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Mahatma Buddha
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बौद्ध धर्म
• गौतम बुद्ध ( 563 BC – 483 BC )
• गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं
• गौतम बुद्ध के उपदेश
• बुद्ध पर्ू णि मा ( बैशाख पर्ू णि मा )
• बौद्ध संगीर्त ( सम्मलेन )
• बौद्ध धमि के प्रमुख सम्प्रदाय
• गौतम बुद्ध के जीवन के प्रतीक र्िन्ह
• बौद्ध धमि के र्सद्धांत
• बौद्ध धमि की र्शक्षाएं ( धमि िक्रप्रवति न )
• बौद्ध धमि के दाशि र्नक र्सद्धांत
• प्रमुख बौद्ध र्वश्वर्वद्यालय
• प्रर्सद्द बौद्ध र्वद्वान
• गौतम बुद्ध की प्रर्तमा
• तवांग मठ ( बौद्ध मठ )
• बौद्ध स्तपू
• महत्वपण ू ि तथ्य
• महत्वपण ू ि वस्तुर्नष्ठ प्रश्नोत्तर
• मुख्य परीक्षा आधाररत महत्वपण ू ि प्रश्नोत्तर
सार्ान्य पररचय
• जन्म - 563 ई.पू. ( र्दन – वैशाख पूर्णि मा ) [MPPSC PRE 2004]
• जन्म स्थान - लुर्म्बनी ग्राम , राज्य – कर्पलवस्तु , नेपाल [MPPSC PRE 1992] [UPPSC PRE 2002]
• जन्म का स्त्रोत - अशोक ( मौयि वंश ) के रुर्मनदेई स्तंभ अर्भलेख [UPPSC MAINS 2004]
[UPUDA/LDA PRE 2006] [UPPSC MAINS 2007][UPUDA/LDA PRE 2010][UPPSC MAINS 2011]
• मृत्यु - 483 ई.पू. ( र्दन – वैशाख पूर्णि मा )
• मृत्यु स्थान - कुशीनारा ( कुशीनगर ) ( मल्ल ) , र्जला – देवररया , उत्तर प्रदेश [MPPSC PRE 1997]
[CGPSC PRE 2011][BPSC PRE 2005] [CGPSC PRE 2011] [BPSC PRE 2011] [UPPSC PRE 2011]
• आयु - 80 वर्ि
• मूलनाम - र्सद्धाथि
• उपनाम - प्रच्छन्न , तथागत ( सत्य है ज्ञान र्जसका ) [CGPSC PRE 2014]
• कुल - शाक्य क्षर्िय कुल
• गोि - गौतम
पाररवाररक पररचय
• र्पता - शुद्धोधन ( शाक्य क्षर्िय कुल के शासक )
• माता - महामाया / मायादेवी ( कोर्लय वंश ) [UPSC PRE 2003][UPPSC PRE 2008]
• पालने वाली माता - महाप्रजापर्त गौतमी ( र्सद्धाथि की मौसी )
• माता की मृत्यु - गौतम बुद्ध की माता र्हार्ाया की मृत्यु इनके जन्म के 7 तिन बाद ही हो गयी थी |
• भाई - नन्दी ( महाप्रजापर्त गौतमी का पुि )
• बहन - नन्दा ( महाप्रजापर्त गौतमी का पुिी )
• ििेरा भाई - देवदत्त ( गौतम बुद्ध का प्रथम र्वद्रोही )
• पत्नी - यशोधरा ( शाक्य क्षर्िय कुल )
• र्ववाह के समय आयु - 16 वर्ि
• पुि का नाम - राहु ल
• शुद्धोधन की बहन - पर्मता ( गौतम बुद्ध की बुआ )
• पर्मता के पर्त - सुप्पबुद्ध
• पर्मता व सुप्पबुद्ध की पुिी - यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )
प्रर्ुख र्हतषम
क्र. र्हतषम स्थान तववरण
र्सद्धाथि का नामकरण करने वाले ऋर्र्
1 कौर्डिन्य लुर्म्बनी
र्सद्धाथि का सन्यासी बनने की घोर्णा करने वाले ऋर्र्
र्सद्धाथि को देखकर महर्र्ि असीत रोने लगे , यह देखकर शुद्धोधन
2 असीत लुर्म्बनी ने महर्र्ि असीत से रोने का कारण पूछा , तो महर्र्ि असीत ने कहा
यह बालक बुद्ध बनेगा लेर्कन मैं इसे देखने के र्लए जीर्वत नहीं रहंगा |
ु के गरु
गौतर् बद्ध ु
क्र. क्रर् गुरु स्थान तवशेष
1 प्रथम गुरु अलारकलाम वैशाली सांख्य दशि न के आिायि [UPPSC GIC 2010]
2 दूसरे गुरु रुद्रकरामपुत्त राजगृह
ु के तशष्यायें
गौतर् बद्ध
क्र. तशष्या तववरण स्थान
1 महाप्रजापर्त गौतमी बुद्ध की मौसी व र्वमाता
2 यशोधरा बुद्ध की पत्नी
3 नन्दा महाप्रजापर्त गौतमी का पुिी वैशाली
वैशाली की नगरवधू
4 आम्रपाली
आम्रपाली वन का र्नमाि ण
5 क्षेमा र्बर्म्बसार की पत्नी राजगृह
6 र्वशाखा अंग जनपद के श्रेष्ठी की पुिी
श्रावस्ती
7 मर्ल्लका प्रसेनजीत की पत्नी
8 सामावती उदयन की पत्नी कौशाम्बी
प्रर्ुख र्हतषम
क्र. र्हतषम स्थान तववरण
र्सद्धाथि का नामकरण करने वाले ऋर्र्
1 कौर्डिन्य लुर्म्बनी
र्सद्धाथि का सन्यासी बनने की घोर्णा करने वाले ऋर्र्
र्सद्धाथि को देखकर महर्र्ि असीत रोने लगे , यह देखकर शुद्धोधन
2 असीत लुर्म्बनी ने महर्र्ि असीत से रोने का कारण पूछा , तो महर्र्ि असीत ने कहा
यह बालक बुद्ध बनेगा लेर्कन मैं इसे देखने के र्लए जीर्वत नहीं रहंगा |
1 एक बूढ़ा व्यर्ि
2 एक बीमार व्यर्ि
3 एक शव
4 एक सन्यासी
अलारकलार् ( वैशाली )
• प्रथम गुरु - अलारकलाम ( सांख्य दशि न के आिायि ) [UPPSC GIC 2010]
• स्थान - वैशाली
• र्ववरण - महार्भर्नष्क्रमण के बाद ज्ञान की खोज में र्सद्धाथि , अलारकलाम
के आश्रम ( वैशाली ) पहु ंिे तथा उनसे दीक्षा ली | अलारकलाम के आश्रम में उन्होंने तपस्या
की र्कन्तु बुद्ध इससे संतुष्ट नही हु ए | आलार कालाम के बाद बुद्ध ने राजगृह के
रुद्रकरामपुत्त से र्शक्षा ग्रहण की |
रुद्रकरार्पत्त
ु ( राजगहृ )
• दूसरे गुरु - रुद्रकरामपुत्त
• स्थान - राजगृह
उरूवेला
• उरूवेला - बोधगया के समीप एक स्थल
• उरूवेला में र्सद्धाथि को 5 साधक र्मले :
1. कौर्डिन्य
2. वप्पा
3. भार्दया
4. महानामा
5. अस्सागी
• उरूवेला में र्सद्धाथि ने तपस्या र्कया - 27 र्दन
• र्सद्धाथि को खीर ( भोजन ) देने वाली मर्हला - सुजाता ( सैर्नक की पुिी )
• र्ववरण - उरूवेला में 27 र्दन की तपस्या करने के पश्चात इन्होनें एक सैर्नक की पुिी सुजाता से
भोजन ग्रहण र्कया | इसके कारण इनके 5 साथी इनका साथ छोड़कर िले गये |
यश ( वाराणसी )
संघ
• गौतम बुद्ध ने वाराणसी में ही संघ की स्थापना की |
• अध्यक्ष - गौतम बुद्ध
• सदस्यता की आयु सीमा - 18 वर्ि
• उद्दे श्य - बहु जन र्हताथि ( बहु जन सुखाथि )
तबतम्बसार वेलव
ु न तवहार ( राजगृह )
कतपलवस्तु
• राजगृह में रहते हु ए गौतम बुद्ध एक बार अपने गृह नगर कर्पलवस्तु आये थे |
• कर्पलवस्तु में बुद्ध के आगमन के समय इनके भाई नन्दी का राज्यार्भर्ेक हो रहा था |
• गौतम बुद्ध ने कर्पलवस्तु में दीक्षा र्दया - नन्िी
• तनयर् : तपता की अनुर्तत
बुद्ध ने कर्पलवस्तु में ही यह र्नयम बनाया की कोई भी व्यर्ि अपने र्पता के अनुमर्त
के र्बना बौद्ध धमि में दीर्क्षत नहीं हो सकता है |
वैशाली
• वैशाली में र्शष्य - आनंद
• तनयर् : संघ र्ें र्तहलाओ ं का प्रवेश [UPPSC PRE 1992]
वैशाली में बौद्ध संघ में र्स्त्रयों के प्रवेश के र्लए बुद्ध ने अनुमर्त र्दया |
• बौद्ध संघ में र्स्त्रयों के प्रवेश के र्लए बुद्ध से अनुग्रह र्कया - र्शष्य आनंद
• बौद्ध संघ में सवि प्रथम शार्मल होने वाली स्त्री थी - महाप्रजापर्त गौतमी ( बुद्ध की माता )
• महाप्रजापर्त गौतमी के बाद बुद्ध ने संघ में र्नम्न मर्हलाओं शार्मल र्कया
1. यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )
2. क्षेमा ( खेमा ) ( र्बर्म्बसार की पत्नी )
3. आम्रपाली ( वैशाली की नगरवधु )
अंगल
ु ीर्ाल ( डाकू )
कुशीनगर ( र्ल्ल )
र्हापररतनवामण
• कुशीनगर में गौतम बुद्ध ने र्नवाि ण को प्राि र्कया र्जसे महापररर्नवाि ण कहा गया |
• गौतम बुद्ध की मृत्यु - 483 ई.पू.
• र्दन - वैशाख पूर्णि मा
• मृत्यु स्थान - कुशीनारा ( कुशीनगर ) ( मल्ल ) , र्जला – देवररया , उत्तर प्रदेश [MPPSC PRE 1997]
[BPSC PRE 1996][BPSC PRE 2005] [CGPSC PRE 2011] [BPSC PRE 2011] [UPPSC PRE 2011]
• गणराज्य - मल्ल [UPPSC MAINS 2005]
• आयु - 80 वर्ि
बद्ध
ु पतू णामा ( बैशाख पतू णामा )
• गौतम बुद्ध का जन्म , ज्ञान प्राति , प्रथम उपदेश व महापररतनर्ााण र्ैशाख पूतणामा के वदन हु आ था
इसवलए वैशाख पूवणा मा को बुद्ध पूतणामा के रूप में मनाया जाता है |
• बुद्ध पूवणा मा ( बैशाख पूवणा मा ) को आयोवजत बुद्ध महोत्सव के प्रमुख आयोजन स्थल
संघ
• स्थान - वाराणसी
• संस्थापक व अध्यक्ष - गौतम बुद्ध
• सदस्यता की आयु सीमा - 18 वषा
• उद्दे श्य - बहु जन वहताथा ( बहु जन सुखाथा )
संघ के सदस्य
क्र. संघ के सदस्य तर्र्रण तशक्षा
1 वभक्षुक वभक्षुक सन्यासी जीवन व्यतीत करते थे | दसशील
2 उपासक उपासक गृहस्थ जीवन व्यतीत करते थे | पंचशील
तत
ृ ीय बौद्ध सम्मलेन ( 251 ई.पू. )
• स्थान - पाटवलपुत्र [BPSC PRE 2011]
• शासक - अशोक
• अध्यक्ष - मोगलीपुत्त वतस्स
• ववशेष - मोगलीपुत्त वतस्स ने अतभधम्म तपटक का संकलन तथा कथार्स्तु ग्रन्थ की रचना की |
वज्रयान
5 तांवत्रक वसद्धांत बौद्ध दशा न एवं तंत्र – मंत्र अभ्यास की जवटल प्रणाली
( तंत्रयान या मंत्रयान )
6 नवयान ( भारतयान ) भीमराव अंबेिकर तावकाक वसद्धांत बौद्ध दशा न एवं तकासंगत वसद्धांत की सरल प्रणाली
1 गभा हाथी
3 यौवन सांि
पीपल
5 ज्ञान [UPPSC MAINS 2005]
( बोवि वृक्ष )
प्रथम प्रवचन
6 चक्र [UPPSC MAINS 2002]
( िमा चक्रप्रवता न )
7 वनवाा ण पद वचन्ह
8 मृत्यु स्तूप
अशोक का तत्ररत्न
• अशोक का वत्ररत्न या वत्रसंघ में ववश्वास
• अशोक का वत्ररत्न - बुद्ध , िबम , संघ
• स्त्रोत - भब्रुगढ़ लघु तशलालेख
तत्रतपटक
• बुद्ध के उपदेशो का संग्रह है - वत्रवपटक [UP Lower Sub PRE 2003] [UP Lower Sub PRE 2004]
• वत्रवपटक बौद्ध ग्रंथो में सवाा विक महत्वपूणा है | [MPPSC PRE 2012][RAS/RTS PRE 2012]
• बुद्ध की मृत्यु के बाद उनकी वशक्षाओं को संकवलत कर 3 भागो में बांटा गया, इन्ही को वत्रवपटक कहते है |
पंचस्कंध
• पंचस्कंि - रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान [CGPSC MAINS 2012]
• बौद्ध दशा न की मान्यता - अनात्मवाद ( आत्मा में ववश्वास नहीं )
• आत्मा केवल पंचस्कंि का समुदाय है अथाा त् रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान का समुदाय ही आत्मा कहलाता है |
• इसप्रकार बुद्ध काल्पवनक वनत्य आत्मा का वनषेि वकया है परं तु अवनत्य व्यावहाररक आत्मा को माना है |
पंचशील
• पंचशील - आचरण की शुद्धता र् पतर्त्रता
• वत्ररत्न अनुशीलन में आचरण की शुद्धता पर अविक बल वदया गया है |
• प्रत्येक जीव को अपने आचरण की पववत्रता बनाये रखने के वलए गौतम बुद्ध ने पंचशील का प्रवतपादन वकया |
दस शील
• दस शील - आचरण की शुद्धता र् पतर्त्रता
• वत्ररत्न ( बुद्ध िबम , संघ ) अनुशीलन में आचरण की शुद्धता पर अविक बल वदया गया है |
• प्रत्येक जीव को अपने आचरण की पववत्रता बनाये रखने के वलए गौतम बुद्ध ने दस शील का प्रवतपादन वकया |
• बौद्ध िमा में दस शील तभक्षुक के वलए तथा पंचशील उपासक के वलए है |
अष्ांतगक मागा
• सांसाररक दु:खों से मुवि के उपाय हे तु महात्मा गौतम बुद्ध ने अष्टांवगक मागा का प्रवतपादन वकया | [UPSC PRE 1998]
अस्र्ीकार मान्यताएं
क्र. बतहष्कार अथा
[UPPSC GIC 2010]
1 वेदों के प्रवत उदासीनता गौतम बुद्ध ने वेदों के परम सत्य को अस्वीकार वकया |
[UPSC PRE 1996]
[UPPSC PRE 1992]
2 ईश्वर की सत्ता की अस्वीकृ वत गौतम बुद्ध ईश्वर की सत्ता में ववश्वास नहीं करते थे |
[UPSC PRE 1996]
3 कमा कांिो का वनषेि तंत्र – मंत्र – जादू टोना जैसी कुरीवतयों का बवहष्कार [UPSC PRE 1996]
4 रीवत – ररवाजों की अस्वीकृ वत यज्ञ , कमा काडि , पशुबवल की वनंदा [BPSC PRE 2000]
बौद्ध िमा में वणा व्यवस्थता को स्वीकार तो वकया गया
[UPPSC PRE 1998]
5 वणा व्यवस्थता लेवकन उसने ब्राबहण वणा की सवोच्च सामावजक वस्थवत
को स्वीकार नही वकया |
3 ववक्रमवशला अवचंतकगााँव ( वबहार ) िमा पाल पाल वंश वज्रयान [MPPSC PRE 2004]
[CGPSC PRE 2011]
4 सोमपुर नवागांव ( बांनलादेश ) िमा पाल पाल वंश महायान
5 ओदंतपुरी वबहारशरीफ ( वबहार ) गोपाल पाल वंश महायान
6 जगदल्ल राजशाही ( बांनलादेश ) रामपाल पाल वंश तंत्रयान
नालंदा तर्श्वतर्धालय
• स्थापना - कुमारगुि प्रथम ( गुप्त वंश )
• स्थान - नालंदा ( राजगृह )
• प्रवसवद्ध - बौद्ध िमा दशा न [BPSC PRE 1997]
• नष्ट - 1193 ई. – कुतुबद्द
ु ीन बतख्तयार तखलजी ने नालंदा ववश्ववविालय को जलाया | [BPSC PRE 1996]
• ववशेष - नालंदा एक ववख्यात बौद्ध पीठ एवं ववश्ववविालय था |
नागाजान
ु
• नागाजुान कतनष्क के दरबार का एक महान ववभूवत था |
• संज्ञा - भारत का मातटान लूथर
• ह्वे नसांग - ह्वे नसांग ने नागाजुान को ‘संसार की चार मागादशाक शतियों में से एक’ कहा है |
• रचना - माध्यतमक काररका ( सापेक्षता वसद्धांत , शून्यता का वसद्धांत ) [UPPSC PRE 1998]
• बौद्ध सबप्रदाय - माध्यवमक [UKPSC MAINS 2007]
• माध्यवमक या शुन्यता का वसद्धांत का प्रवतपादन सवा प्रथम नागाजुान ने वकया |
ु ा बौद्ध संगीतत
चतथ
• कवनष्क ने चतुथा बौद्ध संगीवत के दौरान नागाजुान को बौद्ध िमा के प्रचार के वलए चीन भेजा | [UKPSC PRE 2005]
• चीन की चीनी मान्यता के अनुसार नागाजुान ने चीन की यात्रा कर वहां बौद्ध वशक्षा प्रदान की |
कवनष्क
1 बुद्ध की बैठी प्रवतमा सारनाथ
( कुषाण काल )
कवनष्क
2 बुद्ध की खड़ी प्रवतमा सारनाथ [UPPSC PRE 1992]
( कुषाण काल )
तर्ांग मठ ( बौद्ध मठ )
• वनमाा ण - 1680
• वनमाा ता - लोद्रे नयास्तो
• स्थान - तवांग ( अरुणाचल प्रदेश )
• तर्शेर्
▪ भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ
▪ ल्हासा ( चीन ) के पोताला महल मठ के बाद ववश्व का दस ू रा सबसे बड़ा मठ
• बौद्ध मठो में , पर्रन नामक समारोह
वषाा ऋतू के दौरान मठो में प्रवास के समय वभक्षुओ द्वारा वकये गये अपराि की स्वीकृ वत का अवसर होता था |
• चैत्य र् तर्हार में अंतर
चैत्य तर्हार
बौद्ध वभक्षुओ का पूजा स्थल बौद्ध वभक्षुओ का वनवास स्थल [UPUDA/LDA PRE 2001]
बौद्ध स्तूप
ऐततहातसक बौद्ध स्तूप
क्र. बौद्ध स्तूप तचत्र स्थान राज्य तनमााता तर्शेर्
कवपलवस्तु
2 लुवबबनी स्तूप लुवबबनी अशोक
( नेपाल )
थोटलाकोंिा
8 महा स्तूप आन्रप्रदेश अशोक
( ववशाखापट्टनम )
बावीकोंिा
9 बावीकोंिा स्तूप आन्रप्रदेश अशोक
( ववशाखापट्टनम )
प्रथम गुरु
2 वैशाली स्तूप वबहार अशोक
अलारकलाम
महाबोतध मंतदर
• स्थान - बोिगया ( गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हु आ ) [BPSC PRE 2001]
• वनमाा ता - मेघवमा न ( समुद्रगुप्त )
• वववरण - श्रीलंका के शासक मेघवमा न ने गुप्त वंश के शासक समुद्रगुप्त ने
बोिगया में महाबोवि मंवदर वनमाा ण की आज्ञा मांगी और इस मंवदर का वनमाा ण करवाया |
महत्र्पूणा तथ्य
क्र. तर्शेर् तथ्य
1 अशोक का वसंह स्तंभ शीषा वस्थत है सारनाथ [BPSC PRE 1994]
2 होयसलेश्वर मंवदर समवपा त है वशव को [MPPSC PRE 1991]
3 करमापा लामा वतब्बबत के बुद्ध संप्रदाय के वकस वगा का है कंनयुपा [UPPSC PRE 1998]
6. अनात्मवाद वसद्धांत है –
2. वनबन में से कौन सा नाम बुद्ध का दूसरा नाम है ?
(A) सांख्य का (B) वेदांत का
(A) पाथा (B) प्रच्छन्न
(C) बौद्ध दशा न का (D) जैन दशा न का
(C) वमवहर (D) गुिाकेश
[CGPSC PRE 2017]
[CGPSC PRE 2014]
उत्तर (C)
उत्तर (B)
बौद्ध दशान
उपयुाि प्रश्न की व्याख्या देवखए |
अनात्मवाद - आत्मा में ववश्वास नहीं
3. वकस राज्य में सांची स्तूप वस्थत है ? अनीश्वरवाद - पुनजा न्म में ववश्वास
(A) वबहार (B) उत्तर प्रदेश जैन दशान
(C) उड़ीसा (D) मध्यप्रदेश आत्मवाद - आत्मा में ववश्वास
[CGPSC PRE 2015]
अनीश्वरवाद - पुनजा न्म में ववश्वास
उत्तर (D)
मौया वंश के महान सम्राट अशोक द्वारा वनवमा त सांची स्तूप 7. बुद्ध के उपदेशों के अंतगा त क्या है ?
मध्यप्रदेश में वस्थत है | (A) दस शील (B) मध्यमा प्रवतपदा
(C) अष्टांवगक मागा (D) उपरोि सभी
[CGPSC PRE 2011]
उत्तर (D)
पुष्यवमत्र शुंग ने बौद्धमत के ववस्तार ने योगदान नहीं 13. गौतम बुद्ध का जन्म हु आ था :
वदया | (A) वैशाली में (B) लुवबबनी में
(C) कवपलवस्तु में (D) पाटलीपुत्र में
9. बुद्ध के जीवन की घटनाओं से सबबंवित कलात्मक िावमा क [CGPSC ACF 2007]
प्रतीकों को सही सुबमेवलत करने वाले कूट को चुवनए – उत्तर (B)
सूची – अ सूची – ब
(अ) बुद्ध का जन्म (1) पद वचन्ह 14. भगवान बुद्ध के पुत्र का नाम क्या था ?
(ब) गृह त्याग (2) वृक्ष (A) गौतम (B) वसद्धाथा
(स) ज्ञान प्रावप्त (3) घोड़ा (C) राहु ल (D) कवपला
(द) वनवाा ण (4) कमल [CGPSC ARO APO ADDPR 2014]
उत्तर (C)
(A) अ – 2 , ब – 3 , स – 4 , द – 1
(B) अ – 4 , ब – 3 , स – 2 , द – 1
16. अजंता की गुफाएं वनबनांवकत की कहानी दशाा ता है : 20. अशोक के शासनकाल में पाटलीपुत्र में आयोवजत तृतीय बौद्ध
(A) बौद्ध िमा (B) जैन िमा संगीवत के सभापवत कौन थे ?
(C) वसक्ख िमा (D) वहन्दू िमा (A) महाकश्यप (B) मोगलीपुत्त वतस्स
[CGPSC ARO APO ADDPR 2014] (C) पुरान कश्यप (D) पकुदा कच्च्यान
उत्तर (A) [CGVyapam HOSTEL SUP. 2014]
उत्तर (B)
17. राजगृह में कौन – सी बौद्ध महासंगीवत हु ई थी ?
(A) प्रथम (B) वद्वतीय
(C) तृतीय (D) चतुथा
[CGPSC DISTRICT JAIL SUP. 2008]
उत्तर (A)
पंचस्कंि - रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान | बौद्ध दशा न की मान्यता अनात्मवाद ( आत्मा में ववश्वास नहीं ) है |
आत्मा केवल पंचस्कंि का समुदाय है अथाा त् रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान का समुदाय ही आत्मा कहलाता है |
इसप्रकार बुद्ध काल्पवनक वनत्य आत्मा का वनषेि वकया है परं तु अवनत्य व्यावहाररक आत्मा को माना है |
बौद्ध धमा के प्रमुख सम्प्रदाय – (1) हीनयान ( थेरवाद ) – इसके प्रणेता महाकश्यप व अजातशत्रु थे | ये लोग बुद्ध की
मूल वसद्धांतों का अनुसरण करते है | बुद्ध को महापुरुष माना जाता है | मूवता पजू ा का ववरोि | (2) महायान – इसके प्रणेता
वसुवमत्र व कवनष्क थे | ये लोग बुद्ध की मूल वसद्धांतों का आंवशक अनुसरण करते है | ये लोग बुद्ध को दे वता मानकर
उनकी मूवता पज ू ा करते है | (3) माध्यवमक ( शून्यवाद ) – इसके प्रणेता नागाजुान थे | ये लोग शून्यवाद या सापेक्षवाद के
वसद्धांत का अनुसरण करते है | (4) योगाचार ववज्ञानवाद – इसके प्रणेता मौत्रेयनाथ थे | ये लोग तावकाक वसद्धांत का
अनुसरण करते है | (5) वज्रयान ( तंत्रयान या मंत्रयान ) – यह तांवत्रक वसद्धांत पर आिाररत है | यह बौद्ध दशा न एवं तंत्र –
मंत्र अभ्यास की जवटल प्रणाली है | (6) नवयान ( भारतयान ) – यह तांवत्रक वसद्धांत पर आिाररत है | यह बौद्ध दशा न एवं
तकासंगत वसद्धांत की सरल प्रणाली है |
बौद्ध सबमलेन व आयोजन स्थल – (1) प्रथम बौद्ध सबमलेन ( 483 ई.पू. ) - राजगृह (2) वद्वतीय बौद्ध सबमलेन ( 383 ई.पू. )
– वैशाली (3) तृतीय बौद्ध सबमलेन ( 251 ई.पू. ) - पाटवलपुत्र (4) चतुथा बौद्ध सबमलेन ( 100 ई.पू. ) - कुडिलवन (कश्मीर)
बौद्ध िमा की लोकवप्रयता के प्रमुख कारण – (1) क्षेत्रीय भाषा में उपदेश (2) तावकाक वसद्धांत का अनुसरण (3) सुख –
दुुःख व जन्म – मृत्यु के चक्र से मुवि पाकर परम शांवत प्राप्त करने का मागा वदखाना (4) सामावजक समानता की
भावना का ववकास – बौद्ध िमा में वणा व्यवस्थता को स्वीकार तो वकया गया लेवकन उसने ब्राबहण वणा की सवोच्च
सामावजक वस्थवत को स्वीकार नही वकया | (5) कमा कांिो का वनषेि – यज्ञ , कमा काडि , पशुबवल तंत्र – मंत्र – जादू
टोना जैसी कुरीवतयों का बवहष्कार |
जैन धमा र् बौद्ध धमा में समानताएं – (1) अनीश्वरवादी ( पुनजा न्म में ववश्वास ) (2) वेदों के प्रवत उदासीनता |
असमानताएं – (1) जैन िमा आत्मा में ववश्वास जबवक बौद्ध िमा अनात्मवादी थे | (2) जैन िमा में उपदेश की भाषा प्राकृ त
जबवक बौद्ध िमा में पावल भाषा थी |