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फणि नागवंश - Team Examdays
फणि नागवंश - Team Examdays
PSC ACADEMY
HISTORY OF CHHATTISGARH
By RAKESH SAO
WWW.PSCACADEMY.IN
RAKESH SAO
CSE (BIT, Durg)
DIRECTOR (PSC ACADEMY)
फणिनाग वंश
कवर्धा कध फणि नधगवंश ( 11 वीं – 1413 ई. )
भोरमदे व मंणदर ( 1089 )
मड़वध महल / दूल्हधदे व मंणदर (1349 )
छे रकी महल ( णशव मंणदर )
कवर्धा महल ( 1336 )
महत्वपिू ा वस्तुणनष्ठ प्रश्नोत्तर
मुख्य परीक्षध आर्धररत महत्वपि ू ा प्रश्नोत्तर
संस्थधपक
अणहरधज
रधजर्धनी - कवर्ाा
रधमचंद्रदे व 1349 - मड़वा महल / दूल्हादेव महल व छेरकी महल कध णनमधा ि करवधयध |
रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी अणबिका देवी से णववधह णकयध |
मोणनंगदेव 1413 - रधयपुर कल्चुरी वंश के शधसक ब्रह्मदेव ने मोणनंगदेव को युद्ध में परधणजत णकयध |
छेरकी महल
4. सूची 1 ( छत्तीसगढ़ के मंणदर ) को सूची 2 ( णनमधा िकतधा 6. फणिनधग वंश के अंणतम शधसक थे :
रधजवंश ) से णमलधइए : (A) अणहरधज दे व (B) गोपधल दे व
(C) रधमचंद्र दे व (D) मोणनंग दे व
सूची 1 सूची 2 (E) इनमें से कोई नहीं
(अ) लक्ष्मि मंणदर णसरपुर 1 फणिनधग वंश [CGVyapam MFA 2012]
उत्तर (D)
(ब) भोरमदे व मंणदर कवर्धा 2 णछं दकनधग वंश
(स) णशव मंणदर बधरसूर 3 बधि वंश फणिनाग वंश
(द) णशव मंणदर पधली 4 पधण्डु वंश शधसनकधल - 11 वीं शतधब्दी से 1413 ई.
संस्थधपक - अणहरधज
अंणतम शधसक - मोणनंगदेव
(A) अ–1,ब–2,स–3,द–4 रधजर्धनी - कवर्धा
(B) अ–2,ब–3,स–4,द–1 र्मा - शैव र्मा
(C) अ–3,ब–4,स–1,द–2 मंणदर - णशव
(D) अ–4,ब–1,स–2,द–3 अर्ीनतध - कल्चुरी वंश
(E) इनमें से कोई नहीं समकधलीन - कल्चुरी वंश
[CGPSC AP 2009]
उत्तर (D) 7. मड़वध महल के संस्थधपक है :
(A) गोपधल दे व (B) ब्रह्मदेव
लक्ष्मि मंणदर णसरपुर - पधण्डु वंश (C) रधमचंद्र देव (D) मोणनंग देव
भोरमदेव मंणदर कवर्धा - फणिनधग वंश (E) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (C) 10. फणिनधग वंश के णकस शधसक को रधयपुर कल्चुरी वंश
के शधसक ब्रह्मदे व ने युद्ध में परधणजत णकयध ?
छेरकी महल ( णशव मंणदर ) (A) गोपधल देव (B) अणहरधज
संस्थधपक - रधमचंद्रदे व ( फणिनधग वंश ) (C) रधमचंद्र दे व (D) मोणनंग दे व
स्थधन - चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) (E) इनमें से कोई नहीं
स्मधरक - रधज्य संरणक्षत स्मधरक
शैली - चंदेल-नधगर शैली उत्तर (D)
प्रणतमध - णशव मंणदर
णवशेष - बकरी की सुगंर्
1413 - रधयपुर कल्चुरी वंश के शधसक ब्रह्मदेव ने
मोणनंगदेव को युद्ध में परधणजत णकयध |
9. फणिनधग वंश की रधजर्धनी थी :
(A) णसरपुर (B) रतनपुर
(C) कवर्धा (D) मल्हधर
(E) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (C)
फणिनाग वंश
शधसनकधल - 11 वीं शतधब्दी से 1413 ई.
संस्थधपक - अणहरधज
अंणतम शधसक - मोणनंगदेव
रधजर्धनी - कवर्धा
र्मा - शैव र्मा
मंणदर - णशव
अर्ीनतध - कल्चुरी वंश
समकधलीन - कल्चुरी वंश
“छत्तीसगढ़ कध खजुरधहो” तथध “छत्तीसगढ़ कध कोिधका मंणदर” की संज्ञध से सुसणज्जत भोरमदेव मंणदर कध णनमधा ि
1089 में फणिनधग वंश के शधसक गोपधलदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | यह मंणदर नधगरशैली कध एक
उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर गोड़ आणदवधसी दे वतध भोरमदेव को समणपा त है | यह एक णशव मंणदर है | गोपधल देव ने
जाजल्यदेव I ( कल्चुरी वंश ) की अर्ीनतध स्वीकधर णकयध थध |
Question 2. फणिनाग वंश के शासक रामचंद्र देव की भूणमका पर प्रकाश डाणलए | ( अंक : 2 , शब्द सीमा : 30 )
“णववधह कध प्रतीक” तथध “णववधह मण्डप” की संज्ञध से सुसणज्जत मड़वा महल कध णनमधा ि 1349 में फणिनधग वंश के
शधसक रधमचंद्रदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी
अणबिका देवी से णववधह णकयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर भगवधन णशव को
समणपा त है | यह एक रधज्य संरणक्षत स्मधरक है |
“छत्तीसगढ़ कध खजुरधहो” तथध “छत्तीसगढ़ कध कोिधका मंणदर” की संज्ञध से सुसणज्जत भोरमदे व मंणदर कध णनमधा ि
1089 में फणिनधग वंश के शधसक गोपधलदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली
कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर गोड़ आणदवधसी दे वतध भोरमदेव को समणपा त है | यह एक णशव मंणदर है | यह एक
रधज्य संरणक्षत स्मधरक है | भारतीय पुराताणववक सवेक्षि णवभाग के प्रथम महाणनदेशक कणनंघम सवा प्रथम
भोरमदे व पहंचे |
संरचना – मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है | गभा गहृ में काले पवथर से णनणमात एक णशवणलंग स्थधणपत है | मंणदर
के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |
मूल्यांकन – भोरमदे व मंणदर कध प्रधकृ णतक सौंदया के सधथ ही अपनी वधस्तुकलध की पृष्ठभूणम के णलए भी अणद्वतीय है |
यह मंणदर छत्तीसगढ़ की सुंदरतध कध प्रतीक है | इसकध छत्तीसगढ़ पया टन में अतुलनीय योगदधन है | छत्तीसगढ़ रधजस्व
में इसकध महत्वपूिा योगदधन है |
“णववधह कध प्रतीक” तथध “णववधह मण्डप” की संज्ञध से सुसणज्जत मड़वा महल कध णनमधा ि 1349 में फणिनधग वंश के
शधसक रधमचंद्रदे व के द्वधरध चौरध ग्रधम ( कवर्धा ) में णकयध गयध | रामचंद्र देव ने मड़वध महल में ही कल्चुरी रधजकुमधरी
अणबिका देवी से णववधह णकयध | यह मंणदर चंदेल-नधगर शैली कध एक उत्कृ ष्ट उदधहरि है | यह मंणदर भगवधन णशव को
समणपा त है | यह एक रधज्य संरणक्षत स्मधरक है | भारतीय पुराताणववक सवेक्षि णवभाग के प्रथम महाणनदेशक
कणनंघम सवा प्रथम भोरमदे व पहं चे |
संरचना –मण्डप को 16 खंभों ने संभधल रखध है | गभा गहृ में काले पवथर से णनणमात एक णशवणलंग स्थधणपत है | मंणदर
के बधहरी दीवधरों में “कामसूत्र” आसन के 54 कामुक मूणतायााँ उत्कीिा है |
मूल्यांकन – मड़वा महल कध प्रधकृणतक सौंदया के सधथ ही अपनी वधस्तुकलध की पृष्ठभूणम के णलए भी अणद्वतीय है | यह
मंणदर छत्तीसगढ़ की सुंदरतध कध प्रतीक है | इसकध छत्तीसगढ़ पया टन में अतुलनीय योगदधन है | छत्तीसगढ़ रधजस्व में
इसकध महत्वपूिा योगदधन है |