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TP न्यू इंडिया समाचार अक्टूबर 16-31.2022
TP न्यू इंडिया समाचार अक्टूबर 16-31.2022
“दीपावली”
दीपावली का पर््व ज््ययोति, पुरुषार््थ और आत््म साक्षात््ककार का पर््व है। अमावस््यया के दिन मनाए जाने
वाले दीपोत््सव पर देें पर््ययावरण रक्षा के संकल््प को मजबूती। पर््ययावरण के लिए ‘रावण’ बने प््ललास््टटिक
कचरा, स््वच््छता और पवित्रता वाले इन पर्वो की भावना के खिलाफ हैैं। आइए जलाएं एक दीपक
प््ललास््टटिक और प्रदूषण मुक््त पर््ययावरण के नाम... कभी सोचा है धातुओं की वस््ततुएं, मूर््तति, सजावट के
सामान कैसे तैयार होते हैैं। भारत के हर कोने मेें कारीगर ढलाई का काम करते हैैं। फिर उस पर रंग रोगन
और कलाकारी करके हम तक पहुंचाते हैैं। चलो इस दीपावली उन््हेें अपने घर मेें सजाते हैैं।
प्रकाशक
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ब्र्ूिो, सूचना भवन, नवितली-र्110003।
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ईमेल- -110003। ईमेल- response-nis@pib.gov.in
response-nis@pib.gov.in आि. एन. आई.आि. नंबएन. आई. नंबि DELHIN/2020/78812
ि DELHIN/2020/78812
संपादक की कलम से...
सादर नमस््ककार।
उत््सव हम सबके जीवन मेें एक नई चेतना को जगाने वाला पर््व होता है। अगले कई हफ््तोों तक देश भर मेें
त््ययोहारोों की रौनक होगी। लेकिन यह त््ययोहार इस बार खास है क््योोंकि कोविड के दुष्पप्रभावोों से करीब-करीब
मुक््त यह पहली दीपावली है। लेकिन इस कोविड की आपदा ने भारत को ऐसा अवसर प्रदान किया कि
आज ‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र ‘लोकल से ग््ललोबल’ मेें बदल गया है। यानी भारत की स््थथिति आज
मजबूत है तो आने वाले समय मेें और भी मजबूत होगी। शिक्षा, कृषि और विनिर््ममाण समेत विभिन्न क्षेत्ररों
मेें निवेश को प्रोत््ससाहन मिलने से लोकल उत््पपादोों को नई पहचान मिल रही है। इसमेें लघु उद्योग हमारी
अर््थव््यवस््थथा के मजबूत स््ततंभ बनकर उभरे हैैं। देश के लघु उद्योगोों के समग्र विकास को बढ़ावा देकर
आत््मनिर््भर भारत का निर््ममाण हो रहा है तो भारतीय उत््पपाद वैश््वविक बाजार की पहली पसंद बन रहे हैैं।
आज सूई से लेकर सेना के उपकरण तक, साइकिल से लेकर बाइक तक, मोबाइल-कार से लेकर ड्रोन
तक, घरेलू उत््पपाद से लेकर मेडिकल डिवाइस तक, कपड़े से लेकर खिलौने तक, सब कुछ है मेड इन
इंडिया। यही वजह है कि आज भारत के उत््पपाद दुनिया के बाजार मेें अपनी धमक बना रहे हैैं। जिन उत््पपादोों
के लिए हम आयात पर निर््भर रहते थे, प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत््मनिर््भर
भारत के आह्वान ने इस धारा को उलट दिया है। अब भारत अपनी आवश््यकताओं की पूर््तति के साथ-साथ
दुनिया के लिए भरोसेमंद उत््पपाद बना उसे निर््ययात कर नित नए कीर््ततिमान बना रहा है।
दुनिया हमेशा से भारत को बाजार समझती रही है, लेकिन बीते कुछ वर्षषों के प्रयासोों ने इस सोच को बदल
दिया है। भारत अब दुनिया का बाजार बनने की बजाय मैन््ययुफैक््चरिंग हब बन दुनिया के बाजार मेें छा रहा
है। त््ययोहारोों के अवसर पर ‘लोकल’ से ‘ग््ललोबल’ यानी वैश््वविक होते भारतीय उत््पपाद हमारे इस अंक की
आवरण कथा बनी है।
हमारे इस अंक मेें भारत मेें परमाणु ऊर््जजा कार््यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा को व््यक््ततित््व के तौर
पर तो राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर भारत जोड़ो के प्रणेता सरदार वल््लभ भाई पटेल को कृतज्ञ राष्टट्र
की ओर से नमन को जगह दी गई है। आम आदमी के सपनोों की उड़ान योजना की सफलता, मन की बात,
कैबिनेट के फैसले, देश मेें 5जी की शुरुआत, बदलते भारत की कहानी और अमृत महोत््सव की कड़ी मेें
महानायकोों की प्रेरक गाथा किस तरह अमृत काल की प्रेरणा बन रही है, उसे भी इस अंक मेें समाहित किया
गया है।
आप अपना सुझाव हमेें response-nis@pib.gov.in पर भेजते रहेें।
आपकी बात...
वर््ष: 3 अंक: 6
पत्राचार और ईमेल के लिए पता: कमरा संख््यया-278, केेंद्रीय संचार ब््ययूरो, सूचना भवन,
द्वितीय तल, नई दिल््लली- 110003। ईमेल- response-nis@pib.gov.in
समाचार सार
इस त््ययोहार, देें
स््वदेशी उपहार
प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार््यक्रम मेें लोगोों से कूनो नेशनल पार््क मेें आए चीतोों के
नामकरण के लिए सुझाव मांगे। वहीीं, 25 सितंबर को पं. दीनदयाल उपाध््ययाय की जयंती के अवसर
पर उनके विचार भी साझा किए। प्रधानमंत्री मोदी ने त््ययोहार के सीजन की शुरुअात से ठीक पहले एक
बार फिर वोकल फॉर लोकल का संकल््प भी दोहराया। उन््होोंने कहा कि बीते वर््ष पूरा देश स््वदेशी को
बढ़ावा देने वाले इस संकल््प से जुड़ गया था। अब एक बार फिर हमेें इस अभियान को और तेज करने
का संकल््प लेना है। उन््होोंने कहा, “इस त््ययोहार जो भी उपहार देें, उनमेें हैैंडलूम, हैैंडीक्राफ््ट या स््वदेशी
उत््पपाद जरूर शामिल होों।” पढ़िए ‘मन की बात’ के संपादित अंश...
परहित सरिस धरम नहीीं भाई: यानि दूसरोों का हित, दूसरोों की सेवा करने के समान कोई और धर््म नहीीं है। ऐसी ही भावना से
लोग आगे आकर टी.बी. से पीड़ित मरीज को गोद ले रहे हैैं, उसके पौष््टटिक आहार का बीड़ा उठा रहे हैैं। जनभागीदारी की इस
शक््तति से वर््ष 2025 तक भारत जरूर टीबी से मुक््त हो जाएगा।
मेडिकल कॉलेज छात्ररों ने लिया गांव को गोद: केेंद्र शासित प्रदेश दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव का ऐसा उदाहरण है
जो मन को छू लेता है। यहां ग्राम दत्तक कार््यक्रम मेें मेडिकल छात्ररों ने 50 गांव को गोद लिया है। ये छात्र, गांव के लोगोों को
जागरूक करने के साथ बीमारी मेें मदद, सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हैैं।
370 से ज््ययादा जगहोों का किया सौौंदर्यीकरण: बेेंगलुरु की एक टीम यूथ फॉर परिवर््तन 8 साल से स््वच््छता और सामुदायिक
गतिविधियोों पर “Stop Complaining, Start Acting” के आदर््श वाक््य के साथ काम कर रही है। शहर भर की 370
से ज््ययादा जगहोों का सौौंदर्यीकरण किया है। मेरठ मेें ‘कबाड़ से जुगाड़’ पहल मेें प््ललास््टटिक व अन््य कचरे को उपयोगी सामग्री
मेें बदलने का अभियान चलाया जा रहा है।
बहुत ज््ययादा कारगर है योग: शारीरिक-मानसिक स््ववास््थ््य के लिए योग बहुत कारगर है। दुनिया इस बात को स््ववीकार कर चुकी
है। सूरत की अन््ववी जन््म से ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। योग सीखने से उनके जीवन मेें अद्भुत बदलाव देखने को मिला।
जीवन के संघर्षषों से तपे व््यक््तति के सामने नहीीं टिक पाती बाधा: आज कई लोग ऐसे हैैं, जो दिव््ययाांगोों के बीच फिटनेस संस््ककृति
को जमीनी स््तर पर बढ़़ावा देने मेें जुटे हैैं | इंडियन साइन लैैंग््ववेज रिसर््च एंड ट्रेनिंग सेेंटर, सात साल मेें 10 हजार से ज््ययादा शब््द
और हावभाव की डिक््शनरी तैयार कर चुका है।
शहीद भगत सिंह के नाम पर चंडीगढ़ एयरपोर््ट का नाम: शहीदोों के स््ममारक, उनके नाम पर स््थथानोों और संस््थथानोों के नाम हमेें
प्रेरणा देते हैैं। अभी कुछ दिन पहले कर््तव््य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर््तति स््थथापना भी ऐसा ही प्रयास है। अब शहीद
भगत सिंह के नाम पर चंडीगढ़ एयरपोर््ट का नाम इसी दिशा मेें एक और प्रयास है।
संयुक््त राष्टट्र ने भारत के एक और प्रयास को दी मान््यता: ‘इंडिया हाइपरटेेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव’ की शुरुआत 2017 मेें की
गई थी। सरकारी स््ववास््थ््य केेंद्ररों पर ब््लड प्रेशर से पीड़ित लाखोों लोगोों का इलाज किया जा रहा है।
करेें चीतोों का नामकरण: MyGov के प््ललेटफार््म की प्रतियोगिता मेें चीतोों को लेकर जो अभियान चला रहे हैैं, उस अभियान
का नाम क््यया होना चाहिए! जो चीते लाए गए हैैं, इनमेें से हर एक को किस नाम से बुलाया जाए! आप ये भी बतायेें, इंसानोों को
जानवरोों के साथ कैसा व््यवहार करना चाहिए। इस कंपीटिशन मेें जरूर भाग लीजिए - क््यया पता इनाम स््वरूप चीते देखने का
पहला अवसर आपको ही मिल जाए।
प्रकृति के शोषक
नहीीं, पोषक हम
प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी की एक विशेषता यह है कि वे अल््पकालीन
नीतियोों पर काम नहीीं करते, बल््ककि दीर््घकालीन योजना और
उनसे पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रखते हैैं। पर््ययावरण संरक्षण
जैसे गंभीर विषय पर उनके विजन मेें भी इसकी झलक साफ
देखी जा सकती है। जहां एक ओर वे देश मेें कृषि को पारंपरिक
और जलवायु के मुताबिक ढलने वाली बनाने पर जोर देते हैैं
तो वहीीं दूसरी ओर वैश््वविक मंचोों पर पर््ययावरण संरक्षण के साथ
जलवायु न््ययाय की बात मजबूती से उठाते हैैं। स््वच््छता अभियान
को लेकर वे गंभीर रहे हैैं तो वहीीं कचरा प्रबंधन के जरिए
पर््ययावरण को नुकसान से बचाने पर भी उनका बराबर जोर रहा
है। एक ओर वे औद्योगिक क््राांति 4.0 पर अपना विजन सामने
रखते हैैं तो दूसरी ओर पर््ययावरण अनुकूल जीवन शैली के मंत्र
के साथ भारत की परंपरा और विरासत का जिक्र करना वे नहीीं
भूलते। 23 सितंबर को गुजरात मेें आयोजित राज््योों के पर््ययावरण
मंत्रियोों के सम््ममेलन मेें एक बार फिर उन््होोंने पर््ययावरण के साथ
विकास पर अपनी विचारधारा को किया साझा...
लिए भारत आज दुनिया को नेतत्ृ ्व दे रहा है। अपने कमिटमेेंट को
पूरा करने के भारत के ट्रैक रिकॉर््ड के कारण ही दुनिया आज भारत
के साथ जुड़ रही है।
पर््यवया रण संरक्षण के प्रति बीते 8 वर््ष मेें भारत के नजरिये के
आ
इन््हीीं बदलावोों का जिक्र प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने गुजरात के एकता
ज का नया भारत, नई सोच, नई अप्रोच के साथ नगर मेें आयोजित राज््योों के पर््यवया रण मंत्रियोों के सम््ममेलन का
आगे बढ़ रहा है। आज भारत तेजी से विकसित उद््घघाटन करते हुए किया। उन््होोंने कहा, “भारत के लोग कभी
होती इकॉनमी भी है, और निरंतर अपनी इकोलॉजी प्रकृति के शोषक नहीीं बल््ककि पोषक रहे हैैं। भारत ने साल 2070
को भी मजबूत कर रहा है। हमारे वन आवरण क्षेत्र मेें वृद्धि हुई है तक नेट जीरो का टारगेट रखा है। अब देश का फोकस ग्रीन
और वेटलैैंड का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है। हमने दुनिया को ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब््स पर है और इन सभी लक्षष्ययों की प्राप््तति के
दिखाया कि नवीकरणीय ऊर््जजा के मामले मेें हमारी स््पपीड और लिए, हर राज््य के पर््यवया रण मंत्रालय की भूमिका बहुत बड़ी है।”
हमारी स््ककेल तक शायद ही कोई पहुच ं सकता है। इंटरनेशनल प्रधानमंत्री मोदी ने आशा व््यक््त की, “हम एक ऐसे समय मेें मिल
सोलर अलायंस, सीडीआरआई (Coalition for Disaster रहे हैैं जब भारत अगले 25 वर्षषों के अमृतकाल के लिए नए लक्षष्य
Resilient Infrastructure) या फिर लाइफ(Lifestyle तय कर रहा है। मुझे विश््ववास है, आपके प्रयासोों से पर््यवया रण की
for environment) मूवमेेंट ...बड़़ी चुनौतियोों से निपटने के रक्षा मेें भी मदद मिलेगी और भारत का विकास भी उतनी ही तेज
21.17%
n पंचायतोों, स््थथानीय निकायोों, एमएसएमई को हर स््तर पर जागरूक
करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध््यम से हमेें युवाओं को कुल वन आवरण
7,13,789
अपने इकोसिस््टम के संरक्षण के महत््व के बारे मेें जागरूक
बनाने की आवश््यकता है।
वर््ग किलोमीटर हिस््ससा है देश के कुल
n परिवेश पोर््टल, पर््ययावरण से जुड़े सभी तरह के क््ललीयरेेंस के लिए
भौगोलिक क्षेत्र का।
सिंगल विंडो है जिसमेें पारदर््शशिता के साथ 8 साल पहले तक जिस बढ़ोतरी 2019 से
क््ललीयरेेंस मेें 600 से ज््ययादा दिन लग जाते थे, वहीीं आज 75 दिन मेें
मिल रहा है। 1,540 एक दशक की बात करेें तो देश
के वन आवरण मेें 21,762 वर््ग
वर््ग किलोमीटर किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
n ईज-ऑफ-लिविंग पहल को लागू करते हुए हमेें पर््ययावरण सरकार नगर वन योजना चला रही है जिसमेें 2020-2021 से
संरक्षण पर ध््ययान देना चाहिए। पर््ययावरण की रक्षा मेें हमेें तकनीक 2024-2025 की अवधि के दौरान देश मेें 400 नगर वन और
का इस््ततेमाल ज््ययादा से ज््ययादा बढ़ाना चाहिए। 200 नगर वाटिका विकसित करने का लक्षष्य रखा गया है।
n जंगलोों की स््थथिति का अध््ययन, स््पपेस तकनीक से मॉनिटरिंग
करके कर सकते हैैं। जंगलोों मेें आग के मामलोों मेें बेशक भारत
की हिस््ससेदारी नगण््य है। लेकिन हमेें जागरूक होना होगा, फायर
फाइटिंग का मैकेनिज््म मजबूत करना होगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि
n आज भारत तेजी से विकसित होती इकोनॉमी भी है और इकोलॉजी को बेवजह पर््ययावरण का नाम लेकर ईज
भी मजबूत कर रहा है। हमारा वन कवर, वेडलैैंड तेजी से बढ़ रहा है। ऑफ लीविंग और ईज ऑफ डूइंग
n रिन््ययुअल एनर्जी के मामले मेें हमारी स््पपीड और हमारा स््ककेल बिजनेस के रास््तते मेें कोई बाधा न खड़़ी
सर््वश्रेष््ठ है, शायद ही कोई इसको मैच करे। इंटरनेशनल सोलर
अलायंस हो या फिर लाइफ मूवमेेंट बड़ी चुनौतियोों से निपटने के
करे। -नरेेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
लिए भारत आज दुनिया को नेतृत््व दे रहा है।
स््तर को सुधारने का प्रयास सफल नहीीं हो सकता। लेकिन अर््बन नक््सल उसको माथे पर लेकर के नाचते रहते हैैं और हमारे
हमने देखा है कि एनवायरमेेंटल क््ललीयरेेंस के नाम पर देश मेें यहां रुकावट आ जाती है। चीजेें अटक जाती हैैं। हमेें ऐसे विषयोों
आधुनिक इंफ्रास्टट्रक््चर के निर््ममाण को कैसे उलझाया जाता था। मेें समग्र सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमारा प्रयास होना
भारत मे विकास को रोकने के लिए कई ग््ललोबल इंस््टटिट्यूशन, कई चाहिए कि बेवजह पर््यवया रण का नाम लेकर ईज ऑफ लीविंग और
फाउंडेशसं भी विषय पकड़ कर तूफान खड़़ा कर देते हैैं। ये हमारे ईज ऑफ डूइगं बिजनेस के रास््तते मेें कोई बाधा ना खड़़ी करे।” n
गुजरात विकास को
नई रफ््ततार
“जब विश््ववास बढ़ता है तो प्रयास बढ़ता है और
सबका प्रयास से राष्टट्र के विकास की गति तेज
होती है।” अपने इसी मंत्र के साथ प्रधानमंत्री
नरेेंद्र मोदी गुजरात के विकास को देश के विकास
से जोड़कर आगे बढ़ा रहे हैैं। वे गुजरात दौरे पर
जब भी जाते हैैं सौगातेें देते हैैं। इस बार 29-30
सितंबर को अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे पर
उन््होोंने सूरत, भावनगर, अहमदाबाद और अंबाजी
मेें करीब 29 हजार करोड़ रुपये की विकास
परियोजनाओं का लोकार््पण और शिलान््ययास
किया। विकास परियोजनाओं मेें अहमदाबाद
मेट्रो की शुरुआत के साथ ही गांधीनगर-मुंबई
वंदे भारत ट्रेन यानी विकास के साथ गुजरात
को तेज रफ््ततार का उपहार भी शामिल है। यही
नहीीं, प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार गुजरात मेें
आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय खेलोों का उद््घघाटन
कर इस राज््य को खेलोों की दुनिया से जोड़ने की
स्नेह भरी शुरुआत भी की...
ी बार राष्ट्रीय
पीएमखेलोबोले
ों का-आयोजन,
जुड़ेगा
जीतेगा इंडियाइंडिया, जीतेगा इंडिया
गुजरात मेें तत््ककालीन मुख््यमंत्री रहते हुए 12 साल
पहले प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने गुजरात के युवाओं
को विशिष््ट सुविधाएं उपलब््ध कराने, स््पपोर््ट््स इको
सिस््टम का हिस््ससा बनाने और भारत का स््पपोर््टििंग
पॉवर हाउस बनाने के लिए 2010 मेें खेल महाकुंभ
शुरू किया जो 2014 मेें खेलो इंडिया अभियान बना।
गुजरात को इसी मजबूत खेल इको सिस््टम की वजह
से 36वेें राष्ट्रीय खेलोों की पहली बार मेजबानी भी
मिली। विश््व के सबसे बड़े नरेेंद्र मोदी स््टटेडियम मेें
29 सितंबर को आयोजित भव््य रंगारंग कार््यक्रम मेें 98 साल पुराना है राष्ट्रीय खेलोों का इतिहास
प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने इसका शुभारंभ किया। 36वेें n आजादी के पहले इंडियन ओलंपिक के नाम से पहचान रखने वाले राष्ट्रीय
राष्ट्रीय खेलोों का एंथम है- जुड़ेगा इंडिया, जीतेगा खेलोों के 98वेें वर््ष मेें भारत ने प्रवेश किया है। आजादी के पहले 1924
इंडिया और शुभंकर है- सावज…... मेें लाहौर मेें पहले खेलोों का आयोजन किया गया था। 1940 के बाद इसे
प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने इस मौके पर स््वर््णणिम गुजरात राष्ट्रीय खेल का नाम दिया गया। 35वेें राष्ट्रीय खेलोों का आयोजन 2015 मेें
खेल विश््वविद्यालय का भी शुभारंभ किया। तत््ककालीन केरल मेें हुआ था। 36वेें राष्ट्रीय खेलोों की मेजबानी गुजरात को महज 3
मुख््यमंत्री के तौर पर प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने जिस खेल महीने पहले सौौंपी गई थी।
विश््वविद्यालय का सपना देखा था वो वडोदरा मेें आकार n गुजरात मेें पहली बार आयोजित 36वेें राष्ट्रीय खेल मेें 36 राज््योों के करीब
ले चुका है। आधुनिक व उन्नत सुविधाओं से लैस स््वर््णणिम 15 हजार खिलाड़ी, कोच और अधिकारियाें ने 36 प्रकार के खेलोों मेें हिस््ससा
गुजरात विश््वविद्यालय का भव््य और आधुनिक भवन 130 लिया। 36वेें राष्ट्रीय खेलोों का शुभांकर ‘सावज’ को बनाया गया है जिसका
एकड़ मेें फैला है, साथ ही इसे 108 करोड़ रुपये से अधिक अर््थ होता है शावक। कुछ महीने पहले ही गुजरात ने अपनी खेल नीति
के खर््च से तैयार किया गया है। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स््तर की लांच की जिसमेें नई तकनीक को प्रोत््ससाहित किया गया है।
सुविधाएं यहां हैैं। पूरे देश के छात्र इन आधुनिक सुविधाओं
का लाभ उठा पाएंगे जिससे इस क्षेत्र मेें रोजगार के नए-नए
अवसर बनेेंगे। विश््व के सबसे बड़े नरेेंद्र मोदी स््टटेडियम मेें
किसी भी देश की प्रगति, अब दुनिया मेें
एक लाख श्रोताओं के सामने प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने 36वेें
उनके सम््ममान का खेलोों मेें उसकी सफलता से सीधा
राष्ट्रीय खेलोों के शुभारंभ का आह्वान किया। विश््व पटल पर
संबंध होता है। राष्टट्र को नेतृत््व देश का युवा देता है और
भारत के खिलाड़ी जो दमदारी दिखा रहे हैैं, अंतरराष्ट्रीय स््तर
खेल, स््पपोर््ट््स उस युवा की ऊर््जजा का, उसके जीवन
पर मेडल जीत रहे हैैं, उस कार््यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री
निर््ममाण का प्रमुख स्रोत होता है। आज खिलाड़़ियोों को
मोदी ने कहा, 'खेल के मैदान मेें खिलाड़़ियोों की जीत, उनका
ज््ययादा से ज््ययादा संसाधन भी दिए जा रहे हैैं और ज््ययादा
दमदार प्रदर््शन, अन््य क्षेत्ररों मेें देश की जीत का भी रास््तता
से ज््ययादा अवसर भी मिल रहे हैैं। पिछले 8 वर्षषों मेें देश
बनाता है। स््पपोर््ट््स की सॉफ््ट पावर, देश की पहचान को,
का खेल बजट करीब 70 प्रतिशत बढ़़ा है।
देश की छवि को कई गुना ज््ययादा बेहतर बना देती है।' n
-नरेेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
अ
तेज होगा विकास और बढ़ेेंगे रोजगार के अवसर…...
मृतकाल मेें देश की आर््थथिक तरक््ककी मेें और तेजी लाने
और लॉजिस््टटिक््स लागत कम करने के लिए प्रधानमंत्री
नरेेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को राष्ट्रीय लॉजिस््टटिक््स नीति जब देश का एक््सपोर््ट बढ़ता है, देश मेें लॉजिस््टटिक््स
का विज्ञान भवन मेें शुभारंभ किया। यह नीति पीएम गतिशक््तति नेशनल से जुड़़ी मुश््ककिलेें कम होती हैैं, तो उसका बड़़ा लाभ
मास््टर प््ललान की पूरक है। यूं तो ई-संचित के माध््यम से पेपरलेस हमारे छोटे उद्योगोों को और उनमेें काम करने वाले
एक््ससिम व््ययापार प्रक्रिया हो, कस््टम््स मेें फेसलेस असेसमेेंट हो या लोगोों को भी होता है। लॉजिस््टटिक््स सेक््टर की
ई-वे बिल और फास््टटैग का प्रावधान हो, इन सभी ने लॉजिस््टटिक््स मजबूती सामान््य मानवी का जीवन ही आसान नहीीं
सेक््टर की क्षमता को पहले ही बढ़ाया है। अब ये पॉलिसी देशभर मेें बनाएगी बल््ककि श्रम और श्रमिकोों का सम््ममान बढ़़ाने
उत््पपादोों के निर््बबाध आवागमन, स््टटेकहोल््डर के बीच बेहतर समन््वय मेें भी मदद करेगी। -नरेेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
सुनिश््चचित करेगी जिससे विनिर््ममाण मेें प्रतिस््पर््धधा को बढ़ावा मिलेगा।
हैैं। इस पूरी प्रक्रिया पर जो खर््च आता है उसे लाजिस््टटिक््स लागत
किसान की उपज और एमएसएमई के उत््पपादोों को सही कीमत मिल
कहते हैैं।
सकेगी। उपभोक््तताओं तक भी उत््पपादोों की पहुचं सहज और किफायती
यूं तो भारत मेें लॉजिस््टटिक््स लागत को लेकर कोई सरकारी
होगी।
अध््ययन नहीीं किया गया है लेकिन एक प्राइवेट फर््म आर््मस््ट््राांग एंड
लॉजिस््टटिक््स एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी माल,
एसोसिएट ने अपने अध््ययन मेें बताया है कि भारत मेें लॉजिस््टटिक््स
सेवाओं या सूचनाओं को योजनाबद्ध तरीके से उत््पपादन से इस््ततेमालकर््तता
लागत जीडीपी का 13 से 14 प्रतिशत तक है, जो अधिकतर विकसित
तक पहुचं ाया जाता है। लॉजिस््टटिक््स के पूरे इको सिस््टम मेें परिवहन,
देशोों की लागत (10% से कम) से अधिक है। लॉजिस््टटिक््स लागत
वेअरहाउसिंग, इंटर मॉडल ट््राांसफर, सेवाओं, नीति एवं विनियामन
मेें कमी लाने के लिए सरकार ने रेल यातायात, सड़क यातायात,
व््यवस््थथा, कौशल आदि से संबधित ं सभी गतिविधियां शामिल होती
ऑफ लॉजिटिक््स सर््वविसेज पोर््टल (E-LOGS) बनाया गया है। इसके द्वारा इंटर
मिनिस्ट्रियल सर््वविसेस ग्रुप इन मुद्ददों का तेजी से हल निकालेगा। हो पाती है और प्रगति की संभावनाएं बनती हैैं। नेशनल
n निगरानी के लिए पीएम गतिशक््तति के अधिकारप्राप््त सचिवोों के समूह का लॉजिस््टटिक््स पॉलिसी भी अचानक ऐसे ही लांच नहीीं की
उपयोग किया जाएगा। डिजिटल सुधार के लिये अधिकारप्राप््त सचिवोों का गई। इसके पीछे आठ वर्षषों की मेहनत है, नीतिगत बदलाव
“सेवा सुधार समूह” गठित किया जाएगा। चौदह राज््योों ने अपनी-अपनी राज््य हैैं, अहम निर््णय हैैं। अपने लिए कहूं तो मेरा 22 साल का
लॉजिस््टटिक््स नीतियां बना ली हैैं, जो राष्ट्रीय लॉजिस््टटिक््स नीति के अनुरूप हैैं। अनुभव इसमेें जुड़़ा है। लॉजिस््टटिक कनेक््टटिविटी सुधारने
वहीीं, 13 राज््योों मेें इसका मसौदा तैयार हो रहा है। के लिए हमने सागरमाला, भारतमाला जैसी योजनाएं लागू
कीीं। डेडिकेटेड फ्टरे कॉरिडोर पर तेजी लाने का प्रयास
लॉजिस््टटिक््स लागत मेें कमी, निर््ययात मेें बढ़ोतरी होगी किया। पोर््ट की क्षमता बढ़ी, जलमार््ग से लागत प्रभावी
पीएम गतिशक््तति मास््टर प््ललान के साथ राष्ट्रीय लॉजिस््टटिक््स नीति डबल इंजन परिवहन व््यवस््थथा कर पाए, नए जलमार््ग बनाए जा रहे
का काम करेगी। केेंद्र व राज््य सरकार की सभी इकाईयोों के इंफ्रास्टट्रक््चर हैैं। निर््यतया मेें मदद के लिए 40 एयर कार्गो टर््ममिनल बनाए
प्रोजेक््ट के करीब 1500 लेयर््स मेें डेटा बैैंक पीएम गतिशक््तति पोर््टल पर आ रहे
हैैं और 30 एयरपोर््ट पर कोल््ड स््टटोरेज की सुविधा देने के
हैैं। विकसित भारत बनने की दिशा मेें राष्ट्रीय लॉजिस््टटिक््स बड़ा कदम है जो
परिवहन क्षेत्र की चुनौतियोों का समाधान देने वाली साबित होगी। लॉजिस््टटिक््स साथ देशभर मेें 35 मल््टटी मॉडल लॉजिस््टटिक््स हब बनाए
लागत मेें कमी आएगी जिससे निर््ययात मेें करीब 5 से 8 फीसदी तक वृद्धि होगी। जा रहे हैैं। आज देश के करीब-करीब 60 एयरपोर््ट््स से
कृषि उड़़ान की सुविधा उपलब््ध है। n
वैश््वविक बाजार की
पहली पसंद बन रहे
भारतीय उत््पपाद
लोकल खरीद रहा भारत I ग््ललोबल बन गए उत््पपाद।
दुनिया हमेशा से भारत को बाजार समझती रही है, लेकिन बीते कुछ वर्षषों के प्रयासोों ने इस
अवधारणा को बदल दिया है। जिन भारतीय उत््पपादोों के लिए पहले कभी कहा जाता था-
‘भारत क््योों?’ बदलते भारत से अब विश््व की भी धारणा बनी है- ‘भारत क््योों नहीीं?’
लेकिन भारत ने केवल दुनिया की यही सोच नहीीं बदली, बल््ककि ‘इम््पपोर्टेड’ मांगने वाले
भारतीय भी ‘वोकल फॉर लोकल’ से प्रेरणा लेकर अब ‘मेड इन इंडिया’ का टैग देखना
नहीीं भूलते। इन बदलावोों का परिणाम है कि भारत अब दुनिया का बाजार बनने की बजाय
‘आत््मनिर््भरता’ के मंत्र के साथ मैन््ययुफैक््चरिंग हब बनकर दुनिया के बाजार मेें छा रहा
है और स््थथानीय भारतीय उत््पपाद बन रहे हैैं पहली पसंद…, साथ ही दुनिया को दिया है स््पष््ट
संदेश- “भारत की कहानी आज मजबूत है, कल और भी मजबूत होगी”
100
18.14
1970-71
1980-81
1990-91
2000-01
2010-11
2020-21
लाख करोड़
करोड़ रुपये
राह पर अटल है। इसी का नतीजा है कि त््ययोहार के चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत््पपादक
इस मौसम मेें लोगोों का रुझान देश मेें बनी वस््ततुओं n विश््व मेें भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत््पपादक है। किसान
की ओर बढ़ रहा है। निरंतर देश मेें निर््ममित वस््ततुओं कल््ययाण से जुड़ी सरकार की नीतियोों और उन्नत किस््म के बीज
के निर््ययात की तस््ववीर बदल रही है। भारत आज न की उपलब््धता के कारण 2021-2022 मेें करीब 1303 लाख टन
सिर््फ अपनी जरूरतेें पूरी करने मेें सक्षम हो रहा चावल का उत््पपादन हुआ।
है, बल््ककि दुनिया को सहयोग करने के मामले मेें
भारत की छवि रामायण मेें वर््णणित हनुमान की तरह
बनी है जो संकटमोचन के रूप मेें दुनिया को हर
रसायन का निर््ययात 106% बढ़ा
n रसायन और संबद्ध उत््पपादोों के मामले मेें भारत विश््व का छठा
समस््यया का समाधान देने को तत््पर है। इसमेें भारत
और एशिया का तीसरा सबसे बड़ा उत््पपादक है। भारतीय रसायन
की युवा क्षमता बेहद महत््वपूर््ण है क््योोंकि भारत की
का निर््ययात 2013-14 के मुकाबले 2021-22 मेें 106% बढ़ा है। 2021-
65 प्रतिशत आबादी 35 वर््ष से कम की है। भारत 22 मेें भारत ने 4,98,691 करोड़ रुपये के रसायन और संबद्ध
की आबादी ही उसकी संपदा है। इसी संपदा की उत््पपादोों का निर््ययात किया है।
वजह से भारत विज्ञान-तकनीक के अनोखे संगम
से हर क्षेत्र मेें नित नए प्रयोग कर रहा है।
लोकल से ग््ललोबल बन
9 गुना बढ़ा रत्न-आभूषणोों का निर््ययात
n भारत हीरे और चांदी के आभूषणोों के निर््ययात मेें पहले नंबर पर
गए स््वदेशी उत््पपाद है। वर््ष 2021-22 मेें 2,91,481 करोड़ रुपये के रत्न-आभूषणोों
भारत संकट को किस तरह से अवसर मेें बदलता का निर््ययात हुआ जबकि 2000-01 मेें निर््ययात का आंकड़ा 33,734
है, इसका उदाहरण कोरोना काल मेें दुनिया के 150 करोड़ रुपये का था।
से ज््ययादा देशोों को दवाई उपलब््ध कराने के अलावा
पीपीई किट, एन-95 मास््क का उत््पपादन है। जहां
भारत पहले किट और मास््क नहीीं के बराबर बनाता घरेलू हवाई यातायात मेें
था, अब वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर््ययातक
देश बन गया है। केेंद्रीय वाणिज््य और उद्योग मंत्री 67फीसदी की वृद्धि
पीयूष गोयल कहते हैैं, “आत््मनिर््भर भारत और जनवरी-अगस््त 2021 मेें 4.6 करोड़ यात्री,
वोकल फॉर लोकल भविष््य के लिए स््ववाभाविक जनवरी-अगस््त 2022 मेें 7.7 करोड़ यात्री।
पहल है। भारत ऐसी अर््थव््यवस््थथा का निर््ममाण कर
रहा है जहां गुणवत्तापूर््ण उत््पपाद बड़े पैमाने पर बनेेंगे
ताकि देश अधिक से अधिक आत््मनिर््भर हो सके।
पहले हम पीपीई किट, मास््क बहुत कम मात्रा मेें रक्षा क्षेत्र: निर््ययात मेें रिकॉर््ड
बनाते थे, लेकिन अब उसका निर््ययात करने लगे n 2014-15 मेें 1940 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 मेें 13,000
हैैं।” करोड़ रुपये हुआ यानी 570 प्रतिशत की वृद्धि (अमेरिका,
भारत ने इस विपरीत दौर मेें भी किस तरह से फिलीपीींस, दक्षिण पूर््व-एशिया, मध््य पूर््व और अफ्रीका के
वोकल फॉर लोकल के मंत्र से स््वदेशी उत््पपादोों को देशोों मेें निर््ययात)
ग््ललोबल बनाया, इसकी कहानी आंकड़ोों से जाहिर
होती है। कृषि क्षेत्र के निर््ययात मेें अद्भुत प्रगति n मेक इन इंडिया को बढ़ावा, 2 रक्षा गलियारे बनाए जा रहे
हुई है तो पहली बार ऐसा हुआ है कि रक्षा क्षेत्र हैैं। स््टटार््टअप को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन फॉर डिफेेंस
मेें हथियारोों के लिए दूसरे देशोों पर निर््भर भारत एक््ससीलेेंस (iDEX) लांच किया गया। 300 से अधिक प्रकार
अब हथियार निर््ययातकोों के शीर््ष 25 देशोों मेें शुमार के उपकरणोों के आयात पर प्रतिबंध।
हो गया है। भारत दुनिया के 100 से ज््ययादा देशोों
257%
पड़ा है और त््ययोहार के इस मौसम मेें इसकी झलक
दिखने लगी है। उस पैकेज का लक्षष्य खास तौर से
कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु-मंझोले उद्योग यानी
एमएसएमई पर था जो करोड़ों लोगोों की आजीविका की बढ़ोतरी हुई
का साधन भी है और भारतीय अर््थव््यवस््थथा की रीढ़ आठ साल मेें।
भी। ये आर््थथिक पैकेज देश के उस श्रमिकोों, किसानोों
को ध््ययान मेें रखकर बनाया गया था जो हर मौसम
मेें देशवासियोों के लिए दिन रात परिश्रम करते हैैं।
निर््ययात उत््पपादन
भारत के आर््थथिक सामर््थ््य को बुलंदी देने के लिए
संकल््पपित उद्योग जगत को जो राह मिली, उसी का
194 692
करोड़ रुपये करोड़ रुपये
2013-14 मेें
28,378 मीट्रिक
नतीजा है कि भारत मेें निवेश बढ़ रहा है। अप्रैल-जुलाई अप्रैल-जुलाई टन था जो 2022-23
2013-14। 2022-23। मेें 74,413 मीट्रिक
एमएसएमई सेक््टर राष्टट्र को आत््मनिर््भर बनाने
के संकल््प को नई उड़ान दे रहा है। लघु उद्योग टन हुआ।
भारतीय अर््थव््यवस््थथा के मजबूत स््ततंभ बनकर उभरे
हैैं। देश के लघु उद्योगोों के समग्र विकास को बढ़ावा
मेक इन इंडिया
8 वर््ष पूरे हुए। 2014 से ही भारत को मैन््ययुफैक््चरिंग हब
मोबाइल के आयात
n
तेजी से बढ़ रहा है
विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए कपड़ोों का निर््ययात
भारत को अपना विनिर््ममाण और निर््ययात वस्तत्र उद्योग भारत का सबसे प्राचीन और व््ययापक उद्योग
दोनोों को बढ़़ाना होगा। कोविड के बाद है। रोजगार उपलब््ध कराने मेें कृषि के बाद दूसरा सबसे
उभरी नई आर््थथिक परिस््थथितियोों मेें मेक बड़ा उद्योग है। भारत दुनिया मेें उत््ककृष््ट कोटि के मलमल,
इन इंडिया को स््थथापित करने के लिए कैलिको, छीींट व अन््य प्रकार के गुणवत्ता वाले सूती वस्तत्ररों
देश ने प्रोडक््शन लिंक््ड इंसेेंटिव की भी के उत््पपादन के लिए प्रसिद्ध था। जब अंग्रेज आए तो उन््होोंने
घोषणा की है। इस योजना से जो बदलाव इस उद्योग को बढ़़ावा देने की बजाय कच्चे कपास को
आ रहा है, उसका उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक मैनचेस््टर और लिवरपूल स््थथित अपनी मिलोों मेें निर््ययात कर
देते थे, वहां से तैयार माल बेचने के लिए भारत ले आते थे।
विनिर््ममाण क्षेत्र है। पहले हम लगभग आठ जो मिलेें 1854 से शुरू होकर आजादी तक लगीीं भी, उन
अरब डॉलर के मोबाइल फोन आयात मिलोों को भारत-पाकिस््ततान विभाजन के बाद कच्चे माल की
करते थे। अब आयात तो बहुत ज््ययादा दिक््कत झेलनी पड़ी। फिर देश मेें वस्तत्र उद्योग को धीरे-धीरे
घटा है, आज हम तीन अरब डॉलर के संभाला गया और अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार के
मोबाइल फोन निर््ययात भी कर रहे हैैं। प्रयासोों से 2020-2021 मेें 29.88 अरब डॉलर का निर््ययात
- नरेेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री हुआ था जो 2021-22 मेें बढ़कर 42.35 अरब डॉलर हो
गया है। यह एक वर््ष मेें 42 फीसदी की वृद्धि है। कपड़ा
मैन््ययुफैक््चरिंग को बढ़ावा देने और मूल््य श््रृृंखला को बढ़ावा
देने के लिए 10, 683 करोड़ रुपये के खर््च वाली पीएलआई
हैैं। अगर भारतीय उत््पपादोों के विश््व बाजार मेें छाने योजना को 5 वर््ष के लिए मंजूरी दी है। सरकार वस्तत्र क्षेत्र के
के इन शुरुआती संकेतोों को देखा जाए तो भारत का समग्र विकास के लिए एक नई वस्तत्र नीति बना रही है।
किसान अब सिर््फ देश का ही नहीीं, विश््व का भी पेट
भरने का सामर््थ््य दिखा रहा है। हस््तनिर््ममित कालीन सहित
इतना ही नहीीं, भारतीय उत््पपादोों की विश््व मेें हस््तशिल््प के निर््ययात मेें वृद्धि
शान बढ़ रही है और जीआई टैग से मिल रही है उसे
वैश््वविक पहचान। भारत सरकार के प्रयासोों से देश वर््ष निर््ययात करोड़ रुपये मेें
के अनेक उत््पपादोों को जीआई टैग मिला है। हाल 2019-20 37,070
ही मेें मिथिलांचल के मखाना को ये टैग मिला है 2020-21 39,490
जिससे मिथिला के मखाने को विश््व मेें नई पहचान 2021-22 49,385
मिलेगी और इसकी मांग बढ़ेगी।
‘वोकल फॉर लोकल’ मंत्र के साथ देश को नई भारतीय खिलौनोों की
ऊंचाईयोों पर ले जाने का 130 करोड़ भारतीयोों का मांग नई ऊंचाई पर
संकल््प न सिर््फ स््थथानीय उत््पपाद और बाजार को
बढ़ावा दे रहा है, बल््ककि देश के उत््पपादोों को ग््ललोबल
बना दिया है। आत््मबल और आत््मविश््ववास से भरे
आयात निर््ययात
नौजवानोों ने आत््मनिर््भरता को संभव कर दिखाया 70% की कमी 61% की वृद्धि
है। देश हर क्षेत्र मेें तेजी से आत््मनिर््भरता की 2018-19 मेें 371 2018-19 मेें 202
मिलियन डॉलर का आयात मिलियन डॉलर का
ओर बढ़ रहा है तो आगे बढ़ते भारत की चमक जो 2021-22 मेें घटकर निर््ययात, 2021-22 मेें 326
पूरी दुनिया को रौशन कर रही है। भारत की 110 मिलियन डॉलर हुआ। मिलियन डॉलर का हुआ।
1068.4
मेें पहली बार कॉफी के निर््ययात ने 1 अरब 1200
भारत गेहूं का दूसरा
डॉलर का आंकड़ा पार किया है। सबसे बड़ा उत््पपादक
868.7
1000
वर््ष 2021-22 मेें 1068.4 लाख टन
गेहूं का उत््पपादन हुआ। इस दौरान 70
लाख टन गेहूं का निर््ययात।
696.8
800
551.4
(*आं कड़े लाख टन मेें)
600
363.1
238.3
400
98.5
200
दीर््घकालिक सोच और मजबूत नेतृत््व के फैसलोों
का असर है कि देश का लोकल अब ग््ललोबल बाजार 0 1963-64 1970-71 1980-81 1990-91 2000-01 2010-11 2021-22
मेें धाक जमा रहा है। दरअसल, आत््मनिर््भर भारत
का विचार किसी शासन व््यवस््थथा का या राजनेता
का विचार नहीीं है। आज हिन््ददुस््ततान के हर कोने मेें
वोकल फॉर लोकल गुंजायमान है और लोग हाथ
लगाकर वस््ततुओं मेें लोकल ढूंढ़ते हैैं तो यह आत््म 30 साल मेें 15 गुना बढ़ा
गौरव का प्रतीक है। कहीीं हल््ददी, कहीीं मसाले, कहीीं भारतीय मसालोों का निर््ययात
आम, कहीीं सेब, मखाना या अन््य कृषि उत््पपाद। यूपी भारतीय मसालोों की विदेशोों मेें खूब
का आम, कश््ममीर का केसर, आंध्र प्रदेश की मिर््च, मांग है। 1990-91 मेें 1.03 लाख
तमिलनाडु की हल््ददी फेमस है। लोकल से ग््ललोबल टन मसालोों का निर््ययात हुआ था जो
बन चुके भारतीय उत््पपादोों ने देश की जनता को देश 2020-21 मेें 16.07 लाख टन पहुंच
गया है। यह वृद्धि 15 गुना से ज््ययादा
के बने उत््पपादोों और देश मेें ही निर््ममाण का संदेश है।
दिया है। इसका उद्देश््य देश की अर््थव््यवस््थथा को
मजबूत करना और आत््मनिर््भर बनाना है। इसी तरह पैसे की बात करेें तो
1990-91 मेें 239 करोड़ रुपये
आइए इस त््ययोहार खरीदते हैैं लोकल और के मसालोों का निर््ययात हुआ था जो
भारतीय उत््पपाद की वैश््वविक पहचान को बनाते हैैं 2020-21 मेें बढ़कर 29,529 करोड़
मजबूत। n रुपये पहुंच गया है।
देश के द्वार पर नए
इंडिया मोबाइल कांग्रेस मेें प्रधानमंत्री मोदी ने 5जी
टेक्नोलॉजी के जरिए फिजिकल तौर पर स््ववीडन
मेें मौजूद कार को ऑपरेट किया। 5जी टेक्नोलॉजी
के जरिए यूरोप मेें मौजूद कार के स््टटीयरिंग
इस साल दीपावली से देश के 13 शहरोों मेें 5जी सर््वविस शुरू हो पुणे शामिल है। इन शहरोों के बाद धीरे-धीरे इसका विस््ततार होगा।
जाएगी। इनमेें दिल््लली, मुंबई, अहमदाबाद, बेेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, फिलहाल जियो और एयरटेल सबसे पहले भारत मेें 5जी सर््वविस
गांधीनगर, गुरुग्राम, हैदराबाद, कोलकाता, जामनगर, लखनऊ और लॉन््च कर रही हैैं। n
कोई व््यक््तति भूखा ना सोए, इसके लिए प्रतिबद्ध केेंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल््ययाण अन्न योजना को
अक््टटूबर 2022 से दिसंबर 2022 तक बढ़़ाने की मंजूरी दी है। यह निर््णय आगामी प्रमुख त््ययोहारोों के दौरान
समाज के गरीब और कमजोर वर्गगों के लिए सहायता सुनिश््चचित करेगा। वहीीं, सरकार ने केेंद्रीय कर््मचारियोों
को भी एक बड़़ा तोहफा दिया है। केेंद्रीय मंत्रिमंडल ने केेंद्रीय कर््मचारियोों के महंगाई भत्ते और सेवानिवृत
कर््मचारियोों के महंगाई राहत मेें 4 फीसदी की बढ़़ोतरी पर मुहर लगा दी है। साथ ही, मंत्रिमंडल ने तीन प्रमुख
रेलवे स््टटेशनोों के पुनर््वविकास के भारतीय रेलवे के प्रस््तताव सहित कई अन््य प्रस््ततावोों को भी दी है मंजूरी…...
महंगाई भत्ते बढ़़ाने से देश के 50 लाख कर््मचारियोों और 65 लाख प्रभाव : इस समझौता-ज्ञापन से असम सूखे मौसम के दौरान
पेेंशनधारकोों को फायदा होगा। बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता 1 जुलाई अपनी खपत योग््य आवश््यकता पूरी करने के लिए कुशियारा नदी
2022 से लागू होगा। के साझा विस््ततार से 153 क््ययूसेक तक पानी निकाल सकेगा। सूखे
फैसला : 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से नई दिल््लली, मौसम के दौरान दोनोों देश अपनी-अपनी तरफ से जल निकासी
अहमदाबाद और छत्रपति शिवाजी टर््ममिनस-मुंबई रेल की निगरानी करने के लिए एक संयुक््त निगरानी दल का गठन
स््टटेशनोों के पुनर््वविकास के प्रस््तताव को मंजूरी। करेेंगे।
प्रभाव : इन स््टटेशनोों के विकास से 35,744 नए रोजगार के फैसला : उच्च दक्षता के सौर पीवी मॉड्यूल््स पर राष्ट्रीय
अवसर पैदा होोंगे। दैनिक यात्रियोों को बेहतर अनुभव मिलेगा। कार््यक्रम के लिये 19,500 करोड़ रुपये के व््यय के साथ
परिवहन के अन््य साधनोों जैसे मेट्रो, बस आदि के साथ पीएलआई योजना (दूसरा चरण) के प्रस््तताव को मंजूरी दी।
एकीकरण। साथ ही निवेश और अतिरिक््त कारोबारी अवसर के प्रभाव : इससे प्रत््यक्ष रूप से 1.95 लाख और अप्रत््यक्ष रूप से
माध््यम से स््थथानीय अर््थव््यवस््थथा को मजबूती मिलेगी। देश मेें 7.8 लाख लोगोों को रोजगार मिलेगा और आत््मनिर््भर भारत की
199 रेलवे स््टटेशनोों के पुनर््वविकास का काम चल रहा है। इनमेें से पहल को मजबूती मिलेगी। इससे क्षेत्र मेें प्रत््यक्ष रूप से करीब
47 स््टटेशनोों के लिए टेेंडर जारी कर दिए गए हैैं। बाकी स््टटेशनोों 94,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और करीब 1.37 लाख
के लिए मास््टर प््ललानिंग और डिजाइन का काम चल रहा है। करोड़ रुपये के आयात मेें कमी आने का अनुमान है। इसके अलावा
32 स््टटेशनोों पर तेजी से काम हो रहा है। इन स््टटेशनोों पर ‘रूफ सौर पीवी मॉड्यूल की दक्षता मेें सुधार के लिए अनुसंधान और
प््ललाजा’ बनाया जायेगा। विकास को प्रोत््ससाहन मिलेगा। ईवीए, सोलर ग््ललास, बैकशीट आदि
फैसला : भारत और बांग््ललादेश के बीच उस समझौता-ज्ञापन जैसी शेष सामग्रियोों के लिए उत््पपादन क्षमता का निर््ममाण होगा। इस
को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत भारत और बांग््ललादेश की योजना से उम््ममीद है कि पूर््ण और आंशिक रूप से एकीकृत, सौर
साझी सीमा से होकर गुजरने वाली कुशियारा नदी से प्रत््ययेक पीवी मॉड्यूल की लगभग 65,000 मेगावॉट सालाना उत््पपादन
पक्ष 153 क््ययूसेक तक पानी निकाल सकेगा। क्षमता की स््थथापना की जाएगी। n
योजना का उद्देश््य क्षेत्रीय मार्गगों पर किफायती तथा आर््थथिक रूप के तहत संचालित फ््ललाइट के लिए हवाई अड्डा शुल््क मेें माफी
से व््यवहार््य और लाभदायक उड़ानोों की शुरुआत करना है, ताकि के साथ नि:शुल््क सुरक्षा, बिजली और अग्निशमन सेवाएं भी राज््य
छोटे शहरोों मेें भी आम आदमी के लिए सस््तती उड़ानेें शुरू की जा सरकारोों द्वारा दी जाती हैैं।
सकेें। टियर 2 और टियर 3 के छोटे शहरोों तक हवाई सेवाओं की उड़़ान योजना का देश की अर््थव््यवस््थथा पर सकारात््मक प्रभाव
पहुंच के साथ इस योजना के तहत 500 किमी या 1 घंटे तक की पड़़ा है और उद्योग हितधारकोों विशेषकर एयरलाइंस ऑपरेटरोों
विमान यात्रा या फिर आधे घंटे की हेलिकॉप््टर यात्रा का किराया और राज््य सरकारोों की ओर से भी बहुत ही अच््छछी प्रतिक्रिया देखी
2500 रुपये तय किया गया है। गई है। इस योजना के तहत 350 से अधिक नए हवाई मार््ग अब
चयनित हवाई मार््ग के लिए विमानन कंपनियां बोली लगाती जुड़ने वाले हैैं, 200 पहले से ही जुड़़े हुए हैैं और भौगोलिक रूप से
हैैं, जो सबसे कम सब््ससिडी मांगती है, उस कंपनी को मौका दिया देश की लंबाई और चौड़़ाई मेें व््ययापक रूप से फैले हुए हैैं। इसके
जाता है। चयनित एयरलाइंस कंपनी अपनी हर फ््ललाइट मेें आधी साथ ही ये संतुलित क्षेत्रीय विकास भी सुनिश््चचित करते हैैं जिसके
या कम से कम 9 या फिर अधिकतम 40 सीटेें 2500 रुपये की दर परिणामस््वरूप आर््थथिक विकास होता है और स््थथानीय आबादी को
पर उपलब््ध कराती है। कम किराए की वजह से एयरलाइंस कंपनी रोजगार भी मिलता है। यही कारण है कि उड़ान योजना को हाल ही
को होने वाले घाटे की भरपाई के लिए केेंद्र सरकार वॉयबिलिटी मेें लोक प्रशासन के क्षेत्र मेें उत््ककृष््टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस््ककार
गैप फंडिंग(वीजीएफ) के जरिए क्षतिपूर््तति देती है। उड़ान योजना से सम््ममानित किया गया है। n
(ᴋᴀʀɪsʜɴᴀ ᴊɪ)
राष्टट्र कौशल विकास
आपने आज जो सीखा
है, वो आपके भविष््य का
आधार जरूर बनेगा, लेकिन
आपको भविष््य के हिसाब
से अपने कौशल को अपग्रेड
भी करना पड़़ेगा। बात
जब स््ककिल की होती है, तो
आपका मंत्र होना चाहिए-
‘स््ककिलिंग’, ‘री-स््ककिलिंग’
और ‘अप-स््ककिलिंग’!”
- नरेेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
40 न््ययू इंडि
डिया
या समाचार 16-31 अक््टटूबर 2022
राष्टट्र अमृत महोत््सव
न््ययू इंडि
डिया
या समाचार 16-31 अक््टटूबर 2022 41
राष्टट्र अमृत महोत््सव
42 न््ययू इंडि
डिया
या समाचार 16-31 अक््टटूबर 2022
राष्टट्र अमृत महोत््सव
अपने धुन के पक्के और आजाद भारत का स्वप्न देखने वाले मूलचंद चंदेल ने भारत की आजादी के
लिए अपना सर््वस्व न्यौछावर करने का निर्य्ण ले लिया था। चंदेल जब अहमदाबाद गए तो उन्हहें
वहां साबरमती आश्रम जाने का मौका मिला था।
जब महात््ममा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरु किया तो मूलचंद नहीीं है बल््ककि उसका बच्चचों की तरह संरक्षण होना चाहिए। आजादी
चंदले भी इसमेें शामिल हो गए। इतना ही नहीीं, मूलचंद चंदल े का के अमृत महोत््सव मेें, जयपुर स््थथित कस््ततूरी देवी शैक्षणिक विकास
पर््यवया रण से भी प्रेम अगाध था। यही कारण है कि वे आजीवन एवं सामाजिक शोध संस््थथान ने 2021 मेें साल भर तक मूलचंद
पर््यवया रण के लिए काम करते रहे। बातचीत मेें वे आमतौर पर कहा चंदले की 61वीीं पुण््यतिथि जोर-शोर से आयोजित करने और
करते थे कि जो व््यक््तति आम का पेड़ लगाता है, वह उसका फल इसके लिए एक समिति गठित करने की योजना बनाई थी। अमृत
नहीीं खाता लेकिन इसका अर््थ यह नहीीं है कि वह पेड़ लगाए ही महोत््सव के दौरान संगठन की ओर से अनेक कार्क्र ्य म आयोजित
नहीीं। यही कारण है कि उन््होोंने संकल््प लेकर बस््तती मेें कई पौधे किए गए, जिसमेें पौधारोपण व संगोष््ठठी के कार्क्र ्य म शामिल थे।
लगाए और लगवाएं। वे कहा करते थे कि पौधे लगाना बड़ी बात मूलचंद चंदल े का 24 अक््टटूबर 1960 को निधन हो गया। n
न््ययू इंडि
डिया
या समाचार 16-31 अक््टटूबर 2022 43
राष्टट्र कहानी बदलते भारत की
केेंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रलाय के सचिव अपूर््व चंद्रा कहते हैैं, नेशनल हेल््थ ऑथिरिटी के सीईओ आर एस शर््ममा की उम्र तब 22-
“महाराष्टट्र के अहमदनगर जिले मेें जामखेड तालुका मेें प्रखंड विकास 23 साल रही होगी, जब वे पहली पोस््टटििंग पर गोड्डा गए थे। शर््ममा
अधिकारी (बीडीओ) और तहसीलदार पद पर मेरी पहली पोस््टटििंग हुई ने बताया, “प्रधानमंत्री मोदी निर्देश देते रहते थे कि देख कर आईये
थी। प्रधानमंत्री मोदी ने आह्वान किया था कि अपनी पहली पोस््टटििंग पर अपनी पहली पोस््टटििंग वाले क्षेत्र को।’’ अपनी पहली पोस््टटििंग पर
जाकर देखना चाहिए। उनके आह्वान पर मैैं वहां गया था। 30 वर््ष के इस करीब 35-36 साल के बाद जाने वाले शर््ममा बताते हैैं कि वहां जाकर
अंतराल मेें बहुत फर््क दिखाई दिया। अब हर घर मेें बिजली पहुंच गई है। और लोगोों से मिल कर मुझे बहुत अच््छछा लगा। दूसरी बात देखी कि
पहले पानी की बहुत समस््यया थी, लेकिन अब गांव-गांव मेें पानी है। पानी क््यया परिवर््तन हुआ है। प्रधानमंत्री की इस पहल को वे बहुत महत््वपूर््ण
का स्रोत अच््छछा हो गया है, मतलब नल योजना वहां पर है और हर घर मेें बताते हैैं क््योोंकि इससे एक अच््छछा तुलनात््मक अध््ययन, तस््ववीर
शौचालय है। डिजिटल भुगतान की सुविधा भी सब जगह उपलब््ध हो गई मिलती है। मुझे पूरा विश््ववास है कि हमने या हमारे अन््य साथियोों ने
है तो उसकी सहूलियत भी जनता को हो गई है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क जो रिपोर््ट दी होगी उसका विश््ललेषण करके बहुत कुछ मिला होगा।
योजना के अंतर््गत अब सड़क हर गांव तक पहुंच गई है जो पहले केवल व््यक््ततिगत रूप से मेरे लिए यह बहुत अच््छछा था कि मुझे सब-डिविजन
तालुका तक ही रहती थी।” चंद्रा कहते हैैं कि प्रधानमंत्री ने जो कहा वो को देखने का मौका मिला। राष्ट्रीय स््तर की नीति के दृष््टटिकोण से
बहुत आवश््यक है, क््योोंकि जब हम लोग एक बार दिल््लली आ जाते हैैं या भी उससे काफी महत््वपूर््ण नतीजे निकले होोंगे। हम कमरे मेें बैठ कर
राज््य के मुख््ययालय मेें रहते हैैं तो नीति बनाते हैैं। ऐसे मेें शुरुआत मेें हमने कुछ नीति बनाएं, इसका जब तक बहुत ज््ययादा जड़ से जुड़ाव नहीीं
जो 10 साल क्षेत्र मेें काम किया उससे कटाव हो जाता है, लेकिन नीति होगा,तब तक हम लोग अच््छछी नीति नहीीं बना पाएंगे। तो मुझे लगता
बनाते हुए इस तरह की पहल की बहुत आवश््यकता है, ताकि लोग उसे है कि जड़ के साथ फिर से जुड़ाव बहुत महत््वपूर््ण है।” n
देखेें और फिर नीति का निर््ममाण करेें।