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प्राचीन भारत का इततहास

PSC ACADEMY

ANCIENT HISTORY OF INDIA


By RAKESH SAO

As per New Syllabus…

CGPSC PRE + MAINS


PAPER – 3 UNIT – 1

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प्राचीन भारत का इततहास

2nd Edition 2020


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बौद्ध धर्म
• गौतम बुद्ध ( 563 BC – 483 BC )
• गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं
• गौतम बुद्ध के उपदेश
• बुद्ध पर्ू णि मा ( बैशाख पर्ू णि मा )
• बौद्ध संगीर्त ( सम्मलेन )
• बौद्ध धमि के प्रमुख सम्प्रदाय
• गौतम बुद्ध के जीवन के प्रतीक र्िन्ह
• बौद्ध धमि के र्सद्धांत
• बौद्ध धमि की र्शक्षाएं ( धमि िक्रप्रवति न )
• बौद्ध धमि के दाशि र्नक र्सद्धांत
• प्रमुख बौद्ध र्वश्वर्वद्यालय
• प्रर्सद्द बौद्ध र्वद्वान
• गौतम बुद्ध की प्रर्तमा
• तवांग मठ ( बौद्ध मठ )
• बौद्ध स्तपू
• महत्वपण ू ि तथ्य
• महत्वपण ू ि वस्तुर्नष्ठ प्रश्नोत्तर
• मुख्य परीक्षा आधाररत महत्वपण ू ि प्रश्नोत्तर

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गौतर् बुद्ध ( 563 BC – 483 BC )

सार्ान्य पररचय
• जन्म - 563 ई.पू. ( र्दन – वैशाख पूर्णि मा ) [MPPSC PRE 2004]
• जन्म स्थान - लुर्म्बनी ग्राम , राज्य – कर्पलवस्तु , नेपाल [MPPSC PRE 1992] [UPPSC PRE 2002]
• जन्म का स्त्रोत - अशोक ( मौयि वंश ) के रुर्मनदेई स्तंभ अर्भलेख [UPPSC MAINS 2004]
[UPUDA/LDA PRE 2006] [UPPSC MAINS 2007][UPUDA/LDA PRE 2010][UPPSC MAINS 2011]
• मृत्यु - 483 ई.पू. ( र्दन – वैशाख पूर्णि मा )
• मृत्यु स्थान - कुशीनारा ( कुशीनगर ) ( मल्ल ) , र्जला – देवररया , उत्तर प्रदेश [MPPSC PRE 1997]
[CGPSC PRE 2011][BPSC PRE 2005] [CGPSC PRE 2011] [BPSC PRE 2011] [UPPSC PRE 2011]
• आयु - 80 वर्ि
• मूलनाम - र्सद्धाथि
• उपनाम - प्रच्छन्न , तथागत ( सत्य है ज्ञान र्जसका ) [CGPSC PRE 2014]
• कुल - शाक्य क्षर्िय कुल
• गोि - गौतम

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पाररवाररक पररचय
• र्पता - शुद्धोधन ( शाक्य क्षर्िय कुल के शासक )
• माता - महामाया / मायादेवी ( कोर्लय वंश ) [UPSC PRE 2003][UPPSC PRE 2008]
• पालने वाली माता - महाप्रजापर्त गौतमी ( र्सद्धाथि की मौसी )
• माता की मृत्यु - गौतम बुद्ध की माता र्हार्ाया की मृत्यु इनके जन्म के 7 तिन बाद ही हो गयी थी |
• भाई - नन्दी ( महाप्रजापर्त गौतमी का पुि )
• बहन - नन्दा ( महाप्रजापर्त गौतमी का पुिी )
• ििेरा भाई - देवदत्त ( गौतम बुद्ध का प्रथम र्वद्रोही )
• पत्नी - यशोधरा ( शाक्य क्षर्िय कुल )
• र्ववाह के समय आयु - 16 वर्ि
• पुि का नाम - राहु ल
• शुद्धोधन की बहन - पर्मता ( गौतम बुद्ध की बुआ )
• पर्मता के पर्त - सुप्पबुद्ध
• पर्मता व सुप्पबुद्ध की पुिी - यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )

प्रर्ुख र्हतषम
क्र. र्हतषम स्थान तववरण
र्सद्धाथि का नामकरण करने वाले ऋर्र्
1 कौर्डिन्य लुर्म्बनी
र्सद्धाथि का सन्यासी बनने की घोर्णा करने वाले ऋर्र्
र्सद्धाथि को देखकर महर्र्ि असीत रोने लगे , यह देखकर शुद्धोधन
2 असीत लुर्म्बनी ने महर्र्ि असीत से रोने का कारण पूछा , तो महर्र्ि असीत ने कहा
यह बालक बुद्ध बनेगा लेर्कन मैं इसे देखने के र्लए जीर्वत नहीं रहंगा |

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ु के गरु
गौतर् बद्ध ु
क्र. क्रर् गुरु स्थान तवशेष
1 प्रथम गुरु अलारकलाम वैशाली सांख्य दशि न के आिायि [UPPSC GIC 2010]
2 दूसरे गुरु रुद्रकरामपुत्त राजगृह

गौतर् बुद्ध के तशष्य


• प्रथम र्शष्य - कौर्डिन्य , वप्पा , भार्दया , महानामा , अस्सागी ( सारनाथ )
• प्रथम र्शष्या - महाप्रजापर्त गौतमी ( बुद्ध की मौसी माता ) ( वैशाली )
• बुद्ध के र्प्रय र्शष्य - आनंद , ऊपाली ( वैशाली )
• प्रथम र्वद्रोही - देवदत्त ( गौतम बुद्ध का ििेरा भाई ) ( वैशाली )

क्र. तशष्य स्थान


1 कौर्डिन्य , वप्पा , भार्दया , महानामा , अस्सागी ऋर्र्पतनम ( सारनाथ )
2 यश वाराणसी
आनंद
उपाली
महाप्रजापर्त गौतमी ( बुद्ध की माता )
3 वैशाली
यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )
नन्दा ( महाप्रजापर्त गौतमी का पुिी )
आम्रपाली ( वैशाली की नगरवधु )
नन्दी ( गौतम बुद्ध का भाई )
4 लुर्म्बनी ( कर्पलवस्तु )
देवदत्त ( गौतम बुद्ध का ििेरा भाई )
र्बर्म्बसार
क्षेमा ( र्बर्म्बसार की पत्नी )
5 मुख्य कश्यप राजगृह
नदी कश्यप
गया कश्यप
उदयन
6 सामावती ( उदयन की पत्नी ) कौशाम्बी
र्पडिोला भारद्वाज
अनाथर्पडिक
प्रसेनजीत
7 मर्ल्लका ( प्रसेनजीत की पत्नी ) श्रावस्ती
र्वशाखा
अंगुलीमाल ( िाकू )
8 िुंद पावा
9 सुभद्द कुशीनगर

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ु के तशष्यायें
गौतर् बद्ध
क्र. तशष्या तववरण स्थान
1 महाप्रजापर्त गौतमी बुद्ध की मौसी व र्वमाता
2 यशोधरा बुद्ध की पत्नी
3 नन्दा महाप्रजापर्त गौतमी का पुिी वैशाली
वैशाली की नगरवधू
4 आम्रपाली
आम्रपाली वन का र्नमाि ण
5 क्षेमा र्बर्म्बसार की पत्नी राजगृह
6 र्वशाखा अंग जनपद के श्रेष्ठी की पुिी
श्रावस्ती
7 मर्ल्लका प्रसेनजीत की पत्नी
8 सामावती उदयन की पत्नी कौशाम्बी

बौद्ध धर्म के संरक्षक शासक


क्र. शासक वंश राजधानी तवशेष
1 र्बर्म्बसार हयि क वंश र्गररबृज बौद्ध धमि के प्रथम संरक्षक
2 अजातशिु हयि क वंश राजगृह
3 अशोक मौयि वंश पाटर्लपुि [CGPSC PRE 2018]
4 कर्नष्क कुर्ाण वंश पेशावर व मथुरा
5 हर्ि वधि न पुष्यभूर्त वंश कन्नौज [CGPSC PRE 2018]
6 उदयन िंद्रवंश कौशाम्बी
7 प्रसेनजीत कोसल श्रावस्ती ( कोसल )
8 िडिप्रघोत अवंती उज्जैन ( अवंती )
गोपाल
वज्रयान सम्प्रदाय को मानने वाले
9 धमि पाल पालवंश मुंगेर ( बंगाल ) [CGPSC PRE 2018]
बौद्ध धमि के अंर्तम महान संरक्षक
रामपाल

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गौतर् बुद्ध के जीवन की प्रर्ुख घटनाएं


गौतर् बुद्ध के जीवन के प्रर्ुख घटनाक्रर्
तततथ आयु घटना स्थान तवशेष
563 ई.पू. 0 वर्ि गौतम बुद्ध का जन्म लुर्म्बनी ग्राम ( कर्पलवस्तु ) र्दन - बैशाख पूर्णि मा
महार्भर्नष्क्रमण
534 ई.पू. 29 वर्ि लुर्म्बनी ग्राम ( कर्पलवस्तु ) र्दन - बैशाख पूर्णि मा
( गृह त्याग )
र्दन - बैशाख पूर्णि मा
सम्बोर्ध ( ज्ञान प्रार्ि )
बोधगया नदी - र्नरं जना नदी
( 29.06.35 )
वृक्ष - पीपल वृक्ष
र्दन - वैशाख पूर्णि मा
528 ई.पू. 35 वर्ि धमि िक्र प्रवति न शीर्ि क - आिरण की शुद्धता
ऋर्र्पतनम ( सारनाथ )
( प्रथम उपदेश ) 5 र्शष्य - कौर्डिन्य , वप्पा , भार्दया ,
महानामा , अस्सागी
र्दन - वैशाख पूर्णि मा
संघ का र्नमाि ण वाराणसी
उद्दे श्य - बहु जन र्हताथि ( बहु जन सुखाथि )
483 ई.पू. 80 वर्ि महापररर्नवाि ण कुशीनगर ( मल्ल ) र्दन - वैशाख पूर्णि मा

तसद्धाथम का जन्र् ( बैशाख पतू णमर्ा )


• जन्म - 563 ई.पू. ( र्दन – वैशाख पूर्णि मा ) [MPPSC PRE 2004]
• जन्म स्थान - लुर्म्बनी ग्राम , राज्य – कर्पलवस्तु , नेपाल [MPPSC PRE 1992] [UPPSC PRE 2002]
• जन्म का स्त्रोत - अशोक ( मौयि वंश ) के रुर्मनदेई स्तंभ अर्भलेख [UPPSC MAINS 2004]
[UP UDA/LDA PRE 2006] [UPPSC MAINS 2007][UP UDA/LDA PRE 2010] [UPPSC MAINS 2011]
• मायादेवी का स्वप्न - र्सद्धाथि के जन्म के पूवि मायादेवी ने एक हाथी का स्वप्न देखा |
• र्ववरण - कर्पलवस्तु की महारानी मायादेवी को अपने मायके देवदेह जाते समय प्रसव पीड़ा हु ई और
उन्होंने पीपल वृक्ष के नीिे एक बालक को जन्म र्दया |
• महामाया की मृत्यु - गौतम बुद्ध की माता र्हार्ाया की मृत्यु इनके जन्म के 7 तिन बाद ही हो गयी थी |

नार्करण सर्ारोह ( जन्र् के 5 वें तिन )


• र्सद्धाथि के जन्म के 5 वें र्दन लुर्म्बनी में र्सद्धाथि के नामकरण एवं भर्वष्यवाणी हे तु 8 महर्र्ि यों को आमंर्ित र्कया गया |
• प्रारं भ के 7 महर्र्ि यों ने बताया र्क इस बालक की 2 ही गर्त होगी , या तो यह बालक प्रतापी शासक बनकर सम्पूणि
भारतवर्ि पर राज करे गा या तो यह एक सन्यासी बनकर धमि र्वजय करे गा |
• लेर्कन अंर्तम 8 वें महर्र्ि कौर्डिन्य ने कहा इस बालक की केवल और केवल एक ही गर्त होगी , यह एक सन्यासी
बनकर धमि र्वजय करे गा |
• इस बात को सुनकर शुद्धोधन व्याकुल हो गये और र्सद्धाथि को राजमहल में भौर्तक सुख में बांध र्दया तथा उन्हें बाहरी
वातावरण से अवगत नहीं कराया |

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प्रर्ुख र्हतषम
क्र. र्हतषम स्थान तववरण
र्सद्धाथि का नामकरण करने वाले ऋर्र्
1 कौर्डिन्य लुर्म्बनी
र्सद्धाथि का सन्यासी बनने की घोर्णा करने वाले ऋर्र्
र्सद्धाथि को देखकर महर्र्ि असीत रोने लगे , यह देखकर शुद्धोधन
2 असीत लुर्म्बनी ने महर्र्ि असीत से रोने का कारण पूछा , तो महर्र्ि असीत ने कहा
यह बालक बुद्ध बनेगा लेर्कन मैं इसे देखने के र्लए जीर्वत नहीं रहंगा |

तसद्धाथम का तववाह ( आयु 16 वषम )


• पत्नी - यशोधरा ( शाक्य क्षर्िय कुल )
• र्ववाह के समय आयु - 16 वर्ि
• पुि का नाम - राहु ल ( गौतम बुद्ध की आयु 29 वर्ि )
• शुद्धोधन की बहन - पर्मता ( गौतम बुद्ध की बुआ )
• पर्मता के पर्त - सुप्पबुद्ध
• पर्मता व सुप्पबुद्ध की पुिी - यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )

कतपलवस्तु की सैर ( आयु 29 वषम )


• घोड़े का नाम - कन्टक ( कंथक )
• सारथी का नाम - छन्दक ( िाण / िन्ना )
• र्सद्धाथि जब कर्पलवस्तु की सैर पर र्नकले तो उन्होंने क्रमश: 4 दृश्यों को देखा –

क्र. 4 दृश्य तचत्र

1 एक बूढ़ा व्यर्ि

2 एक बीमार व्यर्ि

3 एक शव

4 एक सन्यासी

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र्हातभतनष्क्रर्ण ( गहृ त्याग )


• सांसाररक कष्टों से दु:खी होकर र्सद्धाथि ने बैशाख पूर्णि मा के र्दन 29 वर्ि की अवस्था में
गृह त्याग र्दया | इसे बौद्ध धमि में र्हातभतनष्क्रर्ण कहा गया |
• स्थान - लुर्म्बनी
• गृहत्याग - 29 की उम्र में ( महार्भर्नष्क्रमण )
• र्दन - बैशाख पूर्णि मा

अलारकलार् ( वैशाली )
• प्रथम गुरु - अलारकलाम ( सांख्य दशि न के आिायि ) [UPPSC GIC 2010]
• स्थान - वैशाली
• र्ववरण - महार्भर्नष्क्रमण के बाद ज्ञान की खोज में र्सद्धाथि , अलारकलाम
के आश्रम ( वैशाली ) पहु ंिे तथा उनसे दीक्षा ली | अलारकलाम के आश्रम में उन्होंने तपस्या
की र्कन्तु बुद्ध इससे संतुष्ट नही हु ए | आलार कालाम के बाद बुद्ध ने राजगृह के
रुद्रकरामपुत्त से र्शक्षा ग्रहण की |

रुद्रकरार्पत्त
ु ( राजगहृ )
• दूसरे गुरु - रुद्रकरामपुत्त
• स्थान - राजगृह

उरूवेला
• उरूवेला - बोधगया के समीप एक स्थल
• उरूवेला में र्सद्धाथि को 5 साधक र्मले :
1. कौर्डिन्य
2. वप्पा
3. भार्दया
4. महानामा
5. अस्सागी
• उरूवेला में र्सद्धाथि ने तपस्या र्कया - 27 र्दन
• र्सद्धाथि को खीर ( भोजन ) देने वाली मर्हला - सुजाता ( सैर्नक की पुिी )
• र्ववरण - उरूवेला में 27 र्दन की तपस्या करने के पश्चात इन्होनें एक सैर्नक की पुिी सुजाता से
भोजन ग्रहण र्कया | इसके कारण इनके 5 साथी इनका साथ छोड़कर िले गये |

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सम्बोतध ( ज्ञान प्राति )


• 6 वर्ि तप करने करने के पश्चात् 35 वर्ि की उम्र में बैशाख पूतणमर्ा के र्दन र्सद्धाथि को ज्ञान की प्रार्ि हु ई | इसे
बौद्ध धमि में सम्बोतध कहा गया |
• ज्ञान प्रार्ि के बाद र्सद्धाथि बुद्ध कहलाये तथा वह स्थान बोधगया कहलाया |
• आयु - 35 वर्ि
6 वर्ि तप करने करने के पश्चात् 35 वर्ि की उम्र में ( 29.06.35 )
• र्दन - बैशाख पूर्णि मा
• स्थल - बोधगया [UPPSC GIC 2010][BPSC PRE 1996]
• नदी - र्नरं जना नदी के तट पर [UPPSC PRE 2012]
• वृक्ष - पीपल वृक्ष के नीिे
• स्मृर्त - महाबोर्ध मंर्दर

धर्मचक्र प्रवतमन ( प्रथर् उपिेश )


• गौतम बुद्ध ने सारनाथ में 5 र्वद्धार्थि यो को प्रथम उपदेश र्दया र्जसे धर्मचक्र प्रवतमन कहते है |
[UPPSC PRE 1993][UPPSC LOWER SUB PRE 2004]
• स्थान - ऋर्र्पतनम या मृगदाव आश्रम ( सारनाथ ) [MPPSC PRE 1991]
[UPPSC PRE 2004][BPSC PRE 2005] [BPSC PRE 2011] [JKPSC PRE2013]
• र्दन - वैशाख पूर्णि मा
• शीर्ि क - आिरण की शुद्धता [UPPSC PRE 1991]
• सारनाथ में गौतम बुद्ध ने अपने 5 र्वधाथी को प्रथम उपदेश र्दया : कौर्डिन्य , वप्पा , भार्दया , महानामा , अस्सागी

यश ( वाराणसी )

• वाराणसी में र्शष्य - यश ( एक धनी श्रेष्ठीपुि )


गौतम बुद्ध सारनाथ से वाराणसी गये और यश नामक एक धनी श्रेष्ठीपुि को अपना र्शष्य बनाया |
• वाराणसी में र्शष्यों की संख्या - 60

संघ
• गौतम बुद्ध ने वाराणसी में ही संघ की स्थापना की |
• अध्यक्ष - गौतम बुद्ध
• सदस्यता की आयु सीमा - 18 वर्ि
• उद्दे श्य - बहु जन र्हताथि ( बहु जन सुखाथि )

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राजगहृ ( र्गध की राजधानी )

तबतम्बसार वेलव
ु न तवहार ( राजगृह )

• मगध का शासक - र्बर्म्बसार


• बुद्ध का प्रथम र्वहार - वेलुवन
• वेलव ु न तवहार - र्बर्म्बसार ने गौतम बुद्ध के र्नवास के र्लए वेलुवन नामक र्वहार बनवाया |
• कश्यप बंधू ( र्हा कश्यप , निी कश्यप , गया कश्यप )
राजगृह में गौतम बुद्ध ने कश्यप बंधुयों को अपने ज्ञान से परास्त र्कया तथा उन्हें बौद्ध धमि में दीर्क्षत र्कया |

कतपलवस्तु
• राजगृह में रहते हु ए गौतम बुद्ध एक बार अपने गृह नगर कर्पलवस्तु आये थे |
• कर्पलवस्तु में बुद्ध के आगमन के समय इनके भाई नन्दी का राज्यार्भर्ेक हो रहा था |
• गौतम बुद्ध ने कर्पलवस्तु में दीक्षा र्दया - नन्िी
• तनयर् : तपता की अनुर्तत
बुद्ध ने कर्पलवस्तु में ही यह र्नयम बनाया की कोई भी व्यर्ि अपने र्पता के अनुमर्त
के र्बना बौद्ध धमि में दीर्क्षत नहीं हो सकता है |

क्र. व्यति स्थान तववरण


कर्पलवस्तु में ही बुद्ध की मौसी महाप्रजापर्त गौतमी
महाप्रजापर्त गौतमी
1 लुर्म्बनी ने संघ र्ें प्रवेश का आग्रह र्कया लेर्कन बुद्ध ने इसे
( बुद्ध की मौसी )
अस्वीकार र्कया |

वैशाली
• वैशाली में र्शष्य - आनंद
• तनयर् : संघ र्ें र्तहलाओ ं का प्रवेश [UPPSC PRE 1992]
वैशाली में बौद्ध संघ में र्स्त्रयों के प्रवेश के र्लए बुद्ध ने अनुमर्त र्दया |
• बौद्ध संघ में र्स्त्रयों के प्रवेश के र्लए बुद्ध से अनुग्रह र्कया - र्शष्य आनंद
• बौद्ध संघ में सवि प्रथम शार्मल होने वाली स्त्री थी - महाप्रजापर्त गौतमी ( बुद्ध की माता )
• महाप्रजापर्त गौतमी के बाद बुद्ध ने संघ में र्नम्न मर्हलाओं शार्मल र्कया
1. यशोधरा ( गौतम बुद्ध की पत्नी )
2. क्षेमा ( खेमा ) ( र्बर्म्बसार की पत्नी )
3. आम्रपाली ( वैशाली की नगरवधु )

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क्र. व्यति स्थान तववरण


देवदत्त देवदत्त संघ का प्रधान बनना िाहता था इसकारण इसने
1 वैशाली [UPPSC PRE 1999]
( बुद्ध का ििेरा भाई ) बुद्ध पर तीन बार हमला करवाया |
तीसरी बार देवदत्त ने र्गद्धकूट पहाड़ी से र्शलाखडि
जीवक
2 वैशाली फेंककर बुद्ध को घायल कर र्दया इसका उपिार
( र्बर्म्बसार का राजवैध )
र्बर्म्बसार के राजवैध जीवक ने र्कया |

कौशाम्बी ( वत्स राज्य )


• कौशाम्बी के शासक - उदयन [UPUDA/LDA PRE 2010]
• बुद्ध के र्शष्य - तपण्डोला भारद्वाज
• उदयन ने र्पडिोला भारद्वाज के अनुग्रह पर र्शष्यता ग्रहण की |
• घोतषतरार् तवहार - उदयन ने बुद्ध को घोर्र्तराम र्वहार भेंट र्कया |

श्रावस्ती ( कोसल राज्य )

अंगल
ु ीर्ाल ( डाकू )

• गौतम बुद्ध ने अपने सवाि र्धक उपदेश श्रावस्ती में र्दए |


• गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के 21 वर्ि श्रावस्ती में व्यतीत र्कये |
• जेतवन तवहार
▪ राजकुमार - जेत
▪ व्यापारी का नाम - अनाथर्पडिक
▪ अनाथर्पडिक ने राजकुमार जेत से जेतवन र्वहार खरीदकर बुद्ध को दान में र्दया |
• पूवामरार् तवहार
▪ कोशल के शासक - प्रसेनजीत
▪ प्रसेनजीत ने अपने पररवार के साथ बौद्ध धमि ग्रहण र्कया तथा पूवामरार् तवहार बुद्ध को दान में र्दया |
• अंगुलीर्ाल ( डाकू )
श्रावस्ती में गौतम बुद्ध ने अंगुलीमाल नामक िाकू को संघ में शार्मल र्कया |

पावा ( र्ल्लों की राजधानी )


• पावा में र्शष्य - िुंद
• िुंद ने गौतम बुद्ध को र्खलाया - सुकरमाद्धव
• अततसार रोग ( डायररया )
सुकरमाद्धव भोज्य सामग्री खाने से गौतम बुद्ध अर्तसार रोग से पीर्ड़त हो गये |

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कुशीनगर ( र्ल्ल )

• कुशीनगर में र्शष्य - सुभद्द


• अंर्तम उपदेश - कुशीनगर ( राज्य – मल्ल )
• बुद्ध के द्वारा अंर्तम र्शक्षा ( उपदे श ) पाने वाला व्यर्ि - सुभद्द ( कुशीनगर ) [UPPSC PRE 2013]
• र्ववरण - अपने जीवन के अंर्तम वर्ि में गौतम बुद्ध अपने र्शष्य चुंि के घर पावा पहु ुँिे |
यहाुँ सुकरर्ाद्धव भोज्य सामग्री खाने से वे अततसार रोग ( डायररया ) से पीर्ड़त हो गये | र्फर वे पावा से
कुशीनगर िले गये और यहीं पर सुभद्द को उन्होंने अपना अंर्तम उपदेश र्दया | यहीं गौतम बुद्ध की 80 वर्ि की
आयु में 483 ई.पू. में मृत्यु हो गयी |
• संघ प्रमुख - गौतम बुद्ध ने अपनी मृत्यु के उपरांत बौद्ध संघ के नेतत्ृ व के र्लए र्कसी को
नार्मत नहीं र्कया था | [UKPSC PRE 2002]

र्हापररतनवामण

• कुशीनगर में गौतम बुद्ध ने र्नवाि ण को प्राि र्कया र्जसे महापररर्नवाि ण कहा गया |
• गौतम बुद्ध की मृत्यु - 483 ई.पू.
• र्दन - वैशाख पूर्णि मा
• मृत्यु स्थान - कुशीनारा ( कुशीनगर ) ( मल्ल ) , र्जला – देवररया , उत्तर प्रदेश [MPPSC PRE 1997]
[BPSC PRE 1996][BPSC PRE 2005] [CGPSC PRE 2011] [BPSC PRE 2011] [UPPSC PRE 2011]
• गणराज्य - मल्ल [UPPSC MAINS 2005]
• आयु - 80 वर्ि

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गौतम बुद्ध के उपदेश


• बुद्ध के उपदेश - आचरण की शुद्धता व पववत्रता
• भाषा - पाली
• सवाा विक उपदेश - श्रावस्ती ( कोसल राज्य ) [UPPSC PRE 2011]
• प्रथम उपदेश ( िमा चक्र प्रवता न ) - ऋवषपतनम ( सारनाथ )
• प्रथम उपदेश पाने वाले वशष्य - कौवडिन्य , वप्पा , भावदया , महानामा , अस्सागी ( सारनाथ )
• अंवतम उपदेश - कुशीनगर
• अंवतम उपदेश पाने वाला वशष्य - सुभद्द ( कुशीनगर )

बद्ध
ु पतू णामा ( बैशाख पतू णामा )
• गौतम बुद्ध का जन्म , ज्ञान प्राति , प्रथम उपदेश व महापररतनर्ााण र्ैशाख पूतणामा के वदन हु आ था
इसवलए वैशाख पूवणा मा को बुद्ध पूतणामा के रूप में मनाया जाता है |
• बुद्ध पूवणा मा ( बैशाख पूवणा मा ) को आयोवजत बुद्ध महोत्सव के प्रमुख आयोजन स्थल

क्र. बुद्ध महोत्सर् आयोजन स्थल


1 छत्तीसगढ़ वसरपुर
2 उत्तर प्रदेश सारनाथ
3 वबहार बोिगया
4 मध्यप्रदेश सांची
5 नेपाल लुवबबनी ( कवपलवस्तु )

संघ
• स्थान - वाराणसी
• संस्थापक व अध्यक्ष - गौतम बुद्ध
• सदस्यता की आयु सीमा - 18 वषा
• उद्दे श्य - बहु जन वहताथा ( बहु जन सुखाथा )

संघ के सदस्य
क्र. संघ के सदस्य तर्र्रण तशक्षा
1 वभक्षुक वभक्षुक सन्यासी जीवन व्यतीत करते थे | दसशील
2 उपासक उपासक गृहस्थ जीवन व्यतीत करते थे | पंचशील

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बौद्ध संगीतत ( सम्मलेन )


बौद्ध सम्मलेन र्र्ा स्थान शासक अध्यक्ष तर्शेर्
▪ बौद्ध िमा के 2 वपटको का संग्रह वकया गया –
(1) ववनयवपटक
प्रथम सप्तपणी गुफा
483 ई.पू. अजातशत्रु महाकश्यप (2) सुत्तवपटक
बौद्ध सम्मलेन ( राजगृह )
▪ अजातशत्रु ने बुद्ध के अवशेषों को लेकर
राजगृह में “ववश्व शांवत स्तूप” बनवाया |
बौद्ध िमा का 2 संघ में ववभाजन हो गया –
तितीय बालुकाराम सवा कामी
383 ई.पू. कालाशोक (1) स्थावीर ( रूवढ़वादी )
बौद्ध सम्मलेन ( वैशाली ) ( सब्बब्बकामी )
(2) महासंवथक ( प्रगवतशील )
▪ मोगलीपुत्त वतस्स द्वारा अतभधम्म तपटक का
तृतीय संकलन वकया गया |
251 ई.पू. पाटवलपुत्र अशोक मोगलीपुत्त वतस्स
बौद्ध सम्मलेन ▪ मोगलीपुत्त वतस्स ने कथार्स्तु ग्रन्थ की
रचना की |
▪ बौद्ध िमा दो सबप्रदायों में ववभाजन –
(1) हीनयान
चतुथा कुडिलवन अध्यक्ष - वसुवमत्र
100 ई.पू. कवनष्क (2) महायान
बौद्ध सम्मलेन ( कश्मीर ) उपाध्यक्ष - अश्वघोष
▪ कवनष्क ने नागाजुान को बौद्ध िमा के प्रचार
के वलए चीन भेजा |
पांचर्ी
630 ई. कन्नौज हषा विा न ह्वे नसांग महायान मत की श्रेष्ठता वसद्ध हु ई |
बौद्ध सम्मलेन

प्रथम बौद्ध सम्मलेन ( 483 ई.पू. )


• स्थान - सप्तपणी गुफा ( राजगृह ) [MPPSC PRE 1990][UPPSC PRE 2000]
• शासक - अजातशत्रु [UPPSC MAINS 2010]
• अध्यक्ष - महाकश्यप [UPPSC PRE 2000][UPUDA/LDA MAINS 2010]
• तर्शेर्
▪ बौद्ध िमा के 2 वपटको का संग्रह वकया गया – (1) ववनयवपटक (2) सुत्तवपटक
▪ अजातशत्रु ने बुद्ध के अवशेषों को लेकर राजगृह में “ववश्व शांवत स्तूप” बनवाया |

तितीय बौद्ध सम्मलेन ( 383 ई.प.ू )


• स्थान - बालुकाराम ( वैशाली )
• शासक - कालाशोक [RAS/RTS PRE 1994]
• अध्यक्ष - सवा कामी ( सब्बब्बकामी )
• बौद्ध िमा का 2 संघ में ववभाजन हो गया –
(1) स्थावीर ( रूवढ़वादी )
(2) महासंवथक ( प्रगवतशील )

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तत
ृ ीय बौद्ध सम्मलेन ( 251 ई.पू. )
• स्थान - पाटवलपुत्र [BPSC PRE 2011]
• शासक - अशोक
• अध्यक्ष - मोगलीपुत्त वतस्स
• ववशेष - मोगलीपुत्त वतस्स ने अतभधम्म तपटक का संकलन तथा कथार्स्तु ग्रन्थ की रचना की |

ु ा बौद्ध सम्मलेन ( 100 ई.पू. )


चतथ
• स्थान - कुडिलवन ( कश्मीर ) [BPSC PRE 2005]
• शासक - कवनष्क [UPSC PRE 2001] [RAS/RTS PRE 2010]
• अध्यक्ष - वसुवमत्र [UPSC PRE 2001]
• उपाध्यक्ष - अश्वघोष
• तर्शेर्
▪ बौद्ध िमा दो सबप्रदायों में ववभाजन –
(1) हीनयान
(2) महायान [UPSC PRE 1993]
▪ कवनष्क ने नागाजुान को बौद्ध िमा के प्रचार के वलए चीन भेजा | [UKPSC PRE 2005]

पांचर्ी बौद्ध सम्मलेन ( 630 ई. )


• स्थान - कन्नौज
• शासक - हषा विा न
• अध्यक्ष - ह्वे नसांग
• ववशेष - महायान मत की श्रेष्ठता वसद्ध हु ई |

बौद्ध धमा के प्रमुख सम्प्रदाय


क्र. बौद्ध सम्प्रदाय प्रणेता तसद्धांत मान्यता
1 हीनयान ( थेरवाद ) अजातशत्रु रूवढ़वादी बुद्ध की मूल वसद्धांतों का अनुसरण
2 महायान कवनष्क प्रगवतशील बुद्ध की मूल वसद्धांतों का आंवशक अनुसरण

3 माध्यवमक ( शून्यवाद ) नागाजुान शून्यवाद शून्यवाद या सापेक्षवाद के वसद्धांत का अनुसरण


4 योगाचार ववज्ञानवाद मौत्रेयनाथ योग ववज्ञानवाद तावकाक वसद्धांत का अनुसरण

वज्रयान
5 तांवत्रक वसद्धांत बौद्ध दशा न एवं तंत्र – मंत्र अभ्यास की जवटल प्रणाली
( तंत्रयान या मंत्रयान )
6 नवयान ( भारतयान ) भीमराव अंबेिकर तावकाक वसद्धांत बौद्ध दशा न एवं तकासंगत वसद्धांत की सरल प्रणाली

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हीनयान र् महायान में अंतर


• कवनष्क के शासनकाल में संपन्न चतुथा बौद्ध संगीवत में बुद्ध िमा हीनयान एवं महायान नामक दो स्पष्ट एवं
स्वतंत्र संप्रदाय में बंट गया |
• महायान में बुद्ध को देवता माना गया तथा उनकी पूजा की जाने लगी |
• कवनष्क के शासनकाल में गौतम बुद्ध को देवता का स्थान प्राप्त हु आ | [BPSC PRE 2001]

क्र. मुख्य तबंदु हीनयान ( स्थतर्रर्ाद या थेरर्ाद ) महायान


1 लोग वनबनमागी लोग उत्कृ ष्टमागी लोग
2 वसद्धांत रूवढ़वादी प्रगवतशील
3 मान्यता बुद्ध की मूल वसद्धांतों का अनुसरण बुद्ध की मूल वसद्धांतों का आंवशक अनुसरण
4 बुद्ध की भूवमका बुद्ध को महापुरुष माना जाता है बुद्ध को देवता माना जाता है [UPPSC PRE 1996]
5 मूवता पज
ू ा मूवता पज
ू ा का ववरोि मूवता पज
ू ा के समथा क
6 केंद्र कौशाबबी मथुरा
7 ग्रंथ की भाषा पाली संस्कृ त
8 वनवाा ण व्यविगत वनवाा ण सभी के वलए वनवाा ण

र्ज्रयान ( तंत्रयान या मंत्रयान )


• जन्म - 7 वीं शताब्बदी
• केंद्र - वतब्बबत , पूवी भारत
• तारा - बुद्ध की पत्नी के रूप में तारा की पूजा
• मान्यता - बौद्ध दशा न एवं तंत्र – मंत्र अभ्यास की जवटल प्रणाली
• पतन का कारण - इस सबप्रदाय के कारण बौद्ध िमा पतन की ओर अग्रसर
• प्रभार्शाली - सुल्तानी युग में बौद्धों की वज्रयान शाखा सबसे प्रभावशाली थी | [UKPSC PRE 2013]

नर्ायान ( भारतयान या शुद्धयान )


• प्रारं भ - 14 अक्टू बर 1956
• स्थान - नागपुर
• केंद्र - उत्तर प्रदेश , महाराष्र
• प्रणेता - भीमराव अबबेिकर
• वसद्धांत - बौद्ध दशा न एवं तकासंगत वसद्धांत की सरल प्रणाली
• मान्यता - तकासंगत वसद्धांत का अनुसरण

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गौतम बुद्ध के जीर्न के प्रतीक तचन्ह


क्रम घटना तचन्ह तचत्र

1 गभा हाथी

2 जन्म कमल [UPPSC MAINS 2005]

3 यौवन सांि

4 गृह त्याग घोड़ा [UPPSC MAINS 2005]

पीपल
5 ज्ञान [UPPSC MAINS 2005]
( बोवि वृक्ष )

प्रथम प्रवचन
6 चक्र [UPPSC MAINS 2002]
( िमा चक्रप्रवता न )

7 वनवाा ण पद वचन्ह

8 मृत्यु स्तूप

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बौद्ध धमा के तसद्धांत


तत्ररत्न
• बौद्ध िमा के वत्ररत्न - बुद्ध , िबम , संघ [CGPSC PRE 2017]

क्र. तत्ररत्न अथा


1 बुद्ध तावकाक ज्ञान
2 िबम बौद्ध िमा की वशक्षाएं या आचार संवहता
3 संघ बौद्ध वभक्षुओ ं तथा बौद्ध उपासकों का संगठन

अशोक का तत्ररत्न
• अशोक का वत्ररत्न या वत्रसंघ में ववश्वास
• अशोक का वत्ररत्न - बुद्ध , िबम , संघ
• स्त्रोत - भब्रुगढ़ लघु तशलालेख

तत्रतपटक
• बुद्ध के उपदेशो का संग्रह है - वत्रवपटक [UP Lower Sub PRE 2003] [UP Lower Sub PRE 2004]
• वत्रवपटक बौद्ध ग्रंथो में सवाा विक महत्वपूणा है | [MPPSC PRE 2012][RAS/RTS PRE 2012]
• बुद्ध की मृत्यु के बाद उनकी वशक्षाओं को संकवलत कर 3 भागो में बांटा गया, इन्ही को वत्रवपटक कहते है |

क्र. तत्रतपटक अथा संकलनकताा


1 ववनयवपटक आचार सूत्र - संघ संबंिी वनयम उपाली ( आचार का प्रतीक ) [UPPSC PRE 1996]
2 सुत्तवपटक िमा सत्र
ू - िावमा क वसद्धांत आनंद ( िमा का प्रतीक )
3 अवभिबमवपटक दशा न सूत्र - दाशा वनक वसद्धांत मोगलीपुत्त वतस्स

बौद्ध धमा की तशक्षाएं ( धमाचक्रप्रर्तान )


बोतध
• गौतम बुद्ध से प्राप्त वशक्षा को बोवि कहते है |
• बोवि प्राप्त करने के पश्चात् ही संसार से छुटकारा पाया जा सकता है |
• बोवि के तीन स्तर होते है –

क्र. बोतध तर्र्रण


1 सबयक बोवि वास्तववक ज्ञान
2 श्रावक बोवि सत्य में ववश्वास
3 प्रत्येक बोवि आत्म वनयंत्रण

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चार आया सत्य


• बुद्ध ने सांसाररक दु:खों के संबंि में 4 आया सत्य का प्रवतपादन वकया : [UPPSC PRE 2006][UPPSC GIC 2010]

क्र. 4 आया सत्य अथा


1 दुुःख दुुःख है
2 दुुःख समुदाय दुुःख का कारण है
3 दुुःख वनरोि दुुःख का वनरोि है
4 दुुःख वनरोिगावमनी प्रवतपदा दुुःख वनरोि का मागा है

पंचस्कंध
• पंचस्कंि - रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान [CGPSC MAINS 2012]
• बौद्ध दशा न की मान्यता - अनात्मवाद ( आत्मा में ववश्वास नहीं )
• आत्मा केवल पंचस्कंि का समुदाय है अथाा त् रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान का समुदाय ही आत्मा कहलाता है |
• इसप्रकार बुद्ध काल्पवनक वनत्य आत्मा का वनषेि वकया है परं तु अवनत्य व्यावहाररक आत्मा को माना है |

क्र. पंचस्कंध तर्र्रण


1 रूप पृथ्वी , जल , वायु , अवनन , आकाश से उत्पन्न अनुभवू त को रूपस्कंि कहते है |
2 वेदना सुख , दुुःख तथा न सुख – दुुःख इन तीन प्रकार की अनुभवू तयों को वेदना कहते है |
3 संज्ञा गुणों के आिार पर वकसी वस्तु का नामकरण ही संज्ञा है |
4 संस्कार कुशल – अकुशल चेतना
5 ववज्ञान आंतररक ( स्वयं ) व बाह्य वस्तुओ ं का वास्तववक ज्ञान

पंचशील
• पंचशील - आचरण की शुद्धता र् पतर्त्रता
• वत्ररत्न अनुशीलन में आचरण की शुद्धता पर अविक बल वदया गया है |
• प्रत्येक जीव को अपने आचरण की पववत्रता बनाये रखने के वलए गौतम बुद्ध ने पंचशील का प्रवतपादन वकया |

क्र. पंचशील तर्र्रण


1 अतहंसा वहंसा न करना [UPSC PRE 1996]
2 सत्य सदा सत्य बोलना
3 अपररग्रह सबपवत अवजा त ना करना
4 अस्तेय चोरी न करना
5 ब्रह्मचया इवन्द्रय वनयंत्रण रखना

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दस शील
• दस शील - आचरण की शुद्धता र् पतर्त्रता
• वत्ररत्न ( बुद्ध िबम , संघ ) अनुशीलन में आचरण की शुद्धता पर अविक बल वदया गया है |
• प्रत्येक जीव को अपने आचरण की पववत्रता बनाये रखने के वलए गौतम बुद्ध ने दस शील का प्रवतपादन वकया |
• बौद्ध िमा में दस शील तभक्षुक के वलए तथा पंचशील उपासक के वलए है |

क्र. दस शील तर्र्रण


1 अतहंसा वहंसा न करना [UPSC PRE 1996]
2 सत्य सदा सत्य बोलना
3 अपररग्रह सबपवत अवजा त ना करना
4 अस्तेय चोरी न करना
5 ब्रह्मचया इवन्द्रय वनयंत्रण रखना

6 नृत्य व संगीत का त्याग


7 असमय भोजन न करना
8 कोमल सय्या का त्याग
9 श्रृंगार प्रसािनों का त्याग
10 कावमनी एवं कंचन का त्याग

अष्ांतगक मागा
• सांसाररक दु:खों से मुवि के उपाय हे तु महात्मा गौतम बुद्ध ने अष्टांवगक मागा का प्रवतपादन वकया | [UPSC PRE 1998]

क्र. अष्ांतगक मागा अथा


1 सबयक दृवष्ट वस्तुओ ं के वास्तववक स्वरुप में देखना
2 सबयक संकल्प भौवतक सुखों के त्याग का संकल्प लेना
3 सबयक वाक् सदा सच बोलना
4 सबयक कमाा न्त सदा सत्कमा करना
5 सबयक आजीव सदाचार के वनयमों के अनुकूल जीवन व्यतीत करना
6 सबयक व्यायाम वववेकपूणा प्रयत्न करना
7 सबयक स्मृवत सच्ची िारणा रखना
8 सबयक समावि मन की एकाग्रता

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बौद्ध धमा के दाशातनक तसद्धांत


बौद्ध धमा की मान्यताएं
क्र. मान्यताएं अथा
1 अनात्मवाद आत्मा में ववश्वास नहीं [UPPSC PRE 1992]
2 अनीश्वरवाद पुनजा न्म में ववश्वास [UPPSC PRE 1992]
क्षवणकवाद या
3 संसार में सब कुछ क्षवणक व नश्वर है | [CGPSC PRE 2017]
क्षणभंगुरवाद
4 वनवाा णवाद मृत्यु पूवा वनवाा ण पाया जा सकता है | [UPPSC PRE 1992]
कारण – पररणाम का जाल
5 प्रतीत्यसमुत्पाद
कोई भी घटना का कारण एक दूसरी घटना है |
महायान का प्रमुख वसद्धांत
6 शून्यवाद
संसार को शून्य तथा उसके सभी पदाथो को सत्ताहीन माना गया है |
7 यथाथा वाद वास्तववक सत्य ज्ञान
8 कमा वाद कमा का वसद्धांत [UPPSC PRE 1992]
9 शुवद्धवाद आचरण की शुद्धता व पववत्रता

अस्र्ीकार मान्यताएं
क्र. बतहष्कार अथा
[UPPSC GIC 2010]
1 वेदों के प्रवत उदासीनता गौतम बुद्ध ने वेदों के परम सत्य को अस्वीकार वकया |
[UPSC PRE 1996]
[UPPSC PRE 1992]
2 ईश्वर की सत्ता की अस्वीकृ वत गौतम बुद्ध ईश्वर की सत्ता में ववश्वास नहीं करते थे |
[UPSC PRE 1996]
3 कमा कांिो का वनषेि तंत्र – मंत्र – जादू टोना जैसी कुरीवतयों का बवहष्कार [UPSC PRE 1996]
4 रीवत – ररवाजों की अस्वीकृ वत यज्ञ , कमा काडि , पशुबवल की वनंदा [BPSC PRE 2000]
बौद्ध िमा में वणा व्यवस्थता को स्वीकार तो वकया गया
[UPPSC PRE 1998]
5 वणा व्यवस्थता लेवकन उसने ब्राबहण वणा की सवोच्च सामावजक वस्थवत
को स्वीकार नही वकया |

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प्रमुख बौद्ध तर्श्वतर्द्यालय


क्र. बौद्ध तर्श्वतर्धालय स्थान संस्थापक र्ंश तशक्षा
1 नालंदा बिगांव ( वबहार ) कुमार गुप्त I गुप्त वंश महायान [BPSC PRE 1999]
2 वल्लभी भावनगर ( गुजरात ) भट्टारक मैवत्रक वंश हीनयान

3 ववक्रमवशला अवचंतकगााँव ( वबहार ) िमा पाल पाल वंश वज्रयान [MPPSC PRE 2004]
[CGPSC PRE 2011]
4 सोमपुर नवागांव ( बांनलादेश ) िमा पाल पाल वंश महायान
5 ओदंतपुरी वबहारशरीफ ( वबहार ) गोपाल पाल वंश महायान
6 जगदल्ल राजशाही ( बांनलादेश ) रामपाल पाल वंश तंत्रयान

प्राचीनकाल में बौद्ध तशक्षा के 3 प्रमख


ु केंद्र
क्र. बौद्ध तर्श्वतर्धालय स्थान संस्थापक र्ंश तशक्षा
1 नालंदा बिगांव ( वबहार ) कुमार गुप्त I गुप्त वंश महायान [BPSC PRE 1999]
2 वल्लभी भावनगर ( गुजरात ) भट्टारक मैवत्रक वंश हीनयान
3 ववक्रमवशला अवचंतकगााँव ( वबहार ) िमा पाल पाल वंश वज्रयान [MPPSC PRE 2004]

नालंदा तर्श्वतर्धालय
• स्थापना - कुमारगुि प्रथम ( गुप्त वंश )
• स्थान - नालंदा ( राजगृह )
• प्रवसवद्ध - बौद्ध िमा दशा न [BPSC PRE 1997]
• नष्ट - 1193 ई. – कुतुबद्द
ु ीन बतख्तयार तखलजी ने नालंदा ववश्ववविालय को जलाया | [BPSC PRE 1996]
• ववशेष - नालंदा एक ववख्यात बौद्ध पीठ एवं ववश्ववविालय था |

नर् नालंदा महातर्हार


• स्थापना - 1951 ई.
• वनमाा ता - वबहार सरकार
• प्रवसवद्ध - बौद्ध एवं पाली अनुसन्िान केंद्र [BPSC PRE 2008]
• ववशेष - ‘नव नालंदा महाववहार’ बौद्ध अध्ययन का आिुवनक केंद्र है |

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प्रतसद्द बौद्ध तर्िान


क्र. तर्िान रचना तर्शेर्
1 वसुवमत्र महाववभाषसूत्र बौद्ध िमा का ववश्वकोष
2 अश्वघोष बुद्ध चररतम बौद्ध िमा का महाकाव्य
3 नागाजुान माध्यवमक काररका सापेक्षता का वसद्धांत या शुन्यता का वसद्धांत
4 असंग व वसुबन्िु अवभिबम कोष
5 बुद्धघोष हीनयान सबप्रदाय
6 बुद्धपावलत व भाववववेक प्रवतपावदत शून्यवाद

नागाजान

• नागाजुान कतनष्क के दरबार का एक महान ववभूवत था |
• संज्ञा - भारत का मातटान लूथर
• ह्वे नसांग - ह्वे नसांग ने नागाजुान को ‘संसार की चार मागादशाक शतियों में से एक’ कहा है |
• रचना - माध्यतमक काररका ( सापेक्षता वसद्धांत , शून्यता का वसद्धांत ) [UPPSC PRE 1998]
• बौद्ध सबप्रदाय - माध्यवमक [UKPSC MAINS 2007]
• माध्यवमक या शुन्यता का वसद्धांत का प्रवतपादन सवा प्रथम नागाजुान ने वकया |

ु ा बौद्ध संगीतत
चतथ
• कवनष्क ने चतुथा बौद्ध संगीवत के दौरान नागाजुान को बौद्ध िमा के प्रचार के वलए चीन भेजा | [UKPSC PRE 2005]
• चीन की चीनी मान्यता के अनुसार नागाजुान ने चीन की यात्रा कर वहां बौद्ध वशक्षा प्रदान की |

एतशया के ज्योतत पंज


ु ( Light of Asia )
• रचनाकार - एिववन अनाा ल्ि
• एवशया के ज्योवत पुंज - गौतम बुद्ध [UKPSC PRE 2005][UPPSC MAINS 2010]
• गौतम बुद्ध के जीवन पर एडतर्न अनााल्ड ने ‘Light of Asia’ नामक पुस्तक वलखी |

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गौतम बुद्ध की प्रततमा


क्र. बुद्ध प्रततमा स्थान काल

कवनष्क
1 बुद्ध की बैठी प्रवतमा सारनाथ
( कुषाण काल )

कवनष्क
2 बुद्ध की खड़ी प्रवतमा सारनाथ [UPPSC PRE 1992]
( कुषाण काल )

[UPPSC MAINS 2009]


कुमार गुप्त I
3 भूवमस्पशा मुद्रा सारनाथ [UPUDA/LDA PRE 2010]
( गुप्त काल )
[UPUDA/LDA MAINS 2010]

बुद्ध की 30 फूट की प्रततमा ( डोंगरगढ़ )


• स्थान - प्रज्ञावगरी पहाड़ी ( िोंगरगढ़ ) ( छत्तीसगढ़ )
• ऊंचाई - 30 फीट
• वनमाा ता - पद्मश्री मावटा न नेल्सन [CGVyapam FI 2008]
• ववशेष - छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंचा बुद्ध प्रवतमा

बुद्ध की 80 फूट की प्रततमा ( बोधगया )


• स्थान - बोिगया ( वबहार )
• ऊंचाई - 80 फीट
• वनमाा ता - जापान के दाईजोतकयो संप्रदाय के द्वारा [RAS/RTS PRE 1993]
• ववशेष - भारत की सबसे ऊंचा बुद्ध प्रवतमा

तस्प्रंग टेम्पल बुद्ध ( चीन )


• स्थान - लुसान ( हे नान ) , चीन
• ऊंचाई - 128 मीटर
• तर्शेर्
▪ ववश्व का सबसे ऊंचा बुद्ध प्रवतमा [RAS/RTS PRE 1990]
▪ ववश्व का दूसरा सबसे ऊंचा प्रवतमा
▪ ववश्व का सबसे ऊंचा प्रवतमा ( Statue of Unity – 182 मीटर )

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गौतम बुद्ध की प्रततमा की पूजा


क्र. तथ्य तर्र्रण
भारत में पहले वजस मानव प्रवतमाओं को पूजा गया
1 गौतम बुद्ध की प्रवतमा [RAS/RTS PRE 2010]
वह गौतम बुद्ध की प्रवतमा थी |
बौद्ध िमा के महायान शाखा के अनुयावययो ने सवा प्रथम
2 महायान शाखा [MPPSC PRE 1992]
बुद्ध की मूवता यां स्थावपत करके उनकी पूजा प्रारं भ की |
3 बौद्ध िमा भारत में बौद्ध िमा ने सवा प्रथम मूवता पूजा की नींव रखी | [UP LOWER PRE 2008]

तर्ांग मठ ( बौद्ध मठ )

• वनमाा ण - 1680
• वनमाा ता - लोद्रे नयास्तो
• स्थान - तवांग ( अरुणाचल प्रदेश )
• तर्शेर्
▪ भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ
▪ ल्हासा ( चीन ) के पोताला महल मठ के बाद ववश्व का दस ू रा सबसे बड़ा मठ
• बौद्ध मठो में , पर्रन नामक समारोह
वषाा ऋतू के दौरान मठो में प्रवास के समय वभक्षुओ द्वारा वकये गये अपराि की स्वीकृ वत का अवसर होता था |
• चैत्य र् तर्हार में अंतर

चैत्य तर्हार
बौद्ध वभक्षुओ का पूजा स्थल बौद्ध वभक्षुओ का वनवास स्थल [UPUDA/LDA PRE 2001]

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बौद्ध स्तूप
ऐततहातसक बौद्ध स्तूप
क्र. बौद्ध स्तूप तचत्र स्थान राज्य तनमााता तर्शेर्

ववश्व का पहला तथा सबसे


1 ववश्व शांवत स्तूप राजगीर वबहार अजातशत्रु
ऊंचा ‘ववश्व शांवत स्तूप’

कवपलवस्तु
2 लुवबबनी स्तूप लुवबबनी अशोक
( नेपाल )

3 शावन्त स्तूप वैशाली वबहार अशोक

[UPPSC MAINS 2011]


4 बोिगया स्तूप बोिगया वबहार अशोक
[UPPSC PRE 2008]

[UPPSC MAINS 2011]


5 िमेख स्तूप सारनाथ उत्तर प्रदेश अशोक
[UPPSC PRE 2008]

[UPPSC MAINS 2011]


6 रामाभर स्तूप कुशीनगर उत्तर प्रदेश अशोक
[UPPSC PRE 2008]

[CGPSC PRE 2015]


7 सााँची स्तूप सााँची मध्यप्रदेश अशोक [UPPSC MAINS 2011]
[UPPSC PRE 2008]

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थोटलाकोंिा
8 महा स्तूप आन्रप्रदेश अशोक
( ववशाखापट्टनम )

बावीकोंिा
9 बावीकोंिा स्तूप आन्रप्रदेश अशोक
( ववशाखापट्टनम )

10 िोरकोठार स्तूप देउरकोठार मध्यप्रदेश अशोक

बुद्ध के जीर्न से संबंतधत स्तूप


क्र. बौद्ध स्तूप तचत्र सूचक राज्य तनमााता

1 लुवबबनी स्तूप गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल अशोक

प्रथम गुरु
2 वैशाली स्तूप वबहार अशोक
अलारकलाम

सबबोवि [UPPSC MAINS 2011]


3 बोिगया स्तूप वबहार अशोक
( बुद्ध को ज्ञान प्रावप्त ) [UPPSC PRE 2008]

िमा चक्रपररवता न [UPPSC MAINS 2011]


4 सारनाथ स्तूप उत्तरप्रदेश अशोक
( प्रथम उपदेश ) [UPPSC PRE 2008]

महापररवनवाा ण [UPPSC MAINS 2011]


5 कुशीनगर स्तूप उत्तरप्रदेश अशोक
( बुद्ध की मृत्यु ) [UPPSC PRE 2008]

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तर्श्व शांतत स्तूप


• वनमाा ण - 483 ई.पू.
• स्थान - राजगृह [BPSC PRE 2008]
• वनमाा ता - अजातशत्रु
• बुद्ध के अवशेष - अजातशत्रु ने बुद्ध के अवशेषों को लेकर राजगृह में
“ववश्व शांवत स्तूप” बनवाया |
• जीणोद्धार - वबहार सरकार ( वता मान स्वरुप )
• तर्शेर् आधुतनक स्र्रुप
▪ ववश्व का पहला बौद्ध स्तूप
▪ ववश्व का सबसे अविक ऊंचाई पर वस्थत स्तूप
▪ वबहार के राजगीर के पहावड़यों पर 400 मीटर की ऊंचाई वस्थत है |

महाबोतध मंतदर
• स्थान - बोिगया ( गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हु आ ) [BPSC PRE 2001]
• वनमाा ता - मेघवमा न ( समुद्रगुप्त )
• वववरण - श्रीलंका के शासक मेघवमा न ने गुप्त वंश के शासक समुद्रगुप्त ने
बोिगया में महाबोवि मंवदर वनमाा ण की आज्ञा मांगी और इस मंवदर का वनमाा ण करवाया |

महत्र्पूणा तथ्य
क्र. तर्शेर् तथ्य
1 अशोक का वसंह स्तंभ शीषा वस्थत है सारनाथ [BPSC PRE 1994]
2 होयसलेश्वर मंवदर समवपा त है वशव को [MPPSC PRE 1991]
3 करमापा लामा वतब्बबत के बुद्ध संप्रदाय के वकस वगा का है कंनयुपा [UPPSC PRE 1998]

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महत्र्पूणा र्स्ततु नष्ठ प्रश्नोत्तर


--------------------------------------------------------------------------------
1. गौतम बुद्ध ने वकस स्थान पर वनवाा ण प्राप्त वकया ? 4. कौन सा दशा न वत्ररत्न को मानता है ?
(A) कुवशनारा (B) श्रावस्ती (A) बौद्ध दशा न व जैन दशा न
(C) लुवबबनी (D) सारनाथ (B) बौद्ध दशा न व न्याय दशा न
[CGPSC PRE 2011] (C) जैन दशा न व न्याय दशा न
उत्तर (A) (D) न्याय दशा न व योग दशा न
[CGPSC PRE 2017]
गौतम बुद्ध उत्तर (A)
▪ जन्म - 563 ई.पू.
बौद्ध िमा के वत्ररत्न - बुद्ध , िबम , संघ
▪ वदन - वैशाख पूवणा मा
जैन िमा के वत्ररत्न - सबयक ज्ञान , सबयक दशा न ,
▪ जन्म स्थान - लुवबबनी ग्राम ( कवपलवस्तु )
▪ स्त्रोत - अशोक के रुवमनदेई स्तंभ अवभलेख सबयक चररत्र
▪ मृत्यु - 483 ई.पू.
▪ वदन - वैशाख पूवणा मा 5. क्षवणकवाद का प्रवतपादन वकसने वकया ?
▪ मृत्यु स्थान - कुशीनारा ( कुशीनगर ) ( मल्ल ) (A) बुद्ध (B) जैन
▪ आयु - 80 वषा (C) चावाा क (D) न्याय
▪ मूलनाम - वसद्धाथा [CGPSC PRE 2017]
▪ उपनाम - प्रच्छन्न उत्तर (A)
▪ प्रचवलत नाम - तथागत ( सत्य है ज्ञान वजसका )
▪ कुल - शाक्य क्षवत्रय कुल क्षवणकवाद का प्रवतपादन गौतम बुद्ध ने वकया | इसका
▪ गोत्र - गौतम अथा है संसार में सब कुछ क्षवणक व नश्वर है |

6. अनात्मवाद वसद्धांत है –
2. वनबन में से कौन सा नाम बुद्ध का दूसरा नाम है ?
(A) सांख्य का (B) वेदांत का
(A) पाथा (B) प्रच्छन्न
(C) बौद्ध दशा न का (D) जैन दशा न का
(C) वमवहर (D) गुिाकेश
[CGPSC PRE 2017]
[CGPSC PRE 2014]
उत्तर (C)
उत्तर (B)

बौद्ध दशान
उपयुाि प्रश्न की व्याख्या देवखए |
अनात्मवाद - आत्मा में ववश्वास नहीं

3. वकस राज्य में सांची स्तूप वस्थत है ? अनीश्वरवाद - पुनजा न्म में ववश्वास
(A) वबहार (B) उत्तर प्रदेश जैन दशान
(C) उड़ीसा (D) मध्यप्रदेश आत्मवाद - आत्मा में ववश्वास
[CGPSC PRE 2015]
अनीश्वरवाद - पुनजा न्म में ववश्वास
उत्तर (D)

मौया वंश के महान सम्राट अशोक द्वारा वनवमा त सांची स्तूप 7. बुद्ध के उपदेशों के अंतगा त क्या है ?
मध्यप्रदेश में वस्थत है | (A) दस शील (B) मध्यमा प्रवतपदा
(C) अष्टांवगक मागा (D) उपरोि सभी
[CGPSC PRE 2011]
उत्तर (D)

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(C) अ – 3 , ब – 2 , स – 1 , द – 4
बुद्ध के उपदेश – वत्ररत्न , चार आया सत्य , पंचशील ,
पंचस्कंि , दसशील , अष्टांवगक मागा , मध्यमा प्रवतपदा , (D) अ – 4 , ब – 1 , स – 2 , द – 3
बोवि [CGPSC PRE 2011]
उत्तर (B)
8. वनबनवलवखत में से कौन से शासक ने बौद्धमत के ववस्तार ने
बुद्ध का जन्म - कमल
योगदान नहीं वदया ?
(A) हषा विा न (B) कवनष्क गृह त्याग - घोड़ा
(C) अशोक (D) पुष्यवमत्र शुंग ज्ञान प्रावप्त - वृक्ष
[CGPSC PRE 2018] वनवाा ण - पद वचन्ह
उत्तर (D)

10. ववक्रमवशला नामक प्राचीन ववश्वववद्यालय की स्थापना


बौद्ध धमा के संरक्षक शासक
बंगाल के वकस शासक ने की ?
क्र. शासक र्ंश (A) िमा पाल (B) गोपाल
(C) देवपाल (D) मवहपाल
1 वबवबबसार हया क वंश
[CGPSC PRE 2011]
2 अजातशत्रु हया क वंश उत्तर (A)
3 अशोक मौया वंश
11. श्रीलंका में बौद्ध िमा का प्रचार करने गया था :
4 कवनष्क कुषाण वंश (A) अशोक (B) संघवमत्रा
5 हषा विा न पुष्यभूवत वंश (C) ववजयांका (D) नागाजुान
[CGPSC ACF 2003]
6 उदयन चंद्रवंश उत्तर (B)
7 प्रसेनजीत कोसल
12. चीन में बौद्ध िमा का प्रचार करने गया था :
8 चडिप्रघोत अवंती (A) अशोक (B) संघवमत्रा
गोपाल (C) ववजयांका (D) नागाजुान
9 िमा पाल पालवंश
उत्तर (D)
रामपाल

पुष्यवमत्र शुंग ने बौद्धमत के ववस्तार ने योगदान नहीं 13. गौतम बुद्ध का जन्म हु आ था :
वदया | (A) वैशाली में (B) लुवबबनी में
(C) कवपलवस्तु में (D) पाटलीपुत्र में
9. बुद्ध के जीवन की घटनाओं से सबबंवित कलात्मक िावमा क [CGPSC ACF 2007]
प्रतीकों को सही सुबमेवलत करने वाले कूट को चुवनए – उत्तर (B)
सूची – अ सूची – ब
(अ) बुद्ध का जन्म (1) पद वचन्ह 14. भगवान बुद्ध के पुत्र का नाम क्या था ?
(ब) गृह त्याग (2) वृक्ष (A) गौतम (B) वसद्धाथा
(स) ज्ञान प्रावप्त (3) घोड़ा (C) राहु ल (D) कवपला
(द) वनवाा ण (4) कमल [CGPSC ARO APO ADDPR 2014]
उत्तर (C)
(A) अ – 2 , ब – 3 , स – 4 , द – 1
(B) अ – 4 , ब – 3 , स – 2 , द – 1

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15. गौतम बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् वनबन स्थानों में बौद्ध 18. बौद्ध सावहत्य दीपवंश संबंवित है :
संगीवतयां आयोवजत की गई ? (A) श्रीलंका से (B) बमाा से
(1) राजगृह (C) चीन से (D) भारत से
(2) वैशाली [CGPSC DISTRICT JAIL SUP. 2008]
(3) बोिगया उत्तर (A)
(4) पाटलीपुत्र
19. गौतम बुद्ध को वनवाा ण वकस आयु में प्राप्त हु आ था ?
(A) 1 , 2 , 3 , 4 (B) 1 , 2 , 3 (A) 13 वषा (B) 25 वषा
(C) 1 , 2 , 4 (D) 2 , 3 , 4 (C) 29 वषा (D) 35 वषा
[CGPSC AD HANDLOOM 2011] [CGPSC MINING OFFICE & INS 2014]
उत्तर (C) उत्तर (D)

16. अजंता की गुफाएं वनबनांवकत की कहानी दशाा ता है : 20. अशोक के शासनकाल में पाटलीपुत्र में आयोवजत तृतीय बौद्ध
(A) बौद्ध िमा (B) जैन िमा संगीवत के सभापवत कौन थे ?
(C) वसक्ख िमा (D) वहन्दू िमा (A) महाकश्यप (B) मोगलीपुत्त वतस्स
[CGPSC ARO APO ADDPR 2014] (C) पुरान कश्यप (D) पकुदा कच्च्यान
उत्तर (A) [CGVyapam HOSTEL SUP. 2014]
उत्तर (B)
17. राजगृह में कौन – सी बौद्ध महासंगीवत हु ई थी ?
(A) प्रथम (B) वद्वतीय
(C) तृतीय (D) चतुथा
[CGPSC DISTRICT JAIL SUP. 2008]
उत्तर (A)

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ु य परीक्षा आधाररत महत्र्पूणा प्रश्नोत्तर


मख्
Question 1. बौद्ध धमा के पञ्चस्कंध क्या है ? ( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2012]

पंचस्कंि - रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान | बौद्ध दशा न की मान्यता अनात्मवाद ( आत्मा में ववश्वास नहीं ) है |
आत्मा केवल पंचस्कंि का समुदाय है अथाा त् रूप , वेदना , संज्ञा , संस्कार , ववज्ञान का समुदाय ही आत्मा कहलाता है |
इसप्रकार बुद्ध काल्पवनक वनत्य आत्मा का वनषेि वकया है परं तु अवनत्य व्यावहाररक आत्मा को माना है |

Question 2. बौद्ध धमा के प्रमुख सम्प्रदायों की संतक्षि व्याख्या कीतजए |


( अंक : 8 , शब्द सीमा : 100 ) [CGPSC MAINS 2014]

बौद्ध धमा के प्रमुख सम्प्रदाय – (1) हीनयान ( थेरवाद ) – इसके प्रणेता महाकश्यप व अजातशत्रु थे | ये लोग बुद्ध की
मूल वसद्धांतों का अनुसरण करते है | बुद्ध को महापुरुष माना जाता है | मूवता पजू ा का ववरोि | (2) महायान – इसके प्रणेता
वसुवमत्र व कवनष्क थे | ये लोग बुद्ध की मूल वसद्धांतों का आंवशक अनुसरण करते है | ये लोग बुद्ध को दे वता मानकर
उनकी मूवता पज ू ा करते है | (3) माध्यवमक ( शून्यवाद ) – इसके प्रणेता नागाजुान थे | ये लोग शून्यवाद या सापेक्षवाद के
वसद्धांत का अनुसरण करते है | (4) योगाचार ववज्ञानवाद – इसके प्रणेता मौत्रेयनाथ थे | ये लोग तावकाक वसद्धांत का
अनुसरण करते है | (5) वज्रयान ( तंत्रयान या मंत्रयान ) – यह तांवत्रक वसद्धांत पर आिाररत है | यह बौद्ध दशा न एवं तंत्र –
मंत्र अभ्यास की जवटल प्रणाली है | (6) नवयान ( भारतयान ) – यह तांवत्रक वसद्धांत पर आिाररत है | यह बौद्ध दशा न एवं
तकासंगत वसद्धांत की सरल प्रणाली है |

Question 3. बौद्ध धमा की चार सतमततयां तकन – तकन स्थलों पर संपन्न हु ई ?


( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2015]

बौद्ध सबमलेन व आयोजन स्थल – (1) प्रथम बौद्ध सबमलेन ( 483 ई.पू. ) - राजगृह (2) वद्वतीय बौद्ध सबमलेन ( 383 ई.पू. )
– वैशाली (3) तृतीय बौद्ध सबमलेन ( 251 ई.पू. ) - पाटवलपुत्र (4) चतुथा बौद्ध सबमलेन ( 100 ई.पू. ) - कुडिलवन (कश्मीर)

Question 4. बौद्ध धमा की लोकतप्रयता के चार प्रमुख कारणों का उल्लेख कीतजए |


( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2016]

बौद्ध िमा की लोकवप्रयता के प्रमुख कारण – (1) क्षेत्रीय भाषा में उपदेश (2) तावकाक वसद्धांत का अनुसरण (3) सुख –
दुुःख व जन्म – मृत्यु के चक्र से मुवि पाकर परम शांवत प्राप्त करने का मागा वदखाना (4) सामावजक समानता की
भावना का ववकास – बौद्ध िमा में वणा व्यवस्थता को स्वीकार तो वकया गया लेवकन उसने ब्राबहण वणा की सवोच्च
सामावजक वस्थवत को स्वीकार नही वकया | (5) कमा कांिो का वनषेि – यज्ञ , कमा काडि , पशुबवल तंत्र – मंत्र – जादू
टोना जैसी कुरीवतयों का बवहष्कार |

Question 5. जैन धमा र् बौद्ध धमा में दो समानताएं र् दो असमानताएं तलतखए |


( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 ) [CGPSC MAINS 2018]

जैन धमा र् बौद्ध धमा में समानताएं – (1) अनीश्वरवादी ( पुनजा न्म में ववश्वास ) (2) वेदों के प्रवत उदासीनता |
असमानताएं – (1) जैन िमा आत्मा में ववश्वास जबवक बौद्ध िमा अनात्मवादी थे | (2) जैन िमा में उपदेश की भाषा प्राकृ त
जबवक बौद्ध िमा में पावल भाषा थी |

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