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अध्याय-1, क्या, कब, कहा और कै से

-:NOTES:-
 अतीत (बबता हुआ समय):- हाल ही में बीता
समय और सददयों पहले बबता समय
 इबतहासकार:- अतीत के बारे में अध्ययन करने
वाला व्यबि
 पुरातत्वबवद:- प्राचीनीन मरमराक , खहडहरों, बसक ,
अबभलेखों अथाात खुदाई में बमले
अवशेषों का अध्ययन करने वाला
व्यबि
 इबतहास का बवषय:- अतीत से लेकर वर्त्ामान
तक बवबभन्न घटनाओ का
बतबथ क्रमानुसार अध्ययन
एवह बवशलेषण
 उपबनवेशवाद:- दकसी उन्नत देश द्वारा दकसी
कमज र देश पर अबधकार कर
उसका आर्थथक श षण करना
 प्राचीनीन काल:- आठवी शताब्दी का पूवाार्द्ा (700
-750 ई०) का समय प्राचीनीन काल
माना जाता है प्राचीनीन काल में आग
एवह पबहया का उपय ग बसखा,
खेती एवह पशुपालन बसखा, गाव,
कमरब तथा शहर का बवकास हुआ
प्राचीनीन काल का बलबखत इबतहास
उपलब्ध नहीं है
 मध्य काल:- आठवी शताब्दी के मध्य (750 ई० )
से अठारहवी शताब्दी का पूवाार्द्ा का
समय मध्य काल माना जाता है
मध्य काल में व्यपार एवह नगर का
बवकास हुआ, नए सैन्य साधन एवह
उन्नत उत्पादन तकनीक का बवकास
हुआ तथा इमरलाम का भारत में
आगमन हुआ
 आधुबनक काल:- अठारहवी शताब्दी के उर्त्रार्द्
से अभी तक का समय आधुबनक
काल माना जाता है
आधुबनक काल में बशक्षा, मरवमर्य,
सहचीनार व्यवमरथा, आवागमन में
प्रगबत हुई 1947 में आजादी बमली
तथा नया सहबवधान बना
 बनकट अतीत की जानकारी के स्र त:- जीबवत
व्यबि, रे बडय ,
टेलीबवज़न और
समाचीनार पत्र
 सुदरू अतीत के जानकारी के स्र त:- पाहडुबलबपया,
अबभलेख, प्राचीनीन
पुमरतके , बतान, बसके ,
खँडहर, औजार और
हबथयार जैसे
पुराताबत्वक वमरतुए
 सभ्यता का बवकास:- कई लाख वषा पहले नमादा
नदी की तट पर आरह बभक
ल ग का बनवास था अत
हमारी सभ्यता का बवकास वही
से हुआ
 बसन्धु नदी की सभ्यता का बवकास:- लगभग
4700 वषा पूवा बसन्धु
और इसके सहायक
नददयों के दकनार पर
आरह बभक नगर का
बवकास हुआ
 गहगा नदी की सभ्यता का बवकास:- लगभग
2500 वषा पूवा गहगा
और इसके सहायक
नददयों के दकनारे अनेक
नगर का उदय हुआ
 मगध का उत्कषा:- लगभग 2500 वषा पूवा बड़े
राज्य मगध का उदय गहगा नदी
के दबक्षण में हुआ
 कृ बष का आरम्भ:- 8000 वषा पूवा
 पाहडुबलबपया(MANUSCRIPT):- अतीत में
पुमरतके पाण्डु बलबप में बलखी जाती
थी अहग्रेजी शब्द मैनुबमरक्रप्ट लैटटन शब्द
मेनू से बना है बजसका अथा हाथ है अत
ये पुमरतके हाथ से बलखी ह ने के कारण
पाण्डु बलबप कही जाती है
ताडपत्र या भ जपत्र पर हाथ से बलखी
गयी बलबपयों क पाण्डु बलबप कहते है
 अबभलेख:- पत्थर अथवा धातु पर खुदा सन्देश
अबभलेख कहलाता है ये चीनटान पर
नुकीले औजारों द्वारा उबत्क्रण दकये
ह ते है
चीनटान और लौह मरतहभों पर खुदाई
करके बलखे गए लेख क अबभलेख
कहते है
 पुराताबत्वक वमरतुए:- वे सभी वमरतुए ज अतीत के
बारे में जानने में हमारी
सहायता करती है पत्थर एवह
इट से बने इमारत के अवशेष,
औजार, हबथयार, बतान, आभुषण,
मुर्थतया, बसके , जानवरों,
पबक्षओ एवह मछबलय की हबिया,
अनाज एवह कपड़ के अवशेष आदद
पुराताबत्वक वमरतुए है
इन अवशेषों क जमीन की खुदाई
कराकर प्राप्त दकया जाता है
 प्राकृ त भाषा:- प्राचीनीन काल में आम जनता द्वारा
ब ली जाने वाली भाषा
 बमस्त्र की सभ्यता:- आज से लगभग 5000 वषा
पूवा नील नदी के दकनारों पर
बमस्त्र की सभ्यता का उदय
हुआ
 सुलेमान और दकरथर की पहाबड़या:- जहा पर
स्त्री और पुरुष ने लगभग
8000 साल पूवा सबसे
पहले गेहू और जौ जैसी
फसल क उगाना शुरू
दकया
 सहायक नददया:- दकसी बड़ी नदी में बमलने
वाली छ टी नददया इसकी
सहायक नददया कहलाती है
 प्राकृ बतक सीमा:- पहाबड़या, पवात तथा समुन्र
भारतीय उपमहाद्वीप की
प्राकृ बतक सीमा तय करते है
 भ जपत्र:- बहमालय क्षेत्र में उगने वाली भूजा
नामक वृक्ष की छाल से बवशेष प्रकार
से बनर्थमत
 NOTE:- यदद लकड़ी के टुकड़े अथवा अन्न के
दाने जल जाते है त जले हुए रूप में सुरबक्षत
रहते है
 गार पहाबड़या:- आरह बभक कृ बष
 प्रथम नगर:- बसन्धु और इसकी सहायक नददयों
के तट पर
 कारतुश:- एक छ टा सा फ्रेम बजसमे राजाओ के
नाम बलखे गए है
A अक्षर- बचीनबड़या
L अक्षर- शेर
 सुरबक्षत पाण्डु बलबप:- महददरों और बवहारों में,
पटना की खुदाबक्श लाइब्रेरी एवह
पालीगहज बमरथत भरतपुरा के ग पाल
नारायण ससह सावाजाबनक पुमरतकालय
में
 मुराशास्त्र:- बसक का अध्ययन
 रे बडय काबान बवबध या काबान-14 पर्द्बत:-
खुदाई में बमली वमरतुओ या
पुराताबत्वक वमरतुओ का समय
बनधाारण करने वाली पर्द्बत क
रे बडय काबान बवबध या काबान-14
पर्द्बत कहते है
वमरतुओ में एक प्रकार का रे बडय -धमी
पदाथा ह ता है बजसमे से बनबित दर
में छ टे-छ टे कण बनकलते है जब
मनुष्य पशु या पौधा बजन्दा ह ता है
तब बजस मात्रा में वायुमहडल से
काबान-14 लेते है उसी मात्रा में
रे बडय धर्थमता के कारण मरने के बाद
उसे बनबित दर पर ख ते है इसी
बनबहत काबान-14 की मात्रा का पता
लगाकर उस जीव की आयु बनबित की
जाती है बतबथ बनधाारण का यह काया
भौबतकशास्त्री द्वारा दकया जाता है
 बवक्रम सहवत और शक सहवत:- प्राचीनीन काल में
बर्त्बथय की गणना का आधार
 ईशा मशीह की जन्म बतबथ:- आजकल बतबथयों
की गणना का आधार
 बतबथ बनधाारण:- ईशा मशीह के जन्म क शुन्य
वषा मानकर उनके जन्म के पहले
के सभी बतबथयों के आगे BC अथवा
ई० पू०
तथा जन्म के बाद की सभी बतबथयों
क AD अथवा सन ई० बलखते है
BC- BEFORE CHRIST
ई०पू० – ईशा पूवा
BCE- BEFORE COMMON ERA

AD- ANNO DOMINI


सन ई० – सन इमरवी
CE- COMMON ERA

BP- BEFORE PRESENT


वर्त्ामान से पहले

उदाहरण
ईशा पूवा(ई.पू.) ईशा मसीह ईमरवी सन्(ई.सन्)
BEFORE का जन्म ANNO
CHRIST DOMINI
(BC) (AD)
100 BC 0 100 AD
500 BC 0 500 AD
1000 BC 0 1000 AD
 भौगौबलक दृबिक ण से भारत का बटवारा:-
1. उर्त्र के पवातीय देश
2. उर्त्र का मैदान
3. दबक्षण के पठार
4. सुदरू दबक्षण के मैदान
उर्त्र के पवातीय देश:- बहमालय के बशखर
उर्त्र का मैदान:- बसन्धु, गहगा-यमुना और सहायक
नददया उपजाऊ भूबम
दबक्षण के पठार:- नमादा, ताप्ती नददया, सतपुड़ा की
पहाबड़या
सुदरू दबक्षण के मैदान:- ग दावरी, कृ ष्णा, कावेरी के
उपजाऊ डेल्टा वाले प्रदेश
 बवन्ध्य तथा सतपुड़ा की पहाबड़या:- उर्त्र भारत
क दबक्षण भारत से अलग करती है
 उर्त्र का मैदान:- सवााबधक उपजाऊ क्षेत्र
 खैबर, ब लन एवह ग मल दरा:- भारत,
अफगाबनमरतान और ईरान क ज ड़ने
वाले दरे
भारतीय उपमहाद्वीप के बाहार के
ल ग इसी रमरते से भारत आते थे
 मेहरगढ़:- सबसे पहले गेहू तथा जौ फसल
उपजाना आरम्भ दकया, भेड़-बकरी
तथा गाय बैल क पालतू बनाना शुरू
दकया
 क बल्दह्वा, चीन पबनमान्ड़ :- सबसे पहले धान
(चीनावल) उपजाया गया
 महापाषानी सहमरकृ बत:- मृतक क दफनाकर उसके
चीनार तरफ बड़े-बड़े पत्थर गाड़
देने की सहमरकृ बत क महापाषानी
सहमरकृ बत कहते है इस सहमरकृ बत का
बनमााण बवन्ध्य के दबक्षण में ब्रम््
बगरी मरथल पर हुआ
 कु म्हरार:- यह पटना में बमरथत एक मरथल है जहा
से डॉ मरपूनर द्वारा खुदाई में चीनन्रगुप्त
मौया के राजमहल के मरतम्भ तथा स ने
के बैल के टुकड़े प्राप्त दकये गए है
 दरें :- पहाड़ के बीचीन के सहकरे (पतले) रामरत क
दरें कहा जाता है
 देश के नाम:-
INDIA- इह बडया शब्द की उत्पबत इह डस शब्द से
हुई है बजसे सहमरकृ त में बसन्धु कहा जाता
है 2500 वषा पूवा उर्त्र-पबिम की
तरफ से आने वाले ईराबनय , यूनाबनय
ने बसन्धु क बहन्द स तथा इह ड स कहा
और इस नदी के पूवा में बमरथत क्षेत्र क
इह बडया कहकर पुकारा
भारत- उर्त्र-पबिम में रहने वाले बवशेष समूह
के बलए भरत नाम का प्रय ग ह ता था
भरतसमूह के बारे में जानकारी सहमरकृ त
की प्रारह बभक (लगभग 3500 वषा पूवा)
ऋग्वेद में बवमरतृत रूप से बमलती है अत
भरत शब्द से देश के बलए भारत प्रय ग
ह ने लगा
आज का बवचीनार
वि लगेगा
जनाब
इबतहास बनाना है
मैगी नहीं !!!!!!!
NEVER GIVE UP
***

THANKS
-------------- *THE END* -----------------

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