You are on page 1of 20

भारतीय कलाएँ

प्रस्तुतकर्ता:
अजीत भूषण राहुल

(पीजीटी)
कें द्रीय विद्यालय सीधी
कला का महत्त्व
‘साहित्यसंगीतकलाविहीनः
साक्षात्पशुपुच्छविषाणहीनः’

साहित्य संगीत कला से विहीन मनुष्य साक्षात बिना पूंछ के


पशु के समान है | कवि – भर्तृहरि के नीतिशतक से
कला क्या है ?

सीधे शब्दों में कहें तो मानव मस्तिष्क में चल रही हजारो प्रकार की कल्पनाओं को अपने
भाई बन्धुवों के सामने दिखाने की क्रिया को ही “कला” या “आर्ट” कहते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि मानव बुद्धि हमेशा से ही रचनात्मक रही है। कला एक प्रकार का
कृ त्रिम निर्माण है, जिसमें शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है|
भारतीय कलाएँ
अपेक्षित अधिगम प्रतिफल

1. विद्यार्थी भारत की विविध संस्कृ तियों और लोक कलाओं के महत्त्व को समझ सकें गे |
2. लोक कलाओं के शास्त्रीय आधार का ज्ञान कर पाएंगे और अपने जीवन से जोड़ पाएंगे |
3. विद्यार्थी चित्रकला , संगीतकला और नृत्यकला में रुचि ले सकें गे |
4. विद्यार्थी भारतीय संस्कृ ति में निहित वसुधैव कु टुंबकम की भावना को विकसित कर पाएँगे |
5. हिन्दी भाषा के माध्यम से भारत के सांस्कृ तिक इतिहास को जान सकें गे |
कला का मानव जीवन से संबंध

जीवन, ऊर्जा का महासागर है। जब अंतश्‍चेतना जागृत होती है तो ऊर्जा जीवन को कला के रूप में उभारती है। कला जीवन को सत्‍यम् शिवम् सुन्‍
दरम् से समन्वित करती है। इसके द्वारा ही बुद्धि आत्‍मा का सत्‍य स्‍वरुप झलकता है। कला उस क्षितिज की भाँति है जिसका कोई छोर नहीं, इतनी
विशाल इतनी विस्‍तृत अनेक विधाओं को अपने में समेटे है |
नृत्य कला मूर्ति कला
मूर्ति कला चित्र कला
भारतीय कलाएँ पाठ के मुख्य बिन्दु
1. इस पाठ में दिए गए चित्र राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को असम सरकार और मिजोरम सरकार के संस्कृ ति मंत्रालय की ओर से भेंट किए गए हैं |
2. कला और भाषा का विकास मनुष्य के जीवन के आदिम इतिहास से जुड़ा है | प्रकृ ति के बीच रहकर मानव ने गुफाओं में चित्रकारी करके अपने जीवन को रंगीन बनाया | मध्य प्रदेश में
स्थित भीम बेटका के गुफा चित्र इसके प्रमाण हैं |
3. चिड़ियों के कलरव से मनुष्य ने गीत और संगीत का अनुभव किया | संगीत की मधुरता का ज्ञान मानव को वहीं से हुआ |
4. त्योहारों ,उत्सवों , जन्मोत्सवों ,पूजा – विधान , खेती – बाड़ी के गीत , ऋतु गीत और मेलों में गाए जाने वाले लोक गीतों से संगीत का उदय हुआ , जो बाद में शास्त्रीय संगीत का
रूप लिया |
5. प्राचीन काल में भारत की सभी कलाओं का प्रदर्शन सामूहिक रूप से किया जाता था , जिन्हें बचाने का प्रयास आज भी किया जा रहा है | भारत की जनजातियों के खास लोकगीत और
लोकनृत्य हैं |
6. जनजातीय लोककला शैलियों के सभी रूपों में एक ऐसी व्यवस्था थी , जो आगे चलकर शास्त्रीय कलाओं का आधार बनीं |
कला का स्वर्ण युग
•चौथी से छठी सदी के बीच का समय भारतीय कला का शानदार और बेमिसाल युग था , इस काल को भारतीय कला का स्वर्ण युग कहा गया है | अजंता और
बादामी की गुफाएँ उन्हीं दिनों की बनाई गई हैं |

•आज भी दक्षिण भारत के मंदिरों की मूर्ति कला अद्भुत दिखाई देती है – तंजाऊर का बृहदेश्वर मंदिर एक उदाहरण है |

•भारतीय कलाओं का यह अद्भुत संसार हमारी संस्कृ ति की पहचान हैं |

•हिन्दुस्तानी कला जितनी हिंदुस्तान में दिखाई पड़ती है , उससे कहीं अधिक हिंदुस्तान के बाहर भी है |

•बौद्ध धर्म के प्रसार से एशिया ,चीन और जापान तक भारतीय कला को देखा जा सकता है |

•कं बोडिया का अंगकोरवाट का जैन मंदिर और जावा की इमारतें भारतीय मूर्तिकला के अनुपम नमूने हैं |
भारतीय कला के विविध रूप

छत्तीसगढ़ की कलमकारी , पंजाब की फु लकारी ,महाराष्ट्र की बरली और बिहार की मधुबनी लघु चित्रकला के शानदार नमूने हैं , जिन्हें कपड़े पर किया जाता है |

उत्सवों , त्योहारों के अवसर पर रंगोली बनाना शुभ माना जाता है | आजकल इस कला को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चौका पूरण , राजस्थान में मड़वा , गुजरात में
सतिया और उत्तराखंड में ऐपण कहा जाता है |
भारतीय संगीत कला

• भारतीय संगीत का प्रमाण वैदिक महर्षियों के पूजा मंत्रोच्चार से भारतमुनि के नाट्यशास्त्र तक


देखने को मिलता है |

• भारतीय संगीत सुर ,ताल ,राग और काल से सम्बद्ध है | समय के अनुसार राग गाए जाते हैं |
लघूत्तरात्मक
बोधात्मक
प्रश्न
1. पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के चित्रकारी को क्या – क्या नाम दिया गया है ?

2. भारतीय संगीत की क्या विशेषता है ?

3. गिरिजा देवी को क्यों याद किया गया है ?

4. रंगोली जैसी कला को अलग –अलग प्रदेशों में किन – किन नामों से जाना जाता है ?

5. अजंता की गुफाओं के चित्र किस राज्य में स्थित हैं ?

6. भारतीय चित्रकला का विकास भारत से बाहर कै से हुआ ?


भारतीय नृत्यकला
1. नृत्य यानी अभिनय – भाव को भंगिमा से प्रस्तुत करना |

2. उत्तर प्रदेश का कत्थक ,कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का भरतनाट्यम ,ओड़ीसा का ओडिसी ,के रल का मोहिनी अट्टम और कथकली भारतीय कलाओं के अद्भुत शास्त्रीय नृत्य हैं |

3. लोकनृत्यों में असम का बिहू , पंजाब का गिद्धा और भांगड़ा ,गुजरात का डांडिया और रास ,मिजोरम और नागालैंड का बांस नृत्य लोकप्रिय हैं | भारतवर्ष अद्भुत कलाओं की धरती है |

4.भारतीय कृ षक समुदाय फसलों की रोपाई और कटाई के समय उत्सव मनाते हैं | नर्तक – नर्तकी एक दूसरे से हाथ मिलाकर नृत्य करते हैं | सब एक साथ अपना हाथ मिलाते हैं और पैरों को एक साथ
उठाते हैं | इस प्रकार हम देखते हैं कि भारतीय कलाएँ हमारी अद्भुत साहचर्य भावना की प्रतीक हैं | यही भावना आज वसुधैव कु टुंबकम की भावना को सुदृढ़ कर रही है ?
भारतीय लोक नृत्य
भारतीय शास्त्रीय नृत्य
क्या – क्या सीखा
भारत की विविध संस्कृ तियों और लोक कलाओं के महत्त्व को समझ सके |

लोक कलाओं के शास्त्रीय आधार का ज्ञान हुआ |

हम भी चित्रकला , संगीतकला और नृत्यकला में रुचि लेंगे |

विद्यार्थी भारतीय संस्कृ ति में निहित वसुधैव कु टुंबकम की भावना को विकसित करेंगे |

हिन्दी भाषा के माध्यम से भारत के सांस्कृ तिक इतिहास को जानकारी प्राप्त हुई |
पाठ के बोधात्मक प्रश्न
1. कला किसे कहते हैं ?
2. हमारे देश की सांस्कृ तिक विविधता क्या है ?
3. ई.पू. की चौथी शताब्दी को भारतीय कला का स्वर्णिम युग क्यों कागा गया है ?
4. प्राचीन चित्रकला का उदय कै से हुआ ?
5. आम लोगों के जीवन से लोकगीतों का क्या संबंध है ?
6. भारतीय कला का विकास भारत से बाहर कै से हुआ ?
7. भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों का क्या महत्त्व है ?
8. भारतीय वाद्ययंत्रों के नाम लिखिए ?
9. भारतीय कलाएँ किस प्रकार वसुधैव कु टुंबकम की भावना को सुदृढ़ कर रही हैं ?
पाठ के वैकल्पिक प्रश्न
1. नर्तक अपने भावों को किससे सजाता है ?
क. गायन से ख. वादन से ग. नृत्य से घ. संगीत से

2. भारतीय कलाएं हमारे मन में कौन - सा भाव भर देती हैं ?


क. सबके प्रति आदर ख. विरासत के प्रति प्रेम और उत्साह ग. कला के प्रति उदासीन घ. कोई विकल्प सही नहीं
है

3. मध्यकाल में भारतीय कलाओं को कहाँ आश्रय मिला ?


क. राज दरबार में ख. गांवों में ग. जनजातीय समूहों में घ. सभी विकल्प सही हैं

4. किस वंश के शासकों के शासन काल को साहित्य ,संगीत और कला का स्वर्ण युग कहा जाता है ?
क. शुंग वश ख. मौर्य वंश ग. कु षाण वंश घ. गुप्त वंश
धन्यवाद

You might also like