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HISTORY OF CHHATTISGARH

PSC ACADEMY

HISTORY OF CHHATTISGARH
By RAKESH SAO

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RAIPUR - GOL CHOWK , NEAR NIT RAIPUR
BILASPUR - MASJID CHOWK , CONTACT - 9302766733 , 9827112187 Prepared By RAKESH SAO
HISTORY OF CHHATTISGARH

2ND Edition 2018


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RAKESH SAO
CSE (BIT, Durg)
DIRECTOR (PSC ACADEMY)

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फणिनाग वंश
 कवर्धा कध फणि नधगवंश ( 11 वीं – 1413 ई. )
 भोरमदे व मंणदर ( 1089 )
 मड़वध महल / दूल्हधदे व मंणदर (1349 )
 छे रकी महल ( णशव मंणदर )
 कवर्धा महल ( 1336 )
 महत्वपिू ा वस्तुणनष्ठ प्रश्नोत्तर
 मुख्य परीक्षध आर्धररत महत्वपि ू ा प्रश्नोत्तर

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कवर्ाा का फणि नागवंश ( 11 वीं – 1413 ई. )

 शधसनकधल - 11 वीं शताब्दी से 1413 ई.


 संस्थधपक - अणहराज
 अंणतम शधसक - मोणनंगदेव
 रधजर्धनी - कवर्ाा
 र्मा - शैव र्मा
 मंणदर - णशव
 साक्ष्य - मड़वा महल अणभलेख
 अर्ीनता - कल्चुरी वंश
 समकालीन - कल्चुरी वंश

फणिनाग वंश के शासक

क्र. शासक क्र. शासक क्र. शासक क्र. शासक


1 अणहरधज 7 नलदे व 13 जनपधल 19 अजुान
2 रधजमल 8 भुवनपधल 14 यशोरधज 20 भीम
3 र्रिीर्र 9 कीणता पधल 15 कन्हर देव 21 लक्ष्मि
4 मणहलदे व 10 मणहपधल 16 लक्ष्मी वमधा 22 रधमचंद्रदेव
5 सपा वंदन 11 णवषयपधल 17 खडंग देव 23 मोणनंगदेव
6 गोपधलदे व 12 जनहू 18 भुवनेकमल्ल

फणिनाग वंश के प्रमुख शासक

प्रमुख शासक णवशेष

 संस्थधपक
अणहरधज
 रधजर्धनी - कवर्ाा

 1089 - भोरमदेव मंणदर कध णनमधा ि करवधयध |


गोपधलदेव
 अर्ीनतध - जाजल्यदेव I ( कल्चुरी वंश )

रधमचंद्रदे व  1349 - मड़वा महल / दूल्हादेव महल व छेरकी महल कध णनमधा ि करवधयध |
 रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी अणबिका देवी से णववधह णकयध |

मोणनंगदेव  1413 - रधयपुर कल्चुरी वंश के शधसक ब्रह्मदेव ने मोणनंगदेव को युद्ध में परधणजत णकयध |

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भोरमदेव मंणदर ( 1089 )


 संस्थधपक - गोपधलदे व ( फणिनधग वंश )
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
 भोरमदेव - गोड़ आणदवधसी दे वतध
 शैली - चंदेल-नधगर शैली
 प्रणतमध - णशव मंणदर ( गभा गहृ में कधले पत्थर से णनणमा त )
 संज्ञा
 छत्तीसगढ़ कध खजुराहो ( चंदेल वंशीय खजुरधहो मंणदर के सदृश्य ) भोरमदेव मंणदर ( 1089 )
 छत्तीसगढ़ कध कोिाका मंणदर
 णवशेष - भारतीय पुराताणववक सवेक्षि णवभाग के प्रथम महाणनदेशक कणनंघम सवा प्रथम भोरमदे व पहंचे |
 संरचना
 मंणदर के मुख पूवा णदशध की ओर है |
 मंणदर में 3 प्रवेश द्वधर है |
 णदर एक 5 फीट ऊँचे चबूतरे पर बनधयध गयध है |
 मण्डप की लम्बधई 60 फीट तथध चौड़धई 40 फीट है |
 मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है |
 गभा गह ृ में काले पवथर से णनणमा त एक णशवणलंग स्थधणपत है |
 मंणदर के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |

मड़वा महल / दूल्हादेव मंणदर (1349 )


 संस्थधपक - रधमचंद्रदे व ( फणिनधग वंश )
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
 शैली - चंदेल-नधगर शैली
 प्रणतमध - णशव मंणदर ( गभा गहृ में कधले पत्थर से णनणमा त )
 संज्ञा - णववधह कध प्रतीक
 णवशेष - रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी
मड़वा महल ( 1349 )
अणबिका देवी से णववधह णकयध |
 संरचना
 मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है |
 गभा गहृ में काले पवथर से णनणमा त एक णशवणलंग स्थधणपत है |
 मंणदर के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |

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छेरकी महल ( णशव मंणदर )


 संस्थधपक - रधमचंद्रदे व ( फणिनधग वंश )
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
 शैली - चंदेल-नधगर शैली
 प्रणतमध - णशव मंणदर ( गभा गहृ में कधले पत्थर से णनणमा त )
 णवशेष - बकरी की सुगंर्

छेरकी महल

कवर्ाा महल ( 1336 )


 स्थधन - कवर्धा
 संस्थधपक - महधरधजध र्रमरधज णसंह
 उपयोग - इटैणलयन मधबा ल व सफ़ेद संगमरमर
 णवशेष
 कवर्धा महल के प्रवेश द्वधर पर हाथी दरवाजा या हाथी गेट है |
 कवर्धा महल के दरबधर के गुम्बद पर सोने व चांदी से नक्कधशी की गई है |
भोरमदेव मंणदर ( 1089 )

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महववपूिा वस्तणु नष्ठ प्रश्नोत्तर


---------------------- कवर्ाा के फणिनाग वंश ----------------------
1. भोरमदेव मंणदर कध णनमधा ि हआ थध :
भोरमदेव मंणदर ( 1089 )
(A) 11 वीं शतधब्दी में (B) 12 वीं शतधब्दी में
(C) 13 वीं शतधब्दी में (D) 14 वीं शतधब्दी में  संस्थधपक - गोपधलदे व ( फणिनधग वंश )
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )
(E) इनमें से कोई नहीं
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
[CGPSC PRE 2005]  भोरमदेव - गोड़ आणदवधसी दे वतध
[CGVyapam SI 2011]  शैली - चंदेल-नधगर शैली
उत्तर (A)  प्रणतमध - णशव मंणदर
 णवशेष - भारतीय पुराताणववक सवेक्षि
भोरमदेव मंणदर ( 1089 ) णवभाग के प्रथम महाणनदेशक कणनंघम सवा प्रथम
भोरमदे व पहंचे |
 संस्थधपक - गोपधलदेव ( फणिनधग वंश )  संज्ञा
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )  छत्तीसगढ़ कध खजुराहो
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक ( चंदेल वंशीय खजुरधहो मंणदर के सदृश्य )
 भोरमदेव - गोड़ आणदवधसी दे वतध  छत्तीसगढ़ कध कोिाका मंणदर
 शैली - चंदेल-नधगर शैली  संरचना
 प्रणतमध - णशव मंणदर  मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है |
 णवशेष - भारतीय पुराताणववक सवेक्षि  गभा गह ृ में काले पवथर से णनणमा त एक
णवभाग के प्रथम महाणनदेशक कणनंघम सवा प्रथम णशवणलंग स्थधणपत है |
भोरमदे व पहंचे |  मंणदर के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र”
 संज्ञा आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |
 छत्तीसगढ़ कध खजुराहो
( चंदेल वंशीय खजुरधहो मंणदर के सदृश्य )
 छत्तीसगढ़ कध कोिाका मंणदर 3. कवर्धा महल णडजधइन और णनणमा त णकयध गयध है :
 संरचना (A) महधरधजध र्रमरधज णसंह द्वधरध
 मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है | (B) गुरु घधसीदधस द्वधरध
 गभा गह ृ में काले पवथर से णनणमा त एक (C) वल्लभधचधया द्वधरध
णशवणलंग स्थधणपत है |
(D) रधजध उणजयधर णसंह द्वधरध
 मंणदर के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र”
आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है | (E) इनमें से कोई नहीं
[CGPSC RDA 2014]
उत्तर (A)
2. भोरमदेव मंणदर कध णनमधा ि हआ :
(A) णछं दकनधग वंश कधल में (B) नल वंश कधल में
कवर्ाा महल ( 1336 )
(C) फणिनधग वंश कधल में (D) कल्चुरी वंश कधल में
(E) इनमें से कोई नहीं  स्थधन - कवर्धा
 संस्थधपक - महाराजा र्रमराज णसंह
[CGPSC CIVIL JUDGE 2003]
 उपयोग - इटैणलयन मधबा ल व
[CGPSC ADPPO 2013] सफ़ेद संगमरमर
उत्तर (C)  णवशेष
 कवर्धा महल के प्रवेश द्वधर पर हाथी दरवाजा
या हाथी गेट है |
 कवर्धा महल के दरबधर के गुम्बद पर
सोने व चांदी से नक्कधशी की गई है |

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4. सूची 1 ( छत्तीसगढ़ के मंणदर ) को सूची 2 ( णनमधा िकतधा 6. फणिनधग वंश के अंणतम शधसक थे :
रधजवंश ) से णमलधइए : (A) अणहरधज दे व (B) गोपधल दे व
(C) रधमचंद्र दे व (D) मोणनंग दे व
सूची 1 सूची 2 (E) इनमें से कोई नहीं
(अ) लक्ष्मि मंणदर णसरपुर 1 फणिनधग वंश [CGVyapam MFA 2012]
उत्तर (D)
(ब) भोरमदे व मंणदर कवर्धा 2 णछं दकनधग वंश
(स) णशव मंणदर बधरसूर 3 बधि वंश फणिनाग वंश
(द) णशव मंणदर पधली 4 पधण्डु वंश  शधसनकधल - 11 वीं शतधब्दी से 1413 ई.
 संस्थधपक - अणहरधज
 अंणतम शधसक - मोणनंगदेव
(A) अ–1,ब–2,स–3,द–4  रधजर्धनी - कवर्धा
(B) अ–2,ब–3,स–4,द–1  र्मा - शैव र्मा
(C) अ–3,ब–4,स–1,द–2  मंणदर - णशव
(D) अ–4,ब–1,स–2,द–3  अर्ीनतध - कल्चुरी वंश
(E) इनमें से कोई नहीं  समकधलीन - कल्चुरी वंश
[CGPSC AP 2009]
उत्तर (D) 7. मड़वध महल के संस्थधपक है :
(A) गोपधल दे व (B) ब्रह्मदेव
लक्ष्मि मंणदर णसरपुर - पधण्डु वंश (C) रधमचंद्र देव (D) मोणनंग देव
भोरमदेव मंणदर कवर्धा - फणिनधग वंश (E) इनमें से कोई नहीं

णशव मंणदर बधरसूर - णछं दकनधग वंश उत्तर (C)


णशव मंणदर पधली - बधि वंश
मड़वा महल / दूल्हादेव मंणदर (1349 )
5. फणिनधग वंश के प्रथम शधसक थे :  संस्थधपक - रधमचंद्रदेव ( फणिनधग वंश )
(A) अणहरधज देव (B) गोपधल दे व  स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा )
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
(C) रधमचंद्र देव (D) मोणनंग दे व
 शैली - चंदेल-नधगर शैली
(E) इनमें से कोई नहीं  प्रणतमध - णशव मंणदर
 संज्ञा - णववधह कध प्रतीक
उत्तर (A)  णवशेष - रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही
कल्चुरी रधजकुमधरी अणबिका देवी से णववधह णकयध
फणिनाग वंश  संरचना
 मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है |
 शधसनकधल - 11 वीं शतधब्दी से 1413 ई.  गभा गह ृ में काले पवथर से णनणमात एक
 संस्थधपक - अणहरधज णशवणलंग स्थधणपत है |
 अंणतम शधसक - मोणनंगदेव  मंणदर के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र”
 रधजर्धनी - कवर्धा आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |
 र्मा - शैव र्मा
 मंणदर - णशव
 अर्ीनतध - कल्चुरी वंश 8. छे रकी महल के संस्थधपक है :
 समकधलीन - कल्चुरी वंश (A) गोपधल दे व (B) ब्रह्मदेव
(C) रधमचंद्र देव (D) मोणनंग देव
(E) इनमें से कोई नहीं

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उत्तर (C) 10. फणिनधग वंश के णकस शधसक को रधयपुर कल्चुरी वंश
के शधसक ब्रह्मदे व ने युद्ध में परधणजत णकयध ?
छेरकी महल ( णशव मंणदर ) (A) गोपधल देव (B) अणहरधज
 संस्थधपक - रधमचंद्रदे व ( फणिनधग वंश ) (C) रधमचंद्र दे व (D) मोणनंग दे व
 स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) (E) इनमें से कोई नहीं
 स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
 शैली - चंदेल-नधगर शैली उत्तर (D)
 प्रणतमध - णशव मंणदर
 णवशेष - बकरी की सुगंर्
1413 - रधयपुर कल्चुरी वंश के शधसक ब्रह्मदेव ने
मोणनंगदेव को युद्ध में परधणजत णकयध |
9. फणिनधग वंश की रधजर्धनी थी :
(A) णसरपुर (B) रतनपुर
(C) कवर्धा (D) मल्हधर
(E) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (C)

फणिनाग वंश
 शधसनकधल - 11 वीं शतधब्दी से 1413 ई.
 संस्थधपक - अणहरधज
 अंणतम शधसक - मोणनंगदेव
 रधजर्धनी - कवर्धा
 र्मा - शैव र्मा
 मंणदर - णशव
 अर्ीनतध - कल्चुरी वंश
 समकधलीन - कल्चुरी वंश

---------------------- ALL THE BEST ----------------------

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ु य परीक्षा आर्ाररत महववपूिा प्रश्नोत्तर


मख्
Question 1. फणिनाग वंश के शासक गोपाल देव की भूणमका पर प्रकाश डाणलए | ( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 )

“छत्तीसगढ़ कध खजुरधहो” तथध “छत्तीसगढ़ कध कोिधका मंणदर” की संज्ञध से सुसणज्जत भोरमदेव मंणदर कध णनमधा ि
1089 में फणिनधग वंश के शधसक गोपधलदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | यह मंणदर नधगरशैली कध एक
उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर गोड़ आणदवधसी दे वतध भोरमदेव को समणपा त है | यह एक णशव मंणदर है | गोपधल देव ने
जाजल्यदेव I ( कल्चुरी वंश ) की अर्ीनतध स्वीकधर णकयध थध |

Question 2. फणिनाग वंश के शासक रामचंद्र देव की भूणमका पर प्रकाश डाणलए | ( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 )

“णववधह कध प्रतीक” तथध “णववधह मण्डप” की संज्ञध से सुसणज्जत मड़वा महल कध णनमधा ि 1349 में फणिनधग वंश के
शधसक रधमचंद्रदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी
अणबिका देवी से णववधह णकयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर भगवधन णशव को
समणपा त है | यह एक रधज्य संरणक्षत स्मधरक है |

Question 3. भोरमदेव मंणदर पर एक लेख णलणखए | ( अंक : 8 , शब्द सीमा : 100 )

“छत्तीसगढ़ कध खजुरधहो” तथध “छत्तीसगढ़ कध कोिधका मंणदर” की संज्ञध से सुसणज्जत भोरमदे व मंणदर कध णनमधा ि
1089 में फणिनधग वंश के शधसक गोपधलदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली
कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर गोड़ आणदवधसी दे वतध भोरमदेव को समणपा त है | यह एक णशव मंणदर है | यह एक
रधज्य संरणक्षत स्मधरक है | भारतीय पुराताणववक सवेक्षि णवभाग के प्रथम महाणनदेशक कणनंघम सवा प्रथम
भोरमदे व पहंचे |

संरचना – मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है | गभा गहृ में काले पवथर से णनणमात एक णशवणलंग स्थधणपत है | मंणदर
के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |

मूल्यांकन – भोरमदे व मंणदर कध प्रधकृ णतक सौंदया के सधथ ही अपनी वधस्तुकलध की पृष्ठभूणम के णलए भी अणद्वतीय है |
यह मंणदर छत्तीसगढ़ की सुंदरतध कध प्रतीक है | इसकध छत्तीसगढ़ पया टन में अतुलनीय योगदधन है | छत्तीसगढ़ रधजस्व
में इसकध महत्वपूिा योगदधन है |

Question 4. मड़वा महल को रे खांणकत कीणजये | ( अंक : 8 , शब्द सीमा : 100 )

“णववधह कध प्रतीक” तथध “णववधह मण्डप” की संज्ञध से सुसणज्जत मड़वा महल कध णनमधा ि 1349 में फणिनधग वंश के
शधसक रधमचंद्रदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी
अणबिका देवी से णववधह णकयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर भगवधन णशव को
समणपा त है | यह एक रधज्य संरणक्षत स्मधरक है | भारतीय पुराताणववक सवेक्षि णवभाग के प्रथम महाणनदेशक
कणनंघम सवा प्रथम भोरमदे व पहं चे |

संरचना –मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है | गभा गहृ में काले पवथर से णनणमात एक णशवणलंग स्थधणपत है | मंणदर
के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |

मूल्यांकन – मड़वा महल कध प्रधकृणतक सौंदया के सधथ ही अपनी वधस्तुकलध की पृष्ठभूणम के णलए भी अणद्वतीय है | यह
मंणदर छत्तीसगढ़ की सुंदरतध कध प्रतीक है | इसकध छत्तीसगढ़ पया टन में अतुलनीय योगदधन है | छत्तीसगढ़ रधजस्व में
इसकध महत्वपूिा योगदधन है |

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