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द्वारा सताक्षी पांडेय, राज्य कर अधिकारी
द्वारा सताक्षी पांडेय, राज्य कर अधिकारी
पुस्तक
सताक्षी पांडय
े ,
समीक्ष
◌ा राज्य कर अ धकारी
द्वारा
सताक्षी पांडय
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राज्य कर अ धकारी
द्वारा
शताक्षी पांडय
े ,
राज्य कर अ धकारी
लेखक प रचय
* जन्म - ३१ दसंबर,१९२५ ,लखनऊ जनपद में
* शवपालगंज को केंद्र बनाकर छोटे छोटे प्रसंगो के ताने बाने से स्वातंत्रयोत्तर भारतीय गांव के
यथाथर्त को उनकी समस्त कुरूपताओं और वडम्बनाओं के साथ मूतरू र्त प दया गया है ।
शीषर्तक की साथर्तकता
पुस्तक का मुख्य वषय शवपालगंज और उस गांव पर छाए हु ए वैधजी और उनकी बैठक है ।
* चत्रात्मकता व बम्बात्मकता
समीक्षा
* कहानी में हास्य है बावजूद इसके यह एक यथाथर्तवादी रचना है ।
* कहानी का केंद्र व्यवस्था में जड़ जमा चुकी अनै तकता है ।
* आदशर्तवाद और यथाथर्तवाद के बीच की खींचतान।
* इस पुस्तक में सम्पूणर्त दे श की प्रशासन व्यवस्था , न्याय व्यवस्था और अथर्तव्यवस्था की पूरी झांकी मल जाती
है ।
* वषयान्तरों में भी अपनी व्यंग्यांत्मक शैली के कारण श्रीलाल शुक्ल एकरूपता बरकरार रखने के कौशल का
प रचय दे ते हैं।
* जीवन के अनेक प्रसंगो और िस्थ तयों की योजनानुसार भाषा प रव तर्तत होती है ।
* हर पात्र की भाषा का निश्चत ढरार्त है । इस दृिष्ट से लेखक की सावधानी सराहनीय है ।
* लेखक के सामािजक ,राजनी तक ,धा मर्तक , सांस्कृ तक , आ थर्तक आ द मानव जीवन के सभी पक्षों की वसंग तयों
को अपने व्यंग्य का आधार बनाया गया है ।
* स्वतंत्रता के पश्चात भारत के ग्रामीण इलाकों तथा अन्य क्षेत्रो में व्याप्त अराजकता का व्यंग्यांत्मक चत्रण।
समालोचना
* म हला पात्रों का उल्लेख नहीं।
* भ्रष्ट व्यवस्था के स्थान पर नई व्यवस्था क्या होगी , इसका सूत्रपात कौन और कैसे करे गा ; इन
बंदओ ु ं का उल्लेख नहीं।
उपसंहार
* कहा जा सकता है की शुक्ल जी ने सामािजक , सांस्कृ तक , धा मर्तक, राज न तक , आ थर्तक आ द
मानव जीवन के सभी पक्षों की वसंग तयों को अपने व्यंग्य का आधार बनाया है ।
* अपने प्रकाशन से ५० वषर्त से भी ज्यादा पूरे हो जाने के पश्चात वतर्तमान में भी इस पुस्तक की
प्रासं गकता बरकरार है । यह लेखक की बहु त बड़ी उप्लि ध है ।
धन्यवाद