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CHHATTISGARH

PSC ACADEMY

CHHATTISGARH
By RAKESH SAO

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RAIPUR - GOL CHOWK , NEAR NIT RAIPUR
BILASPUR - MASJID CHOWK , CONTACT - 9302766733 , 9827112187 Prepared By RAKESH SAO
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2ND Edition 2019


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छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य
 छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य
 जनजातीय लोकनाट्य
 ू ण वस्तुननष्ठ प्रश्नोत्तर
महत्वपर्
 मुख्य परीक्षा आधाररत महत्वपर् ू ण प्रश्नोत्तर

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लोकनाट्य
 नाचा ( छैला नृत्य ) : छत्तीसगढ़ का सवण प्रमुख लोकनाट् य CGVyapam ESC 2017
 रहस ( रहसलीला ) : छत्तीसगढ़ की रासलीला
 गम्मत ( प्रहसन ) : छत्तीसगढ़ का व्यंग्यात्मक नाट् य नवधा

क्र. लोकनाट्य जाति आधार कलाकार तिशेष


दुलारनसंह मंदराजी
पदम श्री गोनवन्द  छत्तीसगढ़ का सिव प्रमुख लोकनाट् य
ननमण लकर  नाचा के भीष्म नपतामह - दल ु ारतसिंह मिंदराजी
हबीब तनवीर  महाराष्ट्र के िमाशा से प्रभानवत
नाचा लोक मनोरं जन रामचंद्र देशमुख  स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो द्वारा की जाती है |
1 दे वार
( छैला नृत्य ) ( हास्य - व्यंग्य ) महानसंह चंद्राकर  नकसी भी अवसर में नकया जाता है |
 नाचा का मंचन खुले स्थानों में नकया जाता है |
निदाबाई मरकाम
 पुरुष प्रधान नाट् य - स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो
नाइकदास द्वारा की जाती है |
झुमुकदास
मदन ननषाद
 रहस की बाबू रे िाराम की पांडुनलनपयााँ प्रचनलत है |
 रहस बेड़ा -रहस का मंचन स्थल
रहस कौशल नसंह  थुन्ह - रहस का प्रतीकात्मक खम्भा है जो रहस
श्रीकृ ष्र् की लीला प्रारं भ करने के पूवण आयोजन स्थल पर गाड़ा जाता है |
2 ( छत्तीसगढ़ की नचतेर नबसेसर नसंह
( हास्य - व्यंग्य )  रासदारी - रहस का नवशेष पात्र जो कथा वाचन
रासलीला ) मंझला महाराज करता है |
 पुरुष प्रधान नाट्य - स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो
द्वारा की जाती है |

 पुरुष प्रधान नाट् य - गम्मत में एक नतण की भी होती है


नजसकी भूनमका भी पुरुष द्वारा की जाती है |
 गम्मि की प्रस्िुति के दो रूप प्रचतलि है :
गम्मि लोक मनोरं जन
3 (1) खड़ी गम्मि - इसमें नतण क खड़े -खड़े
( प्रहसन ) ( हास्य - व्यंग्य )
अनभनय और गायन प्रस्तुत करते है |
(2) रिनपुररया गम्मि - इसमें नतण क बैठकर अनभनय
और गायन प्रस्तुत करते है |

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नाचा ( छैला नत्ृ य या छैला पाटी )


 संज्ञा - नाचा छत्तीसगढ़ का सवण प्रमुख लोकनाट् य CGVyapam ESC 2017
 आधार - लोक मनोरं जन की प्रमुख नवधा
 अन्य नाम - छैला नृत्य एवं छैला पाटी
 आयोजन - नकसी भी अवसर
 जानत - दे वार जानत
 प्रमुख व्यनि - दाऊ दुलारनसंह मंदराजी ( नाचा के भीष्म नपतामह )
 प्रारं भ - मराठा काल से
 प्रेररत - महाराष्र के तमाशा से प्रेररत
 शैली - हास्य व्यंग
 सहभागी - पुरुष प्रधान नाट् य
- स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो द्वारा की जाती है |
 वाध यन्त्र - नचंकारा , तबला , मंजीरा
 मंचन स्थल - खुला मंचन स्थल

रिेली नाचा पाटी


 छत्तीसगढ़ की प्रथम नाचा पाटी CGPSC MI 2014 / CGVyapam ADEO 2012 / CGPSC ADH 2011
 संस्थापक ु ारतसिंह मिंदराजी ( नाचा के भीष्म नपतामह )
- दाऊ दल

नाचा के प्रमख
ु पात्र

क्र. नाचा के पात्र तििरण


नाचा के कलाकारों की एक मण्डली होती है |
1 जोक्कड़
इसमें जोक्कड़ प्रमुख कलाकार होता है |
नाचा की प्रमुख मनहला पात्र परी नजसका
2 परी
अनभनय पुरुष के द्वारा नकया जाता है |

नाचा का सामान्य तििरण


 नाचा जीवन के अतरं ग पक्षों को सामानजक जीवन में उजागर करने वाली नवधा है |
 नाचा का कायण क्रम रातभर चलता है |
 नाचा में गीत , संगीत और नृत्य का नत्रवेर्ी संगम होता है |
 नाचा की वेशभूषा स्थानीय होती है |

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नाचा के प्रमख
ु कलाकार एििं उनकी नाचा पाटी

क्र. कलाकार तनिास स्थल नाचा पाटी प्रमुख कथा प्रसिंग तिशेष
दाऊ दल
ु ारतसिंह मिंदराजी

रवेली
सास-बहू का झगड़ा
( प्रथम नाचा पाटी )
1 रवेली ग्राम ( दुगण ) दे वरानी-जेठानी का नववाद संवाद नाचा के भीष्म नपतामह

CGPSC MI 2014

हबीब िनिीर
चरर्दास चोर
नहन्दुस्तान नथयेटर
आगरा का बाज़ार
नया नथयेटर
2 रायपुर माटी के गाड़ी
बहादुर कलाररन
CGPSC MI 2010
लाला शोहरत राय

रामचिंद्र देशमुख

ै ी गोंदा
चंदन पनत-पत्नी का झगड़ा एवं प्रेम
3 बघेला ग्राम ( दुगण )
छ.ग. देहाती कलामंच सौतों के झगड़े

महातसिंह चिंद्राकर

4 दुगण सोनहा नवहान ननद-भौजाई की छे ड़छाड़ लोककला के पुजारी

ममिा चिंद्राकर

5 दुगण नचन्हारी प्रेम-प्रेनमकाओं के प्रसंग महानसंह चंद्राकर की पुत्री

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नाइकदास

रायपुर मटेवा सौतेली मााँ और बाप बेटे के प्रसंग


झुमुकदास

पदम श्री गोतिन्द तनमवलकर

मोहारा ग्राम
8 पदम श्री से सम्माननत
( राजनांदगांव )

मदन तनषाद

9 रायपुर

तिदाबाई मरकाम

बनधयाटोला नाचा की पहली मनहला


10
( डोंगरगढ़ ) कलाकार

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रहस ( रहसलीला / छत्तीसगढ़ की रासलीला )


 संज्ञा - छत्तीसगढ़ की रासलीला
- छत्तीसगढ़ का सांस्कृ नतक परम्परा का प्रतीक CGVyapam LOI 2015
 आधार - श्रीकृष्ट्ण ि राधा की मनोहारी रासलीला पर आधाररत लोकनाट् य
 जानत - तचिेर जानत
 प्रचलन - रहस की बाबू रे िाराम की पांडुनलनपयााँ का प्रचनलत है |
 प्रारं भ - हैहयवंशी कलचुरी काल से
 प्रेररत - उत्तरप्रदे श के रासलीला से प्रेररत CGVyapam AMIN 2017
 शैली - हास्य व्यंग
 सहभागी - पुरुष प्रधान नाट् य
- स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो द्वारा की जाती है |
 वाध यन्त्र - नचंकारा , तबला , मंजीरा
 मंचन स्थल - खुला मंचन स्थल
 प्रचलन स्थल - नबलासपुर

रहस का मिंचन

क्र. मिंचन तििरण


1 रहस बेड़ा रहस का मंचन स्थल
रहस का प्रतीकात्मक खम्भा है जो रहस प्रारं भ करने के
2 थुन्ह
पूवण आयोजन स्थल पर गाड़ा जाता है |
मानि आकार
3 पौरानर्क चररत्र की मानव आकार की प्रनतमा CGPSC Horti. Cul. 2015
की प्रतिमा
रासलीला श्रीमदभागवत में वनर्ण त राधा-कृष्र् की मनोहारी
4 श्रीमदभागिि
रासलीला कथा के गान का रूप है |

रहस के प्रमख
ु पात्र

क्र. रहस के पात्र तििरण


1 रासदारी रहस का नवशेष पात्र जो कथा वाचन करता है |
2 तिदूषक रहस का हास्य अनभनेता

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रहस के प्रमख
ु कलाकार

क्र. कलाकार

1 कौशल नसंह

2 नबसेसर नसंह

3 मंझला महाराज

गम्मि ( प्रहसन )
 संज्ञा - गम्मत छत्तीसगढ़ का व्यिंग्यात्मक नाट् य तिधा
- लोक चेतना के जागरर् का एक कलात्मक उपक्रम
 आधार - लोक मनोरं जन
 अतलतखि कथा - गम्मत में प्रस्तुत कथा अनलनखत होती है |
 स्वत: स्िू तण संवाद - गम्मत में कोई पूवण अभ्यास नहीं नकया जाता है | पात्रों के संवाद स्वत: स्िू तण होते है |
 शैली - हास्य व्यंग
- इसमें हास्य-व्यंग्य की शैली में सामनजक बुराईयों तथा पाखंडो पर प्रहार नकया जाता है |
 सहभागी - पुरुष प्रधान नाट् य
- स्त्री के पात्रो की भूनमका पुरुषो द्वारा की जाती है |
 वाध यन्त्र - नचंकारा , तबला , मंजीरा
 प्रचलन स्थल - रतनपुर
 गम्मि की प्रस्िुति के दो रूप प्रचतलि है :
(1) खड़ी गम्मि - इसमें नतण क खड़े -खड़े अनभनय और गायन प्रस्तुत करते है |
(2) रिनपुररया गम्मि - इसमें नतण क बैठकर अनभनय और गायन प्रस्तुत करते है |

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जनजािीय लोकनाट्य
जनजािीय
क्र. जनजाति शैली तििरण
लोकनाट्य
 गौर का नशकार नृत्य CGPSC AP ENGG. 2015
1 गौरा ( माओपाटा ) मुनड़या नशकार नाट् य
 सहभागी - मनहला + पुरुष
भतरा नाट
2 भतरा युद्ध प्रधान पुरुष प्रधान नाट् य
( उनड़या नाट् य )
3 रहस धनवार हास्य – व्यंग छत्तीसगढ़ की रासलीला
4 दनहकांदो बस्तर अंचल नपरानमड शैली कृष्र् जन्माष्टमी के अवसर पर
खम्भ – स्वांग
5 कोरकू मेघनाथ की पूजा आयोजन - कवांर नवरात्र से दे व प्रबोधनी एकादशी तक
( मेघनाथ खम्भ )
6 झेरी स्वांग कोरकू
7 पारदी स्वांग कोरकू

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ु य परीक्षा आधाररि महत्िपूणव प्रश्नोत्तर


मख्
Question 1. छत्तीसगढ़ में नाचा में लोक सिंस्कृति का िणवन कीतजये | ( अिंक : 8 , शब्द सीमा : 100 )
[CGPSC MAINS 2015]

“छत्तीसगढ़ का सवण प्रमुख लोकनाट् य” की संज्ञा से सुसनजजत नाचा छत्तीसगढ़ में लोक मनोरं जन की प्रमुख नवधा है |
इसे छैला नृत्य एवं छैला पाटी के नाम से भी जाना जाता है | यह देवार जानत का एक प्रमुख लोकनाट् य है | यह महाराष्र
के तमाशा से प्रेररत है | इसकी शैली हास्य व्यंग पर आधाररत है | यह एक पुरुष प्रधान नाट् य कला है | इसमें स्त्री के पात्रो
की भूनमका पुरुषो द्वारा की जाती है | इसमें प्रमुख वाद्ययंत्र नचंकारा , तबला व मंजीरा है | इसका प्रस्तुतीकरर् खुला
मंचन स्थल में नकया जाता है | इसके प्रमुख पात्र जोककड़ व परी होते है |

दाऊ दुलारनसंह मंदराजी को नाचा के भीष्म नपतामह के संज्ञा से सुसनजजत नकया जाता है | इन्होनें छत्तीसगढ़ की पहली
नाचा पाटी ‘रवेली’ की स्थापना नकया | नाचा का प्रारं भ छत्तीसगढ़ में मराठा काल से हु आ | नाचा के प्रमुख कलाकार व
उनके नाचा पाटी क्रमश: हबीब तनवीर ( नहन्दुस्तान नथयेटर , नया नथयेटर ) , रामचंद्र देशमुख ( चंदन ै ी गोंदा , छ.ग.
दे हाती कलामंच ) , महानसंह चंद्राकर ( सोनहा नवहान ) , ममता चंद्राकर ( नचन्हारी ) है | निदाबाई मरकाम नाचा की
पहली मनहला कलाकार है |

मूलयािंकन – नाचा छत्तीसगढ़ राजय में आयोनजत होने वाले पारं पररक लोकनाट् य में महत्वपूर्ण है | यह छत्तीसगढ़ की
सांस्कृ नतक लोककला का उत्कृष्ट उदाहरर् है | यह नवश्वसनीय छत्तीसगढ़ का पररचायक है | यह छत्तीसगढ़ की एकता
व अखण्डता का प्रतीक है |

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