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मोहनजोदड़ो ससिंधु ववशाल अनाज भिंडार, ववशाल स्नानागार, पशुपर्त महादे व की मूर्तण, दाढी वाले आदमी की
छवव, और महहला नत्ृ यािंगना की कािंसे की प्रर्तमा
लोथल भोगवा बिंदरगाह शहर, दोहरी कब्रगाह, टे रीकोटा से बनी घोड़े की मर्ू तण
कासलिंबगन घग्गर
बौद्ध धमण
गौतम बद्
ु ध और बौद्ध धमण (563 ईसा पव
ू ण - 483 ईसा पव
ू )ण
बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएिं
महासभर्नष्क्रमर् घोड़ा
बौद्ध पररषद
जैन धमण
महावीर (599 ईसापूवण - 527 ईसापूवण)
जैन धमण के पािंच मिंि
• अिंहहसा – हहिंसा से घर्
ृ ा
• सत्य – झूठ न बोलना
• अस्तेय – चोरी नहीिं करना
• अपररग्रह – सिंपवत्त न रिना
• ब्रह्मचयण – काम भावना से दरू ी
तीन मुख्य ससद्धािंत
• अहहिंसा
• अनेकािंतवाद
• अपररग्रह
जैनधमण के बिरत्न
• सही ववश्वास – सम्यक श्रद्
ृ धा
• सही ज्ञान – सम्यक ज्ञान
• सही आचरर् – सम्यक कमण
शािा
• श्वेतािंबर – स्थूलभद्र – जो श्वेत वस्ि पहनते हैं।
• हदगिंबर – भद्रबाहू – ये र्नवस्ि रहते हैं।
वैहदक ग्रिंथ
1. ऋगवेद
• ऋचाओँ का सिंग्रह
• सबसे प्राचीन वेद
• प्रससद्ध गायिी मिंि इसमें सकिंसलत है ।
2. सामवेद
• ऋगवेद में सिंकसलत ऋचाओिं का लयबद्ध उच्चारर्
• मिंि़ों की पस्
ु तक
3. यजुवेद
• बसलदान प्राथणनाओिं का सिंग्रह
• यज्ञ़ों के अनुष्क्ठान
4. अथवणवेद
• जाद-ू टोना के सलए मिंि
5. उपर्नषद्
• इसका शात्ददक अथण अपने गुरु के समीप बैठकर ज्ञानाजणन करना है ।
• आदशण वातय “सत्यमेव जयते” को मिंडोकोपर्नषद् से सलया गया है ।
महत्वपूर्ण राजविंश
1. हरण्यक राजविंश (544 ईसा पव
ू -ण 412 ईसा पूव)ण
• बबिंबसार, अजातशिु और उदार्यन
2. सशशुनाग राजविंश (412 ईसा पव
ू ण - 342 ईसा पव
ू )ण
• सशशुनाग और कालाशोक
3. निंद राजविंश (344 ईसा पव
ू ण - 323 ईसा पव
ू )ण
4. मौयण राजविंश (322- 185 ईसा पूव)ण
(A) चिंद्रगुप्त मौयण (322 - 297 ईसा पूव)ण
(B) बबिंदस
ु ार (298 - 273 ईसा पूव)ण
• ग्रीक वासी इसे असमिघात के रूप में जानते थे। इसने अजववका सिंप्रदाय को सिंरक्षर् हदया था।
(C) अशोक (269 - 232 ईसा पूव)ण
• इसे 'दे वनामवप्रय वप्रयदशी' के रूप में जाना जाता था त्जसका अथण भगवान का वप्रय है ।
• अशोक ने 261 ईसा पव
ू ण में कसलिंग यद्
ु ध लड़ा। कसलिंग आधर्ु नक उड़ीसा में है ।
• अशोक के सशलालेि जेम्स वप्रिंसेप द्वारा पढे गए गए थे।
• अशोक ने 40 वषों तक शासन ककया और 232 ईसा पव
ू ण में उसकी मत्ृ यु हो गई।
(D) उत्तर मौयण
5. शुिंग राजविंश (185 ईसा पूवण - 73 ईसा पूव)ण
6. कण्व राजविंश (73 ईसा पूवण - 28 ईसा पूव)ण
7. सातवाहन राजविंश (60 ईसा पव
ू ण - 225 ईस्वीिं)
8. गुप्त काल (319 – 540 ईस्वीिं)
• सिंस्थापक- श्री गुप्त
(A) चिंद्रगुप्त प्रथम (319-334 ईस्वीिं)
• यह गुप्त राजविंश का पहला महान शासक था।
• इसने महाराजाधधराज की उपाधध ग्रहर् की थी।
• 319-20 ईस्वीिं में गुप्त सिंवत शुरू ककया था।
• शुद्ध सोने के ससतके हदनार जारी ककए गए थे।
(B) समद्र
ु गप्ु त (335-380 ईस्वीिं)
• समुद्रगुप्त को भारत का नेपोसलयन कहा जाता है ।
(C) चिंद्रगुप्त द्ववतीय (380-412 ईस्वीिं)
• इसने ववरमाहदत्य की उपाधध धारर् की थी।
• चीनी तीथणयािी फाह्यान (399-414 ईस्वी) इसके शासनकाल के दौरान भारत आया था।
(D) कुमारगुप्त - प्रथम (413 - 455 ईस्वीिं)
• इसने महें द्राहदत्य की उपाधध ग्रहर् की थी।
• इसने नालिंदा ववश्वववद्यालय (प्रससद्ध प्राचीन ववश्वववद्यालय) की स्थापना की थी।
(E) स्किंदगुप्त (455 - 467 ईस्वीिं)
• सुदशणन झील का पुनरोद्धार करवाया था।
सिंगम काल
• सिंगम काल प्राचीन भारत के तसमलनाडु में तीसरी शताददी ईसापूवण से तीसरी शताददी ईस्वीिं के मध्य का काल है ।
तीन प्रारिं सभक राज्य
मध्यकालीन भारत
उत्तरी भारत – तीन साम्राज्य का काल (8 से 10 शताददी)
पाल
• इन्ह़ोंने पव
ू ी भारत पर शासन ककया।
• इसकी स्थापना गोपाल ने की थी।
• ये बौद्ध धमण के अनुयायी थे।
• धमणपाल ने ववरमसशला ववश्वववद्यालय की स्थापना की थी।
प्रर्तहार
• इन्ह़ोंने पत्श्चमी भारत और ऊपरी गिंगा के मैदान पर शासन ककया था।
राष्क्रकूट
• इन्ह़ोंने दतकन और उत्तरी और दक्षक्षर्ी भारत के ववशेष क्षेि़ों में शासन ककया था।
• इस विंश की स्थापना दिं र्तदग
ु ण ने की थी।
• कृष्क्र् प्रथम ने एलोरा में चट्टान को काटकर सशव मिंहदर बनाया था।
चोल साम्राज्य
• इस साम्राज्य की स्थापना ववजयालय (पल्लव़ों के सामिंत) ने 850 ईस्वीिं में की थी।
• राजराज (985 – 1014) और राजेन्द्र प्रथम (1014 – 1044) महान चोल राजा थे।
• राजेन्द्र प्रथम ने गिंगैक़ोंड चोल (गिंगा का चोल शासक) की उपाधध ग्रहर् की थी।
हदल्ली सल्तनत
गल
ु ाम विंश (1206-1290)
1206 - कुतुबद्दीन ऐबक • इसने हदल्ली में कुवुत-उल-इस्लाम मत्स्जद और अजमेर में अढाई हदन का झोपड़ा
1210
का र्नमाणर् कराया था।
• इसने प्रससद्ध सूफी सिंत ख्वाजा कुतुबद्दीन बत्ख्तयार काकी के सम्मान में कुतुब
मीनार की नीिंव भी रिी थी।
1210 – इल्तत
ु समश • इसने हदल्ली की मिंगोल चिंगेज िािं के आरमर् से रक्षा की थी।
1236
• इसने चहलगामी प्रथा – 40 अमीऱों के समह
ू की स्थापना की।
• इसने कुतुबमीनार के र्नमाणर् को पूरा कराया।
1236 – रत्जया सुल्तान • भारत में शासन करने वाली पहली और एकमाि मुत्स्लम महहला थी।
1240
1266 – बलबन का काल • इसने शत्ततशाली सेना के सलए सैन्य ववभाग (दीवान-ए-अजण) की स्थापना की थी।
1287
• इसने कानून व्यवस्था बनाए रिने के सलए लौह और रतत की नीर्त का पालन
ककया था।
• इसने फारसी ररवाज़ पर आधाररत सजदा और पैबोस प्रथा को लागू ककया।
खिजली विंश
1296 – अलाउद्दीन खिलजी • इसने दाग – घोड़़ों पर र्नशान लगाने और चेहरा – सैर्नक़ों का हुसलया
1316
सलिने की परिं परा को शुरू ककया।
• इसने अलाई ककला और अलाई दरवाजा (कुतुबमीनार का प्रवेश द्वार) का
र्नमाणर् कराया था।
• अमीर िुसरो अलाउद्दीन के दरबारी कवव थे।
1320 िस
ु रो िािं
तुगलक विंश (1320-1412)
गयासद्
ु दीन तग
ु लक 1320-1325
मुहम्मद-बबन तुगलक 1325-1351 • इसने पािंच महत्वाकािंक्षी पररयोजनाओिं को लागू करवाया त्जसने इसको चचाण
में ला हदया।
a) दोआब में कर (1326)
b) राजधानी स्थानािंतरर् (1327)
c) टोकन मुद्रा की शुरूआत (1329)
d) िुरासान आरमर् (1329)
e) कराची आरमर् (1330)
कफरोजशाह तग
ु लक 1351-1388 • इसने दीवान-ए-िैरात (गरीब और जरूरतमिंद़ों के सलए ववभाग) और दीवान-ए-
बिंदगान (गुलाम़ों के सलए ववभाग) की स्थापना की थी।
ससकिंदर लोदी 1489-1517 • इसने राजधानी को हदल्ली से आगरा स्थानािंतररत ककया और आगरा शहर की
स्थापना की।
इब्राहहम लोदी 1517-26 • यह लोदी विंश का अिंर्तम शासक और हदल्ली का अिंर्तम सुल्तान था।
• बाबर ने 1526 ईस्वीिं में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहहम लोदी को परात्जत
ककया था।
मुगल साम्राज्य
बाबर (1526 - 1530)
• िानवा (1527) की लड़ाई रार्ा सिंगा और बाबर के बीच लड़ी गई थी।
• बाबर ने तुज़ुक-ए-बाबरी की रचना की थी।
• तुज़ुक-ए-बाबरी का फारसी भाषा में अनुवाद अददरु रहीम िानिाना ने बाबरनामा नाम से ककया था।
हुमायूिं (1530 - 1540 और 1555 - 1556)
• हुमायूिं 29 हदसिंबर 1530 को 23 साल की उम्र में मुगल सम्राट बना था।
• सन ् 1539 में चौसा की लड़ाई में हुमायिंू पहली बार शेरशाह सरू ी से परात्जत हुआ था।
• हुमायूिं की जीवनी हुमायूिंनामा की रचना हुमायूिं की बहन गुलबदन बेगम ने की थी।
• पुराना ककला का र्नमाणर् हुमायूिं ने ककया था, लेककन इसका र्नमाणर् शेरशाह द्वारा पूरा ककया गया था।
• हुमायिंू का मकबरा (भारत में दोहरे गिंब
ु द वाली प्रथम इमारत) हदल्ली में त्स्थत है । इसका र्नमाणर् हाजी बेगम ने करवाया था।
शेर शाह सूरी (सुर साम्राज्य)
• सन 1539 में चौसा के युद्ध में शेरिािं ने पहली बार हुमायुिं को परात्जत ककया और शेरशाह की उपाधध ग्रहर् की।
• शेरशाह ने शोरे गािंव से अटक (कलकत्ता से अमत
ृ सर) तक ग्रािंड रिं क रोड (जी.टी.रोड) का र्नमाणर् कराया।
अकबर (1556 - 1605)
• अकबर एक असशक्षक्षत व्यत्तत था, लेककन वह प्रख्यात ववद्वाऩों का सिंरक्षक था।
• अबुल फजल : अकबर के दरबार का इर्तहासकार था। इन्ह़ोंने अकबर के जीवनकायों पर आधाररत आइने-अकबरी और अकबर नामा
की रचना की थी।
• बीरबल : इनका असली नाम महे श दास था।
• राजा टोडरमल : राजा टोडरमल अकबर के ववत्त अथवा राजस्व मिंिी थे।
प्रशासन
• मनसबदारी प्रथा : इस प्रथा की शुरुआत एक ववशाल सेना के रिरिाव के सलए की गई थी। मनसब़ों को अमीऱों के बराबर दजाण
प्राप्त था। उन्हें जाट (व्यत्ततगत त्स्थर्त) और सवार (रिरिाव के सलए घुड़सवार) में बािंटा गया था।
• अकबर ने आगरा का ककला, लाहौर का ककला, इलाहाबाद का ककला, हुमायूिं का मकबरा और आगरा के पास फतेहपुर सीकरी का
र्नमाणर् कराया था।
• अकबर ने फतेहपरु सीकरी में इबादत िाने का र्नमाणर् ककया था त्जसमें वह चर्ु निंदा धमणगुरूओिं और रहस्यवाहदय़ों को धासमणक और
आध्यात्त्मक चचाण के सलए आमिंबित करता था।
• अकबर ने गज
ु रात पर अपनी जीत की िश
ु ी में सन ् 1601 में फतेहपरु सीकरी में बल
ु िंद दरवाजा बनवाया था।
जहािंगीर (1605 - 1627)
• इसने आगरा के ककले में न्याय की जिंजीर ‘जिंजीर-इल-अदाल’ की स्थापना की थी। जहािंगीर अपने सख्त प्रशासन के सलए जाना
जाता था।
• 1606 में जहािंगीर ने पािंचवें ससि गुरु, गुरु अजन
ुण दे व को मार डाला था, तय़ोंकक उन्ह़ोंने जहािंगीर के बेटे राजकुमार िुसरो की
उनके खिलाफ ववद्रोह करने में मदद की थी।
• 1609 में , जहािंगीर के दरबार में इिंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम का एक राजदत
ू ववसलयम हॉककन्स समलने आया था, वह व्यापार ररयायत
प्राप्त करने के सलए भारत आया था।
• जहािंगीर ने श्रीनगर में शालीमार और र्नशािंत गाडणन का र्नमाणर् ककया था।
• इसने लाहौर में मोती मत्स्जद और शाहदरा में अपने मकबरे का र्नमाणर् ककया था।
शाहजहािं (1628 - 1658)
• 1631 में , इसने अपनी पत्नी की याद में ताजमहल का र्नमाणर् शुरू ककया और 1653 में परू ा ककया। इसके वास्तक
ु ार एक तक
ु ी /
फारसी उस्ताद इज़ा थे।
• 1638 में शाहजहािं ने हदल्ली में अपनी नई राजधानी शाहजहािंनाबाद बनाई और राजधानी को आगरा से यहािं स्थानािंतररत कर हदया।
• 1639 में , इसने अकबर द्वारा र्नसमणत आगरा ककले के मॉडल के आधार पर हदल्ली में लाल ककले का र्नमाणर् शुरू ककया।
• 1656 में शाहजहािं ने हदल्ली में जामा मत्स्जद का र्नमाणर् ककया।
• शाहजहािं के काल को मग
ु ल साम्राज्य के स्वर्ण यग
ु के रूप में जाना जाता है ।
• इसने मोर ससिंहासन या तख्त-ए-ताउस का र्नमाणर् भी करवाया था।
औरिं गजेब (1658 - 1707)
• यह आखिरी महान मग
ु ल सम्राट था त्जसके बाद मग
ु ल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था।
• औरिं गजेब को अपने साधारर् जीवन की वजह से 'त्जिंदा पीर' या जीववत सिंत के रूप में जाना जाता है ।
• 1675 में , इसने 9वें ससि गुरु, गुरु तेग बहादरु के इस्लाम को स्वीकार नहीिं करने के कारर् मरवा हदया था।
• 1679 में औरिं गजेब ने महाराष्क्र में औरिं गाबाद में अपनी एकमाि पत्नी रत्दबया-उद-दौरा का मकबरा बनवाया। इसे ‘बीबी का मकबरा’
के नाम से जाना जाता है ।
• लाल ककले में औरिं गजेब द्वारा र्नसमणत एकमाि इमारत मोती मत्स्जद है ।
उत्तरवती मग
ु ल (1707 – 1857)
सामात्जक-धासमणक सध
ु ार आिंदोलन
ब्रह्म समाज
• राजाराम मनोहर राय ने हहिंद ु धमण को शुद्ध करने और एकधमण का उपदे श दे ने के सलए कलकत्ता में 1828 में ब्रह्म समाज की
स्थापना की थी।
• 1815 में , उन्ह़ोंने आत्मीय सभा की स्थापना की।
• इसके बाद, उन्ह़ोंने अगस्त 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की।
• राजा राममनोहर राय को लॉडण ववसलयम बैंहटक के साथ समलकर सती प्रथा को दिं डनीय अपराध बनाने में मदद करने के सलए सबसे
ज्यादा याद ककया जाता है ।
यिंग बिंग आिंदोलन
• हे नरी ववववयन डेरोत्जयो यिंग बिंग आिंदोलन के सिंस्थापक थे।
आयण समाज
• आयण समाज की स्थापना स्वामी दयानिंद सरस्वती ने 1875 में बिंबई में की थी।
• इन्ह़ोंने सत्याथण प्रकाश नामक पुस्तक सलिी थी त्जसमें इनके ववचार सिंकसलत थे।
• प्रथम दयानन्द एिंगलो-वेहदक (DAV) स्कूल की स्थापना लाहौर में 1886 में हुई थी।
प्राथणना समाज
• प्राथणना समाज की स्थापना डॉ. आत्माराम पािंडुरिं ग द्वारा 1867 में बिंबई में की थी।
रामकृष्क्र् समशन
• इसकी स्थापना 1897 में हावड़ा में बेलूर में हुई थी।
धथयोसोकफकल सोसाइटी
• धथयोसोकफकल सोसाइटी की स्थापना 1875 में अमेररका में एक रूसी नागररक मैडम एच.पी. दलैवोत्सकी और अमेररकी कनणल हे नरी
स्टील ऑलकॉट द्वारा की गई थी।
• बाद में , 1893 में भारत में श्रीमती एनी बेसेंट भारत आयीिं और ऑकलॉट की मत्ृ यु के बाद सोसाइटी का नेतत्ृ व सिंभाला।
• श्रीमती एनी बेसेंट ने मदन मोहन मालवीय के साथ समलकर बनारस में सेंरल हहन्द ू स्कूल की स्थापना की जो बाद में बनारस
हहन्द ू ववश्वववद्यालय के रूप में ववकससत हुआ।
ज्योर्तबा फूले
• इन्ह़ोंने सन ् 1873 में जार्त प्रथा के ववरुद्ध लड़ने के सलए सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
भारतीय (राष्क्रीय) सोशल कॉन्रेंस
• इसकी स्थापना महादे व गोवविंद रानाडे और रघुनाथ राव ने की थी।
भारतीय समाज के सेवक
• इसकी स्थापना गोपाल कृष्क्र् गोिले ने की थी।
इिंडडयन नेशनल कािंग्रेस (आई.एन.सी.) की स्थापना के पूवण राजनैर्तक सिंगठन/सिंस्थाएिं
• बब्रहटश इिंडडया सोसाइटी (1839 – लिंदन) : ववसलयन एडम्स
• बॉम्बे एसोससएशन (1852 – बिंबई) : दादाभाई नौरोजी और हदनशा वाचा
• पन
ू ा सावणजर्नक सभा (1867 - पन
ू ा) : एम. जी. रानाडे, जी.वी. जोशी. और धचपलिंकर
• इिंडडयन सोसाइटी (1872 – लिंदन) : आनिंद मोहन बोस
• मद्रास महाजन सभा (1884 – मद्रास) : एम. वीरघावचायाण, जी. सब्र
ु मण्यम अय्यर और पी. आनिंद चारलू
.
भारतीय राष्क्रीय आिंदोलन (1885 – 1905)
भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस का उदय (1885)
• बब्रहटश सरकार में सेवार्नवत्त
ृ अधधकारी एलन ओतटोववयन ह्यूम ने एक अखिल भारतीय सिंगठन बनाने की पहल की।
• इस प्रकार, भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस की स्थापना हुई और इसका पहला सि 1885 में बम्बई में आयोत्जत हुआ।
1919 अमत
ृ सर मोतीलाल नेहरू
1928 कलकत्ता मोतीलाल नेहरू (प्रथम अखिल भारतीय युवा कािंग्रेस का गठन)
1931 कराची वल्लभ भाई पटे ल (यहािं, मौसलक अधधकार सिंकल्प और राष्क्रीय आधथणक कायणरम पाररत
हुआ)
1937 फैजपुर जवाहर लाल नेहरू (ककसी गािंव में प्रथम सि)
1938 हररपरु ा सभ
ु ाष चन्द्र बोस (जवाहर लाल नेहरू के अधीन राष्क्रीय योजना ससमर्त की स्थापना हुई)
1939 बिपरु ी सभु ाष चन्द्र बोस को पन ु ः अध्यक्ष चनु ा गया लेककन गािंधी जी के ववरोध के कारर् त्यागपि
दे हदया (तय़ोंकक गािंधी जी ने डॉ.िं पट्टासभ ससतारमैया को समथणन हदया था)। इनके स्थान
पर राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया।
गोलमेज सम्मेलन
प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930)
• यह लिंदन में 1930 में आयोत्जत हुआ था। कािंग्रेस ने इस सम्मेलन का बहहष्क्कार ककया था।
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन (1931)
• सरकार ने कािंग्रेस पाटी से प्रर्तबिंध हटा हदया और इसके नेताओिं को जेल से ररहा कर हदया।
• 8 माचण 1931 को गािंधी इरववन समझौते पर हस्ताक्षर ककया गया।
• समझौते के अनुसार, महात्मा गािंधी ने सववनय अवज्ञा आिंदोलन को वापस ले सलया और द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन में भाग सलया।
साम्प्रदार्यक पिंचाट
• साम्प्रदार्यक पिंचाट की घोषर्ा बब्रहटश प्रधानमिंिी, रै मसे मैकडोनाल्ड ने अगस्त, 1932 में की थी।
• साम्प्रदार्यक पिंचाट में वपछड़ी जार्तय़ों को अल्पसिंख्यक दजाण दे ने की घोषर्ा की गयी और उनके सलए अलग र्नवाणचक मिंडल थे।
पूना समझौता (1932)
• महात्मा गािंधी ने साम्प्रदार्यक पिंचाट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू कर हदया और 20 ससतम्बर 1932 को येरवादा जेल से ही मत्ृ यु
तक अनशन करने की घोषर्ा की।
• आखिरकार, डॉ भीमराव अम्बेडकर और गािंधी जी के बीच एक समझौता हुआ।
• इस समझौते को पूना पैतट के नाम से जाना जाता है ।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन (1932)
• कािंग्रेस ने इस सम्मेलन में भाग नहीिं सलया।
भारत सरकार अधधर्नयम (1935)
• शत्ततय़ों को तीन भाग़ों में बािंटा गया सिंघीय, प्रािंतीय और समवती।
• केन्द्र में द्वैध शासन प्रर्ाली की शुरुआत हुई।
• गवणनर जनरल और उसकी पररषद “सिंरक्षक्षत ववषय” का प्रशासन करते थे।
• प्रािंत़ों में द्वैध शासन प्रर्ाली का अिंत हुआ और प्रािंतीय स्वायत्ता की शुरुआत हुई।
अगस्त प्रस्ताव (1940)
• अगस्त प्रस्ताव में र्नहहत था –
i. भारत के सलए अधधराज्य दजे का लक्ष्य
ii. वायसराय की कायणकारी पररषद का ववस्तार और युद्ध के बाद सिंववधान सभा का गठन
iii. कािंग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को िाररज कर हदया।
व्यत्ततगत सत्याग्रह (1940-41)
• आचायण ववनोवा भावे सत्याग्रह करने वाले प्रथम व्यत्तत थे और उन्हें तीन महीने के सलए जेल जाना पड़ा था।
करप्स समशन (1942)
• बब्रहटश सरकार ने भारतीय़ों के साथ सहयोग बनाए रिने के अपने र्नरिं तर प्रयास़ों में 23 माचण 1942 को सर स्टे फोडण करप्स को
भारत भेजा।
• करप्स समशन के प्रमि
ु सझ
ु ाव थे :
भारत को अधधराज्य का दजाण
गािंधी जी ने करप्स प्रस्ताव को पोस्ट डेटेड चेक कहा था।
भारत छोड़ो आिंदोलन (1942-44)
• 8 अगस्त 1942 को बिंबई में अखिल भारतीय कािंग्रेस ससमर्त का सम्मेलन हुआ और प्रससद्ध भारत छोड़ो आिंदोलन पाररत हुआ।
• इसी हदन, गािंधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा हदया।
चरवती राजगोपालाचारी फामल
ूण ा (1944)
• अनुभवी कािंग्रेसी नेता राजगोपालाचारी ने कािंग्रेस-लीग सहयोग के सलए एक सूि तैयार ककया, त्जसे गािंधी जी ने स्वीकार ककया।
• युद्ध के बाद, उत्तर-पत्श्चम और उत्तर-पूवण भारत में मुत्स्लम बहुल क्षेिें की पूरी जनता एक अलग सिंप्रभु दे श बनाने के प्रस्ताव पर
जनमत सिंग्रह द्वारा र्नधाणरर् करे गी।
बेवेल योजना और सशमला सम्मेलन (1945)
• इसका लक्ष्य गवणनर जनरल की कायणकारी पररषद का पन
ु ग
ण ठन करना था त्जसके कारर् नए सिंववधान के र्नमाणर् में ववलिंब हो रहा
था।
• गवणनर जनरल और सेना प्रमि
ु को छोड़कर, कायणकारी पररषद के सभी सदस्य भारतीय होने चाहहए।
• हहन्दओ
ु िं और मुत्स्लम़ों का समान प्रर्तर्नधधत्व था।
इिंडडयन नेशनल आमी रायल (1945)
• आई.एन.ए. के ससपाहहय़ों का हदल्ली में लाल ककले में रायल हुआ था।
कैबबनेट समशन (1946)
• द्ववतीय ववश्व युद्ध के बाद, बब्रहटश कैबबनेट के तीन सदस्य – पैधथक लॉरें स, सर स्टे फोडण करप्स और ए.वी. एलेतजेंडर को भारत
भेजा गया। इसे कैबबनेट समशन के नाम से जाना जाता है ।
• कैबबनेट समशन ने बब्रहटश भारत और प्रािंतीय राज्य़ों को समलाकर सिंघीय भारत बनाने का भी प्रस्ताव हदया था।
• मत्ु स्लम लीग और कािंग्रेस दोनो ने इस योजना को स्वीकार ककया था।
माउिं टबेटन योजना (1947)
• लॉडण मािंउटबेटन के साथ व्यापक ववमशण के बाद 3 जून 1947 को दे श के ववभाजन की योजना लायी गयी।
• कािंग्रेस और मत्ु स्लम लीग ने अिंततः माउिं टबेटन योजना को स्वीकार कर सलया।
भारतीय स्वतिंिता अधधर्नयम 1947
• बब्रहटश सरकार ने माउिं टबेटन योजना को स्वीकृर्त दे कर 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतिंिता अधधर्नयम पाररत ककया।
• दे श का भारत और पाककस्तान में ववभाजन 15 अगस्त 1947 को अत्स्तत्व में आया।
• रे डककल्फ बाउिं ड्री कमीशन ने भारत और पाककस्तान को अलग करने वाली सीमारे िा िीिंची।
भारतीय स्मारक़ों और उनके र्नमाणताओिं की सूची (राज्य वार)
अकबर का मकबरा आगरा (उत्तर प्रदे श) अकबर और उसका पुि जहािंगीरे 1613 ईस्वी
जिंतर मिंतर मथरु ा (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1738 ईस्वी
जिंतर मिंतर वारार्सी (उत्तर प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1739 ईस्वी
सेंट जॉजण ककला चेन्नई (तसमलनाडु) ईस्ट इिंडडया किंपनी 1644 ईस्वी
जिंतर मिंतर उज्जैन (मध्य प्रदे श) महाराजा सवाई जयससिंह II 1724-1737 ईस्वी
एलोरा की गफ
ु ाएिं महाराष्क्र राष्क्रकूट शासक 6-10वीिं शताददी
एलीफेन्टा की गफ
ु ाएिं मिंब
ु ई (महाराष्क्र) राष्क्रकूट शासक 5-9 शताददी
बीबी का मकबरा औरिं गाबाद (महाराष्क्र) आज़म शाह 1661 ईस्वी
गोल गिंब
ु द बीजापरु (कनाणटक) मह
ु म्मद आहदल शाह 1656 ईस्वी
(भारत में सबसे बड़ा गुबिंद)
प्राचीन भारत
आग की िोज
2 समसलयन ईसा पूवण से 10,00 ईसा पूवण पाषार् काल
चूने पत्थर से बने औजाऱों का प्रयोग ककया
2 समसलयन ईसा पूवण से 50,000 ईसा पूवण पूवण पाषार् काल
गया। इनके अवशेष छोटा नागपुर पठार और
50,000 ईसा पव
ू ण से 40,000 ईसा पव
ू ण मध्य पाषार् काल
कनूल
ण त्जले में प्राप्त हुए हैं।
40,000 ईसा पूवण से 10,000 ईसा पूवण अपर पाषार् काल
सशकारी और चरवाहे
10,000 ईसा पूवण से मध्य पाषार् काल
सूक्ष्मपाषार् औजाऱों का प्रयोग
अनाज उत्पादक
7000 ईसा पूवण नव पाषर् काल
पॉसलश उपकरऱ्ों का प्रयोग
पूव-ण हड़प्पा काल – 3000 ईसा पूवण ताम्र युग प्रथम धातु – तािंबे का प्रयोग
कािंस्ययुगीन सभ्यता,
2500 ईसा पूवण हड़प्पा काल
शहरी सभ्यता का ववकास
1500 ईसा पव
ू -ण 1000 ईसा पव
ू ण पव
ू -ण वैहदक काल ऋगवैहदक काल
544 ईसा पूवण – 412 ईसा पूवण हरयण्क विंश बबम्बसार, अजातशिू और उदर्यन
412 ईसा पूवण – 342 ईसा पूवण सशशुनाग विंश सशशुनाग और कालाशोक
483 ईसा पव
ू ण प्रथम बद्
ु ध पररषद राजगीर
326 ईसा पव
ू ण मेसोडोर्नयाई आरमर् ग्रीक और भारत के मध्य सीधा सिंपकण
185 ईसा पव
ू ण – 73 ईसा पव
ू ण शिंुग विंश पष्क्ु यसमि शिंुग
60 ईसा पव
ू ण – 225 ईसवी सातवाहन विंश राजधानी- पैथान, महाराष्क्र
2 ईसा पव
ू ण इिंडो-यूनानी समनािंडर (165 ईसा पव
ू ण -145 ईसा पव
ू )ण
मध्यकालीन भारत
पथ्
ृ वीराज और मुहम्मद गोरी के मध्य
1178 – 1192 ईसवी पथ्
ृ वीराज चौहान 1191 में तराइन का प्रथम युद्ध
1192, तराइन का द्ववतीय युद्ध
खिलजी विंश
कईं प्रशासर्नक सध
ु ार ककए, दाग और चेहरा
1296 – 1316 ईसवी अलाउद्दीन खखलजी
पद्धर्त की शुरूआत की
तग
ु लक विंश
ववजयनगर राज्य
बहमनी राज्य
1347 – 1358 ईसवी अलाउद्दीन हसन बहमन शाह गुलबगाण में बहमनी साम्राज्य की स्थापना की
आिंग्ल-मराठा यद्
ु ध
आधुर्नक भारत
बिंगाल
मैसरू
1761 – 1782 ईसवी है दर अली आधुर्नक मैसूर राज्य की स्थापना
पिंजाब
1848 – 1849 ईसवी द्ववतीय आिंग्ल-ससति युद्ध डलहौजी ने पिंजाब का ववलय ककया
भारत में यरू ोपीय़ों का आगमन
कनाणटक यद्
ु ध
1758-63 तत
ृ ीय आिंग्ल-रािंस युद्ध पेररस की सिंधध
स्वतिंिता सिंघषण
INC का कलकत्ता सि
1906 स्वराज को लक्ष्य बनाया गया
(INC: भारतीय राष्क्रीय कािंग्रेस)
1909 माले-समिंटो सध
ु ार मत्ु स्लम़ों के सलए पथ
ृ क र्नवाणचन
दािंडी यािा
गािंधी-इरववन समझौता
1930 -34 नागररक अवज्ञा आिंदोलन
द्ववतीय गोलमेज सम्मेलन और सववनय
अवज्ञा आिंदोलन कफर से चालू हुआ
गािंधी जी ने दस
ू रे गोलमेज सम्मेलन में भाग
1931 गािंधी-इरववन समझौता
सलया
लिंदन में दस
ू रा गोलमेज सम्मेलन आयोत्जत
1931
हुआ
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