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1829157050लोक साहित्य के स्वरुप एवं विशेषताओं के साथ इसके महत्व पर प्रकाश डालें।
1829157050लोक साहित्य के स्वरुप एवं विशेषताओं के साथ इसके महत्व पर प्रकाश डालें।
A (Hons) part-3
UG
लोक साहित्य जनता के कंठों में दे श के सिी राज्यों, िाषाओं और छोटी -छोटी
िोभलयों के रूप में िरा िुआ िै । िारतीय लोक साहित्य जनता के व्यापक जनसमूि
की सिी मौभलक सजणनाओं का पररर्ाम िै । यि केवल लोक काव्य या र्ीतों तक
िी न सीभमत न िोकर जनता के जीवन धमण, संस्कृतत तथा परम्पराओं से िी
जुडा िुआ िै ।लोक साहित्य में काव्य कला संस्कृतत और दशणन सिी कुछ एक साथ
िै । यि शब्द ववतनमय का प्रथम कला पर् ू ण प्रारम्ि िी िै , क्जसके द्वारा यंि -
मंि, जंि -तंि, पिे ली, मि
ु ावरे , लोकोक्ततयों, लोककथाओं, र्ीतों आहद के रूप में
प्रत्येक जातत अपनी जीवन पद्धतत और उसकी प्रर्ाभलयों को आर्े आने वाली
पीढी को सौपती रिी िै । यिी कारर् िै कक इसमें प्राचीन युर् का साहित्य, धमण
दशणन, ववश्वास, संस्कार, कमणकाण्ड तथा काल आहद सिी कुछ एक साथ प्राप्त
िोता िै और इसी के द्वारा ककसी िी दे श, समाज व जातत की सामाक्जक, आधथणक,
सांस्कृततक, राजनीततक, धाभमणक तथा िौद्धधक उन्नतत को समझा जा सकता िै ।
लोक साहित्य के मित्त्व को तनम्नभलखित बिंदओ
ु ं द्वारा स्पष्ट ककया जा रिा िै -
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