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संस्कृ ति क्या है ? संस्कृ ति का अर्थ (sanskriti ka arth)


Sanskriti ka arth;समूह मे साथ-साथ जीवन व्यतीत करने के लिये आवश्यकता हैं कु छ नियम, विधान की जो
व्यक्ति के पारस्परिक संबंधों, व्यवहारों व क्रियाओं को निर्देशित व नियमित कर सकें । सामूहिक जीवन के ये नियम,
विधान, व्यवहार प्रणालियाँ, मूल्य, मानक एवं आचार-विचार व्यक्ति की सांस्कृ तिक विरासत का अंग होते हैं।
एडवर्ड टायलर का कथन है कि संस्कृ ति वह जटिल समग्रता हैं जिसमे ज्ञान, विश्वास, कला, आर्दश, कानून, प्रथा एवं
अन्य किन्ही भी आदतों एवं क्षमताओं का समावेश होता है जिन्हे मानव ने समाज के सदस्य होने के नाते प्राप्त
किया हैं।
इस लेख मे हम संस्कृ ति की परिभाषा और संस्कृ ति की विशेषताएं जानेगें।
व्यक्ति का समाज तथा संस्कृ ति के साथ समान रूप से संबंध है। व्यक्ति के व्यवहार के ये दोनों ही महत्वपूर्ण
आधार हैं। इस रूप मे व्यक्ति, समाज एवं संस्कृ ति तीनों ही अन्योन्याश्रित हैं। व्यक्ति का समग्र विकास समाज
तथा संस्कृ ति दोनों के प्रभाव से होता हैं। इस समीकरण द्वारा स्पष्ट है कि समाज का सामूहिक जीवन भी व्यक्ति
के व्यवहार को प्रभावित करता हैं। तथा दूसरी तरफ संस्कृ ति के आर्दश नियम भी मानव-व्यवहार को दिशा प्रदान
करते हैं।

संस्कृ ति की परिभाषा (sanskriti ki paribhasha)


रेडफील्ड के अनुसार " रेडफील्ड ने संस्कृ ति की संक्षिप्त परिभाषा इस प्रकार उपस्थित कि हैं, " संस्कृ ति कला और
उपकरणों मे जाहिर परम्परागत ज्ञान का वह संगठित रूप है जो परम्परा के द्वारा संरक्षित हो कर मानव समूह की
विशेषता बन जाता हैं।
जार्ज पीटर ने संस्कृ ति की परिभाषा इस प्रकार से दी है , " किसी समाज के सदस्यों की उन आदतों से संस्कृ ति
बनती है जिनमे वे भागीदार हो चाहे वह एक आदिम जनजाति हो या एक सभ्य राष्ट्र। संस्कृ ति एकत्रिकृ त आदतों
की प्रणाली हैं।
ई. ऐडम्सन होबेल के शब्दों मे संस्कृ ति की परिभाषा " किसी समाज के सदस्य जो आचरण और लक्षण अभ्यास से
सीख लेते हैं और अवसरों के अनुसार उनका प्रदर्शन करते है , संस्कृ ति उन सबका एकत्रिकृ त जोड़ है।
डाॅ. दिनकर के अनुसार " संस्कृ ति जीवन का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर समाज मे छाया
रहता है जिसमे हम जन्म लेते हैं।

संस्कृ ति की परिभाषाएं जाननें के बाद अब हम संस्कृ ति की विशेषताओं को जानेंगे।

संस्कृ ति की विशेषताएं (sanskriti ki visheshta)


संस्कृ ति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से है --

1. संस्कृ ति समाज से सम्बंधित होती हैं


संस्कृ ति की उत्पत्ति, विकास एवं संचार का सम्बन्ध समाज से होता है , व्यक्ति से नही। समाज से अलग
रहकर कोई भी व्यक्ति संस्कृ ति का न तो विकास कर सकता है और न ही प्रसार।
2. संस्कृ ति मे सामाजिक गुण पाया जाता है
संस्कृ ति सामाजिक आविष्कार है। खेती, बागवानी और भोजन पकाने की विधियों का अविष्कार किस एक
व्यक्ति ने नही किया और न ही ऐसा किसी व्यक्ति द्वारा संभव हैं। प्रथाएं, परम्पराएं और नियम, विधान
किसी एक व्यक्ति की देन नही है। कौटु म्बिक व्यभिचार के निषेध का नियम किसी व्यक्ति विशेष ने नही
बनाया। संस्कृ ति के विभिन्न अवयव-ज्ञान, विश्वास, प्रथा, परम्परा, प्रविधि आदि किसी एक या कु छ
व्यक्तियों का ही प्रतिनिधित्व नही करते वरन् संपूर्ण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
3. संस्कृ ति सीखी जाती है
संस्कृ ति खीखा हुआ व्यवहार है। यह उत्तराधिकार मे नही बल्कि शिक्षा एवं अभ्यास के द्वारा प्राप्त होती
है। व्यक्ति समूह के आचरण, व्यवहार व लक्षण को अभ्यास के द्वारा सीखता हैं।
4. संस्कृ ति सीखने से विकसित होती हैं
व्यक्ति संस्कृ ति सीखता हैं अर्थात् यह जन्मजात गुण नही है। समाज मे रहकर व्यक्ति संस्कृ ति के
विभिन्न पक्षों को अपनाता हैं।
5. संस्कृ ति संचरित होती हैं
संस्कृ ति सीखने से सम्बंधित होती है अतः इसका संचार सम्भव है। सांस्कृ तिक प्रतिमान एक पीढ़ी से
दूसरी पीढ़ी को संचरित होती रहती है। इस प्रकार एक पीढ़ी संस्कृ ति का जितना विकास कर लेती है वह
समग्र रूप मे अगली पीढ़ी को विरासत के रूप मे मिल जाता है। इसी विशेषता के कारण संस्कृ ति का रूप
पीढ़ी दर पीढ़ी परिष्कृ त होता जाता है। संस्कृ ति के संचार का सबसे मुख्य साधन भाषा हैं।
6. संस्कृ ति मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं
संस्कृ ति की एक विशेषता यह भी हैं कि संस्कृ ति मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। भोजन, यौन
संतुष्टि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं है। इनकी संतुष्टि स्वतंत्र रूप से की जा सकती है और मर्यादित
रूप मे भी। पहली विधि घोर बर्बता की सूचक हैं और जो अन्ततः व्यक्ति के लिए अहिकारी ही है।
मर्यादित रूप संस्कृ ति का सूचक है जो पीढ़ियों के सामाजिक अनुभव (जैसे एक विवाह) के फलस्वरूप
विकसित हुआ हैं और जो व्यक्ति के समूह के हितों की बेहतर पूर्ति का श्रेष्ठ साधन है।
7. संस्कृ ति मानवीय होती हैं
संस्कृ ति की एक विशेषता संस्कृ ति का मानवीय होना भी हैं। संस्कृ ति मानव समाज की मौलिक विशिष्टा
है। पशु समाजों मे किसी प्रकार की संस्कृ ति नही होती। यह सत्य है कि पशु भी अनेक प्रकार के व्यवहार
सीखते है , परन्तु उनका सीखना पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत का रूप नही लेता। भाषा के अभाव मे पशुओं मे
संस्कृ ति का प्रश्न ही नही उठता।
8. संस्कृ ति समूह के लिए आर्दश होती है
किसी समूह के सदस्य अपनी संस्कृ ति के नियमों, मूल्यों व मान्यताओं को अपने जीवन का आर्दश मानते
है और उन्हें जीवन मे प्राप्त करने का प्रयत्न करते है। वास्तव मे संस्कृ ति सामूहिक अनुभव से उद्भूत होती
है। यह उन्हीं मूल्यों, मानको और लक्ष्यों को स्थापित करती है जो पीढ़ियों के अनुभवों के फलस्वरूप
विकसित व वांछित होते हैं। वेद पूज्य हैं, सांसरिक आकर्षण मिथ्या है , धन, वैभव, यौवन का लोभ, विनाश
का कारण हैं। इनका उतना ही सेवन करना चाहिये जो धर्मानुकू ल अर्थात् जीवन के लिए आवश्यक है। चोरी
करना पाप हैं, स्त्री मातृत्व और शक्ति की प्रतीक हैं। उसका सम्मान करना चाहिए, गुरू का आदर करना
चाहिए, आदि हमारे जीवन के कु छ आर्दश है जिन्हे सदियों से अपने जीवन मे उतारने के लिए हम
प्रयत्नशील रहे हैं।
9. संस्कृ ति संगठित होती हैं
संस्कृ ति के अनेक पक्ष है परन्तु ये पक्ष परस्पर संगठित रहते है। संस्कृ ति के विभिन्न पक्ष परस्पर एक
समग्र रूप बनाते है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संस्कृ ति मे संगठन की प्रवृत्ति होती हैं।
QUESTION-2
Question -3

Etymological Meaning of Education

Etymologically, the word “education” is said to be derived from the following Latin words.

(i) `Educare’ means ‘to bring up’, ‘to nourish’ and to ‘raise’.

(ii) `Educere’ implies ‘to draw out’, ‘to lead out’.

(iii) `Educatum’ denotes ‘to train’, `Educo’, it consists of two words ‘e’ meaning ‘out of’ and
`duco’ meaning ‘to lead’, ‘to lead out’.

So the function of education, thus, is to bring up or to develop children. The most popular
meaning of the term education identifies with the process of instruction and training that takes
place in an educational institution. Besides gaining knowledge and information, education also
develops and promotes national values, leadership and responsibilities. Education also helps an
individual to develop adjustment to the environment and have control over it. It develops social
responsibilities in learning.

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