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का इतिहास new 1 gt2252
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उत्तराखंड का प्रागैततहालसक काि ि आद्यएततहालसक काि 4-10
2.तकमनी गॉि –
तकमनी गांि चमोिी के थरािी के पास स्स्थत है।
यहां हल्के सिेद रंग के चचतत्रत हलथयार ि पशुओं के शैि चचत्र चमिे।
उत्तरकाशी Uttarkashi
हुडिी- यहां नीिे रंग के शैि चचत्र प्राप्त हुए
‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
Jardhariclasses@gmail.com पर E - Mail कर सकते हैं।
1.पुरातात्त्िक स्रोत:-
पुरातात्त्िक स्रोतों को अध्ययन की रॅति से तनम्न भागों में बांिा गया है-
1.ऊखि-सरॅश गड्ढे(Cup-Marks)-
तिशाि लशिाओं एिं चट्टान पर बने उखि के आकार के गोि गड्ढों को कप
मार्कसण(Cup-marks) कहते हैं।
हेनिुड ने सिणप्रथम चंपाित जजिे के दे िीधुरा नामक
स्थान पर इस प्रकार के Cup-marks(ओखलियों)
की खोज की।
सिणप्रथम उत्तराखंड में पुरातात्त्िक स्रोतों की खोज का
श्रेय हेनिुड(1856) को जाता है।
ररिेि-कारनक(1877ई०) को अल्मोड़ा के द्वारहाि के
Cup-Marks
चंद्रेश्वर मंददर में िगभग 200 Cup-marks चमिे जो Cup- Marks
तक 12 समांतर पंलियों में िगे हुए थे।
ररिेि- कारनक ने इन शैि चचत्रों की तुिना यूरोप के शैिचचत्रों से की।
यशोधर मठपाि को द्वारहाि मंददर से कुछ रॄर पभिमी रामगंगा घािी के नोिा ग्राम
में इन्त्हीं के समान 72 कप मार्कसण प्राप्त हुए।
िड़का नौिी एिं पेिशाि के लशिाश्रय की खोज डॉ० यशोधर मठपाि द्वारा की गई
2.ताम्र उपकरण-
ये उपकरण तांबे के बने होते थे।
ताम्र तनखात संस्कृतत ऊपरी गंगा घािी की प्राचीनतम संस्कृतत है ।
हररद्वार के तनकि बहादराबाद से ताम्र तनर्मिंत भािा, ररिंग्स, चूचड़यां आदद नहर की
खुदाई के दौरान प्राप्त हुए। एच डी सांकलिया के अनुसार ये उपकरण गोदािरी घािी
से प्राप्त उपकरणों के समरूप थे।
िर्षण 1986ई० में अल्मोड़ा जनपद से एक एिं िर्षण 1989ई० में बनकोि(तपथौरागढ़)
से आठ ताम्र मानि आकृततयां प्राप्त हुए।
इन ताम्र उपकरणों से इस बात की पुति होती है तक गढ़िाि-कुमाँऊ में ताम्र उत्पादन
इस युग में होता था
2.सातहत्त्यक स्रोत-
1. िेद-
िेद चार है-ऋग्िेद,यजुिेद, सामिेद,अथिणिेद।
सबसे पुराना िेद ऋग्िेद ि निीनतम िेद
अथिणिेद है।
उत्तराखंड का सिाणचधक उल्िेख ऋग्िेद में है।
ऋग्िेद में उत्तराखंड को दे िभूचम ि मनीतर्षयों की पूणण भूचम कहा गया है।
2.िाह्मण ग्रन्त्थ-
िाह्मण ग्रन्त्थ यज्ञों तथा कमणकांडों के तिधान और इनकी तियाओं को समझने के
लिए आिश्यक होते हैं। इनकी भार्षा िैददक संस्कृतत है।
ये पद्य में लिखे गये है।
प्रत्येज िेद के िाह्मण ग्रन्त्थ होते हैं ।
एतरेि िाह्मण ऋग्िेद का िाह्मण ग्रन्त्थ है।
एतरेि िाह्मण ग्रन्त्थ - उत्तराखंड के लिए उत्तर कुरु शब्द का प्रयोग
कौर्षीततक िाह्मण ग्रन्त्थ- िाक् दे िी का तनिास स्थान बद्री आश्रम
िह्मपुराण, िायुपरु ाण -
िह्मपुराण ि िायुपुराण के अनुसार कुमाँऊ क्षेत्र में तकरात,तकन्त्नर, यक्ष ,गंधिण ,नाग
आदद जाततयों का तनिास था।
4.महाभारत -
महाभारत के िनपिण में हररद्वार से केदारनाथ तक के क्षेत्रों का िणणन चमिता है उस
समय इस क्षेत्र में पुसििंद ि तकरात जाततयों का अचधपत्य था।
पुसििंद राजा सुबाहु जजसने पांडिों की और से युद्ध मे भाग लिया था तक राजधानी
श्रीनगर थी।
महाभारत के िनपिण में िोमश ऋतर्ष के साथ पांडिों के इस क्षेत्र में आने का उल्िेख
है।
आदद पिण- अजुणन ि उल्िुपी का तििाह गंगाद्वार में हुआ
5.रामायण-
दिहरी गढ़िाि की तहमयाण पट्टी में तिसोन नामक पिणत पर िलशि गुिा, बलशष्ठ
आश्रम, एिं िलशि कुंड स्स्थत है।
श्री राम के िनिास जाने पर िलशष्ठ मुतन ने अपनी पत्नी अरुं धतत के साथ यहीं
तनिास तकया था।
तपोिन दिहरी गढ़िाि जजिे में स्स्थत है जहां िक्ष्मण ने तपस्या की थी।
पौड़ी गढ़िाि के कोि तिकासखंड में लसतोन्त्सयूं नामक स्थान है इस स्थान पर माता
सीता पृथ्िी में समायी थी।इसी कारण कोि ब्िॉक में प्रत्येक िर्षण मनसार मेिा िगता
है।
7.मेघरॄत-
कालिदास द्वारा रचचत मेघरॄत के अनुसार अल्कापुरी(चमोिी) कुबेर की राजधानी
थी।
बहुतिकल्पीय प्रश्न
Q1- ग्िारख्या गुिा चमोिी के कौन से गाँि मे स्स्थत है-
A.थरािी B.डु ग्री गांि C. तकमनी गांि D.इनमें से कोई नहीं
Q3- ितणमान चमोिी जजिे के तकस गाँि में सन् 1956 ई0 में महापार्षाणीय शिाधान खोजे गये
? (Forest Guard 2020)
A.मिारी B.कोर्षा C.कैिाशपुर D.नीतत
Q4-गढ़िाि के लिए केदारखण्ड ' ि कुमाऊँ के लिए ' मानसखण्ड ' शब्द का उल्िेख है
( a ) ऐतरेि िाह्म में ( b ) स्कन्त्दपुराण में ( c ) महाभारत में ( d ) ऋग्िेद में
Q7-तकस ग्रंथ में उत्तराखण्ड के लिए उत्तर - कुरू शब्द प्रयुि तकया गया है ?
( a ) तैलत्तरीय िाह्मण ( b ) ऐतरेय िाह्मण
( c ) शतपथ िाह्मण ( d ) इनमें से कोई नही
Q14- प्राचीन सातहत्य में कुमाऊँ क्षेत्र को जाना जाता था - समाज कल्याण तिभाग 2017
A.केदारखण्ड B.मानसखण्ड C.दे ि भूचम D.पुण्य भूचम
Ans:- 1.b 2.b 3.a 4.b 5.c 6.c 7.b 8.a 9.d 10.c 11.c 12.d 13.d 14.b
1.अमोघभूतत मुद्राएं -
1.रजत(चांदी) मुद्रायें-
तिशेर्षता - इन रजत मुद्राओं के पुरोभाग भाग में तद्वहस्ता
दे िी ि उसके दातहने और दे िी को दे खता एक मृग अंतकत है
पृष्ठ भाग में एक िृक्ष,स्िस्स्तक ि नीचे नदी अथिा नाग के
समान प्रतीक है और चारों और मुद्रा िेख है।
िेख - िाह्मी ि खरोति लितप में मुद्रा िेख " राजः कुभणन्त्दस
अमोघभूतत महरजस " अंतकत
2.ताम्र मुद्रायें- अमोघभूतत की ताम्र मुद्रायें भी उसकी रजत मुद्राओं के समरूप थी।
शकों का शासन
शकों ने कुणणिंदों को पराजजत कर इनके मैदानी क्षेत्रों पर अचधकार तकया।
कुमाऊँ में सूयण मंददर ि सूयण मूर्तिंयां शकों के अचधकार की पुति करती हैं इनमें अल्मोड़ा
में स्स्थत किारमि सूयण मंददर तिशेर्ष रुप से प्रलसद्ध है।
कुर्षाणों का शासन
मौयण साम्रज्य के पतन के बाद उत्तर भारत को पुनः एक राजनीततज्ञ सूत्र में तपरोने का
श्रेय कुर्षाणों को जाता है।
कुर्षाणों को तिदे शी आिांता माना जाता है जो तक चीन से आये थे ये मध्य एलशया के
यू-ची जातत की एक शाखा थी।
भारत में कुर्षाण िंश का संस्थापक कुजुि कडतिसस को माना जाता है।
कुजुि कडतिसस के बाद तिम कडतिसस कुर्षाण िंश का शासक बना ि इसने पंजाब
पर अचधकार तकया।
कतनष्क-
कतनष्क कुर्षाण िंश का सबसे प्रतापी राजा था जो कुजुि कडतिसस के बाद कुर्षाण
िंश का शासक बना।
कतनष्क के ही शासन काि मे कुर्षाण िंश का साम्रज्य
मध्य एलशया से िेकर समस्त उत्तर भारत तक िैि
गया था।
कतनष्क ने भारत के राष्ट्रीय कैिेंडर(शक सिंत) की
शुरुआत की।
कतनष्क के शासन काि मे भारत के तहमाियी क्षेत्रों,
उत्तराखंड के पिणतीय ि तराई क्षेत्रों में कुणणिंदों का शासन
था।
कतनष्क ने कुणणिंदों को हराकर इनके तराई क्षेत्रों पर अचधकार कर लिया ि कुणणिंदों को
पिणतीय भू-भाग परभी संतुि रहना पड़ा र्कयोंतक कुर्षाण इतने शलिशािी थे तक कुणणिंद
उनका सामना नहीं कर पाये।
कतनष्क ि उसके बाद के कुर्षाण िंशीय राजाओं की मुद्रायें उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों से
प्राप्त हुई।
कुर्षाणों का पतन- कुर्षाण िंश का सबसे शलिशािी ि प्रतापी राजा कतनष्क हुआ जजसने मध्य
मध्य एलशया से िेकर समस्त उत्तरी भारत पर शासन तकया िेतकन कतनष्क की मत्यु के पिात
उसका राज्य तबखरने िगा ि कुर्षाण िंश पतन की और बढ़ने िगा।
कुर्षाण िंश के पतन का कारण कुर्षाणों की तनबणिता थी जजसका िायदा उठाकर यौधेयों ने
कुर्षाणों को परास्त तकया।
शीििमणन(युगशैि/िार्षणगण्य गोत्र)(240-300ई०)-
शीििमणन युगशैि अथाणत कािसी का प्रतापी राजा था।
शीििमणन ने यमुना नदी के ति पर कािसी(दे हरारॄन) में अश्वमेध यज्ञ करिाया।
शीििमणन ने अश्वमेध यज्ञ के दौरान "बाड़िािा यज्ञ िेददका " का तनमाणण कराया
बाड़िािा गांि तिकासनगर(दे हरारॄन) के समीप स्स्थत है
कुछ इततहासकार शीििमणन को यौधेय, ि कुछ कुणणिंद मानते हैं
श्री रामचन्त्द्रन के अनुसार शीििमणन यौधेय शासक था जजसने कुर्षाणों को कुचिने में
महत्िपूणण भूचमका तनभाई।
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नाग राजिंश
पुति- गोपेश्वर तत्रसूि िेख
गोपेश्वर तत्रसूि िेख से चार नागिंशी राजाओ के नाम का उल्िेख है-
1.स्कंदनाग 2.तिभुनाग 3.अंशुनाग 4. गभणपतनाग
5िीं शती में नागों ने कतृणपुर राज्य के कुणणिंद राजिंश को समाप्त करके उत्तराखंड में अचधकार
कर ददया
मौखरी राजिंश
राजधानी- कन्त्नौज
प्रथम मौखरर शासक – हररिमाण
6िीं शती में कन्त्नौज के मौखरी राजिंश ने नागों की सत्ता
समाप्त करके इस क्षेत्र पर अचधकार तकया
हर्षणिधणन का शासन
हर्षणिधणन के शासन काि मे चीनी यात्री ह्वे नसांग भारत दौरे
पर आया
ह्वे नसांग ने उत्तराखंड को पो-िी-तह-मो-पु-िो(िह्मपुर) कहा और यह िह्मपुर
राज्य(आज का उत्तराखंड) हर्षण के अधीन था।
ह्वे नसांग ने हररद्वार को कहा -मो-यू-िो 20 िी (20 िी चीनी माप है)
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उत्तराखंड का इततहास
ह्वे नसांग- ह्वे न त्सांग एक प्रलसद्ध चीनी बौद्ध भभक्षु था। िह हर्षणिधणन के शासन काि में
भारत आया था।िह भारत में 15 िर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी
यात्रा तथा तत्कािीन भारत का तििरण ददया है। उसके िणणनों से हर्षणकािीन भारत की
सामाजजक, आर्थिंक, धार्मिंक तथा सांस्कृततक अिस्था का पररचय चमिता है।
1. सत्रुघ्न राज्य-
इस राज्य के अंतगणत मध्यिती लसरमौर, गढ़िाि तथा अम्बािा सहारनपुर क्षेत्रों के मैदानीय भाग
में सचमलित थे। राज्य के पूिी सीमा पर गंगा नदी बहती थी।
ताम्रशासनों से 5 पौरि िंशीय राजाओं के नाम चमिते हैं- िह्मपुर राज्य जजसका तििरण ह्वे नसांग
1.तिष्णुिमणन(प्रथम) ने अपनी यात्रा के दौरान भी तकया है
2.िृर्षिमणन हर्षणिधणन के आधीन में था और उस
3.श्री-अत्ग्निमणन समय ये पौरि िंशीय राजा हर्षणिधणन के
4.द्युततिमणन सामंत थे िेतकन जैसे ही हर्षणिधणन की
5.तिष्णुिमणन(तद्वतीय) मृत्यु हो जाती है पौरि िंशीय सामंत
पौरि िंशीय राजाओं के कुिदे िता िीरनेश्वरस्िामी थे। िह्मपुर राज्य पर शासन करने िग जाते
हैं ि इसी िह्मपुर राज्य को पिणताकार
राज्य कहा जाता है।
4.सुिणणगोत्र राज्य-
इस राज्य को पूिी स्त्रीराज्य भी कहा जाता था
यह राज्य हर्षणिधणन के समय एक स्ितंत्र राज्य था ।
यह राज्य िह्मपुर राज्य के उत्तर में स्स्थत था।
MCQ
Q1.िह्मपुर राज्य के उत्तर में कौन सा राज्य स्स्थत था
A.गोतिर्षाण राज्य B.सुिणणगोत्रीय राज्य C.सत्रुघ्न राज्य D.इनमें से कोई नहीं
Q9-कािसी अभभिेख तकस िंश से संबचधत है? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.कत्यूरी D.पंिार C.कुशाण D.मौयण
Q.10 योधेय मुद्राओं में तनम्न में से तकस दे िता का चचत्रण चमिता है
A.सूयण B.चंद्र C.कार्तिंकेय D.गणेश
Ans- 7.c 8.c 9.d 10.c 11.c 12.d 13.b 14.b 15.b 16.b
Q19.कुमाऊँ के सूयण मंददर इस क्षेत्र में तकसके अचधकार की पुति करते हैं
A.कुणणिंद B.शक C.कुर्षाण D.योधेय
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खपणरदे ि िंश
खपणर दे ि िंश का तििरण बागेश्वर िेख में चमिता है
खपणरदे ि िंश की स्थापना खपणरदे ि ने की जो तक कार्तिंकेयपुर में बसंतदे ि के बाद
तीसरी पीढ़ी का शासक था।
इसका पुत्र कल्याण राज था
खपणरदे ि िंश का अंततम शासक तत्रभुिन राज था
सेना ि सैन्त्यचधकारी-
पुलिस तिभाग के अचधकारी
सेना सेना नायक
दोर्षापराचधक- अपराधी को पकड़ने िािा
1.पदाततक सेना गोल्मीक
रृःसाध्यसाधतनक- गुप्तचर तिभाग का अचधकारी
2.अश्वारोही सेना अश्वाबिाचधकृत
चोरोद्वरभणक – चोर डाकुओं को पकड़ने िािा
3.गजारोगी सेना हस्स्तबिाचधकृत
4.उष्ट्रारोतह सेना उष्ट्रबिाचधकृत
तीनों आरोही सेना का सिोच्च पदाचधकारी- हस्त्यासिोष्ट्रबिाचधकृत
शासन-प्रशासन
राज्य राजा
प्रान्त्त उपररक
जजिे तिर्षपतत
जजयारानी की लोकगाथा -
जजयारानी को कत्युरी राजवंश की राजमाता कहा जाता हैइनका बचपन का नाम मोला देवी पुण्डीर था।
जजयारानी को कुमााँऊ की लक्ष्मीबाई कहा जाता है। इनके पनत प्रीतम देव(पृथ्वी पाल) व नपताअमरदेव
पुंडीर(हररद्ऱार के राजा) थे। प्रीतम देव व जजयारानी के तीन पुत्र हुए-1.बह्मदेव(वीरदे व) 2.धामदेव 3.धुला देव
रानीबाग युद्ध - रानीबाग युद्ध तैमूरलंग व जजयारानी के बीच लड़ा गया जजसमें जजयारानी की नवजय हुई।
रानीबाग में जजयारानी मेला लगता है व इसी रानीबाग में जजयारानी गुफा स्थथत है।
‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
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Q5-कौन कत्यूरी राजाओं की कुि दे िी ' के रूप में पूजी जाती थी - समाज कल्याण तिभाग 2017
( a ) कामाख्या ( b ) सरस्िती ( c ) पृथ्िीपाि ( d ) नन्त्दा दे िी
Ans:- 1.a 2.b 3.c 4.b 5.d 6.c 7.c 8.a 9.d 10.b 11.c
Q13-उत्तराखंड में तकस शासन को स्िणण युग के रूप में जाना जाता है ?
ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.कत्यूरी साम्राज्य B.मगध साम्राज्य C.कुणणिंद साम्राज्य D.गोरखा साम्राज्य
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सोमचन्त्द
सोमचन्त्द के बारे में इततहासकरों के मत अिग अिग है-
कुमाँऊ का इततहास के िेखक बद्रीदत्त पांडे के अनुसार सोमचन्त्द का शासन 700 ईo
से शुरू हुआ
तिदिश काि के िेखक एितकन्त्स ने सोमचन्त्द का शासन 935 ई० के आसपास माना
कुछ इततहासकारों का मानना है तक चंद िंश की स्थापना थोहरचन्त्द(1216ई०) ने की
िेतकन अचधकांश इततहासकारों का मानना है की चंद िंश की स्थापना सोमचन्त्द(685-
700ई०) ने की ि थोहरचन्त्द सोमचंद की 23िीं पीढ़ी में आया।
सोमचन्त्द इिाहाबाद के झूसी नामक स्थान से बद्रीनाथ की यात्रा पर आया इस समय
यहाँ पर कत्यूरी शासक िह्मदे ि का शासन था सोमचन्त्द ने िह्मदे ि की एकमात्र कन्त्या
'चम्पा' से तििाह कर लिया और अपनी रानी के नाम पर चंपािती नदी के तकनारे
चंपाित राज्य का तनमाणण तकया।
सोमचंद का शासन(700-721ईo)-
चंद िंश का संस्थापक सोम चंद को कहा जाता
हे
राजा सोमचन्त्द की राजधानी चंपाित थी ि
उसने चंपाित में राजबुग ं ा तकिा बनिाया था
सोमचंद ने चार तकिेदार तनयुि तकए – काकी,
बोरा, तडागी, चोधरी
इन तकिेदारों को चार आि कहा जाता था जो
मूितः नेपाि के थे
सोमचंद ने गांिो में बूढ़ों ि सयानों की तनयुलि
की ि महरा ि िरत्यािों को मंत्री बनाया
चंपावत का राजबुंगा नकला
सोमचंद मांडलिक राजा था जो डोिी नरेश को
कर दे ता था इसका समकािीन डोिी नरेश जयदे ि मल्ि था
8)िीण चंद(856-869)
इसे तििासी राजा भी कहा गया है
इसके समय खस जाततयों का प्रभुत्ि बढ़ गया था
खसों ने 200िर्षों तक कुमाऊँ में शासन तकया
तििम चंद(1423-34ई०)
यह चंद िंश का 34िां राजा था।
तििम चंद के दो ताम्र पत्र प्राप्त हुए-
1.बािेश्वर मंददर ताम्रपत्र
2.चम्पाित ताम्रपत्र
35)भारती चंद(1437-1450)
भारती चंद 1437ई० के आसपास चंद िंश का राजा बना।
भारती चंद योग्य ि कुशि शासक था ि जनता में इसकी िोकतप्रयता भी अचधक थी।
भारती चंद का कुमाऊँ की िीरांगना भागाधोन्त्या के साथ द्वं द युद्ध का िणणन चमिता है
भारती चंद ने डोिी राज्य के तिरुद्ध संघर्षण अभभयान जारी तकया डोिी में इस समय मल्ि
राजाओं का शासन था।
भारतीचंद का समकािीन डोिी नरेश यक्षमि था।
36)रत्न चंद(1450-1488ईo)-
यह चंद िंश का पहिा शासक था जजसने भूचम बंदोबस्त कराया
37)कीर्तिं चंद(1488-1503ईo)-
यह गढ़िाि शासक अजयपाि का समकािीन था
इसने गढ़िाि पर आिमण तकया ि गढ़िाि शासक अजयपाि को पराजजत तकया
43)भीष्मचंद(1555-1560)
भीष्मचंद ने अपनी राजधानी चंपाित से स्थानांतररत कर अल्मोड़ा(आिमनगर) में
बनाई िेतकन यह बािो कल्याण चंद के शासन काि मे बनकर पूणण हुई
खगमरा तकिा अल्मोड़ा के पूिण में स्स्थत है इस तकिे का तनमाणण भीष्मचंद ने कराया था
भीष्मचंद चंपाित में शासन करने िािा अंततम शासक था
रुद्रचंद के दो पुत्र थे जजनके नाम शलि गोसाई तथा िक्ष्मी चंद था।शलि गोसाई जन्त्म से ही
रॅतिहीन था।
48)तिजयचंद(1624-1625)-
तिजयचंद का ताम्रपत्र तपथौरागढ़ जनपद से प्राप्त हुआ इस ताम्रपत्र के अनुसार इसने
बसु पुरोतहत को चम्पाित में पंचोिी नामक ब्यलि की जमीन दान की।
सुखराम काकी ने इसकी हत्या की
49)तत्रमि चंद(1625-1638)-
इसके समय राज दरबार में र्षड्यंत्र रचे जा रहे थे इसलिए तत्रमि चंद ने श्रीनगर गढ़िाि
में मतहपत शाह की शरण िी ि मतहपत की मदद से शासक बना
तत्रमि चंद को गडयुडा ताम्रपत्र में महाराज कुमार कहा गया है।
तत्रमि चंद ने तिजयचंद के हंता सुखराम काकी(संग्राम काकी) को मरिा डािा
प्रमुख पद सृजन -
पनेरू – पानी भरने िािा
िुिेररया – िि िाने िािा
हरबोिा – राजपररिार को जगाने िािा
मठपाि – मंददरो की रक्षा करने िािा
51)उधोत चंद(1678-1698)-
उधोत चंद बाजबहारृर चंद का ज्येष्ठ पुत्र था जो बाजबहारृर चंद के बाद शासक बना।
उधोत चंद के तपथौरागढ़ से प्राप्त ताम्रपत्र (1679ई०)में उल्िेख है तक उसकी बीमार मां
को राजिैध(िरद जोशी) द्वारा ठीक करने पर उसने राजिैध को भूचम दान दी थी।
उधोत चंद भारतीचंद के बाद पहिा चंद शासक था जजसने डोिी नरेशों से संघर्षण तकया।
उद्योत चंद का समकािीन डोिी नरेश दे िपाि था
डोिी अभभयान -
डोिी नरेश ने कािी कुमाऊँ पर अचधकार तकया िेतकन रुद्र चंद ने उसे िहाँ से खदे ड़
ददया
उद्योग चंद ने डोिी की ग्रीष्मकािीन राजधानी अजमेरगढ़ पर 1683 में अचधकार
तकया इस युद्ध में रुद्र चंद का सेनापतत “ हीरु दे ऊबा मारा” गया
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उत्तराखंड का इततहास
डोिी नरेश ने पुनः चंदों की सीमा पर आिमण तकया िेतकन उद्योत चंद ने 1688 में
डोिी की शीतकािीन राजधानी जुराइि दीपाइि पर अचधकार तकया। डोिी नरेश
दे िपाि ने रुद्रचंद से संचध की ि रुद्रचंद को कर दे ना स्िीकार तकया िेतकन 1996 मे
कर दे ना बंद तकया
53)जगतचंद(1708-1720)-
जगतचंद एक कुशि ि िोकतप्रय शासक था इसने जनता के तहत में अनेक कायण तकये
इसलिए इसके शासन काि को कुमाँऊ का स्िणण काि माना गया।
जगतचंद का समकािीन गढ़िाि नरेश ितेपततशाह था
जगतचंद ने गढ़िाि के िोहबागढ़ ि बधानगढ़ पर अचधकार तकया ि उसके बाद
श्रीनगर पर चढ़ाई कर दी श्रीनगर पर आिमण में ितेहशाह पराजजत हुआ ि जगतचंद
ने श्रीनगर पर अचधकार करके अत्यंत िूिपाि की ि अपने प्रतततनचध को श्रीनगर की
राजगद्दी पर तबठा ददया।
कुछ समय बाद ितेहपतत शाह ने पुनः श्रीनगर पर अचधकार करने अपना राज्य प्राप्त
तकया
जगतचंद ने मुगि बादशाह बहारृरशाह से भेंि की
जगतचंद की मृत्यु चेचक से हुई।
59)प्रद्युम्न चंद(1779-1786)-
1779ई० में प्रद्युम्न चंद कुमाँऊ का शासक बना
1786ई० में प्रद्युम्न चंद गढ़िाि िौि आया ि गढ़िाि में प्रद्युम्न शाह के रूप में शासन
करने िगा
प्रद्युम्न शाह के बाद हर्षणदेि जोशी प्रद्युम्न शाह के प्रतततनचध के रूप में कुमाऊँ पर शासन
करने िगा
60)लशि चंद(1788)-
लशि चंद 1788ई० में हर्षणदेि जोशी की मदद से चंद िंश का शासक बना।
इसी के शासनकाि में मोहन चंद के भाई िाि ससिंह ने प्ररृम्न शाह के भाई परािम शाह
की मदद से पुनः कुमाँऊ पर आिमण तकया ि मोहन ससिंह के पुत्र महेंद्र ससिंह को महेंद्र
चंद के नाम से राजा बनाया।
61)महेंद्र चंद(1788-1790) -
यह चंद िंश का अंततम शासक था
1790 ई० में नेपाि के गोरखाओं ने महेंद्र चंद को हिािाबाग मैदान( अल्मोड़ा)में
पराजजत तकया
गोरखाओं को कुमाँऊ पर आिमण करने का तनमंत्रण हर्षणदेि जोशी ने ददया
इस प्रकार कुमाँऊ में चंद िंश का अंत हुआ ि 1790 ई० में कुमाँऊ में गोरखाओं का
शासन प्रारंम्भ हुआ।
दीिान मंत्री
मंडि
सामंतों के अधीन राजा के अधीन
दे श
थातिान
गखण प्रशासक
नेगी
सेज्यािी
गाँि प्रशासक
िी सयाणा
अन्त्य पद
कै नी प्रधान
सजा या दं ड -
दं डाचधकारी - डंडे
िांसी की सजा - पेड़ पर ििकाकर
Q4- राजा भीष्मचंद द्वारा तनर्मिंत तकिा है :- सहायक तिकास अचधकारी 2018/ सींचपाि
2017
(a).िाि मंडी तकिा B.बाणासुर तकिा C.खगमरा का तकिा (d). राजबूंगा तकिा
Q8-प्रथम चंद राजिंश का शासक जजसने ददल्िी के सुल्तान तिरोजशाह तुगिक से मुिाकात
की थी, िह था- Uksssc joniour assistant 2019
A.रूद्र चंद B.ज्ञान चंद C.भारती चंद D.िक्ष्मी चंद
Ans:- 1.b 2.b 3.b 4.c 5.d 6.c 7.a 8.b 9.d 10.b
Q13- चंद िंश की राजधानी अल्मोड़ा तकस चंद शासक के शासन काि में बनकर पूणण हुई-
A.कल्याण चंद तृतीय B.भीष्म चंद
C.कल्याण चंद तद्वतीय D.रूप चंद
Q14-सोमचन्त्द के आगमन के समय कुमाऊँ में तनम्न में से तकस नरेश का आचधपत्य था
कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.िासुदेि B.िह्मदे ि C.बसन्त्तदे ि D.तनरम्बर दे ि
Q15- महेंद्र चंद ि गोरखाओं के बीच तकस मैदान में युद्ध िड़ा गया-
A.रानीबाग B.हिािाबाग C.खुदबुड़ा मैदान D.इनमें से कोई नहीं
Q- 16 राजबुग
ं ा तकिा तकस चंद शासक ने बनाया- सहायक भंडारपाि 2017
A.थोहरचन्त्द B.भीष्मचंद C.कल्याण चंद D.सोमचन्त्द
Q17- ज्ञान चंद को गरुड़ चंद की उपाचध ददल्िी सल्तनत के तकस िंश ने दी-
A.मुगि िंश B.िोदी िंश C.तुगिक िंश D.खखिजी िंश
Q18-तनम्नलिखखत चन्त्द शासकों में से कौन मुगि बादशाह अकबर से चमिने उनके दरबार में
गया ? Forest guard 2020
A.िक्ष्मी चन्त्द B.कल्याण चन्त्द C.रूद्र चन्त्द D.गरुड़ ज्ञान चन्त्द
Ans:- 11.c 12.b 13.a 14.b 15.b 16.d 17.c 18.c 19.b 20.b
Q23.डोिी के नरेशों से मुलि चंद शासन को तकस चंद राजा के शासन काि में चमिी
A.सोमचन्त्द B.ज्ञान गरुड़ चंद C.भारती चंद D.उधोत चंद
Q29.तपथौरागढ स्स्थत एक हलथया दे िाि मंददर का तनमाणण तकसके शासन काि में हुआ
A.तत्रमि चंद B.बाजबहारृर चंद C.रुद्र चंद D.जगत चंद
Ans:- 21.a 22.a 23.c 24.a 25.c 26.c 27.b 28.b 29.b 30.d
Q33.गढिाि के पंिार िंश की राजधानी श्रीनगर पर अचधकार करने िाि चंद शासक कौन था
A.ज्ञानचंद B.जगत चंद C.दे िी चंद D.बाजबहारृर चंद
Q36.तनम्न युग्म में चंद राजाओं के समकािीन मुगि राजा ददये गए हैं इनमें कौन सुम्मेलित
नहीं है
चंद राजा मुगि राजा
A.रुद्रचंद - अकबर
B.बाजबहारृर चंद - शाहजहां
C.िक्ष्मीचंद - औरगंजेब
D.जगत चंद - बहारृर शाह
Q37 चंद शासन काि में समूची भूचम तकसके अधीन होती थी
A.दीिान B.राजा C.सीकदार D.नेगी
Ans- 31.a 32.b 33.b 34.b 35.b 36.c 37.b 38.b 39.c
गढ़िाि में पंिार िंश की स्थापना ि संस्थापक के बारे में इततहासकारों के अिग-अिग मत हैं-
1.एिककिंसन,तिलियम्स,तिजयराम रतूड़ी,हरर कृष्ण रतूड़ी आदद इततहासकारों के अनुसार पंिार
िंश का िास्ततिक संस्थापक कनक पाि को माना गया है।
2. मानोदय काब्य, रामायण प्रदीप सभासार ग्रंथ जोतक पंिार िंश के राजाओं की इततहास के
बारे में जानकारी दे ते हैं इनका प्रमाण दे कर डॉर्किर डबराि ने कहा तक पंिार िंश का संस्थापक
अजय पाि है।
सोनपाि(1243-1250ई०)
सोनपाि पंिार िंश का 24िां राजा था।
सोनपाि को सुिणणपाि के नाम से ही जाना जाता है
सोनपाि ने खस राजाओं को हराया ि कई खस राजा इसके अधीन थे।
तिलियम्स के अनुसार इसने भभिंग घािी में अपनी राजधानी बनायी
इसके पुत्रों ने राजधानी को दो भागों में बांिा एक राज्य की राजधानी भभिंग घािी ि
रॄसरे राज्य की राजधानी चांदपुरगढ़ थी
जजन शासकों की राजधानी भभिंग घािी थी िे राजा सोनिंशी कहिाये र्कयोंतक भभिंग
घािी में राजधानी स्थानन्त्तररत सोनपाि नई की थी।
जगत पाि(1444-1460)
यह पंिार िंश का 34िां शासक था।
दे िप्रयाग के रघुनाथ मंददर में इसका ताम्रपत्र (1455ई० का) प्राप्त हुआ इस ताम्र पत्र में
इसने खुद को रजिार कहा है
रजिार उस समय तकसी प्रभुत्िसम्पन राजा को कहा जाता था।
अजयपाि(1490-1519)
अजयपाि पंिार िंश का 37िां राजा था ि आनंदपाि तद्वतीय का पुत्र था।
अजयपाि को पंिार िंश का सबसे शलिशािी शासक माना जाता है
अजयपाि का समकािीन चंद शासक कीर्तिंचंद था। कीर्तिंचंद ने अजयपाि को युद्ध में
हराया
अजयपाि ने अपनी राजधानी चांदपुरगढ़ से दे ििगढ़(1506) ि उसके पिात
श्रीनगर(1517) स्थानांतररत की।
मंददर, गौरजा मंददर ि िक्ष्मी नारायण मंददर का गढ़ वाल में पाथा के नाम से प्रचजलत है।
बिभद्र शाह(1575-1591ई०)
बिभद्र शाह पंिार िंश का 43िां शासक था।
बिभद्र शाह को रामशाह, बिराम शाह ि बहारृर शाह भी
कहा गया है
यह अकबर का समकािीन था
शाह की उपाचध धारण करने िािा पहिा शासक था
कति दे िराज ने बिभद्र शाह की बहारृरता ि युद्ध शैिी के
कारण इसे"भीमसेन समोबिी(भीमसेन के समान बिी)
कहा।
बिभद्र शाह
श्यामशाह(सामशाह)(1611-1631ई०)
श्यामशाह पंिार िंश का 45िां शासक ि मानशाह का पुत्र था।
श्यामशाह मुगि बादशाह जहांगीर का समकािीन था
जहांगीर नामा में श्यामशाह का तििरण चमिता है जहांगीर नामा के अनुसार जहांगीर ने
श्यामशाह को अप्रैि 1621 को एक घोड़ा ि एक हाथी उपहार स्िरूप भेंि ददया गया
श्यामशाह ने राजधानी श्रीनगर में सामसाही बागानी का तनमाणण कराया।
1625ई० में श्यामशाह के शासन काि मे उसके चाचा मतहपत शाह ने श्रीनगर में
केशोरायमठ का तनमाणण कराया।
3.बनिाड़ी दास-
मतहपत शाह के कुमाँऊ अभभयान में सेनापतत बनिाड़ी दास की महत्िपूणण भूचमका रही।
मतहपत शाह ि तत्रमिचंद के बीच"काकूिमोर युद्ध" का िणणन गढ़िाि के ऐततहालसक में
चमिता है।
मोिाराम के अनुसार इस युद्ध मे मतहपत शाह की ि सेनापतत बनिाड़ी दास की मृत्यु हो जाती
है।
रानी कणाणिती
रानी कणाणिती पंिार शासक मतहपत शाह की पत्नी थी
इन्त्हे गढ़िाि की रृगाणिती ि तारबाई भी कहा जाता है
कणाणिती को" नाककािी रानी" के नाम से जाना जाता है
1635 में मुगि बादशाह(शाहजहां) के सेनापतत निजातखां ने रॄन घािी पर हमिा
तकया। गढ़िाि की सरंभक्षका महारानी कणाणिती ने अपनी सूझबूझ ि शाहस से
मुगि सैतनको को पकड़कर उनके नाक काि ददये इस घिना के बाद उनका नाम
नाककिी रानी प्रलसद्ध हो गया
रानी कणाणिती ने दे हारारॄन में करणपुर शहर बसाया
पृथ्िीपततशाह(1635-1664)
पृथ्िीपतत शाह मात्र 7 िर्षण की उम्र में राजगद्दी पृथ्िीपतत शाह ि ओरंगजेब के संबध ं
पर बैठा 1658ई० में शाहजहां के पुत्र औरगंजेब
पृथ्िी पतत शाह के तपता मतहपत शाह ि माता ि दारा लशकोह के बीच सत्ता के लिये
संघर्षण होने िगा औरगंजेब ने दारा
रानी कणाणिती थी
लशकोह को मारकर शाहजहां को बंदी
पृथ्िीपतत शाह को रानी कणाणिती का सरक्षण बनाया ि सत्ता हालसि कर िी ।
प्राप्त था औरंगजेब ने दारा लशकोह के पुत्र
1640 ई० में पृथ्िीपतत शाह ने राजभर शहजादा सुिेमान लशकोह को मारना
संभािा। चाहा िेतकन सुिेमान लशकोह श्रीनगर
पृथ्िीपतत शाह ने मुगि शहजादा दारा लशकोह भाग गया ि श्रीनगर में पृथ्िीपतत शाह ने
1658 मे सुिेमान लशकोह को शरण दी
के पुत्र सुिेमान लशकोह के पुत्र को श्रीनगर में
पृथ्िीपतत शाह ि औरंजेब के बीच
सरक्षण ददया
दुश्मनी बढ़ गयी थी।
पृथ्िीपतत शाह का पुत्र मेदनी शाह था। इसने
औरंगजेब के कोप से बचने के लिये अपने तपता
ितेहपतत शाह(1664-1710)
ितेहपतत शाह पंिार िंश का 49िां राजा था।
यह 12 िर्षण की उम्र में 1664ई० में राजगद्दी पर बैठा
1664-68 तक ितेहपतत शाह के दादा(तपताहमाह) पृथ्िीपततशाह ने इसके सरंक्षक के
रूप में शासन तकया ि उसके बाद इसकी सरंभक्षका राजमाता किोची दे िी रही।
ितेहपतत शाह मुगि बादशाह औरंगजेब के समकािीन था
ितेहपतत शाह को गढ़िाि का लशिाजी भी कहा जाता है।
इसके शासन काि को गढ़िाि का स्िणण युग कहा जाता है।
इसके शासन काि मे राज्य की सीमाओं का अचधक तिस्तार हुआ
ितेहपतत शाह के शासन काि में अनेक ग्रन्त्थों की रचना ितेहपतत शाह के दरबार के नो
हुई रत्न
कति रचना अकबर की भांतत ितेहपतत शाह
1. रतन कति - ितेह प्रकाश/ितेह शाह के दरबार मे नो रत्न थे
सुरेशानन्त्द बड़थ्िाि , खेतराम
2.माततराम - िृन्त्त कौमुदी/छं दसार कपिंगि
धस्माणा , रुद्रीदत्त तकमोठी , हरर
3.रामचंद्र - ितेशाह यशोिमणन दत्त नौदियाि , िासिानन्त्द
4.जिाशंकर - ितेशाह कणण ग्रंथ बहुगुणा , शलशधर डंगिाि ,
सहदे ि चंदोिा , कीर्तिंराम
कैंथोिा और हररदत्त थपलियाि
कठे तगदी – राजमाता किोची के सरक्षण काि में हरक
ससिंह किोच के पाँच पुत्रों ने जनता पर अनेक अत्याचार
तकए। जनता के इस शोर्षण को कठे तगदी कहा जाता है
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उत्तराखंड का इततहास
ितेहपतत शाह द्वारा िड़े गये युद्ध
लसरमौर का युद्ध(1685ई०)- यह युद्ध लसरमौर शासक मेदनी प्रकाश ि ितेहपुर शाह के बीच
हुआ जजसमें मेदनी प्रकाश की पराजय हुई
भंगाडी का युद्ध(1689ई०)-
ितेहपतत शाह ि लसर्कख गुरु गुरु गोकििंद के बीच
1685 ई० में लसरमौर शासक मेदनी प्रकाश ने गुरु गोकििंद ससिंह को यमुना तकनारे पांििा
में रृगण तनमाणण हेतु भूचम दान की थी यह भूचम गढ़िाि राज्य की सीमा के अंदर आती थी
जजसके ििस्िरूप गढ़िाि नरेश ि गुरु गोकििंद ससिंह के बीच 1689ई० में युद्ध हुआ।
उपेंद्र शाह(1716)
उपेंद्र शाह ितेहपतत शाह का ज्येष्ठ पुत्र ि पंिार िंश का 50िां राजा था।
यह अल्पकाि के लिये राजा रहा ि 22 िर्षण की उम्र में बग्िाि के ददन इसकी मृत्यु हो
गयी ।
ददिीप शाह
उपेंद्र शाह के बाद उसका अनुज ददिीप शाह राजससिंहासन पर बैठा िेतकन इसने केिि
1-2 मास तक शासन तकया ि उसके बाद इसकी मृत्यु हो गयी
ददिीप शाह पंिार िंशीय राजाओं में सबसे कम समय तक शासन करने िािा राजा था।
प्रदीप शाह(1717-1773)
प्रदीप शाह ददिीप शाह का पुत्र था जो 5 िर्षण की उम्र में पंिार िंश के 52िें राजा के
रूप में लसहांसन पर बैठा
प्रदीप शाह की सरंभक्षका राजमाता जजया कनकदे ई थी
प्रदीप शाह को महाराजचधराज की उपाचध चमिी
इन्त्होंने लसख गुरुद्वारा तनमाणण के लिये 4 गांि दान में ददये धमुिािा, पंचडत िाड़ी,चमयां
िािा, भूपतिािा
प्रदीप शाह का सभाकति -मेघाकर शमाण(रामायण प्रदीप काव्य के रचतयता)
प्रदीप शाह के समकािीन चन्त्द शासक कल्याण चंद चतुथण था ि इन दोनों के आपस मे
अच्छे संबंध थे
िलितशाह(1772-1780)
िलितशाह प्रदीप शाह का पुत्र था जो पंिार िंश के 53िें राजा के रूप में ससिंहासन पर
बैठा
1778-79ई० में िलितशाह ने लसरमौर पर आिमण तकया ि पराजजत हो गया।
िलितशाह की म्रत्यु
िलितशाह जब कुमाँऊ अभभयान से िौि रहे थे तो गनाई तगिाड़ रृिड़ी नामक स्थान पर
मिेररया के कारण इनकी म्रत्यु हो गयी
िलितशाह के चार पुत्र थे-1.जयकृत शाह, 2.प्रद्युम्न शाह, 3.परािम शाह, 4.प्रीतम शाह
कपरोिी का युद्ध(1785)-
इस युद्ध मे गढ़िाि सेना ि लसरमौर शासक(जगत प्रकाश) एक तरि जबतक रॄसरी
तरि प्रधुम्न शाह ि उसका भाई परािम शाह था। यह युद्ध श्रीनगर के समीप िड़ा गया
था।इस युद्ध मे गढ़िाि सेना तिजयी रही।
जोश्याणी कांड(1785)-
हर्षणदेि जोशी ने गढ़िाि पर आिमण तकया ि गढ़िाि के कई तहस्सों में िूि पाि ि
अत्याचार तकये जजसे जोश्याणी कांड कहा जाता है।
प्रद्युम्न शाह(1786-1804)
जयकृत शाह की मृत्यु के बाद प्रद्युम्न शाह कुमाँऊ का राज छोड़कर 1786 में गढ़िाि
का शासक बना
प्रद्युम्न शाह गढ़िाि ि कुमाँऊ में शासन करने िािा पहिा
शासक था।
गढ़िाि का शासक बनने पर प्रद्युम्न शाह के भाई परािम शाह
ने प्रद्युम्न शाह के तिरुद्ध तिद्रोह तकया र्कयोंतक ि स्ियं गढ़िाि
नरेश बनना चाहता था।
मोिाराम ने अपनी पुस्तक गढ़ जीता संग्राम/गभणका नािक में Figure 3
परािम शाह के तिद्रोह का तििरण तकया है ि परािम शाह को तििासी,रृराचारी एिं
चररत्रहीन राजकुमार बताया है
प्रद्युम्न शाह के गढ़िाि आने पर कुमाँऊ की राजगद्दी हर्षणदेि जोशी ने संभािी
सुदशणनशाह का व्यलित्ि
भिदशणन ने सुदशणनशाह को एक योग्य ि प्रजाित्सि शासक कहा।
1826ई० में सुदशणनशाह का तििाह कांगड़ा के किोचिंशीय महाराज संसारचंद की दो
राजकुमाररयों से एक साथ हररद्वार में हुआ।
6 जनिरी 1859ई० को सुदशणनशाह का दे हांत हो गया।
भिानीशाह(1859-1871)
भिानीशाह पंिार िंश का 56 िां राजा था ि सुदशणन शाह का ज्येि पुत्र था
भािनीशाह की माता का नाम गुणदे िी था।
सुदशणनशाह ने भिानीशाह को अपना उत्तरचधकारी घोतर्षत
तकया परन्त्तु सुदशणनशाह की छोिी राणी खनेिी ने अपने पुत्र
शेरशाह को भिानीशाह के तिरुद्ध भड़का ददया
सुदशणनशाह का स्िगणिास(1859) होने पर मृतक संस्कार पूणण
होने से ही पूिण शेरशाह राजससिंहासन पर आसीन हो गया।
दिहरी ररयासत के राज्य पदाचधकारी ि दरबारी भी दो गुिों में
बंि गये थे। भिानीशाह
नरेंद्र शाह(1913-1946)
नरेंद्र शाह का मात्र 15 िर्षण की आयु में राज्याभभर्षेक हुआ ि राजमाता नेपोलिया राणी
ने नरेंद्र शाह की सरंभक्षका का कायणभार संभािा।
1916ई० में नरेंद्र शाह का तििाह र्कयूंठि की राजकुमारी
कमिेंरृमती तथा इंरृमती के साथ हुआ।
भू व्यिस्था -
भूचम का स्िामी - राजा
राजा द्वारा दान दी जाने िािी भूचम -
1)तिष्णुतप्रतत - िाह्मणो या मजन्त्दरो को दी जाने िािी भूचम
2)रौत भूचम - तिलशि साहस ि िीरता प्रदर्शिंत करने िािे सैतनक को दी जाने िािी भूचम
3) जागीर भूचम - राज्य अचधकाररयों को दी जाने िािी भूचम
जजस व्यलि को भूचम दान दी जाती थी उसे थातिान कहा जाता था
Q9―शाह पदिी प्रयोग करने िािा गढ़िाि का प्रथम राजा कौन था ? ग्राम तिकास अचधकारी
2018
A.बिभद्र शाहB.प्रद्युम्न शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D.कोई नहीं
Ans:- 1.c 2.b 3.a 4.c 5.b 6.a 7.a 8.b 9.a 10.a
Q-12 गिणभज
ं क की उपाचध तकसे दी गयी है-
A.मतहपत शाह B.मानशाह C.माधो ससिंह भंडारी D.िोदी रीखोिा
Q13- नाककिी रानी के नाम से तकसे जाना जाता है - सींचपाि 2017/ ARO Exam
2017
A.राजमाता कनकदे ई B.रानी कणाणिती C.जजया रानी D.इनमें कोई नहीं
Q-15 गढ़िाि का स्िणण युग परमार िंश के तकस शासक के शासनकाि को कहा गया-
A ितेहपतत शाह B.पृथ्िी पतत शाह C.प्रदीप शाह D.िलित शाह
Ans:- 11.a 12.c 13.b 14.b 15.a 16.b 17.b 18.a 19.a 20.b
Q23- मापतोि हेतु धुिी पाथा पैमाना तकस राजा ने शुरू तकया ( Forest Guard 2020)
A.जगत पाि B.अजयपाि C.िखन पाि D अनंतपाि
Q26-दिहरी ररयासत के तकस राजा को अपने नाम से शहर स्थापना की परम्परा शुरु करने का
श्रेय जाता है ? Forest guard Exam 2020
A.नरेद्रशाह कोB.प्रतापशाह को C.कीर्तिंशाह को D.प्रद्युम्नशाह को
Q29- पाँििा के तनकि भगाणी नामक स्थि पर युद्ध गढ़ नरेश ितेहशाह और के मध्य हुआ-
कतनष्ठ सहायक/डािा एन्त्री ऑपरेिर 2018
A.मेदनी प्रकाश B.रुद्र प्रकाश C.गुरु गोकििंद ससिंह D.गुरु हरगोकििंद
Q30- हर्षणदेि जोशी ने तकसे कुमाँऊ पर आिमण करने के लिये आमंत्रण तकया-
A.प्रधुमनशाह B.िलितशाह C प्रदीप शाह D जयकृत शाह
Ans:- 21.c 22.d 23.b 24.b 25.a 26.b 27.a 28.b 29.c 30.b
Q33- गढ़िाि के तकस शासक ने सिणप्रथम अपने नाम के साथ ―शाह‖ की उपाचध धारण की
थी ? Uksssc joniour assistant 2019
A.मान शाह B.श्याम शाह C.महीपतत शाह D.बिभद्र शाह
Q36 दिहरी के परमार िंश के 55िें राजा का नाम है : कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.महीपतत B.प्रद्युम्न शाह C.बिभद्र शाह D.सुदशणन शाह
Ans:- 31.b 32.c 33.d 34.a 35.b 36.d 37.c 38.c 39.c 40.a
Q43-प्रदीप शाह के शासन काि में गढ़िाि ने कािी समृजद्ध प्राप्त की, िह ससिंहासन पर बैठे-
UKSSSC GROUP C 2018
A.1708 ई० में B.1712 ई० में C.1772 ई० में D.1717 ई० में
Q-44 तकस शासक ने गोरखाओं से िड़ाई िड़ने के लिये अपना राजससिंहासन तक बेच डािा-
A.सुदशणनशाह B.परािम शाह C.प्रद्युम्न शाहD.महेंद्र चंद
Q-45 तनम्न में तकस शासक के शासनकाि में गढ़िाि का तिभाजन हुआ-
A.प्रद्युम्न शाह B.अजयपाि C.नरेंद्र शाह D.सुदशणनशाह
Ans:- 41.b 42.b 43.d 44.c 45.d 46.b 47.a 48.b 49.c 50.a
Q-55 श्रीनगर स्स्थत राजकीय तिद्यािय छात्रािास का तनमाणण तकस शासक ने करिाया-
A.कीर्तिंशाह B.प्रताप शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D नरेंद्र शाह
Q56-तनम्न में से कौन सा शासक परमार िंश से सम्बंचधत है- सहायक िेखाकार 2017
A.महीपत शाह B.श्याम शाह C.पृथ्िीपत शाह D.उपयुणि में से सभी
Ans:- 51.d 52.b 53.a 54.b 55.a 56.d 57.d 58.c 59.b 60.d
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उत्तराखंड का इततहास
Q-61 चांदपुरगढ़ के शासक तकस जातत िंश के थे-
A.नाग िंश B.सजिाण C.रमोिा D.सूयणिंशी
Q67.रुद्र चंद ि बिभद्रशाह के बीच हुए बधाणगढ़ युद्ध में तनम्न में से चंद िंश का कौन सा
सेनापतत मारा गया
A.लशरोमभण जोशी B.खतड़ ससिंह C.पुरुर्ष पंत D.गैड़ा
Q68.तकस परमार शासक के दरबार में तिलियम कििंच नामक अचधकारी आया था
A.बिभद्रशाह B.मानशाह C.श्यामशाह D.महीपत शाह
Ans:- 61.d 62.d 63.c 64.b 65.b 66.a 67.c 68b 69.c 70.d
Q73.'छं दसार कपिंगि' में ितेहपतत शाह की तुिना लशिाजी से की गयी है यह ग्रंथ तकसकी
रचना है
A.रतन कति B.माततराम C.रामचंद्र D.जिाशंकर
Ans- 71.c 72.c 73.b 74.c 75.c 76.b 77.b 78.b 79.b 80.b
Q83.दिहरी ररयासत में पािा ि खेण कुप्रथा को तकस राजा ने समाप्त तकया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह
Q84.तकस दिहरी नरेश ने महारानी तिर्किोररया के जन्त्म ददन पर दिहरी में घंिाघर का तनमाणण
कराया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह
Q85.स्िामी रामतीथण का आगमन दिहरी में तकस नरेश के शासनकाि में हुआ
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह
Q86.1921 में तकस दिहरी नरेश ने दे ििगढ़ में राजराजेश्वरी मंददर का जीणोद्धार कराया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह
‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
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हर्षणदेि जोशी
हर्षणदेि जोशी चंपाित के राजा दीप चंद के दीिान थे
हर्षणदेि जोशी ने गोरखाओं को कुमाऊँ पर आिमण करने के लिये तनमंत्रण ददया
हर्षणदेि जोशी ने अंग्रेजों को उत्तराखंड पर शासन करने का प्रेररत तकया इसलिये कई
इततहासकार इनके बारे में अिग अिग राय दे ते हैं
राहुि साकत्याांनन ने हर्षणदेि जोशी को तिभीर्षण की उपाचध दी
एिककिंसन ने हर्षणदेि जोशी को स्िाथी ि दे शद्रोही कहा
हर्षणदेि जोशी को कुमाऊँ का चाणर्कय कहा जाता है
हर्षणदेि जोशी को राज्य तनमाणता(King maker) की उपाचध भी दी गयी है
काजी नरशाही-
इसके शासन काि में मंगि की रात घिनािम हुआ
नरशाही का मंगि - काजी नरशाही को अत्याचारी ि जालिम कहा जाता है। इसके
काि में कुछ लसपाही पभिमी पहाचड़यों में बस गए थे ि िहीं तििाह करके रहने िगे।
नरशाही को इनकी राजभलि पर संदेह हुआ। उसने इनके िास का पता िगाकर मंगि
की रात को इन सभी की हत्या कर दी।
तद्वतीय सूबद
े ार- रणजोर थापा(1804-1805)
मोिाराम ने रणजोर थाप को दानिीर कणण की उपाचध दी
मोिाराम की रचना- रण बहारृर चंदद्रका
रणजोर थापा ने तिचारी(जज) ि अतिचारी(अचधशासक) पदों
का सृजन तकया अमरनसह थापा
3.हस्तीदि चोतररया(1805-08) -
इसकी कृर्षकों के प्रतत तिशेर्ष आस्था थी
इसने तकसानों को तकािी ऋण ददए ि िगान कम की
4.भैरो थापा(1808-11)
यह तििाशी, अत्याचारी ि िूर शासक था
इसने कति मोिाराम को नेपाि दरबार की और से दी गयी जमीन छीन िी
16 सायर कर सीमा कर
गोिादीप- गोिा दीप को अत्ग्नपरीक्षा माना जाता था इसमें आरोपी को िोहे की गरमागरम छड़
को िेकर तनभित रॄरी तय करनी पड़ती थी यदद िह उस तय की गयी रॄरी को िोहे की
गरमागरम छड़ को हाथ मे लिये तय नहीं कर पाता तो उसे दोर्षी समझा जाता था।
तराजुदीप- इस प्रणािी में आरोपी ब्यलि को तराजू में में तोिा जाता था तोिने का समय शाम
का होता था ि अगिी सुबह तिर से उसे तोिा जाता था यदद उसका िजन पहिे से हल्का होता
था तो उसे तनदोर्ष माना जाता था िेतकन यदद िजन अचधक हुआ तो उसे दोर्षी मान लिया जाता
था।
कढाई दीप- इसमें आरोपी के हाथों को खोिती तेि की कढ़ाई में रखा जाता था यदद उसके
हाथ जि गये तो उसे दोर्षी समझा जाता था और यदद नहीं जिते तो उसे तनदोर्ष माना जाता
था।
तिदिश-गोरखा संघर्षण
तिदिश सरकार ि गोरखा शासक दोनों तिस्तारिादी नीतत के थे िह अपने अपने साम्राज्य को
बढ़ाना चाहते थे ऐसे में दोनों के बीच कािी संघर्षण हुआ अंग्रेज भी अपनी तिस्तार िादी नीतत से
तहमािय तक पहुंच चुके थे िही गोरखा शासक उत्तराखंड में शासन करते हुए अंग्रेजों की सीमा
में िगातार घुसपैठ करने का प्रयास करते रहते थे ।
1784ई० में सिणप्रथम गोरखाओं ने अंग्रजे सीमा में घुसपैठ की ि भीमसेन थापा ने
गोरखपुर में 200 से अचधक गांि पर अचधकार कर लिया ।
1804 ई० में गोरखाओं ने िुिबि पर अचधकार कर लिया उस समय िुिबि अंग्रेज
सरकार की सीमा के अंतगणत आता था।
1814ई० में तिदिश सरकार ने तिदिश सेना को गोरखाओं द्वारा अचधकृत क्षेत्र को िापस
िेने का आदे श दे ददया।
अप्रैि 1814 में तिदिश सैतनकों ने िुिबि को गोरखाओं से छीनकर कंपनी राज्य में
चमिा लिया िेतकन गोरखाओं ने पुनः िुिबि पर अचधकार कर लिया।
निम्बर 1814ई० को तत्कािीन गिनणर जनरि मायरो ने गोरखाओं के तिरुद्ध युद्ध की
घोर्षणा दी।
Q3- गढ़िाि पर गोरखाओं का प्रथम युद्ध तकस नाम से जाना जाता है-
A.चमुआ युद्ध B.बड़ाहाि युद्ध C.खुड़बुड़ा युद्ध D िंगुरगढ़ युद्ध
Q9 कुमाऊँ पर गोरखा आिमण के समय नेपाि नरेश थे -कतनष्ठ सहायक/ ऑपरेिर 2018
A.जगजीत पाण्डे B.अमर थापा C.महेन्त्द्र चन्त्द D.रणबहारृर शाह
Ans:- 1.A 2.C 3.D 4.C 5.C 6.B 7.B 8.C 9.D 10.A
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उत्तराखंड का इततहास
Q11-गढ़िाि क्षेत्र पर गोरखाओं ने राज्य तकया – सींचपाि 2017
A.1790 ई0 — 1815 ई0 B.1805 ई0 – 1815 ई0
C.1808 ई0 – 1815 ई0 D.1810 ई0 – 1815 ई0
Q19- पुग
ं ड़ी कर था एक प्रकार का-
A.भूचम कर B.सम्पतत कर C.उत्सि कर D.इनमें कोई नहीं
Q20- Q-खिंगा (दे हरारॄन) के आंग्ि-गोरखा युद्ध में तिदिश सेना का नेतत्ृ ि तकसके द्वारा
तकया गया था - कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.मेजर जनरि मॉने B.मेजर जनरि आर्किरिोनी
C.मेजर जनरि जजिेप्सी D.उपयुणि में से कोई नहीं
Q22 नेपाि और ईस्ि इस्ण्डया कम्पनी के बीच युद्ध हुआ थाः कतनष्ठ सहायक 2018
A.1816 ई0 में B.1814 ई0 में C.1815 ई0 में D.1817 ई0 में
Q24- गोरखा शासन के समय शुभ अिसरों ि शादी के समय लिया जाने िािा कर का र्कया
नाम था ? कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.पुंगाड़ी B.सिामी C.िीका भेि D.ततमारी
Q25- गढ़िाि पर गोरखा सेना का अंततम युद्ध तकस नाम से जाना जाता है-
A.चमुआ युद्ध B.बड़ाहाि युद्ध C.खुड़बुड़ा युद्ध D िंगुरगढ़ युद्ध
Q27- अंग्रज
े ो ि गोरखाओं के मध्य संगोिी की संचध कब हुई-
A.1815 B.1816 C 1817 D.1814
Q30.गोरखा शासन में राज्य कमणचाररयों से िगान के बारे में पूछने पर लिया जाने िािा कर
A.अधनी दफ्तरी कर B.सिामी कर C.जान्त्या-सुन्त्या कर D.सुिंगी कर
Ans:- 21.C 22.B 23.C 24.C 25.C 26.B 27.B 28.d 29.b 30.c
हैनरी रैमजे
1857 की िांतत -
कुमाऊँ कचमश्नरी में 1857 की िांतत का प्रभाि बहुत कम दे खने को चमिा। सम्पूणण नाथण-िेस्ि
प्रोकििंसेज में कुमाऊँ कचमश्नरी एकमात्र ऐसी प्रशासतनक इकाई थी जहाँ 1857 की िांतत के
समय कम्पनी प्रशासन को स्थानीय सहयोग प्राप्त हुआ
कुमाऊँ में रैमजे द्वारा 1857 में मासणि िॉ िगाया गया
8.तिशर(1884-1885)
9.एच०जी०रोस(1885-87)-
1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय कुमाऊँ कचमश्नर एच०जी०रोस
थे।
1887 में गढ़िाि राइिि की स्थापना हुई।
11.जी०ई० आसणतकन(1889-92)-
1891 में कुमाऊँ को दो जनपदों अल्मोड़ा ि नैनीताि जनपद में बांिा गया।
13. ई० ई० ग्रीज(1894-98)-
1897 ई० में पहिी बार पृथक उत्तराखंड प्रान्त्त की मांग महारानी तिर्किोररया के
समकक्ष रखी गयी।
14.आर० ई० हैम्बिीन(1899-1902)-
1899-1900 ई० में रॄन में रेि का आगमन हुआ।
1901 ई० गढ़िाि यूतनयन की स्थापना।
1902-1903 ई० नैनीताि जेि की स्थापना।
18.एन०सी० त्स्िि(1925-31)-
1929ई० में नायक बालिका रक्षा कानून बना।
19.एि०एम० स्िब्स(1931-33)
21.ए०डब्ल्यू इििसन(1935-39)-
1937 ई० में अल्मोड़ा के चनोदा नामक स्थान पर शांतत िाि तत्रिेदी ने गांधी आश्रम
की स्थापना की।
22.जी०एि०तितियन(1939-41)-
23.िी०जे०सी०एर्किन (1941-43)-
24.डब्ल्यू०डब्ल्यू०तिनिे (1943-47)-
25.के०एि०मेहता (1947-48)-
कुमाँऊ का प्रथम भारतीय कचमश्नर
कुमाँऊ कचमश्नरी स्िंतत्र
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निां भू बंदोबस्त(1863-73) -
बैकेि द्वारा कराया गया यह भू बंदोबस्त 1863 में रैमजे के शासन काि में कराया गया
इस भू बंदोबस्त में प्रथम बार िैज्ञातनक पद्धतत का प्रयोग तकया गया
दसिां भू बंदोबस्त -
गढ़िाि में पो द्वारा कराया गया
कुमाऊँ में गूंज द्वारा कराया गया
ग्यारिाँ भू बंदोबस्त -
यह इबि् सन द्वारा 1928 में कराया गया
यह तिदिश काि का अंततम बंदोबस्त था
बारहिां भू बंदोबस्त -
यह उत्तरप्रदे श सरकार में 1960 - 64 में कराया गया
तिदिश सरकार िनों से सम्बंचधत कई नये नये तनयम बनाती गयी जजसके कारण ग्रामीणों से से
िन अचधकार छीन लिए गये। ग्रामीणों में रोर्ष उत्पन होने िगा र्कयोंतक ग्रामीणों की आजीतिका
इन्त्हीं िनों पर तनभणर थी
कई जगह आंदोिन हुए िनों में आग िगाई गयी
1921 में सोमेश्वर की रृगाण दे िी को थकिोड़ी के िनों में आग िगाने के जुमण में एक माह की
कैद हुई।
िन पंचायत-
1930 में नैनीताि, अल्मोड़ा, तपथौरागढ़, पौड़ी गढ़िाि में िन पंचायत की स्थापना की गयी
1932 में चमोिी में िन पंचायत का गठन तकया गया
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में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
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Q3- कुमाऊँ के तकस कचमश्नर के काि को कुमाँऊ में तिदिश शासन का स्िणण काि कहा गया-
A कैम्पबेि B.जी डब्ल्यू रे ि C.हैनरी रैमजे D कनणि गोयन
Q9- कुमाऊँ-गढ़िाि में पहिी जेि तकस िर्षण स्थातपत हुई ? joniour assistant 2019
A.सन् 1812 ई0 B.सन् 1835 ई0 C.सन् 1816 ई0 D.सन् 1850 ई0 में
Ans:- 1.c 2.b 3.c 4.c 5.c 6.c 7.a 8.b 9.C 10.a
Q19- दास प्रथा, बाि प्रथा, ि मतहिा तििय प्रथा को अपराध घोतर्षत करने का श्रेय तकसे
ददया गया-
A.कैम्पबेि B.कनणि गोयन C.एि०ओ०गोयन D.जी डब्ल्यू रे ि
Ans:- 11.a 12.a 13.c 14.c 15.d 16.a 17.d 18.b 19.b 20.b
Q26.ईस्ि इंचडया कम्पनी का िह सेनापतत जो नािापानी (खिंगा ) युद्ध में मारा गया
A.मेजर जनरि मािे B.जनरि जे एस िुड
C.जनरि जेिेस्पी D.जनरि ऑर्किरनोिी
ANS:- 21.b 22.c 23a 24.c 25.a 26.c 27.d 28.b 29.c 30.c
Q33.दास प्रथा ि बाि तििय प्रथा को अपराध घोतर्षत करने िािा कचमश्नर था
A.कनणि गोयन B.जे आर तग्रग C.रे ि D.हैलिन बैिन
Q34.1840 में पौड़ी जनपद का गठन तकया गया इस समय कुमाऊँ कचमश्नर कौन था
A.कनणि गोयन B.जे आर तग्रग C.िॉमस िुंलशगिन D.हैलिन बैिन
Ans- 31.c 32.b 33.a 34.c 35.c 36.c 37.c 38.d 39.B
Q44.तिदिशकािीन तकस भू बंदोबस्त में खसरा सिेक्षण पद्धतत का प्रयोग तकया गया
A.तीसरा बंदों B.पांचिां बंदोबस्त C.आठिां बंदोबस्त D.नोिां बंदोबस्त
Q46.बैकेि का निां तिदिश भू बंदोबस्त तकस कचमश्नर के शासन काि में हुआ
A.रे ि B.एच जी रोर्ष C.हैनरी रैमजे D.जे आर तग्रग
1857 की िांतत का असर राज्य में दे खने को र्कयों नहीं चमिा था-
अन्त्याय पूणण गोरखा शासन की अपेक्षा अंग्रेजी शासन िोगों को उदारिादी ि सुधारिादी िग
रहा था।
.कुमाँऊ कचमश्नर रैमजे एक कुशि ि उदारिादी शासक था।
गढ़िाि नरेश का अंग्रेजों के प्रतत भलि भाि।
राज्य में लशक्षा ,संचार, तथा यातायात के साधनों की कमी थी।
प्रथम अचधिेशन(1908)-
गढ़िाि भ्रातृ मंडि का प्रथम अचधिेशन 1908 को कोिद्वार में कुिानंद बड़थ्िाि जी के नेतृत्ि
में हुआ
छिा अचधिेशन-
गढ़िाि भ्रातृ मंडि का 6िां अचधिेशन 30 ददसम्बर 1913 में हुआ
इस अचधिेशन में दभक्षण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अत्याचारों के तिरुद्ध क्षोभ
प्रस्ताि पाररत तकया गया।
भ्रातृ मंडि ने कहा तक सभी िाह्मण,क्षतत्रय,शुद्र अपने को एक ही शरीर के भभन्त्न-भभन्त्न
अंग समझें ि जातीय एिं िणण भेदों से हिकर संपूणण गढ़िाि की उन्त्नतत में योगदान।
जहां एक और गढ़िाि यूतनयन समाज को लशभक्षत ि जागरूक करने का प्रयास कर
रहा था िहीं गढ़िाि भ्रातृमंडि समाज को एक साथ चमिकर रहने की सीख दे रहा था
।
बाद में दोनों संगठनों का आगे चिकर गढ़िाि सभा मे तििय हुआ।
गोरक्षभण सभा
स्थापना-1907(कोिद्वार में)
संस्थापक- धनीराम चमश्र
धनीराम चमश्र को रृग्गड्डा नगर का संस्थापक माना जाता है
धनीराम चमश्र गढ़िाि में सनातन धमण से प्रभातित होकर गोरक्षभण सभा की स्थापना की
गोरक्षभण सभा के उद्दे श्य-
1.गोिध का तिरोध करना
2.गोरक्षा पर जनमत जागरण
धनीराम चमश्र ने अपने तनजी खचण पर धमोपदे शक तनयुि तकये जो तक गांि-गांि में
घूमकर गो माता के महत्ि को समझाते थे
गोरक्षभण सभा के कायणिम 1929ई० तक तनरन्त्तर चिते रहे िेतकन उसके बाद समाज
की सारी शलियों का झुकाि राजनीततक आंदोिनों में झुक गया था।
सारोिा सभा
स्थापना-1904
संस्थापक- तारादत्त गैरोिा
मुख्यािय- दिहरी
सभापतत-बद्रीनाथ धाम के रािि पंचडत
सरोिा सभा के उद्दे श्य-
1.िाह्मणों के शैभक्षक ि सामाजजक उत्थान हेतु प्रयास करना
2.मादक द्रव्यों पर प्रततबंध िगाना
3.िधु मूल्य पर प्रततबंध िगाना
4.सारोिा िाह्मणों को हि जोतना तनर्षेध होगा
5.सारोिा िाह्मण अन्त्य िाह्मण उपजाततयों की त्स्त्रयों से तििाह नहीं करेंगे
6.सांस्कृततक तिद्यािय बनाना ि तिद्यार्थिंयों को छात्रिृलत्त प्रदान करना
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उत्तराखंड का इततहास
सारोिा सभा के महत्िपूणण अचधिेशन-
6िां अचधिेशन- यह अचधिेशन 1911ई० में कणणप्रयाग में हुआ जजसमें 200 प्रतततनचधयों ने
भाग लिया
10िां अचधिेशन- यह अचधिेशन 1914 में कणणप्रयाग में हुआ जजसमें कन्त्या-तििय पर प्रततबंध
ि प्रांतीय काउंलसि में कुमाँऊ को प्रतततनचधत्ि ददए जाने की मांग।
क्षतत्रय सभा
स्थापना-1919
संस्थापक- जोध ससिंह नेगी ि प्रताप ससिंह नेगी
उद्दे श्य-
1.क्षतत्रयों का शैक्षभणक ि सामाजजक उत्थान करना
2.क्षतत्रयों की सामाजजक कुप्रथाओं का तनराकरण करना
क्षतत्रय समाज के िोगों को तिदिश हुकूमत द्वारा सेना में भती तकया जाता था िेतकन िे
उच्च पदों पर नहीं पहुंच पाते थे
1914 के प्रथम तिश्व युद्ध मे गढ़िाि सेना ने अपना अपार शौयण ददखाया ि कहिंरृस्तानी
सेना को चमिे 10 तिर्किोररया िॉस में से 2 पदक गढ़िाि रायिि के जिान गब्बर ससिंह
ि दरबान ससिंह नेगी को चमिे
प्रथम तिश्व युद्ध के बाद पहिी बार गढ़िाि रायिि को रॉयि की उपाचध दी गयी
गढ़िाि रायिि की इस कामयाबी से गढ़िाि के क्षतत्रय समाज के प्रतत तिदिश हुकूमत
का तिश्वास ि सम्मान और बढ़ गया।
तिदिश हुकूमत ने प्रथम तिश्व युद्ध की जीत की खुशी पर ि गढ़िाि में 100 िर्षण शासन
के उपिक्ष्य में 30 माचण 1920 को श्रीनगर गढ़िाि में एक सभा का आयोजन तकया
इस सभा मे िाह्मणों की बाहुल्यता दे खकर कचमश्नर पीढ़म ने कहा- जजनके सम्मान में
यह अचधिेशन तकया जा रहा है िे तो कहीं ददखाई नहीं दे रहे हैं।
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JARDHARI CLASSES
Q9.तारादत्त गैरोिा द्वारा 1904 में सरोिा सभा की स्थापना की गयी इसका मुख्यािय कहाँ
बनाया गया
A.पौड़ी B.दिहरी C.कोिद्वार D.गुजडू
Ans- 1.b 2.b 3.c 4.d 5.d 6.c 7.b 8.c 9.b 10b
All E-book - JardhariClasses.in Page 112
उत्तराखंड का इततहास
Q11.गढिाि क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि की स्थापना तकसने की
A.तारादत्त गैरोिा B.जोध ससिंह नेगी C.धनीराम चमश्र D.मथुरा प्रसाद
कुिी एजेंसी(1908-1924ई०):-
कुिी एजेंसी का पूरा नाम:-रांसपोिण एंड सप्िाई कॉपरेदिि एसोलसएशन
कुिी एजेंसी का तिचार सिणप्रथम तगररजा दत्त नैथानी ने रखा
1908ई० में जोध ससिंह नेगी ने कूिी एजेंसी की स्थापना की ि इसका
मुख्यािय पौड़ी था
1912 ई० में िैंसडोन में कुिी एजेंसी की स्थापना हुई
होमरूि िीग –
उत्तराखंड में होम रूि िीग की स्थापना – 1914
बद्रीदत्त पांडे का कथन - हमने छिी बुदढ़या बसन्त्ती की होमरूि िीग नहीं खोिी है िरन
िोकमान्त्य ततिक िािी िीग की स्थापना की है
बाि गंगाधर ततिक ने होम रूि िीग की स्थापना - 28 अप्रैि 1916
एनी बेसिें ने होम रूि िीग की स्थापना - लसतम्बर 1916
दे हरारॄन में 1918 में स्िामी तिचारनन्त्द सरस्िती ने होम रूि िीग की एक शाखा स्थातपत की
याद रखें –
1. 1912 ई० में अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना हुई
2. कुमाँऊ पररर्षद ने कुिी बेगार, कुिी उतार, जंगिात कानून,भूचम बंदोबस्त प्रणािी आदद
स्थानीय समस्याओं के साथ स्िंतत्रता आंदोिन में भी महत्िपूणण भूचमका तनभाई
3. 1918ई० में बैररस्िर मुकंदी िाि ि अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने गढ़िाि कांग्रेस कमेिी की
स्थापना की
4. 1921 ई० कुिी बेगार प्रथा का अंत हो गया
Q2-1917 ई० में अल्मोड़ा में आयोजजत कुमाऊँ पररर्षद के पहिे अचधिेशन की अध्यक्षता की
गई : group c 2018
A.इन्त्द्रिाि साह B.मोहन जोशी C.जयदत्त जोशी D.चन्त्द्रिाि साह
Q3-कुमायूँ पररर्षद का गठन तकस िर्षण में तकया गया ? ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.1900 ई. में B.1903 ई. में C.1916 ई. में D.1905 ई. में
Q8-―कुिी बेगार‖ आन्त्दोिन कहाँ शुरू हुआ? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.बागेश्वर B.जागेश्वर C.मुिेश्वर D.िनकपुर
Ans- 1.a 2.c 3.c 4.a 5.c 6.b 7.b 8.a 9.b
Q15.कुमाऊँ पररर्षद का कौन सा अचधिेशन तहन्त्रॄ मुस्स्िम एकता का प्रतीक माना जाता है
A.तद्वतीय B.तृतीय C.पांचिा D.अंततम
Q16.काशीपुर में खद्दर आश्रम की स्थापना 1918 में तकसके द्वारा की गयी
A.बद्रीदत्त जोशी B.मुकंदीिाि C.बद्रीदत्त पांडे D.गोकििंद िल्िभ पंत
Q20.दे हरारॄन में 1918 में होमरूि िीग की शाखा तकसने स्थातपत की
A.अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा B.स्िामी सत्यदे ि C.स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती D.मुकंदी िाि
कौसानी:-
कौसानी बागेश्वर के गरुड़ जजिे का एक गांि है जो तक
कोसी नदी ि गोमती नदी के बीच बसा हुआ है
गांधी जी ने कौसानी को "भारत का स्स्िि् जरिैंड
कहा"। कौसानी
गांधी जी ने कौसानी में 12 ददन के प्रिास में
"अनाशलि योग नामक गीता"की भूचमका लिखी
गांधी जी ने अपनी पुस्तक"यंग इंचडयन" में कौसानी के सौंदयण का तििरण तकया है।
यह भी जानें
पेशािर कांड(23 अप्रैि 1930)-
गढ़िाि राइिल्स की इकाई 2/18 के सैतनकों ने चंद्रससिंह गढ़िािी के नेतृत्ि में तनहत्थे अिगान
स्िन्त्त्रता सेनातनयों पर गोिी चिाने से इन्त्कार कर ददया
अंग्रज े कमांडर- ररकेि
अन्त्य गढ़िाि राइिि के लसपाही- नारायण ससिंह गुसाईं, हरक ससिंह धपोिा, महेंद्र ससिंह नेगी,
केशर ससिंह राित, भोिा ससिंह बुिोिा,
गाड़ोददया स्िोर डकैती कांड(6 जुिाई 1930)-
ददल्िी में हुए इस डकैती कांड में उत्तराखंड से भिानी ससिंह की महत्िपूणण भूचमका थी
1932 में बद्रीदत्त जोशी जी की अध्यक्षता में कुमाऊँ समाज सम्मेिन आयोजजत तकया गया
1935 में श्रीनगर में सी एच चोतिन की अध्यक्षता में दलितों के उत्थान हेतु सभा का आयोजन
तकया गया
23 िरिरी 1941 को िैंसडाउन में डोिा पािकी सम्मेिन आयोजजत तकया गया इसमें संकल्प
लिया गया तक हररजनों पर होने िािे अत्याचारों पर प्रततबंध िगाया जाए
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उत्तराखंड का इततहास
गाड़ी सड़क आंदोिन -
श्रीनगर सम्मेिन 1938 में गाड़ी-सड़क आंदोिन की बात उठाई गयी
उद्दे श्य - गढ़िाि में सड़कों का तनमाणण
इसी दौरान जाग्रत गढ़िाि संघ की स्थापना हुई जजसका अध्यक्ष प्रताप ससिंह नेगी को
बनाया गया
जागृत गढ़िाि संघ ने गाड़ी सड़क आंदोिन में महत्िपूणण भूचमका तनभाई
गुजडू आंदोिन -
गुजडू दभक्षण गढ़िाि का एक ग्रामीण क्षेत्र था जो स्िन्त्त्रता आंदोिन के समय
आंदोिनकाररयों का एक प्रमुख केंद्र था
गुजडू आंदोिन का नेतृत्ि राम प्रसाद नोदियाि ने तकया
गुजडू को गढ़िाि का बारदोिी कहा जाता है
‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
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1857 की िांतत :- 1857 की िांतत का दिहरी राज्य में कोई भी असर दे खने को नहीं चमिा
बारह आना बीसी भूचम ब्यिस्था(1861):- अठु र तिद्रोह को दे खकर 1861 में बारह आना बीसी
भूचम ब्यिस्था िागू की गयी
दिहरी िन तिभाग –
स्थापना- 1885
प्रथम अध्यक्ष – पंचडत केशिानन्त्द
िन तिभाग की स्थापना के बाद िनों से संबस्न्त्धत कई तनयम बनाए गए जजससे स्थानीय जनता
में रोर्ष उत्पन हो गया
कीर्तिंनगर आन्त्दोि(1948):- 10 जनिरी 1948 में कीर्तिंनगर में तिशाि रैिी उमड़ पड़ती है ि
कीर्तिंनगर अदाित पर अचधकार कर िेती हे
11 जनिरी 1948 को इस भीड़ पर सैतनकों द्वारा गोिी चिाई गयी इस आंदोिन में नागेंद्र
सकिानी ि भोिाराम शहीद हो जाते हैं
दिहरी ररयासत का तििय:- 1 अगस्त 1949 को दिहरी ररयासत का तििय भारतीय संघ में हो
जाता है
https://youtube.com/c/JARDHARICLASSES
JARDHARI CLASSES
Q6.दे घाि गोिी कांड में तनम्न में से कौन शहीद हुए
A.हीरामभण B.हररकृष्ण C.खीमदे ि D.A&B दोनों
Q8- पेशािर काण्ड के नायक िीर चन्त्द्र ससिंह गढ़िािी ने तनहत्थे भारतीय पठानों पर गोिी
चिाने से मना कर ददया था : Uksssc joniour assistant
2019
A.13 अप्रैि, 1930 ई0 को B.23 अप्रैि, 1930 ई0 को
C.23 माचण, 1930 ई0 को D.13 माचण, 1930 ई0 को
Q13- िर्षण 1939 में दिहरी राज्य प्रजामण्डि की स्थापना हुई? समाज कल्याण तिभाग
2017
A.दिहरी B.थम्बा C.ऋतर्षकेश D.दे हरारॄन
Ans- 9.b 10.b 11.d 12.d 13.d 14.b 15.b 16.d 17.b 18.b
Q21- चन्त्द्र ससिंह गढ़िािी के नेतत्ृ ि में गढ़िाि राइिल्स की तकस इकाई ने तनहत्थे अिगान
सैतनकों पर गोिी चिाने से इंकार कर ददया था ? सींचपाि 2017
A.4/18 B.3/18 C.1/18 D.2/18
Q24.गांधी जी ने 1929 में बागेश्वर में स्िराज भिन का लशिान्त्यास तकया यह भिन तकसके
द्वारा बनाया गया था
A.शांततिाि तत्रिेदी B.अभभनि जोशी C.खीमादे ि तबि D.मोहन जोशी
Ans- 19.c 20.c 21.d 22.c 23.c 24.d 25.c 26.b 27.b
2.मेतिसिाइि(1845)
मेतिसिाइि समाचार पत्र का प्रकाशन 1845 में हुआ।
इसके संपादक चम० जोन िेग थे जो तक झांसी की रानी िक्ष्मीबाई के िकीि रह चुके
थे।
इस समाचार पत्र का प्रकाशन मसूरी से तकया गया।
यह समाचार पत्र आंग्ि भार्षी(अंग्रेजी) था िेतकन अंग्रेजी अखबार होते हुए भी इसने
अंग्रेज सरकार की नीततयों का तिरोध तकया।
1857ई० में हुए 'इंस्ग्िश मैन र्किब मसूरी ' की बैठक में िाडण डिहौजी ने इसे साम्राज्य
तिरोधी अखबार करार ददया।
4.मसूरी एर्कसचेंज(1870ई०)
मसूरी एर्कसचेंज का प्रकाशन 1870 में हुआ िेतकन यह अचधक प्रलसद्ध न हुआ ि कुछ
समय बाद बंद हो गया।
4.कास्मोपेिदे िन (1910ई०)
यह एक अंग्रेजी साप्तातहक समाचार पत्र था।
बैररस्िर बुिाकी राम ने 1910ई० में दे हरारॄन में कचहरी रोड पर भास्कर नामक प्रेस
खोिी और यहीं से इस समाचार पत्र का प्रकाशन तकया।
यह समाचार पत्र दे हरारॄन से प्रकालशत होने िािा पहिा आंग्िा भार्षी साप्तातहक
समाचार पत्र था।
1910 में बद्रीदत्त पांडे जी ने इस समाचार पत्र में काम तकया।
6. तिशाि कीर्तिं
प्रकालशत- 1913ई०
संपादन- सदानन्त्द कुकरेती
पौड़ी में िह्मानंद थपलियाि की बद्री केदार प्रेस से िरिरी 1913ई० में तिशाि कीर्तिं
का प्रकाशन हुआ।
यह एक मालसक समाचार पत्र रहा।
195ई० में यह बंद हो गया।
7. पुरुर्षाथण
प्रकाशन-1917
संपादन- तगररजादत्त नैथानी
गढ़िाि समाचार पत्र बंद होने के बाद तगररजादत्त नैथानी ने अर्किू बर 1917 में पुरुर्षाथण
नामक मालसक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
पुरुर्षाथण तबजनोर में छपता था।िेतकन प्रकाशन रृग्गड्डा से या तगररजादत्त नैथाणी के
पैतृक गांि नैथाणा से होता था ।
1927 को गढ़िाि पत्रकाररता के जनक तगररजादत्त नैथानी जी के तनधन के साथ ही
पुरुर्षाथण समाचार पत्र बंद हो गया ।
8. शलि
प्रकाशन -15 Oct 1918 तिजयदशमी के अिसर पर
सम्पादक - बद्रीदत्त पांडे
1918 में अल्मोड़ा अखबार पे प्रततबंध िगने के बाद बद्रीदत्त पांडे ने यह समाचार पत्र
प्रकालशत तकया।
1918 में दे शभि प्रेस की स्थापना हुई तथा 18 Oct
1918 को तिजयदशमी के अिसर पर बद्रीदत्त पांडे के
सम्पादन में शलि का पहिा अंक प्रकालशत हुआ।
सन 1942-45 तक शलि का प्रकाशन बंद रहा।
1946 में इसका प्रकाशन पुनः प्रारंभ हुआ।
शलि समाचार पत्र ने राष्ट्रीय स्तर के बड़े संघर्षों के साथ-
साथ छोिे -छोिे सामाजजक मुदों को भी उजागर तकया।
12. अभय
प्रकाशन-1922
सम्पादन-स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती
स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती दे हरारॄन में अभय नामक कप्रिंटििंग प्रेस चिाते थे ि अपने
राष्ट्रिादी तिचारों से िोगों को स्िधीनता के प्रतत प्रेररत करने के लिए इसी तप्रटििंग प्रेस से
1928ईo में साप्तातहक कहिंदी समाचार पत्र अभय का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
15. स्िगणभचू म
प्रकाशन-1934
संपादन- दे िकीनंदन ध्यानी
स्िगणभूचम एक पाभक्षक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन 15 jan 1934 को
दे िकीनंदन ध्यानी ने हल्द्वानी से तकया।
स्िगण भूचम के 3-4 अंक तनकिने के पिात यह बंद हो गया।
16. समता
प्रकाशन-1935ई०
सम्पादन-मुंशी हररप्रसाद िम्िा
समता एक साप्तातहक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन मुंशी हररप्रसाद िम्िा ने
1935ई० में तकया
यह एक कहिंदी अखबार था।
इस अखबार का मूि उद्दे श्य दबे-कुचिे तपछड़े समाज को उचचत अचधकार ददिाना था।
सन 1935ई० में श्रीमती िक्ष्मी दे िी िम्िा ने इस अखबार का संपादन तकया।
श्रीमती िक्ष्मी दे िी उत्तराखंड की पहिी दलित मतहिा पत्रकार थी।
18. तहतैशी
प्रकाशन-1936ई०
सम्पादन-पीताम्बर दत्त पारबोि
पीताम्बर पारबोि ने सन 1936ई० में िैंसडोन से तहतैर्षी नामक पाभक्षक समाचार पत्र
का संपादन ि प्रकाशन तकया।
यह समाचार पत्र सता समथणक था।
अंग्रेज समथणक होने के कारण पीताम्बर दत्त पारबोि को "रायबहारृर"की उपाचध दी
गयी।
20. उत्थान
प्रकाशन 1937
संपादन - ज्योतत प्रसाद माहेश्वरी
यह एक सप्तातहक समाचार पत्र था तथा क्षेत्रीय आंदोिनों ि सामाजजक मुद्दों की बेबाक
पत्रकाररता के लिए प्रलसद्ध हुआ।
21. जागृत जनता
प्रकालशत -1938
संपादन - पीतांबर पांडे
यह एक सप्तातहक पत्र था।
1. संदेश -
प्रकाशन - 1940
संपादन - कृपाराम चमश्रा मनहर
कृपाराम चमश्र जी ने अपने छोिे भाई हरीराम चमश्र चंचि के सहयोग से सन 1940 में
कोिद्वार से संदेश नामक समाचार पत्र का प्रकाशन तकया।
1939 में मनहर जी के जेि जाने के बाद यह समाचार पत्र बंद हो गया ।
2. समाज
प्रकालशत - 1942
संपादन - राम प्रसाद बहुगुणा
यह एक हस्तलिखखत समाचार पत्र था।
2 िर्षण तक यहां पत्र तनयचमत रूप से चिता रहा ।
भारत छोड़ो आंदोिन में रामप्रसाद बहुगुणा जी के जेि जाने पर यह पत्र बंद हो गया।
3. मसूरी एडिरिाइजर
प्रकालशत - 1942
संपादन - के एि मेकागोंन
यह समाचार पत्र मसूरी के कुिड़ी स्स्थत कप्रिंटििंग प्रेस से छापा गया था।
1947 में स्ितंत्रता प्रात्प्त के पिात यह समाचार पत्र बंद हो गया था।
6.प्रजाबन्त्धु
प्रकाशन- 1947ई०
संपादन- जयदत्त िैिा
यह एक साप्तातहक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन 1947ई० में जयदत्त िैिा ने रानीखेत से
प्रारम्भ तकया
Q9-1935 ई. से इस पत्र का प्रकाशन अल्मोड़ा से तकया गया - ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.शलि B.स्िाधीन प्रजा C.समता D.अिगोड़ा अखबार
Q11- तनम्न में से कोिद्वार से प्रकालशत होने िािा समाचार पत्र था-
A.स्िगणभूचम B.गढ़दे श C.तहतैर्षी D.उत्तर भारत
Ans:- 6.d 7.b 8.a 9.c 10.a 11.b 12.a 13.b 14.c 15.b 16.b
Q18- तकस समाचार पत्र का पहिा अंक 15 August 1947 को प्रकालशत हुआ-
A.स्िराज संदेश B.युगिाणी C.प्रजाबन्त्धु D.समाज
Q19-गढ़िाि के प्रमुख समाचार पत्र ‗गढ़िाि समाचार मालसक‘ का प्रथम बार प्रकाशन हुआ
था – सहायक भंडारपाि 2017
A.1886 B.1902 C.1905 D.1907
Q-21 तनम्न में से कौन ―अल्मोड़ा अखबार‖ के सम्पादक नहीं रहे? Forest guard 2020
A.बुजद्ध बल्िभ पंत B.मुंशी इत्म्तयाज अिी C.जीिा नन्त्द जोशी D.श्री दे ि सुमन
Ans:- 17.b 18.b 19.b 20.b 21.d 22.a 23.a 24.b 25.a
उत्तराखंड िांतत दि
उत्तराखंड िांतत दि उत्तराखंड का क्षेत्रीय राजनीततक दि है जजसने उत्तराखंड पृथक
राज्य आंदोिन में अपनी महत्िपूणण भूचमका तनभाई
24-25 जुिाई 1979 को मसूरी में आयोजजत पिणतीय जन तिकास
सम्मेिन में उत्तराखंड िांतत दि का गठन तकया गया।
उत्तराखंड िांतत दि के प्रथम अध्यक्ष कुमाँऊ तिश्वतिद्यािय के
तत्कािीन कुिपतत डॉ दे िीदत्त पंत बनाये गये।
1987 में उत्तराखंड िांततदि का तिभाजन हो गया ि दि की
बागडोर काशी ससिंह एररया ने संभािी
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उत्तराखंड का इततहास
9 लसतंबर 1987 को उत्तराखंड िांतत दि ने उत्तराखंड बंद का आयोजन तकया
23 निम्बर 1987 को उत्तराखंड िांतत दि ने राष्ट्रीपतत को ज्ञापन सौंपा ि हररद्वार को
उत्तराखंड में शाचमि करने की मांग की गई।
23 अप्रैि 1987 को उत्तराखंड िांतत दि के उपाध्यक्ष तत्रिेंद्र पंिार ने पृथक राज्य मांग
हेतु संसद में पत्र बम िेंका जजसके लिये उन्त्हें भारी यातनाएं दी गयी।
1991 में उत्तराखंड िांतत दि के तिधायक जसिंत ससिंह तबि ने उत्तर प्रदे श तिधानसभा
में पहिी बार पृथक राज्य का प्रस्ताि रखा।
जुिाई 1992 में उत्तराखंड िात्न्त्तकाि ने एक दस्तािेज जारी तकया जजसमें गैरसैंण को
उत्तराखंड राज्य की राजधानी घोतर्षत तकया गया।
21 जुिाई 1992 को काशी ससिंह ऐरी ने गैरसैंण में राजधानी की नींि डािी ि उसका
नाम चंद्रनगर घोतर्षत तकया।
मुजफ्िरनगर कांड
उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिनकाररयों ने जन भािना का अहसास कराने हेतु 2
अर्किू बर 1994 को ददल्िी कूच करने का तनणणय लिया। गढ़िाि ि कुमाँऊ क्षेत्र के कई
आंदोिनकारी ददल्िी की और रिाना हुए।िेतकन पुलिस ने ददल्िी रैिी में भाग िेने जा
रहे आंदोिनकाररयों को रामपुर ततराहा मागण(मुज्जिरनगर) पर रोक ददया ि बबणरता से
आंदोिनकाररयों पर िाठी चाजण ि गोिी चिाकर अमानिीय अत्याचार तकया यहां तक
तक मतहिाओं के साथ अभद्र व्यिहार भी तकया गया। इस मुज्जिरनगर कांड में कई
िोग शहीद हुए।
मुज्जिरनगर कांड के तिरोध में 3 अर्किू बर को उत्तराखंड में कहिंसक प्रदशणन हुए ि इस
कहिंसक प्रदशणन में भी कई िोग शहीद हो गये।
25 जनिरी 1995 को उत्तरांचि आंदोिन संचािन सचमतत ने उच्चत्तम न्त्यायािय से
राष्ट्रपतत भिन तक सकििंधान बचाओ यात्रा तनकािी।
10 निम्बर 1995 को श्रीनगर स्स्थत श्रीयंत्र िापू पर आमरण अनशन पर बैठे
आंदोिनकाररयों पर पुलिस ने िाठी चाजण तकया जजसमें दो आंदोिनकारी यधोधर
बेंजिाि ि राजेश राित की मौत हो गयी।
Q2.उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु रामनगर में पिणतीय राज्य पररर्षद का गठन कब तकया गया
A.1956 B.1962 C.1967 D.1979
Q7- कौलशक सचमतत ने प्रस्तातित उत्तराखण्ड राज्य में तकतने मण्डिों की स्थापना की
लसिाररश की थी ? सींचपाि 2017
A.दो मण्डि B.तीन मण्डि C.चार मण्डि D. एक मण्डि
Q8.पृथक राज्य आंदोिन हेतु उत्तराखंड युिा पररर्षद का गठन कब तकया गया
A.1975 B.1976 C.1978 D.1979
Ans- 6.b 7.b 8.b 9.b 10.b 11.c 12.c 13.a 14.d 15.b
Q18.तनम्न में से तकस राष्ट्रपतत ने उत्तर प्रदे श पुनगणठन तिधेयक 2000 को मंजरू ी दी
A.ए पी जी अब्रृि किाम B.के आर नारायण
C.डॉ शंकर दयाि शमाण D.आर. िेंकिरमण
https://youtube.com/c/JARDHARICLASSES
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