभारी
▪ तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी
4 हड़प्पा कालीि धातु
▪ लोहा े अपररसित थे |
हड़प्पा िंस्कृ सत की मुहरों ि टेराकोटा में अिंकि है :
5 मुहरें ि टेराकोटा ▪ भैं , गैंडा , हाथी , बाघ , सहरण , मछली , घसड़याल , भेड़
▪ गाय का अिंकन नही समलता है |
क्षेत्रफल तिस्तार
• हड़प्पा भ्यता का िता माि क्षेत्रिल - 15,02,097 िगा सक.मी.
• क्षेत्रफल तिस्तार
▪ पूिा े पसिम तक लम्बाई - 1600 सक.मी.
▪ उत्तर े दसक्षण तक लम्बाई - 1400 सक.मी.
• हड़प्पा भ्यता का क्षेत्रिल मकालीि समस्र की नील नदी घाटी तथा सुमरे रया ( इराक ) की सभ्यता े असधक है |
हड़प्पा
• खोज - 1921 [MPPSC PRE 1990]
• खोजकताा - रायबहादूर दयाराम ाहिी [CGPSC PRE 2003][CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – र्ासहिाल , प्रािंत – पिंजाब ( पासकस्ताि ) [UPPSC PRE 1994]
• िदी - रािी [UPUDA/LDA MAIN 2010] [UPPSC MAINS 2008]
• भारतीय पुरातवि सिभाग के महासिदेर्क - सर जॉन मार्शल
• तिर्ेर् कािंस्य का इक्का गाड़ी
▪ हड़प्पा भ्यता का िा प्रथम उर्ललेख - चार्लसश मेसन ( 1826 )
▪ हड़प्पा भ्यता का ब े प्रािीि िगर [CGPSC SES 2017]
▪ हड़प्पा भ्यता की दू री राजधािी
▪ हड़प्पा भ्यता का दू रा बड़ा िगर
▪ हड़प्पा की खोज ब े पहले हु ई | इ सलए इ े हड़प्पा भ्यता भी कहते है |
चन्हुदड़ो
• खोज - 1931
• खोजकताा - गोपाल मजुमदार
• स्थाि - प्रान्त – स िंध ( पासकस्ताि ) [UPPSC GIC 2010]
• िदी - स िंधु
• तिर्ेर्
▪ औद्योसगक िगर प्रसाधन के साक्ष्य
▪ एकमात्र पुरास्थल जहािं े िक्राकर ई िंट समली है |
रोपड़
• खोज - 1953
• खोजकताा - यज्ञदत्त र्माा
• स्थाि - सजला – रूपिगर ( पिंजाब ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - तलज [UPUDA/LDA 2010]
• प्रमुख खोज - कुत्ते का मासलक के ाथ दफ़िािे का ाक्ष्य
रिं गपरु
• खोज - 1953
• खोजकताा - रिं गिाथ राि , माधि स्िरुप िव
• स्थाि - सजला - कासठयािाड़ ( ोराष्र क्षेत्र ) , गुजरात [RAS/RTS PRE 1999]
• िदी - भादर
चािल ( धान ) के दाने
लोथल
• खोज - 1955
• खोजकताा - रिं गिाथ राि [CGPSC AMO 2017]
• स्थाि - सजला – अहमदाबाद ( गुजरात ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - भोगिा ( ाबरमती की हायक िदी ) [UPUDA/LDA 2010]
• तिर्ेर्
▪ औधोसगक िगर घोड़े की मूततश (टेराकोटा)
▪ बिंदरगाह िगर या पत्ति िगर
▪ यहािं समस्र ि मे ोपोटासमया ( इराक ) े जहाज आते थे |
▪ यहािं असग्ि पूजा प्रिसलत थी ( असग्ि देिी के ाक्ष्य )
दैमाबाद
• खोज - 1958
• खोजकताा - B.P. बोपसदा कर
• स्थाि - सजला – अहमदिगर ( महाराष्र ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - प्रिरा ( गोदािरी की हायक िदी ) ताम्बे का रथ
• प्रमुख खोज - तािंबे का रथ [CGPSC PRE 2012]
• सिर्ेष - ब े दसक्षणतम स्थल
आलमगीरपरु
• खोज - 1958
• खोजकताा - यज्ञदत्त र्माा
• स्थाि - सजला – मेरठ ( उत्तर प्रदेर् ) [UPPSC PRE 1996]
• िदी - सहिंडि ( यमुिा की हायक िदी )
रोटी बेलने की चौकी
सरु कोतड़ा
• खोज - 1964
• खोजकताा - जगपसत जोर्ी [UPPSC MAINS 2003]
• स्थाि - सजला – कच्छ ( गुजरात )
• िदी - रस्िती
घोड़े की हड् डी
मीताथल
• खोज - 1968
• खोजकताा - रू जभाि
• स्थाि - सजला – सभिािी ( हररयाणा )
• िदी - घग्गर
• प्रमुख खोज - तािंबे की कुर्लहाड़ी , र्िंख की िूसड़यािं
राखीगढ़ी
• खोज - 1969
• खोजकताा - रू जभाि
• स्थाि - सजला – सह ार ( हररयाणा ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - घग्गर ( रस्िती )
बनािली
• खोज - 1973
• खोजकताा - रिींद्र स िंह सिि [UPPSC PRE 1992]
• स्थाि - सजला – सह ार ( हररयाणा ) [UPUDA/LDA 2006]
• िदी - घग्गर ( रस्िती ) [RAS/RTS PRE 2010]
उन्नत तकस्म के जौ
मािंडा
• खोज - 1982
• खोजकताा - जगपसत जोर्ी
• स्थाि - सजला – जम्मू ( जम्मू – कश्मीर ) [UPPSC PRE 1992]
• िदी - सििाब
धौलािीरा
• धौलािीरा का अथा - सफ़ेद कुआिं ( पासलर्दार श्वेत पवथर की असधकता )
• खोज - 1990
• खोजकताा - रिींद्र स िंह सिि [UPPSC MAINS 2003]
• स्थाि - सजला – कच्छ ( गुजरात ) [UPPSC MAINS 2010]
• िदी - लूिी
• सिर्ेष - धौलािीरा े तीि िगरों के अिर्ेष प्राप्त हु ए [CGPSC PRE 2015] र्ैलकृत जलकिंु ड
अन्नागार
1
दो कतारों में कुल 12 अन्ि भिंडार
2 श्रसमक आिा
R – 37 कतिस्तान
2 प्रकार के कतिस्तान
3
R – 37 ि H कसिस्ताि H कतिस्तान
4 लकड़ी की िाली
माउन्ट ‘AB’
माउन्ट ‘F’
6 कािंस्य दपा ण
8
जौ
9 भूिं े के सतिके
10
पारदर्ी िस्त्र पहिे एक मसहला की मूसता
मोहनजोदड़ो
क्र. सामग्री तचत्र
तिर्ाल अन्नागार
( ब े सिर्ाल भिि )
1
[UPPSC PRE 1992] [UPPSC GIC 2010]
[Uttrakhand UDA/LDA MAINS 2007]
2 सिर्ाल स्िािागार
4 16 मकािों का बैरक
5 महासिद्यालय
7 घोड़े की दािंत
8 हाथी के कपालखिंड
9 त
ू ी के कपड़े
10 बिंदर की मूसता
कुओिं के अिर्ेष
15
[UPPSC PRE 2004]
पर्ुपतत तर्ि
( भैं ा , गैंडा , सहरण , हाथी , बाघ , घसड़याल , मछली )
16 सिर्ेष : मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत की मुहर पर बैल ि घोड़ा
का सित्रअिंसकत िहीं है |
[UPPSC MAINS 2009]
19 आधा भाग स्टार मछली ि आधा भाग बाघ की आकृ सत युि मुहरें
22 र्तरिं ज
चन्हुदड़ो
क्र. सामग्री तचत्र
3 िक्राकार ईिंटे
लोथल
क्र. सामग्री तचत्र
1 िाि
गोदीबाड़ा ( बिंदरगाह )
2
[UPSC PRE 2002]
7 धाि की भू ी
अन्ि सप िे की िक्की
8
( िक्की के 2 पाट )
9
घोड़े की मूसता ( टेराकोटा )
10 युगल र्िाधाि
रोपड़
क्र. सामग्री तचत्र
रिं गपरु
क्र. सामग्री तचत्र
कालीबिंगा
क्र. सामग्री तचत्र
जूते हु ए खेत
2 [UPSC PRE 2002]
[UPPSC MAINS 2005]
4 लकड़ी की िाली
हिि कुिंड
5
( यज्ञ िेदीकाएिं )
धौलािीरा
क्र. सामग्री तचत्र
र्ैलकृ त जलकुिंड
1 ( Rock cut Reservoir )
[UPPSC PRE 2006]
उत्तम जल सिका ी
2
[UPPSC MAINS 2010]
3 तौल के बािंट
सुचना पत्र
5 ( स िंधु सलसप के 10 बड़े अक्षर )
[UPSC PRE 2002]
3 स्थलों के अिर्ेर्
( हड़प्पा , रोपड़ तथा बाड़ा की कसिस्ताि एििं िंस्कृ सत का
6
मन्िय )
[CGPSC PRE 2015]
बनािली
क्र. सामग्री तचत्र
1 उन्ित सकस्म के जौ
समट्टी का सखलौिा ( हल )
2 ( पक्की समट्टी की बिी हल की प्रसतकृ सत )
[UPSC PRE 2002]
3 तािंबे के बाण
सुरकोतड़ा
क्र. सामग्री तचत्र
1 घोड़े की हड् डी
3 तराजू का पलड़ा
दैमाबाद
क्र. सामग्री तचत्र
तािंबे का रथ
1
[CGPSC PRE 2012]
मीताथल
क्र. सामग्री तचत्र
1 तािंबे की कुर्लहाड़ी
2 र्िंख की िूसड़यािं
आलमगीरपरु
क्र. सामग्री तचत्र
2 र्ाही किगाह
दाढ़ी यि
ु परु ोतहत की मूततश
• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• सिमाा ण - सेलखड़ी ( कािंचली तमिी ) े सिसमा त
• तिर्ेर्
▪ दाढ़ी िाले पुजारी की मूसता ( पुरोसहत की प्रसतमा )
▪ इ में राजा की दाढ़ी करीिे े िंिारी गयी है लेसकि मूिंछे नहीं है |
स्िातस्तक तचन्ह यि
ु मुहर
• स्थाि - मोहिजोदड़ो
• तिर्ेर्
▪ सहन्दू धमा में आज भी स्िासस्तक को पतित्र मािंगतलक तचन्ह मािा जाता है |
▪ मोहिजोदड़ो े प्राप्त मुहर पर स्िातस्तक तचन्ह का अिंकि सूयश पूजा का प्रतीक
मािा जाता है |
े ी ( पथ्ृ िी देिी )
मातदृ ि
सुचना पत्र
स न्धु सलसप के 10 बड़े अक्षर ( धौलािीरा )
लेखन की र्ैली
▪ स न्धु सलसप के असधकािंर् ाक्ष्य फ़ारसी तलतप के माि दाएिं से बाएिं सलखे समले है |
1 दाएिं से बाएिं फ़ारसी तलतप ▪ ामान्यत: मािा जाता है सक स न्धु सलसप दाएिं े बाएिं ओर सलखी जाती थी |
▪ इ सलसप में अिंग्रेजी के U अक्षर तथा मछली का िाा सधक अिंकि समलता है |
2 बाएिं से दाएिं िाह्मी तलतप ▪ स न्धु सलसप के कुछ ाक्ष्य िाह्मी तलतप के माि बाएिं से दाएिं सलखे समले है |
क्र. इततहासकार मत
1 जॉि मार्ा ल भूकिंप
2 जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके बाढ़
3 माका ऑरे ल स्टाइि जलिायु पररिता ि
4 गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के आक्रमण
ििों का कटाि , िं ाधि की कमी ि
5 िेयर सिा
पाररतस्थततक असिंतल ु न
नगरीय सिंरचना
• स न्धुघाटी भ्यता का िगर सियोजि आयताकार है |
• जब लोग एक ही स्थल पर सियसमत रूप े रहते है तो उ आिा ीय स्थल को टीला कहते है |
सामातजक जीिन
सामातजक व्यिस्था
• पररिार - मातृ त्तावमक
• र्ा ि व्यिस्थता - प्रजातासन्त्रक
समि
ृ सामातजक तस्थतत
• स न्धुघाटी भ्यता के लोग ामासजक दृसि े मृद्ध थे |
• माज मुख्यत: दो िगों में सिभि था :
सती प्रथा
• स न्धु भ्यता में ती प्रथा के ाक्ष्य प्राप्त हु ए है |
• उदाहरण - लोथल े प्राप्त युगल र्िाधि
मत्ृ यु सिंस्कार
• स न्धु भ्यता में मृतकों के अिंसतम िंस्कार की 3 प्रथा प्रिसलत थी :
मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि युि मुहरें , कूबड़ िाला बैल युि मुहरें
2 सित्रकला
हड़प्पा े प्राप्त एक बता ि में बिा मछुिारें का सित्र
िास्तक
ु ला
• भिि सिमाा ण की कला को िास्तुकला कला कहते है |
• भारत में िास्तुकला की र्ुरुिात तसन्धुघाटी िातसयों िे सकया |
• स न्धुघाटी एक िगरीय भ्यता थी |
नगरीय सभ्यता
• स न्धुघाटी भ्यता एक नगरीय सभ्यता है |
• इ कें 1401 स्थलों की खोज की जा िुकी है |
• ुदृढ़ आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ |
• 7 बड़े िगर - हड़प्पा , मोहिजोदड़ो , िन्हु दड़ो , लोथल , कालीबिंगा , बिािली , धौलािीरा
कृतर्
• प्रमुख ि ल - कपा , गेहिं , िािल , जौ
• उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त जले हु ए गेहिं के दािें , धाि की भू ी , रिं गपुर े प्राप्त िािल के दािें
• स िंिाई पद्धसत - रहत
• कपा - यूिािी कपा को तसिंडोन ि मे ोपोटासमया के लोग कपा को महु आ कहते थे |
• सिश्व में ब े पहले कपा की खेती - भारत ( मोहनजोदड़ो ) [UPPSC PRE 2006]
• िस्त्र - कपा के िस्त्र ( त ू ी िस्त्र ) का प्रिलि ( मोहिजोदड़ो ) [UPSC PRE 2011] [MPPSC PRE 2012]
कपास
तसिंडोन मेंहुआ
यूिािी मे ोपोटासमया
पर्ुपालन
• प्रमुख पर्ु - बैल , गाय , बकरी , भैं , भेड़ , गधे , ऊँठ आसद का पालि
• उदाहरण - ुरकोतड़ा े प्राप्त घोड़े के असस्थ अिर्ेष , लोथल े प्राप्त घोड़े की मूसता ( टेराकोटा ) ,
मोहिजोदड़ो े प्राप्त घोड़े के दािंत , मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा ,
सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि , मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल युि मुहरें , हड़प्पा े प्राप्त इक्का गाड़ी |
गाय भैं ा
घोड़ा घसड़याल
हाथी बाघ र्ेर
कुत्ता सहरण
गैंडा मछली
ािंड
महत्िपूणश तथ्य
क्र. जानिर तििरण
गाय े पररसित थे परिं तु गाय के अिर्ेर् प्राप्त नही हु आ |
1 गाय [UPSC PRE 2001]
गाय का सित्रण सक ी मृण्मुसता काएिं ( टेराकोटा कलाकृ सतयािं ) िहीं हु आ था |
र्ेर से अपररतचत थे |
2 र्ेर [CGPSC PRE 2011]
र्ेर के अिर्ेष स िंधु घाटी भ्यता े प्राप्त िहीं हु ए है |
व्यापार
• व्यापार ि िासणज्य उन्ित दर्ा में था | [UPPSC PRE 1992]
• जल ि थल दोिों मागो े व्यापार होता था |
• हड़प्पा कालीन बिंदरगाह - ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि [CGPSC MAINS 2013]
• तसन्धु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार करते थे
1. िार ( इराि ) ( सदलमुि या बहरीि तथा मकराि तट े )
2. मे ोपोटासमया ( इराक )
3. समस्र
4. रोम ( इटली )
5. अिगासिस्ताि
6. दसक्षण भारत
• उदाहरण
▪ लोथल े प्राप्त िाि एििं बिंदरगाह , िार की मुहरें , सदर्ा मापक यन्त्र , मिके की दूकाि
▪ िन्हु दड़ो े प्राप्त मिके का कारखािा
• स न्धुघाटी े कपा रोम में सियाा त होता था | यूनानी लोग इ े तसिंडोन ि मेसोपोटातमया के लोग इ े मेंहुआ
कहते थे |
• प्रमुख आयत
व्यापाररक मापदिंड
क्र. मापदिंड तििरण उदाहरण
16 के आिता क धौलािीरा े प्राप्त तौल के बाँट तथा
1 माप-तौल
( 1 , 2 , 4 , 8 , 16 , 32 , 64 , 160 , 320 ) ुवकोतड़ा े प्राप्त तराजू के पलड़े
2 मुहरें िौकोर मोहिजोदड़ो े िाा सधक मुहरें प्राप्त हु ए है |
3 तितनमय प्रणाली िस्तु सिसिमय तथा मुद्रा सिसिमय लोथल े प्राप्त िार की मुहरें
धातमशक जीिन
प्रकृतत उपासक
• प्रकृ सत के उपा क
• धरती की उिा रता को देिी मािकर पूजा जाता था | [RAS/RTS PRE 1993]
• उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं , िारी के गभा े पौधा उगते ाक्ष्य प्राप्त |
6 स्िासस्तक य
ू ा उपा िा का प्रतीक
7 ताबीज प्रजिि र्सि का प्रतीक
धातमशक मत
• जादू – टोिा
• ताबीजों का प्रयोग
• मूसता पूजा आसद का िलि था , सकन्तु मिंतदरों का तनमाशण नही होता था | [UPSC PRE 2013]
• पर्ु बसल प्रथा
• भुत – प्रेत एििं तिंत्र – मिंत्र में सिश्वा
• पुिजा न्म में सिश्वा
• पदाा प्रथा एििं िैश्यािृसत प्रिसलत थी |
तसिंधु घाटी सभ्यता तथा िैतदक सभ्यता ( आयश सभ्यता ) के मदृ भाण्ड में प्रमुख अिंतर
क्र. मुख्य तबिंदु तसिंधु घाटी सभ्यता िैतदक सभ्यता ( आयश सभ्यता )
लाल रिं ग का मृदभािंड धूसर रिं ग का मृदभािंड
1 रिं ग काले रिं ग की आकृ सतयों े सिसत्रत धू र एििं धू र सिसत्रत मृदभािंड
लाल मृदभािंड ( Gray Painted Pottery )
2 उदाहरण
4 जल सिका ी
सिकस त असिकस त [UPPSC PRE 1992]
प्रणाली
गैर – आयश सभ्यता आयश सभ्यता
5 आया [UPPSC GIC 2010]
आयों के पूिा की भ्यता आयों के आगमि े सिकस त भ्यता
6 सलसप भाि सित्राक्षर सलसप देििागरी सलसप [UPPSC MAINS 2004]
7 पररसित धातु तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी तािंबा , सटि , कािं ा , ोिा , िािंदी , लोहा
[UPPSC PRE 1992]
8 लोहा लोहा े अपररसित लोहा े पररसित
[UPPSC MAINS 2004]
9 रक्षा र्ास्त्र रक्षा र्ास्त्र के ज्ञाि का अभाि रक्षा र्ास्त्र में अग्रणी [UPPSC MAINS 2004]
काले रिं ग की आकृ सतयों े सिसत्रत धू र एििं धू र सिसत्रत मृतभाण्ड [BPSC PRE 1995]
10
लाल मृतभाण्ड ( Gray Painted Pottery ) [UPPSC PRE 1990]
मृदभािंड
( समट्टी का बता ि )
11
हड़प्पा भ्यता का िता माि क्षेत्रिल 15,02,097 िगा सक.मी. है | इ की पूिा े पसिम तक लम्बाई 1600 सक.मी. ि उत्तर े
दसक्षण तक लम्बाई 1400 सक.मी. है | इ भ्यता का ब े पूिी , पसिमी , उत्तरी ि दसक्षणी स्थल क्रमर्: आलमगीरपुर
( उत्तर प्रदेर् ) , ुवकािंगेडोर ( पासकस्ताि ) , मािंडा ( जम्मू – कश्मीर ) ि दैमाबाद ( महाराष्र ) है |
स न्धु भ्यता के प्रमुख बिंदरगाह - ुवकािंगेडोर , ुवकाकोह , लोथल , भगतरािंि | (1) ुवकािंगेडोर - 1927 में लकरािा
तट ( बलूसिस्ताि ) में दाश्क िदी के तट पर माका ऑरे ल स्टाइि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की | (2) लोथल - 1955
में अहमदाबाद ( गुजरात ) में भोगिा िदी के तट पर रिं गिाथ राि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की |
लोथल - 1955 में अहमदाबाद ( गुजरात ) में भोगिा िदी के तट पर रिं गिाथ राि िे इ बिंदरगाह िगर की खोज की | यह
एक प्रमुख बिंदरगाह िगर था | लोथल के प्रमुख खोज क्रमर्: िाि , बिंदरगाह , सदर्ा मापक यिंत्र , िार ( इराि ) की
खाड़ी की मुहरें , मिके ( आभूषण ) की दुकाि है |
कृ सष ाक्ष्य युि स न्धु भ्यता के दो प्रमुख स्थल – (1) रिं गपुर – िािल , ज्िार , बाजरा के ाक्ष्य (2) हड़प्पा – जले हु ए
गेहिं के दािे |
Question 5. तसन्धु सभ्यता के उर्त्री भाग में तस्थत उसके तकसी एक पुरास्थल के तिर्य में उर्ललेख कीतजए |
( अिंक : 2 , र्ब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2015]
हड़प्पा – 1921 में र्ासहिाल ( पासकस्ताि ) में रािी िदी के तट पर दयाराम ाहिी िे हड़प्पा की खोज की | हड़प्पा के
प्रमुख खोज क्रमर्: दो कतारों में कुल 12 अन्ि भिंडार , श्रसमक आिा , R – 37 ि H कसिस्ताि , लकड़ी की िाली ,
कािंस्य दपा ण , जले हु ए गेहिं के दािे है | यह हड़प्पा भ्यता का ब े प्रािीि िगर था | इ मय भारतीय पुरातवि
सिभाग के महासिदेर्क र जॉि मार्ा ल थे |
‘भारतीय पुरातवि एििं िेक्षण सिभाग’ स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल की खोज हे तु सिरिं तर अग्र र है |
स न्धुघाटी भ्यता के ििीितम स्थल (1) 2008 – हु ला , मेरठ ( उत्तरप्रदेर् ) (2) 2015 – सबजिोर ( उत्तरप्रदेर् ) , (3)
2016 – बोताड़ ( गुजरात ) (4) 2016 – बेजलका ( गुजरात ) (5) 2017 – बालाथल ( राजस्थाि ) (6) 2017 – कुणाल
( हररयाणा ) (7) 2017 – मिािा ( हररयाणा )
महाि इसतहा कारों िे अपिे र्ोध े स न्धुघाटी भ्यता के पति के सिसभन्ि मत प्रस्तुत सकये है जो इ प्रकार है : (1)
जॉि मार्ा ल के अिु ार स न्धुघाटी भ्यता का ‘भूकिंप’ (2) जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके के अिु ार ‘बाढ़’ (3) ऑरे ल
स्टाइि के अिु ार ‘जलिायु पररिता ि’ (4) गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर के अिु ार ‘सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के
आक्रमण’ |
महाि इसतहा कारों िे अपिे र्ोध े स न्धुघाटी भ्यता के पति के सिसभन्ि मत प्रस्तुत सकये है जो इ प्रकार है : (1)
जॉि मार्ा ल के अिु ार स न्धुघाटी भ्यता का ‘भूकिंप’ (2) जॉि मार्ा ल ि अिेस्ट मैके के अिु ार ‘बाढ़’ (3) ऑरे ल
स्टाइि के अिु ार ‘जलिायु पररिता ि’ (4) गाडा ि िाइर्लड ि मासटा ि व्हीलर के अिु ार ‘सिदेर्ी आक्रमण तथा आयों के
आक्रमण’ | (5) िेयर सिा के अिु ार ‘ििों का कटाि , िं ाधि की कमी’ ि पाररसस्थसतक अ िंतुलि’ |
मूर्लयािंकन – स न्धुघाटी भ्यता के पति का िास्तसिक कारण ज्ञात िहीं है |
(1) तािंबा धातु - स िंधु िास यों िे मूसता सिमाा ण में िा प्रथम तािंबा धातु का प्रयोग सकया | उदाहरण - दैमाबाद े प्राप्त तािंबे
का हाथी ि गेंडा (2) कािंस्य धातु - स िंधु िास यों िे प्रथम बार तािंबे तथा टीि को समलाकर कािं ा तैयार सकया | उदाहरण -
कािंस्य िता की ( मोहिजोदड़ो ) |
आग में पक्की समट्टी े बिी मुसता काएिं को टेराकोटा सिगररि ( मृण्मुसता काएिं ) कहते है | स िंधुघाटी भ्यता के पररपेक्ष्य में
टेराकोटा सिगररि का महत्त्ि (1) मातृ त्तावमक - हड़प्पा े स्त्री मृण्मुसता काएिं िाा सधक प्राप्त हु ए है जो इ बात का
घोतक है सक स िंधु भ्यता का माज मातृ त्तावमक थी | (2) गाय - गाय की मृण्मुसता काएिं प्राप्त िहीं हु ई है | गाय का
महत्त्ि िैसदक भ्यता े प्राप्त होता है | (3) कूबड़ िाला बैल ( िृषभ ) - मोहिजोदड़ो े प्राप्त कूबड़ िाला बैल की
मृण्मुसता काएिं पसित्र पर्ु का प्रतीक है | (4) बिािट - मािि मृण्मुसता काएिं ‘ठो ’ जबसक पर्ु – पसक्षयों के मृण्मुसता काएिं
‘खोखली’ थी |
(1) मातृदिे ी ( पृथ्िी देिी ) – हड़प्पा े उवखिि े मातृदेिी की अिेक मूसता याँ प्राप्त हु ई है | यह न्ै धि र्ैली पर
आधाररत है | यह स न्धु कला का श्रेष्ठ िमूिा है | हड़प्पा े प्राप्त एक मूसता में एक स्त्री के गभा े सिकलता हु आ पौधा
सदखाया गया है | िंभित: यह पृथ्िी देिी ( मातृ देिी ) की प्रसतमा है | इ का िंबिंध पौधों के जन्म तथा िृसद्ध े रहा होगा |
हड़प्पा के लोग इ े पृथ्िी की उिा रता देिी मािते थे | इ की पूजा उ ी तरह करते थे सज प्रकार समस्र के लोग आइस
की पूजा करते थे |
(2) पारदर्ी िस्त्र में नतशकी – इ े हड़प्पा े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला का
श्रेष्ठ िमूिा है | िता की के गले में पड़े हार के अलािा पारदर्ी िस्त्र है |
(3) पर्ुपतत मुहर ( आधतर्ि ) – इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु
कला का श्रेष्ठ िमूिा है | इ में सत्रमुखी पुरुष को एक िौकी के ऊपर पद्मा ि मुद्रा में बैठे हु ए सदखाया गया है | उ के
स र में स िंग है तथा कलाई े किंधे तक उ की दोिों भुजाएिं िूसड़यों े युि है | मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत की मुहर पर
बैल का सित्र अिंसकत िही है | इ मुहर में जाििरों की कुल िंख्या 9 है जबसक जाििरों के कुल प्रकार 7 है |
मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा , सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि है |
(4) पुरोतहत राजा की मूततश - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला
का श्रेष्ठ िमूिा है | यह ेलखड़ी ( कािंिली समट्टी ) े सिसमा त है | इ में राजा की दाढ़ी करीिे े िंिारी गयी है लेसकि
मूिंछे िहीं है |
(5) नतशकी की नग्न मूततश - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु कला
का श्रेष्ठ िमूिा है | यह एक कािंस्य िता की है | िता की के गले में पड़े हार के अलािा पूणात: िग्ि है | स र के पीछे उ के
बालों की छोटी लटें एक बुिी हु ई परट्टका द्वारा िंिारी गयी है | स र पीछे की ओर झुकाएिं , आँखे झुकी हु ई , दायें भुजाएिं
कुर्लहे पर टीकाएँ तथा बाएिं भुजा िीिे की ओर लटकी हु ई | यह मूसता सस्थर मुद्रा को दर्ाा ती है |
(6) स्िातस्तक तचन्ह युि मुहर - इ े मोहिजोदड़ो े प्राप्त सकया गया है | यह न्ै धि र्ैली पर आधाररत है | यह स न्धु
कला का श्रेष्ठ िमूिा है | मोहिजोदड़ो े प्राप्त मुहर पर स्िासस्तक सिन्ह का अिंकि य
ू ा पूजा का प्रतीक मािा जाता है |
सहन्दू धमा में आज भी स्िासस्तक को पसित्र मािंगसलक सिन्ह मािा जाता है |
(1) िगरीय भ्यता - स न्धुघाटी भ्यता एक ‘िगरीय भ्यता’ है | इ कें 1401 स्थलों की खोज की जा िुकी है | ुदृढ़
आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ | (2) जाल पद्धसत - स न्धुघाटी भ्यता का
तसन्धुघाटी सभ्यता के नगर तनयोजन की तिर्ेताएाँ : (1) ड़क - ड़के एक – दू रे को मकोण पर कटती है तथा
| मकाि ड़कों के दोिों ओर सिन्यस्त है | उदाहरण : हड़प्पा , मोहिजोदड़ो , िन्हु दड़ो का िगर सिन्या (2) पक्की ईिंटों
का प्रयोग - सिर्ाल भिि के सिमाा ण हे तु | उदाहरण : हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल भिि | (3) ािा जासिक
स्िािागार – धमाा िष्ठ
ु ाि काया हे तु | उदाहरण : मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल स्िािागार | (4) अन्ि भण्डार - भण्डारण
एििं व्यापार िंिालि हे तु | उदाहरण : हड़प्पा तथा मोहिजोदड़ो े प्राप्त सिर्ाल अन्ि भण्डार | (5) जल सिका ी प्रणाली –
इ भ्यता की ब े महविपूणा सिर्ेषता जल सिका ी की उत्तम व्यिस्था थी जो इ के मकालीि भ्यता ुमेर ,
समस्र , मे ोपोटासमया में िहीं थी | उदाहरण : हड़प्पा , कालीबिंगा े प्राप्त लकड़ी की िाली तथा धौलािीरा े प्राप्त
व्यिसस्थत जल सिका ी व्यिस्था | (6) बिंदरगाह िगर - सिदेर्ी व्यापार के सलए | उदाहरण : ुवकािंगेडोर , ुवकोतड़ा ,
लोथल , रिं गपुर |
मूर्लयािंकन - स न्धुघाटी भ्यता में िगर सियोजि सिकस त थी जो इ बात का घोतक है सक इ भ्यता के लोग
आसथा क , ामासजक , राजिीसतक एििं िैज्ञासिक दृसि े ुदृढ़ थे |
आतथशक जीिन
Question 13. तसन्धुघाटी सभ्यता के आतथशक जीिन ( अथशव्यिस्था ) पर प्रकार् डातलए |
( अिंक : 20 , र्ब्द सीमा : 250 )
स न्धुघाटी भ्यता के लोग आसथा क दृसि े मृद्ध थे | ये कृ सष , व्यापार तथा पर्ुपालि में उन्ित थे | (1) कृ सष : कपा
, गेहिं , िािल , जौ आसद प्रमुख ि ल थे | उदाहरण - हड़प्पा े प्राप्त जले हु ए गेहिं के दािें , धाि की भू ी , रिं गपुर े प्राप्त
िािल के दािें | स िंिाई पद्धसत - रहत | कपा - यूिािी कपा को स िंडोि ि मे ोपोटासमया के लोग कपा को महु आ
कहते थे | सिश्व में ब े पहले कपा की खेती भारत ( मोहिजोदड़ो ) में हु ई | (2) पर्ुपालि - बैल , गाय , बकरी , भैं ,
भेड़ , गधे , ऊँठ आसद का पालि सकया जाता था | उदाहरण - ुरकोतड़ा े प्राप्त घोड़े के असस्थ अिर्ेष , मोहिजोदड़ो े
प्राप्त पर्ुपसत सर्ि की मुहर सज में बाघ , हाथी , गैंडा , भैं ा , सहरण , मछली , घसड़याल का अिंकि , हड़प्पा े प्राप्त इक्का
गाड़ी | र्ेर े अपररसित थे | गाय के अिर्ेष प्राप्त िही हु आ | (3) व्यापार - जल ि थल दोिों मागो े व्यापार होता था |
इ भ्यता के लोग िार ( सदलमुि या बहरीि तथा मकराि तट े ) , मे ोपोटासमया , समस्र , रोम , अिगासिस्ताि ,
दसक्षण भारत े व्यापार करते थे | उदाहरण - लोथल े प्राप्त िाि एििं बिंदरगाह , िार की मुहरें , सदर्ा मापक यन्त्र ,
मिके की दूकाि , िन्हु दड़ो े प्राप्त मिके का कारखािा | प्रमुख आयत – अिगासिस्ताि े सटि , िािंदी ; बदख्र्ािं
( अिगासिस्ताि ) े लजिाई , मसण , िीलरति ; कोलर ( किाा टक ) , अिगासिस्ताि े ोिा ; खेतड़ी ( राजस्ताि )
े तािंबा | स न्धुघाटी े कपा रोम में सियाा त होता था | माप-तौल हे तु 16 के आिता क ( 1 , 2 , 4 , 8 , 16 , 32 , 64 , 160 ,
320 ) का प्रयोग सकया जाता था | उदाहरण : धौलािीरा े प्राप्त तौल के बाँट तथा ुवकोतड़ा े प्राप्त तराजू के पलड़े |
मुहरें िौकोर होती थी | उदाहरण : मोहिजोदड़ो े िाा सधक मुहरें प्राप्त हु ए है | यहाँ िस्तु सिसिमय तथा मुद्रा सिसिमय
प्रणाली थी | उदाहरण : लोथल े प्राप्त िार की मुहरें |
मूर्लयािंकन - उपरोि जािकारी े इ बात की पुसि होती है सक यह आसथा क दृसि े सिकस त एििं ुदृढ़ भ्यता थी |
ुदृढ़ आसथा क व्यिस्था के कारण ही हड़प्पा में िगरीय भ्यता का सिका हु आ |
सामातजक जीिन
Question 14. तसन्धुघाटी सभ्यता के सामातजक जीिन पर प्रकार् डातलए |
( अिंक : 20 , र्ब्द सीमा : 250 )
ामासजक व्यिस्था - स न्धुघाटी भ्यता पररिार मातृ त्तावमक एििं र्ा ि व्यिस्थता प्रजातासन्त्रक थी | उदाहरण :
हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं | स न्धुघाटी भ्यता के लोग ामासजक दृसि े मृद्ध थे | माज मुख्यत: दो िगों
में सिभि था : (1) पुरोसहत िगा ( र्ा क िगा ) – जो दुगा टीला अथाा त् असधक ऊिंिाई पर सस्थत टीला पर सििा करते थे |
(2) िागररक िगा – जो िगर टीला अथाा त् कम ऊिंिाई पर सस्थत टीला पर सििा करते थे | ती प्रथा - स न्धु भ्यता में
ती प्रथा के ाक्ष्य प्राप्त हु ए है | उदाहरण - लोथल े प्राप्त युगल र्िाधि | मृवयु िंस्कार - स न्धु भ्यता में मृतकों के
अिंसतम िंस्कार की 3 प्रथा प्रिसलत थी : (1) दाह- िंस्कार अथाा त् जलािा (2) पूणा मासधकरण अथाा त् दििािा (3)
आिंसर्क मासधकरण अथाा त् खुला छोड़िा | कला एििं िंस्कृ सत - स न्धु भ्यता में सिकस त कला एििं िंस्कृ सत थी , जो
इ प्रकार है : (1) िृवय कला - मोहिजोदड़ो े प्राप्त कािंस्य िता की , हड़प्पा े प्राप्त पारदर्ी िस्त्र में िता की (2) सित्रकला
- मोहिजोदड़ो े प्राप्त पर्ुपसत सर्ि युि मुहरें , कूबड़ िाला बैल युि मुहरें ि हड़प्पा े प्राप्त एक बता ि में बिा मछुिारें
का सित्र (3) मूसता कला - मोहिजोदड़ो े प्राप्त पुरोसहत की प्रसतमा तथा हड़प्पा े प्राप्त कािंस्य की इक्का गाड़ी , मक्खी
के आकृ सत की गुसड़या | िास्तुकला - भिि सिमाा ण की कला को िास्तुकला कला कहते है | भारत में िास्तुकला की
र्ुरुिात स न्धुघाटी िास यों िे सकया | स न्धुघाटी एक िगरीय भ्यता थी | ड़के मकोण पर काटती हु ई बिाई गयी
थी सज के सकिारे िासलयों की उत्तम व्यिस्था थी | िगर रु क्षा हे तु मजबूत प्रािीर बिाये गये थे | घरों का सिमाा ण
ड़कों के सकिारे एक ीध में सकया गया तथा घरों में कई कमरें , र ोईघर , स्िािघर तथा बीि में आँगि की व्यिस्था
थी |
मूर्लयािंकन - उपरोि जािकारी े इ बात की पुसि होती है सक यह ामासजक दृसि े सिकस त एििं दृु ढ़ भ्यता थी
| माज एििं पररिार मातृ त्तावमक थी अथाा त् सस्त्रयों का जीिि उन्ित एििं उन्हें माज में मािता का असधकार प्राप्त
था |
धातमशक जीिन
Question 15. तसन्धुघाटी सभ्यता के धातमशक प्रतीक तचन्ह पर सिंतक्षप्त तटप्पणी कीतजये |
( अिंक : 4 , र्ब्द सीमा : 60 )
स न्धुघाटी भ्यता के उवखिि े धासमा क प्रतीक सिन्ह प्राप्त हु ए है | सजिकी जािकारी के मुख्य स्त्रोत मुहरें है जो
इ प्रकार है : (1) मातृ देिी ( भूसम ) – मुख्य ईि देि (2) पर्ुपसत सर्ि – योगीश्वर (3) कूबड़ िाला बैल – पसित्र पर्ु (4)
कबूतर – पसित्र पक्षी (5) पीपल – पसित्र िृक्ष (6) स्िासस्तक – य ू ा उपा िा का प्रतीक (7) ताबीज – प्रजिि र्सि का
प्रतीक (8) भैं ा – सिजय का प्रतीक (9) बकरा – बसल हे तु प्रयुि (10) कािंस्य िता की – िृवय की पररकर्लपिा (11) युगल
र्िाधाि – पसत के ाथ पविी का ती होिा |
प्रकृतत उपासक - स न्धुघाटी भ्यता के लोग प्रकृ सत के उपा क थे | धरती की उिा रता को देिी मािकर पूजा जाता था
| उदाहरण : हड़प्पा े प्राप्त मातृदेिी की प्रसतमाएिं , िारी के गभा े पौधा उगते ाक्ष्य प्राप्त |
धातमशक प्रतीक तचन्ह – स न्धुघाटी भ्यता के उवखिि े धासमा क प्रतीक सिन्ह प्राप्त हु ए है | सजिकी जािकारी के
मुख्य स्त्रोत मुहरें है जो इ प्रकार है : (1) मातृ देिी ( भूसम ) – मुख्य ईि देि (2) पर्ुपसत सर्ि – योगीश्वर (3) कूबड़ िाला
बैल – पसित्र पर्ु (4) कबूतर – पसित्र पक्षी (5) पीपल – पसित्र िृक्ष (6) स्िासस्तक – य ू ा उपा िा का प्रतीक (7) ताबीज –
धातमशक मत – (1) जादू-टोिा (2) तसबजो का प्रयोग (3) मूसता पूजा आसद का िलि था , सकन्तु मिंसदरों का सिमाा ण िही
होता था | (4) पर्ु बसल प्रथा (5) भुत-प्रेत एििं तिंत्र-मिंत्र में सिश्वा (6) पुिजा न्म में सिश्वा (7) पदाा प्रथा एििं िैश्यािृसत
प्रिसलत थी |
स न्धुघाटी भ्यता की सलसप सित्राक्षर है सज में िाा सधक मछली , सिसड़या , माििाकृ सत आसद का अिंकि समलता है | इ े
पढिे में िलता प्राप्त िही हु ई | सलसप की जािकारी का मुख्य स्रोत मुहरें हैं | उदाहरण स्िरुप धौलािीरा े प्राप्त ुििा
पत्र में स न्धु सलसप के 10 बड़े अक्षर है | 1873 में अलेक्जेंडर कसििंघम िे स न्धु सलसप के बारे में िा प्रथम सििार व्यि
सकया | अलेक्जेंडर कसििंघम िे सििार व्यि सकया की इ सलसप का िंबिंध िाम्ही सलसप े है | 1925 में L.A. िैडेल स न्धु
सलसप को पढ़िे का िा प्रथम प्रया सकया | स न्धु सलसप के असधकािंर् ाक्ष्य फ़ार ी सलसप के माि दाएिं े बाएिं सलखे
समले है | ामान्यत: मािा जाता है सक स न्धु सलसप दाएिं े बाएिं ओर सलखी जाती थी | इ सलसप में अिंग्रेजी के ‘U अक्षर’
तथा ‘मछली’ का िाा सधक अिंकि समलता है |