You are on page 1of 2

सूर्यकांतत्रिपाठी 'निराला' - हिन्दीकविताके सागरकारूप

सूर्यकांतत्रिपाठी, जिन्हेंसम्मानऔरश्रद्धांजलिके रूपमें 'निराला' कहाजाताहै, हिन्दीसाहित्यके एकअद्वितीयकविथेजिनकासाहित्यिकयोगदानहमारेसामाजिक,


राजनीतिकऔरधार्मिकविचारधाराकोआलोकितकरताहै।

निरालाकाजन्म 21 जून 1885 कोहुआथा, उत्तरप्रदेशके एकछोटेसेगाँवमें।उनकाविचारशीलमन, उदारदृष्टिकोण,


औरकल्पनाशीलतानेउन्हेंहिन्दीसाहित्यमेंएकअद्वितीयस्थानपरपहुँचाया।

निरालाकीकविताएँएकनएसाहित्यिकरोमांचकासृष्टिकरतीहैं, जिसमेंप्रकृ ति, प्रेम, औरभारतीयसमाजके विचारोंकोसुंदरताके साथजोड़ागयाहै।


उनकीकविताएँव्यक्तिगतभावनाओंकोछू नेकाप्रयासकरतीहैं, औरयहभावनाएंआजभीहमेंउनके काव्यके माध्यमसेगहरीअनुभूतिकरनेकाअवसरप्रदानकरतीहैं।

निरालाकाकाव्यरोमांटिकऔरभावनात्मकहोनेके साथ-साथ, भाषाकाजादूगरभीथा।उनकीरचनाएँछाया, सौंदर्य, औरसततविचारशीलताके साथभरीहोतीहैं।


'आत्मजीवनी', 'रमणी', और 'आँधी-आंधोंकी' जैसीकविताएँउनके साहित्यिकऔरकलायोग्यताकोप्रमोटकरनेमेंसफलरहीहैंI

निरालानेअपनेसमयके सामाजिक, आर्थिक, औरराजनीतिकपरिप्रेक्ष्यसेउठानेवालेमुद्दोंपरभीकविताएँलिखीं,


जिनमेंउन्होंनेसमाजके कु रीतमोंकोउजागरकरनेकाप्रयासकिया।

निरालाकानिधन 15 अक्टू बर 1921 कोहुआ,


लेकिनउनकाकाव्यऔरयोगदानआजभीहमेंएकउच्चस्तरके साहित्यिकताऔरसाहित्यिकसफलताकाअहसासकराताहै।
निरालाके साहित्यमेंएकअद्वितीयसंस्कृ तिछिपीहैजोहमेंभारतीयसाहित्यके समृद्धिऔरसमृद्धिकीओरबढ़नेकामार्गदिखातीहै।

महादेवीवर्मा - हिन्दीकीमहानकवयित्री

महादेवीवर्मा, एकऐसीकवयित्रीथींजोअपनीकल्पनाऔरसाहित्यिकदृष्टिके कारणहिन्दीसाहित्यमेंएकमहत्त्वपूर्णस्थानप्राप्तकरचुकीहैं।उनकाजन्म 26 मार्च, 1907


कोप्रयाग (अबप्रयागराज) मेंहुआथा।महादेवीवर्माकाजन्मएकशिक्षितपरिवारमेंहुआथा,
औरउन्होंनेअपनेसमयके परिस्थितियोंऔरसमाजके मुद्दोंकोसमझनेमेंअपनीबड़ीयोगदानदी।

महादेवीवर्माकासाहित्यिकसफरबहुतहीप्रेरणादायकऔरउनिकसाहै।उन्होंनेअपनीपहलीकविता 'रात्रि' को 10 वर्षकीआयुमेंहीलिखदीथी,


औरइसके बादउनकीरचनाएँसुरक्षितहोतीरहीं।महादेवीवर्माकासाहित्यविशेषत: महिलाउत्थान, समाजमेंसामाजिकन्याय, औरप्रेम-विरहके विषयोंपरआधारितहै।

उनकीकविताएँऔरगीतउनके उदारदृष्टिकोणऔरऊर्जासेभरीहुईहैं।उन्होंनेनारीशक्तिऔरस्वतंत्रताके महत्वकोबड़ेहीसूंदररूपसेव्यक्तकियाहै।


उनकीकविताएँआमजनताके बीचआसानीसेसमझीजातीहैंऔरइसीकारणउन्होंनेअपनेसमयके बावजूदअद्वितीयस्थानप्राप्तकिया।

महादेवीवर्माकासाहित्यउनके समयके साथहीआजभीप्रभावशालीहै, औरउनकीकविताएँभारतीयसाहित्यकीधारामेंएकअमूर्तपथिकके रूपमेंनिरंतरचमकतीहैं।


महादेवीवर्माके साहित्यमेंनारीशक्तिके प्रतिउनकाअद्भुतसमर्पणऔरसाहित्यिकयोगदानके कारणहीवे 'महानकवयित्री' के रूपमेंस्थापितहोगईहैं।

जयशंकरप्रसाद: हिन्दीके रचनाकारऔरकवि

जयशंकरप्रसादएकमहानहिन्दीकविथेजोअपनीशानदारकविताओंऔरसाहित्यिकयोगदानके लिएप्रसिद्धहैं।उनकाजन्म३०जनवरी१८९९कोमुंगेर, बिहारमेंहुआथा।


उनकापूरानामआचार्यजयशंकरप्रसादथा, औरवेअपनेकाव्यमें 'आचार्य' के नामसेप्रसिद्धहैं।

जयशंकरप्रसादकीकविताएँऔररचनाएँभारतीयसाहित्यके स्वर्णक्षेत्रमेंएकमहत्त्वपूर्णस्थानरखतीहैं।उनकासाहित्यसामाजिक, राष्ट्रीय,


औरधार्मिकमुद्दोंपरआधारितहैऔरउन्होंनेअपनीरचनाओंके माध्यमसेसमाजकोसुधारनेऔरजागरूककरनेकाकार्यकिया।

जयशंकरप्रसादकाएकप्रमुखकाव्य-कृ तिहै "कामायनी"।इसमेंउन्होंनेपुराणीकथारूपमेंभारतीयसमाज,


सांस्कृ तिकऔरराष्ट्रीयताके महत्त्वपूर्णपहलुओंकोछू नेकाप्रयासकियाहै।कामायनीउनकीकलाकाएकअद्वितीयनमूनाहै, जिसमेंभाषाकीसुंदरता, अद्वितीयरचना,
औरगहरातात्कालिकसामाजिकसमस्याओंके प्रतिउनकीजागरूकताअद्भुतरूपसेदिखतीहैं।
उनकीअन्यप्रमुखरचनाएँमें 'हरिश्चंद्र', 'सके त', और 'आमरबृद्धि' शामिलहैं, जोसमाजके विभिन्नपहलुओंपरआलोचनाऔरसमर्थनकरतीहैं।
उन्होंनेअपनीरचनाओंके माध्यमसेसाहित्यिकसमाजकोसकारात्मकदिशामेंप्रेरितकियाऔरउनकायोगदानआजभीहमारेसाहित्यके समृद्धिकोसजीवरूपसेमहसूसकिया
जारहाहै।

जयशंकरप्रसादनेअपनीअमूर्तसुरक्षाके साथहीहिन्दीसाहित्यकोनएआयामऔरदिशाएँप्रदानकीहैं, जोआजभीहमारीसांस्कृ तिकधाराओंकोसमृद्धिसेभराहुआरखताहै।

सुमित्रानंदनपंत, एकअमिटकवि

सुमित्रानंदनपंत, एकअमिटकविजिन्होंनेअपनीअद्वितीयकविताके माध्यमसेहिंदीसाहित्यकोसमृद्धिऔरगौरवसेभरदिया।उनकाजन्म 20 मई 1900


कोउत्तराखंडके शौन्तनामकस्थानपरहुआथा।सुमित्रानंदनपंतकीकविताएंभारतीयसाहित्यमेंएकनएआयामकीशुरुआतकरतीहैं, जिनमेंसमृद्धि, सांस्कृ तिकसमृद्धि,
औरभावनात्मकगहराईशामिलहै।

पंतनेअपनेलेखनीसे 'चिदंबरम' (1936), 'कालिदास' (1937), 'युगान्तर' (1948), 'गर्धभ' (1954), और 'ग्राम्ययुग' (1955)
जैसीकईमहत्वपूर्णरचनाएंप्रस्तुतकीं।इनमेंसेप्रत्येकरचनानेउनकीकलाके विभिन्नपहलुओंकोदर्शायाऔरराष्ट्रीयस्वभावकोबढ़ावादिया।

पंतकीकवितामेंभारतीयसांस्कृ तिकऔरधार्मिकमूल्योंकासमर्थनहै, जोउन्होंनेसुंदरताऔरशब्दोंके कु शलप्रयोगके साथमिलाकरकिया।उनकीकविताएंप्रेम,


प्राकृ तिकसौंदर्य, औरमानवताकीमहत्वपूर्णविषयोंपरआधारितहैंऔरउन्होंनेइनविषयोंकोअद्वितीयरूपसेप्रस्तुतकियाहै।

सुमित्रानंदनपंतकोउनके अद्वितीयसाहित्यिकयोगदानके लिएसाहित्यिकसमुदायनेसम्मानितकियाहैऔरउन्हेंराष्ट्रकविके रूपमेंसम्मानितकियागयाहै।


उनकीकविताएंआजभीपाठकोंकोअपनीअमूर्तशक्तिऔरविचारशीलताके लिएप्रेरितकरतीहैंऔरउन्हेंभारतीयसाहित्यके एकमहत्वपूर्णस्तंभके रूपमेंमानाजाताहै।

You might also like