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उत्तराखंड का इततहास

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी


पररक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें
तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है,
तिर भी तकसी प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते
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उत्तराखंड का इततहास

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उत्तराखंड का इततहास

Content Page ..
उत्तराखंड का प्रागैततहालसक काि ि आद्यएततहालसक काि 4-10

कुणणिंद राजिंश से हर्षोतर काि तक 11 - 21

कार्तिंकेयपुर राजिंश ि कत्यूरी राजिंश 22- 28

कुमाऊँ का चंद राजिंश 29 -47

गढ़िाि का पंिार िंश 48- 78

गोरखा शासन 79 -90

तिदिश शासन 91 -103

उत्तराखंड स्िंतन्त्त्रता आंदोिन 104 -106

उत्तराखंड में जनता जागरण 107 -113

कुिी बेगार ि कुमाऊँ पररर्षद 114- 119

गांधी जी की उत्तराखंड यात्रा ि प्रमुख आंदोिन 120 -131

उत्तराखंड राज्य में पत्रकाररता 132- 143

उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिन 144 -150

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड के इततहास का अध्ययन तीन भागों में तकया जाता है

1.प्रागैततहालसक काि 2.आद्यएततहालसक काि 3.ऐततहालसक


काि
स्रोत :- पार्षाणयुगीन स्रोत :- पुरातात्त्िक स्रोत :- मुद्राए, ताम्रपत्र,
उपकरण ि गुहािेख चचत्र प्रमाण ि सातहत्त्यक अभभिेख, लशिािेख
प्रमाण

प्रागैततहालसक काि (Pre-History)


प्रागैततहालसक काि िह काि है जजसकी जानकारी पुरातात्त्िक स्त्रोतों ,पुरातात्त्िक स्थिों जैसे
पार्षाण युगीन उपकरण गुिा शैि चचत्र आदद से प्राप्त होती है इस काि का कोई भी लिखखत
इततहास प्राप्त नहीं है इस युग में मानि िनों पिणतों ,नदी , घादियों ि गुिाओं में िास करता था।

उत्तराखंड में प्रागेततहालसक काि के प्रमाण-


1.पार्षाणयुगीन उपकरण- पार्षाणयुगीन उपकरण िे उपकरण थे जजनका उपयोग मानि ने
अपने तिकास के तिभभन्त्न चरणों में तकया जैसे हस्त कुठार(Hand Axe), क्षुर(Choppers),
खुरचनी(Scrapers), छे नी, आदद।
उत्तराखंड में पार्षाणयुगीन उपकरण अिकनन्त्दा नदी
घािी(डांग, स्िीत), कािसी नदी घािी, रामगंगा घािी आदद क्षेत्रों
से प्राप्त हुए जजनसे इस बात की पुति होती है तक पार्षाणयुगीन
मानि उत्तराखंड में भी तनिास करते थे।

2.िेख ि गुहा चचत्र- उत्तराखंड के प्रमुख जजिों अल्मोड़ा, पाषाणयुगीन उपकरण

चमोिी, उत्तरकाशी, तपथौरागढ़ आदद में िेख ि गुहा चचत्र चमिे

1.अल्मोड़ा Almora – अल्मोड़ा जनपद के तनम्नलिखखत स्थानों से हमें प्रागैततहालसक


काि के बारे में जानकारी चमिती हैं -
1.िाखू उड़्यार(िाखू गुिा) -
 खोज- 1968 ई०
 खोजकताण- डॉ महेश्वर प्रसाद
 स्स्थतत - िाखू गुिा अल्मोड़ा के बाड़ेछीना के पास दिबैंड
पर स्स्थत है।
 प्राप्त साक्ष्य - िाखू गुिा से मानि तथा पशुओं के चचत्र प्राप्त हुए चचत्र में मानिों को
समूह में नृत्य करते हुए ददखाया गया है।
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उत्तराखंड का इततहास
 िाखू -उचडयार सुयाि नदी के ति पर स्स्थत है
 इन शैिचचत्रों में भीमबेिका-शैिचचत्र के
समान समरूपता दे खी गयी है
कसार दे िी मंददर-
िड़का नोिी- तीन शैिाश्रय
यह मंददर अल्मोड़ा से 8 km
पेिशािा- 2 शैिाश्रय
रॄर कश्यप पहाड़ी की चोिी पर
ल्िेथाप- 3 शैिाश्रय
स्स्थत है।
ििसीमा - अल्मोड़ा के ििसीमा से योग मुद्रा ि नृत्य
इस मंददर से 14 नृतकों का
मुद्रा आकृतत िािी मानि आकृततयां प्राप्त हुई
सुंदर चचत्रण प्राप्त हुआ।

2.चमोिी Chamoli – चमोिी जनपद के तनम्नलिखखत स्थानों से हमें प्रागैततहालसक काि


के बारे में जानकारी चमिती हैं -
1.गिारख्या गुिा-
 खोजकताण- राकेश भट्ट
 स्स्थत- डु ग्री गांि चमोिी जजिे के थरािी तहसीि में अिकनंदा नदी के तकनारे
स्स्थत है।
 प्राप्त साक्ष्य- गिारख्या गुिा में मानि, भेड़, बारहससिंगा,िोमड़ी आदद रंगीन चचत्र
चमिे हैं।

2.तकमनी गॉि –
 तकमनी गांि चमोिी के थरािी के पास स्स्थत है।
 यहां हल्के सिेद रंग के चचतत्रत हलथयार ि पशुओं के शैि चचत्र चमिे।

उत्तरकाशी Uttarkashi
हुडिी- यहां नीिे रंग के शैि चचत्र प्राप्त हुए

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
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उत्तराखंड का इततहास
आद्यएततहालसक काि
प्रागेततहालसक काि ि ऐततहालसक काि के मध्य का समय आद्य ऐततहालसक काि माना जाता
है। यह मनुष्य के सांस्कृततक तिकास का दौर था इस काि के कुछ भाग में लिखखत सामग्री
प्राप्त नहीं हुई जबतक इसके अतग्रम चरण में लिखखत प्रमाण चमिे हैं इसलिए आद्य ऐततहालसक
काि का अध्ययन दो स्रोतों के माध्यम से तकया जाता है ।
1.पुरातात्त्िक स्रोत 2.लिखखत स्रोत

1.पुरातात्त्िक स्रोत:-
पुरातात्त्िक स्रोतों को अध्ययन की रॅति से तनम्न भागों में बांिा गया है-
1.ऊखि-सरॅश गड्ढे(Cup-Marks)-
 तिशाि लशिाओं एिं चट्टान पर बने उखि के आकार के गोि गड्ढों को कप
मार्कसण(Cup-marks) कहते हैं।
 हेनिुड ने सिणप्रथम चंपाित जजिे के दे िीधुरा नामक
स्थान पर इस प्रकार के Cup-marks(ओखलियों)
की खोज की।
 सिणप्रथम उत्तराखंड में पुरातात्त्िक स्रोतों की खोज का
श्रेय हेनिुड(1856) को जाता है।
 ररिेि-कारनक(1877ई०) को अल्मोड़ा के द्वारहाि के
Cup-Marks
चंद्रेश्वर मंददर में िगभग 200 Cup-marks चमिे जो Cup- Marks
तक 12 समांतर पंलियों में िगे हुए थे।
 ररिेि- कारनक ने इन शैि चचत्रों की तुिना यूरोप के शैिचचत्रों से की।
 यशोधर मठपाि को द्वारहाि मंददर से कुछ रॄर पभिमी रामगंगा घािी के नोिा ग्राम
में इन्त्हीं के समान 72 कप मार्कसण प्राप्त हुए।
 िड़का नौिी एिं पेिशाि के लशिाश्रय की खोज डॉ० यशोधर मठपाि द्वारा की गई

2.ताम्र उपकरण-
 ये उपकरण तांबे के बने होते थे।
 ताम्र तनखात संस्कृतत ऊपरी गंगा घािी की प्राचीनतम संस्कृतत है ।
 हररद्वार के तनकि बहादराबाद से ताम्र तनर्मिंत भािा, ररिंग्स, चूचड़यां आदद नहर की
खुदाई के दौरान प्राप्त हुए। एच डी सांकलिया के अनुसार ये उपकरण गोदािरी घािी
से प्राप्त उपकरणों के समरूप थे।
 िर्षण 1986ई० में अल्मोड़ा जनपद से एक एिं िर्षण 1989ई० में बनकोि(तपथौरागढ़)
से आठ ताम्र मानि आकृततयां प्राप्त हुए।
 इन ताम्र उपकरणों से इस बात की पुति होती है तक गढ़िाि-कुमाँऊ में ताम्र उत्पादन
इस युग में होता था

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उत्तराखंड का इततहास
3.महापार्षाणीय शिाधान-
 महापार्षाणीय शिाधान का सबसे महत्िपूणण स्थि
मिारी गांि(चमोिी) है यहां 1956ई० में शिाधान :- शिों को रखने की प्रथा
महापार्षाणीय शिाधान खोजे गये जजनकी खोज शिाधान कहिाती है । हड़पा सभ्यता में
का श्रेय लशि प्रसाद डबराि को जाता है। मिारी तीन प्रकार की शिाधान तिचधयाँ थी ।
गांि मारछा जनजातत का गॉि है।
 पूणण समाचधकारण
 मिारी में मानि कंकाि के साथ-साथ भेड़, घोड़ो,
 आंलशक समाचधकारण
आदद के कंकाि ि चमट्टी के बतणन प्राप्त हुए ।  दाह संस्कार
 राहुि सांकत्यणन ने तहमाचि प्रदे श के तकनोर के
लिपा गांि में महापार्षाणीय शिाधान की खोज की।

मिारी गांि में गढ़िाि तिभश्वद्यािय के खोजकताणओं ने दो बार सिेक्षण तकया-


 गढ़िाि तिभश्वद्यािय के खोजकताणओं को मानि अस्स्थयों के साथ िोतहत, कािे एिं
धूसर रंग के चचतत्रत मृदभांड प्राप्त हुए।
 प्रथम सिेक्षण 1983 में आखेि के लिए प्रयुि िोह उपकरणों के साथ एक पशु का
संपूणण कंकाि चमिा जजसकी पहचान तहमािय जुबू से की गई ि साथ ही कुत्ते भेड़
ि बकरी की अस्स्थयां प्राप्त हुई ।
 तद्वतीय सिेक्षण(2001-02) में नर कंकाि के साथ 5.2 तकिो का स्िणण
मुखौिा(मुखािरण), कांस्य किोरा ि चमट्टी के बतणन प्राप्त हुए।

2.सातहत्त्यक स्रोत-
1. िेद-
 िेद चार है-ऋग्िेद,यजुिेद, सामिेद,अथिणिेद।
 सबसे पुराना िेद ऋग्िेद ि निीनतम िेद
अथिणिेद है।
 उत्तराखंड का सिाणचधक उल्िेख ऋग्िेद में है।
 ऋग्िेद में उत्तराखंड को दे िभूचम ि मनीतर्षयों की पूणण भूचम कहा गया है।

2.िाह्मण ग्रन्त्थ-
 िाह्मण ग्रन्त्थ यज्ञों तथा कमणकांडों के तिधान और इनकी तियाओं को समझने के
लिए आिश्यक होते हैं। इनकी भार्षा िैददक संस्कृतत है।
 ये पद्य में लिखे गये है।
 प्रत्येज िेद के िाह्मण ग्रन्त्थ होते हैं ।
 एतरेि िाह्मण ऋग्िेद का िाह्मण ग्रन्त्थ है।
 एतरेि िाह्मण ग्रन्त्थ - उत्तराखंड के लिए उत्तर कुरु शब्द का प्रयोग
 कौर्षीततक िाह्मण ग्रन्त्थ- िाक् दे िी का तनिास स्थान बद्री आश्रम

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उत्तराखंड का इततहास
3.पुराण
पुराण 18 हैं जजनमे सबसे बड़ा पुराण स्कंद पुराण है ि सबसे पुराना पुराण मत्स्य पुराण है।
स्कंद पुराण-
 स्कंद पुराण में 5 तहमाियी खंडो (नेपाि, मानसखंड, केदारखंड, जािंधर, कश्मीर)
का उल्िेख है।
 गढ़िाि क्षेत्र को स्कंद पुराण में केदारखंड ि कुमाँऊ क्षेत्र को मानसखंड कहा गया
है।
 केदारखण्ड में गोपेश्वर ‗गोस्थि ‗नाम से िर्णिंत है ।
 स्कंद पुराण में हररद्वार को ―मायापुरी‖ ि कुमाँऊ के लिये कुमाांचि शब्द का
उल्िेख चमिता है।
 कांतेश्वर पिणत(कानदे ि) पर भगिान तिष्णु ने कुमाण या कच्छपाितार लिया इसलिए
कुमांऊ क्षेत्र को प्राचीन में कुमाांचि के नाम से जाना जाता था।
 बाद में कुमाांचि को ही कुमाँऊ कहा गया।

िह्मपुराण, िायुपरु ाण -
 िह्मपुराण ि िायुपुराण के अनुसार कुमाँऊ क्षेत्र में तकरात,तकन्त्नर, यक्ष ,गंधिण ,नाग
आदद जाततयों का तनिास था।

4.महाभारत -
 महाभारत के िनपिण में हररद्वार से केदारनाथ तक के क्षेत्रों का िणणन चमिता है उस
समय इस क्षेत्र में पुसििंद ि तकरात जाततयों का अचधपत्य था।
 पुसििंद राजा सुबाहु जजसने पांडिों की और से युद्ध मे भाग लिया था तक राजधानी
श्रीनगर थी।
 महाभारत के िनपिण में िोमश ऋतर्ष के साथ पांडिों के इस क्षेत्र में आने का उल्िेख
है।
 आदद पिण- अजुणन ि उल्िुपी का तििाह गंगाद्वार में हुआ

5.रामायण-
 दिहरी गढ़िाि की तहमयाण पट्टी में तिसोन नामक पिणत पर िलशि गुिा, बलशष्ठ
आश्रम, एिं िलशि कुंड स्स्थत है।
 श्री राम के िनिास जाने पर िलशष्ठ मुतन ने अपनी पत्नी अरुं धतत के साथ यहीं
तनिास तकया था।
 तपोिन दिहरी गढ़िाि जजिे में स्स्थत है जहां िक्ष्मण ने तपस्या की थी।
 पौड़ी गढ़िाि के कोि तिकासखंड में लसतोन्त्सयूं नामक स्थान है इस स्थान पर माता
सीता पृथ्िी में समायी थी।इसी कारण कोि ब्िॉक में प्रत्येक िर्षण मनसार मेिा िगता
है।

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उत्तराखंड का इततहास
6.अभभज्ञान शंकुतिम-
 अभभज्ञान शंकुतिम की रचना कालिदास ने की।
 प्राचीन काि मे उत्तराखंड में दो तिद्यापीठ थे-
बदद्रकाश्रम एिं कण्िाश्रम।
 कण्िाश्रम उत्तराखंड के कोिद्वार से 14 km रॄर
हेमकूि ि मभणकूि पिणतों की गोद मे स्स्थत है।
 कण्िाश्रम में रृष्यंत ि शकुंतिा का प्रेम प्रसंग जुड़ा
है शकुंतिा ऋतर्ष तिश्वाचमत्र तथा स्िगण की अप्सरा,
मेनका की पुत्री थी।
 शकुंतिा ि रृष्यंत का एक पुत्र हुआ भरत जजनके
नाम पर हमारे दे श का नाम भारत पड़ा।
 इसी कण्िाश्रम में कालिदास ने अभभज्ञान शाकुंतिम की रचना की।
 कण्िाश्रम मालिनी नदी के ति पर स्स्थत है।
 ितणमान में यह स्थान चौकाघाि के नाम से जाना जाता है।

7.मेघरॄत-
 कालिदास द्वारा रचचत मेघरॄत के अनुसार अल्कापुरी(चमोिी) कुबेर की राजधानी
थी।

बहुतिकल्पीय प्रश्न
Q1- ग्िारख्या गुिा चमोिी के कौन से गाँि मे स्स्थत है-
A.थरािी B.डु ग्री गांि C. तकमनी गांि D.इनमें से कोई नहीं

Q2-प्रलसद्ध गुिा शैि चचत्र स्थि ' िाखूओडयार ' स्स्थत है


A.पौढ़ी में ( b ) अल्मोड़ा में ( c ) चमोिी में ( d ) नैनीताि में

Q3- ितणमान चमोिी जजिे के तकस गाँि में सन् 1956 ई0 में महापार्षाणीय शिाधान खोजे गये
? (Forest Guard 2020)
A.मिारी B.कोर्षा C.कैिाशपुर D.नीतत

Q4-गढ़िाि के लिए केदारखण्ड ' ि कुमाऊँ के लिए ' मानसखण्ड ' शब्द का उल्िेख है
( a ) ऐतरेि िाह्म में ( b ) स्कन्त्दपुराण में ( c ) महाभारत में ( d ) ऋग्िेद में

Q5- िखु-उचडयार तकस नदी के ति पर स्स्थत है ? joniour assistant 2019


A.कोसी नदी B.गौिा नदी C.सुयाि नदी D.गंगा नदी

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उत्तराखंड का इततहास
Q6- तकस पुराण में हररद्वार का नाम ―मायापुरी‖ चमिता है ? कतनष्ठ सहायक 2018
A.अत्ग्न पुराण B.तिष्णु पुराण C.स्कन्त्द पुराण D.नारद पुराण

Q7-तकस ग्रंथ में उत्तराखण्ड के लिए उत्तर - कुरू शब्द प्रयुि तकया गया है ?
( a ) तैलत्तरीय िाह्मण ( b ) ऐतरेय िाह्मण
( c ) शतपथ िाह्मण ( d ) इनमें से कोई नही

Q8-केदारखण्ड में गोपेश्वर का नाम िर्णिंत है : Forest guard Exam 2020


A.गोस्थि B.िहपुर C.बाड़ाहाि D.दे ि तीथण

Q9- कुमाऊँ क्षेत्र का नाम कुमाऊँ कांतश्व


े र नामक पिणत के कारण पड़ा यह पिणत स्स्थत है-
A.तपथौरागढ़ B.बागेश्वर C.अल्मोड़ा D.चंपाित

Q10-िड़का नौिी एिं पेिशाि के लशिाश्रय की खोज की गई : समूह ग 2018


A.मौिाराम द्वारा B.डॉ० लशिानन्त्द नौदियाि द्वारा
C.डॉ० यशोधर मठपाि द्वारा D.उपयुणि में से कोई नहीं

Q11- रृष्यन्त्त और शकुन्त्तिा का प्रेम प्रसंग जुड़ा है -


( a ) कािीमठ से ( b ) केशोरायमठ से ( c ) कण्िाश्रम से ( d ) कोिद्वार से

Q12-महाभारत अनुसार राजा तिराि की राजधानी थी


( a ) दे िप्रयाग ( b ) जोशीमठ ( c ) श्रीनगर ( d ) तिरािगढ़ी

Q-13 िलशि गुिा ि िलशि कुण्ड स्स्थत है


( a ) चमोिी में ( b ) उत्तरकाशी ( c ) रूद्रप्रयाग में ( d ) दिहरी में

Q14- प्राचीन सातहत्य में कुमाऊँ क्षेत्र को जाना जाता था - समाज कल्याण तिभाग 2017
A.केदारखण्ड B.मानसखण्ड C.दे ि भूचम D.पुण्य भूचम

Ans:- 1.b 2.b 3.a 4.b 5.c 6.c 7.b 8.a 9.d 10.c 11.c 12.d 13.d 14.b

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखण्ड का एततहालसक काि
उत्तराखण्ड के एततहालसक काि को तीन भागों में बांिा गया है-

प्राचीन काि मध्यकाि आधुतनक काि


कुणणिंद िंश कत्युरी िंश तिदिश शासन
शक पंिार िंश स्ितंत्रता संग्राम
कुर्षाण चंद िंश आंदोिन
कार्तिंकेयपुर गोरखा शासन

उत्तराखंड का प्राचीन काि


उत्तराखंड में कुणणिंद शासन
 कुणणिंद शासकों का शासन उत्तराखंड में तीसरी-चौथी ई. तक रहा
 प्रलसद्ध भूगोितिद िॉिमी ने रॄसरी शताब्दी ई०पू० व्यास गंगा ि यमुना के ऊपरी क्षेत्र में
कुणणिंद जातत के िास का उल्िेख तकया ि कुभणन्त्दों
को कुभणदस्य कहा।
 पाभणतन ि कौदिल्य ने कुणणिंदों को कुिुन तथा कािसी अभभिेख
कूलिन्त्द कहा। खोज- जॉन िॉरेस्ि (1860)
 कुणणिंद जाती उत्तराखंड में शासन करने िािी पहिी भार्षा – प्राकृत लितप- िाह्मी
राजनैततक शलि थी। स्स्थत – िोंस ि यमुना संगम
 प्रारम्भ में कुणणिंद जातत मौयो के अधीन थी। कािसी कािसी दे हारारॄन
अभभिेख (दे हरारॄन) से इनकी आधीनता स्पि होती
है।
 अशोक कािीन लशिािेख में इस क्षेत्र को अपरांत ि इस क्षेत्र के िोगों को पुसििंद कहा
गया
 कुणणिंद िंश की प्रारस्म्भक राजधानी कािकूि थी
 कुणणिंद िंश का सबसे शलिशािी राजा अमोघभूतत था
मौयण साम्राज्य में उत्तराखंड
मौयण साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौयण ने 322ई०पू० में की। आज का तहमाियी क्षेत्र ि उत्तराखंड
मौयण साम्राज्य के अचधकार में था जजसकी पुति अशोक के कािसी अभभिेख,तिशाखदत्त रचचत
मुद्राराक्षस ि अशोकािदान में चमिती है।अशोक के कािसी अभभिेख(दे हरारॄन) से पुति होती है तक
यह क्षेत्र मौयण साम्राज्य के उत्तरी सीमा में पड़ता था। कािसी को प्राचीन काि मे कुिुन कहा जाता
था जो कुणणिंद िंश की राजधानी थी अथाणत मौयण काि मे इस क्षेत्र में कुणणिंद जाती शासन करती थी
जो मौयण साम्राज्य की आधीन थी।

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उत्तराखंड का इततहास
कुणणिंद िंश का शलिशािी राजा अमोघभूतत
 अमोघभूतत कुणणिंद िंश का सबसे प्रतापी ि शलिशािी राजा था।
 अमोघभूतत की चांदी(रजत) ि तांबे की मुद्राएं ब्यास नदी से िेकर अिकनंदा नदी एिं
दभक्षण में सुनत
े एिं बहेत तक चमिती है ।
 अमोघभूतत की मुद्राओं में दे िी तथा मृग का अंकन तथा िाह्मी ि खरोति लितप में राजः
कुभणन्त्दस अमोघभूतत महरजस अंतकत है।

कुणणिंद मुद्राओं के प्रकार

अमोघभूतत मुद्राएं अल्मोड़ा प्रकार की मुद्राएं चत्रेश्वर प्रकार की मुद्रायें

1.अमोघभूतत मुद्राएं -
1.रजत(चांदी) मुद्रायें-
 तिशेर्षता - इन रजत मुद्राओं के पुरोभाग भाग में तद्वहस्ता
दे िी ि उसके दातहने और दे िी को दे खता एक मृग अंतकत है
 पृष्ठ भाग में एक िृक्ष,स्िस्स्तक ि नीचे नदी अथिा नाग के
समान प्रतीक है और चारों और मुद्रा िेख है।
 िेख - िाह्मी ि खरोति लितप में मुद्रा िेख " राजः कुभणन्त्दस
अमोघभूतत महरजस " अंतकत

2.ताम्र मुद्रायें- अमोघभूतत की ताम्र मुद्रायें भी उसकी रजत मुद्राओं के समरूप थी।

2.अल्मोड़ा प्रकार की मुद्राएं-


 अल्मोड़ा प्रकार की मुद्राओं में कुणणिंद िंश के आठ राजाओं की मुद्रायें प्राप्त हुई इनके
नाम इन मुद्राओं में अंतकत है
 तिदिश संग्रहािय िंदन प्राप्त मुद्रा- कुणणिंद िंश के 4 राजाओं लशिदत्त,
हररदत्त,लशिपालित, मगभत,की मुद्रायें अल्मोड़ा जजिे से प्राप्त हुई जो अब तिदिश
संग्रहािय िंदन में हैं।
 कत्यूर घािी से प्राप्त मुद्रा - कत्यूर घािी से 54 मुद्रायें प्राप्त हुई जजनमें से एक लशिदत्त
की, एक आसेक तक तथा शेर्ष गोचमत्र की हैं।
 गढ़िाि से प्राप्त मुद्रा- राजा तिजयभूतत की मुद्रायें गढ़िाि से प्राप्त हुई।
 राजा लशिरभक्षत की मुद्रा डॉ महेश्वर जोशी को िंदन संग्रहािय से प्राप्त हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
3.चत्रेश्वर प्रकार अथिा अनाम प्रकार की मुद्रायें-
तिशेर्षता - पुरोभाग में दो हाथ िािी मूर्तिं का अंकन है जजसके दायें हाथ मे तत्रशूि है
पृष्ठ भाग में एक मृग,स्िस्स्तक ि नीचे नदी ि नाग के समान प्रतीक चचन्त्ह है
िेख - चारों और िाह्मी लितप में मुद्रािेख है" भगितः चत्रेश्वर महात्मनः" लिखा है।

शकों का शासन
 शकों ने कुणणिंदों को पराजजत कर इनके मैदानी क्षेत्रों पर अचधकार तकया।
 कुमाऊँ में सूयण मंददर ि सूयण मूर्तिंयां शकों के अचधकार की पुति करती हैं इनमें अल्मोड़ा
में स्स्थत किारमि सूयण मंददर तिशेर्ष रुप से प्रलसद्ध है।

कुर्षाणों का शासन
 मौयण साम्रज्य के पतन के बाद उत्तर भारत को पुनः एक राजनीततज्ञ सूत्र में तपरोने का
श्रेय कुर्षाणों को जाता है।
 कुर्षाणों को तिदे शी आिांता माना जाता है जो तक चीन से आये थे ये मध्य एलशया के
यू-ची जातत की एक शाखा थी।
 भारत में कुर्षाण िंश का संस्थापक कुजुि कडतिसस को माना जाता है।
 कुजुि कडतिसस के बाद तिम कडतिसस कुर्षाण िंश का शासक बना ि इसने पंजाब
पर अचधकार तकया।

कतनष्क-
 कतनष्क कुर्षाण िंश का सबसे प्रतापी राजा था जो कुजुि कडतिसस के बाद कुर्षाण
िंश का शासक बना।
 कतनष्क के ही शासन काि मे कुर्षाण िंश का साम्रज्य
मध्य एलशया से िेकर समस्त उत्तर भारत तक िैि
गया था।
 कतनष्क ने भारत के राष्ट्रीय कैिेंडर(शक सिंत) की
शुरुआत की।
 कतनष्क के शासन काि मे भारत के तहमाियी क्षेत्रों,
उत्तराखंड के पिणतीय ि तराई क्षेत्रों में कुणणिंदों का शासन
था।
 कतनष्क ने कुणणिंदों को हराकर इनके तराई क्षेत्रों पर अचधकार कर लिया ि कुणणिंदों को
पिणतीय भू-भाग परभी संतुि रहना पड़ा र्कयोंतक कुर्षाण इतने शलिशािी थे तक कुणणिंद
उनका सामना नहीं कर पाये।
 कतनष्क ि उसके बाद के कुर्षाण िंशीय राजाओं की मुद्रायें उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों से
प्राप्त हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
 कतनष्क की स्िणण मुद्रायें नैनीताि जनपद के काशीपुर से प्राप्त हुई है जजसमें एक और
स्िंय कतनष्क की आकृतत अंतकत है ि रॄसरी
और एक मूर्तिं अंतकत थी। कुर्षाणों का शासन
 हुतिष्क की 44 मुद्रायें दिहरी गढ़िाि में मुतन उत्तराखंड में कुर्षाण शासन की पुति-
की रेतत से 1972ई० में प्राप्त हुई। इसके िीरभद्र(ऋतर्षकेश), मोरध्िज(कोिद्वार)
पुरोभाग में राजा की आकृतत ि पृष्ठ भाग पर ,गोतिर्षाण(काशीपुर) कुर्षाणकािीन
ग्रीक-ईरानी दे िी दे िताओं का अंकन था। अिशेर्षों के प्रमुख स्थि हैं।
इन सभी मुद्राओं ि अिशेर्षों से इस बात की पुति कात्न्त्त प्रसाद नौदियाि ने अपनी पुस्तक
होती है तक कुर्षाणों ने कुणणिंदों के तराई ि मैदानी आकेिॉजी ऑफ़ कुमाऊँ में गोतिर्षाण का
क्षेत्रों पर अचधकार तकया िेतकन मध्य तहमािय के उल्िेख करते हुए लिखा है की गोतिर्षाण
पिणतीय क्षेत्र कुर्षाणों के अचधकार में नहीं आये कुर्षाणों का प्रमुख नगर था
र्कयोंतक इन क्षेत्रों में कुर्षाणों के तकसी भी अिशेर्ष
की प्रात्प्त नहीं हुई। मध्य तहमािय
के पिणतीय क्षेत्र में अभी भी कुणणिंद िंश का शासन था।

कुर्षाणों का पतन- कुर्षाण िंश का सबसे शलिशािी ि प्रतापी राजा कतनष्क हुआ जजसने मध्य
मध्य एलशया से िेकर समस्त उत्तरी भारत पर शासन तकया िेतकन कतनष्क की मत्यु के पिात
उसका राज्य तबखरने िगा ि कुर्षाण िंश पतन की और बढ़ने िगा।
कुर्षाण िंश के पतन का कारण कुर्षाणों की तनबणिता थी जजसका िायदा उठाकर यौधेयों ने
कुर्षाणों को परास्त तकया।

कुर्षणोत्तर काि(कुर्षाणों के बाद का समय)


कुर्षाणों के पतन के बाद उत्तरी तहमािय क्षेत्र में कई छोिी-छोिी राजनीतत
शलियां उभरी जजनके बारे में हमें उनकी मुद्राओं ि अभभिेखों से
जानकारी चमिती है।
यौधेय
ताम्र मुद्रा-
िेख - िाह्मी में"यौधेय गणस्य जयः" लिखा था
अग्रभाग - ईि दे िता कार्तिंकेय का चचत्रण
पृष्ठभाग - एक दे िी का चचत्रण था जजसका दातहना हाथ
उठा हुआ था
मुद्रा प्रात्प्त स्थि - मध्य तहमािय के पभिमी भाग,लशमिा,
कांगड़ा, जौनसार बाबर(दे हरारॄन) कािा-डांडा(गढ़िाि) सहारनपुर
परिती कुणणिंद-
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उत्तराखंड का इततहास
कुणणिंदों के मैदानी ि तराई क्षेत्रों पर पहिे कुर्षाणों ने ि तिर यौधेयों ने अचधकार तकया िेतकन
अभी भी कुणणिंद जातत मध्य तहमािय के पिणतीय क्षेत्रों पर शासन कर रहे थे इन्त्हें ही परिती
कुणणिंद कहा जाता है।
परिती कुणणिंद नरेशों की मुद्रायें रृग्गड्डा के पास भैडग़ांि से प्राप्त हुई जजनमे छत्रेश्वर,भानु, ि
रािण नाम उिेखखत था। इन ताम्र मुद्राओं में अंतकत ये नाम परिती कुणणिंद नरेशों के रहे होंगे।

शीििमणन(युगशैि/िार्षणगण्य गोत्र)(240-300ई०)-
 शीििमणन युगशैि अथाणत कािसी का प्रतापी राजा था।
 शीििमणन ने यमुना नदी के ति पर कािसी(दे हरारॄन) में अश्वमेध यज्ञ करिाया।
 शीििमणन ने अश्वमेध यज्ञ के दौरान "बाड़िािा यज्ञ िेददका " का तनमाणण कराया
 बाड़िािा गांि तिकासनगर(दे हरारॄन) के समीप स्स्थत है
 कुछ इततहासकार शीििमणन को यौधेय, ि कुछ कुणणिंद मानते हैं
 श्री रामचन्त्द्रन के अनुसार शीििमणन यौधेय शासक था जजसने कुर्षाणों को कुचिने में
महत्िपूणण भूचमका तनभाई।

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उत्तराखंड का इततहास
गुप्त काि और उत्तराखंड
गुप्त काि-
गुप्त िंश(275-600ई०)-
 मौयण िंश के बाद भारत को पुनः एक राजनीततक सूत्र में तपरोने का श्रेय गुप्त िंश को
जाता है।
 गुप्त िंश ने िगभग 300 िर्षों तक शासन तकया । गुप्त काि को भारत का स्िर्णिंम युग
माना जाता है।
गुप्त िंश के शासक-
1.श्री गुप्त(275ई०)- श्री गुप्त ने गुप्त िंश की स्थापना की िेतकन श्री गुप्त तकसी राजिंश के
आधीन शासक था।
2.घिोत्कच(280-320ई०)- श्री गुप्त का उत्तराचधकारी
3.चंद्रगुप्त प्रथम(320-35ई०)- गुप्त िंशाििी में चंद्रगुप्त प्रथम को गुप्त िंश का प्रथम
स्ितंत्रता शासक माना गया है इसने महाराज की उपाचध धारण की। चंद्रगुप्त प्रथम को गुप्त िंश
का िास्ततिक संस्थापक माना गया है
4.समुद्रगुप्त-
 समुद्रगुप्त का शासनकाि भारत की राजनैततक ि सांस्कृततक रॅति से उत्कृि काि माना
जाता है।
 समुद्रगुप्त को "भारत का नेपोलियन " कहा जाता है।
 समुद्रगुप्त का दरबारी कति हररर्षेण था।
 हररर्षेण के इिाहाबाद के प्रयाग प्रशस्स्त िेख में समुद्रगुप्त की तिजयों का िणणन चमिता
है।

गुप्त काि मे उत्तराखंड


कुणणिंदों का कतणपरु राज्य(3िीं शती)-
 समुद्रगुप्त के दरबारी कति हररर्षेण द्वारा रचचत प्रयाग प्रशस्स्त में कतणपुर राज्य का िणणन
चमिता है जो तक गुप्त साम्राज्य का सीमािती राज्य था।
 कतणपुर राज्य में उत्तराखंड,तहमाचि प्रदे श ि रुहेिखंड का उत्तरी भाग शाचमि था
 राजशेखर के काब्यमीमांस में कार्तिंकेयपुर नगर में खश जाततयों का शासन था।
 तिशाखदत्त के दे िीचंद्रगुप्तम में ि बाणभट्ट द्वारा रचचत हर्षणचररतम में इस क्षेत्र पर तकसी
शक राजा का शासन था।
 कई इततहासकार यही मानते हैं तक कुणणिंद जातत ही इस कतणपुर राज्य में शासन करती
थी ि इनकी राजधानी कार्तिंकेयनगर (कार्तिंकेयपुर) थी।
 समुद्रगुप्त के ज्येष्ठ पुत्र रामगुप्त का युद्ध तकसी कुणणिंद राजा से कार्तिंकेयपुर में हुआ।

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उत्तराखंड का इततहास
छागिेश का राजिंश(5िीं शती)-
स्रोत - िाखामंडि लशिािेख(दे हरारॄन)
छागिेश इस िंश का आठिां राजा था
छागिेश के पूिज
ण नरेश - नरपतत जयदास, गुहेश, अचि, छागिेशदास,रुद्रे शदाश,

ससिंहपुर का यरृ राजिंश-


 स्रोत - िाखामंडि लशिािेख(दे हरारॄन)
 िाखामंडि से राजकुमारी ईश्वरा का लशिािेख प्राप्त हुआ
 राजकुमारी ईश्वरा के तपता - भास्कर िमणन
 पतत - जािन्त्धर राजकुमार श्री चंद्रगुप्त
 िाखामंडि अभभिेख में यरृिंशी राजाओं की राजधानी ससिंहपुर बतायी गयी है।

नाग राजिंश
पुति- गोपेश्वर तत्रसूि िेख
गोपेश्वर तत्रसूि िेख से चार नागिंशी राजाओ के नाम का उल्िेख है-
1.स्कंदनाग 2.तिभुनाग 3.अंशुनाग 4. गभणपतनाग
5िीं शती में नागों ने कतृणपुर राज्य के कुणणिंद राजिंश को समाप्त करके उत्तराखंड में अचधकार
कर ददया
मौखरी राजिंश
 राजधानी- कन्त्नौज
 प्रथम मौखरर शासक – हररिमाण
 6िीं शती में कन्त्नौज के मौखरी राजिंश ने नागों की सत्ता
समाप्त करके इस क्षेत्र पर अचधकार तकया

हर्षणिधणन का शासन
 हर्षणिधणन के शासन काि मे चीनी यात्री ह्वे नसांग भारत दौरे
पर आया
 ह्वे नसांग ने उत्तराखंड को पो-िी-तह-मो-पु-िो(िह्मपुर) कहा और यह िह्मपुर
राज्य(आज का उत्तराखंड) हर्षण के अधीन था।
 ह्वे नसांग ने हररद्वार को कहा -मो-यू-िो 20 िी (20 िी चीनी माप है)
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उत्तराखंड का इततहास

ह्वे नसांग- ह्वे न त्सांग एक प्रलसद्ध चीनी बौद्ध भभक्षु था। िह हर्षणिधणन के शासन काि में
भारत आया था।िह भारत में 15 िर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी
यात्रा तथा तत्कािीन भारत का तििरण ददया है। उसके िणणनों से हर्षणकािीन भारत की
सामाजजक, आर्थिंक, धार्मिंक तथा सांस्कृततक अिस्था का पररचय चमिता है।

हर्षोत्तर काि मे उत्तराखंड


हर्षण के शासन के पिात उत्तराखंड कई छोिी-छोिी राजनीततक शलियों में बंि गया था। कई
िंशों ने अपने छोिे -छोिे राज्य स्थातपत तकये।

1. सत्रुघ्न राज्य-
इस राज्य के अंतगणत मध्यिती लसरमौर, गढ़िाि तथा अम्बािा सहारनपुर क्षेत्रों के मैदानीय भाग
में सचमलित थे। राज्य के पूिी सीमा पर गंगा नदी बहती थी।

2.िह्मपुर राज्य(पिणताकार राज्य)-


 यह राज्य गंगा नदी से पूिण तक करणािी नदी तक िैिा हुआ था।
 राज्य के उत्तरी सीमा पर सुिणणगोत्रीय दे श था।
 ताम्रिेखों से पुति होती है तक िह्मपुर नरेश सोमिंशीय पौरि राजिंश के थे जजनका
शालसत प्रदे श पिणताकार राज्य कहिाता था।
 पौरि िंशीय राजाओं का शासन 580-680 ई० के मध्य रहा होगा।
 नोि- हर्षण के शासन काि मे उत्तराखंड का क्षेत्र िह्मपुर राज्य कहिाया जबतक पौरि
िंशीय राजाओं के काि मे यही राज्य पिणताकार राज्य कहिाया अथाणत िह्मपुर राज्य
ही पौरिों का िह्मपुर राज्य था।

ताम्रशासनों से 5 पौरि िंशीय राजाओं के नाम चमिते हैं- िह्मपुर राज्य जजसका तििरण ह्वे नसांग
1.तिष्णुिमणन(प्रथम) ने अपनी यात्रा के दौरान भी तकया है
2.िृर्षिमणन हर्षणिधणन के आधीन में था और उस
3.श्री-अत्ग्निमणन समय ये पौरि िंशीय राजा हर्षणिधणन के
4.द्युततिमणन सामंत थे िेतकन जैसे ही हर्षणिधणन की
5.तिष्णुिमणन(तद्वतीय) मृत्यु हो जाती है पौरि िंशीय सामंत
पौरि िंशीय राजाओं के कुिदे िता िीरनेश्वरस्िामी थे। िह्मपुर राज्य पर शासन करने िग जाते
हैं ि इसी िह्मपुर राज्य को पिणताकार
राज्य कहा जाता है।

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उत्तराखंड का इततहास
3.गोतिर्षाण राज्य-
गोतिर्षाण राज्य पभिम में रामगंगा से िेकर पूिण में शारदा तक िैिा हुआ था।
िह्मपुर राज्य गोतिर्षाण राज्य के उत्तर में स्स्थत था।
कतनघंम के अनुसार यह राज्य नैनीताि के भाभर - तराई क्षेत्र(काशीपुर) ि रामपुर में स्स्थत था।

4.सुिणणगोत्र राज्य-
इस राज्य को पूिी स्त्रीराज्य भी कहा जाता था
यह राज्य हर्षणिधणन के समय एक स्ितंत्र राज्य था ।
यह राज्य िह्मपुर राज्य के उत्तर में स्स्थत था।

MCQ
Q1.िह्मपुर राज्य के उत्तर में कौन सा राज्य स्स्थत था
A.गोतिर्षाण राज्य B.सुिणणगोत्रीय राज्य C.सत्रुघ्न राज्य D.इनमें से कोई नहीं

Q2-उत्तराखण्ड में अशोक का लशिािेख स्स्थत है ukpsc ARO 2019


A.ऋतर्षकेश में B.हल्द्वानी में C.कािसी में D.काशीपुर में

Q3.तनम्न में से तकस राज्य को पूिी स्त्रीराजय कहा जाता था


A.गोतिर्षाण राज्य B.सुिणणगोत्रीय राज्य C.सत्रुघ्न राज्य D.पिणताकार राज्य

Q4.छगिेश राजिंश की पुति तकस लशिािेख से चमिती है


A.कािसी लशिािेख B.गोपेश्वर लशिािेख
C.चोतकनी बोरा लशिािेख D.िाखामंडि लशिािेख

Q5-उत्तराखंड पर शासन करने िािी प्रथम राजनीततक शलि ―कुभणन्त्द‖ समकािीन थे :


सहायक तिकास अचधकारी 2018
A. गुप्तों के B. मौयों के C. कुर्षाणों के D.शकों के

Q6.िाखामंडि लशिािेख में यरृिंशी राजाओं की राजधानी कहाँ थी


A.कािसी B.गोपेश्वर C.ससिंहपुर D.िह्मपुर

Ans- 1.b 2.c 3.b 4.d 5.b 6.c

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उत्तराखंड का इततहास
Q7- गुप्त िंश का संस्थापक कौन था ? ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.चन्त्द्रगुप्त -1 B.घिोत्कच्छ C.श्रीगुप्त D.कुमारगुप्त

Q.8राजकुमारी ईश्वरा का लशिािेख कहाँ से प्राप्त हुआ


A.गोपेश्वर B.ऋतर्षकेश C.दे हरारॄन D.काशीपुर

Q9-कािसी अभभिेख तकस िंश से संबचधत है? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.कत्यूरी D.पंिार C.कुशाण D.मौयण

Q.10 योधेय मुद्राओं में तनम्न में से तकस दे िता का चचत्रण चमिता है
A.सूयण B.चंद्र C.कार्तिंकेय D.गणेश

Q11.उत्तराखंड में कुर्षाणकािीन अिशेर्षों का प्रमुख स्थि िीरभद्र कहाँ स्स्थत है


A.कोिद्वार B.काशीपुर C.ऋतर्षकेश D.गोपेश्वर

Q12-अमोघभूतत शासक था : समूह ग 2018


A.यौधेय िंश का B.पाि िंश का C.कुर्षाण िंश का D.कुभणन्त्द िंश का

Q13.उत्तराखंड में कुर्षाणकािीन अिशेर्षों का प्रमुख स्थि गोतिर्षाण कहाँ स्स्थत है


A.कोिद्वार B.काशीपुर C.ऋतर्षकेश D.गोपेश्वर

Q14.कुणणिंद मुद्राएं तकतने प्रकार की थी


A.2 B.3 C.4 D.5

Q15 कुणणिंद िंश का सबसे शलिशािी राजा कौन था


A.लशिदत्त B.अमोघभूतत C.हररदत्त D.मगभत

Q16-किारमि सूयण मंददर कहाँ स्स्थत है : समीक्षा अचधकारी 2017


A.चमोिी B.अल्मोड़ा C.दिहरी (गढ़िाि) D.उत्तरकाशी

Ans- 7.c 8.c 9.d 10.c 11.c 12.d 13.b 14.b 15.b 16.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q17.कािसी अभभिेख की खोज तकसने की
A.जॉन बैिन B.जे एि इनबिण C.जॉन िारेस्ि D.तिलियम बििर

Q18.कािसी अभभिेख कहाँ स्स्थत है


A.ऋतर्षकेश B.हररद्वार C.दे हरारॄन D.काशीपुर

Q19.कुमाऊँ के सूयण मंददर इस क्षेत्र में तकसके अचधकार की पुति करते हैं
A.कुणणिंद B.शक C.कुर्षाण D.योधेय

Q20-छांग्िेश की प्रशस्स्त‖ प्राप्त हुई : Forest guard 2020


A.तािेश्वर से B.िाखामण्डि से C.बाड़ाहाि से D.उपयुणि में से कोई नहीं

Q21.उत्तराखंड में शासन करने िािी प्रथम राजनीतत शलि थी


A.कुणणिंद B.कार्तिंकपुर C.कुर्षाण D.योधेय

Q22.कािसी अभभिेख की खोज कब हुई


A.1852 B.1856 C.1858 D.1860

Ans- 17.c 18.c 19.b 20.b 21.a 22.d

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उत्तराखंड का इततहास
कार्तिंकेयपुर राजिंश(700ई०)
 स्थापना -700 ई.
 उत्तराखंड का प्रथम ऐततहालसक राजिंश
 संस्थापक - बसन्त्तदे ि
 प्रथम राजधानी - जोशीमठ(चमोिी)
 राजधानी स्थानांतररत - बैजनाथ(बागेश्वर) के पास बैधनाथ-कार्तिंकेयपुर(कत्यूर घािी)
 स्रोत - बागेश्वर,कंडारा, पांडुकेश्वर, एिं बैजनाथ आदद स्थानो से प्राप्त ताम्र िेख
 दे िता- कार्तिंकेय
 िास्तुकिा तथा मूर्तिंकिा के क्षेत्र में यह उत्तराखंड का स्िणणकाि
 इस राजिंश को उत्तराखंड ि मध्य तहमाियी क्षेत्र का प्रथम ऐततहालसक राजिंश माना
जाता है
 इततहासकार िक्ष्मीदत्त जोशी के अनुसार कार्तिंकेयपुर के राजा मूितः अयोध्या के थे
 इततहासकार बद्रीदत्त पांडे के अनुसार कार्तिंकेयपुर के राजा सूयणिंशी थे

कार्तिंकेयपुर राजिंश के पररिार


बसंतदे ि का राजिंश( कार्तिंकेयपुर का प्रथम पररिार)-
 संस्थापक- बसन्त्तदे ि था
 स्रोत – बागेश्वर तत्रभूिन राज लशिािेख
 उपाचध - परमभट्टारक महाराजाचधराज परमेश्वर
 यह कार्तिंकेयपुर राजिंश के प्रथम शासक था
 बसन्त्तदे ि ने बागेश्वर समीप एक मंददर को स्िणेश्वर नामक ग्राम दान में ददया था
 बागेश्वर,कंडारा, पांडुकेश्वर, एिं बैजनाथ आदद स्थानो से प्राप्त ताम्र िेखों से इस
राजिंश के इततहास के बारे में जानकारी चमिती है

खपणरदे ि िंश
 खपणर दे ि िंश का तििरण बागेश्वर िेख में चमिता है
 खपणरदे ि िंश की स्थापना खपणरदे ि ने की जो तक कार्तिंकेयपुर में बसंतदे ि के बाद
तीसरी पीढ़ी का शासक था।
 इसका पुत्र कल्याण राज था
 खपणरदे ि िंश का अंततम शासक तत्रभुिन राज था

तनम्बर िंश(( कार्तिंकेयपुर का तद्वतीय पररिार)


 संस्थापक- तनम्बर दे ि
 तनम्बर िंश का सिाणचधक उल्िेख - पांडुकेश्वर(जोशीमठ) के ताम्रपत्र में
 पांडुकेश्वर ताम्रपत्र की भार्षा- संस्कृत

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उत्तराखंड का इततहास
तनम्बर िंश में तनम्न शासक हुए-
1.तनम्बर- यह तनम्बर िंश का संस्थापक था। इसे शत्रुहन्त्ता भी कहा गया है
2.इिगण - इसने समस्त उत्तराखंड को एक सूत्र में बांधने का प्रयास तकया ि कार्तिंकेयपुर
राज्य की सीमाओं को ितणमान गढ़िाि कुमाँऊ तक तिस्ताररत तकया।
3.िलितशूर दे ि -
 यह एक महान तनमाणता था।
 इन सभी राजाओं में सिाणचधक ताम्रपात्र िलितसुरदे ि के प्राप्त हुए।
 पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र में इसे कालिकिंक पंक में मग्न धरती के उद्धार के लिये
बराहितार बताया गया
4. भूदेि -
 िलितसूरदे ि का पुत्र भू-दे ि तनम्बर िंश का अंततम शासक था।
 इसने बैजनाथ मंददर के तनमाणण में सहयोग तकया
 बैजनाथ मंददर बागेश्वर जजिे के गरुड़ तहसीि में स्स्थत है
 यह मंददर 1150 ई० में बनाया गया

सिोड़ाददत्य िंश (कार्तिंकेयपुर का तीसरा पररिार)


 तािेश्वर एिं पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र िेखों से ज्ञात होता है तक तनम्बर िंश के बाद
कार्तिंकेयपुर में सिोड़ाददत्य िंश के शासन का िणणन चमिता है।
 सिोड़ाददत्य िंश की स्थापना सिोड़ाददत्य के पुत्र इच्छरदे ि ने की
 इच्छरदे ि के बाद इस िंश में दे सतदे ि, पदमदे ि, सुचमक्षराजदे ि आदद शासक हुए।
 सुभभक्षराजदे ि के बाद उसके तकसी िंशज ने राजधानी कार्तिंकेयपुर से कुमाँऊ के
गोमती घािी(कत्यूर घािी) में स्थानांतररत की जजसे बैजनाथ लशिािेख में िैधनाथ
कार्तिंकेयपुर कहा गया है।

शंकराचायण का उत्तराखण्ड आगमन


 शंकराचायण भारत के महान दाशणतनक ि धमणप्रितणक थे
 शकराचायण का आगमन उत्तराखंड में कार्तिंकेयपुर राजिंश के
शासन काि मे हुआ
 शंकराचायण ने तहन्त्रॄ धमण की पुनः स्थापना में महत्िपूणण भूचमका
तनभाई
 इन्त्होंने भारतिर्षण में चार मठों की स्थापना की थी
 (1) ज्योततमणठ (बदद्रकाश्रम ) (2) श्रृंगेरी मठ
 (3) द्वाररका शारदा पीठ (4) पुरी गोिधणन पीठ
 सन 820 ई० में इन्त्होंने केदारनाथ में अपने शरीर का त्याग कर ददया था।

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उत्तराखंड का इततहास
कार्तिंकेयपुर(कत्यूरी राजिंश राज्य प्रशासन)
पदाचधकारी-
प्रान्त्तपाि - सीमाओ की सुरक्षा
घट्टपाि- तगरीद्वारों का रक्षक
िमणपाि - सीमािती भागों में आने जाने िािे व्यलि पर तनगाह रखता था
नरपतत- नदी घािों पर आगमन की सुतिधा ि कर िसूिी

सेना ि सैन्त्यचधकारी-
पुलिस तिभाग के अचधकारी
सेना सेना नायक
दोर्षापराचधक- अपराधी को पकड़ने िािा
1.पदाततक सेना गोल्मीक
रृःसाध्यसाधतनक- गुप्तचर तिभाग का अचधकारी
2.अश्वारोही सेना अश्वाबिाचधकृत
चोरोद्वरभणक – चोर डाकुओं को पकड़ने िािा
3.गजारोगी सेना हस्स्तबिाचधकृत
4.उष्ट्रारोतह सेना उष्ट्रबिाचधकृत
तीनों आरोही सेना का सिोच्च पदाचधकारी- हस्त्यासिोष्ट्रबिाचधकृत

कृतर्ष से सम्बंचधत अचधकारी कर अचधकारी


आय साधन- कृतर्ष ि िन
भोगपतत – कर िसूिी करने िािा
क्षेत्रपाि – कृतर्ष की उन्त्नतत का ध्यान रखने िािा
भट्ट और चार - प्रसार – प्रजा से
प्रभातार – भूचम की नाप
बेगार िेने िािा
उपचाररक – भूचम के अभभिेख रखने िािा
खण्डपतत – िनों की रक्षा करने िािा

शासन-प्रशासन
राज्य राजा

प्रान्त्त उपररक

जजिे तिर्षपतत

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड का एततहालसक
मध्यकाि
कत्यूरी राजिंश-
तपछिे अध्याय मैं हमने पढ़ा की उत्तराखंड में तकस प्रकार कार्तिंकेयपुर राजिंश का उदय हुआ।
कार्तिंकेयपुर राजिंश की प्रारस्म्भक राजधानी जोशीमठ(चमोिी) थी िेतकन कार्तिंकेयपुर
राजिंश के शासक सुभभक्षराजदे ि के बाद उसके तकसी िंशज ने अपनी राजधानी गोमती घािी
में स्थांतररत की जजसे बैजनाथ-कार्तिंकेयपुर(कत्यूर घािी) कहा गया।
 मध्यकाि में यहीं से एक नए राजिंश का उदय हुआ।
 एिककिंशन ने इस राजिंश को कत्यूरी राजिंश कहा। कत्यूरी राजिंश का तििरण तकसी
अभभिेख ि सातहत्य में प्राप्त नहीं होता
इनका तििरण केिि कुमाँऊ में िोकगाथाओं
गोिू दे िता-
में चमिता है।
गोिू दे िता का सम्बंध कत्युरी राजिंश
 अचधकांश इततहासकारों के अनुसार यह
से है। गोिू दे िता‖ का उद्भि स्थान
कत्यूरी राजिंश कार्तिंकेयपुर राजिंश ही था
चम्पाित है
इनकी राजधानी कार्तिंकेयपुर होने के कारण
गोिू दे िता के तपता - झािु राय
मध्यकाि में इन्त्हें कत्यूरी राजिंश कहा गया
दे ि(कत्युरी राजा)
 बागेश्वर से प्राप्त तत्रभुिन राज लशिािेख के
गोिू दे िता की माता - रानी कसििंगा
अनुसार कत्यूरी राजिंश का संस्थापक
गोिू दे िता को कुमाँऊ में चचतई गोिू
बंसतदे ि था ि प्रारम्भ में इनकी राजधानी
दे िता के नाम से भी जाना जाता है।
जोशीमठ थी।
 एक जागर गाथा के अनुसार कत्यूरी िंश के शासक नरससिंह दे ि ने राजधानी जोशीमठ
से गोमती नदी घािी(कत्यूर घािी,बैजनाथ) स्थांतररत की िेतकन नरससिंह दे ि का कोई
भी अभभिेख प्राप्त नहीं हुआ।
 मध्यकाि में इनका शासन कमजोर हो गया और इनका राज्य कई शाखाओं में बंि गया।
 इनकी कुछ शाखाएं-कत्यूर का आसंत्न्त्तदे ि िंश ,असकोि के रजिार, कत्यूर- बैजनाथ
शाखा, डोिी के मल्ि,पािी पछाऊँ शाखा, लसरा शाखा, सोर शाखा आदद

कत्यूर राजिंश(िोक गाथाओं के अनुसार)-


 कत्यूर राजिंश की स्थापना आसंतीदे ि ने की
 कत्यूर राजिंश की प्रारम्भ में राजधानी जोशीमठ थी ि बाद में रणचूिाकोि(कत्यूर
घािी) में स्थातपत की
 इस िंश का अंततम शासक िह्मदे ि था।
 िोकगाथाओं ि जागरों में इसे िीरमदे ि या िीरदे ि कहा जाता है

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उत्तराखंड का इततहास
 जजयारानी की िोकगाथा ि मििुजात ए तैमरू ी(तुजुक ए तैमूरी) के अनुसार
समरकंद के शासक तैमूर िंग ने 1398ई० में हररद्वार पर आिमण तकया ि
िहमदे ि(बहरुज) ने उसका सामना तकया।
 िह्मदे ि कत्यूरी िंश का अंततम शासक था।

मध्य काि में कत्युरी राजिंश की शाखाएं - यह भी जानें


 1.कत्यूर- बैजनाथ 1191 ई० में नेपाि के राजा
 2.डोिी के मल्ि(ितणमान पभिम नेपाि) अशोकचल्ि ने कत्यूरी राज्य पर
 3.कािी कुमाँऊ आिमण कर उसके कुछ भाग पर
 4.असकोि के रजिार कब्जा तकया
 5.सीरा के मल्ि 1223 ई० में नेपाि के शासक
 6.सोर के मल्ि काचल्िदे ने कुमाँऊ पर आिमण
 7.बारामंडि ि द्वारहाि करके अपने अचधकार में िे लिया।

जजयारानी की लोकगाथा -
जजयारानी को कत्युरी राजवंश की राजमाता कहा जाता हैइनका बचपन का नाम मोला देवी पुण्डीर था।
जजयारानी को कुमााँऊ की लक्ष्मीबाई कहा जाता है। इनके पनत प्रीतम देव(पृथ्वी पाल) व नपताअमरदेव
पुंडीर(हररद्ऱार के राजा) थे। प्रीतम देव व जजयारानी के तीन पुत्र हुए-1.बह्मदेव(वीरदे व) 2.धामदेव 3.धुला देव

रानीबाग युद्ध - रानीबाग युद्ध तैमूरलंग व जजयारानी के बीच लड़ा गया जजसमें जजयारानी की नवजय हुई।
रानीबाग में जजयारानी मेला लगता है व इसी रानीबाग में जजयारानी गुफा स्थथत है।

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
Jardhariclasses@gmail.com पर E - Mail कर सकते हैं।

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उत्तराखंड का इततहास
कार्तिंकेयपुर िंश ि कत्युरी राजिंश MCQ
Q1- कत्यूरी राजिंश के संस्थापक कौन था-
A.बंसतदे ि B.िखन पाि दे ि C.सुभभक्ष राज दे ि D.िासुदेि

Q2-आसंततदे ि राजिंश की प्रारस्म्भक राजधानी थी-


( a ) रणचूिाकोि ( b ) जोशीमठ ( c ) हररद्वार ( d ) दे ि प्रयाग

Q3-कत्यूररयों की दरबारी भार्षा थी - Forest guard 2020


( a ) कुमाऊँनी ( b ) गढ़िािी ( c ) संस्कृत ( d ) प्राकृत

Q4- गोिू दे िता का सम्बंध तकस राजिंश से है-


A.चंद राजिंश B.कत्युरी राजिंश C.परमार राजिंश D.कुणणिंद राजिंश

Q5-कौन कत्यूरी राजाओं की कुि दे िी ' के रूप में पूजी जाती थी - समाज कल्याण तिभाग 2017
( a ) कामाख्या ( b ) सरस्िती ( c ) पृथ्िीपाि ( d ) नन्त्दा दे िी

Q6-तैमरू िंग ने हररद्वार पर कब आिमण तकया था -


( a ) 1396 में ( b ) 1397 में ( c ) 1398 में ( d ) 1399 में

Q7- कुमाँऊ की िक्ष्मी बाई तकसे कहा जाता है-


A.तीिू रौतेिी B.जजयारानी C.रानी कणाणिती D.इनमें से कोई नहीं

Q8- राजुिा-मािूशाही उत्तराखंड की प्रेम कथाओं में से एक है इनका सम्बन्त्ध है-


A.कत्युरी राजिंश से B.कुणणिंद राजिंश से C.चंद राजिंश से D.परमार राजिंश

Q9. ―गोिू दे िता‖ का उद्भि स्थान है : Uksssc joniour assistant 2019


A.नैनीताि B.हररद्वार C.ऋतर्षकेश D.चम्पाित

Q10- कत्युरी िंश की राजमाता तकसे कहा जाता है-


A.तीिू रौतेिी B.जजयारानी C.रानी कणाणिती D.इनमें से कोई नहीं

Q11-प्राचीन काि में, अस्कोि राजधानी थी : Forest guard 2020


A.पाि राजिंश B.चन्त्द राजिंश C.कत्यूरी राजिंश D.कुभणन्त्द राजिंश

Ans:- 1.a 2.b 3.c 4.b 5.d 6.c 7.c 8.a 9.d 10.b 11.c

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उत्तराखंड का इततहास
Q12- "असकोि के रजिार" तकस राजिंश की शाखा है-
A.मौखरी िंश B.परमार िंश C.कुर्षाणों की D.कत्युरी िंश

Q13-उत्तराखंड में तकस शासन को स्िणण युग के रूप में जाना जाता है ?
ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.कत्यूरी साम्राज्य B.मगध साम्राज्य C.कुणणिंद साम्राज्य D.गोरखा साम्राज्य

Q14- कार्तिंकेयपुर का अत्न्त्तम कत्यूरी राजा था : joniour assistant 2019


A.नरससिंह दे ि B.शालििाहन दे ि C.सुभभक्ष राज D.नकुि दे ि

Q15- कार्तिंकेयपुर िंश का संस्थापक था : समीक्षा अचधकारी 2017


A.िलितसूर दे ि B.भूदेि C.बंसतदे ि D.कल्याणराजदे ि

Ans:- 12.d 13.a 14.c 15.c

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उत्तराखंड का इततहास
कुमाँऊ का चंद राजिंश
कुमाँऊ में चंद राजिंश का उदय-
कुमाँऊ में चंद ि कत्यूरी प्रारम्भ में समकािीन थे और इनमें सत्ता के लिये संघर्षण चिता रहा
प्रारम्भ में इनकी राजधानी चंपाित थी िेतकन बाद में चंदशासकों ने नैतनताि, अल्मोड़ा, नेपाि
के भी कुछ तहस्सों को अपने राज्य में सचमलित तकया

सोमचन्त्द
 सोमचन्त्द के बारे में इततहासकरों के मत अिग अिग है-
 कुमाँऊ का इततहास के िेखक बद्रीदत्त पांडे के अनुसार सोमचन्त्द का शासन 700 ईo
से शुरू हुआ
 तिदिश काि के िेखक एितकन्त्स ने सोमचन्त्द का शासन 935 ई० के आसपास माना
 कुछ इततहासकारों का मानना है तक चंद िंश की स्थापना थोहरचन्त्द(1216ई०) ने की
िेतकन अचधकांश इततहासकारों का मानना है की चंद िंश की स्थापना सोमचन्त्द(685-
700ई०) ने की ि थोहरचन्त्द सोमचंद की 23िीं पीढ़ी में आया।
 सोमचन्त्द इिाहाबाद के झूसी नामक स्थान से बद्रीनाथ की यात्रा पर आया इस समय
यहाँ पर कत्यूरी शासक िह्मदे ि का शासन था सोमचन्त्द ने िह्मदे ि की एकमात्र कन्त्या
'चम्पा' से तििाह कर लिया और अपनी रानी के नाम पर चंपािती नदी के तकनारे
चंपाित राज्य का तनमाणण तकया।

सोमचंद का शासन(700-721ईo)-
 चंद िंश का संस्थापक सोम चंद को कहा जाता
हे
 राजा सोमचन्त्द की राजधानी चंपाित थी ि
उसने चंपाित में राजबुग ं ा तकिा बनिाया था
 सोमचंद ने चार तकिेदार तनयुि तकए – काकी,
बोरा, तडागी, चोधरी
 इन तकिेदारों को चार आि कहा जाता था जो
मूितः नेपाि के थे
 सोमचंद ने गांिो में बूढ़ों ि सयानों की तनयुलि
की ि महरा ि िरत्यािों को मंत्री बनाया
चंपावत का राजबुंगा नकला
 सोमचंद मांडलिक राजा था जो डोिी नरेश को
कर दे ता था इसका समकािीन डोिी नरेश जयदे ि मल्ि था

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उत्तराखंड का इततहास
कुमाऊँ के चंद राजा
कुमाऊँ के चंद राजाओं की िंशाििी
ि.स चन्त्द िंश के राजा ि.स चन्त्द िंश के राजा ि.स चन्त्द िंश के राजा
1 सोम चन्त्द 22 पिणत चन्त्द 43 भीस्म चंद
2 आत्म चंद 23 थोहर चन्त्द 44 कल्याण चंद
चतुथण
3 पूरन चन्त्द 24 कल्याण चन्त्द तद्वतीय 45 रुद्र चंद
4 इन्त्द्र चन्त्द 25 तत्रिोकी चंद 46 िक्ष्मी चन्त्द
5 मसार चन्त्द 26 डामर चंद 47 दिीप चन्त्द
6 सुध चन्त्द 27 धमण चंद 48 तिजय चन्त्द
7 हम्मीर चन्त्द 28 अभय चंद 49 तत्रमि चन्त्द
8 बीण चन्त्द 29 गरुण ज्ञान चंद 50 बाजबहारृर चन्त्द
9 िीर चन्त्द 30 हररहर चंद 51 उधोत चन्त्द
10 रूप चन्त्द 31 उध्यान चंद 52 ज्ञान चन्त्द
11 िक्ष्मी 32 आत्म चंद 53 जगत चन्त्द
12 धमण चन्त्द 33 हरर चंद 54 दे िी चन्त्द
13 कमण चंद 34 तििम चंद 55 अंजजत चन्त्द
14 कल्याण चंद 35 भारती चंद 56 कल्याण चन्त्द
प्रथम पंचम
15 तनभणय चंद 36 रतन चंद 57 दीप चन्त्द
16 नर चंद 37 कीर्तिं चंद 58 मोहन चन्त्द
17 नानकी चंद 38 प्रताप चंद 59 प्रध्युमन चन्त्द
18 राम चन्त्द 39 तारा चंद 60 लशि चन्त्द
19 भभिम चन्त्द 40 मभणक चंद 61 महेंद्र चन्त्द
20 मेघ चन्त्द 41 कालि कल्याण चंद
तृतीय
21 ध्यान चन्त्द 42 पूरन चंद

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उत्तराखंड का इततहास
चंद राजिंश के प्रमुख राजा
4)इन्त्द्रचंद(758-778)
 इसके समय में उत्तराखंड में रेशम उत्पादन ि तनयाणत अचधक हुआ
 इसने नेपाि के मागण से चीन से ब्यापररक संबद्ध बनाये
 पिरंगिािी प्रथा – यह प्रथा इन्त्द्रचंद के शासन काि में प्रचलित थी यह झूठी खबर
िैिाने की प्रथा थी जजसमें िोगों का मानना था तक झूठी खबर िैिाने से रेशम का रंग
पर्कका हो जाता है

8)िीण चंद(856-869)
 इसे तििासी राजा भी कहा गया है
 इसके समय खस जाततयों का प्रभुत्ि बढ़ गया था
 खसों ने 200िर्षों तक कुमाऊँ में शासन तकया

9)िीर चंद(1065-1080) गोपेश्वर तत्रशूिअभभिेख – इस अभभिेख के


िीर चंद को खस जातत का अंत का श्रेय
अनुसार 1191 में इस क्षेत्र पर अशोक चल्ि का
जाता है
शासन था
बािेश्वर मंददर अभभिेख – चंपाित के बािेश्वर
17)नानकी चंद(1177-1195) मंददर से 1223 का िाचिदे ि का अभभिेख
नानकी चंद के शासन काि में नेपाि के प्राप्त हुआ जजसमें 10 मांडलिक राजाओं का
शासक अशोक चल्ि ने 1191 में कुमाऊँ पर उल्िेख चमिता है। इन राजाओं में 3 राजा चंद
आिमण तकया
िंश के थे ि शेर्ष खस राजा थे जजससे इस बात
की पुति होती है तक ये राजा िाचिदे ि के
23)थोहरचन्त्द(1261-1275) अधीन थे
 हर्षणदेि जोशी ि श्री फ्रेजर के अनुसार
यह चंद िंश का संस्थापक था

25)तत्रिोक चंद (1296-1303)


 तत्रिोक चंद ने राज्य का तिस्तार तकया ि छकाता परगना जीता
 इसने भीमताि में तकिा बनाया

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उत्तराखंड का इततहास
28)अभयचंद(1344 -1374)
 यह चंद िंश का ऐसा पहिा शासक था जजसके बारे में जानकारी इसके स्ियं के
अभभिेखों से प्राप्त होती है
 इसके दो प्रमुख िेख प्राप्त हुए -मािेश्वर जैन अभभिेख चंपाित(पुत्र प्रात्प्त
हेतु),चौतकनी बोरा मंददर(चमोिी) अभभिेख
 इसकी मृत्यु पर ज्ञानचंद ने इसके श्राद्ध के अिसर पर एक ताम्र पत्र द्वारा भूचमदान तकये
जाने की घोर्षणा की

29)ज्ञान गरुड़ चंद(1374-1420ई०)


 यह चंद िंश का सिाणचधक शलिशािी
राजा था सेनापतत नीिु कठायत – यह
 ज्ञान चंद के सम्बंध ददल्िी के तुगिक िंश ज्ञांनचंद का सेनापतत था। ज्ञानचंद
से थे ने इसे तराई क्षेत्र में अचधकार करने
 पहिा चंद शासक था जो ददल्िी में भेजा। इसे कुमम्या खखित दी गयी
तिरोजशाह तुगिक के दरबार मे नजराना िेतकन जस्सा कमिेखी के बहकािे
दे ने गया। में आकर राजा ने नीिू कठायत की
 तिरोज शाह तुगिक ने ज्ञान चंद को हत्या की
गरुड़ चंद की उपाचध दी
 मझेड़ा ताम्रपात्र में ज्ञानचंद को श्री राजा
तिजय बह्म कहा गया है

तििम चंद(1423-34ई०)
 यह चंद िंश का 34िां राजा था।
 तििम चंद के दो ताम्र पत्र प्राप्त हुए-
 1.बािेश्वर मंददर ताम्रपत्र
 2.चम्पाित ताम्रपत्र

35)भारती चंद(1437-1450)
 भारती चंद 1437ई० के आसपास चंद िंश का राजा बना।
 भारती चंद योग्य ि कुशि शासक था ि जनता में इसकी िोकतप्रयता भी अचधक थी।
 भारती चंद का कुमाऊँ की िीरांगना भागाधोन्त्या के साथ द्वं द युद्ध का िणणन चमिता है
 भारती चंद ने डोिी राज्य के तिरुद्ध संघर्षण अभभयान जारी तकया डोिी में इस समय मल्ि
राजाओं का शासन था।
 भारतीचंद का समकािीन डोिी नरेश यक्षमि था।

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उत्तराखंड का इततहास
 भारतीचंद ने डोिी नरेश को हराने के उद्दे श्य से एक किक सेना गदठत की ि डोिी के
राजा को हराने में सिि हुआ
 भारती चंद के समय नायक जातत की उत्पतत हुई

नायक जातत या कििाि जातत


भारती चंद के शासन काि में जब भारती चंद की सेना डोिी अभभयान पर थी उस समय
िहाँ की मतहिाओं के साथ सैतनकों के अिैध संबंध बन गए थे और इन मतहिाओं से जन्त्मे
बच्चों को कििाि जातत या नायक जातत कहा गया इस प्रकार भारती चंद के शासन काि
में कििाि जातत का उद्भि हुआ

36)रत्न चंद(1450-1488ईo)-
 यह चंद िंश का पहिा शासक था जजसने भूचम बंदोबस्त कराया

37)कीर्तिं चंद(1488-1503ईo)-
 यह गढ़िाि शासक अजयपाि का समकािीन था
 इसने गढ़िाि पर आिमण तकया ि गढ़िाि शासक अजयपाि को पराजजत तकया

43)भीष्मचंद(1555-1560)
 भीष्मचंद ने अपनी राजधानी चंपाित से स्थानांतररत कर अल्मोड़ा(आिमनगर) में
बनाई िेतकन यह बािो कल्याण चंद के शासन काि मे बनकर पूणण हुई
 खगमरा तकिा अल्मोड़ा के पूिण में स्स्थत है इस तकिे का तनमाणण भीष्मचंद ने कराया था
 भीष्मचंद चंपाित में शासन करने िािा अंततम शासक था

44)बािो कल्याण चंद(1560-68)-


 इसके शासन काि मे चंद िंश की राजधानी अल्मोड़ा बनकर पूणण रूप से तैयार हो
गयी।
 कािापानी गाढ़(तपथौरागढ़) से प्राप्त अभभिेख में उल्िेख है तक कल्याण चंद को
महाराजचधराज कल्याण चंद्र दे ि की उपाचध दी गयी थी
 कल्याणचन्त्द ने 1563 ई० में अल्मोड़ा के पल्िन बाजार स्स्थत छािनी के भीतर
िािमंडी तकिे का तनमाणण करिाया िेतकन 1816 ई० में अंग्रेजो ने गोरखाओं को
परास्त कर इस तकिे में झंडा िहराया था ओर इस तकिे को िोिण मोयरा नाम ददया।
 इसने मणकोिी राज्य को चंद िंश में चमिाया

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उत्तराखंड का इततहास
45)रुद्र चंद(1568-1597)-
 यह अकबर का समकािीन था।
 रुद्रचंद ने अकबर की आधीनता स्िीकार की थी।
 आईने अकबर के अनुसार कुमाँऊ को ददल्िी सूबे में दशाणया
गया है
 रुद्र चंद ने रुद्रपुर नगर का तनमाणण कराया
मल्िा महि
 अल्मोड़ा के मल्िा महि का तनमाणण भी रुद्र चंद ने कराया
 बधाणगढ़ युद्ध- यह युद्ध रुद्रचंद ि गढ़िाि शासक बिभद्र शाह के बीच हुआ इस युद्ध
में रुद्रचंद का सेनापतत पुरुर्ष पंत मारा गया। इस युद्ध को ग्िािदम युद्ध के नाम से भी
जाना जाता है
 रुद्रचंद ने त्रैिभणक धमणतनणणय नामक धमणशास्त्र
लिखा जजसमें सामाजजक व्यिस्था को पुनः
स्थातपत तकया त्रैिभे णक धमणतनणणय पुस्तक
इस पुस्तक की रचना रुद्रचंद ने
रुद्र चंद िाह्मणों को तनम्न िगों में बांिा की। इस पुस्तक में रुद्रचंद ने
 चौथानी िाह्मण(उच्च जातत के िाह्मण) सामाजजक ब्यिस्था को जाततयों
 ततथानी िाह्मण (इन्त्हें पंचतबचड़ये िाह्मण ि िणों में तिभि तकया जैसे
भी कहा जाता है ) िाह्मणों में भी उच्च िाह्मणों ि
 तपतलिये िाह्मण(हलिये) तनम्न िाह्मणों के िगण बनाये इसी
प्रकार तिभभन्त्न जाततयों को अिग
अन्त्य जातत – अिग िगों में तिभाजजत तकया ि
ओिी िाह्मण – ओिे पड़नेपर थािी बजाकरा शतकण उन्त्हें अिग अिग कायण ददये।
करते थे
छयोड़े – राज दरबार में सेिा कायण करने िािे
पोड़ी पंद्रह तिस्िा – शेर्ष समस्त जनता

रुद्रचंद के चार संस्कृत ग्रन्त्थ -


 यथा उर्षारागोदया – यह पुस्तक राजनीततक प्रशासन से संबस्न्त्धत थी
 श्येतनक शास्त्र – लशकार या आखेि किा से संबस्न्त्धत
 ययातत चररत्रम – यह एक संस्कृत नािक था
 त्रैिभणक धमणतनणणय – यह एक धमणशास्त्र था

रुद्रचंद के दो पुत्र थे जजनके नाम शलि गोसाई तथा िक्ष्मी चंद था।शलि गोसाई जन्त्म से ही
रॅतिहीन था।

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उत्तराखंड का इततहास
46)िक्ष्मी चंद(1597-1621) -
 चंदो की िंशाििी में इसे िक्ष्मीचंद्र ि मानोदया काव्य में इसे िक्ष्मणचंद ि भुनाकोि
ताम्रपत्र में इसे िचछमनचंद कहा गया है
 िक्ष्मी चंद को िखुिी तबरािी भी कहा जाता है
 िक्ष्मी चंद ने पुराने जीणण मंददरों का पुनः तनमाणण कराया
 िक्ष्मी चंद ने 1602 में बागेश्वर के बागनाथ मंददर का जीणोधार कराया।
 इसने गढिाि शासक मानशाह पर आठ बार आिमण तकया

िक्ष्मी चंद ने दो न्त्यायािय(कचहरी) स्थातपत की –


न्त्योिािी – इस कचहरी में जनता के मामिे दे खे जाते थे
तबिािी – इसमें सैतनक मामिे दे खे जाते थे

िक्ष्मी चंद ने राज्य कमणचाररयों को तीन श्रेभणयों में बांिा -


 सरदार – परगने का शासक
 िौजदार – सेना का अचधकारी
 नेगी – अनाज के रूप में दस्तूर(नेग) िेने िािे अचधकारी

िक्ष्मी चंद ि गढ़िाि शासक मानशाह के बीच संघर्षण


गढ़िाि शासक मानशाह के शासन काि मे चंद नरेश िक्ष्मीचंद ने गढ़िाि पर 8 बार आिमण
तकया जजनमे 7 बार िह पराजजत हुआ जबतक अंततम युद्ध में उसे तिजय हालसि हुई।
अंततम युद्ध मे गढ़िाि सेना का नेतृत्ि खतड़ ससिंह ने तकया ि युद्घ में मारा गया माना जाता है
तक इस तिजय के उत्सि पर ही कुमाँऊ में खतड़िा त्योहार मनाया जाता है

48)तिजयचंद(1624-1625)-
 तिजयचंद का ताम्रपत्र तपथौरागढ़ जनपद से प्राप्त हुआ इस ताम्रपत्र के अनुसार इसने
बसु पुरोतहत को चम्पाित में पंचोिी नामक ब्यलि की जमीन दान की।
 सुखराम काकी ने इसकी हत्या की

49)तत्रमि चंद(1625-1638)-
 इसके समय राज दरबार में र्षड्यंत्र रचे जा रहे थे इसलिए तत्रमि चंद ने श्रीनगर गढ़िाि
में मतहपत शाह की शरण िी ि मतहपत की मदद से शासक बना
 तत्रमि चंद को गडयुडा ताम्रपत्र में महाराज कुमार कहा गया है।
 तत्रमि चंद ने तिजयचंद के हंता सुखराम काकी(संग्राम काकी) को मरिा डािा

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उत्तराखंड का इततहास
50)बाजबहारृर चंद(1638-1678ई०)
 इसने बाजपुर नगर(उधम ससिंह नगर) की स्थापना की
 इसने ततब्बती आिमणों का सिितापूिणक सामना तकया था
 इसके काि में नोिखखया माि या चौरासी माि(तराई)
में किे हरी राजपूतों ने अचधकार तकया
 यह मुगि बादशाह शाहजहां के दरबार में गया। मुगि गूठँ भूचम – मंददरों की
बादशाह शाहजहाँ के कहने पर किे हरी राजपूतों ने इसे दे खभाि ि खचण होने
तराई क्षेत्र िौिा ददया िािे अनाज की व्यिस्था
 इसके कमणचारी काशीनाथ ने काशीपुर की स्थापना की
हेतु दी जाने िािी भूचम
 बाजबहारृर चंद ने कत्यूररयों के गढ़ मतनिा गढ़ पर
आिमण तकया ि उन्त्हे गढ़िाि की और खदे ड़ ददया
 बाजबहारृर चंद ने कैिाश मानसरोिर यातत्रयों को गूँठ भूचम दान दी
 बाजबहारृर चंद ने थि तपथौरागढ़ स्स्थत हलथया दे िाि मंददर का तनमाणण कराया
 इसने भोदियों ि ततब्बततयों पर लसरती कर िगाया
 एक ददन के बेगार से अचधक लिए जाने पर प्रततबंध िगाया यह बेगार पर पहिा
एततहालसक कदम था

प्रमुख पद सृजन -
 पनेरू – पानी भरने िािा
 िुिेररया – िि िाने िािा
 हरबोिा – राजपररिार को जगाने िािा
 मठपाि – मंददरो की रक्षा करने िािा

51)उधोत चंद(1678-1698)-
 उधोत चंद बाजबहारृर चंद का ज्येष्ठ पुत्र था जो बाजबहारृर चंद के बाद शासक बना।
 उधोत चंद के तपथौरागढ़ से प्राप्त ताम्रपत्र (1679ई०)में उल्िेख है तक उसकी बीमार मां
को राजिैध(िरद जोशी) द्वारा ठीक करने पर उसने राजिैध को भूचम दान दी थी।
 उधोत चंद भारतीचंद के बाद पहिा चंद शासक था जजसने डोिी नरेशों से संघर्षण तकया।
 उद्योत चंद का समकािीन डोिी नरेश दे िपाि था

डोिी अभभयान -
 डोिी नरेश ने कािी कुमाऊँ पर अचधकार तकया िेतकन रुद्र चंद ने उसे िहाँ से खदे ड़
ददया
 उद्योग चंद ने डोिी की ग्रीष्मकािीन राजधानी अजमेरगढ़ पर 1683 में अचधकार
तकया इस युद्ध में रुद्र चंद का सेनापतत “ हीरु दे ऊबा मारा” गया
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उत्तराखंड का इततहास
 डोिी नरेश ने पुनः चंदों की सीमा पर आिमण तकया िेतकन उद्योत चंद ने 1688 में
डोिी की शीतकािीन राजधानी जुराइि दीपाइि पर अचधकार तकया। डोिी नरेश
दे िपाि ने रुद्रचंद से संचध की ि रुद्रचंद को कर दे ना स्िीकार तकया िेतकन 1996 मे
कर दे ना बंद तकया

जुराइि दीपाइि कोि युद्ध –


 यह युद्ध उद्योत चंद ि डोिी नरेश दे िपाि के मध्य हुआ इस युद्ध में चंद सेना पराजजत
हुई
 इस युद्ध में चंद सेनापतत लशरोमभण जोशी मारा गया

52)ज्ञानचंद (1698 - 1708) -


 ज्ञानचंद ने 1699 में गढ़िाि के बधानगढ़ पर आिमण तकया ि नंदा दे िी की स्िणण
प्रततमा अपने साथ िे गया ि अल्मोड़ा में स्थातपत की
 गढ़िाि शासक ितेहपतत शाह का समकािीन था
 इसने डोिी पर आिमण तकया यह युद्ध भाबर में िड़ा गया यह क्षेत्र उस समय
मिेररयाग्रस्त था। इस युद्ध में डोिी नरेश की पराजय हुई िेतकन चंद सेना मिेररया से
ग्रलसत हो गई

53)जगतचंद(1708-1720)-
 जगतचंद एक कुशि ि िोकतप्रय शासक था इसने जनता के तहत में अनेक कायण तकये
इसलिए इसके शासन काि को कुमाँऊ का स्िणण काि माना गया।
 जगतचंद का समकािीन गढ़िाि नरेश ितेपततशाह था
 जगतचंद ने गढ़िाि के िोहबागढ़ ि बधानगढ़ पर अचधकार तकया ि उसके बाद
श्रीनगर पर चढ़ाई कर दी श्रीनगर पर आिमण में ितेहशाह पराजजत हुआ ि जगतचंद
ने श्रीनगर पर अचधकार करके अत्यंत िूिपाि की ि अपने प्रतततनचध को श्रीनगर की
राजगद्दी पर तबठा ददया।
 कुछ समय बाद ितेहपतत शाह ने पुनः श्रीनगर पर अचधकार करने अपना राज्य प्राप्त
तकया
 जगतचंद ने मुगि बादशाह बहारृरशाह से भेंि की
 जगतचंद की मृत्यु चेचक से हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
54)दे िी चंद(1720-1726)-
 दे िी चंद जगत चंद का पुत्र था जो जगत चंद के बाद राजा बना
 दे िी चंद के सिाहकारों ने उसे राजा तििमाददत्य के जैसे बनाने का सपना ददखाकर
सारा खजाना िूि लिया था।
 रुद्रचंद को कुमाँऊ का राजा तििमाददत्य भी कहा जाता है
 इततहासकारों ने दे िी चंद को कुमाँऊ के मुहमद तुगिक की संज्ञा दी है
 दे िी चंद ने रुहेिा सरदार दोउद खान को अपना सेनापतत तनयुि तकया।

55) अजीत चंद(1726-1729)-


 इसके समय माभणक(मान) गैड़ा ि पूरन मि के द्वारा राज्य प्रशासन चिाया गया
 अजीत चंद के शासन काि को गैड़ागदी का काि कहा जाता है

56)कल्याण चन्त्द (1729-1747)-


 इसके समय प्रलसद्ध कति लशि ने कल्याण चंद्रोदयम की रचना की
 अल्मोड़ा में चोमहि बनाया
 इसे कुमाऊँ का कुंभकरण भी कहा जाता है
 कल्याण चंद्र के शासनकाि की सबसे महत्िपूणण घिना कुमाँऊ पर रोतहिा आिमण है।
1743-45ई० में रोतहिों ने कुमाँऊ पर आिमण तकया ि अल्मोड़ा पर कब्जा तकया
 कल्याणचंद रुहेिों के डर से भागकर गैरसेंण भाग गया ि गढ़िाि नरेश प्रदीप शाह से
संरक्षण मांगा । िेतकन अब रुहेिों ने गढ़िाि ि कुमाँऊ पर सयुि अभभयान चिाकर
रृनातगरी ि द्वारहाि पर पुनः कब्जा कर ददया ि गढ़नरेश को श्रीनगर पर अचधकार करने
की चेतािनी दी
 प्रदीप शाह ने कल्याणचंद को तीन िाख रुपये उधार दे कर रुहेिों को युद्ध क्षततपूणण के
रूप में ददये ि रुहेिों से संचध की।

दीप चंद(57िां राजा)-(1748-77)


 दीप चंद कल्याणचंद चतुथण का पुत्र था जो कल्याणचंद
के बाद राजगद्दी पर बैठा पानीपत का तृतीय युद्ध
दीप चंद के शासन काि मे
 दीप चंद का दीिान हर्षणदेि जोशी था।
पानीपत का तृतीय
 1752ई० में दीप चंद ने गढ़िाि के तिरुद्ध युद्ध
युद्ध(1761ई०) मराठाओं ि
अभभयान चिाया। अहमद शाह अबदािी के बीच
 दीप चंद के शासन काि मे मोहन ससिंह नामक ब्यलि ने हुआ। मुगि बादशाह के कहने
पर दीप चंद ने अपनी सेना
दीप चंद ि उसके पुत्रों को ि उसके दीिान हर्षणदेि
मराठों के तिरुद्ध भेज दी थी।
जोशी को बंदी बनाकर स्ियं राजगद्दी पर मोहन चंद के
नाम से बैठ गया।

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उत्तराखंड का इततहास
58)मोहन चंद(1777-1779)-
 इसने दीप चंद ि उसके दीिान हर्षणदेि जोशी को जेि में डाि
 हर्षणदेि जोशी ने गढ़िाि नरेश िलित शाह को पत्र लिखकर कुमाँऊ पर आिमण करने
को प्रेररत तकया
 मोहन चंद के समय गढ़िाि के शासक राजा िलित शाह ने अल्मोड़ा पर आिमण कर
ददया ि हर्षणदेि जोशी को कारागार से मुि तकया।
 हर्षणदेि जोशी ि अन्त्य दरबाररयों ने चमिकर गढ़ नरेश िलित शाह के पुत्र प्रद्युम्न शाह
को 1779ई० में प्रद्युम्न चंद के नाम से कुमाँऊ का शासक बनाया

59)प्रद्युम्न चंद(1779-1786)-
 1779ई० में प्रद्युम्न चंद कुमाँऊ का शासक बना
 1786ई० में प्रद्युम्न चंद गढ़िाि िौि आया ि गढ़िाि में प्रद्युम्न शाह के रूप में शासन
करने िगा
 प्रद्युम्न शाह के बाद हर्षणदेि जोशी प्रद्युम्न शाह के प्रतततनचध के रूप में कुमाऊँ पर शासन
करने िगा

पालिग्राम युद्ध 1786ई०


जब प्रद्युम्न शाह गढ़िाि िौि आया तो इसका िायदा उठाकर मोहन ससिंह 1786ई० में हर्षणदेि जोशी को
परास्त करके पुनः राजगद्दी प्राप्त की। इस युद्ध को पालिग्राम युद्ध के नाम से जाना जाता है।
पालिग्राम युद्ध मे मोहनचंद का साथ उसके चाचा िाि ससिंह ि प्रद्युम्न शाह के भाई परािम शाह ने ददया।
हर्षणदेि जोशी ने पुनः मोहन चंद पर 1788ई० में आिमण करके मोहन ससिंह की हत्या कर दी।
हर्षणदेि जोशी ने लशि ससिंह नामक ब्यलि को लशि चंद नाम से 1788ई० में चंद िंश का शासक बनाया।

60)लशि चंद(1788)-
 लशि चंद 1788ई० में हर्षणदेि जोशी की मदद से चंद िंश का शासक बना।
 इसी के शासनकाि में मोहन चंद के भाई िाि ससिंह ने प्ररृम्न शाह के भाई परािम शाह
की मदद से पुनः कुमाँऊ पर आिमण तकया ि मोहन ससिंह के पुत्र महेंद्र ससिंह को महेंद्र
चंद के नाम से राजा बनाया।

61)महेंद्र चंद(1788-1790) -
 यह चंद िंश का अंततम शासक था
 1790 ई० में नेपाि के गोरखाओं ने महेंद्र चंद को हिािाबाग मैदान( अल्मोड़ा)में
पराजजत तकया
 गोरखाओं को कुमाँऊ पर आिमण करने का तनमंत्रण हर्षणदेि जोशी ने ददया
 इस प्रकार कुमाँऊ में चंद िंश का अंत हुआ ि 1790 ई० में कुमाँऊ में गोरखाओं का
शासन प्रारंम्भ हुआ।

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उत्तराखंड का इततहास
चंदो की प्रशासतनक व्यिस्था
राजा

दीिान मंत्री

चंद िंश में राज्य प्रशासन

राज्य प्रधान राजा

मंडि
सामंतों के अधीन राजा के अधीन

दे श

परगने प्रशासक सीकदार

थातिान
गखण प्रशासक
नेगी
सेज्यािी
गाँि प्रशासक
िी सयाणा
अन्त्य पद

कै नी प्रधान

छायोड़ी कोिाि प्रहरी


कोताल गााँव के लगान प्रहरी गााँव की
ववषयक वहसाब चोकीदारी व अनाज
ककताब रखता था एकत्र करता था

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उत्तराखंड का इततहास
चंदो की न्त्याय प्रणािी
कचहरी

न्त्योिािी तबिािी पंच निीसी

सजा या दं ड -
दं डाचधकारी - डंडे
िांसी की सजा - पेड़ पर ििकाकर

भू- राजस्ि नीतत


थातिान - राजा जजसे रौत, गूँठ या तिष्णुतप्रतत में जमीन दे ता था
खायाकर - खाई जमीन पर कर दे ने िािा
कैनी -ये भू दास होते थे
गिा छहाड़ा - उपज का छििां भाग कर के रूप में लिया जाता था
भूचम मापक पैमाने - नािी, ज्युिी, तिशा, पािो,मसा

चंदो के समय लिए जाने िािे कर


चंद राजाओं के समय छतीस तकस्म के कर होते थे जजसे छतीसी कहा जाता है
ि.सं कर
1. लसरतान कर या लसरती कर नकद कर
2. ज्युलिया कर /सांगा कर नदी के पुि पर लिया जाता था
3. राखखया कर(रछया कर)- रक्षाबंधन ि जनेऊ संस्कार के समय िसूिा जाने िािा कर
4. भेंि कर राजा ि राजकुमारों को दी जाने िािी भेंि
5. मांगा कर युद्ध के समय लिया जाने िािा कर
6. कमीनचारी - सयानचारी सयानों को दे य कर
7. डािा कर सयानों को अनाज के रूप में ददया जाने िािा कर
8. सीकदार नेगी परगनाचधकारी को दे य कर
9. गखाण नेगी गखाणचधकारी को दे य कर
10. तान कर सूती ि ऊतन िस्त्रों के बुनकरों से लिया जाने िािा कर
11. घी कर घी बेचने िािे से लिया जाने िािा
12. मो कर हर पररिार से लिया जाने िािा
13. गाय चराई गाय चराने िािों से
14. भैंस कर प्रत्येक भैंस पर लिया जाता था
15. भात कर भात की दाित पर लिया जाने िािे

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उत्तराखंड का इततहास
16. व्यापार कर बुनकरों से लिया जाने िािा कर
17. खानों कर खानों से सोना ताबां तनकािने िािों पर
18. जंगिात कर जंगिो का उपयोग करने िािों से लिया जाने िािा कर
19. न्त्योिािी न्त्याय पाने के लिए ददया जाने िािा कर
20. जगररया जागर िगाने िािे पुजारी से लिया जाने िािा कर
21. रोत्या-दे िल्या राज पररिार की दे िी दे िताओं की पूजा के नाम पर लिया
जाता था
22. भांग कर घरािों पर िगता था
23. पहरी या पोरी राजधानी ि गांिों की रखिािी करने िािों को दे य कर
24. बैकर अनाज के रूप में दे य कर
25. कूत नकद के बदिे अनाज के रूप में दे य कर
26. किक सेना के लिए लिया गया कर
27. स्यूक कर राज्य सेिकों के लिए लिया गया कर
28. बजतनया कर राजा के नतणकों,नतणतकयों, नगाड़े, रृं रृभी बजाने िािों से लिया
जाने िािा कर
29. चोपदार राजा के व्यलिगत िस्तुओं जैसे तििार, ढाि, आदद को ढोने
िािों के लिए लिया जाने िािा कर
30. रंतगिी िेखक को दे य कर
31. कनक शोका व्यापाररयों से स्िणण धूलि के रूप में दे य कर
32. चछिपतत अधूि बरसात में सड़कों की मरस्मत के लिए लिया जाने िािा कर
33. चमझारी कर कामगारों से लिया जाने िािा कर
34. खेनी कपीिनी बेगार दे ना
35 घोड्याि कर
36. बखररयाि कर

चंद राजिंश से सम्बंचधत तकिे -


राजबुंगा तकिा – चंपाित
खगमरा तकिा - अल्मोड़ा
िािमंडी तकिा - अल्मोड़ा
मल्िा महि - अल्मोड़ा

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उत्तराखंड का इततहास
चंद िंश से संबस्न्त्धत MCQ प्रश्न
Q-1 कुमाँऊ में चंद राजिंश का संस्थापक तकसे माना जाता है- ग्राम पंचायत तिकास
अचधकारी 2018
A.थोहरचन्त्द B.सोमचन्त्द C.भीष्मचंद D.कल्याण चंद

Q2- चन्त्द्र राजिंश के राज चचन्त्ह र्कया था-


A.बैि B.गाय C.बाघ D.हाथी

Q3- िािमंडी तकिे का तनमाणण तकस शासक ने करिाया-


A.कल्याण चंद तद्वतीय B.कल्याण चंद तृतीय C.रुद्र चंद D.भीष्म चंद

Q4- राजा भीष्मचंद द्वारा तनर्मिंत तकिा है :- सहायक तिकास अचधकारी 2018/ सींचपाि
2017
(a).िाि मंडी तकिा B.बाणासुर तकिा C.खगमरा का तकिा (d). राजबूंगा तकिा

Q5- हर्षणदत्त जोशी के अनुसार चंद िंश का संस्थापक कौन था-


A.सोमचन्त्द B.भीष्म चंद C.इंद्र चंद D.थोहरचन्त्द

Q6-गांिों में ग्राम प्रधान / मुखखया तनयुलि की प्रणािी शुरू हुई-


( a ) कत्यूरी द्वारा ( b ) चन्त्द्रों द्वारा ( c ) पंिारों द्वारा ( d ) तनम्बरों द्वारा

Q7- चंद िंश का सबसे शलिशािी राजा कोन था-


A.ज्ञान गरुड़ चंद B.भीष्म चंद C.कल्याण चंद D.रुद्र चंद

Q8-प्रथम चंद राजिंश का शासक जजसने ददल्िी के सुल्तान तिरोजशाह तुगिक से मुिाकात
की थी, िह था- Uksssc joniour assistant 2019
A.रूद्र चंद B.ज्ञान चंद C.भारती चंद D.िक्ष्मी चंद

Q9- चंदो ि मुगिों में सम्बन्त्ध होने की जानकारी चमिती है-


A.शाहनामा B.अकबरनामा C.जहांगीरनामा D.a and c

Q10- त्रैिभे णक धमणतनणणय नामक ग्रन्त्थ की रचना तकस चंद शासक ने की -


A.कल्याण चंदB.रुद्र चंद C.रूप चंद( d) कीर्तिं चंद

Ans:- 1.b 2.b 3.b 4.c 5.d 6.c 7.a 8.b 9.d 10.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q11- कुमाऊँ का चाणर्कय हर्षणदेि जोशी तकस चंद शासक के दीिान थे -
A.मोहन चंद B.कल्याण चंदC.दीप चंद D.ज्ञान चंद

Q12-बाघनाथ मजन्त्दर का तनमाणण तकसने तकया :- सहायक तिकास अचधकारी 2018


(a). तिष्णु चन्त्द (b). िक्ष्मी चन्त्द (c). रूद्र चन्त्द (d). महेंद्र चन्त्द

Q13- चंद िंश की राजधानी अल्मोड़ा तकस चंद शासक के शासन काि में बनकर पूणण हुई-
A.कल्याण चंद तृतीय B.भीष्म चंद
C.कल्याण चंद तद्वतीय D.रूप चंद

Q14-सोमचन्त्द के आगमन के समय कुमाऊँ में तनम्न में से तकस नरेश का आचधपत्य था
कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.िासुदेि B.िह्मदे ि C.बसन्त्तदे ि D.तनरम्बर दे ि

Q15- महेंद्र चंद ि गोरखाओं के बीच तकस मैदान में युद्ध िड़ा गया-
A.रानीबाग B.हिािाबाग C.खुदबुड़ा मैदान D.इनमें से कोई नहीं

Q- 16 राजबुग
ं ा तकिा तकस चंद शासक ने बनाया- सहायक भंडारपाि 2017
A.थोहरचन्त्द B.भीष्मचंद C.कल्याण चंद D.सोमचन्त्द

Q17- ज्ञान चंद को गरुड़ चंद की उपाचध ददल्िी सल्तनत के तकस िंश ने दी-
A.मुगि िंश B.िोदी िंश C.तुगिक िंश D.खखिजी िंश

Q18-तनम्नलिखखत चन्त्द शासकों में से कौन मुगि बादशाह अकबर से चमिने उनके दरबार में
गया ? Forest guard 2020
A.िक्ष्मी चन्त्द B.कल्याण चन्त्द C.रूद्र चन्त्द D.गरुड़ ज्ञान चन्त्द

Q19- कल्याण चंद्रोदयम की रचना तकस चंद शासक के समय हुई-


A.कल्याण चंद तृतीय B.कल्याण चंद चतुथण C.भीष्म चंद D.रुद्र चंद

Q20- चंद िंश का अंततम शासक कौन था-


A.रुद्र चंद B.महेंद्र चंद C.रूप चंद D.कल्याण चंद

Ans:- 11.c 12.b 13.a 14.b 15.b 16.d 17.c 18.c 19.b 20.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q-21 ताम्र पात्र पर भूचम दान दे ने की घोर्षणा तकस शासक ने की-
A.अभय चंद B.भीष्म चंद C.ज्ञान गरुड़ चंद D.कल्याण चंद

Q22.चंद िंश के संस्थापक सोमचंद का समकािीन डोिी नरेश था?


A.जयदे ि मल्ि B.यक्षमल्ि C.अशोक चल्ि D.दे िपाि

Q23.डोिी के नरेशों से मुलि चंद शासन को तकस चंद राजा के शासन काि में चमिी
A.सोमचन्त्द B.ज्ञान गरुड़ चंद C.भारती चंद D.उधोत चंद

Q24.1451 के हुड़ेती ताम्रपत्र में तकस चंद शासक के गांि दे ने का िणणन है


A.भारती चंद B.भीष्मचंद C.रुद्रचंद D.अभयचंद

Q25.रुद्रचंद के त्रैिभणक धमणतनणणय सामाजजक व्यिस्था में 'छयोड़े' होते थे


A.उच्च िाह्मण B.गुप्तचर C.घरों के सेिक D.राज्य में कर िसूिने िािे

Q26.चंद शासन में न्त्योिािी ि तबिािी कचहररयां की स्थापना तकसने की


A.भारती चंद B.रुद्र चंद C.िक्ष्मीचंद D.तत्रमि चंद

Q27.मुगि बादशाह शाहजहां के दरबार में कौन सा चंद शासक गया


A.तत्रमि चंद B.बाजबहारृर चंद C.रुद्र चंद D.जगत चंद

Q28.गढिाि की िक्ष्मीबाई तीिू रौतेिी का समकािीन कौन सा चंद शासक था


A.तत्रमि चंद B.बाजबहारृर चंद C.रुद्र चंद D.जगत चंद

Q29.तपथौरागढ स्स्थत एक हलथया दे िाि मंददर का तनमाणण तकसके शासन काि में हुआ
A.तत्रमि चंद B.बाजबहारृर चंद C.रुद्र चंद D.जगत चंद

Q30.भोदियों ि ततब्बततयों पर लसरती कर िगाने िािा चंद शासक


A.उधोत चंद B.ज्ञान चंद C.रुद्र चंद D.बाजबहारृर चंद

Ans:- 21.a 22.a 23.c 24.a 25.c 26.c 27.b 28.b 29.b 30.d

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उत्तराखंड का इततहास
Q31.डोिी नरेशों की शीतकािीन राजधानी जुराइि दीपाइि पर आिमण करने िािा चंद
शासक था
A.उद्योत चंद B.ज्ञान चंद C.रुद्र चंद D.बाजबहारृर चंद

Q32.कुमाऊँ का स्िणण काि तकस नरेश के शासन काि को कहा जाता है


A.ज्ञानचंद B.जगत चंद C.दे िी चंद D.बाजबहारृर चंद

Q33.गढिाि के पंिार िंश की राजधानी श्रीनगर पर अचधकार करने िाि चंद शासक कौन था
A.ज्ञानचंद B.जगत चंद C.दे िी चंद D.बाजबहारृर चंद

Q34.कुमाऊँ का मुहम्मद तुगिक तकसे कहा जाता है


A.जगत चंद B.दे िीचंद C.दीपचंद D.रुद्रचंद

Q35.कुमाऊँ का तििमाददत्य तकस चंद शासक को कहा जाता है


A.जगत चंद B.दे िीचंद C.दीपचंद D.रुद्रचंद

Q36.तनम्न युग्म में चंद राजाओं के समकािीन मुगि राजा ददये गए हैं इनमें कौन सुम्मेलित
नहीं है
चंद राजा मुगि राजा
A.रुद्रचंद - अकबर
B.बाजबहारृर चंद - शाहजहां
C.िक्ष्मीचंद - औरगंजेब
D.जगत चंद - बहारृर शाह

Q37 चंद शासन काि में समूची भूचम तकसके अधीन होती थी
A.दीिान B.राजा C.सीकदार D.नेगी

Q38.न्त्योिािी ि तबिािी न्त्यायािय का सम्बंध है


A.पंिार िंश B.चंद िंश C.गोरखा D.कत्यूरी िंश

Q39.चंद शासन ब्यिस्था में परगने का अचधकारी कहिाता था


A.नेगी B.सेज्यािी C.सीकदार D.थातिान

Ans- 31.a 32.b 33.b 34.b 35.b 36.c 37.b 38.b 39.c

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उत्तराखंड का इततहास
Q40.चंद िंश के शासन काि में लसरतान तकस प्रकार का कर था
A.केिि अनाज सम्बंचधत B.व्यापार संबंधी
C.केिि नगद सम्बंचधत D.नगद ि अनाज सम्बंचधत

Q41.चंद िंश के शासन काि में खायकर तकस प्रकार का कर था


A.केिि अनाज सम्बंचधत B.व्यापार संबंधी
C.केिि नगद सम्बंचधत D.नगद ि अनाज सम्बंचधत

Q42.चंद शासन काि में पंच निीसी का सम्बंध है


A सैतनक कचहरी B.पंचायती कचहरी
C.पररिार से लिया जाने िािा कर D.पांच तकिेदार

Q43.चंद शासन काि में चार आि या चाराि का सम्बंध है


A.गुप्तचर B.परगना अचधकारी
C.तकिेदार D.भू दास

Q44.चंद शासन काि में राजा जजसे जमीन गूठ


ँ या दान दे ता था उसे कहा जाता था
A.लसरतान B.थातिान
C.सीकदार D.सरीदार

Ans- 40.c 41.d 42.b 43.c 44.b

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि का परमार (पंिार) िंश
गढ़िाि में चमोिी के चांदपुर गढ़ से पंिार िंश की स्थापना हुई। पंिार िंश के राजा पहिे
कार्तिंकेयपुर राजिंश के सामंत थे अथाणत प्रारंभभक पंिार िंशीय राजा कार्तिंकेय पुर राजिंश
की आधीनता स्िीकार कर चांदपुर गढ़ में शासन करते थे। िेतकन जब उत्तराखंड में
कार्तिंकेयपुर राजिंश का शासन समाप्त हुआ उसके बाद पंिार िंश के राजाओं ने संपूणण
गढ़िाि पर एक छत्र राज तकया और गढ़िाि की सबसे बड़ी राजनीततक शलि के रूप में
उभरा

गढ़िाि में पंिार िंश की स्थापना ि संस्थापक के बारे में इततहासकारों के अिग-अिग मत हैं-
1.एिककिंसन,तिलियम्स,तिजयराम रतूड़ी,हरर कृष्ण रतूड़ी आदद इततहासकारों के अनुसार पंिार
िंश का िास्ततिक संस्थापक कनक पाि को माना गया है।
2. मानोदय काब्य, रामायण प्रदीप सभासार ग्रंथ जोतक पंिार िंश के राजाओं की इततहास के
बारे में जानकारी दे ते हैं इनका प्रमाण दे कर डॉर्किर डबराि ने कहा तक पंिार िंश का संस्थापक
अजय पाि है।

888ई० से 1949 तक पंिार िंश के कुि 60 राजा हुए


पंिार िंशाििी बैकेि की सूचच(1849)
ि.स परमार िंश के राजा ि.स परमार िंश के राजा ि.स परमार िंश के राजा
1 कनकपि 21 तििम पाि 41 तिजय पाि
2 श्यामपाि 22 तिचचत्र पाि 42 सहज पाि
3 परॄपाि 23 हंस पाि 43 बिभद्र शाह
4 अभभगत पाि 24 सोन पाि 44 मान शाह
5 संगत पाि 25 कात्न्त्त पाि 45 श्याम शाह
6 रतन पाि 26 कामदे ि पाि 46 मतहमत शाह
7 सािीपाि 27 सुिखन पाि 47 प्रथ्िी शाह
8 तिचध पाि 28 िखन दे ि 48 मेदनी शाह
9 मदन पाि प्रथम 29 अनंत पाि तद्वतीय 49 ितेह शाह
10 भलि पाि 30 पूिण दे ि 50 उपेंद्र शाह
11 जयचंद्र पाि 31 अभय दे ि 51 प्रदीप शाह
12 प्रथ्िी पाि 32 जयराम दे ि 52 िलिपत शाह
13 मदन पाि तद्वतीय 33 असि दे ि 53 जयकतण शाह
14 अगस्स्त पाि 34 जगत पाि 54 प्रधूमन शाह
15 सुरती पाि 35 जीत पाि 55 सुदशणन शाह
16 जयंत पाि 36 आनंद पाि 56 भािनीशह
17 अनंत पाि प्रथम 37 अजयपाि 57 प्रताप शाह
18 आनंद पाि प्रथम 38 कल्याण पाि 58 तकर्तिं शाह
19 तिभोग पाि 39 सुंदर पाि 59 नरेंद्र शाह
20 सरजन पाि 40 हंसदे ि पाि 60 मानिेंद्र शाह

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि के परमार(पंिार) िंश के प्रमुख राजा
कनकपाि
 कनकपाि को परमार िंश का संस्थापक माना जाता है
 कनक पाि ने परमार िंश की स्थापना 888ई० में की
 कनक पाि गुजणर प्रदे श(मेिाड़, गुजरात, महाराष्ट्र) से
887ई० में यहाँ तीथाणिन पर आया था।
 चांदपुरगढ़(चमोिी) के शासक भानुप्रताप ने अपनी पुत्री
का तििाह कनकपाि से कराया ि उसे चांदपुरगढ़ का
शासक बनाया।
 चांदपुरगढ़ में परमार िंश की नींि पढ़ी। चांदपुरगढ़(चमोली)
 चमोिी में चांदपुर गढ़ से अचधक ऊंचाई पर कोनपुर गढ़
है जजसे स्थानीय िोग कनक पाि का गढ़ मानते हैं

सोनपाि(1243-1250ई०)
 सोनपाि पंिार िंश का 24िां राजा था।
 सोनपाि को सुिणणपाि के नाम से ही जाना जाता है
 सोनपाि ने खस राजाओं को हराया ि कई खस राजा इसके अधीन थे।
 तिलियम्स के अनुसार इसने भभिंग घािी में अपनी राजधानी बनायी
 इसके पुत्रों ने राजधानी को दो भागों में बांिा एक राज्य की राजधानी भभिंग घािी ि
रॄसरे राज्य की राजधानी चांदपुरगढ़ थी
 जजन शासकों की राजधानी भभिंग घािी थी िे राजा सोनिंशी कहिाये र्कयोंतक भभिंग
घािी में राजधानी स्थानन्त्तररत सोनपाि नई की थी।

िखण दे ि(िसणदे ि)(1310-33)


 िखण दे ि पंिार िंश का 28िां शासक था।
 िखण दे ि की एक ताम्र मुद्रा चमिी जजसमें िर्षनदे ि लिखा चमिा ।
 िखण दे ि से पूिणिती तकसी भी पंिार िंश के शासक की मुद्रा प्राप्त नहीं हुई इससे
तनष्कर्षण तनकिता है तक िखन दे ि अपनी मुद्रा(ताम्र मुद्रा) चिाने िािा प्रथम पिांर
शासक था।
 इसे पंिार िंश का प्रथम स्ितंत्रत शासक कहा जाता है
 इसकी राजधानी भभिंग घािी थी

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उत्तराखंड का इततहास
अनंतपाि तद्वतीय(1333-1345)
 यह पंिार िंश का 29िां शासक था ि िखण दे ि का उत्तराचधकारी था ।
 मन्त्दातकनी नदी घािी के पास धारलशिा गाँि(चमोिी) से इसका लशिािेख 1335ई०
का प्राप्त हुआ।
 पंिार िंशाििी में अनन्त्तपाि तद्वतीय को सोनिंशी राजा कहा गया है अथाणत इसकी
राजधानी भभिंग घािी थी।

जगत पाि(1444-1460)
 यह पंिार िंश का 34िां शासक था।
 दे िप्रयाग के रघुनाथ मंददर में इसका ताम्रपत्र (1455ई० का) प्राप्त हुआ इस ताम्र पत्र में
इसने खुद को रजिार कहा है
 रजिार उस समय तकसी प्रभुत्िसम्पन राजा को कहा जाता था।

अजयपाि(1490-1519)
 अजयपाि पंिार िंश का 37िां राजा था ि आनंदपाि तद्वतीय का पुत्र था।
 अजयपाि को पंिार िंश का सबसे शलिशािी शासक माना जाता है
 अजयपाि का समकािीन चंद शासक कीर्तिंचंद था। कीर्तिंचंद ने अजयपाि को युद्ध में
हराया
 अजयपाि ने अपनी राजधानी चांदपुरगढ़ से दे ििगढ़(1506) ि उसके पिात
श्रीनगर(1517) स्थानांतररत की।

 अजयपाि के काि मे गढ़िाि में 52 गढ़ हुआ करते थे और प्रत्येक गढ़ के गढ़पतत िहाँ


शासन करते थे जजसमें उपुगढ़ का गढ़पतत, कफ्िु चौहान, का
उल्िेख ि अजयपाि की कफ्िु चौहान पर तिजय का उल्िेख
गढ़ पिाड़ा में चमिता है।
 अजयपाि ने 52 गढ़ को तिजजत कर सभी गढ़ो पर एकछत्र
शासन तकया ि एक गढ़ राज्य की स्थापना की। कफ्फ़ू चोहान

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उत्तराखंड का इततहास
अजयपाि द्वारा मंददरों का तनमाणण ि जीणोद्धार- धुली पाथा पैमाना
 अजयपाि ने दे ििगढ़ में राजभिन बनाकर िहां धूली पाथा पैमाना अजयपाल ने शुरू
अपनी कुिदे िी राजराजेश्वरी की स्थापना की। नकया
 अजयपाि ने दे ििगढ़ में भैरि मंददर, सत्यनाथ यह एक मापक पैमाना था जो आज भी

मंददर, गौरजा मंददर ि िक्ष्मी नारायण मंददर का गढ़ वाल में पाथा के नाम से प्रचजलत है।

जीणोद्धार कराया। एक पाथा लगभग 2Kg माप का होता

 अजयपाि ने श्रीनगर में राजप्रसाद एिं कालिकादे िी है।

मठ का तनमाणण कराया जो तक 1803 के दे वलगढ़ जशलालेख में"धुली पाथा" को


अजयपाल को धमसपाथी" *कहा गया
तिनाशकारी भूकम्प से ध्िस्त हो गये।
है।

अजयपाि को दी गयी उपाचध ि नाम


गढ़िाि का अशोक - अजय पाि की तुिना सम्राि अशोक से की जाती है जजस प्रकार
सम्राि अशोक ने अंत में बौद्ध धमण अपनाया था उसी प्रकार
अजय पाि ने अंत समय में गोरखनाथ पंथ अपनाया था ।
गढ़िाि का नेपोलियन – अजयपाि
गोरखनाथ पर अपनी प्रलसद्ध पुस्तक में तिग्ज ने अजय पाि
गढ़िाि का अशोक – अजयपाि
को गोरक्षपंलथयों के 10 संप्रदाय में से एक का संस्थापक
गढ़िाि का रृयोधन – अजयपाि
माना है।
गढ़िाि का तिस्माकण – अजयपाि
सांिरी ग्रंथ में अजयपाि को आददनाथ कहा गया
कति भरत ने अपनी पुस्तक "मानोदया" काब्य में इसकी
तुिना कृष्ण, कुबेर, इंद्र, युचधचष्ठर ि भीम से की है

सरोिा िाह्मण प्रथा


 अजयपाि के दरबार में ि सेना में तिभभन्त्न िणों(तिभभन्त्न जातत) के िोग थे और इनमें खान-
पान एिं भात ग्रहण करने में भेदभाि था इस भेदभाि के कारण सैन्त्य अभभयानों में लशलथिता
दे खने को चमिती थी इस समस्या का समाधान हेतु अजय पाि ने सरोिा िाह्मण प्रथा की
शुरुआत की।
 सरोिा िाह्मण प्रथा में उच्च जातत के िाह्मणों द्वारा भोजन बनाया जाता था और इनके द्वारा
बनाए गए भोजन को स्िच्छ माना जाता था
 सरोिा िाह्मण प्रथा आज भी गढ़िाि में दे खने को चमिती है आज भी गढ़िाि में शादी
समारोह में सरोिा िाह्मणों द्वारा भोजन (दाि भात) पकाया जाता है तातक सभी िणों के
िोग भोजन ग्रहण कर सकें।

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि के 52 गढ़
ि.स गढ़िाि के संबस्न्त्धत ि.स गढ़िाि के संबस्न्त्धत ि.स गढ़िाि के संबस्न्त्धत
52 गढ़ जाततयाँ 52 गढ़ जाततयाँ 52 गढ़ जाततयाँ
1 चाँदपुर गढ़ सूयणिश ं ी 19 बाग गढ़ बगुड़ी जातत 37 बनगढ़ बनगढ़

2 नागपुर गढ़ नाग जातत 20 गाढकोि गढ़ बगडिाि 38 भरदार गढ़ भरदार


3 कुईिी गढ़ सजिाण 21 चोंड़ा गढ़ चोंडाि 39 काँड़ा गढ़ राित
4 लसि गढ़ सजिाण 22 तोप गढ़ तोपाि 40 साििी गढ़ साििी
5 भरपूर गढ़ सजिाण 23 राणी गढ़ तोपाि 41 गुजडू जातत गुजडू
6 कुंजड़ी गढ़ सजिाण 24 श्रीगुरु गढ़ पररहार 42 जोि जातत जोनपुर
7 बांगर गढ़ राणा 25 बधाण गढ़ बधाणी 43 दे िि गढ़ दे ििगढ़
8 सांकरी गढ़ राणा 26 िोहबाग गढ़ नेगी 44 िोद गढ़
9 रामी गढ़ राणा 27 रतन गढ़ 45 जोंिपुर गढ़
10 मुंगरा गढ़ राित 28 चोंदकोि गढ़ चोंदकोि 46 चंपा गढ़
जातत जातत
11 तबराल्ि गढ़ राित 29 नयाि गढ़ नयाि जातत 47 डोडराकिंरा
गढ़
12 कोस्ल्िगढ़ बछिाण 30 आजमीर पयाि जातत 48 भिना गढ़
गढ़
13 रािड़गढ़ रिाड़ी 31 गडताग गढ़ भोदिया 49 िोदन गढ़
जातत
14 िाल्याण िाल्याण 32 कुंडारा गढ़ कुंडारी 50 बदिपुर गढ़
गढ़ जातत
15 रेका गढ़ रमोिा 33 िंगूर गढ़ िंगूर पट्टी 51 संगेिा गढ़
जातत
16 मोल्या गढ़ रमोिा 34 नािा गढ़ दे हरारॄन 52 एरासू गढ़ श्रीनगर
के पास
17 उप्पू गढ़ चोहान गढ़ 35 दशोिी गढ़ दशोिी JARDHARI
CLASSES
18 इंचडया गढ़ इंचडया 36 धोना गढ़ धोन्त्याि
जातत

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उत्तराखंड का इततहास
सहजपाि(1547-75ई०)
 यह पंिार िंश का 42िां शासक था
 सहजपाि के शासन काि के पांच अभभिेख दे िप्रयाग के रघुनाथ मंददर से प्राप्त हुए हैं
प्रथम अभभिेख-1548ई० का है जबतक अंततम अभभिेख 1573ई० का है।
 सहजपाि कुमाँऊ के राजा कल्यानचन्त्द ि रुद्रचंद का समका िीन था।।
 सहजपाि के शासनकाि में सम्राि अकबर के मनसबदार हुसैन खान ने लशिालिक ि
पहाड़ी क्षेत्रों में छापामार युद्ध शैिी से िूिपाि की थी।
 गढ़िाि राजा िंशाििी में इसे िीर गुणज सुखद प्रज्या कहा गया जजसका अथण है िीर
गुणिान ि प्रजा को सुख दे ने िािा।
 मानोदया काव्य में इसे राजनीतत चतुर तथा संग्राम में शत्रु को संताप दे ने िािा कहा गया

बिभद्र शाह(1575-1591ई०)
 बिभद्र शाह पंिार िंश का 43िां शासक था।
 बिभद्र शाह को रामशाह, बिराम शाह ि बहारृर शाह भी
कहा गया है
 यह अकबर का समकािीन था
 शाह की उपाचध धारण करने िािा पहिा शासक था
 कति दे िराज ने बिभद्र शाह की बहारृरता ि युद्ध शैिी के
कारण इसे"भीमसेन समोबिी(भीमसेन के समान बिी)
कहा।
बिभद्र शाह

बिभद्र शाह द्वारा िड़ा गये युद्ध:-


बघाण गढ़ युद्ध- यह युद्ध बिभद्र शाह ि इसके समकािीन चंद शासक रुद्र चंद के बीच हुआ।
इस युद्ध मे बिभद्र शाह ने सुखि दे ि(कत्युरी शासक) की सहायता िेकर रुद्र चंद को पराजजत
तकया।
इस युद्ध मे चंद सेनापतत पुरुर्ष पंत मारा गया।
यह युद्ध ग्िािदम(चमोिी) के समीप हुआ इसलिये इस युद्ध को ग्िािदम युद्ध के नाम से जाना
जाता है

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उत्तराखंड का इततहास
मानशाह(1591-1611ई०)
 मानशाह पंिार िंश का 44िां शासक था इसने महाराजचधराज की उपाचध प्राप्त की थी।
 मानशाह के समकािीन चंद िंशीय शासक रुद्रचंद ि िक्ष्मीचंद ि मुगि बादशाह
अकबर ि जहांगीर थे।
 बहुगुणा िंशाििी में मानशाह को बद्रीशाितारेण की उपाचध
दी गयी है
 मानशाह के राजकति भरत कति थे जजन्त्होंने मानोदया काव्य
की रचना(संस्कृत में) की मानोदय काब्य में मानशाह की
शासन व्यिस्था ि युद्धों का िणणन चमिता है।
 अकबरनामा में ज्योततकराय का िणणन तीन बार आया हुआ
है जजसे िोडरमि का चमत्र बताया गया है जबतक जहांगीर
नामा में भी ज्योततकराय कति का उल्िेख चमिता है बहुगुणा
िंशाििी के अनुसार ज्योततकराय ही भरत कति थे।
 तिदिश िेखक तिलियम कििंच ने अपनी पुस्तक "the early travel in india" में
मानशाह का तििरण तकया है।
 मानशाह ने जीतू बगड़िाि को भौि का थोकदार तनयुि तकया था
 मानशाह ने श्रीनगर में मानपुर नगर बसाया

मानशाह ि कुमाऊँ नरेश के बीच संघर्षण


 मानशाह के शासन काि मे चंद नरेश िक्ष्मीचंद ने गढ़िाि पर 8 बार आिमण
तकया जजनमे 7 बार िह पराजजत हुआ जबतक अंततम युद्ध में उसे तिजय हालसि
हुई
 अंततम युद्ध मे गढ़िाि सेना का नेतृत्ि खतड़ ससिंह ने तकया ि युद्घ में मारा गया
माना जाता है तक इस तिजय के उत्सि पर ही कुमाँऊ में खतड़िा त्योहार मनाया
जाता है

श्यामशाह(सामशाह)(1611-1631ई०)
 श्यामशाह पंिार िंश का 45िां शासक ि मानशाह का पुत्र था।
 श्यामशाह मुगि बादशाह जहांगीर का समकािीन था
 जहांगीर नामा में श्यामशाह का तििरण चमिता है जहांगीर नामा के अनुसार जहांगीर ने
श्यामशाह को अप्रैि 1621 को एक घोड़ा ि एक हाथी उपहार स्िरूप भेंि ददया गया
 श्यामशाह ने राजधानी श्रीनगर में सामसाही बागानी का तनमाणण कराया।
 1625ई० में श्यामशाह के शासन काि मे उसके चाचा मतहपत शाह ने श्रीनगर में
केशोरायमठ का तनमाणण कराया।

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उत्तराखंड का इततहास
मतहपत शाह(1631-1635)
 मतहपत शाह पंिार िंश का 46िां शासक था।
 मतहपत शाह श्यामशाह का चाचा था जो श्यामशाह की मृत्यु के पिात शासक बना।
 मतहपत शाह को गभणभंजन की उपाचध दी गयी है
 मतहपत शाह मुगि बादशाह शाहजहां के समकािीन थे
 1625ई० में मतहपत शाह ने श्यामशाह के शासन काि में श्रीनगर गढ़िाि में
केशोरायमठ मंददर का तनमाणण करिाया
 मतहपतशाह के समय तीन ततब्बती हमिे हुए जजनका उन्त्होंने सिितापूिणक सामना
तकया।
 महीपत शाह के ―दापा‖ या ―दाबा‖ आिमण का उल्िेख चमिता है, जजनमें उन्त्हें
अतद्वतीय सििता प्राप्त हुई
 मतहपतशाह ने लसरमौर(तहमाचि प्रदे श) को भी जीता था

मतहपतशाह के तीन प्रमुख सेनापतत थे-


1.माधो ससिंह भंडारी
2.िोदी रीखोिा
3.िनिाड़ी दास

1.माधो ससिंह भंडारी-


 माधो ससिंह भंडारी को गिणभंजक कहा जाता है
 मिेथा की कूि का तनमाणण माधो ससिंह भंडारी ने
ही तकया
 माधो ससिंह भंडारी का रजत अभभिेख रघुनाथ
मंददर दे िप्रयाग से प्राप्त होता है ।
 सन 1640 में प्राप्त ताम्रपत्र में उल्िेख है तक
माधो ससिंह भंडारी
रानी कणाणिती ने चमोिी जजिे के हाि ग्राम में
माधो ससिंह भंडारी को साक्षी बनाकर हििाि नामक िाह्मण को भूचम दान की थी
 माधो ससिंह भंडारी की िीरता के सम्बंध में यह छं द प्रलसद्ध है जजससे उनकी िीरता पता
चिता है-

एक नसह रैन्द बण, एक नसह गाड का


एक नसह माधोनसह और नसह काहे का।

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उत्तराखंड का इततहास
2 िोदी ररखोिा- मतहपत शाह के शासन काि मे नीतत घािी के उत्तरी भाग में स्स्थत दापा के
गढ़पततयों ने आिमण तकया मतहपत शाह ने अपने सेनापतत िोदी ररखोिा के साथ दापा पर
आिमण कर दापा पर अचधकार तकया।

3.बनिाड़ी दास-
मतहपत शाह के कुमाँऊ अभभयान में सेनापतत बनिाड़ी दास की महत्िपूणण भूचमका रही।
मतहपत शाह ि तत्रमिचंद के बीच"काकूिमोर युद्ध" का िणणन गढ़िाि के ऐततहालसक में
चमिता है।
मोिाराम के अनुसार इस युद्ध मे मतहपत शाह की ि सेनापतत बनिाड़ी दास की मृत्यु हो जाती
है।

रानी कणाणिती
 रानी कणाणिती पंिार शासक मतहपत शाह की पत्नी थी
 इन्त्हे गढ़िाि की रृगाणिती ि तारबाई भी कहा जाता है
 कणाणिती को" नाककािी रानी" के नाम से जाना जाता है
 1635 में मुगि बादशाह(शाहजहां) के सेनापतत निजातखां ने रॄन घािी पर हमिा
तकया। गढ़िाि की सरंभक्षका महारानी कणाणिती ने अपनी सूझबूझ ि शाहस से
मुगि सैतनको को पकड़कर उनके नाक काि ददये इस घिना के बाद उनका नाम
नाककिी रानी प्रलसद्ध हो गया
 रानी कणाणिती ने दे हारारॄन में करणपुर शहर बसाया

पृथ्िीपततशाह(1635-1664)
 पृथ्िीपतत शाह मात्र 7 िर्षण की उम्र में राजगद्दी पृथ्िीपतत शाह ि ओरंगजेब के संबध ं
पर बैठा 1658ई० में शाहजहां के पुत्र औरगंजेब
 पृथ्िी पतत शाह के तपता मतहपत शाह ि माता ि दारा लशकोह के बीच सत्ता के लिये
संघर्षण होने िगा औरगंजेब ने दारा
रानी कणाणिती थी
लशकोह को मारकर शाहजहां को बंदी
 पृथ्िीपतत शाह को रानी कणाणिती का सरक्षण बनाया ि सत्ता हालसि कर िी ।
प्राप्त था औरंगजेब ने दारा लशकोह के पुत्र
 1640 ई० में पृथ्िीपतत शाह ने राजभर शहजादा सुिेमान लशकोह को मारना
संभािा। चाहा िेतकन सुिेमान लशकोह श्रीनगर
 पृथ्िीपतत शाह ने मुगि शहजादा दारा लशकोह भाग गया ि श्रीनगर में पृथ्िीपतत शाह ने
1658 मे सुिेमान लशकोह को शरण दी
के पुत्र सुिेमान लशकोह के पुत्र को श्रीनगर में
पृथ्िीपतत शाह ि औरंजेब के बीच
सरक्षण ददया
दुश्मनी बढ़ गयी थी।
 पृथ्िीपतत शाह का पुत्र मेदनी शाह था। इसने
औरंगजेब के कोप से बचने के लिये अपने तपता

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पृथ्िी पतत शाह के तिरुद्ध र्षडयंत्र रचा ि राजसत्ता हालसि कर िी ि सुिेमान लशकोह
को औरंगजेब को सौंप ददया।
 पृथ्िीपतत शाह अपने पुत्र मेदनीशाह के इस कृत्य से बहुत रृःखी हुआ ि उसने अपने पुत्र
को राज्य से बेदखि कर ददया ि उत्तरचधकारी पद से भी िंचचत कर ददया जजसके कारण
मेदनी शाह को अपना शेर्ष जीिन मुगि दरबार मे तबताना पड़ा। 1669ई० में मेदनी
शाह की मृत्यु हो गयी।
 पृथ्िीपतत शाह ने ददल्िी से आये चचत्रकार श्यामदास ि हररदास को आश्रय ददया।
 पृथ्िीपतत शाह ने रृन घािी में"पृथ्िीपुर नगर" बसाया।
 ितेहपतत शाह ने अपने पौत्र ितेहपतत शाह को गढ़िाि का राजा बनाया
 ितेहपतत शाह की बाल्यिस्था के कारण पृथ्िीपतत शाह ने 1664-68 तक उसके
संरक्षक के रूप में शासन तकया
 1668ई० में पृथ्िी पतत शाह की मृत्यु हो गयी।

ितेहपतत शाह(1664-1710)
 ितेहपतत शाह पंिार िंश का 49िां राजा था।
 यह 12 िर्षण की उम्र में 1664ई० में राजगद्दी पर बैठा
 1664-68 तक ितेहपतत शाह के दादा(तपताहमाह) पृथ्िीपततशाह ने इसके सरंक्षक के
रूप में शासन तकया ि उसके बाद इसकी सरंभक्षका राजमाता किोची दे िी रही।
 ितेहपतत शाह मुगि बादशाह औरंगजेब के समकािीन था
 ितेहपतत शाह को गढ़िाि का लशिाजी भी कहा जाता है।
 इसके शासन काि को गढ़िाि का स्िणण युग कहा जाता है।
 इसके शासन काि मे राज्य की सीमाओं का अचधक तिस्तार हुआ

ितेहपतत शाह के शासन काि में अनेक ग्रन्त्थों की रचना ितेहपतत शाह के दरबार के नो
हुई रत्न
कति रचना अकबर की भांतत ितेहपतत शाह
1. रतन कति - ितेह प्रकाश/ितेह शाह के दरबार मे नो रत्न थे
सुरेशानन्त्द बड़थ्िाि , खेतराम
2.माततराम - िृन्त्त कौमुदी/छं दसार कपिंगि
धस्माणा , रुद्रीदत्त तकमोठी , हरर
3.रामचंद्र - ितेशाह यशोिमणन दत्त नौदियाि , िासिानन्त्द
4.जिाशंकर - ितेशाह कणण ग्रंथ बहुगुणा , शलशधर डंगिाि ,
सहदे ि चंदोिा , कीर्तिंराम
कैंथोिा और हररदत्त थपलियाि
कठे तगदी – राजमाता किोची के सरक्षण काि में हरक
ससिंह किोच के पाँच पुत्रों ने जनता पर अनेक अत्याचार
तकए। जनता के इस शोर्षण को कठे तगदी कहा जाता है
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उत्तराखंड का इततहास
ितेहपतत शाह द्वारा िड़े गये युद्ध
लसरमौर का युद्ध(1685ई०)- यह युद्ध लसरमौर शासक मेदनी प्रकाश ि ितेहपुर शाह के बीच
हुआ जजसमें मेदनी प्रकाश की पराजय हुई

भंगाडी का युद्ध(1689ई०)-
 ितेहपतत शाह ि लसर्कख गुरु गुरु गोकििंद के बीच
 1685 ई० में लसरमौर शासक मेदनी प्रकाश ने गुरु गोकििंद ससिंह को यमुना तकनारे पांििा
में रृगण तनमाणण हेतु भूचम दान की थी यह भूचम गढ़िाि राज्य की सीमा के अंदर आती थी
जजसके ििस्िरूप गढ़िाि नरेश ि गुरु गोकििंद ससिंह के बीच 1689ई० में युद्ध हुआ।

उपेंद्र शाह(1716)
 उपेंद्र शाह ितेहपतत शाह का ज्येष्ठ पुत्र ि पंिार िंश का 50िां राजा था।
 यह अल्पकाि के लिये राजा रहा ि 22 िर्षण की उम्र में बग्िाि के ददन इसकी मृत्यु हो
गयी ।

ददिीप शाह
 उपेंद्र शाह के बाद उसका अनुज ददिीप शाह राजससिंहासन पर बैठा िेतकन इसने केिि
1-2 मास तक शासन तकया ि उसके बाद इसकी मृत्यु हो गयी
 ददिीप शाह पंिार िंशीय राजाओं में सबसे कम समय तक शासन करने िािा राजा था।

प्रदीप शाह(1717-1773)
 प्रदीप शाह ददिीप शाह का पुत्र था जो 5 िर्षण की उम्र में पंिार िंश के 52िें राजा के
रूप में लसहांसन पर बैठा
 प्रदीप शाह की सरंभक्षका राजमाता जजया कनकदे ई थी
 प्रदीप शाह को महाराजचधराज की उपाचध चमिी
 इन्त्होंने लसख गुरुद्वारा तनमाणण के लिये 4 गांि दान में ददये धमुिािा, पंचडत िाड़ी,चमयां
िािा, भूपतिािा
 प्रदीप शाह का सभाकति -मेघाकर शमाण(रामायण प्रदीप काव्य के रचतयता)
 प्रदीप शाह के समकािीन चन्त्द शासक कल्याण चंद चतुथण था ि इन दोनों के आपस मे
अच्छे संबंध थे

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गढ़ कुमाँऊ में रोतहिों का आिमण-
 1743 में रोतहिों ने कल्याण चंद चतुथण के शासन काि मे कुमाऊँ पर आिमण तकया ि
अल्मोड़ा तक पहुंच गये थे कुमाँऊ का शासक कल्याण चंद चतुथण िहां आए भाग गया
ि गढ़िाि शासक प्रदीप शाह से सहायता मांगी
 रृनातगरी का युद्ध(1773)- रृनातगरी युद्ध गढ़िाि कुमाँऊ की सचमलित सेना ि रुहेिों
के मध्य िड़ा गया जजसमें गढ़-कुमाँऊ की सेना हार गयी
 सस्न्त्ध में रुहेिों ने कुमाँऊ नरेश से तीन िाख रुपये मांगे जजसमें प्रदीप शाह ने कल्याण
चंद को यह रालश उधार दे कर उसकी सहायता की।
 1773ई० में प्रदीप शाह की मृत्यु हो गयी।

िलितशाह(1772-1780)
 िलितशाह प्रदीप शाह का पुत्र था जो पंिार िंश के 53िें राजा के रूप में ससिंहासन पर
बैठा
 1778-79ई० में िलितशाह ने लसरमौर पर आिमण तकया ि पराजजत हो गया।

िलितकुमार शाह की कुमाँऊ तिजय-


 यह कुमाँऊ के चंद राजा दीप चंद का समकािीन था
 दीप चंद के शासन काि मे कुमाँऊ में गृह किेश बढ़ गया
था। मोहन ससिंह रौतेिा नामक व्यलि ने कुमाँऊ राजा दीप
चंद ि उसके दीिान हर्षणदेि जोशी को बंदी बनाकर स्ियं
को मोहन चंद के नाम से कुमाँऊ का राजा घोतर्षत तकया
 िलितशाह को हर्षणदेि जोशी ने कुमाऊँ पर आिमण
करने के लिये आमंतत्रत तकया

बग्िािी पोखर युद्ध(1777)-


 बग्िािी पोखर युद्ध कुमाऊँ ि गढ़िाि सेनाओं के बीच हुआ।
 कुमाऊँ सेना का नेतृत्ि(मोहन ससिंह रौतेिा(मोहन चंद) कर रहा था ि गढ़िाि सेना का
नेतृत्ि िलितशाह ने तकया
 इस युद्ध मे िलित शाह तिजयी रहे
 िलित शाह ने अपने पुत्र प्रद्युम्न शाह को कुमाँऊ का राजा बनाया

िलितशाह की म्रत्यु
िलितशाह जब कुमाँऊ अभभयान से िौि रहे थे तो गनाई तगिाड़ रृिड़ी नामक स्थान पर
मिेररया के कारण इनकी म्रत्यु हो गयी
िलितशाह के चार पुत्र थे-1.जयकृत शाह, 2.प्रद्युम्न शाह, 3.परािम शाह, 4.प्रीतम शाह

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जयकीर्तिं शाह(1780-1786
 जयकृत शाह िलितशाह का पुत्र ि प्रद्युम्न शाह का सौतेिे भाई था जो पंिार िंश के
54िें राजा के रूप में गद्दी पर बैठा।
 जयकीर्तिं शाह के शासन काि मे उसके तिरुद्ध कई र्षडयंत्र रचे गए थे ि उसके दरबार
के कई मंत्री उसके तिरुद्ध थे जबतक उसका सौतेिा भाई प्रद्युम्न शाह(तब कुमाँऊ का
राजा) से भी उसके अच्छे सम्बंध नहीं थे।
 1780 में प्रद्युम्न शाह ि जयकृत शाह के बीच पहिा आिमण हुआ।

कपरोिी का युद्ध(1785)-
 इस युद्ध मे गढ़िाि सेना ि लसरमौर शासक(जगत प्रकाश) एक तरि जबतक रॄसरी
तरि प्रधुम्न शाह ि उसका भाई परािम शाह था। यह युद्ध श्रीनगर के समीप िड़ा गया
था।इस युद्ध मे गढ़िाि सेना तिजयी रही।

जोश्याणी कांड(1785)-
 हर्षणदेि जोशी ने गढ़िाि पर आिमण तकया ि गढ़िाि के कई तहस्सों में िूि पाि ि
अत्याचार तकये जजसे जोश्याणी कांड कहा जाता है।

रॄन पर रोतहिों का तद्वतीय आिमण(1786ई०)


रॄन पर रोतहिों का तद्वतीय आिमण जयकीर्तिं शाह के शासन काि मे हुआ।
1786ई० में रोतहिों ने रॄन पर रॄसरा रोतहिा आिमण तकया।
रोतहिा सरदार गुिाम काददर ने हररद्वार घािी में प्रिेश कर िूिपाि की ि उसके बाद रॄन घािी में प्रिेश कर
िूिपाि की। 1786ई० में जयकीर्तिं शाह की मृत्यु हो गयी।

प्रद्युम्न शाह(1786-1804)
 जयकृत शाह की मृत्यु के बाद प्रद्युम्न शाह कुमाँऊ का राज छोड़कर 1786 में गढ़िाि
का शासक बना
 प्रद्युम्न शाह गढ़िाि ि कुमाँऊ में शासन करने िािा पहिा
शासक था।
 गढ़िाि का शासक बनने पर प्रद्युम्न शाह के भाई परािम शाह
ने प्रद्युम्न शाह के तिरुद्ध तिद्रोह तकया र्कयोंतक ि स्ियं गढ़िाि
नरेश बनना चाहता था।
 मोिाराम ने अपनी पुस्तक गढ़ जीता संग्राम/गभणका नािक में Figure 3
परािम शाह के तिद्रोह का तििरण तकया है ि परािम शाह को तििासी,रृराचारी एिं
चररत्रहीन राजकुमार बताया है
 प्रद्युम्न शाह के गढ़िाि आने पर कुमाँऊ की राजगद्दी हर्षणदेि जोशी ने संभािी

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गढ़िाि पर प्रथम गोरखा आिमण(1791ई०)-
 गोरखाओं ने गढ़िाि पर 1791ई० में प्रथम आिमण तकया। यह युद्ध िंगुरगढ़ मे गए
इसलिए इस युद्ध को िंगरू गढ़ युद्ध के नाम से जाना जाता है। एक िर्षण तक िंगूरगढ़
तकिे पर गोरखाओं का घेरा रहा। महाराज प्रद्युम्न शाह ने गोरखाओं को 3000 रुपये
िार्र्षिंक कर दे कर सस्न्त्ध की।
 इस संचध की पुति नेपाि सरकार ने अगस्त 1992ई० में की।

गढ़िाि में प्राकृततक त्रासदी-


 1795ई० में(संित 1851-52 में) गढ़िाि में भयंकर
अकाि पड़ा जजसे"इकािनी बािनी" के नाम से जाना जाता
है।
 1 लसतम्बर 1803 में गढ़िाि का सबसे तिनाशकारी
भूकंप(9.0 तीव्रता) आया। इस भूकंप से गढ़िाि बम अपार
छतत हुई।

गढ़िाि पर गोरखाओं का अंततम युद्ध ि गढ़िाि पर गोरखाओं का


अचधपत्य:-
 14 मई 1804ई० को खुड़बुड़ा नामक मैदान(दे हरारॄन) में
गोरखा सेना ि गढ़िाि सेना तिर एक बार आमने सामने थी
इस युद्ध मे गढ़िाि शासक प्रद्युम्न शाह िीरगतत को प्राप्त हो
गये और इस युद्ध के पिात सम्पूणण गढ़िाि ि कुमाँऊ पर
गोरखा शासन स्थातपत हो गया
 गोरखाओं से िड़ाई िड़ने के लिये प्रद्युम्न शाह ने अपना राज लसहांसन सारनपुर में
बेचा।

प्रद्युम्न शाह की पराजय के कारण


1.प्रद्युम्न शाह का राज्य भूकंप व अकाल के कारण दररद्र व कमजोर हो गया था।
2.गढ़ मंनत्रयों में व राज्य के उच्च पदानधकाररयों में आपसी फूट
3.प्रधुम्न शाह का राजकोष शून्य था क्योंनक जयकीर्तत शाह के दे हांत के पश्चात
राजकोष की लूट हो चुकी थी।
4.गढ़ सैन्य बल ननबसल हो गया था।

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उत्तराखंड का इततहास
सुदशणन शाह(1815-1859)
 सुदशणन शाह गढ़िाि में पंिार िंश का 55 िां राजा था
 सुदशणन शाह दिहरी ररयासत के प्रथम शासक था
 सुदशणन शाह के शासनकाि में गढ़िाि का
तिभाजन(1815) हुआ ि इसने राजधानी श्रीनगर से
दिहरी स्थानान्त्तररत की।
सुदर्शन र्ाह
अंग्रजों का गोरखाओं पर आिमण ि गढ़िाि का तिभाजन-
 सुदशणनशाह ने गोरखाओं को गढ़िाि से हिाने हेतु तिदिश सरकार से सहायता मांगी।
 1815ई० में अंग्रेजों ने गोरखाओं को पराजजत कर कुमाँऊ ि
गढ़िाि पर अचधकार कर लिया िेतकन तिदिश सरकार ने
युिराज सुदशणनशाह से युद्ध के व्यय के रूप में 5 िाख रुपये
मांगे
 सुदशणनशाह 5 िाख रुपये दे ने में असमथण था ििस्िरूप
1815ई० गढ़िाि का तिभाजन हुआ।
एंग्लो-गोरखा युद्ध
 सुदशणनशाह को गढ़िाि का पभिम भाग(दे हरारॄन ि रिांई को
छोड़कर) ददया गया ि अन्त्य भाग तिदिशों ने अपने अचधकार में कर लिया।

राजधानी दिहरी स्थानांतररत


 सुदशणनशाह तिदिशों से श्रीनगर गढ़िाि को भी मांगना चाह रहे थे िेतकन कम्पनी
सरकार ने श्रीनगर नहीं ददया जबतक पंिार िंश की राजधानी
श्रीनगर को तिदिश मुख्यािय बनाया।
 सुदशणनशाह ने अपनी राजधानी भागीरथी-भभिंगना के संगम
पर दिहरी नामक स्थान पर बसायी।
 दिहरी राजधानी की स्थापना 30 Dec 1815ई० में हुई।
 6 िरिरी 1820ई० को तिदिश पयणिक मूरिाफ्ि दिहरी
पहुंचा उसने तििरण तकया तक इस समय राज्य में छोिे -छोिे
भिन थे। मूरिाफ्ि ने सुदशणनशाह को किातिदों का
लशरोमभण कहा
 4 माचण 1820 को सुदशणनशाह ि तिदिश सरकार के बीच संचध हुई जजसमे दिहरी
गढ़िाि पर राजा ि उसके िंशजों का अचधकार स्िीकारा ि बदिे में राजा तकसी भी
तिपलत्त में अंग्रेजों की सहायता करेगा
 1824 में रंिाई को दिहरी में शाचमि तकया गया
 26 ददसंबर 1842 को दिहरी राज्य में तिदिश सरकार का राजनैततक प्रतततनचधत्ि
कुमाऊँ कचमश्नर को सोंपा गया
 सुदशणनशाह ने तत्रखंडीय भिन(पुराणा दरबार) का तनमाणण शुरू कराया
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उत्तराखंड का इततहास
 सुदशणन शाह ने 1857 के स्िन्त्नन्त्ता संग्राम में तििीशों का भरपूर साथ ददया

सुदशणनशाह का सातहत्य प्रेम-


सुदशणनशाह सातहत्य प्रेमी ि स्िंय एक कति था।
सुदशणनशाह ने सभासार ग्रन्त्थ की रचना की जजसमें
अठू र तिद्रोह(1851) 7 खंड हैं। गोरखिाणी की रचना भी सुदशणनशाह ने
सकिाना ि रिांई के मुआिीदार ने सकिाना की । सुदशणनशाह को सूरत कति कहा जाता है।
ि रिांई की जनता को प्रताचड़त करना शुरू
सुदशणनशाह का राजकति हररदत्त शमाण था। हररदत्त
तकया ि िूरता से आगे बढ़ने िगे ये
मुआिीदार दिहरी नरेश की अिज्ञा भी करने शमाण ने सभा भूर्षण, रामायणदीतपका,
िगे जजस कारण सकिाना ि रिांई की जनता कामरॄतकाव्य आदद ग्रंथो की रचना की
ने तिद्रोह करना शुरू कर ददया। दिहरी में यह कुमुचानंद को सुदशणनशाह का आश्रय प्राप्त था
प्रथम जन आंदोिन था। 1851ई० में जनता ने इसने सुदशणनोदया काव्य की रचना की।
बद्री ससिंह असिाि के नेतृत्ि में ततहाड़ कर के कति मोिाराम ने सुदशणनशाह से उचचत सम्मान न
तिरोध में तिद्रोह तकया जजसे अठू र तिद्रोह के
चमिने पर सुदशणनशाह की कनिंदा की ि "सुदशणन
नाम से जाना जाता है।
दशणन" कतिता लिखी। इसमें राजा को सूम, कृपण,
खलसया, नृप आदद कहा गया।

सुदशणनशाह का व्यलित्ि
भिदशणन ने सुदशणनशाह को एक योग्य ि प्रजाित्सि शासक कहा।
1826ई० में सुदशणनशाह का तििाह कांगड़ा के किोचिंशीय महाराज संसारचंद की दो
राजकुमाररयों से एक साथ हररद्वार में हुआ।
6 जनिरी 1859ई० को सुदशणनशाह का दे हांत हो गया।

भिानीशाह(1859-1871)
 भिानीशाह पंिार िंश का 56 िां राजा था ि सुदशणन शाह का ज्येि पुत्र था
 भािनीशाह की माता का नाम गुणदे िी था।
 सुदशणनशाह ने भिानीशाह को अपना उत्तरचधकारी घोतर्षत
तकया परन्त्तु सुदशणनशाह की छोिी राणी खनेिी ने अपने पुत्र
शेरशाह को भिानीशाह के तिरुद्ध भड़का ददया
 सुदशणनशाह का स्िगणिास(1859) होने पर मृतक संस्कार पूणण
होने से ही पूिण शेरशाह राजससिंहासन पर आसीन हो गया।
 दिहरी ररयासत के राज्य पदाचधकारी ि दरबारी भी दो गुिों में
बंि गये थे। भिानीशाह

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उत्तराखंड का इततहास
 शेरशाह लसहांसन पर 9 महीने तक बैठा रहा ।
 राजससिंहासन के इस तििाद का तनपिारा करने के लिये तिदिश सरकार को हस्तक्षेप
करना पड़ा। तत्कािीन कुमाँऊ कचमश्नर हेनरी रैमजे ने दिहरी आकर मामिे को
सुिझाया ि 24 अर्किू बर 1859 ई० को भिानीशाह का राज्याभभर्षेक हो गया।
 शेरशाह तिद्रोह ना करे इसलिए उसे दे हरारॄन में नजरबंद कर लिया गया।

भिानीशाह की शासन ब्यिस्था-


भिानीशाह के पास न तो राजनीततक कुशिता थी न ही उसे राजकाज में रुचच थी इसलिये
उसने राजकाज राज्य के पदाचधकाररयों के हाथों छोड़ ददया। राज्य के पदाचधकारी जनता का
शोर्षण करने िगे जजससे तिद्रोह िुि पड़ा।
जौनपुर-परगना तिद्रोह-
 भिानीशाह के शासन काि मे पहिा तिद्रोह जौनपुर परगना में शुरू हुआ।
 जौनपुर परगना के िालसयों को शेरशाह ि उसके पक्षधरों ने भिानीशाह के तिरुद्ध
भड़का ददया िेतकन यह तिद्रोह तिदिश सरकार की सहायता से शांत हो गया।
अठू र तिद्रोह-
 अठू र तिद्रोह एक बार तिर से भिानीशाह के शासन काि मे पनपने िगा था िेतकन
तत्कािीन तिदिश कचमश्नर हेनरी रैमजे ने 1861ई० में बारह आना बीसी भूचम ब्यिस्था
िागू की जजससे अठू र कृर्षक शांत हो गये।

िनों की अंधाधुधं किाई –


भिानीशाह ने 1860 में तिल्सन को िनों का ठे का ददया। तिल्सन ने इसका िायदा उठाया ि
िनों की अंधाधुंध किाई की जजसके ििस्िरूप भिानीशाह के शासन काि में अचधकांश िन
समाप्त हो गया

भिानीशाह द्वारा तकये गए कायण


 भिानीशाह को राजकाज में रुचच न थी िेतकन िह एक धार्मिंक ब्यलि था ि दान के
लिये प्रलसद्ध था।
 भिानीशाह ने 1862ई० में एक संस्कृत कहिंदी प्रारस्म्भक पाठशािा दे िप्रयाग में खोिी।

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उत्तराखंड का इततहास
प्रताप शाह(1871-1886)
 प्रताप शाह पंिार िंश का 57 िां राजा था
 प्रताप शाह एक कुशि शासक था जो 20 िर्षण की उम्र में राजगद्दी पर बैठा।
 प्रताप शाह ने राज्य में अनेक नितनमाणण ि प्रजा तहत में अनेक कायण तकये।
 प्रताप शाह ने 1873ई० में "भू-ब्यिस्था" करिाई जजसे ज्युिी पैमाइस के नाम से
जाना जाता है साथ ही राज्य को 22 पदट्टयों में तिभि तकया और उसमें एक-एक
कारदार(कर िेने िािा) की तनयुलि की जजससे राजस्ि कर िेने में कदठनाई ना हो।

प्रताप शाह के महत्िपूणण कायण-


 1877ई० में प्रताप शाह ने एक नया नगर प्रतापनगर के नाम से बसाया
 1884ई० में प्रताप शाह ने अंग्रेजी स्कूि की स्थापना की यह स्कूि 8th र्किास तक
था।
 प्रताप शाह ऐसा प्रथम शासक था जजसने दिहरी में अंग्रेजी लशक्षा की शुरूआत की
 दिहरी में सिणप्रथम पुलिस तिभाग की स्थापना की
 प्रताप शाह प्रथम राजा था जजसने दिहरी में कप्रिंटििंग प्रेस खोिा ि इसका नाम प्रताप
कप्रिंदिग प्रेस रखा
 दिहरी में प्रथम अस्पताि(1883) की स्थापना प्रताप शाह के शासन काि में हुई।
 प्रताप शाह ने दिहरी-मसूरी तथा दिहरी-श्रीनगर तक दो राजमागों का तनमाणण
करिाया जबतक मसूरी श्रीनगर मागण में चार तिश्रामगृह बनिाये।
 1885ई० में महारानी गुिेररया की सिाह से प्रताप शाह ने राज्य में प्रचलित तीन
कुप्रथाओं (पािा- दरबार मे रॄध घी पहुंचाना, खण- बेगार तथा तिशाह- अन्त्न रूप में
कर पहुँचाना) को समाप्त तकया।
 प्रताप शाह ने दिहरी में एक न्त्यायािय का तनमाणण कराया जजसे चीि कोिण कहा
गया।

प्रताप शाह का ब्यलित्ि-


 प्रताप शाह एक कुशि ि प्रजाित्सि राजा था यह प्रजा के सुख-रृःख के तनरीक्षण हेतु
िर्षण में 2-3 माह राज्य भ्रमण पर रहता था।
 प्रताप शाह की दो रातनयां थी रानी किोची ि रानी गुिेररया कुंदनदे ई रानी किोची का
दे हांत तििाह के दो िर्षण पिात ही हो गया था जबतक रानी गुिेररया से प्रताप शाह के
तीन पुत्र हुए युिराज कीर्तिंशाह, कुंिर तिचचत्र शाह, कुिँर सुरेंद्र शाह,
 प्रताप शाह के शासन काि मे कति दे िराज ने गढ़िाि राज्य िंशाििी की रचना की
 कति दे िराज ने प्रताप शाह की प्रशंसा में लिखा"दाता तद्वजाना च सुमागणगामी भताण
प्रजाया सुतिचायणकताण"
 िरिरी 1887ई० को राजा प्रताप शाह की मृत्यु हो जाती है।

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उत्तराखंड का इततहास
कीर्तिं शाह(1886-1913)
 कीर्तिं शाह पंिार िंश का 58 िां राजा था
 कीर्तिं शाह मात्र 13 िर्षण की उम्र में राजगद्दी पर बैठा
 कीर्तिं शाह की माता गुिेररया रानी दे िी ने कीर्तिं शाह के
चाचा कुंिर तििम शाह को कीर्तिंशाह का संरक्षक तनयुि
तकया िेतकन इसकी अकुशिता दे खकर 1 िर्षण पिात स्ियं
राणी गुिेररया ने सरंभक्षका का कायणभार संभािा ि 1892
तक कीर्तिं शाह की सरंभक्षका बनी रही।
 गुिेररया रानी ने बड़ी कुशिता से राज काज चिाया जजसे
दे खकर सयुंि प्रान्त्त(UP) के िेस्फ्िनेंि गिनणर सर अि फ्रेड
कॉस्ल्िन ने स्िंय दिहरी पहुंचकर राजमाता गुिेररया रानी के
शासन प्रबन्त्धन की प्रशंसा की।
 दिहरी में स्स्थत बद्रीनाथ, केदारनाथ,रंगनाथ ि गंगामाता मंददरों का तनमाणण रानी
गुिेररया दे िी ने कराया
 गुिेररया रानी दे िी ने कीर्तिंशाह को 18 साि की उम्र में 16 माचण 1892ई० को
राज्यभार सौंप ददया ि स्ियं तपस्या करने िगी।

कीर्तिंशाह की शासन ब्यिस्था-


 महाराज कीर्तिंशाह ने अपने तपता महाराज प्रताप शाह की तरह सामाजजक सुधार ि
जनता के लिये अनेक कायण तकये।
 कीर्तिं शाह के काि मे दो कोिण थे-चीि कोिण (जनता की अपीि सुनता था) ि हुजूर
कोिण (यदद िैसिा चीि कोिण में नहीं हो पाता तो राजा स्ियं उस अपीि को हुजूर कोिण
में सुनता था ि न्त्याय करता था।)
 राजा कीर्तिंशाह ने िनों के ठे के तिदिश सरकार को न दे कर गढ़िािी ठे केदारों को ही
ददये ि एक गढ़िािी ठे केदार गंगाराम खंडूरी को दे िदार के 1500 पेड़ तनशुल्क ददये।

कीर्तिं शाह के प्रमुख कायण


 कीर्तिं शाह ने दिहरी में दिहरी प्रताप हाइस्कूि(1891) स्थातपत तकया,1907 में
कैम्पबेि बोडडिंग हाउस ि 1909 में तहबेि संस्कृत पाठ् शािा की स्थापना की
 कीर्तिं शाह ने श्रीनगर स्स्थत राजकीय तिद्यािय छात्रािास श्रीनगर का तनमाणण कराया ि
3000 रु दान में ददये
 दिहरी में नगरपालिका की स्थापना की
 उत्तरकाशी में कुि आश्रम स्थातपत तकया
 कीर्तिंशाह ने दिहरी में बैंक ऑि गढ़िाि की स्थापना की
 दिहरी में 1898 में महारानी तिर्किोररया के जन्त्म ददन पर घंिाघर की स्थापना की
 दिहरी में 1897 ई में नया राजभिन का तनमाणण कीर्तिंशाह ने कराया
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उत्तराखंड का इततहास
 कीर्तिंनगर शहर की स्थापना कीर्तिं शाह ने की
 कीर्तिंशाह के शासन काि मे जनता को प्रथम बार तबजिी की सुतिधा प्राप्त हुई
 कीर्तिंशाह ने एक पतत्रका ररयासत दिहरी गढ़िाि दरबार गैजेि प्रकालशत तकया

तकर्तिंशाह का धार्मिंक कायों को प्रोत्साहन


 कीर्तिं शाह ने 1902 ने दिहरी में सिणधमण सम्मेिन का आयोजन कराया
 1902 ई में स्िामी रामतीथण का दिहरी में आगमन हुआ कीर्तिं शाह ने स्िामी रामतीथण को
जापान में अंतरराष्ट्रीय धार्मिंक सम्मेिन में तहस्सा िेने के लिये भेजा।

कीर्तिं शाह का ब्यलित्ि


कीर्तिं शाह एक कुशि शासक था। उसकी दो रातनयां थी नेपोलिया रानी ि तबियाणी।
दोनों रातनयों से उसे एक-एक पुत्र प्राप्त हुए नेपोलिया रानी से नरेंद्र शाह ि तबियाणी से
कुंिर सुरेंद्र शाह।
भिदशणन ने कीर्तिं शाह को उसके उच्चतम चररत्र के कारण उसे राजश्री कहा।
39 िर्षण की आयु में 25 अप्रैि 1913 ई० में कीर्तिं शाह की मृत्यु हो गयी

नरेंद्र शाह(1913-1946)
 नरेंद्र शाह का मात्र 15 िर्षण की आयु में राज्याभभर्षेक हुआ ि राजमाता नेपोलिया राणी
ने नरेंद्र शाह की सरंभक्षका का कायणभार संभािा।
 1916ई० में नरेंद्र शाह का तििाह र्कयूंठि की राजकुमारी
कमिेंरृमती तथा इंरृमती के साथ हुआ।

नरेंद्र शाह के शासन काि के प्रमुख कायण-


 4 अर्किू बर 1919ई० को तिजदशमी के ददन 21 िर्षण की
आयु में नरेंद्र शाह लसहांसन पर बैठा।
 1919 ई० में पंचायतों की स्थापना की।
 1920 ई० कृतर्ष बैंक की स्थापना ि छात्रिृतत तनचध की स्थापना ।
 1921ई० में नरेंद्र शाह ने रातनयों के साथ दे ििगढ़ यात्रा की ि कुिदे िी राजराजेश्वरी
मजन्त्दर का जीणोधार।
 1921ई० में नरेंद्र नगर की स्थापना ि िहां एक राजभिन बनाया जो 1924ई० में
बनकर पूणण हुआ।
 1921ई० में दिहरी में प्रथम बार जनगणना की गयी।
 1923 ई० में दिहरी में आधुतनक चचतकत्सािय की स्थापना की ि राज्य प्रतततनचध सभा
की स्थापना जजसका अध्यक्ष स्ियं राजा ि उपाध्यक्ष कुंिर तिचचत्र शाह था।

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उत्तराखंड का इततहास
 1923ई० में दिहरी में सािणजतनक
पुस्तकािय की स्थापना तक गयी। नरेंद्र शाह को दी गयी प्रमुख उपाचधयां
 1925 ई० में नरेंद्रनगर को ग्रीष्मकािीन 1.अिंकारी ि िेस्फ्िनेंि की उपाचध
तिदिश सरकार द्वारा दी गयी।
राजधानी बनायी
2.L.L.D की उपाचध बनारस कहिंरॄ
 1940 ई० में प्रताप इंिर कॉिेज की तिश्वतिद्यािय द्वारा दी गयी।
स्थापना। 3.नरेंद्र शाह को परमार िंश का शेरशाह
 1942 ई० में कन्त्या पाठशािा की सूरी भी कहा जाता है र्कयोंतक इसने
स्थापना। अपने राज्य में सड़कों का प्रसार तकया।

नरेंद्र शाह के शासन काि मे घदित प्रमुख घिनाएं -


1.रंिाई काण्ड/ततिाड़ी काण्ड -
 30 मई 1930 को यमुना नदी के तकनारे कुछ आंदोिनकारी िन संबंधी आंदोिन का
तिरोध कर रहे थे इन आंदोिनकाररयों पर नरेंद्र शाह के दीिान चिधर जुयाि ने गोिी
चििाई
 इस घिना को उत्तराखंड का जलियांिािा बाग हत्याकांड भी कहा जाता है जबतक
चिधर जुयाि को उत्तराखंड का जनरि डायर कहा जाता है

2.श्री दे ि सुमन की मृत्यु -


 25 जुिाई 1944 ई० को श्री दे ि सुमन की मृत्यु नरेंद्र शाह के शासन काि मे हुई
 अर्किू बर 1946 ई० को नरेंद्र शाह ने त्यागपत्र ददया ि अपने पुत्र मानिेन्त्द्र शाह को राजा
बनाया
 22 लसतम्बर 1950 ई० को नरेंद्र शाह की मृत्यु हो गयी

अगस्त समझौता(19 अगस्त 1946ई०)


अगस्त समझौता दिहरी दरबार ि प्रजामण्डि के मध्य हुआ इसके तहत प्रजामण्डि के
बन्त्दी बनाये गये सदस्यों को मुि तकया जाएगा ि प्रजामंडि के कायो में बाधा नहीं डािी
जाये

मानिेन्त्द्र शाह(1946-1949 ई०)


 मानिेन्त्द्र शाह पंिार िंश ि दिहरी ररयासत का अंततम राजा थे
 मानिेन्त्द्र शाह के तपता का नाम नरेंद्र शाह ि माता का नाम इंरृमती शाह था

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उत्तराखंड का इततहास
प्रमुख घिनाएं -
 शांतत रक्षा अचधतनयम कानून - इसकी शुरूआत मानिेन्त्द्र शाह ने 28 अप्रैि 1947ई०
को की इसके अंतगणत जो भी ररयासत ि राजा के तिरुद्ध तिद्रोह करेगा उसका दमन
तकया जायेगा।
 मानिेन्त्द्र शाह के शासन काि मे प्रमुख जन आंदोिन सकिाना तिद्रोह(1946-47)
ि कीर्तिंनगर आन्त्दोि(1948) हुए।
 15 jan 1949 को मानिेन्त्द्र शाह ने प्रजामंडि की मांग स्िीकार की ि दिहरी ररयासत
को उत्तरनी प्रदे श में तििय होने की मांग स्िीकार की।
 1 Agu 1949 को दिहरी का तििय भारत मे उत्तर प्रदे श के 50िें जजिे के रूप में हुआ
 मानिेन्त्द्र शाह 1959 से 2004 तक दिहरी गढ़िाि से 8 बार सांसद तनिाणचचत हुए
 5 jan 2007 को मानिेन्त्द्र शाह की मृत्यु हो गयी

गढ़िाि िंश शासन प्रशासन


 राज्य का सिोच्च अचधकारी - राजा
 राज्य का सिोच्च मंत्री - मुख्तार(िजीर)
 मंतत्रमंडि - दीिान, िजीर, िौजदार, नेगी
 परगने का सैतनक शासक - िौजदार
 राजधानी का सुरक्षाचधकारी - गोिदार
 तीव्रगामी संदेशिाहक - चणु
 राजस्ि िसूिी करने िािे थोकदार - सयाणा या कमीण

भू व्यिस्था -
भूचम का स्िामी - राजा
राजा द्वारा दान दी जाने िािी भूचम -
1)तिष्णुतप्रतत - िाह्मणो या मजन्त्दरो को दी जाने िािी भूचम
2)रौत भूचम - तिलशि साहस ि िीरता प्रदर्शिंत करने िािे सैतनक को दी जाने िािी भूचम
3) जागीर भूचम - राज्य अचधकाररयों को दी जाने िािी भूचम
जजस व्यलि को भूचम दान दी जाती थी उसे थातिान कहा जाता था

दिहरी ररयासत के भू बंदोबस्त


प्रथम भू बंदोबस्त 1823- सुदशणन शाह
रॄसरा भू बंदोबस्त 1861 - भिानी शाह
तीसरा भू बंदोबस्त 1873 - प्रताप शाह
चौथा भू बंदोबस्त 1903 - कीर्तिं शाह
पांचिा भू बंदोबस्त 1924 - नरेंद्र शाह

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि में परमार िंश MCQ
Q1- गढ़िाि में परमार िंश की स्थापना तकसने की- समाज कल्याण तिभाग 2017
A.अजयपाि B.जगतपाि C.कनकपाि D अनंतपाि

Q2-गढ़िाि के पंिार िंश के 60 राजाओं की सबसे तिश्वसनीय सूची कौन सी है-


A. हार्दिंक सूचच B.बैकेि सूचच C. तिलियम सूचच D.एिककिंसन सूची

Q3- कोनपुर गढ़ कहाँ स्स्थत है-


A.चमोिी B.रुद्रप्रयाग C.उत्तरकाशी D दिहरी

Q-4 चांदपुरगढ़ के शासक भानुप्रताप ने अपनी पुत्री का तििाह तकससे करिाया-


A.अजयपाि B.जगतपाि C.कनकपाि D.तिजय पाि

Q-5 सोनपाि ने अपनी राजधानी कहाँ स्थान्त्तररत की-


A.चांदपुरगढ़ B.भभिंग घािी C.दे ििगढ़ D श्रीनगर

Q-6 अपनी ताम्र मुद्रा चिाने िािा प्रथम परमार शासक-


A.िखण दे ि B.अनंतपाि C.जगतपाि D भलि पाि

Q7-श्रीनगर में अपनी राजधानी तकसने बनाई थी - ukpsc ARO 2019


A.अजयपाि B. कनकपाि C. तिजयपाि D. नरेन्त्द्रपाि

Q-8 अजयपाि की तुिना भारत के तकस सम्राि से की जाती है-


A.अकबर B.अशोक C.राजा तििमाददत्य D इनमें से कोई नहीँ

Q9―शाह पदिी प्रयोग करने िािा गढ़िाि का प्रथम राजा कौन था ? ग्राम तिकास अचधकारी
2018
A.बिभद्र शाहB.प्रद्युम्न शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D.कोई नहीं

Q-10 मानोदया काव्य की रचना तकसने की- समीक्षा अचधकारी 2017


A.भरत कति B.रतन कति C.माततराम D.रामचंद्र

Ans:- 1.c 2.b 3.a 4.c 5.b 6.a 7.a 8.b 9.a 10.a

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उत्तराखंड का इततहास
Q-11 खतड़िा त्योहार कहाँ मनाया जाता है-
A.कुमाँऊ में B.गढ़िाि में C.जौनसार में D इनमें से कोई नहीं

Q-12 गिणभज
ं क की उपाचध तकसे दी गयी है-
A.मतहपत शाह B.मानशाह C.माधो ससिंह भंडारी D.िोदी रीखोिा

Q13- नाककिी रानी के नाम से तकसे जाना जाता है - सींचपाि 2017/ ARO Exam
2017
A.राजमाता कनकदे ई B.रानी कणाणिती C.जजया रानी D.इनमें कोई नहीं

Q-14 पृथ्िीपतत शाह ने तकसे श्रीनगर में संरक्षण ददया-


A दारा लशकोह B.सुिेमान लशकोह C.मालिक लशकोह D.इनमें कोई नहीं

Q-15 गढ़िाि का स्िणण युग परमार िंश के तकस शासक के शासनकाि को कहा गया-
A ितेहपतत शाह B.पृथ्िी पतत शाह C.प्रदीप शाह D.िलित शाह

Q-16 भंगाडी का युद्ध तकसके बीच हुआ-


A.ितेहपतत शाह ि लसरमौर शासक B.ितेह पतत शाह ि गुरु गोकििंद ससिंह
C.ितेह पतत शाह ि रोतहिों के बीच D.ितेहपतत शाह ि गोरखाओं के बीच

Q-17 सबसे कम समय तक तकस परमार िंश के शासक ने शासन तकया-


A.उपेंद्र शाह B.ददिीप शाह C.ितेहपतत शाह D.प्रदीप शाह

Q-18 रामायण प्रदीप काब्य की रचना तकसने की-


A.मेघाकर शमाण B.भरत कति C.रतन कति D.माततराम

Q-19 बग्िािी पोखर युद्ध तकनके बीच हुआ-


A.कुमाँऊ ि गढ़िाि सेना के बीच B.कुमाँऊ ि गोरखाओं
C.गढ़िाि ि गोरखा D.गढ़िाि ि रोतहिों के बीच

Q-20 िलितशाह ने तकसे कुमाँऊ का राजा बनाया-


A.जयकृत शाह B.प्रद्युम्न शाह C.परािम शाह D.प्रीतम शाह

Ans:- 11.a 12.c 13.b 14.b 15.a 16.b 17.b 18.a 19.a 20.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q21- तकस परमार िंशी राजा की तुिना सम्राि अशोक से की जाती है-
A.ितेहपतत शाह B.पृथ्िी पतत शाह C.अजयपाि D.कनकपाि

Q22-तनम्नलिखखत में से कौन-सा गढ़िाि के 52 गढ़ों में सत्म्मलित नहीं है ?


ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.बधाण गढ़ B.चांदपुर गढ़ C.दे िि गढ़ D.धूनी गढ़

Q23- मापतोि हेतु धुिी पाथा पैमाना तकस राजा ने शुरू तकया ( Forest Guard 2020)
A.जगत पाि B.अजयपाि C.िखन पाि D अनंतपाि

Q24- बिभद्रशाह को शाह की उपाचध तकसने दी-


A इिातहम िोदी B.बहिोि िोदी C.लसकंदर िोदी D.इनमें से कोई नहीं

Q25- जहांगीर नामा में ज्योततकराय कति का उल्िेख चमिता है िे हैं-


A.भरत कति B.रतन कति C.माततराम D.रामचंद्र

Q26-दिहरी ररयासत के तकस राजा को अपने नाम से शहर स्थापना की परम्परा शुरु करने का
श्रेय जाता है ? Forest guard Exam 2020
A.नरेद्रशाह कोB.प्रतापशाह को C.कीर्तिंशाह को D.प्रद्युम्नशाह को

Q27- तकस परमार िंश शासक के दरबार मे नो रत्न थे-


A ितेहपतत शाह B.पृथ्िी पतत शाह C.प्रदीप शाह D.िलित शाह

Q28- प्रदीप शाह की सरंभक्षका कौन थी-


A.रानी कणाणिती B.जजया कनकदे ई C.रानी नेपोलियन D.रानी भानुमतत

Q29- पाँििा के तनकि भगाणी नामक स्थि पर युद्ध गढ़ नरेश ितेहशाह और के मध्य हुआ-
कतनष्ठ सहायक/डािा एन्त्री ऑपरेिर 2018
A.मेदनी प्रकाश B.रुद्र प्रकाश C.गुरु गोकििंद ससिंह D.गुरु हरगोकििंद

Q30- हर्षणदेि जोशी ने तकसे कुमाँऊ पर आिमण करने के लिये आमंत्रण तकया-
A.प्रधुमनशाह B.िलितशाह C प्रदीप शाह D जयकृत शाह

Ans:- 21.c 22.d 23.b 24.b 25.a 26.b 27.a 28.b 29.c 30.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q-31 गढ़िाि में परमार(पंिार) राजिंश की स्थापना तकसने की-
A.अजयपाि B.कनकपाि C.भानुप्रताप (d)तिजयपाि

Q32--―जहाँगीरनामा‖ के अनुसार गढ़िाि के तकस शासक को जहाँगीर ने हाथी एिं घोड़े


उपहार स्िरूप प्रदान तकए ? Uksssc joniour assistant 2019
A.बिभद्र शाह को B.महीपत शाह को C.श्याम शाह को D.मान शाह को

Q33- गढ़िाि के तकस शासक ने सिणप्रथम अपने नाम के साथ ―शाह‖ की उपाचध धारण की
थी ? Uksssc joniour assistant 2019
A.मान शाह B.श्याम शाह C.महीपतत शाह D.बिभद्र शाह

Q34- तकस शासक को गिणभज ं न की उपाचध दी गयी-


A.मतहपतशाह B.पृथ्िीपततशाह C.सुदशणन शाह D.नरेंद्र शाह

Q35-मुगि शहजाद दारा लशकोह के पुत्र सुिम


े ान लशकोह को तकस पंिार शासक ने आश्रय
ददया- ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.मतहपतशाह B.पृथ्िीपतत शाह C.मानशाह D.प्रधुमनशाह

Q36 दिहरी के परमार िंश के 55िें राजा का नाम है : कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.महीपतत B.प्रद्युम्न शाह C.बिभद्र शाह D.सुदशणन शाह

Q-37 दिहरी का प्रथम राजा कौन था-


A.मानिेन्त्द्र शाह B.प्रताप शाह C.सुदशणन शाह D.भितनशाह

Q38 दिहरी में अंग्रज


े ी लशक्षा की शुरुआत तकसने की थी? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.सुदशणनशाह ने B.भिानीशाह ने C.प्रतापशाह ने D.भरेन्त्द्रशाह ने

Q39- भारत के स्ितंत्रत होते समय दिहरी का राजा कौन था-


A.नरेंद्र शाह B.कीर्तिं शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D.भितनशाह

Q-40 कीर्तिं शाह की सरंभक्षका कौन थी-


A.गुिेररया रानी B.नेपोलिया रानी C.जजया कनकदे ई D.कोई नहीं

Ans:- 31.b 32.c 33.d 34.a 35.b 36.d 37.c 38.c 39.c 40.a

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उत्तराखंड का इततहास
Q41- गढ़िाि का शासक बनने पर प्रद्युम्न शाह का तिरोध तकसने तकया-
A .जयकृत शाह B.परािम शाह C.हर्षणदेि जोशी D.सुदशणन शाह

Q-42 पालिग्राम युद्ध कब हुआ-


A.1785 B.1786 C.1787 D.1788

Q43-प्रदीप शाह के शासन काि में गढ़िाि ने कािी समृजद्ध प्राप्त की, िह ससिंहासन पर बैठे-
UKSSSC GROUP C 2018
A.1708 ई० में B.1712 ई० में C.1772 ई० में D.1717 ई० में

Q-44 तकस शासक ने गोरखाओं से िड़ाई िड़ने के लिये अपना राजससिंहासन तक बेच डािा-
A.सुदशणनशाह B.परािम शाह C.प्रद्युम्न शाहD.महेंद्र चंद

Q-45 तनम्न में तकस शासक के शासनकाि में गढ़िाि का तिभाजन हुआ-
A.प्रद्युम्न शाह B.अजयपाि C.नरेंद्र शाह D.सुदशणनशाह

Q-46 संगोिी की संचध कब हुई-


A.1814 B.1815 C.1816 D.1817

Q47 तकस परमार शासक ने सिणप्रथम अपने राज्य में अंग्रज


े ी लशक्षा प्रारम्भ की?
Uksssc joniour assistant 2019
A.प्रतापशाह B.कीर्तिंशाह C.भिानीशाह D.नरेन्त्द्रशाह

Q-48 प्रताप शाह ने प्रतापनगर की स्थापना कब की-


A.1875 B.1877 C.1878 D.1880

Q-49 -―सभा सार‖ पुस्तक के िेखक हैं : UKSSSC GROUP C 2018


A.मानिेन्त्द्र शाह B.कीर्तिं शाह C.सुदशणन शाह D.नरेन्त्द्र शाह

Q-50 कीर्तिं शाह की सरंभक्षका कौन थी-


A.गुिेररया रानी B.नेपोलिया रानी C.जजया कनकदे ई D.कोई नहीं

Ans:- 41.b 42.b 43.d 44.c 45.d 46.b 47.a 48.b 49.c 50.a

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उत्तराखंड का इततहास
Q-51 अंग्रज
े ो ने तकस शासक को CSI की उपाचध दी- समाज कल्याण तिभाग 2017
A.भिातनशाह B.सुदशणनशाह C.प्रताप शाह D.कीर्तिं शाह

Q-52 कीर्तिंनगर आंदोिन तकसके शासन काि मे हुआ-


A.कीर्तिं शाह B.मानिेन्त्द्र शाह C.नरेंद्र शाह D.सुदशणनशाह

Q-53 श्री दे ि सुमन की मृत्यु कब हुई-


A.25 जुिाई 1944 B.25 जुिाई 1945 C.20 जुिाई 1944 D 22 जुिाई 1945

Q-54 उत्तराखंड का जनरि डायर तकसे कहा जाता है-


A.हर्षणदेि जोशी B.चिधर जुयाि C.हररदत्त शमाण D.नरेंद्र शाह

Q-55 श्रीनगर स्स्थत राजकीय तिद्यािय छात्रािास का तनमाणण तकस शासक ने करिाया-
A.कीर्तिंशाह B.प्रताप शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D नरेंद्र शाह

Q56-तनम्न में से कौन सा शासक परमार िंश से सम्बंचधत है- सहायक िेखाकार 2017
A.महीपत शाह B.श्याम शाह C.पृथ्िीपत शाह D.उपयुणि में से सभी

Q57-दिहरी ररयासत के अत्न्त्तम राजा थे - समाज कल्याण तिभाग 2017


A.सुदशणन शाह B.नरेन्त्द्र शाह C.कीर्तिं शाह D.मानिेन्त्द्र शाह

Q-58 दिहरी का तििय भारत मे कब हुआ-


A.1 Agu 1947 B.5 Agu 1949 C.1 Agu 1949 D 1 Agu 1950

Q 59- पृथ्िी पतत शाह की सरंभक्षका कौन थी-


A.राजमाता कनकदे ई B.रानी कणाणिती C.जजया रानी D.इनमें कोई नहीं

Q60- तनम्नलिखखत शाह िंश के शासकों का काििम होगा :


Uksssc joniour assistant
2019
I- मतहपतत शाह II- िलित शाह
III- पृथ्िीपतत शाह IV- ितेहपतत शाह
A.II, I, III, IV B.I, IV, III, II C.III, I, IV, II D.I, III, IV, II

Ans:- 51.d 52.b 53.a 54.b 55.a 56.d 57.d 58.c 59.b 60.d
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उत्तराखंड का इततहास
Q-61 चांदपुरगढ़ के शासक तकस जातत िंश के थे-
A.नाग िंश B.सजिाण C.रमोिा D.सूयणिंशी

Q62- नरेंद्र नगर की स्थापना तकसने की-


A.कीर्तिंशाह B.मानिेन्त्द्र शाह C.प्रताप शाह D.नरेंद्र शाह

Q63.अजयपाि का समकािीन िह चंद शासक जजसने अजयपाि के राज्य पर आिमण


तकया
A.भारती चंद B.भीष्मचंद C.कीर्तिंचंद D.जगत चंद

Q64.दे ििगढ़ में राजराजेश्वरी मंददर की स्थापना तकस पंिार शासक ने की


A.कनकपाि B.अजयपाि C.सहजपाि D.मानशाह

Q65.सरोिा िाह्मण प्रथा शुरू करने िािा परमार शासक


A.कनकपाि B.अजयपाि C.सहजपाि D.मानशाह

Q66.कति दे िराज ने तकस परमार शासक की तुिना भीमसेन से की


A.बिभद्र शाह B.मानशाह C.महीपत शाह D.अजयपाि

Q67.रुद्र चंद ि बिभद्रशाह के बीच हुए बधाणगढ़ युद्ध में तनम्न में से चंद िंश का कौन सा
सेनापतत मारा गया
A.लशरोमभण जोशी B.खतड़ ससिंह C.पुरुर्ष पंत D.गैड़ा

Q68.तकस परमार शासक के दरबार में तिलियम कििंच नामक अचधकारी आया था
A.बिभद्रशाह B.मानशाह C.श्यामशाह D.महीपत शाह

Q69.श्रीनगर में सामसाही बागान का तनमाणण तकस परमार शासक ने तकया


A.बिभद्रशाह B.मानशाह C.श्यामशाह D.महीपत शाह

Q70.श्रीनगर में केशोरायमठ का तनमाणण तनम्न में से तकसने करिाया


A.प्रदीप शाह B.मानशाह C.श्यामशाह D.महीपत शाह

Ans:- 61.d 62.d 63.c 64.b 65.b 66.a 67.c 68b 69.c 70.d

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उत्तराखंड का इततहास
Q71.श्रीनगर में केशोरायमठ का तनमाणण तकस परमार िंशीय राजा के शासन काि में हुआ
A.प्रदीप शाह B.मानशाह C.श्यामशाह D.महीपत शाह

Q72.ितेहशाह यशोिणणन तनम्न में से तकसकी रचना है


A.रतन कति B.माततराम C.रामचंद्र D.जिाशंकर

Q73.'छं दसार कपिंगि' में ितेहपतत शाह की तुिना लशिाजी से की गयी है यह ग्रंथ तकसकी
रचना है
A.रतन कति B.माततराम C.रामचंद्र D.जिाशंकर

Q74.गढिाि का लशिाजी तकस परमार शासक को कहा जाता है


A.पृथ्िीपतत शाह B.मतहपत शाह C.ितेहपतत शाह D.प्रद्युम्न शाह

Q75.कठै त गदी का सम्बंध गढिाि के तकस परमार िंशीय राजा के शासनकाि से है


A.पृथ्िीपतत शाह B.मतहपत शाह C.ितेहपतत शाह D.प्रद्युम्न शाह

Q76.तनम्न में ितेहपतत शाह का दरबारी कति में कौन नहीं था


A. रतन कति B.हररदत्त शमाण C.रामचंद्र D.माततराम

Q77.सुदशणन शाह का राजकति था


A.रतन कति B.हररदत्त शमाण C.रामचंद्र D.माततराम

Q78.सुदशणन शाह की रचना है?


A.सभा भूर्षण B.गोरखिाणी C.तिष्णु स्मृतत D.रामायण दीतपका

Q79.भिानीशाह ने तिल्सन को िनों का ठे का कब ददया


A.1858 B.1860 C.1862 D.1864

Q80.ज्युिा पैमाइस नामक भू व्यिस्था तकसने करिाई


A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Ans- 71.c 72.c 73.b 74.c 75.c 76.b 77.b 78.b 79.b 80.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q81.दिहरी में तप्रटििंग प्रेस खोिने िािा दिहरी राजा ?
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q82.दिहरी ररयासत में तबशाह प्रथा का सम्बंध तनम्न में से तकससे था


A.बेगार प्रथा से B.दरबार में रॄध घी पहुंचाना
C.अन्त्न रूप में कर पहुंचाना D.इनमें से कोई नहीं

Q83.दिहरी ररयासत में पािा ि खेण कुप्रथा को तकस राजा ने समाप्त तकया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q84.तकस दिहरी नरेश ने महारानी तिर्किोररया के जन्त्म ददन पर दिहरी में घंिाघर का तनमाणण
कराया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q85.स्िामी रामतीथण का आगमन दिहरी में तकस नरेश के शासनकाि में हुआ
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q86.1921 में तकस दिहरी नरेश ने दे ििगढ़ में राजराजेश्वरी मंददर का जीणोद्धार कराया
A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q87.परमार िंश का शेरशाह सूरी तकसे कहा जाता है


A.भिानीशाह B.प्रताप शाह C.नरेंद्र शाह D.कीर्तिं शाह

Q88.गढिाि का नेपोलियन तकसे कहा जाता है


A.कनकपाि B.अजयपाि C.सहजपाि D.मानशाह

Ans- 81.b 82.c 83.b 84.d 85.d 86.c 87.c 88.b

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
Jardhariclasses@gmail.com पर E - Mail कर सकते हैं।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में गोरखा शासन का इततहास
 गोरखा नेपािी मूि के थे जजन्त्हें गोरखा के नाम से जाना जाता है
 ये अत्यंत िड़ाकू थे ि इनकी सत्ता सैतनक शासन पर आधाररत थी
 नेपाि में 24 ररयासत थी जजन्त्हें चौबीसी के नाम से जाना
जाता है
 नेपाि के प्रथम राजा पृथ्िीनारायण शाह(1743-1775)
 पृथ्िीपतत नारायण शाह के बाद प्रताप ससिंह(1775-78)
राजा बना
 1778-1800 रणबहारृर शाह

कुमाँऊ में गोरखा शासन(1790-1815)


 गोरखाओं ने कुमाँऊ पर 1790 ई० में आिमण तकया
 इस समय गोरखा राजा राण बहारृर शाह(स्िामी तनगुणणानन्त्द) थे
 गोरखाओं ने हर्षणदेि जोशी के कहने पर कुमाँऊ पर आिमण तकया
 गोरखा शासन का नेतृत्ि इस समय अमरससिंह थापा, जगजीत पांडे, सुरससिंह थापा आदद
सैतनकों ने तकया
 इस समय कुमाँऊ में चंद राजा महेंद्र चंद का शासन था
 1790 ई० में हिािाबाग मैदान में कुमाँऊ ि गोरखा सेना आमने सामने थी इस युद्ध मे
कुमाँऊ शासक महेंद्र चंद मारा गया
 इस प्रकार 1790 ई० में कुमाँऊ पर गोरखा शासन स्थतपत हो गया

हर्षणदेि जोशी
हर्षणदेि जोशी चंपाित के राजा दीप चंद के दीिान थे
हर्षणदेि जोशी ने गोरखाओं को कुमाऊँ पर आिमण करने के लिये तनमंत्रण ददया
हर्षणदेि जोशी ने अंग्रेजों को उत्तराखंड पर शासन करने का प्रेररत तकया इसलिये कई
इततहासकार इनके बारे में अिग अिग राय दे ते हैं
राहुि साकत्याांनन ने हर्षणदेि जोशी को तिभीर्षण की उपाचध दी
एिककिंसन ने हर्षणदेि जोशी को स्िाथी ि दे शद्रोही कहा
हर्षणदेि जोशी को कुमाऊँ का चाणर्कय कहा जाता है
हर्षणदेि जोशी को राज्य तनमाणता(King maker) की उपाचध भी दी गयी है

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उत्तराखंड का इततहास
कुमाऊँ में गोरखा सूबद
े ार -
जोगामि शाह –
 यह कुमाऊँ का प्रथम गोरखा सूबद े ार था
 कुमाऊँ में गोरखाओं का पहिा भू बंदोबस्त "मािगुजारी बाबत" इसी के शासन काि
में हुआ
 इसने पुरही-तपछिी ि सुिांग दस्तूर कर िगाए

काजी नरशाही-
 इसके शासन काि में मंगि की रात घिनािम हुआ
 नरशाही का मंगि - काजी नरशाही को अत्याचारी ि जालिम कहा जाता है। इसके
काि में कुछ लसपाही पभिमी पहाचड़यों में बस गए थे ि िहीं तििाह करके रहने िगे।
नरशाही को इनकी राजभलि पर संदेह हुआ। उसने इनके िास का पता िगाकर मंगि
की रात को इन सभी की हत्या कर दी।

कुमाऊँ का तृतीय सूबद


े ार अजब ससिंह थापा था
इसके बाद बमशाह - रुद्रिीर ससिंह थाप-धौंकि ससिंह-गोरेश्वर-ऋतुराज कुमाऊँ सूबद
े ार हुए

बमशाह चोतररया(भीम शाह)


 यह कुमाऊँ का अंततम सूबेदार था
 इसे बड़ा बम शाह भी कहा जाता है
 इसने िाह्मणों पर कुशही कर िगाया

गढ़िाि पर गोरखा शासन(1804-1815)


 1791ई० में गढ़िाि पर प्रथम गोरखा युद्ध(िंगुरगढ़ युद्ध) हुआ िेतकन गढ़िाि
शासक प्रद्युम्न शाह के साथ गोरखाओं तक संचध हो गयी
 14 मई 1804ई० को खुड़बुड़ा नामक मैदान(दे हरारॄन) में गोरखा सेना ि गढ़िाि
सेना तिर एक बार आमने सामने थी इस युद्ध मे गढ़िाि शासक प्रद्युम्न शाह
िीरगतत को प्राप्त हो गये और इस युद्ध के पिात सम्पूणण गढ़िाि ि कुमाँऊ पर
गोरखा शासन स्थातपत हो गया
 गोरखाओं के गढ़िाि पर अचधकार के समय नेपाि का राजा गीिाणण युद्ध तििम
शाह था

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि के गोरखा सूबेदार-
प्रथम सूबद
े ार-
 गढ़िाि का पहिा प्रशासक या सुब्बा- अमरससिंह थापा(1804)
 अमरससिंह थापा की तनयुलि रणबहारृर शाह ने की
 अमरससिंह थापा को नेपाि सरकार ने काजी की उपाचध प्रदान
की
 गंगोत्री स्स्थत गंगा माता मंददर की स्थापना अमरससिंह थापा ने की

तद्वतीय सूबद
े ार- रणजोर थापा(1804-1805)
 मोिाराम ने रणजोर थाप को दानिीर कणण की उपाचध दी
 मोिाराम की रचना- रण बहारृर चंदद्रका
 रणजोर थापा ने तिचारी(जज) ि अतिचारी(अचधशासक) पदों
का सृजन तकया अमरनसह थापा

3.हस्तीदि चोतररया(1805-08) -
 इसकी कृर्षकों के प्रतत तिशेर्ष आस्था थी
 इसने तकसानों को तकािी ऋण ददए ि िगान कम की

4.भैरो थापा(1808-11)
 यह तििाशी, अत्याचारी ि िूर शासक था
 इसने कति मोिाराम को नेपाि दरबार की और से दी गयी जमीन छीन िी

5.काजी बहारृर शाह(1811-12)-


इसने उिणरता के आधार पर भूचमकर तनधाणररत तकये
उिणरता की रॅति से भूचम को पांच भागों में बांिा-
1.अबि 2.दम 3.सोम 4.चाहर 5.सुंखबासी

अमरससिंह थापा के प्रतततनचध(1812-15) -

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उत्तराखंड का इततहास
गोरखाओं की कर प्रणािी
ि॰स कर सम्बंध

1. िीका भेंि कर तििाह, शुभ अिसरों पर लिया जाने िािा कर

2 सोन्त्य िागुन कर उत्सिों के समय लिया जाने िािा कर

3 पुंगड़ी कर एक प्रकार का भूचम कर

4 तानकर कपड़ो पर िगने िािा कर

5 मरो कर पुत्रहीन ब्यलि से लिया जाने िािा कर

6 बहता कर चछपाई गयी सम्पतत पर लिया जाने िािा कर

7 मो कर प्रतत पररिार से लिया जाने िािा कर

8 अधनी दफ्ती कर खस जमीदारों से लिया जाने िािा कर

9 मांगा कर युद्ध के समय ददया जाने िािा कर

10 चमझारी कर जगररयों ि िाह्मणो से लिया जाने िािा कर

11 रहता कर गाँि छोड़कर भागने िािा कर

12 दोतनया कर पहाड़ी पशुचारकों से िगने िािा कर

13 कुसही कर िाह्मणो पर जमीन हलथयाने पर िगने िािा कर

14 घी कर पशुपािकों से लिया जाने िािा कर।

15 ततमारी कर यह कर गोरखा िोजदारों ि सूबेदारों को ददया जाता था 4 आना


िोजदारों को ि सूबद
े ारों को ि 2 आना ददया जाता था

16 सायर कर सीमा कर

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उत्तराखंड का इततहास
गोरखा सैन्त्य शासन प्रणािी
 गोरखाओं की सत्ता सैतनक शासन पर आधाररत थी
 गोरखा सेना दो प्रकार की थी- स्थायी ि अस्थायी
 स्थायी सेना को जागचा(जगररया) ि अस्थायी सेना को ढाकररया(ढाकचा) कहते हैं
 गोरखा सैतनकों का िेतन प्रततमाह 8 रुपये युद्धकाि में ि 6 रुपये सामान्त्य काि मे
हुआ करता था।
 गोरखा सेना का प्रमुख हलथयार खूंखरी था।
 गोरखा सैतनकों द्वारा मनमाने ढं ग से कर िसूिने की प्रतकया बलि(बालि) कहिाती
थी।

गोरखों की न्त्याय ि प्रणािी


गोरखों की कोई तनभित न्त्याय प्रणािी नहीं थी जो अिसर जैसा समझता था उसी अनुरूप
न्त्याय करता था।गोरखाओं के शासन काि मे मुकदमों का कायण जज(तिचारी) करता था।
गोरखाओं ने पहिी अदाित अल्मोड़ा में स्थातपत की।
गोरखा शासन काि में तनम्न न्त्याय व्यिस्था
प्रचिन में थी-
यह भी जानें
1.गोिादीप
गोरखा लशल्पकारों को कामी कहते
2.तराजुदीप
थे।
3.कढ़ाई दीप
गोरखा सुनारों को सुनिार कहते
4..तीर का दीप
थे।
5.घात का दीप
गोरखा दासों को कठु आ कहते थे।
6.बों कादि हारया दीप
गोरखा नाई को नो कहते थे।
7.न्त्याय का दीप

गोिादीप- गोिा दीप को अत्ग्नपरीक्षा माना जाता था इसमें आरोपी को िोहे की गरमागरम छड़
को िेकर तनभित रॄरी तय करनी पड़ती थी यदद िह उस तय की गयी रॄरी को िोहे की
गरमागरम छड़ को हाथ मे लिये तय नहीं कर पाता तो उसे दोर्षी समझा जाता था।

तराजुदीप- इस प्रणािी में आरोपी ब्यलि को तराजू में में तोिा जाता था तोिने का समय शाम
का होता था ि अगिी सुबह तिर से उसे तोिा जाता था यदद उसका िजन पहिे से हल्का होता
था तो उसे तनदोर्ष माना जाता था िेतकन यदद िजन अचधक हुआ तो उसे दोर्षी मान लिया जाता
था।

कढाई दीप- इसमें आरोपी के हाथों को खोिती तेि की कढ़ाई में रखा जाता था यदद उसके
हाथ जि गये तो उसे दोर्षी समझा जाता था और यदद नहीं जिते तो उसे तनदोर्ष माना जाता
था।

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उत्तराखंड का इततहास
गोरखा शासन में दण्ड प्रणािी
 दे शद्रोह के लिये गोरखा शासन में मृत्युदंड ददया जाता था
 हत्या करने पर पेड़ से ििका ददया जाता था
 यदद िाह्मण हत्या का दोर्षी पाया जाता था तो उसे दे श तनकािा ददया जाता था।
 यदद िाह्मण पर चोरी का आरोप लसद्ध होता था तो उसकी चोिी काि दी जाती थी।
 आत्महत्या करने िािे ब्यलि के पररिार पर जुमाणना िगाया जाता था।
 इसके अततररि अंग-भंग करना हाथ अथिा नाक कािना भी प्रचलित था।

तिदिश-गोरखा संघर्षण
तिदिश सरकार ि गोरखा शासक दोनों तिस्तारिादी नीतत के थे िह अपने अपने साम्राज्य को
बढ़ाना चाहते थे ऐसे में दोनों के बीच कािी संघर्षण हुआ अंग्रेज भी अपनी तिस्तार िादी नीतत से
तहमािय तक पहुंच चुके थे िही गोरखा शासक उत्तराखंड में शासन करते हुए अंग्रेजों की सीमा
में िगातार घुसपैठ करने का प्रयास करते रहते थे ।
 1784ई० में सिणप्रथम गोरखाओं ने अंग्रजे सीमा में घुसपैठ की ि भीमसेन थापा ने
गोरखपुर में 200 से अचधक गांि पर अचधकार कर लिया ।
 1804 ई० में गोरखाओं ने िुिबि पर अचधकार कर लिया उस समय िुिबि अंग्रेज
सरकार की सीमा के अंतगणत आता था।
 1814ई० में तिदिश सरकार ने तिदिश सेना को गोरखाओं द्वारा अचधकृत क्षेत्र को िापस
िेने का आदे श दे ददया।
 अप्रैि 1814 में तिदिश सैतनकों ने िुिबि को गोरखाओं से छीनकर कंपनी राज्य में
चमिा लिया िेतकन गोरखाओं ने पुनः िुिबि पर अचधकार कर लिया।
 निम्बर 1814ई० को तत्कािीन गिनणर जनरि मायरो ने गोरखाओं के तिरुद्ध युद्ध की
घोर्षणा दी।

कम्पनी सरकार ने 22 हजार सैतनकों को चार िु कचड़यों में बांिा


1. मेजर जनरि मािे के नेतृत्ि में एक िु कड़ी को काठमांडू पर अचधकार करने हेतु तनयुलि
तकया
2. मेजर जनरि जे०एस०िुड० के नेतृत्ि में एक िु कड़ी को गोरखपुर पर आिमण करने के
लिये तनयुि तकया।
3. मेजर जनरि जििेस्पी के नेतृत्ि में एक िु कड़ी को दे हरारॄन भेजा
4. मेजर जनरि आर्किरिोनी के नेतृत्ि में एक िु कड़ी को गोरखा राज्य के पभिमी भाग में
भेजा।

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उत्तराखंड का इततहास
नािापानी का युद्ध
 नािापानी युद्ध रॄन घािी में तिदिश सेना ि गोरखा सेना के बीच हुआ मेजर जनरि
जििेस्पी के नेतृत्ि में साढ़े तीन हजार तिदिश सैतनक 24 अर्किू बर 1814 को रॄन घािी
पहुंच गई।
 गोरखा सेना का नेतृत्ि कैप्िन बिभद्र थापा ने तकया।
 कैप्िन बिभद्र थाप ने नािापानी अथिा नािा गड्डी में 500 सैतनकों को साथ िेकर
अपने लशतिर िगा ददए ि िहां पर एक रृगण का तनमाणण तकया।
 26 अर्किू बर से 31 अर्किू बर 1814 तक मेजर जनरि एसपी के नेतृत्ि में तिदिश सेना
ने तकिा जीतने का प्रयास तकया िेतकन साढ़े तीन हजार तिदिश सैतनक 500 गोरखा
सैतनकों के सामने हुए सिि नहीं हो सके।
 31 अर्किू बर 1814ई० को मेजर जनरि जििेस्पी युद्ध मे मारा गया यह घिना तिदिश
सरकार के लिये डचिंताजनक बन गयी।
 31 अर्किू बर से 30 निंबर 1814ई० तक िगभग एक महीने तक तिदिश सेना ने तकिे
को जीतने के कई प्रयास तकये कई बार तकिे पर बमबारी भी की िेतकन िे सिि नहीं
हो सके।
 अंत मे तिदिश सेना ने तकिे के पीने के पानी की सप्िाई रोक दी जजससे गोरखा सेना
भूख-प्यास से मरने िगी ि अंत मे तिदिश सेना इस तकिे को जीतने में सिि हुई।
 इस युद्ध में गोरखा सैतनकों का साहस ि शौयण अपार था जजन्त्होंने 1 महीनों तक इस
तकिे की रक्षा की ।
 आग्रेजों ने नािापानी क्षेत्र में ररस्पना नदी के बाएं और दो स्मारक स्थातपत तकए एक
स्मारक जनरि तगिेस्पी िह उसके मृत सैतनकों की स्स्थतत में तथा रॄसरा स्मारक बिभद्र
थाप्पा उसके सैतनकों की स्मृतत में स्थातपत तकया।
 रॄसरी और मेजर जनरि जे०एस०िुड० ि मेजर जनरि मािे के नेतृत्ि में भेजी गयी
सैतनक िु कचड़यां अपने कायण मे सिि नहीं हो सकी
 मेजर जनरि आर्किरिोनी जजसे पभिमी भाग की जजमेदारी दी गयी थी िह भी
गोरखाओं से सीधे युद्ध मे सिि नही हो सका तो उसने छि ि कपि नीतत का प्रयोग
करके गोरखाओं से मिाऊँ तकिे पर अचधकार कर लिया।

तिदिशों का कुमाँऊ पर अचधकार


 अंग्रेजों ने गोरखाओं को कुमाऊ से भगाने के लिए कई प्रयत्न तकए कई युद्ध िड़े िेतकन
िह सिि नहीं हो सके।
 अंत में 14 ददसंबर 1814 को अंग्रेजों ने गोरखाओं को भगाने के लिए स्थानीय िोगों को
अंग्रेजों की मदद करने के लिए कहा स्थानीय िोग गोरखाओं के अत्याचार से िैसे ही
परेशान थे इसलिए उन्त्होंने तिदिश हुकूमत का साथ ददया।

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उत्तराखंड का इततहास
 हर्षण दे ि जोशी ने भी कैप्िन हैरसी से मुिाकात की ि अंग्रेजों का साथ दे ने का िादा
तकया
 हर्षणदेि जोशी की मदद से खुश होकर अंग्रेिो ने हर्षणदेि जोशी को कुमाँऊ का अिण-
िारतिक कहा।
 हर्षणदेि जोशी ने गोरखा सेना में शाचमि कुमाउनी सेना कप अंग्रेजो का साथ दे ने को
कहा।
 जनिरी 1815 तक अंग्रज े ो ने कुमाऊँ पर आिमण करने की पूरी तैयारी कर िी।
 23 अप्रैि 1815ई० को गणनाथ-डांडा युद्ध मे गोरखा सेनापतत हस्स्तदि चोतररया
मारा गया।
 27 अप्रैि 1815ई० को कुमाँऊ शासक बामशाह ने आत्मसमपणण कर ददया।
 आंग्िा- गोरखा संचध -
 27 अप्रैि 1815ई० को गाडणनर ि बमशाह चोतररया के बीच आंग्िा-गोरखा संचध हुई
 इस संचध के अनुसार गोरखाओं को कुमाँऊ के सभी तकिों पर अचधकार छोड़कर
अंग्रेिो के हिािे करना था ि बदिे में गोरखाओं
को कािी नदी के पार नेपाि सुरभक्षत जाने ददया
जाएगा।
 15 अगस्त 1815ई० को अमर ससिंह थापा ने
बमशाह ि अंग्रेजों के बीच हुई संचध पर हस्ताक्षर
कर ददये
 2 ददसंबर 1815 को नेपाि राजगुरु गजराज ●
चमश्र ि कनणि पेररश िेंदशा के मध्य संचध हुई
 4 माचण 1816 को नेपाि सरकार ने संगोलि(सुगोिी) संचध की पुति की

संगोिी की संचध(आंग्िा-गोरखा संचध )


 सुगौिी सस्न्त्ध 19 िीं सदी के शुरुआती दौर में तिदिश ईस्ि इंचडया कम्पनी और नेपाि के मध्य
हुई थी । यह सस्न्त्ध 4 माचण 1816 ई . को सम्पन्त्न हुई ।
 1816 ई . में हुई इस सस्न्त्ध पर नेपाि की ओर से राजगुरु गजराज चमश्र और अंग्रेिों की ओर
से िेस्फ्िनेंि कनणि पेररस िैडशॉ ने दस्तखत तकए ।
 इस सस्न्त्ध के साथ ही अंग्रेिों ि नेपालियों के बीच िर्षण 1814 ई . से चिी आ रही जंग का
अंत हो गया ।
 सस्न्त्ध के तहत नेपाि को अपना एक - ततहाई इिाका ' तिदिश भारत ' के अधीन कर दे ना
पड़ा । इस इिाके में पूिी छोर पर स्स्थत दार्जिंसििंग ि दभक्षणा - पभिम क्षेत्र में बसे नैनीताि ;
पभिमी छोर पर बसे कुमाऊँ , गढ़िाि के अिािा कुछ तराई इिाके भी शाचमि थे ।
 सस्न्त्ध के अनुसार काठमांडू में एक तिदिश प्रतततनचध की तनयुलि तथा तििे न की सैन्त्य सेिाओं
में गोरखाओं की तनयुलि तकया जाना भी सचमस्ल्ित था।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में गोरखा शासन MCQ
Q1- कुमाँऊ में गोरखा शासन कब स्थातपत हुआ-
A.1790 B.1792 C.1815 D.1804

Q2- गोरखा सेना का प्रमुख हलथयार था-


A.दरांती B.तििार C.खूंखरी D.भािा

Q3- गढ़िाि पर गोरखाओं का प्रथम युद्ध तकस नाम से जाना जाता है-
A.चमुआ युद्ध B.बड़ाहाि युद्ध C.खुड़बुड़ा युद्ध D िंगुरगढ़ युद्ध

Q4- गढ़िाि पर गोरखाओं ने कब सत्ता स्थातपत की-


A.1791 B.1803 C.1804 D 1805

Q5- सायर कर था एक प्रकार का


A.भूचम कर B.सम्पतत कर C.सीमा कर D.इनमें कोई नहीं

Q6- गोरखाओं ने तकसके शासन काि में गढ़िाि पर आिमण तकया


A.सुदशणनशाह B.प्रद्युम्न शाह C.िलितशाह D.ितेहपतत शाह

Q7- गोरखाओं द्वारा दी गयी भूचम कहिाती है-


A.चाहर B.दस्तूर C.अबि D.दम

Q8- हर्षणदेि जोशी को तिभीर्षण की उपाचध तकसने दी-


A.एिककिंसन ने B.बद्रीदत्त पांडे C.राहुि सकत्याांन D.मोिाराम

Q9 कुमाऊँ पर गोरखा आिमण के समय नेपाि नरेश थे -कतनष्ठ सहायक/ ऑपरेिर 2018
A.जगजीत पाण्डे B.अमर थापा C.महेन्त्द्र चन्त्द D.रणबहारृर शाह

Q10- गढ़िाि का पहिा नेपािी सूबद


े ार कौन था-
A.अमरससिंह थापा B.रणबहारृर शाह C.जगजीत पाण्डे D.बामशाह

Ans:- 1.A 2.C 3.D 4.C 5.C 6.B 7.B 8.C 9.D 10.A
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उत्तराखंड का इततहास
Q11-गढ़िाि क्षेत्र पर गोरखाओं ने राज्य तकया – सींचपाि 2017
A.1790 ई0 — 1815 ई0 B.1805 ई0 – 1815 ई0
C.1808 ई0 – 1815 ई0 D.1810 ई0 – 1815 ई0

Q12- गोरखा िोग लशल्पकारों को र्कया कहते थे-


A.सुनिार B.कठु आ C.नो D.कामी

Q13- गोरखा कािीन नैथड़ा का तकिा कहाँ है-


A.दे हरारॄन B.अल्मोड़ा C.तपथौरागढ़ D नैतनताि

Q14- कुमाँऊ का चाणर्कय तकसे कहा जाता है-


A.बद्रीदत्त पांडे B.हर्षण गोपाि C.कािू मेहरा D.हर्षण दे ि जोशी

Q15- एिककिंसन ने हर्षणदेि जोशी को कौन सी उपाचध दी-


A.चाणर्कय B.लशिाजी C.दे शद्रोही D.इनमें कोई नहीं

Q16- गोरखाओं की आय का प्रमुख स्रोत र्कया था-


A.मांगा कर B.भू-राजस्ि कर C.कुसही कर D.ततमारी कर

Q17-कुमाँऊ का प्रथम गोरखा सूबदे ार कौन था-


A.काजी नरससिंह B.अमरससिंह थापा C.बामशाह D.जोगामि शाह

Q18-गंगोत्री का ―गंगा माता मंददर‖ बनिाया- कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018


A.सुदशणन शाह ने B.कीर्तिं शाह ने C.अमर ससिंह थापा ने D.प्रताप शाह ने

Q19- पुग
ं ड़ी कर था एक प्रकार का-
A.भूचम कर B.सम्पतत कर C.उत्सि कर D.इनमें कोई नहीं

Q20- Q-खिंगा (दे हरारॄन) के आंग्ि-गोरखा युद्ध में तिदिश सेना का नेतत्ृ ि तकसके द्वारा
तकया गया था - कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.मेजर जनरि मॉने B.मेजर जनरि आर्किरिोनी
C.मेजर जनरि जजिेप्सी D.उपयुणि में से कोई नहीं

Ans:- 11.B 12.D 13.B 14.D 15 C 16 B 17 D 18.D 19.A 20.C

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उत्तराखंड का इततहास
Q21- कुमाँऊ ि गढ़िाि का अंततम सूबद
े ार कौन था -
A.अजब ससिंह थापा B.अमरससिंह थापा C.बामशाह D.जोगामि शाह

Q22 नेपाि और ईस्ि इस्ण्डया कम्पनी के बीच युद्ध हुआ थाः कतनष्ठ सहायक 2018
A.1816 ई0 में B.1814 ई0 में C.1815 ई0 में D.1817 ई0 में

Q23- कपड़ो पर िगने िािा कर था-


A.मो कर B.अधनी दफ्ती कर C.तानकर D सायर कर

Q24- गोरखा शासन के समय शुभ अिसरों ि शादी के समय लिया जाने िािा कर का र्कया
नाम था ? कतनष्ठ सहायक/कंप्यूिर ऑपरेिर 2018
A.पुंगाड़ी B.सिामी C.िीका भेि D.ततमारी

Q25- गढ़िाि पर गोरखा सेना का अंततम युद्ध तकस नाम से जाना जाता है-
A.चमुआ युद्ध B.बड़ाहाि युद्ध C.खुड़बुड़ा युद्ध D िंगुरगढ़ युद्ध

Q26- मरो कर तकससे लिया जाता था-


A सम्पतत चछपाने िािे से B.पुत्रहीन ब्यलि से C.िाह्मणो से D.पशुचारकों से

Q27- अंग्रज
े ो ि गोरखाओं के मध्य संगोिी की संचध कब हुई-
A.1815 B.1816 C 1817 D.1814

Q28 उत्तराखण्ड में ईस्ि इस्ण्डया कम्पनी का आगमन कब हुआ-joniour assistant


2019
A.1820 ई0 में B.1819 ई0 में C.1815 ई0 में D.1814 ई0 में

Q29.गोरखा शासन में ढाकचा का सम्बंध है


A.न्त्याय अचधकारी B.सैन्त्य व्यिस्था C.दं ड तिधान D.कर प्रणािी

Q30.गोरखा शासन में राज्य कमणचाररयों से िगान के बारे में पूछने पर लिया जाने िािा कर
A.अधनी दफ्तरी कर B.सिामी कर C.जान्त्या-सुन्त्या कर D.सुिंगी कर

Ans:- 21.C 22.B 23.C 24.C 25.C 26.B 27.B 28.d 29.b 30.c

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उत्तराखंड का इततहास
Q31.गोरखा शासन में पगड़ी कर सम्बंचधत था
A.जमीन जायदाद से B.शादी समारोह से
C.नजराना कर D.कपड़ो पर िगने िािा कर

Q32.गोरखा शासन में पहाड़ी पशुचारकों से लिया जाने िािा कर था


A.ततमारी कर B.दोतनया कर C.कुशही कर D.पुंगड़ी कर

Q33.तकस गोरखा सूबद


े ार ने तकसानों को तकािी ऋण ददया
A.अमरससिंह थापा B.रणजोर थापा C.हस्तीदि चोतररया D.भैरो थापा

Q34.कति मोिाराम ने तकस गोरखा सूबद


े ार को दानिीर कणण की उपाचध दी
A.अमरससिंह थापा B.रणजोर थापा
C.हस्तीदि चोतररया D.भैरो थापा

Q35.मंगि की रात घिनािम का सम्बंध तकस गोरखा सूबद


े ार से है
A.जोगामि शाह B.काजी बमशाह C.अजब ससिंह थापा D.काजी नरशाही

Q36.गोरखा शासन में तिचारी का सम्बंध था


A.सैन्त्य अचधकारी B.न्त्यायधीश C.सूबेदार D.गिाह

Q37.गोरखाओं द्वारा चछपायी गयी सम्पतत पर लिया जाने िािा कर था


A.रहता कर B.बहता कर C.सहता कर D.घरतह-तपछही कर

Q38.गोरखा शासन में घरही-तपछही कर तकसके द्वारा ददया जाता था


A.खस जमीदारों द्वारा B.प्रतत पररिार द्वारा
C.जगररयों या िाह्मणों द्वारा D.पशुचारकों द्वारा

Ans- 31. a 32.b 33.c 34.b 35.d 35.b 37.b 38.b

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड के तिदिश कचमश्नर
1.ई० गाडणनर (1815-1816)-
 ई० गाडणनर कुमाँऊ का प्रथम कचमश्नर था।
 पहिा तिदिश कािीन भूचम बंदोबस्त इसी के काि में हुआ।

2.जी डब्ल्यू रे ि (1816-1835)-


 जी डब्ल्यू रे ि को कुमाऊँ का प्रथम िास्ततिक कचमश्नर कहा जाता है।
 जी डब्ल्यू रे ि ने 1816 में सम्पूणण उत्तराखंड में डाक सेिा िागू की।
 1816 में अल्मोड़ा जेि की स्थापना की।
 1817 में रॄन को सहारनपुर में शाचमि
तकया। डबि िॉक व्यिस्था 1824
 1819 में पििारी पद का सृजन तकया। यह व्यिस्था रे ि ने शुरू की।
 1820 में रे ि ने कोिण िीस के रूप में स्िाम्प इसमें सरकारी खजाने की एक
पेपर जारी तकए कुंजी किेर्किर के पास ि
 1821 में पौड़ी जेि की स्थापना की। रॄसरी रे जरर के पास रहती थी
 1822 में कुमाँऊ में आबकारी तिभाग की
स्थापना।
 1822 में रे ि ने कुिी बेगार को कम करने हेतु खच्चर सेना की स्थापना की
 रे ि ने कुमाऊँ को 26 परगनों में बांिा
 1827-28 में हररद्वार- बद्रीनाथ, केदारनाथ जाने िािी सड़क का तनमाणण कराया
 1828 में जन्त्म, मृत्यु ि तििाह को पंजीकृत करने की प्रथा शुरू की
 1830 में रे ि दरे की खोज की
 1833 में सिणप्रथम दे शी चचतकत्सक की तनयुलि अल्मोड़ा में हुई
 रे ि ने 1834 में हल्द्वानी की स्थापना की
 1 ददसम्बर 1835 में सेिातनिृत्त हुए

अस्सीसािा भूचम बंदोबस्त 1823


इसे तिदिश शासन का सबसे बड़ा आदशण भू बंदोबस्त माना जाता है।यह बंदोबस्त संित 1880
में हुआ इसलिए इसे अस्सी सािा भूबंदोबस्त कहा जाता है। इसके द्वारा पहिी बार गांि की
सीमाओं के अंतगणत भूचम,िन ,पानी आदद का तनधाणरण हुआ

3.मोसिे स्स्मथ(30 निम्बर 1835 - 6 अप्रैि 1836) - यह कायणकारी कचमश्नर था

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उत्तराखंड का इततहास
4.कनणि गोयन (1836-38) –
 कनणि गोयन ने उत्तराखंड में दास प्रथा, बाि तििय ि मतहिा तििय प्रथा का अंत
तकया ि इन्त्हें अपराध घोतर्षत तकया
 1836 में दासता पर पूणण प्रततबंध िगाया
 इसके काि में गोरखाकािीन न्त्याय व्यिस्था(गोिा दीप व्यिस्था) समाप्त की गयी
 1837 में अल्मोड़ा में थाने की स्थापना की गयी
 1837 में सदर अमीन पद तनयुि तकये

5.जाजण िॉमस िुलं शगिन(1838-1848) -


 1839 में कुमाऊँ कचमश्नरी से पृथक गढ़िाि जनपद गदठत तकया ि इसका मुख्यािय
श्रीनगर बनाया
 1840 में पौड़ी जनपद का गठन तकया गया ि इसे तिदिश गढ़िाि का मुख्यािय
बनाया
 1843 में नैनीताि में थाना स्थातपत तकया
 1848 में अल्मोड़ा में िुंलशगिन की अध्यक्षता में चडस्पेंसरी कमेिी गदठत की गयी
 25 अर्किू बर 1849 को जाजण िॉमस िुंलशगिन का पद पर रहते हुए नैनीताि में
आकस्स्मक तनधन हो गया

6.जॉन हैिीन बैिन(1848-56) -


 बैिन ने 1840 में गढ़िाि ि 1844 में कुमाऊँ में भू बंदोबस्त कराया ि इसमें खसरा
सिेक्षण पद्धतत का प्रयोग तकया
 अर्किू बर 1855 में अल्मोड़ा से कचमश्नरी को नैनीताि स्थानांतररत तकया ि नैनीताि को
कुमाऊँ कचमश्नरी का मुख्यािय बनाया
 इसके शासन काि में अलसस्िें ि कचमश्नर स्रे ची द्वारा गढ़िाि में िोहे का प्रथम संस्पेसन
पुि तनमाणण तकया गया
 इनके शासन काि को कुमाँऊ कचमश्नरी का स्िणण काि भी कहा जाता है

7.हैनरी रैमजे(1856 - 1884)


 हैनरी रैमजे स्कॉििैंड का तनिासी था और डिहौजी के चचेरे
भाई थे।
 हैनरी रैमजे 1857 की िांतत के समय कुमाऊँ कचमश्नर थे।
 इनके शासन काि को उत्तराखंड तिदिश काि का स्िणण काि
कहा जाता है।

हैनरी रैमजे

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उत्तराखंड का इततहास
 1848 में रैमजे ने कुि रोतगयों के रहने हेतु पत्थर के छोिे छोिे मकानों का तनमाणण
कराया
 1854 में अल्मोड़ा में कुि आश्रम की
स्थापना की 1863 बैकेि(तिकेि) भू बंदोबस्त -
 1858 में पादरी तिलियम बििर ने बैकेि द्वारा कराया गया यह भू
नैनीताि में भारत के प्रथम मैथोचडस्ि चचण बंदोबस्त 1863 में रैमजे के शासन
की स्थापना की काि में कराया गया
 तहि साइड सेफ्िी कमेिी(1867) - इस भू बंदोबस्त में प्रथम बार
 1867 में नैनीताि में प्रथम भूस्खिन रैमजे िैज्ञातनक पद्धतत का प्रयोग तकया गया
के शासन काि में आया। भूस्खिनों के बैकेि ने भूचम को पांच भागों में बांिा
कारण जनता ि पिणतों को सुरभक्षत रखने 1.तिाऊँ, 2.उपराउं, 3.अव्िि
के लिए तहि साइड सेफ्िी कमेिी का गठन उपराउं, 4.दोयम, 5.कंिीिी या
1867 में तकया गया इजराइन
 रैमजे ने 1850 में रामनगर(नैनीताि) को
बसाया
 उपाचध - कुमाऊँ का बेताज बादशाह ि राजा रामजी

रैमजे ने नैनीताि को स्कूिी लशक्षा के केंद्र के रूप में तिकलसत तकया


1850 - चमशन स्कूि
1867 - शेरिुड कॉिेज
1869 - ऑि सेंि्स कॉिेज
1878 - सेन्त्ि मेरीज कान्त्िेंि
1884 - िेिेजिी हाईस्कूि
1888 - सेंि जोजि कॉिेज

1857 की िांतत -
कुमाऊँ कचमश्नरी में 1857 की िांतत का प्रभाि बहुत कम दे खने को चमिा। सम्पूणण नाथण-िेस्ि
प्रोकििंसेज में कुमाऊँ कचमश्नरी एकमात्र ऐसी प्रशासतनक इकाई थी जहाँ 1857 की िांतत के
समय कम्पनी प्रशासन को स्थानीय सहयोग प्राप्त हुआ
कुमाऊँ में रैमजे द्वारा 1857 में मासणि िॉ िगाया गया

8.तिशर(1884-1885)
9.एच०जी०रोस(1885-87)-
 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय कुमाऊँ कचमश्नर एच०जी०रोस
थे।
 1887 में गढ़िाि राइिि की स्थापना हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
10.जे०आर०तग्रग(1887-1889)-
 1889 में हालथयारों को रखने के लिए िाइसेंस नीतत अपनाई र्कयोंतक उत्तराखंड में बहुत
से िोगों के पास हलथयार मोजूद थे और तििीशों को यह डर था तक कहीं ये िोग तिद्रोह
ना करे इसलिए 1889 में हालथयारों को रखने के लिए िाइसेंस नीतत अपनाई जजससे
िही िोग हलथयार रख पाये जजनके पास िाइसेंस हो।

11.जी०ई० आसणतकन(1889-92)-
 1891 में कुमाऊँ को दो जनपदों अल्मोड़ा ि नैनीताि जनपद में बांिा गया।

12.डी० िी० गैबि्ण स(1892-94)-


 1893 में मुिेश्वर में पशु अनुसंस्थान की स्थापना की गयी।
 1894 ई० में िन नीतत िागू की गयी।

13. ई० ई० ग्रीज(1894-98)-
 1897 ई० में पहिी बार पृथक उत्तराखंड प्रान्त्त की मांग महारानी तिर्किोररया के
समकक्ष रखी गयी।

14.आर० ई० हैम्बिीन(1899-1902)-
 1899-1900 ई० में रॄन में रेि का आगमन हुआ।
 1901 ई० गढ़िाि यूतनयन की स्थापना।
 1902-1903 ई० नैनीताि जेि की स्थापना।

15.ए० एम० डब्ल्यू सेर्कसतपयर(1903-05)-


 इनके काि में गढ़िािी समाचार पत्र का प्रकाशन 1905 ई० में हुआ।

16.जे० एम० कैम्पबेि(1906-1913)-


 1906ई० ग्िोगी पररयोजना का कायण पूरा हुआ यह दे श की सबसे पुरानी जि तिद्युत
पररयोजना है।
 1908 ई० कुिी एजेंसी की स्थापना(जोधपुर ससिंह नेगी द्वारा)
 1909 ई० में कुमाऊँ गिमेंि गाडणन की स्थापना हुई।
 1912 ई० में अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना हुई।
 1914 ई० में अल्मोड़ा में होमरूि िीग की स्थापना हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
17.पी तिढ़म(1914-24)-
 1915 ई० में गांधी जी ने सिणप्रथम हररद्वार की यात्रा की।
 1916 ई० में गांधी जी ने दे हरारॄन की यात्रा की।
 30 लसतम्बर 1916 ई० में कुमाँऊ पररर्षद की स्थापना हुई
 1921ई० में कुिी बेगार कुप्रथा का अंत हुआ
 1923 ई० में कुिी एजेंसी की समात्प्त

18.एन०सी० त्स्िि(1925-31)-
 1929ई० में नायक बालिका रक्षा कानून बना।
19.एि०एम० स्िब्स(1931-33)

20.एि० ओ० गोयन - 1933 – 35

21.ए०डब्ल्यू इििसन(1935-39)-
 1937 ई० में अल्मोड़ा के चनोदा नामक स्थान पर शांतत िाि तत्रिेदी ने गांधी आश्रम
की स्थापना की।

22.जी०एि०तितियन(1939-41)-
23.िी०जे०सी०एर्किन (1941-43)-
24.डब्ल्यू०डब्ल्यू०तिनिे (1943-47)-
25.के०एि०मेहता (1947-48)-
 कुमाँऊ का प्रथम भारतीय कचमश्नर
 कुमाँऊ कचमश्नरी स्िंतत्र

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उत्तराखंड का इततहास
तिदिश कािीन भू बंदोबस्त
प्रथम भू बंदोबस्त -
 यह अंग्रेज काि का प्रथम भू बंदोबस्त था ।
 िदिश काि का प्रथम भू बंदोबस्त कुमाऊँ में 1815 ि रे ि1 ने गढ़िाि में 1816 में
कराया
 यह बंदोबस्त गोरखा भू बंदोबस्त पर आधाररत था

रॄसरा भू बंदोबस्त 1817 - यह रे ि द्वारा कराया गया


तृतीय भू बंदोबस्त(1818) - रे ि

चौथा भू बंदोबस्त 1820 –


 यह रे ि द्वारा कराया गया
 यह तीन साि के लिए कराया गया इसलिए इसे ततसािा भू बंदोबस्त कहा जाता है

पांचिा भू बंदोबस्त 1823 -


 यह भी रे ि द्वारा कराया गया
 यह पांच साि के लिए कराया गया इसलिए इसे पंचसािा भू बंदोबस्त कहा जाता है
 यह बंदोबस्त संित 1880 में कराया गया इसलिये इसे असीसािा भू बंदोबस्त भी कहते
हैं
 इस बंदोबस्त को तिदिश काि का सबसे आदशण भू बंदोबस्त भी कहते हैं
 इस भू बंदोबस्त में पहिी बार गांिों की सीमाओं के अंतगणत भूचम, िन पानी आदद का
तनधाणरण हुआ

छिा भू बंदोबस्त 1828-


इस बंदोबस्त को तरसीम बंदोबस्त के रूप में जाना जाता है
यह भी रे ि द्वारा कराया गया

सातिां भू बंदोबस्त 1833 - रे ि


आठिां भू बंदोबस्त-
 बैिन द्वारा 1840 में गढ़िाि में ि 1844 में कुमाऊँ में भू बंदोबस्त कराया गया
 यह बंदोबस्त बीस साि के लिए था इसलिए इसे बीस सािा भू बंदोबस्त कहा जाता है
 इस बंदोबस्त में भूचम मापन हेतु खसरा सिेक्षण पद्धतत का प्रयोग तकया गया

निां भू बंदोबस्त(1863-73) -
बैकेि द्वारा कराया गया यह भू बंदोबस्त 1863 में रैमजे के शासन काि में कराया गया
इस भू बंदोबस्त में प्रथम बार िैज्ञातनक पद्धतत का प्रयोग तकया गया

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उत्तराखंड का इततहास
बैकेि ने भूचम को पांच भागों में बांिा -
1.तिाऊँ, 2.उपराउं, 3.अव्िि उपराउं, 4.दोयम, 5.कंिीिी या इजराइन

दसिां भू बंदोबस्त -
गढ़िाि में पो द्वारा कराया गया
कुमाऊँ में गूंज द्वारा कराया गया

ग्यारिाँ भू बंदोबस्त -
यह इबि् सन द्वारा 1928 में कराया गया
यह तिदिश काि का अंततम बंदोबस्त था

बारहिां भू बंदोबस्त -
यह उत्तरप्रदे श सरकार में 1960 - 64 में कराया गया

उत्तराखंड में तिदिश िन प्रबंधन


 तिदिश काि में अंग्रेजों ने 1818 में िनों को ठे का(िीज) पर दे ना शुरू तकया ि िनों के
राजस्ि संग्रहण का अचधकार परगना अचधकारी को था
 1826 में रे ि ने थापिा भूचम को आरभक्षत कर यहाँ साि कािने पर प्रततबंध िगा ददया
इस तरह सरकारी िनों की नींि पड़ी
 1853 में दे श में रेि का आगमन हुआ जजसके कारण िनों का तिनाश चरम पर था
 1858 तक िनों की ठे का व्यिस्था जारी रही
 1858 में हेनरी रैमजे ने ठे केदारी प्रथा बंद कर िनों का प्रबंधन शुरू तकया
 1864 में िन तिभाग की स्थापना हुई जजसका प्रथम महातनरीक्षक चडदरच िेंचडश को
बनाया गया
 1865 में भारतीय िन अचधतनयम पाररत हुआ
 1868 में कुमाऊँ में िन तिभाग की स्थापना हुई
 1869 में तिदिश गढ़िाि में िन तिभाग की स्थापना हुई
 1885 में दिहरी में िन तिभाग की स्थापना हुई

तिदिश सरकार िनों से सम्बंचधत कई नये नये तनयम बनाती गयी जजसके कारण ग्रामीणों से से
िन अचधकार छीन लिए गये। ग्रामीणों में रोर्ष उत्पन होने िगा र्कयोंतक ग्रामीणों की आजीतिका
इन्त्हीं िनों पर तनभणर थी
कई जगह आंदोिन हुए िनों में आग िगाई गयी
1921 में सोमेश्वर की रृगाण दे िी को थकिोड़ी के िनों में आग िगाने के जुमण में एक माह की
कैद हुई।

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उत्तराखंड का इततहास
िारेस्ि ग्रीिेंस कमेिी-
गठन - 13 अप्रैि 1921
अध्यक्ष- पी तिढम
उद्दे श्य - जनता में व्याप्त िन किों तथा लशकायतों िारेस्ि ग्रीिेंस सचमतत की ररपोिण
का अन्त्िेर्षण करना बांस पर िगे प्रततबंध को हिाया
सचमतत ने मई 1921 से जुिाई 1921 तक गढ़िाि जाए
ि कुमाऊँ में भ्रमण तकया ि िोगों से उनकी राय पशुओ के चरने सम्बन्त्धी प्रततबंध
जानी ि ररपोिण तैयार की हिाये जाएं
28 अर्किू बर 1921 को सचमतत ने अपनी ररपोिण ग्राम सीमा से आधे मीि रॄर तक
सरकार को सौंपी ग्रामीणों को िन अचधकार ददए जाएं

िन पंचायत-
1930 में नैनीताि, अल्मोड़ा, तपथौरागढ़, पौड़ी गढ़िाि में िन पंचायत की स्थापना की गयी
1932 में चमोिी में िन पंचायत का गठन तकया गया

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
Jardhariclasses@gmail.com पर E - Mail कर सकते हैं।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में तिदिश शासन MCQ
Q1- कुमाऊँ क्षेत्र का प्रथम तिदिश आयुि था - समाज कल्याण तिभाग 2017
A.रे ि B.बैिन C.गाडणनर D.िासशिंगिन

Q2- कुमाँऊ कचमश्नरी का गठन कब तकया गया-


A.1840 B.1839 C.1838 D.1841

Q3- कुमाऊँ के तकस कचमश्नर के काि को कुमाँऊ में तिदिश शासन का स्िणण काि कहा गया-
A कैम्पबेि B.जी डब्ल्यू रे ि C.हैनरी रैमजे D कनणि गोयन

Q4- कुमाँऊ का बेताज बादशाह तकसे कहा गया-


A कैम्पबेि B.जी डब्ल्यू रे ि C.हैनरी रैमजे D कनणि गोयन

Q5-तबकेि भूचम बंदोबस्त कब तकया गया-


A.1860 B 1839 C 1863 D 1875

Q6-गढ़िाि रायिि की स्थापना कब हुई-


A.1880 B 1886 C 1887 D 1875

Q7- हलथयारों को रखने के लिये िाइसेंस नीतत तकसने अपनाई-


A.जे०आर०तग्रग B.एि०ओ०गोयन C.कैम्पबेि D.ई०ई० ग्रीज

Q8-- तिदिशों ने गढ़िाि-कुमाऊँ में आचधपत्य स्थातपत तकया


A.26 अप्रैि, 1815 B.27 अप्रैि, 1815
C.25 माचण, 1817 D.इनमें से कोई नहीं

Q9- कुमाऊँ-गढ़िाि में पहिी जेि तकस िर्षण स्थातपत हुई ? joniour assistant 2019
A.सन् 1812 ई0 B.सन् 1835 ई0 C.सन् 1816 ई0 D.सन् 1850 ई0 में

Q10-पौड़ी जेि की स्थापना तकसने की-


A.जी डब्ल्यू रे ि B.हेनरी रैमजे C.तिशर D.कनणि गोयन

Ans:- 1.c 2.b 3.c 4.c 5.c 6.c 7.a 8.b 9.C 10.a

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उत्तराखंड का इततहास
Q11-सन 1815 ई0 में, उत्तराखण्ड में प्रथम डाक प्रणािी कहाँ स्थातपत की गई ?
Uksssc joniour assistant 2019
A.अल्मोड़ा – श्रीनगर B.पौड़ी – दे हरारॄन
C.दे हरारॄन – नैनीताि D.अल्मोड़ा – नैनीताि

Q12- अस्सीसािा भूचम बंदोबस्त तकस कचमश्नर ने तकया-


A.जी डब्ल्यू रे ि B.ई० ई० ग्रीज C हेनरी रैमजे D.कनणि गोयन

Q13- गढ़िाि यूतनयन की स्थापना कब हुई-


A.1899 B.1900 C 1901 D 1905

Q14- कुिी एजेंसी की स्थापना तकसने की-


A.बद्रीदत्त पांडे B.हरगोकििंद पंत C.जोधपुर नेगी D.जोधपुर ससिंह पांडे

Q15-उत्तराखंड के प्रथम गढ़िािी समाचार पत्र का प्रकाशन कब हुआ-


A.1899 B.1900 C 1901 D 1905

Q16- अल्मोड़ा अखबार की स्थापना कब हुई-


A.1912 B.1913 C.1916 D 1911

Q17-गांधीजी ने सिणप्रथम उत्तराखंड के तकस स्थान की यात्रा की-


A.दे हरारॄन B हल्द्वानी C.नैनीताि D हररद्वार

Q18-कुमाऊँ पररर्षद की स्थापना के समय कुमाँऊ कचमश्नरी का कचमश्नर कौन था-


A.कैम्पबेि B.पी तिढ़म C.एम०डब्ल्यू०शेर्कसतपयर D.हैनरी रैमजे

Q19- दास प्रथा, बाि प्रथा, ि मतहिा तििय प्रथा को अपराध घोतर्षत करने का श्रेय तकसे
ददया गया-
A.कैम्पबेि B.कनणि गोयन C.एि०ओ०गोयन D.जी डब्ल्यू रे ि

Q20- नायक बालिका रक्षा कानून तकस कचमश्नर ने िागू तकया-


A.एम०डब्ल्यू०शेर्कसतपयर B.एन०सी०त्स्िि
C.एि०एम०स्िबस D.कैम्पबेि

Ans:- 11.a 12.a 13.c 14.c 15.d 16.a 17.d 18.b 19.b 20.b

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उत्तराखंड का इततहास

Q21- अल्मोड़ा में गांधी आश्रम की स्थापना तकसने की-


A.हरगोकििंद पंत B.शांतत िाि तत्रिेदी
C.जगतकशोरी िाि D.बद्रीदत्त नारायण

Q22-जे०एन०बेिन ने कुमाँऊ कचमश्नरी का मुख्यािय तकसे बनाया-


A.अल्मोड़ा B.हल्द्वानी C.नैनीताि D.पौड़ी

Q23-सम्पूणण उत्तराखंड में डाक सेिा कब िागू की गयी-


A.1816 B.1820 C.1817 D.1821

Q24-1857 की िांतत के समय कुमाँऊ कचमश्नर कौन थे-


joniour assistant 2019 /कतनष्ठ सहायक 2018
A.रे ि B.कैम्पबेि C.हेनरी रैमजे D.पी तिढ़म

Q25-कुमाँऊ का प्रथम भारतीय कचमश्नर कौन था-


A.के०एि०मेहता B.डब्ल्यू०जोशी C.आर०के०मेहता D.हररप्रसाद

Q26.ईस्ि इंचडया कम्पनी का िह सेनापतत जो नािापानी (खिंगा ) युद्ध में मारा गया
A.मेजर जनरि मािे B.जनरि जे एस िुड
C.जनरि जेिेस्पी D.जनरि ऑर्किरनोिी

Q27.अल्मोड़ा जेि ि पौड़ी जेि की स्थापना हुई


A.1816 ि 1818 में B.1817 ि 1821 में
C.1817 ि 1819 में D.1816 ि 1821 में

Q28.कचमश्नर रे ि ने पििारी पद का सृजन तकया


A.1818 B.1819 C.1820 D.1821

Q29 कचमश्नर रे ि ने पौड़ी जेि की स्थापना कब की


A.1816 B.1819 C.1821 D.1823

Q30.डबि िॉक व्यिस्था िागू करने िािा कचमश्नर था


A.कनणि गोयन B.हैलिन बैिन C.जी डब्ल्यू रे ि D.मोसिे स्स्मथ

ANS:- 21.b 22.c 23a 24.c 25.a 26.c 27.d 28.b 29.c 30.c

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उत्तराखंड का इततहास

Q31.अस्सीसािा भूचम बंदोबस्त कब हुई


A.1880 B.1820 C.1823 D.1860

Q32.गोरखाकािीन न्त्याय व्यिस्था(दीप व्यिस्था) को तकस कुमाऊँ कचमश्नर ने समाप्त तकया


A.जाजण िॉमस िुससिंगिन B.कनणि गोिन C.हेनरी रैम्जे D.हैलिन बैिन

Q33.दास प्रथा ि बाि तििय प्रथा को अपराध घोतर्षत करने िािा कचमश्नर था
A.कनणि गोयन B.जे आर तग्रग C.रे ि D.हैलिन बैिन

Q34.1840 में पौड़ी जनपद का गठन तकया गया इस समय कुमाऊँ कचमश्नर कौन था
A.कनणि गोयन B.जे आर तग्रग C.िॉमस िुंलशगिन D.हैलिन बैिन

Q35.कुमाऊँ ि गढिाि दो पृथक जजिे कब बनाये गए


A.1835 B.1837 C.1839 D.1842

Q36.भारत के प्रथम मेथोचडस्ि चचण की स्थापना कब हुई


A.1856 B.1857 C.1858 D.1860

Q37.नैनीताि में प्रथम मेथोचडस्ि चचण की स्थापना कब हुई


A.1856 B.1857 C.1858 D.1860

Q38.1858 में नैनीताि में मेथोचडस्ि चचण की स्थापना तकस पादरी ने की


A.तिलियम म्योर B.तिलियम र्किे C.रॉबिण तििेयर D.तिलियम बििर

Q39.िारेस्ि ग्रीिेंस कमेिी का गठन कब तकया गया


A.1920 B.1921 C.1922 D.1923

Ans- 31.c 32.b 33.a 34.c 35.c 36.c 37.c 38.d 39.B

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उत्तराखंड का इततहास
Q40.तिदिश कािीन प्रथम भू बंदोबस्त तकसके शासन काि में हुआ
A.गाडणनर B.रे ि C.बैिन D.हेनरी रैमजे

Q41.भारतीय िन तिभाग की स्थापना कब हुई


A.1964 B.1965 C.1966 D.1968

Q42.दिहरी में िन तिभाग की स्थापना कब की गयी


A.1865 B.1868 C.1869 D.1885

Q43.पंचसािा भूचम बंदोबस्त तकस कचमश्नर ने कराया


A.रे ि B.बैिन C.गाडणनर D.रैमजे

Q44.तिदिशकािीन तकस भू बंदोबस्त में खसरा सिेक्षण पद्धतत का प्रयोग तकया गया
A.तीसरा बंदों B.पांचिां बंदोबस्त C.आठिां बंदोबस्त D.नोिां बंदोबस्त

Q45. कचमश्नर रे ि ने थापिा भूचम को कब आरभक्षत तकया


A.1822 B.1824 C.1825 D.1827

Q46.बैकेि का निां तिदिश भू बंदोबस्त तकस कचमश्नर के शासन काि में हुआ
A.रे ि B.एच जी रोर्ष C.हैनरी रैमजे D.जे आर तग्रग

Ans- 40.a 41.a 42.d 43.a 44.c 45.c 46.c

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड राज्य में स्िंतत्रता आंदोिन
उत्तराखंड राज्य 1815ई० में दो भागों में तिभि हो चुका था जजसमें एक भाग गढ़िाि नरेश
सुदशणनशाह के आधीन दिहरी ररयासत जबतक शेर्ष भाग ईि इंचडया कम्पनी के अधीन था
शुरुआत में जब अंग्रेजों ने यहाँ पर शासन तकया तो यहां की जनता को अंग्रेजों का शासन
अत्यचधक सुधारिादी िगा इसके दो प्रमुख कारण थे-
1. अत्याचारी गोरखा शासन की अपेक्षा अंग्रेजी शासन जनता
को नरम ि सुधारिादी िगा
2.जनता में जागरूकता ि चेतना की कमी
िेतकन जैसे जैसे यहां की जनता जागरूक होने िगी इस क्षेत्र में
भी स्ितत्रंता आंदोिनों का प्रभाि दे खने को चमिने िगा।
उत्तराखंड में स्िंतत्रता के लिये आंदोिनों का प्रभाि ना के
बराबर था र्कयोंतक जैसे हम आपको पहिे ही बता चुके हैं तक
यहां की जनता जागरूक ि लशभक्षत नहीं थी और रॄसरा कारण यह था तक जनता को िूर
गोरखा शासन की अपेक्षा अंग्रेजी शासन नरम ि सुधारिादी िगता था
1824ई० में कुंजा तािुका के तिजय ससिंह के नेतृत्ि में उत्तराखंड में पहिा तिद्रोह तिदिश
सरकार के तिरुद्ध हुआ जजसे अंग्रेज सरकार ने बड़ी बबणरता से दबा ददया था।

उत्तराखंड मेँ 1857 की िांतत


1857 की िांतत में उत्तराखंड के गढ़िाि ि कुमाँऊ में अिग अिग पररस्स्थतत थी
कुमाऊँ में 1857 की िांतत का प्रभाि-
 1857 की िांतत के समय कुमाँऊ कचमश्नर हैनरी रैमजे था
 उत्तराखंड में 1857 की िांतत की शुरुआत रूहेिखंड(बरेिी) से हुई
 रूहेिखंड का निाब खान बहारृर खान था
 17 लसतंबर 1857 ई० को खान बहारृर खान की सेना
ने कािेखां के नेतृत्ि में हल्द्वानी पर कब्जा कर लिया
 18 लसतंबर 1857 ई० मैर्कसिेि ि चैपमैन ने हल्द्वानी को
मुि करा ददया

कािू मेहरा(उत्तराखंड का प्रथम स्िंतत्रता संग्राम सेनानी)-


 कािू मेहरा चंपाित जजिे के तबसुंग(िोहाघाि) गांि का तनिासी था।
 अिध के निाब िाजजद अिी शाह ने कािू मेहरा को एक पत्र लिखा जजसका उद्दे श्य
कुमाँऊ में अंग्रेजों के तिरुद्ध िांतत िैिाना था
 कािू मेहरा ने कुमाँऊ में एक गुप्त संगठन(िांततिीर) बनाया ि अंग्रेजों के खखिाि
आंदोिन चिाया
 गुप्त संगठन िांततिीर में कािू मेहरा का साथ आनंद ससिंह िड़तयाि, तबशन ससिंह
करायत आदद ने ददया
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उत्तराखंड का इततहास
 कािू मेहरा को उत्तराखंड का प्रथम स्िंतत्रता संग्राम सेनानी कहा जाता है
 कुमाँऊ में िांतत का प्रभाि बढ़ता दे खकर कचमश्नर
रैमजे ने कुमाँऊ में माशणि िॉ िागू तकया

गढ़िाि में 1857 की िांतत का प्रभाि-


िैसे तो संपणू ण उत्तराखंड में अट्ठारह सौ सत्तािन की िांतत का
प्रभाि बहुत कम था िेतकन कुमाऊं की अपेक्षा गढ़िाि में
यह प्रभाि बहुत कम दे खने को चमिा
1857 की िांतत के समय गढ़िाि का चडप्िी कचमश्नर बैकेि
था
बैकेि को आभास हुआ तक मैदानी भागों में अट्ठारह 1857 की िांतत की िहर उठने िगी है तो
उसने सुरक्षा के रॅतिकोण से मागों को बंद कर ददया ।
1857 के संग्राम के समय गढ़िाि के जमीदारों,थोकदारों,गढ़िाि की जनता ि गढ़िाि नरेश ने
अंग्रेि सरकार की मदद की।
यदद कहीं पर भी तिद्रोही ि तकसी पर भी उनके समथणक होने का संदेह होता तो तिदिश सरकार
उन्त्हें पकड़कर श्रीनगर में गंगा नदी के ति पर स्स्थत एक िीिे जजसे दििरी कहा जाता है उस में
खड़ा कर उन्त्हें गोिी से उड़ा दे ते थे

गढ़िाि के पदम ससिंह ि लशिराम ससिंह द्वारा तिदिश सरकार की सहायता


गढ़िाि के दो जमीदार पदम ससिंह ि लशिराम ससिंह ने तिदिश सरकार को 1857 के संग्राम
में मदद दे ने के लिए आश्वासन ददया।
1857 के संग्राम में पदम ससिंह ि लशिराम ससिंह ने भाबर घादियों की सुरक्षा की जजससे
यह िांतत पहाड़ी क्षेत्रों तक नहीं पहुंच सकी ।
तिदिश सरकार ने दोनों जमीदारों की तिदिश सरकार के प्रतत भलि दे खकर उन्त्हें तबजनौर
में अिग-अिग गांि जमीदारी हेतु प्रदान तकये।

1857 की िांतत का असर राज्य में दे खने को र्कयों नहीं चमिा था-
 अन्त्याय पूणण गोरखा शासन की अपेक्षा अंग्रेजी शासन िोगों को उदारिादी ि सुधारिादी िग
रहा था।
 .कुमाँऊ कचमश्नर रैमजे एक कुशि ि उदारिादी शासक था।
 गढ़िाि नरेश का अंग्रेजों के प्रतत भलि भाि।
 राज्य में लशक्षा ,संचार, तथा यातायात के साधनों की कमी थी।

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उत्तराखंड का इततहास
Q1-1857 में ―िात्न्त्तिीर‖ नामक संगठन की स्थापना की? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.श्री दे ि सुमन B.हशण दे ि ओिी C.दे ि ससिंह दानू D.कािू मेंहरा

Q2.1857 िांतत के समय कुमाऊँ कचमश्नर कौन था


A.जे आर तग्रग B.एच जी रोर्ष C.हैनरी रैमजे D.जे एि बैिन

Q3.कािू मेहरा तकस जनपद के तनिासी थे


A.उधम ससिंह नगर B.चंपाित C.अल्मोडा D.बागेश्वर

Q4.1857 की िांतत के समय तिदिश गढ़िाि का चडप्िी कचमश्नर था


A.बैिन B.बैकेि C.कैम्पबेि D.पी तिढ़म

Q5.1857 की िांतत के समय कुमाऊँ में मासणि िॉ तकसने िगाया


A.जे आर तग्रग B.एच जी रोर्ष C.हैनरी रैमजे D.जे एि बैिन

Q6.उत्तराखंड का प्रथम स्ितन्त्त्रता संग्राम सेनानी था


A.हरगोकििंद पंत B.बद्री दत्त पांडे C.दे ि ससिंह दानू D.कािू मेहरा

Ans- 1.d 2.c 3.b 4.b 5.c 6.d

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में जनता जागरण ि सामाजजक चेतना के तिकास
गढ़िाि यूतनयन ि गढ़िाि तहतकरणी सभा
स्थापना- सन 1901ई० को दे हरारॄन में
संस्थापक- तारादत्त गैरोिा ि उनके सहयोगी
उद्दे श्य-
 जनता को जागरुक करना,लशभक्षत करना,कुप्रथाओं को समाप्त करना जैसे कन्त्या
तििय,पशु बलि प्रथा,मददरा सेिन आदद सामाजजक बुराइयों को रॄर करना
 गढ़िाि यूतनयन एग्रिाि के तिभभन्त्न क्षेत्रों में पुरोतहतों को तनयुि तकया तातक िह गांि
के अलशभक्षत िोगों को लशभक्षत कर सके और जागरूक कर सके
 गढ़िाि यूतनयन ने 6 मई 1905 को गढ़िािी मालसक समाचार पत्र का प्रकाशन तकया
जजससे गढ़िाि यूतनयन को अपने तिचार अचधक िोगों तक पहुंचाने में मदद चमिी

गढ़िाि भ्रातृ मंडि


स्थापना:- 1907ई० िखनऊ में
संस्थापक:-मधुरा प्रसाद नैथानी
उद्दे श्य:- गढ़िाि की तिभभन्त्न जाततयों के बीच बंधत्ु ि ि सहयोग बढ़ाना
गढ़िाि में जातीय सभाओं का तिरोध करना

प्रथम अचधिेशन(1908)-
गढ़िाि भ्रातृ मंडि का प्रथम अचधिेशन 1908 को कोिद्वार में कुिानंद बड़थ्िाि जी के नेतृत्ि
में हुआ

छिा अचधिेशन-
 गढ़िाि भ्रातृ मंडि का 6िां अचधिेशन 30 ददसम्बर 1913 में हुआ
 इस अचधिेशन में दभक्षण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अत्याचारों के तिरुद्ध क्षोभ
प्रस्ताि पाररत तकया गया।
 भ्रातृ मंडि ने कहा तक सभी िाह्मण,क्षतत्रय,शुद्र अपने को एक ही शरीर के भभन्त्न-भभन्त्न
अंग समझें ि जातीय एिं िणण भेदों से हिकर संपूणण गढ़िाि की उन्त्नतत में योगदान।
 जहां एक और गढ़िाि यूतनयन समाज को लशभक्षत ि जागरूक करने का प्रयास कर
रहा था िहीं गढ़िाि भ्रातृमंडि समाज को एक साथ चमिकर रहने की सीख दे रहा था

 बाद में दोनों संगठनों का आगे चिकर गढ़िाि सभा मे तििय हुआ।

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उत्तराखंड का इततहास
गढ़िाि सभा
स्थापना- 16 िरिरी 1914(रृग्गड्डा)
16 िरिरी 1914 को रृग्गड्डा में नारायण ससिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई ि इस बैठक में
तनम्न प्रस्ताि रखे गए -
1.गढ़िाि में पतत्रकाओं ि समाचार पत्रों का एकीकरण
2.गढ़िाि यूतनयन ि गढ़िाि भ्रातृ मंडि का तििय करके गढ़िाि सभा की स्थापना करना
3.समाचार पत्रों को साप्तातहक करना
1915ई० गढ़िाि सभा द्वारा रृग्गड्डा स्स्थत स्िोिि प्रेस की स्थापना की गयी
1916ई० में गढ़िाि सभा द्वारा पहिी बार गढ़िािी सातहत्य का संकिन ि प्रकाशन प्रारम्भ
तकया

गोरक्षभण सभा
स्थापना-1907(कोिद्वार में)
संस्थापक- धनीराम चमश्र
धनीराम चमश्र को रृग्गड्डा नगर का संस्थापक माना जाता है
धनीराम चमश्र गढ़िाि में सनातन धमण से प्रभातित होकर गोरक्षभण सभा की स्थापना की
गोरक्षभण सभा के उद्दे श्य-
1.गोिध का तिरोध करना
2.गोरक्षा पर जनमत जागरण
 धनीराम चमश्र ने अपने तनजी खचण पर धमोपदे शक तनयुि तकये जो तक गांि-गांि में
घूमकर गो माता के महत्ि को समझाते थे
 गोरक्षभण सभा के कायणिम 1929ई० तक तनरन्त्तर चिते रहे िेतकन उसके बाद समाज
की सारी शलियों का झुकाि राजनीततक आंदोिनों में झुक गया था।

सारोिा सभा
स्थापना-1904
संस्थापक- तारादत्त गैरोिा
मुख्यािय- दिहरी
सभापतत-बद्रीनाथ धाम के रािि पंचडत
सरोिा सभा के उद्दे श्य-
1.िाह्मणों के शैभक्षक ि सामाजजक उत्थान हेतु प्रयास करना
2.मादक द्रव्यों पर प्रततबंध िगाना
3.िधु मूल्य पर प्रततबंध िगाना
4.सारोिा िाह्मणों को हि जोतना तनर्षेध होगा
5.सारोिा िाह्मण अन्त्य िाह्मण उपजाततयों की त्स्त्रयों से तििाह नहीं करेंगे
6.सांस्कृततक तिद्यािय बनाना ि तिद्यार्थिंयों को छात्रिृलत्त प्रदान करना
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उत्तराखंड का इततहास
सारोिा सभा के महत्िपूणण अचधिेशन-
6िां अचधिेशन- यह अचधिेशन 1911ई० में कणणप्रयाग में हुआ जजसमें 200 प्रतततनचधयों ने
भाग लिया
10िां अचधिेशन- यह अचधिेशन 1914 में कणणप्रयाग में हुआ जजसमें कन्त्या-तििय पर प्रततबंध
ि प्रांतीय काउंलसि में कुमाँऊ को प्रतततनचधत्ि ददए जाने की मांग।

क्षतत्रय सभा
स्थापना-1919
संस्थापक- जोध ससिंह नेगी ि प्रताप ससिंह नेगी
उद्दे श्य-
1.क्षतत्रयों का शैक्षभणक ि सामाजजक उत्थान करना
2.क्षतत्रयों की सामाजजक कुप्रथाओं का तनराकरण करना
 क्षतत्रय समाज के िोगों को तिदिश हुकूमत द्वारा सेना में भती तकया जाता था िेतकन िे
उच्च पदों पर नहीं पहुंच पाते थे
 1914 के प्रथम तिश्व युद्ध मे गढ़िाि सेना ने अपना अपार शौयण ददखाया ि कहिंरृस्तानी
सेना को चमिे 10 तिर्किोररया िॉस में से 2 पदक गढ़िाि रायिि के जिान गब्बर ससिंह
ि दरबान ससिंह नेगी को चमिे
 प्रथम तिश्व युद्ध के बाद पहिी बार गढ़िाि रायिि को रॉयि की उपाचध दी गयी
 गढ़िाि रायिि की इस कामयाबी से गढ़िाि के क्षतत्रय समाज के प्रतत तिदिश हुकूमत
का तिश्वास ि सम्मान और बढ़ गया।
 तिदिश हुकूमत ने प्रथम तिश्व युद्ध की जीत की खुशी पर ि गढ़िाि में 100 िर्षण शासन
के उपिक्ष्य में 30 माचण 1920 को श्रीनगर गढ़िाि में एक सभा का आयोजन तकया
 इस सभा मे िाह्मणों की बाहुल्यता दे खकर कचमश्नर पीढ़म ने कहा- जजनके सम्मान में
यह अचधिेशन तकया जा रहा है िे तो कहीं ददखाई नहीं दे रहे हैं।

गढ़िाि क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि


स्थापना- 14 लसतम्बर 1919(पौड़ी)
संस्थापक- जोध ससिंह नेगी
 3 जुिाई 1919 को गढ़िाि सभा मे रघुनाथ ससिंह बैररस्िर की अध्यक्षता में एक प्रस्ताि
रखा गया जजसका उद्दे श्य लशक्षा के प्रचार प्रसार में बढ़ािा दे ना था।
 14 लसतम्बर 1919 को जोध ससिंह नेगी द्वारा 500 रुपये दान करके छात्रिृलत्त रस्ि की
स्थापना की गयी
क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि के उद्दे श्य-क्षतत्रय युिाओं को लशभक्षत करने हेतु िण्ड एकतत्रत करना था।
 15 जनिरी 1922 ई० को क्षतत्रय िीर पाभक्षक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रताप ससिंह
नेगी के संपादन में तकया गया

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उत्तराखंड का इततहास
 1935-1938 तक कोतिाि ससिंह नेगी ि शंकर ससिंह नेगी द्वारा क्षतत्रय िीर समाचार पत्र
का सम्पादन तकया गया
 1920-1969ई० तक क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि द्वारा 68,614 रुपये ब्यय तकये गये।
 क्षतत्रय सभा द्वारा सारोिा सभा को गंगाडी सभा ि गढ़िाि तहतकारणी सभा को
खण्डू री तहतकारणी सभा कहा गया।

उत्तराखंड में ईसाई धमण का प्रचार


 कुमाऊं कचमश्नर में ईसाई चमशन का प्रारंभ सन 1850 ईस्िी में हुआ
 उत्तराखंड में ईसाई चमशन की शुरुआत िंदन चमशनरी सोसायिी के पादरी रेिरेंड बडन
ने की
 रेिरेंड बडन ने अल्मोड़ा से 1850ई० में ईसाई चमशन की शुरुआत की
 उत्तराखंड को तपछड़ेपन से रॄर करने ि यहां की लशक्षा ि सामाजजक जीिन स्तर को
सुधारने की आड़ में इसाई धमण प्रचारकों ने अपने धमण का प्रचार प्रसार शुरू
 कुमाऊं कचमश्नर हेनरी रैमजे(1856-84) द्वारा ईसाई चमशनरी को पूणण सहयोग ददया
गया
 पादरी मैं मैसमोर द्वारा पौड़ी चमशन स्कूि का उचीकरण करके 1901में हाईस्कूि तक
तकया गया
 गढ़िाि में 76 भारतीयों को धमण प्रचार के लिए तनयुि तकया गया।
 1910ई० में रृग्गड्डा में चमशन स्कूि स्थातपत तकया गया
 ईसाई धमण के प्रतत िोगों के उत्साह को दे खकर चमथोचडस्ि चमशन ने पौड़ी में 1926ई०
में जुबिी चचण की स्थापना की।
 गढ़िाि में ईसाई धमण स्िीकार करने िािा व्यलि ख्यािी राम ओड़ था।
 ख्यािी राम ओड़ लशल्पकार जातत का था जजसने 1867ई० में नगीने में ईसाई धमण
स्िीकार तकया।
 गढ़िाि में ख्यािी राम ओड़ ही प्रथम ईसाई धमण प्रचारक बना
 ख्यािी की कायण कुशिता से प्रभातित होकर थोिणण ने इसे साइमन पीिर नाम ददया।

उत्तराखंड में आयण समाज


 उत्तराखंड में आयण समाज का प्रिेश यहां बढ़ता ईसाईकरण ि अंग्रेज हुकूमत के तिरोध
के उद्दे श्य से हुआ
 1854-55ई० में स्िामी दयानंद सरस्िती उत्तराखंड भ्रमण पर आये ि हररद्वार, दिहरी,
श्रीनगर गढ़िाि, जोशीमठ, बद्रीनाथ, िसुधारा से होते हुए कैिाश मानसरोिर तक गये।
 दयानंद सरस्िती ने 10 April 1875 को मुंबई में आयण समाज की स्थापना की।
 सन 1876ई० में हररद्वार में महाकुंभ के अिसर पर दयानंद सरस्िती ने अपने मत का
प्रचार तकया

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उत्तराखंड का इततहास
 सिणप्रथम 1875ई० में नैनीताि में बनी सत्य धमण प्रचाररणी सभा का आयण समाज मे
तििय कर ददया गया।
 1879ई० में स्िामी दयानंद सरस्िती द्वारा दे हरारॄन में आयण समाज की स्थापना की
गयी।
उत्तराखंड में आयण समाज के उद्दे श्य-
1.उत्तराखंड में बढ़ते ईसाईकरण का तिरोध करना।
2.तिदिश सरकार की साम्राज्यिादी ि नीतत का तिरोध करना।
3.जनता को जागरूक ि लशभक्षत
करना।
स्िामी सत्यदे ि पररव्राजक (१८७९)
 दे हरारॄन के बाद आयण समाज की
आयणसमाज के एक संन्त्यासी, भारतीय
शाखाएं 1910ई० जसपुर ि 1920ई०
स्ितंत्रता सेनानी, तथा तहन्त्दी
में रामगढ़ खोिी गयी।
सातहत्यकार थे
 1910ई० में रृग्गड्डा में पहिा आयण
िर्षण 1913 में स्िामी सत्यदे ि
समाज स्कूि खोिा गया।
पररव्राजक अल्मोड़ा पहंचे और उन्त्होंने
 1913ई० में िािा िाजपतराय की
'शुद्ध सातहत्य सचमतत' की स्थापना की
उपस्स्थतत में
इस सचमतत का मुख्य उद्दे श्य जनता में
सुनतकया(मुिेश्वर/अल्मोड़ा) में आयण
राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना था
समाज के शुजद्धकरण समारोह में
हररजनों को जनेऊ प्रदान कर उन्त्हें
सिणो के समकक्ष बराबरी का दजाण ददिाये जाने का प्रयास तकया गया।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में जनता जागरण ि सामाजजक चेतना के तिकास MCQ
Q1- गढ़िाि तहतकाररणी सभा की स्थापना हुई थी : Forest guard 2020
A. सन् 1902 ई0 में B. सन् 1901 ई0 में
C, सन् 1905 ई0 में D. सन् 1918 ई0 में

Q2.गढिाि भ्रातृ मंडि की स्थापना कब हुई


A.1906 B.1907 D 1908 D.1911

Q3.गढिाि भ्रातृ मंडि की स्थापना तकसने की


A.श्री दे ि सुमन B.अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा
C.मथुरा प्रसाद नैथानी D.कुिानंद बड़थ्िाि

Q4.गढिाि भ्रातृ मंडि के प्रथम अचधिेशन का नेतत्ृ ि तकसने तकया


A.श्री दे ि सुमन B.अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा
C.मथुरा प्रसाद नैथानी D.कुिानंद बड़थ्िाि

Q5.गढिाि सभा का गठन कब हुआ


A.11 िरिरी 1914 B.12 िरिरी 1914 C.14 िरिरी 1914 D.16 िरिरी 1914

Q6.गढिाि सभा का गठन 1914 में कहां तकया गया


A.श्रीनगर B.कोिद्वार C.रृगड्डा D.पौड़ी

Q7.गढिाि में गोरक्षणी सभा की स्थापना कब हुई


A.1905 B.1907 C.1909 D.1911

Q8.गढिाि में गोरक्षणी सभा की स्थापना 1907 में तकसने की


A.नारायण ससिंह B.कुिािन्त्द बड़थ्िाि C.धनीराम D.तारादत्त गैरोिा

Q9.तारादत्त गैरोिा द्वारा 1904 में सरोिा सभा की स्थापना की गयी इसका मुख्यािय कहाँ
बनाया गया
A.पौड़ी B.दिहरी C.कोिद्वार D.गुजडू

Q10.गढिाि क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि की स्थापना कब की गयी


A.1916 B.1919 C.1923 D.1926

Ans- 1.b 2.b 3.c 4.d 5.d 6.c 7.b 8.c 9.b 10b
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उत्तराखंड का इततहास
Q11.गढिाि क्षतत्रय छात्रिृलत्त रस्ि की स्थापना तकसने की
A.तारादत्त गैरोिा B.जोध ससिंह नेगी C.धनीराम चमश्र D.मथुरा प्रसाद

Q12.अल्मोड़ा में शुद्ध सातहत्य सचमतत की स्थापना तकसने की


A.दयानंद सरस्िती B.स्िामी तििेकानंद
C.स्िामी तिचारनन्त्द सरस्िती D.स्िामी सत्यदे ि पररव्राजक

Q13.अल्मोड़ा में शुद्ध सातहत्य सचमतत की स्थापना कब की गयी


A.1912 B.1913 C.1916 D.1917

Q14.रृग्गडा में पहिा आयण समाज स्कूि कब खोिा गया


A.1910 B.1911 C.1912 D.1913

Q15.पौड़ी में जुबिी चचण की स्थापना कब हुई


A.1923 B.1925 C.1926 D.1927

Q16.गढ़िाि में ईसाई धमण स्िीकार करने िािा व्यलि था


A.तुिसी राम B.सोबन आयण C.ख्यािी राम ओढ़ D.मंगतराम िम्िा

Q17.गढ़िाि भ्रातृ मंडि का प्रथम अचधिेशन कहाँ हुआ


A.श्रीनगर B.रृग्गडा C.गुजडू D.कोिद्वार

Ans- 11.b 12.d 13.b 14.a 15.c 16.c 17.d

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उत्तराखंड का इततहास
कुिी बेगार प्रथा
उत्तराखंड में बेगार प्रथा तिदिश शासन से पहिे से चिती आ रही थी िेतकन तिदिशों ने बेगार
प्रथा के माध्यम से यहाँ के िोगों का अनेक प्रकार से शोर्षण करना शुरू तकया बेगार प्रथा
के अंतगणत यहाँ के िोग तिदिश अचधकाररयों का सामान ढोते तिदिश अचधकाररयों के लिये
भोजन सामग्री मुहैया करिाते थे जबतक तिदिश इसके बदिे यहाँ की जनता को कुछ भी नही
दे ते थे
बेगार प्रथा तीन प्रकार की थी-
1.कुिी बेगार :- जब कोई तिदिश अचधकारी एक गांि से रॄसरे गांि भ्रमण पर जाता तो िहाँ के
िोगों से तबना बेगार(पैसे) ददये सामान एक गांि से रॄसरे गांि पहुंचाते थे
2.कुिी उतार:- जब गांि के िोग सड़कों पर उतरकर कुिी का काम करते थे
3.कुिी बदाणयश:- जजस गांि में तिदिश अचधकारी रात को तिश्राम करते थे उस गांि के िोग
तिदिश अचधकारी के लिये खाद्य सामग्री की ब्यिस्था करते थे

कुिी बेगार आन्त्दोिन


 1822ई० में कुमाँऊ के तत्कािीन कचमश्नर रे ि ने खच्चर सेना की स्थापना की
जजससे सामान की ढु िाई खच्चरों से की जाये
 1903 में खत्याड़ी गांि(अल्मोड़ा) के ग्रामीणों ने बेगार दे ने का तिरोध तकया इन पर
मुकदमा चिाया गया और इिाहाबाद उच्च न्त्यायािय में याचचका दजण की गयी
िेतकन इिाहाबाद उच्च न्त्यायािय ने कुिी बेगार को अिैध बताकर इन्त्हें मुि तकया
 1903ई० को िाडण कजणन कुमाँऊ ि गढ़िाि की यात्रा पर आये ि तगिाणण के गोरी
दत्त तबि ि महंत नारायण दास ने उनसे मुिाकात की ि कुिी बेगार ि जंगिात
क़ानून पर चचाण की
 1907 में सरकार ने बेगार लिए जाने पर मूल्य ददये जाने की घोर्षणा की
 1913 में रुद्रप्रयाग में कुिी एजेंसी की स्थापना हुई
 14 जुिाई 1913 ई० अल्मोड़ा अखबार के संपादक बद्रीदत्त पांडे ने कुिी बेगार ि
जंगिात तिरोधी कानून के तिरोध में एक िेख छापा जजसमे बताया तक जंगिात
कानून हमारी आर्थिंक गतततिचधयों पर असर करता है िेतकन बेगार प्रथा हमें
मानलसक रूप से पीचड़त करती है
 1918 में बद्रीदत्त पांडे जी ने किकत्ता में गांधी जी से मुिाकात की ि उन्त्हें कुिी
बेगार से अिगत कराया
 1920ई० में कुमाँऊ पररर्षद के चौथे अचधिेशन में हरगोकििंद पंत की अध्यक्षता में
कुिी बेगार प्रथा को समाप्त करने का प्रस्ताि रखा गया
 1920ई० में बद्रीदत्त पांडे ने कोिकाता जाकर गांधी जी से मुिाकात की ि कुिी
बेगार प्रथा से अिगत कराया
 1 जनिरी 1921ई० को कत्यूर के चामी गांि के हरु मंददर में 400 िोगों ने एक
साथ बेगार न दे ने की शपथ िी
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उत्तराखंड का इततहास
कुिी बेगार प्रथा का अंत:-
 10 जनिरी 1921 को बागेश्वर में कुिी बेगार के तिरोध में भीड़ जमा होने िग गयी थी
 अल्मोड़ा के तत्कािीन चडप्िी कचमश्नर "डायबि" ने भीड़ पर ज्यादा ध्यान नहीं ददया
 13-14 जनिरी 1921 को 40 हजार िोगों ने बद्रीदत्त पांडे,हरगोकििंद पंत ि
चचरंजीिीिाि के नेतृत्ि में बागनाथ मंददर की पूजा अचणना की ि उसके बाद जुिूस
तनकािा
 जुिूस के सबसे आगे झंडे पर लिखा था- "कुिी बेगार बंद करो"
 अल्मोड़ा के तत्कािीन चडप्िी
कचमश्नर"डायबि" ने भीड़ पर गोिी दागनी
चाही िेतकन भीड़ अचधक दे खकर ि डर
गया
 इसके बाद सरयू मैदान पर एक सभा होती है
इस सभा को संबोचधत कर बद्रीदत्त पांडे ने
कहा"पतित्र सरयू का जि ि बागनाथ मंददर
को साक्षी मानकर प्रततज्ञा करो तक आज से कुिी उतार, कुिी बेगार, कुिी बदाणशय नहीं
दोगे
 13-14 जनिरी 1921 को बागेश्वर में सरयू नदी के तकनारे उत्तरायणी मेिे में बद्रीदत्त
पांडे,हरगोकििंद पंत ि चचरंजीिाि के नेतृत्ि में िगभग 40 हजार आंदोिनकाररयों ने
बेगार न दे ने का संकल्प लिया
 13 जनिरी 1921 को संिांतत के ददन सरयू नदी के तकनारे सभा आयोजजत की गयी
 14 जनिरी 1921 को बद्रीदत्त पांडे ने बागनाथ मंददर के सामने बेगार न दे ने की शपथ
िी
 सभी मुखखयों ि ग्राम प्रधानों ने बेगार सम्बन्त्धी रजजस्िर सरयू में बहा ददये
 इसी आंदोिन के पिात बद्रीदत्त पांडे को कुमाँऊ केशरी की उपाचध दी गयी

कुिी एजेंसी(1908-1924ई०):-
 कुिी एजेंसी का पूरा नाम:-रांसपोिण एंड सप्िाई कॉपरेदिि एसोलसएशन
 कुिी एजेंसी का तिचार सिणप्रथम तगररजा दत्त नैथानी ने रखा
 1908ई० में जोध ससिंह नेगी ने कूिी एजेंसी की स्थापना की ि इसका
मुख्यािय पौड़ी था
 1912 ई० में िैंसडोन में कुिी एजेंसी की स्थापना हुई

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उत्तराखंड का इततहास
कुमाँऊ पररर्षद(1916-26)
कुमाऊँ पररर्षद की प्रथम कल्पना 31 माचण 1908 को अल्मोड़ा अखबार ने की थी।
स्थापना - लसतम्बर 1916
प्रयास - बद्री दत्त पांडे, हरगोकििंद पंत, गोकििंद िल्िभ पंत
मोहन जोशी, प्रेम िल्िभ पांडे आदद के प्रयास से
स्थान- कुमाँऊ पररर्षद की स्थापना नैनीताि के मझेड़ा ग्राम में हुई।
अध्यक्षता-रायबहारृर नारायण दत्त चछपाि

कुमाँऊ पररर्षद के अचधिेशन


प्रथम अचधिेशन - लसतंबर 1917
अध्यक्ष - जयदत्त जोशी(अिकाश प्राप्त चडप्िी किेर्किर) प्रथम अचधिेशन में अल्मोड़ा अखबार
स्थान- अल्मोड़ा के संपादक बद्रीदत्त पांडे का यह कथन
उद्दे श्य- कुमाँऊ पररर्षद का प्रचार-प्रसार था
‗राजा िहीं रहेंगे श्रीमान जाजण पंचम
तद्वतीय अचधिेशन-24-25 ददसबंर 1918 प्रत्येक श्वेत चमाण राजा न बन सकेगा.‘

अध्यक्ष- रायबहारृर तारादत्त गैरोिा


स्थान- हल्द्वानी
िक्ष्य –इस अचधिेशन में कुिी बेगार से मुलि और जंगिात के अचधकार जनता को िौिाने
सम्बन्त्धी प्रस्ताि रखे गये,

तीसरा अचधिेशन(22-24 अर्किू बर 1919)-


स्थान-कोिद्वार
अध्यक्ष- राय बहारृर बदरी दत्त जोशी
िक्ष्य –यह अचधिेशन गुरु परम्परा ि तहन्त्रॄ मुस्स्िम एकता के लिए याद तकया जाता है

चतुथण अचधिेशन(21-23 ददसम्बर 1920)-


स्थान - काशीपुर
अध्यक्ष - हरगोकििंद पंत
प्रस्ताि - असहयोग आंदोिन ि जंगिात समस्या,कुिी बेगार

पांचिा अचधिेशन (1923)-


स्थान – िनकपुर
अध्यक्ष - बद्रीदत्त पांडे
िक्ष्य -भूचम बंदोबस्त ि िन नीतत पर चचाण।

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उत्तराखंड का इततहास
अंततम अचधिेशन(1926)-
स्थान - गतनयातोिी(रानीखेत)
अध्यक्ष - मुकंदी िाि

1926 ई० में कुमाँऊ पररर्षद का तििय कांग्रेस में हो गया था

होमरूि िीग –
उत्तराखंड में होम रूि िीग की स्थापना – 1914
बद्रीदत्त पांडे का कथन - हमने छिी बुदढ़या बसन्त्ती की होमरूि िीग नहीं खोिी है िरन
िोकमान्त्य ततिक िािी िीग की स्थापना की है
बाि गंगाधर ततिक ने होम रूि िीग की स्थापना - 28 अप्रैि 1916
एनी बेसिें ने होम रूि िीग की स्थापना - लसतम्बर 1916
दे हरारॄन में 1918 में स्िामी तिचारनन्त्द सरस्िती ने होम रूि िीग की एक शाखा स्थातपत की

याद रखें –
1. 1912 ई० में अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना हुई
2. कुमाँऊ पररर्षद ने कुिी बेगार, कुिी उतार, जंगिात कानून,भूचम बंदोबस्त प्रणािी आदद
स्थानीय समस्याओं के साथ स्िंतत्रता आंदोिन में भी महत्िपूणण भूचमका तनभाई
3. 1918ई० में बैररस्िर मुकंदी िाि ि अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने गढ़िाि कांग्रेस कमेिी की
स्थापना की
4. 1921 ई० कुिी बेगार प्रथा का अंत हो गया

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उत्तराखंड का इततहास
कुिी बेगार प्रथा ि कुमाँऊ पररर्षद MCQ
Q1- कुमाऊँ पररर्षद का पहिा अचधिेशन कब और कहाँ हुआ? joniour assistant 2019
A.सन् 1917 ई0 – अल्मोड़ा B.सन् 1917 ई0 – नैनीताि
C.सन् 1916 ई0 – अल्मोड़ा D.सन् 1918 ई0 – नैनीताि

Q2-1917 ई० में अल्मोड़ा में आयोजजत कुमाऊँ पररर्षद के पहिे अचधिेशन की अध्यक्षता की
गई : group c 2018
A.इन्त्द्रिाि साह B.मोहन जोशी C.जयदत्त जोशी D.चन्त्द्रिाि साह

Q3-कुमायूँ पररर्षद का गठन तकस िर्षण में तकया गया ? ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.1900 ई. में B.1903 ई. में C.1916 ई. में D.1905 ई. में

Q4.कुमाऊँ पररर्षद के तद्वतीय अचधिेशन की अध्यक्षता तकसने की


A.तारादत्त गैरोिा B.बद्रीदत्त जोशी C.हरगोकििंद पंत D.बद्रीदत्त पांडे

Q5.कुमाऊँ पररर्षद के अंततम अचधिेशन की अध्यक्षता तकसने की


A.तारादत्त गैरोिा B.बद्रीदत्त जोशी C.मुकंदीिाि D.बद्रीदत्त पांडे

Q6-―कुिी बेगार प्रथा‖ के तिरुद्ध आन्त्दोिन से संबचं धत नदी कौन सी है ?


सहायक तिकास अचधकारी 2018
(a). भागीरथी (b). सरयू (c). अिकनन्त्दा (d). कािी
Q7-―कुिी बेगार प्रथा‖ का हि तनकािने के लिए खच्चर सेना की स्थापना करने िािे कचमश्नर
का नाम है – सींचपाि 2017
A.बैिनB.रे ि C.रैमजे D.बैकि

Q8-―कुिी बेगार‖ आन्त्दोिन कहाँ शुरू हुआ? समाज कल्याण तिभाग 2017
A.बागेश्वर B.जागेश्वर C.मुिेश्वर D.िनकपुर

Q9-―कुिी बेगार प्रथा‖ के तिरुद्ध आन्त्दोिन से संबचं धत नदी कौन सी है ?


सहायक तिकास अचधकारी परीक्षा 2018
(a). भागीरथी (b). सरयू (c). अिकनन्त्दा (d). कािी

Ans- 1.a 2.c 3.c 4.a 5.c 6.b 7.b 8.a 9.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q10.कुमाऊँ पररर्षद के तृतीय अचधिेशन की अध्यक्षता तकसने की
A.तारादत्त गैरोिा B.बद्रीदत्त जोशी C.हरगोकििंद पंत D.बद्रीदत्त पांडे

Q11.कचमश्नर रे ि ने कुिी बेगार प्रथा हिाने के लिये खच्चर सेना की स्थापना कब की


A.1821 B.1822 C.1819 D.1823

Q12.जोध ससिंह नेगी ने कुिी एजेंसी की स्थापना कब की


A.1907 B.1908 C.1909 D.1910

Q13.कुमाऊँ पररर्षद के पांचिे अचधिेशन की अध्यक्षता तकसने की


A.तारादत्त गैरोिा B.बद्रीदत्त जोशी C.हरगोकििंद पंत D.बद्रीदत्त पांडे

Q14.कुिी बेगार आंदोिन 1921 के समय अल्मोड़ा का चडप्िी कचमश्नर कौन था


A.इबिसन B.बििर C.डायबि D.बैकेि

Q15.कुमाऊँ पररर्षद का कौन सा अचधिेशन तहन्त्रॄ मुस्स्िम एकता का प्रतीक माना जाता है
A.तद्वतीय B.तृतीय C.पांचिा D.अंततम

Q16.काशीपुर में खद्दर आश्रम की स्थापना 1918 में तकसके द्वारा की गयी
A.बद्रीदत्त जोशी B.मुकंदीिाि C.बद्रीदत्त पांडे D.गोकििंद िल्िभ पंत

Q17.कुमाऊँ पररर्षद के चौथे अचधिेशन की अध्यक्षता तकसने की


A.तारादत्त गैरोिा B.बद्रीदत्त जोशी C.हरगोकििंद पंत D.बद्रीदत्त पांडे

Q.18 अल्मोड़ा कांग्रस


े की स्थापना कब हुई
A.1812 B.1912 C.1916 D.1918

Q19.उत्तराखंड में होम रूि िीग की स्थापना कब हुई


A.1913 B.1914 C.1915 D.1916

Q20.दे हरारॄन में 1918 में होमरूि िीग की शाखा तकसने स्थातपत की
A.अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा B.स्िामी सत्यदे ि C.स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती D.मुकंदी िाि

Q21.कुिी एजेंसी का तिचार सिणप्रथम तकसने रखा


A.हरगोकििंद पंत B.जोध ससिंह नेगी C.तगररजा दत्त नैथानी D.मोहन जोशी
Ans- 10.b 11.b 12.b 13.d 14.c 15.b 16.d 17.c 18.b 19.b 20.c 21.c

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उत्तराखंड का इततहास
गांधी जी की उत्तराखंड यात्रा ि प्रमुख आंदोिन
 1915 में अप्रैि माह में गांधी जी कुम्भ मेिे के अिसर पर हररद्वार की यात्रा पर आये
यह गांधी जी का उत्तराखंड में प्रथम आगमन था इस यात्रा के दौरान गांधी जी ऋतर्षकेश
ि स्िगाणश्रम भी गये।
 1916 में गांधी जी रृबारा उत्तराखंड की यात्रा पर आये ि
हररद्वार में गुरूकुि कांगड़ी तिभश्वद्यािय में ब्याख्यान
ददया।
 1916 में गांधी जी ने दे हरारॄन की यात्रा की।
 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोिन की
शुरुआत की शुरुआत की जजसका उत्तराखंड में अत्यचधक
प्रभाि पड़ा।
 कुमाँऊ पररर्षद ने अपने चौथे अचधिेशन में असहयोग को पूणण समथणन ददया ि
असहयोग िाने की घोर्षणा की।

गांधी जी की कुमाऊँ यात्रा(14 जून-2 जुिाई 1929):-


 गांधी जी की कुमाऊँ की यह प्रथम यात्रा थी
 गांधी जी का कुमाऊँ आगमन- 14 जून 1929
 गांधी जी कस्तुरबा गांधी, जिाहर िाि नेहरू, आचायण कृपिानी, सुचेता कृपिानी,
सचचि प्यारे िाि, के साथ नैनीताि के ताकुिा पहुंचे
 इस यात्रा के दौरान गांधी जी ने हल्द्वानी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, कौसानी आदद क्षेत्रों का
भ्रमण तकया
 गांधी जी 15 जून को भिािी पहुंचे
 17 जून को ताड़ीखेत पहुंचे
 18 जून को गांधी जो अल्मोड़ा पहुंचे
 19 जून को गांधी जी कोसानी के लिए रिाना हुए
 22 जून को बागेश्वर में स्िराज भिन का लशिान्त्यास तकया यह स्िराज भिन मोहन
जोशी ने बनाया था 23 जून को पुनः कोसानी िौिे

कौसानी:-
 कौसानी बागेश्वर के गरुड़ जजिे का एक गांि है जो तक
कोसी नदी ि गोमती नदी के बीच बसा हुआ है
 गांधी जी ने कौसानी को "भारत का स्स्िि् जरिैंड
कहा"। कौसानी
 गांधी जी ने कौसानी में 12 ददन के प्रिास में
"अनाशलि योग नामक गीता"की भूचमका लिखी
 गांधी जी ने अपनी पुस्तक"यंग इंचडयन" में कौसानी के सौंदयण का तििरण तकया है।

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उत्तराखंड का इततहास
16-24 अर्किू बर 1929 में गांधी जी ने पुनः गढ़िाि की यात्रा की ि दे हरारॄन,मसूरी आदद क्षेत्रों
का भ्रमण तकया।
26 जनिरी 1930 को पूरे दे श में अनेकों जगह पर ततरंगा िहराया गया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
ने इस ददन भारत को पूणण स्िराज घोतर्षत तकया

डांडी यात्रा(12 माचण-6 अप्रैि 1930)-


डांडी यात्रा में गांधी जी के साथ 78 सत्याग्रतहयों में तीन ब्यलि(ज्योततराम कांडपाि, भैरि दत्त
जोशी ि गोरखिीर खड़क बहारृर) उत्तराखंड से थे

गांधी जी की पूनः कुमाऊँ यात्रा 1931- गांधी जी 18 मई 1931 को नैनीताि पहुंचे

गांधी आश्रम (चनोदा) की स्थापना(1937)-


स्थापना - 1937 शांतत िाि तत्रिेदी
 1937 में शांततिाि तत्रिेदी ने सोमेश्वर(अल्मोड़ा) के चनोदा में गांधी आश्रम की स्थापना
की यह स्थान स्िन्त्त्रता आंदोिन ि चेतना का प्रमुख
केंद्र बन गया था।
 2 लसतम्बर 1942 को अल्मोड़ा के चडप्िी कचमश्नर ने
चनोदा आश्रम पहुंचकर कायणकताणओं को तगरप्तार
तकया
 अल्मोड़ा के तत्कािीन चडप्िी कचमश्नर ने कुमाँऊ के
गांधी आश्रम(अल्मोड़ा)
तत्कािीन कचमश्नर ऐ०डव्िू०इििसन को लिखा था
तक" जब तक यह आश्रम चािू है इस क्षेत्र में तिदिश शासन चिाना मुस्श्कि है"
 2 लसतम्बर 1942 को कचमश्नर ने गांधी आश्रम पर तािा िगिा ददया था।

यह भी जानें
पेशािर कांड(23 अप्रैि 1930)-
गढ़िाि राइिल्स की इकाई 2/18 के सैतनकों ने चंद्रससिंह गढ़िािी के नेतृत्ि में तनहत्थे अिगान
स्िन्त्त्रता सेनातनयों पर गोिी चिाने से इन्त्कार कर ददया
अंग्रज े कमांडर- ररकेि
अन्त्य गढ़िाि राइिि के लसपाही- नारायण ससिंह गुसाईं, हरक ससिंह धपोिा, महेंद्र ससिंह नेगी,
केशर ससिंह राित, भोिा ससिंह बुिोिा,
गाड़ोददया स्िोर डकैती कांड(6 जुिाई 1930)-
ददल्िी में हुए इस डकैती कांड में उत्तराखंड से भिानी ससिंह की महत्िपूणण भूचमका थी

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड के प्रमुख ऐततहालसक आंदोिन
लशल्पकार सुधार ि डोिा पािकी आंदोिन
 यह आंदोिन तनम्न जातत के उत्थान हेतु प्रमुख आंदोिन था
 डोिा पािकी आंदोिन का नेतृत्ि जयानंद भारती ने तकया
 उत्तराखंड में तनम्न जातत के िोगों को शादी सामारोह में डोिा पािकी में नहीं बैठने
ददया जाता था ि साथ ही उनके साथ अनेक अभद्र व्यिहार तकये जाते थी
 इसी तिरोध में लशल्पकार आंदोिन ि डोिा पािकी आंदोिन शुरू हुआ
 1905 में कुमाऊँ में िम्िा सुधाररणी सभा गदठत हुई ि 1913 में इसका रूपांतरण
लशल्पकार सभा के रूप में हुआ
 1906 में सिणप्रथम लशल्पकार नाम दे ने का प्रयास तकया गया
 1911 में हररप्रसाद िम्िा ने दलितों के लिए लशल्पकार शब्द का प्रयोग तकया
 1913 में नैनीताि के सुनतकया गांि में िािा िाजपत राय की उपस्स्थतत में आयण
समाज के शुजद्धकरण समारोह में हररजनों को जनेऊ प्रदान कर उन्त्हें सिणों के समकक्ष
बराबरी का दजाण ददया गया
 1931 में खुसीराम आयण ने कुमाऊँ लशल्पकार सुधाररणी सभा का गठन अल्मोड़ा में
तकया गया

लशल्पकार सम्मेिन- अमन सभा


गठन - निम्बर 1930 िैंसडौन में
 1925 में अल्मोड़ा के ड्योिी गांि में।पहिा
उद्दे श्य - िैंसडौन छािनी को
लशल्पकार सम्मेिन आयोजजत हुआ ि इसी
राष्ट्रिादी आंदोिन से बचाना
समय 1925 में तिदिश गढ़िाि में भी दलित
इस सभा के सदस्यों ने अमन सभा
जाततयों के उत्थान हेतु एक सािणजतनक सभा
का गठन कांग्रेस के प्रततपक्ष के
आयोजजत की गयी जजसकी अध्यक्षता तारा
रूप में तकया िे यह ददखाना चाहते
दत्त गैरोिा में की
थे तक गढ़िाि में कांग्रेस का प्रभाि
 रॄसरा सम्मेिन 1930 में कुमाऊँ में हुआ
खत्म हो चुका है
 1933 में लशल्पकार सम्मेिन
अमन सभा के अनुरोध पर सर
मजखािी(अल्मोड़ा) में हुआ
मैल्कम हैरी पौड़ी आये
 1941 में बागेश्वर मेिे मेंलशल्पकार सम्मेिन
आयोजजत तकया गया

1932 में बद्रीदत्त जोशी जी की अध्यक्षता में कुमाऊँ समाज सम्मेिन आयोजजत तकया गया
1935 में श्रीनगर में सी एच चोतिन की अध्यक्षता में दलितों के उत्थान हेतु सभा का आयोजन
तकया गया

23 िरिरी 1941 को िैंसडाउन में डोिा पािकी सम्मेिन आयोजजत तकया गया इसमें संकल्प
लिया गया तक हररजनों पर होने िािे अत्याचारों पर प्रततबंध िगाया जाए
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उत्तराखंड का इततहास
गाड़ी सड़क आंदोिन -
 श्रीनगर सम्मेिन 1938 में गाड़ी-सड़क आंदोिन की बात उठाई गयी
 उद्दे श्य - गढ़िाि में सड़कों का तनमाणण
 इसी दौरान जाग्रत गढ़िाि संघ की स्थापना हुई जजसका अध्यक्ष प्रताप ससिंह नेगी को
बनाया गया
 जागृत गढ़िाि संघ ने गाड़ी सड़क आंदोिन में महत्िपूणण भूचमका तनभाई

गुजडू आंदोिन -
 गुजडू दभक्षण गढ़िाि का एक ग्रामीण क्षेत्र था जो स्िन्त्त्रता आंदोिन के समय
आंदोिनकाररयों का एक प्रमुख केंद्र था
 गुजडू आंदोिन का नेतृत्ि राम प्रसाद नोदियाि ने तकया
 गुजडू को गढ़िाि का बारदोिी कहा जाता है

नायक सुधार आंदोिन -


 नायक जाती उत्तराखंड की एक जातत थी।
इस जातत की कन्त्याओं को िेश्यािृलत्त में
धकेिा जाता था । नायक जातत की उत्पतत –
 नायक समाज की इस कुप्रथा का अंत करने चंद िंश के राजा भारती चंद के
के लिए नायक सुधार आंदोिन हुआ शासन काि में जब भारती चंद
 नायक सुधार आंदोिन में बद्रीदत्त पांडे, की सेना डोिी अभभयान पर थी
गोकििंद िल्िभ पंत, मुकंदी िाि आदद ने उस समय िहाँ की मतहिाओं के
महत्िपूणण भूचमका तनभाई साथ सैतनकों के अिैध संबंध बन
 नायक सुधार सचमतत का गठन - 1919 गए थे और इन मतहिाओं से जन्त्मे
 नायक बालिका रक्षा कानून - 1929 बच्चों को कििाि जातत या
 तिदिश सरकार ने 1929 में नायक बालिका नायक जातत कहा गया इस प्रकार
रक्षा कानून िागू तकया जजसके माध्यम से भारती चंद के शासन काि में
कन्त्याओं से िेश्यािृलत्त कराना तनर्षेध कर नायक जातत का उद्भि हुआ
ददया

कनकिा बैि आन्त्दोिन - कनकिा बैि आन्त्दोिन


की शुरुआत अल्मोड़ा के बचडयार रेि (िमगड़ा) गाँि से हुई। यह आंदोिन अचधकाररयों द्वारा
तकए गए भ्रिाचार के खखिाि तकया गया था। अल्मोड़ा में एक बैि के ऋण िेने के लिए दो
बार कान कािे गए | और दो बार ऋण लिया गया तथा दो बार बीमा की रालश हड़प कर िी गई
| जजसके ििस्िरूप भ्रि अचधकाररयों के इस भ्रिाचार उजागर करने के लिए इस बैि को
राज्यों के तिभभन्त्न क्षेत्रों में घुमाया गया तथा अचधकाररयों के भ्रिाचार का पदाणिाश तकया गया।
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उत्तराखंड का इततहास
भारत छोड़ो आंदोिन ि उत्तराखंड
भारत छोड़ो आंदोिन की शुरुआत 1942 में शुरू हुई जजसमें गांधी जी ने करो या मरो का नारा
ददया पूरा दे श इस आंदोिन में कूद पड़ा ऐसे में उत्तराखंड भी कहाँ रुकने िािा था उत्तराखंड में
भी जगह जगह प्रदशणन ि हड़तािे हुई

दे घाि गोिी कांड:-


19 अगस्त 1942 को अल्मोड़ा में में तिनोिा(तिनोद) नदी के समीप दे घाि में एक शांतत पूिणक
सभा का आयोजन तकया गया था इस सभा को चारों और से पुलिस ने घेर लिया ि एक
सत्याग्रही खुशाि ससिंह मनराि को तहरासत में िे लिया
जब सत्याग्रतहयों को इस बात का पता चिा तो िे खुशाि
ससिंह मनराि को छु ड़ाने की मांग करने िगे अतनयत्न्त्त्रत
भीड़ पर काबू पाने के लिये पुलिस ने भीड़ पर गोिी चििा
दी
इस दे घाि गोिी कांड में हीरा मभण गडोिा, हररकृष्ण उप्रेत,
बद्रीदत्त कांडपाि शाहीद हो गये

धामधो(सािम) गोिी काण्ड:-


25 अगस्त 1942 को सेना ि जनता के बीच झड़प हुई जजसमें पत्थर ि गोलियों चिी इस
संघर्षण में दो प्रमूख नेता"दिका ससिंह ि नरससिंह धानक शातहद हो गये

सल्ि गोिी काण्ड(1942):-


5 लसतम्बर 1942 को सल्ि क्षेत्र के खुमाड़ गांि में एक जनसभा का आयोजन तकया गया सभी
आन्त्दोिनकारी जुिूस तनकिते हुए सभा मे पहुंचे तिदिश अचधकारी जॉनसन ने भीड़ को हिने
का आदे श ददया िेतकन सभा पर जॉनसन की धमकी का कोई भी असर नहीं पड़ा
तिदिश सेना ने भीड़ पर गोिी चििा दी इस गोिी कांड में गंगाराम तथा खीमादे ि नामक दो
सगे भाई शहीद हो गये
खुमाड़ गांि में 5 लसतम्बर को शहीद स्मृतत ददिस के रूप में मनाया जाता है

‗उत्तराखंड का सम्पूणण इततहास‘ में आपकी सुतिधानुसार आगामी प्रततयोगी पररक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, इस तकताब का तनमाणण तकया गया है जजसमें तिस्तृत अध्ययन के साथ Topic Wise
MCQ भी ददए गए हैं।
इस तकताब में आँकड़ो एिं तथ्यों को प्रस्तुत करने में पूरी सािधानी बरती गई है, तिर भी तकसी
प्रकार की मानिीकृत त्रुदि होने पर आप हमें E-mail कर सकते हैं।
इसके साथ ही इस तकताब के बारे में अपना Rivew दे ने के लिए आप हमें
Jardhariclasses@gmail.com पर E - Mail कर सकते हैं।

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उत्तराखंड का इततहास
दिहरी राज्य आन्त्दोिन
दिहरी ररयासत:- उत्तराखंड में जब गोरखाओं का शासन चि रहा था तो प्रद्युम्न शाह के पुत्र
सुदशणनशाह शाह ने अंग्रेजों से मदद मांगी ि 1815 में अंग्रेजों ने उत्तराखंड से गोरखाओं खदे ड़
ददया िेतकन बदिे में अंग्रेज सम्पूणण कुमाँऊ ि गढ़िाि के कुछ तहस्सों पर कब्जा कर दे ते हैं ि
सुदशणनशाह को दिहरी ररयासत के राजा घोतर्षत करते हैं ि सकिाना पट्टी के दो मािीदार
लशिराम ि काशीराम को सकिाना क्षेत्र सौंप दे ते हैं र्कयोंतक इन दोनों ने
गोरखा युद्ध में अंग्रज
े ों की बहुत मदद की।
लशिराम ि काशीराम ने अपनी शलि का रृरुपयोग करना शुरू तकया ि
सकिाना की जनता से तरह- तरह के िगान ि कर िसूिने िगे।

अठु र तिद्रोह(1851):- ततहाड़ कर के तिद्रोह में सकिाना की जनता ने


1851 में एक तिद्रोह तकया जजसका नेतृत्ि श्री बद्री ससिंह असिाि ने तकया इस तिद्रोह को अठु र
तिद्रोह के नाम से जाना जाता है

1857 की िांतत :- 1857 की िांतत का दिहरी राज्य में कोई भी असर दे खने को नहीं चमिा

बारह आना बीसी भूचम ब्यिस्था(1861):- अठु र तिद्रोह को दे खकर 1861 में बारह आना बीसी
भूचम ब्यिस्था िागू की गयी

दिहरी ररयासत में िन प्रबंधन ि प्रमुख आंदोिन


1840 में दिहरी नरेश सुदशणन शाह ने तिल्सन नामक व्यलि को िन पट्टे (िीज) पर ददये
1860 में भिानीशाह ने भी तिल्सन को िनों का ठे का ददया

दिहरी िन तिभाग –
स्थापना- 1885
प्रथम अध्यक्ष – पंचडत केशिानन्त्द
िन तिभाग की स्थापना के बाद िनों से संबस्न्त्धत कई तनयम बनाए गए जजससे स्थानीय जनता
में रोर्ष उत्पन हो गया

प्रथम तिद्रोह 1906 –


 27 ददसंबर 1906 को अचधकाररयों ने दिहरी के चंद्रबदनी के आस पास िनों का
तनरीक्षण तकया ि उन्त्हें आरभक्षत तकया
 स्थानीय िोगों ने इसका तिरोध तकया ि अचधकाररयों को िहाँ से भगा कर िनों को
अपने अचधकार में िे लिया

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उत्तराखंड का इततहास
ततिाड़ी/रंिाई कांड:-
 1927-28 में दिहरी राज्य सरकार ने एक नई िन नीतत िागू की जजसमें िनों के लिये
तरह-तरह के कानून बनाये गये जंगिो का सीमाकरण तकया गया ि इस सीमा के अंदर
जानिरों ि मनुष्यों का घुसना िर्जिंत था
 िोगों से िन अचधकार छीन लिये रंिाई क्षेत्र में आने जाने िािे रास्ते, पशुओं को बांधने
िािे छाने भी िन सीमा के अंतगणत आ गये ।
 अब जनता ने इस िन नीतत का तिरोध करना शुरू तकया ि राजा से इस संबध ं में बात
की तक हमारे पशु कहाँ जाएंगे तो राजा ने जिाब ददया"ढं गार में िेंक दो"
 िन नीतत पर राज्य सरकार की अनदे खी को दे खते हुए 30 मई 1930 को यमुना के ति
पर ततिाड़ी के मैदान में िन नीतत का तिरोध करने के लिये भीड़ इकट्ठा होती है इस
तनहत्थी भीड़ पर दिहरी के दीिान चिधर जुयाि गोिी चिाने का आदे श दे ते हैं।
 इस घिना को दिहरी का जलियांिािा बाग हत्याकांड कहा जाता है ि चिधर जुयाि
को दिहरी का जनरि डायर कहा जाता है।

दिहरी राज्य आंदोिन में श्री दे ि सुमन की भूचमका


 20 माचण 1938 में ददल्िी में अखखि भारतीय पिणतीय जन सम्मेिन का आयोजन हुआ
इस सम्मेिन में बद्रीदत्त पांडे ि श्री दे ि सुमन ने भाग
लिया तथा पिणतीय िोगों की समस्याओं को रखा
 मई 1938 में श्रीनगर में जिाहर िाि नेहरू की
अध्यक्षता में एक राजनीततक सम्मेिन हुआ इसमें श्री
दे ि सुमन ने पृथक राज्य की मांग रखी
 1938 में श्री दे ि सुमन ने गढ़दे श सेिा संघ नामक
श्री दे व सुमन
संगठन बनाया बाद में इसका नाम तहमािय सेिा संघ
पड़ा जन्म- 25 मई 1916
 23 जनिरी 1939 में श्री दे ि सुमन ने दे हरारॄन में ज्ज्नन्म स्थान- जोल गााँव टिहरी
दिहरी राज्य प्रजामंडि की स्थापना की इसमें उनके वपता- हरीराम ब्डोनी
साथी नागेंद्र सकिानी, भोिूदत्त, गोकििंद भट्ट,तोताराम माता- श्रीमती तारा देवी
गैरोिा आदद ने महत्िपूणण भूचमका तनभाई पत्नी- ववनय लक्ष्मी
 9 माचण 1941 को श्री दे ि सुमन को दिहरी के पास म्र्त्यु- 25 जुलाई 1944
तगरप्तार कर लिया गया ि 17 मई 1941 को मुतन की
रेती के पास छोड़ ददया तथा 2 माह तक ररयासत में आने पर प्रततततबंध िगा ददया
 29 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोिन के समय तगरफ्तार तकए गए ि 18 ददसंबर
1948 को जेि से छू िकर अपने गाँि जौि गए
 27 ददसंबर 1943 को श्री दे ि सुमन को चंबाखाि में तगरफ्तार कर लिया गया ि उन पर
अनेक अत्याचार तकये गये

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उत्तराखंड का इततहास
 29 िरिरी 1944 को श्री दे ि सुमन ने आमरण अनशन शुरू तकया
 3 मई 1944 को कारािास में श्री दे ि सुमन ने आमरण अनशन की शुरुआत की
 25 जुिाई 1944 को 84 ददनों की भूखहड़ताि के बाद श्री दे ि सुमन शहीद हो गए
 25 जुिाई 1946 को प्रथम बार सुमन ददिस मनाया गया

21 अगस्त 1946 को दिहरी में प्रजामंडि की स्थापना को िैधातनक मान्त्यता दी गई

कीर्तिंनगर आन्त्दोि(1948):- 10 जनिरी 1948 में कीर्तिंनगर में तिशाि रैिी उमड़ पड़ती है ि
कीर्तिंनगर अदाित पर अचधकार कर िेती हे
11 जनिरी 1948 को इस भीड़ पर सैतनकों द्वारा गोिी चिाई गयी इस आंदोिन में नागेंद्र
सकिानी ि भोिाराम शहीद हो जाते हैं

15 िरिरी 1948 को दिहरी में अन्त्तररम सरकार की स्थापना की गयी

दिहरी ररयासत का तििय:- 1 अगस्त 1949 को दिहरी ररयासत का तििय भारतीय संघ में हो
जाता है

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उत्तराखंड का इततहास
प्रमुख आंदोलन MCQ
Q1.महात्मा गांधी जी ने प्रथम बार कुमाऊँ की यात्रा कब की
A.1916 B.1926 D.1927 D.1929

Q2.गढिाि का बारदोिी कहा जाता है


A.खखरसू B.गुजडू C.दे घाि D.सल्ि

Q3.सल्ि गोिी कांड कब हुआ


A.2 लसतम्बर 1942 B.4 लसतम्बर 1942
C.5 लसतम्बर 1942 D.7 लसतम्बर 1942

Q4-अल्मोड़ा जनपद के चनौदा में ―गाँधी आश्रम‖ की स्थापना तकसने की ?


group c 2018-
A.चन्त्द्रशेखर आजाद B.गोतिन्त्द बल्िभ पंत ने
C.कािू मेहरा ने D.शांततिाि तत्रिेदी ने

Q5-ततिाड़ी काण्ड का सम्बन्त्ध है : कतनष्ठ सहायक/डािा एन्त्री ऑपरेिर 2018


A.िन अचधकारों से B.िन संरक्षण से C.िन व्यापार से D.िन्त्य जीि संरक्षण

Q6.दे घाि गोिी कांड में तनम्न में से कौन शहीद हुए
A.हीरामभण B.हररकृष्ण C.खीमदे ि D.A&B दोनों

Q7.सल्ि गोिी कांड 1942 में तनम्न में से शहीद हुए


A.हीरामभण B.हररकृष्ण C.खीमदे ि D.रतन ससिंह

Q8- पेशािर काण्ड के नायक िीर चन्त्द्र ससिंह गढ़िािी ने तनहत्थे भारतीय पठानों पर गोिी
चिाने से मना कर ददया था : Uksssc joniour assistant
2019
A.13 अप्रैि, 1930 ई0 को B.23 अप्रैि, 1930 ई0 को
C.23 माचण, 1930 ई0 को D.13 माचण, 1930 ई0 को

Ans- 1.d 2.b 3.c 4.d 5.a 6.d 7.c 8.b


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उत्तराखंड का इततहास
Q.9उत्तराखंड से तकस ब्यलि ने डांडी यात्रा में भाग लिया था
A.हीरामभण राित B.ज्योततराम कांडपाि C.खीमदे ि भदारी D.रतन ससिंह

Q10.उत्तराखंड से तकस ब्यलि ने डांडी यात्रा में भाग लिया था


A.हीरामभण राित B.भैरि दत्त जोशी C.खीमदे ि भदारी D.रतन ससिंह

Q11.उत्तराखंड से तकस ब्यलि ने डांडी यात्रा में भाग लिया था


A.हीरामभण राित B.ज्योततराज भट्ट C.खीमदे ि भदारी D.खड़क बहारृर

Q12- तनम्नांतकत में से तकस एक पिणतीय स्थान को महात्मा गांधीन जी ने ―भारत का


स्स्िि् जरिैंड‖ कहा था ? अपर तनजी सचचि Exam Paper 2017
A.नैनीताि B.मसूरी C.रानीखेत D.कौसानी

Q13- िर्षण 1939 में दिहरी राज्य प्रजामण्डि की स्थापना हुई? समाज कल्याण तिभाग
2017
A.दिहरी B.थम्बा C.ऋतर्षकेश D.दे हरारॄन

Q.14गड़ोददय स्िोर डकैती कांड 1930 में उत्तराखंड से कौन शाचमि थे


A.दीिान िाि B.भिानी ससिंह C.खीमदे ि भट्ट D.हररदे ि पंत

Q15.दिहरी में िन तिभाग की स्थापना कब हुई


A.1884 B.1885 C.1886 D.1887

Q16.ततिाड़ी घािी ितणमान में उत्तराखंड के तकस जनपद में है


A.दिहरी B.चमोिी C.रुद्रप्रयाग D.उत्तरकाशी

Q17.ततिाड़ी कांड के समय दिहरी नरेश कौन था


A.कीर्तिंशाह B.नरेंद्र शाह C.मानिेन्त्द्र शाह D.प्रताप शाह

Q18.दिहरी में ततहाड़ कर के तिरोध में अठू र तिद्रोह कब हुआ


A.1850 B.1851 C.1856 D.1869

Ans- 9.b 10.b 11.d 12.d 13.d 14.b 15.b 16.d 17.b 18.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q19.दिहरी में ततहाड़ कर के तिरोध में अठू र तिद्रोह 1851का नेतत्ृ ि तकसने तकया
A.हरगोकििंद पंत B.काशीराम C.बद्री असिाि D.केशिानंद

Q20-अमर शहीद श्रीदे ि सुमन की पत्नी का नाम था : joniour assistant 2019


A.श्रीिक्ष्मी B.तिजयिक्ष्मी C.तिनयिक्ष्मी D.रेिती दे िी

Q21- चन्त्द्र ससिंह गढ़िािी के नेतत्ृ ि में गढ़िाि राइिल्स की तकस इकाई ने तनहत्थे अिगान
सैतनकों पर गोिी चिाने से इंकार कर ददया था ? सींचपाि 2017
A.4/18 B.3/18 C.1/18 D.2/18

Q.22 चनोदा में गांधी आश्रम की स्थापना कब हुई


A.1935 B.1936 C.1937 D.1938

Q23.गांधी जी ने प्रथम बार कुमाऊँ की यात्रा कब की


A.1927 B.1928 C.1929 D.1931

Q24.गांधी जी ने 1929 में बागेश्वर में स्िराज भिन का लशिान्त्यास तकया यह भिन तकसके
द्वारा बनाया गया था
A.शांततिाि तत्रिेदी B.अभभनि जोशी C.खीमादे ि तबि D.मोहन जोशी

Q25.श्री दे ि सुमन का तनधन कब हुआ


A.25 मई 1944 B.25 जून 1944 C.25 जुिाई 1944 D.25 जुिाई 1945

Q26.दिहरी में प्रजामण्डि की स्थापना को दिहरी ररयासत ने िैधातनक मान्त्यता कब दी


A.1945 B.1946 C.1947 D.1949

Q27.श्री दे ि सुमन की पत्नी का नाम र्कया था


A.तिजयिक्ष्मी B.तिनयिक्ष्मी C.तिजय बडोनी D.सुमतत दे िी

Ans- 19.c 20.c 21.d 22.c 23.c 24.d 25.c 26.b 27.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q28.डोिा पािकी आंदोिन का नेतत्ृ ि तकसने तकया
A.हररप्रसाद िम्िा B.खुसीराम आयण
C.जयानन्त्द भारती D.तारा दत्त गैरोिा

Q29.नातयका बालिका रक्षा कानून कब बना


A.1919 B.1924
C.1929 D.1931

Q30.िैंसडौन मेंअमन सभा िा गठन कब हुआ


A.1927 B.1929
C.1930 D.1933

Q31.िम्िा सुधाररणी सभा कब गदठत की गयी


A.1905 B.1913
C.1917 D.1923

Q32.प्रथम लशल्पकार सम्मेिन कहां हुआ


A.नैनीताि B.अल्मोड़ा
C.काशीपुर D.कोिद्वार

Ans- 28.c 29.c 30.c 31.a 32.b

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड राज्य में पत्रकाररता का इततहास
उत्तराखंड में पत्रकाररता के इततहास का अध्ययन तीन भागों में तकया
गया है
1.प्रथम चरण(1842-1870 ई०)
2.रॄसरा चरण(1900-1939 ई०)
3.तीसरा चरण(1940-47 ई०)
उत्तराखंड में पत्रकाररता का प्रथम चरण(1842-1870 ई०)
यह समाचार पत्र उत्तराखंड की पत्रकाररता का प्रारस्म्भक दौर था इस
कािखण्ड के सभी समाचार पत्रों ने अचधकांश अंग्रेजी सरकार की
नीततयों को प्रमुखता दी अथाणत कहा जा सकता है तक प्रारम्भ में उत्तराखंड की पत्रकाररता
अंग्रेज सरकार परस्त थी। इस कािखंड के सभी समाचार पत्रों का संचािन ि संपादन अंग्रेजो
ने ही तकया।
इस चरण में तनम्न समाचार पत्र प्रकलशत हुए-

1.द तहल्स(1842 ई०)-


 तहल्स समाचार पत्र का प्रकाशन जॉन मैतकनन ने 1842 में तकया।
 यह समाचार पत्र उत्तराखंड ि उतरी भारत का प्रथम समाचार पत्र था।
 इसका प्रकाशन आंग्ि-भार्षा(अंग्रेजी) भार्षा मे तकया गया।
 शुरुआती ददनों में यह समाचार पत्र गाजजयाबाद से छपता था िेतकन बाद में मेतकनन ने
मसूरी सेचमनरी स्कूि पररसर में तप्रटििंग प्रेस खोिी जो तक उत्तराखंड की पहिी तप्रटििंग
प्रेस थी अब इसी तप्रटििंग प्रेस से तहल्स का प्रकाशन होने िगा।
 जॉन मेतनकन ने 'द तहल्स' के संपादकीय के माध्यम से आयरिैंड-इंग्िैंड की आपसी
संघर्षो को िेकर खूब चचाणएं की।
 सन 1849-50 में जॉन मेतकनन ने इस समाचार पत्र का प्रकाशन बंद कर ददया
 1860 में डॉ स्स्मथ द्वारा'द तहल्स' का प्रकाशन पुनः आरम्भ तकया गया।
 1865 में इस पत्र का प्रकाशन बंद हो गया।

 2.मेतिसिाइि(1845)
 मेतिसिाइि समाचार पत्र का प्रकाशन 1845 में हुआ।
 इसके संपादक चम० जोन िेग थे जो तक झांसी की रानी िक्ष्मीबाई के िकीि रह चुके
थे।
 इस समाचार पत्र का प्रकाशन मसूरी से तकया गया।
 यह समाचार पत्र आंग्ि भार्षी(अंग्रेजी) था िेतकन अंग्रेजी अखबार होते हुए भी इसने
अंग्रेज सरकार की नीततयों का तिरोध तकया।
 1857ई० में हुए 'इंस्ग्िश मैन र्किब मसूरी ' की बैठक में िाडण डिहौजी ने इसे साम्राज्य
तिरोधी अखबार करार ददया।

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उत्तराखंड का इततहास
3.समय तिनोद समाचार पत्र (1868-78ई०)
 समय तिनोद का प्रकाशन 1868 में तकया गया।
 समय तिनोद समाचार पत्र उत्तराखंड से प्रकालशत होने िािा कहिंदी का पहिा समाचार
पत्र था।
 इस समाचार पत्र के संस्थापक ि सम्पादक जयदत्त जोशी थे।
 यह एक पाभक्षक समाचार पत्र था जो नैनीताि से छपता था।
 1868 में इस पत्र के 32 ग्राहक थे जजनमें 17 भारतीय ि 15 यूरोपीय थे। 1869 में
ग्राहकों की संख्या 68 तक पहुँच गयी
 यह समाचार पत्र कहिंदी ि उरॄण दोनों भार्षाओं में छपता था।
 1878 में इसका प्रकाशन बंद हो गया।

4.मसूरी एर्कसचेंज(1870ई०)
 मसूरी एर्कसचेंज का प्रकाशन 1870 में हुआ िेतकन यह अचधक प्रलसद्ध न हुआ ि कुछ
समय बाद बंद हो गया।

5 अल्मोड़ा अखबार (1870)


 1870 ई० में अल्मोड़ा में चडबेटििंग र्किब की गयी।
 1871 ई० में अल्मोड़ा अखबार का प्रकाशन तकया गया।
 चडबेटििंग र्किब ि अल्मोड़ा अखबार की स्थापना बुजद्ध िल्िभ
पंत ने की।
 अल्मोड़ा अखबार के पहिे संपादक बुजद्ध िल्िभ पंत थे।
 बुजद्ध िल्िभ पंत के बाद सदानन्त्द सनिाि , मंशी इत्म्तयाज
अिी , जीिानन्त्द जोशी , तिष्णु दत्त जोशी सम्पादक रहे िेतकन
यह अखबार सरकार समथणक ही रहा।
 1913 ई० में बद्रीदत्त पांडे ने अल्मोड़ा अखबार के संपादक
बने।
 बद्रीदत्त पांडे ने अल्मोड़ा अखबार को साप्तातहक तकया ि स्िंतत्रता आंदोिन से इसे
जोड़ा।
 14 जुिाई 1913 ई० को अल्मोड़ा अखबार ने कुिी बेगार प्रथा ि जंगिात नीतत के
तिरोध में िेख छाप ददया।
 बद्रीदत्त पाण्डे के जंगिात तिरोधी िेखों से तत्कािीन चडप्िी कचमश्नर िोमश ने बद्रीदत्त
पांडे को धमकी दी तक िह अल्मोड़ा अखबार के प्रकाशन को बंद कर दे गा।
 1918 ई० में बद्रीदत्त पांडे ने "भािुसाही"शीर्षणक प्रकालशत तकया।
 अप्रैि 1918 ई० में एक घिना घिी जजसके बाद अल्मोड़ा अखबार पर प्रततबंध िग
गया।

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उत्तराखंड का इततहास
6.मसूरी सीजन(1872)
 इस पत्र का प्रकाशन 1872 ई० में कॉिमैन ि नॉथणम ने तकया।
 यह पत्र मसूरी से प्रकालशत हुआ।
 यह अखबार 2 िर्षण तक रहा िेतकन कोई खास प्रभाि नहीं छोड़ सका।
 1874 ई० में मसूरी सीजन बंद हो गया।

7.तहमािय िात्न्त्तकाि(1875 ई०)


प्रकाशन- 1875
सम्पादक- जॉन नाथणम
बंद हुआ-1876

8.द ईगि(1878-85 ई०)-


प्रकाशन- 1878
संपादन- मॉिण न
बंद हुआ- 1885

उत्तराखंड में पत्रकाररता का तद्वतीय चरण(1900-1939 ई०)-


यह कािखण्ड उत्तराखंड में पत्रकाररता का सबसे महत्िपूणण समय था जजसने उत्तराखंड की
पत्रकाररता को एक नये आयाम पर पहुंचाया इस चरण की पत्रकाररता ने स्ितंत्रता प्रात्प्त के
लिये तकये जाने िािे संघर्षो का बखूबी से प्रचार-प्रसार तकया ि स्िन्त्त्रता आन्त्दोिनों में
महत्िपूणण भूचमका तनभाई
इस कािखण्ड में कई साप्तातहक, पाभक्षक ि मालसक पतत्रकाओं का प्रकाशन हुआ जो तक
तनम्न है-

1.ररयासत दिहरी गढ़िाि


 इस समाचार पत्र का प्रकाशन दिहरी ररयासत के तात्कालिक राजा कीर्तिंशाह पंिार ने
सन 1901 में दिहरी ररयासत नामक तप्रटििंग प्रेस से तकया।
 यह एक पाभक्षक समाचार पत्र था।
 यह पत्र दिहरी ररयासत के तनयम कानूनों की सूचना प्रकालशत करता था िेतकन जन
समस्यओं से कोशों रॄर था कुछ समय बाद यह बंद हो गया।

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उत्तराखंड का इततहास
2.गढ़िाि समाचार (1902ई०)
 गढ़िाि समाचार पत्र का प्रकाशन तगररजा दत्त नैथानी ने 1902 में िैंसडोन से तकया।
 यह एक मालसक समाचार पत्र था।
 गढ़िाि समाचार पत्र गढ़िाि से तनकिने िािा पहिा कहिंदी समाचार पत्र रहा।
 तगररजा दत्त को गढ़िाि में पत्रकाररता का जनक कहा जाता है।
 यह दो िर्षों तक चिा िेतकन आर्थिंक अभाि के कारण यह पत्र दो िर्षण में बंद हो गया।
 1912ई० में तगररजा दत्त नैथानी ने रृग्गड्डा में एक प्रेस की स्थापना की ि िरिरी
1913ई० में इसी प्रेस से गढ़िाि समाचार का पुनः प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
 गढ़िाि समाचार पत्र ने अंग्रेज सरकार के अत्याचारों के तिरोध में कई िेख लिखे ि
सामाजजक समस्याओं पर भी प्रकाश डािा।

3.गढ़िािी समाचार पत्र (1905ई०)


 गढ़िािी समाचार पत्र गढ़िाि के लशभक्षत िगण के सामुतहक प्रयासों से प्रकालशत तकया
गया।
 गढ़िाि में राजनीततक ि सामाजजक चेतना के लिए 1901 में गढ़िाि यूतनयन की
स्थापना की गई और गढ़िाि यूतनयन ने ही 1905 में गढ़िािी समाचार पत्र का
प्रकाशन।
 गढ़िािी समाचार पत्र के प्रकाशन में पंचडत तिश्वभर दत्त चंदोिा की तिशेर्ष भूचमका
रही।
 गढ़िािी समाचार पत्र का पहिा अंक मई 1905ई० में प्रकालशत हुआ।
 गढ़िािी समाचार पत्र प्रारंभ में पाभक्षक था िेतकन 1913 से इसे साप्तातहक बनाया
गया।
 1916 में इसे तिर से इसे पाभक्षक तकया गया र्कयोंतक साप्तातहक होने पर इसे कई
हातनयां हुईं।
 गढ़िािी समाचार पत्र ने अपने िेखों में क्षेत्रीय जनता की समस्याओं को शुरू से ही
उजागर करना शुरू। तकया िह कुिी बेगार िन आंदोिन सड़क आंदोिन मतहिा
जागृतत सभी को प्रथम ि समस्याओं पर अपने िेखों से जनता को जागृत तकया।

4.कास्मोपेिदे िन (1910ई०)
 यह एक अंग्रेजी साप्तातहक समाचार पत्र था।
 बैररस्िर बुिाकी राम ने 1910ई० में दे हरारॄन में कचहरी रोड पर भास्कर नामक प्रेस
खोिी और यहीं से इस समाचार पत्र का प्रकाशन तकया।
 यह समाचार पत्र दे हरारॄन से प्रकालशत होने िािा पहिा आंग्िा भार्षी साप्तातहक
समाचार पत्र था।
 1910 में बद्रीदत्त पांडे जी ने इस समाचार पत्र में काम तकया।

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उत्तराखंड का इततहास
5. तनबणि सेिक(1913ई०)
 यह एक साप्तातहक समाचार पत्र था जो 1913 ई० में प्रकालशत तकया गया।
 िृन्त्दािन ररयासत के तात्कालिक राजा महेंद्र प्रताप ने दे हरारॄन से तनबणि सेिक नाम के
साप्तातहक समाचार पत्र का संपादन तकया।

6. तिशाि कीर्तिं
प्रकालशत- 1913ई०
संपादन- सदानन्त्द कुकरेती
 पौड़ी में िह्मानंद थपलियाि की बद्री केदार प्रेस से िरिरी 1913ई० में तिशाि कीर्तिं
का प्रकाशन हुआ।
 यह एक मालसक समाचार पत्र रहा।
 195ई० में यह बंद हो गया।

7. पुरुर्षाथण
प्रकाशन-1917
संपादन- तगररजादत्त नैथानी
 गढ़िाि समाचार पत्र बंद होने के बाद तगररजादत्त नैथानी ने अर्किू बर 1917 में पुरुर्षाथण
नामक मालसक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
 पुरुर्षाथण तबजनोर में छपता था।िेतकन प्रकाशन रृग्गड्डा से या तगररजादत्त नैथाणी के
पैतृक गांि नैथाणा से होता था ।
 1927 को गढ़िाि पत्रकाररता के जनक तगररजादत्त नैथानी जी के तनधन के साथ ही
पुरुर्षाथण समाचार पत्र बंद हो गया ।

8. शलि
प्रकाशन -15 Oct 1918 तिजयदशमी के अिसर पर
सम्पादक - बद्रीदत्त पांडे
 1918 में अल्मोड़ा अखबार पे प्रततबंध िगने के बाद बद्रीदत्त पांडे ने यह समाचार पत्र
प्रकालशत तकया।
 1918 में दे शभि प्रेस की स्थापना हुई तथा 18 Oct
1918 को तिजयदशमी के अिसर पर बद्रीदत्त पांडे के
सम्पादन में शलि का पहिा अंक प्रकालशत हुआ।
 सन 1942-45 तक शलि का प्रकाशन बंद रहा।
 1946 में इसका प्रकाशन पुनः प्रारंभ हुआ।
 शलि समाचार पत्र ने राष्ट्रीय स्तर के बड़े संघर्षों के साथ-
साथ छोिे -छोिे सामाजजक मुदों को भी उजागर तकया।

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उत्तराखंड का इततहास
9. क्षतत्रय िीर
प्रकाशन -1922
संपादक -प्रताप ससिंह नेगी
 तिशाि कीर्तिं के पिात पौड़ी से तनकिने िािा यह रॄसरा समाचार पत्र था ।
 15 जनिरी 1922 को इस पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ।
 यह एक जाततिादी समाचार पत्र था जजसका मूि उद्दे श्य क्षतत्रय जातत का सामाजजक ि
शैक्षभणक तििरण प्रस्तुत करना था।

10. कुमाँऊ कुमुद


प्रकाशन -1922
सम्पादन-बसन्त्त कुमार जोशी
 1922 में बसन्त्त कुमार जोशी ने अल्मोड़ा से जजिा समाचार या चडत्स्रर्कि गिि के नाम
से इस पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
 इसे 'बाजार समाचार 'भी कहा जाता था।
 1925 में कुमाँऊ कुमुद के नाम से इसका प्रकाशन हुआ
 यह समाचार पत्र राष्ट्रीय तिचारधारा का समथणक था।

11. तरुण कुमाँऊ


प्रकाशन-1922
सम्पादन-बैररस्िर मुकंदी िाि
 बैररस्िर मुकंदी िाि ने 1922 को िैंसडोन से 'तरूण कुमाँऊ' नामक कहिंदी साप्तातहक
समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।
 1923 में यह समाचार पत्र बंद हो गया।

12. अभय
प्रकाशन-1922
सम्पादन-स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती
 स्िामी तिचारानन्त्द सरस्िती दे हरारॄन में अभय नामक कप्रिंटििंग प्रेस चिाते थे ि अपने
राष्ट्रिादी तिचारों से िोगों को स्िधीनता के प्रतत प्रेररत करने के लिए इसी तप्रटििंग प्रेस से
1928ईo में साप्तातहक कहिंदी समाचार पत्र अभय का प्रकाशन प्रारम्भ तकया।

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उत्तराखंड का इततहास
13. स्िाधीन प्रज्ञा
प्रकाशन-1930
सम्पादन-मोहन जोशी
 जनिरी 1930 को 'स्िाधीन प्रज्ञा' का प्रथम अंक प्रकालशत हुआ।
 10 मई 1930 को इस पत्र से छः हजार रुपये की जमानत मांगी गई जो तक तकसी भी
समाचार पत्र में मांगी गई अब तक की सिाणचधक जमानत थी।
 1932 में यह अखबार बंद हो गया।
14. गढ़ दे श
प्रकाशन-1929ई०
सम्पादन- कृपाराम चमश्र मनहर
 गढ़दे श का पहिा अंक अप्रैि 1929 को प्रकालशत हुआ।
 इस पत्र का प्रकाशन कोिद्वार से होता था।
 13 जून 1930ई० के अंक के साथ गढ़ दे श का प्रकाशन बंद हो गया।
 1934ई० में मनहर जी ने इसे पुनः प्रकालशत तकया ि अब इसका मुद्रण दे हरारॄन से होने
िगा।
 एक बार तिर सरकार तिरुद्ध िेखों के कारण गढ़दे श के संपादक ि मुद्रक दोनो से 2-2
हजार रुपये की जमानत मांगी गयी।
 जमानत की व्यिस्था न होने पर इसका प्रकाशन बंद हो गया।

15. स्िगणभचू म
प्रकाशन-1934
संपादन- दे िकीनंदन ध्यानी
 स्िगणभूचम एक पाभक्षक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन 15 jan 1934 को
दे िकीनंदन ध्यानी ने हल्द्वानी से तकया।
 स्िगण भूचम के 3-4 अंक तनकिने के पिात यह बंद हो गया।

16. समता
प्रकाशन-1935ई०
सम्पादन-मुंशी हररप्रसाद िम्िा
 समता एक साप्तातहक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन मुंशी हररप्रसाद िम्िा ने
1935ई० में तकया
 यह एक कहिंदी अखबार था।
 इस अखबार का मूि उद्दे श्य दबे-कुचिे तपछड़े समाज को उचचत अचधकार ददिाना था।
 सन 1935ई० में श्रीमती िक्ष्मी दे िी िम्िा ने इस अखबार का संपादन तकया।
 श्रीमती िक्ष्मी दे िी उत्तराखंड की पहिी दलित मतहिा पत्रकार थी।

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उत्तराखंड का इततहास
17. हादी ए-आजम
प्रकाशन-1936ई०
सम्पादन- मोहमद इकबाि लसद्दकी
 हादी-ए-आजम उत्तराखंड की पहिी उरॄण -धार्मिंक पतत्रका थी।
 यह एक मालसक पतत्रका थी।
 2-3 अंको के प्रकाशन के बाद यह पतत्रका 1936ई० में ही बंद हो गयी।

18. तहतैशी
प्रकाशन-1936ई०
सम्पादन-पीताम्बर दत्त पारबोि
 पीताम्बर पारबोि ने सन 1936ई० में िैंसडोन से तहतैर्षी नामक पाभक्षक समाचार पत्र
का संपादन ि प्रकाशन तकया।
 यह समाचार पत्र सता समथणक था।
 अंग्रेज समथणक होने के कारण पीताम्बर दत्त पारबोि को "रायबहारृर"की उपाचध दी
गयी।

19. उत्तर भारत


प्रकाशन- 1936
संपादन - महेशानंद थपलियाि
 महेशानंद थपलियाि जी ने पौड़ी गढ़िाि में स्िगण भूचम प्रेस से इस समाचार पत्र का
प्रकाशन तकया कुछ समय तक तनयचमत चिने के पिात यह अखबार 1937 में बंद हो
गया।

20. उत्थान
प्रकाशन 1937
संपादन - ज्योतत प्रसाद माहेश्वरी
 यह एक सप्तातहक समाचार पत्र था तथा क्षेत्रीय आंदोिनों ि सामाजजक मुद्दों की बेबाक
पत्रकाररता के लिए प्रलसद्ध हुआ।
21. जागृत जनता
प्रकालशत -1938
संपादन - पीतांबर पांडे
 यह एक सप्तातहक पत्र था।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड में पत्रकाररता का तीसरा चरण 1940-47
उत्तराखंड में तीसरे चरण की पत्रकाररता का चरण महज 7 साि तक रहा िेतकन इस समय
स्ितंत्रता आंदोिन अपने चरम पर था इस चरण में अंग्रज े ों भारत छोड़ो आंदोिन ि अन्त्य छोिे -
छोिे स्थानीय आंदोिन हो रहे थे इसलिए इस चरण में पत्रकाररता ने भी स्ितंत्रता आंदोिनों में
महत्िपूणण भूचमका तनभाई।

1. संदेश -
प्रकाशन - 1940
संपादन - कृपाराम चमश्रा मनहर
 कृपाराम चमश्र जी ने अपने छोिे भाई हरीराम चमश्र चंचि के सहयोग से सन 1940 में
कोिद्वार से संदेश नामक समाचार पत्र का प्रकाशन तकया।
 1939 में मनहर जी के जेि जाने के बाद यह समाचार पत्र बंद हो गया ।

2. समाज
प्रकालशत - 1942
संपादन - राम प्रसाद बहुगुणा
 यह एक हस्तलिखखत समाचार पत्र था।
 2 िर्षण तक यहां पत्र तनयचमत रूप से चिता रहा ।
 भारत छोड़ो आंदोिन में रामप्रसाद बहुगुणा जी के जेि जाने पर यह पत्र बंद हो गया।

3. मसूरी एडिरिाइजर
प्रकालशत - 1942
संपादन - के एि मेकागोंन
 यह समाचार पत्र मसूरी के कुिड़ी स्स्थत कप्रिंटििंग प्रेस से छापा गया था।
 1947 में स्ितंत्रता प्रात्प्त के पिात यह समाचार पत्र बंद हो गया था।

4. स्िराज संदेश (1942 )


प्रकाशन - 1942 ई०
सम्पादन- हुिास िमाण
 यह एक कहिंदी पाभक्षक समाचार पत्र था अंग्रेजी सरकार के तिरुद्ध समाचार छापने तथा
आिामक ि भड़काऊ िेख लिखने पर हुिास िमाण से दो बार जमानत मांगी गई।

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उत्तराखंड का इततहास
5. युगिाणी 1947
प्रकाशन -1947
संपादन - भगिती पांथरी
 इस समाचार पत्र का पहिा अंक 15 अगस्त 1947 को दे हरारॄन से भगिती प्रसाद मंत्री
के संपादन में हुआ।
 दिहरी जनिांतत में ररयासत के तिरुद्ध इस पत्र की महत्िपूणण भूचमका थी।
 र्कया समाचार पत्र पहिे पाभक्षक रूप में ि तिर साप्तातहक रूप में प्रकालशत हुआ।
 दिहरी ररयासत जनिांतत में युगिाणी की भूचमका दे खकर इततहासकारों ने इसकी तुिना
रूस की िांतत में िेतनन द्वारा संपाददत पत्र इस्रा से की।
 सन 2001 से युगिाणी मालसक पतत्रका के रूप में तनयचमत प्रकालशत हो रहा है।

6.प्रजाबन्त्धु
प्रकाशन- 1947ई०
संपादन- जयदत्त िैिा
यह एक साप्तातहक समाचार पत्र था जजसका प्रकाशन 1947ई० में जयदत्त िैिा ने रानीखेत से
प्रारम्भ तकया

उत्तराखंड में पत्रकाररता का इततहास MCQ


Q1- स्िगण- भूचम प्रेस से तकस समाचार पत्र का प्रकाशन हुआ-
A.उत्थान B.उत्तर-भारत C.जागृत जनता D संदेश

Q2-उत्तराखंड का प्रथम समाचार पत्र कौन सा था-


A.समय तिनोद B.तहल्स C.अल्मोड़ा अखबार D.मेतिसिाइि

Q3- ―शलि पतत्रका‖ का प्रकाशन तकया गया : Group C 2018


A.बद्री दत्त पाण्डे B.मोहन जोशी C.लशि प्रसाद डबराि D.मौिाराम

Q4- द ईगि नामक समाचार पत्र कब प्रकालशत हुआ-


A.1876 B.1877 C.1878 D.1879

Q5-ररयासत दिहरी गढ़िाि समाचार पत्र तकस प्रकार का पत्र था-


A.साप्तातहक B.पाभक्षक C.मालसक D.इनमें कोई नहीं

Ans:- 1.b 2.b 3.a 4.c 5.b


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उत्तराखंड का इततहास
Q6- तनम्न में एक धार्मिंक समाचार पत्र था-
A.समता B.क्षतत्रय C जागृत जनता D.हादी ए आजम

Q7- उत्थान समाचार पत्र के संपादक कौन थे-


A.पीताम्बर पांडे B.ज्योतत प्रसाद माहेश्वरी
C.मुंशी हररप्रसाद िम्िा D.कृपाराम चमश्र

Q8-अल्मोड़ा में चडबेटििंग र्किब की स्थापना हुई : कतनष्ठ सहायक 2018


A.1870 ई0 में B.1871 ई0 में C.1875 ई0 में । D.उपयुणि में से कोई नहीं

Q9-1935 ई. से इस पत्र का प्रकाशन अल्मोड़ा से तकया गया - ग्राम तिकास अचधकारी 2018
A.शलि B.स्िाधीन प्रजा C.समता D.अिगोड़ा अखबार

Q10- पौड़ी से तनकिने िािा प्रथम समाचार पत्र था-


A.तिशाि कीर्तिं B.तनबणि सेिक C.गढ़िािी समाचार पत्र D.स्िगणभूचम

Q11- तनम्न में से कोिद्वार से प्रकालशत होने िािा समाचार पत्र था-
A.स्िगणभूचम B.गढ़दे श C.तहतैर्षी D.उत्तर भारत

Q12- बद्रीदत्त पाण्डे का सम्बन्त्ध _____ से है- समीक्षा अचधकारी 2017


A.अल्मोड़ा अखबार B.हररद्वार समाचार C.गढ़िाि पोस्ि D.जनता सन्त्देश

Q13- तनबणि सेिक था-


A.पाभक्षक समाचार B.साप्तातहक C.मालसक D.इनमें से कोई नहीं

Q14- गढ़िाि पत्रकाररता के जनक तकसे कहा जाता है-


A.बद्रीदत्त पांडे B.तिश्वभर दत्त चंदोिा C.तगररजा दत्त नैथानी D.मुकंदी िाि

Q15- स्िगणभचू म समाचार पत्र का प्रकाशन कहाँ से हुआ-


A.नैनीताि B.हल्द्वानी C.मसूरी D कोिद्वार

Q16- तनम्न में से कौन सा जातीय समाचार पत्र कौन सा है-


A.कुमाँऊ कुमुद B.समता C.तनबणि सेिक D.जागृत जनता

Ans:- 6.d 7.b 8.a 9.c 10.a 11.b 12.a 13.b 14.c 15.b 16.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q17- गढ़िाि से तनकिने िािा पहिा कहिंदी समाचार पत्र कौन सा था-
A.गढ़िािी समाचार पत्र B.गढ़िाि समाचार C.तिशाकीर्तिं D.पुरुर्षाथण

Q18- तकस समाचार पत्र का पहिा अंक 15 August 1947 को प्रकालशत हुआ-
A.स्िराज संदेश B.युगिाणी C.प्रजाबन्त्धु D.समाज

Q19-गढ़िाि के प्रमुख समाचार पत्र ‗गढ़िाि समाचार मालसक‘ का प्रथम बार प्रकाशन हुआ
था – सहायक भंडारपाि 2017
A.1886 B.1902 C.1905 D.1907

Q20- अल्मोड़ा अखबार पर प्रततबंध कब िगा-


A.1915 B.1918 C.1920 D 1919

Q-21 तनम्न में से कौन ―अल्मोड़ा अखबार‖ के सम्पादक नहीं रहे? Forest guard 2020
A.बुजद्ध बल्िभ पंत B.मुंशी इत्म्तयाज अिी C.जीिा नन्त्द जोशी D.श्री दे ि सुमन

Q22- मेतफ़सिाइि नामक समाचार पत्र के संपादक कौन थे-


A.जॉन िेग B.जॉन मैतकनन C.कॉिमैन D.नॉथणम

Q23- कास्मोपोलििन समाचार पत्र का प्रकाशन तकसने तकया-


A.बैररस्िर बुिाकी िाि B.कॉिमैन C.नाथणम D.प्रताप नेगी

Q- ―तरुण-कुमायू‖ँ की स्थापना हुई थी – सहायक भंडारपाि 2017


A.1917 B.1922 C.1928 D.1930

Q25- "हादी ए आजम" समाचार पत्र का प्रकाशन तकसने तकया


A.मोहमद इकबाि लसदद्दकी B.मोहम्मद इकबाि अंसारी
C.पीताम्बर दत्त D.सिीम खान

Ans:- 17.b 18.b 19.b 20.b 21.d 22.a 23.a 24.b 25.a

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु आंदोिन
 5-6 मई 1938ई० को श्रीनगर में आयोजजत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिशेर्ष
अचधिेशन में इस क्षेत्र को पृथक राज्य बनाने सम्बंचधत मांग उठाई गयी थी।
 इस अचधिेशन की अध्यक्षता जिाहर िाि नेहरू कर रहे
थे।
 1938ई० में श्री दे ि सुमन ने पृथक राज्य की मांग हेतु
ददल्िी में गढ़दे श सेिा संघ की स्थापना की बाद में इस
संगठन का नाम तहमािय सेिा संगठन हो गया था।
 िर्षण 1950ई० में उत्तराखंड एिं तहमाचि को एक पृथक
तहमाियी राज्य बनाने के लिये पिणतीय तिकास जन सचमतत नामक संगठन बनाया गया।
 1957ई० में दिहरी नरेश मानिेन्त्द्र शाह भी उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिन में जुड़ गये
ि अपने स्तर से शुरू तकया।

पिणतीय राज्य पररर्षद-


जून 1967 ई० में दयाकृष्ण पाण्डेय की अध्यक्षता में रामनगर में पिणतीय राज्य पररर्षद का
गठन तकया गया।
पिणतीय राज्य पररर्षद के अध्यक्ष- दयाकृष्ण पाण्डेय
उपाध्यक्ष - गोकििंद ससिंह मेहरा
महासचचि- नारायण दत्त सुंदररयाि

1967 में पिणतीय तिकास पररर्षद का गठन तकया गया।


3 अर्किू बर 1970 को पी०सी० जोशी द्वारा कुमाँऊ राष्ट्रीय मोचाण का गठन तकया गया
1972 को नैनीताि में उत्तरांचि पररर्षद का गठन हुआ
1973 में उत्तरांचि पररर्षद ने ददल्िी चिो का नारा ददया
1976 में उत्तराखंड युिा पररर्षद का गठन तकया गया।

उत्तराखंड िांतत दि
 उत्तराखंड िांतत दि उत्तराखंड का क्षेत्रीय राजनीततक दि है जजसने उत्तराखंड पृथक
राज्य आंदोिन में अपनी महत्िपूणण भूचमका तनभाई
 24-25 जुिाई 1979 को मसूरी में आयोजजत पिणतीय जन तिकास
सम्मेिन में उत्तराखंड िांतत दि का गठन तकया गया।
 उत्तराखंड िांतत दि के प्रथम अध्यक्ष कुमाँऊ तिश्वतिद्यािय के
तत्कािीन कुिपतत डॉ दे िीदत्त पंत बनाये गये।
 1987 में उत्तराखंड िांततदि का तिभाजन हो गया ि दि की
बागडोर काशी ससिंह एररया ने संभािी
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उत्तराखंड का इततहास
 9 लसतंबर 1987 को उत्तराखंड िांतत दि ने उत्तराखंड बंद का आयोजन तकया
 23 निम्बर 1987 को उत्तराखंड िांतत दि ने राष्ट्रीपतत को ज्ञापन सौंपा ि हररद्वार को
उत्तराखंड में शाचमि करने की मांग की गई।
 23 अप्रैि 1987 को उत्तराखंड िांतत दि के उपाध्यक्ष तत्रिेंद्र पंिार ने पृथक राज्य मांग
हेतु संसद में पत्र बम िेंका जजसके लिये उन्त्हें भारी यातनाएं दी गयी।
 1991 में उत्तराखंड िांतत दि के तिधायक जसिंत ससिंह तबि ने उत्तर प्रदे श तिधानसभा
में पहिी बार पृथक राज्य का प्रस्ताि रखा।
 जुिाई 1992 में उत्तराखंड िात्न्त्तकाि ने एक दस्तािेज जारी तकया जजसमें गैरसैंण को
उत्तराखंड राज्य की राजधानी घोतर्षत तकया गया।
 21 जुिाई 1992 को काशी ससिंह ऐरी ने गैरसैंण में राजधानी की नींि डािी ि उसका
नाम चंद्रनगर घोतर्षत तकया।

भारतीय जनता पािी ि उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिन


 1987 में िािकृष्ण आडिाणी की अध्यक्षता में अल्मोड़ा में पिणतीय राज्य के तजण पर
उत्तराखंड को उत्तर प्रदे श से पृथक करने की मांग की ि इस पृथक राज्य का नाम
उत्तरांचि प्रस्तातित तकया।
 1988 में भाजपा ने शोभन ससिंह की अध्यक्षता में ' उत्तरांचि उत्थान पररर्षद' का गठन
तकया।
 1991 में उत्तर प्रदे श के तिधानसभा चुनािों में उत्तराखंड पृथक राज्य की मांग को
अपने घोर्षणा पत्र में रखा
 1991 में भाजपा को उत्तर प्रदे श में सििता चमिी ि कल्याण ससिंह उत्तर प्रदे श में
भाजपा के मुख्यमंत्री बने।
 अगस्त 1991 में उत्तर प्रदे श की भाजपा सरकार ने पहिी बार उत्तराखंड पृथक राज्य
प्रस्ताि तिधान सभा मे पास कराया िेतकन तत्कािीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस पर
कोई तनणणय नहीं लिया।
 6 ददसम्बर 1992 को कल्याण ससिंह ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे ददया ि 1993 में
उत्तर प्रदे श के मुख्यमंत्री मुिायम ससिंह यादि बने।

कौलशक सचमतत ि बड़थ्िाि सचमतत का गठन


 1993 में मुिायम ससिंह यादि उत्तर प्रदे श के मुख्यमंत्री बने
 1994 में मुिायम ससिंह यादि ने उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु दो सचमततयों का गठन
तकया- कौलशक सचमतत ि बड़थ्िाि सचमतत
 इन दोनों सचमतत का कायण था तक उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना ि राजधानी पर
अपनी राय प्रस्तुत करे

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उत्तराखंड का इततहास
कौलशक सचमतत-
 कौलशक सचमतत का गठन 4 जनिरी 1994 में तकया गया
 कौलशक सचमतत के अध्यक्ष रमाशंकर कौलशक थे।
 मई 1994 में कौलशक सचमतत ने उत्तराखंड पृथक राज्य पर अपनी राय प्रस्तुत की ि
उत्तराखण्ड राज्य में 3 मण्डिों की स्थापना की लसिाररश की थी।
 21 जून 1994ई० में मुिायम यादि सरकार ने कौलशक सचमतत की लसिाररश स्िीकार
की।
बड़थ्िाि सचमतत- 1994 में तिनोद बड़थ्िाि की अध्यक्षता में इस सचमतत का गठन तकया गया।

उत्तराखंड की अगस्त िांतत


 नई आरक्षण नीतत का उत्तराखंड में
तिरोध होने िगा था।
 उत्तराखंड के नेता इंद्रमभण बडोनी, मुलायम यादव की आरक्षण नीनत
रतनमभण भट्ट, प्रेमदत्त नोदियाि आदद 17 जून 1994 में मुलायम यादव सरकार ने
7 अगस्त को आमरण अनशन पर बैठ सरकारी नोकरी के जलये नयी आरक्षण व्यवथथा
गये िेतकन पुलिस ने बिपूिणक लागू की-
अनशनकाररयों को उठा लिया।
27% OBC आरक्षण
 कुमाँऊ में 15 अगस्त को काशी ससिंह
21% SC आरक्षण
ऐरी के नेतृत्ि में नैनीताि में आमरण
2% ST आरक्षण
अनशन शुरू हुआ।
इस आरक्षण नीनत का उत्तराखंड की जनता ने
 अगस्त िांतत में उत्तराखंड िांतत दि
नवरोध नकया क्योंनक उत्तराखंड में 2-3%
ने भी महत्िपूणण भूचमका तनभाई
OBC थे और नई आरक्षण नीनत से सरकारी
उत्तराखंड के युिा भी इस आंदोिन में
सतिय रहे। नोकरी में नसफस UP वालों को मौका नमलना
 इस आंदोिन ने उत्तराखंड की जनता था।
के मन मे एक जुनून पैदा कर ददया था
और यहां से उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिन ने और जोर पकड़ लिया था।

खिीमा कांड(1 लसतम्बर 1994)


 खिीमा कांड उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिन में पहिा पुलिस कांड था।
 ऊधमससिंह नगर के खिीमा में आंदोिनकाररयों ने शांतत पूिणक जुिूस तनकािने का
तनणणय लिया िेतकन पुलिस ने आंदोिनकाररयों पर गोिी चििा दी जजसमें कई
आंदोिनकाररयों की मौत हो गयी।

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उत्तराखंड का इततहास
मसूरी कांड(2 लसतम्बर 1994)
 खिीमा कांड के तिरोध में आन्त्दोिनकाररयों ने मसूरी में जुिुश तनकािा िेतकन यहां पर
भी पुलिस ने बिपूिणक कायणिाही की ि इस घिनािम में 6 िोग मारे गये जजसमें दो
मतहिाएं हंसा धनाई ि बेिमती चौहान भी थी।

बािा - घािा कांड


 यह कांड 15 लसतम्बर 1994ई० को हुआ।
 मसूरी में जुिसू तनकािने के लिये गढ़िाि के तिभभन्त्न क्षेत्रों से आंदोिनकारी मसूरी
पहुंच रहे थे िेतकन उमड़ता जन शैिाब दे खकर पुलिस घबरा गयी ि गढ़िाि से आने
िािे आंदोिनकाररयों को बीच रास्ते मे एक संकरे मागण में रोक ददया।
 आंदोिनकाररयों ने तिरोध तकया तो पुलिस ने िाठीचाजण शुरू कर ददया भीड़ में भगदड़
मच गयी ि संकरा मागण होने के कारण कई िोग खाई में तगर पड़े ि कुछ िोग पुलिस
की िाठी चाजण से मर गये।

मुजफ्िरनगर कांड
 उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोिनकाररयों ने जन भािना का अहसास कराने हेतु 2
अर्किू बर 1994 को ददल्िी कूच करने का तनणणय लिया। गढ़िाि ि कुमाँऊ क्षेत्र के कई
आंदोिनकारी ददल्िी की और रिाना हुए।िेतकन पुलिस ने ददल्िी रैिी में भाग िेने जा
रहे आंदोिनकाररयों को रामपुर ततराहा मागण(मुज्जिरनगर) पर रोक ददया ि बबणरता से
आंदोिनकाररयों पर िाठी चाजण ि गोिी चिाकर अमानिीय अत्याचार तकया यहां तक
तक मतहिाओं के साथ अभद्र व्यिहार भी तकया गया। इस मुज्जिरनगर कांड में कई
िोग शहीद हुए।
 मुज्जिरनगर कांड के तिरोध में 3 अर्किू बर को उत्तराखंड में कहिंसक प्रदशणन हुए ि इस
कहिंसक प्रदशणन में भी कई िोग शहीद हो गये।
 25 जनिरी 1995 को उत्तरांचि आंदोिन संचािन सचमतत ने उच्चत्तम न्त्यायािय से
राष्ट्रपतत भिन तक सकििंधान बचाओ यात्रा तनकािी।
 10 निम्बर 1995 को श्रीनगर स्स्थत श्रीयंत्र िापू पर आमरण अनशन पर बैठे
आंदोिनकाररयों पर पुलिस ने िाठी चाजण तकया जजसमें दो आंदोिनकारी यधोधर
बेंजिाि ि राजेश राित की मौत हो गयी।

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उत्तराखंड का इततहास
उत्तराखंड पृथक राज्य
 15 अगस्त 1996 को तत्कािीन प्रधानमंत्री एच डी दे िगौड़ा ने िाितकिे से उत्तराखंड
राज्य तनमाणण की घोर्षणा की।
 22 ददसम्बर 1998 को भाजपा के नेतृत्ि िािी सरकार ने िोकसभा में उत्तराखंड
पृथक राज्य तिधेयक पेश तकया िेतकन सरकार के तगर जाने से तबि पास न हो सका।
 भाजपा के पुनः सत्ता पे आने के बाद 27 जुिाई 2000 को "उत्तर प्रदे श पुनगणठन
तिधेयक 2000" को िोकसभा में प्रस्तुत तकया गया।
 1 अगस्त 2000 को तिधेयक िोकसभा में ि 10 अगस्त 2000 को राज्यसभा में पाररत
हो गया।
 28 अगस्त 200 को राष्ट्रपतत के.आर.नारायण ने उत्तर प्रदे श पुनगणठन तिधेयक 2000"
को मंजूरी प्रदान की।
 9 निम्बर 2000 को उत्तरांचि राज्य का तनमाणण दे श के 27िें राज्य के रूप में हुआ।
 उत्तरांचि राज्य की अस्थायी राजधानी दे हरारॄन बनाई गयी ि पहिे अंतररम मुख्यमंत्री
तनत्यानंद स्िामी ने पद ि गोपनीयता की शपथ िी।
 1 जनिरी 2007 को उत्तरांचि राज्य का नाम उत्तराखंड हो गया।

उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु आंदोिन MCQ


Q1.उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु पिणतीय राज्य पररर्षद का गठन कहाँ तकया गया
A.रानीखेत B.हल्द्वानी C.रामनगर D.दे हरारॄन

Q2.उत्तराखंड पृथक राज्य हेतु रामनगर में पिणतीय राज्य पररर्षद का गठन कब तकया गया
A.1956 B.1962 C.1967 D.1979

Q3-उत्तराखण्ड िात्न्त्तदि के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ? सींचपाि 2017


A.दे िीदत्त पंत B.मनोहर िाि पंत C.तिजयदत्त पंत D.कोई नहीं

Q4.कुमाऊँ राष्ट्रीय मोचाण का गठन तकसके द्वारा तकया गया


A.दयाकृष्ण पांडे B.गोकििंद ससिंह मेहरा C.नारायण दत्त D.पी सी जोशी

Q5.श्री दे ि सुमन ने गढ़दे श सेिा संघ की स्थापना कब की


A.1937 B.1938 C.1939 D.1940

Ans- 1.c 2.c 3.a 4.d 5.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q6.नैनीताि में उत्तरांचि पररर्षद का गठन कब हुआ
A.1971 B.1972 C.1973 D.1974

Q7- कौलशक सचमतत ने प्रस्तातित उत्तराखण्ड राज्य में तकतने मण्डिों की स्थापना की
लसिाररश की थी ? सींचपाि 2017
A.दो मण्डि B.तीन मण्डि C.चार मण्डि D. एक मण्डि

Q8.पृथक राज्य आंदोिन हेतु उत्तराखंड युिा पररर्षद का गठन कब तकया गया
A.1975 B.1976 C.1978 D.1979

Q9.उत्तराखंड िात्न्त्तदि ने पृथक राज्य की प्रस्तातित राजधानी घोतर्षत की


A.श्रीनगर B.चंद्रनगर C.कीर्तिंनगर D.सुमननगर

Q10-उत्तराखण्ड िात्न्त्तदि की स्थापना तकस िर्षण हुई थी ? ukpsc ARO 2019


A.1976 ई. B.1979 ई. C.1984 ई. D.1989 ई.

Q11.कौलशक सचमतत का गठन कब तकया गया


A.1992 B.1993 C.1994 D.1995

Q12.बािा घािा कांड कहाँ घदित हुआ


A.श्रीनगर B.हल्द्वानी C.मसूरी D.खिीमा

Q13.खिीमा कांड कब घदित हुआ


A.1 लसतंबर 1994 B.2 लसतंबर 1994
C.1 अर्किू बर 1994 D.2 अर्किू बर 1994

Q14.मुजफ्िरनगर कांड कब घिा


A.1 लसतंबर 1994 B.2 लसतंबर 1994
C.1 अर्किू बर 1994 D.2 अर्किू बर 1994

Q15-उत्तराखण्ड में श्री यन्त्त्र िापू स्स्थत है : समीक्षा अचधकारी 2017


A.हररद्वार B.श्रीनगर (गढ़िाि) C.दे हरारॄन D.ऊधम ससिंह नगर

Ans- 6.b 7.b 8.b 9.b 10.b 11.c 12.c 13.a 14.d 15.b

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उत्तराखंड का इततहास
Q16.उत्तराखंड राज्य तनमाणण के समय तकस पािी की सरकार थी
A.जनता दि B.राष्ट्रीय जनतांतत्रक गठबंधन
C.सयुंि प्रगततशीि गठबंधन D.भाकपा

Q17.उत्तरांचि राज्य का नाम उत्तराखंड कब हुआ


A.1 निंबर 2007 B.1 जनिरी 2007 C.9 जनिरी 2007 D.9 निम्बर2 2007

Q18.तनम्न में से तकस राष्ट्रपतत ने उत्तर प्रदे श पुनगणठन तिधेयक 2000 को मंजरू ी दी
A.ए पी जी अब्रृि किाम B.के आर नारायण
C.डॉ शंकर दयाि शमाण D.आर. िेंकिरमण

Q19.उत्तर प्रदे श पुनगणठन तिधेयक 2000 िोकसभा में कब पाररत हुआ


A.1 अगस्त 2000 B.10 अगस्त 2000 C.20 अगस्त 2000 D.28 अगस्त 2000

Q20.िाितकिे से उत्तराखंड राज्य तनमाणण की घोर्षणा करने िािे प्रधानमंत्री थे


A.नरलसम्हा राि B.अिि तिहारी िाजपेयी
C.एच डी दे िगौड़ा D.इंद्रकुमार गुजराि

Q21.कौलशक सचमतत के अध्यक्ष थे


A.रमाशंकर कौलशक B.उमाशंकर कौलशक
C.तिनोद बड़थ्िाि D.रमेश बड़थ्िाि

Ans- 16.b 17.b 18.b 19.a 20.c 21.a

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उत्तराखंड का इततहास

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