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आर्ट थेरेपी (कला चिककत्सा)

शिखा गुप्ता

कलाकर, कला चिककत्सक

निदे िक कलाग्राम सोसायटी फॉर फाइि

आर्ट्स, संस्थापक उडाि एक मीठा

सपिा सोसायटी

कला में कलाकार खद


ु को उजागर करता है कलाकृनत को िहीं।”

कला के इसी गुण को हम आट् थेरेपी यािी कला चिककत्सा कहते हैं।
कला चिककत्सा ककसी व्यक्तत के भीतर के संवेदििील रूप से एकीकृत होिे पर संस्कृनत रििात्मक
आत्म-अशभव्यक्तत को बढावा दे ती और पीडडतों को साथ्क तरीके से अपिी क्षमता तक पहुंििे के शलए
प्रभावी रूप से िि
ु ौती दे सकती है। (Howie et al., 2013)
“कला हमारे सबसे गहरे हहस्से में प्रवेि कर सकती है, जहां कोई िब्द मौजूद िहीं है।”
एलीि शमलर, द गल् हू स्पोक ववथ वपतिस्: ऑहटज़्म थ्रू आट्

यह व्यापक रूप से स्वीकार ककया जाता है कक संवाद करिे की क्षमता एक आवश्यक मािवीय वविेषता
है। हम पेंट करते हैं, ित्ृ य करते हैं, शलखते हैं और गाते हैं ताकक समझ सकें कक हमारे अंदर की दनु िया
और हमारे भीतर तया िल रहा है? यूं तो कला के माध्यम से स्वयं की खोज का वविार परु ािा है, परं तु
कला चिककत्सा की अवधारणा अपेक्षाकृत िई है। यद्यवप हमारी भारतीय संस्कृनत में कला, जीवि के
सुखद अथवा सुखद सभी क्षणों की साक्षी बिती है। जहां भाविाएं वहीं उिकी अशभव्यक्तत के शलए
कला मौजूद रहती है कफर िाहे वो रं गोली या अल्पिा बिािा हो, दीवारों पर गेरू से लीप पज
ू ा करिा हो,
मंहदर सजािा या खुद को, कला को अशभव्यतत करिे का कोई भी अवसर हमारी संस्कृनत से अछूता
िहीं है।
वषों से, सभी प्रकार के कलाकार अपिे संबंचधत ववषय के माध्यम से बढ रहे हैं, सीख रहे हैं और खुद को
अशभव्यतत कर रहे हैं, लेककि केवल वपछली िताब्दी में ही कला को उपिार के शलए एक संभाववत
उपकरण के रूप में प्रयोग करिे को, गंभीरता से शलया गया है।
मािशसक स्वास््य ककसी व्यक्तत के समग्र कल्याण का एक अनिवाय् पहलू है। यह एक व्यक्तत की
भाविात्मक, मिोवैज्ञानिक और सामाक्जक भलाई से संबचं धत है। जब ककसी व्यक्तत के मािशसक
स्वास््य से समझौता ककया जाता है, तो वे ऐसे कई लक्षणों का अिभ
ु व कर सकते हैं जो उिके दै निक
जीवि पर िकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इि लक्षणों में चिंता, अवसाद, तिाव और अन्य मािशसक
स्वास््य ववकार िाशमल हो सकते हैं। यह बताया गया है कक दनु िया भर में िार में से एक वयस्क ककसी
ि ककसी प्रकार के मािशसक स्वास््य ववकार का अिभ
ु व करता है।(WHO)

कला चिककत्सा मिोचिककत्सा का एक रूप है जो कला को अशभव्यक्तत के साधि के रूप में उपयोग
करता है। मािशसक स्वास््य ववकारों का अिुभव करिे वालों के शलए कला चिककत्सा के उपयोग से कई
लाभ पाए गए हैं। यह एक व्यक्तत को कला के माध्यम से अपिी भाविाओं और वविारों को व्यतत
करिे के शलए एक सुरक्षक्षत और गैर-न्यानयक (िॉि जजमेंटल) स्थाि प्रदाि करता है। कला चिककत्सा
व्यक्ततगत या समूह सेहटंग्स में की जा सकती है, और यह चिंता, अवसाद, आघात और लत सहहत कई
मािशसक स्वास््य क्स्थनतयों के उपिार में प्रभावी होिे के शलए जािा जाता है।

आट् थेरेपी, थेरेपी का एक रूप है जो व्यक्ततयों को पेंहटंग, ड्राइंग, कोलाज और मूनत्कला जैसे कला के
ववशभन्ि रूपों के माध्यम से अपिी भाविाओं का पता लगािे और उन्हें व्यतत करिे में मदद करता है।
कला चिककत्सा का उपयोग व्यक्ततयों को अपिे वविारों और भाविाओं को बाहर निकालिे और उन्हें
बाहरी दृक्टटकोण से दे खिे की अिुमनत दे कर उपिार प्रकिया को सुववधाजिक बिािे में मदद करता है।
इस चिककत्सा की िुरुआत शसगमंड फ्रूड िामक मिोवैज्ञानिक के द्वारा की गई है।
शसंगमंग फ्रूड एक कला चिककत्सक िहीं थे, लेककि उिके शसद्धांत उस के ववकास के शलए
एक आधार बि गए क्जसे अब हम कला चिककत्सा के रूप में मािते हैं। "दमि, प्रक्षेपण,
अिेति मि और सपिों में प्रतीकवाद के उिके शसद्धांतों िे मािशसक बीमारी को समझिे के
शलए दृश्य छववयों के महत्व की पहिाि की। काल् रोजस् िामक वैज्ञानिक, मिोचिककत्सा के
क्षेत्र में अपिे स्वयं के शसद्धांतों, प्रतीकवाद, साव्भौशमक कल्पिा और सामूहहक अिेति के
साथ-साथ कलात्मकता की अपिी भाविा को लेकर आए। काल् यंग िे प्रतीकात्मक रूप से
दे खा कक हम जो कुछ भी करते हैं और हर जगह हम जाते हैं, सभी जगह प्रतीकों के रूप में
एकरूपता ही होती है। कुछ ि कुछ शमलता जुलता पैटि् होता ही है। उिका माििा था कक
इि प्रतीकों को अपिी समझ के माध्यम से हम अपिी आंतररक दनु िया और खुद को और
खुद से जुडे व्यक्ततयों और समुदायों के रूप में समझते हैं |( Person et al., 2020)

भारत की संस्कृनत में कला कुछ इस तरह रिी बसी है के कला को उससे िाह कर भी अलग िहीं कर
सकते, कफर िाहे वो रं गोली बिािा हो या खािा, कढाई बि
ु ाई या शसलाई करिा सभी हमे ककसी ि ककसी
रूप में कला के ककसी ि ककसी रूप को दिा्ता है, हदि प्रनतहदि के जीवि में हमारे भावों को व्यतत
करिे में मदद कर सक
ु ू ि प्रदाि करता है। चिककत्सा का यह रूप व्यक्ततयों को उिके वविारों, भाविाओं
और व्यवहारों में पैटि् की पहिाि करिे और उिका पता लगािे में भी सक्षम बिाता है।
मािशसक स्वास््य और कल्याण को बढावा दे िे में कला चिककत्सा के महत्व पर बडे पैमािे
पर िोध ककया गया है। यहााँ कुछ प्रमख
ु निटकष् हदए गए हैं:

1. तिाव और चिंता कम करिा: कई अध्ययिों से पता िला है कक कला चिककत्सा तिाव


और चिंता को काफी कम कर सकती है। कला का निमा्ण व्यक्ततयों को गैर-मौखखक तरीके
से अपिी भाविाओं को व्यतत करिे और जारी करिे का अवसर प्रदाि करता है। इससे उन्हें
अपिी भाविाओं को पहिाििे और संसाचधत करिे की अिम
ु नत शमलती है, क्जससे ववश्राम
और िांनत की भाविा बढ जाती है।

2. मूड और आत्म-सम्माि में सुधार: कला चिककत्सा को मूड में सुधार और आत्म-सम्माि
को बढावा देिे के शलए पाया गया है। जब लोग कला बिािे में उपलक्ब्ध की भाविा महसूस
करते हैं, जैसे पेंहटंग या मूनत्कला को पूरा करिा, तो वे आत्म-मूल्य की सकारात्मक भाविा
का अिुभव करते हैं। इसके अनतररतत, कला बिािा एक मजेदार और आिंददायक गनतववचध
हो सकती है जो आत्माओं को उठाती है।

3. संिार कौिल में वद्


ृ चध: कला चिककत्सा ककसी व्यक्तत के संिार कौिल में सुधार कर
सकती है। कला बिािे और ििा् करिे के काय् के माध्यम से, व्यक्ततयों को अपिे वविारों
और भाविाओं को गैर-धमकी देिे वाले तरीके से स्पटट करिे के शलए प्रोत्साहहत ककया जाता
है। इससे उन्हें बेहतर संिार कौिल ववकशसत करिे और दस
ू रों के साथ मजबूत संबध
ं बिािे
में मदद शमल सकती है।

4. खासकर के बच्िों के शलए बहुत कारगर है, जो अपिी भाविाओं की अशभव्यक्तत खुल के
मौखखक रूप में िहीं कर पाते, जबकक कला की मदद से ये गहराई से और आसािी से खद ु
को प्रकट कर सकते हैं, तयोंकक उिके शलए कला एक िॉि चथ्रएटनिंग मीडडयम है, जहां वो
बबिा डरे मि की बात कह सकते हैं।

5. सिक्ततकरण की भाविा प्रदाि करिा: कला चिककत्सा व्यक्ततयों को सिक्ततकरण की


भाविा प्रदाि कर सकती है। कला का निमा्ण करके, व्यक्तत अपिे वविारों और भाविाओं
को नियंबत्रत करिे में सक्षम होते हैं, और एक िकारात्मक अिभ
ु व से कुछ सकारात्मक बिाते
है…
उि व्यक्ततयों के शलए वविेष रूप से िक्ततिाली अिभ
ु व हो सकता है क्जन्होंिे आघात या
महत्वपण
ू ् िक
ु साि का अिभ
ु व ककया है।
भारतीय संदभट में आर्ट थेरेपी (कला चिककत्सा)
भारतीय संदभ् में मािशसक स्वास््य के मद्
ु दों को संबोचधत करिे में कला चिककत्सा तेजी से
महत्वपण
ू ् हो गई है। यहााँ कुछ कारण हदए गए हैं:

1. सांस्कृनतक कलंक(कल्िरल क्स्टग्मा):


मािशसक स्वास््य कलंक भारत में प्रिशलत हैं, और कई व्यक्तत चिककत्सा के पारं पररक
रूपों की तलाि करिे में संकोि महसस
ू कर सकते हैं। आट् थेरेपी व्यक्ततयों को खद
ु को
अशभव्यतत करिे के शलए एक रििात्मक आउटलेट प्रदाि करती है, बबिा न्याय या कलंककत
होिे के डर के।
2. आध्याक्त्मक जडें:
भारत में आध्याक्त्मक अभ्यास का समद्
ृ ध इनतहास रहा है और कला चिककत्सा इससे प्रेरणा
ले सकती है। कला चिककत्सा का उपयोग आध्याक्त्मक अशभव्यक्तत के शलए एक आउटलेट
प्रदाि करिे और स्वयं के आध्याक्त्मक और भाविात्मक पहलुओं के बीि एक मजबूत संबंध
बिािे के शलए ककया जा सकता है।
3. कलात्मक ववरासत:
भारत में एक समद्
ृ ध कलात्मक ववरासत है, और कला एक महत्वपूण् सांस्कृनतक
अशभव्यक्तत है। उपिार में कला चिककत्सा को एकीकृत करिे से यह अचधक भरोसेमंद और
सुलभ हो सकता है, साथ ही कला के पारं पररक रूपों को संरक्षक्षत और बढावा दे िे में मदद
शमल सकती है।
समग्र दृक्टटकोण: भारत में स्वास््य सेवा के शलए समग्र दृक्टटकोण अपिािे की एक लंबी
परं परा रही है। कला चिककत्सा व्यक्तत की िारीररक, भाविात्मक और आध्याक्त्मक
आवश्यकताओं को संबोचधत करके इस दि्ि के साथ संरेखखत होती है।
4. बढती मांग:
भारत में मािशसक स्वास््य के मद्
ु दे बढ रहे हैं, और वैकक्ल्पक उपिार ववकल्पों की मांग
बढ रही है। कला चिककत्सा तिाव, चिंता, अवसाद और आघात सहहत कई मािशसक स्वास््य
मुद्दों के शलए एक प्रभावी, साक्ष्य-आधाररत उपिार दृक्टटकोण प्रदाि कर सकती है।

कुल शमलाकर, कला चिककत्सा मािशसक स्वास््य और कल्याण को बढावा दे िे के शलए एक


महत्वपण
ू ् उपकरण हो सकती है। यह व्यक्ततयों को तिाव और चिंता कम करिे, मिोदिा
और आत्मसम्माि में सध
ु ार करिे, संिार कौिल बढािे और सिक्ततकरण की भाविा प्रदाि
करिे में मदद कर सकता है।

References

Howie, P., Kristel, J., & Prasad, S. (2013). Using art therapy with diverse populations:
Crossing cultures and abilities. Jessica Kingsley Publishers.
Person, Mahesh, & Iyer. (2020, July 27). Integrating traditional crafts within clinical
practice: 11: A Cross. Taylor & Francis.
https://www.taylorfrancis.com/chapters/edit/10.4324/9781003050513-11/integrating-
traditional-crafts-within-clinical-practice-mahesh-iyer?context=ubx

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